आंब /डकर भवन- चलिए जानत / क्या ह...

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आंबेडकर भवन- चलिए जानते या है हकीकत।

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  • आबेंडकर भवन-

    चलिए जानत ेक्या है हकीकत।

  • प्रकाशकीय

    L

    म ंबई के दादर में गोक िदास पास्ता िेन पर पीपल्स इम्प्पू्रवमेंट ट्रस्ट (पूवव में शेड्यूल्ड कास्ट इम्प्पू्रवमेंट ट्रस्ट) के मालिकाना हक का 2,332 स्केयर फ ट का एक भूखंड है। यह भूखंड बाबासाहब ने इमारत फंड के नाम पर इकठ्ठा ककए चंदे के रुपये से 30 अक्टूबर 1944 को खरेदी ककया था। इस जगह पर अस्पशृ्य समाज के हक का एक भव्य सभागहृ बनाकर यहां समाजक हहतों की दृष्टट से ववलभन्न कायवक्रम चिाए जाने की उनकी मंशा थी। साथ ही अन सूचचत जातत के राजनीततक, आचथवक, सामाष्जक और सांस्कृततक आंदोिन को तनयंत्रित करने वािा एक म ख्यािय भी वे इसी स्थान पर बनाना चाहते थे। िेककन उनकी यह इच्छा ववलभन्न कारणों से उनके महापररतनवावण तक पूरी नही हो सकी। आज भी उनकी इस इच्छा को पूरी करने के रास्ते में कई तरह की बाधाएं तनमावण ह ई है, अवपत की जा रही है। समाज के सवाांचगण उत्थान के लिए सोशि सेंटर स्थावपत करने का उनका सपना उनके महापररतनवावण के बाद ही सही, साकार कर पाए। यह हदखाने के लिए पीपल्स इम्प्पू्रवमेंट ट्रस्ट ने यहां बह मंष्जिा इमारत बनाने के कायव में ष्जतनी भी बाधाएं आई, उसे दरू करने में सफिता हालसि की। सबस ेबड़ी समस्या तो तनचध की थी, जो सरकार की योजना से दरू ह ई। तनमावण कायव आरंभ कराने के पूवव आवश्यक स्वीकृततयां तथा कानूनी पेच दरू ककए गए और आगे की कायववाही श रु कर दी गई। परंत इसी दौरान अपने व्यष्क्तगत फायदे के लिए क छ तत्वों द्वारा बाबासाहब के सपने को साकार करने के कायव में बाधा डािना श रु कर हदया। ट्रस्ट की मालिकाना हक की जगह पर बनाई ह ई इमारत को महापालिका ने जजवर की शे्रणी में रखा था। महापालिका द्वारा इस इमारत को ढहाने बाबत नोहटस जारी करने के बाद ही इसे ट्रस्ट द्वारा चगराया गया। िेककन समाज के क छ तत्वों ने इस म द्दे को अपनी राजनीततक रोटी सेकने का मौका समझकर ट्रष्स्टयों के बारे में उिटी सीधी अफवाए फैिानी श रु कर दी। इतना ही नही ट्रस्ट के सदस्यों पर िांच्छन िगाने के साथ उनका चररि हनन करने में भी कोई कसर नही छोड़ी गई। ट्रस्ट के मालिकाना हक की जमीन को िेकर मनगढंत कहातनयां समाज में फैिाई गई। लिहाजा आंबेडकर भवन की जगह को िेकर आंबेडकरी जनता और िोगों में संभ्रम तनमावण हो गया है। ट्रस्ट का यह मामना है कक मामिे से संबंचधत तथ्यों और ठोस कानूनी दस्तावेज के आधार पर िोगों को सही जानकारी देकर उनकी यह संभ्रम अवस्था को दरू ककया जा सकता है।

    बाबासाहब न होते तो शायद आज ट्रस्ट के सदस्यों को भी इन्सान के रुप में जीने का सौभाग्य प्राप्त नही होता। इसलिए हमारी हर सांस पर बाबासाहब का अचधकार है। बाबासाहब के हमारे उपर इतने उपकार है

  • कक हम उसे कभी भूि नही सकते है। इसके प्रतत कृतज्ञता की भावना हमारे हदि में है। बाबासाहब ने हमारे िोगों को स्वाभीमान से जीने का अचधकार हदिाने के लिए जो ताउम्र संघर्व ककया है, उस संघर्व को आगे भी जारी रखना है इस कतवव्य को समझकर ही ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी कायवरत है। ट्रस्ट के सदस्य, सिाहकार, हहतचचतंक भिे ही राजनीततज्ञ न हो, ककसी राडनीततक दि के सदस्य न हो, बाबासाहब के संववधान को ठोकर मारकर मनचाहा व्यवहार करना या तानाशाही ववृि के सामने नतमस्तक होने वािे न हो, पर ये बाबासाहब के कायव को तनस्वाथव रुप से आगे िे जाने के लिए अपनी जान की बाजी िगा देने वािे तनटठावंत अन यायी जरुर है। वपछिे कई वर्ों से ट्रस्ट के पदाचधकारी अपने-अपने क्षेि में अपनी कात्रबलियत और ष्जतनी समज है उसके अन सार समाज की तनस्वाथव रुप से सेवा करते चिे आ रहे है। यही वजह है कक सोशि सेंटर खड़ा करने के रास्ते में आयी कई कहठनाईयों का सामना करते ह ए ट्रस्ट के सदस्य बाबासाहब के सपने को साकार करने में प री लशद्दत से िगे ह ए है। िोगों को इन सब बातों की सही जानकारी लमिे, वपछिे क छ समय से ट्रस्ट के बारे में मनगढंत और झूठी बातें तो फैिाई ही जा रही है, िेककन ख द बाबासाहब के दस्तावेजों पर भी सवालिया तनशान खड़ ेककए जा रहे है। इन सारी बातों की सही जानकारी िोगों तक पह ंचाने के उद्देश से ट्रस्ट द्वारा छोटी प ष्स्तका प्रकालशत की जा रही है। इस प ष्स्तका के माध्यम से िोगों में जो संभ्रम तनमावण ह आ है, वह दरू होगा ऐसी आशा है। बाबासाहब ने ट्रस्ट की स्थापना उनके द्वारा तनलमवत साववजतनक संपवि के संरक्षण और उसके ववकास के लिए की है। इस बात को ट्रस्ट के सदस्य कभी भूि नही सकते। पीपल्स इम्प्पू्रवमेंट ट्रस्ट द्वारा अब तक कोई भी गैरकानूनी कायव नही ककया है। जो भी कायव ककया वह पारदशवक तरीके से और िोगों को सही जानकारी देकर ही ककया है और आगे भी करते रहेंगे। उम्प्मीद है, इस प ष्स्तका के माध्यम से आंबेडकरी जनता सत्य तथ्य से अवगत होंगी। इस प ष्स्तका के तनमावण में ष्जन िोगों का योगदान प्राप्त ह आ है, उनका मै आभार मानता हंू और आंबेडकरी जनता को यह प ष्स्तका अपवण करता हंू।

