दुनिया में एक िज़ीर आया पर ... · 2020. 1. 12. ·...

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  • दुनिया में एक िज़ीर आया पर दुनिया िे उसे क़ुबूल ि नकया लेनकि ख़ुदा उसे क़ुबूल करेगा और बड़े ज़ोरआवर हमलों से उसकी सच्ाई प्रकट कर देगा

    भाग - प्रथम

    इज़ाला औहाम(भ्ान्तियों का निराकरण)

    ِفْیِہ بَاٌس َشِدیٌْد ّوَ َمَناِفُع لِلّنَاِس

    लेखकहज़रति नमज़ाज़ा ग़ुलाम अहमद क़ानदयािी

    मसीह मौऊद व महदी माहूद अलैनहससलाम

  • िाम नकताब : इज़ाला औहाम (भाांनतयों का निराकरण)Name of Book : IZALA AUHAM (Bhrantiyon Ka Nirakaran)लेखक : हज़रत नमज़ा़ा ग़ुलाम अहमद कानदयािी मसीह मौऊद व महदी मा’हूद अलैनहससलामAuthor : HAZRAT MIRZA GHULAM AHMAD QADIANI The Promised Messiah and Mahdiasअिुवादक : डॉ. अनसार अहमद, एम.ए, एम.निल, पी.एच.डी, पी.जी. डी.टी, मौलवी फा नज़लTranslated by : Dr. ANSAR AHMAD, M.A. M.Phil., Ph.D., PGDT, Hon. in Arabicसांखया Quantity : 1000सांसकरण : प्रथम (नहनदी) माच़ा 2019 ई.Edition : First (Hindi) March 2019प्रकाशक : िज़ारत िश्र-व-इशाअत, कानदयाि, 143516 नज़ला-गुरदासपुर, (पांजाब)Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516

    Distt. Gurdaspur, (Punjab)मुद्रक : फज़ले उमर नप्रांनटंग प्रेस, कानदयाि, 143516 नज़ला-गुरदासपुर, (पांजाब)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian 143516

    Distt. Gurdaspur, (Punjab)

  • प्रकाशक की ओर से हज़रत नमज़ा़ा ग़ुलाम अहमद सानहब कानदयािी मसीह मौऊद व महदी मा'हूद

    अलैनहससलाम द्ारा नलनखत पुसतक "इज़ाला औहाम" का यह नहनदी अिुवाद डॉ० अनसार अहमद िे नकया है और ततपश्ात शेख़ मुजानहद अहमद शासत्ी (सदर ररवयू कमेटी), फरहत अहमद आचाय़ा (इंचाज़ा नहनदी डेसक), अली हसि एम. ए. िसीरुल हक आचाय़ा, इबिुल मेहदी एम् ए और मुनहयुद्ीि फरीद एम् ए िे इसका रीवयू आनद नकया है। अल्ाह तआला इि सब को उत्तम प्रनतिल प्रदाि करे।

    इस पुसतक को हज़रत ख़लीफतुल मसीह ख़ानमस अययदहुल्ाहु तआला नबिनरिनहल अज़ीज़ (जमाअत अहमनदया के वत़ामाि ख़लीफा) की अिुमनत से नहनदी प्रथम सांसकरण के रूप में प्रकानशत नकया जा रहा है।

    नविीत हानफज़ मख़दूम शरीफ िानज़र िश्र व इशाअत कानदयाि

  • अनुवाद- टाइटल प्रथम संस्करण उद्दूदुनिया में एक िज़ीर आया पर दुनिया िे उसे क़ुबूल ि नकया लेनकि ख़ुदा उसे

    क़ुबूल करेगा और बड़े ज़ोरआवर हमलों से उसकी सच्ाई प्रकट कर देगा

    भाग - प्रथम

    इज़ाला औहाम(भ्ान्तियों ्का ननरा्करण)

    ِفْیِہ بَاٌس َشِدیٌْد ّوَ َمَناِفُع لِلّنَاِس

    लेख्कनमज़ादू ग़ुलाम अहमद क़ानदयानी

  • 2इज़ाला औहाम

    हे स्देेह ्करने वालो ! आ्काशीय फैसले ्की ओर आओ !हे बुज़ुगगो ! हे मौलनवयो ! हे कौम के चुिे हुए लोगो ! ख़ुदा तआला आप लोगों की

    आंखें खोले। प्रकोप और क्ोध में आकर सीमा से मत बढो। मेरी इस पुसतक क दोिों भागों को धयािपूव्वक पढो नक इिमें प्रकाश और माग्वदश्वि है। ख़ुदा तआला से डरो तथा अपिी जीभों को काऩिर ठहरािे से रोक लो। ख़ुदा तआला अच्ी तरह जािता है नक मैं एक मुसलमाि हूं।

    ِ و ملٰئکِتٖہ و ُکُتبٖہ وُرُسِلٖ والبعث بعدالموت واشھد ان ٰاَمْنُت ِبالّلٰ

    ُ َوْحَدٗہ َل شریک ہل واشھد ان محّمًداعبدٗہ ورسوہل فاتقوا الّلٰ ِالٰـَہ ِاّلَ ّلَ

    الل ول تقولوا لست ُمسلما واتقواالملک اذلی الیہ ترجعونऔर यनद अब भी इस पसुतक के पढि ेके बाद सनदहे है तो आओ परख लो ख़ुदा नकस

    के साथ है। हे मरेे नवरोधी राय रखिे वाले मौलनवयों और सूऩियो ! और सज्ादा िशीिो ! जो काऩिर ठहरािे वाल ेझठुलाि ेवाल ेहो। मझेु नवश्ास नदलाया गया है नक यनद आप लोग नमल जलु कर या आप में स ेएक एक उि आकाशीय निशािों में मरेा मकुाबला करिा चाहें जो ख़ुदा के वनलयों के हाल के नलए अनिवाय्व हुआ करत ेहैं तो ख़ुदा तआला तुमहें लज्ज्त करेगा और तमुहारे पददों को फाड़ देगेा और उस समय तुम दखेोग ेनक वह मरेे साथ है। कया तमु में कोई है ? जो इस आज़मायश के नलए मदैाि में आए और अख़बारों के माधयम से सामानय घोषणा करके उि सवीकाररता के सबंधंों में जो रबब मरेे साथ रखता है अपिे सबंधंों की तलुिा करे। समरण रखो नक ख़ुदा सच्ों का मददगार है वह उसी की सहायता करेगा नजसको वह सच्ा जािता हे। चालानकयों स ेरुक जाओ नक वह निकट है। कया तमु उसस ेलड़ोग े? कया कोई अहूंकार पणू्व उ्लि ेस ेवासतव में ऊंचा हो सकता है। कया केवल जीभ की तनेज़यों स ेसच्ाई को काट दोग।े उस अज्सततव स ेडरो नजसकी प्रकोप समसत प्रकोपों से बढकर कर है -

    ؕ َل یَُمۡوُت ِفۡیَھا َو َل یَۡحٰیی *َ َجَھّنَم

    ِت َربَّٗہ ُمۡجِرًما فَِاّنَ ہَلِٗۡانَّٗہ َمۡن یَّا

    नसीहति ्कतिादूख़ाकसार - ग़ुलाम अहमद कानदयािी, लुनधयािा से मुहल्ा इकबाल गंज

    * सूरह ताहा ः 75

  • 3 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    नबज्समल्ानहर्रहमानिर्रहीम

    َْصفیاء َوسّید ْ

    َلُم َعٰل قَْوٍم موجع سّیَما َعٰل اَمام ال َحْمُد لِلِ َوالّسَْاَل

    َ اْرُزقَْنا انوار ُھّٰ۔ الّل َ

    ُْمْصَطٰفی َوٰاہِلٖ َواَْصٰحبٖہ اَْجَمِعی

    َْنْبیاء ُمَحّمد اِن ال

    ْال

    ْحَمتَک َعلَْیِہ َواَشَیاِعٖہ۔ َاتباعٖہ و اعطنا َضْوعٗہ ِبَجمْیع اَنَْواِعٖہ ِبر

    इस प्रशन ्का उत्तर न्क हज़रति मसीह निन मरयम ने मुददों ्को जीनवति न्कया, अंधों ्को आंखें प्रदान ्कीं, िहरों ्के ्कान

