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Page 1: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

यह ४४५

ह य आ ह ह य

Omramacharitorg य 825 ( ) औ US

$30 ( ह ) ह आय य

lsquo rsquo य

जनवरी 2019 3

intint जय सिया राम intint

हरर ऄनत हरर कथा ऄनता कसह िनसह बहसबसध िब िता (मानि 1140 C5)

भगवान अनत ह उनकी कथाए अनत ह सत गण उनह अनक परकार स कहत-सनत ह

२०१७ जलाइ म गोसवामी तलसीदास जी क ५२०व जनमिदवस पर हयसटन ऄमररका िसथत

शरी राम चररत भवन न ऄगरजी म lsquoरामकवसटrsquo नाम स एक पििका परारभ की थी रामकवसट

का एक माि ईदङशय रामायण और भगवान राम क पिवि कामो की िवशष रप स हमार

यवाओ क बीच जागरकता फलाना ह जहा तक हम जानत ह रामकवसट एकमाि पििका

ह जो िवशष रप स भगवान राम पर ह कइ पाठको का यह सझाव अया िक आसका िहदी म

भी परकाशन होना चािहए फलसवरप lsquoराम िजजञासाrsquo का जनम हअ शरी राम की ऄनत कपा

क परसाद म हम अपक हाथो म राम िजजञासाrsquo का परथम ऄक रख रह ह

ऄनक िदवय अतमाओ क परोतसाहन और समथथन क िबना lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

सभव नही था म ईन सबका का बड़ा ऊणी हअ म ईन लखको क परित अभार वयकत

करता ह िजनहोन परथम ऄक क िलए ऄपनी रचनाए भजी और जो भिवषय म भजत रहग

हमार सरकषक और िवजञापनदाताओ का िवशष अभार जो आस पििका क वयापक िवतरण म

महतवपणथ योगदान द रह ह ऄत म म ऄपन साकतवासी माता-िपता और सभी गरओ क

चरण कमलो को सादर परणाम करता ह िजनक िबना मर जीवन म कछ भी सभव नही होता

पििका की िवषय म अपक िवचारो की परतीकषा रहगी जय िसया राम

सादर

ओमपरकाश क गपता

जनवरी 2019 वरष 1 ऄक 1

मयाथदा परषोततम राम 8

क एस भारदवाज

रामायण एक कालपिनक गरनथ या एक

वासतिवकता 10

सनीता कामबोज

बदलखड म रामकथा की वयािपत क

पराताितवक साकषय 14

हररववषण अवसथी

ऄसीम परम और दया क ईदिध

शरी राम 17

जयोतसना वसह राजावत

मानस क ऄरणयकाणड म भिकत का

सनदभथ 21

नरनर शमाा lsquoकसमrsquo

शरी रामचररतमानस शबद जञान 24

ओमपरकाश गपता

नाथ किहऄ हम किह मग जाही 25

रामलकषमण गपत

राम-चररत सनदश 28

मगलश मजमर lsquoमगलrsquo

राम स आकतरफा सवाद 29

वनदना गपता

एक मनोदशा 31

परवतभा सकसना

हनमान जी की सफलता का परतीकः

सनदरकाणड 32

सरोज गपता

रामचररत मानस क सनदश की िवशवजनीनता 35

परभदयाल वमशर

सिकषपत रामचररतमानस-

१००८ पिकतयो म 38 ओमपरकाश गपता

4 जनवरी 2019

िपादक - मडल

परधान िपादक

ओमपरकाश क गपता

कायषकारी िपादक

िशवपरकाश ऄगरवाल

िपादकीय परामरष मडल

सीताराम ऄगरवाल

रामलकषमण गपत

परभ दयाल िमशर

रामदास लमब

उददशय

राम िजजञासा एक िमािसक पििका ह िजसका एक माि

ईदङशय रामायण क सनदश और भगवान राम क पिवि कामो

की िवशष रप स हमार यवाओ क बीच जागरकता

फलाना ह रचना परकाशन क िलए एक माि मानदड

भगवान राम और रामायण क बार म जानन क िलए पाठको

की िजजञासा बढ़ान का ह

लखको स ऄनरोध ह िक व िनमन मदङो को धयान म रखत

हए ऄपन लख भज

a) लख की िवषय वसत सीध रामायण और भगवान राम

स सबिधत होनी चािहए

b) लख सपषट सरल बोलचाल की भाषा म होना चािहए

जो एक अम वयिकत समझ सक

c) मल ऄपरकािशत लखो को पराथिमकता दी जायगी पवथ-परकािशत लखो पर िवचार

िकया जा सकता ह यिद पन परकािशत करन क िलए अवशयक ऄनमित परापत की गइ हो

और कॉपीराआट का कोइ ईललघन नही िकया गया हो

d) लख एक नया दिषटकोण परदान कर जानी-मानी कथा-कहािनया परकािशत नही होगी

e) वजञािनक ऐितहािसक या सािहितयक साकषय क अधार पर लख िवशष अमिनित ह

f) लख 1000 शबदो म सीिमत होन चािहए ऄितशय लब लख परकािशत नही िकय

जायग

g) परकाशन िनणथय पर ऄितम ऄिधकार परधान सपादक का होगा

रचनाए भजन और ऄनय जानकारी क िलए िलख jigyasaramacharitorg

राम सजजञािा िदसयता रलक

वािषथक सदसयता र 151 (भारत क भीतर) US $11 (ऄनयि)

िि-वािषथक सदसयता र 351 (भारत क भीतर) US $31 (ऄनयि)

पञच-वािषथक सदसयता र 501 (भारत क भीतर) US $51 (ऄनयि)

थोक परितयो क िलए िवशष सदसयता शलक ईपलबध ह

सदसयता िवजञापन मानाथथ परित परािपत और ऄनय जानकारी क िलए कपया सपकथ कर

jigyasaramacharitorg

आस पििका म परकािशत लखो िवजञापनो जानकारी सचना राय और सामगरी सबिधत

लखकोिवजञापनदाताओ की एकमाि ििममदारी ह परकाशक परधान सपादक और

सपादकीय परामशथ मडल का कोइ ईततरदाियतव नही होगा

राम िजजञासा राम चररत भवन हयसटन य एस ए दरारा िमािसक (जनवरी ऄपरल जलाइ

ऄकटबर) परकािशत िकया जाता ह

जनवरी 2019 5

राम जिजञासा सरकषक राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण ऄनक सरकषको की ईदारता स सभव हअ ह

वयिकतगत और पाररवाररक सरकषक को करमश 5 और 10 परितया भजी जाती ह य परितया

ईनकी ओर स ससार क िकसी भी पत भजी जाती ह राम िजजञासा सरकषक बनन क िलए

वािषथक योगदान 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पाररवाररक) की रािश भज यिद

अप राम िजजञासा क परचार और परसार म सहयोग दना चाहत ह तो कपया िलख

jigyasaramacharitorg

ऄमर नाथ और परम ऄगरवाल य एस ए

कषणा कमार और सनीता ऄगरवाल भारत

मनना लाल और ऄचथना ऄगरवाल य एस ए

राम परकाश ऄगरवाल य एस ए

रिवश और शोभा ऄगरवाल य एस ए

ऄजय और शोभा ऄगरवाल य एस ए

बरहम ऄगरवाल य एस ए

सिचन और हररिपरया ऄगरवाल य एस ए

सीता राम ऄगरवाल भारत

सशील और िवमला ऄगरवाल य एस ए

दामोदर और लिलता ऐरन य एस ए

िवररदर और नीना बसल य एस ए

ऄरिवद और सनीता भडारी य एस ए

तनमोय और िबद चकरवती य एस ए

नरश और अशा चद य एस ए

ऄरण कमार और कषणकाती चौधरी भारत

परमोद और पनम दीवान य एस ए

शरी क और सधा गोयल य एस ए

िविपन और साररका गोयल कनाडा

ऄजय और ऄलका गपता य एस ए

अनद और पषप गपता भारत

ऄकर और िनिध गपता भारत

हरर और मज गपता य एस ए

नम और शला गपता य एस ए

रामलकषमण गपत भारत

सत दास और गीता गपता य एस ए

िशवानी िसघल गपता

सीता राम गपता भारत

सपरभा गपता य एस ए

योगश और मोिनका गपता य एस ए

रघनाथपरसाद सराथफ भारत

ऄनज और सवाित जन य एस ए

राघबनर झा ऑसरिलया

राकश और ऄनीता कपर य एस ए

तीथथ खशलदासानी य एस ए

राहल कलकणी भारत

िबरनर और हमा लाल य एस ए

रामदास लमब य एस ए

अशीष महादाया य एस ए

जगल और राज मलानी य एस ए

ऄलका मिललक य एस ए

ऄरिवद और ऄनािमका मिललक य एस ए

राम और सरसवती मिललक य एस ए

लकषमी नारायण और ईषा महरा य एस ए

िनिखल और ऄवनी महता य एस ए

परमोद और मीनाकषी महता य एस ए

सतीश और समन महता य एस ए

रिव और नयना िमसतरी य एस ए

गोपाल और सीता िमततल य एस ए

सशीला मोहनका य एस ए

हकम और सीता मोिगया य एस ए

मगलश मजमर य एस ए

तारा सी और राजन नवाल य एस ए

रमशचर और कोिकला पटल य एस ए

सन पाठक य एस ए

चरशखर रघ य एस ए

आरानी रामपरसाद िििनदाद

सवदश राणा य एस ए

6 जनवरी 2019

ऄशोक रासतोगी भारत

जोगर और रण शमाथ भारत

ऄनीता िसह भारत

िदनश एच िसघल य एस ए

रघबीर और आरा िसघल य एस ए

सतयन और राज िसघल भारत

िदलीप और परितमा सोनी य एस ए

राघर ईपाधयाय य एस ए

भारत क िनवासी 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पररवार- पित-पितन) का

योगदान करक सरकषक बन सकत ह अप डीडीचक दरारा भज सकत ह शरी राम चररत

भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप

एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया jigyasaramacharitorg पर िलख

तािक हम अपको बक िववरण भज सक

राम जिजञासा ससथागत सरकषक

राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण हमार ससथागत सरकषको की ईदारता स सभव हो पाया

ह िजनक हम अभारी ह राम िजजञासा क परचार और परसार क िलए हम सामािजक धािमथक

सासकितक सावथजिनक और िनजी ससथाओ को अमिित करत ह ऄपिकषत वािषथक

योगदान 5001 रपय ह हम ऄपन ससथागत सरकषको को एक वषथ (4 ऄको) क िलए राम

िजजञासा की 50 परितया भजग ससथाओ का नाम राम िजजञासा क हर ऄक म परकािशत

िकया जायगा ऄिधक जानकारी क िलए कपया िलख jigyasaramacharitorg

समडली हयसटन य एस ए

शरी राम मिदर रसट जयपर भारत

तलसी मानस परितषठान भोपाल भारत

ऄगरवाल वशय सभा िदलली क ट भारत

शरी राधा कषणा मिदर हयसटन य एस ए

शरी गोिवद जी गौिडया मठ हयसटन य एस ए

शरी हनमान सवा सघ िदलली क ट भारत

रघनाथन रामलीला सिमित िदलली क ट भारत

डीडीचक दय भजन का पता शरी राम चररत भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास

समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया

jigyasaramacharitorg पर िलख तािक हम अपको बक िववरण भज सक

जनवरी 2019 7

रभ कामना िनदर

भगवान राम और ईनकी रामकथा क शोध और िवसतार को समिपथत हयसटन (ऄमररका) स

परकािशत ऄगरिी पििका रामकवसट क िहनदी ससकरण राम िजजञासा का परकाशन शरी

ओमपरकाश गपता और ईनक परामशथ मडल का एक ऄिभनव ऄनषठान ह यह भगवदचछा ही

कही जायगी िक ऄपन नवीन कलवर म िवशव क वयापक पटल पर परकाशमान यह पििका

ऄपनी िवजय वजयनती जयपर भारत स पररपरसाररत कर रही ह आस ऄिभनव परकलप स

बनधवर ओमपरकाश जी न मझ ऄनािद ऄवसथा स जोड़ रखा ह मझ तो लगता ह िक आस

परयोजन स परभ राम ही जस मझ ऄपनी चाकरी म रखकर मर जीवन को सारवतता परदान कर

रह ह एतदथथ िवशव म राम राजय क शाशवत जीवन मलयो की ऄिभपरािपत म ऄपनी सपणथ शरदचा

भिकत और भाव म सपरयोजय सपरयकत -

परभदयाल वमशर अधयकष महवषा अगसतय ववदक ससथानम भोपाल भारत

यह जानकर हािदथक अनद की ऄनभित हो रही ह िक lsquoहयसटनrsquo स lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

होन जा रहा ह यहा भारत म िहनदी सािहतय परिमयो को जहा यह अशचयथ होना सवाभािवक ह

िक सदर ऄमररका स िहनदी म एक पििका का परकाशन होन जा रहा ह वही आस बात की

खशी भी ह िक हमार दशवासी परदश म रहत हए भी आतन मनोयोग स िहनदी की सवा कर रह

ह म पििका क सफल परकाशन की कामना करता ह और तलसी मानस ससथान की ओर स

शभ कामनाए परिषत करता ह

रामलकषमण गपत अधयकष तलसी मानस ससथान जयपर

भारत म lsquoमानस चतशशदीrsquo समारोह की शरखला म लगभग अधी सदी पवथ ससथािपत lsquoतलसी

मानस परितषठान शयामला िहलस भोपालrsquo रामचररत क शोध समपरसार और पररपरसारण क

िलए दशndashिवदश म ऄपनी सथापना काल स सलगन ह | ऄतः lsquoरामकवसटrsquo (ऄगरजी) और

ईसक िहनदी ससकरण lsquoराम िजजञासाrsquo क परकाशन म हम ऄपन परयोजन की ही िसिदच ही दखत

ह िजसक िलए आस पििका क सहयोगी सलाहकार और समपादक मडल िवशषकर शरी

ओमपरकाश गपता क परित हम ऄपनी सिवशष सावना परकट करत ह |

शरी ओम परकाश जी गपता ऄपन शोध सरचना और समपरकाशन म हमार ससथान तो पधार

ही ह व लगातार हमार ससथान और ईसक पदािधकाररयो क सपकथ म भी रह ह | यह ईनक

सदाशयी वयिकततव और शोधकायथ की समपणथता की ऄवधारणा की ही पिषट करता ह | हम आस

ऄनषठान की सफलता की मगल कामना करत ह |

रमाकात दब कायााधयकष तलसी मानस परवतषठान शयामला वहलस भोपाल-२

8 जनवरी 2019

मयाषदा पररोततम राम

क एि भारदवाज

शरी क एस भारदवाज समाजशासतर और वशकषाशासतर म सनातकोततर तथा अगरजी

वशकषण एव परवशकषण-ववकास म सनातकोततर वडपलोमा धारक ह आप

भगवान परशराम वशकषण-परवशकषण ससथान क पवा पराचाया-वनदशक ह इनक

परकाशन ह शाशवत परम (उपनयास) समय क हसताकषर (कववता) वशकषण कषतरीय

मानव ससाधन ववकास सकषम वशकषण वचतन एव उपयोग परजञा-परवशकषण

Humour in Classroom Human Resource Development in

Education and Love Beyond Horizons

राम राम पाठकगण िजन शरी राम न महलो को छोड़ वनो म िवचरना सवीकार िकया ईनका

महल बनान क िलए ईतपात हो रहा ह राम मिदर ऄर धतो राम क सपन पर करन ह तो

रामराजय सथािपत कर क िदखाओ और राम-भकतो का कछ ईपकार करो राम क नाम पर

खन न बहाओ

य सयोग था या शरीराम की आचछा िक िजन दो महानभावो न रामायण रचना की व दोनो ही

जीवन क पवाथदचथ म वासनाओ म िलपत थ दोनो ही चोट खाकर सदगणी बन एक को

सपतऊिषयो न अघात िदया दसर को पतनी न ऄगर धयान स दख तो रतनाकर को चोट िसफथ

सपतऊिषयो न ही नही दी बिलक ईसम ईनकी पतनी का भी बड़ा योगदान था पतनी न कहा

था- अपका धमथ ह हमारा पालन-पोषण अप कस कमात हो हम कया अप ऄपन कमो

क िलए ईततरदाइ और हम ऄपन कमो क रतनाकर की अख फटी की फटी रह गइ

वालमीिक जी और तलसी जी क कायाकलप म दोनो की पितनयो का बड़ा योगदान ह दोनो

क जीवन म ऄभतपवथ सामयता ह

आस सब को दखत हए हम तो लगता ह तलसीदासजी ही पवथजनम म रतनाकर ही थ जो बाद

म अिदकिव वािलमक हए और रामायण की रचना की रामायण जनसाधारण क िलए िकलषट

और ऄगमय थी सो वालमीिक जी ही तलसी क रप म पन परकट हए और रामचररतमानस

की अम बोलचाल म ऄभतपवथ रचना की

राम ह छोटा सा नाम मगर समपणथ कायनात को ऄपन म समट हए समरण म असान मनन

म असान ईलटा जपो या सलटा शरषठ पररणाम वालमीिक जी ईफ़थ रतनाकर ईदाहरण ह

सपतऊिषयो न सलाह दी राम का नाम जपो रतनाकर ठहर डकत राम का नाम कभी िलया

नही था सदव मरन मारन की बात कही थी या सनी थी ऄब राम का नाम िजवहा पर अय

तो अय कस बड़ी ईलझन हइ बोल सपतऊिषयो सकभी राम का नाम िलया नही न ल

सकता ह सदव मरना मारना सीखा ह या सना ह कोइ और ईपाय बताए सपतऊिषयो न

गतथी सलझा दी कहा sbquoमरना मारना जान हो तो ठीक ह अप मरा मरा तो जप सकत

हो तो sbquoमरा मरा‛ ही जपो

डकत ठहरा दढिनशचयी डकतो स ऄिधक दढिनशचयी भला और कौन हो सकता ह कषण

कषण मौत स लोहा लन वाल मगर कया मजाल िक िनशचय स िडग जाए िनषठा क साथ शर

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 2: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 3

intint जय सिया राम intint

हरर ऄनत हरर कथा ऄनता कसह िनसह बहसबसध िब िता (मानि 1140 C5)

भगवान अनत ह उनकी कथाए अनत ह सत गण उनह अनक परकार स कहत-सनत ह

२०१७ जलाइ म गोसवामी तलसीदास जी क ५२०व जनमिदवस पर हयसटन ऄमररका िसथत

शरी राम चररत भवन न ऄगरजी म lsquoरामकवसटrsquo नाम स एक पििका परारभ की थी रामकवसट

का एक माि ईदङशय रामायण और भगवान राम क पिवि कामो की िवशष रप स हमार

यवाओ क बीच जागरकता फलाना ह जहा तक हम जानत ह रामकवसट एकमाि पििका

ह जो िवशष रप स भगवान राम पर ह कइ पाठको का यह सझाव अया िक आसका िहदी म

भी परकाशन होना चािहए फलसवरप lsquoराम िजजञासाrsquo का जनम हअ शरी राम की ऄनत कपा

क परसाद म हम अपक हाथो म राम िजजञासाrsquo का परथम ऄक रख रह ह

ऄनक िदवय अतमाओ क परोतसाहन और समथथन क िबना lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

सभव नही था म ईन सबका का बड़ा ऊणी हअ म ईन लखको क परित अभार वयकत

करता ह िजनहोन परथम ऄक क िलए ऄपनी रचनाए भजी और जो भिवषय म भजत रहग

हमार सरकषक और िवजञापनदाताओ का िवशष अभार जो आस पििका क वयापक िवतरण म

महतवपणथ योगदान द रह ह ऄत म म ऄपन साकतवासी माता-िपता और सभी गरओ क

चरण कमलो को सादर परणाम करता ह िजनक िबना मर जीवन म कछ भी सभव नही होता

पििका की िवषय म अपक िवचारो की परतीकषा रहगी जय िसया राम

सादर

ओमपरकाश क गपता

जनवरी 2019 वरष 1 ऄक 1

मयाथदा परषोततम राम 8

क एस भारदवाज

रामायण एक कालपिनक गरनथ या एक

वासतिवकता 10

सनीता कामबोज

बदलखड म रामकथा की वयािपत क

पराताितवक साकषय 14

हररववषण अवसथी

ऄसीम परम और दया क ईदिध

शरी राम 17

जयोतसना वसह राजावत

मानस क ऄरणयकाणड म भिकत का

सनदभथ 21

नरनर शमाा lsquoकसमrsquo

शरी रामचररतमानस शबद जञान 24

ओमपरकाश गपता

नाथ किहऄ हम किह मग जाही 25

रामलकषमण गपत

राम-चररत सनदश 28

मगलश मजमर lsquoमगलrsquo

राम स आकतरफा सवाद 29

वनदना गपता

एक मनोदशा 31

परवतभा सकसना

हनमान जी की सफलता का परतीकः

सनदरकाणड 32

सरोज गपता

रामचररत मानस क सनदश की िवशवजनीनता 35

परभदयाल वमशर

सिकषपत रामचररतमानस-

१००८ पिकतयो म 38 ओमपरकाश गपता

4 जनवरी 2019

िपादक - मडल

परधान िपादक

ओमपरकाश क गपता

कायषकारी िपादक

िशवपरकाश ऄगरवाल

िपादकीय परामरष मडल

सीताराम ऄगरवाल

रामलकषमण गपत

परभ दयाल िमशर

रामदास लमब

उददशय

राम िजजञासा एक िमािसक पििका ह िजसका एक माि

ईदङशय रामायण क सनदश और भगवान राम क पिवि कामो

की िवशष रप स हमार यवाओ क बीच जागरकता

फलाना ह रचना परकाशन क िलए एक माि मानदड

भगवान राम और रामायण क बार म जानन क िलए पाठको

की िजजञासा बढ़ान का ह

लखको स ऄनरोध ह िक व िनमन मदङो को धयान म रखत

हए ऄपन लख भज

a) लख की िवषय वसत सीध रामायण और भगवान राम

स सबिधत होनी चािहए

b) लख सपषट सरल बोलचाल की भाषा म होना चािहए

जो एक अम वयिकत समझ सक

c) मल ऄपरकािशत लखो को पराथिमकता दी जायगी पवथ-परकािशत लखो पर िवचार

िकया जा सकता ह यिद पन परकािशत करन क िलए अवशयक ऄनमित परापत की गइ हो

और कॉपीराआट का कोइ ईललघन नही िकया गया हो

d) लख एक नया दिषटकोण परदान कर जानी-मानी कथा-कहािनया परकािशत नही होगी

e) वजञािनक ऐितहािसक या सािहितयक साकषय क अधार पर लख िवशष अमिनित ह

f) लख 1000 शबदो म सीिमत होन चािहए ऄितशय लब लख परकािशत नही िकय

जायग

g) परकाशन िनणथय पर ऄितम ऄिधकार परधान सपादक का होगा

रचनाए भजन और ऄनय जानकारी क िलए िलख jigyasaramacharitorg

राम सजजञािा िदसयता रलक

वािषथक सदसयता र 151 (भारत क भीतर) US $11 (ऄनयि)

