अशरा ज़लहजाु ईदल अहा और क़रबानीु...

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अशरा ज़लहजा ईदल अहा और क़रबानी

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  • अशरा ज़ल�ह�जाु

    ईदल अ�हा और क़रबानीु ु

  • अ�लाह

    के नाम से

    जो बहत मेहरबानु

    �नहायत रहम करने वाला है

  • अशरा ज़ल�ह�जाु

    ईदल अ�हा और क़रबानीु ु

    डा�टर फरहत हाशमी

  • अशरा ज़ल�ह�जा ु

    بسم هللا الرحمن الرحیم۔ फ़ज़ाइल अशरा ज़ल�ह�जाु

    रमज़ानल मबारक के बाद ज़लिह�जा का महीना इ�लामी महीनो म � िनहायत एहिमयत काु ु ु हािमल ह।ै ये महीना ह�रमत वाले महीनो म � स े एक ह।ै ज़लिह�जा का पहला अशरा नेिकय� और ुअजर व सवाब के एतबार से आम िदन� के मक़ाबले म � बह�त एहम ह।ैिजसक� फ़ज़ीलत क़रआन ु ुकरीम और अहादीस से सािबत ह ै।क़रआन मजीद म � अ�लाह सबहाना वा ताअला ने इनक� क़सम खाई ह ै- ु ु

    َ َ والفجر ولیال عشر۔ (الفجر:١-٢) َ َ َ ٍَ ٍ ِ " क़सम ह ैफ़� क� और दस रात� क� “

    َअकसर मफ़ि�सरीन के नज़दीक " لیال عشر " से मराद ज़लिह�जा क� इ�तदाई दस रात� ह � । َु َ ु ुٍٍअ�लाह ताला ने इन दस िदन� म � अपने िज़� का ख़ास ह��म िदया ह ै- इशा�द फ़मा�या:

    ُ َ ٍ ویذكروا اسم هللا فی ایام معلومات۔ (الحج:28)ُ َّ ِ ِ ُ ٍَ ََ َّ َٓ" और मालम िदन� म � अ�लाह ताअला का नाम याद कर� "ू

    इ�ने अ�बास से �रवायत ह ैके इन मालम िदन� से मराद अशरा ज़लिह�जा के दस िदन ह �ू ु ु-(सही बख़ारी)ु इन दस िदन� म � िकए जाने वाले आमाल अ�लाह ताअला को दसरे िदन� िक िन�बत �यादा ूमहेबब ह � -रसल अ�लाह ने फ़रमाया:ू ू " िकसी भी िदन िकया ह�आ अमल अ�लाह ताअला को इन दस िदन� म � िकए ह�ए अमल से�यादा महेबब नह� ह,ै उ�ह�ने(सहाबा पछा: ऐ अ�लाह के रसल िजहाद फ़� सबीिल�लाह भी ू ू ूनह�?आप ملسو هيلع هللا ىلص ने फ़रमाया: िजहाद फ़� सबीिल�लाह भी नह� हाँ अगर वो श�स जो अपनी जान

    माल के साथ िनकले और कछ वापस लेकर ना आए-" (स�न अब दाऊद)ु ु ु vइन िदन� म � स े नवा िदन अरफ़ा का ह-ैये वो अज़ीम िदन ह ैिजसके बारे म � रसल अ�लाह ं ूने इरशाद फ़रमाया:"कोइ िदन ऐसा नह� ह ैिजस म � अ�लाह ताला अरफ़ात के िदन से �यादा लोग� को जह�नम से आज़ाद करता हो-"(सही मि�लम) ु vइसका आख़री और दसवा िदन यानी क़रबानी का िदन ह ैिजसके बारे म � रसल अ�लाह ं ु ूने फ़रमाया: अ�लाह ताला के नज़दीक सब से फ़ज़ीलत वाले िदन (क़रबानी का िदन) और ु (11 ज़लिह�जा,क़याम िमना) ह"� (मसनद एहमद) ु ु

