सुहानी अगयवार - uws · भ /य / इस सऩन क * ऩूया...

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हभाया बायत भहान व वशार है, जहाॉ सबी धभ औय सॊदाम के रोग को अऩनी जीवनशैरी से जीने कवतॊता है। हभाये बायतवषकी ववशेषता उसकी वधता भ एकता है। कतनी बी वधताएॉ ह, ऩय ककसी बी धाभषक मोजन ऩय धाभषक थर उसकी ववधता भ एकता का दशषन कयती है। इसी काय हभाये देश भ हय ात की अरग-अरग बाषाएॉ भरती ह। हभायी भूर बाषा सॊक त है जजसका अऩॊश ऱऩ हहॊदी है। आज से कयीफ एक वषष ऩहरे हभाये ववमारम भ ऽुशी गुता वाया अॊेजी सभाचाय ऩ 'द इपॉभट' की थाऩना ह ई थी। उस सभम भेये हदभाग भ मह फात आई तो थी कक म न हभ एक हॊदी सभाचाय ऩ को बथावऩत कय, ऩयतु अम सबी ववमाथषम के सभान भने बी सोच रमा था कभेये इस सऩने को ऩूया कयने भ भुझे ककसी का सभथषन न भरेगा। आज हहॊदी अऩनएक नई ऩहचान फना चुकी है जसका ताज़ा उदाहयण हभाये धानभॊी ी नय भोदी जकी नवीनतभ अभेयीका माा से जाना जा सकता है। जहाॉ भोदी जी ने पेसफुक की ओय से आमोजजत एक तऩधाष भ हहॊदी भ सॊवाद ककमा, जसे पेसफुक सॊथाऩक भाकष ज़ुके यफगष अॊेजी भ भेज़फान कय यहे थे। इस तयह भोदी जी ने हहॊदी भ सॊवाद कयने को एक नए भुकाभ ऩय ऩह चा हदमा है। हॊदी के भहव को सभझते ह ए, कुछ भहीन ऩहरे, हभायी उऩ धानाचामाष जी ने हहॊदी वबाग के सभ एक हहॊदी सभाचाय ऩ को थावऩत कयने की चुनौती यखी, जजसे हभायी हॊदी अमावऩका औय फच वाया वीकाय कमा गमा। अटू फय सॊकयण | खॊड १ | अॊक १ इस ववचाय को सही साबफत कयने के रए, कठोय ऩरयभ के फाद, आखखयकाय 'दऩषण' की थाऩना ह ई। ऩहरे हभने इस सभाचाय ऩ को 'हदमभ्' फुराना चाहा, ऩयतु हय नाभ के ऩीछे एक कहानी होती है औय मह कहानी हभ 'दऩषण' नाभ से भरी। दऩषण - अथाषत ् आईना मा ऩयछा । जफ ऩूये सॊऩादकीम दर ने फैठकय सोचा तो जाना कक मह सभाचाय ऩ हभायी भेहनत एवॊ हभायी सोच को तबफॊबफत कयता है। इसका रम ववमाथषम तक मह सॊदेश ऩह चाना है कक हहॊदी को सीखकय औय इस बाषा ऩय काभ कयना मथष नहीॊ जाता। 'दऩषण' एक आईने के तयह है, जो हभ अऩनी सॊक त औय ऩयऩयाओॊ को हभायी भात - बाषा के भामभ से रोग तक ऩह चाने भ वववास यखता है । शुरआत भ हभने कई कहठनाइम का साभना कमा। कबी ववमाथी इस बाषा से डय जाते, तो कबी हभ सभझ न आता कक कौनसे बफॊदु से कामष का ी गणेश कय। ऩयतु हय फाय हभाये गुरजन हभ सहाया देते औय सपरता का भागष हदखाते। जस दौयान, हभ सबी, दऩषण को थावऩत कयने के रए हदन-यात एक कय देते थे, हभ कई रोग ने कहा क हहॊदी सभाचाय ऩ कोई न ऩढ़ेगा ऩयतु ढ़ तनचमी, सभवऩष व भेहनती वमाथषम ने आशा न छोड़ी औय आज आऩके सभ दऩषण का थभ अॊक तुत है। आऩके आशीवाषद की हभ हभेशा ज़रयत यहेगी। भने एक फाय कहीॊ ऩढ़ा था सागय भ भरती धायाएॉ हॊदी सफकी सॊगभ है, शद, नाद, रवऩ, से बी आगे एक बयोसा अनुऩभ है, गॊगा कावेयी की धाया साथ भरती हहॊदी है । हानी अगयवार २०१९ भ थापऩत

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  • हभाया बायत भहान व ववशार है, जहाॉ सबी धभों औय सॊप्रदाम के रोगों को अऩनी जीवनशैरी से जीने की स्वतॊत्रता है। हभाये बायतवषष की ववशेषता उसकी ववववधता भें एकता है। ककतनी बी ववववधताएॉ हों, ऩय ककसी बी धार्भषक प्रमोजन ऩय धार्भषक स्थर उसकी ववववधता भें एकता का प्रदशषन कयती है। इसी प्रकाय हभाये देश भें हय प्रान्त की अरग-अरग बाषाएॉ र्भरती हैं। हभायी भूर बाषा सॊस्कृत है जजसका अऩभ्रॊश रूऩ हहॊदी है।