िि-वािषथक सदसयता र 351 (भारत क भीतर) US $31 (ऄनयि)

पञच-वािषथक सदसयता र 501 (भारत क भीतर) US $51 (ऄनयि)

थोक परितयो क िलए िवशष सदसयता शलक ईपलबध ह

सदसयता िवजञापन मानाथथ परित परािपत और ऄनय जानकारी क िलए कपया सपकथ कर

jigyasaramacharitorg

आस पििका म परकािशत लखो िवजञापनो जानकारी सचना राय और सामगरी सबिधत

लखकोिवजञापनदाताओ की एकमाि ििममदारी ह परकाशक परधान सपादक और

सपादकीय परामशथ मडल का कोइ ईततरदाियतव नही होगा

राम िजजञासा राम चररत भवन हयसटन य एस ए दरारा िमािसक (जनवरी ऄपरल जलाइ

ऄकटबर) परकािशत िकया जाता ह

जनवरी 2019 5

राम जिजञासा सरकषक राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण ऄनक सरकषको की ईदारता स सभव हअ ह

वयिकतगत और पाररवाररक सरकषक को करमश 5 और 10 परितया भजी जाती ह य परितया

ईनकी ओर स ससार क िकसी भी पत भजी जाती ह राम िजजञासा सरकषक बनन क िलए

वािषथक योगदान 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पाररवाररक) की रािश भज यिद

अप राम िजजञासा क परचार और परसार म सहयोग दना चाहत ह तो कपया िलख

jigyasaramacharitorg

ऄमर नाथ और परम ऄगरवाल य एस ए

कषणा कमार और सनीता ऄगरवाल भारत

मनना लाल और ऄचथना ऄगरवाल य एस ए

राम परकाश ऄगरवाल य एस ए

रिवश और शोभा ऄगरवाल य एस ए

ऄजय और शोभा ऄगरवाल य एस ए

बरहम ऄगरवाल य एस ए

सिचन और हररिपरया ऄगरवाल य एस ए

सीता राम ऄगरवाल भारत

सशील और िवमला ऄगरवाल य एस ए

दामोदर और लिलता ऐरन य एस ए

िवररदर और नीना बसल य एस ए

ऄरिवद और सनीता भडारी य एस ए

तनमोय और िबद चकरवती य एस ए

नरश और अशा चद य एस ए

ऄरण कमार और कषणकाती चौधरी भारत

परमोद और पनम दीवान य एस ए

शरी क और सधा गोयल य एस ए

िविपन और साररका गोयल कनाडा

ऄजय और ऄलका गपता य एस ए

अनद और पषप गपता भारत

ऄकर और िनिध गपता भारत

हरर और मज गपता य एस ए

नम और शला गपता य एस ए

रामलकषमण गपत भारत

सत दास और गीता गपता य एस ए

िशवानी िसघल गपता

सीता राम गपता भारत

सपरभा गपता य एस ए

योगश और मोिनका गपता य एस ए

रघनाथपरसाद सराथफ भारत

ऄनज और सवाित जन य एस ए

राघबनर झा ऑसरिलया

राकश और ऄनीता कपर य एस ए

तीथथ खशलदासानी य एस ए

राहल कलकणी भारत

िबरनर और हमा लाल य एस ए

रामदास लमब य एस ए

अशीष महादाया य एस ए

जगल और राज मलानी य एस ए

ऄलका मिललक य एस ए

ऄरिवद और ऄनािमका मिललक य एस ए

राम और सरसवती मिललक य एस ए

लकषमी नारायण और ईषा महरा य एस ए

िनिखल और ऄवनी महता य एस ए

परमोद और मीनाकषी महता य एस ए

सतीश और समन महता य एस ए

रिव और नयना िमसतरी य एस ए

गोपाल और सीता िमततल य एस ए

सशीला मोहनका य एस ए

हकम और सीता मोिगया य एस ए

मगलश मजमर य एस ए

तारा सी और राजन नवाल य एस ए

रमशचर और कोिकला पटल य एस ए

सन पाठक य एस ए

चरशखर रघ य एस ए

आरानी रामपरसाद िििनदाद

सवदश राणा य एस ए

6 जनवरी 2019

ऄशोक रासतोगी भारत

जोगर और रण शमाथ भारत

ऄनीता िसह भारत

िदनश एच िसघल य एस ए

रघबीर और आरा िसघल य एस ए

सतयन और राज िसघल भारत

िदलीप और परितमा सोनी य एस ए

राघर ईपाधयाय य एस ए

भारत क िनवासी 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पररवार- पित-पितन) का

योगदान करक सरकषक बन सकत ह अप डीडीचक दरारा भज सकत ह शरी राम चररत

भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप

एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया jigyasaramacharitorg पर िलख

तािक हम अपको बक िववरण भज सक

राम जिजञासा ससथागत सरकषक

राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण हमार ससथागत सरकषको की ईदारता स सभव हो पाया

ह िजनक हम अभारी ह राम िजजञासा क परचार और परसार क िलए हम सामािजक धािमथक

सासकितक सावथजिनक और िनजी ससथाओ को अमिित करत ह ऄपिकषत वािषथक

योगदान 5001 रपय ह हम ऄपन ससथागत सरकषको को एक वषथ (4 ऄको) क िलए राम

िजजञासा की 50 परितया भजग ससथाओ का नाम राम िजजञासा क हर ऄक म परकािशत

िकया जायगा ऄिधक जानकारी क िलए कपया िलख jigyasaramacharitorg

समडली हयसटन य एस ए

शरी राम मिदर रसट जयपर भारत

तलसी मानस परितषठान भोपाल भारत

ऄगरवाल वशय सभा िदलली क ट भारत

शरी राधा कषणा मिदर हयसटन य एस ए

शरी गोिवद जी गौिडया मठ हयसटन य एस ए

शरी हनमान सवा सघ िदलली क ट भारत

रघनाथन रामलीला सिमित िदलली क ट भारत

डीडीचक दय भजन का पता शरी राम चररत भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास

समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया

jigyasaramacharitorg पर िलख तािक हम अपको बक िववरण भज सक

जनवरी 2019 7

रभ कामना िनदर

भगवान राम और ईनकी रामकथा क शोध और िवसतार को समिपथत हयसटन (ऄमररका) स

परकािशत ऄगरिी पििका रामकवसट क िहनदी ससकरण राम िजजञासा का परकाशन शरी

ओमपरकाश गपता और ईनक परामशथ मडल का एक ऄिभनव ऄनषठान ह यह भगवदचछा ही

कही जायगी िक ऄपन नवीन कलवर म िवशव क वयापक पटल पर परकाशमान यह पििका

ऄपनी िवजय वजयनती जयपर भारत स पररपरसाररत कर रही ह आस ऄिभनव परकलप स

बनधवर ओमपरकाश जी न मझ ऄनािद ऄवसथा स जोड़ रखा ह मझ तो लगता ह िक आस

परयोजन स परभ राम ही जस मझ ऄपनी चाकरी म रखकर मर जीवन को सारवतता परदान कर

रह ह एतदथथ िवशव म राम राजय क शाशवत जीवन मलयो की ऄिभपरािपत म ऄपनी सपणथ शरदचा

भिकत और भाव म सपरयोजय सपरयकत -

परभदयाल वमशर अधयकष महवषा अगसतय ववदक ससथानम भोपाल भारत

यह जानकर हािदथक अनद की ऄनभित हो रही ह िक lsquoहयसटनrsquo स lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

होन जा रहा ह यहा भारत म िहनदी सािहतय परिमयो को जहा यह अशचयथ होना सवाभािवक ह

िक सदर ऄमररका स िहनदी म एक पििका का परकाशन होन जा रहा ह वही आस बात की

खशी भी ह िक हमार दशवासी परदश म रहत हए भी आतन मनोयोग स िहनदी की सवा कर रह

ह म पििका क सफल परकाशन की कामना करता ह और तलसी मानस ससथान की ओर स

शभ कामनाए परिषत करता ह

रामलकषमण गपत अधयकष तलसी मानस ससथान जयपर

भारत म lsquoमानस चतशशदीrsquo समारोह की शरखला म लगभग अधी सदी पवथ ससथािपत lsquoतलसी

मानस परितषठान शयामला िहलस भोपालrsquo रामचररत क शोध समपरसार और पररपरसारण क

िलए दशndashिवदश म ऄपनी सथापना काल स सलगन ह | ऄतः lsquoरामकवसटrsquo (ऄगरजी) और

ईसक िहनदी ससकरण lsquoराम िजजञासाrsquo क परकाशन म हम ऄपन परयोजन की ही िसिदच ही दखत

ह िजसक िलए आस पििका क सहयोगी सलाहकार और समपादक मडल िवशषकर शरी

ओमपरकाश गपता क परित हम ऄपनी सिवशष सावना परकट करत ह |

शरी ओम परकाश जी गपता ऄपन शोध सरचना और समपरकाशन म हमार ससथान तो पधार

ही ह व लगातार हमार ससथान और ईसक पदािधकाररयो क सपकथ म भी रह ह | यह ईनक

सदाशयी वयिकततव और शोधकायथ की समपणथता की ऄवधारणा की ही पिषट करता ह | हम आस

ऄनषठान की सफलता की मगल कामना करत ह |

रमाकात दब कायााधयकष तलसी मानस परवतषठान शयामला वहलस भोपाल-२

8 जनवरी 2019

मयाषदा पररोततम राम

क एि भारदवाज

शरी क एस भारदवाज समाजशासतर और वशकषाशासतर म सनातकोततर तथा अगरजी

वशकषण एव परवशकषण-ववकास म सनातकोततर वडपलोमा धारक ह आप

भगवान परशराम वशकषण-परवशकषण ससथान क पवा पराचाया-वनदशक ह इनक

परकाशन ह शाशवत परम (उपनयास) समय क हसताकषर (कववता) वशकषण कषतरीय

मानव ससाधन ववकास सकषम वशकषण वचतन एव उपयोग परजञा-परवशकषण

Humour in Classroom Human Resource Development in

Education and Love Beyond Horizons

राम राम पाठकगण िजन शरी राम न महलो को छोड़ वनो म िवचरना सवीकार िकया ईनका

महल बनान क िलए ईतपात हो रहा ह राम मिदर ऄर धतो राम क सपन पर करन ह तो

रामराजय सथािपत कर क िदखाओ और राम-भकतो का कछ ईपकार करो राम क नाम पर

खन न बहाओ

य सयोग था या शरीराम की आचछा िक िजन दो महानभावो न रामायण रचना की व दोनो ही

जीवन क पवाथदचथ म वासनाओ म िलपत थ दोनो ही चोट खाकर सदगणी बन एक को

सपतऊिषयो न अघात िदया दसर को पतनी न ऄगर धयान स दख तो रतनाकर को चोट िसफथ

सपतऊिषयो न ही नही दी बिलक ईसम ईनकी पतनी का भी बड़ा योगदान था पतनी न कहा

था- अपका धमथ ह हमारा पालन-पोषण अप कस कमात हो हम कया अप ऄपन कमो

क िलए ईततरदाइ और हम ऄपन कमो क रतनाकर की अख फटी की फटी रह गइ

वालमीिक जी और तलसी जी क कायाकलप म दोनो की पितनयो का बड़ा योगदान ह दोनो

क जीवन म ऄभतपवथ सामयता ह

आस सब को दखत हए हम तो लगता ह तलसीदासजी ही पवथजनम म रतनाकर ही थ जो बाद

म अिदकिव वािलमक हए और रामायण की रचना की रामायण जनसाधारण क िलए िकलषट

और ऄगमय थी सो वालमीिक जी ही तलसी क रप म पन परकट हए और रामचररतमानस

की अम बोलचाल म ऄभतपवथ रचना की

राम ह छोटा सा नाम मगर समपणथ कायनात को ऄपन म समट हए समरण म असान मनन

म असान ईलटा जपो या सलटा शरषठ पररणाम वालमीिक जी ईफ़थ रतनाकर ईदाहरण ह

सपतऊिषयो न सलाह दी राम का नाम जपो रतनाकर ठहर डकत राम का नाम कभी िलया

नही था सदव मरन मारन की बात कही थी या सनी थी ऄब राम का नाम िजवहा पर अय

तो अय कस बड़ी ईलझन हइ बोल सपतऊिषयो सकभी राम का नाम िलया नही न ल

सकता ह सदव मरना मारना सीखा ह या सना ह कोइ और ईपाय बताए सपतऊिषयो न

गतथी सलझा दी कहा sbquoमरना मारना जान हो तो ठीक ह अप मरा मरा तो जप सकत

हो तो sbquoमरा मरा‛ ही जपो

डकत ठहरा दढिनशचयी डकतो स ऄिधक दढिनशचयी भला और कौन हो सकता ह कषण

कषण मौत स लोहा लन वाल मगर कया मजाल िक िनशचय स िडग जाए िनषठा क साथ शर

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 3: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

4 जनवरी 2019

िपादक - मडल

परधान िपादक

ओमपरकाश क गपता

कायषकारी िपादक

िशवपरकाश ऄगरवाल

िपादकीय परामरष मडल

सीताराम ऄगरवाल

रामलकषमण गपत

परभ दयाल िमशर

रामदास लमब

उददशय

राम िजजञासा एक िमािसक पििका ह िजसका एक माि

ईदङशय रामायण क सनदश और भगवान राम क पिवि कामो

की िवशष रप स हमार यवाओ क बीच जागरकता

फलाना ह रचना परकाशन क िलए एक माि मानदड

भगवान राम और रामायण क बार म जानन क िलए पाठको

की िजजञासा बढ़ान का ह

लखको स ऄनरोध ह िक व िनमन मदङो को धयान म रखत

हए ऄपन लख भज

a) लख की िवषय वसत सीध रामायण और भगवान राम

स सबिधत होनी चािहए

b) लख सपषट सरल बोलचाल की भाषा म होना चािहए

जो एक अम वयिकत समझ सक

c) मल ऄपरकािशत लखो को पराथिमकता दी जायगी पवथ-परकािशत लखो पर िवचार

िकया जा सकता ह यिद पन परकािशत करन क िलए अवशयक ऄनमित परापत की गइ हो

और कॉपीराआट का कोइ ईललघन नही िकया गया हो

d) लख एक नया दिषटकोण परदान कर जानी-मानी कथा-कहािनया परकािशत नही होगी

e) वजञािनक ऐितहािसक या सािहितयक साकषय क अधार पर लख िवशष अमिनित ह

f) लख 1000 शबदो म सीिमत होन चािहए ऄितशय लब लख परकािशत नही िकय

जायग

g) परकाशन िनणथय पर ऄितम ऄिधकार परधान सपादक का होगा

रचनाए भजन और ऄनय जानकारी क िलए िलख jigyasaramacharitorg

राम सजजञािा िदसयता रलक

वािषथक सदसयता र 151 (भारत क भीतर) US $11 (ऄनयि)

िि-वािषथक सदसयता र 351 (भारत क भीतर) US $31 (ऄनयि)

पञच-वािषथक सदसयता र 501 (भारत क भीतर) US $51 (ऄनयि)

थोक परितयो क िलए िवशष सदसयता शलक ईपलबध ह

सदसयता िवजञापन मानाथथ परित परािपत और ऄनय जानकारी क िलए कपया सपकथ कर

jigyasaramacharitorg

आस पििका म परकािशत लखो िवजञापनो जानकारी सचना राय और सामगरी सबिधत

लखकोिवजञापनदाताओ की एकमाि ििममदारी ह परकाशक परधान सपादक और

सपादकीय परामशथ मडल का कोइ ईततरदाियतव नही होगा

राम िजजञासा राम चररत भवन हयसटन य एस ए दरारा िमािसक (जनवरी ऄपरल जलाइ

ऄकटबर) परकािशत िकया जाता ह

जनवरी 2019 5

राम जिजञासा सरकषक राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण ऄनक सरकषको की ईदारता स सभव हअ ह

वयिकतगत और पाररवाररक सरकषक को करमश 5 और 10 परितया भजी जाती ह य परितया

ईनकी ओर स ससार क िकसी भी पत भजी जाती ह राम िजजञासा सरकषक बनन क िलए

वािषथक योगदान 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पाररवाररक) की रािश भज यिद

अप राम िजजञासा क परचार और परसार म सहयोग दना चाहत ह तो कपया िलख

jigyasaramacharitorg

ऄमर नाथ और परम ऄगरवाल य एस ए

कषणा कमार और सनीता ऄगरवाल भारत

मनना लाल और ऄचथना ऄगरवाल य एस ए

राम परकाश ऄगरवाल य एस ए

रिवश और शोभा ऄगरवाल य एस ए

ऄजय और शोभा ऄगरवाल य एस ए

बरहम ऄगरवाल य एस ए

सिचन और हररिपरया ऄगरवाल य एस ए

सीता राम ऄगरवाल भारत

सशील और िवमला ऄगरवाल य एस ए

दामोदर और लिलता ऐरन य एस ए

िवररदर और नीना बसल य एस ए

ऄरिवद और सनीता भडारी य एस ए

तनमोय और िबद चकरवती य एस ए

नरश और अशा चद य एस ए

ऄरण कमार और कषणकाती चौधरी भारत

परमोद और पनम दीवान य एस ए

शरी क और सधा गोयल य एस ए

िविपन और साररका गोयल कनाडा

ऄजय और ऄलका गपता य एस ए

अनद और पषप गपता भारत

ऄकर और िनिध गपता भारत

हरर और मज गपता य एस ए

नम और शला गपता य एस ए

रामलकषमण गपत भारत

सत दास और गीता गपता य एस ए

िशवानी िसघल गपता

सीता राम गपता भारत

सपरभा गपता य एस ए

योगश और मोिनका गपता य एस ए

रघनाथपरसाद सराथफ भारत

ऄनज और सवाित जन य एस ए

राघबनर झा ऑसरिलया

राकश और ऄनीता कपर य एस ए

तीथथ खशलदासानी य एस ए

राहल कलकणी भारत

िबरनर और हमा लाल य एस ए

रामदास लमब य एस ए

अशीष महादाया य एस ए

जगल और राज मलानी य एस ए

ऄलका मिललक य एस ए

ऄरिवद और ऄनािमका मिललक य एस ए

राम और सरसवती मिललक य एस ए

लकषमी नारायण और ईषा महरा य एस ए

िनिखल और ऄवनी महता य एस ए

परमोद और मीनाकषी महता य एस ए

सतीश और समन महता य एस ए

रिव और नयना िमसतरी य एस ए

गोपाल और सीता िमततल य एस ए

सशीला मोहनका य एस ए

हकम और सीता मोिगया य एस ए

मगलश मजमर य एस ए

तारा सी और राजन नवाल य एस ए

रमशचर और कोिकला पटल य एस ए

सन पाठक य एस ए

चरशखर रघ य एस ए

आरानी रामपरसाद िििनदाद

सवदश राणा य एस ए

6 जनवरी 2019

ऄशोक रासतोगी भारत

जोगर और रण शमाथ भारत

ऄनीता िसह भारत

िदनश एच िसघल य एस ए

रघबीर और आरा िसघल य एस ए

सतयन और राज िसघल भारत

िदलीप और परितमा सोनी य एस ए

राघर ईपाधयाय य एस ए

भारत क िनवासी 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पररवार- पित-पितन) का

योगदान करक सरकषक बन सकत ह अप डीडीचक दरारा भज सकत ह शरी राम चररत

भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप

एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया jigyasaramacharitorg पर िलख

तािक हम अपको बक िववरण भज सक

राम जिजञासा ससथागत सरकषक

राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण हमार ससथागत सरकषको की ईदारता स सभव हो पाया

ह िजनक हम अभारी ह राम िजजञासा क परचार और परसार क िलए हम सामािजक धािमथक

सासकितक सावथजिनक और िनजी ससथाओ को अमिित करत ह ऄपिकषत वािषथक

योगदान 5001 रपय ह हम ऄपन ससथागत सरकषको को एक वषथ (4 ऄको) क िलए राम

िजजञासा की 50 परितया भजग ससथाओ का नाम राम िजजञासा क हर ऄक म परकािशत

िकया जायगा ऄिधक जानकारी क िलए कपया िलख jigyasaramacharitorg

समडली हयसटन य एस ए

शरी राम मिदर रसट जयपर भारत

तलसी मानस परितषठान भोपाल भारत

ऄगरवाल वशय सभा िदलली क ट भारत

शरी राधा कषणा मिदर हयसटन य एस ए

शरी गोिवद जी गौिडया मठ हयसटन य एस ए

शरी हनमान सवा सघ िदलली क ट भारत

रघनाथन रामलीला सिमित िदलली क ट भारत

डीडीचक दय भजन का पता शरी राम चररत भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास

समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया

jigyasaramacharitorg पर िलख तािक हम अपको बक िववरण भज सक

जनवरी 2019 7

रभ कामना िनदर

भगवान राम और ईनकी रामकथा क शोध और िवसतार को समिपथत हयसटन (ऄमररका) स

परकािशत ऄगरिी पििका रामकवसट क िहनदी ससकरण राम िजजञासा का परकाशन शरी

ओमपरकाश गपता और ईनक परामशथ मडल का एक ऄिभनव ऄनषठान ह यह भगवदचछा ही

कही जायगी िक ऄपन नवीन कलवर म िवशव क वयापक पटल पर परकाशमान यह पििका

ऄपनी िवजय वजयनती जयपर भारत स पररपरसाररत कर रही ह आस ऄिभनव परकलप स

बनधवर ओमपरकाश जी न मझ ऄनािद ऄवसथा स जोड़ रखा ह मझ तो लगता ह िक आस

परयोजन स परभ राम ही जस मझ ऄपनी चाकरी म रखकर मर जीवन को सारवतता परदान कर

रह ह एतदथथ िवशव म राम राजय क शाशवत जीवन मलयो की ऄिभपरािपत म ऄपनी सपणथ शरदचा

भिकत और भाव म सपरयोजय सपरयकत -

परभदयाल वमशर अधयकष महवषा अगसतय ववदक ससथानम भोपाल भारत

यह जानकर हािदथक अनद की ऄनभित हो रही ह िक lsquoहयसटनrsquo स lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

होन जा रहा ह यहा भारत म िहनदी सािहतय परिमयो को जहा यह अशचयथ होना सवाभािवक ह

िक सदर ऄमररका स िहनदी म एक पििका का परकाशन होन जा रहा ह वही आस बात की

खशी भी ह िक हमार दशवासी परदश म रहत हए भी आतन मनोयोग स िहनदी की सवा कर रह

ह म पििका क सफल परकाशन की कामना करता ह और तलसी मानस ससथान की ओर स

शभ कामनाए परिषत करता ह

रामलकषमण गपत अधयकष तलसी मानस ससथान जयपर

भारत म lsquoमानस चतशशदीrsquo समारोह की शरखला म लगभग अधी सदी पवथ ससथािपत lsquoतलसी

मानस परितषठान शयामला िहलस भोपालrsquo रामचररत क शोध समपरसार और पररपरसारण क

िलए दशndashिवदश म ऄपनी सथापना काल स सलगन ह | ऄतः lsquoरामकवसटrsquo (ऄगरजी) और

ईसक िहनदी ससकरण lsquoराम िजजञासाrsquo क परकाशन म हम ऄपन परयोजन की ही िसिदच ही दखत

ह िजसक िलए आस पििका क सहयोगी सलाहकार और समपादक मडल िवशषकर शरी

ओमपरकाश गपता क परित हम ऄपनी सिवशष सावना परकट करत ह |

शरी ओम परकाश जी गपता ऄपन शोध सरचना और समपरकाशन म हमार ससथान तो पधार

ही ह व लगातार हमार ससथान और ईसक पदािधकाररयो क सपकथ म भी रह ह | यह ईनक

सदाशयी वयिकततव और शोधकायथ की समपणथता की ऄवधारणा की ही पिषट करता ह | हम आस

ऄनषठान की सफलता की मगल कामना करत ह |

रमाकात दब कायााधयकष तलसी मानस परवतषठान शयामला वहलस भोपाल-२

8 जनवरी 2019

मयाषदा पररोततम राम

क एि भारदवाज

शरी क एस भारदवाज समाजशासतर और वशकषाशासतर म सनातकोततर तथा अगरजी

वशकषण एव परवशकषण-ववकास म सनातकोततर वडपलोमा धारक ह आप

भगवान परशराम वशकषण-परवशकषण ससथान क पवा पराचाया-वनदशक ह इनक

परकाशन ह शाशवत परम (उपनयास) समय क हसताकषर (कववता) वशकषण कषतरीय

मानव ससाधन ववकास सकषम वशकषण वचतन एव उपयोग परजञा-परवशकषण

Humour in Classroom Human Resource Development in

Education and Love Beyond Horizons

राम राम पाठकगण िजन शरी राम न महलो को छोड़ वनो म िवचरना सवीकार िकया ईनका

महल बनान क िलए ईतपात हो रहा ह राम मिदर ऄर धतो राम क सपन पर करन ह तो

रामराजय सथािपत कर क िदखाओ और राम-भकतो का कछ ईपकार करो राम क नाम पर

खन न बहाओ

य सयोग था या शरीराम की आचछा िक िजन दो महानभावो न रामायण रचना की व दोनो ही

जीवन क पवाथदचथ म वासनाओ म िलपत थ दोनो ही चोट खाकर सदगणी बन एक को

सपतऊिषयो न अघात िदया दसर को पतनी न ऄगर धयान स दख तो रतनाकर को चोट िसफथ

सपतऊिषयो न ही नही दी बिलक ईसम ईनकी पतनी का भी बड़ा योगदान था पतनी न कहा

था- अपका धमथ ह हमारा पालन-पोषण अप कस कमात हो हम कया अप ऄपन कमो

क िलए ईततरदाइ और हम ऄपन कमो क रतनाकर की अख फटी की फटी रह गइ

वालमीिक जी और तलसी जी क कायाकलप म दोनो की पितनयो का बड़ा योगदान ह दोनो

क जीवन म ऄभतपवथ सामयता ह

आस सब को दखत हए हम तो लगता ह तलसीदासजी ही पवथजनम म रतनाकर ही थ जो बाद

म अिदकिव वािलमक हए और रामायण की रचना की रामायण जनसाधारण क िलए िकलषट

और ऄगमय थी सो वालमीिक जी ही तलसी क रप म पन परकट हए और रामचररतमानस

की अम बोलचाल म ऄभतपवथ रचना की

राम ह छोटा सा नाम मगर समपणथ कायनात को ऄपन म समट हए समरण म असान मनन

म असान ईलटा जपो या सलटा शरषठ पररणाम वालमीिक जी ईफ़थ रतनाकर ईदाहरण ह

सपतऊिषयो न सलाह दी राम का नाम जपो रतनाकर ठहर डकत राम का नाम कभी िलया

नही था सदव मरन मारन की बात कही थी या सनी थी ऄब राम का नाम िजवहा पर अय

तो अय कस बड़ी ईलझन हइ बोल सपतऊिषयो सकभी राम का नाम िलया नही न ल

सकता ह सदव मरना मारना सीखा ह या सना ह कोइ और ईपाय बताए सपतऊिषयो न

गतथी सलझा दी कहा sbquoमरना मारना जान हो तो ठीक ह अप मरा मरा तो जप सकत

हो तो sbquoमरा मरा‛ ही जपो

डकत ठहरा दढिनशचयी डकतो स ऄिधक दढिनशचयी भला और कौन हो सकता ह कषण

कषण मौत स लोहा लन वाल मगर कया मजाल िक िनशचय स िडग जाए िनषठा क साथ शर

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 4: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 5

राम जिजञासा सरकषक राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण ऄनक सरकषको की ईदारता स सभव हअ ह

वयिकतगत और पाररवाररक सरकषक को करमश 5 और 10 परितया भजी जाती ह य परितया

ईनकी ओर स ससार क िकसी भी पत भजी जाती ह राम िजजञासा सरकषक बनन क िलए

वािषथक योगदान 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पाररवाररक) की रािश भज यिद

अप राम िजजञासा क परचार और परसार म सहयोग दना चाहत ह तो कपया िलख

jigyasaramacharitorg

ऄमर नाथ और परम ऄगरवाल य एस ए

कषणा कमार और सनीता ऄगरवाल भारत

मनना लाल और ऄचथना ऄगरवाल य एस ए

राम परकाश ऄगरवाल य एस ए

रिवश और शोभा ऄगरवाल य एस ए

ऄजय और शोभा ऄगरवाल य एस ए

बरहम ऄगरवाल य एस ए

सिचन और हररिपरया ऄगरवाल य एस ए

सीता राम ऄगरवाल भारत

सशील और िवमला ऄगरवाल य एस ए

दामोदर और लिलता ऐरन य एस ए

िवररदर और नीना बसल य एस ए

ऄरिवद और सनीता भडारी य एस ए

तनमोय और िबद चकरवती य एस ए

नरश और अशा चद य एस ए

ऄरण कमार और कषणकाती चौधरी भारत

परमोद और पनम दीवान य एस ए

शरी क और सधा गोयल य एस ए

िविपन और साररका गोयल कनाडा

ऄजय और ऄलका गपता य एस ए

अनद और पषप गपता भारत

ऄकर और िनिध गपता भारत

हरर और मज गपता य एस ए

नम और शला गपता य एस ए

रामलकषमण गपत भारत

सत दास और गीता गपता य एस ए

िशवानी िसघल गपता

सीता राम गपता भारत

सपरभा गपता य एस ए

योगश और मोिनका गपता य एस ए

रघनाथपरसाद सराथफ भारत

ऄनज और सवाित जन य एस ए

राघबनर झा ऑसरिलया

राकश और ऄनीता कपर य एस ए

तीथथ खशलदासानी य एस ए

राहल कलकणी भारत

िबरनर और हमा लाल य एस ए

रामदास लमब य एस ए

अशीष महादाया य एस ए

जगल और राज मलानी य एस ए

ऄलका मिललक य एस ए

ऄरिवद और ऄनािमका मिललक य एस ए

राम और सरसवती मिललक य एस ए

लकषमी नारायण और ईषा महरा य एस ए

िनिखल और ऄवनी महता य एस ए

परमोद और मीनाकषी महता य एस ए

सतीश और समन महता य एस ए

रिव और नयना िमसतरी य एस ए

गोपाल और सीता िमततल य एस ए

सशीला मोहनका य एस ए

हकम और सीता मोिगया य एस ए

मगलश मजमर य एस ए

तारा सी और राजन नवाल य एस ए

रमशचर और कोिकला पटल य एस ए

सन पाठक य एस ए

चरशखर रघ य एस ए

आरानी रामपरसाद िििनदाद

सवदश राणा य एस ए

6 जनवरी 2019

ऄशोक रासतोगी भारत

जोगर और रण शमाथ भारत

ऄनीता िसह भारत

िदनश एच िसघल य एस ए

रघबीर और आरा िसघल य एस ए

सतयन और राज िसघल भारत

िदलीप और परितमा सोनी य एस ए

राघर ईपाधयाय य एस ए

भारत क िनवासी 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पररवार- पित-पितन) का

योगदान करक सरकषक बन सकत ह अप डीडीचक दरारा भज सकत ह शरी राम चररत

भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप

एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया jigyasaramacharitorg पर िलख

तािक हम अपको बक िववरण भज सक

राम जिजञासा ससथागत सरकषक

राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण हमार ससथागत सरकषको की ईदारता स सभव हो पाया

ह िजनक हम अभारी ह राम िजजञासा क परचार और परसार क िलए हम सामािजक धािमथक

सासकितक सावथजिनक और िनजी ससथाओ को अमिित करत ह ऄपिकषत वािषथक

योगदान 5001 रपय ह हम ऄपन ससथागत सरकषको को एक वषथ (4 ऄको) क िलए राम

िजजञासा की 50 परितया भजग ससथाओ का नाम राम िजजञासा क हर ऄक म परकािशत

िकया जायगा ऄिधक जानकारी क िलए कपया िलख jigyasaramacharitorg

समडली हयसटन य एस ए

शरी राम मिदर रसट जयपर भारत

तलसी मानस परितषठान भोपाल भारत

ऄगरवाल वशय सभा िदलली क ट भारत

शरी राधा कषणा मिदर हयसटन य एस ए

शरी गोिवद जी गौिडया मठ हयसटन य एस ए

शरी हनमान सवा सघ िदलली क ट भारत

रघनाथन रामलीला सिमित िदलली क ट भारत

डीडीचक दय भजन का पता शरी राम चररत भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास

समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया

jigyasaramacharitorg पर िलख तािक हम अपको बक िववरण भज सक

जनवरी 2019 7

रभ कामना िनदर

भगवान राम और ईनकी रामकथा क शोध और िवसतार को समिपथत हयसटन (ऄमररका) स

परकािशत ऄगरिी पििका रामकवसट क िहनदी ससकरण राम िजजञासा का परकाशन शरी

ओमपरकाश गपता और ईनक परामशथ मडल का एक ऄिभनव ऄनषठान ह यह भगवदचछा ही

कही जायगी िक ऄपन नवीन कलवर म िवशव क वयापक पटल पर परकाशमान यह पििका

ऄपनी िवजय वजयनती जयपर भारत स पररपरसाररत कर रही ह आस ऄिभनव परकलप स

बनधवर ओमपरकाश जी न मझ ऄनािद ऄवसथा स जोड़ रखा ह मझ तो लगता ह िक आस

परयोजन स परभ राम ही जस मझ ऄपनी चाकरी म रखकर मर जीवन को सारवतता परदान कर

रह ह एतदथथ िवशव म राम राजय क शाशवत जीवन मलयो की ऄिभपरािपत म ऄपनी सपणथ शरदचा

भिकत और भाव म सपरयोजय सपरयकत -

परभदयाल वमशर अधयकष महवषा अगसतय ववदक ससथानम भोपाल भारत

यह जानकर हािदथक अनद की ऄनभित हो रही ह िक lsquoहयसटनrsquo स lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

होन जा रहा ह यहा भारत म िहनदी सािहतय परिमयो को जहा यह अशचयथ होना सवाभािवक ह

िक सदर ऄमररका स िहनदी म एक पििका का परकाशन होन जा रहा ह वही आस बात की

खशी भी ह िक हमार दशवासी परदश म रहत हए भी आतन मनोयोग स िहनदी की सवा कर रह

ह म पििका क सफल परकाशन की कामना करता ह और तलसी मानस ससथान की ओर स

शभ कामनाए परिषत करता ह

रामलकषमण गपत अधयकष तलसी मानस ससथान जयपर

भारत म lsquoमानस चतशशदीrsquo समारोह की शरखला म लगभग अधी सदी पवथ ससथािपत lsquoतलसी

मानस परितषठान शयामला िहलस भोपालrsquo रामचररत क शोध समपरसार और पररपरसारण क

िलए दशndashिवदश म ऄपनी सथापना काल स सलगन ह | ऄतः lsquoरामकवसटrsquo (ऄगरजी) और

ईसक िहनदी ससकरण lsquoराम िजजञासाrsquo क परकाशन म हम ऄपन परयोजन की ही िसिदच ही दखत

ह िजसक िलए आस पििका क सहयोगी सलाहकार और समपादक मडल िवशषकर शरी

ओमपरकाश गपता क परित हम ऄपनी सिवशष सावना परकट करत ह |

शरी ओम परकाश जी गपता ऄपन शोध सरचना और समपरकाशन म हमार ससथान तो पधार

ही ह व लगातार हमार ससथान और ईसक पदािधकाररयो क सपकथ म भी रह ह | यह ईनक

सदाशयी वयिकततव और शोधकायथ की समपणथता की ऄवधारणा की ही पिषट करता ह | हम आस

ऄनषठान की सफलता की मगल कामना करत ह |

रमाकात दब कायााधयकष तलसी मानस परवतषठान शयामला वहलस भोपाल-२

8 जनवरी 2019

मयाषदा पररोततम राम

क एि भारदवाज

शरी क एस भारदवाज समाजशासतर और वशकषाशासतर म सनातकोततर तथा अगरजी

वशकषण एव परवशकषण-ववकास म सनातकोततर वडपलोमा धारक ह आप

भगवान परशराम वशकषण-परवशकषण ससथान क पवा पराचाया-वनदशक ह इनक

परकाशन ह शाशवत परम (उपनयास) समय क हसताकषर (कववता) वशकषण कषतरीय

मानव ससाधन ववकास सकषम वशकषण वचतन एव उपयोग परजञा-परवशकषण

Humour in Classroom Human Resource Development in

Education and Love Beyond Horizons

राम राम पाठकगण िजन शरी राम न महलो को छोड़ वनो म िवचरना सवीकार िकया ईनका

महल बनान क िलए ईतपात हो रहा ह राम मिदर ऄर धतो राम क सपन पर करन ह तो

रामराजय सथािपत कर क िदखाओ और राम-भकतो का कछ ईपकार करो राम क नाम पर

खन न बहाओ

य सयोग था या शरीराम की आचछा िक िजन दो महानभावो न रामायण रचना की व दोनो ही

जीवन क पवाथदचथ म वासनाओ म िलपत थ दोनो ही चोट खाकर सदगणी बन एक को

सपतऊिषयो न अघात िदया दसर को पतनी न ऄगर धयान स दख तो रतनाकर को चोट िसफथ

सपतऊिषयो न ही नही दी बिलक ईसम ईनकी पतनी का भी बड़ा योगदान था पतनी न कहा

था- अपका धमथ ह हमारा पालन-पोषण अप कस कमात हो हम कया अप ऄपन कमो

क िलए ईततरदाइ और हम ऄपन कमो क रतनाकर की अख फटी की फटी रह गइ

वालमीिक जी और तलसी जी क कायाकलप म दोनो की पितनयो का बड़ा योगदान ह दोनो

क जीवन म ऄभतपवथ सामयता ह

आस सब को दखत हए हम तो लगता ह तलसीदासजी ही पवथजनम म रतनाकर ही थ जो बाद

म अिदकिव वािलमक हए और रामायण की रचना की रामायण जनसाधारण क िलए िकलषट

और ऄगमय थी सो वालमीिक जी ही तलसी क रप म पन परकट हए और रामचररतमानस

की अम बोलचाल म ऄभतपवथ रचना की

राम ह छोटा सा नाम मगर समपणथ कायनात को ऄपन म समट हए समरण म असान मनन

म असान ईलटा जपो या सलटा शरषठ पररणाम वालमीिक जी ईफ़थ रतनाकर ईदाहरण ह

सपतऊिषयो न सलाह दी राम का नाम जपो रतनाकर ठहर डकत राम का नाम कभी िलया

नही था सदव मरन मारन की बात कही थी या सनी थी ऄब राम का नाम िजवहा पर अय

तो अय कस बड़ी ईलझन हइ बोल सपतऊिषयो सकभी राम का नाम िलया नही न ल

सकता ह सदव मरना मारना सीखा ह या सना ह कोइ और ईपाय बताए सपतऊिषयो न

गतथी सलझा दी कहा sbquoमरना मारना जान हो तो ठीक ह अप मरा मरा तो जप सकत

हो तो sbquoमरा मरा‛ ही जपो

डकत ठहरा दढिनशचयी डकतो स ऄिधक दढिनशचयी भला और कौन हो सकता ह कषण

कषण मौत स लोहा लन वाल मगर कया मजाल िक िनशचय स िडग जाए िनषठा क साथ शर

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 5: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

6 जनवरी 2019

ऄशोक रासतोगी भारत

जोगर और रण शमाथ भारत

ऄनीता िसह भारत

िदनश एच िसघल य एस ए

रघबीर और आरा िसघल य एस ए

सतयन और राज िसघल भारत

िदलीप और परितमा सोनी य एस ए

राघर ईपाधयाय य एस ए

भारत क िनवासी 501 रपय (वयिकतगत) और 1001 रपय (पररवार- पित-पितन) का

योगदान करक सरकषक बन सकत ह अप डीडीचक दरारा भज सकत ह शरी राम चररत

भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप

एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया jigyasaramacharitorg पर िलख

तािक हम अपको बक िववरण भज सक

राम जिजञासा ससथागत सरकषक

राम िजजञासा का परकाशन और िवतरण हमार ससथागत सरकषको की ईदारता स सभव हो पाया

ह िजनक हम अभारी ह राम िजजञासा क परचार और परसार क िलए हम सामािजक धािमथक

सासकितक सावथजिनक और िनजी ससथाओ को अमिित करत ह ऄपिकषत वािषथक

योगदान 5001 रपय ह हम ऄपन ससथागत सरकषको को एक वषथ (4 ऄको) क िलए राम

िजजञासा की 50 परितया भजग ससथाओ का नाम राम िजजञासा क हर ऄक म परकािशत

िकया जायगा ऄिधक जानकारी क िलए कपया िलख jigyasaramacharitorg

समडली हयसटन य एस ए

शरी राम मिदर रसट जयपर भारत

तलसी मानस परितषठान भोपाल भारत

ऄगरवाल वशय सभा िदलली क ट भारत

शरी राधा कषणा मिदर हयसटन य एस ए

शरी गोिवद जी गौिडया मठ हयसटन य एस ए

शरी हनमान सवा सघ िदलली क ट भारत

रघनाथन रामलीला सिमित िदलली क ट भारत

डीडीचक दय भजन का पता शरी राम चररत भवन 1-बी वदावन पाकथ सतोषी नगर क पास

समा रोड वडोदरा 390008 ऄगर अप एन इ एफ टी का ईपयोग करना चाहत ह तो कपया

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जनवरी 2019 7

रभ कामना िनदर

भगवान राम और ईनकी रामकथा क शोध और िवसतार को समिपथत हयसटन (ऄमररका) स

परकािशत ऄगरिी पििका रामकवसट क िहनदी ससकरण राम िजजञासा का परकाशन शरी

ओमपरकाश गपता और ईनक परामशथ मडल का एक ऄिभनव ऄनषठान ह यह भगवदचछा ही

कही जायगी िक ऄपन नवीन कलवर म िवशव क वयापक पटल पर परकाशमान यह पििका

ऄपनी िवजय वजयनती जयपर भारत स पररपरसाररत कर रही ह आस ऄिभनव परकलप स

बनधवर ओमपरकाश जी न मझ ऄनािद ऄवसथा स जोड़ रखा ह मझ तो लगता ह िक आस

परयोजन स परभ राम ही जस मझ ऄपनी चाकरी म रखकर मर जीवन को सारवतता परदान कर

रह ह एतदथथ िवशव म राम राजय क शाशवत जीवन मलयो की ऄिभपरािपत म ऄपनी सपणथ शरदचा

भिकत और भाव म सपरयोजय सपरयकत -

परभदयाल वमशर अधयकष महवषा अगसतय ववदक ससथानम भोपाल भारत

यह जानकर हािदथक अनद की ऄनभित हो रही ह िक lsquoहयसटनrsquo स lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

