vas a वसंत वैली पत्रिका · मन की गहराइयों...

6
Vasant Valley Today // PAGE वसंत वैली पका सतमर २०१६ 1 आदि मानव ज ोल भी नहीं सकता था त भी वह अपने मन की ात अपने हाव-भाव यासन नाटक ारा सतत करने की मता रखता था। हर वय को अपने सोच वचार कट करने की चाह होती है। क छ लोग अपने वचार ोल कर कट करते ह, क छ सलखखत शबि क े ारा, क छ संगीत और नृ तय ारा कट करते ह। इसी असभवय का एक माधयम नाटक है। नाटयशा क े वल भारतीय इसतहास ही नहीं खक पूरे व का एक महवपू र भाग है। ीस हो या रोम, भारत या इंगलड, नाटक ने अपने सलए एक अहम जगह ना ली है। इंगलड का गलो सथएटर और मधयकालीन भारतीय राज-िरार अनेक सथान म से क े वल िो सथान ह जहाँ पर नाटयशा की ह त चचा की जाती है। नाटय ारा सभन- सभनकार क े वषय सतत दकए जाते ह। छ नाटक ऐसतहाससक होते ह तो क हासयधान नाटक होते ह। क छ भावनाओं पर जयािा जोर डालते ह तो क छ घटनाओं पर। परंत सभी क े ारा क छ न क छ सनिे श दिया जाता है। नाटक की इनहीं वशेषताओं क े कारर इसका योग सशा म भी दकया जाने लगा है। सशा म नाटक एक ऐसी संकपना है खजसको भारत क े 'नेशनल सक ू ल ऑ ामा' ने १९८९ ने श दकया था। एक असभनेता-सशक का समूह छा क साथ काम करता है। यह समूह अलग-अलग वालय क े चच क े सामने रचनातमक, पाठयम आधारत नाटक सतत करता है। इमाधयम से 'सथएटर इन एजक े शन' चच की सोचने की और पूछने की मता को ढावा ि ता है। इस तकनीक का योग दिली क े कई वालय भी कर चक े ह। हमारे वालय की काओं म भी दकसी न दकसी तरीक े से नाटक का योग होता है। इससे छा को वषय जयािा आसानी से समझ आते ह और पढने म आनंि भी समलता है। हमारे वालय म नाटय और ि सरी कलाओं को अतयसधक ढावा दिया जाता है। इसक े कारर छा अपने सोच व वचार कट कर पाते ह और उनका आतमवास भी ढता है । ऐसा ही एक अवसर: ‘अंजसलका कपूर इंटर-हाउस ामा फ े खसटवल’ है, जो पछले वष दकया गया था। खजसमे वसभनन वालय क े छा छााओं को नाटक क े माधयम से अपने वचार ि सर क े सामने सतत करने का मौका दिया जाता है। इस वष का वषय था 'बलैक और वाइट' खजसम छा ने जीवन क े वसभन रंग को िशाया व उन पर अपने वचार कट दकए । चार सतभासगय क े नाटक का सार पढने क े सलए क छ पनने पलदटए! कामया यािव, १२ रंगमंच व सशा कवता लेखन सतयोसगता का 4 1- सारा मेहता 2-वारी चोपडा और आनया सूडा 3- अयान ढींगरा, आयशा ठाकर और समहीका ागला सोशल साइंस सनंध लेखन सतयोसगता, का 5 1- िश परी 2- मायरा साि और आनंि लमी चोपडा 3- खजया नूर ससंह, समाया ेरी और पृथवी राजन खना सपीड मैथ, का 11 ेय ैि, अत छजर और दिवज चांिना मैप कवेसट परराम - सीसनयर सकू ल का 6- अरमान जे. सरना, इनाया गलाटी, गौरांग डेका, ईशान कपूर, खजया समल, अैता सहगल और साथक खोसला का 7- सतषया कासलीवाल, काखवयनी गारोदडया, कातयायनी झा, िेवादितया तोमर, आयष भादटया, ाथना ा, आष शाह, सूयवीर वैनाथन, अंश मेहता, आमेर संह, सारा ईवा खोसला, पृथवी मेहता और आिश चौधरका 8- साना शमा, सया गग, ररव थडानी, सशवया पॉल और अैत अययर का 9- शभम कलंी का 10- राया गा और अयान सागर का 11- अदितया कपूर का 12- दिगजै ससंह रावत सकूल वॉच

Upload: others

Post on 13-Sep-2019

10 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Vasant Valley Today // PAGE

