रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

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Page 1: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
Page 2: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रमजान करीम

की

हारदिक शभ कामना पश कर ह।

हम आप

को

महममद शाहनवाज

Page 3: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

शववाल

रजब

रबीउल आरिर

महरमम

जलकाइदा

शअबान

जमादल अववल

सफर

जल-हहजजा

रमजान

जमादल आहिर

रबीउल अववल

यरद आकाश म बादल हो ो

शअबान क पर 30 रदन परा करग।

आशका क रदन का रोजा नही रिग।

Page 4: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रोजा (वर) की पररभाषााः " रकना " , अललाह का फरमान ह ः

ن ـ . إنسياليوم صوما فلن أكلم افقولي إني نذر ت للر حم(26: سورة مريم)

रोजा

मन तो रहमान क हलए रोज की मननत मानी ह । इसहलए म

आज हकसी मनषय स न बोल गी।“ (स रह मयममः 26)

रोजा की इसलामी पररभाषााः सबह सारदक स ल कर सयि

क डबन क िान–पीन था सभोग स रक रहना, रोजा

कहलाा ह।

Page 5: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रोजा की हकसमः

फजम सननत

सननत रोज बहत स ह। ज स शववाल क 6 रोज,

हजहलहजजा का रोजा, दसवी महरमम, परतयक

सोमवार और बहसपहतवार का रोजा और परतयक

महीन 13,14 और 15 हतहि का रोजा इतयाहद

Page 6: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
Page 7: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

अललाह न रमजान क रोज की अरनवायिा का वरिन करआन

म रकया ह।

يام كما كتب ع يا أيها الذين آمنوا كتب عليك لى م الصق الذين من قبلكم لعلكم ﴾١٨٣: البقرةون تت

ईमान लान वालो! म पर रोज अरनवायि रकए गए, रजस परकार

म स पहल क लोगो पर अरनवायि रकए गए थ, ारक म डर

रिन वाल बन जाओ। (सरह अलबकरााः 183)

Page 8: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रमजान क महीन का रोजा हर महसलम, बाहलग,

बहिमान परष और सरी पर अहनवायम ह ।

रमजान का रोजा रकन लोगो पर अरनवायि ह ?

Page 9: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
Page 10: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रमजान का रोजा इसलाम का चौथा समभ हाः

1- कलमा शहादा की गवाही दना 2- नमाज कायम करना

3- शरि होन क

कारर परर वषि

जका दना

4- रमजान महीन का

रोजा रिना

5- शरि होन क कारर

जीवन म एक बार काबा

शरीफ का हजज करना

Page 11: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

من : لمصلى هللا عليه وسقال رسول هللا :قال رضي هللا عنه وعن أبى هريرة

. نبهله ماتقدم من ذصام رمضان إيمانا واحتسابا غفر هللا

(صحيح البخاري وصحيح مسلم)

1- कषमा का महीनााः

रसल (सललललाह अलरह वसललम) न फरमायााः" जो वयरि रमजान

महीन का रोजा अललाह पर रवशवास था पणय की आशा

कर हए रिगा, उसक रपछल समपरि पाप कषमा कर रदय

जाएग।" (बिारी तिा महसलम)

Page 12: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

قال هللا . ضعف عمل ابن آدم يضاعف الحسنة عشرة أمثالها إلى سبعمائة كل

. أجليته وطعامه من يدع شهو.به فإنه لي وأنا أجزي . الصوم إال : وجل عز

ولخلوف فيه أطيب . رب ه عند لقاء فطره، فرحة فرحة عند : فرحتان للصائم

( 1151: صحيح مسلم)".المسك عند هللا من ريح

2- रोजदार को असीरम पणय रदया जाा हाः

"मानव क परतयक कमि का बदला एक स ल कर दस और रफर सा सो स

अरिक दगना रकया जाा ह। अललाह अजजज व जलल कहा ह रसवाए रोजा क,

बशक रोजा मर रलए ह और उसका बदला कवल म ही दगा। कयोरक उसन

अपना िाना पीना और सहवास मर कारर तयाग रदया, और रोजदार को दो

िशी परापत होगी, जब वह रोजा िोला ह, ो अपना रोजा िोलन स िश होा

ह, और जब अपन रबब स मलाका करगा ो अपन रोज क कारर िश होगा

और अललाह क पास रोजदार क मह स रनकलन वाली िशब कसरी स अरिक

िशबदार होगी।" (सही महसलमः 1151)

