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विशेष रिपोर 21 भारत म म ख वाय षण त के कारण रग का बझ GBD MAPS काय सम नीततनमाताओं के लिए सारांश सवासय भाव संसान जनवरी 2018

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विशषे रिपोर्ट 21

भारत में प्रमुख वायु प्रदषूण स्रोतों के कारण ररोग का बरोझ

GBD MAPS काय्य समूह

नीतत तनमा्यताओं के लिए सारांश

सवास्थय प्रभाव संस्ान

जनवरी 2018

स्वास्थ्य प्रभवा् संस्वान के बवारे मेंसवास्थय प्रभाव संस्ान सन 1980 में एक सवतंत्र शरोध संगठन के रूप में स्ापपत हुआ जरो एक गैर-िाभकारी तनगम है। यह सवास्थय पर वायु प्रदषूण के प्रभावों पर उच्च-गुणवतता, तनषपक्ष और प्रासंगगक पवज्ान प्रदान करता है। अपने लमशन करो पूरा करने के लिए, संस्ान

• सवास्थय प्रभाव शरोध के लिए उच्चतम-प्रा्लमकता वािे क्षेत्रों की पह्चान करता है;• प्रततसपधा्यतमक रूप से शरोध पररयरोजनाओं का पवततपरोषण और पय्यवेक्षण करता है;• सवास्थय प्रभाव संस्ान-समग््यत अधययनों और संबंगधत शरोध की गहन सवतंत्र समीक्षा

प्रदान करता है;• सवास्थय प्रभाव संस्ान के शरोध पररणामों करो अनय संस्ानों के पररणामों के सा् वयापक

मूलयांकनों में एकीकृत करता है; त्ा• साव्यजतनक और तनजी तनण्यय तनमा्यताओ ंके लिए सवास्थय प्रभाव ससं्ान के शरोध और

पवशिेषण पररणामों करो स्ंचाररत करता है

सवास्थय प्रभाव संस्ान आमतौर पर अमेररकी पया्यवरण संरक्षण एजेंसी और दतुनया भर में मरोटर वाहन उदयरोग से संतुलित पवततपरोषण प्रापत करता है। अकसर, संयुकत राजय अमेररका और दतुनया भर के अनय साव्यजतनक और तनजी संगठन भी इसके प्रमुख पररयरोजनाओं या शरोध काय्यक्रमों का सम््यन करत ेहैं; पवलियम एंड फिरोरा हैविेट फाउंडशेन और ओक फाउंडशेन ने GBD MAPs करो प्रा्लमक सम््यन ददया। सवास्थय प्रभाव संस्ान ने उततरी अमेररका, यूररोप, एलशया और िैदटन अमेररका में 330 से अगधक शरोध पररयरोजनाओं करो पवतत परोपषत ककया है, जजसके पररणामसवरूप काब्यन मरोनरोऑकसाइड, वायु में घुिे पवषैिे पदा््य, नाइट्रोजन ऑकसाइड, डीजि तनकास, ओजरोन, कणीय पदा््य, और अनय प्रदषूकों के बारे में तनण्यय लिए गए हैं। ये पररणाम सवास्थय प्रभाव संस्ान दवारा प्रकालशत 260 से अगधक वयापक ररपरोटटों के और सा् ही सहकममी-समीक्षा ककए गए सादहतय में 1,000 से अगधक िेखों में ददखाई ददए हैं।

सवास्थय प्रभाव संस्ान के सवतंत्र तनदेशक मंडि में पवज्ान और नीतत के अग्रणी शालमि हैं जरो संगठन के लिए अतयावशयक साव्यजतनक-तनजी साझदेारी करो बढावा देने के लिए प्रततबद्ध हैं। इस ररपरोट्य के लिए, GBD MAPS की एक अतंरा्यषट्ीय सं्चािन सलमतत की तनयुजकत GBD MAPS काय्य समूह करो उच्च सतरीय सिाह और तनरीक्षण प्रदान करने के लिए की गई ्ी। इसके अिावा, सवास्थय प्रभाव संस्ान दवारा उनकी पवशषेज्ता के लिए ्ुचने गए भारत और अनय देशों के सवतंत्र बाहरी सहकममी समीक्षकों दवारा मसौदा अतंतम ररपरोट्य की समीक्षा की गई ्ी। GBD MAPS सटीयररगं कमेटी के पवशषेज्ों ने इस ररपरोट्य के अतंतम संसकरण के एक मसौदे की भी समीक्षा की।

सभी पररयरोजना पररणाम वयापक रूप से सवास्थय प्रभाव संस्ान की वेबसाइट (www.healtheffects.org), मुदरित ररपरोटटों, नयूज़िेटरों और अनय प्रकाशनों, वापष्यक सममेिनों, और पवधायी तनकायों और साव्यजतनक एजेंलसयों के लिए प्रसतुततयों के माधयम से प्रसाररत हरोत ेहैं।

3 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

यह अधययन बताता है• यहरिपोर्टभाितमेंवायुप्रदषूणकेप्रमुखस्ोतोंकेकािणहोने

वालीबीमािीकेवत्टमानऔिअनुमाननतबोझकापहलावयापकमूलयाांकनप्रदानकितीहै।

• 2015में,कईप्रमुखस्ोतोंसेहोनेवालासकू्मकणणकपदार्ट(PM)वायुप्रदषूणलगभग11लाखमौतोंयाभाितमेंहोनेवालीकुलमौतोंमेंसे10.6%केललएजिममेदािरा।दहन स्रोत प्रमखु यरोगदानकता्यओ ंमें शालमि हैं:º आवासीयबायोमासकािलना,भाितमेंबीमािीकेबोझमें

सबसेबडायोगदानदेताहै।आवासीय बायरोमास का जिना, 267,700 मौतों या PM2.5 के कारण हरोने वािी मौतों के िगभग 25% के लिए जजममेदार ्ा, जजससे यह 2015 में मतृयु दर से संबंगधत सबसे महतवपूण्य मानवजतनत स्रोत बन गया। इन बरोझ के अनुमानों में बायरोमास के जिने के आतंररक जरोख़िम में पया्यपत अततररकत बरोझ शालमि नहीं है।

º कोयलेकेदहनऔिखलेुमेंिलानेसेबीमािीकेबोझमेंकाफीयोगदानलमलताहै। औदयरोगगक स्रोतों और ताप पवदयुत सयंंत्रों के बी्च िगभग समान रूप से पवभाजजत करोयिा दहन, 2015 में 169,300 मौतों (15.5%) के लिए जजममेदार ्ा। कृपष अवशषेों करो खिेु में जिाना 66,200 (6.1%) PM2.5 मौतों के लिए जजममेदार ्ा।

º परिवहन,ववतरितडीिलऔिईंरउतपादनकाPM2.5-ववशषेबीमािीकेबोझमेंमहतवपणू्टयोगदानहोताहै। 2015 में, पररवहन में 23,100 िरोगों की मतृयु हुई, पवतररत डीजि से 20,400 मौतें हुई और ईंट के उतपादन में 24,100 िरोगों की मौत हुई।

• यददकोईकाि्टवाईनहीांकीिातीहै,तोPM2.5सेआबादीकािोणखम2050तक40%सेअधिकबढ़नेकीसांभावनाहै। तीन अिग-अिग ऊजा्य दक्षता और वाय ुप्रदषूण तनयंत्रण करने के तरीकों (पररदृशय) का मलूयांकन ककया गया ्ा। सदंभ्य पररदृशय (आरईएफ) में, जजसमें ्रोडा अततररकत काय्यवाही की जाती है, तरो जरोख़िम 2015 में 74 µg/m3 से बढकर 2050 में 106 µg/m3 हरो जाएगा। एक महतवाकांक्षी S2 पररदृशय के अतंग्यत जरोख़िम का सतर 2015 के सतर के आस-पास रखा गया है। महतवाकांक्षी S3 पररदृशय में कलपना की गई सबसे सकक्रय कटौती के अतंग्यत 2015 से 2050 तक केवि िगभग 35% तक कम हरोने का अनमुान िगाया गया है, जरो िगभग 48 g/m3 तक पहँु्च जाता है।

• यददकोईकाि्टवाईनहीांकीिातीहै,तोभववषयमेंसभीस्ोतोंसेबीमािीकाबोझ2050तककाफीहदतकबढ़िाएगा। S2 और S3 पररदृशयों में अनुमातनत जरोखखम कम हरोने के बावजूद, भपवषय में बीमारी का बरोझ बढने की संभावना है, कयोंकक जनसंखया की उम्र और संखया में वपृद्ध हरोती है और अगधक िरोग वायु प्रदषूण के लिए अततसंवेदनशीि हरो जाएँगे। 2015 में हरोने वािी िगभग 11 िाख मौतों की तुिना में, करोई कार्यवाई नहीं करने पर वयापक PM2.5 के कारण हरोने वािी मौतों के 3.6 लमलियन तक बढने का अनुमान है।

