एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद...

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विचार की खेतजेस एलेन क , एस द मैन थथके थका हिदी अन िदास क

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Page 1: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

विचारो की खती जमस एलन कत lsquoएस द मन थथिकथrsquo

का हिनदी अनिाद

दास कषण

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विचारो की खती विशि परसिदध जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo का हिनदी अनिाद

परिार माधयम म नततक परततबनधता

कापीराइट मकत उततरदातयति मकत

अलौककक विचारो क शबदाितार यि परसतत गरनथ दान रप म िििार को िमवपित ि मौसलक परतत इनटरनट पर उपलबध ि लखक को मलय निीि चाहिए ककनत मौसलकता की कषतत न िोन पाए इि सलए इिकी अपररितिनीय ससथतत और परिता को बनाय रख िदभाि म ककिी को भी इिक परकाशन और वितरर ित ककिी अनमतत की आिशयकता निीि ि यि िकतवय lsquoनततक परततबनधrsquo मल गरिथ का एक भाग ि

लखक को उन शबदानरागी परकाशको की िचना अपकषकषत तो ि ककनत आिशयक निीि इिक परकाशन परचार सशकषा और वितरर कायि म वयाििातयक काररो ि मलय का कोई भी तनरिय परकाशक ल िक ग परकाशक इिका उपयोग ककिी िसत या ििगठन क विजञापन क सलए निीि कर िक ग

lsquoएि द मन थथिकथrsquo हिनदी अनिाद क लखक

दाि कषर (कषर गोपाल समशर )

kgkgmisracom qualitymetergmailcom

टलीफोन 093 124 01 302 [भारत म]

कषर धाम 735 िकटर 39 यतनटक िाइबर पाकि क तनकट

गड़गााि 122002 भारत

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दास कषण का जमस ऐलन की उपासना क शबद

lsquoएि द मन थथिकथrsquo नाम का यि गरिथ जमि एलन दिारा िौ िरि पिि सलखा गया और यि दतनया भर म लाखो वयसकतयो का परररा-शरोत बन उनक आसतमक विकाि को विशर रप ि परभावित करता रिा ि

भगित गीता क 13 ि खिड कषतर और कषतरजञ अथाित खत और खततिर (जो खती करता ि) का सजतना ििदर और रोचक वयाखया जमि एलन न की ि िि अदभत ि इि गरिथ को पढ़न और उि अपन शबदो म पनः सलखन क इि अििर न मझ जमि एलन क िभिशाली और विशाल मन म रिन और उनक िमीपता का अििाि सजि उपािना कित ि ि मझ अभतपिि परिननता िो रिी ि यि गरिथ िि दिार ि सजिि जीिन बदलत दर निीि लगती

नामिन विनिट पल आलि नाइटगल डतनि ितल और अनथोनी राबबनि जि ततकालीन लखक और विचारक उनम शासमल ि जो कक इि पसतक ि परररत ि

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आतमा िभी जीिो म एक िी ि जबकक िर एक जीि इि जगत म मन और शरीर जो पराकततक उपकरर ि को जानन की चषटा और उिका उपयोग ि सजन उददशयो क सलय करत ि उनि िी ि परसपर सभनन हदखत ि अभौततक मन (िॉफटिर) और भौततक शरीर (िाडििर) दोनो िी पराकततक सिदधानत ि तनसमित तति ि और इन दोनो ि समल कर बन कमपटर की कषमता चाि ककतनी भी कयो न िो जब तक उि चलान का कोई तनरिय न ल िि अपन आप निीि चल िकता तनरिय लन िाला और सजिक उददशय िो ििी आतमा ि जीि ििी आतमाय ि जो अपन-अपन मन और शारीररक उपकररो ि िोन िाल कमि ि इि िमपरि जगत को जीवित बना और चला रिी ि

िभी कमि विचारो की खती ि आतमा मन क खत म विचारो क बीज बोती ि और उिी ि फल चाि अचछ या बर उि समलत ि पराकततक तनयम िभी काल म एक िी ि और बदल निीि जा िकत इिसलए ि अनयाय निीि कर िकत जीि का िख-दख और ििबिध उिक अपन िी तनरिय और मन म बोय विचारो क चनाि पर िी तनभिर ि और उिका अपन विरम पररससथततयो क सलय ककिी दिर को दोर दना तनरथिक ि िि अपन विचारो को यहद ठीक कर द तो ि पररससथततयाा निीि िोगी पराकततक तनयम पर ससथत िििार (पररिार क ििबिध वयाििातयक-िामासजक वयिसथा िजञातनक जञान और आधयसतमक अपनापन) को इि तरि जब जिा चाि बदला जा िकता ि

विचारो का शरोत परम-आतमा आतमा की िि ससथतत ि जब मन शानत िो चका ि और जीि अलग अलग कमो क रिसय अथाित पराकततक किया-परततकिया को जान तपत और ििज ि

विचारो की खती िी जीिो का कमि ि जो िािधानी ि करना चाहिए कयोकक विचार िी िसषट क बीज ि और जिा िम बोयग ििी िम काटत ि अपन िी विचारो की खती ि जीि इि िििार म िो रि िसषट-पररितिन और िमापन को िमझता ि और इचछाओि को िमझ उिि

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पर िोन पर िी उि मन की शाितत या आतम-बोध की उपलसबध िो पाती ि

उठि राम भिजि भि चापा मटि तात जनक पररतापा 3253 बाल काणड

ऋवर विशिासमतर शरी राम ि कित ि की ि राम अपन शभ विचारो ि तम सशि तनसमित इि िििार रपी यनतर को ििी ससथतत म ला दो सजिि विरम पररससथततयो को जो यिाा उपससथत ि और परकतत जो इनका जनक ि उनकी थचिता दर िो

दाि कषर

गर पररिमा 22 जलाई 2013

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lsquoएस द मन थथिकथrsquo - जमस एलन

पराथिना

विचार और चररतर

िमार विचार बािरी पररससथततयाि

विचारो का सिासय और शरीर पर परभाि

विचारो क खती का उददशयपरि िोना

विचार और बदलाि

सिपन दषटा आदशि दशय और िाकार जगत

परशानत मन

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पराथथना [परथम शबद] - जमस एलन

यि छोटी िी परसततत जो मर धयान और अनभि का फल ि विचार की उन अिीसमत शसकतयो क वयाखया क सलए निीि ि जो पहिल ि िी बित सलखा जा चका ि यि एक ििायता भर ि न कक जञान क विसतार का परयतन इिका लकषय ि कक लोगो को इि ितय की खोज और उिक अनभि कक ि सियि िी अपन तनमािता ि क सलए परोतिाहित ककया जाय

अपन िी चन िए विचारो क परोतिािन ि मन एक जलाि की तरि इन धागो ि इि शरीर क सलए उिका चररतर नाम का एक आितररक कपडा बनता ि और बािर क सलए पररससथततयो क नाम ि एक अलग कपडा बनता ि इन कपडो क िोत िए भी अजञानता और ददि ििन िाल इि ितय को जान यहद चाि तो अपन सलए आहलाद और परिननता का चनाि कर िकत ि

अिाधारर राजा का चररतर भी अिाधारर िोता ि और इि अिाधारर चररतर क किच क कारर उनि कभी डर निीि लग िकता

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1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

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बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 2: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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विचारो की खती विशि परसिदध जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo का हिनदी अनिाद

परिार माधयम म नततक परततबनधता

कापीराइट मकत उततरदातयति मकत

अलौककक विचारो क शबदाितार यि परसतत गरनथ दान रप म िििार को िमवपित ि मौसलक परतत इनटरनट पर उपलबध ि लखक को मलय निीि चाहिए ककनत मौसलकता की कषतत न िोन पाए इि सलए इिकी अपररितिनीय ससथतत और परिता को बनाय रख िदभाि म ककिी को भी इिक परकाशन और वितरर ित ककिी अनमतत की आिशयकता निीि ि यि िकतवय lsquoनततक परततबनधrsquo मल गरिथ का एक भाग ि

लखक को उन शबदानरागी परकाशको की िचना अपकषकषत तो ि ककनत आिशयक निीि इिक परकाशन परचार सशकषा और वितरर कायि म वयाििातयक काररो ि मलय का कोई भी तनरिय परकाशक ल िक ग परकाशक इिका उपयोग ककिी िसत या ििगठन क विजञापन क सलए निीि कर िक ग

lsquoएि द मन थथिकथrsquo हिनदी अनिाद क लखक

दाि कषर (कषर गोपाल समशर )

kgkgmisracom qualitymetergmailcom

टलीफोन 093 124 01 302 [भारत म]

कषर धाम 735 िकटर 39 यतनटक िाइबर पाकि क तनकट

गड़गााि 122002 भारत

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दास कषण का जमस ऐलन की उपासना क शबद

lsquoएि द मन थथिकथrsquo नाम का यि गरिथ जमि एलन दिारा िौ िरि पिि सलखा गया और यि दतनया भर म लाखो वयसकतयो का परररा-शरोत बन उनक आसतमक विकाि को विशर रप ि परभावित करता रिा ि

भगित गीता क 13 ि खिड कषतर और कषतरजञ अथाित खत और खततिर (जो खती करता ि) का सजतना ििदर और रोचक वयाखया जमि एलन न की ि िि अदभत ि इि गरिथ को पढ़न और उि अपन शबदो म पनः सलखन क इि अििर न मझ जमि एलन क िभिशाली और विशाल मन म रिन और उनक िमीपता का अििाि सजि उपािना कित ि ि मझ अभतपिि परिननता िो रिी ि यि गरिथ िि दिार ि सजिि जीिन बदलत दर निीि लगती

नामिन विनिट पल आलि नाइटगल डतनि ितल और अनथोनी राबबनि जि ततकालीन लखक और विचारक उनम शासमल ि जो कक इि पसतक ि परररत ि

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आतमा िभी जीिो म एक िी ि जबकक िर एक जीि इि जगत म मन और शरीर जो पराकततक उपकरर ि को जानन की चषटा और उिका उपयोग ि सजन उददशयो क सलय करत ि उनि िी ि परसपर सभनन हदखत ि अभौततक मन (िॉफटिर) और भौततक शरीर (िाडििर) दोनो िी पराकततक सिदधानत ि तनसमित तति ि और इन दोनो ि समल कर बन कमपटर की कषमता चाि ककतनी भी कयो न िो जब तक उि चलान का कोई तनरिय न ल िि अपन आप निीि चल िकता तनरिय लन िाला और सजिक उददशय िो ििी आतमा ि जीि ििी आतमाय ि जो अपन-अपन मन और शारीररक उपकररो ि िोन िाल कमि ि इि िमपरि जगत को जीवित बना और चला रिी ि

िभी कमि विचारो की खती ि आतमा मन क खत म विचारो क बीज बोती ि और उिी ि फल चाि अचछ या बर उि समलत ि पराकततक तनयम िभी काल म एक िी ि और बदल निीि जा िकत इिसलए ि अनयाय निीि कर िकत जीि का िख-दख और ििबिध उिक अपन िी तनरिय और मन म बोय विचारो क चनाि पर िी तनभिर ि और उिका अपन विरम पररससथततयो क सलय ककिी दिर को दोर दना तनरथिक ि िि अपन विचारो को यहद ठीक कर द तो ि पररससथततयाा निीि िोगी पराकततक तनयम पर ससथत िििार (पररिार क ििबिध वयाििातयक-िामासजक वयिसथा िजञातनक जञान और आधयसतमक अपनापन) को इि तरि जब जिा चाि बदला जा िकता ि

विचारो का शरोत परम-आतमा आतमा की िि ससथतत ि जब मन शानत िो चका ि और जीि अलग अलग कमो क रिसय अथाित पराकततक किया-परततकिया को जान तपत और ििज ि

विचारो की खती िी जीिो का कमि ि जो िािधानी ि करना चाहिए कयोकक विचार िी िसषट क बीज ि और जिा िम बोयग ििी िम काटत ि अपन िी विचारो की खती ि जीि इि िििार म िो रि िसषट-पररितिन और िमापन को िमझता ि और इचछाओि को िमझ उिि

