श्री रास टीका श्री राजन स्ाामीी ·...

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ी रास टीका ी राजन साी ी रास टीका ी राजन साी काशक ी ाानाक ञानपीठ काशक ी ाानाक ञानपीठ , , सरसाा सरसाा 1 / 814 / 814

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Page 1: श्री रास टीका श्री राजन स्ाामीी · 2019-01-13 · ही यह द्चार आयया दक यद् कबीर जी

शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 11 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी तारारतारामी ााी

शरी रासटीका भााकर

शरी राजन साामीी

परकाशक

शरी पराानाक ञानपीठनकड रोड, सरसाा, सहारनपर, उ.पर.

www.spjin.org

सारधधिकार सरधकषितार (चौपाई छोडकर) © २०१४, शरी पराानाक ञानपीठ टसट

पी.डी.एफ. ससकरा – २०१�

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परसताराना

पराााधिार शरी सनरसाक जी! अकषिरातारीतार शरी राज जी कदल ामी इलामी क अननतार सागर ह। उनकी एक बामीहाामीधतार क धिाामी-हय ामी आययी, जो सागर का सरपबन गई, इसललय कहा गया "नर सागर सर ामीारफतार, सबदलो करसी रोसन" अकारतार ञान क सागर क रप ामी यहतारारतारामी ााी ह जो ामीाररफतार क ञान का सयर ह। यहबरहमााी सबक हय ामी बरहमञान का उजाला करतारी ह।

"हक इलामी स होतार ह, असर बका ीार" का ककनअकषिरशः श सतयय ह। इस बरहमााी की अलौदकक जयोधतारसनरसाक क हय ामी ामीाया का अनधिकार कादप नही रहन गी। इस बरहमााी की कोडी सी अामीतारामीयी बो काभी रसासान करक जी अपन ललय बरहम-साकषिातयकारए अखणड ामीदक का राजा खोल सकतारा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इस लकय की परतार क ललय यह आयशयक ह दक अनकभारतारीय भाषाओ ामी अतारररतार इस बरहमााी का टीकासरल भाषा ामी परसतारतार हो। यददप ताररामीान ामी अनकोसमामीाननीय ामीनीदषयो की टीकाय परचललतार ह, दकनतार ऐसाअनभ दकया जा रहा का दक एक ऐसी भी टीका हो, जोदशलषाातयामीक हो, सनभर, भााकर, सपषटीकरा एदटपपणायो स यक हो।

ामीझ जस अलपञ ए अलप बधद ाल वयदक क ललययह कादप समभ नही का, दकनतार ामीर ामीन ामी अचानकही यह दचार आयया दक यद कबीर जी और ञानशर जीजस सनतार अपन योगबल स भस स ामीनो काउचचारा करा सकतार ह, तारो ामीर पराालभ अकषिरातारीतारामीर स टीका की सा कयो नही करा सकतार ? इसीआयशा क साक ामीन अकषिरातारीतार शरी जी क चराो ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अनताररातयामीा स पराकरना की।

धिाामी धिनी शरी राजशयाामीा जी ए सदर ामीहाराज शरीराामीरतारन ास जी की ामीहर की छा तारल ामीन यह कायरपरारमभ दकया। सरकार शरी जगीश चन जी की परराा नामीझ इस कायर ामी दताराप रक जट रहन क ललय परररतारदकया। इन सबका परधतारफल यह टीका ह।

सभी समामीाननीय प र टीकाकारो क परधतार शरदा -सामीनसामीरपतार करतार हए ामी आयशा करतारा ह दक यह टीकाआयपको रधचकर लगगी। सभी सनरसाक स दनन हदक इसामी होन ाली दटयो को सधिार कर ामीझ भीसधचतार करन की कपा कर, जजसस ामी भी आयपकअनामीोल चनो स लाभ उठा सक ए अपन को धिनय-धिनय कर सक।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयप सबकी चरा-रज

राजन साामीी

शरी पराानाक ञानपीठ, सरसाा

जजला- सहारनपर, उ० पर०

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अनकामीणाका

पर. दषय पष अनभदामीका १३

१ ह पहला ामीोहजलनी कह ातार ३४

२ ामीाया गई पोतारान घर १३९

३ भडा जी जागज र १६९४ परामी सा ाल परकट कीधिी १९९५ एा पगल आयपा चाललए २०९६ अखड सरपनी अअससकर आयकार

(शरी ठकरााीजीनो जसागार)२४३

७ जोगामीाया नो ह धिरीन (शरी साकनो जसागार)

३०७

� पहलो जसनगार कीधिो ामीार ालजीए (शरीराजजीनो जसागार)

३१७

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

९ ालयो ााी एामी उचरजी (उकला) ३५७१० जीन सखी ान रग जोइएजी

(ान खाडय छ)३९७

११ ाल ख लीधिो रललयाामीाो (राामीतार पहली)

४१७

१२ ामीार ालए करी उामीग ४३११३ ालयो रामीाड र ४४०१४ आयोर सलखयो आयपा हामीची खदए ४५४१५ ाला आयपा रदामीए आयख दामीचाामीाी ४५९१६ सखी खभान न नी ४७०१७ ओरो आय ाला आयपा फडी फररए ४�५१� भलाीनी राामीतार कीज ४९११९ आयज राज परा काज ४९६२० राामीतार ग ताराी र ५०४

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

२१ राामीतार करतारालीनी र ५१०२२ उामीग उयो साक ५१५२३ ओरो आय ाला आयपा घामीडल घदामीए ५२३२४ कोणाया रदामीए र ामीारा ाला ५२�२५ आयो ाला राामीतार रासनी कीज ५३५२६ सखी एक भातार र ५४२२७ राामीतार आयबानी कीज ामीारा ालया ५४७२� राामीतार उडन खाटलीनी ५५४२९ ाला तारामी दनरतार करो ामीारा नाहोजी र ५६०३० ामीग चग, तारबर रग, अधतार उामीग ५६७३१ हामीचडी सखी सग र ५७४३२ ानामीा राामीतार करतारा

(राामीतार अताररधयाननी)५�५

३३ आयन रोतारा रदामीए एामी ६२७

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

३४ उछरग अग सरी ६५२३५ आयपा रग भर रदामीए रास ६६०३६ रामीतार रास करतार हास ६६�३७ जओ र सलखयो तारामी ााी ालाताराी ६७४३� बललयाामीा ीस बल ६�२३९ आयी कसरबाई कह र बहनी

(कसरबाईनो झगडो)६९३

४० छडो न छटक, अग न अटक ७०३४१ ऊभा न रहो र ाला ऊभा न रहो ७२०४२ एा सामी राामीतार गामी ७३४४३ छल छछरीन लीधिी बाक जगतार ७४१४४ सखी सखी परतार सयाामी ७४�४५ अाी हार झीला रग सोहाामीाा र

(झीलाा)७५२

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

४६ फरतारा फर बाजोदटया (भोग) ७७०४७ ाला ालामीजी ामीारा ७�२

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दनजनाामी शरीकषा जी, अनाद अछरातारीतार।

सो तारो अब जाहर भए, सब दधि तारन सहीतार।।१।।

शरी सयाामीा जी र सतयय ह, सा सतार सख क ातारार।

दनतारी एक जो लभा, ामीो अगना की अदधिार।।२।।

ानी ामीर दपउ की, नयारी जो ससार।

दनराकार क पार क, धतारन पार क भी पार।।३।।

अग उतयकणठा उपजी, ामीर करना एह दचार।

ए सतार ानी ामीक क, लऊ जो इनको सार।।४।।

इन सार ामी कई सतार सख, सो ामी दनरन कर दनरधिार।

ए सख उ बरहमसषट को, तारो ामी अगना नार।।५।।

जब ए सख अग ामी आयही , तारब छट जाए दकार।

आययो आयनन अखणड घर को, शरी अछरातारीतार भरतारार।।६।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रास

शरी पराानाक जी ामीअसनर (गमामीट जी) पनना ामी दराजामीानतारारतारामी ााी की ामील परधतार ामी रास गनक ामी छठी चौपाईनही ह तारका शरी शयाामीा जी क सकान पर "शरी चन जीसतयय छ" ललखा हआय ह।

ऐसी ामीानयतारा ह दक जब अकषिरातारीतार शरी राज जी शरीचन जी (शरी शयाामीा जी) को शयाामी जी क ामीअसनर ामीशरन कर उनक धिाामी हय ामी दराजामीान हए, तारो ामीाएक चौपाई का तारारतारामी-

"दनजनाामी शरी कषा जी, अनाद अछरातारीतार।

सो तारो अब जाहर भय, सब दधि तारन सहीतार।।"अतारररतार हआय। दकनतार यह चौपाई उस सामीय अतारररतारहई, जब शरी चन जी शयाामी जी क ामीअसनर स चलकरअपन घर (शरी राज ामीअसनर) आयय। शयाामी जी क ामीअसनर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी तारो धिाामी धिनी क साक कल ातारार ही हई की।

सरी, तारीसरी, चौकी, पाची चौपाई ीबनर ामीशरीजी क ामीखारदन स उस सामीय परकट हई, जब जयराामी कनसारा को जागतार करन क ललए ीबनर गयहए क।

जब अनपशहर ामी परकाश दहनसतारानी का अतारराहआय, तारो परकट ााी ामी पाच चौपाइयो क साक छठी चौपाई भी जड गई।

इस परकार, तारब स य छः श चौपाइयो का पार तारारतारामीामीाना जान लगा। दकनतार, यह ही अनपशहर ह, जहासन की ााी अतारररतार हई। जब शरीजी न शख बलजी को दली की जाामीा ामीअससज ामी सन सनान क ललएभजा तारो उसामी "दनजनाामी शरी कषा जी" की जगह"दनजनाामी शरी जी सादहब" होना जररी का, कयोदक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कटटर शरातारौरा की राह पर चलन ाला औरगजलाबबाशाह शरी कषा जी क नाामी स सहामीतार ही नही होसकतारा का। सन ऐसा गनक ह जो सार दश को (-कतारब की ामीानयताराओ को) एक सतयय क झणड क नीचलान का साामीरयर रखतारा ह। यही कारा ह दक कलशदहनसतारानी क दहन पकषि स समबअसनधितार बारह परकरा भीसन क अनर दए गए ह।

इस परकार सन ााी ामी दहन-ामीअससलामी (-कतारब)ोनो ही पकषिो की ाशरदनक सामीीकषिा हो जातारी ह।

यद सदाअसनतारक रप स खा जाए तारो दकामी समतार१७३५ क पशातार शयाामीा जी क सादामीतय (बाशाही) क४० षर परारमभ होतार ह और इस परकार शरी ामीहाामीधतार जीको पार बरहम अकषिरातारीतार कहलान की शोभा पराप होतारी ह।

पार बरहम सार दश का ह, इसललए -कतारब की ोनो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिाराओ को दामीलाकर तारारतारामी ामी "शरीजी सादहब" क नाामीकी जो शरआयतार हई, ह अअसनतारामी गनक ामीाररफतार सागरतारक चलतारी गई। दहनी ससकतार ामी "शरीजी" का अकरजहा अननतार शोभा स समपनन परबरहम होतारा ह, ही कतारबपरमपरा ामी "साहब या सादहब" होतारा ह। अगजी ामी भीइस साहब (Sahab) कहतार ह।

सन ााी क परकाश ामी शरी पराानाक जी अकषिरातारीतार करप ामी ामीा दहन सामीाज क ही आयराधय नही रह, बअसलकसार दश क पार बरहम सधचचानन क रप ामी पहचान गए।यही कारा ह दक हबश ामी अतारररतार परकाश गजरातारी ामीजहा "दनजनाामी शरी कषा जी" की छाप रहगी, ही अनपशहर ामी अतारररतार परकाश दहनसतारानी ामी "दनजनाामी शरीजी सादहब जी" की छाप रहगी, तारका सरतार ामी अतारररतारकलश गजरातारी ामी "दनजनाामी शरी कषा जी" की छाप

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रहगी, अनप शहर ामी अतारररतार कलश दहनसतारानी ामी"दनजनाामी शरी जी सादहब जी" की छाप रहगी।

इस जसदानतार क अनसार रास, परकाश गजरातारी,षटऋतार, कलश गजरातारी, और दकरतारन, इन पाच गनकोामी स र "दनजनाामी शरी कषा जी" की ही छाप रहगी,तारका शष अनय गनको- परकाश दहनसतारानी, कलशदहनसतारानी, सन, खलासा, लखलतार, पररकामीा,सागर, शरगार, ससधिी, ामीाररफतार सागर, तारकादकयाामीतारनाामीा ामी स र "दनजनाामी शरी जी सादहब जी" कीछाप रहगी।

यद, अब पर दकया जाय दक दकसी भी समपराय ामी ोामीन नही होतार ह , तारो इसका उतर यह ह दक ताराअसतयकददषट स तारारतारामी धिनी की पहचान ह। यद हामी बीतारक कककन "ामी तारारतारामी सोय" क ककन क आयधिार पर ामीन

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भी ामीान, तारो एक ही राामीानज समपराय ामी कई ामीनखन ामी आयतार ह, जस-

१. ॐ नामीो भगतार ासाय।

२. ॐ नामीो नारायााय।

३. शरी राामीानज शरा परपद।

राामीानज समपराय की ही राामीानन शाखा ामी ामीनो कीभरामीार ह और दनरा रप स सभी षा उससीकार करतार ह, जस-

१. सीतारा राामीाभया नामीः श

२. ॐ रा राामीाय नामीः श

३. शरी राामीः श शरा ामीामी

४. ॐ ह हनामीतार नामीः श

इसी परकार राामी-लकामीा, भरतार, सीतारा, शघन,

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हनामीान, आयद क नाामी स अलग-अलग गायी ामीन भीबनाय गए।

ामीन का उदशय यकाकर सतयय को शारना होतारा ह, दकनतारजब कामीरकाणड की ओट ामी रदादतारा की चार ओली जातारी ह, तारो दाो की शरखला शर हो जातारी ह ,जो कभी कामीन का नाामी नही लतारी। तारारतारामी ााी कपरकाश ामी यद हामी दक ददषट स ख तारो हामी ोनोतारारतारामीो (दनजनाामी शरी कषा जी, दनजनाामी शरी जीसादहब जी) को ामीानना यदकसगतार ह।

रास गनक को छोडकर परायः श सभी गनको ामी तारारतारामी कीकल एक चौपाई ामीगलाचरा क रप ामी ललखी जातारी ह।

परायः श इस चौपाई का यही अकर दकया जातारा ह-

शरी राज जी शरी चन जी क साामीन परकट होकरकहतार ह- "ामीरा नाामी शरी कषा ह, ामी अनाद ह , तारका

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अकषिर स भी पर अकषिरातारीतार ह।" दकनतार इस परकार काककन उधचतार नही ह, कयोदक सरी पदक ामी कहा गया हदक "सो तारो अब जाहर भए, सब दधि तारन सहीतार।" यहककन परकामी परष (3rd person small) ामी कहा गया ह।जबदक परकामी पदक को उतामी परष (1st person small)

ामी कहा हआय ामीाना जा रहा ह।

यद यह कहा जाय दक पहली पदक शरी राज जी न कहीह, सरी पदक शयाामीा जी न कही ह कयोदक पहलीपदक ामी सोलह अकषिर पर हो जातार ह , इसललए सरीपदक शयाामीा जी की कही हई ामीानी जायगी।

इस परकार का ककन पद पराा का ह , जजसकचडाामीणा ामीन ामी (१६) सोलह अकषिर कह गए ह। ऐसीामीानयतारा -शासतरो क दपरीतार पौराणाक ह। कया हामीारआयराधय गोलोकासी ह दक हामी तारारतारामी क परामीाा क

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 2020 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ललए पद पराा का आयधिार लना पड। गायी ामीन ामी"भभ रः श सः श" का परयोग हआय ह, जजसका अकर "सतार-धचद-आयनन" होतारा ह। जब गायी ामीन ामी चौबीसअकषिर (२४ अकषिर) हो सकतार ह, तारो तारारतारामी ामीन ामीसोलह अकषिरो की सीामीा रखा कयो? ामी जगतारी छनामी ललख गए ामीन ४� अकषिरो क होतार ह। इस परकार यहककन पारतारया दनराधिार ह दक ामीन ामी सोलह अकषिर सजयाा नही हो सकतार।

अक तारारतारामी की छह चौपाइयो का अकर इस परकार ह-

दनजनाामी शरीकषा जी, अनाद अछरातारीतार।

सो तारो अब जाहर भए, सब दधि तारन सहीतार।।१।।

शयाामीा जी कहतारी ह- जो सधचचानन परबरहम अनादह, अकषिर स भी पर अकषिरातारीतार ह, वरज-रास ामी जजनहोन

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी कषा नाामी को धिारा करक लीला की, ही अब ामीरधिाामी हय ामी परामीधिाामी क समपार ञान क साक परकट(दराजामीान) हए ह। इसी परकार जब इनातारी जी कधिाामी हय ामी यगल सरप दराजामीान होतार ह , तारो कहतारी ह दक जो सधचचानन परबरहम अनाद ह , तारकाअकषिर स पर "अकषिरातारीतार" ह, इस जागनी बरहमाणड ामीामीर धिाामी हय ामी परामीधिाामी की समपार दनधधियो क साकदराजामीान हए ह, तारका इस जागनी बरहमाणड ामी दहनओ(दहन, बौद, जन, जसख, आयद) क ललए "शरीजी" करप ामी तारका कतारब परमपरा क अनयाधययो (ामीअससलामी,दकधशयन, यही, आयद) क ललए "सादहब जी" क रपामी परकट हए ह।

यद यह सशय दकया जाय दक पहल तारारतारामी ामी शयाामीाजी का ककन ह, जबदक सर तारारतारामी ामी इनातारी जी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

का ककन ह तारो कया इस परकार क दरोधिाभास सशयाामीा जी क तारन स अतारररतार तारारतारामी की अहलनानही होतारी?

इसक सामीाधिान ामी यही कहा जा सकतारा ह दक इसपरकार की बातार तारो तारब हो, जब "शरी चन जी" या"शरी दामीदहरराज" न तारारतारामी कहा हो।

जब तारारतारामी ााी ामी इनातारी जी सय कहतारी ह-

"ामीरी बधि लगा न दनकस ामीख, धिनी जाहर कर अखड घर सख।"

पर. दह. २९/७

"आय चन ामीहराज परगट न काय।" पर. ग. ४/१४

"जजन कोई ओ ामीहाामीतारी को ोष।" पर. दह. ४/१३

"ए चन ामीहाामीतारी स परगट न होए।" पर. दह. ४/१४

तारो यह कस कहा जा सकतारा ह दक शरी इनातारी जी नतारारतारामी कहा ह। ासतारदकतारा तारो यह ह दक शरी राज जी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

न ही ोनो तारनो ामी दराजामीान होकर तारारतारामी कहाया ह।सरप को छोडकर रप की भाअसनतार ामी पडन स ही इसताररह की ामीानयताराए परचललतार हो जातारी ह दक अामीकतारारतारामी शरी चन जी न कहा ह तारका अामीक तारारतारामीशरी ामीहाामीधतार जी न कहा ह। जब बीतारक ामी सपषट रप सकह दया गया ह दक "ए रसना शयाामीा जी की, दपलाताररस रब का", तारो यह दनधशतार ह दक ोनो तारनो ामीदराजामीान होकर शरी राज जी ही सब कछ कर रह ह।कहन की शोभा भल ही ोनो तारनो को रह ह।

शरी सयाामीा जी र सतयय ह, सा सतार सख क ातारार।

दनतारी एक जो लभा, ामीो अगना की अदधिार।।२।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक शरी शयाामीा जी क परीतारामीआयप अकषिरातारीतार परामी सतयय ह और हामीशा अखणड सख

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को न ाल ह। ामीर दपरयतारामी! आयपस ामीरी यही पराकरना हदक आयप ामीझ अगना को सीकार कीजजए, अकारतार परामीकी छछाया ामी रलखए। (यह ककन ीबनर ामी जयराामीकनसारा को समबोधधितार करतार हए कहा गया ह, जो "शरीचन जी सतयय छ" अकारतार "शरी चन जी सतयय ह"का रपानताररा ह)

ानी ामीर दपउ की, नयारी जो ससार।

दनराकार क पार क, धतारन पार क भी पार।।३।।

ामीर धिाामी धिनी! आयपक दारा कहा हआय परामीधिाामी कीााी रपी यह तारारतारामी ञान ससार की अनय ञानधिाराओ स अलग ह, कयोदक यह जागतार बदद का ञानह। इस तारारतारामी ञान ामी आयपक उस सरप की पहचानकरायी गयी ह, जो दनराकार, बह, ए अकषिर स भी पर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अकषिरातारीतार ह।

दशष- यददप हबश ामी रास , परकाश, षटऋतार, एकलश गजरातारी की ो चौपाइयो का ारन हो चका का,दकनतार इस चौपाई ामी "ााी ामीर दपऊ की" क ककन कातारातयपयर शरी राज जी क उन चनो स ह , जो ोनो तारनोस कह गए। चाह "शरी चन जी" क दारा चचार क रपामी कह गए हो, या शरी इनातारी जी क दारा हबश ामी कहगए हो।

अग उतयकणठा उपजी, ामीर करना एह दचार।

ए सतार ानी ामीक क, लऊ जो इनको सार।।४।।

ामीर परााशर! आयपकी परराा स आयपक कह हए चनोका दचार करन स ामीर हय ामी यह इचछा उतयपनन हई हदक आयपकी कही हई ााी (तारारतारामी ञान) का ामी गमभीर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धचनतारन कर और उसक सार तारत को गहा कर।

इन सार ामी कई सतार सख, सो ामी दनरन कर दनरधिार।

ए सख उ बरहमसषट को, तारो ामी अगना नार।।५।।

उस सार तारत ामी परामीधिाामी क अनको परकार क अखणडसखो का रस णछपा हआय ह। इसललए अब ामी यह अटलपरधतारञा करतारी ह दक उन सखो को आयतयामीाओ तारकपहचाऊ, तारभी ामी धिाामी धिनी की अधिारदगनी कहलान काअधधिकार रख सकतारी ह।

भााकर- तारारतारामी का सार ह- आयतयामी-जागधतार अकारतारअपन आयतयामी-चकषिओ स यगल सरप ए अपनी परातयामीको खना। "जब हक सरतार दल ामी चभ, तारब रह जागीखो सोए।" (शरगार ४/१)

दकनतार जागनी का सार ह- आयतयामी-ददषट स अपन और

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिनी क सरप की यकाकर पहचान। इस असका कोपराप कर लन क पशातार परामीधिाामी क आयठो सागरो का रसहय ामी परादहतार होन लगतारा ह।

इस ही तारारतारामी की ५ी चौपाई ामी परामीधिाामी क अखणडसख क नाामी स रातार दकया गया ह और इस ही अनयबरहमातयामीाओ तारक पहचान की परधतारञा की गयी ह।

परधतारञा की इस कसौटी पर सय को खरा जसद न करपान ाला सतारतारः श सनरसाक कहलान का अधधिकारीनही ह। हामी आयतयामी -ामीनकन करना होगा दक हामी इसपरधतारञा को सय दकतारन अशो ामी परा कर पा रह ह।

जब ए सख अग ामी आयही , तारब छट जाए दकार।

आययो आयनन अखणड घर को, शरी अछरातारीतार भरतारार।।६।।

जब हय ामी परामीधिाामी क अखणड सखो का रस

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परादहतार होन लगतारा ह, तारो ामीायाी दकारो का लश ामीाभी अअससतारतय नही रह जातारा ह, कयोदक उस सामीय हयामी परामीधिाामी क अखणड सखो की षार होन लगतारी ह।अकषिरातारीतार शरी राज जी ही हामीारी आयतयामीा क आयधिार ह।इसललए अपन हय का बहतारा हआय रस हामीारी आयतयामीाक धिाामी हय ामी उडल तार ह।

भााकर- अकषिरातारीतार का सख स रपरकामी आयतयामीा क धिाामीहय ामी आयतारा ह, जजसका अश ामीा ही जी का हयगहा कर पातारा ह, दकनतार ह ही उसक ललए अननतारहोतारा ह। इस समबनधि ामी दकरतारन ७३/७ गनक ामी कहागया ह- "जो सख परआयतारामी को, सो आयतारामी नपोहोचतार।"

इस ददषट स आयतयामीा जी ोनो का ही हय बरहमाननको अननतार क रप ामी गहा करतारा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी शरी शरी गक रास दकताराब अजील ााी परानी

परामीोधिपरी हबसा ामीधय उताररी सो शर हई।। चाल।।

अकषिरातारीतार परबरहम न अपन आयनन अग शरी शयाामीा जीए आयतयामीाओ क साक कल बरहम क आयनन योगामीायाक बरहमाणड ामी परामी क दलास की लीला की की, जजसकाइस गनक ामी ारन दकया गया ह। दहन पकषि ामी उस अदतारपरामीामीयी लीला का ारन शरीामीीागतार क "पचाधयायीरास" क अनतारगरतार ह, दकनतार इसामी भी परधतारदबमब कीलीला का ही ारन ह, ासतारदक ामीहारास का नही । इसीआयधिार पर इस गनक का नाामी "रास" गनक भी रखा गयाह।

तारब भाग जोस कही पच अधयाई, रास बरनन ना हआय धतारन ताराई।।

परकाश दहनसतारानी ३३/२०

सतारतारः श रास ऋग क इस ककन का ही फलीभतार रप

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह- "यगन सयाामी अहामी तयामी तयामी ा धिा सयाामीहामी।"अकारतार ह परबहम जो तार ह, ह ामी हो जाऊ, और जो ामीह, ह तार हो जा।

तारताररीय उपदनष ामी कहा गया ह - "रसो सः श",अकारतार ह परबरहम रस रप ह। परामी, आयनन, सौनयर,एकतय, आयद का ह घनीभतार रप परबरहम अपनीअगरपा आयतयामीाओ क साक सी ही कीडा करन लग,जस सागर अपनी लहरो क साक करतारा ह, तारो उस ही"रास" कहतार ह।

रास का तारातयपयर ामीा बाह अगो स होन ाली नतययआयद की कीडा नही , बअसलक अकषिरातारीतार क हय स बहनाली रसधिारा का आयतयामीाओ क हय ामी परादहतार होनाही रास ह। कतारब पकषि ामी बाइदबल ामी परामी तारत को शारयागया ह। Old Testament ामी सलामीान क स रशरष गीतारो ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परबरहम को र ए आयतयामीा को धि क रप ामी धचदतारदकया गया ह। New Testament ामी भी इसी परकार कापरसग ह। इस परकार बाइबल का सार ह- Supreme

.Truth God is Love इसी ताररय क अनसार इस गनकको परानी इनजील ााी कहा गया ह।

करआयन क जसपारा १६ सरा १९ ामी हबस क परसग काारन ह। इसामी यह बातार शारयी गयी ह दक अफीका कहबश (इकोदपयो) का बाशाह ामीहमामी सादहब कसाणकयो क ामीख स करआयन क सोलह पार को सनकरअलाह तारआयला क दरह ामी डब गया का। यही अससकधतार शरीदामीदहरराज जी की भी हई दक अपन धिाामी धिनी क दरहामी डब गय।

शरी दामीदहरराज जी जजस कारागार ामी नजरबन क, उसपरबोधिपरी भी कहतार ह, कयोदक उसामी ही शरी इनातारी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जी दक आयतयामीा को धिनी का ए अपन दनज सरप कापरबोधि हआय का, तारका सनरसाक को परबोधधितार करनाली बरहमााी का अताररा हआय।

इस गनक क परारअसमभक पाच परकरा दकामी समतार१७२२ ामी ीबनर ामी उतारर , जब अकषिरातारीतार शरीपराानाक जी जयराामी भाई कसारा को जागतार करन हतारहा पधिार क। शष ााी हबश क अनर द.स. १७१५ामी उताररी ह। इस गनक ामी परबरहम की उस अदतार परामीामीयीलीला का ारन ह, जजस -कतारब क ामीाधयामी सससार न पान का बहतार परयास तारो दकया, दकनतार एक बभी न पा सका।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह पहला ामीोहजलनी कह ातार, तार तारा खरपी दन रातार।

ाानल बल कई भातार, ताराी कटली कह दियातार।।१।।

अब ामी स रपरकामी ामीोहजल (ामीायाी भसागर) की बातारकहतारी ह। यह दन-रातार (दनरनतारर) ः शखामीयी हीदखायी तारा ह। इस भसागर रपी न ामी अनक परकारकी ाादगन जला करतारी ह , जजसक बार ामी ामी दकतारनाारन कर?

भााकर- यह परकरा उस सामीय उताररा ह, जब शरीजीजयराामी भाई को जागतार करन क ललय ीबनर गय ह।उनह परबोधधितार करन क ललय शरीजी जब कछ बातार कहलतार ह, तारो ामीाया की पहचान न लगतार ह। इसी कामी ामीइस चौपाई क परकामी चरा ामी ह (अब) शब का परयोगदकया गया ह।

परकधतार का सकामीतारामी सरप ही ामीोह तारत (ामीोह सागर)

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह। इस ही ामीहाभारतार ामी कहा गया ह- "जगतार ामीोहातयामीकपराहः श अवयकातार वयक सञकामी" अकारतार अवयक ामीोहजलस परकट होन ाला यह जगतार ामीोहामीयी (अञानामीयी) ह।

ामीोह तारत को ही बौद शरन ामी शनय , शकराचायर कअदतार शरन ामी अञान (अददा या भामी), तारका शदषकोकी ददषट ामी काल , तारो जन शरन ामी कामीर का ामील कहागया ह।

इस ामीोहसागर ामी फसा हआय चतारनय जी परामी, शाअसनतार,ए आयनन की खोज ामी परकधतार क भोगो की ओरसाभादक रप स आयकरषतार होतारा ह। इस ही भोग कीइचछा रपी तारषाा या ासना कहतार ह। इसक शीभतारहोकर जी शभ या अशभ कामीर करतारा ह, जजसक काराउस सख-ः शख का भोग करन क ललय जनामी-ामीरा कचक ामी भटकना पडतारा ह।

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इस परकार यह समपार जगतार दनरनतारर ः शखामीयी बनारहतारा ह। जजस परकार दकसी न ामी आयग लग जान परह एक-एक कषि पर फलन लगतारी ह तारका कोडी ही रामी सारा न जलकर राख हो जातारा ह, उसी परकार तारषाारपी अदगन ामी जी का ासतारदक आयनन जलकर सामीापहो जातारा ह। परकधतार क शब, सपशर, रप, रस, गनधि,और लोकषाा (ससार ामी परधतारषा की इचछा), दतषाा(ऐशयर की इचछा), तारका ारषाा (सासाररक समबनधिो ामीआयसदक) की अदगन उस ाादगन की ताररह ह, जजसामी कभीभी शाअसनतार नही दामीलतारी। चौपाई क तारीसर चरा ामी कणकतारअनक परकार की ाादगन कह जान का यही आयशय ह।

इस जगतार ामी जलान ाली ामीियतारः श तारीन परकार की अदगनहोतारी ह-

१. बडादगन- जो सामी क जल को जलातारी ह।

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२. ाादगन- यह न को जलातारी ह।

३. जठरादगन- जो भोजन को पकातारी ह।

दकनतार उपरोक चौपाई ामी ाादगन क दषटानतार क ामीाधयामीस तारषाा की अदगन क दारा लौदकक दषय-सख रपीकषिो का जलना बताराया गया ह। यह अदगन कभी बझतारीनही ह और सा ही ः शख का कारा बनी रहतारी ह।

दसन लागी जाा बराधि, ामीाह अदगन बल अगाधि।

तार तारा पीड षट न साधि, नही अधिलखानी सामीाधि।।२।।

समपार दश ामी अदामीट रोग की ताररह ामीायाी तारषाा कीऐसी आयग लगी हई ह, जजसकी कोई काह (ामीाप) नही पासकतारा। चाह कोई साधि-सनतार हो या षट हो, सभी कोइसन पीदडतार कर रखा ह। इसका परभा इतारना अधधिक हदक आयधि कषिा क ललय भी दकसी को ामीानजसक शाअसनतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नही दामील पा रही ह।

भााकर- "ामीाया तार परकधतार दधधि" शतारा. उप. क इसककन क अनसार परकधतार को ही ामीाया कहा जातारा ह।परकधतार क शब, सपशर, रप, रस, तारका गनधि क रप ामीउपलबधि सखो क भोग की इचछा ही तारषाा कहलातारी ह।यह परलत परतययक परााी ामी होतारी ह।

जी जजतारना ही अधधिक ामीाया का सख भोगतारा ह,उतारना ही उसक धचत ामी भोग क ससकार परबल होतारजातार ह। पररााामी यह होतारा ह दक उसकी तारषााउतरोतर बतारी जातारी ह और ह ससकार-तारषाा-भोग-जनामी-ामीरा क चक ामी फसा रहतारा ह तारका इससकभी ामीक नही हो पातारा।

इस ही उपरोक चौपाई ामी अदामीट रोग की सञा ी गयीह। ऐसा ामीाना जातारा ह दक को रोग जनामी-जनामीानताररो ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बना रहतारा ह। इसी परकार ामीायाी सखो क भोग कीतारषाा भी जनामी-जनामीानताररो ामी बनी रहतारी ह, जो जनामी-ामीरा रपी ः शख का ामील कारा ह। भोग की इस ासनास साधि-सनतार और षट सभी पीदडतार रहतार ह। अनताररकल इतारना ही ह दक साधि -सनतार जहा सतारोगाीसभा क होन क कारा साअसतयक सखो की काामीना ामीबधि रहतार ह, ही षट लोग तारामीोगाी होन क काराताराामीजसक सखो (ामीास, शराब, राचार, आयद) कबनधिनो ामी बधि रहतार ह।

परकधतार दगााअसतयामीका ह। परबरहम क ञान ए परामी -ामीागरक आयलमबन स ही इसक बनधिनो स ामीक हआय जासकतारा ह और शाशतार शाअसनतार पराप की जा सकतारी ह।इसी सनभर ामी कठोपदनषद का ककन ह - "तारामीआयतयामीसक य अनपशयअसनतार धिीराः श तारषा शाअसनतारः श शाशतारी न

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इताररषाामी" कठो. अधयाय २, ली. २, शलोक २३,अकारतार जजनहोन आयतयामीसक होकर सधचचानन परबरहम कासाकषिातयकार दकया होतारा ह, एकामीा उनही क पास शाशतारशाअसनतार होतारी ह, अनयो क पास नही ।

कपा करोछो अामीज ताराी, जसखाामीा ओ छो अधतारघाी।

अहदनस लओ छो अामीारी सार, तारो ामीोहजल उताररस पार।।३।।

ामीर धिाामी धिनी! हामीार ऊपर आयप पल-पल कपा कर रहह तारका अपन तारारतारामी ञान क दारा आयपन हामी अपारणशकषिा ी ह। यद आयप इसी परकार दन-रातार हामीारीसधधि लतार रह, तारो यह दनधशतार ह दक हामी सभी आयतयामीायअशय ही इस भसागर स पार हो जायगी।

भााकर- शरी इनातारी जी का यह ककन शरी चनजी क धिाामी हय ामी दराजामीान अकषिरातारीतार क परधतार ह ,

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जो अपन तारारतारामी ञान स सब सनरसाक को ताररह-ताररह की णशकषिा (जसखापन) तार रह ह। उपरोक चौपाई ामीउनहोन अपन परााशर क परधतार यह कतारञतारा परकट की हदक यद आयप इसी परकार हामीार ऊपर अपनी कपा कीषार करतार रह, तारो यह ामीाया कभी भी हामी अपन बनधिनामी नही रख पायगी। इस चौपाई क तारीसर चरा ामी कणकतार"सधधि लन" का तारातयपयर ह- कशल कषिामी बनाय रखना,अकारतार ामीायाी जगतार ामी बरहमसदषटयो की परतययक अससकधतार(सख-ः शख) ामी अपनी कपा ददषट बनाय रखना।

ए ामीाया छ अधतार बलतारी, उपनी छ ामील धिाी ककी।

ामीदनजन न ामीनावया हार, जस बरहमादक न लह पार।।४।।

इस ामीाया की शदक बहतार अधधिक ह। यह ामीलतारः श धिाामीधिनी क आयश स ही उतयपनन हई ह। बड-बड ामीदनयो न

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भी इसस हार ामीान ली। णश जी तारका बरहमा आयद ताराभी इसकी शदक का पार नही पा सक ह।

भााकर- इस चौपाई क सर चरा का अणभपराय यहकादप नही ामीान लना चादहए दक ामीाया परामीधिाामी ामी हऔर ही स परकट हई ह। परामीधिाामी ामी कोई भी नयीसतार नही बन सकतारी।

सतारतारः श ामीाया का ामील सकान अवयाकतार का ामीहाकारा(सामीगला परष) ह, जो सबललक का सकल कहलाताराह। इस समबनधि ामी दकरतारन ६५/२० ामी कहा गया ह-

परकतारी प ा कर, ऐस कई इड आयलामी।

ए ठौर ामीाया बरहम सबललक, दगन की परआयतारामी।।

"सामीगला परष" धचानन लहरी का वयक सरप ह।सबललक का धचत तारका कल का आयनन सरपदामीलकर धचानन लहरी कहलातारा ह। सामीगला परष

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(अवयाकतार का ामीहाकारा) ही सकल ामी रोधधिनी शदक एपरा (ॐ) ह, जजसस ामीोहसागर की उतयपलत होतारी ह।

अवयाकतार को सतार ामीाया, सबललक को धचतार ामीाया, तारकाकल बरहम को आयनन योगामीाया कहा जातारा ह। इसीपरकार सतयसरप को अकषिर बरहम की ामील ामीाया या ामीलपरकधतार भी कहा जातारा ह।

ामीोह सागर स कालामीाया क जजस बरहमाणड की उतयपलतहोतारी ह, उस का ामील योगामीाया का बरहमाणड ह।अकषिरातारीतार क सतार अग अकषिर बरहम क ामीन ामी सदषट रचनाका जो सकलप होतारा ह, ह सतयसरप, कल स होतारहए सबललक ए अवयाकतार ामी आयतारा ह , जजसस यहामीोहसागर का बरहमाणड ददषटगोचर होन लगतारा ह। इस ही"असर स आय हकामी , धतारन हकामी चल कई हकामी "(सनधि २१/१४) कहा गया ह।

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इतार अछर को दलसयो ामीन, पाच तारतय चौ भन।

याामी ामीहादषा ामीन ामीन क गन, ताराक णकर चर सब उतयपनन।।

पर. दह. ३७/२४

अकषिर बरहम का आयश शरी राज जी का ही आयश ामीानाजायगा, कयोदक ह उनका ही सतार अग ह। सर शबोामी यह भी कहा जा सकतारा ह दक बरहमसदषटयो को खलदखान की इचछा क कारा शरी राज जी न अकषिर बरहमको सदषट रचन का आयश दया, दकनतार यह धयान रखनयोगय ताररय ह दक सदषट परलय का यह पराह अनाद कालस चल रहा ह और ामीा इसी बरहमाणड (वरज, जागनी) ामीबरहमसदषटया आययी ह।

इस परकार दगााअसतयामीका ामीाया (ामीोह सागर) शरी राजजी क आयश स उतयपनन हई ह। उपरोक चौपाई क सरचरा का यही भा ह।

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ामीायाी शब, सपशर, रप, रस, गनधि क सख काआयकषरा इतारना परबल होतारा ह दक बड-बड ऋदष-ामीदनभी इसक जाल ामी फस जातार ह और हार ामीान लतार ह।यद कोई इनक पार भी चला आयय, तारो ामीोह सागर कोपार कर पाना समभ नही होतारा।

सक सनकादक न न टली, लखामीी नाराया न फरीली।

दषा कठ लीधिा ामीाह, सागर जसखर न ामीकया कयाह।।५।।

शक तारका सनकादक को भी इसन जीतारन काअसर नही दया। अपनी शदक स इसन लकामीी -नाराया को भी चारो ओर स घर रखा ह। कणठ ामीअससकतार दषा भगान को भी इसन अपन अधिीन कररखा ह। पाताराल (सागर) स लकर कणठ (णशखर) तारकइसन दकसी भी परााी को सतारन नही छोडा ह।

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भााकर- यददप धयान-सामीाधधि क दारा अकषिर बरहम कीपञ ासनाओ (शक, सनक, सननन, सनातारन,सनतयकामीार, कबीर, णश, तारका दषा भगान) न अशयबह ामीणडल का साकषिातयकार दकया, दकनतार अपन लौदककजीन ामी भी ामीायाी परपञो स कही न कही हारतार रह।

राजा जनक क रबार ामी जब आयग लग गयी, तारो अपनकद क तारब को बचान क ललय रागयामीरतार शक भागतारनजर आयय।

इसी परकार कणठ ामी जय-दजय नाामीक दारपालो कदारा रोक जान पर सनकादक जस योगशर को भी कोधिआय गया और उनहोन उन ोनो को तारीन जनामीो तारकराकषिस योदन ामी रहन का शराप डाला। इस परकार ोनो दहरणयकशयप-दहरणयाकषि, राा-कमभकार, तारकाणशशपाल-नतारक क रप ामी जनामी ललय।

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ामीोहसागर दगााअसतयामीका परकधतार का सकामीतारामी सरप ह।समपार सदषट इसी स उतयपनन होतारी ह। सदषट को उतयपननकरन ाल आयदनाराया का सरप भी इसी ामीोहसागरामी परकट होतारा ह। यही कारा ह दक लकामीी-नाराया कोामीोहसागर क बनधिन ामी कहा गया ह , कयोदक नी (अञान) क शीभतार होन क कारा दनराकार(ामीोहसागर) स पर कछ भी नही जानतार। यद ामीोहसागरस पर का उनह ञान हो जाय, तारो इस सदषट का अअससतारतयही सामीाप हो जायगा। एक आयदनाराया स ामीोहसागर ामीअसियो लोक ए बरहमा, दषा, णश उतयपनन होतार ह, जोामीाया क बनधिनो ामी बनधि रहतार ह। इस परकार परतययकचौह लोको का सामीह (बरहमाणड) ामीाया स हारा हआयामीाना गया ह।

इस समबनधि ामी तारारतारामी ााी ामी कहा गया ह-

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ामील परकतारी ामीोह अह क, उपज तारीनो गन।

सो पाचो ामी पसर, हई अधिरी चौ भन।। दक. २१/२

ए ऊपर ह स कह, बीजा नाामी तार कहना लऊ।

एा चन सरालो कयो, बरहमाडनो धिन स र आययो।।६।।

इन पाचो (सनकादक, कबीर, णश, शक, तारकादषा भगान) स शरष भला इस बरहमाणड ामी और कौनह, जजनका ामी नाामी बताराऊ? इन पाचो का वयदकतय इसबरहमाणड ामी सपपरर ह , अकारतार सपपरर आयधयाअसतयामीकसमपा इनही क पास ह। इनका नाामी लन का आयशय हीह, बरहमाणड क सपपरर आयधयाअसतयामीक वयदकतय का नाामीलना।

भााकर- ञान, भदक, दक, रागय, शील, तारकाआयतयामी-साकषिातयकार ही आयधयाअसतयामीक धिन ह। अकषिर बरहम

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की पञासनाओ क पास यह धिन सबस अधधिक ह,इसललय इनका ारन हो जान पर अनय दकसी का नाामीलन की आयशयका नही रह जातारी ह।

तारतय सह एाीए जीतारी लीधिा, चौ लोक पोताराना कीधिा।

ली लीधिो तारतय ामीोह, ज ककी उपनया सह कोए।।७।।

इसन सभी पाचो तारतयो को जीतार रखा ह तारका चौहलोको क सभी पराणायो को भी शीभतार कर ललया ह।इसक अधतारररक उस ामीोहतारत को भी इसन अपनअधधिकार ामी कर ललया ह, जजसस सारी सदषट उतयपनन हईह।

भााकर- सािय शरन ामी कहा गया ह दक"सतयरजसतारामीसा सामयासका परकधतारः श" अकारतार सतय,रज, और तारामी की सामयासका का नाामी परकधतार ह।

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परकधतार का ही सरा नाामी ामीाया ह। उपरोक चौपाई ामीामीाया क दारा पाच तारतयो, चौह लोको, तारका ामीोहतारतको जीतार लन का भा यह ह दक य सभी ामीाया क हीवयक सरप ह। यददप ामीोहतारत जड परकधतार का हीसकामीतारामी सरप ह, दकनतार इसकी उतयपलत भी सामीगलाशदक क वयक सरप रोधधिनी क दारा होतारी ह।

इस ही अक र �/९/५ ामी "ामीाया ह जञ ामीायया"अकारतार चतारनय ामीाया क सकलप स ामीोह रपी ामीायाउतयपनन होतारी ह, ऐसा कहा गया ह।

पौराणाक ामीानयतारा क अनसार चौह लोक इस परकारह- १. अतारल, २. दतारल, ३. सतारल, ४. तारलातारल, ५.ामीहातारल, ६. रसातारल, ७. पाताराल, �. भलोक, ९.भलपक, १०. सगरलोक, ११. ामीहलपक, १२.जनलोक, १३. तारपलोक, १४. सतययलोक अकारतार

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कणठ।

दकनतार दक ामीानयतारा क अनसार नीच क सातार पाताराललोक परी पर ही ददामीान ह। "पासय तारल यो शः शसः श पातारालः श"। दहामीालय आयद ऊच प रतारीय भभाग कदपरीतार सागर अससकतार नीच क भभाग पाताराल कहलातार ह।इस परकार, सातार सागरो क सामीीपसक भभाग सातारपाताराल लोक कह जातार ह।

भलपक अनतारररकषि लोक को कहतार ह। इसी अनतारररकषि ामी परी आयद सकल लोक ददामीान ह , जजनामी ामीानआयद सकल शरीरधिारी परााी दनास करतार ह। ामीनषयपरायः श रजोगाी होतारा ह। अपनी सतारोगाी असका ामी हतारा कहलातारा ह, तारका तारामीोगाी असका ामी असर याराकषिस कहलातारा ह। पौराणाक ामीानयतारा ामी पाताराल ामीअसरो का, परी पर ामीनषयो का, तारका सगर ामी ताराओ

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का अअससतारतय ामीाना जातारा ह।

दकनतार दक दचारधिारा क अनसार सगर एक असकादशष ह, सकान दशष नही । अपन शभ कामी कअनसार, जब जी सकल शरीर स सख भोगतारा ह, तारोएक परकार स उस सगर का सख भोगना कहतार ह। सररप ामी इस परकार भी कहा जातारा ह दक समपरञातार(सबीज) सामीाधधि को पराप होन ाल योगी , परकधतार कासख भोगतार हए ामीहापरलय तारक इचछानसार सदषट ामीदचरा दकया करतार ह।

सगर, ामीह, जन, तारप, तारका सतययामी को उतरोतर शरषअसका ाला कहा गया ह, अकारतार इनामी सातार(सतययामी) ामी परकधतार का सपपरर सख पराप होतारा ह। ऐसापरतारीतार होतारा ह, जस यह बरहमानन ही हो। इस परकार,समपार सदषट को चौह भागो ामी भी बाट सकतार ह।

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दसतारतार जानकारी क ललय कपया "बरहमाणड रहसय" गनकका अलोकन कर।

साखी- कह इ ातारी लभा, ए ामीाया छ अधतार छल।

ह जधि ामीाड छ अामीस, एहनो कहो न जाय बल।।�।।

ह ामीर धिाामी धिनी! आयपकी अधिारदगनी, ामी इनातारीआयपस एक बातार कह रही ह। यह ामीाया बहतार ही छलामीयीह। अब तारो इसन ामीझस यद ही ठान रखा ह। इसका बलइतारना अधधिक ह दक उसका ारन नही हो सकतारा।

भााकर- ामीाया कोई शरीर धिारराी शदक नही ह , जोयद करतारी ह। इसक लभान बनधिनो ामी जी फस जाताराह और सतयय की राह स भटक जातारा ह। इस ही यद ामीहारना कहतार ह। आयग की चौपाई ामी ामीाया क आययधिो काारन दकया जा रहा ह।

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एहना आयउधि अामीतार रप रस, छल बल ल अकल।

अदगन कदटल न कोामील, चचल चतारर चपल।।९।।

शब, सपशर, रप, रस और गनधि, य ामीाया क ऐसआययधि (हणकयार) ह, जो जी को अामीतार क सामीान दपरयलगतार ह। इनका छल रपी बल इतारना टा होतारा ह दकह जी की बधद को भदामीतार कर तारा ह। यह ामीायाकदटल हय ाली उस गणाका (शया) क सामीान ह,जो अपन कोामील अगो और चचल नो क चतारराई भरचपल हा-भाो स परष (जी) को अपन ामीोह जालामी फसा लतारी ह और जी क अनर इन पाचो दषयो कसखो की तारषाा रपी अदगन प ा करक अपन बनधिन ामीबाधि रखतारी ह।

भााकर- ससार का परतययक पाकर दगाातयामीक पाचतारतयो स ही बना होतारा ह। इसललय ससार क सभी सखो

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को ५ भागो (शब, सपशर, रप, रस और गनधि) ामी बाटागया ह। इनक उपभोग की इचछा ही जी क जनामी-ामीराक चक ामी फस रहन का ामील कारा ह।

उपरोक चौपाई ामी ामीाया को उस गणाका क रप ामीशारया ह, जजसक हय ामी परष (जी) क आयननरपी धिन को लटन क ललय कदटलतारा तारो भरी होतारी ह,दकनतार अपन अगो क कोामील सौनयर तारका नो क चपलकटाकषि रपी बााो क चतारर परहारो स इतारना ामीोदहतार करतारी ह दक उसक साामीन परााी असहाय हो जातारा ह औरभ बनधिन स दनकल नही पातारा।

दषय सख कषिणाक होतारा ह, और अशाअसनतार को उतयपननकरतारा ह। यही कारा ह दक उसकी उपामीा चचल नो सी गयी ह। सखो क भोग क दकहीन आयकषरा को"चपल" शब स समबोधधितार दकया गया ह, जबदक ञान

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और रागय क भाो ामी डबी हई तारपअससनी, योदगनी, यासाधी नारी क नो को अधतार शानतार और अससकर रप ामीशारया जातारा ह।

सखो क भोग की यह अदगन कभी शानतार नही होतारी हऔर अददा (ामीाया) क कारा उतरोतर बतारी हीजातारी ह। पररााामीसरप जी का भ बनधिन और दहोतारा जातारा ह।

चाल-

ह एहनो कटलो कह दसतारार, जोरार अधतार अपार।

ामीोस जधि ामीाड आयसाधिार, जधि कर छ ार ार।।१०।।

अब आयप ही बताराइय दक इस ामीोदहनी ामीाया का कहातारक ारन कर? सबको भदामीतार करन ाली इस ामीायाकी शदक बहतार अधधिक अननतार ह। इसन ामीझस भयकर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यद दकया ह और अब तारक दनरनतारर आयकामीा करतारी रहीह।

एहन लागयो कोई एो खार, ामीारो कड न ामीक नार।

ामी बाधया साामीा हणकयार, तारो जाणयो जोप एहनो ामीार।।११।।

इस ामीाया को ामीझस ऐसी धच हो गयी ह दक यह दकसीभी परकार स ामीरा पीछा नही छोडतारी ह। इसललय ामीन भीइसस लडन क ललय अपन आययधिो को समभाल (गहाकर) ललया ह। इस परकार, इसक परहारो को ामीन अचछीताररह स जान ललया ह।

भााकर- इस चौपाई क सर चरा ामी नार (नारी) काककन "ामीाया" क ललय परयक दकया गया ह , कयोदकपरकधतार (ामीाया) को सतरीतलग ामी ही वयक दकया जातारा ह।ामीाया स लडन क ललय परामी ही अामीोघ हणकयार ह। अटट

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दशास, सामीपरा, आयद भी आययधि ह , दकनतार परामीसपपरर ह। सतारतारः श परामी की चरामी असका स प र ,दशास ए सामीपरा की सीदयो स होकर ही जाना पडताराह।

एा सामी ज अामीामीा ीतारी, कटली कह तारह फजीतारी।

ामी तारो रडी रीतार गहीतारी, पा ामीन लीधिी जीतारी।।१२।।

ामीाया स यद करतार सामीय ामीरी जो रशा हई, उसका ामीकहा तारक ारन कर? ामीन तारो सनरसाक की सा काउतयकषट ामीागर पकडा का, दकनतार इसन ामीझ हरा दया।

भााकर- ामीाया स हारन का तारातयपयर ह, सतयय की राह सदचललतार हो जाना। इसी परकार ामीाया पर दजय परापकरन का भा ह, अपार कदठनाइयो क होतार हए सतयय(धिामीर) ामीागर स जरा सा भी न हटना।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बाह गही लई दनसरी, ामी ा जधि कीधिा फरी फरी।

पछ गतार ामीतार ामीारी हरी, लई स पोतारान करी।।१३।।

अनतारतारोगतया ामीाया न ामीरी बाह पकडकर ामीझ अपनीओर खी च ही ललया। ामीन ामीाया स लगातारार तारीन बार यददकया और दजय पराप की, दकनतार चौक यद ामी ामीरी बधददफर गयी (उलटी हो गयी) तारका ामीाया न ामीझ हराकरअपन अधिीन कर ललया।

भााकर- बाह पकडकर खी चना एक ामीहारा ह,जजसका अकर होतारा ह, बलप रक अपन अधिीन कर लना।ामीाया स शरी इनातारी जी क होन ाल तारीन यद इसपरकार ह-

१. अरब स लौटन पर सदर धिनी शरी चन जी कदारा परााामी सीकार न दकय जान पर भी शरीजी का धियरधिारा दकय रहना।

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२. दबहारी जी क दारा अतययाचार दकय जान पर भीउनकी खशी क ललय दनपष फलबाई का पररतययागकरना।

३. सा करन क परयास ामी हबश ामी जाना।

चौक यद ामी कर न चका पान क कारा सनरसाक कीसरकषिा क ललय सय को अामीाबा क कारागार का कषटझलना पडा, दकनतार जीतारतार-जीतारतार उनहोन बाजी हारी, कयोदक कानहजी भाई की बातारो ामी आय गय औरश बलकर कारागार स दनकलकर ीबनर चल गय।उनहोन इस बातार पर धयान ही नही दया दक जजस तारन ामीसय अकषिरातारीतार दराजामीान हो, उस कोई फासी पर कसचा सकतारा ह?

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तारामी अनक जसखाामीा कही, पा भरामी आयड ामी काई न गही।

ामीोस एी तारोहज कई, जो ााी तारामीारी ामी न लही।।१४।।

ामीर धिाामी धिनी! आयपन शरी चन जी क धिाामी हय ामीदराजामीान होकर ामीझ अनक परकार स जसखापन(णशकषिा) ी, दकनतार ामीर साामीन भामी का पार का अकारतारामीझ आयपक सरप की यकाकर पहचान नही की, इसललयामीन आयपकी ी हई सीख को कछ भी गहा नही दकया।ामीझस तारो यह बहतार बडी भल हई, कयोदक ामी आयपक कहहए अामीतारामीय चनो को आयतयामीसातार नही कर सकी।

तारामी पर पर सामीझाी, ामीन तारोह बधि न आयी।

जगतार करीन जगाी, लई तारारतारामी लगाी।।१५।।

आयपन ामीझ बार-बार सामीझाया, दफर भी आयपकीजसखापन ामीरी बधद ामी नही आय सकी। अनतार ामी आयपन

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तारारतारामी ञान क परकाश ामी ामीझ यदकप रक जगाया।

भााकर- इस चौपाई ामी यह जजञासा प ा होतारी ह दकसदर धिनी शरी चन जी क दारा बार -बार सामीझानतारका तारारतारामी ञान क परकाश ामी जगान ामी कया अनतारर ह?

इसक सामीाधिान ामी यही कहा जा सकतारा ह दक सदरधिनी शरी चन जी शरी दामीदहरराज जी को भागतार ,नरसया, ए कबीर आयद क चनो स सामीझाया करतारक, दकनतार इसका दशष लाभ नही हआय। जब तारारतारामीञान क परकाश ामी कषिर , अकषिर, तारका अकषिरातारीतार कीपहचान करायी, तारो उनकी जागधतार हो गयी। इस समबनधिामी परकाश दहनसतारानी ६/४७-४९ ामी कहा गया ह-

नरसया कबीर जाटीय क, और कई साधिो सासतर चन र।

का सार इनका, करक एह ामीकन र।।

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ामीहापरल लो जो कोई, सासतर प कर अभयास।

बह दधि ल दक सो, कर ामीन दसास।।

तारो भी न आय ए दक, ना कछ ए ामीख बान र।

सो सग धिनी क एक लखन ामी, कर सब पहचान र।।

तारामी अताररगतार ीधिा षटातार, तययार भागी ामीारा ामीननी भातार।

ह तारामी आयवया एकातार, ससार सा कई सातार।।१६।।

जब आयपन कबीर, नरसया, तारका भागतार क चनो कादषटानतार कर सामीझाया और तारारतारामी ञान का परकाश ामीरहय ामी भरा, तारो ामीर ामीन क सभी सशय सामीाप हो गय।अब तारो आयप धिाामी हय ामी साकषिातार ही दराजामीान हो गयह। ऐसी असका ामी ामी लौदकक बनधिनो (झझटो) सस रका ामीक हो गयी ह।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी कणकतार "अताररगतार" शबपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 6363 / 814/ 814

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का परयोग तारारतारामी ााी ामी आयनतारररक या हय क भा ामीहोतारा ह, जस-

अताररगतार आयी ामीारा ाला, बठा छो आयकार ामीाह।

आयकार ह धिरय ामीायान, तार ामीाट कोा न ओलखाए।।

षटऋतार ५/१२

जयार धिाी धिाट कर, तययार बल री ना हर।

ली गया काामी सराड च, ामीन धचतारवया कारज सर।।१७।।

जब दपरयतारामी अकषिरातारीतार हामीार परधतार अपना पधतारपनादनभातार ह, अकारतार हामीार ऊपर अपनी परामी भरी कपा कीषार करतार ह, तारो हामीारी शसरपा ामीाया की सारीशदकयो को नषट कर तार ह। जजसक पररााामीसरप हामीारदबगड हए काामी ठीक हो जातार ह, और जजस कायर क पारहोन की हामीार ामीन ामी धिाराा होतारी ह, ह अशय ही परी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हो जातारी ह।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी लौदकक पधतार क दषटानतार सयह बातार शारयी गयी ह दक शरी राज जी की परामी भरीकपा, आयधयाअसतयामीक कषि की हामीारी बाधिाओ को पारतारयासामीाप कर तारी ह।

साखी- ामीायाना ामीख ामीाह की, जगतार काी जोर।

ई तारारक अधतारघाी, ामीाया कीधिी पाधिरी ोर।।१�।।

धिाामी धिनी न ामीझ ामीाया क फन स यदकप रक सरधकषितारदनकाला और ामीाया को ऐसी फटकार लगायी दक हदबना रक सीधिी भाग गयी।

भााकर- इस चौपाई ामी उपामीा अलकार क ामीाधयामी सदशष घटनाकामी को साकधतारक रप ामी रातार दकया गयाह। जब राजय का कर न चका पान क कारा शरी

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दामीदहरराज जी को अामीाबा क कारागार ामी जाना पडाका, तारो धिाामी धिनी न कानहजी भाई क ामीाधयामी सयदकप रक उनह हा स सरधकषितार दनकला ललया तारकाीबनर आयद सकानो ामी जागनी क ललय दन रणशतारदकया, कयोदक ह सकान पारतारया सरधकषितार का।

ामीाया तारो जड परकधतार ह। ह कोई सतरी नही ह, जो डाटखाकर अपन परो स चलकर भाग जाय। बअसलक यहसमपार ककन उपामीा अलकार की भाषा ामी वयक दकयागया ह। इस नशर जगतार की बाधिाय ही गणाका (शया)रपी ामीाया ह, जो शरी राज जी की कपा क सामीकषि नही ठहर सकी और सामीाप हो गयी (भाग गयी)।

धिाीना जामी धिाट, लीधिी भली पर सार।

आय ख रपाीना ामीख ामीाहकी, बीजो कोा का दबना आयधिार।।१९।।

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ामीर परााशर अकषिरातारीतार! आयप ही ामीर जीन क आयधिारह। जजस परकार एक पधतार अपनी अधिारदगनी क परधतार अपनापधतारपना (परामी और कताररवय) दनभातारा ह, उसी परकारआयपन भी इस ामीायाी जगतार ामी अचछी ताररह स हामीारीसधधि ली ह। आयपक अधतारररक और कौन ह, जो हामी इसः शखामीयी ामीाया क जाल स बाहर दनकाल?

चाल-

तारामी कपा कीधिी अधतार घाी, जााी ामील सगाई घरताराी।

ामीाया पाडी पडताराल हाी, बल ीधि ामीन ामीार धिाी।।२०।।

परामीधिाामी का ामील समबनधि होन क कारा ही आयपनहामीार ऊपर इतारनी अधधिक कपा की ह। आयपन तारो ामीझइतारनी शदक ी दक ामीन ामीाया को परो स ठोकर ामीारकरभगा दया।

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भााकर- परो स ठोकर ामीारना एक ामीहारा ह, जजसकाआयशय ह, ामीाया का इस परकार पररतययाग करना दक हयामी उसका ललश (नाामीामीा) भी न रह जाय।

ली गतार ामीतार आयी सधिसार, छल छटो न कयो करार।

यानो न लाधि पार, तययार अलगो कयो ससार।।२१।।

अब ामीर धिाामी हय ामी दपरयतारामी अकषिरातारीतार दराजामीान होगय ह, जजसस परामीधिाामी की परामीामीयी जागतार असकाऔर जागतार बधद का ञान ामीझ पनः श पराप हो गया ह। ामीझपरामीधिाामी तारका यगल सरप की सारी सधि हो गयी ह।ामीायाी परपञो स अलग हो जान क कारा ामीर ामीन ामीअपार शाअसनतार भी आय गयी ह। ह धिनी! आयपकी या काकोई भी पार नही पा सकतारा। आयपकी परामी भरी या न हीामीझ इस दामीरया (सारहीन) ससार स अलग कर दया

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह।

भााकर- "गतार" का तारातयपयर असका स ह और "ामीतार"का आयशय ञान स ह। इसी परकार "सधि सार"(सधधिसार) का भा ह, सार रप परामीधिाामी तारका यगलसरप की यकाकर पहचान (सधधि) हो जाना।

जगतार को दामीरया कहन का तारातयपयर यह ह दक भल हीयह जगतार वयहाररक रप स सतयय (अअससतारतय ाला)परतारीतार हो रहा ह, दकनतार पल-पल ामी परररतारतार होतार रहनए आयधयाअसतयामीक रप स ामीोह बनधिन का कारा होन सदामीरया ह।

ह आयवय धिन अदनासी, ख ाानल गय नासी।

र गह लीला दलासी, ह तार ह कर परकासी।।२२।।

अब ामीर अनर परामीधिाामी का अखणड (ञान ए परामी

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रपी) धिन आय गया ह (पराप हो गया ह)। फलतारः श नो ामीलगन ाली ाादगन रपी लौदकक ः शख नषट हो गया ह।अब ामीरी एकामीा यही इचछा ह दक परामीामीयी लीला करनाल परााशर अकषिरातारीतार को अपन धिाामी हय ामी धिाराकर, उस इस ससार ामी उजागर कर ।

भााकर- जजस परकार न ामी लगी हई अदगन (ाादगन)एक सकान स सर सकान पर जाकर फल जातारी ह औरसमपार न को जला तारी ह , उसी परकार परकधतार कशब, सपशर, रप, रस, तारका गनधि रपी दषयो ामी फसाहआय जी अपन शरीर रपी न को जला डालतारा ह।उपरोक चौपाई क सर चरा का आयशय यह ह दक धिाामीधिनी की लीला ामी ामीन को लगा न पर ह लौदककदषयो ामी नही फसतारा।

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ह ए धिन ामी जोप जाणय, जजभयाए न जाय खाणय।

ामीारा हडाामीा आयणय, अामी दना कोा न ामीाणय।।२३।।

ामीर धिाामी हय ामी धिाामी धिनी का दया हआय परामीधिाामी काजो अखणड धिन ह, उस ामीर अधतारररक अनय दकसी न भीपराप नही दकया ह। उसकी गररामीा का ारन इस नशरजजहवा (ााी) स हो पाना समभ नही ह।

साखी- बल नकी आयही अामीतारा, नही अामीार स।

ए दनधि आयी तारामी ककी, तार ामी धचतार कीधि चोकस।।२४।।

ामीाया स पार होन क ललय ामीर पास कोई भी बल नही का। अपन वयदकगतार बल स पार हो जाना तारो ामीर ललयसमभ ही नही का। ामीर धिाामी हय ामी इस सामीय परामीधिाामीकी जो अखणड समपा (जोश, जागतार बधद, धिनी कीआयश शदक, इतययाद) ददामीान ह, ह आयपन ही ी ह।

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इसन ामीझ ामीाया क परधतार साधिान कर दया ह।

ामी धचतार ामीाह धचतारवय, जाणय करस सा सार।

ामीलयो धिाी ामीन धिाामीनो, सफल कर अतारार।।२५।।

हबश ामी जान स पहल ामीर धचत ामी ऐसा दचार का दकइस नशर जगतार ामी ामीझ धिाामी क धिनी दामील ह। इसललयामीझ सनरसाक की सा को ही सपपरर ामीान कर साकरनी चादहए। इसी स जागनी बरहमाणड ामी ामीरा आयनासाकरक हो सकगा।

भााकर- उपरोक चौपाई क तारीसर चरा ामी धिाामी धिनीक दामीलन का तारातयपयर अवयक रप स ह। धिनी का परतययकषिअनभ तारो उनह हबश (द.स. १७१५) ामी ही हआय,यददप उनक धिाामी हय ामी यगल सरप द.स. १७१२ामी ही दराजामीान हो चक क।

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ज ामीनोरक ामीनामीा रहो, ामीारा धिाी शरीराज।

खर करतारा खोटा ामीाहकी, पा न जसधय एक काज।।२६।।

ामीर पराा दपरयतारामी शरी राज! ामीर ामीन ामी पहल यह परबलभाना की दक ामी इस झठ जगतार स धिन कामीाकरसनरसाक की सा दकया कर, दकनतार आयपको यहसीकार नही का, इसललय ामीरी कोई भी (एक भी, जरासी भी) इचछा परी नही हो सकी।

भााकर- शरी दामीदहरराज जी क ामीन ामी हबशा जान स प रदनमनलललखतार इचछाय (सा भानाय) की -

१. सनरसाक घर-पररार की झझटो स ामीक होकरयही रह तारका दन-रातार चचार-सतयसग का लाभ ल।

२. सदर दारा पराप ञान को सनरसाक तारक पहचाकरामी कतयकतयय (धिनय-धिनय) हो जाऊगा।

३. गाी पर दराजामीान दबहारी जी ामीहाराज भी ामीरी

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सा स परसनन रहग।

ामी ामीार बल जाणय, ह तारो छ अधतार ामी ।

ए काय स र धिाी ककी, तार ामी कीधि द।।२७।।

ामीर परााशर! ामी अपनी शदक की ासतारदकतारा (अलपसाामीरयरतारा) को जानतारी की। ामीझ यह भी पतारा का दक ामीअधतार ामी बधद ाली ह। आयपन ामीझ इस बातार ामी द करदया दक इस ससार ामी जो कछ भी होतारा ह , आयपकीकपा की छछाया ामी ही होतारा ह।

चाल-

ामीन ख साल ए ामीन ामीाह, न जाय कहो तार कयाह।

गामी तारामीन तारहज काय, बीज साामी कोा न जोाय।।२�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीर ामीन ामी सनरसाक की सा न कर पान का जो ः शखह, ह ामीझ अभी तारक इस परकार पीदडतार कर रहा ह दकउसका दकसी परकार स कछ भी ारन नही हो सकतारा।यह तारो दनधशतार ही ह दक आयपकी इचछा स ही सब कछहोतारा ह। आयपक सामीान अनय कोई भी स रसाामीरयराननही ह।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी ो सशय उतयपनन होतार ह-

१. धिाामी धिनी क हय ामी दराजामीान हो जान पर (बराहमीअसका ामी) भी शरी इनातारी जी को ः शख की अनभधतारकयो हई?

२. जब सब कछ शरी राज जी की इचछा स ही होतारा ह,तारो आयतयामीाओ पर खल ामी गनाह (ोष) कयो लग जाताराह? ऐसी असका ामी तारो दबहारी जी ए औरगजब कोपारतारया दनपष ही कहा जायगा, कयोदक उनहोन जो कछ

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भी दकया, शरी राज जी की इचछा स ही दकया।

इन ोनो शकाओ का सामीाधिान इस परकार ह-

१. यह पारतारया सतयय ह दक बरहमञानी को ामीाया काः शख दचललतार नही कर सकतारा , दकनतार पर ः शखकाताररतारा (सरो को ः शखी खकर दतार होना) तारो धिामीरया उसक वयदकतय का अणभनन अग होतारी ह। यह कभीभी समभ नही ह दक जजसक धिाामी हय ामी या कासागर परबरहम ही दराजामीान हो, ह सरो क ः शखो कपरधतार दनषर बना रह।

ामीा अपन ही सख क बार ामी सोचना तारो दनकषटामीानजसकतारा ह। जस-जस ामीनषय का आयधयाअसतयामीक सताररऊचा होतारा जातारा ह, स-स ह अपना नही बअसलकसरो का दहतार धचनतारन करतारा ह। अधयातयामी क णशखर परपहचन ाला वयदक तारो सारी सदषट क पराणायो को

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आयतयामीतार सामीझतारा ह और उनका दहतार धचनतारन करतारा ह।

परामीधिाामी की आयतयामीाय तारो शरी राज जी की अगरपा हीह। उनकी सा स दनधशतार ही शरी दामीदहरराज जी सय कोआयनअसनतार अनभ करतार। दकनतार सा न कर पान कीवयका उनक शबो स परकट हो ही गयी। सतारतारः श धिाामीधिनी तारारतारामी ााी का अताररा कराकर शरी दामीदहरराजजी स बडी सा कराना चाहतार क, इसललय लीला रपामी शरी दामीदहरराज जी सब सनरसाक को एकदतार करकभी उनकी सा नही कर सक।

२. परामीधिाामी क एकतय (हतार) ामी होन क कारापरतययक बरहमातयामीा का आयचरा हा एक जसा ही होतारा ह,दकनतार इस नशर जगतार ामी सरतारा रप स जी परदराजामीान होन स उनक आयचरा ामी णभननतारा दखायीपडतारी ह। इसका ामील कारा जी का दगाातयामीक

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बनधिनो ामी बधिकर कामीर -फल स जड रहना और आयतयामीाका षटा होना ह।

अकषिरातारीतार का परामी, आयनन, ए कपा सभी आयतयामीाओक ललय सामीान ह, दकनतार जो जी जजतारना ही अधधिकपरामी, शरदा, सामीपरा, आयद क ामीागर पर अपन कामीबातारा ह, उसको उतारनी ही (आयतयामीा क नाामी स) शोभादामीलतारी ह। दकनतार इसक दपरीतार (शरदा, दशास, ए परामीस रदहतार) ामीागर ामी चलन पर ोष (गनाह) लग जातारा ह।अकषिरातारीतार की ददषट ामी दकसी क ललय कोई भी भ नही ह। सकषिप ामी इतारना ही कहा जा सकतारा ह दक "करनीामीाफक कपा और कपा ामीाफक करनी।"

ए ख लागय ामीन सही, ए उतयकठा ामीारा ामीनामीा रही।

एाी ाझ तार ामीन ही, दनधि हाककी दनसरी गई।।२९।।

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ामीर ामीन ामी उस सामीय सनरसाक की सा करन कीपरबल चाहना की। दकनतार यह तारो दनधशतार ह दक उसकीपरतार न हो पान का ामीझ आयज भी कषट ह। सा कासराामी असर खो न की पीडारणि की अदगन आयज भी ामीरहय को जला रही ह (ः शखी कर रही ह)।

जाणय लाभ ामीायानो लस, दनान ासो स।

धिाीन चरा रहस, ामीाया कहस तार स र सहस।।३०।।

पहल तारो ामीन यही सोचा का दक ामी लौदकक सखो काामीोह छोडकर इस नशर जगतार ामी सनरसाक की सा काअलौदकक लाभ लगी। ऐसा करक ामी धिाामी धिनी क चराोकी साधननधयतारा (दनकटतारा) का पल-पल अनभकरगी। इस कायर ामी ामीाया की ओर स जजतारनी भीकदठनाई कयो न आयय, उस ामी सहषर सहन करगी।

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भााकर- यह परसग उस सामीय का ह, जब शरीदामीदहरराज जी बालबाई क आयगह पर सदर ामीहाराज कचराो ामी आयतार ह। उपरोक चौपाई क चौक चरा ामी"ामीाया" का ककन दबहारी जी क ललय दकया गया ह,कयोदक जड ामीाया बोल नही सकतारी। यह तारो स रददतारह दक दबहारी जी गाी क उतराधधिकार क समबनधि ामी शरीचन जी स बहस कर चक क।

एा सामी ली फरी लीधिी, ामीायाए जसखाामीा ीधिी।

धिाी ककी दामीख कीधिी, पााीना जामी पीधिी।।३१।।

इस सामीय ामीाया न ामीझ पनः श अपन बनधिन ामी डाल ललयाऔर ामीझ पानी की ताररह पी गयी अकारतार परी ताररह स शामी कर ललया। इस परकार इसन ामीझ धिाामी धिनी स दामीखतारो कर दया, दकनतार इस घटना न ामीझ यह णशकषिा

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(सीख) भी ी दक दकसी भी अससकधतार ामी धिनी स अपनामील समबनधि को नही भलाना चादहए।

भााकर- सगर ामीहाराज क चराो ामी २२ दन तारकरहन क पशातार शरी दामीदहरराज जी क जीन ामी ह कषिाभी आयया, जब दपरयतारामी ओझल हो गय अकारतार सगरधिनी शरी चन जी का धिाामी गामीन हो गया , इस हीउपरोक चौपाई ामी धिनी स दामीख होना कहा गया ह। इसघटना न उनह झकझोर दया तारका जसखापन क रप ामीदरह की राह पर चला दया। इस समबनधि ामी पर . दह.५/१५-१७ का ककन ह-

चताररसी बधिारी भई, सनधि स र शरी दबहारी जी सो कही।

ामीधयरातार पीछ दकयो पररयान, दबहारी जी को सधि भई कछ जान।।

इन असर ामी भई अजान, ामीोह फजीतार करी दगनान।

नातारो ामीोह बलाए क ई दनधि, पर या सामी ना गई ामीोहजल बधि।।

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इन सामी हतारी ामीाया की लहर, तारो न आयया आयतारामी को बहर।

तारब ामीरी दनधि गई ामीर हाक, शरी धिाामी ताररफ ामीख दकया पराानाक।।

उपरोक चौपाई क परकामी चरा ामी ली (दफर) काआयशय यह ह दक पहल उनह ामीाया न परशान दकया का,अकारतार सगर ामीहाराज क दारा परााामी सीकार न दकयजान पर उनहोन भी यह ामीानजसकतारा बना ली दक जबतारक सगर ामीहाराज सय नही बलायग तारब तारक ामी भीनही आयऊगा। परामी और सामीपरा की राह ामी इस परकार कीभाना को कादप उधचतार नही कहा जा सकतारा। यहीकारा ह दक उपरोक चौपाई ामी अपनी ोनो भलो काारन करन क सनभर ामी शरी दामीदहरराज जी न पनः श"ली" शब का परयोग दकया ह।

उपरोक ोनो चौपाइयो का ददनयोग यद अामीाबा ककारागार स जोडा जाय, तारो इनका अकर इस परकार

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होगा-

ामीन पहल ही यह दनारय ल ललया का दक ामी ामीाया कोपीठ कर सनरसाक की सरकषिा रपी सा (अामीाबाक बाशाह क आयकामीा स रकषिा) करगी। इस परकारअवयक रप स धिनी क समामीख रहन का सख भी ामीझपराप होगा। इस कायर ामी बाशाह क अधधिकाररयो(हादकामीो) दारा कह हए सभी चनो को भी ामी सह लगी।

इस सामीय ामीाया न ामीझ अपन बनधिन ामी फसा ललयाऔर कानहजी भाई की बातारो ामी आय जान स ामी ामीाया कअधिीन हो गयी। यददप धिाामी धिनी ामीर धिाामी हय ामीअवयक रप स दराजामीान क , दफर भी ामीन धिनी सदामीख होन जसा कायर दकया। ामीझ यह तारो दशास करनाचादहए का दक जब शरी राज जी ामीर अनर दराजामीान ह,तारो कोई ामीझ फासी पर कस चा सकतारा का?

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इस परकार ामीाया न ामीझ छलप रक जीतारा और यहजसखापन भी ी दक परतययक अससकधतार ामी हामीार अनर यहअटट दशास होना चादहए दक अकषिरातारीतार एक पल कललय भी दकसी बरहमातयामीा स र नही होतार ह।

एहो छल करी छताररी, ामीन ामील ामीाहकी फरी।

एा तारो आयप सरीखी करी, धचत धचताराी बहदधि धिरी।।३२।।

इस ठदगनी ामीाया न ामीर साक छल दकया और ामीर ामीन ामीपरदषट होकर ामील रप स धिनी स दामीख कर दया। इसनतारो शीभतार करक ामीझ भी अपन ही सामीान (अञानामीयी)बना ललया। जजसका पररााामी यह हआय दक ामीर धचत ामीधिाामी धिनी और सनरसाक को परामी-सा दारा ररझानकी अनक परकार की जो इचछाय की , दनषफल ही रहगयी ।

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भााकर- तारीनो गाो (सतय, रज, तारका तारामी) क बनधिनामी होन क कारा चतारनय अपन ासतारदक सरप कोनही जान पातारा। ऐसी असका ामी ह ऐस कायर भी करतारा ह, जो धिामीारनकल नही होतारा। इस ही ामीाया क दाराठगा जाना या अञानी होना कहा जातारा ह। कलशदहनसतारानी ामी अञान को ामीाया का ही सरप कहा गयाह-

ामीोह अञान भरामीना, करामी काल और सनन।

ए नाामी सार नी क, दनराकार दनरगन।।

क. दह. २४/१९

ामीन ामीाह सल ख, जाा ामीाया सख अलख।

धिाीना सख न पख, दख अामीतार लाग दसख।।३३।।

ामीायाी बनधिनो ामी फस हए वयदक क ामीन ामी ऐसा परतारीतार

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होतारा ह, जस ामीाया का ही सख एकामीा सख ह औरअपार ह। उस दपरयतारामी अकषिरातारीतार क अखणड सखो कीकोडी भी पहचान नही होतारी। उस तारो दष भरा दषयसख ही अामीतार क सामीान दपरय लगतारा ह।

जओ भली छतारर कामी, आयग छताररी ामीन जामी।

सकजी तारो पकार एामी, ज छल परी ए भरामी।।३४।।

ह साक जी! आयप इस बातार का दचार कीजजए दक दकसपरकार यह ामीाया ामीझ पहल स ठगतारी आय रही ह तारकाताररामीान ामी भी हामी अपन बनधिनो (नाामी-रप) ामी भलाकरदकस परकार ठग रही ह। ामीहाामीदन शक जी तारो पकार-पकार कर यह बातार कह रह ह दक यह समपार ामीायाीजगतार छल-परपञ स भरा ह अकारतार सपनतार दामीरया ह।

भााकर- ससार ामी जजतारन भी ञातार ए दशयामीान

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(नाामी-रप ाल) पाकर दखायी पड रह ह , पहलनही क और बा ामी भी नही रहग। इनक ामीोहजाल ामीफसन क कारा ही हामी अपन ासतारदक सरप का बोधिनही हो पातारा। अपन पञभतारातयामीक नशर शरीर को हीअपना सरप ामीानना अञानतारा ह। सारा ससार इसीजाल ामी फसा हआय ह। यही कारा ह दक उपरोक चौपाईामी ामीाया क दारा सभी पराणायो को ठगा हआय रातार दकयागया ह।

आयही सोहली कई तारामी ककी, एहन ओलखतार कोय नकी।

सक तारो काईक ककी, बीजा रहा ामीकी ामीकी।।३५।।

ह धिाामी धिनी! आयज तारक जजस ामीाया को कोई भी सपषटरप स पहचान नही सका, आयपकी कपा स उसस पारहो जाना अब सरल हो गया ह। इस ामीाया क दषय ामी

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शक जी न तारो कछ कह भी दया, दकनतार अनय लोगतारो खोजतार ही रह गय, दकनतार ामीाया का भ नही जानपाय।

एहन दनरामील करी नाखी तारामी, हजी जोप जााी नकी अामी।

एहना रामीाडा सह रामी, ामीाह बधिााा सह को भामी।।३६।।

यददप आयपन इस ामीाया को जड-ामील स नषट कर नक ललय हामी तारारतारामी ञान का परकाश दया , दकनतारअभी भी हामी इस यकाकर रप स नही जान पाय ह।ससार क सभी परााी इसक बनाय हए खल ामी भटक रहह तारका इसक बनधिनो ामी बनधि हए ह।

भााकर- इस चौपाई क परकामी चरा का अकर ऐसा नही दकया जा सकतारा दक धिाामी धिनी न ामीाया को जड-ामील सनषट कर दया ह। यद ताररामीान ामी ामीाया ह ही नही , तारो

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यह ससार का खल कस चल रहा ह?

सतारतारः श तारारतारामी ञान क परकाश ामी जो भी सनरसाकअपन हय ामी धिनी क परधतार अटट दशास ए परामी (ईामीानतारका इशक) लगा, ह अपन अनर की (ामीानजसक)ामीाया को जड-ामील स नषट कर गा। यददप अनतारः शकरा(ामीन+धचत+बधद+अहकार) की रचना भी ामीाया स हीहई होतारी ह, दकनतार उसामी ामीाया (परकधतार) क सखो कभोग की जो परलत होतारी ह, उस ही इस चौपाई ामी ामीायास जडना कहा गया ह।

ए चन तारो आयही कहाय, ज अामी न बधिाऊ ामीायाय।

एहना बधि पडा सह कायाय, अामी छटा धिाीनी याय।।३७।।

इस ताररह की बातार तारो इसललय कही जा रही ह, कयोदकइस सामीय ामी ामीाया क बनधिनो स ामीक ह। सभी शरीरधिारी

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परााी इसक घोर बनधिनो ामी जकड हए ह। ामी तारो धिाामीधिनी की कपा स इसक बनधिनो स छट गयी ह।

भााकर- सदषट क परारमभ ामी जी को तारीन परकार कशरीर पराप होतार ह-

१. कारा शरीर (अनतारः शकरा)

२. सकामी शरीर (१० इअसनय + ५ सकामीभतार + ४अनतारः शकरा)

३. सकल शरीर (पञभतारातयामीक + सकामी + कारा)

सकल शरीर तारो ामीतयय क पशातार नषट हो जातारा ह तारकाजनामी क दारा पनः श नय रप ामी पराप होतारा ह। सकामी औरकारा शरीर ामीोकषि स प र तारक जी क साक जड रहतार ह।बराहमी असका ामी तारीनो शरीरो क ददामीान रहन पर भीामीायाी दकारो का परभा नही पडतारा , दकनतार बरहम-साकषिातयकार स प र तारीनो शरीरो ामी दकसी न दकसी रप ामी

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ामीाया का परश अशय रहतारा ह। यह धयान न योगयताररय ह दक य तारीनो शरीर भी ामीाया स ही बन होतार ह।

एामी चौ लोकामीा कोई न कह, ज पार ामीायानो आय लह।

ामीोटी ामीतार धिाीामीा रह, बीजा भार पसतारक करा ह।।३�।।

चौह लोको क इस बरहमाणड ामी दकसी को भी ऐसा ाानही करना चादहए दक ामीन ामीाया को पार कर ललया ह(जीतार ललया ह)। ामीाया स पर का ञान न ाली जागतारबधद तारो एकामीा धिनी क ही पास ह। ससार तारो सपनकी बधद क बन हए गनको का बोझ ढो रहा ह।

भााकर- एकामीा जागतार बधद क तारारतारामी ञान ामी हीसाामीरयर ह दक ह परबरहम क धिाामी, सरप, तारका लीलाक ऊपर परकाश डालकर ामीाया-बरहम का अलग-अलगदनरपा कर सकतारा ह। शष अनय गनक न तारो ामीाया और

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बरहम क सरप की अलग-अलग दचना कर सकतार हऔर न ामीाया स पर होन की सपषट राह बतारा सकतार ह।इस समबनधि ामी पररकामीा गनक २/११ का यह ककनधयान न योगय ह-

एतार दन लोक ामी, हतारी बधि सपन।

सो बधि जी बधि जागतार ल, परगट परी नौतारन।।

साखी- सासतर पराा ातार जो, भागतार पर साख।

नही कका ए तारनी, सतार ााी ए ाक।।३९।।

ानतार आयद छः श शासतर (शरन) तारका भागतार आयदपराा सतयय की साकषिी न ाल गनक ह। तारारतारामी ााीअकषिरातारीतार की पहचान करान ाली पारतारया सतयय ााीह। यह पौराणाक गनको की ताररह नतारककाओ कासकलन नही ह, अदपतार इसस परबरहम की यकाकर पहचान

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

होतारी ह।

दशष- उपरोक ोनो चौपाइयो (३�,३९) कोखकर उन सनरसाक को आयतयामी-ामीनकन करना चादहए,जो भागतार आयद गनको को बरहमााी (तारारतारामी ााी) कसामीककषि ामीानतार ह।

आय राट ामीाह ीस नही , पार चन सधि जह।

लो ामीख बोलाय नही , तारो कामी पार पाामी तारह।।४०।।

इस बरहमाणड ामी ऐसा कोई भी दखायी नही तारा , जजसदनराकार स पर बह ामीणडल ए परामीधिाामी की सधधि हो।जब कोई बह ामीणडल क बार ामी एक अकषिर भी नही बोलपातारा, तारो उसक भी पर अससकतार अनाद परामीधिाामी क बारामी ह कस बतारा सकतारा ह?

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चाल-

ह ामीायानो ज पाामीस पार, तारारतारामी करस तारह दचार।

बरहमाड ामीाह तारारतारामी सार, एा टालयो सहनो अधिकार।।४१।।

अब तारो यह बातार पार रप स दनधशतार ह दक जो तारारतारामीञान का दचार करक उसको आयचरा ामी उतारारगा, हदनधशतार रप स इस भसागर स पार हो जायगा। इसबरहमाणड ामी धिाामी धिनी का लाया हआय तारारतारामी ञान हीसपपरर सार तारत ह, जजसन सभी अञानामीयी भाअसनतारयोका दनराकरा (सामीाधिान) दकया ह।

षटवय- तारारतारामी ञान (ााी) को आयचरा ामी लान काअणभपराय ह- एक सधचचानन परबरहम क परधतार अटटदशास (ईामीान) लकर अननय परामी क दारा ररझाना।

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लोक चौ ामीायानो फ, सह छलताराा ए बधि।

सामीझया दना सहए अधि, तारारतारामी कहस सह सनधि।।४२।।

चौह लोको का यह बरहमाणड ामीाया का जाल ही ह ,जजसामी स दकसी का भी दनकल पाना बहतार कदठन होताराह। इस बरहमाणड (सगर, कणठ, आयद) का सख एकपरकार स छलामीयी ही ह, जो सबक ललय बनधिन काकारा होतारा ह। इसकी ासतारदकतारा को न सामीझ सकनक कारा, ससार क सभी परााी अनधिो क सामीान इसकामीोह जाल ामी इस परकार फस रहतार ह दक दकसी भीपरकार स दनकल नही पातार। एकामीा तारारतारामी ञान स हीइस परपञामीयी जगतार की सारी ासतारदकतारा जानी जातारीह।

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नही राख सह एक, पया काढ सहना छक।

आय ााी कास अधतार दसक, कह पारना पार दक।।४३।।

ामी दकसी भी सनरसाक क ामीन ामी नाामी ामीा (एक) भीसशय नही रहन ना चाहतारी। इसललय इस तारारतारामी ााीक दारा ामी सभी बरहमाणडो (ह-बह) की सीामीादनधिारररतार करतार हए परामीधिाामी की राह शारतारी ह। इसपरकार इस बरहमााी की गररामीा बहतार ही दशष जसदहोतारी ह, कयोदक इसक दारा ामी दनराकार -बह स परपरामीधिाामी की परामीामीयी लीला, जो रास क रप ामी कलबरहम ामी खली गयी की, का ारन करन जा रही ह।

न कहाय ामीाया ामीाह आय ााी, पा साक ामीाट कहााी।

साक आयस र आयाी, तार ामी नहच कह जााी।।४४।।

यददप यह अलौदकक बरहमााी इस ामीायाी जगतार ामी

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कहन योगय नही ह, दकनतार सनरसाक की आयतयामी-जागधतारक ललय ामीझ कहनी पड रही ह। यह बातार ामी दनधशतार रपस जानतारी ह दक धिनी क दारा ामीझस कहलायी गयी यहतारारतारामी ााी जब सनरसाक क हय ामी बस जायगी ,तारो दनधशतार ही दपरयतारामी अकषिरातारीतार क चराो ामी आयजायग।

भार चन छ दनरधिार, साक करस एह दचार।

जो न कह सतारनो सार, तारो कामी साक पोहोचस पार।।४५।।

यह बातार पार रप स सतयय ह दक तारारतारामी ााी क चनबहतार ही गररामीाामीयी (ामीहतयपार) ह। इसललय यह तारोदनधशतार ह दक सनरसाक इन चनो का गमभीरताराप रकदचार करग। यद ामी परामीधिाामी (सतयय) क सार तारत रपीपरामीामीयी लीला का ारन न कर, तारो सनरसाक इस

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भसागर स पर कस होग?