• आक्ामककाि्टवाईसेलगभग12लाखमौतोंसेबचािासकताहै;सभीप्रमखुक्ते्ोंमेंबीमािीकेबोझकोकमकिनेकेललएवायुप्रदषूणमेंकमीलानेकीआवशयकताहोगी। भारत सरकार ने वायु की गुणवतता में सुधार करने के लिए कार्यवाई शुरू कर दी है। यह पवशिेषण दशा्यता है कक S3 पररदृशय के तहत आक्रामक कार्यवाई करने पर 2050 में REF पररदृशय के मुकाबिे िगभग 12 िाख िरोग मौत से ब्च सकत ेहैं। यह पवशषे रूप से जरोख़िम कम करने की गततपवगधयों के लिए सही हरोगा, जजसमें आवासीय बायरोमास दहन, करोयिा जिने और मानवी गततपवगधयों से संबंगधत धिू से हरोने वािे जरोख़िम करो कम ककया जाता है।

वायु प्रदषूण ्ुचनौती

दतुनया में बाहरी वायु प्रदषूण के उच्चतम सतरों में से कुछ भारत में हैं। सकू्म कखणक पदा््य (PM2.5*) के उपग्रह और भारतीय भ-ूसतरीय दरोनों प्रकार के मापन से वायु प्रदषूण के सवा्यगधक वयापक अनमुान के अनसुार 99.9% भारतीय आबादी के ऐसे क्षते्रों में रहने का अनमुान है जहाँ 2015 में PM2.5

के लिए पवशव सवास्थय सगंठन (WHO) वायु गणुवतता का 10 µg/m3

का ददशातनददेश पार हरो गया ्ा। िगभग 90% िरोग WHO के अतंररम िक्य-1 (35 µg/m3) से अगधक वािे क्षते्रों में रहत े हैं। इसी प्रकार, अगधकांश भारतीय राजयों (21) और िघ ुक्षते्रों (6) की जनसखंया 2015 में PM2.5 के लिए भारतीय वापष्यक मानक 40 µg/m3 से ऊँ्ेच सतरों के सपंक्य में ्ी। हािांकक भारतीय आबादी दवारा अनुभव ककए गए प्रदषूण में उनके रहने

नीति तनर्माि्ओं के लिए स्र्ंशभारत में प्रमुख वायु प्रदषूण स्रोतों के कारण ररोग का बरोझ

नीतत तनमा्यताओ ंके लिए यह सारांश, GBD MAPS काय्यकारी दि दवारा HEI सपेशि ररपरोट्य 21 से उद्धृत ककया गया है। ररपरोट्य के लिए पूण्य उद्धरण के सा्, यरोगदानकता्यओ ंकी एक सू्ची सारांश के अतं में दी गई है।

पवलियम एंड फिरोरा हेविेट फाउंडशेन और ओक फाउंडशेन दवारा प्रदान ककए गए सम््यन के माधयम से यह दसतावेज़ संभव हुआ। इन या अनय संस्ानों दवारा इस दसतावेज़ की सामगग्रयों

की समीक्षा नहीं की गई है, जजनमें सवास्थय प्रभाव संस्ान करो सम््यन देने वािी संस्ाएँ शालमि हैं; इसलिए, यह इन पक्षों के पव्चारों या नीततयों करो प्रततबबबंबत नहीं कर सकता है और उनके दवारा ककसी सम््यन का तनषकष्य नहीं तनकािना ्चादहए।

*संक्क्षपत नामों और अनय शबदों की एक सू्ची नीतत तनमा्यताओ ंके लिए सारांश के अतं में दी गई है।

4 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

के स्ान के आधार पर लभननतायें आ सकती है, सािाांशधचत्1 ददखाता है कक भारत में वहाँ WHO के ददशातनददेशों और भारतीय मानकों की तिुना में ये सतर असामानय रूप से काफी अगधक है।

बाहरी वायु प्रदषूण के सतर में रुझान भररोसेमंद नहीं है। वायु प्रदषूण के अनुमान दशा्यत ेहैं कक पपछिे 25 वषटों में, भारत के लिए औसत जरोख़िम 1990 में िगभग 60 µg/m3 से बढकर 2015 में 74 µg/m3 तक पहँु्च गया - WHO अतंररम िक्य-1 के सतर से दरोगुना से अगधक और WHO वायु गुणवतता ददशातनददेश की तुिना में सात गुना से अगधक (गिरोबि एयर की वेबसाइट, www.stateofglobalair.org/air में संबंगधत मानग्चत्र देखें)। पपछिे 10 वषटों में सबसे तजे़ वपृद्ध हुई है। भारत सरकार ने अनय स्रोतों के सा् ही वाहनों, ताप पवदयुत संयंत्रों और घरेिू ऊजा्य के उपयरोग, (पववरण के लिए पूण्य ररपरोट्य देखें) से उतसज्यन करो धयान में रखत ेहुए हवा की गुणवतता में सुधारने हेतु कार्यवाई करने के लिए कदम उठाया है, िेककन महतवपूण्य ्चुनौततयाँ बरकरार हैं।

भारत में वायु प्रदषूण और मानव सवास्थय पर प्रमाण

वाय ु प्रदषूण के जरोख़िम का मानव सवास्थय पर गंभीर असर हरोता है। भारतीय सवास्थय एवं पररवार कलयाण मतं्रािय के वायु प्रदषूण और सवास्थय सबंंधी मुद्ों पर स्ंचािन सलमतत की एक हालिया आगधकाररक ररपरोट्य नेपररवेशी और घरेि ूवायु प्रदषूण के जरोख़िम के सवास्थय प्रभावों पर वत्यमान प्रमाणों की समीक्षा की और बताया कक “... भारत में अधययनों के िबें इततहास और मिू पवसतार क्षते्र, जरो पररवेशी और घरेि ूवायु प्रदषूण के सवास्थय प्रभावों की जां्च कर रहे हैं, “सकेंत दे रहे हैं कक... साक्य के वजैशवक पिू के लिए उपिबध अधययन पररणामों की तिुनातमकता ...” (MoHFW [सवास्थय और पररवार कलयाण मतं्रािय] 2015)। ररपरोट्य में भारतीय अधययनों के बढत ेतनकाय पर इसके मूलयांकन का आधार रखा गया है। वायु प्रदषूण के प्रततकूि प्रभाव जजनके पररणाम एलशया में कहीं पर भी ककए गए अधययनों के अनरुूप हैं और राषट्ीय सरकारों और अतंरा्यषट्ीय एजेंलसयों दवारा पवशववयापी सादहतय की वयवजस्त वजै्ातनक समीक्षाओ ंके सा् हुए हैं।

सािाांशधचत्1.2015मेंपूिेभाितमेंिनसांखया-भारितिाजयसतिीयऔसतPM2.5साांद्रता। ये राजय सतरीय औसत 11x11 ककमी गग्रड आबादी और GBD 2015 के लिए पररवेशी PM2.5

सांरिता डटेा (पववरण के लिए पाठ देखें) से एकबत्रत ककए गए हैं।

5 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

यह ररपरोट्य वायु प्रदषूण के प्रा्लमक संकेतक के रूप में PM2.5 पर कें दरित है। प्रमाण का एक महतवपूण्य तनकाय PM2.5 करो कई प्रततकूि सवास्थय प्रभावों, जजसमें संकुग्चत फेफड ेके काय्य, तीव्र और पुराने शवसन ररोगों के िक्षण (जैसे कक अस्मा और खांसी और सांस िेने में परेशानी के रूप में) शालमि हैं और मतृयु दर का खतरा बढाने वािे गैर-सं्चारी ररोगों जसेै कक जीण्य अवररोधक फुफफुसीय (फेफड)े ररोग, हृदय ररोग, आघात और फेफडों के कैं सर और बच्चों और वयसकों में तन्चिे शवसन संक्रमण से जरोडता है।

वाय ुप्रदषूण के कारण सवास्थय बरोझ का आकिन: GBD प्ररोजेकट

वायु प्रदषूण से जनसंखया के जरोख़िम से साव्यजतनक सवास्थय और समाज पर भारी बरोझ पडता है। साव्यजतनक सवास्थय पर बरोझ ररोगों, ्चरोटों और जरोख़िम कारक पररयरोजना (GBD) के वजैशवक बरोझ से मापा जाता है, जरो पवशव सतर पर महामारी पवज्ान के सतरों और रुझानों (www.healthdata.org/gbd) करो मापने के लिए सबसे बडा और सबसे वयापक प्रयास है। GBD के 2015 के अपडटे में 120 से अगधक देशों और 3 क्षेत्रों से 1,800 सहयरोगी (229 भारतीय पवशषेज्ों सदहत) शालमि ्े। GBD 2015, 25 साि की अवगध (1990-2015) में 195 देशों और क्षेत्रों में 79 जरोखखम कारकों जसेै -वयावहाररक, पया्यवरणीय (पररवेश और घरेिू वायु प्रदषूण सदहत), और सवास्थय करो प्रभापवत करने वािे आहार-संबंधी ्चयाप्चय कारकों- के कारण हरोने वािे बीमारी के बरोझ अनुमान िगाता है (GBD 2015 जरोखखम कारक सहयरोगी 2016)। ये अनुमान वापष्यक रूप से अदयतन हरोत ेहैं, 2016 के पररणाम लसतंबर 2017 में जारी हुए हैं और सभी ररोगों और जरोख़िम कारकों के लिए भारत-पवलशषट 2016 के पररणाम नवंबर 2017 में प्रकालशत हुए (डडंरोना व अनय 2017,इंडडयन काउंलसि ऑफ़ मेडडकि ररस्च्य, पजबिक हेल् फाउंडशेन ऑफ़ इंडडया और इंसटीटयूट फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयुएशन 2017)।

