शर्ी गणेशाय नमः ॥ - vedlabs.in · केतु हाँ मकर...

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॥ ी गणेशाय नमः ॥ िनिमत जपिका Vasudev Mahadev 15/08/1980 03:00 AM Mumbai, Maharashtra, India

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  • ॥ शर्ी गणेशाय नमः ॥

    िनिमर्त

    जन्मपितर्काVasudev Mahadev

    15/08/1980 03:00 AMMumbai, Maharashtra, India

  • सामान्य िववरणसामान्य िववरण

    जन्म िदनांक 15/08/1980

    जन्म समय 03:00

    जन्म स्थान Mumbai, Maharashtra, India

    अक्षांश 19 N 04

    देशांतर 72 E 52

    समय क्षेतर् +05:30

    अयनांश 23:35:11

    सूयोर्दय 6:19:23

    सूयार्स्त 19:6:9

    घात चकर्घात चकर्

    महीना आषाढ़

    ितिथ 2,7,12

    िदन सोमवार

    नक्षतर् स्वाित

    योग पिरघ

    करण कौलव

    पर्हर 3

    चंदर् 9

    पंचांग िववरणपंचांग िववरण

    ितिथ शुक्ल चतुथीर्

    योग साध्य

    नक्षतर् हस्त

    करण िविष्ट

    ज्योितषीय िववरणज्योितषीय िववरण

    वणर् वैश्य

    वश्य मानव

    योिन मिहषा

    गण देव

    नाड़ी आिद

    जन्म रािश कन्या

    रािश स्वामी बुध

    नक्षतर् हस्त

    नक्षतर् स्वामी चन्दर्

    चरण 2

    युञ्जा मध्य

    तत्त्व पृथ्वी

    नामाक्षर श

    पाया चांदी

    लग्न िमथुन

    लग्न स्वामी बुध

    सामान्य कुंडली िववरण

    2 https://vedlabs.in

  • गर्ह वकर्ी जन्म रािश अंश रािश स्वामी नक्षतर् नक्षतर् स्वामी भाव

    सूयर् -- ककर् 28:37:49 चन्दर् अश्लेषा बुध दूसरा

    चन्दर् -- कन्या 14:19:33 बुध हस्त चन्दर् चौथा

    मंगल -- कन्या 27:15:57 बुध िचतर्ा मंगल चौथा

    बुध -- ककर् 16:42:17 चन्दर् अश्लेषा बुध दूसरा

    गुरु -- िसंह 20:52:08 सूयर् पूवर् फाल्गुनी शुकर् ितसरा

    शुकर् -- िमथुन 13:16:35 बुध आदर्ार् राहु पहला

    शिन -- कन्या 01:55:56 बुध उत्तर फाल्गुनी सूयर् चौथा

    राहु हाँ ककर् 26:17:49 चन्दर् अश्लेषा बुध दूसरा

    केतु हाँ मकर 26:17:49 शिन धिनष्ठा मंगल आठवाँ

    लग्न -- िमथुन 13:11:23 बुध आदर्ार् राहु पहला

    हािनपर्द

    सम

    सूयर्सूयर्ककर्अश्लेषा

    बुधबुधककर्अश्लेषा

    शिनशिनकन्याउत्तर फाल्गुनी

    सम

    हािनपर्द

    --

    चन्दर्चन्दर्कन्याहस्त

    गुरुगुरुिसंहपूवर् फाल्गुनी

    राहराहुुककर्अश्लेषा

    हािनपर्द

    योगकारक

    --

    मंगलमंगलकन्यािचतर्ा

    शुकर्शुकर्िमथुनआदर्ार्

    ककेेततुुमकरधिनष्ठा

    गर्ह िस्थित

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  • लग्न कलग्न कुुंंडलीडली

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    शु

    चं मंश

    सू बुरा

    के

    गु

    व्यिक्त के जन्म के समय आकाश में पूवीर् िक्षितज जो रािश उिदत होती

    है, उसे ही उसके लग्न की संज्ञा दी जाती है। जन्म कुण्डली में 12 भाव

    होते है। इन 12 भावों में से पर्थम भाव को लग्न कहा जाता है। कुण्डली

    में अन्य सभी भावों की तुलना में लग्न को सबसे अिधक महत्व पूणर्

    माना जाता है। लग्न भाव बालक के स्वभाव, रुिच, िवशेषताओ और

    चिरतर् के गुणों को पर्कट करता है।

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    चंदर् कचंदर् कुुंंडलीडली

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    चं मं

    नवमांश कनवमांश कुुंंडलीडली

    लग्न कुंडली के बाद िजस रािश में चंदर्मा होता है उसे लग्न मानकर एक और कुंडली का

    िनमार्ण होता है जो चन्दर् कुंडली कहलाती है। चंदर् कुंडली का भी फिलत ज्योितष में लग्न

    कुंडली िजतना ही महत्त्व है। लग्न शरीर, तो चंदर् मन का कारक है और वे एक दूसरे के

    पूरक हैं।

    नवांश कुण्डली को नौ भागों में बांटा जाता है, िजसके आधार पर जन्म कुण्डली का

    िववेचन होता है। नवांश कुण्डली में यिद गर्ह अच्छी िस्थित या उच्च के हों तो वगोर्त्तम की

    िस्थत उत्पन्न होती है और व्यिक्त शारीिरक व आित्मक रुप से स्वस्थ हो शुभ दायक िस्थित

    को पाता है।

    जन्म कुंडली

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  • लग्न - 13:11लग्न - 13:11::2323 दशम भाव मध्य - 05:08दशम भाव मध्य - 05:08:11:11

    भाव जन्म रािश भाव मध्य जन्म रािश भाव संिध

    1 िमथुन 13:11:23 िमथुन 26:50:51

    2 ककर् 10:30:19 ककर् 24:09:47

    3 िसंह 07:49:15 िसंह 21:28:43

    4 कन्या 05:08:11 कन्या 21:28:43

    5 तुला 07:49:15 तुला 24:09:47

    6 वृिश्चक 10:30:19 वृिश्चक 26:50:51

    7 धनु 13:11:23 धनु 26:50:51

    8 मकर 10:30:19 मकर 24:09:47

    9 कुम्भ 07:49:15 कुम्भ 21:28:43

    10 मीन 05:08:11 मीन 21:28:43

    11 मेष 07:49:15 मेष 24:09:47

    12 वृष 10:30:19 वृष 26:50:51

    चिलत कचिलत कुुंंडलीडली

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    बुसू

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    रा

    मं के

    लग्न कुंडली का शोधन चिलत कुंडली है, अंतर िसफर् इतना है िक लग्न

    कुंडली यह दशार्ती है िक जन्म के समय क्या लग्न है और सभी गर्ह िकस

    रािश में िवचरण कर रहे हैं और चिलत से यह स्पष्ट होता है िक जन्म

    समय िकस भाव में कौन सी रािश का पर्भाव है और िकस भाव पर

    कौन सा गर्ह पर्भाव डाल रहा है।

    भाव सिन्ध

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  • लग्न कलग्न कुुंंडलीडली

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    चं मंश

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    सूयर् कसूयर् कुुंंडलीडली

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    मं

    चंदर् कचंदर् कुुंंडलीडली

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    चं मंश

    शु

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    सू

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    रा

    लग्नककर्

    चं गु

    िसंह

    सूमं

    बु

    शु

    राके

    होरा कहोरा कुुंंडलीडली

    आप एक शानदार जीवन जीना चाहते हैं और आराम पर पैसा खचर् करते हैं। आप अपने जीवन में सब