होन जा रहा ह यहा भारत म िहनदी सािहतय परिमयो को जहा यह अशचयथ होना सवाभािवक ह

िक सदर ऄमररका स िहनदी म एक पििका का परकाशन होन जा रहा ह वही आस बात की

खशी भी ह िक हमार दशवासी परदश म रहत हए भी आतन मनोयोग स िहनदी की सवा कर रह

ह म पििका क सफल परकाशन की कामना करता ह और तलसी मानस ससथान की ओर स

शभ कामनाए परिषत करता ह

रामलकषमण गपत अधयकष तलसी मानस ससथान जयपर

भारत म lsquoमानस चतशशदीrsquo समारोह की शरखला म लगभग अधी सदी पवथ ससथािपत lsquoतलसी

मानस परितषठान शयामला िहलस भोपालrsquo रामचररत क शोध समपरसार और पररपरसारण क

िलए दशndashिवदश म ऄपनी सथापना काल स सलगन ह | ऄतः lsquoरामकवसटrsquo (ऄगरजी) और

ईसक िहनदी ससकरण lsquoराम िजजञासाrsquo क परकाशन म हम ऄपन परयोजन की ही िसिदच ही दखत

ह िजसक िलए आस पििका क सहयोगी सलाहकार और समपादक मडल िवशषकर शरी

ओमपरकाश गपता क परित हम ऄपनी सिवशष सावना परकट करत ह |

शरी ओम परकाश जी गपता ऄपन शोध सरचना और समपरकाशन म हमार ससथान तो पधार

ही ह व लगातार हमार ससथान और ईसक पदािधकाररयो क सपकथ म भी रह ह | यह ईनक

सदाशयी वयिकततव और शोधकायथ की समपणथता की ऄवधारणा की ही पिषट करता ह | हम आस

ऄनषठान की सफलता की मगल कामना करत ह |

रमाकात दब कायााधयकष तलसी मानस परवतषठान शयामला वहलस भोपाल-२

8 जनवरी 2019

मयाषदा पररोततम राम

क एि भारदवाज

शरी क एस भारदवाज समाजशासतर और वशकषाशासतर म सनातकोततर तथा अगरजी

वशकषण एव परवशकषण-ववकास म सनातकोततर वडपलोमा धारक ह आप

भगवान परशराम वशकषण-परवशकषण ससथान क पवा पराचाया-वनदशक ह इनक

परकाशन ह शाशवत परम (उपनयास) समय क हसताकषर (कववता) वशकषण कषतरीय

मानव ससाधन ववकास सकषम वशकषण वचतन एव उपयोग परजञा-परवशकषण

Humour in Classroom Human Resource Development in

Education and Love Beyond Horizons

राम राम पाठकगण िजन शरी राम न महलो को छोड़ वनो म िवचरना सवीकार िकया ईनका

महल बनान क िलए ईतपात हो रहा ह राम मिदर ऄर धतो राम क सपन पर करन ह तो

रामराजय सथािपत कर क िदखाओ और राम-भकतो का कछ ईपकार करो राम क नाम पर

खन न बहाओ

य सयोग था या शरीराम की आचछा िक िजन दो महानभावो न रामायण रचना की व दोनो ही

जीवन क पवाथदचथ म वासनाओ म िलपत थ दोनो ही चोट खाकर सदगणी बन एक को

सपतऊिषयो न अघात िदया दसर को पतनी न ऄगर धयान स दख तो रतनाकर को चोट िसफथ

सपतऊिषयो न ही नही दी बिलक ईसम ईनकी पतनी का भी बड़ा योगदान था पतनी न कहा

था- अपका धमथ ह हमारा पालन-पोषण अप कस कमात हो हम कया अप ऄपन कमो

क िलए ईततरदाइ और हम ऄपन कमो क रतनाकर की अख फटी की फटी रह गइ

वालमीिक जी और तलसी जी क कायाकलप म दोनो की पितनयो का बड़ा योगदान ह दोनो

क जीवन म ऄभतपवथ सामयता ह

आस सब को दखत हए हम तो लगता ह तलसीदासजी ही पवथजनम म रतनाकर ही थ जो बाद

म अिदकिव वािलमक हए और रामायण की रचना की रामायण जनसाधारण क िलए िकलषट

और ऄगमय थी सो वालमीिक जी ही तलसी क रप म पन परकट हए और रामचररतमानस

की अम बोलचाल म ऄभतपवथ रचना की

राम ह छोटा सा नाम मगर समपणथ कायनात को ऄपन म समट हए समरण म असान मनन

म असान ईलटा जपो या सलटा शरषठ पररणाम वालमीिक जी ईफ़थ रतनाकर ईदाहरण ह

सपतऊिषयो न सलाह दी राम का नाम जपो रतनाकर ठहर डकत राम का नाम कभी िलया

नही था सदव मरन मारन की बात कही थी या सनी थी ऄब राम का नाम िजवहा पर अय

तो अय कस बड़ी ईलझन हइ बोल सपतऊिषयो सकभी राम का नाम िलया नही न ल

सकता ह सदव मरना मारना सीखा ह या सना ह कोइ और ईपाय बताए सपतऊिषयो न

गतथी सलझा दी कहा sbquoमरना मारना जान हो तो ठीक ह अप मरा मरा तो जप सकत

हो तो sbquoमरा मरा‛ ही जपो

डकत ठहरा दढिनशचयी डकतो स ऄिधक दढिनशचयी भला और कौन हो सकता ह कषण

कषण मौत स लोहा लन वाल मगर कया मजाल िक िनशचय स िडग जाए िनषठा क साथ शर

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 6: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 7

रभ कामना िनदर

भगवान राम और ईनकी रामकथा क शोध और िवसतार को समिपथत हयसटन (ऄमररका) स

परकािशत ऄगरिी पििका रामकवसट क िहनदी ससकरण राम िजजञासा का परकाशन शरी

ओमपरकाश गपता और ईनक परामशथ मडल का एक ऄिभनव ऄनषठान ह यह भगवदचछा ही

कही जायगी िक ऄपन नवीन कलवर म िवशव क वयापक पटल पर परकाशमान यह पििका

ऄपनी िवजय वजयनती जयपर भारत स पररपरसाररत कर रही ह आस ऄिभनव परकलप स

बनधवर ओमपरकाश जी न मझ ऄनािद ऄवसथा स जोड़ रखा ह मझ तो लगता ह िक आस

परयोजन स परभ राम ही जस मझ ऄपनी चाकरी म रखकर मर जीवन को सारवतता परदान कर

रह ह एतदथथ िवशव म राम राजय क शाशवत जीवन मलयो की ऄिभपरािपत म ऄपनी सपणथ शरदचा

भिकत और भाव म सपरयोजय सपरयकत -

परभदयाल वमशर अधयकष महवषा अगसतय ववदक ससथानम भोपाल भारत

यह जानकर हािदथक अनद की ऄनभित हो रही ह िक lsquoहयसटनrsquo स lsquoराम िजजञासाrsquo का परकाशन

होन जा रहा ह यहा भारत म िहनदी सािहतय परिमयो को जहा यह अशचयथ होना सवाभािवक ह

िक सदर ऄमररका स िहनदी म एक पििका का परकाशन होन जा रहा ह वही आस बात की

खशी भी ह िक हमार दशवासी परदश म रहत हए भी आतन मनोयोग स िहनदी की सवा कर रह

ह म पििका क सफल परकाशन की कामना करता ह और तलसी मानस ससथान की ओर स

शभ कामनाए परिषत करता ह

रामलकषमण गपत अधयकष तलसी मानस ससथान जयपर

भारत म lsquoमानस चतशशदीrsquo समारोह की शरखला म लगभग अधी सदी पवथ ससथािपत lsquoतलसी

मानस परितषठान शयामला िहलस भोपालrsquo रामचररत क शोध समपरसार और पररपरसारण क

िलए दशndashिवदश म ऄपनी सथापना काल स सलगन ह | ऄतः lsquoरामकवसटrsquo (ऄगरजी) और

ईसक िहनदी ससकरण lsquoराम िजजञासाrsquo क परकाशन म हम ऄपन परयोजन की ही िसिदच ही दखत

ह िजसक िलए आस पििका क सहयोगी सलाहकार और समपादक मडल िवशषकर शरी

ओमपरकाश गपता क परित हम ऄपनी सिवशष सावना परकट करत ह |

शरी ओम परकाश जी गपता ऄपन शोध सरचना और समपरकाशन म हमार ससथान तो पधार

ही ह व लगातार हमार ससथान और ईसक पदािधकाररयो क सपकथ म भी रह ह | यह ईनक

सदाशयी वयिकततव और शोधकायथ की समपणथता की ऄवधारणा की ही पिषट करता ह | हम आस

ऄनषठान की सफलता की मगल कामना करत ह |

रमाकात दब कायााधयकष तलसी मानस परवतषठान शयामला वहलस भोपाल-२

8 जनवरी 2019

मयाषदा पररोततम राम

क एि भारदवाज

शरी क एस भारदवाज समाजशासतर और वशकषाशासतर म सनातकोततर तथा अगरजी

वशकषण एव परवशकषण-ववकास म सनातकोततर वडपलोमा धारक ह आप

भगवान परशराम वशकषण-परवशकषण ससथान क पवा पराचाया-वनदशक ह इनक

परकाशन ह शाशवत परम (उपनयास) समय क हसताकषर (कववता) वशकषण कषतरीय

मानव ससाधन ववकास सकषम वशकषण वचतन एव उपयोग परजञा-परवशकषण

Humour in Classroom Human Resource Development in

Education and Love Beyond Horizons

राम राम पाठकगण िजन शरी राम न महलो को छोड़ वनो म िवचरना सवीकार िकया ईनका

महल बनान क िलए ईतपात हो रहा ह राम मिदर ऄर धतो राम क सपन पर करन ह तो

रामराजय सथािपत कर क िदखाओ और राम-भकतो का कछ ईपकार करो राम क नाम पर

खन न बहाओ

य सयोग था या शरीराम की आचछा िक िजन दो महानभावो न रामायण रचना की व दोनो ही

जीवन क पवाथदचथ म वासनाओ म िलपत थ दोनो ही चोट खाकर सदगणी बन एक को

सपतऊिषयो न अघात िदया दसर को पतनी न ऄगर धयान स दख तो रतनाकर को चोट िसफथ

सपतऊिषयो न ही नही दी बिलक ईसम ईनकी पतनी का भी बड़ा योगदान था पतनी न कहा

था- अपका धमथ ह हमारा पालन-पोषण अप कस कमात हो हम कया अप ऄपन कमो

क िलए ईततरदाइ और हम ऄपन कमो क रतनाकर की अख फटी की फटी रह गइ

वालमीिक जी और तलसी जी क कायाकलप म दोनो की पितनयो का बड़ा योगदान ह दोनो

क जीवन म ऄभतपवथ सामयता ह

आस सब को दखत हए हम तो लगता ह तलसीदासजी ही पवथजनम म रतनाकर ही थ जो बाद

म अिदकिव वािलमक हए और रामायण की रचना की रामायण जनसाधारण क िलए िकलषट

और ऄगमय थी सो वालमीिक जी ही तलसी क रप म पन परकट हए और रामचररतमानस

की अम बोलचाल म ऄभतपवथ रचना की

राम ह छोटा सा नाम मगर समपणथ कायनात को ऄपन म समट हए समरण म असान मनन

म असान ईलटा जपो या सलटा शरषठ पररणाम वालमीिक जी ईफ़थ रतनाकर ईदाहरण ह

सपतऊिषयो न सलाह दी राम का नाम जपो रतनाकर ठहर डकत राम का नाम कभी िलया

नही था सदव मरन मारन की बात कही थी या सनी थी ऄब राम का नाम िजवहा पर अय

तो अय कस बड़ी ईलझन हइ बोल सपतऊिषयो सकभी राम का नाम िलया नही न ल

सकता ह सदव मरना मारना सीखा ह या सना ह कोइ और ईपाय बताए सपतऊिषयो न

गतथी सलझा दी कहा sbquoमरना मारना जान हो तो ठीक ह अप मरा मरा तो जप सकत

हो तो sbquoमरा मरा‛ ही जपो

डकत ठहरा दढिनशचयी डकतो स ऄिधक दढिनशचयी भला और कौन हो सकता ह कषण

कषण मौत स लोहा लन वाल मगर कया मजाल िक िनशचय स िडग जाए िनषठा क साथ शर

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 7: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

8 जनवरी 2019

मयाषदा पररोततम राम

क एि भारदवाज

शरी क एस भारदवाज समाजशासतर और वशकषाशासतर म सनातकोततर तथा अगरजी

वशकषण एव परवशकषण-ववकास म सनातकोततर वडपलोमा धारक ह आप

भगवान परशराम वशकषण-परवशकषण ससथान क पवा पराचाया-वनदशक ह इनक

परकाशन ह शाशवत परम (उपनयास) समय क हसताकषर (कववता) वशकषण कषतरीय

मानव ससाधन ववकास सकषम वशकषण वचतन एव उपयोग परजञा-परवशकषण

Humour in Classroom Human Resource Development in

Education and Love Beyond Horizons

राम राम पाठकगण िजन शरी राम न महलो को छोड़ वनो म िवचरना सवीकार िकया ईनका

महल बनान क िलए ईतपात हो रहा ह राम मिदर ऄर धतो राम क सपन पर करन ह तो

रामराजय सथािपत कर क िदखाओ और राम-भकतो का कछ ईपकार करो राम क नाम पर

खन न बहाओ

य सयोग था या शरीराम की आचछा िक िजन दो महानभावो न रामायण रचना की व दोनो ही

जीवन क पवाथदचथ म वासनाओ म िलपत थ दोनो ही चोट खाकर सदगणी बन एक को

सपतऊिषयो न अघात िदया दसर को पतनी न ऄगर धयान स दख तो रतनाकर को चोट िसफथ

सपतऊिषयो न ही नही दी बिलक ईसम ईनकी पतनी का भी बड़ा योगदान था पतनी न कहा

था- अपका धमथ ह हमारा पालन-पोषण अप कस कमात हो हम कया अप ऄपन कमो

क िलए ईततरदाइ और हम ऄपन कमो क रतनाकर की अख फटी की फटी रह गइ

वालमीिक जी और तलसी जी क कायाकलप म दोनो की पितनयो का बड़ा योगदान ह दोनो

क जीवन म ऄभतपवथ सामयता ह

आस सब को दखत हए हम तो लगता ह तलसीदासजी ही पवथजनम म रतनाकर ही थ जो बाद

म अिदकिव वािलमक हए और रामायण की रचना की रामायण जनसाधारण क िलए िकलषट

और ऄगमय थी सो वालमीिक जी ही तलसी क रप म पन परकट हए और रामचररतमानस

की अम बोलचाल म ऄभतपवथ रचना की

राम ह छोटा सा नाम मगर समपणथ कायनात को ऄपन म समट हए समरण म असान मनन

म असान ईलटा जपो या सलटा शरषठ पररणाम वालमीिक जी ईफ़थ रतनाकर ईदाहरण ह

सपतऊिषयो न सलाह दी राम का नाम जपो रतनाकर ठहर डकत राम का नाम कभी िलया

नही था सदव मरन मारन की बात कही थी या सनी थी ऄब राम का नाम िजवहा पर अय

तो अय कस बड़ी ईलझन हइ बोल सपतऊिषयो सकभी राम का नाम िलया नही न ल

सकता ह सदव मरना मारना सीखा ह या सना ह कोइ और ईपाय बताए सपतऊिषयो न

गतथी सलझा दी कहा sbquoमरना मारना जान हो तो ठीक ह अप मरा मरा तो जप सकत

हो तो sbquoमरा मरा‛ ही जपो

डकत ठहरा दढिनशचयी डकतो स ऄिधक दढिनशचयी भला और कौन हो सकता ह कषण

कषण मौत स लोहा लन वाल मगर कया मजाल िक िनशचय स िडग जाए िनषठा क साथ शर

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 8: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 9

हो गया मरा मरा मरा मरा थोड़ी दर बाद धविन सवत अन लगी राम राम राम राम

और हो गया रपानतरण बन गए अिदकिव और रच डाला महाकावय रामायण राम ही

बन महानायक ऐसा महानायक िजसन कदम कदम पर मयाथदाओ का न कवल पालन िकया

बिलक ईनकी पिषट भी की

राम मयाथदापरषोततम राम क नाम स ही ऄिधक जान जात ह बजाय िक भगवान राम क

कारण सपषट ह ईनहोन पल पल कषण कषण मयाथदाओ का पालन िकया पि रप म माता-िपता

क परित िशषय क रप म गर क परित सखाभाव िमिो क परित कौन सा कषि ह जहा राम न

मयाथदाओ का पालन न िकया हो और तो और शि रावण को भी मयाथदानसार िवदा िकया

और भाइ लकषमण को कहा sbquoमहापिडत रावण स दीकषा ल लो व दलथभ ह ‛

अलोचक राम म भी दोष ढढ लत ह मगर व ईस तथाकिथत दोष क गढाथथ स विचत रह

जात ह अलोचक कहत ह सीताजी को पन वनवास दना सतरी क परित ऄनयाय था चिलए

थोड़ी दर क िलए अलोचको की ही मान लत ह मगर ईनस एक परशन करना तो हमारा भी

हक़ ह ना हम ईनस पछना चाहत ह िक राज-काज सभालत हए राजा राम न परजा क परित

जो वचन िदए थ कया व पतनी क कारण झठलाय जा सकत थ मयाथदापरषोततम राम ईनह

कस भल सकत थ परजा म राज पररवार क एक सदसय क परित भी सदह सदह-िनवारण हत

राजा का ईततरदाियतव चौगना बढ़ा दता ह कयोिक सदह पररवार क सदसय पर ह नही तो राजा

ऄपनी परजा क परित मयाथदाहीन हो जायगा ऄपन पररवार का पकष लन का अरोप लगगा

आसस राजपररवार की परितषठा पर अच अनी िनिशचत ह ऄत राम न पितन क िवयोग को

सवीकार करना ईिचत समझा और सीताजी न भी ऄपन पित क वचनो की मयाथदा की रकषा की

तथा पित-िवयोग सहषथ सवीकार िकया

और वचन िनभाना कोइ सीख तो शरीराम स शरीराम को लौटान हत भरत जी ऄपनी

माताओ ससर जनक और गरजी को साथ ल कर वन गए गर की बात सवोपरर होती ह

मगर शरीराम न िजन मयाथदाओ क साथ गर माताओ और भाइ क अदश या ऄनरोध का मान

रखा वो मयाथदापरषोततम राम क वश की बात थी आसी स लोकोिकत भी बन गइ रघकल रीत

सदा चली अइ पराण जाए पर वचन न जाइ ‛

हम तो बिलक य कहग िक रामायण या बाद म तलसी रिचत रामचररतमानस धािमथक गरनथ

की बजाय सामािजक नितक और अधयाितमक गरनथ ऄिधक ह ऄगर हम सामािजक और

नितक सरोकारो का िनषठापवथक पालन करत ह तो हम अधयातम स विचत कस रह सकत ह

सनातन धमथ जीवन को चार अशरमो म िवभािजत करता ह परतयक अशरम की कछ मयाथदाए

िनिशचत ह हर अशरम क कछ कतथवय ह ईनही मयाथदाओ और कतथवयो का पालन ही तो

अधयातम ह और आस रामचररतमानस स बिढ़या िविध स कौन सा गरनथ नइ पीिढ़यो को

िसखापढ़ा सकता ह आसक समककष िसफथ शरीमदभगवदगीता अती ह मगर शरीमदभगवदगीता

को पढना समझना हर िकसी क वश की बात नही ऄत रामचररतमानस सवथशरषठ गरनथ ह

कयोिक य अम बोलचाल म रिचत ह िजस साकषर वयिकत भी पढ़ और समझ सकता ह

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 9: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

10 जनवरी 2019

रामायण एक कालपसनक गरनथ या एक वासतसवकता

िनीता कामबोज

वहनदी और इवतहास म परासनातक सनीता कामबोज की रचनाए राषरीय एव

अतरााषरीय पतर-पवतरकाओ म वनरतर परकावशत हो रही ह गज़ल गीत छद

बालगीत भजन वयगय आलख समीकषा आवद ववधाओ म वलखन वाली

सनीता कामबोज क दो कावय-सगरह परकावशत हो चक ह तथा चार पसतक

परकाशाधीन ह lsquoकववताकोशrsquo क साथ-साथ अनय बलॉगस पर भी उनकी

कववताए पढ़ी जा सकती ह अपन बलॉग lsquoमन क मोतीrsquo पर भी वह सविय

ह दरदशान जालनधर एव ववशवपसतक मल म तथा अनक सावहवतयक

कायािमो म वह कववता पाठ कर चकी ह य टयब म उनकी कई परसतवतया

उपलबध ह

शरी रामचररतमानस महाकावय ईचच जीवन अदशथ तयाग वीरता कततथवय परम समपथण अिद

नितक मलयो का दपथण ह यह महाकावय हर यग म ससार क िलए िशकषापरद रहगा धािमथक

और सािहितयक दिषटकोण स यह महागरनथ भारत ही नही ऄिपत ऄनय दशो म भी लोकिपरय

ह रामायण काल क साकषय अज भी भारत एव असपास की धरती पर िवदयमान ह आस

लख का ईदशय यह समझना ह िक कया महाकावय रामायण एक कालपिनक कथा ह या हजारो

साल पहल घिटत शरी रामचर जी क जीवन काल की ऐितहािसक घटना ह

जब ऐितहािसक घटनाए बहत लमबा सफर तय कर लती ह तब कछ बिदचजीवी ईनकी

परमािणकता पर सशय करन लगत ह 18वी एवम 19 वी शताबदी म घटन वाली घटनाए

आसिलए सतय परतीत होती ह कयोिक ईनक साकषी हमार पास ह परनत जब धीर-धीर आन

घटनाओ पर समय की परत चढ़ती जाती ह तब कछ लोग ईनह सतय मानत ह तथा कछ लोग

ईनह माि एक ईपनयास की निर स दखन लगत ह अग अन वाली पीिढया आस बात पर ही

ऄचिमभत हअ करगी िक कया सच म भारत गलाम रहा था या ईस समय की यह माि एक

कलपना ह ऄनधिवशवास हम जहा सतय स दर ल जाता ह वही सदह और तकथ शील दिषटकोण

हम सतय क करीब ल अता ह यही बात पावन गरनथ रामचररतमानस क सनदभथ म सही

सािबत होती ह जब कछ बिदचजीिवयो न रामायण को माि एक कालपिनक कहानी कहा

तब आस गरनथ पर ऄनक शोधकायथ हए राम कथा म ऄिकत सथानो क ऐितहािसक एवम

वजञािनक दिषटकोण क सवकषण न ऄनक बिदचजीिवयो क मह पर ताल लगा िदए राम िनवास

जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरारrsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार आटली क फलोरस

