प्रकाशितवाक्य की पस्ुतक...प रक चशतव क य...

44
काशितवाय की पुतक काशितवाय की प ठभ मि अयाय एक Manuscript

Upload: others

Post on 21-Nov-2020

19 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • प्रकाशितवाक्य की पसु्तक

    प्रकाशितवाक्य की पषृ् ठभूमि अध्याय एक

    Manuscript

  • ii

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    © थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़ 2012 के द्वारा

    सवागचधकार सरुचित। इस प्रकाशन के मकसी भी भार् क प्रकाशक, थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़, इनक रप रेशन, 316, लाइव ओक्स बलुवेार्ग , कैसलबरी, फ्ल ररर्ा 32707 की चलचित अनमुमत के मबना समीिा, मटप्पणी, या अध्ययन के उदे्दशय ंके चलए संचिप्त उद्धरण ंके अमतररक् त मकसी भी रूप मे ंया मकसी भी तरह के लाभ के चलए पनुः प्रकचशत नही ंमकया जा सकता।

    पमवत्रशास्ट्त्र के सभी उद्धरण बाइबल स साइटी ऑफ़ इंमर्या की महन्दी की पमवत्र बाइबल स ेचलए र्ए है।ं सवागचधकार © The Bible Society of India

    थर्ग ममलमेनयम मममनस्ट्रीज़ की सेवकाई के मवषय मे ं1997 मे ंस्ट्थामपत, थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़ एक लाभमनरपिे ससुमाचाररक मसीही सेवकाई ह ैज पूरे

    संसार के चलए मफु्त मे ंबाइबल आधाररत चशिा प्रदान करने के चलए प्रमतबद्ध ह।ै

    संसार के शिए िफ़ु्त िे ंबाइबि आधाररत शिक्षा।

    हमारा लक्ष्य संसार भर के हज़ार ंपासवान ंऔर मसीही अर्वु ंक मफ़ु्त मे ंमसीही चशिा प्रदान करना ह ैचजन्हे ंसेवकाई के चलए पयागप्त प्रचशिण प्राप्त नही ंहआु ह।ै हम इस लक्ष्य क अंग्रेजी, अरबी, मनर्ाररन, रूसी, और स्ट्पमैनश भाषाओ ंमे ंअमद्वतीय मल्टीमीमर्या सेममनारी पाठ्यक्रम की रचना करने और उन्हे ंमवश्व भर मे ंमवतररत करने के द्वारा पूरा कर रहे है।ं हमारे पाठयक्रम का अनवुाद सहभार्ी सवेकाइय ंके द्वारा दजगन भर स ेअचधक अन्य भाषाओ ंमे ंभी मकया जा रहा ह।ै पाठ्यक्रम मे ंग्रामिक वीमर्य स, चलचित मनदशे, और इंटरनटे संसाधन पाए जाते है।ं इसकी रचना ऐस ेकी र्ई ह ैमक इसका प्रय र् ऑनलाइन और सामदुामयक अध्ययन द न ंसंदभों मे ंस्ट्कूल ,ं समूह ,ं और व्यमिर्त रूप ंमे ंमकया जा सकता ह।ै

    वषों के प्रयास ंस ेहमने अच्छी मवषय-वस्ट्त ुऔर र्णुवत्ता स ेपररपूणग परुस्ट्कार-प्राप्त मल्टीमीमर्या अध्ययन ंकी रचना करने की बहतु ही मकफ़ायती मवचध क मवकचसत मकया ह।ै हमारे लिेक और संपादक धमगवजै्ञामनक रूप से प्रचशचित चशिक है,ं हमारे अनवुादक धमगवजै्ञामनक रूप से दि है ंऔर लक्ष्य-भाषाओ ंके मातभृाषी है,ं और हमारे अध्याय ंमे ंसंसार भर के सकैड ंसम्मामनत सेममनारी प्र फ़ेसर ंऔर पासवान ंके र्हन मवचार शाममल है।ं इसके अमतररि हमारे ग्रामिक मर्जाइनर, चचत्रकार, और प्र र्यूससग अत्याधमुनक उपकरण ंऔर तकनीक ंका प्रय र् करन ेके द्वारा उत्पादन के उच्चतम स्ट्तर ंका पालन करते है।ं

    अपने मवतरण के लक्ष्य ंक पूरा करन ेके चलए थर्ग ममलेमनयम ने कलीचसयाओ,ं सेममनाररय ,ं बाइबल स्ट्कूल ,ं ममशनररय ,ं मसीही प्रसारक ,ं सटेलाइट टेलीमवजन प्रदाताओ,ं और अन्य संर्ठन ंके साथ रणनीमतक सहभामर्ताए ँस्ट्थामपत की है।ं इन संबंध ंके िलस्ट्वरूप स्ट्थानीय अर्वु ,ं पासवान ,ं और सेममनारी मवद्याचथगय ंतक अनके मवमर्ओ अध्ययन ंक पहुचँाया जा चकुा ह।ै हमारी वेबसाइट भी मवतरण के माध्यम के रूप मे ंकायग करती ह ैऔर हमारे अध्याय ंके अमतररि साममग्रय ंक भी प्रदान करती ह,ै चजसमे ंऐस ेमनदशे भी शाममल है ंमक अपने चशिण समदुाय क कैसे आरंभ मकया जाए।

    थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज a 501(c)(3) कारप रेशन के रूप मे ंIRS के द्वारा मान्यता प्राप्त ह।ै हम आचथगक रूप से कलीचसयाओ ंके टकै्स-र्ीर्क्टीबल य र्दान ,ं संस्ट्थान ,ं व्यापार ंऔर ल र् ंपर आधाररत है।ं हमारी सेवकाइग के बारे मे ंअचधक जानकारी के चलए और यह जानने के चलए मक आप मकस प्रकार इसमे ंसहभार्ी ह सकते है,ं कृपया हमारी वबैसाइट http://thirdmill.org क दिेे।ं

  • iii

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    मवषय-वस्त ुपररचय ............................................................................................................. 1 ऐमतहाशसक पषृ् ठभूमि ............................................................................................ 1

    िखेक .................................................................................................................... 2 प्ररेरत यूहन्ना ......................................................................................................... 2 स्ट्थान और अनभुव .............................................................................................. 4

    सिय ..................................................................................................................... 6 नीर ................................................................................................................... 6 र् मीचशयन .......................................................................................................... 8

    श्रोता .................................................................................................................... 11 व्यापार संघ ...................................................................................................... 12 यहूदी समदुाय ................................................................................................... 13 र मी प्रशासन ..................................................................................................... 13 स्ट्वच्छंद मसीही ................................................................................................. 13

    धिमवजै्ञामिक पषृ् ठभूमि ........................................................................................ 14 यगुांत-मवज्ञाि .......................................................................................................... 14 वाचा.................................................................................................................... 20 भमवष्यवक् ता .......................................................................................................... 21

    वाचाई दूत ........................................................................................................ 22 संभामवत पररणाम .............................................................................................. 25 प्ररेरत यूहन्ना ....................................................................................................... 26

    सामहत्ययक पषृ् ठभूमि .......................................................................................... 28 भमवष्यवाणी .......................................................................................................... 28

    मवशषेताए ँ......................................................................................................... 30 पूणगताए ँ............................................................................................................. 32

    प्रकािि-संबंधी सामहयय ............................................................................................ 33 मवशषेताए ँ......................................................................................................... 33 ऐमतहाचसक मवकास ........................................................................................... 39