    कुछ भव्य चाहते हैं और शायद कम के िलए तैयार न हों। आप जीवन की योजनाओं और सपनों को

    पूरा करने के िलए पैसा बचा सकते हैं। आप सुरिक्षत और िस्थर भिवष्य के बारे में ज्यादा परेशान नहीं

    हैं और खचीर्ले हैं।

    दर्देर्षे्काण कष्काण कुुंंडलीडली

    आप अपने भाई और बहन का ध्यान रखते हैं। लेिकन कभी-कभी आप उनके साथ बहस

    करते हैं और इससे तनाव हो सकता है। जब आप अपने भाई-बहन से िनपटने की

    कोिशश करते हैं और चाहते हैं िक वो आपसे सहमत हों तो आप अपिरपक्व हैं, आप

    व्यिक्तगत रूप से आलोचना ले सकते हैं और इससे कर्ोध बढ सकता है।

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    वगर् कुंडली - I

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    मंचं

    के

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    बु

    चतुथार्ंश कचतुथार्ंश कुुंंडलीडली

    आपके बहुत धन हो सकता है। जो मेरा है वो बस मेरा है, आप को अच्छी िकस्मत और भाग्य लाता है,

    जबिक खचर् बांटना और आय ज्यादा नहीं है।

    पंचमांश कपंचमांश कुुंंडलीडली

    आप अत्यािधक सकारात्मक हैं इिसिलये आपका रुझान धािमर्क है। आपके अंदर बहुत

    उजार् है और आपकी िजज्ञासा धािमर्क बातों को सीखने मे आपकी सहायता करती है।1

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    मं बु सू रा

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    सू

    रा

    सप्तमांश कसप्तमांश कुुंंडलीडली

    आप अपने बच्चे के पर्ित अपने दृिष्टकोण में अनुकूल हैं, आप चाहते हैं िक आपका बच्चा आपके साथ

    सब कुछ साझा करे। आप अपने बच्चों को दूसरों की मदद करने और उदार होना िसखाते हैं।

    वगर् कुंडली - II

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    चं मं

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    रा के

    अष्टमांश कअष्टमांश कुुंंडलीडली

    आपका जीवन लम्बा हो सकता है, क्योंिक आप अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं, और जब भी आपको

    स्वास्थ्य समस्या आती है, तब तुरंत सहायता पर्ाप्त िकजीये।

    नवमांश कनवमांश कुुंंडलीडली

    आपकी पत्नी के साथ आपका िरश्ता मजबूत होगा और िवश्वास और प्यार पर आधािरत

    होगा। आप अंतमुर्खी हो सकते हैं और अपनी भावनाओं को शब्दों मे व्यक्त नहीं कर

    सकते हैं लेिकन अपनी हरकतों से अपना प्यार दशार् सकते हैं। आप क्षमा करते हैं और

    इन गुणों को पसंद करना अपने साथी के साथ आपके िरश्ते को मजबूत करता है। आप

    सख्त व्यिक्त हैं जो रोजाना की िजंदगी में बहुत नरम िदल और भावुक नहीं हैं, हालांिक

    आप बहुत संवेदनशील और तेज हैं।

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    दशमांश कदशमांश कुुंंडलीडली

    आप एक वकील, न्यायाधीश, ब्यूटीिशयन, िशक्षक, अिभनेता, िनदेशक हो सकते हैं। लिलत कला,

    मिण पत्थर, आभूषण, पिरवहन, वस्तर्, रबड़, प्लािस्टक, सिब्जयां, फलों, अनाज से संबंिधत व्यवसाय

    आपको आकिषर् त कर सकते हैं।

    वगर् कुंडली - III

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    शु के

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    मं

    द्वादशांश कद्वादशांश कुुंंडलीडली

    आप अपने माता-िपता पर अपना अिधकार समझते हैं और उनसे हेरफेर भी कर सकते हैं। आप अपने

    माता-िपता के िवश्वास का लाभ उठा लेते हैं। आप अपने माता-िपता के पर्ित भावुक होने की अपेक्षा

    िजम्मेदार और व्यावहािरक हैं।

    षोडशांश कषोडशांश कुुंंडलीडली

    आप में पैसे बचाने की संभावना है लेिकन जब यातर्ा करने की बात आती है, तो आप

    शाहखचर् हैं, आप वाहनों में िनवेश करने के इचु्छक हैं और उनका उपयोग करने का

    आनंद लेंगे।4

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    चं बु

    श राके सू

    मं

    िवशमांश किवशमांश कुुंंडलीडली

    आप शांितिपर्य व्यिक्त हैं और अन-उत्पादक चीजों पर अपनी ऊजार् बबार्द नहीं करना चाहते। आप

    आध्याित्मक िवषयों में रुिच रखते हैं और ज्ञान पर्ाप्त करना चाहते हैं।

    वगर् कुंडली - IV

    9 https://vedlabs.in

  • चतुिवर्शांश कचतुिवर्शांश कुुंंडलीडली

    आप वािणज्य के क्षेतर् में सफल हो सकते हैं। आपको अलग-अलग भाषाओं का

    अध्ययन करने में रुिच हो सकती है। तनाव आपकी एकागर्ता को भंग कर सकता है,

    अपनी भावनाओं को िनयंितर्त करने और अनुशासन का पालन करने का पर्यास करें।3

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    चं शु

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    मं

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    शु

    केरा

    गु श

    सू बु

    चं

    मं

    भांष कभांष कुुंंडलीडली

    आप बुिद्धमान और िवश्लेषणात्मक हैं, इस पर्कार आपके िलए सही िनणर्य लेना आसान है। आपकी

    शिक्त आपकी पर्कृित और आकषर्क व्यिक्तत्व है। आप मजािकया और मैतर्ीपूणर् हैं और आपके कई

    दोस्त हो सकते हैं।आप चीजों के बारे में उलझन में पड़ जाते हैं और आपके जीवन के कुछ पहलुओं पर

    आत्मिवश्वास की कमी हो सकती है। आप गैर व्यावहािरक व्यिक्त होसकते हैं। कभी-कभी आप बहुत

    िचड़िचड़ा और सख़्त होते हैं।

    ितर्षमांष कितर्षमांष कुुंंडलीडली

    आप पिरवतर्न चाहते हैं और बहुत लंबे समय तक एक ही स्थान पर नहीं रह सकते।

    आपका मन एक िवषय से दूसरे पर जाता रहता है, इस पर्कार आपके िलए िनणर्य लेना

    मुिश्कल होता है। आपका अपर्त्यािशत व्यवहार आपके करीबी िरश्तों में तनाव पैदा

    करता है।

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    सू मंराके

    वगर् कुंडली - V

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    शु राके

    सू श

    मं बु

    गु

    चं

    खवेदांश कखवेदांश कुुंंडलीडली

    एक दोषपूणर् संचार कौशल िरश्तों में गलतफहमी पैदा कर सकता है। आप महत्वपूणर् िनणर्य लेतेसमय

    िवश्वास में कमी कर सकते हैं, िजससे गलत िवकल्प हो सकते हैं और यहां तक िक िवत्तीय नुकसान