3

पर िोन पर िी उि मन की शाितत या आतम-बोध की उपलसबध िो पाती ि

उठि राम भिजि भि चापा मटि तात जनक पररतापा 3253 बाल काणड

ऋवर विशिासमतर शरी राम ि कित ि की ि राम अपन शभ विचारो ि तम सशि तनसमित इि िििार रपी यनतर को ििी ससथतत म ला दो सजिि विरम पररससथततयो को जो यिाा उपससथत ि और परकतत जो इनका जनक ि उनकी थचिता दर िो

दाि कषर

गर पररिमा 22 जलाई 2013

4

lsquoएस द मन थथिकथrsquo - जमस एलन

पराथिना

विचार और चररतर

िमार विचार बािरी पररससथततयाि

विचारो का सिासय और शरीर पर परभाि

विचारो क खती का उददशयपरि िोना

विचार और बदलाि

सिपन दषटा आदशि दशय और िाकार जगत

परशानत मन

5

पराथथना [परथम शबद] - जमस एलन

यि छोटी िी परसततत जो मर धयान और अनभि का फल ि विचार की उन अिीसमत शसकतयो क वयाखया क सलए निीि ि जो पहिल ि िी बित सलखा जा चका ि यि एक ििायता भर ि न कक जञान क विसतार का परयतन इिका लकषय ि कक लोगो को इि ितय की खोज और उिक अनभि कक ि सियि िी अपन तनमािता ि क सलए परोतिाहित ककया जाय

अपन िी चन िए विचारो क परोतिािन ि मन एक जलाि की तरि इन धागो ि इि शरीर क सलए उिका चररतर नाम का एक आितररक कपडा बनता ि और बािर क सलए पररससथततयो क नाम ि एक अलग कपडा बनता ि इन कपडो क िोत िए भी अजञानता और ददि ििन िाल इि ितय को जान यहद चाि तो अपन सलए आहलाद और परिननता का चनाि कर िकत ि

अिाधारर राजा का चररतर भी अिाधारर िोता ि और इि अिाधारर चररतर क किच क कारर उनि कभी डर निीि लग िकता

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1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

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बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 3: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

1

दास कषण का जमस ऐलन की उपासना क शबद

lsquoएि द मन थथिकथrsquo नाम का यि गरिथ जमि एलन दिारा िौ िरि पिि सलखा गया और यि दतनया भर म लाखो वयसकतयो का परररा-शरोत बन उनक आसतमक विकाि को विशर रप ि परभावित करता रिा ि

भगित गीता क 13 ि खिड कषतर और कषतरजञ अथाित खत और खततिर (जो खती करता ि) का सजतना ििदर और रोचक वयाखया जमि एलन न की ि िि अदभत ि इि गरिथ को पढ़न और उि अपन शबदो म पनः सलखन क इि अििर न मझ जमि एलन क िभिशाली और विशाल मन म रिन और उनक िमीपता का अििाि सजि उपािना कित ि ि मझ अभतपिि परिननता िो रिी ि यि गरिथ िि दिार ि सजिि जीिन बदलत दर निीि लगती

नामिन विनिट पल आलि नाइटगल डतनि ितल और अनथोनी राबबनि जि ततकालीन लखक और विचारक उनम शासमल ि जो कक इि पसतक ि परररत ि

2

आतमा िभी जीिो म एक िी ि जबकक िर एक जीि इि जगत म मन और शरीर जो पराकततक उपकरर ि को जानन की चषटा और उिका उपयोग ि सजन उददशयो क सलय करत ि उनि िी ि परसपर सभनन हदखत ि अभौततक मन (िॉफटिर) और भौततक शरीर (िाडििर) दोनो िी पराकततक सिदधानत ि तनसमित तति ि और इन दोनो ि समल कर बन कमपटर की कषमता चाि ककतनी भी कयो न िो जब तक उि चलान का कोई तनरिय न ल िि अपन आप निीि चल िकता तनरिय लन िाला और सजिक उददशय िो ििी आतमा ि जीि ििी आतमाय ि जो अपन-अपन मन और शारीररक उपकररो ि िोन िाल कमि ि इि िमपरि जगत को जीवित बना और चला रिी ि

िभी कमि विचारो की खती ि आतमा मन क खत म विचारो क बीज बोती ि और उिी ि फल चाि अचछ या बर उि समलत ि पराकततक तनयम िभी काल म एक िी ि और बदल निीि जा िकत इिसलए ि अनयाय निीि कर िकत जीि का िख-दख और ििबिध उिक अपन िी तनरिय और मन म बोय विचारो क चनाि पर िी तनभिर ि और उिका अपन विरम पररससथततयो क सलय ककिी दिर को दोर दना तनरथिक ि िि अपन विचारो को यहद ठीक कर द तो ि पररससथततयाा निीि िोगी पराकततक तनयम पर ससथत िििार (पररिार क ििबिध वयाििातयक-िामासजक वयिसथा िजञातनक जञान और आधयसतमक अपनापन) को इि तरि जब जिा चाि बदला जा िकता ि

विचारो का शरोत परम-आतमा आतमा की िि ससथतत ि जब मन शानत िो चका ि और जीि अलग अलग कमो क रिसय अथाित पराकततक किया-परततकिया को जान तपत और ििज ि

विचारो की खती िी जीिो का कमि ि जो िािधानी ि करना चाहिए कयोकक विचार िी िसषट क बीज ि और जिा िम बोयग ििी िम काटत ि अपन िी विचारो की खती ि जीि इि िििार म िो रि िसषट-पररितिन और िमापन को िमझता ि और इचछाओि को िमझ उिि

3

पर िोन पर िी उि मन की शाितत या आतम-बोध की उपलसबध िो पाती ि

उठि राम भिजि भि चापा मटि तात जनक पररतापा 3253 बाल काणड

ऋवर विशिासमतर शरी राम ि कित ि की ि राम अपन शभ विचारो ि तम सशि तनसमित इि िििार रपी यनतर को ििी ससथतत म ला दो सजिि विरम पररससथततयो को जो यिाा उपससथत ि और परकतत जो इनका जनक ि उनकी थचिता दर िो

दाि कषर

गर पररिमा 22 जलाई 2013

4

lsquoएस द मन थथिकथrsquo - जमस एलन

पराथिना

विचार और चररतर

िमार विचार बािरी पररससथततयाि

विचारो का सिासय और शरीर पर परभाि

विचारो क खती का उददशयपरि िोना

विचार और बदलाि

सिपन दषटा आदशि दशय और िाकार जगत

परशानत मन

5

पराथथना [परथम शबद] - जमस एलन

यि छोटी िी परसततत जो मर धयान और अनभि का फल ि विचार की उन अिीसमत शसकतयो क वयाखया क सलए निीि ि जो पहिल ि िी बित सलखा जा चका ि यि एक ििायता भर ि न कक जञान क विसतार का परयतन इिका लकषय ि कक लोगो को इि ितय की खोज और उिक अनभि कक ि सियि िी अपन तनमािता ि क सलए परोतिाहित ककया जाय

अपन िी चन िए विचारो क परोतिािन ि मन एक जलाि की तरि इन धागो ि इि शरीर क सलए उिका चररतर नाम का एक आितररक कपडा बनता ि और बािर क सलए पररससथततयो क नाम ि एक अलग कपडा बनता ि इन कपडो क िोत िए भी अजञानता और ददि ििन िाल इि ितय को जान यहद चाि तो अपन सलए आहलाद और परिननता का चनाि कर िकत ि

अिाधारर राजा का चररतर भी अिाधारर िोता ि और इि अिाधारर चररतर क किच क कारर उनि कभी डर निीि लग िकता

6

1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

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बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 4: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

2

आतमा िभी जीिो म एक िी ि जबकक िर एक जीि इि जगत म मन और शरीर जो पराकततक उपकरर ि को जानन की चषटा और उिका उपयोग ि सजन उददशयो क सलय करत ि उनि िी ि परसपर सभनन हदखत ि अभौततक मन (िॉफटिर) और भौततक शरीर (िाडििर) दोनो िी पराकततक सिदधानत ि तनसमित तति ि और इन दोनो ि समल कर बन कमपटर की कषमता चाि ककतनी भी कयो न िो जब तक उि चलान का कोई तनरिय न ल िि अपन आप निीि चल िकता तनरिय लन िाला और सजिक उददशय िो ििी आतमा ि जीि ििी आतमाय ि जो अपन-अपन मन और शारीररक उपकररो ि िोन िाल कमि ि इि िमपरि जगत को जीवित बना और चला रिी ि

िभी कमि विचारो की खती ि आतमा मन क खत म विचारो क बीज बोती ि और उिी ि फल चाि अचछ या बर उि समलत ि पराकततक तनयम िभी काल म एक िी ि और बदल निीि जा िकत इिसलए ि अनयाय निीि कर िकत जीि का िख-दख और ििबिध उिक अपन िी तनरिय और मन म बोय विचारो क चनाि पर िी तनभिर ि और उिका अपन विरम पररससथततयो क सलय ककिी दिर को दोर दना तनरथिक ि िि अपन विचारो को यहद ठीक कर द तो ि पररससथततयाा निीि िोगी पराकततक तनयम पर ससथत िििार (पररिार क ििबिध वयाििातयक-िामासजक वयिसथा िजञातनक जञान और आधयसतमक अपनापन) को इि तरि जब जिा चाि बदला जा िकता ि

विचारो का शरोत परम-आतमा आतमा की िि ससथतत ि जब मन शानत िो चका ि और जीि अलग अलग कमो क रिसय अथाित पराकततक किया-परततकिया को जान तपत और ििज ि

विचारो की खती िी जीिो का कमि ि जो िािधानी ि करना चाहिए कयोकक विचार िी िसषट क बीज ि और जिा िम बोयग ििी िम काटत ि अपन िी विचारो की खती ि जीि इि िििार म िो रि िसषट-पररितिन और िमापन को िमझता ि और इचछाओि को िमझ उिि

3

पर िोन पर िी उि मन की शाितत या आतम-बोध की उपलसबध िो पाती ि

उठि राम भिजि भि चापा मटि तात जनक पररतापा 3253 बाल काणड

ऋवर विशिासमतर शरी राम ि कित ि की ि राम अपन शभ विचारो ि तम सशि तनसमित इि िििार रपी यनतर को ििी ससथतत म ला दो सजिि विरम पररससथततयो को जो यिाा उपससथत ि और परकतत जो इनका जनक ि उनकी थचिता दर िो

दाि कषर

गर पररिमा 22 जलाई 2013

4

lsquoएस द मन थथिकथrsquo - जमस एलन

पराथिना

विचार और चररतर

िमार विचार बािरी पररससथततयाि

विचारो का सिासय और शरीर पर परभाि

विचारो क खती का उददशयपरि िोना

विचार और बदलाि

सिपन दषटा आदशि दशय और िाकार जगत

परशानत मन

5

पराथथना [परथम शबद] - जमस एलन

यि छोटी िी परसततत जो मर धयान और अनभि का फल ि विचार की उन अिीसमत शसकतयो क वयाखया क सलए निीि ि जो पहिल ि िी बित सलखा जा चका ि यि एक ििायता भर ि न कक जञान क विसतार का परयतन इिका लकषय ि कक लोगो को इि ितय की खोज और उिक अनभि कक ि सियि िी अपन तनमािता ि क सलए परोतिाहित ककया जाय

अपन िी चन िए विचारो क परोतिािन ि मन एक जलाि की तरि इन धागो ि इि शरीर क सलए उिका चररतर नाम का एक आितररक कपडा बनता ि और बािर क सलए पररससथततयो क नाम ि एक अलग कपडा बनता ि इन कपडो क िोत िए भी अजञानता और ददि ििन िाल इि ितय को जान यहद चाि तो अपन सलए आहलाद और परिननता का चनाि कर िकत ि

अिाधारर राजा का चररतर भी अिाधारर िोता ि और इि अिाधारर चररतर क किच क कारर उनि कभी डर निीि लग िकता

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1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

