हिटलर बाबू - sahityasudha.comएक सरकारी मिकमा ।...

16
हिटलर बाब संजय क मार ससंि पा योजना- हिटलर बाब उफ अवधेश नारायण तिवारी – ऑफस का बॉस (ची इंजीतनयर) नीिा – हिटलर की पनराधा – हिटलर की मा रोहिि –हिटलर का बेटा जा – हिटलर की बेटटीराम – हिटलर का नौकर राधेकांि ममा – हिटलर के दिर का बाब संिोष श ला – हिटलर के दिर का लकफ शांि – हिटलर के दिर का अकाउंटट लल लाल- हिटलर का नौकर बल बाल- लल लाल का भाई रोशनलाल – ट नेिा मोिीलाल – ऑफस का पीय बाके लाल – हिटलर का साला के श खना – सीबीआई का इंपेटर अद , वकास धीर और स जीि – हिटलर के ऑफस के बाकी कमफचारी

Upload: others

Post on 26-Feb-2020

8 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • हिटलर बाबू

    संजय कुमार ससिं

    पात्र योजना-

    हिटलर बाब ूउर्फ अवधेश नारायण तिवारी – ऑफर्स का बॉस (चीर् इंजीतनयर) सनुीिा – हिटलर की पत्नी राधा – हिटलर की मााँ रोहिि –हिटलर का बेटा पजुा – हिटलर की बटेी पटुीराम – हिटलर का नौकर राधेकांि ममश्रा – हिटलर के दफ्िर का बाब ू संिोष शकु्ला – हिटलर के दफ्िर का क्लकफ सशुांि – हिटलर के दफ्िर का अकाउंटेंट लल्ल ुलाल- हिटलर का नौकर बल्ल ुबाल- लल्ल ुलाल का भाई रोशनलाल – भ्रष्ट निेा मोिीलाल – ऑफर्स का पीयनू बााँकेलाल – हिटलर का साला मकेुश खन्ना – सीबीआई का इंस्पेक्टर अब्दलु, ववकास सधुीर और सजुीि – हिटलर के ऑफर्स के बाकी कमफचारी

    https://sahityasudha.com

  • एक सरकारी मिकमा । मिकमे में एक बड़ा सा कमरा जजसमे छ टेबल और कुससियां पड़ी िैं। टेब्लों पर फाइल अस्त - व्यस्त तरीके से इधर उधर पड़ी िै। एक टेबल के सामने 45 वर्षीय राधेकांत समश्रा कुसी पर बैठे अपनी पत्नी से बात कर रिे िैं। धीरे - धीरे स्टेज पर उजाला िोता िै। समश्रा जी स्वभाव से बिुत िी प्रेमी और भावुक िैं और 45 साल की उम्र में उनकी शादी िुई िै। समश्रा जी वीडियो कॉल के जररए अपनी पत्नी से बात कर रिे िैं।

    दृश्य 1 राधेकांत समश्रा : अरे तुमसे समली नज़र कक मेरे िोश उड़ गए। ऐसा िुआ असर कक मेरे िोश उड़ गए। (ऊँच ेस्वर और भरािई आवाज में गाना गाते िैं) पीछे से उनके बॉस अवधनारायण बाबू उफि हिटलर बाबू का प्रवेश। अवधनारायण बाबू को हिटलर बाबू नाम उनके स्वभाव के कारण समला िै। वि दसूरों को बवेकूफ और खदु को तीसमारखाँ समझते िैं। उनके कक्ष में कुल 6 कमिचारी िैं और सभी पर वि अपनी धौंस जमाते रिते िैं। हिटलर बाबू उनको गाना गाते िुए देखते िैं और फाइल उठाकर समश्रा के सर पर मारते िैं। इस बात पर ऑकफस के बाकी कमिचारी िँसते िैं। हिटलर बाबू : बिुत िोश उड़ रिे िैं समश्रा। काम में ध्यान दो। अगले िफ्ते िेिक्वाटिर से लोग इंस्पेक्शन के सलए आ रिे िैं। अगर फाइलों में कुछ भी गड़बड़ ननकला न तो िोश के साथ साथ शरीर का गोस्त भी उड़ जाएगा। जब देखो गाना। ऑकफस छोड़कर इंडियन आइिल में क्यों निीं चले जाते ? अनु मजललक की जगि तुमको िी समलेगी। बुढ़ापे में शादी करने का यिी साइि इफ्फेक्ट िोता िै। अच्छा चलो, कल जो नोट हदया था उसका क्या िुआ?

    (समश्रा जी जेब से 100 रुपये के 5 नोट ननकलते िैं। ) हिटलर बाबू : अरे मुखि कासलदास। यि नोट निीं , ऑकफस का नोट। ऑकफस के नोट से ऑकफस चलता िै। इस नोट से तो दनुनया चलती िै। समश्रा : अरे आप िी ने तो कल 500 का नोट हदया था छुट्टा लाने के सलए।