  • आंबेडकर भवन-चलिए जानते क्या है हकीकत।

    म ंबई के दादर इिाके में ष्स्थत आंबेकर भवन के एक हहस्स ेको चगराए जाने का म द्दा कफिहाि महाराटट्र की तमाम आंबेडकरी जनता के लिए ष्जने-मरने, अष्स्मता और आंबेडकरी आंदोिन का अष्स्तत्व आहद अहम सवाि बने ह ए है। हािांकक इससे पहिे बाबासाहब को मानने वािी जनता राजनीततक, सामाष्जक मतभेदों के अिावा क्षेिीय पथृकता जैस ेकई म द्दों पर ट कड़ों में बंटी ह ई थी। िेककन जैस ेही आंबेडकर भवन चगराए जाने की घटना सामने आई बाबासाहेब के खून के वंशज कहे जाने वािे कचथत नेताओं को मानने वािा समाज का एक धड़ा यह सवाि कर रहा है कक उनके हाथो में आंबेडकरी राजनीततक आंदोिन की बागडोर तथा बाबासाहब द्वारा स्थावपत सामाष्जक, धालमवक एवं शैक्षणणक संस्थाएं सौंपने में संकोच क्यों है? वहीं दसूरी ओर समाज का एक धड़ा म खर होकर यह कह रहा है कक हम भी बाबासाहब के ववचारों के असिी वाररस है। उनके अधूरे कायव को हम भी आगे िे जाना और उनके सपने को साकार करना चाहते है। इस कायव में बाबासाहब के वाररस त्रबल्कूि बाधाएं उत्पन्न ना करें। इस तरह से आंबेडकर भवन चगराए जाने के बाद पहिी बार आंबेडकरी जनता बाबासाहब के पररवार के सदस्यों के समथवक और ववचारों के समथवक ऐसे दो भागों में ववभाष्जत हो गयी है। ष्जस तरह हजरत मोहम्प्मद पैगबंर के बाद पे्रवर्तों के ववश्वासू लशटयों को उनका उिराचधकारी माने या कफर खून के ररश्ते वािों को उिराचधकारी माने, इसको िेकर लशया और स न्नी में दो ग ट तनमावण ह ए थे। क छ ऐसी ही ष्स्थतत आंबेडकरी आंदोिन में तनमावण ह ई हदख रही है। इसके पीछे का म ख्य कारण यह है कक आंबेडकर भवन के मालिकाना हक के बारे में िोगों तक सही जानकारी नही पह ंच रही है। लिहाजा समाज में बड़ ेपैमाने पर झ ठी अफवाहे फैिाई जा रही है। हकीकत को बगैर जाने ही िोग भावनाओं में बहकर अपना राय बना रहे है। इसलिए इस जगह को खरीदकर यहां समाज के मालिकाना हक का सभागहृ खड़ा हो, अन्याय-अत्याचार से पीड़ड़त व्यष्क्तयों को आधार देने के लिए इस भवन का उपयोग हो, िोगों के द खों को दरू करने के उपायों पर संशोधन करने का केन्र बने, लशक्षा ग्रहण करने के लिए कहठनाईयों का सामना कर रहे समाज के मेधावी छाि-छािाओं को ज्ञानाजवन के लिए अपने हक का तनवासस्थान बने, दरूदराज से आने वािे कायवकतावओं का आश्रयस्थान

  • हो, यहां समाज को प्रभाववत करने वािी समस्याओं को समझने और उस ेदरू करने के उपायों पर संशोधन का केन्र बने, सरकार के नीततयों का आकिन कर उनकी गल़त नीततयों पर उन्हे जवाब मांगनेवािा और समाज के चह म खी ववकास के लिए आवश्यक नीतत बनाकर देनेवािा केन्रीय म ख्यािय बने आहद बाबासाहब द्वारा देखे इन सपनों को तार तार कर हदया है। समाज को सक्षम बनाने के उद्देश से हमारे बाबासाहब (बाप) ने इस जमीन को खरीदा था। िेककन जो िोग बाबासाहब के इन सपनों से अवगत नही है या यूं कहें ष्जन्हे इससे कोई िेना-देना ही नही है, उन्होने इस जमीन के म द्दे पर समाज को भ्रलमत कर भाईचारे से रहने वािे अन यातययों को एक-दसूरे के णखिाफ द श्मन के भांतत खड़ा कर हदया है।

    भगवान ब द्ध कहते है, न हह वेरे वेरातन सम्प्मन्तीघ क दाचनं। अवेरेन च सम्प्मष्न्त एस धम्प्मो सनन्तनो।। बैर से बैर कभी शांत नही होता। बैर पे्रम से ही शांत होता है। यही शाश्वत तनयम है। बाबासाहब ने बड़ी हदक्कत और मशक्कतो के बाद अपने अन यातययों को ब द्ध का मागव प्रदान कर एक सही प्रगती की हदशा दी है। इसलिए ब द्ध के मागव का ही अन सरण करते ह ए हमें हमारे बीच का वववाद बैर से नही बष्ल्क पे्रम से स िझाना चाहहए। यहद वववाद को पे्रम से स िझाना चाहते है तो सबसे पहिे हमे आंबेडकर भवन के वास्तववक सच्चाई के बारे में जानना बेहद जरुरी है। परंत इस सत्य को जानने के लिए सबसे पहिे हमने स नी-स नाई बातों के आधार पर जो राय कायम की है या हमारे मन में जो गित-सित धारणाएं बनी है, राग और द्वेर् इन सब बातों को अिग रखना होगा। तो चलिए , आंबेडकर भवन की वास्तववक सच्चाई क्या है, इसे जानकर यह तय करते है कक बाबासाहब के इस सपने को पूरा करना है या उसे चूर-चूर करना है।

    क्या था बाबासाहब का सपना?

    सपना देखना, उस ेसाकार करने के लिए जी जान से पररश्रम करना, सपना पूरा नही होने पर तनराश होना और कफर से नए जोश के साथ उसे हकीकत में बदिने में ज ट जाना, यह मानव स्वभाव है। ष्जस ेहम अपना सब क छ मानते है, वो हमारे वपता त ल्य बाबासाहब भी ऐसा ही सपना देखनेवािे और उस ेसाकार करने के लिए अपनी जान की बाजी िगाने वािे महामानव थे। हमारे इस म ष्क्तदाता ने अपने करोड़ों बच्चों के लिए एक सपना देखा था। वह सपना था, अपने समाज के मालिकाना हक का एक भव्य सामाष्जक केन्र बनाने का, जो अस्पशृ्य िोगों के उत्थान का केन्र और समाज का साम दातयक रुप से उत्पन्न का एक साधन बने। अपने इस सपने को वास्तववकता के धराति पर उतारने की हदशा में का प्रयास उनके द्वारा 15 फरवरी 1941 को फिटण रोड, म ंबई में हदए भार्ण से पता चिता है। वे कहते है कक ष्जस तरह एक सेठ अपने िड़कों के लिए इमारत या कफर एक चाि बनाकर रखता है, उसी तजव पर यह इमारत बनाने का मेरा उद्देश है। मेरे बाद आपको इस इमारत से बड़ा िाभ लमिेगा। ककंत आप िोगों को एक-दसूरे से भाईचारे से रहना होगा। उनकी समाज के प्रतत इस चचतंा को देखे तो इस भवन की जमीन को

