सफ़र का महना और...

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सफ़र का महना और बदशगनी

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  • सफ़र का मह�ना और

    बदशगनीु

  • सफ़र का मह�ना

    और

    बदशगनीु

  • ऐ अ�लाह! तरे� द� हई भलाई के �सवा कोईू

    भलाई नह� ंऔर तरे� फ़ाल के

    अलावा कोई फ़ाल नह� ंऔर तरेे अलावा कोई

    माबद नह�ं।ू

  • इ�तदेाइया

    �कताबचा "सफ़र का मह�ना और बदशगनी" सफ़र के मह�न ेके ु

    बारे म� हर तरह के वहम और ग़लत अक़�द� के बारे म� ता�जजो

    �दलाता है जो मोआशरे म� आम पाऐ जात ेह� और िज�ह� लेकर

    इ�सान द�नया क� बहत सी हलाल और जाइज़ चीज़� को अपन ेु ु

    �लऐ हराम कर लेता है ब�के �शक� शा�मल होन ेक� वजह से

    आ�ख़रत के नकसान का भी डर है। उ�मीद है के ये �कताबचा ु

    पढ़न ेवाले क� सोच और शऊर को इस तरह क� समझ देगा के

    वोह अपने हर फ़ायदे व नकसान का मा�लक अ�लाह ताला को ु

    समझ ेऔर �कसी भी इ�सान या चीज़ को इसक� वजह ना समझ े

    ताके तवा�म पर�ती और बरे शगन से बच सके।ु ु

    नोटः ये �कताबचा डा�टर फ़रहत हाशमी सा�हबा के आ�डयो

    ले�चर से तयैार �कया गया है।

    अल हदा तहक़�क़ व इशाअतु इ�लामाबाद जानवर�, 2009 महर�म,1430ु

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    सफ़र का मह�ना और बदशगनीुसफ़र क़मर� (चा�द का �हसाब) कैल�डर का दसरा मह�ना है िजसके ू

    हवाले से लोग� म� बहत सी ग़लतफ़ह�मयां पाई जाती ह�। ऐक तरफ़ ु

    इसके साथ बहतसी तवा�मात(वहम)और बदशग�नयां जोङल� गई ह� ुु

    और दसर� तरफ़ इनके ख़द बनाऐ गऐ हल भी तलाश कर�लए गऐ ू ु

    जसेै इस माह म� शाद� ना करना, चने उबालकर मोह�ले म� बांटना

    ताके हमार� बलाऐं दसर� क� तरफ़ चल� जाऐं। आटं े क� तीन सौू

    पस� ठ गो�लयां बनाकर तालाब� म� डालना ताके बलाऐं टलजाऐं और

    �र�क �यादा हो, तीन सौ �यारह या �यादा बार सरह म�म�मल ू ु

    पढ़ना, इस मह�ने को मद� पर भार� समझना और इसक� तरे ा

    तार�ख़ को म�हस समझना िजसको तरे ातज़ेी भी कहा जाता है। इन ू

    सब बात� क� द�न म� कोइ है�सयत नह�ं �य�के मह�ने व साल,रात

    और �दन के आने जाने से बनत ेह� जसेै अ�लाह ताला ने फ़मा�याः

    ّ ْ � � ُْ ً ِ ٓ ْٓ ِ ٰ ٰ ِٰ َ َِ ْ َ لت ل جعل ل َ ْ ی ل َ ل ��ُغوا فضال من ر�مك جعل نھَار م�رصًة نا ایة ا یل و تني فمحوَ� ایة ا نھَار ا یل وا نا ا ِْو ُ ِ ِْ ّ َ َ َ � َ َ َ � َ ََ َ َ َ َ َ� ْ ْ َ ْ ْ َ َ َ ْ ََّ ْولتعلموا ِ َْ ُ َ