    یوم النحر

    یوم القرّ

    1

    رضي هللا عنھ

    رضي هللا عنھ

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    یوم النحر

  • अशरा ज़ल�ह�जा म� करने के कामु

    अशरा जलिह�जा एहले ईमान के िलए नेिकया करने और अजर सवाब हािसल करने का ु ंबेहतरीन मौक़ा ह-ैहज के अलावा नीच ेिलख ेआमाल का एहतमाम करना ख़ास अजर हािसल करने का ज़�रया ह.ै

    िज़�े इलाही अबद�ला इ�ने उमर से �रवायत ह ैके नबी करीम ने फ़रमाया:ु" कोई िदन अ�लाह ताला के यहा इन दस िदन� स े�यादा अज़मत वाला नह� और ना ही ंिकसी िदन का अमल अ�लाह ताला को इन दस िदन� के अमल से �यादा महेबब ह ैपस तम ू ुइन दस िदन� म � कसरत से

    ु (कहो-"(मसनद एहमद 5446 تھلیل (ال الھ اال هللا)، تكبیر (هللا اكبر) اور تحمید(الحمد �) इमाम बख़ारी (र)ने बयान िकया ह ैके "इन दस िदन� म � इ�ने उमर और अब ह�रैरा ु ुतकबीर पकारते बाज़ार िनकलते और लोग भी इनके साथ तकबीरात कहना श� कर दतेे-" ु ु(सही बख़ारी)ु सहाबा कराम स ेम�तिलफ़ तकबीर� पढ़ना सािबत ह,ै मसलन ु

    َٰ َ َ َّ َ َ َ َ َهللا اكبر هللا اكبر، ٓال الھ اال هللا وهللا اكبر، هللا اكبر و� الحمد ۔َ ِ ِ َ َ ِ َ ِ َ ََ ُ ُ َ ُ ُ ُ (مصنف ابن ابی شیبھ)

    ً َ ً َ َ َ◌� اكبر كبیرا, والحمد � كثیرا, وسبحان هللا بكرة واصیال. َ ُ َُ َ ُ ً َ ً َِ َ ِ ِ ِ َِّ َ َ ُ(صحیح مسلم)

    रोज़ा

    नौ ज़ल�ह�जा को रोज़ा रखना बाइसे सवाब है -ु

    रसल अ�लाह से यौमे अरफ़ा के बारे म� पछा गया तो फ़रमाया: ू ूَ َ َ َِّ َ یكفر السنة الماِضیة والباقِیة۔ (صحیح مسلم)َ َ َ َ َ َّ ُ ُ

    “ गिज़�ता साल और आइ�दा साल के गनाह� का क�फ़ारा है "ु ु

    एक और �रवायत से पता चलता है के "रसल अ�लाह नौ ज़ल�ह�जा,यौमे आशरा और हरू ु ु

    माह म� से तीन �दन रोज़ा रखत ेथे " ।(स�न अबदाउद)ु ु

    नोट : मदै ान ेअरफ़ात म� हाजी ये रोज़ा नह� ंरखेगा।

    इ�न ेउमरرضي هللا عنھ

    2

    رضي هللا عنھ

    رضي هللا عنھ

    رضي هللا عنھرضي هللا عنھ

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • ईदल अ�हा (बक़रईद)ु

    ईदल अ�हा या बक़रईद मसलमान� का �यौहार है -इसे बड़ी ईद या ईदे क़रबानु ु ु

    भी कहा जाता है-सार� द�नया के मसलमान ये ईद इ�ाह�म(अ)क� उस स�नत क� ु ु ु

    परैवी म� मनात ेह� जो उ�ह�न ेअपन ेबेटे क� क़रबानी क� श�ल म� जार� क� और ु

    अ�लाह ताला से अपनी मोह�बत क� स�ची �मसाल क़ाइम क� -ये ईद दस

    ज़ल�ह�जा को मनाइ जाती है और तरेाह ज़ल�ह�जा तक क़रबानी क� जा सकती नबी ु ु ु

    मद�ना तशर�फ़ लाए तो आप न ेफ़रमाया :

