हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय...

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Page 1: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

हिदी अधययन हनषzwjपहzwjति ः आठवी ककषा

हवद यषारथी ndash081501 विविधविषयोपरआधाररतपाठयसामगरीऔरअनयसावितयपढ़करचचाचाकरतहएदरतिाचनकरतितथाआशय

कोसमझतहएसिचzwjछशदधएिमानकलखनतथाकदरीयभािकोवलखति081502 विदरीभाषामविवभननपरकारकीसामगरीकोपढ़करतथाविवभननसोतोसपरापतसचनाओसिवकषणविपपणरीआवद

कोपरसततकरउपलबधजानकाररीकायोगयसकलनसपादनकरतहएलखनकरति081503 पढ़करअपररवचतपररससथवतयोऔरघिनाओकीकलपनाकरतहएगिचचाचामसिभागरीिोकरउसमआएविशष

उदधरणोिाकयोकाअपनबोलचालतथासभाषणम परयोगकरपररचचाचाभाषणआवदमअपन विचारोकोमौसखकवलसखतढगसवयकतकरति

081504 विविधसिदनशरीलमदोविषयोजस-जावतधमचारगवलगररीवत-ररिाजोकबारमअपनवमतोअधयापकोयापररिारसपरशनपzwjछतितथासबवधतविषयोपरउवचतशबदोकापरयोगकरतहएधारापरिािसिादसथावपतकरतिएिलखनकरति

081505 वकसरीसनरीहईकिानरीविचारतककपरसगआवदकभािरीपरसगोकाअथचासमझतहएआगामरीघिनाकाअनमानकरतिविशषवबदरओकोखोजकरउनकासकलनकरति

081506 पढ़रीहईसामगरीपरवचतनकरतहएबितरसमझकवलएपरशनपzwjछतितथावकसरीपररवचतअपररवचतकसाकषातकारितपरशनवनवमचातकरतितथावकसरीअनचzwjछदकाअनिादएिवलपयतरणकरति

081507 विवभननपठनसामवगयोमपरयकतउपयोगरीआलकाररकशबदमिानविभवतयोककथनमिािरोलोकासतियो-किाितोपररभाषाओसतोआवदकोसमझतहएसचरीबनातितथाविविधतकनरीकाकापरयोगकरकअपनलखनकोअवधकपरभािरीबनानकापरयासकरति

081508 वकसरीपाठयिसतकोपढ़नकदौरानसमझनकवलएअपनवकसरीसिपाठरीयावशकषककीमददलकरआलखअनयसदभचासावितयकादविभावषकशबदसगिगाविकसिरचाआिचावपकिोगािआवदकीसिायतासशबदकोशतयारकरतिऔरपरसारमाधयमोमपरकावशतजानकाररीकीआलकाररकशबदािलरीकापरभािपणचातथासिजिाचनकरति

081509 अपनपाठकवलखनएिलखनकउदशयकोसमझकरअपनामतपरभािरीतररीकसवलखति081510 सनहएकायचाकरमकतथयोमखयवबदरओवििरणोएिपठनरीयसामगरीमिवणचातआशयकिाकयोएिमदोका

तावकककएिससगवतसपनसमरणकरिाचनकरतितथाउनपरअपनमनमबननिालरीzwjछवबयोऔरविचारोकबारमवलसखतयाबलवलवपमअवभवयसतिकरति

081511 भाषाकीबाररीवकयोवयिसथाकायथाितिणचानउवचतविरामबलाघाततान-अनतानकसाथशदधउचचारणआरोि-अिरोिलय-तालकोएकागताससनतएिसनातितथापठनसामगरीमअतवनचावितआशयकदरीयभािअपनशबदोमवयकतकरति

081512 विवभननअिसरोसदभभोमकिरीजारिरीदसरोकीबातोसनहएसिादिकतवयभाषणकपरमखमदोकोपनपरसततकरतितथाउनकाउवचतपरारपमिततातलखनकरति

081513 रपरखातथाशबदसकतोकआधारपरआलकाररकलखनतथापोसिरविजापनमविविधतररीकोऔरशवलयोकापरयोगकरति

081514 दवनकजरीिनसअलगवकसरीघिनाससथवतपरविवभननतररीकससजनातमकढगसवलखतितथापरसारमाधयमसराषिटरीयपरसगघिनासबधरीिणचानसनतऔरसनातितथाभाषाकीवभननताकासमादरकरति

यि अzwjपकषा ि हक दसवी ककषा क अति तिक हवद यषाहरथियो म भषाषषा हवषयक हनमनहिखिति अधययन हनषzwjपहzwjति हवकहसति िो

शासन ननरणय करमाक अभयास-२११६(परकर4३१६) एसडी-4 निनाक २54२०१६ क अनसार समनवय सनमनि का गठन नकया गया नि २९१२२०१७ को हई इस सनमनि की बठक म यह पाठ यपसिक ननराणररि करन हि मानयिा परिान की गई

नहिी

आठवी ककासलभभारिी

महाराषटर राजय पाठ यपसिक नननमणिी व अभयासकरम सशोरन मडळ पर

मरा नाम ह amp

आपक सzwjमारटफोन zwj lsquoDIKSHA Apprsquo द वमारमा पसzwjतक क परथzwj पषzwjठ पर QRCode क zwjमाधयzwj स डिडिरल पमाzwjठ यपसzwjतक एव परतयक पमाzwjठ zwj अzwjतडनटडिzwjत QRCode zwj अधययन-अधयमापन क डलए पमाzwjठ स सबडिzwjत उपयकzwjत दक-शमावय समाzwjगरी उपलबि करमाई िमाएगरी

हिदी भाषा सहिहि

हिहिमिहि शरी सचचितानद आफळ मखय नननममिनत अनिकाररीशरी सदरीप अाजगॉवकर नननममिनत अनिकाररी

अकषराकि भाषा नवभागपाठ यपसतक मडळ पणकागज ७० जरीएसएम करीमवोविदरणादश िदरक

िखय सिनवयकशरीमतरी पाचरी रनवदर साठ

परथिावति २०१8

पिला पििमिदरण २०१९ििाराषटर राजय पाठ यपसिक हिहिमििी व अभयासकरि सशोधि िडळ पण - 4११००4

इस पसतक का सवामिनिकार महाराषटर राजय पाठ यपसतक नननममितरी व अभयासकम सशोिन मडळ क अिरीन सरनषित ह इस पसतक का कोई भरी भाग महाराषटर राजय पाठ यपसतक नननममितरी व अभयासकम सशोिन मडळ क सचालक करी नलचित अनमनत क निना पकानशत नही नकया जा सकता

copy

डॉहमचदर वद य - अधयषि डॉछाया पाटरील - सदसय पामनोद दरीन मला - सदसयडॉदयानद नतवाररी - सदसयशरी रामनहत यादव - सदसयशरी सतोष िोत - सदसय डॉसननल कलकणणी - सदसय शरीमतरी सरीमा कािळ - सदसय डॉअलका पोतदार - सदसय - सनचव

परकाशक शी हववक उिि गोसावी

ननयतकपाठ यपसतक नननममितरी मडळ

पभादवरी मिई-२5

सयोजि डॉअलका पोतदार नवशषानिकाररी नहदरी भाषा पाठ यपसतक मडळ पण सौ सधया नवनय उपासनरी नवषय सहायक नहदरी भाषा पाठ यपसतक मडळ पण

हिदी भाषा अभयासगट

िखपषठ सौ पनम ननचिल पोटहिताकि शरी राजश लवळकर मयरा डफळ

हििहति सदसयशरी ताका सयमिवशरी सौ सगरीता सावत

शरी सजय भारद वाजसौ रजना नपगळ सौ वदा कलकणणी डॉ पमोद शकलशरीमतरी पनणमिमा पाडयडॉ शभदा मोघशरी िनयकमार निराजदारशरीमतरी माया कोथळरीकरशरीमतरी शारदा नियानरीडॉ रतना चौिररीशरी समत दळवरीशरीमतरी रजनरी महसाळकरडॉ वषामि पनवटकर

डॉ आशा वरी नमशाशरीमतरी मरीना एस अगरवालशरीमतरी भारतरी शरीवासतवडॉ शला ललवाणरीडॉ शोभा िलिोडडॉ िडोपत पाटरीलशरी रामदास काटशरी सिाकर गावडशरीमतरी गरीता जोशरीशरीमतरी अचमिना भसकट डॉ ररीता नसहसौ शनशकला सरगर शरी एन आर जवशरीमतरी ननशा िाहकर

NPB2019-20Qty 75000

Ms Dolphin Graphics Hyderabad

परसतावनता

(डॉ सननल मगर)सचतालक

महाराषटर राजय पाठ यपसतक निनममिती व अभयासकरम सशोधि मडळ पण-०4

नपरय नवद यतानथियो

म सब पताचवी स सतावी ककता की निदी सलभभतारी पताठ यपसक स अची रि पररनच िो और अब आठवी निदी सलभभतारी पढ़न क नलए उतसक िोग रग-नबरगी अनआकरथिक यि पसक मितार िताो म सौप हए िम अीव िरथि िो रिता ि

िम जता ि नक मि कनवता गी गजल सननता-पढ़नता नपरय लगता ि किताननयो की दननयता म नवचरण करनता मनोरजक लगता ि मितारी इन भतावनताओ को दनzwjटिग रख हए इस पताठ यपसक म कनवता गी गजल पद दोि नई कनवता वनवधयपणथि किताननयता लघकता ननबध ितासय-वयगय ससमरण सताकतातकतार भतारण सवताद पतर आनद सतानिनतयक नवधताओ कता समतावश नकयता गयता ि य नवधताए मनोरजक िोन क सता-सता जतानताजथिन भतारताई कौशलो कमताओ क नवकतास रताzwjटिटीय भतावनता को सदढ़ करन एव चररतर ननमताथिण म भी सितायक िोगी इन रचनताओ क चयन क समय आय रनच मनोवजताननक एव सतामतानजक सर कता सजगता स धयतान रखता गयता ि

अरजताल एव नडनजटिल दननयता क परभताव नई शनकक सोच वजताननक दनzwjटि को समक रखकर lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo lsquoलखनीयrsquo lsquoमन समझताrsquo lsquoकन पणथि करोrsquo lsquoभतारता नबदrsquo आनद क मताधयम स पताठ यकरम को पताठ यपसक म परस नकयता गयता ि मितारी कलपनताशनzwj सजनशीलता को धयतान म रख हए lsquoसवय अधययनrsquo lsquoउपयोनज लखनrsquo lsquoमौनलक सजनrsquo lsquoकलपनता पललवनrsquo आनद कनयो को अनधक वयतापक एव रोचक बनतायता गयता ि इनकता स अभयतास एव उपयोग अपनक ि मतागथिदशथिक कता सियोग लकय क पहचतान क मतागथि को सिज और सगम बनता दता ि अः अधययन अनभव की पनथि ि अनभभतावको नशकको कता सियोग और मतागथिदशथिन मितार नलए ननशच िी सितायक नसद ध िोग आपकी निदी भतारता और जतान म अनभवद नध क नलए lsquoएपrsquo एव lsquozwjयआरकोडrsquo क मताधयम स अनररzwj दक-शरतावय सतामगी उपलबध करताई जताएगी अधययन अनभव ि इनकता ननशच िी उपयोग िो सकगता

आशता एव पणथि नववतास ि नक म सब पताठ यपसक कता समनच उपयोग कर हए निदी नवरय क परन नवशर अनभरनच नदखता हए आतमीयता क सता इसकता सवताग करोग

पणनदनताक ः १8 अपरल २०१8 अकषयततीयाभारतीय सौर ः २8 चरतर १९4०

पहली इकाई

िसरी इकाई

अनकरमनरका

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ ि zwjमाzwjतभडzwj कडवzwjतमा रमाzwjपरसमाद lsquoडबडसzwjलrsquo १-२

२ वमाररस कौन सवमादमातzwjक किमानरी डवभमा रमानरी ३-5

३ नमािन कयो बढ़zwjत ि वचमाररक डनबि आचमायट ििमाररीपरसमाद द डववदरी ६-8

4 गमाव-शिर नवगरीzwjत परदरीप शकल ९-१०

5 zwjिबन समाषिमातकमार अनरमाग वzwjमाट ११-१३

६ िरमा पयमार स बोलनमा सरीि लरीि गिल रzwjश दतzwjत शzwjमाट १4-१5

७ zwjर रिमा समािब ससzwjरण सिमाzwjतमा बिमाि १६-१8

8 पणट डवशमाzwj िमासय-वयगय किमानरी सतयकमाzwj डवद यमालकमार १९-२२

९ अनzwjोल वमाणरी दोि पद

सzwjत कबरीर भकzwjत सरदमास

२३-२4

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ िरzwjतरी कमा आगन zwjिक नई कडवzwjतमा िॉ परकमाश दरीडषिzwjत २5-२६

२ दो लघकथमाए लघकथमा िरर िोशरी २७-२९

३ लकड़िमारमा और वन एकमाकी अरडवद भरनमागर ३०-३३

4 सौिमादट-सौzwjनसय नय दोि ििरीर करशरी ३4-३5

5 िzwjतरी स आई zwjतबदरीडलयमा पतर प िवमािरलमाल निर ३६-३8

६ अिमायग गरीडzwjतनमार य कमा अश िॉ िzwjटवरीर भमारzwjतरी ३९-4१

७ सवरमाजय zwjरमा िनzwjडसद ि अडिकमार ि

भमाषण लोकzwjमानय बमाळ गगमािर डरळक 4२-44

8 zwjरमा डवदरोि zwjनोवजमाडनक किमानरी सयटबमालमा 45-4९९ निी कछ इसस बढ़कर गरीzwjत सडzwjतरमानदन पzwjत 5०-5१

वयाकरर रिना नवभाग एव भावाथण 5२-54

1

१ ह मातभमम

परसत कविा म काावकारी एिा सिातरा सनानी कवि रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo जी न माभवम क परव अपन परम एिा भवzwjभाि को वयzwj वकया ह यहा आपन माभवम की सिा करन और दशवह म वनछािर हो जान की लालसा वयzwj की ह

lsquoमाभवम की सिा म जीिन अपपण करना परतयक मनतषय का कपवय हrsquo इस कथन पर अपन विचार वलखो

जनम ः १8९७ शाहजहापतर (उपर) मतzwjय ः१९२७ गोरखपतर (उपर) परिचzwj ः रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo भार क महान सिातरा सनानी ही नही िवzwjक उचच कोवि क कवि अनतिादक िहभाषाविद ि सावहतयकार भी थ आपन दश की आजादी क वलए अपन पराणो की आहव द दी lsquoसरफरोशी की मनाrsquo आपकी परवसद ध रचना ह lsquoविवसमलrsquo उपनाम क अवररzwj आप lsquoरामrsquo और lsquoअजाrsquo क नाम स भी लख ि कविाए वलख थ परमयख कमतzwjा ः lsquoमन की लहरrsquo lsquoआतमकथाrsquo आवद

ह माभवम र चरणो म शीश निाऊ म भवzwj भि अपनी री शरण म लाऊ

माथ प हो चादन छाी प हो मालावजह िा प गी हो मरा रा ही नाम गाऊ

वजसस सप उपज शी राम-कषण जसउस धल को म री वनज शीश प चढ़ाऊ

माई समतदर वजसकी पद रज को वनतय धोकरकरा परणाम तझको म ि चरण दिाऊ

सिा म री माा म भदभाि जकरिह पतणय नाम रा परववदन सतन-सतनाऊ

र ही काम आऊ रा ही मातर गाऊ मन और दह तम पर िवलदान म जाऊ

- रामपरसाद lsquoबिबzwjमलrsquo

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

पहली इकाई

2

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) कमत परण किो ः

मनमन मविाममचह ना क नाम मzwjलखकि उनका वाकzwj म परzwjोग किो ः - lsquo rsquo lsquolsquo rsquorsquo -

lsquoविकास की ओर िढ़ा हआ भार दशrsquo स सािावध महततिपणप काययो की सची िनाओ

(२) कमत परण किो ः

(३) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ कवि की वजह िा पर इसक गी हो -२ माभवम क चरण धोन िाला -३ माभवम क सप -4 परववदन सतननसतनान योगय नाम -5 माभवम क चरणो म इस निाना ह -

कवि माभवम क परव अवपप करना चाहा ह

(4) कमवता की पमकतzwjा परण किो ःसिा म री ------------------------------------------ ------------------------

--------------- िवलदान म जाऊ

माभवम की विशषाए

4

शबद वामिकानवाना = झतकानाशीश = वसरमजह वा = जीभ

िज = धलबमzwjलदान = पराणाहव वनछािरदह = शरीर

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबदो क आधाि पि कहानी मzwjलखो ः गाथालय सिपन पहली काच

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

44

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

45

वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

45

46

रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

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९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

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जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

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lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

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शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

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पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

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वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

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नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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Page 2: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

शासन ननरणय करमाक अभयास-२११६(परकर4३१६) एसडी-4 निनाक २54२०१६ क अनसार समनवय सनमनि का गठन नकया गया नि २९१२२०१७ को हई इस सनमनि की बठक म यह पाठ यपसिक ननराणररि करन हि मानयिा परिान की गई

नहिी

आठवी ककासलभभारिी

महाराषटर राजय पाठ यपसिक नननमणिी व अभयासकरम सशोरन मडळ पर

मरा नाम ह amp

आपक सzwjमारटफोन zwj lsquoDIKSHA Apprsquo द वमारमा पसzwjतक क परथzwj पषzwjठ पर QRCode क zwjमाधयzwj स डिडिरल पमाzwjठ यपसzwjतक एव परतयक पमाzwjठ zwj अzwjतडनटडिzwjत QRCode zwj अधययन-अधयमापन क डलए पमाzwjठ स सबडिzwjत उपयकzwjत दक-शमावय समाzwjगरी उपलबि करमाई िमाएगरी

हिदी भाषा सहिहि

हिहिमिहि शरी सचचितानद आफळ मखय नननममिनत अनिकाररीशरी सदरीप अाजगॉवकर नननममिनत अनिकाररी

अकषराकि भाषा नवभागपाठ यपसतक मडळ पणकागज ७० जरीएसएम करीमवोविदरणादश िदरक

िखय सिनवयकशरीमतरी पाचरी रनवदर साठ

परथिावति २०१8

पिला पििमिदरण २०१९ििाराषटर राजय पाठ यपसिक हिहिमििी व अभयासकरि सशोधि िडळ पण - 4११००4

इस पसतक का सवामिनिकार महाराषटर राजय पाठ यपसतक नननममितरी व अभयासकम सशोिन मडळ क अिरीन सरनषित ह इस पसतक का कोई भरी भाग महाराषटर राजय पाठ यपसतक नननममितरी व अभयासकम सशोिन मडळ क सचालक करी नलचित अनमनत क निना पकानशत नही नकया जा सकता

copy

डॉहमचदर वद य - अधयषि डॉछाया पाटरील - सदसय पामनोद दरीन मला - सदसयडॉदयानद नतवाररी - सदसयशरी रामनहत यादव - सदसयशरी सतोष िोत - सदसय डॉसननल कलकणणी - सदसय शरीमतरी सरीमा कािळ - सदसय डॉअलका पोतदार - सदसय - सनचव

परकाशक शी हववक उिि गोसावी

ननयतकपाठ यपसतक नननममितरी मडळ

पभादवरी मिई-२5

सयोजि डॉअलका पोतदार नवशषानिकाररी नहदरी भाषा पाठ यपसतक मडळ पण सौ सधया नवनय उपासनरी नवषय सहायक नहदरी भाषा पाठ यपसतक मडळ पण

हिदी भाषा अभयासगट

िखपषठ सौ पनम ननचिल पोटहिताकि शरी राजश लवळकर मयरा डफळ

हििहति सदसयशरी ताका सयमिवशरी सौ सगरीता सावत

शरी सजय भारद वाजसौ रजना नपगळ सौ वदा कलकणणी डॉ पमोद शकलशरीमतरी पनणमिमा पाडयडॉ शभदा मोघशरी िनयकमार निराजदारशरीमतरी माया कोथळरीकरशरीमतरी शारदा नियानरीडॉ रतना चौिररीशरी समत दळवरीशरीमतरी रजनरी महसाळकरडॉ वषामि पनवटकर

डॉ आशा वरी नमशाशरीमतरी मरीना एस अगरवालशरीमतरी भारतरी शरीवासतवडॉ शला ललवाणरीडॉ शोभा िलिोडडॉ िडोपत पाटरीलशरी रामदास काटशरी सिाकर गावडशरीमतरी गरीता जोशरीशरीमतरी अचमिना भसकट डॉ ररीता नसहसौ शनशकला सरगर शरी एन आर जवशरीमतरी ननशा िाहकर

NPB2019-20Qty 75000

Ms Dolphin Graphics Hyderabad

परसतावनता

(डॉ सननल मगर)सचतालक

महाराषटर राजय पाठ यपसतक निनममिती व अभयासकरम सशोधि मडळ पण-०4

नपरय नवद यतानथियो

म सब पताचवी स सतावी ककता की निदी सलभभतारी पताठ यपसक स अची रि पररनच िो और अब आठवी निदी सलभभतारी पढ़न क नलए उतसक िोग रग-नबरगी अनआकरथिक यि पसक मितार िताो म सौप हए िम अीव िरथि िो रिता ि

िम जता ि नक मि कनवता गी गजल सननता-पढ़नता नपरय लगता ि किताननयो की दननयता म नवचरण करनता मनोरजक लगता ि मितारी इन भतावनताओ को दनzwjटिग रख हए इस पताठ यपसक म कनवता गी गजल पद दोि नई कनवता वनवधयपणथि किताननयता लघकता ननबध ितासय-वयगय ससमरण सताकतातकतार भतारण सवताद पतर आनद सतानिनतयक नवधताओ कता समतावश नकयता गयता ि य नवधताए मनोरजक िोन क सता-सता जतानताजथिन भतारताई कौशलो कमताओ क नवकतास रताzwjटिटीय भतावनता को सदढ़ करन एव चररतर ननमताथिण म भी सितायक िोगी इन रचनताओ क चयन क समय आय रनच मनोवजताननक एव सतामतानजक सर कता सजगता स धयतान रखता गयता ि

अरजताल एव नडनजटिल दननयता क परभताव नई शनकक सोच वजताननक दनzwjटि को समक रखकर lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo lsquoलखनीयrsquo lsquoमन समझताrsquo lsquoकन पणथि करोrsquo lsquoभतारता नबदrsquo आनद क मताधयम स पताठ यकरम को पताठ यपसक म परस नकयता गयता ि मितारी कलपनताशनzwj सजनशीलता को धयतान म रख हए lsquoसवय अधययनrsquo lsquoउपयोनज लखनrsquo lsquoमौनलक सजनrsquo lsquoकलपनता पललवनrsquo आनद कनयो को अनधक वयतापक एव रोचक बनतायता गयता ि इनकता स अभयतास एव उपयोग अपनक ि मतागथिदशथिक कता सियोग लकय क पहचतान क मतागथि को सिज और सगम बनता दता ि अः अधययन अनभव की पनथि ि अनभभतावको नशकको कता सियोग और मतागथिदशथिन मितार नलए ननशच िी सितायक नसद ध िोग आपकी निदी भतारता और जतान म अनभवद नध क नलए lsquoएपrsquo एव lsquozwjयआरकोडrsquo क मताधयम स अनररzwj दक-शरतावय सतामगी उपलबध करताई जताएगी अधययन अनभव ि इनकता ननशच िी उपयोग िो सकगता

आशता एव पणथि नववतास ि नक म सब पताठ यपसक कता समनच उपयोग कर हए निदी नवरय क परन नवशर अनभरनच नदखता हए आतमीयता क सता इसकता सवताग करोग

पणनदनताक ः १8 अपरल २०१8 अकषयततीयाभारतीय सौर ः २8 चरतर १९4०

पहली इकाई

िसरी इकाई

अनकरमनरका

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ ि zwjमाzwjतभडzwj कडवzwjतमा रमाzwjपरसमाद lsquoडबडसzwjलrsquo १-२

