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शहीद--आज़म भगत सस िह Page 1 शहद--आजभ बगत सह ऱवित सस िह

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  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 1

    शहीद-ए-आजभ बगत ससॊह

    कुऱविंत ससिंह

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 2

    कुरवॊत ससॊह

    @ सववाधिकवर सुरक्षऺत

    रचनवकवर : कुऱविंत ससिंह

    सिंस्करण : आनऱवईन

    मूल्य : नन:शलु्क

    प्रकवशक : ऱेखक

    Shaheed – e -aajam bhagat singh By : KULWANT SINGH

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 3

    pircaya kulavaMt isaMh janma : 11 janavarI, $D,kI,, ]%traKMD p`aqaimak iSaxaa : sarsvatI iSaSau iSaxaa maMidr krnaOlagaMja gaaoMDa ³]ºp`º´ ha[-skUla /[MTrmaIiDeT : ba`amhNa saMskRt ivaValaya, $D,kI ]cca iSaxaa : baI Tok, Aa[-º Aa[-ºTIº, $D,kI ³rjat pdk evaM 3 Anya pdk´ pI eca DI : mauMba[- yauinavaisa-TI rcanaaeM p`kaiSat : saaihi%yak pi~kaAaMo, prmaaNau }jaa- ivaBaaga, rajaBaaYaa

    ivaBaaga, koMd` sarkar kI gaRh pi~kaAaoM, vaO&ainak,, iva&ana,

    AaivaYkar,, AMtrjaala pi~kaAaoM maoM saaihi%yak evaM vaO&ainak, rcanaaeM

    pustkoM : 1 - prmaaNau evaM ivakasa ³Anauvaad´ 2 - iva&ana p`Sna maMca 3 - kNa xaopNa ³iva&ana´ Ap`kaiSat kavya pustkoM : 1 - inakuMja ³kavya saMga`h´ 2 - SahId-e-Aajama Bagat isah ³kavya´ 3 - icarMtna ³kavya saMga`h´ 4 - kja,a ³ga,ja,la saMga`h evaM Anya´ 5 - [MdQ̀anauYa ³baala gaIt saMga`h´

    purskRt : kavy,a, laoK,, iva&ana laoKaoM, evaM ivaiBanna saMsqaaAaoM Wara

    pu$skRt, ivaBaagaIya ihMdI saovaaAaoM ko ilae, रवजभवषव गौरव सम्मवन

    saovaaeM :हहिंदी समर्पात एविं ‘ihMdI iva&ana saaih%ya pirYad’ से saMbaMiQat saMpadna ‘vaO&ainak’ ~Omaaisak pi~ka iva&ana p`Sna maMcaaoM ka ihMdI mao prmaaNau }jaa- ivaBaaga evaM Anya saMsqaanaaoM ko ilae AiKla Baart str pr Aayaaojana i@vaja maasTr ³ihMdI mao´

    saMp`it : vaO&ainak AiQakarI,pdaqa- saMsaaQana, p`Baaga, BaaBaa prmaaNau

    AnausaMQaana koMd`, mauMba[- - 400085

    inavaasa : 13A िवऱधगरर, A`uNuaSai@tnagar, mauMba[- - 400094 faona : 022-25595378 (Office)

    [-maola : [email protected]

    mailto:[email protected]

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 4

    शहीद-ए-आजभ बगत ससॊह

    17 वषष की अवस्था भें बगत ससॊह

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 5

    शहीद-ए-आजभ बगत ससॊह

    बायत भाता जफ योती थी, जॊजीयों भें फॊध सोती थी . ऩयाधीनता की कड़िमाॉ थीॊ,

    जकिी फदन ऩय फेड़िमाॉ थीॊ .

    देश आॉसुओॊ भें योता था, ईस्ट इॊड़डमा को ढ़ोता था . बायत का शोषण होता था, नैसर्गषक सॊऩत्तत खोता था .

    दरु्दषन के र्दन र्गनता था, हय सार अकार को सहता था . अॊग प्रतमॊग जफ जरता था, घावों से भवाद रयसता था .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 6

    फॊदी फन नतभस्तक भाता, देश की हारत फदतय खस्ता, हय ऩर था अॊर्धमाया छरता, सहभी यहती थी जफ जनता .

    आॉसू जरधय से फहते थे, सहभे सहभे सफ यहते थे . मौवन ऩतझि सा सूखा था, सावन बी रूखा रूखा था .

    बायत बू का कण-कण शोषषत, त्रास मातना से अऩभाननत .

    ’कल्माण - बूसभ’ आतॊककत थी, ननज स्वाथष हेतु सॊचासरत थी .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 7

    याष्ट्र हीनता से जकिा था, दीन दासता ने ऩकिा था . भतृमु प्राम सी चेतनता थी,

    स्तब्ध सससकती भानवता थी .

    अवसाद गयर फन फहता था, स्वासबभान आहत यहता था . गौयव ऩद तर त्राससत यहता, झुका हुआ था अॊफय यहता .