    भी हो सकते हैं।

    अक्षवेदांश कअक्षवेदांश कुुंंडलीडली

    आप भावनात्मक हैं और पिरवार की यादों को िनपुणता से सम्भाल के रखते हैं। जब

    आपका िनजी जीवन िस्थर होता है तो आप खुश होते हैं। भावनात्मक िस्थरता अच्छा

    स्वास्थ्य लाती है।4

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    मंसू

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    शु

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    चं गु मं

    सू

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    षष्टयांश कषष्टयांश कुुंंडलीडली

    आप अत्यिधक महत्वाकांक्षी हैं और आप लोगो का ध्यान आकिषर् त करते हैं और चिचर् त रहना चाहते

    हैं। आपके भीतर चंचल और बच्चे के समान गुण हो सकते हैं, िजससे आप जीवन का पूरी तरह से

    आनंद ले सकते हैं।

    वगर् कुंडली - VI

    11 https://vedlabs.in

  • नैसिगर्क मैतर्ीनैसिगर्क मैतर्ी

    गर्ह सूयर् चंदर् मंगल बुध गुरु शुकर् शिन

    सूयर् -- िमतर् िमतर् सम िमतर् शतर्ु शतर्ु

    चंदर् िमतर् -- सम िमतर् सम सम सम

    मंगल िमतर् िमतर् -- शतर्ु िमतर् सम सम

    बुध िमतर् शतर्ु सम -- सम िमतर् सम

    गुरु िमतर् िमतर् िमतर् शतर्ु -- शतर्ु सम

    शुकर् शतर्ु शतर्ु सम िमतर् सम -- िमतर्

    शिन शतर्ु शतर्ु शतर्ु िमतर् सम िमतर् --

    तात्कािलक मैतर्ीतात्कािलक मैतर्ी

    गर्ह सूयर् चंदर् मंगल बुध गुरु शुकर् शिन

    सूयर् -- िमतर् िमतर् शतर्ु िमतर् िमतर् िमतर्

    चंदर् िमतर् -- शतर्ु िमतर् िमतर् िमतर् शतर्ु

    मंगल िमतर् शतर्ु -- िमतर् िमतर् िमतर् शतर्ु

    बुध शतर्ु िमतर् िमतर् -- िमतर् िमतर् िमतर्

    गुरु िमतर् िमतर् िमतर् िमतर् -- िमतर् िमतर्

    शुकर् िमतर् िमतर् िमतर् िमतर् िमतर् -- िमतर्

    शिन िमतर् शतर्ु शतर्ु िमतर् िमतर् िमतर् --

    पंचधा मैतर्ी चकर्

    12 https://vedlabs.in

  • पंचधा मैतर्ीपंचधा मैतर्ी

    गर्ह सूयर् चंदर् मंगल बुध गुरु शुकर् शिन

    सूयर् -- अितिमतर् अितिमतर् शतर्ु अितिमतर् सम सम

    चंदर् अितिमतर् -- शतर्ु अितिमतर् िमतर् िमतर् शतर्ु

    मंगल अितिमतर् सम -- सम अितिमतर् िमतर् शतर्ु

    बुध सम सम िमतर् -- िमतर् अितिमतर् िमतर्

    गुरु अितिमतर् अितिमतर् अितिमतर् सम -- सम िमतर्

    शुकर् सम सम िमतर् अितिमतर् िमतर् -- अितिमतर्

    शिन सम अितशतर्ु अितशतर्ु अितिमतर् िमतर् अितिमतर् --

    13 https://vedlabs.in

  • गर्ह वकर्ी जन्म रािश अंश रािश स्वामी भाव

    सूयर् -- ककर् 118:37:49 चन्दर् दूसरा

    चन्दर् -- कन्या 164:19:33 बुध चौथा

    मंगल -- कन्या 177:15:57 बुध चौथा

    बुध -- ककर् 106:42:17 चन्दर् दूसरा

    गुरु -- िसंह 140:52:08 सूयर् ितसरा

    शुकर् -- िमथुन 73:16:35 बुध पहला

    शिन -- कन्या 151:55:56 बुध चौथा

    राहु हाँ ककर् 116:17:49 चन्दर् दूसरा

    केतु हाँ मकर 296:17:49 शिन आठवाँ

    लग्न -- िमथुन 73:11:23 बुध पहला

    गर्ह नक्षतर् नक्षतर् स्वामी चरण सब सब-सब

    सूयर् अश्लेषा बुध 4 शिन केतु

    चन्दर् हस्त चन्दर् 2 गुरु शिन

    मंगल िचतर्ा मंगल 2 गुरु शुकर्

    बुध अश्लेषा बुध 1 बुध बुध

    गुरु पूवर् फाल्गुनी शुकर् 3 गुरु बुध

    शुकर् आदर्ार् राहु 2 बुध सूयर्

    शिन उत्तर फाल्गुनी सूयर् 2 गुरु बुध

    राहु अश्लेषा बुध 3 गुरु गुरु

    केतु धिनष्ठा मंगल 1 गुरु गुरु

    लग्न आदर्ार् राहु 2 बुध शुकर्

    कृष्णमूितर् पद्धित गर्ह िस्थित

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  • भाव जन्म रािश अंश रािश स्वामी नक्षतर् नक्षतर् स्वामी सब सब-सब

    1 ककर् 96:46:34 चन्दर् पुष्य शिन बुध राहु

    2 िसंह 121:22:30 सूयर् मघा केतु शुकर् चन्दर्

    3 िसंह 148:04:45 सूयर् उत्तर फाल्गुनी सूयर् चन्दर् बुध

    4 कन्या 178:43:22 बुध िचतर्ा मंगल शिन शुकर्

    5 वृिश्चक 212:27:56 मंगल िवशाखा गुरु राहु बुध

    6 धनु 245:53:00 गुरु मूल राहु शिन गुरु

    7 मकर 276:46:34 शिन उत्तर षाढ़ा सूयर् बुध शिन

    8 कुम्भ 301:22:30 शिन धिनष्ठा मंगल बुध गुरु

    9 कुम्भ 328:04:45 शिन पूवर् भादर्पद गुरु शुकर् शिन

    10 मीन 358:43:22 गुरु रेवती बुध शिन शुकर्

    11 वृष 32:27:56 शुकर् कृितका सूयर् गुरु सूयर्

    12 िमथुन 65:53:00 बुध मृगिशरा मंगल चन्दर् गुरु

    4

    5

    5

    6

    8

    9

    10

    11

    11

    12

    2

    3

    सू (4) बु (4) रा (4)

    के (10)

    गु (5) शु (3)

    चं (6)मं (6)श (6)

    कृष्णमूितर् पद्धित भाव संिध और कुंडली

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  • जब िकसी व्यिक्त की कुंडली में राहु और केतू गर्हों के बीच अन्य सभी गर्ह आ जाते हैं तो कालसपर्

    दोष का िनमार्ण होता है। क्योिक कुंडली के एक भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु के बैठे होने से

    अन्य सभी गर्हों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों गर्हों के बीच में सभी गर्ह फँस जाते हैं और

    यह जातक के िलए एक समस्या बन जाती है। इस दोष के कारण िफर काम में बाधा, नौकरी में

    रूकावट, शादी में देरी और धन संबंिधत परेशािनयाँ, उत्पन्न होने लगती हैं।

    कालसपर् योग वाले सभी जातकों पर इस योग का समान पर्भाव नहीं पड़ता। िकस भाव में कौन

    सी रािश अविस्थत है और उसमें कौन-कौन गर्ह कहां बैठे हैं और उनका बलाबल िकतना है - इन

