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HINDI MOTIVATIONAL STORIES ेरणादायिक दी कायििा motivationalstoriesinhindi.in ,sls gh uohu izsj.kknkf;d vkSj lQyrk fd dgkfu;ksa vkSj fopkjksa dks tkuus ds fy, gekjs Qslcqd ist dks t:j Like djsaA https://www.facebook.com/hindimotivationalstories

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Page 1: HINDI MOTIVATIONAL STORIES ... · PDF fileउसे त तक डु ो ेखे ज तक की वो नीला नह ीं पड़ने लगा

HINDI MOTIVATIONAL STORIES

प्रेरणादायिक य िंदी क ायििािं

motivationalstoriesinhindi.in

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बोले हुए शब्द वापस नह ीं आते एक बार एक ककसान ने अपने पडोसी को भला बरुा कह ददया, पर जब

बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक सींत के पास गया.उसने सींत से अपने शब्द वापस लेन ेका उपाय पछूा.

सींत ने ककसान से कहा , ” तुम खूब सारे पींख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो .” ककसान ने ऐसा ह ककया और किर सींत के पास पहुींच गया.

तब सींत ने कहा , ” अब जाओ और उन पींखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”

ककसान वापस गया पर तब तक सारे पींख हवा से इधर-उधर उड़ चकेु थे. और ककसान खाल हाथ सींत के पास पहुींचा. तब सींत ने उससे कहा कक ठीक ऐसा ह तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है,तुम आसानी से इन्हें अपने मखु से ननकाल तो सकत ेहो पर चाह कर भी वापस नह ीं ले सकत.े

इस कहानी से क्या सीख ममलती है:

कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कक भला-बरुा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नह ीं मलए जा सकत.े हााँ, आप उस व्यक्क्त से जाकर क्षमा ज़रूर माींग सकत ेहैं, और माींगनी भी चादहए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर ल क्जये इींसान कह ीं ना कह ीं hurt हो ह जाता है.

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जब आप ककसी को बरुा कहत ेहैं तो वह उसे कष्ट पहुींचाने के मलए होता है पर बाद में वो आप ह को अधधक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देन ेसे क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चपु रहा जाए.

सिलता का रहस्य

एक बार एक नौजवान लड़के ने सकुरात से पछूा कक सिलता का रहस्य क्या है?

सकुरात ने उस लड़के से कहा कक तुम कल मझु ेनद के ककनारे ममलो.वो ममले. किर सकुरात

ने नौजवान से उनके साथ नद की तरि बढ़न ेको कहा.और जब आग ेबढ़ते-बढ़ते पानी गल ेतक पहुाँच गया, तभी अचानक सकुरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो ददया. लड़का बाहर ननकलने के मलए सींघर्ष करने लगा , लेककन सकुरात ताकतवर थे और

उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नह ीं पड़ने लगा. किर सकुरात ने उसका सर

पानी से बाहर ननकाल ददया और बाहर ननकलते ह जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हााँित-ेहााँित ेतेजी से साींस लेना.

सकुरात ने पछूा ,” जब तुम वहााँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहत ेथे?”

लड़के ने उत्तर ददया,”साींस लेना”

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सकुरात ने कहा,” यह सिलता का रहस्य है. जब तुम सिलता को उतनी ह बरु तरह से

चाहोगे क्जतना की तुम साींस लेना चाहत ेथे तो वो तुम्हे ममल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नह ीं है.

क्ज़न्दगी के पत्थर, कीं कड़ और रेत

Philosophy के एक professor ने कुछ चीजों के साथ class में प्रवेश ककया. जब class शरुू

हुई तो उन्होंन ेएक बड़ा सा खाल शीश ेका जार मलया और उसमे पत्थर के बड़-ेबड़ ेटुकड़ े

भरन ेलगे. किर उन्होंन ेstudents से पछूा कक क्या जार भर गया है ? और सभी ने कहा “हााँ”.

तब प्रोफेसर ने छोटे-छोटे कीं कडों से भरा एक box मलया और उन्हें जार में भरने लगे. जार

को थोडा दहलान ेपर ये कीं कड़ पत्थरों के बीच settle हो गए. एक बार किर उन्होंन ेछात्रों से

पछूा कक क्या जार भर गया है? और सभी ने हााँ में उत्तर ददया.

तभी professor ने एक sand box ननकाला और उसमे भर रेत को जार में डालने लगे. रेत

ने बची-खुची जगह भी भर द . और एक बार किर उन्होंन ेपछूा कक क्या जार भर गया है?

