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    उतीमेख्या ही 1

  • खट-मिठ-बर

    मजाक नाथ लाल 'मगि'

    विकल्प प्रकाशन

    जिले- 1 1 ()094

    2 के उगुमिठवा

  • तु यर नाथ साल अणि'

    1511 कप : 978-93-8082 त (6स त

    विकल्प प्रकाशन

    2226., पथम तल अली न. 33,

    पाता (., सोनिया विहार क्रिती-1 10094

    मोबाइल : 9211559886

    : 1500) लये

    ज्याशक :

    मृत्य

    प्रथम-संस्करण : 2010

    : हिल बदल

    बी-216 चन्दू नार, देनी 110094

    विशाल अधिक क्रि-यों

    शाहदरा, क्रिती-93

    शक-संयोजन

    गुण :

    1111411111111194

    1: कि1धा1३ताया 1.11 1211 आतां'

    150 की 00

    उगुमिठवा के 3

  • समय

    पदम (लप-जति हठ समर्पित है

    अपना के अवर के

    देवतुल्य भइया

    हय हो::'

    अपच के ।.

    4 के उहाँमेठवा

  • आमुख

    हिन्दी, संस्कृत और भीतिक विद्वान में परास्त/तक, अनुज की तरह

    परम स्नेहिल मगाते नाथ लाल रेवती पुर को 'संस्तुति के चार अध्याय'

    है

    पाला संर्शत्नि नित्य सोया को उनके यल, जाइये और ईश्वरी

    भजन में विभोर हो जाइये । समयाभाव और जीवन के अन्तिम समय से

    टकराता और घुटने को पीड़, से आह करता 'ख.' कभी-कभी जाने

    पर बाध्य होता है । वहन के स्वजनों की नीति और अदा यधि मगाते के

    गोत्रों का पलीमन का सारण कर मेरी सारी यप्राएं तुरत हो जाती है ।

    इनके अग्रब स्वभाव से संत स्व, उच नाथ ताल अपने पिता का पक्ष मेरे

    पिता जी को कलकत्ता में हस्तगत किए थे । इनके पिता जी मेरे पिता जी

    के मित्र थे । यह लिखने का कारण यह है कि इनके परिवार और मेरे

    परिवार का स्नेहिल उम-ध अत्यन्त पुराना है । स्पष्ट है कि इनके सपना

    में लिखते समय मेरा भाकु" मन परब नहीं कर पाएगा और सिया प्रशंसा

    कद जीवित में हास्यपद होती है । इसी से सत्य लिखना ही पड़ता है ।

    दूरि' जायाम संक्षेप में यहीं हम नवयुवको-विशेषकर हारमोनियम,

    नाल और तबले में प्रचीन ते सुनते हैं जि, 'तिसतीगों को दक्ष बनाने में

    आरंभिक गुरु श्री मरातिनाथ ताल जी हैं । गुरु ये केवल संगीत के ही

    नहीं है साम के पथम इत्र कतेब नेल विद्यापीठ के विद्वान के पवई

    के रूप में जितने असहाय भादों को नि:शुल्कि शिक्षा दिया करते थे ।

    अवकाश प्राप्त करने के पश्चात भी यह यस बल रहा है ।

    लय जायाम यह है कि गायत्री समाज के आचार्य के रूप में

    अपने मित्र श्री राम वचन उ, जो ने-वि-पीठ में थे, के साथ गांव के सभी

    जातियों को एक गुन में बांधने का अथक प्यास कर को हैं । जव सुने

    हैं कि डालडा में बनी मिली होती है तो उसे छोड़ दिए । ये निरामिष भोजन

    तो करते ही है, सूक्ति के पाले ही इसलिए भोजन करते हैं कि कहीं

    छोटे-छोटे अदृश्य यरिताणु भोजन के साथ र:, में प्रवेश न कर जं/य ।

    उगुमिठवा के 5

  • चतुर' आयाम रेवती., गांव में साहित्यिक परिवेश निर्मिति करने

    का आय इन्हीं को जाता है । इस गांव में पथम कवि गोखले रे अपने आवास

    पर आयोजित कर लगातार कराते को तथा इस गांव को काव्यमय सदकार

    देने का आय भी इन्हीं को है ।

    मैंने जड़, तक 'मता जी को देखा, जाना एवं परखा है, पाया है कि

    आप एक व्यक्ति न होकर सम्यक, संस्था हैं । गायन, वादन, अध्यात्म या

    साहित्य हो सब में समान गति है । सांगीतिक वामन हो या आख्याहि-य

    समाया हो सकी उजिरिवत देखा है ।

    इनका साहित्यिक कत्ल 'खटमिठवा' आप पाठकों के सम्मुख है ।

    इनकी रचनाओं में जो ईसाई और गहराई है, संवेदना का सिन्धु है, औ-ब

    है, मानवता की शीतल सुखद सरिता है, भाव-बनाव है, पेस और शव

    जि-दये है, अ९यजिस्कता है, संगीत है, संत्सिनि है, हास्यरस है, उसका

    स्वाद तरि मित्र पाठक स्वयं ही पड़कर ऋत और कवि के देत जीवन

    की कामना केसी । मैं भी परमपिता सत्मैंदाना-द ते वार-वार निवेदन

    करता हूँ" कि इस मेरे अनुज अदा यधि मरानिल/थ ताल को मिस की ।

    धन्यवाद !

    रोरीशकी मिथ 'भुवन

    रेवती?, गाजीपुर

    6 के उगुमिठवा

  • शआ"सा

    मजाप-ह नाथ ताल ते मेरा परिचय पशु.' वर्षा पुराना है किन्तु

    रचनाकार के रूप में आज ही आप ते परिचित होने का संदाय प्राप्त

    हुआ । आप मोतियों विद्वान के वार-आता होकर कविताएं लिखते हैं

    इसलिए मैं आपको उन्हें अत में कवि सालता हूँ".

    आपका गहरा उम-ध छोयन्बीवन और उसकी भाषा ते है । फल:

