अच्छा सोचें - i1.dainikbhaskar.com · का भी अनुभत्व...

1
िअच सो4 पर तितया देने के तिए रसरंग दैतनक भासकर 4/54, स कॉमकस, एबी रोड, इंदौर- 452001 के पत पर लख या ई-म कर : [email protected] सकतभाषा के मह को सपष करन के लए इस दाणी कहना अनुलित तो नह। लकसी का म यह इस दश की सामानय वयहार की भाषा रही है। ािीनका स आज तक का भारतीय जीन संसकत भाषा म पूरी तरह स लतलबंलबत हुआ लदखता है। इसीलए यह जानना ज़री है लक द, उपलनषद, दांग, आलद स कर इकीस शताबदी तक के संसकत कलय-सालहतयकार की रिना म के अधयातम और धम ही नह, बलक जीन के हर उस अंग की मौलक और रंजक िि है, जो सफता और सुख की ओर कदम रख मनुषय को माग बताए, उझन म लदशा द, थका म रंजन कर, लनराशा म आशा द और ोभ म शांलत दान कर। अतः संसकत सालहतय आज भी उलित ए उपयुकत है। इहाद और याद को उजागर करत हुए मनुषय को सफता की ओर जान को रत करन ा अनलगनत सुभालषत म स एक बहुत ही सर और सुबोध सुभालषत यहां सतुत कर रह ह। अन भेषजं लभं न ारोगं कदाचन । अन नसमभारः ानं लभं तः ॥ सुभालषत का अथ है–हम धन के ारा औषलध पा सकत ह, आरोगय नह। उसी कार, हम धन के ारा बहुत सार ंथ तो ख़रीद सकत ह, लकन ान तो के य के ारा ही पा सकत ह। म मानता हूं लक कुछ सलदय पह लजस लकसी कल न यह सुभालषत रिा, ह बडा ही दूरदश रहा होगा, कयलक उस समय ऐलहक साधन और िज़-सतुएं इतनी भारी माा म उपबध नह थी लजतनी आज ह। तजन सामानय उतना संप नह था लजतना आज है। कई बार हम मॉ म शॉलपंग करत हुए कुछ महंगी िीज़ लसर इसलए ख़रीदत ह लक लकसी दूसर के पास ैसी ही िीज़ ह। लकतन ोग के पास महंग मोबाइ रोन रहत ह। पूछन पर कहत ह लक इसम बहुत सार रंकशन और ऐलकेशन ह लकन उनम स लकतन रंकशन और ऐलकेशंस का यथाथ उपयोग होता है? मर एक लम न एक बार कहा लक उसके कमयूर म 600 मूीज़ और 12000 लहंदी गान ह। पूछन पर पता िा लक उनम स 50 मूीज़ भी उसन दखी नह ह और 300-400 स अलधक गान भी नह सुन ह। तो लफर के यह भंडार इका करके कया करना है? अपन सासय को कर भी हम दोहरा रैया अपनात ह, एक ओर जहां अचछ सासय के लए लजम जात या योग करत हंै ही दूसरी ओर सासथ लबगडन की लिंता को कर मलडक इंशयोरंस भी करात ह। यह पर हमारा संसकत कल हम ितानी दता है लक पैस स लसर दाइयां ख़रीदोग, सासय नह। पैस स अख़बार ख़रीदोग, ख़बर नह। पैस स लकताब ख़रीदोग, ान नह। पैस स अनाज ख़रीदोग, साद नह। सासय, ान, साद, आलद पान के लए तो पररम ही करन पडग। अनायास ही इन िीज़ को हम नह पाएंग। कल हमस यह नह कह रहा लक साधन मत ख़रीदो। बस ह हम साधन ख़रीदकर संतुष होन म जो ख़तरा है, उसस साधान कर रहा है। कल की इस बात को समझकर हम यलद योगय लदशा म ि तो आशयक साधन का हम पूरा-पूरा ाभ उठान म सफ रहग। सं सुभषित उवच }सौरभ बाेंे संसकत अधयता, फैकी ाॅइस किर, द एकेडमी, मुमबई टेक कॅरिअि टइम मैनेजमट सुबह स रात हम फोन म अग-अग तरह के एप यूज करत ह। आज हम कुछ ऐस ही एस के बार म बता रह ह। 