कह ± ¡का, न कह ± झुका। · 2020. 5. 2. · काशक eय नी 1त...

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Page 1: कह ± ¡का, न कह ± झुका। · 2020. 5. 2. · काशक eय नी 1त का शा 6Íदक अथµहै—जो आगेलेजाए। इस

वह चणक का प होन क नात चाण य थाउसक चाल श क पकड़ म नह आती थ अ तक टल थ इसी लए उस लोग न नाम दया थाmdashकौ ट य

वह दखन म जतना कठोर था उतना हीस दय भी था राजनी त क बसात पर टढ़ -मढ़चाल का खलाड़ी होन पर भी वह स चा महा माथा उसक लए सख-वभव पद आ द मह वपणनह थ मह वपण था दश का अखड गौरव अखडभारत क उस व को साकार करन क लए वह न

कह का न कह झका

तदह स व या म लोकाना हतका ययायन व ानमा ण सव व प त

ldquoम लोग क भलाई क इ छा स (राजनी तक) उन गढ़ रह य का वणन कर रहा ज हजान लन मा स मन य सव हो जाता हअथात और कछ जानना उसक लए शष नहरह जाताrdquo

सपण चाण य नी त चाण य सऔर जीवन-गाथा

व स कटनी त अथशा ी तथा श क का नी त ान तथा जीवनव

ा याकारव म शमा

सपादनmdashसवधनकाका ह रओ३म

वदाताचाय (शाव) एमए (मनो व ान)

मनोज प लकश स

copy सवा धकार काशकाधीन

काशक मनोज प लकश स

761 मन रोड बराड़ीद ली-110084फोन 27611116 27611349 फ स 27611546मोबाइल 9868112194ईमल inhomanojpublicationscom(For online shopping please visit our website)वबसाइट wwwmanojpublicationscom

शो म मनोज प लकश स1583-84 दरीबा कला चादनी चौक द ली-110006फोन 23262174 23268216 मोबाइल 9818753569

भारतीय कॉपीराइट ए ट क अतगत इस प तक क साम ी तथा रखा च कअ धकार lsquoमनोज प लकश स 761 मन रोड बराड़ी द ली-84rsquo क पाससर त ह इस लए कोई भी स जन इस प तक का नाम टाइटल- डजाइनअदर का मटर व च आ द आ शक या पण प स तोड़-मरोड़कर एव कसीभी भाषा म छापन व का शत करन का साहस न कर अ यथा काननी तौर परहज-खच व हा न क ज मदार व वय ह गकसी भी कार क वाद- ववाद का याय द ली ही रहगा

ISBN 978-81-310-1774-6

थम स करण 2013सपण चाण य नी त चाण य स और जीवन-गाथा व म शमा

काशक यनी त का शा दक अथ हmdashजो आग ल जाए इस कार अपन ल य को ा त

करन क लए जो नयम या स ात नधा रत कए जात ह वह भी नी त श द म समा हतह lsquoस व थाrsquo भी नी त का अथ ह इसक सदभ गत सामा जक और राजनी तकअलग-अलग या कल मलाकर सब एक साथ भी हो सकत ह इस तरह lsquoनी तrsquo का इ तहासय द दख तो इसक अ त व को मानव स यता क वकास क साथ ही वीकार करनापड़गा अपन अपनी जा त और अपन अ त व को बनाए रखन और वक सत करनक प म इस समची क त और इसक सभी ा णय म भी दखा जा सकता ह

नी त शा क आचाय क वस तो ब त लबी परपरा ह ल कन श ाचाय आचायबह प त महा मा व र और आचाय चाण य इनम मख ह आचाय चाण य न ोकऔर स दोन प म नी त शा का ा यान कया ह अपन थ क ारभ म ही वअपन पववत आचाय को नमन करत ए प कर दत ह क वो कछ नया नह बता रह हव उ ह स ात का तपादन कर रह ह ज ह वरासत म उ ह न ा त कया ह और जोबदलत प रवश म भी अ यत ावहा रक ह आचाय य क राजनी त और अथशा कश क ह इस लए व जानत ह श ा क वा त वकता को वो जानत ह क प तक परअनभव हावी आ करता ह और यह भी क थ का नमाण अनभव का ही सकलन औरस ह ह इस लए इन रचना क त कतापन का अ भमान कसा

आचाय चाण य का जीवन पढ़न स प हो जाता ह क स य क समझ रखना हीपया त नह ह ज री ह क अ याय क व सघष भी कया जाए तट थ रहना साहसीऔर परा मी का वभाव नह होता लोग का मानना ह क स जन कावभाव क टलता क यो य नह होता उसक लए तो क टलता का नाटक कर पाना भी

सभव नह ह ल कन चाण य न स कर दया क अपन वभाव को बनाए रखत एअथात भीतर स स जन बन रहत ए भी को उ ह क भाषा म जवाब दया जा सकताह ीक ण और ीराम जस महान प ष इसका उदाहरण ह हा इसक लए मन को वशष

कार स श त करना पड़ता ह ीक ण न धम य म भी lsquoअधमrsquo का योग कयाधमराज य ध र को भी झठ बोलन क लए बा धत कया य इस लए क lsquoशठ सशठताrsquo का वहार करना चा हए ऐसा करत समय वचारणीय यह ह क वह वहार या

त या वाथ क लए क जा रही ह या क उसम जन हत क भावना समा हत ह का वनाश होना ही चा हए भल ही साधन कोई भी हो अनास भाव स कया गया कमपाप-प य क सीमा स पर होता हmdashऐसा दाश नक स ात ह भगवान ीक ण न गीता मअजन को यही उपदश दया ह

उपरो स य को समझन क लए मह ष व ा म क वो नदश अ यत मह वपणह जो उ ह न स ा म म वश करन स पहल राम को दए थ उ ह न कहा था ldquoरामसावधान हो जाओ अब घोर जगल ारभ हो चका ह यहा सतक रहना इस लए आव यकह क रा स कसी भी समय छपकर घात कर सकत ह और इनक वा मनी ताड़का बनाकसी श क हमार माग को रोक कर कभी भी खड़ी हो सकती ह तब तम ब हचकउसका सहार कर दना अनाय स य करत समय आय नयम का पालन करना वप मडाल सकता ह ब मान को चा हए क वप को आन ही न दrdquo व ा म क बात सहीथी रा स को धनष-बाणधारी य कमार क आन का समाचार मला और उ ह नअपनी वा मनी क साथ मलकर उन पर आ मण कर दया ीराम न मह ष कनदशानसार अपना काय कया उ ह न ताड़का को दखत ही बना यह सोच क वह ी हऔर नह थी ह एक ही बाण स ढर कर दया

चाण य का कौ ट य बनना जन हत क लए था उनका व था अखड भारतइसी क लए उ ह न श को उ ह क चाल स मात द आचाय ारा चलाया गयाअ भयान lsquoआ मर ाrsquo का एक अ तम यास था इसस चकन का अथ था भारत कअ त व को समा त कर दना जरा सोचकर दखो य द आचाय न त कालीन प र थ तयका वरोध न कया होता वक प क प म च ग त को था पत न कया होता तो आज कभारत का व प कसा होता नद क धान अमा य को च ग त क साथ जोड़ना और उसग रमाम डत करत ए धान अमा य क पद पर त त करना आचाय क अ तम सझ-बझ और दय क वशालता का ही तो उदाहरण ह गणी को गण का स मान करनाचा हए उसक लए गत मतभद मायन नह रखत मह वपण होता ह जन हत

आचाय ारा ल खत नी तशा क थ को पढ़कर लगता ह क व ब आयामीव क प धर थ इसी लए उ ह न वणा म क कत क चचा भी थान- थान पर

क ह lsquoनी तrsquo म धम और अ या म को आचाय न परा थान दया ह उनक मराजनी त य द धम स र चली जाए तो उसक भटक जान क सभावना सौ तशत होजाती ह धमनी त को सोच क ापकता दान करती ह

यहा एक बात प प स हम समझ लनी चा हए क आचाय क समय कमा यताए और सामा जक व था आज स कई मायन म बलकल भ ह जा त-वण

व था अब ब त कमजोर हो चक ह थ म लख गए कछ श द और मा यता कोलकर व थ त या करना अ छ बात ह ल कन उस सदभ म मल थ म घटान-बढ़ानका रा ह करना हमारी नासमझी को ही द शत करता ह इ तहास क कड़व-मीठ त यको उधड़ कर फका नह जा सकता बदलाव क लए समझ और धय क आव यकता हइसी लए आज क समय म आप जनक कह जान वाल अश को बना छड़ उस पर अलगस ट पणी द द गई ह उन पर आप ब पाठक क सझाव का हा दक वागत ह

ोक को याद रखना क ठन काय ह ल कन lsquoस rsquo इस मायन म मह वपण ह 585

स को कठा करन क लए य द रोज एक घट का समय दया जाए तो दो-चार महीन मउ ह आसानी स आ मसात कया जा सकता ह आ म चतन क समय य सगमता सम तपटल पर आ जात ह इसी बात को यान म रखत ए अलग स lsquoस rsquo को दया गया

ह इनका योग पर पर बातचीत या क भाषण आ द म करक आप अपन व कग रमा को भी लोग क बीच था पत कर सकत ह हम व ास ह क यह थ आपक

व को ससग ठत करन तथा नखारन म मह वपण भ मका नभाएगा

चाण य नी त

अथ थमोऽ यायः

अथ तीयोऽ यायः

अथ ततीयोऽ यायः

अथ चतथ ऽ यायः

अथ पचमोऽ यायः

अथ ष ोऽ यायः

अथ स तमोऽ यायः

अथ अ मोऽ यायः

अथ नवमोऽ यायः

अथ दशमोऽ यायः

अथ एकादशोऽ यायः

अथ ादशोऽ यायः

अथ योदशोऽ यायः

अथ चतदशोऽ यायः

अथ पचदशोऽ यायः

अथ षोडशोऽ यायः

अथ स तदशोऽ यायः

चाण य स

चाण य जीवन गाथा

व ाथ चाण य व षक चाण य ा यापक चाण य आ भक क कथा प

(पोरस) क साथ य अपमा नत चाण य तशोधक चाण य नद क कहानी योजनाकार चाण य कटनी त चाण य धनानद का अत मगध का य नी तचाण य सकट त चाण य

चाण य क शा

अथशा चाण य नी त पचत कथाए

चाण य नी तजस कार व ान म स न त स ात क खोज क जाती ह और उनक प

बार-बार कए गए योग स एकसमान ा त न कष स होती ह उसी कार नी तशा कभी एक स न त परपरा ह इसक न कष भी यक थ त-प र थ त म एकसमान हइसी लए आचाय चाण य न नी तशा को व ान कहा ह व इस ान क ारा lsquoसव rsquo होनक बात भी कहत ह यहा सव होन का अथ ह अतीत वतमान और भ व य का व षणकरन क मता ा त कर लना

मनसा च तत काय वाचा नव काशयतम ण र यद गढ काय चाऽ प नयोजयत

मन स सोच ए काय को वाणी ारा कट नह करना चा हए परतमननपवक भली कार सोचत ए उसक र ा करनी चा हए और चप रहत

ए उस सोची ई बात को काय प म बदलना चा हए

इ या ण च सय य बकवत प डतो नरःदशकालबल ा वा सवकाया ण साधयत

ब मान को अपनी इ य को वश म करक समय क अन पअपनी मता को तौलकर बगल क समान अपन काय को स करनाचा हए

पर पर य ममा ण य भाष त नराधमाःत एव वलय या त व मीकोदरसपवत

जो लोग एक- सर क भद को कट करत ह व उसी कार न होजात ह जस बाबी म फसकर साप न हो जाता ह

तावनाldquo या कर रह होrdquoldquoकश तो प व ह इन पर ोध करना अ छा नह rdquo

ldquoजो क प चाए उस जीन का हक नह उस न करना ही प य हrdquo

ldquoल कन कश तो न नह होत अवसर पाकर फर फल जात हrdquoldquoनह म ऐसा नह होन गा इसक दोबारा होन क सभी सभावना को

जलाकर राख कर गा श को नमल करन पर व ास करता मrdquoबालक क पर म कश नामक घास चभी थी अतः उसन कश को ही नमल

कर दया खोद-खोदकर उसक जड़ म मठा डालकर बची-खची छोट -छोट जड़को भी जला दया था उसन

यो य आचाय न बालक म छपी सभावना को पहचान लया था ऐसाआ म व ास और बल इ छाश ही व को ऊचाइय पर प चाती ह ऐस मय द जनसवदना का पट मल जाए तो इ तहास प ष ही बनता ह और ऐसा ही

आ भी लगभग दो हजार वष पव भारत क इ तहास को जस बालक न एक व णममोड़ दया वही बालक बड़ा होकर चाण य बना उसका असली नाम थाmdashव णग त उसक कटनी तक वल णता क वजह स लोग उस कौ ट य भी कहतथ

यह घटना तब क ह जब व क मान च पर कछ दश का कह कोई अता-पता नह था ल कन भारत क स यता और स क त अपन पण यौवन पर थी धमदशन और अ या म क ही नह राजनी त तथा अथशा जस वषय क श ा लनक लए भी वदश स व ाथ भारत भ म पर आया करत थ यहा त शला औरनालदा जस व व ालय थ आचाय चाण य त शला म राजनी त तथा अथशाक आचाय थ

भारत क सीमाए उस समय अफगा न तान स लकर बमा ( यामार) तक तथाक मीर स लकर क याकमारी तक फली ई थ उस समय भारत सोन क च ड़याथा वदशी आ ाता को भारत क सम खटक रही थी ल कन उनम ह मत नहथी क व ह तान क रणबाकर का सामना कर सक अततः उ ह न दान और भदक नी त का सहारा लकर मगध क शासक धमनद क क मय को पहचान लया औरउस अपन पाश म भी कस लया था वतमान क पटना तथा त कालीन पाट लप कआसपास फला पव-उ र क सीमा को छता आ एक वशाल और श शालीवभव सप रा य थाmdashमगध मगध क सहासन पर आसीन धमनद सरा-सदरी मइतना डब चका था क उस राजकाय को दखन क फरसत ही नह थी वह अपनी

मौजम ती क लए जा पर अ याचार करता जो भी आवाज उठाता उस कचल दयाजाता चणक को भी जन हत क लए उठाई गई आवाज क सजा मली थी उसमहान आचाय को मौत क घाट उतार दया गया था

एक-एक करक ई दय वदारक घटनाए चणक प चाण य क दय मफास क तरह धसी ई थ एक दन जब राजसभा म समच आयावत क थ त काववचन करत ए चाण य न मगधराज धमनद को उनका कत याद दलाया तो वहझझला उठा उसन चाण य को दरबार स ध क मारकर नकाल फकन का आदशदया स नक क चाण य को ध क मारकर दरबार स नकालन क को शश क बीचचाण य क शखा खल गई यह चाण य का ही नह दश क उस आवाज का भीअपमान था जो अपन राजा क सामन अधकार म वलीन होत अपन भ व य कोबचान क गहार कर रही थी उसी समय चाण य न त ा कर लीmdashlsquoअब यह शखातभी बधगी जब नदवश का समल नाश हो जाएगाrsquo

चाण य न अपन ल य को परा करन क लए च ग त को चना च ग त मछपी सभावना को चाण य न एक-एक करक तराशा सोच ए काय को म पदना चाण य क लए आसान नह था मक नया क छोट स दश स lsquo सकदरrsquoनामक आधी क गद भारत क सीमा पर छान लगी थी कधार क राजकमारआ भी न सकदर स ग त स ध कर ली थी पवत र (पोरस) न सकदर क सनाका डटकर सामना कया ल कन सकदर क रणनी त न पासा पलट दया सकदरक ओर स ई बाणवषा स घबराई पोरस क जझा गजसना न अपनी ही सना कोर दना श कर दया पोरस क हार ई और उस बद बना लया गया सकदर ारायह पछन पर क उसक साथ कसा वहार कया जाए पोरस न नभ क होकर कहाक जसा एक राजा सर राजा क साथ करता ह सकदर न पोरस को उसक वीरतास स होकर छोड़ भी दया इस पराजय क बाद आचाय चाण य क दखरख मच ग त अपनी सना को सग ठत करन उस तयार करन और य क रणनी त बनानम परी तरह स लग गया भारी-भरकम श शर ाण और कवच आ द क जगहह क परत मजबत ह थयार न ली शारी रक श क साथ ही ब -चातय का भी

योग कया गया चाण य क कटनी त न इस थ त म अमोघ ा का कामकया कौ ट य न साम दान दड एव भदmdashचार नी तय का योग कया और अपनल य को ा त कया नदवश का नाश आ च ग त न मगध क बागडोर सभालीसकदर क सनाप त स यकस क बट हलन का च ग त क साथ ववाह आ धमनदका धान अमा य lsquoरा सrsquo च ग त का महाअमा य बना एक बार फर स भारतबखरत- बखरत बच गया सकदर नाम क आधी शात होकर वापस अपन दश चलीगई भारत क ग रमा व क सामन फर स नखरकर सामन आई

और चाण य उसन नजन एकात म राजनी त क पव थ का अवगाहन कर

उसम अपन गत अनभव का पट दया और अथशा पर एक मह वपण थलखा lsquoकौ ट य अथशा rsquo नामक यह थ राजा राजक मय तथा जा क सबधऔर रा य- व था क सदभ म अनकरणीय व था दता ह कछ व ान न चाण यक तलना म कया वली स क ह ल कन भारत क थम धानम ी प जवाहरलालनह इस बात स सहमत नह थ उनक म चाण य क महानता क म कया वलीसामन काफ अदन ह चाण य एक महान अथशा ी राजनी त क व ा तथाकटनी त होत ए भी महा मा थ व सभी कार क भौ तक उपा धय स पर थइसी कारण lsquoकामदक य नी तसारrsquo म व णग त क लए य प या लखी ग mdash

नी तशा ामत धीमानथशा महोदधःसमद द नम त म व णग ताय वधस

lsquo जसन अथशा पी महासम स नी तशा पी अमत का दोहन कयाउस महा ब मान आचाय व णग त को मरा नमन हrsquo

जनक याण क लए जो भी जहा स मला उस चाण य न लया और उसकत कत ता कट क व अपन थ का शभारभ करत ए श ाचाय और बह प त

दोन को नमन करत ह दोन ग ह दोन क अपनी-अपनी व श धाराए ह अपनत ा वा य म व कहत हmdash

प थ ा लाभ पालन च याव ताथ शा ा ण पवाचायः था पता नस यक मदमथशा कतम

प वी क ा त और उसक र ा क लए परातन आचाय न जनअथशा वषयक थ का नमाण कया उन सभी का सार-सकलन कर इसअथशा क रचना क गई ह

lsquoचाण य नी तrsquo म नी तसार का नचोड़ ह इसका सकत आचाय न ार भकोक म ही कर दया ह

ऐसा नह ह क चाण य नी त पर इसस पहल काम न आ हो इसक अनकअनवाद का शत हो चक ह यह प तक उनस अलग इस मायन म ह क इसम मल

ोक क अथ को समझात ए उसम छप रह य क ओर भी सकत करन का यासकया गया ह ऐसा करन क पीछ उद द य ह क पाठक उन न द स को पकड़करक य क ग थया अपन ढग स खोल इसम इस बात का वशष यान रखा गया ह कभाषा-शली ऐसी हो ता क साधारण भी इस थ का लाभ उठा सक प तक कअत म द गई फल त सकत करती ह क ववकवान इस थ को अव य पढ़ यथाmdash

अधी यद यथाशा नरो जाना त स मःधम पदश व यात कायाकाय शभाशभम

इस शा को व धपवक अ ययन करन क बाद भलीभा त जान लताह क शा म कस करन यो य कहा जाता ह और कसका नषध ह या शभ हऔर या अशभ

यहा पाठक को एक बात वशष प स समझ लनी चा हए क इस थ मकछ ऐसी मा यता का भी ज कया गया ह जो बदलत प रवश क साथ या तोबदल रही ह या फर उ ह न अपना अ त व खो दया ह थ क ामा णकता कोबनाए रखन क लए उसक मल प म कसी भी तरह क छड़खानी करना न तक स ठ क नह ह मल को यथा प दन का अथ यह कतई नह ह क लखक या

काशक इन वचार या मा यता स सहम त रखत ह इस लए पाठक को सहीसदभ म ही इस थ क क य को समझन क को शश करनी चा हए

कत तकत कयाद हसन त हसनम त दोषो न पत त समाचरतजो जसा कर उसस वसा ही बरत कत क त कत ता भरा हसक सहसा य और ता का वहार करन पर कसी कार का पाप (पातक)नह होता

सकदर ारा पोरस को म करना उन राजा क गाल पर करारा तमाचा थाज ह न पवत र का साथ नह दया था

नी तशा म कही गई बात क ा या एकागी नह होनी चा हए इसक लएज री ह क ा याता को लोक और शा दोन का ान हो lsquoलोकrsquo मत कालीन समाज का व प आता ह जब क शा का अथ हmdash य श दाथअथात य पा रभा षक श दावली का अथ प होना

अथ थमोऽ यायः पहला अ याय

कसी क अथवा आप काल स बचाव क लए धन कर ा करनी चा हए धन खच करक भी य क र ाकरनी चा हए परत य और धन स भी आव यक ह क

वय क र ा कर

ण य शरसा व ण लो या धप त भमनानाशा ोद धत व य राजनी तसम चयम

म तीन लोक mdashप वी अ त र और पाताल क वामी सवश मान सव ापकपरम र व ण को सर झकाकर णाम करता भ को णाम करन क बाद म अनकशा स एक त कए गए राजनी त स सब धत ान का वणन क गा1

ाचीनकाल स हमारी यह परपरा रही ह क थ क न व न समा त क लएथकार अपन आरा य का मरण अव य करता ह इस lsquoमगलाचरणrsquo कहा जाता ह

आचाय चाण य न भी सवश मान भ व ण को नमन करक इस थ क रचना क हव दत हो क ी व ण पालनकता ह और lsquoनी त lsquoका योजन भी और

समाज क व था दना ह चाण य न अपन इस थ को राजनी त स सब धत ान काउ म स ह बताया ह इसी स ह को बाद म व ान और जन-सामा य न lsquoचाण य नी तrsquoका नाम दया

अधी यद यथाशा नरो जाना त स मःधम पदश व यात कायाकाय शभाशभम

lsquoस मःrsquo अथात प ष इस शा का व धपवक अ ययन करक यह बात भलीकार जान जाएग क वद आ द धमशा म कौन स काय करन यो य बताए गए ह और

कौन स काय ऐस ह ज ह नह करना चा हए या प य ह और या पाप ह तथा धम औरअधम या ह इसक जानकारी भी इस थ स हो जाएगी 2

मन य क लए यह आव यक ह क कछ भी करन स पव उस इस बात का ान होक वह काय करन यो य ह या नह उसका प रणाम या होगा प य काय और पाप कमया ह मन य ही वद आ द धमशा को पढ़कर भल-बर का ान ा त कर सकत

हयहा यह बात जान लना भी आव यक ह क धम और अधम या ह इसक नणय

म थम म धम क ा या क अनसारmdash कसी क ाण लना अपराध ह और अधमभी परत लोकाचार और नी तशा क अनसार वशष प र थ तय म ऐसा कया जाना धमक व नह माना जाता पापी का वध और अपराधी को दड दना इसी णी म आत ह

ीक ण न अजन को य क रणा द उस इसी वशष सदभ म धम कहा जाता ह

तदह स व या म लोकाना हतका ययायन व ानमा ण सव व प त

अब म मानवमा क क याण क कामना स राजनी त क उस ान का वणन क गाजस जानकर मन य सव हो जाता ह 3

चाण य कहत ह क इस थ को पढ़कर कोई भी नयादारी और राजनी तक बारी कया समझकर सव हो जाएगा यहा lsquoसव rsquo स चाण य का अ भ ाय ऐसी ब

ा त करना ह जसस म समय क अन प यक प र थ त म कोई भी नणय होनक मता आ आए जानकार होन पर भी य द समय पर नणय नह लया तो जानना-समझना सब थ ह अपन हत क र ा भी तो तभी स भव ह

मख श योपदशन ीभरणन चः खतः स योगण प डतोऽ यवसीद त

मख श य को उपदश दन - भचा रणी ी का पालन-पोषण करन धन कन होन तथा खी क साथ वहार रखन स ब मान को भी क उठानापड़ता ह 4

चाण य कहत ह क मख को ान दन स कोई लाभ नह होता अ पतस जन और ब मान लोग उसस हा न ही उठात ह उदाहरण क लए बया और बदर ककहानी पाठक को याद होगी मख बदर को घर बनान क सलाह दकर बया को अपनघ सल स ही हाथ धोना पड़ा था इसी कार और कलटा ी का पालन-पोषण करन सस जन और ब मान य को ख ही ा त होता ह

खी य स वहार रखन स चाण य का ता पय ह क जो अनक रोगस पी ड़त ह और जनका धन न हो चका ह ऐस य स कसी कार का सबध रखनाब मान मन य क लए हा नकारक हो सकता ह अनक रोग का ता पय स ामक रोग सह ब त स लोग स ामक रोग स त होत ह उनक सग त स वय रोगी होन का अदशारहता ह जन लोग का धन न हो चका हो अथात जो दवा लया हो गए ह उन परएकाएक व ास करना क ठन होता ह खी का अथ वषाद त स भी ह ऐस लोगका ख स उबरना ब त क ठन हो जाता ह और ायः असफलता ही हाथ लगती ह जोवा तव म खी ह और उसस उबरना चाहता ह उसका सहयोग करना चा हए य क खीस तो वाथ ही बचता ह

ा भाया शठ म भ य ो रदायकःससप च गह वासो म यरव न सशयः

वभाव वाली कठोर वचन बोलन वाली राचा रणी ी और धत वभाववाला म सामन बोलन वाला महफट नौकर और ऐस घर म नवास जहा साप क होन कसभावना हो य सब बात म य क समान ह 5

जस घर म या होती ह वहा गह वामी क थ त कसी मतक क समान हीहोती ह य क उसका कोई वश नह चलता और भीतर ही भीतर कढ़त ए वह म य कओर सरकता रहता ह इसी कार वभाव वाला म भी व ास क यो य नह होता नजान कब धोखा द द जो नौकर अथवा आपक अधीन काम करन वाला कमचारी उलटकरआपक सामन जवाब दता ह वह कभी भी आपको असहनीय हा न प चा सकता ह ऐससवक क साथ रहना अ व ास क घट पीन क समान ह इसी कार जहा साप का वास होवहा रहना भी खतरनाक ह न जान कब सपदश का शकार होना पड़ जाए

आपदथ धन र द दारान र नर पआ मान सतत र द दारर प धनर प

कसी क अथवा आप काल स बचाव क लए धन क र ा करनी चा हए औरधन खच करक भी य क र ा करनी चा हए परत य और धन स भी अ धकआव यक यह ह क अपनी र ा कर 6

ब मान को चा हए क वह आप अथवा बर दन क लए थोड़ा-थोड़ाधन बचाकर उसक र ा कर अथात धन का स ह कर समय पड़न पर स चत धन स भीअ धक अपनी प नी क र ा करना आव यक ह य क प नी जीवनस गनी ह ब त स ऐसअवसर होत ह जहा धन काम नह आता वहा जीवनसाथी काम आता ह इसी सदभ मव ाव था म प नी क अहम भ मका होती ह

चाण य का वचार यह भी ह क धन और ी स भी अ धक को अपनी र ाकरनी चा हए अथात का मह व इन दोन स अ धक ह य द का अपना ही नाश

हो गया तो धन और ी का योजन ही या रह जाएगा इस लए क लए धन-स हऔर ी र ा क अप ा समय आन पर अपनी र ा करना अ धक मह वपण ह

दखन म आया ह और उप नषद क ऋ ष भी कहत ह क कोई कसी स म नहकरता सब वय स ही म करत हmdashआ मन त कामाय सव य भव त

आपदथ धन र मता कत आपदःकदा च च लता ल मीः स चतोऽ प वन य त

आप काल क लए धन क र ा करनी चा हए ल कन स जन प ष क पासवप का या काम और फर ल मी तो चचला ह वह स चत करन पर भी न हो जातीह 7

चाण य का कहना ह मन य को चा हए क वह आप काल क लए धन का स हकर ल कन धनी ऐसा मानत ह क उनक लए आप य का कोई मह व नह ह

य क व अपन धन स सभी आप य स बच सकत ह परत व यह नह जानत क ल मीभी चचल ह कसी भी समय वह मन य को छोड़कर जा सकती ह ऐसी थ त म यहइकट ठा कया आ धन भी कसी समय न हो सकता ह

य मन दश न स मानो न व न च बा धवाःन च व ाऽऽगमः क त त दश प रवजयत

जस दश म आदर-स मान नह और न ही आजी वका का कोई साधन ह जहा कोईबध-बाधव र तदार भी नह तथा कसी कार क व ा और गण क ा त क सभावनाभी नह ऐस दश को छोड़ ही दना चा हए ऐस थान पर रहना उ चत नह 8

कसी अ य दश अथवा कसी अ य थान पर जान का एक योजन यह होता ह कवहा जाकर कोई नयी बात नयी व ा रोजगार और नया गण सीख सकग परत जहा इनमस कसी भी बात क सभावना न हो ऐस दश या थान को तरत छोड़ दना चा हए

ो यो ध नकः राजा नद व त प चमःप च य न व त न त दवस वसत

जहा ो य अथात वद को जानन वाला ा ण ध नक राजा नद और व यपाच चीज न ह उस थान पर मन य को एक दन भी नह रहना चा हए 9

धनवान लोग स ापार क व होती ह वद को जानन वाल ा ण धम क र ाकरत ह राजा याय और शासन- व था को थर रखता ह जल तथा सचाई क लए नदआव यक ह जब क रोग स छटकारा पान क लए व क आव यकता होती ह चाण यकहत ह क जहा पर य पाच चीज न ह उस थान को याग दना ही य कर ह

लोकया ा भय ल जा दा य यागशीलता

प च य न व त न कयात त स थ तमजहा लोकया ा अथात जीवन को चलान क लए आजी वका का कोई साधन न हो

ापार आ द वक सत न हो कसी कार क दड क मलन का भय न हो लोकलाज न होय म श ता उदारता न हो अथात उनम दान दन क व न हो जहा य पाच चीज

व मान न ह वहा को नवास नह करना चा हए 10

जानीयात षण भ यान बा धवान सनाऽऽगमम चाप कालष भाया च वभव य

काम लन पर नौकर-चाकर क ख आन पर बध-बाधव क क आन पर मक तथा धन नाश होन पर अपनी प नी क वा त वकता का ान होता ह 11

चाण य कहत ह क जब सवक (नौकर) को कसी काय पर नय कया जाएगातभी पता चलगा क वह कतना यो य ह इसी कार जब कसी मसीबत म फसजाता ह तो उस समय भाई-बध और र तदार क परी ा होती ह म क पहचान भीवप क समय ही होती ह इसी कार धनहीन होन पर प नी क वा त वकता का पताचलता ह क उसका म धन क कारण था या वा त वक

आतर सन ा त भ श -सकटराज ार मशान च य त त स बा धवः

कसी रोग स पी ड़त होन पर ख आन पर अकाल पड़न पर श क ओर ससकट आन पर राज सभा म मशान अथवा कसी क म य क समय जो साथ नहछोड़ता वा तव म वही स चा ब ध माना जाता ह 12

क रोग श या पर पड़ होन अथवा खी होन अकाल पड़न और श ाराकसी भी कार का सकट पदा होन कसी मकदम आ द म फस जान और मरन पर जो

मशान घाट तक साथ दता ह वही स चा ब ध (अपना) होता ह अथात य अवसरऐस होत ह जब सहायक क आव यकता होती ह ायः यह दखा जाता ह क जो कसीक सहायता करता ह उसको ही सहायता मलती ह जो समय पर कसी क काम नहआता उसका साथ कौन दगा

यो वा ण प र य य अ व प रसवतवा ण त य न य त अ व न मव ह

जो मन य न त को छोड़कर अ न त क पीछ भागता ह उसका काय या पदाथन हो जाता ह 13

चाण य कहत ह क लोभ स त होकर को हाथ-पाव नह मारन चा हएब क जो भी उपल ध हो गया ह उसी म स तोष करना चा हए जो आधी छोड़कर

परी क पीछ भागत ह उनक हाथ स आधी भी नकल जाती ह

वरयत कलजा ा ो व पाम प क यकामपवत न नीच य ववाहः स श कल

ब मान को चा हए क वह कल म उ प ई क प अथात स दयहीनक या स भी ववाह कर ल पर त नीच कल म उ प ई सदर क या स ववाह न कर वसववाह अपन समान कल म ही करना चा हए 14

आचाय चाण य न यह ब त सदर बात कही ह शाद - ववाह क लए सदर क यादखी जाती ह सदरता क कारण लोग न क या क गण को दखत ह न उसक कल को ऐसीक या स ववाह करना सदा ही खदायी होता ह य क नीच कल क क या क स कार भीनीच ही ह ग उसक सोचन बातचीत करन या उठन-बठन का तर भी न न होगा जब कउ च और कल क क या का आचरण अपन कल क अनसार होगा भल ही वह क याक प व स दयहीन हो वह जो भी काय करगी उसस अपन कल का मान ही बढ़गा औरनीच कल क क या तो अपन वहार स प रवार क त ा ही बगाड़गी वस भी ववाहसदा अपन समान कल म ही करना उ चत होता ह अपन स नीच कल म नह यहा lsquoकलrsquo सता पय धन-सपदा स नह प रवार क च र स ह

नखीना च नद ना च शगीणा श पा णनामव ासो नव कत ो ीष राजकलष च

lsquoनखीनामrsquo अथात बड़-बड़ नाखन वाल शर और चीत आ द ा णय वशालन दय lsquoशगीणामrsquo अथात बड़-बड़ स ग वाल साड़ आ द पश श धारण करन वाल

य तथा राजा स सब धत कल वाल य का व ास कभी नह करना चा हए 15

बड़-बड़ नाखन वाल हसक ाणी स बचकर रहना चा हए न जान व कब आपकऊपर हमला कर द जन न दय क प त अथवा तट प क नह उन पर इस लए व ासनह कया जा सकता क न जान उनका वग कब चड प धारण कर ल और कब उनकदशा बदल जाए न जान व और कधर को बहना ारभ कर द इस लए ायः न दय ककनार रहन वाल लोग सदव उजड़त रहत ह

बड़-बड़ स ग वाल साड़ आ द पश का भी भरोसा नह ह कौन जान उनकामजाज कब बगड़ जाए जसक पास तलवार आ द कोई ह थयार ह उसका भी भरोसानह कया जा सकता य क वह छोट -सी बात पर ोध म आकर कभी भी आ ामक होसकता ह चचल वभाव वाली य पर भी व ास नह करना चा हए वह अपनी चतरतास कभी भी आपक लए तकल प र थ तया पदा कर सकती ह इस तरह क कईउदाहरण ाचीन थ म मल जाएग राजा स सब धत राजसवक और राजकल क

य पर भी व ास करना उ चत नह व कभी भी राजा क कान भरकर अ हत करवा

सकत ह इसी क साथ व राज नयम क त सम पत और न ावान होत ह राज हतउनक लए मख होता हmdashसबध नह

वषाद यमत ा ममधयाद प का चनमनीचाद य मा व ा ीर न कलाद प

वष म भी य द अमत हो तो उस हण कर लना चा हए अप व और अशव त म भी य द सोना अथवा म यवान व त पड़ी हो तो वह भी उठा लन क यो य होतीह य द नीच मन य क पास कोई अ छ व ा कला अथवा गण ह तो उस सीखन म कोईहा न नह इसी कार कल म उ प अ छ गण स य ी पी र न को हण करलना चा हए 16

इस ोक म आचाय गण हण करन क बात कर रह ह य द कसी नीच कपास कोई उ म गण अथवा व ा ह तो वह व ा उसस सीख लनी चा हए अथात कोसदव इस बात का य न करना चा हए क जहा स उस कसी अ छ व त क ा त होअ छ गण और कला को सीखन का अवसर ा त हो तो उस हाथ स जान नह दना चा हए

वष म अमत और गदगी म सोन स ता पय नीच क पास गण स ह

ीणा गण आहारो ब तासा चतगणासाहस षड गण चव कामोऽ गण उ यत

प ष क अप ा य का आहार अथात भोजन दोगना होता ह ब चौगनीसाहस छह गना और कामवासना आठ गना होती ह 17

आचाय न इस ोक ारा ी क कई वशषता को उजागर कया ह ी क यऐस प ह जन पर सामा य प स लोग क नह जाती

भोजन क आव यकता ी को प ष क अप ा इस लए यादा ह य क उसप ष क तलना म शारी रक काय यादा करना पड़ता ह य द इस ाचीन सदभ म भी दखाजाए तो उस समय य को घर म कई ऐस छोट-मोट काम करन होत थ जनम ऊजा का

य होता था आज क प रवश म भी थ त लगभग वही ह शारी रक बनावट उसम होनवाल प रवतन और जनन आ द ऐस काय ह जसम य ई ऊजा को ा त करन क लए

ी को अ त र पौ कता क आव यकता होती हइस स य क जानकारी न होन क कारण ब क वहार म इसक वपरीत आचरण

होन क कारण बा लका और य को प ष क अप ा यादा कपोषण का शकारहोना पड़ता ह

ब का वकास सम या को सलझान स होता ह इस स भी य कोप रवार क सद य और उसक अलावा भी कई लोग स वहार करना पड़ता ह इससउनक ब अ धक पनी होती ह छोट -छोट बात को समझन क का वकास होता

तथा व वधता का वकास होता ह आज क सदभ म इस मता को प प स दखा जासकता ह

भावना धान होन क कारण ी म साहस क उ च मा ा का होना वाभा वक हपश-प य क मादा म भी दखा गया ह क अपनी सतान क र ा क लए व अपन सकई गना बलशाली क सामन लड़-मरन क लए डट जाती ह

काम का आठ गना होना पढ़न-सनन म अटपटा लगता ह ल कन यह सकत करताह क हमन काम क प- व प को सही कार स नह समझा ह काम पाप नह हसामा जक कानन क व भी नह ह इसका होना अन तक या च र हीन होन क प भीनह करता ह ीक ण न वय को lsquoधमानकल कामrsquo कहा ह काम पतऋण स म होनका सहज माग ह सतान उ प करक ही कोई इस ऋण स म हो सकता ह

ी क काम छा प ष स भ होती ह वहा शरीर नह भावदशा मह वपण ह ीम होन वाल प रवतन भी इस माग को सम लात हmdash वाभा वक प म ल कन ीउसका प र कार कर दती ह जस प वी मल को खाद बनाकर जीवन दती ह इस परी तरहस समझन क लए आव यक ह कामशा का अ ययन कया जाए

कल मलाकर इस ोक ारा चाण य न ी क वभाव का व षण कया ह

यह भारतीय परपरा रही ह क कसी भी शभ काय को ारभ करन स पहल दवी-दवता अथवा भ का मरण कया जाए ता क वह काय बना कसी वधान कसरलतापवक स प हो lsquoचाण य नी तrsquo का मख उद द य यह जानना ह क कौन-साकाम उ चत ह और कौन-सा अन चत आचाय चाण य न ाचीन भारतीय नी तशा मबताए गए नयम क अनसार ही इस लखा ह यह पव अनभव का सार ह उनका कहना हक लोग इस पढ़कर अपन कत और अकत का भली कार ान ा त कर सकगसम-साम यक राजनी त क ान म मन य अपनी ब का पट दकर समय क अनसारअ छाई और बराई म भद कर सकता ह

सबस पहल आचाय चाण य न सग क मह व पर काश डालत ए यह बताया हक लोग क ससग स ब मान मन य को ख उठाना पड़ता ह चाण य न मन य कजीवन म धन क मह व को बताया ह उनका कहना ह क को सकट क समय क लएधन का सचय करना चा हए उस धन स अपन बाल-ब च तथा य क र ा भी करनीचा हए इसक साथ उनका यह भी कहना ह क को अपनी र ा सव प र करनीचा हए जन लोग क पास धन ह व कसी भी आप का सामना धन क ारा कर सकतह परत उ ह यह बात भी भली कार समझ लनी चा हए क ल मी चचल ह वह तभी तक

टक कर रहती ह जब तक उसका स पयोग कया जाता ह पयोग आरभ करत हील मी चलती बनती ह

चाण य कहत ह क को उसी थान पर रहना चा हए जहा उसका स मान होजहा पर उसक भाई-बध ह आजी वका क साधन ह इसी सबध म वह आग कहत ह कजहा धनवान वद-शा को जानन वाल व ान ा ण राजा अथवा शासन- व था नदऔर व आ द न ह वहा भी नह रहना चा हए नौकर क कायकशलता का पता तभीचलता ह जब उ ह कोई काय करन क लए दया जाता ह अपन सब धय और म कपरी ा उस समय होती ह जब वय पर कोई आप आती ह गह थ का सबस बड़ा सहाराउसक ी होती ह परत ी क वा त वकता भी उसी समय समझ म आती ह जब परी तरह धनहीन हो जाता ह

मन य को चा हए क वह अ धक लालच म न पड़ उस वही काय करना चा हएजसक सबध म उस परा ान हो जस काय क सबध म उस ान न हो उस करन स हा नहो सकती ह जस काय का अनभव न हो उसस सब धत नणय लना क ठन होता हनणय य द ल लया जाए तो सशय क थ त मन को डगमगाती रहती ह ऐसा नणयकभी भी सही नह होताmdashlsquoसशया मा वन य तrsquo मन य द सशय म हो तो वह रा त सभटकाता ही नह गहर और अधर गड ढ म फकता ह य द आप ऐस वसा यय का जीवनदख ज ह न अपन म ऊचाइय को छआ ह तो आप पाएग क उ ह न अपन काम कोसमझन क लए कसी सर अनभवी क नीच काम कया ह कताबी और

ावहा रक जानकारी म जमीन-आसमान का अतर होता हववाह क सदभ म चाण य न कल क भदभाव क बात नह मानी ह उनका कहना

ह क नीच कल म उ प क या भी य द अ छ गण स य ह तो उसस ववाह करन म कोईहा न नह जन पर व ास नह करना चा हए उनक बार म आचाय का कथन ह क सहऔर बाघ आ द तज पज वाल जानवर स र रहना चा हए ऐसी न दय क आसपास भीनह रहना चा हए जनक कनार क च ह और जो बरसात आ द क दन म लब-चौड़मदान म फल जाती ह इसी कार लब सीग वाल साड़ आ द पश स अपना बचावरखना चा हए जसक पास कोई ह थयार ह उसका भी कभी व ास नह करना चा हए

अथ तीयोऽ यायः सरा अ याय

lsquoमनसा च तत कायrsquo अथात मन स सोच ए काय को वाणीारा कट नह करना चा हए परत मननपवक भली कार

सोचत ए उसक र ा करनी चा हए और वय चप रहत एउस सोची ई बात को काय प म बदलना चा हए

अनत साहस माया मख वम तल धताअशौच व नदय व ीणा दोषाः वभावजाः

झठ बोलना बना सोच-समझ कसी काय को ारभ कर दना साहस करनाछलकपट करना मखतापण काय करना लोभ करना अप व रहना और नदयताmdashय

य क वाभा वक दोष ह 1य म ायः य दोष पाए जात हmdashव सामा य बात पर भी झठ बोल सकती ह

अपनी श का वचार न करक अ धक साहस दखाती ह छल-कपट पण काय करती हमखता अ धक लोभ अप व ता तथा नदयी होना य ऐसी बात ह जो ायः य कवभाव म होती ह य य क वाभा वक दोष ह अथात अ धकाश य म य होत ह

अब तो या श त होती जा रही ह समय बदल रहा ह ल कन आज भी अ धकाशअ श त या इन दोष स य हो सकती ह इन दोष को ी क समाज म थ त औरउसक प रणाम व प बन उनक मनो व ान क सदभ म दखना चा हए

भो य भोजनश र तश वरागनावभवो दानश नाऽ प य तपसः फलम

भोजन क लए अ छ पदाथ का ा त होना उ ह खाकर पचान क श होनासदर ी का मलना उसक उपभोग क लए कामश होना धन क साथ-साथ दान दनक इ छा होनाmdashय बात मन य को कसी महान तप क कारण ा त होती ह 2

भोजन म अ छ व त क कामना सभी करत ह परत उनका ा त होना औरउ ह पचान क श होना भी आव यक ह यक चाहता ह क उसक प नी सदरहो परत उसक उपभोग क लए म कामश भी होनी चा हए यक चाहताह क उसक पास धन हो परत धन ा त क बाद कतन ऐस लोग ह जो उसका स पयोगकर पात ह धन का स पयोग दान म ही ह अ छ जीवन स गनी शारी रक श पौ षएव नरोगता धन तथा व mdash ज रत पर कसी क काम आन क व आ द पवज म मक ही शभ कम ारा ही ा त होत ह lsquoतपसः फलमrsquo का अथ ह कठोर म औरआ मसयम

य य प ो वशीभतो भाया छ दाऽनगा मनीवभव य स त त य वग इहव ह

जसका बटा वश म रहता ह प नी प त क इ छा क अन प काय करती ह औरजो धन क कारण परी तरह सत ह उसक लए प वी ही वग क समान ह 3

यक ससार म सखी रहना चाहता ह यही तो वग ह वग म भी सभीकार क सख को उपभोग करन क क पना क गई ह इस बार म चाण य कहत ह क

जसका प वश म ह ी जसक इ छा क अनसार काय करती ह जो अपन कमाए धनस सत ह जस लोभ-लालच और अ धक कमान क चाह नह ह ऐस मन य क लएकसी अ य कार क वग क क पना करना थ ह वग तो वह जाना चाहगा जो यहाखी हो

त प ा य पतभ ाः स पता य त पोषकःत म य य व ासः सा भाया य नव तः

प उ ह ही कहा जा सकता ह जो पता क भ होत ह पता भी वही ह जो पका पालन-पोषण करता ह इसी कार म भी वही ह जस पर व ास कया जा सकता हऔर भाया अथात प नी भी वही ह जसस सख क ा त होती ह 4

चाण य का मानना ह क वही गह थ सखी ह जसक सतान उसक वश म ह औरउसक आ ा का पालन करती ह य द सतान पता क आ ा का पालन नह करती तो घरम लश और ख पदा होता ह चाण य क अनसार पता का भी कत ह क वह अपनीसतान का पालन-पोषण भली कार स कर जसन अपन कत स मह मोड़ लया होउस प स भी भ क आशा नह करनी चा हए इसी कार म क वषय म चाण य कामत ह क ऐस को म कस कहा जा सकता ह जस पर व ास नह कया जासकता और ऐसी प नी कस काम क जसस कसी कार का सख ा त न हो तथा जो

सदव ही लश करक घर म अशा त फलाती हो

परो कायह तार य यवा दनमवजय ा श म वषक भ पयोमखम

जो पीठ पीछ काय को बगाड़ और सामन होन पर मीठ -मीठ बात बनाए ऐस मको उस घड़ क समान याग दना चा हए जसक मह पर तो ध भरा आ ह परत अदर वषहो 5

जो म सामन चकनी-चपड़ी बात बनाता हो और पीठ पीछ उसक बराई करककाय को बगाड़ दता हो ऐस म को याग दन म ही भलाई ह चाण य कहत ह क वहउस बतन क समान ह जसक ऊपर क ह स म ध भरा ह परत अदर वष भरा आ होऊपर स मीठ और अदर स को म नह कहा जा सकता यहा एक बात वशष

प स यान दन क ह क ऐसा म आपक गत और सामा जक वातावरण को भीआपक तकल बना दता ह

न व सत क म च म चाऽ प न व सतकदा चत क पत म सव ग काशयत

जो म खोटा ह उस पर व ास नह करना चा हए और जो म ह उस पर भीअ त व ास नह करना चा हए य क ऐसा हो सकता ह क वह म कभी नाराज होकरसारी ग त बात कट कर द 6

चाण य मानत ह क जो अ छा म नह ह उस पर तो व ास करन का ही नह उठता परत उनका यह भी कहना उ चत ह क अ छ म क सबध म भी परी तरहव ास नह करना चा हए य क कसी कारणवश य द वह नाराज हो गया तो सार भदखोल दगा

आज बड़-बड़ नगर म जो अपराध बढ़ रह ह जो ककम हो रह ह उनक पीछप र चत ही अ धक पाए जात ह lsquoघर का भद लका ढाएrsquomdashयह कहावत गलत नहह जो ब त अ छा म बन जाता ह वह घर क सद य जसा हो जाता ह भावकहोकर उस अपन सार भद बता दता ह फर जब कभी मन-मटाव उ प होत ह तो वहक थत म ही सबस यादा नकसान दन वाला स होता ह ऐसा म जानता ह आपकमम थल कौन स ह घर म काम करन वाल कमचारी क बार म भी इस कार क सावधानीरखना आव यक ह

मनसा च तत काय वाचा नव काशयतम ण र यद गढ काय चाऽ प नयोजयत

मन स सोच ए काय को वाणी ारा कट नह करना चा हए परत मननपवकभली कार सोचत ए उसक र ा करनी चा हए और चप रहत ए उस सोची ई बात को

काय प म बदलना चा हए 7आचाय का कहना ह क को कभी कसी को अपन मन का भद नह दना

चा हए जो भी काय करना ह उस अपन मन म रख और समय आन पर परा कर कछलोग कए जान वाल काय क बार म गात रहत ह इस कार उनक बात का मह व कम होजाता ह और य द कसी कारणवश वह उ काय को परा न कर सक तो उसक हसीहोती ह इसस का व ास भी कम होता ह फर कछ समय बाद ऐसा होता ह कलोग उसक बात पर यान नह दत उस ब- सर-पर क हाकन वाला समझ लया जाता हअतः ब मान को कहन स अ धक करन क त य नशील होना चा हए

क च खल मख व क च खल यौवनमक त क तर चव परगह नवासनम

मखता और जवानी न त प स खदायक होती ह सर क घर म नवास करनाअथात कसी पर आ त होना तो अ य त क दायक होता ह 8

मख होना क दायक ह य क वह वय को अपन को और सर को एक समानहा न प चाता ह मखता क समान यौवन भी खदायी इस लए माना गया ह य क उसम

काम ोध आ द वकार क आवग म उ जत होकर कोई भी मखतापण काय करसकता ह जसक कारण उस उसक अपन और सर लोग को अनक क उठान पड़सकत ह चाण य कहत ह क य बात तो क दायक ह ही परत इनस भी अ धक क दायकह सर क घर म रहना य क सर क घर म रहन स क वत ता समा त हो जातीह जसस व का पण प स वकास नह हो पाता

शल शल न मा ण य मौ क न गज गजसाधवो न ह सव च दन न वन वन

सभी पहाड़ पर र न और म णया नह मलत न ही यक हाथी क म तक मगजम ा नामक म ण होती ह यक वन म चदन भी उ प नह होता इसी कार स जनप ष सब थान पर नह मलत 9

आचाय चाण य क अनसार यक थान पर सब कछ उपल ध नह होता व शव तए वशष थान पर ही होती ह उ ह वह ढढ़ना चा हए और उसी क अनसार उनकाम याकन भी करना चा हए

मा ण य एक लाल रग का ब म य र न होता ह जो सभी पवत पर अथवा खान मा त नह हो सकता ऐसी मा यता ह क व श हा थय क माथ म एक ब म य मोती

होता ह सब जगल और वन म चदन क व जस कार नह मलत उसी कार स जन भी सभी थान पर दखाई नह दत अथात व तए मलनी लभ होती ह

प ा व वधः शील नयो याः सतत बधः

नी त ाः शीलस प ा भव त कलप जताःब मान लोग को चा हए क वह अपन प और प य को अनक कार क अ छ

गण स य कर उ ह अ छ काय म लगाए य क नी त जानन वाल और अ छ गण सय स जन वभाव वाल ही कल म पजनीय होत ह 10

चाण य कहत ह क बचपन म ब च को जसी श ा द जाएगी उनक जीवन कावकास उसी कार का होगा इस लए माता- पता का कत ह क व उ ह ऐस माग परचलाए जसस उनम चातय क साथ-साथ शील वभाव का भी वकास हो गणी य सही कल क शोभा होती ह

माता श पता वरी यन बालो न पा ठतःन शोभत सभाम य हसम य बको यथा

व माता- पता ब च क श ह ज ह न ब च को पढ़ाया- लखाया नह य कअनपढ़ बालक व ान क समह म शोभा नह पाता उसका सदव तर कार होता हव ान क समह म उसका अपमान उसी कार होता ह जस हस क झड म बगल कथ त होती ह 11

कवल मन य ज म लन स ही कोई ब मान नह हो जाता उसक लए श तहोना अ य त आव यक ह श ल-सरत आकार- कार तो सभी मन य का एक जसा होताह अतर कवल उनक व ा स ही कट होता ह जस कार सफद बगला सफद हस मबठकर हस नह बन सकता उसी कार अ श त श त य क बीच मबठकर शोभा नह पा सकता इस लए माता- पता का कत ह क व ब च को ऐसी श ाद जसस व समाज क शोभा बन सक

लालनाद बहवो दोषा ताडनाद बहवो गणाःत मा प च श य च ताडय त लालयत

लाड़- लार स प म ब त स दोष उ प हो जात ह उनक ताड़ना करन स अथातदड दन स उनम गण का वकास होता ह इस लए प और श य को अ धक लाड़- लारनह करना चा हए उनक ताड़ना करत रहनी चा हए 12

यह ठ क ह क ब च को लाड़- यार करना चा हए कत अ धक लाड़- यार करन सब च म अनक दोष भी उ प हो सकत ह माता- पता का यान मवश उन दोष क ओरनह जाता इस लए ब च य द कोई गलत काम करत ह तो उ ह पहल ही समझा-बझाकरउस गलत काम स र रखन का य न करना चा हए ब च क ारा गलत काम करन परउस नजरअदाज करक लाड़- यार करना उ चत नह ब च को डाटना भी चा हए कए गएअपराध क लए द डत भी करना चा हए ता क उस सही-गलत क समझ आए

ोकन वा तदधन पादनका रण वा

अब य दवस कयाद दाना ययन कम भः को एक वदम का अ ययन चतन अथवा मनन करना चा हए य द वह पर

म का चतन-मनन नह कर सकता तो उसक आध अथवा उसक एक भाग का और य दएक भाग का भी नह तो एक अ र का ही त दन अ ययन कर ऐसा नी तशा काआदश ह अपन दन को थ न जान द अ ययन आ द अ छ काय को करत ए अपनदन को साथक बनान का य न कर 13

चाण य कहत ह क मन य ज म बड़ भा य स मलता ह इस लए उस थ नहजान दना चा हएmdash को चा हए क वह अपना समय अपना दन वदा द शा कअ ययन म ही बताए तथा उसक साथ-साथ दान आ द अ छ काय भी कर महान प षक वशषता का वणन करत ए कहा गया हmdashlsquo सन तौrsquo अथात थ काअ ययन करना उनका सन होता ह

का ता वयोगः वजनापमानः ऋण य शषःकनप य सवाद र भावो वषमा सभा च वना ननत दह तकायम

प नी का बछड़ना अपन बध-बाधव स अपमा नत होना कज चढ़ रहना अथवा बर मा लक क सवा म रहना नधन बन रहना लोग और वा थय क सभाअथवा समाज म रहना य सब ऐसी बात ह जो बना अ न क शरीर को हर समय जलातीरहती ह 14

स जन लोग अपनी प नी क वयोग को सहन नह कर सकत य द उनक अपनभाई-ब ध उनका अपमान अथवा नरादर करत ह तो वह उस भी नह भला सकत जो

कज स दबा ह उस हर समय कज न उतार पान का ख रहता ह राजा अथवामा लक क सवा म रहन वाला नौकर भी हर समय खी रहता ह नधनता तो ऐसाअ भशाप ह जस मन य सोत और उठत-बठत कभी नह भला पाता उस अपन वजनऔर समाज म बार-बार अपमा नत होना पड़ता ह

अपमान का क म य क समान ह य सब बात ऐसी ह जनस बना आग क ही अदर-ही-अदर जलता रहता ह जीत-जी चता का अनभव करन क थ त ह यह

नद तीर च य व ाः परगहष का मनीम हीना राजानः शी न य यसशयम

जो व बलकल नद क कनार पदा होत ह जो ी सर क घर म रहती ह औरजस राजा क म ी अ छ नह होत व ज द ही न हो जात ह इसम कोई सशय नह ह 15

नद क कनार क व का जीवन कतन दन का हो सकता ह यह कोई नह कहसकता य क बाढ़ तथा तफान क समय न दया अपन कनार क पड़ को ही या अपनआसपास क फसल और ब तय को भी उजाड़ दती ह इसी कार सर घर म रहनवाली ी कब तक अपन आपको बचा सकती ह जस राजा क पास अ छ सलाह दनवाल म ी नह होत वह कब तक अपन रा य क र ा कर सकता ह अथात य सबन यपवक ज द ही न हो जात ह

बल व ा च व ाणा रा ा स य बल तथाबल व च व याना श ाणा प रचयकम

ा ण का बल व ा ह राजा का बल उनक सना ापा रय का बल उनकाधन ह और श का बल सर क सवा करना ह 16

ा ण का कत ह क व ा हण कर राजा का कत यह ह क स नकारा व अपन बल को बढ़ात रह व य को चा हए क व पश-पालन और ापार ारा धन

बढ़ाए श का बल सवा हचाण य न इस ोक म चार वण क कत क ओर सकत कया ह उनक

अनसारmdashचार वण को अपन-अपन काय म नपण होना चा हए समाज म कसी कथ त कम नह ह समय क अनसार प र थ तया बदलती ह सभवतः कसी समय ज म

क अनसार चार वण मान जात रह ह परत त य यह ह क वण क मा यता काय परनभर करती ह

इस लए कसी भी कल म ज म लन वाला श ा क म ह तो उस ा णही माना जाएगा जो ापार करता ह क ष काय म लगा ह पश-पालन करता हउस व य माना जाएगा जो सना म भत ह अथवा सना स सब धत काय कर रहा ह उस

य कहा जाएगा शष श क णी म आत ह श भी श त हो सकता हपरत कसी भी वण म पदा आ जो लोग क सवा क काय म लगा ह उस श मानाजाएगाmdashश का अथ नीच नह ह आ ापालन क भावना श का वशष गण ह ायःइस णी क लोग मान सक प स सत होत ह

नधन प ष व या जा भ न नप यजतखगा वीतफल व भ वा चाऽ यागता गहम

व या नधन प ष को जा परा जत राजा को प ी फलहीन व को औरअचानक आया आ अ त थ भोजन करन क बाद घर को यागकर चल जात ह 17

आचाय न यहा सबध क साथकता क ओर सकत कया ह कोई तभी तक सबधरखता ह जब तक उसक वाथ क प त होती ह

व या का धधा परप ष स धन लटना होता ह धन क समा त होन पर वह मह मोड़

लती ह जा तापी राजा को ही स मान दती ह जब वह श हीन हो जाता ह तो जाराजा का साथ छोड़ दती ह इसी कार क त क सामा य नयम क अनसारmdashव पररहन वाल प ी तभी तक कसी व पर बसरा रखत ह जब तक वहा स उ ह छाया औरफल ा त होत रहत ह घर म अचानक आन वाल अ त थ का जब भोजन-पान आ द सवागत-स कार कर दया जाता ह तो वह भी सामा जक नयम क अनसार वदा लकर अपन

ल य क ओर चल पड़ता ह भाव यह ह क को अपन स मान क र ा का वययान रखना चा हए उस अप ा करत समय सबध क व प को सही कार स समझना

चा हए कसी थान या व त स आव यकता स अ धक लगाव नह रखना चा हए

गही वा द णा व ा यज त यजमानकमा त व ा ग श या द धाऽर य मगा तथा

ा ण द णा ा त करन क बाद यजमान का घर छोड़ दत ह व ा ा त करन कबाद श य ग क आ म स वदा ल लता ह वन म आग लग जान पर वहा रहन वाल हरणआ द पश उस जगल को छोड़कर कसी सर जगल क ओर चल दत ह 18

यह ोक भी उसी बात क प करता ह जस पहल कहा गया ह य द कोई कसी वशष काय क कारण कसी क पास जाता ह तो अपना काय स हो जान

पर उस वह थान छोड़ दना चा हए जस कार ा ण लोग यजमान क कसी काय कप त क बाद द णा ा त हो जान पर आशीवाद दकर वहा स चल जात ह श य भी व ाक ा त क बाद ग कल छोड़कर अपन-अपन घर चल जात ह जब कसी जगल म आगलग जाती ह तो वहा रहन वाल पश भी उस जगल को छोड़कर कसी सर जगल क खोजम चल पड़त ह अथात को अपना काय समा त हो जान पर कसी क यहा डरा डालनक मशा नह करनी चा हए

राचारी र राऽऽवासी च जनःय म ी यत प भनरः शी वन य त

बर च र वाल अकारण सर को हा न प चान वाल तथा गद थान पर रहन वाल क साथ जो प ष म ता करता ह वह ज द ही न हो जाता ह 19

सभी साध-सत ऋ ष-म नय का कहना ह क जन का सग नरक म वास करन कसमान होता ह इस लए मन य क भलाई इसी म ह क वह जतनी ज द हो सक

का साथ छोड़ दआचाय न यहा यह भी सकत कया ह क म ता करत समय यह भली कार स

जाच-परख लना चा हए क जसस म ता क जा रही ह उसम य दोष तो नह ह य द ऐसाह तो उसस होन वाली हा न स बच पाना सभव नह इस लए यादा अ छा ह क उसस रही रहा जाए

समान शोभत ी तः रा सवा च शोभतवा ण य वहारष द ा ी शोभत गह

म वहार बराबरी वाल य म ही ठ क रहता ह य द नौकरी करनी ही हो तोराजा क नौकरी करनी चा हए काय अथवा वसाय म सबस अ छा काम ापार करनाह इसी कार उ म गण वाली ी क शोभा घर म ही ह 20

अपनी बराबरी वाल स म-सबध शोभा दता ह असमानता सामन आएबना नह रहती तब म श ता म बदल जाता ह इस लए य न पहल ही यान रखा जाएइसी कार य द को नौकरी तथा कसी सवा काय म जाना ह तो उस य न करनाचा हए क सरकारी सवा ा त हो य क उसम एक बार वश करन पर अवकाश ा तहोन तक कसी वशष कार का झझट नह रहता

फर वह न द नयम स सचा लत होता ह न क कसी वशष क आदशस य द अ य काय करना पड़ तो अपना ही कोई च का ापार कर गणय ीस घर क शोभा ह और घर म अपनी मयादा और कत का पालन करत ए ी भीअपन सद गण क र ा कर सकती ह

इस अ याय क ारभ म ही य क ओर यान दलाया गया ह दखा जाए तो दोषतो सभी म होता ह कछ क पास अनक पदाथ होत ह परत व या तो उनका उपभोग नहजानत अथवा फर उनम उपभोग क श नह होती इस अ याय म यह भी बताया गया हक कौन-सा प रवार सखी रहता ह सख उसी प रवार को ा त होता ह जहा सब एक-सर का स मान करत ह एक- सर म ा रखत हmdashअथात प को पता और पता को

प का यान रखना चा हएयह ससार बड़ा व च ह कछ लोग ऐस भी होत ह जो सामन तो मीठ बात करत

ह परत पीठ पीछ बराइया करत ह ऐस लोग स बचना चा हए चाण य तो यहा तक कहतह क मन स सोची ई बात का वाणी स भी उ लख नह करना चा हए अथात अपना रह यअपन म को भी नह बताना चा हए मखता तो क दायक होती ही ह जवानी और सरक घर म आ त होकर रहना भी भारी ख दन वाला होता ह उसक साथ यह भी यान मरखना चा हए क और उ म व तए तथा स जन लोग सब थान पर ा त नह होत

चाण य न बार-बार इस बात पर जोर दया ह क माता- पता को चा हए क वअपनी सतान को गणवान बनाए उनका यान रख और उ ह बगड़न न द आचाय कहत हक को चा हए क वह अपना समय साथक बनाए अ छा काय कर इसक साथउनका कहना ह क सब लोग को अपना काय अथात कत परा करना चा हए

कौ ट य न मन य को बार-बार सचत कया ह क उस वा त वकता समझनी चा हएगफलत म नह रहना चा हए उस यह ात होना चा हए क व या का म एक धोखा हइस लए उस इस कार क य तथा प ष स बचना चा हए उस चा हए क वह मऔर म ता अपन बराबर वाल स ही रख

अथ ततीयोऽ यायः तीसरा अ याय

जहा मख क पजा नह होती जहा अ आ द काफ मा ाम इकट ठ रहत ह जहा प त-प नी म कसी कार काकलह लड़ाई-झगड़ा नह ऐस थान पर ल मी वय आकरनवास करन लगती ह

क य दोषः कल ना त ा धना को न पी डतःसन कन न स ा त क य सौ य नर तरम

ससार म ऐसा कौन-सा कल अथवा वश ह जसम कोई-न-कोई दोष अथवा अवगणन हो यक को कसी-न- कसी रोग का सामना करना ही पड़ता ह ऐसा मन यकौन-सा ह जो सन म न पड़ा हो और कौन ऐसा ह जो सदा ही सखी रहता हो य क

यक क जीवन म सकट तो आत ही ह 1आचाय चाण य न यह बात ठ क ही कही ह क कोई वरला ही वश अथवा कल

ऐसा हो जसम कसी कार का दोष न हो इसी तरह सभी कभी-न-कभी कसी रोगस पी ड़त होत ह जो मन य कसी बरी लत म पड़ जाता ह अथवा जस बर काम करन कआदत पड़ जाती ह उस भी ख उठान पड़त ह ससार म ऐसा कोई नह ह जससदा सख ही मलता रहा हो और सकट न उस कभी न घरा हो अथात कोई मन य पणनह कोई न कोई ख सभी को लगा ही आ ह

आचारः कलमा या त दशमा या त भाषणमस मः नहमा या त वपरा या त भोजनम

मन य क वहार स उसक कल का ान होता ह मन य क बोल-चाल स इस बातका पता चलता ह क वह कहा का रहन वाला ह वह जस कार का मान-स मान कसी कोदता ह उसस उसका म कट होता ह और उसक शरीर को दखकर उसक भोजन क मा ाका अनमान लगाया जा सकता ह 2

मन य जस कार का वहार करता ह उसस उसक कल का ान भली- कार होजाता ह इसी कार मन य क भाषा और बोलचाल स उसक दश- दश अथवा रहन कथान का पता चलता ह मन य जस कार का कसी क त आदर कट करता ह उसस

यह प हो जाता ह क उसका वभाव कसा ह इसी कार उसक शरीर क बनावटदखकर उसक खान क मा ा का अनमान होता ह

बनावट और उसका वहार कसी भी मन य क मन क थ त को परी तरह सबता दता ह ल कन इसक लए अनभव अप त ह

सकल योजय क या प व ास योजयतसन योजय छ म धम नयोजयत

समझदार का कत ह क वह अपनी क या का ववाह कसी अ छ कल मकर प को अ छ श ा द उस इस कार क श ा द जसस उसका मान-स मान बढ़श को कसी ऐस सन म डाल द जसस उसका बाहर नकलना क ठन हो जाए औरअपन म को धम क माग म लगाए 3

यक माता- पता का कत ह क अपनी प ी का ववाह कसी अ छ प रवार मही कर lsquoअ छा कलrsquo अथात जो स का रत हो और श त भी उ ह चा हए क वह अपनीसतान को व ान बनाए ता क उनका अपना कल भी गण-सप हो

श क सबध म सन क बात चाण य न जस कार स कही ह उसस कटहोता ह क व कतनी र क बात सोचत थ आज भी दखन म आता ह क ब त स पड़ोसीदश अपन वकास म लग ए दश को माग स भटकान क लए लोग म धन का लालच पदाकरक उ ह नशील पदाथ क ापार म लगान का य न करत ह आज पहल सीप र थ तया नह रह गई ह पर पर य क सभावना ब त कम हो गई ह इसी लए सरदश को कमजोर बनान क लए व भ कार क हथकड अपनाए जात ह नश क लत मएक बार फसन पर नकलना क ठन होता ह सनी मान सक प स कमजोर होजाता ह और ऐसा श य द जी वत भी रह तो कोई अतर नह पड़ता म को सदव काय क ओर रत करत रहना चा हए

जन य च सप य वर सप न जनःसप दश त कालन जन त पद पद

और साप इन दोन म स कसी एक को चनना हो तो क

अप ा साप को चनना ठ क होगा य क साप समय आन पर ही काटगा जब क हर समय हा न प चाता रहगा 4

चाण य न यहा प कया ह क साप स भी अ धक हा नकर होता हसाप तो आ मर ा क लए आ मण करता ह परत अपन वभाव क कारणसदव कसी-न- कसी कार का क प चाता ही रहता ह इस कार साप स भीअ धक घातक होता ह

एतदथ कलीनाना नपाः कव त स हमआ दम याऽवसानष न यज त च त नपम

राजा लोग कलीन य को अपन पास इस लए रखत ह क व राजा क उ तक समय उसका ऐ य समा त हो जान पर तथा वप क समय भी उस नह छोड़त 5

राजा लोग अथवा राजप ष रा य क मह वपण पद और थान पर उ म कल वालय को ही नय करत ह य क उनम उ च स कार तथा अ छ श ा क कारण

एक व श ता होती ह व राजा क हर काम म सहायक होत ह व उसक उ त क समयअथवा सामा य-म यम थ त म तथा सकट आन क समय भी साथ नह छोड़त कलीन

अवसरवाद नह आदशवाद होता हय द इस बात को आज क सदभ म भी दखा जाए तो वाथ और नीच कल क

ही अपना वाथ स होन पर दल-बदल कर लत ह और अपन दल का साथ छोड़दत ह परो प स चाण य लोग को सचत करना चाहत ह क सहयो गय का चनावकरत समय कल और स कार का वचार अव य करना चा हए

लय भ मयादा भव त कल सागराःसागरा भद म छ त लयऽ प न साधवः

सम भी लय क थ त म अपनी मयादा का उ लघन कर दत ह और कनार कोलाघकर सार दश म फल जात ह परत स जन लय क समान भयकर वप औरक आन पर भी अपनी सीमा म ही रहत ह अपनी मयादा नह छोड़त 6