Page 13: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

अब हर रा (रहजयललाह अनह) स वरमन ह हक रस ल (सलल) न फरमायाः

तीन वयहियो की दआ सवीकाररत ह। रोजदार की दआ और

हपहित वयहि की दआ और यातरी की दआ। (सही अल-जाहमअः

3030)

3- रोजदार की दआ सवीकारर होी हाः

دعوات مستجابات

املظ: ثالث الصائم، ودعوة

دعوة

وم، ودعوة

ل

(3030: صحيح الجامع). املسافر

Page 14: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

अबदललाह हबन अमर (रहज) स वरमन ह हक रस ल (सलल) न फरमायाः रोजा और

करआन हकयामत क हदन भिो क हलए हशफाररस करग। रोजा कहगाः “ह

रबब! म न उस हदन म िान और पीन स रोक रिा, तो मरी हशफाररस उसक

परहत सवीकार कर ल, और करआन कहगाः म न उस रात म हननद का मजा

लन स रोक रिा, तो उस क परहत मरी हशफाररस सवीकार कर, तो उन दोनो

की हशफाररस सवीकाररत होगी। (मसनद अहमदः 10/118, व सही अल-जाहमअः 3882)

4- रोजा रोजदार क रलए रशफाररस करगााः

الصيام والقرآن :قالصلى هللا عليه وسلم عن عبد هللا بن عمرو أن النبي

لطعام الصيام أي رب منعته االقيامة،يقوليشفعان للعبد يوم

منعته النوم بالليل،ويقول القرآن.فيهفشفعنىوالشهوات بالنهار

(3882: صحيح الجامعو10/118: أحمدرواه). فيه فيشفعانفشفعنى

Page 15: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

فيها باب ، أبواب في الجنة ثمانية : قالصلى هللا عليه وسلمأن النبي

ى يان، يسم ائ ال يدخله إال الر : رواه البخاري. ).مون الص

3257)

नबी (सललललाह अल हह व सललम) का किन ह ः" जननत (सवगम) क दवारो

की सखया आठ ह, उन म स एक दवार का नाम रययान ह ,

हजस स कवल रोजदार ही परवश करग।" (सही बिारीः 3257)

5- जनन म रोजदार क रलए िास

दरवाजााः

Page 16: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

6- रमजान म उमरा करन का पणयाः

उमम सलम न रसल (सलल) स रगला रकया रक ऐ अललाह क रसल!

अब लहा और उनका बटा मझ छोड कर उमरा क रलए चल गए। ो

आप (सलल) न फरमायााः ऐ उमम सलम! रमजान म उमरा करन का पणय

मर साथ हजज करन क बराबर सवाब (पणय) रमला ह।" (तरगीब व

तरहीबः 177/2)

Page 17: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

जब रमजान महीन की परथम रा होी ह ो सकि श रजनन और शान को

जकड रदया जाा ह और जहननम (नरक) क दवार बनद कर रदय जा ह, ो

उसका कोइ दवार िला नही होा और जनन (सवगि) क दवार िोल रदय जा ह

और उसका कोइ दवार बनद नही होा और अललाह की ओर स परतयक रा

पकारन वाला पकारा हाः ह! नरकयो क काम करन वालो! पणय क कायो म

बढ चढ कर रहससा लो, और ह! पापो क काम करन वालो! अब ो इस

परवतर महीन म पापो स रक जा, और अललाह नकी करन वालो को परर रा

जहननम (नरक) स मरि दा ह। (सही उल जारमअाः अलबानीाः759)

7- रमजान म सवगि क दवार िोल रदय जा ह:

، وغل قت أبواب النار إذا كان أول ليلة من شهر رمضان صف دت الشياطين ومردة الجن

يا : ب ، وينادي مناد كل ليلة فلم يفتح منها باب ، وفت حت أبواب الجنة فلم يغلق منها با