    ِْ ِ ِْ س�نني والحساب(بىن ارسائیل:١٢)ل َ�َدَد ا ََ َّ َ"हमन ेरात और �दन को दो �नशा�नया ं बनाया है,रात क� �नशानी को हमन ेबेनर और ू

    �दन क� �नशानी को रोशन बनाया ताके तम अपन ेरब का फ़ज़ल तलाश करो और ताके ु

    तम साल� क� �गनती और �हसाब जान सको।"ु

    �दन का �नकलना,सरज का �नकलना व ग़�ब होना और रात का ू ु

    फैलजाना सब अ�लाह क� �नशा�नय� म� से ह�

    �य�के �दन� से �मलकर ह�त ेऔर ह�त� से मह�न ेऔर साल बनत े

    ह�।यह� माह व साल ज़माना ह� िजसको बराु

    क�न ेसे हद�स क़दसी म� रोका गया है।ु

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    रसल अ�लाह( ) न ेफ़मा�या के अ�लाह अज़ावजल फ़मा�त ेह�:ू ملسو هيلع هللا ىلص

    ◌َ

    "इ�ने आदम ज़माने को गाल� देकर मझ ेअिज़यत देता है हालाँके ज़माना म � हं, ु ू

    मेरे हाथ म� हर काम है, म � रात और �दन को उ�ट प�ट करता हं।"ु ू

    क़�ी(चा्ँद) कैल�डर चा्ँद क� बदलती हई हालत� क� वजह से वजद म� ु ूू आता है।

    :अ�लाह ताला फ़मा�त ेह�)

    "लोग आपसे ( ) चा�द के(घटन ेबढ़ने) के बारे म� प�त ेह� के�दो के ये लोग� और ूملسو هيلع هللا ىلص

    हज के �लऐ व�त बतान ेका

    ज़�रया है।"

    क़�ी(चाँद) क़ैल�डर हक़�क़त म� ऐक आलमी क़ैल�डर है। इसके

    साथ अ�लाह ताला ने हर इ�सान के �लए तार�ख़� मालम करने म� ू

    आसानी पदै ा करद�। चाँद अ�लाह के हकम का पाब�द है,इस�लए ुु

    ना तो �कसी क� �क़�मत पर असर होता है इसके घटने बढ़ने से

    और ना ह� �कसी ख़ास मह�ने का चाँद नज़र आने से अपशगन ु

    श� होता है और ना �कसी क� अ�छ� �क़�मत श� होती है।�य�के ु ु

    इ�सान क� अ�छ� बर� �क़�मत सरज,चा्ँद और �सतार� क� ग�द�श ु ू

    पर नह�ं ब�के इ�सान के अपने अमल पर है। इ�को बनाने का

    का �हसाब �कया जा सके और इबादत मकसद तो ये है के साल�

    का व�त पता करने म� आसानी हो।

    मह�न� क� �गनती भी अ�लाह ताला क� बनाइ हई है जसैा के ू

    क़रआन मजीद म� फ़मा�याःु

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    " बेशक मह�न� क� तादाद अ�लाह के नजद�क,अ�लाह क� �कताब म� बारह मह�न ेहै जब

    से इसन ेआसमानो और ज़मीन को पदैा �कया।"

    इस�लए क़ैल�डर चा�द से हो,सरज से या �ह�द� हो,कह�ं मोहर�म और ू

    जनवर� और फरवर� और कह�ं चतै और बसैाख़ सफ़र ह� तो कह�ं

    नाम म�त�लफ ह� ले�कन �गनती बाराह ह� है।ु सफ़र वोह मह�ना है िजसमे रसल अ�लाह( )ने मामल क� ू ملسو هيلع هللا ىلصू