वशाल सागर ब त गभीर रहता ह परत चाण य धयवान गभीर को सागरक अप ा मानत ह लय क समय सागर अपनी सारी मयादा भल जाता ह अपनीसभी सीमाए तोड़ दता ह और जल-थल एक हो जाता ह पर त अनक सकट कोसहन करता ह और अपनी मयादाए कभी पार नह करता

मख त प रहत ः य ो पदः पशःभन वा यश यन अ ः क टको यथा

मख स र ही रहना चा हए य क मन य दखता आ भी वह दो पर वाल

पश क समान ह वह स जन को उसी कार क प चाता रहता ह जस शरीर म चभाआ काटा शरीर को नरतर पीड़ा दता रहता ह 7

काटा छोटा होन क कारण अ य हो जाता ह और शरीर म धस जाता ह मख कभी यही थ त ह वह भी अनजान म ख और पीड़ा का कारण बनता ह अकसर लोगमख क ओर भी यान नह दत व उस साधारण मन य ही समझत ह

पयौवनस प ाः वशालकलस भवाःव ाहीना न शोभ त नग धा इव कशकाः

सदर प वाला यौवन स य ऊच कल म उ प होन पर भी व ा स हीन मन यसगधर हत ढाक अथवा टस क फल क भा त उप त रहता ह शसा को ा त नह होता8

य द कसी न अ छ कल म ज म लया ह और दखन म भी उसका शरीरसदर ह परत य द वह भी व ा स हीन ह तो उसक थ त भी ढाक क उसी फल क समानहोती ह जो गधर हत होता ह ढाक का फल दखन म सदर और बड़ा होता ह परत जबलोग यह दखत ह क उसम कसी कार क सगध नह ह तो व उसक उप ा कर दत ह नतो वह कसी दवता क पजन म चढ़ाया जाता ह न ही साज-शगार म उसका उपयोग कयाजाता ह

को कलाना वरो प ीणा प प त तमव ा प क पाणा मा प तप वनाम

कोयल का स दय उसक वर म ह उसक मीठ आवाज म ह य का स दयउनका प त ता होना ह क प लोग का स दय उनक व ावान होन म और तप वय कसदरता उनक मावान होन म ह 9

भाव यह ह क का स दय उसक गण म छपा रहता ह जस कार कोयलऔर कौआ दोन काल होत ह परत कोयल क मीठ कक सभी को पसद होती ह यहीमीठा वर उसका स दय ह इसी कार या व ही सदर मानी जाती ह जो प त ता होती हअथात ी का स दय उसका पा त त धम ह समाज म भी प त-परायणा ी को हीस मान ा त ह उसी क लोग ारा सराहना क जाती ह शरीर स क प भी व ाक कारण आदर का पा बन जाता ह जस स यवती प ास तप करन वाल कशोभा उसक माशीलता क कारण होती ह मह ष भग न lsquo माrsquo करन क वशषता ककारण ही ी व ण को दवता म घो षत कया था

यजदक कल याऽथ ाम याऽथ कल यजताम जनपद याऽथ आ माऽथ प थव यजत

य द एक का याग करन स कल क र ा होती ह उ त होती ह सख-शा त

मलती ह तो उस एक को छोड़ दना चा हए उसका याग कर दना चा हए ाम कहत क लए कल छोड़ दना चा हए य द एक गाव को छोड़न स पर जल का क याण होतो उस गाव को भी छोड़ दना चा हए इसी कार आ मा क उ त क लए सार भमडलका ही याग कर दना चा हए 10

छोट वाथ क याग क ओर सकत करता ह यह ोक इस स lsquo वrsquo हीसव ह अथात य द अपनी उ त म कसी चीज को बाधक समझता ह तो उसकायाग कर दन म दर नह करनी चा हएmdashवह कतनी भी म यवान य न हो

उ ोग ना त दा र य जपतो ना त पातकममौन च कलहो ना त ना त जाग रत भयम

उ ोग अथात प षाथ करन वाला द र नह हो सकता भ का नाम जपतरहन स मन य पाप म ल त नह होता मौन रहन पर लड़ाई-झगड़ नह होत तथा जो जागता रहता ह अथात सतक रहता ह उस कसी कार का भय नह रहता 11

जो नरतर प र म करत रहत ह उनक गरीबी वय र हो जाती ह प र मकरक भा य को भी अपन वश म कया जा सकता ह जो सदव भ का मरण करतारहता ह अपन दय म सदव उस व मान समझता ह वह पापकाय म व नह होता

ोक क सर भाग म कहा गया ह क मौन रहन स लड़ाई-झगड़ा नह होता अथात ववादका समाधान ह मौन यह बात जीवन क सभी प पर लाग होती ह जो सावधानरहता ह सतक रहकर अपन काय करता ह उस कसी भी कार क भय क आशका नहरहती जस को आल य असावधानी और गफलत म रहन क आदत ह उस हरथान पर हा न उठानी पड़ती ह उसका न तो आज ह न कल

अ त पण व सीता अ तगवण रावणःअ तदानात ब लब ो अ त सव वजयत

अ यत पवती होन क कारण ही सीता का अपहरण आ अ धक अ भमान होनक कारण रावण मारा गया अ य धक दान दन क कारण राजा ब ल को क उठाना पड़ाइस लए कसी भी काय म अ त नह करनी चा हए अ त का सव याग कर दना चा हए12

चाण य न यहा इ तहास स उदाहरण दकर यह समझान का य न कया ह कयक काय क एक सीमा होती ह जब उसका अ त मण हो जाता ह तो को क

उठाना पड़ता ह सीता अ यत पवती थ इसी कारण उनका अपहरण आ इसी काररावण य प अ यत बलवान और सम राजा था परत अ भमान क सभी सीमाए लाघगया प रणाम व प उस अपन वजन क साथ मौत क घाट उतरना पड़ा राजा ब ल कसबध म सभी जानत ह क वह अ यत दानी था उसक दान क कारण जब उसका यश सारससार म फलन लगा तो दवता लोग भी च तत हो उठ तब भगवान व ण न वामन का

अवतार लकर उसस तीन पग धरती दान म मागी ब ल क ग श ाचाय न उस सावधान भीकया परत ब ल न उनक बात न मानकर वामन बन व ण क बात मान ली और भगवान नतीन पग म धरती वग और पातालmdashतीन लोक को नापकर ब ल को भखारी बना दया

इन सब उदाहरण का भाव यही ह क अ छाई भी एक सीमा स आग बढ़ जाती हतो वह बराई अथात हा नकर बन जाती ह लोग उसका लाभ उठात ह इसी लए कहा गयाह क अ त न करो

को ह भारः समथाना क र वसा यनामको वदशः स व ाना कः परः यवा दनाम

समथ अथवा श शाली लोग क लए कोई भी काय क ठन नह होता ापा रयक लए भी कोई थान र नह पढ़- लख व ान य क लए कोई भी थान वदशनह इसी कार जो मधरभाषी ह उनक लए कोई पराया नह 13

जो लोग श शाली ह अथात जनम साम य ह उनक लए कोई भी काम परा करलना क ठन नह होता व यक काय को सरलतापवक कर लत ह ापारी अपन ापारक व क लए र- र क दश म जात ह उनक लए भी कोई थान र नह व ान

क लए भी कोई परदस नह वह जहा भी जाएगा व ा क कारण वह स मा नतहोगा इसी कार मधर भाषण करन वाला पराय लोग को भी अपना बना लता हउसक लए पराया कोई भी नह होता सब उसक अपन हो जात ह

एकनाऽ प सव ण प पतन सग धनावा सत त न सव सप ण कल तथा

जस कार सग धत फल स लदा आ एक ही व सार जगल को सगध स भरदता ह उसी कार सप स सार वश क शोभा बढ़ती ह शसा होती ह 14

ब त स लोग क ब त स प अथवा सतान होती ह परत उनक अ धकता ककारण प रवार का स मान नह बढ़ता कल का स मान बढ़ान क लए एक सद गणी प हीकाफ होता ह धतरा क सौ प म स एक भी ऐसा नह नकला जस स मान स मरणकया जाता हो ऐस सौ प स या लाभ सगर क तो साठ हजार प थ

एकन श कव ण द मानन वह ननाद त त न सव कप ण कल तथा

जस कार एक ही सख व म आग लगन स सारा जगल जलकर राख हो जाता हउसी कार एक मख और कप सार कल को न कर दता ह 15

जस जगल का एक सखा पड़ आग पकड़ ल तो सारा वन जल उठता ह उसी कारकल म एक कप पदा हो जाए तो वह सार कल को न कर दता ह कल क त ाआदर-स मान आ द सब धल म मल जात ह य धन का उदाहरण सभी जानत ह जसक

कारण कौरव का नाश आ लकाप त रावण भी इसी णी म आता ह

एकनाऽ प सप ण व ाय न साधनाआह ला दत कल सव यथा च ण शवरी

एक ही प य द व ान और अ छ वभाव वाला हो तो उसस प रवार को उसीकार खशी होती ह जस कार एक च मा क उ प होन पर काली रात चादनी स खल

उठती ह 16यह आव यक नह ह क प रवार म य द ब त-सी सतान ह तो वह प रवार सखी ही

हो अनक सतान क होन पर भी य द उनम स कोई व ान और सदाचारी नह तो प रवारक सखी होन का ही नह उठता इस लए चाण य कहत ह क ब त स मख प औरसतान क अप ा एक ही व ान और सदाचारी प स प रवार को उसी कार स तामलती ह जस चाद क नकलन पर उसक काश स काली रात जगमगा उठती ह

क जातब भः प ः शोकस तापकारकःवरमकः कलाऽऽल बी य व ा यत कलम

ख दन वाल दय को जलान वाल ब त स प क उ प होन स या लाभ कलको सहारा दन वाला एक ही प होता ह उसक आ य म परा कल सख भोगता ह 17

ऐस ब त स प स कोई लाभ नह जनक काय स प रवार को शोक का सामनाकरना पड़ दय को ख प च ऐस ब त स प क अप ा प रवार को सहारा दन वालाएक ही प अ धक उपयोगी होता ह जसक कारण प रवार को सख ा त होता ह

लालयत प च वषा ण दश वषा ण ताडयता त त षोडश वष प म वदाचरत

पाच वष क आय तक प स यार करना चा हए इसक बाद दस वष तक उसकताड़ना क जा सकती ह और उस दड दया जा सकता ह परत सोलह वष क आय मप चन पर उसस म क समान वहार करना चा हए 18

वकासा मक मनो व ान का स ह यह ोक पाच वष क आय तक क ब च कसाथ लाड़- लार करना चा हए य क इस समय वह सहज वकास स गजर रहा होता हअ धक लाड़- यार करन स ब चा बगड़ न जाए इस लए दस वष क आय तक उस दड दनक बात कही गई ह उस डराया-धमकाया जा सकता ह परत सोलह वष क आय तकप चन पर उसक साथ इस कार का वहार नह कया जा सकता

उस समय उसक साथ म जसा वहार करना चा हए य क तब उसकाव और सामा जक lsquoअहrsquo वक सत हो रहा होता ह म ता का अथ ह उस यह

महसस कराना क उसक प रवार म मह वपण भ मका ह म पर जस आप अपन वचार

को लादत नह ह वसा ही आप यहा अपनी सतान क साथ भी कर यहा भी समझान-बझान म तक और ावहा रकता हो न क अह क भावना

उपसगऽ यच च भ च भयावहअसाधजनस पक यः पलाय त स जीव त

ाक तक आप याmdashजस अ धक वषा होना और सखा पड़ना अथवा दग-फसादआ द होन पर महामारी क प म रोग फलन श क आ मण करन पर भयकर अकालपड़न पर और नीच लोग का साथ होन पर जो सब कछ छोड़-छाड़कर भाग जाता हवह मौत क मह म जान स बच जाता ह 19

भावाथ यह ह क जहा दग-फसाद ह उस जगह स को र रहना चा हएय द कसी श न हमला कर दया हो या फर अकाल पड़ गया हो और लोग अ धकसपक म आ रह ह तो को वह थान छोड़ दना चा हए जो ऐसा नह करता वहम य का ास बन जाता ह

धमाथकाममो ाणा य यकोऽ प न व तज म-ज म न म यष मरण त य कवलम

जस क पास धम अथ काम और मो आ द इन चार प षाथ म स कोईभी प षाथ नह ह वह बार-बार मन य यो न म ज म लकर कवल मरता ही रहता ह इसकअ त र उस कोई लाभ नह होता 20

चाण य का भाव यह ह क मन य ज म म आकर धम अथ और काम कलए प षाथ करता आ मो ा त करन का य न कर मानव दह धारण करन का यहीलाभ ह

मखा य न प य त धा य य सस चतमद प यः कलहो नाऽ त त ीः वयमागता

जहा मख क पजा नह होती जहा अ आ द काफ मा ा म इकट ठ रहत ह जहाप त-प नी म कसी कार क कलह लड़ाई-झगड़ा नह ऐस थान पर ल मी वय आकरनवास करन लगती ह 21

इस ोक का ता पय यह ह क जो लोगmdashदश अथवा दशवासी मख लोग कबजाय गणवान का आदर-स मान करत ह अपन गोदाम म भली कार अ का स हकरक रखत ह जहा क लोग म घर-गह थी म लड़ाई-झगड़ नह मतभद नह उन लोग कसप अपन-आप बढ़न लगती ह यहा एक बात वशष प स समझन क ह क ल मी को

ी भी कहत ह ल कन इन दोन म मलतः अतर ह आज जब क यक ल मी काउपासक हो गया ह और सोचता ह क सम त सख क साधन जटाए जा सकत ह तो उसइनम फक समझना होगा

ल मी का एक नाम चचला भी ह एक थान पर न कना इसका वभाव ह ल कनजस ी क बात आचाय चाण य न क ह वह ब क सखी ह ब क ी क साथगाढ़ म ता ह य दोन एक- सर क बना नह रह सकत मह ष ास न ी का माहा यभगवान क साथ जोड़कर कया ह उनका कहना ह क जहा ी ह वहा भगवान कोउप थत जानो इस ोक म जन गण को बताया गया ह उनका होना भगवान कउप थ त का सकत ह

ल मी चचला ह ल कन ी जसक मन या घर म व हो जाती ह उस अपनी इ छास नह छोड़ती ी का अथ सतोष स भी कया जाता ह सतोष को सव सप मानागया ह इस कार सतोषी को ल मी क पीछ-पीछ जान क आव यकता नह होतीवह वय उसक घर-प रवार म आकर नवास करती ह

आचाय न वशष प स मन य क आचार अथात च र क सबध म कछ बात कहीह उ ह न माना ह क अ छ-स-अ छ कल म कह -न-कह कसी कार का दोष मल हीजाता ह और ससार म ऐसा कौन-सा प ष ह जो कभी रोग का शकार न आ हो सभी मकोई-न-कोई सन भी होता ह इस ससार म लगातार कसको सख ा त होता ह अथातकोई सदा सखी नह रह सकता कभी-न-कभी वह क म पड़ता ही ह सख- ख का सबधदन-रात क तरह ह

महान य को और धमा मा को अनक क उठान पड़त ह ऐसा ससार कानयम ह चाण य का मानना ह क मन य क आचार- वहार स बोलचाल स सर क

त मान-स मान कट करन स उसक कल क व श ता का ान होता हआचाय का मानना ह क प ी का ववाह अ छ आचरणशील प रवार म करना

चा हए और प को ऐसी रणा दनी चा हए क व उ च श ा ा त कर श ा ही जीन ककला सखाती ह

श को सन म फसान क बात करत ए आचाय सकत करत ह क श कानाश बौ क चातय क साथ कया जाना चा हए इस लए सावधान रह और लाभ उठाएचाण य न श ा और ब म ा पर सब काय क अप ा अ धक जोर दया ह व कहत हक मख भी स जन और ब मान क तरह दो पर वाला होता ह परत वह चार पर वाल पशस भी नक और गया-गजरा माना जाता ह य क उसक काय सदव क प चान वालहोत ह चाण य कहत ह क य द कोई अ छ कल म उ प आ ह तथा प औरयौवन आ द स भी य ह परत उसन व ा हण नह क तो यह सब उसी कार नरथकह जस कार बना सगध क सदर फल उनका मानना ह क कसी का स मान उसक गण

क कारण होता ह न क प और यौवन क कारण आचरण स सब धत एक औरमह वपण बात चाण य न यह कही ह क य द कसी एक क ब लदान स पर कल काक याण हो तो उसका ब लदान कर दना चा हए परत उ ह न मन य को सव प र माना हऔर व कहत ह क य द अपन क याण क लए चाह तो यक व त का ब लदान करसकता ह

उनका मानना ह क को अपनी नधनता र करन क लए उ म और पाप सबचन क लए भ का मरण करत रहना चा हए उ ह न बार-बार मन य को सचत कया हक वह कस कार क स बच सकता ह उनका कहना ह क को सदव सतकरहना चा हए आचरण म आचाय कसी भी तरह क अ त क प म नह ह

आचाय क अनसार मधर भाषण करन वाला समच ससार को अपना बनासकता ह अनक कप होन क बजाय एक सप होना कह अ छा ह चाण य न बालमनो व ान पर भी काश डाला ह उनका कहना ह क पाच वष तक क आय क ब च सलाड़- लार करना चा हए इसक बाद क आय म अनशा सत करन क लए डाट-फटकारताड़ना करन क आव यकता हो तो वह भी करनी चा हए परत जब ब चा सोलह वष कआय तक प च जाता ह तब उस म क समान समझकर वहार करना चा हए ोक मlsquoप rsquo श द का योग सतान क अथ म कया गया ह ब टय क सदभ म भी यही नयम लागहोता ह

आचाय न बार-बार मन य को यह बतान-समझान का य न कया ह क यह मानवशरीर अ यत म यवान ह को अपना दा य व नभान क लए यथाश धमाचरणकरत रहना चा हए चाण य इस अ याय क अत म समच समाज को मख स बचन कापरामश दत ह अपन अ तथा अ य उ पाद को ठ क ढग स सभालकर रखना चा हए औरआपस म मपवक रहना चा हए झगड़-फसाद म अपना जीवन न नह करना चा हएऐसा करक हम वय को ख क गत म डालत ह

अथ चतथ ऽ यायः चौथा अ याय

को चा हए क वह ऐस धम का याग कर द जसमदया और ममता आ द का अभाव हो इसी कार व ा सहीन सदा ोध करन वाली ी और जन बध-बाधव म

म का अभाव हो उनका भी याग कर दना चा हए उनसभी र रहना चा हए

आयः कम च व च व ा नधनमव चप चता न ह स य त गभ थ यव द हनः

जीव जब मा क गभ म आता ह तभी उसक आय कम धन व ा और म यmdashयहपाच बात न त हो जाती ह 1

चाण य का व ास ह क मन य क जीवन क ायः सभी बात पहल स ही न तहो जाती ह जस क वह कतन वष तक जी वत रहगा कस कार क कम करगा उस धनआ द क ा त कस होगी तथा वह कतनी व ा ा त कर सकगा

साथ ही उ ह न कम अथात प षाथ को कह नकारा भी नह ह कारण प हmdashइन सबक मल म कम ही तो ह जस ार ध कहत ह माना जाता ह क उसी क अनसारजीव को शरीर क ा त होती ह वह भी हमार कम का ही प रणाम ह शा म कहा गयाह क का थम कत कम करना ह अतः वह अपनी व ा और ब क अन प

कम करता रह दखन म आता ह क सक पपवक कए गए कम स इन सबम भीप रवतन कया जा सकता ह

साध य त नवत त प ा म ा ण बा धवाःय च तः सह ग तार त मा सकत कलम

प म और ब ध-बा धव साध लोग स वमख हो जात ह य क उ ह ऐस लोगका आचरण मखतापण लगता ह परत जो लोग साध क अनसार अपना जीवन बतात हउनका सग करत ह उनक अनकल आचरण करत ह उनक इस काय स जो प य ा त होताह उसस सारा वश-प रवार कतक य हो जाता ह 2

दशन यानस पशम सी कम च प णीशश पालयत न य तथा स जनसग तः

जस मछली अपन ब च को दखकर मादा कछआ यान (दखभाल) स और मादाप ी पश स अपन ब च का लालन-पालन करत ह उसी कार स जन क सग त भीदशन यान और पश ारा ससग म आए का पालन करती ह3

आचाय न इस ोक ारा स जन क अ यत स म भाव क ओर सकत कया हमा यता ह क मछली अपनी स मादा कछआ यान स तथा प ी पश स अपनी सतानका लालन-पालन करत ह स जन भी दशन यान और पश स अपन आ त को सर ा

दान करत ह और वकास म सहयोगी होत ह स जन क दशन स आ मबल म व होतीह और सक प ढ़ होता ह य द उनका यान कया जाए और य द उनक चरण का पशकर उनका आशीवाद ा त कया जाए तो सफलता उ त और वकास सहज हो जाता ह

याव व थो य दहो याव म य रतःतावदा म हत कयात ाणा त क क र य त

जब तक यह शरीर व थ तथा नीरोग ह और जब तक म य नह आती तब तक को अपन क याण क लए धमय आचरणmdash अथात प य कम करन चा हए

य क करन-करान का सबध तो जीवन क साथ ही ह जब म य हो जाएगी उस समय वहकछ भी करन म असमथ हो जाएगा अथात कछ भी नह कर सकगा 4

कसी को इस बात का ान नह क मन य का शरीर कब रोग स घर जाएगा उसयह भी मालम नह क म य कब होन वाली ह इस लए मन य को चा हए क जब तक वहजी वत ह अ धक-स-अ धक प य कम कर य क करन-करान का सबध तो जीवन स हजब म य हो जाती ह तब सार व ध- नषध नरथक हो जात ह

कामधनगणा व ा काल फलदा यनीवास मातस शी व ा ग त धन मतम

व ा म कामधन क गण होत ह उसस असमय म ही फल क ा त होती हवदश म व ा ही माता क समान र ा और क याण करती ह इस लए व ा को ग तधन

कहा गया ह 5ग तधन वह होता ह जसस मन य सकट क समय लाभ उठा सक इस लए चाण य

न व ा को ग तधन बताया ह और उसक उपमा कामधन स क ह कामधन उस कहाजाता ह जसस मन य क सभी इ छाए पण होती ह उसस उस समय भी फल क ा तहोती ह जब दशकाल क अनसार फल ा त सभव न हो व ा क कारण ही वदश म

का स मान होता ह माता जस कार ब च क र ा करती ह उसी कार वदश मव ा स क हर कार स र ा होती ह और सख ा त होत ह नी त वा य भी हmdashव ान सव प यत

वरमको गणी प ो न ण शतर पएक तमो ह त न च ताराः सह शः

सकड़ गणर हत और मख प क बजाय एक गणवान और व ान प का होनाअ छा ह य क हजार तार क अप ा एक च मा स ही रा का शत होती ह 6

सकड़ मख प क अप ा एक व ान और गण स य प स ही पर प रवार काक याण होता ह रा क समय जस कार आकाश म हजार तारागण दखाई दत ह परतउनस रा का अधकार र होन म सहायता नह मलती उस तो च मा ही र कर पाता ह

आचाय क म स या नह गण मह वपण ह

मख रायजातोऽ प त मा जातमतो वरःमतः स चाऽ प ःखाय याव जीव जडो दहत

द घ आय वाल मख प क अप ा पदा होत ही मर जान वाला प अ धक होता ह य क पदा होत ही मर जान वाला प थोड़ समय क लए ही ख का कारण होताह जब क लबी आय वाला मख प म यपय त ख दता रहता ह 7

सतान स माता- पता क उ मीद जड़ी होती ह जब ज मत ही सतान क म य होजाती ह तो माता- पता नराशा क अधकार म डब जात ह भ व य म इस मत सतान कोलकर कोई सख- ख क उ मीद नह रहती ह जब क मख जी वत प न य- त अपनमाता- पता क आशा क टकड़-टकड़ करता रहता ह इस ख स पहला ख यादा ठ कह

क ामवासः कलहीनसवा कभोजन ोधमखी चभायाप मख वधवा च क या वनाऽ नना षट

दह त कायमअ श त तथा अनपय थान या ाम म रहना नीच क सवा अ चकर

और पौ कता स र हत भोजन करना झगड़ाल ी मख प और वधवा क या य छहबात ऐसी ह जो बना अ न क ही शरीर को जलाती रहती ह 8

कछ बात ऐसी होती ह जनस जीवनभर खी रहता ह उनम सबस मखवह थान ह जहा उस लगातार रहना होता ह य द वह थान ठ क न हो और वहा कनवा सय का आचार- वहार सही न हो तो सदव खी रहता ह इसी कार य दकसी को नीच क नौकरी करनी पड़ गदा बासी और पौ कता स र हत भोजनकरना पड़ तो वह भी खदायी ही ह य द ी झगड़ाल हो छोट -छोट बात पर झगड़ाकरती हो तो गह थ का सख कस ा त हो सकता ह प य द मख हो और लड़क वधवाहो तो यह आयभर का असहनीय लश हो जाता ह ऐसी थ तय स बच पाना य द सभवन हो तो मान सक प स इसस नपटन क लए तयार रहना चा हए

क तया यत ध वा या न दो ी न ग भणीकोऽथः प ण जातन यो न व ान भ मान

जस तरह ध न दन वाली और गभ न धारण करन वाली गाय स कोई लाभ नह उसी कार य द प भी व ान और माता- पता क सवा करन वाला न हो तो उसस कसी

कार का लाभ नह हो सकता 9कोई भी ऐसी गाय को पालना पसद नह करगा जो न तो ध दती हो और न

ही गभ-धारण करन क यो य हो इसी कार ऐस प स भी कोई लाभ नह जो न तो पढ़ा-लखा हो और न ही माता- पता क सवा करता हो

ससार तापद धाना यो व ा तहतवःअप य च कल च सता सग तरव च

इस ससार म खी लोग को तीन बात स ही शा त ा त हो सकती हmdashअ छसतान प त ता ी और स जन का सग 10

अपन काय अथवा ापार म लग ए य क लए घर म आन पर शा तमलनी चा हए ऐसा तभी हो सकता ह जब उसक प और प या गणी ह ी प त ताऔर न वभाव वाली हो तथा क म भल और स जन ह

सक ज प त राजानः सक ज प त प डताःसकत क याः द य त ी यता न सक सकत

राजा एक ही बार आ ा दत ह प डत लोग भी एक ही बार बोलत ह क या भीएक ही बार ववाह क समय दान म द जाती ह 11

सरकार एक ही बार आ ा दती ह उसका आदश कानन का प ल लता ह जाको उस पर चलना ही होता ह इसी कार प डत लोग भी कसी आयोजन म ोका दएक ही बार बोलत ह ठ क इसी कार क या का ववाह भी एक ही बार होता ह माता-

पता अथवा अ य सबध रखन वाल कोई वचन दत ह तो उस नभान का परा य न कयाजाता ह

चाण य का कहना ह क य काय ऐस ह जो कवल एक-एक बार ही होत ह इ हबार-बार नह दोहराया जाता इनक सबध म बार-बार न य बदलन स बात ह क पड़जाती ह और उसका भाव कम हो जाता ह हा न और समाज म अपयश दोन ा त होतह

एका कना तपो ा या पठन गायन भःचत भगमन प च भब भरणः

तप अथवा कसी कार क साधना का काय एक अकला ही अ छा करताह य द दो छा मलकर पढ़ तो अ ययन अ छा होता ह और गान क लए य द तीन मलकर अ यास करत ह तो अ छा रहता ह इसी कार य द या ा आ द पर जाना हो तोकम-स-कम चार को जाना चा हए खती आ द काय ठ क कार स चलान क लएपाच य क आव यकता होती ह जब क य म यह स या जतनी हो उतना अ छाह 12

चाण य कहत ह क तप अथवा साधना को अकल ही करनी चा हए एक सअ धक ह ग तो उसम व न पड़गा अ ययन दो य क बीच ठ क रहता ह य कदोन एक- सर को कोई बात समझा सकत ह गान क अ यास क लए तीन लोग का होनाइस लए आव यक ह य क उनम स एक जब अ यास करता ह तो दोन सनन वाल अपनी

त या जा हर कर सकत ह कह या ा पर जान क समय चार और खती आ द ककाय क लए पाच य क आव यकता होती ह य ऐसा काय ह जसम जतन भीअ धक लोग ह उनस सहायता मलती ह

सा भाया या श चद ा सा भाया या प त तासा भाया या प त ीता सा भाया स यवा दनी

प त क लए वही प नी उपय होती ह जो मन वचन और कम स एक जसी होऔर अपन काय म नपण हो इसक साथ ही वह अपन प त स म रखन वाली तथा स यबोलन वाली होनी चा हए ऐसी ी को ही प नी माना जा सकता ह 13

आचाय चाण य न आदश प नी क गण क चचा करत ए यह भी सकत कया हक प त को कसा होना चा हए हम यह तो चाहत ह क प नी प त स कछ न छपाएल कन प नी स रह य को छपाना अपना अ धकार मानत ह घर को सभालन का कायप नी कशलता स कर और प त प नी प त स म करती ह और प त आज बदलतप रवश म आचाय क कथन को ावहा रक प स दखन-परखन क आव यकता ह यबात दोन क लए एक समान ह

अप य गह श य दशः श या वबा धवाःमख य दय श य सवश या द र ता

जस घर म बटा नह होता वह घर श य माना जाता ह जसक कोई ब ध-बा धवनह होत उसक लए सारी दशाए सारा ससार ही श य होता ह मख का दय श यहोता ह और द र क लए तो सभी कछ श य ह 14

यक माता- पता यह चाहत ह क उनक एक सतान बटा हो बट क बना घर सनामालम होता ह य क आज सोच बदली ह कायद-कानन बदल ह जो इस ससारम अकला ह जसक कोई र तदार अथवा ब ध-बा धव नह उसक लए चार दशाएअथवा सारा ससार ही सना होता ह वह कसी स अपन मन का ख कट करन म असमथरहता ह मख क णा दया और ममता स र हत होता ह इस लए कहा गया ह कइसका दय सना होता ह द र अथवा नधन क लए तो सभी कछ सना ह य ककोई भी उसका साथ दन को तयार नह होता उसस सब क ी काटत ह

अन यास वष शा मजीण भोजन वषमद र य वष गो ी व य त णी वषम

अ यास क बना शा वष होता ह अजीण अथात भोजन क ठ क कार स पचबना फर भोजन करना वष क समान होता ह नधन और द र क लए समाज मरहना वष क समान होता ह और बढ़ प ष क लए यवती वष क समान होती ह 15

मन य को नरतर अ यास ारा शा का ान ा त करना चा हए य द वह शाान क लए नरतर अ यास नह करता तो वह अधकचरा ानी बनता ह ऐसा ान वष क

समान खदायी होता ह इसी कार पट म अपच क थ त म य द ब ढ़या-स-ब ढ़याभोजन कया जाएगा तो वह भी वष क समान क दगा द र य द कसी सभा सोसायटअथवा समाज म जाता ह तो वहा उसक पछ न होन क कारण उस वष का घट भी पीनापड़ता ह

बढ़ा आदमी य द त णी क साथ ववाह रचाता ह तो उसका जीवन अ य त क मयहो जाता ह य क वचार म आयगत असमानता सदव लश का कारण बनती ह औरशारी रक प स नबल होन क कारण वह नवयौवना को यौन सत भी दान नह करसकता ऐसी प नी पथ हो सकती ह जो क स मा नत क लए अ यत क दायी

थ त होती ह

यज म दयाहीन व ाहीन ग यजतयज ोधमख भाया नः नहान

बा धवा यजत को चा हए क वह ऐस धम का याग कर द जसम दया और ममता आ द का

अभाव हो इसी कार व ा स हीन ग का भी याग कर दना चा हए सदा ोध करनवाली ी का याग भी य कर ह और जन ब ध-बा धव म म अथवा नह का अभावहो उनका भी याग कर दना चा हए 16

यक धम स आशा क जा सकती ह क वह दया अ हसा और म का सदशदगा य द उसम य बात नह ह तो ऐस धम को छोड़ दना चा हए ग का कत ान दनाह य द वह अनपढ़ और मख ह तो उस ग बनान स कोई लाभ नह ी प त को सख दनवाली होती ह परत य द वह हर समय ग स म भरी रह और ोध करती रह तो ऐसी प नीका भी याग कर दना चा हए र तदार भाई-ब ध क ख म काम आत ह परत य दउनम नह और म का अभाव ह तो ऐस भाई-बध का कोई लाभ नह उ ह यागना हीहतकर ह

याग भी तभी सभव ह जब उसक सही दशा-दशा का ान हो

अधवा जरा मन याणा वा जना ब धन जराअमथन जरा ीणा व ाणामातपो जरा

जो मन य अ धक पदल चलता अथवा या ा म रहता ह वह ज द बढ़ा हो जाता हय द घोड़ को हर समय बाधकर रखा जाएगा तो व भी ज द बढ़ हो जात ह य स य दसभोग न कया जाए तो व ज द बढ़ हो जाती ह इसी कार मन य क कपड़ धप ककारण ज द फट जात ह अथात धप उ ह ज द बढ़ा कर दती ह 17

जो लोग हमशा या ा म रहत ह व नय मत न रहन क कारण ज द बढ़ाप काशकार हो जात ह या ा क थकान और खान-पान क गड़बड़ी का तन-मन पर वपरीतभाव पड़ता ह जस घोड़ को हर समय बाधकर रखा जाता ह वह भी ज द बढ़ा हो जाता

ह ऐसा करना उसक शारी रक क त क तकल हयह तो मन य न उस पालत बना लया असल म तो यह व छद वचरण करन

वाला ाणी ह य क बार म आचाय न यहा जो कहा वह पढ़न म अटपटा लगगाल कन ह स य शारी रक रचना क स दख तो lsquoसभोगrsquo ी क शरीर क ज वकआव यकता यादा ह मनोव ा नक कमmdashजब तक वह मा सक च म ह और फर ऐसाहोना उसक अपन प त स सबध क ठ क न होन क ओर भी सकत करत ह इस बात को

यक ब मान वीकार करता ह क य द मन क तर पर असतोष होगा तो बढ़ापाआएगा ही कपड़ यादा दर तक धप म पड़ रहन पर ज द फट जात ह य क मट ट औरसय क त पश कपड़ क बारीक तत को जला दती ह

कः कालः का न म ा ण को दशः कौयाऽऽगमौ

क ाऽह का च म श र त च य म म ः

समझदार को चा हए क इन बात क सबध म सदव सोचता रह जस क मरासमय कसा ह मर म कतन ह म जस थान पर रहता वह कसा ह मरी आय और

य कतना ह म कौन मरी श या ह अथात म या करन म समथ 18

ज नता चोपनता च य त व ा य छ तअ दाता भय ाता प चत पतरः मताः

ज म दन वाला य ोपवीत करान वाला ग व ा दान दन वाला अ यापक अदन वाला और भय स म रखन वाला यह पाच पतर मान गए ह 19

चाण य का मत ह क इन पाच को सदव सत रखना चा हए तथा इनका पता कतरह स मान करना चा हए

राजप नी गरोः प नी म प नी तथव चप नीमाता वमाता च प चता मातरः मताः

राजा क प नी ग क प नी म क प नी प नी क माता अथात सास औरज म दन वाली अपनी माता य पाच माताए मानी गई ह अथात इनका स मान माता कसमान करना चा हए याय करत समय भी इन सबध को lsquoमाrsquo क प रभाषा म ही वीकारकया जाता ह 20

अ नदवो जातीना मनीना द दवतमतमा व पब ना सव समद शनः

ा ण य और व य को जा त कहा गया ह इनका दवता य ह म नय कादवता उनक दय म नवास करता ह मद ब वाल क लए म त ही दवता होती ह जो

समदश ह जनक समान ह व परम र को सव व मान मानत ह 21ा ण य व य को जा त इस लए माना जाता ह क ज म क बाद ग

उनका उपनयन स कार करता ह उनक लए य ही उनका दवता ह म नय क दय मदवता का नवास होता ह य क वह सदव उनका मनन- चतन करत रहत ह म त पजाको यहा साधना क ार भक चरण क लए आव यक माना गया हmdashजस वणमाला कमा यम स फल-फल आ द का ान व ाथ को कराया जाता ह जो ससार का रह यजानत ह उनक लए ई र सव ापक ह व ससार क कण-कण म उस दखत ह

चाण य का कहना ह क जीव जब गभ म होता ह तभी उसक आय कम धनव ा और म य आ द बात न त हो जाती ह अथात मन य ज म क साथ ही न त कम

क ब धन म बध जाता ह इस ससार म आन क बाद स जन क ससग क फल व प सासा रक बधन स म होता ह अ छ लोग का साथ हर तरह स मन य क र ा क

लए ही होता हआचाय क अनसार मन य जब तक जी वत ह तब तक उस प य काय करन

चा हए य क इसी स उसका क याण होता ह और जब मन य दह याग दता ह तो वहकछ भी नह कर सकता

व ा को चाण य न कामधन क समान बताया ह जस तरह कामधन स सभीइ छाए परी हो जाती ह उसी कार व ा स मन य अपनी सभी मनोकामना को पण करसकता ह व ा को ब मान न ग त धन भी कहा ह

चाण य कहत ह क अनक मख प क अप ा एक गणी प अ धक हतकरहोता ह उनका कहना ह क मख प य द द घ आय वाला होता ह तो वह आयभर क दतारहता ह इसस तो अ छा ह क वह ज म क समय ही मर जाए य क ऐस प क म य सख थोड़ी दर क लए होगा

उनका कहना ह क इस ससार म खी लोग को अ छ प प त ता ी औरस जन स ही शा त ा त होती ह सासा रक नयम क अनसार चाण य बतात ह क राजाएक ही बात को बार-बार नह कहत प डत लोग भी (म को) बात बार-बार नह दोहरातऔर क या का भी एक ही बार दान कया जाता ह इस लए इन कम को करत एसावधानी बरतनी चा हए

को तप या अकल करनी चा हए व ाथ मलकर पढ़ तो उ ह लाभ होताह इसी कार सगीत खती आ द म भी सहायक क आव यकता होती ह य क लए तोजतन अ धक सहायक ह उतन ही अ छ रहत ह

चाण य कहत ह क उसी प नी का भरण-पोषण करना चा हए जो प तपरायणा होजस मन य क घर म कोई सतान नह वह घर सना होता ह जसक कोई र तदार औरब ध-बा धव नह उसक लए यह ससार ही सना ह द र अथवा नधन क लए तो सबकछ सना ह व ा क ा त क लए अ यास करना पड़ता ह बना अ यास क व ा वषक समान होती ह जस कार अपच क समय हण कया आ भोजन वषत य होता हऔर नधन क लए स जन क सभा म बठना म कल होता ह उसी कार बढ़

क लए ी ससग वष क समान होता हधम उस कहत ह जसम दया आ द गण ह ग उस कहत ह जो व ान हो प नी

वह होती ह जो मधरभा षणी हो ब ध-बा धव वह होत ह जो म कर परत य द इनम यहबात न ह अथात धम दया स हीन हो ग मख हो प नी ोधी वभाव क हो और र तदारबध- बाधव मर हत ह तो उ ह याग दना चा हए अ धक या ाए करन स मन य ज दबढ़ा होता ह य क कामत न हो तो व ज द बढ़ हो जाती ह और कपड़ य द अ धकदर तक धप म पड़ रह तो ज द फट जात ह

चाण य बतात ह क मन य को अपनी उ त क लए चतन करत रहना चा हए कसमय कस कार का चल रहा ह म कौन ह और कतन ह कतनी श ह बारबारकया गया ऐसा चतन मन य को उ त क माग पर ल जाता ह इस अ याय क अत मआचाय चाण य कहत ह क ा ण य व य आ द का दवता अ न अथात अ नहोह ऋ ष-म नय का दवता उनक दय म रहता ह अ पब लोग म त को अपना दवतामानत ह और जो सार ससार क ा णय को एक जसा मानत ह उनका दवता सव ापकऔर सव प ई र ह

अथ पचमोऽ यायः पाचवा अ याय

धन स धम क योग स व ा क मधरता स राजा क औरअ छ य स घर क र ा होती ह

ग र न जातीना वणाना ा णो ग ःप तरव ग ः ीणा सव वाऽ यागतो ग ः

ा ण य और व य आ द ज क लए अ नहो ग क समान आदरणीयह चार वण म ा ण सबस अ धक और आदरणीय ह य क लए प त ही ग हऔर घर म आया आ अ त थ सभी क आदर-स कार क यो य माना गया ह 1

ज का कत ह क व अ नहो आ द कम आदरपवक न य करत रहअ नहो स वायमडल श होता ह मन य क वा य और पयावरण क सधार क लएहवन य आ द करना आव यक माना गया ह ा ण को पजनीय इस लए माना गया ह

य क व सभी वण को व ा दत ह य क लए प त ही उसका आदरणीय ग होता हय क वही उसका भरण-पोषण करता ह और उस स माग पर ल जान म सहायता करता

ह घर म आए ए अ त थ का आदर-स कार सभी लोग को करना चा हए य क वह ब तथोड़ी दर क लए कसी क घर आता ह lsquoअ त थ दवो भवrsquo ऐसा शा वचन भी ह

यथा चत भः कनक परी यतनघषण छदनतापताडनः

तथा चत भः प षः परी यत यागन शीलन गणनकमणा

जस कार सोन क परी ा चार कार स क जाती हmdashउस कसौट पर घसाजाता ह काटकर दखा जाता ह तपाया जाता ह और कटकर उसक जाच क जाती ह उसी

कार मन य कतना ह इसक पहचान भी इन चार बात स होती हचाण य क अनसार इन चार कार स क गई परी ा म वय को सही स करन

वाला ही lsquoखराrsquo ह उसक स जनता उसका च र उसक गण और उसका आचार-वहार उसक खरपन क प करत ह 2

तावद भयष भत यावद भयमनागतमआगत त भय वा हत मशकया

सकट यक मन य पर आत ह परत ब मान य को सकट और आप यस तभी तक डरना चा हए जब तक व सर पर न आ जाए सकट और ख आन पर तो

को अपनी परी श स उ ह र करन का य न करना चा हए 3

एकोदरसमद भता एक न जातकाःन भव त समाः शील यथा बद रक टकाः

एक ही माता क पट और एक ही न म उ प ए बालक गण कम और वभावम एक समान नह होत जस बरmdashव क सभी फल और उनक काट एक जस नह होतउनम अतर होता ह 4

चाण य न बर और काट क उपमा एक वशष वचार स द ह एक ही बर क वपर लग ए सभी फल मीठ नह होत बर व पर काट भी होत ह परत वह काट भी एकजस कठोर नह होत

इसी कार यह आव यक नह क एक ही माता- पता क और एक ही न म पदाहोन वाल ब च क गण कम और वभाव एक जस ह उनका भा य तथा उनक चयाएक जसी नह होत माता- पता क एक होन पर भी ार ध और प र थ तय का अतर तोहोता ही ह

नः पहो नाऽ धकारी या ाकामी म डन यःनाऽ वद धः य यात फटव ा न व चकः

कोई भी अ धकारी लोभर हत नह होता शगार मी म कामवासना क अ धकताहोती ही ह जो चतर नह ह वह मधरभाषी भी नह हो सकता तथा साफ बात कहनवाला कभी भी धोखबाज नह होता 5

ायः दखा जाता ह क जस म बड़ा बनन क लालसा होती ह वही अ धकारा त करना चाहता ह जो अपन शरीर को अ छ व और खशब आ द स सजाता ह

उसम कामवासना क अ धकता होती ह मख और फहड़ मधरभाषी नह होता जो साफ बात कहता ह अथात प व ा होता ह वह कसी को धोखा नह दता नद ष

ही सच बोल सकता ह

मखाणा प डता या अधनाना महाधनाःवारागनाः कल ीणा सभगाना च भगाः

मख व ान स वर भाव रखत ह द र और नधन धनवान को अपना श समझतह व याए कलीन य स षभाव रखती ह और वधवा या सहा गन को अपना श मानती ह 6

यह ससार का नयम ह क वपरीत थ त वाल लोग एक- सर को अपना श समझत ह चा हए तो यह क मख प डत का आदर कर जसस उ ह भी कछ लाभ होपरत वह उनका स मान करन क बजाय उनस मनी रखत ह नधन और आलसी लोगमानत ह क धनी सर को लट-खसोटकर धनवान होता ह परत उ ह यह ान नहहोता क उन य न धन एक त करन म कतना प र म कया ह इतना ही नह उससभालकर रखन क लए भी एक वशष कार क धय क आव यकता होती ह व याए भीकलीन य स ष करती ह और वधवा या सहा गन को भावना क स दखतीह

सकत ह क अयो य और अभाव त ही ष करत ह

आल योपहता व ा परह तगताः यःअ पबीज हत हत स यमनायकम

आल य क कारण व ा न हो जाती ह सर क हाथ म गई ई या न होजाती ह कम बीज डालन स खत बकार हो जाता ह और सनाप त क मार जान पर सना नहो जाती ह 7

इसका भाव यह ह क व ा क ा त और उसक व क लए को आल यका याग कर दना चा हए आलसी कसी गण को ा त नह कर सकता सर क पास जानवाली ी का धम न हो जाता ह अथात कसी सर क अ धकार म जान पर ी कासती व कायम नह रह पाता य द खत म बीज बोत समय कजसी क जाएगी और बीजकम डाला जाएगा तो अ छ फसल नह हो सकगी सना का बल सनाप त स ही थर रहताह जब सनाप त मारा जाता ह तो सना का हार जाना वाभा वक ही ह

अ यासा ायत व ा कल शीलन धायतगणन ायत वायः कोपो न ण ग यत

व ा क ा त नरतर अ यास स होती ह अ यास स ही व ा फलवती होती हउ म गण और वभाव स ही कल का गौरव और यश थर रहता ह प ष क पहचानसद गण स होती ह मन य क आख दखकर ोध का ान हो जाता ह 8

जन य को उ म व ा ा त करनी ह व नरतर य न करत ह व य द बार-

बार अ यास न कर तो व ा क ा त असभव होती ह कसी कल का थर होना उसकायश फलना उसका स होना गौरव क स दखा जाना आ द उसक उ म गण कमऔर वभाव क कारण ही होता ह य द गण कम और वभाव नह ह ग तो कल कागौरव नह बढ़ सकता इसी कार क पहचान उसक अ छ गण क कारण होतीह कसी क ो धत होन का ान उसक आख दखकर हो जाता ह य क ोध ककारण क आख लाल हो जाती ह

व न र यत धम व ा योगन र यतम ना र यत भपः स या र यत गहम

धन स धम क र ा क जाती ह व ा को योग क ारा बचाया जा सकता हमधरता क कारण राजा को बचाया जा सकता ह और अ छ या घर क र क होती ह9

धम क र ा क लए भी धन क आव यकता होती ह धम कम भी धन क ारा हीसप हो सकता ह सर का उपकार करना दान दना म दर आ द का नमाण आ द कायधम मान जात ह व ा को थर रखन क लए चतरतापवक उसका अ यास करन कआव यकता होती ह इस लए कहा गया ह क lsquo व ा योगन र यतrsquo

राजा क र ा उसक मधर वहार क कारण ही होती ह य द शासक र हो जाएतो जा व ोह कर सकती ह इस लए राजा का कत ह क वह मधर और उदार- वहारस अपना रा य न होन स बचाता रह राजा को अपनी जा क त वहार दयालतापणहोना ही चा हए जब तक य को अपन सती व का यान रहता ह उनक मन म अपनप रवार क त ा सव प र रहती ह तब तक घर बचा रहता ह अथात प रवार न नहहोता परत जब व अपन शील और सती व का प र याग कर दती ह तो वह घर न होता ह

अ यथा वदपा ड य शा माचारम यथाअ यथा कवचः शा त लोकाः ल य त चा यथा

व ान क पा ड य क नदा करन वाल शा ारा कह गए आचरणको थ बतान वाल धीर गभीर और शात रहन वाल को ढ गी और पाखडी बतानवाल लोग हमशा ख उठात ह इस पर नदा प काय स कोई लाभ नह होता ह 10

ब त स लोग अपन वभाव क कारण व ान प डत क व ा को थ बतात हउनक नदा करत ह शा म बताए गए नयम क अनसार आचरण करन वाल कोभी व थ का आचरण करन वाला बतात ह व ान को ढ गी और शा को क पतबतात ह ऐसा करत ए व व ान या शा क साथकता को तो नकार नह पात अ पतलाभ स व चत हो जात ह जो उ ह मल सकता था

शात और चपचाप रहन वाल क च पी को मख क भाषा म कमजोरी ही माना

जाता ह व ान आचरण करन वाल धीर गभीर और श का नदा स कछ भीनह बगड़ता हा नदक सदव खी रहत ह य द कोई नद का जल नह पीता तो उससनद का या घटता ह

दा र यनाशन दान शील ग तनाशनमअ ानना शनी ा भावना भयना शनी

दान दन स द र ता न होती ह अ छ आचरण स क र होत ह मन य क ग तसमा त होती ह ब स अ ान न होता ह अथात मखता न होती ह और ई र क भस भय र होता ह 11

आचाय चाण य कहत ह क दान दन स द र ता न होती ह अनक शा औरसत न भी कहा ह क lsquoदान दए धन ना घटrsquo य द मन क साथ इस जोड़ा जाए तो यहकथन और भी प हो जाता ह य क धनी भी मन स द र हो सकता ह और नधन भी

ीमान अ छ गण न वहार और सशीलता क कारण अपन क र करता ह

य क सभी सद गणी और सशील को आग बढ़ान क इ छा रखत हभ सबक सहायता करन वाला ह जो न य नयम स ई र क ाथना

करत ह व सदव गण स बच रहत ह उ ह न तो कसी स डरन क आव यकताहोती ह और न ही व सकट क आन पर भयभीत होत ह

नाऽ त कामसमो ा धनाऽ त मोहसमो रपःनाऽ त कोपसमो वह ननाऽ त ानात परसखम

कामवासना क समान कोई रोग नह मोह स बड़ा कोई श नह ोध जसी कोईआग नह और ान स बढ़कर इस ससार म सख दन वाली कोई व त नह 12

अ धक कामवासना म ल त रहन वाला श हीन होकर अनक रोग काशकार हो जाता ह वह कामवासना क प त क लए रोगी स सबध बनाकर कसी रोग कगर त म भी आ सकता ह

का ोध उसक लए आग का काम करता ह उसका अपना ोध उस जलाडालता ह ान स बढ़कर ससार म सख दन वाली कोई भी व त नह ह जो बऔर ववक स काय करता ह वह सदा सखी रहता ह मोह को सबस बड़ा श बताया गयाह मोह का अथ ह म छा अथात अ ववक यह ब को न कर दता ह

ज मम य ह या यको भन यकः शभाऽशभमनरकष पत यक एको या त परा ग तम

जस कार मन य अकला ही ज म लता ह उसी कार अकल ही उस पाप औरप य का फल भी भोगना पड़ता ह अकल ही अनक कार क क भोगन पड़त ह अथातअकल ही उस नरक का ख उठाना पड़ता ह और अकला ही वह मो को ा त होता ह 13

मन य क ज म और म य क च म उसका कोई साथ नह दता वह जब ज म लताह तब भी अकला होता ह जब उसक म य होती ह तब भी वह अकला होता ह अतः बार-बार ज म लन और मरन क च म मन य को अकल ही भागीदारी करनी होती ह

चाण य न मन य क अकल ही नरक म जान क बात कही ह नरक और कछ नहह मन य ारा भोग जान वाल क का ही नाम ह अकला ही इस क को भोगन कलए मजबर होता ह उसक क म सहानभ त तो जताई जा सकती ह परत उसका कबाटा नह जा सकता य द वह अ छ काय करता ह तो इसी ज म म जीव म क थ तको ा त कर लता ह

आचाय चाण य न यहा सकत दया ह क सब अकल ही करना ह इस लएउ रदा य व को नभान क लए हमशा तयार रहना चा हए सर क ओर य दखनासर का सहारा लन क आदत स म ह यही य कर ह

तण वदः वग तण शर य जी वतमजताऽश य तण नारी नः पह य तण जगत

जस ान ह उसक लए वग तनक क समान अथात त छ ह शरवीर क लएजीवन तनक क समान होता ह जत य अथात सयमी क लए ी (भोग पदाथ)तनक क समान होती ह और इ छार हत मन य क लए सारा ससार ही तनक क समानह 14

जस ान ह उसक लए वग का कोई मह व नह य क वह जानता ह कवग क सख भी णक ह शरवीर जीवन क ब ल दन स नह डरता उसक लए

अपना जीवन एक तनक क समान ह उस अपन जीवन म कसी स भय नह होता जस न इ य को अपन वश म कया ह उस नारी अपन वश म नह कर सकती यहा

नारी श द का अथ ह सभी भोग पदाथ नारी तो उसका तीक मा ह इसी कारइ छार हत क लए सारा ससार तनक क समान होता ह य क उसक कसी व तम आस नह होती आस ही या व त को म य दान करती ह

व ा म वासष भाया म गहष चा धत यौषध म धम म मत य च

वदश म व ा ही मन य क स ची म होती ह घर म अ छ वभाव वाली औरगणवती प नी ही मन य क सबस अ छ म होती ह रोगी क म दवाई ह और

जो मन य मर चका ह उसका धम-कम ही उसका म होता ह 15म क प रभाषा करत ए कहा गया हmdashजो सदव अपन म का हत चतन कर

तथा वप म साथ न छोड़ वही स चा म होता ह इस सदभ म व ा गणी प नीऔष ध और धम को दखन क आव यकता ह य चार म क तरह हत करत ह धम क

ता क ओर भी आचाय न सकत कया ह य क जब सब साथ छोड़ जात ह उस समयधम ही मता मा को सद ग त दता ह उसक मो का कारण बनता ह

वथा व ः सम ष वथा त तष भोजनमवथा दान धनाढ यष वथा द पो दवाऽ प च

सम म बा रश होना भोजन स त त ए मन य को फर स भोजन कराना धनीलोग को दान दना और दन म द पक जलाना आ द बात थ और नरथक होती ह 16

नाऽ त मघसम तोय नाऽ त चा मसम बलमनाऽ त च ःसम तजो नाऽ त धा यसम यम

बादल क जल जसा सरा कोई जल श नह आ मबल क समान सरा कोई बलनह न यो त क समान सरी कोई यो त नह और अ क समान सरा कोई य पदाथनह होता 17

मघ क जल को सबस अ धक प व इस लए माना जाता ह क वह वा यवधकहोता ह जस म आ मा का बल ह अथात जो वय पर व ास करता ह उसम सभी

कार क बल का सहज प म समावश हो जाता ह आ मबल या शरीर और इ य कबल स बढ़कर नह ह चाण य न न क यो त को सबस अ धक उपयोगी माना ह य कन क यो त क बना मन य क लए सारा ससार अधकारमय होता ह अ को मन य कलए सबस अ धक य पदाथ कहा गया ह य क जब तक अ नह मलता तब तक शरीरमन आ द अपना-अपना काय नह कर सकत ा णय क अ मय कोष अथात शरीर कप तो अ स ही होती ह

अधना धन म छ त वाच चव चत पदाःमानवाः वग म छ त मो म छ त दवताः

धनहीन और अ धक धन पाना चाहता ह चौपाय अथात चार पर वाल पशचाहत ह क व बोल सक मन य वग चाहता ह और दवता मो क कामना करत ह 18

हर समय चाहता ह क उस धन क ा त हो परत उस यह पता ही नह होताक उसक लए लगातार म करना पड़ता ह पश वाणी चाहत ह ता क व अपन मन कबात कसी सर स कर सक मन य यह भी चाहता ह क उस वग मल दवता और व ान

इस जीवन स म होन क कामना करत इस लए वह जीवन म ऐस काय करत हजनस जीवन-मरण क बधन स म होकर मो क ा त होती ह ाणीमा का यहवभाव ह क जसक पास जो नह ह वह उसक कामना करता ह

स यन धायत प थवी स यन तपत र वःस यन वा त वाय सव स य त तम

स य क कारण प वी थर ह सय भी स य क बल स काश दता ह स य स हीवाय बहती ह सब स य म ही थर ह 19

स य का आधार ह प वी अथवा यह ससार स य क कारण ही टका आ हइसी स य और स सय का काश सार ससार म फलता ह स य अथवा भ क शस ही इस ससार म वाय का सचार होता ह इस कार सभी कछ स य अथवा म थतह

चला ल मी लाः ाणा ल जी वत-यौवनमचलाचल च ससार धम एको ह न लः

इस चराचर जगत म ल मी (धन) चलायमान ह अथात ल मी थर नह रहती नहो जाती ह ाण भी नाशवान ह जीवन और यौवन भी न होन वाल ह इस चराचर ससारम एकमा धम ही थर ह 20

धन-स प मन य क पास सदा नह रहती उसक कम क अनसार आती-जाती हजस मन य न जीवन धारण कया ह उसका मरना भी आव यक ह इसी लए ाण कोथर नह कहा जा सकता मन य का यौवन सदा थर रहन वाली व त नह बढ़ापा यौवन

का य ह परत धम ऐसा त व ह जसका नाश नह होता मन य क म य क बाद भी धमही उसका साथ दता ह शा क भी मा यता ह क आत भी हम अकल ह और जात भीअकल ही ह ल कन धम हमशा साथ रहता ह आचाय क अनसार जो हमशा साथ रहनवाला ह उसक ओर मन य को यान दना चा हए

नराणा ना पतो धतः प णा चव वायसःचत पदा शगाल त ीणा धता च मा लनी

मन य म नाई सबस अ धक चालाक और हो शयार होता ह प य म कौआ चारपर वाल जानवर म गीदड़ और य म मा लन अ य धक चतर होती ह 21

यहा जन जा तय क बात आचाय चाण य न क ह उस आप जनक माननाआचाय क कथन को सही सदभ म न समझन क भल करना ह जो जा त जतनी अ धकसामा जक होती ह उस इस बात का ावहा रक अनभव होता ह क कस स कस

कार काय करवाना हकछ बराद रय म जो परानी परपरा का नवाह कर रही ह आज भी lsquoना पतrsquo क

मह वपण भ मका होती ह पहल शाद - ववाह आ द म मह वपण नणय भी इनक ारालए जात थ य मी डएटर का काम करत थ और अपन यजमान क त वफादार होत थइनक सामन लोग अपन मन क बात खोलकर भी रख दत ह यही थ त फल का ापारकरन वाली जा त क य क भी ह उनका मल हर तरह क लोग क साथ होता थाअपनी बात रखन क बार म तथा कसी क सवाल का त काल जवाब दन म आज भी उनककोई बराबरी नह ह

यहा एक बात वशष प स समझन क ह क इस नया म कछ भी नकारा मकनह ह ब मान यक व त का यक थ त-प र थ त का और यक सवगका सही योग और उपयोग करना जानता ह यही उसक सफलता का मलम ह इसी लएवह lsquo वशषrsquo कहलाता ह और यह भी क श द का अथ ढ़ क जगह य द यौ गक प मकया जाए तो सवसाधारण उस ख चकर उसी ओर ल जाता जो जनसामा य म च लतह इस बार म तो सभी एकमत स सहमत ह क कछ श द का एक अथ नह होता उसकसही अथ को सदभ क अनसार लगाना पड़ता ह जब श द का अथ भाव क वपरीत हो तोल याथ को समझन का यास करना चा हए

ग क म हमा का वणन सव कया गया ह परत चाण य न यह भी प कया हक सामा य जीवन म कौन कसका ग होता ह उनका कहना ह क य का ग उसकाप त होता ह गह थ का ग अ त थ होता ह ा ण य और व य का ग अ न अथातअ नहो ह और चार वण का ग ा ण होता ह

जस कार सोन को कसौट पर घसकर आग म तपाकर उसक श ता क परखहोती ह उसी कार मन य अपन अ छ कम और गण स पहचाना जाता ह और तकलप र थ तय म य नखरत ह

चाण य कहत ह क मन य को जीवन म भयभीत होन क आव यकता नह उसनडर होकर काय करन चा हए य द कसी भय क आशका हो तो भी घबराना नह चा हएब क सकट आन पर उसका डटकर मकाबला करना चा हए

चाण य कहत ह क यह आव यक नह ह क एक ही माता स उ प होन वालीसतान एक ही कार क वभाव वाली हो सबम अलग-अलग गण होत ह यह वय कभ ता तो क त का वशष गण ह

चाण य का मानना ह क कोई भी वह व त ा त नह कर सकता जसा त करन क उसम इ छा न हो जस वषय-वासना स म नह वह शगार अथवा

सदरता बढ़ान वाली व त क माग नह करता जो बना कसी लाग-लपट क प

बात कहता ह वह कपट नह होता व ा अ यास स ा त होती ह और आल य स न होजाती ह सर क हाथ म दया आ धन वापस मलना क ठन होता ह और जस खत मबीज कम डाला जाता ह वह फसल न हो जाती ह चाण य कहत ह क दान दन स धनघटता नह वरन दानदाता क द र ता समा त होती ह सद ब ारा मखता न होती हऔर मन म सकारा मक वचार स भय समा त हो जात ह

मन य म अनक ऐस दोष होत ह जनस उस अनक क उठान पड़त ह चाण यकहत ह क कामवासना स बढ़कर कोई सरा रोग नह मोह और ोध क समान वय कोन करन वाला कोई श नह चाण य का कहना ह क ोध को हर समय जलातारहता ह मन य जो कम करता ह अ छा या बरा उसका फल उस अकल ही भोगना पड़ताह वह अकला ही इस ससार म ज म लता ह और अकला ही मरता भी ह वग अथवा नरकम भी वह अकला ही जाता ह कवल कम ही उसक साथ जात ह

मन य जब वदश म जाता ह तो उसका ान और ब ही साथ दती ह घर म प नीही स ची म होती ह औष ध रोगी क लए हतकर होन क कारण उसक म ह म य कबाद जब ससार क कोई व त या मन य का साथ नह दता उस समय धम ही का म होता ह

चाण य का कहना ह क वषा क जल स सरा जल नह और काआ मबल ही उसका सबस बड़ा बल ह मन य का तज उसक आख ह और उसक सबस

य व त ह अ ससार म कोई भी अपनी थ त स सत नह ह जो पास म नह ह उसीक चाह यक करता ह नधन धन चाहता ह पश वाणी चाहत ह मन य वग कऔर दव व को ा त जीव मो क कामना करत ह आचाय यहा सकत द रह ह क दवताभी असर त ह उ ह भी प य समा त क बाद म यलोक म आना पड़ता ह इसी लए वदवयो न स भी म होना चाहत ह

स य क मह ा बतात ए चाण य कहत ह क स य क कारण ही नया क सम तकाय- ापार चल रह ह ल मी मन य क ाण और यह ससार सभी न र ह कवल धम हीशा त ह अथात मन य को अपनी च धम म रखनी चा हए

अथ ष ोऽ यायः छठा अ याय

ब मान को अपनी इ य को वश म करक समय कअन प बगल क समान अपन काय को स करनाचा हए तब तक धय रखना चा हए जब तक ल य चलकरपास न आ जाए

वा धम वजाना त वा यज त म तम वा ानमवा ो त वा मो मवा यात

मन य वद आ द शा को सनकर धम क रह य को जान लता ह व ान क बातसनकर बर ढग स सोचना छोड़ दता ह ग स ान ा त कर मन य ससार कबधन स छट जाता ह 1

चाण य का व ास ह क वद-शा क अ ययन क अलावा उ ह सनकर भीलाभ उठा सकता ह उनका कहना ह क वद आ द शा क सनन स धम क रह यको समझ सकता ह और व ान क उपदश सनकर अपन बर वचार को याग सकता हसनन का अथ वद तपा दत ान को ग मख स वण करना भी ह इस कार ान क

ा त वण स ही होती ह जसस मन य ससार क बधन स म हो जाता हआचाय न इस ोक ारा वण क मह व पर काश डाला ह यह वण व ान

और अनभवी ग क मख स होन पर ही फल दता ह lsquoसनो मनन करो और उस आ मसातकरोrsquomdashयह तवा य ह

प णा काक ा डालः पशना चव क करः

मनीना कोपी चा डालः सवषा चव न दकःप य म कौआ पश म क ा म नय म ोध करन वाला और सामा यजन म

सर लोग क नदा करन वाला और चा डाल होता ह 2भाव यह ह क और चा डाल ाणी सभी थान पर होत ह परत ता क

सीमा कहा होती ह इसक ा या चाण य न क ह कौआ प य म इस लए सबसअ धक गदा और माना गया ह य क उस कसी कार क श ता का कोई भी ाननह होता वह सदव गदगी पर जाकर बठता ह पश म क का भी वही हाल ह आचायका कहना ह क ऋ ष-म नय म भी जो ोध करता ह उस और चाडाल माननाचा हए परत सामा य य म और चा डाल वह ह जो सर क नदा करता ह

भ मना श यत का य ता म लन श य तरजसा श यत नारी नद वगन श य त

कास का बतन राख स माजन पर ताबा खटाई स ी रज वला होन क बाद तथानद का जल ती वग स श होता ह 3

मन स प यत राजा मन स प यत जःमन स प यत योगी ी म ती वन य त

अपनी जा म घम- फरकर उसक थ त को जानन वाल राजा क जा उसकपजा करती ह जो ज अथात व ान ा ण दश- दश क भ म पर ान का चारकरता ह उसक पजा होती ह जो योगी सदा घमता रहता ह वह आदर-स कार का भागीहोता ह परत मण करन वाली ी हो जाती ह 4

राजा का कत यह ह क वह वय भी अपन रा य म घम- फरकर जा कवा त वक थ त ात करन क को शश कर वह अपन ान क अनसार उसक ख रकरन का य न कर सकता ह

ा ण का कत ह क वह घम- फरकर लोग को शा का ान द एक थानपर कन स उस थान और वहा सपक म आन वाल लोग स सबध था पत होन क कारणआस और मोह का दय म उठ खड़ा होना वाभा वक ह यह थ त योगी को बाधतीह इसक लए योगी का एक थान पर 24 घट स यादा नह कना चा हए इसक वपरीतइन लोग क समान इधर-उधर घमन वाली नारी अपन धम स वच लत हो जाती ह ी काइधर-उधर घमना प रवार क अपमान का कारण होता ह और वह समाज क नजर म गरजाता ह

ता शी जायत ब वसायोऽ प ता शःसहाया ता शा एव या शी भ वत ता

मन य जसा भा य लकर ज म लता ह उसक ब उसी क अनसार व होती हऔर वह वसाय अथवा काम-ध धा भी वसा ही चनता ह तथा उसक सहायक भी उसी

कार क होत ह 5आचाय का कहना ह क जो होना ह वह तो होकर ही रहता ह मन य काम-ध ध क

लए अपनी ब क अन प ही वसाय का चनाव करता ह और उसक काम-ध ध मसहायता करन वाल भी उसक वचार क अन प मल जात ह

कालः पच त भता न कालः सहरत जाःकालः स तष जाग त कालो ह र त मः

समय सब ा णय को अपन पट म पचा लता ह अथात सबको न कर दता हकाल ही सबक म य का कारण होता ह जब सब लोग सो जात ह तो काल ही जागतारहता ह इसम सदह नह क काल बड़ा बलवान ह काल स पार पाना अ यत क ठन ह 6

काल क भाव स नह बच सकता ह जीव स हत सभी व तए काल कभाव स न हो जाती ह सबक सो जान पर भी वह काल जागता रहता ह काल च स

क आरभ स लकर लय काल तक चलता रहता ह कभी नह कता जो उसक उप ाकरता ह काल (समय) उस पीछ छोड़कर आग नकल जाता ह काल हम सबक साथ ऐसखलता ह जस शकार बन चह क साथ ब ली ड़ा करती ह

न प य त च ज मा धः कामा धो नव प य तन प य त मदो म ो थ दोषान न प य त

ज म स अध को कामाध को और शराब आ द क नश म म त को कछदखाई नह दता वाथ क भी यही थ त ह य क वह उस क दोष कोदख नह पाता जसस उसक वाथ क प त होती हो 7

वय कम करो या मा वय त फलम तवय म त ससार वय त मा म यत

जीवा मा वय काय करता ह और उसका फल भी वय भोगता ह वह वय हीव भ यो नय म ज म लकर ससार म मण करता ह और वय ही अपन प षाथ सससार क बधन तथा आवागमन क च स छटकर म को ा त करता ह 8

आचाय क अनसार जस कम करता ह उसक अनसार ही उस कम का फलभोगना पड़ता ह कम क फल क अन प ही उस ख और सख मलता ह वह वय हीअपन कम क अनसार ससार म व भ यो नय म ज म लता ह और ज म-मरण क च मपड़ा रहता ह उस इस च स म भी वय उसक काय स ही मलती ह आचाय काकथन ह क बधन और म दोन त हार हाथ म ह lsquo वयrsquo श द पर जोर दया ह जो

उ रदा य व क ओर सकत करता ह

राजा रा कत भ रा ः पाप परो हतःभता च ीकत पाप श यपाप ग तथा

राजा को रा क पाप का फल भोगना पड़ता ह राजा क पाप परो हत भोगता हप नी क पाप उसक प त को भोगन पड़त ह और श य क पाप ग भोगत ह 9

राजा य द रा को ठ क ढग स नह चलाता अथात अपना कत पालन नह करतातो उसस होन वाली हा न राजा को ही क प चाती ह य द परो हत अथात राजा कोपरामश दन वाला राजा को ठ क तरह स म णा नह दता तो उसका पाप परो हत कोभोगना पड़ता ह ी य द कोई बरा काय करती ह तो उसका प त दोषी होता ह इसी कारश य ारा कए गए पाप का वहन ग को करना पड़ता ह lsquoअधीनrsquo ारा कए गए पाप काभागी वामी होता ह

ऋणकता पता श माता च भचा रणीभाया पवती श ः प श रप डतः

ऋणी पता अपनी सतान का श होता ह यही थ त बर आचरण वाली माता कभी ह स दर प नी अपन प त क और मख प अपन माता- पता का श होता ह 10