    ननष्ट्ठुय क्रीिा खेरी जाती, अनम अर्हॊसा झेरी जाती . धन सॊऩत्तत को रूटा जाता, ब्रिर्टश याज को बेजा जाता .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 8

    र्हभ ककयीट की सुप्त शान थी, ऩुया देश की रुप्त आन थी .

    याष्ट्र खिा ऩय सशर्थर जान थी, सयगभ वॊर्चत अननर तान थी .

    षवषाद द्रषवत नही होता था, वेदन भें आॉसू घुरता था . आवेग प्रफर उतऩीिन था,

    षववश कसभसाता जीवन था .

    करयव जफ ककष श रगता था, नत र्दव्म बार जफ र्दखता था .

    आकाश झुका सा रगता था, र्चय ग्रहण बाग्म ऩय र्दखता था,

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 9

    मुगों मुगों से गौयव उन्नत, र्हभ का आरम झुका था अवनत .

    षवषभ सभस्मा से था ग्राससत, षवकर, दग्ध ज्वारा से त्राससत .

    ’ऩुण्म बूसभ’ जफ भसरन हुई थी, ऩद के नीचे दसरत हुई थी . ’तऩोबूसभ’ सॊताने व्माकुर, व्मार घूभत ेडसने आकुर .

    हीये, ऩन्ने, भणणमाॊ रूटीॊ, कसरमाॉ ककतनी यौंदी टूटीॊ . आन देश की नोच खसोटी, कृषक स्वमॊ न ऩामे योटी .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 10

    चीय हयण नायी के होत,े बायत ननर्धमाॊ हभ थे खोत े. वैबव साया रुटा देश का,

    ध्वस्त हुआ सम्भान देश का .

    फाट जोहत ेसफ यहते थे, नतसभय हटाओ सफ कहत ेथे . बाव रृदम भें सदा भचरते, भौन ऩयॊतु सफ सहते यहते .

    धयती भाॉ र्धक्काय यही थी, यो यो कय चीतकाय यही थी . वीय ऩुत्र कफ ऩैदा होंगे ? जॊजीयों को कफ तोिेंगे ?

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 11

    ’जन्भा याजा बयत महीॊ क्मा ? नाभ उसी से सभरा भुझ ेक्मा ? धया मही दधीच क्मा फोरो ?

    प्राण तमागना अत्स्थ दान को ?

    फोरो फोरो याभ कहाॉ है ? भेया खोमा भान कहाॉ है ?

    इक सीता का हयण ककमा था, ऩूणष वॊश को नष्ट्ट ककमा था !

    फोरो फोरो कृष्ट्ण कहाॉ है ? उसका फोरा वचन कहाॉ है ? धभष हानन जफ बायत होगी,

    जीत सतम की कपय कपय होगी !

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 12

    अजुषन अफ कफ ऩैदा होगा, बीभ गदा धय कफ रौटेगा ? ऩुण्म बूसभ फेहार हुई क्मा ? वीयों से कॊ गार हुई क्मा ?

    नऩृनत अशोक चॊद्रगुप्त कहाॉ ? भमाषदा बायत रुप्त कहाॉ ? कहाॉ है शान वैशारी की ?

    सभर्थरा, भगध, ऩाटसरऩुत्र की ?

    गौतभ हो गमे फुद्ध भहान, इस धयती ऩय सरमा था ऻान . र्दमा ककतने देशों को दान, सॊदेश दफा वह कहाॉ भहान ?

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 13

    इसी धया ऩय याज ककमा था, षवक्रभार्दतम ऩय नाज ककमा था . जन्भा ऩथृ्वीयाज महीॊ क्मा ? कभषबूसभ छ्त्त्रऩनत मही क्मा ?

    चेतक ऩय घूभा कयता था, हय ऩतता, फूटा डयता था . घास की योटी वन भें खाई, ऩयाधीनता उसे न बाई .

    जुल्भों की तरवाय काटने, बायत सॊस्कृनत यऺा कयने . चौक चाॉदनी शीश कटामा, सये - आभ सॊदेश सुनामा .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 14

    र्चड़िमों से था फाज रिामा, अजफ गुरू गोब्रफ ॊद की भामा . धया धन्म थी उसको ऩाकय, देश फचामा वॊश रुटाकय .

    वही धया अफ ऩूछ यही थी, यो यो कय अफ सूख यही थी . रौटा दो भेया स्वासबभान,

    धयती चाहती कपय फसरदान .

    ऩयाधीन की कड़िमाॉ तोिो, नर्दमों की धाया को भोिो . कोना कोना बायत जोिो, हाथ उठे जो ध्वॊश, भयोिो .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 15

    ससॊह नाद सा गुॊजन कयने, तूपानों भें कश्ती खेने .

    वह अभय वीय कफ आमेगा ? भुझको आजाद कयामेगा !

    हय फच्चा बायत फोर उठे, सीने भें ज्वारा खौर उठे . हय र्दर भें आश जगामे जो, बूसभ ननछावय हो जामे जो !

    हय-हय फभ-फभ जम घोष कयो, अत्ग्न क्राॊनत की हय रृदम बयो . नय - नायी सफ तरुण देख रें, कयना आहुनत प्राण सीख रें !