    आज से कयीफ एक वषष ऩहरे हभाये ववद्मारम भें ऽुशी गुप्ता द्वाया अॊगे्रजी सभाचाय ऩत्र 'द इन्पॉभेंट' की स्थाऩना हुई थी। उस सभम भेये हदभाग भें मह फात आई तो थी कक क्मों न हभ एक हहॊदी सभाचाय ऩत्र को बी स्थावऩत कयें, ऩयन्तु अन्म सबी ववद्मार्थषमों के सभान भैंने बी सोच र्रमा था कक भेये इस सऩने को ऩूया कयन ेभें भुझे ककसी का सभथषन न र्भरेगा।

    आज हहॊदी अऩनी एक नई ऩहचान फना चुकी है जजसका ताज़ा उदाहयण हभाये प्रधानभॊत्री श्री नयेंद्र भोदी जी

    की नवीनतभ अभेयीका मात्रा से जाना जा सकता है। जहाॉ भोदी जी ने पेसफुक की ओय से आमोजजत एक प्रततस्ऩधाष भें हहॊदी भें सॊवाद ककमा, जजसे पेसफुक सॊस्थाऩक भाकष ज़ुकेयफगष अॊगे्रजी भें भेज़फान कय यहे थे। इस तयह भोदी जी न ेहहॊदी भें सॊवाद कयने को एक नए भुकाभ ऩय ऩहुॉचा हदमा है। हहॊदी के भहत्तत्तव को सभझते हुए, कुछ भहीनों ऩहरे, हभायी उऩ प्रधानाचामाष जी ने हहॊदी ववबाग के सभऺ एक हहॊदी सभाचाय ऩत्र को स्थावऩत कयने की चुनौती यखी, जजसे हभायी हहॊदी अध्मावऩका औय फच्चों द्वाया स्वीकाय ककमा गमा।

    अक्टूफय सॊस्कयण | खॊड १ | अॊक १

    इस ववचाय को सही साबफत कयने के र्रए, कठोय ऩरयश्रभ के फाद, आखखयकाय 'दऩषण' की स्थाऩना हुई। ऩहरे हभने इस सभाचाय ऩत्र को 'हदव्मभ'् फुराना चाहा, ऩयन्तु हय नाभ के ऩीछे एक कहानी होती है औय मह कहानी हभें 'दऩषण' नाभ से र्भरी। दऩषण - अथाषत ्आईना मा ऩयछाईं । जफ ऩूये सॊऩादकीम दर न ेफैठकय सोचा तो जाना कक मह सभाचाय ऩत्र हभायी भेहनत एवॊ हभायी सोच को प्रततबफॊबफत कयता है। इसका रक्ष्म ववद्मार्थषमों तक मह सॊदेश ऩहुॉचाना है कक हहॊदी को सीखकय औय इस बाषा ऩय काभ कयना व्मथष नहीॊ जाता। 'दऩषण' एक आईने के तयह है, जो हभें अऩनी सॊस्कृतत औय

    ऩयम्ऩयाओॊ को हभायी भात-ृबाषा के भाध्मभ से रोगों तक ऩहुॉचाने भें ववश्वास यखता है ।

    शुरुआत भें हभन ेकई कहठनाइमों का साभना ककमा। कबी ववद्माथी इस बाषा से डय जाते, तो कबी हभें सभझ न आता कक कौनसे बफॊद ुसे कामष का श्री गणेश कयें। ऩयन्तु हय फाय हभाये गुरुजन हभें सहाया देते औय सपरता का भागष हदखाते। जजस दौयान, हभ सबी, दऩषण को स्थावऩत कयने के र्रए हदन-यात एक कय देत ेथे, हभें कई रोगों ने कहा कक हहॊदी सभाचाय ऩत्र कोई न ऩढ़ेगा ऩयन्तु दृढ़ तनश्चमी, सभवऩषत व भेहनती ववद्मार्थषमों न ेआशा न छोड़ी औय आज आऩके सभऺ दऩषण का प्रथभ अॊक प्रस्तुत है। आऩके आशीवाषद की हभें हभेशा ज़रुयत यहेगी। भैंने एक फाय कहीॊ ऩढ़ा था कक सागय भें र्भरती धायाएॉ हहॊदी सफकी सॊगभ है, शब्द, नाद, र्रवऩ, से बी आगे एक बयोसा अनुऩभ है, गॊगा कावेयी की धाया साथ र्भरती हहॊदी है ।

    सुहानी अगयवार

    २०१९ भें स्थापऩत

  • हभाये ववद्मारम भें एक चुनौती ऽत्तभ होती नहीॊ कक दसूयी दयवाज़ े ऩय दस्त ़ देन ेआ जाती है। अर्द्षवावषषक की र्चॊता फच्चों के हदभाग से हटी थी नहीॊ कक वावषषक सभायोह की तैमारयमाॉ शुरू हो गईं । ए.ऩी.डी.एप. की तैमारयमों का सभम मातन ववद्मारम का वह एक भहीना जजसका इॊतज़ाय सबी फच्चों को ऩूये हदर से होता है । हय फच्चा “पुर ड ेपै्रजक्टस” का हदर थाभ कय इॊतज़ाय कयता है, ताकक वह ऩढ़ाई छोड़ कय यात की हदरकश कॉफ़ी की चुजस्कमों का आनॊद उठा सके । यात के अभ्मासों न ेफच्चों की यातों की नीॊद औय हदन का चैन सफ छीन र्रमा है। फच्च ेफेचाये थके-हाये जफ देय यात को अऩन ेडॉम्सष आत े हैं तो उन्हें अऩन े बफस्तय को देखकय ऐसा रगता है जैसे ककसी प्मासे को कुआॉ र्भर गमा हो । सुफह से जो डॉम्सष शारीभाय की तयह फॊद ककए जात ेहैं, वे जफ आखखय यात को खुरत ेहैं तो ऐसा प्रतीत होता है भानो जैसे फच्चों की सारों से की गई प्रततऻा का उन्हें पर र्भर यहा हो । इस दौयान हभें कई प्रकाय के फच्च ेदेखन ेको र्भरत ेहैं- कई जो हय चीज़ भें व्मस्त होन ेके कायण ऩूये हदन शताब्दी की तयह महाॉ से वहाॉ दौड़ यहे होत ेहैं,