कसी भी कारण स अपनी सतान पर ऋण छोड़कर मरन वाला पता श कहा गयाह य क उसक ऋण क अदायगी सतान को करनी पड़ती ह भचा रणी माता भी श क समान मानी गई ह य क उसस प रवार कल कत होता ह इसी कार अ य धक सदर

ी प त क लए श क समान ह य क ब त स लोग उसक प स आक होकर उसपथ करन का य न करत ह मख प क काय क वजह स माता- पता को न यअपमान सहना पड़ता ह इसस प रवार को ख व हा न होती ह इसी लए वह प रवार काश ह

ल धमथन ग यात त धम लकमणामखः छ दोऽनव न यथाथ वन प डतम

लोभी को धन दकर अ भमानी को हाथ जोड़कर मख को उसक इ छा क अनसारकाय करक और व ान को स ची बात बताकर वश म करन का य न करना चा हए 11

लोभी अपन वाथ म इतना अधा होता ह क वह धन ा त क बना सतनह होता उस धन दकर वश म कया जा सकता ह जस को अ भमान ह अहकारह उस न तापवक वहार करक वश म कया जा सकता ह मख सदव हठ होताह इस लए उसक इ छा क अनसार काय करक उस अपन अनकल बनाया जा सकता हऔर व ान को वश म करन का सबस सही उपाय यह ह क उस वा त वकता स

प र चत करवाया जाए

वर न रा य न कराजरा य वर न म नक म म मवर न श यो न क श य श यो वर न दारा नकदारदाराः

बर रा य क अप ा कसी कार का रा य न होना अ छा ह म क बजायम न होना अ छा ह श य क जगह श य न होना अ धक अ छा ह और प नीका प त कहलान स अ छा ह क प नी न हो 12

चाण य मानत ह क शासन- व था स सप रा य म ही रहना चा हए और मभी सोच- वचारकर ही बनान चा हए

ग को भी चा हए क परखकर श य बनाए तथा ी को प नी बनान कअप ा अ छा ह क ववाह ही न कया जाए

कराजरा यन कतः जासख क म म णकतोऽ त नव तःकदारदार कतो गह र तः क श यम यापयतःकतो यशः

राजा क शासन म जा को सख नह मल सकता धोखबाज म स सख का त नह हो सकती ी को प नी बनान स घर म सख और शा त नह रह सकती

इसी कार खोट श य को व ा दान दन वाल ग को भी अपयश ही मलता ह 13सहादक बकादक श च वा र क कटात

वायसा प च श च षट शन ी ण गदभात को शर और बगल स एक-एक मग स चार कौए स पाच क स छह और

गध स तीन गण सीखन चा हए 14इस ससार क यक व त और यक ाणी हम कोई न कोई उपदश द रह ह इन

गण को सीखकर जीवन म सफलता उ त और वकास कया जा सकता ह आगामी चारोक म ऐस ही कछ गण का वणन कया गया ह

भत कायम प वा य रः कत म छ तसवार भण त काय सहादक च त

काय छोटा हो या बड़ा को श स ही उसम परी श लगा दनी चा हए यहश ा हम सह स ल सकत ह 15

इसका भाव यह ह क जो भी काय कर चाह वह छोटा हो अथवा बड़ा उसपरी श लगाकर करना चा हए तभी उसम सफलता ा त होती ह सह परी श सशकार पर झपटता हmdashवह बड़ा हो या छोटा बड़ को दखकर घबराता नह और छोट कउप ा नह करता सफलता पान क लए यास पर व ास आव यक ह

इ या ण च सय य बकवत प डतो नरःदशकालबल ा वा सवकाया ण साधयत

ब मान को अपनी इ य को वश म करक समय क अन प अपनी मताको तौलकर बगल क समान अपन काय को स करना चा हए 16

बगला जब मछली को पकड़न क लए एक टाग पर खड़ा होता ह तो उस मछली कशकार क अ त र अ य कसी बात का यान नह होता इसी कार ब मान जबकसी काय क स क लए य न कर तो उस अपनी इ या वश म रखनी चा हए मनको चचल नह होन दना चा हए तथा च एक ही दशा म एक ही काय क प त म लगारह ऐसा यास करना चा हए शकार करत समय बगला इस बात का परा अदाजा लगालता ह क कया गया यास न फल तो नह जाएगा

य थान च य च स वभाग च बधषवयमा य भ च श च वा र क कटात

समय पर उठना य क लए सदा तयार रहना अपन ब ध को उनका उ चतह सा दना और वय आ मण करक भोजन करना मन य को य चार बात मग स सीखनीचा हए 17

गढमथनच र व च काल काल च स हमअ म म व ास प च श च वायसात

छपकर मथन करना ढ ठ होना समय-समय पर कछ व तए इकट ठ करना नरतरसावधान रहना और कसी सर पर परी तरह व ास नह करना य पाच बात कौए ससीखन यो य ह 18

ब ाशी व पस त ः स न ो लघचतनःवा मभ शर षडत ानतो गणाः

ब त भोजन करना ल कन कम म भी सत रहना गहरी न द ल कन ज द स उठबठना वा मभ और बहा री य छह गण क स सीखन चा हए 19

स ा तोऽ प वहद भार शीतो ण न च प य तस त रत न य ी ण श च गदभात

को य तीन बात गध स सीख लनी चा हएmdashअपन मा लक क लए बोझढोना सद -गम क चता नह करना तथा सदा सतोष स अपना जीवन बताना 20

य एतान वश तगणानाच र य त मानवःकायाऽव थास सवास अजयः स भ व य त

जो इन बीस गण को सीख लता ह अथात इ ह अपन आचरण म ल आता हवह सब काय और अव था म वजयी होता ह अथात उस कसी भी अव था म पराजयका मख नह दखना पड़ता 21

आचाय का कथन ह क शा म जो ान दया गया ह वह स ा तक ह जसनभी सफलता और उ त क त व को वय म अपन आसपास या समची क त म दखाउस उ ह न ज ास क लए ल पब कर दया ल कन उस अपन जीवन म उतारन कलए सदह र हत होना ज री ह

य गण पश-प य म सहज प स दखन को मलत ह इ ह अपनाकर ही वअ त व क लड़ाई म वय को बचा पात ह कस उसी क बानगी द ह आचाय नभगवान द ा य ारा 24 ग स कछ-न-कछ सीखना

इसी तरह क अ य उदाहरण ह अपनी जाच-पड़ताल क लए आप यह दख कइनम स आपक पास कौन-स गण ह और कौन स नह

वण का जीवन म अ यत मह व ह ल कन उसक भी एक स न त व ध हग मख स ही शा का वण करना चा हए ग व ान और अनभवी होता ह इस लएउसक सन वचन को जीवन म धारण करन स भटकाव समा त होता ह न त दशामलती ह

चाण य का कहना ह क मन य जीवन बड़ सौभा य स ा त होता ह इस लएमन य को चा हए क वह अपन जीवन को शभ काय क ओर लगाए सर क नदा आ दकरना छोड़ द वद आ द शा क पढ़न और शभ काय करन स मन य इस ससार म यशको ा त होता ह चाण य कहत ह जस मन य क पास धन ह सभी उसक भाई-बध मबनन को तयार हो जात ह और उस ही प ष मान लया जाता ह व यह भी कहत ह कजसी होनी होती ह मन य क ब और उसक कम भी उसी कार क हो जात ह इसससार म समय ही ऐसी व त ह जस टाला नह जा सकता चाण य क अनसार जब मन यअपन वाथ म अधा हो जाता ह तो उस अ छ-बर म अतर दखाई नह दता मन य काबधन और म उसक ारा कए जान वाल कम पर ही आ त होत ह य क वह जसा

कम करता ह उस वसा ही फल भोगना पड़ता हआचाय क अनसार जा क काय का फल राजा को प नी क काय का फल प त

को तथा पता ारा छोड़ा गया ऋण प को चकाना पड़ता ह भचा रणी माता और मखप मन य क लए श क समान होत ह चाण य सामा य जीवन म आन वाली सम यापर काश डालत ए कहत ह क कसी का लोभी स पाला पड़ जाए तो उस धनदकर व ान को अपन मधर वहार स और मख तथा को उसक अनकल वहार सवश म कया जा सकता ह ऐस रा य म रहना उ चत नह जहा स व था न हो इसी

कार स म ता करन क बजाय म र हत रहकर जीवन गजार दना यादा हतकर हचाण य का कहना ह क सह स एक गण सीखना चा हएmdash कसी भी काय को

करत समय उसम अपनी परी श लगाना बगला मछली पकड़न क लए आख बद करकएक टाग पर खड़ा होता ह यह इ य को वश म करन का उदाहरण ह यह बगल स सीखनयो य गण ह यास करना मह वपण ह इस लए उस करन स पहल अपनी मता को परखल बगला यह न त हो जान क बाद ही क अब शकार बच नह सकता अपना यासकरता ह इसी कार मग स चार बात सीखनी चा हए मन य को म त म उठना झगड़का सकट उ प होन पर पीछ न हटना और जो कछ भी ा त हो उस अपन भाई-ब ध मबाटकर ही उपयोग म लाना इसी कार कौए म भी पाच गण होत ह छपकर मथन करनाहठ होना समय-समय पर व त को इकट ठा करना हमशा चौक ा रहना तथा कसी परव ास न करना क म ब त अ धक खान क श होती ह परत जब उस ब त कमभोजन मलता ह तब भी वह उसी म सतोष कर लता ह वह एकदम गहरी न द म सो जाताह परत अ यत सतक रहता ह और जरा-सी आहट होन पर ही जाग उठता ह उस अपनमा लक स म होता ह और समय पड़न पर वह वीरतापवक श स लड़ता भी ह इसी

कार गधा अ यत थका होन पर भी अपन काम म लगा रहता ह उस सद -गम आ द कसीबात का क नह होता और अपन जीवन स पण प स सत रहता ह

चाण य क अनसार जो इन गण को धारण कर लता ह उस जीवन मसफलता ा त होती ही ह सफलता क कामना करन वाल को चा हए क वह इन गण कोअपन जीवन म वशष थान द इनक आधार पर हम अपनी सभावना को भी आकसकत ह द खए कसौट पर घसकर अपन खरपन को

अथ स तमोऽ यायः सातवा अ याय

जस मन य न व ा को हण नह कया उसका जीवनक क उस पछ क समान ह जसस न तो वह अपन ग तभाग को ढक सकता ह न ही काटन वाल म छर आ दक ट को उड़ा सकता ह

अथनाश मन ताप गह रता न चव चन चाऽपमान च म तमा काशयत

एक ब मान को चा हए क वह अपन धन क न होन को मान सक खको घर क दोष को कसी ारा ठग जान और अपना अपमान होन क बात कसीपर भी कट न कर कसी को भी न बताए1

यक को कभी-न-कभी धन क हा न उठानी पड़ती ह उसक मन म कसीकार का ख या सताप भी हो सकता ह यक घर म कोई-न-कोई बराई भी होती ह कई

बार उस धोखा दकर ठगा जाता ह और कसी क ारा उस अपमा नत भी होना पड़ सकताह परत समझदार को चा हए इन सब बात को वह अपन मन म ही छपाकर रखइ ह कसी सर पर कट न कर जानकर लोग हसी ही उड़ात ह ऐसी थ त म वहवय उनका मकाबला कर और सही अवसर क तलाश करता रह

धन-धा य योगष व ास हणष चआहार वहार च य ल जः सखी भवत

जो धन-धा य क लन-दन म व ा अथवा कसी कला को सीखन म भोजन

क समय अथवा वहार म ल जाहीन होता ह अथात सकोच नह करता वह सखी रहताह 2

को लन-दन म कसी कार का सकोच नह करना चा हए अपनी बात पऔर साफ श द म कहनी चा हए व ा अथवा कसी गण को सीखत समय सकोच करनस भी हा न होती ह

इसी कार भोजन करत समय जो सकोच करता ह वह भखा रह जाता हइसी लए भोजन क समय लोकाचार और वहार क समय को सकोच न करकअपन वचार प प स करन चा हए लोग ोक क आ खरी वा य को उद धत करकहत ह क lsquo नल ज सखी होता हrsquo सदभ क अनसार इसका अथ करना चा हए ता कअथ का अनथ न हो

स तोषाऽमतत ताना य सख शा तचतसामन च तद धनल धाना मत त धावताम

जो सतोष पी अमत स त त ह मन स शात ह उस जो सख ा त होता हवह धन क लए इधर-उधर दौड़-धप करन वाल को कभी ा त नह होता 3

सतोष क बड़ी म हमा ह जो सतोष स अपना जीवन बतात ह और शातरहत ह उ ह जतना सख ा त होता ह वह धन क लालच क लए हर समय दौड़-धप करनवाल को ा त नह हो सकता सकत ह क लोभी स सतोषी ह और सतोषजीवनदाता ह

स तोष ष कत ः वदार भोजन धनष चव न कत ोऽ ययन तपदानयोः

अपनी प नी भोजन और धनmdashइन तीन क त मन य को सतोष रखना चा हएपरत व ा ययन तप और दान क त कभी सतोष नह करना चा हए 4

चाण य क अनसार को अपनी प नी स ही सत रहना चा हए अ य यस सबध बनाना अपमा नत करता ह को घर म जो भोजन ा त होता ह और उसकजतनी आय ह उसम ही सतोष करना चा हए ल कन व ा क अ ययन यम- नयम आ दक पालन और दान आ द काय स कभी भी सत नह होना चा हए अथात जतनाअ धक अ ययन करगा जतना अ धक अपन च र को ऊचा उठान क लए तप करगा तथादान आ द करता रहगा उसस मन य को लाभ होगा य तीन चीज ऐसी ह जनस मन य कोसतोष नह करना चा हए सत कहा हो और कहा नह जीवन म यह जानना भी ज रीह

व यो व वह यो द प योः वा मभ ययोःअ तरण न ग त हल य वषभ य च

दो ा ण क बीच स ा ण और अ न क बीच स प त-प नी क बीच स सवकऔर नौकर क बीच स तथा हलmdashबल क बीच स कभी नह नकलना चा हए 5

जहा दो ा ण खड़ ह या बात कर रह ह उनक बीच स नह नकलना चा हएइसस उनका अपमान होता ह इसी कार ा ण और अ न क बीच स नकलकर नहजाना चा हए हो सकता ह क ा ण हवन य आ द कर रहा हो

इसी कार प त-प नी जहा कह खड़ अथवा बठ ह उनक बीच स नकलना भीअन चत माना गया ह मा लक और नौकर हल और बलmdashइन दोन क बीच स भी नहनकलना चा हए हो सकता ह क मा लक और नौकर कसी वशष बात पर चचा कर रहह हल और बल क बीच म स नकलन का भाव बलकल प ह क ऐस म चोट लगसकती ह

पादा या न पशद न ग ा णमव चनव ग न कमार च न व न शश तथा

अ न ग ा ण गाय कवारी क या बढ़ा आदमी और छोट ब चmdashइन सबकोपर स कभी नह छना चा हए 6

कछ काय ऐस भी ह ज ह करन स हा न होती ह और कछ काय आचार- वहारक वपरीत होत ह उ ह करन स समाज म अपयश होता ह अ न को प व माना गया हइस लए उस पर स पश नह करना चा हए ग ा ण और गाय को भी प य होन ककारण पर स छना उ चत नह कवारी लड़क बढ़ आदमी और ब च भी स मान क पाहोत ह इस लए इ ह भी पर स नह छना चा हए प य को यथायो य स मान दन पर य दआय व ा यश और बल क ा त होती ह तो अनादर करन स इनक हा न भी तो होगीही इ तहास म ऐस कई उदाहरण ह जनस इस कथन क प होती ह

शकट प चह तन दशह तन वा जनमह ती शतह तन दश यागन जनम

बलगाड़ी स पाच हाथ घोड़ स दस हाथ और हाथी स सौ हाथ र रहन म ही मन यक भलाई ह ल कन स बचन क लए य द थान वशष का याग भी करना पड़ तोहचकना नह चा हए 7

को वय इस बात का य न करना चा हए क कसी कारणवश उस हा न नप च बलगाड़ी क बलकल नकट चलन स कोई घटना हो सकती ह घोड़ा कसी कारक हा न प चा सकता ह हाथी स भी कचल जान का भय रहता ह इस लए इनस र रहनाचा हए चाण य का मानना ह क इन सबस बरा होता ह इन सबस बचन काय द कोई और उपाय न हो तो को वय वह थान वशष याग दना चा हए

ह ती अकशमा ण वाजी ह तन ता त

शगी लगडह तन खड गह तन जनःहाथी को अकश स वश म कया जाता ह घोड़ को हाथ क थाप स सीध रा त पर

लगाया जाता ह स ग वाल पश को डडा मारकर सीध रा त पर लाया जा सकता ह परत को हाथ म पकड़ी ई तलवार स मारा जाना चा हए य क वह वश म नह

आता उस न ही करना होता ह 8

त य त भोजन व ा मयरा घनग जतसाधवः परस प ौ खलः पर वप ष

ा ण भोजन स त त हो जाता ह मोर बादल क गजन पर स जन सर को सपऔर सखी दखकर परत सर को वप म पड़ा दखकर स होत ह 9

आचाय चाण य न यहा वभाव क ओर सकत कया ह भोजन करक ा णसत होता ह य क इसस उस खलान वाल को प य क ा त होती ह बादल को जलस भरा और स ता क कारण गजना करता दखकर मयर न य करन लगता ह इसी तरहस जन सर को सखी दखकर हष का अनभव करत ह जब क सर क ख म सखीहोत ह

आचाय न और स जन क वभाव क अतर स यह बताना चाहा ह क यकको वय म झाककर दखना चा हए क वह सर क सख म सख का अनभव कर रहा ह याउस सर को ख प चान म या खी दखन म सख क अनभ त होती ह पहली थ तस जन क ह और सरी क

अनलोमन ब लन तलोमन जनमआ मत यबल श वनयन बलन वा

बलवान श को अनकल तथा जन श को तकल वहार ारा अपन वश मकर इसी कार अपन समान बल वाल श को वन ता या बल ारा जो भी उस समयउपय हो अपन वश म करन का य न करना चा हए 10

चाण य का कहना ह क समय और थ त क अनसार अपन श स वहार करनाचा हए य द श बलवान ह तो वनयपवक उस जीतन का य न करना चा हए अथवाअपन अनकल बनान का य न करना चा हए श क साथ तकल वहार करनाचा हए य क स जनतापवक कए गए वहार को वह कमजोरी समझगा इस लए उसकसाथ ऐसा वहार इस कार कया जाना चा हए ता क उसक ता पर अकश लग

बा वीय बल रा ो ा णो वद बलीपयौवनमाधय ीणा बलम मम

राजा का बल अथवा श उसक भजा का बल ह ा ण का बल उसका ान

ह और य का बल प और यौवन क साथ-साथ उनका समधर वहार ह 11राजा क भजबल स चाण य का भाव उसक सश सना स ह जस राजा क सना

सश होगी वह दश क र ा कर सकगा परत इसक साथ-साथ शारी रक प स राजा कोवय भी बलवान होना चा हए वह सना क रणा होता ह ा ण क श ई र सबधीान ह य का बल प और यौवन क साथ-साथ उनका मधर वहार ह इन दोन का

सम वय य द न हो तो ी उतनी भावशाली नह हो पाती जतनी क उसम सभावना ह

नाऽ य त सरलभा ग वा प य वन थलीमछ त सरला त क जा त त पादपाः

मन य को अ य त सरल और सीधा भी नह होना चा हए वन म जाकर दखो सीधव काट दए जात ह और टढ़-मढ़ गाठ वाल व खड़ रहत ह 12

आचाय चाण य क अनसार मन य को अ य त सरल और सीध- वभाव का भीनह होना चा हए इसस उस सब लोग बल और मख मानन लगत ह तथा हर समय कदन का य न करत ह सीधा- सादा यक क क लए सगम होता ह जब कटढ़ स सब बचन क को शश करत ह ऐस म पयोग तो होगा ही

य ोदक त वस त हसाः तथव श कप रवजय तन हसत यन नरण भा पन यज तपनरा य त

जहा जल रहता ह वहा हस रहत ह और जब जल सख जाता ह तो हस उस थानको छोड़ दत ह मन य को हस क समान वाथ नह होना चा हए य क व कभी यागकरत ह और कभी आ य लत ह 13

मन य ही नह दवता भी वाथ ह जब तक कोई त त करता ह सबध रखत हफर छोड़ दत ह ल कन चाण य इस ठ क नह मानत उनका मानना ह क सख म हीनह ख म भी साथ नह छोड़ना चा हए य द कसी न समय पर आपक लए कछ कया हतो ऐसा नी त क स भी आव यक ह सबध को तोड़ना ब मान का वभावया गण नह ह कभी भी कसी क ज रत पड़ सकती ह अगर सबध ही तोड़ दया तोआप उसक पास फर कस मह स जाएग

उपा जताना व ाना याग एव ह र णमतडागोदरस थाना परीवाह इवाऽ भसाम

अ जत अथवा कमाए ए धन का याग करना अथात उसका ठ क ढग स यकरना उसस साथक लाभ उठाना ही उसक र ा ह जस कार तालाब म भर ए जल कोनकालत रहन स ही उस तालाब का पानी श और प व रहता ह 14

मन य ारा कमाए गए धन का सही उपयोग यही ह क वह उस ठ क ढग स काम मलाए उसका दान कर उसका उ चत उपभोग करmdashसही अथ म यही धन क र ा ह य दधन कमान क बाद उसका सही उपयोग नह कया जाएगा तो धन कमान का लाभ ही याह यह बात उसी कार ठ क ह जस य द तालाब म भर ए पानी को नकाला नह जाएगातो वह सड़ जाएगा सड़न स बचान क लए उसका उपयोग आव यक ह इसी तरह तालाबक र ा हो सकती ह धन क र ा का भी उपाय यह ह क उसका स पयोग कया जाए

य याऽथा त य म ा ण य याऽथा त य बा धवाःय याऽथाः स पमा लोक य याऽथाः स च जीव त

ससार म जसक पास धन ह उसी क सब म होत ह उसी क सब भाई-ब ध औरवजन होत ह धनवान को ही माना जाता ह इस कार वह आदरपवक

अपना जीवन बताता ह 15आचाय न धन क मह व पर काश डालत ए यहा प कया ह क मन य क पास

जब तक धन रहता ह तब तक सब उसक म बन रहत ह जसक पास धन होता ह उसकर तदार भी ब त होत ह धनवान को ही ससार म माना जाता ह और धनवान

का ही जीवन ध य कहलान यो य ह नधन तो नज व क समान ह य क नतो उसक ओर कोई यान दता ह न ही कोई उसका अपना होता ह

धन म ऐसी श ह क यह जानत ए भी क यह आन-जान वाला ह सब लोगधनवान को ही अपना म और पा रवा रकजन बनाना उ चत समझत ह उस ही

माना जाता ह

वग थताना मह जीवलोक च वा र चह ना नवस त दहदान सगो मधरा च वाणी दवाऽचन ा णतपणच

वग स इस ससार म आन वाल जीव क शरीर म चार बात उसक च प म रहतीह अथात उसक चार मख गण होत ह उसम दान दन क व होती ह वह मधरभाषीहोता ह दवता क पजा-अचना करता ह उनका आदर-स कार करता ह और व ान-

ा ण को सदव त त अथात सत रखता ह 16आचाय चाण य क अनसार जन य म य चार गण होत ह व मानो प वी पर

उतर ए दवता ही ह वाणी म मठास मपवक बना अ भमान क बात करना दान दन कव दवता का आदर-स कार और उनक पजा-अचना करना तथा ा ण को पजा

तथा आदर-स मान ारा त त करन का य न करना ही तो दवता क ल ण ह इसधम थ म दवी सप कहत ह

अ य तकोपः कटका च वाणी द र ता च वजनषवरमनीच सगः कलहीनसवा चह ना न दहनरक थतानाम

(इसी कार) नरक म रहन वाल जब दह धारण कर इस ससार म आत ह तो उनमऊपर बताए गए च क सवथा वपरीत च होत ह व मधरभाषी होन क बजाय अ यत

ोधी वभाव क होत ह कड़वी बात कहत ह व नधन होत ह अपन प रवारजन तथाम स व ष-भाव रखत ह उनक सग त म नीच लोग रहत ह और व नीच कल वाल कसवा करत ह 17

यह ोक पव ोक क भाव स सब धत ह लोग अ य त ोधी वभाव कहोत ह मधर भाषण करन क बजाय कठोर और कड़वी बात बोलत ह व द र होत हअथात उनक पास धन नह होता जस कार क ा सर अप र चत क को दखकर उसपर भ कता ह उसी कार अपन स भी वर-भाव रखन लगता ह उसक सगी-साथीनीच होत ह और वह नीच लोग क ही सवा करता ह ऐस लोग नरक स आत ह और जहारहत ह वहा भी नरक ही बना दत ह

ग यत य द मग -म दर ल यतक रकपोलमौ कमज बकाऽऽलयगत च ा यत व स-प छ-खर-चम-ख डनम

य द कोई मन य सह क गफा म प च जाए तो वहा सभव ह क उस हाथी कम तक का मोती (गजम ा) ा त हो जाए ल कन य द कोई गीदड़ क गफा म जाएगा तोवहा उस कसी बछड़ क पछ का अथवा गध क खाल का टकड़ा ही ा त होगा 18

इस ोक स चाण य का भाव यह ह क साहसी और शरवीर क सग त मय प भय और खतरा ह फर भी वहा र न क ा त हो सकती ह परत कायर औरठग क पास तो कछ भी हाथ नह लगता कछ मलता भी ह तो वह त छ तथानक होता ह

शनः प छ मव थ जी वत व या वनान ग गोपन श न च दश नवारण

व ा क बना मन य का जीवन क क उस पछ क समान ह जसस न तो वहअपन शरीर क ग त भाग को ढक सकता ह और न ही काटन वाल म छर आ द को उड़ासकता ह 19

वाचः शौच च मनसः शौच म य न हःसवभत दया शौच एत छौ पराऽ थनाम

वाणी क प व ता मन क श इ य का सयम ा णमा पर दया धन कप व ता मो ा त करन वाल क ल ण होत ह 20

नी त थ म अ या म स सब धत ोक का आना कछ पाठक को खटक सकताह उ ह ऐसा लगगा मानो आचाय अपन ल य स भटक गए ह ल कन ऐसा समझनाआचाय चाण य क व को न समझ पाना ह अपनी कटनी तक चाल स श को मातदन वाल आचाय अपन ल य को ा त करन म इसी लए सफल ए य क व अपनअतरमन स उतन सरल और सहज थ महान उद द य को ा त करन क लए लघ वाथ कोछोड़न क उ ह न श ा ही नह द उ ह अपन आचरण म भी व श थान दया अ या मउनक जीवन का आधार था बधन तो लीला मा ह असल म तो उनक सार यास म कलए ही थ

उ ह न इन ोक ारा बताया क भगव ा और द ता कह अ य नह हयक म वह रची-बसी ह ज रत ह उसका अनभव करन क आचाय न उस अनभव क

लए श चता (प व ता) को सबस आव यक माना ह जो वाणी और मन स प व होगा औरजो सर को खी दखकर खी होता होगा वही ववकवान हो सकता ह परोपकार कभावना हो ल कन इ य पर सयम न हो तो भी अपन ल य को पाया नह जा सकता एक

थ त ा त करन क बाद माग स भटकन का भय बना रहता ह सयमी तो वहा वय कोसभाल लता ह जहा इ य लोलप उलझ जाता ह बना ववक क स य का ान नह होताऔर उसक बना बधनम भी नह आ जा सकता

प प ग ध तल तल का ऽ न पय स घतमइ ौ गड तथा दह प याऽऽ मान ववकतः

जस फल म सगध होती ह तल म तल होता ह सखी लकड़ी म अ न होती ह धम घी और ईख म गड़ तथा मठास होती ह वस ही शरीर म आ मा और परमा मा व मानह ब मान मन य को ववक का सहारा लकर आ मा और परमा मा को जानन का य नकरना चा हए 21

आचाय न साधन और सा य दोन का प कथन कया ह यहा

मन य को कई कारण स धन क हा न होती ह कई कारण स वह खी रहता हप रवार म कभी कछ दोष भी आ जात ह तथा कई बार उस धत लोग क हाथ स धोखा भी

उठाना पड़ता ह चाण य का कहना ह क मन य को ऐसी बात को कसी सर पर कटकरन क आव यकता नह य क ऐसा करन स जगहसाई क अ त र कछ हाथ नहआता इसस सामा जक त ा पर भी आच आती ह

जो मन य लन-दन क सबध म सकोच करता ह उस हा न उठानी पड़ती ह कसीव ा क ा त अथवा कोई गण सीखत समय भी मन य को सकोच नह करना चा हएयहा सकोच न करन का अथ यह नह ह क मन य अ यत लोभी हो जाए मन य को सतोषीहोना चा हए परत कछ बात ऐसी भी ह जनक सबध म सतोष करन स हा न होती ह जसmdash व ा भ मरण और दान आ द

यहा आचाय न सामा य आचरण क बात का भी उ लख कया ह य क इनसगत प स लाभ होता ह और सामा जक त ा भी ा त होती ह जहा दो मन य

बात कर रह ह उनक बीच म नह पड़ना चा हए इसी कार जब कोई ा ण हवन आ दकर रहा हो तो उसक बीच स गजरना ठ क नह हल और बल क बीच म जो अतर होता हउस बनाए रखना चा हए य द उस बीच म आन का कोई य न करगा तो हल क (फाल)अगल तीख भाग स घायल हो जाएगा अ न ग ा ण गौ क या व और बालक कोपर नह लगाना चा हए इ ह पर लगान का अथ ह उनका अपमान करना उ ह न यहा परयह भी बताया ह क ा ण को य द स मानपवक भोजन आ द करवा दया जाए तो वहसत हो जाता ह आकाश म उमड़त बादल को दखकर मोर स होता ह साध अथवास जन लोग सर का क याण होन स स होत ह परत आदमी सर क भलाई नहदख सकता उस इसस क होता ह

चाण य न जहा समय क अनकल आचरण करन क बात कही ह वह व यह भीकहत ह क अपन स बलवान श को चतरतापवक अनकल वहार करक स करनाचा हए और अपन स कमजोर दखाई दन वाल श को भय दखाकर वश म कर लनाचा हए इस कार राजा म चतरता वन ता और बल का स म ण होना चा हए ा णको अपनी श वद आ द शा क ान स बढ़ानी चा हए जब क य क श उनकमधर वाणी ह

चाण य कहत ह क को अ य त सरल और सीध वभाव का भी नह होनाचा हए सीध को सब अपन उपयोग म लाना चाहत ह जसस उस अकसर हा न हीहोती ह य क उसक हत क चता कसी को नह होती

आचाय क अनसार को सदव अपना प नह बदलत रहना चा हए और न हीअपना थान व कहत ह क कवल उसी धनी का स मान समाज म होता ह जो उसधन का स पयोग करता ह अथात अ छ धन को काम म लगाता ह य क जो अ छ लोगइस ससार म आत ह उनम दान दन क व होती ह जो कट-भाषण नह करत दवी-दवता तथा ई र क पजा करत ह और ा ण को भोजन आ द स सत रखत हmdashव ततःव ही प ष कहलात ह इसक वपरीत आचरण करन वाल क णी म आत ह

चाण य का कहना ह क मन य को सदव स जन और अपन स उ म प ष कही सग त करनी चा हए अथात मन य का ल य होना चा हए क वह अपन स यस सपक बनाए तभी वह ससार म सफल हो सकता ह नीच लोग क साथ रहन म सदवहा न होती ह

जस कार फल म सगध तल म तल लकड़ी म आग ध म घी ईख म गड़ होनपर भी दखाई नह दता अथात य चीज इन व त म व मान रहती ह परत उ ह आख सदखा नह जा सकता इसी कार मन य क शरीर म आ मा व मान रहती ह इस कटकरन क लए वशष और स व थत यास अथात वशष कार क नरतर साधनाआव यक ह

अथ अ मोऽ यायः आठवा अ याय

भ म क अदर स नकलन वाला पानी श माना जाता हप त ता नारी प व होती ह लोग का क याण करन वालाराजा प व माना जाता ह और सतोषी ा ण को भी प वमाना गया ह

अधमाः धन म छ त धन मान च म यमाःउ माः मान म छ त मानो ह महता धनम

जो लोग ससार म कवल धन क इ छा करत ह व अधम अथात नीच को ट क हम यम णी क लोग धन और स मान दोन क इ छा करत ह जब क उ म को ट क मन यको कवल आदर-स मान ही चा हए होता ह 1

ससार म धन क इ छा तो सभी को रहती ह परत धन क ा त क लए न न णीक लोग अ य सब बात भल जात ह सब कछ भलाकर धन क पीछ भागना ठ क नह म यम णी क लोग व ह जो धन क साथ मान-स मान क भी इ छा रखत ह व धन क

ा त क लए अपन मान-स मान को दाव पर नह लगात प ष अथात उ म को ट कमन य व ह जनक लए आदर-स कार ही सब कछ ह उ म को ट क लोग को महा माकहा जाता ह उनक लए धन का वशष मह व नह होता व धन का योग जीन क लएकरत ह धन क लए नह जीत ह

इ रापः पयो मल ता बल फलमौषधमभ य वाऽ प कत ाः नानदानाऽऽ दकाः

याःग ा पानी ध कदमल फल पान तथा दवाइय का सवन करन क बाद भी नान

आ द और धम काय कए जा सकत ह 2सामा य भारतीय म यह धारणा पाई जाती ह क नान- यान आ द करन क बाद ही

फल और औष ध आ द का सवन करना चा हए परत चाण य कहत ह क बीमारी कअव था म ध जल कदमल फल और दवाई आ द का सवन कया जा सकता ह इसमकोई पाप नह उसक बाद नान आ द करक पजा-पाठ और धा मक काय करना अन चतनह ह

द पो भ यत वा त क जल च सयतयद भ य य जायत ता शी जा

द पक अधकार को खाता ह और उसस काजल क उ प होती ह इसी कारमन य जसा अ खाता ह वसी ही उसक सतान उ प होती ह 3

ता पय बलकल प हmdashय द अ छ काय स अपनी आजी वका चलाएगातो उसक सतान भी सद गण स य होगी य द वह चोरी और म कारी स पदा कए एधन स अपनी सतान का पालन-पोषण करता ह तो सतान क वचार भी उसी कार कनक ह ग आचाय यहा सकत द रह ह क जसी सतान चाहत हो वसा ही अ सवन करोसतान य द फल ह तो अ उसका बीज ह

व द ह गणा वतष म तम ा य द ह व चता त वा र नधजल घनमख माधयय सदा

जीवा थावरजगमा सकलान सजीभम डलमभयः प य तदव को टग णत ग छ तम भो न धम

ब मान या अ छ गण स य मन य को ही धन दो गणहीन को धन मत दोसम का खारा पानी बादल क मीठ पानी स मलकर मीठा हो जाता ह और इस ससार मरहन वाल सभी जड़-चतन चर और अचर जीव को जीवन दकर फर सम म मल जाताह 4

चाण य न ब मान को धन दन क उपमा वषा क जल स क ह अथातजस कार वषा का जल जड़-चतन आ द को जीवन दन क बाद फर सम म जा मलताह और फर सम स करोड़ गना अ धक बादल को पनः ा त हो जाता ह उसी कार गणी

को दया आ धन अनक अ छ काय म य होता ह यह ोक यह भी सकतकरता ह क य प धन अनक गण स य ह फर भी गणी का साथ पाकर वह

नद ष हो जाता हmdashजनोपयोगी हो जाता ह

चा डालाना सह च स र भ त वद श भःएको ह यवनः ो ो न नीचो यवनात परः

त व को जानन वाल व ान न यह कहा ह क हजार चा डाल क समान एकयवन अथात ल छmdash धम वरोधी होता ह इसस बढ़कर कोई सरा नीच नह होता 5

यहा यवन श द का अथ कसी स दाय वशष स नह ह वरन अधम का आचरणकरन वाल स ह य द इस श द का अथ सम प म लया जाए तो वह ह तनऔर मन स अश तथा अप व रहन वाला नीच दया गया ोक इसी बात क प करताह

तलाऽ यग चताधम मथन ौरकम णतावद भव त चा डालो याव नान न चाऽऽचरत

तल क मा लश करन क बाद चता क धए क पश करन क बाद ी स सभोगकरन क बाद और हजामत आ द करवान क बाद मन य जब तक नान नह कर लता तबतक वह चा डाल अथात अश होता ह 6

अजीण भषज वा र जीण वा र बल दमभोजन चामत वा र भोजना त वष दम

अपच क थ त म जल पीना औष ध का काम दता ह और भोजन क पच जान परजल पीन स शरीर का बल बढ़ता ह भोजन क बीच म जल पीना अमत क समान ह परतभोजन क अत म जल का सवन वष क समान हा नकारक होता ह 7

हत ान याहीन हत ाऽ ानतो नरःहत ननायक स य यो न ा भतकाः

आचरण क बना ान थ ह अ ान स मन य न हो जाता ह सनाप त कअभाव म सना न हो जाती ह और प त स र हत या भी न हो जाती ह 8

य द को ान ह क कौन-सा काय उ चत ह और कौन-सा अन चत इसकबावजद वह अपन आचरण म इस बात को नह अपनाता तो ऐसा ान थ ह उसका कोईलाभ नह

मन य का जीवन बड़ी क ठनाई स ा त होता ह ई र न ाणी को ब इसी लएद ह क वह ानवान होकर शभाचरण कर कत कछ लोग अपनी अ ानता क कारणजीवन सकट म डालकर न हो जात ह अथात अ ान उ ह नगल जाता ह इसी कारसनाप त क बना सना थ होती ह और वह न हो जाती ह या भी प त क बना लोग ारा सताए जान क कारण न हो जाती ह प त उसका र क होता ह वही उसक

र ा करता ह प त क बना वह अपन माग स भटक सकती ह इस सदभ म आज यक थ त म ब त अतर आया ह श ा इसका मख कारण ह

व काल मता भाया बधह त गत धनमभोजन च पराधीन त ः पसा वड बना

व ाव था म प नी का दहा त हो जाना धन अथवा सप का भाई-ब ध क हाथम चल जाना और भोजन क लए सर पर आ त रहना यह तीन बात मन य क लएम य समान खदायी ह 9

ख जीवन का एक मह वपण ह सा ह ल कन व ाव था म य द कोई प षअपनी प नी को खो द तो वह दा ण थ त ह जीवन साथी क जीवन म दो भ मकाए हmdashभोग और सहयोग व ाव था म एक- सर क सहयोग क अप ा होती ह परपरा कअनसार प त अकसर प नी स 5-7 वष बड़ा होता था व ाव था म इस अतर का अ यतमह व ह जब पर प रवार क अपनी नया हो व एक तरह स नरथक हो चक ह बढ़दप त ही एक- सर क लए साथक ह ऐस म एक का वशषकर प नी का चल जाना प तक लए म य क समान ह आचाय न एक मह वपण सम या क ओर मानो इस ोकाश ससकत कया ह प ष क बना ी अपना समय काट लती ह सो चए पराधीन कौन ह

ना नहो वना वदा न च दान वना यान भावन वना स त माद भावो ह कारणम

अ नहो आ द कम क बना वद का अ ययन थ ह तथा दान-द णा क बनाय आ द कम न फल होत ह ा और भ क बना कसी भी काय म सफलता ा तनह होती अथात मन य क भावना ही उसक वचार उसक सब स य और सफलता काकारण मानी गई ह 10

का पाषाणधातना क वा भावन सवनमया च तया स त यः व णः सीद त

लकड़ी प थर अथवा धात क म त म भ क भावना और ा रखकर उसकपजा क जाएगी तो स अव य ा त होती ह भ इस भ पर अव य स होत ह 11

लकड़ी प थर अथवा धात क म तय स को स ा त नह होती सा त होती ह तप या और भावना स अथात मन य उनक त जसी भावना रखता ह और

ापवक सवा करता ह को वसी स ही ा त होती ह उसी भ पर व णतथा परम र स होत ह lsquoजाक रही भावना जसी भ मरत दखी तन तसीrsquo अथात पजाम भावना ही धान हmdashजसी भावना वसा फल

न दवो व त का न पाषाण न म मय

भाव ह व त दव त माद भावो ह कारणमदवता अथवा परम र काठ अथवा प थर क म त म नह ह परम र तो मन य क

भावना म व मान रहत ह अथात जहा मन य भावना ारा उसक पजा करता ह वह वकट होत ह 12

शा तत य तपो ना त न स तोषा पर सखमन त णायाः परो ा धन च धम दयापरः

शा त स बढ़कर कोई तप नह सतोष स बढ़कर कोई सख नह त णा अथवा चाहस बढ़कर कोई रोग नह दयालता स बढ़कर कोई धम नह 13

शात रहन क लए को अपनी कामना और इ य पर नय ण रखना होताह इसी लए यह तप ह जो हर समय भागता-दौड़ता रहता ह और और क कामनाकरता रहता ह उस सख नह मल सकता मन य क त णा उस रोग क तरह ह जसमभख कभी शात नह होती दया को आचाय न सव धम माना ह दया का अथ ह सवदनाका वकास इसम अ य का भाव समा त हो जाता ह

ोधो वव वतो राजा त णा वतरणी नद व ा काम धा धनः स तोषो न दन वनम

ोध यमराज क समान ह त णा वतरणी ह व ा कामधन ह और सतोष नदन वनअथात इ क उ ान क समान ह 14

ोध यमराज क समान म यदाता ह मन य क इ छाए वतरणी नद क समान हजनका पार नह पाया जा सकता

व ा को सब कामना को पण करन वाली कामधन बताया गया ह अतः व ानसरलतापवक धन और मान-स मान दोन को अ जत कर सकता ह मन य क जीवन मसतोष को इ क वा टका क समान अ य त सख दन वाला माना गया ह इस लए को चा हए क जीवन म सखी रहन क लए व ा का स ह कर और अपना समय सतोष कसाथ बताए

गणो भषयत प शील भषयत कलमस भषयत व ा भोगो भषयत धनम

गण स मन य क सौ दय क व होती ह शील स कल क शोभा होती ह कायम सफलता स व ा शो भत होती ह और धन क सही उपभोग स धन क शोभा बढ़ती ह 15

मन य क दह य द सदर ह ल कन उसम गण का अभाव ह तो वह स दय कसीकाम का नह अ छ आचरण क कारण ही कल क शोभा होती ह य द उ च कल म उ प

आ नीच आचरण करता ह तो उसका कल बदनाम होता ह और ऐसी व ा क भीकोई शोभा नह होती जसस मन य कसी काय को स न कर सक अथात मन य कोअपन काय म स व ा क कारण ही ा त होती ह ऐसी व ा का कोई लाभ नह जसस कोई भी काय न लया जाए धन क उपभोग का अथ ह क धन को अ छ काय मलगाया जाए धन क शोभा तभी ह जब उसका ठ क स उपयोग कया जाए उस अ छकाय म लगाया जाए

नगण य हत प ःशील य हत कलमअ स य हता व ा अभोगन हत धनम

गणहीन मन य का सदर अथवा पवान होना थ होता ह जस काआचरण शील स य नह उसक कल म नदा होती ह जस म कसी काय कोस करन क श नह ऐस ब हीन क व ा थ ह और जस धन का उपभोगनह कया जाता वह धन भी थ ह 16

श चभ मगत तोय श ा नारी प त ताश चः मकरो राजा स तोषी ा णः श चः

भ म क अदर स नकलन वाला पानी श माना जाता ह प त ता नारी प व होतीह लोग का क याण करन वाला राजा प व माना जाता ह और सतोषी ा ण को भीप व माना गया ह 17

चाण य का कथन ह क भ म क नीच स ा त होन वाला जल श माना जाता हप त क त सम पत नारी श और प व मानी जाती ह जो राजा अपनी जा क क याणम लगा रहता ह जो सरकार अपनी जनता का क याण करती ह ाचार म नह पड़तीउस श और प व माना जाता ह उसी कार जो ा ण सत रहता ह अथात जसमधन क लालसा नह ह वही प व ह

अस त ा जा न ाः स त ा महीभतःसल जा ग णका न ा नल जा कलागना

सतोषर हत ा ण सत होन वाला राजा शम करन वाली व या और ल जाहीनकलीन या न हो जाती ह 18

असत रहन वाला ा ण अपन कम स हो जाता ह वह अपना कत भलजाता ह समाज म उसक त ा ीण होती ह इसी कार जो राजा अपनी थोड़ी-सीसफलता स सतोष कर लता ह उसम मह वाका ाए कम हो जाती ह वह अपना रा य काव तार न करन क कारण श हीन होकर न हो जाता ह व या का काय लोग कोसत करना ह वह बाजार म बठकर भी य द सकोच और ल जा करती रहगी तो वह भखीमर जाएगी इसी कार य द अ छ घर क औरत ल जा को याग दती ह तो व भी न हो

जाती ह इस ोक स प होता ह कोई एक काय कसी क लए हतकर ह तो कसी कोहा न प चान वाला होता ह कत का नणय सदभ क अनसार होता ह उसक कोईन त गाइडलाइन नह ह

क कलन वशालन व ाहीनन द हनामकलीनोऽ प व ा दवर प सप यत

य द कल व ाहीन ह तो उसक वशाल और बड़ होन स कोई लाभ नह य द बरकल म उ प आ व ान ह तो दवता लोग भी उसक पजा करत ह 19

व ार हत बड़ कल म उ प होन स कोई लाभ नह य क का स मान बड़कल म उ प होन स नह होता ब क व ान होन और अ छ गण क कारण होता ह इस

कार चाण य कवल वश को मह व नह व क व ान होन को अ धक मह व दत हउनका कहना ह क य द नीच कल म उ प आ भी व ा आ द गण स य ह तोसभी लोग उसका स मान करत ह रावण उ चकल म उ प आ ल कन गण क कारण

यक वष जलाया जाता ह

व ान श यत लोक व ान ग छ त गौरवमव या लभत सव व ा सव प यत

इस ससार म व ान क शसा होती ह व ान को ही आदर- स मान और धन-धा य क ा त होती ह यक व त क ा त व ा ारा ही होती ह और व ा क सबजगह पजा होती ह 20

मासभ ः सरापानमख ा रव जतःपश भः प षाकारभाराऽऽ ा ता च म दनी

मास खान वाल शराब पीन वाल मख और नर र मन य पी पश क भार सयह प वी पी ड़त और खी रहती ह 21

मास खान वाल और शराब पीन वाल यह सोच भी नह पात क कौन-सीव त खान क यो य ह और कौन-सी नह इस कार मख और नर र प-रग म तोमन य क समान होत ह परत वह पश क समान इस प वी का भार ह अथात उनस इसससार का कोई उपकार नह होता ऐस लोग को पश कहना पश का अपमान ह

अ हीनो दहद रा म हीन ऋ वजःयजमान दानहीनो ना त य समो रपः

जो दश को अ हीन करता हो जसम म को न जानन वाल ऋ वज ह जसकयजमान दान भावना स र हत ह ऐसा य श समान ह 22

आचाय क अनसार य जहा मन य क लए अनक कार स लाभकारी ह वह

य द य ठ क कार स स प न कया जाए तो उसस ब त बड़ी हा न भी होती ह य सवषा होती ह और रा म अ और धन-धा य क व होती ह यह य का य फल हऋ वज अथात य करान वाल आचाय को म होना चा हए इसी कार य कताअथात यजमान का दय भी वशाल होना चा हए

उसक आचाय क त न ा और ा होगी तभी वह उ ह धन-धा य आ द दकरस करगा आचाय य क साथकता क लए ऋ वज और यजमान क यो य होन क

ओर सकत कर रह ह

चाण य न इस अ याय म शरीर क स एक समान दखन वाल मन य का गणऔर व क अनसार वभाजन कया ह वभाव और व ही को उ म म यमऔर न न बनाती ह न न णी क लोग जस-तस धन इकट ठा करना चाहत ह व ऐसउपाय स भी धन ा त करना चाहत ह जनस उनका अपमान होता ह उ ह मान-अपमानक कोई चता नह होती म यम णी क लोग मान-स मान क साथ-साथ धन इकट ठाकरना चाहत ह परत उ म णी क लोग कवल मान-स मान को ही मह व दत ह धन उनकलए गौण होता ह म य नह

चाण य कहत ह क जस कार का भोजन करता ह जसा अ खाता हउसक सतान भी वसी ही होती ह यह सकत ह क भोजन कवल वाद या पट भरन क

स ही मह वपण नह ह यह मानव-जा त क भ व य को भी नधा रत करता हचाण य न तीन बात म य क समान क दन वाली बताई हmdash व ाव था म मन य

क प नी क म य होना धन-सप का सर क हाथ म जाना और खान-पान क लएसर पर आ त रहना इनम स दो का अनभव तो कसी भी अव था क को हो

सकता ह ल कन एक का सबध वशष अव था स ह इस ओर सकत करक आचाय नजीवन क कट स य को उजागर कया ह इसस उस अव था म प ष क नरीहता भी कटहोती ह

चाण य न क वचार और उसक भावना को अ धक मह वपण बताया हउ ह न कहा ह क लकड़ी प थर और धात क म तय क य द श भावना और ा सपजा क जाए तो सब काय पण हो जात ह इन म तय म भगवान का वास उस प म नहहोता जसा क लोग मानत ह मन य क उ च भावनाए अथवा वचार ही म त को मा यमबनाकर पजक का क याण करत ह

अथ नवमोऽ यायः नौवा अ याय

जो ा ण धन क ा त क वचार स वद का अ ययनकरत ह और जो अथात नीच मन य का अ खात ह ववषहीन साप क समान कछ भी करन म असफल होत ह

म म छ स च ात वषयान वषवत यजमाऽऽजव दया शौच स य पीयषवद भज

य द त म चाहता ह तो बर सन और बरी आदत को वष क समान समझकरउनका याग कर द तथा मा सरलता दया प व ता और स य को अमत क समान हणकर 1

आचाय चाण य न म चाहन वाल को सलाह द ह क वषय को व वष कसमान छोड़ द य क जस तरह वष जीवन को समा त कर दता ह उसी तरह वषय भी

ाणी को lsquoभोगrsquo क प म न करत रहत ह यहा वषय श द का अथ व त नह ब कउसम आस का होना ह इस कार आचाय क म वषयास ही म य ह लोगजस अमत क तलाश वग म करत ह उस आचाय न इन पाच गण म बताया ह इस

ोक का उ लख lsquoअ ाव गीताrsquo म भी इसी प म जनक-अ ाव सवाद क प म आह यहा चत अथात य द श द अ यत मह वपण ह ऐसा कहन का ता पय ह क य द कोईम होन का सक प कर चका हmdashवस ायः हम बधन म आन दत होत रहत ह बधन मसर ा महसस करत ह

पर पर य ममा ण य भाष त नराधमाः

त एव वलय या त व मीकोदरसपवतजो लोग एक- सर क भद को कट करत ह व उसी कार न हो जात ह जस

बाबी म फसकर साप न हो जाता ह 2अपमा नत करन क वचार स अपन म क रह य को कट करन वाल उसी

कार न हो जात ह जस कार बाबी म घसा आ साप बाहर नह नकल पाता और बाबीक अदर ही दम घटन स मर जाता ह ऐस लोग न घर क रहत ह न घाट क

ग धः सवण फल म द डनाऽका र प प खल च दन यव ान धना नप रायः

धातः परा कोऽ प न ब दोऽभता न सोन म सगध और ईख क पौध म फल उ प नह कए और न य ही

चदन क व म फल भी पदा नह होत इसी तरह व ान को अ धक धनी और राजाको अ धक लबी आय वाला नह बनाया उसस ऐसा लगता ह क ाचीनकाल म भ कोब दन वाला कोई नह था 3

व त को यक चाहता ह यही चाह उस उस व त स र कराती हजस ा त करन क लए उसन कठोर म कया ह य क उसम भी उस कमी नजर आनलगती ह ऐस असमजस क थ त को ही आचाय न यहा तत करन का यास कयाय द सोन म सगध भी होती तो उसका म य और भी बढ़ जाता इस lsquoय दrsquo क सदभ म हीलोग क ओर स आचाय यहा स रच यता को उलाहना द रह ह उसक ब को कोस रहह ल कन य द ऐसा हो जाता जसी लोग क चाह ह तो वसा न होन क कामना लोग करत

या यह सच नह हसव षधीनाममता धाना सवष सौ य वशन

धानमसव याणा नयन धान सवष गा ष शरः

धानमसभी कार क औष धय म अमत सबस मख औष ध ह सख दन वाल सब

साधन म भोजन सबस मख ह मन य क सभी इ य म आख सबस धान और हतथा शरीर क सभी अग म मन य का सर सव ह 4

कछ य न इस ोक म आए ए अमता श द का अथ गलोय स भी कयाह गलोय का उपयोग अनक रोग क लए कया जाता ह परत मल अथ अमत ही उ चतह य क अमत भी एक कार क औष ध ह और अमत स सभी को जीवन ा त होता ह

मन य क पास धन आ द सभी सख क साधन ह परत जब तक वह भोजन नहकरता तब तक उस पण सख ा त नह होता इस लए भोजन को सब सख म धान मानागया ह मन य अनक इ य स य हmdashवह सनता ह पश करता ह चखता ह अनभ तकरता ह परत य द वह दख नह सकता तो उस इ य स पण सख ा त नह होता इस लएआख को सब इ य म धान बताया गया ह इसी कार शरीर क सभी अग म मन य कासर धान ह उसी को सभी अग म माना गया ह म त क का मह व सव व दत ह

तो न स चर त ख न चल च वातापव न ज पत मद न च सगमोऽ त

ो न थत र वश श हण श तजाना त यो जवरः स कथ न व ान

आकाश म कसी त का जाना सभव नह और वहा कसी स कसी कार कबातचीत भी नह हो सकती परत जस ा ण न आकाश म सय और च मा क हणक बात बताई ह उस व ान य न माना जाए 5

व ाथ सवकः पा थः धाऽऽत भयकातरःभा डारी तहारी च स त स तान बोधयत

व ाथ सवक माग म चलन वाला प थक या ी भख स पी ड़त डरा आ और भ डार क र ा करन वाला ारपाल य द अपन कायकाल म सो रह ह तो इ ह जगादना चा हए 6

य द व ाथ सोता रहगा तो व ा का अ यास कस करगा मा लक य द सवक कोसोता दख लगा तो उस नौकरी स पथक कर दगा य द या ी रा त म सो जाएगा तो या तोउसक चोरी हो जाएगी अथवा उसक ह या कर द जाएगी व म य द कोई यास या भखस ाकल ह तो उस जगाना ही उसक सम या का समाधान ह यही बात व म डर ए

पर भी लाग होती हभ डार क र क तथा ारपाल सो रह ह तो इ ह जगा दना ठ क रहता ह य क

इनक सोन स इनक ही नह अनक लोग क हा न होती ह आचाय क इस कथन को शाक उन आदश स जोड़कर दखना चा हए जनम यह कहा गया ह क सोत ए कोउठाना नह चा हए न ा शारी रक और मान सक व ाम क वह अव था ह जो ाणी कोसतलन क सम चत व था दती ह

इसी सदभ म पश और व को सोत ए स न जगान और रा क समय पश नकरन का नदश कया गया ह

अ ह नप च शा ल क ट च बालक तथा

पर ान च मख च स त स तान न बोधयतसाप राजा बाघ सअर बालक सर क क और मख को सोत म जगाना

नह चा हए 7य द सोए ए साप को जगाएग तो वह काट खाएगा इसी कार सोत ए राजा को

जगान पर वह ो धत होकर ह या का आदश द सकता ह बाघ आ द हसक पश कोजगान का या प रणाम हो सकता ह यह सब जानत ह सोत ए बालक को जगाएग तोवह भी मसीबत खड़ी कर दगा इसी कार सर क क और मख मन य को जगानानह चा हए उनक सोत रहन म ही भला ह

अथाऽधीता यवदा तथा श ा भो जनाःत जाः क क र य त न वषा इव प गाः

जो ा ण धन क ा त क वचार स वद का अ ययन करत ह और जो शअथात नीच मन य का अ खात ह व वषहीन साप क समान कछ भी करन म असमथहोत ह 8

जो ा ण वद का अ ययन कर उसस धन कमात ह अथात उस ान स पसाबटोरत ह और व ा ण भी जो अपना पट भरन क लए श क अधीन रहत ह अथात नीचलोग का अ खात ह व वषर हत सप क समान नरथक ह तजहीन हो जान क कारणऐस व ान ा ण को ससार म कसी कार का यश और स मान ा त नह होता

य मन भय ना त त नव धनाऽऽगमःन होऽन हो ना त स ः क क र य त

जसक नाराज होन पर कसी कार का डर नह होता और जसक स होन परधन ा त क आशा नह होती जो न द ड द सकता ह और न ही कसी कार क दया

कट कर सकता ह उसक नाराज होन पर कसी का कछ नह बगड़ता 9न वषणाऽ प सपण कत ा महती फणावषम त न चा य त घटाटोपो भयकरः

वषहीन साप को भी अपना फन फलाना चा हए उसम वष ह या नह इस बात कोकोई नह जानता हा उसक इस आडबर स अथवा दखाव स लोग भयभीत अव य होसकत ह 10

ात त सगन म याह न ी सगतःरा ौ चौय सगन कालो ग छ यधीमताम

मख लोग अपना ातःकाल का समय जआ खलन म दोपहर का समय ी सग मऔर रा का समय चोरी आ द म थ करत ह 11

चाण य ारा य मख और थ श द यहा मह वपण ह मख क बार म ऐसाकहकर आचाय न सकत कया ह क व ान अपना समय सद काय म तीत करत ह

वह त थता माला वह तघ च दनमवह त ल खत तो श या प य हरत

अपन ही हाथ स गथी ई माला अपन हाथ स घसा आ चदन और अपन ही हाथस लखी ई भगवान क त त करन स मन य इ क धन-स प को भी वश म करसकता ह 12

चाण य का भाव यह ह क धनवान को भगवान क त त करन क लए कएजान वाल उपाय को वय अपन हाथ स करना चा हए सर स करवान स कोई लाभ नहहोता

इ द डा तलाः ाः का ता हम च म दनीच दन द ध ता बल मदन गणवधनम

ईख तल मख छोट आदमी ी सोना भ म चदन और दही तथा पान इ हजतना मला जाएगा उतन ही इनक गण बढ़ग 13

ईख और तल आ द को जतना अ धक दबाएग उतना ही अ धक तल और रसनकलगा सोन को भी जतना तपाया अथवा श कया जाएगा उसम चमक और नखारआएगा भ म म जतना अ धक हल चलाया जाएगा उतना ही अ धक उसस अ क उ पहोगी इसी कार चदन और दही आ द को जतना रगड़ग और मथग उतना ही उनक गण मव होती ह इसी कार मख क म त क पर भी जब जोर पड़गा तभी वह कछ गण को

हण कर सकगा यह बात उन जा तय और रा पर भी लाग होती ह जो माद म डबी ईह तथा नक मी हो गई ह ज ह न सघष कया वो उ त और वक सत ह

द र ता धीरतया वराजत कव ता श तयावराजत

कद ता चो णतया वराजत क पता शीलतयावराजत

द र अव था म य द धय नह छोड़ता तो नधनता क नह दती साधारणव को य द साफ रखा जाए तो वह भी अ छा लगता ह य द सामा य भोजन जसप कारक न माना जाए भी ताजा और गम-गम खाया जाए तो अ छा लगता ह इसी कारसशीलता आ द गण क होन पर क पता बरी नह लगती 14

आचाय क अनसार म य द गण ह तो उसक दोष क ओर कोई यान नहदता व भल ही स ता हो ल कन व छ होना चा हए भोजन भल ही साधारण हो क तउ चत ढग स उस य द पकाया और परोसा जाए तो वह भी चकर लगता ह अथ यह ह क

म गण क धानता होनी चा हए दखाव क नह

चाण य न मन य को जीवन का ल य बतात ए कहा ह क जो ससार सम होना चाहत ह उ ह वषय-वासना का याग वष क समान कर दना चा हए अथातब हचक जो नीच मन य सर क त घणा क कारण कठोर बात बोलत ह व न हो जातह कोई भी उनका स मान नह करता

चाण य ससार क व च धारणा को करत ए बतात ह क सोन म सगधनह होती ईख पर फल नह लगता चदन क व पर फल नह लगत व ान क पासधन नह होता और राजा को ायः अ धक आय नह मलतीmdashय बात दखकर ऐसा लगता हक परम र न यह काम करत ए ब का सहारा नह लया अथात भल तो कसी स भीहो सकती ह काश परमा मा न ऐसा कया होता

चाण य कहत ह क अमत सबस उ म औष ध होती ह य क इसस म य रोग सम मल जाती ह सबस बड़ा सख भोजन क ा त ह ान य म सबस उ म आख हऔर शरीर क अग म सबस मन य का सर ह

ा ण क व ा बतात ए चाण य का कथन ह क आकाश म कोई गया नह सय च मा तक कोई प चा नह परत जस व ान ा ण न उनक ग त उनक हण ससब धत ान दया ह और भ व यवाणी क ह उस व ान मानन म सकोच नह करनाचा हए अथात प वी पर बठ-बठ जसन इन आकाशीय घटना का परी तरह स सहीआकलन कर लया वह अव य सराहना क यो य ह

चाण य न अनक थान पर कहा ह क को ससार म सतक होकर जीवनबताना चा हए व ाथ नौकर या ी और भख स खी डरा आ और ारर कmdashइ ह सदा जागत रहना चा हए य द इ ह सोता दख तो इ ह जगा द ल कन राजा सापबाघ जगली सअर और सर का क ा तथा मख य द सोए पड़ ह तो इ ह जगानानह चा हए य सोए ही हतकारी ह

इस अ याय म आचाय चाण य न ा ण क सबध म कहा ह क उ ह प तत लोगस कसी कार क सहायता नह लनी चा हए य क ऐस लोग क वाथ भी त छ ही होतह समय आन पर उनक प त म सहयोग करना और न करना दोन ही थ तया वधावालीह सहयोग करन पर न तकता क हा न होती ह तथा न करन पर कत न होन का आभासहोता ह आचाय का कहना ह क मन य को अपना वा त वक वभाव नह छोड़ना चा हएअथात य द साप वषर हत ह तो भी उस अपन पर आ मण करन वाल को डरान क लएफन फलात रहना चा हए इसका अथ यह ह क आड बर स भी सर य को भा वत

कया जा सकता ह कसी सत ारा सप को दया गया यह उपदश सभी न पढ़ा-सना होगाक फफकारना ज र चा हए भल ही डसन का मन न हो

मख को इस बात का ान नह होता क कस समय कौन-सा काय कया जाए वहातःकाल ही जआ आ द खलन लगत ह दोपहर का समय भोग- वलास और रा का

समय चोरी आ द बर काम म बतात ह य तीन काय धम और कानन दोन स न षह इनस धन और स मान क हा न होती ह सबस बढ़कर इनस आ मा का पतन होता हचाण य का कहना ह क भ क उपासना को वय करनी चा हए जस कार भख-यास तभी शात होती ह जब आप वय भोजन खात और पानी पीत ह उसी कार आपकारा कए गए शभ कमmdashई र उपासना आ द तभी परी तरह स फल दता ह जब आप उसवय कर को क म धय रखना चा हए धय स क उतन खदायी तीत नह होतजतन धय न होन पर अनभव म तो यह भी आया ह क धय ख को कम ही नह करताब क सख को भी साथ क साथ उजागर कर दता ह ऐस म ख ख रहता ही नह ह

ीक ण न गीता म धयशील को अमत व का अ धकारी माना हmdashयो धीरः सः अमत वायक पत इस कार मन य का सबस सवा धक मह वपण गण ह धय

अथ दशमोऽ यायः दसवा अ याय

भा य अथवा भ क म हमा अपर पार ह उसक कारण एकनधन भखारी पल म राजा बन सकता ह और राजा कोकगाल होना पड़ता ह

धनहीनो न हीन ध नकः स स न यःव ार नन यो हीनः स हीनः सवव तष

धन स हीन मन य द न-हीन नह होता य द वह व ा धन स य हो तो परत जसमन य क पास व ा पी र न नह ह वह सभी चीज स हीन माना जाता ह 1

पत यसत पाद व पत पब जलमशा पत वदत वा य मनः पत समाचरत

भली- कार आख स दखकर मन य को आग कदम रखना चा हए कपड़ सछानकर जल पीना चा हए शा क अनसार कोई बात कहनी चा हए और कोई भी कायमन स भली कार सोच-समझकर करना चा हए 2

आचाय क अनसार मन य को सोच-समझकर उ चत काय करना चा हए कसीकाय को करन स पहल यह भली कार जाच-परख ल क वह वहार और शा स वतो नह ह सदव सावधान और सचत रहकर यक काय को करन क सलाह यहा द गईह जल क त क गई असावधानी अनक रोग क उ प कर सकती ह

सखाथ वा यज ा व ाथ वा यजत सखम

सखा थनः कतो व ा व ा थनः कतो सखमय द सख क इ छा हो तो व ा अ ययन का वचार छोड़ दना चा हए और य द

व ाथ व ा सीखन क इ छा रखता ह तो उस सख और आराम का याग कर दनाचा हए य क सख चाहन वाल को व ा ा त नह हो सकती और जो व ा ा त करनाचाहता ह उस सख नह मल सकता 3

चाण य का व ास ह क व ा ा त क समय व ाथ को सख-स वधा कआशा नह करनी चा हए कठोर तप स ही व ा क ा त हो सकती ह य द व ाथ व ाम पारगत होना चाहता ह तो उस नरतर अ यास करना पड़ता ह जो सख स नह हो सकताह या क ठनता स मलन वाली कोई भी व त म यवान नह होती अतः व ाथ को सखक आशा ही छोड़ दनी चा हए अ यथा उस व ा ा त नह हो सकती भोग और ानपर पर वरोधी ह

कवयः क न प य त क न कव त यो षतःम पाः क न ज प त क न भ त वायसाः

क व अपनी क पना स या नह दख सकत अथात सभी कछ दख सकत ह औरया या नह कर सकत व सभी कार क मनमानी कर सकती ह नश म चर

या नह बोल सकता अथात कछ भी बोल सकता ह और कौआ या नह खाता 4आचाय न क व श द का योग यहा ऋ ष और क व दोन अथ म कया ह कहा

जाता हmdashlsquoजहा न प च र व वहा प च क वrsquo और ऋ ष उस कहत ह जो म कासा ा कार करता हmdashऋषयो म ारः

या अपन साहस क कारण ऐस काय कर सकती ह ज ह करन स पव प षकई बार सोचगा नश म चर क जो कछ भी मन म आता ह बक दता ह उस समयउस भल-बर का ान नह होता इसी कार कौआ भी अपन वभाव क कारण कह भी जाबठता ह

रक करो त राजान राजान रकमव चध नन नधन चव नधन ध नन व धः

भा य क म हमा अपर पार ह य क वह नधन अथात भखारी को पल म राजाबना सकता ह और राजा को कगाल इसी तरह भा य क ही कारण धनवान नधनबन जाता ह और नधन धनवान 5

ल धाना याचकः श मखाणा बोधकः रपःजार ीणा प तः श ोराणा च मा रपः

मागन वाला लोभी मन य का श होता ह मख का श उ ह स पदश दन वाला

होता ह भचा रणी य का श प त होता ह और चोर का श ह च मा 6लोभी अथवा लालची उसको अपना श मानता ह जो उसस कसी चीज को

लन क आशा रखता ह अथवा कछ मागता ह मख को स पदश दन वाला अथवा उ हस माग पर चलान वाला उनका सबस बड़ा श होता ह य क मख क यह वशषताहोती ह क कसी क अ छ बात को वह नह मानता और अपन काय को ही सही ठहराताह जो ी भचा रणी ह प त उस इस काम स रोकन का य न करता ह इस लए उसवह अपना श मानती ह चोर- उच क लोग रा क समय अधकार म अपना काय करत हचादनी रात म उनक लए चोरी करना असभव होता ह इस लए च मा उनका सबस बड़ाश होता ह इस कार जो कसी क काय म कावट डालता ह वही उसका श ह

यषा न व ा न तपो दान न ान न शील न गणो नधमःत म यलोक भ व भारभता मन य पणमगा र त

जन मन य क पास न व ा ह न ही ज ह न कसी कार का तप कया ह जनमन दान दन क व ह न ान ह दया और न ता आ द भी नह ह गण और धमाचरण कभावना नह ह ऐस मन य पश क प म इस ससार म वचरत ह 7

धम ही मन य को मन य बनाता ह

अ तःसार वहीनानामपदशो न जायतमलयाचलससगात न वण दनायत

जन य म कसी कार क भीतरी यो यता नह अथात जो अदर स खोखलह ब हीन ह ऐस य को कसी भी कार का उपदश दना उसी कार थ होता हजस कार मलयाचल पवत स आन वाल सग धत हवा क झ क का बास स पश 8

जस म कसी कार क भीतरी यो यता नह और जसका दय भी साफनह उसम बर वचार भर ह उस कसी भी कार का उपदश दना थ ह उस पर उपदशका कोई भाव नह पड़गा ऐसा होना उसी कार थ ह जस चदन वन स आन वालीसग धत वाय क पश स बास म न तो सगध ही आती ह और न ही वह चदन बन पाता ह

य य ना त वय ा शा त य करो त कमलोचना या वहीन य दपणः क क र य त

जस क पास अपनी ब नह शा उसका या कर सकगा आख सर हत को दपण का कोई लाभ नह हो सकता ह 9

आचाय का यह कथन सकत करता ह क कवल बाहरी साधन स कोई ानवान

नह हो सकता मन य क भीतर न हत स कार को ही बाहरी साधन स उभारा औरनखारा जा सकता ह

खत म बीज ही न हो तो खाद आ द दन स फसल नह उगती कभी-कभी तो उलटाही होता ह इ छत फसल को पान क लए कए गए उवरक क योग स ऐसी हा नकरफसल लहलहान लगती ह जसक कसी न कभी क पना ही नह क होती

जन स जन कतमपायो न ह भतलअपान शतधा धौत न म य भवत

इस ससार म ऐसा कोई उपाय नह जसस जन को स जन बनाया जासक बलकल उसी तरह जस कार गदा को चाह सकड़ कार स और सकड़ बार धोयाजाए फर भी वह अग नह बन सकती 10

