रेलवे बोड र् राजभाषा काया र्न् ......र लव...

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अनुमिणका अंक – चौदहवां अटूबर –िदसंबर, 2015 1. रेलवे बोड राजभाषा कायावयन सिमित की 122वᱭ बैठक के दृय 2. अगर मᱹ िहदी नहᱭ पढ़ता – लेख – डॉ. देवेनचं दास सुदामा 3. उप मुय/विरठ राजभाषा अिधकािरयᲂ की िदनांक 29.03.2016 को आयोिजत बैठक के दृय 4. अिखल रेल िहदी ितयोिगताएं–2015 - िरपोट 5. सवारी िडबा कारखाना, चेनै मᱶ आयोिजत अिखल रेल िहदी ितयोिगताएं–2015 के दृय 6. उठाया सौ टके का सवाल - लेख 7. िहदी एक मत से नहᱭ, एकमत से बनी थी राजभाषा- लेख 8. मुा 9. रेल अंचलᲂ मᱶ राजभाषा से संबंिधत गितिविधयां ए.के. िमतल अय, रेलवे बोड दीप कुमार सदय कािमक पता : राजभाषा िनदेशालय, रेल मंालय (रेलवे बोड), कमरा नं. 544, रेल भवन, रेलवे बोड नई िदली - 110001. Email : [email protected] आलोक कुमार कायपालक िनदेशक (औ.सं.) के.पी. सयानंदन िनदेशक,राजभाषा नी पटनी उप िनदेशक,राजभाषा अमरीक लाल अनुभाग अिधकारी, राजभाषा िशव चरण गौड़, विरठ अनुवादक गौरव कालरा, किनठ अनुवादक ान मानव के जीवन का आधार है उसकी ािÜत के िलए उसे हर संभव यास करना चािहए। - डॉ. अंबेडकर

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    अनुकर्मिणका अंक – चौदहवां अक् टूबर –िदसंबर, 2015

    1. रेलव ेबोडर् राजभाषा कायार्न् वयन सिम ित की 122व बठैक के दशृ् य

    2. अगर म िहदी नह पढ़ता – लखे – डॉ. दवेनेचदंर् दास सदुामा 3. उप मखु् य/विरष् ठ राजभाषा अिधकािरय की िदनाकं

    29.03.2016 को आयोिजत बठैक के दशृ् य 4. अिखल रेल िहदी पर्ितयोिगताए–ं2015 - िरपोटर् 5. सवारी िडब् बा कारखाना, चने् न ै म आयोिजत अिखल रेल

    िहदी पर्ितयोिगताए–ं2015 के दशृ् य 6. उठाया सौ टके का सवाल - लखे 7. िहदी एक मत से नह , एकमत स ेबनी थी राजभाषा- लखे 8. मु ा 9. रेल अंचल म राजभाषा स ेसबंिंधत गितिविधया ं

    ए.के. िमत् तल अध् यक्ष, रेलवे बोडर्

    पर्दीप कुमार सदस्य कािमक

    पता : राजभाषा िनदेशालय, रेल मतंर्ालय (रेलव ेबोडर्),

    कमरा न.ं 544, रेल भवन, रेलव ेबोडर् नई िदल् ली - 110001. Email : [email protected]

    आलोक कुमार

    कायर्पालक िनदेशक (औ.स.ं)

    के.पी. सत्यानदंन िनदशेक,राजभाषा

    नीरू पटनी

    उप िनदशेक,राजभाषा

    अमरीक लाल

    अनुभाग अिधकारी, राजभाषा

    िशव चरण गौड़, विरष् ठ अनुवादक गौरव कालरा, किनष् ठ अनुवादक

     

    ज्ञान मानव के जीवन का आधार है उसकी प्राि त    के िलए उसे हर संभव प्रयास करना चािहए।                            - डॉ. अबेंडकर  

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    रेलव े बोडर् राजभाषा कायार्न् व् यन सिमित की िदनाकं 08.01.2016 को आयोिजत 122व बठैक के दशृ् य 

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    रेलव े बोडर् राजभाषा कायार्न् व् यन सिमित की बठैक के दौरान आयोिजत परुस् कार िवतरण समारोह के दशृ् य 

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    रेलव े बोडर् राजभाषा कायार्न् व् यन सिमित की बठैक के दौरान आयोिजत परुस् कार िवतरण समारोह के दशृ् य 

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    म पूव त् तर भारत के असम का मूल िनवासी हू.ं मरेी मातृभाषा असिमया ह,ै परंत ुसन् 1965 से म राष् टर्भाषा, भारतीय ससं् कृित और राष् टर्ीय एकता के पर्चार-पर्सार के िलए समिपत हू.ं पहले असम जैसे अिहदी भाषी पर्ांत के िविभन् न िजल म िहदी अध् यापक के रूप म और असम राष् टर्भाषा पर्चार सिमित के पंजीकृत पर्चारक बनकर हजार िव ािथय को राष् टर्भाषा िहदी िसखाई और िहदी सािहत् य को भी िकिचत आगे बढ़ान े का पर्यास िकया ह.ै सन ् 2005 के जुलाई महीन ेम सेवािनवृत् त होन े के बाद पर्भु की कृपा स ेदशे के कोन-ेकोन े म जाकर राष् टर्भाषा, भारतीय संस् कृित और राष् टर्ीय एकता का अलख जगान े का मौका िमला ह ै और इस कायर् के िलए तत् परता के साथ घमूता-िफरता रहता हू.ं

    मरेा इस पर्कार का कायर् दखेकर असम के कुछ लोग मुझसे पूछत े ह – आप एक असिमया भाषी होकर िहदी के पर्ित इतना लगाव क् य ह.ै इस ढलती आय ुम िहदी के पर्चार-पर्सार के िलए दशेभर म क् य घूमत-ेिफरत ेह.

    इस पर्श् न का उत् तर दनेा मरेे िलए बहुत किठन होता ह ैपरंत ुदो टूक कहता हू ं– “म भारतीय हू,ं इसिलए.”

    भोपाल म आयोिजत िवश् व िहदी सम् मेलन का उ ाटन करत ेहुए हमारे पर्धानमतंर्ी शर्ी नरेन् दर् मोदी जी ने कहा था – “अगर म िहदी नह सीखता तो मरेा क् या होता.” मोदी जी की मातृभाषा गुजराती ह,ै परंत ु उनका िहदी पेर्म सराहनीय ही

    नह , स् ततु् य भी ह.ै आप अिहदी भाषी ह और मेरी मातृभाषा असिमया ह,ै अिहदी भाषी हू.ं मोदी जी की तरह म भी कहना चाहता हू ं– “अगर म िहदी नह पढ़ता तो मरेा क् या होता.”

    अनके लोग मुझे यह भी कहत ेह – आपन ेअपनी मातभृाषा छोड़कर िहदी क् य पढ़ी थी. मातृभाषा के पर्ित आपका लगाव नह ह ैक् या इस पर्श् न का उत् तर दने े म बहुत संकोच होता ह,ै दसूरी ओर इस पर्श् न के उत् तर के साथ मेरे जीवन की गित जुड़ी हुई ह.ै

    मरेा जन् म असम पर्ांत के कामरूप जनपद के अंतगर्त बड़ागोग नामक एक अत् यतं िपछड़ ेअंदरूनी गांव म सन ्1944 म हुआ था. िपता का नाम थानुराम दास और माता का नाम यतना दास था. िपता एक गरीब िकसान थे परंत ुसाक्षर थ.े मुझे पढ़ान े का भरसक पर्यास करत े थ.े सन ्1954 म म चौथी कक्षा म पढ़ रहा था. बस मेरी म का िनधन हो गया. इतन ेम एक बैल की भी मृत् य ु हुई. घर की िस्थित इतनी िबगड़ी िक पिरवार म खान-ेपीन ेके भी लाले पड़ गए. िकसी पर्कार म पांचव कक्षा तक स् कूल गया और पढ़ाई छोड़नी पड़ी. खतेी-बाड़ी का काम, घर पिरवार, चुल् हा–चौका सब कुछ करना पड़ा. अनेक बार भूखा भी रहना पड़ा. िकसी के घर म मजदरूी करन े को भी मजबूर हुआ. मरेे तीन छोटे-छोटे भाई थ.े उनके भी कष् ट की सीमा न रही.