    इबादत के अलावा ना कोइ ख़ास इबादत क� ना हम� इसका ह�म �दया ु

    और ना ह� �कसी ख़ास बला से बचने के �लए ख़बरदार �कया।

    तवा�मात और शगन जो इस मह�ने से म�सब �कए गऐ ह� इनक�ु ू

    कोइ हक़�क़त नह�ं ह�।

    अरब� के यहां इस मह�ने को लेकर जो ग़लत �यालात पाये जात े

    थे इसक� असल वजह ये थी के अरब हमत� क� वजह से तीन माह, ु

    ज़लकाद, ज़लहज और मोहर�म म� जंग झगङा से �के रहत ेऔर ु ु

    इ�तज़ेार करत ेके ये पाबि�दयाँ ख़�म ह�तो वो बाहर �नकल� और

    लटमार कर� इस�लए सफ़र श� होत ेह� वो लटमार,डाका और जंग ू ु ू

    झगङे के इरादे से जब घर� से �नकलत े तो इनके घर ख़ाल� रहजात े

    .यं अरबी म� ये महावरा (घर का ख़ाल� होना) मशहर हो गयाू ु ू और का मतलब है ख़ाल� होना जसै े �सफ़र (श�य) अरबी म�ू

    कहत ेह�।

    ) (घर सामान से ख़ाल� हो गया)

    मशहर मह��स और तार�ख़दान सख़ावी ने अपनी �कताब ुू म� माह सफ़र के बारे म� यह� वजह "المشھور فى اسماء االیام والشھور"

    �लखी है।अरब� ने जब देखा के इस मह�ने म� लोग क़�ल होत े ह� और

    घर बबा�द या ख़ाल� हो जात े ह� तो उ�ह�ने इस से ये शगन �लया के ुये मह�ना हमारे �लऐ म�हस है और घर� क� बबा�द� और वीरानी क� ू

    असल वजह पर ग़ौरना �कया, ना ह� अपन ेअमल क� ख़राबी का

    َ َصفٌر المكانَ َِ صفٌر َ صفٌر

    َ بیت ِصفٌر ِمن المتاعٌ َ (لسان العرب از ابن منظور: ج٤,ص٤٦٢-٤٦٣(

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    एहसास �कया,ना लङाई झगड़ ेऔर जंग व िजदाल से ख़द को बाज़ ुरखा ब�के इस मह�ने को ह� म�हस ठहरा �दया।जब के नहसत के ू ू

    बारे म� क़रआन मजीद म� इशा�द हैःु

    ْ ِْ ْ ِ ِ َ ُ ِِ ِ ُْ ْ ٰ ٓ َ ْْ ٖ ِ �ُ م� كت ع ْ شورا اقرا � با یلقُه نقه و خنرج ُ� یوم الق�امة ُ سان الزم�ُه طرئه ىف َو لك ا ٰ ِ َ ِ ٰ َْ ُ ٍ� َ َ ُ ًَ ْ ً َ ْ َ َ َََِْ َ ِِ ْ َٰ َ حَ سِب �ل ل نف ��اك یك یوم سك ا ْتابك كفی ََ َ ََ َْ ًْ َ

    "और हर इ�सान का शगन हमने उसके गले म� लटका रखा है और क़यामत के ु

    रोज़ हम एक �कताब उसके �लए�नकाल�गे िजसे वोह खला हआ पायगा पढ़ अपना ु ु

    नामऐ आमाल आज अपना �हसाब लगाने के �लऐ त ख़द ह� काफ़� है।"ू ु

    यह आयत वाज़ेह करती है के इ�सान क� नहसत का ता�लक़ ुूउसके अपने अमल से है जब के इ�सान उममन ये समझता है के ू