    " तम साल म� दो �दन ख़�शया ंमनाया करत ेथे,अ�लाह ताला न ेत�ह� उनसे ु ु ु

    बेहतर दो �दन अता फ़रमाए ह�,ईदल�फ़� और ईदल अ�हा।" (�नसाइ)ु ु

    ईद के �दन करने के काम��vग़सल करना,ख़शब लगाना और बहतर�न �लबास पहनना -ु ु ू

    ��

    ��vतकबीरात पढ़ना -

    ��

    ��vईद क� नमाज़ से पहले कछ ना खाना -ु

    ��vनमाज़े ईद के �लए ज�द� जाना -

    ��v�वातीन और ब�च� को ईदगाह लेकर जाना -

    ��vअज़ान और तकबीर(अक़ामत)के बग़ैर ईद क� नमाज़ पढ़ना –

    ��vनमाज़ के बाद ख़तबा सनना -ु ु

    ��

    ��vइ�तताअत के मता�बक़ क़रबानी के जानवर को िज़बाह करना –ु ु

    ��vगो�त तक़सीम करना -

    : vबाहम मलाक़ात वा दआ देनाु ु

    َّ ِ تَقبل هللا منا ومنكم۔ (فتح الباری) َُ ِ ُ ََّ َ

    " अ�लाह ताला हमसे और आपसे(इबादत)क़बल फ़रमाए -"ु ू

    vनमाज़े ईद के �लए एक रा�त ेसे जाना और दसरे से वापस आना -ू

    vह�के फ�के खेल� और अशआर के ज़�रए ख़शी मनाना - ु ु

    3

    ملسو هيلع هللا ىلص ملسو هيلع هللا ىلص

  • क़रबानीुअशरा ज़ल�ह�जा क� आख़र� मगर ऐहम इबादत क़रबानी है -क़रबानी का ल�ज ु ु ु

    क़रब से �नकला है -इ�तलाहन क़रबानी से मराद "वो अमल है जो अ�लाह ताला क� ु ु ु

    रज़ा और क़रब के हसल के �लए जानवर िज़बाह करन ेक� शकल म� 10 जल�ह�जा ु ू ुुसे 13 जल�ह�जा तक �कया जाता है -" ु

    मक़ा�सदे क़रबानीु��vअ�लाह क� रज़ा वा ख़शनद� हा�सल करना :ु ू

    ख़ा�लसतन अ�लाह के ह�म क� इताअत करत ेहए,उस से मोह�बत के इज़हार व ु ुएतराफ़ के तौर पर,अपन ेआपको हर तरह क� �रयाकार� से बचात ेहए जानवर ुिज़बाह करना ह� क़रबानी का असल मक़सद है -ु

    क़रआन मजीद म� नबी अकरम को �ख़ताब करत ेहए फ़रमाया गया:ु ु

    َ فصل لِربك وانحر (الكوثر: ٢ )ََ َ ِّ َ َِّ

    " अपन ेरब के �लए नमाज़ पढ़ और क़रबानी कर -" ु

    एक और जगह फ़रमाया:

    َُ َّن صالِتی ونسكی ومحیای ومماِتی ِِ� رب العالِمیَن۔ (االنعام: ١٦٢َُ َ قل ِا ِّ َ َ َ َ َ َ َ َ َ َ

    " कह द�िजए बेशक मेर� नमाज़,मेर� क़रबानी,मेरा जीना,मेरा मरना अ�लाह ु

    र�बलआलमीन के �लए है -"

    ��vतक़वा का हसल: ूुतक़वा एक मसलमान क� और उसके मो�मन होन ेक� अलामत है-अ�लाह क� ख़ा�तर ु

    क़रबानी करन ेसे असल मक़सद इसी तक़वा क� �सफ़त को बढ़ाना है,ना के एक ु ू

    दसरे पर फ़� जताना,मक़ाबला बाज़ी करना �लहाज़ा इस स�नत इ�ाह�मी क� याद ू ु ु

    ताज़ा करत ेव�त,अ�लाह क� मक�मल इताअत का ज�बा �दल म� ना हो तो जानवर� ु

    का ख़न बहाना, गो�त तक़सीम करना और ख़द खाना महज़ एक बे �ह अमल है ू ु

    िजस से कोइ फ़ायदा हा�सल ना होगा

    अ�लाह सबहानह व ताला फ़रमात ेह� : -ु ुُٰ َ ُ َُ ٰ َّ َ َُ َّلن ینال هللا لحومھا وال ِدمآؤَھا ولِكن ینالھ التقوی ِمنكم۔ (الحج: ٣٧)ُ َ َ َ َ ُ ُ َََّ

