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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

TI-AIH   Language and Literacy

बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

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The Open University,Walton Hall, Milton KeynesMK7 6AA

First published 200X. [Second edition 200Y. Third edition ....] [Reprinted 200Z]

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ISBN XXX X XXXX XXXX X

X.X

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

Contents य� इकाई हिकस बार म � आप इस इकाई म कया सीख सकत � य� दषटि कोण कयो म�तवपण% � 1 आपक बाल साहि�तय जञान का परीकषण और हिवसतार 2 ककषा म उपयोग क लिलए साहि�तय का चयन 3 ककषा म कहिवताए और क�ाहिनयो का उपयोग 4 साराश ससाधन

ससाधन 1: एनयअल �यरकट ड ससाधन 2: ‘ यवती जिजसन साप स शादी की ’ ससाधन 3: ककषा क लिलए बाल साहि�तय का चयन ससाधन 4: क�ानी सनाना , गीत , रोल – पल और नाटक

अहितरिरकत ससाधन References Acknowledgements

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

य� इकाई हिकस बार म �भारत म मौखिखक और लिलखिखत साहि�तय की एक समदध हिवरासत �। बाल क�ाहिनयो और कहिवताओ क अचछ जञान क साथ, आप हिवदयारथिथGयो को इस हिवरासत का म�तव जानन व उसका आननद लन क लिलए तथा �मार दश की भाषाओ, इहित�ास और ससकहितयो क परहित अपनपन का भाव साझा करन क लिलए परोतसाहि�त कर सकत �।

इस इकाई म आप:

बाल साहि�तय क अपन जञान की समीकषा करग और अपनी जानकारी को हिवसतत करन क लिलए कदम उठाएग

बाल कथाओ की हिवशषताओ पर गौर करग अपन छातरो का साहि�तय स परिरचय करवान क लिलए कछ सरल ककषा गहितहिवषटिधयो

को हिPयानविनवत करग।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

आप इस इकाई म कया सीख सकत � आपक छातरो क लिलए उपयकत रप स साहि�तय सबधी अपन जञान का परीकषण और

उसका हिवसतार कस कर। उचच गणवतता वाल बाल साहि�तय की हिवशषताओ को कस प�चान। ककषा म क�ाहिनयो और कहिवता का उपयोग करन क लिलए तकनीक।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

य� दहि�कोण कयो म�तवपण$ �क�ाहिनया और कहिवताए हिवभिभनन भाषा कौशलो को हिवकलिसत करत हए, उनक ततकालिलक अनभव स पर बचचो की दहिनया को समदध बनान क लिलए एक हिवशाल सरोत का परहितहिनषटिधतव करत �। बचपन म क�ाहिनया और कहिवताए सनन का सकारातमक अनभव, सवय क�ाहिनया और कहिवताए पढन की इचछा को पररिरत करगा, जो उनक साकषरता हिवकास म योगदान करगा। य� इकाई आपको सरल तरीको स अपन छातरो की भाषा और साकषरता कौशल को बढान क लिलए ककषा म पारपरिरक और आधहिनक क�ाहिनयो और कहिवताओ क अपन जञान का उपयोग करन क लिलए परोतसाहि�त करती �।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

1 आपक बाल साहि�तय जञान का परीकषण और हिवसतार आप बाल साहि�तय क हिवषयो म अपन जञान का परीकषण स शर करग।

गहितहिवधि) 1: आपक बाल साहि�तय जञान का परीकषण

सभव � हिक आप अपन छातरो क लिलए साहि�तय का मखय सरोत �ो। इसलिलए य� म�तवपण% � हिक आपको अपन छातरो की उमर और सतर क अनरप ऐसी हिवहिवध क�ाहिनयो और कहिवताओ की जानकारी �ो, जिजन� आपन हिकताबो म पढा था या जिजन� अपनी याददाशत स सना सक ।

य� परीकषण कोई परीकषा न�ी �। इसका उददशय आपको बाल साहि�तय क अपन जञान क सबध म अपन शरआती बिबGद की प�चान करन म मदद करना �। यथा सभव ईमानदारी क साथ उततर दन का परयास कर। आपको याद आन वाल हिकन�ी उदा�रणो को नोट कर। साथ �ी, अपन हिकसी स�कमd स उनक जञान का परीकषण करन क लिलए क�। अत म उनक साथ अपन जवाब साझा करना दिदलचसप �ोगा।

कया आप समहित स–

बचचो क लिलए कोई कहिवता सना सकत �? बचचो क लिलए कोई तकात कहिवता जिजस व गा सक ?

कया आप समहित स–

बचचो क लिलए कोई लोक कथा सना सकत �? कोई छोटी ऐहित�ालिसक कथा सना सकत �?

कया आप बता सकत �:

हिकसी बाल क�ानी या लोक कथा क हिकसी पातर का नाम? बचचो की हिकसी कहिवता या तकात कहिवता क हिकसी पातर का नाम?

कया आप बता सकत �:

बाल कथा पसतिसतका का नाम? बाल कहिवता पसतक का नाम? हिकसी भारतीय बाल लखक का नाम? हिकसी भारतीय बाल कहिव का नाम?

यदिद सभव �ो, तो अपन हिकसी स�कमd क साथ अपन परीकषण और अपन हिवचारो की तलना कर।

हिवचा

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

र क धिलए रक

शायद आपन अपन बचपन म सनी कछ क�ाहिनयो और कहिवताओ को याद हिकया �ोगा। शायद आपको सदवयव�ार क सबध म बचचो क लिलए कोई नहितक सदश या चतावनी दन वाली लोक-कथा अथवा सकल क खल क मदान म सनाई गई कोई कहिवता याद �ो। आपन शायद हिकसी हिकताब म कभी पढ हिबना - इन क�ाहिनयो या कहिवताओ को घर पर, समदाय और सकल म सन कर सीखा �ोगा। �ो सकता � हिक आप लोक कथाओ या कहिवताओ स अषटिधक परिरलिचत �ो, और आपक स�करमिमGयो को आर. क. नारायण, अनत पई या रसकिसकन बॉणड जस बाल लखको की क�ाहिनया याद �ो। �ो सकता �, आजकल बचचो दवारा पढी जान वाली क�ाहिनया य�ी �ो या न �ो। टलीहिवजन, कॉषटिमक सीरिरज या सथानीय बिकGवदिदGतयो स जानी गई ऐसी भी नई क�ाहिनया �ो सकती �, जिजनम बचचो की दिदलचसपी �ो। इन नई-परानी क�ाहिनयो को आपकी ककषा म एक ससाधन क रप म इसतमाल हिकया जा सकता �, ताहिक पढात समय क�ाहिनयो का खजाना हिवकलिसत करन म व उपयोगी �ो।

