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204 ल"य $ा& करने के बाद -या होता है ? ल"य $ा& होने के बाद वह एक प1रसंप56 म8 बदल जाता है। मु>य संप56यां चार $कार क@ होती हB : S !वा!$य S धन S जानकार& S संबंध हम सारा जीवन अपने ल&य( को चुनते रहते ह* और उ-ह. अपनी प"रसंप&’ म" बदलते रहते ह* 65- के वल आधी चेर* तोडना पर#तु , !"येक प’रसंप+, के साथ /ज1मेदार4 आती है। प’रसंप+, को बनाए रखना उतना ह4 महAवपूणE है (य$द उससे )यादा मह,वपूण1 नह3ं है ) 5जतना $क उसे 9ा: करना। ......गतांक से आगे

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  • 204

    लआय ूा& करने के बाद -या होता है? लआय ूा& होने के बाद वह एक प1रसंप56 म8 बदल जाता है। मु>य संप56यां चार ूकार क@ होती हB:

    S ःवाः$य S धन S जानकार& S संबंध

    हम सारा जीवन अपने लआय( को चनुते रहते ह* और उ-ह. अपनी प"रसंप&' म" बदलते रहते ह*। 65�-केवल आधी चेर* तोडना

    पर#त,ु ू"येक प'रसंप+, के साथ /ज1मेदार4 आती है। प'रसंप+, को बनाए रखना उतना ह4 महAवपणूE है (य$द उससे )यादा मह,वपणू1 नह3ं है) 5जतना $क उसे ूा: करना।

    ......गतांक से आगे

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    ले#कन य#द हम अपनी प!रसंप&' का *यान नह.ं रखते ह2 तो तब 5या होता है? तब #या हम सफलता हािसल कर सकते ह+?

    65�-������ ������� ��������

    सफलता केवल ूस*नता क, माग/दिश/का का पालन करके एक मह7वपणू/ लआय हािसल करना नह

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    कभी ना समा( होने वाली प/रयोजना बरु$ खबर यह है 'क प*रसंप-. ूबंधन एक न ख3म होने वाली प*रयोजना है। जसैे समिु पर एक पलु

    का िनमा&ण करना है, तो आपको आगे बढ़ते रहना होगा।

    8- !बना मं'जल का पलु

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    केवल प&रणाम का ह, मह-व है, सह# है ना? जब एक लआय ूा* करने क. बात आती है तो सबसे मह7वपणू< चीज >या है? ःप# $प से प'रणाम

    है, है ना? अब तक, हमने ये चचा( क* है ,क कैसे प/रणाम ूा# कर लेने का अथ+ आवँयक 0प से यह नह4ं है

    !क हम% सफलता ूा, हो गई है। ले#कन प'रणाम न िमलने के बारे म. /या - !या यह %वफलता के समक. है? हमारे &दन-ूित$दन के जीवन के दौरान, हम कई लआय( को िनधा./रत करते ह3। हम कुछ को हािसल करते ह& और कुछ को नह,ं करते ।

    67- ������� ������ �������

    तब #या होता है जब हम उसके बारे म0 ःप# थे जो हम चाहते थे, हमारे पास उिचत प"रक%पना थी, और हमारा लआय ःमाट% (SMART) था, ले#कन अतं म*, हमने अपना लआय हािसल नह-ं !कया?

    !या हम अभी भी खदु को सफल कह सकते ह3?

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    इससे पहले 'क हम उस ू, का उ.र द1, आइये हम !कसी िनधा)*रत लआय को ूा2 करने के आम म#ु$ के बारे म* बात करते ह-: !कसी िनधा)*रत लआय म1 बदलाव: हम आम तौर पर एक *विश. लआय िनधा56रत करते ह8, ले#कन जब हम उसके कर(ब पहँुचने वाले होते ह4 तो उसम5 हमेशा ह( बदलाव आते ह4। जसैे-जसैे हम आगे बढ़ते ह,, चीज$ ःप# होती जाती ह*, और हम अपने राःते और लआय/ को तदनसुार समायो5जत करते जाते ह7। 9या हम तब भी खदु को सफल मान सकते ह1 य3द हमने उस लआय को हािसल नह7ं 3कया !जसे हमने श*ुआत म- िनधा%&रत )कया था? लआय$ का िसलिसला: जसैे ह& हम एक लआय ूा/ करते ह2, तो ूा% करने के िलये दसूरा लआय होता है। कभी-कभी हमारा लआय, िसफ$ लआय( के िसलिसले का श)ुआती -बंद ुहोता है। उदाहरण के िलए, हमारा लआय कॉलेज म) ूवेश लेना है। ूवेश लेने के बाद, हम# $या करना है? आ"खरकार हम) बाहर िनकलना होगा। जब हम कॉलेज क) पढाई परू$ कर लेते ह*, तो हम और आगे पढाई करना चाह सकते ह2 या नौकर5 ढँूढने का ूयास कर सकते ह)। जब हम. नौकर1 िमल जाती है, तो हम एक अिधक-वेतन वाली नौकर+ ढँूढना चाहते ह1, और इसी तरह आगे भी।

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    हम ःवयं को सफल कब कह सकते ह/? !या लआय ूा' करने के बाद हम सफल कहलाने यो3य ह4?

    66-पहली कदम पर सफलता जसैे ह& हम ूारंिभक (बंद ुसे चलते ह2, हम अपने लआय तक पहँुच/ या न पहँुच/, हम जानकार& और अनभुव ूा( करते ह.। जसैे-जसैे हम आगे बढ़ते ह,, हम# और अिधक ःप#ता ूा# होती जाती है। हम बेहतर तर/के से समझते ह' (क हम वाःतव म- .या चाहते या नह2ं चाहते ह'। न केवल चीज) हम) ःप. हो जाती ह2, ब"#क हमारे पास एक बेहतर प"रक%पना और #यापक प(रूेआय भी आता है। अतः, हम अपने आप को नई ब#ु$म&ा ूदान करते ह*।

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    और अिंतम ले*कन कम नह.ं, हम# इस ू'बया के दौरान नए स"ब$ध भी ूा% होते ह"। !या ये सब अब हमार% प'रसंप*+ ह,? !या लआय ूा' करने का उ-ेँय इसे एक प3रसंप56 म8 बदलने

    का था? !कसी लआय क( ओर हमार. याऽा के ू2येक चरण के साथ, प"रणाम' पर (यान +दये .बना, हम प"रसंप&'याँ हािसल करते ह1। यह इस धारणा के साथ ूित8विनत करती है =क सफलता वाःतव म' लआय तक पहँुचने के बजाय लआय क0 ओर जाने क0 याऽा है।

    अ"छ$ खबर यह है +क:

    हमार% याऽा के पहले चरण के साथ सफलता क2 श5ुआत हो जाती है अिंतम चरण के बाद नह0ं।

    क्रमश:..........

    mailto: [email protected]