आपके धममविज्ञान का वनमामण · अनुयायी...

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आपक मविान का वनामण सीही धमविान की खोज अयाय दो Manuscript

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  • आपके ध र्म विज्ञान का वनर्ामण

    र् सीह ी ध र्म विज्ञान क ी ख ोज अध्याय दो

    Manuscript

  • ii

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    © थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़ 2012 के द्वारा

    सवागचधकार सरुचित। इस प्रकाशन के मकसी भी भार् क प्रकाशक, थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़, इनक रप रेशन, 316, लाइव ओक्स बलुवेार्ग , कैसलबरी, फ्ल ररर्ा 32707 की चलचित अनमुमत के मबना समीिा, मटप्पणी, या अध्ययन के उदे्दशय ंके चलए संचिप्त उद्धरण ंके अमतररक् त मकसी भी रूप मे ंया मकसी भी तरह के लाभ के चलए पनुः प्रकचशत नही ंमकया जा सकता।

    पमवत्रशास्ट्त्र के सभी उद्धरण बाइबल स साइटी ऑफ़ इंमर्या की महन्दी की पमवत्र बाइबल स ेचलए र्ए है।ं सवागचधकार © The Bible Society of India

    थर्ग ममलमेनयम मममनस्ट्रीज़ की सेवकाई के मवषय मे ं1997 मे ंस्ट्थामपत, थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़ एक लाभमनरपिे ससुमाचाररक मसीही सेवकाई ह ैज पूरे

    संसार के चलए मफु्त मे ंबाइबल आधाररत चशिा प्रदान करने के चलए प्रमतबद्ध ह।ै

    संसा र के ल ि ए र् फ़ु्त र् े ंब ाइ बि आधा र रत ल िक्षा ।

    हमारा लक्ष्य संसार भर के हज़ार ंपासवान ंऔर मसीही अर्वु ंक मफ़ु्त मे ंमसीही चशिा प्रदान करना ह ैचजन्हे ंसेवकाई के चलए पयागप्त प्रचशिण प्राप्त नही ंहआु ह।ै हम इस लक्ष्य क अंग्रेजी, अरबी, मनर्ाररन, रूसी, और स्ट्पमैनश भाषाओ ंमे ंअमद्वतीय मल्टीमीमर्या सेममनारी पाठ्यक्रम की रचना करने और उन्हे ंमवश्व भर मे ंमवतररत करने के द्वारा पूरा कर रहे है।ं हमारे पाठयक्रम का अनवुाद सहभार्ी सवेकाइय ंके द्वारा दजगन भर स ेअचधक अन्य भाषाओ ंमे ंभी मकया जा रहा ह।ै पाठ्यक्रम मे ंग्रामिक वीमर्य स, चलचित मनदशे, और इंटरनटे संसाधन पाए जाते है।ं इसकी रचना ऐस ेकी र्ई ह ैमक इसका प्रय र् ऑनलाइन और सामदुामयक अध्ययन द न ंसंदभों मे ंस्ट्कूल ,ं समूह ,ं और व्यमिर्त रूप ंमे ंमकया जा सकता ह।ै

    वषों के प्रयास ंस ेहमने अच्छी मवषय-वस्ट्त ुऔर र्णुवत्ता स ेपररपूणग परुस्ट्कार-प्राप्त मल्टीमीमर्या अध्ययन ंकी रचना करने की बहतु ही मकफ़ायती मवचध क मवकचसत मकया ह।ै हमारे लिेक और संपादक धमगवजै्ञामनक रूप से प्रचशचित चशिक है,ं हमारे अनवुादक धमगवजै्ञामनक रूप से दि है ंऔर लक्ष्य-भाषाओ ंके मातभृाषी है,ं और हमारे अध्याय ंमे ंसंसार भर के सकैड ंसम्मामनत सेममनारी प्र फ़ेसर ंऔर पासवान ंके र्हन मवचार शाममल है।ं इसके अमतररि हमारे ग्रामिक मर्जाइनर, चचत्रकार, और प्र र्यूससग अत्याधमुनक उपकरण ंऔर तकनीक ंका प्रय र् करन ेके द्वारा उत्पादन के उच्चतम स्ट्तर ंका पालन करते है।ं

    अपने मवतरण के लक्ष्य ंक पूरा करन ेके चलए थर्ग ममलेमनयम ने कलीचसयाओ,ं सेममनाररय ,ं बाइबल स्ट्कूल ,ं ममशनररय ,ं मसीही प्रसारक ,ं सटेलाइट टेलीमवजन प्रदाताओ,ं और अन्य संर्ठन ंके साथ रणनीमतक सहभामर्ताए ँस्ट्थामपत की है।ं इन संबंध ंके िलस्ट्वरूप स्ट्थानीय अर्वु ,ं पासवान ,ं और सेममनारी मवद्याचथगय ंतक अनके मवमर्ओ अध्ययन ंक पहुचँाया जा चकुा ह।ै हमारी वेबसाइट भी मवतरण के माध्यम के रूप मे ंकायग करती ह ैऔर हमारे अध्याय ंके अमतररि साममग्रय ंक भी प्रदान करती ह,ै चजसमे ंऐस ेमनदशे भी शाममल है ंमक अपने चशिण समदुाय क कैसे आरंभ मकया जाए।

    थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज a 501(c)(3) कारप रेशन के रूप मे ंIRS के द्वारा मान्यता प्राप्त ह।ै हम आचथगक रूप से कलीचसयाओ ंके टकै्स-र्ीर्क्टीबल य र्दान ,ं संस्ट्थान ,ं व्यापार ंऔर ल र् ंपर आधाररत है।ं हमारी सेवकाइग के बारे मे ंअचधक जानकारी के चलए और यह जानने के चलए मक आप मकस प्रकार इसमे ंसहभार्ी ह सकते है,ं कृपया हमारी वबैसाइट http://thirdmill.org क दिेे।ं

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    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    विषय -िस्त ुपररचय ............................................................................................................. 1 र्स ीही ध र्म विज्ञा न ................................................................................................ 1

    सर् स् या ए ँ................................................................................................................. 2 क ा यमक ा री पररभाषा .................................................................................................... 4 एक ता एिं विविधता .................................................................................................. 5

    एकीकृत धमगमवज्ञान ............................................................................................. 5 बह-ुधमगमवज्ञान ..................................................................................................... 7

    र्स ीही परम्प राए ँ................................................................................................. 8 परम्परा क ी पररभाषा .................................................................................................. 9

    नकारात्मक पररभाषा ........................................................................................... 9 सकारात्मक पररभाषा ........................................................................................... 9

    परम् परा ओ ंक ी प्रि वृ ि या ँ............................................................................................ 10 चसद्धान्त ............................................................................................................ 10 व्यवहार ............................................................................................................ 11 कारूचणकता ...................................................................................................... 11

    परम् परा ओ ंक ा र् हत् ि ............................................................................................... 11 अपने बारे मे ंजार्रूकता ..................................................................................... 11 दूसर ंके बारे मे ंजार्रूकता ................................................................................ 12

    स धुारिादी परम्पर ा ............................................................................................ 13 उ त् पवि एिं विक ास .................................................................................................. 13 प्रि वृ ि या ँ................................................................................................................ 15 व ि िेषत ा ए ँ.............................................................................................................. 16

    धमगसधुार आन्द लन के स ला ............................................................................. 16 पमवत्र शास्ट्त्र की एकता ...................................................................................... 17 परमशे्वर का चसद्धान्त .......................................................................................... 17 मानवीय संस्ट्कृमत ............................................................................................... 19

    उपसं हार ......................................................................................................... 20