२ वमाररस कौन सवमादमातzwjक किमानरी डवभमा रमानरी ३-5

३ नमािन कयो बढ़zwjत ि वचमाररक डनबि आचमायट ििमाररीपरसमाद द डववदरी ६-8

4 गमाव-शिर नवगरीzwjत परदरीप शकल ९-१०

5 zwjिबन समाषिमातकमार अनरमाग वzwjमाट ११-१३

६ िरमा पयमार स बोलनमा सरीि लरीि गिल रzwjश दतzwjत शzwjमाट १4-१5

७ zwjर रिमा समािब ससzwjरण सिमाzwjतमा बिमाि १६-१8

8 पणट डवशमाzwj िमासय-वयगय किमानरी सतयकमाzwj डवद यमालकमार १९-२२

९ अनzwjोल वमाणरी दोि पद

सzwjत कबरीर भकzwjत सरदमास

२३-२4

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ िरzwjतरी कमा आगन zwjिक नई कडवzwjतमा िॉ परकमाश दरीडषिzwjत २5-२६

२ दो लघकथमाए लघकथमा िरर िोशरी २७-२९

३ लकड़िमारमा और वन एकमाकी अरडवद भरनमागर ३०-३३

4 सौिमादट-सौzwjनसय नय दोि ििरीर करशरी ३4-३5

5 िzwjतरी स आई zwjतबदरीडलयमा पतर प िवमािरलमाल निर ३६-३8

६ अिमायग गरीडzwjतनमार य कमा अश िॉ िzwjटवरीर भमारzwjतरी ३९-4१

७ सवरमाजय zwjरमा िनzwjडसद ि अडिकमार ि

भमाषण लोकzwjमानय बमाळ गगमािर डरळक 4२-44

8 zwjरमा डवदरोि zwjनोवजमाडनक किमानरी सयटबमालमा 45-4९९ निी कछ इसस बढ़कर गरीzwjत सडzwjतरमानदन पzwjत 5०-5१

वयाकरर रिना नवभाग एव भावाथण 5२-54

1

१ ह मातभमम

परसत कविा म काावकारी एिा सिातरा सनानी कवि रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo जी न माभवम क परव अपन परम एिा भवzwjभाि को वयzwj वकया ह यहा आपन माभवम की सिा करन और दशवह म वनछािर हो जान की लालसा वयzwj की ह

lsquoमाभवम की सिा म जीिन अपपण करना परतयक मनतषय का कपवय हrsquo इस कथन पर अपन विचार वलखो

जनम ः १8९७ शाहजहापतर (उपर) मतzwjय ः१९२७ गोरखपतर (उपर) परिचzwj ः रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo भार क महान सिातरा सनानी ही नही िवzwjक उचच कोवि क कवि अनतिादक िहभाषाविद ि सावहतयकार भी थ आपन दश की आजादी क वलए अपन पराणो की आहव द दी lsquoसरफरोशी की मनाrsquo आपकी परवसद ध रचना ह lsquoविवसमलrsquo उपनाम क अवररzwj आप lsquoरामrsquo और lsquoअजाrsquo क नाम स भी लख ि कविाए वलख थ परमयख कमतzwjा ः lsquoमन की लहरrsquo lsquoआतमकथाrsquo आवद

ह माभवम र चरणो म शीश निाऊ म भवzwj भि अपनी री शरण म लाऊ

माथ प हो चादन छाी प हो मालावजह िा प गी हो मरा रा ही नाम गाऊ

वजसस सप उपज शी राम-कषण जसउस धल को म री वनज शीश प चढ़ाऊ

माई समतदर वजसकी पद रज को वनतय धोकरकरा परणाम तझको म ि चरण दिाऊ

सिा म री माा म भदभाि जकरिह पतणय नाम रा परववदन सतन-सतनाऊ

र ही काम आऊ रा ही मातर गाऊ मन और दह तम पर िवलदान म जाऊ

- रामपरसाद lsquoबिबzwjमलrsquo

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

पहली इकाई

2

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) कमत परण किो ः

मनमन मविाममचह ना क नाम मzwjलखकि उनका वाकzwj म परzwjोग किो ः - lsquo rsquo lsquolsquo rsquorsquo -

lsquoविकास की ओर िढ़ा हआ भार दशrsquo स सािावध महततिपणप काययो की सची िनाओ

(२) कमत परण किो ः

(३) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ कवि की वजह िा पर इसक गी हो -२ माभवम क चरण धोन िाला -३ माभवम क सप -4 परववदन सतननसतनान योगय नाम -5 माभवम क चरणो म इस निाना ह -

कवि माभवम क परव अवपप करना चाहा ह

(4) कमवता की पमकतzwjा परण किो ःसिा म री ------------------------------------------ ------------------------

--------------- िवलदान म जाऊ

माभवम की विशषाए

4

शबद वामिकानवाना = झतकानाशीश = वसरमजह वा = जीभ

िज = धलबमzwjलदान = पराणाहव वनछािरदह = शरीर

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबदो क आधाि पि कहानी मzwjलखो ः गाथालय सिपन पहली काच

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

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मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

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शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

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७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

45

वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

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रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

4७

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

4९

50

९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

5२

53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

5३

वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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  • hindi sulabh bhatati 8 th -PRILIM Pages for 2019-20
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Page 3: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

हिदी भाषा सहिहि

हिहिमिहि शरी सचचितानद आफळ मखय नननममिनत अनिकाररीशरी सदरीप अाजगॉवकर नननममिनत अनिकाररी

अकषराकि भाषा नवभागपाठ यपसतक मडळ पणकागज ७० जरीएसएम करीमवोविदरणादश िदरक

िखय सिनवयकशरीमतरी पाचरी रनवदर साठ

परथिावति २०१8

पिला पििमिदरण २०१९ििाराषटर राजय पाठ यपसिक हिहिमििी व अभयासकरि सशोधि िडळ पण - 4११००4

इस पसतक का सवामिनिकार महाराषटर राजय पाठ यपसतक नननममितरी व अभयासकम सशोिन मडळ क अिरीन सरनषित ह इस पसतक का कोई भरी भाग महाराषटर राजय पाठ यपसतक नननममितरी व अभयासकम सशोिन मडळ क सचालक करी नलचित अनमनत क निना पकानशत नही नकया जा सकता

copy

डॉहमचदर वद य - अधयषि डॉछाया पाटरील - सदसय पामनोद दरीन मला - सदसयडॉदयानद नतवाररी - सदसयशरी रामनहत यादव - सदसयशरी सतोष िोत - सदसय डॉसननल कलकणणी - सदसय शरीमतरी सरीमा कािळ - सदसय डॉअलका पोतदार - सदसय - सनचव

परकाशक शी हववक उिि गोसावी

ननयतकपाठ यपसतक नननममितरी मडळ

पभादवरी मिई-२5

सयोजि डॉअलका पोतदार नवशषानिकाररी नहदरी भाषा पाठ यपसतक मडळ पण सौ सधया नवनय उपासनरी नवषय सहायक नहदरी भाषा पाठ यपसतक मडळ पण

हिदी भाषा अभयासगट

िखपषठ सौ पनम ननचिल पोटहिताकि शरी राजश लवळकर मयरा डफळ

हििहति सदसयशरी ताका सयमिवशरी सौ सगरीता सावत

शरी सजय भारद वाजसौ रजना नपगळ सौ वदा कलकणणी डॉ पमोद शकलशरीमतरी पनणमिमा पाडयडॉ शभदा मोघशरी िनयकमार निराजदारशरीमतरी माया कोथळरीकरशरीमतरी शारदा नियानरीडॉ रतना चौिररीशरी समत दळवरीशरीमतरी रजनरी महसाळकरडॉ वषामि पनवटकर

डॉ आशा वरी नमशाशरीमतरी मरीना एस अगरवालशरीमतरी भारतरी शरीवासतवडॉ शला ललवाणरीडॉ शोभा िलिोडडॉ िडोपत पाटरीलशरी रामदास काटशरी सिाकर गावडशरीमतरी गरीता जोशरीशरीमतरी अचमिना भसकट डॉ ररीता नसहसौ शनशकला सरगर शरी एन आर जवशरीमतरी ननशा िाहकर

NPB2019-20Qty 75000

Ms Dolphin Graphics Hyderabad

परसतावनता

(डॉ सननल मगर)सचतालक

महाराषटर राजय पाठ यपसतक निनममिती व अभयासकरम सशोधि मडळ पण-०4

नपरय नवद यतानथियो

म सब पताचवी स सतावी ककता की निदी सलभभतारी पताठ यपसक स अची रि पररनच िो और अब आठवी निदी सलभभतारी पढ़न क नलए उतसक िोग रग-नबरगी अनआकरथिक यि पसक मितार िताो म सौप हए िम अीव िरथि िो रिता ि

िम जता ि नक मि कनवता गी गजल सननता-पढ़नता नपरय लगता ि किताननयो की दननयता म नवचरण करनता मनोरजक लगता ि मितारी इन भतावनताओ को दनzwjटिग रख हए इस पताठ यपसक म कनवता गी गजल पद दोि नई कनवता वनवधयपणथि किताननयता लघकता ननबध ितासय-वयगय ससमरण सताकतातकतार भतारण सवताद पतर आनद सतानिनतयक नवधताओ कता समतावश नकयता गयता ि य नवधताए मनोरजक िोन क सता-सता जतानताजथिन भतारताई कौशलो कमताओ क नवकतास रताzwjटिटीय भतावनता को सदढ़ करन एव चररतर ननमताथिण म भी सितायक िोगी इन रचनताओ क चयन क समय आय रनच मनोवजताननक एव सतामतानजक सर कता सजगता स धयतान रखता गयता ि

अरजताल एव नडनजटिल दननयता क परभताव नई शनकक सोच वजताननक दनzwjटि को समक रखकर lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo lsquoलखनीयrsquo lsquoमन समझताrsquo lsquoकन पणथि करोrsquo lsquoभतारता नबदrsquo आनद क मताधयम स पताठ यकरम को पताठ यपसक म परस नकयता गयता ि मितारी कलपनताशनzwj सजनशीलता को धयतान म रख हए lsquoसवय अधययनrsquo lsquoउपयोनज लखनrsquo lsquoमौनलक सजनrsquo lsquoकलपनता पललवनrsquo आनद कनयो को अनधक वयतापक एव रोचक बनतायता गयता ि इनकता स अभयतास एव उपयोग अपनक ि मतागथिदशथिक कता सियोग लकय क पहचतान क मतागथि को सिज और सगम बनता दता ि अः अधययन अनभव की पनथि ि अनभभतावको नशकको कता सियोग और मतागथिदशथिन मितार नलए ननशच िी सितायक नसद ध िोग आपकी निदी भतारता और जतान म अनभवद नध क नलए lsquoएपrsquo एव lsquozwjयआरकोडrsquo क मताधयम स अनररzwj दक-शरतावय सतामगी उपलबध करताई जताएगी अधययन अनभव ि इनकता ननशच िी उपयोग िो सकगता

आशता एव पणथि नववतास ि नक म सब पताठ यपसक कता समनच उपयोग कर हए निदी नवरय क परन नवशर अनभरनच नदखता हए आतमीयता क सता इसकता सवताग करोग

पणनदनताक ः १8 अपरल २०१8 अकषयततीयाभारतीय सौर ः २8 चरतर १९4०

पहली इकाई

िसरी इकाई

अनकरमनरका

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ ि zwjमाzwjतभडzwj कडवzwjतमा रमाzwjपरसमाद lsquoडबडसzwjलrsquo १-२

२ वमाररस कौन सवमादमातzwjक किमानरी डवभमा रमानरी ३-5

३ नमािन कयो बढ़zwjत ि वचमाररक डनबि आचमायट ििमाररीपरसमाद द डववदरी ६-8

4 गमाव-शिर नवगरीzwjत परदरीप शकल ९-१०

5 zwjिबन समाषिमातकमार अनरमाग वzwjमाट ११-१३

६ िरमा पयमार स बोलनमा सरीि लरीि गिल रzwjश दतzwjत शzwjमाट १4-१5

७ zwjर रिमा समािब ससzwjरण सिमाzwjतमा बिमाि १६-१8

8 पणट डवशमाzwj िमासय-वयगय किमानरी सतयकमाzwj डवद यमालकमार १९-२२

९ अनzwjोल वमाणरी दोि पद

सzwjत कबरीर भकzwjत सरदमास

२३-२4

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ िरzwjतरी कमा आगन zwjिक नई कडवzwjतमा िॉ परकमाश दरीडषिzwjत २5-२६

२ दो लघकथमाए लघकथमा िरर िोशरी २७-२९

३ लकड़िमारमा और वन एकमाकी अरडवद भरनमागर ३०-३३

4 सौिमादट-सौzwjनसय नय दोि ििरीर करशरी ३4-३5

5 िzwjतरी स आई zwjतबदरीडलयमा पतर प िवमािरलमाल निर ३६-३8

६ अिमायग गरीडzwjतनमार य कमा अश िॉ िzwjटवरीर भमारzwjतरी ३९-4१

७ सवरमाजय zwjरमा िनzwjडसद ि अडिकमार ि

भमाषण लोकzwjमानय बमाळ गगमािर डरळक 4२-44

8 zwjरमा डवदरोि zwjनोवजमाडनक किमानरी सयटबमालमा 45-4९९ निी कछ इसस बढ़कर गरीzwjत सडzwjतरमानदन पzwjत 5०-5१

वयाकरर रिना नवभाग एव भावाथण 5२-54

1

१ ह मातभमम

परसत कविा म काावकारी एिा सिातरा सनानी कवि रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo जी न माभवम क परव अपन परम एिा भवzwjभाि को वयzwj वकया ह यहा आपन माभवम की सिा करन और दशवह म वनछािर हो जान की लालसा वयzwj की ह

lsquoमाभवम की सिा म जीिन अपपण करना परतयक मनतषय का कपवय हrsquo इस कथन पर अपन विचार वलखो

जनम ः १8९७ शाहजहापतर (उपर) मतzwjय ः१९२७ गोरखपतर (उपर) परिचzwj ः रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo भार क महान सिातरा सनानी ही नही िवzwjक उचच कोवि क कवि अनतिादक िहभाषाविद ि सावहतयकार भी थ आपन दश की आजादी क वलए अपन पराणो की आहव द दी lsquoसरफरोशी की मनाrsquo आपकी परवसद ध रचना ह lsquoविवसमलrsquo उपनाम क अवररzwj आप lsquoरामrsquo और lsquoअजाrsquo क नाम स भी लख ि कविाए वलख थ परमयख कमतzwjा ः lsquoमन की लहरrsquo lsquoआतमकथाrsquo आवद

ह माभवम र चरणो म शीश निाऊ म भवzwj भि अपनी री शरण म लाऊ

माथ प हो चादन छाी प हो मालावजह िा प गी हो मरा रा ही नाम गाऊ

वजसस सप उपज शी राम-कषण जसउस धल को म री वनज शीश प चढ़ाऊ

माई समतदर वजसकी पद रज को वनतय धोकरकरा परणाम तझको म ि चरण दिाऊ

सिा म री माा म भदभाि जकरिह पतणय नाम रा परववदन सतन-सतनाऊ

र ही काम आऊ रा ही मातर गाऊ मन और दह तम पर िवलदान म जाऊ

- रामपरसाद lsquoबिबzwjमलrsquo

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

पहली इकाई

2

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) कमत परण किो ः

मनमन मविाममचह ना क नाम मzwjलखकि उनका वाकzwj म परzwjोग किो ः - lsquo rsquo lsquolsquo rsquorsquo -

lsquoविकास की ओर िढ़ा हआ भार दशrsquo स सािावध महततिपणप काययो की सची िनाओ

(२) कमत परण किो ः

(३) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ कवि की वजह िा पर इसक गी हो -२ माभवम क चरण धोन िाला -३ माभवम क सप -4 परववदन सतननसतनान योगय नाम -5 माभवम क चरणो म इस निाना ह -

कवि माभवम क परव अवपप करना चाहा ह

(4) कमवता की पमकतzwjा परण किो ःसिा म री ------------------------------------------ ------------------------

--------------- िवलदान म जाऊ

माभवम की विशषाए

4

शबद वामिकानवाना = झतकानाशीश = वसरमजह वा = जीभ

िज = धलबमzwjलदान = पराणाहव वनछािरदह = शरीर

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबदो क आधाि पि कहानी मzwjलखो ः गाथालय सिपन पहली काच

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

44

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

45

वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

45

46

रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

4६

47

पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

4७

48

वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

48

स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

49

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

4९

50

९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

5२

53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

5३

वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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परसतावनता

(डॉ सननल मगर)सचतालक

महाराषटर राजय पाठ यपसतक निनममिती व अभयासकरम सशोधि मडळ पण-०4

नपरय नवद यतानथियो

म सब पताचवी स सतावी ककता की निदी सलभभतारी पताठ यपसक स अची रि पररनच िो और अब आठवी निदी सलभभतारी पढ़न क नलए उतसक िोग रग-नबरगी अनआकरथिक यि पसक मितार िताो म सौप हए िम अीव िरथि िो रिता ि

िम जता ि नक मि कनवता गी गजल सननता-पढ़नता नपरय लगता ि किताननयो की दननयता म नवचरण करनता मनोरजक लगता ि मितारी इन भतावनताओ को दनzwjटिग रख हए इस पताठ यपसक म कनवता गी गजल पद दोि नई कनवता वनवधयपणथि किताननयता लघकता ननबध ितासय-वयगय ससमरण सताकतातकतार भतारण सवताद पतर आनद सतानिनतयक नवधताओ कता समतावश नकयता गयता ि य नवधताए मनोरजक िोन क सता-सता जतानताजथिन भतारताई कौशलो कमताओ क नवकतास रताzwjटिटीय भतावनता को सदढ़ करन एव चररतर ननमताथिण म भी सितायक िोगी इन रचनताओ क चयन क समय आय रनच मनोवजताननक एव सतामतानजक सर कता सजगता स धयतान रखता गयता ि

अरजताल एव नडनजटिल दननयता क परभताव नई शनकक सोच वजताननक दनzwjटि को समक रखकर lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo lsquoलखनीयrsquo lsquoमन समझताrsquo lsquoकन पणथि करोrsquo lsquoभतारता नबदrsquo आनद क मताधयम स पताठ यकरम को पताठ यपसक म परस नकयता गयता ि मितारी कलपनताशनzwj सजनशीलता को धयतान म रख हए lsquoसवय अधययनrsquo lsquoउपयोनज लखनrsquo lsquoमौनलक सजनrsquo lsquoकलपनता पललवनrsquo आनद कनयो को अनधक वयतापक एव रोचक बनतायता गयता ि इनकता स अभयतास एव उपयोग अपनक ि मतागथिदशथिक कता सियोग लकय क पहचतान क मतागथि को सिज और सगम बनता दता ि अः अधययन अनभव की पनथि ि अनभभतावको नशकको कता सियोग और मतागथिदशथिन मितार नलए ननशच िी सितायक नसद ध िोग आपकी निदी भतारता और जतान म अनभवद नध क नलए lsquoएपrsquo एव lsquozwjयआरकोडrsquo क मताधयम स अनररzwj दक-शरतावय सतामगी उपलबध करताई जताएगी अधययन अनभव ि इनकता ननशच िी उपयोग िो सकगता

आशता एव पणथि नववतास ि नक म सब पताठ यपसक कता समनच उपयोग कर हए निदी नवरय क परन नवशर अनभरनच नदखता हए आतमीयता क सता इसकता सवताग करोग

पणनदनताक ः १8 अपरल २०१8 अकषयततीयाभारतीय सौर ः २8 चरतर १९4०

पहली इकाई

िसरी इकाई

अनकरमनरका

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ ि zwjमाzwjतभडzwj कडवzwjतमा रमाzwjपरसमाद lsquoडबडसzwjलrsquo १-२

२ वमाररस कौन सवमादमातzwjक किमानरी डवभमा रमानरी ३-5

३ नमािन कयो बढ़zwjत ि वचमाररक डनबि आचमायट ििमाररीपरसमाद द डववदरी ६-8

4 गमाव-शिर नवगरीzwjत परदरीप शकल ९-१०

5 zwjिबन समाषिमातकमार अनरमाग वzwjमाट ११-१३

६ िरमा पयमार स बोलनमा सरीि लरीि गिल रzwjश दतzwjत शzwjमाट १4-१5

७ zwjर रिमा समािब ससzwjरण सिमाzwjतमा बिमाि १६-१8

8 पणट डवशमाzwj िमासय-वयगय किमानरी सतयकमाzwj डवद यमालकमार १९-२२

९ अनzwjोल वमाणरी दोि पद

सzwjत कबरीर भकzwjत सरदमास

२३-२4

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ िरzwjतरी कमा आगन zwjिक नई कडवzwjतमा िॉ परकमाश दरीडषिzwjत २5-२६

२ दो लघकथमाए लघकथमा िरर िोशरी २७-२९

३ लकड़िमारमा और वन एकमाकी अरडवद भरनमागर ३०-३३

4 सौिमादट-सौzwjनसय नय दोि ििरीर करशरी ३4-३5

5 िzwjतरी स आई zwjतबदरीडलयमा पतर प िवमािरलमाल निर ३६-३8

६ अिमायग गरीडzwjतनमार य कमा अश िॉ िzwjटवरीर भमारzwjतरी ३९-4१

७ सवरमाजय zwjरमा िनzwjडसद ि अडिकमार ि

भमाषण लोकzwjमानय बमाळ गगमािर डरळक 4२-44

8 zwjरमा डवदरोि zwjनोवजमाडनक किमानरी सयटबमालमा 45-4९९ निी कछ इसस बढ़कर गरीzwjत सडzwjतरमानदन पzwjत 5०-5१

वयाकरर रिना नवभाग एव भावाथण 5२-54

1

१ ह मातभमम

परसत कविा म काावकारी एिा सिातरा सनानी कवि रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo जी न माभवम क परव अपन परम एिा भवzwjभाि को वयzwj वकया ह यहा आपन माभवम की सिा करन और दशवह म वनछािर हो जान की लालसा वयzwj की ह

lsquoमाभवम की सिा म जीिन अपपण करना परतयक मनतषय का कपवय हrsquo इस कथन पर अपन विचार वलखो

जनम ः १8९७ शाहजहापतर (उपर) मतzwjय ः१९२७ गोरखपतर (उपर) परिचzwj ः रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo भार क महान सिातरा सनानी ही नही िवzwjक उचच कोवि क कवि अनतिादक िहभाषाविद ि सावहतयकार भी थ आपन दश की आजादी क वलए अपन पराणो की आहव द दी lsquoसरफरोशी की मनाrsquo आपकी परवसद ध रचना ह lsquoविवसमलrsquo उपनाम क अवररzwj आप lsquoरामrsquo और lsquoअजाrsquo क नाम स भी लख ि कविाए वलख थ परमयख कमतzwjा ः lsquoमन की लहरrsquo lsquoआतमकथाrsquo आवद

ह माभवम र चरणो म शीश निाऊ म भवzwj भि अपनी री शरण म लाऊ

माथ प हो चादन छाी प हो मालावजह िा प गी हो मरा रा ही नाम गाऊ

वजसस सप उपज शी राम-कषण जसउस धल को म री वनज शीश प चढ़ाऊ

माई समतदर वजसकी पद रज को वनतय धोकरकरा परणाम तझको म ि चरण दिाऊ

सिा म री माा म भदभाि जकरिह पतणय नाम रा परववदन सतन-सतनाऊ

र ही काम आऊ रा ही मातर गाऊ मन और दह तम पर िवलदान म जाऊ

- रामपरसाद lsquoबिबzwjमलrsquo

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

पहली इकाई

2

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) कमत परण किो ः

मनमन मविाममचह ना क नाम मzwjलखकि उनका वाकzwj म परzwjोग किो ः - lsquo rsquo lsquolsquo rsquorsquo -

lsquoविकास की ओर िढ़ा हआ भार दशrsquo स सािावध महततिपणप काययो की सची िनाओ

(२) कमत परण किो ः

(३) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ कवि की वजह िा पर इसक गी हो -२ माभवम क चरण धोन िाला -३ माभवम क सप -4 परववदन सतननसतनान योगय नाम -5 माभवम क चरणो म इस निाना ह -

