संन्धि

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सन िध सामान सिध िनयम जस िपहल बताया गया , सस यजन और वर योग ही अक षर बनत सिध ि◌ष िनयम हम आग दखग, पर उसका सामान िनयम यह िसस यजन और वर आमन सामन आत ही जात ; पम आनयित = पमानयित ◌ीघ रम आगच छित = ◌ीघ रमागच छित वम अिप = वमिप सस सिध इतन यापक िनयम िसारा का सारा वाक सिध करक एक वर िलखा जा सकता ; दिखए - ततस तम पकारकमाचार यमालोक वरभावनायाह अर थात ततः तम उपकारकम आचार यम आलोक वर-भावनया आह इसक सार िनयम बताना यहा अनपक िषत होगा, परत , सामान यतः सिध तीन तरह की होती ; वर सिध, िवसर सिध, और यजन सिध िवसर सिध सामान िनयम हम िवसर रकरण दख वर और यजन सिध की सामान जानकारी उदाहरण नीच दीय जा रह सजातीय वर आमन सामन आन पर, वह दीर वर बन जाता ; जस, / + / = अत + अस ित = अत रास ित भव या + आक ितः = भव याक ितः कदा + अिप = कदािप / + / = दवी + ईक षत = दवीक षत िपबािम + इित = िपबामीित गौरी + इदम = गौरीदम / + / = साध + उक तम = साध तम बाह + ऊर = बाह / + / = िपत + ऋणम = िपत णम मात + ऋणी = मात णी जब िवजातीय वर एक मक सामन आत , तब िनम रकार सिध होती / + / = / + / = / + / = / + / = / + / = अर उदाहरण उद यमन + इच छित = उद यमनच छित तव + उत कर षः = तवोत कर षः मम + एव = ममव कर णस + औदार यम = कर णस यौदार यम

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Page 1: संन्धि

संनि्ध  सामानय् संिध िनयम जैसे िक पहले बताया गया है, संसक्तृ में वय्ंजन और सव्र के योग से ही अकष्र बनते हैं । संिध के िवश◌ेष िनयम हम आगे देखेंगे, पर उसका सामानय् िनयम यह है िक संसक्तृ में वय्ंजन और सव्र आमने सामने आते ही वे जडु जाते हैं; पषुप्म ्आनयित = पषुप्मानयित

श◌ीघर्म ्आगचछ्ित = श◌ीघर्मागचछ्ित तव्म ्अिप = तव्मिप संसक्तृ में संिध के इतने वय्ापक िनयम हैं िक सारा का सारा वाकय् संिध करके एक शबद् सव्रपु में िलखा जा सकता है; देिखए - ततसत्मपुकारकमाचारय्मालोकय्ेश◌व्रभावनायाह । अरथ्ात ्– ततः तम ्उपकारकम ्आचारय्म ्आलोकय् ईश◌व्र-भावनया आह । इसके सारे िनयम बताना यहाँ अनपेकि्षत होगा, परंत,ु सामानय्तः संिध तीन तरह की होती है; सव्र संिध, िवसरग् संिध, और वय्ंजन संिध । िवसरग् संिध के सामानय् िनयम हम “िवसरग्” पर्करण में देख चकूे हैं । सव्र और वय्ंजन संिध की सामानय् जानकारी व उदाहरण नीचे दीये जा रहे हैं । सजातीय सव्र आमने सामने आने पर, वह दीरघ् सव्र बन जाता है; जैसे, अ / आ + अ / आ = आ अतर् + असि्त = अतर्ासि्त भवय्ा + आकिृतः = भवय्ाकिृतः कदा + अिप = कदािप इ / ई + इ / ई = ई देवी + ईकष्ते = देवीकष्ते िपबािम + इित = िपबामीित गौरी + इदम ्= गौरीदम ् उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ साध ु+ उकत्म = साधकूत्म ्बाह ु+ ऊरध्व् = बाहरूध्व् ऋ / ऋ + ऋ / ऋ = ऋ िपत ृ+ ऋणम ्= िपतणृम ्मात ृ+ ऋणी = मातणृी जब िवजातीय सव्र एक मेक के सामने आते हैं, तब िनमन् पर्कार संिध होती है । अ / आ + इ / ई = ए अ / आ + उ / ऊ = ओ अ / आ + ए / ऐ = ऐ अ / आ + औ / अ = औ अ / आ + ऋ / ऋ = अर ् उदाहरण उदय्मेन + इचछ्ित = उदय्मेनेचछ्ित तव + उतक्रष्ः = तवोतक्रष्ः मम + एव = ममैव करण्सय् + औदारय्म ्= करण्सय्ौदारय्म ्

