हिन्दी वेब पहरिका€¦ · मार्च - 2020 वर्च - 3 /...

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मार - 2020 वर - 3 / अंक - 3 मासिक पका हि वेब पहका हि लेखक डॉट कॉम की इकाई हि भाषा की लोकहय वेब-पका

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  • मार्च - 2020वर्च - 3 / अंक - 3 मासिक पत्रिका

    हिन्दी वबे पहरिका

    हिन्दी लखेक डॉट कॉम की इकाई

    हिन्दी भाषा की लोकहरिय वेब-पत्रिका

  • नमस्ार!

    हिन्दी और अनुभव पहरिका के प्रति प्रेम के लिए िाह द्िक अहभनं्न... आपके समक्ष प्रस्ुि ि ैअनुभव पहरिका का नवदीन मार्च 2020 िोिदी/त्ोिार तवशेषांक। आप सभदी का प्रेम व साथ िदी िमारदी पूंजदी ि।ै एक ्सूर ेका सियोग व साथ ्े कर िर मुश्किि का समाधान ननकािा जा सकिा ि,ै आज तवश्व मे िेजदी से फैि रि े"कोरोना वायरस" के िरफ ध्ान आकृष्ट करिे हुए आप सभदी जागरूक पाठकों और िेखकों से िमारा आग्रि ि ैनक ज्ा्ा से ज्ा्ा िोगों को जागरूक करें िानक िम इस वायरस से जल्दी से जल्दी छुटकारा पा सकें । कुछ असामाजजक ित्व िोगो को भयभदीि कर रि ेिैं जो सव्चथा गिि ि।ै

    ॐ सववे भवन्तु सतुखिनः सववे सन्तु ननरामयाः । सववे भद्ाणि पश्यन्तु मा कश्चिदतुःिभाग्भवेत् । ॐ शानन्ः शानन्ः शानन्ः ॥

    संपा्क एवं प्रकाशक - नवि नकशोर ”अनुभव“ पहरिका hindilekhak.com की एक इकाई ि।ै

    पहरिका का उदे्श्य नकसदी की भावना को ठेस पहुुँराना निीं, जाने - अनजाने में हुई गििदी के लिए क्षमा।पूवा्चनुमति के तबना पहरिका के नकसदी ररना का व्यवसाजयक अथवा नकसदी भदी रूप में प्रयोग निीं नकया जा सकिा।पहरिका बहूि सार ेिेखकों की ररनाओ ंका संकिन ि,ै िेखक अपनदी ररना के लिए स्ंय उिर्ायदी िैं और उनके अजधकार सुरलक्षि िैं।पहरिका में प्रयोग नकए गए िस्दीर ( पहरिका का कोई अजधकार निीं ) गूगि से लिए गए िैं... इनका उदे्श्य जसफ्च प्रिदीकात्मक ि।ैसवा्चजधकार सुरलक्षि © 2020 | hindilekhak.com

    सम्ादकीय

    अनतुभव वेब पिरिका

    पतुराने अंक वेब साइट पर उपलब्ध ि ै...

    twitter.com/lekhakhindiट्दीटर

    hindilekhak.com/anubhav/वेबसाइट :

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  • अनतुक्रमणिका अनतुभव मार्च 2020

    अनतुभव वेब पिरिका

    कत्वताहिर विदी अकेिापनप्रदीि की िोिदी मनाएुँिोिदी आईिोिदी : ्श्चनरगंों का त्ोिार िोिदीिुप्त िोिदी संस्ृतििोिदी मेंसिामि िोिदी का त्ोिार रिेप्रेम में पिझड़ रगं गुिाि िोिदीिोिदीिोिदीिोिदीिोिदीआयदी िोिदी हफर आयदी िोिदीिोिदी आयदी भई िोिदी आयदीिोिदी मना िोपौरि की अहभिाषाकुछ रगं ऐसा िोिोिदी त्ौिार बहुि िदी पावन ि ैयारिोिदी आयदीआओ िोिदी खेिेशिदी् की राधािोिदी का त्ोिारफागुन आयोिुम्ें कौन -सा रगं िगाऊं िोिदी अब औरि

    रत्ा पाडेंिाि ्ेवने्द्र कुमार श्दीवास्व

    नवदीन कुमार मेिरा िान्ा जसंि

    निून गग्चराज शमा्च आनदीसिदीश "बब्ा"

    डॉ. गोपाि प्रसा् 'नन्दोष'अशोक जसंि'अश्क़'

    नदीरज जसंिकुमार सं् दीपमनमदीि भाट

    अनजुदीि इकबािकरन हरिपाठदी "अतवरि"

    डॉ.तवभा रजनं "कनक"कोमि वमा्चपायि वमा्च

    केशव नकशोरतवनो् कुमार तमश्

    मृ् िुा जसन्ातवजय कुमार "साखदी"

    नदीरज त्ागदी्ेवानं् राय

    अनदीिा श्दीवास्वकुमार नकशन कीतिदि

    गो्ाबंरदी नगेदी प्रदीति शमा्च "असदीम"

    व्यग्र पाणे्िितवंद्र कुमार

    1214141515161616171717191919212121232323242424262727303333

    एक जशव राहिएिोिदी के रगंखुजशयों के रगं में सराबोर िोिदीरिो तमटा िेि ेि ैह्िो नक ्रूरयो कोफागुन आया िोिदी का मौसमिोिदीिोिदी आई रगं िाईपजथकरगं

    डॉ. मदीनि अग्रवाि डॉ. रश्मि नायरतवक्रम कुमार

    अजय शमा्चटदीकेश्वर जसन्ा "गब्दीवािा"

    तवनय कुमार करुणेस्ाति जसन्ा

    आशिुोषडा.अंज ुििा जसंि

    वन्ना पणुिाबंकेर

    56667799

    1012

    कत्वता

    किानदीकौन सा रगं अच्ा ि?ैमेर ेपति की अंत्ेहष्टिोिदी रगंों का त्ौिार िैधम्चपुर का धम्चनारायण

