भारत में मंिदर स् ापत्य का...

35
भारत म म िदर साप का फैलाव (नक की बाहरी रखा पैमान म नह है)

Upload: others

Post on 25-Sep-2019

18 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारत म मिदर सzwjापतzwjय का फलाव(नकzwjश की बाहरी रशखा पमानश म नही ह)

मदिर सथापतय और मद तिकलथा

6 आज जब हम अगशजी कश lsquoटशमपलrsquo zwjबद

की बात करतश ह तो हमारश िलए उसका सामानzwjय अzwjथ भारत कश िभनन-िभनन परदशzwjो

कश अनसार दशवालzwjय दशवकल मिदर कोिवल दशवल दशवसzwjानम परासाद zwjया

कशतरम होता ह

हम ठीक सश नही जानतश िक भारत म पजा सzwjल कश रप म मिदर का िनमाथण कब zwjर हआ और उस समzwjय मिदर का उपzwjयोग कzwjया zwjा मिदर दशवी-दशवताओ की पजा करनश

और ऐसी धािमथक िरिzwjयाए सपनन करनश कश िलए भी बनाए गए होगश जो पजा काzwjयथ सश जड़ी होती ह िफ र आगश चलकर मिदर महतवपणथ धािमथक और सामािजक ससzwjाओ कश रप म बढ़नश लगश जसा िक अनशक िzwjलालशखो कश साकzwjयो सश पता चलता ह इन िzwjलालशखो पर राजाओ दारा िदए गए बड़श-बड़श धमथदाzwjयो का उललशख िमलता ह ऐसश मिदरो म कालातर म आवशzwjयकताओ कश अनसार अनशक मडप जसश िक अरथमडप महामडप नाटzwjय zwjया रग मडप आिद जोड़ िदए गए zwjयह िनिशचत रप सश कहा जा सकता ह िक दसवी zwjताबदी तक आतश-आतश भ-परzwjासन म मिदर की भिमका काफी अहम हो गई zwjी

पराचीन मिदरजहा एक ओर सतप और उनका िनमाथण काzwjयथ जारी रहा वही दसरी ओर सनातनिहद धमथ कश मिदर और दशवी-दशवताओ की परितमाए भी बननश लगी अकसर मिदरो को सबिधत दशवी-दशवताओ की मितथzwjयो सश सजाzwjया जाता zwjा पराणो म उिललिखत कzwjाए सनातन धमथ की आखzwjयान-परसतितzwjयो का िहससा बन गइ हर मिदर म एक परधान zwjया अिधषठाता दशवता की परितमा होती zwjी मिदरो कश पजा गह तीन परकार कश होतश हmdash(i) सधर िकसम (िजसम परदिकणा पzwj होता ह) (ii) िनरधर िकसम (िजसम परदिकणा पzwj नही होता ह) और (iii) सवथतोभदर (िजसम सब तरफ सश परवशzwj िकzwjया जा सकता ह) कछ महतवपणथ शिव मशिर नचना-कठार मधय परिि पाचवी िताबिदी ईसवदी

चतममख शिग नचना-कठार मधय परिि (इनसट)

भारतीय कला का पररचय 70

किि

अामिक

गरमगह

पदीठ

शिखर

नागर ििदी का मशिर

मिदर उततर परदशzwj म दशवगढ़ तzwjा मधzwjय परदशzwj म एरण व नचना-कठार और िविदzwjा कश पास उदzwjयिगरर म पाए जातश ह zwjयश मिदर साधारण शशणी कश ह िजनम बरामदा बड़ा ककमडप और पीछश पजा गह ह

िहनदद मिदर करा मदल रपिहनद मिदर िनमन भागो सश िनिमथत होता हmdash(i) गभथगह जो परारिभक मिदरो म एक छोटा-सा परकोषठ होता zwjा उसम परवशzwj कश िलए एक छोटा-सा दार होता zwjा लशिकन समzwjय कश साzwj-साzwj इस परकोषठ का आकार बढ़ता गzwjया गभथगह म मिदर कश मखzwjय अिधषठाता दशवता की मितथ को सzwjािपत िकzwjया जाता ह और zwjयही अिधकाzwj पजा-पाठ zwjया धािमथक िरिzwjयाओ का क दर िबद होता ह (ii) मडप अzwjाथत मिदर का परवशzwj कक जोिक काफी बड़ा होता ह इसम काफी बड़ी सखzwjया म भकतगण इकटठा हो सकतश ह इस मडप की छत आमतौर पर खभो पर िटकी होती ह (iii) पववोततर काल म इन पर िzwjखर बनाए जानश लगश िजसश उततर भारत म िzwjखर और दिकण भारत म िवमान कहा जानश लगा (iv) वाहन अzwjाथत मिदर कश अिधषठाता दशवता की सवारी वाहन काश एक सतभ zwjया धवज कश साzwj गभथगह कश साzwj कछ दरी पर रखा जानश लगा

भारत म मिदरो की दो शशिणzwjयाश को जाना जाता हmdashउततर भारत की lsquoनागरrsquo zwjली और दिकण भारत की lsquoदरिवड़rsquo zwjली कछ िवदानो कश मतानसार lsquoवशसरrsquo zwjली भी एक सवततर zwjली ह िजसम नागर और दरिवड़ दोनो zwjिलzwjयो की कछ चनी हई िवzwjशषताओ का िमशण पाzwjया जाता ह इन परपरागत परमख शशिणzwjयो कश अतगथत और भी कई उप-zwjिलzwjया आती ह हम आगश इस अधzwjयाzwjय म इन उपzwjिलzwjयो पर चचाथ करगश आगश चलकर मिदरो कश भवनो कश िनमाथण म जzwjयो-जzwjयो जिटलता बढ़ती गई उनम तरह-तरह की परितमाओ की सzwjापना कश िलए आलश-िदवालश जोड़श जातश रहश मगर मिदर की आधारभत zwjयोजना (नकzwjा) पहलश जसी ही बनी रही

मदि तिकलरा मदि तिििदरा और अलकरणदशवी-दशवताओ की मितथzwjयो का अधzwjयzwjयन कला इितहास की एक अलग zwjाखा कश अतगथत आता ह िजसश मितथिवदा (iconography) कहा जाता ह मितथिवदा (िजसश परितमािवदा भी कहा जाता ह) कश अतगथत कितपzwjय परतीको तzwjा पराण कzwjाओ कश आधार पर मितथ की पहचान की जाती ह अकसर कई बार ऐसा भी होता ह िक दशवता की आधारभत कzwjा और अzwjथ तो सिदzwjयो तक एक जसा ही बना रहता ह िकत सzwjान और समzwjय कश सामािजक राजनीितक zwjया भौगोिलक सदभथ म उसका उपzwjयोग कछ बदल जाता ह

परतzwjयशक कशतर और काल म परितमाओ की zwjली सदा एक जसी नही रही परितमािवदा म अनशक सzwjानीzwjय पररवतथन आतश रहश मितथकला तzwjा अलकरण zwjली म भी वzwjयापकता आती गई और दशवी-दशवताओ कश रप उनकी कzwjाओ कश अनसार बनतश-बदलतश गए मिदर म मितथ की सzwjापना की zwjयोजना बड़ी सझ-बझ कश साzwj बनाई जाती रही उदाहरण कश िलए नागर zwjली कश मिदरो म गगा और zwjयमना जसी नदी दशिवzwjयो को गभथगह कश परवशzwj दार कश

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 71

पास रखा जाता ह जबिक दरिवड़ मिदरो म दारपालो को आमतौर पर मिदर कश मखzwjय दार zwjयानी गोपरम पर रखा जाता ह इसी परकार िमzwjनो नवगहो (नौ मागिलक गहो) और zwjयको को दार रका कश िलए परवशzwj दार पर रखा जाता ह मखzwjय दशवता zwjयानी मिदर कश अिधषठाता दशवता कश िविभनन रपो zwjया पको को गभथगह की बाहरी दीवारो पर दzwjाथzwjया जाता ह आठ िदzwjाओ कश सवामी zwjयानी अषटिदगपालो को गभथगह की बाहरी दीवारो और मिदर की बाहरी दीवारो पर अपनी-अपनी िदzwjा की ओर अिभमख िदखाzwjया जाता ह मखzwjय दशवालzwjयो की चारो िदzwjाओ म छोटश दशवालzwjय होतश ह िजनम मखzwjय दशवता कश पररवार zwjया अवतारो की मितथzwjयो को सzwjािपत िकzwjया जाता ह दशवी-दशवताओ कश िभनन-िभनन रपो की मितथzwjयो को दशखनश सश पता चलता ह िक िभनन-िभनन पzwjो zwjया सपरदाzwjयो कश बीच दाzwjथिनक वाद-िववाद और परितzwjयोगताए चलती zwjी िजनकश कारण उनकश रपो कश परसततीकरण म भी िविवधता आ गई अतत अलकरण कश िविवध रपो जसशmdashगवाक वzwjयालzwjयाली कलप-लता आमलक कलzwj आिद का भी परzwjयोग मिदर म िविवध सzwjानो तzwjा तरीको सश िकzwjया गzwjया

नरागर यरा उततर भरारीय मिदर शलीउततर भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला की जो zwjली लोकिपरzwjय हई उसश नागर zwjली कहा जाता ह इस zwjली की एक आम बात zwjयह zwjी िक सपणथ मिदर एक िवzwjाल चबतरश (वशदी) पर बनाzwjया जाता ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया होती ह आमतौर पर इन मिदरो म दिकण भारतीzwjय zwjया दरिवड़ zwjली कश िवपरीत कोई चहारदीवारी zwjया दरवाजश नही होतश मिदर म एक घमावदार गमबद होता ह िजसश िzwjखर कहा जाता ह zwjयदिप परानश जमानश कश मिदरो म एक ही िzwjखर होता zwjा लशिकन आगश चलकर इन मिदरो म कई िzwjखर होनश लगश मिदर का गभथगह हमशzwjा सबसश ऊचश िzwjखर कश एकदम नीचश बनाzwjया जाता ह

नागर मिदर उनकश िzwjखरो कश रपाकार (zwjकल) कश अनसार कई उप-शशिणzwjयो म िवभािजत िकए जा सकतश ह भारत कश िभनन-िभनन भागो म मिदरो कश िभनन-िभनन भागो को

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 72

अलग-अलग नामो सश पकारा जाता ह िकत एक साधारण िzwjखर को िजसका आधार वगाथकार होता ह और दीवार भीतर की ओर मड़कर चोटी पर एक िबद पर िमलती ह उसश आमतौर पर रशखा-परासाद कहा जाता ह

lsquoनागरrsquo म एक दसरा परमख वासत रप ह फमसाना िकसम कश भवन जो रशखा-परासाद की तलना म अिधक चौड़श और ऊचाई म कछ छोटश होतश ह इनकी छत अनशक ऐसी िzwjलाअाश की बनी होती ह जो भवन कश क दरीzwjय भाग कश ऊपर एक िनिशचत िबद तक सफाई सश जड़ी होती ह जबिक रशखा-परासाद सीधश ऊपर उठश हए लबश गबदो की तरह िदखाई दशतश ह फमसाना की छत भीतर की ओर नही मड़ी होती बिलक वश सीधश ऊपर की ओर ढलवा होती ह बहत सश उततर भारतीzwjय मिदरो म आप zwjयह दशखगश िक फमसाना िडजाइन का परzwjयोग मडपो म हआ ह जबिक मखzwjय गभथगह एक रशखा-परासाद म रखा गzwjया ह कालातर म रशखा-परासाद जिटल हो गए और वश एक अकश लश लबश गबद की तरह िदखनश की बजाzwjय मिदरो पर कई छोटश-छोटश िzwjखर बननश लगश zwjयश िzwjखर पहाड़ की चोिटzwjयो की तरह ऊपर उठश होतश zwjश और उनम सबसश बड़ा िzwjखर बीच म होता zwjा और zwjयह बीच वाला िzwjखर हमशzwjा गभथगह कश ठीक ऊपर होता zwjा

वलभी नागर zwjली की उप-शशणी कहलाती ह वलभी शशणी कश वगाथकार मिदरो म मशहराबदार छतो सश िzwjखर का िनमाथण होता ह इस मशहराबी कक का िकनारा गोल होता ह zwjयह zwjकटाकार zwjयानी बास zwjया लकड़ी कश बनश छकड़श की तरह होता ह ऐसा छकड़ा परानश जमानश म बलो सश खीचा जाता होगा ऐसश भवनो को आमतौर पर zwjकटाकार भवन (wagon vaulted building) कहा जाता ह जसा िक ऊपर बताzwjया गzwjया ह मिदर का रप उन पराचीन भवन रपो सश परभािवत zwjा जो पाचवी zwjताबदी सश पहलश बनाए जातश zwjश भवनो की वलभी िकसम उनम सश एक zwjी उदाहरण कश िलए zwjयिद आप zwjलकत बौर चतzwjयो की िनमाथण zwjयोजना (नकzwjश) का अधzwjयzwjयन कर तो पाएगश िक उनम सश अिधकतर चतzwjयो का रप लबश ककोपरकोषठो जसा ह और उनकी आिखरी पीठ मड़ी हई ह भीतर सश छत का zwjयह िहससा भी zwjकटाकार (अधथगोल चापिवतान) िदखाई दशता ह

िषिायदी शवषण ििावतार मशिर िवगढ

ििावतार शवषण मशिरिवगढ पाचवी िताबिदी ईसवदी

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 73

मधय भारतउततर परदश मधय परदश और राजसान क पराचीन मददरो म अनक समानताए पाई जाती ह इनम सबस उलखनीय समानता यह ह दक य सभी मददर बआ पतर क बन हए ह गपत का क सबस परान सरचनातमक मददर जो आज भी मौजद ह मधय परदश म पाए जात ह व अपकाकत साधारण दकसम क आडबरहीन पजा स ह इनम एक छोटा मडप होता ह जो चार खभो पर दटका होता ह यह मडप एक साधारण वगागाकार मखमडप (पोचगा) सा होता ह और उसक आग एक छोटा-सा कक होता ह जो गभगागह का काम दता ह इस सबध म महतवपणगा बात यह ह दक ऐस दो मददर आज बच हए ह उनम स एक उदयदगरर म ह जो दवददशा क सीमात कतर म दसत ह ता गफा मददरो क एक बड़ दहद शक का भाग ह और दसरा मददर साची म सतप क दनकट दसत ह यह समत छत वाा परम मददर ह इसका अ गा यह हआ दक दोनो धममो क मददर सापतयवासत म एक-जस पररवतगान दकए जा रह

शषशयन दवषण का वह रप ह जब उनह अपन वाहन शषनाग दजस अनत भी कहा जाता ह पर टा हआ ददखाया जाता ह यह दवषण का वह पक ह जो उनह शाशवत दनदा म परसतत करता ह नर-नारायण जीवातमा और परमातमा क बीच की चचागा को दशागाता ह और गजदरमोकष मोक-परादपत की कहानी ह दजसम दवषण को परतीकातमक रप स एक असर का दजसन एक मगर का रप धारण कर दया ा दमन करत हए बताया गया ह

दवगढ़ (दजा दतपर उततर परदश) का मददर छठी शताबदी क परारदभक वषमो म बनाया गया ा इसका मतब यह हआ दक यह मददर उपयगाकत साची और उदयदगरर (मधय परदश) क छोट मददरो क गभग 100 सा बाद बना ा इसदए इस गपत काीन मददर सापतय का एक शषठ उदाहरण माना जाता ह यह मददर वासतका की पचायतन श ी म दनदमगात ह दजसक अनसार मखय दवाय को एक वगागाकार वदी पर बनाया जाता ह और चार कोनो म चार छोट सहायक दवाय बनाए जात ह (इस परकार क दमाकर पाच छोट-बड़ दवाय बनाए जात ह इसीदए इस शी को पचायतन शी कहा जाता ह) इसका ऊचा और वकररखीय दशखर भी इसी का की पदषट करता ह दशखर रखा-परासाद श ी पर बना ह दजसस यह सपषट होता ह दक यह मददर शषठ नागर श ी का आरदभक उदाहरण ह

पदशचमादभमख मददर का परवश दार बहत भवय ह इसक बाए कोन पर गगा और दाए कोन पर यमना ह इसम दवषण क अनक रप परसतत दकए गए ह दजसक कारण ोगो का यह मानना ह दक इसक चारो उप-दवायो म भी दवषण क अवतारो की मदतगाया ही सादपत ी इसीदए ोग इस भरमवश दशावतार मददर समझन ग दकन वासतदवकता तो यह ह दक हम नही जानत दक य चारो उप-दवाय म रप स दकन-दकन दवताओ को समदपगात मददर की दीवारो पर दवषण की तीन उददतया (उभरी आकदतया) ह ददकणी दीवार पर शषशयन पववी दीवार पर नर-नारायण और पदशचमी दीवार पर गजदमोक का

भारतीय कला का पररचय 74

दशzwjय िचितरत ह इन उदितzwjयो की िसzwjित सश zwjयह पता चलता ह िक इस मिदर म परररिमा दिकण सश पिशचम की ओर की जाती zwjी जबिक आजकल परदिकणा दिकणावतथ (clockwise) की जाती ह एक बात और भी ह zwjयह मिदर पिशचमािभमख ह ऐसा बहत कम दशखनश को िमलता ह अिधकाzwj मिदरो का मख पवथ zwjया उततर की ओर होता ह

कालातर म अनशक छोटश-छोटश आकारो कश मिदर बनाए गए वषमzwjय कश रप म अगर हम चदशल राजाओ दारा िनिमथत खजराहो कश मिदरो का अधzwjयzwjयन कर जो दशवगढ़ कश मिदर सश लगभग 400 वषथ बाद दसवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश तो पाएगश िक मिदर वासतकला की नागर zwjली और रप म नाटकीzwjय रप सश िकतना अिधक िवकास हो गzwjया zwjा

खजराहो का लकमण मिदर िवषण को समिपथत ह zwjयह मिदर चदशलवzwjीzwjय राजा धग दारा 954 ई म बनाzwjया गzwjया zwjा नागर zwjली म िनिमथत zwjयह मिदर एक ऊची वशदी (पलशटफामथ) पर िसzwjत ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया बनी हई ह इसकश कोनो म

चार छोटश दशवालzwjय बनश ह और इसकश गगनचबी िzwjखर िपरािमड की तरह सीधश आकाzwj म खड़श हए उसकश उदग उठान को परदिzwjथत कर रहश ह इसकश िzwjखर कश अत म एक नालीदार चिरिका (तशतरी) ह िजसश आमलक कहा जाता ह और उस पर एक कलzwj सzwjािपत ह zwjयश सब चीज इस काल कश नागर मिदरो म सवथतर पाई जाती ह मिदर म आगश िनकलश हए बारजश और बरामदश ह इस परकार zwjयह मिदर दशवगढ़ कश मिदर सश बहत ही अलग िकसम का ह

खजराहो िसzwjत कदररzwjया महादशव मिदर का िनमाथण भारतीzwjय मिदर सzwjापतzwjय की zwjली की पराकाषठा ह इस िवzwjाल मिदर कश सzwjापतzwjय एव मितथकला म मधzwjय कालीन भारतीzwjय मिदर िनमाथण कश वश सभी लकण िवदमान ह िजनकश िलए मधzwjय भारत की सzwjापतzwjय कला की शशषठता जानी जाती ह खजराहो कश मिदर अपनी कामोदीप एव शगार परधान परितमाओ कश िलए भी बहत परिसर ह इनम शगार रस को उतना ही महतव िदzwjया गzwjया ह िजतना िक मानव की आधzwjयाितमक खोज को और इसश पणथबरहम का ही एक महतवपणथ अzwj माना जाता zwjा इसिलए अनशक िहनद मिदरो म आिलगनबर िमzwjन को zwjभ मानकर उसकी मितथzwjया सzwjािपत की हई ह आमतौर पर ऐसी िमzwjन परितमाओ काश मिदर कश परवशzwj दार पर अzwjवा िकसी बाहरी दीवार पर रखा जाता zwjा इसकश अलावा ऐसी परितमाए अकसर मडप और मखzwjय दशवालzwjय कश बीच दीवारो पर बनाई जाती zwjी खजराहो की परितमाओ की अपनी एक खास zwjली ह िजसकश कछ िविzwjषट लकण ह जसशmdashवश अपनश परश उभार कश साzwj ह वश आस-पास कश पतzwjर सश काटकर बनाई गई ह उनकी नाक तीखी ह ठडडी बढ़ी हई ह आख लबी और मोड़ लबी मड़ी हई ह

किररया महािव मशिर खजराहो

शवशवनाथ मशिर खजराहो

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 2: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा

6 आज जब हम अगशजी कश lsquoटशमपलrsquo zwjबद

की बात करतश ह तो हमारश िलए उसका सामानzwjय अzwjथ भारत कश िभनन-िभनन परदशzwjो

कश अनसार दशवालzwjय दशवकल मिदर कोिवल दशवल दशवसzwjानम परासाद zwjया

कशतरम होता ह

हम ठीक सश नही जानतश िक भारत म पजा सzwjल कश रप म मिदर का िनमाथण कब zwjर हआ और उस समzwjय मिदर का उपzwjयोग कzwjया zwjा मिदर दशवी-दशवताओ की पजा करनश

और ऐसी धािमथक िरिzwjयाए सपनन करनश कश िलए भी बनाए गए होगश जो पजा काzwjयथ सश जड़ी होती ह िफ र आगश चलकर मिदर महतवपणथ धािमथक और सामािजक ससzwjाओ कश रप म बढ़नश लगश जसा िक अनशक िzwjलालशखो कश साकzwjयो सश पता चलता ह इन िzwjलालशखो पर राजाओ दारा िदए गए बड़श-बड़श धमथदाzwjयो का उललशख िमलता ह ऐसश मिदरो म कालातर म आवशzwjयकताओ कश अनसार अनशक मडप जसश िक अरथमडप महामडप नाटzwjय zwjया रग मडप आिद जोड़ िदए गए zwjयह िनिशचत रप सश कहा जा सकता ह िक दसवी zwjताबदी तक आतश-आतश भ-परzwjासन म मिदर की भिमका काफी अहम हो गई zwjी

पराचीन मिदरजहा एक ओर सतप और उनका िनमाथण काzwjयथ जारी रहा वही दसरी ओर सनातनिहद धमथ कश मिदर और दशवी-दशवताओ की परितमाए भी बननश लगी अकसर मिदरो को सबिधत दशवी-दशवताओ की मितथzwjयो सश सजाzwjया जाता zwjा पराणो म उिललिखत कzwjाए सनातन धमथ की आखzwjयान-परसतितzwjयो का िहससा बन गइ हर मिदर म एक परधान zwjया अिधषठाता दशवता की परितमा होती zwjी मिदरो कश पजा गह तीन परकार कश होतश हmdash(i) सधर िकसम (िजसम परदिकणा पzwj होता ह) (ii) िनरधर िकसम (िजसम परदिकणा पzwj नही होता ह) और (iii) सवथतोभदर (िजसम सब तरफ सश परवशzwj िकzwjया जा सकता ह) कछ महतवपणथ शिव मशिर नचना-कठार मधय परिि पाचवी िताबिदी ईसवदी

चतममख शिग नचना-कठार मधय परिि (इनसट)

भारतीय कला का पररचय 70

किि

अामिक

गरमगह

पदीठ

शिखर

नागर ििदी का मशिर

मिदर उततर परदशzwj म दशवगढ़ तzwjा मधzwjय परदशzwj म एरण व नचना-कठार और िविदzwjा कश पास उदzwjयिगरर म पाए जातश ह zwjयश मिदर साधारण शशणी कश ह िजनम बरामदा बड़ा ककमडप और पीछश पजा गह ह

िहनदद मिदर करा मदल रपिहनद मिदर िनमन भागो सश िनिमथत होता हmdash(i) गभथगह जो परारिभक मिदरो म एक छोटा-सा परकोषठ होता zwjा उसम परवशzwj कश िलए एक छोटा-सा दार होता zwjा लशिकन समzwjय कश साzwj-साzwj इस परकोषठ का आकार बढ़ता गzwjया गभथगह म मिदर कश मखzwjय अिधषठाता दशवता की मितथ को सzwjािपत िकzwjया जाता ह और zwjयही अिधकाzwj पजा-पाठ zwjया धािमथक िरिzwjयाओ का क दर िबद होता ह (ii) मडप अzwjाथत मिदर का परवशzwj कक जोिक काफी बड़ा होता ह इसम काफी बड़ी सखzwjया म भकतगण इकटठा हो सकतश ह इस मडप की छत आमतौर पर खभो पर िटकी होती ह (iii) पववोततर काल म इन पर िzwjखर बनाए जानश लगश िजसश उततर भारत म िzwjखर और दिकण भारत म िवमान कहा जानश लगा (iv) वाहन अzwjाथत मिदर कश अिधषठाता दशवता की सवारी वाहन काश एक सतभ zwjया धवज कश साzwj गभथगह कश साzwj कछ दरी पर रखा जानश लगा

भारत म मिदरो की दो शशिणzwjयाश को जाना जाता हmdashउततर भारत की lsquoनागरrsquo zwjली और दिकण भारत की lsquoदरिवड़rsquo zwjली कछ िवदानो कश मतानसार lsquoवशसरrsquo zwjली भी एक सवततर zwjली ह िजसम नागर और दरिवड़ दोनो zwjिलzwjयो की कछ चनी हई िवzwjशषताओ का िमशण पाzwjया जाता ह इन परपरागत परमख शशिणzwjयो कश अतगथत और भी कई उप-zwjिलzwjया आती ह हम आगश इस अधzwjयाzwjय म इन उपzwjिलzwjयो पर चचाथ करगश आगश चलकर मिदरो कश भवनो कश िनमाथण म जzwjयो-जzwjयो जिटलता बढ़ती गई उनम तरह-तरह की परितमाओ की सzwjापना कश िलए आलश-िदवालश जोड़श जातश रहश मगर मिदर की आधारभत zwjयोजना (नकzwjा) पहलश जसी ही बनी रही

मदि तिकलरा मदि तिििदरा और अलकरणदशवी-दशवताओ की मितथzwjयो का अधzwjयzwjयन कला इितहास की एक अलग zwjाखा कश अतगथत आता ह िजसश मितथिवदा (iconography) कहा जाता ह मितथिवदा (िजसश परितमािवदा भी कहा जाता ह) कश अतगथत कितपzwjय परतीको तzwjा पराण कzwjाओ कश आधार पर मितथ की पहचान की जाती ह अकसर कई बार ऐसा भी होता ह िक दशवता की आधारभत कzwjा और अzwjथ तो सिदzwjयो तक एक जसा ही बना रहता ह िकत सzwjान और समzwjय कश सामािजक राजनीितक zwjया भौगोिलक सदभथ म उसका उपzwjयोग कछ बदल जाता ह

परतzwjयशक कशतर और काल म परितमाओ की zwjली सदा एक जसी नही रही परितमािवदा म अनशक सzwjानीzwjय पररवतथन आतश रहश मितथकला तzwjा अलकरण zwjली म भी वzwjयापकता आती गई और दशवी-दशवताओ कश रप उनकी कzwjाओ कश अनसार बनतश-बदलतश गए मिदर म मितथ की सzwjापना की zwjयोजना बड़ी सझ-बझ कश साzwj बनाई जाती रही उदाहरण कश िलए नागर zwjली कश मिदरो म गगा और zwjयमना जसी नदी दशिवzwjयो को गभथगह कश परवशzwj दार कश

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 71

पास रखा जाता ह जबिक दरिवड़ मिदरो म दारपालो को आमतौर पर मिदर कश मखzwjय दार zwjयानी गोपरम पर रखा जाता ह इसी परकार िमzwjनो नवगहो (नौ मागिलक गहो) और zwjयको को दार रका कश िलए परवशzwj दार पर रखा जाता ह मखzwjय दशवता zwjयानी मिदर कश अिधषठाता दशवता कश िविभनन रपो zwjया पको को गभथगह की बाहरी दीवारो पर दzwjाथzwjया जाता ह आठ िदzwjाओ कश सवामी zwjयानी अषटिदगपालो को गभथगह की बाहरी दीवारो और मिदर की बाहरी दीवारो पर अपनी-अपनी िदzwjा की ओर अिभमख िदखाzwjया जाता ह मखzwjय दशवालzwjयो की चारो िदzwjाओ म छोटश दशवालzwjय होतश ह िजनम मखzwjय दशवता कश पररवार zwjया अवतारो की मितथzwjयो को सzwjािपत िकzwjया जाता ह दशवी-दशवताओ कश िभनन-िभनन रपो की मितथzwjयो को दशखनश सश पता चलता ह िक िभनन-िभनन पzwjो zwjया सपरदाzwjयो कश बीच दाzwjथिनक वाद-िववाद और परितzwjयोगताए चलती zwjी िजनकश कारण उनकश रपो कश परसततीकरण म भी िविवधता आ गई अतत अलकरण कश िविवध रपो जसशmdashगवाक वzwjयालzwjयाली कलप-लता आमलक कलzwj आिद का भी परzwjयोग मिदर म िविवध सzwjानो तzwjा तरीको सश िकzwjया गzwjया

नरागर यरा उततर भरारीय मिदर शलीउततर भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला की जो zwjली लोकिपरzwjय हई उसश नागर zwjली कहा जाता ह इस zwjली की एक आम बात zwjयह zwjी िक सपणथ मिदर एक िवzwjाल चबतरश (वशदी) पर बनाzwjया जाता ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया होती ह आमतौर पर इन मिदरो म दिकण भारतीzwjय zwjया दरिवड़ zwjली कश िवपरीत कोई चहारदीवारी zwjया दरवाजश नही होतश मिदर म एक घमावदार गमबद होता ह िजसश िzwjखर कहा जाता ह zwjयदिप परानश जमानश कश मिदरो म एक ही िzwjखर होता zwjा लशिकन आगश चलकर इन मिदरो म कई िzwjखर होनश लगश मिदर का गभथगह हमशzwjा सबसश ऊचश िzwjखर कश एकदम नीचश बनाzwjया जाता ह

नागर मिदर उनकश िzwjखरो कश रपाकार (zwjकल) कश अनसार कई उप-शशिणzwjयो म िवभािजत िकए जा सकतश ह भारत कश िभनन-िभनन भागो म मिदरो कश िभनन-िभनन भागो को

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 72

अलग-अलग नामो सश पकारा जाता ह िकत एक साधारण िzwjखर को िजसका आधार वगाथकार होता ह और दीवार भीतर की ओर मड़कर चोटी पर एक िबद पर िमलती ह उसश आमतौर पर रशखा-परासाद कहा जाता ह

lsquoनागरrsquo म एक दसरा परमख वासत रप ह फमसाना िकसम कश भवन जो रशखा-परासाद की तलना म अिधक चौड़श और ऊचाई म कछ छोटश होतश ह इनकी छत अनशक ऐसी िzwjलाअाश की बनी होती ह जो भवन कश क दरीzwjय भाग कश ऊपर एक िनिशचत िबद तक सफाई सश जड़ी होती ह जबिक रशखा-परासाद सीधश ऊपर उठश हए लबश गबदो की तरह िदखाई दशतश ह फमसाना की छत भीतर की ओर नही मड़ी होती बिलक वश सीधश ऊपर की ओर ढलवा होती ह बहत सश उततर भारतीzwjय मिदरो म आप zwjयह दशखगश िक फमसाना िडजाइन का परzwjयोग मडपो म हआ ह जबिक मखzwjय गभथगह एक रशखा-परासाद म रखा गzwjया ह कालातर म रशखा-परासाद जिटल हो गए और वश एक अकश लश लबश गबद की तरह िदखनश की बजाzwjय मिदरो पर कई छोटश-छोटश िzwjखर बननश लगश zwjयश िzwjखर पहाड़ की चोिटzwjयो की तरह ऊपर उठश होतश zwjश और उनम सबसश बड़ा िzwjखर बीच म होता zwjा और zwjयह बीच वाला िzwjखर हमशzwjा गभथगह कश ठीक ऊपर होता zwjा

वलभी नागर zwjली की उप-शशणी कहलाती ह वलभी शशणी कश वगाथकार मिदरो म मशहराबदार छतो सश िzwjखर का िनमाथण होता ह इस मशहराबी कक का िकनारा गोल होता ह zwjयह zwjकटाकार zwjयानी बास zwjया लकड़ी कश बनश छकड़श की तरह होता ह ऐसा छकड़ा परानश जमानश म बलो सश खीचा जाता होगा ऐसश भवनो को आमतौर पर zwjकटाकार भवन (wagon vaulted building) कहा जाता ह जसा िक ऊपर बताzwjया गzwjया ह मिदर का रप उन पराचीन भवन रपो सश परभािवत zwjा जो पाचवी zwjताबदी सश पहलश बनाए जातश zwjश भवनो की वलभी िकसम उनम सश एक zwjी उदाहरण कश िलए zwjयिद आप zwjलकत बौर चतzwjयो की िनमाथण zwjयोजना (नकzwjश) का अधzwjयzwjयन कर तो पाएगश िक उनम सश अिधकतर चतzwjयो का रप लबश ककोपरकोषठो जसा ह और उनकी आिखरी पीठ मड़ी हई ह भीतर सश छत का zwjयह िहससा भी zwjकटाकार (अधथगोल चापिवतान) िदखाई दशता ह

िषिायदी शवषण ििावतार मशिर िवगढ

ििावतार शवषण मशिरिवगढ पाचवी िताबिदी ईसवदी

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 73

मधय भारतउततर परदश मधय परदश और राजसान क पराचीन मददरो म अनक समानताए पाई जाती ह इनम सबस उलखनीय समानता यह ह दक य सभी मददर बआ पतर क बन हए ह गपत का क सबस परान सरचनातमक मददर जो आज भी मौजद ह मधय परदश म पाए जात ह व अपकाकत साधारण दकसम क आडबरहीन पजा स ह इनम एक छोटा मडप होता ह जो चार खभो पर दटका होता ह यह मडप एक साधारण वगागाकार मखमडप (पोचगा) सा होता ह और उसक आग एक छोटा-सा कक होता ह जो गभगागह का काम दता ह इस सबध म महतवपणगा बात यह ह दक ऐस दो मददर आज बच हए ह उनम स एक उदयदगरर म ह जो दवददशा क सीमात कतर म दसत ह ता गफा मददरो क एक बड़ दहद शक का भाग ह और दसरा मददर साची म सतप क दनकट दसत ह यह समत छत वाा परम मददर ह इसका अ गा यह हआ दक दोनो धममो क मददर सापतयवासत म एक-जस पररवतगान दकए जा रह

शषशयन दवषण का वह रप ह जब उनह अपन वाहन शषनाग दजस अनत भी कहा जाता ह पर टा हआ ददखाया जाता ह यह दवषण का वह पक ह जो उनह शाशवत दनदा म परसतत करता ह नर-नारायण जीवातमा और परमातमा क बीच की चचागा को दशागाता ह और गजदरमोकष मोक-परादपत की कहानी ह दजसम दवषण को परतीकातमक रप स एक असर का दजसन एक मगर का रप धारण कर दया ा दमन करत हए बताया गया ह

दवगढ़ (दजा दतपर उततर परदश) का मददर छठी शताबदी क परारदभक वषमो म बनाया गया ा इसका मतब यह हआ दक यह मददर उपयगाकत साची और उदयदगरर (मधय परदश) क छोट मददरो क गभग 100 सा बाद बना ा इसदए इस गपत काीन मददर सापतय का एक शषठ उदाहरण माना जाता ह यह मददर वासतका की पचायतन श ी म दनदमगात ह दजसक अनसार मखय दवाय को एक वगागाकार वदी पर बनाया जाता ह और चार कोनो म चार छोट सहायक दवाय बनाए जात ह (इस परकार क दमाकर पाच छोट-बड़ दवाय बनाए जात ह इसीदए इस शी को पचायतन शी कहा जाता ह) इसका ऊचा और वकररखीय दशखर भी इसी का की पदषट करता ह दशखर रखा-परासाद श ी पर बना ह दजसस यह सपषट होता ह दक यह मददर शषठ नागर श ी का आरदभक उदाहरण ह

पदशचमादभमख मददर का परवश दार बहत भवय ह इसक बाए कोन पर गगा और दाए कोन पर यमना ह इसम दवषण क अनक रप परसतत दकए गए ह दजसक कारण ोगो का यह मानना ह दक इसक चारो उप-दवायो म भी दवषण क अवतारो की मदतगाया ही सादपत ी इसीदए ोग इस भरमवश दशावतार मददर समझन ग दकन वासतदवकता तो यह ह दक हम नही जानत दक य चारो उप-दवाय म रप स दकन-दकन दवताओ को समदपगात मददर की दीवारो पर दवषण की तीन उददतया (उभरी आकदतया) ह ददकणी दीवार पर शषशयन पववी दीवार पर नर-नारायण और पदशचमी दीवार पर गजदमोक का

भारतीय कला का पररचय 74

दशzwjय िचितरत ह इन उदितzwjयो की िसzwjित सश zwjयह पता चलता ह िक इस मिदर म परररिमा दिकण सश पिशचम की ओर की जाती zwjी जबिक आजकल परदिकणा दिकणावतथ (clockwise) की जाती ह एक बात और भी ह zwjयह मिदर पिशचमािभमख ह ऐसा बहत कम दशखनश को िमलता ह अिधकाzwj मिदरो का मख पवथ zwjया उततर की ओर होता ह

कालातर म अनशक छोटश-छोटश आकारो कश मिदर बनाए गए वषमzwjय कश रप म अगर हम चदशल राजाओ दारा िनिमथत खजराहो कश मिदरो का अधzwjयzwjयन कर जो दशवगढ़ कश मिदर सश लगभग 400 वषथ बाद दसवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश तो पाएगश िक मिदर वासतकला की नागर zwjली और रप म नाटकीzwjय रप सश िकतना अिधक िवकास हो गzwjया zwjा

खजराहो का लकमण मिदर िवषण को समिपथत ह zwjयह मिदर चदशलवzwjीzwjय राजा धग दारा 954 ई म बनाzwjया गzwjया zwjा नागर zwjली म िनिमथत zwjयह मिदर एक ऊची वशदी (पलशटफामथ) पर िसzwjत ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया बनी हई ह इसकश कोनो म

चार छोटश दशवालzwjय बनश ह और इसकश गगनचबी िzwjखर िपरािमड की तरह सीधश आकाzwj म खड़श हए उसकश उदग उठान को परदिzwjथत कर रहश ह इसकश िzwjखर कश अत म एक नालीदार चिरिका (तशतरी) ह िजसश आमलक कहा जाता ह और उस पर एक कलzwj सzwjािपत ह zwjयश सब चीज इस काल कश नागर मिदरो म सवथतर पाई जाती ह मिदर म आगश िनकलश हए बारजश और बरामदश ह इस परकार zwjयह मिदर दशवगढ़ कश मिदर सश बहत ही अलग िकसम का ह

खजराहो िसzwjत कदररzwjया महादशव मिदर का िनमाथण भारतीzwjय मिदर सzwjापतzwjय की zwjली की पराकाषठा ह इस िवzwjाल मिदर कश सzwjापतzwjय एव मितथकला म मधzwjय कालीन भारतीzwjय मिदर िनमाथण कश वश सभी लकण िवदमान ह िजनकश िलए मधzwjय भारत की सzwjापतzwjय कला की शशषठता जानी जाती ह खजराहो कश मिदर अपनी कामोदीप एव शगार परधान परितमाओ कश िलए भी बहत परिसर ह इनम शगार रस को उतना ही महतव िदzwjया गzwjया ह िजतना िक मानव की आधzwjयाितमक खोज को और इसश पणथबरहम का ही एक महतवपणथ अzwj माना जाता zwjा इसिलए अनशक िहनद मिदरो म आिलगनबर िमzwjन को zwjभ मानकर उसकी मितथzwjया सzwjािपत की हई ह आमतौर पर ऐसी िमzwjन परितमाओ काश मिदर कश परवशzwj दार पर अzwjवा िकसी बाहरी दीवार पर रखा जाता zwjा इसकश अलावा ऐसी परितमाए अकसर मडप और मखzwjय दशवालzwjय कश बीच दीवारो पर बनाई जाती zwjी खजराहो की परितमाओ की अपनी एक खास zwjली ह िजसकश कछ िविzwjषट लकण ह जसशmdashवश अपनश परश उभार कश साzwj ह वश आस-पास कश पतzwjर सश काटकर बनाई गई ह उनकी नाक तीखी ह ठडडी बढ़ी हई ह आख लबी और मोड़ लबी मड़ी हई ह

किररया महािव मशिर खजराहो

शवशवनाथ मशिर खजराहो

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 3: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 70

किि

अामिक

गरमगह

पदीठ

शिखर

नागर ििदी का मशिर

मिदर उततर परदशzwj म दशवगढ़ तzwjा मधzwjय परदशzwj म एरण व नचना-कठार और िविदzwjा कश पास उदzwjयिगरर म पाए जातश ह zwjयश मिदर साधारण शशणी कश ह िजनम बरामदा बड़ा ककमडप और पीछश पजा गह ह