  • हिटलर बाबू : अरे गोबर गणेश (हिटलर बाबू फाईल से समश्रा को मारने जा रिे िोते िैं)। पीछे से संतोर्ष शुक्ला का प्रवेश। संतोर्ष शुक्ला हिटलर बाबू का मुँि लगा िै और ऑकफस का क्लकि िै। वि देवानंद का फैन िै और उसी के िाव - भाव को अपनाकर बात करता िै। शुक्ला : अरे छोडड़ये सर समश्रा जी को। यि देखखये आज का अखबार। बिुत बड़ा टेंिर ननकला िै। नेताजी बार - बार फ़ोन कर रिे िैं की यि टेंिर उनके भतीजे को िी समलना चाहिए। सर लगता िै कक इस बार िम दोनों का फैसमली के साथ जस्वट्ज़रलैंि जाना पक्का। (दोनों खलुकर िँसते िैं) हिटलर बाब:ू (समश्रा की ओर देखकर) नोट िालो। िँसो मत। और सुनो सब कोई (इस बार उनका संबोधन ऑकफस के बाकी स्टाफ की तरफ िै) अपनी फाइलों को मजबूत बनाओ। मजबूती से मेरा मतलब िै कक फाइल भली िी फटी िो मगर उसमें बेईमानी का एक भी सुराग बड़ ेअधधकाररयों को निीं हदखना चाहिए। अगर िम फाइलों में मजबूत िैं तो िमें िॉनलि टं्रप भी निीं पकड़ पाएगा।

    दृश्य 2 ऑकफस में चश्मा पिने सुशांत बनजी का प्रवेश। सुशांत को बतौर अकाउंटेंट हिटलर बाबू के ऑकफस को ज्वाइन करना िै। सुशांत जाकर हिटलर बाबू के टेबल के सामने खड़ा िो जाता िै। सुशांत को एक बीमारी िै। जैसे िी कोई उसकी तरफ िाथ बढ़ाता िै उसे गुदगुदी िोने लगती िै। सुशांत : जी, माफ़ कीजजएगा। हिटलर बाबू : कर हदया। सुशांत : सर। यि मेरा ज्वाइननगं लेटर िै। आज अकाउंटेंट के पोस्ट पर मुझ े ज्वाइन करना िै। हिटलर बाबू : क्या नाम िै जनाब का ? सुशांत : जी सुशांतो । हिटलर बाब ू: (गौर से ज्वाइननगं लेटर को देखते िैं) यिां तो आपके लेटर में सुशांत सलखा िै और आप सुशांतो बोल रिे िैं । सुशांत : जी सर िम बंगाली लोग नाम के आगे ओ लगाते िैं। जैसे सुशांत को

  • सुशांतो, अरववन्द को औरोबबन्दो। हिटलर बाबू : तो आप लोग बांग्ला में अवध को क्या बोलते िैं ? (चश्में को नीच ेझुकाकर िलकी मुस्कुरािट के साथ बोलते िैं।) समश्रा : िाँ िाँ बताओ - बताओ । शुक्ला : बताओ- बताओ ? क्या सवाल पूछा िै सर ? सुशांत : अवध को, अवध को तो अवध िी किते िैं सर। हिटलर बाबू : मैं तो मज़ाक़ कर रिा था। अच्छा िमारे सलए कोलकाता से रोसोगुललो लाये िैं। (ठिाका मारकर िंसना, सारे िँसते िैं, हिटलर बाबू अपने चयेर से उठकर सुशांत को उसपर बबठाते िैं) (हिटलर सुशांत की तरफ िाथ बढ़ाता िै । सुशांत िँसते िुए पीछे िट जाता िै । हिटलर बाबू : क्या िुआ भाई ? सुशांत: सर मुझ ेबीमारी िै। जब भी कोई मेरी तरफ िाथ बढ़ाता िै तो मुझ े गुदगुदी िोने लगती िै। हिटलर बाबू : बड़ी अजीब बीमारी िै यार । आज से इस चयेर को अपनी चयेर िी समखझये और इस टेबल पर रखी िर चीज़ को अपनी िी समखझये। ससवाय उस मेज़ के अदंर रखी मेरी बीवी की तस्वीर को। उसको अपनी मत समझना। (हिटलर बाबू के िाथ के इशारे पर शुकला और समश्रा भी सुशांत के टेबल पर अपनी फाइल लाकर रख देते िैं) हिटलर: खबू मन लगाकर काम करो सुशान्तो। अगर ऐसे िी काम करते रिे तो मैं तुम्िे ऑकफस का इंचाजि बना दूंगा। सूत्रधार : इस तरि हदन पर हदन बीतते गए। हिटलर बाबू ने अपना िी निीं समश्रा और शुक्ला का भी काम सुशांत को दे हदया। यिां तक कक हिटलर बाबू पानी का बोतल भी सुशांत से िी भरवाते। इस तरि 6 मिीने बीत गए । ************************************************************

    दृश्य 3 ऑकफस के वपयून मोतीलाल की एंट्री। मोतीलाल एक नंबर का ननकम्मा और नालायक कमिचारी िै। ऑकफस के टाईम पर भी मोबाइल में कफलमें देखता रिता िै। मोतीलाल : नमस्कार सर। भाभीजी ठीक िैं ना ?