    ओमप्रकाश क्षहरिय प्रवदीण आज़ा्

    रदीमा तमश्ाशुभम हविवे्दी

    48

    1028

    आलेििोलिकोत्सव: कि और आजआधुननक भजति संसारिोिदी

    उतमदििा कुमारदीराजेंद्र प्रसा् जसंि

    गोपाि शरण शमा्च

    182225

    धारावाहिक उपन्ास

    एक जज़ं्ा आ्मदी डॉ. कतविा नन्न

    लघतु कथाआज की िोिदी बबदीिा कंसि 20

    संस्मरि

    टसेू के रगं, िोिदी के संग अननिा रश्मि 13

    गदीत

    फागुनदी गदीि राजेन्द्र तमश् 27

    दोिे

    अब के िोिदी ऐसदी नेमदीरन् मावरदी "ननमय" 9

    31

  • माचर् २०20 4

    कौन सा रगं अच्ा ि?ैकहानी :- ओमप्रकाश क्षहरिय

    कािू कौआ नाटक ्ेख रिा थाI िभदी नारिा हुआ मोर आयाI वि उसे बहुि अच्ा िगाI िभदी उस के मन में तवरार आया नक मोर के इिने सार ेरगं में से कौन सा रगं अच्ा िोिा ि?ै इस का पिा िगाया जाना राहिएIसभदी कौए को कािूकिौटा कि कर जरढ़ािे थेI इसलिए उसे अपना कािा रगं अच्ा निीं िगिा थाI यिदी बाि उस ने अपने पास बैठे हुए कबूिर से किदी, ‘‘ िुम्ें कौन सा रगं अच्ा िगिा ि?ै’’ ‘‘ कािू भाई! मुझे िो िुम्ारा कािा रगं अच्ा िगिा िIै िुम राि को नकसदी को ह्खाई निीं ्ेिे िो, इसलिए िुम्ारा कोई जशकार निीं करिा िIै’’ कबूिर बोिा, ‘‘ मेरा रगं मटमैिा िIै मैं जल्दी से ह्खाई ्े जािा हूंI इसलिए िर कोई मेरा जशकार कर िेिा िIै’’यि सुन कर कािू कौआ बोिा, ‘‘ निीं कबूिर भाई! मुझे मेरा कािा रगं अच्ा निीं िगिा िIै िुम बिाओ नक कौन सा रगं अच्ा िोिा ि?ै’’‘‘ मुझे िो िरा रगं अच्ा िगिा िIै रािो िो िुम यि बाि िररयि िोिे से पूछ सकिे िोI वि ह्न में पेड़ पर बैठा िो िब भदी नकसदी ्सूर ेको ह्खाई निीं ्ेिा िIै इसलिए ह्न में भदी कोई उस का जशकार निीं कर पािा िIै’’‘‘ अर ेवाि! िब िो मैं उसदी से जा कर पूछिा हूं, ’’ कििे हुए कािू कौआ विां से उड़ाI सदीधे िररयि के पास जा पहुंराI उस से भदी विीं सवाि नकया, ‘‘ िररयि भाई! िुम्ें कौन सा रगं सब से अच्ा िगिा ि?ै ’’िररयि िरा थाI इसलिए उसे स्यं का िरा रगं अच्ा निीं िगिा थाI वि बोिा, ‘‘ मुझे िो रगं तबरगंा रगं अच्ा िगिा िIै िरा रगं भदी कोई रगं िोिा िIै मैं िो िरदी फसि और िरा रगं ्ेख ्ेख कर थक गया हूंI मुझे िो मोर का रगं अच्ा िगिा िIै वि नकिना रगंतबरगंा िIै ’’िररयि की बािें सुन कर कािू कौआ मोर के पास पहुंरा, ‘‘ मोर भाई! िुम नकिने सुं्र िोI सभदी िुम्ारा नार ्ेख कर खुश िोिे िैंI जजिनदी खूबसूरिदी से नारिे िो उिनदी खूबसूरिदी से अपने पंख फैिािे िोI इसलिए िुम यि बिाओ नक िुम्ें सब से अच्ा रगं कौन सा िगिा ि?ै’’यि सुन कर मोर के आुँ ख में आुँ सू आ गएI वि अपने आुँ सू पौंछिे हुए बोिा, ‘‘ मैं बहुि सुं्र हूंI मुझ में सभदी रगं िIै मगर, मेर ेपैर को ्ेख िदीजजएI ये नकिने ब्सूरि िIै जब भदी नारिे हुए मेरदी नजर मेर ेपैर पर जािदी ि ैिो मुझे रोना आ जािा िIै कु्रि ने मुझे जजिना सुं्र बनाया ि ैउिने सुं्र पैर निीं बनाए िIै’’कािू कौआ मोर की यि बाि सुन कर िरैान रि गयाI वि मोर को सब से सुं्र पक्षदी मानिा थाI मगर, वि भदी ्खुदी िIै उस के पैर

    सुं्र निीं िIै िब उस ने मोर से पूछा, ‘‘ मोर भाई! यि बिाओ ंनक सब से सुं्र

    जानवर कौन सा ि?ै उस का रगं कैसा ि?ै’’‘‘ सब से सुं्र जानवर हिरण! ’’ मोर बोिा, ‘‘ वि कत्ाई रगं का िोिा िIै उस के सींग बहुि सुं्र िोिे िैंI वि जब कूिांरे मारिा ि ैिब बहुि सुं्र ह्खिा िIै’’ यि सुनिे िदी कािू कौआ खुिे घास के मै्ान में रर रि ेहिरण के पास जा पहुंराIकािू कौए ने उस से भदी यिदी सवाि नकयाI जजसे सुन कर हिरण बोिा, ‘‘ भाई कािू! िुम मेरदी सुं्रिा पर मि जाओI मैं सुं्र िोिा िो मेरा जशकार निीं िोिाI मुझे शेर, रदीिा आह् के साथ साथ इनसान भदी जशकार कर िेिा िIै इसलिए मुझे से सुं्र िो वि श्यामि व सफे् गाय िIै जो इनसानों के पास आराम से और सुरलक्षि रििदी िIै’’ कििे हुए हिरण ्खुदी िो गयाIयि सुनिे िदी कािू कौआ गाय के पास पहुंराI गाय ने कािू कौए का सवाि सुन कर जवाब ह्या, ‘‘ भाई कािू! मैं इिनदी खुबसूरि निीं हूंI जब िक मैं ्धू ्ेिदी हूं िब िक इनसान मुझे अपने पास रखिा िIै जब ्धू ्ेना बं् कर ्ेिदी हूं िब मुझे ्तु्ार कर भगा ्ेिा िIै इसलिए मैं खूबसूरि किां हूंI ‘‘ मुझ से खूबसूरि िो वि कुत्ा िIै जो आ्मदी की मिगंदी कार में बैठा ि,ै ’’ यि कििे िदी गाय के आुँ सू ननकि गएI वि अपने मालिक के स्ाथथीपन से परशेान थदीI उस के मालिक ने उसे िब िक बहुि अच्ा रखा जब िक वि ्धू ्े रिदी थदीI उस के बा् उसे डंडे मार कर भगा ह्याI यि सुन कािू कौए की आुँ ख में भदी आुँ सू आ गएI वि गाय को सब से खूबसूरि मान रिा थाI मगर, वि भदी ्खुदी थदीI उसे कोई भदी रगं अच्ा निीं िगिा थाI जब यि बाि कािू ने गाय से पूछदी िो गाय बोिदी, ‘‘ विदी रगं सब से अच्ा िोिा ि ैजजस के कारण जानवर इनसान में मित्व पािा िIै ‘‘ मेरदी मानो िो टौमदी कुत्े से जा कर पूछोI विदी सिदी बिा सकिा

  • माचर् २०20 5

    ि ैनक कौन सा रगं सब से अच्ा िोिा ि?ै’’ यि सुनिे िदी कािू कौआ उड़ कर टौमदी के पास पहुंर गयाI‘‘ टौमदी भाई! सुना ि ैिुम बड़े ठाटबांट से रििे िो? िुम्ें इस मिगंदी गाड़दी में घुमाया जािा िIै साथ िदी अच्ा अच्ा खाना और पदीना ह्या जािा िIै क्ा िुम बिा सकिे िो इस ्नुनया में कौन सा रगं सब से अच्ा िोिा ि?ै’’यि सुन कर टौमदी मुस्राया, ‘‘ कौए भाई! ्नुनया में जजिने भदी रगं ि ैसभदी खूबसूरि िIै इन्ें ्ेखने का नज़ररया अिग अिग िIै’’ टौमदी ्ाष्चननक अं्ाज़ में बोिाI वि आ्मदी के साथ रि कर उन की भाषा बोिने िगा थाIउस ने किा, ‘‘ कािू भाई! मेिनि का रगं सब से अच्ा िोिा िIै इसदी रगं की सब पूजा करिे िैंI यह् मैं राि भर जागजाग कर घर की रखवािदी न करंू िो मुझे भदी मेरा मालिक धके् ्े कर घर से बािर भगा े्ंI रूंनक मैं ह्न में मालिक के साथ घुमिा रििा हूंI‘‘ जब अवसर तमििा ि ैसो जािा हूंI हफर राि को जाग कर घर की रखवािदी करिा हूंI इसलिए मालिक मुझे आराम से रखिे िैंI

    वे मेर ेरगंरूप की वजि से निीं, गुणों की वजि से मुझे अचे् से रखिे िैंI इसलिए इस ्नुनया में मेिनि का रगं अच्ा िोिा िIैटौमदी ने किना जारदी रखा, ‘‘ वैसे रगं सभदी अचे् िIै कािे रगं को िोI यह् यि निीं िोिा िो राि राि निीं िोिदीI राि `कािदी िोिदी िIै उसदी वजि से िम सब आराम करिे िIै सभदी रगं के तमिने से सफे् रगं बनिा िIै यह् सािो रगं न िोिे िो उस के एक साथ तमिने से ह्न निीं बनिाI ’’यि सुनिे िदी कािू कौआ बोिा, ‘‘ सिदी कििे िो टौमदी भाई! सभदी रगं बहढ़या िोिे िैंI उन का अपना मित्व िIै बस ्ेखने का नजररया ब्िने की जरूरि िIै’’ कििे िदी कािू कौआ उड़ गयाIउसे अब अपने रगं से कोई जशकायि निीं थदीI वि समझ गया था नक ्नुनया में मेिनि का रगं सब से अच्ा िोिा िIै सभदी उसदी रगं की पूजा करिे िैंI इसलिए वि अपने को मेिनि के रगं में रगंने के लिए रि ह्याI