भााकर- अकषिरातारीतार की परामीामीयी लीला को खन कीइचछा अकषिर बरहम न की की, जो ामीहारास क रप ामी कलबरहम ामी शारयी गयी। इस परकार परामीधिाामी का सार रपहा की शोभा और लीला ह, जजसको आयतयामीसातार करनपर अखणड धिाामी का दार पराप होतारा ह।

साखी- साक ामीलीन साभलो, जागी करो दचार।

जा अजाल आय करय, परखो परख ए पार।।४६।।

ह साक जी! आयप सभी दामीलकर ामीरी इस बातार कोसदनए और जागतार होकर (साधिानी स) इस बातार कादचार कीजजए। बह स भी पर परामीधिाामी क जजस परामीपरष अकषिरातारीतार न तारारतारामी ञान का यह परकाश फलायाह, उसकी पहचान कीजजए।

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दशष- "साखी" का शद शब "साकषिी" होतारा ह। यहदहनी क सादहतयय की कावय रचना का एक भाग ह।कबीर जी की रचनाय साखी, शब, और रामीनी क रपामी दामीलतारी ह। यहा भी साखी शब स ऐसा ही आयशयलना चादहए।

आयपा हजी नकी ओलिया, जओ दचारी ामीन।

ददधि पर सामीझादया, अन कही दनधि तारारतारामी।।४७।।

यद आयप अपन ामीन ामी दचार करक ख तारो यही बातारपरामीाणातार होतारी ह दक हामीन अभी तारक अपन दपरयतारामीअकषिरातारीतार को नही पहचाना ह। शरी राज जी न शरीचन जी क धिाामी हय ामी दराजामीान होकर हामी जागतारकरन क ललय अनक परकार स सामीझाया और तारारतारामीञान क रप ामी हामी परामीधिाामी की अखणड दनधधि परान

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की।

षटवय- उपरोक चौपाई का ककन उस सामीय का ह ,जब शरीजी ीबनर ामी जयराामी जी को परबोधधितार कर रहह।

दनतार परतार सह साकन, ालो जी दए छ ए सार।

या करीन रा, आयपा आयगल आयधिार।।४�।।

पहल शरी चन जी क धिाामी हय ामी दराजामीान होकरहामीार जीन क आयधिार शरी राज जी सब सनरसाक कोपरधतारदन ही अधतार कपाप रक सबक सार रप अखणड काञान तार रह ह।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी "आयगल" शबका परयोग हआय ह, जजसका अणभपराय पहल अकारतार शरीचन जी क तारन स होन ाली लीला ह। इसामी इस

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बातार का सकतार दकया गया ह दक इस लीला क ओझलहोन क पशातार शरी दामीदहरराज जी क तारन स लीला हो रहीह, जजसका साकधतारक ारन ५०ी चौपाई ामी तारका सपषटारन ७६ी चौपाई ामी दकया गया ह।

जताराी लीला कही, ली दसख रास।

शरीधिाामी ताराा सख रा, दए दनधि पराानाक।।४९।।

हामीार पराााधिार दपरयतारामी न शरी चन जी क तारन सवरज की ामीधिर लीलाओ का ारन दकया। दकनतार उसस भीअधधिक दशषतारः श रास की लीला सनायी। इसक अधतारररकउनहोन परामीधिाामी की लीलाओ का ारन करक हा काभी सख दया।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी कणकतार"पराानाक" शब का परयोग शरी चन जी क धिाामी हय

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ामी दराजामीान होकर लीला करन ाल शरी राज जी कललय हआय ह। शरी दामीदहरराज जी क तारन को "पराानाक"ामीानना सतयय को ढकन का एक असफल परयास ही कहाजा सकतारा ह।

ह एह धिाी कामी ामीदकए, ली ली करो दचार।

ामील बधि चतारन करी, धिाी ओलखो आय ार।।५०।।

ह साक जी! आयप इस बातार का बारमबार दचार कीजजएदक पल -पल हामीारी सधधि लन ाल ऐस दपरयतारामीअकषिरातारीतार को कस भला जा सकतारा ह? जजसअकषिरातारीतार न अपनी जागतार बदद क ञान स हामी ामीाया ामीसाचतार (जागतार) दकया ह, उनह इस जागनी लीला ामीपहचान लीजजए।

भााकर- शरी चन जी का तारन छोडन क पशातार

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यगल सरप शरी दामीदहरराज जी क धिाामी हय ामीदराजामीान हो जातार ह, तारका जागनी लीला परारमभ होजातारी ह। जब शरीजी ीबनर पधिारतार ह, उस सामीयद.स. १७२२ का सामीय होतारा ह। इसललय उस सामीयका ककन "धिाी ओलखो आय ार", दनः शसनह शरीदामीदहरराज जी क धिाामी हय ामी लीला करन ालअकषिरातारीतार क ललय ही ह।

आय जोगाई छ जागया ताराी, अन दचार ामीाह सामीझा।

ज सामीझो तार जागजो, पा आय असर अरधिो लखा।।५१।।

जागनी क दचारो ामी ओतार-परोतार होकर सय को, धिनीको, तारका परामीधिाामी को सामीझन, ए आयतयामी-जागधतार कललय यह सनहरा असर ह। इस ताररय को जोसनरसाक सामीझ गय ह, जागतार हो जाय। ऐसा ामीरा

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आयहवान ह, दकनतार यह धयान रखना होगा दक यह असरामीा आयधि कषिा अकारतार अधतार अलप सामीय क ललय ही हामीपराप हआय ह।

भााकर- ामीान जीन कषिाभगर ह। दकसी भी कषिादकसी का शरीर छट सकतारा ह, इसललय आयतयामी-जागधतारहतार तारारतारामी ााी क धचनतारन तारका परामीधिाामी की धचतारदनामी सामीय न होन का बहाना बनातार हए आयलसय करनाघातारक होतारा ह। इसी कारा ामीनषय की ष ाली उमको यहा आयधि कषिा क दषटानतार स शारया गया ह।

आयग धिाी पधिारया अामीामीा, अामी करी न सकया ओलखाा।

ए दनखरपा दनधि दनगामीी, कई तार अधतार घाी हाा।।५२।।

प र काल ामी शरी राज जी न हामीार ामीधय शरी चन जीक धिाामी हय ामी दराजामीान होकर लीला की , दकनतार

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हामीन उनक सरप की पहचान नही की। अपनीलापराही स हामीन अपनी अनामीोल समपा को खोदया, जजसक पररााामीसरप हामीार आयधयाअसतयामीक धिन कीबहतार अधधिक हादन हई।

भााकर- शरी चन जी क धिाामी हय ामी अकषिरातारीतार कदराजामीान होन स परामीधिाामी की सभी दनधधिया (ञान,परामी, आयनन, एकतय, आयद) उनामी दनदहतार की । उनकचराो की साधननधयतारा स य दनधधिया अनायास ही पराप होजातारी , दकनतार सनरसाक आयदडका लीला क समामीोहन ामीइस परकार फस गया दक सदर क चराो स परामीधिाामी कीदशष समपा पराप न कर सका। इस ही अपनी आयअसतयामीककषि की हादन होना कहा गया ह। अगली चौपाई क चौकचरा ामी भी यही भा ददामीान ह।

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आयवया धिाी न ओलिया, अामी भलया एाी भातार।

दना दचार न सामीया, दनगामीी दनधि साियातार।।५३।।

अपन ामीधय (शरी चन जी क तारन ामी) आयय हए धिाामीधिनी को हामीन नही पहचाना। इस परकार, ामीाया की नी ामी होन क कारा हामी उनह भल ही रह। उनक दारा कहगय तारारतारामी ञान क चनो का दचार न करन क काराही हामी उनह यकाकर रप ामी सामीझ नही पाय। कछ सामीयतारक लीला करन क पशातार साकषिातार आयय हए धिाामी धिनीओझल हो गय (शरी चन जी न तारन का पररतययाग करदया)।

चाल-

जो ए दचाररए एक चन, तारो अलगा कए पासकी कामी।

ीज परलखाा रातार न दन, कीज फरो सफल धिन धिन।।५४।।

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यद हामी सदर ामीहाराज दारा कह हए तारारतारामी ञान कएक चन का भी दचार करतार, तारो हामीस अलग हीकयो होतार ? हामी तारो उनक सरप (अकषिरातारीतार) कीपहचान करक दन-रातार उनकी पररकामीा करनी चादहएकी। ऐसा करन पर इस जागनी बरहमाणड ामी हामीारा आयनाधिनय-धिनय हो जातारा।

भााकर- यहा यह सशय होतारा ह दक सदर धिनी शरीचन जी न ३१३ आयतयामीाओ को तारारतारामी ञान दया।कया दकसी भी सनरसाक ामी सदर क उपशो कादचार करन की परलत नही की?

सतारतारः श यहा परोकषि रप ामी जयराामी भाई को ही कहागया ह दक यद सदर ामीहाराज क चनो का दचारकरतार तारो उम क इस पडा ामी ामीाया ामी नही फस रहतार।जागनी कायर हतार धिाामी धिनी को तारो शरी चन जी का

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तारन छोडकर शरी दामीदहरराज जी क अनर दराजामीानहोना ही का, दकनतार यहा जयराामी भाई को ामीीठी जझडकी(ामीधिर डाट) ी गयी ह दक आयप जस सनरसाक ामीायाामी दनरनतारर फस ही रह , इसललय राज जी न सबसओझल हो जाना उधचतार सामीझा।

परधकषिाा न का ककन यहा बाह अक ामी नही लनाचादहए, बअसलक इसका अणभपराय यह ह दक हामी अपनहय की समपार शरदा को सदर धिनी शरी चन जी कपरधतार इस परकार कअसनतार कर ना चादहए का दक हामी ऐसापरतारीतार होतारा, जस उनस एक पल क ललय भी हामीभाातयामीक रप स अलग नही ह। यह अससकधतार सी ही ह,जस दकसी त की पररधधि पर घामीतारा हआय वयदक कनस हामीशा बराबर की री बनाय रखतारा ह।

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ी टालयो जयार सन सोहाग, तययार पतारग पामयो राग।

का झपाी ओल आयग, का कायानो कर तययाग।।५५।।

जब ीपक जलाया जातारा ह तारो अनधिरा नषट हो जाताराह। अनधिकार ही पतारग का सहाग (दपरयतारामी) होतारा ह।पतारगा अपन दपरयतारामी स दबछड जान क कारा ससार सदरक हो जातारा ह, और दरह ामी या तारो झाप ामीारकरीपक की लौ को दामीटा तारा ह, या सय ही उसामीजलकर अपना परााानतार कर लतारा ह।

जओ जीताराी ए रीतार, न ामीक अधिरनी परीतार।

धिाी अामीारो अछरातारीतार, अामी तारोह न सामीझया पतारीतार।।५६।।

ह साक जी! इस बातार को दचार करक लखए दकजीसदषट का एक तारचछ परााी कहा जान ाला पतारगा भीपरामी की राह पर दकतारनी तारनामीयतारा स चलतारा ह। ह अपन

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सहाग (अनधिर) स परामी नही छोडतारा और उसक दयोगामी अपन पराा तारक छोड तारा ह। हामी सनरसाक तारोबरहमसदषट कहलातार ह और हामीार दपरयतारामी सधचचाननअकषिरातारीतार ह। दकनतार ामीाया की नी ामी हामी इतारन पधतारतारहो चक ह दक पतारग की परामीामीयी राह को जानकर भीआयचरा ामी उतारार नही पातार और धिनी स दामीख होकरससार ामी परसननताराप रक रहन का परयास करतार ह।

ह घर ामीाह ऊच कामी जोस, हसी कही ातार न करी रस।

ए धिाी दना कन अनसरस, ह अामी रोई रोईन ामीरस।।५७।।

इस नशर जगतार ामी अपन परााशर अकषिरातारीतार क साकहामीन परामीभरी हसी की ामीधिर बातार नही की ह। ऐसीअससकधतार ामी जब परामीधिाामी ामी हामी अपन ामील तारनो ामी जागतारहोग, तारो अपन दपरयतारामी क साामीन ामीख ऊचा करक कस

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खग? हामीारा इस ससार ामी शरी राज जी क अधतारररकऔर कौन ह, जजसका हामी अनसरा कर? अब तारो हामीअपन धिनी क दयोग ामी रो-रोकर ही ामीरना होगा।

भााकर- हासय भा क साक ामीधिर परामी की ातारार करनका आयशय ह, सदर धिनी शरी चन जी क यकाकरसरप को पहचान कर अपन हय का स रस परामीसामीरपतार करना।

अपराधि बोधि स गजसतार वयदक की आयख नीची रहतारी ह।ह दकसी स ददषट नही दामीला पातारा।

रो-रोकर ामीरन का तारातयपयर ह , आयजीन दरह ामीतारडपतार रहना।

ए अामीारी ीतारकनी दधि, ामीन ामीरडी कीधिी बसधि।

अामीन छताररया एाी बधि, तारो गई अखड अामीारी दनधि।।५�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिाामी धिनी क साक हामीारा इस परकार का घटनाकामीघदटतार हआय। ामीाया न ामीझ ामीरोडकर बसधि कर दया।इसन हामीारी बधद को भी परी ताररह स ठग ललया, अकारतारअपन अधिीन करक धिनी स दामीख कर दया। इसकाषपररााामी यह हआय दक परामीधिाामी की हामीारी अखणडदनधधि हामीस ओझल हो गयी।

भााकर- ामीाया क दारा ामीरोड जान का अकर ह, ामीायाक दारा हारकर शदकहीन सा हो जाना। दपरयतारामीअकषिरातारीतार ही आयतयामीाओ क स रस ह, जीन क आयधिारह। इसललय उपरोक चौपाई ामी उनह अखणड दनधधि (धिन)क रप ामी रातार दकया गया ह।

जो पााील अलगा जाय, तारो लखनामीा रसा सो काय।

धिाी दना कामी रहाय, जो काईक दनधि ओलखाय।।५९।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यद शरी चन जी क तारन ामी दराजामीान परााशरअकषिरातारीतार की हामी पहचान हो गयी होतारी, तारो उनक दबनाहामी एक पल क ललय भी इस नशर ससार ामी कस रहपातार? उनक दयोग ामी एक-एक कषिा भी बरसो क सामीानलमबा परतारीतार होतारा।

ामीीन जल दना जाी अाय, अतारर वरह न खामीाय।

तारो वरह आयपा कामी सहाय, जो एक लो सामीझाय।।६०।।

जजस परकार जल ही ामीछली का जीन होतारा ह और हअपन जीन क आयधिार जल का जरा भी दरह सहननही कर पातारी, उसी परकार यद हामीन भी तारारतारामी ञानक एक चन को आयतयामीसातार करक अपन पराा जीनअकषिरातारीतार की पहचान कर ली होतारी, तारो दकसी भीअससकधतार ामी उनका दरह सहन नही कर पातार।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दशष- "एक चन" का तारातयपयर ह, तारारतारामी ञान कीकोडी सी भी चचार को आयतयामीसातार करना। उपरोक सभीचौपाइयो क ककन जयराामी भाई को जागतार करन कललय ही कह गय ह, दकनतार समबोधिन साामीदहक रप सदकया गया ह, वयदकगतार नही ।

अामी वरह धिाीनो खमया, ज दन का दनगमया।

अामी भरामी ामीाह भमया, जो अगनी वरह न मया।।६१।।

धिनी का दरह सहन कर, हामी वयकर ामी ही इतारन दनोतारक सामीय नषट करतार रह ह। हामी तारो अब तारक ामीाया कभामी ामी ही भटकतार रह और अपन परााशर क दरह कीअदगन ामी नही जल सक।

षटवय- परकाश ााी क दरह क परकराो स यह सपषटह दक शरी दामीदहरराज जी न सय को धिनी क दरह की

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अदगन ामी झोक दया का, दकनतार जयराामी भाई सदहतार अनयसनरसाक को णशकषिा (जसखापन) न क ललय यहासाामीदहक रप स ोष ामीानकर ककन दकया गया ह।

साखी- एा ामीोह ामीाह करया, करी न सकया दचार।

सनाई आयी सहन, तारो आयडो आयवयो ससार।।६२।।

इस ामीाया न ामीझ अपन अनर कर (दनगल) ललया,अकारतार ामीझ अपन अधिीन कर ललया, जजसक पररााामीसरप ससार छोडन क समबनधि ामी ामी कछ भी दचारनही कर सकी। सब कछ खतार-सनतार रहन पर भी ामीायाक परभा स ामीर और धिनी क बीच ामी यह ससार का पारआय गया।

भााकर- इस चौपाई क तारीसर चरा का आयशय यह हदक शरी दामीदहरराज जी को ञान ददषट स ामीायाी ससार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

की नशरतारा तारका आयतयामीा-परबरहम की अखणडतारा का बोधितारो का, दकनतार ामीाया क परभा स आयअसतयामीक ददषट क नखलन स दपरयतारामी पर पार रप स नयोछार नही हो सकक।

सतारतारः श यह ककन परोकषि रप स जयराामी भाई सदहतारअनय सनरसाक क ललय ह। शरी चन जी क धिाामीहय ामी दराजामीान यगल सरप तारो शरी दामीदहरराज जीक अनर शोभायामीान हो ही चक क। ऐसी असका ामीउनह ामीाया की नी ामी सोया हआय नही कहा जा सकतारा।हबश की घटना क बा ीबनर जान क सामीय ामीलगभग ७ षर का अनतारर होतारा ह।

जो दधि लह चननी, तारो ससार अामीन स।

एन काई चाल नही , जो ओलख आयपोप।।६३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यद ामी तारारतारामी ञान क चनो को यकाकर रप स अपनआयचरा ामी उतारार लतारी, तारो ामीर ललय भला इस ससार काामीहतय ही कया रहतारा? कछ भी नही । जो भी अपन दनजसरप की तारका अपन परााशर की ासतारदक पहचानकर लगा, ह इस परकार की भल कभी नही करगा।

भााकर- धिनी क दारा कह गय तारारतारामी ञान क चनोकी ासतारदकतारा को गहा करन का आयशय कल ञानददषट स नही ह, बअसलक अधयातयामी क उस सतारर पर पहचनस ह, जजसामी दपरयतारामी क दबना ससार ामी रहन की इचछासामीाप हो जाय।

इस छठ दन की लीला ामी अपन धिाामी हय ामी शरी राजजी को बसाय रखना ही ससार का तययाग ह। सदर धिनीशरी चन जी क अनतारधिारन हो जान क बा भी जयराामीभाई ामीाया क काय ामी इतारन ललप क दक उनह अपनी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयतयामी-जागधतार की जरा भी धचनतारा नही की। सतारतारः श यहककन उसी सनभर ामी ह।

आयगल एामी कह छ, ज आयधिलो चाल सही।

जयार भटक भीतार दनलाटामीा, धतारहा लग ख नही ।।६४।।

प रकाल स यह कहातार (ताररय, बातार) कही जातारी रहीह दक जब कोई अनधिा वयदक ामीागर ामी जा रहा होतारा ह, तारोजब तारक उस साामीन अससकतार ीार स णशर ामी चोट नही लगतारी, तारब तारक ह न तारो ीार का अनभ कर पाताराह और न उसस साधिान रहन का परयास ही करतारा ह।

तार तारा अामीन अनभवय, अामी तारोह न जााी सनधि।

घन लागयो कपालामीा, अामी तारोह अधिना अधि।।६५।।

इस बातार का हामीन अनभ तारो दकया, दकनतारपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 118118 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ासतारदकतारा को नही जान सक। हामीार णशर ामी लोह कघन स भयकर चोट लगी, दफर भी हामी अनधिो ामी अनधिही बन रह।

भााकर- सदर धिनी शरी चन जी का अनतारधिारन होजाना लोह क घन (बडा हकौडा) स णशर ामी चोट लगनकी ताररह ह। तारारतारामी ााी का अताररा न होन तारकाआयदडका लीला क समामीोहन ामी फस जान स, सनरसाकशरी चन जी क धिाामी हय ामी शोभायामीान शरी राज जीक सरप की ासतारदक पहचान नही कर सका का। शरीदामीदहरराज जी क साक भी यही अससकधतार की। इस ही इसचौपाई ामी "अनधिो ामी अनधि" क ककन स समबोधधितार दकयागया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयखा तारोह न उघडी, ाल कही अनक दधि।

अधि अामी एा कया, दनगामीी बठा दनधि।।६६।।

यददप धिाामी धिनी तारारतारामी ञान दारा हामी अनक परकार ससामीझातार रह, दफर भी हामीारी अनतारदरदषट नही खल पायी,जजसस दक हामी अपन आयराधय की पहचान कर सक।ामीाया की नी ामी हामी इस परकार सोतार रह दक हामीन अपनपरााशर को ही खो दया।

भााकर- शरी चन जी का अनतारधिारन तारो अपनदनधशतार सामीय पर होना ही का, दकनतार शरी दामीदहरराज जीको परायधशतार इस बातार का ह दक यद उनहोन उधचतारसामीय पर अपन धिाामी धिनी की पहचान कर ली होतारी तारोजी भर कर उनह रीझा ललया होतारा। अपनी इसी भल कोभाकतारा भर भाो ामी उनहोन कहा ह दक ामीर दारापहचान न होन क कारा धिनी ामीझस ओझल हो गय।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इसी परकार का सकतार सब सनरसाक सदहतार जयराामीभाई क ललय ह।

अधिन आयख र ताराी, पा अामीन ामीाह न बाहर।

तारो दनधि खोई हाक की, जो कीधिो नही दचार।।६७।।

बाह आयखो स अनधि होन ाल वयदक की अनतारदरदषट(हय की आयख) खली होतारी ह, दकनतार न तारो हामीारीबाहर की खली की और न अनर (हय) की। यहीकारा ह दक दपरयतारामी क ककनो का दचार करक हामीनउनकी पहचान नही की, जजसका पररााामी यह हआय दकहामीन अपन आयअसतयामीक धिन (दपरयतारामी) को खो दया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चाल-

अधिन आयख र ताराी होय, पा अामीन न ीस कोय।

अामी तारो रहा दनधि खोय, टाा भलया स काय रोय।।६�।।

अनधि वयदक की तारो हय की आयख खली होतारी हजजसस ह साधिान रहतारा ह, दकनतार हामीारी तारो न बाहरकी आयख की और न अनर की। इसका पररााामी यहहआय दक हामीन अपनी अखणड दनधधि (धिाामी धिनी) को खोदया। दपरयतारामी को ररझान का शभ असर गा न कपशातार, अब रोन स कया लाभ ह?

गए असर स काय पछ, धिन गए हाक सह घस।

ामीाह हाा बाहर सह हस, तार तारो ामीाहनी ामीाह रडस।।६९।।

जजस परकार धिन की चोरी हो जान पर सभी लोगपशाताराप ामी हाक ामीलतार रह जातार ह, उसी परकार दपरयतारामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

को ररझान का सराामी असर चक जान पर अब कयाहो सकतारा ह? अपन घर क धिन की हादन होन पर तारोससार क लोग हसा ही करतार ह। इस परकार की भलकरन ाला अनर ही अनर रोया करतारा ह। ह अपनीवयका दकसी स भी कह नही पातारा।

साक ए पर अामीस कई, दनधि हाक आयी करी गई।

दन घाा अामी ामीाह रही, पा अामी षट जााी नही ।।७०।।

ह साक जी! हामीस इसी परकार की भयकर भल हई ह।हामीार हाक ामी आययी हई अखणड दनधधि (दपरयतारामी रपीसमपा) हामीस अदशय हो गयी। बहतार दनो तारक हामीउनकी साामीीपयतारा ामी रह, दकनतार हामी इतारन षट क दक हामीउनक सरप की यकाकर पहचान नही कर सक।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रामीतारी कर तारामी कीधि, अामीतार ढोलीन दख पीधि।

धिाी सहज आयवया सख न लीधि, कारज कोई न जसधय।।७१।।

एक षट बधद ाला वयदक जो अपराधि करतारा ह , हामीनभी ही दकया। अामीतार स भी ामीधिर अपन दपरयतारामी का परामीछोडकर ामीाया क दष ामी ललप रह। साकषिातार अकषिरातारीतार हीहामी सरलतारा स पराप हो गय क , दकनतार हामी दकतारनामीनभागय ह जो उनस परामी करक अपनी आयतयामीा का सखन ल सक। इस परकार, हामीारा कोई भी कायर(आयधयाअसतयामीक या भौधतारक) जसद नही हो सका।

भााकर- शरी दामीदहरराज जी की पीडा यही ह दक सदरामीहाराज को न ररझा पान क कारा आयधयाअसतयामीक लाभनही ल सक और राज कायर स पराप होन ाल तारन ससनरसाक की सा भी नही कर सक। यही अससकधतार अनयसनरसाक की भी रही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह ए ख का कदहए, अग ामीाह आयतारामी सदहए।

कीधि पोतारान लदहए, ह ोष कोा ए।।७२।।

अब अपना ः शख ामी दकसक आयग रोऊ? इस तारो अपनअनतारामीरन (हय) ामी ही सहन करना होगा। ामीन जो कछभी अपराधि दकया ह, उसका फल तारो ामीझ सय हीभोगना होगा। भला अब ामी अपनी इस अससकधतार क ललयदकसको ोष ?

भााकर- आयतयामीा इस खल ामी ामीा दषटा ह। ह जी कऊपर दराजामीान होकर उसक हय रपी प र परामीायाी सख-ः शख क खल को ख रही ह। जी अपनअनतारः शकरा (हय) क दारा सख-ः शख का भोका ह।आयतयामीा इसी ामीायाी खल ामी इतारनी लीन हो गयी ह दकह अपन परातयामी भा को छोडकर जी भा ामी तारनामीयहो गयी ह। आयतयामीा का हय तारो परातयामी क हय का ही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परधतारदबमब ह-

असर तारन दल ामी ए दल, दल अनतारर पट कछ नाह।

शर. ११/७९

दल ामीोदामीन असर तारन बीच ामी, उन दल बीच ए दल।

कहन को ए दल ह, ह असर दल असल।।

शर. २६/१४

यहा जी भा ामी तारनामीय हो जान क कारा ही जी कहय स अनभ होन ाल ः शख को आयतयामीा क हय(अग) स अनभ करन की बातार कही गयी ह।

तारोह धिणाए हाककी ामीकी नही , तारो ली आयपाामीा आयवया सही।

ए दनधि ामीखकी न जाय कही, ज आयही अामी ऊपर या कई।।७३।।

इतारना कछ होन पर भी धिाामी धिनी न ामीरा हाक नही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

छोडा और पनः श (शरी चन जी क हय ामी शोभायामीानहोन की ताररह) ामीर धिाामी हय ामी आयकर दराजामीान होगय। हामीार ऊपर परााशर अकषिरातारीतार न जो असीामी यारपी दनधधि की षार की ह, ामीर ामीख स उसका ारन होपाना कादप समभ नही ह।

दशष- यददप गजरातारी भाषा ामी "आयपाामीा" का अकरहामीार अनर होन स ह, दकनतार यहा पर शरी इनातारी जीक धिाामी हय ामी दराजामीान हो कर लीला करन का परसगह। उपरोक चौपाइयो ामी अामी , अामीन, आयद सभी शबबहचन क ललय परयक दकय गय ह। एकचन ामी अामी ,ामीन, महारा, अद शबो का परयोग होगा।

धिन गय तार आयवय ली, गयो अधिकार सह टली।

सखना सागर ामीाह गली, एन बीजो न सक कोए कली।।७४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीरा जीनधिन (दपरयतारामी) जो अदशय हो गया का, अबपनः श ामीझ पराप हो गया ह। इसक पररााामीसरप ामीरअनर स ामीाया का सारा अनधिकार भी सामीाप हो गया ह।अब ामी दपरयतारामी क सख रपी सागर ामी डबकर एकरप होगयी ह। अनय कोई भी (दबहारी जी आयद) इस सख कोअब ामीझस छीन नही सकतारा ह।

ह ामी सख अखड लीधिा, ामीनना ामीनोरक सीधिा।

ाल आयप सरीखडा कीधिा, फल ाछाकी अधधिक ीधिा।।७५।।

ामीर ामीन ामी अपन परााशर क अखणड सख को पान काजो ामीनोरक का, ह ामीझ अब पराप हो गया ह। शरी राजजी न ामीर धिाामी हय ामी दराजामीान होकर ामीझ अपनसामीान बना ललया ह। उनहोन तारो ामीरी इचछा स भीअधधिक (आयअसतयामीक समपा) दया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- हबश ामी जान पर शरी इनातारी जी की इचछाअपन दपरयतारामी क शरन तारक सीदामीतार की, दकनतार धिाामीधिनी न उनह परतययकषि शरन कर अपना सरप ही बनाललया, अकारतार अकषिरातारीतार की शोभा कर जागनी लीलाका सारा उतराधयतय उनह सौप दया। इस समबनधि ामीक. दह. ९/४,३० ामी कहा गया ह-

कर पकर बठाए क, आयस दयो ामीोह अग।

तारा दन क पसरी या, पल-पल चतार रग।।

अग बधि आयस य क, कह तार पयारी ामीझ।

न सख सबन को, हकामी करतार हो तारझ।।

साखी- कपा कीधिी अधतार घाी, ली आयवया तारतयकाल।

तारहज ााी न तारहज चरचा, परामी ताराी रसाल।।७६।।

ामीर दपरयतारामी अकषिरातारीतार न ामीर ऊपर अपार कपा की ह।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 129129 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी चन का तारन छोडन क बा, उसी कषिा ामीरधिाामी हय ामी आयकर पनः श पहल तारन की ताररह दराजामीानहो गय ह। अब ामीर तारन स, पहल की ताररह ही, परामी सभरी हई ााी ामी अखणड लीला की आयननामीयी चचारकर रह ह।

भााकर- उपरोक चौपाइयो स उन जसदानतारो काखणडन होतारा ह, जजसामी यह कहा जातारा ह दक जोश हीशरी राज जी का सरप (आयश) ह। ह कोड सामीय(ााी अताररा या चचार) क ललय ही तारन ामी आयतारा हतारका पनः श परामीधिाामी चला जातारा ह।

ली चन सोहाामीाा, ली रानी दधि दधि।

आयवया तार आयन अधतार घा, लयावया तार नहचल दनधि।।७७।।

अब ामीर तारन स अकषिरातारीतार क दारा कह हए ही ामीनोहर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चन सनन को दामील रह ह। अनक परकार क रसो सपररपार ारन करन की शली भी सी (शरी चन जीजसी) ही ह। अब इस जागनी लीला ामी अतययधधिकआयनन आय रहा ह। धिाामी धिनी हामीार ललय परामीधिाामी कीञान रपी अखणड दनधधि लकर आयय ह।

ए दनधि दनरामील अधतार घाी, दए साकन सार।

कोामील धचतार करी लीजजए, जामी र रह दनरधिार।।७�।।

तारारतारामी ञान रपी यह दनधधि समपार ञान का सार रपह और अतययनतार दनामीरल ह। सनरसाक की आयतयामी-जागधतारक ललय ही धिाामी धिनी न यह समपा परान की ह। हसाक जी! आयप अपन धचत (हय) को कोामील बनाकरइस गहा कीजजए, जजसस आयपक हय ामी यह अखणडरप स ददामीान रह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- तारारतारामी ााी अकषिरातारीतार क हय स परादहतारहोन ाली ामीाधियरतारा का रस ह। इसको आयतयामीसातार करनक ललय पद ए कोामील हय चादहए। दनषर, कर, एकठोर हय तारारतारामी ााी क गह रहसयो स अनणभञ हीरह जातारा ह।

पचीस पख छ आयपाा, तारामीा कीज रग दलास।

परगट कहा छ पाधिरा, तारामी गहजो सह साक।।७९।।

ह साक जी! अपन परामीधिाामी ामी पचचीस पकषि ह। इनकीशोभा ामी धचतारदन दारा आयप अलौदकक आयनन कारसपान कर। धिाामी धिनी न आयतयामी-जागधतार क ललयधचतारदन का यही ामीागर सपषट रप स बताराया ह। आयपइसका अनसरा अशय कर।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयपा धिन तारा एह छ, ज दए छ आयधिार।

रख अधिलखा तारामी ामीकतारा, ालो कह छ ार ार।।�०।।

हामीार जीन क आयधिार अकषिरातारीतार न २५ पकषिो कीधचतारदन का जो ञान दया ह , ह हामीारी सपपररसमपा ह। दपरयतारामी बारमबार यह बातार कह रह ह दक हसाक जी! आयधि पल क ललय भी धचतारदन क सख को नछोदडए।

षटवय- उपरोक ोनो चौपाइया धचतारदन की सपपररामीहता को ही शार रही ह। यददप ञान तारका सा का भीामीहतय ह, दकनतार परामीामीयी धचतारदन को छोडकर आयतयामी-जागधतार की कलपना करना एक दा सपन ही ह।

पख पचीस छ अधतार भला, पा ए छ आयपाो धिरामी।

साियातार ताराी सा कीजजए, ए र राखजो ामीरामी।।�१।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यददप पचचीस पकषिो का ञान ए उनकी शोभा कीधचतारदन बहतार ही उतामी ामीागर ह , दकनतार इस जागनीबरहमाणड ामी हामीारा यह भी कताररवय ह दक शरी दामीदहरराज जीक धिाामी हय ामी दराजामीान साकषिातार अकषिरातारीतार शरी राजजी की परामी क साक सा कर। ह साक जी! इस गहनरहसय को आयप अपन हय ामी बसा लीजजए।

भााकर- यह चौपाई शरी पराानाक जी क सरप कीसपषट पहचान करातारी ह। इसामी सनरसाक क ललय ामीलसरप शरी राज जी का ही दन रश ह दक शरी इनातारी जीक धिाामी हय ामी जो सरप (शरी पराानाक जी)दराजामीान ह, उस साकषिातार ामीरा ही सरप ामीानकरपरामीधिाामी क भा स सा करनी चादहए।

शरी पराानाक जी की तारलना कबीर, नानक, शक,और णश आयद स करन ाल, तारका उनह सनतार, कद,

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ए ामीहापरष कहन ाल सनरसाक को यह बातार धचनतारनामी लानी चादहए दक शरी पराानाक जी की ामीदहामीा को छोटाकहन स उनह कोई लाभ होन ाला नही ह।

ोनो सरपो (ामील सरप ए शरी पराानाक जी) ामीकोई अनतारर नही ह। अनतारर कल इतारना ही ह दकपरामीधिाामी ामी नरामीयी सरप ह, जबदक इस जागनी लीलाामी आयश सरप।

तारामी ही उतारर आयए असर स, इतार तारामी ही दकयो दामीलाप।

तारामी ही ई सधि असर की, जो असर ामी हो आयप।।

शर. २३/३१

धचतार ऊपर ली चाललए, धिाी तारा चन।

ए ााी तारामी धचतार धिरो, ह कह छ करी ामीन।।�२।।

ह साक जी! ामी अपन ामीन ामी पार दतारा लकर यह बातारपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 135135 / 814/ 814

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कह रही ह दक ामीर धिाामी हय ामी दराजामीान होकरअकषिरातारीतार शरी राज जी तारारतारामी ााी रपी जो अलौदककचन कह रह ह, उस अपन हय ामी धिारा कीजजए तारकाउसक अनसार ही अपना आयचरा (रहनी) भी बनाइए।

ई परलखाा अधतार घाी, कर डतार परााामी।

सह साकना ामीनोरक परजो, ामीारा धिाी शरी धिाामी।।�३।।

ामीर पराालभ अकषिरातारीतार! अपनी आयअसतयामीक ददषट सपरामीधिाामी क पचचीस पकषिो की पररकामीा करक , आयपकचराो ामी स रस सामीपरा ए अतययधधिक दनषा क साक ामीपरााामी करतारी ह, और आयपस यह पराकरना करतारी ह दकसब सनरसाक की इचछाओ को पार कीजजए।

भााकर- "णडतार परााामी" करन का आयशय दकसी कचराो ामी लट कर परााामी करन स ह, जो यह बातार शारतारा

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ह दक ामीन आयपक चराो ामी अपना स रस अरपतार करदया ह। परामीधिाामी ामी परामी की लीला ह , अतारः श हाणडतार परााामी करन की रीधतार ही नही ह। नधिा भदकक अनतारगरतार णडतार परााामी करन की परमपरा ह,जजसको आयधिार ामीानकर इस चौपाई क सर चरा ामीणडतार परााामी करन की बातार कही गयी ह।

ामीनना ामीनोरक परा कीधिा, ामीारा अनक ार।

ारा जाय इ ातारी, ामीारा आयतारामीना आयधिार।।�४।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर परााशर ! आयप ामीरीआयतयामीा क आयधिार ह। आयपन प र काल (परामीधिाामी, वरज,ए रास) ामी अनको बार ामीरी इचछाओ को पार दकया ह ,इसललय ामीझ यह पार दशास ह दक आयप ामीरी इसपराकरना को अशय सनग और सनरसाक की आयअसतयामीक

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इचछाओ को पार करग। ामी आयपक ऊपर बार -बारनयोछार होतारी ह।

परकरा ।।१।। चौपाई ।।�४।।

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इस परकरा ामी भी ामीाया क ऊपर परकाश डाला गया ह।प र परकरा ामी जहा ामीाया क अधिीन होन का परसग का ,ही इस परकरा ामी ामीाया स पर हो जान की असकाशारयी गयी ह।

ामीाया गई पोतारान घर, ह आयतारामी तार जागयानी कर।

तारो ामीायानो कयो नास, जो धिणाए कीधिो परकास।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह ामीरी आयतयामीा ! अब तारअपनी आयतयामी-जागधतार क ललय परयास कर, कयोदक ामीायाअपन घर चली गयी ह। धिाामी धिनी न ामीर अनरदराजामीान होकर तारारतारामी ााी का परकाश दकया ह,जजसस ामीाया का नाश हो गया ह।

भााकर- उपरोक चौपाई क परकामी चरा ामी "ामीाया काअपन घर चल जाना" तारका तारीसर चरा ामी "नाश होना"

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कहा गया ह। ोनो ककनो का ामील अणभपराय एक होतारहए भी कोडा सा अनतारर ह।

ामीोह अगयान भरामीना, करामी काल और सनय।

ए नाामी सार नी क, दनराकार दनरगन।।

क. दह. २४/१९

परकधतार का सकामीतारामी (ामीहाकारा) रप ही ामीोहसागर ह,जजस गाातयामीक रप ामी अञान (अददा) या भामी(सशय) कहतार ह। इसका वयदषट (वयदकगतार या अश) रपपरतययक परााी क अनतारः शकरा ामी रहतारा ह। यह धयान नयोगय ताररय ह दक अनतारः शकरा (ामीन, धचत, बधद, तारकाअहकार) की उतयपलत उस ामीहततय स होतारी ह , जोकारा परकधतार स उतयपनन होतारा ह। इसी परकार ामीोहतारत(ामीहाकारा) को ही दचनातयामीक सतारर पर परयक करनस कारा परकधतार क रप ामी जाना जातारा ह। हामीारी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इअसनया उस अहकार स उतयपनन होतारी ह, जो ामीहततय सपरगट होतारा ह। इस परकार, यह सपषट ह दक हामीारी सभीइअसनया अनतारः शकरा ामीायाी ह, तारका इनामी ददामीान"अञान" या "भामी" ामीोहतारत का ही वयदषट सरप ह।

तारारतारामी ञान क परकाश ामी समपार सशयो का दनराकराहो जाना ही ामीाया का नाश हो जाना ह। इस ही सरशबो ामी ामीाया का अपन घर (सामीदषट ामीोहतारत) ामी दलीनहो जाना कहा गया ह।

दकनतार यह असका ामीा अधययन, शरन, या धचनतारनक दारा ही पराप नही होतारी , बअसलक ञान ददषट स सयकी, अकषिरातारीतार की, दनज घर की, तारका दपरयतारामी कलीला रपी तारन (ामीहाामीधतार) की पहचान करक ामीन,ााी, और कामीर स परामी ामी डबन पर ही पराप होतारी ह।

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कामी जाणाए ामीाया गई, अतारर जोतार तार परगट कई।

ह आयतारामी कर काई बल, तारो ााी गाऊ नहचल।।२।।

यह कस जाना जाय दक हामीार हय ामी अब ामीाया काअअससतारतय नही ह? जब आयतयामीा क धिाामी हय ामी दपरयतारामीकी शोभा का परकाश दराजामीान हो जातारा ह, तारो यहीसाकषिी दामीलतारी ह दक अब ामीाया सामीाप हो गयी ह। अबामीरी आयतयामीा यद कछ आयअसतयामीक बल का परयोग कर, तारो ामीअखणड धिाामी की ााी का गायन (ककन) कर।

लघ ीरघ पपगल चतारराई, एह तारो दकन छ बडाई।

एनो अकर ह जाा सही, पा आय दनधिामीा तार सोभ नही ।।३।।

पपगलाचायर दारा रातार छनशासतर क अनसार , लघऔर ीघर ा (सर तारका वयञन) क ामील स, अपनबौधदक चातारयर क दारा कदतारा करन पर शरष कद की

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शोभा पराप होतारी ह। इस ताररय को ामी अचछी ताररहसामीझतारी भी ह दक छनबद परदकया स शरष कावय कीरचना होतारी ह, दकनतार इस बरहमााी ामी लौदकक चातारयर सउस ताररह की रचना शोभा नही तारी।

भााकर- आयचायर पपगल दारा रधचतार छनशासतर "पगलशासतर" भी कहा जातारा ह। इसामी यह बातार शारयी गयी हदक ा क ामील स दकस परकार सनर रचना करनी ह।परबरहम क आयश स अतारररतार बरहमााी छनशासतर तारकाकावय अलकार क बनधिनो स बधिी नही ह , दफर भीउसामी अलौदकक कावय सौनयर ह। उपरोक चौपाई यहीबातार परकट करना चाहतारी ह।

ामीार तारो नकी काई दकन काामी, चन कहा ामीार धिाी शरी धिाामी।

ज आयही आयीन कहा, गजा सार ामीार धचतारामीा रहा।।४।।

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तारारतारामी ााी क रप ामी कदताराय बनाना ामीरा परयोजननही ह। ामी तारो अपन परााशर अकषिरातारीतार क चनो कोइस ससार ामी परकट करना चाहतारी ह। शरी राज जी न ामीरधिाामी हय ामी दराजामीान होकर (यहा आयकर) जजसअखणड लीला (ामीहारास) का ारन दकया ह, उस ामीरीबदद न अपनी साामीरयर क अनसार ही गहा दकया ह औरह अब ामीर धचत ामी ददामीान ह।

भााकर- इस चौपाई क तारीसर चरा ामी कणकतार "यहाआयकर कहा" का तारातयपयर शरी चन जी स नही लनाचादहय। यद शरी चन जी स सनकर शरी दामीदहरराजजी न रास गनक या शष तारारतारामी ााी को कहा ह, तारोयह उनकी बधद क दारा कही हई रचना ामीानी जायगीऔर इस बरहमााी की सञा नही ी जा सकतारी।

यद यह कहा जाय दक इस चौपाई क चौक चरा ामी भी

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तारो बधद क दारा गहा करन ए धचत क दारा उससरधकषितार करन का ारन ह, तारो उसका आयशय यह ह दकजो अकषिरातारीतार पहल शरी चन जी क धिाामी हय ामीलीला कर रह क, ही अब शरी इनातारी जी क धिाामीहय स ााी का अताररा कर रह ह। दकनतार शरीइनातारी जी क जी की बधद ए धचत ामी उस गहाकरन का जजतारना साामीरयर ह, उतारनी ही ााी उनक ामीखस परकट हो पा रही ह। इसक प र जब शरी राज जी काआयश शरी चन जी क ामीख स चचार करतारा का , तारोआयदडका (चामीतयकाररक) लीला परकट हो जातारी की,दकनतार तारारतारामी ााी का अताररा नही हो पातारा का।

साक आयगल कहीस ह तारह, पहला फराना सनह।

धिणाए ज कहा अामीन, साभलो साक कह तारामीन।।५।।

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पहल फर वरज ामी जो सनरसाक आयय क, उनस ामी वरजलीला क परामी का ारन करतारी ह। धिाामी धिनी न ामीर धिाामीहय ामी शोभायामीान होकर जो कछ कहा ह , ही ामीआयपस कहतारी ह। ह साक जी! आयप उस सदनय।

तारामी जोप गहजो ामीन करी, ह तारामीन कह फरी फरी।

साक सकल लजो धचतार धिरी, ह ालोजी खाड परगट करी।।६।।

ह साक जी! अपन ामीन को द करक बहतार अचछी ताररहस इस बातार को गहा (हयगामी) कर लीजजए, जजस ामीबार-बार आयपस कह रही ह। ामी ञान दारा दपरयतारामी कोपरतययकषि रप स दखातारी ह। उस दवय शोभा को आयपसभी अपन हय ामीअसनर (धचत) ामी बसा लीजजए।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी शरी राज जी कापरतययकषि शरन करान का तारातयपयर ञान ददषट स ह, आयअसतयामीक

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ददषट स नही । आयअसतयामीक ददषट स खन क ललय धचतारदनही एकामीा दकलप (ामीागर) ह। यह अशय ह दक जबोनो सरप (शरी चन जी ए शरी पराानाक जी )चचार करतार क तारो शरी राज जी आयश सरप स परकटहोकर शरन तार क। ामीाररफतार (परामी सतयय, दञान) कीअसका ामी पहची हई बरहमातयामीा भी धिनी की कपा स कछपलो क ललय शरन करा सकतारी ह।

उपरोक चौपाई ामी शरी इनातारी जी का आयशय यही हदक ामी धिाामी धिनी क दारा खली गयी ामीहारास की लीला ामीउनक शरगार का परतययकषि ारन कर रही ह। यद आयपसभी सनरसाक अपन हय ामी उस शोभा को बसायग,तारो आयपको उसका परतययकषि शरन अशय होगा।

उपरोक ककन ामी एक गहन रहसय यह भी ह दक शरगारका ारन ताररामीान असका ामी ही दकया जातारा ह। यही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कारा ह दक रास दबहारी को शरी राज जी कह कर रातारदकया गया ह, जबदक यह बातार स रददतार ह दक ताररामीानसामीय ामी रास दबहारी शरी कषा जी ामी शरी राज जी काआयश नही ह। ह ामीा नरी तारन ह। उसक शरन कोअकषिरातारीतार पारबरहम का शरन नही ामीाना जा सकतारा।कल इतारना ही कहा जा सकतारा ह दक अतारीतार काल(रास) ामी शरी राज जी क दारा धिारा दकय गय तारन काशरन ह। यह बातार पर. दह. क पहल परकरा ामी ही कह ीगयी ह- "रास खल क आयए घर, उामीा न हइया परन।"शरगार गनक ामी इस परकार का ककन परामीामीयी भाकतारा ककारा होतारा ह। सतारतारः श शबो क सधकषिपीकरा ामी भीऐसा कह दया जातारा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी चजी न लाग पाय, जामी आय सतारर जोप ओलखाय।

ई परलखाा कर परााामी, जामी पोहोच ामीारा ामीननी हाामी।।७।।

ामी शरी चन जी की पररकामीा करक उनक चराो ामीपरााामी करतारी ह, जजनकी कपा स ामीन इस कदठन ामीायाकी सरलतारा स पहचान कर ली और अपनी समपारइचछाओ को भी पार कर ललया।

भााकर- इस चौपाई ामी यह जजञासा होतारी ह दक "शरीचन जी" का समबोधिन दकसक ललय दकया गया ह-ामील सरप अकषिरातारीतार क ललय या सदर सरप शरीचन जी क ललय?

द.स. १७१२ ामी सदर धिनी शरी चन जी का धिाामीगामीन हो गया का। ऐसी असका ामी शरी इनातारी जी कदारा स षर बा भी शरी चन जी का नाामी समबोधधितारकरक बोलना आयशयर ामी डालन ाला ह।

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परकाश गजरातारी का अताररा हबश ामी द.स. १७१५ ामीहआय का। उसामी अनक सकलो पर शरी चन जी कोअकषिरातारीतार क रप ामी ही समबोधधितार दकया गया ह, जस-

शरी धिाी जी जसधिातारा, कामी रही ाचा अग।

पर. ग. ५/४

ालो जी र दछडतारा, तारामी लोही न रोय। पर.ग. ५/७

ामीजी सयल र, सजा हअडा ामी गर। पर. ग. ६/१

परामी भर समबोधिन ामी उनहोन कही -कही नाामी (शरीचन जी) का भी उलख दकया ह, दकनतार भा हीरहा ह।

शरी चन जी अामी कारा, र तारामीार आयवया।

पर. ग. १०/२

यही ककन ीबनर ामी तारारतारामी की चार चौपाइयो कअताररा ामी भी दकया गया। हा पर "शरी चन जी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सतयय छ" उताररा, जो पर. दह. की परकटााी ामी "शरीशयाामीा जी र सतयय ह" क रप ामी परररतारतार हो गया।उपरोक दचना स यही सपषट ह दक शरी दामीदहरराज (शरीइनातारी, ामीहाामीधतार) की ददषट ामी ामील सरप अकषिरातारीतारही शरी चन जी क धिाामी हय ामी शोभायामीान क ,इसललय उनहोन नरी सरप तारका आयश सरप ामी कोईभी भ नही ामीाना, भल ही इसक ललय दकसी भी शब(शरी चन जी) का परयोग कयो न दकया हो।

जटली सनधि कही छ तारामी, तार करी स र जोइए अामी।

लीला तारामी कही अपार, तारह ताराो न लाधि पार।।�।।

ामीर धिाामी धिनी! आयपन गह ञान की जो भी बातार कहीह, उन सबक दषय ामी ामीन सकामीताराप रक दचार दकयाह। आयपन वरज, रास, तारका परामीधिाामी की जजस

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयननामीयी लीला का ारन दकया ह, उसका तारो कोईपार ही नही पा सकतारा।

चौ भन ामीाया अधिार, पार नही ामीोटो दसतारार।

तारामीन पछ सामीरक सार, ह काी पर कर दचार।।९।।

इसी परकार चौह लोको क इस बरहमाणड ामी ामीाया काइतारना गहन दसतारार ह दक उसका भी पार पाना समभनही ह। आयप तारो स र साामीरयरान ह, इसललय ामी आयप सयह बातार पछना चाहतारी ह दक इस ामीायाी जगतार स परजो लीला रपी सार तारत ह, उसक दषय ामी ामी दकसपरकार धचनतारन कर?

तारामी तारारतारामीना ातारार, अजाल कीधि अपार।

साक ताराा ामीनोरक जह, स र परा कीधिा तारह।।१०।।

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आयप उस तारारतारामी ञान को न ाल ह, जजसन इसससार ामी अननतार ञान का उजाला कर दया ह।सनरसाक क ामीन ामी जो भी इचछाय की , आयपन उनसबको पार दकया ह।

तारारतारामी तारा अजास, परा ामीनोरक कीधिा साक।

तारामी तारा चरा पसाय, ज उतयकठा ामीनामीा काय।।११।।

तारारतारामी ञान क उजाल ामी सनरसाक न आयपक सरपकी पहचान की और अपनी इचछाओ को पार दकया।आयपक चराो की छछाया ामी दकसी क भी ामीन ामी जो भीइचछा होतारी ह, ह अशय पार होतारी ह।

भााकर- इचछा का तारातयपयर आयतयामी-जागधतार या धिनी कपरामी, ञान, तारका एकतय, आयद की अनभधतार स ह।लौदकक कषटो स ामीदक तारका सरो की भलाई की इचछा

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भी पार हो जायगी, दकनतार यद हामी धिनी स पराकरना करकदषश दकसी दनपष का अदनषट (हादन) करना चाह, तारोह कादप पार नही होगी।

जटली ामीनामीा उपज ातार, तार सह आयतारामी पर साख।

ामीन जीन पछ जह, तययार जी सह भाज सह।।१२।।

ामीर ामीन ामी जो भी बातार उतयपनन होतारी ह , ामीरी आयतयामीाउसकी साकषिी तारी ह। इसी परकार, ामीरा ामीन अपन जीस जो भी पर पछतारा ह, उसका सामीाधिान सदहतार उतरजी तारा ह।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी यह गहन जजञासा होतारी हदक एक ही ामीन को आयतयामीा ामीा साकषिी तारी ह , जबदकजी सभी शकाओ का सामीाधिान करतारा ह, ऐसा कयो?कया ामीन सीधि आयतयामीा स पर का उतर पराप नही कर

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सकतारा?

यह स रामीानय ताररय ह दक आयतयामीा सख-ः शख की ामीाषटा ह। परामीधिाामी ामी उसकी परामीामीयी लीला ह , जबदकइस ससार ामी ह कल षटा ह। जी क दारा चचार-शरा, सतयसग, तारका अधययन स पराप होन ाल ञान सह परामीधिाामी की परामी लीला ामी डब (दकयाशील हो) तारोसकतारी ह, दकनतार ससार-लीला ामी षटा रहन कअधतारररक ह अनय कछ भी नही कर सकतारी।

इसक दपरीतार जी अपन अनतारः शकरा ए इअसनयो कामीाधयामी स सख-ः शख का भोका ह। ह शरा, ामीनन,अधययन, धयान, दरह, आयद की दकयाओ दाराञानाजरन करतारा ह, तारका परामीधिाामी की लीला ामी डबन कापरयास करतारा ह। इस ामीागर ामी ह दरह तारक जाकर रकजातारा ह और परामी ामी डब नही पातारा। जो सख परातयामी को

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होतारा ह, ह यकाकर रप ामी आयतयामीा तारक नही पहच पातारा।इसी परकार, आयतयामीा क सख को भी जी अश ामीा हीगहा कर पातारा ह। जी क सख का अधतार अलप अशअनतारः शकरा ए इअसनयो दारा अनभ ामी आयतारा ह। इससमबनधि ामी तारारतारामी ााी का ककन ह-

जो सख परआयतारामी को, सो आयतारामी ना पोहोचतार।

जो अनभ होतार ह आयतारामीा, सो नाही जी को इतार।।

जो कछ सख जी को, सो बधि ना अनतारसकरन।

सख अतारसकरन इअसनयन को, उतारर पोहोचा ामीन।।

दकरतारन ७३/७,�

उपरोक दचना स यही दनषकषर दनकलतारा ह दक जीसामीाधधि असका ामी अनतारः शकरा और इअसनयो स परहोकर ञान तारका आयनन पराप करतारा ह , जबदक शषअसकाओ (शरा, ामीनन, अधययन, आयद) ामी

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अनतारः शकरा तारका इअसनयो स ञान और आयनन को गहाकरतारा ह।

इस परकार, ससार क परधतार स रा कटसक ए साकषिीभा स रहन ाली आयतयामीा, ामीन क परो की साकषिी ही सकतारी ह, उतर नही । कयोदक ामीन का सीधिा समबनधिजी स ही होतारा ह, इसललय उसक सभी परो कायकातार सामीाधिान जी ही करतारा ह। आयतयामीा काअनतारः शकरा परातयामी क अनतारः शकरा का परधतारदबमब ह,इसललय ह लौदकक परो का उतर नही सकतारा।

धिाामी धिनी की कपा स जजस आयतयामीा क धिाामी हय ामीउनकी छद बस जातारी ह , उसामी परामीधिाामी की समपा(ञान, एकतय, शोभा, परामी, आयद) भी ददामीान होजातारी ह। उसका रहन-सहन अनय लोगो स अलग होताराह। ामीन ामी जो भी दनद उठतार ह, उसका सामीाधिान जागतार

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आयतयामीा का जी सरलतारा स कर तारा ह और आयतयामीाउसकी साकषिी तारी ह, कयोदक उसामी धिाामी धिनी क ञानका परकाश ए परामी ददामीान होतारा ह, जजस लकर जीऔर ामीन भी गौराअसनतार होतार ह।

जजस परकार, दकसी कीचड स ललपट हए लोह कोचमबक आयकरषतार नही कर पातारा, उसी परकार दकारो सभर जी क ामीन को भी आयतयामीा की साकषिी नही दामीलपातारी। उपरोक चौपाई का ककन इनातारी जी की जागतारआयतयामीा क सनभर ामी ह, दबहारी जी या अनयो की नी ामीडबी आयतयामीा क ललय नही ।

ए दनधि बीज कोा न अपाय, धिाी दना कहन साामी न जोाय।

एा अजाल कए स काय, आय पोहोरा ामीा धिाी ओलखाय।।१३।।

बरहमााी की यह दनधधि बरहमसदषट ए ईशरीय सदषट को

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छोडकर दकारगसतार जीसदषटयो स सहन नही होतारी ,अकारतार इस यकाकर रप स गहा नही कर पातारी । इसआयतयामीसातार कर लन ाला शरी राज जी क अधतारररक अनयदकसी को भी नही खतारा, अकारतार उसक हय ामी धिाामीधिनी क अधतारररक अनय कोई भी बस नही पातारा। यदयह कहा जाय दक हय ामी तारारतारामी ााी क ञान काउजाला होन पर कया लाभ होतारा ह, तारो इसका उतर यहह दक इस ामीायाी जगतार ामी भी दपरयतारामी अकषिरातारीतार कीपहचान हो जातारी ह।

आयप ताराी पा खबर पड, घर पर आयतारामी र च।

ए अजाल जयार कय, तययार ली पाछ स रह।।१४।।

जब हय ामी तारारतारामी ााी का परकाश ददामीान होजातारा ह, तारो बाकी रहतारा ही कया ह? उस तारो सब कछ

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(आयधयाअसतयामीक धिन) पराप हो जातारा ह। उस अपनआयअसतयामीक सरप की पहचान तारो हो ही जातारी ह,परामीधिाामी क पचचीस पकषिो सदहतार यगल सरप ए उसकीपरातयामी की शोभा भी उसक धिाामी हय ामी अदकतार होजातारी ह।

ए स ामीाया कर बल, फर कल कर दकल।

अजालाामीा ना रह चोर, जागतारा न चाल जोर।।१५।।

यह ामीाया दकस परकार स अपना बल दखातारी ह?सतारतारः श ह जी की बधद को उलटी दशा ामी ामीोड करबसधि कर तारी ह। जजस परकार उजाल ामी तारका घर कसाामीी क जागतार रहन पर चोर का कोई श नही चलतारा,उसी परकार तारारतारामी ञान क उजाल ामी जब जी जागतारहो जातारा ह तारो ामीाया का उस पर कछ भी अधधिकार नही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रहतारा।

भााकर- रजोगा तारका तारामीोगा क परबल होन पर जीका हय ामीाया क अनधिकार स भर जातारा ह। उसकादक कअसणठतार हो जातारा ह। पररााामी सरप हआयधयाअसतयामीकतारा क सचच आयनन स र होकर दषय सखक लल ामी धिसतारा जातारा ह। इसस बचन क ललयतारारतारामी ञान क परकाश ामी धिनी का परामी अदनायर ह, तारभीामीाया रपी चोर स हामीार आयअसतयामीक धिन की रकषिा होसकगी।

जदप तार जीतार ददाए, पा एन अजाणय न जाय।

जयार ालोजी सहाय काय, झख ामीार तययार ामीायाय।।१६।।

यददप इस ससार ामी बड-बड ञानीजनो न शासतरो कीअनक ददाओ पर अधधिकार पराप कर ललया और

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ामीहान ददान कहलाय, दकनतार उनामी स दकसी न भी इसअञय (अनजाना) कह जान ाल परबरहम को नही जाना। जब ही परबरहम अकषिरातारीतार साकषिातार हामीारीसहायतारा कर रह ह, तारो यह बचारी ामीाया हामीारा कयादबगाड सकतारी ह? यह दश होकर शानतार हो जातारी ह।

भााकर- "झख ामीारना" एक ामीहादरा ह, जजसका अकरहोतारा ह, शदकहीन होन स असहाय असका ामी चपचापबठ जाना।

तार ामीाट तारामी साजो साक, एक कह अनपामी ातार।

चरचा साजो दन न रातार, आयपान ठा पराानाक।।१७।।

इसललय ह साक जी! ामी आयपस एक बहतार ही अनामीोलबातार कह रही ह। उस आयप धयानप रक सदनय। आयपदन-रातार परामीधिाामी क आयधयाअसतयामीक ञान की चचार

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सदनय, जजसस आयप अपन परााशर अकषिरातारीतार क परामी ामीपारतारया नयोछार हो सक।

भााकर- अकषिरातारीतार परतययक ददषट स पार ह। हामीार परधतारउनक परामी ामी कभी भी नयनतारा नही आय सकतारी। कामीीहामीार परामी ामी ही होतारी ह। बरज, रास, ए शरी चन जीक तारन स होन ाली लीला ामी हामी पार रप स परामी ामीसामीरपतार (दफा) नही हो सक क, इसललय तारारतारामी ााीक परकाश ामी दपरयतारामी क ऊपर पार रप स नयोछार होनका यही सराामी सामीय ह। इसक ललय तारारतारामी ााी कीचचार हामीारी अदनायर आयशयकतारा ह।

चन कहा तार ामीनामीा धिरो, रख अधिलखा पाछा ओसरो।

आय पोहोरो छ कठा अपार, रख दलब करो आय ार।।१�।।

ह साक जी! धिाामी धिनी न तारारतारामी ााी ामी जो भी चन

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कह ह, उनह अपन हय (ामीन) ामी धिारा कीजजए तारकाआयधि पल क ललय भी धिनी स या उनक चनो स दामीखन होइए। यददप ामीाया की परबलतारा क कारा आयअसतयामीकउननधतार क ललय यह बहतार ही कदठन सामीय ह, दफर भीपहल (शरी चन जी क) तारन को छोडकर सर तारन(शरी दामीदहरराज जी) को धिारा दकय हय अपनपराालभ को ररझान ामी जरा भी र न कर।

आय जोगाई छ जो घाी, सहाय आयपान कया धिाी।

बठा आयपा ामीाह कह, पा साक ामीाह कोई दरलो लह।।१९।।

अपन दपरयतारामी अकषिरातारीतार को ररझान का यह बहतार हीसनहरा असर पराप हआय ह। ामीाया स लडन ामी धिाामीधिनी हर परकार स हामीारी सहायतारा भी कर रह ह। हामीार धिाामी हय ामी दराजामीान होकर तारारतारामी ााी का

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परकाश कर रह ह, दकनतार कोई दरला सनरसाक ही इसरहसय को सामीझ पा रहा ह।

भााकर- साामीानय रप स खन पर उपरोक ोनोचौपाइयो (१९,२०) क ककनो ामी भ परतारीतार होतारा ह।१९ी चौपाई ामी कहा गया ह दक यह सामीय बहतार हीकदठन ह, जबदक २०ी चौपाई ामी कहा गया ह दक धिनीको पान का यह सनहरा असर ह।

दकनतार सकामी ददषट स खन पर ोनो ककनो ामी कोई भीभ नही ह। यद १९ी चौपाई ामी कहा गया ह दक ामीायाकी परबलतारा क कारा आयअसतयामीक उननधतार ामी बाधिा हो रहीह, तारो अगली चौपाई ामी यह भी तारो कहा गया ह दक धिाामीधिनी हामीार साक ह, और शरी इनातारी जी क धिाामी हयामी साकषिातार दराजामीान ह। ऐसी असका ामी उनह ररझानका सनहरा असर नही गाना चादहए।

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साक ामीाह अजाल कय, पा भरामी तारा अधिार रह।

तार टालयानो कर उपाय, तारो ामीनोरक परा काय।।२०।।

यददप सनरसाक ामी तारारतारामी ञान का परकाश फल गयाह, दफर भी भामी क कारा कछ सनरसाक क ामीन ामीामीाया का अनधिकार बना हआय ह। उस हटान क ललय ामीपार रप स परयास करगी, जजसस भी धिाामी धिनी कीपहचान करक अपनी आयतयामी-जागधतार का ामीनोरक पार करसक।

भााकर- द.स. १७१२ ामी सदर धिनी शरी चन जीक अनतारधिारन होन क पशातार यगल सरप शरी दामीदहरराजजी क धिाामी हय ामी दराजामीान हो गय क। इसक पशातारतारारतारामी ााी का अताररा परारमभ हो गया का, दकनतार शरीचन जी स तारारतारामी गहा दकय कई सनरसाक इसरहसय को नही जान पाय क। शरी दामीदहरराज जी को

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अपन सामीककषि ही सामीझतार रह, पररााामी सरप तारारतारामीञान का उजाला होन पर उस गहा नही कर सक।जयराामी भाई भी उनही ामी स एक क। उपरोक चौपाई काककन ऐस ही सनरसाक क समबनधि ामी दकया गया ह।

ज ामीनोरक ामीनामीा काय, तारतारलखा कीज तारा ताराय।

आय जोगाई छ पााील, आयपा करी बठा नहचल।।२१।।

यह ामीान तारन या धिनी को ररझान का यह असर अधतारअलप सामीय (पल भर) क ललय ही ह, जबदक हामी इसअखणड (शाशतार) सामीझ बठ ह। इसललय अपन धिाामीधिनी को परामी-सा क दारा ररझान की हामीारी जो भीइचछा ह, उस इसी कषिा पार करन का परयास करनाचादहए।

भााकर- नशर सतारओ की उम पल भर बतारान का

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयशय यह होतारा ह दक कभी भी नषट हो सकतारी ह।

नहचल जोगाई नही एा ठाामी, अधिलखाामीा काय कई काामी।

इ ातारी कह आय ार, दना न कीज दनरधिार।।२२।।

इस जगतार ामी शरीर आयद सतारए अखणड नही ह। आयधिकषिा ामी इनामी अनक (रोग गसतारतारा, ामीतयय, आयद)पररताररन हो सकतार ह। शरी इनातारी जी कहतारी ह दक हसाक जी! इस अनामीोल सामीय ामी आयप जरा भी ामीाया कीनी ामी न रदहए और तारारतारामी ााी का परकाश लकर (ामीरधिाामी हय ामी) आयय हए अपन परााशर अकषिरातारीतार कोररझान ामी भल न कीजजए।

परकरा ।।२।। चौपाई ।।११२।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग ामीार

इस परकरा ामी शरी इनातारी जी न परतययकषि रप स सयक जी को जागतार होन क ललय फटकार सदहतार परबोधधितारदकया ह, दकनतार परोकषि रप ामी यह सारा ककन जयराामीभाई सदहतार उन सभी सनरसाक क ललय भी ह, जजनहामीाया ही अपन धिाामी धिनी स अधधिक दपरय लगतारी ह।

भडा जी जागज र।

काई धिाी तारा चरा पसाय, तार भरामी उडाडज र।।टक।।१।।

ह ामीखर जी! अब तारो तार जाग जा। तार अपन परााशरअकषिरातारीतार क चराो स ललपट जा और उनक चराो कीकपा पराप कर अपन ामीन क सभी सशयो को र कर ल।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयपा दना कामी कर, दनानो नकी लाग।

भरामीनी दना ज कर, काई तारहनो तार ामीोटो अभाग।।२।।

भला अब ामी ामीाया की नी ामी कयो फस ? ामीझ दकसीभी परकार स इस ामीायाी नी स अपना समबनधि नही रखना ह। तारारतारामी ााी क अताररा क पशातार भी जोसनरसाक इस ामीाया की नी ामी उलझ हए ह, दनधशताररप स बहतार अधधिक भागयहीन (बनसीब) ह।

भााकर- जजस परकार राद क सामीय गहरी नी ामी सोजान ाला वयदक सय को तारका ससार को परी ताररह सभला रहतारा ह, उसी परकार जो लौदकक काय(अकपपाजरन, पारराररक कतरवयो क पालन, तारका दषयभोग) को ही सब कछ ामीानकर दपरयतारामी अकषिरातारीतार तारकादनज सरप को भला रहतारा ह, उस ामीाया की नी ामीसोया हआय कहतार ह। अकषिरातारीतार क परामी को पराकदामीकतारा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कर लौदकक काय को करना नी ामी फसना नही ह ,बअसलक राजा जनक ए ामीहाराजा छसाल (जो ससार ामीरहतार हए भी ससार स पर रह) का दनषकाामी कामीरयोग ामीागरह।

उपरोक चौपाई ामी जयराामी भाई को साकधतारक रप ामीामीायाी नी ामी फसा हआय भागयहीन वयदक कहा गया ह।

आय जोगाई छ जो आयपाी, नही आय बीजी ार।

हाक ताराली ीधि जाय छ, भडा का न कर हजी सार।।३।।

दपरयतारामी अकषिरातारीतार को पराप करन का जो सराामीअसर हामी पराप हआय ह , ह पनः श सरी बार दामीलनाला नही ह। हाक स ताराली बजान ामी पल भर का जोसामीय लगतारा ह, उतारन ही अलप सामीय ामी यह शरीर नषटहो सकतारा ह। इतारना होन पर भी ह ामीखर जी! तार अभी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भी सभलतारा कयो नही ह?

भााकर- दकामी समतार १६३� ामी शयाामीा जी क साकपरामीधिाामी की आयतयामीाय इस नशर जगतार ामी आययी । द .स.२०७० तारक उनह यहा आयय हए लगभग ४३२ षर होचक ह। इस ताररामीान सामीय ामी सकल शरीर ामी ददामीानआयतयामीाओ न अब तारक न जान दकतारन जीो परदराजामीान होकर इस खल को खा होगा। तारारतारामी ााीतारका सनरसाक स दामीलन तारो अनक तारनो ामी ददामीानहोकर आयतयामीा कर सकतारी ह, दकनतार शरी इनातारी जी कधिाामी हय ामी दराजामीान अकषिरातारीतार क दारा की जानाली बरहमलीला का सख बारमबार नही दामीलना ह।इसललय उपरोक चौपाई क सर चरा ामी कहा गया हदक यह असर पनः श दकसी को सरी बार नही दामीलनाला ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिाी र आयपाामीा आयदया, भडा का न जाग जी।

पर पर तारन परीछवयो, तार हजी कर का ढील।।४।।

धिाामी धिनी हामीार ामीधय (शरी इनातारी जी क धिाामी हयामी) साकषिातार आयय हए ह। दफर भी ह ामीखर जी! तार जागतारकयो नही हो रहा ह ? तारझ बार-बार तारारतारामी ञान कपरकाश ामी सामीझाया जा रहा ह, दकनतार अभी भी तार जागतारहोन ामी आयलसय कयो कर रहा ह?

भााकर- यह कादप समभ नही ह दक जजस आयतयामीा कधिाामी हय ामी सय अकषिरातारीतार दराजामीान होकर लीलाकर, उसका ही जी ामीाया की नी ामी इस परकार सोयाहो दक उसक ललय ामीखर या पापी (भडा) जस दशषापरयक दकय जाय। सतारतारः श यह सकतार सनरसाक कजीो क ललय ह, इनातारी जी क जी क ललय नही ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिणाऐ धिाट ज करी, तार तारा जोन दचारी तारह।

आय पापनी न परहरी, तार का न कर सनह।।५।।

दपरयतारामी अकषिरातारीतार न तारमहार परधतार अपना जो परामीशारया, उसक दषय ामी तार गहन दचार करक तारो ख।तार इस पादपनी ामीाया को छोडकर उनस एकदनष परामी कयोनही करतारा ह?

भााकर- अकषिरातारीतार परामी क सागर ह। उनका परामी करनाही आयतयामीाओ क परधतार अपना पतयनीवरतार धिामीर (पधतारपना)दनभाना ह। तारारतारामी ााी क परकाश ामी जी भी आयअसतयामीकभाो ामी डब जातारा ह और सय को आयतयामीा ामीानन लगताराह। यही कारा ह दक उपरोक चौपाई क परकामी चरा ामीजी को भी धिनी की अधिारदगनी क रप ामी शारया गयाह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयपा न तारडा आयदया, आय सतारर ामीाया ामीाह।

ओलखी न का ओसर, भडा एामी कयो तार काए।।६।।

हामी परामीधिाामी ल चलन क ललय ही धिाामी धिनी इस ः शखभर ससार ामी आयय ह। उनकी पहचान करक भी तार उनसदामीख कयो हो गया ह? ह पापी जी! तार ऐसा कतारघनकयो हो गया?

भााकर- सदर धिनी शरी चन जी क धिाामीगामीन कपशातार जयराामी भाई सदहतार बहतार स सनरसाक परतययकषि याअपरतययकषि रप ामी शरी राज जी स दामीख होन की राह परचल पड क। यहा साकधतारक रप ामी ही बातार शारयी गयीह। शरी इनातारी जी क जी क दामीख होन का तारो कोईपर ही नही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिणाए आयपास ज करी र, तार तारा जोन दचारी ामीन।

कोडी तार हाककी परी करी, तारन ीधि छ हाक रतारन।।७।।

ह जी! परााशर अकषिरातारीतार न हामीार ऊपर दकस परकारपरामी भरी कपा की ह, इसक दषय ामी जरा तार अपन ामीन ामीदचार करक तारो ख। उनहोन ामीाया क बनधिनो ामी जकडहए तारमहार हाको को बनधिन-ामीक कर दया और तारमहारहाको ामी परामीधिाामी का अनामीोल तारारतारामी ञान रख दया।

जीडा तार घारा कही कर, भडा घटयो दन अनक।

जोतारा जोगाई गई, भडा हजजए तार काय न चतार।।�।।

ह पापी जी! तार अब तारक ामीाया की नी ामी कयो सोतारारहा ह। इस परकार तारन तारो परामीाश बहतार सा सामीय वयकरामी ही खो दया ह। खतार-खतार तारमहार शरीर की आययभी कषिीा होन लगी ह, दकनतार तार अभी भी साचतार कयो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नही हो रहा ह?

आयपा ऊपर अधतार घाी र, या कर छ आयधिार।

आयपा काज ह धिरया, भडा हजीए तार का न दचार।।९।।

हामीार पराााधिार अकषिरातारीतार न अपार या करक ामीायाका यह पञभौधतारक तारन (शरी दामीदहरराज जी) धिारादकया ह। दफर भी र ामीखर! आयशयर ह दक तार अभी भीउनकी या क समबनधि ामी कछ भी दचार नही कर रहाह।

भरामी भडो तारामी परहरो, जामी काय अजाल अपार।

चन ालाजी तारा, तार ामीलगा सख सभार।।१०।।

ह ामीखर जी! तार धिनी क समबनधि ामी अपन सशयो कोर कर ल, जजसस तारमहार अनर तारारतारामी ञान का

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अपार परकाश हो जाय। तारारतारामी ााी ामी कह हए दपरयतारामीअकषिरातारीतार क चनो को तार आयतयामीसातार कर, जजसस तारझपरामीधिाामी क अखणड सखो की सामीधतार बनी रह।

भााकर- सदर धिनी शरी चन जी क धिाामीगामीन कपशातार सनरसाक ामी यह सशय का दक हामीार धिनी कहाह? कछ सनरसाक को शरी दामीदहरराज जी क धिाामी हयामी यगल सरप क दराजामीान होन पर दशास तारो का,कयोदक उनह शरी चन जी की कही हई बातार या की तारका चचार सनकर भी उनहोन साकषिी पा ली की, दकनतारकछ सनरसाक ामी सशय क बाल अभी भी छाय हएक। उसी सनभर ामी इस चौपाई का ककन ह।

आय ालो तार आयदया, ए सखताराा ातारार।

आयपा ामीाह तारहज बठा, जोई अजाल सभार।।११।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीर परााशर अकषिरातारीतार अखणड सख क न ाल ह। हामीार ामीधय (ामीर धिाामी हय) ामी साकषिातार दराजामीान होकरबठ ह। उनक ञान क उजाल ामी तार उनकी पहचान कर।

षटवय- जजस तारन ामी अकषिरातारीतार लीला करतार ह , उसतारन क जी को तारो अदनायर रप स यह पतारा ही होतारा हदक ामीर अनर कौन ह। दनः शसनह यह ककन जयराामीभाई तारका ामीाया ामी भटक हए अनय सनरसाक क ललयह।

यद यह सशय दकया जाय दक कया द.स. १७१५ सपहल शरी दामीदहरराज जी को यह ामीालामी का? यद ामीालामीका, तारो उनह हबश ामी दरह की अदगन ामी कयो जलनापडा?

इसक सामीाधिान ामी यही कहा जा सकतारा ह दक यह परसगद.स. १७२२ का ह। इसक पहल हबश ामी उनह यगल

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सरप का साकषिातयकार भी हो चका का, तारका रास,परकाश, और षटऋतार की ााी का अताररा भी हो गयाका।

ामीरतारी तार का कयो, ह तारो पाड तार बब अपार।

आयही आयवया न ओलिया, पछ कही पर ामीोहो उपाड।।१२।।

ह जी! तार इतारनी षट बधद ाला कस हो गया? ामी उचचसर स पकार-पकार कर यह बातार कह रही ह दक यदतारामीन इस नशर जगतार ामी आयय हए अकषिरातारीतार को नही पहचाना, तारो उनक चल जान क पशातार अपना ामीखऊचा करक कस ख सकोग?

आयख उघाडी जो जए, जी लीज तार लाभ अनक।

आयही पा सख घाा ामीाणाए, अन आयगल काय सक।।१३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यद तार अपनी अनतारदरदषट को खोलकर ामीर धिाामी हय ामीदराजामीान दपरयतारामी अकषिरातारीतार की पहचान कर ल, तारोतारझ बहतार स लाभ होग। इसी नशर जगतार ामी तारझ धिाामीधिनी का अपार सख पराप होगा। बा ामी तारो सतयसरप ामीदशष आयनन दामीलगा ही।

भााकर- जो जी परामी ामी डबकर यगल सरप कीपहचान कर लगा, ह सतयसरप की परकामी बदहशतार काअधधिकारी होगा। उस हा बरहमातयामीाओ की परातयामी कीनकल का रप दामीलगा, जजसस ह अननतार काल तारकबरहमानन का रसपान करतारा रहगा।

आय अजाल जो जोइए, जी तारारतारामी ामीोटो सार।

ालाजीन ओलख, तारो तार न ामीक दनरधिार।।१४।।

इस तारारतारामी ञान क उजाल ामी यद तार दचार कर तारो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारझ यह ददतार हो जायगा दक परामीधिाामी की सभीसमपाओ ामी तारारतारामी ञान की समपा सपपरर ह। तार इसतारारतारामी ञान स अपन परााशर अकषिरातारीतार की पहचानकर ल और दकसी भी अससकधतार ामी उनक चराो को नछोडना।

भााकर- यह सतयय ह दक दबना परामी क न तारो दपरयतारामीका साकषिातयकार हो सकतारा ह और न आयतयामी-जागधतार हीहो सकतारी ह, दकनतार दबना तारारतारामी क दपरयतारामी अकषिरातारीतारकी जब पहचान ही नही होगी तारो परामी दकसस करग?यही कारा ह दक उपरोक चौपाई ामी इस ामीायाी जगतार ामीतारारतारामी ञान को परामीधिाामी की सार सतार कहा ह।सतारतारः श परामी और ञान (इशक तारका इलामी) ोनो ही एकसर ामी ओतार-परोतार ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ालो सी आयी ामीलया, काई आयपान आय ार।

ख ामीाह सख ामीाणाए, जो तार भरामीनी दना दनार।।१५।।

इस जागनी लीला ामी शरी राज जी हामी परामीधिाामी स णभननइस नशर ससार ामी आयकर दामील ह। यद तार अपनी सशयभरी नी को छोडकर जागतार हो जाय, तारो तारझ इसः शखामीय ससार ामी ही अकषिरातारीतार का अलौदकक सखपराप हो जायगा।

आय जोगाई छ लखा पााील, कटल तारन कहाय।

पा अचरज ामीन एह काय छ, ज जाणय धिन कामी जाय।।१६।।

र जी! ामी तारझ दकतारना सामीझाऊ? यह शरीर पानी कबलबल क सामीान पल भर का ह, अकारतार यह दकसी भीकषिा ामीतयय को पराप हो सकतारा ह। दकनतार ामीझ तारो आयशयरइस बातार का हो रहा ह दक सब कछ जानतार हए भी तार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अपन अलौदकक (आयअसतयामीक) धिन को कयो खोतारा जा रहाह?

षटवय- यह चौपाई सपषट रप स यही बातार शार रही हदक जो शरी इनातारी जी क धिाामी हय ामी दराजामीानअकषिरातारीतार शरी पराानाक जी की पहचान नही करगा ,उसका ामीान जीन वयकर ही चला जायगा।

आयगल आयपा स करय, जयार अजाल कई रातार।

आय तारा ालजीए ली कपा करी, तययार ताररतार कयो परभातार।।१७।।

पहल भी हामीन कया कर ललया, जब तारारतारामी ञान काउजाला रहन पर भी रातार हो गयी की। उस सामीय भी याक सागर धिाामी धिनी न कपा की और ताररनतार हीअञानामीयी राद को सामीाप कर ञान का सरा करदया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- यददप शरी चन जी न तारारतारामी ञान काउजाला तारो कर दया का, दकनतार ााी क अतारररतार नहोन तारका आयदडका लीला क समामीोहन ामी फस जान ससनरसाक की आयतयामीा जागतार न हो सकी।

उनक अनतारधिारन होन क पशातार सनरसाक अञानामीयीराद क अनधिकार ामी इतारना फस गया दक ह यह ामीानबठा दक या तारो शरी राज जी परामीधिाामी चल गय ह , यादबहारी जी की गाी ामी बठ ह।

जब धिाामी धिनी पनः श शरी इनातारी जी क धिाामी हय ामीदराजामीान हए और तारारतारामी ााी का अताररा शरहआय, तारब स ञान का उजाला फलना परारमभ हआय। इसही परातारः शकाल होना कहा गया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एडी ातार खी करी, तार तारा जोय तारारी षट।

हजी तार भरामीामीा भललयो, तारन कटल कह पादपषट।।१�।।

ह पापी जी! ामी तारझ दकतारना कह? य सारी बातार तारनअपनी आयखो स परतययकषि घदटतार होतारी हई खी ह। दफरभी न जान कयो, तार अभी भी भामी क सागर ामी भटक रहाह, अकारतार शरी इनातारी जी क धिाामी हय ामी शोभायामीानदपरयतारामी अकषिरातारीतार की पहचान नही कर पा रहा ह।

अजाल ालो ओलिया, तययार पाछल रह स।

जााी बझीन ामीढ कयो, भडा एामी कयो का तार।।१९।।

ह ामीखर जी ! जब तारन तारारतारामी ञान क उजाल ामीदपरयतारामी की पहचान कर ली, तारो अब उनह ररझान सपीछ कयो हट रहा ह? ऐसा लगतारा ह दक तार जानबझ करही ामीहाामीखर बना हआय ह। तारझ धधिकार ह! तार ऐसा कयो हो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गया?

भााकर- ामी का अकर होतारा ह- अधतारामीखर। अनजान ामीामीखर बनना तारो कषिमय ह, दकनतार जानबझकर ामीखर बननाामीहापाप ह।

पर पर ामी तारन कह र, सा र धिाीना चन।

अधिलखा ालो न ीसर, जो तार जए दचारी ामीन।।२०।।

ामी तारझस बार-बार यह बातार कहतारी रही ह दक धिनी कचनो को धयानप रक सनकर यद तार सचच ामीन स दचारकरक ख, तारो तारझ यह अनभ होगा दक दपरयतारामी कोआयधि कषिा क ललय भी नही भलना चादहए।

अनक चन तारन कहा, ामीान एकनो कर दचार।

अधिर ल तारारो अकर सर, भडा एडो तार का कहरा।।२१।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 187187 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीन दपरयतारामी क समबनधि ामी बहतार सी बातार कही ह। दकनतारयद तार उनामी स एक चन का भी समामीान करतार हए उसपर गमभीरताराप रक दचार कर, तारो उसक आयधि शब कोभी आयतयामीसातार करन (आयचरा ामी लान) स तारर जीन कालकय परा हो जायगा, अकारतार तार ामीायाी परपञो स पर होजाएगा। ह पापी जी! पतारा नही , तार ामीझस इतारना कयोकहलातारा ह?

ह र तारन ह ज कह, तार तार साभल ढ करी ामीन।

पचीस पख छ आयपाा, तारामीा झीलज रातार न दन।।२२।।

र जी! अब ामी तारामीस जो बातार कह रही ह, उस तार दामीन स सन। अपन परामीधिाामी ामी पचचीस पकषि ह। तार दन-रातार उनकी शोभा क धयान (धचतारदन) ामी डबा रह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ए ामीाहकी रख नीसर, पल ामीा अलगो एक।

ामीनना ामीनोरक परा कास, उपजस सख अनक।।२३।।

इन पचचीस पकषिो की शोभा स एक पल क ललय भी अपनधचत को न हटाओ। यद तार ऐसा कर लगा तारो तारर ामीनकी सारी इचछाय पार हो जायगी , जजसस तारझ अनकपरकार क आयनन का अनभ होगा।

भााकर- परामीधिाामी की धचतारदन स सारी इचछाओ कपार होन का अणभपराय ह, आयधयाअसतयामीक इचछाओ का पारहोना। इसी परकार अनक ताररह क आयनन स आयशय ह,परकधतार क बनधिन स छटकर दपरयतारामी की साधननधयतारा ामीदवय परामी, दवय ञान, और दनरकाररतारा का आयनन।

साियातार ताराी सा कर र, ओलखीन अग।

शरी धिाामी ताराा धिाी जााज, तार तारा रख कर तारामीा भग।।२४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह जी! शरी इनातारी जी क धिाामी हय ामी दराजामीानसरप को तार साकषिातार धिाामी का धिनी अकषिरातारीतार हीामीानकर सा कर और इस परामीामीयी सा स अपन धचतको जरा भी न हटा।

भााकर- इस चौपाई को पकर उन सनरसाक कोआयतयामी-ामीनकन करना चादहए, जो शरी पराानाक जी कोशक जी, कबीर जी, नानक जी, ए योगशर शरीकषाजी, तारका भगान णश क सामीककषि ठहरातार ह। कया गरगनक सादहब, भागतार, ए बीजक ामी नानक जी, शकजी, और कबीर जी को कही भी पार बरहम सधचचाननकहा गया ह?