  • आपके धमगमवज्ञान का मनमागण अध्याय द

    मसीही धमगमवज्ञान की ि ज

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    पररचय

    मझु ेयाद ह ैमक एक बार मै ंमकसी काम स ेअपन ेएक ममत्र के पास र्या, परन्त ुमैनं ेइस प्रकार व्यवहार मकया मान मै ंउसस ेकेवल ममत्रवत् बातचीत के चलए र्या था। मरेे वास्ट्तमवक कायगक्रम क प्रकट ह न ेमे ंज्यादा वि नही ंलर्ा। िलुासा ह न ेपर तनाव हआु, और समय इतना अच्छा नही ंबीता। मेरे ममत्र के वे कथन मझु ेआज भी याद है,ं “काश तमुन ेमझु ेअपना वास्ट्तमवक कायगक्रम बताया ह ता। अच्छा ह ता यमद मै ंिलुी आिँ ंके साथ यहा ँआता।”

    कुछ हद तक धमगमवज्ञान के साथ भी ऐसा ही ह।ै बहतु बार मसीही धमगमवज्ञानी धमगमवज्ञान के बारे मे ंइस तरह से मवचार-मवमशग करत ेहै ंमान उनके पास क ई कायगक्रम ही न ह । “मै ंतमु्हे ंकेवल सच्चाई बता रहा हू”ँ, वे कहते है,ं “मै ंकेवल वही बता रहा हू ँज बाइबल कहती ह।ै” परन्त ुवषों के दौरान मैनं ेयह सीिा ह ैमक आमतौर पर मसीही धमगमवज्ञान के बारे मे ंचजतना संभव ह सके उतन ेिलुापन स ेमवचार करना बहेतर ह ता ह।ै इस तरह प्रत्यके व्यमि िलुी आिँ ंस ेमवचार-मवमशग मे ंभार् ल ेसकता ह।ै

    यह “आपके धमगमवज्ञान का मनमागण” की हमारी श्ृंिला का दूसरा अध्याय ह।ै और इस अध्याय मे,ं हम मूलभूत जानकारी देरं् ेज इस सम्पूणग अध्ययन का मार्गदशगन करेर्ी। हमने इस अध्याय का शीषगक मदया ह,ै “मसीही धमगमवज्ञान की ि ज,” और हम कुछ महत्वपूणग पूवगधारणाओ ंक बतायेरं् ेज एक मवचशष्ट मसीही धमगमवज्ञान क मवकचसत करने के तरीके की ि ज मे ंहमारा मार्गदशगन करंेर्ी।

    हम वहृद् स्ट्तर स ेछ टे मवचार ंकी ओर बढ़ते हएु तीन तरीक ंस ेइस मवषय क दिेेरं्।े प्रथम, हम अपन ेदमृष्टक ण क पररभामषत करेरं् ेमक मकस प्रकार का धमगमवज्ञान मसीही ह।ै मद्वतीय, हम अनसंुधान करेरं् ेमक कैस ेमवचशष्ट धमगमवज्ञानी परम्पराए ँमसीही धमगमवज्ञान क आकार दतेी है।ं और ततृीय, हम संश चधत धमगमवज्ञान, मसीही मवश्वास की मवचशष्ट शािा ज इन अध्याय ंका आधार ह,ै के कुछ मूलभूत मनयम ंक देिेरं्।े आइए पहले हम मसीही धमगमवज्ञान के सामान्य मवचार की ओर चले।ं इन अध्याय ंमे ंजब हम इस शब्द का प्रय र् करते है ंत उसका अथग क्या ह र्ा?

    र्स ीह ी धर्म विज्ञ ा न

    दभुागग्यवश, अक्सर हम मसीही धमगमवज्ञान के बारे मे ंबात करते है,ं लमेकन यह स्ट्पष्ट नही ंह ता मक इसका मतलब क्या ह।ै कई बार ल र् इस शब्द का प्रय र् इस बात क मदिाने के चलए करत ेहै ंमक वास्ट्तव मे ंमसीमहय ंका मवश्वास क्या ह।ै परन्त ुमसीही अक्सर उन सब मवश्वास ंकी पमुष्ट करते है ंज वास्ट्तव मे ंमसीही नही ंहै।ं दूसरे इस शब्द का प्रय र् उस धमगमवज्ञान के बारे मे ंबात करन ेके चलए करत ेहै ंचजस पर मसीमहय ंक मवश्वास करना चामहए। परन्त ुअचधकांश मसीही इस बात पर सहमत नही ंह सकत ेमक उन्हे ंक्या मवश्वास करना चामहए। इन सारी अस्ट्पष्टताओ ंके कारण, हमे ंइस बात क स्ट्पष्ट करने की जरूरत ह ैमक इन अध्याय ंमे ंजब हम मसीही धमगमवज्ञान शब्द का प्रय र् करते है ंत उसका मतलब क्या ह र्ा।

  • आपके धमगमवज्ञान का मनमागण अध्याय द : मसीही धमगमवज्ञान की ि ज

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    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    हम तीन मवषय ंक दिेेरं्े: प्रथम, हम मसीही धमगमवज्ञान क पररभामषत करने मे ंआन ेवाली समस्ट्याओ ंक दिेेरं्े, मद्वतीय, हम एक कायगकारी पररभाषा प्रस्ट्तामवत करंेर्े, और ततृीय, हम मसीही धमगमवज्ञान मे ंशाममल एकता और मवमवधता क देिेरं्े। आइए पहले हम उन समस्ट्याओ ंक दिेे ंचजनका हमे ंमसीही धमगमवज्ञान क पररभामषत करने का प्रयास करत ेसमय सामना करना पडता ह।ै

    सर् स् याए ँहमारी सबस ेबडी समस्ट्या उन तरीक ंकी ि ज करना ह ैचजनसे मसीही धमगमवज्ञान क र्रै-मसीही

    धमगमवज्ञान स ेअलर् मकया जा सके। कई बार अन्तर क दिेना इतना मशु्शकल नही ंह ता ह,ै परन्त ुबहतु बार मसीही धमगमवज्ञान क अन्य धमगमवज्ञान ंस ेअलर् करना अत्यचधक मशु्शकल ह ता ह।ै

    इसे इस तरह से स चे।ं जब हम मसीमहयत क संसार के अन्य बडे धमों के साथ दिेते है,ं त कई ऐसे धमगमवज्ञान है ंचजन्हे ंआसानी से मसीही मवश्वास ंसे अलर् मकया जा सकता ह।ै उदाहरण के चलए, इस तथ्य के बावजूद मक कुछ ल र् ंन ेमसीमहयत क महन्दू धमग स ेममलान ेकी क चशश की ह,ै महन्दू धमग का बहईुश्वरवाद इस ेमसीही मवश्वास स ेबहतु अलर् बना दतेा ह,ै इतना अचधक मक धमगमवज्ञान की द न ंप्रणाचलय ंमे ंक ई असमंजस पदैा नही ंह ता ह।ै

    दूसरी तरि, महन्दू धमग की अपेिा इस्ट्लाम धमग मसीमहयत के कही ंअचधक करीब ह।ै मसीमहयत के समान इस्ट्लाम भी अपनी मवरासत क अब्राहम स ेज डता ह।ै यही नही,ं इस्ट्लाम के पगैामबर और उनके अनयुायी कुरान क चलित ेसमय मसीही चशिाओ ंके सम्पकग मे ंथ।े अत: मसीमहयत और इस्ट्लाम मे ंकई प्रकार की समानताए ँहै।ं मिर भी, बडी आसानी से इस्ट्लाम क मसीही मवश्वास से अलर् मकया जा सकता ह ैक्य मंक उनके बीच मे ंस्ट्पष्ट और आधारभूत अन्तर है,ं जसै ेमक मसीमहयत का यीश ुमसीह क ईश्वर और सवोच्च बनाना इस्ट्लाम के द्वारा मान्य नही ंह।ै

    और यहूदी धमग क दिेे।ं यहूदी धमग मसीमहयत स ेऔर भी करीबी रूप स ेजडुा और उसके समान ह ैक्य मंक मसीमहयत यहूदी धमग मे ंसे मनकली। परन्त,ु यहूदी धमग यीश ुके मसीह ह न ेका इनकार करता ह ैचजस कारण कुछ ल र् इन द न ंधमों के बारे मे ंअसमंजस मे ंपड जात ेहै।ं