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बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 5: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

3

पर िोन पर िी उि मन की शाितत या आतम-बोध की उपलसबध िो पाती ि

उठि राम भिजि भि चापा मटि तात जनक पररतापा 3253 बाल काणड

ऋवर विशिासमतर शरी राम ि कित ि की ि राम अपन शभ विचारो ि तम सशि तनसमित इि िििार रपी यनतर को ििी ससथतत म ला दो सजिि विरम पररससथततयो को जो यिाा उपससथत ि और परकतत जो इनका जनक ि उनकी थचिता दर िो

दाि कषर

गर पररिमा 22 जलाई 2013

4

lsquoएस द मन थथिकथrsquo - जमस एलन

पराथिना

विचार और चररतर

िमार विचार बािरी पररससथततयाि

विचारो का सिासय और शरीर पर परभाि

विचारो क खती का उददशयपरि िोना

विचार और बदलाि

सिपन दषटा आदशि दशय और िाकार जगत

परशानत मन

5

पराथथना [परथम शबद] - जमस एलन

यि छोटी िी परसततत जो मर धयान और अनभि का फल ि विचार की उन अिीसमत शसकतयो क वयाखया क सलए निीि ि जो पहिल ि िी बित सलखा जा चका ि यि एक ििायता भर ि न कक जञान क विसतार का परयतन इिका लकषय ि कक लोगो को इि ितय की खोज और उिक अनभि कक ि सियि िी अपन तनमािता ि क सलए परोतिाहित ककया जाय

अपन िी चन िए विचारो क परोतिािन ि मन एक जलाि की तरि इन धागो ि इि शरीर क सलए उिका चररतर नाम का एक आितररक कपडा बनता ि और बािर क सलए पररससथततयो क नाम ि एक अलग कपडा बनता ि इन कपडो क िोत िए भी अजञानता और ददि ििन िाल इि ितय को जान यहद चाि तो अपन सलए आहलाद और परिननता का चनाि कर िकत ि

अिाधारर राजा का चररतर भी अिाधारर िोता ि और इि अिाधारर चररतर क किच क कारर उनि कभी डर निीि लग िकता

6

1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

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बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 6: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

4

lsquoएस द मन थथिकथrsquo - जमस एलन

पराथिना

विचार और चररतर

िमार विचार बािरी पररससथततयाि

विचारो का सिासय और शरीर पर परभाि

विचारो क खती का उददशयपरि िोना

विचार और बदलाि

सिपन दषटा आदशि दशय और िाकार जगत

परशानत मन

5

पराथथना [परथम शबद] - जमस एलन

यि छोटी िी परसततत जो मर धयान और अनभि का फल ि विचार की उन अिीसमत शसकतयो क वयाखया क सलए निीि ि जो पहिल ि िी बित सलखा जा चका ि यि एक ििायता भर ि न कक जञान क विसतार का परयतन इिका लकषय ि कक लोगो को इि ितय की खोज और उिक अनभि कक ि सियि िी अपन तनमािता ि क सलए परोतिाहित ककया जाय

अपन िी चन िए विचारो क परोतिािन ि मन एक जलाि की तरि इन धागो ि इि शरीर क सलए उिका चररतर नाम का एक आितररक कपडा बनता ि और बािर क सलए पररससथततयो क नाम ि एक अलग कपडा बनता ि इन कपडो क िोत िए भी अजञानता और ददि ििन िाल इि ितय को जान यहद चाि तो अपन सलए आहलाद और परिननता का चनाि कर िकत ि

अिाधारर राजा का चररतर भी अिाधारर िोता ि और इि अिाधारर चररतर क किच क कारर उनि कभी डर निीि लग िकता

6

1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

7

बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 7: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

5

पराथथना [परथम शबद] - जमस एलन

यि छोटी िी परसततत जो मर धयान और अनभि का फल ि विचार की उन अिीसमत शसकतयो क वयाखया क सलए निीि ि जो पहिल ि िी बित सलखा जा चका ि यि एक ििायता भर ि न कक जञान क विसतार का परयतन इिका लकषय ि कक लोगो को इि ितय की खोज और उिक अनभि कक ि सियि िी अपन तनमािता ि क सलए परोतिाहित ककया जाय

अपन िी चन िए विचारो क परोतिािन ि मन एक जलाि की तरि इन धागो ि इि शरीर क सलए उिका चररतर नाम का एक आितररक कपडा बनता ि और बािर क सलए पररससथततयो क नाम ि एक अलग कपडा बनता ि इन कपडो क िोत िए भी अजञानता और ददि ििन िाल इि ितय को जान यहद चाि तो अपन सलए आहलाद और परिननता का चनाि कर िकत ि

अिाधारर राजा का चररतर भी अिाधारर िोता ि और इि अिाधारर चररतर क किच क कारर उनि कभी डर निीि लग िकता

6

1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

7

बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 8: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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1 विचार और चररतर

जिा एक मनषय का मन िोचता ि ििी िि बन जाता जाता ि यि अितजञािन वयसकत क िमच अससतति को िी निीि बसलक इतना वयापक ि कक उिि िर एक मानसिक दशा और जीिन की िभी पररससथततयो को िमझा जा िकता ि मनषय िसततः ििी ि जो उि उिकी िोच बनाती ि और चररतर उिक िभी विचारो का एक जोड़ ि

जि कोई भी पौधा जो हदखता ि बबना बीज क निीि िो िकता इिी तरि मनषय का िर एक परयतन ककिी न ककिी विचार क छप िए बीज क बबना ििभि निीि ि यि दोनो अिसथा म बराबर ि चाि अचानक या बबना िोच िए िआ िो या जान बझ कर ककय गए िो

कमि विचारो क बीज ि बना एक पौध ि और परिननता या रोग उनक िी फल इि सलए मनषय को परापत िोन िाला मीठा या कडआ फल

उिक अपन िी बाग की खती ि ि

मन क विचार िम बनात ि जो भी िम ि विचारो दिारा पकाए गए और तनसमित

यहद विचारो म शतानी ि तो ददि तो िोगा जि पहिय आग िो और बल उि गाडी को पीछ ि धकलता िो

जो विचारो की शदधता क सलए परयतनशील ि तनसशचत ि कक आसतमक आनिद परछाई की तरि उिका पीछा निीि छोड़ता

मनषय क विकाि को तनधािररत करन िाला यि एक शाशित सिदधाित ि

कोई आकससमक चमतकार निीि कारर और उिक परभाि की परसपर तनभिरता उतनी िी ितय और शाशित मन क विचारो म िोती ि सजतना कक िाधारर हदखन िाल घटनाओि या पदाथो म धयान रि एक शरषठ और ईशिरीय चररतर को पाना ककिी भागय या कपा का फल निीि िोता

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बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 9: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

7

बसलक यि तनरितर ककय गए ििी िोच का एक अिशयमभािी पररराम

और ईशिर क शदध विचारो क िाथ परम पििक रिन का परभाि ि एक आदशि और शदध चररतर विचारो की इि खती म लगी तनरितर एकागरता और मिनत का फल ि

मनषय िी ि जो अपन को बनाता और बबगाड़ता ि अपन िी विचारो ि बन असतरो ि िि आतम ितया करता ि और उिक ििी िाधन ि सजिि िि आनिद ििनशीलता और शाितत परदायक सिगीय लोको का तनमािर भी करता ि विचारो क ििी चनाि और िासतिक परयोग दिारा िी उि उततम दिीय पद परापत िोता ि और विचारो क दरपयोग और गलत परयोग ि िि शतान जिा थगर भी जाता ि इन दोनो सिरो क बीच िार चररतर ससथत ि और िर-एक को बनान िाला और उनका मासलक कोई न कोई मनषय िी ि

अब तक ििभाल-ििभाल कर लाय गए आतमा क जञान िमबनधी उन िभी िनदर ितयो म इिि आनिददायक और उपयोगी कछ भी निीि ि सजतना यि कक मनषय सियि िी अपन विचारो चररतर का सिरप उिकी विसभनन अिसथाओि मािौल और गतवय का रथचयता और मासलक ि बल वििक और परम ि बना अपन िी बनाय विचारो का िि बनकर न किल विपरीत पररससथततयो म अपन आप को बचाय रखन म िमथि ि बसलक िि सियि की ितता अपन म पररितिन और निजीिन दिारा जो भी चाि कर िकता ि

मनषय भल िी िि ककतन िी तनबिल या ततरसकत दशा म िो उिका ििी सजममदार ि सजि तरि पततत और लाचार ससथतत म एक गिसिामी मखिता िश अपन िी घर की िसतओि को अवयिससथत कर दता ि लककन जब िि उन विपरीत ससथततयो को िमझना परारिभ कर दता ि और उन सिदधाितो सजि पर उिका अससतति तनभिर ि की खोज कर लता ि तब ििी गिसिामी वििकशील बन एक हदशा म अपनी िारी ऊजाि को ििज कर अपन विचारो को उपयोगी कायो म पनः लगा दता ि इि जागरक गिसिामी जिा िी मनषय जो कोई भी िो अपनी

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 10: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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विचारो की वयिसथा क तनयमो क खोज की ससथतत का िी एक पररचय ि यि खोज उिक अनभि आतम थचितन और परयोग का िी फल ि

िोना और िीरा बित खोज और गिरी खदाई करन पर िी समलत ि इिी तरि वयसकत क अससतति ि जड़ िर एक ितय मनषय को तभी समल िकत ि जब िि अपन भीतर आतमा की गिराई तक जा िकगा ििी बबना ककिी ििशय क यि सिदध कर िकता ि कक चररतर का सिरप

जीिन का तनमािर और गितवय उिी क अपन िाथ ि यहद िि अपन विचारो को दख उि तनयिबतरत करन और बदलन म िफल िो जाय तो िि उिक दिारा िए परभाि चाि िि सियि पर दिर पर या अनय पररससथततयो पर िो ढिढ लगा इि तरि कारर और उि ि िोन िाल परभाि को िमझन म धयि पििक अभयाि दिारा िािधानी ि जााच करन और छोट-बड़ अनभि क आधार ि उि िि रासता समल जाता ि जिाा उि अपन सियि का जञान िो िक अिततम जञान की किल यिी एक हदशा ि सजिका और कोई दिरा रासता भी निीि जिाा जो चािा ििी समलता ि और सजि भी दिार को खटखटाया ििी खल जाय मनषय इि हदशा म चलत िए धयि अभयाि और तनरितर उतिकता ि िी जञान क मिहदर म परिश कर िकता ि

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 11: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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2 िमार विचार बािरी पररसथथततयाि

मनषय का मन भी एक बाग िी किा जा िकता ि जो या तो वििक और रथच पििक बनाया गया िो और या जिगल की तरि अपन आप िी उग आया िो यहद उिम उपयोगी बीज निीि डाल गए तो खर-पतिार क बीज उि भर िी दग ककिी भी िाल म बाग ििा िी हदखाई पड़गा जिा कक उिक बनान िाल की इचछा ि

एक माली जि अपन खत को तयार करता ि उि खर-पतिार ि मकत कर चन िए फल और फल क बीज उगाता ि मनषय की बवदध भी उिी खत की तरि िी ि सजि पर मन चािा बाग िि उगा िकता ि अतनषट अनपयोगी और अशदध विचारो को तनकाल िि मनषय ििोततम इचछा सलए उन फल और फलो क सलए ििी उपयोगी और शदध विचारो को रोपता ि इि कायि को करत िए कभी न कभी उि यि आभाि िो जाता ि कक िि सियि िी अपनी आतमा का अकला माली ि और उिक जीिन की हदशा उिी क इनिी विचारो पर तनभिर िोगी अपन अनदर उि यि िमझ आ जाती ि कक विचारो की वयिसथा म िि ककि तरि अथधक ि अथधक िािधानी बरत रिा ि और ककि तरि उिक दिारा रोप गए विचारो की शसकत और बवदध क िििाधन उिक सिभाि मािौल और गितवय को एक नया रप द दत ि