वसंत वलैी पत्रिकाससतम्बर २०१६

1

आदि मानव ज्ब ्बोल भी नहीं सकता था त्ब भी वह अपने मन की ्बात अपने हाव-भाव यासन नाटक द्ारा प्रसततुत करने की क्षमता रखता था। हर वयत्ति को अपने सोच त्वचार प्रकट करने की चाह होती है। कतु छ लोग अपने त्वचार ्बोल कर प्रकट करते हैं, कतु छ सलखखत शबिों के द्ारा, कतु छ संगीत और नतृय द्ारा प्रकट करते हैं। इसी असभवयत्ति का एक माधयम नाटक है। नाटयशास्त्र केवल भारतीय इसतहास ही नहीं ्बख्क परेू त्वश्व का एक महत्वपरू्ण भाग है। ग्ीस हो या रोम, भारत या इंगलैंड, नाटक ने अपने सलए एक अहम जगह ्बना ली है। इंगलैंड का गलो्ब सथएटर और मधयकालीन भारतीय राज-िर्बार अनेक सथानों में से केवल िो सथान हैं जहाँ पर नाटयशास्त्र की ्बहतुत चचा्ण की जाती है। नाटय द्ारा सभनन-सभनन प्रकार के त्वषय प्रसततुत दकए जाते हैं। कतु छ नाटक ऐसतहाससक होते हैं तो कतु छ

हासयप्रधान नाटक होते हैं। कतु छ भावनाओ ंपर जयािा जोर डालते हैं तो कतु छ घटनाओं पर। परंततु सभी के द्ारा कतु छ न कतु छ सनिेश दिया जाता है।

नाटक की इनहीं त्वशेषताओ ंके कारर इसका प्रयोग सशक्षा में भी दकया जाने लगा है। सशक्षा में नाटक एक ऐसी संक्पना है खजसको भारत के 'नेशनल सकूल ऑफ़ ड्ामा' ने १९८९ ने शतुरू दकया था। एक असभनेता-सशक्षकों का समहू छारिों के साथ काम करता है। यह समूह अलग-अलग त्वद्ालयों के ्बचचों के सामने रचनातमक, पाठयक्रम आधाररत नाटक प्रसततुत करता है। इस माधयम से 'सथएटर इन एजतुकेशन' ्बचचों की सोचने की और प्रश्न पछूने की क्षमता को ्बढावा िेता है।

इस तकनीक का प्रयोग दि्ली के कई त्वद्ालय भी कर चतुके हैं। हमारे त्वद्ालय की कक्षाओ ंमें भी दकसी न दकसी तरीके से नाटक का प्रयोग होता है। इससे छारिों को त्वषय जयािा आसानी से समझ आते हैं और पढने में आनिं भी समलता है। हमारे त्वद्ालय में नाटय और िसूरी कलाओ ंको अतयसधक ्बढावा दिया जाता है। इसके कारर छारि अपने सोच व त्वचार प्रकट कर पाते हैं और उनका आतमत्वश्वास भी ्बढता है । ऐसा ही एक अवसर: ‘अजंसलका कपूर इंटर-हाउस ड्ामा फेखसटवल’ है, जो त्पछले वष्ण शतुरू दकया गया था। खजसमे त्वसभनन त्वद्ालयों के छारि छारिाओ ंको नाटक के माधयम से अपने त्वचार िसूरों के सामने प्रसततुत करने का मौका दिया जाता है। इस वष्ण का त्वषय था 'बलकै और वाइट' खजसमें छारिों ने जीवन के त्वसभनन रंगों को िशा्णया व उन पर अपने त्वचार प्रकट दकए । चारों प्रसतभासगयों के नाटकों का सार पढने के सलए कतु छ पनने पलदटए! कामया यािव, १२

रंगमंच व सशक्षा

कत्वता लेखन प्रसतयोसगता कक्षा 41- सारा मेहता2-वारी चोपडा और आनया सूडा 3- अयान ढींगरा, आयशा ठाकतु र और समहीका ्बागला

सोशल साइंस सन्बंध लेखन प्रसतयोसगता, कक्षा 51- िश्ण पतुरी2- मायरा प्रसाि और आनिं लक्मी चोपडा3- खजया नरू ससंह, सतुमाया ्ेबरी और पथृवी राजन खनना

सपीड मथै, कक्षा 11 श्ये ्बिै, अक्षत छजर और दित्वज चांिना

मपै कवेसट पररराम - सीसनयर सकूलकक्षा 6- अरमान जे. सरना, इनाया गतुलाटी, गौरांग डेका, ईशान कपूर, खजया समत्तल, अदै्ता सहगल और साथ्णक खोसलाकक्षा 7- सतषया कासलीवाल, काखवयनी गारोदडया, कातयायनी झा, िेवादितया तोमर, आयतुष भादटया, प्राथ्णना ्बरिा, आरुष शाह, सयू्णवीर वैद्नाथन, अशं मेहता, आमेर ससंह, सारा ईवा खोसला, पथृवी मेहता और आिश्ण चौधरीकक्षा 8- साना शमा्ण, ससया गग्ण, ररश्नव थडानी, सशवया पॉल और अदै्त अययरकक्षा 9- शतुभम कलरंिीकक्षा 10- रात््बया गतुप्ा और अयान सागरकक्षा 11- अदितया कपरूकक्षा 12- दिगज ैससंह रावत

सकूल वॉच

Vasant Valley Today // PAGE

येलो हाऊस के छारिों ने एक प्रभावशाली नाटक, ‘ि पेंदटंग’ प्रसततुत दकया, खजसने तीन दकशोरों की कहानी को प्रसततुत दकया खजसका त्वषय था- तीन जवान वयत्ति, जो समाज के ि्बाव के कारर अपने जीवन का रंग खो िेते है।