    आप जब कविताएं लिखने लगे तो लोकभाषा भोजपुरी का ही आश्रय

    लिया । मातृभाषा में काव्य रचना के कारण ये रचनाएं न केवल सरल,

    सरस और समय साहा है वरन उनका एक खास तरह का माषिके

    व्यक्तित्व भी है ।

    आप संवेदनशील कवि हैं, फल: अपने जीवनानुभदों को विन्होंपस

    ढंग से अपनी कविताओं में अभित्यबत किया है । आपने अपने ऋदिके

    की प्रकृति, लोकपदों के उबल., गंगा नदी के सोंदयं गामीण जीवन के

    कवि चित्रों पर, परिवार के आत्मीय क्षणों को अपने गोत्रों में सर इस

    पवार अभित्यबत किया है कि यह पाठक का ध्यान साज ही अपनी और

    आकृष्ट कर लेता है ।

    'खटमिठवा' नामक पुस्तक संग्रह के प्रकाशन पर मैं माई मराहिंचनाथ

    ताल को बधाई देते हुए आज्ञा करता हूँ" कि आप निरन्तर साहित्य रचना

    करते हुए अपने काव्य संयत से भोजपुरी भाषा और साहित्य का 'पगार

    करेंगे ।

    मना, जिला नाय पलक

    स/जिय जा, ग/जार गौरव तथा

    सर दीनदयाल उपाध्याय सम्मान प्राप्त

    पु/बद. अध्यक्ष हिन्दी विना तथा उप/व/यं

    उतबन्तिर सह/विधालय, गाजा/र

    उगुमिठवा के 7

  • शशेत्छा

    कविवर श्री मरानिल/थ ताल के भोजपुरी काव्य संग्रह 'खटमिठवा

    की प.हुलिपि को देखा है । आपने बहुरंगी छोकजीवन के उके चित्रों के

    भीतर से अपने पाठकों को गुजार देने का सफल पन किया है । रचनाएं

    पठनीय हैं और भोजपुरी के सोते स्वाद ते परिपूर्ण हैं । आशा है भोजपुरी

    साहित्य-संसार में और इस होब' भाषा के पाठकों के चीज इस पुस्तक को

    आदर मिलेगा ।

    महान साहित्यकार हो. विवेकी राय जी

    1 8.201 0

    8 के उगुमिठवा

  • अपनी बात

    स्वान्त: सुखाय है

    प्रस्तुत रचना संग्रह भोजपुरी भाषा में आप सुनी पाठक साग का

    सामने बना । भोजपुरी अव खाती एगो चोली नइखे रहिगइल । हो. गियसंने

    क सराहते हैं अव विश्वविधालय क विषय, शोध आ साहित्य क चमकता

    रूप लेले वा । विदेशनों में एकर मान्यता आ पुल प्रचलन बना । चाहे

    राष्ट्रभाषा, चाहे देश भाषा का रूप में । गोल एकर सब सुनता ।

    ए र/मकर काव्य संग्रह में पशु.' कविता व्यस्तिनिदा (एगो क्षण चाहे

    घटना पर सात: सूप-मपा से निकलता) बदा स, पशु.' रचना उ' क कष्ट,

    चाहे समाज क कष्ट अता दशा देखि के उपजत बदा स, पशु.' रचना सर

    लोगन का अनुरोध पर लिखत बदा स, सर अपना मन के भाव बदा स,

    सर परहित अता सर अप्रचलित, नया चाहे पुरान, होब' यतिन चाहे

    सिने-गीतन, पशु.' ज्ञास्वीय अता पशु.' परम्परागत लन पर । अभिधा,

    लक्षणा, व्यंजना बना । सर गजल वा, पशु.' जा, सर राय वा होय मा पशु.'

    मलमीत । है" पशु.' एल गिनल जात्कान्त के छोडि. के त्९सुक्तिए रचना होय

    बदा स । हैं गाई वाता का ऊपर वा कि कइसे गा ले ता । दूसरा संगीत

    से लगाव का कते एही तरह क पवन बना । कहीं जनहित में सताह वा ।

    वर्गीकरण कमल एगो जि-दये लये ह वाकी मिलत खुलल समयों

    जव परोसता जाता त 'खटमिठवा' कहाता जीवनी एगो अहाँ सवार

    होता । सति साग (सुतिह प्रसाद एबके में मिला के जान य-रेता । ए रचना

    संग्रह का एबको माल आप पाठक गण के मा गइल त हम अपना अम

    के साजिश समझब, लिखता काना, साफ कहता क, शुपववता क

    प्रवाहित करयता क ।

    अधि नाथ ताल

    उगुमिठवा के 9

  • आ-आर-सय-द

    असर सकी पाले जो परम अ. का पति जे प्रतिभा प्रदान यवान

    सर सृजन केरे क, लिखे क । ओकरा वाद जे हमके सर लिखे बहे प्रत्यक्ष

    आ परीक्षा में प्रेरणा खोल, उत्साहित कमल, ए वर्ग में यह भाषा में

    ओजस्वी लेखन करे वाला कलकत्ता क शिक्षक स्व, रामबन ताल

    श्रीवास्तव, भोजपुरी माटी पत्रिका क रीढ़ हमार अद्धिय अग्रज स्व,

    होरम जाल, एह पत्रिका अता पश्चिम जंग भोजपुरी परिषद क

    संस्थापक शुभ चिंतक मिथ वन. जे हमार रचना समय-समय पर मांग

    के साप, एइसन अउरी ऋते भूतल विसाल लोग वड़माई नियर

    आदरणीय श्री गोरीशंकर मिथ चुका' घंशराब सिह जी, पम जी तथा

    संगे क कवि साग के नइखे भुलाइल जा सकत । हमार प्रिय अक्षय त्-सुमार

    पाप-देय 'अक्षय सो, रामनारायण तिवारी, श्री अनन्तदेय पाण्डेय, हो. भरत

    पाण्डेय, गुमनाम जी, आदि लोग, संगही जे अनुरोध कहि कविता:' के

    अपना फचाहा राग आ विषय पर लिखे क कारण कल एइसन अनेक

    लोग का संगे मनोन यादव, सर सावर अशोक राय, स्व, अमर नाथ पुत,

    राकेश, विनोद के ऋते साधुवाद ।

    तरा पलता भतीजा कय/दर साप-नायर इंजीनियर विनय एकु/नार

    श्रीवास्तव क एके छपने क प्रयास शुभशिक्षा लिखे, प्रण प्रकाशन, (ष में

    सहयोगी गण आ, तरा डायरी से उतार के साफ केरे वाता उन विबकी

    पाण्डेय, अमल, अभिषेक., जाया आहि के धन्यवाद जरुर देइब ।

    सम्मति अता आलीशान खातिर हो. विवेकी राय जी, होर जिली-द

    नाथ पाठक जी अता कवित जी क असर ।

    सहीं अलवा बाड़न जे हमारा २धनावन के डायरी ले कोस के जपना नाई

    ले कहीं पुपवत्ते होखे ओट के बहुत धन्यवाद । बाकिर एइसन यहीं ना ।

    कुंजू;

    मशीप-ह

    1, के उगुमिठवा

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  • सरस्वती (मत्-यत्र

    मोह तम से भरत मस हदय चीज संत,

    आके हर दस विराजत दया कइके ऐ".

    पुल परिकर का संगे, अता शुभ उक्ति ले,

    (र्णरेलदुसनवत क तमवं९, दया कइके ऐ" ।.

    माई; विद्या, सरस्वती, कमल लोधनी,

    सहाभागे । सहारा विद्या दा] डाई ।

    हाथ जीप, बहुत मंगल. सत्,

    आतिनीशिनि२ लेवल से व:दित क ।.

    कहं-सबका ले, यश अता मनोरथ देबू

    विद्या, गुन आ पीता काले दे देबू ऐ".

    रोज विनयी संत, अनियत वा तीसरे वरन,

    भरि द] मनवा" में माई हो 'मगि, पूल ऐ" ।.

    मोह तम से भरत मम हदय चीज संत ।.

    आके हर दस विराजत दया कइके ऐ".

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 15

  • सरस्वती बचना

    मउसी आलु तरा के माइके सुना है ।

    जोर-जोर नहियों त तनी गुनगुना दे ।.

    माई दुगना तरा के भेजते क कल ।

    दहिना सुरसती यह रति जो ऐ" अम,

    आलु लेत हस तोके कानी सुनवती,

    राक्षस, के मरता क बतिया बताती,

    मउसी तीर कद देई, गत है" सिखाई,

    वीणा साज बजवा बजाइके देखम,

    आशा लेके अइली तनी वीणा तू सुनाई,

    न्यासी अति११११........थथथथ ख-.. जोर(........... क...