जिा विचार मन म उगता ि मनषय का सिभाि भी ििा िी िोगा चाि ककतना भी पानी खाद या परकाश की वयिसथा की जाय ि पररससथततयाा कभी भी नीब क बीज ि आम निीि उगा िकतीि ििी नीब का पौध उन पररससथततयो को अपन गरो ि बदल दगा बािरी पररससथततयो और वयिसथा म सिभाि निीि बदलता बसलक सिभाि का अिर उन पररससथततयो और वयिसथा पर पड़ता ि और ि बदल जाती ि मनषय क मन म जो बीज ि पररससथततयाि किी भी िो पौध उिी का िोगा कयोकक बीज जो मन क भीतर ि और पौध जो बािर हदखता ि

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 12: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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उनका अलग-अलग िोना कभी ििभि निीि इिका अथि यि भी निीि ि कक पौध की तातकासलक पररससथततयो और वयिसथा म जो ससथतत ि िि उिक िार जीिन चररतर का पररचय क सलए पयािपत िोगी बसलक िि दशय उि पौध क विकाि की यातरा म एक तातकासलक और आिशयक अिसथा ि

वयसकत का अससतति उिक विचारो की वयिसथा की तातकासलक ससथतत ि उिका सिभाि सजन विचारो ि बना ि उिक कारर िी िि जिा ि बना ि यि कोई िियोग निीि एक अकाटय वयिसथा ि सजिम दोर की कोई िमभािना निीि जो अपन चारो ओर क पररससथततयो ि दखी ि या िितषट ि उन िब पर भी यि तनयम िमान रप ि लाग ि कयोकक विचारो की खती उनकी अपनी िी की ियी ि

विकाि की गतत विचारो क बीज पर तनभिर िोती ि वयसकत अपन म िए विकाि या बदलाि को जब तक िि बािरी पररससथततयो ि िीख िी पाता ि ि पररससथततयो सियि िी बदल जाती ि और उनका सथान तब तक एक नयी पररससथतत ल चकी िोती ि

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

ककिी भी वयसकत न अपन विचारो पर तनयितरर और अपन खत को शदध करन म चाि ककतना भी िमय लगाया िोगा यि जरर जान गया िोगा कक बािरी पररससथततयो म बदलाि उिक अपन मन की दशा म बदलाि क ठीक बराबर क अनपात म िी िोता ि यि तकि इतना िटीक ि कक जब भी मनषय लगन ि अपन सिभाि म हदख अिगर को ठीक करन की िोचता ि और उिम िफलता हदखन लगती ि ठीक तभी िि उन विपरीत पररथथततयो ि छटकारा भी पान लगता ि पररससथततयाा एक माधयम ि सजिम ि आतमा (या विचारो क

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 13: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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खत) को िि चनाि करना ि जो उि वपरय ि या सजिि उि भय लगता ि इि तरि िी विचारो ि बन मन की इचछाएि अनकल पररससथततयो को माधयम बना कर िी परी िोती ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

बािरी दतनया या पररससथतत का अनतमिन पर परभाि चाि ि अचछ लग या बर उिकी भलाई क सलए ि एक बाग क माली की तरि उि लाभ और िातन दोनो ि िी िीख समलनी चाहिए

अनाथालय या जल म जान िाला वयसकत ककिी दभािगय का सशकार निीि िोता बसलक यि उिक मन म पड़ विचारो क बीज कक एक परररतत ि यि भी निीि िो िकता कक एक शदध मन का वयसकत मानसिक तनाि या बािरी दबाि म एक अपराधी बन जाय अपराध क विचारो क बीज मन क ककिी गपत कोन म पड़ िोग जो िमय आन पर और पररससथततयो का लाभ उठा कर मखररत िो गए

पररससथततयाि मनषय का तनमािर निीि करती उनका परभाि भी मनषय पर निीि पड़ता ि सिफि उिका दपिर ि सजिम अपनी परछाई िी उि हदखती ि एिा कोई भी कारर निीि कक मनषय बािरी पररससथततयो क कारर पततत िो जाय ककनत िि किल तभी िोगा जब उिक विचार सजिि उिका मन तनसमित ि अशदध िो और यि भी कभी ििभि निीि कक मनषय आसथा की ऊि चाई पर पिाच जाय और उि तनमिल परिननता का अनभि बबना उि परयतन क िो जाय जो उिन पवितर विचारो का चनाि म िािधानी बरतन म की िोगी

इिसलए मनषय सियि िी अपन विचारो का सिामी और तनयितरक ि जो अपन तनमािर सियि करता ि और उिक चारो ओर का िातािरर उिका पररचय ि आतमा जनम क िमय उिक पाि आती ि और जीिन म

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 14: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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प िी की इि तीथि-यातरा क िर कदम पर पररससथततयो क माधयम ि एक दपिर की तरि विचारो की शदधता या दोर और उिक बल या तनबिलता को हदखाती रिती ि

मनषय कभी उि ि आकवरित निीि िोता सजिकी उि आिशयकता ि

बसलक उिि जो उिक अनदर िी भरी ियी ि अििकार सलपिा और मितिाकािकषा इिसलए िी िर कदम ि िाथ बढती िी जाती ि मलतः आकरिर का कारर अपन िी विचारो और इचछाओि की भख ि भल िी ि पवितर िो या अपवितर दिति जो जीिन का लकषय ि यि अपन िी िाथ ि मनषय अपना तनमािता सियि ि विचार और कायि िमार दभािगय क जल क मासलक ि और यहद य अचछ िए तो य िी िमारी सितितरता और दिति क िाधन परासपत पराथिना और अपकषा ि निीि बसलक विचारो क ििी चनाि और उिकी कायि म परररतत ि कमाई जाती ि विचारो और कायि क िमरिता ि िी पराथिना और अपकषाएि िफल और गौरिासनित िोती ि

इि ितय क परकाश म आरखर पररससथततयो ि लड़न का कया अथि ि

मनषय तनरितर उन पररससथततयो ि विदरोि करता ि जो दपिर म उिकी िी परछाई ि या उि परभाि को रोकना चािता ि सजिक कारर को िि अपन मन म ििज कर उिका पोरर कर रिा िोता ि मन म ससथत इन काररो का बािरी परभाि या तो तीवर ईराि और या पररससथतत को न जान पान की दबिलता इन दोनो म कछ भी िो िकता ि ककनत चाि िि जो भी िो मनषय उनि सजद म लड़कर अपनी िी शसकत को छीर कर जोर-जोर ि ििायता की मािग करता ि

मनषय अपनी पररससथततयो को बितर बनान क सलए िदि िी लालातयत रिता ि ककनत अपन म बदलाि की उि इचछा निीि िोती यिी बिधन या मोि ि िि मनषय जो िली पर चढ़ाए जान ि घबराता निीि उि ि कोई भी कायि जो उिक मन न ठान ली िोन ि निीि रोका जा िकता यि ितय िाििाररक और दिीय दोनो क सलए एक िमान ि यिाा तक कक सजि वयसकत का अिततम लकषय धन कमाना ि उि भी अपन

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 15: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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वयसकतगत जीिन म तयाग क सलए तयार रिना चाहिए किल तभी उि उि लकषय की परासपत िोगी ििी जान ककतना अथधक तयाग उि चाहिए िोगा एक िमदधशाली और शसकतपरि जीिन का अनभि क सलए

एक मनषय जो कि गाल ि लककन उिकी अदमय इचछा ि कक उिक आि पाि और घर म आराम की बितर िविधा िो कफर भी िि काम ि मिि चराता ि और िोचता ि कक उि मासलक को यि धोखा दना बनता ि कयोकक उिका मासलक उि कम ितन दता ि िि वयसकत उन िरलतम सिदधाितो जो िमवदध परासपत क आधार ि निीि िमझता िि न किल इि कि गाली ि तनकल पान क अयोगय ि बसलक िि कि गाली क गति म इन काररो ि लगातार थगरता िी जायगा और झठ धोखा सजद और अनय अमानरीय विचार उि इिि कभी तनकलन निीि द िकत

एक िमवदधशाली वयसकत जो कषटकारी और अिाधय पट क रोग ि गरसित ि और िि उि रोग ि मसकत क सलए मिि मािगी कीमत दन क सलए ततपर ि ककनत उिक सलए अपनी पट इचछाओि को छोड़ना ििभि निीि िि मिि ि सिाद क सलए मन चाि पकिान खात रिना चािता ि

और उि सिासय भी चाहिए िि वयसकत सिसथ रिन क सलए बबलकल योगय निीि ि कयोकक उिन सिसथ रिन क सिदधाितो को अब तक निीि जाना

कारखान का एक मासलक जो लाभ कमान क सलए अपन कारीगरो क उथचत ितन को काटता ि और कानन ि बचन क सलए चालाकी का ििारा लता ि िि कभी भी धनिान और िफल कारोबारी िो िी निीि िकता जब उिका हदिाला तनकलगा और उिका धन और िममान निीि िोगा तब िि उन पररससथततयो को याद कर-कर उनि दोर दगा बबना यि िमझ कक िि सियि िी उनका लखक ि

मन उपरोकत तीन घटनाओि का उललख यि ितय हदखान क सलए ककया ि कक मनषय अपन पररससथततयो क तनमािर का सियि िी कारर ि

यदयवप यि लगभग िमशा अनजान म िी िोता ि उददशय ककतना

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 16: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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भी अचछा िो ककनत िि उि लगातार तछनन -सभनन करता रिता ि कयोकक उिकी इचछाएि और विचार उिक बि म निीि िोती और ि विपरीत कायि कर उि उददशय को कभी परा निीि करन दती धटनाएि ककतनी भी उललख की जाएा उनका अथि सिफि एक यिी ि िर एक

िोचन िाल इि अथि को जान कर तनशचय िी कायि का िि ितर जो विचारो क सिदधाित ि बवदध और जीिन को परभावित करता ि सितः परापत करग कफर बािरी धटनाओि और दषटानत ि इि तकि को िमझन ि कया लाभ

पररससथततयाा बािर ि चाि ककतनी भी उलझी ियी कयो न हदख विचारो की गिराईयाा इतनी अथधक िोती ि कक िर वयसकत अपनी परिननता की खोज कर िी लता ि पररससथततयो को दख कोई एक वयसकत ककिी दिर वयसकत क परतत धाररा निीि बना िकता कयोकक आतमा की ससथतत सितितर ि जो िर एक वयसकत सियि िी जानता ि और जीिन की बािरी पररससथततयो का चनाि उिका अपना िी ि

परकतत क तनयम जो कभी बदल निीि जा िकत उनक दिारा अनयाय का िोना कभी ििभि िी निीि जो कछ भी िििार म िोता ि बबना कारर निीि िोता इिसलए ककिी को ककिी ि सशकायत की धाररा का कया औथचतय ि विरम पररससथततयो का भी कोई कारर िोता ि और जब ि कारर निीि रि जात तब पररससथततयाा भी ििी निीि रि िकतीि

एक वयसकत ईमानदारी पर चलता ि और गरीबी को ििन करता ि दिरा वयसकत बईमानी क रासत चलत िय अमीर बन जाता ि ककनत इिि यि तनषकरि जो परायः तनकाला जाता ि कक वयसकत ईमानदार िोन ि गरीब और जो वयसकत बईमान ि उिकी बईमानी उिक अमीरी का कारर ि गलत ि इि तनषकरि की मानयता यि ि कक बईमान वयसकत बबलकल भरषट ि और ईमानदार वयसकत पवितर

गिभीर थचितन और अनभि यि बतात ि कक बईमान वयसकत म कछ िि भी गर ि जो परशििनीय ि और जो ईमानदार वयसकत म निीि ि ईमानदार वयसकत क अिगर िी उिकी गरीबी का कारर ि वयसकत को

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 17: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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ईमानदारी क कारर अचछ लाभ िोग और उिक अिगरो क कारर िि तनधिन भी ि इिी तरि बईमान वयसकत को अपन उि बईमानी क कारर विपसतत भी आयगी और उिक गर सजिक कारर िि धनिान ि