    कई जो बफरों भें घुस कय ककताफें ऩढ़ यहे होत ेहैं औय कई जो बफना कुछ ककए न जान ेइतना कैसे थक जात ेहैं भानो फड़ा ऩहाड़ तोड़ कय आए होंग।े ज़्मादातय फच्चों के र्रए इस सभम की सफसे ददषनाक चीज़ होती है धूऩ भें स्ऩधाष के र्रए भाचष ऩास्ट का अभ्मास । कड़कती धूऩ भें फाय-फाय चक्कय रेत-ेरेत,े फच्चों को चक्कय ही आ जात ेहैं । अर्धकतय फच्चों की मह बी र्शकामत होती हैं कक " धूऩ भें नाचते-नाचत ेकह ीं उनका रींग सााँवला न पड़ जाए औय वावषषक सभायोह वारे हदन उनकी खूफसूयती कभ न हो जाए । इसी कायण इस सभम टक शॉऩ भें "सनस्रीभ" की बफरी भें फढ़ोतयी नज़य आती हैं । एभ.ऩी.एच. के फाहय का इराका भानो येरवे स्टेशन सा फन जाता हैं- कहीॊ कोई सो यहा होता है, तो कहीॊ ककसी का "चॉऩजस्टक" का खरे चर यहा होता है । कऺा १० औय १२ की छात्राएॉ, जजन्हें फोर्डषस की ऩयीऺ ाओॊ की र्चॊता अॊदय से खा यही होती है, अऩनी ककताफें र्रए फैठी ऩढ़ती नज़य आती हैं। हभायी डीन ऑफ़ एकेडरे्भक्स बी कऺाओॊ के यद्द होन े से कापी ऩयेशान हैं औय उनके कपय से शुरु होन ेका ऩूये र्शद्दत से इॊतज़ाय कय यही हैं । इसी दौयान सॊजम सय की हटप्ऩखणमाॉ

    साये फच्चों की नीॊद उड़ा देती हैं औय उन्हें हॉसी के ठहाके रगान े का भौका देती हैं । स्ऩधाष अभ्मास के सभम डीन ऑफ़ एजक्टववटी, फच्चों की राऩयवाही के कायण, प्रीपेक््स ऩय र्चॊगायी फयसाती नज़य आती हैं । केवर फच्च े ही नहीॊ फजकक अध्माऩकों के र्रए बी मह सफसे व्मस्त सभम होता है। अध्माऩकों का आधा वक्त तो फच्चों को चूहे-बफकरी की तयह ढूॉढ़न ेभें तनकर जाता है , औय फाकी आधा उन्हें डाॉटन ेभें, कक वे सभम ऩय क्मों नहीॊ आए। अध्माऩकों न ेइस फाय फच्चों को काभ कयन ेके र्रए एक नए चरव्मूह की खोज की है जो कक फच्चों को धभकी औय रयश्वत देकय काभ कयन ेका नमा पॊ डा है । हभाये सूत्रों के ऩास इसका उदहायण बी हैं - डपैोडडर सदन की छात्राओॊ को मह रयश्वत र्भरी है कक महद उन्होंन े भाचष-ऩास्ट प्रततमोर्गता भें प्रथभ स्थान प्राप्त ककमा तो उन्हें शारू भैडभ के हाथों का फना केक खान े को र्भरेगा । इस कायण डपैोडडर सदन के फच्चों भें जोश की एक नई रहय हदखाई दी । कऺा अध्माऩक बी "पेट" के काभ ऩूये कयवान ेतथा अऩनी कऺा के स्टॉर को सफसे अच्छा फनान ेके र्रए कापी र्चॊततत नज़य आएॉ । इन अभ्मासों के दौयान फच्चों के कापी यचनात्तभक फहान े बी साभन े आए जैसे- “भैं उस सभम ववद्मारम भें नहीॊ हूॉ”, “भैं फहुत सायी फाकी प्रदशषतनमों भें हूॉ” आहद । ग्रीन रूभ के अॊदय घुस कय तो ऐसा रगता हैं जैसे फच्चों के अॊदय से उनकी जान तनकर गई हो औय केवर उनके शयीय का ढाॉचा खड़ा हो । कऺा 11 की याभ-रीरा का नाटक बी उन्हें साॉस रेन ेकी पुसषत ही नहीॊ देता। कुछ इस प्रकाय के ववर्बन्न दृश्म देखन ेको र्भरत ेहैं इस एक भहीन ेभें । ऩयॊतु इस कड़ी भेहनत औय रगन का पर सबी फच्चों को आखखयी हदन र्भरता है, जफ उनके भाता-वऩता उन्हें प्रदशषन कयत ेदेख फहुत गवष भहसूस कयत ेहैं ।

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    हास्म चित्रकय - आशी अग्रवार

    दऩषण

    .