िवशविवदयालय म पी एल तससी तोरी न सन 1911 म तलसीदास पर पहली पीएचडी

ईपािध परापत कर ऄनक िवदरानो को चिकत कर िदया ईनहोन रामचररतमानस और रामायण

पर शोध कायथ िकया दसरा शोध कायथ लनदन क ज एन कारपटर दरारा 1918 म िकया गया

आस शोध को ऑकसफोडथ िवशविवदयालय न परकािशत िकया भारत म तलसीदास पर पहली

पी एच डी नागपर िवशविवदयालय म सन 1938 म बलदव परसाद िमशर न परापत की

1934-35 म बिलजयम स भारत अए फादर कािमल बलक न राम कथा की ईततपित और

िवकास पर कायथ करक lsquoआलाहबाद िवशविवदयालयrsquo स पहल डीिफल तथा बाद म 1950 म

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 10: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 11

पीएचडी की ईपािध परापत कर रामायण को िवशव सािहतय की धरोहर का दजाथ िदलवाया

फादर कािमल बलक न परी दिनया म रामायण स जड़ 300 रपो की पहचान की ऄलौिकक

महाकावय रामचररतमानस क कारण ही तलसीदास जी न भारत ही नही ऄिपत िवदशो म भी

खयाित पाइ राम िनवास जाज की पसतक lsquoमर सौरभ दरार rsquo क पषठ सखया 300 क ऄनसार

दिकषण भारत क एक िवशविवदयालय न एक समीनार क दौरान यह िसदच िकया िक तलसीदास

पर ऄनक भाषाओ म 7500 स ऄिधक शोध पसतक िलखी जा चकी ह सलभ ऄकादमी

की पििका न यह दावा िकया ह िक महाकिव तलसीदास क सािहतय पर पीएचडी और

िडलीट पर पाच-सौ स जयादा िडिगरया दी जा चकी ह ससार क ऄनय िकसी किव पर आतना

शोध कायथ ऄब तक नही हअ तलसीदास दरारा रिचत सािहतय ऄतराथषरीय सतर पर भी

लोकिपरय ह

कषण कमार गोसवामी दरारा िलिखत पसतक lsquoऄनवाद िवजञान की भिमकाrsquo क ऄनसार रस

क परितिषठत लखक ऄलकसइ पिििवच वरािनन कोव न सन 1948 म तलसीदास रामायण का

पदयानवाद रसी भाषा म िकया आसम ईनक सपि पयाि ऄलकसयिवच वरािनन कोव न भी

सहायता की ईनहोन रामचररतमानस को िवशव की 2796 भाषाओ म िलखी ऄनय कितयो स

ऄिधक सवथशरषट महाकावय घोिषत िकया

1988 म चीनी लखक िजन-िदन-हान न मानस का छननदबदच ऄनवाद चीनी भाषा म िकया

यह चीन म बहत लोकिपरय हअ जापानी भाषा म मानस का 1991 म आकदा न lsquoभगवान

राम क चररि का सरोवरrsquo नाम स ऄनवाद िकया वस रामचररतमानस को ऄपनी परमािणकता

िसदच करन की कोइ अवशयकता नही कयोिक मधर िनमथल राम कथा भारत ही नही बिलक

और भी कइ दशो क िनवािसयो क रदय म िनवास करती ह महिषथ वालमीिक न ससकत

भाषा म पहल रामायण की रचना की बाद म तलग मराठी िहदी बगला ईिड़या अिद

ऄनय भाषाओ म आसका ऄनवाद हअ अग चलकर तलसीदास जी न सवत 1631 को

ितायग जस रामनवमी का योग जानकर शरी रामचररतमानस का अरमभ िकया तथा सवत

1633 म शकल पकष की पचमी ितिथ को आस भारतीय ससकित का िहससा बनाया तलसीदास

जी न ससकत रामायण को ऄवधी भाषा म दोहा सोरठा चौपाइ अिद छदो म िपरोकर

रामचररतमानस को भारत क जन-जन तक पहचाया

कछ शोध शािसतरयो क ऄनसार रामायण काल 7323 इशा पवथ यानी अज स 9341 वषथ

पवथ बताया गया ह जबिक कछ शोध शािसतरयो न शरीराम का जनम 5114 इशा पणथ चि मास

की नवमी का बताया ह रामायण काल क समय पर ऄभी भी बिदचजीिवयो क ऄलग ऄलग

मत ह भारतीय परातततव िवभाग और अइ अइ टी खड़गपर क कछ शोध शािसतरयो न िसनध

घाटी 5500 साल नही बिलक 8000 साल परानी होन क सकत िदए ह यह शोध परितिषठत

ररसचथ पििका lsquoनचरrsquo न 2016 म परकािशत िकया आस दौरान वजञािनको न नइ तकनीक दरारा

आस सभयता की ईमर का पता लगाया परिसदच आितहाकार व परातततवशासतरी डॉ राम ऄवतार

शमाथ न रामायण काल स समबिनधत वजञािनक शोध स लगभग 200 सथानो का पता लगाया

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 11: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

12 जनवरी 2019

वनवास क समय जहा सीता-राम जी ठहर ईन सथानो क समारको गफाओ िभिततिचिो का

गहन जाच पड़ताल स ऄधययन कर ऄनक साकषय परसतत िकए

हररयाणा क दरली गाव क रहन वाल डॉ राम ऄवतार शमाथ न 21 दशो की यािाए की तथा

राम स जड़ साकषय एकिित िकए ईनहोन कहा िक करीब 50 दशो म राम पजा होती ह राम

ऄवतार शमाथ न आस समयाविध म करीब 290 िचि िलए जो ईनहोन िचिकट पर एक

सगरहालय बनवाकर ईसम सथािपत िकए ह डॉ राम ऄवतार शमाथ न कवट परसग स जड़

िसगरौर (आलाहबाद स करीब 35 िकलोमीटर ) करइ िचिकट ऄिि ऊिष अशरम

दडकारणय (मधयपरदश एव छतीसगढ़ क जगल) पचवटी पणथशाला (अधरपदश ) सबरी

अशरम (करल) ऊषयमक पवथत कोडीकरइ चदन वन मलय पवथत रामशवरम धनषकोडी

लका ऄशोक वािटका अिद सथानो क बार म परमािणक जानकारी एकिित की भारतीय

सटलाआट और ऄमररका क ऄनसनधान ससथान lsquoनासाrsquo क ईपगरह न जब ऐितहािसक

lsquoरामसतrsquo जो धनषकोडी तथा शरीलका क बीच म 48 िकमी चौड़ी पटटी एक रखा क रप म

िदखाइ दता ह क िचि खीच तब आसक राम सत होन क सकत िमल 1993 म आन िचिो को

िदलली परगित मदान म lsquoराषरीय िवजञान क रrsquo म परदशथनी क िलया रखा जब कछ वजञािनको न

आस मानव िनिमथत बताया तब रामसत पर ऄनक वाद-िववाद होन लग भारतीय सवकषण

िवभाग तथा ऄमररकी भगभथ वजञािनको की एक टीम न रामसत को मानव िनिमथत घोिषत कर

ईस ऐितहािसक िवरासत का दजाथ िदया एक ऄमरीकी साआस चनल न रामसत पर sbquoएनिशएट

लड िबरज‛ नाम स शो बनाया ह यह शो ऄमरीकी वजञािनको की शोध पर अधररत ह िजसम

रामसत को एक बड़ी मानवीय ईपलिबध क रप म िदखाया गया ह बिदचजीवी अलोचक

राजनीितक िसयासत भल ही अज भी रामसत पर िववािदत बयान दती रही ह परनत लोगो

की असथा हमशा राम सत स जड़ी हइ ह यह सत आस बात का परतीक ह िक रामायण काल

म िवजञान क अिवषकार ऄपनी चरम सीमा पर थ रामायण काल म आस सत का नाम

lsquoनलसतrsquo रखा गया बाद म आस रामसत सतबध अिद नामो स जाना जान लगा जब मगल

भारत म अए तब वह आस सत को अदम पल कहन लग बाद म िबरिटश सरकार न जब यहा

रल मागथ का िनमाथण करवाया आिगलश ईचचारण क कारण lsquoअदम पलrsquo को वह lsquoएडम िबरजrsquo

कहन लग

वजञािनक अधार पर आस बात स आनकार नही िकया जा सकता िक ईस समय का िवजञान

बहत ईननत रहा होगा रावण दरारा िलिखत lsquoरावण सिहताrsquo क ऄधययन स अज भी िवजञान

जयोितष को समझा जा रहा ह अज िजस परमाण बम को बनाकर ससार ऄपन अप को

सवथशिकतमान समझ रहा ह रामायण स जञात होता ह िक ईस काल म आसस भी समदच

िवसफोटको का िनमाथण हो चका था सदरकाणड की एक चौपाइ म शरी रामचनर दरारा बाण स

समर को सखान की बात विणथत ह अज जो पलािसटक सजथरी परचिलत ह ईस

शलयिचिकतसा का िनमाथण भारतीय ऊिष बहत वषो पहल कर चक थ अयवद योग

पराणायाम अिद पराचीन ऊिषयो की ही दन ह जो शबद भदी बाण दशरथ न शरवण कमार पर

चलाया था वह िवदया पथवीराज क समय तक भी िजनदा रही जब भरी सभा म निहीन

पथवीराज न महोममद गौरी पर शबद भदी बाण चलाकर ईस मार िगराया यह हमार ऄिदरतीय

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 12: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 13

ऄतयत हषथ हो रहा ह िक तकथ -िवतकथ स पर िचरनतन सतय सभाक मयाथदा परषोततम परभ

शरीराम क माधयम स मनषय क मन स सशय और िजजञासा को शात करन राम िजजञासा

पििका क परकाशन का शभ समाचार िमला ह राम िजजञासा क परथम ऄक का िवमोचन

५ जनवरी २०१९ को रामायण ऄिधवशन म होगा यह और भी ऄिधक परसननता की बात

ह राम का ममथ दिनयाभर म राम िजजञासा फलान म सफल हो

सरर अवगनहोतरीसपादक नतन कहावनया

ऄमररका जस िवशाल िवकिसत और सपनन दश म सथािपत शरी राम चररत भवन दरारा

जनवरी 2019 म अयोिजत िदरतीय ऄतराथषरीय रामायण सममलन म राम िजजञासा पििका

क परकाशन का शभारभ हो रहा ह यह ऄतयत हषथ का िवषय ह िक िवदशो म भारतीय

मल क परवासी भारतीय ससकित भारतीय दशथन भारतीय परपरा और िहनद धमथ का धवज

ईठाए हए ह आसस यह सपषट परतीत होता ह िक भारतीय ससकित और िहनद धमथ का

िवकास और परसार समच िवशव म हो रहा ह ईसी शखला म राम िजजञासा पििका का

परकाशन िहनदी म हो रहा ह आसस पहल यह ससथा रामकवसट नामक पििका का परकाशन

ऄगरिी म कर रही ह राम एक ऐस महान वयिकततव ह िजनक अदशथपणथ और मयाथदापणथ

जीवन की एक झलक मानव जाित क िलए महान िहतकारी हो सकती ह आस िलए राम

िजजञासा का परकाशन महतवपणथ ह आसक अयोजको सपादको और परकाशको को बधाइ

और साधवाद दत हए ऄतयत परसननता हो रही ह पििका की सफलता क िलए मरी शभ

कामनाए

परो कषण कमार गोसवामी महासवचव एव वनदशक ववशव नागरी ववजञान ससथान सदसय

क रीय वहनदी सवमवत भारत सरकार

गौरवशाली आितहास का परतीक ह अन वाल कछ वषो म पथवीराज चौहान की आस घटना

पर भी अलोचक सदह कर सकत ह रामायण काल क भवनो क कछ ऄश अज तक भी

मक गवाह बन हए ह यह ईस काल क बजोड़ आजीिनयररग तकनीक क ईननत होन का परमाण

ह मन की गित स चलन वाला पषपक िवमान अज भल ही एक कलपना माि लग पर अज

तक अधिनक वजञािनक भी मन की गित स चलन वाल िवमान बनान म सफलता हािसल

नही कर सक रामायण काल ससकार मयाथदा वचन परजाति अिद नितक मलयो का

सवाहक रहा ह यह वजञािनक काल भल ही बीता कल बन चका ह परनत आसक िचहन भारत

भिम पर सदा रहग

आन तथयो स यह िसदच होता ह िक वालमीिक रामायण कोइ कालपिनक कथा न होकर

वासतिवक घटनाओ पर िलखी गइ कित ह शरी राम का जीवन चररि सबक िलए पररणादायक

ह शरी रामचररतमानस अदशो एव नितक मलयो की गाथा स परभािवत होकर भारत ही नही

बिलक ऄनय दशो क िवदरान आस ऄत कित क अग नतमसतक हए अज भी रामसत ऄपन

पराचीन सवरप म ऐितहािसक धरोहर क रप म हम गौरािनवत कर रहा ह

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 13: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

14 जनवरी 2019

बदलखड म रामकथा की वयासि क परातासववक िाकषय

हररसवषण ऄवसथी

इवतहास लोक भाषा सावहतय और पराततव म गहरी पकड रखन वाल शरी

हररववषण अवसथी पराचीन ओरछा राजय की राजधानी टीकमगढ़ म वनवास करत

ह सावहतय और वहनदी को समवि परदान करन वाली लगभग एक सदी परानी शरी

वीरनर कशव सावहतय पररषद क व अधयकष ह उनहोन बनदली क भाषा सावहतय

तथा ऐवतहावसक और परातावतवक सपदा क शोध और सरकषण की वदशा म

आधा दजान गरनथो की रचना करत हय लगभग ४० गरनथो का सपादन वकया ह

बदलखड की िवसतत सीमाओ को िकसी सािहतयकार न आस दोह म बाधन की चषटा की ह-

आत यमना ईत नमथदा आत चमबल ईत टोस

छिसाल सो लरन की रही न काह होस

िकनत वासतव म बदलखड की पराचीन राजनीितक और सासकितक आकाइ का बोध नीच

ईदचत दोह स जयादा सही रीित स होता ह

परब तीरथराज पन पिचछम शरी बजवास

ईततर गग जमन ऄवध दिकषण रवा खास

रामकथा क परथम रचनाकार महिषथ वालमीिक थ महिषथ वालमीिक का अशरम बदलखड म

ही था | आसक ऄनक लोक और पराताितवक परमाण ह भगवान राम वनयािा काल म तो

सीता सिहत महिषथ वालमीिक स िमल ही थ ईनहोन सीता को गभाथवसथा म िनवाथसन काल म

भी महिषथ वालमीिक क ही अशरम क िनकट छोड़ा था

करीब डढ़ सहसर वषथ पवथ पाचवी शताबदी क पवाथधथ म आस भभाग क वतथमान िजला पनना क

lsquoनचनाrsquo नामक गराम म गपत तथा कलचरी कालीन वषणव परितमाय ह गपतकालीन लगभग

अधा दजथन नािभकाय ह िजन पर रामायण क दशय ऄिकत ह आनम मखय रप स िनमन

दशयाविलया ह ndash

1 धनष यजञ का दषय

2 वन गमन क ऄवसर पर राम लकषमण और सीता वनपथ पर चलत हए

3 ऄशोक वािटका म सीता और

4 नल-नील सिहत सतबध का िनमाथण

नचना म रामकथा क िशलपाकन क लगभग एक शताबदी बाद छठी शताबदी म दवगढ़

ईततरपरदश म िशलपाकन गपतकाल म हअ सािहतयाचायथ पिडत हजारी परसाद िदरवदी न आस

समबनध म िलखा ह ndash

sbquoएक जगह शष नारायण सो रह ह लकषमी ईनकी पाद सवा कर रही ह पञच पाडव और

रोपदी नीच खड़ ह बरहमा िशव और आर अिद दवता उपर ह दसरी जगह राम लकषमण की

मितथया ह व जगल म िहरन और िसह अिद जानवरो क बीच बठ ह |‛

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 14: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 15

दवगढ क आन िशलपाकन क समबनध म माधव सवरप वतस न भी िलखा- sbquoमिदर ऄिधषठान

क दो कतारो म लग हए िशलापटटो स ऄलकत था आनम रामयण और महाभारत क दशय

ऄिकत िकय गए ह रामायण समबनधी िशलपा पटटो म ऄिकत ह ऄिहलया ईदचार वन गमन

ऄगसतय अशरम म राम लकषमण और सीता का जाना सपथनखा क नाक कान काटना बािल

सगरीव यदच लकषमण क दरारा सगरीव का ऄिभषक और लकषमण को जीिवत करन क िलए

हनमान का औषिध लकर रतगामी होना अिद ‛

दवगढ क ऄितररकत लिलतपर िजल म ही िसथत िसरोन खदथ नामक गराम म चतिविशित

िवषण राम परशराम छिधारी वामन लकषमी हनमान अिद की परितमाए परापत हइ ह जञातवय

ह ९वी सदी म बदलखड क आस भ भाग म परितहारी शासको का ऄिधकार था परितहार नरश

सवय को राम क भाइ लकषमण का वशज मानत थ- रामभरातसय पराितहायथ कतायत

लिलतपर िजल म िसथत दधी चादपर म भी कइ परितमाए िमली ह आनकी कल सखया एक

हजार स ऄिधक ह आनम ऄनक राम की परितमाए ऄिगनपराण म िविहत िशलप िविध स बनाइ

गयी ह

बदलखड म चदलो का शासनकाल अठवी-नवी शताबदी स बारहवी शताबदी तक रहा

चदल शासनकाल म िवशव परिसदच खजराहो म यशोवमथन (९३० इशवी) न लकषमण मिदर का

िनमाथण कराया जो ऄपन अप म ऄिदरतीय ह खजराहो मधय परदश क छतरपर िजल म िसथत

ह आसम रामकथा परसग क ऄनक िशलापटट ह हनमान की मितथ की पादपीठ पर ईतकीणथ

िशलालख म सवत ९४० ऄिकत ह चदल शासको न हनमान छिव का ऄकन ऄपनी

राजकीय मराओ म भी कराया था सवथपरथम चदलवश क शासक सललकषण वमथन (११००-

१११५ इशवी) की तामरमरा पर हनमान ऄिकत हए मरा क ऄगरभाग पर नागरी िलिप म

lsquoशरीमतशललकषमण वमथन दव‛ ऄिकत ह | सललकषमण वमथन क बाद िनमन चदल शासको न

आस तरह की मराओ को परचिलत िकया ndash

1 जयवमथन (१११५-११२० इशवी) तामरमरा वजन का ६० गरन ऄगरभाग नागरी

ऄिभलख lsquoशरीमद जयवमथन दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

2 पथवी वमथन (११२०-११२९ इशवी ) तामरमरा वजन ४१ गरन ऄगरभाग नागरी

िलिप ndash lsquoशरीमत परिथवी वमाथ दवrsquo पषठ भाग ndashहनमान

3 मदन वमाथ (११२९-११६३ इशवी) तामरमरा वजन १५ गरन ऄगरभाग नागरी िलिप

ऄिभलख ndash lsquoशरीमत मदन वमाथrsquo पषठ भाग ndashहनमान

खजराहो क मिदर म एक िशलापटट पर रामकथा का एक दशय ऄिकत ह िशलापटट पर शरी

राम तथा सीता क साथ हनमान िदखाए गए ह यह िशलापटट गिठया क बिहभाथग म लगा ह

आसम शरीराम क पाशवथ म सीताजी खड़ी ह बाइ ओर खड़ लकषमण की मितथ बनी ह व करड

मकट धारण िकय हए ह ईनक मसतक पर शरीराम ऄपना दिकषण कर पािलत मरा म रख हए

ह आस िशलापटट का िनमाथण काल दशवी सदी ह खजराहो क ही पाशवथनाथ जन मिदर की

िभितत पर राम सीता की एक सनदर नयनािभराम मितथ ईतकीणथ ह आनक पास ही किपमख ईकर

हए ह िजनक शीश पर राम का एक हाथ पािलत मरा म ऄनगरह भाव स रखा हअ ह

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 15: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

16 जनवरी 2019

टीकमगढ़ क वदजञ िवदरान अचायथ दगाथचाणथ शकल का मत ह िक सरकनपर गराम जो

चदलकालीन ही ह म एक िशलापटट पर मनोहारी रीित स सतबध क दषय का ऄकन हअ ह

बदलखड क ही एक िजल बादा (ईततर परदश) म िसथत कालजर िकला मधयकालीन भारत

का सवोतम दगथ ह आसका पाचवा परवश दरार lsquoहनमान दरवाजाrsquo कहलाता ह यहा एक

हनमान कड ह तथा बाज म पवथत काटकर हनमान की मितथ बनाइ गयी ह आसक भीतर पतथर

काटकर एक सीता शया ईतकीणथ ह यह चदल अगमन क एक वषथ पवथ िनिमथत परतीत ह

सवतिता पवथ भारत म बदलखड छोटी छोटी ररयासतो म बटा था वतथमान म आसकी सीमा

मधय परदश और ईततरपरदश राजयो म िवभािजत ह राजनीितक एकतानता क आस ऄभाव स

आस कषि का समिचत पराताितवक सवकषण ऄभी भी परतीकषा ही कर रहा ह िनिशचत ही यिद

आस सासकितक महतव क कायथ को पराथिमकता स हाथ म िलया जाता ह तो रामकथा क

ऄनक ऄजञात सि आस कषि स परापत िकय जा सकत ह

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 16: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 17