    " अ�लाह को ना जानवर� का गो�त पहंचता है और ना उनका ख़न,उसे �सफ़� त�हारा ू ुुतक़वा पहंचता है -"ु

    4

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • अह�मयत- ए- क़रबानीु

    ��vक़रबानी का ह�म आदम(अ)से लेकर रसल अ�लाह तक तमाम आसमानी ु ूु

    श�रयत� म� रहा-

    इरशादे बार� ताला है :

    ُ َ ً َ ُ jُلِكل امٍة جعلنا منسكا ُھم ناِسكوه۔ (الحج:٦٧ُ َ َ َ َ َّ ِّ" हमन ेहर उ�मत के �लए एक तर�क़ा इबादत(क़रबानी)मक़र�र कर रखा है,वो इस पर ु ु

    चलन ेवाले ह� -"

    क़रआन मजीद म� बहत ख़बसरत अ�दाज़ म� इ�ाह�म(अ)क� क़रबानी का िज़� ु ू ू ुु

    �कया गया है -

    " और (इ�ाह�म(अ)ने)कहा,म � अपन ेरब क� तरफ़ जाता हं,अनक़र�ब वो मेर� ू

    रहनमाई करेगा-ऐ मेरे रब! मझ ेसालेह�न म� से(औलाद)अता कर-तो हमन ेउसको ु ु

    एक हल�म (बद�बार) लड़के क� बशारत द�-वो लड़का जब उसके साथ दौड़ धप क� ु ू

    उमर को पहंच गया तो इ�ाह�म(अ) न ेकहा बेटा! म � न े�वाब म� देखा है के म � तझ ेुु

    िज़बाह कर रहा हं,तरेा �या �याल है ?उसन ेकहा,ऐ मेरे अ�बाजान! जो आपको ू

    ह�म �दया गया है कर डा�लए,आप इ�शा अ�लाह मझ ेसा�बर� म� से पाऐंगे,तो जब ुु

    उन दोन� न ेइताअत क� और उसे (इ�माईल(अ) को)माथ ेके बल �गरा �दया -और

    हमन े�नदा द� के ऐ इ�ाह�म(अ)! तन े�वाब सच कर �दखाया बेशक हम नेक� करन ेू

    वाल� को ऐसी ह� जज़ा देत ेह�-बेशक अलब�ता ये एक बहत वाज़ह इि�तहान था,और ु

    हमन ेएक बड़ी क़रबानी के ज़�रए इस क़रबानी का �फ़दया �दया- और हमन ेबाद ु ु

    वाल� म� इसका िज़� ख़रै क़ाइम कर �दया -"

    ये है इ�ाह�म(अ)और इ�माईल(अ)�करदार म� तसल�म रज़ा का वो बे�मसाल

    नमना जो बारगाहे इलाह� म� इस दजा� मक़बल हआ के रहती द�नया तक अ�लाह ू ू ुु

    ताला न ेइस स�नत को जार� कर�दया -ु

    �vये ना �सफ़� इ�ाह�म(अ)ख़ल�ल अ�लाह क� स�नत है ब�के नबी कर�म न ेु

    ईदल अ�हा के मौक़े पर क़रबानी को अपनी स�नत क़रार �दया -रसल अ�लाह ु ु ु ू

    न ेफ़रमाया :

    " बेशक इस �दन हम पहला काम ये करत ेह� के नमाज़(ईद)अदा करत ेह� �फर वापस

    पलटत ेह� और क़रबानी करत ेह�, िजस श�स न ेऐसा ह� �कया उसन ेहमार� स�नत ु ु

    को पा �लया -" (म�त�फ़क़ अलहै)ु

    (الّصفت:٩٩-١٠٨)ّٰ

    5

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • ���vएक और �रवायत म� नबी कर�म न ेनमाज़ ईद के बाद क़रबानी करन ेकोु