और सभी ने एक साथ उत्तर ददया , ” हााँ”

किर professor ने समझाना शरुू ककया, ” मैं चाहता हूाँ कक आप इस बात को समझें कक ये

जार आपकी life को represent करता है. बड़-ेबड़ ेपत्थर आपके जीवन की ज़रूर चीजें हैं- आपकी family,आपका partner,आपकी health, आपके बच्च े – ऐसी चीजें कक अगर

आपकी बाकी सार चीजें खो भी जाएाँ और मसिष ये रहे तो भी आपकी क्ज़न्दगी परू्ष रहेगी.

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ये कीं कड़ कुछ अन्य चीजें हैं जो matter करती हैं- जैसे कक आपकी job, आपका घर, इत्यादद.

और ये रेत बाकी सभी छोट -मोट चीजों को दशाषती है.

अगर आप जार को पहले रेत से भर देंगे तो कीं कडों और पत्थरों के मलए कोई जगह नह ीं बचगेी. यह आपकी life के साथ होता है. अगर आप अपनी सारा समय और उजाष छोट -छोट चीजों में लगा देंगे तो आपके पास कभी उन चीजों के मलए time नह ीं होगा जो आपके

मलए important हैं. उन चीजों पर ध्यान द क्जये जो आपकी happiness के मलए ज़रूर हैं.बच्चों के साथ खेमलए, अपने partner के साथ dance कीक्जये. काम पर जान ेके मलए,

घर साफ करन ेके मलए,party देने के मलए, हमेशा वक़्त होगा. पर पहले पत्थरों पर ध्यान

द क्जये – ऐसी चीजें जो सचमचु matter करती हैं . अपनी priorities set कीक्जये. बाकी चीजें बस रेत हैं.”

गरुु-दक्षक्षर्ा

एक बार एक मशष्य ने ववनम्रतापवूषक अपने गुरु जी से पछूा-‘गुरु जी,कुछ लोग कहत ेहैं कक

जीवन एक सींघर्ष है,कुछ अन्य कहत ेहैं कक जीवन एक खेल है और कुछ जीवन को एक

उत्सव की सींज्ञा देत ेहैं | इनमें कौन सह है?’गुरु जी ने तत्काल बड़ ेह धयैषपवूषक उत्तर

ददया-‘पतु्र,क्जन्हें गुरु नह ीं ममला उनके मलए जीवन एक सींघर्ष है; क्जन्हें गुरु ममल गया उनका जीवन एक खेल है और जो लोग गुरु द्वारा बताये गए मागष पर चलने लगत ेहैं,मात्र

वे ह जीवन को एक उत्सव का नाम देन ेका साहस जुटा पात ेहैं |’यह उत्तर सनुने के बाद

भी मशष्य परू तरह से सींतुष्ट न था| गुरु जी को इसका आभास हो गया |वे कहने लगे-

‘लो,तुम्हें इसी सन्दभष में एक कहानी सनुाता हूाँ| ध्यान से सनुोगे तो स्वयीं ह अपने प्रश्न

का उत्तर पा सकोगे |’

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उन्होंन ेजो कहानी सनुाई,वह इस प्रकार थी-एक बार की बात है कक ककसी गुरुकुल में तीन

मशष्यों नें अपना अध्ययन सम्परू्ष करन ेपर अपन ेगुरु जी से यह बतान ेके मलए ववनती की कक उन्हें गुरुदाक्षक्षर्ा में, उनसे क्या चादहए |गुरु जी पहले तो मींद-मींद मसु्कराये और किर

बड़ े स्नेहपवूषक कहने लगे-‘मझुे तुमसे गुरुदक्षक्षर्ा में एक थलैा भर के सखूी पक्त्तयाीं चादहए,ला सकोगे?’ वे तीनों मन ह मन बहुत प्रसन्न हुए क्योंकक उन्हें लगा कक वे बड़ी आसानी से अपने गुरु जी की इच्छा परू कर सकें गे |सखूी पक्त्तयााँ तो जींगल में सवषत्र

बबखर ह रहती हैं| वे उत्साहपवूषक एक ह स्वर में बोल-े‘जी गुरु जी, जैसी आपकी आज्ञा |’

अब वे तीनों मशष्य चलते-चलते एक समीपस्थ जींगल में पहुाँच चकेु थे |लेककन यह देखकर

कक वहााँ पर तो सखूी पक्त्तयााँ केवल एक मटु्ठी भर ह थीीं ,उनके आश्चयष का दठकाना न रहा | वे सोच में पड़ गये कक आखखर जींगल से कौन सखूी पक्त्तयाीं उठा कर ले गया होगा? इतन े

