नव आोही तृती वर्ष अंक15...नव आ ह त त वर ष अ...

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नव आरोही तीय वष अंक-15 माष 2014 1 ीमती पूणषमा सुरडकर माष माह का ‘नव आरोही’ का यह अंक आपके सम सतुत ह लीक से हटकर इस अंक को आजाद भारत के ललए समपषत ककया गया ह माष महना हमारे सवतं भारत के इतहास मै शहीद हदवस के ऱप मै वयात ह 23 माष 1931 की मयरा को अंेजी ह मत ने भारत के तीन सपूत भगत लसंह, सुखदेव और राजगु र को फांसी पलटका हदया था अदालती आदेश के मुतािक भगत लसंह, राजगु र और सुखदेव को 24 माष 1931 की सुिह करीि 8 िजे फांसी लगाई जानी थी, लेककन 23 माष 1931 को ही इन तीन को देर शाम करीि सात िजे फांसलगा दी गई और शव रतेदार को न देकर रात रात ले जाकर यास नदी के कनारे जला हदए गए कारण िहटश सरकार की ूले हहल ुकी थशहीद हदवस के हदन वशे की जानकारी के साथ ही इस अंक मै एक और अमर शहीद जो साहयकार भी थे ी गणेश शंकर वाथी की जीवनी पर वशे लेख शालमकया गया ह और माष माह मै ही अमर कवयी महादेवी वमाषजी की जयंती के अवसर पर उनके साहहय वशे की संत जानकारी भी शालमल की गई ह महािंधक महोदय के वाषक तनरीण के अवसर पर नागपुर मंडल को भैट तथा वलभन कायषम मै उपसथतत का वणषन कया गया ह पांुरना सटेशन पर राजभाा वभाग की दशषनी एवं ान मंजूापुसतका का वमोन तथा नुक नाटक दलशषत कया गया उनकी संत ररपोटष तथा अंेजी हहंदी वायांश, राजभाा नीतत संिंधधत मुय िंदुं को समाते ह ए अंक को ानवधषक िनाने का यास कया गया ह मुझे आशा ह कक यह अंक भी आपके अपेा की पूणषता करेगा आपके सुझाव की तनरं तर तीा मै आपका अपना संपादक मंडल राजभाा अधधकारी मय रेल, नागपुर संरक ी .पी.लसंह मंडल रेल िंधक **** मागषदशषक ी जयदीप गुा अपर मंडल रेल िंधक एवं अपर मुय राजभाा अधधकारी **** संपादक ीमती पूणषमा सुरडकर राजभाा अधधकारी **** संकलक डॉ. शंकरलसंह परहार एवं राजभाा अनुभाग **** संपकष सू रेलवे 012-55716/27 भासंतनलल 0712-2542264 राजभाा अधधकारी 9766342006 **** -मेल पता [email protected] ****

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  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 1

    श्रीमती परू्णषमा सरुडकर

    मार्ष माह का ‘नव आरोही’ का यह अकं आपके समक्ष प्रस ततु ह लीक से हटकर इस अकं को आजाद भारत के ललए समर्पषत ककया गया ह मार्ष महहना हमारे स वतं् भारत के इततहास में शहीद हदवस के रूप में र्वख् यात ह 23 मार्ष 1931 की मध्यरात्र् को अंगे्रजी हुकूमत ने भारत के तीन सपतूों भगत लसहं, सुखदेव और राजगुरु को फासंी पर लटका हदया था अदालती आदेश के मुतात्रिक भगत लसहं, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्ष 1931 की सुिह करीि 8 िजे फांसी लगाई जानी थी, लेककन 23 मार्ष 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीि सात िजे फांसी लगा दी गई और शव ररश्तेदारों को न देकर रातों रात ले जाकर व्यास नदी के ककनारे जला हदए गए कारण त्रिहटश सरकार की र्लेू हहल र्ुकी थी

    शहीद हदवस के हदन र्वशरे् की जानकारी के साथ ही इस अंक में एक और अमर शहीद जो साहहत् यकार भी थे श्री गणेश शकंर र्वद्याथी की जीवनी पर र्वशेर् लेख शालमल ककया गया ह और मार्ष माह में ही अमर कक वय ्ी महादेवी वमाषजी की जयतंी के अवसर पर उनके साहहत् य र्वशेर् की सं्क्ष् त जानकारी भी शालमल की गई ह

    महाप्रिधंक महोदय के वार्र्षक तनरीक्षण के अवसर पर नागपुर मंडल को भेंट तथा र्वलभन् न कायष्रममों में उप्सथतत का वणषन ककया गया ह पांुुरना स टेशन पर राजभार्ा र्वभाग की प्रदशषनी एवं ‘ज्ञान मंजूर्ा’ पु् सतका का र्वमोर्न तथा नुक् कड़ नाटक प्रदलशषत ककया गया उनकी सं् क्ष् त ररपोटष तथा अंगे्रजी हहदंी वाक् यांश, राजभार्ा नीतत सिंंधधत मुख् य त्रिदंुं ं को समाते हुए अंक को ज्ञानवधषक िनाने का प्रयास ककया गया ह मुझे आशा ह कक यह अकं भी आपके अपेक्षा की पूणषता करेगा आपके सुझावों की तनरंतर प्रतीक्षा में आपका अपना संपादक मंडल राजभार्ा अधधकारी मध्य रेल, नागपरु