    उपसंहार ......................................................................................................... 41

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक

    प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -1-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    परिचय

    जब यीि ुकी ितृ्य ुहईु, तो उसके बहतु स ेचेलोों और प्रिोंसकोों ने सिझा मक उसने अपनी अोंमति पराजय का अनभुव कर शलया था। कुछ ने तो यहा ाँ तक सिझा मक उसकी सारी शिक्षाएाँ और आश्चययकिय व्यथय थ।े जो बात उसके चेले तीसरे मिन तक नहीों सिझ पाए वह यह थी मक यीि ुकी ितृ्य ुकहानी का अोंत नहीों थी। वास्तव िेों, उसके पनुरुत्थान ने प्रिाशित कर मिया था मक उसकी ितृ्य ुवास्तव िेों उसकी मवजय थी। उसके पनुरुत्थान ने उसके चेलोों को यीि ुकी सेवकाई, िुुःख और ितृ्य ुको एक मबल्कुल नए िमृिकोि स ेसिझन ेिेों सहायता की। और जब यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य की पसु्तक शलखी, तो उसके पाठकोों को एक नए िमृिकोि की आवश्यकता थी। आरोंमभक कलीशसया ने िमििाली रोिी साम्राज्य से सताव का सािना मकया। और कई िसीही इस ेएक पराजय के रूप िेों िेखने लगे। परोंत ुयूहन्ना ने अपने पाठकोों को उत्सामहत मकया मक व ेउस मवजय िेों राहत और भरोसे को प्राप्त करेों शजस ेयीि ुने अपने पनुरुत्थान िेों प्राप्त की ह।ै वह चाहता था मक व ेइस बात को सिझ लेों मक यमि उनके जीवनोों का अोंत िहाित िेों भी हो जाता ह,ै तो भी यह उनकी कहानी का अोंत नहीों होगा। अोंततुः यीि ुअपने राज्य को पूिय करेगा, और इस सोंसार िेों जीवन मबतानवेाला प्रत्यके मवश्वासी उस मवजय िेों भागीिार होगा।

    यह प्रकाशितवाक्य की पसु्तक, शजसे कई बार प्रकािन या यूहन्ना का प्रकािन भी कहा जाता ह,ै की हिारी श्ृोंखला का पहला अध्याय ह।ै हिने इस अध्याय का िीर्यक “प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि”मिया ह।ै इस अध्याय िेों हि िखेेोंगे मक प्रकाशितवाक्य का सोंिभय और इसकी रूपरेखा इसके िूल अथय को सिझने और इसके सोंिेि को आधमुनक सोंसार िेों अपने जीवनोों पर लागू करने िेों हिारी सहायता कर सकती ह।ै

    प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि पर आधाररत यह अध्याय तीन भागोों िेों मवभाशजत होगा। पहला, हि प्रकाशितवाक्य की पसु्तक की ऐमतहाशसक पषृ्ठभूमि का अध्ययन करेोंगे। िूसरा, हि इसकी धियवजै्ञामनक पषृ्ठभूमि पर चचाय करेोंग।े और तीसरा, हि इसकी सामहत्त्यक पषृ्ठभूमि पर ध्यान िेोंग।े आइए प्रकाशितवाक्य की ऐमतहाशसक पषृ्ठभूमि के साथ आरोंभ करेों।

    ऐतिहासिक पषृ्ठभूति

    प्रकाशितवाक्य की पसु्तक न ेअपने लेखन के सिय से ही मवश्वाशसयोों और अमवश्वाशसयोों िोनोों को आकमर्यत मकया ह।ै परोंत ुमवमभन्न व्याख्याकार इस पसु्तक के शचह्ोों और रूपकोों को बहतु ही मभन्न-मभन्न रूपोों िेों सिझते हैों। मवशचत्र प्रािी, आकािीय यदु्ध, मवपमिया ाँ और न्याय — कुछ व्याख्याकार इन रूपकोों को इतने असिोंजसपूिय पाते हैों मक व ेपमवत्रिास्त्र के इस भाग को सिझने की सारी आिा खो बठैते हैों। परोंत ुसच्चाई यह ह ैमक यह अशधकाोंि असिोंजस पसु्तक के ऐमतहाशसक सोंिभय से हिारी अपररशचतता के कारि उत्पन्न होता ह।ै इसशलए प्रकाशितवाक्य की सही व्याख्या करना और उस ेलागू करना सीखने िेों इसके इमतहास के मवर्य िेों कुछ बातोों को सिझना हिारी सहायता करेगा।

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -2-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    बाइबल की प्रत्यके पसु्िक की िंिचना को ििझन ेिे ंयोग्य होन ेका िहत्व बहिु बड़ा ह।ै िै ंयह नह ंकहूूँगा तक यह अत्यावश्यक ह,ै इि बाि पि ध्यान दे ं— पििशे्वि के वचन का एक अनंि कायय ह,ै औि लोग इिि ेप्रत्यक्ष रूप ि ेिंबंध िख िकि ेहै,ं औि यतद आप इिकी वास्ितवक िंिचना को नह ंभ जानि,े तिि भ यह इि ेित्य बने िहने ि ेनह ंिोकिा। यह कहन ेके द्वािा हि बाइबल ि ेऔि असधक बािो ंको प्राप्त किेगं ेयतद हि उि वास्ितवक िंिचना को ििझ ले ंसजििे ंयह सलख गई थ , औि हि ििझ िकि ेहै ंतक इि ेइि िंस्कृति के, इि ििय के लोगो ंके सलए इन तवशेष तवषयो ंके िाथ सलखा गया था। औि जब हि दखेिे है ंतक हि इि ेबहेिि ि ति ि ेिंभाल िकिे है,ं िो यह हि पि कैि ेलागू होिा ह?ै यद्यतप हि तभन्न परिस्स्थति िे ंहै ंतिि भ हि उिके िूल िंदशे के अथय के िाथ िांिजस्य बठैा िकि ेहै।ं औि इि प्रकाि, पसु्िको ंकी ऐतिहासिक िंिचना को खोजने के कायय िे ंबड़े प्रयाि तकए जाि ेहै,ं औि कई बाि इििे बड़े-बड़े उत्ति भ नह ंतिलिे, पिंि ुकई बाि हि इिकी एक अच्छी ििझ को प्राप्त कि िकि ेहै ंतक िूल िंदभय क्या था। औि जब हि उिे प्राप्त कि लिे ेहै,ं िो हि उि िंदभय ि ेअपन ेिंदभय िे ंउिे लागू किन ेकी अच्छी स्स्थति िे ंहोिे है।ं

    — डॉ. प टि वॉकि

    हि प्रकाशितवाक्य की ऐमतहाशसक पषृ्ठभूमि के तीन आधारभूत पहलओुों को िखेेोंगे : इसका लेखक; इसके शलखे जाने का सिय; और इसके िूल श्ोता। आइए प्रकाशितवाक्य के लखेक के साथ आरोंभ करेों।

    लखेक हि प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के लखेक की खोज िो तरीकोों स ेकरेोंगे। पहला, हि िखेेोंग ेमक यूहन्ना

    को इस पसु्तक का लेखक िानने की पारोंपररक रीमत मवश्वसनीय ह।ै और िूसरा, हि यूहन्ना के स्थान और अनभुव की खोज करेोंगे जब उसने इसे शलखा था। आइए पहले उस पारोंपररक िमृिकोि की ओर िड़ेुों मक पे्रररत यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य की पसु्तक को शलखा था।