    ✦✦✦

    एक शिव चाहहए

    िुम थेिो जजन्गदी बहुि खूबसूरि थदीअब निीं िोिो िग रिदी िैरिे में रेंगिदी नकसदी नातगन सदीजजधर ्ेखूंजजसे ्ेखूंसब फुफकार रि ेिैंडसने को िैयार बैठे िैंयि ्नुनयाएक नागों की बस्दी िैयि मानव जाति नागों से ज्ा्ाजिरदीिदी िैनाग के डसने से शाय् कोईबर भदी जायेइनके फुफकारने भर से िदीमर जायेगाजदीने के सार े्रवाजेबं् िैंसपने खौफज्ा सेइन नागों के तबिों में िदी्फन िैंएक जदीवन की सांस को

    न नागमलण की राि िैन तवष के प्ािों कीउसे िो एक जशव राहिएजशव भजति राहिएजशव के ऐसे स्रूप के्श्चन राहिए जोअपनदी माया से ननयंहरिि कर गिे में िपेट िेनाग कोऔर उसके तवष कोउिार के अपने कंठ मेंअमृि रस का पान करा ्ेअपने भतिों कोतवषैिे संसार मेंअमृि धारा बिा ्ेअपनदी जटाओ ंसेएक पतवरि गंगा की िरिइस धरिदी को पावन भूतमबना ्ेकैिाश पव्चि का श्ृंगारलिएइस धरिदी के वाजसयों कोअमृि समान बना ्ेहृ्य में भजति भाव लिए।

    ✦✦✦

    कववता :- डॉ. मदीनि अग्रवाि

  • माचर् २०20 6

    रलो हमटा लेते ि ैहदलो नक दरूरयाॅ

    रिो तमटा िेिे ि ैह्िो नक ्रूरयो कोआ रिा ि ैजो समदीप रगंों का त्ोिार तमटा कर ह्िो से जिन और ईर्ा्चफैिािे ि ैजग में मधुरिा और प्ार

    िोिदी पर करिे ि ैसब ्रू अपने जशकवे िो फैिा ्ेिे िम भदी रारो िरफ स्ारारअराजकिा व गन्गदी फैिदी ि ैइस जग मेंइस त्ोिार पर इन्ें तमटाने का कर ेतवरार

    कई रगंों से नकया जािा ि ैसबका आभारतमरििा का िोिफा जो िािा ि ैये त्ोिारतमटिदी ि ै्रूरयां सभदी की इसदी त्ोिार परिोिदी पर गुबार फुटकर तमििा ि ैसबको प्ार

    ✦✦✦

    होली के रंगकववता :- डॉ. रश्मि नायर

    रगं तबरगंे प्ार ेप्ार,े रगं िोिदीके िाि, नदीिे िर ेपदीिे जो सबको अपनेिदी रगंोमें रगं डािे रगं िोिदीके सब रगंोंकी ि ैअिग किानदी कििदी ि ैवो अपनदी िमें जुबानदी िाि रगं भोरकी िािदी या् ह्िायेपदीिा रगं वसंिदीसा सबको भरमाये केसर रगंमें रगंकर सार ेराम नाम पुकारेनदीिा रगं श्यामसुं्रका या् कर मनमें मुसकाये. रगं िरा धरिदी का आुँ रि बन जाये सफे् रगं में आिुर नर-नारदी आये रगं गुिाबदी खुशदीका.आिुर इसमें रगंने सारेरगं आकर सार ेजदीवनमें अपने खुजशयोंके गदीि सुनाये

    ✦✦✦

    खुजशयों के रगं में सराबोर िोिदी िमारदी बन जाएजजनसे वषषों से रजंजश ि ैउनसे भदी यारदी बन जाएखुजशयों के रगं में सराबोर िोिदी िमारदी बन जाए

    इस फागुन से सबके जदीवन में उमंग िदी उमंग बरसेगुिाि में प्रेम, सौिा ््च, समरसिा के रगं बरसेएक रगं िेकर आए, इस भूतम का पुरि नकसानएक रगं में बसदी िो सेना और उसका िर वदीर जवानएक रगं साहित् से ननकिे और रामधारदी बन जाएखुजशयों के रगं में सराबोर िोिदी िमारदी बन जाए

    एक रगं अपनापन का िो, एक रगं तवश्वास काएक रगं उत्साि का िो और एक रगं उल्ास काएक रगं बरपन का िो, एक नारदी के आस काएक रगं िो ह्िवािों के, ह्ि के तबलु्ि पास का

    एक रगं बसंिदी भदी ननकिे, भारि आभारदी बन जाएखुजशयों के रगं में सराबोर िोिदी िमारदी बन जाए

    एक रगं मिापुरुषों का, और एक रगं मिानारों काएक रगं जो ्ेश पे तमट गए उन शिदी् पररवारों काएक रगं जदीवन के नाव का, एक रगं पिवार काएक रगं मदीठे नोंकझोंक का और गोरदी से प्ार का

    एक रगं जजससे खुशिाि ये ्नुनया सारदी बन जाएखुजशयों के रगं में सराबोर िोिदी िमारदी बन जाएखुजशयों के रगं में सराबोर िोिदी िमारदी बन जाए

    ✦✦✦

    ितुश्शयों के रगं में सराबोर िोलदी िमारदी बन जाए

    कववता :- अजय शमा्च

    कववता :- तवक्रम कुमार

  • माचर् २०20 7

    फागुन आयाकववता :- टदीकेश्वर जसन्ा "गब्दीवािा"

    सुं्र स्लणदिम नव नकरणें, लिये उह्ि हुआ ह्नमान। पदीि वण्च से धरिदी सजदी, अति गतवदिि हुआ आसमान।

    मं् - मं् पवन रिा, िर जगि मा्किा समाई। सुमधुर धदीमदी ध्वनन से, कण - कण में रौनकिा छाई।

    प्रकृति का अद्िु असर, ह्खिा िरू की डालियों में। लिपटदी ििाएुँ रििीं खुश, छोटदी - छोटदी झानड़यों में।

    खूशबू फैिदी ह्जश - ह्जश, अरदी मिक उठदी अमराई। कोटर में इिरािा शुक, कोयि रानदी कूक िगाई।

    झूम उठा भ्रमर श्यामि, बावरा बन छेड़ा िान। िगदी रटकने नव कलियाुँ, फूिों में तबखरदी मुस्ान।

    सजा िोरण - पिाका आज, प्रकृति के भव्य स्न में। पहुना बन फागुन आया, ऋिुराज के आुँ गन में।

    ✦✦✦

    होली का मौसम

    िोिदी का मौसम आया ि,ै रगं खुशदी का िाया ि,ै

    सभदी िरफ िोिदी की ििरि, जजिने प्ार ेउिने रंरि,

    रगंों के थाि सजे ि,ै मृ्ंग नगाड़े ढोि बजे ि,ै

    जवान, बूढ़े, और बच्े प्ार,े रगंों से रगंे ि ैसार,े

    िर,े पदीिे और िाि गुिाि, रगं गए िैं सबके गाि,

    घर में बनदी बहढ़या पकवान, रगंों की ि ैमरदी िूफान,

    बड़ा, समोसा और गुजजया, बनदी तमठाई बहढ़या बहढ़या,

    सजे ि ैपापड़ प्ार ेप्ार,े मौज उड़ाए बच्े सार,े

    ढोि नगाड़े की सुं्र धुन, सबको जथरकया ि,ै यि फागुन का मिदीना, सबके मन को भाया ि,ै

    िोिदी का मौसम आया ि,ै िोिदी का मौसम आया ि।ै

    ✦✦✦

    कववता :- तवनय कुमार करुणे

  • माचर् २०20 8

    मेरे पवत की अंत्ेहटिकहानी :- प्रवदीण आज़ा्

    आज िमारदी शा्दी की 25वीं वष्चगांठ िIै िमारा पूरा पररवार, मेरा मायका, सुसराि, मेरदी सिलेियां, मेर ेपति के तमरि, िमार ेबच्े और उनके साथदी, ्रू-नज्दीक के सभदी ररश्े्ार आज एकहरिि िैंI मुझे अच्दी िरि या् ि ैनक इिने ज्ा्ा िोग िो िमारदी शा्दी में भदी निीं आये थे, जजिने िोग आज यंिा मिशान भूतम में मेर ेपति की अंत्ेहष्ट में शातमि िैंI

