दोन हम पापी ह g पछलेजम म e जो पाप कये,...

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दोनɉ : हम पापी हɇ ǒपछले जÛमɉ मɅ जो पाप Ǒकये , उनके फल भोग रहे हɇ पर अब और नहȣं भोगे जाते नारद : ǒपछले जÛम के पापɉ के कारण हȣ आदमी नीची जात और गरȣब घर मɅ जÛम लेकर दःख भोगता है भगवान : आदमी के Ǒदये दःखɉ को ǒपछले कमȾ का पǐरणाम बताने वाले मंथ झूठ है उÛहɅ बदल कर नए मÛथ िलखाओ नाटककार ने पूव[जÛम के िसƨांत कȧ कट आलोचना पौराǔणक पाऽ भगवान के मुख से कहलवायी है , ǑकÛतु इतने मɅ हȣ ǒवकास कȧ समःया नहȣं सुलझी उसे िमले हए को भी धिनक वग[ ने छȤन रखा है , जो आज के Ǒकसान कȧ मूल समःया बनी हई है Ǒकसान : महाराज ! आपने हमɅ चार बीघे धरती दȣ थी पƤी : वह जमींदार ने ले ली नारद : इÛहɉने अधूरȣ बात कहȣ कज[ अभी बाकȧ है ये और इनके बÍचे जमींदार के िगरवी हɇ भगवान : यह ठȤक है ? दोनɉ : हाँ महाराज ! हमारा अपना कु छ नहȣं सब जमींदार का हो गया 52 Ǒकसान कȧ दैÛय अवःथा के साथ-साथ शमा[ जी ने एक और दयनीय जीवन कȧ अवधारणा कȧ है , जो आज के समाज मɅ अपमािनत, ताǑड़त बȧड़ा कÛदक कȧ भाँित बनकर जी रहा है Ð वह जीवन है नारȣ जीवन ःतुत नाटक मɅ नाटककार ने भगवान को नारदमुिन के साथ मृ×युलोक का मण करवाया है Ð जहाँ दहेज का महाभूत अपने पंजे फै लाकर जाने Ǒकतने दाàप×य जीवन मɅ आग लगा चूका है समाज मɅ नारȣ को के वल वःतुमाऽ समझकर बय-ǒवबय Ǒकया जा रहा है सàबÛधɉ को पैसɉ के तराजू मɅ तोलने वाले समाज को िनàन पंǒƠयɉ मɅ ःतुत Ǒकया है लड़कȧ : तो बताओ मुझे लड़कȧ Èयɉ बनायी और बनायी है तो ǒपता को दौलत Èयɉ नहȣं दȣ मुझे ... भेड बकरȣ बनाते कु छ तो मोल होता 53 मेनका : मनुय बनाकर भी Èया बनाया ? भोग ǒवलास कȧ वःतु लोगɉ को धम[ से िगरने का सामान, कामुकता का ǔखलौना 54 इस पǐरसंवाद से नाटककार ने अपने मत को åयƠ Ǒकया, ǔजससे नारȣ जगत जागǾक बने 114

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Page 1: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

दोन हम पापी ह पछल ज म म जो पाप कय उनक फल भोग रह ह पर अब और नह भोग जात

नारद पछल ज म क पाप क कारण ह आदमी नीची जात और गर ब घर म ज म लकर दःख भोगता ह

भगवान आदमी क दय दःख को पछल कम का प रणाम बतान वाल मथ झठ ह उ ह बदल कर नए म थ िलखाओ

नाटककार न पवज म क िस ात क कट आलोचना पौरा णक पाऽ भगवान क मख स कहलवायी ह क त इतन म ह वकास क समःया नह सलझी उस िमल हए को भी धिनक वग न छ न रखा ह जो आज क कसान क मल समःया बनी हई ह

ldquo कसान महाराज आपन हम चार बीघ धरती द थी

प ी वह जमीदार न ल ली

नारद इ ह न अधर बात कह कज अभी बाक ह य और इनक ब च जमीदार क िगरवी ह

भगवान यह ठ क ह

दोन हा महाराज हमारा अपना कछ नह सब जमीदार का हो गया rdquo52

कसान क द य अवःथा क साथ-साथ शमा जी न एक और दयनीय जीवन क अवधारणा क ह जो आज क समाज म अपमािनत ता ड़त व ब ड़ा क दक क भाित बनकर जी रहा ह ETH वह जीवन ह नार जीवन ःतत नाटक म नाटककार न भगवान को नारदमिन क साथ म यलोक का मण करवाया ह ETH जहा दहज का महाभत अपन पज फलाकर जान कतन दा प य जीवन म आग लगा चका ह समाज म नार को कवल वःतमाऽ समझकर बय- वबय कया जा रहा ह स ब ध को पस क तराज म तोलन वाल समाज को िन न प य म ःतत कया ह

ldquoलड़क तो बताओ मझ लड़क य बनायी और बनायी ह तो पता को दौलत य नह द

मझ भड बकर बनात कछ तो मोल होता rdquo53

ldquoमनका मनय बनाकर भी या बनाया भोग वलास क वःत लोग को धम स िगरन का सामान कामकता का खलौना rdquo54

इस प रसवाद स नाटककार न अपन मत को य कया जसस नार जगत जाग क बन

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ldquoनारद हा पढ़ो-िलखो यो य बनो मत बनो कवल मा ndash बनो यगजननी rdquo55

साथ ह वतमान सरकार क नीित क भी िमथक य कथा क सदभ व अवधारणा क ह जसम भारतीय राजनीित का िचऽ खीचा ह िमथक य पाऽ भगवान यास व नारद क आपसी सवाद स य होता ह यथा ETH

ldquoभगवान अित उ म हम यह चाहत ह क परानी कथाओ क बजाए नई कथाए िलखो दवता नह आम आदमी क कहानी कहो लन क नह उ ह दन क बात करो

यास हा भ सरकार सबक अिधकार छ न रह ह जीवन क सब ऽ को अपन क ज म ल रह ह

नारद यहा िनयम कायदा कछ रहा नह सबको मनमानी करन क छट ह न रोकन वाला न पकड़न वाला (तभी जलस आता ह यास पिसल स उनक नार नोट करन लगता ह ) स ाधार मदाबाद रा य सरकार भग करो स वधान सशोधन र करो क ि म रा ीय सरकार ःथा पत करो आज का नारा कल मत दो कल का नारा ndash त ता उलट दो rdquo56

diams उ य

यह कहना ह क नाटककार शमा न िमथ कथा क सहार आज क कसान का समसामियक प र ःथितय म जीन वाल जीवन को राजा बिल क सग क मा यम स धारण कया ह आज का कषक वग ऋणदाता स कसी भी कार म नह पा सकता अपनी स प को बचकर भी याज स हत अपना मलधन चकाकर म नह हो सकता अतः ःतत नाटक म आज क विभ न समःयाओ क अवधारणा क ह ETH यथा पवज म क अध व ास व ढ़ को जमीदार क मनमज सठ क शोषण व पाख ड नीित दहज कज नार जीवन एवम वतमान लोकतऽ क राजनीित क कानन यवःथा को पासी कसान क सहार याज क परत क भाित खोला ह जसम व व ालय क लड़क का आ दोलन य क लोभ वचकता ःवाथ एवम ऐ यवाली िनयत क अवधारणा क ह वतमान भारत क बहदलीय णाली को भी अिभ य कया ह तथा र त िसफा रश व चापलसी आ द बात क अवधारणा क ह उपय बात क िलए Ocircराजा बिल क नई कथाOtilde नामक िमथक य नाटक क कथावःत एक सश मा यम ठहरती ह

(15) Ocircबलबल सरायOtilde नाटक म िमथक य त व (1978)

diams ासिगकता

Ocircबलबल सरायOtilde नाटक म ऐितहािसक सदभ म आपा कालीन प र ःथितय का िचऽण हआ ह म और क णा क मधर गीत गाती बलबल क ह या और उसक सरा य क िनवाण क कथा व वध वडबनाओ को ःतत करती ह पाऽ OcircकOtilde और OcircखOtilde क वातालाप स नाटक आरभ होता ह

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इस नाटक म नट-नट का िन त ःथान ह नट-नट ह दशकाल प रवश का प रचय दत ह और कथा को आग बढ़ात ह नट-नट पहल शहर गय थ नाटक करन ल कन वहा मची भगदड़ स व भाग कर अ यऽ आ गए यहा आकर व अपनी मशा कट करत ह नाटक करन क OcircकOtilde और OcircखOtilde स उनक बातचीत होती ह नाटक क ित िचह नता का कारण ःप करत हए व बतात ह क उनक आख पथरा चक ह और उनक कण-कपाट जग खा चक ह OcircखOtilde तो यहा तक कहता ह क ldquoरसबोध सख गया ह और उस पर पपड़ जम गयी हम नह पता हमार जड़ म या सो गया ह या जाग रहा ह rdquo57

लयकाल और म य स बचन क िलए OcircकOtilde आकाश म उड़न का सझाव दता ह लयकाल का अथ आपा ःथित स ह उस आपा ःथित को नाटककार न नरकत य माना ह धीर-धीर नाटककार इस नरक का िनमाण करनवाली यवःथा को बनकाब करता ह नट का यह कथन को ःप करता ह ldquoऐस समय जब क वप को स प म बदला जा सकता ह और आपातकाल क बाद ःवणकाल क तती बजायी जा सकती ह rdquo58 सराय ससार ह और लयकाल आपात ःथित इस समची यवःथा का च क कोई िन त चहरा नह ह वह प र ःथितय क अनसार मखौट बदलती ह इसिलए इस नाटक म नाटककार का य य-हार भी चौतरफा ह Ocircक खOtilde का यह कथन Ocircइसस पहल क आ मह या क माग पर चलकर दश बीस सऽी कायबम लाग कर हम दय का ार खोल दना चा हए Otilde बीस सऽी कायबम क ित वरोधी भाव दशाता ह

स ा क च रऽ पर य य करन क साथ-साथ यह नाटक तथाकिथत याय यवःथा समाजवाद रा सघ परःपर सहयोग सहनशीलता च रऽ आ द पर भी हमला करता ह

Ocircबलबल सरायOtilde म नाटककार का म य उ य यथा ःथित अ याय शोषण और अ याचार क खलाफ सघष-चतना का सऽपात करना रहा ह अ याचार कसी भी प म और कसी क भी ारा हो रहा हो उसका ितकार अप रहाय ह

नट-नट अ याचार और शोषण क कहानी अपन नाटक क मा यम स कहत ह इस कहानी का स ब ध बारहवी शता द क िनरकश राजा चडसन स ह चडसन न एक रात यह अफवाह फलायी क अगल दन दिनया का अ त होन वाला ह वह कटनीित था उसन यह झठ खबर सनकर लोग न सोचा लय-रा ऽ म िनह थ मरन स बहतर ह य -भिम म बहादर क साथ मौत का आिलगन कया जाय इसी भावना स लोग सना म भत होन लग चडसन का चार साथक हआ और वह भी यह चाहता था उसन अपनी सना क साथ शऽओ पर आबमण कया और वजयौी ा क नट-नट आग बतात ह क जीत उ माद म करन वाल क ित कसी न भी नह सोचा धीर-धीर समय बीतता गया बाद म पता चला क OcircकOtilde को सापन काट खाया और OcircखOtilde एक िगरती हई द वार क नीच दबकर

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मर गया चडसन क रा य क ऐसी ह ददशा थी शासक अ पनी िनजी स ा श िन हत य गत ःवाथ क िलए जनता का कस कार इःतमाल करता ह इसक बखबी इस नाटक म िच ऽत कया गया ह

इस नाटक म आग याय- यवःथा को िच ऽत कया गया ह नट आकर याय र OcircकOtilde यान मायासर को आकर बताता ह क आगन म चोर उसक छह साल क ब च पर कदा जसस वह मर गया इसिलए अपराधी को द ड दया जाय और वह अपन साथ याय क माग करता ह OcircखOtilde आकर मायासर को एक हार दखाता ह और कहता ह क ETH ldquoस च मोितय का ह आपक ौीमतीजी को दखला चका ह उ ह न खब पस द कया rdquo59 इतन म नट आकर कहती ह क य हार तो उसका ह इस पर मायासर कहता ह क उस व ास हो गया क उसक ब च का ह यारा भी OcircखOtilde ह ह OcircखOtilde जसा चाहता था वसा ह हआ याय र क न य फसला दया क इस भाई क प ी उस समय तक चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर हरजान क प म मत लड़क क मा-बाप को नया लड़का द सकता ह मायासर क याय-यवःथा का यह एक नमना ह जो ज म क बराबर ह

अगल य म शोकपण वातावरण म यह खबर आती ह क साट बीमार ह चडसन को बीमार स म दलान क िलए व नह ब क धमग स राय ली जाती ह धमग बतात ह क कसी पण सखी य का कता य द चडसन को पहना दया जाय तो वह ठ क हो सकता ह रा य क कमचार सखी य क खोज म िनकलत ह यहा नाटककार न इस त य को बखबी उजागर कया क कसी द राजा क रा य म कोई सखी हो ह कस सकता ह ETH

ldquoसभी दःख

दःख क दिनया

कह परानी कह नयी सखी आदमी क करत को खोज-खोज कर हार गयी rdquo

फर भी एक कषक िमला जो सखी था वह उस ह रा य म ल आई और यह भी नह दखा क उसक तन पर कता था ह नह सखी य को खोजत-खोजत कत का यान ह नह रहा चडसन सखी य क अभाव म मर गया

diams उ य

इस नाटक का कथानक नट-नट क इस वा य क साथ समा होता ह क Ocircकोहरा छटगा और बलबल फर आएगीOtilde OcircआOtilde और OcircईOtilde भी कहत ह य क उड़ान भरन क िलए

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उस परा आकाश स प दग नाटक म सभी पाऽ तीका मकता िलय हए ह OcircकOtilde OcircखOtilde OcircआOtilde OcircईOtilde मलतः सामा य य क ह तीक ह सराय ससार क तीक ह राजनितक इितहास सन 1977 का काल आपातकाल घो षत कया गया ह उसी का तीक ह व णत नाटक का लयकाल प र ःथितय क भी अपनी तीका मकता ह

(16) Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

लआमीनारायण लाल न अपन Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म सपण रामकथा का वणन न करक रामकथा स स ब Ocircधनष य Otilde सग को उठाया ह Ocircधनष य Otilde क िस पौरा णक कथा को आधिनक सदभ स जोड़त हए समसामियक स उसक पन या या और पनम याकन कया ह उनका उ य इस पौरा णक सग क पनराव करना माऽ नह ह वरन उ ह न इस पराकथा का उपयोग आधिनक मानव क सवदना और सदभ क अिभ य क िलए कया ह

Ocircराम क लडाईOtilde स ा स र हत वतमान मानव क अपन प रवश स लडाई ह आज भी स च स च रऽ एवम आ म व ासी य य (राम) को राजनीित धािमक एवम सामा जक यवःथापक (रावण) स लड़ाई लडनी पड़ रह ह इस लडाई को ःतत करन क िलए डॉ लाल न Ocircधनष य लीलाOtilde (रामलीला) को आधार बनाया ह जब तक राजनीित न धम क ऽ म हःत प नह कया था और ःवःथ राजनीित थी तब तक तो धमधाम क साथ गाव म रामलीला होती थी और सब लोग परःपर सौहाद क भावना स इसका आन द लटत थ पर त जब स गाव म माम पचायत क प म राजनीित आई ह तब स ःथित ब कल बदल गई ह कहन क िलए जनता क य ितिनिध जनता क सवक ह पर त वाःत वकता कछ और ह ह स ा एवम श का उपयोग य लोग जनता क िलए न करक अपन ःवाथ क िलए करत ह और इस स ा को ा करन क िलए व साम दाम द ड और भद सभी नीितय का सहारा लत ह ःवतऽता ाि स पव जातऽ य क ःवतऽता का तीक माना जाता था पर त वतमान समय म अथात ःवतऽता ाि क 45 वष क उपरा त भी ःवतऽता का ज मिस अिधकार सामा य जनता (रामगलाम) तक नह पहच पाया ह अपनी इस ःवतऽता को ा करन क िलए रावण और वाणासर क प म व मान शोषण अ याय अनीित और वणवष य स सघष करना होगा रामगलाम क प म सामा य जनता क ःवतऽता क शऽ ऽभज रा स क प म जमीदार साहकार और नता ह इनक व आवाज उठाए बना उसक ःवतऽता का ःव न साकार नह हो सकता ldquoसोचत हो ःवतऽता ःवराज पर चाहत हो ःवतऽा और ःवराज त ह कोई लाकर द द कोई थाली म लाकर परोस द और तम मझ स खाओ समज लो जनतऽ का फल उसी क िलए उतना ह जो जतना श शाली ह दखो उस फल लग व को जो जतना अपन-आपस बढ़कर ऊच उछलकर ऊपर जाएगा उतना ह फल पाएगा इसम उस फल लग व का या

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दोष इन लोग क या दोष ज ह हम लोग अपना शऽ समझत ह शऽ ह त हार िनबलता कायरता अभाव जस हम अपनी आजाद मानत ह जीत हो द रिता करत हो अ याय बात करत हो आज़ाद क राम और कण न य कए ह फर पायी ह ःवतऽता उठाओ यह धनष फल ा करो राम न हो सार द रिता rdquo60

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म इस ससार को धनष-य लीला माना गया ह जसम समाज िशव का धनष ह ldquoयह धनष तो कभी का टट चका ह पहल तोड़ा अमज न इःतमरार ब दोबःत करक परमानट स टलमट फर तोड़ा जमीदार न लटपाट म भाग लकर फर तोड़ा चनाव न जो बाक रहा उस लग ह हम तोड़न म rdquo61 जो य इस धनष को उठाकर यचा कस दगा अथात जस य म वतमान जीवन क वषम प र ःथितय स साहसपवक जझन क साम य होगी वह इस समाज क अनीित और अ याचार को दर कर सकता ह और राजनीित को समाज पर हावी होन स बचा सकता ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म समसामियक जीवन म या राजनीित राजनीितक वघटन नताओ क ाचार दल-बदल चनाव- वसगित आ द का यथाथ प दखन को िमलता ह OcircनताईOtilde आधिनक समाज एवम राजनीित को सचािलत करन वाल नता क प म सामन आए ह धनष-य लीला म परशराम का पाट करन वाला गोपाल पाड नताई क भड़कान पर ह यह कहता ह क ldquoमाम पचायत चनाव म अगर सारा गाव वोट द मझ तभी परशराम का पाट क गा rdquo62 जनता जन नताओ का चनाव करक सरकार बनाती ह और उनस अपन हत क अप ा करती ह व जनता क हत का यान न रखकर अपना Ocircघर-भरनOtilde म ह लग रहत ह उनक िलए उनका अपना ःवाथ ह सव प र होता ह और इसीिलए व चनाव जीतकर श ा करना चाहत ह इसक अनक उदाहरण Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म यऽ-तऽ-सवऽ बखर पड़ ह मसखरा राजनीित क आदिमय क वाःत वकता का पदाफाश करत हए कहता ह क ETH ldquoउ नीस सौ स ावन म पाच कए खोद गए कागज पर ढाई हजार क कआ सन साठ म तीन तालाब पाट गए जब क तालाब थ ह नह सन उनह र म चकब द आयी फ चक पाच सौ पय सन पचह र म नसब द आयी rdquo63 ldquoसन साठ म जब बड़क बाड़ आयी थी यह नता बाब जला कल टर और अपन एमपी को लकर यहा आए थ मआइना करान सरकार क तरफ स जो अ न कपड़ा िमला सब ऊपर-ह -ऊपर बचकर खा िलया घर बनवान क िलए फ घर पाच-पाच सौ पय दए सरकार न यह शाहजी और नताजी न िमलकर हमस अगठा लगवा िलया और सार रकम हड़प कर गए rdquo64

नता चनाव स कछ समय पव ऐस सधार काय ार भ कर दत ह जनस भा वत होकर जनता उ ह समाज का उिचत ितिनिध मानकर अपना सहयोग दन क िलए त पर हो जाती ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी का व य इसका ःप माण ह ETH ldquoयह योजना हमन बतायी थी मऽी जी स क चकब द क समय इल शन हो इल शन फड

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म पय क कमी नह रहगी चकब द क दबाव म सौ फ सद वोट भी िमलग आम-क-आम गठली क दाम rdquo65 ऐस नता अपन प म जनता क वोट ा करन क िलए सरकार अिधका रय का उपयोग करन स भी नह चकत ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी सरकार अिधकार Ocircहा कमOtilde को अपन साथ िमलान का यास करत हए कहत ह ETH ldquoआप ह क ऊपर तो सारा दारमदार ह आप अपनी महनत मागोग तो य सद पर मझस पय कज लग कजदार ह ग तो इन पर हमारा दबाव होगा जसका दबाव उसी का चनाव आप तो इतन समझदार ह थोड़ा कहना बहत समझना rdquo66

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म बमला क पता िशवशकर बाबा क चनाव क एक रात पव िनमम ह या इस त य क प रचायक ह ldquoउस दन सबह स तीन पा टय क लोग झोल म पय पःतौल हथगोला भर पताजी क पास आत रह हर तरफ स दबाव डालकर अपन हक म वोट लन क िलए य क जसका नाम िशवशकर बाबा ल लत परा इलाका गाव-जवार उसी को ह मतदान करता वह एक-एक को डाटत-फटकारत रह यह आजाद नह गलामी ह यह मतदान नह डाकाजनी ह भारत माता का ौाप लगगा सार गाव-जवार स कह दया क जब चनन को कछ नह ह तो चनाव कसका उसी रात मर साध पता क ह याrdquo67

नता-जन एक बार चनाव म वजयी हो जान क उपरा त सदव स ा म बन रहना चाहत ह और इसक िलए व दल-बदल का आौय लत ह नताओ क इस यवहार पर तीखा य य करत हए मसखरा Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म कहता ह टोपी जधर हवा उधर चली मत पिछए इसका असली या था रग असल तो कछ था ह नह थी श स ह बदरग अब इस नीलाम कर द जो अिधक द उसक कदम म रख द मसखरा नताई स कहता ह क ldquoआज स चालीस साल पहल आप ह इस गाव म ितरगा झ डा लकर आय पाच साल बाद समाजवाद झ डा लाए और ितरग झ ड को उलटकर झोला िसला िलया rdquo68 हा कम ारा चीलरिसह स यह पछ जान पर क वह कस पाट क िलए काम कर रह ह चीलरिसह कहता ह हम िनदलीय ह सर आपस या परदा जधर हवा दखत ह उधर ह ह ह ldquoराजनीित क ऽ म कोई भी नता अपन ऽ म अपन स भावशाली य को उभरन का अवसर नह दता यह कारण ह क जब मऽीजी को यह अनभव होता ह क लखपितया जो ldquoहाईःकल म सात बार फल चाक छरा पःतौल क टा चलान म ह िशयार ह और टकट ा कर द ली तक डका बजा दन का दम भरता ह तो व उस अपन िलए खतरनाक जानकर उसस सावधान हो जात ह और कहत ह मझ ऐसा चा हए जो यहा स दश क राजधानी तक ह सीिमत रह तम तो द ली तक डका बजान वाल हो ऐसा नह चा हए मझ rdquo69

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diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

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अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 2: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

ldquoनारद हा पढ़ो-िलखो यो य बनो मत बनो कवल मा ndash बनो यगजननी rdquo55

साथ ह वतमान सरकार क नीित क भी िमथक य कथा क सदभ व अवधारणा क ह जसम भारतीय राजनीित का िचऽ खीचा ह िमथक य पाऽ भगवान यास व नारद क आपसी सवाद स य होता ह यथा ETH

ldquoभगवान अित उ म हम यह चाहत ह क परानी कथाओ क बजाए नई कथाए िलखो दवता नह आम आदमी क कहानी कहो लन क नह उ ह दन क बात करो

यास हा भ सरकार सबक अिधकार छ न रह ह जीवन क सब ऽ को अपन क ज म ल रह ह

नारद यहा िनयम कायदा कछ रहा नह सबको मनमानी करन क छट ह न रोकन वाला न पकड़न वाला (तभी जलस आता ह यास पिसल स उनक नार नोट करन लगता ह ) स ाधार मदाबाद रा य सरकार भग करो स वधान सशोधन र करो क ि म रा ीय सरकार ःथा पत करो आज का नारा कल मत दो कल का नारा ndash त ता उलट दो rdquo56

diams उ य

यह कहना ह क नाटककार शमा न िमथ कथा क सहार आज क कसान का समसामियक प र ःथितय म जीन वाल जीवन को राजा बिल क सग क मा यम स धारण कया ह आज का कषक वग ऋणदाता स कसी भी कार म नह पा सकता अपनी स प को बचकर भी याज स हत अपना मलधन चकाकर म नह हो सकता अतः ःतत नाटक म आज क विभ न समःयाओ क अवधारणा क ह ETH यथा पवज म क अध व ास व ढ़ को जमीदार क मनमज सठ क शोषण व पाख ड नीित दहज कज नार जीवन एवम वतमान लोकतऽ क राजनीित क कानन यवःथा को पासी कसान क सहार याज क परत क भाित खोला ह जसम व व ालय क लड़क का आ दोलन य क लोभ वचकता ःवाथ एवम ऐ यवाली िनयत क अवधारणा क ह वतमान भारत क बहदलीय णाली को भी अिभ य कया ह तथा र त िसफा रश व चापलसी आ द बात क अवधारणा क ह उपय बात क िलए Ocircराजा बिल क नई कथाOtilde नामक िमथक य नाटक क कथावःत एक सश मा यम ठहरती ह

(15) Ocircबलबल सरायOtilde नाटक म िमथक य त व (1978)

diams ासिगकता

Ocircबलबल सरायOtilde नाटक म ऐितहािसक सदभ म आपा कालीन प र ःथितय का िचऽण हआ ह म और क णा क मधर गीत गाती बलबल क ह या और उसक सरा य क िनवाण क कथा व वध वडबनाओ को ःतत करती ह पाऽ OcircकOtilde और OcircखOtilde क वातालाप स नाटक आरभ होता ह

115

इस नाटक म नट-नट का िन त ःथान ह नट-नट ह दशकाल प रवश का प रचय दत ह और कथा को आग बढ़ात ह नट-नट पहल शहर गय थ नाटक करन ल कन वहा मची भगदड़ स व भाग कर अ यऽ आ गए यहा आकर व अपनी मशा कट करत ह नाटक करन क OcircकOtilde और OcircखOtilde स उनक बातचीत होती ह नाटक क ित िचह नता का कारण ःप करत हए व बतात ह क उनक आख पथरा चक ह और उनक कण-कपाट जग खा चक ह OcircखOtilde तो यहा तक कहता ह क ldquoरसबोध सख गया ह और उस पर पपड़ जम गयी हम नह पता हमार जड़ म या सो गया ह या जाग रहा ह rdquo57

लयकाल और म य स बचन क िलए OcircकOtilde आकाश म उड़न का सझाव दता ह लयकाल का अथ आपा ःथित स ह उस आपा ःथित को नाटककार न नरकत य माना ह धीर-धीर नाटककार इस नरक का िनमाण करनवाली यवःथा को बनकाब करता ह नट का यह कथन को ःप करता ह ldquoऐस समय जब क वप को स प म बदला जा सकता ह और आपातकाल क बाद ःवणकाल क तती बजायी जा सकती ह rdquo58 सराय ससार ह और लयकाल आपात ःथित इस समची यवःथा का च क कोई िन त चहरा नह ह वह प र ःथितय क अनसार मखौट बदलती ह इसिलए इस नाटक म नाटककार का य य-हार भी चौतरफा ह Ocircक खOtilde का यह कथन Ocircइसस पहल क आ मह या क माग पर चलकर दश बीस सऽी कायबम लाग कर हम दय का ार खोल दना चा हए Otilde बीस सऽी कायबम क ित वरोधी भाव दशाता ह

स ा क च रऽ पर य य करन क साथ-साथ यह नाटक तथाकिथत याय यवःथा समाजवाद रा सघ परःपर सहयोग सहनशीलता च रऽ आ द पर भी हमला करता ह

Ocircबलबल सरायOtilde म नाटककार का म य उ य यथा ःथित अ याय शोषण और अ याचार क खलाफ सघष-चतना का सऽपात करना रहा ह अ याचार कसी भी प म और कसी क भी ारा हो रहा हो उसका ितकार अप रहाय ह

नट-नट अ याचार और शोषण क कहानी अपन नाटक क मा यम स कहत ह इस कहानी का स ब ध बारहवी शता द क िनरकश राजा चडसन स ह चडसन न एक रात यह अफवाह फलायी क अगल दन दिनया का अ त होन वाला ह वह कटनीित था उसन यह झठ खबर सनकर लोग न सोचा लय-रा ऽ म िनह थ मरन स बहतर ह य -भिम म बहादर क साथ मौत का आिलगन कया जाय इसी भावना स लोग सना म भत होन लग चडसन का चार साथक हआ और वह भी यह चाहता था उसन अपनी सना क साथ शऽओ पर आबमण कया और वजयौी ा क नट-नट आग बतात ह क जीत उ माद म करन वाल क ित कसी न भी नह सोचा धीर-धीर समय बीतता गया बाद म पता चला क OcircकOtilde को सापन काट खाया और OcircखOtilde एक िगरती हई द वार क नीच दबकर

116

मर गया चडसन क रा य क ऐसी ह ददशा थी शासक अ पनी िनजी स ा श िन हत य गत ःवाथ क िलए जनता का कस कार इःतमाल करता ह इसक बखबी इस नाटक म िच ऽत कया गया ह

इस नाटक म आग याय- यवःथा को िच ऽत कया गया ह नट आकर याय र OcircकOtilde यान मायासर को आकर बताता ह क आगन म चोर उसक छह साल क ब च पर कदा जसस वह मर गया इसिलए अपराधी को द ड दया जाय और वह अपन साथ याय क माग करता ह OcircखOtilde आकर मायासर को एक हार दखाता ह और कहता ह क ETH ldquoस च मोितय का ह आपक ौीमतीजी को दखला चका ह उ ह न खब पस द कया rdquo59 इतन म नट आकर कहती ह क य हार तो उसका ह इस पर मायासर कहता ह क उस व ास हो गया क उसक ब च का ह यारा भी OcircखOtilde ह ह OcircखOtilde जसा चाहता था वसा ह हआ याय र क न य फसला दया क इस भाई क प ी उस समय तक चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर हरजान क प म मत लड़क क मा-बाप को नया लड़का द सकता ह मायासर क याय-यवःथा का यह एक नमना ह जो ज म क बराबर ह

अगल य म शोकपण वातावरण म यह खबर आती ह क साट बीमार ह चडसन को बीमार स म दलान क िलए व नह ब क धमग स राय ली जाती ह धमग बतात ह क कसी पण सखी य का कता य द चडसन को पहना दया जाय तो वह ठ क हो सकता ह रा य क कमचार सखी य क खोज म िनकलत ह यहा नाटककार न इस त य को बखबी उजागर कया क कसी द राजा क रा य म कोई सखी हो ह कस सकता ह ETH

ldquoसभी दःख

दःख क दिनया

कह परानी कह नयी सखी आदमी क करत को खोज-खोज कर हार गयी rdquo

फर भी एक कषक िमला जो सखी था वह उस ह रा य म ल आई और यह भी नह दखा क उसक तन पर कता था ह नह सखी य को खोजत-खोजत कत का यान ह नह रहा चडसन सखी य क अभाव म मर गया

diams उ य

इस नाटक का कथानक नट-नट क इस वा य क साथ समा होता ह क Ocircकोहरा छटगा और बलबल फर आएगीOtilde OcircआOtilde और OcircईOtilde भी कहत ह य क उड़ान भरन क िलए

117

उस परा आकाश स प दग नाटक म सभी पाऽ तीका मकता िलय हए ह OcircकOtilde OcircखOtilde OcircआOtilde OcircईOtilde मलतः सामा य य क ह तीक ह सराय ससार क तीक ह राजनितक इितहास सन 1977 का काल आपातकाल घो षत कया गया ह उसी का तीक ह व णत नाटक का लयकाल प र ःथितय क भी अपनी तीका मकता ह

(16) Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

लआमीनारायण लाल न अपन Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म सपण रामकथा का वणन न करक रामकथा स स ब Ocircधनष य Otilde सग को उठाया ह Ocircधनष य Otilde क िस पौरा णक कथा को आधिनक सदभ स जोड़त हए समसामियक स उसक पन या या और पनम याकन कया ह उनका उ य इस पौरा णक सग क पनराव करना माऽ नह ह वरन उ ह न इस पराकथा का उपयोग आधिनक मानव क सवदना और सदभ क अिभ य क िलए कया ह

Ocircराम क लडाईOtilde स ा स र हत वतमान मानव क अपन प रवश स लडाई ह आज भी स च स च रऽ एवम आ म व ासी य य (राम) को राजनीित धािमक एवम सामा जक यवःथापक (रावण) स लड़ाई लडनी पड़ रह ह इस लडाई को ःतत करन क िलए डॉ लाल न Ocircधनष य लीलाOtilde (रामलीला) को आधार बनाया ह जब तक राजनीित न धम क ऽ म हःत प नह कया था और ःवःथ राजनीित थी तब तक तो धमधाम क साथ गाव म रामलीला होती थी और सब लोग परःपर सौहाद क भावना स इसका आन द लटत थ पर त जब स गाव म माम पचायत क प म राजनीित आई ह तब स ःथित ब कल बदल गई ह कहन क िलए जनता क य ितिनिध जनता क सवक ह पर त वाःत वकता कछ और ह ह स ा एवम श का उपयोग य लोग जनता क िलए न करक अपन ःवाथ क िलए करत ह और इस स ा को ा करन क िलए व साम दाम द ड और भद सभी नीितय का सहारा लत ह ःवतऽता ाि स पव जातऽ य क ःवतऽता का तीक माना जाता था पर त वतमान समय म अथात ःवतऽता ाि क 45 वष क उपरा त भी ःवतऽता का ज मिस अिधकार सामा य जनता (रामगलाम) तक नह पहच पाया ह अपनी इस ःवतऽता को ा करन क िलए रावण और वाणासर क प म व मान शोषण अ याय अनीित और वणवष य स सघष करना होगा रामगलाम क प म सामा य जनता क ःवतऽता क शऽ ऽभज रा स क प म जमीदार साहकार और नता ह इनक व आवाज उठाए बना उसक ःवतऽता का ःव न साकार नह हो सकता ldquoसोचत हो ःवतऽता ःवराज पर चाहत हो ःवतऽा और ःवराज त ह कोई लाकर द द कोई थाली म लाकर परोस द और तम मझ स खाओ समज लो जनतऽ का फल उसी क िलए उतना ह जो जतना श शाली ह दखो उस फल लग व को जो जतना अपन-आपस बढ़कर ऊच उछलकर ऊपर जाएगा उतना ह फल पाएगा इसम उस फल लग व का या

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दोष इन लोग क या दोष ज ह हम लोग अपना शऽ समझत ह शऽ ह त हार िनबलता कायरता अभाव जस हम अपनी आजाद मानत ह जीत हो द रिता करत हो अ याय बात करत हो आज़ाद क राम और कण न य कए ह फर पायी ह ःवतऽता उठाओ यह धनष फल ा करो राम न हो सार द रिता rdquo60

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म इस ससार को धनष-य लीला माना गया ह जसम समाज िशव का धनष ह ldquoयह धनष तो कभी का टट चका ह पहल तोड़ा अमज न इःतमरार ब दोबःत करक परमानट स टलमट फर तोड़ा जमीदार न लटपाट म भाग लकर फर तोड़ा चनाव न जो बाक रहा उस लग ह हम तोड़न म rdquo61 जो य इस धनष को उठाकर यचा कस दगा अथात जस य म वतमान जीवन क वषम प र ःथितय स साहसपवक जझन क साम य होगी वह इस समाज क अनीित और अ याचार को दर कर सकता ह और राजनीित को समाज पर हावी होन स बचा सकता ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म समसामियक जीवन म या राजनीित राजनीितक वघटन नताओ क ाचार दल-बदल चनाव- वसगित आ द का यथाथ प दखन को िमलता ह OcircनताईOtilde आधिनक समाज एवम राजनीित को सचािलत करन वाल नता क प म सामन आए ह धनष-य लीला म परशराम का पाट करन वाला गोपाल पाड नताई क भड़कान पर ह यह कहता ह क ldquoमाम पचायत चनाव म अगर सारा गाव वोट द मझ तभी परशराम का पाट क गा rdquo62 जनता जन नताओ का चनाव करक सरकार बनाती ह और उनस अपन हत क अप ा करती ह व जनता क हत का यान न रखकर अपना Ocircघर-भरनOtilde म ह लग रहत ह उनक िलए उनका अपना ःवाथ ह सव प र होता ह और इसीिलए व चनाव जीतकर श ा करना चाहत ह इसक अनक उदाहरण Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म यऽ-तऽ-सवऽ बखर पड़ ह मसखरा राजनीित क आदिमय क वाःत वकता का पदाफाश करत हए कहता ह क ETH ldquoउ नीस सौ स ावन म पाच कए खोद गए कागज पर ढाई हजार क कआ सन साठ म तीन तालाब पाट गए जब क तालाब थ ह नह सन उनह र म चकब द आयी फ चक पाच सौ पय सन पचह र म नसब द आयी rdquo63 ldquoसन साठ म जब बड़क बाड़ आयी थी यह नता बाब जला कल टर और अपन एमपी को लकर यहा आए थ मआइना करान सरकार क तरफ स जो अ न कपड़ा िमला सब ऊपर-ह -ऊपर बचकर खा िलया घर बनवान क िलए फ घर पाच-पाच सौ पय दए सरकार न यह शाहजी और नताजी न िमलकर हमस अगठा लगवा िलया और सार रकम हड़प कर गए rdquo64

नता चनाव स कछ समय पव ऐस सधार काय ार भ कर दत ह जनस भा वत होकर जनता उ ह समाज का उिचत ितिनिध मानकर अपना सहयोग दन क िलए त पर हो जाती ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी का व य इसका ःप माण ह ETH ldquoयह योजना हमन बतायी थी मऽी जी स क चकब द क समय इल शन हो इल शन फड

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म पय क कमी नह रहगी चकब द क दबाव म सौ फ सद वोट भी िमलग आम-क-आम गठली क दाम rdquo65 ऐस नता अपन प म जनता क वोट ा करन क िलए सरकार अिधका रय का उपयोग करन स भी नह चकत ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी सरकार अिधकार Ocircहा कमOtilde को अपन साथ िमलान का यास करत हए कहत ह ETH ldquoआप ह क ऊपर तो सारा दारमदार ह आप अपनी महनत मागोग तो य सद पर मझस पय कज लग कजदार ह ग तो इन पर हमारा दबाव होगा जसका दबाव उसी का चनाव आप तो इतन समझदार ह थोड़ा कहना बहत समझना rdquo66

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म बमला क पता िशवशकर बाबा क चनाव क एक रात पव िनमम ह या इस त य क प रचायक ह ldquoउस दन सबह स तीन पा टय क लोग झोल म पय पःतौल हथगोला भर पताजी क पास आत रह हर तरफ स दबाव डालकर अपन हक म वोट लन क िलए य क जसका नाम िशवशकर बाबा ल लत परा इलाका गाव-जवार उसी को ह मतदान करता वह एक-एक को डाटत-फटकारत रह यह आजाद नह गलामी ह यह मतदान नह डाकाजनी ह भारत माता का ौाप लगगा सार गाव-जवार स कह दया क जब चनन को कछ नह ह तो चनाव कसका उसी रात मर साध पता क ह याrdquo67

नता-जन एक बार चनाव म वजयी हो जान क उपरा त सदव स ा म बन रहना चाहत ह और इसक िलए व दल-बदल का आौय लत ह नताओ क इस यवहार पर तीखा य य करत हए मसखरा Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म कहता ह टोपी जधर हवा उधर चली मत पिछए इसका असली या था रग असल तो कछ था ह नह थी श स ह बदरग अब इस नीलाम कर द जो अिधक द उसक कदम म रख द मसखरा नताई स कहता ह क ldquoआज स चालीस साल पहल आप ह इस गाव म ितरगा झ डा लकर आय पाच साल बाद समाजवाद झ डा लाए और ितरग झ ड को उलटकर झोला िसला िलया rdquo68 हा कम ारा चीलरिसह स यह पछ जान पर क वह कस पाट क िलए काम कर रह ह चीलरिसह कहता ह हम िनदलीय ह सर आपस या परदा जधर हवा दखत ह उधर ह ह ह ldquoराजनीित क ऽ म कोई भी नता अपन ऽ म अपन स भावशाली य को उभरन का अवसर नह दता यह कारण ह क जब मऽीजी को यह अनभव होता ह क लखपितया जो ldquoहाईःकल म सात बार फल चाक छरा पःतौल क टा चलान म ह िशयार ह और टकट ा कर द ली तक डका बजा दन का दम भरता ह तो व उस अपन िलए खतरनाक जानकर उसस सावधान हो जात ह और कहत ह मझ ऐसा चा हए जो यहा स दश क राजधानी तक ह सीिमत रह तम तो द ली तक डका बजान वाल हो ऐसा नह चा हए मझ rdquo69

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diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

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अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

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नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 3: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

इस नाटक म नट-नट का िन त ःथान ह नट-नट ह दशकाल प रवश का प रचय दत ह और कथा को आग बढ़ात ह नट-नट पहल शहर गय थ नाटक करन ल कन वहा मची भगदड़ स व भाग कर अ यऽ आ गए यहा आकर व अपनी मशा कट करत ह नाटक करन क OcircकOtilde और OcircखOtilde स उनक बातचीत होती ह नाटक क ित िचह नता का कारण ःप करत हए व बतात ह क उनक आख पथरा चक ह और उनक कण-कपाट जग खा चक ह OcircखOtilde तो यहा तक कहता ह क ldquoरसबोध सख गया ह और उस पर पपड़ जम गयी हम नह पता हमार जड़ म या सो गया ह या जाग रहा ह rdquo57

लयकाल और म य स बचन क िलए OcircकOtilde आकाश म उड़न का सझाव दता ह लयकाल का अथ आपा ःथित स ह उस आपा ःथित को नाटककार न नरकत य माना ह धीर-धीर नाटककार इस नरक का िनमाण करनवाली यवःथा को बनकाब करता ह नट का यह कथन को ःप करता ह ldquoऐस समय जब क वप को स प म बदला जा सकता ह और आपातकाल क बाद ःवणकाल क तती बजायी जा सकती ह rdquo58 सराय ससार ह और लयकाल आपात ःथित इस समची यवःथा का च क कोई िन त चहरा नह ह वह प र ःथितय क अनसार मखौट बदलती ह इसिलए इस नाटक म नाटककार का य य-हार भी चौतरफा ह Ocircक खOtilde का यह कथन Ocircइसस पहल क आ मह या क माग पर चलकर दश बीस सऽी कायबम लाग कर हम दय का ार खोल दना चा हए Otilde बीस सऽी कायबम क ित वरोधी भाव दशाता ह

स ा क च रऽ पर य य करन क साथ-साथ यह नाटक तथाकिथत याय यवःथा समाजवाद रा सघ परःपर सहयोग सहनशीलता च रऽ आ द पर भी हमला करता ह

Ocircबलबल सरायOtilde म नाटककार का म य उ य यथा ःथित अ याय शोषण और अ याचार क खलाफ सघष-चतना का सऽपात करना रहा ह अ याचार कसी भी प म और कसी क भी ारा हो रहा हो उसका ितकार अप रहाय ह

नट-नट अ याचार और शोषण क कहानी अपन नाटक क मा यम स कहत ह इस कहानी का स ब ध बारहवी शता द क िनरकश राजा चडसन स ह चडसन न एक रात यह अफवाह फलायी क अगल दन दिनया का अ त होन वाला ह वह कटनीित था उसन यह झठ खबर सनकर लोग न सोचा लय-रा ऽ म िनह थ मरन स बहतर ह य -भिम म बहादर क साथ मौत का आिलगन कया जाय इसी भावना स लोग सना म भत होन लग चडसन का चार साथक हआ और वह भी यह चाहता था उसन अपनी सना क साथ शऽओ पर आबमण कया और वजयौी ा क नट-नट आग बतात ह क जीत उ माद म करन वाल क ित कसी न भी नह सोचा धीर-धीर समय बीतता गया बाद म पता चला क OcircकOtilde को सापन काट खाया और OcircखOtilde एक िगरती हई द वार क नीच दबकर

116

मर गया चडसन क रा य क ऐसी ह ददशा थी शासक अ पनी िनजी स ा श िन हत य गत ःवाथ क िलए जनता का कस कार इःतमाल करता ह इसक बखबी इस नाटक म िच ऽत कया गया ह

इस नाटक म आग याय- यवःथा को िच ऽत कया गया ह नट आकर याय र OcircकOtilde यान मायासर को आकर बताता ह क आगन म चोर उसक छह साल क ब च पर कदा जसस वह मर गया इसिलए अपराधी को द ड दया जाय और वह अपन साथ याय क माग करता ह OcircखOtilde आकर मायासर को एक हार दखाता ह और कहता ह क ETH ldquoस च मोितय का ह आपक ौीमतीजी को दखला चका ह उ ह न खब पस द कया rdquo59 इतन म नट आकर कहती ह क य हार तो उसका ह इस पर मायासर कहता ह क उस व ास हो गया क उसक ब च का ह यारा भी OcircखOtilde ह ह OcircखOtilde जसा चाहता था वसा ह हआ याय र क न य फसला दया क इस भाई क प ी उस समय तक चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर हरजान क प म मत लड़क क मा-बाप को नया लड़का द सकता ह मायासर क याय-यवःथा का यह एक नमना ह जो ज म क बराबर ह

अगल य म शोकपण वातावरण म यह खबर आती ह क साट बीमार ह चडसन को बीमार स म दलान क िलए व नह ब क धमग स राय ली जाती ह धमग बतात ह क कसी पण सखी य का कता य द चडसन को पहना दया जाय तो वह ठ क हो सकता ह रा य क कमचार सखी य क खोज म िनकलत ह यहा नाटककार न इस त य को बखबी उजागर कया क कसी द राजा क रा य म कोई सखी हो ह कस सकता ह ETH

ldquoसभी दःख

दःख क दिनया

कह परानी कह नयी सखी आदमी क करत को खोज-खोज कर हार गयी rdquo

फर भी एक कषक िमला जो सखी था वह उस ह रा य म ल आई और यह भी नह दखा क उसक तन पर कता था ह नह सखी य को खोजत-खोजत कत का यान ह नह रहा चडसन सखी य क अभाव म मर गया

diams उ य

इस नाटक का कथानक नट-नट क इस वा य क साथ समा होता ह क Ocircकोहरा छटगा और बलबल फर आएगीOtilde OcircआOtilde और OcircईOtilde भी कहत ह य क उड़ान भरन क िलए

117

उस परा आकाश स प दग नाटक म सभी पाऽ तीका मकता िलय हए ह OcircकOtilde OcircखOtilde OcircआOtilde OcircईOtilde मलतः सामा य य क ह तीक ह सराय ससार क तीक ह राजनितक इितहास सन 1977 का काल आपातकाल घो षत कया गया ह उसी का तीक ह व णत नाटक का लयकाल प र ःथितय क भी अपनी तीका मकता ह

(16) Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

लआमीनारायण लाल न अपन Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म सपण रामकथा का वणन न करक रामकथा स स ब Ocircधनष य Otilde सग को उठाया ह Ocircधनष य Otilde क िस पौरा णक कथा को आधिनक सदभ स जोड़त हए समसामियक स उसक पन या या और पनम याकन कया ह उनका उ य इस पौरा णक सग क पनराव करना माऽ नह ह वरन उ ह न इस पराकथा का उपयोग आधिनक मानव क सवदना और सदभ क अिभ य क िलए कया ह

Ocircराम क लडाईOtilde स ा स र हत वतमान मानव क अपन प रवश स लडाई ह आज भी स च स च रऽ एवम आ म व ासी य य (राम) को राजनीित धािमक एवम सामा जक यवःथापक (रावण) स लड़ाई लडनी पड़ रह ह इस लडाई को ःतत करन क िलए डॉ लाल न Ocircधनष य लीलाOtilde (रामलीला) को आधार बनाया ह जब तक राजनीित न धम क ऽ म हःत प नह कया था और ःवःथ राजनीित थी तब तक तो धमधाम क साथ गाव म रामलीला होती थी और सब लोग परःपर सौहाद क भावना स इसका आन द लटत थ पर त जब स गाव म माम पचायत क प म राजनीित आई ह तब स ःथित ब कल बदल गई ह कहन क िलए जनता क य ितिनिध जनता क सवक ह पर त वाःत वकता कछ और ह ह स ा एवम श का उपयोग य लोग जनता क िलए न करक अपन ःवाथ क िलए करत ह और इस स ा को ा करन क िलए व साम दाम द ड और भद सभी नीितय का सहारा लत ह ःवतऽता ाि स पव जातऽ य क ःवतऽता का तीक माना जाता था पर त वतमान समय म अथात ःवतऽता ाि क 45 वष क उपरा त भी ःवतऽता का ज मिस अिधकार सामा य जनता (रामगलाम) तक नह पहच पाया ह अपनी इस ःवतऽता को ा करन क िलए रावण और वाणासर क प म व मान शोषण अ याय अनीित और वणवष य स सघष करना होगा रामगलाम क प म सामा य जनता क ःवतऽता क शऽ ऽभज रा स क प म जमीदार साहकार और नता ह इनक व आवाज उठाए बना उसक ःवतऽता का ःव न साकार नह हो सकता ldquoसोचत हो ःवतऽता ःवराज पर चाहत हो ःवतऽा और ःवराज त ह कोई लाकर द द कोई थाली म लाकर परोस द और तम मझ स खाओ समज लो जनतऽ का फल उसी क िलए उतना ह जो जतना श शाली ह दखो उस फल लग व को जो जतना अपन-आपस बढ़कर ऊच उछलकर ऊपर जाएगा उतना ह फल पाएगा इसम उस फल लग व का या

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दोष इन लोग क या दोष ज ह हम लोग अपना शऽ समझत ह शऽ ह त हार िनबलता कायरता अभाव जस हम अपनी आजाद मानत ह जीत हो द रिता करत हो अ याय बात करत हो आज़ाद क राम और कण न य कए ह फर पायी ह ःवतऽता उठाओ यह धनष फल ा करो राम न हो सार द रिता rdquo60

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म इस ससार को धनष-य लीला माना गया ह जसम समाज िशव का धनष ह ldquoयह धनष तो कभी का टट चका ह पहल तोड़ा अमज न इःतमरार ब दोबःत करक परमानट स टलमट फर तोड़ा जमीदार न लटपाट म भाग लकर फर तोड़ा चनाव न जो बाक रहा उस लग ह हम तोड़न म rdquo61 जो य इस धनष को उठाकर यचा कस दगा अथात जस य म वतमान जीवन क वषम प र ःथितय स साहसपवक जझन क साम य होगी वह इस समाज क अनीित और अ याचार को दर कर सकता ह और राजनीित को समाज पर हावी होन स बचा सकता ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म समसामियक जीवन म या राजनीित राजनीितक वघटन नताओ क ाचार दल-बदल चनाव- वसगित आ द का यथाथ प दखन को िमलता ह OcircनताईOtilde आधिनक समाज एवम राजनीित को सचािलत करन वाल नता क प म सामन आए ह धनष-य लीला म परशराम का पाट करन वाला गोपाल पाड नताई क भड़कान पर ह यह कहता ह क ldquoमाम पचायत चनाव म अगर सारा गाव वोट द मझ तभी परशराम का पाट क गा rdquo62 जनता जन नताओ का चनाव करक सरकार बनाती ह और उनस अपन हत क अप ा करती ह व जनता क हत का यान न रखकर अपना Ocircघर-भरनOtilde म ह लग रहत ह उनक िलए उनका अपना ःवाथ ह सव प र होता ह और इसीिलए व चनाव जीतकर श ा करना चाहत ह इसक अनक उदाहरण Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म यऽ-तऽ-सवऽ बखर पड़ ह मसखरा राजनीित क आदिमय क वाःत वकता का पदाफाश करत हए कहता ह क ETH ldquoउ नीस सौ स ावन म पाच कए खोद गए कागज पर ढाई हजार क कआ सन साठ म तीन तालाब पाट गए जब क तालाब थ ह नह सन उनह र म चकब द आयी फ चक पाच सौ पय सन पचह र म नसब द आयी rdquo63 ldquoसन साठ म जब बड़क बाड़ आयी थी यह नता बाब जला कल टर और अपन एमपी को लकर यहा आए थ मआइना करान सरकार क तरफ स जो अ न कपड़ा िमला सब ऊपर-ह -ऊपर बचकर खा िलया घर बनवान क िलए फ घर पाच-पाच सौ पय दए सरकार न यह शाहजी और नताजी न िमलकर हमस अगठा लगवा िलया और सार रकम हड़प कर गए rdquo64

नता चनाव स कछ समय पव ऐस सधार काय ार भ कर दत ह जनस भा वत होकर जनता उ ह समाज का उिचत ितिनिध मानकर अपना सहयोग दन क िलए त पर हो जाती ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी का व य इसका ःप माण ह ETH ldquoयह योजना हमन बतायी थी मऽी जी स क चकब द क समय इल शन हो इल शन फड

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म पय क कमी नह रहगी चकब द क दबाव म सौ फ सद वोट भी िमलग आम-क-आम गठली क दाम rdquo65 ऐस नता अपन प म जनता क वोट ा करन क िलए सरकार अिधका रय का उपयोग करन स भी नह चकत ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी सरकार अिधकार Ocircहा कमOtilde को अपन साथ िमलान का यास करत हए कहत ह ETH ldquoआप ह क ऊपर तो सारा दारमदार ह आप अपनी महनत मागोग तो य सद पर मझस पय कज लग कजदार ह ग तो इन पर हमारा दबाव होगा जसका दबाव उसी का चनाव आप तो इतन समझदार ह थोड़ा कहना बहत समझना rdquo66

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म बमला क पता िशवशकर बाबा क चनाव क एक रात पव िनमम ह या इस त य क प रचायक ह ldquoउस दन सबह स तीन पा टय क लोग झोल म पय पःतौल हथगोला भर पताजी क पास आत रह हर तरफ स दबाव डालकर अपन हक म वोट लन क िलए य क जसका नाम िशवशकर बाबा ल लत परा इलाका गाव-जवार उसी को ह मतदान करता वह एक-एक को डाटत-फटकारत रह यह आजाद नह गलामी ह यह मतदान नह डाकाजनी ह भारत माता का ौाप लगगा सार गाव-जवार स कह दया क जब चनन को कछ नह ह तो चनाव कसका उसी रात मर साध पता क ह याrdquo67

नता-जन एक बार चनाव म वजयी हो जान क उपरा त सदव स ा म बन रहना चाहत ह और इसक िलए व दल-बदल का आौय लत ह नताओ क इस यवहार पर तीखा य य करत हए मसखरा Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म कहता ह टोपी जधर हवा उधर चली मत पिछए इसका असली या था रग असल तो कछ था ह नह थी श स ह बदरग अब इस नीलाम कर द जो अिधक द उसक कदम म रख द मसखरा नताई स कहता ह क ldquoआज स चालीस साल पहल आप ह इस गाव म ितरगा झ डा लकर आय पाच साल बाद समाजवाद झ डा लाए और ितरग झ ड को उलटकर झोला िसला िलया rdquo68 हा कम ारा चीलरिसह स यह पछ जान पर क वह कस पाट क िलए काम कर रह ह चीलरिसह कहता ह हम िनदलीय ह सर आपस या परदा जधर हवा दखत ह उधर ह ह ह ldquoराजनीित क ऽ म कोई भी नता अपन ऽ म अपन स भावशाली य को उभरन का अवसर नह दता यह कारण ह क जब मऽीजी को यह अनभव होता ह क लखपितया जो ldquoहाईःकल म सात बार फल चाक छरा पःतौल क टा चलान म ह िशयार ह और टकट ा कर द ली तक डका बजा दन का दम भरता ह तो व उस अपन िलए खतरनाक जानकर उसस सावधान हो जात ह और कहत ह मझ ऐसा चा हए जो यहा स दश क राजधानी तक ह सीिमत रह तम तो द ली तक डका बजान वाल हो ऐसा नह चा हए मझ rdquo69

120

diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

121

अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 4: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

मर गया चडसन क रा य क ऐसी ह ददशा थी शासक अ पनी िनजी स ा श िन हत य गत ःवाथ क िलए जनता का कस कार इःतमाल करता ह इसक बखबी इस नाटक म िच ऽत कया गया ह

इस नाटक म आग याय- यवःथा को िच ऽत कया गया ह नट आकर याय र OcircकOtilde यान मायासर को आकर बताता ह क आगन म चोर उसक छह साल क ब च पर कदा जसस वह मर गया इसिलए अपराधी को द ड दया जाय और वह अपन साथ याय क माग करता ह OcircखOtilde आकर मायासर को एक हार दखाता ह और कहता ह क ETH ldquoस च मोितय का ह आपक ौीमतीजी को दखला चका ह उ ह न खब पस द कया rdquo59 इतन म नट आकर कहती ह क य हार तो उसका ह इस पर मायासर कहता ह क उस व ास हो गया क उसक ब च का ह यारा भी OcircखOtilde ह ह OcircखOtilde जसा चाहता था वसा ह हआ याय र क न य फसला दया क इस भाई क प ी उस समय तक चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर क पास रह जब क वह नय पऽ को ा न कर ल एक इसी यावहा रक तर क स यह चोर हरजान क प म मत लड़क क मा-बाप को नया लड़का द सकता ह मायासर क याय-यवःथा का यह एक नमना ह जो ज म क बराबर ह

अगल य म शोकपण वातावरण म यह खबर आती ह क साट बीमार ह चडसन को बीमार स म दलान क िलए व नह ब क धमग स राय ली जाती ह धमग बतात ह क कसी पण सखी य का कता य द चडसन को पहना दया जाय तो वह ठ क हो सकता ह रा य क कमचार सखी य क खोज म िनकलत ह यहा नाटककार न इस त य को बखबी उजागर कया क कसी द राजा क रा य म कोई सखी हो ह कस सकता ह ETH

ldquoसभी दःख

दःख क दिनया

कह परानी कह नयी सखी आदमी क करत को खोज-खोज कर हार गयी rdquo

फर भी एक कषक िमला जो सखी था वह उस ह रा य म ल आई और यह भी नह दखा क उसक तन पर कता था ह नह सखी य को खोजत-खोजत कत का यान ह नह रहा चडसन सखी य क अभाव म मर गया

diams उ य

इस नाटक का कथानक नट-नट क इस वा य क साथ समा होता ह क Ocircकोहरा छटगा और बलबल फर आएगीOtilde OcircआOtilde और OcircईOtilde भी कहत ह य क उड़ान भरन क िलए

117

उस परा आकाश स प दग नाटक म सभी पाऽ तीका मकता िलय हए ह OcircकOtilde OcircखOtilde OcircआOtilde OcircईOtilde मलतः सामा य य क ह तीक ह सराय ससार क तीक ह राजनितक इितहास सन 1977 का काल आपातकाल घो षत कया गया ह उसी का तीक ह व णत नाटक का लयकाल प र ःथितय क भी अपनी तीका मकता ह

(16) Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

लआमीनारायण लाल न अपन Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म सपण रामकथा का वणन न करक रामकथा स स ब Ocircधनष य Otilde सग को उठाया ह Ocircधनष य Otilde क िस पौरा णक कथा को आधिनक सदभ स जोड़त हए समसामियक स उसक पन या या और पनम याकन कया ह उनका उ य इस पौरा णक सग क पनराव करना माऽ नह ह वरन उ ह न इस पराकथा का उपयोग आधिनक मानव क सवदना और सदभ क अिभ य क िलए कया ह

Ocircराम क लडाईOtilde स ा स र हत वतमान मानव क अपन प रवश स लडाई ह आज भी स च स च रऽ एवम आ म व ासी य य (राम) को राजनीित धािमक एवम सामा जक यवःथापक (रावण) स लड़ाई लडनी पड़ रह ह इस लडाई को ःतत करन क िलए डॉ लाल न Ocircधनष य लीलाOtilde (रामलीला) को आधार बनाया ह जब तक राजनीित न धम क ऽ म हःत प नह कया था और ःवःथ राजनीित थी तब तक तो धमधाम क साथ गाव म रामलीला होती थी और सब लोग परःपर सौहाद क भावना स इसका आन द लटत थ पर त जब स गाव म माम पचायत क प म राजनीित आई ह तब स ःथित ब कल बदल गई ह कहन क िलए जनता क य ितिनिध जनता क सवक ह पर त वाःत वकता कछ और ह ह स ा एवम श का उपयोग य लोग जनता क िलए न करक अपन ःवाथ क िलए करत ह और इस स ा को ा करन क िलए व साम दाम द ड और भद सभी नीितय का सहारा लत ह ःवतऽता ाि स पव जातऽ य क ःवतऽता का तीक माना जाता था पर त वतमान समय म अथात ःवतऽता ाि क 45 वष क उपरा त भी ःवतऽता का ज मिस अिधकार सामा य जनता (रामगलाम) तक नह पहच पाया ह अपनी इस ःवतऽता को ा करन क िलए रावण और वाणासर क प म व मान शोषण अ याय अनीित और वणवष य स सघष करना होगा रामगलाम क प म सामा य जनता क ःवतऽता क शऽ ऽभज रा स क प म जमीदार साहकार और नता ह इनक व आवाज उठाए बना उसक ःवतऽता का ःव न साकार नह हो सकता ldquoसोचत हो ःवतऽता ःवराज पर चाहत हो ःवतऽा और ःवराज त ह कोई लाकर द द कोई थाली म लाकर परोस द और तम मझ स खाओ समज लो जनतऽ का फल उसी क िलए उतना ह जो जतना श शाली ह दखो उस फल लग व को जो जतना अपन-आपस बढ़कर ऊच उछलकर ऊपर जाएगा उतना ह फल पाएगा इसम उस फल लग व का या

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दोष इन लोग क या दोष ज ह हम लोग अपना शऽ समझत ह शऽ ह त हार िनबलता कायरता अभाव जस हम अपनी आजाद मानत ह जीत हो द रिता करत हो अ याय बात करत हो आज़ाद क राम और कण न य कए ह फर पायी ह ःवतऽता उठाओ यह धनष फल ा करो राम न हो सार द रिता rdquo60

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म इस ससार को धनष-य लीला माना गया ह जसम समाज िशव का धनष ह ldquoयह धनष तो कभी का टट चका ह पहल तोड़ा अमज न इःतमरार ब दोबःत करक परमानट स टलमट फर तोड़ा जमीदार न लटपाट म भाग लकर फर तोड़ा चनाव न जो बाक रहा उस लग ह हम तोड़न म rdquo61 जो य इस धनष को उठाकर यचा कस दगा अथात जस य म वतमान जीवन क वषम प र ःथितय स साहसपवक जझन क साम य होगी वह इस समाज क अनीित और अ याचार को दर कर सकता ह और राजनीित को समाज पर हावी होन स बचा सकता ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म समसामियक जीवन म या राजनीित राजनीितक वघटन नताओ क ाचार दल-बदल चनाव- वसगित आ द का यथाथ प दखन को िमलता ह OcircनताईOtilde आधिनक समाज एवम राजनीित को सचािलत करन वाल नता क प म सामन आए ह धनष-य लीला म परशराम का पाट करन वाला गोपाल पाड नताई क भड़कान पर ह यह कहता ह क ldquoमाम पचायत चनाव म अगर सारा गाव वोट द मझ तभी परशराम का पाट क गा rdquo62 जनता जन नताओ का चनाव करक सरकार बनाती ह और उनस अपन हत क अप ा करती ह व जनता क हत का यान न रखकर अपना Ocircघर-भरनOtilde म ह लग रहत ह उनक िलए उनका अपना ःवाथ ह सव प र होता ह और इसीिलए व चनाव जीतकर श ा करना चाहत ह इसक अनक उदाहरण Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म यऽ-तऽ-सवऽ बखर पड़ ह मसखरा राजनीित क आदिमय क वाःत वकता का पदाफाश करत हए कहता ह क ETH ldquoउ नीस सौ स ावन म पाच कए खोद गए कागज पर ढाई हजार क कआ सन साठ म तीन तालाब पाट गए जब क तालाब थ ह नह सन उनह र म चकब द आयी फ चक पाच सौ पय सन पचह र म नसब द आयी rdquo63 ldquoसन साठ म जब बड़क बाड़ आयी थी यह नता बाब जला कल टर और अपन एमपी को लकर यहा आए थ मआइना करान सरकार क तरफ स जो अ न कपड़ा िमला सब ऊपर-ह -ऊपर बचकर खा िलया घर बनवान क िलए फ घर पाच-पाच सौ पय दए सरकार न यह शाहजी और नताजी न िमलकर हमस अगठा लगवा िलया और सार रकम हड़प कर गए rdquo64

नता चनाव स कछ समय पव ऐस सधार काय ार भ कर दत ह जनस भा वत होकर जनता उ ह समाज का उिचत ितिनिध मानकर अपना सहयोग दन क िलए त पर हो जाती ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी का व य इसका ःप माण ह ETH ldquoयह योजना हमन बतायी थी मऽी जी स क चकब द क समय इल शन हो इल शन फड

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म पय क कमी नह रहगी चकब द क दबाव म सौ फ सद वोट भी िमलग आम-क-आम गठली क दाम rdquo65 ऐस नता अपन प म जनता क वोट ा करन क िलए सरकार अिधका रय का उपयोग करन स भी नह चकत ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी सरकार अिधकार Ocircहा कमOtilde को अपन साथ िमलान का यास करत हए कहत ह ETH ldquoआप ह क ऊपर तो सारा दारमदार ह आप अपनी महनत मागोग तो य सद पर मझस पय कज लग कजदार ह ग तो इन पर हमारा दबाव होगा जसका दबाव उसी का चनाव आप तो इतन समझदार ह थोड़ा कहना बहत समझना rdquo66

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म बमला क पता िशवशकर बाबा क चनाव क एक रात पव िनमम ह या इस त य क प रचायक ह ldquoउस दन सबह स तीन पा टय क लोग झोल म पय पःतौल हथगोला भर पताजी क पास आत रह हर तरफ स दबाव डालकर अपन हक म वोट लन क िलए य क जसका नाम िशवशकर बाबा ल लत परा इलाका गाव-जवार उसी को ह मतदान करता वह एक-एक को डाटत-फटकारत रह यह आजाद नह गलामी ह यह मतदान नह डाकाजनी ह भारत माता का ौाप लगगा सार गाव-जवार स कह दया क जब चनन को कछ नह ह तो चनाव कसका उसी रात मर साध पता क ह याrdquo67

नता-जन एक बार चनाव म वजयी हो जान क उपरा त सदव स ा म बन रहना चाहत ह और इसक िलए व दल-बदल का आौय लत ह नताओ क इस यवहार पर तीखा य य करत हए मसखरा Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म कहता ह टोपी जधर हवा उधर चली मत पिछए इसका असली या था रग असल तो कछ था ह नह थी श स ह बदरग अब इस नीलाम कर द जो अिधक द उसक कदम म रख द मसखरा नताई स कहता ह क ldquoआज स चालीस साल पहल आप ह इस गाव म ितरगा झ डा लकर आय पाच साल बाद समाजवाद झ डा लाए और ितरग झ ड को उलटकर झोला िसला िलया rdquo68 हा कम ारा चीलरिसह स यह पछ जान पर क वह कस पाट क िलए काम कर रह ह चीलरिसह कहता ह हम िनदलीय ह सर आपस या परदा जधर हवा दखत ह उधर ह ह ह ldquoराजनीित क ऽ म कोई भी नता अपन ऽ म अपन स भावशाली य को उभरन का अवसर नह दता यह कारण ह क जब मऽीजी को यह अनभव होता ह क लखपितया जो ldquoहाईःकल म सात बार फल चाक छरा पःतौल क टा चलान म ह िशयार ह और टकट ा कर द ली तक डका बजा दन का दम भरता ह तो व उस अपन िलए खतरनाक जानकर उसस सावधान हो जात ह और कहत ह मझ ऐसा चा हए जो यहा स दश क राजधानी तक ह सीिमत रह तम तो द ली तक डका बजान वाल हो ऐसा नह चा हए मझ rdquo69

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diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

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अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 5: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

उस परा आकाश स प दग नाटक म सभी पाऽ तीका मकता िलय हए ह OcircकOtilde OcircखOtilde OcircआOtilde OcircईOtilde मलतः सामा य य क ह तीक ह सराय ससार क तीक ह राजनितक इितहास सन 1977 का काल आपातकाल घो षत कया गया ह उसी का तीक ह व णत नाटक का लयकाल प र ःथितय क भी अपनी तीका मकता ह

(16) Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

लआमीनारायण लाल न अपन Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म सपण रामकथा का वणन न करक रामकथा स स ब Ocircधनष य Otilde सग को उठाया ह Ocircधनष य Otilde क िस पौरा णक कथा को आधिनक सदभ स जोड़त हए समसामियक स उसक पन या या और पनम याकन कया ह उनका उ य इस पौरा णक सग क पनराव करना माऽ नह ह वरन उ ह न इस पराकथा का उपयोग आधिनक मानव क सवदना और सदभ क अिभ य क िलए कया ह

Ocircराम क लडाईOtilde स ा स र हत वतमान मानव क अपन प रवश स लडाई ह आज भी स च स च रऽ एवम आ म व ासी य य (राम) को राजनीित धािमक एवम सामा जक यवःथापक (रावण) स लड़ाई लडनी पड़ रह ह इस लडाई को ःतत करन क िलए डॉ लाल न Ocircधनष य लीलाOtilde (रामलीला) को आधार बनाया ह जब तक राजनीित न धम क ऽ म हःत प नह कया था और ःवःथ राजनीित थी तब तक तो धमधाम क साथ गाव म रामलीला होती थी और सब लोग परःपर सौहाद क भावना स इसका आन द लटत थ पर त जब स गाव म माम पचायत क प म राजनीित आई ह तब स ःथित ब कल बदल गई ह कहन क िलए जनता क य ितिनिध जनता क सवक ह पर त वाःत वकता कछ और ह ह स ा एवम श का उपयोग य लोग जनता क िलए न करक अपन ःवाथ क िलए करत ह और इस स ा को ा करन क िलए व साम दाम द ड और भद सभी नीितय का सहारा लत ह ःवतऽता ाि स पव जातऽ य क ःवतऽता का तीक माना जाता था पर त वतमान समय म अथात ःवतऽता ाि क 45 वष क उपरा त भी ःवतऽता का ज मिस अिधकार सामा य जनता (रामगलाम) तक नह पहच पाया ह अपनी इस ःवतऽता को ा करन क िलए रावण और वाणासर क प म व मान शोषण अ याय अनीित और वणवष य स सघष करना होगा रामगलाम क प म सामा य जनता क ःवतऽता क शऽ ऽभज रा स क प म जमीदार साहकार और नता ह इनक व आवाज उठाए बना उसक ःवतऽता का ःव न साकार नह हो सकता ldquoसोचत हो ःवतऽता ःवराज पर चाहत हो ःवतऽा और ःवराज त ह कोई लाकर द द कोई थाली म लाकर परोस द और तम मझ स खाओ समज लो जनतऽ का फल उसी क िलए उतना ह जो जतना श शाली ह दखो उस फल लग व को जो जतना अपन-आपस बढ़कर ऊच उछलकर ऊपर जाएगा उतना ह फल पाएगा इसम उस फल लग व का या

118

दोष इन लोग क या दोष ज ह हम लोग अपना शऽ समझत ह शऽ ह त हार िनबलता कायरता अभाव जस हम अपनी आजाद मानत ह जीत हो द रिता करत हो अ याय बात करत हो आज़ाद क राम और कण न य कए ह फर पायी ह ःवतऽता उठाओ यह धनष फल ा करो राम न हो सार द रिता rdquo60

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म इस ससार को धनष-य लीला माना गया ह जसम समाज िशव का धनष ह ldquoयह धनष तो कभी का टट चका ह पहल तोड़ा अमज न इःतमरार ब दोबःत करक परमानट स टलमट फर तोड़ा जमीदार न लटपाट म भाग लकर फर तोड़ा चनाव न जो बाक रहा उस लग ह हम तोड़न म rdquo61 जो य इस धनष को उठाकर यचा कस दगा अथात जस य म वतमान जीवन क वषम प र ःथितय स साहसपवक जझन क साम य होगी वह इस समाज क अनीित और अ याचार को दर कर सकता ह और राजनीित को समाज पर हावी होन स बचा सकता ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म समसामियक जीवन म या राजनीित राजनीितक वघटन नताओ क ाचार दल-बदल चनाव- वसगित आ द का यथाथ प दखन को िमलता ह OcircनताईOtilde आधिनक समाज एवम राजनीित को सचािलत करन वाल नता क प म सामन आए ह धनष-य लीला म परशराम का पाट करन वाला गोपाल पाड नताई क भड़कान पर ह यह कहता ह क ldquoमाम पचायत चनाव म अगर सारा गाव वोट द मझ तभी परशराम का पाट क गा rdquo62 जनता जन नताओ का चनाव करक सरकार बनाती ह और उनस अपन हत क अप ा करती ह व जनता क हत का यान न रखकर अपना Ocircघर-भरनOtilde म ह लग रहत ह उनक िलए उनका अपना ःवाथ ह सव प र होता ह और इसीिलए व चनाव जीतकर श ा करना चाहत ह इसक अनक उदाहरण Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म यऽ-तऽ-सवऽ बखर पड़ ह मसखरा राजनीित क आदिमय क वाःत वकता का पदाफाश करत हए कहता ह क ETH ldquoउ नीस सौ स ावन म पाच कए खोद गए कागज पर ढाई हजार क कआ सन साठ म तीन तालाब पाट गए जब क तालाब थ ह नह सन उनह र म चकब द आयी फ चक पाच सौ पय सन पचह र म नसब द आयी rdquo63 ldquoसन साठ म जब बड़क बाड़ आयी थी यह नता बाब जला कल टर और अपन एमपी को लकर यहा आए थ मआइना करान सरकार क तरफ स जो अ न कपड़ा िमला सब ऊपर-ह -ऊपर बचकर खा िलया घर बनवान क िलए फ घर पाच-पाच सौ पय दए सरकार न यह शाहजी और नताजी न िमलकर हमस अगठा लगवा िलया और सार रकम हड़प कर गए rdquo64

नता चनाव स कछ समय पव ऐस सधार काय ार भ कर दत ह जनस भा वत होकर जनता उ ह समाज का उिचत ितिनिध मानकर अपना सहयोग दन क िलए त पर हो जाती ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी का व य इसका ःप माण ह ETH ldquoयह योजना हमन बतायी थी मऽी जी स क चकब द क समय इल शन हो इल शन फड

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म पय क कमी नह रहगी चकब द क दबाव म सौ फ सद वोट भी िमलग आम-क-आम गठली क दाम rdquo65 ऐस नता अपन प म जनता क वोट ा करन क िलए सरकार अिधका रय का उपयोग करन स भी नह चकत ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी सरकार अिधकार Ocircहा कमOtilde को अपन साथ िमलान का यास करत हए कहत ह ETH ldquoआप ह क ऊपर तो सारा दारमदार ह आप अपनी महनत मागोग तो य सद पर मझस पय कज लग कजदार ह ग तो इन पर हमारा दबाव होगा जसका दबाव उसी का चनाव आप तो इतन समझदार ह थोड़ा कहना बहत समझना rdquo66

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म बमला क पता िशवशकर बाबा क चनाव क एक रात पव िनमम ह या इस त य क प रचायक ह ldquoउस दन सबह स तीन पा टय क लोग झोल म पय पःतौल हथगोला भर पताजी क पास आत रह हर तरफ स दबाव डालकर अपन हक म वोट लन क िलए य क जसका नाम िशवशकर बाबा ल लत परा इलाका गाव-जवार उसी को ह मतदान करता वह एक-एक को डाटत-फटकारत रह यह आजाद नह गलामी ह यह मतदान नह डाकाजनी ह भारत माता का ौाप लगगा सार गाव-जवार स कह दया क जब चनन को कछ नह ह तो चनाव कसका उसी रात मर साध पता क ह याrdquo67

नता-जन एक बार चनाव म वजयी हो जान क उपरा त सदव स ा म बन रहना चाहत ह और इसक िलए व दल-बदल का आौय लत ह नताओ क इस यवहार पर तीखा य य करत हए मसखरा Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म कहता ह टोपी जधर हवा उधर चली मत पिछए इसका असली या था रग असल तो कछ था ह नह थी श स ह बदरग अब इस नीलाम कर द जो अिधक द उसक कदम म रख द मसखरा नताई स कहता ह क ldquoआज स चालीस साल पहल आप ह इस गाव म ितरगा झ डा लकर आय पाच साल बाद समाजवाद झ डा लाए और ितरग झ ड को उलटकर झोला िसला िलया rdquo68 हा कम ारा चीलरिसह स यह पछ जान पर क वह कस पाट क िलए काम कर रह ह चीलरिसह कहता ह हम िनदलीय ह सर आपस या परदा जधर हवा दखत ह उधर ह ह ह ldquoराजनीित क ऽ म कोई भी नता अपन ऽ म अपन स भावशाली य को उभरन का अवसर नह दता यह कारण ह क जब मऽीजी को यह अनभव होता ह क लखपितया जो ldquoहाईःकल म सात बार फल चाक छरा पःतौल क टा चलान म ह िशयार ह और टकट ा कर द ली तक डका बजा दन का दम भरता ह तो व उस अपन िलए खतरनाक जानकर उसस सावधान हो जात ह और कहत ह मझ ऐसा चा हए जो यहा स दश क राजधानी तक ह सीिमत रह तम तो द ली तक डका बजान वाल हो ऐसा नह चा हए मझ rdquo69

120

diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

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अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

128

गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

136

अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 6: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

दोष इन लोग क या दोष ज ह हम लोग अपना शऽ समझत ह शऽ ह त हार िनबलता कायरता अभाव जस हम अपनी आजाद मानत ह जीत हो द रिता करत हो अ याय बात करत हो आज़ाद क राम और कण न य कए ह फर पायी ह ःवतऽता उठाओ यह धनष फल ा करो राम न हो सार द रिता rdquo60

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म इस ससार को धनष-य लीला माना गया ह जसम समाज िशव का धनष ह ldquoयह धनष तो कभी का टट चका ह पहल तोड़ा अमज न इःतमरार ब दोबःत करक परमानट स टलमट फर तोड़ा जमीदार न लटपाट म भाग लकर फर तोड़ा चनाव न जो बाक रहा उस लग ह हम तोड़न म rdquo61 जो य इस धनष को उठाकर यचा कस दगा अथात जस य म वतमान जीवन क वषम प र ःथितय स साहसपवक जझन क साम य होगी वह इस समाज क अनीित और अ याचार को दर कर सकता ह और राजनीित को समाज पर हावी होन स बचा सकता ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म समसामियक जीवन म या राजनीित राजनीितक वघटन नताओ क ाचार दल-बदल चनाव- वसगित आ द का यथाथ प दखन को िमलता ह OcircनताईOtilde आधिनक समाज एवम राजनीित को सचािलत करन वाल नता क प म सामन आए ह धनष-य लीला म परशराम का पाट करन वाला गोपाल पाड नताई क भड़कान पर ह यह कहता ह क ldquoमाम पचायत चनाव म अगर सारा गाव वोट द मझ तभी परशराम का पाट क गा rdquo62 जनता जन नताओ का चनाव करक सरकार बनाती ह और उनस अपन हत क अप ा करती ह व जनता क हत का यान न रखकर अपना Ocircघर-भरनOtilde म ह लग रहत ह उनक िलए उनका अपना ःवाथ ह सव प र होता ह और इसीिलए व चनाव जीतकर श ा करना चाहत ह इसक अनक उदाहरण Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म यऽ-तऽ-सवऽ बखर पड़ ह मसखरा राजनीित क आदिमय क वाःत वकता का पदाफाश करत हए कहता ह क ETH ldquoउ नीस सौ स ावन म पाच कए खोद गए कागज पर ढाई हजार क कआ सन साठ म तीन तालाब पाट गए जब क तालाब थ ह नह सन उनह र म चकब द आयी फ चक पाच सौ पय सन पचह र म नसब द आयी rdquo63 ldquoसन साठ म जब बड़क बाड़ आयी थी यह नता बाब जला कल टर और अपन एमपी को लकर यहा आए थ मआइना करान सरकार क तरफ स जो अ न कपड़ा िमला सब ऊपर-ह -ऊपर बचकर खा िलया घर बनवान क िलए फ घर पाच-पाच सौ पय दए सरकार न यह शाहजी और नताजी न िमलकर हमस अगठा लगवा िलया और सार रकम हड़प कर गए rdquo64

नता चनाव स कछ समय पव ऐस सधार काय ार भ कर दत ह जनस भा वत होकर जनता उ ह समाज का उिचत ितिनिध मानकर अपना सहयोग दन क िलए त पर हो जाती ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी का व य इसका ःप माण ह ETH ldquoयह योजना हमन बतायी थी मऽी जी स क चकब द क समय इल शन हो इल शन फड

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म पय क कमी नह रहगी चकब द क दबाव म सौ फ सद वोट भी िमलग आम-क-आम गठली क दाम rdquo65 ऐस नता अपन प म जनता क वोट ा करन क िलए सरकार अिधका रय का उपयोग करन स भी नह चकत ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी सरकार अिधकार Ocircहा कमOtilde को अपन साथ िमलान का यास करत हए कहत ह ETH ldquoआप ह क ऊपर तो सारा दारमदार ह आप अपनी महनत मागोग तो य सद पर मझस पय कज लग कजदार ह ग तो इन पर हमारा दबाव होगा जसका दबाव उसी का चनाव आप तो इतन समझदार ह थोड़ा कहना बहत समझना rdquo66

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म बमला क पता िशवशकर बाबा क चनाव क एक रात पव िनमम ह या इस त य क प रचायक ह ldquoउस दन सबह स तीन पा टय क लोग झोल म पय पःतौल हथगोला भर पताजी क पास आत रह हर तरफ स दबाव डालकर अपन हक म वोट लन क िलए य क जसका नाम िशवशकर बाबा ल लत परा इलाका गाव-जवार उसी को ह मतदान करता वह एक-एक को डाटत-फटकारत रह यह आजाद नह गलामी ह यह मतदान नह डाकाजनी ह भारत माता का ौाप लगगा सार गाव-जवार स कह दया क जब चनन को कछ नह ह तो चनाव कसका उसी रात मर साध पता क ह याrdquo67

नता-जन एक बार चनाव म वजयी हो जान क उपरा त सदव स ा म बन रहना चाहत ह और इसक िलए व दल-बदल का आौय लत ह नताओ क इस यवहार पर तीखा य य करत हए मसखरा Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म कहता ह टोपी जधर हवा उधर चली मत पिछए इसका असली या था रग असल तो कछ था ह नह थी श स ह बदरग अब इस नीलाम कर द जो अिधक द उसक कदम म रख द मसखरा नताई स कहता ह क ldquoआज स चालीस साल पहल आप ह इस गाव म ितरगा झ डा लकर आय पाच साल बाद समाजवाद झ डा लाए और ितरग झ ड को उलटकर झोला िसला िलया rdquo68 हा कम ारा चीलरिसह स यह पछ जान पर क वह कस पाट क िलए काम कर रह ह चीलरिसह कहता ह हम िनदलीय ह सर आपस या परदा जधर हवा दखत ह उधर ह ह ह ldquoराजनीित क ऽ म कोई भी नता अपन ऽ म अपन स भावशाली य को उभरन का अवसर नह दता यह कारण ह क जब मऽीजी को यह अनभव होता ह क लखपितया जो ldquoहाईःकल म सात बार फल चाक छरा पःतौल क टा चलान म ह िशयार ह और टकट ा कर द ली तक डका बजा दन का दम भरता ह तो व उस अपन िलए खतरनाक जानकर उसस सावधान हो जात ह और कहत ह मझ ऐसा चा हए जो यहा स दश क राजधानी तक ह सीिमत रह तम तो द ली तक डका बजान वाल हो ऐसा नह चा हए मझ rdquo69

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diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

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अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

136

अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 7: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

म पय क कमी नह रहगी चकब द क दबाव म सौ फ सद वोट भी िमलग आम-क-आम गठली क दाम rdquo65 ऐस नता अपन प म जनता क वोट ा करन क िलए सरकार अिधका रय का उपयोग करन स भी नह चकत ह Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म शाहजी सरकार अिधकार Ocircहा कमOtilde को अपन साथ िमलान का यास करत हए कहत ह ETH ldquoआप ह क ऊपर तो सारा दारमदार ह आप अपनी महनत मागोग तो य सद पर मझस पय कज लग कजदार ह ग तो इन पर हमारा दबाव होगा जसका दबाव उसी का चनाव आप तो इतन समझदार ह थोड़ा कहना बहत समझना rdquo66

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म बमला क पता िशवशकर बाबा क चनाव क एक रात पव िनमम ह या इस त य क प रचायक ह ldquoउस दन सबह स तीन पा टय क लोग झोल म पय पःतौल हथगोला भर पताजी क पास आत रह हर तरफ स दबाव डालकर अपन हक म वोट लन क िलए य क जसका नाम िशवशकर बाबा ल लत परा इलाका गाव-जवार उसी को ह मतदान करता वह एक-एक को डाटत-फटकारत रह यह आजाद नह गलामी ह यह मतदान नह डाकाजनी ह भारत माता का ौाप लगगा सार गाव-जवार स कह दया क जब चनन को कछ नह ह तो चनाव कसका उसी रात मर साध पता क ह याrdquo67

नता-जन एक बार चनाव म वजयी हो जान क उपरा त सदव स ा म बन रहना चाहत ह और इसक िलए व दल-बदल का आौय लत ह नताओ क इस यवहार पर तीखा य य करत हए मसखरा Ocircराम क लडाईOtilde नाटक म कहता ह टोपी जधर हवा उधर चली मत पिछए इसका असली या था रग असल तो कछ था ह नह थी श स ह बदरग अब इस नीलाम कर द जो अिधक द उसक कदम म रख द मसखरा नताई स कहता ह क ldquoआज स चालीस साल पहल आप ह इस गाव म ितरगा झ डा लकर आय पाच साल बाद समाजवाद झ डा लाए और ितरग झ ड को उलटकर झोला िसला िलया rdquo68 हा कम ारा चीलरिसह स यह पछ जान पर क वह कस पाट क िलए काम कर रह ह चीलरिसह कहता ह हम िनदलीय ह सर आपस या परदा जधर हवा दखत ह उधर ह ह ह ldquoराजनीित क ऽ म कोई भी नता अपन ऽ म अपन स भावशाली य को उभरन का अवसर नह दता यह कारण ह क जब मऽीजी को यह अनभव होता ह क लखपितया जो ldquoहाईःकल म सात बार फल चाक छरा पःतौल क टा चलान म ह िशयार ह और टकट ा कर द ली तक डका बजा दन का दम भरता ह तो व उस अपन िलए खतरनाक जानकर उसस सावधान हो जात ह और कहत ह मझ ऐसा चा हए जो यहा स दश क राजधानी तक ह सीिमत रह तम तो द ली तक डका बजान वाल हो ऐसा नह चा हए मझ rdquo69

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diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

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अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 8: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

diams उ य

Ocircराम क लडाईOtilde नाटक क सभी पौरा णक पाऽ तीका मक ह OcircरामOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली उस नई पीढ़ का तीक ह जो ईमानदार ह और जसक च रऽ म स चाई एवम स च रऽता ह उसम आज क राजनीित और धािमक एवम सामा जक ऽ क यवःथापक स लड़न क साम य ह Ocircजानक Otilde ःवतऽ भारत क नार का तीक ह

जो अ याय और अ याचार का कट श द म वरोध करती ह ःवय ा ण क पऽी होन पर भी वह रामगलाम जस िन न जाित क य स ववाह करन का साहस रखती ह Ocirc व ािमऽOtilde ःवतऽता क उपरा त उ प न होन वाली नई पीढ़ को ःवतऽ भारत क नताओ को समल न कर दन क िश ा दन वाल ग ह इस कार Ocircराम क लडाईOtilde वतमान क लडाई ह इस नाटक म डॉ लआमीनारायण लाल का मल उ य राम क पराकथा का आौय लत हए यग -यथाथ का सा ा कार करवाना रहा ह और इसम उ ह पण सफलता ा हई ह

(17) OcircयमगाथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1979)

diams ासिगकता

दधनाथ िसह न भी उवशी प रवा क व दक आ यान को आधार बनाकर सामा जक -राजनीितक वसगितय तथा मानव जीवन क व वध ा मक मनः ःथितय को OcircयमगाथाOtilde म उजागर करन का साथक यास कया ह भारतीय सा ह य म ऋ वद क अठारह स म व णत प रवा दवासर-समाम का नालायक डरपोक तथा बड़बोला प रवा ह ा ण मथ म वह य - व यसक लटपाट करन वाला तथा ऋ ष-मिनय का दमन बताया गया नाटककार न जब ऋ वद और ा णमथ म य प रवा को दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ क पित न करन क कारण ह उस य - व वसक जस गभीर आरोप सहन पड़ दवताओ आयगण और ऋ षय क िन हत ःवाथ (ःवण धत गौव तथा दास) क पित म बाधक बनन क कारण उस Ocircय - व वसकOtilde घो षत कर दया जाता ह नाटककार न Ocircकथा-सगOtilde कछ सोच- वचार क अतगत नाटक क भिमका म Ocircय Otilde क त कालीन अथ का ितपादन करत हए िलखा ह ETH ldquoय उनक िलए समह सचय का एक वशाल विधकम था य भ वग ारा जनता क शोषण का एक श शाली अ था rdquo70 Ocircय क आहित Otilde क नाम पर इ ि तथा उस जस भता-स प न वग क ारा गर ब जा क शोषण को रोकन पर उस धम वरोधी घो षत कर दया जाता ह तथा इस पाप काय क सजा क OcircएवजOtilde म उस Ocircम यबधOtilde बना दया जाता ह

उवशी वषयक सग म प रवा का च रऽ पर परा स िभ न प म कट हआ ह उवशी प रवा का िमलन इ ि दरबार म होता ह जहा कामाग न य क विश मि क साथ उवशी वश करती ह प रवा उवशी को एकटक दखता ह जसक कारण उवशी क न यम भग हो जाती ह अ सरा क प म उसक ौगार और स दय क ितमा क टटन पर उस

121

अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

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प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

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धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 9: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

अपन ी व का बोध होता ह और प रवा क ित सम पत होती हई भावक ःवर म उसस कहती ह ETH ldquoय द ी क प म आप मर पीड़ा क ह सा ी ह तो मझ म य करत हो मझ ःवीकार य नह करत rdquo71 प रवा उवशी क इस सम पत भाव को ःवीकार करत हए उसस कहता ह ETH ldquoम त ह अपन यार स अलकत क गा म त ह अपन उ य स अलकत क गा म त ह अपनी अ न स अलकत क गा म त ह त हार ह म स अलकत क गा rdquo72 उवशी क इस म को आधिनक नार -ःवात य क प म दखा जा सकता ह नाटककार न उवशी को माऽ ऋ ष-मिनय क तपःया भग करन वाली अ सरा क प म िच ऽत नह कया नाटककार न इस बार म कहा ह ETH ldquoनाटक म उवशी क च रऽ म भार और बिनयाद प रवतन मन कय ह उसका हजार वष का िमथक य य व कािलदास का उ क रोमा टक घटाटोप और रवी िनाथ क क वता (उवशी) य सब मर िलए चनौती थ रोमास वलास और ऋ षय क तपःया भग करन वाली अिध ाऽी दवी उवशी क भीतर या ह एक ऐसी ी जसका अना द अन त शोषण जसक अप रवितत दासता पतस ा मक समाज क भीतर कभी ख म होती हई नह लगती ल कन जसक िलए वह लगातार यासरत ह rdquo73 इस कार आलो य नाटक म उवशी एक आधिनक गितशील नार क प म िच ऽत क गई ह

नाटक म इ ि शोषक वग अथवा साम ती वग का ितिनिध व करता ह तथा प रवा शो षत वग का ितिनिध व करता ह इ ि क शोषणकार नीितय क व प रवा सग ठत लड़ाई लड़ता ह ात य ह क नाटक म दवता तथा ऋ ष-कल शोषणकार श य क प म िच ऽत कए गए ह य क व जा स धत गौधन तथा ःवण आ द य क छ व क प म महण कया करत थ क त जा क र ा तथा उनक आवयकताओ स उनका कोई सरोकार न था प रवा अपनी जा पर होन वाल इस अनाचार का वरोध करता ह वह अपन रा य क समःत गाव नगर तथा जनपद को भ वय म य क िलए कसी भी कार का सहयोग न दन का िनदश दता ह जा क आिथक ःथित को सधारन क िलए वह कवल माऽ इतन स सत न हआ उसन इ िपर म सिचत Ocircअ नOtilde को भी द रि वप न तथा नरायपण जीवन जी रह जाजन को लाकर दन का िन य कया

इ ि स प रवा य क वधान म प रवतन क माग रखता ह जा क आिथक ःथित को दख बना इ ि ारा लगाए गए भार कर (गोधन धत ःवण आ द क प म) को कम करन का प रवा का आमह भी इ ि को उिचत नह लगता प रवा दिलत चतना का तीक ह असर तथा अनाय क नत व क बागडोर स भालत हए प रवा आधिनक प रआय म दिलत राजनीितक कर रह कसी दिलत नता सा तीत होता ह हा यह ज र ह प रवा िनजी ःवाथ क पित हत नह लड़ रहा था जब क तथाकिथत आधिनक प रवा (दिलत क मसीहा) दिलत का इःतमाल OcircमोहरOtilde क प म करता ह नाटक म इ ि और

122

प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

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प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

124

धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

125

धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

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नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 10: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

प रवा क आपसी मतभद वःततः दो वचारधाराओ का टकराव ह प रवा ारा जाजन क िलए Ocircअ नOtilde क माग इ ि क िलए अ याशीत था अभाव द रिता और साधन- वह न जीवन जी रह जा क जीव क सदभ म भी अिधनायकवाद इ ि का कथन उनक िनरकश मनोव को उ ा टत करता ह

वःततः Ocircअ नOtilde भता क तीक ह जब तक इ ि क पास Ocircअ नOtilde ह वह अजय ह इ ि ारा अ न दन स इ कार करन क प ात विश क समझान पर इ िपर स Ocircअ नOtilde क सर ा क िलए िनय दव-सिनक ह प रवा को आदरपवक अ न स प दत ह य क ldquoकोई दव-सिनक नह चाहता था क एक पर जाित अधर म रह और यहा व अ नय पर पहरा दत रहrdquo74 यहा Ocircअ नOtilde जनमत क भी तीक ह जब तक Ocircअ नOtilde अथात जनमत इ ि क पास म था इ ि सवश शाली था क त अ न वह न होत ह वह िनःसहाय-सा हो जाता ह अपन सनापित वळ स दःय व अनाय जाितय (जो प रवा क जा ह तथा जगल म िछपी हई ह ) को मारन क िलए जगल को जलान का आदश दता ह क त Ocircअ नOtilde क अभाव म उसका यह आदश धरा का धरा रह जाता ह ETH

ldquoइ ि (टहलता हआ ndash बोध म) सार प वी क जगल को जला दो वळ हम ऐसा नह कर सकत व ह ता इ ि (जोर स) य य नह कर सकत

वळ य क अ न हमार साथ नह ह rdquo75

Ocircअ नOtilde एक अ य अथ म जीवन-श क भी तीक ह इ ि क जीवन-श (उवशी) अब प रवा क जीवन-श ह जीवन-श क अभाव म कोई भी मनय जीवन क कसी भी ऽ म सफलता नह पा सकता अतः इस स भी प रवा का पलड़ा भार ह अ न और उवशी ndash दोन स हाथ धो बठन क पीड़ा और पराजय को इ ि जसा क टल और अिभमानी शासक दवलोक ग धव क नर व ाधर आयगण तथा दःयगण सभी क स मख एक दसरा ह रग दकर पश करता ह अ न क र ा म असफलता जिनत पीड़ा और शम को छपान क िलए वह प रवा ारा ःवय को वष दए जान का झठा चार तो करवाया ह ह साथ ह साथ जन दव-सिनक न प रवा को अ न स प द थी उसक ह या करवाकर उनक शव को जा क सामन यह कहकर ःतत करता ह क इनका ह यारा प रवा ह

स ालोलप शासक ारा अपनी स ा क सर ा क िलए स य को कस वकत करक जा क स मख रखा जाता ह इसका वलत उदाहरण ETH इ ि का प रवा क बार म झठा एवम ामक चार करवाना ह उवशी और अ न दोन को खो दन क कसक इ ि को प रवा स ितशोध लन क िलए उकसाती ह अपन सिनक क सहायता स वह उवशी तथा उसक पऽ का अपहरण करवान म सफल भी हो जाता ह वह जानता ह क उवशी क िलए

123

प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

124

धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

125

धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

126

ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

127

diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

128

गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

129

और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

132

िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

133

ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

135

नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 11: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

प रवा इ िपर अवय आएगा और इ िपर म प रवा को मारना अप ाकत आसान रहगा नारद इ ि को प रवा को शार रक प स मारन क साथ साथ ऋ षकल का सहयोग लन का परामश दत ह य क ETH ldquoप रवा िसफ कम ह नह ह प रवा एक वचार भी ह आप कम को न कर रह ह ल कन वचार को सह गना वग पन ज वत कर रह हrdquo76 आधिनक प रआय म नारद उन कटनीित का ितिनिध व करत दखाई दत ह जो यह भली-भाित जानत ह क स ा का वरोध करन वाल ःवर को सगमतापवक कस दबाया जा सकता ह ऋ षकल को अपन प म करक उनस प रवा क बार म गलत तथा सामा जक

स य बात पोिथय म ब करवान का सझाव नारद का ह था

िचरकाल स स ा न कलाकार को आिथक लालच दकर खर दन क कोिशश क ह इसक अित र जा म स य को वकत करक पहचान क शासकवग क क टल मनोव भी अपन आप म यजनापण ह

नाटक क अत म इ ि प रवा का शार रक प स तो अत कर दता ह क त वचा रक ःतर पर प रवा नह मरता वह हर आम आदमी म वचार क प म जी वत रहगा और हो सकता ह सह अवसर आन पर उनम स ह कोई एक प रवा जस बा तकार ःवर म इ ि जसी शोषणकार श य क खलाफ लड़ाई छड़ द इस कार िमथक य कथावःत पर आधा रत आलो य नाटक का अत आशावाद ह भल ह प रवा इ ि क साथ क गई लडाई म वजय न ा कर पाया क त वह हार गया और इ ि जीत गया ndash ऐसा भी नह ह प रवा का यह कथन ETH ldquoम फर लौटगा लौटगा लौटगा 77 प रवा जो दिलत और शो षत वग का ितिनिध व करता ह क नराय-भाव को उ ा टत न करत हए नए िसर स लडाई क अद य जजी वषा को ह गट करता ह

diams उ य

कल िमलाकर OcircयमगाथाOtilde म पौरा णक मा सवाद िचतन का सामजःयपण योग हआ ह य तो उवशी-प रवा का यह िमथक य व अपनी रोमानी व क कारण रचनाकार को अित य रहा ह क त नाटककार दधनाथ न इस आ यान का उपयोग वग -वष य तथा सामा जक-सघष क सदभ म करक मौिलकता का प रचय दया ह

(18) Ocircकोमल गाधारOtilde नाटक म िमथक य त व (1982)

diams ासिगकता

Ocircकोमल गाधारOtilde का िमथक-योग बह र मानवीय सदभ म साथक और मह वपण बन पड़ा ह इधर ह द क समकालीन ना य लखन म महाभारतकालीन िमथक का चार-सार अिधक दखनो को िमला ह Ocircकोमल गाधारOtilde म भी महाभारत क कथा-सग का वःतार स वणन कया ह

124

धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

125

धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

126

ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

127

diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

144

सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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Page 12: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

धतरा और गाधार क ववाह स लकर दोन ारा ःवय को म य क बोड़ म सम पत करन तक क पौरा णक सग नाटक म आय ह महाभारतकालीन पौरा णक च रऽ ndash गाधार धतरा भीम शकिन और दय धन ारा रचा गया इस नाटक का ससार सवऽ मानवीय भाव-सवदना स ओतोत ह गाधार को क िय भिमका म रखत हए नाटककार मानवीय भाव सवदन पर कई कोण स वचार करता ह

Ocircकोमल गाधारOtilde का नाटक य सवदन प ष स ा मक समाज म नार क उ पी ड़त िनयित ी-प ष स ब ध क टकराहट य क आका ा जगत मानवीय स ब ध म सबमण क तरह फलती राजनीित मानवीय अहम घणा और अनाःथा क प रवश म वकिसत कौरव क Ocircनपसक अहकारOtilde जिनत चतना-मानिसकता आ द कई आयाम का सःपश करता ह जसा क पहल कहा गया क नाटक क घटना-सग महाभारत क वःतत कथा-ससार म फल हए ह ल कन महाभारत क कथा का परा यान नाटककार का उ य नह नाटक य वःत- यापार का आरभ धतरा स ववाह क िलए ल जाती हई गाधार क गाधार स ह ःतनापर क याऽा स हआ ह और उसका अवसान ह धतरा और गाधार ारा म य क स मख आ मसमपण म महाभारत क इन पौरा णक कथा क सहार शकर शष न कई कार क समःयाओ क प ःतत कय ह प ष वग ारा गाधार क ित कया गया षडयऽ उस आ मिनण य क मौिलक अिधकार स विचत करन वाला ह ववाह जस िनता त वय क और अितमह व क मसल पर राजनीितक उ य क तहत बना गाधार क राय जान बना उसक सहमित क यह नह बना उसको सिचत कय Ocircपर गाधार और पर ह ःतनापरOtilde का प ष वग गाधार पर अपनी इ छा लादकर धतरा क प म उसक अ ध भ वय का फसला कर दता ह ऐसी असगत ःथित म प षधान समाज क साम तीय मनोव क खलाफ नार -आबोश का फट पड़ना ःवाभा वक ह ETH ldquoमर सहमित का कोई अथ नह ह या य नकार दया गया मर अ ःत व को पर तरह राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना गया मझ य म ी ह इसिलए मझ पर अ याय करन का इ ह एक नसिगक अिधकार ा ह सब एक जात क ह ETH मरा पता भीम और यहा तक क मरा भा व पित धतरा भी rdquo78 प ष क अहम यता क भा य का फसला भीम न उसक पता स िमलकर कर िलया गाधार स पछन क कसी को आवयकता ह नह थी िन न सवाद-बम अवलोकनीय ह

ldquoधतरा तो गाधार अपनी इ छा स आयी ह न

भीम और नह तो धतरा आपन उसस पछा भीम नह धतरा तो भीम उसक पता स पछा

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धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

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ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

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diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

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गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

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और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

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नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 13: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

धतरा उसस य नह

भीम ज रत ह कहा थी rdquo79

समाज यवःथा क क ि म बठकर िनणय प ष करता ह और प रणाम भोगन क िलए ववश ह नार यह वड बना इस कित क सवदना को गहराती ह कहना न होगा क िमथक य सदभ साप ता म Ocircकोमल गाधारOtilde क सवदना िन य नवीन ह य क प ष Ocircडोिमन टडOtilde समाज यवःथा म गाधार क िनयित को आज भी भोगा जा रहा ह आज भी नार प ष वग ारा OcircःवयवरOtilde और आ मिनणय क मलभत अिधकार स विचत रखी जा रह ह प ष वग न ष यऽ करक गाधार क कोमल ःव न पर गाज िगराई और धतरा क अ धी आख म ह उसक ससार को समटकर रख दया दसर राजक याओ क तरह गाधार का भी एक सपना था क वह बजली क तरह मचलत हए सफद अ पर आ क वह भजाओ स झका दगा आकाश ldquoउसन भी अपन भावी पित क बार म क पनाए क थी और उ ह जीवन म साकार करना चाहा था अ य क याओ क भाित उसन भी Ocircमानिसक िचऽकार Otilde क थी rdquo80 और उसक मानिसक आख क सामन जो िचऽ बना था उसम ldquoदवदा क व क तरह ऊच गाधार क पठार क तरह चौड़ छाती आकाश क टकड़ क तरह माथा धारदार नाक और सय क ब च क तरह चमकती आख जनम हो जीन क ललक आ म व ास और म य क उ ह आख म तो उस अपन ितज का फलाव करना ह और उनस झरत हए म म अपन आपको रात - दन िभगोय रखना ह rdquo81

ल कन भीम और उस जस ह प ष न िमलकर धोख व ासघात नीचतापण ष यऽ तथा राजनीितक वचनाओ स उसक आका ा-जगत को दाहक यथाथ और उस पर स उठत अिभशाप जिनत धए क अधकार स आ छा दत कर दया गाधार क जीवन ितज पर िनराशा फल गई और उस कािलमापण दपण म उसका भावी जीवन दब गया प ष-वग क कपटाचार स गाधार को िमला अ ध व का अिभशाप जसस उनक मन म मनय माऽ क ित ह घणा उ प न हो गई एक िनर ह नार क ित प ष-वग क इस िघनौन ष यऽ क बाद पाऽ और ःथितया कस सामा य हो सकती ह वह प ष क पर परागत शोषण-िशकज क ित अपन बोध का दशन करती ह ETH ldquoम इस पर परा को तो तोड़ ह सकती ह दासी इ ह अनभव करा सकती ह क ी पर अ याय करन का नसिगक अिधकार इ ह ा नह ह इन सबको अपन अपराध क आग म तो जला सकती ह य लोग अब समझ ल ी एक खाली जमीन नह ह जस आसानी स र दकर शा त स जया जा सक क वश को अपन इस अ याय क क मत चकानी ह होगी rdquo82 गाधार क इन वचार म प ष वग क भता और नार -अिधकार क िलए लडन क इ छा ह ल कन फर भी वह सामा जक पर पराओ स ःवय को म नह कर सक कहना न होगा क या गाधार क य व और समाज- यवःथा म उसक अिनवाय िनयित म हम आज क नार -अवःथा क दशन नह होत य द गाधार क समाना तर आज क नार क उ पी ड़त िनयित का ित ब ब Ocircकोमल गाधारOtilde म उभरता ह तो यह िमथक और यथाथ क सगित म िमथक क पनरचना ह

126

ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

127

diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

128

गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

129

और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 14: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

ःवतऽता ाि क बाद राजनीित क ःव छ द भोग क राजनीित क मायन ह बदल दय ह वड बना य ह क गाधी ारा हािसल क गई आज क राजनीितक म OcircनीितOtilde का कोई ःथान नह और राजनीित ःवाथनीित क घर म ब द बना ली गई ह मानवीय स ब ध म इस द षत राजनीित का वःतार पारःप रक घणा ितरःकार अ व ास व ासघात ित हसा क प म फलाव ा कर चका ह अ याय और अनीित स सनी इस राजनीित म य अप त ह मह व य व का नह राजनीित का ह इसी राजनीित क वजह स यवःथा का र क भीम गाधार और धतरा क अ ःमता को नकार दता ह

ldquoभीम तम साधारण-सी बात को कछ यादा ह मह व द रह हो इस ववाह म न तो मह व ह इस लड़क का और न ह धतरा का

सजय और इसक बाद भी ववाह

भीम कौरव को उ रािधकार नह चा हए या उसक िलए ज र ह दो शर र और एक कमका डrdquo83

इसी बर राजनीित न गाधार क अ ःत व को नकार दया और उस राजर स ज म एक शर र स यादा कछ नह माना रा यश ह ःतनापर ारा छोट रा यश गाधार क अ ःमता और ःवाय ता का लोप करवाया इसी पितत राजनीित न पता को स तान क व ष यऽ क िलए ववश कया इसी राजिनती क पराधीनता न ववाह क प म दो आ माओ क प वऽ िमलन को राजनीितक स ब ध बना दया ETH ldquo जसम पित (धतरा ) को चा हए कवल गाधार का शर र और उस शर र स उ प न एक शर र दो आख वाला रा य स ा का भावी अिधकार rdquo84 वःततः इस राजनीित क सन गिलयार म य क अ ःमता उसक अपनी पहचान उसक अपनी म छोट पड़ती जा रह ह और उसका भाव-लोक सखता जा रहा ह इतनी वचताओ क बाद अपन शर र का उपयोग होन दकर वह सौ पऽ क जननी तो बन जाती ह ल कन मात व क साथकता को छ भी नह पाती य क मात व क साथकता ह सजन म रचन म िनमाण म वकास स तान को सःका रत करन म अ ध पित क ित आबोश न उस मात व क कत यपित नह करन द उसन अपन ब च को ममता क नसिगक अिधकार स विचत रखा वह यार क श स अपनी स तान क रचना नह कर पाई उ ह अ ध सःकार दय वह उ ह याय ब नह द पाई दय तो िनषध मलक धारणाओ स उ प न ःवाथ घणा ितरःकार और ित हसा क सःकार घणा और ितरःकार स अपनी स तान शऽ- ी िौपद को अपमािनत ह करग ःवाथ रत होकर य जिनत अमानवीय कम म ह िल ह ग गाधार न जीवन का सकारा मक भाव ित हसा क अ ध कए म डबो दया ndash तभी तो उस अपन ह पऽ ारा िनव होती िौपद क पीड़ा नह समझ आई और उसक ित विोह नह कया

127

diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

128

गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

129

और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 15: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

diams उ य

Ocircकोमल गाधारOtilde म शकर शष ारा ितपा दत नया िमथक य दशन मानवीय सदभ स जड़कर समकालीन िमथक नाटक क ौणी म विश साथ ा कर लता ह िमथक म यापक मानवीय समःयाओ और सवदनाओ का अथ-सधान करन क कारण Ocircकोमल गाधारOtilde को भीम साहनी क नाटक OcircमाधवीOtilde क समक रखा जा सकता ह

(19) OcircमाधवीOtilde नाटक म िमथक य त व (1984)

diams ासिगकता

भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म OcircमाधवीOtilde क पौरा णक िमथक क ारा ी अ ःमता का उठात हए समकालीन प र आय म ी क वाःत वक ःथित उ ा टत करन का साथक यास कया ह ldquoइस नाटक म सामा जक ितब ता सघषधम जीजी वषा कटता वसगित समता तथा आिथक सकट स उ प न ज टलताओ समःयाओ और विपताओ क मािमक िचऽण क साथ ह वतमान प रवश क जबरदःत पकड़ महाभारत-कालीन िमथक क मा यम स िमलती ह इस नाटक क कथावःत िमथक य यग क गौरव सम को उजागर करन वाली होन क साथ ह उसम जीवन क आ त रक स य और समसामियक जीवन क अनगज भी िमलती ह अथात कथावःत म जीवन -स य शा त म य एवम आ त रक स चाई क अिभ य ह rdquo85

OcircमाधवीOtilde नाटक क कथावःत का ोत महाभारत का माधवी-गालव सग ह व ािमऽ क आौम म व ा ययन करन वाला गालव बारह व ाओ म पारगत होकर ग -द णा दन क िलए हठ करता ह गालव का हठ दखकर उसक अहकार को तोड़न क िलए बोधी व ािमऽ उसस उस आठ सौ अ मघी अ माग लत ह इस कार सवथा असभव माग को पण करन म असमथ गालव आ मह या करन को उ यत हो जाता ह िनराश व हताश गालव को ग ड़दव महाराज ययाित क आौम म जान का परामश दत ह अपन कत य स बधा गालव महादानी ययाित क आौम म पहचता ह ldquoआौमवासी ययाित आठ सौ अ मघी घोड़ दन म असमथ होन पर भी अपनी दानवीरता क छ व बनाए रखन क िलए अपनी िचर कौमायोत ा पऽी (जो क एक अन ान क प ात फर स कौमाय ा कर सकती थी) माधवी को दान म दत ह rdquo86 यह समकालीन वडबना ःप होती ह क अपनी ित ा बनाय रखन क िलए ययाित अपनी एक माऽ पऽी को िनःसकोच दान म द दत ह जसस यहा पऽी पता क वा स य कत यबोध एवम दािय व स ऊपर उठकर माऽ ित ा का साधन बन जाती ह

माधवी को ा कर गालव क मन म अत होता ह वह सोचता ह ETH ldquoकसी वडबना ह माधवी मर जीवन म साधन बनकर आयी ह उसक ारा म ग -द णा का दािय व परा कर सकता ह उसी क ारा म चबवत राजा भी बन सकता ह rdquo87 यहा

128

गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

129

और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 16: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

गालव क अ त को उभारत हए माधवी परामश दती ह ETH ldquoचलो छोड़ो इन बात को हम कवल अपना-अपना कत य िनभाएग म अपन पता क ित तम अपन ग क ित rdquo88 इस कथन पर अपनी ित बया य करत हए डॉ नीलम राठ न िलखा ह ETH ldquoइस परामश क मा यम स माधवी क अपन पता क ित ा बचाए रखन क मनोव क साथ ह प ष वग ारा साधन क प म योग क जान वाली नार क ववशता क ित कटता -िमिौत भाव ह अिधक ःप प स उभरा ह rdquo89

माधवी को लकर गालव हय राजा क पास गया उसक पास कवल दो सौ अ थ माधवी क स दय पर म ध व चबवत साट क माता होन क ल ण क जाच करक पऽह न राजा हय न पऽो प क िलए माधवी को अपन पास रख िलया पऽ उ प न होन क प ात माधवी व दो सौ अ गालव क पास आ गए गालव क पास आकर माधवी पनः कमार बन गई त प ात इसी कार क अनबध क तहत माधवी को बमशः काशीराज दवोदास भोज नगर क राजा उशीनर एवम व ािमऽ क पास रहना पड़ा गालव न ग द णा चकान क प ात माधवी को यया ित क पास पहचा दया ययाित न माधवी का ःवयवर िन त कया क त उसन वन म रहकर तपःया ःवीकार क माधवी न चार राजाओ ारा कए गए प य का अिधकार ययाित को दकर पनः ःवग का अिधकार बना दया इस कार महाभारत म व णत माधवी का िमथक पवज क उ ारक उ म गण स वभ षत पऽी क प म व णत ह

माधवी क िनयित कथा क सग क सदभ म डॉ रमश गौतम न कहा ह ETH ldquoमाधवी क ऽासद सवदना ऽकोण म उभरती ह उसक भा य िनयित का ऽकोण बनता ह ndash पता-ययाित मी-गालव और उसक गभ को कराए पर लन वाल पितय ारा कसी न कसी आका ा स उनका ःवाथ रत मन माधवी क ित सवदन श य होकर कठोरता तक पहच जाता ह और अ ततः मह वाका ी प ष वग ारा माधवी को अपनी ःवाथ िस क िलए एक कार स िनरािौत वया बनाकर छोड़ दया जाता ह rdquo90 कवल माधवी ह नह समःत ी-जाित यग -यग स ऽासद को झलती हई प ष वग क शोषण को अपनी िनयित मानकर सहन कर रह ह समकालीन प रवश म माधवी न एक ःवतऽ िनणय लकर ी-चतना को जगाया ह ldquoभीम साहनी का OcircमाधवीOtilde नाटक प ष समाज क दचब म फसी नार क बर िनयित क महाभारतकालीन सःकरण ह पनरिचत प म यह आज भी नया ह इसक सवदना आज भी वलत ह वतमान समाज- यवःथा म माधवी क ऽासद आज भी जदा ह और प ष क बर शासनचब म आज भी न जान कतनी माध वया अपन अ ःत व का होम कर छटपटा रह ह rdquo91

उपय त य क आलोक म कहा जा सकता ह क भीम साहनी न OcircमाधवीOtilde नाटक म महाभारत यगीन माधवी-गालव िमथक क योग ारा आधिनक मानव क सघष म य

129

और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

130

(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

132

िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

133

ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

134

ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

135

नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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Page 17: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

और मा यताओ को ःप करत हए समकाली न अनभव को जीवन क यथाथ क अिधक िनकट लाकर य करन का यास कया ह इस नाटक म भीम साहनीजी न माधवी क साम य और सीमा सघष असहनीय दबाव तनाव ववशता अ यता कत यपरायणता और याग को दशाकर माधवी को प ष वग क शोषण का िशकार हई ना र क तीक क प म उप ःथत कया ह जस प ष वग अपनी अहम और यशिल सा क िलए साधन बनाकर दयनीय ःथित म पहचाकर अकला छोड़ दता ह जस नार जाित का प ष वग स दय स शोषण करता आ रहा ह वह अ यत असहाय ह जसका ःवय पता तक अपनी दानवीरता क छ व अ य रखन क िलए उस दान करन म कोई सकोच नह करता जसक स दय स भा वत होकर मन म म का अकर जमाकर भावी पित गालव अपनी ग -द णा पी मह वाका ा पण करन को माऽ सीढ़ बनाकर अनक राजाओ क रिनवास म भज दता ह शो षत नार बार-बार अलग-अलग राजाओ क रिनवास म वदना भोगती ह और ःवाथ प ष (गालव) अपन लआय क िस ा करता ह

माधवी का उपय कथन प ष स ा मक समाज म ी जीवन क वडबना को अ यिधक सघन प स गहरा दता ह जहा प ष ी को माऽ साधन क प म योग कर टटन बखरन क िलए छोड़ दता ह वह ी-प ष क भोगव का साधन बनकर मानिसक व शार रक प स ता ड़त होकर प ष को ऊचाइय क िशखर पर पहचाकर ःवय िनराशा घटन टटन व पतन क गत म िगरा दए जान पर भी प ष -वग क िलए दय स मगल-कामना ह करती ह यक यग म प ष क मह वाका ा का द ा त समारोह ी क इ छाओ क बिल चढ़ाकर ह पण होता ह उपय सवदना का अवलोकन करन स ःप हो जाता ह क भीम साहनी न महाभारतकालीन िमथक क मा यम स य धम समाज-यवःथा ी-प ष स ब ध और वशष प स ी-अ ःमता को रखा कत कया ह

diams उ य

OcircमाधवीOtilde नाटक म गालव ारा ग द णा क आठ सौ अ मघी घोड़ ा करन क िलए महाराज ययाित स ाथना करना ययाित ारा ितदान ःव प माधवी को गालव को स पना माधवी क अनक राजाओ क रिनवास म रहकर पऽ दान करन क सघष ारा गालव को ग द णा क भार स म होना माधवी क ःवयवर और गालव क द ा त समारोह क अवसर पर गालव क उप ा स माधवी ारा गालव को ःवतऽ कर अ यऽ कह चल जान क घटनाबम म भीम साहनी जी न प ष क ःवाथ मनोव िनरप ता और ी क म वा स य और याग क अवहलना कर उसक अ ःत व को नकारन क मनोव को दशाकर भीम साहनी न ी क भो या प क वसगित व वडबना म ह नाटक क समःत सवदना को क ित कया ह ी म और कत य-परायणता क िलए अपना जीवन उ सग कर दती ह क त ितदान ःव प उस िमलती ह प ष क ःवाथमयी वमखता जो उस मोहभग क ऽासद ःथित तक पहचा दती ह पता मी ग और राजा सभी धम क आड़ लकर अपनी ःवाथ िस व झठ ित ा क िलए अपन अहम क त क िलए माधवी ( ी का शोषण करत ह) ldquoगालव माधवी मर ऋण चकान का मा यम ह इसस अिधक कछ नह rdquo92

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

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नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

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िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

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ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

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(20) Ocircएक म यOtilde नाटक म िमथक य त व (1985)

diams ासिगकता

Ocircएक म यOtilde नाटक का आधार भी महाभारत ह ह नाटक क क ि य सवदना कण क चा र य पर टक ह महाभारत क य क आरभ स ह नाटक क कथावःत आरभ होती ह य अिनवायता को आ मसात कर ना य -क व न नार -मन क गहराइय को साथक अिभ य दान क ह क ती क सबस बड़ समःया नितकता-अनितकता क ह महाभारत क इस य म सबस अिधक आशका-पीड़ा उस ह ह कारण धनधार अजन और शि दानवीर कण दोन क म य भयकर य क मल म वह ःवय को पाती ह वह अपन अनितक यवहार (सय स कण ज म) को भीतर स ःवीकार कर स य को उ ा टत नह कर पाई ETH उसक पीड़ा म यह भाव वशष रहा ह इस ह हम क ती क सय और यिध र तथा िचऽकार म यजय क सवाद म पात ह इसक अ त म भी वह ःवय को अपराधमःत मानती ह हम ःतत ना य-का य म डॉ वनय का ब िच तक आ या मक आलोचक य प साथक तीत होता रहा ह पर इसस का य व म कसी कार क बाधा नह आन पाई क ती क सय क स मख यह ःवीकारो य ह ETH

ldquoआप ठ क कहत ह

मन क अथाह स लड़त हए

यह जान पायी ह

सामा जक नितकता स अलग भी एक वय क नितकता होती ह

जस ःवीकारन म भय लगता ह

जसका ःवीकारना-आ मलोक का वःतार होता rdquo93

क ती तो यहा तक मानती ह क य द वह कण-ज म क इस स य को उ ा टत कर दती तो अपन ह बट क बीच यह य टल सकता था वह ःवय को दोषी मानती ह क ती क मा यम स वनय न इस गहर म आ मसात कर नार -मन क प को खोलन का यास कया ह उसक अ त क मल म यह प वशष रहा ह

इस अ त क मा यम स नाटककार न सहज प म कछ ऐसी का या मक सट क उ या सयो जत क ह जो अिधक या या क माग करती ह स य और ववशता भावना और ववशता अपराध का प रशोध स य स पलायन आ द

वनय क सकत क आड़ म क ती न अपराध-बोध स म होन का गोपनीय स य को उ ा टत करन का साहसपण काय कया Ocircकण मरा पऽ हOtilde क साथ क ती और कण क सवाद म जहा मा-बट क आ मीय ण क अिभ य ह वहा कण का अपन वग क ित ईमानदार रहन का प ःप हो जाता ह

131

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

132

िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

133

ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

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ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 19: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

नाटक क ारभ म परो हत और राजमाता क सवाद सो य ह ETH अनक को नाटककार न इस परो हत स य जत कया ह बाद म उस धम स य याय माऽ श द तीत होत ह परो हत पा डव- वजय का आशीष क ती को दता ह क ती का अ त नया मोड़ लता ह ETH वह िौपद को पाच पितय क प ी क मल म भी ःवय को दोषी मानती ह नाटककार इस अपराध-बोध को क ि म आ मसात कए ह िौपद - वभाजन का समःत दािय व अपराध ःवय पर लन क क ती क आ मःवीकारो िौप द क िलए सखद ह इतना ह नह कण स पा डव क र ा का वचन ल क ती य को टालन का भरसक य करती ह अ ततः य होता ह कण क कत नी स सयोधन क आदश पर घटो कच मारा जाता ह इस कार कण और अजन क बीच य म क ती और िौपद क लआय सवथा िभ न ह िौपद को कटा िसर चा हए और क ती य को टालन क कोिशश म असफल होती ह Ocircएक म यOtilde क प म वह कण को मानती ह य म होन वाल समःत नरसहार का दािय व अपन पर लती ह अ त म कण क मत शर र क पास उसक माता राधा राजमाता क ती (ज मदाऽी माता) तथा िौपद (कण क कट िसर क लालसा म दखन आई ह मर हए भय को )

diams उ य

महाभारतीय प रवश क अप ा वनय का लआय िमथक समसामियक समकालीन ह क ती िौपद राधा नार पाऽ अपनी-अपनी भिमका िनभात ह िौपद म ितशोध ह जब क क ती म पऽ-मम व ह वह कण क सतपऽ होन म ःवय को दोषी मानती ह लखक न क ती और सय क सवाद म सहज बया का आकषण का सकत दया ह कण तथा क ती क बात-चीत नय प रवश पर आधा रत ह आज क मनय क वसगित यह ह क वह सब कछ जानता-समझता हआ मौन बना रहता ह फर इसक कारण सभी को य -द ड झलना पड़ता ह क ती सभी कछ गलत अपन कारण मानती ह यिध र क ःथित भी विचऽ ह सयोधन और कण म प रवार क अप ा वग (दल-प ) का मह व दशाया गया ह

(21) Ocircनरिसह कथाOtilde नाटक म िमथक य त व (1986)

diams ासिगकता

Ocircनरिसह कथाOtilde ःवतऽ भारत म आपा कालीन राजनीितक सघष का िचऽ ःतत करता ह अपनी त कालीन प र ःथितय स भा वत होकर डॉ लआमीनारायण लाल न पौरा णक पाऽ-सग को आधिनक खोल पहनाया ह नाटक क वषय म रचनाकार का कहना ह ETH ldquoयहा एक नाटक खला जा रहा ह िलखा नह जा रहा ह यहा रचना हो रह ह इसी का एक मह वपण त व इसम उपजा ह पराण-कथा पौरा णक च रऽ पराण क घटनाए हम फर स भोग रह ह अपन समय म अपन अथ म यहा पराण त व जीवन-त व हो गया ह rdquo94 कहन क आवयकता नह क त कालीन राजनीितक जीवन क िनरकश व को अिभ य दन क िलए नाटककार न हर यकिशप क च रऽ का सहारा

132

िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

133

ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

134

ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

135

नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

136

अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

138

मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

139

सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 20: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

िलया ह हर यकिशप माऽ पौरा णक च रऽ नह आज क िनरकश शासक का तीक ह वह य गत ःवतऽता का घोर वरोधी ह जो आतक और हसा क बल पर शासन करन म व ास रखता ह आपातकाल क िनरकशता आतक हसा य -ःवात य क हनन को नाटककार न पौरा णक सदभ अथवा िमथक ारा मा णकता दान क ह य क भारतीय प रवश म उ व य क दशन क िलए हर यकिशप लोक-चतना म अ छ कार स पहचाना हआ िमथक ह लोक चतना म सहज ःवीकाय एवम मा इस िमथक ारा डॉ लाल न प रवशगत सजगता क साथ उसक यथाथ को भावशाली ढग स उभारा ह

नाटककार न जन समकालीन राजनीितक ःथितय को ित विनत करन क िलए Ocircनरिसह कथाOtilde म हर यकिशप और हलाद क पौरा णक सग को आधार बनाया ह उसका उ लख ौीम ागवत क सातम ःक ध म आया ह हलाद का पता हर यकिशप एक िनरकश मनोव का शासक था जसन ई र य स ा को नकार कर ःवय को ई र घो षत कया Ocircनरिसह कथाOtilde म ऋ गणतऽ का मऽी हर यकिशप गणतऽ क अ य अभयिल छ का वध करक गणतऽ क सभी अिधकार पर क जा कर लता ह और ःवय को सवश मान िनयम-कानन स ऊपर िनरकश शासक बना लता ह वह अपन राजनीितक वरोिधय को कारागार म ब ध कर दता ह और ःवतऽ िच तन तथा अिभ य क मल अिधकार को छ न लता ह दसर और गणता ऽक श य का तीक हलाद अिधनायकवाद वशषािधकार स प न शासक हर यकिशप क जा-दमन एवम िनरकश व य का वरोध करत हए जनजागरण का शखनाथ करता ह हताशन पछड़ पददिलत जा का ित प ह जस जागत कर हलाद उस अिधनायकतऽ का अ त करन क िलए रत करता ह फलःव प अपन अिधकार क ित चतना स प न होन पर हताशन निसह क प म हर य किशप का वध करता ह नाटक Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक य पाऽ सग क बार म नाटककार क वचार ह ETH ldquoयह कसी पौरा णक कथा ह य कस पराण च रऽ ह जनम जीवन क कतन गहन और आधिनक स आधिनक सघष ो क ओर ऐस साथक सकत ह एक ओर हर यकिशप ह जो एक तरह स अव य ह जो इतनी श य साधन का ःवामी ह और दसर ओर ह हलाद - सहज सरल साधनह न ममय राग ष स उपर उठा हआ जो य रत ह पर जसम घणा नह ह ित बया नह ह जो हर यकिशप जस बबर िनरकश श और अिधनायक स य स लड़ा रहा ह मानव-म य क बिनयाद ःवतऽता क िलए rdquo95

ःप ह क नाटक का सघष 1975-77 क अिधनायकवाद राजनीितक श य और सपण बा त क जनक गणता ऽक श य क तीक मानव म य क र ा क ित सक पशील लोकनायक और उनक ारा रत सय जनश का ह जसका ितिनिध व नाटककार न हलाद क च रऽ ारा करवाया ह इसीिलए नाटक म हलाद पौरा णक च रऽ कम और आधिनक अिधक लगता ह उसका प भ बालक का नह राजनीितक िच तक और दाशिनक का ह अपन िच तन और आचरण म वह स य अ हसा और लोकता ऽक श य का तीक ह वह शासन क िनरकशता को अ हसा याग स ाव स वश म करन क बात करता ह उसक कई सवाद आधिनक राजनीितक क सदभ म खर उतरत ह ETH

133

ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

134

ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

135

नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

136

अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 21: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

ldquo वषमता अकलापन असमानता क अ धकार म हर यकिशप यहा का िनरकश राजा बना ह वह अपनी श स नह हमार कमजो रय स बना आय अनाय जाित धम क आपसी फट ऊच-नीच सवण-शि क भद म स आया ह यह तानाशाह rdquo96

स दह नह क यगीन राजनीितक सदभ म भारतीय जनता क अकम यता एवम पलायनवा दता न ह तानाशाह को ज म दया था इसी त य को हलाद न यहा य जत कया ह Ocircनरिसह कथाOtilde म हलाद क भिमका बा त ा एवम पथ -दशक क ह गाधी-िच तन क अन प वह हताशन म पश व क बया मक श य को जगाकर उसक चतना म मनय व का स पादन करता ह वह हताशन को िनर तर िनरकश शासन क व उ जत करता ह हताशन इस नाटक का मह वपण च रऽ -आयाम ह वहा नरिसह ह ndash िनरकश शासक ारा दिमत जा क आबोश तथा ितशोध-भावना का पजीभत प नाटककार क अनसार िनरकश शासन क बाद जातऽ गणतऽ पदा हो इसक िलए नरिसह चा हए नरिसह (हताशन ) िनरकशता क अ त का सचक ह नरिसह ारा हर यकिशप वध क परान िमथक य सग को नाटककार लाल न िच तन का मौिलक और िभ न आयाम दान कया ह उनक अनसार ETH ldquoनरिसह का च रऽ मानव वकास क अथ म दखा गया ह मन इस गहर यापक अथ म पाया ह हर यकिशप जस श शाली िनरकश राजा को न कोई मनय मार सकता ह न कोई पश नर और पश का जो सवौ त व ह उनस िमलकर जो नरिसह बनता ह वह ऐस हर यकिशप को मार सकता ह अ यथा वह अव य ह हताशन म पशत व ह ndash पशओ म ौ िसह का त व और साथ ह उसम ौ नर का त व ह बस हलाद न उस मोड़कर एक कर दया rdquo97 वःततः हताशन (नरिसह) हलाद क का वःतार ह जसम उसक मानवीय आःथा क अिभ य का काशन स भव हआ ह यह कारण ह क हताशन का च रऽ नाटक म ःवतऽ प स पनप नह पाया जब क नाटक म उसक ःथित अिधक यावहा रक ह हलाद का अ त वरोधी िच तन हताशन को उभरन नह दता हलाद अ हसा का या याता होन पर भी हताशन (जनश ) को िनरकश शासक हर यकिशप क ह या क िलए उकसाता ह अ य नाटक य च रऽ म शबाचाय स वधापरःत ब जीवी वग का तीक ह जो िन हत ःवाथ क तहत यवःथा का साथी एवम उसका अग ह

कहा गया क Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग का दाहक यथाथ अनःयत ह और नाटककार न अपन यगानकल िच तन स रत होकर यह ना यालख िलखा सदभ साप ता म नाटक क कई सवाद िमथकावरण स बाहर िनकलकर य तः आपा कालीन ःथितय को ित विनत करत ह

ldquoराजा ह ई र ह राजा ह दश ह दश क राजा ह rdquo98

134

ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

144

सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 22: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

ldquoजो ब द मह म ह व दश क शऽ ह उ ह अभी म करन का कोई ह नह उठता ह rdquo99

ldquoदश बखर रहा था दश टट रहा था दश क शऽ rdquo100

ldquoमन अनभव कया दश म और मझम कोई अ तर नह rdquo101

आ द अनक ऐस सवाद-ःथल ह जो आपा कालीन चतना मानिसकता क साथ सहज ह अपन अिभायः स य का स षण करत ह

diams उ य

समकालीन ःथितय म नाटककार क य कथन-स य सट क और साथक ह जो समच नाटक को िमथक और यथाथ क सगित म हर यकिशप और हलाद क पराकथा क साथ आज क ासिगकता का मह वपण आयाम दान करत ह कहना न होगा Ocircनरिसह कथाOtilde क िमथक म यग-यथाथ का आरोपण नाटककार क िच तन- का य सा य प रणाम ह

(22) Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक म िमथक य त व (1987)

diams ासिगकता

समकालीन ना य लखन म िमथक क अ तगत यथाथ को पहचानन क एक विश पर परा का वकास िमलता ह इस बम म िग रराज कशोर क Ocircजा ह रहन दोOtilde क गणना क जा सकती ह कथाकार िग रराज कशोर का यह नाटक वतमान राजनीितक ःथितय का िमथक य ितफलन तो ह ह साथ ह यह धमवीर भारती क Ocircअ धायगOtilde स भा वत ना य रचना ह काशक य व य म कहा गया ह क िग रराज कशोर न महाभारत क उस काल को सवदना क ःतर पर जीया ह और उस गहन अनभव को समसामियक प र ःथितय क सदभ म सफलतापवक ःतत कया ह समसामियक प र ःथितय का जो सदभ Ocircजा ह रहन दोOtilde म ह वह ह राजनीितक म यह नता का महाभारतकालीन प भिम म Ocircजा ह रहन दोOtilde राजनीितक म यह नता का नाटक ह स ा ा करन क बल आका ा रखन वाल राजप रवार क अ धपन म शािसत जा क कठा और दशाह नता का भटकाव अपन दःखद उपसहार क प म महाभारत क वनाश क स करता ह यग पव क व क टल लालसाए महाभारत का य समा होन क साथ ह समा ह हई ब क अवचतन बम म िमथक य वकास को ा हई मानव क सहज व य म घलिमलकर व आज भी कसी-न- कसी प म जी वत ह अ ध धतरा जस शासक और

रखकर भी सार जीवन म अ धपन का ोत िनभान वाली गाधार क समान शासक आज भी ह धतरा और गाधार क समान अपन ह प रवार म स ा िनय ऽत करन का यास या हाल क भारतीय राजनीितक घटना नह ह यह नाटक महाभारतकालीन पाऽ-सग क प रवश म आज क राजनीितक म यह नता एवम ःवाथ म अ धपन क साथक सकत दता ह

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नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

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अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

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नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

144

सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 23: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

नाटककार न आज क शासन- यवःथा को महाभारतकालीन शासन- यवःथा म क याणकार धमनीितया नह क बराबर थी और जस प रवार क शासन क कलघाती अ धीनीितय न शािसत जा को कठा और दशाह नता क िसवाय कछ भी नह दया

ारभ म उ ोषक सवक और नाग रक क पारःप रक सवाद शासक और शािसत को खोखल स ब ध को य या मक भिगमाओ क साथ ःतत करत ह अ ध शासक क दन ितय को भोगत य सामा य जन - यवःथा क मशीन को चलात हए उसक अ त वरोध को भोगन क िलए बा य ह सवक और नाग रक क कई सवाद अपनी ववश और असहाय ःथित म आज क भोग अनभव का सकत दत ह ETH

ldquo कसी क मत बोलो मह मत खोलो बोलना कसी शासक को पसद नह होता rdquo102

ldquoतम उनका रोना सनत हो आख पर प ट बाध लो कानो म ई ठस लो बाहर स आन वाला कोई ःवर मत सनो rdquo103

Ocircनपसक और अ धीOtilde शासन यवःथा को भोगती जा का ःवर य य उपहास और आशका म शासक क खोखलपन को रखा कत करता ह ETH

ldquoराजा जो कछ भी कर उस समारोह का नाम द दो rdquo104

ldquoअगर राजा जए को रा ब ड़ा घो षत करता ह तो वह अपन आदश स मनय को घास भी चखा सकता ह rdquo105

राजा क अ याय और कशासन क आदश को भोगती जा का अ ःत व ldquoहवन-कड म जलती अ न क समान ह rdquo106 इसी कार नाटककार पर नाटक म स -वा य दोहराता हआ महाभारतकालीन सदिभता को आधिनकता का महावरा दकर िमथक य सगित म साथक सकत दता ह धतरा अिनणय और अिन य क ःथित म झझत हए सकतमःत शासक का याज सकत दता ह जो पऽ क असगत बात मानन क िलए ववश ह दय धन य को ह सब समःयाओ का अ तम समाधान मानता ह पर पराओ क ित उसका कोण नकारवाद ह जस वह ःवीकार करन न करन क स िघरा ह ETH ldquoमझ बार-बार लगता ह य पर पराए य ग जन सब मर पीठ पर उखड़ गाछ क तरह टक ह न म उ ह उतार कर ह फक सकता ह और न अपन अनभव क धरती म उ ह फर स रोप ह सकता ह rdquo107 उसक ःवर म यवा पीढ़ का विोह फटता ह जो प रणाम क िच ता कय बना फसल करना चाहता ह

Ocircजा ह रहन दोOtilde का सबस जीव त च रऽ ह िौपद उसक य व म अ धा शासन म जीती जा क वडबना साकार हई ह महाभारत काल क िौपद अपमान और त-ब ड़ा पर चढ़ उस जा का ित प ह जो छली और लट जाती हई भी अपनी श स

136

अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

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बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 24: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

अनिभ ह उसक वडबना म शािसत जा क वडबना मितत हई ह य क िौपद ह या ETH ldquoरोट का टकड़ा या राजनीित का उलझा हआ सऽ rdquo108 शासन अथवा यवःथा क हाथ म पड़कर जो िनर तर वघटन क पीड़ा और दिनयित क यथा भोग रह ह क त स ा क हाथ दिनयित क य ऽणा भोगती हई िौपद क मख स सताई हई जा का आबोश फटता ह जो यवःथा क दन ितय क आग िच ह लगाता ह ETH

ldquoआप सब आ य कर रह ह ग क बह इतनी वाचाल हो गई यह आपक बह का ःवर नह छल-बल स सताई जा रह जा का ःवर ह जब मनय क पास गवान को लाज भी नह रह जाती तो उसक वाचाल हो जान क अित र कछ नह बचता rdquo109 मर वह सीमा आ गई जहा शील सकोच भय सब समा हो जाता ह ldquoमझ आ ा द म आपक पऽ क सोई हई आ मा को पनः जागत क गी राजा बनन क बाद जन श क पहचान समा हो गई थी उस फर स कराऊगी rdquo110 ःप ह क िौपद शासक ारा छल-बल स सताई जा रह जनता का तीक बनकर उभरती ह वह जनम क िलए जन-सघष का ितिनिध व करती ह ल कन िौपद को जा का तीक बनाकर भी नाटककार उसी क ारा जनचतना को गमराह करन क सा जश करता दखाई दता ह य क उसक ारा नाटककार पी ड़त और अप त जा को यथा ःथितवाद स समझौता करन क व म सत करता दखाई दता ह वह चाह कर भी उसक ारा जाम का सदश स षत नह कर पाया अ त म िौपद क य श द ETH ldquoमझ यह रहन दो अपनी च क म ह पसन दो म होन दो जा को जा ह रहन दो rdquo111

वाःतव म सोचन का य ढग ह उ टा ह य क बा त अथवा जनसघष का नत व ऊपर स नह नीच स होता ह िौपद जो शासन सऽ को स हालन वाली शािसका क प म अपना ऐितहािसक सदभ रखती ह उसस जनम का काय करवाना अयथाथवाद सा लगता ह अ छा होता यह काय नाटककार सामा य जनता क कसी ितिनिध स करवाता अतः शासन का अग िौपद को जनता मानना और जनता को िनता त उप त करक उस िौपद क ह मख स जाित वह न घास कहलवाना जनता क उप त िनयित को यथावत ःवीकार करवाना ह नाटककार शािसत और जा क अ त वरोध को ठ क कार स नाटक म उभार नह पाया फर भी इस नाटक म महाभारतकालीन सग म समकालीन राजनीितक यथाथ समा व होकर नय सदभ को उ ा टत करता ह

diams उ य

यह कहा जा सकता ह क Ocircजा ह रहन दोOtilde नाटक को िलखन का उ य वतमान जातऽ म भोग हए यथाथ को गट करता रहा ह यहा नाटककार न बताया ह क जा इतनी ःवतऽ ह क राजा ा तक स िनभ क ह कोई कसी बात स सहमत नह ह तथा ऐस अ त य को दिशत कया ह क सबक मन म क डली मार कर बठा ह

137

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

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मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

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सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

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(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

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ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

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औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 25: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

नाटककार न नाटक म वतमान समःयाओ रोट नार व वणभद को अिभ य कया ह तथा बताया ह क अकशल शासक का भार जा पर ह पड़ता ह उस ह अपना दःख भोगना पड़ता ह

(23) OcircइलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1989)

diams ासिगकता

डॉ भाकर ौो ऽय का नाटक OcircइलाOtilde ौीम ागवत क कथा पर आधा रत ह इसम मन क इ छा क वपर त ौ ा को पऽी हो जाती ह जस व विश ारा पऽ म बदलवा लत ह इसक बाद पऽी OcircइलाOtilde स पऽ Ocircस नOtilde बनन वाल नायक को कतनी भयावह यातना अत और दहातरण भोगना पड़ता ह और अततः वह उसका ितकार या ाय त कस प म करता ह यह नाटक का क य ह OcircइलाOtilde एक िमथक का पनः सजन तो ह मगर िमथक क कथाभिम का क ि अलग ह कथा क तनाव का मकाम अलग ह कथा क घटना का सदभ और स य अलग ह इसिलए यह ठ क लगता ह क OcircइलाOtilde ौीम ागवत म िन हत िमथक का जीण ार नह पराणपोषी रचना नह ब क िमथक म िन हत अाकितक और विप त य क ऐसी ःतित ह जो कथा क नायक स न को ऽासद स उ प न अितयथाथवाद आतक और िम या यथाथ को र दत हए अपन समय क वकितय वसगितय और वम को एक साथ अनक मानवीय आयाम क ारा गट करती ह नाटक क श क पहल ौो ऽय न नाटक क ोत दकर ज ास पाठक या दशक को यह भी बोध करा दया ह क हमार परपराओ का ससार कतना विचऽ और वकट ह

नाटक य कथा पर आधा रत ह जसक अनसार ववःवान (सय) और स ा क पऽ मन न पऽ-ाि क िलए आचाय विश स Ocircपऽकाम Otilde य करवाया पर त प ी ौ ा क तीो आत रक इ छा क कारण (मन क कामना क वपर त ) इला नामक क या का ज म हो गया असत एवम दःखी मन क ाथना आ ा पर विश न अपन तपोबल क भाव और ौीह र क वरदान स पऽी OcircइलाOtilde को पऽ Ocircस नOtilde बना दया एक दन िशकार करत हए वह सयोगवश उस (शरवण) OcircवनOtilde म पहच गया जहा िशवजी क शाप क कारण कोई भी प ष वश करन पर ी बन जाता था प ष स न फर स ी इला बन गया इला क भट बहःपित क प ी तारा और चिमा क जारज पऽ बध स हई दोन न पित -प ी बनकर पऽ प रवा को ज म दया इसक बाद इला क कलग विश का ःमरण कया उ ह न उस प ष प म बदलन क िलए भगवान शकर क ःतित क अपन वचन स बध शकर न उस एक माह प ष और एक माह ी बन रहन का वरदान दया जा ऐस राजा स सत नह थी स न क तीन पऽ हए ज ह उसन तीन दश का रा यभार स प दया व होन पर वह अपन इला प स उ प न पऽ प रवा का रा यिभषक करक ःवय तपःया करन वन म चला गया

138

मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

139

सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 26: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

मामली प रवतन क साथ यह कथा वा मी क रामायण क उ रकाड तथा पराण म भी िमलती ह

भगवान क ःतित और उनक वरदानशाप क पौरा णक आधार को छोड़कर नाटककार न िलग-प रवतन क िलए जीस एवम हारम स को भा वत करन वाली आधिनक (अःप -रहःयमय क त अस यऽणादायक) रासायिनक बया का सहारा िलया ह ी-प ष क अबझ सबध ःवभाव और मनो व ान को त वतः समझन-समझान क िलए य तो लगभग इसी कार क कथाओ पर आिौत इसस पहल भी Ocircसयोग स सयासOtilde तक (स यदव दब) Ocircइ दमती स यदवOtilde (डॉ सी ड िस ) और Ocircअर मायावी सरोवरOtilde (शकर शष) जस नाटक िलख और खल गए ह पर त इला का उ य और आयाम इन सबस अलग गभीर और यापक ह यहा ी-प ष सबध को य गत कठाओ समःयाओ क ःतर स ऊपर उठाकर यापक सामा जक धािमक राजनीितक सदभ म ःतत कया गया ह यहा क मख च रऽ मन क मल िचता यह ह क पऽकाम य का वपर त प रणाम दखकर धम-कम स जनसाधारण क आःथा उठ जाएगी और उसक राजस ा कसी रत-महल क तरह पलभर म ढह जाएगी अपन इस वय क सकट को जन हत का नाम दकर मन राजग विश क मा यम स अपनी पऽी को पऽ बना दन जसा कित- वरोधी भयकर कक य कर डालत ह प रणाम यह होता ह क प वी जसी धीरज वाली कामधन क भाित लोकक याणकार ा ण जसी ब मती और कलदवता सय क भाित तज ःवनी क या इला क जगह मन को ा होता ह ण कायर और पल पला उ रािधकार आधा अधरा प ष पऽ स न

ी को आ श मानन वाल इस महान दश का इितहास हम बताता ह क यवहारतः उस एक वःत स अिधक कभी कछ नह समझा गया इसीिलए इस नाटक क ौ ा को लगता ह क ETH ldquo ी नह ह म ह वया न ह माऽ ह वया न rdquo परत मह वपण बात यह ह क अपन पित क इ छा का साधन बनन क बावजद ौ ा यह ित ा करती ह क ndash ldquoवह दबारा मा नह बनगी वह राजवश क छल को अपन र स नह पालगी rdquo112 उसक यह विोहपण चनौती ौ ा क य व और च रऽ को एक नई ग रमा तथा आभा दान करती ह

भारतीय पराण का Ocircअ नार रOtilde हो या मीक गाथा का OcircहमाोडाइटOtilde कल तक जस हम कवल कपोल क पना िमथक या पक माऽ मानत थ आज क व ािनक (िच क सक ) न जन टक इजीिनय रग अथवा जीन थरपी क मा यम स एक वाःत वकता म बदल दया ह मनोव ािनक स भी ETH ldquo ी म प ष-त व और प ष म ी-त व क वशष सम वय स ह सह अथ म ी और प ष बनत ह प ष-त व स र हत ी अिनणय ह नता और पल पलपन स मःत िम ट क एक सदर ल दा माऽ होती ह इसी तरह ी-त व स र हत प ष अहकार बरता और सवदनह नता का पतला एक रा स माऽ होता ह rdquo113 स न क वडबना और ऽासद यह ह क उसक Ocircप ष म ी-त व का

139

सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

144

सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 27: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

सयोजन नह हःत प ह उसक ी-त व म प ष का सहयोग नह अवरोध ह Otilde सयवश और चिवश क वरोधी भाव क कारण ह वह प ष होकर ण ह और ी होकर प षाचार ी-प ष क य भिम का यह ब द ह चतन-अवचतन का बनकर आधिनक य क

दबाव तनाव औस सशय क प म गट होता ह

ऋ ष विश क क ण उदास आत और ववश मनः ःथित म क गई यह आ म-ःवीकित क Ocircराजा क परो हताई करत-करत मर श या बादल स ढक हए सय जसी िनःतज हो गई मा ऽक श और जड़-चतन क ःतभन क सक पताOtilde ःप तः कलाकार ब जीवी और व ािनक क श एवम ितभा को क ठत कर दन वाल रा याौय क मारक भाव को भी रखा कत करती ह अतः ःप ह क OcircइलाOtilde प ष स ा और श ारा कित- ी पर अना द काल स लकर आज तक व वध प एवम ःतर पर कए जान वाल बला कार और अ याय-अ याचार क उ जक कहानी ह स ा और स य क बीच क वसगितय का दलचःप िचऽण यहा हआ ह यह ःथित क वडबना और कित क ितशोध का नाटक ह

इसी कार स ा क च रऽ को नाटक म िमथक-त व क मा यम स उठाकर वतमान यग यथाथ क िचऽ को अिधक सभावनाशील बनाया गया ह व ा का यह कथन आज क समकालीन यथाथ का ह सच ह ETH ldquoकौन सन रहा ह स य यहा या यह स जन क रहन यो य रा य ह कहा ह याय सार यवःथा और सड़ हई ह त हार याय करन वाल शासन करन वाल सभी अिधकार पाखड और नीच हो गए ह rdquo114

नाटक म ितवाचक क वा य राजनीित बभ ा म होम होती नार क ऽासद को रखा कत करत ह ETH ldquo ी क भीतर ी का वध कर प ष बनाया राज-दप न rdquo115

diams उ य

स प म कहा जा सकता ह क नाटक म पौरा णक िमथक व क ारा यगीन यथाथ को नवीन और नवीन सवदना द गई ह िमथक का आधिनक सदभ म सजना मक योग इस नाटक का विश य ह नाटककार ाचीन कथा क सऽ को अपनाकर िमथक का जीण ार ह या पराणपोषी कारवाई नह करता ब क मानवीय ःथित और यग प रवश क आयाम को बहत सदभ दान कर रहा ह स प म ौीमती िगर श रःतोगी क श द म कहा जा सकता ह क ETH ौी भाकर ौो ऽय न OcircइलाOtilde नाटक म जन मानवीय आयाम को विभ न कलाओ क अतरावलबन और समसामियक पनी क साथ सपण जाच-पड़ताल करत हए उ ा टत कया ह और जस तरह मनःमित काल स लकर आज तक क क प -न न यथाथ और राजनीितक सामा जक धािमक प र य को उभारा ह वह इस नाटक क उपल ध ह rdquo116

140

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 28: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

(24) Ocircरग द बस ती चोलाOtilde नाटक म िमथक य त व (1996)

diams ासिगकता

भीम साहनीजी का यह नाटक उस ऐितहािसक घटना पर आधत ह क जो भारतीय ःवाधीनता क आदोलन म OcircकालीOtilde घटना क प म दखाई दती ह यह घटना ह जिलयावाला बाग ह याकाड इस घटना को दो प रवार क प भिम म ःतत कया गया ह अमज सरकार क हकमत क वरोध म होल जल स करन लगत ह हड़ताल करन लगत ह गाधीजी अ हसा असहकार जस आदोलन को छोड़ दत ह जसक कारण लोग म जागित आन लगती ह ल कन यह बात अमज को पसद नह ह अमज ऐस लोग को काब म लान क िलए य शील दखाई दती ह उन नताओ क बात का गलत अथ भी लगाया जाता हETH

ldquo लोमर िमसाल क तौर पर गाधी क बयान अपन ताजा यान म उसन कहा ह क ह दःतान क लोग टश सरकार क साथ वसा ह बताव करग जस हलाद न अपन पता क साथ कया था ETH हलाद एक पौरा णक चा रऽ ह ETH हलाद न अपन बाप का ह म मानन स इ कार कर दया था पर साथी ह साथ उसक दल म अपन बाप क ित कोई दभावना नह थी (इ वग क ओर दखखर) आप इसका या मतलब समझत ह

माइलस इसका मतलब यह ह क जा हर तौर पर तो हम आपक इ जत करग

इ वग पर अ दर ह अ दर इस तयार म रहग क कब अपनी पीठ म छरा घ प ndash खतरा हमार िसर पर मड़रा रहा ह लोमर rdquo117

यहा हलाद क पौरा णक िमथक को भी लीया गया ह जो हर यकिशप का पऽ था साथ ह भारतीय नताओ क वधान का िनकाला गया गलत मतलब भी ःतत कया ह बहत स इ कलाबी जग क दन म बाहर स छाविनय म पहचकर गड़बड़ िनमाण करत थ जलसा म भी शािमल होत थ इ वग तो यह भी कह दता ह क इनम स कछ इ कलाबी जिलयावाला बाग क जलसा म भी जात ह ग

उस समय कछ भारतीय लोग ह खताब ा करन क िलए अमज का साथ दत थ राय-साहब जस लोग इसी कार क दशिोह लोग ह लोमर का यह वा य ह यह ःप करता ह ETH

ldquo लोमर वह मझ एक तरफ ल गया और फसफसाकर कहन लगा सा हब हम आपक तरक ब चलाएग कौन सी तरक ब मन पछा तो बोला जनाब म इलाक क सरगना को बलाकर कहगा दखो तम कामिसय क साथ उठना-बठना छोड़ दो म सा हब बहादर स त हार िसफा रश क गा क त ह कोई खताब द द rdquo118

गाधीजी न जो असहकार आदोलन श कया उसक अतगत Ocircकाला इतवारOtilde मनान क योजना श क उसक ित मायकल ओड़बायर जब सनता ह तो उस यह बात अ छ लगती

141

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

142

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

144

सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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Page 29: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

ह क रौलट बल पास हो गया शहर म अमन-शाित बनाय रखन क सलाह दन वाल य अमज खद ह उस बगाड़न का काय भी करत ह व उन सभी बाितका रय को ठ क उसी कार स कचल डालना चाहत ह जस वदशी दमन को जग म कचल डाला था

अमज अिधका रय क भाषण स अमज क ःवाथ-नीित फोड़ो और राज करो क नीित आ द का पता चल रहा ह अमज को जस ह पता चलता ह क गाधी रलगाड़ म बठकर पजाब क ओर अमतसर क ओर िनकल पड ह तो उ ह काफ परशानी होती ह य यहा य आ रहा ह इ वग खद कहता ह

ldquoइ वग हम सरकार चलाना ह सरकार को बदनाम करन और लोग को भड़कान क हर कोिशश को हम नाकाम करग (लोग िसर हलात ह )

अब मर बात यान स सिनय कल छः अल क दन अमतसर म आज हड़ताल का एलान कया गया यह हड़ताल रौल ट क खलाफ ह और सात अल को गाधी अपना मवमट श करगा (आवाज ऊची करक) इस हड़ताल स शहर म बदअमनी फलगी हम इसक इजाजत नह दग कोई भी सरकार इसक इजाजत नह दगी इस रोकना सरकार का फज ह हमार िलए कछ भी म कल नह ह ल कन सरकार कोई ऐसा कदम नह उठाना चाहती जसस यह जा हर हो क सरकार लोग पर दबाव ड़ाल रह ह rdquo119

माइकल ओड़वायर इ वग स कहता ह क ETH ldquoजो बात मझ परशान कर रह ह वह हदओ और मसलमान क बीच मल िमलाप श हो गया ह हम मसलमान स य नह कह सकत क तक क जस खलीफा क तम लोग मदद करत हो वह आज जमीन पर पड़ा धल चाट रहा ह इस शरारत का हम परडोर मकाबला करना होगा rdquo120 ल कन इसक िलए व हड़ताल मनसख करन क िलए तयार नह ह

इशरो और रतनदवी क बातचीत स पता चलता ह क उन दोन क भी पित जिलयावाला बाग म जलस म शर फ होन क िलए जात ह लगभग सभी पजाबीय का भी यह हाल होता ह क ा इशरो का लड़का ह वह मनाद करता ह ETH

ldquo क ा हर खास-ओ-आम को मतला कया जाता ह क आज-ब-रोज सोमवार शाम क ठ क साढ़-चार बज जिलयावाला बाग म एक आम प लक जलसा होगा जसम लौटर बल का पदाफाश कया जाएगा rdquo121

इसम रामनवमी क झा कय क िमथक को य कया गया ह क ा रामनवमी क झा कय म स एक झाक का नत व करन वाला ह इसी कारण वह याजी रग का पटखा पहनकर हाथ म झडा लकर नार लगान वाला ह दसर दन हड़ताल मनसख कर दन क बात फलायी जान क बावजद भी मक मल हड़ताल हो जाती ह इसी कारण हमराज चहककर कहता ह ETH

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ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

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इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 30: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

ldquoओ म सबह उठकर बाजार गया तो सब दकान ब द औ हम महा मा गाधी का ह म मानग या ड ट किम र का ड ट किम र क जगह जाज पचम भी आ जाय तो अमतसर म हड़ताल होगी कल सात अल ह कल स स यामह श होगा rdquo122

भारत म उस समय दो कार क गट थ ETH जहाल प जो बम आ द बनवान पर बल दता ह और मवाल प जो चरख आ द क असहकार अ हसा क मा यम स ःवाधीनता ा करना चाहता ह इसी कारण सरदार और हमराज म बहस भी हो जाती ह ETH

ldquoसरदार म तो घर पर ह रहगा तम जो इ कलाब करन जा रह हो चरखा कातो नार लगाओ हड़ताल करो म क आजाद हो जाएगा इ कलाब हो जाएगा

हमराज तमन कौन-सा इ कलाब कर िलया ह हम तो चरखा कातत ह हड़ताल करत ह पर तमन बम बनाकर कौन स अमज को भगा दया ह

रतनदवी अ छा बस बस अब और बहस नह होगी जब भी िमलत हो बहस करन लगत हो rdquo123

कछ जहाल प क लोग गाधीजी क वचार का वरोध भी करत थ जब रतनदवी अपन भाई सरदार सोहनिसह स सवाल करती ह क तम अकल अमज क साथ नह लड़ सकत ना तो सोहनिसह कहता ह ETH

ldquoसोहनिसह दश को आजाद करना हो तो ऐस ह होगा जान हथली पर रखकर (सहसा उ जत हो जाता ह ) चरखा कातन स नार लगान स कछ नह होगा कभी उपवास कर रहा ह कभी ाथना करता ह अमज को अपना बाप कहता ह कौम को नपसक बना रहा ह

रतनदवी (पीठ सहलात हए ) ऐसा नह कहत वीर जी गाधी र ब दा बदा ह बहत बड़ा आदमी ह महा-प ष ह

सोहनिसह र ब दा बदा ह तो ग ार जा बठ यहा या कर रहा ह कभी उपवास तो कभी सरकार को िच ठया िलख रहा ह िच ठया िलखन स दश को आजाद िमलगी दश को यतीमखाना बनाकर छोड़गा rdquo124

जब आम प लक म जलसा हो जाता ह तो इ वग को ओड़वायर पछता ह क चतावनी क बावजद शहर म पचास हजार लोग का जलसा कस हो गया इ वग क ठ क जवाब न दन पर इनक लीडर डॉ स यपाल और कचल इन दोन को शहर स बाहर िनकाल दन का आदश दया जाता ह रामनवमी हदओ का यौहार ह और उसम भी जलस और झा कया िनकाली जाएगी यह बात सनकर और इस दवस को हद और मसलमान िमलकर कौमी एकता दवस क प म मनान वाल ह यह सनकर ओड़वायर बोिधत हो जाता ह

143

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

144

सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 31: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

इ वग डा टर कचल और स यपाल को दावतनामा भज दना चाहता ह और जलस म होन वाल अमज क मख बर क हड़बड़ मचा दत ह जसक कारण गोली चल जाती ह इसक बाद घायल को अःपताल म नह ल िलया जाता और फर आगजनी क घटनाए होन लगती ह लटपाट भी मच जाती ह

रतनदवी क गली म एक अमज औरत को प थर मार-मार कर लह-लहान कर दया जाता ह उस हमराज उठाकर लाता ह उसक मरहमप ट करता ह इशरो क घरवाल क भी पाव म गोली लग जाती ह ल कन गलतफहमी म हमराज को ह कद कर िलया जाता ह

अमत शहर पर फौजी कानन लाग कराया जाता ह ग ड़यर जनरल ड़ायर जब आ जाता ह तो इ वग उस बताता ह क शहर म अब शाित ह और उस बनाय रखन म शासन मदद करगा तो ड़ायर य य स बोलता ह ETH

ldquoड़ायर शासन ह कहा पर शासन उस व या कर रहा था जब टाउन हॉल और बक जलाय और नजद क ह एक गली म ईसाई िमशनर िमस शखड़ को प थर मार-मारकर हलाक कया जा रहा था अब िस वल शासन मर या मदद करगी rdquo125

यह बात कहकर ड़ायर माशल लॉ लाग कर दता ह वह उस गली म जाना चाहता ह जहा िमस शखड़ पर पथराव कया गया वह कड़ -स-कड़ सजा दन क प म ह

ड़ायर अमज दःत को लकर शहर म मना द करता फरता ह फर क ा और उसका दल उनक नकल उतारता ह जसक कारण ड़रकर उन ब च क माए उ ह घर म खीचकर ल जाती ह इतना आतक उस समय ड़ायर का फल चका ह ल कन िमःटर लईस आकर ड़ायर को बताता ह क माशल लॉ क बावजद भी शाम को जिलयावाला बाग म जलसा होगा

लईस ड़ायर को यह भी बताता ह क कम स कम आज क दन तो जलस पर पाबद नह लगानी चा हए वह कहता ह ETH ldquoआज बसाखी का दन ह सर पजा बय का यह बहत बड़ा यौहार ह आज क दन िसखप थ क ःथापना हई थी यह नह आज का दन लोग घर पर नह बठग ब च को बसाखी क मल पर ल जायग ःवण म दर जायग rdquo126 ल कन जब ड़ायर ःवीकार करता ह क यह सह दन ह

रतनदवी क घर म कर कली गान क परपरा क िमथक को भी ःतत कया जाता ह इशर का घरवाला अभी भी पर क दद क कारण घर पर ह ह ल कन क ा और हमराज दोन जलस म ह गय हए ह जलस क लोग का वणन अ यत ह भावशाली श द म कर दता ह ETH

ldquoआज यहा भी मल-का-सा समा ह वाह वाह रग बरगी पग ड़या तर हवा म झम रह ह बसाखी क शभ पव पर जलस म आय हजार लोग क दल हलोर ल रह ह अमतसर क जनता क ह बलवतनी जदाबाद

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सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 32: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

सा हबान आज क दन ग महाराज ग गो व द िसहजी न पथ क ःथापना क थी आज बसाखी क दन हम गाधीजी क ारा चलाय गय स यामह क श आत करग rdquo127 ल कन तभी ड़ायर वहा आकर बना पव सचना दय ह गोली चला दता ह उस गोलीबार म रतनदवी हमराज और इशरो का लड़का क ा इन दोन क भी मौत हो जाती ह

diams उ य

उपय त य क आधार पर िनकष प स कहा जा सकता ह क Ocircरग द बसती चोलाOtilde म ऐितहािसक बोध व समसामियक प रवशबोध एक ःतर पर जाकर स ब हो जाता ह ःवतऽता समाम क समय क समःया कारा तर स आज भी य क य बनी हई ह फक माऽ काल गोर कमचा रय का ह आज भी पिलिसया अ याचार उसी कार होता ह जसा टशकाल म था रा ीय समःया का ःव प बदल गया ह मगर वह समा नह हआ ह जस अमज क समय म बाट और राज करो क नीित अपनायी जाती थी ठ क उसी कार आज भी सरकार जाित धम पथ क नाम पर समाज को बाट रह ह लोक क याणकार त य क नाम पर स ा को हिथयार बनाकर लोग पर मनमानी कर रह ह तो ऐस म इन सभी अनगल बात का ितरोध करनवाली श कसी ऐितहािसक थाती का सहारा ढढगी सभवतः यह कारण ह क भीम साहनी न जिलयावाला बाग सबधी ऐितहािसक िमथक को नाटक क प म वतमान प रआय म ःतत कया ह

(25) OcircआलमगीरOtilde नाटक म िमथक य त व (1999)

diams ासिगकता

भीम साहनी ारा िलखा गया OcircआलमगीरOtilde यह नाटक औरगजब क जीवन क कछ घटनाओ पर पर तरह काश डालता ह इितहास िमथक न हम औरगजब क जीवन क जन घटनाओ को दखाया ःतत कया उन घटनाओ क पीछ औरगजब क मानिसकता कसी थी इस अब तक कसी भी इितहास म नह बाताया गया था उसक य व क कई पहल ऐस ह क जनक बार म इितहास मौन रहा ह उ ह ःतत करन का पहला यास भीम साहनी जी न अपन OcircआलमगीरOtilde नामक नाटक म कया ह ऐसा तीत होता ह

शाहजहान क चार बट ETH दारा औरगजब शजा औ मरादब श ह इन चार को शाहजहान न बमशः कधार द खन बगाल और गजरात क हकमत स भालन क िलए भजा ह दारा का मसा हरा कामयाब नह हो पाता परत जब भी उस चालीस हजार क मनसवदार द जाती ह और उसक जर प चास हजार दो अःपा सह अःपा सवार रहग यह घोषणा जब क जाती ह तो रोशनारा अ यत खश हो जात ह दारा क व िमजाज का य ह वह Ocircमजमा-उल-वहराइनOtilde अथात दो सागर का िमलन यह कताब िलखता ह और जहानारा भी उसी कार क ह जो Ocircिचती-सवान-ए-उीOtilde यह कताब िलखती ह दारा को दय Ocircवली-अहदOtilde क कताब स औरगजब उसक ित हमशा ईयामःत रहता ह रोशनारा भी औरगजब क हा म हा िमलाती रहती ह

145

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

Page 33: दोन हम पापी ह G पछलेजम म E जो पाप कये, उनके फल भोग रहेह G परshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/9126/10/10_chapter

औरगजब मराब श को अपन जाल म फास लता ह बादशाह सलामत बीमार क कारण आठ दन झरोखा दशन नह द पात इसी का फायदा उठाकर वह मराद को अपन प म यह कहकर कर लता ह क बादशाह सलातम को जहर द दया गया ह वह उस यह बता दता ह क उस स तनत क कोई हवस नह ह और वह टो पया सी सीकर भी अपनी गजर कर सकता ह वह कहता ह क मराद तो बहत ह भोला ह वह हर कसी पर यक न कर लता ह बादशाह सलामत क ारा भजा गया यह खत जाली ह इस पर शाह मोहर तो लगी ह पर त इस दारा न भजा ह ता क हम उसस दर रह और वह हकमत पर अपना क जा बनाए रख वह मराद को यह भी बता दता ह क उसक त त ा करन क जरा भी इ छा नह ह पर त वह इस स तनत को गारत म िगरता नह दख सकता इसक िलए अगर कोई चीज बशक मत ह तो वह ह ETH मगिलया स तनत क बहबद बादशाह सलामत अगर जदा भी ह तो उ ह दारा क चगल स छड़ान का कोई न कोई उपाय हम करना चा हए

औरगजब मराद स कहता ह ETH ldquoसच पछो तो मर दली वा हश ह क एक दन तम त त पर बठो ऐसी वा हश मर न दारा क बार म ह न शआ क बार म दारा हकमत करन क का बल नह ह वह सारा व पलसफ बघारता रहता ह और द न क दमन क साथ उसका उठना -बठना ह शजा ऐयाश ह तम प ता इराद क हो बहादर हो जब तम त त पर बठ जाओग तो म म का शर फ क जयारत पर िनकल जाऊगा यह मर दली तम ना ह rdquo128

दारा को जब खबर लग जाती ह क औरगजब मराद क साथ आबमण करन आ रहा ह तो दारा भी तयार हो जाता ह शाहजहान को दारा आ त करता ह क वह खानाजगी को बढ़न नह दगा यह दखकर शजा भी खदमद तार का ऐलान कर अपन नाम का िस का भी चला दता ह शाहजहान खद य म उतरन का िन य कर लता ह ल कन दारा उस ऐसा करन स रोकता ह दारा खद ह टटकर मकाबला करन का िनणय ल लता ह

ल कन य म जो भागदौड़ मच जाती ह उसक कारण दारा य स भाग आता ह उसक पलायन का जो नतीजा होता ह भागदौड़ मच जाती ह िसपह आकर पताजी को डाटता ह ETH

ldquoिसपह अ बाजान आपको या ज रत पड़ थी हाथी पर स उतरन क आप य हाथी पर स उतर मन आपको हाथी पर स उतरत दखा आप उतर औ फर लौटकर ह नह आए

दारा वह करना ज र था खलील लाह न बड़ ताक द स कहा क बाए महाज का एक हःसा कमजोर पड़ रहा ह मझ वहा जाना चा हए मन ठ क ह कया वहा पहचना ज र था

146

िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

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िसपह फर आप लौटकर य नह आए आपको हौद म बठ नह दखा तो फौजी धबरा गए जान या हआ ह कसी को या मालम क आप कहा गए ह आपको अपनी जगह पर नह दखा तो उनक पाव उखड़ गए आपको अपनी जगह बन रहना चा हए हमार फतह यक नी थी दमन खदड़ा जा रहा था rdquo129 ल कन दारा का दमाग उस समय ठ क स काम नह कर रहा था इसी कारण जीती बाजी हार जाता ह उस वहा स भागन क अलावा और कोई भी राःता नह रह जाता ना दरा िसपह और दारा भाग जात ह

औरगजब को अपनी जीत क खशी होती ह वह इस खदावतताला क मोहर मानता ह जहानारा बादशाह सलामत क ओर स खद औरगजब को OcircआलमगीरOtilde तलवार दान करती ह साथ ह बादशाह का यह सदशा भी दती ह क वह त त पर बठगा और उसक भाई अपन अपन सब पर चल जायग ल कन बाद म उसका जहानारा और अपन पता पर भी व ास नह रहता दारा द ली क तरफ भागा ह यह सनकर एक फौजी दाःता औरगजब उसक पीछ लगा दता ह राजा जसवतिसह को दारा को पकड़न क शत पर शरण म वह ल लता ह जब अलीबभ जसवतिसह पर कतना भरोसा कर यह सवाल पछता ह तो औरगजब अपनी चाल उस समझाता ह ETH

ldquoऔरगजब राजा जसवतिसह महज एक फद नह ह वह हमार साथ िमलता ह तो उसक पर रयासत हमार साथ िमलती ह दारा क पीछ हमन खलील लाह को भजा ह अब राजा जसवतिसह खलील लाह साथ होगा दोन पर नजर रखन क िलए हम कसी और सरदार को भजग rdquo130

औरगजब अपन भाई को पकड़न क िलए सिनक भजता ह अपन पता को भी नजरबद करा दता ह पहल मह मद आजम को भज कल पर अिधप य जमा लता ह और उस बताता ह क उन पर पाबद लगायी ह इस बात का एहसास भी उ ह न होन पाए य क यह सब उनक सलामती क िलए कया जा रहा ह

एक दन मरादब श क सपन को लकर तवर चढ़ाकर उस पकड़कर ल जान क िलए औरगजब कहता ह अपन भाई को राःत स हटात समय वह कहता ह ETH

ldquoइस पछल खल म डाल दो

यह हजरत मर साथ दारा को पकड़न जायग और मर साथ चाद क िसहासन पर बठग (अलीबग स) सनो आज ह रात क अधर म मरादब श को सीधा द ली ल जाया जाएगा कसी को कान कान खबर नह होन पाए क मरादब श को िगर तार कर िलया गया ह द ली म पहचकर मरादब श को सलीमगढ़ कल म नजरबद कर दोग बाद म इस वािलयर क कल म भज दया जाएगा rdquo131 उसका खजाना भी ज त कर िलया जाता ह ल कन उस पर आराम क साथ रखा जाएगा यह सचना भी वह द दता ह उसक माशका सरसनबाई भी वहा पहचायी जाती ह

147

दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

148

diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

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बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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दारा जस मािलक जीवन पर अवल बत रहता ह वह उसक साथ ग ार करता ह ना दरा क तभी मौत हो जाती ह दारा को पकड़ िलया जाता ह उसक म रयल हाथी पर िचथड़ पहनाकर नग िसर हाथी क दम क तरफ मह करक सवार करायी जा ती ह सभी हस-हसकर उसका मजाक उड़ात ह पर त जा बोिधत हो जाती ह तब मजहवी अदालत क नाम पर उस मार ड़ाला जाता ह

ल कन धीर-धीर औरगजब क ःथित ऐसी हो जाती ह क उसका कसी पर भी व ास नह रहता उसन अपन बट और बट को भी नजरबद रखा उसक ःथित अलीबग बताता ह ETH

ldquoअलीबग कोई फद नह जस पर वह शक न करन लग दरबार म उमरा उनक सामन खौफ जहद खड़ रहत ह कोई नह जानता क कल बादशाह सलामत का ख या होगा कसी ओहददार को कसी म हम पर भजत ह तो उस पर नजर रखन क िलए कसी दसर मनसबदार को उसक साथ जोड़ दत ह तीन वफादार पर तीन एक दसर पर जाससी करन वाल नतीजा यह हआ ह क बादशाह सलामत खद अकल पड़त जा रह ह rdquo132

अत म व औरगजब क ःथित ऐिस हो जाती ह क उस बार-बार ऐस य य क याद आती ह आभास होता ह जनक साथ उसन अ याय कया ह वह वहमी होन लगता ह वह जहानार को बताता ह क उसन दारा को कस मारा दारा न मरन स पहल औरगजब को खत िलखा था वह लगभग बहोशी म बोलन लगता ह ETH

ldquoवह नजरबग था जसन दारा का िसर कलम कया था नजरबग जरखर द गलाम वह उसका िसर धो-प छकर मर पास लाया था और साईफखान था जसक िनगरानी म उसका िसर कलम कया गया था

जहानारा या कह रह हो औरगजब कौन साईफखान

औरगजब साईफखान फक र लाह जसन OcircरागदपणOtilde िलखा था वह वह वह दारा का दोःत था मन उस भजा था क अपनी िनगरानी म वह दारा का काल क ल करवाए

जहानारा (जहानारा को गहरा ध का लगता ह) या अ लाह दोन क दल पर या बीती होगी औरगजब उसक जदगी को आखर घड़ म भी त ह उस पर रहम न आया rdquo133

ल कन अब औरगजब क मन म अकलपन क भावना घर करन लगी ह उस पता क भाई क बट क सभी क याद आती ह उसक बट मराठ क साथ मलजोल बढ़ा रह ह यह बात वह सहन नह कर पाता इसी कारण खद ह द ण क म हम पर जान क िलए तयार हो जाता ह इसी म हम म हो उसका अत हआ ह यह बात हम इितहास बताता ह जस कार क उसक अितम इ छा ह उसी कार स उसक क भी बनायी जाती ह ETH खल आसमान क नीच जस पर कोई छत या कोई साया नह हो

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

149

वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

150

सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

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बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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diams उ य

इस कार जीवन भर सघष करत हए औरगजब न अहमदनगर क पास दम तोड़ दया जहा उसक मज स खल आसमान क नीच उस दफना दया गया आज भी उस क पर कोई छत या साया नह ह िनकषतः कहा जा सकता ह ETH नाटककार भीम साहनी न औरगजब क िमथक को उसक पर परागत अथभिम म ःतत कया ह वह ःवाथिल शोषणकता अपनी ह आका ाओ क पित हत जीनवाला ःवाथिल व शासक ह इस िमथक क मा यम स समाज म या वसगितय पर काश डाला गया ह शासनतऽ व धम क साठ-गाठ स सामा य जनता क िलए जानवाल शोषण राजनीित क दोगलपन आचरण व अवसरवा दता आ द को एक िमथक क मा यम स य कया गया ह इसक मा यम स अफसरशाह क आखमद कर आदशपालन क गलत नीितय पर काश डाला गया ह दारा को जलील व अपमािनत करन क सग म जनता क अपन शोषण क व ितकार करन क भावना को अिभ य कया गया ह भीम साहनी न िमथक का योग समाज को वकासो मख व सह दशा दान करन म कया ह जो जन-चतना को अमसा रत करत ह ःवःथ जीवन-म य का िनमाण करत ह िमथक य श क ारा समकालीन समःयाओ को उसक मल प म दशक क सम रखकर उ ह सोचन पर ववश कर दत ह लखक न जाग क िचतक क भाित िमथक य आवरण म समकालीन समःयाओ का बबाक व षण कर जनजीवन को सह दशा दन का यास कया ह जसस जनसामा य म साःकितक ग रमा व आ मािभमान पदा हो सक

bull िनकष साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क समःयाओ को िमथक य कथानक व

पाऽ क मा यम स अपनी मौिलक ितभा व अ वषणशील श स अिभ य कया ह आिथक सामा जक राजनीितक व नितक समःयाओ को उ ा टत करना ह इस साठो र ह द नाटककार का मल उ य रहा ह

वतमान शासन स ब धी समःया म िसफा रश र त (उ कोच) धोखाबाजी छलकपट शोषण क नीित तथा राजस ा क लोलपता को दिशत कया ह सामा जक समःया म वण यवःथा जाित-पाित का भद अध- व ास ढ़वाद वचारधारा एवम नार जगत क समःयाओ स व कराकर विोह करन क व क अवधारणा क ह वय क समःया म य क अहकार ःवाथ एवम धनलोलप क मानवीय दव को दिशत कर य म आदशवाद उदा भाव क अवधारणा क ह

साठो र ह द नाटककार न वतमान यग क वसगितय व मानवीय ःवभाव म िनवास करनवाली दव य व ढ़वाद एवम अ ध व ासी सक ण वचारधारा (डोगम टक) को पराकथाओ क मा यम स अिभ य कया ह इसीिलए साठो र ह द नाटककार न

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

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बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

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बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

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बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

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बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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वगत यग क कलाकितय का नय ढग स म याकन कया ह और नय म य को ःथा पत कर जज रत मयादा व गिलत आःथाओ क ित विोह क भावना को जागत कया ह तथा वतमान शासन सबधी बराईय को दिशत कर शासक व शािसत को जागत कया ह तथा अपन कत य क ित सजाग बनन क बात को ितपा दत कया ह

इस अ याय म साठो र ह द नाटककार क नाटक म िमथक य त व पर काश डाला ह अगल अ याय म साठो र ह द क मख नाटक का रगिश प एवम भाषा -शली पर काश डालगी

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

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बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

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बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

155

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सदभ सकत

बम पःतक का नाम लखक प

1 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 591 2 एक कठ वषपायी दयत कमार 83

3 वह वह 89

4 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 593

5 एक कठ वषपायी दयत कमार 106

6 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 131 7 मोहन राकश क सपण नाटक निमच ि जन 192

(लहर क राजहस) 8 ह द क तीक नाटक रमश गौतम 182

9 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 416 10 वह वह 417

11 वह वह 417

12 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 127

13 साठो र ह द ना य-लखन योगशीलता डॉ मलय पानर 74

14 वह वह 75

15 वह वह 75

16 वह वह 76

17 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168 18 इकतार क आख म ण मधकर 83

19 वह वह 72

20 ह द नाटक इितहास और समकालीन बोध डॉ भात शमा 168

21 एक और िोणाचाय डॉ शकर शष 108

22 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 89

23 वह वह 89

24 वह वह 90

151

बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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बम पःतक का नाम लखक प 25 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 53

26 वह वह 54

27 वह वह 54

28 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 546

29 डॉ सर ि वमा क नाटक म िमथक

का आधिनक करण डॉ वीणिसह चौहान 55

30 वह वह 56

31 वह वह 56-57

32 वह वह 56-57

33 वह वह 57-58

34 रामकथा और ह द नाटक डॉ यो सना आन द 99

35 वह वह 99

36 श बक क ह या नर ि कोहली 21-22

37 वह वह 17

38 वह वह 27-28

39 वह वह 29

40 वह वह 57-58

41 वह वह 59

42 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 502

43 एक स य ह र ि डॉ लआमीनारायण लाल 77

44 अ नलीक भारतभषण अमवाल 43

45 वह वह 17-18

46 वह वह 19

47 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 607

48 वह वह 601 49 वह वह 602

50 वह वह 603

51 राजा बिल क नयी कथा रवतीशरण शमा 10

52 वह वह 10

152

बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

154

बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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बम पःतक का नाम लखक प 53 वह वह 36

54 वह वह 56-57

55 वह वह 58

56 वह वह 50-51 57 साठो र ह द ना यलखन म योगशीलता मलय पानर 58

58 वह वह 58

59 वह वह 59

60 राम क लड़ाई लआमीनारायण लाल 67

61 वह वह 23

62 वह वह 8

63 वह वह 11 64 वह वह 12-13

65 वह वह 48-49

66 वह वह 49

67 वह वह 28-29

68 वह वह 26

69 वह वह 59

70 यमगाथा दधनाथ िसह 8

71 वह वह 30

72 वह वह 32

73 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 619

74 यमगाथा दधनाथ िसह 42

75 वह वह 76

76 वह वह 80

77 वह वह 105

78 कोमल गाधार शकर शष 36-37

79 वह वह 28

80 वह वह 33

81 वह वह 34-35

82 वह वह 37-38

153

बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

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बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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बम पःतक का नाम लखक प 83 वह वह 19

84 वह वह 68

85 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 309

86 माधवी भीम साहनी 17

87 वह वह 17

88 वह वह 17

89 भीम साहनी का ना यसा ह य डॉ काश धमाल 311 90 िमथक और ःवात यो र ह द नाटक रमश गौतम 134

91 वह वह 135

92 माधवी भीम साहनी 22

93 एक म य डॉ वनय 52-53

94 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल VI

95 ह द नाटक िमथक और यथाथ रमश गौतम 497

96 नरिसह कथा डॉ लआमीनारायण लाल 15

97 वह वह VI

98 वह वह 49

99 वह वह 49

100 वह वह 49

101 वह वह 61 102 जा ह रहन दो िग रराज कशोर 11 103 वह वह 20

104 वह वह 9

105 वह वह 17

106 वह वह 9

107 वह वह 16

108 वह वह 55

109 वह वह 58

110 वह वह 59

111 वह वह 110

112 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 24

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बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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बम पःतक का नाम लखक प 113 वह वह 24

114 इला भाकर ौो ऽय 104

115 वह वह 46

116 िमथक पनसजन इला और भाकर वभकमार डॉ पाली ौो ऽय का रग-सागर चौधर 43

117 रग द बस ती चोला भीम साहनी 7-8

118 वह वह 9

119 वह वह 15

120 वह वह 15

121 वह वह 19

122 वह वह 22

123 वह वह 24

124 वह वह 28

125 वह वह 61 126 वह वह 73

127 वह वह 76

128 आलमगीर भीम साहनी 22

129 वह वह 31 130 वह वह 41 131 वह वह 45

132 वह वह 69

133 वह वह 75

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