    प्ररेिि यूहन्ना प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के लेखक ने अपना पररचय काफी प्रचशलत नाि “यूहन्ना”स ेमिया ह।ै

    उसने अपने नाि का उल्लखे प्रकाशितवाक्य 1:1, 4, 9, और 22:8 िेों मकया ह।ै परोंत ुउसने अपना पररचय मविेर् रूप स ेपे्रररत यूहन्ना के रूप िेों नहीों मिया ह।ै उसने यह उल्लेख अवश्य मकया ह ैमक उसने मवश्वासयोग्यता के साथ यीि ुकी सेवा की, और मक उसने परिेश्वर के राज्य के शलए िुुःख उठाया। और इस पसु्तक से यह स्पष्ट प्रतीत होता ह ैमक वह एक भमवष्यवक्ता था। परोंत ुय ेसािान्य मववरि यह ििायने के शलए पयायप्त नहीों हैों मक शजस व्यत्क्त न ेप्रकाशितवाक्य की पसु्तक शलखी वह पे्रररत यूहन्ना था।

    मफर भी, पारोंपररक िमृिकोि की पमुि करने के शलए कि स ेकि िो अच्छे कारि हैों मक पे्रररत यूहन्ना न ेयह पसु्तक शलखी ह।ै पहली बात यह ह ैमक बहतु से आरोंमभक मवश्वसनीय गवाहोों ने प्रिाशित मकया ह ैमक वही इस पसु्तक का लेखक था।

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -3-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    िूसरी ही िताब्िी िेों जत्स्टन िामटययर, आयरेमनयस, और अलके्जेोंमिया के क्लिेेोंट जसैे कलीशसयाई पूवयजोों ने पे्रररत यूहन्ना को प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के लेखक के रूप िेों पहचाना था। जत्स्टन न ेडायलॉग मवि मिफो नािक अपनी पसु्तक के अध्याय 81 िेों यह िावा मकया था। जत्स्टन की गवाही मविेर् रूप स ेइसशलए भी िहत्वपूिय ह ैक्योोंमक वह िूसरी सिी के आरोंभ िेों इमफससु िेों ऐस ेलोगोों के बीच रहा था जो यूहन्ना को व्यत्क्तगत तौर पर जानते थे।

    आयरेमनयस ने अपनी कृमत अगेोंस्ट हेरेसीज़ की पसु्तक 4, अध्याय 18, खोंड 11 िेों यूहन्ना के लेखक होने का उल्लेख मकया ह।ै उसकी गवाही भी काफी सहायक ह,ै क्योोंमक आयरेमनयस, पोलीकापय का चेला था, जो स्वयों पे्रररत यूहन्ना का चेला रहा था। इसके फलस्वरूप, आयरेमनयस इस जानकारी के मवर्य िेों एक बहेतर त्स्थमत िेों था मक यूहन्ना ने वास्तव िेों कौन-कौन सी पसु्तकेों शलखी थीों।

    अोंततुः ऐसा प्रतीत होता ह ैमक अलके्जेोंमिया के क्लेिेोंट ने अपनी पसु्तक हू इज़ ि ररच िनै िटै िलै बी सेव्ड? के खोंड 42 िेों यूहन्ना को इस पसु्तक का लखेक िाना था।

    इस पारोंपररक िमृिकोि मक यूहन्ना न ेही प्रकाशितवाक्य की पसु्तक को शलखा ह ैकी पमुि करने का िूसरा कारि इसकी िब्िावली ह।ै प्रकाशितवाक्य की पसु्तक िब्िावली और यूहन्ना की अन्य पसु्तकोों की िब्िावली िेों बहतु सी सिानताएाँ हैों। सिय की किी के कारि हि केवल िो सिानताओों का उल्लखे करेोंगे।

    पहला, नए मनयि िेों “वचन”या “लोगोस”के रूप िेों िसीह का वियन केवल प्रकाशितवाक्य 19:13 और यूहन्ना 1:1, 14 िेों ही पाया जाता ह।ै ऐसी भार्ा िलैी 1 यूहन्ना 1:1 िेों भी प्रकट होती ह।ै

    और िूसरा, प्रकाशितवाक्य 22:17 िेों यीि ुका कथन “जो प्यासा हो वह आए”का सिानाोंतर रूप नए मनयि िेों यूहन्ना 7:37 िेों उमल्लशखत केवल उसी के कथन “यमि कोई प्यासा हो, तो िेरे पास आए और पीए”िेों पाया जाता ह।ै

    प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के लेखक के रूप िेों पे्रररत यूहन्ना का सिथयन करनेवाले इन सभी िजबूत तकों के बावजूि भी तीसरी सिी से ही ऐस ेआलोचक भी रह ेहैों शजन्होोंने उसके लेखक होने पर सोंिेह जताया ह।ै उिाहरि के तौर पर, तीसरी सिी के मबिप, अलेक्जेोंमिया के डायनायशसस ने ििायया मक प्रकाशितवाक्य के लखेक ने स्वयों का पररचय यूहन्ना के रूप िेों मिया ह,ै जबमक यूहन्ना के ससुिाचार और पमत्रया ाँ के लखेक ने कभी अपना नाि नहीों बताया। डायनायशसस ने प्रकाशितवाक्य और यूहन्ना के की अन्य पसु्तकोों के बीच की अन्य मभन्नताओों की ओर भी ध्यान आकमर्यत मकया, जसैे मक उनकी मवमभन्न सामहत्त्यक िशैलया ाँ और यूनानी भार्ा का प्रयोग। और कुछ आलोचक आज भी ऐसी ही आपमियोों को ििायना जारी रखत ेहैों।

    मनस्सोंिेह, इसके कई अच्छे स्पिीकरि हैों मक क्योों एक ही लेखक ने ऐसी पसु्तकेों शलखी होों जो एक िूसरे स ेमभन्न प्रतीत होती हैों। हैों। उिाहरि के तौर पर, यूहन्ना न ेइस पसु्तक के साथ अपना नाि िायि इसशलए जोड़ा हो तामक लोग इस बात के प्रमत मनत्श्चत रहेों मक यह पसु्तक एक आशधकाररक स्रोत स ेआई ह।ै या मफर िायि उसने अपना नाि इसशलए बताया हो क्योोंमक उसे स्वयों िसीह ने यह आज्ञा िी थी मक वह यह पसु्तक सात मविेर् कलीशसयाओों तक पहुाँचाए। और यूहन्ना द्वारा कुछ पसु्तकोों िेों अपना नाि बताना ही इस मनष्कर्य का कारि नहीों बन जाता मक वह अपनी मकसी भी पसु्तक िेों अपना नाि नहीों शलखेगा।

    यही नहीों, प्रकाशितवाक्य और यूहन्ना की अन्य पसु्तकोों के बीच की िलैीगत मभन्नता को भी सरलता स ेस्पष्ट मकया जा सकता ह।ै यूहन्ना द्वारा प्रकाशितवाक्य की पसु्तक िेों शलशखत िियन उस प्रकािन स ेबहतु ही मभन्न हैों जो उसने यीि ुकी पथृ्वी पर की सेवकाई के िौरान प्राप्त मकया था।

    साथ ही, यूहन्ना द्वारा शलखी बाइबल की अन्य पसु्तकोों के मवपरीत प्रकाशितवाक्य की पसु्तक को प्रकािन-सोंबोंधी िलैी िेों शलखा गया ह,ै और उसकी सामहत्यक िलैी और यूनानी भार्ा के प्रयोग िेों आईं