GBD पररयरोजना, मौतों की संखया और सवस् जीवन के कम हरोने वािे वषटों की संखया (DALY या पवकिांगता-समायरोजजत जीवन-वष्य) के संदभ्य में साव्यजतनक सवास्थय का बरोझ मापती है। वायु प्रदषूण के कारण बीमारी के बरोझ का अनुमान इनसे िगाया गया है, (1) एक बड ेसहकममी-समीक्षा वािे अतंरा्यषट्ीय सादहतय से प्रापत प्रमाण का उपयरोग करके वायु प्रदषूण के जरोखखम और पवलशषट बीमाररयों से मतृयु दर के बढत ेजरोखखम के बी्च एकीकृत जरोख़िम-प्रततकक्रया संबंध, जजसे (2) प्रतयेक ररोग या मतृयु के कारण आधारभूत आबादी दर पर भारत-पवलशषट आकंड ेऔर (3) वायु प्रदषूण से भारत-पवलशषट जरोख़िम के सा् संयुकत ककया गया है।

भारत में, GBD 2015 के अधययन में बाहरी PM2.5 का जरोखखम, 79 वयावहाररक, पया्यवरणीय और उपाप्चयी कारकों में मतृयु के लिए यरोगदान करने वािा तीसरा प्रमुख जरोखखम कारक है, जजसका पवशिेषण ककया गया; यह 2015 में 10 िाख से अगधक मौतों के लिए जज़ममेदार ्ा, जरो दतुनया भर में बाहरी वायु प्रदषूण के कारण 42 िाख मौतों का िगभग एक ्चौ्ाई दशा्यता है। यह 2. 96 कररोड वषटों के सवस् जीवन खरोने (अ्ा्यत, DALY) के लिए भी जजममेदार है। पपछिे 25 वषटों में भारत में वायु प्रदषूण के कारण हरोने वािी मौतों की संखया िगातार बढ रही है (सारांश ग्चत्र 2)। यह रुझान आंलशक रूप से पररवेशी PM2.5 के सतरों में वपृद्ध के सा् ही वायु प्रदषूण के जरोखखम से प्रभापवत हरोने वािे हृदय ररोग जसैी बीमाररयों वािे िरोगों की बढती संखया और वदृ्ध आबादी के लिए भी जजममेदार है। जब जीवन की इस हातन करो आग््यक रूप में बदिा जाता है, तरो िागत धयान देने यरोगय हरोती है - पवशव बैंक और इंसटीटयूट फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयुएशन (2016) दवारा जारी एक पवशिेषण के अनुसार, 2013 में दतुनया भर में 225 अरब अमरीकी डॉिर की श्रम आय का

नुकसान और 5.11 खरब अमरीकी डॉिर के कलयाण का नुकसान हुआ है (अभी के आय के नुकसान के अिावा, आग््यक नुकसान काफी अगधक वयापक माप मानी जाती है)। अकेिे भारत के लिए, श्रम उतपादन के नुकसान का अनुमान 55 अरब अमरीकी डॉिर ्ा और कलयाण नुकसान 505 अरब अमरीकी डॉिर ्ा।

बरोझ के इन अनुमानों में ऐसे अततररकत प्रभाव शालमि नहीं हैं, जरो जिवायु और पया्यवरण पर वायु प्रदषूण के प्रभावों के माधयम से हरोत ेहैं।

प्रमुख वायु प्रदषूण स्रोतों के कारण हरोने वािे ररोग के बरोझ का आकिन: GBD MAPS

वायु प्रदषूण के प्रमुख स्रोतों और PM2.5 जरोख़िम में उनके संबंगधत यरोगदान करो समझना और उसके बाद ररोग करो समझना, वयवजस्त और प्रभावी वायु गुणवतता प्रबंधन समाधान करो िागू करने और जरोख़िम एवं सवास्थय प्रभावों करो कम करने की ददशा में एक महतवपूण्य अगिा कदम है। प्रमुख वायु प्रदषूण स्रोत (GBDMAPS) से ररोग का वजैशवक बरोझ पररयरोजना करो इन समसयाओ ंके बारे में हमारी समझ में सुधार करने के लिए डडज़ाइन ककया गया है। पवशषे रूप से इसके उद्ेशय ्े:

• भारत में आवासीय बायरोमास के जिने, उदयरोग और बबजिी उतपादन के लिए करोयिे के जिने, कृपष अवशषेों के खुिे में जिाने, पररवहन, ईंट भट्ों और औदयरोगगक और मानवी गततपवगधयों से संबंगधत धूि सदहत भारत के प्रमुख वायु प्रदषूण स्रोतों के लिए पररवहनीय PM2.5 की सांरिता और संबंगधत बीमारी का बरोझ (मतृयु की संखया के संदभ्य में पररभापषत) का आकिन करने के लिए भारतीय उतसज्यन के आकंडों करो िागू करना।

• भावी (वष्य 2030 और 2050) पररवेशी PM2.5 सांरिता और तीन भावी पररदृशयों के तहत प्रमुख स्रोतों या क्षेत्रों (एतद्वारा “स्रोतों” के रूप में संदलभ्यत) के कारण हरोने वािी बीमारी के बरोझ का अनुमान िगाना। तीन पररदृशयों करो प्रमुख स्रोतों के उतसज्यन पर धयान देने के लिए, जनसंखया वपृद्ध, पवकास, ऊजा्य नीतत, प्रौदयरोगगकी पररवत्यन और पवलभनन रणनीततयों करो प्रततबबबंबत करने के लिए डडज़ाइन ककया गया ्ा।

सािाांशधचत्2.भाितमेंबीमारियोंसेहोनेवालीकुलमतृयु(1990-2015)जिसकेिोणखमकेललएPM2.5एकिोणखमकािकहै। (LRI= तन्चिा शवसन संक्रमण, सीओपीडी = जीण्य अवररोधक फुफफुसीय ररोग, IHD = स्ातनक-अरकतता संबंधी हृदय ररोग और LC = फेफड ेका कैं सर)। इंसटीटयूट फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयुएशन की GBD कंपेयर वेबसाइट से डटेा (http://vizhub.healthdata.org/gbd-compare/) [2 फ़रवरी 2017 करो एकसेस ककया गया]

6 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

GBD MAPS का सवास्थय प्रभाव संस्ान(HEI), द इंसटीटयूट फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयुएशन, इंडडयन इंसटीटयूट ऑफ टेकनरोिॉजी (आईआईटी) -बॉमबे, लशगं हय यूतनवलस्यटी, बरिदटश करोिंबबया यूतनवलस्यटी, श्री राम्चंरि मेडडकि कॉिेज एंड ररस्च्य इंसटीटयूट और अनय प्रमुख शकै्षखणक कें रिों के बी्च बहुसतरीय सहयरोग रहा है। (GBD MAPS काय्यकारी दि के सदसयों की सू्ची इस दसतावेज़ के अतं में देखी जा सकती है।) GBD MAPS अपनी मूि पररयरोजना, गिरोबि बरोड्य ऑफ डडसीज़ (GBD) से बना है। मौजूदा GBD MAPS का अधययन GBD डटेा के 2015 के अदयतन पर तनभ्यर है।

GBD MAPS पवशिेषण में ्चार मुखय ्चरणवार घटकों करो शालमि ककया गया है, जजनहें सािाांशधचत्3 में ग्चबत्रत ककया गया है।

पहिे ्चरण में, आईआईटी-बॉमबे में GBD MAPS सहयरोगी ने अधययन के आधार वष्य 2015 के लिए पवसततृ उतसज्यन सू्ची तैयार की। इंवेंट्ी में सलफर डाइऑकसाइड, नाइट्रोजन आकसाइड, PM2.5, बिैक काब्यन, काब्यतनक काब्यन, अमरोतनया और गैर-मी्ेन वाषपशीि काब्यतनक हाइड्रोकाब्यन के प्रा्लमक उतसज्यन शालमि हैं। उतसज्यनों करो भारत के लिए एक बहुप्रदषूक डेटाबेस से तैयार ककया गया ्ा, जजसमें 1996-2015 की अवगध करो शालमि ककया गया ्ा, जजसमें औदयरोगगक, पररवहन, बबजिी