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 16

    फहुत हुआ अफ भय भय जीना, अनुसार दासता की सहना . सॊबव वीय न बू ऩे राना ?

    ताण्डव सशव को माद र्दराना !’

    रृदम षवदायक दारुण क्रॊ दन, ऩयभ षऩता ने कय आसरॊगन, ऩयभ वॊद्म आतभा आवाहन, बायत बेजा अऩना नॊदन .

    फॊगा रामरऩुय जनऩद भें, ककसन, षवद्मावती के घय भें, ईशा सन उन्नीस सौ सात, ससतॊफय सतताइस की यात .

    (अनुसार=ऩीिा)

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 17

    जन्भ ऩुण्म आतभा ने ऩामा, क्राॊनतकारयमों के घय आमा . स्वतॊत्रता के र्चय सेनानी, कुटुॊफ की थी मही कहानी .

    सूमष एक दभका था जग भें, बायत भाता के आॊगन भें . बाग्मवान फन आमा था ससॊह, दादी फोरी नाभ बगत ससॊह .

    दादा सयदाय अजुषन ससॊह

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 18

    दादा अजुषन ससॊह वयदानी, तीन ऩूत, तीनों सेनानी . कूट कूट वीयता बयी थी,

    सतता बी सहभने रगी थी .

    षऩता सयदाय ककसन ससॊह

    षऩता ककसन ससॊह की रिाई, ’बायत - सोसामटी’ फनाई . उन ऩय डारे कई भुकदभें, काटे ढ़ाई वषष जेर भें .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 19

    वषष औय दो नजयफॊद थे, गनतषवर्धमों भें ऩय दफॊग थे . डय कय चाचा अजीत ससॊह से, यॊगून जेर बेजा महाॉ से .

    भाॉ षवद्मावती, चाचा अजीत ससॊह, षऩता ककसन ससॊह

    दजेू चाचा स्वणष ससॊह थे, राहौय सेंरर जेर फॊद थे,

    सही मातना, ऩय ककमा न गभ, सहत ेसहते तोि र्दमा दभ .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 20

    फार गॊगाधय नतरक द्वाया 1907 भें अजीत ससॊह को सम्भान बेंट

    र्दखे ऩूत के ऩाॉव ऩारने, घय सॊस्कृनत औय भाहौर ने, फीज ककमे तन भन भें योषऩत, देश पे्रभ से अॊतस शोसबत .

    खेर खेर भें टीभ फनाते, अॊगे्रजों को भाय बगाते . फने सबी फच्चों के रीडय,

    गात ेगीत गदय के जी बय .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 21

    षऩता ककसन ससॊह दादा अजुषन ससॊह चाचा अजीत ससॊह

    चाची जफ मादों भें योती, भै हूॉ ! चाची तूॉ क्मों योती ?

    गोयों को भाय बगाऊॉ गा, चाचा को वाषऩस राऊॉ गा .

    खेर खेरता फॊदकूों के, योऩे धयती घास के नतनके . नॊद ककशोय भेहता आमे,

    ऩूछे ब्रफना वह यह न ऩामे .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 22

    ’फार बगत! मह क्मा कयत ेहो ? धयती नतनके क्मों फोत ेहो ?’ ’धयती फॊदकू उगाऊॉ गा,

    क्राॊनतकारयमों को फाटूॉगा .

    याष्ट्र को स्वतॊत्र कयाऊॉ गा, जन-जन भें प्राण जगाऊॉ गा .’ फात बगत की सुन र्दर झूभा, गरे रगा कय भाथा चूभा .

    गोयों का मुग ननकृष्ट्ट प्रहाय, जगती का कू्रयतभ सॊहाय . नन:शस्त्र सबा जसरमाॉवारा कई सहस्त्र को बून डारा .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 23

    जसरमाॊ वारा फाग कू्रय नयसॊहाय

    जसरमाॊ वारा फाग भें गोसरमों के ननशान

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 24

    फायह वषष की थी अवस्था, सुना फगत का ठनका भतथा . वह ऩैदर फायह भीर चरे,

    जसरमाॉ वारा फाग भें ऩहुॉचे .

    यक्त यॊत्जत सभट्टी उठाकय, चूभा उसको बार रगाकय . शीशी भें सॊबार सहेजना, प्राण प्रनतऻा से अयाधना .

    बगत ससॊह 11 वषष की अवस्था

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 25

    नेशनर कारेज राहौय- बगत ससॊह ऩीछे दामें से चौथे

    कदभ जवानी धया बगत ने, दादा, दादी, भाॉ, चाची ने,

    कहा सबी ने सभर इक स्वय भें, फाॉधो इसको अफ ऩरयणम भें .

    घय भें ऩहरे फात नछिी थी, गरी गाॉव कपय घूभ चरी थी . मौवन भें ऩग यखता जीवन,

    भधुय उभॊग से णखरता तन भन .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 26

    भॊद ऩवन जफ भधु यस बयता, दऩषण मौवन यस ननहायता .