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -4-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    अशधकााँि मभन्नताओों का िायि यही कारि रहा होगा। य ेमभन्नताएाँ िायि लखेन के मभन्न उदे्दश्योों के कारि और उसके मवमभन्न िूल श्ोताओों के साथ उसके मभन्न-मभन्न सोंबोंधोों के कारि भी रही होों।

    साराोंि िेों, पे्रररत यूहन्ना के लेखक होने के साक्ष्य उन साक्ष्योों स ेकहीों अशधक हैों जो उसके लखेक होने के मवरुद्ध मिए जात ेहैों। इस कारि, इन अध्यायोों िेों हि इस पारोंपररक िमृिकोि की पमुि करेोंगे मक प्रकाशितवाक्य की पसु्तक पे्रररत यूहन्ना द्वारा शलखी गई ह।ै

    प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के लेखक के रूप िेों पे्रररत यूहन्ना के बारे िेों बात करने के बाि, आइए यूहन्ना के स्थान और अनभुव की ओर िड़ेुों जब उसन ेयह पसु्तक शलखी थी।

    स्थाि और अिभुव प्रकाशितवाक्य 1:9 के अनसुार यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य की पसु्तक को तब शलखा जब वह एशजयन

    सिदु्र के एक छोटे स ेटापू पतिसु पर था, जो इमफससु स ेिशक्षि-पत्श्चि की ओर लगभग चालीस िील की िूरी पर था। पतिसु एक चट्टानी और ऊजाड़ स्थान ह,ै जहााँ मबल्कुल वकृ्ष नहीों हैों। इसके उजाड़ होने के कारि यह ऐस ेलोगोों को सजा िनेे का अच्छा स्थान बन गया था शजन्हेों रोिी साम्राज्य की िासन व्यवस्था के शलए खतरा सिझा जाता था। और प्रकाशितवाक्य 1:9 बड़े बल के साथ ििायता ह ैमक यूहन्ना को पतिसु टापू पर बोंिी के रूप िेों भजेा गया था।

    जब यूहन्ना उन कठोर पररत्स्थमतयोों को सह रहा था तो उसने िसीह स ेकई िियनोों को प्राप्त मकया। और प्रकाशितवाक्य की पसु्तक यूहन्ना द्वारा इन्हीों िियनोों का मववरि और उनकी व्याख्या ह।ै

    प्रकाशितवाक्य 1:10-11 िेों यूहन्ना के मववरि को सनुेों :

    िै ंप्रभ ुके तदन आत्िा िे ंआ गया, औि अपन ेप छे ििुह का िा बड़ा शब्द यह कहिे िनुा, “जो कुछ िू दखेिा ह ैउि ेपसु्िक िे ंसलखकि िािो ंकल सियाओ ंके पाि भजे दे, अथायि् इतिििु, औि स्ििुना, औि तपिगिनु, औि थूआि िा, औि ििद ि, औि तिलतदलतिया, औि लौद तकया को।”(प्रकासशिवाक्य 1:10-11)

    यहा ाँ और अन्य अनचु्छेिोों जसैे प्रकाशितवाक्य 21:5 िेों, यूहन्ना ने स्पष्ट कर मिया मक उसने परिेश्वर स ेप्राप्त इस आज्ञा का पालन करते हएु यह पसु्तक शलखी थी। परिेश्वर उसे एक िियन मिखाने जा रहा था, और यूहन्ना को उसे शलखना था और एशिया िाइनर की इन सातोों कलीशसयाओों को भेजना था।

    यह जानते हएु मक प्रकाशितवाक्य की पसु्तक यूहन्ना को मिए गए अलौशलक िियन के फलस्वरूप आई ह,ै कई व्याख्याकारोों न ेइस पसु्तक के लखेक के रूप िेों यूहन्ना के िहत्व को धूमिल कर मिया ह।ै आशिरकार, यमि यह िियन का मववरि िात्र ही ह,ै तो इसके लेखक का क्या िहत्व ह?ै कौन-से सोंभामवत मवचार यूहन्ना ने मिए होोंगे?

    ििेे तवचाि िे जब हि यह िोचि ेहै ंतक कैि ेपतवत्र आत्िा न ेपििशे्वि के वचन औि िनषु्य के वचन के रूप िे ंपतवत्रशास्त्र को ियैाि किन ेके सलए लोगो ंके िाथ कायय तकया, िो हि उन दोनो ंबािो ंको कह िकि ेहै ंतक य ेिानव य लखेक है ंजो बािो ंको िोच िह ेहै,ं औि उि ेस्पष्ट रूप ि ेजोड़ िह ेहै ंजो कुछ व ेििझ िहे है ंऔि सजि ेव ेबिाना चाहिे थ,े औि हि दखे िकि ेहै ंतक पतवत्र आत्िा उनहे ंआकाि द ेिहा ह ैऔि उनके िाथ काि कि िहा ह ैऔि उन बािो ंिे ंउनकी अगवुाई कि िहा ह ैजो सलख हईु है।ं कुछ तवषय ऐि ेहै ंसजनिे ंपतवत्र आत्िा ि ध ेह लोगो ंको बिािा ह ैतक उनहे ंक्या

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -5-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    सलखना ह,ै इिसलए हिािे पाि कुछ प्रत्यक्ष रूप ि ेबिाए लखेन भ है,ं हिािे पाि स्पष्ट ईश्वि य-वाण ह।ै पिंि ुअनय तवषयो ंिे,ं आपके पाि िानव य लखेक की िातहस्त्यक कला ह,ै औि वह बािो ंको इि प्रकाि िे िांस्कृतिक रूपो ंिे ंव्यक्त कििा ह ैसजनिे ंवह चाहिा ह ैतक लोग उिे ििझे,ं औि पििशे्वि उन स्विंत्र तनणययो ंिे ंकाि कि िहा ह ैिातक उनहे ंविैा ह बनाए जिैा वह चाहिा ह।ै यह पििशे्वि के िवोच्च तनदशे औि िानव य सजम्िदेाि का िािंजस्य ह।ै यह पििशे्वि का वचन ह,ै यह िनषु्य का वचन ह।ै

    — डॉ. जॉन ई. ितैिनल े

    आत्िा तभन्न परिस्स्थतियो,ं तभन्न व्यस्क्ित्वो,ं तभन्न शब्दावल , प्रत्यके व्यस्क्ि के तभन्न ऐतिहासिक िियो ंका प्रयोग कििा ह,ै औि उिे इि प्रकाि ि ेदशायिा ह ैतक उि तवशेष ित्य को पूि स्पष्टिा के िाथ प्रकट किे सजिे लखेक के िकय के द्वािा प्रकट तकया जा िहा ह।ै औि इिसलए हिािे पाि पूिे पतवत्रशास्त्र िे ंविदानो ंकी पूि बािच ि, औि ऐतिहासिक पषृ्ठभूति, औि ज्ञान, औि लखेको ंके अनभुव है,ं इिके िाथ-िाथ, हिािे पाि पतवत्र आत्िा के तवशेष कायय है ंजो इन िािे व्यस्क्िगि विदानो ंका प्रयोग किने िे ंहिाि अगवुाई किि ेहै ंसजनहे ंपििशे्वि न ेअपने तवधान िे ंियैाि तकया ह ै— इन िािे व्यस्क्िगि विदानो ंका प्रयोग ऐि ेतकया जाना ह ैसजिि ेईश्वि य प्रकाशन की एक पसु्िक ियैाि हो जो ठीक विै हो जिै वह चाहिा ह ैऔि उििे ंिातहस्त्यक शसैलया ूँ, िभ ऐतिहासिक तवविण, औि लखेको ंकी िाि प ड़ाएूँ शातिल हो।ं यह िब कुछ लखेको ंके िचे्च व्यस्क्ित्व औि इतिहाि के तकि भ प्रकाि के हनन के तबना ईश्वि य िंचालन औि ईश्वि य प्रकाशन का तवषय ह।ै