उि परिननता दग

यि अततविशिाि िी िोगा की वयसकत क दख का कारर उिकी अपनी मािसमयत और पवितरता ि लककन जब ििी वयसकत अपन मन म न छटन िाल मोि कटता और दवरत विचारो को तनकाल दगा और उिकी आतमा क िर दाग धल जाएाग किल तभी िि यि जान पान की ससथतत म िोगा कक िि यि कि िक कक दख क कारर दरअिल थ कया

और जब िि अपनी आतमा की पवितरता क उदयोग को कर रिा िोता ि तब मन और जीिन शली क ऊपर कायि करत िय िि यि पाता ि कक िि िब एक ऐि अदभत तनयम ि िमपनन िोता ि सजिम यि ििभािना कभी निीि िो िकती कक अचछ का फल बरा और बर का फल अचछा िो इि जञान को पा िि पीछ मड़ कर अपन को िी दखता ि कक ककि तरि उिका अपना िी अजञान और अिािधातनयाि िी उन विरम पररससथततयो क कारर थ उि तब यि विशिाि िोता ि की जीिन क तनयम िदि िी तनषपकष रित ि और उिक परान अनभि अचछ या बर उिक अपन कारर ि जो आतमा की परिता की परासपत क पहिल उिक विकसित िोन का िम ि ककनत िोती सजिक कारर उिक िाथ बरा िआ उि जान पाता ि

कलयारकारी विचार और कमि कभी कोई अतनषट निीि कर िकत और अतनषटकारी विचार और कमि कभी कोई कलयार निीि कर िकत कौन निीि जानता कक मकक ि मकका और मागफली ि मागफली िी पदा िो िकती ि िभी मनषय इि अदभत पराकततक तनयम को िमझत भी ि उिका परयोग भी करत ि ककनत इि सिदधानत का बौवदधक और नततक विशि म उिी तरि िमझ पाना कछ िी मनषयो क बि का ि यि सिदधानत चाि िि सजि भी कषतर म िो उतना िी िरल और अकाटय ि

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 18: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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जो इि निीि िमझत ि उिका अथि अलग िी तनकाल लत ि और इि सिदधानत का ि कोई लाभ निीि उठा पात

कषट िमशा ककिी न ककिी अतनषटकारी विचारो का िी फल िोता ि यि िि ििदश दन क सलए ि कक वयसकत का िियम अपनी सिाभाविक ससथतत म निीि ि सजिन उिक अससतति की रचना की ि कषट की मिानतम आिशयकता यिी ि कक िि जो भी अनपयोगी या अशदध ि उि जला डाल और आतमा पवितर िो कयोकक उिक सलए कषट िोगा िी निीि जो पवितर िो चका ि िोन को वपघलान का तब कोई उददशय िी निीि रि जाता जबकक उिकी अशवदध पहिल िी तनकाली जा चकी िो उि शदध और परकाशिान क सलए कोई कषट िो िी निीि िकता

पररससथततयाा जो वयसकत ि टकरातीि ि और उि लाचार बना दती ि ि उि वयसकत का अपन सिभाि म ससथर न िोन क का िी नतीजा ि

जो पररससथततयाा वयसकत को आशीिािद या िदभािना ि समलतीि ि न कक धन दौलत ि ि िविचारो की परररतत ि घरासपद पररससथततयाा धन दौलत की कमी क कारर निीि बसलक कट विचारो की िी परररतत ि

एक मनषय घरररत और धन दौलत िाला भी िो िकता ि और एक िबका पयारा िोगा भल िी िि गरीब िी कयो न िो िबका वपरय और धन दौलत दोनो का समलना तभी िोगा जब धन का ििी उपयोग िआ िो और िि गरीब और भी गिर नकि म जा िकता ि जब िि समलन िाल पयार और भरोि को िि अनािशयक बोझ िमझन लगगा

भख और आिसकत दोनो मानसिक अििाद क दो छोर ि दोनो िी ससथततयो म अपराकततक और मानसिक अिितलन की बराबर मातरा ि मनषय की ससथतत तब तक ििी निीि मानी जा िकती जब तक िि परिनन सिसथ और िमवदधशाली न िो और यि परिननता सिासय और िमवदध मनषय का अपन मन क अिदर और बािर क िििार म बन ििदर िितलन का िी फल ि

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 19: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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मनषय का मनषय बनना तभी आरिभ िोता ि जब िि सशकायत करना और बकार परलाप बिद कर उि छप िय नयाय सिदधानत की खोज करन म लग जाय सजिि उिका जीिन तनयिबतरत िोता ि और इिि उिका मन उि सिदधानत क अनकल िो उि अपना लता ि ततपशचात िि अपन विरम पररससथततयो क सलए दिरो को दोर दना बिद कर अपन सलए िबल और उचच विचारो का तनमािर करता ि

िि उन पररससथततयो ि ितोतिाहित िोन क बजाय उिि िीख ल कर उन शसकतयो और ििभािनाएि जो उिम िी तछपी ि उिका उपयोग अपनी तनरितर उननतत क सलए करता ि

जगत का मितिपरि आधार सिदधानत (सजिि पिािनमान ककया जा िक और जो अभी हदख निीि रिा उि पर विशिाि िो) न कक अतनसशचतता आतमा और जीिन का मलय नयाय ि न कक अनयाय आधयसतमक परराली जो जगत को चलान का बल ि और ििी उि हदशा भी दता ि िि ितय तनषठा ि न कक अविशिाि

यिी कारर ि कक मनषय जब सियि ििी िोता ि िि िमसत जगत को ििी दख पाता ि और िि यि भी जान लता ि कक जि जि उिक विचार दिरो िसतओि या वयसकतयो क बार म बदलन शर िोत ि उन घटनाओि की उिकी िमझ और िि वयसकत सियि भी बदलन लगता ि

इि ितय का परमार िर एक परारी म ि सजि एक बार भी ििज िो कर धयान ि जााच लन और सिाधयाय करन ि ककिी भी परारी का उि ितय पर िमपिर िो िी जाएगा

यि करक दख कक ककि तरि मनषय का अपन विचारो म िािततकारी बदलाि लान ि उिक अपन जीिन म िोन िाल िाििररक उपलसबध उि आशचयि चककत कर दग

मनषय कभी कभी यि िोचता ि कक उिक विचार गपत रख जा िकत ि ककनत यि िो िी निीि िकता विचार अपन आप दरत गतत ि वयििार म हदखाई दन लगत ि और ि िी सिभाि बन जात ि उदािरर क सलय

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 20: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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जो विचार वयििार म आ मौज मसती की आदत बनत ि ि िी आग जा लाचारी और रोग की पररससथतत बन िामन आ जात ि

दवरत विचार चाि कि भी िो ठोि बन मनषय की शसकत को कषीर कर उिक तनरिय करन की शसकत का िरर कर लत ि जो आग जा उि विकषकषपत या हदशा िीन बना दगा सजिि िि विपरीत पररससथततयो का सशकार बन जाएगा

भय शिका और तनरिय ि बचन िाल विचार मनषय को कमजोर नपििक और बबन पदी का लोटा जिा मलयिीन वयसकत बना दता ि सजिि उिकी पररससथततयाा उि अिफलता आिसकत और गलामी पर तनभिर कर दगी

आलिी विचारो का फल अशथचता (या गिदगी बदब) और बईमानी ि जो अपराध और दसभिकष की पररससथततयाा बन उिको लपट लती ि

घरा और दिरो की आलोचना करन िाल विचार िी मनषयो म सशकायती और हिििक सिभाि म पररितत ित िोत ि सजनक कारर दघिटना और दिड की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करन लगतीि ि

सिाथी विचार ि लालच की आदत बनती ि सजिि थचिता और विराद की पररससथततयाा िोगी िी

दिरी तरफ ििदर विचार मनषय म कोमलता और दयालता क सिभाि नगीन की तरि चमकत ि सजनि बनी पररससथततयाा परिननता ि दमकती ि पवितर विचारो ि बन िहिषर और अनशासित सिभाि ि िौिादर और शाितत की पररससथततयाा तनसमित िोती ि िािि आतम-तनभिरता और तनरिय म िकषम सिभाि उन पररससथततयो का तनमािर करतीि ि सजिम िफलता िमवदध और सितनतरता की पररससथततयाा अपन आप बनती ि

तजसिी विचारो ि सिचछता और उदयोथगक सिभाि बन जाता ि सजिि लाभकारी की पररससथततयाा अििर बन आती ि

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 21: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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नमर और कषमा करन िाल विचारो ि नमर सिभाि बनता ि सजिक सलय िरकषकषत और दीघि जीिी पररससथतत अपन आप बनती ि परम और तनसिाथि विचारो ि अििकार मकत सिभाि बनता ि सजिि तनसशचितता अनित िमवदध और िचची परततषठा की पररससथततयाा उिकी परतीकषा करतीि ि

सपषट विचार की कोई भी तरिग सजिन बिना आरिभ कर हदया िो चाि िि अचछी िो या बरी उनि यि कभी निीि िो िकता कक ि चररतर और पररससथततयो को बदलन म अिफल ियी िो एक मनषय िीधा िीधा अपन मन माकफक पररससथतत का चनाि निीि कर िकता ककनत िि अपन विचारो का चनाि करन म िदि सितितर ि और उन विचारो क चनाि ि अपन आप उन पररससथततयो क तनमािर की रप रखा पीछ क दिार ि अपन आप बनन लगती ि और तनसशचत रप ि िि बन कर िी रिगा

परकतत िर एक मनषय को उनक विचारो सजनि िि उतिाहित करता ि को उगान म मदद करती ि और अििर दती ि कक ि बीज जलदी िी उग कर जमीन ि ऊपर हदखाई पड़न लग और पररससथततयाा अचछी या बरी जि भी विचारो क बीज डाल गय िोग हदखाई पड़

मनषय अपन पापी विचारो को छोड़ कर दख तो ििी कक ककि तरि िारा िििार उिक परतत ििानभतत ि भर जाएगा और उिकी ििायता क सलय तयार खड़ा िोगा

अपन कमजोर और मोि िाल थचप-थचप विचारो को छोड़त िी िि खशी ि उछल पड़गा कक ककि तरि उिक ििकलप को परा करन क सलय अििरो की अब कोई कमी िी निीि ि

अपन मन म अचछ विचारो को उतिाि दत रिन ि िि दभािगय जो उि धरा और शसमिदगी क गडढ म थगरा िकती थी कछ भी करन म अिमथि ि उिका रासता रोक निीि िकती िििार एक रिगीन दपिर क टकड़ो ि जोड़ कर बन बकि की तरि ि सजिक घमान ि परकाश की

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 22: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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तरिग रिगो की धार बन ििदर हदखती ि जो ठीक उिी तरि िोती ि जि विचारो क बदलाि को िििार की पररससथततयाा बदली जा िकतीि ि

तम ििी बनोग जो तम बनन का तनशचय कर चक िो

अिफलताओि को अपन अिफल िय विचारो की खोज कर लन दो

पररससथततयाा बचारी ि

कयोकक आतमा सजि विचार चनन की सितनतरता ि उनि जब जिा चािगी बना िक गी

िि आतमा सजिक अनिार काल या पररससथततयो का पररितिन िोता ि और सजिन िििार जीत सलया

उिक काब म िोगी ि चालबाजी अकसमात िोन िाली वयथा और कहठन पररससथततयाा जो उिक मितििीन दाि भर ि

मनषय का िि शभ ििकलप िि कभी न दखा गया बल उि आतमा जो जनम-मतय ि पर ि क पतर ि

िजर की सशलाएा उिक रासत म ककतनी भी बाधा कयो न खड़ी कर द िि ककिी भी लकषय को पा िी लगा

दरी ि न घबराना इितजार करना कयोकक यि िमझ लना कक जब आतमा उठ कर आदश दती ि उिक पालन क सलय दिता पहिल ि िी तयार बठ ि

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 23: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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3 विचारो का थिाथय और शरीर पर परभाि

शरीर मन का दाि ि िि मन क िर आदश का पालन करगा ि चाि ि जान बझ कर हदय गय िो या अनजान म भल ि अिदधािततक विचार की पालना म िि जलदी बीमार पड़ मर जाता ि या कफर परिनन और ििदर विचारो ि ििी शरीर यौिन और ििदरता ि रखल उठता ि