    तन भन कसरमाॉ भादक णखरतीॊ, पे्रभ रहय जफ रह-रह चरती .

    शफनभ जफ आहें बयती है, खुशफू बीनी सी उठती है . रेत ेअयभाॉ जफ अॊगिाई,

    प्रीत वदन र्दर भें शहनाई .

    पूर कयें जफ र्दर भतवारा, पे्रभ सुधा का छरके प्मारा . गान फसॊती रृदम सुनाता,

    तन भन को आह्रार्दत कयता .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 27

    झन झन कय झॊकाय रृदम भें, ऩामर सी खनकाय रृदम भें . खन-खन खनकें चूिी कॊ गन,

    तन भन भें उऩजे प्रीत अगन .

    उद्दाभ पे्रभ की सहज याह, सुवास कुसुभ नैसर्गषक चाह . रूऩ आसरॊगन भधु उल्रास, नव मौवना की फाॉह षवरास .

    मौवन देखे फस सुॊदयता, जगती भें ब्रफखयी भादकता . पे्रभ ऩीॊग रे काभ र्हरोयें,

    छोिें भनससज फाण नछछोये .

    (भनससज = भदन)

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 28

    फात बगत जफ ऩिी कान भें, फाॊध यहे ऩरयणम फॊधन भें . णखन्न हुआ, मह कभष नही है, शादी भेया धभष नही है .

    गुराभ देश है बायत भेया, कतषव्म ऩुकाय यहा भेया . भाता भेयी जफ फॊदी हो,

    न्माम व्मवस्था जफ अॊधी हो .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 29

    हथकड़िमाॉ हों जफ हाथों भें, फेिी जकिी जफ ऩाॉवों भें . फोर भुखय जफ नही पूटत,े ऩथ सच्चों को नही सूझत े.

    फहनों का सम्भान न होता, अऩभान जहाॉ ऩौरुष होता . प्रनतकाय शत्क्त छीनी जाती, सच्चाई र्धक्कायी जाती .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 30

    आॉसू बम से नही टऩकते, हाम दीन की नही सभझत े. आरोक जहाॉ छीना जाता, असबभान जहाॉ यौंदा जाता .

    ससॊदयू जहाॉ सभटामे जात,े दीऩक जहाॉ फुझामे जात े. दरु्दषन को जफ देश झेरता, फढ़ी दरयद्रता ननतम देखता .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 31

    प्रकृनत सॊऩदा बायत खोता, दसुबषऺ के र्दन योज सहता . आह, कयाहें सुनी न जाती,

    ऩीिा, आॉख से फह न ऩाती .

    ऩयाधीनता श्राऩ फिा है, दजूा कोई न ऩाऩ फिा है . देश गुराभी भें जकिा है, जैसे गदषन को ऩकिा है .

    कतषव्म सवषप्रथभ ननबाना, देश को आज़ादी र्दराना .

    शादी की अफ फात न कयना, ऩरयणम का सॊवाद न कयना .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 32

    देश गुराभी भें जफ तक है, एक भतृमु को भुझ ऩय हक है . कोई नही फन सकती ऩतनी, भौत ससपष हो सकती ऩतनी .

    देश पे्रभ का ज्वाय बया था, योभ - योभ अॊगाय बया था . भन भें शोरे बिक यहे थे, स्वतॊत्रता को तिऩ यहे थे .

    प्रचण्ड शत्क्त सॊर्चत कय बार, सतता को चुनौती षवकयार .

    ऩवन को बय कय अऩनी श्वास, ऩावक उगरने का षवश्वास .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 33

    किक षवहॊसती षवद्मुत धाया, टूट ऩिा अॊफय घन साया . अॊग अॊग असबभान तयॊगें, रहयामे नगय नगय नतयॊगे .

    मुग का गजषन फन कय आमा, ससॊधु प्ररम वह बीषण रामा .

    याष्ट्र दऩष हुॊकाय रगाई, रराट रासरभा रहू सजाई .

    कार कऩार कयार काभना, सतता ससभटे ससॊह साभना . बीतय बबक बय बुजा बुजॊग, धधकाई धयती धिक धिॊग .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 34

    अॊफय ऩय आग रगाने को, कॊ षऩत धयती कय जाने को, ऩीिा की आह सभटाने को, जब्ती को तोि जगाने को .

    झॊझा झकझोय जभाने को, रहयों ऩय नाव चराने को, तूपानों ऩय चढ़ जाने को,

    प्रचण्ड षवयोध र्दखराने को .

    बीषण अॊगाय जराने को, जॊजीयों को षऩघराने को, वाणी देने भौन क्रोध को,

    अऩभानों के गयर घूॉट को .

    (गयर = षवष)

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 35

    जुल्भों से रोहा रेने को, सतता गोयी भर्टमाने को,

    फन जुनून सय चढ़ जाने को, बायत बय भें छा जाने को .

    देखो देखो वह आमा है, क्राॊनत बगत ससॊह रे आमा है . सच्चा सऩूत अफ आमा है,

    क्षऺनतज शौमष कपय पहयामा है .