  • हिटलर बाबू : बिुत भाभीजी को याद करते िो मोतीलाल। कभी कभार अपना काम भी कर सलया करो। तुमको फ़ोन करते िैं तो पता चलता िै की िर हदन ऑकफस टाइम पर कफलम देखने गए िो। संभल जाओ वरना यिां के लोग कंप्लेंट कर देंगे। मोतीलाल : अरे कौन कंप्लेंट करेगा िमारी सर ? जो िमारी कंप्लेंट करेगा उसका िम कंप्लेंट करेंगे। और काम करने के सलए आपका वि बंगाली िैं न उससे काम करवाइए। और वैसे भी जब िम पैदा िुए थे तो ज्योनतर्षी ने किा था यि लड़का छोटा मोटा काम निीं करेगा, कोई बड़ा िी काम करेगा। (नेता रोशनलाल दोमुखखया की एंट्री) रोशनलाल : जैसा कक बड़ा काम िम करते िैं। हिटलर बाबू : अरे नेताजी आपने क्यों तकलीफ की। िमे फ़ोन कर हदए िोते । मोतीलाल : परनाम नेताजी। परनाम - परनाम । भाभीजी ठीक िैं न ? रोशनलाल : अरे क्या बताए मोती बाबू। भाभीजी का तो वपछले िी िफ्ते स्वगिवास िो गया। (पीछे से थके िारे सुशांत का प्रवेश। वि फाइलें ढोते - ढोते थक गया िै। धड़ाम से सुशांत अपनी कुसी पर बैठ जाता िै) रोशनलाल: आना िी पड़ा अवध बाबू। आप का जूननयर इंजीननयर बात समझता िी निीं। उसे ईमानदारी का रोग लगा िै। इससलए सोचा की आपसे िी बात कर लें। समझा दीजजये इंजीननयर बाबू को कक मेरा टेंिर पास कर दे वरना थोड़ी बिुत ईमानदारी िमें भी आती िै। (धीरे - धीरे चलकर सुशांत हिटलर बाबू के टेबल के पास जाता िै) सुशांतो : सर मुझ ेछुट्टी चाहिए। मैं घर जाना चािता िँू । हिटलर : अरे 6 मिीने पिले िी तो तुम्िारी ज्वाइननगं िुई िै। इतनी जलदी छुट्टी क्यों चाहिए। सुशांत : सर मेरी तबबयत ठीक निीं रिती। आपने मुझसे इतना काम करवाया। आपकी फाइलें ढोना, एंट्री करना, यिां तक की आपका पानी का बोतल भी मैं िी भरता िँू। और आपका वपयून मोतीलाल िर हदन लोगों को भाभीजी कैसी िैं बोलता रिता िै। इससे काम ननकलवाइए ना । हिटलर: ऊँगली नीच ेकरके बात करो। मैं आज भी तुम्िारा बॉस िँू। छुट्टी

  • तुमको निीं समलेगी। जाओ जाकर एंट्री करो। सुशांत : कैसे निीं देंगे छुट्टी मुझ।े मैं आज िी िेिक्वाटिर को सलख दूंगा की आपने फाइलों में क्या गड़बड़ घोटाला ककया िै। इस नेता को फायदा पिँुचाने के चक्कर में आपने देश के साथ गद्दारी की िै। यि देखखए आपके काले कारनामों की फाईल मेरे पास िै। रोशनलाल : ऐसा निीं किते बेटा। नेता तो देश का िी िोता िै। देश की भलाई के सलए वि संववधान की शपथ लेता िै। हिटलर: तुम्िारा इलाज़ तो करना पड़गेा। तुम ऐसे निीं मानोगे। (हिटलर बाबु सुशांत को मारने के सलेए ऑकफस की रॉि उठाते िैं लेककन नेता रोशनलाल उनकी बाँि पकड़ लेता िै) रोशनलाल : रुककए अवध बाबु। यि विी लड़का िै न जो आपने बताया था कक जजसके पेट में गुदगुदी िोती िै। तो अवध बाबू इसको ऐसे माररये कक कोई सबूत न समले। कानून िाथ में मत लीजजये अवध बाबू । िाथ में ग्लव्स लीजजये। ऐ तुम लोग बैठे-बैठे क्या देख रिे िो । िाथों में सब ग्लव्स पिनो और इस बंगाली को गुदगुदी करके मारो। (सारे लोग िाथों में ग्लव्स पिन लेते िैं और सुशांत की तरफ बढ़ते िैं। सुशांत घबड़ा जाता िै) सुशांत : निीं रुक जाओ तुमलोग। िािािािा िीिीिीिीिीिी िािािािािािािािा िािािािािािा िीिीिीिीिीिी (सुशांत िँसते - िँसते बेिोश िो जाता िै और स्टेज पर धगर जाता िै। पदाि धगर जाता िै।)

    दृश्य 4 पदाि उठता िै। हिटलर का आलीशान घर । िॉल में सोफा सेट, रेकिजेरेटर, एसी वगैरि सब कुछ लगा िुआ िै। सोफा पर हिटलर की बेटी पूजा टीवी देख रिी िै। विीं नीच ेबैठा घर का नौकर पुटीराम आटा गूँथ रिा िै । घर में हिटलर की 65 वर्षीय माँ राधा भी िै जो रसोई में काम कर रिी िै। घर के बाकी लोगों में हिटलर की पत्नी सुनीता और साला बाँकेलाल िै। बाँकेलाल स्वभाव से सीधा िै और पूरे हदन िॉफ पैंट में घूमता रिता िै। बाँकेलाल तोतला िै और अपने टीशटि के नीच ेजनेऊ पिन कर रखता िै जजसमें घर की नतजोरी की चाभी रिती िै। हिटलर जो भी काला धन कमाता िै, उसे अपनी नतजोरी में रखता िै और उसकी चाभी अपने साले के पास रखता िै क्योंकक हिटलर अपने साले को अपने सलए बिुत सौभाग्यशाली

