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मयकालीन भारत हषवषनके बा उतर भारत भारत पर अरबो का आमण 712 ई. इराक के शासक अल हजाज के भतीजे एवं दामाद मुहमद बिन काससम ने सववथम ससध पर आमण कर वहां के शासक दाहर को पराजजत कर ससध पर सता थापपत की इस असभयान का तकासलक कारण खलीफा के समुी जहाज को सध ेमै समुी डाक ओ दवांरा तपह चाना था । मुजलमो ने ससध से आगे िढ़ने की कोसशश की लेकन तहार शासक नागभट थम,चालुय शासक पुलके शी एवं कमीर के शासकनागभट थम,चालुय शासक पुलके शी एवं कमीर के शासक लसलताहदय ने उसके यासौ को असफल कर हदया | बंगाल का पाल वंश हव के समय िंगालमै शाशंक नामक राजा शासन करता था इसकी म यु के िाद िंगालमै अयवथा उपन हो गयी इसी कारण 750 ई. मै वहा के सामतौ ने गोपाल नामक यकत को िंगाल पर शासन करने के सलए चुना इसी गोपाल ने पालवंश की थापना की । इसका शासन काल 750 -770 . तक रहा । इसने बिहार शरीफ के तनकट ओदतपुरी मै एक िौद बिहार की थापना कया । धमषपाल इसका शासन काल 770-810 ई. तक रहा इसने पालवंश की शककत गे व जद की और कनौज के बपीय संघव मै महवपूणव भूसमका अदा की । इसने भागलपुर के तनकट पवमशीला पवशवपवघालय एवं सोमपुरी पवशवपवघालय की थापना करवांयी । ेवपाल धमवपाल के िाद दे वपाल वंश का शकतशाली शासक था इसके शासन काल मै सााय चरमोकव पर पह च गया । सुवणदीप के शैलेवंशी शासक िालपु देव ने इसकी अनुमतत से नालदा मै एक पवहार िनवांया । देवपाल के पचात पाल वंश गतव मै चला गया और ततहार राजा भोज ने पूवी पवतार ारभ ककया । भोज के िाद उसका पु महेपाल तथा उसके िाद महीपाल शासक िना | 1160 ई. के आस पास अंततम पाल शासक गोपवद पाल को गहड़वांलो ने मगध से पदयुत कर हदया पाल वंश का शासन काल लगभग 400 वव रहा । सेन वंश पाल वंश के थान पर िंगालमै सेन वंश का उदय ह आ ।सेन वँश का संथापक सामत सेन था जजसने िंगाल का राजनीततक एकीकरण कया इसने पसशचमी िंगालमै पवजयपुर एवं पूवी िंगालमै बिमपुर नामक नगर की थापना का एवं दोनौ को राजधानी िनाया ।

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  • मध्यकालीन भारत

    हर्षवध् ष्नके बा् उत्तर भारत भारत पर अरबो का आक्रमण

    712 ई. इराक के शासक अल हज्जाज के भतीजे एव ंदामाद महुम्मद बिन काससम ने सववप्रथम ससन्ध पर आक्रमण कर वहां के शासक दाहहर को पराजजत कर ससन्ध पर सता स्थापपत की इस असभयान का तत्कासलक कारण खलीफा के समदु्री जहाज को ससन्ध क्षेत्रमें समदु्री डाकुओ दवांरा क्षतत पहुचाना था ।

    मजुस्लमो ने ससन्ध से आगे िढ़ने की कोसशश की लेककन प्रततहार शासक नागभट्ट प्रथम,चालकु्य शासक पलुकेशी एव ंकश्मीर के शासकनागभट्रट प्रथम,चालकु्य शासक पलुकेशी एव ंकश्मीर के शासक लसलताहदत्य ने उसके प्रयासों को असफल कर हदया | बगंाल का पाल वशं

    हर्व के समय िगंालमें शाशकं नामक राजा शासन करता था इसकी मतृ्य ुके िाद िगंालमें अव्यवस्था उत्पन्न हो गयी इसी कारण 750 ई. में वहा के सामतों ने गोपाल नामक व्यककत को िगंाल पर शासन करने के सलए चुना इसी गोपाल ने पालवशं की स्थापना की । इसका शासन काल 750 -770 ईँ. तक रहा ।

    इसने बिहार शरीफ के तनकट ओदतपरुी में एक िौध्द बिहार की स्थापना ककया । धमषपाल

    इसका शासन काल 770-810 ई. तक रहा इसने पालवशं की शककत गे वजृध्द की और कन्नौज के बत्रपक्षीय सघंर्व में महत्वपणूव भसूमका अदा की । इसने भागलपरु के तनकट पवक्रमशीला पवशवपवघालय एव ं सोमपरुी पवशवपवघालय की स्थापना करवांयी । ्ेवपाल

    धमवपाल के िाद देवपाल वशं का शककतशाली शासक था इसके शासन काल में साम्राज्य चरमोत्कर्व पर पहंुच गया । सवुणव दीप के शलेैन्द्रवशंी शासक िालपतु्र देव ने इसकी अनमुतत से नालन्दा में एक पवहार िनवांया ।

    देवपाल के पश्चात पाल वशं गतव में चला गया और प्रततहार राजा भोज ने पवूी पवस्तार प्रारभ ककया ।

    भोज के िाद उसका पतु्र महेन्द्रपाल तथा उसके िाद महीपाल शासक िना |

    1160 ई. के आस पास अतंतम पाल शासक गोपवन्द पाल को गहड़वांलो ने मगध से पदच्यतु कर हदया

    पाल वशं का शासन काल लगभग 400 वर्व रहा । सेन वशं

    पाल वशं के स्थान पर िगंालमें सेन वशं का उदय हुआ ।सेन वशँ का ससं्थापक सामन्त सेन था जजसने िगंाल का राजनीततक एकीकरण ककया इसने पसशचमी िगंालमें पवजयपरु एव ंपवूी िगंालमें बिक्रमपरु नामक नगर की स्थापना का एव ंदोनों को राजधानी िनाया ।

  • इसका उतराधधकारी वल्लाल सेना िना । जो एक योग्य व्यककत था इसने दानसागर एव ं अदभतुसागर नामक ग्रन्थ की रचना की । इसका शासन काल 1158-1178 ई. रहा ।

    इसका उतराधधकारी लक्ष्मण सेन िना जो शासन काल 1178-12 05 रहा ।इसने एक और राजधानी लखनौती की स्थापना की । इसी के समय में वजततयार खखजली का आक्रमण िगंाल पर हुआ और सेन वशं का पतन हो गया । गरु्षर प्रततहार वशं

    अजग्न कुल से उत्पन्न राजपतूो में गजुवर प्रततहारो का महत्वपणूव स्थान है प्रततहार वशं की स्थापना हररशचदं्र दवांरा हुई थी नागभट्ट प्रथम

    प्रततहार वशं का वांस्तपवक ससं्थापक नागभट्ट प्रथम था इसने पवभाजजत प्रततहार शककत को एकजुट ककया । इसका शासन काल 730-756 ई. तक रहा । इसी ने मजुस्लमो को ससँघ से आगे िढ़न ेसेरोका ।

    यह प्रततहार वशं का दसूरा प्रभावशाली राजा था इसने बत्रपक्षीय सघंर्वमें धमवपाल को हराया । नागभट्ट ्ववतीय

    इसका शासन काल 805 से 833 ई. तक रहा । इसने कन्नौज से चक्रयदु्ध को हटाकर कन्नौज को अपनी राजधानी िनाया ।

    समहहर भोज या भोज प्रथम इस वशं कासववशे्रष्ठ शासक था इसने आहदवराह की उपाधध धारण की और प्रततहार साम्राज्य को सशखर पर पहुचा हदया ।

    इसके िाद महेन्द्र पाल प्रथम शासक हुआ इसके दरिार में राज शखेर नामक पवदवांन रहता था । जजसने काव्य मीमांसा,कपुवर मजंरी,िालरामायण ग्रन्थ की रचना की ।