में ह उन्हें दरू से आता हुआ कोई ककसान ददखाई ददया |वे उसके पास पहुाँच कर, उससे

ववनम्रतापवूषक याचना करन ेलगे कक वह उन्हें केवल एक थलैा भर सखूी पक्त्तयाीं दे दे |अब

उस ककसान ने उनसे क्षमायाचना करत ेहुए, उन्हें यह बताया कक वह उनकी मदद नह ीं कर

सकता क्योंकक उसन ेसखूी पक्त्तयों का ईंधन के रूप में पहले ह उपयोग कर मलया था |

अब, वे तीनों, पास में ह बसे एक गााँव की ओर इस आशा से बढ़न ेलगे थे कक हो सकता है

वहााँ उस गााँव में उनकी कोई सहायता कर सके |वहााँ पहुाँच कर उन्होंन ेजब एक व्यापार को देखा तो बड़ी उम्मीद से उससे एक थलैा भर सखूी पक्त्तयाीं देन ेके मलए प्राथषना करन े

लगे लेककन उन्हें किर से एकबार ननराशा ह हाथ आई क्योंकक उस व्यापार ने तो, पहले ह , कुछ पसेै कमान ेके मलए सखूी पक्त्तयों के दोन ेबनाकर बेच ददए थे लेककन उस व्यापार ने

उदारता ददखात े हुए उन्हें एक बढू मााँ का पता बताया जो सखूी पक्त्तयाीं एकबत्रत ककया करती थी|पर भाग्य ने यहााँ पर भी उनका साथ नह ीं ददया क्योंकक वह बढू मााँ तो उन

पक्त्तयों को अलग-अलग करके कई प्रकार की ओर्धधयााँ बनाया करती थी |अब ननराश

होकर वे तीनों खाल हाथ ह गुरुकुल लौट गये |गुरु जी ने उन्हें देखत ेह स्नेहपवूषक पछूा- ‘पतु्रो,ले आये गुरुदक्षक्षर्ा ?’तीनों ने सर झकुा मलया |गुरू जी द्वारा दोबारा पछेू जान ेपर

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उनमें से एक मशर्य् कहने लगा- ‘गुरुदेव,हम आपकी इच्छा परू नह ीं कर पाये |हमन ेसोचा था कक सखूी पक्त्तयाीं तो जींगल में सवषत्र बबखर ह रहती होंगी लेककन बड़ ेह आश्चयष की बात है कक लोग उनका भी ककतनी तरह से उपयोग करत ेहैं |’गुरु जी किर पहले ह की तरह

मसु्करात े हुए पे्रमपवूषक बोल-े‘ननराश क्यों होत ेहो ?प्रसन्न हो जाओ और यह ज्ञान कक

सखूी पक्त्तयाीं भी व्यथष नह ीं हुआ करतीीं बक्कक उनके भी अनके उपयोग हुआ करत ेहैं; मझु े

गुरुदक्षक्षर्ा के रूप में दे दो |’तीनों मशष्य गुरु जी को प्रर्ाम करके खुशी-खुशी अपने-अपने

घर की ओर चले गये |

वह मशष्य जो गुरु जी की कहानी एकाग्रधचत्त हो कर सनु रहा था,अचानक बड़ ेउत्साह से

बोला-‘गुरु जी,अब मझु ेअच्छी तरह से ज्ञात हो गया है कक आप क्या कहना चाहत ेहैं |आप

का सींकेत, वस्तुतः इसी ओर है न कक जब सवषत्र सलुभ सखूी पक्त्तयाीं भी ननरथषक या बेकार

नह ीं होती हैं तो किर हम कैसे, ककसी भी वस्त ुया व्यक्क्त को छोटा और महत्त्वह न मान

कर उसका नतरस्कार कर सकत ेहैं?चीींट से लेकर हाथी तक और सईु से लेकर तलवार तक-

सभी का अपना-अपना महत्त्व होता है |’गुरु जी भी तुरींत ह बोल-े‘हााँ, पतु्र,मेरे कहने का भी यह तात्पयष है कक हम जब भी ककसी से ममलें तो उसे यथायोग्य मान देन ेका भरसक प्रयास

करें ताकक आपस में स्नेह, सद्भावना,सहानभुनूत एवीं सदहष्र्ुता का ववस्तार होता रहे और