1 : RED BULL ALERT 2 : FLIPAGRAM 3 : YOVIVO 4 : TOSSUP 5 : ALPHABEAR OS: Android/Android Wear OS : Android/iOS OS : iOS OS : Android/iOS OS : Android/iOS यह पहा ऐसा एप है जो आपको जदी उठन के लए मोल करता है। नौ अग-अग तरह की सपोरस थीम और अाम साउंड इस एप को काफी कू बनात है। आप लकतनी दर तक सोए, लपछ सात लदन म आपके जागन और सोन का ीन कया रहा यह तो एप बताता ही है साथ ही इस अाप शयर करना िाह तो भी एप मदद करता है। फोो स ीलडयो सोरीज बनान के लए लपाम एप डाउनोड लकया जा सकता ह। लसक, लए और शयर के महज तीन सप होन स एप बहद सर गता है। ीलडयो सोरी बनान के लए आपको ीलडयो लकप को लसकरना होता है, उसके बाद मनपसंद मयूलजक, ाइलमंग, लफस और सोरी म योग होन ा कस इनपु करके शयर कर सकत ह। लकसी फोो या फाइ को ाउज म होन ाी परशानी कम करत हुए योलो एप फोन और सर काउड म मौजूद फोो और ीलडयो को एक जगह ान का काम करता है। यो ीो एप स आप आसानी स फोो और ीलडयो स, कॉपी, डाउनोड, अपोड, साइड शो और शयर करन की सुलधा दान करता है। इस एप के जररए समाफोन म लदनभर की गलतललधयां और डी ान बनान के साथ उनम जरत के अनुसार सुधार कर सकत ह। यह एप आपके ान और एलकली को शयर करन की सुलधा भी दता है। यह एप के ान बनान के लए ही नह बलक इस ान पर दूसर की राय न म भी मददगार है। इसके लए एप म पोलंग फीिर भी लदया गया है। अाड ललनंग लप ाउन पज़ गम बनान ाी कंपनी साइ फॉकस हा ही म अफालबयर गम माक म ाई है। इस पज़ गम म आपको अर को वयलसथत करके शबद बनाना होता है। लजसके बाद आपको कयू लबयर लदखाई दग। आप लड म लजतन जयादा अर सुझात ह लबयर साइज उतना बडा होता जाता है। 1. जीवन के टॉप 10 ल िलख : खन म जबरदसत शलकत होती है, यह हमारी याददाशत तज करता है। इसलए अपनी नोबुक और पन लनकालए और उसम अपन जीन के ॉप य लख डालए। इन य को अपन सामन रलखए। ऐसा लतलदन कररए और पह के लख य को पकर मत दलखए। यह काफी मज़दार भी है। 2. िदनभर का पलान िलखे : ाथलमकता के अनुसार लदनभर के उन सभी काय की सूिी बनाकर वयलसथत कर और इअलधकतम फॉो करन की कोलशश करन। 3. पुरानी ाद खुशी देती ह : दो सा पह लतलदन लखी गई "डी न' बात को दखकर आप पात ह लक यह तो मरा पसंदीदा है। आप ख़ुद की ही पह लखी हुई बात लफर पढ़कर मुसकान और खुशी महसूस करग। 4. "धान' जरी है : कफस करन स पह धयान जर कर यलद आप कभी भूश नह भी कर पात तो लदन म कभी भी धयान कर सकत ह। 5. िनजी जुनन पर का करना : आप लजस काम स यार करत ह उनह अपनी ाथलमकता सूिी म आलखरी सथान पर रख। इसस आप अपन पसंदीदा काय की ओर तजी स बढ़त ह। 6. पररवार के सा गुणवापण सम िबताएं: सुबह अपनी पी घरा के साथ बैठकर कॉफी लपएं और अपनी योजना के बार म ििा भी करं7. ेकफसट मीिटंग : सहकलमय, ाहक और दोसत को कॉफी पर बुाएं। मालनग और कफस मीलंग स आप ज़यादा ोडलक होत ह, कयलक उस समय आपका लदमाग ेश रहता है। ोत : www.lifehack.org कॅररअर लबडर इंलडया के स के नतीज बतात ह भारत म 63 फीसदी युा जॉब स संतुष नह ह। }डॉ. धमपाल िसंह लनंग एंड सम ऑलफसर आईआईी रोपर छ एक दशक म दश के कॅररअर ड म जो नाकीय बदा दखा गया है, ह यह है लक पह जहां 27 स 30 सा की उ म शादी करके स हो जान को ाथलमकता दी जाती थी। ह सम की उ 40 तक पहुंि िुकी है। इसस भी िकान ाा तय यह सामन आया है लक 63 लतशत भारतीय युा अपन जॉब स