    ध्वननत हुए कपय याग प्रबाती, जन-जन भें थी आशा जागी . सुप्त याष्ट्र भें प्राण बय गमे, इॊकराफ के गीत फस गमे .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 36

    फन आॉधी ररकाय रगाई, अॊगे्रज़ों की नीॊद उिाई .

    हय सऩूत भें ज्मोत जराई, बायत भाॉ को आश जगाई .

    फही हवा वो आॉधी की जफ, धधकी ज्वारा नगय नगय तफ . र्चनगायी फन तरुण रृदम हय,

    क्राॊनत ज्मोनत की पैरी घय-घय .

    सभरी ज्मोत से ज्मोत अनेकों, आॉधी फन गई तूपाॉ देखो . गाॉवों, नगयों, देहातों भें,

    षवजम ऩताका सफ हाथों भें .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 37

    साइभन कभीशन जफ आमा, षवयोध सबी ने था जतामा . राठी चाजष जभ कय कयाई, रारा जी ने जान गवाई .

    ठान सरमा था फदरा रेना, अधीऺक साॊडसष को उिाना . क्राॊनतकारयमों के सॊग सभरकय, भाया उसे गोरी चराकय .

    मौवन को अॊगाय फना कय, भुकुट असबभान देश सजाकय, क्राॊनत भें नई जान पूॉ क दी, अणखर याष्ट्र टॊकाय छोि दी .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 38

    धुन के ऩक्के भतवारे जफ, चरत ेहैं तो कपय रुकते कफ ? ऩथ भें काॉटे, ऩग भें छारे,

    षवजम प्रात्प्त तक चरने वारे .

    गठन ’नौजवान बायत सबा’, बय याष्ट्र प्राण आरोक प्रबा . नस-नस भें ज्वारा बबक यही, रे अबम जवानी धधक यही .

    षवष जो सतता ने फोमा था, ससॊह जहय उगरने आमा था . जो दारुण ददष दफामा था, वह ददष सभटाने आमा था .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 39

    फाॉध कपन को ननकरा घय से, सतता सहभ गई थी डय से .

    तैया तूपाॉ ऩय भयदाना, चरा सुनाभी ऩय दीवाना.

    ननमनत ने की थी घिी जो ननमत, कण कण त्जसके सरमे था सतत .

    ननसश र्दन देखत ेकफ से याह, अरुण उदम होता ननत रे चाह .

    चॊद्र ककयण कपय, रगे चभकने, नब भें ताये, रगें दभकने .

    भहक कफ बयेगी कपय से ऩवन ? आॉचर कपय कफ णखरेंगे चभन ?

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 40

    उस ऺण को था फेचैन सागय उस ऩर को था फेताफ अॊफय . सुयसब भॊजयी कपय से चाहे,

    कर कर सरयता फहना चाहे .

    बगत ससॊह, फटुकेश्वय दतत ने, ऩूणष षवश्व को जागतृ कयने . सतता को झकझोय डारने, सुप्त प्राणों भें जान डारने .

    बगत ससॊह औय फटुकेश्वय दतत

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 41

    मुग मुग का सॊदेश सुनाने, जन जन को षवश्वास र्दराने .

    सूखे दीऩों भें घतृ डारने, रृदमों भें अॊगाय फाॉटने .

    देश - बत्क्त की धाय फहाने, नमी षवबा की चभक जगाने .

    जिता भें चेतनता राने, ककयणों को आरोक र्दराने .

    नस नस भें रावा दौिाने, योभ योभ ज्वारा बिकाने .

    अवनत बार असबभान र्दराने, झुके गगन का शीश उठाने .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 42

    सेंरर असेंफरी सबागाय, दो फभ पोि ेरगाताय .

    भकसद तीनों कार र्हराना, नहीॊ ककसी की जान को रेना .

    फटुकेश्वय दतत

    इॊकराफ के नाये रगामे, ब्रफना अऩनी ऩहचान छुऩामे . डटे यहे वह उसी जगह ऩय,

    खुश थे अऩनी र्गयफ्तायी ऩय .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 43

    बायत बू ने ककमा असबसाय, अॊफय को कपय सभरा षवस्ताय . षवबा गवष से झूभ यही थी,

    दफी आग कपय भचर उठी थी .

    जन जन भें षवश्वास था रौटा, अबी अॊत सतता का होगा . सतृ्ष्ट्ट कय यही अभय श्रृॊगाय

    अणखर षवश्व का फना सुकुभाय .

    बायत भाॉ का सच्चा सऩूत, हय भाॉ का वह फन गमा ऩूत .

    सॊदेश सुनाने ईश - दतू, आमा था फन कय वीय ऩूत .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 44

    सफकी आॉखों का ताया था, देश - बत्क्त का वह नाया था . जन जन के र्दर को प्माया था, छटने रगा अफ अॊर्धमाया था .

    गूॉज उठा घय घय बगत ससॊह, याष्ट्र बत्क्त प्रतीक बगत ससॊह . सागय का गजषन बगत ससॊह, सतृ्ष्ट्ट का श्रृॊगाय बगत ससॊह .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 45

    जनता का षवश्वास बगत ससॊह, वीयों का उल्रास बगत ससॊह . प्ररम का आधाय बगत ससॊह,

    कण-कण भें साकाय बगत ससॊह .