हमारा जीवन सींघर्ष के बजाय उत्सव बन सके | दसूरे,यदद जीवन को एक खेल ह माना जाए तो बेहतर यह होगा कक हम ननववषके्षप,स्वस्थ एवीं शाींत प्रनतयोधगता में ह भाग लें और अपने ननष्पादन तथा ननमाषर् को ऊीं चाई के मशखर पर ले जान ेका अथक प्रयास करें |’अब मशष्य परू तरह से सींतुष्ट था |

अींततः,मैं यह कहना चाहती हूाँ कक यदद हम मन, वचन और कमष- इन तीनों ह स्तरों पर

इस कहानी का मकूयाींकन करें, तो भी यह कहानी खर ह उतरेगी |सब के प्रनत पवूाषग्रह से

मकु्त मन वाला व्यक्क्त अपने वचनों से कभी भी ककसी को आहत करन ेका दःुसाहस नह ीं करता और उसकी यह ऊजाष उसके परुुर्ाथष के मागष की समस्त बाधाओीं को हर लेती है

|वस्तुतः,हमारे जीवन का सबसे बड़ा ‘उत्सव’परुुर्ाथष ह होता है-ऐसा ववद्वानों का मत

है |

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ग्लास को नीचे रख द क्जये

एक प्रोफेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक glass पकड़त े हुए class शरुू की . उन्होंन े

उसे ऊपर उठा कर सभी students को ददखाया और पछूा , ” आपके दहसाब से glass का वज़न ककतना होगा?”

’50gm….100gm…125gm’…छात्रों ने उत्तर ददया.

” जब तक मैं इसका वज़न ना कर लूाँ मझु ेइसका सह वज़न नह ीं बता सकता”. प्रोफेसर

ने कहा. ” पर मेरा सवाल है:

यदद मैं इस ग्लास को थोड़ी देर तक इसी तरह उठा कर पकड ेरहूाँ तो क्या होगा ?”

‘कुछ नह ीं’ …छात्रों ने कहा.

‘अच्छा , अगर मैं इसे मैं इसी तरह एक घींटे तक उठाये रहूाँ तो क्या होगा ?” , प्रोफेसर ने

पछूा.

‘आपका हाथ ददष होने लगेगा’, एक छात्र ने कहा.

” तुम सह हो, अच्छा अगर मैं इसे इसी तरह परेू ददन उठाये रहूाँ तो का होगा?”

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” आपका हाथ सनु्न हो सकता है, आपके muscle में भार तनाव आ सकता है , लकवा मार सकता है और पक्का आपको hospital जाना पड़ सकता है”….ककसी छात्र ने कहा, और बाकी सभी हींस पड़…े

“बहुत अच्छा , पर क्या इस दौरान glass का वज़न बदला?” प्रोफेसर ने पछूा.

उत्तर आया ..”नह ीं”

” तब भला हाथ में ददष और माींशपेमशयों में तनाव क्यों आया?”

Students अचरज में पड़ गए.

किर प्रोफेसर ने पछूा ” अब ददष से ननजात पाने के मलए मैं क्या करूाँ ?”

” ग्लास को नीच ेरख द क्जये! एक छात्र ने कहा.

” बबलकुल सह !” प्रोफेसर ने कहा.

Life की problems भी कुछ इसी तरह होती हैं. इन्हें कुछ देर तक अपन ेददमाग में रखखये

और लगेगा की सब कुछ ठीक है.उनके बारे में ज्यदा देर सोधचये और आपको पीड़ा होन े

लगेगी.और इन्हें और भी देर तक अपने ददमाग में रखखये और ये आपको paralyze करन े

लगेंगी. और आप कुछ नह ीं कर पायेंगे.

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अपने जीवन में आन ेवाल चनुानतयों और समस्याओीं के बारे में सोचना ज़रूर है, पर उससे

भी ज्यादा ज़रूर है ददन के अींत में सोन ेजान ेसे पहले उन्हें नीच ेरखना.इस तरह से, आप

stressed नह ीं रहेंगे, आप हर रोज़ मजबतूी और ताजगी के साथ उठें गे और सामन ेआन े

वाल ककसी भी चनुौती का सामना कर सकें गे.

आप हाथी नह ीं इींसान हैं !