संतुष नह ह। जयादातर जगह पर जॉब या कॅररअर बदन का समय भी 30 स 40 सा के बीि हो िुका है। दश म सामालजक-आलथक सतर पर हुए बदा का ही यह परणाम हम समाज म लदखाई द रहा है। गुणवाहीन िशा है बड़ा कारण शासकीय नीलतय की जह स उ लशा को ाइ हाथ म सप लदया गया है। जयादा ाभ कमान के उशय स शैलणक संसथान म बहतर इंासकिर न होन, अचछी फैकी न होन, फीस और सडरस की अडस स समझौता लकया गया। इनके भा सप लशा की गुणा पर असर हुआ है। इसस लशा के बाद या तो अपनी योगयता स नीि सतर की नौकरी करनी पडती है या नौकरी लम ही नह पाती है। इस जह स कॅररअर म स होन के बाद फीड बदन म 30-40 सा की उ तक यह लसलसा िता रहता है। बहतर कॅररअर के लए युा का अलधक उ तक पढ़ाई जारी रखना एक जह है। लजंदगी म सम भी लफर ही होता है। माकट से िमले अच ऑफर ेशस के पास दो स तीन सा के अनुभ हो जान के बाद बहुत सार संगठन बाजार म उन पर इनस करन के लए तैयार होत ह। लशण तथा अनुभ के बाद युा के पास अचछ असर होत ह और ह जॉब लसि कर त ह। इंडलसय लनंग के दौरान कई बार दूसरी सीम का भी अनुभ साथ-साथ ही लम जाता है तो अचछ ऑफर लमन पर कॅररअर भी लसि कर त ह। 2 स 3 सा के अनुभ के बाद 30 लतशत ोग जॉब लसि कर त ह जबलक 10 लतशत ोग कॅररअर की लदशा ही बद त ह। आिक सुरा और सटटस के िलए पढ़ाई पूरी करन के बाद लकसी युा को गता है लक ह इसम जयादा अचछी सैरी नह पा सकेगा तो ह कई बार कॅररअर िज कर ता है। लतयोलगता के बढ़त दौर के ित इंजीलनयरंग के साथ-साथ युा मैनजम या अनय कोस भी कर त ह। ऐस म कुछ सा जॉब करके बाद यलद उनह गता है लक उनह दूसरी सीम म तमान स बहतर लकप लम सकग तो ह कॅररअर लसि कर त ह। कॅररअर लबडर इंलडया के स के मुतालबक भारत म 63 फीसदी युा अपनी जॉब स संतुष नह ह और नए असर की ताश म रहत ह और गातार बहतर लकप की ताश म दूसर करयर पर भी नजर रखत ह। जॉब म डलकयां भी आग डलकयां पह घर संभाती थी मगर लपछ कुछ दशक म डलकयां भी उ लशा ात करन के बाद घर बैठना नह िाहती ह। ह भी अपना कॅररअर बना रही ह। ऐस म बहुत बडी संखया म नौकररय पर डलकय का अलधकार बढ़ा है। एक साथ रहन की कोलशश अब संयुकत पररार कम और नयूलकयर फेलमी बढ़ रही ह, ऐस म पलत और पी, दोन ही जॉब कर रह होत ह तो उनकी कोलशश होती है लक एक साथ रहन की कोलशश करत ह। ऐस म घर के पास जान की कोलशश म जॉब या कॅररअर तक लसि कर त ह। इसम जॉब ोफाइ दखत हुए लजस भी जॉब बदना हो ो बदन को तैयार हो जाता है। 30-40 की उ तक जॉब और कॅरअर बदलते जाने की वजह से शादी म देरी, पररवार के बढ़ने म देर होने जैसी समसाएं सामने आती ह। ह ढांचा आदश नह है इसिलए इसके िलए वापक सतर पर सुधार करने हगे। इस सित को देखते हुए गुणवा िशा पर धान देने की ज़रत है। ससकल डवलपमट ोाम पर गंभीरता से धान देने की आवशकता है। 2 से 3 साि के अनुभव के बाद 10 ितशत लोग कॅररर ही बदल लेते ह। 63 % ुवा अपनी जॉब से संतुषट नह ह और नए अवसर की तलाश म रहते ह। 30 ितशत लोग जॉब ससवच कर लेते ह हर सफ वयलकत की कुछ न कुछ खालसयत होती है, सफ ोग स जुडी सात ऐसी बात जो ो कफस पह करत ह। संपादकी टीम अजय काश, सजना ितुदी, अजय कुमार पÀ िडज़ाइन ीण ठाकुर