िहनदद मिदर करा मदल रपिहनद मिदर िनमन भागो सश िनिमथत होता हmdash(i) गभथगह जो परारिभक मिदरो म एक छोटा-सा परकोषठ होता zwjा उसम परवशzwj कश िलए एक छोटा-सा दार होता zwjा लशिकन समzwjय कश साzwj-साzwj इस परकोषठ का आकार बढ़ता गzwjया गभथगह म मिदर कश मखzwjय अिधषठाता दशवता की मितथ को सzwjािपत िकzwjया जाता ह और zwjयही अिधकाzwj पजा-पाठ zwjया धािमथक िरिzwjयाओ का क दर िबद होता ह (ii) मडप अzwjाथत मिदर का परवशzwj कक जोिक काफी बड़ा होता ह इसम काफी बड़ी सखzwjया म भकतगण इकटठा हो सकतश ह इस मडप की छत आमतौर पर खभो पर िटकी होती ह (iii) पववोततर काल म इन पर िzwjखर बनाए जानश लगश िजसश उततर भारत म िzwjखर और दिकण भारत म िवमान कहा जानश लगा (iv) वाहन अzwjाथत मिदर कश अिधषठाता दशवता की सवारी वाहन काश एक सतभ zwjया धवज कश साzwj गभथगह कश साzwj कछ दरी पर रखा जानश लगा

भारत म मिदरो की दो शशिणzwjयाश को जाना जाता हmdashउततर भारत की lsquoनागरrsquo zwjली और दिकण भारत की lsquoदरिवड़rsquo zwjली कछ िवदानो कश मतानसार lsquoवशसरrsquo zwjली भी एक सवततर zwjली ह िजसम नागर और दरिवड़ दोनो zwjिलzwjयो की कछ चनी हई िवzwjशषताओ का िमशण पाzwjया जाता ह इन परपरागत परमख शशिणzwjयो कश अतगथत और भी कई उप-zwjिलzwjया आती ह हम आगश इस अधzwjयाzwjय म इन उपzwjिलzwjयो पर चचाथ करगश आगश चलकर मिदरो कश भवनो कश िनमाथण म जzwjयो-जzwjयो जिटलता बढ़ती गई उनम तरह-तरह की परितमाओ की सzwjापना कश िलए आलश-िदवालश जोड़श जातश रहश मगर मिदर की आधारभत zwjयोजना (नकzwjा) पहलश जसी ही बनी रही

मदि तिकलरा मदि तिििदरा और अलकरणदशवी-दशवताओ की मितथzwjयो का अधzwjयzwjयन कला इितहास की एक अलग zwjाखा कश अतगथत आता ह िजसश मितथिवदा (iconography) कहा जाता ह मितथिवदा (िजसश परितमािवदा भी कहा जाता ह) कश अतगथत कितपzwjय परतीको तzwjा पराण कzwjाओ कश आधार पर मितथ की पहचान की जाती ह अकसर कई बार ऐसा भी होता ह िक दशवता की आधारभत कzwjा और अzwjथ तो सिदzwjयो तक एक जसा ही बना रहता ह िकत सzwjान और समzwjय कश सामािजक राजनीितक zwjया भौगोिलक सदभथ म उसका उपzwjयोग कछ बदल जाता ह

परतzwjयशक कशतर और काल म परितमाओ की zwjली सदा एक जसी नही रही परितमािवदा म अनशक सzwjानीzwjय पररवतथन आतश रहश मितथकला तzwjा अलकरण zwjली म भी वzwjयापकता आती गई और दशवी-दशवताओ कश रप उनकी कzwjाओ कश अनसार बनतश-बदलतश गए मिदर म मितथ की सzwjापना की zwjयोजना बड़ी सझ-बझ कश साzwj बनाई जाती रही उदाहरण कश िलए नागर zwjली कश मिदरो म गगा और zwjयमना जसी नदी दशिवzwjयो को गभथगह कश परवशzwj दार कश

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 71

पास रखा जाता ह जबिक दरिवड़ मिदरो म दारपालो को आमतौर पर मिदर कश मखzwjय दार zwjयानी गोपरम पर रखा जाता ह इसी परकार िमzwjनो नवगहो (नौ मागिलक गहो) और zwjयको को दार रका कश िलए परवशzwj दार पर रखा जाता ह मखzwjय दशवता zwjयानी मिदर कश अिधषठाता दशवता कश िविभनन रपो zwjया पको को गभथगह की बाहरी दीवारो पर दzwjाथzwjया जाता ह आठ िदzwjाओ कश सवामी zwjयानी अषटिदगपालो को गभथगह की बाहरी दीवारो और मिदर की बाहरी दीवारो पर अपनी-अपनी िदzwjा की ओर अिभमख िदखाzwjया जाता ह मखzwjय दशवालzwjयो की चारो िदzwjाओ म छोटश दशवालzwjय होतश ह िजनम मखzwjय दशवता कश पररवार zwjया अवतारो की मितथzwjयो को सzwjािपत िकzwjया जाता ह दशवी-दशवताओ कश िभनन-िभनन रपो की मितथzwjयो को दशखनश सश पता चलता ह िक िभनन-िभनन पzwjो zwjया सपरदाzwjयो कश बीच दाzwjथिनक वाद-िववाद और परितzwjयोगताए चलती zwjी िजनकश कारण उनकश रपो कश परसततीकरण म भी िविवधता आ गई अतत अलकरण कश िविवध रपो जसशmdashगवाक वzwjयालzwjयाली कलप-लता आमलक कलzwj आिद का भी परzwjयोग मिदर म िविवध सzwjानो तzwjा तरीको सश िकzwjया गzwjया

नरागर यरा उततर भरारीय मिदर शलीउततर भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला की जो zwjली लोकिपरzwjय हई उसश नागर zwjली कहा जाता ह इस zwjली की एक आम बात zwjयह zwjी िक सपणथ मिदर एक िवzwjाल चबतरश (वशदी) पर बनाzwjया जाता ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया होती ह आमतौर पर इन मिदरो म दिकण भारतीzwjय zwjया दरिवड़ zwjली कश िवपरीत कोई चहारदीवारी zwjया दरवाजश नही होतश मिदर म एक घमावदार गमबद होता ह िजसश िzwjखर कहा जाता ह zwjयदिप परानश जमानश कश मिदरो म एक ही िzwjखर होता zwjा लशिकन आगश चलकर इन मिदरो म कई िzwjखर होनश लगश मिदर का गभथगह हमशzwjा सबसश ऊचश िzwjखर कश एकदम नीचश बनाzwjया जाता ह

नागर मिदर उनकश िzwjखरो कश रपाकार (zwjकल) कश अनसार कई उप-शशिणzwjयो म िवभािजत िकए जा सकतश ह भारत कश िभनन-िभनन भागो म मिदरो कश िभनन-िभनन भागो को

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 72

अलग-अलग नामो सश पकारा जाता ह िकत एक साधारण िzwjखर को िजसका आधार वगाथकार होता ह और दीवार भीतर की ओर मड़कर चोटी पर एक िबद पर िमलती ह उसश आमतौर पर रशखा-परासाद कहा जाता ह

lsquoनागरrsquo म एक दसरा परमख वासत रप ह फमसाना िकसम कश भवन जो रशखा-परासाद की तलना म अिधक चौड़श और ऊचाई म कछ छोटश होतश ह इनकी छत अनशक ऐसी िzwjलाअाश की बनी होती ह जो भवन कश क दरीzwjय भाग कश ऊपर एक िनिशचत िबद तक सफाई सश जड़ी होती ह जबिक रशखा-परासाद सीधश ऊपर उठश हए लबश गबदो की तरह िदखाई दशतश ह फमसाना की छत भीतर की ओर नही मड़ी होती बिलक वश सीधश ऊपर की ओर ढलवा होती ह बहत सश उततर भारतीzwjय मिदरो म आप zwjयह दशखगश िक फमसाना िडजाइन का परzwjयोग मडपो म हआ ह जबिक मखzwjय गभथगह एक रशखा-परासाद म रखा गzwjया ह कालातर म रशखा-परासाद जिटल हो गए और वश एक अकश लश लबश गबद की तरह िदखनश की बजाzwjय मिदरो पर कई छोटश-छोटश िzwjखर बननश लगश zwjयश िzwjखर पहाड़ की चोिटzwjयो की तरह ऊपर उठश होतश zwjश और उनम सबसश बड़ा िzwjखर बीच म होता zwjा और zwjयह बीच वाला िzwjखर हमशzwjा गभथगह कश ठीक ऊपर होता zwjा

वलभी नागर zwjली की उप-शशणी कहलाती ह वलभी शशणी कश वगाथकार मिदरो म मशहराबदार छतो सश िzwjखर का िनमाथण होता ह इस मशहराबी कक का िकनारा गोल होता ह zwjयह zwjकटाकार zwjयानी बास zwjया लकड़ी कश बनश छकड़श की तरह होता ह ऐसा छकड़ा परानश जमानश म बलो सश खीचा जाता होगा ऐसश भवनो को आमतौर पर zwjकटाकार भवन (wagon vaulted building) कहा जाता ह जसा िक ऊपर बताzwjया गzwjया ह मिदर का रप उन पराचीन भवन रपो सश परभािवत zwjा जो पाचवी zwjताबदी सश पहलश बनाए जातश zwjश भवनो की वलभी िकसम उनम सश एक zwjी उदाहरण कश िलए zwjयिद आप zwjलकत बौर चतzwjयो की िनमाथण zwjयोजना (नकzwjश) का अधzwjयzwjयन कर तो पाएगश िक उनम सश अिधकतर चतzwjयो का रप लबश ककोपरकोषठो जसा ह और उनकी आिखरी पीठ मड़ी हई ह भीतर सश छत का zwjयह िहससा भी zwjकटाकार (अधथगोल चापिवतान) िदखाई दशता ह

िषिायदी शवषण ििावतार मशिर िवगढ

ििावतार शवषण मशिरिवगढ पाचवी िताबिदी ईसवदी

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 73

मधय भारतउततर परदश मधय परदश और राजसान क पराचीन मददरो म अनक समानताए पाई जाती ह इनम सबस उलखनीय समानता यह ह दक य सभी मददर बआ पतर क बन हए ह गपत का क सबस परान सरचनातमक मददर जो आज भी मौजद ह मधय परदश म पाए जात ह व अपकाकत साधारण दकसम क आडबरहीन पजा स ह इनम एक छोटा मडप होता ह जो चार खभो पर दटका होता ह यह मडप एक साधारण वगागाकार मखमडप (पोचगा) सा होता ह और उसक आग एक छोटा-सा कक होता ह जो गभगागह का काम दता ह इस सबध म महतवपणगा बात यह ह दक ऐस दो मददर आज बच हए ह उनम स एक उदयदगरर म ह जो दवददशा क सीमात कतर म दसत ह ता गफा मददरो क एक बड़ दहद शक का भाग ह और दसरा मददर साची म सतप क दनकट दसत ह यह समत छत वाा परम मददर ह इसका अ गा यह हआ दक दोनो धममो क मददर सापतयवासत म एक-जस पररवतगान दकए जा रह

शषशयन दवषण का वह रप ह जब उनह अपन वाहन शषनाग दजस अनत भी कहा जाता ह पर टा हआ ददखाया जाता ह यह दवषण का वह पक ह जो उनह शाशवत दनदा म परसतत करता ह नर-नारायण जीवातमा और परमातमा क बीच की चचागा को दशागाता ह और गजदरमोकष मोक-परादपत की कहानी ह दजसम दवषण को परतीकातमक रप स एक असर का दजसन एक मगर का रप धारण कर दया ा दमन करत हए बताया गया ह

दवगढ़ (दजा दतपर उततर परदश) का मददर छठी शताबदी क परारदभक वषमो म बनाया गया ा इसका मतब यह हआ दक यह मददर उपयगाकत साची और उदयदगरर (मधय परदश) क छोट मददरो क गभग 100 सा बाद बना ा इसदए इस गपत काीन मददर सापतय का एक शषठ उदाहरण माना जाता ह यह मददर वासतका की पचायतन श ी म दनदमगात ह दजसक अनसार मखय दवाय को एक वगागाकार वदी पर बनाया जाता ह और चार कोनो म चार छोट सहायक दवाय बनाए जात ह (इस परकार क दमाकर पाच छोट-बड़ दवाय बनाए जात ह इसीदए इस शी को पचायतन शी कहा जाता ह) इसका ऊचा और वकररखीय दशखर भी इसी का की पदषट करता ह दशखर रखा-परासाद श ी पर बना ह दजसस यह सपषट होता ह दक यह मददर शषठ नागर श ी का आरदभक उदाहरण ह

पदशचमादभमख मददर का परवश दार बहत भवय ह इसक बाए कोन पर गगा और दाए कोन पर यमना ह इसम दवषण क अनक रप परसतत दकए गए ह दजसक कारण ोगो का यह मानना ह दक इसक चारो उप-दवायो म भी दवषण क अवतारो की मदतगाया ही सादपत ी इसीदए ोग इस भरमवश दशावतार मददर समझन ग दकन वासतदवकता तो यह ह दक हम नही जानत दक य चारो उप-दवाय म रप स दकन-दकन दवताओ को समदपगात मददर की दीवारो पर दवषण की तीन उददतया (उभरी आकदतया) ह ददकणी दीवार पर शषशयन पववी दीवार पर नर-नारायण और पदशचमी दीवार पर गजदमोक का

भारतीय कला का पररचय 74

दशzwjय िचितरत ह इन उदितzwjयो की िसzwjित सश zwjयह पता चलता ह िक इस मिदर म परररिमा दिकण सश पिशचम की ओर की जाती zwjी जबिक आजकल परदिकणा दिकणावतथ (clockwise) की जाती ह एक बात और भी ह zwjयह मिदर पिशचमािभमख ह ऐसा बहत कम दशखनश को िमलता ह अिधकाzwj मिदरो का मख पवथ zwjया उततर की ओर होता ह

कालातर म अनशक छोटश-छोटश आकारो कश मिदर बनाए गए वषमzwjय कश रप म अगर हम चदशल राजाओ दारा िनिमथत खजराहो कश मिदरो का अधzwjयzwjयन कर जो दशवगढ़ कश मिदर सश लगभग 400 वषथ बाद दसवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश तो पाएगश िक मिदर वासतकला की नागर zwjली और रप म नाटकीzwjय रप सश िकतना अिधक िवकास हो गzwjया zwjा

खजराहो का लकमण मिदर िवषण को समिपथत ह zwjयह मिदर चदशलवzwjीzwjय राजा धग दारा 954 ई म बनाzwjया गzwjया zwjा नागर zwjली म िनिमथत zwjयह मिदर एक ऊची वशदी (पलशटफामथ) पर िसzwjत ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया बनी हई ह इसकश कोनो म

चार छोटश दशवालzwjय बनश ह और इसकश गगनचबी िzwjखर िपरािमड की तरह सीधश आकाzwj म खड़श हए उसकश उदग उठान को परदिzwjथत कर रहश ह इसकश िzwjखर कश अत म एक नालीदार चिरिका (तशतरी) ह िजसश आमलक कहा जाता ह और उस पर एक कलzwj सzwjािपत ह zwjयश सब चीज इस काल कश नागर मिदरो म सवथतर पाई जाती ह मिदर म आगश िनकलश हए बारजश और बरामदश ह इस परकार zwjयह मिदर दशवगढ़ कश मिदर सश बहत ही अलग िकसम का ह

खजराहो िसzwjत कदररzwjया महादशव मिदर का िनमाथण भारतीzwjय मिदर सzwjापतzwjय की zwjली की पराकाषठा ह इस िवzwjाल मिदर कश सzwjापतzwjय एव मितथकला म मधzwjय कालीन भारतीzwjय मिदर िनमाथण कश वश सभी लकण िवदमान ह िजनकश िलए मधzwjय भारत की सzwjापतzwjय कला की शशषठता जानी जाती ह खजराहो कश मिदर अपनी कामोदीप एव शगार परधान परितमाओ कश िलए भी बहत परिसर ह इनम शगार रस को उतना ही महतव िदzwjया गzwjया ह िजतना िक मानव की आधzwjयाितमक खोज को और इसश पणथबरहम का ही एक महतवपणथ अzwj माना जाता zwjा इसिलए अनशक िहनद मिदरो म आिलगनबर िमzwjन को zwjभ मानकर उसकी मितथzwjया सzwjािपत की हई ह आमतौर पर ऐसी िमzwjन परितमाओ काश मिदर कश परवशzwj दार पर अzwjवा िकसी बाहरी दीवार पर रखा जाता zwjा इसकश अलावा ऐसी परितमाए अकसर मडप और मखzwjय दशवालzwjय कश बीच दीवारो पर बनाई जाती zwjी खजराहो की परितमाओ की अपनी एक खास zwjली ह िजसकश कछ िविzwjषट लकण ह जसशmdashवश अपनश परश उभार कश साzwj ह वश आस-पास कश पतzwjर सश काटकर बनाई गई ह उनकी नाक तीखी ह ठडडी बढ़ी हई ह आख लबी और मोड़ लबी मड़ी हई ह

किररया महािव मशिर खजराहो

शवशवनाथ मशिर खजराहो

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 4: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 71

पास रखा जाता ह जबिक दरिवड़ मिदरो म दारपालो को आमतौर पर मिदर कश मखzwjय दार zwjयानी गोपरम पर रखा जाता ह इसी परकार िमzwjनो नवगहो (नौ मागिलक गहो) और zwjयको को दार रका कश िलए परवशzwj दार पर रखा जाता ह मखzwjय दशवता zwjयानी मिदर कश अिधषठाता दशवता कश िविभनन रपो zwjया पको को गभथगह की बाहरी दीवारो पर दzwjाथzwjया जाता ह आठ िदzwjाओ कश सवामी zwjयानी अषटिदगपालो को गभथगह की बाहरी दीवारो और मिदर की बाहरी दीवारो पर अपनी-अपनी िदzwjा की ओर अिभमख िदखाzwjया जाता ह मखzwjय दशवालzwjयो की चारो िदzwjाओ म छोटश दशवालzwjय होतश ह िजनम मखzwjय दशवता कश पररवार zwjया अवतारो की मितथzwjयो को सzwjािपत िकzwjया जाता ह दशवी-दशवताओ कश िभनन-िभनन रपो की मितथzwjयो को दशखनश सश पता चलता ह िक िभनन-िभनन पzwjो zwjया सपरदाzwjयो कश बीच दाzwjथिनक वाद-िववाद और परितzwjयोगताए चलती zwjी िजनकश कारण उनकश रपो कश परसततीकरण म भी िविवधता आ गई अतत अलकरण कश िविवध रपो जसशmdashगवाक वzwjयालzwjयाली कलप-लता आमलक कलzwj आिद का भी परzwjयोग मिदर म िविवध सzwjानो तzwjा तरीको सश िकzwjया गzwjया

नरागर यरा उततर भरारीय मिदर शलीउततर भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला की जो zwjली लोकिपरzwjय हई उसश नागर zwjली कहा जाता ह इस zwjली की एक आम बात zwjयह zwjी िक सपणथ मिदर एक िवzwjाल चबतरश (वशदी) पर बनाzwjया जाता ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया होती ह आमतौर पर इन मिदरो म दिकण भारतीzwjय zwjया दरिवड़ zwjली कश िवपरीत कोई चहारदीवारी zwjया दरवाजश नही होतश मिदर म एक घमावदार गमबद होता ह िजसश िzwjखर कहा जाता ह zwjयदिप परानश जमानश कश मिदरो म एक ही िzwjखर होता zwjा लशिकन आगश चलकर इन मिदरो म कई िzwjखर होनश लगश मिदर का गभथगह हमशzwjा सबसश ऊचश िzwjखर कश एकदम नीचश बनाzwjया जाता ह

नागर मिदर उनकश िzwjखरो कश रपाकार (zwjकल) कश अनसार कई उप-शशिणzwjयो म िवभािजत िकए जा सकतश ह भारत कश िभनन-िभनन भागो म मिदरो कश िभनन-िभनन भागो को

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 72

अलग-अलग नामो सश पकारा जाता ह िकत एक साधारण िzwjखर को िजसका आधार वगाथकार होता ह और दीवार भीतर की ओर मड़कर चोटी पर एक िबद पर िमलती ह उसश आमतौर पर रशखा-परासाद कहा जाता ह

lsquoनागरrsquo म एक दसरा परमख वासत रप ह फमसाना िकसम कश भवन जो रशखा-परासाद की तलना म अिधक चौड़श और ऊचाई म कछ छोटश होतश ह इनकी छत अनशक ऐसी िzwjलाअाश की बनी होती ह जो भवन कश क दरीzwjय भाग कश ऊपर एक िनिशचत िबद तक सफाई सश जड़ी होती ह जबिक रशखा-परासाद सीधश ऊपर उठश हए लबश गबदो की तरह िदखाई दशतश ह फमसाना की छत भीतर की ओर नही मड़ी होती बिलक वश सीधश ऊपर की ओर ढलवा होती ह बहत सश उततर भारतीzwjय मिदरो म आप zwjयह दशखगश िक फमसाना िडजाइन का परzwjयोग मडपो म हआ ह जबिक मखzwjय गभथगह एक रशखा-परासाद म रखा गzwjया ह कालातर म रशखा-परासाद जिटल हो गए और वश एक अकश लश लबश गबद की तरह िदखनश की बजाzwjय मिदरो पर कई छोटश-छोटश िzwjखर बननश लगश zwjयश िzwjखर पहाड़ की चोिटzwjयो की तरह ऊपर उठश होतश zwjश और उनम सबसश बड़ा िzwjखर बीच म होता zwjा और zwjयह बीच वाला िzwjखर हमशzwjा गभथगह कश ठीक ऊपर होता zwjा