    २ दऩषण

  • भेयी प्मायी डामयी, मह फात भैं तुभसे कई फाय कहना चाहती थी । ऩयॊतु हय फाय वे शब्द भेये भुॉह ऩय आकय रुक जात े थ े । भेयी आॉखों भें आॉसू औय हदर भें प्माय बय जाता था । तुम्हायी छोटी - छोटी फातें भेये र्रए अर्धक भान्मता यखती हैं । जजस तयह तुभ भेये हय काभ भें भेया साथ देती हो, जजस तयह तुभ भुझ ेसही - गलत के बीच का अींतर बताती हो औय जजस तयह तुभ भेया हौसरा फढ़ाती हो । भैं तुम्हाये इस साथ के र्रए तुम्हें धन्मवाद कहना चाहती हूॉ, ऩयन्तु हय फाय ऐसा रगता है कक तुम्हाये र्रए शब्द कापी नहीॊ है । जफ बी ऩूये हदन भें भेये साथ कुछ बी ऽास होता है मा कोई घटना घटती है तो भेये हदभाग भें र्सपष तुम्हाया चहेया आता है । भैं सफसे ऩहरे तुम्हें ही फताती हूॉ । भुझ ेचोट रगन ेऩय तुम्हें ददष होता है औय भेयी ऽुशी भें तुम्हें ऽुशी र्भरती है । तन्स्वाथष बाव से तुभन ेभुझ ेपे्रभ हदमा

    औय फदरे भें कबी कुछ नहीॊ भाॉगा । तुभन े हभेशा ऩॊजक्त भें भुझ े अऩन ेआगे रगामा है औय अऩनी र्भठाई र्सपष भेये साथ फाॉटी। मे सबी छोटी - छोटी फातें भेये हदर को छू जाती हैं । जान े - अनजान ेभें भुझसे कबी बी कोई बूर होती है तो तुभ ककतनी आसानी से भुझ ेऺभा कय देती हो । तुम्हें दु् ख ऩहुॉचान ेका भेया कोई उदे्दश्म नहीॊ होता है। भैं आशा कयती हूॉ कक बगवान तुम्हायी जैसी सखी हय इॊसान को दे। बगवान न े भुझ े एक नहीॊ फजकक दो औय सखखमों का साथ हदमा है। ऩहरी भेयी भाॉ औय दसूयी भेयी अध्मावऩका जो भुझ ेएक अच्छा इॊसान फनान ेके र्रए हदन-यात एक कय देती हैं । आऩ तीनों के बफना भेयी जज़न्दगी अधूयी है ।

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    उददतत गुप्ता हास्म चित्रकाय — अनुषा फाहेती

    भेयी प्मायी डामयी अक्टूफय सॊस्कयण | खॊड १ | अॊक १

    दोस्ताना कौनसी दोस्ती भें ऩयेशानी नहीॊ होती कौनसी दोस्ती भें दयायें नहीॊ होती कौनसी दोस्ती भें वह जरन ेकी र्चॊगायी नहीॊ होती ऩय, दोस्ती वह है जजसभें दोस्त के साथ उन ऩयेशातनमों को बूर जात े हैं । दोस्ती वह है, जजसभें उन दयायों को अऩन ेदोस्त के र्रए प्माय से बय ऩात ेहैं । दोस्ती वह है जजसभें इस जरन को बी अऩन ेदोस्त के र्रए जरा देत े हैं । दोस्ती वह है जजसभें दोस्त के साथ गभ बी ऽुशी-ऽुशी सह ऩात ेहैं । तुम्हाये दोस्त का वह अऩनी भुस्कयाहट से तुम्हाये आॉसुओॊ को ऩोंछ देना तुम्हाये दोस्त का वह तुम्हें ऩयेशान कयन ेके र्रए खुद को भुसीफत भें डार देना तुम्हाये दोस्त का वह तुम्हें योत ेदेखकय खुद की नीॊद हॉसकय कुफाषन कय देना मे छोटी-छोटी फातें इतना कुछ कह देती हैं उस उदास से चहेये ऩय एक फड़ी सी ऽुशी दे देती है चाहे भैं तुझ ेकबी फोरूॉ मा न फोरूॉ ऩय तयेे साथ के बफना जज़न्दगी अधूयी है तयेी ऩागरऩॊती न ेतो भेयी जज़न्दगी सॉवायी है उसी दोस्ती भें तो भज़ा है जजसभें रड़कय बी दयू यहा नहीॊ जाता साथ छूटकय बी नाता तोड़ा नहीॊ जाता माद यखना , तयेी सॊगत ही तो भुझभे यॊगत राती है तयेी दोस्ती ही भुझ ेरयश्त ेतनबाना र्सखाती है तयेी वह नायाज़गी ही भुझ ेसही भॊजज़र हदखाती है तू खुद भेयी जज़न्दगी भें एक ज़रूयी ककयदाय तनबाती है ।। _____________________________________ हपषिका गोइन्का

    भैं हभेशा तमु्हाया साथ

    दूॉगी।

    फेटा अच्छे से ऩढ़ना। फेटा दधू

    ऩी रो।

    दऩषण

  • एक शाम सितारों के नाम दऩषण

    मूॉ तो र्शऺक हदवस 5 र्सतम्फय को भनामा जाता है, ऩय हभाये ववद्मारम भें उस सभम अर्द्षवावषषक के कार ेफादर छाए होने के कायण मह उत्तसव 1 अक्टूफय को भनामा गमा । इस फाय ,