तीन त्वरोधी हतुए यतुवआओं की मन की ्बात पर आधाररत, ‘ि पेंदटंग’ दिखाती है, दक सामाखजक ि्बाव के कारर आज कल की खजनिगी से रंग गाय्ब

हो गया है। एक समलैंसगक लडका, जो समाज द्ारा असवीकार कर दिया जाता है और खजसका मजाक उडाया जाता है, अपनी ितुखी ितुसनया में रंग वापस लाने की कोसशश में लग जाता है। त्वश्वत्वद्ालय की तयैारी में लगी हतुई, सामाखजक उममीिों को परूा करने की कोसशश में एक लडकी अपने आप को खो िेती है। सामाखजक उममीिें आज कल इतनी प्रभात्वत हो चतुकी है, दक हम अपने तरीके से नहीं, लेदकन िसूरों की उममीिों के आधार पर अपनी खजनिगी जीतें है। पाररवाररक समसयाओ ंके ्बोझ में ि्बा हतुआ एक ्बालक, चाहते हतुए भी अपनी खजनिगी खतुशहाली से नहीं जी सकता। इन सारी समसयाओ ंको अपने अिंर ि्बाकर रखने के कारर, इन तीनों की ितुसनया काले व सफे़ि रंगों में रह गई है। इन स्ब समसयाओं का एक ही हल है- दहममत न हारना और अपना जीवन अपने हाथों में लेना।

बलू हाउस का 'थैंकस फॉर शेयररंग' नामक नाटक, महाभारत व इसलयड की कथाओ ं को प्रिसश्णत कर रहा था। नाटक की प्रसततुसत से वे यह सनिेश भेजना चाहते हैं दक हर कहानी को अलग नजररये से िेखा जा सकता है और कोई भी नजररया सही या गलत नहीं हैं। बल ू हाउस का नाटक एक मनखचिदकतसक के काया्णलय में था, जहाँ द्ौपिी, ितुययोधन और ट्ोजन यतुद्ध से जतुडे हेलेन और पैररस भी प्रसततुत थे। उनका नाटक ्बहतुत ही मजेिार था।

ग्ीन हाउस का "टू डाई और नॉट टू डाई" नामक नाटक जीवन के मधय भाग संकट के त्वषय को प्रिसश्णत कर रहा था। नाटक के द्ारा संजीव पटेल एवं उसके पररवार के सिसयों की कहासनयाँ ्बताई गई थी। संजीव इस संकट का सशकार ्बनकर अपनी साधारर खजंिगी से परेशान था। उसकी पत्ी, ्ेबटी, ्ेबटा एवं नौकर सचंसतत होकर सोचने लगे दक वह आतमहतया करने जा रहा हैं। इस नाटक ने एक हासय तरीके से इस संकट का ्ेबहतरीन प्रिश्णन दकया।

इस वष्ण ८ ससतम्बर को 'अजंसलका कपरू इनटर हाउस नाटय उतसव ' का िसूरा चरर प्रारंभ हतुआ। वसंत मंच के माधयम से िश्णकों ने सतुख- ितुख, हँसी - खतुशी के भावों का भरपरू आनंि उठाया।

अजंसलका कपरू इनटर हाउस नाटय उतसव मे रेड हाउस ने एक ्बहतुत ही रोचक और मजेिार नाटक प्रसततुत दकया । नाटक में उनहोंने अपने त्वचारों पर एक अनोखी व त्वसचरि झलक िी । दिए गए त्वषय के अनतुसार नाटक में उनहोंने पढाई और दकशोरावसथा की कदठनाइयों पर असधक जोर डाला और शरा्ब जसेै अनय हासनकारक पिाथथों पर भी चचा्ण की । अतं में नाटक के सभी पारिों ने मजाक के रूप में गानों पर नाच दकया।

अजंसलका कपरू इनटर हाउस नाटक उतसव

सरल शबिों में, अ्ब लगभग सभी वसततुओ ंऔर सेवाओ ंपर एक नया टैकस (कर) लगेगा- जी.एस.टी । जी.एस.टी त््बल २०१६, ३ अगसत हमारे भारत िेश में राजयसभा में पाररत दकया गया। लोकसभा में यह त््बल मई २०१५ में पाररत दकया गया था खजसके आगामी अप्रैल से लागू होने की उममीि है।