    इन धमों तथा संसार के अन्य बडे धमों के धमगमवज्ञानी दमृष्टक ण मसीही धमगमवज्ञान स ेइतन ेअचधक अलर् है ंमक ज्यादातर ल र् ंक इनके बीच अन्तर करने मे ंक ई परेशानी नही ंह ती ह।ै हम अपने और उनके धमगमवज्ञान के बीच ठ स सीमारेिा क िडा कर सकते है।ं

    साथ ही, बहतु स ेधमगमवज्ञान के मवद्यालय मसीही और र्रै-मसीही मवचार क ममलाकर वास्ट्तमवक मसीमहयत क अन्य धमों स ेअलर् करना मशु्शकल बना दतेे है।ं ऐसी ममलावट क हम अपन ेसमय के प्रचचलत र्लत मसीही सम्प्रदाय ंमे ंदिे सकते है,ं जसैे यह वा सािी, म रम नवादी, मसीही मवज्ञान, और सन यंर् मून का मवश्वास। यह उन कलीचसयाओ ंऔर संस्ट्थाओ ंमे ंभी पाया जा सकता ह ैचजन्ह नं ेआधमुनक उदारवाद के पि मे ंअपने से पहले के ल र् ंके धमगमवज्ञानी स्ट्तर ंक त्यार् मदया ह।ै अब, इन ममलावटी धमों के कुछ पहलूओ ंक आसानी स ेर्रै-मसीही के रूप मे ंपहचाना जा सकता ह,ै परन्त ुअन्य तत्व सच्ची मसीमहयत के बहतु करीब है।ं इस कारण, ऐसी पररश्स्ट्थमतय ंमे ंहमारे चलए मसीही तथा र्रै-मसीही धमगमवज्ञान ंमे ंस्ट्पष्ट रूप से अन्तर करना मशु्शकल ह जाता ह।ै

    इससे भी बदतर, मसीह मे ंविादार मवश्वाचसय ंके बीच धमगमवज्ञानी तस्ट्वीर के बारे मे ंस चे।ं वास्ट्तमवक मसीमहयत मे ंभी, मसीही धमगमवज्ञान क एकवचन की बजाय बहवुचन मे ंप्रय र् करना अक्सर आसान ह ता ह।ै मसीमहयत के इतने मवमवधरूप है ंमक हर व्यमि की सन्तमुष्ट के चलए इस बात की पहचान

  • आपके धमगमवज्ञान का मनमागण अध्याय द : मसीही धमगमवज्ञान की ि ज

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    करना असंभव ह ैमक मसीमहयत के मकस रूप क सच्चा माना जाए। क्या सचे्च मसीही धमगमवज्ञान मे ंपूवी ऑथोर्ॉक्स कलीचसयाओ ंकी चशिाए ँशाममल है?ं और र मन केथ चलक चसद्धान्त? प्र टेस्ट्टेन्ट मवश्वास का सबस ेशदु्ध रूप कौनसा ह:ै एंश्ग्लकन, बपैमटस्ट्ट, लूथरन, मथै मर्स्ट्ट, या पे्रश्स्ट्बटेररयन? कलीचसया का लर्भर् प्रत्यके वर्ग मसीमहयत की मवमभन्न शािाओ ंकी शदु्धता की जाचँ अपन ेतरीके स ेकरता ह,ै और लर्भर् प्रत्यके शािा यह मानती ह ैमक उसका धमगमवज्ञान सबस ेशदु्ध ह।ै इन मसीही असहममतय ंके नाते, मसीही धमगमवज्ञान क स्ट्पष्ट रूप स ेपररभामषत करना और भी मशु्शकल ह जाता ह।ै

    मै ंअपनी किाओ ंमे ंबारम्बार अपन ेमवद्याचथगय ंस ेकहता हू ँमक व ेमझु ेऐस ेचसद्धान्त ंकी सूची, चजन पर मवश्वास करना मसीही मर्ने जाने के चलए जरूरी ह,ै दकेर मरेी सहायता करंे मक मै ंमसीही धमगमवज्ञान क संसार की अन्य सभी धमगमवज्ञानी प्रणाचलय ंस ेअलर् कर सकँू।

    मवद्याचथगय ंक आवशयक मसीही मवश्वास ंकी एक बहतु लम्बी सूची लान ेमे ंज्यादा समय नही ंलर्ता ह।ै उनमे ंइस प्रकार के कथन ह त ेहै:ं यीश ुप्रभ ुह,ै यीश ुउद्धारकताग ह,ै यीश ुउद्धार का एकमात्र मार्ग ह,ै यीश ुहमारे पाप ंके चलए मरा, यीश ुमतृक ंमे ंस ेजी उठा, परमेश्वर मत्रएक ह,ै यीश ुपूणग परमशे्वर और पूणग मनषु्य ह,ै सब मनषु्य पापी है,ं धाममगकता केवल मवश्वास के द्वारा ममलती है, मसीमहय ंक पमवत्र ह ना चामहए, बाइबल परमेश्वर का अचूक वचन ह।ै आप दिे सकत ेहै ंमक इन सब पर मवश्वास करना त दूर, केवल इन मवचारधाराओ ंक समझन ेके चलए ही व्यमि क सचुशचित और य ग्य ह ना चामहए।

    किा से ऐसे उत्तर ंक पाने के बाद, मै ंअक्सर उनकी तरि घूमकर उनस ेएक महत्वपूणग सवाल पूछता हू:ँ मसीही बनते समय आप मे ंसे मकतने ल र् ंन ेइन चशिाओ ंपर मवश्वास मकया? और मनस्ट्सन्देह, उनमे ंस ेअचधकांश यह अंर्ीकार करत ेहै ंमक उन्ह नं ेइनमे ंस ेकेवल कुछ पर मवश्वास मकया। मिर मै ंउन स ेपूछता हू,ँ त क्या तमु एक मसीही नही ंथ ेऔर क्या तमु्हारे पास मसीही धमगमवज्ञान नही ंथा? उस समय भी जब तमुन ेइन शेष चसद्धान्त ंपर मवश्वास नही ंमकया था?

    मनस्ट्सन्दहे व ेचसद्धान्त चजन्हे ंमवद्याथी आमतौर पर अपनी सूची मे ंशाममल करत ेहै ंव ेमहत्वपूणग मसीही चशिाए ँहै।ं परन्त ुयह बात स्ट्पष्ट ह नी चामहए मक इन चसद्धान्त ंक समझने या उन पर मवश्वास करन ेकी बात त दूर, इनमे ंस ेकुछ क सनुन ेके मबना भी एक व्यमि के पास सच्चा मसीही मवश्वास और मसीही धमगमवज्ञान ह सकता ह।ै

    कौन स ेचसद्धान्त सचे्च मसीही मवश्वास के चलए पूणगत: जरूरी है?ं मसीही धमगमवज्ञान का मनम्नतम स्ट्तर क्या ह?ै वास्ट्तव मे,ं केवल परमेश्वर ही मनचित तौर पर जानता ह ैमक सीमा रेिा कहा ँह।ै

    य ेव ेसमस्ट्याए ँहै ंचजनका मसीही धमगमवज्ञान क पररभामषत करन ेका प्रयास करत ेसमय हमे ंसामना करना पडता ह।ै कुछ अन्य धमों के संबंध मे,ं हमारे चलए स्ट्वयं की अलर् पहचान करना मशु्शकल नही ंह।ै परन्त ुइस बात क स्ट्पष्ट रूप से जानना बहतु मशु्शकल ह ैमक सच्चा मसीही बनन ेके चलए धमगमवज्ञान मे ंमकन तत्व ंका ह ना जरूरी ह।ै