    सब बातों का भी संबंिधत जातक पर भरपूर असर पड़ता है। इसिलए मातर् कालसपर् योग सुनकर भयभीत हो जाने की जरूरत नहीं बिल्क उसका

    ज्योितषीय िवश्लेषण करवाकर उसके पर्भावों की िवस्तृत जानकारी हािसल कर लेना ही बुिद्धमत्ता कही जायेगी। कालसपर् दोष कुंडली में ख़राब अवश्य

    माना जाता है िकन्तु िविधवत तरह से यिद इसका उपाय िकया जाए तो यही कालसपर् दोष िसद्ध योग भी बन सकता है।

    अनन्त कुिलक वासुकी शंखपाल

    पद्म महापद्म तक्षक ककोर्टक

    शंखचूड़ घातक िवषधर शेषनाग

    आपकआपकेे जन्मपितर्का में कालसपर्दोष जन्मपितर्का में कालसपर्दोष

    कालसपर् की उपिस्थितकालसपर् की उपिस्थित

    आपकी जन्मपितर्का में अनुिदत रूप में कालसपर् दोष िवद्यमान है।

    आपको कुंडली में कालसपर् दोष आंिशक रूप से िवद्यमान है।

    कालसपर् नामकालसपर् नाम

    कुिलक

    िदशािदशा

    आंिशक अनुिदत

    कालसपर् दोष

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  • कालसपर् दोष फलकालसपर् दोष फलआपकी जन्मपितर्का में कुिलक नामक कालसपर् योग बन रहा है।जातक को अपयश का भी भागी बनना पड़ता है। इस योग की वजह से जातक की पढ़ाई-िलखाई सामान्य गित से चलती है और उसका वैवािहक जीवन भीसामान्य रहता है। परंतु आिथर्क परेशािनयों की वजह से उसके वैवािहक जीवन में भी जहर घुल जाता है। िमतर्ों द्वारा धोखा, संतान सुख में बाधा औरव्यवसाय में संघषर् कभी उसका पीछा नहीं छोड़ते। जातक का स्वभाव भी िवकृत हो जाता है। मानिसक असंतुलन और शारीिरक व्यािधयां झेलते-झेलते वहसमय से पहले ही बूढ़ा हो जाता है। उसके उत्साह व पराकर्म में िनरंतर िगरावट आती जाती है। उसका किठन पिरशर्मी स्वभाव उसे सफलता के िशखर परभी पहुंचा देता है। परंतु इस फल को वह पूणर्तय: सुखपूवर्क भोग नहीं पाता है।

    कालसपर् दोष ककालसपर् दोष केे उपाय उपाय

    - कालसपर् दोष िनवारण यंतर्ा घर में स्थािपत करके, इसका िनयिमत पूजन करें।

    - हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें।

    - गृह में मयूर (मोर) पंख रखें ।

    - शुभ मुहूतर् में बहते पानी में कोयला तीन बार पर्वािहत करें।

    - िवद्याथीर्जन सरस्वती जी के बीज मंतर्ों का एक वषर् तक जाप करें और िविधवत उपासना करें।

    - राहु की दशा आने पर पर्ितिदन एक माला राहु मंतर्ा का जाप करें और जब जाप की संख्या 18 हजार हो जाये तो राहु की मुख्य सिमधा दुवार् से

    पूणार्हुित हवन कराएं और िकसी गरीब को उड़द व नीले वस्तर्ा का दान करें

    - महामृत्युंजय मंतर्ों का जाप पर्ितिदन 11 माला रोज करें, जब तक राहु केतु की दशा-अंतर्दशा रहे और हर शिनवार को शर्ी शिनदेव का तैलािभषेक

    करें और मंगलवार को हनुमान जी को चौला चढ़ायें।

    - शुभ मुहूतर् में सवर्तोभदर्मण्डल यंतर्ा को पूिजत कर धारण करें।

    - शर्ावणमास में 30 िदनों तक महादेव का अिभषेक करें।

    - एक वषर् तक गणपित अथवर्शीषर् का िनत्य पाठ करें।

    - शर्ावण के महीने में पर्ितिदन स्नानोपरांत 11 माला 'नम: िशवाय' मंतर्ा का जप करने के उपरांत िशवजी को बेलपतर्ा व गाय का दूध तथा गंगाजल

    चढ़ाएं तथा सोमवार का वर्त करें।

    कालसपर् दोष का पर्भाव

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  • मांगिलक दोष क्या होता हमांगिलक दोष क्या होता हैैिजस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंदर् कुंडली आिद में मंगल गर्ह, लग्न से पर्थम, चतुथर्, सप्तम,

    अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी िस्थत हो, तो उसे मांगिलक कहते हैं।

    कुण्डली में जब लग्न भाव, चतुथर् भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव में मंगल िस्थत होता

    है तब कुण्डली में मंगल दोष माना जाता है। सप्तम भाव से हम दाम्पत्य जीवन का िवचार करते हैं।

    अष्टम भाव से दाम्पत्य जीवन के मांगलीक सुख को देखा जाता है। मंगल लग्न में िस्थत होने से

    सप्तम भाव और अष्टम भाव दोनों भावों को दृिष्ट देता है। चतुथर् भाव में मंगल के िस्थत होने से सप्तम

    भाव पर मंगल की चतुथर् पूणर् दृिष्ट पड़ती है। द्वादश भाव में यिद मंगल िस्थत है तब अष्टम दृिष्ट से सप्तम भाव को देखता है।

    मूल रूप से मंगल की पर्कृित के अनुसार ऐसा गर्ह योग हािनकारक पर्भाव िदखाता है, लेिकन वैिदक पूजा-पर्िकर्या के द्वारा इसकी भीषणता को िनयंितर्त कर

    सकते है। मंगल गर्ह की पूजा के द्वारा मंगल देव को पर्सन्न िकया जाता है, तथा मंगल द्वारा जिनत िवनाशकारी पर्भावों, सवार्िरष्ट को शांत व िनयंितर्त कर

    सकारात्मक पर्भावों में वृिद्ध की जा सकती है।

    लग्ने व्यये सुखे वािप सप्तमे वा अष्टमे कुजे |शुभ दृग् योग हीने च पितं हिन्त न संशयम् ||

    मांगिलक िवश्लेषणमांगिलक िवश्लेषण

    मांगिलक फलमांगिलक फलकुंडली में मांगिलक दोष है और पर्भावी है, िमलान के समय इसका ध्यान रखे। आप मांगिलक हैं ।

    ककुुल मांगिलक पर्ितशतल मांगिलक पर्ितशत 25%25%

    मांगिलक िवश्लेषण - I

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  • भाव कभाव केे आधार पर आधार पर

    सूयर् िद्वतीय भाव में कुंडली में िस्थत है।

    राहु आपके कुंडली में िद्वतीय भाव में है।

    चतुथर् भाव में मंगल अविस्थत है।

    शिन चतुथर् भाव में आपके कुंडली में िस्थत है।

    केतु आपके कुंडली में अष्टम भाव में है।

    दृिष्ट कदृिष्ट केे आधार पर आधार पर

    आपके कुंडली का चतुथर् भाव केतु से दृष्ट है।

    केतु की दृिष्ट आपके कुडंली के िद्वतीय भाव पर पड़ रही है।

    आपके कुंडली के द्वादश भाव को केतु देख रहा है।

    आपकी कुंडली में लग्न भाव को शिन देख रहा है।

    सप्तम भाव मंगल से दृष्ट है।

    सूयर् , आपके कुंडली के अष्टम भाव को देख रहा है।

    राहु , आपके कुंडली के अष्टम भाव को देख रहा है।

    मांगिलक दोष कमांगिलक दोष केे उपाय उपाय

    - चांदी की चौकोर िडब्बी में शहद भरकर हनुमान मंिदर या िकसी िनजर्न वन, स्थान में रखने से मंगल दोष शांत होता है |