  • मानता िै। विीं िाइननगं रुम में पूजा टी वी पर कफलम देखते-देखते भावुक िो जाती िै और रोने लगती िै। पुटीराम : क्या िुआ पूजा दीदी। लोगों को प्याज काटने पर रोते देखा था। आप आटा गूँथने पर रोने लगी। पुजा : अरे पुटीराम। मैं प्याज पर निीं रो रिी िँू। इस कफलम में छोटी बच्ची की माँ मर जाती िै। उसे िी देखकर रो रिी िँू। वैसे पुटीराम तुमने कभी बताया निीं की तमु्िारे घर में कौन, कौन िै ? पुटीराम : क्या बताँउ पूजा दीदी। जब मेरी मुननया २ साल की थी तो धननया चल बसी। पुजा : कौन मुननया और कौन धननया ? पुटीराम : मुननया मेरी बेटी दीदी और धननया मेरी जोरु ( किकर रोने लगता िै। पुजा उस ेचपु कराती िै) पुजा: तो पुटीराम तुम दसूरी शादी क्यों निीं कर लेते ? पुटीराम : निीं पुजा दीदी िम सौतेली माँ निीं लाँएगे घर में । और वैसे भी इस जमाने में आपके जैसी लड़की किाँ समलेगी। िम तभी शादी करेंगे जब िमें आप जैसी कोई लड़की समल जाए। पुजा: (शमािते िुए) धत्त पागल किीं का। अचानक से दरवाजे की बेल बजती िै। राधा : पुजा दरवाजा खोल । पापा आए िैं। पुजा दरवाजा खोलती िै। हिटलर की अपने घर में एंट्री। उसकी माँ आरती के साथ उसका स्वागत करती िै। पीछे - पीछे सुनीता और बाँकेलाल भी खड़ ेिैं। राधा हिटलर को नतलक लगाती िै। राधा: चदंा िै तू। मेरा सूरज िै तू। हिटलर बाबू : यि ले माँ आज की कमाई। इसे अलमारी में रख दे माँ। पूरे दस लाख िैं। राधा: जुग - जुग जजयो मेरे लाल। ऐसे िी तू पसैे कमाता रि और अपन े पररवार का नाम रोशन कर। तेरे वपताजी दरोगा थे। मजाल िै कक बबना पैसे सलए कोई केस सुलझाया िो। तेरे दादाजी भी एक नंबर के ररश्वतखोर थे। जब तक उनके जेब में पैसों के बंिल निीं पिँुचते थे तब तक पेँशन की कोई फाईल आगे निीं बढ़ती थी। बाँके : जीजाजी आ गए। जीजाजी आ गए। मेले सलए क्या लाए जीजाजी। अले

  • वाि ियेली समलक। मेलेिी िै चॉकलेटी। हिटलर बाबू : आइए साले सािब और थोड़ा नतजोरी तो खोसलए। बाँके अपने जनेउ में बँधे चाभी से नतजोरी खोलता िै। उस ववशाल नतजोरी में अरबों के िीरे जवािरात भरे पड़ ेिै और करोड़ों रुपये के नोट पड़े िैं। विाँ पर शुक्ला और समश्रा पिले से िी मौजूद िैं। ऑकफस के काम के बाद दोनों हिटलर के घर पर घरेलू काम भी करते िैं। शुक्ला : आलू छील हदए िैं भाभीजी। समश्रा : टमाटर भी काट हदए िैं भाभीजी। सुनीता: अजी सुननए ना यि लोग सुबि से खाना बनाने में िेलप कर रिे िैं। इस बार इनको प्रोमोशन जरुर दीजजएगा। समश्रा : भाभीजी अगर थोड़ा आलुदम समल जाता तो अच्छा रिता। घर में पत्नी के सलए लेकर जाऊँगा। हिटलर बाबू : भागोगे की निीं यिाँ से। बिुत आलदुम खाने आए िैं। तुम खाना ननकालो सुनीता। आज बिुत हदन बाद घर का आलुदम खाने को समलेगा। हिटलर बाथरुम से निाकर वापस लौटता िै। विाँ वि देखता िै कक हिटलर का बेटा रोहित आकर सोफा पर लेटा िुआ िै। रोहित अपनी प्रेसमका से बात कर रिा िै। रोहित : बताओ न पिली बार जब तुमने मुझ ेदेखा तो कैसा लगा था ? (पीछे से हिटलर बाबू की कमरे में एंट्री। अपने बेटे को बात करते िुए देख कर तककये से मारते िैं) हिटलर बाबू : जब तू पैदा िुआ था और पिली बार तूने मुझ ेदेखा था तो कैसा लगा था। जब देखो लड़ककयों से बातें। सीख अपनी बिन स ेऔर पढाई में मन लगा। निीं तो तुझ ेगाँव भेज दूंगा। सुनीता : िाय। िाय क्यों मेरे िीरे जैसे बेटे को िांट रिे िो। हिटलर बाबू : तुम्िारा िीरा जैसा बेटा आजकल ज़्यादा िीरोधगरी हदखा रिा िै। पढाई में मन निीं लगता इसका। इसके मोबाइल में चके करो ससफि लड़ककयों के नंबर समलेंगे। सुनीता: जाने दीजजये। एक हदन देखखएगा, मेरा बेटा आपसे बड़ा अफसर बनेगा और आपको ककतनी बार बोल चकुी िँू की नौकरो का इंतज़ाम कीजजये। यि ननकम्मा पुटीराम तो ककसी काम का निीं। यि इतना सुस्त िै की 24 घंटे ससफि खाता िै और काम करने में इसकी नानी