गहितहिवधि) 2: आपक बाल साहि�तय सब)ी जञान का हिवसतार अब अपन परीकषण क हिनमा%ण की योजना तयार कर। अपन क लिलए सवय एक लकषय हिनधा%रिरत कर:

दो बाल लखक, जिजनस आप परिरलिचत न�ी, को पढ ग। दो बाल कहिव, जिजनस आप परिरलिचत न�ी, को पढ ग।

अपन स�करमिमGयो क साथ अपन हिवचारो को साझा कर।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

2 ककषा म उपयोग क धिलए साहि�तय का चयनआगामी कस सटडी म, एक लिशभिकषका पसतक मल म जाती � और सोचती � हिक व�ा उपलबध सामगरी को अपनी ककषा म भाषा तथा साकषरता लिशकषण म हिकस परकार शाषटिमल कर।

कस सटडी 1: शरीमती अपराजिजता अपन छातरो क साथ भारतीय बाल साहि�तय की तलाश करती � शरीमती अपराजिजता कानपर म छठी ककषा की लिशभिकषका �।

म अपनी ककषा म नई हिकताब लाना चा�ती थी। मझ हिकताब खरीदन क लिलए अपन शीष% लिशकषक, षटिमसटर गोमस स अनमहित लनी पडी, जो स�मत �ो गए हिक म सकल बजट का एक अश पसतको पर खच% कर, जो पर सकल क लिलए उपलबध कराया जाएगा।

म रोचक पसतको की खोज म कोलकाता पसतक मल म गई। म बचचो क लिलए कॉषटिमकस स लकर लब उपनयासो तक, बची जान वाली पठन सामगरी क हिवशाल रज को दख कर परी तर� अभिभभत �ो गई। कछ सामगरी हिवदशो स थी। मझ हिगरमस फयरी टलस की हिवभिभनन परहितयो क बीच भारतीय क�ाहिनयो को वाकई खोजना पडा। मझ लगता � हिक बड पसतक परकाशक उन माता-हिपता को लभिकषत कर र� थ, जिजनक बचच अगरजी माधयम क सकलो म पढत �। आखिखरकार सरसवती परस की दकान पर मझ अपनी ककषाओ क लिलए उपयकत रोचक बाल साहि�तय षटिमला।

मन अपन छातरो क आनद क लिलए हिकताब ससवर पढना शर हिकया। बाद म, जब व क�ाहिनयो स परिरलिचत �ो गए, तब मन पाठ पर आधारिरत साकषरता हिवकास गहितहिवषटिधयो की योजना बनान की शरआत की। जब कोई क�ानी या कहिवता उचच गणवतता की �ो, तो उसक इद%-हिगद% गहितहिवषटिधयो की योजना बनाना ब�द आसान �।

हिवचार क धिलए रक

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग अगली गहितहिवषटिध म, आप उचच गणवतता वाल बाल साहि�तय की हिवशषताओ पर गभीरता स हिवचार करग।

गहितहिवधि) 3: बाल साहि�तय का मलयाकनबाल साहि�तय का रज हिवशाल �। अब आप दो उदा�रणो पर गौर करग: हिकताब ‘बाल कटवान का वारषिषGक दिदवस’ (एनयअल �यरकट ड) (ससाधन 1) और क�ानी ‘यवती जिजसन साप स शादी की’ (ससाधन 2).

दोनो पाठ अपन आप को या हिकसी स�कमd को जोर स पढ कर सनाए। जब आप पढ र� �ो, तब हिनमन परशनो क बार म धयान स सोच:

दोनो क�ाहिनयो क बीच अतर कया �? कया आप हिकसी एक को दसर की तलना म ब�तर मानत �? परतयक पाठ की सकारातमक हिवशषताओ क बार म आप कया सोचत �?

हि�र स ‘बाल कटवान का वारषिषGक दिदवस’ को दख और हिनमन परशनो का उततर द:

क�ानी कयो ‘कई साल प�ल…’ या ‘एक समय की बात � …’ जस शबदो क साथ शर न�ी �ोती, जसा हिक कई क�ाहिनयो म �ोता �?

कया आपक हिवचार म लिचतर जररी �? कयो या कयो न�ी? आपक हिवचार म आपक छातरो को क�ानी क मामल म कया पसद आएगा?

दसरो क हिवचारो क साथ अपन हिवचारो की तलना कर।

बाल कटवान का वारषिषGक दिदवस’ एक छोटी, जीवत लिचतर-पसतिसतका �। लिचतरो म ऐस लोगो और सथानो को दिदखाया गया �, जो समकालीन और परिरलिचत �। उनम स कई म, जस हिक नाई की दकान और वयसत घर, मनोरजक हिववरण शाषटिमल � जो दखन तथा चचा% क लिलए दिदलचसप लगत �।

ज�ा पाठ सरल और दो�राव वाला �, व� बखबी जदिटल भाषा की सरचना करता �:

उदास म�सस करत हए, माधव कमार घर वापस चला…

थोडा नाराज म�सस करत हए, माधव कमार अपन दोसत दजd क पास गया…

अब थोडा चिचहितत �ोत हए, माधव कमार एक और दोसत बढई क पास गया…

आख म आस भर, व� अकला �ी…।

‘बाल कटवान का वारषिषGक दिदवस’ जसी पसतक हिवशष रप स नए पाठको को सवततर रप स पढना सीखन म मदद करन क लिलए बनाई गई �। इनम धयानपव%क चयहिनत परिरलिचत शबद और वाकयाश शाषटिमल �। छातर पाठ का अथ% समझन क लिलए ‘सराग’ क रप म लिचतरो का उपयोग कर सकत �।