बीमारी और अचछा सिासय ि िाििररक पररससथततयाा िी ि सजनकी जड़ विचारो म ि पररससथततयो का जनम सिभाि ि और सिभाि का जनम मन म उग और पनप विचारो ि िोता ि मोि ि गरसित विचार िी रोगी शरीर म हदखत ि विचार सजनि भय पदा िोता ि ि ककिी अकल मनषय को बिदक की गोली ि भी तज गतत ि मार डालत ि उि भय का परभाि िजारो लोगो तक तजी फलता ि और ि भी उिी तरि मार जात ि भल िी उनक मार जान की गतत उतनी तज न िो

जो बीमारी ि डरत ि उनि बीमारी िो जाती ि डर ि ियी बचनी पर शरीर को सशथथल कर दती ि सजिि बीमारी क अिदर आन का मागि खल जाता ि और बीमारी आन ि कोई उि रोक निीि िकता इिी तरि कोई भी अशदध विचार जो भल िी बीमारी क बार म न भी िो मनषय क चतना क तितर को तिि निि कर दत ि

दढ़ पवितर और परिनन विचार शरीर को ऊजाि और नमरता ि भर दत ि िर एक शरीर लचीला और पलाससटक की तरि का एक उपकरर ि जो विचारो क दबाि ि बदलता रिता ि विचारो ि बन सिभाि उिक ऊपर अपनी छाप छोड़ग िी चाि ि अचछ िो या बर

मनषय का रकत तनरितर अशदध और विरला िोता िी रिगा जब तक उिक दवरत विचार फलत रिग शदध मन ि िी शदध जीिन और शदध शरीर बनता ि मन क दगिर िी तनकषट जीिन और भरषट शरीर ि

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 24: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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विचार िी कमि क फ़ौिार ि सजनि जीिन की परसततत ि विचार शदध िोग तो कमि और जीिन दोनो िी अपन आप शदध िो जाएिग

खान पान म बदलाि ि मनषय को कभी कोई लाभ निीि िोता सजिन अपन विचारो को निीि बदला और जब मनषय क विचार शदध िो जात ि तब उि अशदध खान की इचछा िी निीि िोती अशदध न खान ि कया कभी बीमारी िोना ििभि ि अथाित अचछ और शदध भोजन का कारर मन क विचार ि और उिी ि जीिन पोवरत ि

यहद तमि अचछा शरीर चाहिए तो अपन मन की रकषा करो यहद तम अपन सलए नया शरीर चाित िो मन को नया बनाओ सशकायत ईराि अििाद और िताशा क विचार शरीर को सिासय और नमरता क मामल म कि गाल बना कर िी छोड़त ि बझा िआ चिरा कोई आकससमक निीि िोता िि ककिी तनराश विचारो का िी रप ि चिर पर पड़ी धाररयाा अपन आप निीि रखिची िोतीि बसलक ि ककिी न ककिी गिि आिसकत और अिफलता को तछपा रिीि ि

म एक छाननब (96) िाल की महिला को जानता िा सजिका चिरा चमकता िआ और मािम छोटी बचची की तरि ि म एक नि जिान परर को भी जानता िा सजिका चिरा आड़ ततरछी लाइनो ि भरा ि पहिल िाल चिर क पीछ मद और परकाशिान उतिाि ि भर विचार ि जब की दिर क पीछ मोि और अभाि की किानी ि

तम अपन घर को तभी परकासशत और ििदर बना दख िकोग जब तम उिम ििा और ियि क परकाश को सितितर रप ि आन-जान दोग उिी तरि दढ़ और सिसथ शरीर म परिननता शाितत और तनरितर बिन िाली िदभािना का मािौल किल तभी दखा जा िकता ि जब मन म ििदर िदभाि और शाितत क विचारो को आन हदया जाय

एक िदध वयसकत क चिर पर झररियाा िोती ि जो उिक दयालता और िििदनशील मन क कारर ि दिर वयसकत का चिरा शदध विचारो ि परि और शाित पिित की तरि दढ़ ि एक और वयसकत का चिरा मोि और

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 25: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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थच िता ि बझा िआ ि इन चिरो को कौन निीि पहिचान िकता ि सजिन भी अपन जीिन को ितय क मागि पर डाल हदया ि उनक शरीर का रप िमय बदलन पर भी शाित तनभिय और नमर बना रिगा जि ििधया काल म ियि का िखद परकाश मन कछ िमय पहिल एक दाशितनक को मतय शयया पर दखा िमय की थगनती यहद न की गयी िोती तो ि िदध निीि थ दिानत क िमय उनकी परिननता और शाितत उतनी िी थी सजतना तब था जब ि जीवित थ

उतिािजनक विचार ि बड़ा कोई थचककतिक िो िी निीि िकता जो शरीर क रोगो को पी ल िदभािना जो भय और दख को िमापत करन म िकषम िो उिि बड़ा निि या शरीर का धयान रखन िाला भी कोई निीि िो िकता

अििाद आलोचना शिका और ईराि क विचारो क िाथ रिन िाला अपन शरीर क सलए बिदीगरि खद िी बना लता ि ककनत िबक सलए अचछा िोचना िब क िाथ खश रिना और धयिपििक रि िभी क सलए अचछा करना ि विचार ि जो सिगि क दिार ि और ििी शाित विचार उन िभी जीिो जो भी गरिर करना चाि क मन को शाितत ि भर दता ि

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 26: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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4 विचारो क खती का उददशयपणथ िोना

जब तक विचार उददशय या हदशा ि जड़ निीि रित कोई भी िकारातमक उपलसबध निीि िो िकती जीिन िि िमदर ि सजिम विचारो का पड़ क पपड़ या तछलक की तरि अपन आप िी थगर जाना सिाभाविक ि हदशा िीनता एक दगिर ि और विचारो का रासता भटक जाना तरित बिद करना िोगा यहद उि दघिटनाओि और विनाश ि बचना िो

सजिक जीिन का कोई क दरीय लकषय न िो िि आिानी ि घबरािट भय थचिता और अििाद का सशकार िो जाता ि य िभी कमजोरी की तनशानी ि जो तनसशचत िी जान बझ कर ककए गय पाप (भल िी अनदख िी) ि और सजनि अिफलता शोक और िातन िोगी कमजोरी की इि शसकत ि तनसमित विशि म कोई सथान निीि ि

विचार आतमा क िाथ ि और जब ि कसनदरत या समल कर काम करत ि तभी आतमा काम कर िकती ि आतमा सिचछा ि सजि कलयारकारी उददशय को धारर कर लती ि उि परा करन म उनक विचारो की जीिन यातरा का आरिभ तरित िो जाता ि आतमा को उि उददशय को अपन विचारो का क दर बना दना चाहिय चाि ि आधयासतमक उपलसबधयाि िो या तातकासलक या िमयानिार िाििररक िफलताय विचारो की शसकतयो को उिी एक हदशा म तनरितर कसनदरत रख रिना चाहिय उि उददशय या हदशा को िी मिान लकषय बना दखत रिना चाहिय और अपन को किल इि काम म विचारो को परी तरि लगा दना चाहिय कक िि उि लकषय तक कि पििच और अपन विचारो को इधर-उधर भागन का मौका न द सजिि ि हदखाि अपकषा या कलपनाओि म फि ि जाएा

यिी अपन लकषय की ओर जाता िआ राज-मागि ि सजि पर अनशािन और विचारो को कसनदरत करन ि िबि अथधक आिशयकता िोती ि

यहद िि बार बार थगरता भी ि तो यि उिी उददशय क सलए तयारी परीकषा ि (सजिि उिकी कमजोररयाा दर िोगी) सजिका फल सिभाि की

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 27: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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दढ़ता िी िचच िफलता का एक लकषर ि िर कदम उिक सलए एक नया आरिभ ि जो उिकी नयी शसकत और विजय का अनभि ि

जो डर क मार अपन लकषय का चनाि करन म हिचककचात ि उनको चाहिय कक ि ककिी भी कायि चाि ि ककतन भी मामली कयो न लग अपन विचारो को कसनदरत कर उिी कायि को उतकषट बनान म लगा द इि तरि उनि यि िमझ आ जाएगा कक ककि तरि विचारो को एकबतरत कर उि लकषय पर कसनदरत करन ि कायि म उनक मन म अथधक सपषटता और उिकी तरहटिीन िसषट की ऊजाि उतपनन िोती ि और ऊजाि परासपत की इि विथध ि िि कोई लकषय निीि ि जो उपलबध न िो

िबि शसकतिीन आतमा जब िि अपन उि कमी को जान लती ि और सजि शसकत क पान की विथध (विचारो क कसनदरत करना) उिकी चषटा और अभयाि म विशिाि ि िि चषटा म चषटा धयि म धयि और शसकत म शसकत को तनरितर जोड़त िय आग बढ़ना कभी छोड़ निीि िकती और अित म िि अलौककक शसकत िमपनन बनती ि

सजि तरि शरीर ि कमजोर मनषय धयान और धयि ि अभयाि करत िय शसकतमान बनता ि उिी तरि कमजोर विचार क मनषय भी ििी तरि ि िोचन का अभयाि कर बवदधशाली बन जात ि

हदशािीनता और कमजोरी को छोड़ उददशय पर धयान रख िोचन ि मनषय उन मिातमाओि की शररी म आता ि जिाि अिफलताओि की थगनती उन िीहढ़यो की तरि िोती ि जो उपलसबधयो क रासत ि और सजनको उनि पार करना िी ि ििाा ि पररससथततयो को अपना दाि बना दढ़ता ि विचारो को कसनदरत कर ककिी भी लकषय को ििजता ि परापत कर लत ि

उददशय को मन म धारर कर मनषय को उिकी परासपत क सलय एक िीधा मागि िी चनना चाहिय सजिि उि बाय-दाहिन दखन की कोई जररत न िो शिका और भय उिम बबलकल न िो कयोकक य िि विनाशकरी तति ि जो िीध रासत को तोड़ िकत ि और उि भरषट

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 28: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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परभाििीन और बकार बना दग शिका और भय क विचार कभी कछ िासिल निीि कर िकत उनि िदि अिफलता िी समलती ि उददशय ऊजाि करन की कषमता और िभी सिसथ विचार अपन आप िी मर जात ि जब कोई शिका या भय उनम आ जाता ि यि उिी तरि ि जि एक विशाल भिन म जिाि मिान योदधा िो उि भिन म एक बबचछ क घि आन ि उनका धयान भटक जाता ि

जञान ि lsquoकछ करन का ििकलपrsquo जनम लता ि और यि लगन लगता ि कक lsquoिम कर िकत िrsquo शिका और भय उि जञान क मिान शतर ि और जो उनि शि दगा और जो उनि िमल नषट निीि करता उिन अपन परो पर कलिाड़ी मार ली ि

सजिन शिकाओि और भय पर जय कर ली िो उि अिफलताओि ि कया डरना उिक िभी विचार शसकत ि भर िोत ि जो ककिी भी कहठनाई का डट कर िामना करत ि और बवदधमतता ि उि ि ियी विपदा को ििभाल लत ि ि उन उददशयो को ििी िमय और िातािरर म लगात ि ताकक ि ििी िमय पर फल और फल सजिि उनक फल अिामतयक या कचच न थगर जाएा

कला ककि कित ि और कोई भी कायि कला कि बनती ि किल इिको जान लन ि िभी कायि कला बन िकत ि विचार जब तनभिय िो उददशय की ओर चलत ि तब ि उि किया को कलातमक बना दत ि जो यि जान लता ि ििी ऊि च ि ऊि च लकषय पर जान क सलय ििरि तयार िोगा न कक उनकी तरि जो बमन विचारो का ताना बना बनता िआ काम म लगा िो ििी ि िि जो चतनय और बवदधमान ि और अपन मानसिक शसकतयो का सिामी ि

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 29: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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5 विचार और बदलाि