ामीखकी सा तारन सी कह, जो तार अतारर आयडो टाल।

अनक दधि सा ताराी, तारन उपजस तारतयकाल।।२५।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी तारझ अपन ामीख स दपरयतारामी अकषिरातारीतार (शरीपराानाक) की सा करन क ललय बार-बार कस कह?जजस सामीय तार अपन ामीन ामी ददामीान सशय रपी प र कोहटा गा, उसी कषिा तारमहार हय ामी अपन परााशरअकषिरातारीतार को ररझान क ललय सा क अनक ामीागर सझजायग।

पहल फर आयपा आयदया, तार तारो ाल कह छ दक।

तार तारा लाभ लईन जादगया, ह आयपा कर र दसक।।२६।।

सबस पहल हामी वरज ामी आयए क। सदर धिनी शरीचन जी न उस वरज लीला का यकाकर रप स ारनदकया ह, जजस सनकर सनरसाक ामीाया स साचतार होगय। अब ामी रास का दशष रप स ारन करतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पहल फर कय आयपान, गोप छ ससार।

एा पगल चाललए, जो तार पहलो फरो सभार।।२७।।

वरज स रास ामी जातार सामीय हामी सभी बरहमातयामीाओ न"गोप बचछ" की भाधतार इस ससार का पररतययाग करदया और योगामीाया क बरहमाणड ामी पहची। ह जी! यदतारझ सदर धिनी शरी चन जी क दारा कही गयी वरजलीला या ह, तारो तारमह भी गोप बचछ की ताररह ससारछोडन की वरज ाली राह अपनानी चादहए।

भााकर- गाय क बछड का खर साभादक रप सछोटा होतारा ह। उसस बन हए गड ामी यद पानी भर जाय,तारो उस भसागर की सञा ी जातारी ह। जजतारनी सरलतारास उस गड को पार कर ललया जातारा ह, उतारनी हीसरलतारा स गोदपयो न इस भसागर (चौह लोक,दनराकार) को पार कर ललया। इसललय इस परदकया को

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

"गोप बचछ" ससार को छोडना कहतार ह।

एटला ामीाट आय अजाल, ालजीए कीधि आय ार।

नरसया चन परगट कीधिा, काई ज ताराा दचार।।२�।।

इसललय अपन दारा की गयी उस वरज लीला की यादलान क ललय, धिाामी धिनी न शरी चन जी क धिाामीहय ामी शोभायामीान होकर उसका ारन दकया ह। इसीपरकार नरसया न भी अपन चनो ामी वरज लीला कअनभ समबनधिी अपन दचारो को परकट दकया ह।

भााकर- नरसया का परा नाामी नरसी ामीहतारा ह। ऐसाामीाना जातारा ह दक परारमभ ामी य णश भक क। इनहोनअपनी कठोर तारपसया स णशजी को परसनन दकया।णशजी क दारा र ामीागन क ललय कहन पर नरसया नकहा दक आयप ामीझ अपनी सबस दपरय सतार दखाइय।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अपन भक की इचछा को पार करन क ललय णशजी नअपन आयअसतयामीक बल स नरसया को वरज लीला का शरनकराया। उस लीला को खन क पशातार नरसया हामीशाशरी कषा परामी ामी डब रहन लग। ऐसा कहा जातारा ह दकएक बार रास क धयान ामी इतारना डब गय क दक उनहअपन शरीर की जरा भी सधधि नही रही। इस असका ामीउनक हाक ामी एक ामीशाल की। उस ामीशाल स उनकाहाक भी जल गया, दकनतार उनका धयान नही टटा।

रास लीला क ामीाधियर भा ामी डब रहन क कारा हीनरसी ामीहतारा का नाामी नरसया पडा। उनकी सभी रचनायइसी नाामी स ह। नरसी ामीहतारा का जनामी जनाग क पासतारलाजा गाामी ामी द.स. १५१२ ामी हआय का। उनह आयजस पाच हजार षर प र परधतारदबमब की रास क सामीय ामीरातार करना उधचतार नही ह। सतारतारः श उनहोन धयान दारा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रास लीला को खन का परयास दकया का, जजसामी पाररप स सफल नही हो पाय क। इस समबनधि ामी बहााी का ककन ह-

नरसया इन पड खडा, लीला बह गाए।

बल कर अधतार दनसक, दामीन पठो न जाए।।

जो बल दकया नरसऐ, कोई कर ना और।

ह क जी बह की, लीला खी या ठौर।।

नरसया ौडया रस को, ानी कर र पकार।

रस जाए हआय अर, आयड राज चार।।

दारन इन बह क, लहर आय सीतारल।

सो इतार खडा लही , रस की परामील।।

बह ााी ३१/५५-५�

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कह इ ातारी नरसया चन, जो जोइए करीन धचतार।

धिणाए ज धिन आयदपय, काई करी आयपान दहतार।।२९।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी ! यद हामीनरसया क ककनो पर धयानप रक दचार कर तारो हामी वरजलीला की ामीहता ददतार होतारी ह। इसक बा हामी यहपतारा चलतारा ह दक हामीार दहतार को धयान ामी रखकर ,अकारतार हामी आयतयामी-जागधतार क ामीागर पर चलान क ललय ,ही धिाामी धिनी न तारारतारामी ञान क दारा वरज लीला कीासतारदक पहचान ी ह।

भााकर- यह स रददतार ह दक सबललक क सकल याअवयाकतार क ामीहाकारा ामी अससकतार वरज लीला को खनक ललय बड-बड ामीहापरष भी ताररसतार रह ह। इससमबनधि ामी तारारतारामी ााी का ककन ह-

सयाामीा बलणभयो करी बडी ौर, ए भी आयए रह इन ठौर।

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पर. दह. ३४/६

छ इड ामी दकयो सही, पर अखणड षट आयया नही ।

पर. दह. ३४/७

दकनतार नरसया न अपनी कठोर साधिना स, भगान णशकी कपा पराप कर, वरज लीला का साकषिातार दशय खन ामीसफलतारा पराप की। परामीधिाामी क ामील समबनधि स धिाामीधिनी न हामी अनायास ही वरज लीला का ञान दया। जबसदर धिनी शरी चन जी अखणड वरज ए रास कीचचार करतार क, तारो हा पर य ोनो ही लीलाय साकषिातारपरकट हो जातारी की तारका सनरसाक अपन बाह नो सउसका आयनन लतार क।

इस परकार की आयदडका लीला स सनरसाक को यहदशास हो गया दक वरज और रास ामी गोदपयो क रप ामीहामी ही क। धिाामी धिनी क दारा वरज लीला की अनभधतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

(ञान स तारका अनभ स) करान का यही आयशय का।उपरोक २९ी चौपाई की सरी पदक ामी यही बातारशारयी गयी ह।

परकरा ।।३।। चौपाई ।।१४१।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग धिना शरी

इस परकरा ामी वरज लीला क दषटानतार स ामीाया कोछोडकर अपन परााशर अकषिरातारीतार स परामी करन की सीखी गई ह।

परामी सा ाल परगट कीधिी, ज ताराी आय ार।

चन दचारीन जोइए, काई नरसया ताराा दनरधिार।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी ! यद हामीनरसया क कह हए चनो का दचार करतार ह, तारो यहबातार दनधशतार (सपषट) होतारी ह दक वरज ामी परामी और साकी ामीहता सपपरर की। धिाामी धिनी न इस जागनी लीलाामी वरज की उसी अलौदकक परामी ए सा भाना कोहामीार साामीन परसतारतार दकया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी धिाामीताराा साक साभलो, ह तारो कह छ लागीन पाय।

ज र ामीनोरक कीधिा आयपा, तार परा एाी पर काय।।२।।

परामीधिाामी क दपरय सनरसाक जी! ामी आयपक चराो ामीपरााामी करतार हए यह बातार कह रही ह। उस आयपधयानप रक सदनय। इस जागनी बरहमाणड ामी हामीारी जो भीइचछा ह, ह परामी ए सा क ामीागर पर चलन स ही पारहोगी।

जामीा कीधिी आयपा ातारडी, तार तारा सघली ामीाह सनह।

काामी करतारा अधतार घाो, पा लखा न छोडयो नह।।३।।

वरज ामीणडल ामी हामीन जो लीला की, उसामी हामीारी आयतयामीागोदपयो क तारन ामी की। हामी सबामी आयपस ामी बहतार ही गहरासनह का। यददप हामी बहतार अधधिक लौदकक काामी करनापडतारा का, दकनतार एक कषिा क ललय भी धिाामी धिनी स

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हामीारा परामी कभी कामी नही होतारा का।

ददधि पर जसागार जो करतारा, ामीन उलासज काय।

ामीनना ामीनोरक परा करतारा, रगभर राी दहाय।।४।।

अपन परााशर अकषिरातारीतार को ररझान क ललय, हामीआयतयामीाय अपन ामीन ामी उामीग भरकर ताररह-ताररह स अपनाशरगार दकया करतारी की । धिाामी धिनी अपनी परामीामीयीलीलाओ स हामीारी इचछा पार दकया करतार क तारका हामीभी उनही क भाो ामी डबकर परी रातार आयननप रकदबताराया करतारी की ।

उठतारा बसतारा रामीतारा, ालो धचतारकी तार अलगो न काय।

जयार न पधिारतारा, तययार लखा रसा सो काय।।५।।

वरज ामी उठतार, बठतार, तारका खलतार सामीय, दपरयतारामी कीपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 201201 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

छद पल भर क ललय भी हामीार हय स अलग नही होपातारी की। जब धिाामी धिनी न चल जातार क, तारो एक-एकपल हामीार ललय ष क सामीान परतारीतार होतारा का।

ामीाहो ामीाह दचारज करतारा, ातारज करतारा एह।

आयतारामी सहनी एकज ीस, जजी तार ीस ह।।६।।

दयोग क कषिाो ामी हामी सभी सनरसाक एकामीा अपनदपरयतारामी अकषिरातारीतार की ही बातार दकया करतार क। भल हीहामी सबक शरीर अलग-अलग क, दकनतार सबक अनरपरामीधिाामी की ही आयतयामीा की, जो एकतय (हतार) स जडीहई की।

दनस दस ालाजीसो ातारो, राामीतार करतारा जाय।

लखाामीा जो अलगा कए, तारो दछोडो लखा न खामीाय।।७।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हामीारा परतययक दन दपरयतारामी क साक बातार करतार हए तारकाखलतार हए बीतार जाया करतारा का। यद दकसी काराश,हामी उनस पल भर क ललय भी अलग होना पडतारा का,तारो उस सहन कर पाना हामीार ललय बहतार ही कदठन का।

ददधि दलास ालाजीसो करतारा, परा ामीनोरक काय।

जयार ाछरडा लई न पधिार, तययार रोतारा दन जाय।।�।।

अपन धिाामी धिनी क साक अनक परकार की आयननामीयीकीडाए करतार हए, हामी सनरसाक अपनी परामीामीयीइचछाओ को पार दकया करतार क। जब बछडो क साकन ामी चल जातार क , तारो सायकाल उनक आयन तारकहामीारा सारा सामीय रोतार-रोतार ही बीतारतारा का।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ाालीला नी राामीतार करतारा, ामीाक ामीही ामीाखानो भार।

चन रगना उकला ालतारा, रामीतारा न ामीझार।।।९।।

हामी अपन णशर पर ही तारका ामीकखन स भरी हईामीटदकया लकर ान लीला का खल दकया करतार क। इसीपरकार न ामी आयनन स भर हए अटपट चन बोलकरताररह-ताररह स खला करतार क।

भााकर- ान लीला को सर रप ामी एक परकार कीपरामीामीयी कर लीला भी कह सकतार ह। इस लीला ामी शरीकषा जी न कर क रप ामी परतययक गोपी क ललय दह-ामीकखन ना अदनायर कर दया का।

ज नरसए परगट कीधि, अधतार घा चन दक।

ए चन जोईन चाललए, तारो आयपा कए दसक।।१०।।

नरसया न बहतार ही सनर चनो स वरज लीला का

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दसतारारप रक ारन दकया ह। यद हामी उन चनो कागमभीरताराप रक दचार करक अपन आयचरा ामी उतारार, तारोहामी धिनी क दशष परामीी बन सकतार ह।

भााकर- इस चौपाई का अणभपराय यह कादप नही लना चादहए दक ताररामीान वरज लीला क शरी कषा हामीारआयराधय ह। ताररामीान सामीय ामी सबललक क कारा तारकाामीहाकारा ए अवयाकतार क ामीहाकारा ामी वरज-रास कीजो लीलाय अखणड रप स हो रही ह, उसामी ददामीानशरी कषा जी क तारन ामी अकषिरातारीतार का आयश न होन स हामीार आयराधय नही हो सकतार।

सतारतारः श वरज लीला ामी शरी कषा क तारन ामी आयशसरप स जो दराजामीान का, ही ामील दामीला ामी शरीराज जी क सरप ामी ससहासन पर शोभायामीान ह तारकाइस जागनी बरहमाणड ामी शरी इनातारी जी क धिाामी हय ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी पराानाक जी क सरप ामी लीला कर रहा ह।

हामी तारो वरज लीला स कल परामी की णशकषिा लनी ह औरपरामी एकामीा यगल सरप शरी राज शयाामीा जी स करनाह।

जलीला अधतार ामीोटी छ, जो जो नरसया चन परामीाा।

ए पगला स र आयपाा, तारामी जााी सको तार जाा।।११।।

नरसया क दारा कह गय चनो ामी वरज लीला की बहतारअधधिक ामीदहामीा गायी गयी ह। ह साक जी! यद आयपसामीझ सकतार ह तारो यह बातार सामीझ लीजजए दक परामीधिाामीक ामील समबनधि स हामीारा ामीागर कल परामी का ही ह।

षटवय- उपरोक चौपाई का चौका चरा अदनायर रपस हामी (बरहमसदषटयो को) यह दन रणशतार कर रहा ह दकआयतयामी-जागधतार क ललय अकषिरातारीतार स परामी करना

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अदनायर ह।

यह पर हामी आयतयामी-ामीनकन करन क ललय भी दश कररहा ह दक यद इस ामीायाी ससार का एक जी(नरसया), अपन आयराधय शरीकषा क परामी ामी इतारना डबसकतारा ह दक अपना हाक जल जान पर उस इसकाआयभास नही होतारा, तारो ताररामीान सामीय ामी समपार ााी कअतारररतार हो जान क पशातार हामी कया करना चादहए?

कह इ ातारी साो र साकजी, इहा दलब कीधिानी नही ार।

ए अजाल स र कीधि ामीार ाल, आयपान आय ार।।१२।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी ! ामीरी यहदशष बातार सदनए। दपरयतारामी क परामी ामीागर ामी चलन क ललएर करन का अब सामीय नही रह गया ह। इस जागनीलीला ामी दपरयतारामी अकषिरातारीतार न तारारतारामी ञान क उजाल

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी सब कछ सपषट कर दया ह दक हामी वरज लीला स परामीकी सीख लकर सय को अकषिरातारीतार शरी राज जी कअखणड परामी ामी नयोछार कर ना चादहए।

परकरा ।।४।। चौपाई ।।१५३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग धिना शरी

इस परकरा ामी वरज स रास ामीणडल ामी जातार सामीयगोदपयो की दरहासका का यकाकर धचा परसतारतार दकयागया ह।

एा पगल आयपा चाललए, काई पगला ए र परामीाा, सरसाकजी।

पहल फर आयपा जामी दनसररया, तारामी जाा काओ तार धचतार आया।।

धचतार आयाीन रग ामीााो, सरसाकजी।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी! वरज लीलाामी हामीन जजस परामी ामीागर का अलमबन दकया , हीासतारदक ामीागर ह और हामी उसी परामी ामीागर का अनसराकरना चादहए। वरज स रास ामी जातार सामीय हामीन दरह ामीडबकर जजस परकार इस ससार का पररतययाग दकया, उसदरह भाना को अचछी ताररह स जानकर अपन हय ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बसा लीजजए। दरह-परामी क उन ामीधिर भाो को कोामीलहय ामी बसाकर दनजधिाामी क आयनन ामी ामीगन होइए।

रास नरसए र न रावयो, ामीार ामीन उतयकठा एह।

चरा पसाय र ालातारा, तारामी साभलो कह ह तारह।।२।।

ामीर ामीन ामी यह जानन की परबल इचछा की दक नरसया नरास का ारन कयो नही दकया। दपरयतारामी अकषिरातारीतार कीकपा स अब ामी ामीहारास का ारन करन जा रही ह। हसाक जी! आयप उस धयानप रक गहा कीजजए।

भााकर- यददप ताररामीान सामीय ामी वरज लीला बहामीणडल ामी अखणड ह , दकनतार ह कालामीाया क हीबरहमाणड ामी खली गयी की। कालामीाया क अधधिकतारर सकलपाकर ामीन-बधद क दारा अनभतार होतार ह, इसललय वरजलीला का ारन करना अपकषिाकतार सरल होतारा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीहारास की लीला कल बरहम की भदामीका ामी खली गयीकी। ह शबातारीतार ह, इसललय परबरहम क जोश(जजबरील) क दबना उसका ारन हो पाना समभ नही ह। शक जी जस योगशर न उसका ारन करनाचाहा, दकनतार भी सफल नही हो सक-

तारब भाग जोस कही पचाधयायी, रास बरनन ना हआय धतारन ताराई।

पर. ३३/२०

अपनी असफलतारा स कषिबधि शक जी क समबनधि ामीतारारतारामी ााी ामी कहा गया ह-

पा दबना तारामी पाइया, ामीनीजी कयो करो ख।

आयज लग बह का, दकन ललया ह सख।।

ए तारो हामीारा काग, तारामी साक आयया।

खबर ह बह की, कर पठाया।।

पर. दह. बह ााी ३१/७१,७२परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 211211 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयधयाअसतयामीक ददषट स नरसया शक जी की अपकषिाबहतार दनबरल ह। जजस कायर को शक जी भी नही करसक, उस नरसया कस कर सकतार ह?

अब तारारतारामी ााी क परकाश ामी वरज , रास, तारकापरामीधिाामी की सारी शोभा ए लीला का आयनन लन कादार सार ससार क ललय खल गया ह। परामीामीयी धयान कदारा कोई भी जी ामीहारास का परतययकषि दशय ख सकताराह, जो पहल समभ ही नही का।

शरी धिणाऐ ज र चन कहा, तार ामी साभलया र अनक।

पा ामी र ामीारा गजा सार, काई गहा छ ललस।।३।।

दपरयतारामी अकषिरातारीतार न ामीर धिाामी हय ामी दराजामीानहोकर ामीहारास क समबनधि ामी बहतार सी बातार कही, दकनतारामी अपनी बधद क अनरप उसका कछ अश ामीा ही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गहा कर सकी।

भााकर- शरी इनातारी जी जजस दामीदहरराज जी क जीपर दराजामीान होकर यह जागनी रास खल रही ह, उसजी की ञान गहा शदक सीदामीतार ह। जजतारना ह गहाकर सका, उतारना ही ामीख स कहा जा सका।

सर दनसा र पनामी ताराी, आयवयो तार आयसो र ामीास।

सकल कलानो चामीा, एाी रजनीए कीधिो र रास।।४।।

आयज शरद ऋतार ामी आयधशन ामीास की पराामीा ह। इसामीनोहर ला ामी अपनी समपार कलाओ स यक चनामीादनामीरल आयकाश ामी अपनी छटा दबखर रहा ह। दपरयतारामीअकषिरातारीतार न इसी राद ामी कल बरहम की आयननयोगामीाया दारा रधचतार दनतयय नान ामी ामीहारास कीलीला की की।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रास ताराी र लीला कह, ज भररया आयपा पाय।

दनामीख न कीधिी र दनसरतारा, काई तारतारलखा तारा र ताराय।।५।।

अब ामी उस ामीहारास का ारन कर रही ह, जजसक ललयहामी सभी आयतयामीाय कालामीाया क इस बरहमाणड कोछोडकर योगामीाया क बरहमाणड ामी गयी । दपरयतारामी क दाराबजायी गई बासरी को सनतार ही हामीन एक पल की भी रनही की और उसी कषिा वरज स रास क ललय दनकलपडी ।

सझान सामी र ा ाईयो, काई ान ामीझार।

एा न सामी सह ऊभ ामीदकय, तारहन आयडो न आयवयो र ससार।।६।।

बह ामीणडल क दनतयय नान ामी दपरयतारामी न जबबासरी बजायी, उस सामीय यहा सनधया काल का सामीयचल रहा का। बासरी की आयाज को सनतार ही हामी सबन

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारतयकाल ही इस ससार को छोड दया। हामीारी राह ामी यहससार बाधिक (रोडा) नही बन सका।

भााकर- रास ामीणडल ामी राद क परारमभ का दशय काऔर पराामीा का चनामीा उगा हआय का, जबदक कालामीायाक इस बरहमाणड ामी (परी लोक क भरतारखणड ामी)सनधया काल का सामीय चल रहा का। उस सामीय गालबाल न स घर की ओर लौट रह क। "खड-खड" शबका परयोग "तारतयकषिा" क भा ामी दकया जातारा ह। इसकाआयशय होतारा ह, दबना र दकय।

नही तारो कलाहल एडो हतारो, पा धचतारडा धया र परामीाा।

साक सहए र ा साभलयो, बीजो शरा ताराो गा जाा।।७।।

अनयका सलखयो क दारा ससार (घर) छोडतार सामीयबहतार ही कोलाहल हआय का, दकनतार उनका धचत पार रप

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

स अपन परााशर अकषिरातारीतार क परधतार लगा हआय का ,इसललय उनहोन लोगो क कोलाहल (शोरगल) पर कोईभी धयान नही दया। सब सनरसाक न बासरी की ामीधिरधदन सनी की, जबदक अनय लोगो न कल बासरी कीामीधिर तारान ही सनी की।

भााकर- जब गोदपया दरह ामी अपन-अपन तारन छोडनलगी , तारो उस सामीय समपार वरज ामीणडल ामी कोलाहल ामीचजाना साभादक ही का। कया जजस सकान पर ३६०००सलखया दरह ामी अपना शरीर छोडगी, हा उनक घरालो की ओर स कोई भी परधतारदकया नही होगी?

जब गोदपयो न बासरी की ामीगधि करन ाली सर लहरीको सना, तारो उनह ऐसा लगा जस दपरयतारामी एक-एक कानाामी लकर पकार रह ह। दकनतार गोदपयो क अधतारररकअनय दकसी को भी ऐसा अनभ नही हआय। उनह कल

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ऐसा लगा, जस बहतार ही ामीोहक सरो ामी कोई बासरीबजा रहा ह। यह बजान ाला कौन ह और कहा बजारहा ह, यह दकसी को भी पतारा नही चल सका?

कोई सखी र हतारी गाय ोहतारी, धि घोणायो र हाक ामीाह।

एा सामी ा कई लभनी, पडी गयो घोणायो र तारा ताराए।।�।।

उस सामीय कछ सलखया अपन हाको ामी बताररन (बटलोईआयद) लकर गाय का धि दनकाल रही की । दपरयतारामी कीबजायी हई बासरी की आयाज जब उनक कानो ामी पडी,तारो दरह की अधधिकतारा स उनक हाको स धि का बताररनही छट कर दगर गया।

कोई सखी र काामी कर घर ामीधि, आयडो ऊभो ससरो पधतार जह।

ा साी न पाट ई दनसरी, एाी षटामीा सरप सनह।।९।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कोई सखी, उस सामीय, अपन घर ामी काामी कर रही की।साामीन उसक पधतार ए ससर खड हए दखाई दय।बासरी की ामीधिर सर लहरी सनकर ह इतारनी भादहवल हो गयी दक उसन अपन पधतार ए ससर को भीधिका दया तारका दनकल पडी। सतारतारः श उस अपनपरााशर क अधतारररक अनय कछ भी दखाई नही पड रहाका।

कोई सखी र ातार कर पधतारस, ऊभी धिरा र बाल।

एा सामी ा कई लभनी, पडी गयो बाल तारा ताराल।।१०।।

कोई सखी अपन पधतार स बातार कर रही की तारका खडहोकर अपन बालक को धि भी दपला रही की। इसीसामीय उसक कानो ामी अकषिरातारीतार क दारा बजायी गयीबासरी की आयाज सनायी पडी, जजसक कारा ह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दपरयतारामी क सरप ामी इतारना तारनामीय हो गयी दक उसकहाक स बालक भी छटकर दगर पडा और ह सय चलपडी।

षटवय- गोदपया दपरयतारामी स दामीलन की इतारनी जली ामीकी दक उनहोन आयपस ामी भी एक सर को नही बतारायादक कहा जा रही ह? इस समबनधि ामी शरीामीीागतार१०/२९/४ ामी कहा गया ह -"आयजगामीरनयोनयामीलधकषितारोदामीाः श।"

कोई सखी र हतारी परीसा, हाक काली परीस छ धिान।

एा सामी ा कई लभनी, पडी गई काली तार तारान।।११।।

कोई गोपी अपन हाक ामी काली लकर भोजन परोस रहीकी। इसी सामीय उसक कानो ामी जस ही दपरयतारामी क दाराबजायी गयी बासरी की आयाज सनायी पडी, उसी कषिा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उसक हाक स काली छट हई। उसक दगरन कीखनखनातारी हई आयाज भी चारो ओर फल गयी।

कोई सखी र एा सामी दनसरतारा, एक पग भााा र ामीाह।

बीजो पग पधतार ना र पर, एाी षट न आयवय र कोई कयाह।।१२।।

घर स बाहर दनकलतार सामीय दकसी सखी का एक परकाली ामी पडा, तारो सरा पर पधतार की छातारी पर। उससामीय सलखयो की ददषट ामी दपरयतारामी क अधतारररक अनयकोई दखायी ही नही पड रहा का।

कोई सखी र ग छटतारा, पडो हडफट ससरो तययाह।

आयकार ह र घा उताराला, धचतार जई बठ ालाजी ामीाह।।१३।।

कोई सखी बासरी की आयाज सनकर बहतार तारजी स जारही की। इतारन ामी उसका शसर साामीन आय गया। उस

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गोपी का धचत तारो अपन दपरयतारामी अकषिरातारीतार ामी लगा हआयका, इसललय ह बसधि की और इतारनी तारजी स जा रहीकी दक उसन अपन शसर की ओर जरा सा भी धयाननही दया दक यह कौन ह? पररााामीसरप, उसक धिकस शसर भी जामीीन पर दगर पडा।

ामीातारा दपतारा र पधतार सास ससरो, रोतारा न सणाया र बाल।

ाएन ग र छदटयो, ा साभलतारा तारतयकाल।।१४।।

बासरी की आयाज सनतार ही सलखयो न उसी कषिा हाकी तारजी स अपन घरो को छोड दया। इस कायर ामीउनहोन अपन ामीातारा-दपतारा, पधतार, सास, शसर, तारका रोतारहए बचचो की ओर भी कोई धयान नही दया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सतारर दना सखी ज नहातारी, तारा न सभाररया र अग।

ा साभलतारा र ाला ताराी, एा गामीा न कीधिो र भग।।१५।।

जो कामीाररका सलखया यामीना जी ामी दबना सतरो क सनानदकया करतारी की , दपरयतारामी अकषिरातारीतार की बासरी कीआयाज सनतार ही अपन घरो स दनकल पडी । न तारो उनहअपन अगो की कोई सधधि की और न उनहोन दनकलन ामीकोई री ही की।

कोई सखी र हतारी नरातारी, हाक लोटो नाामी छ जल।

साी सर पडो लोटो अग ऊपर, न बोलान धचतारड वयाकल।।१६।।

कोई सखी अपन पधतार को सनान करा रही की। उसकहाक ामी जल स भरा लोटा का , जजसस ह जल कोउसक ऊपर डाल रही की। जस ही उसन बासरी कीआयाज सनी, उसन जल दगराना भला दया तारका बसधिी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी लोटा ही उसक शरीर पर ामीारा। दपरयतारामी स दामीलनक ललय उसका धचत इतारना वयाकल का दक ह कछ भीबोल न सकी और ताररनतार चल पडी।

गौप छ र एा सामी, सकजीए दनरधिाररयो तार सार।

ाटकड र टका कररया, काई बधि हतारा ज ससार।।१७।।

शक जी न यह सार तारत शारया ह दक उस सामीयगोदपयो न गोप बचछ क सामीान इस भसागर को बहतारही सरलतारा स पार कर ललया। दकसी घास क धतारनक कोजजस परकार पल भर ामी ही टकड-टकड कर दया जाताराह, उसी परकार सलखयो न पल भर ामी ही सभी सासाररकबनधिनो का पररतययाग कर दया।

दशष- गोदपयो दारा ससार तययागन का तारातयपयर ामीाअपन सग-समबअसनधियो का ही पररतययाग नही ह , बअसलक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उनहोन तारो अपन आयराधय क ललय समपार सखो की भीपराह नही की। दपरयतारामी अकषिरातारीतार ही उनक स रसक।

ससार ताराा र काामी स र करतारा, पा धचतारामीा न भदो र पास।

दलब न कीधिी र छटतारा, ए ताराामीजसयोना परकास।।१�।।

ताराामीसी सलखया ह, जजनहोन ससार क सभी (घरल साामीाजजक) काय को करतार हए भी अपन हय ामी ामीायाका परभा नही पडन दया और दपरयतारामी क परामी ामी ससारको छोडन ामी पल भर की भी र नही की।

भााकर- "ताराामीसी" सलखयो का आयशय तारामीोगाीअकारतार कोधिी और अहकारी सलखयो स नही ह , बअसलकजो दपरयतारामी क परामी ामी अपना स रस नयोछार कर उनह ताराामीसी सलखया कहा गया। य "परामी दपया सो ना

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कर अनतारर" को पारतारः श चररताराकर करतारी ह। परामी औरसामीपरा क कषि ामी लोक लजा की ामीयारा दनभान ालीसलखया "सातारसी" अकारतार साअसतयकी ह, और इन ोनोक बीच गा ाली सलखया "राजसी" ह।

परामीधिाामी ामी स र एकतय (हतार) का सागर कीडाकरतारा ह। अतारः श हा पर सातारसी, राजसी, तारका ताराामीसीका भ नही ह। यह भ तारो इस नशर जगतार क गाो कपरभा क कारा शारया गया ह।

कोई सखी र जसागार करतारा, साी तारा ा शरा।

पायना भखा कान पहररया, कान ताराा र चरा।।१९।।

कोई सखी अपना शरगार कर रही की। सयोगश उसीसामीय उस बासरी की ामीधिर धदन सनायी पडी। ऐसीअसका ामी उसक हय ामी दरह क कारा इतारनी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

वयाकलतारा ब गयी दक उसन जली ामी परो का आयभषाकानो ामी पहन ललया तारका कानो का आयभषा परो ामी।

एक ना र अजन कररय, अन बीजो रह र एामी।

ानो सर साभलया पछी, राजजसयो रह र कामी।।२०।।

एक सखी न अपनी एक आयख ामी अञन (काजल)लगाया, तारो सरी आयख ामी लगान का धयान ही नही रहा। बासरी की ामीधिर धदन सनन क पशातार , भलाराजसी सलखया इस झठ ससार ामी कस रह सकतारी की ।

राजजसऐ र काइक ना डीठो, पा दचार कर तारो काय ड।

ताराामीजसयो र ामीोहोड कयो, राजजसए न ामीकयो तारहनो कड।।२१।।

राजसी सलखयो न अपन अधिर शरगार को अपनी आयखोस खा तारो अशय, दकनतार ताररनतार चल ी , कयोदक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यद अपना शरगार परा करतारी तारो र हो रही की, जजससहन कर पाना समभ नही का। ताराामीसी सलखया पहलही दनकल चकी की , इसललय राजसी सलखयो न भीउनका पीछा नही छोडा और भी ताररनतार उनक साक होगयी ।

सातारजसऐ र दचार कररयो, तारन आयडा रााा र बार।

कटामी सगा र सह टोल ामीली, फरीन लया र भरतारार।।२२।।

साअसतयकी (सातारसी) सलखया अभी घर स दनकलन कसमबनधि ामी दचार कर ही रही की दक इतारन ामी पररार कसभी समबनधिी एकदतार हो गय और उनहोन घर काराजा बन कर दया। इसक पशातार उनक पधतारयो नउनका हाक पकड कर जान स रोक भी दया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तययार ामीन ामीाह दचार कररयो, ए का आयडा काय ररजन।

ए स जाा छ र नही एनो ालयो, तारो जातारा ार छ न।।२३।।

तारब साअसतयकी सलखयो न अपन ामीन ामी दचार दकया दकहामीार जान ामी य षट लोग कयो बाधिक बन रह ह? कया यनही जानतार ह दक अकषिरातारीतार हामीारी आयतयामीा क दपरयतारामीह? ऐसा लगतारा ह दक इनह ामीालामी ही नही ह , तारभी यहामी नान जान स रोक रह ह।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी "न" शब कपरयोग स यही दनषकषर दनकलतारा ह दक सलखया नानको ही लकय करक दनकली की । उनह ऐसा परतारीतार हआयदक बासरी की आयाज नान स आय रही ह , जबदकासतारदकतारा यह की दक बासरी की धदन कल बरहम कदनतयय नान स आय रही की। घरो स दनकलन क बाएक-एक करक सबक तारन छटतार गय और उनकी आयतयामीा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिनी की परराा स अपन जी क साक योगामीाया क दनतययनान ामी पहच गयी।

यददप बासरी की आयाज समपार वरज ामीणडल कअधतारररक अनय लोगो (णश आयद ो) न भी सनी,दकनतार दकसी को भी यह पतारा नही चल पाया दक यहअलौदकक धदन कहा स आय रही ह? सलखयो क घरालो को यह पतारा का दक य नान ामी शरी कषा जी कपास ही जा रही ह, इसललय उनहोन रोकन का परयासदकया।

धधिक धधिक पडो र आय ससारन, का न उठ र अदगन।

दरह ताराामीस र भलो कयो, तययार अगडा कया र पतारन।।२४।।

इस ससार क लोगो को धधिकार ह, जो हामी दपरयतारामी कपास जान स रोक रह ह। ऐसी असका ामी हामीार अनर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दरह की परचणड जाला कयो नही धिधिक रही ह? ऐसासोचतार-सोचतार साअसतयकी सलखयो क अनर दरह तारकादपरयतारामी पर नयोछार होन की भाना न बहतार जोरपकडा, जजसका पररााामी यह हआय दक उन सलखयो काशरीरानतार (परााानतार) हो गया।

भााकर- दपरयतारामी स दामीलन की तारडप ही "दरह" ह,जबदक दपरयतारामी क ऊपर अपना स रस, यहा तारक दकअपन पराा भी, नयोछार कर न की भाना "ताराामीस"कहलातारी ह। उपरोक चौपाई ामी दरह और ताराामीस कदामीलन का अणभपराय यह ह दक सलखयो क अनरदपरयतारामी स दामीलन का तारीवरतारामी दरह तारो का ही, उनकामीन ामी यह भाना भी घर कर गयी दक जजस परकार हामीबलप रक रोका जा रहा ह, उसक पररााामीसरप हामीाराामीर जाना ही उधचतार ह। यद हामी अपन स रस स दामील

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ही नही सकतारी , तारो इस तारन को रखन स लाभ ही कयाह?

सतारतारः श साअसतयकी सलखया राख स ढकी उस अदगन कढर क सामीान ह, जजनामी ऊपर स तारो शाअसनतार का सभाह, दकनतार आयनतारररक रप स उनामी भी दपरयतारामी क ऊपरस रस नयोछार करन का भा ददामीान ह, जजसताराामीस कहा गया ह। इस भा क परकट होन पर हीउनकी दरहादगन चरामी पर पहची और उनहोन अपना तारनतययागा।

परामीधिाामी क सलीला अदतार ामी साअसतयकी, राजसी, तारकाताराामीसी सलखयो की भाना न तारो कभी की और नभदषय ामी ही कभी होगी। जजस परकार शतार सफदटक ामीणाअलग-अलग रगो क सयोग स अपन ामील रग क दपरीताररग ामी दखायी न लगतारी ह , उसी परकार सतय, रज,

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

और तारामी क भा स गजसतार जीो पर दराजामीानबरहमातयामीाय भी स ही भाो क पराह ामी आय गयी । आयतयामीाक समबनधि स, परामीधिाामी का स रस सामीपरा ालापरामीामीयी भा सभी सलखयो ामी रहा , दकनतार जी कसमबनधि स, जजनामी यह भा अनर-बाहर सामीान रप सपरकट हआय ताराामीसी कहलायी , जजनामी कल आयनतारररकसरप स ददामीान रहा साअसतयकी कहलायी , तारकाामीधयामी असका ाली सलखया राजसी कहलायी ।

परामीधिाामी क ामील दामीला ामी छः श हजार ताराामीसी सलखयोकी पीछली हार, चार हजार राजसी सलखयो की सरी(ामीधय ाली) हार, तारका २ हजार साअसतयकी सलखयो कीसबस आयग ाली हार ामीानना तारारतारामी ााी क पारतारयादपरीतार ह। इस परकार का भा कल इस नशर जगतार ामीही समभ ह, परामीधिाामी ामी नही ।

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ासना दहयो र अधतार ग ामीा, ार न लगी र लगार।

सतार खरी तार कामी रह ाला दना, तारा साक सामीो कीधिो जसागार।।२५।।

अपन नशर तारनो को छोडकर साअसतयकी सलखया भीबहतार तारजी स चली , और जरा भी र दकय दबना अनयसलखयो (ताराामीसी तारका राजसी) क साक ही योगामीाया कबरहमाणड (कल बरहम) ामी पहच गयी । परामीधिाामी की आयतयामीाभला अपन परााशर अकषिरातारीतार क दबना कस रह सकतारीह? इस परकार साअसतयकी सलखयो न भी दनतयय नान ामीपहचकर अनय सलखयो क साक ही अपना (योगामीायाका) शरगार दकया।

भााकर- बरहमसदषटयो न इस नशर जगतार ामी पञभतारातयामीकनशर तारन धिारा दकया का। बासरी की आयाज सनकरसबन दरह ामी अपना तारन छोड दया और योगामीाया ामीदगाातारीतार चतारनय नरामीयी तारन धिारा दकया। शरीामीीागतार

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१०/२९/११ ामी भी कहा गया ह दक "जहगराामीय ह।"

जधि कामीाररकाओ नी, कही नही सकजीऐ दगतार।

तार कामी सस राख ामीारा साक न, तारनी करी ऊ जजी जगतार।।२६।।

शक जी न वरज धिओ (गोदपयो) क रप ामीबरहमातयामीाओ का तारो ारन दकया, कामीाररका सलखयो कासपषट दचन नही दकया। ऐसी असका ामी ामी अपनसनरसाक ामी दकसी भी परकार का सशय नही रहन नाचाहतारी। इसललय ामी उनका अलग स दरा रही ह।

जटली नहातारी कारतारक कामीाररका, ए ासना नही उतारपन।

एनी लजया लोपाी हरीन सतारर, तारस कीधिो ायो चन।।२७।।

जो सलखया वरतार रखकर कारतारक ामीहीन ामी यामीना जी ामीसनान दकया करतारी की , उनामी परामीधिाामी की सरताराय नही

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की । बअसलक य अकषिर बरहम क दारा धिारा की गयी सरतारायकी । दपरयतारामी न शरी कषा रप ामी इनक सतरो का हरादकया तारका इनकी लजा को र कर सामीपरा क परामीपनीतार ामीागर ामी परधतारदषतार दकया। इसक अधतारररक उनह यहचन दया दक भदषय ामी तारमहार साक भी लीला (रास)होगी।

भााकर- परायः श जनसाधिारा ामी यह ामीानयतारा परचललतार हदक गोदपयो का चीरहरा करक शरी कषा जी न अधिामीरदकया। उन कारी कनयाओ को नगनासका ामी साामीदहकरप स जल स बाहर आयन क ललय कहना दकसी भी ददषटस उधचतार नही कहा जा सकतारा।

उपरोक भाअसनतार का सामीाधिान इन शबो ामी परसतारतार दकयाजा सकतारा ह-

जजस सामीय चीर हरा की लीला हई, उस सामीय शरी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कषा जी की उम ामीा १० षर की की। इस असका ामीतारो साामीानय ामीानीय बालक ामी भी काामी दकार परकटनही होतारा, जबदक शरी कषा जी क तारन ामी तारो अकषिर बरहमकी आयतयामीा तारका अकषिरातारीतार का जोश ए आयशदराजामीान का। भला ऐस सरप स सपन ामी भीकाररक लीला की कलपना कस की जा सकतारी ह?

जब अकषिर बरहम की ासना शक जी क ऊपर सगरकी स रशरष अपसरा रमभा का परभा नही पड सका ,तारका जी सदषट क अनतारगरतार ामीान जान ाल गौतारामी बदक ऊपर आयमपाली जसी अददतारीय सनरी का भी कोईषपरभा नही पडा , तारो असिय बरहमाणडो क साामीीअकषिर बरहम क भी दपरयतारामी जजस तारन ामी लीला कर रह हो,उस तारन को काामी दकार स गसतार कस ामीाना जा सकताराह?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

वरज ामी शरी कषा जी क तारन ामी दराजामीान अकषिरातारीतारका आयश १२ हजार गोदपकाओ क रप ामी ददामीानबरहमसदषटयो क साक परामीामीयी लीला तारो करतारा का, दकनतारखल का आयनन लन क ललय अकषिर बरहम क दारा धिाराकी गई २४ हजार सरताराओ क साक लीला नही होतारीकी। इसललय कामीाररकाओ न अपन साक लीला कीकाामीना स वरतार दकया तारका यामीना जी ामी नगन सनान करनलगी । बहसियक कामीाररकाओ दारा कई दनो तारकयामीना जी ामी नगन सनान की परदकया चलतारी रही , जोशासतर ए साामीाजजक ामीयारा क पारतारया दपरीतार का।धिामीरशासतर ामी सपषट कहा गया ह दक "न नगनः श सनायातार"।

कामीाररकाय शरी कषा जी स जजस परामीामीयी लीला कीआयकाकषिा रखतारी की , उसक ललय सामीपरा की भटटी ामी तारपकर कनन बनना ही पडतारा ह। दकनतार इस ददषट स

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कामीाररकाओ क दारा भल हो रही की। जब एक परषदकसी सर परष क साामीन नगन होन ामी लजा काअनभ करतारा ह, तारो इतारनी बडी सिया ामी कामीाररकाओका परधतारदन पारतारया नगन होकर सनान करना दकसी भीददषट स उधचतार नही कहा जा सकतारा। जब आयपस ामीएक सर क साामीन नगन हो सकतारी ह, तारो जजस अपनास रस ामीानतारी ह तारका जजनह पराप करन क ललय ही इसताररह की उपास आयद साधिनाय कर रही ह , उसी कसाामीन परतययकषि उपअससकतार होन पर लजा करन स यहीजसद होतारा ह दक अपन आयराधय क परधतार पार रप ससामीरपतार ही नही ह। परामी तारो पारतारया दनरकार होतारा हऔर पञभौधतारक शरीर स स रका पर आयअसतयामीक धिरातारलपर होतारा ह।

जब तारक कामीाररकाय शरीर भा स पर होकर आयअसतयामीक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ददषट स स रस सामीपरा का भा नही लतारी , तारब तारक परामीक कषि ामी उनह जसदहसतारतारा पराप नही हो सकतारी। यहीकारा ह दक शरी कषा जी न उनस कहा दक तारामी इतारनदनो स यहा नगन सनान करतारी रही हो , इसललय यदतारमहारा हय ामीर परधतार पारतारया परामी क भाो स सामीरपतारह तारो इसी असका ामी आयकर अपन -अपन सतर लजाओ।

जजस परकार दकसी एकानतार सकान ामी ो सग भाई-बहनोको हसतार-लखललखलातार खकर दकसी अपररधचतार वयदकक ामीन ामी सशय क बाल ामीणडरान लगतार ह, उसी परकारचीरहरा की लीला को भी जो लोग काामी दकार की ददषटस खतार ह, उनक दषय ामी यही कहा जा सकतारा ह दक दनशय ही आयधयाअसतयामीक परामी स कोसो र रहतार ह औरउनकी ददषट सकल ामीास-दपणड स पर हो ही नही पातारी।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भामीश परामी और ासना को एक ही धिरातारल पर खनक अभयसतार हो गय होतार ह।

ज सखी हतारी कामीारका, घर नही तारहना अग।

सनह बल या लीधिी धिाीताराी, तार ामीलीन भली साकन रग।।२�।।

वरज ामी जो कामीाररका सलखया की , परामीधिाामी ामी उनकतारन नही ह। दकनतार उनक सचच परामी क कारा धिाामी धिनी नउनक ऊपर अपार कपा की, जजसक पररााामी सरप भी अपना तारन छोडकर रास लीला क ललय बरहमसदषटयोक साक दामील गयी ।

साक ोड र घा आयकलो, ामीननी न पोहोतारी हाामी।

जोगामीाया आयी साामीी जगतार सो, जसागार कीधिो एा ठाामी।।२९।।

सभी सलखया बहतार वयाकल होकर ामीहारास क ललयपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 240240 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चल पडी । ५२ दन क दयोग क कारा दपरयतारामी सदामीलन की उनकी इचछा पार नही हो सकी की। अपननशर तारनो को छोडकर योगामीाया क बरहमाणड ामी पहचीऔर हा पर उनहोन नरी शरगार धिारा दकया।

साोजी साक कह इ ातारी, जोगामीाया नो जओ दचार।

ए काी पर ह रा, ामीारा साक ताराो जसागार।।३०।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी ! ामीरी बातारसदनय। आयप योगामीाया की शोभा क दषय ामी दचारकरक लखए। अपन सनरसाक की अलौदकक शोभा-शरगार का ारन ामी कस कर?

चन धिाी ताराा ामी साभलया, ामीारा गजा सार र परामीाा।

एक सयाामीाजीन रा, बीजो साक सकल एाी पर जाा।।३१।।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 241241 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी हबश ामी दपरयतारामी अकषिरातारीतार क दारा कह हए चनोको अपनी बधद क अनसार जजतारना गहा कर पायी ह,उसी क आयधिार पर शयाामीा जी की शोभा का ारन कररही ह। शष अनय बरहमातयामीाओ की शोभा को भी आयपसा ही जान लीजजएगा।

परकरा ।।५।। चौपाई ।।१�४।।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 242242 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी ठकरााीजीनो जसागार - राग धिना शरी

इस परकरा ामी शरी शयाामीा जी की अलौदकक शोभा काारन दकया गया ह।

अखड सरपनी अअससकर आयकार, सोभा कह घा करीन सनह।

जोई जोई चन आया क ऊचा, पा न आय ााी ामीाह तारह।

सोभा जसागार, सयाामीाजीनो दनरखजी।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामी अपन नशर तारन स शरीशयाामीा जी क दारा धिारा दकय गय अखणड सरप कीशोभा का बड परामी स ारन करतारी ह। ामी शरी शयाामीा जीकी उस शोभा और शरगार को खकर ारन करन कललय ऊच स ऊच (अधतार शरष) शब का परयोग कर रहीह, दफर भी ह शोभा ााी ामी नही आय पा रही ह।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 243243 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ए सोभा न आय ााी ामीाह, पा साक ामीाट कहााी।

ए लीला साकना रामीा रामीाडा, तारो ामी सबामीा आयाी।।२।।

यददप इस अलौदकक शोभा का ारन शबो ामी वयकनही हो पा रहा ह , दफर भी सनरसाक क ललय ामीझकहना पड रहा ह। ामीहारास की लीला का ारन ामीर दाराशबो ामी इसललय दकया जा रहा ह दक जजसस हसनरसाक क धिाामी हय ामी बस जाय।

चरा अगठा अधतार भला, पास कोामील आयगललयो सार।

रग तारो अधतार रललयाामीाो ीस, नख हीरा ताराा झलकार।।३।।

शरी शयाामीा जी क ोनो चराो क अगठ अधतार सनर ह।इनक पास की अगललया भी अधतार सनर और कोामील ह।इनका रग बहतार ही ामीनोहर दखाई रहा ह। नाखन तारोहीर क सामीान झलकार कर रह ह।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 244244 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हीरा तार पा तारहज भोामीना, आय जजभया धतारहा न पोहोचाय।

आयाी जजभयाए जो न कह साकन, तारो र परकास कामी काय।।४।।

शरी शयाामीा जी क नखो की हीर स जो उपामीा ी गयी ह,उस हीर को बह ामीणडल का ही चतारन ए परकाशामीयी(नरामीयी) हीरा सामीझना चादहय, इस नशर जगतार काजड हीरा नही । इस तारन की जजहवा स हा की अखणडशोभा का ारन हो ही नही सकतारा। दकनतार यद ामी उसशोभा का ारन ही न कर, तारो सनरसाक क हय ामीइतारना भी ञान कस हो सकगा?

भााकर- कालामीाया का हीरा कोयल स बना होतारा ह।जब कोयला उचच ताराप ए ाब क परभा ामी आयतारा ह, तारोह हीर क रप ामी परररतारतार हो जातारा ह। जबदक शरीशयाामीा जी क नख की उपामीा जजस हीर स ी गयी ह, हइस जगतार का जड हीरा नही ह, अदपतार पारतारः श चतारन,

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 245245 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नरामीयी, और बरहमरप ह।

फाा तारो रग पतारग छ, काकसा नसो दनरामील दनरधिार।

ककामी रग पानी सोभ, चरा तारली ली सार।।५।।

शरी शयाामीा जी क चराो क पज लाल रग स शोभायामीानहो रह ह। अगललयो क बीच की नादडया (नस) बहतार हीसचछ दखायी रही ह। इसक अधतारररक चराो कीतारललया लाल रग की आयभा ललय हय अतययधधिकशोभायामीान हो रही ह।

लाक तारो ीस अधतार लहकतारो, रखा सोणभतार अधतार पायजी।

टाका घटीन काडा कोामील, पीडी तार राी न जायजी।।६।।

चराो क नीच गहराई ाला भाग बहतार अधधिक सनरदख रहा ह। उसक ऊपर आययी हई कोामील रखाए बहतार

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 246246 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अधधिक शोभायामीान हो रही ह। चराो क टाकन, गोलघटी, तारका काडा ाला भाग बहतार ही कोामील ह, जबदकपपडली की शोभा का तारो दकसी भी परकार स ारन हो हीनही सकतारा।

भााकर- एडी क ऊपर का भाग टाकन (टखना)कहलातारा ह। ादहन पर की एडी की ायी ओर तारका बायपर की एडी की बायी ओर जो गोल घणडी होतारी ह, उसघटी कहतार ह। घटी क नीच जजस भाग ामी पायल पहनाजातारा ह, उस काडा कहतार ह। घटन तारका एडी क बीचजो पर का दपछला ाला भाग होतारा ह, ह दपणडलीकहलातारा ह।

कन करा अनट सोह, दछडा कर ठामीकार।

ामीााक ामीोतारी न नीला पाना, जगतार अधतार जडा।।७।।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 247247 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी शयाामीा जी क ोनो चराो क अगठो ामी शद सार कबन हय अनट शोभायामीान ह। अगललयो ामी दबछआयामीधिर धदन करतार रहतार ह। इनामी (अनट, दबछआय)ामीाणाक, ामीोतारी, नीलामी, तारका पनना अतययधधिक यदकप रकजड हय ह।

भााकर- साामीानय सार की अपकषिा कनन लाललामीाललय होतारा ह, कयोदक यह साामीानय सार को आयग ामीतारपाकर तारयार दकया जातारा ह। इस चौपाई क चौक चराामी ामीाणाक, ामीोतारी, आयद क अतययधधिक यदकप रक जडहोन का आयशय यह ह दक य इस परकार जड हय ह दकअनट, दबछआय अधधिक स अधधिक रप ामी शोभायामीानहो सक।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 248248 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

काबी कडला राझा बाज, घघरी ताराा घामीकार।

हामी ताराा ाला ामीाह गदठया, ामीाह झाझर ताराो झामीकार।।�।।

शरी शयाामीा जी क चराो ामी झाझरी, घघरी, काबी, औरकडला (कडा) क आयभषा शोभायामीान हो रह ह। इनामीकाबी और कड स रनझन-रनझन की ामीधिर आयाजसनायी तारी ह। इसी परकार चलन पर (परो) की धिामीकस घघरी स अधतार ामीधिर धदन दनकला करतारी ह। यघघररया सोन क तारार ामी जडी हयी ह। इसी परकारझाझरी स भी चलन पर अधतार कारदपरय झन-झन कीआयाज आयतारी ह।

भााकर- इस चौपाई क सर चरा ामी "घामीकार" शबका परयोग हआय ह, जजसका आयशय परो की धिामीक अकारतारचलन स ह।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 249249 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कादबए नग आयसामीानी फल ल, जगतार कन जडा।

जडा लाल नग नीला पीला, कडल सोभा अधतार काए।।९।।

शद सार की काबी ामी आयसामीानी रग क नग इस परकारस जड हय ह दक उसस अधतार सनर फलो और बलो कीआयकधतार बन गयी ह। इसी परकार कड ामी लाल , नील,तारका पील रग क नग जड ह, जजसस उसकी शोभा बहतारअधधिक ददषटगोचर हो रही ह।

भााकर- परायः श पनना आयसामीानी रग का, ामीाणाक औरपराल लाल रग क, नीलामी नील रग का, पखराज पीलरग का, पाच हर रग का, ामीोतारी और हीरा शतार रग क,गोामी हलक कतयकई रग का, दपरोजा हलक नील रग का,और लहसदनया लहसन क रग का ामीाना जातारा ह।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 250250 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

घघरडीनो घाट जगतारनो, कोर करडा कन।

ामीाह ामीोतारी फरतारा ीस, ामीधय जधडया नीला नग।।१०।।

घघरी की बनाट इस परकार बनी ह दक उसकी दकनारपर सोन क ान जड हय ह। चारो ओर ामीोतारी क नग जडहय दखायी रह ह तारका ामीधय ामी नील रग का नग भीशोभायामीान हो रहा ह।

झाझररया एक जई जगतारना, कोर लाल जडा कागरी।

एक हार ब हीरा ताराी, बीजी ामीधय रपा रग ोरी।।११।।

झाझरी की बनाट एक नई परकार की ह, जजसकीदकनार पर कागरी क रप ामी लाल नग जड हय ह। इसामीो हीरो की एक हार (पदक) आययी ह। इनक ामीधय ामी शतारपरा क सामीान चामीकतारी हई एक डोरी भी आययी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भखा चरा सोभतारा, अन बोलतारा रसाल।

जजी जगतारना जर ज ीस, कर तार अधतार झलकार।।१२।।

इस परकार शरी शयाामीा जी क चराो ामी झाझरी , घघरी,काबी और कड क आयभषा शोभायामीान हो रह ह। यबहतार ही ामीनामीोहक धदन उतयपनन करतार ह। इन आयभषाोामी अलग-अलग परकार क जो जाहरातार दखायी रहह, बहतार अधधिक झलकार कर रह ह।

सतारर काी पर रा, ए तारा सायर अधतार सरप।

ामीारा जीनी खना भाजा, ह तारो कह गजा सार कप।।१३।।

शरी शयाामीा जी क सतरो की शोभा का ामी कस ारनकर? यह अलौदकक शोभा तारो अकाह सागर क सामीानह, जबदक ामीरी बधद एक छोट स कए क सामीान ह।दकनतार अपन जी की चाहतार परी करन क ललए अपनी

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अलप बधद स ामीझ इस शोभा का ारन करना पड रहाह।

नीली तार लादहनो चरणाया, अन ामीाह कसनी भातार।

कोर कोर कागरी, इ ातारी जए करी खातार।।१४।।

नील रग का चामीकतारा हआय घाघरा ह, जजसामी ताररह-ताररह की कसीाकारी की गयी ह। इसक दकनार परकागरी की इतारनी सनर शोभा आययी ह दक शरी इनातारीजी बहतार चाहतार क साक उस ख रही ह।

भााकर- सोन या चाी क तारारो स ताररह -ताररह कबल-बटो आयद को उभारना (अदकतार करना)कसीाकारी कहा जातारा ह।

परामीधिाामी क शरगार ामी चरणाया का तारातयपयर जहापटीकोट स ललया जातारा ह, ही रास क शरगार ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चरणाया का आयशय घाघर स ललया जाएगा।

कागरी करी जगतार जोइए, ढ करीन ामीन।

ामीााक ामीोतारी हीरा कन, नीला तार पाच रतारन।।१५।।

यद कागरी की बनाट को धयानप रक ख तारो यहसपषट ददतार होतारा ह दक ामीाणाक, ामीोतारी, हीरा, नीलामी,तारका पाच क नग सोन की तारारो ामी बहतार सनर शोभा कसाक जड हए ह।

भातार तारो भली पर रा, ामीाह ल सनरी सार जी।

सतारर सदामीयल बणायल ीस, न सझ कोए तारार जी।।१६।।

इस परकार ामी शरी शयाामीा जी क सतरो का बहतार अचछीताररह स ारन करन का परयास कर रही ह। उनक सतरोकी कागरी ामी सनहरी बलो की अधतार सनर शोभा आययी

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ह। सभी सतरो की बनाट ामी सामीान शोभा दखायी रही ह। बल-बट (कसीाकारी) ामी परयक हय सोन -चाी का एक भी तारार दनरकरक रप ामी उभरा हआयदखायी नही तारा ह।

अनक दधि ना फलज ीस, ामीाह जर ताराा झलकार जी।

नाडी तारो अधतार सोभा धिर, जामीा रग ीस अगयार जी।।१७।।

लहग ामी अनक परकार क फलो की आयकधतार आययी ह ,जजनामी ताररह-ताररह क जाहरातार झलकार कर रह ह।लहग को कामीर स बाधिन ाली नाडी (नाडा) अतययधधिकसनर ह, जजसामी गयारह रग दखायी रह ह।

नीलो पीलो सतार सररयो, ामीाह कसनी भातार जी।

सयाामी गलाललयो अन कसररयो, ामीाह जाब तार रगनी जातार जी।।१�।।

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घाघर ामी अनक रगो की कसीाकारी की गयी ह, जस-नीला, पीला, शतार, जसनररया, शयाामी, गलाल, कशररया,और जामब।

भााकर- यददप जसनररया और गलाल रग, लाल रगक होतार ह, दकनतार इनामी सकामी अनतारर होतारा ह। जसनररयाअकारतार जसनर क रग स दामीलतारा-जलतारा रग, जजसामीगलाबी रग की परधिानतारा होतारी ह। जबदक गलाल रग ामीलाल रग की दणशषटतारा होतारी ह।

इसी परकार कशररया रग, लाल और पील रग क सयोगस बनतारा ह। पक हए जाामीन का रग, कतयकई रग का होताराह, जजस जामब रग कहतार ह।

जगतार एक ली जई छ, ऊभी लाखी ललबोईनी ोर।

ामीानक ढ करीन जए, सोणभतार बन कोर।।१९।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नाडी की बनाट ामी एक और दशष शोभा दखायी तारीह। उसामी गहर लाल तारका पक हय नी ब क सामीान पीलरग दखायी रह ह। नाडी क ोनो दकनार अधतार सनरशोभायामीान हो रह ह, जजनह शरी इनातारी जी (ामीााक)बड धयान स ख रही ह।

भााकर- ामीााक शरी इनातारी जी का वरज का नाामी ह,जो रास क सामीय भी परयक हो रहा ह।

चीा चरणाए जोइए, ामीाह ल ामीोतारी झलकतार।

रातारी नीली चननी कनामीा, भली पर ामीाह भलतार।।२०।।

ह साक जी! आयप घाघर की चननटो को तारो लखए।उसामी ामीोधतारयो की बनी हयी अधतार सनर बल झलकारकर रही ह। इनामी लाल तारका नील रग क जाहरातारो कीछोटी-छोटी टकदडया, सोन क साक इस परकार स जडी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह दक ऐसा लगतारा ह दक आयपस ामी दहल-दामीलकर एक होगयी हो।

ए ऊपर ज सोभा धिर, काई तारहनो न लाभ पार।

अग चरणायो परगट ीस, साडी ामीाह जसागार।।२१।।

घाघर क ऊपर जो साडी की छद आययी ह , उसकाकोई भी पार नही पा सकतारा। कामीर ए परो ामी पहन हयघाघर की शोभा साडी ामी स परतययकषि दखायी रही ह।

छटक छापा कन करा, साडी सररए रग।

हीरा ामीााक ामीोतारी लसणाया, ामीधय पाच ादनना नग।।२२।।

शरी शयाामीा जी न जसनररया रग की साडी धिारा कररखी ह, जजसामी छोटी -छोटी अधतार ामीनोहर सनरआयकधतारयो की छपाई शोभा रही ह। इन छापो ामी हीरा ,

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 258258 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीाणाक, ामीोतारी, लहसदनया, तारका पाच क नग अपनामीनोहर रप ामी जड हय ह।

सोभा तारो घाए सोहाामीाी, जो ढ करी जोइए ामीन।

झीाा सतारर न अधतार उतामी, कादनए ोरी ा।।२३।।

ह साक जी! यद आयप अपन ामीन को एकाग करकधचतारदन दारा ख तारो यह शोभा बहतार अधधिक सनर(अननतार) दखायी रही ह। शरी शयाामीा जी क सभी सतर(घाघरा, साडी, बलाउज, आयद) बारीक और अधतारउतामी ह। साडी की दकनार पर तारीन डोरी (धिाररयो) कीबनाट आययी ह।

ामीाह ामीोतारी कोर कसी, ीजी नीली चनी सार।

अनक दधिनी ल जो सोभ, छड कर झलकार।।२४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीधय की धिारी ामी ामीोतारी जड हए ह। दकनार की धिारी(डोरी) ामी बलबटो की धचकारी (कसीाकारी) ह।तारीसरी धिारी ामी नील रग क नगो क अधतार सनर छोट -छोट टकड जड ह। साडी ामी अनक परकार की बलशोभायामीान हो रही ह। अलौदकक शोभा ाल साडी कोनो दकनार झलकार कर रह ह।

सनर लाक सोहाामीाो, ासो ीस साडीामीा अग।

ा तारल कचकीनी कसो, जगतार सोह बधि।।२५।।

शरी शयाामीा जी की अधतार सनर पीठ की गहराई(ामीरणड क साामीन का भाग) साडी ामी स बहतार हीसनर दखायी रही ह। उनक बलाउज की तारदनयो(डोररयो) क बधि चोटी क नीच बहतार ही यदकप रक बधिहय शोभायामीान हो रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- बालो की चोटी ामीरणड की सीधि ामी आययी ह।चोटी क नीच बलाउज की तारदनया बधिी हयी ह।

अगनो रग दनरियो न जाय, कयाह न ामीाय का कातार।

पट पासा उर कठ दनरखतारा, इ ातारी पाामी सातार।।२६।।

शरी शयाामीा जी क अग-अग की सनरतारा इतारनी ह दकह खी नही जा रही ह। इन अगो स दनकलन ालीदकराो की जयोधतार इतारनी अधधिक ह दक ह कही भी सामीानही पा रही ह , अकारतार चारो ओर फली हयी ह। शरीशयाामीा जी क पट, पसललयो, हय, तारका गल कीअलौदकक शोभा को खकर, ामीर (शरी इनातारी जी क)हय को बहतार अधधिक शाअसनतार दामील रही ह।

भााकर- सौनयर को न ख पान का आयशय यह ह दकशरी शयाामीा जी का सौनयर उस अकाह सागर क सामीान

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह, जजसको पार रप स ख पाना (आयतयामीसातार करपाना) समभ नही ह।

उपरोक चौपाई क चौक चरा ामी , शरी शयाामीा जी कशरगार को खकर शरी इनातारी जी क हय को शाअसनतारदामीलन का अणभपराय यह ह दक परतययक बरहमातयामीा का लकययगल सरप की शोभा को आयतयामीसातार करना होतारा ह।जब तारक अनतारदरदषट खोलकर उस शोभा को जी भरकरख नही ललया जातारा, तारब तारक हय ामी दरह की जालाधिधिकतारी ही रहतारी ह।

अगनो रग अजास धिर, धतारहा सयाामी चोली सोभा।

सर स र जसागार सोहा, धतारहा लहर भखा का आय।।२७।।

शरी शयाामीा जी क अधतार सनर गोर रग पर हलक कालरग की चोली बहतार अधधिक ामीनोहर लग रही ह। शरी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शयाामीा जी का समपार शरगार बहतार ही आयकषरक लग रहाह। उनक आयभषाो स उठन ाली दकरा चारो ओरलहरा रही ह।

भााकर- रास का जो यह शरगार रातार ह, हराजसकान, जसनधि, तारका कादठयााड ामी परचललतार शरगारक आयधिार पर ह। यह स रददतार ह दक शरी दामीदहरराज जीका जनामी कादठयााड (नतारनपरी) ामी हआय का तारकाउनका नदनहाल जसनधि ामी पडतारा का। इन परानतारो कीशभषा शरी दामीदहरराज जी क ामीन ामी बसी हयी की।इसललय उनक भाो क अनकल ही रास तारका परामीधिाामीका शरगार अतारररतार हआय।

यददप अकषिरातारीतार क यगल सरप की शोभा-शरगार कोदकसी बनधिन दशष ामी नही बाधिा जा सकतारा , दकनतारहामीारी ामीानीय बधद क दारा गाह होन क ललय धिाामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिनी न शरी दामीदहरराज जी क भाो क अनकल अपनीशोभा-शरगार को सकान दशष की सीामीा ामी बद करदया।

यही कारा ह दक रास तारका परामीधिाामी क शरगार ामीराजसकानी, कादठयााडी, तारका जसनधिी शभषा की छापदामीलतारी ह। इस परकार कादठयााड क शरगार ामी चोलीऔर कचकी (बलाउज) एक ही ह। यददप ताररामीान सामीयामी चोली पहल पहनी जातारी ह और बलाउज उसक बापहना जातारा ह।

इस परकरा ामी चौपाई २५, ३० तारका ३५ ामी "कचकी"शब का परयोग हआय ह, और चौपाई २७ तारका २� ामी"चोली" शब का परयोग हआय ह। कादठयााडी शरगार कीामीानयतारा क अनसार इनह एक ही ामीानना चादहय।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कसकसतारी चोली न कठा पयोधिर, पीला खडपा सोभतार।

कस ठाामी ज कागरी, धतारहा नीला जर झलकतार।।२�।।

कदठन सतारनो को ढककर कसी हयी (चसतार) चोलीआययी ह। चोली क पील खडप बहतार अधधिक सनर लगरह ह। चोली स तारनी (कस) का जहा जडा ह, हाकागरी की सनर शोभा ददषटगोचर हो रही ह और उसकागरी ामी नील रग क जाहरातार झलकार कर रह ह।

भााकर- कठोर सतारन दकशोर असका ए सौनयर कपरधतारामीान ह। सतारन क जजस भाग स बालक ामीा का धिपीतारा ह, उस चचक कहतार ह। उसक ऊपर चोली का जोकछ ढीला दहससा आयतारा ह, उस चोली की कली याखडपा कहतार ह।

गजरातारी भाषा ामी "हर" रग क ललय "लीला" शबपरयोग होतारा ह। दहनी क "नील" शब क ललय गजरातारी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी "नीला" ही परयोग होतारा ह। यह बातार इसी परकरा की१५ी चौपाई क चौक चरा (नीला तार पाच रतारन) ामीखी जा सकतारी ह, जजसामी हर रग क ललय "पाच" शबका परयोग दकया गया ह। इसक अधतारररक शरगार गनक कइस ककन स भी यह बातार सपषट होतारी ह-

नीला रग इजार का, पामीही चडी घटी ऊपर।

धतारन पर झलक ान, हरी झाई आयतार नजर।।

शरगार १७/१४

भरतार भली पर सोणभतार, काई पचरग चननी सार।

अनक दधि ना फल ल, खसबोए ताराा हकार।।२९।।

चोली ामी कसीाकारी बहतार ही सनर लग रही ह। उसामीपाच रगो ाल नगो क छोट -छोट टकडो स अनकपरकार क फलो और लताराओ क धच बन ह , जजनस

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अधतार ामीनभान सगअसनधि आयया करतारी ह।

कचकी जडा छ जगतार जजी, ऊपर आयभा भली भातार।

सर सरप जोई जोईन, ामीारो जी काय दनरातार।।३०।।

बलाउज (चोली) ामी नगो का जडा कछ दशष परकारकी अलग ही शोभा ललय हए ह। इसक ऊपर बहतारअचछी ताररह स आयभा की शोभा आययी ह। शरी इनातारीजी कहतारी ह दक ऐस सनर सरप को ख-खकर ामीरजी को आयनन दामीलतारा ह।

भााकर- आयभा एक परकार का शरगार ह, जो परायः शकादठयााड कषि ामी चोली आयद क ऊपर दकया जातारा ह।इसामी परा (शीश) क गोल-गोल छोट टकडो को चोलीामी इस परकार जसल दया जातारा ह दक एक आयभषा कीताररह दखन लगतार ह और उसामी ामीख आयद का सारा

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परधतारदबमब झलका करतारा ह।

कठ काी पर रा, ामीारा जीन नकी काई बल।

पाच हार धतारहा परगट ीस, सोणभतार ोर ल।।३१।।

शरी शयाामीा जी क गल की ामीनोरामी शोभा का ामी कसारन कर? इस छद का ारन करन क ललय ामीर जीामी नाामी-ामीा का भी बल नही ह। उनक गल ामी पाच हारपरतययकषि रप स ददषटगोचर हो रह ह। य सभी हार डोररयोामी गक हए ह और गल स लटकतार हय शोभायामीान हो रहह।

एक हार हीरा ताराो, बीजो पाच रा रतारन।

ीजो हार ामीोतारी दनरामीलनो, काई चौको हामी कचन।।३२।।

पहला हार हीर का ह। सरा हार पाच (हर रग कपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 268268 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रतयन) का ह, और तारीसरा हार अधतार सचछ दखायी नाल ामीोधतारयो का ह। इसक अधतारररक चौका हार सोनका, और पाचा हार अतययधधिक लाललामीा ललय हय कञन(शद सार) का ह।

हामी ताराो हार जई र जगतार नो, नसर न पाटली।

जडा हीरा पाच रतारन ामीोतारी, ामीाह ामीााक न नीली।।३३।।

ह साक जी! सोन क इस चौक हार की बनाट कोधयानप रक लखय। इसामी नौ लदडया ह तारका नौ पटललयाह। इनामी हीरा, पाच, ामीोतारी, ामीाणाक, ए नीलामी क नगजड ह।

उताररी ा सर सोभतारी, काई ोरो जधडतार अचभ।

ह काी पर रा, ामीारी जजभया आया अग।।३४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सबस नीच पाचा हार जो कञन का आयया ह, उसामीतारीन लदडया शोभायामीान हो रही ह। अधतार सनर डोरी ामीयह हार इस परकार जडा हआय ह दक उसकी ामीनोहाररताराको खकर आयशयर होतारा ह। इस नशर शरीर की अपनीजजहवा (ााी) स इस हार की सनरतारा का ारन ामी कसकर?

कचकीना काठला ऊपर कोर, काई ोर तारज अपार।

सातार रगना नग पाधिरा, जोतार कर झलकार।।३५।।

बलाउज क गल की दकनार पर बहतार सी धिाररया आययीह, जजनामी अननतार तारज जगामीगा रहा ह। इन धिाररयो ामीसातार रगो की जयोधतार ाल नग सपषट रप स जड हय ह ,जो झलझला रह ह।

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ामीाह ामीोतारी ामीााक हीरा, पाना न पखराज जी।

कनन ामीाह रतारन नग झलक, रामीा सरी कर साज जी।।३६।।

इन धिाररयो ामी ामीोतारी , ामीाणाक, हीरा, पनना, पखराज,आयद रतयनो क नग सोन क साक जड हय झलकार कररह ह। अपन पराालभ क साक रास खलन क ललय शरीशयाामीा जी न इस परकार का अलौदकक शरगार दकया हआयह।

काठल ामीााक न ली ामीोतारी, कनन ामीाह पाना नग।

चीड ताराी चार सर सोभ, कोई धिातार सकना रग।।३७।।

शरी शयाामीा जी क गल ामी छठा हार चीड का ह, जजसकीचार लदडया शोभायामीान हो रही ह। यह कोई दशष रगाली धिातार का ही बना हआय परतारीतार होतारा ह। इसामीामीाणाक, ामीोतारी, और पनना क नग सोन क साक जड हय

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

झलकार कर रह ह।

ए ऊपर ली दनरखी न जोइए, तारो कठसरी भली गई अग।

कठसरी करी कली जजी, काई जजा छ तारहना नग।।३�।।

यद इस चीड क हार क ऊपर ख, तारो गल स धचपकाहआय कणठसरी का हार दखायी तारा ह। इस कणठसरीक हार की अलग-अलग कललया आययी ह, जजनामीताररह-ताररह क सनर नग जड हय ह।

कठसरी जडा जगतारनी, ामीाह रातारी नीली जरो नी हार।

सकल जसागार सयाामीाजीन सोभ, कनन ामीा ामीोतारी झलकार।।३९।।

कणठसरी क हार की बनाट इस परकार की ह, जजसामीजड हय लाल तारका नील रग क जाहरातारो की हारआययी ह। सोन क तारारो ामी गक हए ामीोतारी झलकार कर रह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह। इस परकार क अपन अलौदकक समपार शरगार क साकशरी शयाामीा जी सशोणभतार हो रही ह।

भााकर- उपरोक दचना स सपषट ह दक रास ामी शरीशयाामीा जी क सातार हार ह। इसी परकार परामीधिाामी ामी भीशरी शयाामीा जी क ोनो शरगारो ामी सातार हार आयय ह।

अनतारर कल इतारना ही ह दक शरी शयाामीा जी क पहलशरगार ामी नीच स ऊपर क परकामी पाच हारो ामी पहलाामीोतारी, सरा ामीाणाक, तारीसरा लहसदनया, चौका हीरा,और पाचा नीलामी का आयया ह। इसक ऊपर सोन काबना हआय चमपकली का हार ह तारका सातारा हार पाचलदडयो ाला चीड का हार ह, जो कणठसरी कहलाताराह।

शरी शयाामीा जी क सर शरगार ामी पहला हीरा , सराामीाणाक, तारीसरा ामीोतारी, चौका लहसदनया, और पाचा

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नीलामी का हार आयया ह। इन पाच हारो क ऊपर चारलदडयो ाला चीड का हार आयया ह। चीड क हार कऊपर सातारा हार कणठसरी का आयया ह।

यह धयान न योगय ताररय ह दक शरी शयाामीा जी क पहलशरगार ामी चमपकली का हार छठा तारका चीड का हारसातारा ह। सर शरगार ामी चमपकली का हार नही ह ,बअसलक चीड का छठा हार ह और कणठसरी का साताराहार ह।

नख ककी कर रा, एह जगतार अधतार सारजी।

आयगललयो अगठा कोामील, नख हीरा ताराा झलकार जी।।४०।।

अब ामी नख स लकर समपार हाक तारक का ारन कररही ह। यह शोभा अधतार ामीनोहर ह। अगललयो क अधतारररकअगठा अधधिक कोामील ह। नाखन हीर क सामीान झलकार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कर रह ह।

झीाी रखा हकललए ीस, पोहोचा सोणभतार पतारग जी।

आयगललए ीसा ीस ीस, कोामील कलाई अधतार रग जी।।४१।।

ोनो हकललयो की बहतार ही पतारली रखाए दखायी पडरही ह। पञा (पहचा) लाल रग की शोभा ललय हए ह।परतययक हाक की पाच-पाच अगललयो ामी बीस -बीसपोररया दखायी पड रही ह। कलाई बहतार ही कोामील औरसनर रग की ह।

ीटी जडा छ छ आयगललए, सातारामीी अगठी अधतार सार जी।

आयभललयोन फरतारा पाना, रपा ामीा ामीख झलकार।।४२।।

शरी शयाामीा जी की छः श अगललयो ामी जाहरातारो स जडीहई अगदठया ह। सातारी अगठी बहतार अधधिक सनर ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इसामी आयय हय शीश क चारो ओर पनना क नग जड ह।यह शीशा परा का कायर करतारा ह, जजसामी शरी शयाामीा जीका ामीख झलकतारा रहतारा ह।

ब ीटी न हीरा ामीोतारी, बीजी ब रग ब रतारन।

पाच रगनी पाच एकन, एकन करडा कचन।।४३।।

ो अगदठया हीर और ामीोतारी की ह, तारका ो अगदठया ोअलग-अलग रग ाल रतयनो की ह। एक अगठी पाच (हररग क जाहरातार) की ह। इस परकार पाच रगो की यअगदठया हई। एक अगठी कञन की ह, तारका सातारी अगठी परा जदडतार ह जजसामी शरी शयाामीा जी अपनाशरगार खतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पोहोची न नघरी ीस, ऊपर ऊचा नग।

ामीााक ामीोतारी पाना कनन, ए सोभ पोहोची ना नग।।४४।।

शरी शयाामीा जी की कलाइयो ामी पहची और नघरीदखायी रही ह। नगो स जदडतार नघरी पहची स ऊपरकोहनी की दशा ामी ऊचाई पर आययी हयी ह। पहची ामीामीाणाक, ामीोतारी, तारका पनना क नग सोन क साक जड हएशोभायामीान हो रह ह।

नघरी न दनरामील ामीोतारी, हीरा न रतारन।

कनन ामीाह पाना पखराज, चड ामीाह न रग।।४५।।

नघरी ामी अधतार सनर ामीोतारी , हीरा, पनना, पखराज,आयद क रतयन सोन ामी जड हए ह। इसी परकार चड ामी नौरगो की शोभा आययी ह।

भााकर- नघरी की ताररह कलाई ामी पहना जान ाला

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नचड भी एक आयभषा ह, जजसामी नौ चदडया जडीहोतारी ह।

न रगना नग जजा, तारहना तार जजा रप।

ह ामीारी बधि सार रा, पा एह छ अभतार।।४६।।

नौ रगो की चदडयो ामी अलग-अलग रपो ाल अलग-अलग (अनक परकार) नग जड हए ह। अपनी अलप बधदस ामी उधचतार ारन ही कर रही ह, दकनतार यह शोभा इतारनीअीतार ह दक इसका यकाकर ारन हो ही नही सकतारा।

नीली न लसणाया सोणभतार, पाना न ली लाल।

ामीााक ामीोतारी न हीरा कनन, ामीाह रतारन ताराा झलकार।।४७।।

नचड ामी नीलामी, लहसदनया, पनना, लाल, ामीाणाक,ामीोतारी, तारका हीरा आयद रतयन सोन क साक जड हए ह

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और झलकार करतार हय अधतार सनर शोभा को धिाराकर रह ह।

कोाी आयगल काकाी, जाब रग नग जडा।

कनन ना करकररया सोभ, जोतार कर अपार।।४�।।

कोहनी स पहल कलाई क ऊपरी भाग ामी ककनी कीशोभा आययी ह, जजसामी जाामीनी रग क सनर-सनर नगजड ह। सोन ामी नगो क अधतार छोट -छोट बारीक टकड(र) जड हए ह, जजनकी अपार जयोधतार हो रही ह।

ामीोहोललए ामीोतारी न ली कागरी, नीली रातारी चननी कनन।

ल ामीाह हीरा हार ीस, इ ातारी जए ढ ामीन।।४९।।

ककनी क ामीख पर कागरी की शोभा आययी ह, जजसामीामीोतारी जड हए ह। नील तारका लाल रग क जाहरातारो क

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अधतार छोट-छोट टकड शद सार ामी जड हए शोभायामीानहो रह ह। कागरी ामी आययी हई बलो ामी हीरो की हारदखायी रही ह। इस अलौदकक शोभा को ामी(इनातारी) बहतार धयानप रक ख रही ह।

सरन सोभ एक जगतार, झा बाज रसाल।

चड करा छापा अधतार सोभ, उर पर लटक ामीाल।।५०।।

पहची, नघरी, नचड, तारका ककनी, आयद सभीआयभषा एक सामीान सनर शोभा स यक ह। इनस झन-झन की अधतार ामीीठी धदन दनकला करतारी ह। नचड कऊपर आयय हय धच बहतार ही सनर शोभा को धिारादकय हए ह। शरी शयाामीा जी क हय कामील पर अधतारसनर ामीाला ददषटगोचर हो रही ह।

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गाल ताराो रग कहो न जाय, अधिर पराली नी भातार।

तार सोभ रग ाधडामी नी कललयो, हरटी अधिर च लाक।।५१।।

शरी शयाामीा जी क लाललामीा स भरपर गोर गालो का रगइतारना सनर ह दक उसका ारन हो ही नही सकतारा।उनक ोनो होठ पराल की ताररह लाललामीा स भरपर दखरह ह। अनार क ानो की ताररह ातारो की सनर शोभाआययी ह। ठडी तारका होठो क बीच की गहराई का भागबहतार ही सनर दखायी रहा ह।

भााकर- जजस परकार अनार क ान आयपस ामी सट होतारह तारका उनामी लाललामीा ए सफी का दामीशरा होतारा ह ,उसी परकार लाललामीा दामीणशरतार सफी ललय ातार अधतारलाल रग क ामीसड ामी जड हए ह। ामीानीय बधद क ललयगाह बनान हतार शयाामीा जी क ातारो की उपामीा अनार सतारका होठो की उपामीा पराल स की गयी ह।

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ामीख चौक सोणभतार अधतार ामीाडनी, अन झलक कान झाल।

जडा ामीााक ामीोतारी न हीरा, कनन ामीा पाना लाल।।५२।।

शरी शयाामीा जी का ामीखारदन बहतार ही सनर दखायी रहा ह। उनक ोनो कानो ामी सनर झामीदकया झलकारकर रही ह। इन झामीदकयो ामी ामीाणाक, ामीोतारी, हीरा, पनना,तारका लाल क अधतार सनर नग शद सोन क साक जडहए ह।

भााकर- ठडी तारका ललाट, ए ोनो कानो क बीच सगजरन ाली रखाए, जजस दबन पर दामीलतारी ह ह चौककहलातारा ह। इनक बीच का समपार भाग ामीखारदनकहलातारा ह।

नाजसका बसर लाल ामीोतारी लटक, आयखधडए अजन सोह।

पापा चल न पीउजी न पख, चतारराईए ामीन ामीोह।।५३।।

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शरी शयाामीा जी की नाजसका ामी अधतार सनर बसरदखायी रहा ह, जजसामी लाल दखन ाला ामीोतारी कानग शोभायामीान हो रहा ह। आयखो ामी हलका अञन भीददषटगोचर हो रहा ह। शरी शयाामीा जी परामी भरी चतारराई सअपन नो की पलको क सकतार स दपरयतारामी को इसपरकार खतारी ह दक उनक ामीन को ामीगधि कर लतारी ह।

भााकर- ामीोतारी का रग शतार होतारा ह। ऐसी असका ामी"लाल ामीोतारी" का आयशय यही हो सकतारा ह दक शरीशयाामीा जी क होठो की लाललामीा स शतार रग का ामीोतारीलाल दखायी न लगतारा ह।

नाा चपल अधतार अणायाला, न रखा सोभ ामीाह लाल।

बहगामीा भकटीनी सोभा, टीलडी तार ामीधय गलाल।।५४।।

शरी शयाामीा जी क न चपल और अतययनतार नकील ह।

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ोनो नो ामी लाल -लाल रखाए सशोणभतार हो रही ह।ोनो भौहो क बीच ामी लाल रग की दबनी बहतार ही सनरलग रही ह।

भााकर- चपल और नकील न, परामी और सौनयर कपरधतारामीान रप ामीान जातार ह। परामी क आयान-परान कललय हामीशा उतयसक रहन क कारा, शरी शयाामीा जी कनो को चपल कहा गया ह। आयलसय, परामीा, तारका नी स भर न स ससतार रहतार ह।

ामीारा साक साो एक ातारडी, आय सरप तार कामी रााय।

एक भखा ताराी जो भातार तारामी जओ, तारो आया ह जी न खामीाय।।५५।।

ामीर परााधिार जी! ामीरी एक बातार सदनय। शरी शयाामीा जीक इस अलौदकक सरप की शोभा का ामी कया ारन करसकतारी ह? यद आयप एक आयभषा की शोभा को भी

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ख ल, तारो आयपक नशर शरीर ामी रहन ाला जी इससहन नही कर सकगा।

भााकर- ामीोहसागर ामी परगट होन ाल जजस जी नबह या परामीधिाामी क अनपामी सौनयर, परामी, और आयननक बार ामी कछ सना ही नही होतारा, तारो यह कस समभ हदक ह उसका परतययकषि अनभ कर सक ? यह अससकधतारऐसी ही ह, जस दकसी बलगाडी पर ामीालगाडी का साराबोझ डालन का परयास करना।

यद यह कहा जाय दक बह या परामीधिाामी क अलौदककपरामी और आयनन का अनभ तारो जी की अनतारदरदषट सहोतारा ह, बाह चकषिओ या अनय इअसनयो स नही , तारो यहकस कहा जा सकतारा ह दक जी उस सख का अनभनही कर सकतारा?

इसक सामीाधिान ामी यही कहा जा सकतारा ह दक अपनी

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अनतारदरदषट को खोलन क ललय तारारतारामी ञान क परकाश ामीआयतयामी-भा लकर सय को दरह की अदगन ामी जलाना हीपडगा। इस असका को पराप हय दबना जी क धचत ामीसजञतार जनामी-जनामीानताररो क काररक ससकारो का कभीभी कषिय नही हो सकतारा। और इस लकय को पाय दबना नतारो हय ामी कभी दनामीरलतारा आय सकतारी ह और न ही परामीकी रसधिारा बह सकतारी ह।

बह या परामीधिाामी क अनभ क ललय सामीपरा, दरह,और परामी अदनायर ह। इसकी कामीी स ही राजा भाससहबह ामीणडल का सख न ल सक और धियर न रख सक।इसका पररााामी यह हआय दक उनका हानतार हो गया।धिनी की कपा स दरह, परामी, और सामीपरा ामी पररपपहोकर, जी भी, बह या परामीधिाामी का अशामीा रसपानकर सकतारा ह। दकनतार यह असका दकसी दरल ही जी

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को पराप होतारी ह। यही कारा ह दक उपरोक चौपाई ामीजी क दारा बह ामीणडल क सख को सहन न करनयोगय बताराया गया ह।

यह दशष धयान न योगय ताररय ह दक ामीहारास क इसारन को शरी इनातारी जी का जी कछ अशो तारकसहन कर पा रहा ह। तारभी तारो शब रप ामी ामीहारास काारन अतारररतार हो पा रहा ह। अनयका जोश-आयशदारा ामीहारास या परामीधिाामी का ञान हो जान पर भी, उसवयक कर पाना या सहन कर पाना , साामीानय जी कललय समभ नही होतारा ह।

एक बसर ऊपर लालज ीस, तार लालक नो न लाभ पार।

जटला ामीाह ामीीट फरी ल, एटल ीस झलकार।।५६।।

एक बसर ामी जो लाललामीा दखायी रही ह , उसकी

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सीामीा का कोई भी आयकलन नही कर सकतारा। जहा तारकददषट जातारी ह, हा तारक लाललामीा की ही शोभा दखायीतारी ह।

खीटलडी जडा भली पर, ामीाह लाल हीरा सचग।

ामीााक ामीोतारी नीला पाना, ामीाह पाच ादन ना नग।।५७।।

नाक ामी आययी हयी खटी का आयभषा बहतार ही सनरदख रहा ह। इसामी लाल बहतार ही उतामी ताररीक स जडाहआय ह। इसक अधतारररक इसामी पाच परकार - हीरा,ामीाणाक, ामीोतारी, नीलामी, और पनना - क नग भी जड हएह।

भााकर- बसर की ताररह ही खटी नाक ामी पहना जानाला एक आयभषा होतारा ह। इस कोका, कील, पगररया,तारका जड आयद भी कहतार ह। लाल और ामीाणाक ामी सकामी

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अनतारर होतारा ह। यददप ोनो का रग लाल ही होतारा ह ,दकनतार ामीाणाक हलका लाल होतारा ह, जबदक लाल गहरलाल रग का होतारा ह।

करा लन ज सोभा धिर, ऊपर साडी नी कोर।

सागटडा ामीाह दपउजीन पख, आयडी षट हर।।५�।।

शरी शयाामीा जी की साडी का दकनारा आयख और कान कबीच क सकान स होकर आयया ह, जो बहतार ही सनरलगतारा ह। शरी शयाामीा जी घघट की ओर स अपनपराालभ को परामीामीयी धताररछी ददषट स खा करतारी ह।

भााकर- आयख और कान क बीच क सकान को"लन" कहतार ह। घघट दनकालन क ललय साडी कादकनारा ही स होकर गजरतारा ह। इसी परकार, शरी राजजी क घघराल बाल इसी लन नाामीक सकान स होकर

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आयय ह। इस सनभर ामी सागर गनक ामी कहा गया ह-

लन कस कानो पर, धतारन कसो का जो नर।

आयसामीान जजामीी क बीच ामी, जोतार भराए रही जहर।।

सागर ५/३९

दनलट ाा चोकडो, पाच ामीोतारी धतारहा सोभ।

लाल पाच कन ामीाह सोणभतार, जोई जोईन जी कोभ।।५९।।

ामीाक पर चौकोर बा आयया ह, जजसामी पाच ामीोतारीजगामीगा रह ह। इसक अधतारररक लाल और पाच क नगभी सोन क साक ब ामी जड हए शोभायामीान हो रह ह।इस अनपामी छद को खकर बार-बार ामीरा जी ामीगधि होरहा ह।

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पटली साामीी छ फली सोभ, ामीधय सरनी रख।

बह गामीा ामीोतारी सर सोभ, इ ातारी खातार करी पख।।६०।।

शरी शयाामीा जी क ामीाक पर जो पटटी आययी ह, उसामी छः शफलो की शोभा ददषटगोचर हो रही ह। ामीाग ामी जसनर कीअधतार सनर पतारली-सी रखा दखायी रही ह। ामीाग कोनो ओर ामीोधतारयो की लदडया शोभायामीान हो रही ह।इनह शरी इनातारी जी बहतार चाहतार क साक ख रही ह।

चार फली तार फरतारी ीस, ब फली अणायाली।

ामीधय लाल ामीोतारी फरतारा पाना, ए जगतार कयाह न भाली।।६१।।

पटली क छः श फलो ामी स चार फल गोल आयकधतार ाल हऔर ो फल नोकार ह। इन फलो क ामीधय ामी लालऔर ामीोतारी आयय ह, तारका इनक चारो ओर घरकर पनना कनग सशोणभतार हो रह ह। ऐसी अददतारीय शोभा कही भी

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दखायी नही पडतारी ह।

राखडली ामीा रतारन नग झलक, हीरा पाना बह भातार।

ामीााक ामीोतारी फरतारा ीस, ा चए गकी अियातार।।६२।।

शरी शयाामीा जी की ामीाग क ामीधय ामी गोलाकधतार ललय हएराखडी की शोभा आययी ह, जजसामी हीरा, पनना, आयदअनक परकार क रतयनो क नग झलकार कर रह ह।ामीाणाक और ामीोतारी क नग चारो ओर घरकर आयय ह।बालो की चोटी सगअसनधितार तारल ामी गकी हयी ह।

पाच रगना पाच फामीक, सोह ामील ान बधि।

गोफाड फामीक ज ीस, तारहनो सयाामी कसी रग।।६३।।

चोटी ामी पाच रगो क पाच फमामीक शोभायामीान हो रह ह,जो चोटी क ामील ामी बधि ह। चोटी क नीच का भाग

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गोफनडा (फररया) कहलातारा ह। इसामी काल और लालरग क फमामीक ददषटगोचर हो रह ह।

गोफाड घघरडी फरतारी, अन बोलतारी रसाल।

फरतारा पाना ोरी बधि सोभ, ा लहक जामी वयाल।।६४।।

गोफनडो ामी घरकर घघररया आययी ह। य बहतार ही ामीधिरधदन करतारी रहतारी ह। घघरी ामी पनना क नग गोलाई ामीपदकबद होकर आयय ह। चोटी सपराी की ताररह लहरातारीरहतारी ह।

ामीख ामीाह बीडी तारबोलनी, ामी ामीरकलडो सोभ।

इ ातारी नास दनरख, अधतार घा करीन लोभ।।६५।।

शरी शयाामीा जी क ामीख ामी पानो का बीडा ह। ामीन-ामीन ामीसकरातारी हई बहतार ही सनर लग रही ह। शरी

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इनातारी जी अपनी अनतारदरदषट क दारा, बहतार अधधिक परामीभरकर, इस अनपामी छद को बार-बार खन का लोभनही छोड पा रही ह।

भााकर- यददप इस चौपाई क चौक चरा ामी शरी शयाामीाजी क बार-बार शरन को लोभ की सञा ी गयी ह,दकनतार इस परकार का ककन परामी भर हासय-वयगय क रपामी दकया जा रहा ह। जब दकसी अलौदकक शोभा स ददषटहटान की इचछा नही करतारी, तारो परामी भर हासय-वयगय ामीइसी परकार कहा जातारा ह दक इस परकार आयप कब तारकखन की इचछा (लोभ) ामी लग रहग?