  • मर जाती िै। पुटीराम : मेरी नानी को मरे तो 10 साल िो गए सुनीता: चपु कर जुबान लड़ाता िै। (अचानक से दरवाज़े पर दस्तक। दो देिाती गंवार जैसा कपिा पिने दरवाज़े पर दस्तक देते िैं) दोनों भाई : िम अदंर आ सकते िैं का। पुजा : इतना अदंर तो आ गए िो और ककतना अदंर आना िै। दोनो : जी मासलक िम िैं लललु लाल और ई िैं िमारे बड़ ेभाई बललू बाल। िमे बत्रपाठी जी ने भेजा िै। हिटलर बाबू : कौन ? अजयनाथ बत्रपाठी। िाँ िाँ, मैंने उन्िें किा था कक मुझ े दो नौकर चाहिए। और बत्रपाठी जी कैसे िैं? कुछ बोल रिे थे मेरे बारे में ? बललू बाल : जी बोल रिे थे कक आप बड़ ेकुते्त आदमी िैं। जी मेरा मतलब िै की आपको कुत्तों का बड़ा शौक़ िै। ललल ुलाल : आप धचतंा मत कीजजये आपके घर को िम स्वगि और घरवालों को स्वगिवासी बना देंगे।

    दृश्य 5 बललू बाल हिटलर को मसाज दे रिा िै बललू बाल : वाि मासलक क्या बॉिी िै आपकी। जवानी में तो आप टॉम कू्रज से कम निीं लगते िोंगे। और वाि पेट में अब भी 8 पैक बीच - बीच में हदख जाता िै। हिटलर : अरे जब मैं जवान था तो लोग किते थे कक एक हदन मैं असमताभ बच्चन की जगि लूंगा। लेककन बीच में मेरे वपताजी का देिांत िो गया और मुझ ेगवनिमेंट जॉब में आना पड़ा। आज भी जब मैं घर से बािर ननकलता िँू तो कई लड़ककयां छत से नीच ेछलांग मारती िैं। लललू : िाँ सोचती िोंगी की ककस मनिूस का चिेरा सुबि सुबि देख सलया ? हिटलर बाबू : तुमने कुछ किा क्या ? सुनीता : सुननए मैं ककट्टी पाटी में जा रिी िँू। खाना पुटीराम से गरम करवा लीजजयेगा। बललू बाल : छोटे अब अपना प्लान बी चालू करते िैं ।

  • (िॉल में राधा को छोड़कर कोई भी निीं िै। पूजा और रोहित कॉलेज गए िैं और हिटलर ऑकफस । लललु और बललू अकेले में कुछ खखचड़ी पकाते िुए हदख पड़त ेिैं। बाँकेलाल चाचा चौधरी का कॉसमक्स पढ़ रिा िै। फ़ोन की घंटी बजती िै। हिटलर की माँ राधा फ़ोन उठती िै। पीछे से बललू बूढ़े के आवाज़ में बात करता िै और लललु लाल पीछे के दरवाजे से ननकल जाता िै ) बललू : जी राधा जी बात कर रिी िैं क्या ? राधा: जी मैं राधा िी बोल रिी िँू। आप कौन ? बललू: जी मैं दामोदरदास बोल रिा िँू। भूल गयी दीदी। मैं आपके दरू के ररश्ते का भाई। मैं आपके नाना के चाचा के मामा के बुआ का पोता िँू । राधा: (हदमाग पर जोर देते िुए ) अरे दामू भैय्या कैसे िैं। कैसे याद ककया ? दामोदरदास: अरे दीदी मुझ ेभी एक बड़ा टेंिर लेना िै। बड़ी रकम दूंगा दीदी। 5 करोड़। मैंने सुना था दीदी कक मेरे भतीजे का अकाउंट आप िी देखती िैं। राधा : िाँ िाँ भैया, बचपन से पाल पोस कर इन्िीं िाथो से अवध को पैसा कमाना ससखाया िै मैंने। बललू : तो दीदी ठीक िै मैं आज िी अपने चाचाजी के िाथों आपको पेशगी पाँच लाख रूपये भेज रिा िँू। राधा : आपके चाचाजी ? बललू : िाँ मेरे चाचा वीरुभाई मंदानी। बिुत िी भले आदमी िैं दीदी । जब से अननल ने उन्िें जायदाद से बेदखल ककया वि यिीं रिते िैं। राधा : अननल, कौन अननल ? बललू : अरे दीदी उनका बेटा। (अचानक से िोरबेल बजती िै) राधा: लगता िै भईया आपके चाचाजी आ गए। बललू: ठीक िै दीदी पायँ लागूँ। (राधा जाकर दरवाजा खोलती िै और विाँ एक अधेड़ उम्र के व्यजक्त को खड़ा पाती िै। असल में यि और कोई निीं लललु लाल िी िै जो बुढ़ा बनकर पिँुचा िै।) वीरुभाई : जी नमस्ते। मैं वीरुभाई। राधा : आइए आइए। बािर क्यों खड़ ेिैं। अदंर आइए । वीरुभाई : भैय्या घर पर िैं क्या? राधा: भैय्या मलतब। मेरा कोई भाई निीं िै।