    - मंगलवार को सुन्दरकाण्ड एवं बालकाण्ड का पाठ करना लाभकारी होता है |

    - बंदरों व कुत्तों को गुड व आटे से बनी मीठी रोटी िखलाएं |

    - मंगल चिन्दर्का स्तोतर् का पाठ करना भी लाभ देता है |

    - माँ मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है |

    - काितर् केय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुशपर्भाव में लाभ िमलता है |

    - मंगलवार को बताशे व गुड की रेविड़याँ बहते जल में पर्वािहत करें |

    - मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा शर्ीमद्भागवत के 18 वें अध्याय के नवें श्लोक का जप अवश्य करें |

    मांगिलक िवश्लेषण - II

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  • िपतृ दोष क्या होता हिपतृ दोष क्या होता है ै? ?िपतृ दोष पूवर्जों की एक कािमर्क ऋण है और गर्हों के संयोजन के रूप में जन्म कुंडली में पिरलिक्षत

    होता है। यह पूवर्जों की उपेक्षा के कारण भी होता है और शर्ाद्ध या दान या आध्याित्मक उत्थान का

    यथोिचत पर्बंध न करने के कारण भी िपतृ दोष हो सकता है।

    िपतृ दोष िवश्लेषणिपतृ दोष िवश्लेषण

    आपकी जन्मपितर्का में िपतृ दोष उपिस्थत है क्योिक इससे सम्बंिधत 1 िनयमों का सयोंजन आपकी कुंडली में हो रहा है। िपतृ दोष का

    शमन इसके उपायो को करके िकया जा सकता है अतः िचंितत होने की आवश्यकता नहीं है।

    क्या िपतृ दोष आपकी कक्या िपतृ दोष आपकी कुुंंडली में उपिस्थत हडली में उपिस्थत है ै? ? हाँहाँ

    िनयम िजनकिनयम िजनकेे द्वारा आपकी क द्वारा आपकी कुुंंडली में िपतृ दोष की उपिस्थितडली में िपतृ दोष की उपिस्थित

    - चन्दर् व राहु और/ या राहु एवं शिन की युित से भी िपतृ दोष होता है।

    िपतृ दोष किपतृ दोष केे पर्भाव पर्भाव

    - िपतृ दोष के पर्भाव िनम्निलिखत है -

    - िपतृ दोष से पिरवार में पर्ितकूल वातावरण पैदा होती हैं।

    - यह शादी में देरी होने और असफल िववाह में भी कारण होती है ।

    - िपतृ दोष भी पिरवार में दुघर्टनाओं या अवांिछत घटनाओं का कारण बन सकता है।

    - इसके साथ िशक्षा के क्षेतर् में देरी या अवरोधों को पैदा कर सकता है या आपको कभी न खत्म होने वाला कजर् जैसी पिरिस्थित में पहुंचा सकता है ।

    - िवरासत में िमला रोग और लम्बी बीमारी िपतृ दोष के बुरे पर्भावों में से एक है।

    िपतृ दोष फल

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  • िपतृ दोष उपायिपतृ दोष उपाय

    - िपतृ दोष शांत करने के उपाय िनम्निलिखत है -

    - अपने माता -िपता , भाई-बहन की हरसंभव सेवा करे।

    - पीपल और बरगद के वृक्ष की पूजा करने से िपतृ दोष की शािन्त होती है या पीपल का पेड़ िकसी नदी के िकनारे लगायें और पूजा करें, इसके

    साथ ही सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बना, िपतरों को अिपर्त करने से भी इस दोष में कमी होती है या िफर पर्त्येक अमावस्या को एक

    बर्ाह्मण को भोजन कराने व दिक्षणा वस्तर् भेंट करने से िपतृ दोष कम होता है

    - पर्त्येक अमावस्या को कंडे की धूनी लगाकर उसमें खीर का भोग लगाकर दिक्षण िदशा में िपतरों का आव्हान करने व उनसे अपने कमोर्ं के िलये

    क्षमायाचना करने से भी लाभ िमलता है

    - िपतृ दोष िनवारण हेतु िपतृ पक्ष में ितर्िपंडी शर्ाद्ध करें।

    - ऊँ नवकुल नागाय िवद्महे िवषदंताय धीमिह तन्नो सपर् पर्चोदयात् – ”की एक रुदर्ाक्ष माला जप पर्ितिदन करें।

    - घर एवं कायार्लय, दुकान पर मोर पंख लगावें।

    - शिन के िदन ताजी मूली का दान करें। कोयले, बहते जल में पर्वािहत करें।

    - सोमवती अमावस्या के िदन िपतृ दोष िनवारण पूजा करने से भी िपतृ दोष में लाभ िमलाता है

    - सूयोर्दय के समय िकसी आसन पर खडे़ होकर सूयर् को िनहारने, उससे शिक्त देने की पर्ाथर्ना करने और गायतर्ी मंतर् का जाप करने से भी सूयर्

    मजबूत होता है

    - भगवान शंकर की पर्ितिदन पूजा एवं आराधना करने से भी िपतृ दोष की शांित होती है।

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  • साढ़साढेे़साती क्या होता हसाती क्या होता हैैज्योितषशास्तर् के अनुसार साढ़े साती तब बनती है जब शिन गोचर में जन्म चन्दर् से पर्थम, िद्वतीय

    और द्वादश भाव से गुजरता है। शिन एक रािश से गुजरने में ढ़ाई वषर् का समय लेता है इस तरह

    तीन रािशयों से गुजरते हुए यह साढ़े सात वषर् का समय लेता है जो साढ़े साती कही जाती है।

    सामान्य अथर् में साढ़े साती का अथर् हुआ सात वषर् छ: मास।

    साढ़े साती के समय व्यिक्त को किठनाईयों एवं परेशािनयों का सामना करना होता है परंतु इसमें

    घबराने वाली बात नहीं हैं। इसमे किठनाई और मुिश्कल हालत जरूर आते हैं परंतु इस दौरान व्यिक्त

    को कामयाबी भी िमलती है। बहुत से व्यिक्त साढ़े साती के पर्भाव से सफलता की उंचाईयों पर पहुंच

    जाते हैं। साढ़े साती व्यिक्त को कमर्शील बनाता है और उसे कमर् की ओर ले जाता है। हठी,

    अिभमानी और कठोर व्यिक्तयों से यह काफी मेहनत करवाता है।

    क्या आप साढ़क्या आप साढेे़साती में हसाती में हैै

    नहीं, आप पर इस समय साढ़ेसाती का पर्भाव नहीं है।

    िवचार करने का िदनाकं 13-8-2019

    शिन रािश धनु

    चंदर् रािश कन्या

    वकर्ी शिन हाँ

    साढे़साती िवश्लेषण - I

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  • चंदर्रािश

    शिनरािश

    वकर्ीशिन

    चरण पर्कार िदनांक संिक्षप्त िववरण

    कन्या तुला -- अस्त पर्ारम्भ 6-10-1982 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक -- अस्त समाप्त 21-12-1984 साढ़ेसाती के अस्त चरण के अंत के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक हाँ अस्त पर्ारम्भ 1-6-1985 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक -- अस्त समाप्त 17-9-1985 साढ़ेसाती के अस्त चरण के अंत के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या िसंह -- उदय पर्ारम्भ 1-11-2006 साढ़ेसाती के उदय चरण का पर्ारम्भ हो रहा है।