    संरक्षक श्री ं.पी.लसहं

    मंडल रेल प्रिंधक ****

    मागषदशषक श्री जयदीप गुप्ता

    अपर मंडल रेल प्रिंधक एवं अपर मुख्य राजभार्ा अधधकारी

    **** संपादक

    श्रीमती पूर्णषमा सुरडकर राजभार्ा अधधकारी

    **** संकलक

    डॉ. शंकरलसहं पररहार एवं राजभार्ा अनुभाग

    **** संपकष सू्

    रेलवे 012-55716/27 भासंतनलल 0712-2542264

    राजभार्ा अधधकारी 9766342006

    **** ई-मेल पता

    [email protected]

    ****

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 2

    नागपरु मंडल की माह मार्ष-2014 की र्वशरे् गततर्वधधयााँ :- महाप्रिधंक मध् य रेल, श्री एस.के. सदूजी का वार्र्षक तनरीक्षण के अवसर पर ‘ज्ञान मजंूर्ा’ का र्वमोर्न :

    महाप्रिधंक मध्य रेल, श्री एस.के. सदूजी का वार्र्षक तनरीक्षण, नागपरु मडंल के आमला-नागपरु सेक् शन पर हदनाकं 20 मार्ष 2014 को सपंन् न हुआ महाप्रिधंक वार्र्षक तनरीक्षण के ललए राजभार्ा र्वभाग द्वारा र्वशरे् रूप से हहदंी के स तरीय कायषप्रणाली का प्रदशषन एव ंनकु् कड़ नाटक का मरं्न ककया गया राजभार्ा प्रदशषनी के उद्घाटन अवसर पर ही लघ ुपु् सतका ‘ज्ञान मजंूर्ा’ का र्वमोर्न महाप्रिधंक महोदय के करकमलों स ेसपंन् न हुआ ‘ज्ञान मजंूर्ा’ कायाषलयीन कायष हहदंी में करने हेत ुकारगर लसद्ध होगी इसके द्वारा द तनक कायष सरल हहदंी में प्ार्ार करने के ललए प्रशासतनक शब दावली की तनरंतर मांग को परूा करने का प्रयास ककया गया ह

    राजभार्ा प्रदशषनी एव ंनकु्कड़ नाटक की ररपोटष : हदनांक 20 मार्ष, 2014 को महाप्रिधंक महोदय के आमला-

    नागपरु सेक्शन के वार्र्षक तनरीक्षण के दौरान राजभार्ा र्वभाग द्वारा पांुुरना सटेशन पर राजभार्ा प्रदशषनी आयो्जत की गई इस प्रदशषनी में मडंल के सभी र्वभागों की कुछ फाइलें/र्जस टर तथा पसु तकों को प्रदलशषत ककया गया था मडंल पर हहदंी में ककए जा रहे कायष को फाइलों तथा र्जसटरों के रूप में सुदंर तरीके से प्रसततु ककया गया महाप्रिधंक महोदय, मखु्यालय से पधारे र्वभाग प्रमखु, मडंल रेल प्रिधंक तथा मखु्यालय और मडंल के अधधकाररयों ने इस प्रदशषनी का तनरीक्षण ककया तथा मडंल पर हो रहे हहन्दी कायष की भरूी-भरूी प्रसशंा की

    तत्पश्चात पांुुरना सटेशन पर ही राजभार्ा र्वभाग द्वारा आग से िर्ाव के उपाय पर ‘आपकी सावधानी, िर्ाए ्जंदगानी’ नामक एक नकु्कड़ नाटक प्रसततु ककया गया इस 10 लमनट के नकु्कड़ नाटक का लेखन श्री सशुील ततवारी, मखु्य कलमषदल तनयं् क, आमला ने ककया और इसे नागपरु मडंल, भारत सकाऊट्स के छा्ों द्वारा प्रसततु ककया गया ज्वलनशील पदाथों को साथ लेकर रेल में या्ा करना ककतना खतरनाक हो सकता ह , इसे इस नाटक में प्रदलशषत ककया गया नाटक की सकंल्पना को धर्् रूप में प्रसततु करने हेत ु

    पषृ्ठभलूम में र्वर्यानरुूप आकर्षक ि नर भी लगाया गया था इस नाटक की सकंल्पना और प्रसततुत की महाप्रिधंक महोदय तथा अन्य अधधकाररयों ने काफ़ी प्रशसंा की

    महाप्रिधंकजी के वार्र्षक कायष्रमम में महाप्रिधंक के करकमलों से मडंल के कालमषक र्वभाग का नवीतनकृत कायाषलय, धर्ककत् सा र्वभाग का नवीतनकृत सभागहृ का उद्घाटन ककया गया इसके अलावा काटोल स टेशन पर नए सहायक मडंल इंजीतनयर कायाषलय का भी उद्घाटन ककया गया

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 3

    परालसया आदशष स टेशन : नागपरु मडंल के एक छोटे से स टेशन परालसया को श्री कमलनाथ माननीय शहरी र्वकास एव ंससंदीय