जब छातर इस तर� की क�ाहिनया सनत या पढत �, तो व अनय पसतको म उन�ी शबदो और वाकयाशो को प�चानना शर कर दत � और अपन सवय की बातचीत और लखन म इस जञान को लाग करन लगत �।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग इस तर� की क�ाहिनया छोट बचचो को बोलन और सनन क लिलए भी परोतसाहि�त करन क लिलए उपयोगी �ोती �, तब व तसवीरो और क�ानी म घदिटत �ोन वाल परसगो स सबषटिधत म सवालो का जवाब दन लगत �।

इस तर� की क�ाहिनया बचचो क अनकल � कयोहिक व एक ऐसी दहिनया पश करती �, जिजस कम आय क पाठक प�चान सकत �। इस परकार की क�ाहिनया सनन और पढन की सतषटि दसरी हिकताबो म बचचो की दिदलचसपी बढाएगी।

इस तर� की क�ाहिनयो को सनन या पढन क बाद, छातरो स अपकषा की जी सकती �–

क�ानी का हिवसतार (उदा�रण क लिलए, नए पातर या पशओ को जोडत हए) • भिभनन रप स समापन (शायद माधव कमार को उसक बाल झडन क बाद हिवग

प�नना पडा, कयोहिक अब उसकी खोपडी ठडी थी!) अभिभनय कर क�ानी क उनक अपन ससकरण क� या लिलख एक ऐसी �ी क�ानी तयार कर (उदा�रण क लिलए, एक मगरमचछ, जिजसका ‘वारषिषGक

दतमजन दिदवस’ था, जिजसम ‘आज मर पास इतन सार दात बरश करन क लिलए समय न�ी �!’ वाकयाश का बार-बार उपयोग करत हए)।

अब ससाधन 2 पढ , ‘यवती, जिजसन साप स शादी की’ पढ।

य� क�ानी ‘बाल कटवान का वारषिषGक दिदवस’ स हिकस परकार अलग �? आपक हिवचार म इस क�ानी म लिचतर कयो आवशयक न�ी �? कया आप समहित स अपन छातरो को य� क�ानी हि�र स सना सकत �? कया क�ानी म ऐस सथल �, ज�ा आप कदिठन शबदो को आसान शबदो स

परहितसथाहिपत करना चा�ग?, कया क�ानी को गान, मारधाड, सवाद या अहितरिरकत पातरो क साथ हिवसतत हिकया या

सधारा जा सकता �? कया आपक हिवचार म इस क�ानी क अभिभनय म आपक छातरो को मजा आएगा?

‘यवती, जिजसन साप स शादी की’ पचततर की एक पारपरिरक क�ानी �, जिजसकी शरआत सभी पारपरिरक क�ाहिनयो क परिरचय की भाहित ‘एक समय की बात �…’ वाकयाश स �ोता � - और जो हिक य� सकत � हिक क�ानी शर �ोन वाली �। य� रप बदलन की एक जादई क�ानी �। य� हिकसी हिवशष समय या सथान म परहितसथाहिपत न�ी हिकया गया �, लहिकन य� �मार समकालीन दहिनया की तर� भी परतीत न�ी �ोता �।

य� काफी ग�न, भावनातमक क�ानी �। य� थोडा अजीब और परशान करन वाला म�सस �ो सकता �।

‘बाल कटवान का वारषिषGक दिदवस’ स भिभनन, इस क�ानी का लखन सरल न�ी �, और न �ी सवाद रोजमरा% की भाषा म �।

जब छातर इस क�ानी को सनत �, तो व ऐस जदिटल वाकय और शबदावली का सामना करत �, जिजस व सवय न�ी पढ पात। व एक पारपरिरक क�ानी क माधयम स भाषा क बार म जानत �, जो भारत की सासकहितक हिवरासत का एक हि�ससा �।

उस सनन क बाद, छातर हिनमन काय% कर सकत �:

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग क�ानी को पनः सनाना क�ानी क अपन ससकरण बनाना क�ानी अभिभनीत करना पातरो क बीच सवाद को सधारना दशयो को लिचहितरत करना या रग भरना एक ‘पव% कडी’ तयार करना (व� अभिभशाप कया था जिजसन बट को साप बना

दिदया?) क�ानी हिवसतत करना (यवती और बट का आग कया �ोता �? कया उनक बचच साप

�ोत �?) सकल या समदाय क लिलए क�ानी का अभिभनय कर।

हिवचार क धिलए रक

कोई क�ानी सकल की पाठयपसतक स न�ी �। दोनो दिदलचसप सथिसथहितया और भाषा को परदान करती � जिजस पर हिवचार-हिवमश% हिकया जा सकता �। दोनो पाठो को हिवसतत और अनकलिलत करक भाषा और साकषरता गहितहिवषटिधयो क लिलए इसतमाल हिकया जा सकता �।

ससाधन 3 इस हिवषय म माग%दश%न दता � हिक बचचो क लिलए उपयोगी साहि�तय का चयन करत समय कया दखना चाहि�ए। अब ससाधन 3 पढ और अपनी ककषा म साहि�तय ससाधनो क बार म हिवचार कर।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

3 ककषा म कहिवताए और क�ाहिनयो का उपयोगअगली गहितहिवषटिध म आप कहिवता की भाषा पर गौर करग।

गहितहिवधि) 4: कहिवता की सरा�ना करनाइस छोटी कहिवता को अपन लिलए जोर स पढ , या अपन स�कमd को जोर स पढ कर सनाए।

‘When Day Is Done’ by रवीदरनाथ टगोर की कहिवता

If the day is done if birds sing no more if the wind has flagged tired then draw the veil of darkness thick upon me even as thou hast wrapt the earth with the coverlet of sleep and tenderly closed the petals of the drooping lotus at dusk.

अब इन परशनो क उततर दीजिजए:

कया य� कहिवता आपको खश या दःखी म�सस कराती �? ऐसा कयो �? य� आपको कया सोचन पर बाधय करता �? कया आपक हिवचार म बहत छोट बचच इस समझ पाएग? कयो या कयो न�ी? आप ‘a thick veil of darkness’, ‘a coverlet of sleep that wraps the earth’

और ‘drooping petals’ वाकयाशो की कस वयाखया करग? आप अपन छातरो को इस कस समझाएग?