उतपादन, आवासीय और कृपष क्षेत्रों से उतसज्यन के सा् ही “अनौप्चाररक उदयरोग” क्षेत्रों से उतसज्यन शालमि ्ा, जजसमें ईंधन खपत, प्रकक्रया और अलपकालिक उतसज्यन (अनपेक्क्षत या अतनयलमत उतसज्यन जरो पाइपों या ढेर के अिावा अनय प्रकक्रयाओं से तनकि जाते हैं) और पविायक का उपयरोग शालमि ककया गया ्ा। प्रतयेक क्षेत्र के उतसज्यन का आकिन, आगधकाररक भारतीय आंकडों और पवशेष ररपरोटटों का उपयरोग करते हुए उपनगर (जजिा) सतर पर ककया गया ्ा। इसके बाद आईआईटी-बॉमबे ने उतसज्यन करो 2030 और 2050 के तहत तीन अिग-अिग ऊजा्य और नीतत पररदृशयों के तहत पेश ककया ्ा, जरो कक जनसंखया वपृद्ध, ऊजा्य आपूतत ्य और उपयरोग में बदिाव, प्रौदयरोगगकी और प्रतयेक प्रमुख क्षेत्रों में समय के सा् उतसज्यन तनयंत्रण के बारे में भारत सरकार और अनय के आंकडों के आधार पर अनुमानों की एक शे्रणी दशा्यता है (सािाांशताललका1 देखें)। इन अनुमानों का उपयरोग PM2.5, उसके घटकों (बिैक काब्यन और काब्यतनक काब्यन) के उतसज्यन में पररवत्यन और उसके गैसीय पूव्यवतमी (सलफर डाइऑकसाइड, नाइट्रोजन ऑकसाइड, अमरोतनया और गैर-मी्ेन वाषपशीि काब्यतनक यौगगक) के अनुमानों के लिए ककया जाता है।

सािाांशधचत्3.2015मेंभाितमेंवायुप्रदषूणकेप्रमुखस्ोतोंऔि2030औि2050मेंभववषयकेपरिदृशयोंकेललएिोगकेबोझकेकािणकाआकलनकिनेकेललएGBDMAPSपद्धनतकायोिनाबद्धननरूपण।

7 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

इनपुट के रूप में ्चरण एक से उतसज्यन के सा्, दसूरे ्चरण में दक्क्षण एलशया ने सभी स्रोतों या क्षेत्रों से पररवेशी PM2.5 सांरिता का अनुमान िगाने और उसके बाद जवाबदेह कई प्रमुख स्रोतों के कुि यरोग का अनपात तनकािने के लिए वजैशवक रासायतनक पररवहन मॉडि GEOS –chem के संसकरण का उपयरोग ककया (सारांश तालिका 2 देखें)। इन स्रोतों करो भारत के भीतर संभापवत महतवपूण्य स्रोतों में समान राषट्ीय और वैजशवक सतर के पवशिेषण और पवशषे रुग्च में शालमि करने के लिए ्चुना गया ्ा। सारांश तालिका 1 में वखण्यत तीन पररदृशयों के अंतग्यत वष्य 2015, 2030 (कुि PM2.5 केवि) और 2050 के लिए अनुकरण आयरोजजत ककए गए।

तीसरा ्चरण, सारांश ग्चत्र 3 में ग्चबत्रत ककया गया है, जजसमें गणना करने के लिए GBD 2015 के लिए पवकलसत पररवेशी PM2.5 सांरिता के उच्च-ररज़ॉलयूशन अनुमानों (िगभग 11 ककिरोमीटर की दरूी पर 11 ककिरोमीटर गग्रड दवारा पररभापषत) के सा् प्रतयेक गग्रड सेि में आबादी के जरोख़िम में स्रोत के यरोगदान (जजसे “PM2.5 की जनसंखया-भाररत सांरिता” कहा जाता है) में प्रतयेक स्रोत (्चरण दरो) का आंलशक यरोगदान शालमि है। GBD 2015 के अनुमान में (1) सटेैिाइट-आधाररत PM2.5 अनुमान और GEOS-Chem डटेा और (2) वापष्यक औसत PM मापें (2008-2014) शालमि हैं। इस दृजषटकरोण में सपषट रूप से 400 से अगधक भारतीय सतही-सतर की माप (PM2.5 और PM10 के लिए 411) [बड ेकण आकार के अशं करो PM2.5, PM10 में एक आकार अशं का अनुमान िगाने के लिए उपयरोग ककया जा सकता है]) - उस समय उपिबध सभी माप शालमि ककया गया ्ा।

पवशिेषण में अतंतम ्चरण (सारांश ग्चत्र 3 देखें) भारत में ररोग के स्रोत-पवलशषट बरोझ का अनमुान िगाता है। इस ्चरण में पवलशषट बीमाररयों (स्ातनक-अरकतता सबंंधी हृदय ररोग, आघात, जीण्य प्रततररोधी फुफफुसीय ररोग,

फेफड ेका कैं सर और तन्चिा शवसन सकं्रमण) के सा् GBD के एकीकृत जरोखखम-प्रततकक्रया वािे सबंंधों के सा् PM2.5 करो स्रोत-पवलशषट जरोख़िम करो और भारत-पवलशषट ररोग और मतृय ुदर के सा् जरोडा जाता है। यह सारांश, वाय ुप्रदषूण के कारण हरोने वािी मौतों की सखंया के सदंभ्य में वयकत की जाने वािी मतृय ुदर के बरोझ पर कें दरित है। DALY सदहत परूा पररणाम, पूण्य ररपरोट्य में पाया जा सकता है। भपवषय की आबादी, जनसांजखयकी (उदाहरण के लिए, आय ुसरं्चना और बीमारी की दर) और आग््यक गततपवगध करो धयान में रखत ेहुए अनुमानों करो िेकर तीन भावी पररदृशयों में से प्रतयेक का 2015 और 2050 के लिए पवशिेषण ककया गया ्ा। 2030 के लिए, कुि पररवेशी PM2.5 के कारण ररोग का बरोझ भी अतंररम पवशिेषण के रूप में अनमुातनत ्ा। जरोख़िम अनमुानों के अनसुार, शहरी और ग्रामीण क्षते्रों के लिए भारत के लिए सपंणू्य और अिग से बीमारी के बरोझ का सत्ररोत-क्षते्र-पवलशषट यरोगदान का अनमुान ्ा।

GBDMAPSरिपोर्टकीतयैािीऔिसहकममीसमीक्ाGBD MAPS काय्यकारी दि दवारा तयैार मसौदा अतंतम ररपरोट्य करो भारत

और अनय देशों के सवततं्र बाहरी सहकममी समीक्षकों दवारा पद्धततमिूक दृजषटकरोण, अनमुानों की वधैता, और वयाखया के औग्चतय के सबंंध में समीक्षा की गई, जजनहें पवलभनन प्रौदयरोगगकी क्षते्रों में और उनके उतसज्यन, वाय ु गणुवतता माप में, वायुमडंिीय रसायन पवज्ान और मॉडलिगं में, और सवास्थय प्रभाव मूलयांकन में उनकी पवशषेज्ता के लिए HEI दवारा ्चयतनत ककया गया ्ा। समीक्षकों की स्ूची, इस दसतावेज़ के अतं में

8 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

यरोगदानकता्यओ ंकी स्ूची में पाई जा सकती है। GBD MAPS सटीयररगं कमेटी के पवशषेज्ों ने इस ररपरोट्य के एक मसौदा अतंतम ससंकरण की भी समीक्षा की। GBD MAPS काय्यकारी दि ने प्रापत दटपपखणयों के जवाब में अतंतम ररपरोट्य तयैार की।

मुखय तनषकष्य

2015मेंजसरनत

मानवी गनतववधियों से सांबांधित स्ोत भाित में PM2.5 के िनसांखयािोण़िमकेसबसेबडेअनुपातकेललएजिममेदािरे।

2015 में, पररवेशी PM2.5 जरोख़िम (“वापष्यक औसत जनसंखया-भाररत PM2.5 सांरिता” के रूप में पररभापषत) के प्रमुख यरोगदान ्े, जरो बायरोमास और करोयिे के दहन और धूि (सारांश ग्चत्र 4) उतपनन करने वािी अनय मानवी गततपवगधयों से संबंगधत स्रोतों से ्े। संपूण्य भारत में औसत PM2.5 का जरोख़िम 2015 में 74.3 µg/m3 ् ा। आवासीय बायरोमास जिने से कुि िगभग 24% यरोगदान हुआ (मुखय ररपरोट्य में तालिका 2 देखें); करोयिा दहन का अगिा बडा यरोगदान ् ा (उदयरोग से 7.7% और पवदयुत उतपादन से 7.6%) और मानवजतनत धूि (मानवी गततपवगधयों से संबंगधत धूि, सडकों और करोयिा जिने पर तनकिने वािी राख की अलपकालिक धूि और कूडा जिाने सदहत) का िगभग 9% यरोगदान रहा। इसके अिावा, कृपष अवशषेों के जिने का 5% से अगधक का यरोगदान रहा और पररवहन, ईंट उतपादन और पवतररत डीजि में से प्रतयेक का िगभग 2% यरोगदान रहा। हवा में उडने वािी खतनज धूि, जरो जयादातर भारत के बाहरी स्रोतों से उतपनन हरोती है, 2015 में कुि PM2.5 के िगभग 30% के लिए जजममेदार है (ददखाया नहीं गया है)।ǂ