    कायष मं् ी के करकमलों से हदनांक 02 मार्ष 2014 को ‘परालसया आदशष रेलवे सटेशन’ का उद्धाटन समारोह सपंन्न हुआ अपने सिंोधन में माननीय श्री कमलनाथ ने परालसया रेलवे सटेशन पर हुए र्पछले 30 वर्ों के पररवतषन का बयोरा जनता के सामने रखा उन्होंने रेल सेवा में अधधक से अधधक सरु्वधा जनता को उपल्बध कराने की िात कही

    परालसया आदशष रेलवे सटेशन पर नए प्रतीक्षालय का तनमाषण ककया गया ह यह 1500 वगषफूट का िनाया गया ह इसमें पयाषप्त सखं्या में लाइट, पखंे एव ंि ठने के ललए ि र्ेंस की व्यवसथा की गई ह परालसया रेलवे सटेशन पर नया ्लटेफॉमष ्रम 02 का तनमाषण ककया गया ह ्जसकी लम्िाई 410 मी. एव ंर्ौड़ ाई 10 मी. ह इस नव तनलमषत ्लेटफॉमष पर 10 वाटर सटेण्ड के माध्यम से 52 पानी के नल लगाए गए ह इस ्लेटफॉमष पर ि ठने के ललए 12 िैंर् की व्यवसथा की गई इस उद्घाटन समारोह के अवसर पर माननीय र्वधायक श्री सोहन वाल्मीक ने समयोधर्त भार्ण हदया मध्य रेल के प्रधान मखु्य इंजीतनयर श्री ए.के. लमत्तल ने सवागत भार्ण हदया इस उद्धाटन समारोह के अवसर पर श्री गोर्वदं राय, नगर पाललका अध्यक्ष परालसया, नागपरु मडंल के अपर मडंल रेल प्रिधंक डॉ. जयदीप गपु्ता तथा रेलवे के अधधकारी एव ंअधधक सखं्या में परालसया के गणमान्य नागररक उप्सथत थे

    राजभार्ा सकंल्प, 1968 संसद के दोनों सदनों द्वारा पाररत तनम्नललर्खत सरकारी संकल्प आम जानकारी के ललए प्रकालशत ककया जाता ह -

    सकंल्प “जितक संर्वधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभार्ा हहदंी रहेगी और उसके अनुच्छेद 351 के अनुसार हहदंी भार्ा का प्रसार, वरृ्द्ध करना और उसका र्वकास करना ताकक वह भारत की सामालसक संसकृतत के सि तत्वों की अलभव्यक्ति का माध्यम हो सके, संघ का कतषव्य ह : यह सभा संकल्प करती ह कक हहदंी के प्रसार एंव र्वकास की गतत िढ़ाने के हेतु तथा संघ के र्वलभन्न राजकीय प्रयोजनों के ललए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हेतु भारत सरकार द्वारा एक अधधक गहन एवं व्यापक कायष्रमम त यार ककया जाएगा और उसे कायाष्न्वत ककया जाएगा और ककए जाने वाले उपायों एवं की जाने वाली प्रगतत की र्वसततृ वार्र्षक मूल्यांकन ररपोटष संसद की दोनों सभांं के पटल पर रखी जाएगी और सि राज्य सरकारों को भेजी जाएगी 2. जिकक संर्वधान की आठवीं अनुसूर्ी में हहदंी के अततररि भारत की 21 मुख्य भार्ांं का उल्लेख ककया गया ह , और देश की श क्षर्णक एवं सासंकृततक उन्नतत के ललए यह आवश्यक ह कक इन भार्ांं के पणूष र्वकास हेतु सामूहहक उपाए ककए जाने र्ाहहए : यह सभा संकल्प करती ह कक हहदंी के साथ-साथ इन सि भार्ांं के सम्न्वत र्वकास हेतु भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से एक कायष्रमम त यार ककया जाएगा और उसे कायाष्न्वत ककया जाएगा ताकक वे शीघ्र समदृ्ध हो और आधुतनक ज्ञान के संर्ार का प्रभावी माध्यम िनें 3. जिकक एकता की भावना के संवधषन तथा देश के र्वलभन्न भागों में जनता में संर्ार की सुर्वधा हेतु यह आवश्यक ह कक भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामशष से त यार ककए गए त्र्-भार्ा सू् को सभी राज्यों में पूणषत कायाष्न्वत करने के ललए प्रभावी ककया जाना र्ाहहए : यह सभा संकल्प करती ह कक हहदंी भार्ी क्षे्ों में हहदंी तथा अंगे्रजी के अततररि एक आधुतनक भारतीय भार्ा के, द्क्षण भारत की भार्ांं में से ककसी एक को तरजीह देत ेहुए, और अहहदंी भार्ी क्षे्ों में प्रादेलशक भार्ांं एवं अंगे्रजी के साथ साथ हहदंी के अध्ययन के ललए उस सू् के अनुसार प्रिन्ध ककया जाना र्ाहहए 4. और जिकक यह सुतन्श्चत करना आवश्यक ह कक संघ की लोक सेवांं के र्वर्य में देश के र्वलभन्न भागों के लोगों के न्यायोधर्त दावों और हहतों का पूणष परर्ाण ककया जाए यह सभा संकल्प करती ह कक- (क) कक उन र्वशेर् सेवांं अथवा पदों को छोड़ कर ्जनके ललए ऐसी ककसी सेवा अथवा पद के कत्तषव्यों के संतोर्जनक तनष्पादन हेतु केवल अंगे्रजी अथवा केवल हहदंी अथवा दोनों ज सी कक ्सथतत हो, का उच्र् सतर का ज्ञान आवश्यक समझा जाए, संघ सेवां ंअथवा पदों के ललए भती करने हेतु उम्मीदवारों के र्यन के समय हहदंी अथवा अंगे्रजी में से ककसी एक का ज्ञान अतनवायषत होगा; और (ख) कक परीक्षांं की भावी योजना, प्रक्रमया संिंधी पहलुंं एवं समय के र्वर्य में संघ लोक सेवा आयोग के र्वर्ार जानने के पश्चात अर्खल भारतीय एवं उच्र्तर केन्रीय सेवांं संिंधी परीक्षांं के ललए संर्वधान की आठवीं अनुसूर्ी में स्म्मललत सभी भार्ांं तथा अंगे्रजी को व क्ल्पक माध्यम के रूप में रखने की अनुमतत होगी ”