    1018 ईँ. में महमदू के कन्नौज पर आक्रमण के समय राजपाल यहंा का राजा था । जो अपनी राजधानी छोड़कर भाग गया था । इससे नाराज होकर चंदेल शासक बिघाधर ने उसकी हत्या कर दी ।

    1090 ई.में कन्नौज पर गहडवांलो का तनयतं्रण स्थापपत हो गया । कन्नौर् के गहडवांल वशं

    चन्द्रदेव ने गजुवर प्रततहार वशं के अतंतम शासक यशपाल को पराजजत कर गहडवांल वशं की स्थापना की ।गहडवांल शासको को काशी नरेश भी कहा जाता है क्योकक कन्नौज राजधानी िनने के पवूव इसकी राजधानी वांराणसी थी ।

    इस वशं का अततमं शासक इततहास प्रससद्ध जयचन्द था जजसने पथृ्वी राज की सहायता नही थी

    जजसके कारण पथृ्वीराज तराइन के दपवतीय यदु्धमें पराजजत हो गया था जयचन्द के पतु्री का नाम सयोधगता था । 1194 ईँ. में चंदावर के यदु्धमें महुम्मद गोरी ने इसे पराजजत कर हदया और कन्नौजपर अधधकार कर सलया राष्ट्रकूट रार्वशं

    राष्ट्रकूट का उत्थान चालकु्य राज्य के स्थान पर हुआ तथा उसका अतं भी चालकु्यो की एक शाखा कल्याणी के चालकु्यो दवांरा हुआ ।

  • दक्षक्षण भारत के राज्य द्वारा उत्तर भारत के राज्यो पर आरक्रमण करने वांला या उत्तर भारत के राजनीतत में हस्तक्षेप करने वांला पहला राज्य था |

    चन्द्रगपु्त इस वशं का पहला व्यजक्त था जजसनें सामंत का पद पाया जिकक इस वशं कावांस्तपवक ससं्थापक दततन्तदगुव था जजसका शासन काल 735-755 ई. रहा

    दततन्तदगुव ने वांतापी के चालकु्य वशंी शासक कीततवमवन को परास्त कर राष्ट्रकूटो की स्वततं्रता की घोर्णा की |

    इसका उतराधधकारी इसका चाचा कृष्ण प्रथम िना | इसका शासन काल 756-773 ई. रहा | इसने एलोरा में प्रससधद कैलाश महदर का तनमावण करवांया | जो एक ही को पत्थर को काटकर िनाया गया |

    इस वशं के योग्य उतराधधकारी में धुव एव ं गोपवन्द ततृीय महत्वपणूव है जजसने बत्रपक्षीय सघंर्वमें राष्टकुटो को सववशे्रष्ठ िना हदया |

    इसके िाद अमोधवर्व राजा िना जजसने मान्यखेट को नई राजधानीिनवांया | यह एक पवदवांन राजा था जजसने स्वय ंकन्नड़ भार्ा मेंकपवराजमागव नामककी रचना की |

    इस वशं के अततमं शासक खोहटग समय मालवां के परमार शासक सीयक ने राजधानी मान्यखेट पर आक्रमण कर उस ेनष्ट के हदया | शाकम्भरी के चौहान

    चौहान वशं की अनेक शखाएँ थी इसमें सातवी ं शताब्दी मेंवांसदेुव द्वारा स्थापपत शाकम्भरी के चौहान प्रमखु थे |

    इस वशं के प्रारजम्भक राजा गजुवर प्रततहारो के सांमतके रूप में कायव करत ेथ े|

    दसवीं सदी के प्रारभ मेंवाकं्यपततराज प्रथम ने प्रततहारो स ेअपने को स्वततं्रकर सलया इसके उतराधधकारी एव ं पतु्र ससध्दराज ने राज्य का पवस्तार कर महाराजाधधराज की पदवी ंधारणा की |

    इस वशं के शासक अजयराज ने अजमेंर नगर की स्थापना की एव ंयहाँ पर सनु्दर महल और महदरोंका तनमावण करवांया एव ंराजधानी िनाया |

    इस वशंकाअततमं और पवतयात राजा पथृ्वीराज ततृीय था इसका शासन काल 1179-1192 ई. रहा | इसने िदेुलखण्ड के चंदेल शासक परमाहदवव को परास्त ककया |इस यदु्धमें दो चंदेलवींर योध्दा आल्हा-उदल मारे गए थ े1191 ई. में तराइन के प्रथम यदु्धमें इसने महुम्मद गोरी ककया था | लेककन 1192 ई. में तराइन के द्पवतीय यदु्ध में गोरी से पराजजत हो गया और िदंी िना सलया गया और मार डाला गया | इसी तराइन के द्पवतीय यदु्ध के िाद गोरी ने मजुस्लम साम्राज्य की नींव रखी एव ंअपने पवश्वसनीय गलुाम कुतिुदु्दीन ऐिक़ को यहाँ के शासन करने के सलए तनयकु्त ककया | र्ेर्ाकभकु्तत व बु् ेलखण्ड के चं्ेल

    िदेुलखण्ड के चंदेल पहले गजुवर प्रततहारो के सांमतथेिदेुलखण्ड के चंदेल वशं कक स्थापना 9वीं सदी में ननं्नकु द्वारा ककया गया एव ंखजुराहो को अपने राजधानी िनाया |

    यशोवमवन एव ंधगदेव ने 925-1003 तक शासन ककया और प्रततहार साम्राज्य का पवस्तार ककया धगदेव को चदेंलों की

  • वांस्तपवक स्वाधीनता का जन्मदाता माना जाता है इसने महाराजाधधराज की उपाधध धारणा की | इसके समय में खजुराहो में पवतयात महदर कला का तनमावण हुआ |

    इस वशं का प्रतापी शासक पवघाधर था जजसने 1019-1029 ई. तक शासन ककया | इसने कन्नौज के प्रततहार शासक राजपाल को महमदू के पवरुध्द पीठ हदखाने पर दडडतं ककया |

    चंदेल वशं का अततमं शासक परमाहदवदेव था जजसने पथृ्वीराज चौहान के पवरूद्ध सघंर्व ककया | 1203 ई. में ऐिक ने इसे पराजजत कर हदया और चंदेल साम्राज्य पर अधधकार कर सलया | मालवां के परमार

    परमार वशं के राजा राष्ट्रकूटों के सांमतथे 812 ई. मेंगोपवन्द ततृीय नामक राष्ट्रकूट शासक ने मालवां पवजय कर अपने प्रतततनधध के रूपमें उपने्द्र नामक व्यजक्त को शासन करने के सलए तनयकु्त ककया |

    ससयक द्पवतीय ने 10 वी ं सदी के अतंमें अपने राज्य को स्वततं्र घोपर्त ककया | 972 ई. इसने राष्ट्रकूट शासक खोहटग को हराकर मान्यखेट को जला हदया |

    पहले परमार वशं की राजधानी उज्जैन थी आगे चलकर धार हो गई |

    इस वशं का प्रतापी राजा भोज था इसी ने उज्जैन स ेराजधानी धार िनायी |बिहार के पजश्चमी भाग पर परमारोंमें अधधकार के कारण आरा और उसके आसपास के क्षेत्र को भॉजपरु कहा जाता है यह स्वय ंकपव था | इसने सरस्वती कंठामरण , सतु्रधार ग्रन्थ की रचना की | धार से कुछ

    भोजपरु नामक नगर िसाया | एक तालाि भोजसागर िनवांया |

    1305 ई. में अलाउद्दीन के सेनानायको ने मालवां पर आक्रमण कर इस वशं का अतंकर हदया | गरु्रात के चालतुय

    चालकु्य वशं की अनेक शाखाओं में गजुरात केचालकु्य भी प्रमखु थे इस वशं काससं्थापक मलूराज प्रथम था | इसका शासन काल 942-995 ई. था | इसने अजन्हलपवड़ को अपनी राजधानी िनाया |