    माई हमार मयम ह तत्व, पेड़, देने

    बुझ अगर लाख लाख माफ कइ देने

    वहा, विष्णु, शंकर, इन्द्र, जेकरा से सारे,

    और हुम' राक्षस के माई हमार मरि,

    संकट से ऊ पार लगावे, ऐ" दे कद जीन,

    संजीव, कसी पाइजा हुनियं९, में सम्मान

    हुरियत जाने अंत जाति वा, न्यासी पहिले गल । जार ।.

    ध ध ध

    16 के उगुमिठवा

  • मोती गायकी से

    दे द सुकर माई, जन जन का माई-माई, जनता जहान ।

    करूणा आने भजि, जिया में माई, होखे तीगवा महान ।.

    सबका के जापन मता, केट नाहीं उ,

    अलका के होरेयर रार.'., अपना के ऊसर,

    पहिले लिया दे भूषा दू." के माई अयन, पाते.', पान ।

    दे द सुकर माई, जन जन का माई-माई, जलता जहान ।.

    हिसा से है, रोपा, कष्ट सत्व.. अपने,

    रोए क अमल, चाहैंसु नाहि सपने,

    नशा अन्याय पना/तेह ठीहं"सु एसाई है है उसे वरदान ।

    दे द सुकर माई, जन जन का माई-माई, जलता जहान ।.

    दुनियं९, में देसवा के, अत ऊ वड़४९त्सु,

    शान की भारत क, अहसन वना-हि,

    सबके जमाव माई, शक्ति भक्ति देर 'मशि, कर] कवन ।

    दे द सुकर माई, जन जन का माई-माई, जलता जहान ।.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 17

  • माई गायकी

    विरला,

    करील-त् ।

    लोह ले,

    करुणामयी संत, आके

    हम यह के मन से पुकारता

    लय, गति, सति-शुभ, सं९त्गीता

    मिठ-तिज तीसरे, हदय में धरीलत ।. करुणा.

    दगन्दग बीता, प्रखर तेज तीसरे,

    अहाता में वा, कन-कन में सवारे,

    सस्तुद्धि पेरिस कर माई जग मं,

    उबल भविष्य अ, जिनका औसत ।. करुणा.

    आयु, परिवार, प्राण, पशुधन दे द,

    सम्पति जस दे द, बहा तेज दे द,

    यदाविनी माई, वाम देत क,

    दया का नजरिया अ, तिकबत रहीं संत ।. करुणा

    देवता क माता क, देदवन कमाई,

    प्राण क अत क, जावा क माई,

    (.., पला के भूषित देत वा,

    तोता यनियं९, में सरिया धरीलत ।. करुणा.

    रोते करोड़. गाय बहाया कल्ले,

    जीवन क रोजा हिसा बह,

    देई हैं कद कि, गोज्ञाता वनाई जा,

    माई गायत्री तोले, विनती करील-त् ।. करुणा.

    गइया का गोवा ते नाका लिपटी

    हाथ जोरि विनय ले आती दिखाई,

    यहि लिखे नाहीं जूस जानी ललित माई,

    'मता फूल सरधा ते गोप धरीनत ।. करुणा.

    करुणामयी संत आके विल,

    हम भाजन से भय के रं-त्व/रत करील-त् ।. करुणा.

    ध ध ध

    1 8 के उगुमिठवा

  • उसकी माई क यमन,

    है नीना कतार, है सत्त यह अस हार, है आन चुद्धिभच,

    अ माई कइसन लगि, ए माई कइसन सील ।.

    हय में तोषा माता, मथम पर गुल निभाता, वा, हैंरिमहिती दाता,

    -माई कइसन ताम, ए माई कइसन सोता ।.

    उबर कमल पर आसन, धप-धप वा उबर वासन ।

    उबरे संसा असवारी, देवता पर तीसरी शासन ।

    मन कहीं चरनन मं, हैजिनिगी करों कर ।. है नीना.

    ऐ" बह जग कन-कन मं, छोलतकाड़ हर छन में ।

    (चलू-यतो-जन मं, बड़का यतो-, पन में ।

    पुतला, देवता सभ, तोहरे ले बा संसार ।. है वीना.

    ऐ" देर अता में बरि, हर धरम ९वजा में बरि.

    कलकल नहियन क (हीं, मिल:' बह-बह में बदरा

    संग तोता, अंग तोता, वा 'मगि, ते अजब सिगार ।. हैं नीना.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 19

  • गनयति के गिनिया गई'.''

    गजपति, शिवशंकर के लालन यह आई ना ।

    आसरा लगाने ३हिया जीराके, हम छोलहिती ।. गनपत

    च के बाटे सवारी, पारबती मतरी,

    लहुवन के अबकी पारी, अहि सिद्धि बदा नारी,

    सबके तोता के, करब का आके, का भुता/ल-त् ।भानपते

    संगत क हई रम दाता, भाग्य क हई विधाता,

    वेद क हई रस्सा सात, हई रम यडानन के माता,

    देवता में वहि के पम पुरा बहि के, त काहले, ।. अप:..",

    एक दन्त यह जि, भमयवन्त रम जि,

    विध हन्त रउआ", सदा सन्त यह हई

    'समि, वा मुकुट में 'समि, वा दन में, गोया गारि'."' ।. पल्ले,

    गनपति शिवशंकर के लालन यह अते ।

    यह आई ना, रम आईना ।

    ध ध ध

    हो) के उगुमिठवा

  • नउभी उनियों''

    आइ गइली नामी पुजनियंत्, से बासा उगती दिर्णरेनियं९, ।

    सने सालों माई की यनियत्, से यम उगती क्रिरिनिय१" ।.

    दृश्य:' ते देवता बेकल होइगइलं,

    असुर.:' का दुर ले ऊ भाले पहिने ।

    प्रकट भइली तेज ते जननियं९त्, से रामा जाती किरिनियंत् ।

    आइ बदली न.नी पुजनियंत्, से यम उगती किरिनिय९त् ।.

    सुम्भ निसुम्भ के मारि गिराती,

    महिषासुर हुम' के तर/बलों,

    यतचीज यत पीये पनियंत्, से बासा जाती किरिनियं९, ।

    आइ बदली न.नी पुजनियंत्, से यम उगती किरिनिय९त् ।.

    चण्ड (., मधु केम, मरती,

    देवान क त्९सुक्तिविपति उतरती,

    भगत 'मता अपने वरनियं९त्, से बासा, उगती दिर्णरेनियं९, ।

    आइ बदली न.नी पुजनियंत्, से यम उगती किरिनिय९त् ।.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 21

  • रामनउभी

    जज का वाद गरमी ले अवि गुमनामी ।

    जहमत गांरेववन के गरमावे गुमनामी ।.

    प्र प्र प्र प्र

    धरती क मार जब वहि जाता हुपन ले,

    भक्त अउरी सज्जन उबल जाता उन ले,

    रावन होवावेता, राक्षस, सतादेता

    ताड़का, सुझाया ते कंबल सुनि यवन से

    रम क अवतार तब करने गुमनामी ।. जड़.. जाब

    प्र प्र प्र प्र

    शुम्भ अता निशुम्भ जब जनमें समाज मं,

    यत बीज मल केम पनपे" समाज में

    नील लोग भय खाता, हारे देवत्व जब,

    दवाब तागे बर बेटी इज्जत समाज ऐ,

    तब गुल देय संगठन उपजाई गुमनामी ।न्यावत्श्री जाब

    प्र प्र प्र प्र

    नामी ह हिंबतातिधि, दुपहरिया खाती ह,

    अभिजित नक्षत्र त सताता में खाती ह,

    रास जी आ गुल, शिव शक्ति अस होले पका,

    कत क महीना अते खेत सब खाती ह,

    खाती क महात.. बहाई गुमनामी ।पात्श्री जाडा.