कवि माभवम क परव अवपप करना चाहा ह

(4) कमवता की पमकतzwjा परण किो ःसिा म री ------------------------------------------ ------------------------

--------------- िवलदान म जाऊ

माभवम की विशषाए

4

शबद वामिकानवाना = झतकानाशीश = वसरमजह वा = जीभ

िज = धलबमzwjलदान = पराणाहव वनछािरदह = शरीर

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबदो क आधाि पि कहानी मzwjलखो ः गाथालय सिपन पहली काच

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

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वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

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रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

4९

50

९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

5२

53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

5३

वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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Page 5: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

पहली इकाई

िसरी इकाई

अनकरमनरका

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ ि zwjमाzwjतभडzwj कडवzwjतमा रमाzwjपरसमाद lsquoडबडसzwjलrsquo १-२

२ वमाररस कौन सवमादमातzwjक किमानरी डवभमा रमानरी ३-5

३ नमािन कयो बढ़zwjत ि वचमाररक डनबि आचमायट ििमाररीपरसमाद द डववदरी ६-8

4 गमाव-शिर नवगरीzwjत परदरीप शकल ९-१०

5 zwjिबन समाषिमातकमार अनरमाग वzwjमाट ११-१३

६ िरमा पयमार स बोलनमा सरीि लरीि गिल रzwjश दतzwjत शzwjमाट १4-१5

७ zwjर रिमा समािब ससzwjरण सिमाzwjतमा बिमाि १६-१8

8 पणट डवशमाzwj िमासय-वयगय किमानरी सतयकमाzwj डवद यमालकमार १९-२२

९ अनzwjोल वमाणरी दोि पद

सzwjत कबरीर भकzwjत सरदमास

२३-२4

कर पाठ का नाम नवरा रिनाकार पzwjठ १ िरzwjतरी कमा आगन zwjिक नई कडवzwjतमा िॉ परकमाश दरीडषिzwjत २5-२६

२ दो लघकथमाए लघकथमा िरर िोशरी २७-२९

३ लकड़िमारमा और वन एकमाकी अरडवद भरनमागर ३०-३३

4 सौिमादट-सौzwjनसय नय दोि ििरीर करशरी ३4-३5

5 िzwjतरी स आई zwjतबदरीडलयमा पतर प िवमािरलमाल निर ३६-३8

६ अिमायग गरीडzwjतनमार य कमा अश िॉ िzwjटवरीर भमारzwjतरी ३९-4१

७ सवरमाजय zwjरमा िनzwjडसद ि अडिकमार ि

भमाषण लोकzwjमानय बमाळ गगमािर डरळक 4२-44

8 zwjरमा डवदरोि zwjनोवजमाडनक किमानरी सयटबमालमा 45-4९९ निी कछ इसस बढ़कर गरीzwjत सडzwjतरमानदन पzwjत 5०-5१

वयाकरर रिना नवभाग एव भावाथण 5२-54

1

१ ह मातभमम

परसत कविा म काावकारी एिा सिातरा सनानी कवि रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo जी न माभवम क परव अपन परम एिा भवzwjभाि को वयzwj वकया ह यहा आपन माभवम की सिा करन और दशवह म वनछािर हो जान की लालसा वयzwj की ह

lsquoमाभवम की सिा म जीिन अपपण करना परतयक मनतषय का कपवय हrsquo इस कथन पर अपन विचार वलखो

जनम ः १8९७ शाहजहापतर (उपर) मतzwjय ः१९२७ गोरखपतर (उपर) परिचzwj ः रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo भार क महान सिातरा सनानी ही नही िवzwjक उचच कोवि क कवि अनतिादक िहभाषाविद ि सावहतयकार भी थ आपन दश की आजादी क वलए अपन पराणो की आहव द दी lsquoसरफरोशी की मनाrsquo आपकी परवसद ध रचना ह lsquoविवसमलrsquo उपनाम क अवररzwj आप lsquoरामrsquo और lsquoअजाrsquo क नाम स भी लख ि कविाए वलख थ परमयख कमतzwjा ः lsquoमन की लहरrsquo lsquoआतमकथाrsquo आवद

ह माभवम र चरणो म शीश निाऊ म भवzwj भि अपनी री शरण म लाऊ

माथ प हो चादन छाी प हो मालावजह िा प गी हो मरा रा ही नाम गाऊ

वजसस सप उपज शी राम-कषण जसउस धल को म री वनज शीश प चढ़ाऊ

माई समतदर वजसकी पद रज को वनतय धोकरकरा परणाम तझको म ि चरण दिाऊ

सिा म री माा म भदभाि जकरिह पतणय नाम रा परववदन सतन-सतनाऊ

र ही काम आऊ रा ही मातर गाऊ मन और दह तम पर िवलदान म जाऊ

- रामपरसाद lsquoबिबzwjमलrsquo

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

पहली इकाई

2

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) कमत परण किो ः

मनमन मविाममचह ना क नाम मzwjलखकि उनका वाकzwj म परzwjोग किो ः - lsquo rsquo lsquolsquo rsquorsquo -

lsquoविकास की ओर िढ़ा हआ भार दशrsquo स सािावध महततिपणप काययो की सची िनाओ

(२) कमत परण किो ः

(३) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ कवि की वजह िा पर इसक गी हो -२ माभवम क चरण धोन िाला -३ माभवम क सप -4 परववदन सतननसतनान योगय नाम -5 माभवम क चरणो म इस निाना ह -

कवि माभवम क परव अवपप करना चाहा ह

(4) कमवता की पमकतzwjा परण किो ःसिा म री ------------------------------------------ ------------------------

--------------- िवलदान म जाऊ

माभवम की विशषाए

4

शबद वामिकानवाना = झतकानाशीश = वसरमजह वा = जीभ

िज = धलबमzwjलदान = पराणाहव वनछािरदह = शरीर

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबदो क आधाि पि कहानी मzwjलखो ः गाथालय सिपन पहली काच

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

44

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

45

वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

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रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

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९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

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51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

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lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

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शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

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53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

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वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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Page 6: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

1

१ ह मातभमम

परसत कविा म काावकारी एिा सिातरा सनानी कवि रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo जी न माभवम क परव अपन परम एिा भवzwjभाि को वयzwj वकया ह यहा आपन माभवम की सिा करन और दशवह म वनछािर हो जान की लालसा वयzwj की ह

lsquoमाभवम की सिा म जीिन अपपण करना परतयक मनतषय का कपवय हrsquo इस कथन पर अपन विचार वलखो

जनम ः १8९७ शाहजहापतर (उपर) मतzwjय ः१९२७ गोरखपतर (उपर) परिचzwj ः रामपरसाद lsquoविवसमलrsquo भार क महान सिातरा सनानी ही नही िवzwjक उचच कोवि क कवि अनतिादक िहभाषाविद ि सावहतयकार भी थ आपन दश की आजादी क वलए अपन पराणो की आहव द दी lsquoसरफरोशी की मनाrsquo आपकी परवसद ध रचना ह lsquoविवसमलrsquo उपनाम क अवररzwj आप lsquoरामrsquo और lsquoअजाrsquo क नाम स भी लख ि कविाए वलख थ परमयख कमतzwjा ः lsquoमन की लहरrsquo lsquoआतमकथाrsquo आवद

ह माभवम र चरणो म शीश निाऊ म भवzwj भि अपनी री शरण म लाऊ

माथ प हो चादन छाी प हो मालावजह िा प गी हो मरा रा ही नाम गाऊ

वजसस सप उपज शी राम-कषण जसउस धल को म री वनज शीश प चढ़ाऊ

माई समतदर वजसकी पद रज को वनतय धोकरकरा परणाम तझको म ि चरण दिाऊ

सिा म री माा म भदभाि जकरिह पतणय नाम रा परववदन सतन-सतनाऊ

र ही काम आऊ रा ही मातर गाऊ मन और दह तम पर िवलदान म जाऊ

- रामपरसाद lsquoबिबzwjमलrsquo

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

पहली इकाई

2

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) कमत परण किो ः

मनमन मविाममचह ना क नाम मzwjलखकि उनका वाकzwj म परzwjोग किो ः - lsquo rsquo lsquolsquo rsquorsquo -

lsquoविकास की ओर िढ़ा हआ भार दशrsquo स सािावध महततिपणप काययो की सची िनाओ

(२) कमत परण किो ः

(३) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ कवि की वजह िा पर इसक गी हो -२ माभवम क चरण धोन िाला -३ माभवम क सप -4 परववदन सतननसतनान योगय नाम -5 माभवम क चरणो म इस निाना ह -

कवि माभवम क परव अवपप करना चाहा ह

(4) कमवता की पमकतzwjा परण किो ःसिा म री ------------------------------------------ ------------------------

--------------- िवलदान म जाऊ

माभवम की विशषाए

4

शबद वामिकानवाना = झतकानाशीश = वसरमजह वा = जीभ

िज = धलबमzwjलदान = पराणाहव वनछािरदह = शरीर

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबदो क आधाि पि कहानी मzwjलखो ः गाथालय सिपन पहली काच

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

44

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

45

वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

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46

रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

4६

47

पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

4७

48

वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

48

स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

49

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

4९

50

९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

5२

53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

5३

वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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2

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) कमत परण किो ः

मनमन मविाममचह ना क नाम मzwjलखकि उनका वाकzwj म परzwjोग किो ः - lsquo rsquo lsquolsquo rsquorsquo -

lsquoविकास की ओर िढ़ा हआ भार दशrsquo स सािावध महततिपणप काययो की सची िनाओ

(२) कमत परण किो ः

(३) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ कवि की वजह िा पर इसक गी हो -२ माभवम क चरण धोन िाला -३ माभवम क सप -4 परववदन सतननसतनान योगय नाम -5 माभवम क चरणो म इस निाना ह -

कवि माभवम क परव अवपप करना चाहा ह

(4) कमवता की पमकतzwjा परण किो ःसिा म री ------------------------------------------ ------------------------

--------------- िवलदान म जाऊ

माभवम की विशषाए

4

शबद वामिकानवाना = झतकानाशीश = वसरमजह वा = जीभ

िज = धलबमzwjलदान = पराणाहव वनछािरदह = शरीर

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबदो क आधाि पि कहानी मzwjलखो ः गाथालय सिपन पहली काच

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

44

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

45

वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

45

46

रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

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९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

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जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

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lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

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शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

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पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

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वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

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नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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Page 8: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

3

एक राजा था उसक चार िविया थी राजा न सोचा वक इन चारो म स जो सिस ितद वधमी होगी उस ही अपना राजपाि सौपगा इसका फसला कस हो िह सोचन लगा अा म उस एक उपाय सझ गया

उसन एक वदन चारो िवियो को अपन पास ितलाया सभी को गह क सौ-सौ दान वदए और कहा lsquolsquoइस तम अपन पास रखो पाच साल िाद म जि इनह मागगा ि तम सि मतझ िापस कर दना rsquorsquo

गह क दान लकर चारो िहन अपन-अपन कमर म लौि आई िड़ी िहन न उन दानो को खखड़की क िाहर फक वदया उसन सोचा lsquoआज स पाच साल िाद वपा जी को गह क इन दानो की याद रहगी zwjया और जो याद भी रहा ो zwjया हआ भाडार स लकर द दगी rsquo

दसरी िहन न दानो को चादी की एक वडबिी म डालकर उस मखमल क थल म िाद करक सतरका स अपनी सादकची म डाल वदया सोचा lsquoपाच साल िाद जि वपा जी य दान मागग ि उनह िापस कर दगी rsquo

ीसरी िहन िस सोची रही वक इसका zwjया कर चौथी और छोिी िहन वनक िचची थी शरार करना उस िह पसाद था उस गह क भतन दान भी िह पसाद थ उसन दानो को भतनिाकर खा डाला और खल म मगन हो गई

ीसरी राजकमारी को इस िा का यकीन था वक वपा जी न उनह य ही य दान नही वदए होग जरर इसक पीछ कोई मकसद होगा पहल ो उसन भी अपनी दसरी िहनो की रह ही उनह सहजकर रख दन की सोची लवकन िह ऐसा न कर सकी दो-ीन वदनो क िह सोची रही वफर उसन अपन कमर की खखड़की क पीछिाली जमीन म ि दान िो वदए समय पर अाकर फि पौध यार हए दान वनकल राजकमारी न यार फसल म स दान वनकाल और वफर स िो वदए इस रह पाच िषयो म उसक पास ढर सारा गह यार हो गया

पाच साल िाद राजा न वफर चारो िहनो को ितलाया और कहा- lsquolsquoआज स पाच साल पहल मन तम चारो को गह क सौ-सौ दान वदए थ और कहा था वक पाच साल िाद मतझ िापस करना कहा ह ि दानrsquorsquo

िड़ी राजकमारी भाडार घर जाकर गह क दान ल आई और राजा को द वदए राजा न पछा lsquolsquozwjया य िही दान ह जो मन तमह वदए थ rsquorsquo

- बिभा रानी

२ वारिस कौन

परसत सािादातमक कहानी क माधयम स विभा रानी जी का कहना ह वक हम उतम फल परापत करन क वलए समय और साधनो का सदपयोग करना चावहए जो ऐसा करा ह िही जीिन म सफल होा ह

जनम ः १९5९ मधतिनी (विहार)परिचzwj ः िहआयामी परवभा की धनी विभा रानी वहादी ि मवथली की राषिटीय सर की लखखका ह आपन कहानी गी अनतिाद लोक सावहतय एिा नाि य लखन म परखरा स अपनी कलम चलाई ह आप समकालीन वफzwjम मवहला ि िाल विषयो पर लोकगी और लोक सावहतय क कतर म वनरार काम कर रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoचल खतसरो घर अपनrsquo lsquoवमवथला की लोककथाएrsquo lsquoगोन झा क वकससrsquo (कहानी सागह) lsquoअगल-जनम मोह विविया न कीजोrsquo (नािक)lsquoसमरथ-CANrsquo (द विभाषी वहादी-अागजी का अनतिाद) lsquoविल िलर की डायरीrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

अपन आस-पास घवि चतराई स सािावध घिना वलखो

4

पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

44

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

45

वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

45

46

रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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47

पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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48

वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

4९

50

९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

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पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

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वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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Page 9: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

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पहल ो राजकमारी न lsquoहाrsquo कह वदया मगर राजा न वफर कड़ककर पछा ि उसन सचची िा िा दी

राजा न दसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमहार दान कहॉा ह rsquorsquo

दसरी राजकमारी अपनी सादकची म स मखमल क खोलिाली वडबिी उठा लाई वजसम उसन गह क दान सहजकर रख थ राजा न उस खोलकर दखा - दान सड़ गए थ

ीसरी राजकमारी स पछा - lsquolsquoतमन zwjया वकया उन दानो का rsquorsquoीसरी न कहा - lsquolsquoम इसका उतर आपको अभी नही दगी zwjयोवक

जिाि पान क वलए आपको यहा स दर जाना पड़गा और म िहा आपको कल ल चलगी rsquorsquo

राजा न अि चौथी और सिस छोिी राजकमारी स पछा उसन उसी िपरिाही स जिाि वदया-lsquolsquoउन दानो की कोई कीम ह वपा जी िस ो ढरो दान भाडार म पड़ ह आप ो जान ह न मतझ गह क भतन दान िह अचछ लग ह सो म उनह भतनिाकर खा गई आप भी वपा जी वकन-वकन चककरो म पड़ जा ह rsquorsquo

सभी क उतर स राजा को िड़ी वनराशा हई चारो म स अि उस किल ीसरी ििी स ही थोड़ी उममीद थी

दसर वदन ीसरी राजकमारी राजा क पास आई उसन कहा-lsquolsquoचवलए वपा जी आपको म वदखाऊ वक गह क ि दान कहा ह rsquorsquo

राजा रथ पर सिार हो गया रथ महल नगर पार करक ख की रफ िढ़ चला राजा न पछा lsquolsquoआखखर कहा रख छोड़ ह तमन ि सौ दान इन सौ दानो क वलए तम मतझ कहा-कहा क चककर लगिाओगी rsquorsquo

ि क रथ एक िड़-स हर-भर ख क सामन आकर रक गया राजा न दखा - सामन िह िड़ ख म गह की फसल थी उसकी िावलया हिा म झम रही थी जस राजा को कोई खतशी भरा गी सतना रही हो राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा राजकमारी न कहा-lsquolsquoवपा जी य ह ि सौ दान जो आज लाखो-लाख दानो क रप म आपक सामन ह मन उन सौ दानो को िोकर इनी अवधक फसल यार की ह rsquorsquo

राजा न उस गल लगा वलया और कहा- lsquolsquoअि म वनखचा हो गया तम ही मर राजय की सचची उतरावधकारी हो rsquorsquo

4

भाषा की वभना का आदर कर हए कोई लोकगी अपन सहपावठयो को सतनाओ

lsquoउतर भार की नवदयो म िारहो मास पानी रहा हrsquo इसक कारणो की जानकारी परापत करक कका म िाओ

अपन पररसर की वकसी शवकक सासथा की रज महोतसिी पवतरका का िाचन करो

मराठी समाचार पतर या िालपवतरका क वकसी पररचछद का वहादी म अनतिाद करो

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

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तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

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(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

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4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

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वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

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रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

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९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

5२

53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

5३

वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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Page 10: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

55

तनिक = थोड़ामकसद = उद दशयखोल = आवरणउमममीद =आशाउततरानिकारमी = वाररस

महावरचककर म पड़ जािा =दववधा म पड़नागल लगािा = पयार स वमलना

शबद वानिका

(२) उनचत घििाकरम लगाकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ सभी क उतzwjतर स राजा को बड़ी वनराशा हई २ रथ एक बड़-स हर-भर खzwjत क सामन रक गया ३ राजा न हरानी स राजकमारी की ओर दखा 4 अzwjत म उस एक उपाय सझ गया

(4) पररणाम नलखो ः१ गह क दानो को बोन का पररणाम- २ सभी क उतzwjतर सनकर राजा पर हआ पररणाम-३ दसरी राजकमारी का सदकची म दान रखन का पररणाम- 4 पहली राजकमारी को कड़ककर पछन का पररणाम -

(३) सहमी नवकलप चिकर वाकzwjय निर स नलखो ः१ जरर इसक पीछ कोई ------- होगा (उद दशयहzwjतमकसद)२ सो म उनह ------- खा गई (वभगोकरभनवाकरपकाकर)३ zwjतम ही मर राजय की सची ------- हो (रानीयवराजीउतzwjतरावधकारी)4 इस zwjतम अपन पास रखो ------- साल बाद म इनह मागगा (चारसाzwjतपाच)

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) उततर नलखो ः

गह क दानो का चारो बहनो न वकया-

रचना क आधार पर वववभनन परकार क zwjतीन-zwjतीन वाकय पाठो स ढढ़कर वलखो

अपन वमतरसहली को दीपावली की छट वटयो म अपन घर वनमवतरzwjत करन वाला पतर वलखो

बीरबल की बौद वधक चzwjतराई की कहानी क मद दो का फोलzwjडर बनाकर कहानी परसzwjतzwjत करो

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

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वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

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रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

4९

50

९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

5२

53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

5३

वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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Page 11: हिंदी अध्य्यन हनष्पह्ति ः ...श सन ननर णय क रम क : अभय स-२११६/(प र.क र.4 ३/१६) एसड

6

िचच कभी-कभी चzwjकर म डाल दन िाल परन कर िठ ह अzwjपज वपा िड़ा दयनीय जीि होा ह मरी छोिी लड़की न जि उस वदन पछ वलया वक आदमी क नाखन zwjयो िढ़ ह ो म कछ सोच ही नही सका हर ीसर वदन नाखन िढ़ जा ह काि दीवजए ि चतपचाप दाड सिीकर कर लग पर वनलपजज अपराधी की भाव छि ही वफर जस क स हो जा ह आखखर य इन िहया zwjयो ह

कछ लाख ही िषयो की िा ह जि मनतषय जागली था िनमानतष जसा उस नाखन की जरर थी उसकी जीिन रका क वलए नाखन िह जररी थ असल म िही उसक असतर थ दा भी थ पर नाखन क िाद ही उनका सथान था धीर-धीर िह अपन अाग स िाहर की िसतओ का सहारा लन लगा उसन हड वडयो क भी हवथयार िनाए मनतषय धीर-धीर और आग िढ़ा उसन धात क हवथयार िनाए इवहास आग िढ़ा कभी-कभी म हरान होकर सोचा ह वक मनतषय आज अपन िचचो को नाखन न कािन पर डािा ह ि रोज िढ़ ह मतझ ऐसा लगा ह वक मनतषय अि नाखन को नही चाहा य उसकी भयाकर पाशिी िवत क जीिा परीक ह मनतषय की पशता को वजनी िार भी काि दो िह मरना नही जानी

अगर आदमी अपन शरीर की मन की और िाक की अनायास घिन िाली िवतयो क विषय म विचार कर ो उस अपनी िासविक परिवत पहचानन म िह सहाया वमल मनतषय की नख िढ़ा लन की जो सहजा िवत ह िह उसक पशतति का परमाण ह उनह कािन की जो परिवत ह िह उसकी मनतषया की वनशानी ह

मरा मन पछा ह- मनतषय वकस ओर िढ़ रहा ह पशता की ओर या मनतषया की ओर असतर िढ़ान की ओर या असतर कािन की ओर मरी वनिबोध िावलका न मानो मनतषय जाव स ही परन वकया ह- जान हो नाखन zwjयो िढ़ ह यह हमारी पशता क अिशष ह म भी पछा ह-जान हो य असतर-शसतर zwjयो िढ़ रह ह य हमारी पशता की वनशानी ह सिराज होन क िाद सिभािः ही हमार ना और विचारशील नागररक सोचन लग ह वक इस दश को सचच अथप मा

३ नाखन कzwjो बढ़त ह

- आचारय हजारीपरसाद द बििदी

परसत िचाररक वनिाध म आचायप हजारीपरसाद न नाखन िढ़न को पशता का वचह न माना ह नाखन पशता ितराइयो का परीक ह आपका कहना ह वक वजस रह नाखन िढ़न पर हम उस काि द ह ठीक उसी रह यवद वकसी म ितरी आद आ जाए ो उनह तयाग दना चावहए

जनम ः १९०७ िवलया (उपर)मतzwjय ः १९8९ (उपर)परिचzwj ः द वििदी जी वहादी सावहतय क मौवलक वनिाधकार उतकषि समालोचक एिा साासकवक विचारधारा क परमतख उपनयासकार ह आपका वयवzwjति िड़ा परभािशाली और आपका सिभाि िड़ा सरल और उदार था आप वहादी अागजी सासक और िाागला भाषाओ क विद िान थ परमयख कमतzwjा ः lsquoअशोक क फलrsquo lsquoकzwjपलाrsquo (वनिाध) lsquoिाणभि ि की आतमकथाrsquo lsquoपतननपिाrsquo (उपनयास) आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

सद गतणो और दगतपणो म अार वलखो

7

सखी कस बनाया जाए हमारी परपरा मवहमामयी और ससकार उजजवल ह कयोवक अपन आप पर अपन आप द वारा लगाया हआ बधन हमारी ससककवzwjत की बहzwjत बड़ी ववशषzwjता ह

मनषय पश स वकस बाzwjत म वभनन ह उसम सयम ह दसर क सख-दख क परवzwjत समवदना ह शरद धा ह zwjतप ह तयाग ह इसीवलए मनषय झगड़-टट को अपना आदशश नही मानzwjता गसस म आकर चढ़-दौड़न वाल अवववकी को बरा समझzwjता ह वचन मन एव शरीर स वकए गए असतयाचरण को गलzwjत मानzwjता ह