    इसके िाद भीम प्रथम शासक िना | इसी के समय महमदू के चले जाने के िाद इसने महदर की मरम्मत कराई |

    इसके िाद कणव शासक िना | इसने कणोश्वर महदर एव ंसागर झील का तनमावण करवांया |

    महुम्मद गोरी के आक्रमण के समय मलूराज दपवतीय या भीम द्पवतीयशासक था | जजसने महुम्मद गोरी को 1178 ई. में आि ुपववत के नीच ेपराजजत ककया था |

    भीम द्पवतीय के िाद उसका भाजा लवणाप्रसाद ने गजुरात में िधेल वशं की स्थापना की | हहन््शूाही वशं

    कािलु घाटी तथा गांधार प्रदेश में लगतुवमान के नेततृ्व में स्थापपत तकुव शाही को उसके एक ब्राहामण मत्री कल्लर ने प्रभावहीन कर 9वी ंशताब्दी के उतराधदव मेंहहन्दशूाही वशं की स्थापना की

    इस वशं के शासक भीम ने अपनी पतु्री की शादी लोहार वशं के क्षेमगपु्त से की जजनसे हदद्दा का जन्म हुआ जो कश्मीर

  • की प्रससद्धशाससका िनी जि याकूि द्वारा कािलूपर अधधकार कर सलया तो इसने ओहहन्द को अपनी राजधानी िनाया |

    जयपाल इस वशं का उतराधधकारीआनदपाल हुआ | इस समय भी महमदू का आक्रमण जारी रहा |

    हहन्दशूाही वशं ने सिसे ज्यादा महमदू के आक्रमणका सामना ककया | 1026 ई. में लगभग इस वशं का अतं हो गया | कश्मीर के रार्वशं

    7वीं शताब्दी में दलुवभवधवन ने कश्मीर में काकोट वशं की स्थापना की | उसने प्रतापपरु नामक नगर िसाया |

    लसलताहदत्य मकुतापीड़इस वशं का एक महत्वपणूव शासक था धासमवक दृजष्ट से उदार था चीनी दरिार में दतु मडलं भेजा | कश्मीर में मातवण्ड महदर का तनमावण करवांया | प्रभार्पाटन नामक नगर िसाया | उत्पल वशं

    काकोट वशं के अतंतम राजा जयपीड़पवनयाहदत्य के समय में जनता असतुषं्ट हो गयी इसका लाभ उठाकर अवजन्तपरु नामक नगर एव ंसयुापरु का तनमावण करवांया |

    इसका उतराधधकारी शकंरवमवन िना | यदु्धो में व्यस्त रहने के कारण खजाना खाली होने के से जनता असतुषं्ट हो गई इससे जनता ने यशस्करं को सता सौप दी | लोहार वशं

    939 ई. में यशस्करं के उतराधधकारी सग्रामराज की हत्या उसके मत्री पववगपु्त ने करके स्वय ं सता सभाल ली और लोहार वशं की स्थापना की |

    इसका पतु्र क्षेमगपु्त उतराधधकारी हुआ जजसका पववांह हहन्दशुाही राजकुमारी हदद्दा से हुआ | 958 ई. में क्षेमगपु्त की मतृ्य ुके िाद 50 वर्व तक कश्मीर की सता पवद्दा के हाथ में रही | 1003ई. में इसकी मतृ्य ुके िाद सग्रामराज शासक िना | ्क्षिण भारतीय राज्य

    सातवांहन के िाद दक्षक्षण भारत की राजनीततक एकता भगं हो गयी |वांकाटकों ने इसे एकजुट करने की कोसशश की |छठी सदी में के लगभग 300 वर्व तक दक्षक्षण भारत के इततहास में दो शककतशाली की चचाव है

    (1)वांतापी के चालकु्य (2)काची के पल्लव चालतुय वशं

    चालकु्यों की शजक्त का केन्द्र वांतापी था जो िीजपरु राज्य मेंजस्थत था यह मलू शाखा पजश्चमी चालकु्य के नाम से जाना जाता है

    मलू शाखा का इततहास पलुकेसशन प्रथम से शरुू होता है इसने वनवांसी के कदम्िो एव ंमसैरू नलों को यदु्ध में परास्त कर साम्राज्य का पवस्तार ककया |

    इसका उतराधधकारी मगलेश हुआ जजसकी हत्या पलुकेसशन द्पवतीय ने कर दी और शासक िन िठैा | इसी के समय 630-34 ई. में हर्ववधवन के साथ पलुकेसशन द्पवतीयका यदु्ध हुआ था जजसमें हर्व पराजजत हुआ |इस यदु्ध का उल्लेख एहोल असभलेख में है | पल्लव शासक नरससहं वमवन ने इसे पराजजत कर वांतापीकोड की उपाधध धारणा की |इस यदु्ध में पलुकेसशन द्पवतीय मारा गया |

  • पलुकेसशन ने िेगी राज्य पर अधधकार कर सलया और अपने भाई पवष्णुवधवन को वहा का शासक तनयकु्त ककया | दक्षक्षण के िेगी के चालकु्य राज्य की स्थापना की पवष्णवुधवन ने ककया |

    वांतापी के चालकु्य वशं का एक महत्वपणूव शासक पवक्रमाहदत्य हुआ जो 655 से 680 तक शासन ककया | इसने लाट क्षते्र पर पवजय हाससल कर वहा अपने भाई जयससहं को शासक तनयकु्त ककया | जजसने गजुरात में चालकु्य वशं की शाखा स्थापपत की |

    कल्याणी के चालतुय इस शाखा की स्थापना का शे्रय भीभ पराक्रम को हदये जाता

    है यह प्रारभ में राष्ट्रकूट कासांमतथा | इसने अततमं शासक करक को परास्त के सता पर अधधकार कर सलया | प्रारभमें मान्यखेट को ही अपनी राजधानी िनाया |

    इस वशं का महत्वपणूव शासक सोमेंश्वर प्रथम था इसको चोल शासक राजाधधराज ने कोम्पम के यदु्ध में पराजजत ककया था यह चालकु्य की राजधानी मान्यखटे से कल्याणी ले गया | काची के पल्लव

    इस वशं का उत्थान सातवांहनों के पतन के साथ ही शरुू हो गया | इस वशं के ससं्थापकससहंपवष्णु थे जजनका शासन काल 575-600 ई. था | ककराताजुवनीय कारचतयता भारपव इसी के समय हुआ |

    इसका उतराधधकारी महेन्द्रवमवन प्रथम था जो चालकु्य नरेश पलुकेसशन द्पवतीयके समाकालीन था | इसने मतापवलास प्रहसन नामक ग्रन्थ की रचना की |

    इसके उतराधधकारी नरससहंवमवन ने पलुकेसशन द्पवतीय को पराजजत के मार डाला और वांतापीकोड की उपाधध धारणा की | इसने महािलीपरुम नामक नगर िसाया | ह्वेनसांग ने इसके समय में काची यात्रा की थी |

    नरससहंवमवन के िाद महत्वपणूव शासक नरससहंवमवनद्पवतीय हुआ इसका काल कला,सस्कृतत का उत्थान काल था | इसने कांची का कैलाश नाथ महदर,महिलीपरुम का महदर का तनमावण करवांया | प्रसशद्ध पवदवांन दंडडन इसके दरिार में रहत ेथे | ह्ल्ली सल्तनत

    हदल्ली सल्तनत के अधधकांश शासक तकुव थ े | इनकी मातभृार्ा तकुी थी एवमं ्सरकारी काम-काज की भार्ा फ़ारसी थी | कुछ महत्वपणूष इततहासकार एव ंउनकेग्रन्थ अलबरूनी

    यह महमदू गजनवीं के साथ भारत आये थ े | इनका ग्रन्थ ककताि उल हहन्द है | उत्बी

    यह महुमद का दरिारी इततहासकार था | यह भारत नही आया था | इसकी प्रमखु पसु्तक तारीख-ए-यासमनी है |