ऄिीम परम और दया क उदसध शरी राम

डॉ जयोविना सिह राजावत

चमबल सभाग गवावलयर कषतर की लवखका डॉ जयोतसना वसह ससकत ववभाग

म सहायक पराधयापक पद पर पदसथ वववभनन धावमाक सामावजक ववषयो

पर शोध आलख अनतरााषरीय राषरीय शोध गोवषठयो म सहभावगता दो

कावय सगरह एक हाइक ववधा पर परकावशत एक कहानी सगरह परकाशाधीन

समाचार पतर पवतरकाओ म वनयवमत परकाशन बाल पवतरका पयाावरण दत एव

सरसररता पवतरका क सह समपादक का दावयतव

रामायण भारतीय ससकित की ऄनपम िनिध ह रामायण और ऄनय धािमथक गरथ भारतीय

ससकित सभयता क अदशो को अज भी बनाए हए ह महिषथ वालमीिक न लगभग 24000

शलोको म अिद रामायण िलखी िजसम ईनहोन शरीराम क चररि को अदशथ परष क रप म

ऄिकत िकया ह रामकथा क जीवन मलय अज भी सवथथा परासिगक ह राम एक अदशथ

पि अदशथ पित एव अदशथ राजा क रप म हमार मानस पटल पर ऄिकत ह और रामकथा

क ऄनय सभी पाि िकसी न िकसी अदशथ को परसतत करत ह रामायणसयावप वनतय भववत

यदगह तदगह तीथा रप वह दषटाना पाप नाशनम िजस घर म परितिदन रामायण की कथा होती

ह वह तीथथ रप हो जाता ह वहा दषटो क पाप का नाश होता ह िकतनी ऄनठी मिहमा ह राम

नाम की राम नाम को जपन वाला साधक राम की भिकत और मोकष दोनो को परापत कर लता

ह िनगथण ईपासको क राम घट-घट वासी ह- कसतरी कडल बस मग ढढ़ वन मावह ऐस घट-

घट राम ह दवनया दख नावह

सत कबीर कहत ह - वनगाण राम जपह र भाई अववगत की गत लखी न जाई घट-घट

वासी राम की वयापकता को सवीकारत हए सत किव तलसीदास जी कहत ह ndash वसयाराम मय

सब जग जानी करह परणाम जोर जग पानी रामचररत मानस जन जन क जीवन की ऄमलय

िनिध ह िजसम जीवन जीन की ऄत सीख दी गइ ह गोसवामी जी कहत ह िक जीवन

मरसथल ह और रामचररत मानस ही आस मगमय जीवन क िलए िचनमय परकाश जयोित ह

िजनह एिह बार न मानस धोऐ त कायर किलकाल िबगोए

तिषत िनरिख रिव कर भव बारी िफरहिह मग िजिम जीव दखारी

ससकत एव ऄनय भाषाओ म ऄनक रामायण की रचना हइ ह लिकन राम का सवरप

सवभाव सब गरनथो म एक समान ही ह भगवान शकर सवय राम नाम क ईपासक ह

रकारादीिन नामािन शरणवतो मम पावथित

चतःपरसननता याित रामनामािभशड़कया

गोसवामी तलसीदास िलखत ह िक घोर किलयग म शरी राम नाम ही सनातन रप स कलयाण

का िनवास ह और मनोरथो को पणथ करन वाला ह अनद क भणडार शरी राम िजनका ऄनोखा

रग रप सौनदयथ जो भी दखता ह ठगा सा रह जाता ह आतना ही नही ईनका कलयाण करन का

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 17: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

18 जनवरी 2019

सवभाव जन िहत की भावना क सभी ईपासक ह- राम नाम को कलपतर कवल कलयान

वनवास

परम क ईदिध स पणथ रदय वाल राम काम करोध अिद िवकारो पर िवजय परापत कर शानत

िचतत स धयथ स िवपरीत पररिसथितयो म भी ऄपन अप अप को सयिमत रखत ह सनह दया

परम स सबक रदय म िसथत रहकर ऄपन रदय म समािहत कर दया की धारा िनरनतर िनझथररत

होकर बहती रहती ह यह ऄत शिकत अहरािदत अनिनदत कर ऄसीम सख की ऄनभित

परदान करती ह दया एक दवीय गण ह आसका अचरण करक मनषय दवतव को परापत कर लता

ह दयाल रदय म परमातमा का परकाश सदव परसफिटत होता ह दया क िनधान दया क सागर

इशवर सवय ह समसत धरातल क परािणयो म दया ईस परम शिकत स ही परापत होती ह लिकन

मनषय ऄजञानता क वशीभत होकर दया को समापत कर राकषस क समान अचरण करन लगता

ह महिषथ वयास न िलखा ह lsquoसवथपरािणयो क परित दया का भाव रखना ही इशवर तक पहचन का

सबस सरल मागथ ह rsquo

दया कोमल सपशथ का भाव ह कषट-पीड़ा स वयिथत वयिकत क मन को सखकारी लप सा

सकन दता ह दया करणा सवदना रहम सहानभित अिद समानाथी शबदो का भाव एक

ही ह यह मानवीय गण ह जो सभी म िनिहत ह लिकन परभ शरी राम दया क परम क ऄगाध

भणडार ह तलसी कत रामचररतमानस क ऄरणयकाणड म जब गदचराज जटाय को जीवन और

मतय क मधय सघषथ करत दखा ईनका मन दया स भर गया और ईनहोन बड़ी अतमीयता स

ऄपन हाथो स जटाय क िसर का सपशथ िकया राम का सखद सनह पाकर जटाय न पीड़ा स

भरी ऄपनी अख खोल दी दया क सागर परभ शरी राम को दखकर ईसकी सारी पीड़ा सवतः

दर हो गइ जटाय न सीता मया की रकषा म ऄपन पराण तयाग िदय कतजञता सममान और

सनह की भावना स ओतपरोत परभ शरी राम न जटाय को िपततलय सममान दत हए ईनका दाह

ससकार करत ह गोदावरी की पिवि धारा म जलाजिल समिपथत करत ह शरी राम का ऄपन

भकतो-सवको पर सदव ऄनपम सनह रहा राम का सनह व ईनकी कपा ऄननत साधना और

वषो की तपसया स भी सलभ नही हो पाती लिकन छल स रिहत िनमथल मन वाल जन क

रदय म सदव परभ बसत ह एक समरण माि स व दौड़ चल अत ह

सरिसज लोचन बाह िबसाला जटा मकट िसर ईर बनमाला

सयाम गौर सदर दोई भाइ सबरी परी चरन लपटाइ

परम मगन मख बचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा

सादर जल ल चरन पखार पिन सदर असन बठार

कमल सदश नि और िवशाल भजाओ वाल िसर पर जटाओ का मकट और रदय पर

वनमाला धारण िकए हए सदर सावल और गोर दोनो भाआयो क चरणो म शबरी जी िलपट

पड़ी परम म ऄतयत मगन हो गइ मख स कोइ भी वचन नही िनकल पर पखारकर सदर

असनो पर बठाया और मीठ मीठ सवािदषट कनद मल फल लाकर िदए राम न ऄतयत

परमभाव स बार-बार परशसा करक ईन फलो को बड़ अनद और सनह स खाया पौरािणक

सकतो म िलखा ह िक शबरी शबर नामक जाितिवशष क लोग दिकषणापथवािसनः शाप क

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 18: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 19

कारण मलचछ बन गए थ ईनका समाज नीचा सथान था लिकन राम दया और करणा क

ऄननत भणडार ह शबरी की सवा समपथण भिकतभाव स राममय हो गइ और राम न शबरी को

ऊिष मिनयो को परापत होन वाला सथान िदया

परभ की सवा म समिपथत नौका यापन म कमथरत िनमथल मन वाला कवट राम की ऄनमोल

भिकत म परसनन ह ईसक िलए धन वभव सवरप ऄगठी का कोइ मोल नही ह गगा पार करान

पर सीता जी क दरारा भट की गइ ऄगठी वह सवीकार नही करता ह राम क सनह का भाजन

कवट हाथ जोड़कर कहता ह िक-

नाथ अज म काह न पावा िमट दोष दख दाररद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी अज दीनह िबिध बिन भिल भरी

कवट बोला ह नाथ अज मन कया नही पाया ऄथाथत मझ तो अज सब कछ िमला गया ह

अपक दशथन माि स मर दोष दःख और दरररता की अग अज बझ गइ ह मन बहत समय

तक मजदरी की पर अज िवधाता न बहत ऄचछी भरपर मजदरी दी ह ऄनत काल क पररशरम

क बाद अज मझ फल परापत हअ ह

ऄब कछ नाथ न चािहऄ मोर दीन दयाल ऄनगरह तोर

िफरती बार मोिह जो दबा सो परसाद म िसर धरर लबा

ह नाथ ह दीनदयाल अपकी कपा स ऄब मझ कछ और नही चािहए लौटती बार अप

मझ जो कछ दग वह परसाद िशरोधायथ होगा

राम की दया का एक परसग मढ़ मित जयनत का ह जो आनर का पि ह और राम क बल को

जानना चाहता ह जो सार ससार क िनयनता ह ईनह परखन की आचछा स राम सीया क मधय

अकर धीर स सीताजी क चरण कमलो पर चकष स परहार कर भाग जाता ह जयनत का यह

दषकमथ राम को नही भाता और ईस डरान क ईदङशय स सीक क बाण का परयोग करत ह

सीता चरन चोच हित भागा मढ़ मदमित कारन कागा

चला रिधर रघनायक जाना सीक धनष सायक सधाना

रघनाथजी क परम को सारा ससार भली भाित जानता ह राम का िनशछल परम सभी क िलए

समान था वह ऄतयनत ही कपाल थ दीन दिखयो क दख को दखकर ईनका रदय रिवत हो

जाता था ईनका परम सब पर सदा रहता ह चाह गणी हो या ऄवगणी मखथ हो या जञानी सब

क िलए सरदयी थ मखथ जयनत न अकर छल िकया िफर भी राम न ईस मारा नही जब ईस

ऄपनी करनी पर पशचाताप हअ तब शरी राम ईस छोड़ दत ह यह ईनका दया स पररपणथ रदय

था जो ऄपराधी क ऄपराधो को भी कषमा दान दता ह

ऄित कपाल रघनायक सदा दीन पर नह

ता सन अआ कीनह छल मरख ऄवगन गह

राम जी का हनमानजी पर सदव पिवत सनह रहाजब स हनमानजी राम क साथ अय तब

स व राम क ही हो गए ईनक रोम-रोम म राम बस गए राम भी हनमानजी को पि क समान

ऄटट परम और िवशवास करत थ जब ऄशोक वािटका स सीता जी का सदश लकर अऐ

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 19: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

20 जनवरी 2019

यह जानकर अितमक परसननता हइ िक अपक दरारा राम िजजञासा नामक पििका का

परकाशन िकया जा रहा ह आस हत मरी बधाइ सवीकार कर राम िजजञासा ऄपन ईदङशय म

सफल हो और िवशव भर म परभ शरी राम व रामायण क पिवि सदशो को जन-जन तक पहचा

कर नवीन चतना का सचार कर ऐसी मरी कामना ह

सबोध शरीवासतव सहायक सपादकआज (वहनदी दवनक) कानपर

राम िजजञासा क परथम ऄङक क परकाशन क शभ ऄवसर पर म हिषथत भी ह और

अशािनवत भी मयाथदा परषोततम शरी रामचनर क जीवन चररि अदशो व ईनस परापत

िशकषाओ क परचार-परसार क कायथ म पििका ऄपना साथथक योगदान द व सकारातमक

सामािजक पररवतथन म सहयोगी बन ऐसी कामना ह पर पििका पररवार को शभ कामनाए

परिषत करती ह अयोजन की सफलता की भी अकाकषी ह

डॉ कववता वाचकनवी हयसटन अमररका

राम क जीवन स िमलन वाली पररणाओ को ससार क कोन-कोन म पहचान का हर वयिकत

क जीवन को परररत करन क िलए जो ऄथक पररशरम अप लोगो की RamQuest टीम

न िकया ह और िनरनतर कर रह ह वह ऄित सराहनीय ह आस सजग एवम ऄनवरत परयास

क िलए अप सभी लोग ऄसीम सनह धनयवाद और साधवाद क पाि ह िवशव म

परषोततम क पररणा रथ को राम िजजञासा पििका क माधयम स अग बढ़ान क िलए एवम

रामायण ऄनतराथषरीय ऄिधवशन जयपर क सफल अयोजन क िलए ढरो शभकामनाए

डॉ रामा तकषक नीदरलडस

मरा सवथ िपरय गरथ तलसी कत रामायण पर भारतवषथ म िहद व सनातन धमी लोगो को को

शरदचा क साथ बाध हय ह आसका िजतना भी परचार व परसार िकसी भी रप म हो ईतना ही

ऄचछा ह राम िजजञासा आस कायथ म सफल परयास ह जो ऄब ऄगरजी क साथ साथ िहदी

म भी परकिशत हो रही ह मझ अशा ह लोग आसक परसारण म सहायक होग

हरर िबदल लखक किव ऄमररका

हनमान जी को दखकर बड़ सनह स राम कहत ह िक- सन सत तोवह उररन म नाही दखऊ कर

ववचार मन माही

राम क रदय म परजा क िलए सदव ऄसीम परम रहा राम क परम क ईदिध म परजा न खब

गोता लगाया खब अनद ईठाया परजा की हर बात को बड़ सनह और धयथ क साथ सनना

हर समसया का समाधान िपततलय करना राम क सवभाव म था राम न जन-जन क रदय म

िसथत होकर परम सनह दया भाइ चार की सावना को सदव सवािसत िकया अज भी राम

क ऄनयायी राम भकत राम कथा क रिसक सदव दया परम भाइ-चारा और सनह का भाव

कायम रखत ह

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 20: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 21

मानि क ऄरणयकाणड म भसि का िनदभष

डॉ नरनर रमाष lsquoकिमrsquo

डॉ नरर शमाा lsquoकसमrsquo अवकाशपरापत परोफसर ह व एक सपरवसि कवव

लखक सावहतय समीकषक व अधयता ह उनहोन 22 स भी अवधक पसतक

वहनदी और अगरजी म वलखी ह व अनक शवकषक सामावजकधावमाक व

सावहवतयक ससथाओ स जड ह उनको कई ससथाओ व सगठनो न परसकत

तथा सममावनत वकया ह अभी हाल ही म राजसथान सावहतय अकादमी न

उनह lsquoववशष सावहतयाकारrsquo सममान वदया ह डॉ कसम तलसी मानस

ससथान क उपाधयकष एव तलसी सौरभ पवतरका स समबि सथायी समीकषक ह

कहना न होगा िक lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा मानव क ईव क साथ जड़ी हइ ह वह ईतनी ही

सनातन ह िजतनी की मानवीय ससकित भारत म तो lsquoभिकतrsquo हमारी पराणवाय ही रही ह हमार

भौितक जीवन का अधार रही ह ऄपन दश म ही कया िवशव क परतयक भखणड म भिकत

िकसी न िकसी रप म सदव िवदयमान रही ह चाह वह इश-भिकत हो ऄथवा सवामी-भिकत

दश-भिकत मात-भिकत िपत-भिकत और गर-भिकत अिद भारत की पहचान रही ह कहन का

ऄिभपराय यह ह िक lsquoभिकतrsquo मानव की महीयसी परमपरा का ऄिभनन ऄग रही ह कयोिक वह

विशवक मानवीय-परमपरा क साथ जड़ी रही ह ईसकी चचाथ िविभनन शासतरो पसतको और

धािमथक गरनथो म ऄवशय िमलगी भारत म तो भिकत िवषयक िवपल सािहतय ईपलबध ह

भागवत और गीता म भिकत की िवसतत चचाथ ह यहा हम lsquoभिकतrsquo पर िवसतत चचाथ न करक

lsquoरामचररत मानसrsquo क ऄरणयकाणड म परसतत lsquoभिकतrsquo क सवरप पर िवचार करना चाहग जसा

िक हम सभी जानत ह िक lsquoभिकतrsquo ससकत क lsquoभजrsquo धात स समबदच ह िजसका ऄथथ ह सवा

करना आसम lsquoिकतrsquo परतयय लगा कर lsquoभिकतrsquo शबद बना ह lsquoिकतrsquo स अशय ह परम आस

परकार lsquoभिकतrsquo lsquoभजrsquo (सवा)rsquo तथा lsquoिकतrsquo (परम) का समनवय ह सभवत सवा को मानिसक

अधयाितमक अधार दन क िलए ईसम परम भावना की िनयोजना की गइ ऄनयथा सवा सवय

म सवोपरर गण नही ह कयोिक ईसक परयोजन ऄनक हो सकत ह दरऄसल भिकत मलत

एक भाव-बोध ऄथवा मानिसक-अधयाितमक परिकरया ह अचायथ रामचनर शकल क ऄनसार

lsquoधमथ का रसातमक पकष ईपासना ऄथवा भिकत ह rsquo भिकत क सदचािनतक पकष पर ऄननत िवमशथ

हो सकता ह पर यहा पर हम lsquoऄरणयकाणडrsquo म िवविचत lsquoभिकतrsquo क बार म सकषप म िवचार कर

रह ह

भिकत का मखय िववचन भागवत म lsquoनवधाrsquo भिकत नाम स परिसदच ह परहराद िहरणयकिशप

स ईसका ईललख करत हए कहत ह िक िवषण भगवान की भिकत क नौ भद ह (7523)

शरवण कीतथन िवषणौ समरण पाद सवनम

ऄचथन वनदन दासय सखयमातम िनवदनम

भागवत म विणथत lsquoनवधा भिकतrsquo पयाथपत सपररिचत एव लोकिपरय ह पर lsquoमानसrsquo क

ऄरणयकाणड म शबरी परसग म परसतत lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो क बार म lsquoमानसrsquo क पाठको का

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 21: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

22 जनवरी 2019

धयान सभवत कम ही जाता ह मयाथदा परषोततम राम क मखारिवनद स िनसत यह िववचन

ऄतयनत पनीत ह और lsquoभिकतrsquo की ऄवधारणा को समगरता स परसतत करता ह भकतवतसल

करणा िनधान भगवान शरी राम परीित की रीित को भलीभाित जानत ह व ऄनय सबधो को

छोडक़र कवल परम और भिकत का ही सबध मानत ह-

जानत परीित-रीित रघराइ

नात सब हात करर राखत राम सनह सगाइ (िवनय पििका)

ऄरणयकाणड म भिकतमती शबरी का परसग lsquoभिकतrsquo क नौ परकारो को परसतत करता ह

आसिलए आस भी lsquoनवधा भिकतrsquo ही कहा जाएगा सीताजी की खोज करत हए जब शरी राम

और लकषमण तपिसवनी शबरी क अशरम म पहच तब व दोनो भाइयो को दखकर ईनक चरणो

म िलपट गइ ईनक रदय म परम का सागर ईमड़ पड़ा व अनद मगन हो गइ ईनक मख स

वचन नही िनकल सक lsquoपरम मगन मख वचन न अवा पिन पिन पद सरोज िसर नावा rsquo

भाव िवभोर शबरी भिकत और परम म अकठ डब रही थी भिकत की यही तललीनता

ऄननयता ईसकी पराकाषठा ह भगवान तो ऄतयाथमी ह भकत क िबना बोल ही व सब समझ

जात ह शरी राम शबरी स बोल lsquolsquoमानई एक भगित कर नाताrsquorsquo व तो कवल भिकत का ही

सबध मानत ह कयोिक lsquoभिकतrsquo ही मनषय का सवोपरर गण ह

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धनबल पररजन गण चतराइ

भगितहीन नर सोहआ कसा िबन जल बाररद दिखऄ जसा

जाित पाित कल धमथ बड़ाइ धन बल कटमब गण और चतरता-आन सबक होन पर भी

भिकत स रिहत मनषय कसा लगता ह जस जलहीन बादल (शोभाहीन) िदखाइ पड़ता ह

भगवान राम शबरी को lsquoनवधा भिकतrsquo का ममथ बतात ह

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 22: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 23

नवधा भगित कहई तोिह पाही सावधान सन धर मान माही

परथम भगित सतनह कर सगा दसरर रित मम कथा परसगा

गर पद पकज सवा तीसरर भगित ऄमान

चौिथ भगित मम गन गन करआ कपट तिज गान

मि जाप ममदढ़ िबसवासा पचम भजन सो बद परकासा

छठ दम सील िबरित बह करमा िनरत िनरनतर सजजन धरमा

सातव सम मोिह मय जग दखा मोत सत ऄिधक करर लखा

अठव जथालाभ सतोषा सपनह निह दखआ परदोषा

नवम सरल सब सन छलहीना मम भरोस िहय हरष न दीना

भगवान राम भिकत क नौ सवरपो क बार म शबरी को समझात ह पर व आतन ईदार ह िक व

आन नौ गणो की ऄपकषा परतयक भकत स नही करत व परतयक वयिकत की सीमा को पहचानत

हए कहत ह यिद य सब गण एक भकत म न िमल तो कोइ बात नही व कहत ह-lsquoनव मह

एकई िजनह क हौइ नारर परष सचराचर कोइ rsquo भगवान राम की भिकत तो बस समपथण

चाहती ह भकत तो भगवान स तदाकार और तदातमय सथािपत कर ल सवा और परम का

ऄबलमब लकर भिकत म डब जाए यही भिकत का चरमोतकषथ ह

ऄरणयकाणड म शबरी क परसग म अइ भगवान शरी राम क मखारिवनद स परसत भिकत-चचाथ

का कया कोइ अधिनक सदभथ हो सकता ह कयो नही हो सकता अज क नितक और

अधयाितमक-पराभव क दौर म सनतो की सगित की कया जररत नही ह कया भगवान क

ईदातत गणो का ऄनसरण हमार यग की अवशयकता नही ह गरभिकत कया अज ऄपरासिगक

ह कया मन की िनमथलता वयिषट और समिषट की िनमथलता म परितफिलत नही होनी चािहए

िनमथल छदमकत मन स ऄपनाए गए लोक मगलकारी मि-जाप कया शरयसकर नही ह कया वद-

जञान आिनरय-सयम ऄथथहीन ह कया lsquoिसयाराम मय सब जग जानीrsquo का भाव िनससार ह

कया सत ईपकषणीय ह कया सतोष वयथथ ह कया परदोष दशथन ऄिहतकर नही होता कया

सरलता ऊजता और परभ म ऄटल िवशवास की अज क ऄनासथावादी ससार को जररत नही

हम ऄपन धािमथक गरनथो और परसगो को मनोयोग स पढ़ना चािहए आनह कवल कोर िकसस

मानकर नही छोड़ दना चािहए आनम जीवन का ममथ िछपा ह गोसवामी तलसीदास तो एक

मिदषटा ऊिष थ ििकाल किव थ आसिलए आनक lsquoमानसrsquo की परतयक पिकत ऄधकार स परकाश

की ओर ल जान की कषमता रखती ह आित शभमसत

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 23: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