ामीखड दनहाल अगठीामीा, सोभा धिर सार अग।

सागटडो जसागार सोभा, शरी कषाजी करी अरधिग।।६६।।

शरी कषा जी की अधिारदगनी अपनी अगठी ामी अपन

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ामीखारदन की शोभा को खा करतारी ह। उनक अग-अग ामी अलौदकक काअसनतार ददषटगोचर हो रही ह। घघट कसाक उनका ामीधिर सौनयर बहतार ही अधधिक शोभायामीानहो रहा ह।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी शरी कषा जी कीअधिारदगनी कहन स यह सशय होतारा ह दक कया शरी शयाामीाजी शरी कषा जी की अधिारदगनी ह? कयोदक इस परकराका शीषरक ही शरी शयाामीा जी क शरगार क रप ामी ह ,जजसकी पहली चौपाई ामी कहा गया ह- "शोभा शरगारशयाामीा जी नो दनरख जी।" इसी परकार ७०ी चौपाई ामीकहा गया ह- "ली शयाामीा तार आयवया साियातार।"

इसक सामीाधिान ामी यही कहा जा सकतारा ह दक वरज ामीअकषिरातारीतार न शरी कषा जी क नाामी स ही लीला की।इसललय रास क सामीय ामी भी यह नाामी यहा परयक दकया

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गया ह। तारन का नाामी ामीा कालामीाया क बरहमाणड ामी हीसमभ ह, कयोदक यहा परतययक कायर शब क आयधिार परहोतारा ह। बह ामीणडल और परामीधिाामी शब की सीामीा सपर ह। इस तारारतारामी ााी क इन शबो ामी खा जासकतारा ह-

बह को सब न पोहोचही, तारो कयो पोहोच रबार।

लगा न पोहोचया रास लो, इन पार क भी पार।।

क. दह. २४/४१

दकनतार बह ामीणडल ामी होन ाली रासलीला क ारन ामीदश होकर वरज क नाामी को उदतार करना पड रहा ह।यही कारा ह दक जजस परकार इस चौपाई ामी शरी कषाजी का नाामी आयया ह, उसी ताररह स परकरा १६ चौपाई१ ामी कहा गया ह "सखी खभान न नी, कठ कर कषानी"।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यह स रददतार ह दक षभान न नी राधिा जी ही ह। यहस रामीानय ताररय ह दक परामीधिाामी ामी ामीा शरी राज शयाामीाजी और सलखया ह, हा पर नन, यशोा, षभान, यापरभातारी क अअससतारतय की कलपना नही की जा सकतारी।ऐसी अससकधतार ामी हा राधिा और कषा जी का अअससतारतय भीनही हो सकतारा, कयोदक य यहा की लीलाओ क तारनो कनाामी ह।

ऐसी असका ामी यह पर होतारा ह दक यद परामीधिाामी ामीराधिा-कषा जी नही ह, तारो रास क शरगार ामी बार-बारशयाामीा जी, ठकरााी जी, राज जी, और ालाजी शबका परयोग कयो हो रहा ह?

इसका उतर इस परकार दया जा सकतारा ह दक शरगारया लीला का ारन हामीशा ताररामीान काल ामी ही होतारा ह।ारन करन ाला हामीशा इसी भाना स ारन करतारा ह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दक ह अपन आयराधय को परतययकषि अपन साामीन ख रहाह। यही कारा ह दक राधिा और कषा जी क सकान परशरी शयाामीा जी ए शरी राज जी का नाामी आयया ह, जबदकयह बातार तारो सबको पतारा ही ह दक रास खलन क बा शरीराज जी का आयश बरहमातयामीाओ क साक परामीधिाामी चलागया का।

कछ इन दधि दकयो रास, खल दफर घर।

खल खन क कारन, आयइया उामीा कर।।

उामीा न हइया परन, धिाख ामीन ामी रही।

तारब धिनीजीऐ अताररगतार, हकामी दकयो सही।।

पर. दह. १/१,२

जब ामीहारास क पशातार बरहमातयामीाय अपन दनज घर पहचगयी , और कल बरहम ामी होन ाली ामीहारास की लीलासबललक क ामीहाकारा ामी अखणड हो जातारी ह तारो उन

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अखणड तारनो को शरी राज जी या शरी शयाामीा जी क रपामी नही ामीाना जा सकतारा। दकनतार शरगार या लीला काारन करतार सामीय शरी राज जी या शरी शयाामीा जी ही कहाजायगा, कयोदक उनहोन उस तारन ामी लीला की ह।

यद यह कहा जाय दक शरगार ारन ामी जब शरी राज जीक सकान पर शरी कषा जी का नाामी आय रहा ह औरउनकी अधिारदगनी को शरी शयाामीा जी कहा जा रहा ह, तारोपरामीधिाामी ामी शरी कषा जी का अअससतारतय कयो नही जसदहो सकतारा?

ऐसा कहना कादप उधचतार नही ह। अपन आयराधय कीशोभा या लीला का ारन करन ाला सतारन ह दक हसरप क नाामी क साक रप क भी नाामी का परयोग करसक। लीला करन ाल आयश सरप शरी राज जी ह।वरज ामी उनहोन जजस तारन ामी दराजामीान होकर लीला की

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

की, उसका नाामी शरी कषा का। इसी परकार, रास ामीलीला करन ाल तारन का नाामी भी शरी कषा का। इसताररय को रास गनक की इस चौपाई स सामीझा जा सकताराह-

रामीतार रास करतार हास, कानह ामीोहन ल री।

कानह ामीोहन ल, सखी कानह ामीोहन ल री।।

रास ३६/१

शरी कषा जी क तारन ामी लीला करन ाल आयश सरपशरी राज जी ह, दकनतार भाो ामी तारनामीय होकर जब ारनदकया जायगा तारो शरी राज जी का नाामी ललया जायगा,और जब शरीर को लकय ामी रखकर लीला का ारनदकया जायगा तारो शरीर का नाामी शरी कषा परयक दकयाजायगा। यही अससकधतार शरी शयाामीा जी और षभान सताराशरी राधिा जी क समबनधि ामी भी ामीाननी चादहय।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उपरोक दचना क आयधिार पर यह बातार कही जासकतारी ह दक परामीधिाामी ामी शरी राधिा ए कषा जी नही ह।

ामीखकी ााी ज ओचर, काई ए सर अधतार रसाल।

एक ामीा काका जो र आय, तारो काय फरो सफल ससार।।६७।।

शरी शयाामीा जी क ामीखारदन स जो भी सर (शब)फटतार ह, उनामी ामीाधियरतारा का परामी आयननामीयी रसपरादहतार होतारा ह। यद उसका अशामीा भी हामीार हय ामीआय जाय, तारो इस नशर ससार ामी हामीारा आयना साकरक होजाय।

भााकर- इस चौपाई क ामीाधयामी स सनरसाक कोदशष णशकषिा ी गयी ह दक ामीाधियरतारा हामीार जीन काअणभनन अग होना चादहय। अपन हय ामी ामीाधियरतारा कभाो को भर दबना आयतयामी-जागधतार की कलपना नही की

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जा सकतारी।

सचछामी सरप न उनामी अग, काी पर ए रााय।

ामीारी बधि सार ह रा, इ ातारी लाग पाय।।६�।।

शरी इनातारी जी शरी शयाामीा जी क चराो ामी परााामीकरक कहतारी ह दक आयपका सरप दगाातारीतार ह।आयपक अग-अग ामी परामी की उामीग भरी ह। ऐसीअलौदकक शोभा का ारन भला कस हो सकतारा ह? ऐसीअससकधतार ामी ामी तारो अपनी अलप बधद स जो भी अशामीाारन कर पा रही ह, उस उधचतार ही कहा जा सकतारा ह।

पाउ भर एक भातारस, सयाामीाजी सोभ एाी चाल।

जी दनरखीन न ठर, इ ातारी ललए रग लाल।।६९।।

शरी शयाामीा जी की चाल इतारनी ामीनामीोहक ह दक उनकपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 302302 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कामी रखन क दनराल ढग को खकर शरी इनातारी जीकी अनतारदरदषट रक-सी जातारी ह और उनका जी भी परामीक आयग ामी ामीगन हो जातारा ह।

भााकर- "ददषट का ठहर जाना " एक ामीहादरा ह,जजसका आयशय यह होतारा ह दक ामीन उस सौनयर कोखन ामी ामीगधि हो गया ह, जजसक कारा आयख उसकोछोडकर कछ और खना ही नही चाहतारी । इसी परकार"लाल रग का हो जाना" परामी क रोामीाञ ामी भर जान कसनभर ामी कहा जातारा ह।

ए जसागार जोइए जयार दनरखी, तययार स कर ामीायानो पास।

साक सकल तारामी जो जो दचारी, ली सयाामीा तार आयवया साियातार।।७०।।

शरी शयाामीा जी क इस अनपामी शरगार का दचार करकजो अपनी आयअसतयामीक ददषट स खतार ह, भला, ामीाया उनका

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कया दबगाड सकतारी ह? ह साक जी! यद आयप सभीदचार करक ख तारो यह सपषट होगा दक इस सरप काधचनतारन करन पर ऐसा लगतारा ह दक साकषिातार शरी शयाामीाजी ही पनः श आय गयी हो।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा का आयशय यहकादप नही ामीान लना चादहय दक ामीहारास ामी इस सामीयशरी शयाामीा जी ह। सतारतारः श रास ामीणडल ामी इस सामीय शरीशयाामीा जी दारा धिारा दकया हआय तारन ह, जजसामी उनहोनकभी साकषिातार लीला की की। इस सामीय उस तारन ामी शरीशयाामीा जी की सरतारा नही ह, दकनतार उसकी शोभा ामी डबजान पर ऐसा परतारीतार होतारा ह दक जस साकषिातार शरी शयाामीाजी ही पनः श आय गयी हो।

ासतारदकतारा तारो यह ह दक शरी शयाामीा जी इस जागनीबरहमाणड ामी शरी ामीहाामीधतार जी क धिाामी हय ामी दराजामीान

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह। इस तारारतारामी ााी क इन ककनो स सामीझा जासकतारा ह-

याामी सरतार आयई सयाामीा जी की सार, ामीतार ामीहतारा घर अतारार।

पर. दह. ३७/६६

सनर बाई इन फर, आयए ह साक कारन जी।

भज धिदनऐ आयश य क, अब नयार न होए एक लखन जी।।

पर. दह. २/२

शरी धिनी जी को जोस आयतारामी लदहन, नर हकामी बधि ामील तारन।

ए पाचो दामील भई ामीहाामीतार, कतारबो पोहोची सरतार।।

पर. दह. ३७/१०१

सर सोभा सयाामीाजी करी, दनरखी दनरखी न दनरख जी।

अतारर टालीन एक कया, इ ातारी कह ह हरख जी।।७१।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी इनातारी जी कहतारी ह की शरी शयाामीा जी की ऐसीामीनोहर शोभा को ामी दनरनतारर खतार ही रहना चाहतारी ह।उनकी शोभा ामी डब जान क कारा ामीाया का पार हटगया और ामी उनस एकरप हो गयी , जजसक पररााामीसरप अब ामी हषपलास क अकाह सागर ामी डब गयी ह।

परकरा ।।६।। चौपाई ।।२५५।।

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शरी साकनो जसागार - राग धिना शरी

सनरसाक का शरगार

इस परकरा ामी रास लीला खलन ाली बरहमातयामीाओ कशरगार का ारन दकया गया ह।

जोगामीाया नो ह धिरीन, शरी सयाामीाजी कया तारयार।

तारतारलखा धतारहा तारा ठाामी, ामीार साक कीधिो जसागार।।१।।

बासरी की आयाज सनतार ही बरहमातयामीाओ क साक शरीशयाामीा जी न कालामीाया क बरहमाणड को छोड दया औरबह ामीणडल क अनतारगरतार कल बरहम की आयननयोगाामीाया क बरहमाणड ामी पहची। हा उनहोन योगामीायाका अधतार सनर नरामीयी तारन धिारा दकया और रासलीला क ललए तारयार हो गयी । हा उसी कषिा ामीर दपरयसनरसाक न भी अपना शरगार कर ललया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- अकषिर की बधद क सरप "कल बरहम"आयनन सरप ह। इसललय इनकी आयहादनी शदक कोआयनन योगामीाया का बरहमाणड कह दया गया ह। यहा परामीऔर आयनन की लीला समपादतार होतारी ह, इसललयइसको रस सरप कहतार ह।

इसी परकार, अकषिर क अह क सरप "सतयसरप" ामीसतार, धचद, और आयनन तारीनो ही परधतारदबअसमबतार होतार ह।

अकषिर क धचत सरप को "सबललक बरहम" कहतार ह।इनकी आयहादनी शदक धचद रप ामीाया कहलातारी ह ,इसामी धचतार की परधिानतारा ह।

अकषिर का ामीन रप "अवयाकतार बरहम" ह, जजसकीआयहादनी शदक सप ामीाया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सोभा सागर साक ताराी, सखी काी पर ए रााय।

ह र अबझ काई घा न लह, एनो दनरामीाा कामी करी काय।।२।।

ह साक जी! रास ामी बरहमातयामीाओ की शोभा एक सागर कसामीान ह। भला ामी उसका कस ारन कर सकतारी ह? ामीतारो अलप बधद ाली नाान ह। हा की शोभा को जयााआयतयामीसातार नही कर सकतारी , इसललय सनरसाक कीसमपार शोभा का ारन हो पाना समभ ही नही ह।

भााकर- यददप रास का ारन अकषिरातारीतार क जोश-आयश दारा हो रहा ह, दकनतार शरी इनातारी जी क नाामीस कहलाया जा रहा ह। इतारना होतार हए भी सय कोअबझ (नाान) कहना यही णशकषिा तारा ह दक परामीधिाामी,यगल सरप, तारका बरहमातयामीाओ की शोभा क ारन ामीकभी अहकार की गअसनक का पोषा नही करना चादहय।सतारतारः श शोभा-शरगार का रस तारो उनह ही पराप हो सकतारा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह, जजनहोन शरदा और सामीपरा की भटी ामी सय कोझोक दया होतारा ह। शषक शबजाल क तारीरो का बोझढोन ाल, इस अलौदकक रस स धचतार रह जातार ह।

कोटान कोट जाा सरज उया, बरहमाड न ामीाय झलकार।

परघल पर जाा सायर उलटो, एक रस कई स र नार।।३।।

सलखयो की शोभा को खकर ऐसा लगतारा ह दक जसकरोडो सयर उग आयय ह और उनका तारज इस योगामीायाक बरहमाणड ामी इतारना झलकार कर रहा ह दक ह सामीानही पा रहा ह। सभी सलखयो की शोभा एक सामीान ह।उनकी शोभा को खकर ऐसा लग रहा ह, जस सौनयरका सागर अपनी अननतार लहरो क साक कीडा कर रहाहो।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एक नखताराी जो जोतार तारामी जओ, तारामीा कई न सरज ढपाए।

कामी करी सोभा रा र सलखयो, ामीारो सब न पोहोच तययाह।।४।।

ह साक जी! यद आयप उन सलखयो क एक नख की भीजयोधतार को ख, तारो उसक सामीकषि इस नशर जगतार कअनको सयर फीक पड जातार ह। ऐसी असका ामी उनकीशोभा का ारन ामी कस कर? इस नशर जगतार क शबोामी हा की यकाकर शोभा का ारन करन का साामीरयर हीनही ह।

ली गा जो जो तारामी नखताराा, ह तारहनो तार कह दचार।

सरज दषट तारापज काय, आया अग उपज करार।।५।।

पनः श यद आयप नखो की जयोधतार क गाो क समबनधि ामीख, तारो उनक दषय ामी ामी अपन दचार परकट कर रहीह। सयर को खन पर तारो उसकी उषातारा स कषट होतारा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह, दकनतार सलखयो क नखो क तारज को खन पर आयननआयतारा ह।

साकताराी र साधडयो जयार जोइए, तारामीा रग ीस अपार।

अनक दधिना जरज ीस, कर तार अधतार झलकार।।६।।

यद सलखयो की सादडयो को खा जाय , तारो उनामीअननतार परकार क रग दखाई तार ह। इन सादडयो ामीअनक परकार क जाहरातार जड ह, जो बहतार अधधिकझलकार कर रह ह।

तारा सरप न तारा भखा, तारज ताराा अबार।

ए अजाल जयार जी जए, तययार स कर ससार।।७।।

जस सलखयो का सरप अधतार सनर, दगाातारीतार, एनरामीयी ह, उसी ताररह स उनक आयभषा भी ह। ऐसा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

लगतारा ह, जस अपार तारजोराणश झलकार कर रही ह।इस तारजोामीयी शोभा को यद जी ख तारो यह नशरससार भला उसका कया कर सकतारा ह, अकारतार उसकऊपर ामीाया का कोई भी षपरभा नही पड सकतारा?

ामीाहो ामीाह ालाजीनी ातारो, बीजो धचतारामीा नकी उचार।

तारतारलखा ा साभलतारा लभ, लखा न लागी ार।।�।।

वरज ामी सलखया अषट परहर - चौसठ घडी कल धिाामीधिनी की ही बातार दकया करतारी की । उनक धचत ामी अपनपरााशर को छोडकर और दकसी क बार ामी सोचन -दचारन का सकान ही नही का। इसललय जस ही दपरयतारामीन योगामीाया ामी बासरी बजाई , तारो सलखयो को ससारछोडन ामी एक पल की भी री नही लगी।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीन उामीग ालाजीस रामीा, आययतार अधतार घाी काय।

आयन ामीाह अधतार उजाय, धिराी न लाग पाय।।९।।

अपन दपरयतारामी क साक रास खलन क ललय सलखयो कामीन ामी बहतार अधधिक उामीग और चाहना की। आयनन ामीइतारनी दभोर हो गयी की दक उनक पा धिरतारी पर नही पड रह क।

भााकर- "धिरतारी पर पा न पडना" एक ामीहादरा हजजसका आयशय होतारा ह, अतययधधिक परसननतारा औरआयनन क अधताररक (अधधिकतारा) ामी डब जाना।

भखा सर सोहाामीाा, ामीख ााी तार बोल रसाल।

ए सरन जयार शराा ीज, तययार आयडो न आय पपाल।।१०।।

सलखयो क ामीख स परामी रस स भीन हए अामीतार क सामीानामीधिर चन दनकल रह क, और उनक आयभषाो स भी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीधिर सर फट रह क। यद आयप इन ामीधिर सरो को सनल, तारो आयपक साामीन यह ससार का पार नही रहगा।

भााकर- सलखयो क परामी भर ामीीठ चनो को सनकरहय ामी परामी का परकट होना साभादक ही ह। जजसकहय ामी परामी का रस परादहतार होन लगतारा ह, उसक ऊपरामीाया का कोई भी असतर-शसतर काामी नही करतारा।

साक सकल ामीारा ाला पास आयवयो, ामीन आयाी उलास।

ददधि पर ालाजीस रामीा, धचतारामीा नकी ामीायानो पास।।११।।

सभी सलखया रास खलन क ललय अपन ामीन ामी उामीगलकर ामीर परााशर अकषिरातारीतार क पास आययी । उनक धचतामी ामीाया का कोडा भी अश नही का। तारो ामीा अपनआयराधय क साक अनक परकार स रास खलना चाहतारीकी ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रस भर रग ालाजीस रामीा, उछरग अग न ामीाय।

इ ातारी बाई कह धिाामीना साकन, ह नामीी नामीी लाग पाय।।१२।।

अपन दपरयतारामी क साक परामी और आयनन ामी भरकर रासखलन क ललय सलखयो क अनर इतारना उतयसाह ह दकह उनक हय ामी सामीा नही पा रहा ह। शरी इनातारी जीकहतारी ह दक रास की कीडा करन ाली परामीधिाामी की इनबरहमातयामीाओ क चराो ामी ामी झक -झक कर बार-बारपरााामी कर रही ह।

परकरा ।।७।। चौपाई ।।२६७।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरीराजजीनो जसागार

इस परकरा ामी ामीहारास क अनर शरी राज जी क दाराधिारा दकय गय तारन क शरगार का ारन दकया गया ह।

पहलो जसागार कीधिो ामीार ालजीए, तारहनो तार रा ललस।

पछ सा ालाजी साकनो, तार ामीारी बधि सार कहस।।१।।

कालामीाया स योगामीाया ामी पहचकर शरी राज जी न सबसपहल अपना शरगार दकया। उसका ामी रचामीा ही ारनकर पा रही ह। इसक पशातार शरी राज जी और सनरसाकामी कया बातार हई, उसक दषय ामी ामी अपनी अलप बधद सारन करगी।

भााकर- अकषिरातारीतार शरी राज जी क आयश क कलबरहम (योगामीाया क बरहमाणड) ामी पहचतार ही, उनकी इचछाामीा स पल भर ामी ही उनका समपार शरगार परकट हो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गया। इस चौपाई क परकामी चरा ामी शरी राज जी क दाराशरगार दकय जान का आयशय इस नशर जगतार की ताररहनही सामीझना चादहय दक हा भी सतर और आयभषा यहाकी ताररह पहन जातार ह।

यददप शरी राज जी का शरगार पहल हआय, दकनतार रासगनक ामी शरी शयाामीा जी और सनरसाक का शरगार पहलअतारररतार हआय ह। जबदक सागर और शरगार गनक ामीसबस पहल शरी राज जी का शरगार रातार ह, उसकपशातार शरी शयाामीा जी और सनरसाक का।

सोभा र ामीारा सयाामी ताराी, सखी काी पर रा एह।

सबातारीतार ामीारा ालाजीनी सोभा, ामीारी जजभया आयाी ह।।२।।

ह सनरसाक जी! ामी अपन पराालभ अकषिरातारीतार कीशोभा का ारन कस कर? ामीर दपरयतारामी की शोभा शबो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

स पर ह, जबदक ामीरी जजहवा (ााी) इस नशर शरीर कीह।

भााकर- जजस परकार सागर ामी रहन ाली ामीछली सागरकी अकाह जलराणश का ामीाप नही कर सकतारी , उसीपरकार भल ही समपार ारन शरी राज जी ही कयो नकरा रह हो, दकनतार उस यकाकर रप ामी वयक कर पानका साामीरयर इस नशर शरीर की बधद या ाक इनीय(जजहवा, ााी) ामी नही ह।

चरा ताराा अगठा कोामील, नख हीरा ताराा झलकार।

रग तारो जोई जोई ामीोदहए, पास कोामील आयगललयो सार।।३।।

शरी राज जी क ोनो चराो क अगठ बहतार ही कोामील हऔर नख हीर क सामीान झलकार कर रह ह। नखो क रगको जजतारना ही खतार ह, उतारना ही ामीन ामीगधि होतारा जातारा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह। अगठ क साक लगतारी हई अगललया बहतार ही सनरऔर कोामील ह।

फाा नसो अन काकसा, अधतार रग घा र सोहाए।

जी ककी अलगा न कीज, रालखए चरा धचतार ामीाह।।४।।

ोनो चराो क पजो की नस तारका अगललयो क बीच कीजगह बहतार ही सनर लग रही ह। ह साक जी! इन ोनोचराो की शोभा को अपन हय ामीअसनर ामी बसा लीजजयऔर अपन जी स एक कषिा क ललय भी अलग नही कीजजय।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी यह सशय होतारा ह दकइसक तारीसर चरा ामी शरी राज जी की शोभा को जी कहय ामी बसान क ललय कयो कहा गया ह , आयतयामीा कहय ामी कयो नही ?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हामी यह धयान रखना चादहय दक ताररामीान सामीय ामी शरीराज जी क जजस शरगार का ारन हो रहा ह, उसामी शरीराज जी का आयश नही ह। जब तारक उस तारन ामी शरी राजजी का आयश लीला करतारा रहा, तारब तारक ह उनकासरप का। ताररामीान ामी ह एक नरामीयी तारन का रप भरह, जजस अकषिरातारीतार नही कहा जा सकतारा। अतारीतार ामीधिाामी धिनी न इस शरगार को धिारा दकया का, इसललयइस शरी राज जी का शरगार कहकर रातार दकया जा रहाह। तारारतारामी ााी (सागर, शरगार) ामी परामीधिाामी क यगलसरप की शोभा-शरगार को आयतयामीा क धिाामी हय ामी हीबसान का दन रश दकया गया ह-

ताराक दहर आयतारामी क लीजजए, बीच साक सरप यगल।

सरतार न ीज टटन, फर फर जाइए बल बल।।

सागर ११/४६

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अनतारसकरन आयतारामी क, जब ए रहो सामीाए।

तारब आयतारामी परआयतारामी क, रह न कछ अनतारराए।।

सागर ११/४४

ऐसा आयतार दल हकामी, यो इसक आयतारामी खडी होए।

जब हक सरतार दल ामी चभ, तारब रह जागी खो सोए।।

शरगार ४/१

शरी राज जी क दारा अतारीतार काल ामी धिारा दकय गयशरगार को जी क हय ामी बसान पर लाभ यह होगा दकजी ामी ामीाधियर (अगना) भा का दसतारार होगा तारका धिनीक परधतार दरह -परामी की धद होगी। जजस तारन ामीअकषिरातारीतार का आयश नही होगा , आयतयामीा दकसी भीअससकधतार ामी उस अपना आयराधय नही ामीानगी। इसकापरतययकषि परामीाा यह ह दक रास क सामीय जब ामील सरपन शरी कषा जी क तारन स अपना जोश-आयश खी चा,

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारब तारन तारो ही का लदकन सलखयो को दखायी नही दया।

चरा तारल पामीनी रखा, कर तार अधतार झलकार।

पानी लाक लाल रग सोभ, इ ातारी दनरख करार।।५।।

एडी और लाक का रग लाल रग ामी शोभायामीान हो रहाह। इस अनपामी छद को खकर शरी इनातारी जी कोबहतार अधधिक आयनन हो रहा ह।

भााकर- चराो की एडी तारका पज की तारली ामी जो गहरासकान आयया ह, उसको लाक कहतार ह।

टाकन घटी न काडा कोामील, काबी कडला बाज रसाल।

घघरडी घामी घामी सर पर, ामीाह झाझर ताराो झामीकार।।६।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी राज जी क चराो क टखन, घटी, तारका दपणडललयाबहतार ही कोामील ह। जब शरी राज जी क चलन स घामी-घामी की आयाज आयतारी ह, तारो घघरी और झाझरी स अधतारामीधिर झन-झन की धदन सनायी पडतारी ह।

भााकर- घामी-घामी की आयाज परो क चलन (धिामीक)स ही समभ ह। घघरी स दनकलन ाली धदन बहतार हीपतारली होतारी ह। उसस घामी-घामी की आयाज नही आयसकतारी।

काबी कडला जगतार जधडया, सातार ादन ना नग सार।

लाल पाना हीरा ामीााक नीली, कननामीा ामीोतारी झलकार।।७।।

काबी और कडल ामी सातार परकार क अधतार सनर नगजड हए ह। लाल, पनना, हीरा, ामीाणाक, नीलामी, औरामीोतारी। ामीोतारी क नग शद सार ामी जड हए ह और जगामीगा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रह ह।

झाझररया जडा जगतारना, करकररया सोभतार।

घघरडी करडा जडताररामीा, झलहल हामी करतार।।�।।

झाझरी की बनाट इस परकार आययी ह दक उसामी जडहय नगो क छोट-छोट ान बहतार अधधिक शोभायामीान होरह ह। घघरी ामी सोन क साक ताररह-ताररह क सनर नगजड हय ह, जो अधतार सनर झलकार करतार रहतार ह।

कनक ताराा ाला ामीाह गदठया, दनरामील नाका झलकतार।

झाझररयाामीा जगतार जधडया, भली पर ामीाह भलतार।।९।।

सोन क तारार ामी घघरी गकी हयी ह, जजसक कणड बहतारही सनर झलकार कर रह ह। झाझरी ामी नगो का जडाइस परकार का ह दक पतारा ही नही चलतारा। नग झाझरी ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परी ताररह स ओतार-परोतार स हो गय ह।

भााकर- योगामीाया का यह समपार शरगार चतारन ह। सभीसतर और आयभषा चतारन तारका परकाशामीयी ह। नगो कजड होन की बातार इस नशर जगतार क आयधिार पर कहीगयी ह, तारादक हामीारी ामीानीय बधद ामी ह गाह हो सक।

पीडी ऊपर पायचा, न झीाी करली झलार।

कसररए रग सकनी, इ ातारी दनरख करार।।१०।।

शरी राज जी न कशररया रग की सकनी (चडीारपायजाामीा) धिारा कर रखी ह। उनकी दपणडललयो परसकनी का पायचा आयया ह, जजसकी बारीक चननट बहतारही ामीनोरामी झलकार कर रही ह। इस अनपामी छद कोखकर शरी इनातारी जी का हय आयनन स भर जाताराह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- सकनी का दनचला भाग जो दपणडली परआयतारा ह, पायचा कहलातारा ह। इसी भाग ामी चननट बनायीजातारी ह।

ामीोहोललए ामीोतारी न ली नफ, ल टाकी बह भातार।

नाडी ामीाह न रग ीस, ामीानक जए करी खातार।।११।।

सकनी की ामीोहरी तारका नफ पर ामीोतारी जड हय ह तारकाइन ोनो सकानो पर सनर बलो की भी शोभा आययी ह।नफ की नाडी (डोरी) ामी नौ रग दखायी रह ह, जजनहशरी इनातारी जी (ामीााक) बहतार चाहतार क साक खरही ह।

भााकर- दपणडली क नीच सकनी का दनमनतारामी भाग जोपर को घरकर आयतारा ह, ामीोहरी कहलातारा ह। इसी परकारसकनी का उचचतारामी भाग, जजसक अनर स गजरतारी हयी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नाडी क दारा सकनी को कामीर ामी बाधिा जातारा ह, नफाकहलातारा ह।

सतार सयाामी न सणाए सररए, कखर बन कोर।

नीलो पीलो जाब गलाललयो, ए सोभा अधतार जोर।।१२।।

नाडी (डोरी) क ोनो दकनारो तारक आयय हय स रगइस परकार ह- शतार, काला, गलाबी, जसनररया,आयसामीानी, नीला, पीला, जाामीनी, और गहरा लाल। यहशोभा बहतार अधधिक ामीोहक ह।

पीली पटोली पहरी एक जगतार, ामीाह ददधि पर जडा।

जी तारा जीन जयार जोइए, तययार न ामीकाय लगार।।१३।।

ामीर जी क आयधिार दपरयतारामी अकषिरातारीतार न एक पीलीपटोली भी बहतार अचछी ताररह स धिारा कर रखी ह,

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जजसामी अनक ताररह क नग जड हए ह। यद कोई इसअनपामी शोभा को ख ल, तारो ह एक पल क ललय भीछोडना नही चाहगा।

भााकर- पीली पटोली दबना जसला हआय ऐसा सतर ह,जो पटक स कछ जयाा चौडा होतारा ह। इस कामीर ामीबाधिा जातारा ह और इसस कामीर का अधधिकाश भाग ढकजातारा ह।

कोर ल जडा जगतारनी, ामीधय जडाना फल।

जडा झलहल जोर कर, चीर कादनयानी कोर ामीसतारल।।१४।।

पटोली की दकनार पर अधतार सनर बलो क धच अदकतारह। उनक ामीधय ामी फलो की धचकारी ह , जो अपनीजयोधतार स बहतार अधधिक झलझला रही ह। पटोली कीतारदनयो क कोन पर रशामी क धिागो स फलो क अधतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीनोहर धच बन हए ह।

ामीााक ामीोतारी न नीली चननी, फल ल ामीाह झलकतार।

सोभा ामीारा सयाामीजीनी जोई जोई जोइए, ामीारी तारा र काया ठरतार।।१५।।

पटोली क फलो और लताराओ ामी ामीाणाक , ामीोतारी तारकानीलामी क अधतार छोट-छोट जयोधतारामीरयी टकड झलकारकर रह ह। अपन परााशर की ऐसी अनपामी छद कोबारमबार खकर ामीरा शरीर शीतारल हो जातारा ह।

भााकर- दरह की अदगन ामी शरीर , अनतारः शकरा, तारकाइअसनयो को परजललतार असका ामी शारया जातारा ह। अपनपराा दपरयतारामी का शरन पाकर दरहादगन बझ जातारी ह तारकाउसक जीन ामी जीनायी परामी और आयनन का सचारहोतारा ह। इस ही शरीर, न, तारका अनतारः शकरा आयद काशीतारल होना कहतार ह।

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नीलो न काई पीलो ीस, काा ताराो रग जह।

कााी छडा जडा जगतार, ललस कह ह तारह।।१६।।

पटोली क नीच की दकनार का रग तारोतार क पख क रगजसा सनर दखायी रहा ह। उसकी दकनार क कोनामी अधतार सनर धचकारी आययी ह, जजसका ामी कोडा साारन सनातारी ह।

छड हामी हीरा न पखराज पाना, कोर ामीााक नीली न ामीोतारी।

कााी छडा जजी जगतार, इ ातारी खातार करी जोतारी।।१७।।

सोना, हीरा, पखराज, पनना, ामीाणाक, नीलामी, औरामीोतारी क नग पटोली क दकनार क कोन पर बहतार हीसनर आयकधतारयो ामी जड हए ह , जजनकी अलौदककजयोधतार को शरी इनातारी जी की आयतयामीा बहतार चाहतार कसाक ख रही ह।

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अगनो रग कहो न जाय, जाा तारज ताराो अबार।

पट पास उरकठ दनरखतारा, इ ातारी पाामी करार।।१�।।

शरी राज जी क एक-एक अग की अनपामी शोभा काारन हो पाना समभ नही ह। उनका सरप तारज कीअननतार राणश क सामीान दखायी रहा ह। उनक पट,पसललयो, हय कामील, तारका गल की शोभा को खनपर शरी इनातारी जी क हय को असीामी शाअसनतार दामीलतारीह।

रतारन हीराना ब हार ीस, ीजो हामी ताराो जडा।

चौको हार ामीोतारी दनरामीलनो, कर जजी जगतार झलकार।।१९।।

शरी राज जी क गल ामी स रपरकामी हारो क ो हारदखायी रह ह। तारीसरा हार सार जदडतार ह। इसकपशातार चौका हार अधतार सचछ दखन ाल ामीोधतारयो का

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ह। अलग-अलग परकार की शोभा को धिारा करन ालय चारो हार बहतार ही सनर झलकार कर रह ह।

उताररी जडा सर ब सोभतारी, चनी रातारी नीली जगतार।

दनरखी दनरखी न न ठर, पा कामी न पादामीए तारपतार।।२०।।

इन चारो हारो क नीच नगो स जदडतार ो हारो ाला(उताररीय का) हार सशोणभतार हो रहा ह। इसामी लाल औरनीलामी क बहतार छोट-छोट सनर नग जड हए ह। इनकोबारमबार खन पर न शीतारल तारो हो जातार ह , दकनतारहय ामी खन की तारदप नही हो पातारी अकारतार जी नही भरतारा।

भााकर- सबस नीच होन क कारा इस हार कोउताररीय का हार कहतार ह। नो क शीतारल होन का तारातयपयरशरन स आयनन का दामीलना ह, लदकन उनको खन की

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चाहतार इतारनी परबल होतारी ह दक उनको पल भर भी अपनीआयखो स ओझल करन क ललय हय तारयार नही होतारा।इस ही हय का तारप न हो पाना कहतार ह।

रग सररए पछडी, अन ामीाह कसनी भातार।

छड तारार न कसी कोर, इ ातारी जए करी खातार।।२१।।

शरी राज जी क कनधि पर सनररया रग की दपछौरीआययी हयी ह, जजसामी सोन-चाी क तारारो स ताररह-ताररहकी सनर धचकारी की गयी ह। दपछौरी क ोनो छोरोकी दकनार पर सोन क तारारो स जो सनर धचकारी कीगयी ह, उस शरी इनातारी जी बहतार चाहतार क साक खरही ह।

भााकर- दपछौरी को आयजकल बोलचाल की भाषा ामीअगोछी या गामीछी भी कहतार ह। इसको ोनो कनधिो और

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कामीर क ोनो दहससो स इस परकार लपटा जातारा ह दकपट क सकान पर ोनो भागो का दामीलन होतारा ह औरइसक ोनो छोर पीठ की ताररफ लटक जातार ह। यहधयान रखन योगय दशष ताररय ह दक रास क शरगार ामी,परामीधिाामी क शरगार की ताररह, कही भी बाग का ारन नही आयया ह। दपछौरी तारका पटोली स ही कामीर स लकर गलतारक क भाग को ढका जातारा ह। सोन-चाी क तारारो सफलो और बलो क जो धच बनाय जातार ह , उनहनकशकारी, कसीाकारी, या बल-बट बनाना कहतार ह।

अग ऊपर आयाी बन चौकडी, छडा बन पास लटकतार।

नल ख लीधिो एक भातारनो, जोई जोईन जी अटकतार।।२२।।

शरी राज जी न दपछौरी को कनधि क ऊपर इस परकार सओ रखा ह, जजसस आयग-पीछ चौकडी बन जातारी ह।

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इसक ोनो दकनार ोनो ओर लटक रह होतार ह। दपरयतारामीन रासलीला करन क ललय दधच परकार का एक नयाही भष धिारा दकया ह, जजसकी शोभा को खकर ामीरजी की ददषट बार-बार अटक जातारी ह।

भााकर- आयतयामीा अकषिरातारीतार की जजस शोभा को खकरआयनअसनतार हो रही होतारी ह, आयणशक रप स जी भीउसामी सहभागी बना होतारा ह। आयतयामीा जजस शोभा कोखन ामी डब जातारी ह, जी को हा ऐसा लगतारा ह दकयह शोभा तारो अननतार ह, इसको कस आयतयामीसातार कर?इस ही जी की ददषट का अटकना कहतार ह।

कोामील कर एक जई र जगतारना, जो ली जोइए रग।

झलकतार नख अगठा आयगललयो, पोहोचा कलाई पतारग।।२३।।

यद शरी राज जी क हाको की कोामीलतारा और उसक रग

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

की सनरतारा क बार ामी ख , तारो एक परकार कीअलौदकक छद दखायी तारी ह। अगललयो तारका अगठोक नाखन झलकार कर रह ह। उनकी कलाई तारका पजलाललामीा स भरपर अधतार ामीनोहर दखायी रह ह।

भााकर- हकली की दपरीतार दशा ामी कलाई क आयगका भाग पहचा या पजा कहलातारा ह।

झीाी रखा हकली आयगललए, सातार ीटी सोभतार।

ा ीटी ऊपर नग ीस, अधतार घा तार झलकतार।।२४।।

उनकी ोनो हकललयो तारका अगललयो ामी आययी हईरखाए बहतार ही पतारली ह। अगललयो ामी सातार अगदठयासशोणभतार हो रही ह। तारीन अगदठयो क ऊपर नग जड ह,जो बहतार अधधिक जगामीगा रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अगदठए लाल चननी नी जडतारर, ब ीटी हीरा रतारन।

एक ीटी न नील पान, बीजा ाकडा ललया कचन।।२५।।

ोनो अगठ की अगदठयो ामी लाल रग क बहतार छोट -छोट टकड जड हए शोभायामीान हो रह ह। ो अगदठयाहीर क नगो की ह। एक अगठी नीलामी और पनना क नगकी ह, तारो सरी अगठी सोन क तारारो स बल की आयकधतारामी आययी ह।

भााकर- उपरोक दचना स सपषट होतारा ह दक हाको कोनो अगठो ामी ो अगदठया आययी ह। शष अगललयो ामीसातार ामीदकाओ (ीटी) की शोभा ह। तारीन नगो की, ोहीरो की, एक नीलामी और पनना क नगो की, तारका एकसोन क तारारो की। इस परकार कल नौ अगदठया आययी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कोामील काड कडली सोभ, नीली जधडतार अधतार सार।

कडली पास पोहोची घाी ऊची, कर तार अधतार झलकार।।२६।।

कोामील कलाइयो ामी नीलामी स जडी हई बहतार सनरकडली (धिातार की चडी) सशोणभतार हो रही ह। कडली कपास ही अधतार ामीनोहर पहची भी आययी ह , जो बहतारअधधिक झलझलाहट कर रही ह।

ामीधय ामीााक न फरतारा ामीोतारी, पाच ताराो नीलास।

दकरा जयार उठतारा जोइए, तययार जोतार न ामीाय आयकास।।२७।।

पहची क ामीधय ामी ामीाणाक का नग आयया ह। उसक चारोओर ामीोतारी तारका आयसामीानी रग की नीललामीा ललय हए पाचक नग आयय ह। इनस उठतारी हई दकराो को खन सऐसा लगतारा ह दक इनकी जयोधतार इतारनी अधधिक ह दकआयकाश ामी भी सामीा नही सकतारी , अकारतार चारो ओर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जयोधतार ही जयोधतार दखायी पडतारी ह।

भााकर- आयकाश का रग नीला होतारा ह तारका पाच कारग आयकाश क सामीान होतारा ह। इसललय उपरोक चौपाईामी नीला शब का परयोग दकया गया ह।

कोामील कोाी चन अग चरधचतार, ामीणा जधडतार बाजबधि।

कचन कसी फामीक बह लटक, स कह सोभा सनधि।।२�।।

चनन स सशोणभतार हाको की कोहनी बहतार ही कोामीलह। ोनो बाजबनधि ामीणायो स जदडतार ह। ोनो बाजबनधिोामी बहतार सनर फमामीक लटक रह ह, जजनक ऊपर सोनक तारारो स बहतार सनर धचकारी की गयी ह। इसअददतारीय शोभा का ारन ामी कस कर?

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जोइए ामीखारप गाल बन गामीा, तारज कहो न जाय।

अधिलखा जो अलगा रदहए, तययार धचतारडा उपापला काय।।२९।।

ह साक जी! जरा शरी राज जी क ामीखारदन क ोनोगालो की शोभा को तारो लखय। उनक अलौदकक तारज काारन हो पाना समभ नही ह। यद आयप आयधि कषिा कललय भी इस शोभा स अलग हो जाय, तारो धचत वयाकलहो जातारा ह।

हरटी सोह हसतार ामीख ीस, ली जोइए अधिरनो रग।

तार जाा ाधडामीनी कललयो, अधिर परालीनो भग।।३०।।

परााशर अकषिरातारीतार क हसतार हय ामीख ामी ठडी बहतार हीसनर दखायी रही ह। पनः श होठो की सनरतारा कोलखए। ोनो होठ पराल की लाललामीा को भी ललजतार कररह ह। ातार तारो ऐस लग रह ह, जस अनार क ानो की

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भी शोभा को ामीातार कर रह हो।

ामीख ऊपर ामीोतारी दनरामील लटक, बसर ऊपर लाल।

कान करा फल ज सोभा धिर, तार तारा झलक ामीाह गाल।।३१।।

ामीख क ऊपर नाजसका ामी बसर की शोभा आययी ह ,जजसामी अधतार सचछ ामीोतारी लटक रहा ह। ह शरी राज जीक होठो की लाललामीा स लाल रग का दखायी रहा ह।कानो ामी आयय हए कारफल बहतार ही सनर लग रह ह।गालो क ऊपर इनकी झलकार परतययकषि दखायी रही ह।

कराफल छ अधतार घा ऊचा, रातारी नीली चननी सार।

दनरखी दनरखी जी दनरातार, ामीाह ामीोतारीडा कर झलकार।।३२।।

ोनो कानो क कारफलो की छद बहतार अधधिक ह। इनामीलाल और नील रग क जाहरातारो क छोट-छोट जड हए

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

टकडो की शोभा आययी ह। इनक ामीधय जडा हआय ामीोतारीजझलदामीला रहा ह। इस अलौदकक छद को खकर जीआयनन ामी डब जातारा ह।

खीटलडी ालाजी करी, जी कर र जोयानी खातार।

ामीााक ामीोतारी हीरा पखराज, कन ामीाह जधडया भातार।।३३।।

धिाामी धिनी क कानो ामी कारफल क ऊपर खटी की शोभाददषटगोचर हो रही ह। ामीर जी ामी उस खन की बहतारअधधिक चाह की। लखटलडी ामी ामीाणाक , ामीोतारी, हीरा,तारका पखराज क नग सोन ामी जड हए शोभायामीान हो रहह।

आयखडली अणायाली सोभ, ामीधय रखा छ लाल।

दनरखतार ना कोडाामीाा, जीन तारााी गह तारतयकाल।।३४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी राज जी क तारीख न बहतार ही सनर लग रह ह।नो क ामीधय लाल रखा दखायी पड रही ह। आयनन कीषार करन ाल ऐस नो को खकर जी तारतयकषिा धिनीक चराो ामी तखच जातारा ह।

ामीीठी पापा चल एक भातार, तारार तारज अपार।

बहगामीा भकटीनी सोभा, इ ातारी दनरख करार।।३५।।

जब शरी राज जी परामी की ामीाधियरतारा स भर हए नो कीपलको को दधच परकार स चलातार ह (सकतार करतार ह),तारो उनक नो ामी ददामीान तारारो का अपार तारज दखायीपडतारा ह। उनकी ोनो भौहो की अलौदकक छद कोखकर शरी इनातारी जी को अकाह आयनन होतारा ह।

षटवय- इस चौपाई क सर चरा ामी "तारारो" कातारातयपयर आयकाश क तारार नही , बअसलक न की पतारली ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अससकतार तारार स ह।

दनलट सोभ धतारलक नी रखा, नीली पीली गलाल।

बहगामीा सनर न सोभ, रखा ामीधय पबका लाल।।३६।।

ामीाक (ललाट) पर आययी हई नील, पील, तारका लालरग की धतारलक की रखाए बहतार ही सनर लग रही ह।धतारलक की ोनो रखाओ क बीच ामी लाल रग की दबनीअतययधधिक शोभायामीान हो रही ह।

ामीसतारक ामीकट सोहाामीाो, काई ए सोभा अधतार जोर।

लाल सतार न नीली पीली, ोरी सोणभतार चार कोर।।३७।।

ामीसतारक पर अधतार सनर ामीकट ददामीान ह , जजसकीअपार शोभा आययी हयी ह। इसक चारो दकनारो ामी लाल,शतार, नील, तारका पील रग की जाहरातारो की बनी हई

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

डोररया सशोणभतार हो रही ह।

ए ऊपर जााा नी सोभा, एह जगतार अभतार।

तार ऊपर ली फलोनी जडतारर, तारना कामी करी रा रप।।३�।।

इनक ऊपर जौ क ानो की आयकधतार ामी बहतार हीअभतार शोभा आययी ह। इनक ऊपर अधतार सनर फलोकी धचकारी ह, जजसक अनपामी रप का ारन ामी कसकर?

बीजा अनक दधिना फल ोरी बधि, कर जजी जगतार झलकार।

ामीााक ामीोतारी हीरा पखराज, दपरोजा पाना पाचो सार।।३९।।

इन फलो क अधतारररक भी अनक परकार क फलो कीअलग-अलग पदकयो की बनाट आययी ह, जो अलग-अलग रपो ामी झलकार करतारी ह। फलो की य पदकया

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीाणाक, ामीोतारी, हीरा, पखराज, दपरोजा, और पनना कइन पाच रगो की शोभा ामी आययी ह।

भााकर- दपरोजा हलक नील रग का होतारा ह और पननाआयसामीानी रग का होतारा ह। इसललय ोनो रगो को एक हीरग ामी रातार कर दया गया ह, अकारतार छः श जाहरातार कपाच नग हए। यददप हीरा और ामीोतारी का रग भी शतार हीहोतारा ह, दकनतार ामीोतारी क रग ामी कोडा सा पीलापन होताराह। इसललय इनह अलग - अलग रगो ाला ामीाना गयाह।

लाल लसणाया नीली गोामीादक, साढ सोल कचन।

फल पाखधडयो ामीणा जरनी, ामीधय जडया छ रतारन।।४०।।

ामीकट ामी लाल, लहसदनया, नीली, और गोामी आयदक नग सोन को सा सोलह बार तारपाकर शद दकए

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कञन ामी जड हए ह। ामीकट क ऊपर बनी हई फलो कीपखदडया ामीणायो और जरो की ह, जजनामी रतयन जड हएह।

ामीकट ऊपर ऊभी जरोनी हारो, तारामीा रग ीस अपार।

अनक दधिनी दकराज उठ, तार तारा बरहमाड न ामीाय झलकार।।४१।।

ामीकट क ऊपर जाहरातारो की खडी हार आययी ह।उनामी अननतार परकार क रग दखायी तार ह। उनजाहरातारो स अनको परकार की इस ताररह स दकरा उठरही ह दक उनकी झलझलाहट रास क बरहमाणड ामी सामीानही पा रही ह।

चार हारना चार फामीक, तारहना जजी जगतारना रग।

लाखी ललबोई न सयाामी सतार, सनर न ए सोभतार।।४२।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी राज जी क गल ामी आयय हए चार हारो ामी चारफमामीक लटक रह ह। उनामी परतययक फमामीक ामी अलग -अलग परकार क नग आयय ह। चारो हारो क कामीशः श लाल,पील (नी ब की ताररह), काल, और शतार रग क फमामीकआयय ह, जो बहतार ही सनर शोभा को धिारा दकय हएह।

ा गकी एक नल भातारनी, गोफाड ददधि जडा।

फरतारी फरतारी घघरडी, न बोलतारी रसाल।।४३।।

दपरयतारामी अकषिरातारीतार क बालो की चोटी नए ही ताररीक सगकी हयी ह। चोटी क फन ामी अनक परकार कजाहरातार जड हए ह। फन ामी घरकर घघरी आययी ह,जो बहतार ही ामीधिर धदन करतारी ह।

भााकर- ाी क नीच लटक हए फल को गोफाड

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कहतार ह।

गोफाड फामीक ज ीस, तारनो लाल कसी रग।

जडा ामीाह ामीााक न ामीोतारी, पाना पखराज नग।।४४।।

गोफाड (फन) ामी जो फमामीक दखायी रह ह ,उनका रग गहरा लाल आयया ह। उनामी (फमामीक ामी)ामीाणाक, ामीोतारी, पनना, और पखराज क नग बहतार सनरताररीक स जड हए ह।

ासा ऊपर ा लहकतारी, सोभा तार राी न जाए।

खसबोय ामीाह रग भीनो, बीडी तारबोल ामीख ामीाह।।४५।।

शरी राज जी की पीठ पर उनक बालो की चोटी इसपरकार लहरा रही ह दक उसकी शोभा का ारन हो पानासमभ नही ह। उनक ामीख ामी पानो का बीडा ह, जजसकी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयननामीयी सगअसनधि चारो ओर फली हयी ह।

नल ख लयावया एक भातारनो, कसबदटए ासली लाल।

अधिर धिरीन जयार ा बजाड, तययार धचतारडा हर तारतयकाल।।४६।।

धिाामी धिनी न एक नए ही परकार का (नटर) भष धिारादकया ह। उनकी कामीर ामी लाल बासरी सशोणभतार हो रहीह। जब बासरी को अपन होठो स लगाकर बजातार ह,तारो तारतयकषिा ही उसक ामीोहक सगीतार स सबका धचत हरलतार ह।

ा ताराी दगतार कह तारामीन, कोर कागरी जडा।

ामीोहोड नीला ामीधय लाल, छड आयसामीानी रग सोहाय।।४७।।

अब ामी आयपस बासरी की शोभा का ारन करतारी ह।इसकी दकनार पर कागरी की सनर शोभा ददषटगोचर हो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रही ह। बासरी क ामीख पर नीला, ामीधय ामी लाल, औरदकनार पर आयसामीानी रग शोभा रहा ह।

सतारर रावया सब ामीाह सलखयो, ली राी भखानी भातार।

रसामी हामी कहा ामी जरना, पा ए छ सक कोय धिातार।।४�।।

ह साकजी! ामीन रास क यगल सरप क सतरो औरआयभषाो का ारन यहा क शबो क आयधिार पर दकयाह। रशामीी सतरो, सार, आयद धिातारओ तारका अनको परकारक जाहरातारो का भी ारन दकया ह, दकनतार योगामीाया कायह शरगार कछ दशष ही तारत का ह।

भााकर- बह ामीणडल अकषिर क हय का सरप ह।इस परकार अवयाकतार स लकर सतयसरप तारक सारायोगामीाया का बरहमाणड दगाातारीतार, चतारनय, अखणड, तारकापरकाशामीयी ह। ामीानीय बधद क ललय गाह बनान हतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इस नशर जगतार क धिातारओ, जाहरातारो, आयद स कलउपामीा ी गयी ह, दकनतार यह उपामीा ासतारदक नही ह।हा क एक-एक पत ामी करोडो सय की आयभा ह। ऐसीअसका ामी हा की ासतारदक शोभा का ारन कस होसकतारा ह? इस समबनधि ामी कलश दहनसतारानी का यहककन खन योगय ह-

हामी जर क बन कह, तारो सब झठी सतार।

सोभा जो अदनास की, कही न जाए ामीख हसतार।।

बरनन कर एक पातार की, सो भी इन जबा कही न जाए।

कोट सजस जो सर कह, तारो एक पातार तारल ढपाए।।

कलस दहनसतारानी २०/१९,२०

सज कया जसागार करीन, रास रामीान ामीन ामीाह।

साक सकल ामीारा दपउ पास आयवयो, इ ातारी लाग पाए।।४९।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 353353 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अपन ामीन ामी परााशर क साक रास रामीा करन कीइचछा लकर, सब सनरसाक न अपना नख स णशखतारक शरगार दकया और ामीर धिाामी धिनी क पास आयय। रासका आयनन न ाल अपन ऐस परााशर अकषिरातारीतार कचराो ामी ामी इनातारी परााामी करतारी ह।

ई परलखाा अधतार घाी, साक कीधिा डतार परााामी।

ह करस राामीतार रग ताराी, अन भाजस हडानी हाामी।।५०।।

परामी की अधतार गहन दनषा क साक सब सनरसाक न शरीराज जी की परधकषिाा की और उनक चराो ामी णडतारपरााामी दकया। सबक ामीन ामी यह बातार बठ गयी दक अबहामी अपन दपरयतारामी क साक रास की आयननामीयी राामीतारकरग और अपन हय की परामी की चाहतार परी करग, जोबान (५२) दनो क दयोग क कारा अब तारक नही हो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पायी की।

भााकर- उपरोक ोनो चौपाइयो ४९,५० ामी धिाामी धिनीक चराो ामी णडतार परााामी करन का जो परसग दया ह,यह परदकया कालामीाया क बरहमाणड ामी ही होतारी ह ,योगामीाया क बरहमाणड ामी नही । णडतार परााामी की परदकयाास भदक ामी होतारी ह। परामी क आयगन ामी ासतय का कोईसकान नही होतारा। सतारतारः श णडतार परााामी का आयशयअपन आयराधय क परधतार अपन अह को पारतारया सामीापकर ना होतारा ह।

पराा सदहतारा १६/३०,३९ ामी यह रातार ह दक जबपञ (बरहमा, दषा, णश, ईशर, और साणश)योगामीाया क अखणड वरजामीणडल ामी शरी कषा जी कोपरााामी करतार ह, तारो लीला ताररनतार ही अदशय हो जातारी ह।इसका ामील कारा यही ह दक परामी की भदामीका ामी ास

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भदक क दारा एक कामी भी नही चला जा सकतारा।यददप पररकामीा गनक ामी अषट परहर की लीला ामी भी "आयएआयए क चरनो लाग" अशय कहा गया ह, दकनतार यहयहा क भाो क आयधिार पर कहा गया ह। परामीधिाामी औरयोगामीाया की लीला की यकाकरतारा यही ह दक हा चराोामी णडतार परााामी की लीला नही होतारी।

परकरा ।।�।। चौपाई ।।३१७।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उकला (उलाहना) - राग ामीाडो

इस परकरा ामी यह बातार शारयी गयी ह दक सलखयो करासामीणडल ामी पहचन पर शरी राज जी न घर छोडकरआयन क कारा दकस परकार उलाहना दया और सलखयोन उसक परतययतर ामी कया कहा?

ालयो ााी एामी उचरजी, कह साभलजो सह साक।

पधतारवरतारा सतरी ज होय, तार तारो न ामीक घर रातार।।

र सलखयो साभलो।।१।।

शरी राज जी क ामीख स इस परकार क शब दनकलतार ह-ह सलखयो! तारामी सभी ामीरी कही हई बातारो को सनो। जोपधतारवरतारा सतरी होतारी ह, ह दकसी भी अससकधतार ामी राद ामीघर स बाहर नही दनकलतारी।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारामी साक सकल ामीली साभलो, ह चन कह दनरधिार जी।

तारामी ा ामीारो शरा सणयो, घर ामीकया ऊभा बार जी।।२।।

तारामी सभी सलखया दामीलकर ामीरी बातार सनो। ामी बहतार हीउतामी बातार कह रहा ह। तारामीन ामीरी बासरी की धदन कोअपन कानो स सना और उस सनतार ही तारतार कषिा खड-खड अपन घर-दार को कयो छोड दया?

भााकर- उपरोक ोनो चौपाइयो ामी शरी राज जी परामीभरी वयगयामीयी भाषा ामी सलखयो स कह रह ह दक ामीझजस पर-परष क ललय अपन पधतार और घर-दार कोछोडन की कया आयशयकतारा की? इस समबनधि ामीशरीामीीागतार १०/२९/१� का यह ककन बहतार उधचतारलगतारा ह-

"सागतार ो ामीहाभागाः श दपरय पक कराणा ः श।वरजसयानाामीय कधशद बरतारागामीनकाराामी।।"

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अकारतार ामीहाभागयतारी गोदपयो! तारमहारा सागतार ह।बतारलाओ, तारमह परसनन करन क ललय ामी कौन सा काामीकर? वरज ामी तारो सब कशल-ामीगल ह न? कहो, इससामीय यहा आयन की कया आयशयकतारा पड गयी?

कसल छ काई जामीा जी, कामी आयदयो आयाी र जी।

उताराललयो उजाणायो जी, काई ामीकया कारज घर जी।।३।।

वरज ामी सब कछ कशल-ामीगल तारो ह। अचानक ही इससामीय कयो आययी हो? अपन-अपन घर स दकस काराइतारन उतारालपन ामी ौडतारी हई आययी हो?

दकह र पररयाा तारामी दनसरया, काई जोा ान।

जोय न रललयाामीा, काई तारामी कया परसन।।४।।

कया दचार करक तारामी घर स दनकली हो? कया तारमहपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 359359 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नान खन की इचछा ह? कया अधतार सनर नानको खकर तारामी परसनन हो गयी हो?

ह पर र पधिारो आयपा जी, काई रजनी तार रप अधिार।

दनसाचारी जी बोलस जी, तययार कास भयकार।।५।।

अब तारामी अपन दनास सकान ामी लौट जाओ, कयोदकइस सामीय भयकर अनधिकार ाली राद का सामीय चलरहा ह। राद क सामीय जब पहसक जी कठोर सरो ामीबोलन लगग, तारो तारामी डर जाओगी।

दनसाए नारी ज दनसर जी, काई कलतारी तार न कहाय।

नातार परनातार ज साभल जी, काई चहरो तारामीा काय।।६।।

राद क सामीय जो सतरी घर को छोडकर बाहर दनकलजातारी ह, उस कलीन सतरी नही कहा जा सकतारा। तारमहार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सग-समबनधिी जो भी इस बातार को सनग, तारो उनक बीचामी अशय तारमहारी दनना होगी।

सलखयो तारामी तारो काई न दामीाजसय जी, एडी कर कोई ातार।

अाजाा उठी आयदय जी, काई सकल ामीलीन साक।।७।।

ह सलखयो! तारामीन तारो जरा भी दचार नही दकया। दबनासोच-दचार तारामी सभी दामीलकर अचानक ही यहा आयगयी ? कया कोई भी इस ताररह की नाानी करतारा ह, जोतारामीन की ह?

ससरो सास ामीातार तारातारनी जी, काई तारामी लोपी छ लाज।

तारामी सरामी न आयाी कहनी, तारामी ए स कीधि आयज।।�।।

सास-ससर, ामीातारा-दपतारा की गररामीा को तारामीन पारतारयाधसतार कर दया ह। तारामीन आयज यह कया कर दया?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारामीन तारो दकसी क भी कहन की लाज नही रखी।

भााकर- उपरोक चौपाई क तारीसर चरा ामी "कहन"(ामीना करन की लाज न रखन) का आयशय यह ह दकजब सलखया घरो स दनकल रही की , तारो उनक सास-ससर और ामीातारा-दपतारा न उनह ामीना दकया का दक ामीतारजाओ। लदकन सलखया सार बनधिनो को तारोडकर आयगयी । उपरोक ककन ामी यही बातार वयगयातयामीक ददषट सकही जा रही ह दक सभी समामीाननीय समबअसनधियो कीअहलना करक ामीर पास कयो आययी हो?

तारामी पधतार तारो तारामीारा ऊभा ामीदकया जी, काई रोतारा ामीकया बाल।

ए चन साीन दनतारा टलली, काई भोामी पधडयो तारतयकाल।।९।।

तारामीन तारो अपन पधतार को खड-खड ही छोड दया। रोतारहए बालको की जरा भी धचनतारा नही की और उनह छोड

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दया। शरी राज जी क ऐस चनो को सनकर सलखयातारडपन लगी और कछ बसधि होकर उसी सामीय धिरतारीपर दगरन लगी ।

भााकर- "खड-खड छोड ना" एक ामीहादरा ह,जजसका अकर होतारा ह, पारतारया दनरकरक सामीझकर दकसीका पररतययाग कर ना। बासरी की आयाज सनन कपशातार सलखयो क एकामीा लकय शरी राज जी ही क। उससामीय उनह सासाररक समबअसनधियो क परधतार जरा भी ामीोहनही रह गया का। यही कारा ह दक उनहोन अनायास हीसबका पररतययाग कर दया। इसी को खड-खड छोडना कहा ह।

तारामीा कटलीक सलखयो ऊभी रदहयो, काई करीन ामीन।

बाई ाक हस जो आयपाो जी, तारो ालोजी कह छ चन।।१०।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उनामी स कछ सलखया ही अपन ामीन को द करक खडीरह पायी । कहन लगी - ह सखी! हामीस कछ भल हईह, तारभी धिाामी धिनी हामीस इस परकार की बातार कर रह ह।

चन ाल साामीा ताराामीजसयो, राजजसयो फडकला खाय।

सातारजसए बोलाए नही , तार तारा पधडयो भोामी ामीरछाय।।११।।

ताराामीसी सलखया दपरयतारामी क चनो का उतर रही ह।राजसी सलखया तारडप रही ह। साअसतयकी सलखया ामीरचछतारहोकर पडी हई ह, इसललय बोल नही पा रही ह।

एा सामी ामीही सखी ऊभी रही, कह साभलो धिाी ना चन।

सलखयो कलाहल तारामी का करो जी, काई ऊभा रहो ढ करी ामीन।।१२।।

इस सामीय ामीान ाली इनातारी सखी ही खडी रही। हअनय सलखयो स कहन लगी दक तारामी इतारना कोलाहल

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कयो कर रही हो? जरा दपरयतारामी क चनो को तारो सनोदक कया कह रह ह? अपन ामीन को द करक खडीतारो रहो।

सलखयो भला छ घा आयपा जी, अन ली कीज साामीा रन।

कलहो करो भोामी पडो जी, का दलखाओ न।।१३।।

सलखयो! हामीन कही न कही बहतार अधधिक भल की ह।पनः श दपरयतारामी क साामीन कयो रो रही हो? उनस दाभी करतारी हो और धिरतारी पर ामीरचछतार होकर अपन शरीरको ः शखी कयो करतारी हो?

दपउजी पधिारया परभातारामीा, आयपा आयवया छ अतययार।

तार पा तारडीन ाल कादढया, नही तारो दनसरतारा नही कयार।।१४।।

दपरयतारामी गाय चरान क ललय परातारः शकाल दनकल क,परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 365365 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जबदक हामी सब तारो अभी इस सामीय आययी ह। उसामी भीदपरयतारामी न बासरी बजाकर हामी वरज स बलाया ह ,अनयका हामी दकसी भी ताररह स घर स दनकल नही सकतारी की ।

भााकर- इस चौपाई का ककन इस सनभर ामी कहा गयाह दक जब बासरी बज रही की, तारो उस सामीय सलखयोको ऐसा परतारीतार हआय जस बासरी क सरो ामी धिाामी धिनीएक-एक सखी का नाामी लकर बला रह हो।

पाछल आयपा कामी रह, जो होय काई ालपा।

कामी न खीज ालयो, जयार सा भलया आयपा।।१५।।

यद हामीार अनर अपन परााशर क परधतार पार परामी होतारा,तारो हामी उनक परधतार परामी और सामीपरा ामी इस ताररह स पीछकयो रहतारी ? जब हामीस उनक परधतार परामी-सा ामी चक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हयी ह, तारो ऐसी असका ामी हामीस नाराज कयो न हो?

भााकर- चौपाई क उपरोक ककन ामी शरी इनातारी जीको ५२ दन प र की ह घटना या आय रही ह , जबधिाामी धिनी क दारा नान ामी चलन क ललय कहन परसबन पारराररक सामीसयाओ का ासतारा कर ामीना करदया का।

ालाजी कह होय तार कहजो, काई अामीन दनसक।

अामी तारामी आयगल ऊभा छ, काई रख आयाो ओसक।।१६।।

शरी इनातारी जी धिाामी धिनी स कहतारी ह दक ामीरपरााशर! आयपको जो कछ कहना हो, आयप दनः शसकोचकदहय। ामी आयपक साामीन ही खडी ह। आयप ामीर परधतारदकसी ताररह की आयशका न रख।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सलखयो तारामी ामीाट ह एामी कह, काई तारामीारा जतारन।

रख कोई तारामीन ाक कह, तययार ः शख धिरसो तारामी ामीन।।१७।।

शरी राज जी कहतार ह दक ह सलखयो ! इसललए तारमहारीभलाई को धयान ामी रखकर ही ामी इस ताररह की बातार कहरहा ह, जजसस तारमह कोई अधिामी (दामीरयाचारी) न कह,कयोदक इसस तारमहारा ामीन ः शखी होगा।

सलखयो तारामी जामी घर ऊभा ामीदकया, तारामी ामीाास न ामीक कोय।

एामी वयाकल कई कोई न दनसर, जो दगनान रामीा होय।।१�।।

ह सलखयो! तारामीन जजस ताररह स इतारनी सरलतारा स घरको छोड दया, कोई भी दकान वयदक इतारनी सरलतारास नही छोडगा। जजसक हय ामी ञान होतारा ह, ह कभीभी तारमहारी ताररह वयाकल होकर इस ताररह स घर को नही छोड सकतारा।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सलखयो तारामी पाछा लो, अधिलखा ामी लाो ार।

ामीनड तारामीार या नही , घर टलल छ बाल।।१९।।

ह सलखयो! अब आयधि कषिा की भी र दकय दबना तारामीघर ापस लौट जाओ। ऐसा लगतारा ह दक तारमहार ामीन ामीया ह ही नही । घर पर तारमहार बचच रो रह ह, उनकोछोडकर तारामी कस चली आययी हो?

ए धिरामी नही नारी ताराोजी, ह कह छ ार ार।

ह घरड तारामीार जसधिादए जी, घर ाटडी जए भरतारार।।२०।।

ामी बार-बार यह कह रहा ह दक यह सचची नारी का धिामीरनही ह। अब तारमह अपन घर लौट जाना चादहए। घर परतारमहार पधतार तारमहारी बाट ख रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ालया हजी तारामीार कह छ, क तारामी कहीन रहा एह।

तार स र अामी साभलय जी, तारामी कह जगतार जह।।२१।।

शरी इनातारी जी कहतार ह दक ह धिनी ! अभी आयपकोकछ कहना ह या आयपन अपनी सारी बातार कह ली।आयपन जो कछ भी परचन दया ह, उस हामीन अचछीताररह स सन ललया ह।

सलखयो हजी ामीार कह छ, तारामी शराा जो धचतार।

ामीरजाा कामी ामीदकए, आयपा चाललए कामी अदनतार।।२२।।

शरी राज जी उतर तार ह दक ह सलखयो ! अभी ामीझबहतार कछ कहना ह, तारामी धयानप रक उस सनो। दकसीको भी धिामीर की ामीयारा नही छोडनी चादहए और हामीदकसी भी अससकधतार ामी अधिामीर की राह नही अपनानी चादहए।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह ली कह तार साभलो, काई ामीोट एक दषटातार।

पराा ज कह, काई तारहन तार कह तारातार।।२३।।

अब ामी पनः श तारमह एक बहतार अचछा दषटानतार कर कहरहा ह, उस सनो। -परााो ामी जो कछ कहा ह , ामीउसक आयशय (अणभपराय) क अनसार यह बातार कह रहाह।

भरोगी होय जनामीनो, जो एहो होय भरतारार।

तारोह तारन न ामीको, जो होय कलतारी नार।।२४।।

यद अपना पधतार जनामी स ही रोग -गसतार हो, तारो जोकलीन नारी होतारी ह, ह उस इस असका ामी भी नही छोडतारी।

भााकर- कलीन नारी का तारातयपयर यह ह दक उचच कलऔर उचच ससकार ामी पली -बी नारी। शरी राज जी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

वयगयातयामीक भाषा ामी यह बातार शार रह ह दक तारमह अपनपधतारयो को छोडकर ामीर पास नही आयना चादहए का ,कयोदक तारामी कलीन नारी हो। परोकषि रप स धिाामी धिनीउनह उस बातार की या दला रह ह , जो उनहोन ५२दन पहल कही की दक हामी कलीन नारी ह। भला हामीअपन पधतारयो और घरो को छोडकर आयपक साकनान कस चल सकतारी ह?

जो पधतार होय आयधिलो, अन ली जड होय अपार।

तारोह तारन न ामीको, जो होय कलतारी नार।।२५।।

यद पधतार अनधिा हो और अधतार ामीखर हो , तारो भी कलीननारी का यह कतरवय होतारा ह दक उसका पररतययाग नकर।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जो पधतार होय कोदढयो, अन कलहो कर अपार।

तारोह तारन न ामीको, जो होय कलतारी नार।।२६।।

यद पधतार कोी हो और दन-रातार दा (झगडा) हीकरतारा रह, तारो भी जो सतरी कलीन होतारी ह, ह अपनपधतार का पररतययाग नही करतारी।

जो पधतार होय अभादगयो, अन जनामी लली अपार।

तारोह तारन न ामीको, जो होय कलतारी नार।।२७।।

यद पधतार भागयहीन हो और जनामी स ही अधतार रर(कगाल) हो, तारो भी कलीन नारी इस असका ामी भीउसका पररतययाग नही कर सकतारी।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जो पधतार होय पागलो, बीजा अगा होय अपार।

तारोह तारन न ामीको, जो होय कलतारी नार।।२�।।

यद पधतार लगडा हो तारका उसामी अननतार परकार कअगा भी भर हो, दफर भी एक कलीन सतरी का कताररवयह दक ह अपन पधतार स समबनधि न तारोड।

खोड होय भरतारारामीा, अन ामीरख होय अजाा।

तारोह तारन न ामीको, एामी कह छ पराा।।२९।।

यद पधतार परषतयहीन हो , तारका अञानी ए अधतारामीखरहो, तारो भी कलीन सतरी को उसका पररतययाग नही करनाचादहए। ऐसा -परााो अकारतार धिामीरगनको ामी कहा गयाह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तार ामीाट ह एामी कह, ज न ामीको पतार।

तारतारलखा तारामी पाछा लो, जो र होय काई ामीतार।।३०।।

इसललय ह सलखयो ! ामी तारामी सबस यह बातार कह रहा हदक अपन पधतारयो को ामीतार छोडो। यद तारमहार हय ामीजरा भी बधद ह, तारो इसी कषिा अपन घर लौट जाओ।

ह साक कह अामी साभलया, काई तारामीारा चन।

ह अामी कह तार साभलो, काई ढ करीन ामीन।।३१।।

अब सलखया कहतारी ह दक आयपन जो इतारना बडा परचनदया ह, उस हामीन अचछी ताररह स सन ललया ह। अबहामी जो कछ कह रही ह, उस आयप धयानप रक सदनय।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पधतार तारो ालयो अामीताराो, अामी ओललखयो दनरधिार।

ा साभलतारा तारामीताराी, अामीन लखा न लागी ार।।३२।।

हामीन दनधशतार रप स पहचान ललया ह दक हामीार दपरयतारामीतारो एकामीा आयप ही ह। इसललय जस ही आयपन बासरीबजाई, हामीन ससार को छोडन ामी एक पल की भी रनही की।

अामी पीहर पख न ओलख, न जाा सासर ड।

एक जाा ामीारो ालयो, न ामीक तारहनो कड।।३३।।

न तारो हामीन अपन ामीायक की गररामीा नषट होन की धचनताराकी और न हामी यह जानन की जररतार रही दक ससरालकी ामीयारा कया होतारी ह? हामी तारो एकामीा आयप दपरयतारामीको ही जानतार ह और हामी दकसी भी परकार स आयपकााामीन नही छोड सकतार।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पधतार तारो कामी न ामीको, तारामी अधतार घा कह र अपार।

तारामी साख पराी नी, तययार कामी ामीक आयधिार।।३४।।

कलीन सतरी को चादहय दक ह दकसी भी अससकधतार ामीअपन पधतार को न छोड। इस दषय पर आयपन अनकपरकार क ककनो स इतारना बडा परचन डाला। इसकललय आयपन ो की साकषिी भी ी ह। ऐसी अससकधतार ामीआयप ही बताराइय दक अपन जीन क आयधिार आयपपरााशर को पाकर, भला हामी आयपको कस छोड सकतारीह?

तारामी कह पधतार न ामीको, जो अगा होय र अपार।

तारामी र तारामीार ामीोह कह, तारामी नयाय र कीधिो दनरधिार।।३५।।

आयपन अपन परचन ामी कहा दक भल ही अपन पधतार ामीअननतार अगा कयो न हो , दफर भी कलीन सतरी को

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चादहय दक ह उस न छोड। दनधशतार रप स आयपन अपनही ामीख स हामीार पकषि ामी इसका दनारय भी कर दया ह।

अगा पधतार न ामीको, तारो गा धिाी ामीदकए कामी जी।

तारामीामीा अगा दकहा छ, तारामी का कहो अामीन एामी जी।।३६।।

आयपक ककनानसार जब गाो स हीन पधतार को नही छोडना चादहए, तारो आयप ही बताराइय दक आयप जसस रगा समपनन दपरयतारामी को हामी कस छोड सकतारी ह?भला आयप ामी कया अगा ह? इस ताररह क दचललतारकरन ाल चन आयप हामीस कयो कहतार ह?

एा हला बोल न बोललए, ह ार छ तारामीन।

ए चन कहा न घट, काई एामी कह अामीन।।३७।।

ामी आयपको ामीना करतारी ह दक आयपको हामीार परधतार इसपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 378378 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ताररह की हलकी भाषा नही कहनी चादहए। आयपको हामीसऐसा कहना उधचतार नही ह। पनः श आयप हामीार परधतार ऐसशबो का परयोग कयो करतार ह?

अामी तारो आयवया आयन भर, काई तारामीस रामीा रातार जी।

एा बोल न बोललए, अामीन ख लाग दनघातार जी।।३�।।

हामी तारो राद क इस सामीय, आयपस रास कीडा करन कीआयशा स, अधतार आयननप रक आयपक पास आययी ह। आयपहामीस इतारनी रखी बातार न कदहय? ऐसी कठोर बातारो कोसनकर हामी बहतार ः शख होतारा ह।

अामी दकहा र पाछा ली जाइए, अामीन नकी बीजो कोई ठाामी जी।

कहो जी अगा अामीताराा, तारामी का कहो अामीन एामी जी।।३९।।

अब आयप ही बताराइय दक हामी पनः श ापस लौटकर कहापरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 379379 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जाए? आयपक अधतारररक हामीारा कोई सरा आयशरय सकानही नही ह। यद आयप हामी सीकार नही करना चाहतार, तारोयह बताराइय दक हामीारा अगा कया ह ? आयप हामीसापस लौट जान क ललय कयो कहतार ह?

अामी तारामी दना न ओलख, बीजा ससार करा सल जी।

चरा तारामीार ालया, काई अामीारा छ ामीलजी।।४०।।

हामी आयपक अधतारररक अनय दकसी को भी नही जानतारीह? आयपक अधतारररक ससार का परतययक समबनधिी ः शखही न ाला ह। हामीार पराा दपरयतारामी! हामीारा ामील आयधिारतारो एकामीा आयपक चराो ामी ही ह।

फल रोपयो आयबो तारामीताराो, ाड काटा कटामी पाखल।

बीजो झापो रखोप कर, काई सयो र सनामीधि तारस फल।।४१।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयपन ही ामीधिर आयामी क कषिो का बाग लगाया ह। उसकचारो ओर कटमब-पररार रपी काटो की बाड लगा ीह। अनय समबनधिी तारो ामीा रकषिा करन क ललय ह। भलाउनका आयामी क फल स कया समबनधि ह?

भााकर- उपरोक चौपाई ामी उपामीा अलकार क ामीाधयामीस बरहमसदषटयो क इस नशर जगतार क समबनधिो कासपषटीकरा दया गया ह। अकषिरातारीतार क आयश स इसखल ामी आयना आयामी क कषि का लगाना ह। जजन तारनो ामीउनकी सरतारा ददामीान ह, उनकी सरकषिा करनापारराररक समबअसनधियो का उतराधयतय ह। दकनतार उनतारनो ामी ददामीान आयतयामीाओ का एकदनष परामी ामीाअकषिरातारीतार क ललय ह, कयोदक उनस उनका अटटसमबनधि ह। सलखया यही बातार कहना चाह रही ह दकहामीारा ासतारदक परामी तारो आयपस ह। ामीातारा-दपतारा, सास-

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ससर, तारका पधतार तारो ामीा सासाररक समबनधिो क दनारहक ललय ह।

फल फलया जामी लडी, तार तारा दकस सा र सनह।

छट जयार लकी, तययार तारतारलखा सक तारह।।४२।।

जजस परकार दकसी लतारा ामी लगा हआय फल उसकसमबनधि स हामीसा लखला रहतारा ह, दकनतार जजस कषिा हलतारा स अलग होतारा ह, उसी कषिा ह सख जातारा ह।

भााकर- इस चौपाई ामी सलखयो न सय को लखलाहआय फल ामीाना ह तारका अकषिरातारीतार की साधननधयतारा कोलतारा ामीाना ह। यह बातार शारना चाह रही ह दक हपरााशर! आयप ही हामीार जीन क स रस ह। जजस परकारलतारा स अलग होकर फल ामीरझा जातारा ह, उसी परकारआयपस अलग होकर हामीारा भी अअससतारतय सामीाप हो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जाएगा।

जी अामीारा तारामी कन, काई चरा लगा एामी।

फल ताराी गतार जााजो, तार अलगा काय कामी।।४३।।

आयपक चरा रपी लतारा स हामीारा जी रपी फलललपटा हआय ह। आयप फल की अससकधतार तारो जानतार ही ह।भला ह लतारा स कस अलग हो सकतारा ह?

तारामी जी अामीारा बाधधिया, जामी पधडया ामीाह जाल।

लखा एक साामी न जओ, तारो पपडडा पड तारतयकाल।।४४।।

उसी परकार आयपक चराो की परामी रपी जाल (बल) सहामीारा जी रपी फल भी बधिा ह। यद एक कषिा क ललएभी आयप हामी दखायी नही ग , तारो उसी कषिा हामीाराशरीरानतार हो जाएगा।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

षटवय- यददप योगामीाया क बरहमाणड ामी ामीतयय नही होसकतारी, दकनतार दरह क भाो को ऐसी ही भाषा ामी वयकदकया जातारा ह। शरीर का धिरतारी पर दगर जान कातारातयपयर, ामीरचछतार हो जाना (चतारना-शनय हो जाना) भीहोतारा ह।

जी अामीारा चरा तारामीतारा, तार अलगा काय कामी।

जल ामीाह जी ज रह, काई ामीीन करा ली जामी।।४५।।

जजस परकार जल ामी रहन ाली ामीछली जल स अलगनही हो सकतारी , उसी परकार हामीारा जी भी आयपकचराो ामी ह। ह आयपस अलग कस हो सकतारा ह?

भााकर- उपरोक चौपाइयो (४३,४४,४५) ामी आयतयामीाक सकान पर जी क बारमबार परयोग स यह सशय होताराह दक ऐसा कयो दकया गया ह?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इसक सामीाधिान ामी यही कहा जा सकतारा ह दक परामीधिाामीकी आयतयामीाय वरज ामी जीो पर बठकर ामीाया का खल खरही की । तारारतारामी ञान का परकाश न होन स बरहमातयामीाओको जी और आयतयामीा क भ का पतारा नही का। इसललएवरज ामी जजस जी भा की परबलतारा की, उसका परभारास ामी खन को दामील रहा ह , कयोदक आयतयामीाओ कसाक वरज ाल जी रास ामी भी क।

ाला तारामी अामीस एामी का करो, अामी चन सहा न जाय।

लखा एक साामी न जओ, तारो ताररतार अदषट ह काय।।४६।।

पराा दपरयतारामी! आयप हामीार साक इस ताररह दनषर वयहारकयो कर रह ह? आयपक य रख चन हामीस सह नही जा रह ह। यद आयप एक कषिा क ललय भी हामी दखायी नपड, अकारतार अलग हो जाए, तारो उसी कषिा हामीारा शरीर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

छट जाएगा।

दनखर अामीारी आयतारामीा, अन दनठर अामीारा ामीन।

कठा एा तारामीताराा, अामी तारो र सहा चन।।४७।।

हामीारी आयतयामीा कठोर ह और हामीारा ामीन दनषर ह। यहीकारा ह दक आयपक इतारन कठोर चनो को हामी सहनकर पा रह ह।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी यह जानन की जजञासाहोतारी ह दक आयतयामीा को यहा कठोर कयो कहा गया ह ?कया आयतयामीा ामी कठोरतारा का ोषारोपा ााी कजसदानतारो क दपरीतार नही ह ? यह ोष तारो जी ामी होसकतारा ह, आयतयामीा ामी नही ।

उपरोक जजञासा का सामीाधिान यह ह दक सलखयो ामीकालामीाया क जीो ाला ससकार अभी बना हआय का।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एकतय (हतार) का जो रस परामीधिाामी ामी होतारा ह , हकालामीाया या योगामीाया क बरहमाणड ामी नही होतारा।इसललय परामीी और परामीासप (आयजसक और ामीासक) कबीच परामी की अणभवयदक क समबनधि ामी जो जझक-जझक(परामीामीयी दा या नोक-झोक) होतारी ह, हसाभादक ही ह। इस असका ामी ाशरदनक ताररय पीछछट जातार ह और भाो की अणभवयदक ही अगाी होजातारी ह। आयतयामीा को कठोर कहन का यही आयशय ह।

अामी ामीाह काई अामीपा, जो होस आय ार।

तारो चन एा तारामीताराा, अामी नही र साभल दनरधिार।।४�।।

यद इस सामीय हामीार अनर कछ भी साणभामीान होतारा,तारो आयपक इतारन रख चनो को हामी कभी भी सन नही सकतारी की ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- सलखयो न अपना स रस अपन दपरयतारामी कपरधतार सौप दया का। सामीपरा की इस असका ामी दपरयतारामीक कठोर चनो का परतारीकार हो पाना समभ नही होतारा,कयोदक अपना अअससतारतय हो तारब तारो परतारीकार हो। उपरोकचौपाई क पहल चरा ामी साणभामीान (सय क अअससतारतयका भान) न होन का यही आयशय ह।

सलखए ामीनामीा चन दचाररया, काई परामी ाधयो अपार।

जोगामीाया अधतार जोर कई, काई पाछी पधडयो तारतयकाल।।४९।।

जब सलखया अपन ामीन ामी इस परकार की बातार सोच हीरही की , उसी सामीय योगामीाया का परभा अतययधधिक बा,जजसस उनक हय ामी अपार परामी उामीडन लगा। परामी कीभाकतारा क कारा, बहतार-सी सलखया उसी सामीयामीरचछतार होकर दगर पडी ।

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भााकर- तारारतारामी ााी ामी अनक सकानो पर योगामीायाका परसग आयया ह-

जोगामीाया ामी बायो आयस, सधि नही ख सख ललस।

पर. दह. ३७/४०

पीछ जोगामीाया को भयो पतारन, तारब नी रही अछर सयन।

पर. दह. ३७/४�

जोगामीाया कर रास जो खल, कई सख साक ललए दपउ भल।

पर. दह. १०/११

आयननकारी जोगामीाया, अदनासी उतारपन।

क. दह. २०/१०

ताराक कालामीाया जोगामीाया, ोऊ पल ामी कई उपजतार।

क. दह. २४/१२

जोगामीाया तारो ामीाया कही, पर नक न ामीाया इतार।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 389389 / 814/ 814

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क. दह. २४/११

उपरोक सनभ स यह सपषट होतारा ह दक जहा अकषिरबरहम अपन अनतारः शकरा की आयहादनी शदक (चतारनयपरकधतार) क साक कीडा करतार ह, उस योगामीाया काबरहमाणड कहतार ह। कल बरहम आयनन की भदामीका ह ,इसललय उसामी साभादक रप स परामी और आयनन कीलीला होतारी ह। परामी ामी कभी हास नही होतारा, बअसलक इसामीदनतयय नीनतारा और धद होतारी रहतारी ह। इसी आयधिार पररास लीला स प र सलखयो क हय ामी अपार परामी की बाआय गयी, जजस उपरोक चौपाई क तारीसर चरा ामी शारयागया ह।

तारतारलखा ाल उठाधडयो, काई आयीन लीधिी अग।

आयन अधतार धिाररयो, काई सोकनो कीधिो भग।।५०।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उसी कषिा दपरयतारामी न आयकर ामीरचछतार पडी हई सलखयोको उठाया और उनह गल लगाया , जजसक पररााामीसरप उनका शोक र हो गया और उनक आयनन ामीअपार धद हो गयी।

ालोजी कह छ ातारडी, तारामी साभलजो सह कोय।

ामी जोय तारामीार पारख, रख लस ामीायानो होय।।५१।।

शरी राज जी कहतार ह दक ह सलखयो! तारामी सभी दामीलकरयह बातार सनो। ामी तारो ऐसा कहकर तारमहारी परीकषिा ल रहाका दक कही तारमहार अनर अभी ामीाया की कोडी सी भीचाहतार तारो नही बची ह।

ओसीकल चन ाल कहा, काई तार ामी न कहाय।

सकजीए दनरधिाररय छ, पा तार ामी लिय न जाय।।५२।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिाामी धिनी न हामी ललजतार करन ाली जो बातार कही ह ,उनका ारन करन ामी ामी पारतारया असामीकर ह। शक जीन तारो उन चनो का कछ ारन भी कर दया ह, लदकनामी तारो उनह ललख भी नही सकतारी।

भााकर- भागतार १०/२९/१�-२७ ामी शक जीन शरी राज जी क दारा गोदपयो को कह हए उकल चनोका ारन दकया ह।

ए चन शरा साी, काई ामीनडा कया अधतार भग।

ाला एामी तारामी अामीन का कहो, अामी नही र खामीाय अग।।५३।।

शरी राज जी क चनो को सनकर सलखयो क ामीन बहतारः शखी हो गय क। कहन लगी दक ह धिाामी धिनी ! आयपइस ताररह क रख चन हामीस कयो कहतार ह? हामीार हयामी उस सहन करन की शदक नही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कलकलतारी कपामीान कयो, काई तारतारलखा पधडयो तारह।

आयीन उछरग लीधधियो, काई ताररतार ाधयो सनह।।५४।।

दलख-दलख कर रोतारी हई तारका कर-कर कापतारी हईकछ सलखया, उसी कषिा ामीरचछतार होकर दगर पडी । शरीराज जी न आयकर उनह परामीप रक उठाया, जजसस उनकहय ामी ताररनतार परामी-रस का सचार हो गया।

आयखधडए आयस ढाललया, तारामी का करो धचतारनो भग।

आयसडा लोऊ तारामीताराा, आयपा करस अधतार घा रग।।५५।।

सलखयो की आयखो स आयस बह रह ह। शरी राज जीउनक आयसओ को पोछतार हए अधतार परामी भर शबो ामीकहतार ह दक तारामी अपन ामीन को इतारना ः शखी कयो कररही हो? हामी सब दामीलकर अधतार आयननामीयी रास कीलीला करग।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सलखयो पर ामीनोरक तारामीताराा, काई करस तार रग दलास।

करा राामीतार अधतार घाी, ामी जोय ामीायानो पास।।५६।।

ह सलखयो! ामी तारमहार परामी की चाहतार को अशय पारकरगा। ामी तारमहार साक रास की अधतार आयननामीयी लीलाकरगा। रास की अतययधधिक आयननामीयी लीला करन कललय ही, ामीन दनषर (उकल) चनो को कहकर तारमहारीपरीकषिा ली की दक तारमहार अनर अभी ामीाया ह या नही ।

भााकर- जजस परकार योगामीाया क बरहमाणड ामी सलखयोक साक रास तारभी समभ हो सकी, जब उनहोन अपनसग-समबअसनधियो तारका तारषााओ को छोडकर एकामीा शरीराज जी स ही परामी दकया। उसी परकार इस जागनीबरहमाणड ामी जागनी रास तारभी खली जा सकतारी ह, अकारतारहामीारी आयतयामीा तारभी जागतार हो सकतारी ह, जब हामीारापरकामी परामी कल शरी राज जी क ललए हो। यगल सरप

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

को अपन धिाामी हय ामी बसाय दबना आयतयामी-जागधतार कीकलपना ही नही की जा सकतारी और इसका एकामीासाधिन धचतारदन ही ह।

सलखयो नान खाड तारामीन, चालो रग भर रदामीए रास।

ददधि परनी राामीतारो, आयपा करस ामीाहो-ामीाह हास।।५७।।

सलखयो! चलो, ामी तारमह पहल नान दखातारा ह। इसनान ामी अनक परकार की राामीतारो क दारा हामीआयननप रक रास की कीडा करग। इसामी हामी आयपस ामीपरामी भरी हसी की लीला भी करग।

तारामी परााप ामीन ाललयो, जामी कहो कर ह तारामी।

रख कोई ामीनामीा ख करो, काई तारामी ामीारा जीन।।५�।।

तारामी ामीझ परााो स भी अधधिक पयारी हो। एकामीा तारमही परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 395395 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीर जीन का आयधिार हो। ामीरी रखी बातारो स तारामी दकसीभी परकार ः शखी न हो। तारामी जसा कहो, ामी सा ही करनक ललए तारयार ह।

भााकर- यद रास ामीणडल ामी कह हए शरी राज जी कइन ककनो को हामी आयतयामीसातार कर ल, तारो इस जागनीबरहमाणड ामी अकषिरातारीतार स भयभीतार होतार रहन ए ासतयभाना ाल बनधिन की बदडया टट जाएगी। तारभी हामीनधिा भदक को छोडकर, धचतारदन क दारा, परामीधिाामी कपरामी ामीागर का अनसरा करग और आयतयामी-जागधतार क ामीागरपर चल सकग।

परकरा ।।९।। चौपाई ।।३७५।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ान खाड छ - राग धिनया शरी

इस परकरा ामी नान की अनपामी शोभा का ारनदकया गया ह।

जीन सखी ान रग जोइएजी, जोइए अनक रग अपार।

दगतार न खाड तारामीन, ामीारा सरसाक आयधिार।।१।।

शरी राज जी कहतार ह दक ामीरी जीन सरपा , हसलखयो! तारामी नान की अनपामी सनरतारा को खो।इसामी अनक परकार क अननतार कषिो ए लताराओ कीसिया ह। तारामी ामीरी परााशरी हो। अब ामी तारमह अचछीताररह स इस नान की शोभा को दखातारा ह।

आयबा आयबललयो न आयसोपाल, अजीर न अखोड।

अननास न आयबललयो ीस, चारोली चपा छोड।।२।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 397397 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इस नान ामी आयामी , इामीली, अशोक, अजीर,अखरोट, अननानास, धचरौजी, और चमपा क कषिो की भीशोभा को खो।

साग सीसामी न सामीला सरग, सरस न सोपारी।

सफ सकड न साजधडया, अगर ऊचो अधतार भारी।।३।।

इसामी सागौन , शीशामी, सामील, सहाजना, जसरस,सपारी, सौफ, चनन, गलामीोहर, और अजरन क अधतारऊच तारका भारी कषिो को खो।

ड पीपल न ास कला, बोलसरी न राा जी।

कडी कल कपर कसबो, कसर झाड अधतार घाा जी।।४।।

ट, पीपल, बास, बकल, ामीौललशरी, अरहर, कडा,कला, कपर, कसामी, और कशर क बहतार घन अधतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सनर पौधिो को खो।

ामीही नरी न ामीललयागर, ाडामी डोडगी न ाख।

बीयो बाामी न बीली दबजोरो, राख न भाख।।५।।

ामीही, ालचीनी, ामीलयादगरी, चनन, अनार, जीनतारी(एक लतारा), अगर, बीयो, बााामी, बल, दबजोरा, नी ब,राकषि, तारका भाकषि क कषि ह।

पीपली पारस न पारजातारक, साल न सीसोटा जी।

फास तारतार न तारीन तारररया, ताराड छ अधतार ामीोटा जी।।६।।

छोटा पाकड, पारस, कलप कषि, साल, जससोटा,कटहल, और शहतारतार ह, तारो ककडी, खीरा, और फट(तारीन तारररया) जस लताराओ क पौधि भी ह। इसकअधतारररक ताराड जस बहतार बड-बड कषि भी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राया रोइा न राामीा रायसा, तलबडा तलबोई लग।

तारज तारलसी न आय एलची, ाल अधतार सगधि।।७।।

हा लखरनी, रोइा, राामीफल, रायसा, नीामी, नी ब,और लौग क कषि ह। इसक अधतारररक तारजपातार, तारलसी,अरक, और इलायची आयद क अधतार सगअसनधितार पौधि ह।

कडो काको न कपर काचली, भराी न भारगी।

सा सरडी सरा जसगोटी, नाललयरी न नारगी।।�।।

कडा, कतयका (खर), कपर, काचली (एक परकार कीककडी), तारोरई, भारगी (अषट गर की एक औषधधि ),सा (सा की ताररह की एक घास), गनना, सरन(जजामीीकन), ससगोटी (जल फल या ससघाडा),नाररयल, ए सनतारर क कषि सशोणभतार हो रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अराी ऊामीर हडा ीस, जाब न ली जाल।

ग ी गा गगल गगोटी, गहला न दगरामीाल।।९।।

अराी, गलर, बहडा, जाामीन, जाल, ग ी (गोनी),नागरामीोका, गगल, गगोटी, गहला (करोछी), औरदगररामीाल क कषि ह।

उरो अगणकया न आयबललयो, अकलकरो अामीतार जी।

करामीी न कगर करजी, कामी छ अभतार जी।।१०।।

उरो, अगसतार, इामीली, आयला, अकलकरा, अामीतार,करौा, कगर, करञ, और अधतार सनर लगन ालाकमब का कषि शोभायामीान हो रहा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ब बकान न कोठ करपटा, दनगोड न ली न।

ामीरी पानरी न ली ामीरओ, अकोल न आयकस।।११।।

ब , बकन, कोठ, करपटा, दनगोड, कचामीो, कालीदामीचर, पानरी, न तारलसी, अकोल, तारका आयकस आयदक पड ह।

कामीलकाकडी न झाड चीभडी, बोरडी न ली बहडा।

दहरा हीामीज हरड ामीोटी, ामीोहोला न ली ामीहडा।।१२।।

कामीलगटटा, खरबजा की बल, बर, बहडा, दहराी(कपास की एक जाधतार), हीामीज (छोटी हरड), बडीहरड, ामीोहोला, तारका ामीहआय, आयद क कषि दखायी रहह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिाामीाा धिाडी न रीयाली, सफल जल भोज प।

खसखस फल ीस एक जगतार, छोा ऊपर छ।।१३।।

धिाामीाा, धिर, सौफ, स, भोज प, तारका खस खस,आयद क लखल हए फल धिरतारी क ऊपर खल हए छ कसामीान एक परकार की अनपामी शोभा स यक दखायी रह ह।

ामीाया ामीसतारकी न रस बडबोहोनी, सकरक ससर।

करोड भरोड न पलासी, अकक न आयक सर।।१४।।

ामीाजफल, बरछडा, बडबोहोनी, शकरकन, पननाग,करकट, भर शरगी, पलाश, अकक, तारका आयक क अधतारसनर पड दखायी रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

टर कर न कबोई, काकसी न कलब।

खजड खजरी न खाखरा ीस, कस ताराी अधतार लब।।१५।।

टर, कर (दगलोडा), कबोई, काकसी, कलब,खीजडा, खजर, खाखरा, तारका कश कषि क झणडदखायी पड रह ह।

परतारी पराली न पाडर, पान ल अधतार सार।

आयल अकोल न बर उपलटा, धिला न ार।।१६।।

प रतारी, पराली, पाडर, तारका पान की बल बहतार सनरदखायी रही ह। आयल, अकोल, बर उपलटा, धिला,तारका ार क कषि की छद बहतार ही अलौदकक लगरही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चबली न चनी चाोठी, चसी चोली न चीभडी।

गलकी न दगसोटी गोटा, गलबास न गलपरी।।१७।।

चामीली, चाक, गजा, सतारगजा, कामी, सामी, तारारई,णभसोटी, गोटा, गलछडी, और रजनीगनधिा क फल बहतारही सहान लग रह ह।

जाई जई न जास जायफल, जाए न जाी ।

सरजसी न सागोटी, सआय न सी।।१�।।

जाई, जही, जास, जायफल, जाय, जानी, सयरशी,सागोटी, सआय, तारका सी क फल बहतार अधधिकामीनामीोहक लग रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कोली कालगी न कारली , तारबडी न तारडबची।

कोठडी न चनकचीभडी, पटडरी न खडबची।।१९।।

कषामीाणड (कमहडा), कातलगी (एक परकार कीककडी), करला, गोल आयकधतार ाली लौकी, ताररबज,कोठडी, चना, ककडी की जाधतार की एक बल ,दटणडोरा, तारका खरबज की अधतार सनर बल ददषटगोचर होरही ह।

गलाबी न कफी डोलररया, धिली न ोफारी।

कामील फल न कनीयल कतारकी, ामीोगरामीा झरामीरी।।२०।।

गलाब, कफी डोलररया, धिली, ोफारी, कामीलफल,कनर, कतारकी, ामीोगरा, तारका झरामीरी क अधतार ामीनामीोहकफल ददषटगोचर हो रह ह।

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ओललया ालोललया न पराललया, इसक फाग ल सार।

आयररया तारो अधतार उतामी ीस, जाा कलग रग परातारकाल।।२१।।

ओललया, ालोललया (एक परकार की बल),पराललया, लाजनतारी क फल बड आयकषरक दख रहह। आयररया (एक परकार की ककडी) का फल तारो इतारनासनर दखायी रहा ह दक जस परातारः शकाल की लाललामीाामी कलगी दख रही ह।

सहसतर पाखडीनो ामीाो ीस, सोरा फली ामीकर ।

न जसागार कीधिो लधडए, जजी जगतारना रग।।२२।।

हजार पखडी ाला ग का फल दखायी रहा ह,जजसक सारामीयी पराग लखल हए शोभायामीान हो रह ह।अलग-अलग रगो ाली लताराओ न समपार दनतययनान का अलग ही शरगार दकया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

साक फल अन अनक दधिना, कामील ामीाह सार।

सारा सा जजी जगतारना, न फललया र अपार।।२३।।

अनक परकार क साग, फल, अनन, और कनामीलददषटगोचर हो रह ह। इन सबका सा अलग-अलगपरकार का आयया ह। इस ताररह दनतयय नान अधतार सनरशोभा को धिारा दकय हए ह।

न ऊपर लधडयो चदढयो, जो जो तार आय दनकज।

ामीदर ना जामी जगतार ीस, ामीाह अनक दधिना रग।।२४।।

ह साक जी! इस दनकञ न की शोभा को लखय ,जजसामी लताराओ न कषिो क ऊपर चकर ामीअसनरो का रपधिारा कर ललया ह। य ामीअसनर इस परकार की शोभा ामीदखायी रह ह, जजसामी अनक परकार क रगो कासामीाश हो।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बधि आयडी ताररर नी डालो, जगतार न कलभ।

भोामी ऊपर ऊभा फल लीज, एामी कटली कह एह सनधि।।२५।।

कषिो की लमबी-लमबी डाललया एक सर क ऊपरफली हयी ह। समपार दनतयय नान नए-नए पतो सलखला हआय दख रहा ह। कषिो ामी फल इतारन नीच ह दकआयप धिरतारी पर स खड होकर उनह तारोड सकतार ह। दनतययनान की इस परकार की अलौदकक छद का ामी कहातारक ारन कर?