Upload: others

Post on 10-Jul-2020

22 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • िप

    अच्छा सोचें 4

    पर प्रतितरिया देने के तिए

    रसरंग दैतनक भासकर4/54, प्रेस कॉम्प्रेकस,

    एबी रोड, इंदौर- 452001 के पतरे पर ल्खें या ई-मरे् करें :

    [email protected]

    सककृतभाषा के महत्त्व को सपष्ट करनरे के ल्ए इसरे दरेत्वत्वाणी कहना अनुलित तो नहीं। लकसी का् में यह इस दरेश की सामानय वयत्वहार की भाषा रही है। प्ािीनका् सरे आज तक का भारतीय जीत्वन संसककृत भाषा में पूरी तरह सरे प्लतलबंलबत हुआ लदखता है। इसील्ए यह जानना ज़रूरी है लक त्वरेद, उपलनषद, त्वरेदांग, आलद सरे ् रेकर इककीसत्वीं

    शताबदी तक के संसककृत कलत्वयों-सालहतयकारों की रिनाओं में केत्व् अधयातम और धम्म ही नहीं, बल्क जीत्वन के हर उस अंग की मौल्क और रंजक ििा्म है, जो सफ्ता और सुख की ओर कदम रखरे मनुषय को माग्म बत्ाए, उ्झन में लदशा दरे, थकात्व्ट में रंजन कररे, लनराशा में आशा दरे और प्क्ोभ में शांलत प्दान कररे। अतः संसककृत सालहतय आज भी उलित एत्वम् उपयुकत है।

    इहत्वाद और प्यत्नत्वाद को उजागर करतरे हुए मनुषयों को सफ्ता की ओर जानरे को प्रेररत करनरे त्वा्रे अनलगनत सुभालषतों में सरे एक बहुत ही सर् और सुबोध सुभालषत यहां प्सतुत कर रहरे हैं।

    अर्थेन भेषजं लभ्ं न ह् ् ारोग्ं कदाचन । अर्थेन ग्रनर्समभारः ज्ानं लभ्ं प्र्त्नतः ॥

    सुभालषत का अथ्म है–हम धन के द्ारा औषलध पा सकतरे हैं, आरोगय नहीं। उसी प्कार, हम धन के द्ारा बहुत साररे ग्ंथ तो ख़रीद सकतरे हैं, ्रेलकन ज्ान तो केत्व् प्यत्न के द्ारा ही पा सकतरे हैं।