    — डॉ. थॉिि ज.े नटैल्ि

    अध्याय 2 और 3 िेों मिए गए िब्िोों के सोंभामवत अपवाि के अमतररक्त परिेश्वर ने यूहन्ना को िियन मिखाए, न मक वास्तमवक िब्ि बताए शजन्हेों उसे शलखना था। सािान्य रूप स ेकहेों तो, यूहन्ना ने अपने िियनोों को अपने िब्िोों िेों शलखा। अतुः इस रूप िेों प्रकाशितवाक्य की पसु्तक काफी हि तक यूहन्ना के ससुिाचार के सिान ह।ै

    पहला, यूहन्ना ने यीि ुके जीवन की घटनाओों को बारीकी स ेिखेा। बाि िेों, उसने इन घटनाओों का अपने ससुिाचार िेों वियन मकया, एक तरह स ेउसकी रचना ऐसे की गई मक उसके श्ोताओों की मविेर् जरूरतोों को पूरा करे। लगभग इसी तरह स,े यूहन्ना ने उन िियनोों को भी बारीकी स ेिखेा शजनका वियन उसने प्रकाशितवाक्य की पसु्तक िेों मकया। मफर उसने अपने अनभुवोों के सचे्च मववरि के रूप िेों अपनी पसु्तक शलखी। और जसैा मक हि इन अध्यायोों िेों िखेेोंगे, यूहन्ना न ेप्रकाशितवाक्य की पसु्तक के मववरिोों को ऐस ेरूपोों िेों चनुा और व्यवत्स्थत मकया शजन्होोंने उसके िूल श्ोताओों की आवश्यकताओों को सोंबोशधत मकया।

    बाइबल की बाकी पसु्तकोों के सिान, प्रकाशितवाक्य की पसु्तक भी परिेश्वर की पे्ररिा से शलखी गई थी। पमवत्र आत्िा ने यूहन्ना के काि का मनरीक्षि मकया तामक जो कुछ भी वह शलखे वह सच्चा और आशधकाररक हो। परोंत ुजसैा मक हि इन सारे अध्यायोों िेों िखेेोंगे, यूहन्ना अभी भी एक मियािील, और मवचारिील लखेक था। अध्याय 2 और 3 के पत्रोों के अमतररक्त यूहन्ना ने यीि ुस ेमकसी भी तरह की िात्ब्िक

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -6-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    बातोों को प्राप्त नहीों मकया। वह अपने िियन को याि रखने, उस ेसिझने और उसे अपने िब्िोों िेों प्रस्ततु करने के प्रमत शजम्ििेार था।

    अब जबमक हिने यूहन्ना के उस स्थान और अनभुव पर मवचार कर शलया ह ैजब उसने प्रकाशितवाक्य की पसु्तक को शलखा था, इसशलए आइए उस सिय को िखेेों जब उसने इसे शलखा था।

    ििय ससुिाचाररक व्याख्याकार आि तौर पर प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के लेखन के िो सोंभामवत सियोों

    िेों स ेएक की ओर सोंकेत करत ेहैों : या तो रोिी सम्राट नीरो के सिय के िौरान का आरोंभ का सिय, या मफर रोिी सम्राट डोिीशियन के सिय के िौरान का बाि का सिय। हि नीरो के सिय स ेआरोंभ करके इन िोनोों सियोों पर मवचार करेोंग।े

    न िो रोिी सम्राट नीरो ने 54 ईस्वी स ेलेकर 68 ईस्वी तक िासन मकया, और नीरो के िासन के सिय का

    तकय िेनेवाले इमतहासकार प्रकाशितवाक्य के लखेन को उसके िासन के अोंत की ओर रखने की प्रवमृि रखते हैों। नीरो के आरोंमभक वर्ों िेों सक्षि सलाहकारोों का उसके ऊपर बहतु प्रभाव था। परोंत ुजसैे-जसैे सिय बीतता गया वसैे-वसैे उसका िासन नाटकीय ढोंग स ेभ्रि होता गया। नीरो 64 ईस्वी िेों रोि िेों लगी आग के शलए िसीमहयोों पर िोर् लगाने के शलए, और इस िोर् का प्रयोग करके बड़ी सोंख्या िेों रोि िेों रहनेवाले मवश्वाशसयोों को सताने के शलए कुख्यात ह।ै

    िम्राट न िो ने पहल िद के िध्य िे ंयह ििाव िखु्यिः िि तहयो ंको बसल के बकिे बनान ेके सलए तकया। िोि नगि िे ंआग लग गई थ , औि िम्राट न िो को शहिो ंके नव न किण की परियोजनाओ ंके सलए जाना जािा था, औि इि ििह ि ेजब आग बहिु असधक जगहो ंपि फ़ैल गई औि जब अनय ितैनको ंन ेआकि उन भवनो ंको खाल किाना शरुू तकया जो कुछ लोगो ंके अनिुाि अनावश्यक था, िो ऐि ेकुछ लोग थ ेसजनहोनंे िहिूि तकया तक शहिो ंके नव न किण की परियोजना के कािण उनका नकुिान हआु ह,ै औि यह िम्राट की गलि थ । इिसलए तवद्रोह होन ेका खििा बढ़ गया था। वह तकि को ढूूँढ िहा था सजि पि वह उि आग का दोष लगा िके औि उिन ेइिे िि तहयो ंके िाथ जोड़ तदया। औि इिके सलए िि तहयो ंको अलग-अलग िि को ंि ेयािनाएूँ द गईं िातक उनिे बलपूवयक स्व काि किवाया जाए तक इि आग के प छे उनह ंका हाथ था।

    — डॉ. जमे्ि ड . सिम्थ III

    प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के नीरो के िासनकाल के अोंमति वर्ों के िौरान शलखे जाने के तकय तीन जानकाररयोों पर आधाररत ह।ै पहला िखु्य प्रिाि ह ैयूहन्ना द्वारा सात राजाओों का उल्लखे।

    प्रकाशितवाक्य 17 िेों यूहन्ना ने लाल रोंगवाले एक पि ुका वियन मकया ह ैशजसके सात शसर और िस सीोंग थ।े और पि 9-11 िेों उसने कहा मक सात शसर सात राजाओों को ििायते हैों। अशधकाोंि व्याख्याकार सहित हैों मक य ेसात राजा रोिी सम्राट थ।े यूशलयसु कैसर को कई बार पहला रोिी सम्राट िाना जाता ह।ै

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -7-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    उसके बाि औगसु्तसु, मतमबररयसु, काशलगलुा, क्लौमियसु, नीरो, और गलबा आए। वास्तव िेों, प्रकाशितवाक्य 17:10 िेों हि इस बात का मववरि पाते हैों मक रोि का छठा सम्राट सिा िेों था जब यूहन्ना ने अपने िियन को प्राप्त मकया था और प्रकाशितवाक्य की पसु्तक को शलखा था। इस पि ने कई व्याख्याकारोों को यह मनष्कर्य मनकालने िेों पे्रररत मकया ह ैमक यूहन्ना का प्रकािन नीरो के िासनकाल िेों शलखा गया था।