    खोले इन समसति चमत्कारों में से मसीह ्के मसील (समरूप) ने कया नदखाया

    यहाँ प्रथम तो यह उत्तर पया्वप्त है नक मुसलमाि लोग नजस मसीह की प्रतीक्ा कर रहे हैं उसके बारे में हदीसों में कदानप यह िहीं नलखा नक उसके हाथ से मुददे जीनवत होंगे अनपतु यह नलखा है नक उसकी फूंक से जीनवत मरेंगे। इसके अनतररज्ति ख़ुदा तआला िे इस नविीत को इसी उद्ेशय से भेजा है तानक आधयाज्तमक तौर पर मुददे जीनवत नकए जाएँ, बहरों के काि खोले जाएँ और वे जो कब्ों में हैं बाहर निकाले जाएँ एवं यह भी समरूपता का कारण है नक जैसे मसीह इबिे मरयम (मरयम के पुत्र मसीह) िे इूंजील में तौरात का सही ख़ुलासा और यह ख़ाकसार इसी काय्व के नलए आनदष्ट (मामूर) है तानक असावधाि लोगों को समझािे के नलए पनवत्र क़ुआ्वि की मूल नशक्ा प्रसतुत की जाए। मसीह केवल इसी काय्व हेतु आया था नक तौरात के आदेशों को धूम धाम के साथ प्रकट करे। इसी प्रकार यह ख़ाकसार भी इसी काय्व के नलए भेजा गया है तानक पनवत्र क़ुआ्वि के आदेश सपष्टतापूव्वक वण्वि कर दे। अनतर केवल इतिा है नक वह मसीह मूसा को नदया गया था और यह मसीह मूसा के समरूप को नदया गया। अत: यह समसत समरूपता तो नसद्ध है तथा मैं सच-सच कहता हूँ नक मसीह के हाथ से जीनवत होिे वाले मर गए, परनतु जो वयज्ति मेरे हाथ से जाम नपएगा जो मुझे नदया गया है वह कदानप िहीं मरेगा, वे

  • 4इज़ाला औहाम

    जीविदानयिी बातें जो मैं कहता हूँ और वह नहकमत जो मेरे मुख से निकलती हैं यनद कोई अनय भी उसके समाि कह सकता है तो समझो नक मैं ख़ुदा तआला की ओर से िहीं आया, परनतु यनद यह नहकमत और मारऱित जो मुदा्व हृदयों के नलए अमृत का आदेश रखती है अनय सथाि से िहीं नमल सकती तो तुमहारे पास इस अपराध का कोई बहािा िहीं नक तुम िे उस उद गम से इनकार नकया जो आकाश पर खोला गया, पृथवी पर कोई उसे बनद िहीं कर सकता। अत: तुम मुकाबले की जलदी ि करो और जाि-बूझ कर इस आरोप के अनतग्वत सवयं को ि लाओ नक ख़ुदा तआला ़िरमाता है :-

    ُفَؤادَ ۡ َو ال

    ََبَصر

    ۡۡمَع َو ال ٌم ؕ ِاّنَ الّسَ

    َۡو َل تَۡقُف َما لَیَۡس لََک ِبٖہ ِعل

    ِٰٓئَک َکاَن َعۡنُہ َمْسُئْوًل * ُکّلُ اُولकुधारणा और बद्ुमािी में सीमा से अनधक ि बढो, ऐसा ि हो नक तुम अपिी

    बातों से पकड़े जाओ और नफर उस दु:ख के सथाि में तुमहें यह कहिा पड़े नक :-

    اِر**َ

    َْشرْ

    َن ال ُہم ِمّ ا نَُعّدُ ٰى ِرَجاًل ُکّنَ ََما لََنا َل نَر

    سفن ب�ایئ ک�ی�ش

    � ان زک وبد داانیئ ہن ٓاوردٓاں ااکنر و رتربدض زود را ن ت ش

    وخ�ی

    اہجں ادنر مخت راہک قح اطبل ابدئ ٓاوردربص ابر امہں رد وا ت

    ی� اخص� اہنپن رہہچ

    را اجرمد ن ا�ی د اب�ی رفاتس ونر ےک ٓاوردادن اباہظر وخد را ن ت ش

    وخ�ی اتدصاتق

    اہنں امدن ن

    � اہنپین دصق را ٓاورداصداقں ر اونا رمد ی�ن �ب� �ب رب اہنپں ونِر

    اسواصل اکات وخرداتس دتسِ ےسک ز ا ہک ٓاوردرہ ار �ی والصِ رسوِر روشئ زامن رہ

    अनुवाद :- 1. वह बुनद्धमाि िहीं जो िफ़स की अधीरता के कारण तुरनत सतय का इनकार कर देता है।*

    2. सतयानभलाषी को धैय्व से काम लेिा चानहए नक संसार में प्रतयेक बीज जो

    * बिी इस्ाईल- 37** साद : 63

  • 5 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    भी गुप्त गुण रखता है उसी के अिुसार फल लाता है।*3. मिुषय को कु् प्रनतभा का प्रकाश भी चानहए तानक सच्ाई सवयं को प्रकट

    कर दे।*4. सदातमा लोगों का आनतररक सतय गुप्त िहीं रह सकता। गुप्त प्रकाश मिुषय

    के ललाट पर चमक पैदा कर देता है।*5. वह वयज्ति नजसिे नकसी के हाथ से नमलि की मनदरा के जाम नपए हों

    उसका मुख हर समय उस नप्रयतम के नमलि का आिनद प्रकट करता रहता है। *हे मुसलमािो! यनद सच्े हृदय से हज़रत ख़ुदा तआला और उसके पनवत्र रसूल

    अलैनहससलाम पर ईमाि रखते हो और ख़ुदाई सहायता के अनभलाषी हो तो निससनदेह समझो नक सहायता का समय आ गया और यह कारोबार मिुषय की ओर से िहीं और ि नकसी मािवयोजिा िे इसकी आधार-नशला रखी, अनपतु यह वही सच्ा प्रभात उदय हो गया है नजसकी पनवत्र लेखों में पहले से सूचिा दी गई थी। ख़ुदा िे नितानत आवशयकता के समय तुमहें याद नकया। निकट था नक तुम नकसी नविाशकारी गढे में नगर पड़ते, परनतु उसके सहािुभूनतपूण्व हाथ िे शीघ्रता के साथ तुमहें उठा नलया। अत: कृतज्ञता प्रकट करो तथा खुशी से कूदो नक आज तुमहारी ताज़गी का नदि आ गया। ख़ुदा तआला अपिे धम्व-उद्ाि को नजसकी सदातमाओं के रतिों से नसंचाई हुई थी कभी वयथ्व करिा िहीं चाहता वह कदानप यह िहीं चाहता नक अनय जानतयों के धमदों की भांनत इसलाम भी एक प्राचीि कथाओं का भणडार हो, नजसमें नवद्माि बरकत कु् भी हो वह अंधकार के पूण्व आनधपतय के समय अपिी ओर से प्रकाश पहुूँचाता है। कया अंधकारमय रात के पश्ात् िए चनद्रमा के उदय होिे की प्रतीक्ा िहीं होती, कया तुम अमावस की रात को जो अंधकार की अज्नतम रात है को देखकर िहीं कहते नक कल िया चनद्रमा निकलिे वाला है। खेद नक तुम इस संसार के बाह्य प्रकृनत के नियम को तो भली प्रकार समझते हो, परनतु उस आधयाज्तमक प्रकृनत के नियम से जो उसी का समरूप है पूण्वतया अिनभज्ञ हो।

    * प्रसतुत शे'रों का अिुवाद, अिुवादक की ओर से है। (प्रकाशक)