अ्ब सवाल उठता है दक ज्ब टैकस िोनों ही खसथसतयों में िेना है तो आखखर इसमें नया कया है और इससे जनता को कया फायिा होगा? िेश के कर सम्बंसधत ढाँचे में सवतंरिता के ्बाि यह एक ्बहतुत ्बडा सतुधार है, जो वयापक पमैाने पर परेू िेश के सनमा्णता, वयापारी और वसततुओं और सेवाओ ंके उपभोगताओ ंपर लगेगा। यह टैकस अनय टैकसों को हटा िेगा, जो दक कें द् और राजय सरकारों द्ारा लगाए गए हैं। इसका फायिा आम लोगों को होगा जसेै- इससे परेू िेश में वसततुओ ंऔर सेवाओ ंकी कीमतें लगभग एक हो जाएंगी, लागत घटेगी, उपभोतिाओ ंके सलए सामान ससता होगा, आदि। परेू िेश में एक ही िर से टैकस लगेगा। जी.एस.टी लागू होने के ्बाि वसततुओ ंऔर सेवाओ ंपर अलग-अलग लगने वाले सभी कर एक ही कर में समादहत हो जाएंगे। इसके िो भाग हैं- १.) कें द् द्ारा लगाया जाने वाला-कें द्ीय जी.एस.टी. २.) राजय द्ारा लगाया जाने वाला -प्रांतीय जी.एस.टी.त्वसभनन कें द्ीय करों और राजय करों को समलाना या समाप् करना और उनके सथान पर एक नए कर लगाने से िोहरे करारोपर (ड्बल टैकसेशन) और ‘केसकेदडंग’ का प्रभाव इफे़कट खतम होगा और इसका फायिा राष्टीय ्बाजार को समलेगा। अगर एक आम आिमी को दृत्टिकोर से िेखा जाए, तो उसके द्ारा चतुकाए जाने वाले सभी करों की मारिा में कमी आ जाएगी। तो कया कहना है आपका! प्रकृसत महाजन,7

जी.एस.टी - जी.एस.टी - जी.एस.टी ! आखखर, यह जी.एस.टी त््बल कया है?

Vasant Valley Today // PAGE 3

इंटर-सकूल म्टीमीदडया प्रसतयोसगता

त्पकसेल - ओ -ग्ादफक प्रसतयोसगता

इस प्रसतयोसगता में १९ सकूलों ने भाग सलया। प्रसतयोसगयों ने कई अचछछी तसवीरें ली और उनहें संपादित दकया। कतु छ त्वचार :"यह प्रसतयोसगता ्बहतुत ही अचछछी थी। त्वषय ्बहतुत ही अनोखा था।""प्रसतयोसगता का त्वषय और भी अचछा हो सकता था।""यह सकूल ्बहतुत ही सतुनिर है और हमें ्बहतुत ही सतुनिर तसवीरें खीचने को समली।" म्टीमीदडया प्रसतयोसगता

1st. मेयो कॉलेज ग्स्ण सकूल2nd. वसंत वलैी सकूल

3rd. साधतु वासवानी इंटरनेशनल सकूल

टेक -ओ- ्बाइट1st. दि्ली पखबलक सकूल , आर. के. पतुरम

2nd. सेंट कोल्ंबस सकूल3rd. एसमटी इंटरनेशनल सकूल, साकेत

त्पकसेल - ओ -ग्ादफक1st. टैगोर इंटरनेशनल सकूल, वसंत त्वहार

2nd. जी डी गोयनका , वसंत कतुं ज3rd. सशव नािर सकूल

खेल - ओ -राजनसयक1st. दि्ली पखबलक सकूल , आर. के. पतुरम

2nd. एसमटी इंटरनेशनल सकूल, साकेत

पररराम

‘मेयो कॉलेज ग्स्ण सकूल’ के चलसचरि में सकूल की कतु छ छारिाएँ समीप के एक गाँव जाती है। "जाहे" गांव के लोग उनहें अपनी कथा ्बताते हैं | उनहें पीने का पानी तक नहीं समलता हैं कयोंदक नए

कारखानों ने भजूल को प्रितू्षत कर दिया हैं |उनकी आखँों में आसँ ूहैं, पर पीने के सलए एक भी ्ँूबि नहीं है | मेयो कॉलेज की छारिाओ ंका इरािा है दक कतु छ ही सालो में पानी ही एक राजय की शत्ति का मापिंड होगा | एक राजय की शत्ति का मापिंड होगा |

म्टीमीदडया प्रसतयोसगता के 'टेक-ओ-्बाइट' िो चरर थे। पहले चरर में १६ टीमों ने भाग सलया । इस चरर में अनय त्वषयों पर आधाररत प्रश्न थे,जैसे दक कंपयटूर सॉफटवेर,हाड्णवेयर और आधतुसनक टेकनोलॉजी। पहले चरर के ४ सवयोत्तम टीमों ने िसूरे चरर में भाग सलया-डीपीएस,राम कृषर पतुरम,सेंट कोलम्बस सकूल, एसमटी इंटरनेशनल सकूल,साकेत और जी डी गोयनका सकूल ।इस चरर में ्बहतुत सारे रोचक प्रश्न पछेू गए और प्रश्नोत्तरी के िश्णकों ने भी सहष्ण भाग सलया । अंत में, डीपीएस, राम कृषर पतुरम ने प्रथम सथान प्राप् दकया,सेंट कोलम्बस सकूल ने दद्तीय सथान और एसमटी इंटरनेशनल सकूल ने ततृीय सथान प्राप् दकया।

वसंत वलैी सकूल

वसंत वैली सकूल की दफ़्म …. एक लडके को प्रसततुत करती है जो एक ्बाररश में नतृय पाटटी करना चाहता था । इस कारर उसका समरि उसे एक झोंपड-पटटी में ले जाता है । िश्णकों को दिखाया जाता है दक वहाँ के सनवासी पानी और नल की अतयसधक कमी के कारर सिा परेशानी में रहते हैं- । यह भी दिखाया गया दक ्बचपन की सतुंिरता पानी के झगडे के कारर, सछनती जा रही है। इनका दफ्म का नाम था ‘कागज की नाव’ और उनहोंने एक सवाल प्रसततुत दकया था 'कया आप इतने पानी में रह सकते हो?’