    अगर म िहदी नह पढ़ता

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    सन ्1961 की बात ह.ै हमारे घर के पास एक पिरवार म िहदी के अध् यापक रहत ेथ.े उनका नाम था मथरुा मोहन माली. गत िदसंबर (2015) महीन ेम उनका िनधन हो गया. उन् ह ने मुझे िहदी पढ़न ेकी सलाह दी और पुस् तक तथा परीक्षा शुल् क भी द ेिदया. उन् ह ने मुझे िहदी वणर्माला िसखाई. िहदी की पर्थमा परीक्षा पास की. उस समय एक पुस् तक म “महात् मा गांधी” शीषर्क एक पाठ था. उस पाठ म िलखा था – “गाधंी जी न ेकहा था - राष् टर्भाषा के िबना राष् टर् गंूगा ह,ै राष् टर्भाषा सीखना और िसखाना राष् टर् की सवेा ह.ै” इन दो बात को गांठ म बांधकर िहदी पढ़न े का संकल् प िलया. स ावना और सत् कमर् के िलए परमात् मा की कृपा भी होती ह.ै 1962 म असम राष् टर्भाषा पर्चार सिमित म चपरासी की नौकरी िमली, पचास रुपए महीना. सांध् य िव ालय म पढ़ना शुरू िकया. सन ्1964 म िहदी िवशारद पास िकया और एक िनम् न मध् य िव ालय म िहदी का अध् यापक बना. उस समय मेरे िपताजी का भी िनधन हुआ, उधर म बरुी तरह बीमार पड़ गया. होम् योपैथी इलाज से ठीक हुआ और होम् योपैथी भी पढ़ना पर्ारंभ िकया.

    जीवन म सघंषर् समाप् त नह हुआ. एक स् थान से अन् य स् थान, उसके बाद और स् थानांतरण होता रहा. 1972 म मैिटर्क पास िकया और 1974 म िहदी म पर्वीण भी हुआ. सन् 1979 म मुझे पूव त् तर सीमा रेलव े ारा संचािलत रेलवे हायर सेकडरी स् कूल म िहदी अध् यापक का पद पर्ाप् त हुआ. वहां काम करत-ेकरत े असिमया म ऑनसर् सिहत बी.ए कर िलया. उसके पश् चात िहदी म एम.ए., असिमया म एम.ए. और आिखर सन ् 1995 म गुवाहाटी िवश् विव ालय से “भारतद ु हिरश् चन् दर्

    और ल मीनाथ बेजबरुवा के हास् य-व् यगं् यरचना का तुलनात् मक अध् ययन” पर पीएचडी भी कर िलया. उस समय एक स् नातक महािव ालय म दस वषर् असिमया पढ़ाया था. सािहत् य के गुरू थ ेमेरे िपताजी. आप एक लोक कलाकार थे. मन े भी लोक-कला का अभ् यास िकया था. िहदी म िलखन े के िलए गुवाहाटी से पर्कािशत दिैनक सिटनल के संपादक शर्ी चन् दर्शेखर जी ने मजबूर िकया था. मरेे िहदी के अध् यापक तथा जाने-मान े सािहत् यकार नवारूण वमार् जी की पेर्रणा मरेे िलए मील का पत् थर ह.ै सौभाग् यवश कदर्ीय िहदी िनदशेालय के साथ संपकर् हुआ. 1992 म गवुाहाटी और 1993 म तिमलनाडु के ितरूिचरापल् ली म आयोिजत िहदी नवलेखक िशिवर म िहस् सा लेने का सौभाग् य हुआ. ितरूिचरापल् ली िशिवर म िहदी के िदग्गज सािहत् यकार िवष् णु पर्भाकर महोदय के साथ दस िदन रहने का सौभाग् य पर्ाप् त हुआ. वहां डॉ. िवशाल ितर्पाठी, कवियतर्ी अध् यािपका डॉ.

    इन् द ू जैन के साथ भी आत् मीय संपकर् हुआ था. िवष् णु पर्भाकर जी का आशीवार्द मेरे जीवन की उल् लेखनीय घटना ह.ै वहां दिक्षण के विरष् ठ िहदी सेवक शेवणजी स े िहदी िवरोध के समय म हुए िहदी सेिवय की ददुर्शा की कहानी सुनकर दखु तो हुआ परंत ु आगे राष् टर्भाषा की सेवा और अिधक सिकर्यता के साथ करन े की पेर्रणा भी पर्ाप् त हुई. मातृभाषा और राष् टर्भाषा म िलखने

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    का पर्यास जारी रहा. “असमा सुषमा कामरूपा” नामक पांडुिलिप के िलए कदर्ीय िहदी िनदशेालय से अिहदी भाषी िहदी सािहत् यकार का सम् मान िमला. 1996 म राष् टर्पित भवन म आयोिजत भव् य समारोह म तत् कालीन महामिहम राष् टर्पित डॉ. शंकरदयाल शमार् जी के कर-कमल से सम् मान गर्हणकर पुलिकत हुआ. जीवन का पर्ारंभ धूल और कीचड़ के साथ ही हुआ था, िकत ु गुरूजन और परमेश् वर की कृपा से राष् टर्पित भवन के पिरसर म मुगल गाडर्न के फूल से खेलन ेका भी सौभाग् य हुआ. उसके पश् चात कदर्ीय मंतर्ी अरुण जेटली से, उत् तर पर्दशे के मुख् यमंतर्ी सम् माननीय शर्ी मुलायम िसह यादव के करकमल से सम् मान गर्हण करने का अवसर िमला. पुन: भारत सरकार के राष् टर्भाषा िहदी के पर्चार-पर्सार के िलए िदए हुए सव च् च “गंगाशरण िसह िहदी सेवी सम् मान” भी िमला. राष् टर्पित भवन म आयोिजत भव् य समारोह म महामिहम राष् टर्पित शर्ी पर्णव मखुज के कर-कमल से गर्हण कर धन् य हुआ. दशे के िविभन् न पर्ांत के स् वयंसेवी संस् था ने भी अत् यतं स् नेह के साथ सम् मािनत कर आशीवार्द पर्दान िकया ह.ै उन पेर्रणा-सर्ोत की अमतृशिक्त पर्ाप् त कर और कुछ करने का उत् साह पर्ाप् त होता रहा ह.ै मातभृाषा और राष् टर्भाषा दोन ही महत् वपूणर् ह, िकत ुवतर्मान भारत के लोग दोन के पर्ित नजरअंदाज करना हमारी संस् कृित के िलए खतरे की घंटी ह.ै सन ् 2004 म लखनऊ के गन् ना िकसान सभागार म आयोिजत एक भव् य समारोह म उत् तर पर्दशे के तत् कालीन मखु् यमंतर्ी तथा दशे के विरष् ठ समाजवादी नतेा माननीय शर्ी मलुायम िसह यादव न ेकहा था – “हमारी राष् टर्भाषा और राष् टर्

    की सपंकर् भाषा यान े राजभाषा िहदी ह,ै इसका िवकास दशे के सभी नागिरक को िमलकर करना होगा. केवल िहदी भािषय के ारा संभव नह होगा. राष् टर्भाषा के िवकास म अिहदी भािषय का योगदान महत् वपूणर् ह,ै परंत ुयह भी ठीक ह ैिक राष् टर्भाषा के साथ-साथ हमारे दशे की सभी पर्ातंीय भाषा का िवकास भी अत् यतं आवश् यक ह.ै दशे के िविभन् न पर्ातं के अनके िव ान अपनी मातभृाषा के साथ िहदी के िवकास म काम करत ेह, उनको म साधवुाद दतेा हू ंऔर म मानता हू ंिक ऐस े िव ान भारतीय भाषा और ससं् कृित के सच् चे सेवक ह.” उनका यह उ ोधन सुनकर अत् यंत पर्भािवत हुआ और पर्ाण रहन े तक राष् टर्भाषा और मातभृाषा के िवकास के िलए और अिधक कुछ करन े का संकल् प िलया. माननीय शर्ी मुलायम िसह यादव के उ ार आज भी मरेे कान म गूजंत े रहत े ह. उसके बाद परमेश् वर की कृपा से दशे के कोन-ेकोन ेम घूम-घूमकर राष् टर्भाषा का अलख जगाने का भरसक पर्यासरत हू.ं गुरूजन और परमात् मा की कृपा से दशे के सरकारी और गैर सरकारी ससं् था के माध् यम से इस पर्कार की सेवा करने का मौका िमल रहा ह.ै

    पर्श् नकतार् को धन् यवाद दकेर म पुन:

    कहना चाहता हू ं– “अगर म िहदी नह पढ़ता, तो मरेा क् या होता.”