  • 6इज़ाला औहाम

    हे सवाथथी मौलनवयो! और िीरस धमा्वतमाओ! तुम पर खेद नक तुम आकाशीय द्ारों का खुलिा चाहते ही िहीं अनपतु चाहते हो नक सदैव बनद ही रहें और तुम पेशवा बिे रहो। अपिे हृदयों में झांको तथा अपिे अनत:करण को टटोलो, कया तुमहारा जीवि सांसाररक मोह में नलप्त होिे से पनवत्र है, कया तुमहारे हृदयों पर वह ज़ंग (मोरचा) िहीं नजसके कारण तुम एक अंधकार में हो, कया तुम उि धानम्वक पंनडतों और यहदी परमपरावानदयों से कु् कम हो। जो हज़रत मसीह के समय में नदि-रात कामवासिाओं में नलप्त थे, नफर कया यह सतय िहीं नक तुम मसीह के सदृश (मसील) के नलए मसीह से समरूपता का कु् सामाि अपिे हाथ से प्रसतुत कर रहे हो तानक ख़ुदा तआला का समझािे का प्रयास तुम पर हर प्रकार से पूण्व हो। मैं सतय कहता हूँ नक एक काऩिर का मोनमि हो जािा तुमहारे ईमाि लािे से अनधक सरल है अनधकांश लोग पूरब और पज्श्म से आएंगे और इस िै’मत के थाल से भाग लेंगे, परनतु तुम इसी ज़ंग की ज्सथनत में ही मरोगे। काश तुम िे कु् सोचा होता।

    और समरूपता के नलए मसीह के पहले जीवि के चमतकार जो माँगे जाते हैं के बारे में अभी वण्वि कर चुका हूँ नक शरीर का जीनवत करिा कु् वसतु िहीं आधयाज्तमक (रूहािी) तौर पर जीनवत करिे के नलए यह नविीत (ख़ाकसार) आया है और उसका प्रकटि होगा, नसवाए इसके नक यनद मसीह के मूल कायदों को उि अनतररति कायदों से पृथक करके देखा जाए जो मात्र झूठ घड़िे के तौर पर या गलत समझिे के कारण घड़े गए हैं तो कोई चमतकार नदखाई िहीं देता, अनपतु मसीह के चमतकारों और भनवषयवानणयों पर नजतिे आरोप और सनदेह उतपन्न होते हैं मैं िहीं समझ सकता नक नकसी अनय िबी के नवलक्ण चमतकारों अथवा भनवषयवानणयों में कभी ऐसे सनदेह उतपन्न हुए हों। कया तिालाि ्का वृत्ता्ति मसीही चमत्कारों ्की प्रनतिष्ा ्को ्कम नहीं ्करतिा ? और भनवषयवानणयों की ज्सथनत इस से भी अनधक असत-वयसत है। कया ये भी कु् भनवषयवानणयां हैं नक भूकमप आएंगे, संक्ामक रोग आएगा, लड़ाइयां होंगी, दुनभ्वक् पड़ेंगे तथा इससे अनधक खेदजिक बात यह है नक हज़रत मसीह की नजतिी भनवषयवानणयाँ ग़लत निकलीं उतिी सही िहीं निकल

  • 7 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    सकीं। उनहोंिे यहदा इज्सक्यूती को सवग्व के बारह तख़तों में से एक तख़ता नदया था नजससे अनतत: वह वंनचत रह गया तथा पतरस को ि केवल तख़त अनपतु आकाश की कुंनजयां भी दे दी थीं तथा सवग्व के द्ार नकसी पर बनद होिे या खुलिे उसी के अनधकार में रखे थे, परनतु पतरस नजस अज्नतम वाकय के साथ हज़रत मसीह से नबदा हुआ वह यह था नक उसिे मसीह के समक् मसीह पर लाित भेजकर तथा शपथ खाकर कहा नक मैं इस वयज्ति को िहीं जािता। ऐसी ही और भी बहुत सी भनवषयवानणयां हैं जो सही िहीं निकलीं, परनतु यह बात आरोप-योगय िहीं कयोंनक कश़िी बातों में समझिे में गलती िनबयों से भी हो जाती है। हज़रत मूसा की कु् भनवषयवानणयां भी इस रूंग में प्रकट िहीं हुईं नजस रूंग में हज़रत मूसा िे अपिे हृदय में आशा बांध रखी थी। कहिे का तातपय्व यह है नक हज़रत मसीह की भनवषयवानणयां अनय िनबयों की भनवषयवानणयों से अनधक ग़लत निकलीं, परनतु यह ग़लती इलहाम में िहीं अनपतु समझ और नववेचिा की ग़लती है। चूँनक मिुषय थे मिुषय का राय ग़लत और सही दोिों की ओर जा सकती है इसनलए नववेचिा के तौर पर ये ग़लनतयां हो गईं।

    यहाँ सवा्वनधक आश्य्व यह है नक हज़रत मसीह चमतकार नदखािे से सपष्ट इनकार करके कहते हैं नक मैं कदानप कोई चमतकार नदखा िहीं सकता। परनतु नफर भी जि सामानय उिकी ओर चमतकारों का एक भंडार समबद्ध कर रहे हैं, िहीं देखते नक वह तो सपष्ट तौर पर इनकार नकए जा रहे हैं। अत: हीरोनदस के सामिे जब हज़रत मसीह प्रसतुत नकए गए तो हीरोनदस मसीह को देखकर अनत प्रसन्न हुआ कयोंनक उसे उसका कोई चमतकार देखिे की आशा थी, परनतु इस बारे में हीरोनदस िे यद्नप नक बहुत नविती की, परनतु उसिे कु् उत्तर ि नदया, तब हीरोनदस अपिे समसत सानथयों सनहत उससे श्रद्धानवहीि हो गया और उसे तुच् ठहराया। देखे ‘लूका’ बाब : 22

    अत: नवचार करिा चानहए नक यनद हज़रत मसीह में अनधकृत तौर पर जैसा नक ईसाइयों का नवचार है चमतकार-प्रदश्वि की शज्ति होती तो हज़रत मसीह हीरोनदस

  • 8इज़ाला औहाम

    को जो एक श्रद्धालु पुरुष और उि के देश का राजा था कोई चमतकार नदखाते, परनतु वह कु् भी ि नदखा सके अनपतु एक बार धानम्वक पंनडतों और यहदी परमपरावानदयों िे नजिका कैसर की सरकार में बड़ा सममाि था, हज़रत मसीह से चमतकार मांगा तो हज़रत मसीह िे उनहें समबोनधत करके उत्तेजिा एवं क्ोधपूव्वक शबदों में कहा नक - इस युग के दुष्ट और हरामकार लोग निशाि ढूूँढते हैं * परनतु यूिुस िबी के