    कफरदोसी महमदू गजनवींका दरिारी कपव था | शहनामा की रचना की |

  • समन्हाज-उल-ससराज तिकात ेनाससरी पसु्तक की रचना की | जजयाउदधीन िरनी तारीख-ए-कफरोजशाही एव ंफतवां-ए-जहाँदारी पसु्तक सलखी | आसमर खुसरो खजाएन-उल-फुतहू एव ंतगुलकनामा पसु्तक की रचना की | इब्निततूा अफ़्रीकी या मोरक्को 1333 ई. में महुम्द पवन तगुलक के

    दरिार में आया | इसने ककताि-उल-रेहला ग्रन्थ की रचना की |

    शम्स- ए- ससराज तारीख-ए-कफरोजशाही ग्रन्थ की रचना की | कफरोजशाह तगुलक इसने अपनी आत्मकथा ‘फतहुात ेकफरोजशाही’ की रचना की | अली अहमद चचनामा की रचना अरिी भार्ा में की गई | महमदू गजनवीं 998 ई. में महमदू गजनवीं ने गजनी का सलु्तान िनने के

    िाद भारत पर आक्रमण करने का तनश्चय ककया | इसके दो कारण थे इस्लाम के धासमवक-पवचार को फैलाना एव ंभारत स ेधन प्राप्त करना | यद्यपप महमदू का भारत पर आक्रमण िहुत सफल नही रहा कफर भी महमदू ने भारतीय राजनीतत को अस्त व्यस्त कर हदया |

    महमदू का पहला आक्रमण भारत के सीमांत प्रदेशो पर 1000 ई. में हुआ | महमदू का सिसे ज्यादा प्रततरोध हहन्दशुाही वशं

    को करना पड़ा | इसका महत्वपणूव आक्रमण 1018-19 ई. में चंदेलों के पवरुद्ध हुआ | इस समय चंदेल राजा पवद्याधर था | महमदू का सिसे महत्वपणूव आक्रमण 1025-26 ई. में सोमनाथ मजन्दर पर हुआ | इस समय गजुरात के शासक भीम द्पवतीयथा | महमदू का अतंतम आक्रमण सीमांत प्रदेशो पर 1027 ई. में हुआ |महमदू ने भारत पर 17 िार आक्रमण ककया | महुम्मद गोरी

    गयासदु्दीन महुम्मद 1173 ई. में गोर साम्राज्य का शासक िना तो अपने भाई शहािुद्दीन को गजनी का गवनवर िनाया |यहा शहािदु्दीन इततहास में महुम्मद गोरी के नाम से प्रसशद्ध है |

    महमदू गोरी ने गोमल दरा हो कर सववप्रथम मलु्तान और उच्छ पर अधधकार कर सलया | 1178 ई. में गोरी को गजुरात के भीम द्पवतीय ने आि ूपववत के तनकट हरा हदया |

    महमदू गोरी ने पजंाि पर आक्रमण कर 1184 से 85 में महमदू गजनवीं वशं के अतंतम शासक खसरो मसलक को परस्त के उस पर अधधकार कर सलया |

    महमदू गोरी का सिसे महत्वपणूव यदु्ध तराइन का प्रथम एवदं्पवतीय यदु्ध था |1191 ई. के प्रथम यदु्ध में यह पथृवींराज चौहान से पराजजत हो गया था जिकक 1192 ई. के द्पवतीय यदु्ध में पथृवींराज को पराजजत कर िदंी िना सलयाव्म गोली मार कर मार डाला | 1192 के पवजय के िाद गोरी भारत की जजम्मेदारी अपने पवश्वशनीय गलुाम ऐिक को सौपकर स्वदेश लोट गया |

  • 1194 ई. में गोरी कफर वांपस आया चन्दावर के यदु्ध मेंकन्नौजके शासक जयचंद को पराजजत कर उस पर अधधकार कर सलया |

    1202 से 03 ई. में एक साधारण तकुी सेनापतत वजततयार खखलजी ने िगंाल, बिहार पर अधधकार कर सलया | इसने ओदंतपरु नालदंा एव ंपवक्रमसशला पवश्वपवद्यालय को नष्ट कर हदया और वहा तनवांस करने वांले िौद्ध सभक्षुओ को मार डाला |

    गोरी का अतंतम आक्रमण 1205 ई. में खोखरों के पवद्रोह को दिाना के सलए ककया | पवजय के िाद वांपस लोटत े समय 1206 में रास्त ेमें इसकी हत्या कर दी गई | गलुाम वशं

    कुतिुदु्दीन ऐिक गोरी की मतृ्य ुके िाद लौहार की जनता ने गोरी के प्रतततनधध

    ऐिक को लाहोर पर शासन करने का तनमतं्रण हदया और ऐिक ने भारत की सत्ता सभंाली | गोरी का दसूरा गलुाम यल्दोज गजनी का तथा कुिाचा उच्छ का शासक िन िठैा |

    ऐिक को असीम उदारता के सलए लाख िक्श कहा जाता है | 1210 ई. में चौगान खेलत ेसमय घोड़ ेसे धगरने के कारण ऐिक की मतृ्य ुहो गयी |

    ऐिक ने हदल्ली में कुवत-उल-इस्लाम मजस्जद और अजमेंर में ढाई हदन काझोपङा िनवांया | उसने कुतिुदु्दीन िजततयार काकी के नाम पर कुतिुमीनार के तनमावण का कायव शरुू करवांया जजसे इल्ततुसमश ने परूा ककया |

    ऐिक की मतृ्य ु के िाद लौहार के अमीरों ने आरामशाह को सलु्तान घोपर्त ककया | जिकक हदल्ली के अमीरों ने िदाय ुके गवनवर , जो ऐिक का गलुाम अवन दामाद था, को सलु्तान घोपर्त ककया | जुदं की लड़ाई में इल्ततुमीश नेआरामशाह को पराजजत कर हदया | इल्ततुमीश

    इल्त ुतसमश का शासन काल 1210 से 1236 ई. तक रहा | इसने लाहौर के स्थान पर हदल्ली को अपनी राजधानी िनाया | इसे हदल्ली सल्तनत कावांस्तपवक ससं्थापक भी माना जाता है |

    इल्त ुतसमश ने तराइन के यदु्ध में यल्दौज को पराजजत कर एव ं कुिाचा के आत्महत्या कर लेने के िाद साम्राज्य को जस्थरता प्रदान की |

    1229 ई. में िगदाद के खलीफा से हदल्ली सल्तनत की खखलाफत प्राप्त ककया | इसने दो ससक्के , चांदी के टका और ताम्िे का जीतल चलवांया | इल्ततुमीश पहला शासक था जजसने ससक्के का माननी कारण करवांया | इसने चहल गामी ( चालीस गलुामो का दल ) की स्थापना की | इसने न्याय के सलए दरिार में घटंा लगवायंा |

    कुतिुमीनार के तनमावण के कायव को परूा करवांया | रक्र्या सलु्तान

    इल्ततुसमश ने रजजया सलु्तान को अपनी उतराधधकारी तनयकु्त ककया | लेककन तकुव अमीरों एव ंइक्तादारो एव ंरूकुद्दीन कफरोज की माता शाहतकुकव न ने कफरोज को सलु्तान घोपर्त कर हदया

  • | यह बिलासी एव ंअत्याचारी शासक था | रजजया जनता के समथवन से सलु्तान िनी |

    रजजया पहली मजुस्लम महहला थी जजसने सलु्तान का पद प्राप्त ककया | िहठण्डा का शासक अल्ततुनया 1240 ई. में पवद्रोह के हदया रजजया इसके पवरुद्ध असभयान चलाई लेककन िदंी िना ली गई | अल्ततुनया से रजजया पववांह कर हदल्ली की गद्दी प्राप्त करने की कोसशश की, लेककन 1240 ई. में कैथल के तनकट दोनों की हत्या कर दी गई | बहरामशाह