Page 2: संन्धि

राजा + ऋिषः = राजरि्षः परंत,ु ये िह सव्र यिद आगे-पीछे हो जाय, तो इनकी संिध अलग पर्कार से होती है; इ / ई + अ / आ = य / या उ / ऊ + अ / आ = व / वा ऋ / ऋ + अ / आ = र / रा उदाहरण अवनी + असम = अवनय्सम आिद + आपदा = आदय्ापदा भवत ु+ असरुः = भवतव्सरुः उपिवशत ु+ आरय्ः = उपिवशतव्ारय्ः िपत ृ+ आजञ्ा = िपतर्ाजञ्ा मात ृ+ इचछ्ा = माति्रचछ्ा उपर िदये हएु “य” और “व” की जगह, “अय”्, “आय”्, “अव”् या “आव”् एसी संिध भी होती है, जैसे; ए + अनय् सव्र = अय ्ऐ + अनय् सव्र = आय ्ओ + अनय् सव्र = अव ्औ + अनय् सव्र = आव ् उदाहरण मनय्ते + आतम्ानम ्= मनय्तयातम्ानम ्तसम्ै + अदरश्यत ्= तसम्ायदरश्यत ्पर्भो + एिह = पर्भवेिह रातर्ौ + एव = रातर्ावेव परंत,ु “ए” या “ओ” के सामने “अ” आये, तो “अ” लपुत् होता है, और उसकी जगह पर “ऽ“ (अवगर्ह िचहन्) पर्यकुत् होता है । वने + असि्मन ्= वनेऽसि्मन ्गरुो + अहम ्= गरुोऽहम ् वय्ंजन संिध वय्ंजन संिध के काफी िनयम हैं, पर िनयमों के जरीये इनह्ें सीखना याने इनह्ें अतय्िधक किठन बनाने जैसा होगा ! इस िलए केवल कछु उदाहरणों के ज़रीये इनह्ें समजने का पर्यतन् करते हैं; गर्ामम ्+ अटित = गर्ाममटित देवम ्+ वनद्ते = देवं वनद्ते गर्ामात ्+ आगचछ्ित = गर्ामादागचछ्ित समय्क ्+ आह = समय्गाह पिरवर्ाट ्+ असि्त = पिरवर्ाडसि्त सन ्+ अचय्तुः = सनन्चय्तुः असि्मन ्+ अरणय्े = असि्मनन्रणय्े छातर्ान ्+ तान ्= छातर्ांसत्ान ् अपश◌य्त ्+ लोकः = अपश◌य्लल्ोकः तान ्+ लोकान ्= ताँलल्ोकान ् एतत ्+ श◌र्तुव्ा = एततछ्र्तुव्ा वकृष् + छाया = वकृष्चछ्ाया आ + छादनम ्= आचछ्ादनम ् अवदत ्+ च = अवदचच् षट ्+ मासाः = षणम्ासाः

Page 3: संन्धि

समय्क ्+ हतः = समय्गघ्तः / समय्ग ्हतः एतद ्+ िहतम ्= एतदि्धतम ्/ एतदि्हतम ्