    मैं मानता हूं लक कुछ सलदयों पह्रे लजस लकसी कलत्व नरे यह सुभालषत रिा, त्वह बडा ही दूरदशशी रहा होगा, कयोंलक उस समय ऐलहक साधन और िीज़-त्वसतुएं इतनी भारी मात्ा में उप्बध नहीं थी लजतनी आज हैं। तब जन सामानय उतना संपन्न नहीं था लजतना आज है। कई बार हम मॉ् में शॉलपंग करतरे हुए कुछ महंगी िीज़ें लसर्फ़ इसल्ए ख़रीदतरे हैं लक लकसी दूसररे के पास त्वैसी ही िीज़ें हैं। लकतनरे ् ोगों के पास महंगरे मोबाइ् रोन रहतरे हैं।

    पूछनरे पर कहतरे हैं लक इसमें बहुत साररे रंकशन और ऐल्प्केशन हैं ्रेलकन उनमें सरे लकतनरे रंकशनों और ऐल्प्केशंस का यथाथ्म उपयोग होता है? मरेररे एक लमत् नरे एक बार कहा लक उसके कम्पयू्टर में 600 मूत्वीज़ और 12000 लहंदी गानरे हैं। पूछनरे पर पता ि्ा लक उनमें सरे 50 मूत्वीज़ भी उसनरे दरेखी नहीं हैं और 300-400 सरे अलधक गानरे भी नहीं सुनरे हैं। तो लफर केत्व् यह भंडार इकट्ा करके कया करना है? अपनरे सत्वास्थय को ्रेकर भी हम दोहरा रत्वैया अपनातरे हैं, एक ओर जहां अचछछे सत्वास्थय के ल्ए लजम जातरे या योग करतरे हंै त्वही दूसरी ओर सत्वासथ लबगडनरे की लिंता को ्रेकर मरेलडक् इंशयोरंस भी करत्वातरे हैं।

    यहीं पर हमारा संसककृत कलत्व हमें िरेतात्वनी दरेता है लक पैसों सरे लसर्फ़ दत्वाइयां ख़रीदोगरे, सत्वास्थय नहीं। पैसों सरे अख़बार ख़रीदोगरे, ख़बर नहीं। पैसों सरे लकताबें ख़रीदोगरे, ज्ान नहीं। पैसों सरे अनाज ख़रीदोगरे, सत्वाद नहीं। सत्वास्थय, ज्ान, सत्वाद, आलद पानरे के ल्ए तो पररश्रम ही करनरे पडेंगरे। अनायास ही इन िीज़ों को हम नहीं पाएंगरे। कलत्व हमसरे यह नहीं कह रहा लक साधन मत ख़रीदो। बस त्वह हमें साधन ख़रीदकर संतुष्ट होनरे में जो ख़तरा है, उससरे सात्वधान कर रहा है। कलत्व की इस बात को समझकर हम यलद योगय लदशा में ि्ें तो आत्वशयक साधनों का हम पूरा-पूरा ्ाभ उठानरे में सफ् रहेंगरे।

    सं

    सुभछाषित उवछाच

    }सौरभ बाेंद्ेसंसककृत अधयरेता, फैक््टी त्वाॅइस क्िर, त्वरेद एकेडमी, मुमबई

    टेक कॅरिअि

    टछाइम मैनेजमेंट

    सुबह सरे रात हम फोन में अ्ग-अ्ग तरह के एप यूज करतरे हैं। आज हम कुछ ऐसरे ही ए्पस के बाररे में बता रहरे हैं।

    1 : Red Bull AleRt

    2 : FlipAgRAm

    3 : YoViVo

    4 : tossup

    5 : AlphABeAR

    OS: Android/Android Wear

    OS : Android/iOS

    OS : iOS

    OS : Android/iOS

    OS : Android/iOS

    यह पह्ा ऐसा एप है जो आपको ज्दी उठनरे के ल्ए मोल्टत्वरे्ट करता है। नौ अ्ग-अ्ग तरह की सपोरस्म थीम और अ्ाम्म साउंड इस एप को काफी कू् बनातरे हैंै। आप लकतनी दरेर तक सोए, लपछ्रे सात लदनों में आपके जागनरे और सोनरे का रु्टीन कया रहा यह तो एप बताता ही है साथ ही इसरे अाप शरेयर करना िाहें तो भी एप मदद करता है।