    * हानशया - यहां हज़रत मसीह की सभयता और उिकी िैनतक ज्सथनत पर एक बड़ा आरोप आता है कयोंनक मती, बाब - 23, आयत - 3 में वह ़िरमाते हैं नक धानम्वक पंनडत और यहदी परमपरावादी मूसा की गद्ी पर बैठे हुए हैं अथा्वत् बड़े बुज़ुग्व हैं और उनहें यह भी मालूम था नक वे लोग यहनदयों के पेशवा कहलाते थे और कैसर के दरबार में बड़े सममािपूव्वक नवशेष रईसों में बैठाए जाते थे नफर इि समसत बातों के बावजूद उनहीं धानम्वक पंनडतों और यहदी परमपरावानदयों को समबो-नधत करते हुए नितानत असभय शबदों का प्रयोग नकया अनपतु आश्य्व तो यह है नक उि यहनदयों के प्रनतज्ठित बुज़ुगदों िे नितानत िम्र और नशष्टतापूण्व शबदों द्ारा सव्वथा नविम्रतापूव्वक हज़रत मसीह की सेवा में यों नविती की नक हे उसताद! हम तुम से एक निशाि देखिा चाहते हैं। इसके उत्तर में हज़रत मसीह िे उनहें समबोनधत करते हुए ये शबद प्रयोग नकए नक - इस युग के दुष्ट और हरामकार लोग निशाि ढूूँढते हैं... और इतिे को ही पया्वप्त िहीं समझा अनपतु वह उि प्रनतज्ठित बुज़ुगदों को सदैव बुरे शबदों में याद करते रहे। कभी उनहें कहा ‘‘हे सांपो हे सांपों के बच्ो’’ देखो मती बाब-23, आयत-13 कभी उनहें कहा - ‘‘अंधे’’ देखो मती बाब-15, आयत-14, कभी उनहें कहा ‘‘हे पाखंनडयो’’ देखो मती, बाब-23, आयत-13, कभी नितानत अश्ील शबदों में यह कहा नक - ‘‘वैशयाएं तुम से पहले ख़ुदा की बादशाहत में प्रवेश करती है’’ तथा कभी उिका िाम सुअर और कुत्ता रखा। देखो मती, बाब-21, आयत-31 और कभी उनहें ‘‘मूख्व’’ कहा। देखो मती, बाब-23, आयत-17, कभी उनहें कहा नक ‘‘तुम िारकी हो’’। देखो मती बाब-13, आयत 16, जबनक सवयं ही सनहषणुणा और नशष्टता की िसीहत देते हैं अनपतु ़िरमाते हैं नक जो कोई अपिे भाई

  • 9 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    शेष हानशया

    निशाि के अनतररति कोई निशाि उनहें िहीं नदखाया जाएगा। देखो ‘मती’ बाब - 12, आयत - 39 । और हज़रत मसीह िे यूिुस िबी के निशाि की ओर जो संकेत नकया तो इस से हज़रत मसीह का तातपय्व यह था नक यूिुस िबी म्ली के पेट में िहीं मरा अनपतु जीनवत रहा और जीनवत निकल आया, इसी प्रकार मैं भी सलीब पर िहीं मरूूँगा और ि कब् में मुदा्व होकर प्रवेश करूूँगा।

    हम और हमारे आलोच्ककु् सज्िों िे आलोचिा के तौर पर इस ख़ाकसार के दोष निकाले हैं और

    यद्नप मिुषय दोष से ख़ाली िहीं तथा हज़रत मसीह का यह कहिा सतय है नक मैं ने्क नहीं हूँ, ने्क ए्क ही है अथादूत ख़ुदा। परनतु चूँनक ऐसी आलोचिाएं धानम्वक कायदों पर दुषप्रभाव डालती हैं और सतयानभलानषयों को लौटिे से रोकती हैं इसनलए कु् आलोचिाओं का संनक्प्त रूप में उत्तर नदया जाता है।

    प्रथम आलोचना -इस ख़ाकसार के बारे में यह की गई है नक अपिी पुसतकों में नवरोनधयों के बारे

    में कठोर शबद प्रयोग नकए गए हैं, नजि से उत्तेनजत होकर नवरोनधयों िे अल्ाह तआला और उसके रसूले करीम का अिादर नकया और अपयशपूण्व पुसतकें प्रकानशत कर दीं। पनवत्र क़ुआ्वि में सपष्ट आदेश है नक नवरोनधयों के उपासयों को गाली-गलौज से याद ि करो तानक वे भी अज्ञािता और द्ेष से ख़ुदा तआला के बारे में गाली-गलौज और अपशबदों द्ारा मुख ि खोलें, परनतु यहाँ रसूलों के आचरण के नवपरीत अपशबदों से काम नलया गया।

    को मूख्व कहे िका्वज्गि का पात्र होगा। इस आरोप का उत्तर उि अनभयोगों के उत्तर में नदया जाएगा जो सभयता के बारे में कु् कुशाग्र बुनद्ध लोगों में इस खाकसार के बारे में नकए हैं। इसी से।

  • 10इज़ाला औहाम

    उत्तर - अत: सपष्ट हो नक इस आलोचिा में आरोपक िे वे शबद वण्वि िहीं नकए जो इस ख़ाकसार िे उिके नवचार में अपिी पुसतकों में प्रयोग नकए हैं और वासतव में अपशबदों में नगिे जाते हैं। मैं सच-सच कहता हूँ नक जहाँ तक मुझे ज्ञात है मैंिे एक शबद भी ऐसा प्रयोग िहीं नकया नजसे गानलयाँ देिा कहा जाए। बड़े धोखे की बात यह है नक अनधकांश लोग गानलयाँ देिे और वसतु ज्सथनत के वण्वि को एक ही रूप में समझ लेते हैं तथा इि दोिों अलग-अलग आशयों में अनतर करिा िहीं जािते, अनपतु ऐसी प्रतयेक बात को जो वासतव में एक सतय बात की अनभवयज्ति हो और यथा सथाि चररताथ्व हो केवल उसकी कु् कड़वाहट के कारण जो सतयवानदता के नलए अनिवाय्व हुआ करती है गानलयाँ समझ लेते हैं, हालाँनक गानलयाँ और अपशबद मात्र उस आशय का िाम है जो घटिा के नवपरीत और झूठ के तौर पर मात्र कष्ट देिे के नलए प्रयोग नकया जाए और यनद प्रतयेक कठोर और कष्टदायक भाषण को मात्र उसकी कटुता, कड़वाहट और कष्टदायक होिे के कारण गानलयों के आशय में सज्ममनलत कर सकते हैं तो नफर इकरार करिा पड़ेगा नक समपूण्व पनवत्र क़ुआ्वि गानलयों से भरा है कयोंनक मूनत्वयों का जो कु् अिादर और मूनत्वपूजकों का नतरसकार और उिके बारे में नधककार और भतस्विापूण्व कठोर शबद पनवत्र क़ुआ्वि में प्रयोग नकए गए हैं, ये कदानप ऐसे िहीं हैं नजि के सुििे से मूनत्वपूजकों के हृदय प्रसन्न हुए हों अनपतु नि:सनदेह उि शबदों िे उिकी क्ोध-ज्सथनत को बहुत उत्तेनजत नकया होगा। कया ख़ुदा तआला का मकका के काऩिरों को समबोनधत करके यह कहिा

    ِانَُّکْم َوَما تَْعُبُدْوَن ِمْن دُْوِن الِل َحَصُب َجَھّنَم*आपनत्तकता्व के मिघडूंत नियमािुसार गाली में शानमल िहीं है कया ख़ुदा

    तआला का पनवत्र क़ुआ्वि में काऩिरों को ‘शरु्रलबररययह’ ठहरािा और समसत िीच और अपनवत्र सृज्ष्टयों (मख़लूक) से अनधक निकृष्ट वयति करिा ये आपनत्तकता्व के नवचार की दृ्ज्ष्ट से गानलयों में सज्ममनलत िहीं होगा? कया ख़ुदा तआला िे पनवत्र