    -- डॉ. दवेनेचंदर् दास सुदामा बर् सतर् तेतेिलया, गुवाहाटी

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    क्षतेर्ीय रेल /उत् पादन कारखान आिद के उप मखु् य/विरष् ठ राजभाषा अिधकािरय की िदनाकं 29.03.2016 को आयोिजत बठैक के दषृ् य

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    क्षतेर्ीय रेल /उत् पादन कारखान आिद के उप मखु् य/विरष् ठ राजभाषा अिधकािरय की िदनाकं 29.03.2016 को आयोिजत बठैक के दषृ् य

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    रेल कायार्लय म िहदी के पर्योग-पर्सार को बढ़ावा दनेे तथा कमर्चािरय म िहदी म काम करने की रूिच उत् पन् न करने के उ ेश् य से रेल मंतर्ालय (रेलवे बोडर्) पर्ितवषर् अिखल स् तर पर िहदी िनबधं, वाक् तथा िटप् पण एवं पर्ारूप लेखन पर्ितयोिगता का आयोजन करता ह.ै पहले ये पर्ितयोिगताए ं के्षतर्ीय स् तर पर आयोिजत की जाती ह ैिजनम पर्थम और ि तीय स् थान पर्ाप् त करने वाले रेलकिमय को इन पर्ितयोिगता म शािमल िकया जाता ह.ै इसी कड़ी म, रेल मंतर्ालय (रेलवे बोडर्) के तत् वावधान म, सवारी िडब् बा कारखाना (सिडका), चेन् नै के सहयोग से 16.02.2016 स े 18.02.2016 तक इन पर्ितयोिगता का आयोजन िकया गया, िजसम सभी भारतीय रेल तथा उत् पादन कारखान से आए अिधकािरय /कमर्चािरय न ेभाग िलया. इन पर्ितयोिगता का उदघाटन ए.डब् ल् यू. टी.आई ऑिडटोिरयम, सिडका, चेन् नै म िकया गया, िजसम सवारी िडब् बा कारखाना, चेन् नै के मुख् य यांितर्क इंजीिनयर शर्ी एल.सी.ितर्वेदी ने मुख् य अितिथ के रूप म पधारकर दीप पर्ज् जवलन करके इन पर्ितयोिगता का िविधवत शुभांरभ िकया. इस अवसर पर, सिडका के अन् य िवभागाध् यक्ष भी उपिस्थत थे. शर्ी जगदीश पर्साद, मुख् य सामगर्ी पर्बंधक एवं मुख् य राजभाषा अिधकारी ने अपना स् वागत संबोधन िदया. शर्ी के.पी. रिवन् दर्न, राजभाषा अिधकारी ने मंचासीन अिधकािरय तथा हॉल म उपिस्थत सभी पर्ितभािगय का स् वागत िकया तथा इसके पश् चात्

    उन् ह ने बोडर् कायार्लय स ेवहां उपिस्थत उप िनदशेक,

    राजभाषा शर्ी िरसाल िसह को मंच पर आमंितर्त िकया.

    तदनुसार, उप िनदशेक, राजभाषा, रेलवे बोडर् न े

    ऑिडटोिरयम म मंचासीन एवं उपिस्थत अिधकािरय और पर्ितभागी अिधकािरय / कमर्चािरय का स् वागत करते हुए तीन िदन तक चलने वाले इस कायर्कर्म पर िवस् तार-पूवर्क पर्काश डाला.

    सवर्पर्थम 16 फरवरी, 2016 को पूवार्हन म

    िटप् पण एवं पर्ारूप लेखन पर्ितयोिगता का आयोजन िकया गया तथा उसी िदन अपराहन म िनबधं पर्ितयोिगता का आयोजन िकया गया था. िनबंध के िवषय का चयन प हले स े िदए दो िवषय म से डर्ॉ के आधार पर िकया गया, िजसम ‘मके इन इंिडया’ के पथ

    पर पर्गितशील: भारतीय रेल नामक िवषय डर्ॉ म िनकला तथा उसपर सभी पर्ितभािगय ने िनबंध िलखा. िटप् पण एवं पर्ारूप लेखन पर्ितयोिगता म 25 पर्ितभािगय तथा िनबंध पर्ितयोिगता म 25 पर्ितभािगय ने भाग िलया.

    17 फरवरी, 2016 को वाक् पर्ितयोिगता का आयोजन िकया गया. इस पर्ितयोिगता म सभी अिधकािरय /कमर्चािरय न े बढ़-चढ़ कर िहस् सा िलया. पूरा हॉल वक् ता तथा शर्ोता से खचाखच भरा था,िजसम भारतीय रेल के लगभग सभी के्षतर् से आए रेलकम अपना पर्ितिनिधत् व कर रह ेथे.

    सवारी िडब् बा कारखाना, चने् न ैम िदनाकं 16.02.2016 स े18.02.2016 तक आयोिजत अिखल रेल िहदी पर्ितयोिगताए–ं2015  

    िरपोटर्

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    वाक् पर्ितयोिगता के िलए प हले से िदए दो िवषय का डर्ॉ िनकाला गया, िजसम ‘िडिजटल इंिडया की पिरकल् पना’ नामक िवषय डर्ॉ म िनकला तथा उस पर सभी पर्ितभािगय ने अपना व् याख् यान िदया. वाक् पर्ितयोिगता सुबह 10:00 बजे स ेशाम 06:00 बज ेतक चली. इस पर्ितयोिगता म 31 पर्ितभािगय ने भाग िलया. इस पर्ितयोिगता म िनणार्यक मंडल के रूप म दिक्षण रेलवे मुख् यालय के उप मुख् य िबजली इंजीिनयर (ईएमयू) शर्ी पर्वीण कुमार चौहान तथा एच.पी.सी.एल. के पर्बंधक (राजभाषा) शर्ी एस. शबीर को आमंितर्त िकया गया था. पर्ितयोिगता के पश् चात् शर्ी एस. शबीर ने अपना वक् तव् य दकेर पर्ितभािगय का मागर्दशर्न भी िकया, िजसस े वे अत् यंत पर्सन् न नज़र आए.