24 जनवरी 2019

शरी रामचररतमानि रबद जञान

ओमपरकार गिा

िनमन शबद शरी रामचररतमानस ल गए ह हर शबद क ऄथथ क चार िवकलप ह जो िवकलप

सही हो ईस ऄिकत कर

1 गािध

a मादा गधा

b गदङी

c िवशवािमि क िपता

d अधाअधी

2 नप

a साप

b राजा

c पजा

d नदी का नाम

3 ऊषयमक

a एक मक ऊिष का नाम

b एक िवदरान ऊिष का नाम

c एक पवथत का नाम

d करोिधत वयिकत

4 सिस

a ईजजवल

b चनरमा

c दशरथ क िपता

d सयथ

5 जठर

a दढ

b पित क बड़ भाइ

c पट

d एक पौधा

आस सतमभ क परशन भजन क अप िलए अमिित ह ईिचत परशनो को अपक नाम क साथ

राम िजजञासा म परकिशत िकया जायगा (email jigyasaramacharitorg)

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 24: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 25

नाथ कसहऄ हम कसह मग जाही

रामलकषमण गि

परो रामलकषमण गपत वशकषा अधयातम एव ससकवत क कषतर म एक सपररवचत

नाम ह एक अगरजी पराधयापक क रप म अपनी जीवन ववतत परारमभ करन

वाल कालातर म उदयोग-परबधन स जडऩ वाल शरी गपत तलसी मानस ससथान

क अधयकष एव ससथान की वदवमावसक पवतरका तलसी सौरभ क सपादक ह

ससथान क माधयम स उनहोन अनक सावहवतयक एव सासकवतक पसतको का

परकाशन वकया ह सासकवतक ववषयो म उनकी गहरी रवच ह और ससकवत क

पषपन पललवन एव सरकषण म व ववशष रप स परयासरत रहत ह

िवषय पर िचनतन करन स पवथ हम ईस परसग की ओर चलत ह जहा स यह िवचारणीय िवषय

िलया गया ह िपता दरारा वनवास की अजञा होन क पशचात शरीराम लकषमण एव जानकी जी

परयागराज म मिन शरषठ भरदराज जी क अशरम म रािि िवशराम कर परात ऄपनी अग की यािा

करन स पवथ शरी राम पछ रह हिक व िकस मागथ स जाए- lsquoराम सपरम कहई मिन पाही नाथ

किहऄ हम किह मग जाही rsquo और तब मिन शरषठ न कहा- lsquoमिन मन िबहिस राम सन कहही

सगम सकल मग तम कह ऄहही rsquo

सामानय दिषट स दख तो यही समझ म अयगा िक रामजी मिन महाराज स रासता पछ रह ह

और मिन जी कह रह ह िक चाह िजस रासत स जाआय अपक िलए तो सभी रासत सगम ह

पर लोक वयवहार म िबना मिजल बताय कोइ रासता कस पछगा गनतवय बतान क बाद ही

मागथ पछा जाता ह और मागथ बतान वाला भी िबना गनतवय क बार म पछ कह रहा ह िक

अपक िलय सभी रासत सगम ह चाह िकसी स भी चल जाआय यहा दो बात ईभर कर अती

ह एक शायद पछन वाला मागथ कवल आसीिलए पछ रहा हो तािक मागथ बतान वाला मागथ तो

बता ही द और मिजल भी सिनिशचत कर द दसरा यह िक िजसस रासता पछा गया ह वह

पहल स ही मिजल क बार म गनतवय क बार म जानता हो यहा दसरी बात कछ ऄिधक

सही परतीत होती ह मिन भरदराज को राम क बार म सब कछ िविदत ह याजञवलकय-भरदराज

परसग म हम यह सब पहल ही पढ़ चक ह

जागबिलक बोल मसकाइ तमहिह िबिदत रघपित परभताइ

भरदराज जी राम क ऐशवयथ को जानत ह ईनह पता ह राम कौन सा रासता पछ रह ह और

ईनका गनतवय कया ह वह यह भी जानत ह िक ईनक (राम) िलए तो सार मागथ सगम ह वह

मन ही मन हसत ह िक सभी रासतो को जानन वाल अज जान का रासता पछ रह ह

यह तो सपषट ह िक रामजी धरती पर बनाय गय िकसी ऐस रासत क बार म नही पछ रह िजस

अवागमन क िलए परयोग म लाया जाता ह तो िफर वह कौन सा रासता पछ रह ह और जब

ईनक िलए सभी रासत सगम ह तो िफर िकसी रासत िवशष क बार म ईनहोन कयो जानना चाहा

ह यहा सकत िजस मागथ िवशष का ह वह मागथ जीवन म ऄपनान योगय मागथ ह वह कौन सा

मागथ ह िजस ऄपन लकषय तक पहचन क िलए ऄपनाया जाय तो कया बरहम क ऄवतार को

िकसी मागथ क जानन की अवशयकता ह ईसक िलए तो सभी मागथ सगम ह वह सभी मागो

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 25: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

26 जनवरी 2019

का िनमाथता और जञाता ह िफर मागथ बतान का अगरह कयो िनशचय ही ऄवतार रप म बरहम

मानव माि क िलए ही रासता तय करन हत सचषट िदखाइ द रहा ह मिनशरषठ ईस मागथ का

िनदश करन म सकषम ह पर मिन महोदय न तो कोइ रासता नही बताया रासता बतान क िलय

ईनहोन ऄपन िशषयो को बलाया- lsquoसाथ लािग मिन िशषय बोलाय सिन मन मिदत पचासक

अय

वयाखयाकारो का कहना ह िक आन 50 िशषयो क रप म 4 वद 4 ईपवद 18 पराण 18

ईपपराण 6 शासतर कल िमलाकर 50 सवय ईपिसथत हए थ आस परकार शासतरो म बताय गय

सभी मागथ ईपलबध थ और ईनम स परतयक का दावा था िक ईसका मागथ ऄचछी तरह स दखा

हअ ह यािन वही सही मागथ जानता ह- lsquoसबवह राम पर परम अपारा सकल कहवह मग दीख

हमारा rsquo

कहत ह मिन दव न चार िशषयो (वदो) को साथ कर िदया मागथ बतान को पर मिन न

गनतवय का कोइ सकत नही िदया ईनहोन तो गर वालमीिक क पास शरी रामजी को पहचान

भर की वयवसथा कर दी और अग की बात ऄपन गर वालमीिक पर छोड़ दी वालमीिक क

अशरम म पहच कर रामजी न रहन क सथान क बार म पछा-

ऄस िजय जािन किहऄ सोआ ठाई िसय सौिमि सिहत जह जाउ

ऄपन ठहरन क सथान क बार म िजजञासा की ह मिन महाराज कहत ह

पछह मोिह िक रहो कह म पछत सकचाई

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावउ ठाई

मागथ और गनतवय दोनो िजसम िनिहत हो ईस कौन

सा मागथ िदखाया जाय और कौन सा गनतवय बताया

जाय िफर भी मिनवर न ऐस चौदह सथान बताय जहा

शरी राम सौिमि व जनक निनदनी क साथ रह सकत ह

य िनवास सथान भौितक जगत म िनिमथत भवनो म

िदखाइ नही दत यह सब तो ऄधयातम जगत क भवन

ह और आन सब का फल कया होना चािहय रामजी

क चरणो म परम-

सब करर मागिह एक फल राम चरन रित होई

ितनहक मन मिदर बसह िसय रघननदन दोई

जहा ऄननय भिकत हो वही िनवास हो भिकत ही का

मागथ एक माि मागथ हो सकता ह होना चािहय जो

भगवान को ही ऄपना सवथसव मान lsquoसवािम सखा

िपत-मात गर िजनह क सब तम तातrsquo और lsquoजािह न

चािहए कबह कछ तम सन सहज सनहrsquo ऐस ऄननय

भकतो का मागथ ही एक माि मागथ सवीकार करन योगय

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 26: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 27

िदखाइ दता ह

रामचररत मानस म यदयिप भगवतपरािपत को ही मानव माि का गनतवय माना ह और ऄननय

भिकत को सवोपरर रखा ह तथािप वद-शासतरो म विणथत सभी मागो को सथान िदया गया ह यग

यगानतर स यह परशन िक मनषय को कौन सा मागथ ऄपनाना चािहए मानव मिसतषक को मथता

रहा ह ईततर परापत करना सरल नही रहा ह गीताकार न कहा- lsquoिक कमथ िक ऄकमित

कवयोऽपयि मोिहताrsquo बड़-बड़ जञानी-पिणडतजन आस िदशा म िचनतन करत रह ह पर मोह स

गरिसत होकर रह गय सही मागथ नही बता पाय भगवान कषण न भी 18 ऄधयायो म िदय गय

ऄपन ईपदश क बाद यही कहा-

सवथ गहयतम भय शरण म परम वच

मनमना भव मकतो मदयाजी मा नमसकर

सवथधमाथनपररतयजय मामक शरण वरज

शबरी को नवधा भिकत समझात हए यही तो शरीराम कह रह ह- lsquoमम दरसन फल परम ऄनपा

जीव पाव िनज सहज सरपा rsquo जीव का लकषय भी ऄपना सहज सरप पाना ह और ईसक

िलए ह सरलतम सगमतम सफलतम मागथ भिकत मागथ

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 27: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

28 जनवरी 2019

राम-चररत िनदर

मगलर मजमर lsquoमगलrsquo

शरी मगलश मजमर lsquoमगलrsquo जी न करीब ७० सावहवतयक रचनाए परकावशत

की ह आकाशवाणी और कई कवव सममलनो म उनहोन कावय-पठन भी

वकया ह वववभनन पतर-पवतरकाओ और ससथाओ न समय-समय पर कई

परसकार वमल ह

रक और राजा म न दरष ह

lsquoराम-राजrsquo म नही कलश ह

बर का होता ह ऄत बरा ही

सबको य कहता lsquoलकशrsquo ह

lsquoरघ-कलrsquo रीत िनभान हत

रखा lsquoरामrsquo न साध-वश ह

धमथ क िहत म कर यदच भी

िदया य lsquoरामrsquo न िनदश ह

lsquoराम-चररतrsquo म हर दशथन ह

जग का रहा कछ न शष ह

हर मोड़ प जीवन कसा हो

lsquoराम-चररतrsquo म यही िवशष ह

lsquoराम-कषणrsquo की ससकित को

मानत ऄब पिशचमी दश ह

lsquoरामrsquo क जीवन -मलय सहज

य lsquoराम-चररतrsquo का सनदश ह

तरत lsquoमगलrsquo ह वजनी पतथर

lsquoराम-नामrsquo स lsquoगर व लश ह

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 28: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 29

राम ि इकतरफा िवाद

वनदना गिा

वदना गपता एक गहणी ह वजनकी कहानी कववता और उपनयास वमलाकर

कल 10 पसतक परकावशत हो चकी ह कषण पर तीन कावयातमक वकताब

भी परकावशत हो चकी ह यददवप इनका रझान अधयातम की तरफ ह व अपनी

दवषट स ववशलषणातमक अधययन करती ह वफर परशन रप म ही कयो

हो न व ईशवर को कटघर म खडा कर दती ह

राम तमहारा जनम लना वासतव म परतीक ह सावनाओ और मयाथदा क जनम का

दखो िकतनी धमधाम स मनात ह सब िबना जान तमहार जनम क महततव को सनो खश तो हो

जात होग न आस तरह मनान पर अहत तो नही होत न दख कर यहा कस होता ह मयाथदाओ

का हनन सनो राम तम िसफथ ऄवतार थ ऄवतार हो और ऄवतार ही रहोग कयोिक यहा

िसफथ ऄवतार पज जात ह ऄवतारो क बताय रासतो पर चला नही जाता और सीख लो तम

भी आसी तरह खश रहना तमहारा जनमिदन मनान का िसफथ आतना ही औिचतय ह िक हम िसदच

कर सक खद को राम भकत वस चाह रोज मयाथदा और सावना का चीरहरण करत रह तम

महज िखलौना भर हो हमार िलए अज का आसान बहत परिकटकल हो चका ह पता तो

होगा न और िफर जनमिदन मनान क िलए जररी तो नही तमहार बताय अदशो पर चलना

सना ह जब तमहारा ऄवतरण हअ था धरा पर ॠतए ऄनकल हो गयी थी चह ओर

ईललासमय वातावरण छा गया था हर रदय परमाननद म मगन हअ जस तमन ईनक ही

अगन म जनम िलया हो मगर अज सोचती ह राम कस होगा तमहारा ऄवतरण धरा

पर जहा नर िपशाचो का डरा लगा ह कही ना कोइ महफ़ि रहा ह नारी की ऄिसमता तार-

तार हयी ह िसफ़थ और िसफ़थ खौफ़ का साया ताडव कर रहा ह मानिसकता पर कािलख पती

हयी ह बस वासना और हवािनयत का नगा नाच हो रहा ह रकषक ही भकषक बन नोच रह ह

ऄतयाचार ही ऄतयाचार हो रह ह ह राम कया ल सकोग जनम आन हालात म ह राम कया

कर सकोग सथािपत िफर स मयाथदाय जीवन म ह राम य िदन म छायी काली ऄिधयारी

ह कया िमटा सकोग आसका नामोिनशान िफर स जनम लकर या िफर तम भी ऄब यहा अन स

िहचकत हो जहा मयाथदाय िवशवास और सममान पर तषारापात होता हो ह राम अज जररत

ह तमहारी मगर म सोच म ह तमह तो अदत ह ॠतओ क ऄनकल होन पर ही अगमन की

कया आस बार िबना िकसी शोर शराब क िबना तमहार अगमन की पवथ सचना क हो सकगा

तमहारा ऄवतरण कया कर सकोग तम ऐसाldquoनर िपशाचो क बीच जनम लकर कर सकोग

धनष की टकार और कर सकोग ऄपन ईदघोष को साथथक ldquoldquoldquo

जब जब होय धमथ की हािन बाढिह ऄसर महा ऄिभमानी

तब तब परगट भय परभ राम पितत पावन सीता राम

यदा यदा ही धमथसय गलािनभथवित भारत

ऄभयतथानधमथसय तदातमान सजामयहम

या

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 29: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

30 जनवरी 2019

िफर बस हम मनात रह परतीक सवरप तमहारा जनम राम नवमी को चाह ऄनदर बबसी

िववशता का एक दावानल सलग रहा हो अज क रावणो स िसत होकर या तम खश हो आन

हालातो को दखकर परतीक सवरप राम नवमी मनाय जान को दखकर आसिलय नही होता

ऄब तमहारा ऄवतरण धरा पर ह राम तमस य परशन तमहार जीव पछ रह ह ऄगर द सको

जवाब तो जरर दना ldquoldquoldquoहम आतिार म ह

य दशा ह अज क आसान की तमहार भकतो की जो िसत ह अहत ह वस एक बात कह

पररिसथितया ऄनकल ह तमहार जनम क िलए जब जब पथवी पर ऄधमथ का भार बढ़ा तमन

जनम िलया तो बताओ तो जरा आस बार कया हअ कया अज की दयनीय पररिसथितयो स तम

वािकफ नही या िफर कलयग म अन स डरत हो कयोिक अज क मानव न तयाग दी ह

सवीकायथता तमहार इशवरतव की

राम जानत हो अज का मानव अख बद कर नही करता िवशवास ईस चािहए परमाण

तभी तो कटघर म खड़ा कर दता ह तमह भी और तम हो जात हो अहत कही यही तो वजह

नही तमहार न अन की कया कर तमन सोचा तो था ऄचछा करन का लिकन यहा ईसका

ऄथथ ही बदल िदया गया माफ़ नही कर पाए तमह हम िनदोष सीता की ऄिगनपरीकषा क बाद

भी तयागन की तमहारी नीित पर जानत हो कयो कयोिक तम राजा भी थ और पित भी

माना तम राजा पहल थ और पित बाद म लिकन परशन यही ईठता ह कया राजा पहल बन थ

यिद नही तो पहला धमथ पतनी का हर हाल म साथ दना चािहए था तमह तम राजा बन तो

तमहारा पहला कतथवय परजा पालन था तो भी तम कहा सफल हए कया सीता तमहारी परजा म

शािमल नही थी कया ईसकी रकषा का दाियतव तमहारा नही था एक पित न पतनी का तयाग

िकया तो राजा का फजथ बनता था ईसक दाियतव को वहन करना लिकन तम दोनो ही मोचो

पर ऄसफल रह य बात तम जानत थ और ईसी क परायिशचत सवरप तमन खद को ईसी हाल

म रखा िजसम सीता रही लिकन कया आतन कर दन भर स हो जात हो तम मकत ईस गनाह स

िजसन पीिढ़यो म रोप दी िववशताए अज भी घर घर म सीता िनषकािसत ह अज भी ईस

नही िमला ईसका सविणथम मग िसफथ और िसफथ तमहारी िबछायी नागफनी क कारण कया

यही तो कारण नही तम नही अत पनः धरा पर िक दना पड़ा जवाब तो कया दोग

राम तम अदशथवादी थ तमन राम राजय सथािपत िकया तमन मयाथदा का महततव बताया

मानत ह तभी अज तक सवीकायथ हो लिकन दखो तो जरा अज भी तमहार नाम पर कस

हो रहा ह दोहन मयाथदाओ का मिदर-मिसजद मदङ न गमथ कर रखी ह राजनीित ऐस म कया

जररी नही तमहारा हसतकषप जानत हो न अज का मानव ऄपन सवाथथ क िलए मदङो को

भनाना बखबी जानता ह और जानत हो एक कड़वा सतय---तम अज ईनक िलए एक मदङा

भर हो बस यिद तमहार बताय िनयमो पर चला होता तो िकसी मिदर का खवािहशमद नही

होता हर मन म तमह िवरािजत दख लता हर मन तमहारा मिदर बन जाता कही यही तो

कारण नही तम नही लत धरा पर पनः ऄवतार

य एक दखी रदय क परशन ह िजसस अज मानवता वयिथत ह चलो राम कभी द सको तो

दना मर परशनो का जवाब

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 30: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 31

एक मनोदरा

परसतभा िकिना

कानपर वववव क रीडर पद स सवावनवतत डॉ परवतभा सकसना परारभ स ही

मौवलक लखन म सविय रही ह उनकी कई कववताए कहावनया वनबध

हासय-वयगय रचनाओ क साथ परबधकावय एव उपनयास परकावशत हए ह

उनकी रचनाए अतजााल वसथत कववता कोश एव गदय कोश म भी सकवलत

ह परासनातक ककषाओ को पढ़ात हय रामकावय धारा म ववशष शोध करत

हय उनहोन राम-कथा पर आधाररत खडकावय उततर-कथा तथा अनक

शोधपरक वनबधो एव कववताओ की रचना की परवतभा जी कवलफोवनाया

(यएसए) म अवधकतर वनवास करत हए लखन म सविय ह अतजााल पर

उनक दो बलाग - लावलतयम(गदय) तथा वशपरा की लहर(कववता) वतामान

लखन स सबि ह

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म ऄब रह ल िसया

ऄनहोनी ना िवचारी जो था अखो का भरम

छोड़ अया महलो को काह ललचा र मन

कद-मल फल-फल तझ काह न रच

धन वभव की चाह कहा रखी थी िछपा

सोन रतनो की कौध अख भर ल िसया

वनवास िलया तो भी मन ईदासी ना भया

कछ माग िबना जीन का ऄभयासी ना भया

मगछाला सोन की तो मगितषणा रही

त भी जान दखी हररनी क मन की िवथा

कही सोन की त ही न बन जाय री िसया

घर-दरार का सपन काह पाला मर मन

जब िलखी थी कपाल म जनम की भटकन

छोट दवर को कठोर वचन बोल थ वहा

ऄब लोगो म पराय िदन रात पहरा

चपचाप यहा सहगी पछतायगा िहया

काह राम जी स माग िलया सोन का िहरन

सोनवाली लका म जा क रह ल िसया

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 31: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