    * अल अंनबया, आयत ि.ं 99 रुकू-7

  • 11 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    क़ुआ्वि में

    َواْغلُْظ َعلَْیِھْ *िहीं ़िरमाया, कया मोनमिों के लक्णों में

    اِر** ُکّفَْاُء َعَل ال اَِشّدَ

    िहीं रखा गया। कया हज़रत मसीह का यहनदयों के धानम्वक पंनडतों और परमपरावानदयों को सुअर और कुत्ते के िाम से पुकारिा और गलील के महाि शासक हीरोनदस का िाम लोमड़ी रखिा तथा आदरणीय यहदी जादूगरों और धानम्वक पंनडतों का उदाहरण वैशया से देिा और यहनदयों के बुज़ुग्व पेशवाओं को जो कैसर की सरकार में उच् श्रेणी के प्रनतज्ठित और कैसर के दरबाररयों में कुसथी धारक थे, इि धृणासपद, नितानत कष्टदायक और अनशष्ट शबदों से याद करिा नक तुम हरामज़ादे हो, हरामकार (दुराचारी) हो उद्णड हो, कमीिे हो, बेईमाि हो, मूख्व हो, पाखंडी हो, शैताि हो, िारकी हो, तुम सांप हो, सांपों के बच्े हो। कया ये शबद आपनत्तकता्व के नवचारािुसार अश्ील और गनदी गानलयां िहीं हैं। इस से सपष्ट है नक आपनत्तकता्व की आपनत्त ि केवल मुझ पर और मेरी पुसतकों पर अनपतु वासतव में आपनत्तकता्व िे ख़ुदा तआला की समसत नकताबों पर और समसत रसूलों पर नितानत जले-सड़े हृदय के साथ प्रहार नकया है और यह प्रहार इूंजील पर सवा्वनधक है, कयोंनक हज़रत मसीह की कठोर भाषा समसत िनबयों से बढी हुई है तथा इूंजील से नसद्ध है नक वण्वि की उस कठोरता के कारण कई बार यहनदयों िे हज़रत मसीह को मारिे के नलए पतथर उठाए और सरदार जादूगर का अपमाि करिे से हज़रत मसीह िे अपिे मुँह पर थपपड़ भी खाए और जैसा नक हज़रत मसीह िे ़िरमाया था नक मैं सुलह करािे िहीं आया अनपतु तलवार चलािे आया हूँ। अत: उनहोंिे मुख की तलवार ऐसी चलाई नक नकसी िबी के कलाम (वाणी) में ऐसे कठोर और

    * अत्तौबा आयत िं 73, रुकू-10** अल़ितह आयत िं. 30, रुकू-4

  • 12इज़ाला औहाम

    कष्टदायक शबद िहीं जैसे इूंजील में हैं। उस जीभ की तलवार चलिे से अनतत: मसीह को कया कु् कष्ट उठािे पड़े। इसी प्रकार हज़रत यह्या िे भी यहनदयों के धानम्वक पंनडतों और बुज़ुगदों को ‘सांपों के बच्े’ कह कर उिकी उद्णडताओं और मककाररयों से अपिा सर कटवाया, परनतु प्रशि तो यह है नक कया ये पुिीत लोग अधम सतर के असभय थे, कया वत्वमाि युग की आधुनिक सभयता की उि तक गनध भी िहीं पहुूँची थी? इस प्रशि का उत्तर हमारे सवामी और पेशवा ‘नजि पर मेरे माता-नपता बनलहारी जाएँ’ हज़रत ख़ातमुन्ननबययीि पहले से दे चुके हैं और वह यह है नक जब ये आयतें उतरीं नक मुनश्रक (अिेकेश्रवादी) अपनवत्र हैं, गनदे हैं, सृज्ष्ट में सवा्वनधक निकृष्ट हैं, मूख्व हैं और शैताि की सनताि हैं, उिके उपासय अज्गि और िक्क का ईंधि हैं तो अबू तानलब िे आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म को बुलाकर कहा नक हे मेरे भतीजे! अब तेरे अपशबदों से जानत अतयनत उत्तेनजत हो गई है और निकट है नक तेरा वध करें और साथ ही मुझे भी। तूिे उिके मिीनषयों को मूख्व ठहराया और उि के बुज़ुगदों को सृज्ष्ट में सबसे अधम कहा और उि आदरणीय उपासयों का िाम िक्क और अज्गि का ईंधि रखा और सामानयतया उि सब को अपनवत्र, शैताि की सनताि और गनदा ठहराया। मैं तेरे नहत की दृज्ष्ट से कहता हूँ नक अपिी जीभ को रोक और अपशबदों से पृथक हो जा अनयथा मैं जानत के लोगों का मुकाबला करिे की शज्ति िहीं रखता। आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म िे उत्तर में कहा नक हे चाचा! यह अपशबद िहीं हैं अनपतु सतय की अनभवयज्ति है और वसतुज्सथनत का यथा सथाि वण्वि है और यही तो काय्व है नजसके नलए मुझे भेजा गया है। यनद इस से मुझे मृतयु का सामिा करिा है तो मैं अपिे नलए प्रसन्नतापूव्वक इस मृतयु को सवीकार करता हूँ। मेरा जीवि इसी माग्व में समनप्वत है मैं मृतयु के भय से सतय को अनभवयति करिे से रुक िहीं सकता और हे चाचा! यनद तुझे अपिी कमज़ोरी और अपिे कष्ट का नवचार है तो तू मुझे शरण में रखिे से पृथक हो जा। ख़ुदा की सौगनध मुझे तेरी कु् भी आवशयकता िहीं, मैं ख़ुदाई आदेश पहुूँचािे से कभी िहीं रुकूूँगा, मुझे अपिे सवामी (ख़ुदा) के आदेश प्राण से

  • 13 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    अनधक नप्रय हैं। ख़ुदा की सौगनध यनद मैं इस काय्व में मारा जाऊूँ तो चाहता हूँ नक नफर बार-बार जीनवत होकर सदैव इसी माग्व में मरता रहूँ। यह भय का सथाि िहीं अनपतु मुझे इसमें असीम आिनद है नक उसके माग्व में कष्ट उठाऊूँ। आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म यह भाषण दे रहे थे चेहरे पर सच्ाई और प्रकाश से भरपूर आद्र्वता प्रकट हो रही थी और जब आप(स) यह भाषण समाप्त कर चुके तो सतय का प्रकाश देखकर अबू तानलब के सवयं आंसू जारी हो गए और कहा नक मैं तेरे इस उच् सथाि से अज्ञाि था तू और ही रूप में तथा और ही शाि में है, जा अपिे काम में लगा रह, जब तक मैं जीनवत हूँ जहाँ तक मेरी शज्ति है मैं तेरा साथ दूँगा। अब कहिे का तातपय्व* यह है नक आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म िे

    * हानशया ः- यह समपूण्व लेख अबू तानलब के वृत्तानत का यद्नप पुसतकों में नलनखत है परनतु यह कुल इबारत इलहामी है जो ख़ुदा तआला िे इस ख़ाकसार के हृदय पर उतारी। केवल कोई-कोई वाकय वयाखया के नलए इस ख़ाकसार की ओर से है। इस इलहामी (ईशवाणी) इबारत से अबू तानलब की सहािुभूनत और हमददथी प्रकट है परनतु पूण्व नवश्ास के साथ यह बात नसद्ध है नक यह हमददथी पी्े से िुबुववत के प्रकाश और दृढता के लक्ण देख कर उतपन्न हुई थी। हमारे सरदार एवं पेशवा स.अ.व. िे एक अपिी आयु का एक बड़ा भाग जो चालीस वष्व है, नववशता, नवकलता और अिाथ होिे की ज्सथनत में वयतीत नकया था। नकसी सवजि या पररजि िे उस एकानत रहिे के समय में कोई सवजि या पररजि होिे का कत्त्ववय अदा िहीं नकया था यहाँ तक नक वह आधयाज्तमक बादशाह अपिी अलपायु की अवसथा में अिाथ बच्ों की भाँनत कु् जंगल-निवासी और खािाबदोश ज्सत्रयों के सुपुद्व नकया गया और नववशता और दररद्रता की ज्सथनत में उस समसत सृज्ष्ट के सरदार िे दूध पीिे के नदि पूरे नकए और जब कु् समझदारी की आयु को पहुूँचा तो अिाथ और असहाय बच्ों की भाँनत नजिका संसार में कोई भी िहीं होता उि ख़ािाबदोशों िे उस सेवकों के सेवय को बकररयाँ चरािे की सेवा सुपुद्व की तथा उि तंगी के नदिों में तुच् प्रकार के अिाज अथवा बकररयों के दूध के अनतररति अनय कोई आहार ि

  • 14इज़ाला औहाम

    अबूतानलब के आरोप का सवयं अपिी मुबारक जीभ से जो कु् उत्तर नदया वही उत्तर वासतव में प्रतयेक आपनत्तकता्व को निरुत्तर करिे के नलए पया्वप्त और बहुत है,