    मसीही धमगमवज्ञान की य ेसमस्ट्याए ँमझु ेएक कारर्र पररभाषा क प्रस्ट्तामवत करन ेकी ओर ल ेजाती है ंज इन अध्याय ंमे ंहमारे मवचार-मवमशग का मार्गदशगन करेर्ी। यह पररभाषा उठाए जा सकने वाले प्रत्यके प्रशन का उत्तर नही ंदेर्ी, परन्त ुयह हमे ंएक महत्वपूणग और सहायक स्ट्पष्टता प्रदान करेर्ी। यह एक चसद्ध पररभाषा नही ंह र्ी, परन्त ुहमारे आर् ेबढ़न ेहते ुप्रय र् के चलए यह पयागप्त ह र्ी।

  • आपके धमगमवज्ञान का मनमागण अध्याय द : मसीही धमगमवज्ञान की ि ज

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    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    का यम का र ी प रर भाष ा इन अध्याय ंमे ंहम मसीही धमगमवज्ञान की हमारी पररभाषा क मसीही मवश्वास की सपु्रचसद्ध और

    प्राचीन अमभव्यमि पर केश्न्ित करेंर्े, ज पे्रररत ंका मवश्वास कथन कहलाती ह।ै यह मवश्वास कथन दूसरी सदी मे ंअश्स्ट्तत्व मे ंआया और छठी सदी मे ंइसने अपना वतगमान स्ट्वरूप ग्रहण मकया। संसार भर के मसीही अपने मसीही मवश्वास के सार के रूप मे ंसमदय ंसे इस मवश्वास कथन क ब लते आए है।ं आप जानते है ंमक यह कैसा ह:ै

    सिम िव िर् ान व पत ा परर् शे्वर पर व ि श्वा स क रता ह ।ँ र् ंस् िर्म और पथृ्िी के रचव यत ा, र् ंउन के इ कि ौत ेपतु्र, हर् ा रे प्रभ ुपर व ि श्वा स क रत ा ह ,ँ जो पवित्र आत्र् ा के द्व ारा र् भम र् े ंआए, और कँु िा री र् र रयर् के द्व ा रा जन्र् ल ि या। पनु् न्त यसु व पि ात सु के अ धी न उ न्हो नं ेक ष्ट सहा, क्र स पर चढाए र्ए, र् ा रे र् ए, और र् ा ड़े र् ए, ि ेअ धिे ोक र् े ंउत रे। त ी सरे वद न ि ेर्तृ को ंर् े ंस ेपनु : ज ी उ ठे। ि ेस् िर्म र् े ंचढे और सिम िव िर् ा न व पत ा परर् शे्वर के द ा व हन ेहा थ र् े ंवि रा जर् ा न ह ।ं ि हा ँस ेि ेज ीव ि तो ंऔर र् तृक ो ंक ा न्या य क रन ेआय ेरं्।े र् ंपव ित्र आत्र् ा, पवि त्र सािम भ ौ वर्क कि ी ल सया, सन्त ो ंक ी सहभा व र् ता, पा पो ंक ी क्षर् ा, द हे के पनु रुत्थ ा न, और अ न न्त ज ीि न र् े ंव ि श्वास क रत ा ह ।ँ आर् ीन ।

    मसीही मवश्वास की यह मवश्वव्यापी अमभव्यमि मसीमहयत क बहतु ही सरल और आवशयक तरीक ंस ेस्ट्पष्ट करती ह।ै और यह मसीही धमगमवज्ञान की हमारी मूलभूत पररभाषा का कायग करेर्ी। हमारे उदे्दशय ंके चलए, उन सभी धमगमवज्ञान ंक मसीही धमगमवज्ञान माना जाएर्ा ज इस मवश्वास कथन के अनरुूप है।ं

    अब, हमे ंयह स्ट्वीकार करन ेकी जरूरत ह ैमक पे्रररत ंके मवश्वास कथन मे ंकुछ ऐस ेमवश्वास शाममल है ंचजन्हे ंहम मे ंसे अचधकांश ल र् जरूरी नही ंमानते। उदाहरण के चलए, क्या हम वास्ट्तव मे ंयह कहना चाहते है ंमक ल र् ंके पास मसीही धमगमवज्ञान ह ने से पहल ेउन्हे ंपशु्न्तयसु मपलातसु के बारे मे ंजानना जरूरी ह?ै और इससे आर्,े मै ंयह कहन ेका ज चिम लूरँ्ा मक हममे ंस ेबहतु स ेल र् ंक यह भी पता नही ंह ैमक “सन्त ंकी सहभामर्ता” का मतलब क्या ह।ै

    साथ ही, यह कहना सरुचित ह ैमक पे्रररत ंका मवश्वास कथन उन कई मसीही मवश्वास ंक छूता ह,ै ज इसके मूलभूत स्ट्तर ंस ेआर् ेमसीही धमगमवज्ञान का मवकास करन ेके चलए जरूरी है।ं और यह मसीमहय ंक एक ऐस ेधमगमवज्ञान के मनमागण का कायग शरुू करन ेके चलए पयागप्त मवश्वास ंकी सूची प्रदान करता ह ैचजस ेव ेएक दूसरे के साथ बाटँ सकंे।

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    उदाहरण के चलए, मवश्वास कथन मे ंसमृष्ट का वणगन ह।ै यह मत्रएकत्व के तीन ंव्यमिय :ं मपता, उनके एकलौत ेपतु्र, यीश ुमसीह, और पमवत्र आत्मा का वणगन करता ह।ै यह यीश ुके दहेधारण, मतृ्य,ु पनुरुत्थान और स्ट्वर्ागर हण के बारे मे ंबताता ह।ै यह पाप ंकी िमा, सामान्य पनुरुत्थान, अश्न्तम न्याय, और अनन्त जीवन की आशा के बारे मे ंभी बताता ह।ै

    चूमँक यह इतना मजबूत और वहृद् आधार उपलब्ध कराता ह,ै इसचलए हम पे्रररत ंके मवश्वास कथन का मसीही धमगमवज्ञान की हमारी कायगकारी पररभाषा के रूप मे ंप्रय र् करंेर्।े यद्यमप हम ऐसे चसद्धान्त ंके बारे मे ंबात करेंर् ेज इस छ टी सूची के पार जाते है,ं मिर भी हम इस बात स ेसन्तषु्ट ह रं् ेमक यमद क ई धमगमवज्ञान इस मवश्वास कथन के अनरुूप ह ैत वह मसीही धमगमवज्ञान ह र्ा।

    ए कता ए िं व िव िधता जब हम मसीही धमगमवज्ञान क पररभामषत करने के चलए पे्रररत ंके मवश्वास कथन का प्रय र् करते है,ं

    त यह तरुन्त ही स्ट्पष्ट ह जाता ह ैमक मसीही मवश्वास मे ंधमगमवज्ञान एकीकृत और मवमवधतापूणग द न ंह।ै हम एक पथृक, एकीकृत मसीही धमगमवज्ञान की बात कर सकत ेहै ंक्य मंक मसीमहय ंके बीच बहतु स ेआम मवश्वास, रीमतया ँऔर भावनाए ँहै।ं परन्त ुहमे ंमवमवध मसीही धमगमवज्ञान ंके बारे मे ंब लन ेके चलए भी तयैार रहना चामहए ज एक-दूसरे स ेअलर् है ंक्य मंक मसीही उन मवषय ंपर कई प्रकार के मवचार रित ेहै ंचजन्हे ंपे्रररत ंका मवश्वास कथन संब चधत नही ंकरता ह।ै आइए पहले हम मसीमहय ंके बीच एकता क देिे।ं

    ए कीकृत ध र्म विज्ञ ान जब हम मवद्यमान मवमभन्न कलीचसयाओ ंऔर संस्ट्थाओ ंक दिेते है,ं त एक अथगपूणग रीमत स ेमसीमहय ं