बीजी दधि दधिनी नसपधतार ामीौरी, कटला लऊ तारना नाामी।

जामीनाजीना ट घा रडा, रडा ामीोहोल बसा ना ठाामी।।२६।।

सरी अनक परकार की नसपधतारया ह, जजनामी बौर लगीहयी ह। उनामी स दकतारनो का ामी ारन कर। यामीना जीका तारट बहतार ही सनर ह। हा दकनार पर बठन क ललय

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 409409 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

फलो क बहतार सनर-सनर ामीहल बन हए ह।

बह काठ नसपतारी ीस, झलब ऊपर जल।

नहचल रग सा दधि दधिना, ए न छ अदचल।।२७।।

यामीना जी क ोनो दकनारो पर कषिो की डाललया जलक ऊपर क आययी हयी ह। अनक परकार की नसपधतारयोस भरपर इस दनतयय नान की शोभा अखणड ह तारकायहा का आयनन भी अखणड ह।

काठ जल ऊपर लधडयो, तारामीा रग अनक।

फलड जल छाह छ जगतार, दधि दधिना दसक।।२�।।

यामीना जी क ोनो दकनारो क जल क ऊपर आययी हयीकषिो की डाललयो क साक अनक रगो की लताराय ललपटीहयी ह। इन लताराओ ामी अनक परकार की शोभा ाल फल

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जल क ऊपर आयय हए ह।

जामीनाजी ना जल जोरार, ामीधय ह छ नीर।

हतारा जल ल र खजररया, रपा रग जााो खीर।।२९।।

यामीना जी का जल ामीधय ामी बहतार तारीवर गधतार स बहतारा ह।बहतार हए जल ामी भर (गोल चक) दखायी तारी ह। जलका रग परा की ताररह अधतार शतार ह।

ान फलय बह फलड, सोभा धिर अपार।

न फल उतामी अधतार घा ऊचा, कसामी ताराा हकार।।३०।।

नान ामी अनक परकार क फल लखल हए ह, जजनकीशोभा अननतार ह। ऊच-ऊच कषिो पर अधतार शरष न फललग ह। चारो ओर फलो की सगअसनधि फली हयी ह।

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रतार सतार सोभा धिर, ान ामीझार।

सकल कलानो चामीा, तारज धिरा धिर अपार।।३१।।

नान ामी जामीना जी क दकनार अधतार शतार रतारीशोभायामीान हो रही ह। समपार कलाओ स यक चनामीाआयकाश ामी शोभायामीान ह, जजसका अधतार सनर सराामीपरकाश परी पर फला हआय ह।

षटवय- यहा परी का तारातयपयर कल-बरहम की भदामीकास ह, कालामीाया की धिरतारी स नही ।

गज भामीरा सर कोयलना, घामी कपोतार चकोर।

सडा बपया न ली धतारामीरा, रामी तार ा र ामीोर।।३२।।

फलो पर भौर गजार कर रह ह। कोयल ामीधिर सरो ामीबोल रही ह। कबतारर और चकोर एक कषि स सर कषितारक उड-उड कर घामी रह ह। तारोतारा, पपीहा, तारका झी गर

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अपनी ामीधिर धदन स समपार ातारारा को आयननामीयीबना रह ह। बनर और ामीोर ताररह-ताररह की कीडाय करतारहए दखायी रह ह।

ामीाह तार ामीग कसतारररया, परामील कर अपार।

बीजा अनक दधिना पस पखी, तार रामी राामीतार अधतार सार।।३३।।

नान ामी कसताररी ामीगो की अपार सगअसनधि चारो ओरफली हयी ह। जो सर परकार क अनय पश-पकषिी ह, भी ताररह-ताररह की आयकषरक कीडाय करतार हए ददषटगोचरहो रह ह।

छटक कड न घाटी छाया, रामीाना ठाामी अधतार सार।

इ ातारी बाई अधतार उछरग, आययतार कर अपार।।३४।।

कषिो क बीच ामी छोट-छोट चबतारर आयय ह तारका कषिो कपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 413413 / 814/ 814

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नीच घनी छाया आययी ह। समपार नान खलन कललय बहतार अचछी जगह ह। अपन परााशर क साक अधतारउामीग भरी कीडा क ललय शरी इनातारी जी क अनरअपार चाहना ह।

आयरोगया न फल सा, जल जामीना ट सार।

ान ाल जगतार खाड, आयगल रही आयधिार।।३५।।

जामीना क दकनार भामीा करतारी हई सलखयो न जल कसाक नान क ामीधिर फलो का रसासान दकया।पराााधिार शरी राज जी सलखयो क आयग-आयग चलकरनान को बहतार अचछी ताररह स दखातार रह।

भााकर- उपरोक चौपाई क चौक चरा ामी "रही" शबक सकान ामी "रह" शब अधधिक उपयक परतारीतार होतारा ह,कयोदक "आयगल" और "आयधिार" शब का परयोग शरी

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राज जी क ललए दकया गया ह, दकसी सखी क ललएनही ।

यद "रही" शब को ही उपयक ामीाना जाय, तारो इसकाअणभपराय यह होगा की धिाामी धिनी सलखयो को जजतारनाअधधिक नान दखा रह ह, उसस भी अधधिक खनकी आयकाकषिा सलखयो क ामीन ामी बनी रही ह।

एह सरपन एह ान, ए जामीना ट सार।

घरकी तारीतार बरहमाडकी अलगो, तार तारारतारामी कीधिो दनरधिार।।३६।।

अकषिरातारीतार क आयश सरप न बरहमातयामीाओ क साकजजस दनतयय नान ामी लीला की, यामीना जी क घाटोकी अनपामी शोभा क साक ह दनतयय नान परामीधिाामीस भी अलग ह तारका कालामीाया क इस बरहमाणड स भीअलग ह। सतारतारः श यह सकान बह ामीणडल क अनर

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कल बरहम की आयनन योगामीाया क अनर ह। धिाामी धिनीन तारारतारामी ञान क दारा यह सपषट दनारय दया ह।

भााकर- उपरोक चौपाई स प र शरी राज शयाामीा जीतारका सलखयो क दारा धिारा दकए गए तारनो ए दनतययनान की शोभा का ारन दकया गया ह। यददपताररामीान सामीय ामी न तारो रास दबहारी क तारन ामी अकषिरातारीतारका आयश ह और न ही रास ामी शरी शयाामीा जी या अनयसलखयो की सरताराय ह , दकनतार लीला और सौनयर कापरसतारतारीकरा ताररामीान ामी ही होतारा ह। इसललय स र शरीराज जी, शयाामीा जी और सलखयो का ारन आयया ह।उसी ताररय को धयान ामी रखतार हए इस चौपाई क पहलचरा ामी "एह सरप न एह नान" कहा गया ह।

यकाकरतारः श आयश स रदहतार तारन "रप" ही कहलाएगा"सरप" नही । परकरा ।।१०।। चौपाई ।।४११।।

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राामीतार पहली - राग कालरो

"राामीतार" का तारातयपयर ह कीडा। सधचचानन परबरहम परामीऔर आयनन रस क अननतार सागर ह। सलीला अदतारपरामीधिाामी ामी शरी राज जी, शयाामीा जी, और सलखया एकही सरप ह। इसको सागर और लहरो क लौदककदषटानतार स सामीझा जा सकतारा ह।

यददप सागर और लहर का जल एक सामीान होतारा ह,दकनतार सागर ामी अकाह जलराणश होतारी ह, जबदक लहर ामीसीदामीतार। लदकन परामीधिाामी क सलीला अदतार एकतय(हतार) ामी स र पारतारा ह। यद दञान (ामीाररफतार) कीददषट स खा जाय तारो अकषिरातारीतार ही सभी रपो ामी कीडाकर रह ह। लहरो की लीला को भी सागर की लीलाकहकर परामीधिाामी क अदतार को सामीझन का परयास दकयाजातारा ह, दकनतार तारारतारामी ााी क परकाश ामी शरी राज जी

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क परामी ामी डबकी लगाय दबना इस रहसय को कभी भीजाना नही जा सकतारा।

बाह रप स खन पर राामीतार लौदकक खल की ताररहलगतारी ह, दकनतार यद सकामी ददषट स खा जाय तारो यहददतार होगा दक यगल सरप ए सलखयो क बीच जोपरामी का आयान-परान ह, ह इन कीडाओ क ामीाधयामीस समपादतार होतारा ह। इन कीडाओ ामी हसना, बोलना,ौडना, आयतलगन, चमबन, आयद का ारन अशयदामीलगा, दकनतार ासतारदकतारा यह ह दक अकषिरातारीतार कहय ामी उामीडतारा हआय परामी का सागर इन कीडाओ क हीामीाधयामी स अपनी अगरपा सलखयो क हय ामी सचररतारहोतारा ह। इस ही खन की इचछा अकषिर बरहम न की की,जो ामीहारास क रप ामी धिाामी धिनी न कल -बरहम ामीदखायी।

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सकषिप ामी ामीहारास की राामीतारो की कछ झलक इस परकारह।

ाल ख लीधिो रललयाामीाो, काई करस रग दलास।

आययतार छ काई अधतार घाी, ालो परस आयपाी आयस।।

सखीर हामी चडी।।१।।

सभी सलखया आयपस ामी बातार करतार हए कहतारी ह दकहामीार पराा-लभ न बहतार ही सनर सतर धिारा दकयाह। अब हामी इनक साक आयनन की लीलाय करगी।दपरयतारामी क साक परामीामीयी लीला करन की हामीार ामीन ामीअधतार चाहना ह। ऐसा लगतारा ह दक धिाामी धिनी आयज हामीारीइचछा को अशय पार करग। सलखयो ! अब तारो हामीाररोामी-रोामी ामी अपन परााशर क ललए परामी का ही जोशसामीाया हआय ह।

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ान तारो जगतार जोय, सयाामी सयाामीाजी साक।

राामीतार करस न नी, काई रग भर रामीस रास।।२।।

शरी राज जी, शयाामीा जी क साक हामीन नान कोबहतार अचछी ताररह स ख ललया ह। अब तारो एकामीाइचछा ह दक हामी रास की नई-नई कीडाय कर और परामीामी दभोर होकर आयनन ामी डब जाय।

भााकर- उपरोक चौपाई क चौक चरा ामी "रामीस रास"अकारतार रास रामीा का ककन आयया ह। सतारतारः श बरहमाननामी डबना ही रास रामीा करना ह। जब आयतयामीा को अपनपरााशर क अधतारररक और कछ भी न दखायी , तारोही रास ह। अगो का सपनन तारो ामीा बाह कीडा ह।उसका ारन इसललय दकया गया ह दक जजसस हामीारीामीानीय बधद रास लीला क गहन रहसयो को आयतयामीसातारकर सक।

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सखी ामीाहो ामीाह ातार कर, आयज अामी कया रललयातार।

ख दनरखीन न ठर, आयज करस राामीतार दनघातार।।३।।

सलखया आयपस ामी बातार कर रही ह - आयज तारो हामीधिनय-धिनय हो गयी ह। अपन पराालभ की अनपामीशोभा को खकर हामीार न शीतारल हो गय ह। आयज तारोहामी जी भर कर अपन पराााधिार क साक परामीामीयी कीडायकरगी और अपन हय की पयास बझायगी।

ख नानो ागो पहरयो, तारडा ान।

ामीसतारक ामीकट सोहाामीाो, ख लयावया अनपामी।।४।।

खो! आयज दपरयतारामी न दकतारना सनर नया सतर पहनाहआय ह, और ामीसतारक पर अधतार सनर ामीकट भी धिाराकर ललया ह। ऐसा लगतारा ह दक उनक ामीन ामी भी हामीारसाक रास खलन की इचछा ह, तारभी तारो उनहोन ऐसी

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अनपामी छद धिारा की ह और बासरी की आयाज स हामीसमामीोदहतार करक इस नान ामी बलाया ह।

भली भातारना भखा पहरया, ा रसालज ाय।

साक सकलामीा आयीन ऊभो, करस राामीतार उछाय।।५।।

उनहोन ताररह-ताररह क अधतार सनर आयभषा पहन रखह। हामीारा धचत हरन क ललए अधतार ामीीठी बासरी भी बजारह ह और सय हामी सबक बीच ामी आय-आयकर खड होजा रह ह। अब हामीार ललए सनहरा असर ह दक हामीउामीग ामी भरकर उनक साक परामीामीयी कीडाय (राामीतार)कर।

तारा भखा न तारो ागो, नटरनो लीधिो ख।

घाा दस राामीतार कीधिी, पा आयज कास सख।।६।।

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पराा-दपरयतारामी न अधतार सनर आयभषाो की ताररह ऐस हीसनर सतर भी धिारा दकया ह। उनक दारा नटर (नतययए अणभनय कला करन ाल) जसा अधतार ामीनामीोहक भषधिारा दकया गया ह। यददप बरज ामी हामीन बहतार दनो(११ षर) तारक लीलाय की ह, दकनतार आयज तारो दशषरप स ामीहारास की ही लीला होगी।

रास रामीान ालजी अामीार, आयज कीधिो उछरग।

ना जोई जोई नह उपजा, ारी जाऊ ामीखारन प।।७।।

आयज ामीहारास खलन क ललए धिाामी धिनी न हामीार हयामी अपार उामीग भर ी ह। अपन परामी भर नो स हामीारीताररफ बार-बार ख रह ह और हामीार हय ामी परामी प ाकर रह ह। ामी उनक सनर ामीख की ामीधिर ामीसकान परनयोछार ह।

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सखी इ ातारी एामी कह, चालो जए ालाजी न पास।

कठ लाई ामीारा ालाजी सग, कीज रग दलास।।�।।

इस परकार इसी बीच शरी इनातारी जी उन सलखयो कपास आयकर कहतारी ह दक चलो सलखयो! हामी दपरयतारामी कपास चल और उनक गल ामी बाह डालकर परामी कीआयननामीयी लीलाय कर।

एी ातार साभलतारा ालजी अामीार, आयीन गही ामीारी बाह।

कहो सखी पहली राामीतार कही कीज, ज होय तारामीारा धचतार ामीाह।।९।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक हामी लोगो क बीच ामी यहबातार अभी चल ही रही की दक शरी राज जी न सन लीऔर हामीार पास आय गए तारका ामीरी बाह पकड कर अधतारपरामी भर शबो ामी कहन लग दक सखी! तारमहार ामीन ामी जोबातार हो उस तारामी बताराओ दक सबस पहल कौन -सी

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राामीतार खल?

सलखयो ामीनोरक होय तार कहजो, रख आयाो ओसक।

जामी कहो तारामी कीजजए, आयज करस राामीतार दनसक।।१०।।

ह सलखयो! तारमहार ामीन ामी जो भी इचछा हो, उस अशयबताराओ। अपन ामीन ामी दकसी ताररह का सशय न रखो। तारामीजसा कहोगी, सा ही ामी करगा। आयज तारो हामी सभीखल हय स (दबना दकसी सकोच क) रास की राामीतारकरग।

पर ामीनोरक तारामीताराा, करार काय जी जामी।

सखी जीन ामीारा जी तारामी छो, कहो कर ह तारामी।।११।।

ामी तारमहारी परामी की चाहतार को पार करगा , जजससतारमहार जी को आयनन दामील। ह सलखयो! तारामी ामीर जी

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क जीन हो, इसललय तारामी सभी जसा कहोगी ामी सा हीकरगा।

भााकर- उपरोक चौपाई क तारीसर चरा ामी शरी राज जीक दारा कहा गया ह दक "सलखयो तारामी ामीर जी कजीन हो", तारो यहा यह सशय प ा होतारा ह दक कयाअकषिरातारीतार क सरप ामी भी जी का अअससतारतय ह?

इसका सामीाधिान इस परकार ह- सतारतारः श आयणशक(परामीी) क ललए उसका ामीाशक (परामीासप) ही उसकजीन का आयधिार होतारा ह। अपन ामीाशक क दबनाआयणशक अपन अअससतारतय की कलपना नही करतारा। इसलौदकक जगतार ामी जजस चतारनय क शरीर ामी रहन स पराशरीर चतारन बना रहतारा ह, उसको जी कहतार ह। इसीताररय को शारन क ललए लौदकक भा ामी जी का जीनकहा गया ह। अकषिरातारीतार जजस तारन ामी दराजामीान हो, उस

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तारन को कायरशील होन क ललए जी की आयशयकतारानही ह और न ही दकसी भी अससकधतार ामी उनकी ामीतयय कीसमभाना ह, कयोदक अपन ही सतार अग अकषिर बरहम कसाअसपनक रप आयदनाराया क दारा सारी सदषट कोजीन शदक ही रह ह। दकनतार परामी की अणभवयदकइनही शबो ामी की जातारी ह दक ामी अपन परामीासप क दबनारह ही नही सकतारा।

यददप वरज लीला ामी शरी कषा जी क जजस तारन ामीबठकर उनहोन लीला की, उसामी दषा भगान का जीअशय का, दकनतार रास ामी जजस शरी कषा (बाक दबहारी)क तारन ामी दराजामीान होकर उनहोन लीला की, ह सयचतारनय नरी तारन ह और उसको जीदतार रहन क ललएदकसी जी की आयशयकतारा नही ह।

रास की राामीतारो क सामीय अकषिर की आयतयामीा और जोश क

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साक अकषिरातारीतार क आयश न ही लीला की। उस सामीयसलखयो क एक-एक तारन ामी बरहमसदषट अपन जी क साककी तारका ो-ो ईशरी सदषट उस तारन ामी ददामीान होकररास की लीला ख रही की। कामीाररकाओ क जीसबललक क कारा ामी वरज लीला ामी अखणड हो चक क,जो बा ामी परधतारदबमब की सलखयो क रप ामी अतारररतारहए।

रासनी राामीतार अधतार घाी, अनक छ अपार।

सघली राामीतार सभारीन, अामीन रामीाडो आयधिार।।१२।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- पराादपरयतारामी! रास कीराामीतार अतययधधिक आयननामीयी ह। सिया ामी बहतार ह ,अननतार ह। दकनतार आयप सभी आयननामीयी राामीतारो कोधयान ामी रखकर हामी ामीिय-ामीिय राामीतारो (कीडाओ) का

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आयनन ीजजए।

अामी रग भर रामीा आयदया, काई करा दनो हास।

उतयकठा अामीन घाी, तारामी परो सकलनी आयस।।१३।।

हामी सभी अपन हय ामी परामी भरकर आयपस रास कीडाकरन क ललए आययी ह। हामीार ामीन ामी आयपस परामीामीयीहसी-दनो करन की बहतार अधधिक इचछा ह। आयपहामीारी इन सभी इचछाओ को परा कीजजए।

अामी असर खी उलाजसयो, काई अगड अधतार उामीग।

कह इ ातारी अामीन, तारामी सहन रामीाडो सग।।१४।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- परााशर! रास कीडा कललए यह उपयक असर खकर हामीारा हय उलास सभर गया ह। हामीार अग-अग ामी इसललए अधतार उामीग छाई

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हई ह दक आयप हामी सबक साक रास की परामीामीयी लीलायकरग।

परकरा ।।११।। चौपाई ।।४२५।।

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चरचरी

ामीार ालए करी उामीग, सखी स र तारडी सग।

रामीाड न न रग, अभतार लीला आयज री।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर पराालभ न ामीहारासक ललए हामी सब सलखयो क अनर उामीग भर ी ह औरदनतयय नान ामी बला ललया ह। आयज नए-नए ढगो स रास की अीतार लीला कर रह ह।

सलखयो ामीली सघातार, सोणभतार चानी रातार।

तारज भखा अियातार, ामीीठ सर बाज री।।२।।

आयज राद ामी चनामीा की शीतारल चानी णछटक रही ह।सभी सलखया अपन दपरयतारामी क साक दामीलकर खल रहीह। उनक आयभषाो स अपार तारज झलकार कर रहा ह

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और अधतार ामीधिर धदन दनकल रही ह।

जोतारा जोतार नान, अग रग उतारपन।

साामीगी सखी जीन, नलो स र साज री।।३।।

नान की इस भदामीका ामी चारो ओर जयोधतार हीजयोधतार दखायी रही ह। सलखयो क अग-अग ामी परामीही परामी परकट हो रहा ह। सलखया, उनक जीन कआयधिार शरी राज जी, ए दनतयय नान की समपारसाामीगी अधतार नीन शोभा स शोभायामीान हो रही ह।

अग सह अलल, कर र रगना रल।

दलास दनो हास खल, लोपी रामी लाज री।।४।।

सभी सलखयो क अग-अग अधतार सनर ह। परामी औरआयनन की कीडा ामी परी ताररह स डब गयी ह। उनहोन

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बाह लजा का आयरा भी हटा दया ह और अपनपराालभ क साक आयनन, दनो (ामीजाक या हास-पररहास) क साक रास की राामीतार कर रही ह।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी "सलखयो क दारालजा क पररतययाग" की बातार कही गयी ह। इसस ामीन ामीयह सशय उठतारा ह दक धिामीरगनको ामी तारो कहा गया ह -"लजा ही नारीाा भषा" अकारतार लजा ही नारी काआयभषा ह। परामीधिाामी की बरहमसदषटयो को रास कीडा ामीलजा का पररतययाग करन की कया आयशयकतारा की?

इसका सामीाधिान यह ह दक सलखया परामी क उस सताररतारक पहच गयी ह, जजसस "ामी" और "ामीर" का अअससतारतयनही रहतारा। लजा का अनभ तारो तारब होतारा ह , जबसाामीन कोई सरा-पराया हो। जब उनहोन अपना स रसअपन परााशर को सौप दया और अपना अअससतारतय ही

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दामीटा दया तारो लजा कयो कर?

लौदकक ददषट स खा जाय तारो जी सदषट की एकसाामीानय नारी भी अपन लजा गा को नही छोडतारी, तारोऐसी असका ामी भला बरहमसदषट कस छोड सकतारी ह ?दकनतार यद परामीधिाामी की बरहमसदषट अपन परााशर स लजाकरतारी ह, तारो इसका तारातयपयर यह ह दक ोनो क बीच ामीअभी पार ह।

च च ाए ा, रग रस लखा लखा।

उपजा अधतार घा, परा परा काज री।।५।।

दपरयतारामी बीच-बीच ामी बासरी बजा रह ह और कषिा-कषिाामी आयनन की रसधिारा को भी बहतार अधधिक बा रह ह।इस परकार सबकी इचछाओ को पार कर रह ह।

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रामी उनामीपा, ालाजी स रग घा।

कर कठ धिाी तारा, दलस सग राज री।।६।।

दपरयतारामी क साक परामी दभोर होकर लीला करन क ललएसलखयो न ामीन ामी दचार दकया दक अपन परााशर कसाक रास का बहतार अधधिक आयनन लन क ललए उनकगल ामी बाह डालकर हामी राामीतार करनी होगी। इस परकारही हामी धिाामी धिनी क साक ासतारदक आयनन ल सकगी।

ााी तारो बोल ामीधिर, करस गही अधिर।

दपए ालो भरपर, राखी हडा ामीाझ री।।७।।

दपरयतारामी अामीतार स भी ामीधिर ााी बोल रह ह। सलखयोकी परामीामीयी भाना जानकर उनकी बाह पकडकर उनहगल स लगा लतार ह और उनक अधिराामीतार का जी भर कररसपान करतार ह।

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पर- उपरोक चौपाई क ककन स यह सशय प ा होताराह दक जब परामी का समबनधि शरीर स नही होतारा बअसलकआयतयामीा या परामीातयामीा स होतारा ह, तारो यहा सय अकषिरातारीतारक दारा सलखयो का आयतलगन और अधिराामीतार का पानकरना कया अशलीलतारा नही कही जा सकतारी?

उतर- अशलीलतारा का समबनधि ामीन ामी उतयपनन होन ालकाामी दकार स होतारा ह। गीतारा ३/३६ ामी कहा गया ह"काामीः श एष कोधिः श एष रजोगा सामीीः श" अकारतार काामीऔर कोधि की उतयपलत रजोगा स होतारी ह।

सलखयो तारका शरी राज जी का सरप दगाातारीतार हऔर दनतयय नान भी दगाातारीतार ह, इसललय सपन ामीभी हा काामी दकार या अशलीलतारा का पर नही ह। जबहय परामी पद परामी ामी डबा हो , तारो हा काामी दकारकी उतयपलत हो ही नही सकतारी। ो य ा भाई -बहन

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एकानतार ामी रहकर हसी करन पर या आयतलगनबद होन परभी ामीनोदकार स गसतार नही हो सकतार कयोदक उनकीभानाय पद होतारी ह, और उस पद परामी की अदगन ामीकाामी रपी दकार रई क फोह की ताररह जलकर राख होगया होतारा ह, जबदक ही य ा अपनी पतयनी क परधतारदनरकार नही होतारा। इसका ामील कारा उसक ामीन कभाो ामी पद परामी का न होना ही होतारा ह।

साामीानय वयदक का ामीन सपशर ामीा स या धचनतारन ामीा सदकारगसतार हो सकतारा ह, दकनतार बराहमी असका को परापहए परामीहस का ामीन रामीणायो क बीच रहन पर भीदकारगसतार नही हो सकतारा, कयोदक उसकी ददषट ामील-ामी स भर सकल शरीर क नशर सौयर ामी जाएगी हीनही । ह उनह आयअसतयामीक ददषट स ही खगा।

जजस अकषिरातारीतार क पल भर क धयान ामीा स हय

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पारतारया दनरकार हो जातारा ह, सय ही अकषिरातारीतार कयासपन ामी भी काामी दकार स गजसतार हो सकतार ह? ऐसासपन ामी भी नही सोचा जा सकतारा। सबको साफ करनाला साबन कया ामील स गजसतार हो सकतारा ह? यदनही , तारो अकषिरातारीतार की दवय परामीामीयी लीला ामी काामीदकार की कलपना दकतार ामीानीय ामीअससतारषक की नकही जा सकतारी ह। हा, इतारना अशय ह दक इस लीलाकी नकल करन का ससाहस साामीानय ामीनषयो को नही करना चादहए अनयका पतारन का होना साभादक ह।

रामीतारी इ ातारी, घातारो घाी लयातारी।

ालया ामीन भातारी, ामीखामीा ामीरजा री।।�।।

शरी इनातारी जी अपन ामीख पर ामीयारा क साक ताररह-ताररह की भा-भदगामीाय लकर रास खल रही ह और

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अपन परााशर क ामीन को लभा रही ह।

परकरा ।।१२।। चौपाई ।।४३३।।

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राग धिना शरी

ालयो रामीाड र, अामीन न न रग।

जामी जामी रदामीए र, तारामी तारामी ाधि र उामीग।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी ! दपरयतारामीनय-नय आयनन न ाली राामीतारो क साक हामी रासखला रह ह। हामी जस-जस खल ामी डबतारी जातारी ह ,स-स हामीारा उतयसाह भी बतारा ही जातारा ह।

सकल ामीललयो र साक, सोभ ालया सघातार।

जाणाए उयो परभातार, धतारामीर भाजजयो रातार, सोह ना र न।।२।।

रास लीला करतारी हई सलखयो की दपरयतारामी अकषिरातारीतारक साक सी ही शोभा हो रही ह, जस बीतारतारी हई रादक पशातार लाललामीा क साक उगतारा हआय सरज अपनी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दकराो क साक शोभायामीान होतारा ह। इस परकार, दनतययनान की अनपामी छद दखायी रही ह।

भखा झलहलकार, नग तारो तारज अपार।

जोतार तारो अधतार आयकार, सतारर सोह जसागार, ामीोह ालो र ामीन।।३।।

सलखयो क आयभषा झलकार कर रह ह। उनामी जड हएनगो स अपार तारज दनकल रहा ह। उनक शरीर ामी धिारादकय गय जयोरतारामीयी सतरो का शरगार अतययधधिकशोभायामीान हो रहा ह। इस परकार, अपनी अनपामी छदस दपरयतारामी शरी राज जी क ामीन को ामीगधि कर रही ह।

जसागार स र सोह, ालोजी खतार करी जए।

जाणाए ामीलगा र होय, तारारतारामी दना न कोय, जाा एह र धिन।।४।।

सलखयो क सभी शरगार इतारन सनर ह दक सय शरीपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 441441 / 814/ 814

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राज जी भी अपनी परामी भरी चाहतार क साक उनह दनहार(ख) रह ह। उनक सतरो तारका आयभषाो की शोभा ऐसीदखायी रही ह दक जस ामील स ही इनका शरीर कसाक अखणड समबनधि रहा ह। दबना तारारतारामी ञान क इसगह रहसयामीयी ञान रपी धिन क दषय ामी कोई भी नही जान सकतारा।

भााकर- योगामीाया क बरहमाणड ामी परतययक सतार चतारनए अखणड ह। इस परकार, सलखयो क सतर ए आयभषाभी चतारन, परकाशामीयी, और अखणड ह। ऐसा परतारीतारहोतारा ह दक जब स सलखयो क शरीर ह , तारभी स सतरऔर आयभषा भी ह, अकारतार इनह कालामीाया क बरहमाणडकी ताररह स पहना नही गया ह। इसका दनषकषर यही दनकलतारा ह दक इन ोनो (शरीर ए सतर-आयभषा) कासमबनधि शाशतार ह तारका एक-सर ामी ओतार-परोतार भी ह।

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ालोजी अधतार उलास, ामीन ामीाह रललयातार।

परा सनरीनी आयस, ामीरकलड कर हास, उलट उतारपन।।५।।

परााशर अकषिरातारीतार अतययधधिक उलास ामी ह। सलखयोकी भा-दहवलतारा खकर ामीन ही ामीन बहतार परसनन ह। उनकी परामी भरी चाहतार को पार करन क ललय ामीसकरातारहए हसी-ामीजाक करतार ह। इसक परतययतर ामी सलखया भीसा ही हास-पररहास करतारी ह।

षटवय- रास लीला क हास-पररहास को ामीानीय हसीनही सामीझना चादहए , बअसलक यह एक परकार काअलौदकक परामी ह जो आयतयामीाओ तारका परबरहम क बीच ामीपरादहतार होतारा ह। इसकी ामीधिर रसधिारा का कनअकषिरातारीतार का हय होतारा ह।

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सख तारो ालाजीन सग, अरधिाग ललए र अग।

जतारी करतारी जग, रामी न न रग, घा जसन।।६।।

दपरयतारामी अकषिरातारीतार अपनी अगरपा सलखयो को रासलीला करक सख रह ह। रास की कीडाओ ामी सलखयाधिाामी धिनी क कभी आयग होतारी ह, तारो कभी पीछ होतारी ह।ऐसा लगतारा ह दक जस परामी का कोई यद चल रहा हो।नयी-नयी आयननामीयी कीडाओ स सभी रास खल रहह। ऐसा परतारीतार होतारा ह दक जस अननतार परामी और अननतारआयनन का सामीारोह हो रहा हो।

सनरी लभ बन, कर इछा ामीन गामी।

रीस तारो कोए न खामी, नीच तारो भाख न नामी, बोल बल तारन।।७।।

शरी राज जी और सलखया अपन ामीन क अनसार ताररह-ताररह की कीडाय कर रह ह। रास की कीडा ामी न तारो कोई

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दकसी पर कोधि करतारा ह और न कोई दकसी क ललयरखी भाषा बोलतारा ह। इसललय न तारो कोधि को सहनकरन का कोई परसग आयतारा ह और न रखी भाषा बोलनक कारा परायधशतार क रप ामी झकना पडतारा ह , बअसलकसभी परामी स भरपर अपन नरामीयी तारन की शदक कअनसार अधतार ामीीठी ााी बोलतार ह।

भााकर- उपरोक ोनो चौपाइयो ामी परयक अधिारदगनी ,य तारी, तारका सनरी आयद शबो का परयोग साामीदहक रपस शयाामीा जी सदहतार सभी सलखयो क ललए दकया गया ह।यददप बाह रप स खन पर ऐसा लगतारा ह दक जस यहकल शरी शयाामीा जी क ललय परयोग हआय हो, दकनतार यतारीनो शब सलखयो क दशषाातयामीक पयारयाची शब ह,जो सामीदषट (साामीदहक) रप ामी एक चन क रप ामी शारयगय ह।

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चालतारी चताररा र चाल, ामीख तारो अधतार ामीछराल।

सोहतारी कट लकाल, चढतारी जाा घटाल, परामी काामी ससधि।।�।।

दवय परामी-काामी क सागर अकषिरातारीतार क साक कीडाकरतारी हई सलखया बहतार चतारराई भरी चाल स चलतारी ह।उनक ामीख अधतार सनर लग रह ह। उनकी कश कदट(पतारली कामीर) बहतार ही ामीनोरामी लग रही ह। उनक लहगका घरा कामीर ामी पतारला ह तारका नीच चौडा ह। इस परकारह एक घणट की ताररह शोभायामीान हो रहा ह।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी परयक "दवय परामीकाामी" का तारातयपयर अकषिरातारीतार क हय ामी परादहतार होनाल उस दगाातारीतार ए दनरकार परामी स ह, जो सभीबरहमातयामीाओ की दवय काामीनाओ को पार करन ाला ह।यहा "काामी" शब का आयशय ासना-जनय काामी दकारस नही ह, अदपतार आयतयामीा और दपरयतारामी क हय ामी एक-

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सर को अननतार गना चाहन का जो भा ह, उस ही यहाकाामी कहा गया ह, जो शाशतार, दनरकार, ए दगाातारीतारह।

छलाइए अधतार छल, लभ सघातार गहल।

परामी तारो परो भरल, सयाामी सग रग रल, ाल बाहोडी र बधि।।९।।

चतारराई भरी सलखया रास की राामीतार खलन ामी बहतार हीदनपा ह। दपरयतारामी क परामी ामी पारतारया बसधि हो चकीह। उनक हय ामी अपन परााशर क ललय अपार परामी भराहआय ह। उनक गल ामी बाह डालकर आयनन क अगासागर ामी डब चकी ह।

भााकर- इस चौपाई ामी यह सशय होतारा ह दक बारहहजार सलखया अकल शरी कषा जी क साक बाहडालकर कस कीडा कर सकतारी ह?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इसका सामीाधिान यह ह दक जब इस कालामीाया कयोगीजन अपन सकलप क दारा एक सामीय ामी अनक तारनधिारा कर लतार ह, तारो अकषिरातारीतार की लीला को एकसाामीानय ामीानीय तारराज पर तारौलना अपनी दकहीनताराका परामीाा ना ह। अकषिरातारीतार की लीला को साामीानयामीानीय बधद स कभी भी सामीझा नही जा सकतारा। आयगक परकराो ामी यह परसग आयएगा, जजसामी यह बातार शारयीगयी ह दक अनतारधिारन लीला स प र शरी राज जी न कईबार अपन को बारह हजार तारनो ामी परकट कर बारह हजारसलखयो क साक लीला की ह।

यद यह कहा जाय दक अभी तारक तारो शरी राज जी कदारा बारह हजार तारन धिारा करन का परसग नही आययाह, दफर भी सलखयो क दारा उनक गल ामी बाह डालकरलीला करन का ारन कयो ह?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सतारतारः श चौपाई ामी सभी सलखयो क दारा गल ामी बाहडालन का परसग नही आयया ह। पकधचतार काल क ललययद हामी यह भी ामीान ल दक सभी सलखयो क दारा गल ामीबाह डालकर लीला करन का ारन दकया गया ह , तारोइसामी असमभ नाामी की कोई भी बातार नही ह , कयोदककालामीाया की गणातार और लीला क आयधिार पर योगामीायाकी गणातार, लीला, और सामीय को नही सामीझा जासकतारा।

ााी तारो बोल दसाल, रामीतारी रामीधतारयाल।

कठ तारो झाकझामीाल, अग तारो अधतार रसाल, सोहतारी र सनधि।।१०।।

रास कीडा ामी दनपा सलखया अधतार ामीनोहर और उचचसरो ामी गा रही ह तारका खल रही ह। उनक कणठ सदनकलन ाल सर बहतार ही आयकषरक ह। उनक अग-

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अग की शोभा अधतार ामीनामीोहक ह। इस परकार रास लीलाामी शोभायामीान हो रही ह।

गातारी सचग रग, आयातारी अधतार उामीग।

सर एक गाए सग, अलली अधतार अग, ासनाओ सगधि।।११।।

अपन हय ामी अधतार उामीग भरकर सलखया आयनन नाल बहतार ही ामीनोहर सरो ामी गा रही ह। हामीसा एकसरो ामी ही गातारी ह , अकारतार उनक गायन ामी आयरोह-अरोह आयद का दकार नही होतारा। उनक अग-अग ामीअतययधधिक सनरतारा ए अलौदकक सगअसनधि ददामीान ह।

लभ कठ लाय, ललए रग धिाय धिाय।

राामीतार कर साय, पाछी न राख काय, ऊभी रह र उकधि।।१२।।

अपन हय ामी परामी ललय हय सलखया ौड-ौडकरपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 450450 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयतारी ह और पराादपरयतारामी क गल लग जातारी ह। एक-सर स ब-चकर कीडाय करतारी ह। कोई भी खल ामीपीछ नही रहतारी। रास लीला ामी दताराप रक खडी रहतारीह, अकारतार पर ामीन स सलगन रहतारी ह।

इ ातारी अग आयप, ालाजीस कर दियातार।

ामीखतारो ामील सघातार, अामीतार दपए अघातार, सख तारो ललए र सनर।।१३।।

अपन परााशर अकषिरातारीतार स परामीामीयी ातारार करतारी हईशरी इनातारी जी आयतलगनबद हो जातारी ह और ामीख सामीख लगाकर अकारतार चमबन दारा अधिराामीतार का रसपानकरतारी ह। इस परकार ह इस सनर लीला का अपारसख लतारी ह।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी रातार "चमबन" ए"अधिराामीतार पान" को काामी दकार की ददषट स कभी नही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

खना चादहए। जनामी-जनामीानताररो स दषय-ासनाओक बनधिन ामी फसा हआय जी जब णशश रप ामी अपनीामीातारा का सतारनपान करतारा ह, तारो उस सामीय उसक हयामी जो पदतारा होतारी ह , उसस करोडो गना पदतारासलखयो और शरी राज जी क "चमबन" ए "अधिराामीतारपान" ामी होतारी ह। इसललय रास की इस लीला कोदकार-गसतार साामीानय ामीनषयो दारा की जान ाल काामीलीला स जोडकर नही खा जाना चादहए। सतारतारः शसलखया तारो उनकी ही अगरपा ह।

काामी की उतयपलत तारो दगाातयामीक बरहमाणड ामी पराय कसपशर, आयतलगन, ए चमबन स होतारी ह। कया कोई वयदकअपन ही अगो क सपशर स दकार गसतार हो सकतारा ह ?जब सलखया उनस अणभनन ह और उनकी ही अगरपा ह,तारो ोनो क बीच होन ाली पद परामीामीयी लीला ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दकार की आयशका पालना ही ामीहापाप ह। यह बातार तारोस ही कही जा सकतारी ह दक जस आयखो पर कालाचशामीा चा लन पर शतार धि भी काला दखतारा ह। इसामीोष चशामी की ददषट का ह, धि का नही ।

परकरा ।।१३।। चौपाई ।।४४६।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग शरी कालरो

आयोर सलखयो आयपा हामीची खदए, ालाजीन भला लीज र।

राामीतार करतारा गीतारज गाइए, हास दनो रगडा कीज र।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो ! आयओ, हामीसभी धिाामी धिनी क साक दामीलकर उछलतार हए तारालीबजान का खल खल। इस परकार का खल करतार हए हामीगीतार भी गाय और हास-पररहास करतार हए आयननामीगनरह।

ामीारा ालया ए राामीतार घा रडी, हामीचडी रललयाली र।

कालराामीा कणठ चढाी, गीतार गाइए पडताराली र।।२।।

ामीर पराादपरयतारामी! यह राामीतार बहतार ही अचछी ह, हामीारीामीनपसन ह और अधतार सहानी ह। हामी सभी ताराललया

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बजातार हए राग कालरो ामी उचच सर स परामी भर गीतार गाय।

हामीचडीनो असर आयवयो, आयग कह नही अामी तारामीन र।

एो सामीयो अामीन कयाह न लाधिो, हाामीडी रहीतारी अामीन र।।३।।

अब हामी अपनी चाहतार को पार करन का असर परापहआय ह। इसक पहल हामीन कभी भी अपनी परामी की इचछाको आयपक साामीन वयक नही दकया का। इसक अधतारररकऐसा सनहरा असर भी हामी कभी पराप नही हआय का।इस परकार हामीारी चाहतार ामीन ामी ही रह गयी की।

ज रस छ ाला हामीचडीामीा, तार तारो कयाह न ीठो र।

जामी जामी सलखयो आय अधिकरी, तारामी तारामी दए रस ामीीठो र।।४।।

इस राामीतार ामी हामी जजस आयनन की परादप हो रही ह ,सा आयनन अब तारक कभी पराप नही हआय का। जस-

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जस सलखया इस लीला ामी डबतारी जायगी, स-स उनहऔर अधधिक ामीधिर आयनन की परादप होतारी जाएगी।

चन स र गाइए परामीना, तारना अकर अगामीा सामीाय।

तार तारा अकर परगट पाधिरा, हसतारक ाला सग काय।।५।।

सलखयो! तारामी इस धिाराा क साक परामी क गीतार गाओ दकउसका भा भी हय ामी आयतयामीसातार हो जाय। उस परामीभर गीतार का सीधिा अकर यही ह दक हामी अपन परााशरअकषिरातारीतार का हाक पकडकर लीला ामी डब जाय।

अामीतार पीज न चामीन ीज, कठड ालान लाइए।

हामीचडीामीा ा रस लीज, रहस राामीतारडी गाइए।।६।।

इस खल ामी हामी तारीन परकार का आयनन ल। पहलदपरयतारामी क अधिरो का पान कर, उनक सनर ामीखारदन

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पर चमबन ल, और परामी भर भाो स उनक गल लगजाय। इसक अधतारररक हामी इस खल ामी परामी कआयननामीयी गीतार भी गातार रहना ह।

ए राामीतारामीा दलास ज कीधिा, तार कहाय नही ामीख ााी र।

स र सखडा लई करीन, रहा रयाामीा जााी र।।७।।

इस खल ामी परामी क जजस आयनन का हामीन अनभदकया, उस इस ामीख स ााी क दारा वयक नही दकयाजा सकतारा ह। हामी सभी न इस लीला का आयनन लकरइस अपन हय ामी सामीा ललया ह। इसी स इस लीला कीामीहता जानी जा सकतारी ह।

जटला चन गाया अामी रामीतारा, तार स रना सख लीधिा।

कह इ ातारी कामी कह चन, अनक सख ाल ीधिा।।�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हामीन रास की राामीतार करतार हए परामी क जजन-जजन चनोको गाया ह, शरी इनातारी जी कहतारी ह, उन चनो ससमबअसनधितार लीला ामी हामीन परतययकषि उन परामी भर चनो कसख का अनभ दकया ह। ामीहता का कस ारन कर?जजनक कारा हामीारी इचछा परी करन क ललए धिाामी धिनीन हामी अनक परकार स आयनअसनतार दकया।

भााकर- इस चौपाई ामी इस बातार का सकतार दकया गयाह दक सलखया अपन परामी की चाहतार परी करन क ललएजजन भाो स परामी क गीतार गातारी की , धिाामी धिनी उनही भाो क अनसार लीला करक सख तार क।

परकरा ।।१४।। चौपाई ।।४५४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग ामीार

ाला आयपा रदामीए आयख दामीचाामीाी, ए सोभा जाय न कही र।

दनकनजना ामीदर अधतार सनर, आयपा छदपए तार जजा कई र।।१।।

शरी इ ातारी जी कहतारी ह दक ह दपरयतारामी! अब हामी आयखदामीचौनी (बन करन) की राामीतार खल। इस राामीतार कीशोभा का शबो ामी ारन नही हो सकतारा। फलो क बनहए गोल आयकधतार ाल दनकञ क ामीअसनर बहतार ही सनरह। हामी सभी अलग-अलग होकर उसामी णछप जातार ह।

ए साीन साक सह हरियो, ए छ राामीतारडी सारी।

पहलो ा आयपाामीा कोा स, तार तारामी कहोन दचारी।।२।।

यह सनकर सभी सलखया बहतार ही हरषतार हो गयी औरकहन लगी दक यह खल तारो बहतार अचछा ह। दकनतार शरी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इनातारी जी कहतारी ह दक तारामी सभी सलखया आयपस ामीदचार करक यह बातार बताराओ दक हामीामी स सबस पहलकौन ा अकारतार बारी गा?

सह साक कह ालो ा स, पहलो तार दपउजीनो ारो।

जो पहलो ा आयपा ऊ, तारो ए झलाए नही धितारारो।।३।।

सब सलखया कहन लगी दक सबस पहल दपरयतारामी ा(बारी) ग। पहली बारी उनकी ही ह। यद हामी सबपहल ा लगा गी, तारो यह छललया दपरयतारामी दकसी भीताररह स हामीार हाक ामी आयन ाला नही ह।

आयो र ाला ह आयखडी ामीीच, आयखडी तार ामीीचजो गाढो।

अामी जईन नामीा छदपए, पछ तारामी खोलीन काढो।।४।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक दपरयतारामी! आयप ामीर पासपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 460460 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयइय। ामी आयपकी आयख बन करतारी ह, या यद आयपसतारः श आयख बन करना चाहतार ह , तारो अचछी ताररह सबन कीजजए। हामी सभी न ामी जाकर णछप जातारी ह। बाामी आयप हामी ढढ लीजजए।

सलखयो तारामी छाना कई छपजो, भखा ऊचा चढाओ।

रख सलखयो कोई आयप झलाओ, ामीारा ालाजी न खीडी ख ाो।।५।।

ह सलखयो! तारामी सभी एकानतार ामी णछप जाओ। अपनभषाो को ऊपर करक चलो , जजसस उनकी आयाजदपरयतारामी को सनायी न पड और उसक आयधिार पर तारमह पकड न सक। तारामी इतारनी साधिानी स णछपना दककोई भी उनकी पकड ामी न आय सक। इस परकार हामीअपन धिाामी धिनी की हसी उडाएगी।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

छलाइए छाना कई छपजो, रख कोई बोलतार काई।

ए कान सरओ छ सबलो, हामीाा तार आयस आयही ।।६।।

यह धयान रखना दक तारमह बहतार चतारराई क साक णछपनाहोगा। तारामीामी स कोई भी आयपस ामी बातारचीतार न कर। इनककान सनन ामी बहतार तारज ह। य हामीारी बहतार धिीामीी आयाजभी सन लग और उसी सामीय हा आय धिामीकग।

लपतारो छपतारो आय छ, सलखयो साचतार काइए।

आयाीगामीा जो आय ालो, तारो इहा ककी उजाइए।।७।।

सलखयो! तारामी सभी साचतार हो जाओ। दपरयतारामी कभीभी लकतार-णछपतार आय सकतार ह। यद इधिर आयतार ह, तारोतारामी चपक स भाग जाना।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जो काच ालो आय ओलीगामीा, तारो आयपा पए जए।

ा रह जो ालाजी ऊपर, तारो फली अग न ामीए।।�।।

यद दपरयतारामी सरी ओर स आयय, तारो हामी कपकी ामीारनकी जगह पर ौडकर आय जाएगी। इस परकार, कलदपरयतारामी की ही बारी रहगी और उनको हरान क काराहामीको बहतार आयनन होगा।

तार ामीाट सह आयप सभारी, रख कोई परगट काय र।

जो ा आयपा ऊपर आयस, तारो ए कामी नही झलाय र।।९।।

इसललए ह सलखयो! आयप सभी साधिान हो जाओ।कोई उनकी ददषट (पकड) ामी न आय जाना। यह धयानरखना दक यद ा हामीार ऊपर आय जाएगा, तारो य दकसीभी ताररह स हामीारी पकड ामी आयन ाल नही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अामी दनकज नकी दनसरया, आयी ककला खाधिा।

ाल नामीा चीामीी चीामीी, शरी ठकरााीजी न लाधिा।।१०।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामी दनकञ न क ामीअसनरोस दनकली और पाली पर जाकर कपकी लगायी। धिाामीधिनी न धिीर-धिीर जाकर शरी शयाामीा जी को पकड ललया।

भााकर- इस राामीतार का दनयामी यह ह दक एक दनधशतारसकान पर दकसी एक वयदक की आयख बन कर ी जातारीह और सर सभी लोग अलग-अलग जगहो पर जाकरणछप जातार ह। जब तारक सभी णछप न जाय, तारब तारकआयख खोलन का अधधिकार नही होतारा। इसक पशातार उसणछप हए लोगो को खोजना होतारा ह।

कपकी लगान क ललए एक सकान दनधशतार कर दयाजातारा ह। णछप हए ामी स दकसी को पकडन स पहल, यदकोई आयकर उस दनधशतार सकान पर कपकी लगा तारा ह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारो उसको अपना प र ा ोबारा खलन क ललए दशहोना पडतारा ह। ह ा क बनधिन स तारब तारक ामीक नही हो जातारा, जब तारक कपकी लगान स प र ह दकसी कोपकड नही लतारा।

सलखयो जाओ तारामी छपा, ह ऊ ा सयाामीाजी न साट।

ह रामीी स नकी जाातारी, तारामी सयान ओ ामी ामीाट।।११।।

शरी राज जी कहतार ह दक सलखयो! तारामी न ामी णछपन कललए चली जाओ। शरी शयाामीा जी क बल ामी ा गा।यह बातार शरी शयाामीा जी को सीकार नही हई और उनहोनसपषट कह दया दक कया ामी खल क दषय ामी नही जानतारी? आयप ामीर ललए कयो ा ग?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राामीतारामीा ामीरजा ामी करजो, रामीजो ामीोकल ामीन।

नासी सको तारामी नासजो, तारामी साजो स र जन।।१२।।

शरी शयाामीा जी धिाामी धिनी स कहतारी ह दक आयप खल ामीामीयारा न दनभाइय। आयप खल ामीन स खललए। सलखयो!तारामी सभी ामीरी बातार सनो- तारामी इस न ामी जहा तारकभागकर णछप सकतारी हो, भाग जाओ।

भााकर- उपरोक चौपाई क पहल चरा ामी कहा गया हदक खल ामी ामीयारा नही करनी चादहए। इसका आयशय यहह दक परामी क सागर अकषिरातारीतार नही चाहतार दक उनकीअहादनी शदक शरी शयाामीा जी बारी का ा खलन ामीपरशान हो, दकनतार शरी शयाामीा जी को यह बातार सीकारनही ह।

उनका कहना ह दक खल क दनयामी सबक ललए सामीानहोतार ह। ामीझस घदनषट परामी क कारा खल क दकसी दनयामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी पररताररन नही होना चादहए। आयपको ामीर परामी -बनधिनस बाहर दनकलकर, दनयामी क अनकल खलना चादहए।इस ही सर चरा ामी "खल ामीन स खलना" कहा गयाह।

सयाामीाजी आयखडली ामीीचीन ऊभा, सलखयो नामीा पसरी।

सह कडछीन रामी जजा, भखा लीधिा ऊचा धिरी।।१३।।

शरी शयाामीा जी अपनी आयख बन करक खडी रही । उधिरसब सलखया न ामी फलकर णछप गयी । सब सलखयाजीतारन की परबल इचछा रखकर खल खलन लगी । उनहोनअपन आयभषाो को भी ऊचा कर ललया, तारादक उनकसकान का पतारा न चल।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयनन ामीाह सहए सलखयो, पए जाए उजााी।

भखा न दए बाजा, एाी चचलाई जाय न बखााी।।१४।।

सभी सलखया खल क आयनन ामी डबी हई ह। पाली(कपकी लगान क ललए दनधशतार दकया गया सकान) कीताररफ ौडकर जान लगी । उनहोन इतारनी साधिानी बरतारीदक अपन आयभषाो को जरा भी नही बजन दया। उनकीइस चतारराई भरी चपलतारा की ामीदहामीा का ारन नही होसकतारा।

उलास ीस अगो अग, शरी सयाामीाजी न आयज।

ठक ई ठकरााीजीए, जईन झालया शरी राज।।१५।।

आयज शरी शयाामीा जी क अग-अग ामी अतययधधिक उलासदख रहा ह। उनहोन पर स ताराल कर छलाग लगायीऔर धिाामी धिनी को पकड ललया।

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ए राामीतार घा रडी कई, ामीारा ालाजीन सग।

कह इ ातारी दनकज न, घा रामीतारा सोह रग।।१६।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक दनकञ न ामी अपन धिाामीधिनी क साक बहतार अचछी परकार स यह आयननामीयीराामीतार हई और इस खलतार हए सभी न बहतार अधधिकआयनन ललया।

परकरा ।।१५।। चौपाई ।।४७०।।

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राग अडोल गोरी - चरचरी

सखी खभान न नी, कठ कर कषा नी।

जोड एक अगनी, रामीतारी रग रास री।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक षभान सतारा शरी राधिाजी अपन दपरयतारामी शरी कषा जी क गल ामी बाह डालकररास की राामीतार कर रही ह। ऐसा लगतारा ह दक य ोनो(यगल सरप) एक ही अग ह।

सयाामी सयाामीाजी जोड सचगी, जओ सकल सरी।

सोभा ामीखारपनी, कर ामीाहो ामीाह हास री।।२।।

ह सलखयो! शरी शयाामीा जी की जोडी बहतार ही ामीनोहरलग रही ह। तारामी सभी इन यगल सरप क ामीखारदनकी अनपामी शोभा को खो। आयपस ामी हास-पररहास

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करतार हए, य ोनो दकतारन सनर लग रह ह।

पर- उपरोक ोनो चौपाइयो क ककन स तारो यह जसदहोतारा ह दक राधिा-कषा और शयाामी-शयाामीा एक ही ह।जब ााी ामी स र परामीधिाामी ामी शयाामी -शयाामीा कदराजामीान होन का परसग ह, तारो हा राधिा-कषा कोदराजामीान कयो नही कहा जा सकतारा?

उतर- ऐसा ामीानना बहतार बडी भल ह। जब पहलीचौपाई ामी राधिा जी को षभान की पी कहा गया ह, तारोपर यह होतारा ह दक कया परामीधिाामी ामी भी षभान औरपरभातारी जी ह? या परामीधिाामी ामी कया ामीातारा-दपतारा कासमबनधि होतारा ह?

यह स रददतार ह दक योगामीाया और परामीधिाामी ामी सनतारानउतयपलत की परदकया कादप समभ नही ह। इसललयपरामीधिाामी ामी षभान -परभातारी, नन-यशोा, या

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स-की क अअससतारतय का पर ही नही ह। इसीआयधिार पर न तारो हा राधिा जी हो सकतारी ह और नकषा जी। सतारतारः श य वरज लीला क नाामी ह।

अकषिर की आयतयामीा क ऊपर दराजामीान अकषिरातारीतार कआयश न दषा भगान क दारा धिारा दकए गए जजसतारन ामी परश दकया, उस पञभौधतारक तारन का नाामी शरीकषा ह। इसी परकार शरी शयाामीा जी दारा धिारा दकए गएतारन का नाामी राधिा जी ह।

तारारतारामी ााी का जसदानतार यही कहतारा ह दक बरहमसदषटकभी गभर ामी नही आयतारी। इस परकार यह तारो ामीानना हीपडगा दक शरी शयाामीा जी क इस तारन ामी आयन स पहलराधिा जी का जनामी हो चका का।

उपजतार ही ामीन आयसा घनी, कब हामी दामीलसी अपन धिनी।

पर. दह. ३७/२०

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परकाश ााी का यह ककन यही शार रहा ह दक शरीशयाामीा जी की सरतारा न दकशोर सरप ाली राधिा कअनर परश दकया का। इसी परकार बरहमसदषटयो न भीदकशोर सरप ाली कनयाओ क अनर परश दकयाका। तारभी दकशोर सरप ाली सलखयो क ामीन ामी, ननक घर आयए हए बालक क रप ामी, अपन परााशर कशरन की इचछा हई। यद शयाामीा जी की सरतारा उस तारनामी न आयतारी, तारो भी उनका नाामी राधिा तारो पड ही चका काकयोदक दकशोर असका ामी की।

यद इस जसदानतार को न ामीानकर , शरी कषा औरगोदपयो की सामीान उम ामीानी जाए , तारो ो दन कीगोदपया अपन धिाामी धिनी क शरन क ललए कस आयएगी?

यद यह कहा जाए दक सरी चौपाई ामी राधिा-कषा कोशयाामी-शयाामीा कहा ह। इस आयधिार पर परामीधिाामी ामी

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दराजामीान शयाामी-शयाामीा को राधिा-कषा कह सकतार ह,तारो यह कादप उधचतार नही ह। शयाामी-शयाामीा गा ाचकनाामी ह। इसका अकर होतारा ह- तारपाय हए कञन ार एदकशोरासका ाल यगल सरप। चाह ह यगल सरपकालामीाया ामी हो, योगामीाया ामी हो, या परामीधिाामी ामी हो।वरज ामी राधिा-कषा क यगल सरप को भी शयाामी-शयाामीा कहा गया ह, इसललए वरज क नाामी परायः श रास ामीपरयक होतार रह ह। परामीधिाामी ामी यगल सरप अधतार सनरदकशोरासका ाल ह, इसललए उनह शयाामी-शयाामीा कहाजातारा ह।

यह धयान रखन योगय ताररय ह दक शयाामी -शयाामीागापरक नाामी ह, जबदक राधिा-कषा शरीरपरक नाामी ह।इन शरीरो को जनामी न ाल ामीातारा-दपतारा ह, दकनतारपरामीधिाामी ाल शयाामी-शयाामीा क ामीातारा-दपतारा नही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जजस परकार पररकामीा गनक ामी परामीधिाामी क पश-पधकषियोकी शोभा का ारन पकर हामी यह नही कह सकतार दककालामीाया क य पश-पकषिी ही परामीधिाामी ामी ह , बअसलकपरामीधिाामी की लीला को सामीझन का एक आयधिार ामीानसकतार ह। उसी परकार वरज-रास ामी उनक अनपामीसौनयर क कारा उनह शयाामी-शयाामीा अशय कहा गयाह, दकनतार यह कादप नही ामीाना जा सकतारा दक परामीधिाामीामी राधिा-कषा ह।

भखा लटक भाामीनी, काई तारज करा काामीनी।

सग जोड सयाामीनी, नामीा कर दलास री।।३।।

शरी शयाामीा जी क सनर आयभषा उनक अग-अग ामीलटक रह ह, जजनस चारो ओर तारज फल रहा ह। अपन दपरयतारामी शरी राज जी क साक न ामी ताररह-ताररह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

की आयननामीयी कीडाय कर रही ह।

भााकर- "भाामीनी" का शद रप "भादामीनी" और"काामीनी" का शद रप "कादामीनी" होतारा ह। ोनो हीशब एकाकराची ह, जजनका तारातयपयर होतारा ह - अधतारामीनोहारराी दपरयतारामीा।

पाउ भर एक भातारस, रामीतारी रग खातारस।

जओ सखी जोड कानहस, काई सनरी सकला परी।।४।।

शरी शयाामीा जी चलतार सामीय एक दशष अा (भदगामीा)क साक अपन पा रखतारी ह। अपन दपरयतारामी क दशषपरामी की चाहना लकर आयननामीयी कीडाय करतारी ह। हसलखयो! शरी कषा जी क साक राधिा जी की इस ामीनोहरजोडी को लखए। अनय सभी सलखयो स कछ अलगही लगतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- परामीधिाामी क एकतय (हतार) ामी शरी शयाामीा जीऔर सभी सलखयो की शोभा एक सामीान ह, दकनतार यहायगल सरप की शोभा को दशष रप स शारन क ललएशयाामीा जी की शोभा को सलखयो स कछ अलग कहागया ह। लदकन आयनतारररक रप स सलखया और शरीशयाामीा जी एक ही सरप ह।

फरतारी रामी फरस, सनरबाई घरस।

हजार ार ताररस, आयी ालाजी पास री।।५।।

शरी शयाामी शयाामीा जी की इस जोडी क चारो औरसनरबाई परामीामीयी भाना क साक घामीतार हए आयनअसनतारहोतारी ह। उन सदहतार बारह हजार सलखया भी दपरयतारामी कपास आयकर ऐसी ही लीला करतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

लभ लीधिी हाकस, सनरबाई बाकस।

राामीतार कर दनघातारस, जोर ामीका हाक री।।६।।

शरी राज जी न सनरबाई को हाक स पकडकरआयतलदगतार कर ललया। शरी राज जी अधतार परामीप रक राामीतारकर रह ह, दकनतार सनरबाई सकोचश अपनी शदकलगाकर उनस अपना हाक छडान लगतारी ह।

बहगामीा ब भाामीनी, च कानह कठ काामीनी।

कठ बाहोडी बन सयाामीनी, एामी फरतार पराानाक री।।७।।

शरी कषा जी क ोनो ओर ो सलखया सनरबाई औरशरी शयाामीा जी ह। बीच ामी ददामीान शरी कषा जी न ोनोक गल ामी अपनी बाह डाल रखी ह। उन ोनो न भीदपरयतारामी क गल ामी बाह डाल रखी ह। इस परकार दपरयतारामीपराानाक जी ताररह-ताररह की लीलाय कर रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- उपरोक चौपाई क सर चरा ामी रास करनाल सरप क ललए वरज का नाामी कनहया (शरी कषाऔर शयाामी) परयक दकया गया ह। उसी परकार चौक चराामी गााचक भाातयामीक नाामी "पराानाक" भी परयक दकयागया ह। इसस यह सपषट होतारा ह दक ामील सरपअकषिरातारीतार को ही शरी पराानाक कहतार ह।

उनक आयश सरप न जजस-जजस तारन ामी लीला की,उस शरी पराानाक कहलान की शोभा दामीली। चाह ह वरजामी शरी कषा जी का तारन हो, या रास का तारन, या इसजागनी बरहमाणड ामी शरी चन जी, या शरी दामीदहरराज जीका तारन हो। इस तारारतारामी ााी की इन चौपाइयो ससामीझा जा सकतारा ह-

ामीागा दकया राधिाबाई का, पर बयाह नही पराानाक।

क. दह. १९/३१

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तारब शरी ामीख चन कह पराानाक, ढढ कानो आयपनो साक।

पर. दह. ३७/�२

शरी पराानाक क चरा पर, छता बलल बलल जाय।

बी.सा. ६०/५५

शरी राज जी क दारा शरी इनातारी क तारन स जो रासका ारन हो रहा ह, उसामी यही भा शारया जा रहा हदक साकषिातार शरी राज जी ही लीला कर रह ह। इसललएजहा वरज का नाामी "कनहया" परयोग हआय ह, ही "शयाामी" और "पराानाक" शब भी परयोग हआय ह। लीलाकरन ाल उन तारनो ामी अब न शरी राज जी का आयश हऔर न परामीधिाामी की सरताराय ह, इसललए रास दबहारी कोअब शरी पराानाक नही कहा जा सकतारा। लीला का ारनताररामीान काल ामी होन स अशय इस चौपाई ामी शरीपराानाक कहा गया ह, दकनतार हामीार पराानाक तारो ही हो

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सकतार ह जजनामी अकषिरातारीतार का आयश दराजामीान हो।

आयखल पाखल सनरी, कटलीक कठ बाह धिरी।

एक ठकतारी फरतारी भामीरी, एामी रामीतार सकल साक री।।�।।

आयस-पास सलखया गल ामी बाह डालकर रास कीडाकर रही ह। कोई पर स ताराल कर कतारी ह, तारो कोईगोलाई ामी घामीतारी ह। इस परकार सभी सलखया ताररह-ताररहकी कीडाय कर रही ह।

झाक झा झाझरी, घघरी घामीक ामीाझ री।

कडला बाज ामीाह काबी री, दबछडा सर दामीलाप री।।९।।

परो क आयभषा झाझरी स झन-झन की ामीधिर धदनदनकल रही ह। तारो घघररयो स घामी-घामी की। इसी परकारकाबी और कडला स भी अधतार ामीधिर धदन दनकल रही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह। इनही सरो स दामीलतारा हआय दबछआय भी अधतारआयकषरक धदन परसतारतार कर रहा ह।

धिामीक पाउ धिाराी, रामीतारी रास ताराराी।

फरतारी जोड फरनी, न चढ कोा सास री।।१०।।

रास करतारी हयी सलखया धिरतारी पर जोर स अपन पाको ामीारतारी ह (ठक तारी ह), तारजी स गोलाई ामी घामीतारी ह,दफर भी दकसी की सास नही फलतारी।

च चाल ामी कई, जोई सनधि ककतार रही।

गतार ामीतार भली गई, खी कयो उास री।।११।।

इतारनी ामीधिर रास कीडा को खन ामी चनामीा इतारनातारलीन हो गया ह दक उसकी भी गधतार ामीन हो गयी ह।रास की ामीाधियरतारा न उसामी चलन क परधतार उपकषिा भाना

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भर दया ह, जजसस ह कका सा लग रहा ह। यगलसरप ए सलखयो क सौनयर को खकर ह बसधि होगया ह। ह अपन भागय को लकर उास हो गया ह औरसोच रहा ह दक काधचतार ामी सखी होतारा, तारो ामी भी इसीताररह सय को परामी और आयनन क सागर ामी डबो लतारा।

भााकर- योगामीाया की परतययक सतार चतारन ह, इसललएपरतययक चतारन पाकर को सी ही अनभधतार होतारी ह जसीसलखयो को। चनामीा को एक अधतार सनर पाकर ामीानाजातारा ह। इसी भाना क साक रास क ारन ामी भीचनामीा का परसग दया गया ह।

आयन घाो इ ातारी, बाहोडी कठ दामीलातारी।

लटकतारी चाल आयतारी, ालाजी जोड जास री।।१२।।

शरी इनातारी जी ामीोदहनी चाल स अपन परााशर

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अकषिरातारीतार क पास जातारी ह और उनक गल ामी बाहडालकर रास लीला क अपार आयनन का रसपान करतारीह।

परकरा ।।१६।। चौपाई ।।४�२।।

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राग जसधिडो

इस परकरा ामी फडी की राामीतार का ारन दकया गया ह।

ओरो आय ाला आयपा फडी फररए, फररए तार फर अपार।

फरतारा फरतारा जो फर आय, तारो बाहोडी ामी ामीकसो आयधिार।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- ामीर जीन क आयधिार शरीराज जी! आयप ामीर पास आयइए। हामी ोनो एक-सर काहाक पकडकर गोलाई ामी तारजी स घामी। हामी बहतार लमबसामीय तारक यह लीला कर। गोलाई ामी घामीतार-घामीतार, यदआयपको चकर आय जाय तारो भी ामीरी बाह ामीतार छोदडएगा।

बाहोडी ामीकसो तारो अडडस, तययार हासी करस सह साक।

तार ामीाट बल करीन रामीजो, फरतारा न ामीको हाक।।२।।

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यद आयप ामीरा हाक छोड ग तारो ामी दगर जाऊगी।इसका पररााामी यह होगा दक सब सलखया ामीझ दगरी हयीखकर ामीरी हसी उडारणिएगी। इसललए आयप गोलाई ामीघामीतार सामीय ामीर हाको को न छोदडए तारका अपनी परीशदक लगाकर यह राामीतार खललए, जजसस हाक छटन कीआयशका न रह।

भााकर- सामीपरा क साक अपनी परामी भरी चतारराई सअपन परामी का अधधिकार कस ललया जातारा ह, यह शरीइनातारी जी न इस परकरा ामी शार दया ह।

तारामी तारो ालाजी फडी फरो छो, पा फरो छो आयप अग राखी।

ए राामीतार करतारा ामीारा ालया, फररए पाछा अग नाखी।।३।।

ामीर दपरयतारामी ! जब आयप इस फडी की राामीतार ामी घामीतारह, तारो अपन अगो को जसकोड लतार ह, दकनतार इस राामीतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

को खलतार सामीय आयप को अपन अगो को ढीला छोडकरही घामीना चादहए।

जओ र सलखयो तारामी आय जोड फरतारा, राामीतार कर घा बल।

इ ातारीना तारामी अगडा जो जो, ामीारा ालाजीस फर क बल।।४।।

ह सलखयो! ामीरी और शरी राज जी की इस जोडी कोगोलाई ामी घामीतार हए खो। हामीारी यह जोडी बहतार अधधिकबल क साक गोलाई ामी घामी रही ह। तारामी सभी ामीर अग-अग को खो दक ामी अपन धिाामी धिनी क साक दकतारनीशदक स गोलाई ामी घामी रही ह।

जओ र सलखयो एामी गातारा फरतारा, ालाजीन ऊ चामीन।

भग न कर फर फडी करो, तारो जो सयाबासी सह जन।।५।।

ह सलखयो! खो, यद ामी गोलाई ामी घामीतार -घामीतार औरपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 487487 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गातार-गातार दपरयतारामी को चमबन और फडी (गोलाईामी घामीन) की इस राामीतार को भग भी न होन , तारो तारामीसभी दामीलकर ामीझ शाबासी ना अकारतार ाह-ाहकरना।

फरतारा फडी लीधिी कठ बाहोडी, ली फर छ तारामीना तारामी।

ई चामीन न कया जजा, ली फर तार फरतारा जामी।।६।।

फडी की राामीतार करतार-करतार शरी इनातारी जी अपनदपरयतारामी क गल ामी बाह डाल तारी ह और पनः श स हीघामीतारी भी रहतारी ह। उनक ामीख पर चमबन कर अलगभी हो जातारी ह तारका स ही घामीन लगतारी ह जस पहलघामी रही की ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एामी अग ालीन रामीजो र सलखयो, तारो कह तारामीन सयाबास।

एामी लटक रग लजो चामीा, तारो ह तारामीारडी ास।।७।।

शरी इनातारी जी अनय सलखयो को चनौतारी तार हएकहतारी ह दक यद तारामी सभी ामीरी ताररह अपन अगो कोलचक कर फडी की इस राामीतार को खल सको, तारो ामीतारमह शाबासी गी। और यद तारामी ामीरी ताररह लटककर(शरीर को ढीला छोडकर) फडी तार हए शरी राज जीको चमबन न का आयनन ल लतारी हो, तारो ामी तारमहारीासी कहलान क ललए भी तारयार ह।

ह तारो साच कह र सलखयो, तारामीन तारो काईक ामीरजा।

साच कह अन परगट रामी, इ ातारी न राख लाज।।�।।

ह सलखयो! ामी पारतारया सच कह रही ह। दपरयतारामी कसाक खलन ामी तारमह ामीयाराश कछ लजा का अनभ

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

होतारा ह, इसललए तारामी परा आयनन नही ल पा रही हो।दकनतार यह बातार ामी परी ताररह स सच कह रही ह दक अपनपरााशर क साक रास कीडा करतार सामीय ामीझ जरा भीलजा नही लगतारी।

भााकर- इस चौपाई ामी यह भा शारया गया ह दकअपन आयराधय, स रस, पराा-दपरयतारामी अकषिरातारीतार कपरधतार स रस सामीपरा की अससकधतार ामी दकसी भी ताररह काभ (पार) नही रह जातारा। इस लकय तारक शरी इनातारीजी पहची और इस जागनी लीला ामी हामी भी अधयातयामी कइस णशखर तारक पहचन का पार परयास करना चादहए।

परकरा ।।१७।। चौपाई ।।४९०।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग कारो

भलाीनी राामीतार कीज, ाला तारामी अामी आयगल काओ र।

ोडी सको तारामी ोडजो, जोइए अामी आयगल कामी जाओ र।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह धिाामी धिनी! आयप हामीारसाक भलनी की राामीतार खललए। इस खल ामी आयप हामीारआयग हो जाइए। आयप जजतारनी तारजी स ौड सकतार ह,उतारना ौदडए। ामी खतारी ह दक आयप ामीझस आयग दकतारनीतारजी स भागतार ह।

भलाीामीा भलजो, जो लाका अपार।

भली तारामीारी ह न भल, तारो ह इ ातारी नार।।२।।

भलनी की इस राामीतार ामी अनक चकर कर आयप ामीझभला ीजजए। दकनतार ामी इनातारी सखी तारभी कहला

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सकतारी ह, जब आयपक दारा भलान का परयास करन परभी ामी आयपको भल न सक।

जओ र सलखयो ाल भली ामीन, पा ह कामी न टली।

अनक लाका ीधिा ामीार ाल, तारो ह ामीलीन ामीली।।३।।

ह सलखयो! खो दपरयतारामी ामीझ भलान का परयास कर रहह, दकनतार ामीन दकसी भी ताररह स उनका पीछा नही छोडाह। ामीर दपरयतारामी न ामीझ भलान क ललए अनक चकर दए,दकनतार ामी उनक साक ही रही ह।

रहो रहो र ाला ामीार ास काओ, ह तारामी आयगल काऊ र।

साची तारो जो भल तारामीन, ामीारा साक सहन हसा र।।४।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- परााशर! अब ामी आयपसआयग हो जातारी ह। अब आयप ामीर पीछ स आयइए। ामी सचची

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सखी तारभी ह, यद ामी आयपको चकरो क जाल ामीफसाकर भला ।

सलखयो तारामी साचतार काजो, रख कोई ामीकतारा हाक र।

हामीाा हरा ामीारा ालाजीन, जो जो तारामी सह साक र।।५।।

ह सलखयो! तारामी साधिान हो जाओ। कोई दकसी काहाक नही छोडना। आयप सब दामीलकर खना, अभी इसराामीतार ामी ामी अपन दपरयतारामी को हरा तारी ह।

भलीस ामीार धचलखा ाला, आयी ामीार ास लगो।

अनक लाका जो ह ऊ, पा तार ामी काइस अलगो।।६।।

ामीर दपरयतारामी! आयप ामीर पीछ-पीछ आयइए। यददप आयपबहतार ही चतारर ह, दकनतार आयपक ललए चनौतारी ह दकआयपको भलना नही ह। भल ही ामी दकतारन चकर कयो न

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

, दकनतार आयप ामीझस अलग ामीतार होइएगा।

एक लाका ामीाह र सलखयो, ालो भलया तार परकामी ामील।

दए सखी ताराली पधडआयलोट, हसी हसी आय पट सल।।७।।

ह सलखयो! ामीर एक ही चकर क परकामी चरा ामी हीदपरयतारामी भल गए। इस जीतार स सलखया इतारनी परसनन हईदक धिरतारी पर लोटन लगी और इतारनी हसी दक हसतार-हसतार उनक पट ामी र होन लगा।

भााकर- शरी इनातारी जी शरी शयाामीा जी क परो कनीच स दनकल गई। शरी राज जी को ही खडा रहनापडा, कयोदक शरी शयाामीा जी क परो क नीच स कसदनकल? ऐसी असका ामी उनह शरी इनातारी जी स हारखानी पडी।

पट ामी र होना लीला रप ामी ही समभ ह। यकाकरतारः श

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

योगामीाया ामी र नाामी की कोई चीज नही होतारी।

सह साक ामीलीन साबतार कीधि, इ ातारी ददधि दसक।

घाी कई राामीतार न ली कास, दपउ भलतारा राखी रख।।�।।

इस परकार रास की अनक राामीतार हई और भदषय ामी भीहोगी, दकनतार शरी इनातारी जी न सब सलखयो क समामीखयह जसद कर दया दक ह इन राामीतारो को खलन ामीदणशषट योगयतारा रखतारी ह और उसन अपन पराा दपरयतारामीको चकर कर भला दया तारका सलखयो की लाज रखली अकारतार उनकी दजय करा ी।

परकरा ।।१�।। चौपाई ।।४९�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग कलयाा चरचरी

आयज राज परा काज, ामीन ामीनोरक सनरी।

ामीन ामीनोरक सनरी, सखी ामीन ामीनोरक सनरी।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक आयज हामीार परााशरअकषिरातारीतार हामीार ामीन की सभी इचछाओ को अशय पारकरग, अशय पार करग।

दधि दधिना दलास, ामीगन सकल साक।

ामीरकलड कर हास, रहस राामीतार दसताररी।।२।।

अनक परकार की आयननामीयी कीडाओ ामी सभी सलखयाामीगन ह। ामीसकरातारी ह और ामीधिर हसी क साक हसतारीह। इस परकार परामीामीयी लीला का पल-पल दसतारार होताराजातारा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कहो न जाय आयनन, अग न ामीाय उामीग।

दकजसया अामीारा ामीन, रदहयो स र हररी।।३।।

इस सामीय रास कीडा स जो आयनन हो रहा ह, उसकाारन नही हो सकतारा। सबक हय ामी अपार उामीग छायीहई ह। हामीारा ामीन अतययधधिक उलजसतार हो रहा ह। सभीसलखया परधतारदअसनदतारा की भाना स रास खल रही ह।

आय सामीनो नान, जओ र आय सोभा चन।

फलड अनक रग, रामी साक पररी।।४।।

ह सलखयो! इस सामीय नान ामी जगामीगातार हए चनामीाकी अलौदकक शोभा को लखए। अनक रगो क फललखल रह ह और सनरसाक चारो ओर फलकर ताररह-ताररह की राामीतार कर रह ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

काबर कोयल सर, कपोतार घामी चकोर।

ामीगला ा र ामीोर, नाचतार फरी फरी।।५।।

ामीना और कोयल क अधतार ामीीठ सर गज रह ह। कबताररऔर चकोर पकषिी अपनी सनर कीडाओ क साक घामी रहह। ामीग, बनर, तारका ामीोर चारो ओर उछल-उछल करघामी रह ह और नाच रह ह।

सयाामीना उलासी अग, उलट अामीार सग।

ामीाहो-ामीाह ामीकरन, वयादपयो ददधि परी।।६।।

शरी राज जी क हय ामी रास क ललए अतययधधिक उलासह। ही उलास हामीार हय ामी भी सकानानतारररतार हो गयाह। सब सलखयो क हय ामी दपरयतारामी का परामी पान कीपरबल पयास ह, जो अनक रपो ामी राामीतारो क दाराददषटगोचर होतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- उपरोक चौपाई क तारीसर चरा ामी "ामीकरन"शब स आयशय काामी दकार स नही लना चादहए। एकामीा दपरयतारामी की चाहना ही ह पद परामी ह , जजस"दवयकाामी" या "ामीकरन" कहतार ह।

राामीतार कर काामीनी, दलसतारा ाधिी जाामीनी।

सखी सखी परतार सयाामी घन, दए सख या करी।।७।।

सलखया बहतार ही सनर ढग स रास की राामीतार खल रहीह। इस अपार आयनन ामी राद भी बनधि सी गयी ह ,अकारतार अससकर हो गयी ह। आयननघन शरी राज जी नअपनी अगनाओ पर कपा करक एक-एक सखी क साकअपना एक-एक रप परकट कर ललया ह और उनकोअननतार सख रह ह।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 499499 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रामीतारा दए चामीन, एक रस जतारी जन।

करी जगतार नौतारन, धचतारडा लीधिा हरी।।�।।

राामीतार करतार सामीय दपरयतारामी सलखयो को परामी भरा चमबनतार ह। सभी सलखया परामी ामी एकरस हो गयी ह। दपरयतारामीन परामी की नयी-नयी यदकयो (राामीतारो) स सलखयो कधचत को श ामी कर ललया ह।

कठ बाहो ली ली, अनक दधि रग रली।

ललए अामीतार ामीख ामीली, दपए रस भरी भरी।।९।।

शरी राज जी सलखयो क गल ामी बार-बार बाह डालतार हतारका अनक परकार स आयननामीयी कीडाय करतार ह। उनक ामीख स ामीख दामीलाकर अधिराामीतार का रसपान करतारह।

भााकर- बाह ददषट स खन पर रास की य कीडाय

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

साामीानय ामीानीय पराय लीला की ताररह परतारीतार होतारी ह,दकनतार यकाकरतारः श ऐसा नही ह। यह दवय परामी की लीलाह, जजसामी आयतलगन, चमबन, और अधिराामीतार का पान तारोअशय ह, दकनतार नाामी ामीा का भी काामी दकार नही ह।परायः श ातयसलय सनह ामी भी काामी दकार नही होतारा , तारोआयतयामीा और परबरहम क परामी ामी काामी दकार कहा सआयएगा?