  • वीरुभाई : जी मैं अवध जी की बात कर रिा िँू राधा: जी आपको कुछ गलतफिमी िुई िै। मैं अवध की माँ िँू। वीरुभाई: मैं मान निीं सकता कक आप अवध की माँ िैं। आप तो मुजश्कल से 25 साल की लगती िैं। राधा: जी आप मुझ ेशसमिंदा कर रिे िैं। वीरुभाई: निी निीं । मैं सच कि रिा िँू। आप को देखकर कोई निीं किेगा कक आप एक अधेड़ उम्र के इंसान की माँ िैं। बिरिाल यि लीजजए पाँच लाख रुपये जो दामोदरदास ने आपको देने के सलए हदए थे। राधा जी, क्या मैं आपको आपके मोबाईल पर फोन कर सकता िँू। राधा: (सकपकाते िुए) जी मैं मोबाईल का इस्तेमाल निीं करती। आप, आप मेरे घर के नंबर पर फोन कीजजए। नमस्ते। वीरुभाई : जी नमस्ते। (वीरुभाई के जाने के बाद राधा शमािने लगती िै । दो घंटे बीत जाते िैं। राधा एकटक फोन की तरफ देख रिी िै। अचानक से फोन की घंटी बजती िै। लललु पीछे से वीरुभाई की आवाज ननकाल कर राधा से बात करता िै) वीरुभाई: राधा जी । आज आपको देखकर हदल को एक अजीब सुकून समला। उफफफ ककतनी सादगी थी आपके चिेरे पर। राधा जी एक बात किँू, बुरा तो निीं माननएगा। मुझ ेआप जैसे जीवनसाथी की तलाश िै। जब से मुकेश और अननल ववदेश में सेटल िुए िैं, मैं यिाँ अकेला िी रिता िँू। राधा जी क्या आप मुझसे समलना चािेंगी। बोल राधा बोल संगम िोगा कक निीं। राधा: (शमािते िुए) िोगा, िोगा । (राधा फोन काटने के बाद आईने में अपने आप को देखती िै और शमाि कर गीत गुनगुनाती िै) राधा: आज मैं जवान िो गई िँू। गुल से गुसलस्तान िो गई िँू। (पदे के पीछे लललु और बललू मुस्कुराते िैं और िाथ समलाते िैं)

    दृश्य 6 ड्राइंग रूम में पुटीराम व्यायाम कर रिा िै। लललू बललू पीछे से आते िैं ललल ु: वाि रे मेरे हृनतक रोशन। क्या बॉिी बनायीं िै भैय्या ? बललू : तुम पर तो कोई भी लड़की कफ़दा िो जायेगी।

  • लललू : अच्छा तननक ई बताओ तुमको पूजा मेमसाब कैसी लगती िैं। (पूजा का नाम सनुकर पुटीराम मुस्कुरा देता िै) पुटीराम : पुजा दीदी तो िमे शुरू से िी अच्छी लगती िैं। बललू : कफर दीदी। पसंद भी करते िो और दीदी भी किते िो। मारेंगे खींच के। लललु : पजुा मेमसाब भी तुमको बिुत पसंद करती िैं। बोल रिी थी पुटीराम असली िीरो िै । घर का सारा काम संभालता िै। मेरी शादी तो पुटीराम से िी िोगी। पुटीराम : िम तुमसे शादी निीं करेंगे। ललल ु: अरे िम अपनी निीं पूजा दीदी की बात कर रिे िैं। बोलो तो बात आगे बढ़ायें। बललू : अरे तननक ई तो बताओ भैया कक मासलक अपना सारा ज़रूरी सामान किाँ रखते िैं? पुटीराम: मासलक तो अपना सारा सामान अलमारी में िी रखते िैं और अलमारी की चाभी उनके साले के पास रिती िै। (लललु - बललु एक दसूरे को देखकर मुस्कुराते िैं। दोपिर को 2 बजे फोन की घंटी बजती िै।) राधा दौड़कर फोन के पास जाती िै और फोन उठाती िै। पीछे से सुनीता आती िै और राधा की बातें सुनती िै) राधा: जी मैं आपके फोन का िी इंतजार कर रिी थी। िाँ- िाँ सब अच्छे िैं। मै जरुर आँउगी। बाय वीरु। सुनीता: मम्मी जी ककससे बात कर रिी थी आप ? राधा : (घबराकर) कोई निीं मेरे दरू के ररश्ते का भाई था।

    दृश्य 7

    (ड्राइंगरुम में पूजा आती िै और दसूरी तरफ से पुटीराम आता िै। पुटीराम के िाथ में गोभी का फूल िै) पुटीराम : पूजा दीदी। िम आपको बिुत पसंद करते िैं और शादी भी आप से िी करेंगे। पुजा : दीदी (चौंककर) पुटीराम : सॉरी लेककन इतने हदनों तक आपको दीदी बोलने की आदत सी िो गई िै। दीदी यि लीजजेए गोभी का फूल। गुलाब मुझ ेसमला निीं।