    प्र प्र प्र प्र

    गाई भगत भवान होके, पूल की भगति-भगति,

    गुल पाठ मालसपाद शिव जई जातिपतति,

    (विस हजार गायत्री संल अनु-तान

    साधन-आराधना वा साल बार दक्षिण पतति,

    भक्ति अउरी शक्ति के जगाई गुमनामी ।न्याड़त्श्री जाब

    22 के उगुमिठवा

  • प्र प्र प्र प्र

    झरि-झरि लीप-दाते होले घर द्वार शुद्धि,

    छोडि. के अमषेय नशा घर-धर आहार शुद्धि,

    यत उपवास ले, दीप भूप वास दवा

    ज्ञात्तमन, शु-तमन 'मगि, ते विचार शुद्धि,

    आदमी के देवता बनने गुमनामी ।न्दिजड़त्श्री जाडा.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 33

  • हर साल आते रामन-रे

    हरताल आवे रामनवमी, से रामा, सबहीं मनावे

    एगो खप.:' एगो यवन,

    होते धरती के रम कइलनि पावन,

    अनगिन सत अति धरती, से बासा, सबहीं मनावे

    ताड़", सुमनसा, केम आ [हुवा,

    धरे-धरे होगी त कइसे सुधरी,

    आना हैं रम कयों करनी, से रामा, सबहीं मनावे

    कंस, हिरन/सहा, बलि, महिषासुर,

    प८१भकर्ण, मेघना, कफ उनासुर,

    घर घर वन का बरनी, से बासा, सबहीं मनावे

    सको का बने के परी, रस, य,

    तल त छोलिड़े शांति के भुगत,

    'मता से मसान होश अनी, से बासा, सबहीं मनावे

    हर साल अवि रामनवमी, से रामा, सबहीं मनावे

    ध ध ध

    24 के उगुमिठवा

  • संत गोदाम

    पुराम, माय को सं-जि/रिया, अता जाति के (रिया, जनम लेक:",

    पूरा काली की नाभि, जनम लिहले ना ।.

    धन्य रविदास रख्या बड़का काइली,

    गंगा के यलवता में रजा देखयती,

    गइले घर ते वसीय., हीन महीं गुजरिया, कर कल ना,

    एम बानी पकी उ., जनम लिहले, ।.

    सति सेवी रहि पता सियते बिताती,

    पभुक मु/ति देखि देखि गीत गवली,

    सति प्रभु बजरोरिवा, खोधि पारस दिने औरिया, नाहीं,

    धुल कहती" ना,

    पुन्य काशी की(................... को-..

    रानी जिम मीरा, राणा देता कला,

    एक सोब अस्ति, जीति पुत भइली,

    स्वामी धन वन ददन 'मगि, उजरिया, विस भइली ना,

    पूरी माय को(................... ख-..

    पुन्य काशी की(.................. अथ

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 25

  • उम बाबा से

    वहुत दिनन से पालता सवाल,

    धाय तात गइल छाती में ।

    ए उसे ए वध! का-वालि-वा लिए पाती में ।.

    1. आनी भुताई बाजि, भूने ना सुरतिया

    धर-धर मारे साती, सोहनी मुरलिया,

    ले ले आइल बज, होत निदान गठरिया,

    आगि तागों को तोता नाती में ।. धाय

    2, र.१हुँलदुना कइसे कटे दिनरात अता रतिया,

    ऋते (योर-काज लए मसान क (बतिया,

    गले वा अं"रिवयन में भरत बदरिया

    बरिसी इ विनय-, चाहे सती में ।. धाब.

    3, जीगवा लोहार सुनिके भइली आफतिया,

    आना सुनाई तोहसे आपनी विपतिया,

    जबसे मुकेश के छोलवलसि कंस लतिया

    'मता इतरे औटि न परते में ।. धाब.

    ध ध ध

    एई

    26 के उगुमिठवा

  • आज क रि/ने

    राह से ऐ" राह बक, चलपुसति देहियंत तोरि के ।

    आना दिन हैं उगी छो, बलम झकछोरि के ।.

    देहियत क साज-बाज भइल रक्त अलक,

    साल, रोप-ट, सो बाटे, निकास क गमक,

    लिय उलिया, अतर" में छोरि के ।. केतना.

    लिम-दी अंन्तिताती पालिश सति है" बनाय.,

    सीधा-सादा (हिके, ऐ" गुनवत देखा-ब पु,

    सति राख पु खुलुफी के तले तह सोरिधि ।छोतना.

    चलते क वक-वक, सिटिया वजावेतू

    का के चोलवितू जुलुम बरसाती!

    ताब माया भारत क है, पीगइलू घोरिके ।. केतना.

    एक दिन आई जब, गवने के जइबू

    लाज हायर साथ जाई, मार ते ते९तिइबू

    देहियं९त् के गति होई, जारत जाई खोरिके ।. केतना.

    पका गुना सीखा बड़ रहनि वाति गुन के,

    छोड़. नागा, मांस, अपार अउरी अवगुन के,

    पाके 'मता देहि ई, उपाय सति सोरिके ।. केतना.

    राह ते ऐ" राह-पक्त चलपुसति देहियंत तोरि के ।

    आन दिने हैं उर्णमेरिगुरि, बलम इने छोरि के ।.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 37

  • दरस नाहीं यवनों'

    दिन-दिन पलना अगोरहीं आमा, दरस नाहीं पवन ।. दिन-दिन पलना

    सुनील-, कि रम जानि रावन के मरती,

    कृपा बनि मधुरा में कंस संयती,

    दुगो जानि विपति पछोरनी से बासा, यस नाहीं पवन ।. दिन-दिन.

    रावन कंस त गती-गती भल,

    ताड़का सुबाहु खर-सपा अन्न,

    आस मोरि यहि रम तोप से बासा, दरस नाहीं पाती ।. दिन-दिन.

    धरती क भार वहीं, लोग वहीं बफर,

    आइब साधु रक्षा बरि, बना हवे रहि,

    कहि-कहि वाति यहि छोरा, से बासा, यस नाहीं पवन ।. दिन-दिन.

    देरी-वेरी कत गुमनामी त अ.",

    अभिजित मय, मसमास क भइली,

    यवाइलरि शव मधु गोलों से रामा, दरस नाहीं पाती ।. दिन-दिन.

    होरी क मोरी, कतका चेतना,

    नाहीं (सुद, छोवलू हैं खाती साल लेतवा,

    केतने त 'मशि, माल आती, से बासा, यसनाहीं पवन ।. दिन-दिन.

    ध ध ध

    एई

    28 के उगुमिठवा

  • हैं: आयतित हउए

    हुनियं९, में (केता, दपशेता जग सं, देकर उनी,

    हैं आय-: लए देखा ए उनी ।.

    पत परी-लीग अविलीजा एहिजा,

    मगन होके रज/बरि/या (सुलाती-तजा एहिजा,

    फल, माल सगर वा, गो, तना सवार,

    सहि-मह वनन बा, केसर बना मनगर

    भारत क मुकुट कशीर स्वर्ग य, देख ए उनी । है अप.