साधतु वासवानी सकूल ने हासय का प्रयोग कर के पानी ्बचाने का महतवपरू्ण सनिेश भेजा। उनहोंने हमें २०५० का एक कख्पत दृशय दिखाया जहाँ पानी ्बहतुत ही कीमती हो गया था। यह दफ्म ्बहतुत ही मजेिार थी ।

मेयो कॉलेज ग्स्ण सकूल

साधतु वासवानी सकूल

'टेक-ओ-्बाइट'

प्रकृसत महाजन,7

Vasant Valley Today // PAGE 4

दकसी लेखक ने सच ही कहा है दक ‘लेखनी में तलवार से असधक ताकत होती है।‘ एक अचछा लेखक वही होता है जो पहले सवयं ख्ूब पढता है, उस त्वषय के ्बारे में िेखता है, समझता है, जानता है या उन हालातों को सवयं भोगता है। केवल क्पना करने से अचछा नहीं सलखा जा सकता है। कतु छ लोग पसैा कमाने के सलए सलखते हैं, कतु छ प्रससत्द्ध पाने के सलए या तो कतु छ मज्बरूी में सलखते हैं। लेदकन मन की गहराइयों और अपनी प्रसननता के सलए जो सलखते हैं, उनकी ततुलना नहीं की जा सकती है।

कई लोग अपने भाव और अपने त्वचार सलखखत रूप से और अचछछी तरह प्रकट कर सकते हैं। कई भाव कहने से जयािा, सलखखत में सतुंिर लगते हैं। शायरी और गजल जसेै माधयम शबिों को भी एक अनमोल रुप िेते है जो हमारे दिल को छू जाते हैं। अचछे सादहतय ने समाज की सोच को ्बिला है, वयवसथा में पररवत्णन दकया है और समाज को जागरूक दकया है। इसतहास ऐसे सकैडों उिाहररों से भरा पडा है। अतः ज्ब भी सलखखए, दिल से सलखखए, िेखखएगा लोग दिल से पढेंगे।

सलखने का आननि

संयतुति राष्ट ने मानव सवासथय के सलए िालों के महत्व के प्रसत जागरूकता पैिा करने के सलए वष्ण 2016 को अंतरराष्टीय िलहन ‘वष्ण २०१६ अतंरराष्टीय िलहन वष्ण (आईवाईपी) के रूप में मनाए जायेगा’,ऐसा संयतुति राष्ट ने मानव सवासथय में िालों के महत्व के प्रसत जागरूकता पिैा करने के सलए घोत्षत दकया है। संयतुति राष्ट खाद् एवं कृत्ष संगठन (एफएओ) के अनतुसार प्रोटीन,फाइ्बर एवं अनय आवशयक पोषक तत्वों से भरपरू िालों को भोजन में आवशयक रूप से शासमल दकया जाना चादहए। लोगों को पे्रररत करने के इस लक्य से यह किम उठाया गया है।भारत ितुसनया में िलहन का स्बसे ्बडा उतपािक िेश है लेदकन यहाँ इसकी खपत भी स्बसे असधक है और यह इसका ितुसनया में स्बसे ्बडा आयातक िेश भी है।िालों की लोकत्प्रयता में तेजी से वतृ्द्ध हतुई है और वह एक पौत्टिक, ्बहतुमतुखी खाद् पिाथ्ण के रूप में सवसथ आहार में एक आवशयक भसूमका सनभातीं हैं। िालें अदद्तीय हैं कयोंदक इन में उचच कोदट के प्रोटीन और जरूरी अमीनो एससड पाये जाते है। एक आधा कप पकी िाल में ९ ग्ाम प्रोटीन की मारिा होती हैं।

िालों में जदटल का्बयोहाइडे्ट होते हैं, जो फाइ्बर और पे्रत््बओदटकस से पेट को सवसथ रखते हैं और हमारी भखू को कम करते हैं। िालों के उचच फाइ्बर रति में मौजिू कोलेसट्ॉल को घटाता है और पाचन में मिि करता है। प्रसत दिन िाल का एक कप खरा्ब कोलेसट्ॉल को ५ प्रसतशत तक कम कर िेता है। इसका मतल्ब है दक दिल के िौरे और सट्ोक का खतरा भी कम हो जाता है।िालों में असधक आवशयक त्वटासमन और घने पोषक ततव अपेक्षाकृत कम कैलोरी के साथ समलते हैं। ्बीनस में मगैनीसशयम होता है ,जो हमारी समसृत को ्बढाता है और एंटीओकसाडेंटस त्वशेष रूप से प्रसतरोधक क्षमता को ्बढा िेतें हैं। ऊफ ! इतनी पढाई करने के ्बाि समझ आ रहा हैं दक मममी खाने की मेज से िाल खाए त््बना कयों उठने नहीं िेती।