    फो्टो सरे त्वीलडयो स्टोरीज बनानरे के ल्ए ल््पग्ाम एप डाउन्ोड लकया जा सकता हैं। लस्रेक्ट, लरिए्ट और शरेयर के महज तीन स्टछेप होनरे सरे एप बरेहद सर् ्गता हैै। त्वीलडयो स्टोरी बनानरे के ल्ए आपको त्वीलडयो लक्प को लस्रेक्ट करना होता है, उसके बाद मनपसंद मयूलजक, ्टाइलमंग, लफ््टस्म और स्टोरी में प्योग होनरे त्वा्रे ्टछेकस्ट इनपु्ट करके शरेयर कर सकतरे हैं।

    लकसी फो्टो या फाइ् को ब्ाउज में होनरे त्वा्ी पररेशानी कम करतरे हुए योलत्वत्वो एप फोन और सत्व्मर क्ाउड में मौजूद फो्टो और त्वीलडयो को एक जगह ्ानरे का काम करता है। यो त्वीत्वो एप सरे आप आसानी सरे फो्टो और त्वीलडयो सरेत्व, कॉपी, डाउन्ोड, अप्ोड, स्ाइड शो और शरेयर करनरे की सुलत्वधा प्दान करता है।

    इस एप के जररए समा्ट्टफोन में लदनभर की गलतलत्वलधयां और डछे्ी ्प्ान बनानरे के साथ उनमें जरूरत के अनुसार सुधार कर सकतरे हैं। यह एप आपके ्प्ान और एलक्टलत्व्टी को शरेयर करनरे की सुलत्वधा भी दरेता है। यह एप केत्व् ्प्ान बनानरे के ल्ए ही नहीं बल्क इस ्प्ान पर दूसरों की राय ्रेनरे में भी मददगार है। इसके ल्ए एप में पोल्ंग फीिर भी लदया गया है।

    अत्वाड्ट लत्वलनंग लरिप् ्टाउन पज़् गरेम बनानरे त्वा्ी कंपनी सप्ाइ फॉकस हा् ही में अ्फालबयर गरेम माकके्ट में ्ाई है। इस पज़् गरेम में आपको अक्रों को वयत्वलसथत करके शबद बनाना होता है। लजसके बाद आपको कयू्ट लबयर लदखाई देंगरे। आप लग्ड में लजतनरे जयादा अक्र सु्झातरे हैं लबयर साइज उतना बडा होता जाता है।

    1. जीवन के टॉप 10 लक्् िलखें : ्रेखन में जबरदसत शलकत होती है, यह हमारी याददाशत तरेज करता है। इसल्ए अपनी नो्टबुक और परेन लनकाल्ए और उसमें अपनरे जीत्वन के ्टॉप ्क्य ल्ख डाल्ए। इन ्क्यों को अपनरे सामनरे रलखए। ऐसा प्लतलदन कररए और पह्रे के ल्खरे ्क्यों को प््टकर मत दरेलखए। यह काफी मज़रेदार भी है।

    2. िदनभर का पलान िलखेंे : प्ाथलमकता के अनुसार लदनभर के उन सभी काययों की सूिी बनाकर वयत्वलसथत कर ्ें और इसरे अलधकतम फॉ्ो कररेन की कोलशश करनरे।

    3. पुरानी ्ादें खुशी देती हैं : दो सा् पह्रे प्लतलदन ल्खी गई "डछे्ी ्टछेन' बातों को दरेखकर आप पातरे हैं लक यह तो मरेरा पसंदीदा है। आप ख़ुद की ही पह्रे ल्खी हुई बातें लफर पढ़कर मुसकान और खुशी महसूस करेंगरे।

    4. "ध्ान' जरूरी है : ब्रेकफस्ट करनरे सरे पह्रे धयान जरूर करें यलद आप कभी भू्त्वश नहीं भी कर पातरे तो लदन में कभी भी धयान कर सकतरे हैं।