صحيح . )ليلة ، وذلك كل باغي الخير أقبل ، ويا باغي الشر أقصر ، وهلل عتقاء من النار (759:الجامع

Page 18: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

الصلوات : قالصلى هللا عليه وسلم أن النبي :وعن أبي هريرة

إلى رمضان الجمعة،ورمضانالخمس والجمعة إلى

(مسلمرواه ). إذا اجتنبت الكبائرمكفرات لما بينهن

8- रमाजन स दसर रमजान क गनाहो स कषमा ह:

अब हररा (ररज) स वरिन ह रक रसल (सललललाह अरलह व सललम) न

फरमायााः “ पाच समय की फजि नमाज और जमा स दसर

जमा क और रमजान स दसर रमजान क नक कायि गनाहो

क रलए परायरि ह, जब क रक महापापो स बचा जाए।”

(सही महसलमः 233)

Page 19: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

9- रमजान करआन क अवरर का महीना:

اس ه القر آن هدى ل لن ر مضان الذي أنزل فيشهر

ن الهدى (185: سورة البقرة). قان والفر وبي نات م

रमजान का महीना वह ह, रजस म

करआन उारा गया, जो सब मानव क

मागिदशिन ह। था मागिदशिन और सतय-

असतय क बीच अनर करन का िला

परमार रिा ह। (अल-बकरााः 185)

Page 20: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

10- रमजान की एक रा हजार महीनो की राो

स उततम हाः

हमन इस कदर की रा म अवरर रकया-और मह

कया मालम रक कदर की रा कया ह?, कदर की रा

हजार महीनो की राो स उततम ह। (सरह अलकदराः 1-3)

Page 21: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रमजान महीन का

सवाग कस कर ?

Page 22: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

1- सब स पहल अललाह का शकर और उसकी

ारीफ और परशसा क माधयम स सवाग कर:

अललाह न अपना शकर अदा करन का आदश रदया ह।

إذ .لشديد عذابيلئن كفرتم إن تأذن ربكم لئن شكرتم ألزيدنكم و [7:إبراهيم]

जब महार रब न सरच कर रदया था रक “ यरद म

कजञ हए ो म मह और अरिक दगा, परन यरद

म अकजञ रसदध हए ो रनिय ही मरी याना भी

अतयन कठोर ह।" (सरह इबराहीमाः 7)

Page 23: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

2- एक दसरो को रमजान की मबारक बाद द, लोगो को भलाइ

क कायि पर उतसारह कर हए, दआऐ द हए सवाग कर:

रसल (सलल) न अपन सारथयो को शभ िबर द हए फरमाया हाः"

महार पास रमजान का महीना आया ह, यह बरक वाला महीना

ह, अललाह आला की रहम मह इस महीन म ढाप लगी, वह

रहम उारा ह, पापो को रमटाा ह और दआ सवीकार करा ह

और इस महीन म म लोगो का आपस म इबादो म बढ चढ कर

भाग लन को दिा ह, ो फररशो क पास महारी ारीफ और

परशसा बयान करा ह, ो म अललाह को अचछ काय करक

रदिाओ, रनाःसनदह बदबख वह ह जो इस महीन की रहमो स

वरच रह।” ( अल–बरानी)

Page 24: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

3- रमजान म नक कमि करन का दढ सकलप

और पखा इरादा कर हए सवाग कर:

आप पखा इरादा कर ल रक इस परवतर महीन म जजयादा स जजयादा पणय

का काम करग, इस पर महीन का रोजा रिग, नमाजो और अललाह क

रजकरो अजजकार, रलाव करआन म अपना परा समय लगाऐग, लोगो

की भलाई और कलयार क कायि म भाग लग।

नबी (सलल) न फरमायााः"रनाःसदह कमो सकलप (हदय की

ईचछा) पर आिारर ह और परर वयरि क सकलप क

आिार पर अचछ या बर कमो का बदला रमलगा।........"