    के बीच धमगमवज्ञानी एकता की बात करना मशु्शकल प्रतीत ह ता ह।ै मै ंआपक नही ंबता सकता मक मकतनी बार र्रै-मसीमहय ंन ेमझु स ेकहा ह,ै “तमु मसीही ल र् इस बात पर भी सहमत नही ंह सकत ेमक तमु्हारा मवश्वास क्या ह।ै तमु मझुस ेएक मसीही बनन ेकी अपेिा क्य ंरित ेह ?” और हमे ंयह मानना ह र्ा मक कई बार ऐसा प्रतीत ह ता ह ैमक मसीह के अनयुायी मशु्शकल स ेमकसी बात पर सहमत ह सकत ेहै।ं परन्त ुमवभाजन तस्ट्वीर का केवल एक महस्ट्सा ह।ै

    जसैे पे्रररत ंका मवश्वास कथन बताता ह,ै संसार के सारे सचे्च मसीही ममलकर एक “पमवत्र सावगभौममक कलीचसया” बनात ेहै।ं हमारे मवभाजन ंके बावजूद, मसीह की दहे धमगमवज्ञानी रूप स ेएकीकृत ह ैक्य मंक मसीही कुछ ऐस ेमखु्य मवश्वास ंपर सहमत है ंज उन्हे ंझूठे सम्प्रदाय ंऔर संसार के अन्य धमों से अलर् करते है।ं इन अध्याय ंमे ंमसीही धमगमवज्ञान का अनसंुधान करत ेसमय, हमे ंमवश्वास की एकता का अंर्ीकार करन ेकी जरूरत ह र्ी ज सारे मसीमहय ंक एक साथ ज डता ह।ै

    पे्रररत ंने इमफ़चसय ं4:4-5 मे ंइस रीमत से कलीचसया की एकता के बारे मे ंबताया:

    एक ही द हे ह , और एक ही आत् र् ा, ज स ेतमु् हे ंज ो बिु ा ए र् ए थ ेअ पन ेबिु ा ए ज ान ेस ेएक ही आिा ह । एक ही प्रभ ुह , एक ही विश्वास, एक ही ब पव त स्र् ा । (इ व ़िल सयो ं4 :4 -5 )

    वास्ट्तव मे,ं कलीचसया की सदै्धाश्न्तक एकता सभी मसीमहय ंका लक्ष्य ह नी चामहए। स्ट्वयं यीश ुमसीह न ेयूहन्ना 17:22-23 मे ंइसके चलए प्राथगना की:

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    “ ि ह र् व हर् ा ज ो त न ेर्झु ेद ी र् ंन ेउ न्हे ंद ी ह , वक ि ेि स ेही एक हो ंज स ेवक हर् एक ह ,ं र् ंउन र् े ंऔर त र् झु र् े ंवक ि ेल सद्ध हो कर एक हो ज ा ए,ँ और संसा र ज ा न ेवक त ही न ेर् झु ेभ जे ा, और ज सा त न ेर्झु स ेपे्रर् रख ा ि सा ही उन स ेपे्रर् रख ा।” (य हन्ना 1 7 :22 -2 3 )

    कलीचसया क और मनकटता से देिने पर, हम दिेते है ंमक मसीमहय ंकी एक-दूसरे के साथ मवमवध स्ट्तर ंकी धमगमवज्ञानी एकता ह।ै सवागचधक वहृद् स्ट्तर पर, हमारी पररभाषा के अनसुार, सभी मसीही प्ररेरत ंके मवश्वास कथन मे ंअमभव्यि मकए र्ए मनयम ंपर मवश्वास के द्वारा धमगमवज्ञानी रूप स ेएकीकृत है।ं यह आधारभूत एकता मारँ् करती ह ैमक हम उन सबके प्रमत सम्मान, धीरज और पे्रम दशागए ँज मवश्वास कथन क मानते है,ं चाहे वे कलीचसया की मकसी भी शािा से संबंचधत ह ,ं क्य मंक प्रत्यके व्यमि ज मवश्वास कथन क मानता ह ैवह संर्ी मवश्वासी ह।ै ऐसे वातावरण मे,ं हमे ं“सत्य क पे्रम मे ंकहना” सीिने की जरूरत ह ैजसैा मक इमफ़चसय ं4:15 मे ंबताया र्या ह।ै

    इससे बढ़कर, मसीमहय ंके बीच धमगमवज्ञानी एकता बढ़ जाती ह ैजब हम ऐसे मवश्वास ंपर एकमत ह ते है ंज मवश्वास कथन मे ंवचणगत मवश्वास ंसे आर्े जाते है।ं उदाहरण के चलए, ऑथोर्ॉक्स, केथ चलक और प्र टेस्ट्टेन्ट मसीही मत्रएकता और मसीह की मदव्यता जसै ेमवश्वास ंपर समान रूप स ेमवश्वास करत ेहै।ं परन्त ुप्र टेस्ट्टेन्ट संस्ट्थाए ँज अपनी मवरासत के प्रमत सच्ची रही है ंउनमे ंर्रै-मसीही कलीचसयाओ ंकी बजाय एक-दूसरे के साथ धमगमवज्ञानी एकता कही ंअचधक ह।ै

    यद्यमप हमारी प्रवमृत्त ह ैमक हम उनके साथ एकता की क चशश करत ेहै ंचजनके अचधकांश मवश्वास हमारे समान है ंऔर चजनके साथ हमारी बहतु कम समानता ह ैउनके साथ दशुमन ंजसैा व्यवहार करत ेहै,ं परन्त ुप्रभ ुहम सब क एकता का सन्दशे देते है।ं इस कारण, हमे ंमसीमहय ंके बीच मवद्यमान अन्तर ंक मसीह मे ंहमारे एक समान मवश्वास स ेभटकान ेकी अनमुमत नही ंदनेी चामहए। मसीमहय ंके प्रत्यके चसद्धान्त पर सहमत न ह पाने के कारण मनराश ह ने की बजाय, हमे ंसमझने की जरूरत ह ैमक मसीही ल र् मवश्वास के केन्िीय मनयम ंपर सहमत है।ं इस अथग मे,ं मसीही धमगमवज्ञान एक एकीकृत वास्ट्तमवकता ह।ै और यही नही,ं यह हमारी चजम्मेदारी ह ैमक हम मसीह की देह मे ंसदा बढ़ने वाली धमगवजै्ञामनक एकता क बढ़ावा दे।ं

    जसै ेपे्रररत पौलसु न ेइमफ़चसय ं4:14-16 मे ंचलिा ह:ै

    त ा व क हर् ...उ पदिे के हर एक झो कें स ेउछ ा ि ेऔर घ रु् ा ए न ज ा ए।ँ ि रन् पे्रर् र् े ंसच्चा ई स ेचि त ेहएु सब बा त ो ंर् े ंउ सर् े ंज ो ल सर ह , अथ ा मत् र् सीह र् े ंबढत ेज ा ए,ँ लज सस ेसा री द हे, हर एक ज ोड़ की सहा यत ा स ेएक सा थ वर् िक र और एक सा थ र् ठकर, उ स प्रभ ा ि के अन सुा र ज ो हर एक अं र् के ठीक -ठी क क ा यम क रन ेके द्व ा रा उसर् े ंहो त ा ह , अ पन ेआप क ो ब ढा ती ह वक िह पे्रर् र् े ंउन्न व त क रत ी ज ा ए। (इव ़िल सयो ं 4 :1 4 -1 6 )

    कलीचसया के चलए परमेश्वर की इच्छा और ज लक्ष्य उन्ह नंे हमारे चलए रिा ह ैवह धमगमवज्ञानी मवभाजन नही ंह,ै परन्त ुपमवत्र शास्ट्त्र की चशिाओ ंके अनसुार बढ़ती हईु धमगवजै्ञामनक एकता ह।ै

    जबमक मसीमहय ंकी एकता का स्ट्तर अलर्-अलर् ह,ै त हमारे बीच मवमवधता के स्ट्तर ंक मानना और स्ट्वीकार करना भी महत्वपूणग ह।ै इस अथग मे,ं हमारा केवल एक मसीही धमगमवज्ञान की बजाय, मसीही धमगमवज्ञान ंके बारे मे ंबात करना सही ह।ै