  • िेकर जो बखेड़ा खड़ा ककया गया है, वह बाबासाहब के सपने को चकनाच र करने वािा है कहे तो अततशयोष्क्त नही होगी। बाबासाहब केवि यह सपना देखकर ही नही रुके उन्होने इस हदशा में काम करना भी श रु ककया। म ंबई के उनके करीबी साथी गणपत महादेव जाधव ऊफव मडके ब वा, गोववदं परमार, शांताराम उपशाम ग रुजी, माजगाव के ताडवाडी के रामजी रावजी बोरीकर ऐस ेअपने कई सहकाररयों के साथ लमिकर म ंबई की चािों में घ म-घ मकर इमारत फंड के नाम से पैसा इक्कठा करना प्रारंभ ककया। इमारत फंड इक्कठा करने के लिए 19 माचव 1938 को आयोष्जत पहिी ही सभा में माजगाव के ताडवाडी में रहने वािे अस्पशृ्य बांधवों ने उन्हे इमारत फंड के लिए 101 रुपये चंदा हदया। इसके त रंत बाद इमारत फंड की कोर्ाध्यक्ष के रुप में सेवा भाव से ष्जम्प्मेदारी संभािने वािे उपशाम ग रुजी ने बाबासाहब के तनदेशों के अन सार 1000 पावती ब क छापी। चंदा जमा करने के लिए म ंबई व अन्य शहरों में चाि कलमटी तथा ग्रामीण अचंिों में तहसीि और गाव कलमहटयों का गठन ककया गया। प रुर्ों से दो और महहिाओं से एक रुपया चंदा वसूिने का फैसिा लिया गया। इसके बाद इमारत फंड इक्कठा करने के लिए उन्होने म ंबई शहर व आसपास के इिाकों में कई सभाएं िी, ऐसा हदखाई देता है। ष्जस जगह पर आंबेडकर भवन बना है, वह जमीन बाबासाहब ने लसतंबर 1940 में अपने कब्जे में िी थी, यह उनके 1 नवंबर 1940 को इसी स्थान पर आयोष्जत सभा में हदए भार्ण से पता चिता है। िेककन उस समय जमीन की कीमत नही च काई गई थी। यह रकम बारा साि में हफ्ते-हफ्ते में च कानी थी। इस रकम पर हर साि रुपये 2,200 ब्याज देना तनष्श्चत ककया गया था। इसी सभा में डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने प्रस्त त स्थान पर तीन मंष्जिा इमारत के तनमावण का संकल्प घोवर्त ककया था। पहिे मंष्जि पर आधे हहस्स ेमें भारतभूर्ण वप्रहटगं पे्रस व दसूरे आधे हहस्से में म्प्य तनलसपि य तनयन व अन्य ऑकफसेस और क छ रहने के लिए कमरे बनाये जायेंगे। दसूरे मंष्जि पर उत्पन्न के स्िोत के रुप में ककराए पर देने के लिए गेस्ट रुम बनाई जायेगी और तीसरे मंष्जि पर बड़ा हॉि बनाया जायेगा। इस योजना के माध्यम से ककराए के रुप में वावर्वक िगभग 4 हजार रुपये उत्पन्न लमिेगा व उसमे से खचे की रालश को मायनस करके 2,500 रुपये शेर् बचेंगे, ष्जसका उपयोग ग्रामीण क्षेि में रहने वािे अन्यायग्रस्त िोगों की मदद के लिए ककया जायेगा। यह बाते बाबासाहब ने इस सभा में कहीं थी।

    इस संदभव में जनता समाचार पि में 25 हदसंबर 1940 को उन्होने अस्पशृ्य िोगों को उद्देलशत एक ववनंती पि प्रकालशत ककया है उसमें बाबासाहब कहते है, हमारा आंदोिन सदैव चिता रहे इसलिए हमारे पास अपने मालिकाना हक की जमीन, इमारत व शाश्वत तनचध रहना क्रमप्राप्त हो गया है। इस इमारत में हमारे सभी संस्थाओं के कायाविय केन्रीभूत हो सकें गे। भारत भूर्ण छापखाना, जनता, शैक्षक्षक संस्था, म्प्य तनलसपि कामकरी संघ व स्वतंि मजूर पाटी आहद के ऑकफसेस के अिावा साववजतनक वाचनािय, सभा व सम्प्मेिनों तथा वववाह समारोह जैस ेधालमवक ववचध के लिए एक बहृद हॉि आहद का इसमें समावेश होगा। बाबासाहब और उनके सहयोचगयों का इस सपने को पूरा करने के लिए तनरंतर काम करते रहे। उनके अथक प्रयासों से 19 माचव 1938 से 30 अक्टूबर 1944 तक 45,095 रुपये, 6 आने व 9 पैस ेइतनी रकम इमारत फंड

  • के नाम पर इकठ्ठा ह ई। इसमें से 30 अक्टूबर 1944 को अंबािाि पूनमचंद के पास से 36,535 रुपये देकर 2,332 स्केयर फ ट भूखंड खरीदा गया। खरीदे गए भूखंड का 30 अक्टूबर 1944 को ववक्रय पि तनटपाहदत ककया गया है, उसमें खरीददार के तौर पर 1) डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, 2) भाऊराव कृटणराव गायकवाड, 3)दौित ग णाजी जाधव, 4)गणपत महादेव जाधव, 5)पांड रंग नथ जी राजभोज आहद के नाम शालमि है। इमारत फंड के रुप में म ंबई इिाके के महार िोगों से 1,938 रुपये इकठ्ठा ककए गए। बाबासाहब ने स्वयं 14 ज िाई 1952 को म ंबई के दामोदर हॉि में आयोष्जत सभा में बताया है कक उनके आवाहन को प्रततसाद देते ह ए संस्थातनक, राजे-रजवाडे तथा धनवान िोगों ने आचथवक मदद की ष्जसके माध्यम से ‘द बॉम्प्बे शेड्य ल्ड कास्ट इम्प्प्र वमेंट ट्रस्ट’ की मालिकाना हक की जगह खरीदी गई। इसी सभा में उन्होने इमारत फंड के नाम पर 1 िाख 11 हजार 228 रुपये, 4 आने और 3 पैसा इतनी रालश इकठ्ठा होने की बात बताई है। इसमें महार समाज के िोगों की ओर से 31,709 रुपये और 4 आने जमा ककए गए। शेर् 75 हजार 500 रुपये का तनधी उच्च वगव के दोस्तों द्वारा जमा ककया गया। क ि रकम में से 35 हजार 535 रुपये में जगह खरीदी गई, 35,000 रुपये पे्रस की इमारत के तनमावण के लिए खचव ककए गए। शेर् 39,693 रुपये, 4 आने व 3 पैस ेइतनी रालश इंवपररयि बैंक में जमा रखी गई है। यह सारा िेखाजोखा बाबासाहब ने हदया है. (पढे BAWS,VOL18,Part III प.ृ क्र. 310-311).महार समाजसेवा संघ की ओर से 20 ज िाई 1952 को म ंबई में आयोष्जत सत्कार समारोह के मौके पर म ंबई में महार समाज के मालिकाना हक का हॉि बनाने की याद हदिाते ह ए बाबासाहब कहते है, मैने उस हदन दामोदर हॉि में आयोष्जत सभा में इमारत फंड के नाम पर आपके और मेरे द्वारा ककतनी रालश जमा की गई यह बात स्पटट की है। मेरे नाम पर आपके बैंक में ककतनी रालश जमा है यह भी बता हदया है। उद्देश यही है कक मेरे पश्चात मेरे प ि द्वारा भी इस पर अपना हक नही जता पाए। बाबासाहब ने ट्रस्ट की जगह कैसे खरीदी और पे्रस की इमारत का तनमावण कैस ेककया? इस बारे में बाबासाहब द्वारा हदए गए ब्यौरे को देखे तो भूखंड की खरीदी के बारे में सभी आशंकाए दरू होगी। यह भूखंड और पे्रस की इमारत मेरे पररवार की तनजी संपवि नही, अवपत इस पर ‘ट्रस्ट का मालिकाना हक है और ट्रस्ट की जगह पर ही पे्रस डािी गई है, इसलिए इसके ककराए के रुप में मै हर माह 50 रुपये ट्रस्ट को अदा करता हंू। तनचिी अदाित में प्रस्त त (केस कं्र. 1095/4920) म कदमे की स नवाई के दौरान ववपक्ष पाटी के वकीि देवधर द्वारा पूछे सवाि के जवाब में बाबासाहब ने यह बाते अदाित को बताई। इस वस्त ष्स्थती को ध्यान में िेने के बाद ट्रस्ट की जगह, ष्जस पर अभी ब द्धभूर्ण पे्रस है, यह जगह िोगों से चंदा इकठ्ठा करके खरीदी गई है। लिहाजा यह जमीन कानूनी तौर पर ट्रस्ट के मालिकाना हक की होने की बात सात्रबत होती है।

    पीपल्स इम्प्प्र वमेंट ट्रस्ट क्या करना चाहता है?