वलभी नागर zwjली की उप-शशणी कहलाती ह वलभी शशणी कश वगाथकार मिदरो म मशहराबदार छतो सश िzwjखर का िनमाथण होता ह इस मशहराबी कक का िकनारा गोल होता ह zwjयह zwjकटाकार zwjयानी बास zwjया लकड़ी कश बनश छकड़श की तरह होता ह ऐसा छकड़ा परानश जमानश म बलो सश खीचा जाता होगा ऐसश भवनो को आमतौर पर zwjकटाकार भवन (wagon vaulted building) कहा जाता ह जसा िक ऊपर बताzwjया गzwjया ह मिदर का रप उन पराचीन भवन रपो सश परभािवत zwjा जो पाचवी zwjताबदी सश पहलश बनाए जातश zwjश भवनो की वलभी िकसम उनम सश एक zwjी उदाहरण कश िलए zwjयिद आप zwjलकत बौर चतzwjयो की िनमाथण zwjयोजना (नकzwjश) का अधzwjयzwjयन कर तो पाएगश िक उनम सश अिधकतर चतzwjयो का रप लबश ककोपरकोषठो जसा ह और उनकी आिखरी पीठ मड़ी हई ह भीतर सश छत का zwjयह िहससा भी zwjकटाकार (अधथगोल चापिवतान) िदखाई दशता ह

िषिायदी शवषण ििावतार मशिर िवगढ

ििावतार शवषण मशिरिवगढ पाचवी िताबिदी ईसवदी

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 73

मधय भारतउततर परदश मधय परदश और राजसान क पराचीन मददरो म अनक समानताए पाई जाती ह इनम सबस उलखनीय समानता यह ह दक य सभी मददर बआ पतर क बन हए ह गपत का क सबस परान सरचनातमक मददर जो आज भी मौजद ह मधय परदश म पाए जात ह व अपकाकत साधारण दकसम क आडबरहीन पजा स ह इनम एक छोटा मडप होता ह जो चार खभो पर दटका होता ह यह मडप एक साधारण वगागाकार मखमडप (पोचगा) सा होता ह और उसक आग एक छोटा-सा कक होता ह जो गभगागह का काम दता ह इस सबध म महतवपणगा बात यह ह दक ऐस दो मददर आज बच हए ह उनम स एक उदयदगरर म ह जो दवददशा क सीमात कतर म दसत ह ता गफा मददरो क एक बड़ दहद शक का भाग ह और दसरा मददर साची म सतप क दनकट दसत ह यह समत छत वाा परम मददर ह इसका अ गा यह हआ दक दोनो धममो क मददर सापतयवासत म एक-जस पररवतगान दकए जा रह

शषशयन दवषण का वह रप ह जब उनह अपन वाहन शषनाग दजस अनत भी कहा जाता ह पर टा हआ ददखाया जाता ह यह दवषण का वह पक ह जो उनह शाशवत दनदा म परसतत करता ह नर-नारायण जीवातमा और परमातमा क बीच की चचागा को दशागाता ह और गजदरमोकष मोक-परादपत की कहानी ह दजसम दवषण को परतीकातमक रप स एक असर का दजसन एक मगर का रप धारण कर दया ा दमन करत हए बताया गया ह

दवगढ़ (दजा दतपर उततर परदश) का मददर छठी शताबदी क परारदभक वषमो म बनाया गया ा इसका मतब यह हआ दक यह मददर उपयगाकत साची और उदयदगरर (मधय परदश) क छोट मददरो क गभग 100 सा बाद बना ा इसदए इस गपत काीन मददर सापतय का एक शषठ उदाहरण माना जाता ह यह मददर वासतका की पचायतन श ी म दनदमगात ह दजसक अनसार मखय दवाय को एक वगागाकार वदी पर बनाया जाता ह और चार कोनो म चार छोट सहायक दवाय बनाए जात ह (इस परकार क दमाकर पाच छोट-बड़ दवाय बनाए जात ह इसीदए इस शी को पचायतन शी कहा जाता ह) इसका ऊचा और वकररखीय दशखर भी इसी का की पदषट करता ह दशखर रखा-परासाद श ी पर बना ह दजसस यह सपषट होता ह दक यह मददर शषठ नागर श ी का आरदभक उदाहरण ह

पदशचमादभमख मददर का परवश दार बहत भवय ह इसक बाए कोन पर गगा और दाए कोन पर यमना ह इसम दवषण क अनक रप परसतत दकए गए ह दजसक कारण ोगो का यह मानना ह दक इसक चारो उप-दवायो म भी दवषण क अवतारो की मदतगाया ही सादपत ी इसीदए ोग इस भरमवश दशावतार मददर समझन ग दकन वासतदवकता तो यह ह दक हम नही जानत दक य चारो उप-दवाय म रप स दकन-दकन दवताओ को समदपगात मददर की दीवारो पर दवषण की तीन उददतया (उभरी आकदतया) ह ददकणी दीवार पर शषशयन पववी दीवार पर नर-नारायण और पदशचमी दीवार पर गजदमोक का

भारतीय कला का पररचय 74

दशzwjय िचितरत ह इन उदितzwjयो की िसzwjित सश zwjयह पता चलता ह िक इस मिदर म परररिमा दिकण सश पिशचम की ओर की जाती zwjी जबिक आजकल परदिकणा दिकणावतथ (clockwise) की जाती ह एक बात और भी ह zwjयह मिदर पिशचमािभमख ह ऐसा बहत कम दशखनश को िमलता ह अिधकाzwj मिदरो का मख पवथ zwjया उततर की ओर होता ह

कालातर म अनशक छोटश-छोटश आकारो कश मिदर बनाए गए वषमzwjय कश रप म अगर हम चदशल राजाओ दारा िनिमथत खजराहो कश मिदरो का अधzwjयzwjयन कर जो दशवगढ़ कश मिदर सश लगभग 400 वषथ बाद दसवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश तो पाएगश िक मिदर वासतकला की नागर zwjली और रप म नाटकीzwjय रप सश िकतना अिधक िवकास हो गzwjया zwjा

खजराहो का लकमण मिदर िवषण को समिपथत ह zwjयह मिदर चदशलवzwjीzwjय राजा धग दारा 954 ई म बनाzwjया गzwjया zwjा नागर zwjली म िनिमथत zwjयह मिदर एक ऊची वशदी (पलशटफामथ) पर िसzwjत ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया बनी हई ह इसकश कोनो म

चार छोटश दशवालzwjय बनश ह और इसकश गगनचबी िzwjखर िपरािमड की तरह सीधश आकाzwj म खड़श हए उसकश उदग उठान को परदिzwjथत कर रहश ह इसकश िzwjखर कश अत म एक नालीदार चिरिका (तशतरी) ह िजसश आमलक कहा जाता ह और उस पर एक कलzwj सzwjािपत ह zwjयश सब चीज इस काल कश नागर मिदरो म सवथतर पाई जाती ह मिदर म आगश िनकलश हए बारजश और बरामदश ह इस परकार zwjयह मिदर दशवगढ़ कश मिदर सश बहत ही अलग िकसम का ह

खजराहो िसzwjत कदररzwjया महादशव मिदर का िनमाथण भारतीzwjय मिदर सzwjापतzwjय की zwjली की पराकाषठा ह इस िवzwjाल मिदर कश सzwjापतzwjय एव मितथकला म मधzwjय कालीन भारतीzwjय मिदर िनमाथण कश वश सभी लकण िवदमान ह िजनकश िलए मधzwjय भारत की सzwjापतzwjय कला की शशषठता जानी जाती ह खजराहो कश मिदर अपनी कामोदीप एव शगार परधान परितमाओ कश िलए भी बहत परिसर ह इनम शगार रस को उतना ही महतव िदzwjया गzwjया ह िजतना िक मानव की आधzwjयाितमक खोज को और इसश पणथबरहम का ही एक महतवपणथ अzwj माना जाता zwjा इसिलए अनशक िहनद मिदरो म आिलगनबर िमzwjन को zwjभ मानकर उसकी मितथzwjया सzwjािपत की हई ह आमतौर पर ऐसी िमzwjन परितमाओ काश मिदर कश परवशzwj दार पर अzwjवा िकसी बाहरी दीवार पर रखा जाता zwjा इसकश अलावा ऐसी परितमाए अकसर मडप और मखzwjय दशवालzwjय कश बीच दीवारो पर बनाई जाती zwjी खजराहो की परितमाओ की अपनी एक खास zwjली ह िजसकश कछ िविzwjषट लकण ह जसशmdashवश अपनश परश उभार कश साzwj ह वश आस-पास कश पतzwjर सश काटकर बनाई गई ह उनकी नाक तीखी ह ठडडी बढ़ी हई ह आख लबी और मोड़ लबी मड़ी हई ह

किररया महािव मशिर खजराहो

शवशवनाथ मशिर खजराहो

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 5: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 72

अलग-अलग नामो सश पकारा जाता ह िकत एक साधारण िzwjखर को िजसका आधार वगाथकार होता ह और दीवार भीतर की ओर मड़कर चोटी पर एक िबद पर िमलती ह उसश आमतौर पर रशखा-परासाद कहा जाता ह

lsquoनागरrsquo म एक दसरा परमख वासत रप ह फमसाना िकसम कश भवन जो रशखा-परासाद की तलना म अिधक चौड़श और ऊचाई म कछ छोटश होतश ह इनकी छत अनशक ऐसी िzwjलाअाश की बनी होती ह जो भवन कश क दरीzwjय भाग कश ऊपर एक िनिशचत िबद तक सफाई सश जड़ी होती ह जबिक रशखा-परासाद सीधश ऊपर उठश हए लबश गबदो की तरह िदखाई दशतश ह फमसाना की छत भीतर की ओर नही मड़ी होती बिलक वश सीधश ऊपर की ओर ढलवा होती ह बहत सश उततर भारतीzwjय मिदरो म आप zwjयह दशखगश िक फमसाना िडजाइन का परzwjयोग मडपो म हआ ह जबिक मखzwjय गभथगह एक रशखा-परासाद म रखा गzwjया ह कालातर म रशखा-परासाद जिटल हो गए और वश एक अकश लश लबश गबद की तरह िदखनश की बजाzwjय मिदरो पर कई छोटश-छोटश िzwjखर बननश लगश zwjयश िzwjखर पहाड़ की चोिटzwjयो की तरह ऊपर उठश होतश zwjश और उनम सबसश बड़ा िzwjखर बीच म होता zwjा और zwjयह बीच वाला िzwjखर हमशzwjा गभथगह कश ठीक ऊपर होता zwjा

वलभी नागर zwjली की उप-शशणी कहलाती ह वलभी शशणी कश वगाथकार मिदरो म मशहराबदार छतो सश िzwjखर का िनमाथण होता ह इस मशहराबी कक का िकनारा गोल होता ह zwjयह zwjकटाकार zwjयानी बास zwjया लकड़ी कश बनश छकड़श की तरह होता ह ऐसा छकड़ा परानश जमानश म बलो सश खीचा जाता होगा ऐसश भवनो को आमतौर पर zwjकटाकार भवन (wagon vaulted building) कहा जाता ह जसा िक ऊपर बताzwjया गzwjया ह मिदर का रप उन पराचीन भवन रपो सश परभािवत zwjा जो पाचवी zwjताबदी सश पहलश बनाए जातश zwjश भवनो की वलभी िकसम उनम सश एक zwjी उदाहरण कश िलए zwjयिद आप zwjलकत बौर चतzwjयो की िनमाथण zwjयोजना (नकzwjश) का अधzwjयzwjयन कर तो पाएगश िक उनम सश अिधकतर चतzwjयो का रप लबश ककोपरकोषठो जसा ह और उनकी आिखरी पीठ मड़ी हई ह भीतर सश छत का zwjयह िहससा भी zwjकटाकार (अधथगोल चापिवतान) िदखाई दशता ह

िषिायदी शवषण ििावतार मशिर िवगढ

ििावतार शवषण मशिरिवगढ पाचवी िताबिदी ईसवदी

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 73

मधय भारतउततर परदश मधय परदश और राजसान क पराचीन मददरो म अनक समानताए पाई जाती ह इनम सबस उलखनीय समानता यह ह दक य सभी मददर बआ पतर क बन हए ह गपत का क सबस परान सरचनातमक मददर जो आज भी मौजद ह मधय परदश म पाए जात ह व अपकाकत साधारण दकसम क आडबरहीन पजा स ह इनम एक छोटा मडप होता ह जो चार खभो पर दटका होता ह यह मडप एक साधारण वगागाकार मखमडप (पोचगा) सा होता ह और उसक आग एक छोटा-सा कक होता ह जो गभगागह का काम दता ह इस सबध म महतवपणगा बात यह ह दक ऐस दो मददर आज बच हए ह उनम स एक उदयदगरर म ह जो दवददशा क सीमात कतर म दसत ह ता गफा मददरो क एक बड़ दहद शक का भाग ह और दसरा मददर साची म सतप क दनकट दसत ह यह समत छत वाा परम मददर ह इसका अ गा यह हआ दक दोनो धममो क मददर सापतयवासत म एक-जस पररवतगान दकए जा रह

शषशयन दवषण का वह रप ह जब उनह अपन वाहन शषनाग दजस अनत भी कहा जाता ह पर टा हआ ददखाया जाता ह यह दवषण का वह पक ह जो उनह शाशवत दनदा म परसतत करता ह नर-नारायण जीवातमा और परमातमा क बीच की चचागा को दशागाता ह और गजदरमोकष मोक-परादपत की कहानी ह दजसम दवषण को परतीकातमक रप स एक असर का दजसन एक मगर का रप धारण कर दया ा दमन करत हए बताया गया ह

दवगढ़ (दजा दतपर उततर परदश) का मददर छठी शताबदी क परारदभक वषमो म बनाया गया ा इसका मतब यह हआ दक यह मददर उपयगाकत साची और उदयदगरर (मधय परदश) क छोट मददरो क गभग 100 सा बाद बना ा इसदए इस गपत काीन मददर सापतय का एक शषठ उदाहरण माना जाता ह यह मददर वासतका की पचायतन श ी म दनदमगात ह दजसक अनसार मखय दवाय को एक वगागाकार वदी पर बनाया जाता ह और चार कोनो म चार छोट सहायक दवाय बनाए जात ह (इस परकार क दमाकर पाच छोट-बड़ दवाय बनाए जात ह इसीदए इस शी को पचायतन शी कहा जाता ह) इसका ऊचा और वकररखीय दशखर भी इसी का की पदषट करता ह दशखर रखा-परासाद श ी पर बना ह दजसस यह सपषट होता ह दक यह मददर शषठ नागर श ी का आरदभक उदाहरण ह

पदशचमादभमख मददर का परवश दार बहत भवय ह इसक बाए कोन पर गगा और दाए कोन पर यमना ह इसम दवषण क अनक रप परसतत दकए गए ह दजसक कारण ोगो का यह मानना ह दक इसक चारो उप-दवायो म भी दवषण क अवतारो की मदतगाया ही सादपत ी इसीदए ोग इस भरमवश दशावतार मददर समझन ग दकन वासतदवकता तो यह ह दक हम नही जानत दक य चारो उप-दवाय म रप स दकन-दकन दवताओ को समदपगात मददर की दीवारो पर दवषण की तीन उददतया (उभरी आकदतया) ह ददकणी दीवार पर शषशयन पववी दीवार पर नर-नारायण और पदशचमी दीवार पर गजदमोक का

भारतीय कला का पररचय 74

दशzwjय िचितरत ह इन उदितzwjयो की िसzwjित सश zwjयह पता चलता ह िक इस मिदर म परररिमा दिकण सश पिशचम की ओर की जाती zwjी जबिक आजकल परदिकणा दिकणावतथ (clockwise) की जाती ह एक बात और भी ह zwjयह मिदर पिशचमािभमख ह ऐसा बहत कम दशखनश को िमलता ह अिधकाzwj मिदरो का मख पवथ zwjया उततर की ओर होता ह

कालातर म अनशक छोटश-छोटश आकारो कश मिदर बनाए गए वषमzwjय कश रप म अगर हम चदशल राजाओ दारा िनिमथत खजराहो कश मिदरो का अधzwjयzwjयन कर जो दशवगढ़ कश मिदर सश लगभग 400 वषथ बाद दसवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश तो पाएगश िक मिदर वासतकला की नागर zwjली और रप म नाटकीzwjय रप सश िकतना अिधक िवकास हो गzwjया zwjा

खजराहो का लकमण मिदर िवषण को समिपथत ह zwjयह मिदर चदशलवzwjीzwjय राजा धग दारा 954 ई म बनाzwjया गzwjया zwjा नागर zwjली म िनिमथत zwjयह मिदर एक ऊची वशदी (पलशटफामथ) पर िसzwjत ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया बनी हई ह इसकश कोनो म

चार छोटश दशवालzwjय बनश ह और इसकश गगनचबी िzwjखर िपरािमड की तरह सीधश आकाzwj म खड़श हए उसकश उदग उठान को परदिzwjथत कर रहश ह इसकश िzwjखर कश अत म एक नालीदार चिरिका (तशतरी) ह िजसश आमलक कहा जाता ह और उस पर एक कलzwj सzwjािपत ह zwjयश सब चीज इस काल कश नागर मिदरो म सवथतर पाई जाती ह मिदर म आगश िनकलश हए बारजश और बरामदश ह इस परकार zwjयह मिदर दशवगढ़ कश मिदर सश बहत ही अलग िकसम का ह

खजराहो िसzwjत कदररzwjया महादशव मिदर का िनमाथण भारतीzwjय मिदर सzwjापतzwjय की zwjली की पराकाषठा ह इस िवzwjाल मिदर कश सzwjापतzwjय एव मितथकला म मधzwjय कालीन भारतीzwjय मिदर िनमाथण कश वश सभी लकण िवदमान ह िजनकश िलए मधzwjय भारत की सzwjापतzwjय कला की शशषठता जानी जाती ह खजराहो कश मिदर अपनी कामोदीप एव शगार परधान परितमाओ कश िलए भी बहत परिसर ह इनम शगार रस को उतना ही महतव िदzwjया गzwjया ह िजतना िक मानव की आधzwjयाितमक खोज को और इसश पणथबरहम का ही एक महतवपणथ अzwj माना जाता zwjा इसिलए अनशक िहनद मिदरो म आिलगनबर िमzwjन को zwjभ मानकर उसकी मितथzwjया सzwjािपत की हई ह आमतौर पर ऐसी िमzwjन परितमाओ काश मिदर कश परवशzwj दार पर अzwjवा िकसी बाहरी दीवार पर रखा जाता zwjा इसकश अलावा ऐसी परितमाए अकसर मडप और मखzwjय दशवालzwjय कश बीच दीवारो पर बनाई जाती zwjी खजराहो की परितमाओ की अपनी एक खास zwjली ह िजसकश कछ िविzwjषट लकण ह जसशmdashवश अपनश परश उभार कश साzwj ह वश आस-पास कश पतzwjर सश काटकर बनाई गई ह उनकी नाक तीखी ह ठडडी बढ़ी हई ह आख लबी और मोड़ लबी मड़ी हई ह

किररया महािव मशिर खजराहो

शवशवनाथ मशिर खजराहो

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 6: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 73

मधय भारतउततर परदश मधय परदश और राजसान क पराचीन मददरो म अनक समानताए पाई जाती ह इनम सबस उलखनीय समानता यह ह दक य सभी मददर बआ पतर क बन हए ह गपत का क सबस परान सरचनातमक मददर जो आज भी मौजद ह मधय परदश म पाए जात ह व अपकाकत साधारण दकसम क आडबरहीन पजा स ह इनम एक छोटा मडप होता ह जो चार खभो पर दटका होता ह यह मडप एक साधारण वगागाकार मखमडप (पोचगा) सा होता ह और उसक आग एक छोटा-सा कक होता ह जो गभगागह का काम दता ह इस सबध म महतवपणगा बात यह ह दक ऐस दो मददर आज बच हए ह उनम स एक उदयदगरर म ह जो दवददशा क सीमात कतर म दसत ह ता गफा मददरो क एक बड़ दहद शक का भाग ह और दसरा मददर साची म सतप क दनकट दसत ह यह समत छत वाा परम मददर ह इसका अ गा यह हआ दक दोनो धममो क मददर सापतयवासत म एक-जस पररवतगान दकए जा रह