आ म षात भव म यः पर षात धन यःराज षात भव ाशो षात कल यः

जो मन य अपनी ही आ मा स ष रखता ह वह वय को न कर लता ह सर सष रखन स अपना धन न होता ह राजा स वर-भाव रखन स मन य अपना नाश करता ह

और ा ण स ष रखन स कल का नाश हो जाता ह 11lsquoआ म षातrsquo क जगह कह lsquoआ त षातrsquo श द का भी योग कया गया ह इस

पाठभद कहत ह lsquoआ तrsquo का अथ ह व ान ऋ ष म न और स प षmdashlsquoआ त तयथाथव ाrsquo जो स य बोल वह आ त ह जो आ मा क नजद क ह वही आ त ह

इस स इस ोक क दोन प सही ह जो बना कसी लाग-लपट क न पभाव स बोल वह आ त ह आ मा क आवाज और आ तवा य एक ही बात तो ह य कशा म कहा गया ह क मन य अपना ही सबस बड़ा म ह और श भी इसी कारआ त अथात व ान और स प ष स ष रखन वाला भी न हो जाता ह

वर वन ा गज स वत मालयप फला बभोजनमतणष श या शतजीणव कल न बधम यधनहीनजीवनम

भल ही मन य सह और बाघ आ द हसक जानवर स य वन म नवास करकसी पड़ पर अपना घर बना ल व क प और फल खाकर तथा पानी पीकर गजारा करल तनक क श या पर सो ल फट-परान व क छाल क कपड़ पहन ल परत अपनभाई-बध म धन स र हत अथात द र बनकर जीवन न बताए 12

इस ोक स यह बात भली कार प होती ह क नधनता एक कार का

अ भशाप ह चाण य का मानना ह क अ य सभी कार क क सहन कर सकता हपरत नधनता क कारण अपन सग-सब धय ारा कए जान वाल अपमान को सहन नहकर सकता नधन को कौन अपना मानता ह

व ो व त य मल च स या वदाः शाखाधमकमा ण प मत मा मल य नतो र णीय छ मल नव शाखा नप म

ा ण एक व क समान ह और स या अथात भ क उपासना और आराधनाउसक जड़ ह वद उसक शाखाए ह और धम-कम उसक प ह इस लए य नपवक जड़क र ा करनी चा हए य क जड़ क न हो जान पर न शाखाए रहगी न ही प 13

ा ण एक व क समान ह ातः और साय दो काल क बीच म जो समय पड़ताह उस स धवला कहत ह उस समय ा ण भ क पजा व उपासना करता ह यह उसकाआव यक कम ह यह ा ण पी व क फलन-फलन क जड़ ह अथवा आधार ह वदका ान उस व क शाखाए ह उसक धमानकल अ छ काय उसक प क समान हइस लए य नपवक उस व क मल क र ा करनी चा हए मल क र ा स ही व फलता-फलता ह य द जड़ ही न हो जाएगी तो व कस बचगा आचाय यहा कहत ह क यक

ा ण को स या करनी ही चा हए इसी स वह बल को ा त करता ह

माता च कमलादवी पता दवो जनादनःबा धवाः व णभ ा वदशो भवन यम

कमला दवी अथात ल मी जसक माता ह और सव ापक ी व ण जसक पताह भ क भ जसक भाई-बध ह ऐस प ष क लए तीन लोक अपन ही दश क समान ह14

एकव समा ढा नाना वणा वहगमाःभात दशस द त का प रवदना

रा क समय अनक रग- प वाल प ी एक व पर आकर बठत ह ातःकाल कसमय व सभी दस दशा म उड़ जात ह ऐस म या शोक करना 15

इस ससार पी प रवार म अनक बध-बाधव और र तदार उसी तरह आकर मलतह जस कार सायकाल होत ही अनक तरह क प ी बसरा लन क लए एक पड़ पर आबठत ह और समय आन पर अथात सय उदय होन पर व व भ दशा म चल दत हइसी कार एक प रवार म इकट ठ ए ब ध-बा धव भी समय आन पर बछड़ जात हइस लए उनक सबध म कसी कार का शोक करना उ चत नह ह

ब य य बल त य नब त कतो बलमवन सहो मदो म ः शशकन नपा ततः

जसक पास ब अथात ान ह उसक पास ही बल होता ह ब हीन कपास बल कहा जगल म अपनी श क मद म म त सह को एक खरगोश न मार डाला(यह इसी का माण ह) 16

पचत म भी इस कथा का उ लख ह जसम छोट स खरगोश न अपनी ब कबल स बलवान सह को भी मरन को ववश कर दया ब मान अपन बल का तोसही उपयोग करता ही ह वह सर क बल को भी अपन अनसार योग करन म सफल होजाता ह

का च ता मम जीवन य द ह र व भरो गीयतनो चदभकजीवनाय जननी त य कथ नमयतइ यालो य म म य पत ल मीपत कवलव पादा बजसवनन सतत कालो मया नीयत

य द भगवान व ण को सार ससार का पालन-पोषण करन वाला कहा गया ह तोमझ इस जीवन म कसी बात क चता करन क आव यकता नह य द भगवान व ण नहोत तो गभ म थत बालक क जीवन क लए माता क तन म ध कहा स आता बार-बार इस तरह का वचार करक ह तीन लोक क वामी म आपक चरण- कमल क सवाकरत ए अपना जीवन तीत कर रहा 17

भाव यह ह क स कता परम र ही सबका भरण-पोषण करता ह ऐसी थ त ममन य को कसी बात क चता नह करनी चा हए य क जो बालक गभ म ह उसकपालन-पोषण क लए माता क तन म ध पहल ही उ प हो जाता ह य द ऐसा ह तोचता कस बात क हा परम र का मरण करत ए उसक त अपनी कत ता का भावअव य कट करना चा हए

गीवाणवाणीष व श ब तथा पभाषा तरलोलपोऽहमयथा सराणाममत थतऽ प वगागनानामधरासव

चःस कत क अ त र म सरी भाषा का भी लोभी जस वग म व मान

दवता को अमत क ा त क बाद भी वग क अ सरा क ह ठ क रस का पान करनम च रहती ह 18

चाण य न इस ोक म स कत भाषा का वशष आदर करत ए यह सकत दया ह

क अ य भाषा को भी सीखना चा हए उनका मानना ह क य प स कत म सम त रसका वाद ह ल कन अ य भाषा का वाद भी व ान को चखना चा हए य क उनकाभी अपना एक वाद ह उसम त सबधी स क त और चतन क झलक और खशब मलतीह

अ ाद दशगण प प ाद दशगण पयःपयसोऽ गण मास मासाद दशगण घतम

अ स दस गणा अ धक श उसक आट म ह आट स दस गणा अ धक शध म ह ध स आठ गणा अ धक श मास म ह और मास स दस गणा अ धक श घी

म ह 19

शाकन रोगा वध त पयसा वधत तनःघतन वधत वीय मासा मास वधत

साग खान स रोग बढ़त ह ध स शरीर मोटा होता ह घी स वीय क व होती हऔर मास स मास बढ़ता ह 20

साग स रोग बढ़ना सकत करता ह क अ धकाश लोग उस भली कार धोकर योगम नह लात इस लए नरतर उनका सवन करन स रोग क व होती ह ध स शरीरबढ़ता ह बालक और कशोर को ध का सवन करना चा हए घी का अ धक सवन करनस वीय क व होती हmdashकम मा ा स यादा ऊजा मास खान स शरीर का मास बढ़ताह मोटाप स पी ड़त को इसक सवन स बचना चा हए इस कार चाण य कअनसार घी इन सब व त म माना गया ह जसस बल और वीय दोन क व होतीह

चाण य न व ा पी धन को सब धन म माना ह उनका कहना ह क जसमन य क पास व ा पी धन नह वह सब कछ होत ए भी lsquoहीनrsquo ह lsquoपहल सोच फरकरrsquo चाण य ऐसा करन क सलाह दत ह करन क बाद सोचन का तो कोई अथ ही नहह व ाथ क कत क ओर यान दलात ए आचाय फर कहत ह क जो व ाथ व ा

ा त करना चाहता ह उस सख क अ भलाषा छोड़ दनी चा हएचाण य का मानना ह क प षाथ क बावजद भा य स ही नधन स धनी

होता ह इस कार जीवन म भा य क मह वपण भ मका ह नय त क ग त को समझनाही ब म ा ह

चाण य यहा फर कहत ह क मन य को व ा पी धन ा त करना चा हए

दानशील होना चा हए धम स य होना चा हए परत जस मन य म ऐसी कोई भी बात नह वह प वी पर पश क समान ह और भार प ह को अपनी भीतरी यो यता का ानहोना चा हए जसम भीतरी यो यता नह और जो ब हीन ह वद आ द शा स भीउसका क याण नह हो सकता चाण य कहत ह क सदा ही रहता ह वहअपना वभाव कभी नह छोड़ता

अपन ब ध-बा धव र तदार म मन य को नधन होकर अपना जीवन नह बतानाचा हए उस चा हए क वह अपनी नधनता र करन का य न कर चाण य न इस ससारक रग-ढग का वणन करत ए कहा ह क जस कार सायकाल क समय अनक प ी एकव पर आकर बसरा लत ह और ातःकाल अपनी दशा म उड़ जात ह उसी कारब ध-बा धव भी मन य को सयोग स ही मलत ह इस लए उनक बछड़न का मन य कोशोक नह करना चा हए यह तो क त का नयम ह चाण य मन य क ब को हीउसका सबस बड़ा सहायक मानत ह उनका मानना ह क जब परम र ही ससार का पालनकरन वाला ह तो जी वका क चता य

अथ एकादशोऽ यायःयारहवा अ याय

जो सर क काय को बगाड़ता ह ढ गी ह अपना ही वाथस करन म लगा रहता ह सर को धोखा दता ह सबसष करता ह दखन म अ य त न और अ दर स पनी छरी

क समान ह ऐस ा ण को बलाव समझना चा हए

दात व यव व धीर वम चत ताअ यासन न ल य त च वारः सहजा गणाः

दान दन क इ छा मधर भाषण धय और उ चत अथवा अन चत का ान य चारगण मन य म सहज- वभाव स ही होत ह अ यास स इ ह ा त नह कया जा सकता 1

सहज का अथ हmdashसाथ म उ प अथात ज म क साथ वहार म इस कहत हlsquoखन म होनाrsquo इन गण म वकास कया जा सकता ह ल कन इ ह अ यास ारा पदा नहकया जा सकता

आज क भाषा म य द कह तो य गण आनव शक हmdashज स म ह प रवश इ हवक सत कर सकता ह बस इ ह थोड़ा-ब त तराश सकता ह वातावरण सहज औरअ यास ारा ा त गण म अतर होता ह सहज गण न नह होत जब क अ यास ाराज ह ा त कया जाता ह अन यास ारा व समा त हो जात ह

हा ऐसा दखन म आया ह क कभी-कभी सहज गण उ चत वातावरण न मलन ककारण सामन नह आ पात

आ मवग प र य य परवग समा यतवयमव लय या त यथा राजाऽ यधमतः

जो मन य अपन समदाय क लोग को छोड़कर सर क समदाय का सहारा लता हवह उसी कार न हो जाता ह जस सर क धम का आ य लन वाला राजा 2

राजा का कत होता ह क वह अपनी जा क र ा कर यही उसका धम ह य दवह अपन इस धम को छोड़ दता ह तो वह वय ही न हो जाता ह जस कार अपन वगक लोग का प र याग करक सर वग क लोग का आ य लन स न हो जाता हइसी लए को चा हए वह अपन धम म थत रह यहा धम का अथ lsquo व+भावrsquo भीलया जा सकता ह ीक ण न भी lsquo वधम नधन यःrsquo कहकर इसी बात क ओर सकतकया ह

ह ती थलतनः स चाकशवशः क ह तमा ोकशोद प व लत ण य त तमः क द पमा तमःव णा प हताः पत त गरयः क व मा ो ग रमतजो य य वराजत स बलवान थलष कः

ययःहाथी लब-चौड़ शरीर वाला होता ह परत उस ब त छोट स अकश ारा वश म कया

जाता ह द पक जलन पर अधकार न हो जाता ह तो या अधकार द पक क आकार काहोता ह हथौड़ क चोट करन स बड़-बड़ पवत गर पड़त ह तो या पवत का आकार-

कार हथौड़ स छोटा होता ह यक व त अपन तज क कारण ही बलवान होती ह लबा-चौड़ा शरीर कोई मायन नह रखता ह 3

कलौ दशसह ष ह र यज त म दनीमतदध जाह नवीतोय तदध ामदवता

लोग ऐसा मानत ह क क लयग क दस हजार वष समा त होन क बाद परमा माप वी का याग कर दत ह उसस आध अथात पाच हजार वष समा त होन पर गगा का जलप वी को छोड़ दता ह और उसक आध वष समा त होन पर गाव का दवता गाव छोड़करचला जाता ह 4

कछ लोग न इसका अथ इस कार भी कया ह क जब क लयग क समा त मदस हजार वष रह जाएग तब भगवान इस ससार को छोड़कर चल जाएग पाच हजार वषशष रहन तक गगा का जल समा त हो जाएगा और ढाई हजार वष शष रहन तक गाव कादवता गाव छोड़कर चला जाएगा कछ लोग का ऐसा वचार ह क क लयग म अधम बढ़जान स इस कार क थ त पदा होती ह

कछ व ान का मानना ह क चाण य जसा ब मान इस कार क बातनह कह सकता इस लए यह ोक बाद म जोड़ा गया ह अथात त ह यह ोक

गहाऽऽस य नो व ा नो दया मासभो जनःल ध य नो स य ण य न प व ता

जस क घर म अ धक आस ह घर म अ धक मोह और लगाव ह उसव ा क ा त नह हो सकती जो लोग मास खात ह उनम दया नह जो धन क लोभीहोत ह उनम स य नह होता तथा राचारी भचारी और भोग वलास म लग रहन वालमन य म प व ता का अभाव रहता ह 5

न जनः साधदशामप त ब कारर पश यमाणः

आमल स ः पयसा घतन न न बव ोमधर वम त

जस कार नीम क व को ध और घी स स चन पर भी उसम मठास पदा नहहोती उसी कार जन अनक कार स समझान-बझान पर भी स जन नह होपाता 6

जस तरह कछ शारी रक याए मन य क नय ण स बाहर होती ह इसी कारलब अ यास क प रणाम व प पड़ स कार क कारण कछ मान सक याए भी मन य कवश स बाहर हो जाती ह जस सगमड ायड न lsquoअवचतन मनrsquo कहा ह स जनता और

ता का सबध इसी मनो तर पर बठ मन य क या को नय त करन वाल स कारस ह इसी लए जब तक वहा प रवतन न हो कसी क मल वभाव को बदलना अ यतक ठन होता ह

अ तगतमलो तीथ नानशतर पन श य त यथा भा ड सराया दा हत च यत

जस का अतःकरण कामवासना आ द मल स भरा आ ह ऐसा मन य य दसकड़ बार भी तीथ- नान कर तो भी प व नह हो सकता बलकल उसी तरह जस कारशराब रखन का बतन आग पर जलान स भी श नह हो सकता 7

जस क मन वचार और अ तःकरण प व नह य द वह सकड़ तीथ मभी नान य न कर ल वह प व और न पाप नह हो सकता lsquoपापrsquo का सबध शरीर सनह अतःकरण स ह

न व यो य य गण कष स त सदा न द त नाऽच म

यथा कराती क रक भजाता म ाः प र य यबभ त ग ाः

जस कसी क गण क ता का ान नह वह सदा उनक नदा करता रहता हउसक ऐसा करन स कसी को आ य नह होता जस भीलनी हाथी क म तक म उ प होनवाली गजम ा को छोड़कर घघ चय क माला ही धारण करती ह 8

जसम कसी क वशषता अथवा गण को परखन का ान ही नह वह उसकक कस कार करगा गण क मह व को न जानन वाला य द उनक उप ा करताह अथवा नदा करता ह तो उसस कसी को भी आ य नह करना चा हए वह तो जगल मरहन वाली उस भीलनी क तरह ह जो हाथी क म तक स उ प होन वाल मो तय कोछोड़कर घघ चय क ही माला धारण करती ह उस इस बात का ान ही नह होता कहाथी क म तक म उ प होन वाल (गजम ा) मोती कतन म यवान होत ह गण का म यगणी ही लगा पाता ह

य त सव सर पण न य मौनन भ तयगको टसह त वगलोक महीयत

जो पर वष तक मौन रहकर चपचाप भोजन करता ह वह एक करोड़ वषतक वग म आदर-स मान ा त करता ह 9

अथ यह ह क जो अपन धम का पालन करत ए सदाचारपवक म करताह और जो कछ भी अ जत करता ह उसस सत रहता ह उसस सभी दवी-दवता स रहतह अथात उस कसी कार क क का मख नह दखना पड़ता उसका सभी जगह स मानहोता ह यहा मौन का अथ ा त क सहज वीक त हmdashचप रहना नह

काम ोध तथा लोभ वाद शगारकौतकअ त न ाऽ तसव च व ाथ वजयत

व ाथ क लए आव यक ह क वह काम ोध लोभ वा द पदाथ क इ छाशगार खल-तमाश अ धक सोना और चापलसी करना आ द इन आठ बात का याग करद 10

अक फलमलन वनवासरतः सदाक तऽहरहः ा म ष व ः स उ चत

जो बना खती क ई भ म स उ प होन वाल फल और कदमल आ द को खाकरनवाह करता ह और सदा जगल म रहकर ही स रहता ह और जो त दन ा करताह ऐसा ा ण ऋ ष कहलाता ह 11

ऐस ा ण को ऋ ष इस लए कहा जाता ह य क उसका जीवन सवथा क त क

अनकल ह वह वन म बना कसी य न क उ प होन वाल फल और कदमल आ द कोखाकर अपना जीवन नवाह करता ह अ पदा करन स होन वाल दोष का भी उस पर

भाव नह होता मह ष कणाद क बार म च लत ह क व फसल क कट जान क कछ दनबाद प वी पर गर अ कण को एक त करक अपनी भख को शात कया करत थ फसलकटन क कछ दन बाद इस लए य क उस अ पर प य का अ धकार होता ह ऐसा

कभी स वगण म थत हो ही नह सकता जो सर क अ धकार को छ नन वाला होजस वन म रहना ही अ छा लगता ह त दन ा आ द व दक अन ान कर जो अपनपतर को त त करता ह ऐस ा ण को ही ऋ ष कहा गया ह ऐसा जीवन सा वककहलाता ह

एकाहारण स त ः षट कम नरतः सदाऋतकाला भगामी च स व ो ज उ यत

एक समय भोजन करन स जो सत ह जो न य अपन कत को परा करतारहता ह ी का सग ऋतकाल म कवल सतान क उ प करन क लए ही करता हउपभोग क लए नह ऐस ा ण को ही ज कहा जाता ह 12

चाण य न यहा यक वण क लोग का कत बतान का य न कया ह य दयक वण का अपन कत का भली कार पालन करता रह तो दश म शा त और

सख बना रह जब लोग अपना कत भलकर गलत आचरण करन लगत ह अन धकारच ा करत ह तो राचार क साथ-साथ समाज म अशा त भी फलती ह

लौ कक कम ण रतः पशना प रपालकःवा ण यक षकता यः स व ो व य उ यत

सदा सासा रक काय म सल न पश क पालक ापार और खती आ द करनवाल ा ण को व य कहा जाता ह 13

ला ा दतलनीलाना कस भमधस पषामव ता म मासाना स व ः श उ यत

जो ा ण व क लाख तल नील कपड़ आ द रगन का रग शहद घी शराबमास आ द चीज का ापार करता ह उस श कहत ह 14

यहा प ह क चाण य ज म स कसी को उ च कल का अथवा ा ण नहमानत व कम क अनसार ही वण क वभाजन म व ास रखत ह ऐसी थ त म कम कप रवतन स उसक वण-जा त क सभावना को खला रखा जा सकता ह ल कनसामा जक तर पर ऐसा हो पाना उतना आसान नह ह य क पव थ त म बनाए गएसबध को तोड़ पान या उ ह नभान म आन वाली क ठनाइय का ावहा रक हल ढढ़ पानम अ सर चक हो जाती ह इस कस आसान और सहज बनाया जाए यह अपन आप म

एक वचारणीय वषय ह

परकाय वह ता च दा भकः वाथसाधकःछली षी म ः रो व ो माजार उ यत

जो सर क काय को बगाड़ता ह ढ गी ह अपना ही वाथ स करन म लगारहता ह सर को धोखा दता ह सबस ष करता ह ऊपर स दखन म अ यत न औरअदर स पनी छरी क समान ह ऐस ा ण को बलाव कहा गया ह 15

जस का यान सदा सर क काय बगाड़न म लगा रहता ह जो सदा हीअपन वाथ क स म लगा रहता ह लोग को धोखा दता ह बना कारण क ही उनसश ता रखता ह जो ऊपर स कोमल और अ दर स र ह उस ा ण को बलाव क समाननक पश माना गया ह

वापी कप तडागानामाराम सर व मनामउ छदन नराऽऽशकः स व ो ल छ उ यत

जो ा ण पानी क थान बावड़ी कआ तालाब बाग-बगीच और म दर म तोड़-फोड़ करन म कसी कार का भय न अनभव करत ह उ ह ल छ कहा जाता ह 16

पीन क जल वाल थान उ ान और म दर आ द क नमाण का धम थ मअ य धक मह व ह ऐस काय करना बताता ह क उ ह करन वाला कवल अपन बार म हीनह और क बार म भी सोचता ह

जो अपन स सर को मान जन हत क चतन म लीन रह वही ा ण हपरोपकार क भावना ही ा ण क प रचा यका ह और जो इ ह न करन वाला होक णा वहीन और र हो वह ा ण कस हो सकता ह ऐस को तो त छ या ल छही कहना चा हए

दव ग परदाराऽ भमशनमनवाहः सवभतष व ा डाल उ यत

जो दवता और ग क धन को चरा लता ह सर क य क साथ सहवासकरता ह और जो सभी तरह क ा णय क साथ अपना जीवन गजार लता ह उस ा णको चा डाल कहा जाता ह 17

दय भो यधन सदा सक त भन स चत कदाीकण य बल व मपतर ा प क तः थता

अ माक मध दानभोगर हत न चरा स चतनवाणा द त पा णपादयगल घष यहो म काः

शहद का स ह करन म आदश मधम खय को भी प ा ाप करना पड़ता हय क शहद का दान न करन स शहद न हो जाता ह इसी कार कछ लोग धन का दान

नह करत और जब वह न होन लगता ह तो प ा ाप करत ह जब क कछ लोग अपन धनका दान क प म उ चत योग करत रहत ह राजा ब ल कण और व मा द य दान करनक कारण ही आज तक समाज म स मान क पा ह 18

आचाय चाण य न इस ोक म दान का माहा य बताया ह आम लोग क धारणाह क दान दकर व लोग पर उपकार करत ह यह थम म सही भी ह ल कन यथाथइसस हटकर ह य द दान न कया जाए तो या होगा आचाय क अनसार इसका उ र हधन का वनाश याग स द गई व त न नह होती ब क बढ़ती ह जब क सकोच स वहसड़-गल जाती ह न हो जाती ह इस नयम क अनसार दान ारा दानकता अपन धन कव का माग श त करता ह इतना ही नह ऐसा करन स उसक यश म भी व होती हइसस सौदा और या हो सकता ह

दान को अकसर लोग धन स जोड़कर दखत ह वा त वकता ऐसी नह ह अ कादान व ा का दान वा य का दान आ द अ य भी दान क प ह स जन य काधन सदा दान करन क लए ही होता ह व कभी उसका सचय नह करत य क दान करनक कारण ही दानवीर कण महाराज ब ल और व मा द य का यश आज भी ससार म फला

आ ह चाण य न वण क अनसार कम क ा या क ह और यह प कया ह क अपन कछ गण क कारण ही सदा याद कया जाता ह

चाण य कहत ह क कछ बात मन य म वाभा वक प स होती ह उ ह कवलअ यास स ा त नह कया जा सकता दान म च मधर भाषण क इ छा मधरता वीरताय गण मन य को वभाव स ही ा त होत ह अ यास स कवल इनम व क सकती हतराशा जा सकता ह बस चाण य कहत ह क मन य को अपना वभाव नह छोड़नाचा हए य क जो अपन वभाव और कम को छोड़कर सर क आ य म जाता ह वह नहो जाता ह

चाण य कहत ह क मोट शरीर को दखकर ऐसा नह मानना चा हए क वह ब तबलवान हो सकता ह लब-चौड़ शरीर वाला हाथी छोट स अकश स वश म कर लया जाताह इसी कार द पक क छोट -सी ली वष क अधकार को पलभर म न कर दती ह इतनाही नह अपन स कई गना लबाई-चौड़ाई म वह काश फलाती ह बड़- बड़ पहाड़ औरशला को हथौड़ क चोट स तोड़ा जा सकता ह जब क हथौड़ का आकार-भार पहाड़और शला स ब त कम होता ह इस लए लब-चौड़ शरीर को दखकर यह नह मान लनाचा हए क वह बलवान ह

चाण य क अनसार व ाथ को व ा क ा त क समय घर स मोह नह रखनाचा हए य द वह घर क मोह म फसा रहगा तो उस व ा ा त नह होगी उनका कहना हक को जतना भी समझाया जाए वह ही रहता ह उसका स जन बननाउसी कार असभव ह जस नीम क पड़ को ध घी चीनी आ द स स चन पर भी उसममठास पदा नह क जा सकती इसी सबध म व आग कहत ह क जस मन य काअतःकरण श नह य द वह अनक बार तीथया ा भी करता ह तो भी वह प व नह होसकता

आचाय का मानना ह क गण क ता को समझना यक क बस क बातनह ह जो उसक गण को नह समझता वह उसक नदा करन लगता ह व ाथ क लएकछ और हदायत दत ए चाण य कहत ह क व ाथ को काम ोध लोभ मोह खल-तमाश और शगार तथा अ धक सोन स बचना चा हए य क य गण ह और इनस उसकमन म व प पदा होता ह इनस उसक ऊजा का य होता ह जसस एका ता पर असरपड़ता ह ा ण य आ द वण क सबध म बतात ए चाण य कहत ह क जो कदमल फल खाकर अपना जीवन बताता ह जो त दन पतर का ा करता ह ऐस

ा ण को ऋ ष कहा जाता ह इस कार ऋ ष वह ह जो सयमी ह और अपन पवज कत जसक मन म स मान का भाव ह जो एक समय क भोजन स सत रहता ह

तथा अ ययन-अ यापन का काम करता ह उस ज कहत ह जो ा ण ससार क कामम लगा आ ह और पशपालन खती आ द करता ह उस व य कहा जाता ह जो ा णक सवा करता ह और शराब मास आ द बचकर अपनी जी वका चलाता ह उस श कहतह उनका कहना ह क ा ण का कत यह ह क वह अ य लोग क काय क स मउनक सहायता कर सर स छल-कपट न कर जो ा ण सावज नक थल जसmdashबावड़ी कआ तालाब म दर और पाक आ द को अप व करता ह वह ल छ ह

जो ा ण और व ान क धन को चरा लता ह सर क य का स मान नहकरता और सभी कार क लोग क साथ जीवन बता लता ह वह ा ण न होकर चा डालह

अत म चाण य कहत ह क स जन और महा मा धन को कभी इकट ठा नहकरत व उस दान दन क व त समझत ह व इसका योग धम ारा यश ा त क लएकरत ह जब क कजस धन का योग अपन पर और वय पर भी नह करत ऐसा धन नहो जाता ह तब कजस क पास पछतावा करन क अलावा कछ नह बचता क धन कग त भी वषय क भोग म होती ह वषय भोग णक होन क कारण अपना फल भी उसी

प म दत ह वह सख- ख दत ह

अथ ादशोऽ यायः बारहवा अ याय

ब मान मन य को भोजन ा त क सबध म चता नहकरनी चा हए उस कवल धम-कम क सबध म चतन करनाचा हए य क मन य क ज म क समय ही भोजन का बधहो जाता ह

सान द सदन सता स धयः का ता याला पनीइ छाप तधन वयो ष तर तः वाऽऽ ापराःसवकाःआ त य शवपजन त दन म ा पान गहसाधोः सगमपासत च सतत ध यो गह थाऽऽ मः

उसी का घर सखी हो सकता ह जसक प और प या अ छ ब स य ह जसक प नी म भा षणी हो जसक पास प र म हो ईमानदारी स पदा कया आ धनहो अ छ म ह अपनी प नी क त म और अनराग हो नौकर-चाकर आ ा का पालनकरन वाल ह जस घर म अ त थय का आदर-स मान होता ह क याणकारी परम र कउपासना होती ह घर म त दन अ छ मीठ भोजन और मधर पय क व था होती हसदा स जन प ष का सग अथवा सग त करन का अवसर मलता ह ऐसा गह थ आ मध य ह शसा क यो य ह 1

आदश गह थ का प- व प कसा होना चा हए इस ओर आचाय न इस ोक मप प स इशारा कया ह

आतष व ष दया वत यत या व पमप तदानमअन तपार समप त राजन यद द यत त लभद

ज यःदयाल और क णा स य मन य खी ा ण को ा स जो कछ भी दान दता

ह ह राजन वह दान दन वाल को उतना ही ा त नह होता ह भ क कपा स उसमकाफ व होती ह और वह दान दन वाल को भली- कार मलता जाता ह 2

कबीर आ द अनक सत न भी इस बात क प क ह क lsquoदान दए धन न घटrsquoअथात दान करन स दान दन वाल क धन म कमी नह आती ब क उसम प य क प मव ही होती ह

दा य वजन दया परजन शाठ य सदा जनी तः साधजन मयः खलजन व जन चाजवम

शौय श जन मा ग जन नारीजन ध ताइ थ य प षाः कलासकशला त ववलोक थ तः

अपन ब ध-बा धव क साथ वही सख स रह सकता ह जो उनक साथस जनता और न ता का वहार करता ह सर लोग पर दया और जन क त भीउनक अनकल वहार करता ह स जन लोग स जो म रखता ह क त जो कठोरहोता ह और व ान क साथ सरलता स पश आता ह जो श शाली लोग क साथशरवीरता और परा म स काम लता ह ग माता- पता और आचाय क त जोसहनशीलतापण वहार रखता ह तथा य क त अ धक व ास न करक जो उनक

त चतराईपण वहार करता ह वही कशलतापवक इस ससार म रह सकता ह 3

ह तौ दान वव जतौ तपटौ सार वत ो हणौन साध वलोकनन र हत पादौ न तीथ गतौअ याया जत व पणमदर गवण तग शरोर र ज बक म च म च सहसा न स न वपः

जसक दोन हाथ कभी दान आ द क काय म नह लग अथात जसन जीवन मकभी दान न दया हो कान स वद आ द शा का वण नह कया अथात उनस षकरता रहा हो अपन दोन न स स जन प ष क दशन नह कए पर स तीथया ा नहक माता- पता तथा आचाय क सवा क लए जो उनक पास कभी नह गया जसन

अ याय स धन इकट ठा करक अपनी आजी वका चलाई इतन पर भी जो आदमी अ भमानस सर ऊचा उठाकर चलता ह ऐस क लए चाण य कहत ह क ह गीदड़ क समाननीच मन य त तो नीच लोग स भी नीच ह त अ यत नदनीय ह इस लए जतनी ज द होसक इस नीच शरीर को याग द अथात तर इस कार क जीवन स तरा मर जाना अ तउ म ह 4

प नव यदा करीर वटप दोषो वस त य कनोलकोऽ यवलोकत य द दवा सय य क षणमवषा नव पत त चातकमख मघ य क षणय पव व धना ललाट ल खत त मा जत कः

मय द करील नामक पौध पर प नह नकलत तो इसम वसत ऋत का या दोष ह

य द उ ल को दन म दखाई नह दता तो इसम सय का या दोष ह य द चातक क च चम वषा का पानी नह टकता तो इसम बादल का या दोष ह ससार को बनान वाल ा नमन य क भा य म जो कछ लख दया ह उस कोई भी नह मटा सकता वह उस अव यभोगना पड़ता ह 5

चाण य यहा कहत ह क जसक भा य म जो कछ लखा ह उस कोई नह मटासकता ल कन आचाय भा यवाद भी नह ह

स सगाद भव त ह साधता खलाना साधना न हखलसगमा खल वमआमोद कसम-भव मदव ध मद ग ध न हकसमा न धारय त

स जन क स सग स जन मन य भी स जन हो सकता ह परत स जन प ष म क सग त स ता वस ही नह आती जस फल स उ प होन वाली सगध मट ट म तो

आ जाती ह परत मट ट क गध फल म नह आ पाती ह 6इसका अथ यह ह क जसका जो वा त वक वभाव ह उसम प रवतन नह होता

अथात ऐसा वभाव जो प रवतनशील नह ह माना जाता ह का स जन क सग सस जन बन जाना और क सग स स जन का स जन ही बन रहना इस बात क पकरता ह क स जनता मन य का स चा वभाव ह

साधना दशन प य तीथभता ह साधवःकालन फलत तीथ स ः साधसमागम

स जन प ष क दशन स प य ा त होता ह य क साध प ष अपन आपम

सा ात तीथ व प होत ह तीथ तो अपन समय क अनसार ही फल दता ह परत साधका सग करन स ज द ही मन क आशाए पण हो जाती ह 7

व ाऽ म गर महान कथय क ताल माणा गणःको दाता रजको ददा त वसन ातगही वा न शको द ः परदार व हरण सवऽ प द ो जनःक मा जीव स ह सख वषक म यायनजीवा यहम

कोई राही अथवा या ी कसी नगर म प चकर कसी ा ण स पछता ह क हा ण मझ बताओ क इस नगर म कौन सबस अ धक महान ह उस ा ण न उ र

दया ताड़ क व का झड या ी न फर कया क इस नगर म दाता कौन ह उसउ र मला धोबी ही यहा का सबस बड़ा दाता ह जो ातःकाल कपड़ धोन अथवा रगन कलए ल जाता ह और सायकाल क समय लौटा दता ह या ी न फर पछा क इस नगर मचतर कौन ह तो ा ण न उ र दया क इस नगर क सभी सर का धनऔर उनक ी का हरण करन म चतर ह या ी न फर पछा क ऐसी अव था म त हाराजीवन यहा कस बीतता ह ा ण न उ र दया क म वष म पदा होन वाल क ड़ कसमान जो उसी म उ प होता ह ल कन फर भी वष क भाव स म रहता ह वष काउस पर कोई असर नह होता म उसी कार इन लोग क साथ अपना जीवन बता रहा 8

तकल प र थ तय म जीन का स ह यह वष क म यायन व पादोदककदमा न नवदशा व नग जता नवाहा- वधाकार- वव जता न मशानत या न

गहा ण ता नजन घर म ा ण क पाव धोन वाल जल स क चड़ न आ हो जहा वद आ द

शा क पाठ न होत ह जसम वाहा और वधा इन श द का उ चारण न होता हो व घरमशान क समान ह 9

जन घर म ा ण का आदर-स कार नह होता जहा वद आ द शा क व ननह गजती जस घर म अ नहो अथात होम आ द शभकम नह होत ह उस मशान कसमान समझना चा हए वह घर मद का नवास थान ही माना जाएगा वहा जीवनी शनह होती

स य माता पता ान धम ाता दया वसा

शा तः प नी मा प ः षडत मम बा धवाःकसी सासा रक प ष न कसी सत-महा मा को अ यत आनद क थ त म दखकर

उनस उनक बध-बाधव क बार म पछा तो सत न उ र दया-स य ही मरी माता ह और ानमरा पता ह धम ही मरा भाई ह और दया मरी बहन ह शा त मरी प नी ह और मा औरसहनशीलता मर प ह यह छह ही मर प रवार क सद य ह मर ब ध-बा धव ह मरर तदार ह 10

अ न या न शरीरा ण वभवो नव शा तःन य स हतो म यः कत ो धमस हः

यह शरीर अ न य ह अथात नाशवान ह धन-स प भी सदा कसी क पास थरनह रहती म य सदव यक क पास रहती ह इस लए यक को धमाचरण करनाचा हए 11

मन य जानता ह क जसन इस ससार म ज म लया ह वह मरगा अव य धन भीकसी क पास सदा थर नह रहता सबको इस ससार स एक दन वदा लनी ह इस लएउसका कत ह क वह इस ससार म धमाचरण ारा धम का सचय कर य क धम हीमन य क म य क बाद उसका साथ दता ह अपन अ छ आचरण क कारण ससार म उसयाद कया जाता ह

आम णो सवा व ा गावो नवतणो सवाःप य साहयता नायः अह क णरसो सवः

कसी ा ण क लए भोजन का नम ण मलना ही उ सव ह गौ क लए ताजीनई घास ा त होना ही उ सव क समान ह प त म उ साह क व होत रहना ही य कलए उ सव क समान ह और मर लए मर लए तो ीक ण क चरण म अनराग ही उ सवक समान ह 12

मातवत परदारा पर ा ण लो वतआ मवत सवभता न यः प य त स प य त

जो सरी य को माता क समान दखता ह सर क धन को मट ट कढल क समान समझता ह और ससार क सभी ा णय को अपनी आ मा क समान दखताह वा तव म वही यथाथ को दखता ह 13

जो सर क य को अपनी माता क समान आदर दता ह सर क धनअथवा उनक ह स को हड़पन क इ छा नह करता और सभी ा णय क साथ वह उसी

कार का वहार करता ह जसा अपन साथ वहार कए जान क इ छा रखता ह ऐसा ही ब मान ह अथात उसका इस कार का आचरण ही उस बनाता ह आचाय

क अनसार कस कस दखना ह इस वह जानता ह

धम त परता मख मधरता दान सम साहताम ऽव चकता गरौ वनयता च ऽ त ग भीरता

आचार श चता गण र सकता शा ष व ानताप स दरता शव भजनता स वव स यत

धम म नरतर लग रहना मख स मीठ वचन बोलना दान दन म सदव उ सक रहनाम क त कोई भद-भाव न रखना ग क त न ता और अपन दय म गभीरता अपनआचरण म प व ता गण क हण करन म च शा का वशष ान प म स दय और

भ म भ आ द का होनाmdashय गण स जन प ष म ही दखाई दत ह 14

का क पत ः सम रचल ताम णः तरःसय ती करः शशी यकरः ारो ह वारा धःकामो न तनब ल द तसतो न य पशः कामगौ-नता त तलया म भो रघपत क योपमा द यत

सबक कामना क प त करन वाला क पव लकड़ी ह सम एक पवत हचता को र करन वाली म णmdash चताम ण एक प थर ह सय भयकर प स चडकरण वाला ह च मा क कलाए ीण होती रहती ह सम खारा ह कामदव का कोईशरीर नह दानशील ब ल द य ह कामधन अथात सबक इ छा पण करन वाली गाय एकपश ह म इन सबको आपक समान अथात आपक बराबर नह समझता ह भ रामआपक तलना कसक साथ क जाए अथात आप अतलनीय ह 15

वनय राजप यः प डत यः सभा षतमअनत तकार यः ी यः श त कतवम

सभी थान स कछ न कछ सीख सकता ह उस राजप स न ता औरसशीलता व ान स य वचन बोलना जआ रय स म या-भाषण अथात सही थ त कापता न लगन दना और य स छल करना सीखना चा हए 16

इस ससार म कछ भी ऐसा नह ह जो उपयोगी न हो बस उसका सही समय परसही तरह स उपयोग आना चा हए म या भाषण और छल भी जीवन म उपयोगी होत हइनका उपयोग उ ह क त कर जो आपको इनम उलझाए लोह को लोहा ही काटता ह

अनालो य य कता नाथः कलह यःआतरः सव ष नरः शी वन य त

जो बना वचार और बना दख श स अ धक खच करता ह नबल होनपर भी जो लड़ाई-झगड़ म च रखता ह सभी वण क य स जो सभोग क लए

उतावला रहता ह वह ज द ही न हो जाता ह 17

नाहार च तयत ा ो धममक ह च तयतआहारो ह मन याणा ज मना सह जायत

ब मान मन य को भोजन ा त क सबध म चता नह करनी चा हए उस कवलधम-कम क सबध म चतन करना चा हए य क मन य क ज म क समय ही भोजन का

बध हो जाता ह ार ध ारा कर दया जाता ह 18ब मान खानपान क चता कए बना धम-काय म लग रहत ह कत का

नवाह करन वाल क इ छाए क त परी करती हआचाय क इस कथन स उ ह भा यवाद मानन क भल नह करनी चा हए यहा

आचाय यह कहना चाह रह ह क को अपन कत का करना चा हए कत कदशा य द सही हो तो उसक कामना क प त सहज म होन लगती ह कई सत -महाप ष का जीवन इस कथन क प करता ह

जल ब नपातन मशः पयत घटःस हतः सव व ाना धम य च धन य च

जस बद-बद स घड़ा भर जाता ह उसी कार नरतर इकट ठा करत रहन स धनव ा और धम क ा त होती ह 19

वयसः प रणामऽ प यः खलः खल एव सःसप वम प माधय नोपयाती वा णम

जो ह वह प रप व अव था का हो जान पर भी ही बना रहता हजस इ ायण का फल पक जान पर भी मीठा नह होता कड़वा ही बना रहता ह 20

यह आव यक नह ह क आय क बढ़न क साथ-साथ अपन वभाव म भीप रवतन कर सक अ धकाश जो और जन होत ह अपन जीवन क अ तम

थ त तक ही बन रहत ह उनक जीवन म कोई वशष प रवतन नह आता जसकार इ ायण नामक फल परी तरह पक जान पर भी कड़वा ही रहता ह उसी कार मन य

अपन वभाव को छोड़न म असमथ रहता ह

अ याय क ारभ म चाण य उस गह थ को सखी बतात ह जसक घर म मगलकाय होत रहत ह जसक सतान ब मान हो प नी मधरभा षणी हो जसन स कम सधन क ा त क हो जसक म समय पर उसका साथ दन वाल ह नौकर आ द उसक

आ ा का पालन करन वाल ह जहा अ त थय का वागत-स कार होता हो जो गह थनत- नयम स भ क उपासना करता हो और जस घर म त दन वा द भोजनबनता हो ऐसी गह थी ही शसनीय होती ह अथात ऐसा गह थ सदव सखी रहता ह

दान का मह व बतात ए चाण य न अनक थान पर कहा ह क दान दन स धनक कमी नह होती हा यो य और व ान ा ण को ही दान दना चा हए य क ऐस

को दया आ दान कई गना होकर मलता ह असल म दखा जाए तो धन का दानकरना तो इस लए भी लाभ द ह य क ऐसा करक यश और प य क ा त करताह जो धन क अप ा ब त यादा समय तक रहन वाली ह

इस ससार म न य ऐस कम होत ह जनस कसी क न होन का भय-सा बनारहता ह जस न अपन हाथ स कभी दान नह दया कान स कभी शा वचन नहसन आख स कभी स जन य क दशन नह कए और जो कभी तीथ पर भी नहगया चाण य कहत ह क ऐसा जीवन थ ह

होनी बड़ी बल होती ह यह बात सभी जानत ह अपनी होनी अथवा भा य ककारण करील क व पर प नह होत तो इसक लए वसत को दोषी नह माना जा सकताय द उ ल को दन म दखाई नह दता तो उसम सय का या अपराध ह इस लए जो कछभा य म लखा ह उसक त कसी को दोष दना उ चत नह एक ब त ही उपयउदाहरण दकर आचाय चाण य न कहा ह क क पास रहन स भी स जन अपनी स जनता का याग नह करता जब क स जन क सग त म आकर स जन बनसकता ह स जन क सबध म आचाय का कहना ह क उनक दशनमा स प य फल क

ा त होती ह परत जहा कोई स जन प ष नह होता वहा का जीवन भी वष क उसक ड़ क समान होता ह जो वष म ही उ प होता ह और वष म ही मरता ह इस ोकका आशय यह भी हो सकता ह क जस कार वष का क ड़ा वष स अ भावी रहता हउसी कार म रहन पर भी स जन गण स कोस मील र रहता ह

चाण य न आदश घर उस माना ह जहा ा ण का स मान होता ह उनक सवाहोती ह जहा वद म और शा क व न गजती रहती ह और अ नहो स वातावरणसग धत रहता ह जहा यह सब नह होता ऐसा धम-कम र हत घर मशान क समान होताह ऐस घर म नकारा मक ऊजा का नवास हो जाता ह चाण य कहत ह क मन य कोचा हए अ य बात क ओर स यान हटाकर अपना मन धम क काय म लगाए

आचाय क अनसार जो सर क ी को माता क समान दखता ह सर कधन को त छ समझता ह और सब ा णय को अपन समान मानता ह सदव धम म लगारहता ह कट वचन नह बोलता जसम दान क व होती ह म स जो कसी कारका छल-कपट नह करता ग क त जो न रहता ह जसका अतःकरण सम क समानगभीर ह जो आचरण म प व शा को जानन वाला और हर समय भ को याद रखनवाला ह वही स जन ह

भगवान राम क सबध म चाण य कहत ह क व क पव स भी ह सम पवतस भी अ धक धनी ह उनका तज सय स भी अ धक ह व कामधन स भी अ धकमनोकामनाए परी करन वाल ह इस लए उनक उपासना करनी चा हए

इन ोक स लगता ह क आचाय चाण य भगवान ीराम क मयादा पण जीवनतथा नी तय स भा वत थ

अथ योदशोऽ यायः तरहवा अ याय

जस कार हजार गाय म बछड़ा कवल अपनी मा क हीपास आता ह उसी कार जो कम कया जाता ह वह कमकरन वाल क पीछ-पीछ चलता ह

म तम प जीव च नरः श लन कमणान क पम प क न लोक य वरो धना

मन य को य द एक म त अथात 48 मनट का जीवन भी मल तो उस उ म औरप य काय करत ए जी वत रहना चा हए य क ऐसा ही जीवन उ म ह परत इस लोकऔर परलोक म कम करत ए हजार वष जीना भी थ ह 1

चाण य का भाव यह ह क मन य का जीवन ब त भा य स मलता ह य द जीवनब त छोटा भी हो तो भी उस अ छ कम करत ए जी वत रहना चा हए बर काम करत एहजार साल का जीवन भी थ ह मन य का धम ह क अ छ कम करता आ अपनजीवन को बताए आय क साथकता शभ कम स ह

गत शोको न कत ो भ व य नव च तयतवतमानन कालन वत त वच णाः

जो बात बीत चक ह उन पर शोक नह करना चा हए और भ व य क भी चतानह करनी चा हए ब मान लोग वतमान समय क अनसार काय म लग रहत ह 2

को चा हए वह बीती ई बात पर शोक करन म थ समय न गवाए उस

इस बात क भी चता नह करनी चा हए क आग या होन वाला ह अतीत हाथ स नकलचका ह तो भ व य क कवल क पना क जा सकती ह इस लए ब मान कोवतमान थ तय क अन प अपन काम म लग रहना चा हए इसस बीत कल म ई भलको ठ क कया जा सकता ह और आन वाल कल को एक उ म आधार दया जा सकता ह

वभावन ह त य त दवाः स प षाः पताातयः नानपाना या वा यदानन प डताः

दवता स जन और पता वभाव स सत होत ह ब ध-बा धव अ छ खानपान सजब क प डत ( ववकशील) मधर भाषण स ही स हो जात ह 3

दवता स जन और पता कवल क वभाव को दखत ह पता अपनप क वभाव स ही स होता ह र तदार ब ध-बा धव अ छ खानपान स खश रहत हअथात य द उनक खानपान स अ छ आवभगत क जाए तो वह स रहत ह और व ानमीठ बात स ही स हो जात ह इसी बात को कछ इस तरह भी कहा जा सकता हदवता स जन और पता अपन पजक और सत त स सदा ही सत रहत ह

अहो बत व च ा ण च रता न महाऽऽ मनामल म तणाय म य त तद भारण नम त च

महा मा और स जन का च र बड़ा व च होता ह व धन को तनक क समानसमझत ह परत तब उसक भार स वह झक जात ह अथात वन बन जात ह जब वहआता ह 4

स जन धन को तनक क समान अथात अथहीन समझत ह परत य द इनक पासधन आ जाए तो व और भी न हो जात ह अथात धन क आन पर भी उ ह अ भमान नहहोता व उसी कार झक जात ह जस कार फल स लद ए व क टह नया नम होजाती ह

य य नहो भय त य नहो ःख य भाजनमनहमला न ःखा न ता न य वा वस सखम

जसका कसी क त नह अथवा म होता ह उसी स उसको भय भी होता हनह अथवा म ही ख का आधार ह नह ही सार ख का मल कारण ह इस लए उननह ब धन को यागकर सखपवक रहन का य न करना चा हए 5

अनागत वधाता च य प म त तथाावतौ सखमधत यद भ व यो वन य त

आन वाल क को र करन क लए जो पहल स ही तयार रहता ह और जो वपआन पर उस र करन का उपाय सोच लता ह य दोन कार क अपन सख क व

करत ह अथात सखी रहत ह तथा जो यह सोचता ह क जो भा य म लखा ह वही होगाऐसा न हो जाता ह 6

चाण य न कहा ह क सकट आन स पव जो बचाव का उपाय कर लता हऔर जो सकट आन पर त काल आ मर ा का उपाय कर लता हmdashय दोन सख स जीवनबतात ह परत जो भा य क लख क अनसार सोचता ह क दखा जाएगा वह न हो जाताह

रा ध म ण ध म ाः पाप पापाः सम समाःराजानमनवत त यथा राजा तथा जाः

राजा क धमा मा होन पर जा भी धा मक आचरण करती ह राजा क पापी होनपर जा भी पाप म लग जाती ह राजा उदासीन रहता ह तो जा भी उदासीन रहन लगतीह य क जा वसा ही आचरण करती ह जसा राजा करता ह 7

जीव त मतव म य द हन धमव जतममतो धमण सय ो द घजीवी न सशयः

चाण य कहत ह क म धम स र हत अधम को जी वत रहन पर भी मर एक समान समझता जब क धमय मन य म य क बाद भी जी वत रहता ह इस बात मकसी कार का स दह नह 8

म य क बाद धा मक क जीन का अथ यह ह क क क त उसकायश उसक अ छ काय क कारण अमर रहत ह अधा मक तो जी वत रहता आ भीमर क समान ह य क न तो उस कोई पछता ह और न ही उसका समाज म कोई स मानहोता ह

धमाथकाममो ाणा य यकोऽ प न व तअजागल तन यव त य ज म नरथकम

जस मन य क पास धम अथ काम और मो इन चार म स एक चीज भी नह हउसका ज म बकरी क गल म लटकत ए तन क समान नरथक होता ह 9

द मानाः सती ण नीचाः परयशोऽ ननाअश ा त पद ग त ततो न दा कवत

नीच मन य सर क यश को बढ़ता आ दखकर उसक यश पी क त सजलत ह और जब उस पद को ा त करन म असमथ रहत ह तब उस क नदा करनलगत ह 10

सर को तर क करता दखकर उसस जलन लगत ह उसक क त पीआग उ ह जलाती रहती ह जब व उस क त को ा त करन म असमथ रहत ह तब उस

क नदा करन लगत ह

ब धाय वषयाऽऽस म य न वषय मनःमन एव मन याणा कारण ब धमो योः

मन य अपन वचार क कारण ही अपन आपको ब धन म फसा आ मानता हऔर अपन वचार क कारण ही अपन आपको बधन स म समझता ह वषय-वासनाएही मन य क बधन क कारण ह और वषय-वासना स म होकर ही मन य को मो

ा त होता ह 11

दहा भमान ग लत व ात परमा म नय य मनो या त त त समाधयः

अपन शरीर क अ भमान स न हो जान पर अपन आपको परमा मा स य जानलन पर मन जहा-जहा जाता ह वहा-वहा ही उस समा ध स य समझना चा हए 12

मन य क आ मा और दह दोन अलग हmdashजब को इस बात का ान होजाता ह तब उसका शरीर सबधी अ भमान न हो जाता ह यही उसक समा ध अव था ह

ई सत मनसः सव क य स प त सखमदवाऽऽय यतः सव त मा स तोषमा यत

मन य क मन क सभी इ छाए कभी भी पण नह होत य क व सभी भा य कअधीन ह इस लए मन य को अपन जीवन म सतोष धारण करना चा हए 13

यथा धनसह ष व सो ग छ त मातरमतथा य च कत कम कतारमनग छ त

जस कार हजार गाय म बछड़ा कवल अपनी मा क ही पास जाता ह उसी कारजो कम कया जाता ह वह कम करन वाल क पीछ-पीछ चलता ह 14

अनव थतकाय य न जन न वन सखमजन दह त ससग वन सग ववजनम

बढग काम करन वाल को न समाज म सख मलता ह न ही जगल म ऐस को समाज म मन य का ससग खी करता ह जब क जगल म अकलापन 15

अ व थत जीवन वाला कभी भी सखी नह हो सकतायथा खा वा ख न ण भतल वा र व द ततथा ग गता व ा श षर धग छ त

जस फावड़ स खोदन पर प वी स जल ा त होता ह वस ही ग क सवा करन

वाला व ाथ व ा को ा त करता ह 16

कमाय फल पसा ब ः कमानसा रणीतथा प स धय ाऽऽयाः स वचायव कवत

मन य को कम क अनसार ही फल मलता ह और मन य क ब भी कम कअनसार ही काय करती ह इतन पर भी ब मान और स जन भली-भा त सोच- वचार करही काय करत ह 17

मन य जस कार का कम करता ह उसी क अनसार उस फल मलता ह गीता मभी कहा गया ह क मन य को कम करना चा हए उसक फल क चता छोड़ दनी चा हएइस लए यह और भी आव यक हो जाता ह क मन य सोच- वचार कर ही कम कर बनासोच- वचार काय करन स काय स नह होती और फल ा त क तो आशा ही नह कजा सकती

एका र दातार यो ग ना भव द तानयो नशत भ वा चा डाल व भजायत

एका र म दन वाल ग क जो वदना नह करता वह क क यो न म सौ बारज म लकर फर चा डाल क घर उ प होता ह 18

एक अ र का अथ यहा दो कार स हो सकता ह एक अ र का ान दन वाला भीइसका अथ कया जा सकता ह शा म ॐ को एका र कहा गया ह इ ह दानकरन वाला ही ग ह ग का जो आदर नह करता वह चा डाल क समान ह शा मकत नता को ऐसा पाप माना गया ह जसका कोई ाय नह होता

यगा त चलत म क पा त स त सागराःसाधवः तप ाथान न चल त कदाचन

एक यग क अत म सम पवत भी अपन थान पर थर नह रहता क प क अत मसम भी अपनी सीमाए लाघकर इस ससार को क म डाल दता ह परत प ष अपनहाथ म लए ए काय को परा करन क त ा स वच लत नह होत 19

इसका भाव यह ह क क त क नयम भल ही बदल जाए पवत और सम भल हीअपना थान छोड़ द परत स जन य न जस कसी काय क प त क लए वचनदया ह वह अव य उस परा करत ह व अपन दए गए वचन स टलत नह भल ही उ हइसक लए अपन ाण गवान पड़ राजा दशरथ न अपन वचन का नवाह करन क लए हीतो अपन ाण याग दए थ व जानत थ क राम क बना जी वत रहना सभव नह फर भीउ ह न राम को वन म भजा

चाण य न अनक बार lsquoमन यrsquo क ता को वीकार कया ह उनका कहना ह कय द मन य-जीवन एक ण क लए भी ा त होता ह तो उस काल म भी मन य को कम करन चा हए और य द उसका जीवन एक यग स भी अ धक हो तो भी उस बर कम मल त नह होना चा हए

चाण य कहत ह क मन य को चा हए क वह जो समय बीत चका ह या जो आगआन वाला ह इसक चता छोड़कर वतमान क ओर ही यान द सम या का समाधानउसी म न हत ह

मन य क सफलता उसक वभाव पर नभर करती ह वह वभाव स ही स जनप ष और अपन माता- पता को स कर सकता ह महा मा का वभाव ही ऐसा होताह क व धन को तनक क समान त छ समझत ह य द उनक पास अ धका धक धन होजाए तो भी व अ भमान नह करत व उसी कार न होकर झक जात ह जस कार फलस लद ई व क शाखा आचाय का कहना ह क अपन ब ध-बा धव क त कत परकरत ए उनस इतना अ धक लगाव नह बढ़ाना चा हए क उनक बछड़न स क अनभवहो

जो सदव सतक रहत ह और समय आन स पव ही आन वाल क को रोकनक उपाय कर लत ह ऐस अपना जीवन सख स बता दत ह परत जो भा य क भरोसरहता ह उस क उठाना पड़ता ह

जसा राजा वसी जा एक ब त परानी कहावत ह यह आचाय चाण य क समयस ही स ई दखाई दती ह चाण य कहत ह क जस मन य क जीवन म धम काअभाव ह म उसको मत क समान समझता और धमाचरण करन वाला मरनक बाद भी जी वत रहता ह

इसी सबध म आचाय कहत ह क जस न धम अथ काम और मो इनचार म स एक क लए भी प षाथ नह कया तो समझो क उसका जीवन थ ह शाधम अथ और काम को प षाथ मानत हmdashमो उनक म परमप षाथ ह यह सकतह क इन तीन क साथकता तभी ह जब सम त बधन स जीव म हो जाएगा

जब कसी क बढ़त ए यश को दखता ह तो वह उसक नदा करनलगता ह भगवान ीक ण न भी मन य क मन को ही मन य का सबस बड़ा म औरसबस बड़ा श बताया ह य क उसक वचार ही उस ससार क मोह-माया म फसाए रखतह जो उसक लए बधन क समान ह योगी मन को वश म करक उसक सभी बधन को काटफकत ह

मन य क कम क सबध म व कहत ह क जस कार ब त-सी गौ म भी बछड़ा

अपनी मा को पहचान लता ह और उसी क पीछ-पीछ चलता ह उसी कार मन य क कमही मन य का साथ दत ह अथात वह जसा काय करता ह उसक अनसार ही उसको फलभोगना पड़ता ह

कम क सबध म चाण य आग यह कहत ह क मन य को कम क अनसार ही फलमलता ह और उसक ब भी उसक ारा कए जान वाल कम क अनसार ही काय करतीह इतन पर भी व ान और स जन सोच- वचार कर काय करत ह य क व जानतह क कछ ऐसा भी ह जस ब ारा नई दशा द जा सकती ह

चाण य अत म मन य क वभाव का वणन करत ए कहत ह क स जन प षअपन कत अथवा अपन वचन स कभी भी वमख नह होत जब क सकट आन पर बड़ीस बड़ी ाक तक श या भी मन य का साथ छोड़ दती ह

अथ चतदशोऽ यायःचौदहवा अ याय

दखन वाल एक ही व त को तीन कार स दखत ह योगीउस अ त- न दत शव क प म दखत ह कामी लोग सदरनारी क प म दखत ह और क ा उस एक मास क लोथड़क प म दखता ह

प थ ा ी ण र ना न जलम सभा षतममढः पाषाणख डष र नस ा वधीयत

इस प वी पर तीन ही र न हmdashजल अ और हतकारी वचन परत मख लोगप थर क टकड़ को र न कहत ह 1

आ माऽपराधव य फला यता न द हनामदा र यरोग ःखा न ब धन सना न च

द र ता रोग ख बधन तथा आप याmdashय सब मन य क अधम पी व कफल ह 2

मन य जस कम करता ह उस वस ही फल क ा त होती ह मन य क द र ताखी होना रोग स य रहना सासा रक बधन म फस रहना और इसक साथ अनक कार

क आप या आ द आना य मन य क कम क ही फल ह इस लए मन य का कतयह ह क वह शभ कम कर ता क उसका जीवन सखपवक बीत

आचाय न यहा कम क स ात का ववचन करत ए शभ काय करन क रणा द

ह य क यही सख का साधन ह

पन व पन म पनभाया पनमहीएत सव पनल य न शरीर पनः पनः

धन भी पनः ा त हो सकता ह म भी मल सकत ह प नी भी फर स मलसकती ह य सब व तए मन य को बार-बार ा त हो सकती ह परत यह शरीर बार-बार

ा त नह हो सकता 3

ब ना चव स वाना समवायो रप यःवषाधाराधरो मघ तणर प नवायत

न त प स ब त स मन य मलकर श को जीत सकत ह मन य का समदायअथात उनका सगठन श को जीतन म उसी कार सफल रहता ह जस कार इकट ठकए ए तनक जल क धारा को रोक दत ह अथात घास-फस का छ पर वषा क पानी सर ा करता ह 4

यह बात दखन-सनन म ब त सामा य तीत होती ह परत यह ह अ यत मह वपणजस प रवार म मतभद होत ह आपस म एकता नह होती वह प रवार न हो जाता हइसी तरह जन प रवार म अथवा दश क लोग म एकता ह मलकर काम करन क इ छाह व भयकर-स-भयकर श को परा जत करन म समथ होत ह व क एक शाखा कोकोई एक ब चा भी तोड़ सकता ह परत जब पतली-पतली शाखाए इकट ठ हो जाती ह तोइ ह श शाली हाथी क लए तोड़ना भी क ठन हो जाता हmdashसघ श ः कलौ यग

जल तल खल ग पा दान मनाग पा शा वय या त व तार व तश तः

जल पर तल क पास ग त वाता सपा को दया गया दानब मान का शा ान य सभी बात ऐसी ह जो परी होन पर व त क श अथातवशषता स बना कसी यास क वय फल जाती ह इनका व तार हो जाता ह 5

पानी पर य द तल क बद डाली जाएगी तो वह बद क प म न रहकर उस पर फलजाएगी इसी कार क पास कोई रह य ग त नह रह सकता सपा कोदया आ दान और ब मान को दया गया शा ान य सब अपन आप अपनीवशषता क कारण चार ओर फल जात ह

धमाऽऽ यान मशान च रो गणा या म तभवतसा सवदव त चत को न म यत ब धनात

धा मक कथा आ द क सनन क समय मशान भ म म और रोगी होन पर मन य कमन म जो सद ब उ प होती ह य द वह सदव थर रह तो मन य ससार क बधन स छट

सकता ह 6जब मन य धम सबधी उपदश सनता ह तो उसक मन म अ छ वचार का उदय

होता ह इसी कार जब मन य कसी मत क साथ मशान भ म म जाता ह तो वहसमझता ह क यह शरीर न र ह उस समय उसक मन म पाप स म होन क सद भावनाउ प होती ह ऐस ही जब मन य रोग त होता ह तो वह भ को याद करता ह और उससमय सोचता ह क वह ऐसा कोई काय नह करगा जसस उस फर बीमार होना पड़चाण य कहत ह क य द सदव इसी कार सोचता रह तो वह ससार क ब धन सछट सकता ह परत होता यह ह क जब मन य धम सभा स उठ जाता ह मशान भ म सलौट आता ह और रोग स म हो जाता ह तो वह फर स ससार क उसी मोह-मायाजाल मफस जाता ह यही माया ह

उ प प ा ाप य ब भव त या शीता शी य द पव यात क य न या महोदयः

कम करन क बाद प ा ाप करन वाल मन य क ब जस कार क होती हवसी ब य द पाप करन स पहल भी हो जाए तो सभी को म ा त हो सकती ह 7

मन य बरा काय करन क बाद पछताता ह उस अपन कए ए काय पर पछतावाहोता ह वह जानता ह क उसन वह कया ह जो उस नह करना चा हए चाण य कहत हक य द कम करन स पहल ही मन य क वचार वस ही हो जाए जस प ा ाप क समयहोत ह तो कोई भी कम न हो

दान तप स शौय वा व ान वनय नयव मयो न ह कत ो ब र ना वस धरा

दान तप या वीरता व ान वन ता और नी तवान होन म मन य को सबस बड़ाहोन का अ भमान नह करना चा हए य क प वी अनक अम य र न स भरी ई ह 8

र थोऽ प न र थो यो य य मन स थतःयो य य दय ना त समीप थोऽ प रतः

जो जसक दय म बसा आ ह वह य द ब त र ह तो भी उस र नह कहा जासकता और जो जसक दय म समाया आ नह ह वह ब त नकट रहन पर भी र तीतहोता ह 9

जन लोग म स चा म ह व य द एक- सर स ब त र रहत ह तो भी उ ह रनह मानना चा हए परत जसन कसी क दल म घर नह कया वह पास रहन स भी ररहता ह आचाय क अनसार स च म म री का कोई मह व नह ह

य य चा य म छत त य यात सदा यमाधो मगवध कत गीत गाय त स वरम

जसका बरा करन क इ छा हो उसस सदा मीठ बात करनी चा हए जस शकारीहरण को पकड़न स पहल मीठ आवाज म गीत गाता ह 10

इस ोक म एक सामा य सासा रक बात कही गई ह जो मन अपन पाप क कारणकसी का अ हत चाहता ह वह पहल सदा मीठ -मीठ बात करता ह जस कार हरणआ द का शकार करन स पहल शकारी मधर आवाज म गीत गाता ह साप को पकड़नवाला म त होकर बीन बजाता ह इस कार य दोन मधर वर क आकषण म बधकरशकारी क पास खद आ जात ह तो शकारी उ ह पकड़ लता ह जब तक सर म असर ाक भावना ह उसक मम थल पर आघात नह कया जा सकता

चाण य कहत ह क अ हत करन क इ छा स मीठ -मीठ बात करत हऐसा करक व पहल रझात ह फर हा न प चात ह जआरी पहल लाभ होन का लालचदखाता ह जसस भोलाभाला उसक जाल म फसकर बड़ी-सी रकम दाव म लगादता ह और अपनी हा न कर बठता ह

अ यास ा वनाशाय र था न फल दाःस वत म यभागन राजा वह नग ः यः

राजा अ न ग और ी इनक पास हर समय नह रहना चा हए ऐसा करन समन य को हा न हो सकती ह परत इनस र रहन स भी मन य को कोई लाभ नह होताइस लए इनस वहार करत समय को ब त सोच-समझकर बीच का रा ता अपनानाचा हएmdashइसी को म यम माग कहत ह 11

म यम माग का अथ ह क को कसी व त अथवा वचार म न तो अ धकल त होना चा हए और न ही उसका सवथा प र याग करना चा हए म यम माग म दोनछोर का प र याग करना पड़ता ह और एक बीच का रा ता अपनाना पड़ता ह गौतम ब नइसी माग को अपनान पर बल दया था ीक ण इस lsquoसम वrsquo कहत ह इसम अ त व जतह

अ नरापः यो मखाः सपा राजकला न चन य य नन स ा न स ः ाणहरा ण षट

अ न जल या मख साप और राजप रवार का सवन करत समय मन य कोसदव सावधान रहना चा हए य क य छह कभी भी म य का कारण हो सकत ह 12

स जीव त गणा य य य य धमः स जीव तगणधम वहीन य जी वत न योजनम

ससार म वही जी वत रहता ह जसम गण और धम जी वत रहता ह गण और धमस र हत मन य का जीवन थ ह 13

इस ससार म गणी य क जीवन को माना गया ह इस कार धमा माय का जीवन ही जीवन ह परत जस म न तो कोई गण ह और न ही धम

उसका जीवन बलकल थ ह

यद छ स वशीकत जगदकन कमणापरापवादस य यो गा चर त नवारय

ह मन य य द त कसी एक ही कम ारा सार ससार को अपन वश म करना चाहताह तो त सर क नदा करन वाली अपनी वाणी को वश म कर ल अथात सर क नदाकरना छोड़ द 14

सर क नदा छोड़न का अथ ह अपनी आलोचना और सर क गण को हणकरना ऐसा करन वाला सहज प स व को जीत लगा

तावस श वा य भावस श यमआ मश सम कोप यो जाना त स प डतः

जो अवसर क अनकल बात करना जानता ह जो अपन यश और ग रमा क अनकलमधर-भाषण कर सकता ह और जो अपनी श क अनसार ोध करता ह उसी को वा तवम व ान कहा जाता ह 15

को अवसर क अनकल ही वा य का योग करना चा हए और उस समयइस बात का सदव यान रखना चा हए क इसस त ा बढ़गी अथवा घटगी जो समय क अनकल बात नह करता जस अपन मान-अपमान का कोई ान नह या जो यभाषण अथवा मधर-भाषण करना नह जानता वह मख ह जो समय क अन पबात करता ह अपनी श क अनसार ोध करता ह वही प डत अथवा सब कछ जाननवाला व ान ह

एक एव पदाथ त धा भव त वी तःकणपः का मनी मास यो ग भः का म भः भः

एक ही चीज को दखन वाल ाणी तीन कार स दखत ह योगी उस अ त- न दतशव क प म दखत ह कामी लोग सदर नारी क प म दखत ह और क ा उस एक मासक लोथड़ क प म दखता ह भद का ह व त तो एक ही ह 16

lsquoजसी वसी स rsquo यह एक ावहा रक और दाश नक स ात ह आचाय नसदर उदाहरण स इसक प क ह

स स मौषध धम गह छ च मथनम

कभ क त चव म तमा काशयतब मान को चा हए क स क ई औष ध अपन ारा कए जान वाल

धमाचरण घर क दोष ी क साथ सभोग कभोजन तथा सन ए न दत वचन कसी कसामन कट न कर 17

ताव मौनन नीय त को कल व वासराःयाव सवजनान ददा यनी वा वतत

जब तक सभी को आनद दन वाली बसत ऋत आरभ नह होती तब तक कोयलमौन रहकर अपन दन बता दती ह अथात बसत ऋत क आन पर ही कोयल क कक सनाईदती ह 18

इसका भावाथ ह क को बड़ धय स सही समय क ती ा करनी चा हएसही समय पर कही गई सही बात ही असरदार होती ह

धम धन च धा य च गरोवचनमौषधमसगहीत च कत म यथा त न जीव त

जीवन को सही स बतान क लए धम का आचरण धन पदा करना अ कासचय ग क वचन का पालन अनक कार क औष धय का स ह व धपवक और य नस करना चा हए 19

मन य को चा हए क धन धम अ ग क कही ई बात और अनक कार कउपयोगी औष धया का स ह करता रह जो मन य ऐसा नह करता उस जीवन म तरह-तरह क क ठनाइय का सामना करना पड़ता ह