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 4

    हदन र्वशरे् जानकारी शहीदों को नमन : शहीद हदवस

    23 मार्ष स वतं् भारत के इततहास का स वणीम हदवस अथाषत ‘शहीद हदवस’ के रूप में याद ककया जाता ह भारतीय सवतं् ता सगं्राम में ्रमांततकाररयों का एक अहम योगदान रहा ह आजादी की लड़ ाई में ्रमांततकारी और नरमवादी दोनों का अपना ही योगदान रहा ह लेककन अगर आजादी की इस लड़ ाई में नरमपथंी और गरमपथंी दोनों लमलकर काम करत ेतो हो सकता था कक आजादी थोड़ ा पहले लमल जाती कफर भी ्रमांततकाररयों को हमारे देश में िहुत ही सम्मान और इज्जत से देखा जाता ह

    आजादी की लड़ ाई में शहीद होने वाले ्रमांततकाररयों में सिसे आगे भगतलसहं, सखुदेव, राजगरुु, र्न्रशखेर आजाद आहद हैं 23 मार्ष अथाषत भारतीय सवतं् ता सगं्राम का एक अहम हदन शहीद हदवस के रुप में जाना जाने वाला यह हदन यू ंतो भारतीय इततहास के ललए काला हदन माना जाता ह पर सवतं् ता की लड़ ाई में खुद को देश की वेदी पर र्ढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदशष हैं 23 मार्ष 1931 की मध्यरात्र् को अगें्रजी हुकूमत ने भारत के तीन सपतूों भगतलसहं, सखुदेव और राजगरुु को फांसी पर लटका हदया था अदालती आदेश के मतुात्रिक भगत लसहं, राजगरुु और सखुदेव को 24 मार्ष को फांसी लगाई जानी थी, सिुह करीि 8 िज े लेककन 23 मार्ष को ही इन तीनों को देर शाम करीि सात िज ेफांसी लगा दी गई और उनके शव ररश्तदेारों को न देकर रातों-रात ले जाकर व्यास नदी के तट पर जला हदए गए अगं्रेजों ने भगतलसहं और अन्य ्रमांततकाररयों की िढ़ती लोकर्प्रयता और 24 मार्ष को होने वाले र्वरोह की वजह से 23 मार्ष को ही भगतलसहं और अन्य को फांसी दे दी

    दरअसल यह परूी घटना भारतीय ्रमांततकाररयों की अगें्रजी हुकूमत को हहला देने वाली घटना की वजह स ेहुई 8 अप्र ल 1929 के हदन र्ंरशखेर आजाद के नेततृ्व में ‘प्बलक सेफ्टी’ और ‘टे्रड क्तडस्यटू त्रिल’ के र्वरोध में ‘सेंट्रल असेंिली’ में िम फें का ज स ेही त्रिल सिंधंी घोर्णा की गई तभी भगतलसहं ने िम फें का इसके पश्चात ्रमांततकाररयों को धगरफ्तार करने का दौर र्ला भगतलसहं और िटुकेश्र्वर दत्त को आजीवन कारावास लमला भगतलसहं और उनके साधथयों पर ‘लाहौर र्डयं् ’ का मकुदमा भी जेल में रहत ेही र्ला भागे हुए ्रमांततकाररयों में प्रमखु राजगरुु पनूा से धगरफ़्तार करके लाए गए भगतलसहं, सखुदेव, राजगरुु को मतृ्यदंुड की सजा लमली

    23 मार्ष 1931 की रात पराधीन भारत के तीन नायकों ने हाँसी-हाँसी मौत की सलूी को गले से लगा ललया आज भगतलसहं, राजगरुु और सखुदेव तो हमारे िीर् नहीं हैं लेककन उनकी आवाज और सोर् आज भी हमारे अदंर ह उनका मानना था कक सत्ता की नींद में सोई सरकार को जगाने के ललए एक धमाके की जरुरत होती ह ऐसे ही आज भी लगता ह कक भ्रष्टार्ार स ेललप्त इस सरकार को जगाने के ललए एक धमाके की जरुरत ह ताकक सत्ता का मजाक िनाने वाली यह सरकार

    अपनी नींद से जाग सके भारतीय राष्ट्रवाद के उन्नायकों से यही अपेक्षा थी और उन्होंने अपने सत्प्रयासों से इसे अजंाम भी हदया आज भी देश को ऐसे राष्ट्रनायकों के पदधर्न्हों का अनसुरण कर अपनी नीततयां िनाने की अतनवायषता जान पड़ ती ह देश की नई पीहुयों को तो ऐसे महान ्रमांततकाररयों के कायों और र्वर्ारों को आत्मसात करने की जरूरत ह ताकक देश की िागडोर कतषव्यतनष्ठ यवुांं के हाथ में सरु्क्षत रहे

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 5

    द तनक कायाषलयीन कायष से संिंधधत कायाषलयीन प्रयोग के वाक् याशं

    अगें्रजी वाक्याशं हहदंी अनुवाद Official document सरकारी प्रलेख, सरकारी दस तावेज

    On compassionate grounds अनुकंपा के आधार पर On discharge from service सेवामुक् त होने पर On humanitarian grounds मानवीय आधार पर

    On India Government Service (OIGS) भारत सरकार सेवाथष Only widowhood certificate एकमा् र्वधवा प्रमाण-प्

    On medical grounds िीमारी के कारण, अस वस थता के कारण On the advice of की सलाह पर

    Observance of rule तनयमों का पालन Obtain evidence साक्ष् य प्रा् त करना Obvious mistake स पष् ट भूल Notwithstanding के होने पर भी, के होते हुए भी

    On due date तनयत तारीख को Not yet fit अभी योग् य नहीं, अभी स वस थ नहीं

    Office to note and comply कायाषलय ध् यान दें और पालन करें Obtain formal sanction औपर्ाररक मंजूरी प्रा् त करें

    Obtain signature हस ताक्षर प्रा् त करना Office copy & fair copy for signature कायाषलय प्रतत और स वच् छ प्रतत हस ताक्षराथष

    भार्ा मा् पररधान नहीं, राष्ट्र का समग्र व्यक्तित्व हुआ करती ह ्जस राष्ट्र की अपनी वाणी नही,ं उसकी सवतं्ता का क्या मूल्य ह

    - महादेवी वमाष

    देश की भार्ा को अपनाए त्रिना समृ् ध्द संभव नहीं - महादेवी वमाष

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 6

    यहद भारत को राष्ट्र िनना ह , तो र्ाहे मानें या न मानें, राष्ट्रभार्ा तो हहदंी ही िन सकती ह ~ महात्मा गांधी

    हहदंी देश की एकता की ऐसी कड़ ी ह , ्जसे मजिूत करना प्रत्येक भारतीय का कतषव्य ह ~ श्रीमती इंहदरा गाधंी

    तरूणी की सगाई

    जि कहीं गूाँजती ह शहनाई साथ में होती ह रोशनाई

    कुाँ आरी िाला लेती ह अाँगडाई सिके साल हमारी िारी आई हो जाऊंगी मयके से पराई इसमें क् या हैं.... िुराई

    सनातन से रीतत र्ली आई ऐसी जननी ने लशक्षा हदलाई

    अर्ानक! मुाँह से र्ीख तनकल आई ऐसा लगा ज से ककसी आकृतत ने

    झटपट हदयासलाई जलाई और पडौलसयों ने आग िुझाई तरूणी ने मन की भरी खाई

    तनश् र्य, मेरी न गूाँजेगी शहनाई क् यों व् यथष में ्जंदगी जाये गंवाई

    इससे तो िेहतर ह तन् हाई उससे न लमलन ह न जुदाई ्जंदगी र्ले ज सी जाय र्लाई साजन को मांग भरना न आई हमने तो लोक लाज खूि िर्ाई अि हो रही उनकी जग हाँसाई लगता ह जमाने पर र्ढ़ आई ह वातनयत की राक्षसयाई ्जनकी की थी पााँव पराई उन् हीं को हथकडी लगवाई उसने फें क दी रजाई!!

    कमरे से िाहर तनकल आई जमकर मॉ ंको धर्ल् लाई मुझ ेमत करना मॉ ंपराई न ही मैंने मेंहदी ह रर्ाई न ही मैंने मांग ह भराई मॉ ंकी जवा ंभराषयी

    अस फुट सा िोल, िोल पाई जो तरूणी ही समझ पाई

    जो तरूणी.... श्री पी.डी.ततवारी, सहा.मं.र्व.इंजी./क.र्व., आमला

    युवक और युवततयॉ ं अंगे्रजी और दतुनयॉ ं की दसूरी भार्ाऍ ं खूि पुे ं और जरूर पुे ं लेककन उनसे मैं आशा करूाँ गा कक वे अपने ज्ञान का प्रसाद भारत को और सारे संसार को उसी तरह प्रदान करें ज से िोस, राय और स वयं कर्व रवीन् रनाथ ने प्रदान ककया ह मगर मैं हरधगज यह नही ंर्ाहंूगा कक कोई भी हहदंसु तानी अपनी मातभृार्ा को भूल जाए या उसकी उपेक्षा करे या उसे देखकर शरमाए अथवा यह महसूस करें कक अपनी मातभृार्ा के जररए वह ऊाँ रे्-से-ऊाँ र् ेधर्तंन नही ंकर सकता - महात् मा गाधंी