    जदी िां! मेर ेपत्ि की अंत्ेहटिI वो भदी िमार ेत्ववाि की 25वीं िालहिरि वाले हिनI अब ये इिेफाक़ ि ैया जानबूझ कर िदी िई एक और पदीड़ा?क्ा किा जा सकिा ि?ै? बिरिाि आत्मित्ा के लिये उसने इसदी मनहूस ह्न को रुनाI

    सभदी रस्ों ररवाज़ो के बा् उसे जरिा पर लिटा ह्या गयाI आज भदी उसके रेिर ेपर विदी स्च्न् िापरवाि मुस्ान िIै अतनि कौन ्ेगा? इस प्रश्न पर भदी भारदी तववा् िIै अरानक औरिों की एक भदीड़ मुझे िगभग खींरिे हुए जरिा के पास िे गई और मेर ेकांपिे हुए िाथों में एक जििदी हुई िकड़दी ्ेकर किा नक मरने वािे की अंतिम इच्ा थदी नक ्ाि की रस् मेरदी पत्दी िदी ननभायेI मेरा मन तविृष्ा से भर गयाI

    हुुँि! खु्गज़्च!! जािे जािे भदी मुझे रोट ्ेना निीं भूिाI ्ःुख, तवषा् और घृणा की तमश्श्ि प्रतिहक्रया से मैंने उस जििदी हुई िकड़दी को जरिा से स्पश्च कर उसकी िर इच्ा की िरि इस अंतिम इच्ा को भदी पूरा नकयाI

    जैसे िदी अतनि ने जरिा को छुआ पूरा मिशान रू्न और रदीत्ार से गूंज उठाI एक ओर महििाओ ंके खेमे से िगािार जोर जोर से रोने की आवाजें और ्सूरदी िरफ पुरूषों में िरि िरि की अटकिें, मेर ेअशान्त ह्र्य को मानों नोर रिीं िैंI

    मैं समझ निीं पा रिदी हूुँ नक 'मर' मैं रिदी हूुँ, 'जरिा' मेर ेपति की जि रिदी ि,ै और 'रो" ये िोग रिें िैं? 'आज िदी क्ों' रो रि ेिैं ये िोग?

    महििाएं रोिे रोिे कि रिदी िैं :िाय! बहुि भिा आ्मदी था!! उम्र भदी कोई ज़्ा्ा निीं थदी!!! अभदी इसने ्ेखा िदी क्ा था?बच्ों की शा्दी िक िो रूक जािाI

    पुरूषों में िो बस यिदी एक ररा्च थदी नक कमाि ि!ै "इसने आत्मित्ा कर िदी?"पररवार में भदी कोई तववा् निीं, रूपये पैसे की भदी ऐसदी कोई नकल्ि निीं ;ना कोई कजा्च?, न िदी कोई बदीमारदी?, ना कोई ऐब?सब कुछ िो ठदीक थाI

    हफर क्ों की इसने खु्कुशदी?िर नकसदी की जबान पर बस यिदी एक सवािI एक ऐसा सवाि जजसका जवाब शाय् मेर ेपास भदी निीं िIै अगर मेर ेपास जवाब िोिा िो मैं भदी एक असिाय तवधवा की िरि तबिख रिदी िोिदीI

    उधर जैसे जैसे जरिा की आग क्षदीण िोिदी जा रिदी ि,ै वैसे वैसे इधर मेर ेअन्र की आग और भदी िेज िोिदी जा रिदी िIै जरिा की आग िो एक-्ो ह्न के बा् स्िः बुझ जायेगदी और मेर ेपति का अश्स्त्त्व स्ािा िो जायेगा िेनकन मैं . और मेरा अश्स्त्त्व?? ये िो ना जाने कब का स्ािा िो रुका िIै नकसदी को भदी परवाि निीं नक इसे कंिदी प्रवाहिि कर ह्या जाएI

    मेर ेपति के मािम में रोने वािे ये सभदी ररश्े्ार अभदी थोड़दी िदी ्ेर में रुप िोकर अपने अपने घरों को िौट जाएंगेI िेनकन मैं?? मैं िो हपछिे कई वषषों से जसि्च और जसि्च रो िदी रिदी हूुँ ; कब और कैसे रुप िोऊंगदी, क्ा नकसदी ने सोरा भदी ि?ै सब िो बस यिदी सोर रि ेिैं नक अब ये कैसे जजएगदी?

    नकसदी ने भदी ये निीं सोरा नक मैं अब िक कैसे मर रिदी थदी?

    ✦✦✦

  • माचर् २०20 9

    होली आई रंग लाईकववता :- आशुिोष

    बसंि ्ेखनार रि ेमन ्ेखो सरसो फूिाई।

    िाि पदीिे िर-ेिरेरगं डािे खड़े खड़ेमन बने मिवािेरिो भाभदीयाुँ को रगं डािे।

    रंरि पवन ििरायेमस् मस् िगे सारेकोई गाये कोई िडखडायेवस इसदी िरि िोिदी मनाये।

    अजब गजब मिवािेकोई आज न छोड़ेिुँसदी ठठठोिदी की टोिदीजोगदीरा गाये मनाये िोिदी।

    ✦✦✦

    अबके होली ऐसीदोह े:- नेमदीरन् मावरदी "ननमय"

    साुँझ हुई म्िोश यिाुँ, भोर हुई जरिरोर रास रगं में राधा डूबदी, संग डूबे नं्नकशोर।

    भंग रढ़ाके भोिेशंकर, नृत् करि रहुुँओरमधुर स्रों को सुन गौरदी के, िो गयदी पवन तवभोर।

    रगं िगाकर ्ेवदी िक्षदी, ब्ि रिदी ि ैठोर कमिनयनन भदी रि पड़े, बांधके उनसे डोर।

    रगंों की हपरकारदी पर, रिे न कोई जोर अंबर भदी रगं जाये िोिदी में, बरे न कोई छोर।

    छोड़ वेिष के अनंि तितमर को, उह्ि करो नई भोररगं िगाओ प्रेम का, मन में नार उठे ज्ों मोर।

    ✦✦✦

    होलीकववता :- स्ाति जसन्ा

    कैस ेतबिेगदी इस बार उसकी िोिदी? रगंो के बदीर बेरगंीं िोिदी

    कैस ेसजगेदी इस बार वो?, उसकी सिे् साड़दी कौन रगंगेा इस बार?

    कैसदी ्ेखगेदी इस बार वो?, कौन िगाएगा उसके गािो पर गिुाि इस बार?

    कौन डािगेा उसके सर पर िाि रगं?, रि जाने ि ैकेश कािे िीं शाय् इस बार?

    कभदी भदीगि ेथें रेिर ेरगंो स,े अब आुँसओु ंस ेहभगने वाि ेिैं शाय् इस बार पर ्ेखना बन जाएगदी इन से बगेानदी वो िो जाएगदी अंजान इस सनूपेन से

    मसुु्रािट सजाएगदी अपन ेरिेर ेपर वो आुँखों में झठूदी िीं सिदी पर खशुदी भर आएगदी वो

    उसके बच्ों को कमदी ना खि ेउनके हपिा की, इसके लिए माुँ और हपिा ्ोनों बन जाएगदी वो

    खशु रि ेसब इस लिए कुछ यूुँ घिुतमि जाएगदी वो ्ेखना पररवार के सार ेिोगों को उस ह्न भदी खशु रख पाएगदी वो

    माुँ बन कर जिाुँ पकवान बनाएगदी उस ह्न वो , विीं हपिा बन कर बाज़ार स ेकपड़े और गिुाि भदी ख़रदी् िाएगदी वो

    ्ेखना कुछ इस िरि सार ेिज़्च ननभाएगदी वो ✦✦✦

  • माचर् २०20 10

    कहानी :- रदीमा तमश्ा

    "िोलदी के हिन हिल ख़िल जािे िैंरिंों में रिं हमल जािे िैं। "

    मैं अपना िेख इस गाने से शुरू कर रिदी हूुँ क्ोंनक राि ेनकिने िदी गाने िोिदी पर क्ों न बन जाएं पर ये एक ऐसा गाना ि ैजो िोिदी पर िर मोिल्े, गिदी-कंूरे में सुनाई पड़िा िदी ि,ै शाय् इसलिए क्ोंनक इस गाने में िोिदी के असि मायने बिाये गए िैं।