मानवीगनतववधिसेिुडेवायुप्रदषूणकेस्ोतोंकाभाितमें2015केिोगकेबोझमेंसबसेबडायोगदानिहाहैऔिग्ामीणिनसांखयाउचचतमबोझकासामनाकितीहै।

जरोख़िम में उनके यरोगदान के अनुरूप, मानवी गततपवगध से जुड ेस्रोतों का 2015 में सभी PM2.5 से हरोने वािी मौतों में िगभग 70% का यरोगदान रहा। सारांश ग्चत्र 5 ददखाता है कक 2015 में पूरे भारत में PM2.5 से हरोने वािी मतृयु दर के आकिन में ग्रामीण आबादी की मतृयु दर का अनुमान अगधक रहा (जसैा कक 2011 की भारतीय जनगणना दवारा पररभापषत ककया गया है और बार की जाि र्चना दवारा दशा्यया गया है)। अ्ा्यत, भारत में िगभग 75% मौतें ग्रामीण आबादी में हरोती हैं। यह पररणाम इस त्थय करो दशा्यता है कक भारतीय जनसंखया का एक बडा दहससा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है (2015 में िगभग दरो-ततहाई)। इससे यह भी पता ्चिता है कक कई अनय देशों की जस्तत के पवपरीत, जहाँ पर शहरी जरोख़िम अगधक हरोता है इस जनसंखया में मतृयु दर और आयु संर्चनाओ ंमें अतंर है। इस अधययन में पाया गया कक भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में PM2.5 जरोख़िम के सतर समान ्े (अ्ा्यत, 70 µg/m3 से अगधक)।

आवासीयबायोमासकािलना,भाितमेंबीमािीकेबोझमेंसबसेबडायोगदानदेताहै।मानवी गततपवगधयों से संबंगधत सभी स्रोतों में, आवासीय बायरोमास का जिना, 267700 मौतों या PM2.5 के कारण हरोने वािी मौतों के िगभग 25% के लिए जजममेदार ्ा, जजससे यह 2015 में मतृयु दर

ǂ धयान रखें कक हािांकक यह मानवी गततपवगधयों से संबंगधत स्रोतों के समूह में शालमि नहीं ्ा, हवा में उडने वािी धूि भी वासतव में मानवी गततपवगधयों के दहससे में शालमि है, जजसका बंजर बनाने में यरोगदान है, उदाहरण के लिए, या तरो सीधे कृपष या वातनकी पद्धततयों के माधयम से या अप्रतयक्ष रूप से जिवायु के प्रभावों के माधयम से।

सािाांशधचत्4.2015केललएभाितमेंPM2.5औसतिनसांखयािोण़िमकेललएचयननतस्ोतोंकायोगदान(मुखयरिपोर्टमेंताललका3देखें)

सािाांशधचत्5.आिािभतूवष्ट2015मेंभाितमेंमतृयुदिकेबोझमेंचयननतस्ोतोंकायोगदान(95%अननजशचतताअांतिालसदहत)जाि र्चना वािे बार दवारा ग्रामीण आबादी और ठरोस बार से शहरी आबादी करो दशा्यया गया है।

से संबंगधत सबसे महतवपूण्य मानवजतनत स्रोत बन गया। इन बरोझ के अनुमानों में बायरोमास के जिने के आतंररक जरोख़िम में पया्यपत अततररकत बरोझ शालमि नहीं है।

कोयलेकेदहनऔिखलेुमेंिलानेसेबीमािीकेबोझमेंकाफीयोगदानलमलताहै।औदयरोगगक स्रोतों और ताप पवदयुत संयंत्रों के बी्च िगभग समान रूप से पवभाजजत करोयिा दहन, 2015 में 169300 मौतों (15.5%) के लिए जजममेदार ्ा। कृपष अवशषेों करो खुिे में जिाना 66200 PM2.5

मौतों के लिए जजममेदार ्ा (6.1%)।

परिवहन, ववतरित डीिल औि ईंर उतपादन का बीमािी के बोझ मेंमहतवपणू्टयोगदानहोता है।इस देशवयापी पवशिेषण में शालमि अनय स्रोतों की तुिना करने पर, पररवहन, ईंट भट्ों और पवतररत डीज़ि का 2015 में सवास्थय बरोझ पर अपेक्षाकृत प्रभाव का प्रततशत कम रहा। बहरहाि, 2015 में इस अधययन में इन स्रोतों के कारण हरोने वािी मौतों की संखया पया्यपत रही: पररवहन के लिए 23100; पवतररत डीजि के लिए 20400; और ईंट उतपादन के लिए 24100।

9 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

राषट्ीय आधार पर, ग्रामीण और शहरी दरोनों क्षेत्रों में मतृयु दर में पररवहन का यरोगदान िगभग 2% ्ा। पररवहन के कारण जरोखखम और बरोझ के लिए ये राषट्-सतरीय यरोगदान आलंशक रूप से कुछ शहर-पवलशषट पवशिेषणों के लिए उतपादन की तुिना में अपेक्षाकृत कम है, कयोंकक पवशिेषण के लिए उपयरोग ककए गए गग्रड के भौगरोलिक पमैाना अपेक्षाकृत बडा है और शहरी क्षेत्रों और तनकटतम सडकों के भीतर यातायात से संबंगधत जरोख़िम में पवसततृ अतंर प्रापत हरोने की संभावना कम रहती है। पररवहन और पवतररत डीजि स्रोत आम तौर पर जनसंखया के अगधक नजदीकी में काम करत ेहैं, जसेै कक पवदयुत संयंत्रों के बड ेजस्र स्रोत और औदयरोगगक सुपवधाएँ; इस कारण से इस पवशिेषण में ककए गए दृजषटकरोण से इन स्रोतों के कारण हरोने वािे वासतपवक जरोखखम और संबंगधत बीमारी का बरोझ कम हरो सकता है। वासतव में, भारतीय पवशिेषण का बेहतर पैमाने पर ककया जाता है - यदयपप उनकी अपनी अतनजश्चतताएं हैं - भारत के शहरों में जरोख़िम में पररवहन का अगधक महतवपूण्य यरोगदान देखा गया है।

भववषयकेललएववचाि

यददकोईकाि्टवाईनहीांकीिातीहै,तोPM2.5सेआबादीकािोणखम2050तक40%सेअधिकबढ़नेकीसांभावनाहै।

जैसा कक परर्चय में बताया गया है, भारत में PM2.5 के जरोखखम का वापष्यक औसत सतर पहिे से ही WHO और भारतीय राषट्ीय वायु गुणवतता मानकों दवारा तनधा्यररत वायु गुणवतता के ददशा तनददेशों के सापेक्ष में उच्च हैं। वैकजलपक भपवषय की ऊजा्य और तनयंत्रण पररदृशयों का पवशिेषण दशा्यता है कक उतसज्यन करो कम करने के लिए की जाने वािी कावा्यइयों पर ्चुने गए पवकलपों के लिए जरोखखम और पररवेशी PM2.5 से हरोने वािे ररोग के बरोझ करो कम करने, दरोनों के लिए महतवपूण्य तनदहता््य हैं (सारांश ग्चत्र 6 देखें)। इसमें करोई आश्चय्य की बात नहीं कक कम से कम आक्रामक उपायों (REF) का पररदृशय, PM2.5 के औसत जनसंखया-भाररत जरोख़िमों की अनुमातनत बढरोतरी की ओर आगे बढाता है, जरो कक वत्यमान सतरों के मुकाबिे 2030 और 2050 दरोनों में सबसे अगधक है। यहाँ तक कक S2 पररदृशय में भी, एक महतवाकांक्षी पररदृशय, जजसमें तनरंतर आग््यक पवकास के मुकाबिे में उतसज्यन में कटौती के लिए प्रमुख प्रततबद्धताओं की आवशयकता हरोगी, में PM2.5 के वत्यमान सतर करो 2030 तक बनाए रखना है और 2050 तक अगधक मामूिी वपृद्ध (10%) तक रखने का अनुमान है। महतवाकांक्षी S3 पररदृशय में कलपना की गई सबसे सकक्रय कटौती के अंतग्यत वत्यमान सतरों की तुिना में 2030 से 2050 तक काफी कम

हरोने का अनुमान िगाया गया है। S3 पररदृशय के लिए 2050 का औसत जनसंखया-भाररत जरोख़िम, यहां तक कक हवा में उडने वािे खतनज की धूि से ककसी भी प्रभाव करो छरोडकर, WHO के वायु गुणवतता ददशातनददेश से िगभग तीन गुना अगधक हरोने का अनुमान है।

सािाांशधचत्7 में तीन भपवषय जस्ततयों के तहत PM2.5 करो पवलभनन स्रोतों के यरोगदान करो ददखाया गया है। यह दशा्यता है कक 2050 में, पवलभनन पररजस्ततयों के पररमाण और संबंगधत महतव दरोनों पररदृशयों से अिग हरो सकत ेहैं, जरो तीन पररदृशयों के तहत ग्रहण ककए गए पवलभनन ऊजा्य, नीतत और अनय कायटों के प्रभावों करो दशा्यता है। यदयपप यहाँ पर ददखाया नहीं गया है, भारत भर में PM2.5 में पवलभनन स्रोतों के यरोगदान में भी काफी लभननता है और उन स्रोतों के स्ान पर ददए गए अतंरों और क्षेत्रीय रूप से उनकी प्रमुखता से लभनन हरो सकत ेहैं। पववरण पूरी ररपरोट्य में पाया जा सकता है।