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    ब ह-ु ध र्म विज्ञान प्र टेस्ट्टेन्ट यह बात पहचानते है ंमक जब वे अपने सम्पकों क स्ट्वयं की कलीचसया के बाहर बढ़ात ेहै,ं

    त मवमवधता बढ़ती ह।ै जब अलर्-अलर् संस्ट्थाओ ंका एक-दूसरे स ेसामना ह ता ह,ै त उन्हे ंलर्भर् हर बार मवमवधता का सामना करना पडता ह।ै उदाहरण के चलए, जब पूवी ऑथोर्ॉक्स और पचिमी कलीचसयाए ँएक साथ आईं, त उनके बीच अन्तर बहतु बडे थ।े

    अब, कलीचसया के अन्दर मवमवधता का सामना करते समय, हमे ंएक र्म्भीर प्रशन उठाना ह:ै हमारे बीच य ेअन्तर क्य ंहै?ं हम सबके पास एक ही आत्मा ह।ै हम सब उसी मसीह पर मवश्वास करते है।ं हम सब केन्िीय मवश्वास ंपर समान रूप से मवश्वास करते है।ं मिर, मसीमहय ंके बीच मवमवधता का क्या कारण ह?ै इस मदेु्द पर बात करना, मसीही धमगमवज्ञान ंके बीच कम से कम द प्रकार के अन्तर ंकी पहचान करने मे ंहमारी सहायता करता ह।ै

    पहले स्ट्थान मे,ं कुछ अन्तर ंका अश्स्ट्तत्व केवल इस कारण ह ैमक हम प्रत्यके धमगमवज्ञानी सत्य का एक समान बल के साथ प्रमतमनचधत्व नही ंकर सकत ेहै।ं समृष्ट के रूप मे ंहमारी सीमाए ँइस बात क अवशयम्भावी बना दतेी है ंमक हम मसीही मवश्वास के कुछ पहलूओ ंक चनुकर उन्हे ंदूसर ंस ेअचधक महत्व देते है।ं

    हम एक समय पर अपन ेमवश्वास के सभी पहलूओ ंपर बराबर ध्यान नही ंद ेसकत ेहै।ं धमगमवज्ञामनय ंऔर धमगमवज्ञान की यह समस्ट्या अक्सर मसीमहय ंके बीच सदै्धाश्न्तक मवमवधता क स्ट्पष्ट कर दतेी ह।ै चनुाव और महत्व स ेआई यह मवमवधता पूणग ह ैऔर परमशे्वर द्वारा स्ट्वीकृत ह।ै हम जानते है ंमक परमेश्वर ऐसी मवमवधता की पमुष्ट करत ेहै ंक्य मंक धमगशास्ट्त्रीय लिेक ंन ेभी चजन बात ंक चलिा और चजन पर बल मदया उनमे ंअन्तर था।

    उदाहरण के चलए, हमारे पास चार अलर्-अलर् ससुमाचार है ंक्य मंक परमशे्वर न ेमत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना क अर्वुाई दी मक व ेयीश ुके जीवन की सच्चाई के मवमभन्न पहलूओ ंपर ध्यान केश्न्ित करे।ं चूमँक पमवत्र आत्मा की अचूक पे्ररणा के अधीन मसीमहय ंद्वारा बल दी जान ेवाली बात ंमे ंअन्तर था, त हमे ंिशु ह ना चामहए मक यह बात आज के मसीमहय ंके बारे मे ंभी सत्य ह।ै

    चजस प्रकार परमेश्वर मवमभन्न प्रकार के िूल ंऔर विृ ंस ेपे्रम करता ह,ै पहाड ंऔर तराइय ंसे आनश्न्दत ह ता ह ैतथा मवमभन्न प्रकार के ल र् ंकी समृष्ट स ेिशु ह ता ह,ै उसी तरह वह अपनी सन्तान ंक मवमभन्न तरीक ंस ेअपन ेधमगमवज्ञान ंका मवकास करत ेहएु दिेकर भी िशु ह ता ह।ै

    हमे ंयह अपेिा रिनी चामहए मक न्यूयॉकग शहर के मसीही धमगमवज्ञान की बजाय ग्रामीण अफ्रीका का मसीही धमगमवज्ञान मवमभन्न सत्य ंक चनुकर उन पर बल दरे्ा। हमे ंदचिण अमरीकी मसीही धमगमवज्ञान के बीचजंर् के धमगमवज्ञान से अलर् ह ने की अपेिा रिनी चामहए। इस मवमवधता का कारण ह ैमक प्रभ ुअपन ेद्वारा छुडाए र्ए ल र् ंकी अर्वुाई करत ेहै ंमक व ेअपनी स्ट्वयं की सांस्ट्कृमतक पषृ्ठभूमम और मवचशष्ट ज़रूरत ंके अनसुार अपन ेमवश्वास के मवमभन्न पहलूओ ंक अमभव्यि करे।ं

    दूसरा, मवमवधता के अन्य रूप इतने हामन रमहत नही ंहै।ं उनके प्रमत ज्यादा सावधानी की जरूरत ह।ै महत्व दने ेया चनुाव के मवषय ह न ेकी बजाय, य ेअन्तर समूह ंया व्यमिय ंके र्लत चसद्धान्त ,ं व्यवहार ंऔर रीमतय ंमे ंभटकने का पररणाम ह।ै

    कलीचसया मे ंइस प्रकार की मवमवधता उत्पन्न ह ने पर, कम स ेकम एक व्यमि या समूह एक र्लत अवधारणा क रिता ह।ै और कुछ पररश्स्ट्थमतय ंमे,ं प्रत्यके व्यमि र्लत ह सकता ह।ै और इन मामल ंमे,ं हमे ंनम्रता और ईमानदारी स ेयह जानन ेका प्रयास करना चामहए मक र्लती कहा ँह।ै

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    र्लती क जानने के चलए, एक तरि हमे ंस्ट्व-आल चक, मकसी भी र्लत मवश्वास क त्यार्ने के चलए तयैार ह ना चामहए ज हमारे धमगमवज्ञान मे ंप्रवशे कर र्ई ह।ै और दूसरी तरि, हमे ंदूसरे मवश्वाचसय ंक उनकी समझ क बढ़ान ेमे ंसहायता करन ेके चलए भी तयैार रहना चामहए। कई बार यह मबल्कुल आसान ह र्ा, परन्त ुअन्य समय ंपर यह प्रमक्रया अत्यचधक कमठन ह र्ी। और हम इस बात के प्रमत मनचित ह सकते है:ं मसीह के ममहमा मे ंलौटन ेतक हम स्ट्वयं या दूसर ंक र्लमतय ंस ेपूणगत: मिु नही ंकर सकंेर्।े मिर भी, मसीह के अनयुायी ह न ेके नात ेयह हमारी चजम्मदेारी ह ैमक हम पमवत्र शास्ट्त्र की चशिाओ ंके प्रमत स्ट्वयं क सचे्च बनाए रिन ेऔर दूसर ंक भी ऐसा ही करन ेमे ंसहायता करन ेके चलए कठ र महेनत करे।ं याद करे ंपौलसु 1 तीमचुथयसु 4:16 मे ंक्या चलिता ह:ै

    अ पन ी और अ पन ेउ पद िे क ी चौ क सी रख। इन बा त ो ंपर न् स्थ र रह, कयो वं क यव द ऐसा क रत ा रहरे् ा त ो त अ पन ेऔर अ पन ेसनु न िेा ि ो ंके लि ए भ ी उद्ध ा र का क ारण हो र् ा।