    नहसत कह�ं बाहर से आती है इस�लए वोह कभी �कसी इ�सान ू

    को,कभी �कसी जानवर को, कभी �कसी अदद को ओर कभी �कसी

    मह�ने को मनहस क़रार देने लगता है।अरबी म� नहसत के �लऐ ू ू

    َ ल�ज़طیرة इ�तमेाल होता है जो طیٌر َ َ ِ

    से �नकला है िजस के मायने प�र�दे के ह�।

    अरब चंके प�र�दे के उङाने से फ़ाल लेत ेथे इस�लऐ ताइर बदफ़ाल� ु

    के �लऐ इ�तमेाल होने लगा यानी बरा शगन (bad omen) लेना ु ु

    ।इ�लाम म� कोइ �दन,जगह या इ�सान म�हस नह�ं ब�के वोह ू

    इ�सान का अपना अमल,रव�या,अख़लाक़ और तर�क़ा होता है जो

    उसके �लऐ म�त�लफ़ आज़माईश� क� वजह बन जाता है।ु

    इशा�द बार� ताला हैःٍ ٓ ٍِ ِ ِ ِِ َ ِ َْ َٓ َ َ َ �فحَ ن س� سكس� �ة فمن نة فمن هللا ومااصابك من َم�اصابك من ّ ِْ ْ َ َ ْ ََ َ َ ََ َ َ ََ

    (النساء:٧٩

    कोई भलाई नह�ं जो त�ह� पहंचे तो वोह अ�लाह क� तरफ़ से है और कोई बराई ु ुु

    जो त�ह� पहंचे तो वोह त�हारे न�स क� तरफ़ से है।"ु ुु

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    "जो �कसी चीज़ से बदफ़ाल� पकङ कर अपने मकसद से लौट आया उसने �शक�

    �कया"(सहाबा कराम रज़)ने पछा ऐ अ�लाह के रसल( )इसका क�फारा �या ू ू

    होगा? फ़मा�याः"वोह कहे ऐ अ�लाह! तरे� द� हई भलाई के �सवा कोई भलाई नह�ं ू

    और तरे� फ़ाल के �सवा कोई फ़ाल नह�ं और तरे े अलावा कोई माबद नह�ं।"ू

    �मसाल के तौर पर ऐक श�स घर से �नकला काल� �ब�ल�

    रा�ता काट गई तो उसने उसे म�हस समझा और घर वापस आ ू

    गया। �दखने म� तो यह एक मामल� सी बात है मगर हक़�क़त म� ू

    ये �शरक है �य�के �कसी भी श�स का फ़ायदा या नकसान �ब�ल� ु

    के हाथ म� नह�ं है। अ�सर ऐसा होता है के अपनी लापरवाह� क�

    वजह से कोइ काम ख़राब हो जाता है और शतै ान हम� सझाता है के ु

    यह सार� ख़राबी फ़लां श�स क� वजह से हई �य�के वोह सबह सबह ु ु ुु

    नज़र आगया तो अब सारा �दन ख़राब ह� गज़रेगा और कोई काम ु

    ठ�क नह�ं होगा,इसी तरह आखँ फ़ड़�ने से ख़ौफ़ ज़दा होजाना या

    हाथ म� खजल� होने से उ�मीद लगा बठै ना के आज माल �मलेगा या ु

    जत ेपर जता आ गया तो सफ़र करना है,रंग� से शगन लेना भी ू ू ू

    �मारे मोआशरे म� आम है,�मसाल काला रंग ना पहनना के बीमार

    पङ जाऐंगे या ए�तराम के �ख़लाफ़ है �य�के ख़ाना काबा का �ग़लाफ़

    काला है,हरा जता ना पहनना के बेअदबी होगी �य�के आप( क� ू

    क़� मबारक के ग�बद का रंग हरा है, इस तरह इ�सान ने ख़दसे ु ु ु

    ऐसा श�स जो बरा शगन लेता रहा उसके बारे म� आप( ) न ेु ु ملسو هيلع هللا ىلص

    फ़मा�याः

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    कछ चीज़� अपने �लए ना �सफ़� हराम करल�ं ब�के इन के साथ ु