शषशयन दवषण का वह रप ह जब उनह अपन वाहन शषनाग दजस अनत भी कहा जाता ह पर टा हआ ददखाया जाता ह यह दवषण का वह पक ह जो उनह शाशवत दनदा म परसतत करता ह नर-नारायण जीवातमा और परमातमा क बीच की चचागा को दशागाता ह और गजदरमोकष मोक-परादपत की कहानी ह दजसम दवषण को परतीकातमक रप स एक असर का दजसन एक मगर का रप धारण कर दया ा दमन करत हए बताया गया ह

दवगढ़ (दजा दतपर उततर परदश) का मददर छठी शताबदी क परारदभक वषमो म बनाया गया ा इसका मतब यह हआ दक यह मददर उपयगाकत साची और उदयदगरर (मधय परदश) क छोट मददरो क गभग 100 सा बाद बना ा इसदए इस गपत काीन मददर सापतय का एक शषठ उदाहरण माना जाता ह यह मददर वासतका की पचायतन श ी म दनदमगात ह दजसक अनसार मखय दवाय को एक वगागाकार वदी पर बनाया जाता ह और चार कोनो म चार छोट सहायक दवाय बनाए जात ह (इस परकार क दमाकर पाच छोट-बड़ दवाय बनाए जात ह इसीदए इस शी को पचायतन शी कहा जाता ह) इसका ऊचा और वकररखीय दशखर भी इसी का की पदषट करता ह दशखर रखा-परासाद श ी पर बना ह दजसस यह सपषट होता ह दक यह मददर शषठ नागर श ी का आरदभक उदाहरण ह

पदशचमादभमख मददर का परवश दार बहत भवय ह इसक बाए कोन पर गगा और दाए कोन पर यमना ह इसम दवषण क अनक रप परसतत दकए गए ह दजसक कारण ोगो का यह मानना ह दक इसक चारो उप-दवायो म भी दवषण क अवतारो की मदतगाया ही सादपत ी इसीदए ोग इस भरमवश दशावतार मददर समझन ग दकन वासतदवकता तो यह ह दक हम नही जानत दक य चारो उप-दवाय म रप स दकन-दकन दवताओ को समदपगात मददर की दीवारो पर दवषण की तीन उददतया (उभरी आकदतया) ह ददकणी दीवार पर शषशयन पववी दीवार पर नर-नारायण और पदशचमी दीवार पर गजदमोक का

भारतीय कला का पररचय 74

दशzwjय िचितरत ह इन उदितzwjयो की िसzwjित सश zwjयह पता चलता ह िक इस मिदर म परररिमा दिकण सश पिशचम की ओर की जाती zwjी जबिक आजकल परदिकणा दिकणावतथ (clockwise) की जाती ह एक बात और भी ह zwjयह मिदर पिशचमािभमख ह ऐसा बहत कम दशखनश को िमलता ह अिधकाzwj मिदरो का मख पवथ zwjया उततर की ओर होता ह

कालातर म अनशक छोटश-छोटश आकारो कश मिदर बनाए गए वषमzwjय कश रप म अगर हम चदशल राजाओ दारा िनिमथत खजराहो कश मिदरो का अधzwjयzwjयन कर जो दशवगढ़ कश मिदर सश लगभग 400 वषथ बाद दसवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश तो पाएगश िक मिदर वासतकला की नागर zwjली और रप म नाटकीzwjय रप सश िकतना अिधक िवकास हो गzwjया zwjा

खजराहो का लकमण मिदर िवषण को समिपथत ह zwjयह मिदर चदशलवzwjीzwjय राजा धग दारा 954 ई म बनाzwjया गzwjया zwjा नागर zwjली म िनिमथत zwjयह मिदर एक ऊची वशदी (पलशटफामथ) पर िसzwjत ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया बनी हई ह इसकश कोनो म

चार छोटश दशवालzwjय बनश ह और इसकश गगनचबी िzwjखर िपरािमड की तरह सीधश आकाzwj म खड़श हए उसकश उदग उठान को परदिzwjथत कर रहश ह इसकश िzwjखर कश अत म एक नालीदार चिरिका (तशतरी) ह िजसश आमलक कहा जाता ह और उस पर एक कलzwj सzwjािपत ह zwjयश सब चीज इस काल कश नागर मिदरो म सवथतर पाई जाती ह मिदर म आगश िनकलश हए बारजश और बरामदश ह इस परकार zwjयह मिदर दशवगढ़ कश मिदर सश बहत ही अलग िकसम का ह

खजराहो िसzwjत कदररzwjया महादशव मिदर का िनमाथण भारतीzwjय मिदर सzwjापतzwjय की zwjली की पराकाषठा ह इस िवzwjाल मिदर कश सzwjापतzwjय एव मितथकला म मधzwjय कालीन भारतीzwjय मिदर िनमाथण कश वश सभी लकण िवदमान ह िजनकश िलए मधzwjय भारत की सzwjापतzwjय कला की शशषठता जानी जाती ह खजराहो कश मिदर अपनी कामोदीप एव शगार परधान परितमाओ कश िलए भी बहत परिसर ह इनम शगार रस को उतना ही महतव िदzwjया गzwjया ह िजतना िक मानव की आधzwjयाितमक खोज को और इसश पणथबरहम का ही एक महतवपणथ अzwj माना जाता zwjा इसिलए अनशक िहनद मिदरो म आिलगनबर िमzwjन को zwjभ मानकर उसकी मितथzwjया सzwjािपत की हई ह आमतौर पर ऐसी िमzwjन परितमाओ काश मिदर कश परवशzwj दार पर अzwjवा िकसी बाहरी दीवार पर रखा जाता zwjा इसकश अलावा ऐसी परितमाए अकसर मडप और मखzwjय दशवालzwjय कश बीच दीवारो पर बनाई जाती zwjी खजराहो की परितमाओ की अपनी एक खास zwjली ह िजसकश कछ िविzwjषट लकण ह जसशmdashवश अपनश परश उभार कश साzwj ह वश आस-पास कश पतzwjर सश काटकर बनाई गई ह उनकी नाक तीखी ह ठडडी बढ़ी हई ह आख लबी और मोड़ लबी मड़ी हई ह

किररया महािव मशिर खजराहो

शवशवनाथ मशिर खजराहो

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 7: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 74

दशzwjय िचितरत ह इन उदितzwjयो की िसzwjित सश zwjयह पता चलता ह िक इस मिदर म परररिमा दिकण सश पिशचम की ओर की जाती zwjी जबिक आजकल परदिकणा दिकणावतथ (clockwise) की जाती ह एक बात और भी ह zwjयह मिदर पिशचमािभमख ह ऐसा बहत कम दशखनश को िमलता ह अिधकाzwj मिदरो का मख पवथ zwjया उततर की ओर होता ह

कालातर म अनशक छोटश-छोटश आकारो कश मिदर बनाए गए वषमzwjय कश रप म अगर हम चदशल राजाओ दारा िनिमथत खजराहो कश मिदरो का अधzwjयzwjयन कर जो दशवगढ़ कश मिदर सश लगभग 400 वषथ बाद दसवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश तो पाएगश िक मिदर वासतकला की नागर zwjली और रप म नाटकीzwjय रप सश िकतना अिधक िवकास हो गzwjया zwjा

खजराहो का लकमण मिदर िवषण को समिपथत ह zwjयह मिदर चदशलवzwjीzwjय राजा धग दारा 954 ई म बनाzwjया गzwjया zwjा नागर zwjली म िनिमथत zwjयह मिदर एक ऊची वशदी (पलशटफामथ) पर िसzwjत ह और उस तक पहचनश कश िलए सीिढ़zwjया बनी हई ह इसकश कोनो म

चार छोटश दशवालzwjय बनश ह और इसकश गगनचबी िzwjखर िपरािमड की तरह सीधश आकाzwj म खड़श हए उसकश उदग उठान को परदिzwjथत कर रहश ह इसकश िzwjखर कश अत म एक नालीदार चिरिका (तशतरी) ह िजसश आमलक कहा जाता ह और उस पर एक कलzwj सzwjािपत ह zwjयश सब चीज इस काल कश नागर मिदरो म सवथतर पाई जाती ह मिदर म आगश िनकलश हए बारजश और बरामदश ह इस परकार zwjयह मिदर दशवगढ़ कश मिदर सश बहत ही अलग िकसम का ह

खजराहो िसzwjत कदररzwjया महादशव मिदर का िनमाथण भारतीzwjय मिदर सzwjापतzwjय की zwjली की पराकाषठा ह इस िवzwjाल मिदर कश सzwjापतzwjय एव मितथकला म मधzwjय कालीन भारतीzwjय मिदर िनमाथण कश वश सभी लकण िवदमान ह िजनकश िलए मधzwjय भारत की सzwjापतzwjय कला की शशषठता जानी जाती ह खजराहो कश मिदर अपनी कामोदीप एव शगार परधान परितमाओ कश िलए भी बहत परिसर ह इनम शगार रस को उतना ही महतव िदzwjया गzwjया ह िजतना िक मानव की आधzwjयाितमक खोज को और इसश पणथबरहम का ही एक महतवपणथ अzwj माना जाता zwjा इसिलए अनशक िहनद मिदरो म आिलगनबर िमzwjन को zwjभ मानकर उसकी मितथzwjया सzwjािपत की हई ह आमतौर पर ऐसी िमzwjन परितमाओ काश मिदर कश परवशzwj दार पर अzwjवा िकसी बाहरी दीवार पर रखा जाता zwjा इसकश अलावा ऐसी परितमाए अकसर मडप और मखzwjय दशवालzwjय कश बीच दीवारो पर बनाई जाती zwjी खजराहो की परितमाओ की अपनी एक खास zwjली ह िजसकश कछ िविzwjषट लकण ह जसशmdashवश अपनश परश उभार कश साzwj ह वश आस-पास कश पतzwjर सश काटकर बनाई गई ह उनकी नाक तीखी ह ठडडी बढ़ी हई ह आख लबी और मोड़ लबी मड़ी हई ह

किररया महािव मशिर खजराहो

शवशवनाथ मशिर खजराहो

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 8: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 75

खजराहो म बहत सश मिदर ह उनम सश अिधकाzwj िहद दशवी-दशवताओ कश ह और कछ जन मिदर भी ह इनम सश चौसठ zwjयोिगनी मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह zwjयह दसवी zwjताबदी सश पहलश का ह इस मिदर म कई छोटश वगाथकार दशवालzwjय ह जो गशनाइट कश िzwjलाखडो को काटकर बनाए गए ह इनम सश परतzwjयशक दशवालzwjय दशिवzwjयो को समिपथत ह इस तरह की ताितरक पजा का उदzwjय सातवी zwjताबदी कश बाद हआ zwjा ऐसश बहत सश मिदर जो zwjयोिगनी पzwj को समिपथत ह मधzwjय परदशzwj ओिडzwjा और दिकण म भी तिमलनाड तक सातवी सश दसवी zwjतािबदzwjयो कश बीच zwjयतर-ततर बनाए गए zwjश लशिकन आज उनम सश बहत कम बचश ह

पिzwjचमी भरारभारत कश पिशचमोततर कशतर म िजसम गजरात और राजसzwjान zwjािमल ह और कभी-कभी zwjलीगत िवzwjशषताओ कश कारण पिशचमी मधzwjय परदशzwj को भी इसम zwjािमल कर िलzwjया जाता ह मिदर इतनश अिधक ह िक उन पर वzwjयापक रप सश िवचार नही िकzwjया जा सकता zwjयश मिदर रग और िकसम दोनो ही दिषटzwjयो सश अनशक परकार कश पतzwjरो सश बनश ह इनम बलआ पतzwjर का इसतशमालपरzwjयोग हआ ह तzwjािप दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश बीच बनश मिदरो की मितथzwjया धसरसलशटी सश कालश बशसालटअिसताशम की बनी पाई जाती ह लशिकन इनम मलाzwjयम िचकनश सफश द सगमरमर का भी तरह-तरह सश परचर मातरा म परzwjयोग हआ ह जो दसवी सश बारहवी zwjताबदी कश माउट आब और रणकपर (राजसzwjान) कश जन मिदरो म भी दशखनश को िमलता ह

इस कशतर कश अतzwjयत महतवपणथ कला-ऐितहािसक सzwjलो म सश एक ह गजरात म zwjामलाजी जो zwjयह दzwjाथता ह िक इस कशतर की पवथवतवी कला परपराए गपत काल कश बाद की zwjली कश साzwj िकस परकार िमल गई zwjी िजसकश फलसवरप मितथकला म एक अलगनई zwjली का उदzwjय हआ धसर सतररत चटानो सश बनी अनशक मितथzwjया इस कशतर म पाई गई ह िजनका समzwjय छठी zwjताबदी कश आस-पास का माना जा सकता ह इनकश सरकक कौन zwjश इस िवषzwjय म तो मतभशद ह पर इनका काल इनकी zwjली कश आधार पर िनधाथररत कर िदzwjया गzwjया ह

नतय कका िकमण मशिर खजराहो

सयम मशिर मोढरा गजरात

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 9: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 76

मोढ़शरा (गजरात) का सzwjयथ मिदर गzwjयारहवी zwjताबदी कश आरिभक काल की रचना ह इसश सोलकी राजवzwj कश राजा भीमदशव परzwjम नश 1026 ई म बनाzwjया zwjा सzwjयथ मिदर म सामनश की ओर एक अतzwjयत िवzwjाल वगाथकार जलाzwjzwjय ह िजसम सीिढ़zwjयो की सहाzwjयता सश पानी तक पहचा जा सकता ह इसश सzwjयथकड कहतश ह नदी तालाब कड बावली जसश िकसी भी जल िनकाzwjय का िकसी पिवतर एव धािमथक वासत सzwjल कश पास होना परानश जमानश सश ही आवशzwjयक समझा जाता रहा ह इस काल तक आतश-आतश zwjयश जल िनकाzwjय अनशक मिदरो कश िहससश बन गए zwjयह एक सौ वगथमीटर कश कशतरफल वाला वगाथकार जलाzwjzwjय ह जलाzwjzwjय कश भीतर की सीिढ़zwjयो कश बीच म 108 छोटश-छोटश दशवसzwjान बनश हए ह एक अलकत िवzwjाल चाप-तोरण दzwjथनाzwjवी को सीधश सभामडप तक लश जाता ह zwjयह मडप चारो ओर सश खला ह जसा िक उन िदनो पिशचम तzwjा मधzwjय भारत कश मिदरो म आम ररवाज zwjा

गजरात की काषठ-उतकीणथन की परपरा का परभाव इस मिदर म उपलबध परचर उतकीणथन तzwjा मितथ िनमाथण कश काzwjयमो पर सपषट िदखाई दशता ह िकत क दरीzwjय छोटश दशवालzwjय की दीवारो पर कोई उतकीणथन (काzwjयथ) नही िकzwjया गzwjया ह और दीवार सादी छोड़ दी गई ह चिक मिदर पवाथिभमख ह इसिलए हर वषथ िवषव कश समzwjय (zwjयानी 21 माचथ) और 23 िसतबर को जब िदन-रात बराबर होतश ह सzwjयथ सीधश क दरीzwjय दशवालzwjय पर चमकता ह

पदिवी भरारपववी भारत कश मिदरो म वश सभी मिदर zwjािमल ह जो पववोततर कशतर बगाल और ओिडzwjा म पाए जातश ह इन तीनो म सश परतzwjयशक कशतर म अपनी-अपनी िविzwjषट िकसम कश मिदरो का िनमाथण िकzwjया गzwjया पववोततर कशतर और बगाल कश वासतिzwjलप कश इितहास का अधzwjयzwjयन करना किठन हो गzwjया ह कzwjयोिक उन कशतरो म िनिमथत अनशक पराचीन मिदरो कश भवनो का नवीकरण कर िदzwjया गzwjया ह और उन सzwjलो पर इस समzwjय मिदरो का जो रप बचा हआ ह वह परवतवी काल म इट और करिीट का बना हआ ह िजससश उनका मल रप ढक गzwjया ह िफ र भी ऐसा परतीत होता ह िक िचकनी पकी िमटी (टशराकोटा) ही भवन िनमाथण

सयम मशिर मोढरा गजरात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 10: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 77

कश िलए पिटzwjयाफलक बनानश कश िलए मखzwjय माधzwjयम zwjी ऐसी िमटी की पिटzwjयाफलको पर बगाल म सातवी zwjताबदी तक बौर और िहद दशवी-दशवताओ की मितथzwjया िचितरत की जाती रही असम और बगाल म भी बड़ी सखzwjया म परितमाए पाई गइ ह िजनसश उन कशतरो म कछ महतवपणथ कशतरीzwjय zwjिलzwjयो कश िवकास का पता चलता ह

असमmdashतशजपर कश पास डापवथितzwjया म एक पराना छठी zwjताबदी म बना दरवाजश का ढाचा िमला ह और ितनसिकzwjया कश पास िसzwjत रगागोरा चाzwjय बागान (टी एसटशट) सश तरह-तरह की कछ परितमाए िमली ह िजनसश इस कशतर म गपत कालीन zwjली कश आzwjयातआगमन का पता चलता ह zwjयह गपतकालोततर zwjली इस कशतर म दसवी zwjताबदी तक बराबर जारी रही िकत बारहवी सश चौदहवी zwjताबदी कश बीच असम म एक अलग कशतरीzwjय zwjली िवकिसत हो गई ऊपरी उततरी बमाथ सश जब असम म टाई लोगो का आगमन हआ तो उनकी zwjली बगाल की परमख पाल zwjली सश िमल गई और उनकश िमशण सश एक नई zwjली का िवकास हआ िजसश आगश चलकर गवाहाटी और उसकश आस-पास कश कशतर म अहोम zwjली कहा जानश लगा

बगरालmdashिबहार और बगाल (बागलादशzwj सिहत) म नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच की अविध म िनिमथत परितमाओ की zwjली को पाल zwjली कहा जाता ह िजसका नामकरण ततकालीन पाल zwjासको कश आधार पर िकzwjया गzwjया इस परकार गzwjयारहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग सश तशरहवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक िनिमथत मितथzwjयो की zwjली को ततकालीन सशन zwjासको कश नाम पर सशन zwjली कहा जाता ह पर उस कशतर म पाए जानश वालश मिदर सzwjानीzwjय बग zwjली कश अिभवzwjयजक ही मानश जातश ह उदाहरण कश िलए बरथमान िजलश म बराकड नगर कश पास िसzwjत नौवी zwjताबदी कश िसरशशवर महादशव मिदर का मोड़दार िzwjखर बहत ऊचा ह और उसकी चोटी पर एक बड़ा आमलक बना हआ ह zwjयह आरिभक पाल zwjली का अचछा उदाहरण ह zwjयह ओिडzwjा कश समकालीन मिदरो जसा ह zwjयह मल रप सश कछ zwjतािबदzwjयो कश बाद ऊचा होता गzwjया ह नौवी सश बारहवी zwjतािबदzwjयो कश बीच बनश अनशक भवन परिलzwjया िजलश म तशलकपी सzwjान पर िसzwjत ह जब इस कशतर म बाध का िनमाथण

शिवसागर मशिर असम

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 11: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 78

जगननाथ मदिर परी

हआ तो व पानी म समा गए य भवन उस कतर म परचलित अनक महतवपरण शलियो म स ह लिनस पता चिता ह लक ततकािीन किाकार उन सभी शष नागर उपशलियो स पररलचत थ िो उस समय उततर भारत म परचलित थी परलिया लिि म कछ मलिर आि भी लवदयमान ह िो उस काि क बताए िात ह इन मलिरो क काि तथा धसर रग क बसालट और किोराइट पतथरो स बन सतभो तथा महराबी ताको न गौर और पाडआ म लसथत भवनो

को िो परारलभक बगाि सलतनत क समय क ह बहत परभालवत लकया इसी परकार बगाि की अनक सथानीय भवन लनमाणर की परपराओ न भी उस कतर की मलिर शिी को परभालवत लकया इन सथानीय परपराओ म सबस अलधक महतवपरण था बगािी झोपड़ी की बास की बनी छत का एक ओर ढिान या उसकी मड़ी हई शकि इस िकरलवशषता को आग चिकर मगि कािीन इमारतो म भी अपना लिया गया ऐसी छत को सपरण उततर भारत म बगिा छत कहा िाता ह मगि काि म और उसक बाि पकी लमटी की इइटो स बीलसयो मलिर बगाि और आि क बागिािश म बनाए गए इनकी शिी अपन लकसम की अिग ही थी लिसम बास की झोपलड़यो म परयकत सथानीय लनमाणर तकनीको क ततव तो शालमि थ ही साथ ही पाि शिी क बच खच परान रपो और मलसिम वासतकिा क महराबो और गबिो क रपो को

भी उनम शालमि कर लिया गया था इस शिी क भवन लवषरपर बाकड़ा बरणमान और बीरभम म सथान-सथान पर लमित ह और य अलधकतर सतरहवी शताबिी क हओडिशाmdashओलडशा की वासतकिा की मखय लवशषताओ को तीन वगगो म लवभालित लकया िाता ह अथाणत रखापीड ढाडकव और खाकरा वहा क अलधकाश परमख ऐलतहालसक सथि पराचीन कलिग कतर म ह यानी आधलनक परी लिि