ऐसा कोई वदन आ सकzwjता ह जब मनषय क नाखनो का बढ़ना बद हो जाएगा परावणशावसतरयो का ऐसा अनमान ह वक मनषय का अनावशयक अग उसी परकार झड़ जाएगा वजस परकार उसकी पछ झड़ गई ह उस वदन मनषय की पशzwjता भी लपत हो जाएगी शायद उस वदन वह मरणासतरो का परयोग भी बद कर दगा नाखन का बढ़ना मनषय क भीzwjतर की पशzwjता की वनशानी ह और उस नही बढ़न दना मनषय की अपनी इचछा ह अपना आदशश ह

मनषय म जो घणा ह जो अनायास वबना वसखाए आ जाzwjती ह वह पशतव का द योzwjतक ह अपन को सयzwjत रखना दसर क मनोभावो का आदर करना मनषय का सवधमश ह बच यह जान zwjतो अचछा हो वक अभयास और zwjतप स परापत वसzwjतए मनषय की मवहमा को सवचzwjत करzwjती ह

मनषय की चररzwjताथशzwjता परम म ह मतरी म ह तयाग म ह अपन को सबक मगल क वलए वनःशष भाव स द दन म ह नाखनो का बढ़ना मनषय की उस अध सहजाzwjत ववतzwjत का पररणाम ह जो उसक जीवन म सफलzwjता ल आना चाहzwjती ह उसको काट दना उस सववनधाशररzwjत आतमबधन का फल ह जो उस चररzwjताथशzwjता की ओर ल जाzwjती ह

नाखन बढ़zwjत ह zwjतो बढ़ मनषय उनह बढ़न नही दगा

मानवीय मलय वाल शबदो का चाटश बनाओ इन शबदो म स वकसी एक शबद स सबवधzwjत कोई परसगघटना सनो और सनाओ

lsquoसरका हzwjत शसतरो की भरमारrsquo ववषय क पक-ववपक म अपन ववचार वलखो

ववववध सवदनशील मद दोववषयो (जस-जावzwjत धमश रग वलग रीवzwjत-ररवाज) क बार म अपन वशकक स परशन पछो

पाठ यसामगी और अनय पठन सामगी का दzwjत वाचन करक उनम आए ववचारो पर सहपावठयो स चचाश करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

8

(२) परतीक मzwjलखो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मनतषय की चरराथपा इन दो िाो म ह ः- (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------२ मनतषय का सिधमप यह ह ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------३ मनतषय को नाखनो की जरर ि थी ः (अ) ------------------------- (आ)-----------------------------

नाखनो का बढ़ाना नाखनो को कािना

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

मनतषय म पशतति स वभना दशापन िाली िा

(१) मनमन शबदो क मzwjलग पहचानकि मzwjलखो - आतमा वयवzwj िादल ार नोि नाखन पतसक वकया दही

(२) अरण क अनयसाि वाकzwjो क परकाि ढढ़कि मzwjलखो

उपzwjोमजत zwjलखन वकसी मौवलक मराठी विजापन का वहादी म अनतिाद करो

शरीर क विवभन अागो स सािावध मतहािरो की अथप सवह सची िनाओ

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शबद वामिकावनमानयष = िादर की एक परजाव पाशवी = पशतिमनबबोध = अजानआचिर = िापि वयिहार

zwjलयपत = गायि घरा = नफरद zwjोतक = परीकचरितारणता = साथपका

8

9

4 गाव-शहि

- परदीप शकल

जनम ः १९६७ लखनऊ (उपर) परिचzwj ः कवि परदीप शतzwjल जी को वहादी कविा क परव विशष शद धा ह आप कविा को एक साधना क रप म दख ह वहादी की विविध पतर-पवतरकाओ म आपकी रचनाए छपी रही ह परमयख कमतzwjा ः lsquoअममा रही गाि मrsquo (निगी सागह) lsquoगतzwjल का गािrsquo (िालगी सागह) आवद

परसत निगी म कवि परदीप शतzwjल जी न गाि और शहर क ददप को दशापया ह यहा शहरो की भीड़-भाड़ भागम-भाग गाि स शहरो की रफ पलायन गािो का शहरीकरण आवद का िड़ ही मावमपक ढाग स िणपन वकया ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

िदला-िदला-सा मौसम हिदल-स लग ह सतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर वल रखन की जगह नही ह शहर ठसाठस भर हए उधर गाि म पीपल क ह सार पत झर हए मिटो क खाभ क नीचरा गतजार परमसतर दीदा फाड़ शहर दखागाि दखा िकर-िकर इधर शहर म सारा आलम आख खतली िस दौड़ रहा

िहा रवडयो पर सिशन रामदीन ह जोह रहा उनकी िा सतनी ह जिस वदल करा ह धतकर-पतकर सतरसवया क दोनो लड़कसर गए कमान गह क खो म लवकनवगzwjली लगी घमान लगड़ाकर चली ह गया सड़को न खा डाल खतर दीदा फाड़ शहर दखा गाि दखा िकर-िकर

lsquoभारीय सासकव क दशपन दहाो म हो हrsquo इस थय पर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

10

(१) तयzwjलना किो ः

गाव शहि------------------------

------------------------

अ१ मिटो२ पीपल

उतति------------

आगािकसिाशहर

(२) उमचत जोमड़zwjा ममzwjलाओ ः सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

(३) कमत परण किो ः (4) एक शबद म उतति मzwjलखो ः१ लगड़ाकर चलन िाली -२ पत झरा हआ िक -३ िदल-स लग ह -4 जहा वल रखन की जगह नही ह

िक और पाछी क िीच का सािाद वलखो

१ गाि का दखना

२ शहर का दखना

शबद वामिकादीदा = आख दवषि वनगाह पिमसयि = परमिर (एक नाम)आzwjलम = दवनया जग जहान

मगलzwjली = वगलहरीगzwjा = गायघमाना = धप खाना

यााया क वनयम सााकवक वचह न एिा हzwjमि की आियका आवद क चािपस िनाकर विद यालय की दीिार सतशोवभ करो

उपzwjोमजत zwjलखन

पाठ यपतसक क पाठो स विलोम और समानाथथी शबद ढढ़कर उनकी सची िनाओ और उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

11

सतिह का समय था म डाzwjिर रामकमार िमाप जी क परयाग सिशन खसथ वनिास lsquolsquoमधतिनrsquorsquo की ओर परी रफार स चला जा रहा था zwjयोवक १० िज उनस वमलन का समय य था

िस ो मन डाzwjिर साहि को विवभन उतसिो सागोवषठयो एिा सममलनो म दखा था परात इन वनकि स मतलाका करन का यह मरा पहला अिसर था मर वदमाग म विवभन विचारो का जिार उठ रहा था- कस होग डाzwjिर साहि कसा वयिहार होगा उस सावहतय मनीषी का आवद इन माम उठ और िठ विचारो को वलए मन उनक वनिास सथान lsquoमधतिनrsquo म परिश वकया काफी साहस करक दरिाज पर लगी घािी िजाई नौकर वनकला और पछ िठा lsquolsquozwjया आप अनतराग जी ह rsquorsquo मन उतर मा वसफफ lsquoहाrsquo कहा उसन मतझ डटाइाग रम म विठाया और यह कह हए चला गया वक lsquolsquoडाzwjिर साहि आ रह ह rsquorsquo इन म डॉzwjिर साहि आ गए lsquolsquoअनतराग जी कस आना हआ rsquorsquo आ ही उनहोन पछा

मन कहा lsquolsquoडाzwjिर साहि कछ परसाग जो आपक जीिन स सािावध ह और उनस आपको जो महतिपणप पररणाए वमली हो उनही की जानकारी हत आया था rsquorsquo

डाzwjिर साहि न िड़ी सरला स कहा lsquoअचछा ो वफर पवछए rsquoपरशन ः डाzwjिर साहि कावय-रचना की पररणा आपको कहा स

और कस परापत हई इस सादभप म कोई ऐसा परसाग िान का कषट कर वजसन आपक जीिन क अाराग पहलतओ को महतिपणप मोड़ वदया हो

उतति ः पहल ो मर जीिन म समाज की अाध वयिसथा क परवविदरोह अपन आप ही उवद हआ सन १९२१ मा जि म किल साढ़ पादरह िषप का था गााधीजी क असहयोग आादोलन म पाररिाररक एिा सामावजक वयिधानो स साघषप कर हए मन भाग वलया उस समय सकल छोड़न की िा ो सोची भी नही जा सकी थी मगर मधय परदश क अागप नरवसाहपतर म मौलाना शौक अली साहि आए और िोल lsquolsquoगााधीजी न कहा ह वक अागजी की ालीम गतलाम िनान का एक नतसखा ह rsquorsquo तपचा आिाज ज कर हए कहन लग lsquolsquoह कोई माई का लाल जो कह द वक म कल स सकल नही जाऊगा rsquorsquo मन अपनी मा क आग िड़ी ही शद धा स सकल न जान की घोषणा कर दी सभी लोग सक म आ गए िा भी अजीि थी वक उन वदनो एक वडपिी कलzwjिर का लड़का विदरोह कर जाए लोगो न िह समझाया वपा जी की

- अनराग िमाय

5 मधयबन

परसत पाठ म शी अनतराग िमाप न परवसद ध लखक डॉ रामकमार िमाप जी का साकातकार वलया ह यहा अनतराग जी न डॉ िमाप जी स उनकी कावय रचना की पररणा लौवकक-पारलौवकक परम दश की राजनीवक खसथव आवद पर परन पछ ह डॉ िमाप जी न इन परनो क िड़ी ििाकी स उतर वदए ह

परिचzwj ः अनतराग िमाप जी न वहादी म विपतल लखन वकया ह आपकी भाषा धारा परिाह सरल एिा आशय सापन होी ह आप वहादी क जान-मान लखक ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

lsquoकहावनयोकविाओ द िारा मनोराजन था जान पराखपत होी हrsquo इसपर अपन म वलखो

मौमzwjलक सजन

12

नौकरी की िा कही परात म घर स वनकल पड़ा zwjयोवक गााधीजी का आदश मानना था इस परकार सिपपरथम मन सतय एिा दश क वलए विदरोह वकया ि क म सोलह िषप का हो चतका था और राषटटीय धिज लकर नगर म परभा फरी भी वकया करा था यह िा सन १९२१ की ही ह और इसी समय मन दशपरम पर एक कविा वलखी यही मरी कविा का मागलाचरण था

परशन ः आप मधय परदश स उतर परदश कस आए उतति ः वहादी परम न मतझ मधय परदश स उतर परदश आन को पररर

वकया zwjयोवक उन वदनाा नागपतर वििविद यालय म वहादी नही थी सन १९२5 मा मन इािर की परीका उतीणप की तपचा उचच वशका हत परयाग वििविद यालय म परिश ल वलया मन इसी वििविद यालय स एमए की परीका परथम शणी म उतीणप की

मन दखा वक डाzwjिर साहि क चहर पर गाभीरा क भाि साफ परवविावि हो रह ह ऐसा परी हो रहा था जस ि अपन अी मा खो-स गए ह मन पतनः सिाल वकया

परशन ः डॉzwjिर साहि परायः ऐसा दखा गया ह वक कवियो एिा लखको क जीिन म उनका लौवकक परम पारलौवकक परम म िदल गया zwjया आपक साथ भी ऐसा हआ ह

उतति ः अनतराग जी परम मनतषय की एक पराकवक परिखत ह सन १९२६ मा मरा वििाह हो गया और म गहसथ जीिन म आ गया अि मतझ साखतिका एिा नवका स परम हो गया मन इसी समय यानी सन १९३० म lsquolsquoकिीर का रहसयिादrsquorsquo वलखा इना अिय ह वक मर जीिन क कछ अनतभि कविा क माधयम स परवष हए मतझ िचपन स ही अवभनय का शौक था और परायः उतसिो क अिसर पर नािको म भाग भी वलया करा था

मन िा आग िढ़ाई और पछा परशन ः डॉzwjिर साहि दश की राजनीवक खसथव क िार म आपकी

zwjया राय ह उतति ः म राजनीव स हमशा दर रहा zwjयोवक आज की राजनीव म

खसथरा का अभाि ह यद यवप म नहर जी शासतरी जी इावदरा जी एिा मोरारजी भाई स वमल चतका ह और उनस मरा पररचय भी ह परात मन राजनीव स अपन आपको सदा दर रखा मतझ राजनीव म कोई रवच नही ह म सावहतयकार ह और सावहतय वचान म वििास रखा ह

इना कह हए डॉzwjिर साहि न घड़ी दखी और िोल lsquolsquoअनतराग जी मतझ साढ़ गयारह िज एक कायप स जाना ह rsquorsquo तपचा उनहोान मतझ एक कशल अवभभािक की भाव आशीिापद द हए विदा वकया

साकातकार लन क वलए वकन-वकन परनिाचक शबदो का परयोग हो सका ह सची यार करो परतयक शबद स एक-एक परन िनाकर वलखो

द विभाषी शबदकोश पढ़कर उसक आधार पर वकसी एक पाठ का द विभाषी शबदकोश िनाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

य-ि यि पर सा किीर क दोह सतनो और सतनाओ

lsquoििी िचाओ-ििी पढ़ाओrsquo पर पथनाि य परसत करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

13

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

(२) कािर मzwjलखो ः१ डॉzwjिर साहि का राजनीव स दर रहन का कारण-२ डॉzwjिर साहि का मधयपरदश स उतर परदश आन क वलए पररर होन का कारण -

(३) कमत किो ः

------------

---------------

पाठ म परयतzwj भपिप परधानमावतरयो

क नाम वलखो

शबद वामिकासगोषठी = वकसी विषय पर विशषजो का चचापसतर ताzwjलीम = वशका उपदश

मयहावि जवाि उठना = विचारो की हलचलसकत म आना = घिराना अव भयभी होना

रामकमार जी क जीिन की घिनाएवििाह

१९३०

१९२5

मनमन शबदो स कदततद मधत बनाओ ःवमलना ठहरना इनसान शौक दना कहना भाि िठना घर धन

अारजाल स डॉ रामकमार िमाप जी स सािावध अनय सावहवतयक जानकाररया परापत करो

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अपन विद यालय म आयोवज विजान परदशपनी क उद घािन समारोह का परमतख मतद दो सवह िताा लखन करो उपzwjोमजत zwjलखन

गााधीजी क असहयोग आादोलन म भाग

गहसथ जीिन म इनस परम हआ

14

६ जिा पzwjाि स बोzwjलना सीख zwjलीज

- रमश दतzwjत शमाय

जनम ः १९३९ जलसर एिा (उपर)मतzwjय ः २०१२परिचzwj ः शमाप जी पचास िषयो स पतर-पवतरकाओ रवडयो और िीिी क माधयम स िजावनक दवषिकोण का परचार-परसार कर रह आपको विजान लखन म दजपन स अवधक पतरसकार वमल चतक ह आप कका सािी-आठिी स ही सथानीय मतशायरो म lsquoचचा जलसरीrsquo क नाम स वशरक करन लग थ

परसत गजल क शरो म शमाप जी न परम स िोलना सही समय पर िोलना िोलन स पहल विचार करना आतमवनयातरण रखना मधतरभाषी होना आवद गतणो को अपनान क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक हमशा होठ सीकर िठना उवच नही ह आियकानतसार आकोश परकि करना भी जररी ह

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoिाणी की मधतरा सामन िाल का मन जी ली ह rsquo इस थय पर अपन विचार वलखा

कलपना पलzwjलवन

१4

िाणी म शहद घोलना सीख लीजजरा पयार स िोलना सीख लीज

चतप रहन क यारो िड़ फायद हजतिा िzwj पर खोलना सीख लीज

कछ कहन स पहल जरा सोवचएखयालो को खतद ौलना सीख लीज

-ड़ाक हो या वफर हो - म-मअपन आपको िोकना सीख लीज

पिाख की रह फिन स पहलरोशनी क राग घोलना सीख लीज

कि िचन ो सदा िो ह कािमीठी िोली क गतल रोपना सीख लीज

िा ििा कोई चतभन लग ोिदलकर उस मोड़ना सीख लीज

य वकसन कहा होठ सीकर क िठो जरर प मतह खोलना सीख लीज

15१5

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

(4) कमवता की अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(5) कमवता म आए इस अरण क शबद मzwjलखो ः

(२) उतति मzwjलखो ः१ काि िोन िाल -२ चतभन िाली -३ फिन िाल -

(३) चयप िहन क चाि िाzwjद मzwjलखो ः१ २ ३ 4

कवि न इन िाो को सीख लन को कहा ह

lsquoयााया की समसयाए एिा उपायrsquo विषय पर वनिाध वलखो

उपसगणपरतzwjzwj अzwjलग किक मzwjल शबद मzwjलखो ः भारीय आसथािान वयवzwjति सनवहल ििा वनरादर परतयक सतयोग

अथप शबद(१)(२)(३)(4)

मधतकड़िविचार

आियका

------------------------------------

शबद वामिकाबबात = विना िा सीकि = वसलकर

जयबा = जीभ मतह िोपना = िोना

वहादी सापतावहक पवतरकाएसमाचार पतरो स पररक कथाओ का साकलन करो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

16

२३ जलाई सबह-सबह ही समाचार वमला रजा साहब नही रह और यह सनzwjत ही मानस पटल पर यादो की एक कzwjतार-सी लग गई

वपछल फरवरी की ही बाzwjत ह म वदलली पहची थी अपनी lsquoगणपवzwjत परदशशनीrsquo क वलए सोच रही थी वक रजा साहब शायद अपनी वहीलचअर पर मरी परदशशनी क उद घाटन क अवसर पर आ जाए पर उस राzwjत कछ अनहोनी-सी हई उस राzwjत रजा साहब सपन म आए मझ उठाया हमन बाzwjत की शो क वलए मझ उनहोन शभकामना दी और कहन लग सजाzwjता एक बार मझस वमलन आ जाओ अब म जान वाला ह इसक बाद zwjतो रकना मशशकल था म पहच गई उनस वमलन व असपzwjताल म शनय की zwjतरह लट हए थ मन उनक हाथो को छआ वसफफ सास चल रही थी अलववदा कहकर लौट आई

रजा साहब अपन धमश क साथ-साथ उzwjतन ही वहद और ईसाई भी थ उनक सटवzwjडयो म गणपवzwjत की मवzwjतश करॉस बाइबल गीzwjता करान उनकी मा का एक फाटो गाधीजी की आतमकथा व भारzwjत स लाई हई मोगर की कछ सखी मालाए सब एक साथ रखा रहzwjता था व गणश को भी पजzwjत थ और हर रवववार को सबह चचश भी जाzwjत थ

एक वदन जहागीर आटश गलरी म परदशशनी दखzwjत हए वकसी न कहा अर यह zwjतो एसएच रजा ह म एकदम सावधान हो गई कयोवक मरी सची म उनका भी नाम था मन उनक पास जाकर कहा-lsquolsquoरजा साहब आपस बाzwjत करनी ह rsquorsquo व दखzwjत ही रह गए उनहोन मझ इटरवय वदया बहzwjत सारी बाzwjत हई अचानक मझस पछन लग वक आप और कया-कया करzwjती ह मन कहा lsquolsquoम कलाकार ह पट करzwjती ह rsquorsquo व zwjतरzwjत खड़ हो गए और कहन लग lsquolsquoचलो zwjतमहारा काम दखzwjत ह rsquorsquo

म सोच म पड़ गई-मरा काम zwjतो पण म ह उनह बzwjताया zwjतो व बोल lsquolsquoचलो पण rsquorsquo zwjताज होटल क सामन स हमन टकसी ली और सीध पण पहच उनहोन मरा काम दखा और वफर कहा- lsquolsquoआपको पररस आना ह आपका भववषय बहzwjत उजजवल ह rsquorsquo

छोटी-स-छोटी बाzwjत भी उनक वलए महततवपणश हआ करzwjती थी बड़ी zwjतनमयzwjता और लगन क साथ करzwjत थ सब कछ पवटग वबकन क बाद पवकग म भी उनकी रवच हआ करzwjती थी कोई इस काम म मदद करना चाहzwjता zwjतो मना कर दzwjत थ वकसी को हाथ नही लगान दzwjत थ बड़ करीन स धयश क साथ व पवकग करzwjत कहzwjत थ- lsquolsquoलड़की ससराल

७ मर रजा साहि - सजाता बजाज

परसzwjतzwjत पाठ म परवसद ध वचतरकार सयद हदर रजा क बार म लशखका सजाzwjता बजाज न अपन ससमरण वलख ह यहा रजा साहब क सवशधमशसमभाव मानवमातर स परम यवा कलाकारो को परोतसाहन उनकी वजजासाववतzwjत ककवzwjतयो क परवzwjत लगाव आवद गणो को दशाशया ह इस पाठ म एक सच कलाकार क दशशन होzwjत ह

जनम ः १९58 जयपर (राजसथान) पररचzwjय ः सजाzwjता बजाज जी एक परवसद ध वचतरकार ह आजकल आप पररस म रहzwjती ह आपक वचतर एव मवzwjतशकला भारzwjतीय रग म zwjडबी हई रहzwjती ह आपक वचतरो एव मवzwjतशया पर पराचीन ससककवzwjत एव कला की छाप वदखाई पड़zwjती ह आपन अपनी कला म ऐसी दवनया का सजन वकया ह वजसम सादगी भी ह और रगीनी भी खशी भी ह और गम भी परमख कनतzwjया ः सजाzwjता जी द वारा बनाए गए lsquoगणश जी क वचतरो पर आधाररzwjतrsquo एक पसzwjतक परकावशzwjत

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

lsquoकला स परापत आनद अवणशनीय होzwjता ह rsquo इसपर अपन मzwjत वलखो

मौनलक सजि

17

जा रही ह उस सभालकर भजना ह rsquorsquo जि ि वकसी को पतर वलख या कछ और वलख थ ो म पवछए हर शबद हर पावzwj का नाप-ौलकर वलख थ फल उनह िह पयार लग थ

मतझ याद ह २२ अzwjिर १९88 को म लादन स पररस क गारदीनो सिशन पर िटन स पहची थी रजा साहि सिशन पर मरा इाजार कर रह थ िटन लि थी पर ि िही डि रह मतझ मर होसिल क कमर म छोड़कर ही ि गए

एक वदन म िीमार होकर अपन कमर म पड़ी थी रा गयारह िज रजा साहि मर वलए दिा भारीय रसिा रि स खाना पक करिाकर पहच गए मर घरिालो को फोन करक कहा-lsquolsquoआप लोग वचाा न कर म ह पररस म सतजाा की वचाा करन क वलए rsquorsquo

हर िार जि म या रजा साहि पविाग परी कर ो सिस पहल एक-दसर को वदखा थ दोनो एक-दसर क ईमानदार समालोचक थ हमन मतािई लादन पररस और नययॉकफ म साथ-साथ परदशपवनया की पर कभी कोई वििाद नही हआ यह उनक सनह ि अपनपन क कारण ही था

वहादी उदप ो हमशा स ही िह अचछी रही ह उनकी अागजी-फच भी ि िह अचछी वलख थ कविाओ स िह पयार था उनह शर-गजल ि पतरान वहादी वफzwjमी गान िड़ पयार स सतन थ एक डायरी रख थ अपन पास हर सतादर चीज को वलख वलया कर उसम मरी ििी हलना िह खिसर वहादी िोली थी ो उनह िह गिप होा था ि हमशा उसक साथ शतद ध वहादी म ही िा कर

रजा साहि को अचछा खान का िह शौक था पर दाल-चािल रोिी-आल की सबजी म जस उनकी जान अिकी रही थी म हफ मा एक िार भारीय शाकाहारी खाना िनाकर भजी थी उनक वलए उनक फाासीसी दोसो क वलए