    अन्त मे,ं जब हम मसीही मवश्वास की तस्ट्वीर क दिेत ेहै ंत मसीह के अनयुामयय ंके बीच धमगमवज्ञानी एकता और मवमवधता क नापत ेसमय हमे ंसीमाओ ंक पार करन ेसे बचना चामहए। यह जरूरी ह ैमक हम कभी भी धमगमवज्ञानी एकता के महत्व का इनकार न करंे-नही ंत यह उस एकता का इनकार करना ह र्ा चजसके चलए मसीह न ेप्राथगना की। परन्त ुहमे ंदूसरे छ र पर जाकर यह अपेिा भी नही ंकरनी चामहए मक मसीह के आर्मन स ेपूवग हर व्यमि प्रत्यके मदेु्द पर सहमत ह जाए-इसका अथग हमारी मानवीय सीमाओ ंऔर हमारे जीवन ंमे ंपाप के मनरन्तर प्रभाव का इनकार करना ह र्ा।

    इन अध्याय ंमे ंएक सचे्च मसीही धमगमवज्ञान का मनमागण करने के चलए कायग करते समय, हम पे्रररत ंके मवश्वास कथन का हमारी धमगमवज्ञानी एकता की हमारी मूलभूत अमभव्यमि के रूप मे ंप्रय र् करेरं्।े यह हमे ंमनरन्तर सभी मवश्वाचसय ंके साथ हमारी समानता के उस बडे धरातल के प्रमत जार्रूक रिरे्ा। परन्त ुसाथ ही, चूमँक बहतु स ेचसद्धान्त पे्रररत ंके मवश्वास कथन के िेत्र के बाहर है,ं इसचलए यह हमे ंउस मवमवधता की भी याद मदलायरे्ा चजसकी हमे ंमसीमहय ंके बीच सामना करन ेकी अपेिा रिनी चामहए।

    अब जबमक हम दिे चकेु है ंमक इन अध्याय ंमे ंमसीही धमगमवज्ञान का अथग क्या ह र्ा, त हमे ंअपने दूसरे मवषय पर आना चामहए: मसीमहयत के अन्दर धमगमवज्ञानी परम्पराए।ँ हमारे मसीही धमगमवज्ञान के मनमागण मे ंमवचशष्ट धमगमवज्ञानी परम्पराओ ंका क्या स्ट्थान ह?ै

    र्स ीह ी प रम् प रा ए ँ

    इस प्रशन का उत्तर देने के चलए हम तीन शीषगक ंक दिेेरं्े: पहला, हम धमगमवज्ञानी परम्परा शब्द क पररभामषत करेरं् ेदूसरा, हम धमगमवज्ञानी परम्पराओ ंकी कुछ प्रवमृत्तय ंकी जाचँ करेरं् ेऔर तीसरा, हम हमारे जीवन ंमे ंपरम्पराओ ंके प्रभाव के प्रमत जार्रूक बनन ेके महत्व का अनसंुधान करेरं्।े आइए पहले दिेे ंमक मसीही धमगमवज्ञानी परम्परा से हमारा क्या मतलब ह।ै

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    पर म्परा की परर भाषा ससुमाचारीय मसीही परम्परा शब्द का इतन ेअचधक अथों मे ंप्रय र् करते है ंमक हमे ंइस बात क स्ट्पष्ट

    करन ेकी जरूरत ह ैमक हम इसका प्रय र् कैस ेकरेरं्।े हम इस मदेु्द क पहल ेएक नकारात्मक पररभाषा देकर यह बतात ेहएु स्ट्पष्ट करेरं् ेमक हमारा मतलब क्या नही ंह,ै और मिर हम एक सकारात्मक पररभाषा दकेर बतायेरं्े मक हमारा मतलब क्या ह।ै सवगप्रथम, हमे ंयह समझना ह ैमक आज बहतु स ेससुमाचारीय िेत्र ंमे ंपरम्परा शब्द का एक बहतु ही नकारात्मक अथग ह ैक्य मंक यह बहतु ही मनकटता स ेउस स ेसंबंचधत ह ैचजस ेहम परम्परावाद कहेरं्।े

    नकारात्र् क परर भाषा जसैे जान फे्रम ने हाल ही मे ंकहा, “परम्परावाद” वहा ँमवद्यमान ह ता ह ैजहा ँस ला श्स्ट्क्रप्चरा का

    उलं्लघन ह ता ह।ै एक शब्द मे,ं परम्परावाद धमगमवज्ञानी मवश्वास ंक मानवीय सन्दभों पर आधाररत करता ह,ै आमतौर पर लम्ब ेसमय से चली आ रही पारम्पररक प्राथममकताओ ंपर, न मक पमवत्रशास्ट्त्र पर।

    यह स्ट्पष्ट ह ैमक यीश ुन ेअपन ेसमय मे ंपरम्परावाद का मवर ध मकया। यीश ुशाश्स्ट्त्रय ,ं फ़रीचसय ंऔर सदूमकय ंकी परम्पराओ ंके मवरूद्ध दढृ़ता स ेिडे रहे क्य मंक य ेल र् अपने मवचार ंक पमवत्र शास्ट्त्र से अचधक महत्व दते ेथ।े यीश ुन ेमरकुस 7:8 और 13 मे ंउनसे य ेशब्द कहे:

    “ तरु् परर् शे्वर क ी आज्ञा ओ ंको ट ा िक र र् नषु यो ंक ी री वत यो ंक ो र् ा नत ेहो। इस प्रक ा र त रु् अ पन ी परम् परा ओ ंसे, ल ज न्हे ंत रु्न ेठहरा या ह , परर् शे्वर का ि चन ट ा ि दते ेहो, और ऐस ेऐस ेब हतु स ेक ार् करत ेहो। ” (र् रकु स 7 :8, 13 )

    अब, मसीह के अनयुामयय ंक परम्परावाद क त्यार्ना चामहए क्य मंक यह मात्रा मानवीय मवचार क वह अचधकार प्रदान करता ह ैज वास्ट्तव मे ंकेवल वचन का ह।ै चूमँक दवैीय प्रकाशन की अपेिा मानवीय मूिगता आसानी से हमारे मवश्वास का मार्गदशगन कर सकती है, इसचलए हमे ंपरम्परावाद के हर रूप का मवर ध करना चामहए, जसैा मक यीश ुन ेअपन ेसमय मे ंमकया।

    दूसरा, यद्यमप हमे ंपरम्परावाद का मवर ध करना चामहए, लेमकन परम्परा के बारे मे ंहमारा एक अलर् मवचार ह ना चामहए। एक धमगमवज्ञान के मनमागण मे ंपरम्परा कौनसी उचचत भूममका मनभाती ह?ै

    स कारात्र्क प र रभाषा यह हमारे आधमुनक ससुमाचारीय कान ंक सनुन ेमे ंअजीब लर् सकता ह,ै परन्त ुपे्रररत पौलसु न े

    वास्ट्तव मे ंमसीह की दहे मे ंपरम्परा के चलए एक सकारात्मक भूममका की पमुष्ट की। दिेे ंमक व े1 कुररश्न्थय ं15:3 मे ंक ररन्थ के ल र् ंसे क्या कहते है:ं

    इ सी क ा रण र् ंन ेसब स ेपहि ेतमु् हे ंि ही ब ात पह ुचँा द ी, ज ो र्झु ेपह ुचँी थ ी व क पवि त्र िा स् त्र के ि चन के अ न सुा र यीि ुर् सी ह हर् ारे पा पो ंके ल ि ए र्र र् या ।

    “पहुचँा दी” शब्द पारामर्र् मी (paradidwmi) ह ैऔर “पहुचँी” शब्द पारालम्बान (paralambanw) ह।ै पौलसु के लिे ंमे ंकई बार मसीही चशिाओ ंके उनके द्वारा स्ट्थानान्तरण के मववरण के रूप मे ंइन शब्द ंका प्रय र् हआु ह।ै