    िोिदी का त्ोिार आपसदी प्रेम और भाईरार ेके साथ साथ पररवार में खुजशयाुँ िेकर आिा ि।ै पर आज िोगों के त्ोिार मनाने के िरदीकों को ्ेखकर मुझे बहुि अिसोस िोिा ि।ै नकसे ्ोष ्ूं पुरुषों को महििाओ ंको या बच्ों को जो इस त्ौिार में भदी अपने संस्ारों को भूि जािे िैं। सभदी को ्ोष निीं ्े सकिदी हूुँ क्ोंनक किीं न किीं आज भदी िोग िोिदी को प्रेम और सौिा ््च के साथ मनािे िैं। आज समय बहुि ब्ि गया ि ैपििे जब िम नकसदी के घर िोिदी खेिने जािे थे िो विां रगंों के साथ नाश्े में गुलझया तमठाई िोिदी थदी पर आज शराब बदीयर भांग और जसगरटे मसािे के साथ स्ागि िोिा ि।ै आज िम सब ने अपने त्ोिारों के स्र को इिना नदीरे तगरा रुके िैं नक आने वािे समय में ये जसफ्च नाम के रि जायेंगे। अगर मैं अपनदी बाि करूुँ िो मेर ेमािा हपिा जो िोिदी मनािे थे वो किीं खो रुकी ि।ै पििे भदी िम सब (िड़के-िड़की) तमिकर रगं खेििे थे पर एक सदीमा के अं्र रिकर। आज िोगों ने फैशन और कलरर के झूठे आडंबरों की आड़ में िोिदी जैसे बड़े त्ोिार को खत्म करने पर िगें िैं। क्ा बड़े क्ा बच्े सब शराब के नशे में रूर रििे िैं कुछ िो इसदी नशे के कारण ्घु्चटना के जशकार िो जािे िैं या नकसदी को जशकार बना ्ेिे िैं। रगं के नाम पर अश्दीििा को अपनािे िैं। िोिदी मनाने की पौरालणक कथा हिरण्यकश्यप औऱ उसके पुरि प्रह्ा् औऱ उसकी बिन िोलिका से जुड़दी ि।ै िोिदी भदी ्ो ह्न का पव्च ि ैयि फाल्ुन मास की पूलणदिमा को मनाया जािा ि।ै इस ह्न िो िोलिका ्िन िोिा ि ैऔऱ ्सूर ेह्न िोग एक ्सूर ेको रगं िगािे िैं। ईश्वर भति प्रह्ा् को िोलिका जो नक प्रह्ा् की बुआ थदी जििदी अतनि में िेकर बैठ गयदी थदी। िोलिका के पास एक ऐसा वस्त्र था जो नक उसको निदी जिा सकिा था पर प्रभु भति प्रह्ा् बर गया और िोलिका जि गई थदी। िभदी से यि पव्च मनाया जािा ि ैऐसदी मान्िा ि।ै

    आजकि िोिदी मनाने में कुछ िोग रुजर कम िदी िेिे िैं उसका एक बड़ा कारण ये ि ैनक कई िोग िोिदी के ्ौरान अपनदी ्मुिनदी भदी ननकाििे िैं। कई बार िोग रगंों में कुछ ऐसा तमिाकर िगा ्ेिे िैं जजससे रेिरा िमेशा के लिए िदी खराब िो जािा ि।ै पििे िोग एक ्सूर ेके रगं िगािे थे उस ह्न ढोि मजदीरा िेकर फाग गािे हुए सभदी के ्रवाजे जािे थे और िोगो के रगं िगाकर आपस मे गिे तमििे थे और बड़ों के पैर छूकर आजशवा्च् िेिे थे। कुछ सािों से मैंने वो िोिदी निीं खेिदी ि,ै जो िोिदी खेिना मुझे बहुि पसं् ि।ै एक टाइम ऐसा था नक जब सुबि-सुबि जल्दी उठकर मैं िोिदी खेिने के लिए सबसे पििे िेि-वेि िगाकर िैयार िो जािदी थदी। और उसके बा् मोिल्े की सिलेियों के साथ टोिदी बनाकर एक-एक कर सबके घर जाकर िोिदी खेििदी थदी। पर अब जाने क्ों ऐसा िगिा ि ैनक जैसे िोिदी के मायने तबलु्ि ब्ि गए िैं, क्ा आपको ऐसा निीं िगिा ि?ैआज के वक़्त की िोिदी यानन शराब, नशा, फूिड़िा, िड़नकयों के साथ छेड़खानदी, या कुछ ररस्ो के पदीछे की गन्गदी मसिन ्ेवर-भाभदी जदीजा-सािदी अभद्रिा, अपशब्ों और िड़ाई-झगड़े वािदी िोिदी के पदीछे पििे वािदी अच्ाई, प्ार और सौिाद्र्च भाव फैिाने वािदी िोिदी किीं छुप गई ि।ै आज िोिदी के रगं नेरुरि न िोकर िरि-िरि के केतमकल्स से बनने िगे िैं। हपछिे कुछ सािों में मैंने ्ेखा ि ैनक िोिदी-िोिदी न रि कर कुछ और िदी बन गई ि।ै

    अब यह् बाि करें िोिदी खेिने की िो आज िोगों का िोिदी खेिने का िरदीका भदी ब्ि गया ि,ै आज के समय में कुछ िोग रगं िगाने के बिाने अपनदी गन्दी मानजसकिा को पूरा करने की मंशा करने िगे िैं। 'बुरा न मानो िोिदी ि'ै के बिाने अपनदी ननयि ह्खा ्ेिे िैं। मैं मानिदी हू ंनक िोिदी में िसंदी-ठठठोिदी, मज़ाक-मस्दी िोिदी ि,ै िनेकन इसकी आड़ में अपनदी इच्ाओ ंको परूा करना क्ा जायज़ ि?ै

    होली रंगों का त्ौहार है

  • माचर् २०20 11

    विीं आजकि एक ट्ेंड और ि ैनक न्ूक्लियर िैतमिदी के इस ्ौर में िोग िोिदी या नकसदी और भदी त्ौिार पर अपने घर अपने मािा-हपिा के पास जाने के बजाए किीं घूमने-हफरने ननकि जािे िैं, जबनक नकसदी भदी त्ौिार का असिदी मज़ा पररवार के साथ िदी ि,ै ना नक अकेिे घूम कर।

    समाज भदी ब्ि रिा ि ैया कहिये की पुरानदी रदीजे खो रिदी िैं। रौरािों पर िोलिका ्िन के लिए इकट्दी की जाने वािदी िकड़दी और गोबर के उपिों की जगि कूड़ा-करकट ने िे िदी ि।ै िोलिका ्िन के बिाने िोग अपने घरों के पुराने, सड़े-गिे सामान और फट ेकपड़ों को िोलिका में डाि जािे िैं, और जब िोलिका ्िन नकया जािा ि,ै िो प्र्षूण के जसवा कुछ और निीं िोिा। पििे के समय में ये भदी माना जािा था नक िोलिका ्िन के बा् उठने वािे धुंए से बदीमारदी फैिाने वािे कीड़े-मकौड़े, मक्दी-मच्र मर जािे िैं। पर आज िो उल्ा बदीमाररयां और बढ़ जािदी िैं। वि्चमान में िोलिका ्िन में प्ार या सद्ाव निीं बढ़िा, बश्ल् िर िरि से संस्ारों, सभ्यिा, मया्च्ा और सामाजजकिा का ्िन िोिा ि।ै

    कुछ िोगों के लिए आज िोिदी का मििब जसि्च और जसि्च नाशा करना और पड़े रिना मारि रि गया ि,ै जबनक मेरा मानना

    ि ैनक अगर आप िोिदी न भदी खेिें पर अपने पररवार के साथ बैठें , िरि-िरि के स्ाह्ष्ट पकवान खाएं, ठंडाई हपए, िोगों से तमिे, नारे-गायें और जश्न मनाएं, िो आपको नकसदी भदी त्ौिार का बहुि आनं् आएगा। अभदी भदी कई जगिों पर िोिदी बहुि िदी काय्े से मनािे िैं। किदी भदी हुड़्ंग निदी िोिा और ये उजरि भदी निदी। जजिना काम आसानदी से औऱ शान्न्त पूव्चक नकया जािा ि ैउिना िदी अच्ा िोिा ि।ै िोिदी खुजशयों का त्ोिार ि ैइसे प्रेम, स्ेि, भाईरार ेसे मनाएुँ , अभद्रिा, अमानवदीय स्भाव के रगंों से इसे किुतषि िोने से बराएुँ और प्रदीि के रगं में सराबोर िो जाएुँ ।