रजा साहि क कछ पतरान फाासीसी दोसो को उनक जान की खिर दन गई ो वफर स एक िार उनकी दीिारो पर रजा साहि की काफी सारी कवया दखन का मौका वमल गया म हमशा कही रजा साहि आप मर lsquoएनजल गारवजयनrsquo ह ो मतसकरा द पर सन २००० क िाद स कह lsquozwjयो अि हमारी भवमका िदल गई ह-तम मरी एनजल गावजपयन हो अि म नही rsquo

हसकला परदशपनी म वकसी मानयिर को अधयक क रप म आमावतर करन क वलए वनमातरण पतर वलखो

अारजाल स गावफzwjस िडप आिप वपzwjिोगाफ सािाधी जानकारी पढ़ो और उनका परयोग कहा-कहा हो सका ह यह िाओ

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

दरदशपन पर वकसी कलाकार का साकातकार सतनो और कका म सतनाओ

शरवरीzwj

वकसी परवसद ध वचतर क िार म अपन वमतरो स चचाप करो

सभाषरीzwj

18

सचनानयसाि कमतzwjा किो ः-(१) सजाzwjल परण किो ः (३) सची तzwjाि किो ः

१ पाठ म आए विविध दशो क नाम २ पाठ म उवzwjलखख विविध भाषाए

(२) कमत परण किो ः

(4) कमत परण किो ः

पाठ यपतसक स दस िाzwjय चतनकर उनम स उद दय और विधय अलग करक वलखो

lsquoजहा चाह होी ह िहा राह वनकल आी हrsquo इस सतिचन पर आधारर अससी शबदो क कहानी वलखखए

रजा साहि की सिभािग विशषाए

दोनो न वमलकर वचतरो की परदशपवनया

यहा की थी

वकसी गायकगावयका की सवचतर जानकारी वलखो

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

शबद वामिकाकिीन स = रीक स सलीक स समाzwjलोचक = गतण-दोष आवद का परवपादन करन िाला

मजजासा = उतसतका अनहोनी = असाभि न होन िाली

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

खान की इन चीजो म रजा साहि की जान अिकी रही

१8

19

8 परण मवशराम

जनम ः १९३5 लाहौर (अविभावज भार)परिचzwj ः आप सफल सापादक लखक और कवि ह सरल-सतिोध भाषा और रोचक िोधगमय शली आपक लखन की विशषाए ह लखन वयािहाररक ह आपन वयवzwjति और चररतर वनमापण पर अवधक िल वदया ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसिातरापिप चररतर वनमापणrsquo lsquoमानवसक शवzwj क चमतकारrsquo lsquoसफल जीिनrsquo (लखसागह) lsquoिीर सािरकरrsquo lsquoिीर वशिाजीrsquo lsquoसरदार पिलrsquo lsquoमहातमा गााधीrsquo (जीिन चररतर) आवद

परसत हासय-वयागय कहानी क माधयम स कहानीकार न यह समझान का परयास वकया ह वक जीिन की आपा-धापी म विशाम क पल मतखकल स ही वमल ह जि कभी ऐस अिसर वमल भी ह ो घरल उलझनो क कारण हम उन पलो का आनाद नही उठा पा

- सतरकाम बिद रालकार

डाzwjिर न िाह पर काला कपड़ा लपिा और रिड़ की थली स हिा फककर नाड़ी की गव दखी वफर िोला lsquolsquoकछ सीररयस नही ह दफर स छि िी लकर िाहर हो आइए विशाम आपको पणप वनरोग कर दगा लवकन विशाम भी पणप होना चावहएrsquorsquo ो पतनी िड़ी परसन हई

घर जाकर शीमी जी स कह वदया ः lsquolsquoजतह की यारी कर लो हम दो वदन पणप विशाम करग rsquorsquo

एक वदन िाद पवणपमा भी थी चादनी रा का मजा जह पर ही ह एक वदन पहल आधी रा स ही उनहोन यारी शतर कर दी दो िज का अलामप िल लग गया सिया िह दो स पहल ही उठ िठी और कछ नोि करन लगी

शीमी जी न इन सि कामो की सची िनाकर मर हाथ म दी गरज म पहचकर शीमी जी न मोिर म हिा भरन की वपचकारी

ि यि िाल रिड़ सोzwjयशन एक गलन इावजन आयल आवद-आवद चीज और भी वलखी थी वदन भर दौड़-धप करक पायधतनी स वमसतरी लाया सतिह स शाम हो गई मगर शाम क चार म स दो खखड़वकयो की चिखवनया भी नही कसी गई मोिर क वलए जररी सामान ला-ला रा क वदल की धड़कन दगतनी हो गई थी

रा को सोन लग ो शीमी जी न आिासन द हए कहा ः lsquolsquoकल जतह पर वदन भर विशाम लग ो थकािि दर हो जाएगी rsquorsquo

शीमी जी न अपन करकमलो स घड़ी की घताडी घतमाकर अलामप लगा वदया और खतद िाहर जाकर मोिर का परा मतआयना करक यह सzwjली कर ली वक सची म वलखा सि सामान आ गया या नही सतिह पाच िज ही अलामप न शोर मचाया

रोशनी हो न हो जतह की यारी चरम सीमा पर पहच गई सिोि को भी आज ही धोखा दना था िह हर वमनि ितझन लगा आधा घािा उसम ल भरन धौकनी करन म चला गया आखखर चाय का परोगाम सथवग कर वदया गया और हम दतवचत हो यारी म जति गए िािरल जान स पहल नपोवलयन न भी ऐसी यारी न की होगी

ऐसी मह योजनाओ क सापन करन म हम पव-पतनी परसपर सहयोग भािना स काम करन पर वििास रख ह सहयोग भािना

गद zwj सबधी

परिचzwj

20

हमार जीिन का मलमातर ह सहयोग मन िचन कमप इन ीनो स होा ह जीिन का यह मलमातर मतझ भला न था शीमी जी मतझ मर कामो की याद वदलान लगी और म उनक उपकार क िदल उनकी वचााओ म हाथ ििान लगा मन याद वदलाया-lsquolsquoपवड़यो क साथ वमचथी का अचार जरर रख लना rsquorsquo

शीमी जी िोली lsquolsquoअचार ो रख लगी पर तम भी समाचार पतर रखना न भल जाना मन अभी पढ़ा नही ह rsquorsquo म िोला ः lsquolsquoिह ो म रख लगा ही लवकन तम िह गतलिाद न भल जाना जो हम वपछल साल कमीर स लाए थ जतह पर िड़ी सदप हिा चली ह rsquorsquo

lsquolsquoगतलिाद ो रख लगी लवकन तम कही िवदाग सि रखना न भल जाना नही ो नहाना धरा रह जाएगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर तम कही रिर कप भल गई ो गजि हो जाएगा rsquorsquolsquolsquoिह ो रख लगी लवकन कछ नोि पपर वलफाफ भी रख लना

और दखो राइविाग पड भी न भल जाना rsquorsquolsquolsquoराइविाग पड का zwjया करोगी rsquorsquolsquolsquoकई वदन स मा की वचि ठी आई पड़ी ह जतह पर खाली िठ जिाि

भी द दगी यो ो िzwj भी नही वमला rsquorsquolsquolsquoऔर जरा ि वचि वठया भी रख लना वजनक जिाि दन ह

वचि वठया ही रह गई ो जिाि वकसक दोग rsquorsquo lsquolsquoऔर सतना विजली क विल और िीमा क नोविस आ पड़ ह

उनका भी भतगान करना ह उनह भी डाल लना rsquorsquolsquolsquoउस वदन तम धप का चमा भल गए ो सर का ददप चढ़ गया

इसवलए कही ह छरी भी रख लना rsquorsquolsquolsquoअचछा िािा रख लगा और दखा धप स िचन की कीम भी रख

लना शाम क छाल न पड़ जाए िहा िह करारी धप पड़ी ह rsquorsquoशीमी जी कही ो जा रही थी वक रख लागी रख लगी लवकन

ढढ़ रही थी नलकिर कची बरश और सि ो वमल गया था लवकन नलकिर नही वमल रहा था इसवलए िह घिराई हई थी

मन कहाः lsquolsquoजान दो नलकिर िाकी सि चीज ो रख लो rsquorsquoइधर म अपन वलए नया अखिार और कछ ऐसी वकाि थल मा भर

रहा था जो िह वदनो स समालोचना क वलए आई थी और सोचा था वक फरस स समालोचना कर दगा आखखर ीन वकाि थल म झोक ली कई वदनो स कविा करन की भी धतन सिार हई थी उनकी कई करन इधर-उधर विखरी पड़ी थी उनह भी जमा वकया सोचा कावय पररणा क वलए जतह स अचछी जगह और कौन-सी वमलगी

दरदशपन रवडयो य-ि यि पर हासय कविा सतनो और सतनाओ

पयपिन सथलो पर सर करन क वलए जा समय िरी जान िाली सािधावनयाा की सची िनाओ

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजन

21

आखखर कई अिची कई थल कई झोल भरकर हम जतह पहच पाच-सा वमनि ो हम सिपनलोक म विचर रह हम समतदर म नहान को चल पड़ समतदर ि पर और लोग भी नहा

रह थ एक ऊची लहर न आकर हम दोनो को ढक वलया लहर की उस थपड़ स न जान शीमी जी क मवसषक म zwjया नई सफवप आ गई वक उनहोन मतझस पछा ः lsquolsquoतमह याद ह िरामद की खखड़की को तमन अादर स िाद कर वदया था या नही rsquorsquo

म कह उठा lsquolsquoमतझ ो कछ याद नही पड़ा rsquorsquolsquolsquoअगर िह िाद नही हई और खतली ही रह गई ो zwjया होगा rsquorsquo

कह-कह शीमी जी क चहर का राग पीला पड़ गया मन कहा lsquolsquoचलो छोड़ो अि इन वचााओ को जो होना होगा हो

जाएगा rsquorsquoमरी िा स ो उनकी आखो म आसतओ का समतदर ही िह पड़ा उनक काप ओठो पर यही शबद थ lsquolsquoअि zwjया होगा rsquorsquo

lsquolsquoऔर अगर खखड़वकया खतली रह गई होगी ो घर का zwjया होगा rsquorsquo यह सोच उनकी अधीरा और भी जयादा होी जा रही थी वजस धड़कन का इलाज करन को जतह पर आया था िह दस गतना िढ़ गई थी मन जी स मोिर चलाई मोिर का इावजन धक-धक कर रहा था लवकन मरा वदल उसस भी जयादा ज रफार स धड़क रहा था वजस रफार स हम गए थ दनी रफार स िापस आए अादर आकर दखा वक खखड़की की चिखनी िदसर लगी थी सि ठीक-ठाक था मन ही िह लगाई थी लवकन लगाकर यह भल गया था वक लगाई या नही और इसका नीजा यह हआ वक पहल ो मर ही वदल की धड़कन िढ़ी थी अि शीमी जी क वदल की धड़कन भी िढ़ गई मतझ याद आ रह थ lsquoपणप विशामrsquo और lsquoपणप वनरोगrsquo साथ ही यह वििास भी पzwjका हो गया था वक वजस शबद क साथ lsquoपणपrsquo लग जाा ह िह lsquoपणप भयािहrsquo हो जाा ह

परमचाद की कोई कहानी पढ़ो और उसका आशय अपन शबदो म वयzwj करो

पठनीzwj

lsquoसड़क सतरका सपताहrsquo क अिसर पर यााया क वनयमो क िनसप िनाकर विद यालय की दीिारो पर लगाओ

zwjलखनीzwj

वकसी दकानदार और गाहक क िीच का सािाद परस त करो

सभाषरीzwj

शबद वामिकाधौकनी किना = हिा भरना झलzwjलाना = िह विगड़ जाना झताझलाना

मयहावि आखो स ओझzwjल होना = गायि हो जानाहार बिाना = सहाया करनाचहि का िग पीzwjला पड़ना = घिरा जानाधयन सवाि होना = लगन होना

22

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः

(२) परवाह तामzwjलका परण किो ःजतह जा िzwj साथ मा ली गई िस तए

मनमनमzwjलखखत समोचारित मभनारणक महदी शबदो क अरण मzwjलखो तरा उन शबदो का अzwjलग-अzwjलग परण वाकzwjो म परzwjोग किा ः हार िार हल सीना जिार सतमन

गरज की सची म वलखी हई चीज

(३) मzwjलखो ःपयापयिाची शबद ः

ऐनक रा अखिार घर

भाषा मबद

पराचीन काल स आज क परचवल सादश िहन क साधनो की सवचतर सची यार करो सवzwj अधzwjzwjन

वदनााक ःपरव विषय ःसादभप ः महोदयविषय वििचन

भिदीयभिदीयानाम ः पा ः ई-मल आईडी ः

पतर का परारप (औपचारिक पतर)

कोई सापतावहक पवतरका अवनयवम रप म परापत होन क विरोध म वशकाय कर हए सापादक को वनमन परारप म पतर वलखो ःउपzwjोमजत zwjलखन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

23

यहा सा किीरदास न अपन दोहो म मनतषय को सद गतणो को अपनाकर आग िढ़न को कहा ह

भzwj सरदास रवच यह पद lsquoसरसागरrsquo महाकावय स वलया गया ह इसम शीकषण की िालसतलभ लीलाओ का िणपन वकया ह

९ अनमोzwjल वारी- सzwjत किीर- भकzwjत सरदास

परिचzwj

पद zwj सबधी

जसा भोजन खाइए सा ही मन होय

जसा पानी पीवजय सी िानी होय

ऐसी िानी िोवलए मन का आपा खोय

औरन को शील कर आपौ शील होय

ितरा जो दखन म चला ितरा न वमवलया कोय

जो वदल खोजा अापना मतझसा ितरा न कोय

(सा किीर)

IacuteIacute IacuteIacute

मया किवहा िढ़गी चोिी

वकी िार मोवहा दध वपय भई यह अजह ह छोिी

जो कहव िल की िनी जयौ ह ि ह लािी-मोिी

काचौ दध वपयाि पवच-पवच द न माखन-रोिी

सर सयाम वचरजीिौ दोउ भया हरर-हलधर की जोिी

(भzwj सरदास)

सत कबीिजनम ः लगभग १३९8 (उपर)मतzwjय ः लगभग १5१8 (उपर)परिचzwj ः भखतिकालीन वनगतपण कावयधारा क सा कवि किीर मानिा एिा समा क परिल समथपक थ परमयख कमतzwjा ः lsquoसाखीrsquo lsquoसिद lsquoरमनीrsquo इन ीनो का सागह lsquoिीजकrsquo नामक गाथ मा वकया गया ह

भकत सिदासजनम ः लगभग १4७8 आगरा

(उपर) मतzwjय ः १5६३ स १5९१ क िीच परिचzwj ः सरदास जी िातसzwjय रस क समाि मान जा ह आपका नाम कषणभवzwj धारा को परिावह करन िाल कवियो म सिबोपरर ह परमयख कमतzwjा ः lsquoसरसागरrsquo lsquoसरसारािलीrsquo lsquoसावहतयलहरीrsquo lsquoनल-दमयाीrsquo आवद

24

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः- (१) कनत पणण करो ः

शरीककषण द वारा चोटी क सदभश म की गई बाzwjतऐसी वाणी बोलनी ह वजसस

(२) कनवता म इस अरण म आए शबद नलखो (4) lsquoभोजि का परभावrsquo- निपपणमी नलखो

१ ठzwjडा -

२ कोई -

३ बलराम -

4 मकखन -

पाठो म आए अलग-अलग काल क वाकय ढढ़कर उनका अनय कालो म पररवzwjतशन करो

lsquoआग कआ पीछ खाईrsquo कहावzwjत का अथश वलखकर उसस सबवधzwjत कोई परसग वलखो

(३) कनत पणण करो ः

शबद वानिकाकिनह = कबचोिमी = चवटया बणीअजह = अब zwjतककाचौ = कचा

पनच-पनच = बार-बारनचरजमीवौ = लबी आयदोउ = दोनोहलिर = बलराम

भाषा निद

उपzwjयोनजत लखि

lsquoहाफ मराथनrsquo म सफलzwjता परापत करन क वलए कौन-कौन-सी zwjतयाररया करोग वलखो

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

२4

कलपिा पललवि पानी वाणी दध इन शबदो का उपयोग करzwjत हए कोई कववzwjता वलखो

25

१िरतमी का आगि महक

जनम ः १९२९ इटावा (उपर)मतzwjय ः २०१२पररचzwjय ः आजीवन अधयापक रह zwjडरॉ दीवकzwjत जी lsquoअचशनाrsquo lsquoमवणपरभाrsquo lsquoजानाजशनrsquo आवद पवतरकाओ क सपादक रह lsquoअमर उजालाrsquo समाचार पतर म पतरकाररzwjता भी की आपकी रचनाए ववववध पतर-पवतरकाओ की शोभा बढ़ाzwjती रही परमख कनतzwjया ः lsquoअचशनाजवलrsquo lsquoमगलपथrsquo lsquoदोहावलीrsquo lsquoराषटटीय सवरrsquo (कववzwjता सगह) आवद

परसzwjतzwjत नई कववzwjता म कवववर zwjडरॉ दीवकzwjत जी न कमश जान एव ववजान की महतzwjता सथावपzwjत की ह आपका कहना ह वक हम जान-ववजान क बल पर भल ही आसमान को नाप ल परzwjत ववनाशक शसतरासतर स मानवzwjता का बचाना भी आवशयक ह यह zwjतभी सभव होगा जब समाज म सदाचार सनह बढ़गा

धरzwjती का आगन महक कमशजान-ववजान स

ऐसी सररzwjता करो परवावहzwjत शखल खzwjत सब धान स

अवभलाषाए वनzwjत मसकाए आशाओ की छाह म

परो की गवzwjत बधी हई हो ववशवासो की राह म

वशलपकला-कमदो की माला वकसथल का हार हो

फल-फलो स हरी-भरी इस धरzwjती का शगार हो

चदलोक या मगल गह पर चढ़ वकसी भी यान स

वकzwjत न हो सबध ववनाशक असतरो का इनसान स

सास-सास जीवनपट बनकर पराणो का zwjतन ढाकzwjती

सदाचार की शभर शलाका मन सदरzwjता आकzwjती

परवzwjतभा का पमाना मधा की ऊचाई नापzwjता

मानवzwjता का मीटर बन मन की गहराई मापzwjता

आतमा को आवतzwjत कर द सनह परभा पररधान स

कर अचशना हम सब वमलकर वसधा क जयगान स

- डॉ परकाश दीकषित

पद zwjय सििमी

पररचzwjय

२5

कलपिा पललवि

lsquoववशव शावzwjत की माग सवाशवधक परासवगक हrsquo इस zwjतथय पर अपन ववचार वलखो

दसरी इकाई

26

(२) कमत परण किो ः

(३) उतति मzwjलखो ः१ मधा की ऊचाई नापगा -२ हम सि वमलकर कर -

धरी का आगन इनस महक

धरी का शागार इनस होगा

(अ) मनमनमzwjलखखत शबदो क समानारथी शबद मzwjलखो तरा उनका वाकzwjो म परzwjोग किो ः शरीर मनतषय पथिी छाी पथ (आ) पाठो म आए सभी परकाि क सवणनाम ढढ़कि उनका अपन वाकzwjो म परzwjोग किो

(१) परवाह तामzwjलका परण किो ः

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-

कमव की अपकाए

शबद वामिकाशzwjलाका = सलाईआकना = अादाजा लगाना मzwjय िाना पमाना = नाप-ौल मापदाड

मधा = ितद वध आवतत = ढका लौिाया हआ वसयधा = धरी अिवन धरा

पराचीन भारीय वशzwjपकला सािाधी सवचतर जानकारी साकवल करो विशष कलाकवयो की सची िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoछा की आतमकथाrsquo विषय पर वनिाध वलखो

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(4) कमत किो ः मानि अाररक यान स यहा पहचा ह

27

िीव बहमवजला इमारzwjत की दीवार नीव स उठ रही थी ठकदार नया

था भयभीzwjत-सा वह एक zwjतगारी सीमट और पाच zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई करवा रहा था अगल वदन अवधकारी महोदय आए उनहोन काम क परवzwjत घोर असzwjतोष वयकzwjत वकया महोदय बोल-lsquolsquoऐसा काम करना हो zwjतो कही और जाइए rsquorsquo

अगल वदन सशवकzwjत नय ठकदार न एक zwjतगारी सीमट और zwjतीन zwjतगारी रzwjत क मसाल स ईटो की जड़ाई की सबवधzwjत अवधकारी आए उनहोन नीव की दीवार पर एक वनगाह zwjडाली और गरम हो गए इस बार ठकदार को अवzwjतम चzwjतावनी दी lsquoयवद कल zwjतक काम म पयाशपत सधार नही वकया गया zwjतो काम बद करवा वदया जाएगा rsquo

जब नय ठकदार की समझ म बाzwjत नही आई zwjतो उसन एक अनभवी ठकदार स इस समसया पर उसकी सलाह चाही अनभवी ठकदार न बzwjताया वक य महोदय ररशवzwjत चाहzwjत ह इसीवलए काम म कमी बzwjता रह ह नया ठकदार ईमानदार था वह ररशवzwjत दन-लन को अपराध समझzwjता था उसन भरषट अवधकारी को पाठ पढ़ान का वनशचय कर वलया

अगल वदन अवधकारी महोदय वनरीकण करन आए ठकदार न उनह रपयो स भरा वलफाफा पकड़ा वदया अवधकारी परसनन होकर जस ही जान लग वस ही एकाएक वहा उच अवधकारी आ गए अवधकारी महोदय ररशवzwjत लzwjत हए रग हाथो पकड़ गए

वसzwjतzwjतः राzwjत म ही ईमानदार ठकदार न अवधकारी महोदय क शखलाफ उच अवधकारी क पास वशकायzwjत कर दी थी उच अवधकारी ईमानदार थ उनहोन कहा-lsquolsquoकछ एक भरषट अवधकाररयो क कारण ही परा परशासन बदनाम होzwjता ह rsquorsquo उनहोन भरषट अवधकारी को दzwjड वदलवान का वनणशय ल वलया सच ही कहा ह- lsquoबर काम का बरा नzwjतीजा rsquo ठकदार और उच अवधकारी की ईमानदारी का समाचार चारो zwjतरफ फल गया उनका सावशजवनक समारोह म सममान वकया गया ०

२ दो लघकराए

- हरि जोशी

यहा दो लघकथाए दी गई ह परथम लघकथा म जोशी जी न बzwjताया ह वक हम बर काम का फल बरा ही वमलगा अzwjतः बर काम नही करन चावहए

दसरी लघकथा म आपन समझाया ह वक कठोरzwjता की अपका ववनमरzwjता अवधक महततवपणश ह lsquoघमzwjडीrsquo का वसर हमशा नीचा होzwjता ह अzwjतः हम घमzwjड नही करना चावहए

जनम ः १९4३ खवड़या (मपर)पररचzwjय ः सवावनवतzwjत पराधयापक हरर जोशी जी की सावहवतयक रचनाए वहदी की लगभग सभी परवzwjतवषठzwjत पतरपवतरकाओ म परकावशzwjत होzwjती रही ह आपको lsquoगोयनका सारसवzwjत सममानrsquo lsquoवागीशवरी सममानrsquo परापत हए ह परमख कनतzwjया ः lsquoपखररयाrsquolsquoयतरयगrsquo lsquoअखाड़ो का दशrsquo lsquoभारzwjत का राग-अमररका क रगrsquo आवद