  • उपिब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह स्पटट है कक बाबासाहब का वर्व 1925 से ही यह प्रयास था कक समाज के मालिकाना हक की एक इमारत हो, जहां से समाज के गरीब तबकों के उन्नती के लिए सभी प्रकार की गततववचधयां चिाई जाएं। बाबासाहब जब 1931 में गोिमेज पररर्द के लिए िंडन रवाना ह ए उस दौरान उन्होने त्रिहटश भारत के ररयासतों व राजे-रजवाडों के नाम पि लिखा था, ष्जसमें उन्होने 1925 में स्थावपत ड़डपे्रस्ड़ क्िासेस इष्न्स्टट्यूट द्वारा ड़डपे्रस्ड़ क्िासेस के िोगों के उन्नती के लिए चिाएं जाने वािी गततववचधयों का ष्जक्र ककया है। साथ ही उन्होने इस बात का भी ष्जक्र ककया कक के इस संस्था के माध्यम से जनता समाचार पि तनकािा जा रहा है। िेककन समाचार पि छापे की मशीन बह त छोटी है, इसमें केवि समाचार पि की छपाई का ही काम हो सकता है अन्य व्यवसातयक गततववचधयां नही की जा सकती। इन सभी कायों के लिए संस्था को अपने मालिकाना हक का एक मध्यवती कायाविय बनाने, जमीन खरीदी करने तथा जनता समाचार पि की छपाई हेत एक अद्यावत मशीन खरीदी करने के लिए 40 हजार पौंड की जरुरत है। इन कायों के लिए हमे आचथक मदद की जाएं, ऐसा बाबासाहब ने ररयासतदारों को आवाहन ककया था। इसी पि में उन्होने गत वर्व यातन 1930 में ररयासतों व राजाओं द्वारा ड़डपे्रस्ड क्िासेस इष्न्स्टट्यूट को चंदे के रुप हदए गए 1,335 पौंड (उस समय के 28,000 रुपये) रकम का ब्यौरा हदया है। (पढे BAWS,VOL17,Part II प.ृ क्र. 407-412)। इसस ेयह अन मान िगाया जा सकता है कक भारत भूर्ण वप्रहटगं पे्रस इसी रकम से खरीदी गई होगी। यहां यह उल्िेखनीय है कक बहहटकृत भारत पे्रस फंड के लिए महार जाततयों के िोगों से चंदे के रुप में ज िाई, 1929 के अतं तक प्राप्त क ि रुपये 3,001 का िेखा-जोखा चंदा देने वािों के नामों के साथ बहहटकृत भारत के कई अकंों में छापा गया है। बाबासाहब ने शेड्यूल्ड कास्ट इम्प्प्र वमेंट ट्रस्ट का पंजीयन 1944 में भिे ही ककया है , िेककन इसकी योजना उन्होने 1925 में ही तैयार की थी। 2 ज िाई 1942 में बाबासाहब वाईसराय कौष्न्सि के सदस्य के रुप में मनोतनत ह ए, उस दौरान उन्होने अपै्रि 1944 को अस्पशृ्यों की उन्नती के लिए एक सोशि सेंटर की जरुरत को दोहराते ह ए उसके तनमावण के लिए आवश्यक 3 िाख 25 हजार रुपये की आचथवक मदद करने का भारत के संस्थानों और राजे-रजवाडों को आवाहन ककया था। सोशि सेंटर स्थावपत करने के पीछे का उनका उद्देश अस्पशृ्य िोगों की मालिकाना हक की एक स्वतंि इमारत हो व उस इमारत में अपनी संस्थाओं के कायाविय या कफर एकाद हॉि बनाने तक ही सीलमत नही था, बष्ल्क उस सोशि सेंटर के माध्यम से उन्हे हहंद ूव्यवस्था को ध्वस्त कर समूचे भारत के तमाम अस्पशृ्यों के अिावा अन्य वगव के पीड़डत िोगों को बराबरी का हक हदिाने के लिए छेड ेगए आंदोिन को सफि बनाना था। वे मानते थे कक आंदोिन को अगर सफि बनाना है तो उसके तनयंिण में प्रम ख रुप से तीन बातों का होना अपररहायव है। जैस े1) केन्रीय कायाविय 2) योग्य प्रलशक्षक्षत समवपवत कायवकतावओं की टीम 3)आचथवक संसाधन। इन संसाधानों के आधार पर ही तनरंतर चिने वािा आंदोिन खड़ा ककया जा सकता है। इसलिए उन्होने ट्रस्ट की स्थापना कर वहां अपने आंदोिन का केन्रीय म ख्यािय स्थावपत करना चाहते थे, जो राऊंड दी क्िॉक काम करें। इस केन्रीय

  • म ख्यािय में 1) प्रम ख संगठनों के कायाविय 2) कायवकतावओं के लिए तनवारा की व्यवस्था 3) ववलभन्न कायवक्रमों के आयोजनों के लिए 2500सीटों वािा स सष्जजत भव्य सभागहृ 4)सभी स ववधाओं से िैस आचधतनक िाइिेरी और रीड़डगं रुम 5) तनयत कालिक समाचार पि तथा आंदोिन के लिए जरुरी सामग्री प्रकाशन का शाखा व एक छोटासा छापखाना 6) समता सैतनक दि व तत्सम संगठनों के म ख्यािय 7) नाट्य, किा, जिसा जैस ेिोक लशक्षा की किाओं के लिए स ववधा केन्र, ऐस ेसात उपक्रम इस सेंटर के माध्यम से चिाए जायेंगे यह उनके द्वारा लिणखत रुप में उपिब्ध है। (BAWS,VOL17,Part II प.ृ क्र. 447-454)। बाबासाहब का यह सपना उनके महापररतनवावण के साठ साि बाद भी पूरा नही हो सका है। िेककन बाबासाहब का यह सपना उनके ही द्वारा स्थावपत ट्रस्ट जो वतवमान में पीपल्स इम्प्प्र वमेंट ट्रस्ट के नाम से जाना जाता है के ट्रष्स्टयों ने साकार करने का त्रबड़ा उठाया है और वे इसे तनष्श्चत रुप से पूरा करेंगे।

    बाबासाहब का सपना अब तक पूरा क्यों नही हो सका?

    डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने अपने समाज की उन्नती के लिए एक सामाष्जक केन्र के तनमावण का सपना देखा था और उस ेपूरा करने के लिए दृढ़ संकष्ल्पत भी थे। इसलिए उन्होने ट्रस्ट स्थावपत कर अपने समाज बांधवों से पयावप्त चंदा इकठ्ठा कर ट्रस्ट के लिए जमीन खरीद िी, िेककन ककसी-न-ककसी कारणों से उनके सोशि सेन्टर तनमावण करने के कायव में बाधाएं आती रही और वे जीते जी इस सपने को पूरा नही कर सके। इसके कारणों को जानने की कोलशश करने पर वह तनम्प्नलिणखत हदखाई देते है।

    1)ज िाई 1942 में बाबासाहब वाइसराय की कायवकारी पररर्द के लिए श्रम मंिी के रुप में तनय क्त ह ए। इसलिए उन्हे म ंबई से हदल्िी जाना पड़ा। इसके बाद 1946 में उनकी भारतीय संववधान सभा के सदस्य और बाद में मसौदा सलमतत के अध्यक्ष के रुप में बाबासाहब को च ना गया। भारत की स्वतंिता के बाद अष्स्तत्व में आई पहिी सरकार में बाबासाहब को देश का कानून मंिी बनाया गया। इस पूरी कािावधी में यानी 1942 से 1952 इन दस वर्ों में बाबासाहब का म ंबई से काफी कम संपकव रहा। इस कािावधी में कम से कम 3-4 बार ट्रस्ट की जगह को भेंट हदए जाने की बात वर्व 1954 में तनचिी अदाित में दायर दावा क्रमांक 1095/4920 में ववपक्षी पाटी वकीि द्वारा पूछे सवाि के जवाब में बताई है। इस दौरान इस जगह का व्यवस्थापन गणपत महादेव जाधव उफव मडके ब वा देख रहे थे। उनका 1948 में तनधन हो गया। उसके बाद यह ष्जम्प्मेदारी बाबासाहब के प ि मा. यशवंतराव आंबेडकर संभािने िगे। बाबासाहब जब 1952 में म ंबई में आए तो उन्होने इसमें अपना ध्यान केन्रीत ककया। इस जगह के क छ हहस्स ेपर पे्रस के लिए बनाई गई इमारत को ढहाकर उसके स्थान पर नई इमारत खड़ी करने का प्िान उन्होने आककव टेक्ट से मंजूर करा लिया। परंत मा. यशवंतराव आंबेडकर ने फरवरी 1949 में पाककस्तान से आए ववस्थावपत तीन व्यष्क्तयों को इस जगह के क छ हहस्स ेको ककराए पर दे हदया था। नए इमारत का तनमावण करने के पहिे उन

  • व्यष्क्तयों को हटाना जरुरी था। इसलिए बाबासाहब ने उन्हे जगह खािी करने को कहा, िेककन उन्होने यह जगह खािी करने से इंकार कर हदया था। इसलिए बाबासाहब ने उन्हे इस स्थान से हटाने के लिए ख द ट्रस्ट की ओर से तनचिी अदाित में दावा दाणखि ककया था। वर्व 1955 में कोटव ने इस दावे का फैसिा ट्रस्ट के पक्ष में स नाया। िेककन अदाित ने उन ककरायेदारों को जगह खािी करने के लिए तीन साि की अवधी दे दी। यह अवधी कम की जाए, इसलिए बाबासाहब ने कोटव के फैसिे के ववरुद्ध अपीि की। इस अपीि पर कोटव का फैसिा उनके जीवनकाि में नही आया। पररणामस्वरुप वे अपने जीते जी इस स्थान पर नई इमारत का तनमावण नही कर पाए। इस कािावधी के दौरान पहिे वािे ककरायेदारों द्वारा यहां रखे गए 20 अन्य ककरायेदारों ने कोटव में दावा दाणखि ककया। उस केस का फैसिा फरवरी 1962 में आया। कोटव के फैसिे को उन्होने उच्च न्यायािय में च नौतत दी। अदाित में यह मामिा वर्व 2001 तक चिता रहा। 2001 में न्यायािय में प्रववटठ सभी मामिों का तनपटारा ह आ और पूरी जगह तनववववाद रुप से ट्रस्ट के कब्जे में आयी।

    2) बाबासाहब ने इस स्थान पर नई इमारत बनाने के लिए 1953 में एक प्िान मंजूर करवा लिया था, िेककन मामिा न्यायािय में जाने के कारण इस जगह पर ककसी भी प्रकार का तनमावण कायव नही ककया जा सका। क छ सािों बाद यानी वर्व 1967 में म ंबई महापालिका ने नए ववकास प्रारुप में इस भूखंड को माध्यलमक स्कूि के लिए आरक्षक्षत ककया। लिहाजा ट्रस्ट के तत्कािीन अध्यक्ष डी. जी. जाधव ने वर्व 1973-74 में नए तनमावण कायव का ववकास प्रारुप मंजूरी के लिए महापालिका में दाणखि ककया था। महापालिका से इस प्रारुप को मंजूरी नही लमिी। बावजूद वर्व 1974 मे तनयोष्जत तनमावण कायव प्रारंभ कर हदया गया। परंत तनचध के अभाव में तनयोष्जत तनमावण कायव पूरा नही हो सका। जून 1982 में महानगरपालिका ने ट्रस्ट द्वारा पेश ककए नए तनमावण कायव के प्रारुप को अपनी अतंतम मंजूरी दे दी। प्रारुप के म तात्रबक स्कूि के लिए दो मंजीिा इमारत व स्कूि के कायवक्रमों के लिए एक सभागहृ के तनमावण को मंजूरी लमि गयी। मंजूरी के बाद स्कूि के तनमावण कायव को पूरा करने के लिए वर्व 1982 में ट्रस्ट ने स्टेट बैंक की दादर शाखा से 6 िाख रुपये का ऋण मंजूर करवा लिया गया। कजव के पहिे हफ्ते के रुप में बैंक ने ट्रस्ट के खाते पर 2 िाख रुपये रकम जमा कर दी। इस रकम के माध्यम से अधूरे रहे तनमावण कायव की कफर श रुआत हो गई। ग्राउंड फ्िोअर पर पाककां ग की जगह का काम वर्व 1985 के िगभग पूरा हो गया। िेककन इस दौरान कजे का हफ्ता और ब्याज का भ गतान समय पर अदा नही कर पाने की वजह से बैंक ने ऋण की उववररत रकम ववतररत नही की। इसलिए ग्राउंड फ्िोअर के उपर के मजिों का तनमावण कायव कफर अध रा रह गया। तनमावण कायव पूरा नही होने के कारण पाककां ग में बीजिी कनेक्शन, पानी, टॉयिेट आहद व्यवस्थाएं नही हो सकी। जाहहर सी बात है कक यहां ककसी प्रकार की ब तनयादी स ववधाएं उपिब्ध नही हो सकने के कारण यहां सभाएं या कोई कायवक्रम आयोष्जत करना संभव नही था। इसलिए आंबेडकरी आंदोिन के संदभव में ऐततहालसक माने जाने वािी एकाद सभा यहां आयोष्जत की गई हो, ऐसा भी उदाहरण नही है। हां, 1985

  • के बाद इस जगह का छोटी-बडी सभाओं या बैठकों के लिए उपयोग ककया जाने िगा। िेककन यह बड़ी खेद की बात है कक इस स्थान पर बाबासाहब के सपनों का सोशि सेंटर या आंदोिन का म ख्यािय आज तक खड़ा नही हो सका।