    "टसेू पानदी में हभगो, िन-मन िुझ पर वार। गुुँजजया, मदीठे थाि रख, भेजूुँ मैं उपिार। फागुन आया प्रदीि िे, रुँग ्ूुँ सार ेअंग। िमारदी गलियाुँ किें, खेिो िोिदी संग। " आप सभदी को िोलदी मतुबारक िो।

    ✦✦✦

    पथिककववता :- डा.अंजु ििा जसंि

    रि पजथक!पथ परसुमंगि िो या हफर आएं मुसदीबि खु् िेर ेकांधे पे ि्करभाि नि मि कररि पजथक!पथ पर

    राि िो या प्राि िोप्रेम िो या घाि िोरि नकसदी साथदी के साथ भाग्य को भदी िेके माथकम्चरि रिकररि पजथक!पथ पर

    गम तमिें या खुशदी थोड़दी कंकरदी या रुभें रोड़दी

    घबराकर िू रूक न जानाटके घुटने झुक न जानािक्च अब मि कररि पजथक!पथ पर

    आई िोिदी झूम िेधनक-मन को रूम िेखखिखखिा हिितमिसबमें िो शातमिखु्दी पर तवश्वास कररि पजथक!पथ पर

    भदीड़ में भदी िोठ सदी िेंनदीिे पदीिे और रगंदीिेये बसंिदी फूि सारेकरिे िैं िमको इशारेरिक िे जदी भररि पजथक! पथ पर

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  • माचर् २०20 12

    रंग कववता :- वन्ना पुणिांबेकर

    सबको गिे िगाकर ्ेखो। रगंों का यि मेि ि,ै ्ेखो। हपरकारदी का खेि ि,ै ्ेखो। सबको गिे िगाकर ्ेखो। पिाश झूि रिा डािदी- डािदी। मिवािदी यि छटा ननरािदी। आपस में सब तमि-जुि जाओ। समरसिा के रगं िगाओ। राग, वेिष तमटाकर ्ेखो। सबको गिे िगाकर ्ेखो। सुख का यि संसार ि,ै अपार। ररश्ो में ि,ै एक नई बिार। खखिे-खखिे िैं, मन के िार। जदीवन िो ि,ै रगंों की बिार। सबको गिे िगाकर ्ेखो। जातिवा् और भाईरार ेके। ऊंर-नदीर के भे् तमटा ्ो। अपना िो यि सारा संसार। ्ेकर ्ेखो यि उपिार। सबको गिे िगाकर ्ेखो। घर, आंगन में मिके यि रगं। प्रेम, अपनत्व सुख के संग। भे्भाव को तमटाकर ्ेखो। सभदी धमषों का सबका सम्ान करें। सबको गिे िगाकर ्ेखो। खखिे प्रेम के फूि रमन में। एक रगं ऐसा भदी िो। जो मन के िारो को रगं ्े। आशा और तवश्वास से भर्े। मन में उठे वेिष, भावना का। सिष्च िदी ्मन कर ्े। सबको गिे िगाकर ्ेखो। रगंों का यि मेि ि,ै ्ेखो।

    ✦✦✦

    हिर वही अकेलापन

    अपने-अपने जदीवन में, सभदी अत्जधक िदी व्यस् रििे िैं, त्ौिार िदी िोिे वि जररया, जब आपस में सब तमििे िैं,

    वृध् मािा हपिा के, ह्िों की बतगया मानो खखि जािदी, ्ेख नािदी पोिों को, सूनदी आंख में रौनक मानो आ जािदी,

    त्ौिारों के मौसम में, घर में खूब िोिा ि ैगदीि और संगदीि, सूने आंगन में ख़ुजशयां िौटिीं, पूरदी िोिदी त्ौिारों की रदीि,

    माुँ का प्ार, हपिा का ्िुार, भाई, बिन का प्ारा साथ, कई-कई ह्नों के बा् तमि पािदी ि ैप्ार की ऐसदी सौगाि,

    नकन्तु त्ौिारों के जािे िदी, हिर आुँ गन सूना िो जािा ि,ै तव्ाई की बेिा में अक़सर, मन सबका भारदी िो जािा ि,ै

    नकसदी के अकि रुक निीं पािे, कोई अं्र िदी सुखा जािा, अपनदी मंजज़ि आने िक बदीिा िर िम्ा दृहष्टगोरर िो जािा,

    ह्ि राििा ि ैविदी िम्,े पुनः जज़ं्गदी में वापस आ जायें, नकन्तु व्यस्िम जज़ं्गदी से समय पुनः कोई कैसे रुरा पाये,

    वृध् मािा हपिा के लिये निीं िोिा िर रोज़ सुनिरा सवेरा, त्ौिारों के जािे िदी मन में बस जािा ि ैउनके घना अंधेरा,

    नम आंखों से बििे आंसू, िर्म ्ेखिे रििे िैं रहुंओर, बार-बार ्ेख खािदी ्दीवारों को मन में उठिा एक िदी शोर,

    सूना आुँ गन, सूनदी गलियां, सूना घर, जशजथि िन और बोलझि मन, कैसे समझायें मन को, रार ह्न की राुँ्नदी हिर विदी अकेिापन।

    ✦✦✦

    कववता :- रत्ा पांडे

  • माचर् २०20 13

    टसेू के रंग, होली के संग संस्मरण :- अननिा रश्मि

    आ गया हफर फगुआ और बौरा गया मन सबका। िर मन वि्चमान के साथ आगि-तवगि में उिझिा िदी ि।ै अवसर नकसदी पव्च का िो, िो और भदी ज्ा्ा। ऊपर से िोिदी या्ों के हपटारों को खोिने का सिरगंदी पव्च! आज जब शिरों, कस्ों या शिर सरदीखे गाुँवों में फाग पर परपंरा का ननवा्चि निीं के बराबर िोिा ि,ै फाल्ुनदी गदीिों का स्ान गािदी-गिौज ने िे िदी ि,ै ऐसे में रिरा के तवश्व प्रजसद्ध इटखोरदी के पकररया पंरायि के रगं पव्च की फगुनािट एक अिग समां बाुँधिदी थदी। फगुआ में रगं-रगंदीिा पकररया ग्राम अपने अनूठेपन से सबके ह्िों को भदी रगं डाििा था। अपनदी परपंरागि िोिदी के कारण यि गाुँव वषषों रजरदिि रिा ि।ै यिाुँ बहुि कम घर स्णषों के िैं। बावजू् फगुआ में स्णषों-िररजनों की आपसदी ठठठोिदी हफजां में एक नवदीन रगंि घोि ्ेिदी ि।ै इस परपंरागि रसजसति िोिदी में अपनदी संस्ृति की गिरदी जड़ों का आभास िोिा रिा ि ैिमें, सबको। फगुआिट की धुन में प्रायः िर पकररयावासदी फाल्ुनदी बयार के रििे िदी मन-िन से अपने ग्राम की रगंदीिदी धरिदी पर पहुुँरने के लिए छटपटा उठिा ि।ै टुहुक िाि, काईवािे िर,े िदीखे पदीिे, रटख गुिाबदी, शजति के प्रिदीक कािे रगं और ऐसे िदी खूबसूरि, सुगंजधि गुिाि उन्ें बुिाने िगिे िैं। जोगदी का िन िो रगंािा िदी ि,ै मन भदी रगंा जािा ि ैजैसे। तवनय जदी की या् की धरिदी पर जमदी िोिदी की धुरखेर िमार ेसामने तबखर-तबखर जािदी। िोलिका ्िन के ह्न पकररया और सोनपूरा गाुँव के िोग भदी तमिकर अगजा जिािे िैं। घर-घर से प्रेमपूव्चक माुँगदी गई िकनड़यों या हफर तछपकर उठाकर िाई गई रौकी, टूटदी खाट के पायों, िकड़दी के विार, रौखटाह् को एक साथ जिािे हुए मानो बदीिे ह्नों की गह द्िशों के साथ ्मुिनदी के राक्षस को भदी राख कर ह्या जािा। कच्दी रसोईघर में पकिे बररे-धुसके, बरके िथा बूट की नई झाड़ का प्रसा् रढ़ाया जािा अगजे की अतनि को। नये साि का स्ागि अगजे की राख से .बड़ों के पाुँवों पर भभूि रखकर आशदीवा्च् अक्षि की कामना, बच्ों के भाि पर भस्दी टदीके से आशदीषों की बाररश . भदीग उठिा ना सारा िन-मन रगंों में भदीगने से पूव्च िदी। पििे धुरखेर िोिा अथा्चि धूि से जमकर िोिदी खेिदी जािदी। जैसे धूिकणों के ह्न हफर गए िों। परास भदी अपना रगं ्ान ्ेने को ित्पर। प्राकृतिक रगं में ढि जािा नकंशुक का खूबसूरि नारगंदी पुष्प। जगि-जगि खखिनेवािा परास (पिाश) इठिा उठिा अपनदी उपयोतगिा पर और िमें जसखािा ्सूरों के लिए खु् को िोम कर पूरदी ्नुनया को वण्चमय कर डािने का पाठ। अन् कई रगं भदी प्रकृति से उधार माुँगे जािे हफर बारदी के इंिज़ार में गदीिदी िोिदी! पुनड़या के पुनड़या, शदीशदी की शदीशदी सूखे रगं घोि ह्ए जािे पानदी से भर ेड्रम में। कुएुँ की जगि, रस्दी, िाठ-कंुडदी (कुएुँ से