    इसका शासनकाल 1240 से 42 ई. रहा । इसके समय में पहली िार नाएि -ए-ममसलकात का पद िनाया गया । इस पद पर पहली िार एतगीन को िहाल हदया गया |इसके समय मेंमगंोल का प्रथम आक्रमण हुआ महमू् शाह

    इसका शासन काल 1242 से 46 तक रहा । इसके समय मेंमगंोलों का दिुारा आक्रमण हुआ । नाससरुद्दीन महमू्

    इसका शासन काल 1246 से 65 ई. तक रहा । 1265 ई. में नाससरूद्दीन महमदू की मतृ्य ु हो गई | इसी समय िलिन नाएि-ए-ममसलकात के पद पर िहाल हुआ । लेककन पवरोध के कारण िलिन को हटाकर पहली िार एक भारतीय मसुलमान अिलु रेहान को इस पद पर िठैाया गया कुछ समय िाद कफरिलिन इस पर दिुारा तनयकुत हो गया । बलबन

    इसका शासन काल 1266-86 ई. रहा ।इसने चालीस दल को भगं कर हदया । इसने ससजदा पिैोस की नीतत लाग ूकी । इसकी साम्राज्य नीतत लौह एव ंरकत की नीतत पर आधाररत थी । कैकबा्

    1286 ई. में िलवन की मतृ्य ु के िाद कैकुिाद शासक िना। इसने आररज-ए-ममुासलक के पद पर जलालदु्दीन खखजली को तनयकुत ककया । कैमसुष

    जलालदु्दीन खखजली ने कैकुिाद की हत्या कर कैामसुव को शासक िनवांया लेककन वासं्तपवक सत्ता जलालदु्दीन के हाथ में आ गयी कुछ हदन इसकी हत्या कर दी गई और खखजली वशं की स्थापना ककया ।

    िलवन ने आररज-ए-ममुासलक की स्थापना ककया । खखलर्ी वशं र्लालदु्दीन खखर्ली

    खखजली वशं का ससं्थापक जलालदु्दीन खखजली था जजसने ककलोखरी महल में सता ग्रहण ककया जजसका तनमावण िलवन ने करवांया था 70 वर्व के उम्र में शासक िना ।

    अलाउद्दीन खखजली की साम्राज्यवांदी नीतत का प्रमखु असभयान गजुरात था जजस पर िघेल वशं के राय कणवदेव पकड ली गई जजससे अलाउद्दीन ने शादी कर ली और एक हहजड़ा मसलक काफुर समला लेककन पतु्री देवलरानी के शासक रामचन्द्र के यहा शारण ली । 1303 ई. में धचतौड असभयान ककया जजसका कारण रानी पदसमनी को पाना था अलाउद्दीन ने

  • धचतौड पवजय कर अपने पतु्र खखज खां को शासक िनाया और धचतौड का नया नाम खखजिाद रखा ।

    अलाउद्दीन के दक्षक्षण असभयान का नेततृ्व मसलक काफूर ने ककया । देवधगरी असभयान में वहा के शासक रामचन्द्र और देवलरानी को हदल्ली लाया गया रामचन्द्र को राय -रयान की उपाधध दी गई एव ं देवलरानी की शादी खखज्र खाँ स ेकर दी गई

    पवद्रोह को रोकने के सलए आपसी मेंल जोल पर रोक,मघपान पर रोक लगा हदया ।

    प्रशासन में सधुार के क्रम में घोड े के सलए दाग एव ं हुसलया प्रणाली शरुू ककया गपु्तचर प्रणाली के सधुार के सलए िरीद-ए-ममुासलक पवभाग िनाया । िाज़ार पर तनयतं्रण के सलए िाज़ार तनयतं्रण व्यवस्था लाग ू की | अलाउद्दीन ने भसूम की माप कराई ,राजस्व के सचंालन के सलए दीवांन-ए-मसु्तखराज पवभाग खोला|

    िाज़ार व्यवस्था के देख रेख के सलए दीवांन-ए-ररयासत का गठन ककया गया | इसके सलए शहना–ए-मडंी नामक अधधक होता था

    अलाउद्दीन ने हदल्ली में एक ककला कौसशक-ए-ससरी का तनमावण करवांया| अलाई दरवांजा का तनमावण करवांया | कुतिुमीनार के दगुने आकार के मीनार िनाने का तनमावण ककया | 1316 ई. में अलाउद्दीन की मतृ्य ुहो गया |

    अलाउद्दीन ने सीरी को अपने राजधानी िनाया | मबुारक शाह खखर्ली

    मिुारक शाह खखजली मासलक काफूर की हत्या कर गद्दी पर िठैा | इसका शासम काल 1316-1320 रहा | यह हदल्ली का पहला सलु्तान था | जजसने स्वयं खलीफा घोपर्त ककया |

    1320 ई. में खसरुो ने इसकी हत्या कर शासक िन गया | लेककन पवलासी प्रवतृत एव ं प्रशासतनक अक्षमता के कारण दीपालपरु के गोजी मासलक ने एक छोटे मठुभेड़ में इसकी हत्या कर दी और धगयासदु्दीन तगुलक के नाम से गद्दी पर िठैा | तगुलक़ वशं

    इस वशं काससं्थापकधगयासदु्दीन तगुलक़ था जजसने 1320-25 ई. तक शासन ककया | यह एक पवद्वान शासक था |लगान के रूप में उपज का 1/10 तक लेने का आदेश हदया | महुम्म् बबन तगुलक़

    धगयासदु्दीन की मतृ्य ु केिाद उसका पतु्र जौना खाँ महुम्मद बिन तगुलक ने नाम से गद्दी पर िठैा इसका शासन काल 1324-1351 ई. रहा।

    इसने खुतिा पर से खलीफा का नाम िाहर कर हदया । यह हहन्दओु के होली के त्यौहार में भाग लेता था इसके जैन पवद्वान जजनप्रभा सरुी को अपने महल में स्वागत ककया नई राजधानी देवधगरी का नया नाम दौलतािाद रखा ।

    महुम्मद बिन तगुलक ने प्रतीकात्मक मदु्रा जारी करने का तनणवय सलया तािेँ एव ंकांसे की मदु्रा जारी की गई

    कृपर् पवस्तार के उद्देश्य से दीवांन-ए-कोही नामक पवभाग खोला जजसका प्रधान अमीर-ए-कोही होता था

  • इसी के शासनकाल में 1336 ई. में हररहर एव ंवकुका नामक दो भाइयों ने पवजयनगर साम्राज्य को स्थापपत कर सलया 1338 ई. मेंिगंालस्वततं्र हो गया देवधगरी के आसपास के क्षेत्र में हसन गग ुके नेततृ्व में िहमनी साम्राज्य की नवीं पडी

    महुम्मद बिन तगलुक ने जहापनाह नगर एव ंआहदलािाद के दगुव का तनमावण करवांया । फिरोर् शाह तगलुक

    थट्टा में महुम्मद बिन तगलुक की मतृ्य ु के िाद वही पर अमीरों के कहने पर कफरोज तगलुक ने सता सभाल ली । इसकी माँ िीिी जैला राजपतू सरदार रणमल की पतु्री थी ।

    इसने ककसानो के ऋण को माफ कर हदया एव ंसरकारी पद को वशंानगुत िना हदए

    शक्रवांरी खुतिे में हदल्ली साम्राज्य के सभी सलु्तानो का नाम शासमल ककया इसमें ऐिक का नाम नही है ।

    इसने ब्राहाणो को भी जजजया कर देने के सलए िाध्य ककया इसने 23 प्रकार के करों को समाप्त कर शरीयत के अनसुार केवल चार प्रकार के कर जजजया ,जकात ,खम्श एव ंखराज सलया | इसके अलावां ससचाई कर के रूप में हक-ए-शिव सलया जाता है

    उत्पादन िढाने के उद्देश्य से दासों को खरीदा गया इनकी सतंया 1,80,000 तक पहँुच गया इनकी देखभाल के सलए सलु्तान ने दीवांन-ए-िदगान पवभाग िनाया ।

