गुरु नानक देव जी

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गगगग गगगग गगग गग गग गगगगग गग गगगगगगगग : गगगगग गग गगग गगगगग गग गगगगगग गगग गगगग गगग : गगगगगगग गगगगग गगगगग : 08-11- 2016

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Page 1: गुरु नानक देव जी

गुरु नानक देव जी

एक परि�चयको प्रस्तुत : विवकास स� तथा संजीव स�द्वा�ा पेश विकया गया : विवशान्त बासंल

ता�ीख : 08-11-2016

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गुरू नानक (15 अपै्रल 1469 – 22 सिसतंब� 1539) सिसखों के प्रथम गुरु हैं ।

इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, गुरु नानक देव जी, बाबा नानक औ� नानकशाह नामों से संबोधि.त क�ते हैं।

गुरु नानक अपने व्यसि0त्व में दाश2विनक, योगी, गृहस्थ, .म2सु.ा�क, समाजसु.ा�क, कविव, देशभ0 औ� विवश्वब.ुं - सभी के गुण समेटे हुए थे।

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जन्म :- �ावी नदी के विकना�े �ाय भोई की तलवंडी में 15 अप्रैल, 1469 में कार्तित?की पूर्णिण?मा एक खत्रीकुल में हुआ । वत2मान ननकाना साविहब, पंजाब, पाविकस्तान । विपता का नाम : कल्यानचंद या मेहता कालू माता का नाम : तृप्ता देवी बहन का नाम : नानकी

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विवद्यालय जाते हुए नानक :-

बचपन से प्रख� बुद्धिH के लक्षण । सांसारि�क विवषयों से उदासीन । पढ़ने सिलखने में मन नहीं लगा। ७-८ साल की उम्र में स्कूल छूट गया । इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हा� मान ली । सा�ा समय सत्संग में व्यतीत क�ने लगे। बचपन के समय चमत्कारि�क घटनाए ंघटी इन्हें दिदव्य ऴ्यसि0त्व

मानने लगे।

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सच्चा सौदा :-

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वि��ाह :-

सोलह वष2 की आयु में गु�दासपु� द्धिजले के लाखौकी स्थान के �हनेवाले मूला की कन्या सुलक्खनी से । ३२ वष2 की आयु में प्रथम पुत्र श्रीचंद का जन्म । चा� वष2 पीछे दूस�े पुत्र लखमीदास का जन्म । १५०७ में नानक अपने परि�वा� का भा� छोड़क� म�दाना, लहना, बाला औ� �ामदास को लेक� तीथ2यात्रा के सिलये विनकल पडे।़

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बीबी नानकी

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मोदीखान मैं नौक�ी

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उदासियाँ :-

गुरु नानाक दे� जी की यात्राए ं= ये चा�ों दिदशाओं घूमक� उपदेश क�ने लगे। १५२१ तक इन्होंने तीन यात्राचक्र पू�े विकए, द्धिजनमें भा�त, अफगाविनस्तान, फा�स औ� अ�ब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण विकया। इन यात्राओं को पंजाबी में "उदासिसयाँ" कहा जाता है।

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मक्के का काबा फेरना :-मक्के में मुलमानों का एक प्रसिद्ध पूजा स्थान है जिजे काबा कहते है|

भाई गु�दास जी सिलखते हैं : .�ी विनशानी कौस दी मक्के अंद� पूज क�ाई || द्धिजथे जाए जगत विवच बाबे बाझ न खाली जाई ||

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रचनाए ँ:-

गुरु ग्रन्थ साविहब में शाधिमल 974 शबद(19 �ागों में), गु�बाणी में शाधिमल है- जपजी, सोविहला, दखनी ओंका�, आसा दी वा�, बा�ह माह

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ज्योवित ज्योत माना:-

मृत्यु से पहले अपने सिशष्य भाई लहना को उत्त�ाधि.का�ी घोविषत विकया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए। जीवन के अंवितम दिदनों क�ता�पु� नामक नग� बसाया जो विक अब पाविकस्तान में है औ� एक बड़ी .म2शाला उसमें बनवाई। इसी स्थान प� 22 सिसतंब� 1539 ई को इनका प�लोकवास हुआ।

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.न्यवाद |