अपन स�कमd स इन वाकयाशो की वयाखया साझा कर। कया आप या आपक छातर इन कावय छहिवयो को लिचहितरत कर सकत � या शारीरिरक रप स अभिभनय कर सकत �?

हिवचार क धिलए रक

बहत क

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

म उमर वाल बचच भी सनान पर कहिवता समझ सकत �। व �र शबद न�ीी समझ सकग, लहिकन व भाषा की धवहिन और ल

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

य क परहित लगाव पदीा करना सीख सकत �। व जिजन शबदो और वाकयीाशो को सवय पढ न�ीी पात, उन� भी समझना शर

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

कर दग।

उचच गणवतता वाल साहि�तय को सनना छातरो को उसी परकार क लिलखिखत शबदो को सवय पढन क लिलए तयार करता �। इस इकाई म अहितम गहितहिवषटिधया आपको अपन छातरो का साहि�तय स परिरचय करवान म माग%दश%न करती �।

सकल म दिदन भर ऐस कई पल षटिमलग, जब आप समगर समय-सारणी पर हिबना कोई परभाव डाल एक छोटी क�ानी या कहिवता पढ कर सना सकत �।

आरमभ म इन शरवण गहितहिवषटिधयो क साथ हिकसी भाषा या लखन सबधी काय% को न जोड। उन� छातरो क साथ परसपर बातचीत का सखद अवसर बन र�न द।

गहितहिवधि) 5: अपनी ककषा को कहिवता पढ कर सनाना।1. कोई ऐसी छोटी कहिवता चन जिजस आप अचछी तर� जानत �। उस याद कर और घर

पर या स�करमिमGयो क साथ सनान का अभयास कर।2. छातरो को सनान क लिलए उपयकत समय का चयन कर। य� सकल क दिदन की

शरआत, भोजन स प�ल या बाद म, या दिदन क अत म �ो सकता �। बलकबोड% पर कहिवता का शीष%क लिलख।

3. जब आप कहिवता सनाए तब छातरो क साथ नतर सपक% रख। आपको कछ शबदो को समझान या बलकबोड% पर लिचहितरत करन की जररत पड सकती �।

4. सपता� म, या अगल �फत कहिवता दो�राए, ताहिक छातर उस समझन लग।5. आपक साथ छातरो को भी दो�रान क लिलए क�, यदिद समभव �ो तो सकत या

अभिभनय क साथ।6. सभव �ो तो जोड या सम�ो म, हिकसी अनय दिदन अपन साथ दो�रान क लिलए उन�

आमहितरत कर। इन अवसरो का उपयोग उनकी समझ और भाषा सबधी आतमहिवशवास का हिनरीकषण करन क लिलए कर।

गहितहिवधि) 6: अपनी ककषा म ससवर स पढ कर सनानाहिकसी हिकताब स एक उचच गणवतता वाली बचचो की क�ानी चन। घर पर या स�करमिमGयो क साथ ससवर पढत हए, क�ानी को अचछी तर� स समझ।

अपन छातरो का पसतक स परिरचय करवाए। ककषा म या हिकसी पड क नीच उन� अपन इद%-हिगद% आधा गोल घरा बना कर बठन क लिलए क�।

अपन छातरो को पसतक का आवरण दिदखाए। उनस पछ हिक उनक हिवचार म व� हिकस हिवषय स सबषटिधत �ो सकता �। यदिद आवरण पषठ पर जगल नजर आता �ो, तो पछ हिक कया ककषा म हिकसी न कभी कोई

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग जगल दखा � और व� कसा था। यदिद व� बारिरश क बार म �ो, तो अपन छातरो स पछ हिक व बारिरश को पसद करत � या न�ी, और कयो। शीष%क पढ और अनमान लगान क लिलए क� हिक पसतक हिकस हिवषय स सबषटिधत �ो सकता �।

पसतक दिदखाए ताहिक �र कोई शबदो और लिचतर को दख सक । कम आय क छातरो क साथ आप पढत समय अपनी उगली स शबदो का अनसरण कर सकत �।

क�ानी को धीम और अभिभवयलिकत क साथ पढ , और जब लिचतरो स सामना �ो, तो उसकी ओर सबका धयान आकरषिषGत कर।

जब आपका पढना खतम �ो, तब अपन छातरो स य परशन पछ:

इस क�ानी क सबध म आपको कया पसद आया? कया ऐसी कोई चीज थी जो आपको पसद न�ी आई �ो? कया इसम आपको �रान करन वाली कोई बात थी? व� कया था?

उसी सपता�, या अगल सपता� क�ानी को दबारा पढ , ताहिक आपक छातर उस समझन लग।

आपक छातरो को सभवतः जोड या सम�ो म क�ानी को दबारा सनान क लिलए क�। गौर कर हिक कौन-स छातर क�ानी याद कर पा र� �, और कौन-स छातर उस हिवसतत या परिरवरषितGत कर पा र� �। धयान स दख हिक कौन-स छातर दिदलचसपी दिदखा र� � और समझ र� � और कौन-स छातर उदासीन या उलझन म नजर आ र� �।

आपक छातरो की परहितहिPयाओ स अगली बार उन� पढ कर सनान वाल हिवषय का चयन कर।

ससाधन 4 म आपकी ककषा म क�ानी सनान क परयोग पर कछ और सझाव शाषटिमल �।

वीहिडयो: क�ानी सनाना , गान , नाटिट

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग का और नाटक

हिवचार क धिलए रक

यदिद आपन अपन छातरो को कभी कहिवता पाठ या क�ानी पढ कर न�ी सनाया �ो, तो प�ली बार आप नव%स �ो सकत �। लहिकन जब आप हिनयषटिमत रप स इस अपन लिशकषण म शाषटिमल करन लगग तो आप तथा आपक छातर, दोनो इन गहितहिवषटिधयो क अभयसत �ो जाएग और आपक छातर आपकी रा� दखन लगग और सभवतः सवय कहिवता या क�ानी पढत हए उसका आनद उठान लगग।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