    18 फरवरी, 2016 को साय 15:30 बजे ए.डब् ल् यू.टी.आई ऑिडटोिरयम म समापन एवं पुरस् कार िवतरण समारोह का आयोजन िकया गया, िजसम सवारी िडब् बा कारखाना, चेन् नै के महापर्बंधक शर्ी अशोक कुमार अगर्वाल ने मुख् य अितिथ के रूप म पधारकर कायर्कर्म की शोभा बढ़ाई. यह कायर्कर्म रेल मंतर्ालय (रेलवे बोडर्) की ओर स े वहां उपिस्थत कायर्पालक िनदशेक (औ.सं.) शर्ीमती रािगनी युचरी की अध् यक्षता म आयोिजत िकया गया. पुरस् कार िवतरण एवं समापन समारोह म चेन् नै िनवासी रेलवे िहदी सलाहकार सिमित के माननीय सदस् य शर्ी के.सव त् तमन को भी सिडका की ओर से िविशष् ट अितिथ के रूप म आमंितर्त िकया गया था और उन् ह ने इन पर्ितयोिगता को यहां आयोिजत करने पर बहुत पर्सन् नता जा़िहर की. इस समारोह म सिडका के आमंतर्ण पर पूवर् िनदशेक (राजभाषा) शर्ीमती राधा रामाकृष् णन भी पधार .

    इस अवसर पर, महापर्बंधक, सवारी िडब् बा कारखाना ने पातर् पर्ितभािगय को अपने कर-कमल से पुरस् कार की रािश एवं पर्शिस्त पतर् पर्दान िकए, िजसम शर्ीमती रािगनी यचरुी और शर्ी के.सव त् तमन ने भी सहभािगता की. वाक् पर्ितयोिगता म पर्थम आए पर्ितभागी डॉ बर्जेश कुमार खरे, मुख् य सतकर् ता िनरीक्षक, उत् तर मध् य रेलवे ने जब अपना वक् तव् य मुख् य अितिथ के सामने पर्स् तुत िकया तब वे इसे सुनकर दगं रह गए और उन् ह न ेइसे बहुत सराहा. सवारी िडब् बा कारखाना, चेन् न ै ारा रेलकम पर्ितभािगय के िलए अपेिक्षत आवास, पिरवहन और खानपान आिद जैसी सभी व् यवस् था को बड़ े ही सुव् यविस्थत ढंग स े करने के िलए पर्ितभािगय ने उनकी बहुत पर्शंसा की. इन सभी व् यवस् था म टीटीसी म पर्िशक्षाधीन पर्िशकु्ष ारा स् कॉउट एंड गाइड के रूप म िदया गया योगदान दखेते ही बनता था. इस मौके पर, सिडका के सांस् कृितक गुर्प

    ारा बहुत ही सदुरं सांस् कृितक कायर्कर्म भी पेश िकया गया िजसे सभी न ेबहुत सराहा. िनष् कषर् रूप म कहा जा सकता ह ै िक सवारी िडब् बा कारखान म आयोिजत यह कायर्कर्म बहुत ही सराहनीय एवं पर्शंसनीय रहा, िजसम वहां के मुख् य राजभाषा अिधकारी शर्ी जगदीश पर्साद के नते् तृव म राजभाषा अिधकारी शर्ी के.पी. रिवन् दर्न एवं उनकी टीम ने अहम भूिमका िनभाई.

    अंत म, उप िनदशेक, राजभाषा, रेलवे बोडर्, शर्ी िरसाल िसह ने धन् यवाद ज्ञापन िदया. इन पर्ितयोिगता म पर्थम, ि तीय और तृतीय आिद

  • स् थान पान ेवाले रेलकम अिधकािरय /कमर्चािरय का ब् यौरा िनम् नानुसार ह:ै-

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

    कर्म योग् यता कर्म पर्ितयोगी का नाम एव ंपदनाम

    कायार्लय मातभृाषा

    1. पर्थम 3,000/-रू

    शर्ी सोम िलगया, अनुभाग अिधकारी

    एलएमबी-1, रेलवे बोडर्, नई िदल् ली

    तेलुगू

    2. ि तीय 2,500/-रू

    शर्ी जे.के.शर्ीवास् तव, विरष् ठ पिरवहन पर्िशक्षक

    के्षतर्ीय रेल पर्िशक्षण संस् थान, उदयपुर, उत् तर पि म रेलवे

    िहदी

    3. तृतीय 2,000/-रू

    शर्ी एस.एन. स् वणर्कार, जूिनयर इंजीिनयर (िव ुत)

    दिक्षण पूवर् मध् य रेलवे, िबलासपुर िहदी

    सातं् वना परुस् कार (1,500/-रू) 4. चौथा शर्ी रमेश कुमार, कायार्लय

    अधीक्षक (कािमक)

    पि म मध् य रेलवे, जबलपुर िहदी

    5. पांचवा शर्ी अमरेश कुमार, गोपनीय सहायक

    विरष् ठ मंडल पिरचालन पर्बंधक, इज् ज़तनगर, पूव त् तर रेलव े

    िहदी

    6. छठा शर्ी पर्भात कुमार, कायार्लय अधीक्षक (कािमक)

    पूवर् मध् य रेलवे, हाजीपुर िहदी

    7. सातवा ं शर्ी राजीव कुमार जैन, विरष् ठ अनुभाग अिधकारी

    उत् तर मध् य रेलवे, झांसी िहदी

    8. आठवां शर्ीमती टी. नागमिण सुदशर्न, कायार्लय अधीक्षक (कािमक)

    दिक्षण रेलवे, चेन् नै तेलुगू

    अिखल रेल िहदी िटप् पण एव ंपर्ारूप लखेन पर्ितयोिगता

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    कर्म योग् यता कर्म पर्ितयोगी का नाम एव ंपदनाम

    कायार्लय मातभृाषा

    1. पर्थम 3,000/-रू

    शर्ीमती सोमा अिधकारी, किनष् ठ लेखा सहायक

    मंडल लेखा िवभाग, खड़गपुर, दिक्षण पूवर् रेलव े

    बंगला

    2. ि तीय 2,500/-रू

    शर्ी शर्ीधर रघुनाथ बक् शी, पर्िशक्षण अनसुधंान सहायक

    पर्िशक्षण अनुभाग, इिरसेट, िसकंदराबाद

    तेलुगू

    3. तृतीय 2,000/-रू

    शर्ी पी. सत् यानारायणा, विरष् ठ अनुभाग अिधकारी

    िवत् त सलाहकार एवं मुख् य लेखा अिधकारी, पूवर् तट रेलवे, भुवनेश् वर

    तेलुगू

    सातं् वना परुस् कार (1,500/-रू)

    4. चौथा शर्ी योगेश कुमार सक् सेना, विरष् ठ सेक् शन इंजीिनयर

    मंडल रेल पर्बंधक कायार्लय, उत् तर मध् य रेलवे, इलाहाबाद

    िहदी

    5. पांचवा शर्ी सोन ू िसह, सीिनयर सेक् शन इंजीिनयर

    यांितर्क कारखाना, पूव त् तर रेलवे, गोरखपुर

    िहदी

    6. छठा शर्ी िशव पर्साद, मुख् य लोको िनरीक्षक

    उत् तर मध् य रेलवे, झांसी िहदी

    7. सातवा ं शर्ी करूणा िनिध राय, फॉमार्िसस् ट

    मुख् यालय, पूवर् मध् य रेलवे, हाजीपुर

    िहदी

    8. आठवां शर्ी रत् नाकर ितवारी, सीिनयर सेक् शन इंजीिनयर

    सवारी िडब् बा िनदशेालय, आर.डी.एस.ओ, लखनऊ

    िहदी

    अिखल रेल िहदी िनबधं पर्ितयोिगता

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    कर्म योग् यता कर्म पर्ितयोगी का नाम एव ंपदनाम

    कायार्लय मातभृाषा

    1. पर्थम 3,000/-रू

    डॉ बृजेश कुमार खरे, मुख् य सतकर् ता िनरीक्षक

    मुख् यालय, उत् तर मध् य रेलवे, इलाहाबाद

    िहदी

    2. ि तीय 2,500/-रू

    शर्ी मुकेश कुमार िसह, िव ुत चालक

    मुख् य कम दल िनयंतर्क, लोको शेड, टाटा, दिक्षण पूवर् रेलवे

    िहदी

    3. तृतीय 2,000/-रू

    शर्ी के. आर. जगन् नाथ, किनष् ठ अनवुादक

    विरष् ठ मंडल यांितर्क इंजीिनयर, पूवर् तट रेलवे, भुवनेश् वर

    तेलुगू

    सातं् वना परुस् कार (1,500/-रू)