  • यि गोभी आपके ज्यादा काम आएगा। इसकी सब्जी बना लीजजएगा। पुजा : यि तो अच्छा िो लललू और बललू का जजन्िोंने िमे समला हदया । पुटीराम: कल मैं दोपिर दो बजे आपको फोन करँुगा। बॉय दीदी। सॉरी बॉय पुजा। (पीछे से लललु और बललु स्टेज पर आकर िँसते िैं) लललु: भाई यि काम तो िो गया। अब दसूरा काम करते िैं। बललू: िाँ भाई जलदी से अपने दसुरे काम को अजंाम हदया जाए। (दोपिर 2 बजे लललु वापस से वीरुभाई बनकर राधा को फोन करता िै। ) राधा : जी मैं आपके फोन का िी इंतजार कर रिी थी। लललु : राधारानी मेरी हदली तमन्ना िै कक मैं तुमको साड़ी और गिनों में लदा िुआ देखना चािता िँू। राधा मेरी यि तमन्ना पुरी करोगी ना। कल मुझसे िनुमानजी के मंहदर में समलो पूरे गिने पिनकर। मैं तुम्िें विीं समलूँगा । राधा : मैं पूरे गिने पिनकर कैसे आउंगी। कोई मुझ ेदेख लेगा तो। लललु : राधा तुम साड़ी के उपर शॉल ओढ़ लेना ककसी को पता निीं चलेगा। वादा करो राधा कक कल तुम आओगी। राधा : िाँ िाँ पागल। कल मै जरुर आउँगी। (राधा मुस्कुराते िुए अपने कमरे मे चली जाती िै। कफर लौट कर कमरे में बाँकेलाल को आवाज देती िै) राधा : बाँके ओ बाँके । इधर सुन। थोड़ा नतजोरी की चाभी खोल ना भय्ये जरुरी काम िै। बाँके : क्या जलुली काम िै अम्मा। जीजाजी को पता चला तो बिुत िाँटेंगे। मैं निीं खोलूंगा। राधा : अरे सुन ना बबटुआ िम तुमको ियेरी समलक देंगे। खोल ना भय्या। बाँके : ठीक िै खोल देता िँू। पल मुझ ेआज िी ियेली समलक चाहिए। (बाँके अपने जनेउ से नतजोरी खोलता िै। नतजोरी के खलुते िी अचानक से थोड़ी देर के सलए इलेक्ट्रीसीटी चली जाती िै) राधा : अरे क्या िुआ इस कम्बख्त लाइन को । बाँके देखना बेटा घबड़ाना मत। बाँके : भूत वपशाच ननकट निीं आवे। मिाबील जब नाम सुनावै।

  • (थोड़ी देर बाद इलेजक्ट्रससटी आ जाती िै) राधा : िाँ अब ठीक िै। ककतना सुंदर लगेगा यि िार मेरे उपर।

    दृश्य 8 (िॉल में हिटलर बैठा िुआ अखबार पढ़ रिा िै। अचानक से उसका बेटा रोहित दौड़ते िुआ आता िै) रोहित : पापा, पुजा दीदी पुटीराम के साथ घर छोड़ कर चली गयी। यि धचठ्ठी छोड़ गई िै। हिटलर बाबू : क्या ? सुनीता : अजी सुनते िो अलमारी में रखे मेरे गिने निीं समल रिे िैं। अलमारी भी खलुी िुई िै ? हिटलर : अरे पिलवान। तुझ ेअपने गिनों की पड़ी िै। तेरी लाड़ली पजुा उस पुटीराम के साथ चली गयी। सुनीता : क्या (किकर धड़ाम से सोफे पर बैठ जाती िै) हिटलर : अगर अलमारी खलुी िै तो मेरे फाइलों को तुमने देखा क्या ? सुनीता : निीं जी मैंने फाइलों की तरफ ध्यान निीं हदया। (हिटलर दौड़कर कमरे में जाता िै और नतजोरी में फाईलों को ना देखकर धगर जाता िै) हिटलर : गए- गए। मेरे सारे फाइल गए। उनमें मेरे सारे काले कारनामो के सबूत थे जो मैंने नेता रोशनलाल दोमुखखया के साथ ककये थे। (अचानक से सुनीता की नजर अपनी सास राधा के उपर पड़ती िै जजन्िोनें इतनी गमी में भी शॉल ओढ़ रखा िै। ) सुनीता : मम्मी जी आपने शॉल क्यों ओढ़ रखा िै इतनी गमी में। (राधा यि सुनकर घबड़ा जाती िै। और पीछे िटने लगती िै। सुनीता आगे बढ़ कर राधा का शॉल खींच लेती िै। शॉल के अदंर राधा के शरीर पर इतने सारे गिने देखकर सारे लोग चौंक जाते िैं। ) सुनीता : मैने किा था ना कक ऐसा कुछ िोने वाला िै। ऐ जी सुनते िो, आपकी माँ का किीं अफेयर चल रिा िै। िर रोज मैं इन्िे दो दो घंटे ककसी से बात करते सुनती थी। राधा : ऐ ! बिू िोकर मुझसे जबान लड़ाती िै । मुझपर इलजाम लगाती िै। हिटलर : ऐ तुम दोनों, क्योंकक सास भी कभी बिू थी। बंद करो अपना ड्रामा। पिले यि पता करो की मेरी फाइल किाँ िै और तुम दोनों की