32 जनवरी 2019

हनमान जी की िफलता का परतीकः िनदरकाणड

िरोज गिा

डा सरोज गपता प दीनदयाल उपाधयाय शासकीय कला वावणजय

(अगरणी) महाववदयालय सागर (मपर) वहनदी ववभाग की अधयकषा ह

उनहोन रामकथा वहनदी सावहतय बनदली शबदकोष समालोचना और

सपादन आवद ववधाओ म करीब दो दजान गरनथ वलख ह उनक दवारा अब

तक अनक राषरीय और अनतरराषरीय शोध तथा रामायण सममलनो का

सफल आयोजन वकया गया ह व रामकथा की ममाजञ ववदषी और

भारतीय मनीषा की परवतवनवध ससावधका क रप म ववजञात ह उनक

वनदशन म अनक शोधावथायो न महतवपणा शोध काया वकय ह

शरीराम की कथा भारतीय जीवनदशथन धमथ और ससकित क साथ मानव जीवन क िविवध

पकषो की ऐसी कथा ह िजसम स ईतकषट सदगणो तयाग बिलदान सयम िववक व ऄनशासन

की िशकषा िमलती ह शरी रामकथा चाह महाकिव वालमीिक कत रामायण म गोसवामी

तलसीदास जी दरारा विणथत रामचररतमानस म या अधिनक भारतीय एव पाशचातय भाषाओ म

रिचत हो सभी म लोक कलयाणकारी भाव क साथ विदक सनातन धमथ और ससकित का

भवय व िदवयरप पाठको को िमलता ह सनदरकाणड म रामकथा कलपवकष ह कामधन क

समान ह मानव क परषाथथ चतषटय (धमथ ऄथथ काम मोकष) को पणथता परदान करन वाला

जीवनत कावय ह अज अवशयकता ह यग क ऄनरप रामकथा क शरवण िचनतन मनन की

शरीराम क जीवन चररत को अतमसात करन की समतव बिदच परापत कर शरषठ कायो स जड़न की

तथा हनमान जी जसा ऄसाधारण ऄत बल वभव व पराकरमी बनन की तभी शरीराम की

कथा का समिचत पारायण हो सकगा सनदरकाणड म तलसीदास जी न रामभकत हनमान जी

क परित पणथ अतमिनषठा वयकत की ह िवनयपििका म गोसवामी तलसीदास हनमान जी क परित

जो ऄपार शरदचा वयकत करत ह वह सनदरकाणड म फलीभत हइ ह -

करणािनधान बलबिदच क िनधान मोद मिहमा िनधान गन-जञान क िनधान हौ

वामदव रप भप राम क सनही नाम लत दत ऄथथ-धमथ काम िनरबान हौ

अपन पधाव सीतानाथ क सभाव शील लोक-वद-िविध क िवदष हनमान हौ

(िवनय पििका पद 94-241)

हनमान जी क परित िवशदच अतमािभवयिकत परदान की ह यही भाव सनदरकाणड म

ऄिभवयकत हअ ह िजस वयिकत म हनमान जी जस गण िवदयमान होग वह वयिकत िनिशचत रप

स ऄपन जीवन को सनदर बना सकता ह सनदरकाणड रामभकत हनमान की िवलकषण परितभा

का परतीक ह शरीराम की ऄत कपा परापत कर हनमान जी ऐस-ऐस ऄलौिकक कायथ करत ह

िजसस न िसफथ हनमान जी का जीवन धनय हअ वरन हनमान जी क समरण माि स जो भी

वयिकत सनदरकाणड पढ़ता ह सनता ह अतमसात करता ह वह भी िवलकषण परितभावान बन

जाता ह सनदरकाणड जीवन को सनदर बनान की तकनीक स ओतपरोत जीवनत कथा ह

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 32: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

जनवरी 2019 33

जामवनत की पररणा व शरीराम

क अशीवाथद स हनमान जी

सीता माता की खोज हत

अकाश मागथ स िवचरण करत

हए चार सौ कोस क महासमर

को लाघकर मनाक पवथत पर

छलाग लगात ह - lsquoिसनध तीर

एक भधर सनदर कौतक कद

चढ़ई ता उपरrsquo वसततः हनमान

जी की छलाग िवचार क

सवोचच िशखर की छलाग थी

lsquoिगरर पर चिढ़ लका तही दखीrsquo

वहा स हनमान जी सोन की

लका दखत ह हनमान जी क

मन म वरागय जागत होता ह

कयोिक lsquoसनह दव रघवीर

कपाला यिह मग कर ऄित

सनदर छालाrsquo - सीता जी सोन

क मग दरारा ही छली गयी थी

वरागय व अतमिवशवास क बल

स हनमान जी लकापरी जसी

सोन की नगरी म परवश करत ह

ऄननत बाधाओ को पारकर ईनह lsquoभवन एक पिन दीख सोहावा हरर मिनदर तह िभनन बनावाrsquo

राम नाम स ऄिकत िदखाइ दता ह साथ ही िवभीषण स िमिता व पररचय होता ह lsquoमिनदर

मह न दीख बदहीrsquo जब कही सीता क दशथन नही होत तब हनमान जी िवभीषण स सीता माता

क िवषय म पछत ह तब िवभीषण सारी यिकत हनमान को बतात ह िवभीषण दरारा बताइ

यिकत को हनमान जी न िसफथ सनत ह वरन परतयतपनन मित का पररचय भी दत ह राकषिसयो स

िघरी सीता की ऄित दयनीय दशा क दशथन स दखी हनमान तदनरप कायथततपर होत ह

पिकतया दषटवय ह ndash

कस तन सीस जटा एक बनी जपित रदय रघपित गन शरनी

िनज पद नयन िदए मन राम पद कमल लीन

परम दखी भा पवनसत दिख जानकी दीन

रावण दरारा सीता को नाना परकार क िास दकर आस परकार डराना धमकाना और कहना िक -

lsquoमास िदवस मह कहा न माना तौ म मारिब कािढ़ कपानाrsquo रावण क जात ही हनमान का

दखी रदय सीता क समकष lsquoराम नाम ऄिकत ऄित सनदरrsquo मिरका फ कना सीता स समभाषण

कर ईनकी शरण पाना भकतवतसला मा सीता क ऄपार सनह को पाकर ईनकी अजञा स

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 33: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

34 जनवरी 2019

ऄशोक वािटका को ईजाड़ना नगर क परमख भाग को धवसत कर िनडरता पवथक रावण की

सभा म पहचना तथा ईस ईिचत परामशथ दना अिद कायथ करत ह मघनाद दरारा बनधन यकत

करन पर व पछ म अग लगन पर सवणथमयी लका को भसमीभत कर सीता स चड़ामिण व

अशीष परापत कर शरीराम स सीता का समपणथ वतानत िवसतार स बतात ह तथा शरीराम की

कपा परापत करत ह

सनदरकाणड म सीताजी की ऄसाधारण सहनशिकत सयम िववक िनभथयता चररि बल

शीलसवभाव नारीतव का चरमोतकषथ जीवन का शरषठ अदशथ एव राम क परित ऄननय भिकत

सततय ह सीता जी सभी सखो का तयाग कर शरीर का धयान न रखत हए शरीराम क चरणो म

ही िदन-रात धयानाकषट रहती ह सनदरकाणड म हनमान जी व सीता माता का समवाद ऄत

व मनोहर बन पड़ा ह हनमान जी दरारा शरीराम की मािमथक कथा सनकर सीता जी क दख दर

हो जात ह

रामचनर गन बरन लागा सनतिह सीता कर दख भागा

शरवनामत जिह कथा सहाइ कही सो परकट होित िकन भाइ

िफर बठी मन िवसमय भयउ

नर वानरिह सग कह कस

किप क वचन सपरम सिन ईपजा मन िवशवास

जाना मन करम वचन यह कपािसध कर दास

ऄब कह कसल जाउ बिलहारी ऄनज सिहत सख भवन खरारी

मात कसल परभ ऄनज समता तब दख-दखी सकपा िनकता

जिन जननी मानह िजय उना तमह त परम राम कर दना

आसक पशचात जब हनमान जी वािपस शरीराम क समकष परसतत होत ह तब ईनका हषथ व

अननद चरम पर रहता ह lsquoपरीित सिहत सब भट रघपित करनापज पछी कशल नाथ ऄब

कसल दिख पद कज rsquo हनमान जी गदगद भाव वयकत करत हए कहत ह - lsquoपरभ की कपा भयउ

सब काज जनम हमार सफल भा अज rsquo आस परकार धनयता ऄनभव करत हए हनमान जी न

ऄपनी सफलता पर ऄपार परसननता वयकत की वासतव म यिद दखा जाय तो यह सफलता

असान नही थी यह सफलता हर ईस वयिकत को परररत करती ह जो हताश व िनराश होकर

कछ करत ही नही मन रपी वानर जीवन भर िजतनी छलाग लगाता ह यिद वह हनमान जी

की तरह उ ची छलाग लगा द तथा ऄपनी वितत को हनमान जी जसी बना ल तो जीवन ही

धनय हो जाय सनदरकाणड का वतानत भगवान शकर ऄतयनत शात मन स बहत ही शरषठता क

साथ सनात ह आसिलए भी सनदरकाणड सनदरता स ओत-परोत हो गया ह lsquoसावधान मन करर

पिन शकर लाग कहन कथा ऄित सनदर rsquo

लका जस भीषण वातावरण को सनदर बनान म शरी सीताजी की महती भिमका ह ईनका

तयाग व पितवरता सवरप समसत नारीजगत क िलए सपहणीय व सततय ह

जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

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जनवरी 2019 35

रामचररत मानि क िनदर की सवशवजनीनता

परभदयाल समशर

योग वद और वदानत क अधयता शरी परभदयाल वमशर सागर ववशवववदयालय

स अगरज़ी म परासनातक ह उनहोन अधयातम और दशान की आधार भवमका

म दो दजान स भी अवधक कववता उपनयास समालोचना अनवाद और

वववनबनध गरनथो की रचना की ह इनम वद की कववता मतरयी और ईशवर

का घर ह ससार बहत चवचात हई ह उचच परशासवनक सवाओ स वनवतत शरी

वमशर वतामान म भोपाल मधय परदश म रह रह ह तथा वदो क शोध और

समपरसार म लग महवषा अगसतय ववदक ससथानम क ससथापक अधयकष ह

इशावासय का पहला मि ह ndash

इशा वासयिमद सवि यितकञच जगतया जगत

तन तयकतन भञजीथा मा गधः कसयिसवदचनम

आस मि क परथम भाग म इशवर की सवथवयापकता की ईदघोषणा ह ससार का परतयक चतन-

ऄचतन जीव ऄथवा पदाथथ इशवर स अचछािदत अविषठत ह यह दिषट ससार म भद क सथान

पर समपणथ ऄभदता की पोषक ह आस गीता म कषण न यह कहत हए और ऄिधक सपषट िकया

ह िक lsquoमझ एक धाग म समपणथ ससार मिण रप मrsquo (मिय सवथिमद परोत सि मिणगणा आव 77)

िपरोया हअ ह गोसवामी तलसीदास न आस सि को मानस क वदना परसग म सभी को

सजजन और ऄसजजन सिहत परी तरह स परणाम करत हए सवीकार िकया ह-

सीय राममय सब जग जानी करउ परनाम जोरर जग पानी (मानस 18C2)

सनातन भारतीय दशथन इशवर को दरदशीय नही मानता वह सिषट का कारण और िनिमतत

दोनो तो ह ही सदा कायथ रप म भी िवदयमान ह वह कमहार ही नही घड़ा बन जान वाली

िमटटी और सवय घड़ा भी ह ऐस इशवर की खोज म िकसी को भी कही भटकन की

अवशयकता नही ह ऄनयथा एक इशवर की खोज तो सदा ऄपणथ ही रही ह और ऄपणथ ही

रहन वाली ह

इशवर की पहचान म इशवर क िनगथण और सगण रप की दो धाराए सवथ वयापक ह आनक

ऄनयायी आनम परसपर आतनी दरी भी ईतपनन करत रह ह िक आनका एक वयवहाररक समनवय

परायः सगम परतीत नही रहा यह मानना सवाभािवक ही ह िक इशवर ऄपनी ऄवयकत ऄवसथा म

सवथशिकतमान हो सकता ह ऄतः यिद वह ऄवतार भी लता ह तो एक सीमा ही सवीकार

करता ह तथा आस परकार ईसका अचरण और कतय परायः मनषयो क ही समान हो जात ह जो

कभी-कभी अदशथ होकर समालोचय भी होत ह

भारतीय रषटा ऊिषयो न आस सतय को िनकट स पहचाना ह राम और कषण क पणथ ऄवतार

का िनदशथन करान वाल वालमीिक और वयास ऄपनी रामायण और भागवत म आन दाशथिनक

परशनो का समाधान खोजत ह शरीमागवत क पहल ही शलोक म भगवान वदवयास ईस lsquoपरम

सतयrsquo (सवथशिकतमान ऄवयकत इशवर दरारा सिषट सरचना परिकरया का ईपकरम) क सगण

ऄनसधान (सतय परम धीमिह) का परितजञा कथन करत ह ndash िजसस आस ससार की सिषट िसथित

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

Page 35: ह य 825 . ( US › RamJigyasa › RJJan2019.pdf · की, िवशेष ूप सेहमारेयुवाओंके बीच, जागूकता फैलाना

36 जनवरी 2019

और परलय ह िजसक समबनध म िवदरान िदगभरिमत होत ह िकनत वह सवय जञान स परकािशत

रहता ह शरीकषण क बरज म िवहार मथरा म यदच दराररका म िववाह और करकषि म यदच

दीकषा क चररि की वदानत की िजस भिमका म वयासजी परितषठा करत ह ठीक वही सथापना

गोसवामी तलसीदास की भी रामकथा की परितिषठत म ह-

यनमायावशवितथ िवशवमिखल बरहमािददवासरा यतसतवादमषव भाित सकल रजजौ यथाहभरथमः

यतपादपलवमकमव िह भवामभोधसतीषाथवताम वदऽह तमशषकारणपर रामाखयमीश हररम

(मानस 11शलोक 6)

यहा आतना कहना पयाथपत ह िक रामचररत मानस की सरचना क दाशथिनक पकष की िनषपितत म

तलसी वदवयास क शरीमागवत क ऄिधक िनकट ह जबिक महाकावय क िवधान रप म

आसम ईनहोन वालमीिक की रामायण स पररणा ली ह और चिक दशथन की यह सनातन परमपरा

वदानत परक ह ऄतः आसम इशावासय क अधार दशथन का समावश परचरता स हअ ह

हम ऄब इशावासय क पहल मि क दसर भाग पर अत ह आसम कहा गया ह िक lsquoसभी

वसतओ को परमातमा को ऄिपथत करन क बाद ही ईनका ईपभोग ईिचत ह लोभ कदािप

वाछनीय नही भला यह धन यहा िकसका हrsquo आस सि म मनषय क िलए अवशयक यजञ

तयाग ऄपररगरह समपथण िनषकामता िनलोभ समता िनभदता और समभाव अिद सभी

वाछनीय गण समािवषट ह गीता म शरी कषण न ऐस एक कमथयोगी राजा जनक का ईदाहरण

िदया िजनह सिसिदच परापत हइ जब हम मानस क कथानक पर दिषटपात करत ह तो आसम एक

चररि राजा परतापभान ऐसा ह िजसक बार म तलसी न िलखा-

रदय न कछ फल ऄनसधाना भप िबबकी परम सजाना (मानस 1156C1)

करआ ज धरम करम मन बानी बासदव ऄिपथत नप जञानी (मानस 1156C2)

यह ऄपन अप म िकतना बड़ा अशचयथ नही ह िक आस lsquoकमथयोगीrsquo राजा को ऄनततः रावण

बनना पड़ता ह आसका कया कारण ह आसका ईततर ईपिनषद क आस दसर चरण म िमल जाता

ह आस राजा न लोभ का पररतयाग नही िकया ईसम एक ऄतयत परबल अकाकषा ईतपनन हो

गयी ndash

जरा मरन दःख रिहत तन समर िजत जिन कोई (मानस 1164 D1)

एकछि ररपहीन मिह राज कलप सत होई (मानस 1164 D2)

ईपिनषद क लोभ पररतयाग क सनदश का आसस महततर िवसतार ऄनयि दखा जाना किठन ह

तयाग की आतनी महतता परितपािदत कर इशावासय क दसर मि का सनदश यही िक वासतव म

यह दशथन lsquoकमथrsquo का ह तयाग का नही सही कमथ की आसस िभनन िसथित नही ह मनषय को

ऄपनी समपणथ १०० वषथ की आिचछत अय आसी रीित स वयतीत करनी ह आसस िभनन तो

कवल ऄध तमस का लोक ही ह जहा lsquoअतम-घातीrsquo लोग पहचा करत ह

रामचररत मानस म जस िवभीषण और रावण क वयिकततव आन दो धाराओ का परितिनिधतव

करत ह िवभीषण को भगवान ऄत म यही अदश दत ह- lsquoकरह कलप भरर राज तमह मोिह

सिमरह मन मािहrsquo (मानस 6116dD1) जब िक रावण की जीवन शली का िनदशथन व आन

जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

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जनवरी 2019 37

शबदो म करत ह- lsquoकह मिहष मानस धन खर ऄज खल िनशाचर भकषहीrsquo (मानस

53X21)

इशावासय क ४ स लकर ८ तक क पाच मि इशवर की lsquoिनिखल धमथ िवरदच अशरयीrsquo

िवशषताओ का िनरपण करत ह आसक ऄनसार इशवर दवताओ और मन स भी तीवरतर

गितशील भीतर और बाहर समान रप स समपिसथत ऄकाय शदच किव मनीषी पररभ

और सवयमभ ह ईस आस रप म दखन वाल म और त जसा भद नही रखत ऄतः ईनक िलए

जीवन म िकसी परकार का शोक या मोह ईतपनन नही होता मानस म तलसी न इशवर की आन

िवशषताओ का ऄनकशः वणथन िकया ह वह ndash lsquoिबन पद चलआ सनआ िबन काना कर िबन

करम करआ िविध नानाrsquo (मानस 1118C5) ह तथा ईस आस रप म दखन वाल यही जानत ह

िक ndash म सवक सचराचर रप सवािम भगवत (मानस 43D2)

इशावासय म अग िवदया और ऄिवदया तथा समभित और ऄसमभित की ियी बहत गहन

ऄधयातम दशथन का िनदशथन करती ह वद क ऊिष का आसम यह कथन ह िक ऄिवदया क

ईपासक ऄध तमस म परवश करत ह िकनत िवदया म रत कही ऄिधक गहर तमस म भटक जात

ह आसी तरह ऄसमभित क ईपासक भी जहा ऄध तम म रहत ह वही सभित म रत और गहर

ऄनधकार म भटकत ह ऄतः ऊिष का परामशथ यहा यह ह िक आन दोनो िसथितयो की जब

वयिकत को ठीक समझ हो जाती ह तो वह ऄिवदयाऄसमभित स मतय पर िवजय परापत कर

िवदयासमभित क दरारा ऄमततव म परितिषठत होता ह

विदक दशथन क वयाखयाकारो न आन िसदचातो की िवसतत और गहन वयाखया की ह

सामानयतया आनह भौितक और ऄधयातम तथा वयकत और ऄवयकत धाराओ का परतीकाथी कहा

जा सकता ह तलसी न भी सिषट सरचना म परधान इशवरीय सामथयथ lsquoमायाrsquo को lsquoिबदया ऄपर

ऄिबदया दोउrsquo (मानस 315C4) भद वाला माना ह सकषपतः यहा यह कहना भी

अवशयक ह िक ईपिनषद म lsquoिवदयाrsquo और lsquoसमभितrsquo क िलए lsquoरतrsquo िवशषण परयकत ह आसका

ऄथथ यह हअ िक जञान क परित असिकत होन पर वह भी बधनकारी ही होता ह तलसीदास

जी जस सार रप म समझा दत ह-

जञान मान जह एकई नाही दख बरहम समान जग माही (मानस 315C7)

औपिनषिदक शबदावली म ही तलसी lsquoजञान पथrsquo की तलना कपाण की धार (मानस

7119C1) स करत ह ऄथाथत जञान क मागथ म भटकन क पर ऄवसर ह िकनत जब इशवर की

सवथवयापकता िकसी की ऄनभित बन जाती ह तो यही मतय स सतरण क बाद ईसकी ऄमत म

परितषठा होती ह

38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

कर

3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

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38 जनवरी 2019

िसिि रामचररतमानि-१००८ पसियो म

डॉ ओमपरकार गिा

गोसवामी तलसीदास रिचत गीता परस परकािशत शरी रामचररतमानस म 12587 पिकतया ह

अज हमारा जीवन िकतना ऄसत-वयसत ह यह सोच कर मानस का एक सिकषपत रप १००८

पिकतयो म परकािशत होन जा रहा ह पसतक म मानस की १००८ पिकतयो क साथ-साथ

ईनका सरल िहदी म भावाथथ ऄगरजी म िलपयनतरण और सरल ऄगरजी म ऄनवाद भी ह

पसतक की कछ परारिभक पिकतया यहा परसतत ह पसतक परापत करन और ऄिधक जानकारी क

िलए jigyasaramacharitorg को पि िलख

बालकाणड

1 जो सिमरत िसिध होआ गन नायक कररबर बदन 10aS1

2 करई ऄनगरह सोआ बिदच रािस सभ गन सदन 10aS2

िजनको समरण करन स सार कायथ सफल होत ह जो गणो क नायक और सनदर हाथी क

मखवाल ह ऐस बिदच क भणडार और शभ गणो क धाम शरी गणश जी महाराज मझ पर कपा

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3 मक होआ बाचाल पग चढआ िगररबर गहन 10bS1

4 जास कपा सो दयाल रवई सकल किल मल दहन 10bS2

िजनकी कपा स गगा बोलन लगता ह लगड़ा दगथम पवथत पर चढ़ जाता ह व किलयग क सब

पापो को जला डालनवाल दयाल भगवान मझ पर दया कर

5 नील सरोरह सयाम तरन ऄरन बाररज नयन 10cS1

6 करई सो मम ईर धाम सदा छीरसागर सयन 10cS2

जो नील कमल क समान शयाम ह िजनक पणथ िखल हए लाल कमल जस नि ह जो सदा

कषीरसागर म शयन करत ह व परमिपता शरी नारायण मर रदय म िनवास कर

7 कद आद सम दह ईमा रमन करना ऄयन 10dS1

8 जािह दीन पर नह करई कपा मदथन मयन 10dS2

िजनका कद क पषप और चनरमा क समान गोरा शरीर ह जो पावथती जी क िपरयतम और दया

क धाम ह िजनका दीनो पर सनह ह व कामदव का मदथन करनवाल शरी शकर भगवान मझ पर

कपा कर

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