टरनाकोटना कना मदिर दवषपर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 12: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 79

म ही िसzwjत ह िजसम भवनशशवर zwjयानी पराना ितरभवनशशवर परी और कोणाकथ कश इलाकश zwjािमल ह ओिडzwjा कश मिदरो की zwjली एक अलग िकसम की ह िजसश हम नागर zwjली की उप-zwjली कह सकतश ह आमतौर पर िzwjखर िजसश ओिडzwjा म दशवल कहतश ह इस उप-zwjली कश अतगथत लगभग चोटी तक एकदम अधवाथशधर zwjयानी िबलकल सीधा खड़ा होता ह पर चोटी पर जाकर अचानक तशजी सश भीतर की ओर मड़ जाता ह इन मिदरो म दशवालzwjयो सश पहलश सामानzwjय रप सश मडल होतश ह िजनह ओिडzwjा म जगमोहन कहा जाता ह मखzwjय मिदर की भ-zwjयोजना हमशzwjा लगभग वगाथकार होती ह जो ऊपरी ढाचश कश भागो म मसतक पर वतताकार हो जाती ह इससश लाट लबाई म लगभग बशलनाकार िदखाई दशती ह लाट कश आलश-िदवालश आमतौर पर वगाथकार होतश ह मिदरो का बाहरी भाग अतzwjयत उतकीिणथत होता ह जबिक भीतरी भाग आमतौर पर खाली होता ह ओिडzwjा कश मिदरो म आमतौर पर चहारदीवारी होती ह

बगाल की खाड़ी कश तट पर िसzwjत कोणाकथ म भवzwjय सzwjयथ मिदर कश अब भगनावzwjशष ही दशखनश को िमलतश ह zwjयह मिदर 1240 ई कश आस-पास बनाzwjया गzwjया zwjा इसका िzwjखर बहत भारी भरकम zwjा और कहतश ह िक उसकी ऊचाई 70 मीटर zwjी इसका सzwjल इसकश भार को न सह सका और zwjयह िzwjखर उननीसवी zwjताबदी म धराzwjाzwjयी हो गzwjया मिदर का िवसतत सकल एक चौकोर पररसर कश भीतर िसzwjत zwjा उसम सश अब जगमोहन zwjयानी नतzwjय मडप ही बचा ह अब इस मडप तक पहचा नही जा सकता पर इसकश बारश म zwjयह कहा जाता ह िक zwjयह मडप िहद वासतकला म सबसश बड़ा िघरा हआ अहाता ह

सzwjयथ मिदर एक ऊचश आधार (वशदी) पर िसzwjत ह इसकी दीवार वzwjयापक रप सश आलकाररक उतकीणथन सश ढकी हई ह इनम बड़श-बड़श पिहzwjयो कश 12 जोड़श ह पिहzwjयो म आरश और नािभक दर (हब) ह जो सzwjयथ दशव की पौरािणक कzwjा का समरण करातश ह िजसकश अनसार सzwjयथ सात घोड़ो दारा खीचश जा रहश रzwj पर सवार होतश ह zwjयह सब परवशzwj दार कश

सयम मशिर कोणाकम

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 13: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 80

सियान (िीसियो) पर उकरा हआ ह इि परकार यह िपरण मसिर सकिी शोभायाता म खीच जा रह सिशाल रथ जिा परतीत होता ह मसिर की िसषिरी िीिार पर ियण की एक सिशाल परसतमा ह जो हर पतथर की बनी हई ह ऐिा कहा जाता ह सक पहल ऐिी तीन आकसतया थी उनम ि हर एक आकसत एक अलग सकसम क पतथर पर बनी हई अलग-अलग सिशा की ओर असभमख थी चौथी िीिार पर मसिर क भीतर जान का िरिाजा बना हआ था जहा ि ियण की िासतसिक सकरर गभण गह म परिश करती थी

पहाड़ी कषतरकमाऊ गििाल सहमाचल और कशमीर की पहासियो म िासतकला का एक अनोखा रप सिकसित हआ चसक कशमीर का षित गाधार कला क परमख सथलो (जिmdashतषिसशला पशािर और पसशचमोततर िीमा परात) क पाि था इिसलए पाचिी शताबिी तक आत-आत कशमीर की कला पर गाधार शली का परबल परभाि दसzwjटिगोचर होन लगा ििरी ओर उिम गपत कालीन और गपतोततर कालीन परपराए भी जिन लगी जो िारनाथ और मथरा ि यहा तक सक गजरात और बगाल क क दो ि भी िहा तक पहची बाहमर पसित और बौदध सभषिक कशमीर गििाल कमाऊ और मिानी षित क धासमणक क दो जि सक बनारि नालिा और िसषिर म कासचपरम तक क क दो क बीच अकिर याता करत रहत थ फलसिरप बौदध और सहनि परपराए आपि म समलन लगी और सफ र पहािी इलाको तक फल गइइ सिय पहािी षितो की भी अपनी एक अलग परपरा थी सजिक अतगणत लकिी क मकान बनाए जात थ सजनकी छत ढलिा होती थी इिसलए पहािी षितो म अनक सथानो पर हम िखग सक मखय गभणगह और सशखर तो रखा-परािाि शली म बन होत ह जबसक मिप काzwjzwjठ-िासत क एक परान रप म होता ह कभी-कभी मसिर सिय पगोिासतप की िरत ल लता ह

कशमीर का कारकोटिा काल िासतकला की दसzwjटि ि अतयसधक उललखनीय ह उनहोन बहत ि मसिर बनाए सजनम ि पडथान म सनसमणत मसिर िबि असधक महतिपरण ह य

Temple Himachal Pradesh

पहाड़ी कषतर कष मिदर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 14: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 81

मिदर आठवी और नौवी zwjताबदी म बनाए गए zwjश दशवालzwjय कश पास जलाzwjzwjय होनश की परपरा का पालन करतश हए पडशरनाzwj का मिदर जलाzwjzwjय कश बीच म बनी हई एक वशदी पर िनिमथत ह वसश तो कशमीर म बौर और िहद दोनो धममो कश अनzwjयािzwjयzwjयो कश होनश कश साकzwjय िमलतश ह पर zwjयह मिदर एक िहद दशवसzwjान ह और सभवत िzwjव को समिपथत ह इस मिदर की वासतकला कशमीर की वषमो परानी परपरा कश अनरप ह िजसकश अतगथत लकड़ी की इमारत बनाई जाती zwjी कशमीर की बफवीली पररिसzwjितzwjयो कश कारण छत चोटीदार होती ह और उसका ढाल बाहर की ओर होता ह िजससश िक िहमपात का मकाबला िकzwjया जा सकश zwjयह मिदर बहत ही कम अलकत और गपतोततर कालीन परचरगहरश उतकीणथन की सौदzwjयथ zwjली सश बहत हटकर ह हािzwjzwjयो की कतार का बना अाधार तल अार दार पर बनश अलकरण ही इस मिदर की सजावट ह

zwjामलाजी म िमली परितमाओ की तरह चमबा म िमली परितमाओ म भी सzwjानीzwjय परपराओ का गपतोततर zwjली कश साzwj सगम िदखाई दशता ह लकणा दशवी मिदर म सzwjािपत मिहषासरमिदथनी और नरिसह की परितमाओआकितzwjयो म गपतोततर कालीन परपरा का परभाव दिषटगोचर होता ह दोनो परितमाओ म zwjयह सपषट िदखाई दशता ह िक एक ओर जहा कशमीर की धात परितमा परपरा का पालन िकzwjया गzwjया ह वही दसरी ओर मितथzwjयो म गपतोततर कालीन सौदzwjयथ zwjली का भी परा धzwjयान रखा गzwjया ह परितमाओ का पीलापन सभवत जसतश और ताबश कश िमशण का परभाव ह उन िदनो कशमीर म उन दोनो धातओ का खब परzwjयोग होता zwjा इस मिदर म एक िzwjलालशख ह िजसम zwjयह कहा गzwjया ह िक zwjयह मिदर राजा मशरवमथन कश zwjासन काल म सातवी zwjताबदी म बनाzwjया गzwjया zwjा

कमाऊ कश मिदरो की चचाथ कर तो वहा कश दो मिदर िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह इनम सश एक अलमोड़ा कश पास जगशशवर म और दसरा िपzwjौरागढ़ कश पास चपावत म ह zwjयश दोनो मिदर इस कशतर म नागर वासतकला कश उतकषट उदाहरण ह

दरििि यरा दिकषण भरारीय मिदर शली

जसा िक ऊपर बताzwjया जा चका ह नागर zwjली कश मिदर आमतौर पर ऊची कसवी (िपलzwj) पर बनाए जातश ह इसकश िवपरीत दरिवड़ मिदर चारो ओर एक चहारदीवारी सश िघरा होता ह इस चहारदीवारी कश बीच म परवशzwj दार होतश ह िजनह गोपरम कहतश ह मिदर कश गमबद

दरशवड़ मशिर

शिखर

शवमान मडप गोपरम

गरमगह

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 15: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 82

का रप िजसश तिमलनाड म िवमान कहा जाता ह मखzwjयत एक सीढ़ीदार िपरािमड की तरह होता ह जो ऊपर की ओर जzwjयािमतीzwjय रप सश उठा होता ह न िक उततर भारत कश मिदरो की तरह मोड़दार िzwjखर कश रप म दिकण भारतीzwjय मिदरो म िzwjखर zwjबद का परzwjयोग मिदर की चोटी पर िसzwjत मकट जसश ततव कश िलए िकzwjया जाता ह िजसकी zwjकल आमतौर पर एक छोटी सतिपका zwjया एक अषटभजी गमटी जसी होती ह zwjयह उस कशतर कश बराबर होती ह जहा उततर भारतीzwjय मिदरो म एक आमलक zwjया कलzwj होता ह उततर भारत कश मिदर कश गभथगह कश परवशzwj दार कश पास िमzwjनो zwjया गगा-zwjयमना नदी की परितमाए होती ह दिकण भारतीzwjय मिदरो म आमतौर पर भzwjयानक दारपालो की परितमाए खड़ी की जाती ह जो मानो मिदर की रका कर रहश हो मिदर कश अहातश (पररसर) म कोई बड़ा जलाzwjzwjय zwjया तालाब होता ह उप-दशवालzwjयो को zwjया तो मिदर कश मखzwjय गमबद कश भीतर ही zwjािमल कर िलzwjया जाता ह zwjया िफ र अलग छोटश दशवालzwjयो कश रप म मखzwjय मिदर कश पास रखा जाता ह दिकण कश मिदरो म उततर भारत कश मिदरो की तरह एक-साzwj कई छोटश-बड़श िzwjखर नही होतश दिकण कश सबसश पिवतर मानश जानश वालश कछ मिदरो म आप दशखगश िक मखzwjय मिदर िजसम गभथगह बना होता ह उसका गमबद सबसश छोटा होता ह इसका कारण zwjयह ह िक वह मिदर का सबसश पराना भाग होता ह और समzwjय कश साzwj जब नगर की जनसखzwjया और आकार बढ़ जाता ह तो मिदर भी बड़ा हो जाता ह और उसकश चारो ओर नई चहारदीवारी बनानश की भी जररत पड़ जाती ह इसकी ऊचाई इससश पहलश वाली दीवार सश जzwjयादा होगी और उसका गोपरम भी पहलश वालश गोपरम सश अिधक ऊचा होगा उदाहरण कश िलए zwjयिद आप ितरची (आधिनक ितरिचरापलली) कश शीरगम मिदर कश दzwjथन करनश जाए तो आप पाएगश िक इसकश चार समक िदरक आzwjयताकार अहातश (चहारदीवाररzwjया) ह और हर चहारदीवारी म एक गोपरम बना ह सबसश बाहर की चहारदीवारी सबसश नई ह और एकदम बीच का गमबद िजसम गभथगह बना ह सबसश पराना ह इस परकार मिदर zwjहरी वासतकला कश क दर िबद बननश लगश zwjश तिमलनाड म कािचपरम तजावर (तजौर) मदरई और कमभकोणम सबसश

गगकाडचोिपरम मशिर

मदीनाकदी मशिर मिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 16: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 83

परिसर मिदर नगर ह जहा आठवी सश बारहवी zwjताबदी कश दौरान मिदर की भिमका कश वल धािमथक काzwjयमो तक ही सीिमत नही रही मिदर परzwjासन कश क दर बन गए िजनकश िनzwjयतरण म बशzwjमार जमीन होती zwjी

िजस तरह सश नागर मिदरो की कई उप शशिणzwjया होती ह उसी परकार दरिवड़ मिदरो की भी कई उप-शशिणzwjया ह इनकी मल आकितzwjया पाच परकार की होती हmdashवगाथकार आzwjयताकार अडाकार वतत और अषटासर इनम सश वगाथकार को आमतौर पर कट और चतरसतर भी कहा जाता ह आzwjयताकार zwjयानी zwjाला zwjया आzwjयतसतर अडाकार िजसश गजपषठीzwjय कहतश ह जो हाzwjी कश पीठ जसी होती ह इसश वतताzwjयत भी कहा जाता ह zwjयह गजपषठीzwjय चतzwjयो कश zwjकटाकार रपो पर आधाररत होती ह िजनकश परवशzwj दार घोड़श की नाल कश आकार कश होतश ह िजनह आमतौर पर lsquoनासीrsquo कहा जाता हmdashवतत (गोलाकार) और अषटासर (अषटभजाकार) आमतौर पर मिदर की zwjयोजना और उसकश िवमान दशवी-दशवता कश मतथरप कश अनसार िनधाथररत होतश zwjश इसिलए उिचत zwjयही zwjा िक िविzwjषट परकार की मितथzwjयो कश िलए उसी सश सबिधत परकार कश मिदर बनाए जाए समरण रहश िक ऊपर सरल रीित सश इन उप शशिणzwjयो म जो अतर बताए गए ह वश इसी अवसzwjा (काल) तक लाग होतश ह कzwjयोिक आगश चलकर इन िभनन-िभनन रपो का कही-कही िमशण हो गzwjया और उनकश मशल सश नए-नए रप िवकिसत हो गए

पललव वzwj दिकण भारत का एक पराना राजवzwj zwjा पललव ईसा की दसरी zwjताबदी सश ही आधर कशतर म सिरिzwjय रहश zwjश और िफ र दिकण की ओर आगश बढ़कर तिमलनाड म बस गए छठी सश आठवी zwjताबदी तक का इितहास अिधक अचछी तरह जाना जा सकता ह कzwjयोिक उनकश उस समzwjय कश कई िzwjलालशख और समारक आज भी उपलबध ह उनकश zwjिकतzwjाली राजाओ नश अपनश सामाजzwjय को उपमहादीप कश अनशक भागो तक फलाzwjया कभी-कभी तो उनकश सामाजzwjय की सीमाए ओिडzwjा तक फल गई zwjी उनहोनश पववोततर एिzwjzwjया कश साzwj भी अपनश मजबत सबध सzwjािपत कर िलए zwjश पललव राजा अिधकतर zwjव zwjश लशिकन उनकश zwjासन काल कश अनशक वषणव मिदर आज भी मौजद ह और इसम भी कोई सदशह नही िक वश दककन कश लबश बौर इितहास सश भी परभािवत zwjश

आमतौर पर ऐसा माना जाता ह िक उनकश आरिभक भवन zwjलकत (चटानो को काटकर बनाए गए) zwjश जबिक बाद वालश भवन सरचनातमक (रोड़ा-पतzwjर आिद सश चनकर बनाए गए) zwjश तzwjािप zwjयह िवशवास करनश कश िलए पzwjयाथपत आधार मौजद ह िक सरचनातमक भवन उस समzwjय भी सिवखzwjयात zwjश जब zwjलकत भवनो को खोदा जा रहा zwjा आरिभक भवनो को आमतौर पर महदरवमथन परzwjम जोिक कनाथटक कश चालकzwjय राजा पलकश िzwjन िदतीzwjय का समकालीन zwjा कश zwjासन काल का माना जाता ह नरिसहवमथन परzwjम िजसश मामलल भी कहा जाता ह 640 ई कश आस-पास पललव राजगदी पर बठा zwjा उसकश बारश म zwjयह परिसर ह िक उसनश पलकश िzwjन िदतीzwjय को हराकर उसकश हाzwjो अपनश िपता को िमली हार का बदला िलzwjया और महाबलीपरम म अनशक भवनो कश िनमाथण का काzwjयथ परारभ िकzwjया सभवत इसीिलए महाबलीपरम को उसकश नाम का अनकरण करतश हए मामललपरम कहा गzwjया

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 17: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 84

महाबलीपरम का तटीzwjय मिदर बाद म सभवत नरिसहवमथन िदतीzwjय (700ndash728 ई) िजनह राजिसह भी कहा जाता ह कश दारा बनवाzwjया गzwjया इस मिदर का मह समदर की ओर करकश इसश पवाथिभमख बना िदzwjया गzwjया परत zwjयिद आप इसश गौर सश दशख तो पाएगश िक इस मिदर म वासतव म तीन दशवालzwjय ह िजनम सश दो िzwjव कश ह उनम सश एक पवाथिभमख और दसरा पिशचमािभमख ह और उन दोनो कश बीच अनतzwjzwjयनम रप म िवषण का मिदर ह zwjयह एक असामानzwjय बात ह कzwjयोिक मिदरो म आमतौर पर एक ही मखzwjय दशवालzwjय होता ह पजा कश तीन सzwjान नही होतश इससश zwjयह पता चलता ह िक मिदरो की मल zwjयोजना सभवत इस रप म नही zwjी और आगश चलकर परवतवी सरकको नश मल दशवालzwjय कश साzwj और दशवालzwjय जोड़ िदए मिदर कश अहातश म कई जलाzwjzwjय एक आरिभक गोपरम और कई अनzwjय परितमाए होनश का साकzwjय िमलता ह मिदर की दीवारो पर िzwjव कश वाहन ननदी बल की भी परितमाए ह तzwjा नीची दीवारो पर और भी कई आकितzwjया बनी हई ह लशिकन वश सिदzwjयो तक समदर कश नमकीन पानी की मार सहतश-सहतश काफी िबगड़ गई ह

तजावर का भवzwjय िzwjव मिदर िजसश राजराजशशवर zwjया बहदशशवर मिदर कहा जाता ह समसत भारतीzwjय मिदरो म सबसश बड़ा और ऊचा ह इसका िनमाथण काzwjयथ 1009 ई कश आस-पास राजराज चोल दारा परा कराzwjया गzwjया zwjा मिदर िनमाथण उस काल की एक िवzwjशष गितिविध zwjी जब 100 सश अिधक महतवपणथ मिदरो का िनमाथण हआ और चोल काल कश अनशक मिदर आज भी बशहतर अवसzwjा म पाए जातश ह और उनम सश कई मिदरो म आज भी पजा होती ह चाशल समाट दारा िनिमथत कराzwjया गzwjया बहदशशवर मिदर पवथवतवी पललव चालकzwjय और पाडzwjय राजाओ दारा बनाए गए िकसी भी मिदर सश आकार-परकार को दशखतश हए बड़ा ह इसका बहमिजला िवमान 70 मीटर (लगभग 230 फट) की गगन चबी ऊचाई तक खड़ा ह िजसकी चोटी पर एक एकाशम िzwjखर ह जो अषटभज गबद की zwjकल की सतिपका ह zwjयही वह मिदर ह जहा दzwjथक को पहली बार दो बड़श गोपर

तट मशिर महाबिदीपरम

निदी बहिशवर मशिर

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 18: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 85

दशखनश को िमलतश ह इन गोपरो पर अनशक परितमाए बनी ह िजनह बनानश की zwjयोजना मिदर िनमाथण कश मल काzwjयथरिम म ही zwjािमल zwjी नदी की िवzwjाल परितमाए िzwjखर कश कोनो पर लगी हई ह और चोटी पर बना कलzwj लगभग तीन मीटर और आठ सटीमीटर ऊचा ह सकड़ो आकितzwjया िवमान की zwjोभा बढ़ा रही ह हालािक zwjयह सभव ह िक zwjयश आकितzwjया मराठा काल म जोड़ी गई हो और मल रप सश सभी चोल काल की न हो मिदर कश परमख दशवता िzwjव ह जो एक अतzwjयत िवzwjाल िलग कश रप म एक दो मिजलश गभथगह म सzwjािपत ह गभथगह कश चारो ओर की दीवार पौरािणक आखzwjयानो सश ओत-परोत ह िजनह िचतरो कश माधzwjयम सश परसतत िकzwjया गzwjया ह