4 साराशइस इकाई म, आपन बचचो क साहि�तय क परहित अपन जञान का परीकषण हिकया और अचछी गणवतता वाली बाल क�ाहिनयो की हिवशषताओ पर हिवचार हिकया। आपन अपन पाठो म कहिवता पाठ तथा क�ानी सनान क अषटिधक अवसरो को शाषटिमल करन क बार म भी हिवचार हिकया। जब आप अपन लिशकषण म इस तर� की गहितहिवषटिधयो को हिनयषटिमत रप स शाषटिमल करग, तब छातर उनकी उममीद करग और सवय आनद लन लगग, और य� उन� सवय क�ाहिनया और कहिवताए पढन क लिलए परोतसाहि�त करगा, जिजसस उनम साकषरता का हिवकास �ोगा।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

ससा)नससा)न 1: एनयअल �यरकट ड

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

ससा)न 2: ‘यवती जिजसन साप स शादी की’एक समय की बात �, एक गाव म एक बराहमण अपनी पतनी क साथ र�ता था। दोनो बचच न �ोन क कारण दःखी थ। �र दिदन, व इसी उममीद म पराथ%ना करत थ हिक एक न एक दिदन उनक घर बचचा जनम लगा। अततः उनको सतान का सख परापत हआ। बराहमण की पतनी न बचच को जनम दिदया, लहिकन बचचा साप म परिरवरषितGत �ो गया। �र कोई भयभीत था और लोगो न उन� जिजतनी जलदी �ो सक, साप स छटकारा पान की सला� दी।

बराहमण की पतनी अटल र�ी और उसन हिकसी की बात न�ी मानी। व� बट क रप म साप को पयार करती थी और इस बात की परवा� न�ी की हिक उसका लिशश एक साप �। उसन बड पयार स साप का पालन-पोषण हिकया। उसन यथा सभव उस सबस अचछा भोजन खिखलाया। उसन साप क सोन क लिलए एक हिडबब म आरामदायक हिबसतर तयार हिकया। साप बडा हआ और उसकी मा उस और भी जयादा चा�न लगी। एक अवसर पर, उनक पडोस म एक हिववा� समारो� सपनन �ो र�ा था। बराहमण की पतनी न अपन बट क हिववा� क बार म सोचना शर कर दिदया। लहिकन एक साप स कौन-सी लडकी शादी करना चा�गी?

एक दिदन, जब बराहमण घर लौटा, तो उसन अपनी पतनी को रोत हए पाया। उसन पतनी स पछा, ‘कया हआ? तम कयो रो र�ी �ो?’ उसन जवाब न�ी दिदया और रोना जारी रखा। बराहमण न हि�र स पछा ‘बताओ, तम�ार दःख का कया कारण �?’ आखिखरकार उसन क�ा, ‘म जानती ह आप मर बट को न�ी चा�त �। आप �मार बट म कोई दिदलचसपी न�ी ल र� �। व� बडा �ो गया �। आप उसक लिलए दल�न लान की बात भी न�ी सोचत �।’ बराहमण ऐस शबद सन कर चौक गया। उसन जवाब म क�ा, ‘�मार बट क लिलए दल�न? कया तम� लगता � हिक कोई लडकी एक साप स शादी करगी?’

बराहमण की पतनी न कोई जवाब न�ी दिदया, लहिकन उसन अपना रोना जारी रखा। पतनी को इस तर� रोत हए दखकर बराहमण न अपन बट क लिलए दल�न की तलाश म बा�र जान का फसला हिकया। उसन कई जग� की यातरा की, लहिकन ऐसी कोई लडकी न�ी षटिमली, जो साप स शादी क लिलए तयार �ो जाए। अत म, व� एक ऐस बड श�र म पहचा, ज�ा उसका एक दोसत र�ता था। चहिक लब समय स बराहमण की उसस मलाकात न�ी हई थी, उन�ोन एक दसर स षटिमलन का फसला हिकया।

दोनो दोसत एक दसर स षटिमल कर ब�द खश हए और साथ म अचछा समय हिबताया। बातचीत क दौरान, षटिमतर न बराहमण स पछा हिक व� दश भर की यातरा कयो कर र�ा �। बराहमण न क�ा, ‘म अपन बट क लिलए दल�न की तलाश कर र�ा ह।’ षटिमतर न उन� और आग जान स मना हिकया और शादी क लिलए अपनी बटी का �ाथ दन का वादा हिकया। बराहमण चिचGहितत हआ और क�ा, ‘मर हिवचार म य� ब�तर �ोगा हिक इस मामल म कोई हिनण%य लन स प�ल तम मर बट को दख लो।’

उनक षटिमतर न य� क�त हए मना हिकया हिक व उस और उसक परिरवार को जानत �, इसलिलए जररी न�ी हिक व लडक को दख। उसन अपनी बटी को बराहमण क साथ भजा ताहिक व� उनक बट स हिववा� कर सक। बराहमण की पतनी य� जान कर खश हई और उसन तजी स हिववा� की तयारी करना शर कर दिदया। जब गाव वालो को इस बात का पता चला, तो व यवती क पास गए और उस साप स शादी न करन की चतावनी दी। यवती न उनकी बात सनन स इनकार हिकया और जोर दकर क�ा हिक व� अपन हिपता क वचन को हिनभाना चा�ती �।

तदनसार, साप और यवती की शादी सपनन हई। यवती न अपन पहित, साप क साथ र�ना शर कर दिदया। व� एक समरषिपGत पतनी थी और व� एक अचछी पतनी की तर� साप की दखभाल करन लगी। रात को साप अपन हिडबब म सोता था। एक रात, जब लडकी सोन जा र�ी थी, तो उसन अपन कमर म

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग एक खबसरत नौजवान को दखा। व� डर गई और मदद क लिलए दौडन �ी वाली थी। नौजवान यवक न उस रोका और क�ा, ‘डरो मत। कया तमन मझ प�चाना न�ी? म तम�ारा पहित ह।’

यवती न उसकी बात पर हिवशवास न�ी हिकया। यवक न साप की तवचा म परवश करक खद की सचचाई साहिबत की और हि�र दबारा नौजवान का रप धारण हिकया। यवती मानव रप म अपन पहित को पाकर ब�द खश हई और उसक चरणो पर हिगर पडी। उस रात क बाद स, �र रात व� नौजवान साप की तवचा स बा�र हिनकलन लगा। व� भोर तक अपनी पतनी क साथ र�ता और सब� �ोत �ी वापस साप की तवचा धारण कर लता था।