    कन्या िसंह हाँ उदय समाप्त 10-1-2007 साढ़ेसाती के उदय चरण के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या िसंह -- उदय पर्ारम्भ 16-7-2007 साढ़ेसाती के उदय चरण का पर्ारम्भ हो रहा है।

    कन्या कन्या --िशखरपर्ारम्भ

    10-9-2009साढ़ेसाती का उच्चतम चरण का पर्ारम्भ हो रहा है और इसी के साथ उदय चरणका अंत।

    कन्या तुला -- अस्त पर्ारम्भ 15-11-2011 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या तुला हाँिशखरपर्ारम्भ

    16-5-2012साढ़ेसाती का उच्चतम चरण का पर्ारम्भ हो रहा है और इसी के साथ उदय चरणका अंत।

    कन्या तुला -- अस्त पर्ारम्भ 4-8-2012 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक -- अस्त समाप्त 2-11-2014 साढ़ेसाती के अस्त चरण के अंत के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या िसंह -- उदय पर्ारम्भ 27-8-2036 साढ़ेसाती के उदय चरण का पर्ारम्भ हो रहा है।

    कन्या कन्या --िशखरपर्ारम्भ

    22-10-2038साढ़ेसाती का उच्चतम चरण का पर्ारम्भ हो रहा है और इसी के साथ उदय चरणका अंत।

    कन्या कन्या हाँ उदय पर्ारम्भ 5-4-2039 साढ़ेसाती के उदय चरण का पर्ारम्भ हो रहा है।

    कन्या कन्या --िशखरपर्ारम्भ

    13-7-2039साढ़ेसाती का उच्चतम चरण का पर्ारम्भ हो रहा है और इसी के साथ उदय चरणका अंत।

    कन्या तुला -- अस्त पर्ारम्भ 28-1-2041 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या तुला हाँिशखरपर्ारम्भ

    6-2-2041साढ़ेसाती का उच्चतम चरण का पर्ारम्भ हो रहा है और इसी के साथ उदय चरणका अंत।

    कन्या तुला -- अस्त पर्ारम्भ 26-9-2041 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक -- अस्त समाप्त 12-12-2043 साढ़ेसाती के अस्त चरण के अंत के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक हाँ अस्त पर्ारम्भ 23-6-2044 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    साढे़साती िवश्लेषण - II

    40 https://vedlabs.in

  • चंदर्रािश

    शिनरािश

    वकर्ीशिन

    चरण पर्कार िदनांक संिक्षप्त िववरण

    कन्या वृिश्चक -- अस्त समाप्त 30-8-2044 साढ़ेसाती के अस्त चरण के अंत के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या िसंह -- उदय पर्ारम्भ 13-10-2065 साढ़ेसाती के उदय चरण का पर्ारम्भ हो रहा है।

    कन्या िसंह हाँ उदय समाप्त 3-2-2066 साढ़ेसाती के उदय चरण के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या िसंह -- उदय पर्ारम्भ 3-7-2066 साढ़ेसाती के उदय चरण का पर्ारम्भ हो रहा है।

    कन्या कन्या --िशखरपर्ारम्भ

    30-8-2068साढ़ेसाती का उच्चतम चरण का पर्ारम्भ हो रहा है और इसी के साथ उदय चरणका अंत।

    कन्या तुला -- अस्त पर्ारम्भ 4-11-2070 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक -- अस्त समाप्त 5-2-2073 साढ़ेसाती के अस्त चरण के अंत के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक हाँ अस्त पर्ारम्भ 30-3-2073 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक हाँ अस्त पर्ारम्भ 1-4-2073 साढ़ेसाती के अस्त चरण का पर्ारम्भ एवं उच्चतम चरण का अंत हो रहा है।

    कन्या वृिश्चक -- अस्त समाप्त 23-10-2073 साढ़ेसाती के अस्त चरण के अंत के साथ साथ साढ़ेसाती का भी अंत हो रहा है।

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  • साढ़साढेे़ सती उपाय सती उपाय

    - साढ़ेसाती के अिनष्ट पर्भावों को काम करने के उपाय िनम्निलिखत है -

    - साढ़े साती की परेशानी से बचने के िलए िनयिमत हनुमान चालीसा का पाठ करना चािहए।

    - इस गर्ह दशा से बचने के िलए काले घोडे़ की नाल की अंगूठी बनाकर उसे दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में पहनना चािहए।

    - शिन देव को शिनवार के िदन सरसों का तेल और तांबा भेट करना चािहए।

    - िकसी गरीब व्यिक्त को काले कंबल का दान करें।

    - िशविलंग पर काले ितल अिपर्त करें और जल चढ़ाएं।

    - हर मंगलवार और शिनवार ऊँ रामदूताय नमः मंतर् का जप करें। मंतर् जप की संख्या कम से कम 108 करे।

    - धािमर्क आचरण बनाए रखें और िकसी का अनादर न करें।

    - हर शिनवार को शिन के िनिमत्त तेल का दान करें। तेल दान करने से पहले तेल में अपना चेहरा देख लेना चािहए। यह उपाय हर शिनवार िकया

    जाना चािहए।

    - शिन बीज मंतर् - ◌ॐ पर्ां पर्ीं पर्ौं सः शनैश्चराय नमः पर्ितिदन 108 बार अवश्य करें

    - शिन पर्कोप से मुिक्त के िलए सुंदर काण्ड का िनयिमत पाठ अवश्य करें।

    - रोटी में तेल लगाकर कुत्ते या कौए को िखलाएं।

    साढे़ सती पर्भाव और उपाय

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  • वैिदक ज्योितष के अनुसार गर्हों से सूक्ष्म ऊजार्ओं का उत्सजर्न होता है, िजनका हमारी जन्म कुंडली में गर्हों की

    िस्तिथ के अनुसार, हमारे जीवन पर पर्ितवतीर् िहतकारी अथवा अिनष्टकारी पर्भाव पड़ते हैं । पर्त्येक गर्ह का अपना

    एक अनूठा तत्सम्बिन्धत ज्योितषीय रत्न होता है जो उसी गर्ह के अनुरूप बर्ह्मांडीय वणर्-ऊजार् का पर्सार करता है

    । रत्न सकारात्मक िकरणों के पर्ितिबंब या नकारात्मक िकरणों के अवशोषण द्वारा अपना कायर् करते हैं । ये रत्न

    केवल सकारात्मक स्पंदनों को ही शरीर में पर्वेश करने देते हैं; इस कारण उपयुक्त रत्न पहनाने से उसके धारण कतार्