एक दपतारा क दारा अपनी दकशोरासका ाली पी कामीाक पर चमबन ना, या एक णशश क दारा अपनी ामीाताराक सतारनपान ामी कया काामी दकार की कलपना की जासकतारी ह? इन समबनधिो ामी जजतारनी पदतारा होतारी ह ,उसस करोडो गना जयाा पदतारा आयतयामीा और परबरहमक समबनधि ामी होतारी ह। बीस बषर का य क अपनी ामीा कचरा तारो छ सकतारा ह, दकनतार बचपन की ताररह सतारनपान

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

करन ामी उस लजा का अनभ होतारा ह कयोदक इसअसका तारक उस अपन परषतय का बोधि हो चका होताराह। सलखया परामी और दनरकाररतारा की ामीरतार ह। अपनपरााशर क परामी ामी इतारनी डब चकी ह दक उनह अपनशरीर का आयभास ही नही ह। उनक शरीर भी दगाातारीतारह। इसललए रास की दकसी भी लीला ामी काामी दकार कीसपन ामी भी कलपना नही की जा सकतारी।

रस घाो उपजातारी, सखी ामीीठड सर गातारी।

न ना रग लयातारी, इ ातारी अग धिरी धिरी।।१०।।

सलखया अधतार ामीीठ सरो ामी गीतार गा रही ह , जजसससबक हय ामी अपार आयनन छा रहा ह। शरी इनातारीजी अपन हय ामी दपरयतारामी क परधतार अपार परामी लकर रासकी नयी-नयी कीडाओ स अतययधधिक आयनन परकट कर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रही ह।

परकरा ।।१९।। चौपाई ।।५०�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग पचामी ामीार

इस परकरा ामी ग (दकल) को आयधिार ामीानकर खलीजान ाली ग की राामीतार का ारन ह।

राामीतार ग ताराी र, हाक ामीाह हाक ीज।

बल करीन सह गहजो बाहोडी, तारो ए राामीतार रस लीज।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो ! अब हामीदकल ाली राामीतार खलगी। इसक ललए सभी एक-सरक हाक ामी अपना हाक पकडाओ। इस राामीतार का आयननतारमह तारभी पराप हो सकगा , जब तारामी अपनी परी शदकलगाकर एक सर की बाह पकडी रहोगी।

परकामी पाधिर कह र सलखयो, ए राामीतार छ ामीामीातारी।

ोडी न सक ताराी बाहोडी न छट, तार आयस पाछल घसलातारी।।२।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 504504 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह सलखयो! सबस पहल ामी तारामी सबस यह बातार सपषटरप स कह ना चाहतारी ह दक यह राामीतार आयनन ामी डबोन ाली ह। जो तारजी स ौड नही सकगी, उसका हाकतारो सरो स नही छटगा , दकनतार दगरकर पीछ-पीछधघसटतारी हई आयएगी।

तार ामीाट बधि बाहो खरो गही, करजो जोरामीा जोर।

पछ ोडसो तययार नही र कहाए, कास अधतार घाो सोर।।३।।

इसललए एक-सर की बाहो को दताराप रक पकडरहना और उसामी अपनी परी शदक लगाए रखना। बा ामीजब तारामी ौडोगी, तारो उस सामीय कछ भी कहना समभनही हो पाएगा , कयोदक उस सामीय बहतार अधधिक शोरहोगा।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी हाक को जोर स पकडन क

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 505505 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ललए इसललए कहा गया ह दक ौडतार सामीय यद हाक छटजाए, तारो कोलाहल ामी पकारना दनरकरक हो सकतारा ह ,जजसस खल ामी बाधिा पडगी।

पहली चाल चालो कीडीनी, हल पगला भरजो।

पछ ली काईक अधिकरा, धितारा धितारा धिजो।।४।।

पहल तारमह ची टी की चाल स चलना होगा। उसकपशातार धिीर-धिीर अपनी चाल को तारज बाना होगा।इसक पशातार पनः श अपनी चाल को और बातार-बातारहा तारक ब जाना।

ली काईक धि पाामीतारा, ामीचकास ामी हालजो।

हजी लग आयकला ामी काजो, लडसडतारी चाल चालजो।।५।।

इसक पशातार और अधधिक गधतार बन पर ामीटकतार हएपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 506506 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चलना। यहा तारक अधधिक जलबाजी नही करनी ह।ढीली-ढाली ामीसतारी भरी चाल स चलना ह।

ह काईक पग भरजो परगट, साचतार सह काजो।

साक सकल तारामी आयप सभाली, ामीखड पकारी न गाजो।।६।।

ह सलखयो! अब तारामी सभी साधिान हो जाओ और कछकामी धिीर-धिीर रखो। इसक पशातार तारामी सभी अपन कोसमभालकर ामीख स उचच सरो ामी गीतार गाओ।

लटक चटक छटक ोडजो, रख पग पाछा तारा।

हासी छ घाी ए राामीतारामीा, ोड ताराो रस लतारा।।७।।

ह सलखयो! तारामी लटकतारी-ामीटकतारी चाल स, अतययधधिकसफरतार स , और णछटकन की ामीा ामी ौडना। ौडतारसामीय अपन कामी पीछ नही रखना। इस राामीतार ामी बहतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अधधिक हसी की लीला ह। तारामी ौडन का आयनन अशयलना।

भााकर- लटकतारी-ामीटकतारी चाल का तारातयपयर ह दकनतयय की ामी ा का पट ललए हए आयननामीयी ढग सचलना। णछटक कर चलन का आयशय यह ह दक सलखयाअपन शरीरो क बीच ामी कछ री बनाकर रख , जजससटकराकर दगरन का भय न रह।

कह इ ातारी ए राामीतारडी, ामीारा ालाजी कई अधतार सारी।

ोड करतारा तारामी पाछ न जोय, अामी बाहोडी न ामीकी तारामीारी।।�।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- ह ामीर दपरयतारामी! ग की यहराामीतार बहतार अचछी हई ह। ौडतार सामीय न तारो आयपन पीछखा और न ही ामीन अपकी बाह छोडी ।

भााकर- तारारतारामी ााी स अकषिरातारीतार की पहचान क

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परारअसमभक चराो ामी कहा जातारा ह दक "गा धिनी कयाकर, पकड दपऊ क पाय" (पर. दह.)। दकनतार रास कीयह राामीतार यही सकतार रही ह दक दपरयतारामी की पहचानहोन क बा हामी धिनी की बाहो को दतारा स पकड रहनाचादहए, अकारतार हामीारा परामी और सामीपरा अटट होनाचादहए।

परकरा ।।२०।। चौपाई ।।५१६।।

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राग शरी काफी

इस परकरा ामी हाक स ताराली बजान की राामीतार का ारनदकया गया ह।

राामीतार करतारालीनी र, एामीा छ लाका दसामीा।

बस उठ फर रामी, ताराली ला साामी साामीा।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- हाक स ताराली बजाकरराामीतार करन का ा-पच कदठन ह, कयोदक इसामी कभीबठना पडतारा ह, तारो कभी उठना पडतारा ह। कभी घामीनापडतारा ह, तारो कभी खलना पडतारा ह। इसक अधतारररककभी आयामीन-साामीन आयकर हाक स ताराली भी बजानीपडतारी ह।

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तारामी साामीी अामी ऊभा रहीन, हाक ताराली एामी लस।

बसतारा उठतारा फरतारा, साामीी ताराली स।।२।।

ह दपरयतारामी! आयपक साामीन खडी होकर ामी आयपक हाककी ताराली लगी, तारका बठकर, उठकर, घामीकर, औरपनः श साामीन आयकर आयपक हाक ामी ताराली गी।

बसतारा ताराली ईन बजसए, उठतारा लीज ताराली।

फरतारा ताराली ई करीन, च राामीतार कीज रसाली।।३।।

इस राामीतार ामी बठतार सामीय ताराली कर बठना ह औरउठतार सामीय ताराली लकर उठना ह। घामीतार सामीय तारालीकर घामीना ह। ह सलखयो, तारामी इस परकार राामीतार काआयनन लो।

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राामीतार करतारा अग सह ाललए, सकोामील जोड सोभतार।

अग ाली च रग रस लीज, भग न कीज राामीतार।।४।।

ह सलखयो! इस राामीतार ामी यगल सरप अधतार सनरशोभा स यक दखायी रह ह। उनक साक राामीतार करतारहए, तारामी सभी, अपन अगो को दशष ामीा ामी ामीोडो।अपन अगो को ामीोडतार सामीय इस परामीामीयी लीला काआयनन लो। दकनतार यह भी धयान रखो दक इस राामीतार ामीकोई वयधिान (रकाट) न आयए।

ए राामीतारडी जोई करीन, सह साकन ाधयो उामीग।

सह कोई कह अामी एाी पर, रामीस ालाजीन सग।।५।।

इस खल की ामीनोहाररतारा को खकर सब सलखयो कामीन ामी खलन की उामीग ब गयी ह। सभी सलखया आयपसामी कहन लगी दक इस परकार हामी भी दपरयतारामी क साक

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इस राामीतार को खलगी।

साक कह ाला रामीो अामीस, ए राामीतार सह ामीन भाी।

सहना ामीनोरक परा करा, सखी सखी परतार लओ रग आयी।।६।।

सब सलखया कहन लगी - परााशर! आयप हामीार साक भीखललए। यह राामीतार सबक ामीन को बहतार अधधिक भा गयीह। इसललए हामी सबकी इचछा को पार करन क ललएएक-एक सखी क साक लीला कीजजए और हामी आयननकर सय भी आयनन लीजजए।

हाक ताराली रामी छ ालो, सघलीस सनह।

रग रामीाड रासामीा, ालो धिरी तार जजा ह।।७।।

दपरयतारामी! हाक की ताराली ाली इस राामीतार को सभीसलखयो क साक अधतार परामीप रक खल रह ह। रास की इस

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राामीतार को आयननप रक खलन क ललए दपरयतारामी न परतययकसखी क ललए अलग-अलग (बारह हजार) रप धिाराकर ललया और सबकी इचछा परी की।

कह इ ातारी ए राामीतारडी, ामीारा ालाजी कई अधतार सारी।

सघली सग रदामीया रग, एक दपउ एक नारी।।�।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर दपरयतारामी अकषिरातारीतारक साक सलखयो की यह राामीतार बहतार अचछी ताररह स पारहई। शरी राज जी न अपन बारह हजार (१२०००) रपधिारा कर, एक-एक सखी क साक आयननप रक लीलाकी और सभी सलखयो की इचछा परी की।

परकरा ।।२१।। चौपाई ।।५२४।।

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राग कारो - चरचरी

इस परकरा ामी दनतयय नान की शोभा का दगशरनकराया गया ह।

उामीग उयो साक, रग तारो रामीा रास।

रासामीा कर दलास, सलखयो सख लतार री।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो! रास की इनकीडाओ स तारामी सभी क अनर दपरयतारामी क साक लीलाकरन क ललए अतययधधिक उामीग प ा हो गयी ह। ामीरी यहीचाहना ह दक ामी इस रास कीडा ामी दपरयतारामी क साकअतययधधिक आयनन का रसपान कर। अब तारक ामीन हरकीडा का सख ललया ही ह।

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भोामीनी दकरा भली, आयकास जईन ामीली।

चालो न जाए टली, उजलीसी रतार री।।२।।

इस नान की तारजोामीयी धिरतारी स उठन ाली दकराआयकाश ामी स र छायी हई ह। अधतार उजल रतार जगामीगारही ह। चनामीा भी इस लीला को खन ामी इतारना दनामीगनहो गया ह दक लगतारा ह जस ह रक गया ह।

रतार दनस नो सस, ीस सह एक रस।

परकाजसयो सो दस, न कहाय सकतार री।।३।।

यह शर ऋतार, ामीनोहर राद, तारका उसामी उगा हआयपारामीासी का नीन चनामीा, सभी परामी ामी डब हएदखायी रह ह। चनामीा क शीतारल परकाश स सोदशाय परकाशामीान हो रही ह। दपरयतारामी क परामीामीयी सकतारोक आयकषरा का ारन कर पाना दकसी भी ताररह स

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समभ नही ह।

भााकर- परामीामीयी लीला ामी दपरयतारामी क दारा न आयदअगो स परामी क जो सकतार दए जातार ह , रास खलनाली सलखयो क ललए अधतार ामीलयान उपहार क सामीानह।

स कह ननी जोतार, प फल झलहलोतार।

ान उयोतार, साामीगी सामीतार री।।४।।

ामी दनतयय नान की इस अलौदकक जयोधतार का ारनकस कर? पत, फल, फल, सभी नरी जयोधतार सजगामीगा रह ह। रास की समपार साामीगी (यामीना जी,पश-पकषिी, आयद) क साक समपार नान अनपामीपरकाश की आयभा ामी झलकार कर रहा ह।

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पस पखी अनक नाामी, तारना दधच धचाामी।

दनरखतारा न भाज हाामी, जजी जगतार री।।५।।

इस नान ामी असिय नाामीो ाल पश-पकषिी दचराकर रह ह। इनक ऊपर अीतार परकार की धचकारी आययीह। अलग-अलग परकार की आयकधतार ाल य पश-पकषिीइतारन सनर ह दक इनको खन पर भी इचछा परी नही होतारी, अकारतार दनरनतारर खतार रहन की इचछा बनी रहतारीह।

रामीतारा भखा दकरा, बरहमाड लागयो दफरा।

सलखयो उलासी तारन, कामील दकसतार री।।६।।

रास कीडा करतार सामीय यगल सरप तारका सलखयो कआयभषाो स उठन ाली दकरा इस परकार शोभायामीानहो रही ह, जस पर योगामीाया क बरहमाणड (कल बरहम)

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ामी घामी रही ह। जजस परकार परातारः शकाल का लखला हआयकामील शोभायामीान होतारा ह, उसी परकार सलखयो का तारनभी अतययधधिक उलजसतार (नतारन शोभा ए परसननतारा सयक) दखायी रहा ह।

एाी पर कर राामीतार, ामीनडा कया ामीहाामीतार।

खतार खरी लागी धचतार, ालाजीस हतार री।।७।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीरा ामीन परामी कीामीहानतारामी भाशा को पराप हो गया ह। ामीर धचत ामीदपरयतारामी स अतययधधिक परामी करन की अपार चाहना प ाहो गयी ह। अब ामी यही चाहतारी ह दक उनक साकदनरनतारर राामीतार करतारी रह।

भााकर- इस चौपाई क सर चरा ामी "ामीहाामीतार" शबका परयोग हआय ह, जजसका तारातयपयर ह "परामी की ामीहानतारामी

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भाशा को पराप करन ाला वयदक।" अपन आयराधय कभाो ामी डबकर अपन अअससतारतय को दलीन कर नाभाशा को पराप होना कहा जातारा ह। शरी राधिा जी एगोदपयो क अधतारररक चतारनय ामीहापरभ तारका राामी कषापरामीहस आयद इसी भाशा को पराप हो जाया करतार क।

"ामीहाामीतार" का शाअसबक अकर ामीहाभाशा को पराप होनाह। उपरोक चौपाई ामी ामीन क दारा ामीहाभाशा(ामीहाामीतार) को पराप हो जाना कहा ह। इसललय तारारतारामीााी ामी अनय सकानो पर आयए हए, पाच शदकयो स यकशरी इनातारी जी की शोभा क नाामी, "ामीहाामीधतार" सइसका समबनधि नही जोडना चादहए।

परामीना परघल पर, सरो ामीाह अधतार सर।

दपए रस ामीली अधिर, सघली सचतार री।।�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सलखयो क हय ामी परामी रपी सागर का तारीका पराहबह रहा ह। परामी क यद ामी अतययधधिक शरीर ह। सभीसलखया अपन परामी धिामीर क परधतार साचतार ह और शरी राजजी क होठो स अपन होठ दामीलाकर अधिराामीतार का पानकर रही ह।

भााकर- इस चौपाई क सर चरा ामी सलखयो को शरोामी शर (ीरो ामी ीर) कहा गया ह। इसका तारातयपयर यह हदक परामी क कषि ामी रास कीडा करन ाली इन बरहमसदषटयोस शरष और कोई भी नही हो सकतारा। इनहोन बासरी कीआयाज को सनतार ही अपन तारन को छोड दया औरयोगामीाया ामी अपन दपरयतारामी स दामीलकर उनक परामी ामी सयको सामीरपतार कर दया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

इ ातारी कर रग, राामीतार न कर भग।

रामीतारी फरतारी ाला सग, छबक चामीन तार री।।९।।

शरी इनातारी जी अपन परााशर क साक रास कीआयननामीयी कीडाय कर रही ह , घामी रही ह, औरआयननामीगन होकर उनको चमबन रही ह। इस परकार रास की राामीतारो को कभी भग नही होन तारी ह।

परकरा ।।२२।। चौपाई ।।५३३।।

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राग ससधिडो

इस परकरा ामी घामीन की राामीतार का ारन दकया गया ह।

ओरो आय ाला आयपा घामीडल घदामीए, ााी ददधि पर गाऊ।

अनक रग रस उपजाीन, ामीारा ालया तारन ालरी काऊ।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर पराा दपरयतारामी ! ामीरसाक आयइए, हामी घामीन की राामीतार खलतार ह। इस राामीतारामी, ामी घामीतार हए आयपको ताररह-ताररह क गीतार सनाऊगी।इस परकार आयपक ललए परामी रस स भरी हई अनक परकारकी आयननामीयी कीडाय करक आयपकी अधतार पयारी बनजाऊगी।

घोघर घाटड सर बोलादए, बीजा अनक सर छ रसाल।

झीा झीाा झीाा झीा झीनरडा, ामीीठा ामीधिरा ली रसाल।।२।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 523523 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यददप सर अनको परकार क आयनन न ाल सर ह,दकनतार पहल हामी परषो क ामीोट सरो ामी गायग। तारतयपशातारनाररयो क सकामी (बारीक) सर, उसक पशातार अधधिकामीधिर सर, तारतयपशातार अधतार परामी भर सपपरर ामीधिर सरोामी गीतार गायग।

घामीडलो घामीानो र ालया, ामीन छ अधतार घाो कोड।

साामी साामीा आयपा कईन घदामीए, ामीारा ालया आयपा बाधिीन होड।।३।।

ामीर दपरयतारामी! आयपक साक हाक पकडकर घामीन कीराामीतार (चकर लगान क खल) क ललए ामीर हय ामी बहतारअधधिक उतयसाह ह। इसका आयनन लन क ललएआयशयक ह दक हामी आयपस ामी शतारर लगाकर और एक -सर क आयामीन-साामीन होकर गोलाई ामी घामी।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ए राामीतार अामी रबीन रामीस, साक सकल तारामी रहजो र जोई।

ह हार तारो ामीोपर हसजो, ामीारो ालोजी हार तारो हसजो ामीा कोई।।४।।

घामीन की इस राामीतार को हामी बाजी लगाकर खलग। हसलखयो! इस खन क ललए तारामी खड रहना। यद ामी हारजातारी ह तारो ामीरी हसी उडा लना, दकनतार यद ामीर शरी राजजी हार जातार ह तारो उनक ऊपर कोई भी हसी न कर।

घामीडलो ालो ामीोस घामी छ, चन ामीीठडा र गाय।

अग सतारर भखा ामीीठडा लाग, च च कठड र लाय।।५।।

ामीर दपरयतारामी! घामीन की इस राामीतार ामी ामीरा हाक पकडकरामीर पास घामी रह ह। इसक साक ही साक अधतार ामीीठसरो ामी गातार भी जातार ह। उनक अग-अग ामी सशोणभतारसतर और आयभषा बड ही पयार लगतार ह। बीच-बीच ामी शरी इनातारी जी को गल भी लगा लतार ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दपउ हारया हारया कह सरामीा, हासी हरख र उपजा।

ह जीतारी जीतारी कह घोघर, साक सहन हसा।।६।।

अधतार ामीीठ सरो ामी शरी इनातारी जी "शरी राज जी हारगए, शरी राज जी हार गए" ऐसा कहकर सब सलखयो कहय ामी हसी ए उलास प ा करतारी ह। इसक अधतारररक गमभीर सरो ामी "ामी जीतार गई , ामी जीतार गई" ऐसाकहकर सब सलखयो को हसातारी ह।

ए र घामीडल हासी र साकन, रह नही कामी झाली।

लडकड पड भोामी आयलोट, हसी हसी पट आय र खाली।।७।।

घामीन की इस राामीतार ामी सलखया इतारनी हसतारी ह दकउनकी हसी रोक भी नही रक पा रही ह। धिरतारी परदगरकर लोट-पोट हो रही ह। हसतार-हसतार उनक पटअनर की ताररफ धिस जातार ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- हसन की असका ामी पट की ामीासपणशयाअनर की ताररफ धिस जातारी ह। इसी को पट का खालीहोना कहतार ह।

ए राामीतारडी जोई कह सलखयो, इ ातारी ए राखी रख।

साक सहन ाली घा लागी, ामीारा ालाजीन ली सख।।�।।

इस आयननामीयी खल को खकर सलखया आयपस ामीकहतारी ह दक शरी इनातारी जी न हामीारी लाज रख ली ह।सब सनरसाक को शरी इनातारी जी बहतार ामीन भायी ,और शरी राज जी को और अधधिक पयारी लगी ।

परकरा ।।२३।। चौपाई ।।५४१।।

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राग सतार

इस परकरा ामी हाको की कोहनी क दारा खली जानाली राामीतार का ारन दकया गया ह, इसललए इस"कोहनी की राामीतार" कहतार ह।

कोणाया रदामीए र ामीारा ाला, गाइए चन सनह।

ामीनसा ाचा करी करामीना, सीखो तारामीन सीख एह।।१।।

ामीर दपरयतारामी! परामी क गीतार गातार हए आयप ामीर साक कोहनीकी राामीतार खललए। अब शरी इनातारी जी सलखयो कोसमबोधधितार करतार हए कहतारी ह दक ह सलखयो ! तारामी ामीन,ााी, और कामीर स इस खल को सीखो। ामी तारमह इसखलन का ढग जसखातारी ह।

भााकर- अकषिरातारीतार स रञ ह , इसललए उनको राामीतारजसखान की बातार अटपटी सी लगतारी ह। अब तारक क

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सभी परसगो ामी शरी इनातारी जी न सलखयो को हीजसखाया ह, शरी राज जी को नही । इसललए उपरोकचौपाई ामी भी शरी इनातारी जी क दारा सलखयो को राामीतारजसखान का परसग ह, शरी राज जी को नही ।

ए राामीतारडी जोरार र, ीज ठक अग ाली।

रामीतारा सोभा अनक धिररए, गाइए चन कर चाली।।२।।

ह सलखयो! यह राामीतार बहतार ही परभाशाली ह। इसामीअगो को ामीरोडकर परो स ताराल ना ह और कना ह।इस खल को खलतार सामीय तारमहारी शोभा बहतार हीअनपामी हो जानी ह। तारमह हाको को चलातार हए ामीधिर गीतारभी गान ह।

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कर रदामीए कोणाया रदामीए, चरा राामीतारडी कीज।

ली राामीतारामीा दलास दलसी, परामी ताराा सख लीज।।३।।

इस राामीतार ामी तारमह हाको को दशष ामीा ामी दहलाना हऔर कोहदनयो स सकतार ना ह। चराो स ताराल तार हएकना ह। इस परकार इस खल की आयननामीयी कीडाओस परामी का सख लना ह।

जओ र सलखयो ालो कोणाया रामीतारा, भातार भातार अग ाल।

सलखयो राामीतार बीजी करी न सक, उभली जोड दनहाल।।४।।

ह सलखयो! दपरयतारामी को कोहनी का यह खल खलतार हएखो। अपन अगो को ताररह-ताररह स ामीोड रह ह। अनयसलखया शरी इनातारी जी और शरी राज जी की जोडी कोखलतार हए खकर इतारनी ामीगन हो गयी ह दक राामीतार करही नही पा रही ह (सय राामीतार करन की ताररफ उनका

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धयान ही नही ह)।

कर ामीलीन कोणाया रदामीए, कोाी ामीलीन कर।

अगडा ाल नाा चाल, ामीनडा सकलना हर।।५।।

इस राामीतार ामी हाको को छोडकर कोहदनयो स खलाजातारा ह। पनः श कोहदनयो को छोडकर खला जातारा ह।अगो को ामीोडतार हए, नो क परामी भर सकतारो स , सबकामीन को हर ललया जातारा ह।

ए राामीतारना रस कह कटला, काय दनरतारना रग।

हसतार चराना भखा स र, बोल बनना एक बग।।६।।

इस राामीतार क अपार आयनन का ामी दकतारना ारन कर।ऐसा लगतारा ह दक जस इसामी नतयय का ही आयनन बरसरहा हो। इस खल ामी हाको और परो क सभी आयभषा

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एक ही सर ामी बोला करतार ह।

लटक गाए न लटक नाच, लटक ामीोड अग।

लटक राामीतार रहस लटक, लटक साई ललए सग।।७।।

इस राामीतार ामी शरी इनातारी जी अपन दपरयतारामी क साकलटकतार हए ही गा रही ह, तारका नाच रही ह, तारका अपनअगो को लचकातार हए ही ामीोड रही ह। इस खल की सभीआयननामीयी कीडाय अपन अगो को लचकातार हए हीकर रही ह।

भााकर- कामीर क ऊपर क भागो (हाक, जसर, ग रन,सीना, आयद) को नतयय की एक दशष ामीा ामी झकाना,"लटकाना" या "लचकाना" कहलातारा ह।

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ामीारा ालाजीामीा एक गा ीस, जाा राामीतार सीिया सह पहली।

इ ातारीामीा ब गा ीस, एक चतारर न रामीतारा गहली।।�।।

ामीर दपरयतारामी शरी राज जी ामी एक गा दशष दखायी ताराह दक सबस पहल राामीतार सीखकर खलन लगतार ह। शरीइनातारी जी ामी ो गा दखायी तार ह , एक तारो हराामीतार खलन ामी चतारर ह, सरा परामी ामी बसधि (ीानी)होकर खलतारी ह।

भााकर- स तारो अकषिरातारीतार ामी अननतार गा ह , दकनतारलीला रप ामी यहा शरी राज जी क एक और शरी इनातारीजी क ो गा कह गए ह। इसका दशष कारा यह ह दकसागर की लीला लहरो क दारा ही समपादतार होतारी ह ,अकारतार लहरातारी हई लहरो को खकर ही कहा जातारा हदक सागर उामीड रहा ह। इसी परकार, शरी इनातारी जीअकषिरातारीतार शरी राज जी की आयहादनी शदक (लहर रप)

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ह। इसललए उनको परामीामीयी रास लीला की ीानी होकरखलतार हए ही शारया गया ह। अकषिरातारीतार को कोई भीलीला सीखनी नही होतारी, बअसलक लीला रप ामी ही यहसब कहा जा रहा ह दक राामीतार को सबस पहल सीखजातार ह।

परकरा ।।२४।। चौपाई ।।५४९।।

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राग कालरो

आयो ाला राामीतार रासनी कीज,

आयपा कठड बाहोडी का न लीज र।।टक।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह दपरयतारामी! आयइए, हामीएक-सर क गल ामी बाह डालकर रास की राामीतार खल।

आय ख कामी करी लयावया र ालया, अामीन कयो अधतार ामीोह र।

लखा एक अामीकी अलगा ामी काजो, अामी नही खामीाय दछोह र।।२।।

परााशर! आयपन इतारना ामीनामीोहक भष कस धिारा करललया ह? आयपकी इस ामीनामीोदहनी छद को खकर हामीबहतार अधधिक ामीगधि हो गयी ह। आयप हामीस एक कषिा कललए भी अलग ामीतार होइए, कयोदक हामी आयपका दकसी भीअससकधतार ामी दयोग सहन नही कर सकतारी ह।

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आय ख अामीन ालो घा लाग, ख रसाल अधतार रग।

दषट ककी अलगा ामी काजो, ीठड ठर सार अग।।३।।

आयपका यह ोष अतययधधिक परामी और आयनन क रस सओतार-परोतार ह। यह हामी बहतार ही पयारा लग रहा ह।आयपकी इस ामीनामीोदहनी छद को खकर हामीार सभी अगतारप हए जा रह ह। इसललए हामीारी ददषट स एक पल कललए भी अलग ामीतार होइएगा।

आय ख अामीन गामी र ालया, लीधिो कोई ामीोहन ल र।

ना पल न आय र ालया, रप ीस रग रल र।।४।।

आयपका यह भष हामी बहतार ही अचछा लग रहा ह ,कयोदक आयपन सबको ामीोदहतार करन ाली ामीोहन बल(लतारा) क सामीान अधतार अनपामी रप धिारा दकया ह।आयपका यह रप इतारना आयननामीयी दख रहा ह दक पल

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भर क ललए भी हामीार नो की पलक झपकतारी नही ह।

राामीतार करतारा रग सह कीज, लखा लखा आयतलघा लीज र।

अधिर ताराो जो रस तारामी पीओ, तारो अामीारा ामीन रीझ र।।५।।

पराा दपरयतारामी! आयप रास की राामीतार करतार सामीय सभीपरकार की आयननामीयी लीला कीजजए तारका कषिा-कषिा ामीहामीारा आयतलगन लीजजए। यद आयप हामीार अधिरो कारसपान करतार ह, तारो हामीार ामीन ामी बहतार अधधिक परसननताराहोगी।

उलट अग न ामीाय र ालया, कीज रग रसाल र।

पल एक अामीकी ामी काओ जआय, रख कठ बाहोडी टाल र।।६।।

ह दपरयतारामी! आयपक साक कीडा करन क ललए हामीार ामीनामी इतारनी अकाह उामीग ह दक ह सामीा नही पा रही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयप हामीार साक परामी और आयनन की रसभरी कीडायकीजजए। हामीस एक पल क ललए भी अलग न होइए औरन हामीार गल स अपनी बाहो को हटाइए।

तारामी साामी अामी जयार जोइए, तययार जोर कर ामीकर र।

बाको बणकया लीज र ालया, एामी काय आयन र।।७।।

ह दपरयतारामी! जब ामी आयपकी ओर खतारी ह , तारब ामीरहय ामी आयपक परधतार परामी की चाहतार बहतार अधधिक बजातारी ह। आयप ामीरा आयतलगन कीजजए, जजसस ामीझ बहतारअधधिक आयनन हो।

भााकर- "ामीकरन" शब का बाह अकर काामी होतारा ह,दकनतार यहा "काामी" या "ामीकरन" का तारातयपयरदकारजनय काामी स नही ह, बअसलक पद चाहतार स ह।गीतारा ३/३६ ामी कहा गया ह-

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"काामीः श एष कोधिः श एष रजोगा सामीीः श।"

अकारतार काामी और कोधि की उतयपलत रजोगा स होतारी ह।अखणड ामीहारास कल बरहम क उस दगाातारीतार-चतारनबरहमाणड ामी हई की, जहा सतय, रज, और तारामी ही नही ह।अतारः श हा ासना जदनतार काामी की उतयपलत कादप नही हो सकतारी। सलखयो और परबरहम ामी परामी क दलास कीदवय लीला हई की, जजसामी दकारो स यक काामी क होनका पर ही नही ह। रास की ााी ामी जहा भी काामी शबआयया ह, उसका तारातयपयर परामी की तारीवर चाहना स ह ,लौदकक काामी स नही , जो पञभतारातयामीक तारन स होतारा ह।जहा परामी ह, हा ासना सपन ामी भी नही हो सकतारी।

राामीतार करतारा आयतलघा लीज, ए पा ामीोटो रग र।

साक खतारा अामीतार पीज, एामी काय उछरग र।।�।।

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दपरयतारामी! आयप ामीर साक राामीतार करतार हए ामीरा आयतलगनकीजजए। सब सलखयो क साामीन यद आयप ामीर होठो काअामीतार रस पीतार ह, तारो ामीझ बहतार अधधिक परसननतारा होगी।

आयतलघा लतारा अामीतार पीतारा, दनो कीधिा घाा हास र।

कठा भीडाभीड न कीज र ालया, ामीझाय अामीारा सास र।।९।।

ामीर दपरयतारामी! आयप हामीारा आयतलगन करतार हए अधिरो काअामीतार रस पीजजए तारका ामीाधियर भा ामी हामीार साक बहतारअधधिक हसी-ामीजाक भी कीजजए, दकनतार आयतलगन कसामीय हामी जोर स न बाइए कयोदक इसस हामीारी सासरकन लगतारी ह।

भााकर- स तारो दकसी को जोर स आयतलगन करन परसास रकन जसी बातार कल कालामीाया क बरहमाणड ामीही हो सकतारी ह, योगामीाया क बरहमाणड ामी कादप नही ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दकनतार इस परकार की उदक परामी की ामीाधियर भाना ामी कहीजातारी ह दक जब आयप ामीझ गल लगातार ह, तारो ामीरी सासरकन लगतारी ह। यकाकरतारः श वयहार ामी ऐसा नही होतारा।

परकरा ।।२५।। चौपाई ।।५५�।।

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छनी चाल

सखी एक भातार र, ामीारो ालो जी कर छ ातार र।

लई गल बाक र, आयाी अग पासर, चामीन दए धचतारस।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सखी! दपरयतारामी परामी कएक दनराल ही ढग स बातार करतार ह। ामीर अधतार पास आयजातार ह, गल ललपट जातार ह, हय ामी परामी लकर चमबनतार ह।

ामीारा ाला ामीाह कल र, अग अधतार बल र।

रामी घा बल, रग अदचल, लभ अधतार दतारस।।२।।

दपरयतारामी क हय ामी असीामी शाअसनतार ह। अग -अग ामीअपार बल ह। बहतार शदक क साक रास की कीडाकरतार ह। उनामी परामी का अखणड रग ददामीान ह। इस

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परकार गाो क भणडार ह।

आय जओ तारामी सयाामी, कर का काामी।

भाज भसी हाामी, राख नही ामीाामी, हर घा दहतारस।।३।।

हामीारी ामीायाी इचछाओ को सामीाप कर तार ह। हसलखयो! तारामी पराा दपरयतारामी को खो, दकस परकारपरामीामीयी लीला करतार ह और हय ामी दकसी ताररह कीामीाया नही रहन तार। हामीार परामी कलयाा की भाना सामीाया का पार रप स हरा कर तार ह।

ामीारा ालास दलास, सयाामीा कर हास।

सधिो रग पास, करी दसास, जओ जोप खतारस।।४।।

शरी शयाामीा जी ामीर दपरयतारामी क साक हसी कीआयननामीयी लीलाय कर रही ह और अधतार दनशछल

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(भोल) भाो स पार सामीपरा क साक उनह आयनअसनतारकरतारी ह। ह सलखयो! तारामी परामी की चाहना क साक उनकीइस लीला को अचछी ताररह स खो।

सयाामीा सयाामी जोड, करतारा कलोल।

रामी रग रोल, काय झकझोल, बन एक ामीतारस।।५।।

शरी राज शयाामीा जी की जोडी रास की आयननामीयीकीडाओ ामी सलगन ह। ोनो परामी की एक ही भाना सयक ह और आयतलगनबद होकर आयनन ामी दनामीगन ह।

बह सरखा सरप, ामीली ामीख कप।

दपए रस घट, अामीतारनी लट, ललए र अदनतारस।।६।।

ोनो का सरप एक ही ह। ोनो ही अपन ामीख स ामीखसटाकर परामीरपी रस को घट-घट कर पी रह ह। इस

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परकार अपन हय क परामीोधचतार बल स अामीतार रपीआयनन को आयतयामीसातार कर रह ह।

आयतलघा ललए, रग रस दपए।

बन सख ललए, लकबक णकए, आय भीनी सयाामीा पतारस।।७।।

ोनो ही आयतलगनबद होकर परामी और आयनन कारसपान कर रह ह। ोनो ही एक-सर स ललपटकर परामीका सख ल रह ह। इस परकार शरी शयाामीा जी अपनदपरयतारामी क आयनन ामी डबी हई ह।

इ ातारी ातार, साो तारामी साक।

जओ अियातार, बन रललयातार, रामीतारा इजतारस।।�।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो ! तारामी सभीामीरी बातार सनो। परामी की अभतार लीला ामी ामीगन रहन ाल

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ोनो सरपो (शयाामी शयाामीा) को खो। य ोनो दकसपरकार ामीयाराबद होकर परामीामीयी कीडा कर रह ह।

भााकर- ामीयारा (इजतार) क साक परामीामीयी कीडा करनका आयशय ह- धिामीारनकल लजा की चार ओकरपरामीामीयी कीडा करना। "लजा ही नारीाा भषा।" धिामीरलजादहीन परामी की सीकधतार नही तारा। धिामीरगनको ामीअकषिर बरहम को "सतयय ञानामीननतार बरहम" (तार. उ.), अकारतारसतयय सरप कहा गया ह। जो सतयय ह, ही धिामीर ह। ऐसीअससकधतार ामी सतयय क भी दपरयतारामी परामी सतयय अकषिरातारीतार सधिामीर की ामीयारा-पालन की अहलना की समभाना कसकी जा सकतारी ह?

परकरा ।।२६।। चौपाई ।।५६६।।

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राग साामीरी

इस परकरा ामी "आयामी की राामीतार" का दचन दकया गयाह।

राामीतार आयबानी कीज ामीारा ालया, आयी ऊभा रहो लगतारा र।

सलखयो जयार बल कर, तययार रख काई तारामी डगतारा र।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर दपरयतारामी ! आयप ामीरपास आयकर खड रदहए। अब हामी आयामी की राामीतार खलतारह। सलखया दकतारनी भी शदक लगाए, तारब भी आयप दहलनानही ।

तारामी आयबला ना कड काओ, अामी चरा झालीन बस।

ामीारो आयबो दहए धि सीच, एामी कहस परलखाा स।।२।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयप आयामी क कषि का तारना बन जाइए। हामी सलखयाआयपक चरा पकडकर बठ जाएगी। हामी ऐसा ामीानगी दकहामी अपन आयामी क कषि को धि और ही स सी च रही ह।ऐसा कहकर हामी उसकी परधकषिाा गी।

कटलीक सलखयो आयबलो सी च, अामी चरा तारामीार लगा।

दढ करीन अामी चरा गहा, जोइए कोा कर अामीन अलगा।।३।।

कछ सलखया आयामी को सी च रही ह और हामी आयपकचराो स ललपटी हई ह। हामीन आयपक चरा कामीलो कोबहतार ही दताराप रक पकड रखा ह। हामी खतारी ह दकअब हामी कौन आयपक चराो स अलग कर सकतारी ह?

बल करीन तारामी ऊभा रहजो, खससो तारो हसस तारामी पर।

जो अामी चरा गही न सक, तारो सह कोई हसस अामी पर।।४।।

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ह दपरयतारामी! आयपको परी शदक लगाकर यही खड रहनाह। यद आयप कोडा सा भी लखसक जाएग तारो आयपकीहसी होगी, और यद हामी आयपक चराो को पकड नही रह सकी तारो परतययक सखी हामीार ऊपर हसी करगी।

तार ामीाट रख चरा चाचरो, णकर कई ऊभा रहजो।

जो जोर घा आय तारामीन, तययार तारामी अामीन कहजो।।५।।

इसललए आयप अपन चराो को हटन नही ना औरअससकर होकर खड रदहएगा। यद बहतार शदक लगाकरचरा खी चन स आयपको कषट होतारा ह, तारो आयप हामीकोअशय कदहए।

अनक सलखयो चरा लगी, खसा नही ीज र।

ालो सलखयो सह काजो साचतार, ओललयो ऊपर साामीी हासी कीज।।६।।

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बहतार सी सलखया शरी राज जी क चराो स ललपट गयी ह और दकसी भी ताररह स दहलन नही रही ह। शरीइनातारी जी कहतारी ह दक ह दपरयतारामी! ह सलखयो! सभीसाचतार हो जाए। हारन ाल की हसी तारो होनी ही ह।

ज सखी साची कई न लगी, तार तारा छोडतारा न छट र।

ओललयो सलखयो बल करी करी काकी, तार तारा उठाडतारा न उठ र।।७।।

जो सलखया सचच हय स चराो ामी ललपटी रही , छडान पर भी चराो को नही छोडतारी ह। खी चन ालीसलखया अपनी सारी शदक लगा-लगाकर कक जातारी ह,दफर भी चराो ामी ललपटी हई सलखयो को बार -बारखी चन पर भी उठा नही पातारी ह।

भााकर- रास की इस राामीतार क दारा परोकषि रप ामी हामीयह सकतार दया जा रहा ह दक इस जागनी लीला ामी

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दकसी भी अससकधतार ामी हामी धिनी क चराो को नही छोडनाह, कयोदक धिनी क चरा कामील ही हामीार जीन कआयधिार ह।

ज सखी चरा रही न सकी, तार पर हासी कई अधतार जोर र।

इ ातारी ालो न सलखयो, दए ताराली हासी कर सोर र।।�।।

जो सलखया धिनी क चराो को पकड नही रह सकी ,उन पर बहतार अधधिक हसी हई। दपरयतारामी अकषिरातारीतार, शरीइनातारी जी, ए अनय सलखयो न ताराललया बजा -बजाकर उन हारी हई सलखयो की हसी की। इस परकारइस परामीामीयी लीला स हा कोलाहल-सा होन लगा।

भााकर- रास लीला की इस राामीतार को दकसी लौदकककीडा क साक नही जोडना चादहए। समभतारः श कछबधदजीी गर इन लीलाओ क परधतार अपन ामीन ामी यह

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सशय कर सकतारा ह दक अकषिर स भी पर सधचचाननअकषिरातारीतार कया बचचो की ताररह स इस परकार की लीलायकर सकतार ह?

इसक सामीाधिान ामी यही कहा जा सकतारा ह दक इस ताररहक सशय ञान क धिरातारल पर ही हआय करतार ह। ामीाया कइस बरहमाणड ामी परबरहम की खोज ामी ञान का आयधिारललया जातारा ह। जहा ञान ह, ही दधधि और दनषधि(दनयामी और उसका उलघन) ह। इसी जगतार ामी धिामीर औरअधिामीर की वयािया होतारी ह। दकनतार परामी शबातारीतार ,दगाातारीतार, और इस जगतार स स रका पर ह। ह इसपररधधि ामी नही आयतारा दक उस बालक , य ा, या द ककाय क आयधिार पर बाटा जा सक।

अकषिर बरहम को दधधि और दनषधि क अनतारगरतार आयन ालीसारी लीलाय तारो ामीालामी ही ह। असरो क भोगामीय

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जीन स लकर ो क तारपोामीय ामीागर , तारका ईशरी कबह ामीागर को भली-भाधतार जानतार ह। दकनतार एकामीा परामीामीागर को ही नही जानतार , जजस की इचछा उनहोनअकषिरातारीतार स की की, इसललए उनह दखान क ललए रासलीला की जा रही ह। ऐसी असका ामी रास की इनराामीतारो पर सशय का पर नही उठ सकतारा।

परकरा ।।२७।। चौपाई ।।५७४।।

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राग आयसारी

इस परकरा ामी "उडन खटोल की राामीतार" का ारनदकया गया ह।

राामीतार उडन खाटलीनी, ामीारा ालाजी आयपा कीज र।

रतार रडी छ आयाी भोामी, ठक ामीग जामी ीज र।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह ामीर दपरयतारामी! अब हामीउडन खटोल की राामीतार खल। यहा की धिरतारी पर रतारबहतार ही सनर ह। इस पर हामी दहरन की ताररह लमबीछलाग लगातार हए खल।

सलखयो ामीनामीा आयनदयो, ए राामीतारामीा अधतार सख र।

साक सह रबीन रामीस, ामीारा ालाजी सनामीख र।।२।।

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यह सनकर सब सलखया आयनअसनतार हो गयी दक इसराामीतार ामी बहतार अधधिक सख ह। अब ामीर दपरयतारामी कसमामीख सब सलखया परधतारदनी बनकर (होड बाधिकर)इस राामीतार को खलगी।

पहलो ठक ीधिो ामीार ाल, पछ जो जो ठक अामीारो र।

तारो ामीारा चन ामीानजो सलखयो, जो ऊ ठक ालाजीकी सारो र।।३।।

सबस पहल ामीर धिाामी धिनी न छलाग लगायी ह। इसकपशातार ह सलखयो! ामीरी छलाग को खो। यद ामी अपनपरााशर स अधधिक अचछी छलाग लगा , तारो तारामी ामीरचनो की ामीहता ामीान लना।

जओ र सलखयो तारामी ालोजी ठकतारा, ीधिी फाल अधतार सारी र।

दनसक अग सकोडीन ठकया, जाऊ तार ह ललहारी र।।४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह सलखयो! तारामी ालाजी को छलाग लगातार हए खो।उनहोन यह बहतार अचछी छलाग लगायी ह। दनधशतार रपस उनहोन अपन अगो को जसकोडकर ऊची छलागलगायी। ामी उनकी इस लीला पर नयोछार होतारी ह।

हाऊ हाऊ र सलखयो तारामी ठक खाणयो, ए तारो ीधिो लडसडतारा र।

एा तारो ठक अामी सह कोई तारा, सहज राामीतार करतारा र।।५।।

ठहरो, ठहरो सलखयो! तारामी दपरयतारामी की छलाग कीइतारनी ामीदहामीा गा रही हो। इनहोन तारो ढीली-ढाली छलागलगायी ह। इस ताररह की छलाग तारो हामी सलखया बहतार हीसरलतारा स खलतार-खलतार लगा लतारी ह।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी शरी इनातारी जी क ककनका आयशय शरी राज जी की छलाग को छोटा करकआयकना नही ह , बअसलक यह परामी भर भाो की ामीधिर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अणभवयदक ह। परामी क हास-पररहास ामी इसी ताररह कीबातार कही जातारी ह।

रहो रहो र सलखयो तारामी ठक खाणयो, ह जो जो अामीारो ठक र।

एी तारो फाल साक कटलीक ीधिी, तार तारो ामीोही उडाडतारा रतार र।।६।।

ह सलखयो! ठहरो, तारामीन शरी राज जी की छलाग कीबहतार अधधिक परशसा कर ी ह। अब जरा ामीरी छलाग तारोखो। इनकी छलाग जसी छलाग तारो कई सलखयो नलगा ी ह। इनहोन तारो कल रतार उडाई ह, और तारामीइसी को बहतार बडी छलाग ामीानकर ामीगधि हो रही हो, तारकापरशसा क पल बाधि रही हो।

भााकर- सामीपरा, एकदनष परामी , और ामीधिर हास-पररहास क साच ामी ढली हई परामी की यह अणभवयदक,इस ामीायाी जगतार ामी कही दरला ही सनन को दामीलतारी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह।

कोा हजसए कोा खाणाए, ए राामीतार कई अधतार रग र।

एाी दधि ीधिा अामी ठक, ामीारा ालाजीन सग र।।७।।

दकसकी छलाग की हसी उडाए और दकसकी ामीदहामीागाए? उडन खटोल की यह राामीतार बहतार आयननामीयी ह।इस राामीतार ामी ामीन अपन परााशर क साक आयनन नाली छलाग लगायी।

ए राामीतारडी जोई करीन, ह दनरतारनी राामीतार कीज र।

रडी राामीतार इ ातारी करी, जामीा साक ालो ामीन रीझ र।।�।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो! उडन खटोलकी इस राामीतार को खन क पशातार, अब हामी नतयय कीराामीतार कर। जजसामी ामीरी (शरी इनातारी जी की) राामीतार को

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अचछी ताररह स खकर सब सलखयो तारका शरी राज जीका ामीन रीझ जाय।

परकरा ।।२�।। चौपाई ।।५�२।।

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राग कलयाा

इस परकरा ामी नतयय की राामीतार का ारन दकया गया ह।

ाला तारामी दनरतार करो ामीारा नाहोजी र, अामीन जोयानी खातार।

साक जोई आयनदयो र, काई ख खी एक भातार।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर पराालभ ! आयपनतयय कर। हामी आयपका नतयय खन की बहतार अधधिकचाहना ह। आयपका यह अधतार सनर भष खकर सबसलखया बहतार ही आयनअसनतार हो गयी ह।

तारामी दनरतार करो र भाामीनी, दनरतार रडी काय नार।

तारामी चन गाओ परामीना, पास सर पर रसाल।।२।।

यह सनकर शरी राज जी कहतार ह दक ह सलखयो! पहल

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारामी नतयय करो, कयोदक लसतरयो का नतयय अधधिक अचछाहोतारा ह। तारामी परामी क गीतार गाओ। उसका अनसरा करतारहए ामी भी पीछ स ामीधिर सर ामी गाऊगा।

साो सनर लभजी ामीारा, दनरतार काी पर काय।

अामीन खाडो आययतार करी, काई उलट अग न ामीाय।।३।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- अधतार सनर , ामीरपराालभ! ामीरी बातार सदनय, हामी यह जानना चाहतारी हदक नतयय कस होतारा ह? पहल आयप करक बताराइए। हामीआयपका नतयय खन की इचछा ह। हामीार ामीन ामी आयपकानतयय खन की इतारनी उामीग ह दक ह सामीा नही पा रहीह (अपार उामीग ह)।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जाी सनधि पाउ भरो, अन अग ालो नरामी।

भामीरी फरो जाी भातारस, अामी नाच फर तारामी।।४।।

आयप जजस ताररह स नतयय ामी अपन कामी रखग , औरअपन कोामील अगो को ामीोडग, तारका गोलाई ामी घामीग, हामीभी उसी ताररह स नाचगी तारका अगो को ामीोडतार हए गोलाईामी घामीगी।

हसतार करी खाधडए, अन ठामीक ीज पाय।

चन गाइए परामीना, काई तारना अरकज काय।।५।।

आयप नतयय की ामीा ामी अपन हाको को चलाकर दखाइएऔर परो स ठामीका लगाइए। परामी क भाो ाल ऐस गीतारगाइए, जजसका कछ अकर दनकलतारा हो।

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कठ करीन राग अलादपए, काई सर पर सकल साक।

ा ाा रबाबसो, काई ताराल बाज पखाज।।६।।

अपन सनर गल स ामीधिर राग का अलाप कीजजए(गाइए)। हामी सब सलखया आयपक साक सर दामीलाएगी।इसक साक ही बासरी, ीाा, सारगी, झाझ, तारकापखाज आयद क बाज भी बजाए जायग।

करताराल ामीा बाज झरामीरी, काई शरीामीडल हाक।

चग तारबर रग ामील, ालो नाच सकल साक।।७।।

करताराल ामी जडी हई छोटी-छोटी झाझ भी बजायीजायगी। सलखया अपन हाको स शरीामीणडल भी बजाएगी।इसक अधतारररक चग (खजडी जसा एक बाजा) औरतारमबर क साक अधतार आयननामीयी सगीतार की रसधिाराफटगी। इस असका ामी आयपक साक हामी सब सलखया

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नतयय करगी।

भखा बाज भली भातारस, धिरतारी कर धिामीकार।

सब उठ सोहाामीाा, उछरग ाधयो अपार।।�।।

नतयय करतार सामीय सलखयो तारका यगल सरप कआयभषाो स ादो की ताररह बहतार ही ामीधिर धदन दनकलरही ह। परो की ताराल स धिरतारी स धिामी-धिामी की धदन होरही ह। परामी भर गीतारो ामी अधतार ामीधिर शबो का सचार होरहा ह। सबक अनर अपार उतयसाह छाया हआय ह।

दनरतार करी नरामी अगस, काई फरी फयार एक पाय।

छक ाल छलाईस, तारता कई कई काय।।९।।

दपरयतारामी न अपन कोामील अगो स नतयय दकया। उनहोनएक पर पर घामीतार हए नतयय दकया। जब बहतार चतारराई स

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परो स ताराली न लग, तारो चारो ओर तारताकई-तारताकईकी ामीधिर आयाज गजन लगी।

एक पोहोर आयन भरी, काई रग भर रदामीया एह।

साक सकलामीा ालजी ए, रामीतारा कीधिा सनह।।१०।।

एक परहर तारक आयनन भरी यह राामीतार चलतारी रही। सभीन आयनन ामी भरकर ामीधिर नतयय दकया। सब सलखयो कामीधय शरी राज जी न नतयय दकया और उनस बहतार अधधिकपरामी दकया।

आयन घाो इ ातारी, ालाजीन लाग पाए।

असर छ काई अधतार घाो, ाला रासनी राामीतार ामीाह।।११।।

शरी इनातारी जी दपरयतारामी शरी राज जी क चराो ामीपरााामी करक कहतारी ह दक ह धिाामी धिनी ! रास की इस

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राामीतार ामी हामी बहतार अधधिक आयनन की अनभधतार हई ह।आयपका परामी और आयनन पान का यह बहतार ही अचछाअसर ह।

तार स र धचतार धिरी, अामीस रामीो अधतार रग।

कह इ ातारी साकन, रामीानी घाी उामीग।।१२।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह दपरयतारामी ! इन सारीबातारो को धयान ामी रखकर , आयप हामीार साक अधतारआयनन ामी भरकर नतयय कीजजए। हामी सब सलखयो क ामीनामी आयपक साक नतयय करन क ललए बहतार ही अधधिक उामीगह।

परकरा ।।२९।। चौपाई ।।५९४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चरचरी छ

इस परकरा ामी नतयय की ामीनोहर लीला का दचन दकयागया ह।

ामीग चग, तारबर रग, अधतार उामीग,

गातारी सखी सर करी।।१।।

ामीग, चग, तारका तारानपर की आयननामीयी धिनो क साकसलखया अतययधधिक उामीग ामी भरकर ामीधिर सरो ामी गायनकर रही ह।

करताराल ताराल, बाज दसाल, ा रसाल,

रामीतार रास सनरी।।२।।

इस सामीय करताराल, झाझ, तारका अनय बड-बड बाजबज रह ह। बासरी स ामीधिर सर लहरी फट रही ह। सबसलखया अपन दपरयतारामी क साक रास की कीडा ामी सलगन

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह।

नार जसागार, भखा सार, सग आयधिार,

दनरतार कर सनधिरी।।३।।

अतययधधिक सनर आयभषाो स सलखयो का शरगार सजाहआय ह और अपन पराााधिार अकषिरातारीतार क साक अधतारामीनोहर ढग स नतयय कर रही ह।

घामी झााझा, जोड राारा, दबछडा ठााठा,

छक ाल फरी फरी।।४।।

जब सलखया अधतार चातारयरताराप रक बारमबार गोलाई ामीघामीकर नतयय करतारी ह, तारो उनक परो की ताराल स धिरतारीस घामी-घामी की गमभीर और ामीोहक धदन दनकलतारी ह।झाझरी और घघरी झन-झन की ामीधिर धदन तारी ह, तारो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

काबी और कडला की जोडी स राकार उठतारी ह,अकारतार रन-झन, रन-झन की ामीोहक धदन आयतारी ह।और दबछए स ठन-ठन का सर गजतारा ह।

चन गाए, हसतारक काए, भा सधिाए,

खाड ालो खतार करी।।५।।

सलखया परामी भर गीतार गातारी ह और अपन हाको कीताररह-ताररह की भा-भदगामीाओ स हय क परामी भा कोवयक करतारी ह। दपरयतारामी अकषिरातारीतार को नतयय क दाराअपन हय का परामी शारतारी ह।

हास दलास, सकल साक, लतार बाक,

ामीधय राामीतार हतार करी।।६।।

सभी सलखया नतयय ामी हसी का आयनन लतारी ह औरपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 569569 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नतयय क बीच ामी अतययधधिक परामीप रक अपन परााशर कगल लग जातारी ह।

ख सख, राखी रख, सख लतार,

ाहतार ामीख ासरी।।७।।

शरी इनातारी जी की श-भषा बहतार ही ामीनामीोहक ह।उनहोन राामीतारो ामी सलखयो की लाज बचाई ह। अपनामीख स बासरी बजाकर अपार आयनन ल रही ह।

भााकर- यददप अकषिरातारीतार अपनी ही अगरपा सलखयोक साक कीडा कर रह ह, इसललए उसामी हारन, जीतारन,या लाज बचान जसी कोई बातार नही होतारी। दफर भी खलामी होड (परधतारदअसनदतारा) तारो होतारी ही ह, जजसामी दपरया-दपरयतारामी (ामीाशक-आयणशक) एक होतार हए भी हारना नही चाहतार। इसी सनभर ामी उपरोक चौपाई ामी लाज बचान का

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ककन दकया गया ह।

धिामीक धिाराी, गाजतारी गाराी, चानी राी,

जोतार कर जाामीतार री।।�।।

नतयय ामी परो क ताराल न स धिरतारी स धिामी -धिामी कीधदन उठ रही ह, जजसकी परधतारधदन चारो ओर गज रहीह। चनामीा अपनी शीतारल जयोधतार स चारो ओर परकाशकर रहा ह, जजसस इस चानी रातार की शोभा अनपामीदखायी रही ह।

रग नामीा, सोणभतार जामीना, पस पखीना,

सब रग कतार री।।९।।

इस दनतयय नान ामी स र आयनन ही आयनन की षारहो रही ह। यामीना जी का दकनारा बहतार ही सनर लग

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रहा ह। चारो ओर पश-पधकषियो क आयनन न ाल अधतारामीीठ शब गज रह ह।

पस पखी, जए जखी, दामील न अखी,

सख खी राामीतार री।।१०।।

अपार सख न ाली नतयय की इस राामीतार को पश-पकषिीभी अतययधधिक ामीगधि होकर ख रह ह और उनकी आयखोकी पलक भी नही झपक रही ह।

दनरतार कर, खतार खर, फरी फर,

इ ातारी एक भातार री।।११।।

शरी इनातारी जी हय क शद परामी क साक नतयय कररही ह। गोलाई ामी घामीतार हए ताररह-ताररह क हा-भाोस दशष परकार का नतयय कर रही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ालतारी छक, अग सक, रग लतार,

छबक चामीन तार री।।१२।।

शरी इनातारी जी नतयय की इस लीला ामी धताररछ ामीडकरउछलतारी ह तारका अपन कोामील अगो को दशष परकार सामीोडतारी ह। परामी भरी चतारराई क साक दपरयतारामी कोचमबन तारी ह और नतयय का आयनन लतारी ह।

परकरा ।।३०।। चौपाई ।।६०६।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग कालरो

इस परकरा ामी सलखयो क अनर ामीान उतयपनन होन कापरसग ह।

हामीचडी सखी सग र।

आयपा रामीस नल रग, सखी र हामीचडी।।टक।।

राामीतारडी छ अधतार घाी, करस सघली सार र।

ददधि पर सख ऊ र सलखयो, जामी तारामी पाामीो करार।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो ! दपरयतारामी कसाक लीला करन की हामीार ामीन ामी बहतार अधधिक उामीग ह।इसललए अब हामी नई-नई आयननामीयी कीडाओ क दारालीला करग।

यह सनकर शरी राज जी कहतार ह- ह सलखयो! यददपअब तारक का खल बहतार ही सनर रहा ह, दकनतार अब ामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सबस शरष लीला करगा। ामी तारमह अनक परकार कीलीलाओ दारा सख गा, जजसस तारमहार हय को परामीशाअसनतार दामील।

भााकर- सलखयो को सख न ाल शरी राज जी ही ह,इसललए यहा शरी राज जी का ककन ामीाना जाएगा, शरीइनातारी जी का नही । परकामी ो पदकयो ामी शरी इनातारीजी का ककन आय चका ह।

अामीन ा जाडी खाडो, जो पहलो ायो रसाल र।

ा साभलतारा तारतारलखा ालया, अामी जी नािया तारतयकाल।।२।।

यह सनकर शरी इनातारी जी कहतारी ह- ह धिाामी धिनी!आयपन पहल जजस परकार ामीधिर बासरी बजाई की, उसीपरकार हामी बजाकर दखाइए। उस सामीय की बासरी कीआयाज इतारनी ामीधिर की दक हामीन उस सनतार ही उसी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सामीय अपना शरीर छोड दया का।

जओ र सलखयो ालो ा जाड, अधिर धिरी अधतार रग।

ा साभलतारा तारतारलखा तारामीन, काामी ाधयो सार अग र।।३।।

ह सलखयो! खो, दपरयतारामी इस सामीय अपन होठो परबासरी रखकर बहतार अधधिक आयननामीयी सरो ामी बजारह ह। यह ही बासरी की धदन ह, जजसको सनन परतारमहार अग-अग ामी अलौदकक परामी प ा हो गया का।

भााकर- उपरोक चौपाई क चौक चरा ामी "काामी" शबका तारातयपयर, दकारजदनतार ासनाामीय शारीररक काामी सनही ह। सतारतारः श यह दवय काामी ह, जो दगाातारीतार एपारतारया दनरकार होतारा ह। इसामी सासाररक ासनाजनयदकारो ए दकयाओ का कोई भी समबनधि नही ह। जहापरामी (दवय काामी) ह, हा ासना क ससकार भी नही रह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सकतार। इस समबनधि ामी तारारतारामी ााी ामी कहा गया ह-

चन काामीस धिोई कादए, रालखए नही रज ामीा।

जोगाई सर जीधतारए, तययार कए परामी ना पा।।

दकरनतारन

अकारतार जब तारक हामीार हय ामी रचामीा भी दकार ह ,तारब तारक हामीार अनर परामी की पातारा आय ही नही सकतारी।सपषट ह दक अकषिरातारीतार ए सलखयो की जजस अदतार लीलाामी "काामी" शब का परयोग हआय ह, उसका आयशयअअससक, चामीर, ामीास, रक, और ामील-ामी क दपणड कासनातयामीक समबनधिो स नही ह , अदपतार यह अनताररातयामीाकी पद चाहतार ह , जो अपन परााशर अकषिरातारीतार कललए होतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

साो र सलखयो ह ा जाड, ा ताराी साो ााी।

लखा एक पासकी अलगा न कर, राख हडाामीा आयाी।।४।।

शरी राज जी कहतार ह- ह सलखयो! ामीरी यह बातार सनो।ामी बासरी बजातारा ह, इसकी ामीनामीोदहनी धदन को सनो।ामी तारमह एक कषिा क ललए भी अलग नही कर सकतारा। ामीनतारो तारमह अपन हय ामीअसनर ामी बसा रखा ह।

भााकर- उपरोक चौपाई को पकर सनरसाक कोआयतयामीामीनकन करना चादहए दक जी सदषट की नकलकरक नधिा भदक और कामीरकाणडो क जाल को हीसपपरर कयो ामीान रह ह? उनह तारो तारारतारामी ााी का हपनीतार ामीागर अपनाना चादहए , जजसामी दपरया -दपरयतारामी(ामीाशक-आयणशक) एक-सर क हय ामी सामीाय होतार ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उलट तारामीन अधतार घाो ाधयो, ली रग उपजा दनरधिार।

जटली राामीतार कहो र सलखयो, तार रामीाड आयार।।५।।

तारमहार अनर रास कीडा क ललए बहतार अधधिक उामीगब गयी ह। इसललए अब ामी तारमहार अनर पनः श बहतारअधधिक आयनन उतयपनन करगा। ह सलखयो! तारामी जजतारनीभी राामीतार कहो, अब ामी उतारनी ही अधधिक राामीतार खलाकरतारमह आयनअसनतार करगा।

ामीान घाो ामीानधतारयो न, ताराामीजसयो झझार।

परामी घाो अग आय सग, एा दरह नही लगार।।६।।

ामीान का भा रखन ाली ामीाननतारी ताराामीसी सलखयो ामीामीान ए अहामी की परलत अधधिक हो गयी। उनहोन अपनहय ामी ामीा धिनी क अकाह परामी का ही अनभ दकयाका। इनह दरह की जरा भी अनभधतार नही की।

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भााकर- "ामीान करन" का तारातयपयर ह, अपन दपरयतारामी सामीान (समामीान) की अपकषिा रखना। सय का कछअअससतारतय ामीानन पर ही अपन दपरयतारामी स समामीादनतार होताररहन की इचछा होतारी ह। जजसन परामी की बलली परअपना स रस नयोछार कर दया ह, ह भला दकसकललय समामीान चाहगा?

"ामीान" की भाना ताराामीस क अश क कारा होतारी ह।ताराामीसी सलखयो स तारातयपयर काामी-कोधि स यक तारामीोगाीसलखया नही , बअसलक तारामीोगा का ह सकामीाधतार सकामीअश, जजसक कारा परामी ामी सामीपरा की भाना तारो रहतारीह, दकनतार अपना साणभामीान ए समामीान पान की भानाभी बनी रहतारी ह। इनह ही ामीाननतारी या ताराामीसी सलखयाकहतार ह।

यददप योगामीाया का बरहमाणड दगाातारीतार ह और हा

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सतय, रज, तारामी की कोई लीला नही हो सकतारी, दकनतारवरज लीला ामी ामीान की परलत रखन ाली जजन गोदपयोक तारन ामी बरहमसदषटयो की सरतारा आयई की , उनह ताराामीसीसलखया कहतार ह। गोदपयो क य जी वरज क ससकारो कोअपन साक योगामीाया ामी भी ल गए क , जजसक काराइनह हा भी "ामीान" न आय घरा।

यद यह कहा जाय दक योगामीाया क दगाातारीतार बरहमाणडामी कालामीाया क दगाातयामीक ससकारो का परभा कस होसकतारा ह, तारो इसक सामीाधिान ामी यही कहा जाएगा दकदबना दरह की अदगन ामी जल ससकार दामीट नही सकतार।यह बातार तारो जागनी लीला क सनभर ामी भी कही जातारीह-

दपया क दरह सो दनरामील दकए, पीछ अखड सख सबो को दए।

पर. दह. ३७/११२

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जब परामीधिाामी का ञान अतारररतार होन क पशातार भीकालामीाया क जीो को दनामीरल होन क ललए दरह कीभटटी ामी जलना पडतारा ह, तारो ामीान की भाना रखन ालीसलखयो को दरह ामी जलाना अदनायर का। तारभी उनहपरामी का ासतारदक आयनन दामील सकतारा का। आयतयामीा तारोामीा षटा ह। न ह राजसी ह, न साअसतयकी (सातारसी),और न ताराामीसी।

ताराामीस ामीाह ताराामीजसयो, एाी ातारडी कही न जाय।

कह इ ातारी साो र साकजी, ाल एामी कीधिा अतारराय।।७।।

ताराामीसी सलखयो क अनर साणभामीान की परलत इसपरकार ब गई दक उस वयक दकया ही नही जा सकतारा।शरी इनातारी जी कहतारी ह- ह सलखयो! ामीरी बातार सनो!हामीारा अह र करन क ललए शरी राज जी हामीस अलग हो

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गए।

भााकर- इस चौपाई क पहल चरा ामी ताराामीसी सलखयोको ताराामीस स यक बताराया गया ह। उसका अकर यहकादप नही सामीझ लना चादहए दक बहतार अधधिकअहकारी हो गयी की । जजस परकार सफ चार पर एकछोटा सा काला धिबबा सबको नजर आय जातारा ह, उसीपरकार ताराामीसी सलखयो न भी ामीन ामी यह ल ललया दक शरीराज जी तारो पारतारया हामीार श ामी आय गए ह। इतारनी छोटीसी भल क कारा उनह ताराामीस भा ामी आय जाना कहा ह।अनतारधिारन क और भी कई कारा क, जो इस परकार ह-

(१) कल-बरहम नौ रसो (शरगार, दयोग, हासय,करा, रौ, ीर, भयानक, अभतार, तारका शानतार रस)की भदामीका ह। इसामी एक रस दयोग (दपरलमभ) भी ह।इस भदामीका ामी अधतार अलप सामीय क ललए दयोग होतारा ही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह।

(२) अकषिर बरहम यह सामीझन लग क दक साकषिातारपरामीधिाामी ामी ही यह लीला ख रह ह। उनह ासतारदकताराका बोधि करान क ललए भी दयोग अधतार आयशयक का।

परकरा ।।३१।। चौपाई ।।६१३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राामीतार अताररधयाननी

इस परकरा ामी शरी राज जी क अनतारधिारन होन का परसगशारया गया ह।

ानामीा राामीतार करतारा, जजो कयो स र साक।

ली आयी तारतारलखा एक ठाामी, न ीस तार पराानो नाक।।

ामीारो जी जीनजी, लई गया हो सयाामी।।१।।

नान ामी रास की राामीतार करतार-करतार सभी सलखयाअलग-अलग हो गयी । पनः श उसी कषिा जब एक सकानपर एकदतार हयी , तारो उनह अपन दपरयतारामी अकषिरातारीतार (शरीपराानाक) का शरन नही हआय। दरह की इस असका ामी कातारर (ः शख स वयाकल) सरो ामी कहन लगी दक हदपरयतारामी! आयपक अदशय हो जान स यही लग रहा ह दकहामीार जीन का आयधिार (स रस) ही चला गया ह।

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भााकर- उपरोक चौपाई ामी रास की लीला करन ालआयश सरप को शरी पराानाक कहा गया ह, जो यहजसद करतारा ह दक शरी पराानाक आयतयामीा क दपरयतारामी कोकहतार ह। ही ामील-दामीला ामी दराजामीान ह , तारकाउनहोन वरज-रास ामी शरी कषा जी क तारन ामी लीला की ,और इस जागनी बरहमाणड ामी शरी चन जी और शरीदामीदहरराज जी क तारन ामी लीला की ह।

अकषिरातारीतार क ललए भापरक नाामी ही ामीहतयपार ह ,शरीरपरक नही , कयोदक शरीरपरक नाामी आयश शदक कदराजामीान होन स पहल भी रख जातार ह और य हामीशाबलतार रहतार ह, जस- शरी कषा जी, शरी चन जी,ए शरी दामीदहरराज जी। भापरक नाामी शाशतार रहतारा ह,जस- शरी पराानाक, शरी राज, ए शरी जी। वरज औररास ामी शरी चन जी या शरी दामीदहरराज जी का

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अअससतारतय नही ह, लदकन शरी पराानाक या शरी राज नाामीका अअससतारतय सबामी (वरज, रास, ए जागनी) रहा ह।

शरी कषा जी को शरी चन जी या शरी दामीदहरराज जीनही कह सकतार ह और न ही शरी दामीदहरराज जी को शरीकषा जी या शरी चन जी कह सकतार ह। लदकन इनकअनर लीला करन ाला सरप एक अकषिरातारीतार का हीह, जजस शरी पराानाक कह, शरी राज कह, या शरी जीकह।

काया कामी चाल तारह र, कालजड काप जह र।

ऊभी कामी रह ह, बाधया ज ामील सनह।।

ाटकड ीधिा छह, ामीारो जी जीनजी लई गया हो सयाामी।।२।।

दपरयतारामी क दरह ामी हामीारा यह शरीर भला अब कसजीदतार रह सकतारा ह? दरह क ः शख स हामीारा कलजा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

काप रहा ह। दपरयतारामी क ामील समबनधि क परामी स बधिाहआय यह शरीर भला अब कस जीदतार रह सकतारा ह?इस दयोग न तारो हामीार परामी और आयनन रपी ामीहल कटकड-टकड कर दए ह। ह दपरयतारामी! आयपक अदशय होजान स तारो हामीार जीन का आयधिार ही सामीाप हो गयाह।

सलखयो ामीलीन दचारज कीधिो, पणछए सयाामीाजी दकहाछ सयाामी।

राामीतारनो रग हामीाा ाधयो, ामीन ामीाह हतारी ामीोटी हाामी।।३।।

सलखयो न आयपस ामी दामीलकर दचार दकया दक हामी सभीदामीलकर शरी शयाामीा जी स पछ दक शरी राज जी कहा ह?रास की राामीतारो का आयनन तारो अभी बा ही का दकदपरयतारामी अनतारधिारन हो गए। हामीार हय ामी तारो दपरयतारामी सपरामी करन की बडी-बडी इचछाए भरी की।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

साक ामीाहो ामीाह खोलतारा, न ीस सयाामीाजी तययाह।

तययार जजी ोडी जोा नामीा, ए बन जसधिावया कयाह।।४।।

सब सलखयो न आयपस ामी शरी शयाामीा जी को बहतारखोजा, दकनतार कही भी दखाई नही ी । तारब सभी नामी अलग-अलग होकर खोज करन ौडी दक य ोनो(शरी राज शयाामीा जी) कहा चल गए ह?

जोतारा जजा नामीा, सयाामीाजी लाधया एक ठाामी।

सयाामीाजी सयाामी दकहा छ, ामीार अग पीड अधतार काामी।।५।।

न ामी अलग-अलग दशाओ ामी खोजन पर शरी शयाामीाजी एक सकान पर ामीरचछतार असका ामी दामीली । सबसलखया उनस पछन लगी दक ह शयाामीा जी! शरी राज जीकहा ह? उनस दामीलन की तारडप हामी बहतार वयाकल कररही ह।

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साक सयाामीा जी न खी करी, ामीनडा कया अधतार भग।

सयाामीाजी धतारहा बोली न सक, जामीा एडो हतारो उछरग।।६।।

सलखयो न जब शयाामीा जी की असका खी, तारो उनकामीन का धियर बहतार ही टट गया। जजस शयाामीा जी ामी रासखलन का इतारना अधधिक उतयसाह का, सलखयो कपछन पर कछ भी बोल नही सकी।

घडी एक रहीन सयाामीाजी बोलया, आयपान ामीकया दनरधिार।

ोष ीठो जो आयपाो, तारो नामीा ामीकया आयधिार।।७।।

लगभग एक घडी (सा बाइस दामीनट) क पशातार शयाामीाजी न कहा- दनधशतार रप स दपरयतारामी हामी छोडकर चलगय ह। उनहोन हामीार अनर कोई ोष खा ह, तारभी तारोहामी छोड दया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चन साभलतारा सयाामीाजी करा, लखा न लागी ार।

ज जामी आयी ोडतारी, तार तारा पाछी पधडयो तारतयकाल।।�।।

शयाामीा जी की इस बातार को सनतार ही एक कषिा की भीर दकय दबना सलखया हा आयन लगी । जस-जसौडतारी हई आयतारी की , हा की अससकधतार को ख करस-स दगरतारी जातारी की ।

भााकर- सलखयो क हा बहोश होकर दगरन का कारायह का दक उनहोन शयाामीा जी को बहतार ः शखी असका ामीखा का। इसक अधतारररक शरी राज जी क हा न होनकी अससकधतार ामी दकसी अनहोनी ः शख भरी घटना कीआयशका स बहतार वयणकतार हो गयी और ामीरचछतार होकरदगर पडी ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तारामीा कटलीक सलखयो ऊभी रही, उठाड स र साक।

आयपान कामी ामीकस, ामीारा परााताराो ज नाक।।९।।

उनामी कछ सलखया धियरप रक खडी रही । उनहोन बहोशपडी सलखयो को यह कहतार हए उठाया दक उठो ! हामीारपराालभ भला हामी कस छोड सकतार ह?

सलखयो ान आयपा खोललए, इहाज होस आयधिार।

जीताराो जीन छ, तार तारा नही र ामीक दनरधिार।।१०।।

ह सलखयो! हामी उनह नान ामी खोज , अशय हीहामीार दपरयतारामी यही पर होग। ही हामीार जी क जीन(अअससतारतय) क आयधिार ह। दनधशतार रप स हामी नही छोडग।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सखी ए र आयपान ामीकी गयो, एा या नही र लगार।

ह आयही ककी कामी उदठए, ामीारा जीन दना आयधिार।।११।।

दगरी हई सलखया कहतारी ह दक दपरयतारामी क ामीन ामी हामीारललय नाामी ामीा की भी या नही ह , इसललय तारो हामीछोडकर चल गय ह। जब हामीार जीन क आयधिारदपरयतारामी ही यहा नही ह, तारो हामी कस उठ?

सखी कही र सनधि चाललए, ामीारा लई गयो ए पराा।

सलखयो अामीन स र कहो छो, अामी नही र अाय दनराा।।१२।।

ह सलखयो! तारमही बताराओ, जब दपरयतारामी हामीार पराा हीलकर चल गय ह, तारो अब हामी कस चल? हामी चलन कललय तारामी कयो कह रही हो? हामी तारो तारमहार साक चलन(आयन) ामी पारतारया असामीकर ह?

भााकर- शरी राज जी ही सलखयो क जीन क आयधिार

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ह। उनक अदशय हो जान पर सलखयो का ामीनोबल इतारनाटट गया दक उनामी कछ भी करन की इचछा सामीाप होगयी। इस ही परााो को ल जाना कहा गया ह।

ामीारो जी कलकल आयकलो, अन काया करक अग।

कहो जी अगा अामीताराा, ज कीधिा रगामीा भग।।१३।।

ामीरा जी वयाकल होकर दबलख रहा ह और हयसदहतार ामीरा समपार शरीर काप रहा ह। जरा, हामीार ोषतारो बताराओ? दपरयतारामी न दरह की यह लीला करक हामीारआयनन को कयो छीन ललया?

सखी ोष हस जो आयपाो, तारो ाल कीधि एामी।

धचतार ऊपर जो चालतारा, आयपा कहतारा करतारो तारामी।।१४।।

खडी हई सलखया उतर तारी ह दक ह सलखयो! तारामी इसपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 594594 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ताररह स शोक न करो। कही न कही हामीस भल अशयहई ह, तारभी दपरयतारामी न हामीार साक ऐसा वयहार दकयाह। यद हामी उनकी इचछानसार चलतारी , तारो हामी जसाकहतारी , सा ही करतार।

भााकर- धचत क अनकल न चलन का तारातयपयर ह ,अहामी की गअसनक स गजसतार होना (बधि जाना)। ामीहारासकी लीला ामी सलखयो क अनर यह भा आयना , दकदपरयतारामी हामीार श ामी हो गय ह, ही अहामी की गअसनक ह।इस लौदकक अहकार नही ामीानना चादहय। इस ामीायाीजगतार ामी जो अहकार होतारा ह , ह तारामीोगा क काराहोतारा ह। कल बरहम दगाातारीतार ह। हा सपन ामी भीलौदकक (धिन, सौनयर, ददा, समामीान, आयद का )अहकार नही हो सकतारा, दकनतार परामी क शद धिरातारल परयह सोचना भी अपराधि बन जातारा ह दक दपरयतारामी हामीार

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श ामी हो गय ह। कया अदतार लीला ामी इस परकार कीभाना अपराधि नही ह?

हाय हाय र तार स करय, कामी रह र कायाामीा पराा।

जीनजी ामीकी गया, न कीधि तार अामीन जाा।।१५।।

हाय! हाय! र , यह तारन कया कर दया? अभी तारकहामीार शरीर ामी य पराा कयो ठहर हए ह ? दपरयतारामी हामीछोडकर चल गय, दकनतार तारामीन हामी इसकी जरा भी भनक(सचना) नही लगन ी।

भााकर- इस परकरा की चौपाई सिया १५,१६,१७ए १� क धचनतारन स य पर उतयपनन होतार ह-

(१) का अकर कया ह?

(२) यद इसका अकर भागय होतारा ह, तारो ह जड ह याचतारन? यद भागय कोई चतारन सता नही ह , तारो उस

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गाली न की आयशयका कयो पडी?

(३) पौराणाक ामीानयतारा ामी दधिातारा का अकर बरहमा जीहोतारा ह, दकनतार दक ामीानयतारा ामी दधिातारा का तारातयपयरसबको दशष रप स धिारा करन ाला बरहम होतारा ह।पर यह होतारा ह दक यहा पर सलखयो ए शरी राज जी कामीधय भागय का दनामीारा करन ाला बरहमा या अकषिर बरहमका अअससतारतय कहा स आय गया? ऐसी असका ामी, जबदकरास परकरा ९ की अनक चौपाइयो ामी सलखयो न शरीकषा जी को अपना दपरयतारामी ामीान ललया ह-

पधतार तारो ालया अामीताराो, अामी ओललखयो दनरधिार।

रास ९/३२

चरा तारामीार ालया, काई अामीारा छ ामील जी।

रास ९/४०

उपरोक परो का सामीाधिान आयग दकया जायगा।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हाय हाय र दधिातारा पापनी, तार का र लिया एा करामी।

ताराी तारन बीक नही , ज तार एडो कीधिो अधिरामी।।१६।।

हाय! हाय! र पापी दधिातारा! तारन हामीार कामी का इतारनाबरा भागय कयो ललख दया? कया तारझ जरा भी काभय नही रहा ह, जो तारन इस परकार हामी दरह भोगन काकषट दया?

हाय हाय र तारन स कह, तार ारी नही दधिातारा।

एाी पापदनए एामी कामी लिय, ालो ामीकस कलकलतारा।।१७।।

हाय! हाय! र ! ामी तारमह कया कह? तारामीन दधिातारा कोऐसा करन स रोका कयो नही ? इस पापी दधिातारा नहामीार भागय ामी ऐसा कयो ललख दया दक दपरयतारामी हामीदबलखतार हए छोड जायग?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सखी गाल ऊ ह न, क ऊ दधिातारा पादपषट।

एा लख अामीारा एामी कामी लिया, एा या नही ए षट।।१�।।

ह सलखयो! अब तारमही बताराओ दक ामी को गाली यापापी दधिातारा को? उस षट न हामीार भागय ामी इस परकारः शखामीयी अससकधतार होन की घटना कयो ललखी? ऐसा करतारहए उस जरा भी या नही आययी।

भााकर- उपरोक चौपाइयो स य दनषकषर दनकलतार ह-

(१) " " शब क अनक अकर होतार ह- जस- भागय,परामीातयामीा, तारा, समबनधिी, दवय, इतययाद। यददप "दनहतयय कर पौरषामीातयामी शकतयया" (पचतारन १/३६१)क अनसार " " शब का आयशय यहा भागय स ह,दकनतार रास गनक क इस परकरा की चौपाइयो ामी कणकतार" " शब परामीातयामीा क ललय परयक हआय ह।

दकनतार " " शब का अकर परामीातयामीा करन पर य पर

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उपअससकतार होतार ह-

(क) कया सलखयो न शरी कषा जी को परामीातयामीा क रपामी और सय को आयतयामीा क रप ामी नही जाना का , जोउनहोन शरी कषा स णभनन दकसी अनय को परामीातयामीा ामीानललया?

(ख) जजस कल-बरहम को उपदनषो ामी "रसो सः श"कहा जातारा ह तारका जजस णश जी आयद ईशरी सदषटयोए शकराचायर जी जस ामीनीदषयो न सधचचानन परबरहमामीाना हो, उनक धिाामी ामी पहचन पर भी सलखयो क हयस लौदकक भा कयो नही गया और अपन ामीख सगाली न जसी अशभ बातार कयो सोचन लगी ?

इसका सामीाधिान इस परकार ह-

(क) जजस परकार, नयाय शरन क परकाणड ददान होतारहए भी चतारनय ामीहापरभ परामी ामी डबकर नाचन लगतार क

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तारका उनह अपनी कछ भी सधधि नही रहतारी की , उसीपरकार सलखया भी परामी क नश ामी इस परकार डबी पडी की दक उनक ललय आयतयामीा और परामीातयामीा क ाशरदनक ताररयोपर दचार करना समभ ही नही का। उनह कल इतारनाही ददतार का दक हामी अपन परााशर शरी कषा क दबनानही रह सकतारी ।

(ख) कल बरहम ९ रसो (हासय, करा, ीभतयस,रौ, दयोग, आयद) की भदामीका ह। सलखयो क दाराकट शबो का ककन दयोग लीला का एक अग ह। इसलौदकक कट शब (गाली) की ददषट स कादप नही खना चादहए। दरह की असह पीडा ामी सलखयो क दाराइस परकार की अणभवयदक साभादक ही की।

वरज ामीणडल ामी सलखयो क जीो ामी षड दकारो (काामी,कोधि, लोभ, ामीोह, ामी, ईषयार) क अअससतारतय की तारो

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ामीानयतारा हो सकतारी ह, दकनतार कल-बरहम की भदामीका ामीपहचन पर इन षड दकारो का लश ामीा भी अअससतारतयनही रह सकतारा। इसललय रास क परसग ामी सलखयो कदारा जहा भी ादतार-कट शबो क समबोधिन याअहकार की झलक का आयभास होतारा ह, उस न रसो ामीसमपादतार होन ाली परामी की दवय लीला का अग ामीाननाचादहय, न दक दगाातयामीक ामीायाी दकार।

(२) सौभागय या भारगय सतारतारः श भा ामीलक शब ह।इनह दकसी वय क अनतारगरतार नही ामीाना जातारा , इसललयइनक जड या चतारन होन का कोई पर ही नही ह। इतारनाअशय ह दक कलपना (भा) लोक ामी सौभागय को एकचतारन क रप ामी परसतारतार दकया जातारा ह। इसी सनभर ामीयह बातार कही जातारी ह, जस- आयज ामीरा भागय ामीझ सरठ गया ह।

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(३) दक ददषट स समपार सदषट को अपनी सता सधिारा करन ाला (दधिातारा) ही परामीातयामीा ह, जबदकपौराणाक ामीानयताराओ ामी बरहमा जी को दधिातारा कहा गयाह, जो कामी क अनसार सबका भागय ललखा करतार ह।जन साामीानय ामी यह धिाराा आयज भी परबल रप ामी वयापह, जो आयज स ३०० षर प र और अधधिक रही होगी।

ऐसा परतारीतार होतारा ह दक शरी दामीदहरराज जी क जी कधचत ामी इस नशर जगतार क जजन -जजन ससकारो कापरभा का, उसी क अनसार दगाातारीतार रास लीला काारन हआय, जजसस जन साामीानय उस सरलताराप रकगहा कर सक। उाहरााकर, रास क शरगार ामी गजरातारीए राजसकानी शरगार की परचरतारा यही जसद करतारी ह दकशरी दामीदहरराज जी क धचत क ससकारो क अनसार हीधिाामी धिनी न अपन रास क शरगार का ारन कराया ह।

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इसी परकार, दधिातारा क समबनधि ामी भी ामीानना उधचतारहोगा। शरी दामीदहरराज जी क धचत ामी शरीामीीागतार आयदपौराणाक गनको ए जन साामीानय ामी परचललतार "दधिातारा"की पररभाषा क जो ससकार क, उसी क अनसार रासकी अनतारधिारन लीला ामी सलखयो क दारा सा कहलायगय। इसका ामीिय उदशय जन साामीानय क दारा उसअलौदकक परामीामीयी लीला को अपन सतारर स गहा करनाका, न दक ाशरदनक जझक-जझक ामी पड रहना।

"कछ नी कछ जागतार भय, जोगामीाया क जसनगार जोकह" (पर.दह. ३७/३९) क ककनानसार परामी क अदरलपराह ामी बहन क कारा सलखया दपरयतारामी को अपनास रस तारो ामीानतारी की , दकनतार उनहोन शरी राज जी कोपरारमभ ामी अकषिर स पर अकषिरातारीतार नही ामीाना। जस-जसरास की गहराई बतारी गयी, स-स उनकी पहचान

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गहरातारी गयी। अनतारधिारन लीला क पशातार होन ालीभजनानन लीला ामी उनह यह पार पहचान हो गयी दकहामीार दपरयतारामी शरी राज जी स पर अनय कोई भी नही ह।इसी को हामी सर शबो ामी परबरहम कहतार ह। दकनतारपरारमभ ामी इस परकार की पार पहचान न होन स , कछनी तारका कछ जागतार असका की बातार कही गयी ह।

सखी दधिातारा स कर, एामी र कयो तारामी काए।

ोष ीज काई आयपाो, ज चकया सा ामीाह।।१९।।

परतययतर ामी अनय सलखया कहतारी ह दक ह सलखयो! तारमहयह कया हो गया ह, जो ऐसा कह रही हो? भलापरामीातयामीा या दधिातारा कया कर? हामी सय को ही ोषीामीानना चादहय, कयोदक हामीस दपरयतारामी की परामीामीयी साामी कोई न कोई चक हो गयी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सखी सा चकया हस आयपा, पा ालो कर एामी कामी।

आयपान एामी रोतारा, ालो ामीकी गया छ जामी।।२०।।

यह सनकर दगरी हई सलखया कहतारी ह- सलखयो! हामीयह ामीानतारी ह दक हामीस सा ामी चक हई ह , दकनतारदपरयतारामी को ऐसा तारो नही करना चादहए दक हामी रोतार हएछोडकर ही चल जाय (अदशय हो जाय)।

सखी चकया हस घा आयपा, ह लागी कालजड झाल।

दफट दफट भडा पादपया, तार हजजए न आयवयो काल।।२१।।

ह सलखयो! अशय ही हामीस बहतार बडी भल हई होगी,तारभी तारो अब हामी यह घडी खनी पडी ह। अब तारो ामीरहय स परायधशतार ए दरह भर ः शख की लपट दनकलरही ह। ह पापी ामीखर काल! तारझ धधिकार ह, जो हामी लनक ललय अभी तारक नही आयया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एामी र सलखयो तारामी का करो, बहनी ढ करो का न ामीन।

आयपान ामीक नही , जहन नाामी शरीकषा।।२२।।

यह सनकर खडी हई सलखया कहतारी ह- बहनो! तारामीऐसा कयो कहतारी हो? तारामी अपन ामीन को द कयो नही करतारी हो। जजनका नाामी शरी कषा ह, ह हामी कभी भीनही छोड सकतार।

सखी जोइए आयपा नामीा, एामी र कयो तारामी काए।

जन नाामी शरीकषाजी, तार बठा छ आयपा ामीाह।।२३।।

सलखयो! चलो, हामी सभी दामीलकर उनह न ामी खोज।भला, तारामी इतारनी अधधिक दनराश कयो हो गयी हो ?जजनका नाामी शरी कषा ह, अशय ही हामीार ामीधय ामीकही णछप हए दराजामीान ह।

पर- कया उपरोक ोनो चौपाइया यह जसद नही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

करतारी ह दक शरी कषा जी ही अकषिरातारीतार ह?