    5. िनजी जुनून पर का््य करना : आप लजस काम सरे ्पयार करतरे हैं उनहें अपनी प्ाथलमकता सूिी में आलखरी सथान पर रखें। इससरे आप अपनरे पसंदीदा काय्म की ओर तरेजी सरे बढ़तरे हैं।

    6. पररवार के सार् गुणवत्ापूण्य सम् िबताएं: सुबह अपनी पत्नी त्व घरत्वा्ों के साथ बैठकर कॉफी लपएं और अपनी योजनाओं के बाररे में ििा्म भी करंरे।

    7. ब्ेकफसट मीिटंग : सहकलम्मयों, ग्ाहकों और दोसतों को कॉफी पर बु्ाएं। मालनिंग और ब्रेकफस्ट मील्टंग सरे आप ज़यादा प्ोडलक्टत्व होतरे हैं, कयोंलक उस समय आपका लदमाग फ्ेश रहता है।

    स्ोत : www.lifehack.org

    कॅररअर लब्डर इंलडया के सत्ववे के नतीजरे बतातरे हैं भारत में 63 फीसदी युत्वा जॉब सरे संतुष्ट नहीं हैं।

    }डॉ. धम्यपाल िसंहरिछेलनंग एंड ्प्रेसमें्ट ऑलफसर आईआई्टी रोपर

    छ्रे एक दशक में दरेश के कॅररअर रिेंड में जो ना्टकीय बद्ात्व दरेखा गया है, त्वह यह है लक पह्रे जहां 27 सरे 30 सा् की उम्र में शादी करके सरे्ट् हो जानरे को प्ाथलमकता दी जाती थी। त्वहीं सरे्ट्में्ट की उम्र 40 तक पहुंि िुकी है। इससरे भी िौंकानरे त्वा्ा त्थय यह सामनरे आया है लक 63

    प्लतशत भारतीय युत्वा अपनरे जॉब सरे संतुष्ट नहीं हैं। जयादातर जगहों पर जॉब या कॅररअर बद्नरे का समय भी 30 सरे 40 सा् के बीि हो िुका है। दरेश में सामालजक-आलथ्मक सतर पर हुए बद्ात्व का ही यह पररणाम हमें समाज में लदखाई दरे रहा है। गुणवत्ाहीन िशक्ा है बड़ा कारण शासकीय नीलतयों की त्वजह सरे उच्च लशक्ा को प्ाइत्वरे्ट हाथों में सौंप लदया गया है। जयादा ्ाभ कमानरे के उद्रेशय सरे शैक्लणक संसथानों में बरेहतर इंफ्ासरिकिर न होनरे, अचछी फैक््टी न होनरे, फीस और स्टटूडेंरस की अ्टैंडेंस सरे समझौता लकया गया। इनके प्भात्व सत्वरूप लशक्ा की गुणत्वत्ा पर असर हुआ है। इससरे लशक्ा के बाद या तो अपनी योगयता सरे नीिरे सतर की नौकरी करनी पडती है या नौकरी लम् ही नहीं पाती है। इस त्वजह सरे कॅररअर में सरे्ट् होनरे के बाद फी्ड बद्नरे में 30-40 सा् की उम्र तक यह लस्लस्ा ि्ता रहता है। बरेहतर कॅररअर के ल्ए युत्वाओं का अलधक उम्र तक पढ़ाई जारी रखना एक त्वजह है। लजंदगी में सरे्ट्में्ट भी लफर ्रे्ट ही होता है। माककेट से िमले अच्छे ऑफर फ्ेशस्म के पास दो सरे तीन सा् के अनुभत्व हो जानरे के बाद बहुत साररे संगठन बाजार में उन पर इनत्वरेस्ट करनरे के ल्ए तैयार होतरे हैं। प्लशक्ण तथा अनुभत्व के बाद युत्वाओं के पास अचछछे अत्वसर होतरे हैं और त्वह जॉब लसत्वि कर ्रेतरे हैं। इंडलसरिय् रिछेलनंग के दौरान कई बार दूसरी सरिीम का भी अनुभत्व साथ-साथ ही लम् जाता है तो अचछछे ऑफर लम्नरे पर कॅररअर भी लसत्वि कर ्रेतरे हैं। 2 सरे 3 सा् के अनुभत्व के बाद 30 प्लतशत ्ोग जॉब लसत्वि कर ्रेतरे हैं जबलक 10 प्लतशत ्ोग कॅररअर की लदशा ही बद् ्रेतरे हैं। आिर््यक सुरक्ा और सटछेटस के िलएपढ़ाई पूरी करनरे के बाद लकसी युत्वा को ्गता है लक त्वह इसमें जयादा अचछी सै्री नहीं पा सकेगा तो त्वह कई बार कॅररअर िेंज कर ्रेता है। प्लतयोलगता के बढ़तरे दौर के ि्तरे इंजीलनयररंग के साथ-साथ युत्वा मैनरेजमें्ट या अनय कोस्म भी कर ्रेतरे हैं। ऐसरे में कुछ सा् जॉब करनरे के बाद यलद उनहें ्गता है लक उनहें दूसरी सरिीम में त्वत्ममान सरे बरेहतर लत्वक्प लम् सकेंगरेरे तो त्वह कॅररअर लसत्वि कर ्रेतरे हैं। कॅररअर लब्डर इंलडया के सत्ववे के मुतालबक भारत में 63 फीसदी युत्वा अपनी जॉब सरे संतुष्ट नहीं हैं और नए अत्वसर की त्ाश में रहतरे हैं और त्वरे ्गातार बरेहतर लत्वक्प की त्ाश में दूसररे कररयर पर भी नजर रखतरे हैं।