एक रात, बराहमण न अपनी बह क कमर स आवाज सनी। उसन उन पर नजर रखी और साप को एक नौजवान म बदलत हए दखा। व� कमर म पहचा और साप की तवचा को आग म झोक दिदया। नौजवान न क�ा, ‘हिपरय हिपताजी, बहत-बहत धनयवाद। एक शराप क कारण मझ तब तक साप बन र�ना था, जब तक हिक मझस पछ हिबना कोई साप क शरीर को न न�ी कर दता। आज आपन य� काम कर दिदया। अब म उस शराप स मकत �ो गया ह।’ इस परकार, व� यवक दबारा साप न�ी बना और अपनी पतनी क साथ सखी जीवन वयतीत करन लगा।

ससा)न 3: ककषा क धिलए बाल साहि�तय का चयन छातरो को हिवहिवध हिवषयो पर क�ाहिनयो और कहिवताओ म सलगन करना अतयत म�तवपण% �।

1. कम आय क बचचो की पसतक और क�ाहिनया उन� हिनमन म मदद करती �: अकषरो, परिरलिचत शबदो और वाकयाशो की प�चान करना सीखना पवा%नमान लगान और शबदो की वयाखया करन क लिलए लिचतरो का

उपयोग सीखना ऐस शबद और वाकय शली सीखना, जो व अनय पठन म लाग कर

सक पाठको क रप म हिवशवास �ालिसल करना।

छोट बचचो क लिलए उपयकत पाठो का चयन करन क लिलए आपको हिनमन पर धयान दना चाहि�ए:

घर या सामदाषटियक गहितहिवषटिधयो जसी परिरलिचत सथिसथहितया सखया, सपता� क दिदन, मौसम या दिदनचया% जस पटन% और दशय रपातरण क साथ, दो�राव वाल शबद और वाकयाश शबदो और लिचतरो क बीच एक दढ सबध दिदलचसप छहिवया (फोटोगराफ, लिचतर या आरख), जिजनक बार म

छातर परसपर बात कर सक छातरो की दिदलचसपी को बनाए रखन और उन� सवय पाठ पढन क

लिलए परोतसाहि�त करन �त पाठय वसत का छोटा �ोना। 2. बड बचचो क लिलए पसतक और कहिवताए उन� हिनमन म मदद कर सकती �:

उचच सतरीय शबदावली और वाकयाशो का परयोग सीखना क�ाहिनयो और पठन शलिकत का म�तव समझना इहित�ास और परपराओ क बार म जानना दहिवधाओ और समसयाओ क बार म समझ हिवकलिसत करना।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग बड बचचो क लिलए उपयकत पाठ का चयन करत समय आपको हिनमन पर धयान दना �ोगा:

रोमाचक आखयान और रोचक पातर नाटकीयता, सघष% और सकलप, यातरा या परिरवत%न �ासय या दिदलचसप सवाद बचचो को सोचन का अवसर म�तवपण% सदश।

ससा)न 4: क�ानी सनाना, गीत, रोल–पल और नाटक हिवदयाथd उस समय सबस अचछ ढग स सीखत � जब व लिशकषण क अनभव स सहिPय रप स जड �ोत �। दसरो क साथ परसपर सवाद और अपन हिवचारो को साझा करन स आपक हिवदयाथd अपनी समझ की ग�राई बढा सकत �। क�ानी सनाना, गीत, रोल–पल करना और नाटक कछ ऐसी हिवषटिधया �, जिजनका उपयोग पाठयPम क कई कषतरो म हिकया जा सकता �, जिजनम गभिणत और हिवजञान भी शाषटिमल �।

कथावाचनक�ाहिनया �मार जीवन को अथ%पण% बनान म मदद करती �। कई पारमपरिरक क�ाहिनया पीढी-दर-पीढी चली आ र�ी �। व �म तब सनाई गई जब �म छोट थ थी और �म जिजस समाज म पदा हए �, उसक कछ हिनयम व मानयताए समझाती �।

क�ाहिनया ककषा म बहत सशकत माधयम �ोती �: व:

मनोरजक, उतसा�वध%क व पररणादायक �ो सकती � �म रोजमरा% क जीवन स कलपना की दहिनया म ल जाती � चनौतीपण% �ो सकती � नए हिवचार सीखन की पररणा द सकती � भावनाओ को समझन म मदद कर सकती � समसयाओ क बार म उन सदभ� म सोचन म मदद करती � जो वासतहिवकता स दर

�ोन क कारण कम भयाव� परतीत �ोत �।

जब आप क�ाहिनया सनात �, तो सहिनभि�त कर हिक आप सनन वालो की आखो म दख। यदिद आप हिवभिभनन पातरो क लिलए भिभनन सवरो का उपयोग करत � और उदा�रण क लिलए उपयकत समय पर अपनी आवाज की तीवरता और सर को बदलकर �स�सात या लिचललात �, तो उन� आननद आएगा। क�ानी की परमख घटनाओ का अभयास कीजिजए ताहिक आप इस पसतक क हिबना सवय अपन शबदो म मौखिखक रप स सना सक । ककषा म क�ानी को मत% रप दन क लिलए आप वसतओ या कपडो जसी सामगरी भी ला सकत �। जब आप कोई नई क�ानी सनाए, तो उसका उददशय समझाना न भल और हिवदयारथिथGयो को इस बार म बताए हिक व कया सीख सकत �। आपको परमख शबदावली उन� बतानी �ोगी व क�ानी की मलभत सकलपनाओ क बार म उन� जागरक रखना �ोगा। आप कोई पारपरिरक क�ानी क�न वाला भी हिवदयालय म ला सकत �, लहिकन सहिन�त कर हिक जो सीखा जाना �, व� क�ानी क�न वाल व हिवदयारथिथGयो, दोनो को सप �ो।

क�ानी सनाना ‘सनन’ क अलावा भी हिवदयारथिथGयो की कई गहितहिवषटिधयो को परोतसाहि�त कर सकता �। हिवदयारथिथGयो स क�ानी म आए सभी रगो क नाम लिलखन, लिचतर बनान, परमख घटनाए याद करन, सवाद