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 7

    अमर शहीद श्री गणेश शंकर र्वद्याथी श्री गणेश शकंर र्वद्याथी जी का जन्म तीथष राज प्रयाग (इलाहािाद) में 26

    अक्टूिर 1890 ईसवी को अपनी नतनहाल में हुआ था उनके र्पता श्री जयनारायण एक सलुश्क्षत, उत्तम र्वर्ारों से ंत्त-पोत्त राष्ट्र भि एव ंपरोपकारी थे उनके नाना श्रीसरूज प्रसाद उन हदनों सहारनपरु में सहायक जेलर थे जि गणेश 4 वर्ष के थे, तो इनके र्पता इन्हें अपने साथ मगुावली ले गये उनकी इच्छा थी कक उनका पु् अच् छा नागररक िने िालक गणेश ने पााँर्वी कक्षा तक पहुाँर्त-ेपहुाँर्त ेउदूष का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर ललया र्पता हहदंी प्रेमी थे गणेश को उदूष की अपेक्षा हहदंी िड़ ी सरल लगी, उन्होंने सवय ंआग ेर्लकर ललखा था कक मझुे हहदंी िड़ ी सरल लगती थी हहदंी पढ़ने में मेरा मन भी अधधक लगता था मैंने उन्हीं हदनों हहदंी के अखिारों को पुकर िहुत सी सामा्जक और राजनीततक िातों का ज्ञान प्राप्त कर ललया था गणेश ने 1907 में हद्वतीय शे्रणी से हाई सकूल उत्तीणष ककया और कफर एफ.ए की पुाई शारीररक अक्षमता के कारण िीर् में ही छोड़ दी गणेश शकंर जी को िेकार ि ठे रहना पसदं नही था अत: उन्होने पी. पी. एन सकूल मे अध्यापन का कायष करना शरुू ककया, वेतन था िीस रूपये मालसक गणेश ने ककसी के सामने झुकना और रोटी के ललये मानवता िेर्ना नहीं सीखा था वह हमेशा गभंीर और तनभषय रहत े थे उन्हीं हदनों पकं्तडत सुदंरलालजी का एक अखिार "करमवीर" तनकलता था यवुक गणेश जी उस ेपुत ेथ े्जसमें गोरी सरकार के र्वरुद्ध तीखी आलोर्नायें छपा करती थी एक हदन सकूल के प्रधान ने गणेश को "करमवीर" पुत ेहुए देख ललया और धर्ल्लाकर िोले इस अखिार को जला दो, पर गणेश भला क्यों जलाने लगे "करमवीर" तो उनका र्प्रय अखिार था और सुदंरलाल उनके मन पसदं गरुु थ े तपाक से उत्तर हदया - मैं अखिार को तो नहीं जला सकता, नौकरी से त्यागप् अवश्य दे सकता हंू और नौकरी छोड़ दी

    सन 1909 तक गणेश अच्छे लेखक िन र्ुके थे उनके लेख करमवीर, स वराज और अम् यधु आहद समार्ार-प्ों में छपा करत ेथे, जो िहुत सराहे जात ेथे अपनी लेखनी के िल पर गणेश को अपने समय की शे्रष्ठ मालसक पत्र्का "सरसवती" ्जसके प्रधान सपंादक महावीर प्रसाद हद्ववेदी थे, उसमें कायष करने का गौरव लमला ्जन हदनों गणेश "सरसवती" में कायष कर रहे थे, उन्ही हदनों "अम्यधु" में सहायक सपंादक की जगह खाली हुई, इसके ससंथापक एव ंसम्पादक श्री मदन मोहन मालवीय जी थे सौभाग्य वश वह प गणेश को लमल गया इस पत्र्का के माध्यम से गणेश का नाम प्काररता के क्षे् में िहुत अधधक र्मक गया था उसने कुछ समय िाद एक सवय ंका अपना साप्ताहहक प् तनकाला, ्जसकी आधथषक सहायता सामा्जक कायषकताष श्री काशी प्रकाश ने की और प् का नाम रखा "प्रताप" यही "प्रताप" ्जसने भारतीय जन - मानस में राष्ट्र की आजादी हेत ुकृत सकंल्प रह कर लड़ ने, गोरी सरकार के काले कारनामे को जन-मानस में राष्ट्र की आजादी हेत ु कृत सकंल्प रह कर लड.ने को जनता के समक्ष प्रकट करने अमीरों ंर जमींदारो के अत्यार्ारों का पदाष फाश करने, थानेदारों द्वारा अनपढ़ एव ंभोली जनता पर अत्यार्ार ककये जा रहे जलु्मों का भांडा फोड़ करने, गरीिों ककसानों और मजदरूों के घर में पहंुर् कर उनके भीतर सवतं् ता के भाग जगाने में अमलू्य, अतलुनीय एव ंवन्दनीय सहयोग हदया ्जसके कारण ये लोग उनके श् ुिन गए "प्रताप" पर मकुदमे दायर ककये जाने लगे और कई िार गणेश को जेलों की हवा भी खानी पड़ ी 13 अप्र ल 1919 के जललयांवाला िाग़ हत्या कांड ने भारत को अर््म्ित कर हदया तथा भारतीय जन