एक आदमी कह ीं से गुजर रहा था, तभी उसन ेसड़क के ककनारे बींधे हाधथयों को देखा, और

अचानक रुक गया. उसन ेदेखा कक हाधथयों के अगल ेपरै में एक रस्सी बींधी हुई है, उसे इस

बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे ववशालकाय जीव लोहे की जींजीरों की जगह बस

एक छोट सी रस्सी से बींधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कक हाथी जब चाहत ेतब अपने बींधन तोड़

कर कह ीं भी जा सकते थे, पर ककसी वजह से वो ऐसा नह ीं कर रहे थे.

उसन ेपास खड़ ेमहावत से पछूा कक भला ये हाथी ककस प्रकार इतनी शाींनत से खड़ ेहैं और

भागन ेका प्रयास नह कर रहे हैं ?

तब महावत ने कहा, ” इन हाधथयों को छोटे पर से ह इन रक्स्सयों से बााँधा जाता है, उस

समय इनके पास इतनी शक्क्त नह ीं होती की इस बींधन को तोड़ सकें . बार-बार प्रयास करने

पर भी रस्सी ना तोड़ पान ेके कारर् उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कक वो इन रक्स्सयों को नह ीं तोड़ सकत,ेऔर बड़ ेहोन ेपर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसमलए वो कभी इसे तोड़न ेका प्रयास ह नह ीं करत.े”

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आदमी आश्चयष में पड़ गया कक ये ताकतवर जानवर मसिष इसमलए अपना बींधन नह ीं तोड़

सकत ेक्योंकक वो इस बात में यकीन करत ेहैं!!

इन हाधथयों की तरह ह हममें से ककतन ेलोग मसिष पहले ममल असिलता के कारर् ये

मान बठैत ेहैं कक अब हमसे ये काम हो ह नह ीं सकता और अपनी ह बनायीीं हुई मानमसक

जींजीरों में जकड़-ेजकड़ ेपरूा जीवन गजुार देत ेहैं.

याद रखखये असिलता जीवन का एक दहस्सा है ,और ननरींतर प्रयास करने से ह सिलता ममलती है. यदद आप भी ऐसे ककसी बींधन में बींधें हैं जो आपको अपने सपने सच करन ेसे

रोक रहा है तो उसे तोड़ डामलए….. आप हाथी नह ीं इींसान हैं.

नततल का सींघर्ष

एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए ककसी टहनी से लटकता हुआ एक

नततल का कोकून ददखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखन ेलगा , और एक ददन

उसन ेnotice ककया कक उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस ददन वो वह ीँ बठै

गया और घींटो उसे देखता रहा. उसन ेदेखा की नततल उस खोल से बाहर ननकलन ेकी बहुत

कोमशश कर रह है , पर बहुत देर तक प्रयास करन ेके बाद भी वो उस छेद से नह ीं ननकल

पायी , और किर वो बबलकुल शाींत हो गयी मानो उसन ेहार मान ल हो.

इसमलए उस आदमी ने ननश्चय ककया कक वो उस नततल की मदद करेगा. उसने एक कैं ची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर ददया की वो नततल आसानी से बाहर

ननकल सके. और यह हुआ, नततल बबना ककसी और सींघर्ष के आसानी से बाहर ननकल

आई, पर उसका शर र सजूा हुआ था,और पींख सखेू हुए थे.

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वो आदमी नततल को ये सोच कर देखता रहा कक वो ककसी भी वक़्त अपने पींख िैला कर

उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नह ीं हुआ. इसके उलट बेचार नततल कभी उड़ ह नह ीं पाई

और उसे अपनी बाकी की क्ज़न्दगी इधर-उधर नघसटत ेहुए बीतानी पड़ी.

वो आदमी अपनी दया और जकदबाजी में ये नह ीं समझ पाया की दरअसल कोकून से

ननकलने की प्रकिया को प्रकृनत ने इतना कदठन इसमलए बनाया है ताकक ऐसा करने से

नततल के शर र में मौजदू तरल उसके पींखों में पहुच सके और वो छेद से बाहर ननकलत ेह उड़ सके.

वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में सींघर्ष ह वो चीज होती क्जसकी हमें सचमचु

आवश्यकता होती है. यदद हम बबना ककसी struggle के सब कुछ पान ेलगे तो हम भी एक

अपींग के सामान हो जायेंगे. बबना पररश्रम और सींघर्ष के हम कभी उतन ेमजबतू नह ीं बन

सकत ेक्जतना हमार क्षमता है. इसमलए जीवन में आने वाले कदठन पलों को सकारात्मक

दृक्ष्टकोर् से देखखये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायींगे जो आपकी क्ज़न्दगी की उड़ान को possible बना पायेंगे.

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