    सोशि सेंटर के तनमावण के लिए ट्रष्स्टयों द्वारा ककया गया प्रयास

    इस भूलम से संबंचधत न्यायाियीन प्रववटठ सभी मामिों का तनपटारा होने के बाद वर्व 2001 में यह भूलम ट्रस्ट के कब्जे में आयी। वर्व 1974 में भू-ति के उपर दो मंष्जिों के तनमावण के लिए की श रुआत हो गई थी, िेककन ववविय समस्याओं के चिते आगे काम जारी नही रहा। इस कािावधी के दौरान बारीश और अन्य प्राकृततक आपदाओं के चिते इमारत का तनमावण कायव कमजोर हो गया था। 1945-46 में यहां अस्थायी तौर पे्रस के लिए इमारत बनाई गई थी, जो जीणव-शीणव अवस्था में पह ंच गई थी। इसलिए ट्रस्ट के पदाचधकाररयों ने इमारत को ध्वस्त करके इसके स्थान पर नई अत्याध तनक बह मंष्जिा इमारत बनाने की हदशा में तैयारी श रु कर दी थी। परंत इस बीच स्टेट बैंक ने कजव वसूिी के लिए कोटव में याचचका दायर कर दी थी। बैंक ने ववतररत ककए ढाई िाख रकम पर ब्याज और उसके उपर चक्रवदृ्चध ब्याज लमिाकर क ि 12 िाख रुपये वसूिी के लिए ट्रस्ट पर दावा ठोक हदया था। टे्रस्ट की जमीन के दस्ताएवज बंधक के रुप बैंक के पास जमा थे। साथ ही ट्रस्ट पर महानगरपालिका के करों की 1 िाख 20 रुपये रकम िंत्रबत थी। लिहाजा कर की वस िी के लिए महापालिका ने ट्रस्ट की जमीन जप्त करने के लिए नोहटस जारी ककया था। उधर बैंक ने भी ट्रस्ट की जमीन जप्त कर उस पर कोटव ररलसवर तनय क्त करने की तैयारी श रु कर दी थी। ऐसी ववर्म पररष्स्थती में ट्रस्ट के तत्कािीन अध्यक्ष आर जी खरात और महासचचव प्रा. वी. एस. अवसारे ने उनके पररचचत वर्ाव कैटसव के मालिक स नीि शहा से एक करार ककया। इसमें यह तय ककया गया कक वर्ाव कैटसव ट्रस्ट को बैंक का कजाव और महापालिका के िंत्रबत कर की रकम अदा करने के लिए ववविय सहायता करें और उसके बदिे में वर्ाव कैटसव तीन साि तक ट्रस्ट की इमारत में होने वािे शादी या अन्य समारोह के लिए मंडप और कैटररंग की स ववधा उपिब्ध कराते रहे। इसके बाद बैंक का कजाव और महापालिका का िंत्रबत कर अदा होने के बाद यह जमीन पूरी तरह से कजवम क्त करा िी गई। इसके बाद ट्रस्ट का उत्पन्न बढाने और इमारत का काम पूरा करने की हदशा में ट्रष्स्टयों ने कफर से प्रयास करने श रु कर हदए। िेककन इस दौरान भाररप-बह जन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने ट्रस्ट के णखिाफ सरकार से लशकायत की। लशकायत में ट्रष्स्टयों पर आचथवक गैरव्यवहार, ट्रस्ट की संपवि और भंगार अवैध रुप से बेचना, मंडप व कैटरसव द्वारा प्राप्त रुपयों की हेराफेरी करना जैस ेगंभीर आरोप िगाए। इस लशकायत के आधार पर प लिस ने ट्रस्ट के आचथवक व्यवहार और अन्य संदभों में जांच की , िेककन प लिस को इसमें क छ भी तथ्य नजर नही आया। इमारत तनमावण के रास्ते में इस दौरान आयी ऐसी ववलभन्न समस्याओं के कारण ट्रष्स्टयों को काफी म ष्श्किों का सामना करना पड़ा। पररणाम यह ह आ की इन चक्करों के कारण

  • इमारत तनमावण का कायव ठप पड़ता गया। िेककन ट्रष्स्टयों के मन में बाबासाहब के सपने को साकार करना ही उद्देश है, इसलिए कफर से नए उत्साह के साथ ट्रष्स्टयों ने सोशि सेंटर बनाने का कायव पूरा करने के लिए सरकार तथा अन्य मागों से तनचध जमा करने का प्रयास जारी रखा। इसी कड़ी में तनजी ववकासकों के माध्यम से नए ववकास प्रारुप के अन सार इमारत बनाई जा सकती है क्या, इस हदशा में भी प्रयास ककए। िेककन उसमें सफिता हाथ नही िगी। इस बीच महाराटट्र सरकार ने 29 माचव 2011 में ट्रस्ट को 10 करोड़ रुपये आचथवक सहायता को मंजूरी दी। ट्रस्ट के पास यह रकम अब भी स रक्षक्षत है।

    ट्रस्ट के नाम, संववधान और उसके तनयमों में बदिाव तथा नए सदस्यों की तनय क्ती

    ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से जी. एम. जाधव (मडके ग रुजी), दादासाहेब गायकवाड, डी. जी. जाधव, जी. टी. परमार, शांताराम उपशाम ग रुजी, पी. एन.राजभोज, बी. एच. वरािे, पी. एि. िोखंड,े दादासाहेब लशके, एस.एस. ड़डखळे, आर. जी. खरात, प्रा. यादवाराव गांग डे इन ववश्वस्तों में अचधकतर ऐस ेहै ष्जन्होने बाबासाहब के साथ कायव ककया है। उनकी मतृ्य के बाद उनके स्थान पर नए ववश्वस्तों की तनय क्ती की गई। ष्जनमें जी. के. माने, डॉ. पी. टी. बोरािे, मोरेश्वर तांबे, जे. डी. जाधव, प्रा. वी. एस. अवसारे, ए. एस. उपशाम, डॉ. एस. एस. धाकतोड,े एड. श्रीकांत गवारे आहद शालमि है। इनमें से जी. के. माने, डॉ. पी. टी. बोरािे, मोरेश्वर तांबे, जे. डी. जाधव का तनधन हो गया है। इनके स्थान पर वविास वाघ, वसंत धावरे, शंकरराव गायकवाड को तनय क्त ककया गया। वर्व 2004 में ववश्वस्तों ने सववसम्प्मतत से एक प्रस्ताव पाररत कर ट्रस्ट का दी बॉम्प्बे शेड्य ल्ड कास्ट्स इम्प्प्र वमेंट ट्रस्ट का नाम बदिकर दी वपपल्स इम्प्प्र वमेंट ट्रस्ट रखने के साथ ट्रस्ट के संववधान और क छ तनयमों को संशोचधत ककया गया। इसमें म ख्य संशोधन सदस्यों के तनविृी की आय सीमा 75 वर्व कर दी गई। साथ ही यह भी सववसम्प्मतत से तय ककया गया कक यहद सदस्य की आय 75 वर्व पूरी हो गई और वह ट्रस्ट की जीम्प्मेदारी संभािने के लिए सक्षम है तो उसका कायवकाि और 5 साि के लिए बढाया जायेगा। इसके अन सार ट्रस्ट के सन्माननीय सदस्य वसंत धावरे एवं ए. एस. उपशाम इनका कायवकाि 5 साि बढाने के बाद वे 80 वर्व आय के बाद तनविृ हो गए। इसी तरह डॉ. एस. एस. धाकतोडे और वविास वाघ भी 75 वर्व आय के बाद तनविृ हो गए। मा. सदस्य शंकरराव गायकवाड ने अपने पद का इस्तीफा दे हदया। ट्रस्ट के चेयरमन प्रा. वी. एस. आसवारे पर वर्व 2012 में एक आपराचधक मामिा दजव ह आ। इसे देखते ह ए भाररप बह जन महासंघ, ररपष्ब्िकन सेना, ररपष्ब्िकन ववद्याथी सेना द्वारा उन्हे अध्यक्ष पद से हटाए जाने के लिए आंदोिन छेडा था। लिहाजा उन्हे 1 जनवरी, 2013 को अध्यक्ष पद से म क्त ककया गया। उस दौरान उनकी आय 75 वर्व पूरी हो च की थी। इन सभी कारणों से तनविृ ह ए सदस्यों के स्थान पर ट्रस्ट के संशोचधत तनयमों के अन सार नए सदस्यों की तनय

    क्ती की गई और इस संबंध में धमावदाय आय क्त कायाविय में ररपोटव पेश कर ववश्वस्त मंडि द्वारा सववसम्प्मतत से पाररत प्रस्ताव के म तात्रबक नए ट्रस्ट का संज्ञान िेने के बारे में सूचचत ककया गया है।

  • ट्रस्ट के णखिाफ लशकायते, ववश्वस्तों पर हमिे, धमककयां और गािी-गिोज आहद.