    पर सम्बंिधत गर्ह के लाभदायक पर्भाव को बढ़ाया जा सकता है ।

    लग्न, शरीर और शरीर से संबंिधत सभी बातों का

    - जैसे स्वास्थ्य, दीघार्यु, नाम, पर्ितष्ठा, जीवन-

    उदे्दश्य आिद का पर्तीक होता है। संक्षेप में, इस में

    पूरे जीवन का सार समाया है । इसिलए लग्न के

    स्वामी अथार्त लग्नेश से संबंिधत रत्न को जीवन

    रत्न कहा जाता है । इस रत्न के गुणों तथा शिक्तयों

    का पूरा लाभ उठाने के िलए इसे आजीवन पहना

    जा सकता है और पहनना भी चािहए ।

    जीवन रत्नजीवन रत्न

    पन्ना

    जन्म कुंडली का पंचम भाव भी एक शुभ भाव

    है। पांचवा भाव बुिद्ध, उच्च िशक्षा, संतान,

    अपर्त्यािशत धन-पर्ािप्त आिद का द्योतक है। इस

    भाव को ‘पूवर् पुण्य कमोर्ं’ का अथार्त िपछले जन्मों

    के अचे्छ कमोर्ं का स्थान भी माना जाता है । इसी

    कारण इसे शुभ भाव कहते हैं । पंचम भाव के

    स्वामी से सम्बंिधत रत्न को कारक रत्न कहा जाता

    है।

    कारक रत्नकारक रत्न

    हीरा

    जन्म-कुंडली के नवम भाव को भाग्य या पर्ारब्ध

    का स्थान कहा जाता है । यह भाव भाग्य,

    सफलता, ज्ञान, गुणदोष और उपलिब्धयों आिद

    का द्योतक है । यह भाव व्यिक्त द्वारा िपछले जन्मों

    में िकए गए अचे्छ कमोर्ं के कारण पर्ाप्त होने वाले

    फल स्वरूप आनंद की ओर संकेत करता है ।

    नवम भाव के स्वामी से सम्बंिधत रत्न को भाग्य

    रत्न कहते हैं । इस रत्न को धारण करने से भाग्य

    में वृिद्ध होती है ।

    भाग्य रत्नभाग्य रत्न

    नीलम

    रत्न उपाय िवचार

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  • जीवन रत्न - पन्नाजीवन रत्न - पन्ना िवकल्प हरा गोमेद

    उंगली किनष्ठा

    भार 4 - 6.25 कैरेट

    िदन बुधवार

    अिधदेवता बुद्ध

    धातु स्वणर्

    िववरणिववरणपन्ना का स्वामी गर्ह बुध है । पन्ना धारण करने से अचे्छ

    स्वास्थ्य, बलवान शरीर, धन, संपित्त और अच्छी नेतर् दृिष्ट की

    पर्ािप्त होती है । यह दुष्ट आत्माओं, सपर् दंश और बुरी नज़र से

    कुपर्भावों से बचाता है। पन्ना िमगीर् एवं पागलपन के इलाज

    और बुरे स्वप्नों से संरक्षण में भी सहायक है ।

    भार व धातुभार व धातुपन्ना का वजन ३ कैरेट से अिधक होना चािहए । इसे सोने की

    अंगूठी में जड़ा जाना चािहए । अंगूठी की बनावट इस पर्कार

    की हो िक रत्न त्वचा को छू सके ।

    पहनने का समयपहनने का समयपन्ना रत्न चंदर्मास के शुक्ल पक्ष के िकसी भी बुधवार

    को सूयोर्दय के दो घंटे बाद धारण िकया जा सकता है

    मंतर्मंतर्पर्ाण पर्ितष्ठा के पश्चात इस रत्न की फूलों और धूप-

    बत्ती के साथ पूजा करें । पन्ना धारण करने के िलए

    िनम्निलिखत मंतर् का १०८ बार जाप करें

    ◌ॐ बर्ां बर्ौं सः बुधाय नमः

    पर्ाण पर्ितष्ठापर्ाण पर्ितष्ठापन्ना की अंगूठी पहनने से पहले, इसे कच्चे दूध या

    गंगा जल में कुछ समय के िलए डुबो कर रखें ।

    उउंंगलीगलीमंतर् जाप के बाद, पन्ना की अंगूठी को दािहने हाथ की किनष्ठा

    अथार्त छोटी उंगली में धारण करें ।

    िवकल्पिवकल्पपन्ना के स्थान पर अक्वामरीन (हिरत नील), पेिरडोट, हरा

    िजकर्ोन, गर्ीन एगेट या हरा जेड(हिरताश्म) जैसे िविभन्न

    िवकल्प रत्न भी उपयोग में लाये जा सकते हैं ।

    सावधानीसावधानीध्यान रहें िक पन्ना को लाल मूंगा, मोती, पुखराज और उनके

    िवकल्प रत्नों के साथ नहीं पहना जाना चािहए।

    जीवन रत्न

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  • कारक रत्न - हीराकारक रत्न - हीरा िवकल्प ओपल / िजरकॉन

    उंगली किनष्ठा

    भार 1 - 4.25 कैरेट

    िदन शुकर्वार

    अिधदेवता शुकर्

    धातु चांदी

    िववरणिववरणहीरा रत्न का स्वामी गर्ह शुकर् है । हीरा धारण करने से धैयर्,

    सफलता, धन, समृिद्ध, िनमर्लता की पर्ािप्त होती है । हीरा

    धारण करने वाला व्यिक्त िनडर, बुिद्धमान और िशष्ट होता है।

    हीरा पहनने से धारक धािमर्क शास्तर्ों में पर्वीण बनाता है। यह

    रत्न बुरी आत्माओं के हािनकारक पर्भावों और साँप के दंश से

    भी संरक्षण करता है।

    भार व धातुभार व धातुवजन में १-१/२ कैरेट का दोषरिहत हीरा पहनना चािहए । इसे

    प्लिटनम या चांदी की अंगूठी में जड़ा जाना चािहए । अंगूठी

    की बनावट इस पर्कार की हो िक रत्न त्वचा को छू सके ।

    पहनने का समयपहनने का समयहीरा को शुक्ल पक्ष के िकसी भी शुकर्वार को सूयोर्दय

    के बाद धारण िकया जा सकता है ।

    मंतर्मंतर्पर्ाण पर्ितष्ठा के पश्चात इस रत्न की फूलों और धूप-

    बत्ती के साथ पूजा करें । हीरा धारण करने के िलए

    िनम्निलिखत मंतर् का १०८ बार जाप करें

    ◌ॐ दर्ां दर्ीं दर्ौं सः शुकर्ाय नमः

    पर्ाण पर्ितष्ठापर्ाण पर्ितष्ठाहीरे की अंगूठी पहनने से पहले, इसे कच्चे दूध या गंगा

    जल में कुछ समय के िलए डुबो कर रखें।

    उउंंगलीगलीमंतर् जाप के बाद, हीरा को दािहने हाथ की छोटी उंगली अथार्त

    किनष्ठा में धारण िकया जा सकता है ।

    िवकल्पिवकल्पहीरा के स्थान पर सफेद नीलम, सफेद िजकर्ोन और सफेद

    तूरमली आिद िवकल्प रत्नों को भी धारण िकया सकता है ।

    सावधानीसावधानीहीरा को मािणक, मोती, लाल मूंगा और पुखराज के साथ नहीं

    पहना जाना चािहए।

    कारक रत्न

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  • भाग्य रत्न - नीलमभाग्य रत्न - नीलम िवकल्प नीली