  • आपके धमगमवज्ञान का मनमागण अध्याय द : मसीही धमगमवज्ञान की ि ज

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    य ेबाते ंहमारे मवचार-मवमशग के चलए महत्वपूणग है ंक्य मंक य ेव ेशब्द है ंचजनका प्रय र् पहली सदी के यहूमदय ंके बीच यहूदी परम्पराओ ंकी चशिाओ ंका वणगन करन ेके चलए मकया जाता था। पौलसु न ेमसीही मवश्वास क एक व्यमि स ेदूसरे व्यमि और पीढ़ी स ेपीढ़ी तक पहुचँाई जान ेवाली एक परम्परा के रूप मे ंदिेा। यद्यमप हम परम्परा शब्द का प्रय र् पौलसु स ेथ डे अलर् ढंर् स ेकर रह ेहै,ं हमे ंमसीही परम्परा या मसीही परम्पराओ ंजसै ेशब्द ंक सनुकर परेशान ह न ेकी जरूरत नही ंह ैक्य मंक स्ट्वयं पौलसु न ेपरम्परा की भाषा का सकारात्मक रीमत से प्रय र् मकया था।

    अब हमारे उदे्दशय ंके चलए, एक धमगमवज्ञानी परम्परा क इस प्रकार पररभामषत मकया जा सकता ह:ै

    ि म्ब ेसर्य स ेचि ा आ रहा धर्म व ि ज्ञान ी ल सद्ध ा न्त, व्यिहार या वन यर् जो क िीलसया क ी िाख ा ओ ंक ो एक -द सरे स ेअ िर् करत ेह ।ं

    आइए इस पररभाषा क द मखु्य भार् ंमे ंबाटेँ।ं पहला, यह “लम्ब ेसमय स ेचला आ रहा चसद्धान्त, व्यवहार या मनयम” ह।ै इसका मतलब, इन अध्याय ंमे ंजब हम धमगमवज्ञानी परम्परा की बात करत ेहै,ं त हमारे मन मे ंक ई ऐसी बात नही ंह ैज अभी हाल ही मे ंशरुू हईु ह । इसके मवपरीत मवश्वास ंकी एक प्रणाली हमारे चलए धमगमवज्ञानी परम्परा का रूप तभी लतेी ह ैजब वह कुछ लम्ब ेसमय स ेमवद्यमान रही ह । हमारी पररभाषा के अनसुार, वषों स ेकलीचसया की स्ट्वीकृमत क पान ेवाल ेमवश्वास ही परम्पराओ ंके रूप मे ंय ग्य है।ं

    और दूसरा, एक धमगमवज्ञानी परम्परा “कलीचसया की शािाओ ंक एक-दूसरे स ेअलर् करती ह।ै” अन्य शब्द ंमे,ं हमारे मन मे ंमवशेष संस्ट्थाओ ंया मवश्वाचसय ंके समूह ंकी ऐसी बाते ंहै ंज उनकी पहचान करान ेवाली मवशेषताए ँहै।ं एक बपैमटस्ट्ट क बपैमटस्ट्ट क्या बनाता ह?ै बपैमटस्ट्ट परम्परा। एक मथे मर्स्ट्ट क कौनसी बात मेथ मर्स्ट्ट बनाती ह?ै मथे मर्स्ट्ट परम्परा। जब मवश्वाचसय ंके समूह एक लम्बी अवचध तक समान मवचार ंक मानते है,ं त य ेमवचार उनके मवचशष्ट धमगमवज्ञानी मार्ग बन जाते है।ं वे पात ेहै ंमक वे स्ट्वयं क कलीचसया की दूसरी शािाओ ंकी बजाए मकसी एक शािा मे ंसहज अनभुव करत ेहै।ं

    अब जबमक हम यह पररभामषत कर चकेु है ंमक धमगमवज्ञानी परम्पराओ ंस ेहमारा क्या मतलब ह,ै त हमे ंइस पर भी ध्यान देना चामहए मक धमगमवज्ञानी परम्पराओ ंकी प्रवमृत्तया ँहै।ं

    प र म्प रा ओ ंकी प्र िवृि या ँमपछले अध्याय मे,ं हमन ेदिेा मक धमगमवज्ञान मे ंचसद्धान्त, व्यवहार और मनयम शाममल है।ं इसचलए,

    इस बात पर ध्यान दनेा सहायक ह ैमक मसीमहयत की मवमभन्न धमगमवज्ञानी परम्पराए ँइन तीन शे्चणय ंमे ंस ेएक, या संभवत: द के अन्तरर्त आती है:ं व ेज चसद्धान्त पर बल दतेी है,ं ज व्यवहार पर बल देती है,ं और व ेज कारचणकता क आर्े बढ़ाती है।ं प्रथम, कलीचसया की कुछ शािाओ ंकी पहचान उनके द्वारा चसद्धान्त ंपर मदए जाने वाले पारम्पररक बल से ह ती ह।ै

    लस द्धान्त हम सब ऐसी संस्ट्थाओ ंके बारे मे ंजानते है ंचजनकी पहचान प्राथममक तौर पर उनके द्वारा मान ेजाने

    वाल ेचसद्धान्त ंस ेह ती ह।ै उनकी शचैिक सवेकाइया ँऔर सदै्धाश्न्तक आधार उनके मसीही मवश्वास का केन्ि है।ं दभुागग्यवश, कलीचसया की य ेशािाए ँसदै्धाश्न्तक मववाद ंमे ंबरुी तरह से उलझी हईु ह सकती है।ं और व ेआमतौर पर बडे स्ट्तर पर सदै्धाश्न्तक एकरूपता पर बल दतेी है।ं चसद्धान्त ंके साथ यह उलझाव अक्सर

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    बचुद्धवाद की ओर ल ेजाता ह,ै जहा ँमवश्वास के आकँड ंक सीिना और समझना अपन ेआप मे ंएक साध्य बन जाता ह।ै

    व्यिहार दूसरा, कलीचसया की अन्य परम्पराओ ंकी पहचान उनके व्यवहार ंस ेह ती ह।ै ऐसी बहतु सी

    कलीचसयाए ँहै ंचजनकी पहचान उनके कायग से ह ती ह,ै न मक उनकी चशिा से। उनकी मसीही सेवा और समक्रय कायगक्रम उनकी सबसे बडी ताकत ह।ै उनके पास अक्सर उनके सदस्ट्य ंके द्वारा करने और न करने वाले कायों की एक लम्बी सूची ह ती ह।ै परन्त ुयह दिुद ह ैमक कलीचसया की य ेशािाए ँमसीही मवश्वास क अक्सर कायों तक सीममत कर दतेी है।ं मसीमहयत का मतलब कुछ करना ह जाता ह।ै और कायग का यह उलझाव अक्सर कानूनवाद की ओर ल ेजाता ह।ै

    कारूलणकता और तीसरा, कुछ अन्य धमगमवज्ञानी परम्पराए ँअपनी कारूचणकता के द्वारा पहचानी जाती है।ं मसीही

    मवश्वास का भावनात्मक पहलू इन कलीचसयाओ ंकी मखु्य मवशेषता ह।ै धाममगक सौहादग क इतना अचधक महत्व मदया जाता ह ैमक बहतु बार अन्य बात ंका क ई महत्व नही ंरहता ह।ै य ेमसीही चसद्धान्त ंके कारण परेशान ह ना नही ंचाहते है।ं और वे मकसी मवशेष प्रकार का व्यवहार तब तक नही ंकरना चाहते है ंजब तक मक उनके कारण व ेबहेतर महसूस न करे।ं इस कारण, कलीचसया की इन शािाओ ंकी पहचान भावनात्मक मवशेषता के कारण ह ना असामान्य नही ंह।ै

    यह कहने की जरूरत नही ंह,ै मक प्रत्यके व्यमि क मसीही परम्पराओ ंकी प्रवमृत्तय ंकी जाचँ मवमभन्न रीमतय ंस ेकरनी ह र्ी। परन्त ुयह कहना ठीक ह ैमक धमगमवज्ञानी परम्पराओ ंकी पहचान सामान्यत: इनमे ंस ेमकसी एक या द पर बल देन ेसे ह ती ह।ै

    अब जबमक हम मसीही परम्पराओ ंके मवचार क पररभामषत कर चकेु है ंऔर इन परम्पराओ ंद्वारा प्रदचशगत की जान ेवाली प्रवमृत्तय ंक दिे चकेु है,ं त हमे ंधमगमवज्ञान