    ट्रस्ट के पूरे इततहास में ट्रस्ट के पदाचधकाररयों ने उनके सामने आयी पररष्स्थयों चाहे वह प्रततकूि ही क्यों न हो, हर हाि में बाबासाहब के सोशि सेंटर बनाने के सपने को साकार करने के लिए इमारत के तनमावण कायव को पूरा करने का पूरी लशद्दत से प्रयास ककया है। इस बात को कोई भी नकार नही सकता। एक ओर नौकरी के साथ सामाष्जक व राजनीततक व्यस्ततम कायों से समय तनकािकर ट्रस्ट के कायव को आगे बढाना, वहीं दसूरी ओर बाबासाहब के सोशि सेंटर बनाने का सपना पूरा न हो, इस मंशा से ट्रस्ट के णखिाफ कारववाईयां करने वािे अपने ही िोगों द्वारा की जा रही बदनामी को सहन करना, तनराधार आरोपों से मानलसक परेशानी सहन करना आहद ट्रस्ट पर ववश्वस्त के तौर पर काम करने वािे और वतवमान में कायवरत सभी को इन कहठनाईयों से ग जरना पडा है और ग जर भी रहे है। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा इमारत फंड की घोर्णा करने के बाद पहिे हदन से ट्रस्ट को लमिे चंदे का हहसाब रखने वािे शांताराम उपराम ग रुजी ने ककसी प्रकार के म आवजे की अपेक्षा न रखते ह ए (वर्व1955 में लशक्षाचधकारी के पद से सेवातनविृ होने के बाद भी ह ए) अपने अतंतम सांस (1975 में तनधन) तक ट्रस्ट के लिए तनस्वाथव भाव से काम करते रहे। उन्होने 1938 से 65 तक इन 27 वर्ों के कायवकाि का 1967 में ररपोटव पष्ब्िश ककया। उसमें उन्होने ट्रस्ट को 25 रुपयों से अचधक चंदा देने वािे प्रत्येक व्यष्क्त और संस्था का पूरा वववरण नाम और पते के साथ लिखकर रखा है। ऐस ेव्यष्क्त पर भी ट्रस्ट के पैस ेसे घर बनाना जैस ेगंभीर आरोप िगाए गए, िेककन उन्होने ट्रस्ट की ररपोटव में एक-एक पाई का हहसाब और सबूत देकर ववरोचधयों के म ंह बंद कर हदए। डॉ. पी. टी. बोरािे को भी ट्रस्ट के णखिाफ चगततववचधयों को तनरंतर अजंाम देने में िगे रहे अपने ही क छ स्वककयों ने अधवनग्न कर बबवरता से वपटाई की है। वर्व 2006 में भाररप बह जन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने ट्रस्ट के सदस्यों के णखिाफ कई तनराधार आरोप िगाकर प लिस में लशकायत की है। उसके बाद राजेन्र आनंद पवार ने 29 जनवरी 2014 में ट्रस्ट के णखिाफ धमावदाय आय क्त कायाविय में लशकायत की। इस लशकायत की जांच कर आय क्त ने इसमें कोई तथ्य नही होने का फैसिा हदया। बावजूद इनका झूठी लशकायते करने का लसिलसिा अब भी थमा नही है।

    भटके-ववम क्तों का बौद्ध धम्प्म में धमावन्तर करने के लिए वर्व 2006 में धम्प्मदीक्षा स्वणव महोत्सव सलमतत का गठन ककया गया था। सलमतत द्वारा धमावन्तर का भव्य समारोह म ंबई के रेसकोसव मैदान पर आयोष्जत ककया गया था। इस कायवक्रम के आयोजक दैतनक सम्राट के संपादक बबन कांबिे तथा भटके-ववम क्त के नेता िक्ष्मण माने के अन रोध पर धम्प्मदीक्षा स्वणव महोत्सव सलमतत को ट्रस्ट ने अपनी इमारत में अस्थायी तौर पर कायाविय स्थावपत करने के लिए जगह उपिब्ध करा दी थी। इस बात पर आनंदराज आंबेडकर ततिलमिा गए और मीराताई आंबेडकर की बौद्ध महासभा कायवरत होने के बावजूद धम्प्म का कायव करने वािी अन्य संस्था को बाबसाहब द्वारा स्थावपत इमारत मे जगह ककस अचधकार से उपिब्ध कराई, यह

  • कहते ह ए उन्होने मा. अनंत उपशाम, वसंतराव धावरे, प्रा. वी. एस. आसवारे को गािीगिोज करते ह ए जान से मारने की धमकी दी थी। इस मामिे में 7 अक्तूबर 2006 को भोईवाडा प लिस में लशकायत दजव कराई गई थी। उसके बाद 5 हदसंबर 2010 को भाररप बह जन महासंघ के कायवकताव प्रतीक धनराज कांबिे और प्रसेनजीत धनराज कांबिे ने ट्रस्ट के सचचव एड. श्रीकांत गवारे और दसूरे ववश्वस्त डॉ. एस. एस. धाकतोडे के साथ मारपीट तथा कायाविय के सामान को तहस-नहस ककया। इसकी भी 10-12-2010 को भोईवाडा प लिस में लशकायत की गई है। 26 हदसंबर 2015 को आनंदराज का ड्राइवर राकेश गायकवाड ने ट्रस्ट के सिाहकार रत्नाकर गायकवाड और उनकी िड़की लशवाजंिी गायकवाड के ऊपर टोयाटो क्वालिस गाडी चढाकर दोनों को जान से मारने की कोलशश की गई थी। यह मामिा भी 26 हदसंबर 2015 को भोईवाडा प लिस में दजव है। इसके बाद ट्रस्ट के वतवमान अध्यक्ष योगेश वराडे और सदस्य नागसेन सोनारे की कार वरिी में बीच रास्ते में रोककर उन पर हमिा करने का प्रयास ककया गया। इन सभी घटनाक्रमों को देखते ह ए ववश्वस्तों को अपनी जान गंवाने का खतरा होने के बावजूद इन पररष्स्थततयों का सामना करते ह ए बाबासाहब के सपने को साकार करने के लिए ट्रष्स्टयों ने काम ककया और अब भी कर रहे है।