दककन की िरास तकलराकनाथटक जसश कई कशतरो म अनशक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश मिदरो का िनमाथण हआ िजनम उततर तzwjा दिकण भारतीzwjय दोनो रिमो का परzwjयोग हआ zwjा कछ िवदानो नश तो इस कशतर कश मिदरो को नागर एव दरिवड़ zwjली सश हट कर उनकी िमिशत zwjली माना ह zwjयह zwjली सातवी zwjताबदी कश उततरारथ म लोकिपरzwjय हई अौर िजसका उललशख कछ पराचीन गzwjो म वशसर कश नाम सश िकzwjया गzwjया ह

बहिशवर मशिर तजावर

पाच रथ महाबिदीपरम

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 19: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 86

सातवी zwjताबदी कश आिखरी और आठवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको म एलोरा की महतवाकाकी पररzwjयाशजना अिधक भवzwjय बन गइथ 750 ई कश आस-पास तक दककन कशतर पर आरिभक पिशचमी चालकzwjयो का िनzwjयतरण राषटरकटो दारा हिzwjzwjया िलzwjया गzwjया zwjा उनकी वासतकला की सबसश बड़ी उपलिबध zwjी एलोरा का कलाzwjनाzwj मिदर िजसश हम भारतीzwjय zwjलकत वासतकला की कम-सश-कम एक हजार वषथ पवथ की परमपरा की पराकाषठा कह सकतश ह zwjयह मिदर पणथतzwjया दरिवड़ zwjली म िनिमथत ह और इसकश साzwj नदी का दशवालzwjय भी बना ह चिक zwjयह मिदर भगवान िzwjव को समिपथत ह जो कलाzwjवासी ह इसिलए इसश कलाzwjनाzwj मिदर की सजा दी गई ह इस मिदर का परवशzwj दार गोपरम जसा ह इसम चारो ओर उपासना कक और िफ र सहाzwjयक दशवालzwjय बना ह िजसकी ऊचाई 30 मीटर ह महतवपणथ बात तो zwjयह ह िक zwjयह सब एक जीवत zwjलखड पर उकश रकर बनाzwjया गzwjया ह पहलश एक एकाशम पहाड़ी कश एक िहससश को धzwjयथपवथक उकश रा (काटा) गzwjया और इस सपणथ बहमिजली सरचना को पीछश छोड़ िदzwjया गzwjया एलोरा म राषटरकट कालीन वासतकला काफी गितzwjील िदखाई दशती ह आकितzwjया अकसर असल कद सश अिधक बड़ी ह जो अनपम भवzwjयता और अतzwjयिधक ऊजाथ सश ओत-परोत ह

दककन कश दिकणी भाग zwjयानी कनाथटक कश कशतर म वशसर वासतकला की सकर (िमली-जली) zwjिलzwjयो कश सवाथिधक परzwjयोग दशखनश को िमलतश ह पलकश िzwjन परzwjम नश zwjयहा सवथपरzwjम पिशचमी चालकzwjय राजzwjय सzwjािपत िकzwjया जब उसनश 543 ई म बादामी कश आस-पास कश इलाकश को अपनश कबजश म लश िलzwjया आरिभक पिशचमी चालकzwjय zwjासको नश अिधकाzwj दककन पर आठवी zwjताबदी कश मधzwjय भाग तक zwjासन िकzwjया जब तक िक राषटरकटो नश उनसश सतता नही छीन ली आरिभक चालकzwjयो नश पहलश zwjलकत गफाए बनाइ और िफ र उनहोनश सरचनातमक मिदर बनवाए zwjयह गफाओ म सबसश परानी गफा ह जो अपनी िविzwjषट मितथकलातमक zwjली कश िलए जानी जाती ह इस सzwjल पर पाई गइ सबसश

किािनाथ मशिर एिोरा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 20: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 87

महतवपणथ परितमाओ म सश एक नटराज की मितथ ह जो सपतमातकाओ कश असली आकार सश भी बड़ी परितमाओ सश िघरी ह इनम सश तीन परितमाए दािहनी ओर बनी ह zwjयश परितमाए लािलतzwjयपणथ ह इनकी zwjारीिरक सरचना पतली ह चशहरश लबश बनश ह और इनह छोटी धोितzwjया लपशटश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजनम सदर चननट बनी हई ह zwjयश िनिशचत रप सश समकालीन पिशचमी दककन zwjया वाकाटक zwjिलzwjयो सश िभनन ह जो महाराषटर म पौनार और रामटशक जसश सzwjानो पर दशखनश को िमलती ह

अनशक zwjिलzwjयो का सकरण और समावशzwjन चालकzwjय कालीन भवनो की िवzwjशषता zwjी चालकzwjय मिदरो का एक सववोततम उदाहरण पटडकल म िसzwjत िवरपाक मिदर ह zwjयह मिदर िवरिमािदतzwjय िदतीzwjय कश zwjासन काल (733ndash44 ई) म उसकी पटरानी लोका महादशवी दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा zwjयह मिदर परारिभक दरिवड़ परपरा का एक सववोततम उदाहरण ह zwjयहा िसzwjत एक अनzwjय महतवपणथ धािमथक सzwjल पापनाzwj मिदर ह जाशिक भगवान िzwjव को समिपथत ह zwjयह मिदर दरिवड़ zwjली कश पवथ काल का शशषठतम उदाहरण ह अनzwjय पववी चालकzwjय मिदरो की परमपरा कश िवपरीत बादामी सश मातर पाच िकलोमीटर की दरी पर िसzwjत महाकट मिदर तzwjा आलमपर िसzwjत सवगथ बरहम मिदर म राजसथzwjाान एव ओिडशाा की उारी

मशिर बािामदी

शवरपाक मशिर पटटडकि

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 21: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 88

zwjली की झलक दशखनश को िमलती ह इसी तरह ऐहोल (कनाथटक) का दगाथ मिदर इससश भी पवथ की गजपषठाकार बौर चतzwjयो कश समान zwjली म िनिमथत ह zwjयह मिदर बाद की zwjली म िनिमथत बरामदश सश िघरा हआ ह िजसका िzwjखर नागर zwjली म बना ह अत म ऐहोल कश लाडखान मिदर का िजरि करना भी जररी होगा ऐसा परतीत होता ह िक इसकश िनमाथण म पहाड़ी कशतरो कश लकड़ी कश छत वालश मिदरो सश िजनकश बारश म हम पहलश पढ़ चकश ह परशरणा िमली होगी दोनो कश बीच अतर कश वल इतना ही ह िक zwjयह मिदर पतzwjर का बना ह लकड़ी का नही

अब परशन zwjयह उठता ह िक िभनन-िभनन zwjिलzwjयो कश zwjयश मिदर एक सzwjान पर कसश बनश अzwjवा zwjयश िभनन-िभनन वासतzwjिलzwjया एक सzwjान पर कसश वzwjयवहार म आइ इसका कारण िजजासा zwjा zwjया कछ नzwjया करकश िदखानश की ललक िनसदशह zwjयश उन वासतकलािवदो की सजथनातमक आकाकाओ की गितzwjील अिभवzwjयिकतzwjया zwjी जो भारत कश अनzwjय भागो म काzwjयथरत अपनश साzwjी कलाकारो कश साzwj परितसपधाथ म सलगन zwjश हमारा सपषटीकरण भलश ही कछ भी हो मगर zwjयह िनिशचत ह िक zwjयश भवन कलाए इितहास कश ममथजो एव zwjोधकताथओ कश िलए अतzwjयत रोचक ह

चोलो और पाडzwjयो की zwjिकत कश अवसान कश साzwj कनाथटक कश होzwjयसलो नश दिकण भारत म परमखता परापत कर ली और वश वासतकला कश महतवपणथ सरकक बन गए उनकी सतता का क दर मसर zwjा दिकणी दककन म लगभग 100 मिदरो कश अवzwjशष िमलश ह िकत उनम सश तीन सबसश अिधक उललशखनीzwjय ह अzwjाथत बशलर हलशिबड और सोमनाzwjपर कश मिदर सभवत इन मिदरो की सबसश अिधक उललशखनीzwjय िवzwjशषता zwjयह ह िक वश अतzwjयत जिटल बनाए गए ह जबिक पहलश वालश मिदर सीधश वगाथकार होतश zwjश लशिकन इनम अनशक आगश बढ़श हए कोण होतश ह िजनसश इन मिदरो की zwjयोजना तारश जसी िदखाई दशनश लगती

सोमनाथपरम मशिर

िगाम मशिर ऐहोि

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 22: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 89

ह इसीिलए इस zwjयोजना को तारकीzwjय zwjयोजना कहा जाता ह चिक zwjयश मिदर सशलखड़ी (िघzwjया पतzwjर) सश बनश हए ह इसिलए कलाकार अपनी मितथzwjयो को बारीकी सश उकश र सकतश zwjश इस बारीकी को िवzwjशष रप सश उन दशवी-दशवताओ कश आभषणो कश अकन म दशखा जा सकता ह जो उन मिदरो पर सजश हए ह

कनाथटक म हलशिबड म िसzwjत होzwjयसलशशवर मिदर होzwjयसल नरशzwj दारा 1150 ई म गहरश रग कश परतदार पतzwjर (िzwjसट) सश बनाzwjया गzwjया zwjा होzwjयसल मिदर को सकर zwjया वशसर zwjली कश मिदर कहा जाता ह कzwjयोिक उनकी zwjली दरिवड़ और नागर दोनो zwjिलzwjयो सश लशकर बीच की zwjली ह zwjयश मिदर अनzwjय मधzwjयकालीन मिदरो सश तलना करनश पर अपनी मौिलक तारकीzwjय भ-zwjयोजना और अतzwjयत आलकाररक उतकीणथनो कश कारण आसानी सश जानश पहचानश जा सकतश ह

हलशिबड का मिदर lsquoनटराजrsquo कश रप म िzwjव को समिपथत ह zwjयह एक दोहरा भवन ह िजसम मडप कश िलए एक बड़ा कक ह जहा नतzwjय एव सगीत का काzwjयथरिम सिवधापवथक सपनन िकzwjया जा सकता ह परतzwjयशक भवन सश पहलश एक नदी मडप ह इस मिदर और उसकश िनकटवतवी बशलर मिदर का गमबद काफी पहलश िगर चका ह और मिदर पहलश कसा िदखता होगा इसका अनमान दारो कश दोनो ओर िसzwjत छोटश-छोटश परितरपो सश ही लगाzwjया जा सकता ह क दरीzwjय वगाथकार zwjयोजना सश जो कोणीzwjय परकशप आगश िनकलश हए ह वश तारश जसा परभाव

नटराज हिशबड

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 23: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 90

नाििा शवशवशवदािय

उतपनन करतश ह और उन पर पzwjओ तzwjा दशवी-दशवताओ की अनशकानशक आकितzwjया उकश री हई ह इन आकितzwjयो का उतकीणथन अतzwjयत जिटल एव बारीक ह उदाहरण कश िलए इसम सबसश नीचश की िचतर वललरी म महावतो कश साzwj सकड़ो हािzwjzwjयो का जलस िदखाzwjया गzwjया ह इन हािzwjzwjयो म सश कोई भी दो हाzwjी एक जसी मदरा म नही ह

सन 1336 म सzwjािपत िवजzwjयनगर नश इटली कश िनकोलो िडकाटी पतथगाल कश डोिमगो पशइस फनाथओ नzwjयिमzwj तzwjा दआतत बाबवोसा और अफगान अबद अल-रजजाक जसश अतराथषटरीzwjय zwjयाितरzwjयो को अाकिषथत िकzwjया िजनहोनश इस नगर का िवसतत िववरण िदzwjया ह इनकश अलावा अनशक ससकत तzwjा तशलग कितzwjयो म भी इस राजzwjय की गजाzwjयमान सािहितzwjयक परपरा का उललशख िमलता ह वासतकला की दिषट सश िवजzwjयनगर म सिदzwjयो परानी दरिवड़ वासत zwjिलzwjयो और पड़ोसी सलतनतो दारा परसतत इसलािमक परभावो का सिलिषट रप िमलता ह इनकी मितथकला जो मल रप सश चोल आदzwjमो सश िनकली zwjी और जब उनही आदzwjमो की सzwjापना कश िलए परzwjयतनzwjील zwjी उसम भी िवदशिzwjzwjयो की उपिसzwjित की झलक िदखाई दशती ह उनकश पदरहवी zwjताबदी कश अितम दzwjको और सोलहवी zwjताबदी कश आरिभक दzwjको कश बीच कश सकलनवादी (िमिशत) भगनावzwjशषो म जो उस समzwjय का इितहास सरिकत ह उससश पता चलता ह िक िवजzwjयनगर का वह zwjयग धन-धानzwjय सपननता एव ससकित कश सिममशण का समzwjय zwjा

बौदध और जन िरास तकलरा की पगिअब तक zwjयदिप हमनश पाचवी सश चौदहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान िहद वासतकला म हई परगित एव पररवतथनो पर ही अपना धzwjयान क िदरत िकzwjया zwjा पर zwjयह भी धzwjयान दशनश zwjयोगzwjय बात

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 24: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 91

ह िक इस काल म बौर और जन वासतकला भी िहद वासतकला सश पीछश नही रही बिलक कदम सश कदम िमलाकर साzwj-साzwj परगित करती रही एलोरा जसश सzwjलो म भी बौर िहनद और जन समारक साzwj-साzwj पाए जातश ह जसश िक बादामी खजराहो कननौज आिद म िकनही दो धममो कश अवzwjशष एक-दसरश कश आस-पास पाए जातश ह

जब छठी zwjताबदी म गपत सामाजzwjय का पतन हो गzwjया तो िबहार और बगाल का पववी कशतर िजसश ऐितहािसक रप सश मगध कहा जाता zwjा एक साzwj जड़कर एक हो गzwjया और पिशचम म अनशक छोट-छोटश राजपत राजzwjय उभर आए आठवी zwjताबदी म पाल zwjासको नश इस पववी कशतर म zwjिकत परापत कर ली िदतीzwjय पाल zwjासक धमथपाल अतzwjयत zwjिकतzwjाली बन गzwjया और उसनश zwjिकतzwjाली राजपत परितहारो को परासत करकश अपना सामाजzwjय सzwjािपत कर िलzwjया धमथपाल नश अपनश सदढ़ सामाजzwjय को गगा नदी कश उपजाऊ मदान म किष और अतराथषटरीzwjय वzwjयापार कश सहारश समर बना िलzwjया

बोधगzwjया िनिशचत रप सश एक अतzwjयत परिसर बौर सzwjल ह इस तीzwjथ सzwjल की पजा तभी सश की जाती रही ह जब िसराzwjथ को जान zwjयानी बरतव परापत हो गzwjया zwjा और वश गौतम बर बन गए zwjश zwjयहा कश बोधवक का तो महतव ह ही कzwjयोिक िसराzwjथ नश इसी की छाzwjया म बरतव परापत िकzwjया zwjा लशिकन बोधगzwjया का महाबोिध मिदर उस समzwjय इटो सश बनाए जानश वालश महतवपणथ भवनो की zwjयाद िदलाता ह ऐसा कहा जाता ह िक बोिधवक कश नीचश सवथपरzwjम जो दशवालzwjय बना zwjा उसका िनमाथता समाट अzwjोक zwjा उस दशवालzwjय कश चारो ओर जो वशिदका बनी हई ह वह मौzwjयथ काल कश बाद लगभग 100 ईप म बनाई गई zwjी मिदर कश भीतर बहत सश आलो-िदवालो म जो परितमाए सzwjािपत ह वश पाल राजाओ कश zwjासनकाल म आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी लशिकन वासतिवक महाबोिध मिदर िजस अवसzwjा म आज खड़ा ह वह अिधकतर औपिनवशिzwjक काल म अपनश सातवी zwjताबदी कश परानश रप म बनाzwjया गzwjया zwjा मिदर का रपाकन असामानzwjय िकसम का ह न तो इसश परी तरह दरिवड़ और न ही नागर zwjली का मिदर कहा जा सकता ह zwjयह नागर मिदर की तरह सकरा ह लशिकन दरिवड़ मिदर की तरह िबना मोड़ सीधश ऊपर की ओर उठा हआ ह

नालदा का मठीzwjय िवशविवदालzwjय एक महािवहार ह कzwjयोिक zwjयह िविभनन आकारो कश अनशक मठो का सकल ह आज तक इस पराचीन िzwjका क दर का एक छोटा िहससा ही खोदा गzwjया ह कzwjयोिक इसका अिधकाzwj भाग समकालीन सभzwjयता कश नीचश दबा हआ ह इसिलए zwjयहा आगश खदाई करना लगभग असभव ह

नालदा कश बारश म अिधकाzwj जानकारी चीनी zwjयातरी शनसाग कश अिभलशखो पर आधाररत ह इनम कहा गzwjया ह िक एक मठ की नीव कमार गपत परzwjम दारा पाचवी zwjताबदी म डाली गई zwjी और zwjयह िनमाथण काzwjयथ परवतवी समाटो कश zwjासन काल म भी चलता रहा िजनहोनश इस िवलकण िवशविवदालzwjय का काzwjयथ सपनन िकzwjया इस बात कश परमाणसाकzwjय िमलतश ह

महाबोशि मशिर बोिगया

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 25: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 92

िक बौर धमथ कश सभी तीन सपरदाzwjयोmdashzwjशरवाद महाzwjयान और वजरzwjयानmdashकश िसरात zwjयहा पढ़ाए जातश zwjश और उततर चीन ितबबत और मधzwjय एिzwjzwjया तzwjा दिकण पवथ एिzwjzwjया म भी शीलका zwjाईलड बमाथ और अनशक अनzwjय दशzwjो कश बौर िभक बौर धमथ की िzwjका परापत करनश कश िलए नालदा और इसकश आस-पास िसzwjत बोधगzwjया तzwjा किकथ हार आिद क दरो म आतश zwjश िभक और तीzwjथzwjयातरी वापस अपनश दशzwj जातश समzwjय अपनश साzwj छोटी-छोटी परितमाए और सिचतर पाडिलिपzwjया लश जातश zwjश इस परकार नालदा जसश बौर मठ कला उतपादन कश िवzwjाल क दर बन गए zwjश िजनका परभाव एिzwjzwjया कश अनzwjय सभी बौर धमाथवलबी दशzwjो की कलाओ पर भी पzwjयाथपत मातरा म पड़ा zwjा

नालदा की गचकारी पतzwjर तzwjा कासzwjय मितथ बनानश की कला सारनाzwj की गपतकालीन बौर कला सश िवकिसत हई और उसी पर परी तरह िनभथर रही नौवी zwjताबदी तक आतश-आतश सारनाzwj की गपत zwjली और िबहार की सzwjानीzwjय परपरा तzwjा मधzwjय भारत की परपरा कश सगम (सशलशषण) सश एक नई zwjली का अिवभाथव हआ िजसश मितथकला की नालदा zwjली कहा जा सकता ह इस नई zwjली म मखाकितक िवzwjशषताए अग-परतzwjयग हाव-भाव वसतरो एव आभषणो का पहनावा आिद सब अलग िकसम कश zwjश नालदा की कला अपनी कारीगरी कश उचच सतर कश िलए सदा जानी-मानी जाती ह इसकी अनशक िवzwjशषताए ह जसशmdashपरितमाओ को सोच-समझकर अतzwjयत वzwjयविसzwjत रप म गढ़ा गzwjया ह उनम कही भीड़-भाड़ नही िदखाई दशती परितमाए आमतौर पर उभार म समतल-सपाट नही ह लशिकन ितरआzwjयामी रपो म बनाई गई ह परितमाओ कश पीछश की पिटzwjया िवसतत होती ह और अलकार सकोमल एव बारीक होतश ह नालदा की कासzwjय मितथzwjयो का काल सातवी और आठवी zwjताबदी सश लगभग बारहवी zwjताबदी तक का ह इनकी सखzwjया पववी भारत कश अनzwjय सभी सzwjलो सश परापत कासzwjय परितमाओ की सखzwjया सश अिधक ह और zwjयश पाल राजाओ कश zwjासन काल म बनी धात की परितमाओ का काफी बड़ा भाग ह

नाििा की खिाई

मशतमकिा की बारदीशकया नाििा

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 26: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 93

पतzwjर की मितथzwjयो की तरह zwjयश कासzwjय परितमाए भी परारभ म सारनाzwj और मzwjरा की गपत परपराओ पर अतzwjयिधक िनभथर zwjी नालदा की परितमाए परारभ सश महाzwjयान सपरदाzwjय कश बौर दशवी दशवताओ का परितरपण करती zwjी जसश िक खड़श बर बोिधसतव जसश िक मजशी कमार कमलासनसzwj अवलोिकतशशवर और नाग-नागाजथन गzwjयारहवी तzwjा बारहवी zwjतािबदzwjयो कश दौरान जब नालदा एक महतवपणथ ताितरक क दर कश रप म उभर आzwjया तब इन मितथzwjयो म वजरzwjयान सपरदाzwjय कश दशवी-दशवताओ जसशmdashवजरzwjारदा (सरसवती का ही एक रप) खसपथण अवलोिकतशशवर आिद का बोलबाला हो गzwjया बर की मकटधारी परितमाओ का परितरपण बारहवी zwjताबदी कश बाद ही zwjर हआ एक रोचक तथzwjzwjय zwjयह भी ह िक अनशक बराहमिणक परितमाए जो सारनाzwj zwjली कश अनरप नही zwjी वश भी नालदा सश िमली ह उनम सश अनशक परितमाए सzwjल कश आस-पास िसzwjत गावो कश छोटश-छोटश मिदरो म आज भी पजी जाती ह