    सागर का तीरे हुआरिका जी सुहाती,

    रूविसनी आ दाय राजा कृष्ण बलशाली,

    भूमि गुजरात, सोमनाथ गिरिनार बा,

    कष्ट वा लाहोर सिन्धु नर्मदा., धार वा,

    देवता क राह छोलन प्रजा य, देख, ए उनी । है अप.

    बाल तियत वा हिमगिरि बाटे कइसन,

    गंगा, सं९त्पूकाईरी, क बाटे शोभा आसन,

    नर-नारी मंत्री पानी एइजा वा जइसन,

    नाहीं कहीं मिली प्याज-जिह पका तलब

    कन्या त्९सुमारी सुनत अपन लए, देख ए उनी । हैं आयी

    डाहि-डाहि पात-पात सोने क चिरइया,

    मद जंग, उत्कल, ताल आ तलब,

    धानी चुनरी में धनि, ओए गोड़ सागर,

    'मता वा (रिम, गोड़ 'मशि, भरे सागर,

    दाता सीता.., दाल रास सई य, देख ए उनी । है अर्चा

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 29

  • हरिद्वार क आतिश/ज

    चलत केले बलों जा, जलती दृरिठार मं, गंगा का दुआर में ना ।.

    गिरता बदा स्वर्ग ले गंगा

    जल वा यक अहसन ठण्डा,

    हर का छा, बराती, मनसा, ऋ" तार में ।. गंगा के दुआर में ना ।.

    यह कनखल भीम गोल

    वारे ऋषिकेश के घोडा ।

    ऋ" रम लक्षमन स्वगाअस का पार में ।. गंगा के उर में ना ।.

    सप्त सरोवर, पावन आम,

    देर शम-ती मत लताम,

    भारत माता मन्दिर, अबकी कगार में ।. गंगा के दुआर में ना ।.

    पीले जीवन दिशा नवीन,

    उन नापेले मशीन,

    प्रति-काज, जगत पश्चात वा काम चार में ।. गंगा के दुआर में ना ।.

    देय संस्कृति पकावन आलय,

    लगिये बाटे विश्वविधालय,

    जिनिगी धन्य तनाव मगि पहिर] कपार में ।. गंगा के दुआर में ना ।.

    ध ध ध

    सा) के उगुमिठवा

  • जि-रोज-कारगिल

    दे दे एगो बरारी, हम वतय,

    यमन के वियइसनधार वा,

    वि, कइसन धार वा । ए माई

    कइसे घुसते देस में तरा

    हम देखब तीर देता,

    गोप बरारी खंजन जाना,

    हस क देइब सीता ।

    जइसन जइसन चाल ऐ" कहि,

    देइब उत्तर तीर,

    गोली बस ऐर ले दागब

    देइब (..:, भी ।

    अपने अवधान' हमके हो".,

    (मने डाल क प्रदा,

    असतीमारि त वाकी वारे,

    कारगिल अबहीं यहीं-" ।

    अबकी जो बदमाशी करक

    आसन होय खिआइब,

    पुल पाकिस्तान के फिरि ले,

    भारत में मिताइब ।.

    वि, कइसन धार वा । ए माई

    ध ध ध

    संत वि,

    संत वि,

    उगुमिठवा के 31

  • करते को और

    हम त अ." है" सुने, ललकार अति विलसन क ।

    आती. है" सुने पुकार हुंकार अति कलन क ।.

    अइली हैं" देखे यह यरदायों माई के,

    अंतस, पब, अंगुल अति गिनि के वताई के,

    के ललका-री, पूश्ररिराज के सुलतान पर,

    भत्ता हुआ जु अंत मारिया माइ के सुबह के ।.

    के आलु 'धारा" वा, इंते देखे अइली है,

    'शिवावावनी अता उर्मासाल यश गाई के,

    आती. है" देखे अति मैथिलीशरण पुत जी के,

    'मारा-भजि, के अति दोशा बजाई के ।.

    के बाटे 'दिलवर एह कविवर में तरल मं,

    कलम क धार तलवार अस बताई के,

    शम्स नारायण, सोहन, सुभद्रा वा के-केज,

    जीति लेई कविता से पाक क लड़की के ।.

    पीठ पर वारि-ह ए, छोड़" पर तेग ले के,

    अरि पर लषेसोबाई अस छप-म बताई के,

    चेतक वयम" रग वत-सुरा जाप अइसन,

    देश-स्वाभिमान खातिर नास रोटी खाई के ।.

    वीरन से खाती हैं धरती यल होखे ना,

    बीर अम्ल अतर आसन करी बी/ताई के,

    देखी अशपाक उबला, खान गपपार के वा,

    खुदीराम, भगत अस फतसी बहि जाई के ।.

    ताल, वाल, पाल के वा देखों आलु धरती पर,

    32 के उगुमिठवा

  • सुभाष, ध-प-हरिपुर, राममत्त वन के आई के,

    के बना पटेल, ताल बहादुर अता गांधी अस,

    व-क्रिस ह के 'य-दे मातम ऊ गाई के ।.

    कवन कवि लिखो देखों कविता निज रहा ले,

    बलि आपनपूत भारत-माता पर चढाई के,

    अल रश देश खतिर, विधि शिवि बनी के, के,

    दानी भामाशाह बनि के सम्पदा जुताई के

    कबि देखत बानी मूर्धन्य, काले जीवट क,

    उसी पर कय, कबि, कविता: विचारा के,

    केर बाटे सो, केर बाटे पचास प्रतिशत

    जान सर आमद नमी, औहिजा अव जाई के ।.

    जावे नाहीं यधि, भले कविता ह अध",

    लए अधि, यश आव्यवहार के कह के,

    दूर करे विपदा के, मणिरीग नाश करे,

    नाहीं त घरनी अस देई सतिराई के ।.

    कवि देखों कंचन ह, हीरा, रसीला ह,

    सागर अस गहिर ह, एकर-प्राह पाई के,

    वहीं एकरा पेट में 'मगि, गुन लाल बाटे देखो,

    गमी से राखी, कि आलू जनता के ।

    अरि, मजाई क गोल वहुत पायल सब,

    अति देखों संकट में प्यासा पर जाई के,

    कजरी आ तीरों का मील में देखों अति,

    पस्त कलम ले राधीरी बजाई के..

    सीमा पर लए गम्: बात निज माद्देन के,

    होत 'पगार के हैंसाई अता रोवाई के,

    यमन क पीए यत वन के मिसाइल जीन,

    कविता ले अइसने यधि सत गरमाई के,

    के मारी व्यंग वाण, के करों देश आपा,

    उगुमिठवा के 33

  • पूज' नमाज छोडी, प्रभुता खुदाई के,

    हिन्दू सिवा, (.रिलस, ईसाई भारतीय सहि,

    देखी शल-गोता वस पम' पर कह के ।.

    सीमा पर जाये क शक्ति अगर नइखे त,

    देखों अपना सेनिक, क होसता बहाई के,

    तड़प स्वय ले लेके वेदना यन्दोक आलु,

    अति 'मशि, साधना ते बीर गतिपाई के ।.

    ध ध ध

    34 के उगुमिठवा

  • वैज्ञानिक सदी एलबम

    नई सदी एकल' बाटे आगम विद्वान क ।

    भोजन अता जलपान, रहीं इतीस्टत्न क ।.