अतंरराष्टीय िलहन वष्ण

ससतम्बर के पहले सप्ाह में कक्षा ११ के कतु छ छारिों को छारि-त्वसनमय काय्णक्रम के सलए , दफ़नलैंड जाने का एक अनोखा अवसर दिया गया था। इस एक सप्ाह में हम एक दफसनश पररवार के साथ रहे और उनके तौर-तरीके व रहन-सहन के ्बारे में जानकारी प्राप् की । खजस शहर में हम ठहरे थे, ‘हेलससंकी’, भले ही आकार और जनसँखया में छोटा है, परंततु जसेै-जसेै हमने उसका समनवेषर दकया , वहाँ के लोगों और संसकृसत से पररसचत हतुए। ऐसा प्रतीत हतुआ दक अलग होते हतुए भी हम सभी इसी धरती के प्रारी हैं।

हम ४ दिन वहाँ के कतु लोसारी त्वद्ालय गए, और इस समय में हम कई प्रकार की कक्षाओ ंमें गए और कई दकसमों के सशक्षर शैसलयों का अनतुभव दकया। वहाँ हमने िेखा दक उनका मानना है दक ज्ब छारि एक आरामिायक वातावरर में होते हैं वे ्ेबहतर काम करते हैं ।

अतं में, इस त्वसनमय काय्णक्रम ने कक्षा ११ के छारिों को एक नए त्वषय को अनतुभव करने का अवसर दिया। दफ़नलैंड ने हमारा खतुले ्बाहों व मेहमान नवाजी से सवागत दकया।

नमसकार, आज का मौसम...आपने यह जानकारी कई ्बार सतुनी होगी। यह जानकारी आपको भारत का इनसेट सटेैलाइट िेता है। ८ ससतं्बर २०१६ को भारत ने इनसेट ३-डी आर लांच दकया।यह ४९.१३ मीटर लं्बा राकेट सतीश धवन सपेस सेंटर, श्ीहररकोटा, आधं्र प्रिेश से एक जीएसएलवी (GSLV) फ-०५ राकेट पर लांच हतुआ। इसका वजन २२११ दकलो है, और इसका जीवनकाल १० साल है। इससे पहले मौसम ्बताने वाले ३ और सटेैलाइट भारत ने लांच दकए हैं - क्पना १, इनसेट- ३अ और इनसेट- ३-डी। परंततु, इनसेट-३-डी आर इन स्बसे जयािा उननत है। यह भारत के अतंररक्ष अनवेषर प्रोग्ाम के सलए एक और किम है। भारत के अतंररक्ष अनवेषर प्रोग्ाम (ISRO) ने कई चीजें हाससल कर ली हैं, जो और दकसी िेश का अंतररक्ष प्रोग्ाम नहीं कर पाया, जसेै दक भारत एक अकेला िेश है खजसने अपने पहले मास्ण समशन पर सफ़लता प्राप् की। मेरी आशा है दक भारत का अतंररक्ष अनवेषर प्रोग्ाम ऐसे ही ्बढता रहे! हमने इनसेट- ३-डी आर को लॉचं करके अपने मौसम त्वभाग को तो सशति कर दिया, पर काश कोई ऐसा कतु छ लॉचं कर िे दक जमीन-तौर पर भी अगली ्बाररश में हमारा शहर पानी-पानी न हो जाए!

आशावािी,ऋषनव थडानी, 8

इनसैट 3-डी आर

वानया वासतुिेव, 8

अदै्ता सहगल, 6

दफ़नलैंड

श्ये ्बिै, 11

Vasant Valley Today // PAGE5

वानया वासतुिेव, 8

श्ये ्बिै, 11

saur vaaNaI kI baoTI ihndIAaja,adI kI pirBaaYaa hOhma sabakI AaQaar iSalaa yahjana - jana kI AiBalaaYaa hO.

kxaa paM^ca A ko baccao sabasao Alaga hOM.kuC hOM JaUzo kuC hOM saccao. saaro baccao hOM laaomaD,I sao catur AQyaaipka ko saamanao rhto gaaya sao saIQao jaba BaI AQyaaipka baahr jaatI saaro baccao Saaor macaato.kuC baccao tao [tnao SaOtanakrko SaOtanaI vaao hO h^Msaatomagar AQyaaipka kao gaussaa Aata tao baccao kxaa sao baahr jaato kuC baccao caIto sao furtIlao kuC caIMTI sao pirEamaI hmaarI kxaa krtI [tnaa AcCa kama ]samaoM nahIM haotI ek BaI kmaI Aina$d\Qa va%sa 5 - A