पररचzwjय

गद zwjय सििमी

मौनलक सजि

lsquoववनमरzwjता सार सद गणो की नीव हrsquo ववषय पर अपन मन क भाव वलखो

28

जीभ का वचणसव

पावzwjिद ध और एकजति रहन क कारण दा िह दससाहसी हो गए थ एक वदन ि गिप मा चर होकर वजह िा स िोल lsquolsquoहम ितीस घवनषठ वमतर ह एक-स-एक मजि ठहरी अकली चाह ो तझ िाहर ही न वनकलन द rsquorsquo वजह िा न पहली िार ऐसा कलतवष विचार सतना था िह हसकर िोली lsquolsquoऊपर स एकदम सफद और सिचछ हो पर मन स िड़ कपिी हो rsquorsquo

lsquolsquoऊपर स सिचछ और अादर स काल घोवष करन िाली जीभ िाचाला छोड़ अपनी औका म रह हम तझ चिा सक ह यह म भल वक हमारी कपा पर ही राज कर रही हrsquorsquo दा ो न वकिवकिाकर कहा जीभ न नमा िनाए रखी वकत उतर वदया lsquolsquoदसरो को चिा जान की ललक रखन िाल िह जzwjदी िि भी ह सामनिाल ो और जzwjदी वगर जा ह तम लोग अिसरिादी हो मनतषय का साथ भी क द हो जि क िह जिान रहा ह िद धािसथा म उस असहाय छोड़कर चल द हो rsquorsquo

शवzwjशाली दा भी आखखर अपनी हार zwjयो मानन लग िोल lsquolsquoहमारी जड़ िह गहरी हा हमार कड़ और नतकीलपन क कारण िड़-िड़ हमस थराप ह rsquorsquo

वजह िा न वििकपणप उतर वदया lsquolsquoतमहार नतकील या कड़पन का कायपकतर मतह क भीर क सीवम ह विनमा स कही ह वक मतझम परी दवनया को परभावि करन और झतकान की कमा ह rsquorsquo

दाो न पतनः धमकी दी lsquolsquoहम सि वमलकर तझ घर खड़ ह कि क हमस िचगी rsquorsquo जीभ न दाो क घमाड को चर कर हए चािनी दी lsquolsquoडॉzwjिर को ितलाऊ दा वचवकतसक एक-एक को िाहर कर दगा मतझ ो छएगा भी नही और तम सि िाहर वदखाई दोग rsquorsquo

घमाडी दा अि वनरतर थ उनह कविा की यह पावzwj याद आ गई lsquoवकसी को पसाद नही सखी ियान म भी ो दी नही हड डी जिान मा rsquo घमाडी दा ो न आखखर जीभ का लोहा मान वलया

lsquoइादरधनतष क सा राग रह हमशा साग-सागrsquo इस कथन क आधार पर कहानी िनाकर अपन सहपावठयो क सामन परसत करो

शमवनषठा का महतति िान िाला कोई वनिाध पढ़ो

वकसी समारोह क मतखय विादओ एिा मतद दो को पढ़ो इनका पतनः समरण करक वलखो

वकसी समारोह का िणपन उवच विराम िलाघा ान-अनतान क साथ lsquoएकागाrsquo स सतनो और यथाि सतनाओ

सभाषरीzwj

zwjलखनीzwj

पठनीzwj

शरवरीzwj

२8

29

सचना क अनसार कतिया करो ः- (१) सजाल परण करो ः (२) उतिर तलखो ः

दातो की विशषताए

१ जीभ द िारा दी गई चतािनी

२ पवzwjतबद ध और एकजट रहन क कारण दातो म आया गलत पररिततन

lsquoजल क अपवयय की रोकथामrsquo सबधी वचतरकला परदशतनी का आकषतक विजापन तयार करो

तनमनतलखखि शबदो क आधार पर महावर तलखकर उनका अपन वाकयो म परयोग करो

(३) तवधानो क सामन चौखट म सही R अथवा गलि S तचह न लगाओ ः

१ वजह िा न अवििक पणत उततर वदया २ दात घमडी थ ३ सभी अपरावधयो को वनयमानसार सजा नही हई 4 ठकदार पराना था

(4) उतचि जोतिया तमलाओ ः

ईट जान पानी खिचड़ी

शबद वातटकािगारी = बड़ा तसला घमलाकलतिि = अपवितर दवषतललक = लालसा तीवर इचा अवसरवादी = सिाथथी मतलबीबयान = चचात आिाज कथन

महावरालोहा मानना = शषठता का सिीकर करना रग हाथ पकिना = अपराध करत हए परतयकष पकड़ना

उपयोतजि लखन

भािा तबद

वकसी गामीण और शहरी वयवzwjत की वदनचयात की तलनातमक जानकारी परापत करक आपस म चचात करो सवय अधययन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

अ १ बहमवजला२ अवधकारी३ नया ठकदार4 साितजवनक समारोह

उतिर अा१ ईमानदार२ इमारत३ भरषट4 अनभिी5 सममान

30

पातर१ लकड़हारा २ एक गामीण वयखति क रप म भगिान ३ लकड़हार की पतनी 4 एक हरा-भरा पड़

पहzwjला दशzwj (एक zwjलकड़हािा िहzwjलता हआ मच पि आता ह zwjलकड़हाि क

हार म कलहाड़ी ह वह पड़ क पास आकि रक जाता ह)zwjलकड़हािा ः (पड़ को दखकि) चलो आज इसी पड़ को काि इसस

आज की रोिी का इाजाम हो जाएगा (पड़ की डाzwjल कािन क मzwjलए कलहाड़ी चzwjलाता ह पि कलहाड़ी हार स छिकि नदी म मगि जाती ह )

zwjलकड़हािा ः (मचमतत एव दखी सवि म) ह भगिान मरी कzwjहाड़ीपानी गहरा ह रना आा नही कस कािगा zwjया िचगा आज िचच zwjया खाएग (इसी बीच भगवान गामीर वzwjखति का वश धािर कि मच पि आत ह )

गामीर ः िड़ दखी लग रह हो zwjया हआzwjलकड़हािा ः (दख भि शबदो म) zwjया कह भाई अचानक मरी कzwjहाड़ी

नदी क गहर पानी म वगर पड़ी मरा ो सि कछ चला गया

गामीर ः हा भाई तमहारा कहना ो ठीक ह zwjलकड़हािा ः भाई तम मरी मदद कर सको ो िड़ा उपकार होगा गामीर ः ठीक ह तम दखी म होओ म कोवशश करा ह

(zwjह कहकि गामीर नदी म कदा औि एक चादी की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आzwjा ) अर भाई तम वकन भागयिान हो लो तमहारी चादी की कzwjहाड़ी

zwjलकड़हािा ः नही भाई यह कzwjहाड़ी मरी नही ह गामीर ः ठीक ह एक िार वफर कोवशश करा ह (नदी म मिि

कदता ह औि सोन की कलहाड़ी मनकाzwjलकि बाहि आता ह )zwjलकड़हािा ः (आशचzwjण स) zwjया कzwjहाड़ी वमल गई भाई गामीर ः हा वमल गई लो यह सोन की कzwjहाड़ी zwjलकड़हािा ः नही भाई म ो िह गरीि ह यह सोन की कzwjहाड़ी ो

३ zwjलकड़हािा औि वन

- अरबिद भटनागर

परिचzwj ः अरविाद भिनागर जी एकााकीकार क रप म परवसद ध ह पयापिरण परररकण क वलए िकारोपण एिा िक सािधपन की आियका पर हमशा आपन िल वदया ह

परसत एकााकी म लखक न महन ईमानदारी एिा छोि पररिार का महतति समझाया ह आपका कहना ह वक पड़-पौधो स हिा पानी फल वमल ह अः हम पड़-पौधो िनो का सारकण करना चावहए

lsquoपरकव हमारी गतरrsquo विषय पर अपन विचार वलखो

परिचzwj

गद zwj सबधी

मौमzwjलक सजन

31

मरी ह ही नही (दखमी होकर) खर जान दो भाई zwjतमन मर वलए बहzwjत कषट उठाए

गाममीण ः (िमीच म हमी) नही भाई नही इसम कषट की कया बाzwjत ह मसीबzwjत क समय एक दसर क काम आना zwjतो हमारा धमश ह म एक बार वफर कोवशश करzwjता ह (गाममीण िदमी म कदकर लोह की कलहाड़मी निकालता ह )

गाममीण ः लो भाई इस बार zwjतो यह लोहा ही हाथ लगा ह लकड़हारा ः (अपिमी लोह की कलहाड़मी दखकर खश हो उठता ह )

zwjतमहारा यह उपकार म जीवन भर नही भलगा भगवान zwjतमह सखी रख

गाममीण ः एक बाzwjत मरी समझ म नही आई लकड़हारा ः (हार जोड़कर) वह कया गाममीण ः मन zwjतमह पहल चादी की कलहाड़ी दी वफर सोन की दी

zwjतमन नही ली ऐसा कयो लकड़हारा ः दसर की चीज को अपनी कहना ठीक नही ह महनzwjत

और ईमानदारी स मझ जो भी वमलzwjता ह वही मरा धन ह (गाममीण चला जाता ह और भगवाि क रप म मच पर निर स आता ह )

भगवाि ः धनय हो भाई म zwjतमहारी ईमानदारी स बहzwjत परसनन ह लवकन एक शzwjतश पर zwjतम हर-भर पड़ो को नही काटोग न ही लालच म पड़कर जररzwjत स अवधक सखी लकड़ी काटोग

लकड़हारा ः मझ शzwjतश मजर ह (परदा वगरzwjता ह )दसरा दशzwjय

(मच पर लकड़हारा सो रहा ह मच क पमीछ स उसकी पतिमी आवाज दतमी ह )पतिमी ः अर राम क बाप घोड़ बचकर सो रह हो कया आज

लकड़ी काटन नही जाना ह लकड़हारा ः जाzwjता ह भागवान (अपिमी कलहाड़मी उठाकर जगल की

तरि जाता ह मि-हमी-मि सोचता ह ) वजधर दखो दर zwjतक जगल का पzwjता नही जो थ व कटzwjत

जा रह ह और उनकी जगह खड़ हो रह ह सीमट क जगल (अचािक उस चोि लगतमी ह वह चमीख उठता ह निर एक पड़ की छाव म िठ जाता ह ) अहा वकzwjतनी ठzwjडी छाया ह सारी थकान दर हो गई (हर-भर पड़ क िमीच स

वववभनन अवसरो पर शाला म खल जान वाल नाटको क सवाद धयान दzwjत हए सनो

शरवणमीzwjय

वकसी भारzwjतीय लोककथा की ववशषzwjताओ क बार म अपन सहपावठयो क साथ चचाश करो

सभाषणमीzwjय

32

वववभनन ववधाओ स परापत सचनाओ सववकणो वटपपवणया को पढ़कर उनका सकलन करो

पठिमीzwjय

वकसी वलशखzwjत सामगी क उद दशय और उसक दवषटकोण क मद दा को समझकर उस परभावपणश शबदो म वलखो

लखिमीzwjय

उठकर अपिमी कलहाड़मी सभालता ह ) चलो यही सही इस ही साफ कर (कलहाड़मी चलाि की मदा म हार उठाता ह )

पड़ ः अर अर यह कया कर रह हो लकड़हारा ः (चौककर) कौन (आस-पास िजर दौड़ाता ह )पड़ ः अर भाई यह zwjतो म ह लकड़हारा ः (डरकर) कौन भ zwjत पड़ ः zwjडरो नही भाई म zwjतो पड़ ह पड़ लकड़हारा ः (आशचzwjयण स) पड़ कया zwjतम बोल भी सकzwjत हो पड़ ः भाई मझम भी पराण ह zwjतम मझ बकसर पर कयो वार कर

रह हो लकड़हारा ः zwjतो कया कर चार-चार बचो को पालना पड़zwjता ह

यही एक रासzwjता ह रोजी-रोटी का पड़ ः अर भाई अवधक बच होन क कारण पररवार म दख zwjतो

आएगा ही पर zwjतम वकzwjतन बदल गए हा zwjतम यह भी भल गए वक म ही zwjतमह जीन क वलए शदध हवा पानी और भोजन सभी कछ दzwjता ह

लकड़हारा ः यह zwjतो zwjतमहारा काम ह इसम उपकार की कया बाzwjत ह पड़ ः मन कब कहा उपकार ह भाई पर यह zwjतो zwjतम अचछी zwjतरह

जानzwjत हो वक वबना हवा क मनषय वजदा नही रह सकzwjता उस सास लन क वलए शदध हवा zwjतो चावहए ही और हवा को शदध करन का काम म ही करzwjता ह

लकड़हारा ः ठीक ह पर मर सामन भी zwjतो समसया ह पड़ ः यवद zwjतम हम काटzwjत रह zwjतो य बचार वनय पश कहा

जाएग कया zwjतम अपन सवाथश क वलए उनका घर उजाड़ दोग

लकड़हारा ः zwjतो वफर कया म अपना घर उजाड़ द पड़ ः मरा मzwjतलब यह नही ह यवद zwjतम इसी zwjतरह हम काटzwjत

रह zwjतो अचछी वषाश कस आएगी और एक वदनलकड़हारा ः zwjतमहारी बाzwjत zwjतो ठीक ह पर अब zwjतमही बzwjताओ म कया

कर पड़ ः कम-स-कम अपन हाथो अपन ही परो पर कलहाड़ी zwjतो

मzwjत मारो कभी हरा-भरा पड़ मzwjत काटो उनह अपन बचो क समान पालो zwjतावक चारो ओर हररयाली छाई रह (लकड़हारा हामी भरzwjता ह उसी समय परदा वगरzwjता ह )

33

सचिा क अिसार कनतzwjया करो ः-(१) सजाल पणण करो ः

(१) निमि वतत म नदए सजा तरा नवशषण शबदो को छािकर तानलका म उनचत सरािो पर उिक भद सनहत नलखो ः

(३) कनत पणण करो ः

(२) सकप म उततर नलखो ः१ पड़ द वारा वदया गया सदश - २ भगवान की शzwjतश -३ पड़ो क उपयोग -4 पड़ो की कटाई क दषपररणाम -

वकसी मराठी वनमतरण पवतरका का रोमन (अगजी) म वलपयzwjतरण करो

(२) पाठ म परzwjयकत कारक नवभनकतzwjया ढढ़कर उिका वाकzwjयो म परzwjयोग करो

वकसानो क सामन आन वाली समसयाओ की जानकारी परापत करक उन समसयाओ को दर करन हzwjत चचाश करो

कलहाड़ी पानी म वगरन क कारण खड़ी हई समसयाए

शबद वानिकाशतण = बाजी िनल = आहवzwjत भट चढ़ावा

महावर हाममी भरिा = सवीकार करना

सजा भद नवशषण भद

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------------

नदी पहाड़ी

चार वकलोवह लकड़हारा

ईमानदारी गगापानी

गरीबी

धनी

सीzwjता

कोई सभाचादीपालक दस

घाड़ िचकर सोिा = वनशशचzwjत होकर सोनाअपि परो पर कलहाड़मी मारिा = खद अपना नकसान करना

उपzwjयोनजत लखि

भाषा निद

सवzwjय अधzwjयzwjयि

मि समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पाठ म परयकzwjत धाzwjतओ क नाम

34

4 सौहादण-सौमनसzwj

- जहीर करशी

परसत दोहो म जहीर करशी जी न छोि-िड़ क भद वमिान नफर सिाथप आवद छोड़न क वलए पररर वकया ह आपका मानना ह वक अनका म एका ही अपन दश की शान ह अः हम वमल-जतलकर रहना चावहए

lsquoभार की विविधा मा एका हrsquo इस सपषि करो

जनम ः १९5० गतना (मपर)परिचzwj ः आपकी रचनाए अागजी गतजराी मराठी पाजािी आवद भाषाओ म अनवद हो चतकी ह आपको lsquoइनकापबोरिड सममानrsquo lsquoगोपाल वसाह नपाली सममानrsquo परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoएक िकड़ा धपrsquo lsquoलखनी क सिपनrsquo lsquoचादनी का दखrsquo lsquoभीड़ म सिस अलगrsquo lsquoपड़ नकर भी नही ििाrsquo (गजल सागह) आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

कलपना पलzwjलवन

३4

िो छोिा म ह िड़ा य िा वनमपलउड़कर वसर पर िठी वनज परो की धल

नफर ठाडी आग ह इसम जलना छोड़ िि वदल को पयार स जोड़ सक ो जोड़

पौध न िाि नही नाम पछकर फलहमन ही खोल िह सिारथ क इसकल

धमप अलग भाषा अलग वफर भी हम सि एक विविध राग कर नही हमको कभी अनक जो भी करा पयार िो पा ला ह पयारपयार नकद का काम ह रहा नही उधार

जरव-जरव मा खतदा कण-कण म भगिानलवकन lsquoजरवrsquo को कभी अलग न lsquoकणrsquo स मान

इसीवलए हम पयार की कर साज-समहार नफर स नफर िढ़ िढ़ पयार स पयार

भाव-भाव क फल ह फल िवगया की शानफल िवगया लगी रही मतझको वहादसान

हम सि वजसक नाम पर लड़ ह हर िार उसन सपन म कहा लड़ना ह िकार

वकना अचछा हो अगर जल दीप स दीपय साभि ि हो सक आए दीप समीप

35

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः(१) कमत परण किो ः

(३) कमवता म परzwjयकत मवzwjलोम शबदो की जोमड़zwjा मzwjलखो

पाठो म आए अवययो को पहचानो और उनक भद िाकर उनका अलग-अलग िाzwjयो म परयोग करो

(२) कमवता म इस अरण म परzwjयकत शबद मzwjलखो ः१ दीपक = -----------२ पतषप = -----------३ वरसकार = -----------4 परम = -----------

१ इन िाो म अलग होकर भी हम सि एक ह -

२ िवगया की शान -

शाzwjलzwj बड परक क मzwjलए आवशzwjक सामगी खिीदन हतय अपन मवदzwjाzwjलzwj क पराचाzwjण स मवद zwjारथी परमतमनमध क नात अनयममत मागत हए मनमन परारप म पतर मzwjलखो ः

वदनााक ःपरव विषय ः सादभप ः महोदयविषय वििचन

आपकाआपकी आजाकारी(विदयाथथी परववनवध)कका ः

शबद वामिकामनमणzwjल = विना जड़ की वनरथपक सवािर = सिाथप

समहाि = सभाल सतरवकजिाण = अतया छोिा कण

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

lsquoनफर स नफर िढ़ी ह और सनह स सनह िढ़ा हrsquo इस थय स सािावध अपन विचार वलखो

३5

36

5 खती स आई तबदीमzwjलzwjा

वपरय ििी इावदराअपन वपछल ख म मन कामो क अलग-अलग वकए जान का

कछ हल िलाया था विलकल शतर म जि आदमी वसफफ वशकार पर गतजर-िसर करा था काम िाि हए न थ हरक आदमी वशकार करा था और मतखकल स खान भर को पाा था सिस पहल मदयो और औरो क िीच माा काम िािना शतर हआ होगा मदप वशकार करा होगा और और घर म रहकर िचचो और पाल जानिरो की वनगरानी करी होगी

जि आदवमयो न ख ी करना सीखा ो िह-सी नई-नई िा वनकली पहली िा यह हई वक काम कई वहससो म िाि गए कछ लोग वशकार खल और कछ खी कर और हल चला जयो-जयो वदन गतजर गए आदवमयो न नय-नय पश सीख और उनम पकक हो गए

खी करन का दसरा अचछा नीजा यह हआ वक गााि और कसि िन लोग इनम आिाद होन लग खी क पहल लोग इधर-उधर घम-वफर थ और वशकार कर थ उनक वलए एक जगह रहना जररी नही था वशकार हरक जगह वमल जाा था इसक वसिा उनह गायो िकररयो और अपन दसर जानिरो की िजह स इधर-उधर घमना पड़ा था इन जानिरो क चरान क वलए चरागाहो की जरर थी एक जगह कछ वदनो क चरन क िाद जमीन म जानिरो क वलए काफी घास पदा नही होी थी और सारी जाव को दसरी जगह जाना पड़ा था

जि लोगो को ख ी करना आ गया ो उनका जमीन क पास रहना जररी हो गया जमीन को जो-िोकर ि छोड़ नही सक थ उनह साल भर क लगाार खी का काम लगा ही रहा था और इस रह गााि और शहर िन गए

दसरी िड़ी िा जो ख ी स पदा हई िह यह थी वक आदमी की वजादगी जयादा आराम स किन लगी खी स जमीन म अनाज पदा करना सार वदन वशकार खलन स कही जयादा आसान था इसक वसिा जमीन म अनाज भी इना पदा होा था वजना ि एकदम खा

- प जिाहरलाल नहर

परसत पतर पा जिाहरलाल नहर न अपनी पततरी इावदरा को वलखा ह इस पतर म आवदम अिसथा स आग िढ़कर खी क माधयम स हए मानिीय सभया क कवमक विकास को िाया गया ह यहा नहर जी न अमीर-गरीि क मानदाड एिा िच परणाली को सतादर ढाग स समझाया ह

जनम ः १88९ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः २७ मई १९६4(नई वदzwjली)परिचzwj ः सिातर भार क परथम परधानमातरी पा जिाहरलाल नहर वचाक िzwjा लखक अौर विचारक थ नहर जी न आधतवनक भार क वनमापण म महतिपणप भवमका अदा की आपन विजान और परौद योवगकी क विकास को परोतसावह वकया परमयख कमतzwjा ः lsquoएक आतमकथाrsquo lsquoदवनया क इवहास का सथल दशपनrsquo lsquoभार की खोजrsquo lsquoवपा क पतर पततरी क नामrsquo आवद

परिचzwj

गद zwj सबधी

37

नही सकzwjत थ इस व सरवकzwjत रखzwjत थ एक और मज की बाzwjत सना जब आदमी वनपट वशकारी था zwjतो वह कछ जमा न कर सकzwjता था या कर भी सकzwjता था zwjतो बहzwjत कम वकसी zwjतरह पट भर लzwjता था उसक पास बक न थ जहा वह अपन रपय व दसरी चीज रख सकzwjता उस zwjतो अपना पट भरन क वलए रोज वशकार खलना पड़zwjता था खzwjती स उस एक फसल म जररzwjत स जयादा वमल जाzwjता था अवzwjतररकzwjत खान को वह जमा कर दzwjता था इस zwjतरह लोगो न अवzwjतररकzwjत अनाज जमा करना शर वकया लोगो क पास अवzwjतररकzwjत अनाज इसवलए हो जाzwjता था वक वह उसस कछ जयादा महनzwjत करzwjत थ वजzwjतना वसफफ पट भरन क वलए जररी था zwjतमह मालम ह वक आज-कल बक खल हए ह जहा लोग रपय जमा करzwjत ह और चक वलखकर वनकाल सकzwjत ह यह रपया कहा स आzwjता ह अगर zwjतम गौर करो zwjतो zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया ह यानी ऐसा रपया वजस लोगो को एक बारगी खचश करन की जररzwjत नही ह इस व बक म रखzwjत ह वही लोग मालदार ह वजनक पास बहzwjत-सा अवzwjतररकzwjत रपया ह और वजनक पास कछ नही व गरीब ह आग zwjतमह मालम होगा वक यह अवzwjतररकzwjत रपया आzwjता कहा स ह इसका सबब यह नही ह वक आदमी दसर स जयादा काम करzwjता ह और जयादा कमाzwjता ह बशलक आज-कल जो आदमी वबलकल काम नही करzwjता उसक पास zwjतो बचzwjत होzwjती ह और जो पसीना बहाzwjता ह उस खाली हाथ रहना पड़zwjता ह वकzwjतना बरा इzwjतजाम ह बहzwjत स लोग समझzwjत ह वक इसी बर इzwjतजाम क कारण दवनया म आज-कल इzwjतन गरीब आदमी ह अभी शायद zwjतम यह बाzwjत समझ न सको इसवलए इसम वसर न खपाओ थोड़ वदनो म zwjतम इस समझन लगोगी