    था। जब युवावसथा की आयु को पहुूँचा तो आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म के नववाह के नलए नकसी चाचा इतयानद िे आँहज़रत के नितानत सुनदर होिे के बावजूद कु् धयाि ि नदया अनपतु पच्ीस वष्व की आयु होिे पर संयोगवश मात्र ख़ुदा की कृपा से मकका की एक मालदार सत्री िे आँहज़रत (स.अ.व.) को अपिे नलए पसनद करके आप से नववाह कर नलया। यह नितानत आश्य्व का सथाि है नक नजस ज्सथनत में आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म के सगे चाचा अबू तानलब और हमज़ा तथा अबबास जैसे मौजूद थे और नवशेषकर अबू तानलब जो मकका के सरदार तथा अपिी जानत के सरदार भी थे तथा सांसाररक वैभव, प्रनतठिा, धि-दौलत और शज्ति बहुत कु् रखते थे, परनतु इि लोगों की ऐसी समृद्ध ज्सथनत के बावजूद आँहज़रत सल्ल्ाहु अलनह व सल्म के वे नदि बड़े संकट, भूखे पेट और लाचारी में गुज़रे, यहाँ तक नक बद्ुओं की बकररयाँ चरािे तक िौबत पहुूँची। इस कष्टदायक ज्सथनत को देखकर नकसी की आँख से आँसू िहीं नगरे और आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म की जवािी तक नकसी चाचा को धयाि तक िहीं आया नक हम भी तो नपता के ही समाि हैं। नववाह इतयानद आवशयक बातों के नलए कु् सोच-नवचार करें। हालांनक उिके घर में और उिके अनय पररजिों में ही लड़नकयां थीं। अत: सवाभानवक तौर पर यहां यह प्रशि उठता है नक इतिी उदासीिता उि लोगों से कयों प्रकट हुईं। इसका वासतनवक उत्तर यही है नक इि लोगों िे हमारे सवामी और सरदार स.अ.व. को देखा नक एक लड़का अिाथ है, नजसका ि नपता है ि माता है, असहाय है, नजसके पास नकसी प्रकार का समूह िहीं, बेघर है, खाली हाथ है, ऐसे संकटग्रसत की हमददथी से लाभ ही कया है नफर उसे अपिा दामाद बिािा तो जैसे अपिी लड़की को नविाश में ढकेलिा है, परनतु इस बात का ज्ञाि िहीं था नक वह एक राजकुमार और आधयाज्तमक बादशाहों का सरदार है नजसे संसार के समसत ख़ज़ािों की कुंनजयां दी जाएंगी। इसी से

    शेष हानशया

  • 15 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    कयोंनक गाली-गलौज और वसतु है तथा वासतनवकता का वण्वि यद्नप वह कैसा ही कड़वा और कठोर हो दूसरी वसतु है। प्रतयेक अनवेषक और सतयवादी का यह कत्ववय होता है नक सतय बात को पूण्वतया भूले भटके नवरोधी के कािों तक पहुूँचा दे। नफर यनद वह सतय को सुिकर क्ोनधत हो तो हुआ करे। हमारे नवद्ाि जो यहाँ ला तसुबबू )َل تَُسّبُْوا( की आयत प्रसतुत करते हैं (अथा्वत् गाली मत दो) मैं आश्य्व करता हूँ नक इस आयत को हमारे आशय और उद्ेशय से कया संबंध है। इस आयत में तो केवल गाली-गलौज से मिा नकया गया है, ि यह नक सतय की अनभवयज्ति से रोका गया हो। यनद अज्ञाि नवरोधी सतय की कटुता और कड़वाहट को देखकर उसे गाली-गलौज का रूप समझ ले और नफर उत्तेनजत होकर गानलयाँ देिा आरूंभ कर दे तो कया इस से िेक बातों का आदेश देिे का द्वार बनद कर देिा चानहए, कया इस प्रकार की गानलयां काऩिरों िे पहले कभी िहीं दीं। आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म िे सतय के समथ्वि के नलए केवल कठोर शबदों का ही प्रयोग िहीं नकया अनपतु मूनत्व पूजकों की उि मूनत्वयों को जो उिकी दृज्ष्ट में ख़ुदाई का पद रखती थीं अपिे हाथ से तोड़ा भी है। इसलाम िे चापलूसी को कब उनचत समझा है और ऐसा आदेश पनवत्र क़ुआ्वि के नलए सथाि में मौजूद है, अनपतु अल्ाह तआला चाटुकाररता के निषेध में सपष्ट ़िरमाता है नक - जो लोग अपिे मां-बापों के साथ भी उिकी क़ुफ्र की अवसथा में चाटुकाररता का वयवहार करें, वे भी उि जैसे ही बे ईमाि हैं तथा मकका के काऩिरों की ओर से वण्वि करता है नक -

    )अलकलम आयत 10) َوّدُْوا لَْو تُْدِہُن فَُیْدِہُنْوَنअथा्वत् मकका के काऩिर इस बात को नप्रय समझते हैं नक यनद तू सतय पर पदा्व

    डालिे के नलए िमथी धारण करे तो वे भी तो धम्व में हां में हां नमला नदया करें परनतु इस प्रकार हां में हां नमलािा ख़ुदा तआला को सवीकार िहीं। अत: क़ुआ्वि की आयत नजसे आपनत्तकता्व िे प्रसतुत नकया है यनद वह नकसी बात को नसद्ध करती है तो केवल यह बात नक आपनत्तकता्व को ख़ुदा का कलाम समझिे की तनिक बुनद्ध िहीं। िहीं नवचार करता नक यनद यह आयत प्रतयेक प्रकार की कठोर भाषा से संबंनधत

  • 16इज़ाला औहाम

    समझी जाए तो उनचत बातों का आदेश और बेहदा बातों से रोकिे का द्ार बनद हो जािा चानहए एवं ऐसी पररज्सथनत में ख़ुदा तआला का कलाम दो नवपरीत बातों को एकत्र करिे वाला सवीकार करिा होगा अथा्वत् यह माििा पड़ेगा नक प्रथम तो उसिे प्रतयेक प्रकार की कठोर भाषा से मिा नकया और प्रतयेक सथाि में काऩिरों को प्रसन्न रखिे के नलए आग्रह नकया और नफर सवयं ही अपिे कथि के नवपरीत काय्ववाही आरूंभ कर दी तथा इनकार करिे वालों को हर प्रकार की गानलयाँ सुिाईं अनपतु गानलयां देिे के नलए आग्रह नकया। अत: जाििा चानहए नक नजि मौलनवयों िे ऐसा नवचार नकया है नक जैसे सामानयतया प्रतयेक कठोर भाषा से ख़ुदा तआला मिा करता है, यह उि की अपिी समझ का दोष है अनयथा वे कटु शबद जो सतय को वयति करिे के नलए आवशयक हैं और अपिे साथ अपिा प्रमाण रखते हैं उनहें प्रतयेक नवरोधी को सपष्ट तौर पर सुिा देिा ि केवल वैध अनपतु समय की आवशयकताओं में से है तानक चाटुकाररता की नवपनत्त में ग्रनसत ि हो जाएं। ख़ुदा तआला के भेजे हुए महाि लोग ऐसे कठोर प्रचार के समय नकसी नधककारिे वाले की नधककार और नकसी भतस्विा करिे वाले की भतस्विा से कदानप भयभीत िहीं हुए। कया ज्ञात िहीं नक आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म के समय में मुनश्रकों का द्ेष नजतिा बढ गया था उसका मुखय कारण वे कठोर शबद ही थे जो उि मूखदों िे गानलयों के रूप में समझ नलए थे, नजसके कारण अनतत: िौबत जीभ से तीर तक पहुूँची अनयथा प्राथनमक अवसथा में तो वे लोग ऐसे ि थे अनपतु पूण्व श्रद्धा से आँहज़रत सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म के बारे में कहा करते थे नक

    د َعٰل َربّہ َعِشَق ُمَحّمَ

    अथा्वत् मुहममद सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म अपिे रबब पर मोनहत हो गए हैं नजस प्रकार आजकल के नहनदू लोग भी नकसी एकानतवासी नभक्ु को कदानप बुरा िहीं कहते अनपतु उपहार और भेटें देते हैं।