उतर- नही ! शरी कषा वरज का शरीरपरक नाामी ह,भापरक नही , कयोदक ामीकराधिीश तारका दाररकाधिीश भीशरी कषा ही कहलातार ह। कलश दहनसतारानी ामी सपषटकहा गया ह-

बह को सब न पोहोचही , तारो कयो पोहोच रबार।

लगा न पोहोचया रास लो, इन पार क भी पार।।

क. दह. २४/४१

जब इस ससार का एक अकषिर भी रास ामीणडल ामी नही जा सकतारा, तारो यह कस समभ ह दक परामीधिाामी ामी शरीकषा जी को दराजामीान दकया जा सक। रास ामी शरीकषा का नाामी तारो लीला को शबो ामी वयक करन क ललयदकया गया ह।

वरज ामी अकषिरातारीतार क आयश दारा धिारा दकय गय तारन

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को शरी कषा नाामी स समबोधधितार दकया गया। यद उसतारन ामी धिाामी धिनी का आयश न होतारा , तारब भी उसकानाामी शरी कषा ही रखा जातारा, कयोदक ामीकराधिीश को भीशरी कषा ही कहतार ह।

यह धयान न योगय ताररय ह दक नाामीकरा कल बाहतारन का ही होतारा ह, जी, आयतयामीा, या आयश सरप कानही । एक ही जी क अनक जनामीो ामी अलग -अलगअनक नाामी होतार ह।

इसस सपषट ह दक बाह कलर का नाामी शरी कषा ह ,ना दक आयनतारररक सरप (आयश) का नाामी। यद आयशका नाामी कषा होतारा तारो जागनी बरहमाणड ामी भी भाामीलकनाामी शरी राज या शरी पराानाक न होकर शरी कषा हीहोतारा। इसस जसद होतारा ह दक शरी कषा, शरी चन,और शरी दामीदहरराज बाह तारनो क नाामी ह , जजनामी

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दराजामीान होकर अकषिरातारीतार शरी पराानाक (शरी राज जी)न लीला की ह।

सरबाई कह साकन, सखी एामी र कयो तारामी काए।

कड बाधिो तारामी कादामीनी, आयपा जोइए ान ामीाह।।२४।।

सनर बाई सलखयो स कहतारी ह दक ह सलखयो ! तारामीइतारनी दनराश कयो हो गयी हो? तारामी सभी उनह खोजनक ललय परी ताररह स तारयार हो जाओ। हामी सभी दामीलकरउनह नान ामी परतययक सकान पर खोजग।

भााकर- "कड बाधिना" एक ामीहादरा ह, जजसका अकरह, कामीर बाधिना अकारतार द सकलप क साक दकसी कायरक ललय तारयार हो जाना।

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न न करीन खोललए, ालो बठा हस जाह।

आयपान ामीकी करी, जीनजी तार जास कयाह।।२५।।

हामी नान ामी स र जाकर उनकी खोज करनी होगी।दपरयतारामी अशय कही बठ होग। भला, जो दपरयतारामी हामीारजीन क आयधिार ह, हामी छोडकर जा ही कहा सकतारह?

एक पड एक लडकड, एक आयसडा ढाल अपार।

कामी चाल काया बापडी, ामीारा जीन दना आयधिार।।२६।।

कोई सखी बसधि पडी ह, तारो कोई तारडप रही ह। दकसीक नो स आयसओ की अदरल धिारा परादहतार हो रही ह।ह दबलखतार हए कहतारी ह दक ामीर जीन क आयधिारदपरयतारामी क दबना यह शरीर बचारा अब कस रह सकताराह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कठा ला ामीन जाय र बहनी, जामी र दनसरतारा पराा।

काया एामी करहर, अामी नही र गोताराय दनराा।।२७।।

ह बहन! दपरयतारामी क दयोग ामी, ामीर ललय कषट की यहबहतार ही कदठन ला (घडी, सामीय) ह। ामीरी अससकधतार हीह, जो शरीर स पराा दनकलन क सामीय होतारी ह। ामीराशरीर ः शख स काप रहा ह। ामी उनह खोजन क ललय जानामी पारतारया असामीकर ह।

एामी र सलखयो तारामी का करो, ए छ आयपाो आयधिार।

नहच आयपान नही र ामीक, तारामी जीस करो र करार।।२�।।

यह सनकर अनय सलखया सामीझातार हए कहतारी ह- हसलखयो! तारामी ऐसा कयो कह रही हो? दपरयतारामी हामीारजीन क आयधिार ह। तारामी अपन जी को धियर तारो बधिाओ।यह तारो दनधशतार ह दक दपरयतारामी हामी दकसी भी असका ामी

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नही छोड सकतार ह।

दकल कई पछ लडीन, सखी कयाह र ीठा तारामी सयाामी।

जी अामीारा लई गया, ामीननी न पोहोतारी हाामी।।२९।।

अपन परााशर की खोज ामी सलखया नान क कोन-कोन ामी घामी रही ह। वयाकल होकर लताराओ स पछरही ह- सखी (लतारा)! कया तारामीन हामीार शयाामी को कही खा ह? उनक अदशय हो जान स हामी ऐसा लगतारा ह दकहामीार शरीर ामी अब जी ह ही नही । अभी तारो परामी कीहामीारी चाहना पार ही नही हई की।

भााकर- दरह की यह बहतार ही गहन अससकधतार ह, जजसामीसलखयो को लताराय भी अपन ही सामीान (सखी रप ामी)लग रही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ए हस छ आयपा ऊपर, जो न ख आयपाामीा सनह।

जओ ीटी रही छ रन, अधिलखा न ामीक एह।।३०।।

सलखया दरह की पीडा को सहन करतार हए आयपस ामीकहतारी ह- सलखयो! खो! यह लतारा भी आयज हामीाराउपहास उडा रही ह दक यद हामीार अनर अपनपराालभ क ललय पार परामी होतारा, तारो हामीस ओझल हीनही होतार। खो तारो, यह दकस परकार अपन दपरयतारामी कषिस ललपटी हई ह तारका आयधि कषिा क ललय भी उस छोडनही रही ह, जबदक एक हामी ह, जो अपन दपरयतारामी कोखन क ललय भी ताररस रही ह तारका इस नान ामीामीारी-ामीारी दफर रही ह।

जओ र लाका एहना, अगोअग ालया छ बधि।

तारो हस छ आयपा ऊपर, आयपा कीधिी न एह सनधि।।३१।।

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जरा इस बल की कषि क परधतार आयतलगनबदतारा (लपट)को तारो खो। इसन अपन अग-अग क दारा कषि कोबनधिन ामी बाधि रखा ह। इसीललय तारो यह हामीार ऊपरहसी कर रही ह दक हामीन (सलखयो न) भी ऐसा कयोनही कर ललया?

आय चन बोल लडी, सखी ामीाहो ामीाह कर दचार।

ए खबर न दए कोा काामीनी, पोतार राची रही भरतारार।।३२।।

सलखयो न आयपस ामी दचार दकया दक अपन दपरयतारामीकषि स आयतलदगतार हई यह लतारा ामीौन रहकर भी हामीस इसपरकार क उपहासपार चन कह रही ह। अपन परामी कीबातार यह दकसी स भी नही कहतारी ह और अपन दपरयतारामीकषि क साक सा ही आयनन ामी ामीगन रहा करतारी ह।

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न गहर अामी जोइय, आयगल तारो ीस अधिार।

ह तार दकहा अामी जोइए, ामीन सधि नही अग सार।।३३।।

हामीन गहन न ामी अपन परााशर को स र खोजा ह ,दकनतार कही भी नही दामील। इसामी आयन -जान पर तारोचारो ओर अनधिकार ही अनधिकार नजर आय रहा ह।हामीार ामीन ामी यह बातार सामीझ ही नही आय रही दक अपनदपरयतारामी को खोजन क ललय अब हामी कहा जाय?

भााकर- इस ककन का आयशय यह कादप नही लनाचादहए दक सलखया कल-बरहम क दनतयय नान ामीअपन धिनी को खोजतार-खोजतार अवयाकतार तारक आय गयीकी और उसक आयग चारो ओर दनराकार ामीणडल का घनाअनधिकार का।

ासतारदकतारा यह ह दक सलखया कल-बरहम स बाहर(सबललक या अवयाकतार ामी) नही गयी की ।

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कल-बरहम का दसतारार इतारना अधधिक ह दक उसामीकालामीाया की असियो दनहाररकाय (गलकसीजला) सामीाजाय। कल-बरहम की भदामीका ामी ही दनतयय नान कचारो ओर घना अनधिकार का , दकनतार यह अनधिकारकालामीाया क बरहमाणड क अनधिकार जसा नही का ,अदपतार परकाशामीयी अनधिकार का। इस इस उाहरा ससामीझा जा सकतारा ह दक दकसी ककषि ामी यद ५०० ाटक १० ऐस बलब लगा दय जाय, जजनस काला परकाशदनकल रहा हो, तारो सारा ककषि काला ही दखायी गा।

सखी पगला जए परीतारामी ताराा, साक खोल ान।

नहच आयपान ामीकी गयो, हजी पपडडा न काय पतारन।।३४।।

सलखया दपरयतारामी शरी राज जी क परो क धचिह (दनशान)ख-ख कर समपार नान ामी खोज रही ह। उनह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बार-बार यही बातार कचोटतारी (परायधशतार रपी पीडा काअनभ) रहतारी ह दक दपरयतारामी हामी छोडकर अदशय होगय, दकनतार अभी भी हामी जीदतार कस ह?

सखी नहचल नहडा आयपाा, ट नही कामी तारह।

आया अग ामीलस परीतारामी, सखी आयस न छट एह।।३५।।

इस परकार दरह-वयका ामी छटपटातारी हई आयपस ामीबातार भी करतारी ह दक ह सलखयो! दपरयतारामी क परधतार हामीारापरामी अखणड ह। ह दकसी भी परकार स टट नही सकतारा।इसललय हामीार ामीन ामी यह आयशा सा बनी हई ह दक इसीशरीर स हामीारा दामीलन दपरयतारामी स अशय ही होगा।

हाय हाय र बहनी ह स कर, ामीन भोामी न दए दहार।

सधिान स र जआय कया, ए रहस कामी आयकार।।३६।।

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एक सखी कहतारी ह, हाय-हाय र बहनो! अब ामी कयाकर? ामीझ यह धिरतारी भी अपन अनर कयो नही सामीालतारी? दरह की जालाओ ामी जलन क कारा ामीझ ऐसापरतारीतार हो रहा ह दक ामीर शरीर क सभी जोड (अग-अगक बनधि) अलग-अलग हो गय ह। ऐसी असका ामी ामीरायह शरीर अब कस जीदतार रह सकतारा ह?

भााकर- इस परकार की अससकधतार ामीा कालामीाया कबरहमाणड ामी ही समभ ह, योगामीाया ामी नही । दकनतार इसताररह का ामीारामीक ारन करन का उदशय ह, दरह की एकझलक दखाना, जजसस यह अनभ दकया जा सक दकरास ामीणडल ामी सलखयो न दरह की पीडा को कस सहनदकया का?

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कलकल ामीाह कालज, चाली न सक ह।

पराा जीनजी लई गया, ज बाधया ामील सनह।।३७।।

दपरयतारामी क दयोग ामी ामीरा हय दलख रहा ह, इसललयइस सामीय चलन ामी ामीरा शरीर पारतारया असामीकर ह। धिनीक परामी क ामील समबनधि स ही ामीर शरीर क पराा क,दकनतार उनक अदशय हो जान स ऐसा लगतारा ह दक ामीरपराा ही अब चल गय ह।

भााकर- शरीर स पराा चल जान का आयशय ह, शरीरका इतारना दनढाल (णशणकल) हो जाना दक ह दनज सापरतारीतार होन लग।

तारामीा कटलीक सलखयो ऊभी रही, ामीाहो ामीाह कर दचार।

कलकलतारा कामी ामीकस, काई आयपान आयधिार।।३�।।

उनामी कछ सलखया धियरप रक खडी रही तारका आयपस ामी

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दचार करन लगी दक हामीार पराालभ हामी इस परकारदलखतार हए कयो छोडग?

आयझो आय ामीन धिाी ताराो, एामी ालोजी करस कामी।

ली राामीतारडी कीजजए, आयपा पहली करतारा जामी।।३९।।

एक सखी कहतारी ह- ामीझ अपन परााशर पर परादशास ह। दकसी भी अससकधतार ामी हामी छोड नही सकतार।इसललय पहल वरज ामी हामी जजस परकार खला करतारी की ,उसी परकार क खल करन चादहए।

कामी र राामीतारडी कीजजए, काया कामी र चाल दना जजउ।

राामीतारडी कामी काएस, उठाय नही दना दपउ।।४०।।

कछ सलखया परधताररोधि क सरो ामी कहतारी ह- जब तारकहामी दपरयतारामी का ामीधिर शरन नही हो जातारा , तारब तारक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हामीारा शरीर चलन ामी पारतारया असामीकर ह। ऐसी असकाामी हामी कोई भी खल कस कर सकतारी ह? जब धिाामी धिनीक समामीख आयय दबना हामीस उठ पाना भी समभ नही होपा रहा ह, तारो हामीस कोई भी खल कस खला जासकगा?

एामी र सलखयो तारामी का करो, ए छ आयपाो आयधिार।

ामील राामीतारडी कीजजए, ए नही र ामीक दनरधिार।।४१।।

शरी इनातारी आयद अनय धियरशाललनी सलखया उनहसामीझातार हए कहतारी ह- सलखयो! तारामी इस परकारदनराशााी चन कयो कह रही हो? दपरयतारामी तारो हामीारजीन क आयधिार ह। दकसी भी अससकधतार ामी हामी छोडनही सकतार ह। इसललय , हामी वरज की लीला अशयकरनी चादहए, कयोदक ह उनह बहतार ही दपरय ह।

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साक कह छ अामीन र बहनी, इ ातारी कहो छो स।

आया ना न ख ालयो, धतारहा लग कामी करी उठ।।४२।।

यह सनकर असहाय असका ामी पडी हई सलखयाकहतारी ह- ह बहन इनातारी! तारामी हामीस कया करन कललय कह रही हो? जब तारक हामी अपन परााशर को नोस ख नही लगी, तारब तारक हामीस उठ पाना समभ नही ह।

एा सामी इ ातारीबाई ए, ताराामीजसयो भली करी।

पड राजजसयो सातारजसयो, कर ऊणभयो अक भरी।।४३।।

इस सामीय शरी इनातारी जी न सभी ताराामीसी सलखयो कोलीला करन क ललय एकदतार दकया तारका असहायअसका ामी पडी हई राजसी ए साअसतयकी सलखयो कोगल लगा-लगाकर धियर बधिातार हए उठाया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दशष- इसी परकार जागनी लीला ामी सभी सलखयो कोजागतार (एकदतार) करन का उतराधयतय शरी इनातारीजी को ही ह।

आयझो आयाो तारामी धिाी ताराो, हाकली धचतार करो ठाामी।

राामीतार करतारा आयस, सरबाई झाल बाह।।४४।।

शरी इनातारी जी राजसी और साअसतयकी सलखयो सकहतारी ह दक अपन पराालभ पर दशास रखो औरअपन वयाकल धचत को शानतार करो। सनर बाई उनकीबाह पकडकर सामीझातारी ह दक जब हामी वरज लीला कानाटक करगी, तारो दपरयतारामी को हामीार समामीख अशय हीआयना होगा।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीाहो ामीाह दनो घाो, उठो राामीतार कीज रग।

ताररतार ालोजी आयस, आयपा जना अग।।४५।।

ह सलखयो! तारामी धियर रख कर उठो। हामी सभी आयपस ामीदामीलकर परसननताराप रक वरज की अतययाधधिक आयननामीयीलीलाओ का अणभनय कर। हामी उनकी अगरपा ह,इसललय लीला ामी अशय आययग।

भााकर- सलखयो का आयशय यह ह दक दपरया-दपरयतारामी(ामीाशक-आयणशक) दामीलकर ही परामी की लीला करतार ह।इसललय जब हामी वरज लीला का अणभनय करगी तारोदश होकर दपरयतारामी को परकट होना ही पडगा।

लीला कीधिी ज ालए, आयपा लीज तारहना ख।

अगयार रस लग ज रमया, काई राामीतार एह सख।।४६।।

दपरयतारामी न वरज ामीणडल ामी ११ ष तारक जो परामीामीयी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

लीला की ह, ह बहतार ही दशष ामीहतय की ह। इसललयहामी भी उसका अणभनय करन क ललय लीला क णभनन-णभनन पाो क अनसार उनका भष धिारा करना चादहए।

परकरा ।।३२।। चौपाई ।।६५९।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग साामीरी

इस परकरा ामी सलखयो क दारा वरज लीला का अणभनयकरन का ारन ह।

आयन रोतारा रदामीए एामी, जन कदहए तार लछा परामी।

तारना उडी गया स र नामी, रामीतारा कीधिा कई चहन।।१।।

अपन परााशर क दरह ामी रोतार हए भी उनकी लीलाओक अणभनय ामी आयननप रक ामीगन रहना ही परामी काासतारदक लकषिा ह। सलखयो क दारा परामी की इसअसका को पराप कर लन स सभी परकार क दनयामी(लोक रीधतार, खल, ए कामीरकाणड क) टट गय तारकाउनहोन वरज लीला क अनक परसगो का दधधितार अणभनयदकया।

भााकर- सलखयो क हय ामी दरह की इतारनी परचणड

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जाला धिधिक रही ह दक रोतार-रोतार उनक आयस बाहरप स सख चक ह। उनकी यह कसी दधच असका हदक अणभनय क ललय उनह बाह रप स हसना औरामीसकराना भी पड रहा ह, दकनतार उनक हय ामीआयनतारररक रप स आयसओ की ऐसी अदरल धिारा बहरही ह, जो आयखो स परकट नही हो पा रही ह।

दपरयतारामी क परामी भर ामीधिर शरन क ललय, उनह अणभनयक साक-साक सय को साामीञसयतारा क ामीागर पर चलानापड रहा ह। यही परामी की कसौटी ह, जजस पर खरा जसदहोन ाला परामी यद ामी दजय का अधधिकारी बनतारा ह।इस असका ामी न तारो कामीरकाणड का कोई बनधिन रहजातारा ह और न लौदकक ामीयाराओ का आयरा ओरहन की आयशयकतारा रह जातारी ह। बअसलक एक ही लकयरह जातारा ह- अजरन क दारा ामीछली क न बी धिन की

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ताररह- दपरयतारामी को पा लना।

सखी परामी धजा कहाय, जन परगट नाामी कली ामीाह।

ए तारो परामी ताराा ज पा, आयपाकी अलगो न काय लखा ामीा।।२।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक परामीधिाामी की हामी सलखयाही परामी की धजा अकारतार गररामीा ह। हामीारा ही सरप इसकललयग ामी परकट हआय ह। सतारतारः श परामी की पा अकारतारपरामी क सरप को धिारा करन ाली हामी आयतयामीाय ही ह,और हामी स दपरयतारामी एक कषिा क ललय भी न तारो कभीअलग हए ह और न ही कभी होग।

भााकर- दकसी रक या ामीअसनर क ऊपर लहरान ालीधजा को रकी (रक पर दराजामीान सरप) या ामीअसनरामी ददामीान सरप की गररामीा का दोतारक ामीाना जातारा ह।बरहमसदषटयो ामी ही परामी का यकाकर सरप ददामीान होतारा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह, जजसस इनह ही परामी की धजा अकारतार गररामीा कापरतारीक सरप ामीाना जातारा ह। सर शबो ामी, इस जगतारामी बरहमसदषटयो को जागतार करन क ललय आयय हए ,अकषिरातारीतार शरी पराानाक जी क परामी-रक की धजाबरहमसदषटयो को कहा जा सकतारा ह।

ए अलगो काय कामी, आयपा कह कर ालो तारामी।

अामी आयतारामी सलखयो एक, रामीतारा ीस अनक।।३।।

भला य दपरयतारामी हामीस अलग कस हो सकतार ह? हामीसलखया जो भी कहगी, धिाामी धिनी को ही करना पडगा,कयोदक हामी उनकी अगरपा ह। हामीार परााशर तारका हामीसब सलखयो की आयतयामीा एक ही ह, भल ही कीडा करतारसामीय हामीार रप अलग-अलग कयो न दखायी पड रहहो?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- अकषिरातारीतार तारका सभी सलखयो की आयतयामीा कोएक ही कहन का आयशय यह ह दक सभी सरपो ामी शरीराज जी ही ददामीान होकर लीला कर रह ह। इस हीसलीला अदतार कहा जातारा ह।

अामी परसपर कीधिा पररयाा, सलखयो तार स र सजाा।

आयपा लीधिा ख अनक, ज कीधिा ालए सक।।४।।

हामी सब सलखयो न आयपस ामी दचार दकया दक शरी कषाजी न वरज ामी जो-जो दशष लीलाय की ह, उनह तारो हामीअचछी ताररह स जानतारी ही ह। इसललय, उस लीला कीअनक घटनाओ ामी भाग लन ाल पाो की शभषाधिारा कर, हामी उसका अणभनय कर।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयपाामीा कई ख एक सयाामी, जा दनरख पोहोच ामीन काामी।

ली कई ख एक न , तार कानहजी लडा उछरग।।५।।

हामी ामी स एक सखी (शरी इनातारी जी) न शरी कषा जीका भष धिारा दकया। उन की सनरतारा को खकर ामीनआयननामीगन हो गया। पनः श एक सखी नन बन गयी। हशरी कषा जी स अतययधधिक परामी करन लगी।

भााकर- ामीन परसननतारा चाहतारा ह, इसललय हपराकधतारक पाक क पीछ भागतारा रहतारा ह। जब उसपरबरहम क अलौदकक सौनयर का रसपान करन काअसर पराप हो जातारा ह , तारो ह पारतारया शानतार औरआयनअसनतार हो जातारा ह। इस ही, उपरोक चौपाई क सरचरा ामी, ामीन की काामीनाओ का पार हो जाना कहा गयाह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सखी ख पतारना नार, भर जोन आयी जसागार।

दख भरया तारना असकन, आयी धिरा कपट ामीन।।६।।

एक सखी पतारना राकषिसी की शभषा धिारा करतारी ह।ह य ासका की सनरतारा स यक ह और ामीनोहर शरगारधिारा कर अपन सतारनो ामी दष भर लतारी ह। शरी कषा जीको ामीारन की इचछा स ह अपन ामीन ामी कपट रखतार हएउनह धि दपलान लगतारी ह।

चहन कीधिा न पाामीी ामीतार, दख ालान कय अामीतार।

सोसी लीधिी पतारना नार, गोकलामीा तार जय जयकार।।७।।

दकनतार उसका दष शरी कषा जी क ललय अामीतार होजातारा ह। इस नाटक लीला ामी पतारना ामीर जातारी ह ,कयोदक शरी कषा जी धि क साक-साक उसक परााो कोभी हर लतार ह और समपार गोकल ामी उनकी जय -

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जयकार होतारी ह।

ख लीधिा सलखयो दचारी, तार लीधिा तार सह सघारी।

अग आयडो ीधिो क ार, ज लोक तार सकल करार।।�।।

कछ सलखयो न लीला करन क दचार स शकटासर,ताराातारर, आयद राकषिसो का श धिारा दकया। शरी कषाजी उन सभी असरो का सहार कर तार ह। असरो कपरहारो स वरज ामीणडल की रकषिा करन क ललय, अनकोबार सय आयग आय जातार ह और ढाल की ताररह सबकीरकषिा करतार ह, जजसक पररााामीसरप समपार वरज ामीशाअसनतार छायी रहतारी ह।

एक जाा जसोा होय, कानहजी ामीाखा ामीाग रोय।

उहा धि चलह उभराय, ामीातारान ामीन कलपाय।।९।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एक सखी यशोा बन जातारी ह और एक कषा। कषाजी रो-रोकर ामीातारा यशोा स ामीकखन ामीागन लगतार ह।इसी बीच यशोा जी की ददषट चलह पर गामीर हो रह धिकी ओर जातारी ह, जजसामी उफान आय रहा होतारा ह। धिक बताररन स दगरन की आयशका स ामीातारा यशोा का ामीनवयणकतार हो जातारा ह।

कानह छडो गहो उजातारा, जसोाजी कया रीस रातारा।

कानह कह ामीाखा आयपो पहल, तययार जाा लागय ामीातारान गहल।।१०।।

धि क पास जातारी हई यशोा की साडी क पल को शरीकषा जी पकड लतार ह। इसस ामीातारा यशोा को कोधि आयजातारा ह। कनहया कहतार ह दक ामीा! पहल ामीझ ामीकखन ो,तारब तारामी कही और जाना। तारब ामीातारा यशोा को ऐसालगतारा ह दक कनहया ामीकखन की इचछा ामी बहतार हठी हो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गया ह।

जोर छडो लीधिो तारतयकाल, नसो चढाी दनलाट।

जसोाजी गया उजाई, आयगल धि गय उभराई।।११।।

यशोा जी क ललाट ामी बल पड जातार ह, अकारतार हकोधधितार हो जातारी ह और बलप रक ताररनतार ही शरी कषाजी क हाक स अपनी साडी का पला छडा लतारी ह। ामीातारायशोा जब तारक ौडकर चलह क पास जातारी ह, तारबतारक धि उफनकर दगर चका होतारा ह।

कानहजीन रीस अधतार कई, पहल ामीाखा ई न गई।

तार तारा झाली न रही रीस, घोलीना कीधिा कटका ीस।।१२।।

इधिर शरी कषा जी को बहतार ही कोधि आयतारा ह दक ामीा नपहल ामीझ ामीकखन कयो नही दया? अपन कोधि को

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सहन नही कर पातार और ामीकखन क ामीटक क बीसोटकड कर तार ह।

दशष- इस परसग को पकर यह कभी भी नही ामीानलना चादहए दक जब परबरहम क सरप को कोधि आयतारा हतारो हामीार कोधधितार होन ामी कया ोष ह? सतारतारः श यह बाललीला ह, जजसामी कोधि क पर ामी परामी लीला की ामीधिरअणभवयदक ह। इस ामीनषय की सासाररक लीला क साकजोडकर नही खना चादहए।

धतारहा ोडीन आयी ामीातार, खी कानहडानो उतारपातार।

ाामीा लीधि जसोाए, कानहजी पाखल पलाए।।१३।।

शरी कषा जी की इस शरारतार को खकर ामीातारा यशोाहा ौडतारी हई आयतारी ह। कनहया को पकड कर बाधिनक ललय हाक ामी रससी लकर पीछ-पीछ भागतारी ह।

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आयगल कानहजी उजाय, जसोाजी तार ास धिाय।

ामीातारान शरामी अधतार कयो, धतारहा कानहजी ऊभो कई रहो।।१४।।

आयग-आयग शरी कषा जी भाग जा रह ह तारका उनकपीछ-पीछ ामीातारा यशोा भी भाग रही ह। जब यशोा जीबहतार कक जान क बा भी कनहया को पकड नही पातारीह, तारो सय ही खड हो जातार ह।

कट ाामीणाए न बधिाय, तारस चार तार ओछ काय।

ली ाामीा बीज ललए, गाठो अनक दधि दए।।१५।।

शरी कषा जी को पकडकर उनकी कामीर ामी रससीबाधिना चाहतारी ह, दकनतार ह चार अगल छोटी पड जातारीह। पनः श यशोा जी सरी रससी लकर आयतारी ह तारकाोनो रअसससयो को दामीलकर अनक परकार स गाठ लगातारीह, जजसस दकसी भी परकार स कनहया को बाधिा जा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सक।

एामी लीधिा ाामीाा अपार, तारस घट तार चारना चार।

ली खी ामीातारान शरामी, कानह ामीकया ाामीाा नरामी।।१६।।

दफर भी बनधि नही पा रह ह। यशोा जी बहतार सीरअसससया लातारी ह, दकनतार सभी चार अगल छोटी पडजातारी ह। शरी कषा जी जब ामीातारा को पररशरामी स ककाहआय खतार ह, तारो रससी को ढीला कर तार ह।

तययार एक ाामीा बह हाक, बाधिी कट ऊखल सघातार।

एो बाधयो ाामीणाए बधि, जओ कानहजी रए अचभ।।१७।।

तारब यशोा जी एक ही रससी स शरी कषा जी क ोनोहाको तारका कामीर को ओखली क साक बाधि तारी ह। इसपरकार रससी स बनधि जान पर शरी कषा जी कदामी ढग

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

स रोन का अणभनय करन लगतार ह। उनकी यह ामीधिरलीला बहतार ही आयशयर ामी डालन ाली ह।

धतारहा रोतारो रीकतारो जाय, रहो ख ऊखल भराय।

धतारहा की दनसरा कीधि जोर, पडो दररख कयो अधतार सोर।।१�।।

शरी कषा जी रोतार-जससकतार जा रह होतार ह। इतारन ामीओखली ो कषिो क बीच ामी फस जातारी ह। उसामी सदनकलन क ललय जब जोर लगातार ह, तारो ोनो कषि दगरपडतार ह, जजसस हा बहतार कोलाहल हो जातारा ह।

तारामीा परख ब परगट कया, अग ामीोडीन ऊभा रहा।

कर जोडीन असतारतार कीधिी, तारा ताररतार ाल सीख ीधिी।।१९।।

उन ोनो कषिो स ो परष परकट होतार ह। अपना णशरझका कर खड रहतार ह। जब हाक जोड कर शरी कषा

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जी की सतारधतार करतार ह, तारो शरी कषा जी उनह उस सामीयबडो की अहलना न करन का उपश तार ह।

भााकर- यकषिराज कबर क ो प क- नलकबर तारकाामीणागी। य य ासका ामी एक बार सरोर ामी सनान कररह क, अचानक हा पर नार जी का आयगामीन हआय।दकनतार उन ोनो न परामीाश उनह परााामी नही दकया।इसस कद होकर नार जी न उनह कषि होन का शराप दया। बा ामी कषिामीा ामीागन पर उनहोन कहा दक अभी तारामीवरज ामीणडल ामी कषि हो जाओ। उधचतार सामीय पर शरी कषाजी क हाको तारमहारा उदार होगा। ोनो भाई गोकल ामीअजरन क कषि बन गय, अकारतार कषि योदन ामी जनामी ललय।य ोनो बहतार पास-पास उग क, इसललय इनका नाामी"यामीलाजरन" पड गया का।

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इहा आयी जसोा उजााी, कानहजी भीडी रही भज तारााी।

सास ामीाह न ामीाय सास, ामीख चामीतारी आयस न पास।।२०।।

कषिो क दगरन का कोलाहल सनकर ामीातारा यशोाभागतारी हई आयतारी ह, और पयार कनहया को अपनीभजाओ ामी लकर हय स लगा लतारी ह। अदनषट (अशभ)की आयशका स घबराहट क कारा उनकी शास नही आयरही ह, अकारतार रकी सी परतारीतार हो रही ह। ातयसलयपरामी की अधधिकतारा स बार-बार शरी कषा जी का ामीख चामीरही ह।

भााकर- बहतार घबराहट की असका ामी हय और ामीखकी अससकधतार ऐसी हो जातारी ह दक जस शास रक सी गयीहो। यददप शास रकी नही होतारी , बअसलक बहतार कामी होगयी होतारी ह। उपरोक चौपाई क तारीसर चरा ामी यही भाशारया गया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एक धिर तार गोरधिन, हरख उपजा ामीन।

इ नो कीधिो ामीान भग, एामी रामी तार जज रग।।२१।।

एक सखी शरी कषा का रप धिारा कर अपनी अगलीपर गो रधिन प रतार को उठातारी ह तारका सबक ामीन कोआयनअसनतार करतारी ह। यह लीला करक ह इन कअणभामीान को नषट करतारी ह। इस परकार सभी सलखया वरजकी अलग-अलग लीलाओ का अणभनय करतारी ह।

लई चार ाछर न, ामीाहोामीाह गोाला जन।

हाक ामीाह ासली लाल, ामीाह राामीतार कर रसाल।।२२।।

शरी कषा जी गाल बालो क साक बछड चरान न ामीजातार ह। उनक हाक ामी लाल रग की ामीनोहर बासरी ह। न ामी ताररह-ताररह की आयननामीयी कीडाय करतार ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयपाामीा कोइक काामीनी ख, एक ख ालोजी सख।

ालो पर काामीनीना काामी, भाज हडा करी हाामी।।२३।।

अपन ामी स कोई सखी कषा का ामीनोहर श धिाराकरतारी ह, तारो कोई गोदपयो का। शरी कषा जी गोदपयो कीपरामी भरी इचछाओ को पार करतार ह।

एक ाालीला ख नार, ामीही ामीाक ामीटकी भार।

ालो कर तारस हास, ललए ामीाखा ढोल छास।।२४।।

ान लीला क अणभनय ामी एक सखी अपन णशर पर हीस भरी हई ामीटकी लकर चलतारी ह। दपरयतारामी उसक साकपरामी भरी हसी करतार ह। उसकी ामीटकी ामी स ामीकखनतारो ल लतार ह और छाछ को दगरा तार ह।

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कह चन साामीा काामीनी, गाल जगतार दए भाामीनी।

ताराी ललए ामीटकी उजाय, ालो गोरस गोालान पाय।।२५।।

जब शरी कषा जी गोदपयो क साामीन परामी भरी हसी करतारह, तारो गाली न का नाटक करतारी ह। ऐसी अससकधतार ामीकनहया उनकी ामीटकी छीन लतार ह और उसामी रखा हआयामीकखन तारका ही गालबालो ामी बाट तार ह।

ालो जामीा रमया ज जगतार, अामी सह ख लीधिा तार दगतार।

दपउडो तारोह न ीस कयाह, कालजड काप ामीाह।।२६।।

दपरयतारामी न वरज ामी जसी-जसी लीलाय की की , हामीनभी स श धिारा कर उन लीलाओ का नाटक दकया।दफर भी जब परााशर दखायी नही दए, तारो सबका हयअनर ही अनर कापन लगा।

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राजजसए कीधिो दरह जोर, रए पाड बब बकोर।

सातारजसयो बसधि काय, ताराामीजसयोन आयझो न जाय।।२७।।

राजसी सलखयो ामी दरह बहतार अधधिक ब गया। हाड ामीार-ामीारकर (जोर-जोर स) रोन लगी । साअसतयकीसलखया बहोश (ामीरचछतार) हो गयी , दकनतार ताराामीसीसलखयो का यह दशास अससकर रहा दक दपरयतारामी अशयआययग।

एक ख ाल ा ायो, साक सह जोान धिायो।

जाा ा ालानो कयो, सोक रया ामीाहकी गयो।।२�।।

एक सखी न शरी कषा जी का श धिारा करक बासरीबजायी। सब सलखया शरी कषा जी का शरन करन कीभाना स ौडी । सबक हय ामी ऐसा आयभास हो गया दकयह बासरी शरी कषा जी न ही बजायी ह। दपरयतारामी क

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दामीलन की आयशा न सबक हय का शोक सामीाप करदया।

दशष- शरी कषा जी का श धिारा कर बासरी बजानाली सखी शरी इनातारी जी की । इसललय जागनीबरहमाणड ामी उनह अकषिरातारीतार कहलान की शोभा दामीली।

सहन सरप रामीा सामीााो, आयी आयन अग उभरााो।

उलसया ामीलान अग, ामीाहकी परगटा उछरग।।२९।।

अब सभी सलखयो क हय ामी दपरयतारामी की ामीधिर छदबस गयी, जजसस सबक अग-अग ामी आयनन परकट होगया। अपन पराालभ स दामीलन क ललय सबक हय ामीअपार उतयसाह परकट हो गया।

दशष- इसी परकार, इस जागनी बरहमाणड ामी भी जबसभी सनरसाक दरह तारका परामी क भाो ामी भादतार

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होकर धचतारदन ामी डब जायग तारका दपरयतारामी की छद कोअपन धिाामी हय ामी बसा लग , तारो ामीहापरलय होन एपरातयामी ामी जागतार होन की भदामीका तारयार हो जायगी।

ली ामीाडी तार राामीतार जोर, गाए गीतार कर अधतार सोर।

तययार हरख ाधयो अपार, आयवयो जतारीनो आयधिार।।३०।।

सलखयो न पनः श परामीप रक बहतार अचछी ताररह स राामीतारखली। दपरयतारामी क परकट होन का गीतार जोर-जोर सगान लगी । इस ामीनोहर घडी ामी सलखयो क जीन कआयधिार दपरयतारामी परकट हो गय। उनह खकर सबक ामीन ामीअपार आयनन छा गया।

ोडी लगी ालान सख, जाा दपउजी हतारा परस।

सघलीना हडा ामीाह, हाामी ामीलानी ामीन ामीाह।।३१।।

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उनह खतार ही सलखया ौडकर ललपट गयी । सलखयोको ऐसा परतारीतार हआय दक जस उनक पराालभ कही दश चल गय क। सबक हय ामी अपन दपरयतारामी स परामीभर आयतलगन की परबल चाहना की।

ालजीए कीधिो दचार, कामी ामीलस सघली नार।

तययार ह धिरया अनक, सखी सखी परतार एक।।३२।।

शरी राज जी न दचार दकया दक सभी सलखया एक-साक ामीझस कस दामील सकतारी ह? तारब उनहोन परतययकसखी क ललय अलग-अलग सरप धिारा कर ललया।

भााकर- रास ामी १२००० बरहमसदषटयो क ललय उनहोन१२००० तारन धिारा कर ललय और सबकी इचछा पारकी।

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सखी सहन ामीलया एकातार, रमया नामीा जजी भातार।

ाल परा ामीनोरक कीधिा, अनक दधि सख ीधिा।।३३।।

इस परकार, शरी राज जी न परतययक सखी क साक न कएकानतार ामी दामीलकर अलग -अलग परकार स परामीामीयीलीला की। उनहोन सबकी परामीभरी इचछाओ को पारदकया तारका अनक परकार स सख दया।

इ ातारीन आयन काय, उामीग अग न ामीाय।

ली रामी नाना दधि रग, काई ाधयो अधतार उछरग।।३४।।

दपरयतारामी स दामीलन क पशातार शरी इनातारी जी क हयामी अपार आयनन ह। उनामी रास की कीडा करन क ललयइतारनी उामीग ह दक ह सामीातारी नही ह। ह अनक परकारकी कीडारणिओ स रास कर रही ह और उनक अग-अग ामीरास क परधतार अतययधधिक उतयसाह छाया हआय ह।

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परकरा ।।३३।। चौपाई ।।६९३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चरचरी राग कारो

इस परकरा ामी अनतारधिारन क पशातार सलखयो क हय ामीपरकट होन ाली परसननतारा का धचा दकया गया ह।

उछरग अग सरी, हतार धचतार ामीन धिरी।

सख लयादया ालो ली, सख लयादया ालो ली।।१।।

अपन पराा दपरयतारामी क साक रास कीडा करन क ललयसलखयो क अग-अग ामी उतयसाह भरा ह। उनहोन अपनामीन-धचत ामी अपन धिाामी धिनी क ललय अपार परामी बसारखा ह। दपरयतारामी अकषिरातारीतार अपनी अगनाओ क ललयपरामी का सख लकर पनः श परकट हो गय ह।

कर ामीाह कर करी, सकल ामीली हररी।

बाह न ामीक सयाामीताराी, अलगी न जाय कोय टली।।२।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 652652 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सभी सलखया उताराली होकर दपरयतारामी की बाहो ामी बाहडालकर दामील रही ह। न तारो शरी कषा जी की बाहो कोछोडना चाहतारी ह और न ही पल भर क ललय भी उनसअलग होना चाहतारी ह।

एक एक ललए आयतलघा, एक एक दए चामीा।

बाहोडी ाली जीन, खना भाज ामीली।।३।।

दपरयतारामी अपन पास आयन ाली परतययक सखी काआयतलगन करतार ह तारका उस परामी भरा चमबन तार ह।सलखया भी अपन परााशर क गल ामी बाह डालकर अपनीपरामी भरी चाहतार को पार करतारी ह।

जीन ामीन दामीाजसय, सखी कामी भाजस खना।

आय तारा पर जाा सायरताराा, एामी आयवया हलीामीली।।४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सलखयो क जीन क आयधिार दपरयतारामी न सोचा दक ामीइन सबकी इचछा को कस पार कर? य तारो झणड कीझणड इस परकार चली आय रही ह, जस सागर की लहरोका पराह चला आयतारा ह।

पछ एक ालो एक सरी, एामी रामी रग रस भरी।

ललए आयतलघा फरी फरी, ाझ अगताराी गई गली।।५।।

इसललय दपरयतारामी न सोचा दक ामी परतययक सखी क ललयअलग-अलग रप धिारा कर और इनक साक परामी भरीलीला कर। इस परकार धिाामी धिनी न अपन १२०००रप धिारा कर परतययक सखी का बारमबार आयतलगनदकया, जजसस सलखयो की दरहादगन सामीाप हो गयी तारकाउनकी परामी की चाहतार भी पार हो गयी।

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दनो हास अधतारघाो, ाल धिाररयो सखताराो।

काामीनी परतार कक आयपाो, एा सख ख नािया ली।।६।।

परतययक सखी क साक दपरयतारामी अकषिरातारीतार न बहतारअधधिक दनो भरी हसी करक उनका सख बढारणि दया।इस लीला स होन ाल सख न हामी सब सलखयो कदरह क ः शख को सामीाप कर दया।

अधिर अामीतार पीतारा, कठा कच खचतारा।

सयाामी सग सख लतारा, ए लीला अधतार सली।।७।।

आयतलगनबद होकर अधिराामीतार का रसपान करतार सामीयसलखयो क कठोर सतारन दपरयतारामी को चभतार ह। सलखयाइस परकार दपरयतारामी का परामी भरा सख लतारी ह। परामी कीयह लीला बहतार ही परबल ह।

पर- कया उपरोक ारन ामीानीय पराय लीला की

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ताररह नही ह?

उतर- बाह रप स खन पर तारो यह लीला ामीानीयपराय लीला की ताररह ही दखतारी ह, दकनतार आयनतारररकरप स खन पर यह आयभास होतारा ह दक यह बरहमलीलाह और इसामी ामीानीय काामी दकारो क ललय कोई भीसकान नही ह।

न मपलत जब आयतलगनबद होतार ह , तारो उनामीशारीररक आयकषरा क कारा काामी दकार होनासभादक ह, दकनतार ामीा-बट, दपतारा-पी, तारका भाई-बहन का आयतलगन दनरकार होतारा ह, कयोदक इनकीआयसदक हय क धिरातारल पर होतारी ह, शरीर क सतारर परनही । एक णशश ामीा का सतारनपान करतारा ह, गल स ललपटजातारा ह, तारका उसक ामीख पर पद भा स अनकोचमबन तारा ह, और बड होन पर अपना णशर ामीा क

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चराो ामी रख तारा ह।

इन दकयाओ ामी आयतलगन-चमबन होन पर भी कोई पापनही ामीानतारा कयोदक य दकयाय पद आयअसतयामीक समबनधिोक हारक परामी रस ामी डबी होतारी ह। सलखया दपरयतारामी कीही अग रपा ह। ऐसी अससकधतार ामी दपरयतारामी स आयतलगनबदहोन ामी कोई पाप नही ामीाना जा सकतारा। कोई वयदकअपन एक हाक स सर हाक का सपशर कर, तारो कया यहपाप ह? जब लौदकक समबनधिो क दगाातयामीक सरप ामीदनरकार परामी हो सकतारा ह, तारो परामीधिाामी की आयतयामीाओक साक दपरयतारामी परबरहम क दगाातारीतार शरीरो ामी पदपरामी कयो नही हो सकतारा?

सतारतारः श रास लीला का ञान ससार और शरीर स पररहन ाली बरहमसदषटयो क ललय ही ह, ससारी जीो कललय नही । सतरी और परष ामी भ न सामीझन ाल

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शक जस योगशर भी जब रास लीला क ारन काअधधिकार नही पा सक, तारो सकल ामीास-दपणड क काामीकदकारो ामी खोय रहन ाल ामीनषय भला इस बरहमलीलाको कस सामीझ सकतार ह?

साक ामीाह इ ातारी, ालातारा ामीन भातारी।

रस रग उपजातारी, काई उपनी छ अधतार रली।।�।।

दपरयतारामी क ामीन को शरी इनातारी जी सब सलखयो सअधधिक भा गयी ह। रास की आयननामीयी कीडाओ ामीपरामी का रस भर रही ह। यकाकरतारा यह ह दक रास लीलाामी परामी का अपार रस भरन क ललय ही शरी इनातारी जीन योगामीाया का तारन धिारा दकया ह।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी यददप "उपनीछ" का अकर "उतयपनन हई ह " होतारा ह, दकनतार इसका

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आयशय योगामीाया ामी रास क ललय तारन धिारा करन स ह।इसी परकार क अनय ककन भी ह, जस-

"यो उपज हामी बरज धि जन।" (परकटााी)

"उपनी छ ामील धिाी ककी।" (रास १/४)

परकरा ।।३४।। चौपाई ।।७०१।।

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राग ामीलार

इस परकरा ामी रास की परामी भरी कीडाओ का ामीनोरामीारन दकया गया ह।

आयपा रग भर रदामीए रास, ालोजी ली आयदया र।

काई उपन अग उलास, सर सख लादया र।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो! दपरयतारामी पनः शहामीार ामीधय आय गय ह, इसललय हामी सभी आयननप रकउनक साक रास खल। हामीार ललय परामी का अखणडसख लकर आयय ह तारका हामी सबक अनर भी उनकसाक कीडा करन क ललय अतययधधिक उलास छाया हआयह।

सखी दयो र ामीाहो ामीाह हाक, च जोड लीजजए र।

सयाामी सयाामीाजी पाखलाड, सलखयो ताराी कीजजए र।।२।।

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ह सलखयो! हामी ऐसा कर दक हामी एक-सर का हाकपकड कर घरा बना ल तारका उसक बीच ामी शयाामी शयाामीाकी ामीनोहर जोडीरणि को रख।

ह राामीतार रदामीए एामी, खरो गहीजजए र।

आयपा एाी पर बधिज, सह रहीजजए र।।३।।

अब हामी इस परकार की राामीतार कर दक हामी एक -सरका हाक अचछी ताररह स पकड रह। इस परकार हामी सभीबनधिनो ामी रहग और कभी भी अलग नही हो सकग।

एन र अधतार कठोर, ए ककी दहीजजए र।

ह ए अलगो एक पल, आयपा न पतारीजजए र।।४।।

हामीार इन दपरयतारामी का हय बहतार ही कठोर ह। इसललयइनस डरतार रहना चादहय दक य पनः श कही अदशय न हो

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जाय। इन पर कभी भी दशास नही करना चादहय। हामीयही परयास करना ह दक अब य हामीस एक पलक क ललयभी अलग न होन पाय।

भााकर- चौपाई २-४ ामी रातार दनशछल परामी की यहामीधिर अणभवयदक ससार ामी खोजन स भी नही दामीलगी।

फरतारा रामीतारा रास, चामीन ामीख ीजजए र।

लीजजए रस अधिर, अामीतार पीजजए र।।५।।

हामी रास की राामीतार खलतार हए दपरयतारामी क ामीनोहर ामीखपर परामी भरा चमबन ना ह तारका उनक होठो स अपनहोठो का सपशर कराकर अधिराामीतार का रसपान करना ह।

एा भीधडए अगो अग, कचो च आयणाए र।

एना दलास अनक भातार, ामीोहन ल ामीाणाए र।।६।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 662662 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

हामी दपरयतारामी क अग-परतययग स इस परकार आयतलगनबदहोना ह दक हामी ऐसा परतारीतार हो दक जस हामीार ोनोसतारनो क ामीधय आय गय ह। इनस आयननामीयी लीला करनक बहतार स ढग ह। इनह तारो सरो को समामीोदहतार करनाली ामीोदहनी लतारा ही ामीाननी चादहए।

भााकर- ोनो सतारनो क बीच हय का सकान होतारा ह।"हद दह एषः श आयतयामीा " उपदनषद क इस ककन कअनसार सकल हय ामी ही सकामी हय, अकारतार काराशरीर (ामीन, धचत, बदद, और, अहकार), का दनासहोतारा ह। इसक अनतारगरतार ही जी का भी ास होतारा ह,जजस पर दराजामीान होकर आयतयामीा इस ामीायाी खल कोख रही ह। आयतलगनबद होतार सामीय परामीासप की छदको अपन हय ामी अनभ करना परामी की पहचान ह ,कयोदक परामी हय की बहतारी हई अामीतार धिारा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जजस परकार धताररछी होकर ललपटतारी हई लतारा कषि परचतारी ह, उसी परकार शरी कषा जी की धताररछी भदगामीा(ग रन, कामीर, तारका परो को टा करक खड होन) कोसमामीोदहतार करन ाली ामीोदहनी लतारा कहा गया ह।

ामीख ामीाह ई अधिर, जीन सख जाणाए र।

अभतार एहना सनह, तार कामी खाणाए र।।७।।

दपरयतारामी क ामीख स अपन होठो का सपशर करान ामीजीन का सपपरर सख ामीानना चादहए। इनका परामीअीतार ह। भला उसका ारन कस हो सकतारा ह, कादपनही ?

ाल साभललया र चन, भरी अक लीधधियो र।

ाल धचतारड ईन धचतार, सरीखी कीधधियो र।।�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सलखयो की इस ातारार को दपरयतारामी न सन ललया तारकाउनह आयनअसनतार करन क ललय आयतलगनबद कर ललया।परामी लीला क दारा सलखयो क धचत स अपन धचत कोदामीलाकर, उनह अपन सामीान बना ललया।

भााकर- यददप दपरया-दपरयतारामी तारो आयनतारररक रप सएक सामीान ही होतार ह, दकनतार परामी की पार तारदप न होन सउनामी दतार का भा परतारीतार होतारा ह। परामी लीला ामी डबकरोनो ही एकातयामी भा ामी ओतार-परोतार हो जातार ह।

ऐना ामीनोरक अनक पर, उपाया अामीन घाा र।

सनह उपाईन आयणया, सागर सख ताराा र।।९।।

दपरयतारामी न हामीार ामीन ामी परामी की अनक परकार की बहतारसी इचछाय उतयपनन की ह। उनहोन हामीार हय ामी परामीपरकट कर, हामी सागर क सामीान अपार सख भी दया ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सखी सागरनी सी ातार, साो सख सयाामीनी।

ामीारी जजभया आया अग, न कहाय भाामीनी।।१०।।

ह सखी! दपरयतारामी क सखो की उपामीा तारो सागर स भीनही ी जा सकतारी। धिाामी धिनी स दामीलन ाल सख कोतारो ामीर इस शरीर की जजहवा (ााी) स कभी कहा हीनही जा सकतारा।

भााकर- सागर स उपामीा न करन का आयशय यह ह दकसागर की जलराणश की भी ामीाप हो सकतारी ह , दकनतारदपरयतारामी क सखो का ामीाप होना दकसी भी परकार ससमभ नही ह।

ाल धचतारड ईन धचतार, तारााी लीधिा आयपाा र।

पछ नामीा कीधिा दलास, न रही कहन ामीाा र।।११।।

परााशर न अपन धचत को हामीार धचत स जोड ललया

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

और हामी अपन सरप ामी खी च ललया। इसक पशातारउनहोन न ामी परामी भरी इतारनी अधधिक लीलाय की दकदकसी भी परकार की कामीी नही रही।

कह इ ातारी आयन , ालोजी रग गाए छ।

हजी राामीतारडी धि, सक काय छ र।।१२।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक इस सामीय दपरयतारामी बहतारही आयननप रक गा रह ह। इसललय ऐसा लगतारा ह दकयह खल दशष रप स अभी लमबा होतारा जायगा।

परकरा ।।३५।। चौपाई ।।७१३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग राडी चरचरी

रामीतार रास करतार हास, कानह ामीोहन ल री।

कानह ामीोहन ल, सखी कानह ामीोहन ल री।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सखी! खो! हामीार शरीकषा ामीोदहनी लतारा की ताररह दकतारन आयकषरक लग रहह? रास की राामीतार करतार हए बहतार ही ामीोहक हसी कररह ह।

रासामीा दनो हास, हासामीा कर दलास।

परतारो अामीारी आयस, कर रग रल री।।२।।

रास की कीडा ामी हासय-दनो की ामीधिरतारा अपन चरामीपर ह। ामीरी भी इचछा ह दक ामी इस हासय -दनो ामीसअसमामीललतार होकर आयनन का रसपान कर। आयननामीयी

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लीला ामी दनामीगन परााशर अकषिरातारीतार अशय ही हामीारीइचछा को पार करग।

ालयो न दलासी, गयो तारो अामीकी नासी।

कठा करीन हासी, ीधिा ख ोहल री।।३।।

न ामी आयननामीयी लीला करतार हए दपरयतारामी हामी स णछपगय क। उनहोन हामी दरह का भयानक कषट कर हामीारऊपर कदठन हसी की की।

भााकर- ामीहारास क ामीधय दपरयतारामी का अनतारधिारन होजाना सलखयो क ललय जपातार की ताररह का। दरह कीअसह जाला ामी जलन लगी की । अचानक ही वरज कीनाटक लीला क सामीय उनहोन परकट होकर यह शारदया दक ामी तारो कही गया ही नही का। इस परकार उनहोनदरह की असह ना न ाली हसी की, इसललय इस

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

चौपाई क तारीसर चरा ामी उस कदठन हसी कह करसमबोधधितार दकया गया ह।

सलखयो करतारी ामीान, तारा दरह ना कीधिा पान।

दसरी सरीर सान, एो कीधिो खल री।।४।।

सलखयो क अनर परामी का ामीान आय गया का औरउनहोन दरह की पीडारणि का अनभ भी नही दकया का,इसललय धिाामी धिनी न उनह दरह की ऐसी लीला दखायीदक सलखयो को अपन शरीर की सधधि भी भल गयी।

भााकर- ामीान, अणभामीान, और अहकार ामी बहतार अधधिकसकामी भ ह। अपन परामी को अधधिक ामीहतय तार हए अपनपरामीी क परधतार परामीासप क ामीन ामी यह भाना घर करजातारी ह दक ामीरा दपरयतारामी ामीर परामी क श ामी हो गया ह।इस ही "ामीान" कहतार ह। यह परामी की दगाातारीतार असका

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी योगामीाया क अनर होतारा ह। परामीधिाामी की अदतारभदामीका क एकतय ामी ामीान की अससकधतार नही ह। जब यहीामीान की अससकधतार दगाातयामीक भाो क साक जड जातारी ह,तारो ह "अणभामीान" ह। उसामी ताराामीसी भाो की परबलतारा"अहकार" ह। अणभामीान तारका अहकार की परलत ामीाकालामीाया क ही बरहमाणड ामी होतारी ह , योगामीाया यापरामीधिाामी ामी नही ।

ामीन ताराामीजसयो हरतारी, ामीान ामीानदनयो करतारी।

अग न दरह धिरतारी, तारो अामी पर कई हल री।।५।।

ताराामीसी सलखयो न अपन परामी क दारा दपरयतारामी क ामीनको हर ललया का, जजसक कारा उनह अपन परामी का ामीानहो गया का। उनहोन कल परामी ही खा का, दरह नही ,इसललय धिाामी धिनी न हामी सभी सलखयो को दरह का यह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कषटकारी खल दखाया।

भााकर- अकषिरातारीतार परामी क अननतार सागर ह। ताराामीसीसलखयो क दारा परामी ामी एक कामी चलन पर, उनक दारा१० कामी चलना साभादक ह। इस ही शरी राज जी कासलखयो क दारा श ामी होना कहा गया ह।

आयतारर करी स र जन, ामीीठडा बोल चन।

हतारस हरतारो ामीन, एो अलल री।।६।।

दपरयतारामी न अपन अधतार ामीधिर चनो स सभी सलखयो कोपरामी ामी वयाकल कर दया ह। उनका परामी इतारना अलौदककह दक उनहोन सबका ामीन पारतारया हर ललया ह।

ह न ामीक अधिलखा, धितारारो छ अधतारघा।

पल न ाल पापा, भललयो पहल री।।७।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 672672 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अब ामी अपन परााशर को आयधि कषिा क ललय भी अपनस अलग नही होन गी, कयोदक य बड ही छललया ह। ामीपहल भल कर चकी ह, इसललय अब तारो ामी एक पल कललय भी इनस अपनी ददषट नही हटाऊगी।

इ ातारी कह साक, ह न कीज दसास।

लखा न ामीदकए पास, एी बाधिो ल री।।�।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो! अब हामी इसछललया दपरयतारामी पर दशास नही करना ह। लतारा की ताररहइनस ललपट कर हामीशा अपन पास ही रखना ह तारका एककषिा क ललय भी इनका साक नही छोडना ह।

परकरा ।।३६।। चौपाई ।।७२१।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग धिोलनी चाल

जओ र सलखयो तारामी ााी ालाताराी, बोलतार बोल सहाामीाा र।

ामीीठी ामीधिरी ातार कर, ह तारो लऊ तार ामीखना भाामीाा र।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो ! दपरयतारामी कामीखारदन स दनकलन ाली ााी की अामीतार धिारा कोतारो खो। य दकतारन सनर चन बोल रह ह। य बहतार हीामीधिर ए ामीीठ शबो ामी बातार कर रह ह। ामी इतारनी ामीधिरााी बोलन ाल इनक सनर ामीखारदन पर बार-बारनयोछार होतारी ह।

भााकर- ााी की दामीठास ए ामीधिरतारा ामी सकामी अनताररह। "ामीीठी ााी" का तारातयपयर ह , शाअसबक ददषट सदामीठास, जबदक "ामीधिर ााी" का आयशय ह, उचचारा कीददषट स दामीठास। सादहतयय क पररपरकय ामी खन पर योनो एकाकराची जसद होतार ह। इनामी भ कल तारतयसामी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

या तारी का होतारा ह, अकारतार "ामीधिर" शब "ामीीठा" काशद सादहअसतययक रप ह।

हास भा कर ालो हतार, गा न घाा ालाताराा र।

राामीतार करतारा रग रल कर, झकझोल ामीाह नही ामीाा र।।२।।

दपरयतारामी ामी अननतार गा ह। य बहतार ही उतयसाहप रकअपन परामी भा को वयक करतार ह। रास की राामीतारो कामीधय, परामी भरी आयननामीयी कीडाय करतार ह। हास-पररहास स यक छडखानी करन ामी य कपातारा(कनजसी) नही दखातार।

जओ र सलखयो ामीारा जीनी ातारडी, ामीारा ामीनामीा तार एामीज काय र।

नाा ऊपर नह धिरी, ह तारो धिर ालाजीना पाय र।।३।।

ह सलखयो! ामीर जी क हय ामी उठन ाली एक बातारपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 675675 / 814/ 814

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खो। ामीर ामीन ामी यह बातार आय रही ह दक अपन पराालभक चरा कामीलो को अधतार परामीप रक अपन नो की पलकोपर रख ल।

भााकर- "नो की पलको ामी रखना " या "आयखो कातारारा होना" क ककन ामीहारो क अनतारगरतार आयतार ह। नहय का सकल परा होतारा ह। नो की पलको पर रखनका आयशय होतारा ह, अपन हय ामीअसनर (धिाामी) ामीदराजामीान करना।

सा सरी एक ातार कह खरी, ए तार एामी कामी काय र।

नाा ऊपर कामी करीस, ए तारो नही धिरा दए पाय र।।४।।

यह सनकर एक सखी कहतारी ह- ह इनातारी! ामीरीबातार सनो। ामी सपषट रप स कह रही ह। जो तारामी कहतारीहो, ह कस हो सकतारा ह? जब दपरयतारामी अपन चरा

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कामील दकसी क भी नो की पलको पर रखग ही नही ,तारो तारामी कस रख लोगी?

जो ह एामी कर र बहनी, ामीारा जीनी ाझ तारो जाय र।

कोई दधि करी छतारर ालो, तारो ामीन कहजो ाह ाह र।।५।।

इसक उतर ामी शरी इनातारी जी कहतारी ह- ह बहन(सखी)! यद ामी ऐसा कर लतारी ह, तारो ामीर जी क हयकी तारडप शानतार हो जायगी। ामी दकसी भी ताररीक सदपरयतारामी को धिोख ामी रखकर यद अपन इस लकय को पालतारी ह, तारो तारामी सभी दामीलकर ामीझ शाबासी ना (ाह-ाह करना)।

षटवय- रास लीला ामी बरहमातयामीाय अपन जी क साकही की । इसललय कही -कही आयअसतयामीक भा क साक-साक जी भा भी शारया गया ह।

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साो र ालया ातार कह, तारामीारा भखा बाज भली भातार र।

लई चरान दनरख न, ामीन लागी रही छ खातार र।।६।।

शरी इनातारी जी दपरयतारामी क समामीख जाकर कहतारी ह-परााशर! ामी एक दशष बातार कह रही ह , उस आयपसदनय। आयपक आयभषा बहतार ही ामीोहक धदन करतार ह।ामीर ामीन ामी यह परबल चाहना ह दक ामी आयपक चराकामीलो को अपन हाको ामी लकर अपन नो स जी भरकर ख (दनहार)।

जओ र सलखयो ामीारा भखा बाजतारा, झाझररया तार बोल रसाल र।

लनी पग धिर तारझ आयगल, पा बीजी ामी करज आयल र।।७।।

शरी राज जी कहतार ह- ह सलखयो! खो, ामीर आयभषास बहतार ामीधिर धदन दनकलतारी ह। झाझरी की धदन तारोअतययधधिक रसीली ह। ामी तारमहार आयग अपना पर रख तारा

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ह, दकनतार तारामी कोई ा न चल ना (हसीपार खल नकरना)।

लई चरा न भलया नाा, ाल जोय दचारी धचतार र।

टकी चरा न लीधिा गला, जााी इ ातारी राामीतार र।।�।।

शरी इनातारी जी न धिनी क चराो को उठाकर अपननो स लगा ललया। यह खकर दपरयतारामी न अपन धचतामी दचार दकया दक यह तारो इनातारी जी का एक खल ह।ऐसा जानकर उनहोन शीघताराप रक अपन चराो कोापस खी च ललया।

ाल ग लीधिी कठ बाहोडी, बठा अग भीडीन हतारामीा र।

नह कयो घाो नाास, दए नन चामीन खातारामीा र।।९।।

दपरयतारामी न शीघतारा स शरी इनातारी जी क गल ामी बाहपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 679679 / 814/ 814

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डालकर अधतार परामीप रक आयतलगनबद कर ललया। उनकहय ामी शरी इनातारी जी क नो क परधतार बहतार ही परामी होगया और उनहोन अधतार चाहना स उनह चामी ललया।

रग रल करी रस बस कया, सखी सयाामी घाा अामीतारामीा र।

लकबक कई कलोल कया, ए तारो कपी रहा बह धचतारामीा र।।१०।।

परामी क शीभतार होकर शरी राज जी तारका शरी इनातारीजी, ोनो ही आयननामीयी कीडा ामी दनामीगन हो गय। उनहोनपरामी क अामीतार का बहतार अधधिक रसपान दकया। दपरयतारामीक साक एकाकार होकर शरी इनातारी जी आयनन ामी डबगयी । ोनो क धचत ामी इस लीला का अखणड आयननददामीान हो गया।

भााकर- एकाकार का तारातयपयर ह- परामी ामी डबकर अदतारकी उस असका को पराप कर लना जजसामी सय का

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अअससतारतय सामीाप हो जातारा ह, तारका परामीी (आयणशक) कोकल अपन परामीासप (ामीाशक) का और परामीासप कोकल दपरयतारामी का ही आयभास रहतारा ह।

कह इ ातारी साो र साक जी, ाल सख ीधिा घाा घाा र।

नलो नह धिायप रामीतारा, गा दकहा कह ालाताराा र।।११।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी ! सदनय!दपरयतारामी न रास कीडा क सामीय नय-नय ढग (ताररीक) सहामीार हय ामी परामी बाया तारका बहतार अधधिक सख दया।उनक गाो का ामी कहा तारक ारन कर? दपरयतारामी क गातारो अननतार ह।

परकरा ।।३७।। चौपाई ।।७३२।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग कारो

इस परकरा ामी रास की ामीनोहर झाकी परसतारतार की गयीह।

बललयाामीा ीस बल, अग आयछो दनरामील।

नाा कटाछ ल, पापा चल पल, अजब अियातार।।१।।

शरी इनातारी कहतारी ह- परामी का अकाह बल रखन ालदपरयतारामी ामी, लीला करन क ललय, उतयसाह का दशालबल दखायी रहा ह। उनक अग-अग अधतार सनरऔर सचछ ह। जब अपन नो की धताररछी ददषट स परामीका सकतार तार हए अपनी पलको को घामीातार ह, तारो उससामीय उनकी अनपामी शोभा होतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जनामी सघातारी जाणयो, ामीन तारो ऊपर ामीाणयो।

सरी धचतारस आयणयो, ददधि पर खाणयो, ालानी दियातार।।२।।

ह सलखयो! तारामी पार ामीनोयोग स यह बातार ामीान लो दक यहामीार जनामी-जनामी क ामीीतार (परामीी) ह। इनह अपन धचत(हय) ामी बसा लो। ामीन दपरयतारामी की ामीदहामीा को पहलभी अनको परकार स तारमहार समामीख रातार दकया ह।

भााकर- यददप आयतयामीाओ का जनामी नही होतारा, दकनताररास ामी अपन जी क वरज ाल ससकारो क भा सऐसा कह रही ह दक य हामीार जनामी -जनामी क परामीी ह,अकारतार इनस हामीारा अनाद काल का अखणड परामीसमबनधि ह।

ालोजी सक दहतार, चालतारो ऊपर धचतार।

इछा ामीन ज इछतार, खरी साकनी पर खतार, भलो भली भातार।।३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

दपरयतारामी दशष रप स हामीारा दहतार चाहन ाल ह। हामीारहय क भाो क अनसार ही य हामीार साक वयहारकरतार ह। हामी सभी सलखयो क ामीन ामी जो भी इचछा होतारीह, उस य दनधशतार रप स परी चाहना क साक भलीभाधतार (अचछी ताररह स) पार करतार ह।

इ ातारी कह खर, ामीलनो सघातारी र।

ए धिन रयाामीा धिर, अगकी अलगो न कर, खरी ामीन खातार।।४।।

शरी इनातारी जी सपषट रप स कहतारी ह दक अनादकाल क ामील समबनधि स ामी अपन पधतार क रप ामी इनकारा करतारी ह। ामीरी यह परबल चाहना ह दक ामी अपनपरााधिन दपरयतारामी को अपन हय ामीअसनर ामी बसा ल औरकभी भी अपन स अलग न होन ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

रजीन ऊ ीड, भीडतारा न कर जीड।

अग ामीाह हतारी पीड, काामी करी भाज भीड, जो जो ामीारी ातार।।५।।

ह सलखयो! ामीरी बातार सनो। ामीरी यह काामीना ह दक ामीअपन पराालभ स आयतलगनबद होन ामी जरा भी र नकर तारका सकोच छोडकर उनस ललपट जाऊ। ामीर हयामी दरह की पीडा की, साक ही दपरयतारामी का परामी पान कीइचछा भी दहलोर ामीार रही की, इसललय ामी इस उनक गलललपट कर पार करना चाहतारी ह।

भााकर- रास की यह कीडा इस जागनी बरहमाणड ामी हामीबारमबार परररतार कर रही ह दक हामी धचतारदन क दाराअपन परााशर को अपन हय धिाामी ामी दराजामीान करतारका अखणड आयनन ामी डब जाय।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बाहोडी कठामीा घाली, एकी गामीा लीधिो टाली।

लई चाली अणायाली, सखी ामीख हाक ताराली, जोई रहो साक।।६।।

शरी इनातारी जी क इस ककन को सनकर दपरयतारामी नउनक गल ामी अपनी बाह डाल ी और उनह एकानतारसकान की ओर ल गय। सभी सलखया अपन ामीख ामी हाकडालकर, अकारतार आयशयर भरी ददषट स , शरी इनतारी जीको दपरयतारामी क साक अकली जातारी हई खतारी रही ।

भााकर- उपरोक चौपाई स हामी यह णशकषिा दामीलतारी हदक इस जागनी लीला ामी हामी अपनी आयतयामी -जागधतार कललय अपनी हीन भाना पारतारया सामीाप कर नी चादहएतारका दपरयतारामी क परामी पर अपना पार अधधिकार सामीझतारहए उनक ामीधिर शरन क ललय परामीामीयी धचतारदन ामी डबजाना चादहए।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राामीतार करतारी रग, चामीन तारी ग।

उामीग आयदयो सग, भली ामीख भीड अग, ामीक नही बाक।।७।।

शरी इनातारी जी दपरयतारामी क साक आयननप रक कीडाकरतारी ह। दनः शसकोच भा स परामी भरा चमबन भी तारीह। दपरयतारामी क साक लीला करन क ललय उनक अग-अग ामी उामीग भरी ह। धिाामी धिनी क ामीख स ामीखदामीलाकर गल ललपटतारी ह तारका दकसी भी असका ामीआयतलगनबद होना नही छोडतारी ।

रगना करतारी रोल, झीलतारी ामीाह झकोल।

करी ामीख चकचोल, जोरार झलाबोल, ला न सास।।�।।

शरी इनातारी जी लीला ामी आयननप रक झामी रही ह। परामी भरी धिका-ामीकी ामी आयनन ल रही ह। राामीतारो ामीतारलीन रहन स उनका ामीख लाललामीा स भरा हआय ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राामीतार करतार हए दपरयतारामी का हाक पकडकर इतारनीतारीवरतारा स झकझोरतारी ह दक उनह ामी भी नही लन तारी ।

दपउना अधिर दपए, अामीतार घटड ललए।

साामीा ली पोतार दए, तारा ामीख न दह, अग परामी ास।।९।।

शरी इनातारी जी दपरयतारामी क अधिरो स अामीतार क घट पीरही ह। पनः श अपन अधिरो का अामीतार दपरयतारामी को सामीरपतारकरतारी ह। उनक अग-अग ामी अपन परााशर क ललय परामीही परामी भरा हआय ह। धिाामी धिनी क ामीख (अधिरो) सअपन ामीख (अधिरो) का सपशर करान ामी कभी भी पीछनही हटतारी ह।

ली इछा जई धिर, फडी फरस फर।

जोर अधतार घाो कर, इ ातारी काामी सर, रामी दपउ रास।।१०।।

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शरी इनातारी जी क ामीन ामी पनः श सरी इचछा होतारी हदक ह अपन पराालभ क हाको ामी हाक रखकरताकार (गोलाई) ामी घामी। इस राामीतार ामी बहतार अधधिकशदक लगातारी ह। धिाामी धिनी क साक रास की राामीतारखलतारी हई इनातारी जी अपन परामी की इचछा पार करतारीह।

फडी ामीलीन हाक, चटकास घाली बाक।

राामीतार कर दनघातार, कठ बाहोडी फर साक, रग पराानाक।।११।।

अचानक ही शरी इनातारी जी ताकार घामीना बन करतारी ह तारका दपरयतारामी क हाको स अपना हाक छडाकरशीघताराप रक उनस आयतलगनबद हो जातारी ह। दनभरयहोकर दपरयतारामी क गल ामी अपनी बाह डाल लतारी ह तारकाउनक साक रास की राामीतार करतार हए आयनन लतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- उपरोक चौपाई ामी "पराानाक" शब का परयोगयही शार रहा ह दक यह कोई दशष वयदकामीलक नाामीनही ह, बअसलक अकषिरातारीतार परबरहम क ललय परयक होनाला भाामीलक शब (नाामी) ह। नाामीकरा पञभौधतारकतारनो का होतारा ह। अकषिरातारीतार अनाद ह , इसललय उनकगा भी अनाद ह। इस परकार उनक गाो क आयधिार परशरी राज, शरी पराानाक, शरी जी, आयद अनक भाामीलकनाामी अनाद काल स तारका सदषट क परारमभ स चल आयरह ह तारका चलतार रहग। यददप शब क दनतारय होन स(सदषट क अअससतारतय की अससकधतार ामी ) शरी कषा, शरीचन, तारका शरी दामीदहरराज आयद शब भी प र स चलआय रह ह, दकनतार य शरीरपरक नाामी ह। इनक अनरदराजामीान होकर लीला करन ाल भी शरी राज जी,पराानाक, या शरी जी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ली ललए हाक ताराली, फरतारी तारी ाली।

बठतारी उठतारी ाली, राामीतार च रसाली, ददधि दलास।।१२।।

पनः श घामीतार हए हाको की ताराली न की राामीतार करनलगतारी ह, तारो कभी बठकर और कभी उठकर ताराली नकी राामीतार खलतारी ह। इन रसामीयी राामीतारो ामी अपन धिाामीधिनी क साक अनक परकार की आयननामीयी कीडाओका रसपान करतारी ह।

छटक राामीतार ामीली, ालाजी सघातार गहली।

आयतलघा ललए ठली, चामीन दए दपउ पहली, ामीख आयस पास।।१३।।

दपरयतारामी क साक राामीतार करतारी हई शरी इनातारी जी परामीामी बसधि ह। राामीतार ामी कभी तारो अलग हो जातारी ह ,कभी पास आय जातारी ह। कभी तारो धिाामी धिनी स पहलआयतलगनबद हो जातारी ह , तारतयपशातार उनक ामीख क

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयस-पास चमबन न लगतारी ह।

स र जोतारा सरी, राामीतार तारो घाी करी।

दपउ कठ बाहो धिरी, इ ातारी ाल री, जोइए कोा ामीका हाक।।१४।।

सभी सलखयो क खतार-खतार शरी इनातारी जी न शरीराज जी क साक बहतार अधधिक राामीतार की। अपनपरााशर क गल ामी बाह डालकर कहतारी ह दक ामीन धिाामीधिनी का रा कर ललया ह। खतारी ह, कौन सखी ामीझसइनका हाक छडातारी ह?

परकरा ।।३�।। चौपाई ।।७४६।।

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कसरबाईनो झगडो

कशरबाई का दा करना

इस परकरा ामी शरी इनातारी और शरी कशरबाई क झगडका ामीनोरामी ारन दकया गया ह।

आयी कसरबाई कह र बहनी, साो ातार कह तारामीस।

भली राामीतार ालास रग करी, ह ामीको रामी अामीस।।१।।

शरी इनातारी जी क परामी भर अधधिकारपार ककन कोसनकर कशर बाई जी आयकर कहतारी ह- ह बहन! ामी तारामीस एक बातार कह रही ह, उस सनो! दपरयतारामी क साकतारामीन बहतार अचछी ताररह स आयननामीयी राामीतार कर ली ह।अब इनह छोड ो, जजसस हामी सब भी खल सक।

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ह तारो नही र ामीक ामीारो नाहोजी, तारामी जोर करो जकाबल।

आयी लगो ालाजीन हाक, आयतारा ख छ सयर साक।।२।।

परतययतर ामी शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामी तारो अपनपराा दपरयतारामी को दकसी भी अससकधतार ामी नही छोडगी, तारमहजजतारनी शदक लगानी हो लगा लो। तारामी कल ाला जीका हाक पकड कर ललपट सकतारी हो। इस बातार को सभीसलखया ख रही ह दक ामीर साक पहल स लीला चलरही ह।

इ ातारी कह अामीस रामीतारा, कसरबाई करो एामी काए।

तारामी हाक आयी ालाजीन लगो, पा ह न ामीक बाह।।३।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह कशर बाई! दपरयतारामी कसाक होन ाल खल ामी तारामी इस परकार बाधिा कयो डालरही हो? तारामी भी आयकर धिाामी धिनी क हाको को पकड

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सकतारी हो, दकनतार ामी तारो दकसी भी अससकधतार ामी अपनपरााधिन क हाको को नही छोडगी।

ह कठ बाहोडी ालीन ऊभी, ामीारो परााताराो ए नाक।

नहच सखी ह नही र ामीक, तारामी का करो लगतारी ातार।।४।।

ामी अपन दपरयतारामी क गल ामी बाह डालकर खडी ह। यामीर परााो क नाक ह, अकारतार ामीर जीन क आयधिार ह। हसखी! ामी दनधशतार रप स अपन धिनी को नही छोडगी।तारामी वयकर ामी झगड की बातार कयो करतारी हो?

अनक परकार करो र बहनी, ह नही ामीक पराानो नाक।

बीजी राामीतार जई करो र बहनी, आयतारा ऊभो छ एडो साक।।५।।

ह बहन कशर बाई! चाह तारामी कछ भी कयो न कर लो,दकनतार ामी अपन पराानाक को नही छोडगी। यहा इतारनी

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सलखया खडी ह। तारामी इनह अपन साक ल जाकर कोईऔर खल खलो।

कामी र ामीक कह कसरबाई, तारामीन रामीतारा कई घाी ार।

ह तारामी कामी नही ामीको, ामीारा परााताराो आयधिार।।६।।

शरी इनातारी जी क ककन "ामी अपन दपरयतारामी को कसछोड सकतारी ह" को सनकर कशरबाई जी कहतारी ह-तारमह दपरयतारामी क साक लीला करतार हए बहतार र हो गयीह। ऐसी असका ामी तारामी ामीर परााो क आयधिार दपरयतारामी कोकयो नही छोडोगी?

साो कसरबाई ातार अामीारी, इ ातारी कह आय ार।

लाख ातारो जो करो र बहनी, पा ह नही ामीक दनरधिार।।७।।

यह सनकर शरी इनातारी जी कहतारी ह- ह बहनपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 696696 / 814/ 814

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कशरबाई! इस बार तारामी ामीरी बातार सनो। भल ही तारामीलाखो बातार कह ो , दकनतार ामी अपन पराा दपरयतारामी कोदकसी भी अससकधतार ामी नही छोडगी।

कह कसरबाई अामीस इ ातारी, का करो एड बल।

एटला लग तारामी राामीतार कीधिी, ह नही ामीक पााील।।�।।

कशरबाई जी कहतारी ह दक ह इनातारी! तारामी ामीझ अपनीइतारनी शदक कयो दखा रही हो? तारामी इतारनी र स धिनीक साक राामीतार करतारी रही हो। अब तारो ामी इनह एक पलक ललय भी नही छोडगी।

बीजी सखी इहा नही र बापडी, आयही तारो इ ातारी नार।

जोर करो जोइए कटल कसरबाई, कामी न ामीकाो आयधिार।।९।।

इसक उतर ामी शरी इनातारी जी कहतारी ह दक तारमहारपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 697697 / 814/ 814

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साामीन यहा कोई बरल असहाय सखी नही ह, बअसलक यहया रखो दक ामी इनातारी ह। चाह तारामी दकतारनी भी शदककयो न लगा लो, ामी भी खतारी ह दक तारामी ामीर स रस, ामीरआयधिार, शरी राज जी को ामीझस कस छडा लतारी हो?

एटला दस कया अामीन रामीतारा, पा कोा न कीधि एामी।

भोला ढालनी ातार जई छ, जोइए जोर करी जीतारो कामी।।१०।।

दपरयतारामी क साक लीला करतार हए ामीझ इतारना सामीय बीतारगया, दकनतार दकसी न भी ामीझस इस परकार दरोधि नही दकया। सीधि ढग स सनहप रक ामीागन की बातार अलग ह,दकनतार ामी खतारी ह दक तारामी अपनी शदक लगाकर ामीझसकस जीतारतारी हो, अकारतार दपरयतारामी को कस ल लतारी हो?

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ढ खीन ालोजी हजसया, लग ामीाहोामीाह नार।

कोई कन नामीी न दए, आयतारा बन जाा झझार।।११।।

इन ोनो की खी चतारान को खकर शरी राज जी हसनलग दक य ोनो सलखया आयपस ामी दकस परकार लड रहीह? इनामी स कोई भी दकसी क साामीन झकन क ललयतारयार नही ह। य ोनो तारो सय को ही सर स अधधिकशदकशाली ामीानतारी ह।

जसखाामीा दए र ालोजी, कोई न नामी र लगार।

तययार रप कीधिा रग रामीा, सतारोखी स र नार।।१२।।

दपरयतारामी न उनह शानतार करन क ललय जसखापन ी ,दकनतार कोई भी जरा भी झकन क ललय तारयार नही की।तारब राामीतार को आयननामीयी बनान क ललय शरी राज जी नसभी सलखयो क साक अलग-अलग रप धिारा कर

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लीला की। इसस सभी सलखया सतारषट हो गयी ।

कसरबाई जाा अामीकन आयवया, इ ातारी जाा अामीपास।

सघलीस सनह करी, न ामीाह कीधिा दलास।।१३।।

कशर बाई सोचतारी की दक धिनी कल ामीर पास ह। इसीपरकार शरी इनातारी जी सामीझतारी की दक परााशर ामीरसाक ह। दकनतार दपरयतारामी न तारो सभी सलखयो क साकपरामीामीयी लीला करन क ललय १२००० सरप धिाराकर ललय और न ामी आयननामीयी लीला की।

इ ातारी कसरबाई ामीललयो, बन कह एामी।

ओजसयाली कयो ामीन ामीाह, जओ आयपा कीधि छ कामी।।१४।।

इस लीला क पशातार जब शरी इनातारी जी और कशरबाई जी दामीली , तारो ोनो ामीन ही ामीन ललजतार होकर इस

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परकार कहन लगी दक खो सखी! हामीन आयपस ामी दाकरक दकतारना अनकर दकया?