    इस बात का िूसरा िखु्य तकय मक यूहन्ना ने नीरो के िासनकाल िेों इस पसु्तक को शलखा था, यूहन्ना के यहूिी िोंमिर के उल्लखे स ेआता ह।ै मविेर्कर, यूहन्ना ने िोंमिर का उल्लेख प्रकाशितवाक्य 11 िेों मकया था, और कुछ मवद्वान इसका यह अथय मनकालते हैों मक यरूिलिे िेों यहूिी िोंमिर उस सिय भी खड़ा था जब प्रकाशितवाक्य को शलखा गया था। परोंत ुइमतहास ििायता ह ैमक यरूिलेि का िोंमिर 70 ईस्वी िेों, नीरो के िासन के सिाप्त होने के िो वर्ों के बाि नि मकया गया था। अतुः यमि प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के शलखे जाने के सिय तक िोंमिर खड़ा था, तो सोंभव ह ैमक प्रकाशितवाक्य की पसु्तक नीरो के िासनकाल िेों शलखी गई थी।

    तीसरा कारि जो नीरो के सिय िेों शलखे जाने की ओर सोंकेत कर सकता ह,ै वह यह ह ैमक यूहन्ना न ेसताव के सिय के िौरान इसे शलखा। प्रकाशितवाक्य की पसु्तक बार-बार इस बात का उल्लखे करती ह ैमक यूहन्ना के पाठक किोों का सािना कर रहे थ।े हि इसे प्रकाशितवाक्य 1:9; 2:9, 10, 13; 6:9 और 20:4 िेों िेखते हैों। और जसैा मक हि पहले ही कह चकेु हैों, नीरो िसीमहयोों पर होनवेाले सताव को बढ़ावा िेने के शलए प्रचशलत था। ऐसा करनेवाला वह एकिात्र रोिी सम्राट नहीों था, परोंत ुवह बड़े पिैाने पर ऐसा करने वाला पहला था, यद्यमप उसके सताव सािान्यतुः रोि के आस-पास के के्षत्र तक ही सीमित थ।े

    िोि िम्राट न िो सजिने 54 ईस्व ि ेलकेि 68 ईस्व िक शािन तकया, एक बहिु ह कू्रि िम्राट के रूप िे ंप्रचसलि था। वह कई िि को ंि ेबहिु ि ेलोगो ंको ििान ेके सलए भ प्रचसलि था। उदाहिण के िौि पि, उिने अपन ेह परिवाि के िदस्यो ंको िाि डाला था, औि वह शायद िि तहयो ंको ििानवेाला पहला िोि िम्राट था। उिने ऐिा कैि ेतकया? हिािे पाि टिै टि नाि का एक प्राच न इतिहािकाि ह ैजो हिे ंबिािा ह ैतक कुछ िि तहयो ंको िोि िे ंिािकोल िे ंडुबोकि वास्िव िे ंिोशन दनेे के सलए जलाया गया था। कुछ को जंगल पशओु ंकी खाल िे ंलपेटकि औि जानविो ंको सखलाया गया था, औि कहा जािा ह ैतक कुछ को िो कू्रिो ंके ऊपि कीलो ंि ेजड़ तदया गया था।

    — डॉ. ब्ैडंन क्रो

    यद्यमप ऐसा कोई सटीक ऐमतहाशसक प्रिाि नहीों ह ैमक नीरो के अधीन सताव रोि स ेबढ़कर साम्राज्य के अन्य भागोों िेों फैला, मफर भी इसकी सोंभावना स ेइनकार भी नहीों मकया जा सकता। अतुः इसे नीरो के िासनकाल िेों शलख ेजान ेका सिथयन करने के रूप िेों भी िखेा जा सकता ह।ै

    जबमक इसके नीरो के िासनकाल िेों शलखे जाने का सिथयन करने के तकों िेों कुछ लाभ अवश्य ह,ै परोंत ुय ेपूरी तरह से भरोसिेोंि नहीों हैों। वास्तव िेों, इनके मवरूद्ध कई आपमिया ाँ उठाई गई हैों।

    सबसे पहले, यूशलयसु कैसर वास्तव िेों एक सम्राट नहीों था। उसका उिराशधकारी औगसु्तसु इस पिवी का िावा करनवेाला पहला व्यत्क्त था। अतुः हो सकता ह ैमक यूशलयसु कैसर प्रकाशितवाक्य 17:9-11 िेों उमल्लशखत सात राजाओों िेों स ेपहला राजा न हो।

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -8-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    िूसरा, जसैा मक हि िखे चकेु हैों, प्रकाशितवाक्य 11 िोंमिर का उल्लखे करता ह।ै परोंत ुप्रकाशितवाक्य 11:1-2 िेों यूहन्ना को बताया गया था मक केवल बाहरी आोंगन को छोड़कर इस िोंमिर को अन्यजामतयोों स ेबचाया जाएगा। इसके मवपरीत, ििी 24:1-2 िेों स्वयों यीि ुने पहले से ही भमवष्यवािी कर िी थी मक अन्यजामतयोों के द्वारा यरूिलेि का िोंमिर नाि कर मिया जाएगा। अतुः यह समुनत्श्चत करना कमठन ह ैमक क्या प्रकाशिवाक्य 11 उसी िोंमिर को ििायता ह ैशजसे 70 ईस्वी िेों नाि कर मिया गया था।

    तीसरा, जबमक यह सोंभव ह ैमक नीरो का सताव अखाया तक फैल गया था, परोंत ुइसका कोई ऐमतहाशसक प्रिाि नहीों ह ैमक ऐसा वास्तव िेों हआु था। अतुः िसीमहयोों पर हएु सताव के यूहन्ना के मववरिोों को सीध ेनीरो के साथ जोड़ना कमठन ह।ै ऐसी सिस्याओों के कारि अशधकाोंि ससुिाचाररक लोग प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के शलखे जाने के बाि के सिय को प्रिखुता ितेे हैों।

    अब क्योोंमक हिन ेनीरो के मिनोों के सिय से सोंबोंशधत तकों को िेख शलया ह,ै इसशलए आइए उन प्रिािोों को िखेेों जो सझुाव ितेे हैों मक यूहन्ना ने डोिीशियन के िासनकाल िेों प्रकाशितवाक्य की पसु्तक को शलखा था।

    डोि सशयन ऐस ेमवद्वान् जो प्रकाशितवाक्य के लखेन के बाि के सिय का पक्ष लेते हैों, व ेइस ेरोिी सम्राट

    डोिीशियन के िासनकाल िेों शलखी गई ििायते हैों, शजसने 81 से 96 ईस्वी तक िासन मकया था। प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के इस सिय के िौरान शलखे जाने के पक्ष िेों कि स ेकि चार कारिोों को ििायया जा सकता ह।ै

    पहला, कई आरोंमभक कलीशसयाई पूवयजोों ने ििायया ह ैमक यह पसु्तक इस सिय िेों शलखी गई थी। उिाहरि के शलए, अपनी कृमत अगेोंस्ट हेरेसीज़ की पसु्तक 5, अध्याय 30, खोंड 3 िेों आोंरमभक कलीशसयाई पूवयज आयरेमनयस ने बताया मक प्रकाशितवाक्य की पसु्तक “डोिीशियन के िासन के लगभग अोंत िेों शलखी गई थी।”इस अध्याय िेों पहल ेहिने उल्लखे मकया था मक आयरेमनयस, पोलीकापय का शिष्य था, और पोलीकापय पे्रररत यूहन्ना का शिष्य था। इसशलए इस मवर्य पर उसकी गवाही पर भरोसा करन ेका वधै कारि ह।ै