Agar saUrja dovata CuT\TI pr jaae^M tao@yaa Aapnao kBaI saaocaa hO ik Agar saUrja dovata CuT\TI pr jaae^M tao @yaa haogaa? calaao maOM batatI h^MU. Agar saUrja dovata CuT\TI pr jaae^Mgao tao QartI pr saba jagah AMQakar hao jaaegaa AaOr hmaoSaa rat hIM rhogaI! kBaI saubah hI nahIM haogaI! if,r baccao skUla nahIM jaa pae^Mgao AaOr tao AaOr QartI pr rhnao vaalao laaoga saaoto hIM rh jaae^Mgao. saba paOQao BaI mar jaae^Mgao! jaanavar Gaasa nahIM Ka sakoMgao AaOr mar jaae^Mgao! laaoga BaI hvaa nahIM pakr mar jaae^Mgao! AaOr ifr QartI pr kao[- jaIva jantu nahIM bacaoMgao! Agar laaoga nahIM bacaoMgao saubah maMidr maoM Bagavaana kI pUjaa kaOna krogaa? saba jagah AMQakar fOlaa haogaa.QartI DravanaI idKogaI.[saI karNa saUrja hmaaro ilae bahut mah%%vapUNa- hO. imaihka baaglaa 4 - A

hmaara raYT/jana gaNa mana hO hmaara raYT/Iya gaItTOgaaor kI klpnaa hO [samaoM sajaIva.

ihndI hmaarI maatRBaaYaa hObaapU hmaaro raYT/ipta hO.

kmala hO hmaara raYT/Iya fUla,[sao na jaanaa kBaI BaUla.

vando maatrma hO raYT/Iya gaItimala jaato hO [samaoM saur saMgaIt.maaor hmaara raYT/Iya pxaI Pyaara,baaGa hO raYT/Iya pSau nyaara.

gaMgaa piva~ nadI hmaarI,lagatI hO sabakao PyaarI.

ramaayaNa gaIta Qaaima-k ga`Mqa hmaarokurana baa[bala BaI hO mastk pr Qaaro.

sabakao samaana AiQakar AaOr maanatBaI tao hO maora Baart mahana

kayara Qar 4 - sa

fUla gae hma skUla

doKoM hmanao bahut sao fUlaAaOr ]namaoM qao bahut sao SaUla

hmanao ifr doKa pD,a hO i~SaUlaifr idna Ktma huAa

jaba hma gae pUla AaOr bana gae kUla

Aa$Ya kpUr

maorI maa^M maorI maa^M krtI hO mauJao bahut Pyaar khtI hO maOM hU^M ]naka yaar. ]nako hOM ihrnaI saI Aa^MKoM AaOr kaoyala saI Aavaaja,. vaao hr pla dotaI maora saaqa AaOr krtI hO pUjaa paz. ]naka idmaaga rhta hrdma baf- saa zMDa [sailae Gar maoM haota nahIM kao[- dMgaa. roSama sao hO ]nako baala ihrnaI jaOsaI hO ]nakI caala maorI maa^M krtI hO mauJao bahut Pyaar khtI hO maOM hU^M ]naka yaar. Annat vaIr 5 - ba

taja yaa~a- ek AnauBava

saubah ko C: baja rho qao jaba hma saba basa maoM ca-Z,o.saba bahut KuSa laga rho qao.tIna - caar GaMTaoM ko saf,r ko baad hma phu^Mcao etmaad-]d daOlaa.vaha^M hmanao baMd fOkTrI doKI, bahtI hu[- yamaunaa BaI doKI. vaha^M sao hma haoTla gae.Kanaa Kakr kmaro maoM Aarama ikyaa.]sako baad hma gae taja ko pICo p`kRit saOr ko ilae.hmanao Ad\Baut icaiD,yaa^M AaOr poD, paOQao doKo.AaOr tao AaOr hmanao tajamahla BaI doKa laoikna dUr sao AaOr pICo sao.]sako baad gae Aagara iklaa. vaapsa haoTla Aae Kanaa Kayaa AaOr saao gae.Agalao idna pa^Mca bajao ]zo.maOM bahut ]%sauk qaI tajamahla doKnao ko ilae.AaiKr hma tajamahla doKnao ko ilae inakla pD,o.vah bahut sauMdr AaOr baD,a qaa.mauJao yah yaa~a bahut hI AcCI lagaI. kaSa maOM ifr sao jaa saktI. Asmaara DOMga 4 - sa

jaIvana ko rMgajaIvana ko saat hO rMga, isaKato jaInao ka ZMga.phlaa rMga yaarI, ijasamaoM BaUla jaae duinayaadarI.dUsara rMga mamata, hr maaoD, pr ijatanao kI hO xamata.tIsara rMga pirvaar, jaao rho Aapko saaqa hr baar.caaOqaa rMga pZ,a[-, ijasanao ija,ndgaI rMgaIna banaa[-.pa^Mcavaa hO Pyaar, krto jaao hma sabasao hO yaar.Cza hO sauK, saatvaa^M duKcalato rh tU AaOr na $k. ‘vaIvasa’ [MiDyana myaUija,k

sahpzna kxaa caar va nasa-rI

yaatayaat pnaDubbaI

saaOifyaa Kana 1 - ba

Vasant Valley Today // PAGE

अनतुषका कलेज, िाररनी चंडोक, तनवी ्बहल, सना कपरू, आय्णन साध, सादहल कतु मार, रात््बया गतुप्ा, अदिसत ससंह,