    4. चौथा शर्ी अिमत कुमार, सहायक

    लोको पायलट मुख् य कम दल िनयंतर्क, हदैराबाद मंडल, दिक्षण मध् य रेलव े

    िहदी

    5. पांचवा शर्ी रणिवजय पर्ताप, उत् पादन इंजीिनयर (योजना)

    सी. डब् ल् यू. ई (शेल), सवारी िडब् बा कारखाना, चेन् न ै

    िहदी

    6. छठा शर्ी अश् वानी मंथन िनरंजन, सहायक

    टी.टी.-4 शाखा, रेलवे बोडर् गुजराती

    7. सातवा ं शर्ीमती वंदना चौबे, कायार्लय अधीक्षक

    मंडल रेल पर्बंधक कायार्लय, अजमेर मंडल, उत् तर पि म रेलवे

    िहदी

    8. आठवां शर्ी िबराज गांगुली, तकनीिशयन

    एच.एम.एस.-8, तकनीिशयन, िचत् तरंजन रेल इंजन कारखाना, िचत् तरंजन

    बंगला

    अिखल रेल िहदी वाक् पर्ितयोिगता

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    सवारी िडब् बा कारखाना, चने् न ैम आयोिजत अिखल रेल िहदी पर्ितयोिगताए–ं2015 के दशृ् य

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    सवारी िडब् बा कारखाना, चने् न ैम आयोिजत अिखल रेल िहदी पर्ितयोिगताए–ं2015 के दशृ् य

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    दशे के सामािजक जीवन तथा भारतीय सिंवधान के िनमार्ण म डॉ. भीमराव अंबेडकर का इतना अिधक योगदान ह ै िक एक पर्खर अथर्शास् तर्ी के रूप म उनकी पहचान उजागर ही नह हो पाई, शोिषत व पीि़डत के सामािजक न् याय के िलए सतत् संघषर्शील रहने के कारण उनकी पहचान भी शोिषत व पीि़डत के नेता के रूप म बनी और लोग म उनकी वही छिव लोकिपर्य ह.ै भीमराव अंबेडकर 20व सदी म अथर्शास् तर् की एडवांस टेर्िनग करने वाले िगने चुन ेिव ािथय म एक थे. 20 जुलाई 1913 से उन् ह ने अमरीका की कोलंिबया युिनविसटी से अपनी पोस् ट गेर्जुएट की पढ़ाई शुरू की थी. पोस् ट गेर्जुएट म उनका िवषय एडिमिनस् टेर्शन ऑफ फाईनस ऑफ ईस् ट इंिडया कंपनी 1792 से 1822 था, िजसम कंपनी के अंधाधुंध शोषण के कारण भारत की आिथक दयनीयता म बढ़ोतरी होने का सजीव िचतर्ण था. उनके शीषर् गंर्थ – ‘द इवोल् यूशन ऑफ पर्ोिविशयल फाइनस इन िबर्िटश इंिडया’ म वंिचत को लेकर उनकी वेदना स् पष् ट नजर आती ह.ै यह पुस् तक िबर्िटश इंिडया के सन ् 1833 स े 1921 के बीच केन् दर् व राज् य के बीच आिथक संबंध को उजागर करती ह.ै इसम भूिमकर, नमक कर, स् टाम् प ूटी जैस े घातक कर के कारण उत्पन्न हुई आिथक प ित की खामी

    िशक्षण पर खचर् की जाए, गैर उत् पादन खचर् पर ध् यान िदलाया गया ह ैऔर स प ेगए काम, स पी गई आवक एवं िवभाजनयुक् त आिथक योजना के साथ-साथ आिथक िवकेन् दर्ीकरण के जिरए गरीब के उ ार पर जोर िदया गया ह.ै उभरत ेयुवा अथर्शास् तर्ी

    अम् बेडकर ने वषर् 1917 म 26 वषर् की उमर् म अथर्शास् तर् म शोध िकया. उनके शोध का िवषय ‘नेशनल िडिवडड ऑफ इंिडया – ए िहस् टोिरक एंड एनािलिटकल स् टडी’ था, इसम िबर्िटश शासन की आलोचना होने स े अवरोध के बीच 1925 म इवोल् यूशन आफ पर्ोिविशयल फाईनस इन िबर्िटश इंिडया नाम से उनकी पुस् तक पर्कािशत हुई. इस पुस् तक म िबर्िटश सरकार की आिथक प ित के सपंूणर् केन् दर्ीयकरण एवं सरेआम इसकी िनष् फलता तथ् यात् मक अध् ययन पर्स् ततु िकया गया. डॉ. अम् बेडकर ने केन् दर् व राज् य के बीच आिथक सबंंध के साथ कई अहम पहलू को भी उजागर िकया. उनकी दलील थी िक रेलवे, रोड, कैनाल जसैे सावर्जिनक सिुवधा वाले काम पर िकसी भी दलीय व् यवस् था की ओर से िकए गए खचर् के आधार पर उसका आकलन हो. क् य िक सन् 1834 स े1848 के दौरान ईस् ट इंिडया कंपनी की ओर से भारत म िकया गया संपूणर् खचर् मानचेस् टर शहर की जलापूित पर िकए गए खचर् से कम था. इस तथ् य को उजागर कर अम् बेडकर ने िबर्िटश लोग की ओर से भारतीय पर िकए जाने वाले अन् याय का पदार्फाश िकया. उन् ह ने िवस् तार से बताया िक सन् 1858 म ईस् ट इंिडया कंपनी को समाप् त करने के बाद उसकी भारत की दनेदारी का सारा भार कंपनी की कारस् तानी से भारत के गरीब पर लाद िदया गया.

    उठाया सौ टके का सवाल

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    स् वणर् आदान पर्दान व् यवस् था पर्ख् यात अथर्शास् तर्ी जॉन िमनाडर् केन् स एवं अन् य

    मुख् य अथर्शाि य के मतानुसार स् वणर् आदान पर्दान व् यवस् था भारत के िलए आदशर् चलन के मापदंड स ेठीक थी. उनके मतानुसार सोने की आवक से स् वणर् आदान पर्दान पर्भािवत नह होगा. कारण यह िक लेनदने म खुलापन दशे के भावी िवकास के िलए वांछनीय होता ह.ै डॉ. अम् बेडकर ने भी इस व् यवस् था को स् वीकार िकया लेिकन यह भी कहा िक वह िमिशर्त आशीवार्द ह.ै उन् ह ने करसी को छापने वाले तंतर् के िववेकािधकार पर िनयमन रखने की व् यवस् था पर जोर िदया, उनके मतानुसार स् वणर् िविनमय व् यवस् था ऐसी कोई गारंटी नह देती. वह महगंाई को बढ़ाती ह ैऔर सामािजक व आिथक िस्थरता के िलए खतरा होने के बाद गरीब का सबसे अिधक नुकसान करती ह.ै

    इसस ेकैन् स जसैे अथर्शास् तर्ी को दो-टूक कह सकन ेवाले डॉ. अम् बेडकर की ओजिस्वता का अनुमान लगाया जा सकता ह.ै हकीकत म अम् बेडकर दशे की जमीन से जुड़ ेअथर्शास् तर्ी थे. इसिलए उनकी बात से अथर्शास् तर् के बड़े-बड़ े िस ांत के बजाए देश की आिथक वास् तिवकता, लोग की िस्थित पर आधािरत अथर्शास् तर् छलकता था. दामोदर वलैी पर्ोजके् ट

    वषर् 1942 म डॉ. अम् बेडकर वायसराय की कायर्कारी पिरषद के सदस् य थ.े यह एक मंतर्ी स् तर का पद था िजसका उल् लेख डॉ. अम् बेडकर रोल ऑन इकोनॉिमक प् लािनग पुस् तक म िमलता ह.ै इसम उन् ह ने पाच कॉन् फर्स को संबोिधत िकया ह,ै िजसम दो दामोदर वैली पर्ोजके् ट, एक महानदी एवं दो इलैिक्टर्क पावर के िलए थी. इसके अलावा िबहार व पि म बंगाल को पर्भािवत करने वाले कई बहुउ ेशय वाले दामोदर वैली पर्ोजेक् ट म उनका अमूल् य योगदान था. बाढ़ िनयंतर्ण, िसचाई, पेयजल एवं िव ुत उत् पादन इस पर्ोजेक् ट के मुख् य हतुे थे. डॉ. अम् बेडकर के अथक पर्यास से ही दामोदर वैली िबल को िदसंबर 1947 म संिवधान सभा म लाया जा सका

    और फरवरी 1948 म पािरत िकया गया था. दो-दो राज् य व केन् दर् सरकार के बीच डॉ. अम् बेडकर के अद्भुत कायर् िनष् पादन से ही चार वषर् से कम समय म यह पर्ोजेक् ट पूरा हो सका और ‘िरवर ऑफ सॉरो’ मानी जान ेवाली दामोदर नदी िबहार व प.बंगाल के िलए वरदान बनी. आजाद भारत का यह सफलतम पर्ोजेक् ट था िजनकी सफलता का शर्ेय डॉ. अम् बेडकर को जाता ह.ै कृिष का राष् टर्ीयकरण

    डॉ. बाबासाहबे अम् बेडकर के कृिष संबंिधत िवचार उनके स् माल होिल्डग इन इंिडया एंड दअेर रमेडीज 1917 लेख म दखेने को िमलते ह, जो इंिडयन इकोनॉिमक सोसायटी के वषर् 1918 के अंक म पर्कािशत हुआ था. स् टेट्स ऑफ माइनोिरटीज, 1947 के अकं म भी उनके कृिष िवषय संबंधी िवचार पर्कािशत हुए. उनके ारा स् थािपत स् वतंतर् मजदरू पक्ष के घोषणापतर् म शािमल बाबासाहबे का कृिष ज्ञान ऐसा ह,ै जो आंखे खोल द.े अम् बेडकर के अनुसार दशे म जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ पर हो रही खेती बड़ी समस् या ह.ै इसस े अिधकाशं जमीन बेकार पड़ी रहती ह ैव खा आवक भी अपूणर् होती ह.ै इसके बदले आिथक व व् यावसाियक खेती को अपनाना चािहए.

    डॉ. अम् बेडकर के मतानुसार खेती की उत् पादकता केवल जमीन के आधार पर ही नह बिल्क अन् य पिरबल पूंजी, शर्म व अन् य आवश् यकता से भी पर्भािवत होती ह.ै उनकी पर्ेरणा से ही बाद म लड सीिलग एक् ट को अमल म लाया गया. खेती के बारे म उनकी सलाह

    1. खेती का राष् टर्ीयकरण 2. सामूिहक अथवा सहकारी खेती 3. खेती म खोत प ित का उन् मूलन 4. खाद, बीज व िसचाई सरकार की ओर से हो 5. बजट म खेती के िलए अिधक बजट 6. िनजी साहूकार पर िनयंतर्ण

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    डॉ. अम् बेडकर के िवचार आज भी पर्ासंिगक ह.ै नोबेल अवाडर् िवजेता भारतीय अथर्शास् तर्ी डॉ. अमत् यर् सेन ने डॉ. अम् बेडकर को अथर्शास् तर् म अपने िपतातुल् य माना ह.ै औ ोिगक िवकास पर िवचार

    डॉ. बाबासाहबे का स् पष् ट रूप स ेमानना था िक दशे का गितशील िवकास औ ोिगक िवकास के िबना संभव नह ह.ै तेजी स े होने वाला औ ोिगक िवकास रोजगार बढ़ाएगा, साथ ही िवदशेी पंूजी की भी बचत करेगा. सरकार को सामािजक व राष् टर्ीय जरूरत को पूरा करने को इसके िलए आगे आना चािहए. इसी के चलते 50 के दशक म बीएचईएल, एचईएल, ओएनजीसी, एसएआईएल जसैी महाकाय औ ोिगक इकाइय की स् थापना हुई. बीमा एवं वाहन व् यवहार का राष् टर्ीयकरण होना चािहए, ऐसा उन् ह न े 1944 म कहा था. उसी का अनुपालन करते हुए जीवन बीमा का 1956 म तथा सामान् य बीमा का 1980 म राष् टर्ीयकरण हुआ. िहन् द ूकोड िबल

    दशे की मिहला को आिथक रूप से आत् मिनभर्र बनान ेके िलए डॉ. अम् बेडकर के खूब मेहनत से तैयार िकए गए िहन् द ूकोड िबल को अक् तूबर 1948 म सदन म पेश िकया गया. पैतृक सम् पि म मिहला की समान िहस् सदेारी की वकालत करने वाले इस िबल म उनके िहत स ेजुड़ ेकई पर्ावधान थ,े िजसम भरण-पोषण, स् तर्ी धन म एकरूपता आिद शािमल थ.े लिेकन सदन म यह िबल पािरत नह होने पर अम् बेडकर ने कानून मंतर्ी के पद से त् यागपतर् द ेिदया. भारतीय िरजवर् बक की स् थापना

    वषर् 1926 म भारत यातर्ा पर आए िहल् टन यंग कमीशन के, जो इस दौरान आिथक व् यवस् था म एकरूपता पर अध् ययन कर रहा था, सभी सदस् य के हाथ म डॉ. अम् बेडकर की द पर्ॅब् लम ऑफ रूपीज इट्ज ओिरजन एडं इट्ज सोल् यूशन पुस् तक थी. बाबासाहबे ने आयोग के समक्ष िबर्िटश शासन की खामीयुक् त व् यवस् था का िववरण िदया था, िजसम उन् ह ने धन का िनयमन सरकार के बजाए एक

    स् वायत् त संस् था के माध् यम से होने का सझुाव िदया था. बस यह स े िरजवर् बक की स् थापना की न व रखी गई और आरबीआई एक् ट 1934 के जिरए िरजवर् बक ऑफ इंिडया की शुरूआत हुई.

    शर्म मतंर्ी के रूप म योगदान िदनांक 27 नवंबर 1942 को भारतीय शर्म

    अिधवेशन के 7व सतर् म शर्िमक के िलए काम के घंटे 14 से घटाकर 8 करन े का पर्स् ताव, जो आज भी यथावत ह.ै

    - शर्मजीवी मिहला को पर्सूित के दौरान अवकाश व लाभ स् वीकृत हुए.

    - दशे म पहली बार नेशनल एम् पलायमट पॉिलसी कायार्िन्वत हुई. आज दशेभर म कायर्रत एम् पलायमट एजसीज डॉ. अम् बेडकर की अमूल् य दने.

    - िदनांक 8 नवंबर 1934 को बाबासाहबे के पर्यास स े पेश भारतीय टेर्ड यूिनयन एक् ट 1943 के ही कारण दशे म सबसे शिक्तशाली टेर्ड यूिनयन मौजूद ह.ै

    - शर्मजीिवय के िलए हिथयार के समान हड़ताल के अिधकार को कानूनी वै ता बाबासाहबे के कारण ही िमली.

    - शर्िमक व कमर्चािरय के जीवन स् तर म वृि हतेु िनरंतर वेतन बढ़ोतरी, भत् ते, बोनस आिद सुिवधाए ंभी डॉ. अम् बेडकर के शर्म मंतर्ी के कायर्काल म ही स् वीकृत हुई.