    �क़�मत भी जोङद�,ये सब ऐसे वसवसे और तवा�मात ह� िजनक�

    हक़�क़त इस के �सवा कछ नह�ं के शतै ान इ�सान को �शक� म� ु

    मब�तला करके इस के आमाल ज़ाऐ करवाता है,ये तवा�मात औरु

    बदशग�नयां इ�सान को अ�दर से कमज़ोर करदेती ह�,इसके ु

    बरअ�स अ�लाह क� ज़ात पर प�का ईमान ओर भरोसा इ�सान

    को �ह�मत बहादर� ओर ऐतमाद देता है,उसे जीने का ढंग ु

    �सखाता है,इस�लए एसे �कसी भी �याल को �दल से �नकाल कर

    अ�लाह पर भरोसा करत े हए अपना काम जार� रखना चा�हए।ु

    ह�त अ�द�लाह �बन मसद( )से �रवायत है के रसल ु ू رضي هللا عنھू

    अ�लाह( )ने फ़मा�या।ملسو هيلع هللا ىلص

    बदशगनी �शक� है"तीन बार कहा और हमम�से कोइ ऐसा "बदशगनी �शक� है,ु ु

    नह�ं(इसे वहम हो जाता है)ले�कन अ�लाह ताला पर तव�कल क� वजह से उसे

    दर करदेता है।"ू

    ऐ�ले �कताब भी जब द�न क� असल ताल�मात से दर हो गऐ तो ू

    इस तरह के शग़न लेने लगे, िजन का िज़� क़रआन मजीद म� ु ु

    �कया गयाः

    "�या त�ने नह� ं देखा उन लोग़ो को िज�ह� �कताब का ऐक �ह�सा �दया गया वोह ु

    िज�त और ताग़त पर ईमान लात े ह�।"ू

    िज�त बेहक़�क़त,बेअसल ओर बेफ़ायदा चीज़ को कहत ेह�,चंके ू

    शगन क� भी कोइ असल ब�नयाद और हक़�क़त नह�ं होती इस�लए ु ु

    इ�लाम म� ऐसी तमाम चीज़� जो िज�त के तहेत आती ह� जसेै

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    कहानत फ़ालगीर� शगन और तवा�मात, इनसे मना �कया गया ु

    है,�कसी छोट� सी तकल�फ या तबीयत क� ख़राबी पर दसर� कोूिज़�मेदार ठेहराना और लोग� के साथ आपस के ता�लक़ात ख़राब ु

    होने पर अपनी ग़लती और कोताह� का जायज़ा लेने क� बजाए

    यह �याल करना के ज़�र �कसीने जाद कर�दया है या इसीतरह के ू

    दसरे तवा�मात रखना जो �यार मोह�बत के �र�त� को ख़�म कर ू

    देत ेह�, िजसक� वजह से इ�सान क� तव�जो अपने अमल

    क� द��ती और इ�लाह से हट जाती है, नतीजतन इ�सान अकेला ु

    रह जाता है और न�सीयाती मर�ज़ बन जाता है।�कसी भी

    ग़ैरमामल� सरतहाल म� हर �क़�म के शर से बचाओ के �लए बतौरू ू

    इलाज म�नन दआऐं औरअज़कार पढ़�।(दआऐं आख़र� पेज पर ह�)ू ु ु

    ह�त अब हरैरा( )�रवायत करत े ह� के आप( )ने फ़मा�याःू ु رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص

    ◌ِ

    “मज़ � का लगजाना, नहसत, उ�ल और सफ़र कछ नह� ं और कोढ़� से इस ू ुू

    तरह बचो िजस तरह शरे से बचत ेहो।"

    आम तौरपर देखा भी यह� है के �कसी को बीमार� लगती है और

    �कसी को नह�ं लगती, अगर इसक� असल वजह कोइ इ�सान या

    चीज़ होती तो �फर सबको बीमार� लगना चा�हए थी, हक़�क़त यह�

    है के जब तक अ�लाह का इ�न ना हो कोइ श�स फ़ायदा या

    नकसान पहंचा सकती है नाह� कोइ जरासीम या वबा, प�ले मर�ज़ ु ु

    को बीमार� जहां से आइ थी यानी अ�लाह के इ�न से, बाक़� लोग�

    को भी वह�ं से आएगी अलब�ता इ�सान ए�तयात करे �य�के

    तदबीर करने का ह�म भी अ�लाह ह� ने �दया है ले�कन भरोसा ु

    ओर तव�कल �सफ़� अ�लाह क� ज़ात पर हो।

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    इसी तरह उ�ल से बदशगनी लेने क� भी कोइ हक़�क़त नह�,ंू ु