भीडीन ामीललयो बन उछरग, भाजी हडानी हाामी।

इ ातारी कह कसरबाई, ाल परा कीधिा ामीन काामी।।१५।।

ोनो ही बहतार उतयसाहप रक गल दामीली । इस परकारपारसपररक परामी की चाहतार स उनहोन अपन ामीन कीखटास (ामीललनतारा) को सामीाप कर दया। शरी इनातारीजी कहन लगी - कशर बाई! इस खल ामी परााशर नहामीारी समपार इचछाओ को पार कर दया।

भााकर- इस परकरा ामी सनरसाक क ललय एक दशषणशकषिा ह दक उनह यह हामीशा धयान रखना चादहए दकअकषिरातारीतार सबक ह और उनक हय ामी सबक ललयसामीान परामी ह। इसललय इस जागनी बरहमाणड ामी हामी कषि ,

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गर, धिन, प, रप, और परधतारषा आयद क आयधिार परदकसी भी परकार का भभा न करतार हए, सबक साकआयतयामीीय परामी का ामीधिर वयहार ही करना चादहए तारकाामीन, ााी, ए कामीर स दकसी क भी हय को ः शखी नही करना चादहए।

परकरा ।।३९।। चौपाई ।।७६१।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग कारो छ

इस परकरा ामी रास लीला की एक ामीनोहारराी झाकीशारयी गयी ह।

छडो न छटक, अग न अटक,

भर पाउ चटक, ामीानतारी ामीटक।।१।।

ामीहारास ामी सलखयो की साडी का पला कही खलतारानही ह और न उनका कोई अग ही उसामी अटकतारा ह।सलखया राामीतार करतार सामीय बहतार शीघतारा स अपन कामीरखतारी ह। ामीादननी सलखया ामीटक-ामीटक कर चलतारी ह।

भााकर- लौदकक ददषट स साडी एक ऐसा सतर ह ,जजसक खलन या शारीररक अगो (हाक, पर, आयद) कउसामी अटकन की समभाना बनी रहतारी ह, दकनतार इसदवय रास ामी ऐसी कोई भी दकधतार नही आयतारी।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परामी का ामीान करन ाली सलखयो को "ामीादननी" कहतारह। आयनन की अधतार उामीग (ामीसतारी) भरी चाल स चलनको ामीटक-ामीटक कर चलना कहतार ह।

ललए रग लटक, घटा अधिर घटक, ली ली सटक।

खातार घाी खटक, रामीा रग रास री।।२।।

सलखया नतयय का अणभनय करतार हए रास का आयनन लरही ह तारका दपरयतारामी क साक अधिराामीतार का रसपानकरतारी हई सशोणभतार हो रही ह। बारमबार अपन परााशरक साक आयतलगनबद हो रही ह। परामी ामी जीतार जान कीपरबल इचछा क साक आयननप रक रास खल रही ह।

रामीतारी रास काामीनी, जाामीतारी च जाामीनी।

ामीली लभ ामीाननी, भलतारी रग भाामीनी।।३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राद की इस ामीनोहर ला ामी शरी राज जी क साक कीडाकरतारी हई सलखयो को खकर चनामीा भी रक गया ह।सभी ामीादननी सलखया अपन पराा दपरयतारामी क पास हीदखायी रही ह। आयनन क रस ामी आयकणठ डबी हईह।

सयाामीाजी सग सयाामीनी, बाहोडी कठ काामीनी।

ताराातारी अग आयामीनी, ामीख बीडी सोह पाननी।।

एामी रामीतार सकल साक री।।४।।

शयाामीा जी अपन दपरयतारामी शरी राज जी क साक रासकीडा कर रही ह। उनक गल ामी बाह डालकर अपनअगो (हय) की ओर खीच रही ह। सभी सलखयो कामीख ामी पानो का बीडा सशोणभतार हो रहा ह। इस परकार ,सभी आयननप रक रास खल रही ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीारो साक रामी र सोहाामीाो, काई राामीतार रामी रग।

ालाजीस ातारो, कर अियातारो, उलट भीड अग।।५।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीरी सलखया(सनरसाक) बहतार ही सहान ढग स आयननप रकराामीतार कर रही ह। अपन दपरयतारामी क साक परामी कीअीतार बातार करतारी ह और उामीग ामी भरकर आयतलगनबदहो जातारी ह।

बाहोडी ाल भखा सभाल, रख खच कोई नग।

ललए बाको ालाजी सघातारो, उनामी बल अनग।।६।।

धिाामी धिनी क गल ामी बाह डाली हई सलखया अपनआयभषाो को इस परकार समभाल रहतारी ह दक उनक नगदपरयतारामी क हय ामी चभ न जाय। अपन हय ामी उामीडनाल परामी क शीभतार होकर दपरयतारामी स ललपट जातारी

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह।

भााकर- ामीा कालामीाया क बरहमाणड ामी ही नग क शरीरामी चभन की समभाना होतारी ह , बह ामीणडल यापरामीधिाामी ामी नही , कयोदक हा नग आयद परतययक सतारचतारन होतारी ह। परामी भरी भाकतारा क कारा सलखयो कामीन ामी इस परकार की भाना होतारी ह। सरा कारा यहह दक सलखया अभी पार रप स जागतार नही ह तारकाउनक अनर ददामीान जी भी कालामीाया क ससकारो सगसतार ह। इस चौपाई क चौक चरा ामी "अनग" शब काअकर यददप "काामी" होतारा ह, दकनतार यह दकार रपीकाामी नही ह, बअसलक दवय दगाातारीतार परामी ही यहा अनग(काामी) क रप रातार हआय ह।

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छटक रामी पाखल भामी, राामीतार न कर भग।

छलाइए छक अग सक, सखी स र सचग।।७।।

दपरयतारामी क आयतलगन स छटकर सलखया उनक चारोओर ताकार (गोलाई ामी) घामीन लगतारी ह और राामीतारको भग होन नही तारी ह। सभी सलखया बहतार ही सनरदख रही ह और दशषकर अपन अगो को समभालकरकन ामी बहतार ही चतारर ह।

कटलीक सरी उलट भरी, आयी ालाजीन पास।

उामीग आया आयप खाा, दरह दनतारा गयो नास।।�।।

परामी क नश ामी डबी हई कछ सलखया शरी राज जी कपास आयतारी ह तारका उामीग ामी भरकर सय ही कहन लगतारीह- ह परााशर! अब हामीारा दरह सामीाप हो गया ह।

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गीतार गाए रग काय, ददधि पर दलास।

जतारी जोड एकठी ोड, ामीारा ालाजीस करा हास।।९।।

परामी क गीतार गातारी हई सलखया आयनअसनतार हो रही ह औरदपरयतारामी क साक अनक परकार स आयननामीयी कीडायकर रही ह। अपन पराालभ क साक हास-पररहास(हसी-ामीजाक) करन क ललय सलखया ो-ो जोड ामीौडी चली आय रही ह।

ालए दामीासी अग उलासी, ह धिरया अनक।

सलखयो सघली जजी ामीली, ामीारा ालाजीस रामी दसक।।१०।।

दपरयतारामी न भी अपन हय ामी परामी का उलास लकरलीला करन क समबनधि ामी दचार दकया तारका सभीसलखयो क ललय अलग-अलग (१२०००) तारन धिाराकर ललया। इस परकार परतययक सखी अपन पराा दपरयतारामी

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स अलग-अलग दामीली और जी भरकर दशष रप सआयननामीयी लीला की।

भााकर- सलखयो की सिया १२००० की। शरी राजजी क दारा भी १२००० तारन धिारा कर लन पर सबकोयह असर पराप हो गया दक वयदकगतार रप स अकलधिनी क साक लीला कर सक। इस परकार धिाामी धिनी नअनतारधिारन स प र तारका पशातार कई बार १२००० तारनधिारा कर सबको सख दया।

अगडा ाल नाा चाल, उपजा रग रल।

बोल बग आय रग, जाा पहल भणायो पस।।११।।

परामी क सागर ामी डबी हई सलखया अपन अगो को ामीोहकभदगामीा क साक ामीोडतारी ह। इसक अधतारररक अपन नोको परामी भा क सकतारो ामी इस परकार चलातारी ह दक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

उसस अपार आयनन आयतारा ह। उतयसाह ामी भरकर परामीक अधतार ामीनामीोहक अटपट बोल बोलतारी ह तारकाआयनअसनतार होतारी ह। उनकी इस लीला को खकर ऐसालगतारा ह दक जस इनहोन पहल स ही सब कछ सीखरखा ह।

भााकर- सलखया दपरयतारामी अकषिरातारीतार की अधिारदगनी ह।उनामी परबरहम की परराा ामीा स सभी कलाय और सभीगा दनरनतारर ददामीान रहतार ह।

अधतार उछरग ाधयो सग, उामीग अग न ामीाय।

ालाजीनी बाह कठ लाय, रामीतारा तारानी जाय।।१२।।

सलखयो क अनर लीला क ललय अपार उामीग ह। उतयसाह ामी भरकर धिाामी धिनी क गल ामी अपनी बाह डालतारी ह और राामीतार खलन क ललय अपनी ओर खी चतार हए

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ल जातारी ह।

बाहोडी झाली नामीा घाली, राामीतार रामी अधतार ाय।

नामीा दगतार जजी जगतार, रग ामीन इछा काय।।१३।।

सलखया दपरयतारामी की बाह पकडकर न ामी ल जातारी हतारका बहतार स ा-पचो क साक राामीतार करतारी ह। न ामी अपन-अपन ामीन की इचछानसार अलग-अलग परकारस खलतारी ह।

एक दनरतार कर फरी फर, छक ाल तारा ताराय।

एक दए ठक ली सक, रतार उडाड पाय।।१४।।

सलखयो की एक जोडी नतयय करतारी हई चारो ओरगोलाई ामी घामीतारी ह। इसी परकार एक जोडी अपन परो सधिरतारी पर दशष रप स ठक तारी ह तारका रतार उडातारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एक घामी घामीरड कोइक ौड, चन गाय रसाल।

एक ललए ताराली दए ाली, साामी साामीी पडताराल।।१५।।

सलखयो की एक जोडी गोलाई ामी घामीतारी ह , तारो एकजोडी परामी क गीतार गातारी हई ौड लगातारी ह। एक जोडीआयामीन-साामीन होकर ताराली तारी ह तारका लतारी ह।

एक चढ न इछा गामी, ही च दहचोल डाल।

एक कोणाया रामी गाए गामी, परामीताराी दए गाल।।१६।।

एक सखी न ामी इचछानसार कषिो पर चतारी ह औरडाललयो स लटक कर झला झलतारी ह। एक जोडीकोहनी की राामीतार करतारी ह तारका साक ही साक परामी कामीधिर गीतार गातार हए ामीीठी गाललया भी तारी ह।

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एक फर फरी कर धिरी, बाहोडी कठ आयधिार।

एक फडी फर राामीतार कर, रग काय रसाल।।१७।।

सलखयो की एक जोडी एक-सर क कनधि पर हाकरखकर तारका गल ामी बाह डालकर चारो ओर घामीतारी रहतारीह। एक जोडी फडी की राामीतार करतारी ह, अकारतार एक-सर का हाक पकडकर ताकार घामीतारी ह। इस परकारचारो ओर परामी भरा आयननामीयी ातारारा बना रहतारा ह।

ामीोरललया नाच रग राच, सब कर टहकार।

ा रडा पाय ऊभा काय, ललए गलाटो सार।।१�।।

इस नान ामी ामीोर आयननायी नतयय कर रह ह, जोबहतार ही आयकषरक होतारा ह। ामीोर अधतार ामीीठ सरो ामी बोलरह ह। बनर अपन परो पर खड हो जातार ह और ामीनोहरगलादटया लगातार ह।

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दशष- हा ामी कलाबाजी खान को गलादटया लगानाकहतार ह।

पस पखी ास ामीन उलास, आयनदयो अपार।

न कलाभ लो आय, फलडा कर बहकार।।१९।।

रास ामीणडल क पीछ स पश-पकषिी सारी लीला ख रहह। उनक ामीन ामी लीला खन क ललय उलास भरा हआयह। अपार आयनन का अनभ कर रह ह। न ामी कषिोस लताराय ललपटी हई ह। सनर-सनर फलो स चारोओर ामीगधिकारी सगअसनधि फल रही ह।

चाललयो तारज जए हज, नीचो आयी दनरधिार।

जल जामीना ना ाधया घाा, आयघा न ह लगार।।२०।।

रास की ामीनोहाररतारा इतारनी अधधिक ह दक चनामीा भीपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 715715 / 814/ 814

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तारजी स नीच आयकर बहतार परामी स लीला को ख रहा ह।इसी ताररह रास लीला का आयनन लन क ललय यामीना जीका बहतारा हआय जल भी रक गया ह तारका कोडा भी नही बह रहा ह।

भााकर- योगामीाया क बरहमाणड का का-का चतारन हऔर बरहम सरप ह। इसललय चनामीा क नीच आयन तारकायामीना जी क जल क रक जान क समबनधि ामी सशय नही करना चादहए।

पडछा बाज भोामी दराज, पडताराल धिामीकार।

सघली सग उामीग अग, अजब रामी आयधिार।।२१।।

जब सलखया अपन परो स धिरतारी ामी ठक (ताराल) तारीह, तारो उसकी ामीधिर परधतारधदन सारी जगह सनायी तारीह। जीन क आयधिार शरी राज जी अग-अग ामी उामीग स

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भरी हई सभी सलखयो क साक अनपामी रास खल रह ह।

भखा बाज धिराी गाज, ान हो हो कार।

अामीतार ा ाय लहरो ललए नराय, अग उपजा करार।।२२।।

सलखयो क आयभषाो स दनकलन ाली ामीोहक धदनकी गज धिरतारी ामी सनायी पड रही ह। राामीतारो क ामीधय ामी"हो-हो" की भी आयकषरक आयाज सनायी रही ह।अामीतार क सामीान शीतारल ए सगअसनधितार ामीधिर झोको सकषिो की डाललया झामी रही ह। इस ामीनोहर शोभा कोखकर हय ामी अपार शाअसनतार छा जातारी ह।

एामी कटलीक भातार रदामीया खातार, राामीतार रग अपार।

कह इ ातारी एाी पर लीज, ालो सख ताराो जसरार।।२३।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी! इस परकारपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 717717 / 814/ 814

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रास ामीणडल ामी हामीन अनक परकार की राामीतारो क दारापरामी की चाहतार क साक लीला की। राामीतारो ामी हामीन अपारआयनन का अनभ दकया। परााशर अकषिरातारीतार तारोअननतार सख को न ाल ह। आयप भी परामी ामीागर दारा उससख को दपरयतारामी स पराप कीजजए।

भााकर- उपरोक चौपाई ामी सख लन का समबोधिनरास की सलखयो क ललय नही ह, बअसलक जागनी बरहमाणडामी आययी हई बरहमातयामीाओ क ललय ह , कयोदक रास कीसलखयो न तारो दपरयतारामी का सख ल ही ललया का। रासामीणडल ामी दपरयतारामी का ामीनोहर रप परतययकषि का, दकनतार इससामीय या तारो ामील दामीला ामी परतययकषितार: दराजामीान ह याअधतार सकामी रप स आयतयामीा क धिाामी हय ामी। इस सरपस ामीा परामीामीयी धचतारदन क दारा ही साकषिातयकार दकयाजा सकतारा ह और परामीधिाामी क अखणड सखो का

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रसासान दकया जा सकतारा ह।

परकरा ।।४०।। चौपाई ।।७�४।।

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राग ामीार

ऊभा न रहो र ाला ऊभा न रहो, हजी आययतार छ अधतार घाी।

राामीतार रामीाडो अामीन, उलट ज अामीताराी।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर परााशर ! आयप जरायही पर खड तारो रदहए। अभी ामीर ामीन ामी बहतार सी इचछायशष ह। आयपको उनह पार करना ही पडगा। हामीारी जो भीइचछा ह, उसक अनसार हामीार साक खल कीजजए।

अनक रग रामीाधडया, कटला लऊ तारना नाामी।

सखी सखी परतार जजा, सहना परा कीधिा ामीन काामी।।२।।

आयपन हामीार साक अनक परकार की आयननामीयी राामीतारकी ह। ामी उन राामीतारो ामी स दकतारनो क नाामी का ारनकर? आयपन एक-एक सखी क ललय अलग-अलग रप

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

धिारा कर लीला की ह और सभी की परामी की चाहतार कोपार दकया ह।

आय भोामीनो रग उजलो, काई तारज ताराो अबार।

सतारर भखा आयपना, स कह सरप जसागार।।३।।

दनतयय नान की इस भदामीका का रग अधतार उजल ह।चारो ओर नरामीयी तारज की अपार राणश दखायी पड रहीह। सब सलखयो क (अपन) सतरो, आयभषाो, समपारसरप (नख स णशख तारक), ए शरगार की शोभा काारन ामी कस कर? सभी कछ अननतार ह।

नहकलक ीस चालो, नही कलाताराो कोई पार।

उठ अलख दकरा, सह झलकारो झलकार।।४।।

इस ामीनोरामी चनामीा ामी दकसी भी ताररह का ाग (कलक)परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 721721 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नही ह। इसकी सनरतारा रपी कलाओ की तारो कोई सीामीाही नही ह। इसस दनकलन ाली अामीतारामीयी शीतारलदकरा चारो ओर झलकार कर रही ह।

भााकर- इस ससार का चनामीा जड ह। उसामी बड-बड गड ह, जो सयर क परकाश ामी धिबबो क रप ामीदखायी पडतार ह। इसक दपरीतार दनतयय नान काचनामीा चतारन सरप ह। ह सतारः श परकाश सरप ह,इसललय उसामी ाग-धिबबो का कोई अअससतारतय ही नही ह।यही कारा ह दक उस दनषकलक कहा गया ह।

अामीासया को चनामीा दखायी नही पडतारा। इसकपशातार शल पकषि की परकामीा स लकर पराामीा तारक सयर कापरकाश इसक कोड-कोड भाग पर कामीशः श बतारा जाताराह, जजसस उसका आयकार परधतारदन बडा दखायी ताराह। पराामीा को पार चनामीा दखायी तारा ह। इसक पशातार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कषा पकषि की परकामीा स चतार रशी तारक ह घटना परारमभहो जातारी ह। इस ही चनामीा की कलाओ का बना कहतारह। चनामीा की अननतार कलाओ स आयशय, उसक सयर सपरकाणशतार भाग स नही , बअसलक उसक सौनयर स ह।

न लधडयो छाइयो, रललयाामीाा फल कई रग।

ाय सीतारल रग परामील, काई अगड ाधयो उामीग।।५।।

नान क कषिो पर सनर लताराय छायी हई ह। उनामीअनक रगो क सनर-सनर फल लखल हए ह। शीतारल,ामीन, और सगअसनधितार हा बह रही ह, जजसस अग-अगामी परामी की उामीग ब रही ह।

ली रस नामीा छ घाो, ामीीठी पखीडानी ाा।

ए न ामीकाय नही , रडो असर ए परामीाा।।६।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पनः श न ामी पधकषियो की अधतार ामीीठी धदन गजार कर रहीह। इसस यह बहतार ही ामीनामीोहक लग रहा ह। इसनान को तारो दकसी भी अससकधतार ामी छोडा नही जासकतारा, कयोदक परामीामीयी लीला क ललय इसी ामी सनहराअसर पराप ह।

अनक दलास कीधिा नामीा, ामीली सहए एकातार।

ए सखनी ातारो सी कह, काई रदामीया अनक भातार।।७।।

इस नान क एकानतार ामी हामी सभी सलखयो न आयपकसाक अनक परकार की आयननामीयी लीलाय की ह। हामीनजजन अनक परकार की राामीतारो को खला ह, उनक असीामीसख का ारन ामी कस कर?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह एक ामीनोरक एह छ, आयपा रदामीए एाी रीतार।

बाक लीज बन बल करी, जोइए कोा हार कोा जीतार।।�।।

अब ामीर ामीन ामी कल एक ही इचछा बाकी ह। आयप उसअशय पार कीजजए। हामी ोनो इस परकार खल दक हामीआयतलगनबद होकर ोनो एक-सर को जोर स बाय।खना यह ह दक इसामी दकसकी हार होतारी ह औरदकसकी जीतार होतारी ह?

झलक झीाी रतारडी, नही काकरडी लगार।

काय रडी इहा राामीतार, आयपा रदामीए आयधिार।।९।।

ह दपरयतारामी! यहा पर बारीक और कोामील रतार झलकारकर रही ह। जरा भी ककड नही ह, इसललय यह राामीतारयहा पर बहतार ही अचछी होगी। हामी ोनो को यह खलअशय खलना चादहए।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सलखयो तारामी ऊभा रहो, ज होय तार कहजो।

बन लऊ अामी बाकडी, तारामी साख तार साची जो।।१०।।

ह सलखयो! तारामी सभी खडी रहकर यह खल खो। इसखल ामी जसा पररााामी आयय, सा ही कहना। हामी ोनो(शरी इनातारी जी और शरी राज जी) आयतलगनबद होतारह। तारामी सभी पररााामी की सचची साकषिी ना।

ोडी लीधिी कठ बाहोडी, बन करी हो हो कार।

सलखयो ामीनामीा आयनदयो, सख खी कयो करार।।११।।

परसननतारा क आयग ामी "हो-हो" की ामीधिर धदन करतारहए ोनो न एक-सर क गल ामी अपनी बाह डाल ी ।इस परामीामीयी लीला को खकर सलखया बहतार हीआयनअसनतार हो गयी । इस कीडा का सख खकर उनकहय ामी अपार शाअसनतार का अनभ हआय।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पर- "हो-हो" करतार हए गल ललपटना, कया ामीानीयलीला जसा परतारीतार नही होतारा? कया सधचचानन परबरहमभी ऐसा कर सकतार ह? कया इस ताररह की लीला स परामीकी शालीनतारा भग नही हो जातारी?

उतर- यह सतयय ह दक आयज का साामीानय य ा गरऐसा ही करतारा ह, दकनतार हामी यह धयान रखना चादहए दककल बरहम की अदतार भदामीका ामी होन ाली ामीहारास कीलीला शबातारीतार ह। उस इस नशर जगतार ामी गाह बनानहतार ामीानीय वयहारो क साच ामी ढाला गया ह। "हो-हो" करना दहनसतारानी भाषा का शब ह। कल बरहम कीशबातारीतार भदामीका ामी "हो-हो" शब का उचचारा ही नही हो सकतारा। यह तारो परसननतारा क आयग को शारन क ललयपरयक हआय ह।

सतारतारः श परामी की लीला दधधि और दनषधि (ामीयाराओ क

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पालन ए उलघन) स पर ह, कयोदक ह दगाातारीतारऔर शबातारीतार ह। दधधि और दनषधि का जसदानतार कलकालामीाया क बरहमाणड ामी ही परयक होतारा ह। ामीयारापरषोतामी राामी अपना शीश सीतारा जी क चरा ामी नही रख सकतार। इसी ताररह योगशर शरी कषा भी रअसकामीाी कचराो ामी अपना शीश नही रख सकतार , दकनतार रठी हईराधिा को ामीनान क ललय शरी कषा बारमबार अपना शीशराधिा जी क कामीो ामी रखतार ह।

परामी की ामीहाभा शा ामी राामी कषा परामीहस, चतारनयामीहापरभ, और रसखान आयद की दधच असका होजातारी की। एक साामीानय बददजीी उनह पागल ामीानसकतारा ह, दकनतार अधयातयामी क परामी तारत को जानन ालाउनह समामीान क ससहासन पर ही आयर (दराजामीान)करतारा ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परी जस असिय लोको क ामीनीषी जजस अकषिर बरहम कबार ामी नाामी ामीा भी ञान नही रखतार, उसी अकषिर बरहम नपरामी की लीला खन की इचछा की की। धिाामी धिनी नअकषिर बरहम को वरज ामी परामी की लीला दखायी, तारो रास ामीपरामी की लीला का दलास (परामीानन) दखाया। यदहामी ससार की दधधि-दनषधि की जजीर को तारोड करआयअसतयामीक परामी की ददषट स ख, तारो आयपलत का कोई परही नही उठतारा, कयोदक सलखया और शरी राज जी ो हही नही ।

जजस परकार सागर अपनी ही अपार जलराणश को लहरोामी परररतारतार करक दनरनतारर कीडा करतारा ह, उसी परकारपरबरहम अपनी अणभनन सरपा सलखयो क साक ामीहारासकी कीडा करतार ह। उस लौदकक ददषट स नही खा जासकतारा।

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चरा आयटी भज बधि ाली, कोई न नामी र अभग।

बाको ललए बन बल करी, रस चढतारो जाय रग।।१२।।

ोनो न अपन चराो स परी पर टक रखी ह तारकाएक-सर को भजाओ स बाधि रखा ह, अकारतारआयतलगनबद कर रखा ह। कोई भी झकन क ललय तारयारनही ह , बअसलक तारन हए ह। एक-सर को आयतलदगतारदकय हए, ोनो ही (शरी राज जी ए शरी इनातारी जी)बल लगा रह ह। इस परकार परामी क रस स भरी इसलीला का आयनन बतारा ही जा रहा ह।

ालो लाका ान, नीचा नामीावया चरा।

हो हो ालाजी हाररया, हसी हसी पड सह धिरा।।१३।।

शरी इनातारी जी को चकामीा न (ा-पच स उलझनामी डालन, चकर) क ललय जस ही शरी राज जी अपन पर

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

को कोडा सा झकातार ह, तारो सभी सलखया हो-हो करककोलाहल करन लगतारी ह दक धिनी हार गय-हार गय। हसतार-हसतार धिरतारी पर दगर जातारी ह।

सलखयो कह अामी जीधतारयो, सख उपन आयसाधिार।

ताराली ई ई हरलखयो, लडकड पड सह नार।।१४।।

सलखया कहतारी ह दक हामी जीतार गयी । उनक हय ामीअपार आयनन छा जातारा ह। ताराली बजा-बजाकरहरषतार हो रही ह तारका लडखडा कर धिरतारी पर दगर रहीह।

अाची का करो र सलखयो, ह जाा छ तारामीार जोर।

जीतयया दना एडी उलट, का करो एडो सोर।।१५।।

यह खकर शरी राज जी कहतार ह- ह सलखयो! तारामी इसपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 731731 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

परकार अनयाय कयो कर रही हो? ामी तारमहारी शदक कोअचछी ताररह स जानतारा ह। दबना जीतार ही अधतार उामीग ामीभरकर तारामी इतारना कोलाहल कयो कर रही हो?

हारया हारया अामीन का कहो, आयो लीज बीजी बाक।

ज हारस तार हामीाा जोस, तारामी साची कहजो सह साक।।१६।।

ामीझ बारमबार हारा हआय (हार गय, हार गय) कयो कहरही हो? आयओ, सरी बार आयतलगन करक यह राामीतारखल। जो भी हारगा, उसका दनारय अभी हो जायगा(ख ललया जायगा)। ह सलखयो! तारामी हारन-जीतारन कसमबनधि ामी सचची साकषिी ना।

आयो ली बाको बीजी लीजजए, एक पठीन अनक।

हामीाा हरा तारामीन, ली हसा सक।।१७।।

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शरी राज जी कहतार ह- ह इनातारी! आयओ, हामी पनः शगल ललपटकर इस राामीतार को एक बार नही , बअसलक अनकबार खल। ामी अभी तारमह हराकर सलखयो को पनः श दशषरप स हसाऊगा।

कह इ ातारी ह बलतारी, साजो सलखयो ातार।

नहच तारामीन ऊच जोरा, ली राामीतार कर अियातार।।१�।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो ! ामीरी बातारसनो। ामी बहतार अधधिक बलशाललनी ह। दनधशतार रप सदपरयतारामी को जीतारकर ही तारमह दखाऊगी। अब ामी पनः शएक अीतार राामीतार खलगी।

परकरा ।।४१।। चौपाई ।।�०२।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

छननी चाल

षटवय- साामीानयतारः श यह ामीाना जातारा ह दक रास गनक कपर. ४२ ए पर. ४३ का दशष पठन-पाठन उधचतार नही ह, कयोदक इसस अशलीलतारा फलतारी ह। पर यह ह दकयद शरीामीखााी क शबो ामी ही दकसी को अशलीलतारा कीगनधि आयन लग, तारो ह सधचचानन परबरहम की ााीकस कहलायगी? अकषिरातारीतार परबरहम क ामीख स दनकलाहआय एक-एक शब न तारो अशलील ह और न दनरकरक।आयशयका ह, कल शद ामीनोभाो स यक होकर ,उसामी दनदहतार आयशय को सामीझन की।

इस ामीायाी जगतार ामी भी ऐसा खा जातारा ह दक दपताराअपनी नयौना पी को ससराल क ललय दा करतारसामीय गल लगातारा ह। भाई-बहन भी रकषिा बनधिन आयदतययोहारो ामी गल दामीलतार ह। ामीा भी अपन य ा प का

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयतलगन करतारी ह तारका छोट बचचो को सभी चमबन तारह। जब इन लौदकक वयहारो ामी कोई नाामी ामीा क ललयभी काामी जदनतार दकार की कलपना नही करतारा, तारो रासगनक ामी रातार परबरहम की लीला क परधतार काामी दकारो कआयरोप की ओछी ामीानजसकतारा कयो पाली जातारी ह?

धिामीर गनको ामी कहा गया ह दक "काामीसय बीज सकलपः शसकलपा जायतार", अकारतार काामी का कारा सकलप ह।ामीन ामी काामी क सकलप स ही काामी दकार की उतयपलतहोतारी ह। रजोगा स यक ससकारो क कारा, ामीन ामी होनाल काामी जदनतार सकलपो स ही काामी दकार उतयपननहोतारा ह। जब बह ामीणडल ामी सतय, रज, तारामी ह ही नही ,तारो हा की बरहमलीला ामी काामी दकार की कलपना करनाशशक क सी ग, आयकाश क फल, तारका नधया सतरी कप क दाह की ामीानयतारा क सामीान दामीरया ह।

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कया अकषिरातारीतार की लीला की पदतारा भाई-बहन,दपतारा-पी, ए ामीा-प की लौदकक लीला की पदतारास भी दनमन ह। सतारतारः श ामीा-प, भाई-बहन, एदपतारा-पी क पद आयतलगन तारका ामीाका चमबन आयदामी जो पदतारा होतारी ह, उसस भी करोडो गना अधधिकपदतारा ामीहारास की लीला ामी ह।

ामीहारास की लीला को यहा क शबो ामी शारन हतारआयतलगन तारका चमबन आयद लौदकक शबो का परयोगकरना पडा ह। ामीहारास की लीला क परधतार काामी दकारकी कलपना भी एक ामीानजसक पाप ह। इस कालामीाया कबरहमाणड ामी उस ामीहारास की लीला ामीानीय धिरातारल परसमभ नही ह। दपरयतारामी अकषिरातारीतार की छछाया ामी इनोनो परकराो का गह (बाधतारनी) अकर यहा परसतारतार दकयाजा रहा ह-

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एा सामी राामीतार गामी, ालो दलसी ललए सोसी।

अधिरी ामीधिरी, अामीतार घट, छोल छट, ललए लट।।१।।

इस सामीय होन ाली राामीतार ामी दपरयतारामी न अपनीआयननामीयी लीला स सब सलखयो क हय की तारपन कोसामीाप कर दया। उनहोन उनक ामीधिर अधिराामीतार का पानदकया, जजसस हय ामी आयनन की लहर उठन लगी ।

लक बक, हक सक, अग सग, रग बग चग, चोली चकी,

भाजी भसी, हासी सासी, जााी पााी, नाी ामीााी,

ााी, रहोजी होजी, ामीाजी काजी, भाख जाख,

रग राख, सामीार जसागार जी।।२।।

अलौदकक परामी क आयश ामी शरी इनातारी जी और शरीराज जी परसपर आयतलगनबद हो गय , जजसस उनकअग-परतययग दामील गय और आयनन का रस परादहतार होन

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लगा। अपलक नो स परादहतार अकाह परामी क काराउनह अपन शरीर की भी सधधि नही रही। पररााामीसरपसय क अअससतारतय का भान करान ाली "ामी" रपी चोलीनषट हो गयी। ामीधिर हासय न उस आयनन ामी और धदकर ी, जजसका ारन करन ामी ााी स रका ही असामीकरह। ामी यह सामीझ ही नही पा रही ह दक पहल ामी अपनआयनन को समभाल या अपन शरगार को।

ली सख, राख रख, लऊ लख, जोऊ जोख,

परामी पख, घसी ामीसी, आयी रसी, हसी खसी सी,

भीसी रीसी खीसी, जरडी ामीरडी, करडी खरडी।।३।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर पराा दपरयतारामी ! उसबरहमानन को धिारा करन क ललय आयपन ामीझ अपनासमबल परान दकया। ामी आयपक परामी को पाकर और

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

आयपको जी भर दनहारकर सय को सौभागयशाललनीामीानतारी ह। आयपक दारा की जान ाली पनीतार परामी कीसभी लीलाय, जस- ढकलना, ामी भरी ामीोहक चाल सआयना, ामी ामीसकान स हसना, कदामी उपकषिा शारन कललय लखसकना, पनः श परामी पररशतार करन क ललय पासआय जाना, हास-पररहास ामी हाक आयद अगो को बानाऔर जोर स खी चना, हाको को ऐठना, ातारो स अगलीआयद को चबाना अलौदकक ह और अखणड आयनन करस स भरपर ह। ामीर परााशर! ामी आयपको दनरनताररअपलक नो स खतारी ही रहना चाहतारी ह।

खडी खाडी, छाडी ामीाडी, ामीली भली, भामीी चामीी, गालीलाली, लोपी चापी, लाजी भाजी, ाझी काढी, आयजी हाजी,जीतारी जोप, रडी रीतार, उठी इ ातारी आय ार जी।।४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अपन पराालभ क अखणड परामी स भरपर हय ालीतारका उस परी ताररह न समभाल पान की अससकधतार ामीणशणकलतारा का अनभ करन ाली शरी इनातारी जी नसामीपरा की पराकाषा को पराप कर ललया , जजसकफलसरप उनक ामीख पर बरहमानन की लाली छा गयी।उस असका ामी सय क अअससतारतय का भान न होन स शरीइनातारी जी न अपन हय क परामी की ाझ को दामीटाललया और अधतार परसनन ामीा ामी अगली राामीतार क ललयधिनी को हा की सीकधतार भी ी।

परकरा ।।४२।। चौपाई ।।�०६।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग धिना छ

छल छछरीन लीधिी बाक जगतार, राामीतार कीधिी अधतार रग जी।

सयाामी सनरी बन सरखी जोड, जाणाए एक अग जी।।१।।

अतययधधिक ामीोहक सरप ाल शरी राज जी न शरीइनातारी जी का बडी यदक क साक आयतलगन दकयाऔर बहतार ही आयननायक राामीतार की। शरी राज जी तारकाशरी इनातारी जी की जोडी एक ही अग होन स सामीानरप स सनर ह।

भााकर- सनरी शब का परयोग उपरोक चौपाई ामीशयाामीा जी क ललय नही , बअसलक शरी इनातारी जी क ललयदकया गया ह। इसी परकार अनय कई उाहराो ामीसलखयो को सनरी कहा गया ह, जस-

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पछ एक ालो एक सनरी, एामी रामी रग रस भरी।

रास ३४/५

सा सनरी एक ातार कह खरी, ए तार एामी कामी काय र।

रास ३७/४

सो रस बज की सनरी, पायो सगामी।

सो सहज घर आयइया, जो कह अगामी।।

पर. दह. ३१/११

परामीधिाामी की ाहतार (एकतय) ामी सभी सामीान ह ,इसललय उपरोक चौपाई ामी शरी इनातारी जी को शयाामीाजी की ताररह ही शरी राज जी क सामीान कहा गया ह।

ली राामीतार ामीाडी एक जगतार, जाणाए सघली अभग जी।

राामीतार करतारा आयतलघा लतारा, लटक दए चामीन जी।।२।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पनः श उनहोन ऐसी राामीतार की, जजसामी उनक सभी अगएकरप परतारीतार होन लग। राामीतार करतार हए शरी राज जी नशरी इनातारी जी का आयतलगन करक चमबन दया।

रामीतारा भीड कठा कचसो, छबकस रग लतार जी।

अामीतार दपए ालोजी रामीतारा, अधिर इ ातारी तार जी।।३।।

राामीतार करतार हए, शरी इनातारी जी ामी परामी की अदगनबातार हए, दपरयतारामी आयनन लतार ह। शरी इनातारी जीदपरयतारामी को अपन अधिराामीतार का पान करातारी ह।

अधिर लई ामीख ामीाह ामीार ाल, आययतार कीधिी अपार जी।

भखा उठा उठा अगो अग, रहो रहो सामीरक सार आयधिार जी।।४।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर स रसामीकर पराालभ!ामीर अनर यह अपार चाहना की दक आयप अपन ामीख स

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीर अधिराामीतार का पान कर, इसललय आयपन ऐसा दकया।आयप हामीार साक ऐसी ही अलौदकक परामी लीला करताररदहए। आयपकी इस लीला ामी तारो अग-अग पर सशोणभतारआयभषा भी आयनन ामी णकरकन लग ह।

रमया रमया ामीारा ामीारा ाला ाला, पाछी पाछी राामीतार कोय न रही।

ह न ह आयधिार, आययतार परा कई।।५।।

ामीर जीन क आयधिार, पराा दपरयतारामी! आयपक साकलीला करन ामी कोई भी सखी पीछ नही रही ह। आयपनहामी सबकी परामी भरी चाहना पार की ह।

सामी सामी ऊ ऊ सयाामी सयाामी, साो साो, ामीामी ामीामी भीडो एाी भातार जी।

बोली बोली न न सक बललया र बललया, परी परी ामीारी ामीारी खातार जी।।६।।

ामीर स रसामीकर पराालभ ! ामी आयपको सौगनधि करपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 744744 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कहतारी ह दक आयप ामीझ अपन आयतलगन रपी परामी काउपहार इतारना अधधिक ामीतार ीजजए, कयोदक आयपक परामीरपी सागर ामी डब जान क पशातार अब ामीर अनर बोलनका साामीरयर भी नही रहा ह। आयपन परामी की ामीरी समपारइचछा को पार कर दया ह।

ई ई सामी सामी काकी काकी तारामीन, का का करो भीडा भीड जी।

आययतार आययतार आय र अगो अग, तययार न खो पीड जी।।७।।

ामी आयपको सौगनधि कर कक गयी ह , तारो भी आयपजबरन ामीझ अपन परामी सागर ामी डबोतार ही जा रह ह। ामीरअग-अग की परामी की चाहतार अब पार हो चकी ह, दफरभी आयपक परामी को न समभाल पान की ामीरी वयका परआयप धयान नही रह ह (नजरअाज कर रह ह)।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीन ामीन ामीनोरक परया परया ाला ाला, ली ली लाग पाय जी।

कही कही पर पर कह कह तारामीन, सास सास हड ामीझाय जी।।�।।

ामीर दपरयतारामी! ामीर ामीन क सभी ामीनोरक पार हो गय ह। ामीबारमबार आयपक चराो ामी परााामी करतारी ह। ामी आयपसकस कह दक आयपक परामी ामी पररतारप होन स ामीर हय कीसास भी रकन लगी ह, अकारतार इस शबातारीतार परामी औरआयनन को वयक करन ामी ामी स रका असामीकर ह।

कर कर जोडी जोडी कह कह ाला ाला, ली ली ामीानज ामीाग जी।

ामीलो ामीलो ामीखकी ातार कह, नामीी नामीी चरा लागजी।।९।।

ामीर धिाामी धिनी! ामी आयपक चराो ामी बारमबार परााामी करतारहए हाक जोड कर यही ामीागतारी ह दक ामी आयपक न सन दामीलाकर इसी ताररह बातार करतारी रह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जी अामीन आययतार हतारी, तारामी तारा रामीाडा रग जी।

साक सकलामीा एामी सख ीधिा, इ ातारी पाामीी आयनन जी।।१०।।

ामीर परााधिन! आयपन हामीारी इचछा क अनकलअलौदकक परामी क आयनन ामी डबोया और सामीसतारसलखयो सदहतार ामीझ इनातारी को अपना अखणड आयननदया।

परकरा ।।४३।। चौपाई ।।�१६।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग ामीलार

सखी सखी परतार सयाामी, ालजीए ह धिरया।

काई लभस आय ार, आयनन अधतार कयार।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक दपरयतारामी न एक -एकसखी क ललय अलग-अलग तारन धिारा दकया। इसपरकार हामीन अपन परााशर क साक बहतार ही आयननामीयीलीला की।

ामीारा परा ामीनोरक जह, कया रस ामीली।

काई रही नही ललस, ालाजीस रग रली।।२।।

ामीर ामीन ामी परामी की जो भी चाहना की, ह पार हई। ामीअपन दपरयतारामी स दामीलकर इस परकार आयनन ामी डब गयीदक उसामी दकसी भी परकार की कामीी नही रही।

परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 748748 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

अामी जामी कह ाल तारामी, कीधिी राामीतार घाी।

हाामी हतारी हडा ामीाह, ाल टाली अामीताराी।।३।।

हामीन जसा भी कहा, दपरयतारामी न सा ही खल खलाया।हामीार हय ामी जजस परकार की भी इचछा की, धिाामी धिनीन उस पार दकया।

एा सामी ज सख, कया ज साकामीा।

का जाा लभ, का जाा ामीारी आयतारामीा।।४।।

इस सामीय सभी सलखयो को जो सख पराप हआय, उसया तारो ामीा शरी राज जी ही जानतार ह या हामीारी आयतयामीाजानतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जहना ामीनामीा जह, उछाह हतारा घाा।

सख ीधिा तारहन तारह, पार नही तारहताराा।।५।।

जजसक ामीन ामी परामी लीला करन का जजतारना अधधिकउतयसाह का, परााशर न उसक साक उसी क अनसारलीला करक सख दया, जजसकी कोई सीामीा ही नही ह।

एामी राामीतार कीधिी न ामीाह, रामीीन आयदया।

ए सख आय न ामीाह, भला भामीाधडया।।६।।

इस परकार दनतयय नान ामी राामीतार करक हामी यामीना जीक दकनार आयय। दपरयतारामी न हामी इस न ामी अचछी ताररहखलाकर अपार सख दया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कह इ ातारी साक, एाी ातारो जटली।

न कहाय कोटामीो भाग, ामीार अग एटली।।७।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी! दपरयतारामी कपरामी और आयनन की जो भी बातार ामीर हय ामी बसी हईह, उसक करोड भाग का भी ारन हो पाना समभनही ह।

परकरा ।।४४।। चौपाई ।।�२३।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग गोडी - झीलाा

इस परकरा ामी यामीना जी क अनर होन ाली जलकीडा का अधतार सनर ारन ह।

अाी हार झीला रग सोहाामीाा र, आयपा झीलस ालाजीन साक।

राामीतार रामीीन सह आयदया, काई परा कयो रग रास।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह सलखयो! यामीना जी ामीजल कीडा करन का आयनन बहतार ही ामीनोरामी ह। अबहामी अपन दपरयतारामी क साक जल ामी सनान करगी। इससामीय रास की लीला पार हो चकी ह, इसललय हामी सभीजल ामी राामीतार करन क ललय यहा पर आययी हई ह।

शरी राज कह सयाामीाजी साो, काई तारामीारा ामीनामीा जह।

साक सहन ामीनोरक, काई रहो छ एक एह।।२।।परकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 752752 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी राज जी कहतार ह दक ह शयाामीा जी! ामीरी बातार सनो!तारमहार तारका सभी सलखयो क ामीन ामी जो भी इचछाय की , सभी तारो पार हो गयी , दकनतार अभी भी एक इचछा शषह, जजस पार करन क ललय यह आयशयक ह दक।

अग उामीग उपाइन, भला नादहए तार भली भातार।

झीलाा कीज ामीन गामीतारा, खरी पर तारामीारी खातार।।३।।

तारामी सभी अपन अग-अग ामी उामीग भरकर ामीर साकअचछी परकार जल कीडा (सनान) करो। तारमह अपनीइचछानसार जी भरकर सनान करना ह। इस परकार ामीतारमहारी इचछा को पार कर सकतारा ह।

लधडए कसामी परामील, काई न झल ाए।

फल रस चढा कई भातारना, भोामी सोभा ाधितारी जाए।।४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामीनोहर लताराओ तारका सगअसनधितार फलो स ससलजतार इसनान क कषिो की डाललया हा क झोको स झामी रहीह। इस न ामी अनक रसो (ामीीठ, खटट, कड, आयद) कफल ददषटगोचर हो रह ह। इस परकार, इस भदामीका कीशोभा दलकषिा ह।

जल उछल उछरगामीा, लहरधडयो लहर ताररग।

पस पखीना सब सहाामीाा, काई उलट पसरयो अग।।५।।

यामीना जी का अधतार उजल जल अतययधधिक उतयसाह ामीउछल रहा ह। ताररगो क रप ामी लहरो पर लहर आयतारी हईदखायी रही ह। इसकी दकनार पर पश-पधकषियो कामीधिर शब सनायी पड रह ह। इस अनपामी शोभा कोखकर सबक अग-अग ामी उामीग भर गयी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

साक ामीलीन भलो कयो, आयवयो तार आयनन ामीाह।

अामी सलखयो ट ऊपर, ालाजीनी गही बाह।।६।।

हामी सभी सलखयो क अनर जल कीडा करन क ललयआयनन छाया हआय का। सभी एकदतार होकर यामीना जीक दकनार आययी और हामीन परामीप रक दपरयतारामी की बाहोको पकड ललया।

ागा धिारीन काठ ामीदकया, काई सतारर पहरया झीला।

सखी एक बीजीन आयननामीा, जल ामीाह लागी ठला।।७।।

सभी न अपन सतरो को उतारार कर दकनार पर रख दयाऔर सनान करन क कछ सतर पहन ललय। यामीना जी कजल ामी सलखयो न अधतार आयननप रक एक -सर कोधिकलना परारमभ कर दया।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ट जोईन जलामीा साचरया, साक ालो सयाामीाजी सग।

पररयााीन कया सह जजा, जल ामीाह कीज आयन ।।�।।

शरी राज शयाामीा जी क साक सलखयो न यामीना जी कामीनोरामी दकनार को खकर जल ामी परश दकया। जल ामीआयननामीयी कीडा करन का दचार करक सभी अलग-अलग ग ामी बट गय।

एकीगामीा साक सयाामीाजी, काई बीजी गामीा पराानाक।

कीडा कीजजए जलामीा, दलजसए ालाजीन साक।।९।।

जल कीडा करन क ललय एक ओर सलखया और शयाामीाजी, तारका सरी ओर दपरयतारामी पराानाक। शरी इनातारीजी सब सलखयो को समबोधधितार करतारी हई कहतारी ह दकअब हामी दपरयतारामी क साक जल कीडा करतार हए आयननलना ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

जल उछाल उछरगस, सह ालाजीन छाट।

ालोजी छाट एाी दधिस, तययार स र नासधतारयो काठ।।१०।।

सभी सलखया उतयसाह ामी भरकर दपरयतारामी क ऊपर जलउछालतारी ह। शरी राज जी उनक ऊपर इस परकार जलउछालतार ह दक सभी सलखया भागकर दकनार पर आयजातारी ह।

ली साामीी काय सलखयो, जल छाटधतारयो छोल।

ालोजी उछाल जल जोरस, तययार नासधतारयो टोल।।११।।

सलखया पनः श साामीन आयकर लहरो की ताररह जल कोजोर स उछालतारी ह। जब धिाामी धिनी अधतार जोर स जलको उछालतार ह, तारो सलखया टोली-टोली ामी होकरभागतारी ह।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ली आयधतारयो उामीगस, ालो ीटो तार चार गामी।

सझ नही काई जल आयड, आयख आयी गयो छ तारामी।।१२।।

सलखया उामीग ामी भरकर पनः श आयतारी ह तारका दपरयतारामीअकषिरातारीतार को चारो ओर स घर लतारी ह। उछाल गयजल की अधधिकतारा क कारा सबकी आयखो क आयगअनधिरा छा जातारा ह और दकसी को कछ भी दखायीनही तारा।

शका- एक-सर क ऊपर जल उछालन की कीडा यातारो दकशोरासका क बचच दकया करतार ह, या पहल राजघरान ए समपनन गर क लोग अपनी परयजसयो क साकदकया करतार क। इस बरहम लीला कस कहा जा सकतारा ह?

सामीाधिान- कालामीाया क बरहमाणड की समपार कीडायसतय, रज, और तारामी क धिरातारल पर ही होतारी ह। छोटीआयय या दकशोरासका क बचच जब जल ामी कीडा करतार

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ह, तारो उसामी सतय ए रज का दशष परभा होतारा ह। इसपरकार की कीडा ामी बालपन का दनशछल सनह भरा होताराह। इसी परकार प रकाल ामी राज घरान या समपनन गर सजड हए लोग जब अनक लसतरयो क साक जल कीडाकरतार क, तारो काामी दकार की भाना स करतार क। उनकायह वयहार रज और तारामी की ामीानजसकतारा स पार का।

दकनतार योगामीाया क बरहमाणड ामी होन ाली जल कीडादशद परामी पर आयधिाररतार ह। यह दगाातारीतार औरशबातारीतार ह। सतारतारः श अकषिरातारीतार का हय परामी कीामीाधियरतारा का अननतार सागर ह। ह लीला रप ामी अपनीअणभनन सरपा सलखयो क साक आयखो , ााी, अकातयग इअसनय आयद क ामीाधयामी स परकट हो जातारा ह। शरीराज जी क बोलन, परामी भरी ददषट स खन , अकासलखयो को आयतलगन करन की लीला को सासाररक ददषट

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स नही खना चादहए।

उपरोक सभी दकयाओ ामी अकषिरातारीतार क हय का परामीरस ही परादहतार होतारा ह। इसललय इस बरहम लीला कहतारह। अनयका, यही कायर कोई ामीनषय कर तारो ह काामीदकार की शराी ामी आय जायगा , कयोदक एक साामीानयामीान सतय, रज और तारामी क बनधिन स पर नही होसकतारा। उाहरााकर- वरज लीला ामी शरी राज जी न गायोए बछडो को चराया, आयज लाखो बालक इस कायर कोकरतार ह, दकनतार उस बरहम लीला नही बअसलक एक साामीानयामीानीय कायर ामीाना जातारा ह।

यद यह कहा जाय दक अकषिरातारीतार परबरहम की अननतारगररामीा ह और उनक ललय जल कीडा उपयक नही , तारोइसका सामीाधिान यह ह दक परामी क शीभतार होकर योगशरशरी कषा अजरन क रक क सारकी बनतार ह, तारका ामीयारा

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परषोतामी राामी सीतारा क दयोग ामी पश-पधकषियो तारक ससीतारा का पतारा पछतार-पछतार न-न भटकतार दफरतार ह।

सकषिप ामी यही कहा जा सकतारा ह दक दगाातारीतार परामी ामीदधधि और दनषधि की ामीयारा नही होतारी। इस तारो सय कीगररामीा और पञभतारातयामीक अअससतारतय को दामीटाकर ही कछसामीझा जा सकतारा ह। तारभी तारो योगशर शरी कषा भीअपन दामी साामीा क धिल भर परो को अपन आयसओ सधिो तार ह। वरज लीला ामी शरी कषा जी का गाल-बालकोक साक ामीोहक बाल सलभ लीलाय करना तारका राधिा जीको परसनन करन क ललय चराो तारक ामी झक जाना , सबकछ कह तारा ह। परामी तारत को सामीझन क ललय शषकञान की पोटली को हटाकर दनशछल ए कोामील हयकी आयशयकतारा होतारी ह।

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एा सामी ह ज कय, बाई इ ातारीन काामी।

दधि दधि दलसी रस, भाजी हडानी हाामी।।१३।।

इस सामीय होन ाली जल कीडा ामी शरी इनातारी जी नअपन परााशर क साक अनक परकार की आयननामीयीलीलाय की तारका अपन हय की इचछा पार की।

एामी जल कीडा करी, पछ नाहा तार दपउजी।

घाा रस लीधिा अग चोलतारा, ालयान दलसी।।१४।।

इस परकार यामीना जी क जल ामी कीडा करन क पशातारशरी राज जी न सनान दकया। सलखयो न अपन धिाामी धिनीक अग-अग को ामील-ामीलकर नहलान का आयननललया।

भााकर- योगामीाया क नरी तारनो ामी ामील नही होतारी। ामीालीला रप ामी ऐसा ारन दकया गया ह।

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सयाामीाजीन नरादया, पर पर तार घाी परीतार।

साक सह एाी दधि, काई नाहो छ रडी रीतार।।१५।।

इसी परकार, सलखयो न शयाामीा जी को भी बहतारपरामीप रक ताररह-ताररह स सनान कराया। इसी परकार सभीसलखयो न बहतार अचछी परकार स सनान दकया।

सरबाई इ ातारी, काई रतयनातारी सग।

लालबाई पहल दनसरया, जसागार कीधिा सरा अग।।१६।।

सनरबाई, इनातारी, रतयनातारी, तारका लालबाई यामीनाजी क जल स स रपरकामी बाहर दनकली , तारतयपशातार उनहोनअपन सभी अगो का शरगार दकया।

भााकर- रास ामी सनरबाई और शयाामीा जी ो ह ,दकनतार समपार तारारतारामी ााी ामी परामीधिाामी ामी शयाामीा जी कोही सनरबाई कहा गया ह। इसी कारा शयाामीा जी की

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अगरपा सलखयो को सनरसाक कहतार ह। इस समबनधिामी पर. दह. ३७/६६ ामी सपषट कहा गया ह दक "याामी सरतारआयई सयाामीा जी की सार, ामीतार ामीहतारा घर अतारार।"पराा सदहतारा ३४/४३ क ककन "सादामीनी ासनासाकषिाादषटा सनरी ामीनः श" अकारतार "शयाामीा जी की हीसरतारा सनरबाई क अनर परदषट हो गयी" को पराामीाणाकनही ामीाना जा सकतारा। तारारतारामी ााी का ककन अअसनतारामीसतयय ह। बी. सा. ६/३० ामी भी सय शरी राज जी शरीचन जी (शयाामीा जी) स कहतार ह- "नाामी तारमहाराबाई सनर, खल तारामी वरज रास ामी।"

सतारर भखा सयाामीाजीन, पहरावया भली भातार।

अधिीच आयीन ालए, ा गकी करी खातार।।१७।।

इन चारो सलखयो न शयाामीा जी को सतर -आयभषा

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अचछी परकार स पहनाय। इसी बीच दपरयतारामी न आयकरबहतार परामी भरी चाहतार क साक उनक बालो की चोटीगकी।

भााकर- शरी राज जी क दारा शयाामीा जी क बालो कीचोटी गकन को लौदकक समबनधिो की ददषट स नही खनाचादहए। सलीला अदतार परामीधिाामी का एक-एक काअकषिरातारीतार का ही सरप ह। इस समबनधि स शरी राज जीऔर शयाामीा जी एक ही सरप ह। इनामी रच ामीा भी भनही दकया जा सकतारा। सागर ६/३ ामी कहा गया ह-

"अनतारर पट खोल लखए, ोऊ आयतार एक नजर।"

जसागार स र सजी करी, सयाामीाजी घा सोह।

रपा लईन हाकामीा, ामीन ालान ामीोह।।१�।।

इस परकार, समपार शरगार स ससलजतार होकर शयाामीा जी

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बहतार अधधिक शोभायामीान होन लगतारी ह। जब हाक ामीपरा लकर अपना अधतार सनर ामीखारदन खतारी ह, तारो इतारनी अनपामी छद ाली दखायी तारी ह दक उनहखकर शरी राज जी का ामीन ामीगधि हो जातारा ह।

आयसबाई कामीलातारी, काई फलबाई ामीलया।

चपातारी चार ामीली, जसागार कीधिा भला।।१९।।

इसक पशातार आयशबाई, कामीलातारी, फलबाई, औरचमपातारी, इन चारो सलखयो न दामीलकर एकसाक अपनाशरगार दकया।

चार सखी ामीली शरीराजन, करावया जसागार।

सतारर भखा दधिोगतार, काई सोभया तार पराा आयधिार।।२०।।

इन चार सलखयो न दामीलकर शरी राज जी का शरगारपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 766766 / 814/ 814

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कराया। अधतार सनर सतरो ए आयभषाो स ससलजतारहोकर दपरयतारामी की अनपामी शोभा दखायी रही ह।

एक बीजीन करादया, जसागार तार स र एामी।

धचतारड ईन ामी जोइय, काई साकनो अतारतार परामी।।२१।।

इस परकार, सभी सलखयो न एक -सर का शरगारकराया। शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीन इस लीला ामीसनरसाक (सलखयो) क अनर ददामीान अननतार परामी कोबहतार अचछी ताररह स (धयानप रक) खा।

परस सतारर साकना, नाहा सामी उतारारया जह।

शरीराज बठा तारह ऊपर, तारामी परामी तार जो जो एह।।२२।।

सनान करन स प र, सलखयो न पसीन स यक अपन जोसतर उतारार क, शरी राज जी उनही क ऊपर बठ गय। ह

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

साक जी! धिाामी धिनी का यह अनपामी परामी तारो लखय।

भााकर- कल बरहम की चतारन भदामीका ामी सयर कीउषातारा नही ह, इसललय हा पसीन का अअससतारतय नही हो सकतारा। उपरोक चौपाई ामी पसीन (स) का ारनयहा क भाो क अनसार दकया गया ह। कल बरहम तारकापरामीधिाामी की लीला शबातारीतार ह। उस नशर जगतार ामीवयक करन क ललय यहा क भाो का आयधिार लना पडताराह। पानो का बीडा आयद गहा करना तारका भोजन करनाभी इसी क अनतारगरतार आयतारा ह।

जामीनाजी न काठड, काई ामीलीनी छाह।

साक सह ामीलीन साामीटो, काई आयवयो तार आयन ामीाह।।२३।।

यामीना जी क दकनार कषिो तारका लताराओ की ामीनोहरछाया की। ही पर आयनन ामी भरी हई सभी सलखया

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

एकदतार हई।

बठा ामीली आयरोगा, काई सोणभतार जजी पातार।

सो सखी सो इ ातारी, कया परीसन भली भातार।।२४।।

इसक पशातार भोजन करन क ललय सभी सलखयाअलग-अलग पदकयो ामी बठ गयी । शरी इनातारी जी, सौसलखयो क साक, दधधितार भोजन परोसन क ललय तारयारहो गयी ।

परकरा ।।४५।। चौपाई ।।�४७।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

राग राडी - भोग

इस परकरा ामी भोजन लीला का ामीनोरामी धचा दकयागया ह।

फरतारा फर बाजोदटया, रग पाकी पराली।

काबी पडगी ज कागरी, जाा रदहए दनहाली।।१।।

पहलार ए गोल आयकधतार ाली एक चौकी ह , जोपराल क सामीान पक लाल रग की ह। उसक पायो कीदकनार पर कागरी की इतारनी सनर शोभा आययी ह दकउस स रा ही खतार रहन की इचछा होतारी ह।

चार गामीा ालया चाकला, बठा ाली पलाठी।

सोभा ामीारा ालाजीनी सी कह, ज आयतारामीाए ीठी।।२।।

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चौकी क चारो ओर अधतार सनर चाकला दबछाया हआयह, जजस पर पालकी ामीार कर दपरयतारामी बठ हए ह। ामीरीआयतयामीा न अपन परााशर अकषिरातारीतार की जजस अनपामीशोभा को खा ह, उस ामी यकाकर रप ामी दकस परकाररातार कर?

शरीठकरााीजी शरीराजसो, भला बस साय।

आयसबाई सरबाई, बठा एाी अाय।।३।।

शरी शयाामीा जी शरी राज जी क पास तारो सा ही बठतारीह। इसी परकार आयशबाई और सनरबाई भी उसी भानास बठी ह।

भााकर- उसी अा (भाना) स बठन का आयशय यहह दक आयशबाई ए सनरबाई भी सय को शयाामीा जी कीताररह ही अकषिरातारीतार की दपरयतारामीा ामीानतारी ह। यही भाना

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

सभी सलखयो ामी ह।

हाक पखालया पाामीा, जजी जगतार।

पास साक बठो ामीली, सह कोय एाी दगतार।।४।।

एक पा ामी दशष यदक स यगल सरप क हाकधिलाय गय। पास ामी जो सलखया शरी आयशबाई एसनरबाई की , उनहोन भी उसी पा ामी अपन हाक धिोय।

ऊपर न रग छाइयो, जाा ामीडप रधचयो।

परीसा साक ज हतारो, तार तारो रग ामीाह ामीधचयो।।५।।

न क कषिो की छाया ऊपर स इस परकार छायी हई हदक ऐस लगतारा ह जस कोई ामीणडप बना हआय हो। भोजनपरोसन ाली सलखया दपरयतारामी को लखलान ामीा कीभाना स ही आयनन स भर गयी ह।

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काली धिातार सकनी, जगतार अजाली।

लाल जडा लोट जल, लई परामी पखाली।।६।।

भोजन की काली एक दशष धिातार की (नरामीयी) ह,जजस बहतार अचछी ताररह स साफ दकया गया ह। लालनगो स जड हए लोट ामी जल रखा हआय ह, जजसस बहतारही परामीप रक काली को धिोया गया ह।

ाटका फल कचोललया, तार तारो जगतार जधडया।

अजालीन पखाललया, काली ामीाह ामीललया।।७।।

फल अकारतार कास क कटोर ए कटोररया ह। य अधतारामीनोहर नगो स जडी हई ह। इनह जल स धिोन क पशातारकपड स पोछ कर काली ामी रखा गया ह।

भााकर- जजस परकार, ताराबा और सजक को दामीलाकरपीतारल बनाया जातारा ह, उसी परकार ताराब स बनायी जान

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ाली यह एक दामीणशरतार धिातार ह। स तारो योगामीाया कीपरतययक सतार चतारन और परकाशामीयी ह, दकनतार कास कीधिातार का परयोग सनरतारा क आयधिार पर दकया गया ह।यहा क भाो क आयधिार पर ही बताररनो को धिोन तारकापोछन की लीला शारयी गयी ह।

ली दनतारारी अजाललया, रामीाल सघातार।

परीस छ सारी सखडी, दधि दधि कई भातार।।�।।

बताररनो ामी लग जल को दनकाल कर रामीाल स पोछा गयाह। इसक पशातार काललयो ामी अनक परकार की दामीठाइयापरोसी जा रही ह।

बाई भागतारी भली पर, परीस सखडी सारी।

कह कटली घाी भातारनी, स र ामीकी सभारी।।९।।

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भागनतारी बाई बहतार ही अचछी ताररह स दामीठाइया परोसरही ह। इतारनी परकार की ह दक ामी उनका दकतारना ारनकर? सभी दामीठाइयो को समभाल कर परोसतारी ह।

पकान स र परीसी करी, साक ामीकया छ घाा।

कामील भातार भातारना, अलख अकााा।।१०।।

अनक परकार क बहतार स पकान परोस जा रह ह,जजनामी कई दकसामी की सअसबजया ह, कई ताररह क कनामीलह, तारका कई परकार क अचार ह।

साक तार सकाी ताराा, कई सकया सतारललया।

दधि दधि ामीा न फल, अधतार उतामी गललया।।११।।

कई शाक (सअसबजया) तारो सख ह, कई भन हए ह, औरकई तारल हए ह। अनक परकार क ामी तारका नफल ह,

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जो बहतार ही अचछी ताररह स पक हए ह।

आयरोगया अधतार हतारसो, राज साक सघातार।

परीसतारा परामी जो ामी ीठो, तार न कहाय भातार।।१२।।

शरी राज जी क साक सब सलखयो न बहतार ही परामीप रकभोजन दकया। भोजन परोसन ामी सलखयो क अनर ामीनजो अकाह परामी खा, उसका ारन दकसी भी परकार सनही हो सकतारा।

कचन रग झारी भरी, जल दच ामीाह लीधिो।

शरी इ ातारीजी न कोललयो, शरी राज ामीख ामीाह ीधिो।।१३।।

जल स भरी हई कञन रग की एक झारी (बताररन) ह।धिाामी धिनी न भोजन क बीच ामी उसस जल दपया तारका शरीइनातारी जी क ामीख ामी अपन हाक स भोजन का एक

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

गास डाला।

हरख कयो ज एा सामी, साक सह कोइए ीठो।

हजसया रदामीया साकसो, घाो लागयो छ ामीीठो।।१४।।

इस लीला स सबक हय ामी अपार परसननतारा हई ,जजसका अनभ सभी सलखयो न दकया। परााशरअकषिरातारीतार का अपनी अगरपा सलखयो क साक हसना-खलना बहतार ही ामीीठा लगतारा ह।

आयरोगया आयन सो, जा ज भावया।

धि धिी तार ऊपर, लाडबाई लई आयवया।।१५।।

जजस जो भी अचछा लगा, उसन उस आयननप रकगहा दकया। इसक पशातार लाडबाई जी सबक ललय धि-ही लकर आययी ।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- भख-पयास का लकषिा ामीा ामीाया कपञभतारातयामीक तारनो ामी ही होतारा ह, योगामीाया या परामीधिाामीक दगाातारीतार नरामीयी तारनो ामी नही । उपरोक चौपाइयो ामीभोजन लीला का जो ारन ह, ह ामीा आयअसतयामीक आयननक ललय ही लीला रप ह। इस नशर जगतार की भोजनदकया नही सामीझना चादहए।

कल बरहम की आयनन शदक आयनन योगामीाया क दारापल भर ामी लीला रप ामी सभी साामीगी उपलबधि हो जातारीह।

तार लीधिा चल करादया, बठा ास तारदकयो ई।

काल बाजोट उपाधडया, लोय ामीख रामीाल लई।।१६।।

उस गहा करन क पशातार सबको चल कराया गया। सबतारदकयो का सहारा लकर बठ गय। उनक आयग स

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चौदकया ए काललया उठा ली गयी । सभी न रामीाललकर अपना ामीख पोछा।

भााकर- चल करान का अणभपराय ह- हाक और ामीखधिलाकर कला आयद कराना।

फोफल काको चना जाी, कसर कपर घाली।

ऊपर लग ई करी, पान बीडी ाली।।१७।।

पान क पतो ामी कतयका ए चना लगाकर उसक साकजानी, कशर, कपर, और लौग आयद दामीलाकर बीडतारयार दकय गय।

बीडी तार लई आयरोदगया, ली लीधिी सह साक।

साक हतारो ज परीसा, सलखयोन परीस पराानाक।।१�।।

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शरी राज जी न स रपरकामी पानो का बीडा गहा दकया।इसक पशातार सभी सलखयो न भी पानो का बीडा ललया।जो सलखया भोजन परोस रही की , उनह सय शरी राजजी न भोजन परोसा।

भााकर- योगामीाया या परामीधिाामी ामी पानो का बीडा खानका परसग इस ससार की लोकरीधतार क भाो क अनसारह। शरी दामीदहरराज जी का जी इस ससार क जजनससकारो ामी रहा का, उसक अनसार ही शबातारीतार लीलाको वयक दकया गया ह, अनयका योगामीाया ए परामीधिाामीकी अदतार भदामीका ामी कल परामी की ही ामीहता ह।लौदकक रीधतारयो, जस- पान खाना, भोजन करना,सनान, आयद करन को अखणड धिाामी की लीला ामीअदनायर रप स कोपा नही जा सकतारा।

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आयरोगया सह अधतार रग, बीडी लीधिी शरी ामीख।

बठा ामीली ातारो करा, ााी ला सख।।१९।।

परोसन ाली सभी सलखयो न बहतार ही आयननप रकभोजन दकया और अपन ामीख ामी पानो का बीडा ललया।इसक पशातार सभी सलखया शरी राज जी क साक बातारचीतारका आयनन लन क ललय उनक पास बठ गयी ।

कह इ ातारी साकजी, ाल दलास जो कीधिा।

चढी आयवया अग अधधिका, च वरह जो ीधिा।।२०।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह साक जी ! धिाामी धिनीक साक बातार करतार-करतार सलखयो को दरह क उस कषटकी दशष या आययी, जो दपरयतारामी न आयननामीयी लीलाक ामीधय ामी दया का।

परकरा ।।४६।। चौपाई ।।�६७।।

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राग शरी गोडी राामीगी

इस परकरा ामी सलखयो तारका शरी राज जी क ामीधय होनाली ातारार का दरा परसतारतार दकया गया ह।

ाला ालामीजी ामीारा, जीर परीतारामी अामीारा।।टक।।

तारामी राामीतार रग रामीाधडया, पा साभलो ामीारी ातार।

अामी ऊपर एडी, तारामी का कीधिी पराानाक।।१।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह- ामीर पराालभ! पराादपरयतारामी पराानाक! आयपन हामी बहतार ही आयननामीयी राामीतारखलाई, दकनतार ामीरी बातार सदनय। आयपन हामीार साक इसपरकार का वयहार कयो दकया?

भााकर- इस चौपाई ामी ाला , ालामी, परीतारामी, तारकापराानाक शब एकाकराची ह। इसक अधतारररक "ामीारा"तारका "ामीारी " शब, जजनक अकर "ामीरा" और "ामीरी" होतार

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ह, यही जसद करतार ह दक सभी सलखयो की ओर स यहककन शरी इनातारी जी क दारा कहा गया ह।

अगा एडा अामीताराा, दकहा हतारा ालामी।

एामी अामीन एकला, ामीकी गया ान।।२।।

परााशर! आयप यह बताराइय दक हामीारा इतारना बडा कयाअपराधि का दक आयप हामी नान ामी दलखतार हएछोडकर चल गय?

तारामी अामीकी अलगा कया, तययार वरह कयो अधतार जोर।

तारामी नामीा ामीकी गया, अामी कीधिा घाा बकोर।।३।।

आयप जस ही हामीस अलग हए, उसी कषिा हामी दरह कीपरचणड अदगन ामी जलन लगी । जब आयप हामी न ामीछोडकर चल गय, तारो हामी आयपक ललय बहतार अधधिक

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रोतारी-दलखतारी रही ।

तारामी दना ज घडी गई, अामी जाणया जग अनक।

ए ख ामीारो साक जाा, क जाा जी सक।।४।।

आयपक दबना हामीारा जो भी सामीय बीतारा, उसामी हामी ऐसालगा दक जस अनक यग बीतार गय ह। दरह की उस पीडाको या तारो ामीरा जी दशष रप स जानतारा ह या ामीरी यसलखया जानतारी ह।

ए खनी ातारो कही कह, जी जाा ामीन ामीाह।

ज अामी ऊपर कई एडी, तययार तारामी हतारा कयाह।।५।।

दरह क उस ः शख को ामी कस कह? उस तारो ामीरा जीअपन ामीन ामी अचछी ताररह स जानतारा ह। जब हामीार ऊपरः शख की ऐसी घडी की, उस सामीय आयप कहा क?

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ह न ामीक अलगो ाला, पल ामीा तारामीन।

तारामीारा ामीनामीा नही , पा ख लागय अामीन।।६।।

ामीर पराानाक! अब ामी आयपको एक कषिा क ललय भीअपन स अलग नही होन गी। आयपको तारो दरह क उसकषट का अनभ नही ह , दकनतार हामी जानतारी ह दक हः शख दकतारना असहनीय का?

पालखी अामी कर र ाला, तारामी बसो तारहज ामीाह।

अामी उपाडीन चाललए, ह नही ामीक लखा कयाह।।७।।

हामी सब सलखया अपन बाहो की परामी भरी पालकीबनातारी ह। आयप उसामी दराजामीान हो जाइए। आयपकीपालकी को उठाकर हामी सब चला करगी , दकनतार अबदकसी भी अससकधतार ामी एक कषिा क ललय भी आयपको छोडनही सकतारी ह।

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ह अलगो न काऊ र सलखयो, आयपाी आयतारामीा एक।

राामीतार करतारा जजी, काई ीस छ अनक।।�।।

ह सलखयो! ामी तारो कभी भी तारामीस अलग नही हो सकतारा,कयोदक हामी सबकी आयतयामीा एक ह। भल ही रास की राामीतारकरतार सामीय हामीार अनक तारन कयो न दखायी पडतार हो?

सलखयो ातार ह कही कह, जी ामीारो नरामी।

लभ ामीारा जीनी परीतारामी, अलगी कर ह कामी।।९।।

सलखयो! ामी तारामीस यह बातार कस कह? ामीरा हय बहतारही कोामील ह। तारामी सभी ामीरी हयशरी (परााशरी) हो,दपरयतारामीा हो। भला ामी सपन ामी भी तारमह अपन स अलगकस कर सकतारा ह?

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तारामीकी अलगो ज रह, तार जी ामीार न खामीाय।

एक पलक ामीाह र सलखयो, कोटानकोट जग काय।।१०।।

यद ामी तारामीस अलग रहतारा ह, तारो उस ामीरा हय दकसीभी अससकधतार ामी सहन नही कर सकतारा? ह सलखयो! तारमहारदयोग ामी एक पल का सामीय भी ामीझ ऐसा परतारीतार होताराह, जस करोडो यग बीतार गय ह।

शका- सभी धिामीरगनको ए तारारतारामी ााी क अनसार भीजी की उतयपलत आयदनाराया स ह। ह साामीानयतारः शदनराकार स पार भी नही जा पातारा तारका ामीहापरलय ामीआयदनाराया ामी लीन हो जातारा ह। दकनतार उपरोक ोनोचौपाइयो ामी अकषिरातारीतार अपन अनर जी का अअससतारतयबतारा रह ह। यहा तारक दक इसी परकरा की चौपाई १६ ामीआयतयामीा क साक जी का भी ारन दकया गया ह-

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"आयतारामीना आयधिार छो ामीारा, जीस जी सनह।

कर ातार जीन सखी, ामीख ामीाह की कहो जह।।"

सामीाधिान- चतारन क तारीन सरप ह- जी चतारना,ईशरीय चतारना, आयअसतयामीक चतारना। "जी" शब का भाामीा कालामीाया ए योगामीाया क बरहमाणड ामी ही होतारा ह।यहा जी भा को ो रपो ामी परयक दकया जातारा ह -एक आयदनाराया की अशीभतार चतारना सरी आयतयामी-चतारना। इनही को जी शब स समबोधधितार कर दयाजातारा ह।

य ककन अकषिरातारीतार शरी राज जी क ह, जो उनहोन रासक बरहमाणड ामी सलखयो स कह क। यह दनरा सतयय हदक रास क सामीय शरी राज जी क उस नरामीयी तारन ामीजी का अअससतारतय नही का , दफर भी उनहोन अपनीआयतयामी-चतारना को "जी" शब स सबोधधितार करक कहा।

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इसी परकार स परााो का ककन भी ामीा कालामीाया कबरहमाणड ामी ही परयक होतारा ह , योगामीाया या परामीधिाामी ामीनही , कयोदक हा जनामी-ामीरा की परदकया ह ही नही ,दफर भी रास ४७/२३ ामी अपनी आयतयामी-चतारना को सयधिाामी धिनी न "पराा" शब स समबोधधितार दकया ह। इसीपरकार कलश पहसतारानी ामी सय धिाामी धिनी अपनीआयतयामीाओ को अपन "परााो का दपरयतारामी" कहतार ह।

सपषट ह दक शरीामीखााी क इन ककनो ामी जी औरपराा (जीन) का बाह अकर न लकर गह (लाकषिणाक)अकर ललया गया ह और इस आयतयामीपरक ामीाना गया ह।इसी परकार शरी शयाामीा जी क शरगार ारन ामी कणकतार "ामीरजी क एही जीन" का भा सामीझना चादहए।

यहा "जी" शब का तारातयपयर "आयअसतयामीक भा" स ही ह।

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दरह तारामीन ोहलो लाग, ामीन तारकी जोर।

ामीख करामीााा न सह, तारो कामी करा बकोर।।११।।

सलखयो! तारमह ामीर दरह का जो कषट हआय ह , उससअधधिक कषट ामीझ हआय ह। तारमहार ामीख को ामीरझाया हआयखन की भी सहनशदक ामीर पास नही ह। ऐसी असकाामी भला ामी तारमह कस फट-फट कर रला सकतारा ह?

जामी कहो तारामी कर र सलखयो, बाधया जी जीन।

अधिलखा अलगो न काऊ, करार करो तारामी ामीन।।१२।।

ह सलखयो! अब तारामी जसा कहो, ामी सा ही करन कललय तारयार ह। ामीर जी का अअससतारतय तारामीस ही बधिा हआयह। ामी तारामीस अब आयधि कषिा क ललय भी अलग नही होसकतारा। ामीरी इस बातार पर दशास करक तारामी अपन ामीनको शानतार करो।

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एडा ख तार का करो, ह ऊ एामी कामी छह।

तारामी ामीारा परााना परीतारामी, बाधया ज ामील सनह।।१३।।

तारामी सभी इस परकार ः शखी कयो हो रही हो? भला ामीतारमह दयोग का ऐसा कषट कस सकतारा ह ? तारामी ामीरपरााो की दपरयतारामीा (परााशरी) हो। ामीरा-तारमहारा परामी-समबनधि अनाद काल स ह।

भााकर- अकषिरातारीतार क योगामीाया ामी धिारा दकय गयचतारनय नरामीयी शरीर ामी नशर जगतार की ताररह परााो (पाचपराा+पाच उपपराा) का वयहार नही ह, दकनतार उपरोकचौपाई ामी परााो का ककन लौदकक भाना क आयधिार परदकया गया ह। इसका ासतारदक आयशय जीनी शदक,चतारनय, आयतयामीा, या आयश सरप स ह।

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परााप लभ छो ामीन, एामी कर ह कामी।

ामी ान ामीकय नकी, तारामी का कहो अामीन एामी।।१४।।

तारामी ामीर परााो की सादामीनी हो। ामी तारमहार साक ऐसाकठोर वयहार कस कर सकतारा ह? ामीन तारो नानछोडा ही नही का। तारामी ामीझ इस परकार ोषी कयो बनारही हो?

भााकर- अकषिरातारीतार हास-पररहास ामी भी कभी दामीरयानही बोल सकतार। यद कहतार ह दक ामी तारामीस एक पलक ललय भी कभी अलग नही हआय तारका पल भर क ललयभी इस नान को ामीन नही छोडा, तारो इसामी कोई भीदामीरया बातार नही ह। इसका रहसय इस परकार ह-

अनतारधिारन क सामीय आयश सरप शरी राज जी अपनजोश क साक शरी कषा जी का तारन छोडकर शयाामीा जीक धिाामी हय ामी दराजामीान हो गय क। शयाामीा जी पार

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जागतार असका ामी नही की , इसललय उनह अपन धिाामीहय ामी दराजामीान अकषिरातारीतार की पहचान नही हो सकीऔर भी अनय सलखयो क साक दरह ामी तारडपतारी रही ।इसी परकार, शरी इनातारी जी भी द.स. १७१२-१७१५ तारक अपन धिाामी हय ामी दराजामीान यगलसरप की पहचान नही कर पायी , और हबश ामी दरह ामीछः श ामीाह तारक तारडपतारी रही ।

इधिर, शरी कषा जी क तारन ामी अकषिरातारीतार का जोश-आयश न होन स सलखयो को ह तारन दखायी ही नही रहा का, जबदक ह ही पर का। इसी परकरा की चौपाई३६ ामी यह बातार शारयी गयी ह , जजसामी शरी राज जीकहतार ह दक ामीर और तारमहार बीच ामी एक कषि आय गयाका, जजसक कारा तारामी ामीझ ख नही सकी। ह कषिकोई और नही , बअसलक शरी राज जी का शयाामीा जी क

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धिाामी हय ामी गप रप स दराजामीान हो जाना का।१२००० सलखयो क ललय साामीानय कषि क पीछ णछपहए शरी कषा जी को खोजना कछ भी कदठन नही का।

धचतार ऊपर चाल र सलखयो, तारामी ामीारा जीन।

जामी कहो तारामी कर र सरी, का ख आयाो ामीन।।१५।।

सलखयो! तारमही ामीर जीन की आयधिार सरपा हो। ामी तारोतारमहारी इचछा क अनसार ही सारा वयहार करतारा ह।अभी भी तारामी जसा कहो, ामी सा ही करन क ललय तारयारह। तारामी अपन ामीन को इस परकार ः शखी कयो कर रहीहो?

आयतारामीना आयधिार छो ामीारा, जीस जी सनह।

कर ातार जीन सखी, ामीख ामीाहकी कहो जह।।१६।।

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तारामी सभी ामीरी आयतयामीा की आयधिार सरपा हो। ामीरीचतारना तारमहारी चतारना स अखणड परामी करतारी ह। इसललयामीरी जीन सरपा सलखयो! तारमहार ामीन ामी जो कछ भीह, ह अपन ामीख स अशय कहो। ामी उसी क अनसारतारामीस बातार करगा, अकारतार तारमहारी शकाओ का सामीाधिानकरगा।

ामी तारा एामी न जाणय र ाला, करसो एामी दनघातार।

नाहोजी ह तारो नह जाातारी, आयपा ामील सघातार।।१७।।

यह सनकर शरी इनातारी जी कहतारी ह दक परााशर! ामीतारो यह जानतारी ही नही की दक आयप हामी सबक हय ामीअपन उकल चनो स ऐसी चोट पहचायग। अपन अनादकाल क ामील समबनधि क परामी क कारा ही ामी आयपस परामीकरतारी की।

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एामी आयखडी न चढादए तारन, ज होय पोतारानो तारन।

जाणाए ामीलो नकी जनामीनो, उकल रास चन।।१�।।

जो अपना ही तारन हो, उसस इस परकार रख चन नही बोलना चादहए। ऐसा परतारीतार होतारा ह दक हामीारा औरआयपका अनाद काल स चला आय रहा परामी नही का, तारभीतारो आयपन रास ामी उकल (उलाहना क रख) चनो कापरयोग दकया।

भााकर- आयख चाना एक ामीहादरा ह, जजसका अकरहोतारा ह- रख चनो स बोलना।

अामी तारन जोप जाा, बीजो न जाा जन।

अामीस छडा छोडीन ऊभा, जाणाए नह दनसन।।१९।।

आयपको हामी सब सलखया अचछी ताररह स जानतारी ह।हामीार अधतारररक अनय कोई भी आयपको यकाकर रप स

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

नही जानतारा ह। आयप तारो हामीस पला छडाकर स हीखड हो गय क, जस खल-खल ामी बचच रठ कर अलगहो जातार ह।

साभलो सलखयो ातार कह, ामी जोय ामीायान पास।

कामी रामीाय राामीतार राी, ामीन उछरग रास।।२०।।

यह सनकर शरी राज जी कहतार ह- ह सलखयो! ामीरी बातारसनो! उकल चन कहकर ामीन यह जानना चाहा का(तारमहारी परीकषिा ली की) दक कही अभी भी तारमहारअनर वरज की ताररह ामीाया का परश तारो नही ह। यदसा ही होतारा, तारो तारामी परी रातार इतारनी उामीग ामी भरकरामीर साक रास लीला कस कर सकतारी की?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

तार ामीाट बोल कहा ामी कठा, जोान दसास।

न ीठो कोई फर धचतारामीा, ह ह तारामीार पास।।२१।।

इसललय तारमहार दशास की परीकषिा लन क ललय ही ामीनकठोर शबो का परयोग दकया का। ामीन तारमहार हय ामीदकसी परकार का पररताररन नही खा का, अकारतार ामीाया ामीआयसदक नही की। इसी का पररााामी यह ह दक अब ामीतारमहार पास ह।

एनो तारामी जाब ीधिो, कामी रोतारा ामीकया न।

नही दसर ख तार दरहना, अामीन ज उतारपन।।२२।।

पनः श सलखया कहतारी ह- दपरयतारामी! यह तारो ठीक ह,दकनतार आयप हामीार इस पर का उतर ीजजए दक आयपननान ामी हामी रोतार हए कयो छोड दया? उस सामीय हामीदरह का जो कषट हआय, उस हामी अभी तारक भल नही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पायी ह।

घाज साल दरह ालया, ज ीधि तारामी अामीन।

कटली ातार सभार खनी, ह स कह तारामीन।।२३।।

पराालभ! आयपन अनतारधिारन होकर दरह का जो कषटदया, उसकी या हामी अभी भी सताराया करतारी ह। ः शखकी उन बातारो को या करक, अब ामी आयपको दकतारनासनाऊ?

का जााो एडो अतारर, ह अलगो न काऊ।

तारामीन ामीली नामीा, ह तार दकहा जाऊ।।२४।।

परतययतर ामी शरी राज जी कहतार ह- दपरय सलखयो! ामीतारामीस दकसी भी परकार अलग नही हो सकतारा। तारामी ामीझसअपन परधतार इतारना भ (अनतारर) कयो ामीान रही हो? तारमही

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बताराओ, भला, तारमह न ामी अकली छोडकर ामी कहा जासकतारा का?

दरह तारामीारो न सह, गाय तारामीार गाऊ।

अग ामीार अलग न कर, परामी तारामीन पाऊ।।२५।।

ामी तारमहारा दरह दकसी भी परकार स सहन नही करसकतारा ह। जजस दरह की बातार तारामी कर रही हो, हीअससकधतार ामीरी भी तारो ह। तारामी सभी ामीरी अगरपा हो। ामीतारमह दकसी भी अससकधतार ामी अपन स अलग नही करसकतारा और तारामीस अनरतार परामी करतारा ही रहगा।

अामी ठाामी सघला जोया र ाला, कयाह न ीठो कोय।

जो तारामी हतारा नामीा, तारो दरह काी पर होय।।२६।।

सलखया कहतारी ह- ह दपरयतारामी! हामीन आयपको नानपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 800800 / 814/ 814

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

ामी परतययक सकान पर खोजा , दकनतार आयप कही भीदखायी नही पड। यद आयप उस सामीय नान ामी होतार,तारो हामी दरह का असहनीय ख कयो भोगना पडतारा?

न लधडयो जोई स र, घा ख घा रोय।

घाी जगतार जोय तारामीन, पा का न ीठो कोय।।२७।।

हामीन नान की सभी लताराओ क झरामीट तारक ामीआयपको खोजा। दरह क अतययधधिक ः शख ामी हामी सभीबहतार रोयी । हामीन बहतार सी यदकयो स आयपको खोजा,दकनतार आयप दकसी को भी दकसी भी सकान पर दखायीनही पड।

तारामी कहो छो नामीा हतारा, तारो का न लीधिी सार।

अामी न न हठ दललखयो, तययार का न आयवया आयधिार।।२�।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

पराााधिार! आयप कह रह ह- "ामी तारो नान ामी हीका।" यद आयप सचामीच ही उस सामीय नान ामी क, तारोआयपन हामीारी सधधि कयो नही ली ? हामी सभी न ककोन-कोन ामी जब भटकतारी हई दलख रही की , उससामीय आयप हामीार समामीख कयो नही आयय?

जो तारामी न होतारा गला, तारो का न साी पकार।

अामीन खी रोतारा, कामी खमया एडी ार।।२९।।

आयप जरा यह बताराइय दक यद आयप हामीस अलग नही हए क, तारो आयपन दरह-वयका स भरी हामीारी पकार कयोनही सनी? हामी इतारनी र तारक दलख-दलख कर रोतारहए खना आयपको कस सहन हआय?

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बोलो तार स र ातार झठी, नामीा न हतारा दनरधिार।

नहच जाा नाहोजी, तारामी झठा बोलया अपार।।३०।।

पराा दपरयतारामी! आयप जो भी बातार कह रह ह, ह झठीह। यह तारो दनधशतार ह दक आयप नान ामी नही क। हामीदनधशतार रप स यह बातार जानतारी ह दक आयप बहतार अधधिकझठ बोल रह ह।

भााकर- अकषिरातारीतार को दकसी भी अससकधतार ामी झठा नही कहा जा सकतारा। सतारतारः श सलखया शरी राज जी क आयशसरप को शयाामीा जी क धिाामी हय ामी दराजामीान होनक रहसय को सामीझ नही पा रही ह, कयोदक उस सामीयपार जागधतार नही की।

जो दरह अामीारो होय तारामीन, तारो कामी बसो करार।

तारामी दबना लखा जग कई, न भोामी कई खाडा धिार।।३१।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

यद आयपको हामीार दरह का कषट होतारा , तारो आयपदनधशनतार होकर शाअसनतारप रक कस बठ रह सकतार क? उससामीय, आयपक दबना हामीारा एक-एक पल यगो क सामीानवयतारीतार हो रहा का। नान की इस ामीनोरामी धिरतारी परचलन ामी हामी ऐसा लग रहा का दक जस हामी तारलार कीतारीखी धिार पर चल रही ह।

ाझ घाी कई हामीा, लागी कालजड झाल।

जाा जी नही रहस, दनसरस तारतयकाल।।३२।।

परााशर! हामीार शरीर ामी दरह की ऐसी अदगन लगी कीदक हामीार हय स दरह क ः शख की लपट दनकल रहीकी , अकारतार हामीारा हय बहतार ः शखी का। हामी ऐसा लगरहा का दक हामीारा जी अब इस शरीर ामी रह ही नही सकगा, और इसी कषिा दनकल जायगा।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

भााकर- योगामीाया क चतारन नरामीयी शरीरो ामी ामीतयय नही हो सकतारी, ामीा लीला रप ामी दरह की असका कोशारन क ललय ही इस परकार का ारन दकया गया ह।

एो दरह खामीी रहो, ामी जाा जीनी नाल।

आयसा अामीन न ामीक, नही तारो ह छाड तारतयकाल।।३३।।

हामीन इतारना दरह इसललय सहन कर ललया, कयोदकहामी अपनी चतारना स आयपका अनाद समबनधि जानतारीकी । हामी इस बातार की आयशा की दक आयप हामी नही छोडग, अनयका हामी सभी उसी सामीय अपना शरीर छोडतारी ।

तारामी कहसो ज एामी कह छ, नहच जााो जी ामीाह।

तारामीारा सामी जो तारामी दना, एक अधिलखा ामी न खामीाए।।३४।।

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह धिनी! आयप कहग दकऐसा कयो कह रही ह? आयप इस बातार को दनधशतार रप सअपनी चतारना क अनर बसा लीजजए दक ामी आयपक दबनाआयधि-एक कषिा भी नही रह सकतारी। यह बातार ामी आयपकीसौगनधि खाकर कह रही ह।

भााकर- इस चौपाई क चौक चरा ामी "ामी" शब कापरयोग यही जसद करतारा ह दक यह ककन शरी इनातारीजी क दारा कहा गया ह, सभी सलखयो क दारा नही ।

सलखयो तारामी साच कह, ए ीतारी छ ामीन ातार।

तारामीन दरह उपन ामीारो, ह कह तारहनी भातार।।३५।।

शरी राज जी कहतार ह दक ह सलखयो! तारामी पारतारया सचकह रही हो। ामीर साक भी ऐसा ही हआय ह। तारमह ामीरदयोग स जो कषट हआय ह , ामी उसकी ासतारदकतारा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

बतारातारा ह।

आयपा रग भर रामीतारा, दबररख आयडो आयवयो लखा एक।

तारामी परामी जाणय कई जग ीतयया, एामी ीठा ख अनक।।३६।।

जब हामी परामी ामी रास की राामीतार खल रह क, उस सामीयहामीार और तारमहार बीच ामी एक कषिा क ललय एक कषिसाामीन आय गया। तारामी उस सामीय परामी ामी गहनतारा स डबीकी, इसललय एक कषिा का भी दयोग तारमह ऐसा लगा ,जस कई यग बीतार गय हो। इस परकार, तारामीन बहतारअधधिक ः शख खा।

भााकर- दयोग का कारा इस जागनी बरहमाणड ामी धिाामीधिनी न अपनी तारारतारामी ााी क दारा बताराया ह। योगामीायाक बरहमाणड ामी दयोग का कारा बताराना, उनक घाो परनामीक णछडकन जसा का। दपरयतारामी न कषि का उाहरा

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शरी रास टीका शरी राजन साामीीशरी रास टीका शरी राजन साामीी

कर आयलकाररक भाो ामी कहा , जजस परामी ामी बसधिसलखया सामीझ नही सकी।

जयार पसरी जोगामीाया, ामी इछा कीधिी तारामीताराी।

ह ा लऊ धतारहा लग, ामीझपर कई घाी।।३७।।

शरी राज जी वरज स रास ामीणडल ामी जान क सामीय कीया दलातार हए कह रह ह दक सलखयो ! जब ामीकालामीाया क बरहमाणड को छोडकर योगामीाया क बरहमाणड(कल बरहम की भदामीका) ामी आयया, तारो ामीर आयश सकल बरहम की अधिारदगनी आयनन योगामीाया न ामीहारास कललय दनतयय नान की कषिा भर ामी ही रचना कर ी(यही योगामीाया का दसतारार ह)। उस सामीय तारामीवरजामीणडल ामी ही की । ामीर ामीन ामी तारामीस दामीलन की अकाहतारडप की। तारमह वरज स यहा तारक बलान क ललय ामीन

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अपन हाको ामी बासरी ली , दकनतार इतारन सामीय का भीदयोग ामीर ललय बहतार कषटकारी का।

एक पल ामीाह र सलखयो, कलप अनक दतारीतार।

ए ख ामीारो जी जाा, सखी परामीताराी ए रीतार।।३�।।

ामीझ ऐसा लगा दक इस एक पल ामी ही अनक कलपवयतारीतार हो गय ह। इस ः शख को तारो एकामीा ामीरा हय हीजानतारा ह। सलखयो! परामी की लीला ही ऐसी दधच ह,दक उसामी पल भर क ललय भी दरह सहना कदठन होताराह।

भााकर- एक कलप ामी ४ ,३२,००,००,००० (४अरब ३२ करोड) षर होतार ह। इस परकार शरी राज जी नसय क दरह को सलखयो क दरह स अधधिक कषटकारीबताराकर, उनका ामीन ामीगधि कर ललया। अकषिरातारीतार परामी क

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सागर ह। उनकी अदतार लीला क गहन रहसयो कोामीानीय बधद स यकाकर रप ामी नही सामीझा जा सकतारा।

भीडी तार अग इ ातारी, सखी का करो तारामी एामी।

जीन ामीारा जीनी, ख करो एामी कामी।।३९।।

शरी इनातारी जी का आयतलगन करक शरी राज जी कहतारह- सखी! तारामी ऐसा कयो कहतारी हो। तारमह इस परकारः शखी नही होना चादहए। तारामी तारो ामीरी चतारना की आयधिारसरपा हो, अकारतार ामीरा अअससतारतय तारमही स ह।

धचतार चोरी लीधि ई चामीन, सखी कहो कर ह तारामी।

ामीारा जी ककी अलगी न कर, जओ अली कयो जामी।।४०।।

शरी राज जी न शरी इनातारी जी क ामीख पर अपना परामीभरा चमबन कर उनक हय को ामीगधि कर ललया और

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कहन लग- ह सखी! जसा तारामी कहो, ामी सा हीकरगा। ामी अब तारमह कभी भी अपन स अलग नही करगा, भल ही हामी रास क ामीधय ामी और वरज लीला ामीअलग हो गय क।

सलखयो ामीारी ातार साो, का करो तार एडो ख।

पर ामीनोरक तारामीताराा, सघली ातार ऊ सख।।४१।।

ह सलखयो! ामीरी बातार सनो! तारामी इस परकार ः शखी कयोहो रही हो? ामी हर परकार स तारमह सारा सख कर ,तारमहारी सभी इचछाओ को अशय ही पार करगा।

ामीार अग ाल तारामीतारा, चन ाल जजभया ामीख।

बोला तार ामीीठ बोलड, जोऊ सकोामील चख।।४२।।

ामी अपना समपार हय तारमह सामीरपतार करतारा ह तारकापरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठपरकाशकः श शरी पराानाक ञानपीठ, , सरसाा सरसाा 811811 / 814/ 814

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अपनी जजहवा ए ामीख स कह हए उकल चनो को ापसलतारा ह। ामी चन तारा ह दक ामी हामीशा ही तारामीस ामीधिरााी ामी बोलगा और परामी भरी कोामील ददषट स ही तारमहखगा।

ह ाला ह एटल ामीाग, लखा एक अलगा न कए।

जजहा अामीन दरह नही , चालो तार घर जए।।४३।।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ह दपरयतारामी ! अब ामीआयपस कल यही ामीागतारी ह दक आयप हामीस एक कषिा कललय भी अलग न होइए। अब हामी आयप उस घर ामी लचललए, जहा हामी एक पल क ललय भी आयपस अलग नहो।

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ामीागी ख सखनी राामीतार, तार ाल कीधिी आयार।

ामीन धचतार रग रामीाडा, काई आयपान आयधिार।।४४।।

हामीन अपन परााशर स परामीधिाामी ामी सख और ः शख काखल खन क इचछा की की। उस हामीार जीन कआयधिार दपरयतारामी न इस बार (वरज-रास ामी) दखा दया,तारका हामीार ामीन और धचत (हय) को रास क आयनन सआयनअसनतार दकया।

ान खाड, रास रामीाडा रग।

प र जनामीनी परीतारडी, तार हामीाा आयाी अग।।४५।।

दपरयतारामी न हामी दनतयय नान खाया तारका हामीार साकरास की आयननामीयी राामीतार की। परामीधिाामी क ामीलसमबनधि का परामी अब हामीार अग-अग ामी सञाररतार(परादहतार) हो रहा ह।

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भााकर- आयतयामीा का जनामी नही होतारा ह, बअसलक जी काजनामी होतारा ह। इसललय उपरोक चौपाई ामी कणकतार तारीसरचरा का तारातयपयर ामील समबनधि स ह, जो परामीधिाामी का ह।

इ ातारी कह अामीन ाला, भला रामीाडा रास।

पछ तार घर ामीलग, ालो तारडी चालया सह साक।।४६।।

ाला ालामीजी ामीारा, जी र परीतारामी अामीारा।

शरी इनातारी जी कहतारी ह दक ामीर पराालभ ! पराादपरयतारामी! पराानाक! आयपन हामी बहतार अचछी ताररह स रासखलायी ह। इसक पशातार आयप हामी सभी सलखयो कोलकर अपन ामील घर परामीधिाामी चल दय।

परकरा ।।४७।। चौपाई ।।९१३।।

।। रास - इजील समपार ।।

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