जो भी मनषय िासिल कर रिा ि और िि िब सजि परापत करन म िि अिफल रिा ि उिक अपन विचारो क चनाि का फल ि परकतत क तनयम नयाय क गरिथ की तरि ि सजिि अनयाय ििभि निीि िििार को वयिससथत करन म ि तनयम इि तरि जट ि कक लोग बबना उन तनयमो को तोड़ अपन तनरिय और उिक फल क सलए सितितर भी ि और उततरदायी भी वयसकत क शभ और अशभ फल आतमा क विचारो ि िी ि जबकक परकतत क तनयम उनिीि क तरहटरहित कायािनियन क सलय ि ककिी भी वयसकत की कमजोरी और बल शदधता और अशदधता उिक अपन िी तनरिय ि न कक ककिी दिर क उिक िख और दख उिन सियि िी अपन िी अिदर तनसमित ककया ि जिा िि िोचता ि ििा िी िि ि जिा िि िोचता रिगा िि ििा रिगा भी

एक बलशाली मनषय एक कमजोर की ििायता तब तक निीि कर िकता जब तक उि कमजोर वयसकत की यि इचछा न िो कक उि बलशाली वयसकत क ििायता की आिशयकता ि यहद उिकी ििी इचछा िोगी तो िि कमजोर वयसकत बलशाली अपन आप भी बन िकता ि िि अपन परयतनो ि उि शसकत का सियि विकाि कर लगा सजिकी िि दिर वयसकत म परशििा करता ि कोई दिरा निीि किल ििी अपन पररससथततयो को बदल िकता ि

लोगो म यि िोच परायः िोती ि और लोग कित भी ि कक गलामी का कारर कोई िि ि जो उनि गलाम बनाता ि इिसलए उि शािक ि धरा कर अब इिी तनरिय को उलट कर शािक क दसषट ि दख िि यिी किगा कक गलाम जो सियि अपनी रकषा निीि कर िकत और आपि म िी लड़त िो तब उनक सलय कोई शािक न िो तो कया िो किाई (शािक) और पश (गलाम) दोनो विपरीत िोच रखत िय भी िाथ िाथ रित ि िच यि ि कक किाई और पश दोनो िी अजञानता म एक दिर

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 30: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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का िाथ द रि ि ि एक दिर ि घरा करत हदखत अिशय ि ककनत िासति म ि दोनो अपनी िी िातन कर रि ि

यि जञान परकतत क तनषपकष तनयमो का िी फल ि कक कमजोर या पश या गलाम को सजि कमजोरी ि दख और भय समलता ि उिी शसकतयो क शािक या किाई क िाथ म आन ि िि उिका दरपयोग कर उन पशओि क घरा का पातर बनता ि

तनषपकष परम दोनो म (गलाम क दखो और शािक क परतत घरा) म कोई अनयाय निीि दखता आधयासतमक दयालता उन दोनो किाई और पश को परम ि गल लगा लगा

सजिन अपन विचारो की कमजोरी को जीत सलया ि और सजिन अपन सिाथी विचारो को अपन ि अलग कर हदया िि न तो गलाम या पश और न िी शािक या किाई िी िोगा

िि मनषय सजिन अपन विचारो का िममान और िदपयोग ककया िोगा िि किल आग िी बढ़गा जीतगा और लकषय को परापत अिशय करगा सजिन अपन विचारो को नीच थगरा हदया ि उिक सलय किल मजबरी गरीबी और लाचारी का िी रासता बचा ि

मनषय की उपलसबध चाि ि िाििररक िी कयो न िो बबना विचारो क िफलता क निीि िोती और उनि गलामी और पाशविक मोि क ऊपर उठना िी िोता ि इि िफलता क सलय यि आिशयक निीि कक िारी पाशविकता और सिाथि छोड़ दी जाएा ककनत कछ तो जरर िी छोडना िोगा यि इिसलय कक सजिका जानिरो जिा मोि िो िि न तो सपषट िोच िकता ि और न िी उिकी योजना ठीक िोगी न तो िि तछपी परततभा को ढिढ िकता ि और न उनका विकाि िी कर िकता ि सजिि िि कभी भी अिफल िो िकता ि सजिन विचारो को तनयिबतरत करन म िफलता निीि पायी िि कायि को िमपनन करन और सजममिारी लन की ससथतत म निीि िो िकता िि मनषय किल अपन िी विचारो की

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 31: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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िफलता ि िीसमत रिगा और अनय लोगो क विचारो को सितितर िो ििचासलत निीि कर िकता

विकाि और िफलताएा बबना तयाग क ििभि निीि िाििररक िफलता उिी अनपात म िी समलगी सजतना उिन हदशाभरसमत पाशविक विचारो का तयाग ककया ि और सजतना अपन विचारो को उिन योजना बनान अपनी िोच की सपषटा और आतम-तनभिरता म लगाई िोगी उिक विचार सजतन ऊि च िीध और ििी िोग उतनी िी ऊि ची िोगी उिकी िफलता उिको परापत िोन िाला आशीर और उिकी दीघिजीिी उपलसबधयाि

िििार कभी लालची बईमान और विरल विचारो को परोतिाहित निीि करता िालािकक ऊपर ि दखन पार कभी कभी ऐिा लगता ि जबकक ितय यि भी ि कक ईमानदार दयाल और पवितर को कभी िातन निीि पिाचती मिान सशकषक िर काल म यिी बतात और सिदध करत रि ि कक िर एक मनषय को अपन विचारो की पवितरता पार िदि धयान दना चाहिय

बौवदधक िफलताएा जबकक जञान की खोज तक िी िीसमत िोती ि जो जीिन और परकतत क रिसयो को सपषट करतीि ि िो िकता ि कक इनम कछ को उिका असभमान िो जाय ककनत िि असभमान कषररक िोगा कयोकक ि िजञातनक शोध क विचारो का फल निीि ि सजतन मिनत और दीघिकाल ि ि विचार उगाय गय ि उतनी िी तनसिाथि और शदध ि िोग

आधयासतमक उपलसबधयाि आकािकषाओि की पवितरता का चरम बबनद ि िि जो मिान और उदातत विचारो की अिधाररा म लगातार रिता ि और सजिका शदध और तनसिाथि थचितन तनसशचत िी िि ियि ि जो अपन चरम पर और िि चाादनी रात का चिदर ि ि परि बवदधमान और चररतर म मिान िो जात ि सजिि उनका परभाि और यश बढ़ता ि

सजि भी तरि की िफलता िो विचार का िी िि मकट ि आतम - तनयितरर की ििायता ि ििकलप शदधता धमि और अचछी तरि ि

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 32: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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तनदसशत विचार िी मनषय को आग बढ़ात ि पशता की ििायता आलि अशदधता भरषटाचार और भरम क विचारो ि मनषय का पतन िी िोगा

ििी विचार ि परापत जीत िी एिततयात ि रखा जा िकता ि िफलता का विशिाि िोन पर भी जब तक एिततयात न रखा जाय िि िफलता तजी ि विफलता म िापि आ जाती ि

एक मनषय ककतना भी ऊि चा कयो न उठ जाय और आधयसतमक ऊि चाइयो को िी कयो न छ ल जि िी उिन सजद सिाथि और पततत आचरर क विचारो को मन म घिन हदया िि कमजोरी और अििाय ससथतत म िापि आ जायगा

िभी उपलसबधयाि चाि िि वयापार बौवदधक या आधयासतमक दतनया ि िो एक िी कानन ि ििचासलत ि का पररराम ि और उनकी विथध भी एक ि फकि सिफि इतना ि कक परासपत का लकषय कया िो

सजिन छोटी िफलता परापत की ि उिका तयाग भी छोटा ि सजि जयादा िासिल िोता ि उि बित तयाग करना िोगा सजि अतयथधक परापत करन की इचछा ि उनि बित अथधक तयाग करना िोगा

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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
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  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
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  • 7 परशानत मन
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6 थिपन दषटा आदशथ दशय और साकार जगत

िििार का वपता िि सिपन दशी ि जो उि दखता ि जो औरो को निीि हदखता हदखन िाला िििार उि अनदख िििार पर हटका ि सजिका िि पतर ि मनषयो क पाप पीड़ा और घाि को भरन क सलए एकाित और विशराम इि सलए चाहिए कक िि उन दशयो को दख िक सजिकी उि अिशयकता ि

मनषयता कभी सिपन दषटाओि को निीि भल िकती कयोकक उनक मागि दशिक जो ि ि िि उनक विचारो और आदशो को कभी धसमल या मरन निीि द िकती सिपन दषटा उनक मन म जीवित रिता ि सिपन दषटा तातकासलक िििार म रित िय भी यि जानता ि कक िि कया दख िकता ि और उि दखगा भी

ििगीतजञ सशलपकार कलाकार विचारक और िनत उि िििार का तनमािर करत ि जो अभी बनना बाकी ि और उिी सिगि क ि िासतकार ि तातकासलक िििार ििदर इिसलए लगता ि कक ि जो िििार को तनरितर बदलत ि िमार िाथ ि और बबना उनक िििार म मनषयता क सलए विरम ससथतत पदा िो िकती ि सजिि िििार भी न रिगा

सजि ििदर दशय क कलपना की चाित ि िि उि एक हदन अिशय दखगा कोलिबि न नयी दतनया का सिपन दखा और अमररका की खोज ियी कपरतनकि क सिपन न प िी ि पर गरिो की खोज कर उि िाबबत कर हदखाया बदध न िििार क दखो क कारर क खोज म उि ितय क सिपन को दखा जिाा दख िी न िो और जिाा अनित शाितत िो और ि उिम िी ससथत िो गए

अपन सिपन म विशिाि करना िीखो अपन आदशो को कभी न भलन दो तम ििी एक हदन बनोग िि ििगीत जो तमिार हदय म बजता ि िि ििदरता सजिन तमिारा मन िर सलया िि परम सजिन तमिार

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 34: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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विचारो को लपट सलया ि उनि ि पररससथततयाा परकासशत िोगी जो तमि पहिल ि िी जानी पहिचानी लगगी और िि िििार बन कर तमिार िामन आ जाएगा

इचछा करो तभी िि समलगा िमवपित िो ििघरि करो तभी िि िासिल िोगा कया कभी यि िो िकता ि कक उि िि समल जाय सजिकी उिन कामना न की िो या िमपिर इि सलए वयथि िो जाय कक उिक सलए िविधाएि निीि ि यि परकतत का तनयम निीि यि पररससथततयाा कभी निीि िो िकतीि lsquoमािगो और समलगाrdquo

सिपन दखो और उन पर मन लगाओ और जि जि तम अपन उन सिपनो को दखोग ििी सियि बनत जाओग तमिार िपन तमिार विशिाि िी ि जो तमि एक हदन बनना ि तमिार आदशि िि थचतर ि जो तम बन कर हदखोग

सिपन दखन का िमय िोता ि जीिन की पिली िफलता ििी ि बीज िोता िआ सिपन म िमल क उि विशाल िकष को दखता ि जो िि बन जाता ि पकषी अिड म रि अपन सिपन क जागत िोन की परतीकषा करता ि आतमा सिपन म जो भी दखता ि परकतत क दिता उि करन को बाधय ि सिपन िी िासतविक िििार क बीज ि

तमिार चारो ओर ककतनी भी विरम ससथततयाा कयो न िो ककनत ि अथधक िमय तक निीि रिगी यहद तमि िि आदशि समल जाय सजिक सलए तमिारा मन लालातयत िो और उिकी परासपत क चषटा म तमिार विचार लग जाएा

िििार म तम न आग जा िकत िो न पीछ चारो तरफ कछ न कछ िो िी रिा ि िमय अपन आप बि रिा ि सजि पर तमिारा कोई तनयितरर निीि तमि बचान िाला ििी किल तमिारा सिपन ि जो तमिार िी विचारो ि िी तमिार िी सलय नयी पररससथततयो क तनमािर म िमथि ि कया तम यि परयोग करना निीि चािोग

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

36

7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

38

दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
Page 35: एज़ द मैन थिङ्केथ का हिन्दी भावानुवाद 'विचारों की खेती।