    अरब� के यहां उ�ल एक ऐसा प�र�दा था िजसका बोलना नहसत ू ू

    क� अलामत थी जब के मग़�रब म� उ�ल अ�लमंद� क� अलामत ु

    समझा जाता है, हमारे यहां �ब�ल� का रोना या बोल मनहसू

    समझा जाता है, इसी तरह ए�ले योरप तरेाह के अदद को मनहस ू

    समझत ेह�, इसी तवा�म पर�ती क� वजह से इनक� बाज़ इमारत�

    म� तरेवीं मंिज़ल को तरे ाह का न�बर नह�ं �दया जाता, इसके

    असरात हम पर भी ह� ख़ासतौर से सफ़र क� तरेा तार�ख़ को मनहस ू

    समझत ेह� जब के चीन म� ये ख़श�क़�मती क� अलामत समझी ु

    जाती है, अदद तरेाह का ह� है मगर बाज़ इसको नहसत और बाज़ ू

    इसको ख़श�क़�मती क� अलामत समझत े ह� तो द��त �या है? ु ु

    हक़�क़त यह� है के यह िज�त ह� यानी बेहक़�क़त बात� और

    तवा�मात।

    ह�त जा�बर( ) बयान करत ेह� के मन� े नबी( )से सनाःुرضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص

    "मज़ � का लग जाना, सफ़र और भत पर�त कछ नह�ं ह�।"ू ु

    ह�त अब हरैराह( )�रवायत करत े ह� के रसल अ�लाह( )ने ू ूु رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص

    फ़मा�याः

    (

    "कोइ बीमार� मतअद� नह�,ं ना उ�ल का बोलना कछ है,ना �कसी �सतारे क� कोइ ु ू ु

    तासीर है और ना सफ़र का मह�ना मनहस है।"ू

    मालम हआ के िज़�दगी म� पेश आने वाले म�त�लफ़ वा�क़यात को ू ुु

    �सतार� के असरात समझना या इनसे नहसत लेने क� कोइ हक़�क़तू

    नह�ं,ज़ायचे बनवाना,बाज़ तार�ख़� को मनहस समझना ये सब व�मी ू

    और �याल� बात� ह�।

    ह�त ज़दै �बन ख़ा�लद( )से �रवायत है के आप( )ने �म� رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص

    हदै�बया म� सबह क� नमाज़ पढ़ाई यह वा�क़या बा�रश के बाद ुु

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    का है जो रात को हई थी जब आप( ) नमाज़ से फ़ा�रग़ हऐ तो ु ु

    लोग� क� तरफ़ मतव�जा हऐ और फ़मा�याः"�या तम जानते हो ु ुु

    त�हारे रब ने �या �हा है? सहाबा कराम ( )ने अज� �कया ु

    अ�लाह ओर उसका रसल( बे�तर जानत ेह�, आप(ने ू

    फ़मा�याः"अ�लाह ताला फ़मा�ता है मेरे ब�द� ने इस हाल म� सबह क� ु

    के कछ मझपर ईमान लाने वाले थे और कछ मेरे साथ क� करने ु ु ु ु

    वाले थे िजसने यह कहा के अ�लाह के फ़ज़ल ओर उसक� रहमत से

    हम पर बा�रश हई पस वोह मझपर ईमान लाने वाला ओर �सतार� ुु

    का क� करने वाला है और िजसने कहा के फ़लां �सतारे क� वजह ु ु

    से बा�रश हई पस वोह मेरे साथ क� करने वाला है और �सतार� ुु

    पर इमान लाने वाला है।"(सह� बख़ार�)ु गोया �सतार� को अपनी ख़श�क़�मती या बद�क़�मती क� ुअलामत समझना इ�सान को क� तक पहंचा सकता है। अलब�ताु ु