यज जनससग भज साधसमागममक प यमहोरा मर न यम न यताम

ह मन य क सग को याग द और स जन प ष का सग कर दन-रात अ छकाय कया कर सदव ससार को नाशवान समझकर परम र का यान कया कर 20

मन य को जीवन म या करना चा हए और या नह इसी का स ह मानो यहोक न तकता का सार-स प न हत ह इस ोक म

इस अ याय म सामा य लोग क लए चाण य न कछ मह वपण बात क ओरयान आक कया ह व कहत ह क इस प वी पर अ जल और नी तय बातmdashइन

तीन को ही मह वपण मानना चा हए उनक अनसार य तीन चीज ही मन य क लए र न कसमान ह अथात मन य का इस ससार म इनक बना काय- ापार करना क ठन ह धनी सधनी क लए और अ यत नधन क लए अ और जल एक जसा मह व रखत हइसक साथ नी तय मधरवाणी इस लए आव यक ह क इसस मन य का क याण होता हआचाय न आग कहा ह क य द द र ह रोगी ह खी ह और बधन तथा क मपड़ा ह तो यह सब उसक अधम पी काय का फल ह उनका कहना ह क इस ससार मजन व त को हम ब त उपयोगी मानत ह उनम स धन म ी भ म तथा मकानआ द मन य को बार-बार मल सकत ह परत मन य जीवन ऐसा ह जो बड़ी क ठनाइय स

ा त होता ह इस लए मन य को चा हए क वह अपन जीवन को सफल बनान का य नकर धमाचरण कर न क हर समय ससार क भोग म फसा रहकर अपन जीवन को थगवा द

ायः हर दश क नवा सय क लए सग ठत रहना ाचीनकाल स ही मह वपणआव यकता रही ह इस लए व कहत ह क य द नबल स नबल रा सग ठत रहग तोअ यत बलवान श को भी परा जत करना उनक लए सभव होगा इसी सदभ म व आगकहत ह क जीवन म कोई समय ऐसा भी आता ह जब मन य जीवन क वा त वकता कबार म सोचन लगता ह मन य जब कसी धम पदश को सनता ह तो उसक मन म धमाचरणक व जा त होती ह जब मन य कसी को अपन कध पर लादकर मशान भ म मजाता ह तो उस ऐसा तीत होता ह क यह जीवन न र ह और जब मन य कसी रोग सपी ड़त होता ह तो ायः हाय-हाय करता आ भ को याद करता ह चाण य कहत ह कय द मन य सदा इसी कार क वचार मन म रख तो वह ससार क बधन स छट सकता हइसी सदभ म व आग कहत ह क मन य जब कोई कम करता ह तो उसक बाद वहपछतान लगता ह अथात उसक ब म एक प रवतन होता ह य द कम करन स पवमन य क ब उस दशा म काय कर तो वह ससार क बधन स छट सकता ह

मो ा त म बाधक काय क ओर सकत करत ए आचाय का कहना ह कअ भमान मन य को ल डबता ह य द कोई यह समझता ह क उसक जसा तप वीदानी शरवीर और ानवान कोई सरा नह ह तो यह उसका म ह य क ससार इतनावशाल ह क उसम एक स बढ़कर एक गणी ह

यहा एक सामा य-सी बात क ओर इशारा करत ए आचाय न कहा ह क समीपताऔर री का सबध दय स ह न क थान स

चाण य न यहा ऐसी कटनी तपण बात कही ह जो कसी भी रा य क लए उपयहो सकती ह उनका कहना ह क जो रा य आपको हा न प चाता ह य द आपम श सउसका नवारण करन क यो यता नह ह तो उसस म ता गाठकर मधर वहार कादखावा करत ए ब पवक श हीन कर दना चा हए

व आग कहत ह क राजा अ न ग और ी आ द क न तो अ य त नकट जाना

चा हए और न ही इनस अ यत री रखनी चा हए उदाहरण क लए सामा य-सी बात ह कय द अ न क अ धक समीप जाएगा तो वह जलकर भ म हो जाएगा इसी लएउ ह न कहा ह क इन सब व त का उपयोग म यम री अथवा म यम अव था म करनाचा हए य क य द इनक सवन म सावधानी नह बरती जाएगी तो न होना न त ह वकहत ह क जो गणी ह उसी का जीवन सफल ह जसम कसी कार का गण नह कोई वशष ब नह उसका जीवन थ ह

इसी सदभ म व आग कहत ह क मन य य द ससार को अपन वश म करना चाहताह तो उस सर क नदा करना छोड़ दना चा हए समझदार वही ह जो समय कअनकल बात करता ह अपन मान-स मान क अन प मधर और य वचन बोलता ह और

ोध करत समय इस बात का अनमान कर लता ह क वह उसक श क अन प ह यानह इसी क साथ ही व कहत ह क ससार क यक व त को मन य व भ कोण सदखत ह ी का उदाहरण दत ए व कहत ह क योगी ी क व प को घणा क सएक लाश क समान दखता ह कामी उस हर कार स सदर समझता ह और क क

म वह एक मास क लोथड़ अलावा कछ नह ह सभी अपन भाव क अनसार उसकादशन करत ह इसी लए इस कार क पर पर व भ ता दखन म आती ह आग चलकरचाण य बतात ह क ब मान मन य को चा हए वह अ छ कम घर क दोष ी ससहवास और अपन सबध म सन ए न दत वचन को कभी कसी सर क सम

कट न करचाण य का कहना ह क मन य को क क समय मौन रहना चा हए चीखन-

च लान स कोई लाभ नह होता उस चा हए क वह सदव धा मक काय म लगा रहयथाश अ छ काय स धन का स ह करता रह धन का स ह भी समय क अनकलसमझा गया ह ग क क याणकारी वचन को सजोकर रखना अ यत आव यक ह य द

इन चीज का स ह नह करता तो उसका जीवन सकट म पड़ सकता हअत म व मन य को सखी जीवन बतान क लए मागदशन करत ए कहत ह क

मन य को क सग त छोड़ दनी चा हए उसको स जन क पास उठना-बठना चा हएदन-रात उस अ छ कम करत रहन चा हए और उस यह बात यान म रखनी चा हए क यहससार अ न य ह इस लए उस सदव अपना मन भ क चतन म लगाए रखना चा हए

अथ पचदशोऽ यायः प हवा अ याय

अ याय स कमाया आ धन अ धक स अ धक दस वष तककसी क पास ठहरता ह और यारहवा वष ारभहोत ही याज और मल स हत न हो जाता ह

य य च वीभत कपया सवज तषत य ानन मो ण क जटाभ मलपनः

जसका दय ा णमा पर दया स पघल जाता ह उस ान और मो ा त करनतथा जटाधारण और शरीर पर भ म लगान क या आव यकता ह 1

जस क मन म ा णय क क को दखकर दया क भाव आत ह उस ाना त करन और मो ा त करन क लए तप करन क आव यकता नह ह चाण य न

मन य क मन म दया क भाव को सभी धम स ऊचा थान दया ह

एकमवा र य त ग ः श य बोधयतप थ ा ना त तद यद द वा चाऽनणी भवत

जो ग अपन श य को एक अ र ॐ अथात परम र का ठ क स ान करवा दताह उस ग क ऋण स श य म नह हो पात ससार म ऐसा कोई पदाथ नह जस गको सम पत करक श य ग क ऋण स म हो सक 2

खलाना क टकाना च वधव त याउपान मखभगो वा रतो वा वसजनम

जन और काट इन दो चीज स बचन क दो ही उपाय ह या तो जत स इनका महकचल दया जाए उसक अ त व को ही समा त कर दया जाए अथवा उनको र स हीयाग दया जाए 3

चाण य काट और को एक ही णी म रखत ह इनस वहार करन कभी व दो माग बतात ह य द श ह तो उस कचल द अ यथा उसस बचकर नकल जाए

कच लन द तमलोपस बह वा शन न रभा षणचसय दय चा त मत शयान वम च त ीय दच पा णः

गद कपड़ पहनन वाल गद दात वाल अथात दात क सफाई न करन वाल अ धकभोजन करन वाल कठोर वचन बोलन वाल सय उदय होन तथा सया त क समय सोन वाल

को ल मीmdash वा य स दय और शोभा याग दती ह भल ही व ण य न हो 4

यज त म ा ण धन वहीन दारा भ यास जना त चाथव त पनरा य त अथ ह लोक प ष यबधः

जब मन य क पास धन नह रहता तो उसक म ी नौकर-चाकर और भाई-बधसब उस छोड़कर चल जात ह य द उसक पास फर स धन-सप आ जाए तो व फरउसका आ य ल लत ह ससार म धन ही मन य का ब ध ह 5

आचाय न धन क ावहा रक प को बतात ए कहा ह क इसी क इद- गद सारसबध का ताना-बाना आ करता ह इसम कोई आ य नह

अ यायोपा जत दश वषा ण त ता त चकादश वष समल तद वन य त

अ याय स कमाया आ धन अ धक स अ धक दस वष तक आदमी क पास ठहरताह और यारहवा वष ारभ होत ही याज और मल स हत न हो जाता ह 6

अय वा मनो य य नीच य षणम अमत राहव म य वष शकरभषणम

समथ और श वान प ष य द कोई अन चत काय भी करता ह तो उस उ चतसमझा जाता ह जब क नीच प ष ारा कया उ चत काय भी अन चत कहलाता हउदाहरण क लए रा नामक द य क लए अमत भी म य का कारण बन गया और शव कलए वष भी उनक कठ का आभषण माना गया वषपान क कारण उनक म य नह ई

ब क उ ह नीलकठ कहा जान लगा 7

तद भोजन यद जभ शष त सौ द य यतपर मनसा ा ता या न करो त पाप द भ वना यः यतस धमः

वा त वक भोजन वह ह जो ा ण आ द को खला दन क बाद बचता ह अथातगह थ को चा हए क वह वय भोजन करन स पहल ा ण को भोजन कराए इसी कार

म और नह उस ही कहा जा सकता ह जो पराय स कया जाता ह अपन ब ध-बा धव सतो सभी म करत ह ब म ा यह ह क मन य पाप कम करन स बचा रह धम वह हजसम छल-कपट न हो 8

अपन स कया जान वाला म पणतया ावहा रक होता ह इसी लए वह ढोयाजाता ह जब क पराय जसस अपन बन जाए और बन भी रह वही सही अथ म म ह

म णल ठ त पादा काचः शर स धायतय व यवलाया काचः काचो म णम णः

कसी वशष थ त म र न चाह पर म लढ़कता रह और काच को सर पर धारणकया जाए परत जब बचन अथवा लन का समय आता ह तो काच को काच और र न कोर न ही कहा जाता ह 9

इसका भाव यह ह क कसी अयो य व त अथवा को उ चत थान पर रखनअथवा नय करन स उसक म य म कसी कार का प रवतन नह होता परत जबम याकन का समय आता ह तो उनक वा त वक थ त का पता लग ही जाता ह

अन तशा ब ला व ाः अ प कालोब व नता चय सारभत त पासनीय हसो यथा

ीर मवा बम यातवद आ द शा अ यत वशाल ह व ान क सम ह व ाए भी ब त सी ह परत

मन य क आय सी मत ह और उसक माग म क ठनाइया भी ब त-सी आती ह इस लएउसक लए उ चत ह क वह शा स सारभत बात को उसी कार हण कर ल जस

कार हस पानी मल ध स ध हण कर लता ह 10

रागत प थ ा त वथा च गहमागतमअनच य वा यो भ स व चा डाल उ यत

र स चलकर आन वाला या ी थका आ होता ह बना कसी वाथ क घर म आए

ए अ त थ क पजा कए बना जो घर का वामी वय भोजन कर लता ह उस न य हीचा डाल कहा जाता ह 11

वद आ ा दत ह क अ त थ दवता हmdashअ त थ दवो भव गह थ को चा हए क रस चलकर आन वाल अ त थ का वह आदर-स कार कर अ त थ क उप ा करना पाप कमह शा म अ त थ क सवा का वधान ह अ त थ सवा ारा अनजान को भीस जन स मान और ा का पा बना लत ह

पठ त चतरो वदान धमशा ा यनकशःआ मान नव जान त दव पाकरस यथा

जो लोग वद आ द शा का अ ययन करन क बाद भी आ मा- परमा मा क सबधम कछ नह जानत व आ म ान स र हत उस कलछ क तरह ह जो वा द साग स जीम तो घमती ह परत उस उसक वाद का बलकल भी ान नह होता 12

शा क अ ययन क साथकता इसी बात म ह क जो कछ पढ़ा जाए उसका सारहण करक मन य उस अपन जीवन म उतार य द मन य ऐसा नह करता तो उसका जीवनथ ह शा उन उपाय को भी बतात ह जनस आदश को जीवन म उतारन का काय

आसान हो जाता ह

ध या जमयी नौका वपरीता भवाणवतर यधोगताः सव उप र थाः पत यधः

इस ससार-सागर म ा ण पी नौका ध य ह जो उ ट ग त स चलती ह यहउ ट ग त या ह जो इस नाव क नीच रहत ह व सब तो भवसागर स पार उतर जात हऔर जो नाव क ऊपर चढ़त ह उनका पतन हो होता ह 13

ता पय यह ह क जो अथवा गह थ लोग ा ण क साथ न रहकर उनकसवा करत रहत ह उनका तो उ ार हो जाता ह और जो अ भमान म चर रहकर उनकाअपमान करत ह उनक सदव अधोग त ही होती ह

अयममत नधान नायकोऽ यौषधीनाअमतमयशरीरः का तय ोऽ प च ःभव त वगतर मम डल ा य भानोःपरसदन न व ः को लघ व न या त

सर क घर म जान स का स मान घटता ह वह छोटा होता ह जस च माको अमत का भ डार कहा जाता ह यह गणकारी औष धय का वामी भी ह इसक छ वअथवा इसक करण को अमत क समान माना जाता ह इसम का त भी ह अथात यह

काश स य ह परत जब यही च मा सयम डल पर जाता ह तो तजर हत हो जाता ह

वहा उसक सारी चमक-दमक समा त हो जाती ह 14जो नजी वाथ क प त क उद द य स सर क घर म जाता ह उसका

बड़ पन थर नह रह पाता आचाय का यह कथन ह क को कभी भी अपन मागका प र याग नह करना चा हए

अ लरय न लनीदलम यगःकम लनीमकर दमदालसःव धवशा परदशमपागतः कटजप परस ब

म यतभ रा कम लनी क फल क पख ड़य म बठा रहता ह उसक पराग का रस चसता

रहता ह और उसक म य म म त बना रहता ह परत दवयोग स जब उस एक थान स कसीसर थान को जाना पड़ता ह तो वहा उस करील आ द व क फल स रस तो मल जाता

ह कत काट क कारण काफ क भी उठाना पड़ता ह 15इसका भाव यह ह क वदश म जान स अनक बार धन क ा त तो करता

ह परत उस अनक कार क क भी उठान पड़त ह इस लए उस चा हए क वह वय कोसमय क अनसार ढाल अथात क आन पर उस खी नह होना चा हए

पीतः न तात रणतलहतो व लभो यन रोषादआबा या वयः ववदन ववर धायत व रणी मगह म छदय त त दवसममाका तपजा न म त मा ख ा सदाह जकल नलय नाथ य यजा म

व ण ल मी स पछत ह क वह ा ण स नाराज य रहती ह तो उ र दती ईल मी कहती हmdashअग य ऋ ष न नाराज होकर मर पता सम को ही पी लया था ा णभग न ोध म आकर आपक छाती पर लात मारी थी और य ा ण लोग बचपन स ही मरीसौत सर वती को स करन का य न करत रहत ह त दन शव क पजा क लए मरनवास थान स कमल प प को उजाड़ दत ह ह वामी यही कारण ह जसस म ा णस सदा र रहती 16

इस ोक का सामा य भाव यह ह क ा ण अ धक लोभी नह होत और व ारभस ही धन कमान क व स र हत होकर व ा अ ययन म लग रहत ह धन-सप जटानपर उनका वशष यान नह होता इसी लए व व ान तो होत ह धनवान नह

ब धना न खल स त ब नमर ज ढब धनम यत

दा भद नपणोऽ प षड न यो भव तपकजकोश

इस ससार म ब त स बधन ह परत म पी र सी का बधन कछ व च होता हलकड़ी को छदन क श रखन वाला भ रा भी कमल क फल म बद होकर न य होजाता ह कमल क पख ड़य को काटन क उसम श होती ह परत उनक त अ तरक

म- भावना होन क कारण वह ऐसा नह करता 17ससार म मन य अनक कार क बधन म बधा आ ह परत सबस मजबत बधन

म का होता ह जस कार कमल क कोमल पख ड़य म बद हो जान पर भ रा मवशउ ह काट नह पाता इसी कार मन य म क पाश म बधा आ सब क उठान क लएतयार हो जाता ह अथात वह म क बधन स म नह हो पाता

छ ोऽ प च दनत न जहा त ग धव ोऽ प वारणप तन जहा त लीलामय ा पतो मधरता न जहा त च ः

ीणोऽ प न यज त शीलगणान कलीनःचदन का व कट जान पर भी अपनी सगध नह छोड़ता बढ़ा हो जान पर भी हाथी

अपनी ड़ाए नह छोड़ता को पर पर (पल) दए जान क बाद भी ईख अपनी मठासको नह छोड़ता इसी कार कलीन मन य नधन हो जान पर भी अपनी शालीनता को नहछोड़ता 18

वभाव कसी भी प र थ त म बदलता नह ह इसस पव भी कई थान परआचाय न क चचा क ह

वभाव पर जोर दन का आचाय का ता पय वहार क दशा को नधा रत करनाह इसी आधार पर व ास क सीमा का नधारण भी कया जा सकता ह वभाव म य दस जनता ह तो व ास क सभावना का तशत बढ़ जाता ह आचाय न अपन जीवन मभी इस मनो व ान का ावहा रक योग कया ह धमनद क व त और मगध कन ावान धान अमा य रा स को च ग त का अमा य बनाना इसी उपरो कथन कासश उदाहरण ह

lsquoकलीनrsquo श द का योग कर आचाय न वश-परपरा क ओर भी सकत कयापरपरा या ा त होन वाल स कार का जीवन म अ य धक मह व ह पा रवा रक प भ म

व का अ य धक सश प स नधारण करती ह

इस अ याय क ारभ म आचाय न दया क मह व को प कया ह उनका कहना हक जो इस ससार क ा णमा पर दया करता ह उस न तो मो ा त करन क लएजप-तप आ द साधन क आव यकता ह और न ही जटाजट धारण करक साध-स यासीबनन क दया सभी धम का सार ह

ग क मह व को बतात ए आचाय चाण य बतात ह क य द श य ग को अपनासव व सम पत कर द तो भी ग का ऋण श य स नह उतरता ग ही श य कोवा त वक ान दता ह जसस उऋण होना सभव ही नह ह

स बचन का उपाय बतात ए चाण य कहत ह क या तो उस मसलकरन कर दना चा हए अथवा ऐसा य न करना चा हए क वह आपक काय म कसी कारक कावट न डाल सक

चाण य का कहना ह क जो मल कपड़ पहन रहता ह जसक दात पर मलजमा आ दखाई दता ह जो हर समय कड़वी बात करता रहता ह तथा जो सय दय औरसया त क समय सोया रहता ह उस न तो ल मी ा त होती ह न ही उसका वा य ठ करहता ह इसी लए को अपन जीवन को सखी बनान क लए क त क नयम कअनसार चलना चा हए

आचाय क अनसार धन मन य का बध और सखा ह इस लए मन य को धन स हकरत रहना चा हए उनका यह भी कहना ह क धन को धमपवक ही कमाना चा हएअ याय स पदा कया आ धन दस वष स यादा नह ठहरता

अनक व ान का कहना ह क समथ जो कछ करता ह लोग उसक लएउस दोषी नह ठहरातmdashldquoसमरथ को न ह दोष गोसा rdquo असमथ ारा कया गया अ छाकाम भी दोषय माना जाता ह इसका कारण भय और वाथ ह न क स य

आचाय न दान क म हमा का बखान कया ह व कहत ह क ा ण को भोजनकरवान क बाद ही गह थ को भोजन करना चा हए उनक अनसार म और नह उस हीकहा जाता ह जो सर स कया जाए अपन सब धय तथा म आ द स तो सभी मकरत ह आचाय न ब मान उस कहा ह जो पाप कम क ओर आक न हो

चाण य मन य को यह बताना चाहत ह क ान का कोई अत नह ह जब कमन य का जीवन ब त छोटा ह उनका कहना ह क वद आ द शा क पढ़न पर भी जसउनम व णत आ मा और परमा मा का ान नह आ उसका जीवन थ ह उसका जीवनबलकल उसी कार ह जस धात क कलछ वा द भो य पदाथ म घमती ई भी उसकावाद नह ल पाती

चाण य कहत ह क जब सर क घर म जाता ह अथात अपना घर छोड़ताह तो उस छोटा माना जाता ह च मा को अमत का भ डार कहा जाता ह परत जब वह सयक सीध म आता ह तो एक कार स उसका अ त व समा त हो जाता ह य क उस समय

वह सय स ही काश हण करता हचाण य न यह बात प करन का य न कया ह क ा ण क पास धन य

नह होता उनका कहना ह क व सदव सर वती क उपासना म लग रहत ह इस लए धनइकट ठा करन क उनक व ही नह होती इस ससार म म का बधन ही सबस ढ़ होताह चाण य उदाहरण दत ए कहत ह क भ र म इतनी श होती ह क वह लक ड़य मभी छद कर सकता ह परत कमल क अनराग म बध जान क कारण उसक श थ होजाती ह इसी कार मन य क जो वाभा वक गण ह व कभी भी समा त नह होत जस

कार चदन का व छोट-छोट टकड़ म काट दए जान पर भी अपनी सगध नह छोड़ताउसी कार कलीन मन य नधन होन पर भी अपन गण का याग नह करता

अथ षोडशोऽ यायः सोलहवा अ याय

ससार एक कड़वा व ह ल कन आ य ह क इस पर अमतसरीख मीठ और जीवन दन वाल दो फल लगत ह एक मधरवाणी और सरी स जन क सग त

न यात पदमी र य व धव ससार व छ यवग ारकपाटपाटनपटधम ऽ प नोपा जतः

नारीपीनपयोधरो यगल व ऽ प ना ल गतमातः कवलमव यौवनवन छद कठारा वयम

जस मन य न ससार पी जाल को काटन क लए भ क व प का यान नहकया जसन वग क ार खोलन क लए धम पी धन का स ह नह कया जसन व मभी नारी क सदर तन और जघा का आ लगन नह कया वह माता क यौवन पी वको काटन वाल क हाड़ का काम करता ह 1

चाण य कहत ह क जस न न तो भ का यान कया न ही कोई धम-कमकया और न ही सहवास का सख ा त कया ऐस का जीवन एक कार स नरथकह इस ोक क ारा आचाय न उन तीन जीवन धारा को बतान का यास कया जनमजन-सामा य उलझा आ ह धम अथ कामmdashइन तीन प षाथ क लए ही तो यासकया जा रहा ह आचाय न ईश- मरण को थम थान दया ह

ज प त साधम यन प य य य स व माः

दय च तय य य न ीणामकतो र तःव या क कसी एक स ी त नह होती व बातचीत तो कसी अ य स

करती ह परत हाव-भाव पवक दखती कसी अ य को ह और अपन दय म चतनकसी अ य का करती ह इस कार व या का म कसी एक स नह होतायह उनका वभाव ह जो कोई यह समझता ह क कोई व या उसस म करती हवह उसक मखता ह 2

यो मोहा म यत मढो र य म य का मनीस त य वशगो भ वा न यत डा-शक तवत

जो मख यह समझता ह क कामक ी कवल उसी स म करती ह वह उसक वशम होकर कठपतली क समान उसक इशार पर नाचता रहता ह 3

वा त वकता यह ह क मन य कामक ी क छल-कपट को नह समझ पाता ीअपन चातय स क मन म यह व ास पदा कर दती ह क वह उसी स म करती हजो उस पर व ास कर लता ह वह मख ह वह उसक इशार पर कठपतली कसमान नाचता रहता ह उसका व और अ त व दोन ही समा त हो जात ह

कोऽथान ा य न ग वतो वष यणः क यापदोऽ तगताः

ी भः क य न ख डत भ व मनः को नाम रा ायः

कः काल य न गोचर वमगम कोऽथ गतो गौरवको वा जनवागरास प ततः मण यातः प थ

इस ससार म ऐसा कोई नह जस धन और ऐ य क ा त होन परअ भमान न आ हो कोई भी वषय भोग म ल त ऐसा नह आ जस क नभोगन पड़ ह ससार म ऐसा कौन-सा ह जो सदर य क वश म न आ होमागन वाल को कब स मान मला ह और कौन ऐसा ह जो लोग कच कर म फसकर कशलतापवक ससार म रह सकता हो 4

ससार म ऐस ब त कम होत ह जो धनवान होन पर भी अ भमानर हत औरन बन रहत ह ससार म ऐसा कोई नह ह जो वषय भोग म ल त होन क बादक म न फसा हो और ससार म ऐस य का भी अभाव ह जो य क मोह-जाल मन फस ह जो सदा याचना करता रहता ह उस स मान कस मल सकता ह

न न मतः कन न पवः न यत हममयः करगःतथाऽ प त णा रघन दन य वनाशकाल

वपरीतब ःआज तक न तो सोन क मग क रचना ई ह और न ही कसी न सोन का मग दखा

ह फर भी ीरामच वण मग को पकड़न क लए उतावल हो गए यह बात ठ क ही हक जब मन य क बर दन आत ह तो उसक ब उ ट बात सोचन लगती ह 5

गण मता या त नो चरासनस थताःासाद शखर थोऽ प काकः क ग डायत

मन य अपन अ छ गण क कारण ही ता को ा त होता ह ऊच आसन परबठन क कारण नह राजभवन क सबस ऊची चोट पर बठन पर भी कौआ कभी ग ड़नह बन सकता 6

गणाः सव प य त न मह योऽ प स पदःपण क तथा व ो न कलको यथा कशः

सभी थान पर मन य का आदर-स कार उसक गण क कारण ही होता ह गणहीनमन य क पास य द धन क भ डार भी ह तो भी उसका स मान नह होता ब त थोड़ स

काश वाला परत दाग-ध ब स र हत ज का चाद जस कार पजा जाता ह अथवा शभसमझा जाता ह प णमा क च मा को वसा स मान ा त नह होता 7

इसका भाव यह ह क मन य का आदर-स कार उसक गण क कारण होता हप णमा क चाद म अनक दाग-ध ब दखाई दत ह परत ज का चाद एक पतली-सी लक रक समान होता ह उसम कोई दाग-ध बा नह होता इस लए वह पर चाद क अप ा अ धकसदर दखाई दता ह भगवान शव न इसी लए तो उस अपन शरोभाग म थान दया ह

पर- ो गणो य त नगणोऽ प गणी भवतइ ोऽ प लघता या त वय या पतगणः

जस मन य क गण क तारीफ सर लोग करत ह वह गण स र हत होन पर भीगणी मान लया जाता ह परत य द इ भी अपन मख स अपनी शसा कर तो उ ह छोटा हीमाना जाएगा 8

गणी वह होता ह जो अपन स यादा गणवान क ओर दख इसी लए वह वय कोगणर हत मानता ह जब क गणहीन अपनी क मय को छपान क लए अपन महमया मट ठ बनता ह

वव कनमन ा ता गणा या त मनो तामसतरा र नमाभा त चामीकर नयो जतम

जस कार सोन क आभषण म जड़ा आ र न और भी सदर दखाई दता ह उसीकार को चा हए क ववकपवक अपन म गण का वकास करक अपन व

को और भी अ धक सदर बनाए तथा सदव गण को हण कर 9

गणः सव त योऽ प सीद यको नरा यःअन यम प मा ण य हमा यमप त

गण म सव -परमा मा क समान होन पर भी नरा त खी होता रहता हजस अ य त म यवान हीरा भी सोन म जड़ जान क आशा करता ह उसी कार गणीमन य को भी कसी सहार क अप ा रहती ह अथात गणी भी आ य क बनासमाज म वह स मान ा त नह कर पाता जसक उसको अप ा होती ह 10

अ त लशन य चाथा धम या त मण तश णा णपातन त था मा भव त म

जो धन सर को हा न और पीड़ा प चाकर धम व काय करक श क सामनगड़ गड़ा कर ा त होता हो वह धन मझ नह चा हए ऐसा धन मर पास न आए तो अ छाह 11

चाण य कहत ह क मन य को ऐस धन क कामना नह करनी चा हए जो सरको हा न प चाकर एक त कया जाए धम व काय करक और श क सामनगड़ गड़ान स ा त कया आ धन अक याणकारी और अपमान दन वाला होता ह मन यको ऐसा धन ा त करन क च ा नह करनी चा हए उस सदव प र म और अ छ उपायस ही धन का स ह करना चा हए शभ धन ही शभ व दता ह

क तया यत ल या या वध रव कवलाया त व यव सा मा या प थकर प भ यत

ऐस धन का भी कोई लाभ नह जो कलवध क समान कवल एक ही मन य क लएउपभोग क व त हो धन-सप तो वही ह जसका लाभ राह चलत लोग भी उठात हअथात धन-सप वही ह जो व या क समान अ य लोग क भी काम आती ह 12

इस ोक का भाव ह क उ म धन वही ह जो परोपकार क काम म लगाया जाताह जस धन को कोई एक समटकर बठ जाता ह न तो उस उपयोगी माना जाता हऔर न ही उसस कसी का लाभ होता ह समाज क याण क उपयोग म लाया गया धन ही

धन ह धन क ग त कनी नह चा हए

धनष जी वत ष ीष चाहारकमसअत ताः ा णन सव याता या य त या त च

इस ससार म कोई भी ाणी ऐसा नह ह जो धन का व भ कार स उपभोग करनपर त त आ हो इस धन का उपभोग इस जीवन क काय य क सवन और व भ

कार क भोजन आ द पर करन स भी मन य अत त रहगा और अत त रहत ए ही इसससार स चला जाएगा अथात धन को कसी भी कार स उपभोग म लाया जाए मन य त तनह होता 13

सामा य धारणा स वपरीत यह ोक स य क ओर सकत करता ह धन स सतमलगी ऐसा माना जाता ह ल कन आचाय चाण य का कथन ह क यह स य नह हmdashचाहो तो दख लो हा य द धन सत दगा तो कवल परोपकार म लगकर ऐसा धन मन यको सतोष और त त दोन दान करता ह

ीय त सवदाना न य होमब ल याःन ीयत पा दानमभय सवद हनाम

सभी कार क अ जल व भ मदान आ द सभी कार क य दव-यऔर ब ल य आ दmdashसभी कम न हो जात ह अथात यह सभी व तए न होन वाली हपरत सपा को दया आ दान और ा णमा को दया गया अभयदान कभी भी ननह होता 14

तण लघ तणा ल तलाद प च याचकःवायना क न नीतोऽसौ मामय याच य य त

ससार म एक तनका अ यत ह का होता ह तनक स भी अ धक ह क ई होतीह परत याचक को तो सबस अ धक ह का माना गया ह अथात जब कोई चीज कसीस माग बठता ह तो वह सभी चीज स ह का अथात त छ माना जाता ह 15

वर ाणप र यागो मानभगन जीवनाताण याग ण ःख मानभग दन दन

अपमा नत होकर जीन क बजाय मर जाना अ धक अ छा ह य क म य स तोणभर का ही क होता ह जब क अपमा नत होन पर दन- त दन मरता रहता ह

16भाव यह ह क को अपना जीवन स मानपवक बताना चा हए अपमा नत

होन क अप ा मर जाना इस लए माना गया ह य क मरत समय णभर का कहोता ह जब क अपमा नत पग-पग पर ख झलता रहता ह

यवा य दानन सव त य त ज तवःत मा दव व वचन का द र ता

मधर बोली वाल स सभी ाणी स रहत ह अतः को सदव य वचन हीबोलन चा हए उस चा हए क वह वाणी म अमत पी मधरता घोलकर बोल कोवाणी स द र नह होना चा हए 17

मधर-भाषण क लए कहा गया ह क जो मीठ बात बोलता ह मपवकवहार करता ह वह सबको अपना बना लता ह अथात मन य को मधर भाषण करन म

बलकल भी कजसी नह दखानी चा हए

ससार वषव य फल अमतोपमसभा षत च स वा सग तः सजन जन

ससार एक कड़वा व ह इसक दो फल ही अमत जस मीठ होत ह एक मधरवाणी और सरी स जन क सग त 18

जो मधर वाणी का योग करता ह वह श को भी जीत लता ह और सरीह मधर सग त स जन क सग त अथात मन य को मधर य वचन बोलन और स जनक सग त करन म कभी हच कचाना नह चा हए ससार म शष सब तो कड़वा ही ह

ज म-ज म य य त दानम ययन तपःतनवाऽ यासयोगन तदवा य यत पनः

अनक ज म म मन य न दान अ ययन और तप आ द जन बात का अ यासकया उसी अ यास क कारण वह बार-बार उ ह दोहराया करता ह 19

इस ोक का भाव यह ह क मन य को अपना भावी जीवन सधारन क लए इसज म म अ छ काय करन का अ यास करना चा हए पहल क अ यास का ही प रणाम हहमारा आज और भ व य म जो हम ह ग वह होगा आज क अ यास का तफल

प तकष च या व ा परह तष य नमउ प ष च कायष न सा व ा न त नम

जो व ा प तक तक ही सी मत ह और जो धन सर क पास पड़ा ह आव यकतापड़न पर न तो वह व ा काम आती ह और न ही वह धन उपयोगी हो पाता ह 20

आचाय कहना चाहत ह क व ा क ठा होनी चा हए तथा धन सदव अपन हाथ महोना चा हए तभी इनक साथकता ह

अ याय क आरभ म ही चाण य ऐस क ज म लन को नरथक बतात हजसन इस ससार म आकर न तो ससार क कसी सख का उपभोग कया ह और न भ का त क लए कोई य न कया ह

वशष प स व या क सबध म चाण य न अनक थान पर इस बात पर जोरदया ह क उनका कसी वशष स म नह होता उनका म कवल क धन स

होता ह परत जो हमशा यह समझत ह क व या उनस म करती ह व मख ही हऔर उसी बहकाव म व कठपतली क समान उसक इशार पर नाचत रहत ह

मन य क वभाव क सबध म आचाय का कहना ह क अ धकाश धन-सपऔर सासा रक सख ा त करन क बाद अ भमान करन लगत ह जो इ य भोग कत त म लगा रहता ह उसक क कभी समा त नह होत और य द या चाह तो बड़-स-बड़ तप वी क तप को ख डत कर सकती ह इसी कार जो सदव हाथ पसारकर मागता रहता ह उसका कभी स मान नह हो सकता और जो एक बार कसपक म आ जाता ह उसका जीवन भी सखी नह हो सकता

मयादा प षो म ीराम का उदाहरण दत ए चाण य कहत ह क जब कवनाश का समय आता ह तो उसक ब ठ क स काम नह करती वह मत हो जाता हजस कार ीराम सोन क मग को पकड़न क लए उसक पीछ भाग जब क सभी जानत हक सोन का मग नह होता ीराम भी इस स य को भलीभा त जानत थ फर भी वणमगक पीछ भाग

मन य क ता कसी ऊच पद पर बठन क कारण नह होती वरन उसक गण ककारण होती ह य द म कोई गण नह ह तो अ यत धनी होन पर भी उसका स माननह होता मन य क गण क सबध म आचाय न एक और मह वपण बात कही ह उनकाकहना ह क गणी व ततः उसी को समझना चा हए जसक गण क शसा सर लोग करतह अपनी वय शसा करन स मन य बड़ा नह बनता गण क सबध म यह बात और भीमह व रखती ह क य द ानवान गणी ह तो उसक गण उसी कार वक सत हो जातह जस सोन क आभषण म जड़ा आ र न परत उनका यह भी मानना ह क गणवान

सवदा अकला रहता ह उस ख भी उठान पड़ सकत हधन स ह करना आचाय क म बरा काम नह ह परत सर को खी करक

और अधमाचरण स अथवा अपनी द नता दखाकर धन इकट ठा करना उ चत नह धन कालाभ तभी ह जब उसका ठ क स उपयोग कया जाए धन एक ऐसी व त ह जसककामना हर समय करता रहता ह धन क सबध म उसक इ छा कभी पण नह होतीधन का सही उपयोग यही ह क उस परोपकार म लगाया जाए

धन क ही सबध म आग चलकर चाण य एक और मह वपण बात कहत ह कससार म तनका एक अ यत ह क व त ह परत तनक स भी ई अ धक ह क होती ह

ई स भी ह का सर स धन क याचना करन वाला होता ह वाय तनक और ईको उड़ाकर ल जाती ह परत याचक को य नह उड़ाती इसका कारण सभवतः यह ह कवाय को डर लगता ह क याचक उसस कछ माग न बठ इस कार उ ह न याचक को सबसअ धक अपमा नत माना ह कछ लोग हर समय हर थान पर अपन द र होन का

माण दत रहत ह इस कार क वभाव वाल कसी स दो मीठ बात करन स भीकतरात रहत ह जब क मीठ बात कहन म कसी कार का म य चकाना नह पड़ता इस

ससार म मन य को अनक कट अनभव होत ह य वचन और स जन क सग त ही दोऐसी बात ह जसस इस जीवन म कछ शा त ा त हो सकती ह

आचाय चाण य का कहना ह क व ा मन य क कठ म रहनी चा हए प तक मलखी व ा स काम नह चलता इस कार वह धन भी काम नह आता जो सर क पासहोता ह

अथ स तदशोऽ यायः स हवा अ याय

घर म सदर सती और प त ता प नी धन-सप वनयशील प और पौ -पौ ी आ द ह तो वगलोक म भीइसस अ धक सख नह मलता

प तक ययाधीत नाधीत ग स धौसभाम य न शोभ त जारगभा इव यः

जन य न ग क पास बठकर व ा का अ ययन नह कया वरन प तक सही ान ा त कया ह वह व ान लोग क सभा म उसी तरह स मान ा त नह करतजस कार कम स गभ धारण करन वाली ी का समाज म स मान नह होता 1

इस ोक का भाव यह ह क ग क पास बठकर ही सही अथ म व ा काअ ययन कया जा सकता ह ग स ही ान क ा त होती ह मन य अपन य न स जो

ान ा त करता ह वह कई कार स अधरा रहता ह इसी लए ऐसा व ान कसभा म उपहास का पा होता ह जसन ग मख स व ा ा त नह क ह

ग स व ा ा त करन का मह व इस लए ह क ग हण करन यो य सब बातश य पर कट कर दता ह ान क सब रह य उसक सम खल जात ह अपन य न सव ा ा त करन पर कछ न कछ अनजाना रह ही जाता ह ऐसी थ त म या करनाचा हए इसक जानकारी भी ग मख स ही ा त होती ह तभी तो यक थ त कासामना करन क लए वय को तयार कर पाता ह

इस ोक स चाण य का भाव ग क मह व को कट करना ह

कत तकत कयाद हसन त हसनमत दोषो न पत त समाचरत

जो जसा कर उसस वसा बरत कत क त कत ता भरा हसक ( ) क साथहसाय और स ताभरा वहार करन म कसी कार का पाप (पातक) नह ह 2

यद र यद रारा य य च र व थतमत सव तपसा सा य तपो ह र त मम

जो व त अ यत र ह जसक आराधना करना अ यत क ठन ह और जो अ यतऊच थान पर थत ह ऐसी चीज को तप ारा ही स कया जा सकता ह स का

योग यह ा त करना भी ह 3जो चीज जतनी र दखाई दती ह ऐसा तीत होता ह क उसको पाना असभव ह

उस भी य न पी तप या ारा ा त कया जा सकता ह तप अथवा प र म ाराअसभव काय को भी सभव बनाया जा सकता ह तप स ही मन य को अनक स या

ा त हो सकती ह

लोभ दगणन क पशनता य त क पातकःस य च पसा च क श च मनो य त तीथनकम

सौज य य द क गणः सम हमा य त क म डनःस ा य द क धनरपयशो य त क म यना

य द मन य म लोभ ह तो उस कसी अ य बराई क आव यकता नह य द चगलखोर ह तो इसस बढ़कर और या पाप हो सकता ह य द उसक जीवन मस यवा दता स याचरण आ द गण ह तो उस तप करन क या आव यकता ह य द मन यका मन प व ह तो व भ तीथ पर जाकर वहा नान करन स या लाभ य द मन य म

म ह तो उस अ य गण क या आव यकता ह य द ससार म उसका यश फल रहा ह तोउस अ य कसी आभषण क या आव यकता ह अथात उस अपन शरीर को सजान कलए आभषण क आव यकता नह ह य द उसक पास उ म व ा ह तो उस कसी अ यधन क या आव यकता ह और य द उसका अपयश फल रहा ह तो उस म य स या लना-दना वह जीत जी मत क समान ह 4

पता र नाकरो य य ल मीय य सहोदराशखो भ ाटन कया ाऽद मप त त

सम शख का पता ह ल मी का ज म भी सम म आ ह अथात वह शख क

बहन ह शख च मा क समान चमकता ह इतन पर भी य द कोई शख बजाकर भीखमागता ह तो यही समझना चा हए क दान दए बना मान-स मान नह होता 5

ब त स साध लोग शख बजात ए भ ा मागत फरत ह इसस यही तीत होता हक शख न दान दन जसा स कम नह कया अथात अ छ कल म उ प होन औरअनक गण स सप होन पर भी दान आ द अ छ कम य द नह करता तो उस भी यश औरसख क ा त नह होती इसी लए यक का कत ह क वह अ छ कल म उ पहोन पर भी दान आ द शभकम करता रह

अश त भव साध चारी च नधनःा ध ो दवभ व ा नारी प त ता

श हीन स जन नधन चारी रोगी दवाचन करन वाला और बढ़ ीप त ता बन जाती ह 6

चाण य का भाव यह ह क ववशता क कारण भी अपना व प बदल लताह व ततः वह वसा होता नह ह बलवान को स जनता का वहार करना चा हए

भ क भ तो मन य का वाभा वक कत ह परत जब कोई रोगी होन पर ही भ कानाम लता ह तो यह उसक ववशता ह इसी कार य द सदर पवती यौवन स भरपर ीप त ता धम का पालन करती ह तो यह उसक वशषता मानी जाएगी व ा ी प त ताहोन क अलावा कर भी या सकती ह यह उसक ववशता होती ह वशषता नह

नाऽ ोदकसम दान न त थ ादशी समान गाय याः परो म ो न मातः पर दवतम

अ और जल क समान कोई दान नह ादशी क समान कोई त थ नह गाय ी स बढ़कर कोई म नह और माता स बढ़कर कोई दवता नह 7

चाण य का कहना ह क भख को भोजन और यास को जल पलान कसमान दान कोई नह उनका वचार ह क ादशी को कया आ प य कम अ धकफल दन वाला होता ह गाय ी को सव म माना गया ह गाय ी को स कर लन पर

क सभी मनोरथ पण हो जात ह इसी कार सबस बढ़कर माता स मान क पा हउसका थान दवता स भी ऊचा ह य क वह मन य को ज म दन वाली ह माता हीसतान को य और परो प स स का रत करती ह स कार ही मन य क जीवन काआधार ह

त क य वष द त म काया त म तकव क य वष प छ सवाग जन वषम

साप का वष उसक दात म होता ह म खी का वष उसक सर म रहता ह ब छका वष उसक पछ म होता ह अथात इन सभी वषल ा णय क एक-एक अग म ही वष

होता ह ल कन जन मन य क सभी अग वष स भर ए होत ह 8आचाय का कथन ह क वषल ा णय को वष का योग करन क लए समय

चा हए व वशष प र थ तय म ही जस क शकार करन या अपन बचाव क लए हीअपन वष का योग करत ह जब क तो सदव वषदश करता रहता ह

प यरा ा वना नारी उपो य तचा रणीआय य हरत भतः सा नारी नरक जत

प त क आ ा क बना जो ी उपवास पी त करती ह वह अपन प त क आयको कम करन वाली होती ह वह ी नरक म जाती ह उस महान क भोगन पड़त ह 9

न दानः श यत नारी नोपवासशतर पन तीथसवया त द भतः पादोदकयथा

ी अनक कार क दान करन स श नह होती अथात मो ा त नह करसकती सकड़ उपवास करन स भी वह श नह होती अनक तीथ क या ा करन क बादभी वह श नह होती वह तो कवल प त चरण क सवा स ही श हो सकती ह अथातमो ा त कर सकती ह 10

आचाय क अनसार ी का सबस थम कत अपन प त क सवा ह जो ीअपन प त क सवा न करती हो तथा अ य धा मक काय म अपना समय बतान का य नकरती ह उस कोई वशष लाभ नह होता उसका सव थम कत प त क सवा करना हउसी स उस मो मलता ह परो प स सदश यह ह क ी पहल अपन पा रवा रककत का नवाह कर सवा ही उसक म का साधन ह

दानन पा णन त ककणन नानन श न तच दननमानन त तन त भोजनन ानन म न तम डनन

हाथ क शोभा कगन पहनन स नह वरन दान आ द दन स होती ह शरीर क शनान करन स होती ह चदन लगान स नह मन य क त त आदर-स मान स होती ह

भोजन स नह और मन य को मो ान स होता ह चदन आ द क तलक लगान स नह 11

आचाय न यहा पर बाहरी साधन क नरथकता बतलात ए आत रक ता औरसत पर जोर दया ह बा साधन को ही असल मान लना मन य क सबस बड़ी भल हयह भल अकसर लोग करत ही रहत ह

स ः ाहरा त डी स ः ाकरी वचास ः श हरा नारी स ः श कर पयः

कद खान स त काल मन य क ब न होती ह वच खान स त काल बबढ़ती ह नारी शी ही श का हरण करती ह और ध पीन स उसी ण बल ा त होताह 13

परोपकरण यषा जाग त दय सतामन य त वपद तषा स पदः यः पद पद

जन स जन लोग क दल म सर का उपकार करन क भावना जा त रहती हउनक वप या न हो जाती ह और पग-पग पर उ ह धन-सप क ा त होती ह 14

आहार न ाभयमथन च सामा यमततपश भनराणामधम ह तषाम धको वशषो धमण हीनाः पश भःसमानाः

भोजन करना न द लना भयभीत होना और मथन अथात सतान क उ प करनाय सब बात मन य और पश म एक जसी होती ह मन य म पश क अप ा धम ही ऐसीवशष व त ह जो उनस अ धक होती ह य द मन य म धम न हो तो वह पश क समान ह15

दाना थनो मधकरा य द कणतालर रीकताःक रवरण मदा धब ात यव ग डयगम डनहा नरषा भगाःपन वकचपद मवन वस त

य द मद म अधा हाथी अपनी मदब क कारण अपन म तक पर बठ ए मद पीनक इ छक भ र को अपन कान फड़फड़ाकर र भगा दता ह तो इसम भ र क कोई हा ननह होती व जाकर खल ए कमल पर जा बठत ह उ ह वहा स रस मल जाता ह परतऐसा करन स हाथी क ग ड थल क ही शोभा न होती ह 16

आचाय का अ भ ाय ह क कछ मागन आए ए याचक को लौटान स याचक कहा न नह होती अ पत दाता क हा न होती ह याचक को नराश नह लौटाना चा हएउसका स मान करक उसको दान-द णा द ता क वह लोग क सामन दाता क गण काबखान कर

राजा व या यमो न त करो बालयाचकौ

पर ःख न जान त अ मो ामक टकःराजा व या यमराज अ न चोर बालक याचक और ामीण को सतान वालmdashय

आठ बड़ ही कठोर होत ह य सर क क को नह समझत 17सकत ह क इनस बचकर रह

अधः प य स क व प तत तव क भ वर र मख न जाना स गत ता यमौ कम

कसी अ यत बढ़ ी को जसक कमर बढ़ाप क कारण झक गई थी दखकरकोई यवक य करत ए पछन लगाmdashह व नीच या ढढ़ रही हो या प वी परत हारी कोई चीज गरी पड़ी ह त हारा कछ खो तो नह गया उस य को सनकर बढ़औरत न कहा क अर मख त नह जानता क मरा यौवन पी मोती खो गया ह म उसी कोढढ़ रही 18

व ा का सकत ह क इस ससार म जसन ज म लया ह वह बचपन कशोर औरयवाव था क बाद व ाव था को ा त होता ह इसस कोई भी नह बच सकता त भी यहाप चगा इस लए मझ पर न हस जसका सामना करना हो उस पर य हसना

यह ोक व क उप ा क ओर भी यान दलाता ह हर पीढ़ अपनी पछलीपीढ़ का मजाक ही उड़ाती ह एक वचारक न सही कहा ह क व क शाखाए प औरफल यह भल जात ह क उ ह जीवन उन जड़ स मल रहा ह जो क प परो औरन य ह

ाला याऽ प वफला प सक टकाऽ पव ाऽ प प कल-भवाऽ प रासदाऽ पग धन बधर स कत क सवज तोरएको गणः खल नह त सम तदोषान

ह कतक तझस साप लपट रहत ह फल भी नह लगत काट भी ह और व ताभी ह इसक अ त र तरा ज म क चड़ म होता ह और त सरलता स ा त भी नह होतीइतना सब कछ होन पर भी तर म जो गध ह वह सब ा णय को मोह लती ह 19

आचाय क अनसार म य द एक भी गण हो तो उसम सार दोष सहज हीछप जात ह

आचाय चाण य का कहना ह क व ा ग स ही ा त करनी चा हए वय व ाका अ यास करन स वह लाभ नह होता जसा ग ारा ा त क गई व ा स

उनका कहना ह क जो आपस जसा वहार करता ह उसस उसी कार कावहार करना चा हए जसन आपक त हसा का वहार कया ह उसक त हसकवहार ही ठ क रहगा कछ महान प ष ऐस भी ए ह जनका यह कहना था क हसा

का उ र अ हसा स दया जा सकता ह वहार क स एक सामा य ारा ऐसाकर पाना सभव नह हो पाता ऐसी सत-महा मा क हो सकती ह चाण य न यहस ात कटनी त क स बताया ह दश क सदभ म तो lsquoजस को तसाrsquo क नी त यादाउपय ह

आचाय न इस अ याय म तप क मह व को भी प कया ह उनका कहना ह कय द मन य म तप का अभाव ह और वह लोभ म फसा आ ह तो उस और कसी बराई क

या आव यकता ह य द मन य का वभाव सर क नदा करना ह तो चाण य इस महानपाप क णी म रखत ह उ ह न स य को ही तप बताया ह अथात जो स याचरणकरता ह उस कसी अ य तप क आव यकता नह ह

चाण य न इस अ याय म दान का मह व बतात ए कहा ह क जो दान नहकरता उस धन क ा त नह हो सकती

चाण य कहत ह क मन य का जो वा त वक व प ह उसको ही थर रखनाचा हए उस ा त करन क लए कसी कार क ढ ग क आव यकता नह ह इसी कारउनका यह कहना पण प स ावहा रक ह क इस ससार म जो श हीन होता हवह ऐसा कट करन लगता ह क उसस बढ़कर कोई स जन नह परत इस कार क ढ गको आचाय चाण य नकारत ह ववशता म कया जा रहा काय वभाव क स यता को नहदशाता

आचाय चाण य कहत ह क अ और जल स बढ़कर कोई दान नह भख को सोन-चाद क अप ा भोजन क आव यकता होती ह उ ह न गाय ी को सबस

म बताया ह उनका यह भी कहना ह क सभी दवी-दवता म सबस थान माताका ह

क सबध म तो अनक थान पर उसक ता का वणन कया गया हजन अथात स जन को हर समय ख दता रहता ह उसक शरीर का कोईथान ऐसा नह जो जनता स र हत हो उसका सग कसी भी तरह स य न हो

हा नकारक ही ही क सबध म आचाय चाण य का मानना ह क उसका क याण प त क सवा स

ही होता ह य द वह प त क सवा न करक उपवास दान आ द ही करती रह तो भी उसकाक याण नह हो सकता उनक य वचार वहार क कसौट पर खर ह प त-प नी का यहसबध गह थ क उ त का आधार ह इसी स प रवार म शा त बनी रहती ह दोन क लए

प रवार ही हआचाय न जहा दान क मह व को बताया ह वहा उ ह न यह भी कहा ह क

क शोभा दान स ही होती ह साज-शगार करन स उसक शोभा नह बढ़ती स जन कसबध म उनका कहना ह क व आप य स इस लए र रहत ह य क उनक मन मसवसाधारण क त परोपकार करन क भावना रहती ह इसस उनक क अपन आप रहो जात ह और उ ह कसी भी कार क कमी भी नह रहती

सामा य गह थ क लए आचाय का कहना ह क य द उसक ी प त ता ह कट-भाषण नह करती और उसक घर म कसी कार क कोई कमी नह उसक सतान शालीनऔर वनय आ द गण स य ह तो उसका घर ही वग क समान ह

यह तो सभी जानत ह क ब त-सी बात पश और मन य म एक समान होती हभद उनम कवल धम क कारण ही होता ह मन य भी पश क समान खाता पीता सोताऔर सतान उ प करता ह य द उसम धम का अभाव ह तो उसका जीवन भी पश कसमान समझा जाना चा हए ब क पश स भी बदतर य क पश क त क कछ न तनयम म बधा आ ह

मन य का जीवन अनक प र थ तय स गजरता ह माता क गभ स ज म लन कबाद ब च क प म उसका वकास होता ह कशोराव था क बाद यवाव था आती ह औरदन ढलन क समान मन य का शरीर भी अ त होन लगता ह उसक कमर म बल पड़ जातह उस थ त को दखकर अ ानी प ष ही उसका उपहास कर सकता ह य क यवाव थाक बाद शरीर का बल होना अव यभावी ह जो यवा व का उपहास करत ह व मख हव भल जात ह क एक दन उ ह भी इस अव था को ा त होना ह

आचाय न इस अ याय क अत म एक ब त ही मह वपण बात कही ह उनकामानना ह क य द कसी चीज म कोई ऐसा गण ह जसस अ धकाश लोग को लाभ होता हतो उसक अवगण मह वहीन हो जात ह यक का कत ह क वह अपन म लोगका उपकार करन क गण का वकास कर य द उसम लोग क उपकार करन का गण ह तोउसक अ य दोष क ओर कसी का यान नह जाएगा इस वशष गण क सामन अ यअवगण गौण हो जाएग

राजा को चा हए क वह कसी भी थ त म वषयmdashभोग म न डब इसस उसक श काास होता ह भवरा रस चखन क लोभ म कमल क प प म रातभर बद रहता ह उसक

कोमल प को नह काटता जब क वह बास को काटन म स म ह यह थ त सदवआप य और वप य को नम ण दन वाली आ करती ह

चाण य स

दशन-सा ह य म अपनी बात को स म कहन क अ यत ाचीन परपरा ह इन स कोकठ थ करना सरल होता ह आ म चतन क लए य अ यत उपयोगी होत ह य उन बीजक तरह ह जो दखन म तो छोट होत ह ल कन जनक गभ म वशाल व क सभावनाछपी होती ह आचाय चाण य न नी त शा क सार को स प म इसी लए तत कयाह ता क उ ह समझकर वहार म उनस लाभ उठाया जा सक

अथतो षण ीः प र यज त जो राजा थोड़-स धन स सत हो जाता ह रा य ल मी उस याग दती ह

यो य मन कम ण कशलः त त म व योजयत जो जस काम को करन म कशल हो उस वही काय करन का भार स पना

चा हए

आ म छ न काशयत श को अपनी बलता का प रचय नह दना चा हए अथात ऐसा य न करना

चा हए क अपनी बलताए श पर कट न ह

गण न म सरः क ः सर क अ छ गण स ई या नह करनी चा हए

सवाव थास माता भत ा यक अव था म माता का भरण-पोषण करना चा हए

अथ चाण य स ार यत नमः श बह प त याम

श ाचाय और बह प त को नम कार ह 1

प थ ा लाभ पालन च याव यथशा णपवाचायः

था पता न स यक मदमथशा कतमप थवी क ा त और उसक र ा क लए परातन आचाय न जतन भी अथशा -

वषयक थ का नमाण कया उन सभी का सार-सकलन कर lsquoअथशा rsquo ( तत) करचना क गई ह चाण य क म lsquoअथrsquo का ता पय भ म स ह इस कार भ म कासर ण और सवधन नी त शा का उद द य ह lsquoकोषrsquo इस अथ का एक आयाम ह 2

सख य मल धमः सख धम स ा त होता ह अथात धम मानवो चत क का पालन ही सख का

मल हससार म यक मन य सख चाहता ह परत यक क सख क अवधारणा

पथक होती ह कोई सख कवल इसी बात म मानता ह क उसक पास धन हो जससवह अपनी इ छाए परी कर सक सख स रह सक अ छा मकान बना सक कार रख सकऔर ी का भोग कर सक आ द कसी को सख लखन-पढ़न म मलता ह कोई अपनीसतान को अ छा बनान म ही सख समझता ह

ब त कम लोग जानत ह क वा त वक सख या ह

इस सबध म भी मा यताए भ हकोई शराब-मास स बचता ह व या क पास नह जाता कोई अपना काम नयम स

करता रहता ह और इसी तरह जीवन बता दता ह कोई ब च क पोषण म लगा रहता हऔर कोई दश-सवा म सख समझता ह कछ लोग धा मक क य म ही सख का अनभवकरत ह वह धा मक काय म खब बढ़-चढ़कर ह सा लत ह

यह सब बात सख नह ह सख का आभास मा ह मानवो चत क का पालनकरन स ही मन य क धम का पालन होता ह और यही धम-पालन सख ह 3

धम य मलमथः धम का मल ह अथ धम अथात नी तपवक मानवो चत काय को करत रहन स ही

अथ क ा त होती ह अथ को सर त रखन क लए रा य- व था का मह वपणसहयोग होता ह

आचाय चाण य न अनक थान पर अथ क मह ा को प कया ह उनकाकहना ह क धन क बना धम का पालन भी असभव होता ह अथात धन क बना न तोमन य कसी कार क उ त कर सकता ह और न कसी कार क क याणकारी कायउ ह न नधन को ससार म सबस नरीह बताया ह नधन को कसी कार काभी सख ा त नह होता और न ही वह अपन क का पालन कर पाता ह इस लएमन य को चा हए क धम काय क लए धन का स ह कर

धन तो पापी क पास भी हो सकता ह परत उसक पास धन होन स न तो उसकोई लाभ हो सकता ह और न ही ससार का कसी कार का क याण जस धन का योगधम क र ा और मानव-क याण क लए होता ह वा तव म वही धन ह बाक मट ट ह 4

अथ य मल रा यम अथ का मल ह रा य अथात रा य क सहायता अथवा व था क बना धन स ह

करना क ठन ह धन स ह क लए रा य म थरता और शा त था पत होना अ यतआव यक होता ह जब तक रा य म अशा त रहती ह तब तक रा य सप नह हो सकता

जन दश अथवा रा य न अपन य न ारा दश को वक सत और स प बनायाह उसम वहा क सरकार क मख भ मका रही ह इसक अ त र यक रा य अथवासरकार ापा रय को अनक कार क स वधाए दान करती ह जसस रा य सप होताह आज क वक सत रा इस बात का माण ह क उ ह न अपन ापा रय अथवाउ ोगप तय को कस कार ो साहन दया अथात यह बात प ह क कसी दश क लोगका सप होना उस दश क शासन- व था पर नभर होता ह 5

रा यमल म यजयः रा य का मल इ य को अपन वश म रखना ह

यक रा जो उ त करता ह वहा क सव च पदा धका रय का क ह क वअपनी इ य को वश म रख उनक सयम क कारण ही रा य क सम थर रह सकतीह य द वहा क अ धकारी अथवा सव च नता कसी कार का सयम नह रख सकग तोजनता भी उनका अनसरण करती ई वसा ही आचरण करगी

इ य पर सयम रखन का अथ काफ ापक ह अ धकारी स ा क नश म नरकशहोकर काय करन लगग तो रा य म व ोह पदा हो जाएगा इसस रा य क हा न होगी

आज भी हमार सामन अनक दश क उदाहरण ह जहा क शासक न अपनीनरकशता क कारण रा को हा न प चायी ह अनक दश म वहा क सव च स ा प ष नजनता पर इतन अ याचार कए और वय तथा अपन सग-सब धय को रा य म मनमानाकाय करन क आजाद द जसस रा को त उठानी पड़ी ब त स राजनता भोग-वलास क कारण जना ोश का नशाना बन ब त स ाचार व वाथपरता क कारणअपमा नत ए

इ य पर वजय का अथ यही ह क अपनी इ छा को सी मत रख इसआ म नय ण भी कह सकत ह lsquoयथा राजा तथा जाrsquo वाली बात ह राजप ष असयमी

ाचारी व अकम य ह ग तो भला जा इन राचरण स अछती कहा रह सकती ह 6

इ यजय य मल वनयः इ य को जीतन का सबस म य कारण न ता हमन य वनयशील रहकर ही इ य को जीत सकता ह वनयशील रहन क लए

मन य को स जन लोग क सग त म रहना चा हए व ततः गणी मन य ही वनयशील होतह जस कार फल स लद ई व क शाखाए नीच क ओर झक जाती ह उसी कारगणवान न वभाव का होता ह

वनयशील ही श ाचार का तीक हो सकता ह 7

वनय य मल व ोपसवा ान-व क सवा वनय का मल ह

यहा व का अथ आय म बड़ा होना नह ह परत ान क अ धकता स ह जो लोगव ान ह ज ह ससार क मह वपण वषय का ान ह उन लोग को ान-व कहा जाताह यह आव यक नह क ान-व क आय ब त अ धक हो ब त स छोट आय म

ही अपन य न स अनक वषय और व ा का ान ा त कर लत ह जो लोग ऐसय क सवा म रहत ह व ही वनयशील हो सकत ह वनयशील व ान अपन

माता- पता आ द सभी का मान-स मान करता ह व ान क पास जो ान- पी धन ह उसा त करन क लए को न होकर कशलतापवक उस ा त करन का य न करना

चा हए राज अथवा रा य क अ धका रय को भी व ान लोग क त वनयशील रहत एउनक सवा करत ए उनस ान ा त करन का य न करना चा हए 8

व सवया व ानम मन य व क सवा स ही वहारकशल होता ह और उस अपन क क

पहचान होती हव क सवा स को इस बात का पता चलता ह क कौन-सा काय करन

यो य ह और कौन-सा न करन क यो य इसका भाव यह ह क व न अपनजीवनकाल म ब त कछ सीखा ह उसन ब त मामल म अनभव ा त कया होता ह य दकोई सासा रक काय- वहार म कशलता ा त करना चाहता ह तो उस बढ़ यक सवा करनी चा हए उनक अनभव स लाभ उठाना चा हए जो मन य ान-व लोगक पास नरतर उठता-बठता ह और उनम ा रखता ह वह ऐस गण सीख लता ह क उससमाज म अपन आचार- वहार स स मान ा त होता ह वह धोखबाज और पाखडी लोगक च ह म नह फसता

इस स म जो lsquo व ानमrsquo श द आया ह उसका अथ कवल वहारकशल होना हीनह वरन ससार क अनक ऐसी बात ह जनका ान व लोग क पास आन-जान उनकउपदश और उनक सग त करन स ा त होता ह व अपन अनभव स उनका जीवन सरलबनान म सहायक होत ह इस कार व ान का अथ एक ापक जानकारी स ह जसक

ा त कवल प तक स ही सभव नह य क उ ह पढ़न समझन और ान ा त करन मकाफ समय लगता ह व प ष क पास जीवन का नचोड़ होता ह इस लए व कसवा ा और भ पवक करन स मन य ससार क अनक मह वपण ान सरलतापवक

हण कर सकता ह 9

व ानना मान स पादयत रा या भलाषी लोग व ान वहार-कशलता या क का प रचय ा त करक

अपन आपको यो य शासक बनाए मन य को चा हए क वह अपन आपको उ त क मागम ल जान क लए ान- व ान स सबध बनाए उसक ा त का य न कर

चाण य स क ा या करन वाल अनक य न इस स का अथ यो यशासक बनान क दशा म कया ह परत यह स कवल शासक क लए ही नह

जनसामा य क लए भी ह य क यक ान- व ान ा त करन क बाद ही अपनको यो य बना सकता ह यहा ान- व ान का अथ वहार-कशलता स ह जो सभी कलए ह कसी भी म सव च शखर तक प चन क लए को वहार-कशलहोना चा हए 10

स पा दता मा जता मा भव त जो प ष ान- व ान स सप होता ह वह वय को भी जीत सकता ह अथात वही

ससार म सफल होता हइस स क भी आध नक सदभ म दो अथ होत हmdashअथात जो शासक स य क

अनसार आचरण करना सीख लता ह वह अपनी इ य को जीत सकता हसरा अथ यह ह क जो सामा यजन स य वहार स प र चत हो जाता ह जस

स य और अस य का ान हो जाता ह वह अपनी इ य को जीत सकता ह औरआ म वजयी हो सकता ह अ ानी मन य अपन आप पर वजयी नह हो सकत य कउसको स य और अस य का ान नह होता इस लए मन य का क यह ह क अपनआप पर वजयी होन का य न कर अपन आप पर वही नय ण रख सकता हजस सासा रक वा त वकता का ान हो जो वय को जीत लता ह वह ससार को जीतसकता ह स भवतः चाण य क कहन का यही ता पय ह 11

जता मा सवाथः सय यत अपन ऊपर काब पान वाला मन य स च अथ स सप होता ह अथात नी त जानन

वाल और अपन ऊपर नय ण रखन- वाल लोग अपन आप को सम त सप य स सपसमझ

जो अपन आप को जीत लता ह अथात अपन ऊपर नय ण कर लता हउसक यह वशषता होती ह क वह जो काय अपन हाथ म लता ह उस स पण करक हीछोड़ता ह ऐस ही धन-धा य और सप य क वामी होत ह ल मी और स याऐस क वश म रहती ह जो जत य होता ह अथात उसी क पास धन इकट ठाहोता ह वही सप शाली होता ह जो अपन पर वजय ा त कर लता ह जो अपन पर नय ण नह रखता वह सप य को ा त नह कर सकता अथात धनवान बननक लए को अपन पर नय ण रखना सीखना चा हए 12

अथस पत क तस पद करो त रा य क सपदा स वभाववश जा क सप य म भी व होती हराजा क सप होन स जा क धन-धा य म भी व होती ह ऐसा वाभा वक

ह य द राजा ही सप नह होगा तो जा कस सप हो सकती ह द र रा क जा भीद र ही होती ह

य द रा य म अ छ व था था पत होती ह तो राजा व जा दोन का ही सपहोना सरल हो जाता ह अ व था अथवा अशा त म कसी भी रा अथवा क सपहोन क सभावनाए समा त हो जाती ह अतः रा को सप बनान क लए वहा स व थाका होना ज री ह इस सब ध म राजा अथवा जा जा अथवा राजा दोन एक- सर परआ त होत ह य द जा द न- खी और द र ह तो रा भी सप नह कहला सकता 13

क त स पदा नायकम प रा य नीयत क त-सप स जाजन क गण-व क ारा नता-र हत रा य का भी सचालन

कया जा सकता हभाव यह ह क कसी कारणवश य द राजा का अभाव भी हो जाए तो ऐसी थ त म

य द जा नी तय काय करती ह तो रा य क काय अ छ ढग स चलत रहत हइस स का वा त वक अथ यह ह क नी तवान राजा क भाव स उस परामश दन

वाल म ी रा य कमचारी तथा ट स आ द दकर अपन क को परा करनवाली जा कमख नी तय रहकर काय-कौशल स सप हो जात ह अथात जब रा य कमचारी

और जा क लोग रा क सबध म अपन क को भली कार समझत ह तो रा य-शासनचलान म कोई क ठनाई नह होती य द जा और अ धका रय को अपन क का बोध हतो राजकाय स व थत ढग स चल सकता ह 14

क त कोपः सवकोप यो गरीयान रा य क व क त का ोध सब ोध स भयकर होता हएक राजा स सरा राजा ो धत हो जाए तो उसस नपटा जा सकता ह कोई रा य

कमचारी या म ी हो जाय तो उस समझा-बझाकर अपन प म कया जा सकता हजा हो जाए तो उस अ य धक सख-स वधा दान कर स कया जा सकता ह परत

य द क त क पत हो जायmdashकह भकप कह अ तव कह अनाव कह च वातऔर उपल व mdashतो राजा क लए यह अ नवारणीय हो जाता ह इसी लए कहा गया ह क

क त का कोप सभी कोप स बढ़कर होता ह 15

अ वनीत वा मलाभाद वा मलाभः यान अ वनीत वामी क ा त होन क अप ा वामी का न होना य कर ह इसका

भाव यह ह क अयो य को राजा बनान क अप ा राजा न बनाना ही रा य क लएक याण क बात हो सकती ह

कसी रा क बागडोर अयो य शासक क हाथ म होन स रा क हा न होना न तह अयो य राजा क हाथ म अ धकार दन स अ छा यह ह क वहा पचायती रा य था पतकया जाय अयो य राजा स जा का क याण नह हो सकता इस स का वा त वकभावाथ यह ह क रा क लए यह आव यक नह ह क कसी को अ नवाय प स राजाबनाया ही जाए इस कार चाण य गणत का समथन करत ह 16

स पा ा मानम व छत सहायवान राजा को रा यो चत गण स सप होना चा हए तथा अपन जस ही गणी सहायक

रखकर रा य का कायभार सभालना चा हएराजा का क ह क वय अपन आप को यो य बनान क बाद अपन वचार स

मल खान वाल गणवान य को ही अपना सहायक बनाए तभी वह भली काररा यभार को सभालन म समथ हो सकता ह उस अपनी श य व क का पण ानहोना चा हए उसक इ या वश म होनी चा हए उसक वचार नी तपण स य स य होनआव यक ह शासक का क यह ह क वह शासको चत गण स सप हो उसमगभीरता होना आव यक ह तभी वह अपन सहायक स उ चत काय लन म समथ हो सकताह जब राजा को वय ही राज स सब धत नी तय और काय का ान नह होगा तो उसकसहयोगी उसको स माग स वमख कर सकत ह 17