    लेखन का यह सिय िूसरी सिी के आरोंभ के कुछ कलीशसयाई पूवयजोों की गवाही के साथ भी िेल खाता ह ैजसै ेअलेक्जेोंमिया का क्लिेेोंट, शजसने ििायया मक यूहन्ना डोिीशियन की ितृ्य ुके बाि मनवायसन स ेििु हआु था।

    इसके डोिीशियन के िासनकाल िेों शलखे जाने की ओर सोंकेत करने का िूसरा कारि सात राजाओों का वसैा ही उल्लखे ह ैशजसका प्रयोग कुछ व्याख्याकार नीरो के िासनकाल िेों शलखे जाने के सिय का सिथयन करने िेों करते हैों। जसैा मक हि िेख चकेु हैों, प्रकाशितवाक्य 17:9-11 िेों यूहन्ना ने स्पष्ट मकया मक लाल रोंग के पि ुके सात शसर सात राजा थे। डोिीशियन के िासनकाल िेों शलखे जाने के सिय का तकय िनेेवाल ेलोग कहते हैों मक सभी सातोों राजाओों को कलीशसया के भोंयकर सतानवेालोों के रूप िेों प्रस्ततु मकया गया ह।ै अतुः रोिी सम्राटोों की मगनती करन ेकी अपेक्षा, व ेकेवल उऩहीों सम्राटोों को मगनते हैों शजन्होनेों कलीशसया को बहतु अशधक सताया था।

    इस महसाब से कशलगलुा पहला सम्राट था। उसने 37 से 41 ईस्वी तक िासन मकया था। िूसरा क्लौमियसु था, शजसने 41 स े51 ईस्वी तक िासन मकया था। तीसरा नीरो था, शजसने 54 स े68 ईस्वी तक िासन मकया था। नीरो के बाि, तीन छोटे-छोटे सम्राट आए शजन पर ध्यान नहीों मिया गया ह,ै क्योोंमक उनके सिय िेों कलीशसया पर कोई ज्यािा सताव नहीों हआु। चौथा सम्राट शजसने कलीशसया को सताया वह

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -9-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    वसैपाशसयन था, शजसने 69 से 79 ईस्वी तक िासन मकया था। पा ाँचवा ाँ टाईटस था, शजसने 79 से 81 ईस्वी तक िासन मकया था। और छठा सम्राट, शजसके िासन के िौरान प्रकाशितवाक्य की पसु्तक शलखी गई होगी, डोिीशियन था, शजसने 81 से 96 ईस्वी तक िासन मकया था।

    तीसरा कारि जो इसके लेखन के सिय को डोिीशियन के िासनकाल िेों ििायता ह,ै वह ह ैिसीमहयोों का सताया जाना।

    डोि सशयन विैपासियन का पतु्र औि टाईटि का भाई था। अब आपको इिके बािे िे ंयह जानन ेकी आवश्यकिा ह ैतक विैपासियन औि टाईटि व्यस्क्िगि िौि पि 70 ईस्व िे ंयरूशलिे के पिन, औि आिंतभक यहूद वाद के अगवुो ंको जड़ ि ेउखाड़ने औि ििादा िक यहूतदयो ंका लगािाि प छा किने, औि ििादा पि आक्रिण किने औि 72 ईस्व िे ंबड़ िंख्या िे ंयूहद जलेोतियो ंका ििाया किन ेके सजम्िदेाि थ।े अिः उि परिवाि के बािे िे ंकि ि ेकि एक बाि जो आप कह िकि ेहै,ं वह यह ह ैतक उनिे ंयहूतदयो ंके प्रति कोई पे्रि नह ंथा। इिसलए यह हिैान की बाि नह ंह ैतक डोि सशयन ऐिा िम्राट था सजिने ऐि ेप्रत्यके ििूह को ििाया सजिे उिन ेयहूद धिय िे तनकला हआु दखेा। ऐिा लगिा ह ैतक ििाव पूवय-तनयोसजि होन ेकी अपेक्षा अतनयतिि था। ऐिा लगिा ह ैतक यह पूिे िाम्राज्य के स्िि पि िैल ेहोन ेकी अपेक्षा के्षत्र य था, पिंि ुतिि भ यह बहिु तवद्वषेपूणय था।

    — डॉ. बने तवदरिंगटन III

    डोि सशयन हि तकि के प छे पड़ा, औि लोग उििे इिन नििि किि ेथ ेतक कुछ ह ििय के बाद उनहोनं ेउिका नाि िंगशालाओ ंजिै ेस्थानो ंि ेउखाड़ डाला जो उिे िितपयि थ,े औि व ेलोग वास्िव िे ंपूिे िाम्राज्य िे ंगए औि उिके नाि को तिटा डाला, क्योतंक उििे बहिु नििि की जाि थ । उििे नििि क्यो ंकी जाि थ ? क्योतंक उिने अपन ेप्रति आि ेतदखनवेाल ेहि तविोध को कुचल डाला था।

    — डॉ. ब्ैडंन क्रो

    हिे ंयहूतदयो ंके ििाव के तवषय िे ंवास्िव िे ंिि तहयो ंके ििाव ि ेअसधक जानकाि ह,ै पिंि ुइििे ंकोई िंदहे नह ंह ैतक य ेदोनो ंह बहिु भयंकि थ,े औि उिके िलस्वरुप जो लोग प्रकासशिवाक्य के लखेन को पहल िद के अंि िे ंिखि ेहै,ं व ेिहिूि किेगं ेतक पश ुया बड़ा दानव सजिके बािे िे ंप्रकासशिवाक्य िे ंकहा गया ह,ै वास्िव िे ंडोि सशयन ह।ै वह िो न िो ि ेभ बढ़कि था, िंभविया पागल था, पूिा पागल था। वह ऐिा था जो अपन आदिवश स्स्त्रयो ंऔि बौने लोगो ंको लड़ि ेहएु दखेना पंिद कििा था, वह कीड़ो ंको पकड़ लिेा था औि उनहे ंिूई ि ेभदेिा िहिा था — य ेबािे ंउनके द्वािा सलख गई है ंसजनहोनंे उि ेऐिा कििा हआु दखेा था — औि अंििः उिे िाि डाला गया, उिके अपन ेएक पिुाने गलुाि न ेउि ेिाि डाला जो उिके पाि वापि आ गया था औि उिने िौके को दखेा औि वह अपन ेआप को िोक नह ंपाया। अिः कई रूपो ंिे ंउििे ंिाजकीय पागलपन की हद थ ।

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -10-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    — डॉ. जमे्ि ड . सिम्थ III

    कई इमतहासकारोों के अनसुार, डोिीशियन न ेरोि से बाहर की कलीशसयाको पहले के मकसी भी सम्राट स ेबहतु अशधक सताया था। उिाहरि के तौर पर, 96 ईस्वी िेों रोि के क्लिेेोंट ने कुररत्न्थयोों को एक पत्र शलखा शजसिेों उसने उनके ऊपर अचानक और लगातार आई मवपमियोों और परेिामनयोों का वियन मकया। य े“मवपमिया ाँ और परेिामनया ाँ”डोिीशियन के िासनकाल िेों िसीमहयोों पर मकए गए समुनयोशजत सताव को ििायती हैों। कहा जाता ह ैमक वह िसीह के आगिन स ेडरता था। और यहा ाँ तक कहता ह ैमक उसने अपने भतीजे, रोिी राजिूत फ्लेमवयस क्लिेेोंस को भी िार डाला, क्योोंमक फ्लेमवयस एक िसीही था।