    अ�छ� चीज़� को अपने �लए ख़शब�ती क� अलामत समझने म� कोइ ु

    ) �रवायत करत े ह� के रसल हज � नह�ं जसै ा के ह�त अनस(ू رضي هللا عنھ

    )ने फ़मा�याः अ�लाह(ملسو هيلع هللا ىلص

    कोइ मरज़ मतअद� नह�ं और ना बदफ़ाल� कोइ चीज़ है और नेक फ़ाल यानी ु

    अ�छा कलमा मझ ेपसंद है"(सह� बख़ार�) ु ु

    मसलन रसल अ�लाह( )ने सलाह हदै�बया के मौके पर ए�ले ू ु ु

    म�का के नमाइ�दे सहेल �बन उ�ो के आने पर फ़मा�या थाः"अब ु ु

    त�हारा मामला आसान हो गया।"(सह� बख़ार�)ु ु सोचने क� बात यह है के इतने वाज़ेह ए�कामात के बावजद ू

    �मारे मोआशरे म� यह बदशग�नयां आम �य� ह� तो इस क� ु

    एक वजह नीचे द� हई मोज़ �रवायत का लोग� म� आम होनूुم

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھ

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    "जो श�स मझको माह सफ़र गज़रने क� बशारत देगा म � उस को ज�नत क� ु ु

    बशारत दगाँ।"ू

    यह हद�स नह�ं ब�के एक मनघङत बात है,चनाँचे इस मह�ने म� ु

    शाद� करने से �कना,ब�चे का अक़�क़ा ना करना या दसर� ु

    तक़र�बात ना मनाना इ�लामी तरज़े अमल नह�ं,इसी तरह तरे ाह

    तार�ख़ को घगँ�नयाँ �खलाने या खाने क� भी कोइ सनद नह�ं,तीनु

    सौ पस� ठ आटे क� गो�लयां तालाब� म� फ� कने क� भी कोइ हक़�क़त

    नह�ं।माह सफ़र के हवाले से एक और इ�तहेा यह है के एक तरफ़

    इस को मनहस समझत े ह� और दसर� तरफ़ ख़शी मनाई जाती है ू ुू

    और दल�ल यह पेश क� जाती है के रसल अ�लाह( बीमार� के ू

    बाद इस �दन सेहतयाब हए थे और सरै तफ़र�ह के �लए �नकले थे ु

    हालाँके तार�ख़ी ऐतबार से बात इसके �ब�कल उलट ुहै।

    "पस रसल अ�लाह( )क� इस बीमार� क� इ�तदे ा हइ िजस मे अ�लाह ताला ने ू ملسو هيلع هللا ىلصू

    आप( )क� �ह क़�ज़ क�।"ملسو هيلع هللا ىلص

    इस मनघङत बात को ब�नयाद बनाकर इस मह�ने क� आ�खर� ु़

    है,कारोबार ब�द कर �दए जात े ह� ख़ासतौर बध को छ�ी क� जातीु ु

    से हाथ से काम करने वाले कार�गर और मज़दर लोग छ�ी मनात ेू ु

    ह� और �मठाई का मता�बा करत े ह�। �मठाई बांट� जाती है और ु

    इस �दन छ�ी देना अजर व सवाब समझा जाता है, ख़ास इस ु

    )ने �दन इस सोच के साथ चर� बनाइ जाती है के रसल अ�लाह(ू ملسو هيلع هللا ىلصू

    से�तयाब होने के बाद चर� खाई थी, �वातीन इस �दन अ�छे ू

    कपङे प�नती ह�,लोग ख़ासतौर पर तफ़र�ह के �लए �नकलत े ह�, जब

    के इसक� दल�ल ना तो सीरत क� �कताब� म�

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    है ना अहाद�स मबारका से �मलती है।ु