    उंगली मध्यिमका

    भार 3 - 4.25 कैरेट

    िदन शिनवार

    अिधदेवता शिन

    धातु चांदी

    िववरणिववरणनीलम रत्न का स्वामी गर्ह शिन है । नीलम धारण करने से

    स्वास्थ्य, धन, दीघार्यु, सुख, समृिद्ध, नाम और यश की पर्ािप्त

    होती है ।

    भार व धातुभार व धातुवजन में कम से कम ५ कैरेट का दोषरिहत नीलम पहनना

    चािहए । इसे स्टील या अष्ट धातु से बनी अंगूठी में जड़ा जाना

    चािहए । अंगूठी की बनावट इस पर्कार की हो िक रत्न त्वचा

    को छू सके ।

    पहनने का समयपहनने का समयनीलम रत्न को िकसी भी शिनवार को सूयार्स्त से दो

    घंटे पहले धारण िकया जा सकता है ।

    मंतर्मंतर्पर्ाण पर्ितष्ठा के पश्चात इस रत्न की फूलों और धूप-

    बत्ती के साथ पूजा करें । नीलम धारण करने के िलए

    िनम्निलिखत मंतर् का १०८ बार जाप करें

    ◌ॐ पर्ां पर्ीं पर्ौं सः शनैश्चराय नमः

    पर्ाण पर्ितष्ठापर्ाण पर्ितष्ठाअंगूठी पहनने से पहले, इसे कच्चे दूध या गंगा जल में

    कुछ समय के िलए डुबो कर रखें ।

    उउंंगलीगलीमंतर् जाप के बाद, नीलम को मध्यमा अथार्त बीच की अंगुली

    में धारण िकया जा सकता है ।

    िवकल्पिवकल्पनीलम के स्थान पर नीला िजकर्ोन, जामुिनया, नीली तूरमुली,

    लाजावदर्, ब्लू िस्पनल और नीली जैसे िविभन्न िवकल्प रत्न भी

    उपयोग में लाये जा सकते हैं ।

    सावधानीसावधानीध्यान रहें िक नीलम को मािणक, मोती, लाल मूंगा और उनके

    िवकल्प रत्नों के साथ नहीं पहना जाना चािहए।

    भाग्य रत्न

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  • छह मुखी + गणेशा रुदर्ाक्षछह मुखी + गणेशा रुदर्ाक्ष

    आपको छआपको छ््ह मुखी तथा गणेशा रुदर्ाक्ष कह मुखी तथा गणेशा रुदर्ाक्ष केे संयोजन को धारण करने की सलाह डी जाती ह संयोजन को धारण करने की सलाह डी जाती है।ै।

    यह ऐसे पर्कार का रुदर्ाक्ष है, िजसमें भगवान गणेशजी के चेहरे पर िदखनेवाली सूंड की तरह उठान होती है। इसे

    गणेश रुदर्ाक्ष कहते है। यह पूजक को उसके जीवन के हर क्षेतर् में पर्वीणता पर्दान करता है। गणेश रुदर्ाक्ष में भगवान

    िशव के पुतर्, भगवान गणेशजी के चेहरे पर िदखनेवाली सूंड की तरह उठान होती है। गणेश, हाथी के सर वाले भगवान

    है जो सफलता और बाधाओं पर िवजय देते है, वे ज्ञान, िशक्षा, िववेक और शिक्त से युक्त है। वे “िरद्धी और िसद्धी देते

    है। िकसी भी शुभ वसर के शुरवात में उन्हें सबसे पहले पूजा जाता है। गणेश रुदर्ाक्ष पहननेवाले को जीवन के हर क्षेतर्

    में पिरधान पूणर्ता पर्दान करता है और भगवान गणेश के द्वारा उनकी कृपा पर्ाप्त होती है।

    रुदर्ाक्ष फल

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  • 5भाग्यांकभाग्यांक

    6मूलांकमूलांक

    2नामांकनामांक

    आपका नाम Vasudev Mahadev

    जन्म िदनांक 15-8-1980

    मूलांक 6

    मूलांक स्वामी शुकर्

    िमतर् अंक 4,3,9

    सम अंक 2,5,7

    शतर्ु अंक 1,8

    शुभ िदन गुरूवार, मंगलवार, शुकर्वार

    शुभ रत्न हीरा, ओपल

    शुभ उपरत्न िजरकॉन , सफेद नीलम

    शुभ देवता देवी

    शुभ धातु चांदी

    शुभ रंग सफेद

    शुभ मंतर् ||ओम शुम शुकर्ाय नमः ||

    शुभाशुभ अंक

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  • आपकआपकेे बार बारेे में में

    शुभ वर्त समयशुभ वर्त समय

    आपका मूलांक छः है। इसका अिधष्ठाता शुकर् गर्ह है। मूलांक छः के पर्भाववश आप के अन्दर आकषर्ण शिक्त तथा

    िमलन सािरता अिधक रहेगी। इस गुण के कारण आप लोक िपर्यता पर्ाप्त करेंगे। सुन्दरता, सुन्दर वस्तुओं की ओर

    आकृष्ट होना आपकी सहज पर्वृित्त होगी। िवपरीत सेक्स के पर्ित आपका आकषर्ण रहेगा एवं सुन्दर नर-नािरयों से

    संबंध बनाना, वातार्लाप करना आपकी पर्कृित में रहेगा। िविभन्न कलाओं के क्षेतर् में आपकी अिभरुिच रहेगी एवं कला

    के क्षेतर् को आप अपना रोजगार-व्यापार भी बना सकते हैं। संगीत-सािहत्य, लिलतकला, िचतर्कला इत्यािद में रुिच

    रखेंगे। सुन्दर वस्तर् धारण करना एवं सुसिज्जत मकान में रहना आपको अच्छा लगेगा। अितिथयों का आदर सत्कार

    करने में आपको गवर् महसूस होगा। घर या कायार्लय में सभी वस्तुऐं ढंग से सजावट के साथ रखना, सुरुिचपूणर्

    फनीर्चर, परदे इत्यािद रखना आपको रास आयेगा। स्वभाव में आपके थोड़ा हठीपन रहेगा एवं आपकी हमेशा यही

    कोिशश रहेगी िक आपकी बात को सामने वाला मान जाया करे। िकसी बात पर अडे़ रहना तथा ईष्र्या की मातर्ा

    आपके अन्दर अिधक रहेगी। आप कायर्क्षेतर् में िकसी की पर्ितद्विन्दता को आसानी से सहन नहीं कर पायेंगे। िजसके

    कारण कभी-कभी मानिसक तनाव एवं आत्मग्लािन का भी सामना करना पडे़गा। आप दूसरों को अपना बना लेने की

    कला में पारंगत रहेंगे। शीघर् िमतर् बनाने की कला आपके अन्दर अिधक मातर्ा में होने से आपके िमतर्ों की संख्या

    अिधक रहेगी।

    शुकर्वार को शुकर् अिरष्ट दोष िनवारण हेतु वर्त करें। इकतीस या इक्कीस शुकर्वारों को शुकर् का वर्त करें। सफेद वस्तर्

    धारण करें एवं सफेद वस्तुओं का दान करें। यथाशिक्त शुकर् मंतर् का स्फिटक माला पर जप करें।

    अंक ज्योितषीय फल - I

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  • शुभ दशुभ देेवतावता

    शुभ गायतर्ी मंतर्शुभ गायतर्ी मंतर्

    शुभ ध्यान समयशुभ ध्यान समय

    आप शुकर् गर्ह की उपासना करें, अथवा भगवती दुगार् की आराधना करें भगवती दुगार् के अष्टाक्षरी मंतर् ’ओम् हर्ीं दंु

    दुगार्यै नमः’ का िनत्य जप करें। पर्िति