  • लािली पुजा किाँ गई ? (अचानक से िोरबेल की घंटी बजती िै । सुनीता जाकर दरवाजा खोलती िै। अदंर पनत पत्नी के रुप में पजुा और पुटीराम एंट्री करते िैं) पुटीराम : िेलो फादर इन लॉ । िमे आशीवािद दीजजये। हिटलर: फादर इन लॉ। यानी कानून का वपता। बटेा, जब तू नौकर था तो तेरे गले से सिी से हिदंी तक निीं ननकलती थी। अब बड़ा अगें्रजी झाड़ िै। जी तो चािता िै की तेरा गला दबा दूँ । सुनीता अब छोडड़ये भी। बेटी और दामाद को आशीवािद दीजजये। हिटलर : पिलवान वि तो ठीक िै। मगर मेरी फाइलें किाँ िैं उसमें मेरे सारे सबूत थे। अगर वि फाइल ककसी के िाथ लग गयी तो तुम्िारा पनत जेल चला जाएगा। (एक शख्स की एंट्री जजसके िाथों में फाइल िै) मुकेश : फाइलें मेरे पास िैं । हिटलर : तुम कौन िो और फाइल तुम्िारे पास किाँ से आयी ? मुकेश : मैं मुकेश खन्ना िँू। नाम तो सुना िी िोगा। हिटलर: कौन मुकेश खन्ना ? शजक्तमान वाला। तुम्िारी शक्ल को क्या िुआ ? मुकेश : िाँ शजक्तमान भी कि सकते िो मुझ।े मैं सीबीआई इंस्पेक्टर मुकेश खन्ना िँू। तुम्िारे नौकर लललू लाल और बललू बाल ने तुम्िारी यि फाइल िमें दी। हिटलर : लललू - बललू तुमको तो मैंने अपना दोस्त समझा। तुमने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा ककया। आखखर क्यों ? (रुम में सुशांत की एंट्री) सुशांत: इसका कारण मैं बताता िँू। यि लललू - बललू निीं िै। यि मेरे दोस्त मयन और मोहित िैं। तुम लोगों से बदला लेने के सलए िी इन्िोंने नौकर का रूप धरा था। बललू : तुमलोगों ने इसकी ऐसी िालत कर दी थी कक यि दो मिीनों तक लगातार िँसता रिा। िमने उसी हदन कसम खाई थी कक िम तुमसे इसका बदला जरुर लेंगे। लललु : िम तुम्िारे घर में नौकर बनकर आए थे ताकक तुम्िारे गुनािों के सारे

  • सबुत िधथया सकें । िमने ना ससफि तुम्िारी फाईल चरुाई जजसमें तुम्िारे काले कारनामों के सबुत थे बजलक तुम्िारी नतजोरी में रखे सारे गिनों और काले पैसों के सुबुत भी पुसलस तक पिँुचा हदए।

    मुकेश : चसलए अवध बाबु। जेल में शुक्ला और नेता रौशनलाल आपका इंतजार कर रिे िैं। और माताजी, अवध बाबू को बेईमान बनाने में आपका बिुत बड़ा िाथ िै। अगर आप बचपन स ेअवध बाबू को ररश्वत वगैरि लेने के सलए प्रोत्साहित ना करतीं तो आज अवध बाबू ऐसे ना िोते । एक जीजाबाई जैसी माँ थी जजन्िोंने वीर सशवाजी का ननमािण ककया और एक आप िैं। (सुनीता, पुजा, बाँकेलाल, रोहित सब हिटलर बाबू को पकड़कर रोने लगते िैं और पुसलस हिटलर को लेकर चली जाती िै। अकेले कमरे में राधा अकेली बैठी िै। अचानक से पीछे से लललु उफि मयन वापस से वीरुभाई की आवाज में बात करता िै। फोन की घंटी बजते िी राधा फोन उठाती िै)

    राधा: जी मैं आपके फोन का िी इंतजार कर रिी थी। पता िै अवध को पुसलस पकड़कर ले गई। मैं बिुत उदास िँू।

    वीरुभाई: राधा मुझ ेमाफ करना । मेरे दोनों बेटे मुकेश और अननल लौट आए। दोनों के बीच अब सुलि भी िो गई िै। मैं अब उन दोनों के पास जा रिा िँू। िो सके तो मुझ ेमाफ करना। इस जन्म में तो िम निीं समल पाए लेककन आगे आने वाले िर जन्म में भगवान मुझ ेतुम्िारा पनत बनाए।

    राधा उदास िोकर सोफे पर धगर जाती िै और कफर यि गाना गुनगुनाती िै। ‘हदल के अरमान आँसुओं मे बि गए। िम वफा करके भी तन्िा रि गए।‘

    सुत्रधार : तो देखा आपलोगों को भी कभी बेईमानी और लालच का साथ निीं देना चाहिए वरना आपका भी हिटलर बाबु जैसा िाल करने के सलए कोई ना कोई लललु और बललु जरुर बैठा िोगा।

    (पदाि धगरता िै)

    mailto: [email protected]