संन्धि
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संनि्ध सामानय् संिध िनयम जैसे िक पहले बताया गया है, संसक्तृ में वय्ंजन और सव्र के योग से ही अकष्र बनते हैं । संिध के िवश◌ेष िनयम हम आगे देखेंगे, पर उसका सामानय् िनयम यह है िक संसक्तृ में वय्ंजन और सव्र आमने सामने आते ही वे जडु जाते हैं; पषुप्म ्आनयित = पषुप्मानयित
श◌ीघर्म ्आगचछ्ित = श◌ीघर्मागचछ्ित तव्म ्अिप = तव्मिप संसक्तृ में संिध के इतने वय्ापक िनयम हैं िक सारा का सारा वाकय् संिध करके एक शबद् सव्रपु में िलखा जा सकता है; देिखए - ततसत्मपुकारकमाचारय्मालोकय्ेश◌व्रभावनायाह । अरथ्ात ्– ततः तम ्उपकारकम ्आचारय्म ्आलोकय् ईश◌व्र-भावनया आह । इसके सारे िनयम बताना यहाँ अनपेकि्षत होगा, परंत,ु सामानय्तः संिध तीन तरह की होती है; सव्र संिध, िवसरग् संिध, और वय्ंजन संिध । िवसरग् संिध के सामानय् िनयम हम “िवसरग्” पर्करण में देख चकूे हैं । सव्र और वय्ंजन संिध की सामानय् जानकारी व उदाहरण नीचे दीये जा रहे हैं । सजातीय सव्र आमने सामने आने पर, वह दीरघ् सव्र बन जाता है; जैसे, अ / आ + अ / आ = आ अतर् + असि्त = अतर्ासि्त भवय्ा + आकिृतः = भवय्ाकिृतः कदा + अिप = कदािप इ / ई + इ / ई = ई देवी + ईकष्ते = देवीकष्ते िपबािम + इित = िपबामीित गौरी + इदम ्= गौरीदम ् उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ साध ु+ उकत्म = साधकूत्म ्बाह ु+ ऊरध्व् = बाहरूध्व् ऋ / ऋ + ऋ / ऋ = ऋ िपत ृ+ ऋणम ्= िपतणृम ्मात ृ+ ऋणी = मातणृी जब िवजातीय सव्र एक मेक के सामने आते हैं, तब िनमन् पर्कार संिध होती है । अ / आ + इ / ई = ए अ / आ + उ / ऊ = ओ अ / आ + ए / ऐ = ऐ अ / आ + औ / अ = औ अ / आ + ऋ / ऋ = अर ् उदाहरण उदय्मेन + इचछ्ित = उदय्मेनेचछ्ित तव + उतक्रष्ः = तवोतक्रष्ः मम + एव = ममैव करण्सय् + औदारय्म ्= करण्सय्ौदारय्म ्
राजा + ऋिषः = राजरि्षः परंत,ु ये िह सव्र यिद आगे-पीछे हो जाय, तो इनकी संिध अलग पर्कार से होती है; इ / ई + अ / आ = य / या उ / ऊ + अ / आ = व / वा ऋ / ऋ + अ / आ = र / रा उदाहरण अवनी + असम = अवनय्सम आिद + आपदा = आदय्ापदा भवत ु+ असरुः = भवतव्सरुः उपिवशत ु+ आरय्ः = उपिवशतव्ारय्ः िपत ृ+ आजञ्ा = िपतर्ाजञ्ा मात ृ+ इचछ्ा = माति्रचछ्ा उपर िदये हएु “य” और “व” की जगह, “अय”्, “आय”्, “अव”् या “आव”् एसी संिध भी होती है, जैसे; ए + अनय् सव्र = अय ्ऐ + अनय् सव्र = आय ्ओ + अनय् सव्र = अव ्औ + अनय् सव्र = आव ् उदाहरण मनय्ते + आतम्ानम ्= मनय्तयातम्ानम ्तसम्ै + अदरश्यत ्= तसम्ायदरश्यत ्पर्भो + एिह = पर्भवेिह रातर्ौ + एव = रातर्ावेव परंत,ु “ए” या “ओ” के सामने “अ” आये, तो “अ” लपुत् होता है, और उसकी जगह पर “ऽ“ (अवगर्ह िचहन्) पर्यकुत् होता है । वने + असि्मन ्= वनेऽसि्मन ्गरुो + अहम ्= गरुोऽहम ् वय्ंजन संिध वय्ंजन संिध के काफी िनयम हैं, पर िनयमों के जरीये इनह्ें सीखना याने इनह्ें अतय्िधक किठन बनाने जैसा होगा ! इस िलए केवल कछु उदाहरणों के ज़रीये इनह्ें समजने का पर्यतन् करते हैं; गर्ामम ्+ अटित = गर्ाममटित देवम ्+ वनद्ते = देवं वनद्ते गर्ामात ्+ आगचछ्ित = गर्ामादागचछ्ित समय्क ्+ आह = समय्गाह पिरवर्ाट ्+ असि्त = पिरवर्ाडसि्त सन ्+ अचय्तुः = सनन्चय्तुः असि्मन ्+ अरणय्े = असि्मनन्रणय्े छातर्ान ्+ तान ्= छातर्ांसत्ान ् अपश◌य्त ्+ लोकः = अपश◌य्लल्ोकः तान ्+ लोकान ्= ताँलल्ोकान ् एतत ्+ श◌र्तुव्ा = एततछ्र्तुव्ा वकृष् + छाया = वकृष्चछ्ाया आ + छादनम ्= आचछ्ादनम ् अवदत ्+ च = अवदचच् षट ्+ मासाः = षणम्ासाः
समय्क ्+ हतः = समय्गघ्तः / समय्ग ्हतः एतद ्+ िहतम ्= एतदि्धतम ्/ एतदि्हतम ्