(सही बिारीाः 1)

Page 25: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

حسنة فلم يعملها كتبها هللا له فمن هم بذلك، إن هللا كتب الحسنات والسيئات ثم بين

ت إلى سبعمائة هو هم بها وعملها كتبها هللا له عنده عشر حسناكاملة،فإن عنده حسنة كاملة، له عنده حسنة ومن هم بسيئة فلم يعملها كتبها هللا كثيرة، ضعف إلى أضعاف

(131: ومسلم7691: البخاري). واحدة هم بها فعملها كتبها هللا له سيئة هو فإن

नक

ी करन

क स

कल

प प

र बद

ला औ

र बराइ

करन

पर भ

ी नक

ी अरक

रक

या

जा

ा हाः

बशक अललाह न नरकयो और पापो को रलि रदया ह और उनक परर

सपषट भी कर रदया ह। ो जो वयरि रकसी क करन का सकलप करा ह

परन रकसी उरच कारर क उस नकी को कर नही पाा ो अललाह

उसक रलए अपन पास नकी रलि ला ह, और यरद कोइ नकी करन का

इचछा करा और रफर वह नकी कर भी ला ह ो अललाह उसक रलए

अपन पास दस नकी स बढा कर सा सो स दगना और रफर बह जजयादा

दगना ीनगनना बढाा ह। परन रजस न रकसी पाप क करन का इचछा

रकया और वह पाप कर न सका ो अललाह उस क रलए अपन पास परी

नकी रलि ला ह। और यरद उसन रकसी पाप क करन का सकलप

रकया और रफर वह पाप कर भी ला ह ो अललाह उस क रलए अपन

पास एक पाप रलि ला ह। (सही बिारीाः 7691 व सही मरसलमाः 131)

Page 26: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

4- रमजान का सवाग गनाहो स ौबा

और जहननम स मरि माग हए कर:

अललाह आला न गनाहो स ौबा करन का आजञा रदया ह और

बशक ौबा करन वाल लोग सफलपविक होगाः" ऐ ईमानवालो,

म सब रमलकर अललाह स ौबा करो, आशा ह रक सफला

परापत करोग। ” (सरा अननराः 31)

ऐ ईमान लानवाल! अललाह क आग ौबा करो, रवशदध

ौबा। बह समभव ह रक महारा रब महारी बराइया

मस दर कर द और मह ऐस बागो म दारिल कर रजनक

नीच नहर बह रही होगी। (66-स रह अततहरीमः 8)

Page 27: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
Page 28: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

5- रमजान का सवाग अपन बहमलय समय की

सही योजना बना कर कर:

रमजान क महीन क समय को मनजजजम

करल रक फजर की नमाज स पहल उठकर

सहरी िना ह रफर नमाज पढ कर करआन

की रलाव करना ह। रदन रा क समय

को रवरभनन कायो, इबादो और जररी

कामो म बाट द। ारक समय नषट न हो

और पर समय का सही उपयोग हो सक।

बकार की गप शप स दर रहा जाए। ारक

परा रमजान का महीना इबादो म बी।

Page 29: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

6- रमजान क महीन का सवाग रोज क अहकाम

का रसकषा ल कर कर:

रमजान म रकन चीजो क करन स रोजा िराब हो जाा

ह? रकन चीजो क करन स कछ नही होा? कौन सा काम

और इबाद करना चारहय और कस करन चारहय ?,

कौन सा काम रोज की रसरथ म नही करना चारहय ?,

रमजान म कौन सा कायि अललाह को सब स जजयादा रपरय

ह?, रसल (सलल) रमजान का महीना कस गजार थ ?,

इन सब चीजो का जञान लना जररी ह। ारक रमजान

महीन को अचछ रीक स गजारा जाए, रमजान महीन की

बरको और रहमो को परापत रकया जा सक।

Page 30: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

7- रमजान म लोगो क लन दन और हकक और

अरिकार को परा करक सवाग कर:

एक रदन रसल (सलल) न अपन सारथयो स पछााःकया म जान हो

मरललस रकस कह ह?, लोगो न कहा: हमार बीच मरललस उस

समझा जाा ह, रजसक पास सामान और रपय न हो। आपन (सलल) न

फरमायााः कल कयाम क रदन मरललस वह होगा जो नमाज, रोज,

और जका क साथ आएगा, लरकन रकसी को गाली दी होगी,

रकसी पर (वयभीचार का) आरोप लगाया होगा, रकसी का माल

िाया होगा, रकसी का िन बहाया होगा, इस परकार उसकी नरकया

एक एक कर क हकदारो को द दी जाएगी, जब उसकी नरकया समापत

हो जाएगी और अभी हकदार बाकी रह जाएग ो हकदारो क पाप

उसक सर थोप रदए जाएग। रफर उस नरक म डाल रदया जाए।(सही मरसलमाः 2581)

Page 31: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

8- हदय को दशमनी, कीना कपट, और

हसद-जलन स परवतर रि कर कर:

रसल (सललललाह अलरह व सललम) न फरमायााः बनदो क कमि

सोमवार और शकरवार को अललाह क पास पश रकय

जा ह, ो अललाह अजजज व जलल हर उस बनद को माफ

कर दा ह, जो अललाह क साथ रशकि न रकया हो

रसवाए उस मानव को रजस क और उस क भाई क

बीच कीना कपट और दशमनी हो, ो कहा जाा ह,

इन दोनो को छोड दो, यहा क रक दोनो सलह सफाई

करल, इन दोनो को छोड दो यहा क रक दोनो सलह

सफाई करल।” (सही महसलम)

Page 32: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रसल (सलल) न फरमायााः"अललाह परवतर ह और परवतर वस को सवीकार

करा ह और बशक अललाह मसलमानो को उनही चीजो क करन का आदश

दा ह, रजन चीजो क करन का रसलो को आजञा दा ह, ो अललाह न

फरमायााः ऐ रसलो! परवतर वसओ को िाओ और अचछा कमि करो, और

मरमनो स फरमायााः ऐ मरमनो! उन परवतर चीजो को िाओ जो हमन मह

रोजी द रिी ह, और रसल (सलल) न एक आदमी की उदाहरर द हए कहााः

एक आदमी लमबा यातरा करा ह, उस क रबिर हए बाल, िल स अटा हआ

शरीर, और अपन दोनो हाथो को आकाश की ओर उठा हए कहा हाः ऐ रबब,

ऐ रबब, हालारक उसका िाना हराम की कमाई स होा ह, उसका पीना हराम

की कमाई स होा ह, उसका पोशाक हराम की कमाई का ह, और परी जीवन

हराम िा हए गजरा ो रफर उस की दआ कयो कर सवीकारर होगी।

9- हलाल कमाइ स जीवन वयी कर

हए रमजान का सवाग कर:

(सही मरसलमाः 1015)

Page 33: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

रमजान का सवाग इसलामी रनमनतरर क माधयम स कराः जहननम (नरक) स मरि और जनन (सवगि) म दारिल होन का रासा कवल इसलाम ही ह।

इस रलए रजस परकार अललाह न सही रासा चयन करन की शरि दी और कोइ दसरा भाई

इस माधयम बना ो आप भी अपन दसर गर मरसलमो क इसलाम सवीकार करन का माधयम

बन। ो अललाह आप को बरहसाब नरकया दगा। هللا فيه، فوهللا ألن يهدي هللا بك خير لك من واحدا، رجال ادعهم إلى اإلسالم، وأخبرهم بما يجب عليهم من حق

(4210: صحيح البخاري. )النعم حمر يكون لك أن

नबी(सलल) न अली(ररज) स फरमायााः उनह इसलाम की ओर रनमनतरर करो, अललाह न जो उन

पर अरनवायि रकया ह,उन स उनह सरच करो,ो अललाह की कसमाःमहार माधयम स

अललाह एक वयरि को सही मागिदशिन कर द, ो यह महार रलए लाल ऊट स उततम ह। (सही

बिारीाः 4210)

Page 34: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

इस पाठ म आप की उपहसिहत पर हम

आपका हाहदमक धनयवाद कहत ह।

अललाह आप क जीवन म परतयक परकार

की िशी लाए और दहनया और

आहिरत म सफलता द। आमीन

Page 35: रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत