इसके अितर कुछ ूमुख हद वेबसाइट के...

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इसके अितǐरƠ कु छ मुख ǑहÛदȣ वेबसाइटɉ के नाम िनàनिलǔखत हɇ Ð 1) मःट डाउनलोड (http:/hi.mustdownloads.com/) 2) इंटरनेट पर ǑहÛदȣ : कहाँ पर Èया ? (http://hi.wikipedia.org/wiki/web Hindi Resources) 3) गुǾजी ǑहÛदȣ खोज (http:/www.guruji.com/hi) 4) ǒवःफोट.कॉम (http://www.visfot.com) 5) इंटरनेट_पर_ǑहÛदȣ_के _साधन (http://hi.wikipedia.org/wiki ) 6) रÝतार (ǑहÛदȣ मɅ खोजे ) (http://www.raftar.com) 7) माइबोसोÝट डाउनलोड के Ûि (http://www.microsoft.com/downloads/search.aspx? displaying_hi) 8) युनीकोड ǑहÛदȣ यंऽ (http://www.unicodehindi.com/) 9) ओपन डायरेÈटरȣ ǑहÛदȣ (http://www.dmoz.org/world/hindi) 10) ǑहÛदȣ ÞलॉÊस (http://hindiblogs.orgl) 11) ǑहÛदȣ कलम (http://hindikalam.com/) 12) ǑहÛदȣ टलबार ǒपटारा (http://hindiblog.ourtoolbar.com/) 13) ǑहÛखोज.कॉम : ǑहÛदȣ मɅ खोजे (http://www.hinkhoj.com) 14) ǑहÛदȣ मीǑटÛग काड[ (http://greetings.hinkhoj.com) 15) राईटका ǑहÛदȣ टंकण यंऽ (http://www.writeka.com/scripton/hindi/) 16) यंऽं ǑहÛदȣ खोजक (http://yantram.com/hi/) 17) ǑहÛदȣ िगयर (http://www.hindigear.com) 18) भारतीय भाषाओं के िलए ौƭोिगकȧ ǒवकास (http://www.iidc.in/Hindex.aspx) 19) ǑहÛदȣ कȧ ǒबंदȣ (http://hindikibindi.com/index/ohp) 20) ǑहÛदȣ एǑडटर (http://www.hindieditor.com) 21) बागे वफा (http://bagewafa.wordpress.com) 22) संधान ǑहÛदȣ खोज (http://www.sandhaan.com/) 23) ǔÈविलपैड ǑहÛदȣ टंकण (http://quilipad.com.hindi/) 24) ǑहÛदȣ वड[ेस (http://hi. Wordpress.com/) 25) नारद-ǑहÛदȣ िचÒठा संमाहक (http://narad.akshargram.com/) 26) बेतरतीब ǒवचार (http://straythoughts. Karan.blogsspot.com/) 27) िचÒठा जगत (http://www.chitthajagat.in/) 28) पॉडभारती अपनी बोली अपनी बात (http://www.podbharti.com/)” 18 ǑहÛदȣ मɅ -मेल कȧ सुǒवधाएँ िनàनिलǔखत वेबसाइटɉ पर उपलÞध हɇ Ð 1) www.epatr. Com 2) www.langoo.com 162

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  • इसके अित र कुछ ूमुख ह द वेबसाइट के नाम िन निल खत ह Ð “1) मःट डाउनलोड (http:/hi.mustdownloads.com/) 2) इंटरनेट पर ह द : कहाँ पर या ? (http://hi.wikipedia.org/wiki/web Hindi Resources) 3) गु जी ह द खोज (http:/www.guruji.com/hi) 4) वःफोट.कॉम (http://www.visfot.com) 5) इंटरनेट_पर_ ह द _के_साधन (http://hi.wikipedia.org/wiki) 6) र तार ( ह द म खोजे) (http://www.raftar.com) 7) माइबोसो ट डाउनलोड के ि (http://www.microsoft.com/downloads/search.aspx?

    displaying_hi) 8) युनीकोड ह द यंऽ (http://www.unicodehindi.com/) 9) ओपन डायरे टर ह द (http://www.dmoz.org/world/hindi) 10) ह द लॉ स (http://hindiblogs.orgl) 11) ह द कलम (http://hindikalam.com/) 12) ह द टलबार पटारा ू (http://hindiblog.ourtoolbar.com/) 13) ह खोज.कॉम : ह द म खोजे (http://www.hinkhoj.com) 14) ह द मी ट ग काड (http://greetings.hinkhoj.com) 15) राईटका ह द टंकण यंऽ (http://www.writeka.com/scripton/hindi/) 16) यंऽं ह द खोजक (http://yantram.com/hi/) 17) ह द िगयर (http://www.hindigear.com) 18) भारतीय भाषाओं के िलए ूौ ोिगक वकास (http://www.iidc.in/Hindex.aspx) 19) ह द क बंद (http://hindikibindi.com/index/ohp) 20) ह द ए डटर (http://www.hindieditor.com) 21) बागे वफा (http://bagewafa.wordpress.com) 22) संधान ह द खोज (http://www.sandhaan.com/) 23) विलपैड ह द टंकण (http://quilipad.com.hindi/) 24) ह द वडूेस (http://hi. Wordpress.com/) 25) नारद- ह द िच ठा संमाहक (http://narad.akshargram.com/) 26) बेतरतीब वचार (http://straythoughts. Karan.blogsspot.com/) 27) िच ठा जगत (http://www.chitthajagat.in/) 28) पॉडभारती – अपनी बोली अपनी बात (http://www.podbharti.com/)”18

    ह द म ई-मेल क सु वधाएँ िन निल खत वेबसाइट पर उपल ध ह Ð 1) www.epatr. Com 2) www.langoo.com

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    http://hi.wikipedia.org/wiki/webhttp://www.visfot.com/http://www.raftar.com/http://www.microsoft.com/downloads/search.aspxhttp://www.unicodehindi.com/http://www.dmoz.org/world/hindihttp://hindiblogs.orgl/http://hindiblog.ourtoolbar.com/http://www.hinkhoj.com/http://greetings.hinkhoj.com/http://www.writeka.com/scripton/hindi/http://yantram.com/hi/http://www.hindigear.com/http://www.iidc.in/Hindex.aspxhttp://hindikibindi.com/index/ohphttp://www.hindieditor.com/http://bagewafa.wordpress.com/http://www.sandhaan.com/http://quilipad.com.hindi/http://narad.akshargram.com/http://www.chitthajagat.in/http://www.podbharti.com/

  • 3) www.mailjol.com 4) www.rajbhasha.nic.in 5) www.danikraoran.com 6) www.webdunia.com 7) www.rediffmail.com 8) www.bharatmail.com 9) www.cdacindia.com

    भारतीय खोज इंजन क सूची िन नूकार से ह Ð 1) www.searchinda.com 2) www.jadoo.com 3) www.khoj.com 4) www.iloveindia.com 5) www.123india.com 6) www.samilan.com 7) www.samachar.com 8) www.search.asiaco.com 9) www.rekha.com10) www.sholay.com 11) www.locateindia.com 12) www.mapsofindia.com 13) www.webdunia.com 14) www.netjaia.com 15) www.indiatimes.com

    इन सभी ह द या ह द से संबंिधत वेबसाइट को हम इंटरनेट मा यम पर देख सकते ह । इसके अित र कई ऐसी ह द पऽ-प ऽकाएँ ह जो इंटरनेट मा यम पर देखे व पढ़े जा सकते ह । 1) http://www.jagran.com. 2) http://www.naidunia.com. 3) http://www.prabhasakshi.com. 4) http://www.mayapurimagazine.com. 5) http://www.indiatoday.com.

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    http://www.cdacindia.com/http://www.rekha.com/

  • 6) http://www.rajasthanpatrika.com. 7) http://www.hindimilap.com. 8) http://www.navbharat.com. 9) http://www.bhaskar.com. 10) http://www.sanjhalokswami.com. 11) http://www.amarujala.orge 12) http://www.lokmat.com. 13) http://www.samacharbureau.com. 14) http://www.krantidaily.com. 15) http://www.navbharattimes.com. 16) http://www.aanubutihindi.orge 17) http://www.abhivyaktihindi.orge 18) http://www.tadbhav.com. 19) http://www.kusum.comehindipatrikahim. 20) http://www.literateword.com. 21) http://www.manaskniticomlaavyaalaya. 22) http://www.kalyan.orglalayanpatrikae.index.html 23) http://www.bharatdarshan.co.nzestories.e.index.html. 24) http://www.mp.nic.inepanchayikae. 25) http://www.womeninfoinecoen 26) http://www.indleentemmetindex.asp.

    इस ूकार ह द वेबसाइट , ई-मेल, सच इंजनो एवं ई-पऽ-प ऽकाओं क सं या म दन-ूित दन लगातार वृ दखाई दे रह है । रा यभाषा ह द के िलए यह गौरव क बात है क पूणे क सी-डैक कंपनी ने ह द क यूटर के िलए अ यिधक काम कया है । ह द भाषा म वेबपेज करने हेतु Ô लग इनÕ (Plug in) पैकेज तैयार कया है, जससे कोई भी य संःथा अपना वेबपेज ह द म ूकािशत कर सकता है । इतना ह नह ं क नड- ह द के बीच अनुसारक सॉ टवेयर भी बनाया गया है । हैदराबाद व व ालय और आई.आई.ट . कानपुर ने ह द और द ण भाषाओं के बीच अनुवाद सॉ टवेयर का वकास कया है । सूचना ूौ ोिगक म ह द भाषा का ूचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है । आज माइबोसॉ ट, याहू, रे डफ आ द वदेशी कंपिनयाँ अपनी वेबसाइट, सूचना ूौ ोिगक म ई-कोमस, ई-गवनस ेऽ म ह द का वकास धीरे-धीरे कर रह ह । इसके अित र कई अ य लघुप ऽकाएँ और ह द

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  • समाचार पऽ भी इंटरनेट मा यम पर उपल ध ह । साथ ह ह द लघुकथाओं एवं ह द व क वताओं को भी हम इंटरनेट मा यम पर देख सकते ह । साथ ह ह द यूज चैनल और दरदशन आ द क वू िभ न वेबसाइट क भरमार भी इंटरनेट पर लगी है । वै करण और सूचना ूौ ोिगक के इस दौर म व भाषा ह द इंटरनेट के िलए उपयु और मह वपूण भाषा बन रह है ।

    आज व क सभी बड़ कंपिनयाँ भारतीय उपभो ा वग क ओर टकटक लगाए बैठ ह । य द इन कंपिनय को अपने उ पाद का ूचार भारत एवं एिशया के अ य देशो म करना है तो भाषा के प म ह द भाषा को ह अपनाना होगा । “भारत वष के वःततृ उपभो ा बाजार म आमजन तक अपनी पहँच बनाने के िलए बहरा ीय कंपिनय के िलये ह द भाषा ु ुको अपनाना एक आवँयक मजबूर है । बढ़ते व बाजार ने ह द भाषा के िलये Ôखतरे के ःथान पर स भावनाÕ के नये ार खोल दये ह । इसी के चलते भारतीय भाषाओं क क यू टंग पर आज पहले से अिधक यान दया जा रहा है । यूनीकोड कंसो टयम के ूयास से बजूद म आये यूनीकोड के दिनु या भर क भाषाओं को अंक म िलखने क जो कवायद शु क थी, उसका ह द को भरपूर लाभ िमला है । यूनीकोड इंटरनेट पर आज भाषा का नया मानक बन चुका है । इसके चलते इंटरनेट पर ह द वेबसाइट क सं या लगातार बढ़ रह है ।”19

    िसफ भारत म ह ह द वेबसाइट का िनमाण नह ं हो रहा ब क व के कोने-कोने से ह द वेबसाइट के िनमाण क खबर वतमान समय म आ रह ह । इन वेबसाइट का प र ँय अंतरा ीय ःतर का है । वदेश म रह रहे ह द सा ह यकार ारा इस ूकार क वेबसाइट को ूचा रत कया जा रहा है । “ वदेश म खासकर अमे रका, जापान, जमनी आ द देश म ह द म मह वपूण सा ह यकार एवं सा ह यक प ऽकाओं क वेबसाइट अ ःत व म आई । इनम कुछ मह वपूण वेबसाइट थीÐ अिभ य - ह द .ओआरजी, अनुभूित-ह द .ओआरजी, भारतदशन.कॉम, ह द नेःट.कॉम । इन वेबसाइट के वकास क ू बया म आनेवाली भाषा संबंधी असु वधाओं को दर करने का ूयास कया गया और इस बम म ूतकनीक का वकास होता रहा ।”20 इस ूकार वदेश म भी ह द इंटरनेट मा यम का वःतार हो रहा है । इससे ह द भाषा के ूचार-ूसार म मदद िमल रह है ।

    ह द भाषा को अंतरा ीय धरातल पर पहचान ूदान करने म वै क बाजार यवःथा एवं इंटरनेट मा यम ने बहत बड़ भूिमका का िनवाह कया है । लोग ह द को सीखना ुचाहते ह, उसम यवहार करना चाहते ह पर त ु उ ह सह मा यम एव ं सह तर के क आवँयकता थी । उनक इस आवँयकता को इंटरनेट मा यम ने बखूबी िनभाया है और आज इंटरनेट के चलते कई अ ह द भाषी लोग ह द भाषा का ान ूा कर रहे ह । भ वंय म

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  • ह द इंटरनेट मा यम और अिधक सश प म हमारे सामने आएँगे इसक पूर स भावना य क जा रह है । “इन ूमुख वेबसाइट के अित र अनेक वेबसाइट अब ह द म उपल ध ह । यह नह ं वरन ह द का व कोश ् (इ साइ लोपी डया) शीय ह इंटरनेट पर उपल ध होगा । ह द क सबसे ूाचीन संःथा नागर ूचा रणी सभा ारा ूकािशत यह व कोश छह हजार पृ का है जसम ान- व ान के आठ हजार वषय क ूामा णक जानकार उपल ध है । स भवतः यह ूथम अवसर है जब भारतीय व कोश अंतरा ीय सूचना तंऽ पर उपल ध हो रहा है ।”21 इतने बड़े ह द व कोश के इंटरनेट मा यम पर आ जाने के बाद व म ह द अपना िनधा रत ःथान कायम करने म अवँय सफल होगी ।

    ह द वेबसाइट क बढ़ती सं या दशाती है क इस समय रा ीय और अंतरा ीय से इनक ूासंिगकता कतनी मह वपूण होती जा रह है । इस बात से इंटरनेट मा यिमक भिलभाँित प रिचत है आज इंटरनेट मा यम पर उ कृ ूकार क ह द वेबसाइट क भरमार है और यह सं या दन-ूित दन बढ़ रह है । सामा यतः अब यह माना जा रहा है क इंटरनेट से समःत ूकाया मक वां छत सूचनाएँ ूा क जा सकती ह । आज इंटरनेट के वतमान प र ँय को देखकर हमार आशा बलवती होती है क भ वंय म इंटरनेट पर ह द वेबसाइट अपने पूणा मक ःव प म ूासंिगकता के साथ उपल ध ह गी । इससे ह द ूचार-ूसार को िन त प से भार लाभ पहँचनेवाला है । इंटरनेट एक माऽ ऐसा मा यम है जो ुअपनी वै क उपल धता के साथ उप ःथत रहता है ।

    5.6 ह द लॉ स क लोक ूयता के ितज : Ôिच ठाÕ लॉग श द का ह द पात तरण है । Ô लॉगÕ श द Ôवेब लॉगÕ श द से

    बना है । सन ् 1997 म अमे रका म लॉग बनाने का ूारंभ हआ था । सव ूथम अंमेजी ुभाषा म लॉग बनाने क ू बया शु हई । इसके बाद अंतरा ीय ःतर पर अलगु -अलग भाषाओं म लॉग बनाने क ूथा का ूारंभ हआ । भारत म ु 2 माच, 2003 को सवूथम ह द लॉग का िनमाण कया गया था । ह द के इस लॉग को लोक ूयता र व रतलामी के Ôअिभ य Õ म छपे लेख से ूा हई । र व रतलामी के इस लेख ने लोग को ह द ुलॉग बनाने के िलए ूे रत कया ।

    जनसंचार के इंटरनेट मा यम पर लॉग िनमाण का ूचलन अब बहत तेजी से ुवकिसत हो रहा है । वैसे तो लॉग िनमाण क पृ भूिम म अंमेजी भाषा रह है परंतु आज ह द लॉग भी अपने ेऽ म काफ लोक ूयता ूा कर रहे ह । लॉग इंटरनेट मा यम पर अपनी-अपनी अिभ य य करने का ूभावी मा यम है ।

    इंटरनेट पर ह द लॉग ने ह द भाषा को व ःतर पर लाकर खड़ा कर दया है । य द इितहास के आईने म झाँक तो देश क राजनीित पर ह द के आगे बढ़ने म बाधक होने का आरोप मढ़ा जा सकता है । यह तक एवं बहस का मु ा है ले कन इंटरनेट ने ह द क

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  • जो पहचान बनाई है उससे इनकार नह ं कया जा सकता । इंटरनेट ने ह द को व ःतर य पहचान ूदान क है । उसम भी ह द लॉग ह द को एक कदम और आगे बढ़ाते ह । आज व के पटल पर ह द को सीखने क एक ललक जागतृ होती दख रह है । आज ह द व पटल पर अंतरा ीय भाषाओ ंको खुली चुनौती दे रह है । आज ह द को सीखना वै क प से यावसाियक ववशता बन गया है । ह द को बढावा देना वै क मानव क मजबूर बन गयी है ।

    इंटरनेट पर ूःतुत ह द लॉग क भाषा अपने आप म वशेष रहती है । इसम भाषा का कोई िनयम लागू नह ं होता । हम साधारण प म जस ूकार से बातचीत करते ह ठ क उसी प म ह द लॉग का िनमाण कया जाता है । खड़ बोली ह द ग क भाषा का आरंिभक प जतना आ मीय और रोचक था, ठ क उसी ूकार आधुिनक ह द लॉग क भाषा का प देखने को िमल रहा है । भाषा क से ह द लॉग पर कसी ूकार का कोई बंधन नह ं होता य क लॉग पर िनिमत भाषा साधारण जन के िलए होती है जसे सवजन समझ सके और अपनी ूित बया अपनी मूल ह द म ूे षत कर सके । ह द लॉग क भाषा बेलौस, फ कड और आ मीय शलैी क होती है । बालमुकु द गु के Ôिशवश भू के िच ठेÕ आज इंटरनेट मा यम पर धमाल मचा रहे ह । ह द के इन िच ठ को एक नयी वधा क सं ा से अिभह त कया जा रहा है । आज साइबर ःपेस पर ह द लॉग हमेशा के िलए डायर के प न म दज हो गये ह ।

    ह द लॉग जगत म वषय और वधा का कोई बंधन नह ं होता । इसिलए ह द लॉग म हमेशा ताजगी बनी रहती है । यह वधा एक अनौपचा रक वधा के प म हमारे स मुख ूःतुत हो रह है । इस मा यम पर लॉगर को अपनी अिभ य क पूण ःवतंऽता रहती है । वह बना सोच-संकोच के िनभ क होकर अपनी बात लोग के बीच रख सकता है । इस वधा को ूारंभ हए अभी कुछ ह समय हआ है पर फर भी ह द साु ु ह य जगत म इसने धूम मचा द है । आज हर कोई अपनी बात ह द लॉग के मा यम से लोग के बीच म रखना गव क बात समझ रहा है । चाहे वह खलाड़ हो या अिभनेता । ू येक य अपनी अिभ य य करने के िलए इंटरनेट के इस मा यम का ह उपयोग करते दख रहा है । इससे ह द भाषा के ूचार का भी समीकरण परो प से िनिमत हो रहा है । अिमताभ ब चन, शाह ख खान, अ ना हजारे आ द के ह द लॉग हाल ह म चचा का वषय रहे ह । अ ना हजारे ारा लोकपाल बल के िलए चलाए गए आंदोलन म ह द लॉग ने अपनी मह वपूण भूिमका का िनवाह कया था । अ ना हजारे ने लोकपाल बल के संबंध म लोग का मंत य जानने के िलए ह द लॉग का सहारा िलया था । भारतीय एव ं व समुदाय ने अ ना हजारे के इस ह द लॉग पर अपनी ूित बया एवं शभेु छा संदेश ूे षत कए थे । अ ना हजारे ने ह द लॉग पर आई लोग क ूित बयाओं को यान म रखकर

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  • अपनी आगामी नीित का िनधारण कया और वे अपने स यामह म सफल हए । इस ूकार ुकहा जा सकता है क अ ना हजारे के आंदोलन क सफलता म ह द लॉग क भी मह वपूण भूिमका रह ।

    इंटरनेट पर ह द को ूचा रत करनेवाली यह एक नयी और मह वपूण वधा है । आज इंटरनेट मा यम से हम जतनी भी मह वपूण ह द जानकार लेनी हो उसका मह वपूण ॐोत ये ह द लॉग ह । कतने लोग के िलए लॉिगंग शौक है तो कतन के िलए अपनी भड़ास िनकालने का मा यम तो कतन के िलए समय बबाद करने का साधन है । वैसे इन लॉग का यावसाियक प भी है । गूगल इन लॉगर ( लॉग िनमाता) को एडसस ारा पैसे कमाने का अवसर ूदान करता है । वैसे लॉग िनमाता को पैसा कमाना उतना मह वपूण नह ं लगता जतना अपनी बात को लोग के बीच ूःतुत करना । लॉगर म धन कमाने क उतनी लालसा नह ं होती जतनी खुद को पढ़वाने एवं िलखने क लालसा । प रचया मक वा य म िच तन और शौ कया लेखन इ ह िनराला बना देता है । यह लॉग वधा क अपनी िनजी वशेषता मानी जा सकती है ।

    ह द लॉग िसफ रा ीय ह नह ं वरन अंतरा ीय ःतर पर भी खूब ूिस ूा कर ्रहे ह । लॉिगंग का मा यम न केवल ह द देश ूेिमय को अपनी ओर खींच रहा है ब क ूवासी भारतीय को भी अपनी ओर खींच रहा है, लभुा रहा है । आ य क बात तो यह है क ह द लॉग िनमाता का ूारंिभक समूह अब वदेश म बस गया है और वह ं से ह द लॉग वधा के प रमाजन का काय स प न कर रहा है । इस ूकार वदेश म ह द लॉग िनमाण एवं ूयोग को गित िमल रह है और ह द क अंतरा ीय पहचान िनिमत हो रह है । ह द लॉग िनमाताओं म ूमुख प से हम देवाशीष चबवत , पंकज न ला, अनुनाद, जते ि चौधर , रमण कौल आ द को रख सकते ह । इ ह ने भारतीय प रवेश म सवूथम ह द लॉग िनमाण क परंपरा को ूारंभ कया था । आज इ ह ं क बदौलत ह द लॉग वधा पनप रह है ।

    ह द के सभी लॉग को संकिलत कर एक ःथान पर दखानेवाली फ ड एमीगेटर साइड Ôनारद- ह द िच ठा संमाहकÕ (http://narad.akshargram.com) है । इस साइट पर ह द म िनिमत सभी ूकार के लॉग उपल ध है । नारद न केवल इन लॉ स क रोज क आवाजाह पर नजर रखता है, ब क इन लॉग क चचा- वचारणा भी करता है । सा ह यक गित विधय , लॉग मैगजीन, का य-ूितयोिगताओं आ द का संचालन भी इस साइट ारा समय-समय पर कया जाता रहा है । लेखन क िनयिमतता और लोक ूयता के आधार पर नारद इन लॉग क रेट ंग भी करता है । यान देनेवाली बात यह है क यह साइट पूण प से अ यावसाियक है । इससे जुडे लोग अपने यवसाय के उपरांत बचे हए समय का सदपयोग ु ुइस साइट के साथ जुड़कर करते ह । इन लोग का एक ह येय है क ह द लॉग के मा यम से ह द को रा ीय और अंतरा ीय ःतर पर ूचा रत एव ंूसा रत करना ।

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    http://narad.akshargram.com/

  • लॉग वधा म ट पणी एक मह वपूण भूिमका िनभाती है । बहत से लॉगर क ुसोच है क ह द लॉग लेखन Ôछपास पीड़ाÕ का इलाज है । कसी ने ठ क ह कहा है क बना ट पणी का लॉग उजड़ माँग के समान होता है । जसक जतनी अिधक ट पणी उसके उतने सुहाग माने जाते ह । इन लॉग क भाषा रोचक होती है । भाषा आिभजा य शु ता और मानक भाषा से आतं कत नह ं होती । वह अपना ःव प ःवयं िनिमत करती हई ुआगे बढ़ती है । इसिलए ह द लॉग नयी भंिगमा िलए हए हैु । लॉग ह द भाषा क नयी ूयोगशाला है । श द क नयी टकशाल है । इसम याकरण के िनयम क जकडबंद और पां ड य का महा य नह ं है । लॉग क भाषा आम ह दःतानी क भाषा होती है ।ु

    ह द के ूमुख लॉग क सूची िन न प से है Ð 1) “भूत-ूेत क कहािनयाँ (http://sokhababa.blogspot.com) 2) मजेदार ह द एस एम एस (http://funhindi.blogspot.com) 3) टोने टोटके (http://tonetotke.wordpress.com) 4) ह द इंटरनेट (http://hindiinternet.blogspot.com) 5) इितहास बनादो (http://ranishjainhistory.blogspot.com) 6) भंडाफोडू (http://bhandafodu.blogspot.com) 7) ह द म क यूटर सीख (Learn computers in hindi)

    (http://learncomputersinhindi.blogspot.com)

    8) पान क दकानु (http://paankidukaan.blogspot.com) 9) वागथ (http://www.vagarth.blogspot.com) 10) ःवाः य चचा (http://www.drdhabhai.blogspot.com) 11) क यूटर मेरा दोःत (http://computermeradost.blogspot.com) 12) द आयोग समाचार (http://theayogsamachar.blogspot.com) 13) मजेदार समाचार (http://hindinewspaper.blogspot.com) 14) कथायाऽा (http://kathayatra.blogspot.com) 15) म और मेर सोच (http://maiaurmerisoch.blogspot.com) 16) इ डया कोमेड (http://www.inidiacomedy.blogspot.com) 17) ह द म क यूटर सीख (http://kunnublog.blogspot.com) 18) झकाझक टाइ स (http://jhhakajhhaktimes.blogspot.com) 19) बोलो ब दास (http://bolobindaas.blogspot.com) 20) ह द एस.एम.एस. डेली (http://hindismsshayri.blogspot.com)”22

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  • ह द लॉग के सुनहरे भ वंय का शभुारंभ हो चुका है । वतमान म ह द लॉग क उप ःथित लोक ूयता के िशखर क ओर बड़ रह है । अब आम से खास सभी तक ह द लॉग का अनुूयोग अपनी अिभ य के संदभ म होने लगा है । ह द लॉग आज सामा जक, राजनैितक, आिथक, शै णक, धािमक और मनोरंजक आ द सभी धरातल पर आ छा दत है । इंटरनेट के मा यम से ह द लॉग उपभो ा अंतरा ीय जगत के साथ जुड़ रहा है । ह द लॉग का जो वतमान प र ँय उभरकर आया है वह हम आशा वत करता है क बहत ह शीय यह वधा अपने आप को बहृद ःव प म या कर लेगी ।ु

    आज ह द के हजार लॉग इंटरनेट मा यम पर देखने को िमल रहे ह । ह द के इन लॉग से रा ीय और अंतरा ीय ःतर पर ह द भाषा को एक पहचान िमल रह है । य क इंटरनेट क उपल धता सव यापी होती है ।

    5.7 तकनीक और ूौ ोिगक ेऽ म बढ़ते चरण : जनसंचार के इंटरनेट मा यम ारा ह द का भा षक ःव प अपने ूयोजनमूलक

    संदभ म ूासंिगकता के साथ ःथा पत होता जा रहा है । अब तकनीक और ूौ ोिगक ेऽ भी इससे अछूते नह ं रहे । जैसे-जैसे सूचना तकनीक और ूौ ोिगक के बीच ह द का हःत ेप बढ रहा है वैसे-वैसे ह द क वतमान ःथित म काफ प रवतन आ रहा है । आज ह द के वतमान प र ँय को देखकर लग रहा है क ह द ने अंमेजी को बहत से ेऽु से लगभग अपदःत कर दया है । ह द सूचना तंऽ इसका वलंत उदाहरण है । आज भारतीय वै ािनक तथा तकनीक श दावली आयोग- द ली ारा इस दशा म बहत साथक कदम उठाए ुजा रहे ह । इसी के प रणाम ःव प बहत सारे तकनीक पा यबम क तकनीक श दावली ुके ह द श द तैयार कए जा चुके ह । इसके फलःव प अब व ान, िच क सा, पयावरण, वा ण य, सां यक य आ द वषय क िश ा को ह द मा यम ारा उपल ध कराए जाने का माग ूशःत हो चुका है । इससे भार सं या म छाऽ एवं अनुसंधान कताओं को लाभ पहँच ुरहा है ।

    िच क सा के ेऽ म तो इंटरनेट मा यम ने जैसे चम कार ह कर दया है । आज इंटरनेट क मदद से एक डॉ टर हजार -लाख कलोमीटर दर बैठेू दसरे डॉ टर से सलाहू -मश वरा कर सकता है । अपनी किमय को सुधार सकता है । “गौरतलब है क इंटरनेट ने दिनया भर म िच क साु सु वधाओं का न शा बदल दया है । अब आप घर बैठे देश- वदेश के ू यात िच क सक से सलाह-मश वरा कर सकते ह । आधुिनक अःपतल म इंटरनेट के ज रए व डयो स मेलन आयो जत करके वकायदा चचाएँ क जाती ह और ज टल रोग का िनदान कया जाता है । कुछ जगह पर ऐसी सु वधाएँ भी है क द ली के अःपताल म चल रहा ओपरेशन यूयोक म बैठा सजन देख सके और वह ं से ज र हदायत दे सके । इंटरनेट

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  • पर िच क सा को Ôटेलीमे डिसनÕ कहा जाता है ।”23 इंटरनेट पर उपल ध यह सार सु वधा पहले माऽ और माऽ अंमेजी भाषा ारा ूदान क जा सकती थी परंतु इस ेऽ म तकनीक एवं ूौ ोिगक सुधार होने से यह सु वधा अब ह द मा यम ारा भी ूदान क जा रह है । इससे ह द का ेऽ वःतार वृ महण कर रहा है ।

    आज इंटरनेट मा यम तकनीक एवं ूौ ोिगक के कसी भी ेऽ से अछूता नह ं रहा है । अब लोग इंटरनेट के वकिसत प का मोटरकार म लगे पीसी पर भी आनंद उठा सकगे और वह भी बना ःट य रंग से हाथ हटाए । माऽ बोलने से ह इंटरनेट नामक तकनीक आपके कदम म हा जर हो जाएगी । मोटोरोला कंपनी ने इंटरनेट के िलए ऐसी भाषा का िनमाण कया है, जसके ज रए आप केवल बोलकर ह अपनी मनपसंद वेबसाइट खोज सकगे और खोल-ब द कर सकगे । य द इसके साथ आवाज को पा यसाममी और पा यसाममी को आवाज म बदलने वाला करामाती सॉ टवेयर भी लगा हो तो नेऽह न भी इंटरनेट क चम कार दिनया म ूवेश कर पाएगा । यु ह सार सु वधाएँ अब ह द मा यम ारा भी ूा क जा सकगी । इससे अिधक से अिधक ह द भाषी एव ंअ ह द भाषी लोग इंटरनेट सु वधा का लाभ लेने क ःथित म ह गे । य द ऐसा होता है तो ह द भाषा को याि िमल सकती है ।

    इंटरनेट क वतमान ःथित काफ आकषक है और भ वंय उ जवल । इंटरनेट के मा यम से व डयो वािलट क तकनीक म काफ सुधार आएगा । वतमान इंटरनेट के व डयो स मेलन म कभी चेहरा साफ नह ं दखता तो कभी आवाज ःप नह ं होती । आधुिनक इंटरनेट तकनीक के मा यम से वी डयो स मेलन म बठेै वशेष को ऐसा लगेगा क वे एक कमरे म बठेै हए आपस म वचारु - वमश कर रहे ह, जब क उनके बीच हजार कलोमीटर क दर हो सकती है । इस तकनीक म ऽू -आयामी मा फ स इःतेमाल करते हए ुआभासी क बना दया जाता है । इस तकनीक को Ôटेिल-इमशनÕ तकनीक का नाम दया गया है । इसी तरह इंटरनेट पर आभासी ूयोगशाला म हजार कलोमीटर क दर पर बैठे ूवै ािनक आपस म कसी महँगे उपकरण क साझेदार कर सकगे । एक समान आँकड़ या जानका रय को इंटरनेट सदःय के कसी बड़े समहू के हर सदःय तक पहँचाने क तकनीक ुभी वकिसत क जा रह है । इस तकनीक को Ôम ट काःटÕ तकनीक कहा जाता है । Ôटेिल-इमशनÕ और Ôम ट काःटÕ तकनीक के वकिसत होने से इंटरनेट ेऽ म बांित का संचार होगा । इससे ह द भाषा को वकिसत रा तक पहँचु ने म मदद िमलेगी इसक परू स भावना य क जा सकती है ।

    इंटरनेट क नयी तकनीक के मा यम से िश ा और अनुसंधान के ेऽ म रा ीय सीमाएँ पूर तरह से टट जाएँगी । इंटरनेट पर आभासी पुःतकालय क ःथापना होगीू , जसम

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  • असं य पुःतक उपल ध ह गी । हमारे देश के दरू-दराज के गाँव म बैठा छाऽ भी अमे रका के ड जटल पुःतकालय म आई नवीनतम पुःतक बड़ आसानी से अपने क यूटर पर ÔडाउनलोडÕ कर पढ़ सकेगा । इस तरह इंटरनेट क नयी तकनीक िश ा के ेऽ म अपना चम कार दखा सकेगी ।

    भारत सरकार ारा नयी-नयी तकनीक वकिसत कर देश म इंटरनेट उपभो ाओं क सं या बढ़ाने का ूयास कया जा रहा है । संचार और सूचना तकनीक मंऽी दयािनिध मारन ने 15 अ ू बर, 2004 को नई ॄॉडबड नीित क घोषणा क । जसके अ तगत वाइ-फाइ तकनीक को लाने का राःता खोला गया है । “यह तकनीक कम श वाले ृ वसी बड पर काम करती है और इसके ज रए छोटे-छोटे ेऽ म नेटवक बनाकर उसे उपमह या संचार मा यम के ज रये बड़े नेटवक से जोड़ा जा सकता है । इस मकसद से ॄॉडबड नीित के तहत सरकार ने कम श वाले कुछ ृ वसी बड (5.15 से 5.35 गीगा ह ज तक) को लाइसस से मु कर दया है । इससे इंटरनेट क दर कम हो जाएँगी । इससे इंटरनेट सेवाधारक क सं या म बढ़ोतर होगी ।”24 भारत देश म य द इंटरनेट सेवाधारक क सं या बढ़ती है तो ःवाभा वक है इसका सीधा लाभ ह द को ह होगा, य क अंमेजी भारतीयो क भाषा नह ं है और इसके जाननेवाल का ूितशत बहत कम है । दसर तरफ ूादेिशक भाषाओं क बात करु ू तो वे एक ूदेश माऽ का ूितिनिध व करती ह । इनम इतना साम य नह ं क वे संपूण रा का ूितिनिध व कर सके । इन सभी प पर वचार करने से यह साफ हो जाता है क भारतीय संदभ म य द इंटरनेट को वःतार महण करना है तो वह ह द भाषा क अनदेखी नह ं कर सकता ।

    ई-मेल क सु वधा भी इंटरनेट के तकनीक एवं ूौ ोिगक वकास का नतीजा है । साधारण डाक क अपे ा इंटरनेट मा यम से सःता एवं सुगम पऽाचार कया जा सकता है । अपने क यूटर के साथ इंटरनेट लगवाने के बाद आप इलै शॉिनक मेल यानी ई-मेल से दिनया के कसी भी कोने म अपना संदेश भेजा व ूा कया जा सकता है । ु एक संदेश भेजने म लगभग 2 या 3 पये का खच आता है जब क साधारण डाक से 5 पये का खच आता है । ई-मेल से समय व पैसे क बचत होती है । अपना सदेंश पहँचने का शतु -ूितशत व ास रहता है । जब क साधारण डाक म ऐसा व ास नह ं कया जा सकता है । कुल िमलाकर यह का जा सकता है क इंटरनेट से जुड़ने का मतलब दिनया से जुड़ना है । कई ुभारतीय सॉ टवेयर कंपिनय ने ई-मेल क इस सु वधा को ह द भाषा मा यम ारा ूे षत करने एवं ूा करने के काय को सरल बनाने म मह वपूण भूिमका का िनवाह कया है ।

    आज इंटरनेट मा यम के वकास से ÔईÕ सु वधाओं का वःतार हआ है । ु ÔईÕ सु वधा अथात घऱ बैठे् -बैठे अपनी सार आवँयकताओं को पूण करनेवाली सु वधा । इससे मानव

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  • जीवन म काफ प रवतन आए ह । मनुंय का जीवन सरल हो गया है । चुटक बजाते ह उसक सार आवँयकताएँ घर बैठे-बैठे पूर हो जाती ह, इसके िलए उसे िसफ खर द हई सेवा ुका भुकतान करना होता है । इससे समय और धन क बचत होती है । यह ूौ ोिगक मानव जीवन के िलए आशीवाद समान है । “सूचना ूौ ोिगक के ेऽ म हई ूगित से क यूटर के ुसामने बैठे-बैठे ह व म कह ं भी खर ददार कर सकते ह । बल का भुगतान करना या वसूली, व ापन तथा धनरािश का ःथना तरण आ द मह वपूण यावसाियक काय आज इंटरनेट पर कये जा रहे ह । अब तो य घरेलू आवँयकताओं क खर ददार घर बैठे ह कर सकता है । स जी, कपड, इलै शॉिनक सामान आ द घर बैठे पसंद के अनुसार कोई भी मँगवा सकता है । आज हम ई-मेल, ई- बजनेस, ई-ब कंग, ई-गवनस, ई-चैट, ई-केश, ई-कॉमस, ई-क स टट, ई-फै स, ई-ूो योरमट, टेलीमे डिसन आ द श द सुनते रहते ह । सूचना ूौ ोिगक के ेऽ म दन-ूित दन नये आ वंकार होते रहते ह, रोज नई ूौ ोिगक बदलती है, जसक वजह से हम िनत नई सु वधाओं से सुस जत होते जा रहे ह ।”25 अंमेजी और ह द दोन भाषाओं के मा यम से यह सेवा ूा क जा सकती है । ह द भा षय के बीच इन सु वधाओं का ूचलन दन-ूित दन बढ़ रहा है । इस ू बया से कह ं न कह ं कसी न कसी प म ह द को लाभ पहँच रहा है । ु

    वतमान संदभ म संचार एवं सूचना ूौ ोिगक ूमखुता के साथ ह द मा यम म वकिसत होती दखाई दे रह है । इंटरनेट पर ह द गत तकनीक और ूौ ोिगक वकास को उ लेखनीय सफलताएँ िमल रह ह । आज समःत ूकार क तकनीक एवं ूौ ोिगक इंटरनेट पर ह द मा यम म उपल ध होने लगी है । भूतकाल म जस ूकार का ःव प अंमेजी म दखाई देता था, वह अब ह द म दखाई देने लगा है । शीय ह ह द इंटरनेट क ःथित अंमेजी से अिधक समृ प म सामने आनेवाली है य क यह ेऽ एक ूकार से माँग और उ पादन से जुड़ा है । जस ूकार माँग के आधार पर उ पादन आधा रत रहता है, उसी ूकार ह द उपभो ाओं क माँग के अनु प इंटरनेट क तकनीक एवं ूौ ोिगक क ज रत आधा रत ह ।

    इंटरनेट के संदभ म ह द का तकनीक और ूौ ोिगक मह व जस प म वकिसत हो रहा है वह िस करता है क ह द का शीय अितशीय एक नया प र ँय हम सबके सामने होगा । वतमान ःथितयाँ दशाती ह क ह द ने इंटरनेट मा यम ारा अपनी ूकृित एवं ूकाय को सावभौिमकता ूदान क है । यह कारण है क आज ान- व ान से जुड़े सभी संदभ ह द मा यम से जुड़ रहे ह । िनःसंदेह इंटरनेट मा यम ने तकनीक और ूौ ोिगक ेऽ म अपने चरण बढ़ाये ह और इससे ह द भाषा जाननेवाल का ेऽ वःतार हआ है ।ु

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  • 5.8 वै ािनक अनुसंधान कायबम क उपल धता : इंटरनेट वै क ःव पवाला जनसंचार मा यम है । अतः इसके साथ अपे ाओं के

    सभी संदभ जुड़े हए ह । वतमान ःथित म सभी ु स भावनाओ ंके साथ इंटरनेट को जोड़कर देखा जा रहा है । इंटरनेट िसफ सूचना ूसारण का मा यम नह ं है ब क इसने अनुसंधाना मक कायबम के प म भी अपनी वशेष भूिमका का िनवाह कया है । अनुसंधान क ू बया से जुड़ हई ू येक संःथा अथवा संःथान क अपनी इंटरनेट ु वेबसाइट उपब ध है । इसम इसरो, भाभा परमाणु अनुसंधान के ि, भौितक अनुसंधान के ि, कृ ष अनुसंधान के ि, भारतीय खगोल अनुसंधान के ि, भारतीय भगूभ व ान संःथान, नासा आ द संःथाओं क अपनी संःथागत वेबसाइट उपल ध है । इन वेबसाइट पर वै ािनक अनुसंधान से जुड़ जानकार ह द और अंमेजी दोन भाषाओं म उपल ध रहती है । कई शै णक संःथाओं ारा भी वै ािनक अनुसंधान से जुड़े पा यबम को इंटरनेट मा यम पर उपल ध कराया जाता रहा है । इसम ूमुख प से आईआईट ( डक , कानपुर, खड़गपुर, द ली) आईआईएम क व वध शाखाओं, व वध कृ ष व व ालय आ द का समावेश कया जा सकता है । इंटरनेट मा यम पर उपल ध वै ािनक अनुसंधान कायबम को ूमुख प से अंमेजी और ह द भाषा ारा ूदिशत कया जाता है । इससे अनायास प म अंमेजी के साथ ह द का ूचारा मक प वकिसत होता चला जाता है ।

    वै ािनक अनुसंधान के ेऽ म इंटरनेट क उपयोिगता िस करने म Ôटाटा इ ःट यूट ओफ फंडामटल रसचÕ (TIFR) मुंबई का बहत बड़ा सहयोग रहा है । रा ीय एव ंुअंतरा ीय ःतर पर होनेवाले वै ािनक एवं अ य ूकार के अनुसंधान का लाभ सभी अनुसंधान कता ले सक इसके िलए इंटरनेट मा यम पर इस संःथा ने उ म ूकार क यवःथा क है । इससे अनुसंधान क ू बया को वेग िमलता है और साथ ह साथ इंटरनेट मा यम क इस ेऽ म उपयोिगता िस होती है । “यह नेटवक ( व ा नेट) संचार/क यूटर नेटवक जो क देश क विभ न ूयोगशालाओं, संःथाओं के वै ािनक एवं शोध कायकताओं क आवँयकताओं क पूित हेतु सम पत है । इसका ूःताव टाटा इ ःट यूट ओफ फंडामटल रसच (TIFR) ब बई के वै ािनक ने कया । इसका मु य उ ेँय भारत के विभ न संःथान को क यूटर से जोड़कर तीो संचार के साधन उपल ध कराना है ।”26 टाटा क यह सेवा अनुसंधान कताओं के बीच लाभ क बात है । अनुसंधान के साथ-साथ भाषायी ूचार का भी यहाँ समीकरण बनता है । इस मा यम पर ह द भाषा को पया मह व ूदान कया गया है ।

    रा ीय ूयोगशालाओं के बीच सहयोग के िलए इंटरनेट मा यम क टब है । देश क ूयोगशालाओं और शोध संबंधी पुःतकालय को इंटरनेट से जोड़कर इस ू बया को गित ूदान क जा रह है । “वै ािनक एवं औ ोिगक शोध संजाल का काम सी.आई.आर.

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  • ूयोगशालाओं तथा भारत के दसरे शोध एवं वकास संःथाू न को आपस म जोड़ना है । इस संजाल का मु य उ ेँय व ान और ूौ ोिगक सूचना संसाधन क रा ीय ूयोगशालाओं म साझा उपयोग क आदत डालना है और अ तम उ ेँय के प म SIRNET का काम पूरे रा के वै ािनक जगत को, रा ीय पुःतकालय िनकाय तथा अंतरा ीय संचार को जोड़ने से है जससे द वै ािनक संचार ूा कया जा सके ।”27 इंटरनेट के मा यम से वै ािनक अनुसंधान कायबम के ेऽ म तीोता का संचार हआ है । इंटरनेट का यह कायबम ह द ुऔर अंमेजी दोन भाषाओ ंम उपल ध है । पहले यह कायबम माऽ अंमेजी भाषा म ह उपल ध था ।

    र ा वभाग म वै ािनक अनुसंधान के ेऽ म भी इंटरनेट ने मह वपूण भूिमका का िनवाह कया है । “यह र ा व ान के ेऽ म मह वपूण नेटवक है । यह (DESINET) नेटवक र ा के िलए मंथ स ब धी सूचनाएँ उपल ध कराता है जो केवल अवग कृत वै ािनक एवं तकनीक सूचनाओं का संमह है । यह नेटवक र ा शोध एव ं वकास ूयोगशालाओं, संःथान , र ा वभाग आ द को आपस मे जोड़ता है जब क यह नेटवक परःपर सहमत मामल , दसरे समान नेटवकू , जैसे NICNET (भारतीय सूचना के ि नेटवक) आ द से भी सूचना आदान-ूदान करने के िलए जुड़े ह ।”28 र ा वभाग के वै ािनक अनुसंधान कुछ हद तक गोपनीय रखे जाते ह इसिलए उनका नेटवक सीिमत संःथाओं और य य के िलए ह उपल ध रह पाता है परंत ुकभी कभी कुछ जानका रयाँ सावजिनक भी कर द जाती ह । इससे सूचना एवं जानकार के मा यम से भाषा वःतार महण कर अपने ेऽ से आगे बढ़ती है । इस नेटवक के कारण ह द अ ह दय के बीच अपना ःथान महण करती है ।

    औ ोिगक जगत म व ान मह वपूण भूिमका म रहता है । वै ािनक अनुसंधान के प रणाम ःव प औ ोिगक जगत अपना वकास महण करता है । व ान का ूचार-ूसार इंटरनेट मा यम ारा औ ोिगक जगत ारा कया जा रहा है । व वध पकार के उ ोग क तकनीक को इंटरनेट मा यम से औ ोिगक जगत महण कर अपने उ ोग म नवीन तकनीक का उपयोग करते ह एवं उ पादन ेऽ म वृ महण करते ह । उ ोग के वःतार म वै ािनक अनुसंधान एवं इंटरनेट का िमला-जुला समीकरण लाभकार िस हआ है । ु“सी.एस.आई.आर. नेटवक कुछ वषय जैसे चमड़ा ूौ ोिगक , खा ूा ोिगक , ूाकृितक उ पाद रसायन व करण, भौितक एवं औषधीय पौधे आ द परदेशीय ओन-लाइन डेटाबेस सेवा संघ टत करने म मददगार सा बत होगा । यह बुले टन बोड भी उपल ध करेगा तथा नेटवक क मदद से टेलीका ृिसंग सु वधाएँ भी जससे दर बैठे ह ूशासक य एवं व ीय सूचनाओ ंूएवं पुःतकालय संसाधन का आदान-ूदान हो सके ।”29 इस ूकार CSIRNET के मा यम से नयी-नयी वै ािनक तकनीक एवं ससंाधन को विभ न औ ोिगक इकाइय तक पहँचाया ुजा सकता है । इस मा यम क मु य भाषा अंमेजी के उपरांत ह द को माना जाता है । इससे ह द और इंटरनेट क सु वधाओं का एक नया समीकरण आकार महण करता है ।

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  • इस ूकार इंटरनेट मा यम पर ह द भाषा ारा वै ािनक अनुसंधान कायबम क उपल धता ह द के मह व को ूसा रत करती है । मु यतः यह ेऽ सामा जक उ पादन का ेऽ है जसम नवीनतम शोध ारा होनेवाले लाभ को यान म रखा जाता है । यह अपने

    आप म रा ीय वकास के संदभ म जुड़ा है । इंटरनेट का ह द ःव प इस दशा म बहत ुूभावो पादक होकर उभरा है । इस ूकार क उपल धता ूाथिमक ःतर से लेकर ःनातको र तक उपल ध है । आवँयकता िसफ संबंिधत वेबसाइट पर जाकर आवँयक संदभ खोजने क है । संबंिधत वषय के अनुसंधानकता अपने वषय से जुड़ जानकार को ूा करने के िलए अपने संःथान से अलग सभी संःथान क वेबसाइट को देख सकता है । वहाँ से वह अपने उपयोग क साममी ूा कर सकता है । अनुसंधानकता अपनी क ठनाइय के संदभ म संबंिधत वेबसाइट क ई-मेल स वस पर अपना संदेश भेजकर आवँयक जानकार क माँग कर सकता है । जसका यथास भव िनराकरण िमल सकता है और उसका उपयोग अ येता एवं अनुसंधानकता अपने सदंभ म कर सकता है । अब यह सार सु वधाएँ ह द भाषा म भी उपल ध हो रह ह ।

    वै ािनक अनुसंधान के ेऽ म इंटरनेट मा यम क आज जो भूिमका बन रह है वह वाःतव म बहत उपयोगी हैु , साथ ह कम खच ली भी है । जन वषय एवं अनुसंधान के संदभ म विभ न शोधमंथ और पुःतकालय का सहारा लेना पडता था अब उनक आवँयकताएँ इस मा यम ने सीिमत कर द ह । पहले वै ािनक अनुसंधान अिधक ौमसा य और खचवाला हआ करता था । ु अब न तो पुःतकालय जाने क ववशता है और न ह पुःतक को खर दे जाने क मजबूर । आज ूमुख रा ीय और अंतरा ीय ःतर क पुःतक, शोधपऽ एवं मंथ इंटरनेट मा यम पर बड़ सहजता के साथ उपल ध ह । उनको पढ़ा जा सकता है । आवँयक पृ क ू ट िल जा सकती है । पैन-साईव म साममी को डाउनलोड भी कया जा सकता है । इस साममी को यथा आवँयक प म उपयोग म लाया जा सकता है । ूारंभ म इंटरनेट मा यम पर वै ािनक अनुसंधान कायबम के संदभ म ह द को लेकर बहुत सी क ठनाइय का सामना करना पड़ा ले कन वतमान संदभ म ःथितयाँ बदली ह । आज ह द भाषा इंटरनेट के सभी ेऽ तक या हो चुक है । बड़ सं या म इंटरनेट ूयो ाओं ारा वै ािनक अनुसंधान क ह द वेबसाइट का ूयोग करते पाया जा रहा है । आज ह द इंटरनेट अपनी नयी दशा और दशा तय करने म लगा हआ है । व जगत भी ुइस ओर कदम बढा रहा है । अंतरा ीय संःथाएँ और संःथान अपनी भा व भाषा नीितय को तैयार करने म लगे हए ह । वतमान संदभ म सभी अंतरा ीय इकाइयाँ ूय शील ह क ुइंटरनेट पर ह द मा यम से अपने आपको अिधकािधक उपयोगी बनाया जा सके ।

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  • 5.9 सूचना एवं जनसंचार ेऽ म बांितकार हःत ेप : सूचना एवं जनसंचार मा यम के प म ह द भाषा का ूभाव अब बहत यापक ु

    और ःथायी प म सामने आ चुका है । इंटरनेट का ह द गत जनसंचार अकेला एक ऐसा ेऽ है जसने अंमेजी के सारे समीकरण बगाड़ दए ह । आज इंटरनेट पर सूचनाओं के िलए ह द वेबसाइट और पोटल सबसे अिधक लोक ूय हो रहे ह । ह द लॉग और ई-मेल स वस भी अपनी लोक ूयता के नये-नये क ितमान ःथा पत कर रहे ह । पहले इंटरनेट का ूयोग केवल क यूटर तक सीिमत था, ले कन अब इसका ूयोग लेपटोप, पामटोप, मोबाइल आ द तक या हो चुका है । इस समय कह ं भी कभी भी इंटरनेट का ूयोग उपभो ावग ारा कया जाना स भव हो गया है । सूचना के संबंध म इस समय मोबाइल का सबसे यादा उपयोग हो रहा है ।

    इंटरनेट सूचना के आदान-ूदान का सश मा यम है । इंटरनेट सूचना ूेषक और ूा कता के म यःथ क भूिमका का िनवाह करता है । इंटरनेट िसफ सूचनाओं का स ूेषण माऽ नह ं करता ब क उससे जुडे हए अ य संदभ को भी पूछे जाने पर ूःतुत करता है । ु“इंटरनेट ने लोग को यह साम य द है क वे खुद इस दिनया म अपने िलए बोल । वःतुतः ुइंटरनेट ने सूचना और वषयवःतु के साथ एक सजना मक संबंध क दशा दखाई है । इसके पूववत जनसंचार मा यम केवल वषयवःतु या सूचना देते थे, िन ंबय और स वादह न । इंटरनेट य को उसक सीधी भागीदार का सश मा यम उपल ध कराता है ।”30 इंटरनेट पर ह द भाषा ारा सीधी भागीदार अपने वकास के पथ पर अमसर दखाई दे रह है । आज एिशयाई संदभ म इसका ूचलन वशेष प से याि पकड़ रहा है । ह द भाषा मा यम ारा चेट ंग भी इसी का ह एक प सा बत हो रहा है ।

    इंटरनेट के आगमन से समाचार पऽ क अपने संवाददाताओं पर िनभरता कम होने लगी है । इसके उपरांत इंटरनेट के कारण ॅामक समाचार से बचना स भव हो सका है । इंटरनेट के आ वंकार से पूव सूचनाओं के संकलन एवं व ेषण म पाठक क भूिमका बहत ुमह वपूण नह ं हआ करती थीु , ले कन अब इंटरनेट पर य करोड़ लोगो के साथ िमलकर सूचना-समुि म गोता लगाकर मनचाह सूचनाएँ ूा कर सकता है । अब सवंाददाताओं को अिधक सतेज रहना पड़ता है य क आज का पाठक इंटरनेट पर सूचनाओं के िनरंतर सपंक म रहता है । य द संवाददाता गलत या ॅामक सूचना ूे षत करता है तो पाठक वग तुरंत अपनी ूित बया ूदान करना ूारंभ कर देता है । इंटरनेट के मा यम से कसी भी पाठक को व क अनेकानेक घटनाएँ विभ न ॐोत से िनरंतर ूा होती रहती है जब क संवाददाता िन त समय-सीमा म बँधकर काय करने के िलए बा य रहता है । उसे िनधा रत ःथान के अनु प ह अपना समाचार िलखना होता है । उसे अपने पूरे पाठक वग क िच को भी यान म रखना पड़ता है । दसर तरफ इंटरनेट के िलए कोई भी समयू -सीमा नह ं है । यह

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  • कारण है क अब ूातः काल समाचारपऽ, आने से पूव ह अिधकांश पाठक को उन समाचार एवं सूचनाओं क जानकार इंटरनेट मा यम ारा िमल चुक होती है । इंटरनेट पर उपल ध सूचनाओं के बढ़ते ूभाव के कारण आज स पादक य वभाग पर भी पाठक क िच को बनाए रखने के िलए िनरंतर दबाव बढ़ रहा है । इंटरनेट के सूचना तंऽ के कारण आजकल समाचारपऽ के लेवर, साज-स जा, ःत भ आ द म यापक प रवतन दखाई देने लगा है ।

    आज इंटरनेट वचार क ःवतंऽ अिभ य का सवािधक ूभावशाली मा यम है और धीरे-धीरे इस मा यम ने घर-घर म अपना ःथान बनाना ूारंभ कर दया है । अब इंटरनेट मा यम पर समाचार पऽ म मु ित समाचार पढ़े जा सकते ह । अनेक संवाद सिमितयाँ अब अपने ःतंभ लेखक एवं संवाददाताओं पर िनभर रहने क अपे ा इंटरनेट के मा यम से सूचनाओं का आदान-ूदान कर रह ह । विभ न के ि को परःपर जोड़कर समाचार सिमितयाँ सहज ह अपने माहक को व रत सेवा उपल ध करवा सकती ह । इंटरनेट के मा यम से एक ह समाचार पऽ विभ न के ि से ूकािशत होनेवाले संःकरण को जोड़कर तैयार साममी भेज सकता है । वाःतव म इंटरनेट से जुड़ने का अथ हैÐ इंटरनेट क अनोखी दिनया से जुड़ना । अब हम दिनया के अलगु ु -अलग हःस म मौजूद इंटरनेट से जुड़े लाख क यूटर के साथ आनन-फानन म संपक साध सकते ह । इस तरह इंटरनेट क मदद से हम जानका रय , सूचनाओ और आंकड़ के एक महासागर म गोते खाने लगते ह । और मनवां छत सूचना को महण कर सकते ह । सूचना का मा यम ूमुखतः ह द ह रहता है । इंटरनेट क मदद से सूचना एवं ह द भाषा का नया समीकरण उभरकर आता है ।

    आज इंटरनेट के मा यम से ूमुख ह द समाचार पऽ को व यापी मंच िमल रहा है । व के कसी भी कोने म बैठकर इंटरनेट पर उपल ध समाचार पऽ क सूचनाओं को महण कया जा सकता है । “आज इंटरनेट पर पऽ-प ऽकाओं को पढ़ने क भी सु वधा है । नवभारत टाइ स द ली से िनकलता है पर इंटरनेट के ारा अपने क यूटर का ःवच ओन करने पर इं लड म रहनेवाले भारतीय लोग भी पढ़ सकते ह । कनाडा का अखबार हो या पा कःतान आ द का हम अपने क यूटर के मा यम से पढ़ लेते ह । उस अखबार क करतन अपने क यूटर से िनकाल सकते ह । रा ीय सहारा अमे रका म पढ़ा जा सकता है । इं डया टड़े ु प ऽका ऑःशेिलया म पढ़ जा सकती है । दिलतो का समाचार पऽ अिभमूकनायक जापान म पढ़ा जा सकता है । द ली से ूकािशत ह दःतान का संपादक य पृ एवं नई ुदशाएँ के ारा पटना से ूकािशत होनेवाले ह दःतान समाचारपऽ से जुड़ जाता है ।ु ... भारतीय संसद क कायवाह इंटरनेट के मा यम से वदेश म रहनेवाले भारतीय सुन व देख रहे ह । अपने क यूटर पर जनस ा का कॉलम खोल कर टाइप करके सीधा समाचार भेज सकते ह । इस ूकार समाचार भेजने से खोने का डर नह रहेगा । समाचार शीय ह पहँचेगा ु ।