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एक नियिक जो गरीबी और मिनत म वपि रिा ि और उि गिद और असशकषकषत मािौल म लिब िमय नौकरी करन को वििश ि ककनत िि अपन सलय बन ििदर सिपन म परा िमवपित ि उिकी िोच म वििक बारीकी नमरता और कला ि उिक मन म एक आदशि तरहटरहित जीिन ि

उिक सिपन म िि हदखता ि सजि दखत िी िि उन कायो क सलय अधीर िो उठता ि और अपन छोट मोट बचाए गय िमय और िविधाओि ि अपन सिपन म हदख आदशि की ओर दौड़ता ि

शीघर िी उिका मन इतना बदल जाता ि कक िि नौकरी उिको ििभाल निीि िकती यि ििा िी ि जि शरीर क बढ़न ि कपड़ छोट िो जात ि उिक मन म िय इि बदलाि ि उिकी दसषट बढ़ जाती ि और िि उन अििरो को दख लता ि और उिका आतमबल इतना बढ़ जाता ि कक परानी पररससथतत को िि िदि क सलय छोड़ दता ि

िरो बाद िम उि नियिक को एक परौढ़ परर म दखत ि अब िि मन की शसकतयो का सिामी बन िार विशि म विखयात ि और उिक बराबर कोई निीि ि उिक िाथ म भारी सजममिारी ि जब िि बोलता ि तब उिका कया किना सजिदथगयाा बदल जाती ि महिला और परर उिक शबदो को पकड़ अपन जीिन और चररतर को नयी तरि ि ििभालन म जट जात ि ियि की तरि ससथर िि अपन चारो तरफ परकाशिान वयसकततिो को घमत िय दखता ि उिन अपन उि सिपन को दख सलया जो उिन तब बनाया था जब िि नियिक था अपन उिी आदशो को अब िि जी रिा ि

तम नियिक जो इन विचारो को पढ़ रि िो अपन उि सिपन को दखना आरिभ करो जो तमि बनना ि यि विचारो क खयाली पलाि बनाना निीि ि इिको अपन जीिन का आधार बना दो और जब भी तम हिलोग ििी तमि ििारा दगा आरखर तम ििी करोग सजि तम करना चाित िो तमिार विचार क फल िी तमि सिपन बन हदखग तमि ििी समलगा जो तमन मािगा और िासिल ककया न कम और न अथधक

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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
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तमिारी तातकासलक पररससथततयाा चाि जिी भी िो तम थगरोग ििीि बन रिोग या उठोग यि तमिार अपन विचार तय करत ि ििी जो तमिारी दसषट ि और तमिारा अपना दशिन तम अपनी इचछाओि ि िी छोट और अपनी िी इचछाओि ि मिान बनोग

सटिटन ककरखम दि क ििदर शबदो म ldquoतम वयाििातयक खच का हििाब ककताब करन िाल मनीम िो और तमि खयाल आता ि कक तम एक राजनता िो सजिक विचारो को िनन भारी भीड़ जमा ि तम यि दखत िो कक तम ििी िो कयोकक कान क पीछ पन फि िा ि और तमिार उागसलयो म पन की सयािी लगी ि यिी ि चाित सजिि इचछाओि का िलाब उमड़ता ि तम भड़ चरात िो और तमिारी ससथतत िििार म अचछी न भी िो ककनत तमि लगता ि कक तमिारी आतमा का ििदश ि जो यि किता ि कक म तमि कछ निीि सिखा िकता और अब तम इि िििार क सिामी िो अब तम अपनी रोज क काम को छोड़ नय िििार को बनान म लग जाओrdquo

भगिान िि िब कछ करता ि जो तम चाित िो इिसलय शभ-अशभ फल की िारी सजममिारी किल तम पर िी ि तमि अपना लकषय चनन की सितनतरता ि भगिान सजि परकतत भी कित ि उि तरि का कताि-परर ि जो कमि फल ि मकत ि

भगिान को दोर दना या परकतत को अनयाय परि िमझना ििी निीि ि मखि अजञानी और सजददी किल ििी दखता ि जो उि हदखाया जाय िि सियि कछ निीि दखता उिकी बात भागय िियोग और अकसमात िोन िाली ििभािनाओि पर तनभिर ि िि ककिी मनषय को िमपनन दख आि भरता ि और किता ि कक िाि ककतना भागयिान िि ि ककिी बवदधमान को दख िि यि किगा कक ककतन लोगो की कपा ि िि यि बन िका और ककिी िनत परर सजिका परभाि विशिवयापी िो उिक िाकय िोग कक ककि तरि िियोग िर कदम पर उिका िाथ द रिा ि

ि यि निीि दखत कक सजन परयािो और बबफलता और ििघरो को इन मनषयो न अपनी इचछा ि चना और ििा िि अनभि बबना िो िी निीि

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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

37

िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

38

दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

कषर गोपाल समशर kgkgmisracom

विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
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िकता था उनको इिका पता िी निीि ि कक ककतन तयाग और बसलदान उनिोन ककय ि और अपन हदय म जनम सिपन क सलय उनि ककतनी कहठनायी को पार करना पड़ा उनि सिरददि और अिधकार निीि हदखाई पड़ता बसलक जो उनि हदखता ि िि परिननता और परकाश ि सजि िि lsquoभागयrsquo किता ि लिब और कहठन जीिन की यातराओि को िि निीि दखता बसलक िि िफलताओि को िी दख उि lsquoआकससमक लाभrsquo किता ि िि विथध पििक ककय गय कायि को िमझ भी निीि िकता ककनत उिि परापत िफलता को lsquoिियोगrsquo किता ि

मनषयो क िभी कायो म दो िी बात ि एक परयतन और दिरा उिका पररराम सजतना िी परयतन िोगा पररराम भी उतना िी िोगा भागय निीि

इनाम या िफलता चाि िि शसकत िमवदध बवदध या आसतमक उपलसबधयाि िो य िभी परयतन क िी फल ि य विचारो की परिता ि लकषय पर पिाचना और सिपन का परतयकष िो जाना

सिपन जो मन म हदखता ि आदशि या तरहटरहित विशिाि जो तमिारी आतमा चािती ि ndash ििी जीिन बन जायगा और तम ििी बन जाओग

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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

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विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
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7 परशानत मन

मन की शासनत आतम-बोध का एक दलिभ परिाद ि यि उि आतम-थच ितन का फल ि जो लिब काल तक और धयि पििक ककय गए परयतनो ि िी परापत ककया जा िका ि यि लकषर ि अनभिो की परिता और विचारो क कमि और उनक सिदधाितो क अिाधारर जञान का

मनषय क मन का शानत िोना इि मायन म खाि ि की िि अब यि िमझ गया ि कक उिका जीिन उिक अपन विचारो की िी खती ि और खती का यि जञान िर-एक जो भी विचारो ि बन ि को िमझन क सलए आिशयक ि

जि जि उि इि बात की ििी िमझ िोन लगती ि िि िर एक घटना को उिक उन काररो को अपन अिदर िी जान लता ि कक ि परभाि कयो ि सजिि न तो िि कभी गमराि िोता ि न िी उि ककिी पर िोध या शोक िी िोता ि और उिका मन िदि तनसपरि धयि िान और परशानत बना रिता ि

िि मनषय सजिका मन शानत ि और सजिन अपन आप को अपन विचारो की खती ि िमवदध करना िीख सलया ि जानता ि कक ककि तरि िि अपन को ककिी भी दिर जो भी उिी की तरि बन ि क अनकल बनाय दतनया क लोग इिक बदल उिक उि िचाररक आधयासतमक बल की मन ि िनदना करत ि और यि आशा करत ि ि भी इि िीख ल और इि पर विशिाि कर

सजतना िी शानत मनषय का मन िोता ि उतना िी अथधक उिकी िफलता उिका परताप या यश और उिकी कलयारकारी परततभा िोगी यिाा तक कक एक िाधारर वयापारी भी यि पायगा कक जि जि िि आतम-विशिाि और तनषपकषता का विकाि करगा उिकी वयापाररक

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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

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विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
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िफलता और िमवदध बढ़गी कयोकक लोग उिी ि वयापार करना पििद करत ि सजि ि अपना िमझ और सजिका सिभाि िरल और दढ़ िो

एक वयसकत सजिका मन शानत और दढ़ िो उि िभी पयार करत ि और उिका मन ि िममान िोता ि उि वयसकत का सिभाि लोगो को उिी तरि लगता ि जि तपती गमी म िकष की शीतल छािि या भीरर तफान म ककिी पिित म िरकषकषत गफा का समलना ककि पयार निीि िोता तनशल हदय मद वयििार और िियमी जीिन ि सजि यि मिा परिाद समल गया उि कोई फकि निीि पड़ता कक बरिात िो रिी ि या कड़ी धप कयोकक उिक मन का फलाि िदि मद बिता िआ और शानत ि

सिभाि का िि अलौककक दशिन सजि िम परशानत मन कित ि परततकिया रहित िि कमि ि सजिका जीिन पषप ि और आतमा फल यिी मलयिान धरोिर सजि विदया या वििक (उथचत-अनथचत तनरिय की शसकत) भी कित ि िोन ि भी बित कीमती ि धन कमाना उिक सलए ककतना अथििीन िोगा सजिका जीिन तनमिल और मन शानत िो गया िो और उिकी आतमा ितय क अदभत िमदर (जिाि भी दख ितय िी हदख) क बीच म ससथत ि जो उन तरिगो क नीच िो रि कोलािल और परततकियातमक कमि ि पर ि और यिी ि अनित शासनत

ककतनो को िम जानत ि जो अपन जीिन की मद और अदभत ििदरता ि अपररथचत ि और उि जीिन को कटता ि भर सलया ि और ि अपन भयािि वयििार ि अपन सिभाि को नषट कर ल रि ि और किीि भी ि शासनत निीि चाित यि परशन अब िमार िामन आ खड़ा ि कक कि अथाि मनषयो को यि िमझाया जा िकगा कक ि अपन जीिन को नषट न कर और अपन आतम बोध की इि कमी क चलत परिननता क अििर को और न खोएा ककतन कम लोग बाकी बच ि सजनिोन जीिन म िियम बचा कर रखा ि और उनक पाि अलौककक शासनत ि जो उनक ििोततम सिभाि का लकषर ि

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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

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विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन
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दाि कषर (कषर गोपाल समशर) 1958 म भारत म जनम और अब वयििाय उदयोग और िमाज-तनमािर म मनषयता या मनजमट क परयोग क सितितर सशकषक ि मनषय-धमि की इि खोज म इनक कायि का विसतार िििार क विविध दशो म ि िपपीनि इिजीनीयररिग (अपनापन क सिदधानत) क दाशितनक

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विचारो की खती [जमि एलन कत lsquoएि द मन थथिकथrsquo] ि सलए गए शबद

मन जब तक अपन को बािरी पररससथततयो ि तनसमित मानता ि िि विचसलत रिता ि ककनत जब िि यि जान जाता ि कक िि सियि म िी िसषट क बीज और भसम का तनयितरक ि और ििी उिका कारर ि

सजिि कालाितर म िारा िििार भौततक िो उठता ि तब अपन इि सिभाि को पनः परापत कर िि सितितर िोता ि

मन म थगर िए या रोप गए विचारो क बीज क जड़ को जब फलन हदया जाता ि तब िि बीज अपन आप िी पौधा बन पररससथततयो और अििर का लाभ लकर फसलत िोता ि इि तरि अचछ विचार अचछ फल और बर विचार बर फल दत ि

  • विचारो की खती
  • lsquoएस द मन थिकथrsquo - जमस एलन
  • परारथना [परथम शबद] - जमस एलन
  • 1 विचार और चरितर
  • 2 हमार विचार बाहरी परिसथितिया
  • 3 विचारो का सवासथय और शरीर पर परभाव
  • 4 विचारो क खती का उददशयपरण होना
  • 5 विचार और बदलाव
  • 6 सवपन दषटा आदरश दशय और साकार जगत
  • 7 परशानत मन