यददकोईकाि्टवाईनहीांकीिातीहै,तोभववषयमेंसभीस्ोतोंसेबीमािीकाबोझ2050तककाफीहदतकबढ़िाएगा;आक्ामककाि्टवाईकिकेलगभग12लाखमौतोंसेबचायािासकताहै।

कुि PM2.5 के कारण हरोने वािी मौतों की संखया के संदभ्य में बीमारी का बरोझ काफी है और भपवषय में बढने की संभावना है, कयोंकक S2 और S3 पररदृशयों में अनुमातनत जरोखखम कम हरोने के बावजूद, जनसंखया की उम्र और संखया में वपृद्ध हरोगी और अगधक िरोग वायु प्रदषूण के लिए अततसंवेदनशीि हरो जाएँगे (सािाांशधचत्8)। 2015 में 10.9 िाख मौतों के मुकाबिे, 2030 में पररवेशी PM2.5 आरईएफ, S2 और S3 के लिए क्रमशः 17 िाख, 16 िाख और 13 िाख िरोगों की मतृयु का अनुमान िगाया गया ्ा, जरो कक 2050 में बढकर 36 िाख, 32 िाख और 25 िाख हरो गया। समय के सा्, 2015 से मतृयु दर में कुछ बढरोतरी करो वायु प्रदषूण के जरोख़िम में आने वािे िरोगों की संखया और संवेदनशीिता में वपृद्ध से समझाया जा सकता है। हािांकक, पररदृशयों की तुिना करने पर पता ्चिता है कक PM2.5 के कारण हरोने वािी मौतों की संखया REF पररदृशय की तुिना में अगधक आक्रामक S2 और S3 पररदृशयों में िगातार कम हुई। यदद S2 और S3 पररदृशयों में वखण्यत अगधक आक्रामक उपाय िागू हरोत ेहैं, 2030 में िगभग 100,000 से 400,000 तक िरोगों करो मौत से ब्चाया जा सकता है और 2050 में िगभग 3.4 िाख से 12 िाख तक िरोगों करो मौत से ब्चाया जा सकता है।

सभीप्रमुखक्ेत्ोंमेंआक्ामककाि्टवाईकीआवशयकताहोगी।

सािाांशधचत्9 में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्रोत दवारा बीमारी का बरोझ और 2015 में तीनों पररदृशयों में कुि यरोगदान करो अिग-अिग ददखाया गया है।

आवासीयबायोमासकािलना धयान न ददए जाने पर, कयोंकक यह REF पररदृशय के अतंग्यत है, आवासीय बायरोमास करो बाहरी वायु प्रदषूण में जिाने से 2050 में वापष्यक मतृयु से बीमारी का बरोझ 500,000 से अगधक तक बढ सकता है हािांकक, इन जरोखखमों और प्रभावों करो कम करने का पवशषे अवसर है, पवशषे रूप से एक प्रमुख बदिाव के माधयम से सवचछ ईंधन (जसेै, तरिीकृत पेट्रोलियम गैस) का उपयरोग करना।

उदयोगों औि ववदयुत सांयांत्ों दवािा कोयले का दहन भपवषय के सभी पररदृशयों में, आवासीय बायरोमास जिाने की जगह करोयिे के दहन करो भारत में बरोझ के प्रमुख यरोगदानकता्य के रूप में अनमुान िगाया गया है। REF पररदृशय के अतंग्यत, 2050 में िगभग 13 िाख वापष्यक मौतों तक बीमारी के बरोझ में इसके यरोगदान में काफी वपृद्ध हरोने का अनमुान है। REF पररदृशय में, यह वपृद्ध प्रा्लमक रूप से करोयिा ्चालित पवदयतु सयंंत्र

सािाांशधचत्6.2015औि2030औि2050केवषषोंमेंतीनपरिदृशयोंकेललएभाितकेसभीअधययनस्ोतोंसेPM2.5काअनुमाननतऔसतिोण़िम।

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के कारण है; हािांकक, तीनों पररदृशयों में करोयिे करो जिाने के औदयरोगगक बरोझ से यरोगदान में वपृद्ध का अनमुान है। सबसे महतवाकांक्षी पररदृशय S3 में, उदयोंगों में करोयिे करो जिाने का यरोगदान पवदयतु सयंंत्रों से अगधक हरो जाएगा। आक्रामक उतसज्यन तनयंत्रण उपायों, जसेै कक S2 और S3 के पररदृशय में शालमि करोयिा ्चालित ताप पवदयतु सयंंत्रों और उदयरोगों से 2050 में 400,000 और 850,000 करोयिे से हरोने वािी मौतों से ब्चने में मदद लमि सकती है।

परिवहन,ववतरितडीिलऔिईंरकेभटे्। हािांकक अनय स्रोतों की तुिना में इस पवशिेषण में इनका यरोगदान बहुत कम है। पररवहन के प्रभाव और पवतररत डीजि स्रोतों में भपवषय के सभी पररदृशयों के अतंग्यत काफी वपृद्ध हरोने का अनुमान है। इन बढरोततररयों के कारण अनय क्षेत्रों के लिए ्च्चा्य ककए गए अनुसार, उतसज्यन करो प्रभापवत करने और जनसंखया के पवकास और बुढापे करो बढाने वािे दरोनों कारकों में वपृद्ध हरो रही है। S3 पररदृशय में बीमारी के बरोझ में पररवहन का सापेक्ष यरोगदान 2015 की तुिना में 2050 में बढने का अनुमान ्ा (क्रमशः 3% बनाम 2.1%), हािांकक मतृयु

सािाांशधचत्7.2015औि2050मेंतीनपरिदृशयोंमेंप्रतयेककेललएभाितमेंPM2.5िोण़िमोंमेंस्ोतकेयोगदान।

सािाांशधचत्8.2015औि2030औि2050मेंतीनपरिजसरनतयोंमेंसेप्रतयेककेललएसभीस्ोतोंसेPM2.5सेहोनेवालीकुलमतृयुकीसांखया(95%अननजशचतताअांतिालसदहत)।

11 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

की संखया एक समान बरकरार रही। पररवहन के लिए, भपवषय के पररदृशयों में एक जदटि परसपर कक्रया करो दशा्यया गया है। इस पवशिेषण का अनुमान है कक भारत सटेज VI/6 उतसज्यन मानकों के काया्यनवयन के पररणामसवरूप प्रतत वाहन उतसज्यन कम हरो गया है। प्रतत वाहन से उतसज्यन में सुधार, हािांकक, वाहनों की संखया और वाहन उपयरोग में बढरोतरी के कारण काफी हद तक प्रभावहीन हरो जाएगा। पवशिेषण में पररवहन प्रणािी में पररवत्यन माना गया है, पवशषे रूप से S2 और S3 में, जजसमें शालमि है, उदाहरण के लिए, शहरी क्षेत्रों में प्राकृततक गैस और बबजिी दवारा सं्चालित बसों में पररवत्यन। पवशिेषण में ग्रामीण इिाकों में डीजि पर तनरंतर तनभ्यरता मानी गई है।

REF और S2 पररदृशयों के अतंग्यत ईंट उतपादन से बीमारी के बरोझ पर प्रभाव बढने का अनुमान है। आकांक्षातमक पररदृशय के अतंग्यत, S3, मतृयु दर पर प्रभाव 2015 के अनुमातनत सतर के समान बने रहे, जरो उतसज्यन में कटौती के प्रभावों और मतृयु दर पर जनसांजखयकीय प्रवजृततयों के प्रभाव के बी्च संतुिन करो दशा्यता है।

मानविननतिूल। मानवजतनत धूि के सभंापवत भावी प्रभाव अगधक हैं। मानवजतनत धिू में अलपकालिक धिू और दहन एवं औदयरोगगक उतपादन से तनकिने वािी धिू शालमि है। भारत में 2015 में PM2.5 से हरोने वािी कुि 10.9 िाख मौतों में से, िगभग 99,900 मौतें मानवजतनत गततपवगधयों से तनकिने वािी धिू के कारण हुई हैं। भपवषय के प्रतयेक पररदृशय में, जनसखंया-भाररत धिू की सांरिता में वपृद्ध और सवास्थय पर सबंंगधत बरोझ, मानवजतनत घटक में हरोने वािे बदिावों के लिए पूरी तरह से जजममेदार हैं। उदाहरण के लिए, REF पररदृशय के तहत, तीन गुना से अगधक धिू का मानवजतनत घटक 2015 में 6.8 µg/m3 से बढकर 2050 में 22.2 µg/m3 हरो जाता है। पवशषे रूप से, सडक की धिू के उतसज्यन करो 2015 और 2030 के बी्च िगभग दरोगनुा हरोने और 2030 से 2050 के बी्च जस्र (िेककन कमी नहीं) हरोने का अनुमान िगाया गया है, कयोंकक सडक की गणुवतता में सधुार से हरोने वािी उतसज्यन में कटौती की भरपाई वाहन के उपयरोग में बढरोतरी से हरो जाएगी। अतनयंबत्रत छरोड ददया गया, जसैा कक REF पररदृशय में है, गरै-मानवजतनत गततपवगधयों से धिू उतसज्यन में