    भूकों की र्च ॊघाि बगत ससॊह, मुग-मुग की हुॊकाय बगत ससॊह . रुदन का प्रनतकाय बगत ससॊह, शत्क्त का अवताय बगत ससॊह .

    अरुण का आरोक बगत ससॊह, ककयणों का प्रकाश बगत ससॊह . अॊगायों का ताऩ बगत ससॊह,

    बायत का सयताज बगत ससॊह .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 46

    मुवकों का आदशष बगत ससॊह, रृदमों का सम्राट बगत ससॊह . हय कोख की चाहत बगत ससॊह, शहादत की सभसार बगत ससॊह .

    भुकदभें की जफ चरी कहानी, खुद अऩनी ऩैयवी की ठानी .

    इॊकराफ को देने यवानी, जन-जन क्राॊनत धूभ भचानी .

    सोच सभझ कय चार चरी थी, अॊगे्रजों को खूफ खरी थी .

    नवज्मोनत की ज्वारा जरी थी, घय-घय भें वह पैर चरी थी .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 47

    बायत बू का कण कण दीषऩत, ऩूणष याष्ट्र भें क्राॊनत प्रज्ज्वसरत . बमबीत नतसभय था बाग यहा, बाग्म बायती का जाग यहा .

    उस फभ का खोर जो असेंफरी भें पें का गमा

    अवसय आमा सफ कहने का, अऩनी फातें दोहयाने का .

    सकर षवश्व को फात सुनाई, अॊगे्रज़ों की नीॊद उिाई .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 48

    बायत भें चेतनता रामी, ज्वाराभुखी ने री अॊगिाई .

    सकर षवश्व को ककमा अचॊसबत, सतृ्ष्ट्ट देखती थी स्तॊसबत .

    बगत ससॊह के जूते औय घिी जो उन्होने अऩने क्राॊनतकयी साथी जमदेव कऩयू को र्दमे

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 49

    रे हथेरी शीश था आमा, नेजे ऩय वह प्राण था रामा . असबभानी था, झुका नही था,

    दृढ़ ननश्चम था, रुका नही था .

    राहौय जेर भें कैदी थे, क्राॊनतकायी कई फॊदी थे . जेर की हारत फद फेहार, सुषवधामें खाना फुया हार .

    जेर भें ठानी बूख हितार, फने सतता का जी जॊजार . ऐनतहाससक वह बूख हितार, सफसे रॊफी बूख हितार .

    (नेजे = बारा)

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 50

    बखू हितार के ऩोस्टय

    चौंसठ र्दन का वह अनशन था, सयकाय को झुकना ऩिा था . अनशन भें साथी को खोमा,

    जनतनदास ऩय जग था योमा .

    ऩुण्म धया ऩय अध्मष चढ़ाकय, कुयफानी का यक्त चढ़ाकय . अखण्ड योष का नाद सुनाकय, मौवन को बूचार फनाकय .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 51

    बगत ससॊह की शटष

    देश बत्क्त का यॊग रगाकय, पे्रभ फीज से ऩेि उगाकय .

    ननज मौवन को रऩट फनाकय, जीवन को सॊग्राभ फनाकय .

    स्वतॊत्र बू का स्वप्न सजाकय, प्रचण्ड अत्ग्न तन भन रगाकय, भाटी खुशफू श्वास फसाकय,

    प्राणों को यथ प्ररम फनाकय .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 52

    ऩीिा को आघात फना कय, कू्रय कार को ग्रास फनाकय, ऩयाधीनता र्चता सजाकय,

    षवजम ऩताका बू रहयाकय .

    घय-घय भें ससॊह बगत सभामा, हय जुफाॊ ऩय नाभ वह आमा . सतता सहभ गई थी डय से,

    शासन उखि गमा था जि से .

    नाभ बगत ससॊह जफ जफ आता, योभ - योभ सॊचाय वीयता . सतता थय - थय थी थयाषई, बगत ससॊह से थी घफयाई .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 53

    बगत बाई कुरफीय ससॊह थे, बगत ससॊह जफ जेर फॊद थे, कुरफीय ने र्दखामे यॊगे थे,

    गनतषवर्धमाॊ देख सबी दॊग थे .

    ’नौजवान बायत सबा’ बाय, अऩने कॊ धों ऩय सरमा बाय . खूफ ननबाई त्जम्भेदायी, रोहा रेने की थी फायी .

    गोयों का इक सभायोह था, ककॊ ग जाजष ऩय उतसव था . ऩूये शहय की ब्रफजरी काटी, सभायोह को जगभग फाॉटी .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 54

    कुरफीय का आक्रोश बिका, वह बाई बगत की याह चरा . उतसव की ब्रफजरी को योका, दस वषष की जेर को बोगा .

    चरे भुकदभें बगत ससॊह ऩय, औय अनेक क्राॊनतवीयों ऩय . सतता ने पाॉसी ठानी थी,

    भुकदभों को दी यवानी थी .