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  • समय के साथ-साथ धन क भी बचत होगी । सूचना भेजने व मंगाने का इंटरनेट एक उ म इलै शॉिनक मा यम है ।”31 इस ूकार इंटरनेट के मा यम से समाचार पऽ एवं प ऽकाओं तक सूचनाएँ पहँचाईु जा सकती ह एवं ूा क जा सकती ह ।

    इंटरनेट सव यापी एव ंसवजन सुलभ जनसंचार मा यम है । इस पर ूा सूचनाओं क व सनीयता िनःसंदेह होती है । आज इंटरनेट पर ह द क जतनी भी वेबसाइट उपल ध ह उनम सवािधक सं या समाचार पऽ क ह जो सूचनाओं के स ूेषण म मह वपूण भूिमका का िनवाह कर रह ह । “इंटरनेट ारा देश- वदेश से जुड़ घटनाओं, सा ह य, समाचार आ द सभी के वेब प ने ूकािशत कये जा सकते ह । ये सभी सूचनाएँ क यूटर धारक व इंटरनेट से जुड़े य य के िलए उपल ध ह । इन सचूनाओं पर कसी एक वग वशेष का अिधकार नह ं है । इस ूकार से सूचनाओं का वके ि करण हआ है । ह द म ुइंटरनेट के वःतार म सबसे अिधक योगदान सभी समाचार पऽ क साइ स का है । आज Ôटाइ स ऑफ इं डयाÕ, Ô ह दःतान टाइ सु Õ, Ôदैिनक जागरणÕ, Ôनई दिनयाु Õ, Ôइं डया टुडेÕ, ÔआउटलुकÕ जैसी पऽ-प ऽकाएँ वैब प ऽकाओं क साइ स जैसेÐ अिभ य -अनुभूित, बोलोजी कलायन, वेब दिनया आ द पाठक तक पहँच रहे ह ।ु ु ”32 इस ूकार इंटरनेट क ये ह द पऽ-प ऽकाएँ ह द के प को व पटल पर सफलता के साथ ूचा रत एवं ूसा रत कर रह है ।

    यवसाय जगत म भी इंटरनेट मा यम ने तहलका मचा रखा है । पलक झपकते ह सूचना एक जगह से दसर जगह पहँच जाती है । सह समय पर सह कदम उठाए जा सकते ू ुह । “सूचना ूौ ोिगक ने समाज के पूरे ढाँचे को बा तकार ढंग से बदल दया है । क यूटर नेटवक ने यावसाियकरण म ऐसी ःथित पैदा क है क व के कसी कोने म बैठे हए लोग अब इसके मा यम से वचार का आदानु -ूदान करने लगे ह । ऐसे माहौल म बड़े ह कम खच पर वचार का आदान-ूदान हो रहा है । आज ःवतंऽ सूचना यवःथा अपना ःथान बनाने लगी है । आनेवाले समय म यह सूचना यवःथा सभी नाग रक के िलए यापक व वधता वाले राजनीितक वक प का भी ूितिनिध व करेगी और इसम भागीदार सभी यो य य य के िलए खुली होगी । ई-सूचना यवःथा वचार क अिभ य के िलए मंच उपल ध कराएगी ।”33 इस तरह आगामी समय म सचूना ूाि का ूमुख मा यम इंटरनेट सा बत होनेवाला है ।

    ह द भाषा और इंटरनेट के सूचना वभाग का एक-दसरे से घिन संबंध है । ूइंटरनेट पर ह द मा यम ारा सूचना ूाि के िलए उपभो ाओं क ओर से बहत ुउ साहवधक संकेत सामने आ रहे ह । वतमान संदभ म सामा जक कायकता अ ना हजारे ारा ॅ ाचार को लेकर चलाए गए आदंोलन को लेकर विभ न राजनैितक संगठनो ारा जो ट प णयाँ क गई उनको लेकर सामा य जनमानस ारा त काल अपनी ूित बयाएँ इंटरनेट मा यम पर देखने को िमल जाती ह । इस संपूण ू बया का मु य मा यम ह द भाषा

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  • होती है । यहाँ य यह है क अ ह द भाषी रा य के विश य य , सांःकृितक संगठन एवं अ य पदािधका रय ारा भी अपनी रा ीय तथा अंतरा ीय ूित बयाएँ ह द म ह द जाती रह है । गुजरात, महारा , तिमलनाडु, आसाम, मेघालय, पंजाब, िस कम आ द ेऽ म मु यमं ऽय ारा जब रा ीय ःतर पर जनसंपक कायबम को संबोिधत कया जाता है

    तो ूायः ह द भाषा का ह सहारा िलया जाता है जनक उपल धता इंटरनेट मा यम ारा हो जाती है ।

    इंटरनेट मा यम ने सूचना एवं जनसंचार के ेऽ म बांितकार प रवतन कर दया है । जस वषय और घटना के संदभ म जानना हो वह इस समय ह द मा यम ारा इंटरनेट पर उपल ध हो रह है । शायद ह कोई ऐसा वषय या ेऽ हो जसके संदभ म इंटरनेट हम सूचना ूदान करने म असमथ हो । आज ू येक ेऽ तक इंटरनेट क पहँच बन चुक है । ुसभी ूमुख समाचार पऽ-प ऽकाएँ, दरदशन चैनलू , रे डयो ूसारण के ि क अपनी िनजी वेबसाइटे इंटरनेट मा यम पर उपल ध ह । इस तरह इंटरनेट मा यम ारा हम एक ह जगह समःत ूकार के जनसंचार एवं सूचना मक ःव प को ूा कर सकते ह जो अ य मा यम पर दलभ है ।ु

    5.10 रा ीय-अंतरा ीय संदभ म िनणायक भूिमका : इंटरनेट व यापी ूकृितवाला जनसंचार मा यम है । इस कोण से इस पर जो

    भी भाषा सवािधक ूयोजनीयता रखनेवाली होगी उसी भाषा का ूयोग सवािधक प से कया जाएगा । जस भाषा का इंटरनेट पर सवािधक उपयोग होगा वह अपने आप को सवािधक उपयोगी और समृ बनाने क दशा म बढ़ती चली जाएगी । पहले इंटरनेट मा यम पर अंमेजी भाषा का आिधप य हआ करता थाु , ले कन जैसे-जैसे इंटरनेट यूरोपीय संदभ से उठकर एिशयाई पृ भूिम पर अवत रत हआ उसी समय अंमेजी भाषा ूयोग संबधंी द हता का ु ुसामना करना पड़ा । इस समःया के समानाथ ह द भाषा का ूयोग सामने आया जो एिशयाई और यूरोपीय दोन संदभ म अंमेजी से अिधक यावहा रक िस हआु । ह द का यह वकास अू यािसत प से वकिसत होता चला गया । आज प र ःथित यह है क ह द ने इंटरनेट मा यम पर अंमेजी को भार चुनौती दे द है । इस समय इंटरनेट मा यम पर अंमेजी के सामने अपने-आप को बचाये रखने का ू खड़ा हो चुका है ।

    वतमान संदभ म जैसे-जैसे इंटरनेट क उपल धता एिशयाई संदभ म बढ़ रह है वैसे-वैसे ह द ूयोग के धरातल अपनी उपादेयता के साथ सामने आ रहे ह । भाषा संबंधी इ ह ं प को लेकर इंटरनेट ूबंधन तंऽ ने बहृद ःतर पर प रवतन के संकेत देने शु कर दए ह । इस समय इंटरनेट क ह द गत स ूेषणीयता रा ीय और अंतरा ीय ःतर पर उछाल क ओर है । फलःव प इंटरनेट के ह द कायबम म भार वृ देखने को िमल रह है । बड़ तेजी से भारती सदंभ म इंटरनेट उपभो ाओं क सं या दन-ूित दन बढ़ रह है । यह सं या

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  • आज भारतीय संदभ म लगभग दस करोड़ का आँकड़ा पार कर चुक है । य द हम इंटरनेट उपभो ा के इन आँकड़ पर पात कर तो यह अनुमान लगाना सहज होगा क इंटरनेट का अंतरा ीय ह द ःव प कतना भ य होगा । वतमान म इंटरनेट का जो रा ीय प र ँय है वह यूरोपीय समुदाय को च कत कर देनेवाला है । जो लोग अंमेजी क स ूभुता इंटरनेट मा यम पर देख रहे थे उनक सार अवधारणाएँ और नीितयाँ चरमरा गई ह । ह द को लेकर भार चहल-पहल भाषायी संदभ म देखी जा रह ह