नासहाय य म न यः गणी सहायक स हीन राजा क वचार अ न त होत ह म प रषद क बौ क

सहायता स हीन अकला राजा अपन सी मत अनभव क बल स राज जस ज टल क कवषय म उ चत नणय नह कर सकता

म प रषद क उ चत सलाह क बना अकला राजा राजकाय को ठ क स नह नभासकता य क अ धकाश य का अनभव और उनक श या सी मत होती ह जब करा य स सब धत वचार और नणय का रगामी प रणाम होता ह इस लए राजा काक ह क जब भी कोई न य कर अथवा कसी नी त का नधारण कर उस अपनब मान सहायक स परामश अव य करना चा हए

इस कार यह कट ह क रा य-शासन चलान क लए ब मान म य कआव यकता रहती ह 18

नक च प र मय त

जस रथ को एक अकला प हया नह चला सकता उसी कार रा य को एक चलान म असमथ होता ह राजा क अ त र म प रषद रथ क सर प हय क समान कामकरती ह

य द अकला राजा ब मान म य क सहायता क बना काय करता ह तो वहएकत और तानाशाह रा य कहलाता ह इसस रा य क हा न होती ह इ तहास ऐसउदाहरण स भरा पड़ा ह जहा एक तानाशाह न जो भी काय कए अ ततः उनका प रणामरा क लए हा नकारक आ जस कार एक अकल च स गाड़ी नह चल सकती उसी

कार कोई राजा भी सहयोगी म प रषद क बना भली- कार काय-भार नह चला सकता 19

सहायः सम ःखसखः सख- ःख आ द दोन थ तय म जो म ी राजा स पण मल रखकर उसक

सहायता करता ह उस ही वा त वक सहायक कहत हसख और ःख जीवन क दो प र थ तया ह दोन थ तय म जो एक-सा वचार

रखता आ सहायता करता ह उस को ही वा त वक सहायक माना जाता ह सामा यप स ायः दखन म यह आता ह क सख म तो ब त स साथी हो जात ह परत ःख म

साथ दन वाल ब त कम होत ह तब उसक सग-सबधी और यहा तक क प नी भीउसका साथ छोड़ दती ह कत जो सख- ःख म समान भाव रखत ह को उ ह हीअपना स चा सहायक और हतषी मानना चा हए 20

मानी तमा ननमा म न तीय म म पादयत बध सबधी सम या क उ प होन पर वा भमानी राजा का क ह क वह

सम या क तकल वचार अपन मन म उ प कर फर दोन थ तय को अपनस मख रखकर वचार कर

यक सम या क दो पहल होत ह समाधान क प म सरा वक प हो सकता हऔर उस समाधान को नकारन वाला तक भी सभव ह सम या उ प होन पर राजा को उनदोन पहल पर वचार करना चा हए उसक बाद ही कोई नणय लना चा हए अथात उसइस बात का भली कार चतन-मनन करना चा हए क वह उन सम या का जो समाधानसोच रहा ह उसका प रणाम या होगा जो राजा अथवा रा य-स था इस कार कसीसम या क दोन पहल पर वचार करती ह वही उ चत नणय ल सकती ह उ चत नणयका अथ यह ह क राजा अथवा रा य क अ धका रय को अपन नणय क सबध म कसी

कार का सदह नह होना चा हए सशया मन वन य तmdashसशयमना ल य स हो जाताह 21

अ वनीत नहमा ण न म कव त स य और ववक स हीन को कवल नही होन क कारण ही अपना हत

करनवाला नह मानना चा हए उस अपन स सबध रखनवाली सम या पर वचार करन मभी स म लत नह करना चा हए

जो ववकहीन ह अथात जस समय क उपय काय करन का कोई ाननह ऐस स य द आप नह रखत ह तो भी उस अपन जीवन स सब धत रह य औरमह वपण लाभदायक बात क सबध म वचार- वमश म स म लत नह करना चा हए उसयह अ धकार भी नह दना चा हए क वह आपस सब धत काय क जाच-परख कर उनकआलोचना कर 22

तव तमपधाश म ण कयात तकशा द डनी त तथा म णा करन क श आ द वधा क पारगत तथा

ग त प स ली गई परी ा म खर उतर को ही म ी नय करना चा हएराजा का क ह क म ी नय करन स पव उसक परी ा ल क कह वह

वाथ और लोभी तो नह वाथ और लोभी ायः ऐस काय करत ह जसस हा नहोती ह 23

म मलाः सवार भाः भ व य म कए जान वाल सभी काय क लए पहल स ही भली- कार सोच-

समझकर काय म बनान स ही काय स होत हइस स म म का अथ भली कार सोच-समझकर बनाई गई काय-योजना ह यह

एक सामा य सझबझ क बात ह क कोई भी काय ारभ करन स पव उसक सबध म भली-कार सोचकर काय म क योजना नह बनाई जाएगी तो उस काय क स होन म सदह

हो सकता ह इसक लए आव यक ह क वशष क साथ काय स सब धत सभी बात परवचार- वमश कया जाए कसी भी काय को स करन क लए इस कार का वचारआधार शला का काम करता ह उसक सफल होन क सभावना बढ़ जाती ह 24

म र ण काय स भव त भ व य क सबध म बनाई गई काय-योजना को ग त रखन स ही काय स हो पाता

हभ व य क कसी भी योजना को ग त रखना चा हए इसका यह लाभ होता ह क

उस योजना स सब धत श उस काय म बाधा उ प नह कर पात अचानक अपना

काय सप कर लता ह और श मह ताकत रह जात ह 25

म व ावी काय नाशय त जो कसी काय क सबध म बनाई गई योजना को ग त नह रख सकत उनक

काय न - हो जात हकसी काय क लए बनाई गई योजना असावधानी बरतन स ऐस लोग पर कट हो

जाती ह जो उसक वरोधी होत ह कई बार ऐसा होता ह जब योजना बनाई जाती ह तो उससमय वहा कोई ऐस अवा छत हो सकत ह जो उसका भद श पर कट कर दइस लए यह बात यान म रखनी चा हए क सब काय क सफलता क लए म णा ग तहोनी चा हए और उस तब तक ग त रखा जाना चा हए जब तक काय पणतया सफल न होजाए 26

मादाद षता वशमपया य त य द राजा अथवा रा य क कमचारी अपनी म णा को ग त रखन म थोड़ा-सा भी

आलस अथवा लापरवाही बरतत ह तो योजना क गोपनीयता सर त न रह पाएगी औरउसका भद श क पास चला जाएगा जसस रा य क हा न होगी और श को लाभ होगा 27

सव ार यो म ो र त ः अपनी योजना क भद कट होन क सभी माग को रोककर उसक र ा करनी

चा हए अथात इस कार का य न करना चा हए क अपनी योजना कसी भी कार कटन होन पाए

म अथवा ग त रह य को कट होन स बचान क लए पण य न करना चा हएऐस सभी ार को बद कर दना चा हए जनस रह य क फटन क सभावना हो अथातचगलखोर जसक पट म बात न पचती हो ऐस क सामन म णा नह करनी चा हए 28

म स पदा ह रा य वधत म का रह य ग त रखन स ही रा य क धन धा य क व होती हरा य क काय स सब धत सभी म णा और योजना को सर त रखन क

कारण ही रा सम हो सकता ह इस लए आव यक ह क अपनी योजना को ग त रखनम पण सतकता बरती जाए 29

तमा म ग तमा ः म को ग त रखन क नी त सव नी त हराजधम क आचाय बह प त वशाला बा दतीप पशन भ त व ान लोग

म ग त रखन क नी त को अ य सब नी तय का सरमौर बता गए ह 30

काया ध य द पो म ः म अधकार म माग दखान वाल द पक क समान ह यह अपन काय क सबध म

अ न त नी त वाल को उसका क -माग दखान म सहायक होता हजस घर का मा लक काश क बना अपन ही घर म अध क समान वहार

करता ह उसी कार मन य स वचा रत म क बना अपना क -पालन करन म अधाबना रहता ह 31

म च षा पर छ ा यवलोकय त जन राजा को अपनी वजय क आशा रहती ह व अपन परामशदाता म य क

आख स अथवा उनक स अपन वरो धय क कमजो रय को जान लत हजो राजा सदव सतक रहता ह वही जीत क आशा कर सकता ह वह अपन म य

अथवा अ य परामशदाता क सहायता स अपन वरोधी रा क कमजो रय का पतालगा लता ह सर रा क कमजो रय अथवा बलता का ान होन पर राजा लाभ उठासकता ह और अपन रा य को स ढ़ बना सकता ह 32

म काल न म सरः कत ः म हण करत समय म दाता क छोट अथवा बड़पन पर यान न दकर उसक

अ ा पन पर ई या न करक ा क साथ म हण करना चा हएइसका भाव यह ह क जस समय कसी योजना क सबध म वचार कया जा रहा

हो उस समय कसी को छोटा अथवा नबल समझकर उसक बात को मह वहीन नहसमझना चा हए म णा म भाग लन वाल सभी सद य का क ह क व न प भाव ससबक वचार सन 33

याणामकवा य स ययः कसी वचारणीय क क वषय म जब कोई वचार कया जा रहा हो तो उसम

भाग लन वाल व भ कार क य का एकमत होना माना जाता ह एकमत होन

क कारण काय स स न त हो जाती ह 34

कायाकायत वाथद शनो म णाः काय अकाय क वा त वकता को ठ क-ठ क समझनवाल अपन वतन स अ धक न

चाहन वाल तथा म क रह य को समझनवाल म ी होन चा हएइस स म आचाय चाण य न इस बात क ओर सकत कया ह क राजा क म ी

कस कार क ह राजा को चा हए क व ऐस म ी नय कर ज ह इस बात का ान होक कौन-सा काय करन यो य ह और कौन-सा न करन यो य अथात ऐस को म ीबनाना चा हए जो वा त वकता को ठ क स समझनवाला हो इसक अ त र उसमकसी कार का लोभ और लालच न हो अथात उस जस वतन पर नय कया गया हउसक मन म उसस अ धक पान क इ छा न हो 35

षट कणाद भ त म ः चाण य न इस स म भी अपन रह य को ग त रखन क बात कही ह उनका

कहना ह क कोई वचा रत बात छह कान म प चन स रह य नह रह पातीम राजा तथा म यम ी क अ त र कसी भी तीसर क कान तक प चन

स ही असार हो जाता ह यही इस स का भाव ह इसक अनसार जब म णा को अ तमप दना हो तो उस समय कवल दो उ रदायी मन य ही उस न त अ तम प द 36

आप स नहसय म म वप क दन म जब सारा ससार वप म फस ए को अकला छोड़ दता

ह तो उस समय सहानभ त रखनवाला ही म कहलाता ह 37

म स हण बल स प त स चा म मल जान अथवा उनका स ह करन स मन य को बल ा त होता ह

अथात मन य स च म क कारण अपन को बलवान अनभव करता हमन य को स चा म मलन स जो बल ा त होता ह उस सात व भ प म

दखा जाता ह यह बल उस अपन वामी म ी दश ग खजाना सना और म आ द कप म ा त होता ह अथात इनम स कोई भी एक या एक स अ धक ोत उसक प म होत

ह तो अपन आप को श -सप मान सकता हइसस पहल स म भी यही बताया गया ह क आप म जो नह रखता ह

उस भी म कहा जा सकता ह और इस स का प अथ यह ह क मन य क स च म

ही उसका वा त वक बल होत ह 38

बलवान ल धलाभ यतत अथात स च म स जो बल ा त होता ह उसस राजा अ ा त रा य य को पान

का य न करता ह अथवा कर सकता हइसी कार सामा य मन य भी स च म क ा त होन स उन लाभ को ा त करन

का य न कर सकता ह जो उस जीवन म ा त नह ह इस कार म क स च बल सअपन आपको बलवान अनभव करनवाला उस बल स अपन जीवन को वक सत करसकता ह परत इसक लए उस उ म करन क आव यकता होती ह बल ा त होन पर भीउसक उपयोग और उसस लाभ उठान क मता म होनी चा हए 39

अल धलाभो नालस य आलसी अ ा त रा य य ा त नह कर सकता अथात आलसी

अथवा आलसी राजा न तो अपन रा य क सीमा को वक सत कर सकता ह और न अपनरा य को सम शाली बना सकता ह

व ततः स य म न ा न होना ही आल य ह जो स यहीन ह वह सदव ऐसकाय करता ह जो करन क लायक नह होत ह और उपय काय को करन म आल यदखाता ह आल य उस भी कह सकत ह जसस कसी कार का लाभ नह होता

आल य मन य का सबस बड़ा श ह lsquoआल य ह मन याणा शरीर थोमहान रपःrsquo अथात आल य ही मन य क शरीर म रहनवाला उसका सबस बड़ा श ह 40

अलस य ल धम प र त न श यत स यहीन आलसी जो कछ ा त ह उसक र ा करन म भी असमथ होता ह

अथात आलसी राजा अपन क स वमख होन क कारण ा त रा य य को भी सर तरखन म समथ नह होता

सामा य ससार म भी यह दखन म आता ह क आलसी अपन धन-ऐ यसप अथवा सख का व तार नह कर सकता इसक वपरीत उस इस ससार म जो कछ

ा त ह आल य क कारण वह उसस भी हाथ धो बठता ह 41

न चालस य र त ववधत आलसी स यहीन य नहीन का दववश स चत रा य य कछ काल तक

सर त दखन पर भी व को ा त नह होताराजा क ऐ य म व न होना वा तव म उसका वनाश ह जसा क पहल बताया

जा चका ह क मन य क शरीर म रहनवाला आल य ही उसका सबस बड़ा श होता हइस लए मन य का क ह क वह आल य पी दोष को सदव र करन का य न कर 42

न भ यान षय त आलसी स यहीन अकम य भोग वलास म फसा आ राजा अथवा रा य

अ धकारी रा य क कमचा रय को उनक उ चत काम पर लगान अथवा उनस अ धक कामकरवान म आल य स काम लता ह

जो लोग आलसी ह व अपन अधीन रहन वाल यो य कमचा रय स भी सही कारस काम लन म असमथ रहत ह आलस को न यागना नौकर-चाकर तथा अ यअ धका रय स उनक यो यता क अनसार काय न लना राजा का एक कार स अपराध हइसस रा य- व था म गड़बड़ पड़ जाती ह 43

अल धलाभा द चत य रा यत म अल ध का लाभ ल ध क र ा र त का वधन तथा राजकमचा रय क उ चत

नय ारा काय म व नयोग या य य रा य- व था क चार आधार ह य चार बातमलकर राजत कहलाती ह

अथात रा य-त क लए यह आव यक ह क रा को जो कछ ा त नह ह उसउपल ध करवान का य न कया जाय उस जो कछ ा त ह उसक र ा क जाए औरउसक व क जाए यह राजत क मख काय ह 44

रा यत ाय नी तशा म समाज म च लत वहार म आन वाली बात को ही नी तशा कहत ह रा य-

व था नी तशा क अनसार ही होती हय द रा य- व था एक व श नी त स सप हो तो समाज म एक वशष कार

क नी त ज म लती ह और इसी कार क समाज म उस फलन-फलन का अवसर मलताह 45

रा यत वाय ौ त ावापौ अपन रा स सब धत तथा सर रा स सबध रखन वाल क अपनी रा -

व था क आव यक अग होत हयक रा क अ य रा क सबध म एक वशष नी त होती ह यक सरकार म

एक वदश म ालय भी होता ह जसका काम अपन पड़ोसी रा य अथवा स र रा य कत नी त- नधारण करना होता ह इस नी त का वशष लाभ यह होता ह क इसस रा

स ढ़ होता ह वदश नी त इस कार क होनी चा हए जसस रा का अ हत न हो उसकसर ा म कसी कार क बाधा न पड़ यह वभाग कसी भी दश क क याण क लएअ य त आव यक होता ह 46

त व वषयक य वाय म वरा - व था त कहलाती ह और वह कवल वरा सबधी क स सब

रहती हअपन रा क सबध म अपन क पर करन स ही रा य म व था कायम रहती

ह रा य म अ व था होन का कारण यही ह क रा य क अ धकारी अपन दश स सब धतक क उप ा करत ह व अपन क का पालन नह करत इसस रा य मअ व था फलती ह और रा य को हा न प चती ह 47

आवापो म डल न व ः आवाप अथात सर रा स सब धत क म डल अथात पड़ोसी रा स सबध

रखता हजो रा सर रा पर वशष नजर रखता ह उनक ग त व धय क जानकारी ा त

करता ह वही सफलतापवक अपन रा य को थर रख सकता ह जो पड़ोसी रा य कग त व धय पर नह रखता उस हा न उठानी पड़ती ह 48

स ध व हयो नम डतः पड़ोसी रा य स अनक कार क स धया तथा उसक व काय- व था रा

नी त का मह वपण अग हस ध का अथ ह कसी पड़ोसी दश स ऐस समझौत करना जो दश क हत म हो

व ह का अथ ह पड़ोसी रा य क सबध म वरोधी कारण को अपनाना जहा स धय ारादोन दश को लाभ होता ह वहा कछ काय ऐस भी होत ह जनका सबध आपसी वरोध सभी होता ह अथात यक रा को पड़ोसी दश क वहार क अन प स ध और व हकरत रहना चा हए इसस दश म रा य- व था थर रहती ह 49

नी तशा ानगो राजा राजा को नी तशा क अनसार चलना चा हएराजा को द डनी त तकशा तथा अथशा आ द क बात का पण ान होना

चा हए इन बात का शासन- व था स सबध ह इस लए राजा अथवा रा य कअ धका रय को इन शा का स म ान ा त करना चा हए य द राजा अथवा रा य कअ धकारी इन बात स अप र चत ह तो उन पर कसी कार का सामा जक नय ण नह रहपाएगा इस कार व व छाचार स पण काय करन लगग इसस रा क भारी हा न होन कसभावना रहती ह और रा य म व ोह उठ खड़ होत ह इस लए राजा का क ह क वहनी तशा क नयम क अनसार ही जा का पालन कर 50

अन तर क तः श ः इस स का भावाथ यह ह क कसी रा क नकटवत रा य अथवा वहा क लोग

भी श बन जात हायः यह दखा जाता ह क जहा सीमा पर सघष अथवा लड़ाई-झगड़ होन क

सभावना बनी रहती ह व दश आपस म श बन जात ह ऐसा ाचीनकाल स रा य कइ तहास पर डालन स भी पता चलता ह आज क वातावरण म भी अनक दश मसीमा को लकर झगड़ होत रहत ह इस लए राजा रा य-अ धकारी और सीमा कसर ा करनवाली सना का क ह क व अपन पड़ोसी रा य स सतक रह पड़ोसीरा य क ग त व धय को दखत रह 51

एका त रत म म यत श रा क पड़ोसी जसक सीमाए श रा स मल रही ह उसक भी हमार श

रा स श ता रहनी वाभा वक ह अतः वह उस श क व हमारा म बन जाता हअनक रा य आपस म एक- सर स श ता रखत ह इस लए राजा को चा हए क

वह अपन पड़ोसी श रा स श ता रखन वाल रा को अपना म बना ल कटनी त कायह एक मह वपण अग ह इस नी त स लाभ उठाना राजा का क ह 52

हततः श म भ व यतः श और म बना कारण क नह होत श ता और म ता कसी कारणवश आ

करती हय द इस नी त स को आध नक सदभ म दखा जाए तो यह बात ब त ज द प

हो जाती ह जब अमरीका और स म शीत य चल रहा था तो अमरीका भारत का

वरोधी था उस समय स न भारत क ओर म ता का हाथ बढ़ाया यह एक सामा य-सानयम ह क कोई भी रा अपन प को बल करन क लए अ य रा का सहयोग मागताह 53

हीयमानः स ध कव त नबल राजा को अपन स श शाली रा य स स ध कर लनी चा हएनी त जाननवाला नबल राजा अपन पड़ोसी सश और अ यायी राजा क साथ

स ध करन स ही अपन रा य क र ा कर सकता ह उस नी तपवक स ध करक अपन दशपर आए सकट अथवा य क थ त को टाल दना चा हए जो राजा ऐसा नह करता उसभयकर हा न उठानी पड़ती ह स ध करन क प ात परो प स कमजोर राजा को अपनी

थ त को ढ़ बनान का य न करना चा हए 54

तजो ह स धानहत तदथानाम सामा य प स स ध करनवाल दोन दश म वा त वक और लाभदायक स ध तभी

हो सकती ह जब दोन रा तज वी और भावशाली ढग स आचरण करनवाल ह अथात दो रा म स ध का वा त वक लाभ तभी हो सकता ह जब दोन रा अपन

वा भमान को थर रख सक और भावशाली ढग स अपन रा का प उप थत करसक ऐसी स ध स दोन रा को लाभ हो सकगा 55

नात तलोहो लोहन स धीयत जस कार गम लोहा ही गम लोह स मल सकता ह उसी कार य द स ध

करनवाल दोन राजा तज वी ह ग तभी स ध सफल हो पाएगीजस कार गम लोह पर चोट मारन स ही उस अनकल प म ढाला जा सकता ह

इसी कार य द स ध करनवाल दोन रा तज वी नह ह ग तो स ध सफल नह हो सकगी 56

बलवान हीनन व यात बलवान राजा को चा हए क वह श को कमजोर दखकर ही उसस य करन क

ठानय द कोई बलवान राजा कसी पर आ मण करना चाहता ह तो उस सर रा क

श का पवानमान लगा लना चा हए य द सरा रा उसस श म उ ीस हो तभी उससय क ठाननी चा हए अ यथा नह 57

न यायसा समन वा अपन स अ धक सम तथा अपन समान बल वाल रा स श ता नह बाधनी

चा हए 58

गजपाद व ह मव बलव हः अपन स बलवान राजा स य करना बलकल वसा ही ह जस हा थय क झड ारा

पदल सना को कचलवा दनाइसका भाव यह ह क जो राजा जानबझकर अथवा अ ानवश कसी बलवान राजा

पर आ मण करता ह तो उसस आ मण करनवाल राजा का ही वनाश होता ह यहबलकल इसी कार का काय ह जस वशाल प थर क शला स अपना माथा टकराना 59

आमपा मामन सह वन य त जस कार दो क च पा य द आपस म टकरात ह तो दोन ही टट जात ह इसी

कार समान श वाल राजा म य दोन क वनाश का कारण होता ह 60

अ र य नम भसमी त राजा को चा हए क वह अपन श क य न अथवा उनक ारा कए जान वाल

काय पर सावधानीपवक नजर रखयक रा का क ह क वह अपन श रा पर हर समय सतकतापवक नजर

रख उस इस बात का ान भी होना चा हए क श रा कस बात का य न कर रहा हसर रा स स धय ारा उस कस कार का लाभ होन क सभावना ह राजा को चा हए

क वह यह सब बात अपन ग तचर ारा जान और अपनी तथा अपन रा य क र ा कपरी सावधानी बरत 61

स धायकतो वा अपनी वजय चाहनवाल राजा को चा हए क वह अपन पड़ोसी रा य स स ध

अथवा य आ द यक अव था म श क य न पर परी तरह रख 62

अ र वरोधादा मर ामावसत राजा का क ह क वह अपन रा को बाहर और भीतर क वरोध स बचाता

रहश रा पड़ोसी रा को कमजोर करन क लए अनक उपाय अपनात ह व

आतकवा दय ारा रा म भय फलान का य न करत ह अनक बार व सा दा यक दगकरवान का य न करत ह अनक थान पर बम- व फोट तथा लटमार करक भी रा कोअ थर करन का य न करत ह उस रा म कछ ऐस वरोधी त व पदा हो जात ह जोवाथवश रा को उ त क माग पर ल जान क य न का वरोध करत ह इसी लए रा क

शासक का क ह क व बाहरी और आ यात रक खतर स रा क र ा करन काय न कर 63

श हीनो बलव तमा यत नबल तथा श हीन राजा का क ह क वह कसी बलवान परत धा मक राजा

को अपना म बना ल और उसक सहायता स अपन रा य को सर त रखन का य नकर

नबल रा का क ह क वह कसी बलवान रा को स ध आ द उपाय सअपना म बना ल जसस वह अपनी वत ता क र ा कर सक जस कार कमजोरमन य को दखकर उस क दन का य न करता ह उसी कार श शालीपड़ोसी रा य श का भय दखाकर नबल रा को डरात-धमकात रहत ह इस लएकटनी त का सहारा लत ए अपन रा को थर और सर त रखन क लए कसीश शाली रा का आ य लना उ चत ह परत उस इस बात का व ास होना चा हए कजस रा का सहारा लया जा रहा ह वह कसी कार का अनी तपण काय नह करगा यहतभी सभव होता ह जब दोन रा एक- सर क वाथ क प त करत ए एक- सर को लाभप चान का य न करत ह 64

बला यो ःखमावह त बल का आ य लन स ःख उठाना पड़ता ह

य द कसी रा को अपनी श पर व ास न हो तो उस अपनी वत ता क र ाक लए कसी श शाली रा का ही आ य लना चा हए नबल और कमजोर रा काआ य लन स लाभ नह होगा य क बल रा स समय आन पर कसी कार कक याण क आशा नह क जा सकती इस कार यह प ह क बल रा का सहारा लनस आ य लन वाल रा को ःख उठान पड़त ह 65

अ नव ाजानमा यत कसी राजा स सबध तोड़ लन क बाद उसस उसी कार सावधान रहना चा हए जस

अ न स सावधान रहता ह 66

रा ः तकल नाचरत राजा क तकल आचरण नह करना चा हए राजा स ोह का अथ ह रा का

ोहरा स ोह करना एक भयकर पाप माना जाता ह उसक सजा म यद ड ह

इस लए रा अथवा जनता ारा चन गए त न ध अथवा रा य- व था स व ोह करनारा - ोह क णी म आता ह 67

उ तवषधरो न भवत मन य को ऐसा वष धारण नह करना चा हए जसस वषधारण करनवाल क

उद दडता कट होमन य जस समाज म रहता ह उस चा हए क वहा क सामा जक नयम क अन प

ही व धारण कर उस ऐस व धारण नह करन चा हए जस दखकर मन म तर कारअथवा घणा क भावना पदा हो का वष समाज क च क अन प होना चा हए 68

न दवच रत चरत मन य का क ह क वह उस कार क काम न कर जो राजा क यो य होत ह

अथात मन य को राजा क च र का अनकरण नह करना चा हएइसका भावाथ यह ह क मन य को धन क अ भमान म आकर राजा क समान

मकट और छ आ द धारण नह करन चा हए और उस उन च का योग भी नह करनाचा हए जनका योग कवल राजा क लए ही न त होता ह सामा य मन य को ऐसाकरना उ चत नह भाव यह ह क जन-सामा य को ऐसा कोई काय नह करना चा हएजसस उस राजा का त माना जाए 69

योरपी यतोः धीभाव कव त रा य य स ई या करनवाल दो य म वरोध पदा कर दना चा हएरा य का क ह क शासन- व था का वरोध करनवाल सगठन क त सतक

रह उसका य न होना चा हए क रा य ोही और व भ दल सग ठत न हो सकअथात उनम फट डालकर उ ह न कर दना चा हए

अनक रा म रा य का वरोध करनवाल अनक सगठन पदा हो जात ह शासन-व था का क ह क वह रा य का वरोध करनवाल सगठन को परी तरह सग ठत न

होन द उनक सबध म सतकता बरतनी चा हए उ ह कसी कार का ऐसा अवसर नह दनाचा हए क व आपस म इकट ठ होकर सय मोचा बना सक 70

न सनपर य कायावा तः जो सन अथवा कसी कार क बरी लत म फसा आ ह वह कसी भी

काय म सफल नह हो सकता अथात उसका कोई भी काय सफल होना क ठन हजो कसी कार क सन आ द म फसा आ ह उसका काय उसक लए

कभी भी फलदायक स नह होता कारण यह ह क उसक काय म न तो कोई उ साहहोता ह न ढ़ता कसी कार क भी सन म फसा आ आ म- व ास स र हतहोता ह आ म व ास स हीन क काय म कसी कार क तज वता नह होतीउसका मन हर समय वषय भोग म फस रहन क कारण क क ओर रत ही नहहोता 71

इ यवशवत चतरगवान प वन य त चतर गणी सना स य होन पर भी य द राजा अपनी इ य को वश म नह रख

सकता तो वह न हो जाता हइस स का भाव यह ह क मन य को अपनी इ या अपन वश म रखनी चा हए

जस मन य क इ या अपन वश म नह होत वह अपनी इ छा को पण करन क लएऐस काम करता ह जो उसक वनाश का कारण होत ह राजा क लए यह और भीआव यक ह य क उनक पास असी मत श या होती ह आचाय चाण य का कहना हक य द राजा क पास असी मत श या ह उसक पास सभी कार क सनाए ह सभीकार क अ -श ह तो भी उस चा हए क वह अपनी इ य को वश म रख इ य को

वश म न रखन स उसका सम रा य भी न हो सकता ह 72

ना त काय त व य जन लोग को जआ खलन क आदत होती ह व अपन क क त उदासीन

होत ह अथात उ ह अपन क का ान नह होताराजा क जए क त अ य त आस रा क लए घातक स हो सकती ह

जआ एक ऐसा सन ह जसम परा जत होता आ भी अत तक जीत क कामनाकरता रहता ह परत उस वा त वकता का तभी ान होता ह जब वह सब कछ खो बठताह इ तहास इसका उदाहरण ह य ध र न जआ खलन क लए य धन क नम ण को यह

कहकर वीकार कर लया क इस कार क नम ण को अ वीकार करना राजा क लएअ छा नह परत सभी जानत ह क उस नम ण को वीकार करन का फल या आ 73

मगयापर य धमाथ वन यतःशकार खलना राजा का मनोरजन हो सकता ह परत जो उसक त अ यत आस

हो आव यकता स अ धक इस काम म च लता हो चाण य क अनसार वह अपन धमऔर अथ दोन ही न कर लता ह 74

अथषणा न सनष ग यत जीवनयापन क आव यकता हत धन स ह करन क इ छा को सन म नह

गना जातायक को धन-स ह करन क इ छा रहती ह चाण य न अनक थल पर

नधन क जीवन को नरथक बताया ह नधन सभी जगह क उठात हउसक सग-सबधी भी क म उसका साथ छोड़ दत ह इस लए धन उपाजन क लए नरतर

य न करना बरा सन नह कहा जा सकता 75

न कामास य कायान ानम अ य धक कामास अथवा च र हीन कसी भी काम को ठ क स नह कर

सकताकसी भी रा क लए आव यक ह क वहा क रा य अ धकारी च र वान ह

य क य द व वय च र वान नह ह ग तो जा म भी पापाचार क त आस बढ़जाएगी और पापाचार बढ़न स अपराध म व होगी इस लए जहा तक य न हो ऐसकाम स बचा जाए जनस जा म वषय भोग क त च बढ़ 76

अ न दाहाद प व श वा पा यम कठोर वाणी आग स जलन स भी अ धक ःखदायी होती हकहा जाता ह क तलवार का घाव भर जाता ह परत कठोर वाणी का घाव दल पर

सदा क लए अ कत रहता ह कठोर बात बोलना एक कार का सन ह अ ववक मन यो धत होता ह तो उसक वाणी भी कठोर हो जाती ह तब वह बना सोच-समझ ऐसी बात

कहन लगता ह जो सर क दय म सदा क लए चभती रहती ह इसका अथ यह ह ककठोर वाणी भ व य म होन वाल ववाद का बीज ह इस लए सत-महा मा न कहा ह कमन य को कट वाणी स बचना चा हए मधर वाणी स अपन श को भी म बना

सकता ह 77

द डपा यात सवजन यो भव त गत ष मन म रखकर य द कोई दडदाता ( यायाधीश) कसी को कठोर दड

दता ह तो वह अपन प व आसन स प तत होकर जनता का कोपभाजन बन जाता हदड दन का अथ यह होता ह क म सधार हो वह अपन बर काम को छोड़

परत य द दड दनवाला गत ष क कारण अथवा ोध म आकर अपराध क मकाबलअ धक कठोर दड दता ह तो जनता क मन म दड दनवाल क त ष-भावना पदा हो जातीह व ततः यायाधीश का क ह क वह याय क प व आसन पर बठकर अपराधी कमन स अपराध-भावना न करन क लए दड द न क क त ष अथवा ोध मआकर कठोर दड दन क व था कर ऐसा करन स लोग क याय क त आ था कम होजाएगी जो जन हत म नह ह 78

अथतो षण ीः प र यज त जो राजा थोड़-स धन स सत हो जाता ह रा य ल मी उस याग दती हराजा को अपन राजकोष स कभी भी सत नह होना चा हए य द वह अपन

अपया त साधन स सत होकर बठ जाएगा तो रा य नधन और ीहीन होकर न होजाएगा 79

अ म ो द डनी यामाय ः त हारा श त ह कतनी हा न प चा सकता ह इसका भाव त हारी दडनी त पर

आधा रत हय द श क त त हारी दडनी त नबल होगी और त हारी तरफ स कसी कार क

सतकता नह बरती जाएगी तो श का दमन करना त हार लए क ठन हो जाएगा इस लएयक राजा का क ह क वह ऐसी दडनी त अपनाए जसस उसक श रा य क व

कसी कार का अपराध करन स घबरात रह 80

द डनी तम ध त न जाः सर त जो राजा दडनी त को अपन अ धकार म रखता ह वही जा क र ा करन म समथ

होता हदडनी त का नधारण करना रा यस ा का काय ह इस कार क दड क व था

करनी चा हए जसस श अथवा रा य- वरोधी लोग जा को क प चान म समथ न हो

सक दडनी त नधा रत करन क साथ राजा का क ह क वह समय-समय पर उसकसमी ा भी करता रह य द कसी रा य क नी त नबल होगी तो उसस जा क र ा नहहो पाएगी जा सकट म पड़ जाएगी इस लए ऐसी दडनी त का नधारण करना चा हएजसस जा अपन आपको सर त अनभव कर 81

दडः स पदा योजय त दड ारा ही राजा या रा य को सम त सप या ा त होती ह अथात वह सम त

सप य स सप बनता हदड याय का पयायवाची ह दड ही याय ह जा दड स ही वश म रहती ह रा य

म दड- व था न रहन स य- व य खान आयकर तटकर ऋणदान याय-अ यायहाट- व था आ द स आय क सम त ोत भा वत होत ह बड़ लोग छोट को लटकरखान लगत ह तब दश म उप व खड़ हो जात ह इसस रा यनाश या सप नाश क थ तबन जाती ह अतः दड-सबधी राजा क नयम इस कार क होन चा हए जसस कसी भी

को उनक व जान का साहस न हो 82

द डाभाव म वगाभावः रा य म दडनी त स उप त होन पर राजा यो य म य को छोड़कर अयो य म य

क वश म हो जाता हजब रा य म दडनी त क उप ा होन लगती ह तो राजा को उ चत परामश दन वाल

म य का अभाव बन जाता ह दश अथवा पड़ोसी श रा क सबध म दडनी त का सहीउपयोग करन क लए चतर परामशदाता म य क आव यकता होती ह जो राजा इस बातस इनकार करता ह अथवा इस बात क उप ा करता ह उस चापलस अ धकारी घर लत हऐसी थ त म राजा मनमान काय करन लगता ह इसस रा क हा न होती ह 83

न द डादकाया ण कव त अपराधी व क लोग दड अथवा जमान आ द क भय स रा क वधान- वरोधी

काय स र रहत हजस रा य म दड क भय स अपराध नह करत उस ही धम का शासन

कहा जाता ह उसी रा य म धम और अथ क र ा होती हधम और अथ क र ा का भाव यह ह क अपराधी व क लोग यह जानत ह क

रा - वरोधी काय करन स उ ह कठोर दड दया जाएगा इस लए वह रा य- वरोधी पाप-कम करन स अलग रहत ह ऐस ही रा य को धमय रा य कहा जाता ह 84

द डनी यामायतमा मर णम दड सबधी नी तय को ठ क रखन स आ मर ा हो सकती हप दडनी त क ारा ही रा सर त रह सकता ह रा य का क याण इसी बात

पर नभर करता ह क दडनी त सबधी नयम या ह और उनका या भाव होता ह उसकदडनी तया जा का क याण करन वाली ह जा का क याण ही उसका अपना क याणहोता ह और जा क र ा ही रा क र ा कहलाती ह अथात जा क अ त व स अ धकराजा का अ त व नह होता जा क सर ा क बना राजा क सर ा कस हो सकती ह85

आ म न र त सव र त भव त राजा क सर त रहन स ही पर रा को सर त कया जा सकता हचाण य क स को जन-सामा य और राजा सबधी दोन कोण स दखा जा

सकता ह चाण य न अ य थान पर भी कहा ह क मन य को अपनी र ा क लएसबकछ ब लदान करन क लए नह हचकना चा हए य द वह इस कार अपनी र ा करलता ह तो न ई धन-सप को फर स ा त करन का य न कर सकता ह इसी कारय द राजा अपनी आ मर ा करन म समथ ह तो इस पर रा को सर त समझा जा सकताह 86

आ माय ौ व वनाशौ मन य क व और वनाश उसक अपन हाथ म होत हभगवान ीक ण न गीता म लखा ह क मन य अपना ही सबस बड़ा म और

अपना ही सबस बड़ा श होता ह वह अपन ही काय स सबकछ बनाता ह और बगाड़ताभी ह इसी कार रा क व और उसका पतन राजा क हाथ म ह राजा क यो यता औरअयो यता भी कसी रा य क व और वनाश का कारण होती ह राजा य द यो य होगातो रा य का व तार होन क साथ धन-धा य स सम भी होगा य द वह नी तहीन शराबी

भचारी और सन म फसा आ ह तो रा का वनाश हो जाएगा अथात मन य कव और वनाश उसक अपन वहार पर नभर करता ह 87

द डो ह व ान णीयत दडनी त का योग सावधानीपवक सोच-समझकर कया जाना चा हएदडनी त क सबध म य द सही ढग स उस पर वचार कया जाए तो उसक

अ नवायता और वा त वकता कट होती ह इसी कार दड का योग करत समय भलीकार स वचार करना चा हए

इस स स ऐसा ात होता ह क उस काल म दड- वधान तो था परत उसका व पपणतः प नह था इस लए यक थ त म दड-सबधी नणय पर वशष प स वचारकरना आव यक ह इस लए चाण य न दड क सबध म यह कहा ह क इसका योग ब तसोच-समझकर करना चा हए य क दड क योग प रणाम रगामी होत ह उसका भावब त ापक होता ह इस लए दड दत समय भली कार वचार कया जाना चा हए 88

बलोऽ प राजा नावम त ः राजा को नबल और एक साधारण आदमी समझकर उसक आ ा क अवहलना

नह करनी चा हएजो लोग राजा अथवा रा य- शासन को कमजोर और साधारण मानत ह और

उसक आ ा अथवा वधान का उ लघन करत ह व रा ीय अपराध करत ह रा य कउप ा अथवा अपमान करन स सभी क हा न होती ह उसस रा का ापक अ हत होताह इस लए जो लोग राजा अथवा शासन- व था को कमजोर मानत ह व अधकार म रहतह राजा अथवा शासन का यह क ह क वह अपन आपको श शाली बनाए औरनयम का कठोरता स पालन कर 89

ना य नद ब यम अ न को कभी बल नह समझना चा हएएक छोट -सी चगारी भारी अ न-का ड का प धारण कर सकती ह और भयकर

वनाश हो सकता ह उसस वशाल जगल भ म हो जात ह इसी कार जन लोग मरा य ी कट होती ह उनक श ीण दखाई दन पर भी जनता को सग ठत करन कश क कारण बल प धारण कर लती ह इस लए उसक अवमानना नह करनीचा हए 90

द ड तीयत व ः राजा क सपण शासक य यो यता उसक दडनी त स कट होती ह 91

व मलमथलाभः धन-धा य क ा त अथवा रा य का सम होना राजा क च र पर नभर करता

हरा य का सम होना राजा क च र पर नभर करता ह रा य ी उसी राजा को

ा त होती ह जो अपनी इ य को सयम म रखता आ जा क क याण क लए नरतरकाय करता ह अतः राजा को च र वान होना चा हए 92

अथमलौ धमकामौ धम का अन ान तथा रा क कामना क प त रा य य क थरता पर ही

नभर रहा करता हसासा रक क का पालन करत ए मान सक उ कष धम का अन ान और

रा ीय कामना क प त तभी हो सकती ह जब रा य य थर रहता ह अथात धम कर ा करत ए धन-स ह अथवा रा य ी क व करनी चा हए रा य य क व तभीहोती ह जब राजा और जा क काय धम पर आधा रत ह अथात धम का पालन धन कबना नह हो सकता तथा धन स ही क याण भी कया जा सकता ह 93

अथमल कायम अथ अथवा धन काय का मल होता हकठोर कम स ही रा य ी क व होती ह धनाजन करन क लए को काय

करना पड़ता ह धन स ही सार काय सप होत ह धन क बना जस कार मन य नज वहोता ह उसी कार धनहीन रा अथवा राजा भी जनता क हत का कोई काय नह करसकता जस पवत स नकलकर बहती ई नद लोग को जीवन दान करती ह उसी कारधन क वाह स सम त काय सप होत ह 94

यद प य नात काय स भव त रा य ी ा त होन पर कोई भी काय थोड़ा-सा य न करन पर ही स हो जाता

हकसी रा क काय क स उसक सम होन पर ही नभर करती ह य द रा म

श ह और उसक राजकोष म धन क कमी नह ह तो ऐस रा क लए कोई भी कायकरना क ठन नह होता 95

उपायपव न कर यात य द कोई काय उपायपवक कया जाए तो उसक सप होन म कोई क ठनाई नह

होती

जसा क ऊपर बताया गया ह काय क सफलता क लए य न का उतना मह वनह जतना उपाय का होता ह दखना यह होता ह क मन य न कसी काय को स करनक लए कन उपाय का योग कया य द कसी काय को सही ढग स कया जाए तो वहब त थोड़ समय म भी सप हो जाता ह य द उपाय सही न हो तो काय क स होन म हीसदह बना रहता ह 96

अनपायपव काय कतम प वन य त पहल कोई उपाय स कए बना ारभ कया आ काय न हो जाता ह अथात

उपाय पवक काय न करन स काय स नह होतकाय स करन क लए आव यक ह क नधा रत योजना बनाई जाए उस योजना

पर चलन क लए उ चत उपाय न त कए जाए कोई भी काय ारभ करन स पव यक अथवा रा को यह दख लना चा हए क उस काय को करन क लए उसक श

कतनी ह वह कन उपाय ारा काय स करना चाहता ह य द उपाय सही ह ग तो कायज द स हो जाएगा अ यथा काय बगड़ जाएगा 97

काया थनामपाय एव सहायः इस स म भी चाण य का कहना ह क जीवन म उपाय का या मह व होता ह

अथात उपाय ही काय स करन वाल क लए स चा सहायक स होता ह 98

काय प षकारण ल य स प त काय अपना व प नधा रत करन क बाद ल य बन जाता हजब तक मन य अपन काय को क मानकर उस ल य क प म वीकार नह

कर लता तब तक उनका स होना क ठन होता ह मन य क लए उसक जीवन का ल यअपन क का पालन करना होता ह जो मन य ज म पाकर अपन क को परानह करता वह अपन जीवन क ल य को भी ा त नह कर सकता 99

प षकारमनवतत दवम भा य प षाथ क पीछ चलता हlsquoउ ो गन प ष सहमप त ल मी दवनदय म त काप षा वद तrsquo अथात जो

प षाथ करता ह उस ही ल मी ा त होती ह अथात उसक काय स होत ह भा य कासहारा तो कमजोर और कायर लत ह यहा भा य क रह य को भी समझनाआव यक ह भा य क मल म भी प षाथ ही तो होता ह भा य को ार ध भी कहत ह

अतीत का प षाथ ही वतमान म lsquoभा यrsquo बन जाता ह 100

दव वना त य न करो त य फलम भा य अनकल न हो तो सही ढग स कया आ काय भी भौ तक फल दान नह

करतापरत भा य क अनकलता को कसी काय क लए इतना मह व नह दया जाना

चा हए जतना य न को य द मन य ब म ापवक सही ढग स काय करता ह तो भा यभी उसक अनकल हो जाता ह वा तव म जो काय कवल वाथ स रत होकर कए जातह हो सकता ह उनक लए भा य क अनकलता आव यक हो परत जो काय जन हत कलए कए जात ह उनक त सपण भावना भा य को भी अनकल बना दती ह कवल भा यक भरोस बठ रहन स काय नह चलता 101

असमा हत य व न व त अ व थत च वाल क पास सद वहारपण सद भावना नह रहतीजस का च अथवा ब थर नह रहती उसक हा न होती ह जस

का मन थर नह होता उसस सद वहार क आशा करना थ ह उसकसद भावना समा त हो जाती ह उसक च व या ण- ण म बदलती रहन क कारणव ास क यो य नह रहत इसस न तो उसका कोई काय सप होता ह और न कोई लाभहोता ह 102

पव न य प ात कायमारभत काय आरभ करन स पहल उसक वषय म सभी पहल पर मन म वचार कर लना

चा हए काय को कन उपाय स पण कया जाएगा इस सबध म पणतः न त होन क बादही काय ारभ करना चा हए

काय क सबध म सभी बात पर वचार कए बना काय ारभ करन स अनक कारक क ठनाइया उ प हो सकती ह कहा भी हmdashlsquo बना वचार जो कर सो पाछ पछतायrsquoअथात ब मान प ष को काय ारभ करन स पव सभी बात पर वचार कर लना चा हएउस इस बात को स ात क प म वीकार कर लना चा हए 103

काया तर द घस ता न क ा काय आरभ करन क बाद अ त वलब अथवा आल य नह करना चा हए अ त

वलब तथा आल य क स होन का च ह

कोई भी काय ारभ करन क बाद उस परा करन म दरी अथवा आल य नह करनाचा हए उसक सबध म यह नह सोचना चा हए क उस परा करन क अभी या ज द हऐस वचार हा नकारक ह इसस मन य क मन म आलस क भावना पदा होती ह और थोड़समय म समा त होन वाला काय लब समय तक अपण रहता ह 104

न चल च य कायावा तः काय करत समय जनका च चचल रहता ह उनक काय कभी समा त नह होतअ थर च और थोड़ी-थोड़ी दर म जस क वचार बदलत ह उसका कोई

भी काय परा होन म सदह रहता ह चचल च वाला यक बात म सदह करतारहता ह सदह करन वाल क काम तो कभी पर नह होत पर त वह वय परा (समा त) होजाता ह 105

ह तगतावमाननात काय त मो भव त काय को स करन क लए मन य क हाथ म जो साधन ह उनका स पयोग

करना चा हए जो साधन का स पयोग नह कर सकता उसका काय न हो जाता हकाय स क लए मख लोग ऐस साधन क पीछ भटकत ह जो उ ह ा त नह

होत वा तव म उ ह काय को स करन क साधन का म याकन करना नह आतासाधन क सबध म य द मन य क वचार थर नह ह तो उस काय स करन म सफलता

ा त नह होती 106

दोषव जता न काया ण लभा न ससार म ऐस काय का मलना क ठन ह जनम कोई दोष न होमन य जो भी काय करता ह उस पणतया नद ष नह कहा जा सकता उसम कह -

न-कह कोई कमी अव य रह जाती ह मन य वय अपन आप म अपण ह इसी लए यहसमझना अ यत क ठन ह क वह जो भी काय करगा उसम कोई दोष नह रहगा

दोष व नद ष क सबध म भी व भ य क वचार भ हो सकत ह य कय द क त क ओर दखा जाए तो भी उसम अनक लोग क वचार स दोष दखाई दग 107

रनब ध काय नारभत मन य को ऐस काय म हाथ नह डालना चा हए जनक प रणाम न त प स शभ

न ह

अशभ काय करन स मन य को हा न होती ह इस लए मन य का क ह क वहजो भी काय ारभ कर उसक सबध म उस पण व ास होना चा हए क इसका प रणामअ छा होगा 108

काल वत काय साधयत अनकल समय को पहचानन वाला अपना काय बड़ी सरलता स स कर

दता हब मान का क ह क कोई काय ारभ करन स पव उस यह दखना

चा हए क समय उसक अनकल ह अथवा तकल समय क अनकलता क अ त र उसअपन सहायक और प र थ तय क वषय म भी वचार करना चा हए उस यह बात भीयान म रखनी चा हए क काय स करन म कतना य होगा

इस कार क बात पर वचार करन स मन य समय को अपन अनकल बना लताह जो इन बात पर वचार नह करता वह समय अनकल होन पर भी काय स करन मअसफल रहता ह

इसी लए को काय स क लए उ चत समय को पहचानन का य न करनाचा हए जस कार गम लोह पर चोट करन स ही उस अपनी इ छानसार ढाला जा सकताह इसी कार अनकल समय पर काय करन स काय ज द स हो जाता ह 109

काला त मात काल एव फल पब त क का समय टल जान स वय काल ही उसक सफलता को चाट जाता हजो काम कसी न त समय पर कया जाना आव यक होता ह य द वह समय

हाथ स नकल जाए तो उसका सफल होना असभव होता ह कारण प ह सफलता कलए तयार थ तया-प र थ तया बखर जाती ह 110

ण त काल व प न कयात सवक यष मन य कसी भी न त क म णमा का वलब न करमन य को चा हए क वह कसी भी न त क म एक ण भी वलब न कर

ठ क समय पर कय गय काम क सफलता मन य को दखा दती ह क यह काम जस णम कया गया ह वही उसका सव म काल था काय क उ चत समय को पहचानना हीमन य क सीखन क सव म कला मानी गयी ह 111

दशफल वभागौ ा वा कायमारभत

मन य का क ह क वह प र थ तय और काय क सफलता क सभावनादोन को पण प स समझकर काय ारभ कर

जो समय दश और प र थ तय को वचारकर काय नह करता उससफलता नह मलती काय ारभ करन स पव को इस बात पर भी वचार करनाचा हए क काय क सफलता क कतनी सभावना ह 112

दवहीन काय ससा यम प ःसा य भव त य द भा य तकल हो तो आसानी स स होन वाला काय भी क ठनता स स

होन वाला दखाई दता हप र थ तय क अनकल न होन पर आसानी स स होन वाला काय भी क ठन

दखाई दन लगता ह मन य का क यह ह क वह अपन प षाथ स उस काय को सकरन का य न कर य क उ मी प ष को ही ल मी ा त होती ह lsquoदवन दय म तकाप षा वद तrsquo तकल थ तय क बात तो कायर प ष करत ह उ मी प ष अपनप र म स प र थ तय को अपन अनकल बना लत ह प षाथ मन य न ससार म ऐसकाय कर दखाए ह जनक सबध म आज भी आ य होता ह मन य को चा हए क कायक क ठनता स न घबराकर प षाथ स उसका मकाबला कर 113

नी त ो दशकालौ परी त क को ववक स करना नी तवान मन य का थम क ह

वहार-कशल प र थ तय और सअवसर दोन बात का पण ान करन कबाद ही काय ारभ करता ह वह काय ारभ करन स पव भली कार उसक ववचनाकरता ह नी तवान वही ह जो काय को बना वचार ही आरभ नह कर दता 114

परी यका र ण ी र त त भली कार सोच- वचारकर तथा अवसर को पहचानन क बाद जो काय

करता ह उस ही सफलता ा त होती ह 115

सवा स पदः सव पायन प र हत राजा का क ह क वह सभी कार क उपाय स अथात अपनी ब -कौशल स

सभी कार क सप य का स ह करराजा का क ह क वह साम दान दड भद आ द उपाय स सप य का सचय

कर उसक लए सभी कार क साधन और सप य का सचय करना इस लए आव यकह क उ ह स वह जा का हत कर सकता ह जा क भलाई क लए राजा को सभीसाधन जटान चा हए सकत ह क राजा क ब मखी होनी चा हए 116

भा यव तमपरी यका रण ीः प र यज त सफलता का अवसर पहचान बना काय ारभ करनवाला ल मी र हत हो

जाता ह अथात ल मी उस छोड़ जाती ह भल ही अपन आपको भा यवान समझता हो परत य द वह समय को पहचान

बना भली कार जाच कए बना काय ारभ करता ह तो उस सफलता ा त नह होती 117

ाननानमान परी ा क ा इस स का भाव यह ह क मन य को अपन क क परी ा क साधन का कस

कार पता लगाना चा हए उसका क यह ह क वह अपन अनभव-श तथा वचार-श दोन क सहार प रणाम क कारण का ठ क-ठ क पता करक यह न य कर क यहकाम कस कार स होना ह 118

यो य मन कम ण कशलः त त म व योजयत जो जस काम को करन म कशल हो उस वही काय करन का भार स पना

चा हएरा य कमचा रय क नय करत समय उनक यो यता का यान रखना अ यत

आव यक ह जो जस कार क यो यता रखता हो उस वही काय स पना चा हएय द कोई ऐसा काय करता ह जसका उस अनभव नह तो उस काय क बगड़ जानस रा य को हा न होती ह रा य क हा न का अथ जा क क स आका जा सकता ह 119

ःसा यम प ससा य करो त उपाय ः जब कसी काय को करन का उपाय जानता ह तो वह क ठन-स-क ठन काय

को भी आसान बना दता हइसका भाव यह ह क यक काय को पणता तक प चान क लए व भ उपाय

क आव यकता होती ह जस उपाय का ान नह होता उसक लए सरल काय करना भीक ठन हो जाता ह परत जो उपाय को जानता ह अथवा समय क अन प साधन जटा लता

ह उसक लए क ठन-स-क ठन काय भी करना सरल हो जाता ह 120

अ ा नना कतम प न ब म त म चाण य कहत ह क य द कोई अ ानी कसी काय को सफल बना लता ह तो

उसक सफलता को आक मक घटना मानकर उस मह व नह दना चा हएव ततः इसका भाव यह ह क य द कोई अनाड़ी कसी काय को स कर

लता ह तो उस एक आक मक घटना मान लया जाता ह और उस उस काय को कर लनका मह व नह मलता य क आक मक प स कया आ वह काम उसक ान ककारण नह कया होता 121

या छक वात क मर प पा तरा ण करो त यह स भी पहल स क बात को प करता हइसका भाव यह ह क जस घन या क ड़ा कसी पदाथ क आक मक प को बना

कसी ान क बदल दता ह उसस उसक नमाणकशलता मा णत नह होती इस लए य दअ ानी अचानक कोई काय सप कर लता ह तो उस कवल सयोग ही मानना चा हएउसक कायकशलता नह जस कार लकड़ी म रहन वाला घन नामक क ड़ा लकड़ी कोखाता आ उसम व भ कार क आक तया बना दता ह भल ही वह आक तया दखन मसदर ह तो भी घन क क ड़ को उसका य नह मलता य क उसको कछ ान नहहोता वह तो उसका एक आक मक काय होता ह 122

स यव काय य काशन क म कसी काय क स हो जान पर ही उसक सबध म लोग को जानकारी दनी

चा हएभाव यह ह क जब कोई काय स करना चाहता ह तो उस ग त रखकर ही

स कया जा सकता ह य द उस काय क सबध म लोग को पहल ही ान हो जाएगा तोसभवतः कोई अ य यह काय कर डाल 123

ानवताम प दवमानषदोषात काया ण य त कभी-कभी ब त स काय तकल प र थ तय क कारण अथवा कसी मन य ारा

कोई ट रहन पर अधर रह जात ह अथात स नह हो पातअनक बार ऐसा हो जाता ह क तकल प र थ तय क कारण काय पर नह हो

पात कई बार इनक पर न होन का कारण मानवीय टय को माना जाता ह कई बार

प र थ तया भी मन य का साथ नह दत इस लए ब त स काम स नह हो पात अधररह जात ह इनको परा करन का एकमा उपाय यही ह क मन य सोच-समझकर य नकरता आ तकल प र थ तय को अपन अनकल बनान का य न कर 124

दव शा तकमणा तष म दवी वप य क सबध म को अपनी ब थर रखनी चा हए और शात

रहत ए दवी वप य स छटकार का य न करना चा हएदवी वप या अनक कार क होती ह भकप बाढ़ तफान रा म व ोह अथवा

आतकवा दय क आ मण आ द को इस णी म रखा जाता ह उस समय रोकरअथवा च लाकर तथा कसी सर क सर पर दोष मढ़कर वप य स छटकारा नह पासकता इस कार क वप य क समय को अपनी ब थर रखनी चा हए औरशात रहकर वप य स छटकारा पान का य न करना चा हए 125

मानष काय वप कौशलन व नवारयत दवी वप य क समान कछ वप या ऐसी भी होती ह जो मन य ारा पदा क

जाती ह ऐसा काय को बगाड़न क लए कया जाता ह मन य ारा पदा क जान वालीवप य को सतकता और ब -कौशल स ही परा त कया जा सकता ह 126

काय वप ौ दोषान वणय त बा लशाः मख लोग कसी काय म असफल रहन क बाद या तो अपनी भल पर पछतावा

करत ह या फर आपस म एक- सर पर दोष लगाकर अपन आप को नद ष सा बत करतह 127

काया थना दा य न क म रा य क जो अ धकारी काय को स करना चाहत ह उ ह श क त

भावकता उदारता सरलता और भोलपन म बहकर म या सहानभ त नह बरतनी चा हएरा य क अ धका रय का क ह क व श को सदव शका क स दख

उनक त उ ह कसी कार क उदारता आ द का वहार नह करना चा हए भावकता मबहकर उनक त ऐसा वहार नह करना चा हए जसस रा क हा न हो श क तरा य क अ धका रय को सदव सदहशील रहकर काय करना चा हए 128

ीराथ व सो मात धः तह त

बछड़ा ध पीन क इ छा स अपनी मा क तन पर अपन सर स चोट करता हभाव यह ह क मन य को कसी भी चीज क ा त क लए वय य न करना

पड़ता ह गाय भी अपन बछड़ को तब तक ध नह पलाती जब तक वह अपन माथ सउसक थन पर चोट नह करता इसी कार ब च क माता भी ब च क रोन पर ही उस धपलाती ह अथात अपन य न स ही इस ससार म कछ ा त कर सकता ह कोईउस कछ दन नह आता 129

अ य नात काय वप भव त काय क स क लए जतन य न क आव यकता होती ह उतना य न न

करन स काय न हो जाता हअनक बार काय क पण न होन का कारण यह होता ह क उस पण करन क लए

जतन य न क आव यकता होती ह व सब नह कय जात कोई काय करत समय समझता ह क उसन ब त य न कए ह परत फर भी काय स नह होता इसका

कारण यही ह क न उतना य न नह कया जतना उस काय को स करन कलए आव यक था 130

न दव माणाना काय स ः ज ह काय आरभ करन स पहल ही काय म असफल रहन का न य होता ह उनक

काय कभी पण नह होत जो यह समझत ह क उनका काय सफल नह होगा व कोई कायारभ ही नह करत

तीन कार क होत हmdashपहल कार क य को अधम णी म रखा गयाह व असफलता और क ठनाइय क भय स काय ारभ ही नह करत म यम णी क लोगजोश म आकर काय तो ारभ कर दत ह परत क ठनाइया आन पर काय को बीच म ही छोड़दत ह तीसर कार क व होत ह जो काय को एक बार आरभ करन पर अनक कारक सकट आन पर उस परा कए बना नह छोड़त उ ह उ म णी का माना जाताह 131

कायबा ो न पोषय या तान अपन क स बचन का य न करन वाल लोग अपन आ त का भरण-पोषण

नह कर पातजो अपन काय स अथवा दा य व स बचन का य न करता ह एक दन

उसक आ त लोग ही भख मरन लगत ह वह अपन आ त य का भी भरण-

पोषण नह कर पाता 132

यः काय न प य त सोऽ धः जो अपन क को नह पहचानता वह आख क रहत ए भी अधा हजो ववक स काम न लकर अपन ल य क त सचत नह रहता उस वा तव

म अधा कहा जाना चा हए अथात वह ऐसा अधा ह जो माग को दखत ए भी माग सभटक जाता ह इस लए को चा हए क वह अपन क को पहचानकर उस पराकरन का य न कर जो अपन क क त सजग नह रहता वह न तो इस ससारम स मान का पा होता ह और न ही सफल मानव 133

य परो ानमानः काया ण परी त को अपन क का न य करन स पव ा त और अ ा त साधन पर

वचार करना चा हए जब कोई काय करन लगता ह तो उसस पव उस अपनी श य का अनमान

होना चा हए उस इस बात का ान होना चा हए क उसक पास कौन स साधन ह जनसवह अपन काय को परा कर सकता ह

इसक अ त र उस उस बात पर वचार करना चा हए क ा त साधन कअ त र उस अ य कौन स साधन ा त हो सकत ह जो इन बात पर वचार करताह वह न य ही अपन क को पण करन म समथ होता ह और जस अपन साधन काअनमान नह होता ह उस असफलता ही हाथ लगती ह 134

अपरी यका रण ीः प र यज त जो बना वचार काय करता ह उस ल मी ा त नह होती ल मी उसका

याग कर दती हचाण य फर कहत ह क जो भली कार बना वचार काय ारभ कर दता

ह उस हा न उठानी पड़ सकती ह जो बना सोच- वचार काय करता ह उस पछतानापड़ता ह बना सोच-समझ काय ारभ करन स समय तो न होता ह परत उसक साथश या और साधन का भी अप य होता ह 135

परी य ताया वप ः कसी काय क सफलता क माग म आन वाली क ठनाइय को वचारपवक र करन

का य न करना चा हए

जब कोई काय ारभ करता ह तो उसक माग म क ठनाइय का आनावाभा वक ह य द क ठनाइय स घबराकर काय को छोड़ बठता ह तो वह कसी भी

काय को परा करन म सदव वय को असमथ पाता ह प ष वही होत ह जो वप य स घबरात नह और उ ह र करन का य न

करत ह जब क नज क त क लोग वप य क भय स काय को श ही नह करत ह 136

वश ा वा कायमारभत अपनी श को जाच-परखकर मन य को अपना काय करना चा हएब त स मन य इस ससार म ऐस ह ज ह मानव ज म तो ा त आ ह परत उ ह

अपन मन और शरीर म सोई ई श य का ान नह इस लए सबस पहल मन य काक यह ह क वह कोई भी काय ारभ करन स पव काय स सब धत अपन ान औरश य का अनमान लगाय मन य को कोई ऐसा काय अपन हाथ म नह लना चा हए जोवह करन म असमथ हो 137

वजन तप य वा यः शषभोजी सोऽमतभोजी जो अपन साधन अथवा धन स अपन बध-बाधव आ त तथा द न- खय

को सत करन क बाद शष धन स अपना गजारा चलाता ह वह अमतभोजी होता ह का क ह क वह जो कछ साधन अथवा धन-सम आ द ा त करता

ह उस सर क क याण क लए भी योग म लाय उसका क होता ह क वह सबसपहल अपन ब ध-बा धव र तदार अ त थय आ त लोग द न- खय क सहायताकरन क बाद जो कछ बच उसस अपना जीवन नवाह कर वह धन उसक लए अमत कसमान होता ह जो कवल वाथवश अपना ही यान रखता ह उस मानव क सउदासीन माना जाता ह 138

सवान ानदायमखा न वध त जस रा म भ म धन- ापार उ ोग-धध आ द रा हत क काय होत रहत ह उस

रा क आय क साधन भी बढ़त हजस दश म कोई भी काय ारभ करत समय रा क हत को सव प र रखा जाता ह

उस रा क आय क साधन म भी व होती ह उसक लए आय क अनक ार खल जातह अथात जो रा भ म धन ापार और श प आ द स सब धत काय को रा हत सजोड़ता ह वह रा धन-धा य स पण होन लगता ह वहा क जा खशहाल होती ह

139

ना त भीरोः काय च ता कायर प ष को अपना क परा करन क चता नह होतीव ततः अपना क परा करन क लए मन य म वीरो चत भावनाए होनी चा हए

य द वह छोट -छोट बात स डरता रहगा तो अपन क को परा नह कर सकगा जस क मन म भय बठा रहता ह उसक लए कसी भी काय को परा करना क ठन होता ह

काय को परा करन क लए म उ साह क साथ सघष करन क भावना भी होनीचा हए मन य क मन म बठा आ डर ही उस क हीन बना दता ह 140

वा मनः शील ा वा कायाथ काय साधय त अपन मा लक क वभाव को जानकर आ त लोग उसक अनसार काय करत हकसी क अधीन अथवा आ य म रहनवाल को चा हए क वह अपन

आ यदाता क वभाव स भली कार प र चत हो उसक वभाव स प रचय होन क बादवह उसक च क अनसार काय करगा तो कसी कार क क ठनाई नह होगी 141

धनोः शील ः ीर भ इस स म भी चाण य न इसस पहल क स म कही ई बात का समथन कया ह

व कहत ह क जस कार गाय स ध लन वाला उसक वभाव को जानकर ध लनम सफल होता ह उसी कार राजा क सवक तथा राजा क अ धकार को राजा क च कअनकल अपना काय करक रा क सवा का उद द य परा करना चा हए

व ततः रा य काय चलान क लए जो भी व था काम कर रही हो उसका एकवधान होता ह वधान वहा क व था का दपण कहा जा सकता ह इस लए राजा कअ धका रय का क ह क व वधान क अनसार काम कर 142

ग काशन आ मवा कव त (कयात) नीच और चचल ब वाल अपन सवक को अपनी ग त बात नह बतानी चा हएब मान अपन नीच व चचल ब सवक स अपनी कोई ग त बात कट

नह करत उ ह अपन सवक पर अ धक व ास नह होता य क उनक वचार नी तपणनह होत व लोग ायः मख होत ह उनक ब चचल होती ह इस लए समझदार मन यअपना कोई भी भद उन पर कट नह होन दता

आज क सदभ म भी यह बात ब त मह वपण ह अ धकाश अपराध म घर म काम

करनवाल नौकर का ही हाथ होता ह व थोड़ स लालच म आकर मा लक क ह या भी करबठत ह इसस उ ह लाभ क बजाय हा न होती ह 143

आ तर यवम यत म वभावः कोमल वभाव का अपन आ त स अपमा नत होता हजो अयो य और कपा लोग क त दयालता का वहार करता ह और

म-पा बनन क इ छा रखता ह वह उन ववकहीन य स आदर नह पाता उनकसाथ उनक थ त क अन प ही वहार करन स लाभ होता ह

भाव यह ह क मन य को नौकर स अ य त कोमल वभाव का नह होना चा हएउस प र थ त और यो यता क अनसार ही उसस वहार करना चा हए 144

ती णद डः सव जनीयो भव त छोट स अपराध पर अ यत कड़ा दड दन वाला शासक सबक घणा का पा बन

जाता ह उसक इस काय स उसक शासन म वरोध उ प होन का भय भी रहता हछोट स अपराध पर अ यत कठोर दड दनवाल शासक क त लोग घणा क नी त

अपना लत ह सभी उसको बरा समझन लगत ह उसक कठोर दड नी त क कारण उसक म व ोह होन क सभावना बढ़ जाती ह अतः दड दन स पहल अपराधी क व

और उसक अपराध क थ त क सबध म वचार करना अ यत आव यक ह 145

यथाहद डकारी यात उ चत यही ह क राजा यथा यो य दड दन वाला होना चा हएजो राजा अपरा धय को दड नह दता और नरपराध लोग को दड दता ह उसका

अपयश फलता ह राजा पहल तो अपराध क कारण तथा अपराध क प र थ त और कालको दख फर अपराधी क दड सहन क श और अपराध क व प तथा उसक रा परपड़न वाल भाव को समझकर दड द

शा म कहा ह क अधमपवक दया आ दड यश क त और सख तीन को नकरनवाला होता ह इस लए दड दत समय इस बात का यान रखना चा हए क अपराधकस कार का ह इसक अ त र इस बात का भी यान रखा जाए क कोई अपराधी दडक हाथ स बचन न पाए य क दड स ही रा य म धम-अथ और काम तीन का सर णहोता ह शा म यह भी कहा गया ह क दड क भय स ब त स लोग पाप करन स बचरहत ह 146

अ पसार तव तम प न ब म यत लोकः जो ग भीर नह ह उसक व ान होन पर भी लोग उस त ा क स नह

दखतइसका भाव यह ह क व ान और यो य य को कछ ग भीर भी रहना चा हए

य द वह गभीर नह रहता तो लोग उसका उतना स मान नह करत जतन स मान का वहअ धकारी होता ह कछ बात ऐसी होती ह जो को अपना स मान बनाए रखन क लएकरनी पड़ती ह भल ही उन बात का कोई वशष लाभ न हो पर त मन य हर समय गभीरभी नह बनना चाहता उस अपन म ब ध-बा धव स खलकर बात करनी पड़ती हइस लए व ान मन य का क ह क वह समय प र थ तय और जन-समदाय कोदखकर गभीरता अथवा सामा य थ त का ख अपनाय 147

अ तभारः प षमवसादय त श स अ धक कायभार उठान वाला उ साहहीन होकर ज द थक जाता

हमन य जो भी काय कर वह उसक श क अन प होना चा हए य द वह अपनी

श स अ धक काय-भार सभाल लगा तो उसस वह ज द ही थकावट अनभव करनलगगा अ धक थकावट स मन य क शरीर म तनाव पदा होता ह तनाव वय म एक रोग हइसी लए मन य को चा हए क वह उतना ही काय करन का दा य व ल जतना वहसरलतापवक नभा सक इसस काय भी ठ क होगा और काम करनवाल क मन म उ साहक भावना भी बनी रहगी 148

यः सस द परदोष शस त स वदोषब व यापय त जो ससद अथवा रा य क लए नयम नधा रत करनवाली स म त म कसी

गत वरोध क कारण कसी क दोष क आलोचना करन लगता ह वह वय अपनआप को अपराधी घो षत कर दता ह

यहा ससद श द आया ह ससद लोकसभा आ द को भी कहत ह कसी सभा यास म त को भी ससद कहा जाता ह रा य स सब धत कसी वषय पर वचार करत समयसभी व ा का क ह क उसी वषय पर ववाद को सी मत रख उसी वषय क गण-दोष आ द क सबध म वचार कर जो लोग उस समय गत ष क कारण कसीसद य क आलोचना करन लगत ह यह उ चत नह माना जाता गत आलोचनाकरनवाला वय अपराधी क णी म आ जाता ह