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग बनान या अत को बदलन को क�ा जा सकता �। उन� सम�ो म हिवभाजिजत करक लिचतर या सामगरी दकर क�ानी को हिकसी और परिरपकषय म क�न को क�ा जा सकता �। हिकसी क�ानी का हिवशलषण करक, हिवदयारथिथGयो स कलपना म स तथय को अलग करन, हिकसी अदभत घटना क वजञाहिनक सप ीकरण पर चचा% करन या गभिणत क परशनो को �ल करन को क�ा जा सकता �।

हिवदयारथिथGयो स खद अपनी क�ानी बनान को क�ना बहत सशकत तरीका �। यदिद आप उन� काम करन क लिलए क�ानी का कोई ढाचा, सामगरी व भाषा दग, तो हिवदयाथd गभिणत व हिवजञान क जदिटल हिवचारो पर भी खद अपनी बनाई क�ाहिनया क� सकत �। वासतव म, व अपनी क�ाहिनयो की उपमाओ क माधयम हिवचारो स खलत �, अथ% का अनवषण करत � और कलपना को समझन योगय बनात �।

गीतककषा म गीत और सगीत क उपयोग स अलग अलग छातरो को योगदान करन, स�ल �ोन और उननहित करन का अवसर षटिमल सकता �। एक साथ षटिमलकर गान स जडाव बनता � और इसस सभी छातर खद को इसम शाषटिमल म�सस करत � कयोहिक य�ा धयान हिकसी एक वयलिकत क परदश%न पर क दि¢त न�ी �ोता। गीतो क सर और लय क कारण उन� याद रखना सरल �ोता � और इसस भाषा व बोलन क हिवकास म मदद षटिमलती �।

सभव � हिक आप खद क आतमहिवशवासी गायक न �ो, लहिकन हिनभि�त रप स आपकी ककषा म कछ अचछ गायक �ोग, जिजन� आप अपनी मदद क लिलए बला सकत �। आप गीत को जीवत बनान और सदश वयकत करन म स�ायता क लिलए गहितहिवषटिध और �ावभाव का उपयोग कर सकत �। आप उन गीतो का उपयोग कर सकत �, जो आपको मालम � और अपन उददशय क अनसार उनक शबदो म बदलाव कर सकत �। गीत जानकारी को याद करन और याद रखन का भी एक उपयोगी तरीका � – य�ा तक हिक सतरो और सलिचयो को भी एक गीत या कहिवता क रप म रखा जा सकता �। आपक छातर रिरवीजन क उददशय स गीत या भजन बनान योगय रचनातमक भी �ो सकत �।

रोल–पलरो–पल गहितहिवषटिध व� �, जिजसम छातर कोई भषटिमका हिनभात � और हिकसी छोट परिरदशय क दौरान, व उस भषटिमका म बोलत और अभिभनय करत �, तथा व जिजस पातर की भषटिमका हिनभा र� �, उसक वयव�ार और उददशयो को अपना लत �। इसक लिलए कोई सकिसPपट (पटकथा) न�ी दी जाती, लहिकन य� म�तवपण% � हिक छातरो को लिशकषक दवारा पया%पत जानकारी दी जाए, ताहिक व उस भषटिमका को समझ सक । भषटिमका हिनभान वाल छातरो को अपन हिवचारो और भावनाओ की तवरिरत अभिभवयलिकत क लिलए परोतसाहि�त हिकया जाना चाहि�ए।

रोल–पल क कई लाभ � कयोहिक:

इसम वासतहिवक जीवन की सथिसथहितयो पर हिवचार करक अनय लोगो की भावनाओ क परहित समझ हिवकलिसत की जाती �।

इसस हिनण%य लन का कौशल हिवकलिसत �ोता �। य� छातरो को सीखन की परहिPया म सहिPय रप स शाषटिमल करता � और सभी छातरो

को योगदान करन का अवसर षटिमलता �। य� हिवचारो क उचचतर सतर को परोतसाहि�त करता �।

भषटिमका हिनभान स छोट हिवदयारथिथGयो म अलग अलग सामाजिजक सथिसथहितयो म बात करन का आतमहिवशवास हिवकलिसत करन म मदद षटिमल सकती �, उदा�रण क लिलए हिकसी सटोर म खरीददारी करन, हिकसी

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग सथानीय समारक पर पय%टको को रासता दिदखान या एक दिटकट खरीदन का अभिभनय करना। आप कछ वसतओ और लिचहनो क दवारा सरल दशय तयार कर सकत �, जस ‘क�’, ‘डॉकटर का कलीहिनक’ या ‘गरज’। अपन छातरो स पछ, ‘य�ा कौन काम करता �?’, ‘व कया क�त �?’ और ‘�म उनस कया पछत �?’ उन� इन कषतरो की भषटिमकाओ म बातचीत करन क लिलए परोतसाहि�त कर तथा उनकी भाषा क उपयोग का अवलोकन कर।

नाटक करन स परान हिवदयारथिथGयो क जीवन क कौशलो का हिवकास �ो सकता �। उदा�रण क लिलए, ककषा म �ो सकता � हिक आप इस बात का पता लगा र� �ो हिक टकराव को हिकस परकार स खतम हिकया जाए। इसक बजाय अपन हिवदयालय या समदाय स कोई वासतहिवक घटना ल, आप इसी तर� क अनय हिकसी परिरदशय का वण%न कर सकत �, जिजसम य�ी समसया उजागर �ोती �ो। छातरो को भषटिमकाए आवदिटत कर या उन� अपनी भषटिमकाए खद चनन को क�। आप उन� योजना बनान का समय द सकत � या उनस तरत रोल–पल करन को क� सकत �। रोल–पल करन की परसतहित परी ककषा को दी जा सकती � या छातर छोट सम�ो म भी काय% कर सकत �, ताहिक हिकसी एक सम� पर धयान क दि¢त न र�। धयान द हिक इस गहितहिवषटिध का उददशय भषटिमका हिनभान का अनभव लना और इसका अथ% समझाना �; आप उतक अभिभनय परदश%न या बॉलीवड क अभिभनय परसकारो क लिलए अभिभनता न�ी ढढ र� �।