    यहाँ मुझे नितानत खेद और दुखी हृदय के साथ इस बात को भी प्रकट करिे की आवशयकता हुई है नक जो ऐतराज़ मुझ पर नकया गया है यह केवल जिसाधारण

  • 17 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    की ओर से ही िहीं अनपतु मैंिे सुिा है नक इस ऐतराज़ के मूल स्ोत कु् नवद्ाि भी हैं। अत: मैं उिकी शाि के बारे में यह तो िहीं सोच सकता नक वे पनवत्र क़ुआ्वि और पूव्वकालीि नकताबों से अिनभज्ञ हैं और ि नकसी प्रकार से बदगुमािी का सथाि है* परनतु मैं जािता हूँ नक यूरोप की आधुनिक झूठी सभयता िे जो ईमािी सवानभमाि

    * हानशया ः- पनवत्र क़ुआ्वि नजस उच् सवर में कठोर शबदों का प्रयोग कर रहा है उससे एक महामूख्व और नितानत श्रेणी का अज्ञाि भी अपररनचत िहीं रह सकता। उदाहरणतया आधुनिक युग के सभय लोगों के निकट नकसी पर लाित (फटकार) डालिा एक कठोर गाली है परनतु पनवत्र क़ुआ्वि काऩिरों को सुिा-सुिा कर उि पर लाित भेजता है, जैसा नक ़िरमाता है -

    َمَلِئَکِۃ َوالّنَاِس ِْٰٓئَک َعلَْیِھْ لَْعَنُۃ الِل َوال اُول

    یَن ِفیَھا۔ أَْجَمِعَی۔َخاِلِ

    (अलबकरह आयत िं. 162, 163)

    ِعُنوَن َعُنُھُ الّلََْعُنُھُ الّلُ َویَل

    ِْٰٓئَک یَل اُول

    (अलबकरह आयत िं. 160) इसी प्रकार सपष्ट है नक नकसी मिुषय को जािवर कहिा भी एक प्रकार की गाली है, परनतु पनवत्र क़ुआ्वि ि केवल जािवर अनपतु कानफरों और इनकार करिे वालों को संसार के समसत जािवरों से निकृष्ट ठहराता है। जैसा नक ़िरमाता है :-

    )अऩिाल आयत िं. 56) ۡواُ

    یَۡن َکَفر ِ ِ اذّلَِاّنَ َشّرَ اّلََوٓاّبِ ِعۡنَد الّلٰ

    इसी प्रकार सपष्ट है नक नकसी नवशेष वयज्ति का िाम लेकर या संकेत के तौर पर उसे लक्य बिा कर गाली देिा आधुनिक सभयता के नवरुद्ध है, परनतु ख़ुदा तआला िे पनवत्र क़ुआ्वि में कु् का िाम अबू लहब और कु् का िाम कुत्ता और सुअर कहा तथा अबूजहल तो सवयं प्रनसद्ध है। इसी प्रकार वलीद, मुग़ीरह के बारे में नितानत कठोर शबद जो प्रतयक्तया गनदी गानलयाँ प्रतीत होते हैं प्रयोग नकए हैं।

  • 18इज़ाला औहाम

    से बहुत दूर है हमारे नवद्ािों के हृदयों को भी एक सीमा तक प्रभानवत कर नलया है। इस भयंकर आंधी के कारण उिकी आँखों पर भी कु् पदा्व सा पड़ गया है और

    जैसा नक ़िरमाता है -

    ِبَی۔ َوّدُوا لَْو تُْدِہُن فَُیْدِہُنوَن ۔ َوَل تُِطْع ُمَکِذّْفََل تُِطِع ال

    َخْیِ ُمْعَتٍد ْاٍع لِّل ّنَ اٍء ِبَنِمیٍم ۔ ّمَ ّشَ اٍز ّمَ ِھٍی ۔َہّمَ ٍف ّمَ ُکّلَ َحّلَ

    أَِثیٍم۔ ُعُتٍلّ بَْعَد ذَٰلَِک َزِنیٍم۔

    ُخْرُطوِم۔ْ َسنَِسُمُہ َعَل ال

    (अलकलम, आयत िं. 9-14, 17) अथा्वत् तू उि झुठलािे वालों के कहिे पर ि चल जो हानद्वक तौर पर इस बात के अनभलाषी हैं नक हमारे उपासयों को बुरा मत कहो और हमारे धम्व की निनदा ि करो तो नफर हम भी तुमहारे धम्व के बारे में हा ंमें हा ंनमलात ेरहेंग।े उिकी वाचालता पर धयाि मत दो। यह वयज्ति जो चाटुकाररता का इच्ुक है, झठूी कसमें खािे वाला, कमज़ोर नवचार वाला, निल््वज वयज्ति है, दसूरों के दोष ढूूँढि ेवाला, अपिी वाचालता स ेलोगों में फूट डालिे वाला और िकेी के मागदों स े रोकिे वाला, दरुाचारी, इसके साथ ही अनशष्ट। इि समसत दोषों के अनतररति वयनभचार की सनताि भी है हम शीघ्र ही उसकी िाक पर जो सअुर की तरह बहुत लमबी हो गई है दाग़ लगा देंग।े लमबी िाक स ेअनभप्राय परमपराओं और माि-मया्वदा की पाबनदी है जो सतय को सवीकार करि ेस ेरोकती है (हे सव्व शज्तिमाि ख़ुदा हमारी कौम के कु् लमबी िाक वालों की िाक पर भी उसतरा रख) अब कयों हज़रत मौलवी सानहब कया आप के निकट इि कठोर शबदों स ेकोई गाली बाहर रह गई है। यहा ँएक नितानत उत्तम रहसय यह है नक वलीद मग़ुीरह ि ेिमथी धारण करके चाहा नक हम स ेिमथी का वयवहार नकया जाए। इसके उत्तर में उसके समसत पददे खोल ेगए। यह इस बात की ओर सकेंत है नक मोनमिों से चाटुकाररता की आशा मत रखो। इसी से

    शेष हानशया

  • 19 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    उिकी सवाभानवक कमज़ोरी इस को सवीकार कर गई है। इसी कारण वे ऐसे नवचारों पर बल देते हैं नजिका कोई तथय सही हदीस और क़ुआ्वि में िहीं पाया जाता, हां यूरोप की िैनतकता संबंधी पुसतकों में अवशय पाया जाता है और उि सदाचारों में यूरोप िे यहाँ तक उन्ननत की है नक एक जवाि सत्री द्ारा एक ऐसे वयज्ति की इच्ा पूनत्व ि करिा नजस से नववाह वैध है उनचत िहीं समझी गई, परनतु कया पनवत्र क़ुआ्वि यूरोप के इि नशष्टाचारों से सहमत है, कया वह ऐसे लोगों का िाम िहीं रखता। मैं ऐसे नवद्ािों को मात्र परमेश्र के नलए सतक्क करता हूँ नक वे ऐसी अालोचिाएं करिे और ऐसे नवचारों को हृदय में सथाि देिे से सतय और सतय देखिे से बहुत दूर जा पड़े हैं। यनद वे मुझ से लड़िे को तैयार हों तो अपिी िीरस तक्कशासत्र से जो चाहें कहें, परनतु यनद ख़ुदा तआला से डर कर कु् नवचार करें तो यह ऐसी बात िहीं है जो उिकी दृज्ष्ट से ्ुपी रह सके। सौभागयशाली मिुषय का कत्त्ववय है नक सतय के मागदों को हाथ से ि जािे दे अनपतु एक तुच् से तुच् वयज्ति के मुख पर सतय का वाकय जारी हुआ और सवयं से गलती हो जाए तो अपिी ग़लती का इकरार करके कृतज्ञता के साथ उस तुच् वयज्ति की बात को सवीकार कर ले और