लोकसभा आ द म अथात व भ दश क वधान सभा म ब त-सा समय

गत आलोचना म समा त हो जाता ह इसस रा व दश का कोई लाभ नह होताअ छा सासद उसी को माना जाता ह जो वषय स बाहर न जाकर वषय क सभी प परअपन वचार तत करता ह 149

आ मानमव नाशय त अना मवता कोपः जन य का मन सस कत नह ऐस अ ववक लोग ोध करन स अपनी ही

हा न करत ह अथात ऐस अन तक लोग का ोध उनक लए ही हा न द होता हजन लोग म अपना हत और अ हत वचारन क ब नह होती ऐस मख लोग

वभाव स ही स य का वरोध करन वाल होत ह व अपनी वपरीत ब क कारणवा त वकता को नह समझ पात और उसस वपरीत काय करत ह जसस मन य अपनववक को खो बठता ह 150

ना य ा य स यवताम जन य क पास स य पी धन ह उनक लए कोई भी व त अ ा त नह रह

जातीजन लोग क पास स य का बल ह उ ह कसी अ य व त को ा त करन क इ छा

नह रहती अथात स य ही उनक लए सव सप होती ह स य क ा त क बाद सतोषक भावना का वकास होता ह उस समय नाशवान पदाथ क ओर स उसका मन हट जाताह अथात जन लोग न स य को ा त कर लया उ ह अ य कसी व त क इ छा नहरहती 151

साहसन न काय स भव त कवल भौ तक श पर नभर रहन स काय स नह होतासाहस एक भौ तक श ह कवल भौ तक श पर आ त रहन मा स काय

स नह होता उसक लए अ य बात क भी आव यकता ह जनम स य सझबझ औरभ पर व ास आ द अ य त आव यक होती ह इन सब बात स मन य म जो साहस पदा

होता ह उसी स काय स होत ह मा भौ तक श क प म कवल वही काय स होसकत ह जनका शारी रक श स सबध हो 152

सनात व मर य वशन सन म फसा आ कसी एक बात पर यान न टका पान क कारण

क वमख हो जाता ह

सन अथात बरी लत म पड़ा आ अपन क को भल जाता ह उस इसबात का यान नह रहता ह क उस या करना ह वह और सब बात भलकर अपन गलतकाम म ही अपना समय बता दता ह उसम इतनी श नह होती क वह अपन क कओर यान द अथवा उस पण करन का य न कर सन म फस ए य को इस बातका अहसास भी नह रहता क उ ह कस कार का वहार करना चा हए सन मन यका सबस बड़ा श ह एक बार य द कसी सन क चगल म फस जाता ह तो उसकच कर स नकलना उसक लए अ य त क ठन हो जाता ह 153

ना यन तरायः काल व प काल का पयोग करन वाला अपना जीवन न व न होकर नह गजार

सकता आलसी का जीवन क ठनाइय स घरा रहता हजब मन य समय का स पयोग नह करता तो उस जीवन म अनक बार हा न उठानी

पड़ती ह समय क सबध म व सब जानत ह क जो समय बीत जाता ह उस फर स वापसनह लौटाया जा सकता इस कार य द समय का स पयोग नह कया गया तो वह थजाता ह मन य क जीवन म एक-एक पल का मह व ह इसी लए उसका स पयोग मन यक लए अ य त आव यक ह 154

असशय वनाशात सशय वनाशः यान इस स का भावाथ यह ह क मन य क म य अव यभावी ह इसी लए मन य को

स ाम स वमख होकर जीना उतना लाभदायक नह जतना स ाम करत ए अ न तमौत को गल लगाना

स ाम स बचन स मौत स बचा नह जा सकता जस अ नवाय मौत स बचा ही नहजा सकता उस मौत का वजयी मन स आ ान करन स ही मानव-जीवन सफल होता हमौत को थ बना डालना म यजय बनना कहलाता ह वा त वक म य स कोई नहबच सकता यह ससार एक समर भ म ह का काय म लग रहना और काय करत एससार का क याण करना वा त वक जीवन का यय ह अथात मन य को अपना ककरन स कभी वमख नह होना चा हए 155

अपरधना न न तः कवल वाथम सर क धन को धरोहर प म रखनवाला य द धरोहर रखन क साथ वाथभद और

सर क त अपना कोई उ रदा य व नह समझता तो वह न त प म यक समयअपना ही वाथ खोजता रहगा

सर क धरोहर रखनवाल को अपना उ रदा य व समझना चा हए और

उसम अपन वाथ को परा करन क बात नह सोचनी चा हए 156

दान धमः दान अथात यो य पा क सहायता करना मन य का व हतकारी क हअनक धम अथवा स दाय म यह नयम ह क क जतनी आय हो उसका

कछ अश उस दान म अव य दना चा हए यही धम ह 157

नायागतोऽथव परीतोऽनथभावः अनाय अथात अ ानी लोग ारा समाज म थ क बात पर आचरण करन स

मन य का जीवन न हो जाता ह अथात अ ानी लोग ारा च लत क गई परपरा परआचरण करन स मानव जीवन का अनथ होता ह

ससार म ब त स ऐस आचरण च लत हो जात ह जनस मानव समाज क कोईभलाई नह होती वरन हा न होती ह समय न होन क अ त र इस कार क आचरण ससमाज म अनक ऐसी बात फलती ह ज ह कसी भी कारण स समाज क लए हतकारीनह कहा जा सकता 158

यो धमाथ न ववधय त स कामः जसस धम और अथ दोन क व न हो उस काम कहत हअनक थान पर धम और अथ काम और मो मन य क लए आव यक बताय

गए ह यहा काम क सबध म ा या करत ए चाण य कहत ह क जसस धम और अथदोन क व न होती हो उस काम कहत ह व ततः मानवो चत काम धम और अथ तथानी त कसी को भी वच लत नह करता ऐस काम को वीकार कया जा सकता ह अथातकाम वही ह जो धम और अथ दोन म स कसी को भी कसी कार क हा न न प चाय 159

त परीतोऽनथसवी धमाथ वरोधी काम स वपरीत कामना करनवाला मानव अपन जीवन को थ

करता ह समाज म अशा त उ प करता हजो धम और अथ क व म कावट डालन वाल काम का दास बन जाता

ह उसक हा न होती ह अथात काम को धम और अथ का वरोधी नह होना चा हए 160

ऋज वभावो जनष लभः समाज म न कपट सरल स य और बना वाथ क वहार करनवाल सरल

ब त कम होत हससार का काय- वहार अ धकाश वाथ स पण ह सामा य प स यक

अपन वाथ स अ धक काय करता ह ससार म ऐस लोग का मलना क ठन ह ज ह कसीकार का वाथ न हो सीध और सरल का मलना इसी लए भर हो जाता ह क

सीध सरल को लोग मख समझत ह इसक अ त र उस कमजोर भी माना जाता ह 161

अवमाननागतम यमवम यत साधः स जन प ष नक उपाय स आनवाली सप को वीकार नह करतस क ारभ स ही धन और ऐ य यक को अपनी ओर आक करता आ

रहा ह इसक लए नीच-स-नीच काय पर भी उतर आता ह लोग क ह याए चोरीडकती आ द नीच कम करता ह परत स जन धन क सबध म इस कार क वचारनह रखत व धन-स ह को प षाथ स सब धत मानत ह धम क अनसार चलनवाल नक काय स धन इकट ठा करना पाप समझत ह य क व जानत ह क इसस कवलअपमान क अ त र वा त वक सख ा त नह होगा वा त वक सख धम और प षाथ सउ प कए गय धन स ही ा त हो सकता ह 162

ब न प गणानको दोषो सत मन य म य द कोई एक ही बड़ा दोष हो तो वह ब त स गण को दोष म बदल दता

हअनक बार ऐसा दखा जाता ह क ब त स य म अनक गण होत ह व लोग

पर दया करत ह उनक सहायता करत ह परत य द उनम कोई वशष दोष होता ह तो लोगउसक गण क उप ा कर दत ह इसी लए जहा तक हो सक मन य का क ह क वहअपनी समी ा करता रह और अपनी कमी अथवा अपन दोष र करन का य न करता रह 163

महा मना परण साहस न क म स य म आ था रखनवाल महा मा को मह वपण काय सर क भरोस नह

छोड़ना चा हए उ ह व काय वय करन चा हएसर पर भरोसा करन वाला ायः हा न उठाता ह य क स य क र ा

करना बड़ा क ठन काय होता ह उसक र ा सर सा थय क भरोस नह क जा सकतीइस कार क काय को सर य पर नह छोड़ना चा हए इसी लए मह वपण काम

को वय ही करन चा हए 164

कदा चद प च र न लघयत क ठन-स-क ठन प र थ तया होन पर भी मन य को अपन वभाव का प र याग

नह करना चा हए इसक वपरीत जो कोई भी ऐसा करता ह उसक दय म काट क समानयह बात चभती रहती ह

मन य को काम ोध आ द क वश म होकर अपन मानवीय च र क अवहलनानह करनी चा हए वषम प र थ तय म भी अपन च र अथात मानवीय क का यागनह करना चा हए

चाण य न इस स म कहा ह क को अपन च र का उ लघन नह करनाचा हए च र क सबध म यहा प कर दना आव यक ह क मन य का वा त वक च रलोभ लालच आ द स र रहना ह मन य का च र अथात वभाव यह ह क वह कोई ऐसाकाय न कर जसस सर को हा न प चती हो य द वह ऐसा काय करता ह तो यह बातजीवन भर उसक दय म काट क तरह चभती रहगी 165

धात न तण चर त सहः सह भखा होन पर भी घास नह खातायह स भी ऊपर क स क बात क प करता ह अथात मन य को अपना

वभाव नह छोड़ना चा हए जस कार सह भख स अ य त ाकल होन पर भी मासखान क अपन वभाव को छोड़कर घास खान पर ववश नह होता उसी कार जो अपन च र क मह व को समझत ह व अ यत क ठन समय म भी स य का प र याग नहकरत सदव च र वान बन रहत ह

क त न ससार क सभी ा णय को व श वभाव दया ह अ धकाश ाणीजीवन भर अपन वभाव पर ढ़ रहत ह अथात घास खान वाल ाणी कभी मास क ओरदखना भी उ चत नह समझत परत मन य का वभाव ऐसा ह जस वह थोड़ स लालचभय क वशीभत हो उस छोड़न पर ववश हो जाता ह इस लए मन य का क ह क वहसदव स य न वा त वक वभाव पर ढ़ रह 166

ाणाद प ययो र त ः यय का अथ ह व ास अथात मन य को चा हए क वह अपन ाण को सकट म

डालकर भी स जन य क साथ स जनता पी अपनी व ासपा ता क र ा कर

चाण य कहत ह क भयकर सकट पड़न पर भी मन य को अपन म य काप र याग नह करना चा हए स प म मन य को स जन क साथ स जनता का वहारकरना चा हए स जन क त यह उसक व ास क बात ह 167

पशनः ोता प दारर प य यत पशन अथात व ासघाती को उसक प ी आ द प रवार क लोग भी

याग दत हसनी ई बात क आधार पर लोग म लड़ाई-झगड़ करानवाल को उसक

प रवारवाल भी याग दत ह य द उस न याग तो आपसी वपदा आन क आशका बनी हीरहती ह चगलखोरी एक कार का मान सक पाप होता ह व ासघाती का कभी व ासनह करना चा हए इ तहास म ऐस अनक उदाहरण दखन को मलत ह ज ह न रा कसाथ व ासघात कया सह वष क बाद भी उनका नाम घणा स लया जाता ह इस लएयह प ह क जो व ासघात करता ह वह सदा क लए बदनाम हो जाता ह 168

बालाद यथजात शणयात य द कोई ब चा भी उपयोगी बात कहता ह तो उस सनना चा हए अथात मन य को

कसी भी मह वपण बात क उप ा नह करनी चा हए भल ही उस बात को कहनवाला कतना ही सामा य और त छ य न हो

जस कार क चड़ म पड़ ए र न को भी उठा लना चा हए उसी कार य द कोईसाधारण कोई उपयोगी बात कहता ह तो उस हण कर लन म सकोच नह करनाचा हए ब त स दखन म बड़ सामा य और उप त-स दखाई दत ह परत वह कईबार ऐसी कोई बात कह दत ह जो बड़ी मह वपण होती ह उस बात को सनना और अमलकरना बरा नह ह इस कार क बात स कई बार मानव-जीवन म मह वपण प रवतन कउदाहरण दख गए ह इस लए कह स भी उपयोगी बात को हण करन म आनाकानी नहकरनी चा हए 169

स यम य य न वदत जस क स य म ा न हो उस को स य क सबध म कछ कहना

थ ह चाण य कहत ह क जस स य अ य लगता हो उसस स य कहकर स य काअपमान मत करवाओ

स य बात सनना काफ क ठन होता ह य द स य कठोर हो तो उस सनना औरसहन करना उसस भी क ठन काय ह परत इसक साथ ही स ची बात कहनवाल भी

लभ होत ह य क यक अपन वाथ स रत होकर कोई काय करता या बातकहता ह 170

ना पदोषाद ब गणा य य त कसी क साधारण दोष दखकर उसक मह वपण गण को अ वीकार नह करना

चा हएय द स च गणी मन य का कोई वहार षत लगता हो या न हो तो यह न त ह

क यह गण क च र को न समझन का दोष ह जब उस पर शात काल म नरप प सवचार होगा तो प प स समझ म आ जाएगा क वा तव म उसका दोष नह ह

स प म इस स का अथ यह ह क कसी क म य का आकलन उसकसपण आचरण को दखकर ही करना चा हए 171

वप व प सलभा दोषाः सामा य प स ानी य क वहार म भी दोष नकाल जा सकत ह अथात

य द दोष नकालन क स उनक वहार को दखा जाए तो दोष नकालना क ठन कामनह

अनक थान पर चाण य न यह बताया ह क यक और यक कल मकह -न-कह दोष ज र होता ह परत स जन व ान और ानी य क वहार मइस तरह क दोष को मह व नह दना चा हए उसक ओर यान दन स य को भलही स ता हो सकती ह पर त स जन को इसस कोई हा न नह होती इसी लए नदा करनवाल व ान लोग म भी दोष ढढ़त रहत ह 172

ना त र नमख डतम जस कार यक र न म कसी-न- कसी कार क ट नकाली जा सकती ह

जस म ण भी सवदा नद ष नह होती इसी कार व ान म भी इ य स सब धत भलअथवा दोष पकड़ जा सकत ह

इसका भावाथ यह ह क व ान क नदा करना नदक का एक कार सअपराध होता ह जस कार कसी भी र न म पहल दोष नकालन क बाद उसकोदोषर हत और वा त वक स कया जाता ह उसी कार व ान पर भी कसी-न- कसी

कार क दोष मढ़ जा सकत हपरत अत म वही दोष उ ह नद ष स करनवाल बन जात ह अथात व ान क

नदा करना अपन अ ान का प रचय दना ह जस कार पहल कसी र न को क म

बताया जाए और बाद म उस असली करार दया जाए 173

मयादातीत न कदा चद प व सत जो सामा जक नयम अथात मयादा का उ लघन करत ह उनका कभी भी

व ास नह करना चा हएयक समाज क कछ नयम होत ह समाज उन नयम क सहार जी वत रहता ह

यह एक कार क मयादाए होती ह ज ह समाज का कोई भग करन का य न नहकरता परत जो ऐसा करत ह व समाज क वपरीत चलन वाल होत ह

चाण य का कहना ह क ऐस य का कभी भी व ास नह करना चा हएऐस य पर व ास करन स समाज म वरोधी भावनाए पदा होती ह और सामा जकबधन क न होन का भय प हो जाता ह जो सामा जक मयादा को भग करताह उस पर व ास करना मखता ह 174

अ य कत यम प य भव त श ारा ऐसा वहार जो दखन म हतकारी तीत हो उस ध स भर बतन क

मख पर लग वष क समान ही मानना चा हएश कई बार वरोधी रा को बहकाव म डालन क लए इस कार का वहार

करन लगता ह जो दखन म ब त अ छा लगता ह परत इस वहार पर व ास नह करनाचा हए

भारतीय न इस कार क वहार का फल चखा ह चाऊ एन लाई क समय भारतम भाई-भाई का नारा लगाया गया था भारतीय अ धका रय न उस नार म छपी ई भावना को नह समझा वह भावना तभी प ई जब चीन न भारत पर आ मण कयाइसी लए चाण य कहत ह क ऐस क बात पर व ास नह करना चा हए जो व ासकरन यो य न हो 175

न म य प तलाको टः कपोदक य करो त जो कपटपण न ता का वहार करता ह उसका व ास उसी कार नह

करना चा हए जस कार ढकली नीच को सर झकाकर कए म घसती ह और उसका पानीनकाल लाती ह उसी कार वाथ लोग क दखावट न तापण वहार पर व ास नहकरना चा हए

चाण य न कए म स पानी नकालन वाली ढकली का ब त ही व च और उपयउदाहरण दया ह कसी कए म स जब ढकली ारा पानी नकाला जाता ह तो जस भाग म

ढकली बधी होती ह उस नीच झकाकर कए म डाला जाता हइस कार ढकली सर झकाकर कए म घसती ह परत धीर-धीर पानी नकालकर

उस खाली कर दती ह इसी कार मन य न तापण बात हा न प चान क लए ही करतह 176

सता मत ना त मत स जन प ष जो नणय लत ह उसक व काय करना उ चत नह अथात

स प ष क नणय क व चलना मन य का क नह मन य अपन ववक स अपन क का न य करता ह क और अक क

सबध म जब कोई सम या उ प होती ह तो उसक करन या न करन म उसका अपना ववकही सहायक होता ह परत जब मन य कोई न य न कर पाए तो उस यह दखना चा हए कस जन प ष अथवा व ान प ष न ऐसी थ त म या नणय लए तब उस नणय कअनसार काम करना चा हए

उस समय उसका क होता ह क वह स जन ारा उन सीमा म रह जोउ ह न न त क ह उनक ारा नधा रत सीमा स बाहर जाना और उनका उ लघनकरना उ चत नह 177

गणवदा या गणोऽ प गणी भव त गणवान मन य का आ य लन स अथवा उसक पास रहन स गणहीन भी

गणी हो जाता हयक को इस ससार म सभी बात का ान नह होता ान ा त करन क

लए ग का आ य लना होता ह परत ग हर समय कसी क साथ नह रह सकताउसका क उस ान दना ह परत सासा रक सम या क सबध म जो भी नणय लन होतह उनका आधार स सग होता ह अथात अनभवी प ष क साथ रहकर ववक-बअ जत कर लता ह और उनक अनसार सासा रक सम याए हल करन म स वधा होती हअनभवी प ष क स सग स मन य क ववक म व होती ह 178

ीरा त जल ीरमव भव त ध म मला आ जल भी ध ही बन जाता ह अथात ध म मल ए पानी को भी

लोग ध ही मानत ह इसी कार गणी क ससग म रहन वाला गणी बन जाताह

शराब बचन वाला शराब क बतन म ध भरकर रखन का य न करगा तो

लोग उस शराब ही समझग इसी कार जो और नगणी य का सग करताह उस गणी माना जाता ह जो स जन का स सग करता ह वह गणहीन होन परभी गणी मान लया जाता ह 179

म प डोऽ प पाट लग धम पादय त जस कार बना गध वाली मट ट म फल क ससग स उसम गध आ जाती ह इसी

कार वभाव स जो गण हण करन क इ छा रखता ह वह सद गण स सप क सपक म आकर उसस अ छ गण हण कर लता ह

मट ट म अपनी एक वशष गध होती ह परत जन या रय म वशष सग धत फलउगाए जात ह उन फल क ससग क कारण उस मट ट म भी एक वशष कार क गध पदाहो जाती ह वन म सग धत प प स लदा आ एक व सार वन को अपनी सगध स महकादन म समथ होता ह उसी कार सद गणी और व ान क सपक स ही मन यसद गणी बन सकता ह इसम त नक भी सदह नह 180

रजत कनकसगात कनक भव त जस चाद सोन क साथ मलन पर सोना बन जाती ह चाद नह रहती इसी कार

नगणी गणवान क पास रहकर गणी बन जाता हआभषण बनात समय सोन म चाद का म ण कया जाता ह चाद क म ण स

सोन म कछ कठोरता आ जाती ह परत सोन म मली ई चाद को सोना ही समझा जाता हचाद का अपना प समा त हो जाता ह इस स म भी चाण य न स जन प ष क साथस सग स होन वाल लाभ क सबध म लखा ह 181

उपकतयपकत म छ यबधः ब हीन र ववकहीनता क कारण अपना हत करनवाल को भी हा न

प चाकर अपनी वाथ स करन स पीछ नह हटता अपन नीच वभाव को नह छोड़ सकता वह अपना उपकार करनवाल

को भी हा न प चान स भय नह खाता जस कार जल का वभाव नीच को गरनाह उसी कार भी अपना वभाव नह छोड़ता उसका वभाव स जन काअ हत करना होता ह वह उनस लाभ उठान क बावजद उनका अ हत करन म हच कचाहटअनभव नह करता 182

न पापकमणामा ोशभयम

पापी य को अपन नक कम क कारण नदा स भी भय तीत नहहोता पाप करन वाला ल जार हत हो जाता ह उस इस बात का भय नह रहता कउसक

पाप कम क कारण समाज म उसक नदा होगी नदा स भय अनभव न करन ककारण वह पाप कम स छटकारा नह पा सकता और अपना सारा जीवन एक नल ज

क समान अपमान सहत ए बता दता ह 183

उ साहवता श वोऽ प वशीभव त जो उ साही होत ह व अपन अ त श को भी वश म कर सकत हउ साही क लए इस ससार म कोई भी काय ऐसा नह जो वह कर न सक

उ साही य न ससार म असभव काय को कर दखाया सकदर और चगज खा जसछोट-छोट उ साही राजा न ससार म ऐस वशाल भभाग पर क जा कया जसक सबध मवचार करन स आज भी आ य होता ह

इसक अ त र मन य क दय म रहनवाली पापवासनाए मन य क श होती हमन य अपन उ साह स उन पर भी वजय ा त कर सकता ह जस म कछ करकदखान क ह मत होती ह वही ससार म सफल होता ह 184

व मधना राजानः राजा का सबस बड़ा धन व म ही होता ह जो राजा व मी अथात वीर नह

उसक लए ससार म यश ा त करना क ठन हराजधम चलान क लए राजा क लए आव यक ह क वह व म और शर-वीर हो

शरवीरता उसका वशष गण माना जाता ह जो राजा आलसी और डरपोक होत ह व नहो जात ह उनक लए अपन रा य क र ा करना भी क ठन होता ह धन-धा य औरसम क साथ-साथ राजा का शरवीर बलवान और व मी होना आव यक ह उस इसबात का ान होना चा हए क डरपोक आदमी अपन जीवन म अनक बार मरता ह परतशरवीर जीवन म अपन यश क बाद कवल एक बार ही म य को ा त होता ह 185

ना यलस य हकाम मकम आल य क कारण का वनाश हो जाता हजस को अपन काय म कसी कार का उ साह नह होता वह मख तो होता

ही ह परत उस अपन आल य क कारण वतमान और भ व य स सब धत कसी काय म

सफलता भी नह ा त होती सफलता का अथ यह ह क जो वतमान म सफल हवह अपन उ साह क कारण भ व य म भी सफल होन क आशा कर सकता ह अथात जस

न अपन उ साह क कारण वतमान को सर त बना लया ह उसक भावी काय भीअव य सफल होन क सभावना स पण होत ह आलसी जीवन म पराजय का हीमख दखता ह 186

न साहाद दव पत त जन काय म न त प स सफल हो सकता ह य द वह उनम भी उ साह स

काम नह लगा तो उस सफलता ा त नह होगीभा य का सहारा तो कायर प ष लत ह उ साही अपन उ साह स उन काय को भी

स कर लत ह जनक सफलता म उ ह सदह होता ह परत आलसी उस काय मअसफल रह जात ह जनम भा य क कारण सफलता ा त होन क सभावना हो सकती थी 187

मा याथ व म या थवज) जलमपय याथ ग यात प षाथ को सकट स लड़ना होता ह जस कार मछली को पकड़न क

इ छा रखनवाल मछर को जल म घसन का सकट मोल लना ही पड़ता हजस कार मछरा जल म वश क सकट का सामना कर मछली पकड़ता ह उसी

कार प षाथ मन य भी सकट म कदकर सफलता पी अपन दव को व न स बचाकरसर त रखता ह अपना काम बनाता ह 188

अ व तष व ासो न क ः जन लोग क सबध म कसी कार का परी ण न कया गया हो उन लोग पर

व ास करना मखता ह अथात अपा य पर कभी भी व ास नह करना चा हएराजा क अ त र सामा य य को भी अपन जीवन म ब त सोच-समझकर

व ासपा य को चनना चा हए जो व ास क यो य न हो उ ह कभी भीअपना साथी नह बनाना चा हए अपा पर व ास करन स को हा न होतीह 189

वष वषमव सवकालम वष सदा वष ही रहता ह वह कभी अमत नह बन सकता अथात वष का वभाव

नह बदलता

ा णय क लए अपना वभाव छोड़ना क ठन होता ह जस कार वष सदव वषही रहता ह उसी कार अ व ासी भी अपन वभाव क अनसार कभी भी व ास कापा नह बन सकता वष को य द अमत-कलश म रख दया जाए तो भी वह अमत नहबन सकता इसी कार य क लए अपना वभाव बदलना क ठन होता ह मन यको अपन जीवन म सफलता पान क लए अ व ासी य स र रहना चा हए 190

अथसमादान व रणा सग एव न क ः अपन काय को स करन क लए को चा हए क वह अपन श स

कसी भी कार क सहायता न ल और न उनस कसी कार का सपक रखमन य को कसी काय को पण करन और उसस धन- ा त क इ छा रखत समय

अपन श स सतक रहना चा हए उनस अपन काय क सबध म न तो कसी कार कापरामश लना चा हए और न कसी कार का उनस सपक रखना चा हए य क ऊपरबताया गया ह क जस वष अपन वभाव को नह छोड़ता उसी कार श भी आपकोहा न प चान स अपन आप को नह रोक पाएगा 191

अथ स ौ व रण न व सत अपन उद द य क प त क सबध म श पर कसी कार का व ास नह करना

चा हएजब मन य अपन कसी काय को स करन म लगा रहता ह तो अनक उसम

क ठनाइया उ प करन का य न करत ह उनका उद द य को अपना काय सकरन स अलग करना होता ह वा तव म कछ लोग का वभाव होता ह क जब व कसी

को अपन ल य तक प चत दखत ह तो उस अपन माग स वच लत करन का य नकरत ह यह काय श का होता ह म का नह म तो उद द य क प त म सहायकही होत ह 192

अथाधीन एव नयतस ब धः लोग क सबध का आधार अपन उद द य क प त क आधार पर होता हदखन म आता ह क मन य अपन उ य क प त क लए ही कसी सर स

सबध था पत करता ह अथात सबध का आधार का अपन उदद य क प त होता हसामा य प स यह कहा जा सकता ह क सबध वाथ पर आधा रत होत ह नः वाथ सबधरखनवाल ब त कम होत ह अपन उद द य क त वाथपण कोण होना एकसासा रक वहार ह परत अपन उद द य क प त क लए कसी सर को हा न प चाना

अ य त नदनीय काय ह इस स का सरा अथ सामा य प स यह भी हो सकता ह क धन को ही म रखकर अपन सबध था पत करता ह दखन म आता ह क जब

तक मन य क पास धन रहता ह तो वह सग-सब धय और म स घरा रहता ह परत जबउसका धन न हो जाता ह तो म तो या उसक प और उसक ी भी उसका साथ छोड़जात ह 193

श ोर पसत सखा र त ः श का प भी य द म हो तो उसक र ा करना का क होता हब मान राजा का क ह क य द श का प म बन जाए तो उसक र ा का

हर समय यास करना चा हएइस ससार म मन य क स ब ध अथवा म ता उद द य क एकता क कारण होती

ह जनक ल य एक जस होत ह व आपस म एक- सर क म बन जात ह वा त वकश वही होता ह जो वभाव का होता ह और स य स ष करन वाला होता ह स य कआधार पर वजय ा त करना ही व ान य का यय होता ह जो स य कावरोध करत ह व अस य क दास होत ह उद द य म वरोध क कारण ही लोग म श ता पदाहोती ह ऐस म प अपन पता जसा स य का श न होकर अस य का श भी हो सकताह 194

याव छ ो छ प य त ताव तन वा क धन वा वा ः

श क जस कमजोरी पर हार करक उस न करन का वचार हो तो उससदखावट म ता रखनी चा हए अथात अपन श को म ता का दशन करक उस धोख मडालन का समय तलाश करत रहना चा हए

श क उस नबलता पर हार करन तथा न करन तक उस क म मान तथाक म म ता क दशन स सदा धोख म रखना चा हए श को म ता क धोख मडालकर परा त करना चा हए 195

श छ प रहरत श क बलता दखकर उस अपनी सहायता स व चत कर दो अथात श क

कमजोरी दखकर ही उस पर हार करना चा हएअपन श पर वजय चाहनवाल राजा का क ह क वह अपन श क बलता

का पता चलन पर उसक बलता स ही उस समा त करन का य न कर अथात य द कोई

राजा सनी हो जए अथवा म और वषयभोग म ल त होनवाला हो तो उस सन मफसाकर ही उस न कर दना चा हए 196

आ म छ न काशयत श को अपनी बलता का प रचय नह दना चा हए अथात ऐसा य न करना

चा हए क अपनी बलताए श पर कट न ह इस स का अथ यह ह क चतर राजा अपन श क सामन सदव अपन आपको

बलवान द शत करता रह अपनी बलता का पता न लगन द 197

छ हा रण श वः श क वभाव को पहचानकर उसक नबलता पर ही आ मण करना चा हएराजा अपन श क नबलता को पहचानकर ही उस पर आ मण करत ह व सदव

अपन आपको श क म बलवान स करत रहत ह य द श को अपन वरोधी कनबलता का पता चल जाता ह तो वह आ मण करता ह इस कार हार करनवाला राजाश को न कर दता ह ब मान राजा को चा हए क वह अपन वरोधी क बलता कोजानन का य न कर 198

ह तगतम प श न व सत वजय चाहनवाल राजा का क ह क अपन वश म आए ए श पर कभी

व ास न करहो सकता ह क अ धकार म आन पर श म ता का दशन कर परत राजा का

क ह क सदव सतक रह और श पर कभी व ास न कर य द श को कसी कारणस मा भी कर दया जाए तो भी कभी उस अपनान का य न नह करना चा हए जो राजाऐसा करत ह उ ह धोखा होता ह श उन पर आ मण कर दता ह और व वनाश स बचनह पात 199

वजन य व नवारयत सदव वजय चाहनवाल राजा का क ह क वह अपन प क लोग क पापाचार

पण आचरण को उपाय ारा र करन का य न करब मान राजा का क ह क वह अपन प क अ धका रय तथा सब

य म कसी कार क पापाचारपण काय को दख तो उस समा त करन का य नकर यह इस लए आव यक ह क श राजा इस कार क लोग को अपन प म फासकर

वाथ स कर सकत ह इसी लए वजय चाहनवाल राजा का क ह क वह अपन पक स य- न ा को थर रखन क लए अपन लोग क बलता को र करन का य नकर 200

वजनावमानोऽ प मन वना ःखमावह त य द अपन प क लोग र ह तो इसक कारण अपमान होता ह और

वचारशील य को इसस ःख होता हअपन प क लोग (भाई-बा धव या र तदार आ द या राजा हो तो म वत

रा या धकारी) य द र ह तो वह कभी-न-कभी और अकसर ऐस काय करत रहत हजनस को सर क सामन अपमा नत होना पड़ता ह अतः उनको समाग पर लाकरसधारन का य न स जन प ष को करना चा हए 201

एकागदोषः प षमवसादय त जस मन य क शरीर क कसी अग म कोई क हो तो पर शरीर को उसक पीड़ा

अनभव होती ह एक षत अग क कारण सारा शरीर रोगी दखाई दता ह इसी कारकसी रा य-स था या कसी दल क एक म य द राचार पी क दखाई दता ह तोइसस सार दल अथवा शासन- व था को हा न प चती ह 202

श जय त सव ता सदाचार ारा ही श पर वजय ा त क जा सकती हअ छ आचरण (सदाचार) स श पर वजयी होना सरल हो जाता ह यहा सदाचार

का अथ यह ह क अपना स मान थर रखत ए सर क स मान को थर रखरा य स सब धत यक वभाग क आचार स हता होती ह उसका पालन करना भीआव यक होता ह

इसस वदश का मान-स मान और वा भमान थर रहता ह इसक वपरीत आचारस हता क उ लघन स अपनी हा न होती ह श क नह इस लए आचार स हता का पालनकरना श पर वजय ा त करन का सबस बड़ा साधन ह 203

नक त या नीचाः नीच क त क लोग स जन क साथ कपटपण वहार करत हनीच का यह वभाव होता ह क वह सभी थान पर अपनी नीचता का

दशन करता ह उसस यह आशा नह क जा सकती क वह स जन य क साथ

स जनतापण वहार करगा क लए सभी एक समान होत ह व स जनऔर जन म भद नह कर पात

अपन वभाव क अनकल वह स जन य स भी धोख स भरा वहार करताह उसका वहार सदव कपटपण होता ह 204

नीच य म तन दात ा नीच क वभाव क सबध म चाण य कहत ह क उस स म त दान करना

उ चत नह य क उसक लए अपना वभाव छोड़ना क ठन होता ह को समझाना अथवा उस उपदश दकर धम क माग म लाना थ होता

ह जस कार पानी का वभाव नीच क ओर बहना ह उसी तरह नीच भी अपनावभाव नह छोड़ सकता अथवा नीच मन य को इस बात का ान नह होता क कस

काय स का मान सक वकास होता ह जब वह इस मल बात को ही नह समझता तोउस समझान क बात करना ही थ ह 205

तष व ासो न क ः का व ास भी नह करना चा हए

जो र ठग और नीच ह उसका व ास करन स हा न क अ त र और कछनह होता नीच लोग का क ही लोग को ठगना और उ ह स माग स वच लत करनाहोता ह इसी लए उनस सदव री बनाए रखना चा हए 206

सप जतोऽ प जनः पीडय यव स य द उदारतापण वहार कया जाए तो भी वह समय पात ही हा न

करन स नह चकता स य द सोच-समझकर अथवा अनजान म भी अ छा वहार कया जाए

और उदारता दखाई जाए तो भी वह अवसर पात ही सर का बरा करन स नह चकगा 207

च दनाद न प दावा नदह यव चदन क शीतलता और उसक सगध आ द गण का ान न करक वन म लगी ई

आग सर व क साथ उस भी जला डालती हजगल म जब आग लगती ह तो सभी व उसम जलकर राख हो जात ह वह चदन

हो या अ य व इसी कार मन य कसी को नह ब शता 208

कदा प प ष नावम यत कसी भी प ष का कभी अपमान नह करना चा हएजो कसी अ य का अपमान करता ह वा तव म वह अपनी ही हीनता

का दशन करता ह उसस यही तीत होता ह क वह कस णी का प ष ह स जन लोगयक को वसा ही समझत ह और उसस उसी कार का वहार करत ह जसा व

अपन साथ कया जाना उ चत मानत ह इस लए को सदव सर स वहार करतसमय यह बात यान म रखनी चा हए य द कोई आपका अपमान करता ह तोआपको कसा तीत होगा ऐसा सोचन वाल कभी कसी का अपमान नह करत 209

त म त प ष न बाधत मा करना मन य का धम ह इस बात को यान म रखकर जो मा क यो य

ह उ ह कभी क नह प चाना चा हए 210

भ ा धक रह य व म छ यब यः राजा ारा एकात म राजक य रह य पर कय गय वचार को ब हीन मन य कट

कर दना चाहत हइसका भाव यह ह क मख मन य को ऐसी सभा म नह बलाना चा हए जसम

राजक य काय स मह वपण मामल पर वचार कया जाता हो 211

अनराग त फलन स यत कसी स म अथवा अनराग का मौ खक सहानभ त स पता नह चलता इसक

वा त वकता उसक फल स कट होती हमौ खक सहानभ त दखान वाल लोग तो ब त स मल जाएग परत आपक कम स

सहानभ त रखनवाल य का म कमफल स जड़ा होता ह मन य का म इस बात सभी कट होता ह क वह मन य क कतनी सफलता चाहता ह ब त स य कावभाव होता ह क व कसी को अपन जीवन म सफल दख उसस ई या करन लगत

ह परत वा त वक म अथवा अनराग वही ह जो मन य क सफलता स सर य कोभी स ता अनभव हो 212

ाफलम यम ब का ही फल ए य ह ससार म ब मान मन य को ही सख क ा त होती ह

व ततः ब मान को ही ससार म और बलवान माना जाता ह शरीर स बलवानहोना ायः उतना लाभदायक नह होता जतना ब मान होना ससार क सभी ाणी खान-पान सोन उठन बठन म एक समान ह परत मन य क ब ही उस अ य ा णय स अलगकरती ह और उसक ता स करती ह ब मान क ही इस ससार म पजा होतीह उस आदर और स मान क स दखा जाता ह 213

दात म पबा लशः लशन प रदा य त मख सर को द जान वाली व त को दन म भी ःख अनभव करता हससार म अनक व तए ऐसी ह जो क त ारा मन य को बना कसी भद-भाव क

दान क गई ह ब मान तो दान क मह व को समझत ह और वह दान दना अपनाक मानत ह परत मख य को इस बात स लश अनभव होता ह

सद गह थ जहा दान दना अपना क मानता ह वहा मख छोट -स-छोट व त भी अपन स पथक करन म क अनभव करता ह य क वह दान क मह व कोनह समझता 214

महद य ा या यध तमान वन य त ववकर हत रा य य पाकर भी न हो जात हमहान ऐ य क ा त भ क कपा और अपन य न स होती ह ववकहीन

सख-साधन और महान ऐ य को ा त करन पर भी न हो जाता हसख-साधन और ऐ य क ा त क लए मन य को धयपवक य न करना पड़ता

ह य द वह अपन य न म धय स काम न लगा तो उस महान ऐ य और धन क ा तहोना क ठन होगा य क जन य म धय क कमी होती ह व अपन अ ववक ककारण महान ऐ य ा त करक भी न हो जात ह 215

ना यधतर हकाम मकम धयहीन प ष को न तो सासा रक (लौ कक) सख ा त होत ह और न ही

पारलौ ककजस म धय नह होता उसम काय करन क श न हो जाती ह जो

धयपवक काय करत ह उ ह ही फल क ा त होती ह सफलता पान क लए धयपवक

काय करना ब त आव यक होता ह अधीर अपन चचल वभाव क कारण कसीकाय म सफल नह होत 216

न जनः सह ससगः क ः ब मान य को लोग स र रहना चा हए लोग क ससग स बचन स

ही ब मान लोग को लाभ होता हमन य जस कार क समाज म रहता ह उसका भाव उसक जीवन पर अव य

पड़ता ह इसी लए को चा हए क वह अपन आपको क ससग स बचातारह य क ससग स मन य म अनक दोष उ प हो जात ह 217

शौ डह तगत पयोऽ यवम यत शराब बचनवाल क हाथ म य द ध भी होगा तो उस भी शराब ही समझा जाएगाइसका भाव यह ह क य द म कोई गण भी होता ह तो भी लोग उस पर

व ास नह करत व उस गण क त भी आश कत रहत हजस कार शराब बचन वाल क कान पर शराब क पा म य द ध भर

दया जाय तो भी लोग उस शराब ही मानग इसी तरह क गण पर भी सदह कयाजाता ह 218

कायसकट वथ वसा यनी ब ः कसी काय को करत समय जब कोई क ठनाई सामन आती ह तो मन य ब ारा

ही ऐसा काय करन का न य करता ह जसस सफलता ा त होयक काय आरभ करन क बाद मन य क काम म क ठनाइया अव य आती ह

परत ब मान उन क ठनाइय को र करन क लए धयपवक सोच-समझकर अपनक का माग खोज लता ह अथात ब ारा ही आन वाली क ठनाइय को र कया जासकता ह 219

मतभोजन वा यम जो भख स कम भोजन करत ह व व थ रहत हअथात मन य को जतनी भख हो उसस थोड़ा कम खाना चा हए इसस मन य का

वा य ठ क रहता ह उस कसी कार क रोग नह घरत आव यकता स अ धक भोजनकरन वाला सदव रोगी रहता ह 220

प यम यप याजीण ना ीयात अप य क कारण य द अजीण हो गया हो तो प य भोजन को भी याग दना चा हएजब मन य ऐसा भोजन करता ह जस पचान म क ठनाई आती ह तो उसका शरीर

अपच रोग का शकार हो जाता ह ऐसी थ त म भोजन याग दना अ धक अ छा ह कहागया ह क lsquoअजीण भोजनम वषमrsquo अथात अजीण होन पर भोजन करना वष क समानहोता ह इसी लए भोजन तभी करना चा हए जब पहल कया आ भोजन पच गया हो औरशरीर व थ अनभव कर रहा हो अजीण म भोजन करन स मन य जानबझकर अपन शरीरम अनक रोग को आम त करता ह 221

जीणभो जन ा धन पसप त भोजन क पच जान पर ही जो भोजन करता ह वह रोग स बचा रहता हमन य का शरीर रोग का घर ह परत रोग स बचन का उपाय यह ह क

अपनी मता स अ धक भोजन न कर जो आव यकता स अ धक भोजन करत हव सदव बीमार रहत ह एक-न-एक रोग उ ह घर रहता ह कहा भी गया हmdashlsquoशरीर ा धम दरमrsquo 222

जीणशरीर वधमान ा धन प यत व अव था म य द रोगी रहन लगता ह तो उस अ धक सावधान रहना

चा हए उस रोग क उप ा नह करनी चा हएव ाव था म मन य क इ या श थल पड़ जाती ह उनम इतनी श नह रहती

जसस व रोग का मकाबला कर सक व ाव था म शरीर क ब त स त व न हो जात हनय त व का नमाण क ठनाई स होता ह इसी लए व ाव था म शरीर को व य रखन कलए को सतक रहन क आव यकता रहती ह य द उस अव था म कोई रोग शरीर मघर कर ल तो उसक त मन य को उप त भाव नह अपनाना चा हए इस चा हए क वहयथाशी उस रोग स म पान का य न कर 223

अजीण भोजन ःखम जस समय अजीण हो उस समय भोजन करना प वाशय को अ नवाय प स रोग

को घर दन का कारण होता ह इसस मन य का जीवन ःखी हो जाता हअपच क थ त म भोजन करन स प वाशय पर अ त र भार पड़ता ह उसस

शरीर म रोग पदा हो जात ह दखा गया ह क अजीण क थ त म आव यकता स अ धकभोजन करन क कारण कछ य क भोजन- थल पर ही म य हो गई

भारत क ब त स लोग ऐसा व ास करत ह क भख क कारण दश म अ धक लोगमरत ह परत यह बात अ धक स य ह क मरन वाल लोग क अ धक स या ऐसी होती हजो पट क रोग स आ ात होत ह 224

श ोर प व श यत ा धः शरीर क रोग श स भी अ धक हा नकारक होत हरोग क कारण मन य क शरीर पर आठ हर आ मण क -सी थ त बनी रहती ह

मन य श क आ मण स भयभीत रहता ह परत ा ध तो शरीर क अदर रहनवाला श हजो जीवन पर हर समय आ मण करता रहता ह रोग क कारण मन य क ाण धन औरउसक शरीर का वनाश होता ह उसका शरीर कमजोर हो जाता ह दवाइय पर धन नहोता ह इस लए रोग श क अप ा अ धक हा नकारक होता ह 225

दान नधानमनगा म मन य को दान उतना ही करना चा हए जतनी उसम श हो अथात धन क श

को दखकर ही मन य को दान करना चा हए जो अपनी श स अ धक दान करत ह उ हहा न होती ह

इ तहास म ऐस अनक उदाहरण ह ज ह न दान करन क वभाव क कारणभखा रय का-सा जीवन बताया राजा ब ल अपनी साम य को दख बना दान करन कलए स ह परत जब व ण न वामन का अवतार धारण करक उसस कवल तीन पगभ म मागी तो वह इस बात को नह समझ सका और अपन वा भमान क कारण उसन तीनपग भ म दन का वचन द दया वामन न तीन पग म तीन लोक को नाप लया इस लए

को चा हए क दान तो अव य कर परत उस अपन धन क श का परा ान होनाचा हए 226

पटतर त णापर सलभम तस धानम अपन अन चत वाथ क प त क लए ब त स अन चत प स घ न ता

बढ़ान का य न करत ह इस लए को चा हए क अन चत प स अ धक म ी बढ़ानका य न करनवाल य स सावधान रह

अ धकाश लोग क मन म कवल एक ही बात रहती ह व चाहत ह क कसी तरहउनक वाथ क प त हो व अपना काम स करन क लए ऐस स अ धक घ न ताबढ़ात ह जो उनका वाथ पण करन म सहायक हो सकता ह ब मान को चा हएक इस कार अन चत घ न ता बढ़ान वाल स सतक रह 227

त णया म त छा त लोभ क कारण मन य क ब पर एक आवरण पड़ जाता ह और वह ठ क स सोच

नह पाताजो हर समय लोभ क वश म रहत ह उनक ब सही दशा म सोचन म

असमथ रहती ह उसक लए व त क ा त मह वपण होती ह प रणाम नह lsquoत णा न जीणा वयमव जीणाrsquo अथात मन य म लोभ-लालच क भावनाए कभी

समा त नह होती परत मन य का शरीर जीण-शीण होकर समा त हो जाता ह इस लए जहातक हो सक मन य को त णा अथवा लोभ-लालच क अ धक च कर म नह पड़ना चा हएइ य सयम स काम लत ए ब को थर रखना चा हए 228

कायब व ब फलमाय तक कयात जब मन य क सामन अनक काय करन क लए ह तो सबस अ धक मह वपण

थायी प रणामवाल काय को क क प म करना वीकार करना चा हए उस काम कोसमा त करन क प ात अ य छोट अथवा सामा य मह व क काय को अपन हाथ म लनाचा हए

अनक मन य क पास अनक काय को परा करन का उ रदा य व होता ह आजससार क व था ही ऐसी ह जसम मन य को अनक काय अपन हाथ म लन पड़त हऐसी थ त म मन य को चा हए क वह सबस पहल उस काय को हाथ म ल जो सबसअ धक मह वपण हो और जसका प रणाम थायी तथा समाज क लए क याणकारी हो 229

वयमवाव क काय नरी त काय करत समय जो काय बगड़ जाए उनको वय दखकर सधारन का य न

करना चा हएमन य क श या सी मत होती ह या जो कोई भी काय करता ह उसम अनक

टया रह जाती ह उस चा हए क वह वय उन टय को र करन का य न कर कसीसर ारा टया ठ क करवान स फर कसी-न- कसी ट क सभावना रह सकती

ह इस लए कसी भी बगड़ ए काय को वय सोच- वचारकर ठ क करन का य न करनाचा हए सर क भरोस रहकर काम स नह कया जा सकता 230

मखष साहस नयतम

साहस करना मख का वभाव होता हमख कोई ऐसा काय कर सकत ह ज ह साहस क णी म रखा जा

सकता ह कसी पर अचानक नदयतापण आ मण कसी स वहार और मखतापणकाय साहसपण काय कहलात ह स जन और व ान जो कोई काय करत अथवायोजना बनात ह उसम साहस क बात नह वरन ब त सोच- वचारकर काय करन कयोजना रहती ह कसी कार क साहसपण काय स मन य को लाभ होत नह दखा गयाह या चोरी डकती आ द भी साहसपण काय म आत ह मख ही ऐस काय करसकत ह ब मान सदव इस कार क काय स बचन का य न करत ह 231

मखष ववादो न क ः मख य स कसी कार का वाद- ववाद नह करना चा हएजन य को उ चत और अन चत काय क सबध म कसी कार का ान नह

उनस काम क सबध म वाद- ववाद करना थ होता ह 232

मखष मखवत कथयत मख स मख क समान ही वहार करना चा हएमख स स जनतापण वहार करन स कोई लाभ नह होता उसक समझ म

कवल डड क भाषा आती ह इस लए मख स समानता का वहार करन वाला सदा सकट म पड़ा रहता ह डड क भाषा स मतलब इस कार का कठोर वहार हजसका मख पर भाव पड़ 233

आयसरायस छ म लोह स लोह को काटा जाता ह

और प तत को अ छा उपदश दकर उसक हठ ल वभाव को प रव ततनह कया जा सकता इस कार उस अपन वचार क अनकल बनान क ा त स अलगरहना चा हए 234

ना यध मतः सखा मख क स च म नह होतयह कहावत स ह क एक जस वचार और वभाव वाल एक- सर क

साथ रहत ह इसस भी स ह क मख क म भी मख हो सकत ह 235

धमण धायत लोकः इस ससार को धम क ारा ही धारण कया जा सकता ह अथात इस ससार म

स य पी मानव ही धम का सर क ह कम करना तथा अ स बचना य दो धम क बड़ भद ह धा मक मन य को

क पर करन पड़त ह अक यागना उसका वभाव हो जाता ह मानव समाज कासर क स य पी मानव धम ही ह 236

तम प धमाधमावनग छतः मन य क म य हो जान तथा उसक दह याग करन पर भी उसक अ छ व बर कम

उसक अतकाल म भी उसक साथ जात हमन य जस कार क काय करता ह म य हो जान पर उन कम का फल भी मन य

क साथ जाता ह अथात मन य दह स जो धम अथवा अधम क काय करता ह उसकअनसार उस जीवन का फल भोगना पड़ता ह 237

दया धम य ज मभ मः दया ही धम क माता कही जा सकती ह अथात दया स ही धम न ा पदा होती हदया ही ऐ हक अ यदय और मानस उ कष पदा करनवाल धम क ज मभ म ह

म ी क णा स ता उप ा प या मा स म ी ः खय पर क णा ख शय कोदखकर हष व पा पय क त घणा स च नमल होता ह नमल च म ही दया उ पहोती ह 238

धममल स यदान धम ही स य तथा दान दोन का मल कारण ह 239

धमण जय त लोकान धम क र ा मानव को व वजता बना दती हसमाज म मन यता क सर क धा मक क जो न ा और क त ह वही तो उन

लोग क व वजय ह अस य का दमन या अस य का सर अवनत करन क साम य हीउनक वजय ह

धम स मन य क उ त और अधम स पतन होता ह 240

म यर प ध म र त म य भी धा मक मन य को इस ससार स परी तरह मटा नह पातीम य क बाद भी मन य धम स य अपन काय क कारण जी वत रहता ह उसका

नाम अमर होता ह य क धम को जीवन-मरण क च स भी न नह कया जा सकता 241

धमा परीत पाप य स यत त धमावम तमहतीस यत

धम का वरोधी पाप जब अ धक बल हो जाता ह तो धम का अपमान होन लगताह

भाव यह ह क जब ससार म पापपण काय क बलता होती ह तो धम स षकरनवाल असर लोग धम का अपमान करत ह अथात धमपरायण क उठात ह

जब भी ससार क इ तहास म इस तरह क घटनाए ारभ ई ह और जब उसककाय क अ त हो जाती ह तो ससार म कोई ऐसा यगप ष पदा होता ह जो धम क थापनाकरता हmdash

ldquoयदा यदा ह धम य ला नभव त भारत अ य थानमधम य तदा मानसजा यहमrdquo

ीक ण क य श द इसी बात क प करत ह 242

उप थत वनाशाना क याकारण ल यत वनाशो मख असर का स य षी आकार (आचरण) उनक वनाश क सचना दता

हपा पय का धम क व बल होता आचरण उनक वय क वनाश का सचक

होता ह इसस व न हो जात ह 243

आ म वनाश सचय यधमब ः जब मन य क मन म अधम ब उ प होती ह तो वह अधमा मा क वनाश क

सचक होती हजब मन य का वनाश अथवा कसी कार क हा न क सभावना होती ह तो उसक

मन म धम क वपरीत वचार उ प होत ह अधम-ब मन य स य काय स ष करन

लगत ह इस कार वह अपन आपको वनाश क अधकार म धकल दता ह अथात मन य कमन म आए ए धम वरोधी वचार ही उसक वनाश क सचना दनवाल होत ह 244

पशनवा दनो रह यम चगलखोर अथवा सर क दोष नकालन वाल य को कोई ग त बात नह

बतानी चा हए उ ह बताई गई ग त बात ग त नह रह सकतीजो लोग सर क दोष नकालत रहत ह अथवा जनका वभाव सर क नदा

करना ह उनस कोई भी बात ग त रखना असभव हो जाता ह सर क नदा करनवाल को कभी भी अपना सहयोगी नह बनाना चा हए 245

पररह य नव ोत म सर क ग त बात सनन क इ छा मन म पदा नह होनी चा हए अ य लोग क

ग त बात सनन का आ ह भी नह करना चा हएजस कार पराय धन को ा त करन का लोभ चोरी अथवा अपहरण व का

ोतक ह उसी कार सर क ग त बात सनन व जानन क इ छा होना भी एक दोष हसामा जक स भी यह बात अ छ नह मानी जाती 246

व लभ य कारक वमधमय म वामी का कठोर होना अधम माना जाता ह

राजा का क ह क वह अपन सवक का हर कार स यान रख हर समयउनस कठोर वहार करना उ चत नह जो वामी सदव अपन नौकर -चाकर स कठोरताबरतता ह समय आन पर उसक सवक वरोधी बन जात ह अनक बार इ ह य सउसक जीवन क लए सकट उप थत हो जात ह इस लए यक अथवा राजा काक ह क वह अपन आ त क त यान द और उनक त उदारता का बताव कर 247

वजन व त मो न क ः अपन हत षय क कभी उप ा नह करनी चा हए अथात स जन और अपना हत

चाहनवाल य का सदव स मान करना चा हएमन य एक सामा जक ाणी ह सर क सहायता क बना उसका जीवन- नवाह

क ठन हो जाता ह इस लए उस चा हए क वह अपना हत चाहनवाल य क कभीउप ा अथवा अनादर न कर उनक साथ सदव उनक थ त क अनसार अ छा वहार

कर इस बात का य न करना चा हए क उनक मन म आप क त अनादर क भावनापदा न हो 248

माता प ा या या होन पर माता का याग भी कर दना चा हए जो माता अपनी सतान स श ता

करती ह उसस र रहना चा हएइस स का मल भाव यह ह क य स सदव र रहना चा हए माता का

उदाहरण दकर कहा गया ह क य द ज म दन वाली माता भी वभाव क हो तो उस भीयाग दना चा हए 249

वह तोऽ प वष द ध छ ः य द अपन हाथ म भी वष फल जाए तो आ मर ा हत उस भी काट दना चा हए

इसी कार य द कोई अ य त य सबधी अ न करन पर उतर आए तो उसका याग करकअपनी र ा करनी चा हए

मन य क शरीर क कसी अग म जब वष फल जाता ह तो जीवन-र ा का उपाययही ह क उस अग को शरीर स अलग कर द य द ऐसा नह कया जाएगा तो उस अग कावष सार शरीर म फल जाएगा और मन य का जीवन समा त हो जाएगा जब वष ककारण मन य अपन शरीर क अग को कटवान क लए तयार हो जाता ह तो य द कोई य

भी वनाश करन क तयारी करता ह तो उसको भी याग दन म ही भलाई होती ह 250

परोऽ प च हतो ब धः कसी कार का सासा रक सबध न होन पर भी य द कोई आपक हत क

अनकल वहार करता ह तो उस अपना बध समझकर अपना लना चा हएयह आव यक नह क अपन सभी बध-बाधव हत चाहन वाल ह उनम ब त स

सबधी उदासीन होत ह इस लए य द कोई बाहर का आपक हत क र ा क लएआग आता ह तो उस अपना म मानन म या हा न ह 251

क ाद यौषध ग त सख वन स भी औष धया ा त क जा सकती हजस कार सख वन स भी औष धया ा त करन क लए उ सक रहता ह

उसी कार य द कोई सासा रक स हीन होकर भी आपका हत चाहन वाला ह

तो उस वीकार करना चा हए उसक अवहलना नह करनी चा हए 252

ना त चौरष व ासः चोर का कभी भी व ास नह करना चा हएचोर उस कहत ह जो कसी क इ छा क व कसी व त का अपहरण

कर सर क व त पर अपना अ धकार जमान क इ छा रखनवाल ससार कसभी वग म मलत ह अपन सग-सब धय म भी इस कार क हो सकत ह इस लएआव यक ह क चोर कोई भी हो उसका व ास नह करना चा हए 253

अ तीकार वनादरो न क ः बाधार हत काय क सबध म कभी उप ाव नह अपनानी चा हएइसका भाव यह ह क य द राजा यह समझ क इसका श अपन बचाव का उपाय

नह कर रहा तो भी उसक ओर स सदव सतक रहना चा हए उसक उप ा करना वय कोहा न प चाना ह य क राजनी त का यह परम म ह क राजा को कभी अपना भद कसीपर कट नह करना चा हए 254

सन मनाग प बाधत वप या सन को छोटा मानकर उप ा न करोकसी वप अथवा सन को ब त छोटा नह मानना चा हएय क वह छोटा-सा सन ही कसी समय सवनाश का कारण बन सकता ह

सन छोटा हो अथवा बड़ा मन य को हा न प चान वाला होता ह सनी अपन कको भल जाता ह 255

अमरवदथजातमजयत मन य का क ह क वह अपन आपको अमर मानता आ आय भर ऐसी

साम य का स ह करता रह जो जीवन क लए उपयोगी होती हमन य को चा हए क वह जीवनपयत धम और स याचरण पर आ त रहता आ

जीवन क लए उपयोगी व त और धन का स ह करता रह धन ऐसी व त ह जसकबना धम क काय करना भी असभव होता ह जस क पास धन नह होता वह अपनसग-सब धय म भी स मान का जीवन नह बता सकता इस लए आव यक ह क जीवन भर स याचरण ारा धन का स ह करता रह 256

अथवान सवलोक य ब मतः धनवान हर जगह स मा नत होता ह

आज क थ त को दखत ए चाण य क यह बात अ रशः स य ह 257

मह म यथहीन न ब म यत लोकः ससार म नधन राजा को भी स मान ा त नह होताइस स म मह श द आया ह इस श द का वा त वक अथ हmdash वग का स ाट

अथात य द वग क स ाट क पास भी धन नह ह तो उसका इस ससार म स मान नह होसकता 258

दा र य खल प ष य जी वत मरणम द र जी वत होत ए भी मत क समान समझा जाता हससार म द र ता एक ऐसा कलक ह जसक कारण जी वत को भी मर ए क

समान मान लया जाता ह य क उसम कसी भी काय को सप करन क श नहहोती इसी लए चाण य कहत ह क धनहीन मर ए क समान ह 259

व पोऽथवान स पः क प भी य द धनवान ह तो उस भी स दर मान लया जाता हभारत म ऐसी कहावत स ह क धनी प रवार क पागल को भी ब मान मान

लया जाता ह इसस स ह क धन का मन य क जीवन म ब त अ धक मह व हइस लए मन य का क ह क वह जीवन भर धन-स ह क लए य नशील रह 260

अदातारम यथव तम थनो न यज त धन-स ह करन क इ छक लोग कजस धनवान स भी धन ा त क इ छा रखत हजो लोग अपन जीवन म धन-स ह को अपना ल य बना लत ह व ऐस लोग स भी

धन ा त क इ छा रखत ह जो अ य त कजस होत ह कजस कसी को धन यादगा वह तो अपन पर धन खच करन म भी आना-कानी करता रहता ह परत कछ लोग ऐसलोग स भी धन लाभ ा त कर लत ह 261

अकलीनोऽ प कलीना श ः अ छ कल म न उ प होनवाला धनवान अपन धन का उपयोग य द समाज

सवा क लए करता ह तो समाज सवा स वमख रहनवाल कलीन स भी वह हयह बात आव यक नह क अ छ कल म उ प होनवाला ही समाज म

स मान ा त करता ह समाज म स मान उस का भी होता ह जो अ छ कल म नउ प होन पर भी अपना धन समाज सवा स जड़ काय म लगाता ह उस कलीन सभी माना जाता ह 262

ना यमानभयमनाय य नीच को समाज म अपमा नत अथवा तर कत होन का कोई डर नह रहतानीच पर अपमान व तर कार का कोई भाव नह पड़ता ऐस क

आ मा का परी तरह स पतन हो चका होता ह ऐस क लए मान-अपमान का कोईवशष मह व नह रहता 263

न चतनवता व भयम चतर को जीवन म आजी वका चलान का कोई भय नह होताससार क सख म क पास एक अ छ आजी वका का होना भी अ छा माना

गया ह वहार-कशल अथवा चतर अपनी आजी वका चलान क लए कसी कमोहताज नह होत न कसी क गलत बात बरदा त करत ह और न उ ह गलामी वीकार ह 264

न जत याणा वषयभयम जत य को वषय का भय नह होताजस न अपनी इ य को वश म कया आ ह य द वह वषयभोग क

नकट भी रहता ह तो भी उसक च र क प तत होन क सभावना नह रहती इस लएजसन अपनी इ य को वश म कया आ ह वह कसी भी थान पर रह सकता ह अथवाकह भी जा सकता ह कसी भी कार स उसक पाप काय म ल त होन क सभावना नहरहती 265

न कताथाना मरणभयम ससार क रह य को समझकर जो अपन क -पालन ारा जीवन को

साथक बनान का य न करता ह उस म य का भी भय नह होताजो ससार म अपन जीवन क साथकता को समझकर अपन क का

पालन करत ह उ ह म य स कसी कार का भय नह होता ससार का नयम ह क जसनज म लया ह उसक म य अव य होगी परत जन य न अपन जीवन क यय कोसमझकर अपन क पर कर लए उ ह ससार म म य भयभीत नह कर सकती 266

क य चदथ व मव म यत साधः स च वभाववाल प ष पराय धन को अपन पास रखी ई अपन धन क समान स य

क धरोहर मानत हइसका भाव यह ह क स जन जस कार अपन धन का सत काय म योग करत

ह उसी कार वह चाहत ह क अ य लोग का धन भी समाज क क याणकारी काय म लगजब क मढ़म त और लोग चाहत ह क अपना धन तो बचा रह और सर का धनबीमारी मकदम और सर सन म न हो जाए 267

पर वभव वादरो न क ः सर क धन क त लालच क भावना नह रखनी चा हए को चा हए क

सर क वभव क ल सा न करमन य को कभी भी सर क धन क त लोभ क भावना नह रखनी चा हए ऐसा

करना वय क लए घातक ह अपन प षाथ स जो सप अ जत करता हउसी पर सतोष करना चा हए 268

पर वभव वादरो प वनाशमलम सर क धन सप और वभव क ल सा करना नाश का कारण बन सकता हसर क धन को लालच क स दखना सामा जक बधन क लए हा नकारक ह

मन य धन क लोभ म अपना ववक खो बठता ह उस इस बात का ान नह रहता कउसका क समाज का क याण करना ह न क सर क धन का हरण करन क इ छारखना इस कार क व स उसका वय का ही नाश हो जाता ह 269

पलालम प पर न हत म सर क धन का तनक जतना अश भी अपहरण नह करना चा हए

तनक क समान अ य त अ प मा ा म भी कसी सर क धन को चरान क

इ छा नह रखनी चा हए अन धकारपवक कसी क छोट -स-छोट व त जसका मह वतनक क समान हो लन का य न करना भी चोरी ह चोरी क अपराध म चराई गई व त ककम अथवा अ धक होन का मह व नह चराई गई व त छोट हो अथवा बड़ी व चोरी क

णी म ही आती ह व ततः मन म चोरी क भावना होना ही अपराध ह इसस चोरी करनवाल क मनोव का प रचय मलता ह इस लए को अपन मन स चोरी क भावनाको समा त कर दना चा हए 270

पर ापहरणमा म नाशहतः सर क धन का अपहरण करना अपन धन क वनाश का कारण बन जाता ह

271

न चौयात पर म यपाशः चोरी स बढ़कर कोई भी अ धक क दनवाला बधन नह

चोरी का फदा म य क फद स अ धक ःखदायी होता ह 272

यवागर प ाणधारण करो त लोक जीवन क र ा क लए जौ का द लया ही काफ होता ह य द वह उ चत समय पर

ा त हो जाएय द को ाण-र ा क लए उ चत समय पर सबस स त अ का घोल खान

क लए मल जाए तो उसस भी उनक र ा हो जाती ह अथात जीवन क र ा क लए समयपर स ती-स-स ती व त का अ प मा ा म ा त होन का भी मह व ह 273

न मत यौषध योजनम म य क बाद औष धय का कोई योजन नह रह जाताइसका भाव यह ह क समय क अन प ही साधन का योग अथवा उपयोग करना

चा हए समय क बाद साधन का योग थ हो जाता ह जस कार म य स पव रोगी क लए औष ध क आव यकता होती ह इसी कार जब कोई कोई काय कर

रहा होता ह तो उस काय क अन प साधन का उपयोग करन स काय सरलतापवक सपहो जाता ह 274

समकाल वयम प भ व य योजन भव त

साधारण समय म अपना भ व बनाए रखना क का प धारण कर लता ह 275

नीच य व ाः पापकम ण योजय त नीच प ष का ान और उसक व ा उसको पापकम म व करती हनीच मन य अपन ान का उपयोग अपन पापकम क लए ही करता ह उसक

यो यता का दशन वह अपन नीच कम ारा ही करता ह अथात नीच क पास य दकसी कार का ान ह तो वह इसका उपयोग भलाई क लए नह वरन पापपण काय कलए ही करता ह उसक यो यता चोरी सर स कपट झठ बोलन तथा इसी कार कअ य कम म ही कट होती ह वह अपन ान का योग अ छ काय क लए नह करसकता 276

पयः पानम प वषवधन भजग य नामत यात साप को ध पलान स उसक वष म ही व होती ह वह अमत नह बनताजस कार साप को ध पलान स उसक वष म ही व होती ह उसी कार नीच

का व ा को ा त करना उसक नीच व य को ही बढ़ावा दना ह उसक ानस उसक नीच व या कई गना बढ़ जाती ह वह उस व ा का उपयोग अपनी नीचता कप म करता ह अपनी बरी आदत क प म शा क उ कहत आपको ब त स लोगआपक आसपास मल जाएग 277

न ह धा यसमो थः ससार म अ क समान सरा कोई जीवनोपयोगी पदाथ नह 278

न धासमः श ः भख स बढ़कर मन य का सरा कोई श नह 279

अकत नयता त नक म को अकसर भख का क भोगना पड़ता हआलसी और नक मा जीवनभर द र ता म फसा रहता ह वह वय तो भख

मरता ही ह अपन आ त को भी भख स मरन क लए ववश करता ह मन य का कह क वह अपन जीवन को नक मा और आलसी न बनाए 280

ना यभ य धत य भखा मन य कछ भी अथात अभ य को भी खान क लए ववश हो जाता हभख लोग घास व क प उनक छाल मट ट म मल ए अ क अश और

मन य क न खान यो य नरमास आ द को खान क लए भी ववश हो जात हभख ससार का सबस बड़ा क ह राजा अथवा सरकार का क ह क व अपनी

जा को कभी भी अकाल स पी ड़त न होन द भखा न चाहत ए भी रा य काअ हत कर सकता ह 281

इ या ण जरावश कव त इ य क मयादाहीन उपयोग स ही समय स पव मन य को बढ़ापा घर लता हजो इ य को वश म न रखकर उनका पयोग करता ह उसको इसका

प रणाम भगतना पड़ता ह वह समय स पव ही बढ़ाप का शकार हो जाता ह 282

सान ोश भतारमाजीवत ऐस वामी क ही सवा करक जी वका का उपाजन करना चा हए जो दयाल ह सवक को चा हए क वह ऐस क ही चाकरी कर जो मन यता का स मान

करता हो अथात जो सर मन य को अपन समान समझता हो 283

ल धसवी पावक छया ख ोत धम त लोभी और कजस वामी क सवक क वही दशा होती ह जो जगन को दखकर

उसस आग ा त करन क लए उस पर पख स हवा करता हजस कार जगन क चमक स अ न पदा नह हो सकती उसी कार

सहानभ तहीन वामी का सवक सदव क पाता ह उसक इ छाए कभी पण नह होत इस लए लोभी को कभी अपना वामी नह बनाना चा हए 284

वशष वा मनमा यत व ान अथवा वशष वामी का आ य ा त करना चा हएजो गणी को पहचानकर उसक गण का आदर करता ह ऐस को ही

अपना वामी मानकर उसक सवा करनी चा हए जो गणी को नह पहचानता उसकपास रहना अथवा उसक सवा करना थ ह 285

प ष य मथन जरा अ धक मथन करन स प ष समय स पव ही बढ़ा हो जाता हमथन क भी एक सीमा होती ह य द कोई सीमा और अपनी श स

अ धक ी का सवन करता ह तो वह समय स पव ही व ाव था का शकार हो जाता ह 286

ीणाममथन जरा उ चत मथन सख न मलन स ी ज द बढ़ हो जाती हमथन शरीर क एक आव यकता ह य म रज वला होन क बाद मथन क इ छा

होती ह य द उनस उ चत समय पर उ चत मथन न कया जाय तो व ज द बढ़ हो जातीह 287

न नीचो मयो ववाहः नीच और उ म कल क य म पर पर ववाह सबध नह होना चा हएमन य-समाज म यक कार क सबध तभी सफल हो सकत ह जब व समानता

पर आधा रत ह जहा सबध म असमानता होती ह वह क पदा हो जात ह ववाह आ दक सबध म तो कल क समानता दखना और भी आव यक हो जाता ह कल क समानताक अ त र वचार और सामा जक थ त म भी समानता का होना आव यक ह इन बातको यान म रख बना था पत कए गय सबध क कारण कटता पदा हो जाती ह 288