    बगत ससॊह का आक्रोश योष, क्राॊनतवीय का जमनाद जोश .

    इॊकराफ त्जॊदाफाद घोष, आज़ादी का फना उदघोष .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 55

    इनतहास र्दवस रो आमा था, ननणषम कोटष का रामा था . त्जस र्दन की थे फाट जोहते, र्दन-र्दन र्गन कय याह देखत े.

    घिी सुहानी वह आई थी, फासॊती भें यॊग राई थी . सहभी सतता ने दी ऩुकाय, पाॉसी की थी उसे दयकाय .

    कोटष पैसरा तम था पाॉसी, चौफीस भाचष दे दो पाॉसी .

    सन एकतीस की मह थी फात जग यहा बाग्म बायत प्रबात .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 56

    क्राॊनत गनतषवर्धमों भें सरप्त थे, आबा से भुख शौमष दीप्त थे . ’याजगुरू’, ’सुखदेव’, ’बगत ससॊह’,

    पाॊसी रेंगे मह बायत ससॊह .

    बगत ससॊह, याजगुरू, सखुदेव

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 57

    पाॊसी की सजा देने के सरए जज द्वाया प्रमकु्त ऩेन

    सखुदेव की टोऩी गीत सभरन के तीनों गात,े

    हॉस हॉस कय थे भौत फुरात े. चोरे को फासॊती यॊग भाॉ,

    देख ऩुकाय यही बायत भाॉ .

    बायत जकिा जॊजीयों भें, कूद ऩि ेतफ हवन कुण्ड भें . आन फचाने मह बायत ससॊह, याजगुरू, सुखदेव, बगत ससॊह .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 58

    बगत ससॊह सखुदेव

    याजगुरू

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 59

    सबी जुफाॉ ऩय एक कहानी, क्राॊनत वीयता बयी जवानी .

    पैरा जन-जन क्राॊनत ज्वाय था, स्वतॊत्रता का ही षवचाय था .

    अबीष्ट्ट ऩूया हुआ बगत ससॊह, गजषन थी अफ हय बायत ससॊह . ऩैदा कय दी हय र्दर चाहत, ब्रफन आज़ादी भन है आहत .

    भात षऩता को जेर फुरामा, फेटे ने सॊदेश सुनामा .

    बगत देश ऩय होगा शहीद, ऩूयी होगी भेयी भुयीद .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 60

    दखु का आॉसू आॉख न राना, सभम है भेया भुझको जाना . ऩूत आऩका हो फसरदानी, अऩने खूॉ से सरखे कहानी .

    जन्भ र्दमा भाॉ तुभने भुझको, शीश नवाऊॉ शत शत तुभको . भाता-धयती, षऩता-आकाश,

    उनके चयणों स्वगष का वास .

    भाॉ तयेा उऩकाय फिा है, ककॊ तु देश का फ़ज़ष ऩिा है . बायत भाॉ का कज़ष फिा है, याष्ट्र फेड़िमों भें जकिा है .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 61

    भचर यहे अयभाॉ कुयफानी, झिी रगा दे अऩनी जफानी, दे दे कय आशीष अनेकों, घिी शहादत आमी देखो .

    देख देख जग षवस्भतृ होगा, ऩढ़ इनतहास चभतकृत होगा . भुझको इनतहास फदरना है,

    अफ मह साम्राज्म ननगरना है .

    भोर नहीॊ कुछ भान भुकुट का, भोर नहीॊ कुछ ससॊहासन का . जीवन अषऩषत कयने आमा, भाटी कज़ष चुकाने आमा .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 62

    माचक फन कय भाॊग यहा हूॉ, तयेा दखु ऩहचान यहा हूॉ . रार जो खेरा तयेी गोदी,

    डार दे बायत भाॉ की गोदी .

    तयेा तो घय द्वाय क्राॊनत का, तू जननी है स्रोत क्राॊनत का . कोख ऩे अऩनी कय असबभान,

    ऩाऊॉ शहादत, दे वयदान .

    एक ऩूत का गभ भत कयना, सफ तरुणों को ऩूत सभझना . जग भें तयेा सदा सम्भान, मुगों मुगों तक यहेगा भान .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 63

    खानदान की यीत ननबाई, याह क्राॊनत की भैने ऩाई . दादा, चाचा, षऩता कदभ ऩय, खून खौरता दीन दभन ऩय .

    भाता कय दो अफ षवदा षवदा, हो जाऊॉ वतन ऩय कफ़दा कफ़दा .

    यहे अबागे जो सदा सदा, खुसशमाॉ हों उनको अदा अदा .

    हय तयप ध्वननत आवाज हुई, स्वय बगत कण्ठ हय साज हुई . बगत ससॊह घय-घय भें छामा, ब्रिर्टश याज बी था घफयामा .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 64

    वामसयाम से भापी भाॊगें, बगत सरणखत भें भापी भाॊगें . कभी सजा भें हो सकती है, उनको पाॉसी रुक सकती है .