    कऺा 12 ने हभाये र्शऺकों के सजने – सॉवयने की रूर्च ऩयखने के र्रए इस सार का ववषम 'भास्कयेड फॉर' यखा । हभाये अध्माऩकों ने हभें हभेशा मह सराह दी है कक हभें खदु को उनके 'जतूों ' भें यखकय ऩरयजस्थततमों को ऩयखना चाहहए । इस फाय हभें मह बी देखने को र्भरा कक , जहाॉ एक ऒय कऺा 12 की छात्राएॉ साडड़माॉ ऩहने सभस्त ववद्मारम को सॉबार यही थीॊ, वहीॊ दसूयी ऒय हभाये अध्माऩक खदु की खफूसयूती तनखायने भें व्मस्त थ े। शरुू भें तो सबी अध्माऩकों ने फहुत ववयोध ककमा ऩयन्त ुफच्चों की जज़द ने उनके ववयोध के ऊऩय जीत हार्सर की । कऩड़ों की खोज टी.आय.सी. का 'गयभ ववषम’ फन गमा था, सबी र्शऺकों भें 'फसे्ट ड्रसे्ड' का खखताफ जीतने की रहय दौड़ उठी । सबी अध्माऩक सफस ेअच्छा भखुौटा फनाने की होड़ भें जटु गए थ,े ऩयन्त ु सीभा भभै ने चऩुके से मह फाज़ी जीत री । आखखय वह हदन आ ही गमा । सबी फच्च ेजो इतनी देय स ेएभ.ऩी.एच. भें इॊतज़ाय कय यहे थ,े अऩने र्शऺकों की एक झरक ऩाकय पूरे ना सभाए । ऐसा रग यहा था भानो सबी अध्माऩक जवानी के हदन जी यहे हों । अऩना प्माय देने तथा उन्हें सम्भातनत कयने के र्रए, सबी कऺाओॊ के ववद्मार्थषमों ने हय र्शऺक के र्रए प्माय का

    टोकन फनामा, जजसकी तमैायी व ेकई हदनों स ेजी - जान स ेकय यहे थ े। कऺा 12 की छात्राओॊ ने कई भनोयॊजक खरे आमोजजत ककए थ े। उनभें स ेसफस ेभनोयॊजक था - ऩरुुष अध्माऩकों की साड़ी ऩहनने की प्रततमोर्गता, जजसके ववजतेा याजीव सय औय वववके सय थ े। इस खरे को जीत कय उन्होंने मह साबफत ककमा कक हभाये ऩरुुष र्शऺक, भहहरा र्शऺक से कभ नहीॊ हैं। इस खरे के दौयान सभुौनजीत सय शबुोजीत सय के ऩीछे साड़ी रेकय बागत ेहुए हदखाई हदए । भोडसे्टे सय बी साड़ी ऩहनकय कापी सनु्दय रग यहे थ े। ' यैवऩड पामय ’ जसै े

    खरे ने अध्माऩकों के जवाफों भें आग रगाने का काभ ककमा । इस खरे भें उऩ प्रधानाचामाष जी ने सबी फार्रकाओॊ को खशु कयत ेहुए मह स्वीकाय ककमा कक वे हभें 'डॉस्कोस' स ेअर्धक ऩसॊद कयती हैं । गततववर्धमों की डीन सषुभा भभै ने बी मह स्वीकाय ककमा कक वे अनषु्का फायी़ को केवर तफ तक माद यखेंगी जफ तक हदशा नागऩार उसकी जगह न रे रे । ऩयेू उत्तसव भें येश ुभभै के उत्तसाह का स्तय कापी ऊॉ चा हदखाई हदमा । जो फच्च े हभायी प्रधानाचामाष जी को ' टॊग ् ववस्टय ' देकय उन्हें चरैेंज कय यहे थ े, हभायी प्रधानाचामाष जी ने उन फच्चों को चरैेंज देकय ऩयूा ऩासा ऩरट हदमा । कऺा 11 वीॊ की छात्राओॊ ने अऩने नतृ्तम से सफको हहरा कय यख हदमा था । सभुौनजीत सय ने अऩने रूऩ से सफ ऩय ऐसा जाद ूककमा कक वे ' फेस्ट ड्रसे्ड ' जीत कय रे गए औय सफ उनके जाद ूभें ही डूफे यह गए । इस अवसय का पाकगनुी ने बी अच्छा पामदा उठामा औय फड़ी चाराकी से खाने के भेन्म ूको सधुायने की र्सपारयश की । सबी र्शऺकों स ेसॊफॊर्धत फजाए गए गानों ने उनके हदरों ऩय एक खफूसयूत छाऩ छोड़ दी । ' म्मजूजकर चमेय ' के दौयान ववदषुी भभै औय भेघा भभै की दोस्ती के फीच दयाय हदखाई देने रगी, दोनों एक कुसी को हार्सर कयने के र्रए एक दसूये को धक्का भायने रगीॊ । अॊत भें ऽशुी गपु्ता की कववता को सनुकय सबी र्शऺकों की आॉखें बय आईं । इस कामषरभ को सपर फनाने भें कऺा फायहवीॊ की छात्राओॊ ने हदन - यात एक कयके भहेनत की औय इसका पर उन्हें अध्माऩकों की प्रशॊसा द्वाया र्भरा । र्शऺकगण इतने खशु थ ेकक उन्होंने उस यात की ए.ऩी.डी.एप. के अभ्मास को भाफ़ कय हदमा था । अॊत भें कऺा ग्मायहवीॊ की छात्राओॊ भें अगर ेसार के र्शऺक हदवस को इस सार से फेहतय फनाने की पुसपुसाहट सनुाई दी ।