    एहले इ�लाम क� स�नत क़रार देत ेहए फ़रमाया: " िजसन ेनमाज़(ईद)से पहले ु ु

    िज़बाह �कया तो उसन ेअपन े�लए िज़बाह �कया और िजसन ेनमाज़ के बाद

    िज़बाह �कया उसक� क़रबानी मक�मल हो गई और उसन ेमसलमान� क� स�नत ु ु ु ु

    को पा �लया -"(सह� बख़ार�)���ु

    ���vरसल अ�लाह न ेउ�मत को भी क़रबानी करन ेक� ताक�द फ़रमाई -ू ु

    मख़नफ़ �बन सल�म बयान करत ेह� के जब हम रसल अ�लाह के साथ ु ू

    अरफ़ात म� थे तो आप न ेफ़रमाया:

    " ए लोगो! हर साल हर घर वाल� पर क़रबानी है -" (जामे �तर�मज़ी)ु

    ���vइसतताअत के बावजद क़रबानी ना करन ेवाले लोग� के बारे म� रसल ू ु ू

    अ�लाह न ेफ़रमाया:

    " जो वसअत के बावजद क़रबानी ना करे वो हमार� ईदगाह के क़र�ब ना आए -" ु ू ु

    (मसनद एहमद)ु

    ���vसहाबा कराम भी इ�तबेाए रसल म� क़रबानी का एहतमाम फ़रमात-ेू ु

    अब उमामा �बन सहल न ेबयान �कया है:ु

    " हम मद�ना म� अपन ेक़रबानी के जानवर� को परव�रश करके मोटा करत ेथे और ु

    मसलमान(दसरे)भी इसी तरह इ�ह� पालकर मोटा करत ेथे -" (सह� बख़ार�) ु ु ु

    �हकमत ेक़रबानीु

    अ�लाह ताला न ेइ�ाह�म(अ)के ज�बा-ए-ईसार व क़रबानी और मक�मल ु ु

    सपद�गी को बेपनाह पसंद �कया,उनको मोह�सन औल ख़ल�ल अ�लाह(अ�लाह का ु ु

    दो�त)के लक़ब से नवाज़ा और उनके नाम को रहती द�नया तक जार� कर ु

    �दया,�लहाज़ा तमाम द�नया के मसलमान हर नमाज़ म� नबी के साथ ु ु

    इ�ाह�म(अ)पर भी द�द सलाम भेजत ेह� और उनक� क़ाइम करदा स�नत को िज़�दा ु ु

    रखत ेहए हर साल क़रबानी करत ेह�- अ�लाह ताला अपन ेब�द� से ऐसी ह� मक�मल ु ुु

    अताअत और फ़रमाबरदार� चाहत ेह� के जब अ�लाह ताला का ह�म आजाए तो बग़ैर ु

    कसी पसोपेश के अमल �कया जाए,यह� �हकमत क़रबानी करन ेके पीछे मौजद है इस ु ू

    �लए द�नया भर के मसलमान क़रबानी क� इस स�नत पर अमल करत ेहए अ�लाह ु ु ु ु ु

    ताअला से एहद करत ेह� के ऐ र�बल आलमीन! हम तरेे इताअत गज़ार ब�दे ह� जब ु

    तरेा ह�म होगा तो हम द�न इ�लाम क� ख़ा�तर �कसी �क़�म क� क़रबानी से ुु

    दरेग़(पीछे हटना) नह� ंकर�गे -

    इ�ाह�म(अ) न े�वाब म� अ�लाह ताला का ह�म पान ेके बाद तमाम अक़ल� दलाइल ु

    को एक तरफ़ रख �दया और कमाले उब�दयत का इज़हार करत ेहए अपनी अज़ीज़ ू ु

    तर�न मता अ�लाह ताला के हज़र पेश कर द�,हर साल 10 ज़लह�जा को जानवर� ू ुु

    क� क़रबानी करना इसी जज़बए उब�दयत क� याद को ताज़ा करना है – ु ू

    6

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلصملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلصرضي هللا عنھ

    ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھ

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • एहकामे क़रबानीु��

    ���vक़रबानी क� �नयत के साथ जानवर ज़बाह करना ज़�र� है _ु

    ���vक़रबानी का जानवर नमाज़े ईद के बाद ज़बह करना ज़�र� है-ज�दब �बन सफ़यान ु ु ु ु

    �रवायत करत ेह� के म � ईदल अ�हा के �दन रसल अ�लाह के साथ था,जब आप ु ू

    लोग� को नमाज़ पढ़ा चके तो देखा के एक बकर� ज़बाह क� हई है,आप न ेफ़रमाया: ु ु

    "िजसन ेनमाज़ से पहले ज़बाह �कया वो इसके बदले म� दसर� बकर� ज़बाह करे और िजसन ेू

    ज़बाह नह� ं�कया तो वो पढ़कर करे -" (म�त�फ़क़ अलेह)ु

    ��vबकरा,दमबा,भेड़ वग़ैरह क� क़रबानी एक ह� श�स कर सकता है ले�कन गाये क� ु ु

    क़रबानी म� सात इफ़राद और ऊंट क� क़रबानी म� दस इफ़राद शर�क हो सकत ेह� - (जामे ु ु

    �तर�मज़ी)

    ��vक़रबानी करन ेवाला ज़ल�ह�जा का चांद देखन ेके बाद बाल� और नाख़न� को ना काटे - ु ु ु

    (सह� मि�लम)ु

    ��vमसा�फ़र भी क़रबानी कर सकता है - (सह� बख़ार�)ु ु ु

    ��vसब घर वाल� क� तरफ़ से एक क़रबानी करना काफ़� है - (म�तदरक हा�कम)ु ु

    ��v�कसी �र�तदेार,दो�त या तमाम मसलमान� क� तरफ़ से भी क़रबानी क� जा सकती है -ु ु

    (सह� मि�लम)ु

    ��vमरहमीन क� तरफ़ से भी क़रबानी क� जा सकती है - (मसनद एहमद)ुू

    ��v�कसी �र�तदेार,दो�त या इजतमेाई क़रबा�नय� का एहतमाम करन ेवाले इदार� के ज़�रए ु

    क़रबानी करवाना द��त है-ु ु

    ��vक़रबानी के जानवर क� रक़म �कसी भी दसरे मसरफ़ म� देन ेसे क़रबानी का हक़ अदा ना ु ु ु

    होगा चाहे वो पसैा �कतने ह� नेक,रफ़ाह� या सदक़ा व ख़रैात के काम� म� �दया जाए –

    ِِبسم ِهللا

    7

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص

  • क़रबानी के जानवर क� शराइतु

    ��vनबी अकरम न ेउ�मत क� क़रबानी के �लए दो दांत का जानवर ज़बाह करन ेु

    क� तलक़�न फ़रमाई _जा�बर से �रवायत है के रसल अ�लाह न ेू

    फ़रमाया:

    " क़रबानी म� ज़बाह ना करो मगर एक (जो एक बरस का होकर दसरे म� लगा ु ु

    हो)अलब�ता जब तम को ऐसा जानवर ना �मले तो द�बे का (द�बे का वो ब�चा ु ु ु

    जो एक साल का हो)ज़बाह करो -" (सह� मि�लम)ु

    नोट: ये इजाज़त �सफ़� द�बे के ब�च ेके �लए है बकर� के ब�च ेके �लए नह�ं -ु

    ���vख़सी और ग़ैर ख़सी दोन� �क़�म के जानवर� क� क़रबानी करना स�नत से ु ु

    सा�बत है -

    जा�बर �बन अ�द�लाह से �रवायत है:ु

    " यक़�नन रसल अ�लाह के पास दो सींग� वाले,�चतकबरे,बड़ ेबड़ ेख़सी म�ढे ू

    लाए गए-आप न ेइन दोन� म� से एक को पछाड़ा और फ़रमाया:" अ�लाह ताअला

    के नाम से,और अ�लाह ताअला सब से बड़ा है-मोह�मद और उनक� उ�मत क�

    तरफ़ से,िज�ह�न ेतरे� तौह�द क� गवाह� द� और मेरे पग़ैाम को पहंचान ेक� शहादत ुद�-"(म�मा अलज़वाइद)