    इस लेहाज़ से एक मस�मान का अक़�दा मज़बत और ज़�न वाज़ेह ु ू

    होना चा�हए के ख़शी और ग़म, फ़ायदा और नकसान सब अ�लाह ताला ु ु

    के हाथ म� है,कोइ तकल�फ़ नह� ंआ सकती जब तक अ�लाह ना चाहे।

    क़रआन मजीद म� अ�लाह ताला फ़मा�त ेह�।ु

    "कह द�िजए के हम� हर�गज़ कोइ भलाइ या बराई नह� ं पहंचती मगर वोह ु ु

    जो अ�लाह ने �मारे �लए �लख द� ,वह�हमारा मौला है ओर ईमान वाल�

    को अ�लाह पर तव�कल करना चा�हए।"

    आप( )न ेफ़मा�याः

    "जो मसीबत तमको पहंची है वोह त�से टल नह� ं सकती थी और जो टल गइ वोह ु ु ुु

    तम पर आह� नह�ं सकती थी।"ु

    यह� सोच इ�सान को हर हाल म� म�मईन रखती है के जो हआ ु ु

    अ�लाह ताला के इ�न से हआ और इस म�ज़�र अ�लाह क� कोइ ु

    �हकमत पोशीदा है,इस तरह अक़�दा तौह�द और प�का होता है

    और इ�सान जान लेता है के असल पनाह देने वाल� ज़ात �सफ़�

    अ�लाह क� है, इस तरहवोह �शक� जसेै कबीरा गनाह से बचा र�ता ु

    है, इसी पर जमे रहने के �लए �म� यह दआ �सखाइ गई जो फ़ज़ �ु

    नमाज़ के बाद पढ़ना म�नन है।ू

    "ए अ�लाह ! कोइ रोक नह� ं सकता जो आप अता कर� और कोइ दे नह� ं सकता िजस को

    आप रोकना चाह� और आपकेअज़ाब के मकाबले म� �कसी दौलतमंद को उसक� ु

    दौलतफ़ायदा नह� ं दे सकती।"

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    नज़र बद और तकल�फ़ से बचने

    क� दआऐंु

    "म ैहर शतै ान और मज़ी और नज़र बद से अ�लाह क� पनाह ू

    चा�ता हं।"ू

    "म ैअ�लाह के तमाम क़लमात क� पनाह चा�ता हं उसके ग़ज़ब और ू

    उसके इताब से और उसके ब�द� के शर से ओर शतै ान के वसवसो

    से और इस से के वोह मेरे पास हािज़र ह�।"

    "म ैअ�लाह के नाम से आपको झाङता हं हर उस चीज़ से जो ूआपको अिज़यत दे, हर न�स और हर हा�सद नज़र के शर से

    अ�लाह आपको �शफ़ा दे,म � अ�लाह के नाम से आपको झाङता

    हं।"ू

  • सफ़र का मह�ना और बदशगनीु

    "ए लोग� के रब तकल�फ दर करदे और �शफ़ा दे, तह� �शफ़ा देन ेू ू

    वाला है, तरे� द� हई �शफ़ा के �सवा कोइ �शफ़ा नह�,ंऐसी �शफ़ा जो ु

    बीमार� को बाक़� ना छोङे।"

    "म � अ�लाह ताला के इन तमाम कलमातके साथ पनाह चा�ता हं ु

    िजनसे ना कोइ नेक और ना ह� कोइ फ़ािजर बढ़ सकता है,हर

    उस चीज़ के शर से जो आसमान से उतरती या उस म� चढ़ती है

    और उस चीज़ के शर से जो ज़मीन से पदैा होती है और जो उस

    से बाहर �नकलती है और रात और �दन के �फ़तनोऔर हादसात

    के शर से,अलब��ता जो हादसा बे�तर� का सबब हो, ऐ रहम

    करने वाले।"

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