सािाांशधचत्9.2015औि2050मेंतीनपरिजसरनतयोंमेंसेप्रतयेककेललएभाितकेशहिी(ठोस)औिग्ामीण(िालिचना)क्ेत्ोंमेंिोगोंकेबोझ(मतृयु)मेंस्ोतकेयोगदान।सांयुकतशहरी और ग्रामीण मौतों पर 95% अतनजश्चतता अंतराि भी दशा्यया गया है। (धयान दें कक एकस-अक्ष के पमैाने लभनन हरोत ेहैं।)

12 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

743,000 मतृय ुहरोने का अनमुान है। हमारे पवशिेषण से ये अनमुान बतात ेहैं कक पवशषे रूप से मानवजतनत धूि उतसज्यन में कटौती की ओर अगधक धयान ददया जाना ्चादहए।

सीमाएँ

हािांकक इस अधययन में भारत में स्रोत-क्षते्र से सबंंगधत जरोखखम और बीमारी के बरोझ का पहिे पवसततृ राषट्ीय सतर के पवशिेषण के रूप में कई प्रबिताएँ हैं, िेककन इसमें —ककसी भी पवशिेषण की तरह ही - कुछ सीमाएं हैं। पवशिेषण के लिए आवशयक रूप से कई तनण्ययों और मानयताओ ंकी आवशयकता हरोती है, जरो उस समय काय्यकारी दि के लिए उपिबध सववोततम डटेा पर आधाररत ् ा। कुछ तनण्यय वायु प्रदषूण के कारण हरोने वािे वासतपवक बरोझ करो कम कर सकत ेहैं। उदाहरण के लिए, यह ररपरोट्य केवि PM2.5

जरोख़िमों पर कें दरित ्ी; हािांकक, GBD प्ररोजेकट वायु प्रदषूण से ररोगों के बरोझ के लिए ओजरोन के यरोगदान का भी मूलयांकन करता है। यदयपप ओजरोन का यरोगदान PM2.5 के मकुाबिे बहुत कम है, हाि के शरोध से पता ्चिता है कक भारत में भपवषय में ओजरोन के जरोखखम के बढने की सभंावना है। अनय तनण्यय अतनजश्चतताएं पदैा कर सकत ेहैं, जजनके सभंापवत पररमाण और पूवा्यग्रह अभी तक ज्ात नहीं हैं; इनमें बीमारी के पवलशषट बरोझ की भपवषयवाणी करने के लिए एकीकृत जरोखखम-प्रततकक्रया कम हरोती है और यह धारणा है कक दसूरों के बी्च, वयास में 2.5 माइक्ररोन से छरोटे सभी वायुजतनत कण समान रूप से पवषाकत हैं। इसी तरह, 2030 और 2050 में भपवषय के पररदृशयों के तहत प्रदषूण के हमारे अनमुानों की यरोजनाबद्ध पहि, अपेक्क्षत वपृद्ध और पवकास और वयवहाय्य नीततयों और प्रौदयरोगगकी पररवत्यनों के बारे में कई मानयताओ ंपर आधाररत है। जजस हद तक इनहें प्रापत या अभी तक अज्ात पवघटनकारी तकनीकों और प्रवजृततयों दवारा शायद प्रततस्ापपत ककया जा सकता है, अज्ात हैं। जसेै, सदंभ्य पररदृशय और अगधक महतवाकांक्षी S3 पररदृशय भारत में उतसज्यन में हरोने वािे पररवत्यनों के सभंापवत माग्य तक ही सीलमत हैं। अतं में, वायु में उडने वािी खतनज धिू के अपवाद के सा्, यह ररपरोट्य भारत के बाहर जरोख़िम और बीमारी के बरोझ पर भारत के बाहर पवलशषट उतसज्यन स्रोतों के प्रभाव करो सजं्ान में नहीं िेती है, न ही यह ऐसे उतसज्यन के प्रभाव का अनुमान िगाती है, जरो देश के बाहर की आबादी के सवास्थय पर भारत के भीतर उतसज्यन हरोत ेहैं, जसैा कक हाि के कुछ पवशिेषण में सामने आया है।

तनषकष्य

इस अधययन में ककए गए पवशिेषणों से पता ्चिा है कक कई वायु प्रदषूण स्रोत भारत में आज पररवेशी PM2.5 वायु प्रदषूण के कारण से आने वािे महतवपूण्य सवास्थय बरोझ में यरोगदान देत ेहैं। वे भपवषय में वायु की गुणवतता प्रबंधन के लिए और वायु-प्रदषूण से संबंगधत सवास्थय बरोझ में कमी िाने के लिए प्रमुख ्चुनौततयाँ पेश करत ेहैं। जैसा कक सभी देशों इस तरीके से वपृद्ध कर रहे हैं, वायु प्रदषूण के प्रभावों के प्रतत अगधक संवेदनशीि हरो जात ेहैं, भारत में वायु प्रदषूण के कारण हरोने वािी भपवषय की मतृयु में वायु प्रदषूण के सतर में कमी के सा् भी बढने की संभावना है। भारत में, आग््यक गततपवगधयों और आबादी में अपेक्क्षत वपृद्ध के सा्, हमारे आकिनों का अनुमान है कक REF पररदृशय और महतवाकांक्षी S2 पररदृशय के अतंग्यत पररवेशी PM2.5 का भपवषय में जरोख़िम 2050 तक बढेगा। जरोखखम में कटौती का अनुमान 2030 और 2050 में केवि S3 के अतंग्यत ककया गया है, जरो सबसे आकांक्षी वायु प्रदषूण तनयंत्रण पररदृशय है। जनसंखया जनसांजखयकी में पररवत्यन के सा् जरोडने पर, इन जरोख़िमों से

भपवषय में भारत में वायु प्रदषूण के कारण हरोने वािी मौतों की संखया में वपृद्ध की भपवषयवाणी की जाती है। हािांकक, हमारे अनुमान यह भी दशा्यत ेहैं कक तरो शहरी और ग्रामीण भारत दरोनों में महतवपूण्य अवसर हैं, यदद S2 और S3 पररदृशयों में वखण्यत उतसज्यन तनयंत्रण उपायों करो काया्यजनवत ककया जाता है, तरो 2050 तक िाखों िरोगों की मतृयु हरोने से ब्चाया जा सकता है। भारत सरकार ने वायु की गुणवतता में सुधार करने के लिए कार्यवाई करना शुरू कर ददया है; अतंतः, हमारी महतवाकांक्षी S3 पररदृशय के लिए अनुकृत जसेै वायु गुणवतता प्रबंधन के आक्रामक काया्यनवयन करो भपवषय में वायु प्रदषूण से बीमारी का बरोझ कम करने और साव्यजतनक सवास्थय की सुरक्षा के लिए भारत का नेततृव करने की आवशयकता हरोगी।

सवीकृततयाँ

HEI और GBD MAPS काय्यकारी दि, पवशषे रूप से कै्रीन वाकर और इस ररपरोट्य करो पूरा करने के लिए आईआईटी मुंबई के कुशि ततरेिवाि करो ररपरोट्य में उतसज्यन अनुमान के सा् अपनी तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए, कै्रीन लिज़रोवसकी करो सहायता के लिए, ररपरोट्य तयैार करने के लिए मरैी रेिनन के लिए, उतपादन प्रबंधन के लिए दहिेरी सेलबी परोलक के लिए, प्रूफरीडडगं के लिए फे्ड हरोवे के लिए, रू् शॉ के लिए और मसैा्चुसेटस यूतनवलस्यटा की पलिवी पंत करो नीतत तनमा्यताओं के लिए सारांश के दहदंी अनुवाद की समीक्षा के लिए ररपरोट्य तयैार करने के लिए आभार वयकत करता है।

संदभ्य

डडंरोना एि, डडंरोना आर, कुमार जी ए, शुकिा डी के, पॉि वी के, बािाकृषणन के, व अनय. कई राषट्, एक राषट् के भीतर: भारत के सभी राजयों में महामारी संक्रमण में बदिाव, 1990-2016 ररोग का वजैशवक बरोझ अधययन में। िनैसेट http://dx.doi.org/10.1016/S0140-6736(17)32804-0 [15 नवंबर 2017 करो एकसेस ककया गया]

GBD 2015 जरोखखम कारक सहयरोगी। 2016. वजैशवक, क्षेत्रीय और 79 वयावहाररक, पया्यवरणीय और वयावसातयक एवं उपाप्चयी जरोखखम या जरोखखमों के किसटर का राषट्ीय तुिनातमक जरोखखम मूलयांकन, 1990-2015: ररोग के वजैशवक बरोझ के अधययन के लिए एक वयवजस्त पवशिेषण 2015। िांसेट 388:1659–1724।