    अम् बडेकर के जन आदंोलन डॉ. अम् बेडकर के जीवन के साथ अनके आंदोलन जड़ु ेह,ै इनम खोत प ित और महार वतन आिथक

    आंदोलन पर्मुख ह. खोत प ित के िखलाफ डॉ. अम् बेडकर के आंदोलन ने गांव म रहने वाले गरीब समुदाय को आिथक शोषण से मुिक्त िदलाई. जबिक महार वतन जनसंघषर् ने िवशाल गर्ामीण समुदाय को

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    खेत गुलामी के अिभशाप से आजाद कराया. वंिचत को लेकर अम् बेडकर की संवेदना उन् ह लोकमान् य ितलक जैस ेनेता से अलग करती ह.ै ितलक ने वषर् 1903 म खोत के अिधकार म कटौती का िवरोध िकया, हकीकत म खोत के अिधकार के िखलाफ िबर्िटश सरकार पहले सिकर्य हुई थी. ितलक न ेअपने पतर् केसरी म खोत के समथर्न म अनके लेख िलखे. ितलक खुद जन् मजात खोत थ,े इसिलए वे अपने अिधकार के िलए लड़ े लेिकन उन् ह न े यह िवचार नह िकया िक इससे गर्ामीण का शोषण होता ह.ै ितलक ने स् वराज की मांग की थी जबिक अम् बेडकर सुराज के िलए लड़ते रह.े जाित व् यवस् था और शर्म िवभाजन

    अम् बेडकर का स् पष् ट रूप से मानना था िक जाित व् यवस् था से जड़ु ेशर्म िवभाजन का िनमूर्ल स् वत: नह होन ेवाला. यह पर्ाकृितक कौशल पर आधािरत नह था. इसम पसंद, योग् यता, व् यिक्तगत संवेदना का तो कोई स् थान ही नह था. भारतीय सामािजक ढांच ेको बाबासाहबे ने िबना सीढ़ी की बहुमंिजला इमारत बताया िजसम शर्िमक का िवभाजन एक के ऊपर एक जाित आधािरत हुआ ह.ै जाित के कारण ही शर्िमक बंटे व शर्म भी. उसके अनसुार िकसी बच् चे ने िजस समाज म जन् म िलया ह,ै उसे उसी म मरना होगा. कहने की जरूरत नह िक कोई भी शर्िमक ऐस ेअनैसिगक िवभाजन को पसदं नह करेगा.

    उदारीकरण और अम् बेडकर दशे म िपछले दो दशक स े उदारीकरण,

    वैश् वीकरण पवूर् िनजीकरण की नीित अमल म ह ैजो अब सवर्स् वीकृत ह.ै शुरूआत म उदारीकरण का िवरोध हुआ लेिकन अब यह दिुनया के साथ भारत म भी फैल चकुा ह.ै उदारीकरण की नीित सरकारी नीित व िनयम को सरल बनाने के साथ उ ोग को एक अनकूुल माहौल पर्दान करती ह.ै डॉ. अम् बेडकर ने चार दशक पहले ही उदारीकरण की नीित की िहमायत की थी. मगर उनकी यह शतर् थी िक यह भारतीय रुपए के अवमूल् यन की कीमत पर न हो. उनका स् पष् ट मानना था िक िविनमय दर ऊंची-नीची हो लेिकन राष् टर्ीय मुदर्ा िस्थर रह.े लेिकन उनकी िचता को समझे िबना िविभन् न सरकार ने भय के मारे उदारीकरण की नीित को लागू करने म दरेी की. साथ ही रुपए का मूल् य भी िस्थर नह रख सक , िजसस ेभारत को उदारीकरण से जो लाभ होना था, वह नह हो सका.

    दरअसल बहुजन िहताय, बहुजन सुखाय की नीित के साथ जुड़ा हुआ डॉ. अम् बेडकर का आिथक तत् व ज्ञान सामािजक, धािमक एवं नैितक तत् व स ेगुथा हुआ था, िजसका मध् य िबन् द ुशोिषत व पीि़डत जन थे. उनका आिथक तत् वज्ञान समानता, स् वतंतर्ता एवं बंधुता के िस ांत के आधार पर था. पर्ज्ञा-िवचार शिक्त, शील चिरतर् एवं करूणा-दया आधािरत जाितहीन लोकतांितर्क समाज का िनमार्ण उनके तत् वज्ञान की आत् मा ह.ै उनका आिथक तत् वज्ञान इतना सकुंिचत भी नह था. समगर् दशे के िलए क् या सवर्शर्ेष् ठ ह,ै उनके मन म हमेशा यही िवचार चलता रहता था. ऐसे महान दशेभक् त अथर्शास ्तर्ी को दशे के एक समुदाय मातर् को नेता बताकर हािशए पर धकेल देना उनके साथ कूर्र अन् याय जसैा ह.ै

    - साभार  पांचज य अप्रैल, 2015

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    स् वाधीन भारत की संिवधान सभा ारा भारत संघ की राजभाषा के रूप म स् वीकार िकए जाने स ेलेकर अब तक आधी सदी से भी अिधक की लबंी यातर्ा के बाद िहदी कहां पहुचंी ह,ै यह जानने के िलए पहले आवश् यक होगा िक हम यह जान ल िक वह चली कहां स ेथी और िवश् व के सबसे बड़ ेलोकतािंतर्क गणतंतर् की राजभाषा के रूप म उसने िकतन े और कैस-ेकैस े रास् ते तय िकए ह. साथ ही, यह जानना भी जरूरी पर्तीत होता ह ैिक िहदी और राजभाषा िहदी का इितवृत् त क् या व कैसा रहा ह.ै

    वस् तुत: भाषा, संपर्ेषण का माध् यम और सपंकर् का साधन होने के साथ-साथ संस् कृित व संस् कार के संरक्षण, संवधर्न व संवहन का ससंाधन भी ह.ै मातृभाषा वैयिक्तक और पािरवािरक पृष् ठभूिम का बोध कराती ह,ै राष् टर्भाषा समाज को स् वदशेी भाव-बोध से समिन्वत कराते हुए वैि क धरातल पर राष् टर्ीय स् वािभमान की िविशष् ट पहचान का पुख् ता इंतजाम करती ह ैऔर संपकर् भाषा दशे-काल-पातर् के बीच सेतु का िनमार्ण करती ह ैतो राजभाषा शासन-पर्शासन म जनता-जनादर्न की पहुचं का पर्ावधान कराती ह.ै राजभाषा यानी राज-काज की भाषा, शासकीय पर्योजन के िलए पर्योग की भाषा, जनता और सरकार की भाषा, िरयाया और राजदरबार की भाषा.

    भारत के इितहास म पहली बार जनभाषा को राजभाषा का दजार् स् वतंतर् भारत की संिवधान सभा न े14 िसतंबर,1949 को िदया. यह जनभाषा िहदी ह ैक् य िक भारत भूिम म सिदय से िहदी ही (चाह े िजस रूप म भी रही) एक ऐसी भाषा रही ह ैजो पूरे भारत वषर् म िकसी-न-िकसी रूप म िलखी, पढ़ी या बोली अथवा समझी जाती रही ह ैतथा संपकर् का माध् यम रही ह.ै वह भारतीय राष् टर्ीयता के स् वरूप को साकार करन ेम एक अहम कारक भी रही ह.ै यािन िहदी भारत के जन-गण की भाषा रही ह.ै

    स् वतंतर्ता संगर्ाम के िदन म राष् टर्भक् त आंदोलनकािरय के बीच िहदी राष् टर्ीय एकता के सबल सूतर् के रूप म कायर् करती रही, िजसे भारतीय जनमानस ने राष् टर्भाषा के रूप म मान िदया िकत ुस् वतंतर् भारत के संिवधान न ेिहदी को राष् टर्भाषा के रूप म नह शासकीय पर्योजन के िलए भारत संघ की राजभाषा के रूप म अंगीकार िकया. इसके िलए संिवधान के भाग 17 म अनुच् छेद 343 से 351 तक पर्ावधान िकए गए. अनुच् छेद 343 म कहा गया ह ैिक भारत संघ की राजभाषा िहदी होगी और उसकी िलिप दवेनागरी होगी, अनचु् छेद 351 म कहा गया िक भारत सरकार मुख् यत: संस् कृत से और गौणत: अन् य भारतीय भाषा स े शब् द-सपंदा गर्हण करते हुए िहदी का िवकास इस रूप म करेगी िक वह भारत की सामािजक संस् कृित के समस् त तत् व की सम् यक अिभव् यिक्त का सशक् त माध् यम बन सके. अंक के मामले म भारतीय अंक के अंतरार्ष् टर्ीय स् वरूप को अपनाया गया तथा दशे की समस् त पर्मुख पर्ांतीय भाषा (आज उनकी संख् या 22 ह)ै को संिवधान की 8व अनुसूची म शािमल कर राष् टर्ीय (महत् व की) भाषा का दजार् िदया गया.