छततीसगढ़ म िसzwjत सीरपर आरिभक पराचीन ओिडzwjी zwjली (550ndash800 ई) का सzwjल zwjा जहा िहद तzwjा बौर दोनो परकार कश दशवालzwjय zwjश zwjयहा पाई जानश वाली बौर परितमाओ कश मितथzwjासतरीzwjय और zwjलीगत ततव अनशक रपो म नालदा की परितमाओ जसश ही ह कालातर म ओिडzwjा म अनzwjय बड़श-बड़श बौर मठ िवकिसत हो गए लिलतिगरर वजरिगरर और रतनािगरर कश मठ उनम सबसश अिधक परिसर ह

नागपटनम (तिमलनाड) का पटननगर भी चोल काल तक बौर धमथ और कला का एक परमख क दर बना रहा इसका एक कारण zwjयह भी हो सकता ह िक zwjयह पटनम शीलका कश साzwj वzwjयापार करनश की दिषट सश महतवपणथ zwjा जहा आज भी बड़ी सखzwjया म बौर धमाथनzwjयाzwjयी रहतश ह चोल zwjली की कासzwjय और पतzwjर की परितमाए नागपटनम म पाई गइ ह

जिनzwjयो नश भी िहदओ की तरह अपनश बड़श-बड़श मिदर बनवाए और अनशक मिदर और तीzwjथ पहाड़ी कशतरो को छोड़कर समसत भारत म सzwjान-सzwjान पर पाए जातश ह जो आरिभक बौर

िकमण मशिर सदीरपर

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 27: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 94

पजा सzwjलो कश रप म परिसर ह दककन म वासतकला की दिषट सश सवाथिधक महतवपणथ सzwjल एलोरा और ऐहोल म दशखश जा सकतश ह मधzwjय भारत म दशवगढ़ खजराहो चदशरी और गवािलzwjयर म जन मिदरो कश कछ उतकषट उदाहरण पाए जातश ह कनाथटक म जन मिदरो की समर धरोहर सरिकत ह िजनम गोमटशशवर म भगवान बाहबली की गशनाइट पतzwjर की मितथ िवzwjशष रप सश उललशखनीzwjय ह शवण बशलगोला िसzwjत zwjयह िवzwjाल परितमा 18 मीटर zwjयानी 57 फट ऊची ह और िवशवभर म एक पतzwjर सश बनी िबना िकसी सहारश कश खड़ी सबसश लबी मितथ ह इसश मसर कश गग राजाओ कश सशनापित एव परधानमतरी चामणडाराzwjय दारा बनवाzwjया गzwjया zwjा

राजसzwjान म माउट आब पर िसzwjत जन मिदर िवमल zwjाह दारा बनाए गए zwjश इनका बाहरी िहससा बहत सादा ह जबिक भीतरी भाग बिढ़zwjया सगमरमर तzwjा भारी मितथकलातमक साज-सजजा सश अलकत ह जहा गहरी कटाई बशलबटो जसी परतीत होती ह मिदर की परिसिर का कारण zwjयह ह िक इसकी हर भीतरी छत पर बशजोड़ नमनश बनश हए ह और इसकी गबद वाली छतो कश साzwj-साzwj सदर आकितzwjया बनी ह कािठzwjयावाड़ (गजरात) म पािलताना

बाहबिदी गोमटशवर कनामटक

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 28: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 95

कश िनकट zwjतरजzwjय की पहािड़zwjयो म एक िवzwjाल जन तीzwjथसzwjल ह जहा एक साzwj जड़श हए बीिसzwjयो मिदर दzwjथनीzwjय ह

इस अधzwjयाzwjय म हमनश ईसा की पाचवी सश छठी zwjताबदी तक कश मितथकला और वासतकला कश अवzwjशषो कश बारश म पढ़ा जो िभनन-िभनन िकसम कश पतzwjर िमटी और कासzwjय सश बनाए गए zwjश िनससदशह चादी और सोनश जसश अनzwjय माधzwjयमो सश भी परितमाए बनाई गइ होगी लशिकन उनह िपघलाकर और कामो म लश िलzwjया गzwjया होगा अनशक मितथzwjया लकड़ी और हाzwjी दात सश भी बनाई गई होगी लशिकन वश अपनी भगरता कश कारण नषट हो गइ होगी परितमाओ को अकसर रगा भी जाता होगा मगर उनकश रग भी जलवाzwjयिवक ततवो की मार कश कारण सकड़ो सालो तक अकणण नही रह सकतश इस काल म िचतरकला की भी समर परपरा रही zwjी मगर उस समzwjय कश बचश हए कछ ही उदाहरण कछ धािमथक भवनो म िभिततzwjयो कश रप म बचश ह दशzwj म कासzwjय मितथzwjया बड़ी सखzwjया म पाई गई ह िजनकश बारश म अगलश अधzwjयाzwjय म चचाथ की जाएगी

मधzwjयकालीन भारत कश िविभनन कशतरो म िसzwjत परमख कला zwjिलzwjयो एव कछ परिसर समारको का zwjयहा वणथन िकzwjया गzwjया ह इस बात का जान आवशzwjयक ह िक हमनश िजन असाधारण कलातमक उपलिबधzwjयो का वणथन िकzwjया ह उनह वzwjयिकतगत रप सश कलाकारो दारा िकzwjया जाना सभव नही zwjा इन महती पररzwjयोजनाओ म सzwjापितzwjयो भवन िनमाथताओ मितथकारो और िचतरकारो नश िमलकर काzwjयथ िकzwjया होगा खासकर इन कलाकितzwjयो कश अधzwjयzwjयन सश हम ततकालीन समाज िजसम इनका िनमाथण हआ उसकश बारश म भली-भाित जाननश का अवसर परापत होता ह इससश zwjयह िनषकषथ िनकलता ह िक उस समzwjय कश भवन िकस परकार कश होतश zwjश उनकी वशzwj-भषाा कzwjया zwjीऔर अनततः उनकी कला हम लोगो कश धािमथक इितहास कश परित जागरक करती ह zwjयश धमथ अनशक zwjश िजनका सवरप समzwjय कश साzwj-साzwj बदलता गzwjया िहनद बौर और जन धमथ म अनशको दशवी-दशवता ह और भिकत एव ततर सश अभीभत इस काल का परभाव इन पर िदखाई दशता ह मिदर भी सगीत एव नतzwjय

जन मशतम माउट आब

शििवाड़ा मशिर माउट आब

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 29: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

महराब

लीप

तरम

भारतीzwjय कला का पररचzwjय96

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 30: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

महाब

लीप

रम प

ललव

काल

का ए

क म

हतवप

णथ पट

ननगर

ह ज

हा अ

नशको zwj

लक

त एव

सवततर

खड़श

मिदर

ो का ि

नमाथण

सात

वी-आ

ठवी zwj

ताबद

ी म ह

आ म

हाबल

ीपरम

का zwjय

ह िव

zwjाल

परित

मा फ

लक

(प

नल) ि

जसक

ी ऊचा

ई 15

मीट

र एव

लबा

ई 30

मीट

र ह ि

वशव

म इस

परक

ार क

ा सबस

श बड़ा

और

पराची

नतम

पनल

ह इ

सम च

टटान

ो कश म

धzwjय ए

क पर

ाकित

क द

रार ह

िजसक

ा उपzwjय

ोग िzwj

िलपzwjय

ो दारा

इत

नी स

दरता

सश िक

zwjया ग

zwjया ह

िक इ

स दर

ार सश

बहक

र पान

ी नीच

श बनश

कणड

म ए

कितर

त हो

ता ह

िव

zwjशषज

ो नश इस

श िभनन

तरीक

श सश व

िणथत

िकzwjया

ह क

छ क

ा मान

ना ह

िक zwjय

ह ग ग

ावतर

ण क

ा परक

रण

ह अ

ौर क

छ इस

श िकरात

ाजथनी

zwjयम क

ी कzwjा

सश ज

ोड़तश

ह औ

र कछ

अज थन

की त

पसzwjया

सश ि

करात

ाजथनी

zwjयम

पलल

व क

ाल म

किव

भारि

व क

ी लोक

िपरzwjय

रचना

zwjी

अनzwjय

िवदा

नो क

श अनस

ार zwjय

ह पन

ल ए

क प

ललव

राजा क

ी परzwj

िसत

ह जो

कणड

कश म

धzwjय प

नल क

ी अनठ

ी पषठ

भिम

म बठ

ता ह

ोगा

ररलीफ

पनल

म ए

क म

िदर क

ो महत

वपणथ

सzwjान

िदzwjया

गzwjया

ह िज

सकश स

ामनश

तपसव

ी और श

राल

बठ

श ह इ

सकश ऊ

पर ए

क ट

ाग प

र खड़श

zwjयोगी

का ि

चतरण

ह िज

सकश ह

ाzwj िस

र कश ऊ

पर उ

ठश हए

ह िज

सश क

छ ल

ोग भ

गीरzwj

एव

कछ

अज थन

मान

तश ह

अज थन

नश िzwj

व सश

पाzwj

पत अ

सतर प

ानश क

श िल

ए तप

सzwjया क

ी zwjी

जबिक

भगी

रzwj न

श गगा

को प

थzwjवी प

र अवत

ररत क

रनश क

श िलए

इसकश

बगल

म व

रद म

दरा म

िzwjव

को ख

ड़ा

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

इस

हाzwj

कश न

ीचश ख

ड़ा छ

ाशटा स

ा गण

zwj िक

तzwjाल

ी पाzwj

पत अ

सतर क

ा मान

वीक

रण ह

सभ

ी िचि

तरत आ

कित

zwjयो क

ो कमन

ीzwjय औ

र सजी

व गि

तमान

िदख

ाzwjया ग

zwjया ह

वzwjयि

कतzwjयो

कश अ

ितररक

त उड़

तश हए

गधव

मो पzwj

ओ औ

र पिक

zwjयो क

ी भी आ

कित

zwjया ब

नी ह

िजनम

िवzwj

शष उल

लशख

नीzwjय

ह एक

सज

ीव औ

र सघड़

हाzwj

ी और म

िदर क

श नीच

श बना

िहरण

का ज

ोड़ा

इनम

सबसश

हासzwjय

ासपद

िचतरण

एक

िब

लली क

ा ह ज

ो भगी

रzwj अ

zwjवा अ

ज थन क

ी नक

ल क

रतश ह

ए अ

पनश प

ीछश क

श पजो

पर ख

ड़ी ह

ोकर आ

गश कश

पजो

को ह

वा म

उठा

ए हए

ह ध

zwjयान

सश दशख

नश पर

पता

चल

ता ह

िक zwjय

ह िब

लली

चहो स

श िघरी

हई ह

जो

उसक

ी साध

ना भ

ग नह

ी कर प

ा रहश

ह स

भवत

zwjयह

कल

ाकार

दारा

भगीरzwj

अzwjव

ा अज थन

कश क

ठोर

तप क

ा साक

शितक

िचतरण

ह ज

ो अपन

श आस-

पास

की ि

सzwjित

सश िव

चिल

त हए

िबना

िसzwjर

खड़ी

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 97

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 31: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 98

कलाश परवत को हिलात िए रारण

भारतीय कला का पररचय98

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 32: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

मदिर सथापतय और मद तिकलथा 99

कलाzwj पवथत को िहलातश हए रावण को एलोरा की गफा म कई बार िचितरत िकzwjया गzwjया ह इनम सबसश उललशखनीzwjय आकित एलोरा की गफा सखzwjया-16 कश कलाzwjनाzwj मिदर की बाइ दीवार पर परसतत की गई ह zwjयह आकित आठवी zwjताबदी म बनाई गई zwjी zwjयह एक िवzwjाल परितमा ह िजसश भारतीzwjय मितथकला म एक परितमान कश रप म माना गzwjया ह इसम रावण को कलाzwj पवथत िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह िजस पर िzwjव और पावथती लोगो कश साzwj िवराजमान ह इसकश िचतर सzwjयोजन को कई भागो म िचितरत िकzwjया गzwjया ह इसकश िनचलश भाग म रावण को अपनश अनशक हाzwjो सश कलाzwj पवथत को आसानी सश िहलातश हए िदखाzwjया गzwjया ह बहत सश हाzwjो को गहराईपवथक उकश रनश सश वश ितर-आzwjयामी परभाव उतपनन करतश ह रावण का zwjरीर कोणातमक िदखाzwjया गzwjया ह और वह अपनी एक टाग भीतर की ओर धकश ल रहा ह उसकश हाzwj रावण की आकित दारा िनिमथत भीतरी कक म बाहर की ओर फलश हए िदखाए गए ह ऊपर का आधा िहससा तीन शशिणzwjयो म िवभािजत ह मधzwjय भाग म िzwjव और पावथती की आकित बनी हई ह कलाzwj पवथत की कपकपी सश डरकर पावथती zwjकर सश सटी हई िदखाई गइ ह खाली जगह म पावथती की फली हई टागो और मड़ा हआ zwjरीर छाzwjया परकाzwj का अतzwjयत नाटकीzwjय परभाव परसतत करतश ह िzwjव की परितमा तो िवzwjाल ह ही उनकश गणो की आकितzwjया भी काफी बड़ी-बड़ी ह गणो की आकितzwjयो को सिरिzwjय िदखाzwjया गzwjया ह और वश अपनी गितिविधzwjयो म सलगन ह िzwjव और पावथती सश ऊपर सवगथ की अपसराए आिद जो इस दशzwjय को दशख रही ह उनह सतिभत मदरा म िदखाzwjया गzwjया ह आzwjयतन का बाहर तक िनकला होना और खाली सzwjान होना एलोरा गफा की परितमाओ की खास िवzwjशषता ह परश घशरश म आकितzwjयो को बनाकर परकाzwj और अधकार का उपzwjयोग िकzwjया गzwjया ह आकितzwjयो का धड़ भाग पतला ह और उनकी सतह को भारी िदखाzwjया गzwjया ह भजाए परश घशरश म पतली ह दोनो ओर की सहाzwjयक आकितzwjयो का मोहरा कोणीzwjय ह सपणथ रचना (सzwjयोजन) की सभी आकितzwjया सदर ह और आपस म एक-दसरश सश गzwjी हई सी परतीत होती ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 99

बाहरदी िदीवारो पर खिदी आकशतया किािनाथ मशिर एिोरा

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 33: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

लकम

ण म

िदर

खज

तरराहो

भारतीzwjय कला का पररचzwjय100

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 34: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

खजर

ाहो क

श मिद

र चदशल

राजव

zwj क

श सरक

ण म

बनाए

गए

zwjश व

हा क

ा लकम

ण मि

दर च

दशलो क

श समzwjय

ी मिद

र वास

तकल

ा की प

णथ िव

किस

त zwj

ली क

ा उदा

हरण

परसतत

करत

ा ह म

िदर क

श आधा

र-तल

पर

पाए

गए

िzwjल

ालशख

कश अ

नसार

इसक

ा िनम

ाथण क

ाzwjयथ 9

54 ई

तक

परा

हो ग

zwjया zwj

ा और च

दशल

व zwj क

ा सात

वा रा

जा zwjय

zwjोव

मथन उ

सका ि

नमाथत

ा zwjा

मिदर

की zwjय

ोजना

पचा

zwjयतन

िकसम

की ह

zwjयह

एक भ

ारी प

ीठ प

र बना

हआ

ह इ

सम ए

क अ

धथमडप

एक

मडप

एक

महा

मडप

और ि

वमान

सिह

त गभ

थगह ह

हर ि

हससश

की अ

पनी ए

क अ

लग

छत ह

जो प

ीछश क

ी ओर उ

ठी ह

ई ह

सभी

बड़श

कक

ो म

उनक

ी दीव

ारो प

र आगश

िनक

लश ह

ए छज

जश ह

लशिक

न दzwj

थक उ

न तक

नही

पह च

सक

तश व

श मखzwjय

रप

सश वा

zwjय तzwj

ा परक

ाzwj क

श आवा

गमन

कश िल

ए ही

बना

ए गए

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र और पर

दिक

णापzwj

(प

रररिमा

पzwj)

की ब

ाहरी

और भ

ीतरी

दीवा

र परित

माओ

सश स

जी ह

ई ह ग

भथगह

पर ब

ना िzwj

खर ब

हत

ऊचा

ह zwjय

ह दशख

ना िद

लचस

प ह

िक ग

भथगह

कश च

ारो ओ

र एक

परदि

कणा

पzwj

रखा ग

zwjया ह

जो ब

ाहरी

दीवा

रो सश

ढका ह

और zwjय

श बाह

री दी

वार अ

नशक द

शवी-द

शवताओ

की पर

ितमा

ओ त

zwjा क

ामोद

ीप आ

कित

zwjयो

सश सस

िजजत

ह ग

भथगह

की ब

ाहरी

दीवा

र भी ऐ

सी ह

ी आक

ितzwjयो

सश स

जी ह

ई ह

खजर

ाहो क

श मिद

र अ

पनी क

ामक

परित

माओ

कश ि

लए

परिसर

ह प

ीठ क

ी दीव

ार पर

भी अ

नशक क

ामक

परित

माए

उतक

ीणथ

ह म

िदर

की अ

सली द

ीवार

पर ब

हत क

म क

ामक

परित

माए

बनाई

गई

ह ल

शिकन

अिध

काzwj

ऐसी

परि

तमाए

कसवी

पर ब

नी ह

ई ह

दीव

ार क

छ इस

परक

ार बन

ाई ग

ई ह

िक उ

नम पर

ितमा

ए रख

नश कश

िलए

खास

सzwjान

की व

zwjयवसzwj

ा हो

भीतर

ी कक

भी अ

तzwjयत

ससिज

जत ह

गभथग

ह क

ा परवशzwj

दार

भारी

भरक

म सत

भो औ

र सरद

लो स

श बना

zwjया ग

zwjया ह

िजन

पर द

रवाज

ो की स

जावट

कश ि

लए

छोटी

-छोट

ी आक

ितzwjया

उक

शरी ह

ई ह म

िदर क

श चारो

कोन

ो पर द

शवाल

zwjय बन

श हए

ह िज

नम त

ीन द

शवाल

zwjयो म

िवषण

की औ

र एक

सzwjयथ क

ी परित

मा ह

िजसश

दशवाल

zwjय क

ी छत

पर ब

नी क

दरीzwjय

परित

मा स

श पहच

ाना ज

ा सक

ता ह

इनम

वस

तर-सज

जा ए

व आ

भषणो

पर अ

तzwjयिध

क धzwjय

ान िद

zwjया ग

zwjया ह

मिदर सzwjापतzwjय और मितथकला 101

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द

Page 35: भारत में मंिदर स् ापत्य का फैलावupsc11.com/wp-content/uploads/2018/12/khfa106.pdf · ि्की बनी होती हैं,

भारतीय कला का पररचय 102

अभयरास1 अधzwjयाzwjय म बताए गए सzwjानो को मानिचतर म िचिनहत कर

2 उततर भारतीzwjय और दिकण भारतीzwjय मिदरो की परमख िवzwjशषताओ zwjया लकणो का वणथन कर

3 दिकण भारत म मिदर सzwjापतzwjयवासतकला और मितथकला कश िवकास कश बारश म िलख

4 भारत म परचिलत िभनन-िभनन मिदर zwjिलzwjयो की तलना कर

5 बौर कला कश िवकास को सपषट कर

कलाओ कश मखzwjय कश नदर बन गए और दसवी zwjताबदी कश बाद सश मिदर िवzwjाल भिम कश मािलक हो गए कzwjयोिक राजाअो नश उनह भिम दान म दी और उनकश रख-रखाव म उनकी परzwjासिनक भिमका zwjी

पररयोजनरा करायतिअपनश नगर कश भीतर zwjया आस-पास िकसी मिदर zwjया मठ का पता लगाए और इसकी महतवपणथ िवzwjशषताओ जसशmdashिभनन-िभनन वासतकलातमक लकण मितथकलातमक zwjली परितमाओ की पहचान राजवzwj सश सबध और सरकण कश बारश म िलख zwjयह बताए िक आप िजस मिदर zwjया मठ का अधzwjयzwjयन कर रहश ह कzwjया वह राजzwjय zwjया क दरीzwjय सरकार दारा सरिकत ह उस समारक की रका कश िलए zwjया उसकश बारश म जागरकता उतपनन करनश कश िलए अपनश महतवपणथ सझाव द