    नाहीं होई लघु बीत शंका केर का ।

    बदला में निकली अब उब: बर का,

    कपडा बनी अब, काले पालिस्टत्न क ।

    नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    कम यर-ड करी देखा अब कम्-गुर ।

    रेल अता जहाज बनी लेसर आ आर ।

    समाचार संकेत बनी ऐलन क ।

    नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    पैदा होई लइका आ लड़को यकीन ते ।

    हुनियों का बाहर बकते जाई केबल स्थान से ।.

    अबी-ताहि यता सुलभ होई इन्सान क ।

    नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    आदमी तपन के नेवता पठाई ।

    धरती ते ताई पर बरियात जाई ।.

    बज बाजी वित्त क परम:" होती.:' क ।

    नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    अतिमानव बनी अब केर खाती खाई ।

    पुष्टि बिना साले आ मिले बाम वस कसा जाई । ।

    बन अब कह मारी, देखा सामंमनि क ।

    उगुमिठवा के 35

  • नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    बाप केर नाहीं रही नाहीं केर साई ।

    बड़का वेज्ञानिके त. सा" कहाई ।.

    रहीं ना ईसाई, हिन्दु, मियां पाकिस्तान का ।

    नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    नाहीं राखो दिरुकी, ना त जाना ही कराई ।

    नाहीं दादी, चोगा, होता ना कास लटकाई ।.

    एगो जाति, धन, भाषा विश्व ए महान क ।

    नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    'मगि, रन, हीरा, लाल, रहीं बिना सर ज्ञान क ।

    नई सदी एमस बाटे आगम विद्वान क ।.

    ध ध ध

    36 के उगुमिठवा

  • हैकर-महिया

    से हैक्टर देव है१यय वक ।.

    यह ते अविल,

    ऐ" बहुरूपिया हवा,

    छोट बड़ किसिम-किसिम

    रूपया बनाम ।.

    है" गदहा स्व.,

    लकडी, लोहा, माटी,

    अन्न, कन अउरी ऐ,

    भूने होव-विल ।.

    तू वैल स्व.,

    होईल,

    उ-रीत

    अलगे

    देवरी

    माल य,

    जीती, ।

    अकेले ऐ,

    यनावेलठ ।.

    ऐ" पम्प दधि,

    संभल., खेत के,

    गहिरा इजारा ले,

    पानी नित्हालेलत ।.

    है" रेल हय कि,

    मोटर आ वस, हक,

    आदमी के होईल,

    वाति में १त्९१ त,

    अलगे जानि जाल ।

    ऐ" हाथों गनेस प,

    उगुमिठवा के 37

  • पुरू" में पुजाल,

    छोर/जा में पहिल ठी,

    अपने पुजालेलत ।.

    ऐ" बहा वाम.,

    जान जड़, आइल-त्,

    वस तीसरे के पाइल-.,

    ऐ" ही सब और बस,

    ऐ" दम बाड़.,

    आनी हम मगिल-त्,

    वान अंइठीता जे,

    यजते बढ़विना ।

    बाने ऐ" सनक कते

    ऐ" बस अइसने करक,

    जित्श्रीअहिंत्हुधिमनवपु,

    आसन हवय-इब,

    चिकनी सड़क्रिपर

    उठाइके पल,

    नहिएं" सनक ।

    ए भूत,

    से राक्षस

    से देवता

    ऐ" धनिबडि,

    धनिक. ।

    ध ध ध

    38 के उगुमिठवा

  • भारत बर रत हैं: समय" सुलझा) में

    हुनियंपनभुनियं९, वा मते क देख कस,

    धुनियं९, ऊ जउए का संगत, पिसाइल वा,

    जेलर बा साती त्९.दसियों त औकर बा,

    औहीं क

    अफगानिस्तान निस्तानतृद

    रूस होके र. ममरिपन में

    रोटी अव जीव में मिसाइल वा ।.

    अमरीका अमर बनल जाता दुनियं९त् जा,

    सबकर है दादा-क दादा कहाइल वा,

    भारत वा रत है समस्या सुलझती मं,

    पाकिस्तान पाके वस तान अगराइल बसा.

    होता ई,

    वे१ताइल वा,

    जे कि यल होस अमरीका गजराब खातिर

    जो अति आस होके बिल में हुकाइल बना ।.

    चीन क त हीन मीन हीन को पहिले अधि,

    आज सब एकरा से मिले के भुलाइल वा,

    हुनियं९, का तीन गो में चीन गिनल जात वा ई,

    यस-बिन्ती-जाय एब" मूव ले पाइल वा ।.

    भारत क वेश दर वेश अति होइत वा,

    यल ते दुनियंत् का देश हैं नवाज वा,

    सुख ते हैं गुरु कल रहे जे दुनियंत् क,

    गुरु नियर चीर आज कवर कहाइल वा ।.

    सुकल का डंका बजल जइसे परी-का

    आरक्षण क अफसर ते सजा लजाइल वा,

    डायर त डाली (मयार दवा, अंरिती मं,

    बिजिग मकन टूटे जनता दवाब वा ।.

    गोप', शेयर अता वेयर घोटाला अतल,

    उगुमिठवा के 39

  • पंजाबी सर-श्री आसाम ले चुनता बा,

    एइसन नागरिकता अनेक संधि तीसर का,

    एही से देश हाथ यमन का बिचाइलवा ।.

    रेल.' रोज का होते जलता के,

    डाक व्यय देते आसमानों से यहुआइल वा,

    सरि-अयन का वेतन के 'मगि, रन रोज मिले,

    जनता क पेट एको रोटी बिन भुलाइल वा ।.

    एते बरिस सीसे चाहे सांसद या विधायक जे,

    जिनिगी पर के पेयन वड़की जाकर अनाज वा,

    साठा पर जे नौकरी ते भल ही रिटायर होई,

    के, पाई यू., के, क यता त उमर वा ।.

    नीक वाम जे करों चाहे शासन चाहे जनता क,

    चोट में ऊ हारी अउरी मिस से मिडिल वा,

    जीतने जे तने करे गुण्डई आ अपनीति,

    ओहि क बना चलति अता उन्हें अगराइल वा ।.

    ध ध ध

    य) के उगुमिठवा

  • मशीन देख, वन गइल

    "ली में शिक्षा संदेय.:' के ऋत वा विकार घुल,

    नाहीं ह कविता, टूटल तीपा क ह तार (.,

    वाति ह आप क देश क परिवेश क,

    बुरा मत मानब वा सुनल/में मार पशु.' ।.

    उपरि तपन त मनवं, सरल गइल ।

    ९.रिये वा टूटल, मशीन देखा रति गइल ।.

    धड़के ले नाहीं रति, हदय रति धड़कता,

    लिवा त लौकी तरे सड़ने क सकल वा,

    देखता पर हाथ गोड़ नसिया तराम गइल । उपरे-ढा.

    डाह रोई जोर पावन रोई आ,

    मसरा क बच्चे अस उगी देई तीर, बाकी

    लगा ना उठाई, कहीं नाव देखा बल गइल ।. [.रिके

    हाथों का ऊ दंति देखा खाए के त और वा,

    औ-की मंजिल देखावे के त और वा,

    ।देष्ट्र९त्टी का कटता से तहे देख चल गइल ।बरि चु/प्रलेख

    डाका-रते चुस्त साल, पतवश्यस्त साल,

    मने माने दूत परि, मलवे में पूत साल,

    त्/मसी त बाटे जी, शासन बाल गइल ।. [.रियेवर

    पेयों ते खाए के वा, पे-ब से गाए के,

    पे-ब से की सबका, आए के अता जाए के,

    देई बना यमुना" त पेट देख बल गइल ।. उपरि.