    प्रकाशितवाक्य के डोिीशियन के सिय िेों शलखे जाने का सझुाव िनेे का चौथा कारि यह ह ैमक डोिीशियन चाहता था सम्राट की आराधना की जाए।

    डोि सशयन के ििय ि ेहि यह बाि भ जानि ेहै ंतक िम्राट-आिाधना की झूठी ि ति बढि जा िह थ । औि िम्राट-आिाधना की झूठी ि ति औगसु्ििु के ििय ि ेिाम्राज्य के आिंभ ि ेचल आ िह थ । पिंि ुजब आप डोि सशयन के ििय िक पहुूँचिे है,ं िो वह ऐि बािे ंकह िहा था,“जब िक िै ंज तवि हू ूँ, ििु ििे ह आिाधना किो।”औगसु्ििु के तवषय िे ंकहे ंिो उिकी आिाधना उिके ििन ेके बाद एक दवै य िनषु्य के रूप िे ंहोि थ । पिंि ुजब आप पहल िद के अंि िे ंपहुूँचिे है,ं िो व ेडोि सशयन जिै ेज तवि िम्राट की आिाधना कि िहे थ,े या तिि उनहे ंऐिा किने के सलए कहा गया था। वह यह कहि ेहएु चलिा था,“डेउि एट डोि निु नोस्टि, अथायि् हिािे प्रभ ुऔि हिािे ईश्वि के रूप िे ंकेवल ििे आिाधना किो।”जो कहने का वह रूप ह ैसजिका प्रयोग यूहन्ना के ििुिाचाि के अंि िे ंथोिा य श ुके सलए कििा ह,ै“ििेा प्रभ ुऔि ििेा पििशे्वि।”औि इि भाषाशलै का प्रयोग प्रकासशिवाक्य की पसु्िक िे ंभ लगािाि तकया गया ह।ै अिः ऐिा प्रि ि होिा ह ैतक प्रकासशिवाक्य की पसु्िक का िंदभय वह ििय ह ैजब िम्राट-आिाधना बढ़ िह थ औि एसशया िाइनि जिै ेस्थानो ंिे,ं जहाूँ व ेकल सियाएूँ थ ,ं िि तहयो ंपि ििाव बढ़िा जा िहा था।

    — डॉ. बने तवदरिंगटन III

    सम्राट-आराधना का मवर्य प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के कई भागोों िेों प्रकट होता ह।ै उिाहरि के शलए, प्रकाशितवाक्य के 17:9-11 िेों जो पि ुसात राजाओों को प्रस्ततु करता ह,ै वह प्रकाशितवाक्य 13, 14, और 16 िेों भी लोगोों से अपनी आराधना की िाोंग करता ह।ै यह उदे्दश्य ििाय सकता ह ैमक प्रकाशितवाक्य को ऐस ेसिय िेों शलखा गया था जब रोिी सम्राट ने िसीमहयोों स ेअपनी आराधना की िाोंग की थी।

    इसका कोई प्रिाि नहीों ह ैमक नीरो ने लोगोों स ेअपनी आराधना की िाोंग की। परोंत ुडोिीशियन ने स्पष्ट रूप स ेऐसा मकया था। जब-जब िसीमहयोों ने “ईश्वर और प्रभ”ुहोने के उसके िाव ेको िानने स ेइनकार मकया, तब-तब उन्होोंने उसके िोध का सािना मकया। डोिीशियन अपने सारे पत्रोों का आरोंभ “हिारे प्रभ ुऔर ईश्वर के आििे स”ेनािक वाक्याोंि स ेकरता था, और वह चाहता था मक उसकी प्रजा उस ेवसैे ही सोंबोशधत करे। उसने रोिी िवेताओों के िोंमिरोों िेों अपनी सोने और चाोंिी की िूमतययोों को भी रखवा मिया था।

  • प्रकाचशतवाक्य की पसु्ट्तक अध्याय एक : प्रकाशितवाक्य की पषृ्ठभूमि

    -11-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    परोंत ुइस िमृिकोि की भी अपनी किजोररया ाँ हैों जो ििायता ह ैमक यूहन्ना न ेडोिीशियन के सिय िेों इस पसु्तक को शलखा था। उिाहरि के शलए, यूहन्ना ने कभी नहीों कहा मक अध्याय 17 के सात राजा कलीशसया के भयोंकर सतानेवाले थ।े और उसने कभी 70 ईस्वी िेों हएु यरूिलेि के भौमतक िोंमिर के मवनाि का उल्लखे नहीों मकया, जो मक डोिीशियन के सिय तक हो चकुा था।

    यूहन्ना के द्वारा प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के शलखे जाने के सटीक सिय का मनत्श्चतता के साथ पता नहीों लगाया जा सकता। परोंत ुऐसा प्रतीत होता ह ैमक इस िमृिकोि के शलए अशधक सिथयन ह ैमक यह डोिीशियन के िासन के िौरान शलखी गई थी। ऐस ेव्याख्याकार जो इस िमृिकोि का सिथयन करत ेहैों, व ेसािान्यतुः इसके लेखन के सिय को डोिीशियन के जीवन के अोंत के मनकट, अथायत् यूहन्ना के पतिसु टापू स ेछूटन ेस ेठीक पहले लगभग 95 ईस्वी के आस-पास रखते हैों।

    इन अध्यायोों िेों हिारी कोई भी व्याख्या प्रकाशितवाक्य की पसु्तक के लखेन के मकसी भी सटीक सिय पर केों मद्रत नहीों होगी। इसकी अपेक्षा, हि इस तथ्य पर ध्यान िेगेों मक यह पहली सिी के अोंमति पचास वर्ों के िौरान कभी शलखी गई थी जब मवश्वाशसयोों को उनके मवश्वास के कारि सताया जा रहा था, और उन पर सम्राट की आराधना करने का िबाव डाला जा रहा था।

    प्रकाशितवाक्य के लखेक और लेखन के सिय की जााँच करन ेके बाि, आइए इसके िूल श्ोताओों के मवर्य पर चचाय करेों।

    श्रोिा यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य को स्पि रूप स ेएशिया िाइनर की सात कलीशसयाओों को सोंबोशधत मकया,

    वह के्षत्र अब पत्श्चिी तकुी का महस्सा ह।ै य ेकलीशसयाएाँ इमफससु, स्िरुना, मपरगिनु, थूआतीरा, सरिीस, मफलमिलमफया और लौिीमकया िेों त्स्थत थीों। प्रत्यके कलीशसया ने प्रोत्साहन को प्राप्त मकया, जब आवश्यक हआु, तो उनकी पररत्स्थमत के अनसुार ताड़ना को भी प्राप्त मकया।

    प्रकासशिवाक्य का प्रिखु उदे्दश्य, इिका प्रिखु िंदशे िबिे पहले िािो ंकल सियाओ ंको िि ह िे ंउनकी दशा के बािे िे ंजानकाि दनेा था। जिैे उिने दःुख उठाया औि तवजय हआु, विै ेह व ेभ दःुख उठाएूँग औि तवजय होगं । यह वह तवषय ह ैजो पूि पसु्िक िे ंप्रकट होिा ह।ै दूििा यह ह ैतक उनहे ंअपन ेतवश्वाि औि भिोि े