    इसने मजुस्लम गरीिो के कल्याण के सलए दीवांन-ए-खैरात नामक एक पवभाग की स्थापना ककया । अलाउद्दीन खखलजी द्वारा तनसमवत हौज-ए-खास की मरम्मत भी करवांया ।

    इसने अशोक के दो असभलेख टोपरा एव ं मेंरठ स े हदल्ली मगंवांया ।इसने फतहेािाद,कफरोजािाद.हहसार, कफरोजपरु और जौनपरु नामक नगर को िसाया ।

    तगुलक वशं का अतंतममहत्वपणूव शासक महुम्मद शाह िना । इसी के समय जौनपरु में शकी साम्राज्य का उदय हुआ । 1398 ई. में तमैरु लग का आक्रमण इसी के शासन काल में हुआ । सयै् वशं

    इस वशं के ससं्थापक खखज्र था जजसने 1414 ई. में इस वशं की स्थापना ककया । यह सलु्तान की उपाधध धारण की न कर रैयत -ए-आला की उपाधध से खुश रहा । शाहआलम

    1434 ई. में मिुारक शाह की मतृ्य ुके िाद गद्दी पर िठैा । यह 1451 ई. में सरहहन्द के गवनवर िहलोल लोदी के पक्ष में गद्दी छोड कर िदायू ंचला गया । जहां 1451 ई. में उसकी मतृ्य ुहो गयी । लो्ी वशं

    िहलोल लोदी ने प्रथम अफगान राज्य की स्थापना 1451 ई. में ककया । इसने िहलोल नामक ससक्का चलाया | इसके शासन काल में अफगानो का पलायन काफी मात्रा में भारत की और हुआ | ससकन््र शाह लो्ी

    1489 ई. में िहलोल लोदी की मतृ्य ुके िाद यह शासक िना । इसने 1504 ई. में आगरा नगर िनवांया तथा 1506 ई. में

  • आगरा राजधानी िना ।इसने भसूम की माप कराई । इसके सलए उसने गज-ए-ससकन्दरी का प्रयोग ककया ।

    इसने यानेश्वर के एक तालाि में हहन्दओु के स्नान पर प्रततिधं लगाया । मसुलमानो को ताजजया तनकालने एव ंजस्त्रयों को पीरों एव ंसतों के मजार पर जाने से मना ककया |

    इसके आदेश पर ससं्कृत के एक आयवेुद ग्रन्थ का फारसी में फरहगे ससकन्दरी के नाम से अनवुांद हुआ |

    इसने आगरा को अपनी नयी राजधानी िनवांया | इब्राहहमलो्ी

    1517 ई. में ससकन्दर की मतृ्य ुके िाद इब्राहहम लोदी शासक िना | इसके शासन काल में पानीपत का प्रथम यदु्ध हुआ जजसमें िािर ने इसे पराजजत कर मगलु वशं की स्थापना ककया | 1526 में पानीपत के प्रथम यदु्ध में पराजय के िाद लोदी वशं का अतं हो गया और एक नये वशं मगलुवशं की स्थापना हुई | स्वततं्रप्रान्तीय राज्य र्ौनपरु का शकी राज्य

    जौनपरुनगर की स्थापना कफरोज शाह तलुगक ने 1460 ई. में ककया | मसलक सरवर जजसे तगुलक़ ने मसलक-उस-शकव का उपाधध प्रदान ककया था इसने तमैरू के आक्रमण के अव्यवस्था का लाभ उठाकर शकी वशं की स्थापना की |

    इब्राहहम शाह शकी इस वशं का एक महत्वपणूव शासक हुआ जजसने प्रभावशाली ढग स े राज्य का पवस्तार ककया | उसने सशराज-ए-हहन्द की उपाधध प्राप्तकी |

    इसके उतराधधकारी कमजोर थे | हुसनै शाह शकी के समय िहलोल जौनपरु पर अधधकार कर सलया |पद्मावत के रचनाकार मसलक महुम्मद जायसी यहाँ रहत ेथ े| इब्राहहम शाह शकी ने अटाला मजस्जद का तनमावण ककया | बगंाल

    1338 ई. में महुम्मद बिन तगुलक़ की व्यस्तता का लाभ उठाकर फरवरूद्दीन मिुारक शाह ने िगंाल को एक स्वततं्रराज्य िनाया |

    िगंालका एक महत्वपणूव शासक ससकन्दरशाह िना जो 1389 ई. तक शासन ककया | ससकन्दर ने पाण्डुआ में अदीना मजस्जद का तनमावण करवांया |

    1493 ई. में अलाउद्दीन हुसनै शाह िगंालका शासक जो चैतन्य का समकालीन था इसने छोटा सोना मजस्जद का तनमावण करवांया |

    इसका उतराधधकारी नसुरत शाह हुआ | इसने गोड में िड़ा सोना एव ंकदम रसलु मजस्जद का तनमावण करवांया |

    इस वशं काअतंतमशासक ग्यासदु्दीन महमदू शाह हुआ | 1538 ई. में शरेशाह ने िगंाल पर अधधकार कर सलया | मालवा ं

    मालवांमेंस्वततं्रराज्य की स्थापना 1401 ई. में हदलावर खा ँने ककया |

    इसके पतु्र एव ंउतराधधकारी अलप खाँ हुसगंशाह के नाम से गद्दी पर िठैा | यह मालवां की राजधानी धार से माण्डु ले गया |

  • इस वशं का अततमं शासक महमदु शाह द्पवतीय हुआ |1531 ई. में गजुरात के शासक िहादरुशाह ने माण्ड पर आक्रमण कर इसे मार डाला एव ंमालवां को गजुरात में समला सलया | गरु्रात

    गजुरात राज्य की स्थापना 1407 ई. में जफर खाँ की | 1411 ई. में इसकी मतृ्य ु के िाद अहमदशाह शासक िना |

    इसे गजुरात के स्वततं्र राज्य कावांस्तपवक ससं्थापक माना जाता है अहमदशाह ने अहमदािाद नगर की स्थापना ककया और राजधानी पाटन से हटाकर अहमदािाद में स्थापपत ककया | गजुरात के हहन्दओ पर पहली िार जजजया कर लगा हदया |

    1441 ई. में अहमदशाह की मतृ्य ु के िाद सिसे महत्वपणूव शासक महमदू िेगडा शासक िना | इसने धगरनार की पहाड़ी के नीचे मसु्तफािाद नाम का नया शहर िसाया | और इसे अपनी दसूरी राजधानी की स्थापना ककया | महमदू िेगडा ने चम्पानेर के तनकट महमदूािाद नगर की स्थापना ककया |

    1511 ई. में इसकी मतृ्य ु के िाद िहादरुशाह शासक िना | जजसने मालवां को अपने राज्य में समला सलया | मेंवाड़

    1303 ई. में अलाउद्दीन ने मेंवाड के राजा रत्न ससहं को परजजत कर इस पर अधधकार कर सलया | महुम्मद बिन तगुलक़ के समय सससोहदया वशं के हम्मीरदेव ने मेंवाड़मेंस्वततं्रराज्य की स्थापना की |

    इस वशं का महत्वपणूव शासक राणाकुम्भा था इन्होंने पडोससयों को परास्त कर मेंवांड़ का पवस्तार ककया | इसने धचतौड़ के कीतत व स्तम्भ का तनमावण करवांया |

    इस वशं का एक महत्वपणूव शासक राणा सागा था मालवां के सरदार मेंदनी राय के सहयोग से मालवां के सलु्तान महमदू द्पवतीय को िदंी िना सलया |1527 ई. मेंखानवां की लड़ाई में पराजजत हो गया |

    कश्मीर 1339 ई. में कश्मीर में पहला मजुस्लम शासन स्थापपत हुआ |

    इसकी स्थापना शम्सदु्दीन शाह मीर ने ककया | 1420ई. में जैन-ऊल-आिदंीन गद्दी पर िठैा | इसने कश्मीर में