    तट फेस आई देखो वहीं सब मनियम, आ

    लाख अता करोड़ भी दस करी जाई,

    उगुमिठवा के 41

  • (हुसी ना छोडी नैतिकता त गल गइल ।. [पवर

    गांधी बाबा सपना ना एइसन लत देखब,

    देश अंग्रेज बनी नाहीं कल:, सोलन,

    उनका मन क भाया त यहि. क जल कल ।बहिं अब. है"-,

    लइकन क साल पाति, पेशन कते क,

    जीने एफ. तू पदब का अपना कल क,

    आने साग आइल अता केलने साग बल गइल ।. उमरि.

    देखनी हम बहुत, रोज देखते त जात बानी,

    उबले देख-इक त, देखब यहि, जात बजी,

    वहुत साग देखा भाता देखते-देखते गल गइल ।. [.रिये वा.

    ताल बहादुर गोबी आ वाकयों अस जरा ऐ, ।

    जी के सर नील कर नाहीं त सर] ऐ".

    देखते ना उगी के स्तिना दिन वसूल जता लिन दि चल फल ।.न

    उभरे वा (...7, त मनवा मचल गइल,

    ९.रिये वा टूटल, मशीन देख चल गइल ।.

    ध ध ध

    42 के उगुमिठवा

  • निरत को शान

    आगइलपु८ आज, परब तिरंगा साभिमान होता,

    तोता ते हमके का प्यार ।.

    ऋते जान ले, तन, मन, धन ते तोहके जीगवत बानी,

    लबत रक अहम, नभ में पए से हम जिनका बानी,

    य१९र्थिता तोड़ते सनसार हो.., आइलअथ-ब अ-..

    जव जब लदा, सरका से ऊपर जरे दुसमन लोहार,

    आव समय वा, हुनियं९, ले ऊपर होइक, जस्तिब हार,

    देखो सब अंखियन पसार हो.., आइल(....... ....

    अपने बनाई अणु-परमाणु वस तोहके रोके के कोल,

    देसवा क नेता सब जीत क यल्लेता, कइसे देसवा छोला,

    'मशि, दीमक सबके है" सार हो, आइल(थ-थ-थ ख-..

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 43

  • जनल्लेया

    वाति वा विकास का जवन पहुंचल वा चाय और ।

    एगो ह. समाजवाद, जेकर बा बहुत और ।.

    लोगन क संरक्षा ए देश क आबादी क ।

    बदले से एकरा ए देश क बरबादी क ।.

    दुनियं९त् में एकर समस्या वहुत जात बना ।

    कइसे है घटी, नाहीं के बुझात बना ।.

    जनसकया बह चक्रवृद्धि व्यय अस ।

    हल होता एकर सवाल एसी रमन अस ।.

    गुन एबके लत ता दूना में जानल वा ।

    नाभिकीय 'दखल' अनियन्दित एशेमानल बना ।.

    एसी ले होई विस्कह जनसंख्या क ।

    जइसे परमाणु बस पर वे सरिया क ।.

    खेत वा, जमीन वा, क्षेअपल वा देश क ।

    घटत वा, बतावत वा, चीन पाकिस्तान हैं ।.

    कइसे है जनता रही-खाई ए देश में ।

    माने खाय तत्-विद-भिखमंगा का देश में ।.

    कह ईमारत करब ख", रहीं हुनियं९कि ।

    रूपया अनाज अउरी वस्तु लेई हुनियं९, क ।

    अगर नाहीं मानी, है आदत जारी राखी त ।

    बनी फिर ले भारत गुलाम पूरी दुनियं९त् क..

    अगर सोच. वन अता वाइचा करावल जाय ।

    खेत, का क्षेत्रफल एह तरह ते वकावल जाय ।

    घरो बनी अं., आ अन्न उपजाया जाय ।

    अता उसे समस्या आबादी क बतावल जाय ।.

    लेकिन का धाता बाटे ए (सुतिह में जनता का ।

    परि' लेई कइसे जान जाई सब जनता का ।

    44 के उगुमिठवा

  • पेड़ रोध' हैलन अक्तिजिन संधि लेई के ।

    एही ले पापा बधे जीव जयतु जनता का ।.

    धवल होई, बस मं, कचहरी, अस्पताल में ।

    धवल दूकान, सड़क, यल, सिनेहाल में ।

    एल पदा-प्रती, दरखास एक लाख पकी ।

    गिरी, रेत गुप्त, अं:९त्हि टूटी, होग जाईकाल गाल में ।.

    तब त बस उके उपाय बाटे सबका के ।

    पदम पैदा कस होखे, नियम चाही सबका के ।

    एसी से सबका, समाज क भलाई वा,

    जनसंरया कम होखे, जावे के बना सरका के ।.

    हिप-दू के सरकार ले इंनियस त बनावल वा,

    बाय: के कुरान दवा है यह दियवावल वा,

    हिंदू का पुरातन में 'सृष्टि, औ' लिखती पर,

    मीर:, का प/सनल ता ते ओकरा के दव/बलवा ।.

    दस हिंदू रोकने:' जो आपन वाल लता के ।

    एल नीयत पैदा करी सब जीम वक्ता के ।

    ए. यमन बा, त समस्या हल होई का ।

    घर, दाना पानी नाहीं सोती मिय-त्! वया के ।.

    एही ले सम' सोधि के आबादी बतावत आज,

    भारत के त वने से सोर भइया बचाव. आज,

    कई गो देश खोजता, आबादी के पताक उड़ना,

    'मना जइसन सुन्दर विचार के बनाये आज ।.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 45

  • मइया और औम-गनर

    माई उक्रिता तोर कंगना ।

    मता आवत वन सोर अंगना ।.

    गोप महावरि, लया में अरी,

    सरिया (गुलेल बाटे, लिलरा पर विनती ।

    चुनरी वा ताले जाना, मइया सोर अंगना ।. माई उनके ता

    इ. पाजेब बाजे, असी करधा-नियत,

    चम चम धमके कटरिया क पनियं९, ।

    पकी पकी

    बदल':, पर हास मद:", मइया सोर अंगना ।. मई

    नयना वा, गोमल वा, होना वा, करता,

    जूही बा, चमेली-चम्पा, गसकेता देइता ।

    देहि, में गमले धरना, मइया सोर अंगना ।. मई

    जगत्" क माई व, सभाई के पाता,

    धरती क भारी मइया, ऐम उतारे ।

    बन्द कठिन जनाना, मइया सोर अंगना ।. मई

    भात सब ऐल वहि, पापी यल निहाल वा,

    करों दाय/भगतन पर, सहि फटेहाल बा

    'मता मत इसे संवारा, मइया सोर अंगना ।

    ध ध ध

    को

    46 के उगुमिठवा

  • यक: फिजिक्स क

    बड़का भइया भूल" मत पर्चा फिजियस क ह ।

    कठिन विषय सबका ले, आ सियस धन सियस कह ।

    पाते ऐ" लगाए का वाल पाछे सं९त्के,

    जइसे मदमातल मील, आइल हैं इसी क ह ।.