    लॉडर् मेकॉले ने भारत भर्मण के पश् चात िबर्टेन वापस जाकर िबर्िटश संसद म 02 फरवरी, 1835 को जो भाषण िदया था, उसके एक अंश, िजस े यहां उद्धृत िकया जा रहा ह,ै को देखने से उनकी पूरी सोच उजागर हो जाएगी.

    पूरे भारतवषर् के भर्मण के दौरान मने एक आदमी भी ऐसा न दखेा जो चोर हो. मने उस दशे म ऐसी समृि और पर्ितभाए ंदखेी ह, ऐसे शेर्ष् ठ नैितक मूल् य और लोग दखेे ह िक मुझे नह लगता िक उसके सांस् कृितक एवं नैितक मेरूदडं को तोड़ े बगैर हम उसे परािजत कर सकगे. इसिलए मेरा पर्स् ताव ह ै िक

    िहदी एक मत स ेनह , एकमत से बनी थी राजभाषा

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    भारत की पर्ाचीन िशक्षा प ित और संस् कृित के स् थान पर अंगेर्िजयत भर दी जाए तािक भारतवािसय के िदलोिदमाग म यह सोच घर कर जाए िक जो कुछ भी िवदशेी और अंगेर्जी ह,ै वही बेहतर और शर्ेयस् कर ह.ै ऐसा होने से वे अपना स् वािभमान एवं अपनी संस् कृित भलू जाएंगे और जसैािक हम चाहते ह, वे एक पराधीन कौम बन जाएंगे. इसी सोच ने बांट और राज करो की नीित दी और भारत म इसका पहला िशकार हुई भाषा.

    यह ऐितहािसक रूप से पर्ामािणक तथ् य ह ै िक अपभंर्श और िडगल से होती हुई, खड़ी बोली के साथ आत् मसात होती हमारे सामने जो िहदी आई ह,ै उसके िनमार्ण और उसे समृ करने म िस , योिगय , साधु और भक् त के साथ-साथ अमीर खुसरो एवं अन् य अनेक भारतीय और अभारतीय िव ान , लेखक , किवय आिद का योगदान रहा ह ै िजनम पारसी और इस् लाम धमार्वलंिबय का योगदान िवशेष रूप से उल् लेखनीय ह.ै लेिकन यह सब कुछ हुआ भारत-भूिम पर ही तथा उनकी िनमार्ण-पर्िकर्या भारतीय संस् कृित और संस् कार, रीित-िरवाज एवं यहां की माटी की मांग के अनुरूप ही चली तथा पूरी हुई. इसीिलए, भले ही िहदी शब् द फारसी भाषा का शब् द हो, िकतु िहदी भाषा शत-पर्ितशत भारतीय भाषा ह ै िजसने अनिगनत अन् य भारतीय और अभारतीय भाषा के शब् द को आत् मसात िकया ह.ै यािन िहदी अपने जन् म और कमर् दोन ही रूप म सामािजक, सांस् कृितक, धािमक एवं भािषक समन् वय और सौहादर् का पर्तीक रही ह.ै

    इस पर्कार लगभग 1000 वसंत दखे चकुी िहदी अपने पर्ारंिभक काल म िहदवी, िहदईु, िहदसु् थानी के रूप म मुकिरय , सधुकड़ी वािणय तथा आलवार साध-ुसतं , भक् त , नाथ-पंिथय का सदंेशवाहक बन भारत के एक कोन े स े दसूरे कोने म िवचरती रही तो मघ् यकाल म बर्जभाषा व अवधी के रूप म शर् ा, पर्ेम, भिक्त व शंृर्गार

    की सहसर् रसधार को शर्षे् ठ काव् य की ितर्वेणी म समािहत करती रही और आधुिनक काल म खड़ी बोली के रूप म भारतीय स् वाधीनता संगर्ाम के दधुर्षर् सेनािनय के बीच संपकर् सतूर् का कायर् करती रही.

    चूंिक िहदी को संिवधान सभा ने 14 िसतंबर 1949 को राजभाषा के रूप म अंगीकार िकया, इसिलए भारतवषर् म पर्त् येक 14 िसतंबर को िहदी िदवस के रूप म मनाया जाता ह.ै पहला िवश् व िहदी सम् म् ेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर म आयोिजत हुआ था, इसिलए अब पर्ितवषर् 10 जनवरी को िवश् व िहदी िदवस मनाने की परंपरा भी चल पड़ी ह.ै

    संवैधािनक पर्ावधान के अनुसार संिवधान लागू होने के िदन से 15 वष तक िहदी के साथ-साथ अंगेर्जी को भी भारत संघ की सह-राजभाषा के रूप म जारी रखा जाना था और उसके बाद िहदी को ही पूरी तरह से राजभाषा के रूप म लागू कर िदया जाना था.

    26 जनवरी 1950 को भारत का संिवधान लागू हुआ, तदनसुार 26 जनवरी 1965 से िहदी को पूरी तरह से राजभाषा के रूप म लागू हो जाना था. उसी को ध् यान म रखकर भारत की ससंद ने 1963 म राजभाषा अिधिनयम पािरत िकया, हालांिक पिरिस्थितजन् य कारक के चलते 1967 म उसम कितपय संशोधन करने पड़े. उसी अिधिनयम के पर्ावधान के तहत राजभाषा िनयम 1976 बने तथा संसदीय राजभाषा सिमित आिद का गठन हुआ. िहदी बनाम राजभाषा िहदी िहदी भारत के जनमानस की भाषा ह,ै राष् टर्भाषा ह,ै

    संपकर् भाषा ह ै और साथ ही शासकीय पर्योजन के िलए भारत सघं की राजभाषा भी ह.ै अपने पर्थम तीन रूप म िहदी पल-पल पिरवितत पर्कृित-वेश की भांित बदलते रहने के िलए स् वततंर् ह.ै उसका पर्योग करने वाले अपनी आवश् यकतानुसार दशे-काल-पातर् के अनुसार उसका पर्योग करने को स् वतंतर् ह. उन पर कोई बंधन नह , कोई सीमा नह . तभी तो िबहार

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    की भोजपुरी, मैिथली, मगही और बिज्जका आिद के लेप स ेिलपी-पुती भाषा भी िहदी ह ैतो उत् तर पर्दशे म बर्ज की माधुरी, अवध की ठेठ और हिरयाणा की कड़कदार भाषा भी िहदी ही ह.ै पंजाब की मने जाना ह,ै िदल् ली की आप चलोगे तथा राजस् थान की ण की सांसत म फंसी भाषा भी िहदी ही ह.ै वैस ेही ओि़डसा, असम और बंगाल की अपनी िहदी ह ैतो आधंर्पर्दशे, केरल, कनार्टक और तिमलनाडु की अपनी िहदी और मंुबईया िहदी तो एक अनूठी िहदी ह ैही. इतनी व् यापक और स् वतंतर् सत् ता वाली सवर्गर्ाही िहदी के पर्योग एवं पर्योक् ता सीमातीत ह. न व् याकरण का कोई बंधन, न शलैी की कोई रोक-टोक, न शब् द के िलए अटकना, न उच् चारण के िलए भटकना. सब कुछ