    जि भरने का साधन) सहिि बाल्दी-िोटा, िसिा-कठौिदी सब रगं के नशे में रूर-रूर! मिदीनों िग जािे उन पर रढ़े रगं को उिारने में। पुए की िोर, धुसके के घोि भदी अपना धम्च ननभािे। गािों-बािों

    में रर-बस जािे। आुँ गन, बड़े-बड़े रौकोर बराम्े, ्ािान, कमर ेसब रगंों से सराबोर! सामने के तवहभन्न गाछ और रबूिर ेभदी। पििदी उगदी टढ़ेदी-मेढ़दी पगडंनडयाुँ, खेिों की क्ाररयाुँ, मेड़ें, नदीम ििे का पिझड़दी तबछौना। और रर जािदी अद्िु सव्च वण्च की मनोिारदी पेंनटंग कच्दी सड़कों पर भदी। िदीन अिग-अिग झुंडों में जुट आिे पुरुष, नारदी, बच्े। कोई भदी िो पिरान में निीं आिा। इस म्मािे त्ौिार पर स्त्रदी-पुरुष की भदीड़ ्रू-्रू रििदी . आखखर इसदी उत्सव में ना बुढ़वा ्ेवर िगने िगिा ि,ै िोश खोकर जश्न मनाया जािा रिा ि।ै रगं नशा बनकर रढ़िा और सरमुर में रगं-गुिाि का नशदीिा जा् ूतबन भंग हपए भदी ब्िोश कर ्ेिा। जो जमकर िोिदी खेििे िैं, वे जानिे िैं केवि रगं से भदी नशा रढ़िा ि।ै उधर मिाई्ार, पौहष्टक ठंडई और भांग का नशा वािावरण को भदी नशदीिा बना ्ेिा। पुरुषों की ्ो सौ िक की भदीड़ जुट जािदी। गिे तमि खोरदी (गिदी) की ओर रि पड़िदी बििदी सररिा सदी। भदीड़ के िाथों में ढोि, झांझ, मंजदीरा! िोठों पर फाग, िोरदी गदीि! धुरखेर के साथ िा ऽऽऽ! .िाऽऽऽ!! ठदीऽऽ ठदीऽऽऽ!! बििदी जािदी सरर ्सूरदी छोर िक एक-्सूर ेपर धूलि डारिदी। उमंग से नारिे-गािे आबािवृद्ध! जा पहुुँरिे विाुँ, जिाुँ धरारुंबदी बरग् का गाछ। उसके ििे स्ागि के लिए पििे से िदी िैयार रििदी िररजनों की टोिदी। झाि, मंजदीरा, ढोि की थाप के साथ। कोई झंडा पिन अति िरगं में झूमिा हुआ, कोई खु् िदी धूलि और रगं ्ेि-माथे पर मि रिा ि।ै नृत्रि भोिे बाबा के गणों की माननं्। विीं तवटप की तवशाि छाया ििे बैठ सब जजमिे। िाुँ! . िाुँ, जदी, िाुँ! एक साथ। खाने-पदीने का आयोजन िररजन टोिे की िरफ से। सखुए के पत्ि-्ोने, कुल्हड़, माटदी के सकोर-ेतगिास में। . िो ऐसा था, छुआछूि के भयंकर प्रियंकारदी समय में पकररया का समाज और उनकी म्मािदी िोरदी।

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  • माचर् २०20 14

    रिदीत की िोलदी मनाएँ

    रिो इस वष्च िम ऐसदी िोिदी मनाएुँ , ह्िों से कटुिा और तवषिा तमटाएुँ । प्रेम के रगंों की ख़ूब बौछार कर के, सब के ह्िों में यूुँ िम बस जाएुँ ।

    िम सबको अबदीर व गुिाि िगाएुँ , उ्ास जजं्गानदी को रगंों से सजाएुँ । जजन रेिर ेपर ननराशा की िो झिक, उनके िोठों पर मुस्रािट िें आएुँ ।

    िम प्रयासों से कुछ नया कर ह्खाएुँ , ननज स्ाथ्च में िम निरि न फैिाएुँ । रहुुँओर िदी अमन रैन की बंसदी बजे, अपनों के ह्िों में िम प्रदीि जगाएुँ ।

    मानविा के पथ पर रि कर ह्खाएुँ , िम प्ार के रगंों से जदीवन मिकाएुँ । रार ह्नों की तमिदी ि ैप्ारदी जजं्गदी, रिो अबकी बार िोिदी यूुँ िदी मनाएुँ ।

    िोलिका ्िन में ्ानविा को जिाएुँ , समाज में इक नई उम्दी् को जगाएुँ । धन ्ौिि के आकंठ में िम डूबे हुए, अब की िोिदी में नव जागरण िाएुँ ।

    प्रेम के पतवरि रगं में सरोकार िो जाएुँ , ्मुिन को इस िोिदी में िम तमरि बनाएुँ । प्रदीि के मधुर गदीि को फाल्ुन में गाएुँ , इस बार प्रेम के रगंों की िोिदी मनाएुँ ।

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    िोलदी आई

    आज रगंो का रगं आई ह्ि में एक उमंग िाईपररवार संग तमिजुि कर खुजशया बांटने का ह्न आई्ोस् संग मस्दी करने का भाभदी को थोड़ा मदीठा मदीठा िंग करने का मम्दी पापा से आशदीवा्च् िेने का भाई-बिन पर खुशदी िुटाने का िोिदी का त्ोिार आईह्ि में एक उमंग िाईकिदी उड़ रिा िाि गुिाब रगं किदी उड़ रिा िरा नदीिा रगंकोई नार रि ेिैं अपने िदी रगं मेंकोई गा रि ेिैं अपने िदी धुन में्ेखो ऐसा त्ोिार आईरगंो का रगं िाईिोिदी आई िोिदी आई अच्ाई की ्दीप जिाने आई मन में बैठे नफरि को तमटाने आईप्ार की भाषा जसखाने आईतबछर ेको तमिाने आई्ेखो ्ेखो िोिदी आई ह्ि में एक उमंग िाईशदीि ऋिु की तब्ाई आईग्रदीष्म ऋिु की आिट ि ैिाई ऊंर-नदीर, अमदीर-गरदीब तमटाने आई सब को समानिा ह्खाने आई्ेखो रगंो का रगं आई ह्ि में एक उमंग िाईिोिदी आई िोिदी आई िोिदी आई

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    कववता :- िाि ्ेवेन्द्र कुमार श्दीवास्व कववता :- नवदीन कुमार मेिरा

  • माचर् २०20 15

    रगंों का त्ोिार िोलदीकववता :- नूिन गग्च

    आओ मनाएुँ िोिदी कुछ ऐसदी, पििे कभदी न मनदी िो जैसदी, स्ेि और सौिा ््च का उड़े गुिाि, ्रू िो सब वैमनस्य भाव।

    ्िन करो वैर-भाव सब, मानविा का पढ़ िो पाठ, धुएुँ में तमिा ्ो सब, अपने बुर ेतवरार।

    नेि-नदीर भर हपरकारदी, पड़े सब पर भारदी, क्म तमिाकर ्मुिन से भदी, खेिों िोिदी न्ारदी।