    अब सईद ख़दर� से �रवायत है: ु ु

    " रसल अ�लाह सींग� वाले,ग़ैर ख़सी म�ढे क� क़रबानी करत ेथे,उसक� आखं�,मंह ू ु ु

    और हाथ पांव �याह होत ेथे -" (स�न अब दाऊद) ु ु

    ����vम�दरजा ज़ील ऐब� वाले जानवर� क� क़रबानी करना जाइज़ नह� ंहै -एकु

    आखँ वाला होना,बीमार होना, लंगड़ापन नज़र आना,ह�डीय� म� गदा ना होना,कान� ू

    का आगे, पीछे, ल�बाई या चौड़ाई से कट कर लटक जाना(या कान� म� सराख़ ू

    होना),जानवर म� इन एैब� से बड़ा एैब होना - (मसनद एहमद)ु

    مسنھ

    جذعھ

    8

    ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھ

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھ

  • िज़बाह के एहकाम

    ����vक़रबानी के जानवर को उ�दा और अ�छे तर�क़े से ज़बाह �कया जाए-ु

    (सह� मि�लम)ु

    ����vज़बाह करत ेव�त जानवर को �क़बला �ख़ कर लेना मसतहब है - ु

    (सह� इ�न ेख़ज़मैा)ु

    ����vिज़बाह करत ेव�त छर� क� धार तज़े होनी चा�हए - (शरह अलनवी)ु ू

    ����vक़रबानी करत ेव�त क� दआ: अ�लाह के नाम के साथु ु

    (ज़बाह करता हं)अ�लाह बहत बड़ा है-"(म�त�फ़क़अलेह)ुु ु

    ����vख़द ज़बह करना अफ़ज़ल है ले�कन �कसी दसरे से करवान ेम� भी कोइ ु ु

    हज � नह�ं - (सह� बख़ार�)ु

    ����vमसलमान औरत भी क़रबानी का जानवर ज़बाह कर सकती है - ु ु

    (सह� बख़ार�)ु

    vज़बाह करन ेवाले क़�साब को क़रबानी के जानवर म� से कोइ चीज़ बतौरु

    मज़दर� देना जाइज़ नह�ं (म�त�फ़क़ अलहै )ू ु

    َ "بسم ِهللا وهللا اكبرَ َُ ِِ

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  • क़रबानी के गो�त क� तक़सीमु

    ���vक़रबानी का गो�त ख़द खाना और ज़�रतम�द� को देना क़रआन पाक से सा�बत है ु ु ु

    َ ََُ َ َّ فكلوا ِمنھا و اطِعموا القاِنعوالمعتر۔ (الحج:٣٦)ُ ُ َ َ ُ َ َ

    " पस उसम� से ख़द भी खाओ और उनको भी �खलाओ जो �क़नाअत �कए बठेै ह� और ु

    उनको भी जो अपनी हाजत पेश कर� -"

    आप न ेफ़रमाया: " खाओ,ज़ख़ीरा करो और ख़रैात करो "-

    (सह� मि�लम)ु

    इस �लए क़रबानी का गो�त ख़द इ�तमेाल करन ेके साथ साथ ग़र�ब� और ु ु

    �र�तदेार� को �दया जा सकता है-क�बा बड़ा होन ेक� सरत म� परा गो�त ख़द भी ु ू ू ु

    इ�तमेाल �कया जा सकता है-खद और अज़ीज़ वा अक़ा�रब साहबे इ�तताअत ह� तो ु

    क़रबानी का तमाम गो�त ग़र�ब� म� भी तक़सीम �कया जा सकता है -ु

    ����vक़रबानी क� खाल ज़ाती इ�तमेाल के �लए भी रखी जा सकती है -ु

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    ملسو هيلع هللا ىلص

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