    देश पे्रभ भें भय सभट जाना, स्वीकाय नही, ऺभा भाॉगना . हभें भतृमु बम नही र्दखाना, उसको तो है गरे रगाना .

    हय सऩूत भें चाह जगाना, भय सभटने की याह र्दखाना . जब्ती को है तोि र्गयाना,

    र्चता साम्राज्मवाद जराना .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 65

    त्जतने र्दन बी जेर यहे थे, जीत भतृमु को खेर यहे थे . ऩूये जग को पे्ररयत कयते, आज़ादी भें जीवन बयते .

    आज़ादी के वह दीवाने, देश हेतु भय सभटने वारे . नहीॊ ककसी से डयने वारे, अॊगायों ऩय चरने वारे .

    कार-चक्र ऩहचान सरमा था, दाभ भौत का जान सरमा था . हॉस-हॉस जीवन वाय र्दमा था, आज़ादी षवश्वास र्दमा था .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 66

    अॊनतभ इच्छा जफ ऩूछी थी, अनुयनत बगत की फस मही थी . ’जन्भ महीॊ ऩय कपय हो भेया, सेवा - देश धभष हो भेया .’

    ’र्दर से न ननकरेगी कबी बी, वतन की उल्पत भय कय बी .

    भेयी सभट्टी से आमेगी, सदा खुशफू-ए-वतन आमेगी .’

    क्राॊनतवीय से याज्म डया था, मुग मुग चेतन प्राण बया था . आॊदोरन का खौफ़ बया था,

    ऩतन भागष ऩय अधो र्गया था .

    (अनुयनत = चाहत)

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 67

    चौफीस को जो तम थी पाॉसी, तईेस भाचष दे दी पाॉसी . सॊध्मा साढ़े सात सभम था,

    फसरदानों का अभय सभम था .

    ऩुण्म ऩवष फसरदान भनामा, हॉसत े- हॉसत ेतार सभरामा .

    झूभ यहे थे वह भस्ताने, सॊघषष क्राॊनत के ऩयवाने .

    फारूद फना कय मौवन को, अषऩषत कय के बायत बू को .

    पाॊसी पॊ दा गरे रगामा, शोरों को घय-घय ऩहुॉचामा .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 68

    क्राॊनत की वेदी ऩय तऩषण, मौवन पूरों सा कय अऩषण . हॉसत-ेहॉसत ेन्मौछावय थे, जम इॊकराफ के नाये थे .

    बायत भाॉ ने कय आसरॊगन, बार सजामा यत्क्तभ चॊदन .

    कण-कण भें वह व्माप्त हो गमा, बायत उसका ऋणी हो गमा .

    गीत सोहरे सॊध्मा गामे, सभरन गीत चॊदा ने गामे . ताये बय रे आमे घिोरी, सजी चाॊदनी की यॊगोरी .

    सोहरे : शादी ऩय गामे जाने वारे गीत (ऩॊजाफी) घिोरी : सयोवय माॊ कुएॊ से घि ेभें ऩानी राकय भर्हराएॊ दलू्हे को शादी से ऩहरे स्नान कयाती हैं

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 69

    देव उठा कय रामे डोरी, ब्रफखया सुयसबत चॊदन योरी . ऩुण्मातभा का कय कय वॊदन, रोऩ ऩयभ सतता असबनॊदन .

    प्रकृनत चककत कय यही थी नाज़, आकाश भगन फना हभयाज . बूरा ऩवन था कयना शोय, ससॊधु बी बूर गमा था योय .

    रहयों भें आज नहीॊ र्हरोय, गभ भें सूयज, नहीॊ है बोय . देव नभन को बू ऩय आमे, आॉधी तूपाॉ शीश झुकामे .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 70

    अॊगे्रज़ों का भन डोर यहा था, सय चढ़ कय डय फोर यहा था . भतृ शयीय के कय के टुकिे, उसी सभम फोयों भें बयके,

    रे कपयोज़ऩुय वहाॉ जरामा, कुछ रोगों को वहाॉ जो ऩामा, टुकि ेअधजरे सतरज पें क, नौ दो ग्मायह हुए अॊगे्रज़ .

    देखा ऩास नज़ाया आकय, हैयानी थी टुकि ेऩाकय . ग्राभीणों ने ककमा सतकाय,

    षवर्धवत ककमा अॊनतभ सॊस्काय .

  • शहीद-ए-आज़म भगत ससिंह Page 71

    वीय बगत तुभ हभभें त्जॊदा, वीय बगत तुभ सफभें त्जॊदा . हय देश बक्त भें तुभ यहोगे, त्जॊदा हो ! त्जॊदा यहोगे !

    स्वतॊत्रता सॊग्राभ इनतहास, नाभ बगत ससॊह ध्रुव आकाश . नाभ अभय है, असभट यहेगा, स्वातॊत्र्म वीय अऺुण्ण यहेगा .

    आषवबाषव बायत - उतथान, आरोककत याष्ट्र-बत्क्त षवहान . बगत ससॊह शाश्वत मोगदान, बास्कय शौमष फसरदान भहान .

    कुरवॊत ससॊह