    जजजया को हटा हदया | गोवध पर प्रततिध लगा हदया | इसके तनदेश पर महाभारत एवरंाजतरंधगणी का फारसी में अनवुांद करवांया गया | भक्तत आं्ोलन

    भजक्त आदंोलनका पवकास दो चरणोंमें हुआ | पहला चरण दक्षक्षण भारत में 7वीं सदी से 13सदी तक तथा दसूरा चरण 13 वीं सदी से 16 वीं सदी तक परेू भारत में हुआ |

    आठवीं सदी में शकंराचायव का जन्म केरल के कालदंी ग्राम में हुआ इन्होंने ज्ञानमागव को मोक्ष प्राजप्त का सववशे्रष्ठ साधन िताया | शकराचायव ने अदैव्तवांद के ससद्धान्त का प्रततपादन ककया |

    दक्षक्षण भारतमें अलवांर एवं नायक सतो ने 7 वीं स े12 वी ंसदी के मध्य भजक्त मागव का प्रचार ककया | रामानरु्

    12 वीं सदी ने इसका जन्म ततरूपतत के तनकट हुआ | इन्होंने सगणु भजक्त पर िल देत े हुए पवसशष्टाद्वतैका प्रततपादन ककया |

  • माध्वाचायष माध्वाचायवका जन्म उडुपी में हुआ और वह पवष्णु के भक्त थ े

    इन्होंने दैवतवांद के ससद्धान्त का प्रततपादन ककया | ये कहत ेथे ईश्वर को केवल भजक्त के मागव से प्राप्त ककया जा सकता है | तनम्बाकष चायष

    इसका जन्म मद्रास के िेलारी में हुआ | ये कृष्ण के उपासक थे इन्होंने दैव्तदैवत के ससद्धांत का प्रततपादन ककया |

    बल्लभाचायष ये तलेग ु ब्राहामण थे जजनकी सशक्षा काशी में हुई कफर

    कृष्णदेवराय के दरिार मेंचले गये | ये कृष्ण भजक्त को शे्रष्ठ मानत ेथे इन्होंने शधु्दव्दैत के ससद्धान्तका प्रततपादन ककया | रामानन््

    भजक्त आदंोलन को दक्षक्षण से उत्तर लाने का शे्रय है इन्होंने राम की उपासना पर िल हदया | इसके 12 सशष्यों में किीर,सेना,रैदास,धन्न शासमल थे | हहन्दी में उपदेश देने वांले प्रथम वषै्णव सतं थे | कबीर

    किीर ने एकेश्वरवांद में आस्था एव ंतनराकर िहाव की उपासना पर िल हदया | इसके उपदेशो की चीजक में सकसलत ककया गया है | गरुु नानक

    इसका जन्म 1489 ई. में एव ं मतृ्य ु 1538 ई. में हुआ | इसके पवचारों को गरुू ग्रन्थ में सकसलत ककया गया है | चैतन्य

    चैतन्य महाप्रभ ुका जन्म नाहदया जजले में हुआ | कृष्ण की उपासना एव ंभजक्त को व्यापक स्वरूप इन्होंने प्रदान ककया | मीरा

    मीरा राठौर वशं की िेटी और सससोहदया वशं की िहुु थी | इन्होंने कृष्ण भजक्त को अपनाया | सरू्ास

    इन्होंने यह कृष्ण भजक्त को अपनाया | इन्होंने वल्लभाचायव से सशक्षा लली थी सरूसागर इनकी प्रमखु रचना है | तलुसी्ास

    राम भक्त के रूप मेंप्रससद्ध है रामचररतमानस इनकी प्रससद्ध रचना है सिूी आं् ोलन

    इस्लाम में पवसभन्न रहस्यात्मक प्रवतृतयो एव ंआदोलनो को सफूी मत कहत े है सफूीवांद ने इस्लामी कट्टरपन को त्याग हदया । सफूी अपने ईशवर को पप्रयतमा मानत े है जजन्हे आकृष्ट करने के सलए नाच गाना और कव्वाली का भी सहारा सलया ।

    प्रारभ में सफूी मत का केन्द्र मध्य एसशया था महहला सफूी राबिया के काल में सफूी मत चरमोत्कर्व पर पहुच गया ।

    भारत में सफूी मत का प्रचार प्रसार लगभग 12वीं शताब्दी में शरुू हुआ । सफूी मत की अनेक पवचाराधारा भारत आई । चचश्ती ससलससला

    इसके ससं्थापक मईुनदु्दीन धचश्ती गोरी के साथ भारत आए । इनकी गततपवधधयो का प्रमखु केन्द्र अजमेंर था । परम्परा के

  • अन्य सफूी कुतिुदु्दीन िजततयार , काका , िािा फरीद , तनजामदु्दीन औसलया प्रमखु है । सहुराव्ी

    भारत में इसकी सथापना का शे्रय िदरूद्दीन जकाररया को है ।इनका केन्द्र ससधु एव ंमलु्तान था । मलु्तान में इन्होने एक िडा खानकाह िनाया । काह्री ससलससला

    इसकी स्थापना सयैद अब्िलु काहदर अल जजलानी ने ककया । सतारी ससलससला

    इसके ससं्थापक अब्दलु्ला सतरी थे । इसके महत्वपणूव सतं महुम्मद गौस था तानसेनने ईरानी सगंीत की सशक्षा इन्हीं स ेली । चोल साम्राज्य

    850 ई. में पवजयालय को चोल साम्राज्य का द्पवतीयससं्थापक कहा जाता है इसने पाण््य से तजंौर द्दीनकर उरैयरू के स्थान को अपनी राजधानी िनाया एव ं नरकेसरी की उपाधध धारण की।

    परांतक प्रथम एक महत्वपणूव शासक हुआ जजसने पाण््यो की िेल्लरु के यदु्धमें पराजजत कर मदरुा पर अधधकार कर सलया एव ंमदरैुकोँड की उपाधध धारण की । रार्रार्

    985 ई. में राज राज शासक िना । इसकी सिसे महत्वपणूव पवजयश्रीलकंा के शासक महेन्द्रवमवन पाचवाँ को हराकर उसकी राजधानी अनरुाधापरु को नष्ट कर हदया । इस असभयान में जीत ेप्रदेश का नाम मामणु्डी चोलमण्डलम रखा एव ंउस क्षते्र

    की राजधानी पोलोनरूवां को िनाया । इसने तजंौर मेंप्रससद्ध राजजेश्वर या िहृदेश्वर महदर का तनमावण करवांया ।

    राजाराम प्रथम के िाद उसका पतु्र उतराधधकारी राजेन्द्र प्रथम िना । जल सेना की मजितुी की वजह से िगंाल की खाडी इसके सलए चोल झील में पररवतत वत हो गया । इसने शलैेन्द्र शासकों को अपनी अधीनता मानने के सलए िाध्य ककया । उत्तर भारत के सफल असभयान के कारण इसने गगकैोण्डचोल की उपाधध धारण की तथा इस पवजय के उपलक्ष में कावेरी तट के तनकटगगकैोण्डचोलपरुम नामक नयी राजधानी का तनमावण करवायंा ।

    चोल शासक कुलोतगु प्रथम के समय 1077 ई. में चीनी दरिार में92 व्यककतयो का एक दतू मडल भेजा गया जो एक व्यापाररक दतू मडंल था ।

    चोल प्रशासन की प्रमखु पवशरे्ता स्थानीय स्वशासन था । ग्राम स्तर पर उर एव ंसभा नामक दो ससमततयां कायव करती थी । चोल काल के बा् के वशं

    इसका उदय पहाड़ी सरदार के रूप में हुआ । राजवशं के रूप में इसकी स्थापना पवष्णुवध्दवन ने की इसका केन्द्र आधतुनक मैंसरू के तनकट द्वारा समदु्र था । वह रामानजु से प्रभापवत था । यादव वशं