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 8

    मानस में अगं्रजेी सरकार का आतकं ि ठ गया अनेक समार्ार प्ों ने इस हृदयर्वदारक घटना को डरत-ेडरत ेछापा, परन्त ु"प्रताप" ने इस तनष्कृष्ट कायष को िड़ ी तनभीकता से छापा ्जसस े सरकार "प्रताप" को मधुम्क्खयों का छाता समझने लगी अि "प्रताप" के माध्यम से जनता के िीर् "प्रताप" और "गणेश शकंर" दोनों एक दसूरे के परूक हो गये थे असहयोग आंदोलनों में "प्रताप" की सेवाए ंसदा समरण की जाएगी इसी दौरान गणेश की भेंट नेहरु, गााँधी और भगतलसहं से हुई और भगतलसहं ने तो गणेश शकंर के साथ "प्रताप" में लम्ि ेसमय तक कायष भी ककया

    1913 में भगत लसहं और उनके साधथयों को असेंब ली में िम र्वसफोट के मामले में फााँसी की सजा सनुाई गई थी और 23 मार्ष को उनको फााँसी पर लटका हदया गया 24 मार्ष को सवेरे जि ये समार्ार सारे देश में फ ला तो शोक सागर उमड़ पड़ ा कई जगह दंगे हुए और दंगों ने साम्प्रदातयकता का रूप धारण कर ललया हहन्द ूऔर मु् सलम मानव से दानव में पररवतत षत हो गये थे गणेश शकंर से नहीं रहा गया और राष्ट्र की एकता को भसम होत ेहुई देख वे दंगे की आग िझुाने के ललये घर से तनकल पडे और वह उस हदन ककतने ही हहन्द ूऔर मु् सलमों को मौत से िर्ाने में सफल भी हुई

    25 मार्ष कुछ मसुलमान िल् लम सीधा करके उनकी ंर झपटे, साथ के मसुलमान सवयसेंवक गरज उठे, "ख़िरदार! ये वही गणेश शकंर हैं, ्जन्होंने हजारों मसुलमानों की जान िर्ाई ह इनकी जान लेना दोजख़ में जाने के िरािर ह " गणेश शकंर को देखत ेही व ेजंगली भे क्त डयों की तरह उन पर टूट पडे

    और गणेश को धरती की गोद मे ंसलुा हदया धरती रि रं्जत हो गई भारत के इततहास में साम्प्रदा तयकता को लमटाने के ललए हहन्द ूमसुलमानों में प्रेम और ्यार िनाये रखने के ललए, आपके इस िडे िललदान का उदाहरण और कही नहीं लमलेगा, ककन्त ुआज देश का कोई नेता र्वद्याथी का नाम भी नहीं लेता

    महादेवी वमाष प्रलसद्ध लेर्खका महादेवी वमाष का जन् म 26 मार्ष 1907 को उत्तरप्रदेश के फरुषखािाद ्जले में हुआ था इन्हें

    आधुतनक युग की मीरा पुकारा जाता ह महादेवी जी ने हहदंी गद्य को भी कर्वता ज से मधुरता प्रदान की उनके पा् समाज के दललत शोर्र्त लोग, पशु-पक्षी आहद ह महादेवी आधतुनक युग की प्रलसद्ध कर्वय्ी एव ंगद्य लेर्खका मानी जाती ह इन्होंने िी-ए जिलपुर से ककया वह अपने घर में सिसे िड़ ी थी, उनके दो भाई और एक िहन थी इनकी शादी 1914 में डॉ सवरुप नरेन वमाष के साथ इंदौर में 9 साल की उम्र में हुई, वो अपने मााँ र्पताजी के साथ रहती थी क्योंकक उनके पतत लखनऊ में पढ़ रहे थे इनकी सारी लशक्षा इलाहािाद से हुई 'यामा’ और ‘दीपलशखा' पर उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरसकार लमला ह भारत सरकार ने 1956 में 'पदमभूर्ण' से समा्न्नत ककया आपकी रर्नांं में संसकृत तनष्ठ शबदों की प्रर्ुरता ह महादेवी वमाष की मतृ्य ु11 लसतम्िर 1987, अशोक नगर, इलाहािाद में हुई संसमरण : अतीत के र्लधर््, स मतृत की रेखायाई पाठ के साथी, मेरा पररवार िर्पन की यादों में एक र्वधर्् सा आकर्षण होता ह महा देवी वमाष अपने पररवार में कई पीहु.यों के िाद उत्पन हुई उनके पररवार में दो सौ सालों से कोई लड़ की प दा नही ंहुई थी यहद होती तो उसे मार हदया जाता था दगुाष पूजा के कारण आपका जन्म हुआ आपके दादा फारसी और उदूष तथा र्पताजी अंगे्रजी जानते थे माताजी जिलपुर से हहदंी सीख कर आई थी आपने पंर्तं् और संसकृत का अध्ययन ककया महादेवी वमाषजी को काव्य प्रततयोधगता मे र्ांदी का कटोरा लमला था ्जसे इन्होंने गााँधी जी को दे हदया था महादेवी वमाष कर्व सम्मेलन में भी जाने लगी थी, वो सत्याग्रह आंदोलन के दौरान कर्व सम्मेलन में अपनी कर्वतायेँ सुनाती और आपको हमेशा प्रथम पुरसकार लमला करता था महादेवी वमाष मराठी लमधश्रत हहदंी िोलती थी महादेवी वमाष के 'मेरे िर्पन के हदन' लेख में कुछ दृश्य साकार से प्रतीत होते ह काव् य संग्रह में प्रमुख रर्नाऍ ंनीहार (1933), र्श्म (1932), नीरजा(1933), सहह्गीत (1935), दीपलशखा (1942), यामा हैं