    जॉब में ्डलकयां भी आगरे्डलकयां पह्रे घर संभा्ती थी मगर लपछ्रे कुछ दशक में ्डलकयां भी उच्च लशक्ा प्ा्पत करनरे के बाद घर बैठना नहीं िाहती हैं। त्वह भी अपना कॅररअर बना रही हैं। ऐसरे में बहुत बडी संखया में नौकररयों पर ्डलकयों का अलधकार बढ़ा है।

    एक साथ रहनरे की कोलशश अब संयुकत पररत्वार कम और नयूलक्यर फेलम्ी बढ़ रही हैं, ऐसरे में पलत और पत्नी, दोनों ही जॉब कर रहरे होतरे हैं तो उनकी कोलशश होती है लक त्वरे एक साथ रहनरे की कोलशश करतरे हैं। ऐसरे में त्वरे घर के पास जानरे की कोलशश में जॉब या कॅररअर तक लसत्वि कर ्रेतरे हैं। इसमें जॉब प्ोफाइ् दरेखतरे हुए लजसरे भी जॉब बद्ना हो त्वो बद्नरे को तैयार हो जाता है।

    30-40 की उम्र तक जॉब और कॅररअर बदलते जाने की वजह से शादी में देरी, पररवार के बढ़ने में देर होने जैसी समस्ाएं सामने आती हैं। ्ह ढांचा आदश्य नहीं है इसिलए इसके िलए व्ापक सतर पर सुधार करने होंगे। इस ससर्ित को देखते हुए गुणवत्ा िशक्ा पर ध्ान देने की ज़रूरत है। ससकल डछेवलपमेंट प्रोग्राम पर गंभीरता से ध्ान देने की आवश्कता है।

    2 से 3

    साि

    के

    अनुभव

    के बा

    10 प्रितशत लोग कॅरर्र ही बदल लेते हैं।

    63 %्ुवा अपनी जॉब से संतुषट नहीं हैं और नए अवसर की तलाश में रहते हैं।

    30 प्रितशत लोग जॉब ससवच कर लेते हैं

    हर सफ् वयलकत की कुछ न कुछ खालसयत होती है, सफ् ्ोगों सरे जुडी सात ऐसी बातें जो त्वो ब्रेकफस्ट सरे पह्रे करतरे हैं।

    संपादकी् टीम अजय प्काश, सज्मना ितुत्ववेदी, अजय कुमार प्टछे्À िडज़ाइन प्त्वीण ठाकुर