    ४ दऩषण

  • अक्टूफय सॊस्कयण | खॊड १ | अॊक १

    घय का बेदी रॊका ढाए जफ अऩने घयवारे ही अऩने घय को आग रगा सकते हैं तो फाहय वारे क्मा घी डारेंगे ? आजकर के सभम भें कश्भीय एक याष्रीम ही नहीॊ,अॊतयाष्रीम चचाष का ववषम फन चुका है। सॊमुक्त याष्र भें अफ रगबग हय फैठक भें कश्भीय का भसरा छेड़ा जाता है । जो कश्भीय एक सभम भें धयती का स्वगष भाना जाता था, अफ वह यणबूर्भ फन चुका है।कश्भीय भें अफ के सभम भें २०% अर्शक्षऺत रोगों की सॊख्मा फढ़ चुकी है। कश्भीयी रोग फहुत सी सभस्माओॊ से जूझत ेहैं । वे न चाहते हुए बी बायतीम सेना को हातन ऩहुॉचान ेऩय उतय आत ेहैं। भैं मह नहीॊ कह यही हूॉ कक कश्भीरयमों के ववचाय गरत है ,मद्मवऩ भेया भानना है कक बायत औय ऩाककस्तान के ऽयाफ सॊफॊधों के कायण ववशेष रूऩ से कश्भीय ऩय फहुत असय ऩड़

    यहा है। कश्भीय अफ आतॊकवाहदमों औय मुर्द् का ऺेत्र फनता जा यहा है । बायत, चीन औय ऩाककस्तान न ेर्भरकय कश्भीय को अऩनी उऩरजब्धमों के अनुसाय फाॉट र्रमा है । कोई मह नहीॊ सोच यहा है कक वहाॉ के यहने वारों के ऊऩय बी कुछ असय ऩड़ता है । उनकी इच्छाओॊ ऩय कोई प्रकाश की एक ककयण बी नहीॊ डारता । कश्भीयी फच्च ेकर्फमूष के कायण कई भहीनों तक ववद्मारम नहीॊ जा ऩाते हैं। कश्भीयी औयतों को न चाहत ेहुए आज़ादी नहीॊ र्भरती हैं । वे अऩने ऩततमों मा बाइमों के बफना फाहय तनकरन ेभें बी घफयाती हैं। जजन खूफसूयत वाहदमों भें ऩहरे सफ़ेद फादर हदखते थे, अफ वहाॉ र्सपष फारूद औय धुआॉ हदखता है। इस कायण कश्भीय भें अर्शऺा औय फेयोज़गायी फढ़ती जा यही है ।

    कश्भीय की खूफसूयती वहाॉ के रोगों से हैं औय उनकी सॊस्कृतत, बाषा, यीतत-रयवाज़ों से है । इस हीये को इस तयह चूय कय देने से हभ वहाॉ के रोगों के साथ अन्माम कय यहे हैं । हभें उनकी यीढ़ की हर्डडी फनकय उनका सहामक फनना चाहहए । हभें उनकी आवाज़ ऩूयी दतुनमा तक ऩहुॉचाने का ववचाय यखना चाहहए । हभ इस देश को तफ तक साथ नहीॊ रा ऩाएॉगे जफ तक हभ वहाॉ के रोगों, उनकी ऩयेशातनमों, उनकी सॊस्कृतत को सभझन ेरगे तथा उनके ववकास के र्रए अऩनी तयप से बी ऩहर रें । हभें कश्भीय की खूफसूयती के ऩीछे छुऩे अॉधेये भें यह यहे कश्भीरयमों को साॉझ हदखानी चाहहए । ______________________________

    येआ ससॊघर

    फ़े ट भऱेगा सबका प़ेट 'फ़ेट'-हभाये ववद्मारम का सफसे रोकवप्रम सभायोह होता हैं जजसभें

    सबी खूफ भनोयॊजन कयते हैं ।

    खान े तथा खेरन े के ववर्बन

    स्टॉकस रगते हैं । ऩयन्तु ऩूये

    वावषषक उत्तसव भें फच्चों को 'फ़ेट' का सफसे ज्मादा इॊतज़ाय होता हैं,

    ताकक वे सफ अऩने भनऩसॊद

    स्टॉकस का खाना खा ऩाएॉ । तो

    आइए देखें कक फच्चों को ककस

    खाने के स्टॉर भें सफसे ज़्मादा

    हदरचस्ऩी है ।

    दऩषण

  • दऩषण ६

    भगवान का धमम क्या? मह सवार भेये भन भें कई फाय उठा है । जफ बी भैं ककसी के साथ फहुत फुया होते हुए देखती हूॉ तो भैं अऩने आऩ से मह ऩूछती हूॉ कक क्मा बगवान अऩन ेफच्चों के साथ इतना फुया बी कय सकत ेहैं, ऩयॊतु भुझ े कबी कोई उत्ततय नहीॊ र्भरा । इस उत्ततय की खोज भें भैंन ेबगवान को एक नए दृजष्टकोण से देखन ेका प्रमास ककमा । फहुत सोचा तो सभझी कक बगवान का कोई बौततक रूऩ नहीॊ होता । बगवान न तो भॊहदय भें यहत े हैं औय न ही भूतत षमों भें । बगवान का कोई स्ऩष्ट रूऩ नहीॊ है क्मोंकक वे उन सफ चीज़ों भें यहते हैं जो अच्छी हैं औय हय अच्छे कामष भें फसते हैं। फाइफर के अनुसाय बगवान ने इॊसान को अऩनी ऩयछाईं की तयह फनामा है। इॊसान भोऺ की प्राजप्त के र्रए तीथषस्थानों की मात्रा कयता है, ऩयन्तु वह नहीॊ जानता कक वह जजसे ढूॉढ़ यहा है, वे तो सजृष्ट के कण-कण भें ववद्मभान हैं औय उसके हदर भें फसे हैं । रोगों की इसी खोज से जन्भा है धभष। हय धभष हभें र्सखाता है कक अॊत