    यह देवधगरी में स्थापपत हुआ इस राज्य की स्थापना सभल्लन ने की । पाण््य

  • सगंम काल से ही ककसी न ककसी रूप में पाण््य राज्य का अजस्तत्व िना रहा । 13 वीं शताब्दी में तसमल देशों को चोलों को परास्त कर अपनी शककत का पवस्तारककया | माकोपोलो 1288 से 1293 ई. तक पाण््य राज्य में रहा । काकतीय

    12 वीं शताब्दी में सकक्रय हो गया । चालकुयों से स्वीधनता को घोर्णा प्रोलराज द्पवतीय ने ककया । बहमनी राज्य

    महुम्मद बिन तगुलक के शासन काल में1347 ई. में जफर खा ँने अलाउद्दीन हसन िहमान शाह की उपाधध धारण की एव ंस्वततं्र िहमनी राज्य की स्थापना की इसने गलुिगाव को अपनी राजधानी िनाया । महुम्म् प्रथम

    िहमान शाह की मतृ्य ु के िाद शासक िना । इसका शासन काल 1358-1375 ई. रहा । इसका अधधकांश समय पवजय नगर के साथ सघंर्वमें िीता | मदुगल के ककले पर िकु्का प्रथम के साथ सघंर्व हुआ । यही पर िारूद का पहली िार प्रयोग प्रारम्भ हुआ प्रशासन की सपुवधा के सलए िहमनी साम्राज्य को तनम्न प्रातो में िांटा : दौलतािाद ,िरार, िीदर और गलुिगाव ।

    1397 ई. में िहमनी साम्राज्य का एक महत्वपणूव शासक कफरोज गद्दी पर िठैा । इसने भीमा नदी के ककनारे कफरोजिाद नगर की नींव डाली । इसने दौलतािाद में वेधशाला िनाया ।

    इसके िाद अहमद प्रथम गद्दी पर िठैा ।इसने सववप्रथम गलुिगाव के स्थान पर िीदर को अपनी राजधानी िनाया । िीदर का नया नाम महुम्मदािाद ककया गया ।

    िहमनी साम्राज्य के पतन के िाद तनम्न राज्य िन िठेै । 1527 ई. में अमीर उल िरीद ने अततम िहमनीशासक

    कसलमलु्ला को खदेड कर िरीद शाही वशं की स्थापना की । िरार में इमारशाही वशं की स्थापना हुई । (3)1489-90में यसुफु आहदल शाह ने िीजपरु में आहदल शाही

    वशं की स्थापना की । इसी वशं के इब्राहहम आहदल शाह ने िीदर को अपने राज्य में समला सलया ।

    (4) 1490में मसलक अहमद ने अहमद नगर में तनजाम शाही की स्थापना ककया । 1517में िरािर को इस राज्य में समला सलया गया ।

    (5) गोलकुण्डा में कुतिुशाह द्वारा कुतिुशाही वशं की स्थापना की गई । ववर्य नगर साम्राज्य

    सगंम के 5 पतु्रो में से हररहर तथा िकु्का ने तुगंभद्रा नदी के उतरी तट पर पवजय नगर शहर एव ंराज्यो की नींव महुम्मद बिन तगुलक के शासन काल में1336 ई. में डाली । इन्होंने अपने पपता के नाम पर सगंम वशं की स्थापना ककया ।

    दोनों भाईयो ने िारी िारी से शासन ककया । पहल े हररहर प्रथम उसके िाद िकु्का प्रथम गद्दी पर िठैा ।िकु्का के पतु्र कुमार कम्पन ने मदरुा पवजय की । इस उपलक्ष्य में उसकी पत्नी गगंादेवीं ने मदरुा पवजय नामक ग्रन्थ सलखा ।

  • इस वशं का एक महत्वपणूव शासक देवराय प्रथम हुआ | इसी के शासन काल में1420 ई. में इटली के तनकोलोकाण्टी नामक यात्री पवजयनगर आया ।देवराय प्रथम नगर का प्रथमशासक था जजसने 10,000 मसलुमानों को सेना में तनयकुत ककया ।

    इसकी मतृ्य ु के िाद देवराय द्पवतीय गद्दी पर िठैा । फारस का राजदतू अर्ब्रदुवज्जाक इसके समय में पवजयनगर आया । देवराय द्पवतीय ने स्वय ं सता सभाल ली । इसे प्रथम िलापहार कहा जाता है ।

    सगंम वशं का अततम शासक पवरूपाक्ष द्पवतीय था । इसके समय सालवु नरससहं नामक एक सेनानायक ने सगमं वशं का अतं कर स्वय ं सता सभाल ली। इस े प्रथम िलापहार कहा जाता है सालवु वशं

    इस वशं के शासकोंमें सालवु नरससहं एव ं इम्माडड नरससहं प्रमखु है एक सेनानी नरसा नायक के पतु्र वींर नरससहं ने 1505 ई. में इम्माडड नरससहं की हत्या कर तलुिु वशं की स्थापना की । इस पररवतवन को द्पवतीय िलापंहार कहा जाता है। तलुबु वशं

    वींर नरससहं का शासन काल अशांततपणूव रहा । इसकी मतृ्य ुके िाद इसका छोटा भाई कृष्ण देव राय 1509 ई. में गद्दी पर िठैा ।

    पवजयनगर एव ंिहमनी के िीच यदु्ध का करण रायचरु दोआव के क्षेत्र कर कब्जा करना था | कृष्ण देव ने अनेको पवजयो

    द्वारा साम्राज्य का पवस्तार ककया । इसने 1510 ई. में भटकल में पतुवगसलयो को ककला िनाने की अनमुतत दी ।

    पतुवगाली यात्री डोसमगो पायस पवजयनगर की यात्रा पर आया । इसने कृष्णदेवरायकी प्रशंसंा की ।

    कृष्णदेव सय के दरिार में तलेग ु के आठ महान पवद्वान रहत ेथे

    कृष्णदेव राय ने अमकुत माल्यदा नामक ग्रान्थ की रचना की ।

    तनमावण के क्षेत्र में कृष्णदेव राय ने नागलपरु नामक नये नगर की स्थापना की । इसने हजारा एव ं पवट्ठल स्वामी नामक महंदर का तनमावण करवांया । सं् ासशव राय

    इस वशं का अततमं शासक सदासशव राय हुआ जो 1570 ई. तक शासन ककया लेककन वांस्तपवक शककत एक मतं्री राम राजा के हाथी में रही ।

    इसी के समय 1565 ई. में राक्षसी तगंड़ी का यदु्ध हुआ जजसमें चार मजुस्लम प्रांत िीजपरु , अहमदनगर ,गोलकुण्ड ,वींदर था | इसमें पवजयनगर िरुी तरह पराजजत हुआ । रामराय इस यदु्धमें मारा गया

    ततरूमल के सहयोग से सदासशव ने पेनकुोड़ा को राजधानी िनाकर शासन करना शरुू ककया । अरह्् ुवशं

    1570 ई. में ततरूमल ने सदासशव को पदच्यतु कर चौथ ेराजवशं अररवदं वशं की स्थापना ककया ।

  • इस वशं का अतंतम शासक श्रीरग ंततृीय था । जो पवजयनगर साम्राज्य का भी अतंतम शासक था । मगलु काल मगलुकासलन साहहत्य िारसी साहहत्य

    िािरनामा या तजुुक-ए-िािरी : यह िािर द्वारा तकुी भार्ा में सलखी गई उसकी आत्मकथा है इससे तत्कालीन भारत के राजनीततक,सामजजक,अआधथवक एव ं सांस्कृततक जीवन पर प्रकाश पडता है िािर ने 5 मजुस्लम और दो हहन्द ूराज्य की िातकी है | अकिर के समय रहीम खान खाना ने इसका अनवुांद फारसी में ककया । हुमायूूँनामा

    िािर की िेटी एव ंहुमायू ँकी िहन गलुिदन िेगम ने इसकी रचना की । तबकात-ए-अकबरी

    तनजामदु्दीन अहमद ने रचना की । इससे अकिर के