आरूषी भतुटानी, असीस कौर, इसशता म्होरिा, जोया हसन, आदितय कपूर, जय जगननाथ, अननया जनै, कामया

यािव, सनदकता धवन, ररया कोठारी

मतुखय संपािक - सरीना समत्तल

सहरगानों के ्बोल हैं अगें्जी, पर आज अिंाज िेसी। ्बझूो तो जाने...

1. एक और ्बार मेरे जाने के पहले, उचची शत्ति के पास मेरे ऊपर पकड है।

2. आज रात को मजे करने के सलए मतुझे डॉलर त््बल की जरुरत नहीं है। मतुझे पैसों की त््बलकतु ल जरुरत नहीं है, ज्ब तक मैं ्बीट को महससू कर सकती हँू। मतुझे पसैों की त््बलकतु ल जरुरत नहीं है, ज्ब तक मैं नाच रही हँू।

3. अगर ततुमहे लग रहा है दक ततुम डू्ब रहे हो, तो मैं सीधा कूि के आ जाऊँगा, ठणडे-ठणडे पानी में ततुमहारे सलए।

4. हम अ्ब ्बात नहीं करते, हम अ्ब ्बात नहीं करते, हम अ्ब ्बात नहीं करते है, जसेै हम पहले करते थे। हम अ्ब हसतें नहीं, वोह स्ब दकस सलए था, ओ! अ्ब हम ्बात पहले की तरह नहीं करते!

5. एक ्बार मैं साथ साल का था, मरी माँ ने मतुझसे ्बोला, िोसत ्बनाओ वना्ण ततुम अकेले हो जाओगे।

6. मैं ततुमहे कभी नही भलूूँगी, ततुम हमेशा मेरे पास रहोगे, ज्ब से मैं ततुमहे समली हँू, मतुझे पता था की ज्ब तक मैं मरँूगी, मैं ततुमहे पयार करती रहँूगी।

7. मैं ततुमसे नफ़रत करती हँू, मैं ततुमसे पयार करती हँू। मतुझे नफरत है की मैं ततुमसे पयार करती हँू। मतुझे ऐसा नहीं करना है पर मैं ततुमहारे आगे दकसी और को नहीं डाल सकती हँू।

गाने का अिंाजा लगाओ!

प्राचीन काल से दहंिी को अलग-अलग रूपों में जाना गया है। दहंिी का स्बसे प्राचीन रूप 'अपभ्ंश' माना जाता है। सन ्४०० में कासलिास ने अपभं्श भाषा में एक नाटक सलखा था, खजसका नाम 'त्वक्रमोव्णशीयम'् था।

- दहंिी िखक्षर एसशया के ्बाहर भी ्बोली जाती है। दहंिी के श्ोता फीजी, मॉररशयस और कें द्ीय/ िखक्षर अमरीकी िेशों (जसेै गतुयाना, सरूीनाम, त्रिसनिाि और टो्बगैो) में भी मौजिू है।

- सन ्१८८१ में ,त्रिदटश इंदडया में, त््बहार स्बसे पहला राजय ्बना, खजसने दहंिी को अपनी असधकारक भाषा ्बनाया।

- आज, दहंिी कम से कम ५० करोड वयत्तियों के द्ारा मात ृभाषा के रूप में ्बोली जाती है।

- 'दहंिी' एक पारसी शबि है खजसका मतल्ब है 'ससंधतु निी की भसूम की भाषा' ।

1.One Dance- Drake, 2.Cheap Thrills- Sia, 3. Cold Water- Major Lazer ft. Justin Bieber, 4.We Don't Talk Anymore- Charlie Puth ft. Selena Gomez, 5. Seven Years- Lucas Graham, 6. Never Forget You- Zara Larsson ft. Mnek, 7. I Hate You, I Love You- Gnash ft. Olivia

अम्बर में जागते सूय्ण कोगीत-मगन कोयल का प्रराम,जो गीत घम को ही घतुला िेउस गीत को मेरा सलाम।

प्रातः की शाखनत भंग न कर तूधयान में अ्ब मन लगा,हाथ जोड मसतक ्बढा तू

सवयं आए हैं खतुिा।

हर डाल पर हर नवीन पत्ता,भय से सनकलता है ्बाहरइंसान कयों इस किर तनेू,दकया अपनी माँ पर वार?

हे मनतुषय अपने अनधकार में,त ूने अपना ्बल गवा,

इंसान, इंसासनयत दिखाकर, ससर झतुका त ूससर झतुका।

संपािक ससमसत

सोहम कककर, 10

रोचक तथय

जय जगननाथ, 11

तनवी ्बहल व अनतुषका कलेज,9

6