इस वकत zwjतो zwjतमह इzwjतना ही जानना पयाशपत ह वक खzwjती स आदमी को उसस जयादा खाना वमलन लगा वजzwjतना वह खा नही सकzwjता था यह जमा कर वलया जाzwjता था उस जमान म न रपय थ न बक वजनक पास बहzwjत-सी गाय भड़ ऊट या अनाज होzwjता था व ही अमीर कहलाzwjत थ

zwjतमहारा वपzwjता

जवाहरलाल नहर

बालवीर परसकार परापत बचो की कहावनया पढ़ो

रवzwjडयोदरदशशन पर जववक खzwjती क बार म जानकारी सनो और सनाओ

वन महोतसव जस परसग की कलपना करzwjत समय ववशष उद धरणो वाकयो का परयोग करक आठ स दस वाकय वलखो

lsquoजय जवान जय वकसानrsquo नार पर अपन ववचार कका म परसzwjतzwjत करो

सभाषणमीzwjय

लखिमीzwjय

पठिमीzwjय

शरवणमीzwjय

38

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) परवाह तामzwjलका परण किो ः (२) कािर मzwjलखो ः

अ अनाज सतरवक रखना पराराभ हआ -------

ि मनतषय को रोज वशकार खलना पड़ा -------

क दवनया म गरीि आदमी ह -------

ड लोग िक म रपय रख -------

(१) शबद समह क मzwjलए एक शबद मzwjलखो ःक जानिरो को चरान की जगह = -------

ख वजनक पास िह स अवररzwj रपय ह = -------

(२) वाकzwj शयद ध किक मzwjलखो ःक िड़ दखी लग रह हो zwjया हआ ख अर राम क िाप घोड़ िचकर सो रह हो ग तमहार दान कहा ह

मनतषय द िारा खी करन पर हए लाभ

(३) उमचत जानकािी मzwjलखो ः-

(4) कमत परण किो ः

उस जमान म उस अमीर कहा जाा था वजसक पास थ

१ काम का विभाजन इनम हआ

शबद वामिकाकसबा = गाि स िड़ी और शहर स छोिी िसीचिागाह = जानिरो क चरन की जगह

मयहाविखाzwjली हार िहना = पास म कछ न होना मसि खपाना = िह ितद वध लगाना पसीना बहाना = कड़ी महन करना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

lsquoािाक सिन क दषपररणामrsquo विषय पर लगभग सौ शबदो म वनिाध वलखो

पारापररक था आधतवनक कवष परौद योवगकी का तलनातमक चािप िनाओ सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कवष कतर म वकए गए नय-नय परयोगो स होन िाल लाभ वलखो

मौमzwjलक सजन

३8

39

६ अधाzwjयग

जनम ः १९२६ इलाहािाद (उपर)मतzwjय ः १९९७ मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः भारी जी आधतवनक वहादी सावहतय क परमतख लखक कवि नािककार और सामावजक विचारक थ आपको १९७२ म पद मशी स सममावन वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoसिगप और पथिीrsquo lsquoचाद और िि हए लोगrsquo lsquoिाद गली का आखखरी मकानrsquo lsquoठाडा लोहाrsquo lsquoसागीrsquo lsquoकनतवपरयाrsquo lsquoसपना अभी भीrsquo lsquoगतनाहो का दिाrsquo lsquoसरज का सािा घोड़ाrsquo lsquoगयारह सपनो का दशrsquo lsquoपयाीrsquo lsquoअाधायतगrsquo आवद

zwjयzwjयतसय ः हाी होगी िवधको की मतवzwj परभत क मरण स वकत रका कस होगी अाध यतग म मानि भविषय की परभत क इस कायर मरण क िाद

अशवतरामा ः कायर मरण मरा था शतरत िह लवकन कहगा म वदवय शााव छाई थी उसक सिणप मसक पर

वद ध ः िोल अिसान क कणो म परभत - lsquolsquoमरण नही ह ओ वयाध मातर रपाारण ह यह सिका दावयति वलया मन अपन ऊपर अपना दावयति सौप जाा ह म सिको अि क मानि भविषय को म वजलाा था लवकन इस अाध यतग म मरा एक अाश वनवषकय रहगा आतमघाी रहगा और विगवल रहगा साजय यतयततसत अितथामा की भाव zwjयोवक इनका दावयति वलया ह मन rsquorsquo

िोल ि - lsquolsquoलवकन शष मरा दावयति लग िाकी सभी

- डॉ धमयिीर भारzwjती

परिचzwj

40

कलपना पलzwjलवन

lsquoमनतषय का भविषय उसक हाथो म हrsquo अपन विचार वलखो

4०

मरा दावयति िह वसथ रहगा हर मानि मन क उस ित म वजसक सहार िह सभी पररवसथवयो का अवकमण कर हए नन वनमापण करगा वपछल धिासो पर मयापदायतzwj आचरण म वन नन सजन म वनभपया क साहस क ममा क रस क कण मजीवि और सवकय हो उठगा म िार-िार rsquorsquo

अशवतरामा ः उसक इस नय अथप मzwjया हर छोि-स-छोिा वयवzwjविक अद धपििपर आतमघाी अनासथामयअपन जीिन की साथपका पा जाएगा

वद ध ः वनचय ही ि ह भविषय वकत हाथ म तमहार ह वजस कण चाहो उनको नषि करो वजस कण चाहो उनको जीिन दो जीिन लो

पद zwj सबधी

परसत अाश डॉ धमपिीर भारी क lsquoअाधायतगrsquo गीवनाि य स वलया गया ह इसम यतद ध क पररपरकय म आधतवनक जीिन की विभीवषका का वचतरण वकया गया ह अाधायतग म यतद ध था उसक िाद की समसयाओ और मानिीय महततिाकााका को परसत वकया गया ह यह दय कावय ह इसका कथानक महाभार यतद ध क समाखपत काल स शतर होा ह

यहा परसाग उस समय का ह जि शीकषण की जीिनयातरा समापत हो गई ह डॉ भारी जी िद ध क मतख स कह ह वक शीकषण न अपना सापणप उतरदावयति पथिी क हर पराणी को सौप वदया ह सभी को अपन मयापदायतzwj आचरण सजन साहस-वनभपया एिा ममतिपणप वयिहार करन होग मानि-जीिन उसक ही हाथो म ह िह चाह ो उस नषि कर द अथिा जीिन परदान कर

41

शबzwjद वाटिकावटिक = वध करन वालाकायर = डरपोक धववस = ववनाश

सजन = वनरामाणबबबर = असभzwjय विसकआतzwjमघाती = आतरितzwjया करन वाला

सचना क अनसार कटतया करो ः-(१) कटत करो ः (२) सवजाल परब करो ः

(३) उततर टलखो ः

वद ध न इनका दावzwjयतव वलzwjया ि

२ अध zwjयग र परभ का एक अश

अशवतzwjारा क अनसार नzwjय अzwjमा

र वzwjयवzwjति

सवयव अधययन

भाषा टबवzwjद १ पाठो र आए रिावरा का अzwjमा वलखकर उनका अपन सवतितर वाzwjzwjयो र परzwjयोग करो ः

२ पढ़ो और सरझो ः

कववतिा र परzwjयzwjति पातर

lsquoकरमा िी पजा िrsquo ववषzwjय पर अपन ववचार सौ शबदो र वलखो

zwjमवन सzwjमझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

4१

उपयोटजत लखन वनमनवलखखति रद दो क आधार पर किानी वलखकर उस उवचति शीषमाक दो

एक गाव

पररणार शीषमाक

दजजी की दकान

परवतिवदन िाzwjी का दकान स िोकर नदी पर निान जाना

दजजी का िाzwjी का कला खखलाना

एक वदन दजजी को रजाक सझना

दजजी द वारा िाzwjी को सई चभाना

वरब टवचzwjद वरब टवचzwjदरानवीzwjय

सिाzwjयतिा

रदल

र +आ+न +अ+व +ई+zwjय +अ

स +अ+ि +आ+zwjय +अ+ति +आ

र +ॠ+द +उ+ल +अ

वाzwjzwjय

शबद

वzwjयविार

----------------

----------------

----------------

42

७ सविाजzwj मिा जनममसद ध अमधकाि ह

-लोकमानर िाळ गगाधर बटळक

म यदयवप शरीर स िढ़ा वकत उतसाह मा जिान ह म यतिािसथा क इस विशषावधकार को छोड़ना नही चाहा अपनी विचार शखति को सिल िनान स इनकार करना यह सिीकार करन क समान होगा वक मतझ इस परसाि पर िोलन का कोई अवधकार नही ह

अि म जो कछ िोलन जा रहा ह िह वचर यतिा ह शरीर िढ़ा-जजपर हो सका ह और नषट भी हो सका ह परात आतमा अमर ह उसी परकार हमारी होमरल गवविवधयो म भल ही सतसी वदखाई द उसक पीछ वछपी भािना अमर एिा अविनाशी ह िही हम सिातरा वदलाएगी आतमा ही परमातमा ह और मन को ि क शााव नही वमलगी जि क िह ईिर स एकाकार न हो जाए सिराजय मरा जनमवसदध अवधकार ह जि क िह मर भीर जाग ह म िढ़ा नही ह कोई हवथयार इस भािना को काि नही सका कोई आग इस जला नही सकी कोई जल इस वभगो नही सका कोई हिा इस सतखा नही सकी

म उसस भी आग िढ़कर कहगा वक कोई सीआईडी पतवलस इस पकड़ नही सकी म इसी वसदधाा की घोषणा पतवलस अधीकक जो मर सामन िठ ह क सामन भी करा ह कलzwjिर क सामन भी वजनह इस सभा म आमावतर वकया गया था और आशतवलवप लखक जो हमार भाषणो क नोि स लन म वयस ह क सामन भी हम सिशासन चाह ह और हम वमलना ही चावहए वजस विजान की पररणव सिशासन म होी ह िही राजनीव विजान ह न वक िह वजसकी पररणव दासा म हो राजनीव का विजान इस दश क lsquoिदrsquo ह

आपक पास एक आतमा ह और म किल उस जगाना चाहा ह म उस परद का हिा दना चाहा ह वजस अजानी कचकी और सिाथथी लोगो न आपकी आखो पर डाल वदया ह राजनीव क

जनम ः १85६ दापोली रतनावगरर (महाराषिट)मतzwjय ः १९२० मतािई (महाराषिट)परिचzwj ः िाळ गागाधर विळक जी एक वशकक सामावजक कायपकाप एिा परवसद ध िकील थ आप दश क पहल ऐस सिातरा सनानी रह वजनहोन पणप सिराज की माग करक अागजो क मन म खौफ पदा कर वदया था जनसमाज न आपको lsquoलोकमानयrsquo की उपावध दी परमयख कमतzwjा ः lsquoगीा रहसयrsquo lsquoिदकाल का वनणपयrsquo आययो का मल वनिास सथानrsquo lsquoिदो का काल वनणपय और िदााग जयोवषrsquo आवद

परसत भाषण म विळक जी न lsquoसिराजय क अवधकारrsquo को आतमा की रह अजर-अमर िाया ह यहा विळक जी न राजनीव धमप सिशासन आवद का विस वििचन वकया ह परसत पाठ स सिराजय क परव विळक जी की अिि परविद धा वदखाई पड़ी ह

परिचzwj

गद zwj सबधी

विळक जी द िारा सापावदपरकावश lsquoकसरीrsquo समाचार पतर की जानकारी साकप म वलखो

मौमzwjलक सजन

4२

434३

विजान क दो भाग ह-पहला दिी और दसरा राकसी एक राषटट की दासा दसर भाग म आी ह राजनीव-विजान क राकसी भाग का कोई नवक औवचतय नही हो सका एक राषटट जो उस उवच ठहराा ह ईिर की दखषट म पाप का भागी ह

कछ लोगो म उस िा को िान का साहस होा ह जो उनक वलए हावनकारक ह और कछ लोगो म यह साहस नही होा लोगो को इस वसदधाा क जान स अिग करना चाहा ह वक राजनीव और धमप वशका का एक अाग ह धावमपक और राजनीवक वशकाए वभन नही ह यद यवप विदशी शासन क कारण ि ऐस परी होी ह राजनीव क विजान म सभी दशपन समाए ह

इागलड भार की सहाया स िखzwjजयम जस छोि स दश को सारकण दन का परयास कर रहा ह वफर िह कस कह सका ह वक हम सिशासन नही वमलना चावहए जो हमम दोष दख ह ि लोभी परकव क लोग ह परात ऐस भी लोग ह जो परम कपालत ईिर म भी दोष दख ह हम वकसी िा की परिाह वकए विना अपन राषटट की आतमा की रका करन क वलए कठोर परयास करन चावहए अपन उस जनमवसदध अवधकार की रका म ही हमार दश का वह वछपा हआ ह काागस न सिशासन का यह परसाि पास कर वदया ह

परााीय सममलन काागस की ही दन ह जो उसक आदशो का पालन करा ह इस परसाि को लाग करान हत कायप करन क वलए हम क साकzwjप ह चाह ऐस परयास हम मरभवम म ही ल जाए चाह हम अजािास म रहना पड़ चाह हम वकन ही कषट उठान पड़ या अा म चाह जान ही गिानी पड़ शीरामचादर न ऐसा वकया था उस परसाि को किल ावलया िजाकर पास न कराए िखzwjक इस परवजा क साथ कराए वक आप उसक वलए काम करग हम सभी साभि सािधावनक और विवधसमम रीको स सिशासन की पराखपत क वलए कायप करग

जॉजप न खतलकर सिीकार वकया ह वक भार क सहयोग क विना इागलड अि चल नही सका ह पाच हजार िषप पतरान एक राषटट क िार मा सारी धारणाए िदलनी होगी फाासीसी रणभवम म भारीय सवनको न वबरविश सवनको की जान िचाकर अपनी िहादरी का पररचय वदया ह हम उनह िा दना चावहए वक हम ीस करोड़ भारीय सामाजय क वलए अपनी जान भी दन को यार ह

राषिटीय तयोहारो पर आयोवज कायपकम म िzwjाओ द िारा वदए गए िzwjवय सतनो और मतखय मतद द सतनाओ

भारीय सिातरा सागाम क परवसद ध घोषिाzwjयो की सची िनाकर उनपर गति म चचाप करो

सभाषरीzwj

शरवरीzwj

सतभदराकमारी चौहान की lsquoझासी की रानीrsquo कविा पढ़ो

पठनीzwj

राषिटपरम की भािना स ओ-परो चार पावzwjयो की कविा वलखो

zwjलखनीzwj

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः-(१) मवधानो को पढ़कि गzwjलत मवधानो को सही किक मzwjलखो ः

१ विळक जी न कहा ह वक ि यद यवप शरीर स जिान ह वकत उतसाह म िढ़ ह २ परााीय सममलन अागजो की दन ह

(२) मिपपरी मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक २ होमरल

(३) उतति मzwjलखो ः १ लोकमानय विळक जी द िारा वदया गया नारा ः

(4) कमत परण किो ः

पाच-पाच सहायक और पररणाथपक वकयाओ का अपन सिातर िाzwjयो म परयोग करो

अपन विद यालय म आयोवज lsquoसिचछा अवभयानrsquo का िताा वलखो िताा म सथल काल घिना का उzwjलख आियक ह

शबद वामिकाजजणि = कमजोरहोमरzwjल = एक ऐवहावसक आादोलनअाशयमzwjलमप = साक वलवप (शॉिपहड)नमतक = नीव सािाधीऔमचतzwj = उपयतzwjा उवच होन की अिसथाकतसकलप = वजसन पzwjका साकzwjप वकया हो

मरभमम = िाजर भवम अनतपजाऊ भवमसवधामनक = साविधान क अनतसार अवगत किना = पररवच कराना या िानामयहाविा आखो स पिदा हिाना = िासविका स अिग कराना

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

पाठ म परयतzwj उद धरण सतिचन मतहािर कहाि आलाकाररक शबद आवद की सची िनाकर अपन लखन परयोग ह त साकलन करो सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जनमवसद ध अवधकार की विशषाए

4

44

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वकिाड़ धीर-स सरकाकर दि पाि घर म दाखखल होन की कोवशश करा ह पर कोन म िठ वपा जी की वनगाह मतझ दिोच ली ह-

lsquoवकधर गए थ rsquo lsquoलॉनडटी म कपड़ दन rsquolsquoतमहार कपड़ zwjया रोज लानडटी म धतल ह rsquolsquoरोज कि जा ह rsquolsquoिकिास म करो वदन भर सड़को पर मिरगी कर वफर हो

अपन कपड़ खतद नही धो सक rsquolsquoहऽऽ rsquo म गतनाा हआ ढीठ-सा अादर आ जाा ह मन ो करा

ह वक उनपर जिािो क ीर चलाऊ पर जाना ह-पररणाम िही होगा उनका दहाड़ना-गरजना मरा कई-कई घािो क वलए घर स गायि हो जाना और हफो हम वपा-पततर का एक-दसर की नजरो स िचना सामना पड़न पर मरा वढठाई स गतजर जाना मा का रोना-धोना और पिप कमयो को दोष द हए लगाार विसर चल जाना

ठीक-ठीक याद नही आा वक यह वसलवसला कि स और कस शतर हआ मन ो अपन आपको जि स जाना ऐसा ही विदराही उद दाड और ढीठ िचपन मर वलए विलकल एक शहद क पयाल जसा ही था वजस होठो स लगा-लगा ही वपा की महततिाकााका का जहर उस पयाल मा घतल गया था

अभी भी िह वदन याद आा ह जि मा न िाल सिार वकािो का नया िग मर कधो पर लिका मतझ वपा जी क साथ साइवकल पर विठाकर सकल भजा था वपा जी माम दौड़-धप कर मतझ कॉनिि म दाखखल करा पान म सफल हो गए थ

म अागजी माधयम स पढ़न लगा घर मा परी ौर स वहादी िाािरण zwjलास क वजन िचचो क घरल माहौल भी अागवजय स यतzwj थ उनपर ही वशवककाए भी शािाशी क िोकर उछाली zwjयोवक ि छोिी उम म ही धारापरिाह अागजी िोल कका म उनही लड़को का दिदिा रहा

मा मतझ अचछी रह पढ़ा सकी थी पर अागजी माधयम होन की िजह स लाचार थी अः सारी महन वपा जी ही कर मरी इचछा नही रही थी उनस पढ़न की मगर मा की िा नही िाल सका था ऑवफस स आन क साथ ही सारी वकाि-कॉवपयो सवह मतझ

- सरयिाला

8 मिा मवदाह

जनम ः १९4३ िाराणसी (उपर)परिचzwj ः समकालीन वयागय एिा कथा सावहतय म अपनी विवशषि भवमका और महतति रखन िाली सयपिाला जी न अभी क १5० स अवधक कहावनया उपनयास और हासय-वयागय सािवध रचनाओ का लखन कायप वकया ह आपको lsquoवपरयदवशपनी पतरसकारrsquo lsquoघनयामदास सराफ पतरसकारrsquo lsquoवयागय शीrsquo आवद अनक पतरसकार सममान परापत हए ह परमयख कमतzwjा ः lsquoमर सावध पतरrsquo lsquoअवगनपाखीrsquo lsquoयावमनी-कथाrsquo lsquoइzwjकीस कहावनयाrsquo आवद

परस त कहानी म सयपिाला जी न िालमन की लालसाओ वपा की महततिाकााकाओ एिा अपकाओ का मनोिजावनक विलषण परसत वकया ह इस पाठ म आपन िाया ह वक वकस रह वपा की आकााकाओ स दिकर िालक-िावलकाओ की लालसाए दम ोड़ द ी ह पररणामसिरप िचच विदराही िन जा ह और जि क उनह समझ आी ह ि क काफी दर हो चतकी होी ह अः हम इन वसथवयो स िचना चावहए

परिचzwj

गद zwj सबधी

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रवडयो दरदशपन य ि यि स शौयप कथागी सतनो और सतनाओ

अपन जीिन म वपा की महततिपणप भवमका को अधोरखख कर हए कजा जापन करन िाला पतर वलखो

शरवरीzwj

मौमzwjलक सजनघरकर पढ़ाना-रिाना शतर कर द शायद उनकी महन क ही िल पर म आठिी कका क पहचा ह

एक िार परी zwjलास वपकवनक पर जा रही थी वपा जी न मना वकया मर वजद करन पर मा और वपा जी म भी वझक-वझक होन लगी म अड़ा ही रहा पररणामसिरप पहल समझाया धमकाया और डािा गया और सिस आखखर म दो चाि लगाकर नालायक करार वदया गया म िड़ा कोवध हआ

कभी lsquoडोनशनrsquo या सालाना जलस आवद क वलए चाद िगरह की छपी पवचपया लाा ो वपा जी झzwjला पड़ एक-दो रपय द भी ो म अड़ जाा वक िाकी लड़क दस-दस िीस-िीस रपय ला ह म zwjयो एक-दो ही ल जाऊ मन इस िार म मा स िा की पर मा भी इस वफजल खचाप मानी थी

रमन की lsquoिषपगाठrsquo की िा ो म कभी भल ही नही सका सिस पहल उसन मतझ ही िाया था वक अगल महीन उसकी िषपगाठ ह म अादर-िाहर एकदम खतशी स वकलका घर पहाचा था म शायद रमन स भी जयादा िसबरी स उसकी िषपगाठ का इाजार कर रहा था zwjयोवक रमन न अपनी िषपगाठ की याररयो का जो वचतर खीचा था उसन मतझ पर एक महीन स िचन कर रखा था

लवकन उस वदन वपा जी न मतझ एकदम डपि वदया-lsquolsquoनही जाना ह rsquorsquo मन जोर-जोर स लड़ना वजद मचाना और रोना-वचzwjलाना शतर कर वदया गतसस मा वपा जी न एक भरपर थपपड़ गालो पर जड़ वदया गाल पर लाल वनशान उभर आए उस वदन पहली िार मा न मर गालो पर उगवलया फर रो पड़ी थी और वपा जी स लड़ पड़ी थी वपा जी को भी शायद पछािा हआ था मा न मरा मतह धतलाया गाल पर दिा लगाई और िाजार स विसकि का एक वडबिा मगाकर वपा जी क साथ रमन क घर वभजिा वदया

रमन क पापा दरिाज पर ही वमल गए थ खि खतश होकर उनहोन रमन को ितलाया वफर उनकी दवषि गालो पर पड़ी वपा जी जzwjदी स िोल lsquolsquoआ-आ सीवढ़यो स वगर गया पर मन कहा lsquolsquoतमहार दोस का जनमवदन ह जरर जाओ rsquorsquo

मरा वदमाग गतसस स पागल हो गया मन वकया जोर स चीख पड़ रमन क पापा क सामन ही-वक य झठ मzwjकार और वनदपयी ह मतझ

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पीिकर लाए ह और यहा झठ िोल रह ह िोला कछ नही िस गतसस स उनह घरा रमन की उगली पकड़ अादर चला गया

अादर जाकर ो मतझ लगा वक म लाल परी क जादई दश मा आ गया ह ढर-क-ढर झल राग-विराग गतबिार ररिास परजि स िटॉवफया-गतलदस-सा सजजा उzwjलास स हमशा हस-स उसक मममी-डडी घर लौिकर मन पहला परन मा स यही वकया-lsquoतम और वपा जी मरा जनमवदन zwjयो नही मना rsquo

उतर म वपा जी की वझड़की न उसक परव उपका ि आकोश को और भी िढ़ा वदया शायद धीर-धीर इसी उपका और आकोश का सथान विदराह लन लगा अनजान म मर अादर वपा जी का एक शतरत पदा हो गया जो हर समय वपा जी को ाग करन दखी करन और उनस अपन परव वकए गए अनयायो क विरद ध िदला लन की सकीम िनाा चवक वपा जी और पढ़ाई एक-दसर क पयापयिाची िन गए थ अः पढ़ाई स भी मतझ उनी ही वचढ़ हो गई थी वजनी वपा जी स

घर म छोिी िहन शाल और उसस छोि माि क आगमन क साथ ही ागहाली और भी िढ़ गई थी शायद इसी िजह स म जयादा विदराही हो गया था अि िा-िा पर वपिना एक आम िा हो गई थी धीर-धीर वपिन का डर भी वदमाग स काफर हो गया और म दससाहसी हो वपा जी क हाथ उठा ही घर स भाग खड़ा होा