इंडडयन काउंलसि ऑफ मेडडकि ररस्च्य, पजबिक हेल् फाउंडशेन ऑफ इंडडया और इंसटीटयूट फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयुएशन। 2017. भारत: राषट् के राजयों के सवास्थय - भारत राजय सतरीय बरोझ पहि। नई ददलिी: आईसीएमआर, पीए्चएफआई और आईए्चएमई।

MoHFW (सवास्थय और पररवार कलयाण मंत्रािय)। 2015. वायु प्रदषूण और सवास्थय संबंधी मुद्ों पर सं्चािन सलमतत की ररपरोट्य नई ददलिी, भारत: सवास्थय और पररवार कलयाण मंत्रािय, भारत सरकार। यहाँ पर उपिबध है: http://ehsdiv.sph.berkeley.edu/krsmith/publications/2015/MoHFW%20AP%20Steering%20Com.pdf [11 अगसत 2017 करो एकसेस ककया गया]।

पवशव बैंक और इंसटीटयूट फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयुएशन। 2016. वायु प्रदषूण की िागत: कार्यवाई के लिए आग््यक मामिे करो मजबूत बनाना। वालशगंटन, डीसी: पवशव बैंक।

योगदानकराता

13 special report 21 summary for policy makers

माइकलब्ाि(सहअधयक्)बरिदटश करोिंबबया पवशवपवदयािय, वैंकूवर, बरिदटश करोिंबबया, कनाडा

आिोनकोहेन(सहअधयक्)हेल् इफेकटस इंसटीटयटू, बरोसटन, मसैा्चसेुटस, य.ूएस.ए.

वाांगशूज़ियाओ लशगं हय पवशवपवदयािय, बीजजंग, ्चीनझाांगककआांग लशगं हय पवशवपवदयािय, बीजजंग, ्चीनमाखायलशगं हय पवशवपवदयािय, बीजजंग, ्चीनझोउमेगेंग ्चीनी ररोग तनयंत्रण एवं ररोक्ाम कें रि, बीजजंग, ्चीन नयनपेंग ्चीनी ररोग तनयंत्रण एवं ररोक्ाम कें रि, बीजजंग, ्चीनकलपनाबालाकृषणनश्री राम्चंरि मेडडकि कॉिेज एवं शरोध संस्ान, ्ेचननई, भारत

चांद्रावेंकरिमन इंडडयन इंसटीटयटू ऑफ टेकनरोिॉजी, बॉमबे, भारतपांकिसदावतते इंडडयन इंसटीटयटू ऑफ टेकनरोिॉजी, बॉमबे, भारतसिरगुदटिकुां डाइंडडयन इंसटीटयटू ऑफ टेकनरोिॉजी, बॉमबे, भारत/शहरी उतसज्यन

आलोकझजलडयालइंडडयन इंसटीटयटू ऑफ टेकनरोिॉजी, बॉमबे, भारत

वाांगयु़िुआनटेकसास पवशवपवदयािय-हयूसटन, यू.एस.ए./लशगं हय पवशवपवदयािय, ्चीन

कानहयदओु फूडान यूतनवलस्यटी, शंघाई, ्चीनिानडलेमादर्टन डिहौज़ी पवशवपवदयािय, हैलिफै़कस, नरोवा सकरोदटया, कनाडा

आिोनवैनडोनकेलािडिहौज़ी पवशवपवदयािय, हैलिफै़कस, नरोवा सकरोदटया, कनाडा

रिचड्टबनतेरहेल् कनाडा, ओटावा, ओनटेररयरो, कनाडामोहममदफोरुिानफ़ि इंसटीटयटू फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयएुशन, वालशगंटन-लसएटि पवशवपवदयािय, यू.एस.ए.

यूसुफफ्ोसरैड इंसटीटयटू फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयएुशन, वालशगंटन-लसएटि पवशवपवदयािय, यू.एस.ए.

GBD MAPS काय्यकारी दि

GBD MAPS अतंरा्यषट्ीय सं्चािन सलमततडानग्ीनबाम हेल् इफेकटस इंसटीटयटू, बरोसटन, मसैा्ुचसेटस, यू.एस.ए.

बॉबओ’कीफीहेल् इफेकटस इंसटीटयटू, बरोसटन, मसैा्ुचसेटस, यू.एस.ए.

रेिीकीदरांगअमेररकी पया्यवरण संरक्षण एजेंसीहाओजिलमांगलशगं हय पवशवपवदयािय, बीजजंग, ्चीन याांगकुआन पेककंग यतूनयन मेडडकि कॉिेज, बीजजंग, ्चीन

कक्सरोफिमुिे इंसटीटयटू फॉर हेल् मेदट्कस एंड इवलैयएुशन, वालशगंटन-लसएटि पवशवपवदयािय, यू.एस.ए.

माजिदइज़़ितीइंपीररयि कॉिेज, िंदन, यूनाइटेड ककंगडमके.श्ीनारिेडडीपजबिक हेल् फाउंडशेन ऑफ़ इंडडया, ददलिी, भारत

लमखाइलकक्यानोवसकीककंगस कॉिेज, िंदन, यूनाइटेड ककंगडमगे्गकामा्टइकलवलड्य मीदटररयरोिॉजजकि ऑग्यनाइजे़शन/ यूतनवलस्यटी ऑफ़ आयरोवा-आयरोवा लसटी, यू.एस.ए.

नोएलसेललनमसैा्चसेुटस प्रौदयरोगगकी संस्ान, कैजमरिज, मसैा्चसेुटस, य.ूएस.ए.

पललवीपांतमसैा्चसेुटस पवशवपवदयािय-एमहसट्य, यू.एस.ए.अनूपबाांददवादेकिअतंरा्यषट्ीय सवचछ पररवहन पररषद सैन फ्ांलससकरो, कैलिफ़रोतन्यया, यू.एस.ए.

भाग्टवकृषणा पजबिक हेल् फाउंडशेन ऑफ़ इंडडया, हररयाणा, भारत

कुणालशमा्टशजकत फाउंडशेन, नई ददलिी, भारत

सहयरोगी समीक्षक

कैरिीनवॉकिप्रधान वजै्ातनककैरिीनलललसएवसकीअनसुंधान सहायकदेवश्ीसालवीअनसुंधान प्रलशक्षुदहलेिीसेलबीपोलकप्रबंध संपादक

मिैीबे्ननपरामशमी संपादकफे्डहाओपरामशमी पू्रफरीडररूरशॉपरामशमी कंपरोजज़टर

HEI पररयरोजना कम्य्चारी

14 विशषे रिपोर्ट 21 नीति तनर््टि्ओं के लिए स्ि्ंश

प्रकाशन का इततहास: यह दसतावेज़ जनवरी 2018 में www.healtheffects.org पर परोसट ककया गया ्ा।

नीतत तनमा्यताओं के लिए इस सारांश के लिए उद्धरण:

GBD MAPS काय्यकारी दि। 2018. नीतत तनमा्यताओं के लिए सारांश। बीमारी का बरोझ भारत में प्रमुख वायु प्रदषूण के स्रोतों का कारण पवशषे ररपरोट्य 21. बरोसटन, एमए: हेल् इफेकटस

इंसटीटयूट।

संपूण्य दसतावेज़ के लिए उद्धरण:

GBD MAPS काय्यकारी दि। 2018. भारत में प्रमुख वायु प्रदषूण स्रोतों के कारण ररोग का बरोझ। पवशषे ररपरोट्य 21. बरोसटन, एमए: हेल् इफेकटस इंसटीटयूट।

© 2018 हेल् इफेकटस इंसटीटयूट, बरोसटन, मास िाइरेिरी ऑफ़ कांगे्रस कैटिॉग नंबर फ़ॉर HEI ररपरोट्य श्रृंखिा: WA 754 R432.

संपूण्य ररपरोट्य www.healtheffects.org/publication या HEI पर उपिबध है।

हेल् इफेकटस इंसटीटयूट 75 फेडरि सट्ीट, सवीट 1400 बरोसटन, एमए 02110, यूएसए +1-617-488-2300 www.healtheffects.org

संक्क्षपत नाम और अनय शबद

DALY पवकिांगता-समायरोजजत जीवन-वष्य GBD गिरोबि बरोडदेन ऑफ़ डडसीज (प्ररोजेकट) GBD MAPS गिरोबि बरोडदेन ऑफ़ डडसीज फ्ॉम मेजर एयर पॉलयूशन सरोसदेस (पहि) GEOS-Chem गरोदाड्य अ््य ऑबज़पविंग लससटम गिरोबि केलमकि ट्ांसपरोट्य मॉडि HEI हेल् इफेकटस इंसटीटयूट MoHFW सवास्थय एवं पररवार कलयाण मंत्रािय (भारत सरकार) PM10 सूक्म कखणक पदा््य - वायुगततकीय वयास में 10 माइक्ररोमीटर PM2.5 सूक्म कखणक पदा््य - वायुगततकीय वयास में 2.5 माइक्ररोमीटर REF संदभ्य पररदृशय WHO पवशव सवास्थय संगठन