रोल–पल का उपयोग हिवजञान और गभिणत म करना सभव भी �। छातर अणओ क वयव�ार की नकल कर सकत �, और एक-दसर स सपक% क दौरान कणो की हिवशषताओ का वण%न कर सकत � या उनक वयव�ार को बदलकर ऊषमा या परकाश क परभाव को दशा% सकत �। गभिणत म, छातर कोणो या आकहितयो की भषटिमका हिनभाकर उनक गणो और सयोजनो को खोज सकत �।

नाटकककषा म नाटक का उपयोग अषटिधकतर हिवदयारथिथGयो को पररिरत करन क लिलए एक अचछी रणनीहित �। नाटक कौशलो और आतमहिवशवास का हिनमा%ण करता �, और उसका उपयोग हिवषय क बार म आपक छातरो की समझ का आकलन करन क लिलए भी हिकया जा सकता �। उदा�रण क लिलए, य� दिदखान क लिलए हिक सदश हिकस परकार स मसतिसतषक स कानो, आखो, नाक, �ाथो और म� तक जात � और व�ा स हि�र वापस आत �, टली�ोनो का उपयोग करक मसतिसतषक हिकस परकार काम करता � इसक बार म अपनी समझ पर एक नाटक हिकया गया। या सखयाओ को घटान क तरीक को भल जान क भयानक परिरणामो पर एक लघ, मजदार नाटक यवा छातरो क मन म स�ी पदधहितयो को सथाहिपत कर सकता �।

नाटक परायः शष ककषा, सकल क लिलए या अभिभभावको और सथानीय समदाय क समकष परसतहितकरण क लिलए �ोता �। इसस हिवदयारथिथGयो को एक लकषय क लिलए काम करन की पररणा षटिमलती �। नाटक तयार करन की रचनातमक परहिPया स समची ककषा को जोडा जाना चाहि�ए। य� जररी � हिक आतमहिवशवास क सतरो क अतरो को धयान म रखा जाय। �र एक वयलिकत का अभिभनता �ोना जररी न�ी �; छातर अनय तरीको स भी योगदान द सकत � (सयोजन करना, वशभषा, मच सजजा व सामगरी, मच पर स�ायता) जो उनकी परहितभा और वयलिकततव स अषटिधक नजदीक स सबदध �ो।

य� हिवचार करना आवशयक � हिक अपन छातरो क सीखन म मदद करन क लिलए आप नाटक का उपयोग कयो कर र� �। कया य� भाषा हिवकलिसत करन (उदा. परशन पछना और उततर दना), हिवषय क जञान (उदा. खनन का पया%वरणातमक परभाव), या हिवलिश कौशलो (उदा. टीम वक% ) का हिनमा%ण करन क लिलए �? सावधानी बरत हिक परसतहितकरण को लकषय बनात बनात क�ी ‘सीखन’ क उददशय की अव�लना तो न�ी �ो गई।

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

अहितरिरकत ससा)न There are a number of fiction and non-fiction books for children in the

NCERT catalogue, in both Hindi and English, which may be used in activities similar to those described in this unit: http://www.ncert.nic.in/publication/children_books/children_books.html

A list of children’s literature recommended by the Department of Elementary Education in both Hindi and English can be found here on their website: http://www.ncert.nic.in/departments/nie/dee/publication/Print_Material.html

Other organisations producing literature for children include Room to Read India ( http://www.roomtoread.org/Page.aspx?pid=304 ) and Pratham Books ( http://www.prathamusa.org/programs/library , http://blog.prathambooks.org/2010/10/childrens-literature-from-india-and.html )

Traditional Indian stories: http://www.indiaparenting.com/stories/index.shtml#77

Indian fables: http://excellup.com/kidsImage/panchtantra/panchatantra_list.aspx

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

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Cremin, T., Mottram, M., Collins, F., Powell, S. and Safford, K. (2009) Teachers as Readers: Building Communities of Readers 2007-08 Executive Summary . The United Kingdom Literacy Association. Available from: http://www.ukla.org/downloads/teachers_as_readers.pdf (accessed 18 November 2014).

Dasgupta A. (1995) Telling Tales: Children’s Literature in India . London: Taylor and Francis.

Duursma, E., Augustyn, M., Zuckerman, B. (2008) ‘Reading aloud to children: the evidence’, Archives of Disease in Childhood , vol. 93, no. 7, pp. 554–7. Available from: http://www.reachoutandread.org/FileRepository/ReadingAloudtoChildren_ADC_July2008.pdf (accessed 18 November 2014).

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बाल-साहि�तय को जानना और उसका उपयोग

Acknowledgements

अभिभसवीकहितयाततीय पकष की सामहिगरयो और अनयथा कलिथत को छोडकर, य� सामगरी हिPएदिटव कॉमनस एदि¦बयशन-शयरएलाइक लाइसस क अतग%त उपलबध कराई गई � ( http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0/ ). । नीच दी गई सामगरी मालिलकाना �क की � तथा इस परिरयोजना क लिलए लाइसस क अतग%त �ी उपयोग की गई �, तथा इसका Creative Commons लाइसस स कोई वासता न�ी �। इसका अथ% य� � हिक इस सामगरी का उपयोग अनकलिलत रप स कवल TESS-India परिरयोजना क भीतर हिकया जा सकता � और हिकसी भी बाद क OER ससकरणो म न�ी। इसम TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शाषटिमल �।

इस यहिनट म सामगरी को पनः परसतत करन की अनमहित क लिलए हिनमन सरोतो का कतजञतापण% आभार:

ससाधन 1: एनयअल �यरकट ड, लखक नोनी, लिचतर एजी और उपश, © परथम बकस। http://creativecommons.org/licenses/by-nc-sa/2.5/in/ . क अधीन उपलबध कराया गया

कॉपीराइट क सवाषटिमयो स सपक% करन का �र परयास हिकया गया �। यदिद हिकसी को अनजान म अनदखा कर दिदया गया �, तो प�ला अवसर षटिमलत �ी परकाशको को आवशयक वयवसथाए करन म �ष% �ोगा।

वीहिडयो (वीहिडयो नविसटलस सहि�त): भारत भर क उन अधयापक लिशकषको, मखयाधयापको, अधयापको और छातरो क परहित आभार परकट हिकया जाता � जिजन�ोन उतपादनो म दिद ओपन यहिनवरथिसGटी क साथ काम हिकया �।

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