  • नव आरोही ततृीय वर्ष अंक-15

    मार्ष – 2014 पषृ्ट 9

    डॉ. नरेन् र कोहली की ‘क्षमा करना जीजी’ डॉ. नरेन् र कोहली का जन् म 6 जनवरी 1940 को हुआ हहदंी साहहत् य में डॉ. कोहली एक नामर्ीन

    साहहत् यकार हैं ्जनका साहहत् य हमें पररल्क्षत होता ह इनकी प्रकालशत प्रमखु पसु तकें इस प्रकार हैं :- उपन् यास : पनुरारम् भ, आतकं, साथ सहा गया द:ुख, प्रीतत-कथा, जंगल की कहानी, अभ यदुय (र्ार भागों में दीक्षा, अवसर, सघंर्ष की ंर, यदु्ध), अलभज्ञान, महासमर, (र्ार भागों में – िधंन, अधधकार, कमष, धमष), तोड़ ो कारा तोड़ ो (दो भागों में – तनमाषण, साधना), आत् मदान, मेरा अपना ससंार, क्षमा करना जीजी व् यगं् य : एक और लाल ततकोन, पॉरं् ऐब सडष उपन् यास, जगाने का अपराध, आधश्रतों का र्वरोह, आधुतनक लड़ की की पीड़ ा, ्ासहदयों, परेशातनयााँ कहातनयॉ ं : पररणतत, कहानी का अभाव, दृर्ष्टदेश में एकाएक, नमक का क दी, तनर्ल े फ्ल ट में, सधंर्त भखू, शटल नाटक : शम् िकू की हत् या, हत् यारे, तनणषय रुका हुआ, गारे की दीवार अन् य : नेपथ् य, िािा नागाजुषन, माजरा क् या ह ?, जहॉ ंह धमष, वहीं ह जय

    इस स थायी स तभं में ‘क्षमा करना जीजी’ उपन् यास की समीक्षा की जा रही ह यह उपन् यास डॉ. कोहलीजी का नवीनतम उपन् यास ह इस उपन् यास में एक पररवार के सिंधंों के भावकु वातावरण को उकेरा गया ह ्जसमें इसकी मलू व् यथा पाररवाररक सिंधंों से आगे असीलमत ह पाररवाररक ररश् तों के ताने-िाने को सहेजत ेहुए लेखक ने पवूष स मतृत के लशल् प में प्राय: वे सारे प्रसगं उठाए हैं जो तनम् न मध् य वगष की नारी के जीवन में, र्वकास-पथ के र्वघ नों के रूप में उसके सामने आत ेहैं पररवारजनों का स नेह िधंन भी हो सकता ह , िाधा भी और अतंत: छोटे-छोटे स वाथों तथा असमथषतां ंके कारण वह स नेह का पाखण् ड भी हो सकता ह इस उन् यास की नातयका ्जजीर्वर्ा से भरी एक जझुारू महहला ह , जो अपने सामथ् यष, श्रम तथा साहस के िल पर र्वकास-पथ का तनमाषण करना र्ाहती ह वह अपना र्वकास कर पाती ह या नहीं इसमें मतभेद हो सकता ह , लेककन वह अपने सम् मान की रक्षा में सफल होती ह , इसमें कहीं कोई सदेंह नहीं ह

    उक् त उपन् यास में सम सामातयक दृश् य का धर््ण ककया गया ह सयंकु् त पररवार में रहना तथा िड़ ों का आदर करना, आधथषक ्सथतत की र्व्क्ष् तता के कारण असहाय-सा रह जाना, परर्सथततयों के अनरुूप अपने-आप को ुालना पड़ ता था नातयका अपने जीवन में हो रहे अनेक मतभदेों का र्ाहकर भी र्वरोध नहीं कर सकती, कारण उसकी आवाज सनुने वाला कौन ह पवूष के समय में िहू र्ववाह का भी धर््ण इस उपन् यास में दशाषया गया ह नातयका के दादा तीन पलियों के पतत होने के िावजदू उनका परेू पररवार पर रौि र्लता ह अतं समय तक नातयका को अपने र्वकास के ललए सघंर्ष करत ेहुए दशाषया गया ह नातयका के िड़ ेपररवार में सभी को साथ लेकर र्लना यह िड़ ों का आदर सत् कार करना ही ह ककसी अनधुर्त िात का र्वरोध भी कर पाना िेहद कहठन होता था

    एक अरसे िाद, पौरार्णक और ऐततहालसक कथा-भलूम से अलग, नरेन् र कोहली के इस सामा्जक उपन् यास का हहदंी पाठक-समाज में स वागत होगा, ऐसी आशा की जा सकती ह

    मडंल पसुतकालय में उपलबध डॉ. नरेन् र कोहलीजी का साहहत्य : क्षमा करना जीजी, िािा नागाजुषन, महासमर, तोड़ ो कारा तोड़ ो इत् याहद उपन् यास, व् यगं् य में आधश्रतों का र्वरोह ह