िस पढ़ाई वपछड़ी गई फसिप आन लायक शायद नही था पर सामानय लड़को स अचछ नािर ो म आसानी स ला सका था पढ़ाई स ो मतझ शतरता हो गई थी वपा जी स िदला लन क वलए अपना कररयर चौपि करन क म मतझ एक मजा वमला लगा वपा जी को नीचा वदखान का इसस अचछा उपाय दसरा नही हो सका

मतझ याद ह वक पाचिी कका म सािी पोजीशन लान क िाद छठी कका मा म महन करक थडप अाया था सोचा था वपछल साल स अचछ नािर लान पर वपा जी खतश होग पर ि ररपोिप दख ही खीझ थ-lsquoचाह वकना भी घोलकर वपला द पर रहगा थडप -का-थडप ही rsquo मरा मन अपमान स वलवमला गया सोचा चीखकर कह-lsquoअगल साल म फल होऊगा फल rsquo

अzwjसर पपर दकर लौिन पर इमहान का िोझ िलन की खतशी म उमागा स घर लौिा ो िठक म ही वपा जी वमल-lsquolsquoकसा वकया पपर rsquorsquo म खतश होकर कहा lsquoअचछाrsquo पर वपा जी क होठ विदक जा lsquolsquoकह ो ऐस रह हो जस फसिप ही आओग rsquorsquo

खीझकर पपर दकर लौिन पर ो खास ौर स उनका सामना करन

lsquoभार की सापकफ भाषा वहादी हrsquo इस कथन पर विचार कर हए अपना म परसत करो

सभाषरीzwj

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वकसी अाररक यातरी की अाररक यातरा का अनतभि पढ़ो और चचाप करो

पठनीzwj

मनमनमzwjलखखत जगहो पि जाना हो तो तयमहािा सपकक मकस भाषा स होगा मzwjलखो ःचाडीगढ़ ------अहमदािाद ------पतरी ------रामिरम ------शीनगर ------पररस ------िोवकयो ------बरावजल ------िीवजाग ------इजराइल ------

zwjलखनीzwj

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स कराा वचढ़ा और मा क सामन भतन-भतनाकर अपना आिश वयzwj करा शाल मतझ िचची लगी थी पर जि स थोड़ी िड़ी होन क साथ उसन वपा जी-मा का कहना मानना उनस डरना शतर कर वदया ह मतझ उस चमची स वचढ़ हो गई ह ननह माि को गोद मा लकर उछालन-खलान की िीय होी ह पर वपा जी उस पयार कर ह यह सोचकर ही मतझ उस रो रहन दन म शााव वमली ह

इस महीन पस की जयादा परशानी ह-िरीकॉि की कड़क कॉलरिाली ितशिप जरर वसलिाऊगा मर पास घड़ी zwjयो नही ह विना घड़ी क परीका नही दगा साइवकल पाzwjचर हो गई ो िस नही ऑिोररzwjशा स वकराया दकर घर लौिगा वहपपी कि िाल किाऊगा माथ पर फलाकर सिारगा कर ल जो कर सक हो मरा ह ऽऽ

कई िार मन करा ह-कोवशश करक एक िार फसिप आ ही जाऊ लवकन भी अादर स कोई चीखा ह-नही यह ो वपा जी की जी हो जाएगी ि इस अपनी ही उपलवबध समझग और और खतश भी ो होग मरा उनकी खतशी स zwjया िासा अि उनका और कछ िश नही चला ो मा को सतनाकर दहाड़ ह- lsquolsquoठीक ह म पढ़-वलख कर सार वदन मिरगी म भी इस इमहान क िाद वकसी कली-किाड़ी क काम पर लगा द ा ह rsquorsquo

यही दख लीवजए अभी नतzwjकड़ की दकान पर कछ खरीदन आया ही था वक अचानक वपा जी सड़क स गतजर दीख जाना ह घर पर पहचकर खि गरजग-दहाड़ग लवकन िाहरी दरिाज पर आकर सन रह जाा ह वपा जी को लगा वक उनक िि का भविषय िरिाद हो गया ह यह सोचकर ि गवलयार म खड़-खड़ दीिार स कोहवनया विकाए वनशबद कार रो रह ह म सनाि म खखाचा अिाक खड़ा रह जाा ह वपा जी का ऐसा िहद वनराश आकल-वयाकल रप मान इसक पहल कभी नही दखा था वजादगी म पहली िार मन अपन वपा को इना वििश इना वयवथ और इना ििस दखा ो zwjया वपा जी पहल भी कभी ऐसी ही अिश मजिररयो क िीच रोए होग-मतझ लकर

अि मतझ अपन वकए पर पछािा हआ वपा जी की दशा दखकर म मन-ही-मन दखी हआ मा स वमलकर मन सि कछ िाया आज मा की खतशी का पारािार न था उसन मतझ गल लगाया उसकी आखो स आस झरन लग ि दख क नही खतवशयो क थ मरी आखो क विदरोही अागार ितझन लग ह-मर अपन ही आसतओ की धार स म वनःशबद कह रहा ह-वपा जी म सावध चाहा हा हा म सावध चाहा ह

मन आपको गल समझा मतझ कमा कर दीवजए

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सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) एक शबद म उतति मzwjलखो ः

१ िि की माभाषा ः२ िि की वशका की माधयम भाषा ः

(३) कािर मzwjलखो ः१ अागवजय िाल पररिारो क िचचो का दिदिा रहा था -२ वपा जी झzwjला पड़ थ -३ लड़क की मा उस पढ़ा नही पाी थी -

शबद वामिकामकzwjलकना = खतशी मा वचzwjलानाडपिना = डािनामििगशती = मौज मा घमनापािावाि = सीमा

मयहावि अाप स बाहि होना = िह कोवध होना

अबराहम वलाकन द िारा परधानाधयापक को वलख हए पतर का चािप िनाकर कका म लगाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबद

मनमन मयद दो क आधाि पि मवजापन मzwjलखो ः

सथलजगह सापकफ पतसक मला वदनााक समय

पाठो म आए हए उपसगप और परतययिाल शबद ढढ़ो था उनक उपसगपपरतयय अलग करक मल शबद वलखो

अवाक खड़ा िहना = अचावभ हो जानाकािि होना = गायि हो जाना नीचा मदखाना = अपमावन करना मतzwjलममzwjला जाना = गतससा होनाचौपि किना = िरिाद करनापािावाि न िहना = सीमा न रहना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

(२) सकप म मzwjलखो ः१ रमन क lsquoजनमवदनrsquo पर न जान दन क िाद लड़क

द िारा वकया गया विदरोह ः२ नतzwjकड़ की दकान स घर लौिन पर िि द िारा

दखा दय ः(4) ऐस परशन बनाओ मजनक उतति मनमन शबद हो ः

साइवकल िसबरी छपी पवचपया पारािार

(5) सजाzwjल परण किो ः

लाल परी क जादई दश की विशषाए

4९

50

९ नही कछ इसस बढ़कि

- सबमतानदन पzwjत

परसि िदना सह जि जननी हदय सिपन वनज मप िनाकरसनयदान द उस पालीपग-पग नि वशशत पर नयोछािरनही पराथपना इसस सतादर

शी-ाप म जझ परकव स िहा सिद भ-रज कर उिपर शसय यामला िना धरा को जि भाडार कषक द भर नही पराथपना इसस शतभकर

कलाकार-कवि िणप-िणप कोभाि वल स रच सममोहनजि अरप को नया रप दभर कव म जीिन सपादननही पराथपना इसस वपरयर

सतय-वनषठ जन-भ परमी जि मानि जीिन क मागल वह कर द उतसगप पराण वनज भ-रज को कर शोवण रावज नही पराथपना इसस िढ़कर

चख-चख जीिन मधतरस परवकण विपतल मनोिभि कर सावचजन मधतकर अनतभव दरवि जिकर भि मधत छतर विवनवमपनही पराथपना इसस शतवचर

परसत गी म कवि सतवमतरानादन पा जी न मा कषक कलाकार कवि िवलदानी पतरष एिा लोक क महतति को सथावप वकया ह आपका मानना ह वक उपरोzwj सभी वयवzwj समाज दश क वह म सदि तपर रह ह अः इनकी पजा स िढ़कर दसरी कोई पजा नही ह

जनम ः १९०० कौसानी अzwjमोड़ा (उतराखाड)मतzwjय ः १९७७ परिचzwj ः lsquoपाrsquo जी को परकव स िह लगाि था परकव सौदयप क अनतपम वचर था कोमल भािनाओ क कवि क रप म आपकी पहचान ह आप िचपन स सतादर रचनाए वकया कर थ आपको lsquoभारीय जानपीठrsquo lsquoसोविय लड नहर पतरसकारrsquo lsquoसावहतय अकादमी पतरसकारrsquo और lsquoपद मभषणrsquo सममान स अलाक वकया गया परमयख कमतzwjा ः lsquoिीणाrsquo lsquoपzwjलिrsquo lsquoगताजनrsquo lsquoमानसीrsquo lsquoिाणीrsquo lsquoसतयकामrsquo आवद

परिचzwj

पद zwj सबधी

lsquoमनःशााव क वलए वचान-मनन आियक हrsquo इसपर अपन विचार वलखो

कलपना पलzwjलवन

5०

51

जननी = मा सवद = पसीनाभ-िज = वमि िीउवणि = उपजाऊशसzwj = नई कोमल घासशzwjामzwjला = सािली हरी-भरीकषक = वकसान तमzwjल = कची वलका

शबद वामिकासममोहन = मोवह करनासपदन = कपनउतसगण = िवलदानशोमरत िमजत = रzwj स भीगा हआमवमनममणत = िनाया हआशयमचति = अवधक पवितरमयहाविानzwjोछावि किना = िारी जाना समवपप करना

सचना क अनयसाि कमतzwjा किो ः- (१) सजाzwjल परण किो ः (२) कमत किो ः

(३) अमतम चाि पमकतzwjो का अरण मzwjलखो

(4) कमवता म उमलzwjलखखत मानव क मवमभन रप मzwjलखोः१ -----------२ -----------३ -----------4 -----------

१ धरी को उपजाऊ िनान िाला

२अनाज क भाडारो को भरन िाला

--------

गी की विशषाए

lsquoराषिटसा तकडो जी क सिपधमपसमभािrsquo पर आधारर गी पढ़ो और इसपर आधारर चािप िनाओ

उपzwjोमजत zwjलखन

भाषा मबदमनमन शबदो क मzwjलग तरा वचन बदzwjलकि वाकzwjो म परzwjोग किो ःवलाग - कवि माा भाई लखकिचन - दकान पराथपना अनतभव कपड़ा ना

सवzwj अधzwjzwjन

मन समझा------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

5१

lsquoसड़क दघपिनाए ः कारण एिा उपायrsquo वनिाध वलखो

52

शबद भद

(१) (२)

(३)

वकया क कालभकाल

(5) मयहाविोकहावतो का परzwjोगचzwjन किना(६) वाकzwj शयदधीकिर(७) सहाzwjक मकरzwjा पहचानना(8) परिरारणक मकरzwjा पहचानना (९) कािक

(१०) मविाममचह न (११) वरणमवचछद

मवकािी शबद औि उनक भद

िपमान काल

भविषय काल

वकयाविशषण अवययसािाधसचक अवययसमतचचयिोधक अवययविसमयावदिोधक अवयय

सामानय

सामानय

सामानय

पणप

पणप

पणप

अपणप

अपणप

अपणप

सजा सवणनाम मवशषर मकरzwjाजाविाचक पतरषिाचक गतणिाचक सकमपकवयवzwjिाचक वनचयिाचक

अवनचयिाचकपररमाणिाचक

१वनखच २अवनखचअकमपक

भाििाचक वनजिाचक साखयािाचक१ वनखच २ अवनखच

सायतzwj

दरवयिाचक परनिाचक सािपनावमक पररणाथपकसमहिाचक सािाधिाचक - सहायक

वाकzwj क परकाि

िचना की दमषि स

१ साधारण२ वमश ३ सायतzwj

अरण की दमषि स१ विधानाथपक२ वनषधाथपक३ परनाथपक 4 आजाथपक5 विसमयावदिोधक६ सादशसचक

वzwjाकिर मवभाग

(4)

अमवकािी शबद(अवzwjzwj)

शबदो क वलाग िचन विलोमाथपक समानाथथी पयापयिाची शबद यतगम अनक शबदो क वलए एक शबद समोचचारर मराठी-वहादी वभनाथपक शबद कवठन शबदो क अथप उपसगप-परतयय पहचाननाअलग करना कदा-द वध िनाना मल शबद अलग करना

शबद सपदा - (पाचिी स आठिी क)

5२

53

पतरzwjलखन अपन विचारो भािो को शबदो क दिारा वलखख रप म अपवक वयखति क पहतचा दन िाला साधन ह पतर हम सभी

lsquoपतरलखनrsquo स पररवच ह ही आजकल हम नई-नई कनीक को अपना रह ह पतरलखन म भी आधतवनक ातरजानकनीक का उपयोग करना समय की माग ह आन िाल समय म आपको ई-मल भजन क रीक स भी अिग होना ह अः इस िषप स पतर क नय परारप क अनतरप ई-मल की पदधव अपनाना अपवक ह पतर zwjलखन क मयखzwj दो परकाि ह औपचारिक औि अनौपचारिक

उपzwjोमजत zwjलखन (िचना मवभाग)

5३

वदए गए पररचछद (गद यााश) को पढ़कर उसी क आधार पर पाच परनो की वनवमपव करनी ह परनो क उतर एक िाzwjय म हो ऐस ही परन िनाए जाए परन क उतर वलखना अपवक नही ह परशन ऐस हो ः यार परन साथपक एिा परन क परारप मा हो परन रचना और परनो क उतर वदए गए गदयााश पर आधारर हो रवच परन क अा म परनवचह न लगाना आियक ह परन समच पररचछद पर आधारर हो

वततात zwjलखन ः िताा का अथप ह- घिी हई घिना का वििरणरपिअहिाल लखन यह रचना की एक विधा ह िताा लखन एक कला ह वजसम भाषा का कशलापिपक परयोग करना होा ह यह वकसी घिना समारोह का विस िणपन ह जो वकसी को जानकारी दन ह त वलखा होा ह इस ररपोापज इवित अहिाल आवद नामो स भी जाना जाा ह वततात zwjलखन क मzwjलए धzwjान िखन zwjोगzwj बात ः िताा म घवि घिना का ही िणपन करना ह घिना काल सथल का उzwjलख अपवक होा ह साथ-ही-साथ घिना जसी घवि हई उसी कम स परभािी और परिाही भाषा म िवणप हो आशयपणप उवच था आियक िाो को ही िताा म शावमल कर िताा का समापन उवच पदधव स हो

गदzwj आकzwjलन (परशन मनममणमत)

कहानी zwjलखन ः कहानी सतनना-सतनाना आिाल िदधो क वलए रवच और आनाद का विषय होा ह कहानी लखन विदयावथपयो की कzwjपनाशखति निवनवमपव ि सजनशीला को पररणा दा ह कहानी zwjलखन म मनमन बातो की ओि मवशष धzwjान द ः शीषपक कहानी क मतददो का विसार और कहानी स परापत सीखपररणा सादश य कहानी लखन क अाग ह कहानी भकाल म वलखी जाए कहानी क सािाद परसागानतकल िपमान या भविषयकाल म हो सक ह सािाद अिरण वचह न म वलखना अपवक ह कहानी लखन की शबद सीमा सौ शबदो क हो कहानी का शीषपक वलखना आियक होा ह शीषपक छोिा आकषपक अथपपणप और सारगवभप होना चावहए कहानी म कालानतकम घिनाकम और परिाह होना आियक ह घिनाए शाखलािदध होनी चावहए कहानी लखन म आियक विरामवचह नो का परयोग करना न भल कहानी लखन कर समय अनतचछद िनाए कहानी का विसार करन क वलए उवच मतहािर कहाि सतिचन पयापयिाची शबद आवद का परयोग कर

मनतषय को अपन जीिन की आियकाए पणप करन क वलए िह कछ शम करना पड़ा ह इस शम स थक हए मन और मवसषक को विशाम की आियका होी ह शरीर पर भी इस शम का परभाि पड़ा ह इसवलए िह भी विशाम मागा ह वकत यवद मनतषय आलसी की भाव सीधा चारपाई पर लि जाए ो इसस िह थकान भल ही उार ल परात िह नया उतसाह नही पा सका जो उस अगल वदन वफर स काम करन की शवzwj परदान कर सक यह भी हो सका ह जि वदन भर क काम स थक मन को हस-खलकर िहला वलया जाए आकषपक गी सतनकर या सातदर दय दखकर वदन भर पढ़न अथिा सोचन स वदमाग पर जा परभाि पड़ा हो उस वनकालकर मवसषक को उस वचाा स दर कर दना चावहए इसका पररणाम यह होगा वक मनतषय पतनः विषय पर नई शवzwj स सोच-विचार कर सकगा

परशनः१ २ ३ 4 5

5454

नवजापि ः वzwjतशमान यग सपधाश का ह और ववजापन इस यग का महतवपणश अग ह आज सगणक zwjतथा सचना परौदयोवगकी क यग म अzwjतरजाल (इटरनट) एव भरमणधववन (मोबाइल) कावzwjत क काल म ववजापन का कतर ववसzwjतzwjत होzwjता जा रहा ह ववजापनो क कारण वकसी वसzwjत समारोह वशववर आवद क बार म जानकारी आकषशक ढग स समाज zwjतक पहच जाzwjती ह लोगो क मन म रवच वनमाशण करना धयान आकवषशzwjत करना ववजापन का मखय उद दशय होzwjता ह नवजापि लखि करत समzwjय निमि मदो की ओर धzwjयाि द ः कम-स-कम शबदो म अवधकावधक आशय वयकत हो नाम सपषट और आकषशक ढग स अवकzwjत हो ववषय क अनरप रोचक शली हो आलकाररक कावयमय परभावी शबदो का उपयोग करzwjत हए ववजापन अवधक आकषशक बनाए वकसी म उतपाद सबधी ववजापन म उतपाद की गणवतzwjता महतवपणश होzwjती ह

अिवाद लखि ः एक भाषा का आशय दसरी भाषा म वलशखzwjत रप म वयकzwjत करना ही अनवाद कहलाzwjता ह अनवाद करzwjत समय वलवप और लखन पद धवzwjत म अzwjतर आ सकzwjता ह परzwjत आशय मलभाव को जस वक वस रखना पड़zwjता ह

अनवाद ः शबद वाकय और पररचछद का करना ह

नििि लखि ः वनबध लखन एक कला ह वनबध का शाशबदक अथश होzwjता ह lsquoसगवठzwjत अथवा lsquoसवयवशसथzwjत रप म बधा हआrsquo साधारण गद य रचना की अपका वनबध म रोचकzwjता और सजीवzwjता पाई जाzwjती ह वनबध गद य म वलखी हई रचना होzwjती ह वजसका आकार सीवमzwjत होzwjता ह उसम वकसी ववषय का परवzwjतपादन अवधक सवzwjततरzwjतापवशक और ववशष अपनपन और सजीवzwjता क साथ वकया जाzwjता ह एकसतरzwjता वयशकततव का परवzwjतवबब आतमीयzwjता कलातमकzwjता वनबध क zwjततव मान जाzwjत ह इन zwjततवो क आधार पर वनबध की रचना की जाzwjती ह वणशनातमक ववचारातमक आतमकथनपरक चररतरातमक zwjतथा कलपनापरधान य वनबध क पाच परमख भद ह

दोह ः कबीर दास जी कहzwjत ह वक जसा भोजन करोग वसा ही मन होगा यवद इमानदारी की कमाई खाओग zwjतो वयवहार भी इमानदारी वाला ही होगा बइमानी क भोजन करन स मन म भी बइमानी आएगी उसी zwjतरह जसा पानी पीओग वसी भाषा भी होगी

मन क अहकार को वमटाकर ऐस मीठ और नमर वचन बोलो वजसस दसर लोग सखी हो और सवय भी सखी हो

जब म इस दवनया म बराई खोजन वनकला zwjतो कोई बरा नही वमला पर वफर जब मन अपन मन म झाककर दखा zwjतो पाया वक दवनया म मझस बरा और कोई नही ह

पद ः बालक ककषण मा यशोदा स कहzwjत ह वक मया मरी चोटी कब बढ़गी वकzwjतना समय मझ दध पीzwjत हो गया पर यह चोटी आज भी छोटी ही बनी हई ह zwjत zwjतो यह कहzwjती ह वक दाऊ भया की चोटी क समान यह लबी और मोटी हो जाएगी और कघी करzwjत गथzwjत zwjतथा सनान कराzwjत समय यह नावगन क समान भवम zwjतक लोटन (लटकन) लगगी zwjत मझ बार-बार कचा दध वपलाzwjती ह माखन-रोटी नही दzwjती ह सरदास जी कहzwjत ह वक दोनो भाई वचरजीवी हो और हरर-हलधर की जोड़ी बनी रह

भावारण - पाठ zwjयपसतक पषठ कर २३ पहलमी इकाई पाठ कर ९ दोह और पद-सत किमीर भकत सरदास

नशकको क नलए मतागथिदशथिक बता

अधययन अनभव परनकरयता परतारभ करन स पिल पताठ यपसक म दी गई सचनताओ नदशता ननददशो को भली-भतान आतमसता कर ल भतारताई कौशल क नवकतास क नलए पताठ यवस lsquoशरवणीयrsquo lsquoसभतारणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पताठो पर आधतारर कनयता lsquoसचनता क अनसतार कनयता करोrsquo म आई ि पद य म lsquoकलपनता पललवनrsquo गद य म lsquoमौनलक सजनrsquo क अनररzwj lsquoसवय अधययनrsquo एव lsquoउपयोनज लखनrsquo नवद यतानथियो क भतावनवचतार नवव कलपनता लोक एव रचनतातमकता क नवकतास ता सवयसzwjफ थि लखन ि नदए गए ि lsquoमन समझताrsquo म नवद यतानथियो न पताठ पढ़न क बताद zwjयता आकलन नकयता ि इस नलखन क नलए परोतसतानि करनता ि इस बता कता नवशर धयतान रखता गयता ि नक परतयक पताठ क अगथि दी गई कनयता उपकरमो एव सवताधयतायो क मताधयम स भतारता नवरयक कमताओ कता समयक नवकतास िो अः आप इसकी ओर नवशर धयतान द

lsquoभतारता नबदrsquo (भतारता अधययन) वयताकरण की दनzwjटि स मिततवपणथि ि उपरोzwj सभी कनयो कता स अभयतास करतानता अपनक ि वयताकरण पतारपररक रप स निी पढ़तानता ि सीध पररभतारता न बताकर कनयो और उदतािरणो द वतारता वयताकरण घटिको की सकलपनता क नवद यतानथियो को पहचतान कता उतरदतानयतव आपक सबल कधो पर ि lsquoपरक पठनrsquo सतामगी किी-न-किी भतारताई कौशलो क नवकतास को िी पोनर कर हए नवद यतानथियो की रनच एव पठन ससकन को बढ़तावता द ी ि अः परक पठन कता अधययन आवयक रप स करवताए

आवयकतानसतार पताठ यर कनयो भतारताई खलो सदभभो परसगो कता समतावश भी अपनक ि पताठो क मताधयम स ननक सतामतानजक सवधताननक मलयो जीवन कौशलो कदीय ततवो क नवकतास क अवसर भी नवद यतानथियो को परदतान कर कमता नवधतान एव पताठ यपसक म अ ननथिनि सभी कमताओकौशलो सदभभो एव सवताधयतायो कता स मलयमतापन अपनक ि नवद यताथी कनशील सवयअधययनशील गनशील बन जतानरचनता म वि सवयसzwjफथि भताव स रनच ल सक इसकता आप स धयतान रखग ऐसी अपकता ि

पणथि नववतास ि नक आप सभी इस पसक कता सिरथि सवताग करग

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