    اَنا َخْیٌ ِمْنُہ

    (मैं उस से उत्तम हूँ) का दावा ि करे अनयथा अहूंकार की अवसथा में कभी सद माग्व प्राप्त िहीं होगा अनपतु ऐसे वयज्ति का ईमाि भी खतरे में ही नदखाई देता है।

    और कठोर शबदों के प्रयोग करिे में एक यह भी िीनत है नक सोए हुए हृदय इस से जागृत होते हैं तथा ऐसे लोगों के नलए जो चाटुकाररता को पसनद करते हैं एक प्रेरणा हो जाती है। उदाहरणतया नहनदू जानत एक ऐसी जानत है नक उिमें से अनधकांश लोग ऐसा सवभाव रखते हैं नक यनद उनहें अपिी ओर से ्ेड़ा ि जाए तो वे चाटुकाररता के तौर पर जीवि पय्वनत नमत्र बिकर धानम्वक मामलों में हां में हां नमलाते रहते हैं अनपतु कभी-कभी तो वे हमारे िबी करीम सल्ल्ाहु अलैनह व सल्म की प्रशंसा और गुणगाि तथा इस धम्व के बुज़ुगदों की प्रशंसा और सतुनत करिे लगते हैं, परनतु उिके हृदय नितानत काले और सतय से दूर होते हैं, उिके सामिे सतय को

  • 20इज़ाला औहाम

    उसकी पूण्व सख़ती और कड़वाहट के साथ प्रकट करिा इस प्रकार के शुभ पररणाम पर समाप्त होता है नक उसी समय उिकी चाटुकाररता समाप्त हो जाती है और सवर के साथ अथा्वत् सपष्टता और घोषणा के रूप में अपिे कुफ़्र और द्ेष को वण्वि करिा आरूंभ कर देते हैं जैसे उिका रोग ज्वर की ओर सथानतररत हो जाता है अत: यह प्रेरणा जो तनबयतों में अतयनत जोश पैदा कर देती है यद्नप एक अज्ञाि की दृज्ष्ट में अतयनत आरोप-योगय है परनतु एक मिीषी वयज्ति भली भांनत समझ सकता है नक यही प्रेरणा सतय का सामिा करिे के नलए प्रथम सीढी है, जब तक एक रोग के ततव गुप्त हैं तब तक उस रोग का कु् उपचार िहीं हो सकता, परनतु ततव के प्रकट होिे के समय प्रतयेक प्रकार का उपाय हो सकता है। िनबयों िे जो कठोर शबद प्रयोग नकए वासतव में उि का आशय प्रेरणा ही था तानक प्रजा में एक उत्तेजिा उतपन्न हो जाए और आसावधािी से इस ठोकर के साथ जागरूक हो जाएं तथा धम्व के बारे में सोच-नवचार करिे लगें और इस माग्व में गनतशील हों, यद्नप वह नवरोधातमक गनत ही सही और अपिे हृदयों का सदातमा लोगों के हृदयों के साथ एक संबंध पैदा कर लें यद्नप वह संबंध शत्रुता का ही कयों ि हो। इसी की ओर अल्ाह तआला संकेत ़िरमाता है :-

    )सूरह अलबकरह आयत िं. 11) ٌض فََزادَ ُہُم الل َمرًضا َِفْ قُلُْوِبِھْ َمر

    निश्य ही समझिा चानहए नक इसलाम धम्व को सच्े हृदय से एक नदि वही लोग सवीकार करेंगे जो अतयनत शज्तिशाली जागृत करिे वाली प्रेरणाओं के कारण धानम्वक पुसतकों के अधययि में लग गए हैं और जोश के साथ इस माग्व की ओर पग उठा रहे हैं, यद्नप वह पग नवरोधातमक ही सही। नहनदुओं का वह पहला ढूंग हमें बहुत निराश करिे वाला था जो अपिे हृदयों में वे लोग इस ढूंग को अनधक रुनचकर समझते थे नक मुसलमािों से कोई धानम्वक बातचीत िहीं करिा चानहए तथा हां में हां नमलाकर काम चला लेिा चानहए, परनतु अब वे मुकाबले पर आकर और मैदाि में खड़े होकर हमारे तेज़ हनथयारों के िीचे आ गए हैं और उस निकटतम नशकार की भांनत हो गए हैं नजसकी एक ही चोट से काम पूण्व हो सकता है उिकी

  • 21 भ्रान्तियों करा निरराकरण

    नहरण चौकनड़यों से डरिा िहीं चानहए, शत्रु िहीं हैं वे तो हमारे नशकार हैं। शीघ्र वह युग आिे वाला है नक तुम दृज्ष्ट उठाकर देखोगे नक कोई नहनदू नदखाई दे परनतु इि नशनक्त वग्व में से तुमहें एक नहनदू भी नदखाई िहीं देगा। अत: तुम उिके जोशों से घबराकर निराश ि हो, कयोंनक वे अनदर ही अनदर इसलाम सवीकार करिे के नलए तैयारी कर रहे हैं और इसलाम की ड्ोढी के निकट आ पहुूँचे हैं। मैं तुमहें सच-सच कहता हूँ नक जो लोग नवरोधातमक उत्तेजिा से आज तुमहें भरे हुए नदखाई देते हैं थोड़े ही समय पश्ात् तुम उनहें िहीं देखोगे। वत्वमाि में आयदों िे जो हम लोगों की प्रेरणा से शासत्राथ्व करिे की ओर अग्रसर हुए हैं तो यद्नप इसमें उिका नकतिा भी कठोर वयवहार हैं और यद्नप वे गानलयों और गनदी बातों से भरपूर पुसतकें प्रकानशत कर रहे हैं, परनतु वे अपिी उत्तेजिा द्ारा वासतव में इसलाम के नलए अपिी जानत की ओर जािे का माग्व प्रशसत कर रहे हैं तथा हमारी प्रेरणाओं का वासतव में कोई दुषपररणाम िहीं। हां ये प्रेरणाएं अदूरदनश्वयों की दृज्ष्ट में कुरूप हैं परनतु नकसी नदि देखिा नक ये प्रेरणाएं नकस प्रकार बड़े-बड़े पतथर नदल लोगों को इस ओर खींच लाती हैं। यह नवचार कोई कलपिातमक और सनदेहासपद िहीं अनपतु एक निज्श्त और वासतनवक बात है, परनतु खेद उि लोगों पर जो अच्ाई और बुराई में अनतर िहीं कर सकते और जलदबाज़ी के कारण ऐतराज़ करिे के नलए खड़े हो जाते हैं। ख़ुदा तआला िे हमें चाटुकाररता से तो सपष्ट तौर पर मिा नकया है परनतु सतय के अनभवयज्ति से उस सतय की कटुता और कठोरता के होते हुए कहीं आदेश िहीं नदया। अत: हे जलदबाज़ नवद्ािो! कया तुम क़ुआ्वि का अधययि िहीं करते? तुमहें कया हुआ है तुम कैसा निण्वय करते हो।

    मेरे एक निषकपट नमत्र मौलवी अबदुल करीम सानहब नसयालकोटी जो आधुनिक और प्रनशक्ण के रूंग में रूंगीि और कुशाग्र बुनद्ध रखिे वाले वयज्ति हैं नजिके हृदय पर मेरे सच्े प्रेमी नबरादरम मौलवी हकीम िूरुद्ीि सानहब की अनभभावक और नशक्क रूपी संगत का अनत उत्तम अनपतु असाधारण चमतकाररक प्रभाव पड़ा है वे भी जो अब कानदयाि में मुझ से भेंट करिे के उद्ेशय से आए वादा कर गए हैं नक

  • 22इज़ाला औहाम

    मैं भी वासतनवक सभयता के बारे में एक पनत्रका नलखकर प्रकानशत करूूँगा, कयोंनक मौलवी सानहब महोदय इस बात को भली-भांनत समझते हैं नक वासतव में सच्ी सभयता का माग्व वही माग्व है नजस का िनबयों िे अिुसरण नकया है नजसमें कठोर शबदों का कड़वी औषनध की तर