    िाि, िर,े नदीिे, पदीिे, रगं िगे बहुि रटकीिे, अबकी बार रगंों का तमश्ण, िगे और भदी आकष्चण।

    ढोि-मृ्ंग की थाप पर, नारे तमि हिितमि संग, प्ार-प्रदीि का अबदीर गुिाि, बि ेघर-घर संग।

    बाि-युवा की ननकिे टोिदी, बोिे िो बस प्ार की बोिदी, ्ेखो सबके मन को भाए, ि ैनकिनदी अिबेिदी टोिदी।

    फागुन मास में बजे िार-जसिार, प्रेम रस की रिे फुआर, आओ खेंिें ऐसदी िोिदी, म्मस् िुँसदी-ठठठोिदी।

    रहुुँओर फैिा ्ो उजजयारा, िुँसदी-ख़ुशदी से मनाओ त्ोिार, गािों पर खखिे गुिाब, बनदी रि ेमोिदी की मािा।

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    िोलदी : दश्चन

    रगंों से डूबा जदीवनऔर अिकंार का ्िनइन ्ोनों का एक अथ्च िैशब् कििा ि-ै िोिदी।

    प्रििा् की भजति नेिोलिका को आग िगाईबुराई का अंि ननश्चिि िैशब् कििा ि-ै िोिदी।

    असर हुआ जब बाण कासंग गौरा के, जशव ने खेिदी िोिदीकाम्ेव को जदीतवि करकेक्षमा्ान को श्ेष्ठ बिायाशब् कििा ि-ै िोिदी।

    पूिना को मारकरकृष् ने िायदी खुशिािदीजदीि िोिदी ि ैअच्ाई कीशब् कििा ि ै- िोिदी।

    फागुन में मठरदी, बफफीपापड़ संग ्िदीबड़ेमौसम आया गुुँलझयों काशब् कििा ि ै- िोिदी।

    हपरकारदी संग रगंिे जाओ्खुमय मन को बििाओआया वसंि ्ेने यौवन कोशब् कििा ि-ै िोिदी।

    मैं और िुम िोअिग मनुर् िैं;मगर ्ोनों की एक मनुर्िाशब् कििा ि-ै िोिदी।

    मोिन, मोिम््, ईसा सबस्ेि का गुिाि िाओएकिा में तवश्वास धरोशब् कििा ि-ै िोिदी।

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    कववता :- िान्ा जसंि

  • माचर् २०20 16

    सलामत िोलदी का त्ोिार रिेकववता :- डॉ. गोपाि प्रसा् 'नन्दोष'

    मेर ेमुन्ने की अम्ा मेरदी हप्रयिमा उस ह्न मुझसे थदी ये बोिदी अजदी सुनिे िोऽ इसदी सैटरडे से शुरू ि ैिोिदी

    ये सुन मैं घबराया क्ोंनक िभदी ध्ान आया वो जो पास में रििदी ि ैनाम ि ैजजसका माया

    ओि, उसे ईश्वर ने अजदी क्ा खूब ि ैबनाया हिरनदी-सदी आुँ खें और कंरन-सदी ि ैउसकी काया

    उसने मुझे इसदी िोिदी में अपने घर ि ैबुिाया और अभदी मैं ियेरडाई का पैकेट भदी निीं िाया

    मैंने जो पत्दी को कािदी मेंि्दी के लिए पुकारावि मुझे कािदी-सदी घूरदी और घृणा से जधक्ारा

    रोज आईने में ्ेखिे िो अपने जरकने-से गािउम्र अपनदी निीं ्ेखिे, ्ेखिे निीं उजिे बाि

    जरा ह्खाना िो उसे जजसे कििा ि ैिू बवािऔर वि िुम्ें मोबाइि पर कििदी ि ैमहिवाि

    मैं उसका मुुँि और िेर ेबाि ्ोनों को नोंर िूुँगदीउसे निीं ह्खाया िो िू गैर िो गया सोर िूुँगदी

    उसका ये उद्ोष सुनकर मैं अं्र िक हिि गयामेर ेकािे बाि का ख्ाब कीरड़ में जा तमि गया

    मैं अपने बाि नुरवाऊुँ और हफर गंजा कििाऊुँइससे झाड़ू-उससे बेिन अपने गंजे पर िदी खाऊुँ

    मुझे शौक निीं नक मैं गिदी-गिदी गंजा कििाऊुँइससे अच्ा अपनदी राुँ्नदी की मैं रं्ा कििाऊुँ

    इससे बेििर ि ैनक इन बािों को पकाकर रखूुँगा ये मेर ेबाि ्दीघा्चयु िों इनको मैं बराकर रखूुँगा

    ऐ मेर े्ोस्ों, मेर े्मुिनों, मेर ेबाि जैसा िेरा घर भदी सिामि रि ेऔर िेरा बािर भदी गुिजार रि ेिेरा बाि सािा मि रि ेसिामि िोिदी का त्ोिार रि े

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    लतुप्त िोतदी संस्कृत्तकववता :- राज शमा्च आनदी

    धरोिरें तवस्ृि सभदी, गढ़े सभदी ि ैअवशेष। खो गए गिन गि्च में, संजो िे बरे जो शेष।

    जशिािेख संजोए के, अध्यन करें िर ओर। ब्ाह्दी में अंनकि जो, स्लणदिम इतििास सबके।

    िो रिदी िुप्त संस्ृति, तवषय बन रिा गम्दीर। शेष जाने तवधािा जदी, ्जूे भगवान रघुवदीर।

    प्रारदीन सब धरोिरें, पूव्च बनदी जो सभदी ओर। ि ैसंस्ृति सनािन, इतििास गढ़ें रहुं ओर।

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    िोलदी मेंकववता :- सिदीश रन्द्र तमस्र "सिदीश "बब्ा"

    फगुआ आया, मस्दी छाई, पूर ेगांव में, खुजशयाुँ आई, रगं रगं के फूि खखिे िैं, फूिों से झूमे अमराई!फूि िुँसे कलियाुँ मुस्ाई, बच्ों ने भर िदी हपरकारदी, बूढ़ों ने ्ुं्भुदी बजाई, झूम झूम के फगुआ गाई!धुररया भाभदी ने कीर रिाई, बूढ़ो ने अच्दी बाि बिाई, िोिदी ि ैप्रेम सं्ेशा िाई, खाओ सब तमि खूब तमठाई!िोिदी आई िोिदी आई, घर घर में बनदी तमठाई, गाए गदीि जब शंभू काका, िररया, भुरवा ने िाि तमिाई!सब जन खेिें िोिदी हिि तमि, प्रेम के रगं तमिाई, भाईरारा बना रि ेगाुँव में, सब तमि ऐसा रगं िगाई!!

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  • माचर् २०20 17

    रगं गतुलाल

    िरा, नदीिा, पदीिा .िाि। िोिदी में उड़े अबदीर गुिाि। बच्े बूढ़े और जवान। मस्दी में घूमे िेकर मुंि िाि।

    अनजानो को रगं िगायें। िेकर हपरकारदी ्रू िक जायें। गुब्ारों में पानदी भरकर। एक ्जूे को िदी जरपकायें।

    कोई प्रेम में हुआ मिवािा। कोई झूमे पदीकर भंग प्ािा। िदीपे - पुिे से रेिर ेसबके। पिरान न पाए घरवािा।

    पापड़, कररदी, गुजजया खाओ। िोिदी तमिजुि कर गाओ। प्रेम मोिब्ि का त्ौिार। न नकसदी को ्खु पहुंराओ।

    तमटाकर नफरि प्रेम बढ़ाओ। तमिजुि कर खुजशयां मनाओ। किीं कोई ्खुदी न रि जाए। मन से अपने वेिष तमटाओ।

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    िोलदी

    िोिदी ि ैरगं तबरगंे रगंों का त्ोिारआओ भूिकर बदीिदी बाि ख़ुशदी सेमनाएुँ यि पुनदीि पावन त्ोिारप्रेम का रगं घोिकर रिो िम मनाएुँआनं् पूव्चक यि ख़ुजशयों का त्ोिार।

    जज़ं्गदी का ि ैक्ा भरोसा न जानेकौन-सा पि साुँस स्ा के लिए थम जाएि ैजब िक साुँस िन में भूिकर तगिेआओ ररश्ों में प्रेम का रगं घोिेंिाुँ रिो िम ख़ुजशयों का यि त्ोिार ख़ु