    बाबासाहब के सोशि सेंटर के सपने को साकार करने की हदशा में कदम

    आंदोिन का म ख्यािय यानी सोशि सेंटर की 3 मंष्जिा इमारत बनाने की बाबासाहब ने जो नींव रखी थी, उस े75 साि का समय बीत च का था। डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने अथक पररश्रम और यहां की िाम्प्हणवादी व्यवस्था से दो हाथ करके इसके णखिाफ खड़ ेककए गए आंदोिन ने और ववस्ततृ रुप धारण कर लिया था। बाबासाहब की पहचान अब केवि अस्पशृ्यों के नेता तथा संववधान तनमावता के तौर पर ही सीलमत नही रही, बष्ल्क वे ववश्व के अन्यायग्रस्त, शोवर्त, पीड़डतों िोगों के संघर्व के पे्ररणास्थान बन गए। बाबासाहब का संघर्व, उनके ववचार, दशवन (तत्वज्ञान) का अध्ययन करने के लिए देश-ववदेश के ववद्वान, संशोधक, अध्ययनकताव भारत आने िगे। बाबासाहब के ववश्वस्तरीय महत्व को और शोवर्तों के म ष्क्तदाता के रुप में प्राप्त ककए गए स्थान को देखते ह ए पीपल्स इम्प्प्र वमेंट ट्रस्ट ने तय ककया कक उनके नाम पर बनाए जाने वािा, बाबासाहब के आंदोिन का म ख्यािय भी वैसा ही भव्य और हदव्य और द तनया के सभी शोवर्तों को पे्ररणा देने वािा बनाया जाए। सोशि सेंटर सभी स ववधाओं से िैस बनाने के साथ ही इस म ख्यािय में जो कोई आएगा उस ेकोई भी ग्रंथ पढे त्रबना, ककसी को क छ पूछे बगैर बाबासाहब द्वारा चिाई पूरी मूवमेंट समझे, इस स्वरुप में सोशि सेंटर तनमावण करने का हमारा उद्देश है। इसमें बाबासाहब की वस्त ओं म्प्य ष्जयम, बाबासाहब के आंदोिन की जानकारी देनेवािी स्थायी चचिप्रदशवनी, पैनोरामा आहद शालमि है। िेककन इस कायव में कई रुकावटे तनमावण की गई। इनमें सबस ेबड़ी समस्या म ंबई महानगरपालिका के ववकास प्रारुप में यह जगह स्कूि की इमारत के लिए आरक्षक्षत की गई। लिहाजा इस जगह पर स्कूि के अिावा अन्य तनमावण कायव नही ककया जा सकता था। इसके लिए सबस ेपहिे पालिका के ववकास प्रारुप में

  • ट्रस्ट के मालिकाना हक की जमीन पर दशावए गए माध्यलमक स्कूि के आरक्षण को रद्द करना जरुरी था। यह काम इतना आसान नही था। ट्रस्ट ने इस मामिे में महापालिका से पिाचार श रु ककया। यह आरक्षण हटाना महापालिका के नही बष्ल्क सरकार के अचधकार में था। इसलिए मंिािय के ववलभन्न ववभागों से एनओसी प्रमाणपि प्राप्त कर तथा राजयपाि की मंजूरी से अचधसूचना जारी करना आवश्यक था। इस कायव के लिए मंिाियों के कायवपद्धती की जानकारी रखने वािा और ट्रस्ट को इसमें मदद करने वािे व्यष्क्त की ट्रस्ट को जरुरत थी। इसी जरुरत को ध्यान में रखते ह ए राजय के म ख्य सचचव रत्नाकर गायकवाड से म िाकात कर उनसे इस कायव में मदद करने का अन रोध ककया गया। ट्रस्ट के अन रोध को स्वीकार करते ह ए तथा अपना ख द का भी बाबासाहब के सपने को साकार करने में योगदान रहे यह सोचकर उन्होने ट्रस्ट के सिाहकार के तौर पर इस कायव में मदद करने की ष्जम्प्मेदारी उठाई। उनके ही प्रयासों से सरकार ने ट्रस्ट के भूखंड पर “माध्यलमक स्कूि” के आरक्षण को रद्द कर उस ेपष्ब्िक हॉि एन्ड इष्न्स्टट्यूनि यूज में तष्ब्दि ककया। इस संदभव में 3 हदसंबर 2015 को राजयपाि के मंजूरी की अचधसूचना जारी की गई। बाबासाहब के सोशि सेंटर बनाने के सपने को साकार करने की हदशा में यह एक बह त बड़ी उपिब्धी हालसि ह ई। सरकार द्वारा इस भूखंड पर स्कूि के आरक्षण को खत्म करने के बाद ट्रस्ट ने इस भूखंड पर 17 मंष्जिा इमारत तनमावण का प्रारुप म ंबई महानगरपालिका में मंजूरी के लिए पेश ककया। महापालिका ने आवश्यक जांच पडताि करने के बाद 13 अपै्रि 2016 को ट्रस्ट को इमारत तनमावण के लिए आवश्यक अन मतत यानी आई.ओ.डी (मंजूरी) प्रदान की। महापालिका द्वारा 17 मंष्जिा इमारत तनमावण के लिए मंजूरी लमिने से बाबासाहब के सपने को पूरा करने में उत्पन्न एक बड़ा अवरोध तो दरू ह आ, िेककन 1945-46 के दौरान यहां बनाई गई इमारत, ष्जसमें ब द्धभूर्ण वप्रहटंग पे्रस है, ष्जसकी अवस्था जजवर हो च की थी को ध्वस्त करना यह दसूरा अवरोध ट्रष्स्टयों के समक्ष था। ट्रस्ट यहां भिे ही 17 मंष्जिा इमारत खड़ी करना चाहती है पर इस इमारत से करोड़ों आंबेडकरी जनता की भावनाएं ज ड़ी ह ई है, इसका एहसास ट्रस्ट के सदस्यों को है। इस इमारत के एक कमरे में मां. प्रकाश आंबेडकर के नेततृ्ववािी भाररप बह जन महासंघ का कायाविय था। उसी तरह मा. भीमराव आंबेडकर द्वारा संचालित ब द्धभ र्ण वप्रहटगं पे्रस की मलशनरी और मा. आनंदराज आंबेडकर के ररपष्ब्िकन सेना का कायाविय भी इसी इमारत में था। उनका भी इस बह मंष्जिा इमारत खड़ी करने में सहयोग लमिे, इसलिए ट्रष्स्टयों ने उनसे बातचीत कर उन्हे तनयोष्जत इमारत में बड़ ेक्षेिफि की जगह देने का फैसिा लिया।

    आंबेडकर भवन चगराने का घटनाक्रम

    भूखंड का आरक्षण रद्द ककए जाने के बाद इमारत तनमावण के लिए ट्रस्ट ने महापालिका से आवश्यक अन मतत और दस्तावेज ज टाने के प्रयास तेज कर हदए। साथ ही इमारत का तनमावण कायव श रु करने की पूववशतव के रुप में मा. प्रकाश आंबेडकर, मा. आनंदराज आंबेडकर और मा. भीमराव आंबेडकर की सहमतत

  • प्राप्त करने के लिए भी प्रयास श रु ककए। इस कडी में उनस ेप्रत्यक्ष म िाकात करने का ट्रष्स्टयों द्वारा बार-बार प्रयास ककया गया। ट्रष्स्टयों के अन रोध पर मा. आनंदराज आंबेडकर और मा. भीमराव आंबेडकर ने ट्रस्ट के पक्ष को स ना, िेककन प्रकाश आंबेडकर की ओर से ट्रष्स्टयों को त्रबल्कूि सकारात्मक प्रततसाद नही लमिा। आनंदराज और भीमराव आंबेडकर ने प्रकाश आंबेडकर को साथ िेकर तनयोष्जत इमारत का प्रजेंटेशन देखने के लिए 5अपै्रि 2016 का हदन तनष्श्चत ककया। परंत उस हदन यह तीनों उपष्स्थत नही रहे। इसके बाद भी उनस ेबार-बार अन रोध ककया गया। ष्जसे स्वीकार करते ह ए इनमें से केवि भीमराव आंबेड