    भें अच्छाई की जीत होती है औय फुयाई का ववनाश । धभष चाहे अनेक हो ऩयॊतु बगवान एक ही होता है । कोई बी धभष हभें दसूये के धभष से ईष्माष कयना नहीॊ र्सखाता । जैसे कोई बी नाव हभें नदी के ऩाय रे जाती है, उसी तयह कोई बी धभष हभें बगवान तक रे जाता है । आज भानव इसके ववऩयीत हो गमा हैं।धभष के नाभ ऩय झगड़ा कयना हभायी नीच सोच औय फीभाय भानर्सकता को दशाष यहा हैं । भॉडनष दतुनमा भें बी रोग एक-दसूये को धभष के नाभ ऩय देखते हैं । आज बी बायत भें दर्रत शे्रणी के रोगों को एक सभान नहीॊ भाना जाता हैं औय उन्हें बायत के कई हहस्सों भें अछूत भाना जाता हैं । दतुनमा भें कई ऐसे रोग हैं जो भनुष्म को उसके धभष ऩय तनहायते हैं । इॊसान इस रड़ाई भें बूर गमा है कक अॊत भें तो उनका एक ही बगवान है औय सफ एक दसूये के बाई-फहन हैं । व्मजक्त धभष को भानवता से ऊऩय यखकय अऩन ेही ववनाश की ओय फढ़ता जा यहा है । अऩने बाइमों के प्रतत घणृा यखकय वह बगवान के होन े

    ऩय प्रश्न उठाता है, दतुनमा भें अच्छाई के होने ऩय सवार उठाता है । हय व्मजक्त को फॊधुत्तव की बावना को अऩनाना चाहहए औय उसका हदर से सम्भान कयना चाहहए । ककसी भनुष्म की सेवा कयना बगवान की ऩूजा कयने के फयाफय ही हैं । एकता को फनाए यखने के र्रए हभें हभाये भज़हफ की दीवायों को तोड़ना होगा । अत् सफसे फड़ा सच तो मह है कक चाहे बगवान तक ऩहुॉचने का भागष अरग-अरग हो ऩयॊतु बगवान एक ही है । जफ तक इस दतुनमा भें अच्छाई है, तफ तक बगवान है । जजस हदन मह अच्छाई ऽत्तभ हो जाएगी, उस हदन भानव का ववनाश तनजश्चत है । भत रड़ अफ उस अऩन ेबाई से, जो एक दसूये धभष का है, बगवान तो सफका एक ही है , फस अॊतय हभाये कभष का है । ———————————-———————————————————-

    उददतत गुप्ता औय शे्रमा ऩटेर

    सामान्य ज्ञान इतना भी सामान्य नही ीं 1. यपवन्रनाथ टैगोय ने बायत के याष्ट्रगान के अरावा ककस एक

    औय देश का याष्ट्रगान सरखा?

    फाॊग्रादेश

    2. ‘बायत का भैनिेस्टय’ ककसे कहा जाता है?

    अहभदाफाद

    3. बायत के ककतने कें र शाससत प्रदेश हैं?

    9 4. िन्रमान सभशन 2 को बायत की कौन सी सॊस्था र ॊि कय

    यही है?

    बायतीम अॊतरयऺ अनुसॊधान सॊगठन

    5. पवश्व भें ऐसा कौनसा देश है जहाॉ एक बी खते नहीॊ है?

    र्सॊगाऩुय

    6. कौनसा भेरो शहय बायत का ऩहरा वाईफाई सऺभ शहय

    फन गमा है?

    कोरकाता

    7. ककस देश भें िक्रवती तूपान 'उस्भान' ने हार ही भें सफसे अचधक तफाही भिाई है?

    कपरीऩीॊस

    8. पवश्व के ककस नगय को “बफग एप्ऩर“ के नाभ से बी जाना

    जाता है?

    न्मूमाकष

    9. बायत का “ग्रैण्ड ओल्ड भैन” ककसे कहा जाता है?

    दादाबाई नौयोजी

    दऩषण

  • अक्टूफय सॊस्कयण | खॊड १ | अॊक १

    मूतनसन भें खखरती हैं कोभर कर्रमाॉ,

    नटखट, चुरफुरी औय प्मायी सहेर्रमाॉ ।

    जर ऩय बफखयती सूमष ककयण जैसी भनभौजी,

    कबी सहज बाव सी हदखती, कबी फोरती कहो जी ।

    ऩढ़ती हैं ऩय सऩनों भें खोई यहती हैं,

    कयती हैं कबी फातें तो कबी सोई यहती हैं ।

    जागती हैं जफ तो कहती अफ बोय बई,

    कोई जस्थय होकय ऩढ़ती तो कोई देखो कहाॉ गई ?