    दूने बरिस कइल. ह का,

    विसत्सुतिया, हिरोइन, पियत ह का,

    वि, रंगारंग का छोतलनका प९वि याद कइ-कइ के,

    सस्ती क जिनिगी जियल ह का,

    एक रेजिन तोहरे त्सुहिह साक्षी ई,

    मगन होके सब तीछोता कापी इं,

    जा, एगो ऐ" बाड़. बढ़नी बहाने जंग,

    त्हुयत्हुर जस घर वने बाकी काले हावी है ।.

    पर्चा आसान ह,

    संधि दादा शान ह,

    नाते ते तीतुदि त,

    के इम्तहान ह ।.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 47

  • कलम, त्-मलर

    गइली कलपना कलपना के लेइके कलपना परी ।

    मासा-अमरीका, से उन्हीं तोम अपना कलपना परी ।.

    भारत होरेयाना करनाल में जलती,

    पढि पंजाब में अमरिका जमती,

    उड़ती अलस में त अमली धरे अपना, कलपना परी ।. भारत

    सोज कइली केसर आसन होगवन यगुदवाद्दे,

    बहि बहि खोज अन्तरिक्ष होइ अहि,

    सीसा मिनट वाकी अ, तदेधितिन्दती, कलपना परी ।. भारत.

    साली तिरसठ किलोमीटर का ईसाई पर,

    औरस हजार किलोमीटर का बसाई पर,

    पहुंचता एती अतिया पर तुल, कलपनापरी ।. भारत.

    माई बाबू ताकत को, अस्त रसे१गां,

    भारत ले अमरिका क अंतरित वियरा:,

    यरिलम्बस विमान जान आठ जितने, कलपनापरों ।. भारत

    हाय! बच्ची चावला कलपना ऐ" गइल,

    तीर भरत हुनियं९, में प९वि कइ गइल,

    यन-विद्वान 'मना रतन कशा, कलपना परी ।. भारत

    ध ध ध

    48 के उगुमिठवा

  • देस लई हा' बतिया

    सरल सूतल जाता, लेतवन में वतियज, देस यज-बतिया ना ।

    वकत धारे उड़ने सावन,

    पंत जाने अगहन पावन,

    वा मन भावन कल जेठ क यसतिवा, देस क ह रतिया ना ।

    अता कोले वजारि,

    धरना, ११त्पन्कांरे ले नारि,

    जारि के (दहिया रहुलल पेट हैं सु/तिया, देस कह रतिया ना ।

    गोल न्तिन क तलरसीह

    अगरा यजिनि अथाह,

    राह बनाई औट क रेट फजिजिआ, देस कह बतिया ना ।.

    कब.: रास क मुखोटा,

    कवर" रावण के पुरम,

    कवर" रम आसवन होठ, देता लतिया, देस कह रतिया ना ।.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 49

  • साधना

    जग जाने गुर वाला यहीं ह आदिमी,

    जिनिगी का लता क यहीं ह आदिमी ।

    रं-गिव' में गठरी बना पान क कलेवा,

    मरता से आके वाला नाहीं ह आदिमी ।.

    लागत बाटे, तपन वा जीव हैं होता

    गठरी में य-हले बना उगी उथल' ।

    जानत वा एक दिन हैं तन नाश होई

    तब यर बहता, आ ताब का छोसता ।.

    आशा गोरिया हरदम त साथ के निभविले,

    साधना त तोता के कंवारा में खुल/वेले ।

    फल मतिया त लिके सोजि ले ले अंत सं,

    चुक, चुमादेले, ले रंग में ..मादेले ।.

    रोने क है लियम, मश जिते ना गिनाई

    कसिके वा वन. देता, मेहरि वा माई ।

    देके 'मगि, पेस से जान्द्रवन के छोटा

    देता साया छोड़ सुने पकाया जरि जाई ।.

    ध ध ध

    50 के उगुमिठवा

  • गजब स्वदेशी

    माय जनमत जान स्वदेशी क, अति ऊ सो गइल ।

    अति एह देस क कइसन विचार हो गइल ।.

    तनी देखों त

    कहीं स्तिना ई,

    सुनि, मेयसो,

    मोके, मदागेश

    पहिया औकात खाइल गोयल,

    विलायती सभ्यता में एकर जीवन

    केक, उडि, कानो, बेकरी,

    देह भूत में सुनिता निहाल ।.

    जाती जात भूत साही क कपट तो गइल ।

    अति एह देस क कइसन विचार हो गइल ।.

    एह बगिया में माल बना रंग-रंग के,

    फल वा राई. बना जिद, तितली रंग-रंग के,

    सब रसे पेस ते संग-सग इसे मन-चाहीं

    नेम, वस आदिमी ह धर्म-कर्म रंग-रंग के ।.

    वाकी विदार देखि अब दशा री गइली ।

    अति एह

    'मशि, श्वेत

    अति एह

    देस क कइसन विचार हो गइल ।.

    वा कवन देस बिना भाषा क, यहि, जाई मता,

    देवता बोलिके विज्ञानी बोली का पाई भला,

    सरि गइल स्वाभिमान तब का जियता में वा,

    ताता गुजराती यहि टटिया में का उई पता,

    वा नंगा रख, सब लगा के (यो साल ।

    देस क कइसन विचार हो गइल ।.

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 5 (

  • बज:

    गहगह बजिती वधाय, से मइया तीसरे परि ।

    सउरी सोना-सोप-ह मैंहिकेले,

    इतर गुलाब गहन गप",

    सगुन सुनावेती दइया, से मइया तीसरे परि ।

    अलह बजिती बन्दिया, से मइया तीसरे दुआ ।.

    चमकता चलत, कमर, उकावत,

    तोल बगावत, नाचत गावत

    नट, उनके प:न्दिवइया, से मइया तीसरे परि ।

    अलह बजिती बन्दिया, से मइया तीसरे दुआ ।.

    चेत मास मधु मध दुपहरिया,

    अभिजित नामी, साई बारिया

    जनम लिए चारु भइया, से मइया तीसरे परि ।

    अलह बजिती बन्दिया, से मइया तीसरे दुआ ।.

    ध ध ध

    52 के उगुमिठवा

  • लेबर ग्रसग

    तनिकी मोरि बतिया मानी,

    रम राजा बाबू अपनी

    एह में नइखे कवनो हानी ।

    दूना चरन के धीया ती,

    नाहीं बाटे कवनो धीया,

    एके पका-पका जानो,

    न्या-थ

    उन नाहीं राजधानी, रम राजा

    तनिकी मोरि(........ ११

    कर रात्रि वन लि,

    का नारी करन लि,

    पथरी शिला भइली नारी,

    पद" करों की नरम लि,

    इहाँ जानि जइसे रानी, रम राजा

    तनिकी मोरि(........ अ.

    एबके करे परेशान

    दूना सांसे सोरा जान,

    कइसे पाल परिवार,

    कवनो नाहीं बना सामान,

    शोले वरन लाके पानी, यह राजा

    तनिकी मोरि(........ अथ

    ताल लन्दन मरिम तीर

    हमका एवरी ना मीर,

    तब तो नाव ना धड़ल्ले,

    लोई; पग नई नीर ।.

    छोर चोली मीठी बजी, यह राजा

    तनिकी मोरि(........ जज

    ध ध ध

    उगुमिठवा के 5 3

  • आवेत

    आहि शक्ति मेरी मइया, अग जग करिगो ।.

    भय हारिधि भय तारिणि मइया,

    शुन्म-निशुन्म, विनाशिधि मइया,

    वाम देत सुख दइया, अग जग पकारिणी ।.

    आहि शक्ति

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