    अगय - भगय के सवार भें हय ककसी को उरझाती कपयती,

    बावुकता के बॉवय जार भें सफको मूॉ पॉ साती कपयती ।

    कपय बी सौम्म, भदृरु, चॊचरा, आकवषषत औय प्मायी रगती,

    हय ककसी की ऩरकों ऩय फैठती, याजकुभायी रगती ।

    मूॉ ही नहीॊ कहत ेइन्हें देवी औय देववका,

    कहीॊ हदखती मे दृढ़ तनश्चमी तो कहीॊ फनती सभाज सेववका ।

    आसभान को छून ेकी दृढ़ इच्छा इनभें गहयाती है,

    मूॉ ही नहीॊ देववमाॉ ववश्व शजक्त कहराती हैं ।

    सभाज का सजृन एक है इनके कई रूऩों भें,

    भुख्म धाया को जोड़ना उसको सभ्म स्वरूऩों भें ।

    इनके सदृश कोई नहीॊ मे ववश्व सॊस्कृतत की नीॊव हैं,

    वीयाॊगना, र्शकऩी, भभताभमी इनसे ववश्व सजीव हैं ।

    ——————————————————————————————–———————————————

    अध्माऩक याजशे कुभाय

    हास्म चित्रकाय — आशी अग्रवार

    तूफानी

    एक्सपै्रस १) फच्चों का टक छुऩाना हुआ भुजश्कर। टक की दुकान के फाहय रगा यहता है भेरें स का ऩहया । एक ऩैकेट र्चप्स तक उस ऩाय रे जाना हो जाता है भुजश्कर । २) अर्द्ष-वावषषक ऩयीऺा के अॊक आने के फाद फच्चों की फड़ी ऩयेशातनमाॉ। अर्बबावक-र्शऺक फैठक के डय से है फच्चों का हार फेहार । ३) वावषषक सभायोह के अभ्मास भें ऩकड़े गए कई शैतान छोटे चोय। खफय आई हैं कक कयने आए थे खाने तथा कायीगयी के साभान की चोयी। ४) ववद्मारम के खान-ऩान के भेन्मू भें फदराव देखकय फच्चों का भन हुआ दुखी। स्वस्थ बोजन देख कय माद आने रगा उन्हें ऩुयाना भेन्मू। ५) कऺा १० तथा १२ के फच्चे हदखे र्चॊततत। फोडष ऩयीऺाओॊ की ऩढ़ाई के र्रए नहीॊ र्भर यहा उन्हें सभम। डीन ऑफ़ अकेडर्भक्स ने हदमा उनका साथ।

    —————————————————————————————————–————————————— गुप्त स्रोत

    यूसनिन के समर्ाा ग़ासिब दऩषण

  • 1. यह यहीॊ हैं हभाये साथ वे सफसे रम्फे सभम से , सभझा देतीॊ हैं साये एक्वेशन्स चुटककमों भें , कपजज़क्स क्मा हो जाएगी इनके जाने से ? 2. प्रोग्रार्भॊग को सभझना कय देती हैं आसान, कॊ प्मूटय रैफ भें फसती है उनकी जान, X 'C ' की हैं वे शान !!!! 3. एक तयफ़ हैं मू.एस.ए. के रम्ऩ जो हैं फहुत खड़ूस, जज़द्दी, औय एक तयफ़ हैं हभाये अध्माऩक जो अऩनी धुन से रोगों के हदरों को छू जाते हैं । 4. घूभते हैं फेकपरे से , रॉन टेतनस दौड़ती है इनकी यगों भें , टोऩी जॉचती है इनके चेहये ऩय । 5. ककसी से बी कुछ बी फना सकती हैं वे , एक त्तमोहाय की तयह बी भना सकते हैं हभ इनको, प्रदशषनी की ज़रुयत का सबी साभान यखती हैं वे ।

    सुनो! सुनो! सनुो!

    हभें अऩने सभाचाय ऩत्र के दसूये अॊक के र्रए आऩके सहमोग की आवश्मकता है। महद आऩ बी

    दऩषण से जुड़ना चाहते हैं तो शीघ्र ही सॊऩादक दर से सॊऩकष कयें।

    उत्तय —

    1. तनर्ध भभै 2. अभृता भभै 3. डॉनकड सय

    4. प्रभोद सय 5. फसैाखी भभै

    अ उ ऩ ग अॊ भ ढ ड़ रो या भ का ऊ कौ ड ओ ता च ट र सी श ब ओ श त्रु ग ण ता र य झ छ भ ग ठ् य मा त ती श का धा नी सा ब त्र का र्भ कै क ई र श्र ऋ थ प ऩ आ चु म ए गु य ज स के ही द्र ष ऩे श ण श ह व दी श री द र क्ष्भ ण वा दी शॊ ता ठ रा भ न इ स है या ज सी उ र्भष रा व ऩ ओ फ छो ठ हा श ण भ मा ड़ भॊ घ प्र ऺ व ृ हो म्र या त्रा ऩु मु ठी बा रा ष ठ व े धी ज़ स र छ् अॊ ई न ऩी ह नु भा न का दा ऩात्र

    ों की र

    ीरा -

    याभ

    रीरा

    सॊऩादकीम प्रभुख - सुहानी अगयवार उऩ-प्रभुख सॊऩादक - येआ र्सॊघर डडज़ाइन सॊऩादक - अयदास कौय ऩदभ सॊऩादकीम दर - उहदतत गुप्ता, शे्रमा ऩटेर, ववश्वेशा हयभुख प्रभुख सॊऩादक - हवषषका गोइन्का सह अध्माऩक - आयती सैगर, सुभोनजीत सयकाय

    © सबी अचधकाय सुयक्षऺत। प्रकासशत द्वाया : मतूनसन वल्डि स्कूर

    उत्तय अगरे अॊक भें..

    चुटकुल़े ऩहिानो तो भाने 1. सॊता र्सॊह न ेहोटर भें एक स्कीभ देखी औय डडनय कयने ऩहुॉचा। वेटय : सय आऩका बफर ! साॊता : रो काडष यख रो। वेटय : रेककन सय, मह तो आऩकी शादी का काडष है। साॊता : तो कपय फाहय क्मा भज़ाक भें र्रखा है, 'आर काडषस एक्सेप्टेड ? 2. फॊता ने ऩयीऺा के र्रए प्रश्न ऩत्र तैमाय ककमा।

    प्रश्न देखते ही साये फच्चे फेहोश हो गए।

    १. चीन ककस देश भें है ?

    २. १५ अगस्त ककस डटे को होता है ?

    ३. हया यॊग ककस यॊग का होता है ?

    ४. टभाटय को हहॊदी भें क्मा कहते हैं ?

    ५. भुभताज़ की कब्र भें कौन दपन है ?