अग यागमनादाययशः प या न ीय त व या आ द य क साथ सहवास करन स आय यश और प य न हो जात ह

289

ना यहकारसमः श ः अहकार अथात म या भमान स बड़ा मन य का कोई श नह हवा भमान और अहकार म भारी अतर ह मन य म वा भमान तब आता ह जब

उसम यो यता होती ह और अहकार अयो य य म होता ह वा भमान जहा कोअपन आ मगौरव को ठस नह प चन दता वहा अहकार क कारण को भारी हा नउठानी पड़ती ह इसी लए अहकार मन य का सबस बड़ा श बताया गया ह 290

सस द श न प र ोशत सभा म श क नदा नह करनी चा हए उस कसी कार क कट वचन कहकर

सभा को लड़ाई-झगड़ का क नह बनन दना चा हएब मान का क ह क सभा म कोई ऐसी कट वाणी अपन वरो धय क

लए योग न कर जसस उनका ोध भड़क चतर सभा म अपनी बात इस तरहकहता ह क जसस उसक वचार भी प कट हो जाय और वरो धय को भी ोध नआय 291

श सन वणसखम श क वप अथवा उसक ःख क बात सनकर कान को आनद अनभव होता

श पर वप आन क बात सनकर ायः सभी य को स ता होती ह 292

अधन य ब न व त धनहीन क ब न हो जाती हससार म नधनता स बढ़कर कोई अ भशाप नह नधन का अपन ब ध-

बा धव प रवारवाल और म म भी अपमान होता ह इस कार अपमान स घबराकरवह ऐस अनथ काय कर बठता ह जसक मन य स आशा नह क जा सकती 293

हतम यधन यवा य न शणो त नधन क हतकारी बात को भी कोई नह सनतानधन य द कोई अ छ और उपयोगी बात भी कहता ह तो लोग उस मजाक

म लत ह और उसक हसी उड़ात ह नधन क भी बात को कसी यो य नह समझाजाता 294

अधनः वभाययाऽ यवम यत नधन क प नी भी उसका अपमान कर बठती हमन य क लए आव यक ह क वह घर क काय को चलान क लए आल य र हत

होकर वध उपाय ारा धन स ह कर अ यथा उस अपनी भाया तक स अपमा नत होना

पड़ता ह 295

प पहीन सहकारम प नोपासत मराः जस कार भ र बौर अथवा प पकाल बीत जान पर फल स र हत आम क व को

याग दत ह उसी कार धन का उपासक ससार नधन स अपनी इ छा क प त नहोत दख उस याग दता ह

व ततः य द ब मान नधन ह तो यह उस समाज अथवा रा का क हक उस उप त होन स बचाए ससार म सभी को धन क ज रत होती ह परत जब लोगनधन स कसी कार क आशा प त होत नह दखत तो उसका याग कर दत ह 296

व ा धनमधनानाम व ा ही नधन लोग का धन हनधन का स मान उसक ान क कारण होता ह नधन य द व ान ह

तो वह आव यकतानसार धन उपाजन भी कर सकता ह इस लए व ा को नधन का ऐसाधन माना जाता ह जसस उ ह स मान ा त होता ह 297

व ा चौरर प न ा ा व ा मन य का एक ऐसा ग त धन ह जस चोर भी नह चरा सकत इसी लए व ा

पी धन को सभी धन म माना गया ह 298

व या या पता या तः व ा स मन य क यश का व तार होता हव ान जहा भी जाता ह उसका स मान कया जाता ह जस कार द पक

का काश छपा नह रह सकता उसी कार व ान क यो यता भी अपन आपकट हो जाती ह जस कार ानी मन य सपा को दान करन स प य और यश

का भागी होता ह उसी कार व ान भी व ा का दान दकर नरतर अपन यश मव करता ह 299

यशः शरीर न वन य त मन य क भौ तक दह तो म य को ा त होती ह परत उसका यश पी शरीर सदव

अमर रहता हजस न इस ससार म ज म लया ह उसक म य भी न त ह परत जो

अपन काय स अपन सद गण स इस ससार म यश ा त करत ह व सदव अमर बनरहत ह उनक म य क बरस बाद भी लोग उनका नाम बड़ी ा और भ स लत ह 300

यः पराथमपसप त स स य षः जो मन य सर क परोपकार क लए आग बढ़ता ह वही स जन प ष माना जाता

हवाथ तो इस ससार म सभी परा करत ह परत स जन प ष वही कहलाता ह जो

सर क क को अपना समझकर उनका क याण करन क लए आग आता ह अथात जो सबक क याण म अपना क याण समझता ह वही स प ष कहलाता ह 301

इ याणा शम शा म शा क ान स ही इ य को शात अथवा उ ह अपन वश म रखा जा सकता ह

302

अशा कायव ौ शा ाकश नवारय त अवध काय क लए उ त को शा का अकश ही सयम म रखता हजब मन य क मन म समाज क व कोई काय करन क भावना पदा होती ह तो

शा का अकश ही उस रोकन म समथ होता ह अथात जो जत य होत ह ज ह नअपनी इ य को वश म कया आ ह व ही उस अवध काय स बच सकत ह शा मइ य न ह क बात कही गई ह ज ह शा का ान ह व पापाचरण स बच जात ह 303

नीच य व ा नोपत ा नीच प ष क व ा क अवहलना करनी चा हए 304

ल छभाषण न श त ल छ क भाषा का योग नह करना चा हएल छ भाषा स चाण य का भाव अ ील अथवा अ श भाषा स ह अथात मन य

को अपनी बातचीत अथवा अपन भाषण म अ श भाषा का योग नह करना चा हएअ श भाषा का योग करन वाल का समाज म अपमान ही होता ह 305

ल छानाम प सव ा म ल छ क अ छ बात को अपना लना चा हए

य द और अभ कोई अ छ बात कहता ह तो उसस लाभ उठान कव होनी चा हए य द ल छ लोग कसी कारण वश सग ठत होत ह तो उसस सीख लन

म कोई हा न नह 306

गण न म सरः क ः सर क अ छ गण स ई या नह करनी चा हएायः यह मन य का वभाव होता ह क वह अ य य क उ कष को दखकर

उनस ई या करन लगता ह परत ई या करन स कोई लाभ नह होता इसस कवल क अस ह ण व का ही बोध होता ह 307

श ोर प सगणो ा ः श म य द अ छ गण दखाई द तो उ ह हण कर लना चा हएइस स स चाण य का भाव श क रण-कौशल स ह रण-कौशल क सबध म य द

श म कोई वशष बात दखाई द तो हण कर लनी चा हए 308

वषाद यमत ा म वष म भी य द अमत हो तो उस हण कर लना चा हएजस समय वष अमत का काम करन लग तो उस वष न समझकर अमत क प म

वीकार कर लना चा हए वष वा तव म योग करन वाल क चातय स अमत बन जाता ह 309

अव थया प षः स मा यत प र थ तया पदा करन स ही स मान का अ धकारी बनता हराजा क स मान पान क एक अव था ह राजा अपनी शासन- व था म जा स

स मा नत होन यो य प र थ त पदा करक ही जा स राजभ या स मान पान क आशाकर सकता ह जब तक रा यस था अपन को जा हत क अनकल नह बना लती तब तक

उस स मान ा त नह होता 310

थान एव नराः प य त अपन थान पर बन रहन स ही को स मान मलता ह

क अपन भाव म ही पजा होती ह भाव यह ह क जस मकाम करता ह उस क लोग उसक यो यता स प र चत होत ह व उसक गण औरउसक वभाव स भी भली कार प र चत होन क कारण ही उसका स मान करत ह 311

आयव मन त त मन य को चा हए क वह सदा आय ( प ष ) क आचरण का अनसरण करमन य को चा हए क वह समाज म अपना स मान बनाए रखन क लए सदा न ता

और धम क अनसार ही आचरण कर प ष का आचरण इस कार का होता ह क वनी तपवक स य आचरण म ही व ास करत ह 312

कदा प मयादा ना त मतमयादा का कभी भी उ लघन नह करना चा हए

एक सामा जक ाणी ह यक समाज क कछ सीमाए और मयादाए होतीह को चा हए क वह उन सीमा म रहत ए ही आचरण कर 313

ना यघः प षर न य व ान और गणी कसी भी रा और समाज क लए अम य र न होत हकसी भी म क गई उनक सवा और काय का रा क लए ब त मह व

होता ह इस कार क प ष-र न समाज म ब त कम होत ह परत ऐस य क न तोकसी चीज स उपमा द जा सकती ह और न उनका म य ही आका जा सकता ह 314

न ीर नसम र नम ी-र न स बढ़कर कोई सरा अम य र न नह ह

स च र प त ता ी कसी प रवार क लए स मान का कारण होती ह य कास मान रा का स मान माना जाता ह ी को ल मी क प म ाचीन थ म सचा रत

कया गया ह प रवार क अ त र दश क नमाण म भी य का ब त बड़ा हाथ होता हअपन उ रदा य व को नभान वाली ी क उपमा र न स द गई ह 315

स लभ र नम ससार म र न क ा त ब त क ठन हसदभ क अनसार गणवान म हला और प ष का जस समाज म अभाव होता ह

उस भा य समझना चा हए र न उस कहा जाता ह जसम स दय हो तज हो च ाकषणहो इसी कार समाज को अलकत करनवाल अथवा समाज क शोभा बढ़ान वाल ी औरप ष को र न कहा जाता ह इसी कार क र न स समाज क शोभा बढ़ती ह 316

अयशो भय भयष सभी कार क भय स अपयश अथात बदनामी का भय सबस बड़ा होता हस य और स जन प ष सदा इस बात का यान रखत ह क उनस कोई ऐसा काय

न हो जाए जसस उनक नदा हो स जन य क लए उनक नदा अथवा लोग कमन म उनक आचरण क त सदह पदा होना उनक लए म य क समान होता ह 317

ना यलस य शा ा धगमः आलसी प ष को कभी भी शा का यथाथ ान नह हो सकताआलसी व ा ा त नह कर सकता भारतीय शा म अनक थान पर

कहा गया ह क शा का ान ा त करन वाल को सखभोग क इ छा याग दनी चा हएऔर उस आल य स र रहना चा हए आलसी अपन प रवार क लए भी ःख दन वालास होता ह 318

न ण य वगा तधमक य च ी म आस प ष को न तो वग मलता ह और न उसक ारा कोई धम काय हो

पाता हजो इ य को वश म नह रख सकता वह सदव ःखी रहता ह उसक लए

मानवो चत क पालन करना भी क ठन होता ह उस शारी रक मान सक तथासामा जक कसी भी कार का सख ा त नह हो सकता और वह समय स पव ही बढ़ा होजाता ह 319

योऽ प णमवम य त

या भी ण प ष का अपमान कर दती हमन य क अपनी प नी भी उसक इस वभाव क कारण उस उप ा क स

दखती ह 320

न प पाथ सच त श कत म फल का इ छक कभी सख पड़ को नह स चतामन य को अपन यय क अनसार ही काय करना चा हए जो अपन यय स

वच लत हो जाता ह वह कह का नह रहता न उसका जीवन सफल होता ह और नउसको समाज म स मान मलता ह

जस कार फल क ा त क इ छक सख पौध को नह स चत उसी कारयक को अपन यय क अनसार काय करना चा हए 321

अ य नो बालका वाथनादन यः बना कसी कारण स थ प र म करना और धन ा त क इ छा रखना बलकल

ऐसी ही बात ह जस बाल स तल नकालन का य न करनाधन क ा त क लए मन य को ा त धारणा म पड़कर ऐस उपाय नह करन

चा हए जनस धन क ा त न हो धन क ा त एक न त यय को सामन रखकरन ापवक काय करन स होती ह आल य म पड़ रहकर शख- च लय क तरह ातधारणा स धन क ा त नह हो सकती 322

न महाजनहासः क ः महान प ष का उपहास नह करना चा हएसीध-साद स य न य का मजाक उड़ान स उनक कोई हा न नह होती

ब क का अपना ही छोटापन जा हर होता ह उनका उपहास करना बलकल वसा हीह जस चाद पर थकन का य न करना 323

कायस पद न म ा न सचय त कसी काय क ल ण ही उसक स या अ स क सचना द दत ह

जब कोई काय ार भ करता ह उस समय कस कार क ल ण कट होतह इस बात स ही पता चलता ह क काय म सफलता ा त होगी या असफलता कोई काय

ारभ करत समय मन य क मन म एक कार का उ साह होता ह य द काय करत समय

वह उ साह बना रहता ह तो ल ण काय स क होत ह य द मन य क मन म उ साहउ प नह होता तो काय स होन म सदह रहता ह 324

न ाद प न म ा न वशषय त इसी कार न स भी कसी काय क स होन क सचना मल जाती ह

ायः कोई काय ारभ करत समय न क ग त व धय क आधार पर शभ मनकाला जाता ह अ छा समय दखकर काय ार भ करना ब म ा क बात हो सकती हपरत उस काय क सफलता तभी न त होती ह जब मन य क मन म इस काय क सक त कोई सदह न हो

इस लए को कत -पालन म वलब नह करना चा हए य क इसस शभम क न होन क सभावना रहती ह 325

न व रत य न परी ा अपन काय क स चाहनवाला न क गणना पर अपन भा य क

परी ा नह करताजो अपन काय को शी ही सफल होता दखना चाहता ह वह न क

च कर म नह पड़ता वह अपन आ म- व ास और काय स क लए कए जान वालउपाय पर रखता ह 326

प रचय दोषा न छा त कसी स प रचय हो जान क बाद उसक दोष छप नह रहतमन य जसस पणतया प र चत हो जाता ह उसक सभी गण और दोष पर

कट हो जात ह कसी क दोष का ान मन य को तभी होता ह जब वह उसकअ य त नकट आता ह 327

वयमश ः परानाशकत बर वचार वाला सर पर भी बरा होन का सदह करता हजो अपन आचरण स ह व ससार म कसी भी को श आचरण

वाला नह मानत व यक को सदह क स दखत ह 328

वभावो र त मः

वभाव को बदलना ब त क ठन काय होता हमन य का मन ान अथवा अ ान दोन म स कसी एक थ त को अपना लता ह

इस कार वह उसका वभाव बन जाता ह वभाव क अनसार वह आचरण करता ह जस क व शभ कम म ह उस एकदम बदलना क ठन होता ह परत अ धकाश

मन य अपन अ ान क कारण नक काय क ओर ज द व हो जात ह परत जब वएक ही कार क काय को बार-बार करत ह तो उनक वभाव को बदलना क ठन हो जाताह एक सामा य कहावत ह क चोर य द चोरी छोड़ भी दता ह तो हरा-फरी छोड़ना उसकलए क ठन होता ह 329

अपराधान पो द डः अपराध क अन प ही दड दना चा हएअपरा धय को उनक अपराध क अनसार ही दड दना शासन का क होता ह

इसस जनता म सर ा क भावना बढ़ती ह दड क भय क कारण ही कहा गया ह क वहसोत ए भी जागता ह अथात द ड अपन थान पर सदव थर रहता ह इसी स जा मशासन- व था थर रहती ह कहा भी हmdashद डः शा त जाः सवाः द ड एवा भर तद डः स तष जाग त द ड धम व बधाः अथात दड राजधम का आव यक अग ह 330

कथान प तवचनम क अन प ही उ र दना चा हए

जन लोग पर व ास न हो उनक का उ र दत समय इस बात को यान मरखना चा हए क जो कछ म पछा गया ह उसका उ र सी मत होना चा हए पछा कछजाए और इधर-उधर क हाकन लग ऐस लोग मख कहलात ह 331

वभवान पमाभरणम अपनी धन-सप क अन प ही को आभषण धारण करन चा हएमन य को अपन शरीर क सजावट अथवा वषभषा अपनी आ थक थ त क

अन प सी मत रखनी चा हए अपनी थ त स बाहर जाकर शरीर को सजान स मन य कस मान म व नह होती

मन य को अपनी वशभषा दशकाल क अनसार रखनी चा हए कहा भी गया ह कmdashlsquoतात पर पसा रए जाती ल बी सौरrsquo 332

कलान प व म अपन कल क मयादा क अनसार ही को काय करना चा हए

का आचरण इस कार का होना चा हए जसस कल क मयादा को ठस नप च कल क मयादा म क आचरण क साथ-साथ उसका वसाय भी आता हइस लए का क यह ह क वह कोई ऐसा वसाय न अपनाय अथवा कोई ऐसाआचरण न कर जसस उसक कल क मयादा को हा न प चती हो 333

कायान पः य नः जसा काय हो य न भी उसी क अनसार करना चा हएकाय ारभ करन स पव उ चत समय सहायक अनकल प र थ तया धन आ द

साधन और अपन उ साह क सबध म को प र चत होना चा हए 334

पा ान प दानम पा क अनसार ही दान दना चा हएदान दन स पहल इस बात पर वचार करना आव यक ह क जस दान दया जा रहा

ह वह उसक यो य भी ह अथवा नह उसक यो यता क अनसार ही दान क मा ा नधा रतकरनी चा हए 335

वयोऽन पो वशः को अपनी आय क अनसार ही वश धारण करना चा हए 336

वा यनकलो भ यः वामी क अनसार ही सवक को काय करना चा हए

सवक का क ह क वह वामी क इ छा क अनकल आचरण करनवाला होसवक को अपन वामी क वचार समाज म उसक थ त आ द को समझकर उसकअनसार ही आचरण करना चा हए उस कोई ऐसा काय नह करना चा हए जसस वामीका अनादर हो 337

भतवशव तनी भाया प त क वश म रहनवाली प नी ही भरण-पोषण क अ धका रणी होती ह

गह थ पी रथ को चलान क लए प त और प नी दो प हय क समान होत हदोन का पार प रक तालमल आव यक ह दोन क पार प रक एकता तभी सभव ह जबदोन क जीवन का ल य एक जसा हो दोन क वचार एक समान ह वचार म समानता नहोन क कारण कलह उ प होन लगता ह इस लए दोन म अनकलता होना गह थ कक याण क लए आव यक ह 338

ग वशानवत श यः श य को सदा ग क इ छा क अधीन रहकर काय करना चा हएजब ग श य को श त करन क लए अपन अधीन लता ह तो इस श य का

सरा ज म माना जाता ह य क ग ही श य को सब कार क व ा का ान दता हजसस श य क ान-च खलत ह और एक सामा जक परपरा बनी रहती ह ग क बना

का क याण नह हो सकता जीवन म अपन क को सही ढग स परा करन कलए ग स ही ान ा त होता ह इस लए श य का क ह क वह ग क इ छा कअनसार ही काय कर 339

पतवशानवत प ः प को पता क इ छा क अनसार चलनवाला होना चा हएप का क ह क पता क अनभव स लाभ उठाए पता क आ ा क अनसार

काय करन स ही वह पता क सप का अ धकारी हो जाता ह प रवार म सख और शा तबनाए रखन क लए भी आव यक ह क प पता क आ ा क अन प ही काय कर 340

अ यपचारः श कत ः अ य धक आदर स शका उ प होती हय द कोई आगतक क थ त स अ धक आदर स मान करता ह तो इसस

क मन म सदह उ प हो सकता हइसका कारण यह हो सकता ह क वागत-स कार करनवाला उस पर कसी

अन चत काय का दबाव डालना चाहता हो 341

वा म न क पत वा मनमवानवतत वामी क होन पर सवक को वामी क आ ा क अनसार ही काय करना

चा हए

य द वामी कसी कारण वश सवक स ह तो सवक को चा हए क वह अपनवामी क त ोध न कट करक अपनी भल को सधारन का य न कर सवक का वामी

क त ोध करना अन चत और हा न द होता ह 342

मातता डतो व सो मातरमवानरो द त माता क ारा ता ड़त कया गया ब चा माता क पास जाकर ही रोता हजब माता अपन ब च को उसक कसी भल क कारण द ड दती ह तो ब चा अपन

वभाव क अनसार माता क पास जाकर ही रोकर अपना ःख कट करता ह इसी कारमन य का क यह ह क उस अपन हत षय अपन सब धय तथा ग क क पत होजान पर भी उ ह यागना नह चा हए अपनी टय का सधार करक उ ह अपनी ओर स

स करन का य न करना चा हए 343

नहवतः व पो ह रोषः नह करन वाल य का ोध णक और अ न र हत होता ह

भला चाहन वाल कसी कारण स य द होत ह तो उसक पीछ अ नकरन क भावना नह होती माता- पता ग सबधी आ द लोग का ोध थोड़ी दर क लएहोता ह व थोड़ी-सी दर म स हो जात ह 344

आ म छ न प य त पर छ मव प य त बा लशः मख अपन दोष को न दखकर सर क दोष को दखता हमख मन य का यह वभाव होता ह क वह अपन अवगण को न दखकर सर

य म दोष ढढ़न का य न करता ह वह अपन को अपराधी न मानकर सर कअपराध और उनक दोष को ही खोजता रहता ह मख का यह वभाव होता ह उसअपनी आख का शहतीर दखाई नह दता जब क सर क आख का तनका वह बड़ीसरलता स दख लता ह 345

सोपचारः कतवः धत लोग सर क पर बल बना करत ह अथात आ म- दशन करत हधत लोग सर क कपट सवा स कोई भद जानना चाहत ह धत लोग जनका भद

जानना चाहत ह उ ह अपनी सवा ारा अपन वश म करन का य न करत ह 346

का य वशष पचरणमपचारः

कसी वशष इ छा क प त क लए जो सवा क जाती ह उस उपचार कहत हउपचार का अथ दवा-दा अथवा सवा करना भी होता ह इस सदभ म यहा अपनी

कसी वशष इ छा क कारण कसी सर क जो सवा क जाती ह उसको भीउपचार कहत ह ब त स लोग कसी का भद जानन क लए ग तचर क प म काय करतह 347

चरप र चतानाम यपचारः श कत ः अ य धक प र चत य क अन चत सवा स मन म सशय पदा होता हजस स काफ घ न प रचय हो य द कसी दन उसक सवा म अ य धक

च दखाई दती ह तो इस शका क स दखा जाता ह इसका अथ यह लगाया जाता हक इस कसी वशष कार क काय प त क इ छा ह अ य त प र चत स जो भीकाम लना हो उसस प बात करनी चा हए अपन आदर-स कार स उसक मन म सदहपदा करन का य न नह करना चा हए 348

गौ करा सह ादका कनी यसी एक साधारण गाय भी सौ क स अ धक होती हजस कार ध न दन वाली गाय भी सौ क स अ धक उपकार करन वाली मानी

जाती ह उसी कार उपकारी उपकार न करन वाल सह प र चत ठग स होताह 349

ो मयराद कपोतो वरः कल मलनवाल मोर क अप ा आज मलनवाला कबतर अ धक अ छा हवतमान क सामा य थ त क उप ा करक कल ा त होनवाली बड़ी आशा क

भरोस नह रहना चा हए आकाश म बादल को घरा दखकर अपन घर का घड़ा फोड़ दनामखता ह 350

अ त सगो दोषम पादय त अ य धक साहस अथवा अन तकता स बराई पदा होती हकछ स म lsquoअ त सग rsquo क थान पर lsquoअ तसगोrsquo भी दया ह lsquoअ त सग rsquo का

अथ अन तकता माना जाता ह और lsquoअ तसगोrsquo का अथ कसी स अ धक जान-पहचान होनाकया जाता ह

दोन य स यह बात उ चत ह य क जस स अ धक प रचय होगा उससकसी-न- कसी कार का दोष उ प होन का भय बना रहगा अन तकता तो अपन आप मबराई ह 351

सव जय य ोधः ोधहीन सबको अपना बना लता ह अथात वह अपन वभाव क कारण

व वजयी बन जाता ह 352

य पका र ण कोपः कोप कोप एव क ः य द बराई करनवाल पर ोध करना ही हो तो पहल अपन ोध पर ही ोध

करना चा हएभावाथ यह ह क अपनी उ त चाहनवाल य को ोध नह करना चा हए

य द ोध करना ही हो तो पहल उस अपन ोध पर ोध करना चा हए क वह इस कारक वचार म कस फसा ोध स मन य क वचार-श न हो जाती ह और वह अन चतकाय कर बठता ह 353

म तम स मख म ग व लभष ववादो न क ः ब मान मन य को मख म ग और अपन यजन क साथ थ का ववाद

नह करना चा हए 354

ना य पशाचम यम ऐ य पशा चकता स र हत नह होताजन लोग क पास ऐ य क साधन होत ह व बड़ी सरलता स पशा चकता क ओर

आक हो जात ह जन ऐ यशाली य म धम-कम का अभाव होता ह उनम बरीव या सरलतापवक घर कर जाती ह इस लए मन य का य न होना चा हए क वह

रा सी व य स बचता रह तथा धन-सप और ऐ य आ द को समाज क काय क लएयोग म लाए 355

ना त धनवता सकमस मः धनवान य को शभ काय को करन म वशष म नह करना पड़ताचाण य न अनक स म धम-कम क लए धन क आव यकता पर बल दया ह

इस लए धनी क लए कोई भी काय करना क ठन नह होता परत जो कवल धन कही उपासना करत ह अथात हर समय और अ धक धन जोड़न क इ छा रखत ह उनक

व अ छ काय को करन क ओर नह जाती 356

ना त ग त मो यानवताम वाहन पर या ा करन वाल को थकावट अनभव नह होतीजो यान अथवा कसी वाहन पर या ा करत ह उन पर या ा क म का

भाव नह पड़ता उ ह अ धक थकावट नह होतीचाण य न एक पव स म कहा क जो अ धक पदल या ा करत ह व ज द

बढ़ हो जात ह अ धक या ा वाहन ारा ही करनी चा हए 357

अलोहमय नगड कल म ी बना लोह क बड़ी ह

प नी प त क लए बना लोह क ऐसी बड़ी ह जस वह सहम त स वीकार करताह इसका अथ यह ह क ववाह था व छा स अपन पर लाग कया गया ऐसा धम-बधन हजसस वतः ही अन चत काय पर रोक लगती ह 358

यो य मन कशलः स त मन यो ः जो मन य जस काय म पणतः नपण हो उसको उसी काय म नय करना

चा हए कसी काय म नय क यो यता का मापदड यही होना चा हए क जोकाय भली

कार जानता हो उसक नय उसी काम क लए होनी चा हए अथात कोवही काम ारभ करना चा हए जस वह भली कार जानता हो य द वह अप र चत काय महाथ डालगा तो उस हा न उठानी पड़गी 359

कल मन वना शरीरकशनम ी अथवा प नी मन वी क शरीर को बल बना दती ह

अथात य द प नी अ छ वचार क न हो तो मन वी लोग ऐसी य को ःख काकारण मानत ह 360

अ म ो दारान नरी त

आल यर हत होकर सदा ी का नरी ण करना चा हएमन य को आल य का याग करक ऐसा य न करना चा हए क उसक प नी बर

माग पर न जा सक इस लए सदव उसक दख-रख करत रहना चा हए परत ऐसा काम वहप त ही कर सकता ह जो मादर हत हो 361

ीष क चद प न व सत य पर क चत मा भी व ास नह करना चा हए

ऐसा तीत होता ह क यह स ी मा क लए नह कहा गया ब क चाण य काभाव यह ह क ी जा त को श त करना आव यक ह इतन पर भी भल तो सभीशरीरधा रय स होती ह परत या कछ बात बना सोच- वचार कर बठती ह इ तहास मऐस अनक उदाहरण ह जहा सीता जसी म हला न ल मण रखा जसी मयादा का उ लघनकरक अनक कार क क उठाए परत गह थ धम आपसी व ास क बना नह चलसकता इस लए को चा हए क वह बड़ी सझबझ क साथ य क साथ वहारकर 362

न समा धः ीष लोक ता च य म ववक और लोक- वहार क कमी होती हय का वभाव चचल होता ह चचल वभाववाला कई बार प रवार क

लए भी हा न का कारण बन जाता ह इसक अ त र वाथ क कारण ब त स लोक- वहार स भी प र चत नह होत व ततः जो समाज पणतः श त न हो उसमम हला को समानता क अवसर ा त नह होत परत अब सभी दश म य कोश त करन का य न कया जा रहा ह और उ ह न एक स मानपण थान भी बना लयाह इस लए इस कार क बात कवल अ श त म हला क सबध म कही जा सकती ह 363

ग णा माता गरीयसी ग जन म माता का थान सव च होता हजो समाज मात-जा त को अ ान क अधकार म रखता ह उसस वह वय ही

रोग त हो जाता ह प ष जा त पर यह उ रदा य व ह क वह मात जा त को उ चतगौरवमय थान दकर वय उ त हो आचाय का पद उपा याय स दस गणा ऊचा ह पताका पद आचाय स सौ गणा ऊचा ह माता का पद तो गौरव क स पता स सह गणाऊचा ह अतः माता स मान क यो य ह 364

सवाव थास माता भत ा यक अव था म माता का भरण-पोषण करना चा हए

माता मन य को ज म दनवाली होती ह इस लए मन य का क ह क वह हरकार स यक थ त म माता का स मान कर और उसक भरण-पोषण का यान रख

365

व यमलकारणा छा त बनावट पन स पा ड य पर पदा पड़ जाता ह अथात बनावट पन स मन य क

पा ड य को हा न प चती हव ान लोग अपन शरीर को सजान क लए उतना यान नह दत जतना अपन

वचार को ऊचा बनान का य न करत ह अपन शरीर को सजान का एक घ टया कारबनावट पन ह इस व ा वरोधी आचरण भी कहा जा सकता ह परत इसका यह भाव नहक मन य अपन शरीर को सही थ त म रखन का य न न कर 366

ीणा भषण ल जा ल जा ही य का भषण (गहना) ह 367

व ाणा भषण वदः ान ही ा ण का आभषण ह 368

सवषा भषण धमः सभी य का आभषण धम हजो धम स र हत ह स य न ा स र ह और जस अपन क का ान

नह वह अपन शरीर को कतना भी सजाए सवार इसका कोई लाभ नह 369

भषणाना भषण स वनया व ा वनयसप व ा सम त आभषण का आभषण हव ान य द न ता स य हो तो उस सव माना जाता ह अ धकाश लोग

को अपन गण क कारण अहकार हो जाता ह और व वन नह रह पातइस लए मन य को ऐस ान क ा त का य न करना चा हए जसस व न

सशील और वहार-कशल बन सक न बनानवाली व ा ही मन य का सबस बड़ाआभषण ह 370

अनप व दशमावसत जस दश म उप व होत रहत ह वहा रहना उ चत नह 371

साधजनब लो दशः जस दश म स जन प ष का नवास हो वह बसना चा हएव ततः वही रा रहन क यो य होता ह जहा अ धकाश लोग का स य कानन और

लोक-मयादा म व ास हो अथात उसी दश म रहना चा हए जहा कानन और व था कापालन करनवाल लोग रहत ह 372

रा ो भत सावकालम राजा अथवा शासन स सदव डरकर रहना चा हएमन य को ऐसा य न करना चा हए क वह राजा अथवा शासन क ोध का पा

न बन ऐसा तभी हो सकता ह जब रा य क नयम का न ापवक पालन कया जाए 373

न रा ः पर दवतम राजा स बड़ा कोई दवता नह दवता उस कहा जाता ह जो धम का पालन करता और करवाता ह दश भर म धम

का पालन रा य क नयम क भय क कारण ही होता ह इस लए राजा को रा का दवताकहा जाता ह उसक पास श और अ धकार होन स उसक मह व म और भी व होतीह 374

स रम प दह त राजव हनः राजा क ोधा न रा य क स र कोन म प चकर भी दश ोही को द ध (भ म)

करन म समथ होती हराजा अथवा शासन क श अपन दश म ापक होती ह इस लए सदव रा य

क नयम का पालन करना चा हए अ यथा राजा अथवा रा य क नयम क अनसारराज ो हय का सफाया कर दया जाता ह 375

र ह तो न राजानम भग छत राजा दवता अथवा ग क पास खाली हाथ नह जाना चा हएराजा दव अथवा ग क पास जात समय को खाली हाथ नह जाना चा हए

समाज क ऐसी मयादा ह क जब कोई कसी महान प ष क पास जाता ह तो कछ-न-कछ भट करन क लए अव य अपन साथ ल जाता ह वतमान समाज क परपरा ह कदश क कसी बड़ नता अथवा स जन प ष क स मान क लए उसक पास प चकर प पभट कए जात ह 376

ग च दव च ग और दवता क पास भी खाली हाथ नह जाना चा हएग मन य को व ा दान दता ह और दवता क कारण धम म आ था पदा होती

ह इस लए इनक पास जात समय भी ा और भ सचक उपहार लकर ही जानाचा हए 377

कट बनो भत म राजा क प रवार स सबध रखनवाल य स डरकर ही रहना चा हएराजा क प रवार स सब लोग का स कार करना चा हए कभी ऐसा कोई काय

नह करना चा हए जसस व नाराज होकर ष रखन लग 378

ग त च सदा राजकलम राजदरबार म सदव जात रहना चा हएराजप रवार अथवा रा य दरबार म जात रहन अथवा रा यकल क य स

मलत रहन स जा क हत क लए कए जानवाल काय स प र चत रहता ह इसीकार वह उनस लाभ भी उठा सकता ह 379

राजप षः स ब ध कयात राजप ष स सबध बनाए रखना चा हएरा य- शासन स सबध रखन वाल अ धका रय अथवा राजप ष क साथ प रचय

रखना क लए लाभदायक होता ह इसस मन य क अपन अनक काय स होत हराजप ष स सबध रखन क कारण अ य लोग क काय भी करवाए जा सकत ह 380

राजदासी न स वत ा राजा क वशष दासी स कसी कार का सबध नह रखना चा हएराजा क सवा करनवाली दा सय स जा क लोग को गत सपक नह बनाना

चा हए इसस राजा क होन क स भावना रहती ह इस लए कोई ऐसा काय नह करनाचा हए जसस राजा अ स हो 381

न च षा प राजधन नरी त इसी स का सरा प इस कार ह lsquoन च षा प राजान नरी तrsquo

थम स का अथ ह क राजा क धन क ओर आख उठाकर भी नह दखनाचा हए तीय स का अथ ह क राजा क ओर कभी सीधी आख उठाकर नह दखनाचा हए

का क ह क रा य स सब धत धन क ओर कभी आख उठाकर भी नदख इसका अथ यह भी हो सकता ह क रा य क ओर स जो कर आ द लगाए जाएउनक न त अदायगी होती रहनी चा हए 382

प गणव त कट बनः वगः गणवान प स प रवार वग बन जाता हवग- ा त का अथ ह सख क ा त होना पता क लए सबस बड़ा सख प का

गणवान और सदाचारी होना ह इसस प रवार म सख और शा त क साथ-साथ समाज मस मान भी बढ़ता ह प का गणवान और सदाचारी होना पता क श ा पर ही नभरकरता ह इस लए पता को चा हए क वह अपन प को व ान गणवान और सदाचारीबनाए 383

प ा व ाना पार गम यत ाः प को सब व ा म पारगत बनाना चा हएपता का क ह क वह सतान को व ान और गणवान बनाय कहा गया ह क

जो पता अपनी सतान को श त नह बनाता वह सतान का श होता ह व ततः वहसतान का ही नह अपना भी श होता ह इसी लए पता का क ह क वह अपन पको व ा म पारगत बनाय 384

जनपदाथ ाम यजत

जल क हत क लए ाम क हत को याग दना चा हएय द ाम को याग दन स पर जल का क याण होता ह तो उसको छोड़ दन म कोई

हा न नह भावाथ यह ह क अ धकाश लोग क लाभ क लए मन य को अपन छोट वाथका प र याग कर दना चा हए 385

ामाथ कट ब य यत ाम क हत क लए प रवार क हत का ब लदान कर दना चा हए

य द प रवार क कसी याग स ाम का भला होता ह तो प रवार क वाथ काब लदान कर दना चा हए 386

अ तलाभः प लाभः प क ा त सव लाभ हपरत वही प पता और प रवार क लए लाभ और शसा का कारण होता ह जो

गणवान होता ह इसी लए गणवान प को ही पता क लए सव लाभ माना गया ह 387

ायण ह प ाः पतरमनवत त ायः प पता क जीवन क अन प बन जात ह

प पता क आचरण स ही ब त कछ सीखता ह इस लए पता का क ह कवह प क सामन आदश उप थत कर 388

गतः पतरौ र त सप ः प होन पर माता- पता क ग त नह होतीजब माता- पता बढ़ हो जात ह तो प ही उनक दखभाल करता ह व लोग

अनक रोग क शकार भी हो जात ह य द कोई उनक दख-रख करनवाला न हो तो उ हब त क उठाना पड़ता ह उस समय कवल सद गणी प ही माता- पता का सहारा होता ह 389

कल यापय त प ः सप स ही कल क या त होती हसद गणी प ही कल क स मान को बढ़ाता ह उसी क कारण वश का मख उ वल

होता ह इसी लए गणवान प को कल का द पक कहा गया ह 390

यन त कल यात सः प षः जस प ष क ारा कल का गौरव बढ़ उसी को स चा प ष कहा जाता हस च अथ म मन य वही ह जसस कल क शोभा बढ़ती ह कल क या त म चार

चाद लगत ह 391

नाऽनप य य वगः सप क बना वग क ा त नह होतीजस प रवार म गणवान और ब मान प नह होता वह प रवार सदव खी रहता

ह प रवार का सख सप होन स ही बढ़ता ह 392

या सत (सा) भाया सतान को ज म दनवाली ी ही भाया अथात प नी कहलाती हअ छ सतान को ज म दनवाली ी को ही स ची भाया अथात प नी माना जाता

ह अ छ सतान क उ प स ही भाया होन क सफलता ह जो अ छ प उ प नह करसकती उस स ची प नी नह कहा जा सकता 393

सतीथाऽ भगमनाद चय न य त एक ही ग कल म पढ़नवाल छा -छा ा का नकट सपक चय का वनाशक

ह 394

प ाथा ह यः प ा त क लए ही य का वरण कया जाता हप नी का स पयोग प ा त क लए कया जाना चा हए वषयभोग क त त क

लए नह परत जो लोग य को वषयभोग का साधन मान लत ह उनस अ छ सतानउ प होन क आशा नह क जा सकती 395

वदासीप र हो ह वदासभावः अपनी दासी क साथ प र ह करना अपन को दास बना लना ह

जो अपनी ही नौकरा नय को वषयभोग का साधन बना लता ह वह प ततहोन क साथ-साथ वय उनका दास बन जाता ह 396

उप थत वनाशः प यवा य न शणो त जसका वनाश नकट होता ह वह अपन हत क बात नह सनताजब मन य क दन आत ह तो वह अपना भला चाहनवाल क बात क ओर भी

यान नह दता कहा भी गया ह क मन य क वनाश स पव उसक ब हो जाती हlsquo वनाशकाल वपरीत ब ःrsquo 397

ना त द हना सख ःखाभावः यक दहधारी क जीवन क साथ ःख और सख लग रहत ह

जसन मन य जीवन धारण कया ह उस सख और ःख कसी-न- कसी प मा त होत रहत ह जस कार जीवन म मन य का बीमार रहना ःख ह और व थ रहना

सख उसी कार सफलता और असफलता भी मानव जीवन क दो पहल ह 398

मातर मव व साः सख ःखा न कतारमवानग छ त जस बछड़ा माता क पास जा प चता ह वस ही सख और ःख अपन कता क पास

जा प चत हसख और ःख मन य क जीवन क आव यक अग ह परत उनक उ प का कारण

वह वय होता ह जस कार गाय का बछड़ा गाय क अपनी उ प ह और वह उसकपीछ-पीछ चलता ह उसी कार मन य ारा उ प कए गए सख और ःख उसका पीछाकरत ह 399

तलमा म यपकार शलमा म यत साधः स जन प ष तल क समान छोट स उपकार को भी पहाड़ क समान बड़ा मानत हयह स जन प ष का वभाव होता ह क कोई जो उनका छोटा-सा उपकार

करता ह व उस बड़ा भारी उपकार मानत ह और उसक त कत बन रहत ह 400

उपकारोऽनाय वक ः प ष पर उपकार नह करना चा हए प ष अपनी ता नह छोड़ता और वह उपकार करनवाल क त कत ता भी

कट नह करता भाव यह ह क पा दखकर ही कसी पर उपकार करना चा हए अपाक त उपकार करन स कोई लाभ नह होता 401

यपकारभयादनायः श भव त उपकार का बदला चकान क भय स प ष श बन जाता ह

अपन त कय गए उपकार का बदला नह चकाना चाहता उसम ऐसीभावना नह होती इस लए वह उपकार करनवाल क त उप ा और ष क भावनारखन लगता ह 402

व पम यपकारकत यपकार कतमाय न व प त स जन प ष थोड़ स उपकार क बदल अ य त मह वपण उपकार करन क लए

तयार रहत हस जन प ष छोट स उपकार को ब त बड़ा मानत ह और वह इसका बदला चकान

क लए सदा तयार रहत ह उ ह तब तक चन नह पड़ता जब तक क व इस सबध मअपना क परा नह कर लत 403

न कदा प दवताऽवम तका दवता का कभी भी अपमान नह करना चा हएजन म तय च आ द को दवता समझकर पजा क यो य माना जाता ह उनका

अपमान करना उ चत नह इसी कार पजा थान और अ छ च र वाल य काभी अपमान करना नदाजनक काय ह 404

न च षः सम यो तर त आख क समान सरी कोई यो त नह हमन य क शरीर म न ही ऐसा अग ह जसक बना मन य-जीवन नरथक होता ह

कसी व त को य दखन का जो मह व ह उस कसी अ य कार स परा नह कया जासकता 405

च ह शरी रणा नता न ही दहधा रय का नता हआख को दहधा रय का नता इस लए कहा गया ह य क जब तक मन य क ान-

च नह खलत तब तक वह कसी भी स य अथवा अस य काय क सबध म नणय नहकरता इसी लए न को शरीरधारी का पथदशक माना गया ह 406

अपच षः क शरीरण न हीन का जीवन लश द होता हआख क बना मन य ससार म अपनी जीवन-या ा अ य त लश म रहकर ही परी

कर पाता ह न हीन य क क क कोई सीमा नह होती 407

ना स म कयात जल म म याग नह करना चा हएजल म म याग स वह उपयोग म लान क यो य नह रहता उस पीन नान करन

अथवा अ य कसी भी उपयोग म लान स भयकर प रणाम हो सकत ह 408

न न नो जल वशत परी तरह स न न होकर जल म नह उतरना चा हएजल म कछ जीव इस कार क होत ह जो शरीर स चपककर र चस लत ह

इसी लए जलाशय न दय आ द म भी परी तरह न न होकर नह घसना चा हए 409

यथा शरीर तथा ानम शरीर जसा होता ह वसा ही ान उसम रहता ह

यक क शरीर का आकार- कार व भ कार का होता ह ब त सय क शरीर को दखकर यह अनमान लगाया जा सकता ह क व कतन ब मान ह

परत उस मानदड क प म वीकार करना क ठन ह 410

यथा ब तथा वभवः जसी ब होती ह वसा ही वभव होता हयहा सत रज तम तीन गण क बात ह जो ाणी जसी ब का होता ह अपन

वभव क लए वह वस ही स मान एक त करता ह सत ब क वभव सा वक ह ग रजब क राजसी और तामस ब क वभव भी तामसी ही ह ग 411

अ नाव न न न पत

आग म आग नह डालनी चा हए ोध क बदल ोध नह करना चा हएइसका भावाथ यह ह क ोध का उ र ोध स नह दया जा सकता ोध क

उ र म ोध करन स अशा त पदा होती ह और दोन प क हा न भी हो सकती ह 412

तप वनः पजनीयाः तप वय क सदा पजा करनी चा हएतप वी व लोग होत ह जो इ य को वश म रखन का य न करत ह ऐस

समाज क लए मागदशक का काम करत ह व समाज क म यवान धन होत ह समाज कोचा हए क वह उनका आदर-स कार कर उनका अपमान न कर 413

परदारान न ग छत पराई ी क साथ समागम नह करना चा हएपरप नय स सपक था पत करन क बात भी मन म नह सोचनी चा हए

व य पर कठोर सयम रखन स ही मानव तथा सामा जक जीवन क शा त सभव ह जोमन य सर क ी स सभोग करत ह व समाज म ल जत होत ह 414

अ दान णह याम प मा अ दान स ण (गभ थ शश) ह या का भी पाप मट जाता ह 415

न वदबा ो धमः वद- वीकत धम ही वा त वक धम हधम वद स बाहर नह धम क ा याकार न इस सबध म जो कछ भी बताया ह

वह वद क अन प ह वद ान का भडार ह वद क व चलन स धम का पालन नह होसकता वद क अन प आचरण करना ही मन य का धम ह 416

न कदा चद प धम नषधयत धम का वरोध कभी नह करना चा हए और न ऐस धम क वरो धय क सगत करमन य को धमान ान करना चा हए धम का पालन करना ही मन य जीवन का

सबस बड़ा क होता ह ण भर क लए भी धम स वच लत नह होना चा हए धम कापालन न करन वाल समाज म अशा त पदा करत ह को सदव धम का

आचरण करना चा हए 417

वग नय त सनतम मीठ और स ची वाणी मन य को वग ल जाती हजो मधर वाणी बोलत ह व सबको अपना म बना लत ह उनका कोई श

नह होता व ससार म नभय होकर वग का सख भोगत ह मन य मपण मधरवाणी सश को भी अपना म बना लता ह 418

ना त स या पर तपः स य स बढ़कर कोई तप नह हस य का अवलबन ही इस ससार म सबस अ छ तप या ह स य का आचरण करन

स मन य पर अनक सकट भी आ सकत ह परत स याचरण स ही उनस वच लतनह हो सकता वह अनक क उठाकर भी स य का प र याग नह करता 419

स य वग य साधनम स य क ारा ही मन य वग को ा त होता हमन य क दय म रहनवाल स य का यय यह होता ह क मन य क वाथ य

व य पर अकश लगाय इस कार मन य कम म व नह होता मन य अपनीभोली व य का माजन स य क बल पर ही करता ह और उसक पजा वग क दवता कसमान होन लगती ह मन य को यान दना चा हए क वय स य ही साधन भी ह और सा यभी इसी लए मन य को स य का साथ नह छोड़ना चा हए 420

स यन धायत लोकः स य पर ही ससार टका आ हस य क कारण ही मानव-समाज म व था कायम रहती ह सावज नक क याण

और आ म-क याण स य क ारा ही हो सकता ह स यहीन समाज य कव छाचा रता क कारण छ - भ हो जाता ह जसस इसका सवनाश भी हो जाता ह

421

स याद दवो वष त स य स दव क कपा बरसती ह

जो समाज स य क अधीन रहता ह दवता क कपा क वहा ही वषा होती ह 422

नानता पातक परम झठ स बढ़कर इस ससार म कोई पाप नह झठ अथवा अस य आचरण करन स मन य को अनक सकट का सामना करना

पड़ता ह झठ क ारा मन य सर को ही नह वरन वय अपन आपको भी धोखा दता ह 423

न मीमा या गरवःग जन क आलोचना नह करनी चा हएमन य को चा हए क अपन ग क कभी आलोचना न कर ग श य का सदव

हत चाहत ह व कभी उसका अ हत नह करतइसी लए य द उनक दय क भावना को न समझ सक तो भी उनक

आलोचना नह करनी चा हए आलोचना का अथ क दोष को ढढ़ना ह अतः अपनग जन म दोष ढढ़ना मन य क मखता ह 424

खल व नोपयात मन य को चा हए क वह ता को वीकार न करमन य को नीचता का कभी आ य नह लना चा हए उसका क ह क वह

सदव नीच स र रह सर क नदा करना लड़ाई-झगड़ा करना अस याचरणकरना आ द नीच काय मानव को उसक उ च आदश स गरात ह इसी लए उस चा हए कवह इस कार क पाप काय स पथक रह 425

ना त खल य म म धत मन य का कोई म नह होताजो स जन लोग स वहार करता ह वह धीर-धीर वय अपन म म

कमी करता ह समय पाकर उसक ब ध-बा धव भी उस छोड़ जात ह स जन हीकसी को परखन क बाद म ता का हाथ बढ़ात ह धत वभाव स ही स जन लोगका श होता ह इसी लए समझदार को चा हए क नीच और धत य सकभी स पक था पत न कर 426

लोकया ा द र बाधत द र मन य का जीवन- नवाह क ठन होता हद र ता जीवन का अ भशाप ह द र और नधन य को अपन प रवार क

आ त क अ त र वय अपन जीवन को चलाना क ठन होता ह नधनता क कारणउसक सग-सबधी भी उस छोड़ दत ह इसी लए को चा हए क वह धयपवक य नकरता आ नधनता को समा त करन का य न कर 427

अ तशरो दानशरः दानवीर ही सबस बड़ा वीर ह 428

ग दव ा णष भ भषणम ग दवता और ा ण म भ रखना मानवता का आभषण हजो ग ा ण और स जन य आ द क सबध म समान भाव

रखता ह उनक भ करता ह वा तव म वह इस कार अपन जीवन क शोभा बढ़ाता हय काय उसक लए एक आभषण क समान होत ह उसक सव पजा होती ह 429

सव य भषण वनयः वनय सबका आभषण हवनय का अथ ह न वभाव परत न वभाव का वही हो सकता ह

जसक स य म न ा होती ह स य आचरण करन वाला अपन न वभाव का कभीयाग नह कर सकता मन य का न वभाव उस सबका य बना दता ह जस कार

आभषण सबको अ छ लगत ह उसी कार ाणी का आभषण वनयशीलता सबको अ छालगता ह 430

अकलीनोमऽ प वनीतः कलीना श ः जो कलीन न होता आ भी वनीत हो वह कलीन अहकारी क अप ा

बड़ा हजो अ छ कल म उ प न होन पर भी वनयशील बना रहता ह वह अहकार

य कलीन स अ छा माना जाता ह वन ता क कारण का समाज म आदरबढ़ता ह 431

आचारादायवधत क त सदाचार स मन य क आय और यश दोन क व होती हराचारी मन य अपन नक काय क कारण अनक रोग का शकार हो जाता ह

और ज द ही मौत क मह म चला जाता ह परत सदाचारी मन वचन और कम ाराअपनी इ य को वश म रखन क कारण द घाय होता ह ऐस का यश भी बढ़ता हसदाचारी का सभी स मान करत ह 432

यम य हत न व म मधर और य होन पर भी अ हतकर वाणी नह बोलनी चा हएऐसी मीठ बात करन का भी कोई योजन नह होता जनस सर को ठस प च

433

ब जन व मक नानवतत अनक लोग क वरोधी एक का अनगमन नह करना चा हएजस एक का ब त स वरोध करत ह उसका अनकरण करन स

मन य क हा न होती ह अथात इसका भाव यह ह क कसी व का अनसरण न करकस य का अनसरण करना चा हए 434

न जनष भागधयः क ः जन य क साथ कभी भी अपना भा य नह जोड़ना चा हए

जन य क नीयत साफ नह ह और जो वभाव स ह उनक साथमलकर कोई काय नह करना चा हए उनस मलकर काय करन स मन य को हा न उठानीपड़ती ह 435

न कताथष नीचष स ब धः कताथ अथात अपन वसाय म सफल नीच स भी सबध था पत नह

करना चा हएजो अपन वसाय म कसी कार सफलता ा त कर भा यशाली बन जाए

और वभाव म नीचता रह ऐस भा यशाली नीच य स भी कभी सबध था पत नहकरना चा हए 436

ऋणश ा ध वशषः क ः ऋण अथात कज श और रोग को सवथा समा त कर दना चा हए 437

भ यनवतन प ष य रसायनम क याण-माग पर चलना ही मन य क लए उ म साधन ह 438

ना थ वव ा काया याचक का अपमान नह करना चा हएयाचक का कोई मान-अपमान नह होता वह कन कारण स रत होकर भीख

मागन पर उता होता ह यह उसक ववशता समझत ए उसका अपमान करन स कोईलाभ नह 439

स कर कम कार य वा कतारमवम यत नीचः नीच मन य कम करवान क बाद वह काय करनवाल को अपमा नत करता हइस स का अथ यह ह क नीच मन य कसी स कोई ऐसा क ठन काय

करवा लता ह जो उसक लए सभव नह होता अपन वभाव क अनसार वह काम करनवाल का अपमान करता ह क ठन काय क सबध म नीच मन य कता को सफलता का यशन दन क भावना स ही ऐसा करता ह 440

नाकत य नरका वतनम कत न मन य क नरक क अ त र कोई ग त नह जो कसी क उपकार को नह मानता उसक कभी उ त नह हो सकती

ऐसा बारा कसी स सहायता न मलन क कारण सदव खी रहता ह कसी कउपकार को न मानना क अधःपतन क एक सीमा ह 441

ज ाय ौ व वनाशौ मन य क उ त और अवन त उसक अपनी वाणी क अधीन ह

जस कार क बात करता ह अथवा जस कार क वचन बोलता ह उ हक आधार पर ससार म उसक व और अवन त होती ह मधर उपयोगी और समय कअनकल बात करनवाल ब त कम होत ह जो वाणी का सही उपयोग जानत ह व

इस ससार म उ त करत ह और सखी भी रहत ह 442

वषामतयोराकरो ज ा मन य क वाणी ही वष तथा अमत क खान ह 443

यवा दनो न श ः जो य वचन बोलता ह उसका कोई श नह होता 444

तता अ प दवता त य त त त करन स दवता भी स हो जात हत त ारा दवता को भी अपना बना लना अपन आप म एक लोको ह म दर

म रखी ई म त दवता अ य होता ह परत भ मन स उसक त त करता ह उसकाथना करता ह उसस उसक मनोकामनाए परी हो जाती ह जब अ य दवता मधर वचन

स स होत ह तो त दन सपक म आन वाल हत करनवाली और मधरवाणी सय न स ह ग 445

अनतम प वचन चर त त अस य वचन लब समय तक मरण रहता हयही बात सर प म य कही गई ह क तलवार का घाव तो समय पाकर ठ क हो

जाता ह परत कट वाणी स उ प आ ष जीवन भर समा त नह होता वरन कई पी ढ़यतक चलता रहता ह इसी लए मन य को वचन का योग नह करना चा हए 446

राज न च व म राजा स ष उ प करन वाली बात कभी नह बोलनी चा हएऐसी बात अथवा भाषण कभी नह करना चा हए जसस राज ोह कट होता हो

राज ोह अपराध ह 447

तसखा को कलालापा य त काली कोयल क कक सबको अ छ लगती हक प होन पर भी कोयल क वाणी मधर होती ह इसी लए वह सबको अ छ

लगती ह काला तो कौआ भी होता ह परत उसक वाणी कठोर होती ह इसी लए उस कोई

पसद नह करता इस लए मन य का क ह क वह रा य क अ धका रय स ऐसी कठोरबात न कह जसस हा न प चती हो 448

वधमहतः स प षः अपन धम म थत होन क कारण ही प ष स प ष कहलाता हअपन धम का पालन करन स ही स प ष कहलाता ह ीक ण न गीता म

कहा कmdashlsquo वधम नधन यः परधम भयावहःrsquo 449

ना य थनो गौरवम याचक का समाज म कोई गौरव नह होतायाचना करनवाल और कजस धनी को ससार म स मान ा त नह होता

मागनवाला सर क म हीन माना जाता ह और कजस धनी दान न दन ककारण स मानहीन बन जाता ह 450

ीणा भषण सौभा यम य का आभषण उनका सौभा य होता ह

जो या अपन प त क त सम पत और प त ता होती ह उनका समाज मस मान होता ह इसस बढ़कर ी क लए न तो कोई आभषण ह और न कोई स दय प तही उसक लए सब कछ होता ह 451

श ोर प न पतनीया व ः श क भी आजी वका न नह करनी चा हएआजी वका एक ऐसा उपाय ह जसस अपना और अपन प रवार का भरण-

पोषण करता ह कसी को जी वका उपल ध कराना ब त ही मह व और प य का कायसमझा जाता ह चाण य कहत ह क श क जी वका को भी हा न नह प चानी चा हए 452

अ य नादक म जहा बना य न कय जल उपल ध हो वही क ष यो य भ म होती ह 453

एर डमवल य कजर न कोपयत

एरड व का आ य लकर हाथी को नह करना चा हएस का भाव यह ह क क भरोस बलवान श स ववाद नह करना

चा हए एरड का व ढ़ नह होता इसी लए उसका आ य लकर हाथी स बर नह करनाचा हए 454

अ त व ा शा मली वारण त भो न भव त ब त पराना होन पर भी समल क व स हाथी को नह बाधा जा सकताजस पराना वशाल शा मली असार होन स हाथी बाधन क यो य नह माना जाता

उसी कार नबल मन वाल लोग पया त सम और -प हो जान पर भी बलवान सट कर लन यो य नह हो सकत मन य म बल ब क लए अ तःसार होना चा हएहा दक बल ही स ाम क वशष यो यता ह भजबल नह दह क वशालता वजय कासाधन नह हो सकती 455

अ तद घऽ प क णकारो न मसली ब त बड़ा कनर का व भी मसल बनान क काम नह आताकनर का व अदर स खोखला होता ह इसी लए उसक लकड़ी स मसली बनान

का काम नह लया जा सकता इसी कार कमजोर बल मनवाल क पास जतनभी भौ तक साधन ह उनस कोई भी मह वपण काय नह कया जा सकता 456

अ तद तोऽ प ख ोतो न पावकः जगन कतना भी अ धक चमक ला य न हो वह आग का काम नह द सकता

को कोई भी मह वपण काय परा करन क लए मन का ढ़ होना आव यकह जस कार जगन क चमक स न काश होता ह और न आग का काम लया जा सकताह इसी कार नबल मन वाल कोई मह वपण काय नह कर सकत 457

न व व गणहतः सम शाली हो जान पर भी कोई आव यक प स गणवान नह हो पातायह आव यक नह क को कसी एक बात म व ा त हो जाए और वह

गणी भी हो इसी कार यह भी आव यक नह क सम शाली लोग म गण का नवासआव यक प स ही होता ह 458

सजीण ऽ प पचम दो न शङकलायत

ब त पराना होन पर भी नीम क व का सरौता नह बन सकताजस कार नीम क परान होन पर भी सरौता अथवा चाक बनान का काम नह

लया जा सकता इसी कार वभाव क लोग कतन भी परान अथवा व य न होजाए उनक सारहीनता न नह होती और उ ह सारवान नह बनाया जा सकता अथात

क त क लोग वशष मह वपण काय क उपयोगी नह होत 459

यथा बीज तथा न प ः जसा बीच होता ह वसा ही फल उ प होता हजसा बोओग वसा काटोग अथात मन य जस कार क कम करता ह उसको वसा

ही फल मलता ह सतान भी वसी ही होती ह जस माता- पता और उनक वचार होत ह 460

यथा त तथा ब ः श ा क अन प ही ब होती हमन य क श ा-द ा जसी होगी ब का वकास भी वसा ही होगा इसी लए

सदा ऐसा य न करना चा हए क सतान को अ छ श ा द जसस उनम अ छ ब कावकास हो 461

यथाकल तथाऽऽचारः जसा कल होता ह वसा ही आचरण होता ह

ायः दखा गया ह क कल क परपरा क अनसार ही लोग का आचार- वहारहोता ह जस वश क धमपरायण और गणी होत ह उस कल का लौ कक वहार भीउदारता स य होता ह ऐस कल म ज म और पालन-पोषण ा त बालक उदार ह ग 462

स कतः पचम दो न सहकारो भव त नीम को कतना भी श य न कया जाए वह आम नह बन सकतानीम क व को ध और गड़ आ द स कतना भी अ धक स चा जाए कत उसक

वाभा वकता समा त नह हो सकती और उस आम क फल जसा मधर नह बनाया जासकता इस कार नीच मन य को भी कतन ही उपदश दए जाय उसक लए नीचता कायाग करना अ य त क ठन होता ह 463

न चागत सख प र यजत ा त होन वाल सख को नह छोड़ना चा हए

न त और अनकल वतमान को यागकर अ न त भ व य क आशा म पड़ रहनाउ चत नह जो अवसर ा त हो उस खोना नह चा हए कसी बड़ सअवसर क आशा महाथ म आए छोट अनकल काय को छोड़ नह दना चा हए कहा भी गया ह lsquoयो वा णप र य य अ वा ण नशवत वा ण त य न य त अ व न मव ततrsquo

अथात जो हाथ म ह उसका लाभ उठाना ही ब मानी ह 464

वयमव ःखम धग छ त अपन कम क अनसार ही मन य को ःख मलता हमन य जस काय करता ह उसी क अनसार उस सख और ख क ा त होती ह

वा तव म ःख मन य ारा व छा स वीकत कया आ रोग ह उस समझना चा हए कयह उसक काय का ही फल ह 465

न रा चारण कयात रात क समय थ नह घमना चा हए

य को तो इसक त अ य धक सावधान रहना चा हए 466

न चाधरा वपयात आधी रात तक जागत नह रहना चा हएरा व ाम करन क लए बनाई गई ह च क सा- व ान क अनसार इस समय

शरीर म ऐसी रासाय नक या होती ह जो शरीर क व थ रहन क लए उपयोगी हइसी लए रात म समय पर सो जाना शारी रक और मान सक वा य क स लाभदायकह रा को कवल योगी जागत ह जो भ क ाथना म लीन रहत ह

सामा य जन को समय क अनसार वहार करना चा हए और ब त रात बताकरनह सोना चा हए 467

त दभः परी त मन य को कस समय या काय करना चा हए यह व ान और अनभवी कल क

व प ष स सीखना चा हए

प रवार क व प ष को अपन अनभव ारा ब त-सी बात ात होती ह इसी लएप रवार क लोग को जीवन म आचरण क लए उनस ब त कछ सीखना चा हए 468

परगहमकारणतो न वशत बना कसी कारण कसी सर क घर म नह जाना चा हएबना कारण कसी सर क घर जान स का अपमान होता ह इसका एक

अथ यह भी हो सकता ह क काननी अ धकार ा त होन पर ही कसी सर क घर म वशकया जा सकता ह वस नह 469

ा वा प दोषमव करो त लोकः मन य जानबझकर ही अपराध क ओर व होता हमन य अपनी वाभा वक ब क अन प कसी काय को बरा समझत ए भी उस

काय क ओर आक होता ह मन य असयम क कारण ऐसा करता ह जन य मसयम नह होता व ाचारी बन जात ह 470

शा धाना लोकव ः लोक वहार शा क अनकल होना चा हएमन य क वहार क सबध म ायः सभी शा म बताया गया ह इसी लए मन य

को अपन काय- ापार म अ य लोग क अप ा वहार आ द क रणा शा स ही लनीचा हए 471

शा ाभाव श ाचारमनग छत य द मन य को शा का ान न हो तो मन य को अपना आचरण प ष क

अनसार करना चा हएय द कसी को शा का ान नह तो उस जीवन म ब त-सी बात क लए

क ठनाई हो सकती ह इस क ठनाई को र करन का एक सरल उपाय यह ह क उस अपनाआचरण प ष क समान करना चा हए अथात जसा व करत ह उनका अनगमन करनाचा हए 472

नाच रता छा गरीयः कोई भी शा सदाचार स बढ़कर नह ह

अ छा आचरण शा स अ धक मा य ह सभी शा म सदाचरण क ही श ा दगई ह सदाचार शा स भी बड़ा ह 473

र थम प चारच ः प य त राजा राजा ग तचर ारा र क व त को भी दख लता हग तचर राजा क आख होत ह वह दश तथा वदश म अपन रा य स सब धत

अनक बात को ग तचर ारा जान लता ह 474

गतानग तको लोकः साधारण मन य परपरा का अनसरण करत हइस सर श द म भड़-चाल भी कहा जा सकता ह कवल ब मान मन य ही

सोच- वचार कर हतकर माग का अनसरण करत ह और अ हतकर माग याग दत ह वकसी सर को दखकर आचरण नह करत व अपनी ब स वचार कर काय करत ह 475

यमनजीव नापवदत जसक ारा जी वकोपाजन होता ह उसक नदा नह करनी चा हएमन य को आजी वका दन वाल वामी क नदा नह करनी चा हए ऐसा करन स

जी वका समा त हो सकती ह यह सम त ससार स म त प य काय धम जी वका आ दक कारण एक- सर स बध ए ह

इसी कारण यह ससार न व न चलता रहता ह अतः आजी वका दन वाल वामीक नदा न करक उसका स मान करना चा हए 476

तपःसार इ य न हः इ य को वश म रखना ही तप का सार हवषयभोग स सबध रखन वाल एकात वन म भी अपनी इ य को वश म

नह रख सकत जो अपन घर म रहता आ भी इ य को वश म रखता आ अपनाकाय करता ह वह तप पण जीवन ही बता रहा होता ह 477

लभः ीब धना मो ः ी क बधन स छटना बड़ा क ठन काय ह

ी स भोग वलास सबधी वचार आन पर मन य असाधारण मनोबल स ही बचसकता ह परत य द ी चाह तो उसक तप को भग भी कर सकती ह य द कोई तप वी भीइ य पर वजय ा त नह कर सकता तो उसक तप या थ होती ह को यक मोह म नह पड़ना चा हए 478

ीणा सवाशभाना म ी सभी सकट को ज म दन वाली होती ह

इ तहास म ऐसी अनक घटनाए इस बात का माण ह क य क कारण मन यसमाज को भारी हा न उठानी पड़ी रामायण महाभारत प वीराज और सयो गता ककहा नया इस बात का माण ह

इसी लए रा को चा हए क ी जा त क सबध म अपन कत क त पण सचतरह ी को कवल भोग वलास का साधन मानन स भी अनक हा नकारक प रणाम भगतनपड़त ह 479

अशभ षणः ीष न स ाः ( स ः) अशभ काय को न चाहन वाल लोग य म आस नह हो सकतसमाज क हत म अपना हत समझन वाल लोग य क अ धक सपक म नह

आत समाज का क याण चाहन वाल लोग को य म आस न होकर उनक साथकवल क का सबध रखना चा हए य म अ धक आस मन य को पतन क चरमसीमा तक प चा सकती ह 480

य फल ा वद वदः ऋक यज साम आ द तीन वद को जानन वाला ही य क फल को जानता हय फल स मन य भ क सबध म ान ा त करता ह अथवा उस अपन सबध म

पण ान क ा त होती ह अथात वह अपन वा त वक व प को य क कारण समझपाता ह 481

वग थान न शा तम (याव प यफलम) वग क ा त थायी नह होती उसक अव ध तब तक होती ह जब तक प य का

फल शष रहता हमन य वग म तभी तक वास करता ह जब तक उसक प य बच रहत ह इसस यह

कट ह क मन य क जीवन म सख अ थायी होत ह सख और ःख मन य को उसक

कम क अनसार ही ा त होत ह 482

याव प यफल तावदव वगफलम जब तक प य का फल शष रहता ह तब तक मन य वग पी फल अथात सख का

भोग करता ह 483

न च वगपतनात पर ःखम भौ तक सख क नाश स बढ़कर साधारण मानव क लए सरा कोई ःख नह जब मन य क भौ तक सख समा त हो जात ह तो उसक ख क सीमा नह रहती

परत यह सब उसक कम क कारण ही होता ह इसक साथ मन य को सामा य जीवनबतात ए अ धक सख क आशा म भी नह पड़ना चा हए जसस सख क समा त परउसका जीवन भर न हो जाए 484

दही दह य वा ऐ पद न वाछ त ाणी को दह स इतना लगाव होता ह क वह दह छोड़कर इ का पद भी नह

भोगना चाहताभावाथ यह ह क मन य अपन जीवन क वतमान काल म ही सख क इ छा करता

ह य क उसक आस अपनी दह म होती ह वह अपनी दह को छोड़कर इ -आसना त करन क इ छा नह रखता मरन क बाद सख क इ छा का प नक होती ह 485

ःखानामौषध नवाणम सम त ख क औष ध मो हमन य जब तक मन क इ छा क बधन म पड़ा रहता ह तब तक ःख का

अनभव होता ह मन क बधन स पणतः म होना ही ःख स छटकारा पाना ह अथातमन य जब मो ा त कर लता ह तब उसक ख वय समा त हो जात ह 486

अनायसब धा मायश ता मन य क म ता क अप ा स जन क श ता अ छ ह

आनाय अथात वचार वाल राचारी मायावी कपट क म ता कअप ा ववक-सप सदाचारी का श होना अ धक अ छा ह 487

नह त वचन कलम वचन स सार कल का नाश हो जाता ह

कठोर वचन बोलन वाला कल को कल कत कर दता ह जब क अ छमधरवाणी उ च कल क होन का माण दती ह मख स वाणी नकलत ही सबस पहलबोलनवाल क कल क मयादा का पता चलता ह क वह कस कल म पदा आ इसी लए

को अपन कल क गौरव क लए अ छ और मधर भाषा का योग करना चा हएअ छ कल का य द कवाणी बोलता ह तो यह उसक कल क पतन का कारण होता ह 488

न प स पशात पर सखम प सख स बढ़कर सरा कोई सख नह प -लाभ को सासा रक सख म सबस अ छा माना गया ह सभवतः वधाता न इस

स क परपरा को चलान क लए ही माता- पता क मन म प -मोह पदा कया य द माता-पता को प स इस कार का मोह न होता तो सभवतः स क परपरा का चलना असभवहो जाता 489

ववाद धममन मरत ववाद क समय धम क अनसार काय करना चा हएचाण य का कहना ह क आपसी लड़ाई-झगड़ अथवा कलह क समय धम का यान

रखना चा हए धम को भलना नह चा हए लड़ाई-झगड़ क समय भी जो धम कोयाद रखत ह व भयकर पाप करन स बच जात ह य क लड़ाई-झगड़ क समय मन य

ोध म आकर कछ भी कर सकता ह जसक कारण बाद म उस आय भर पछताना पड़ताह 490

नशा त काय च तयत मन य को न य ातःकाल दन क काय क सबध म वचार करना चा हए

ातःकाल जब मन य सोकर उठता ह तो उस इस बात पर वचार करना चा हए कदन भर का काय म या ह इस बात पर वचार करन स काय क सबध म वधा समा तहो जाती ह और उसका सारा दन न त काय म क अनसार चलता रहता ह 491

उप थत वनाशो नय म यत

जसका वनाशकाल नकट होता ह वह अनी त करन पर उता हो जाता हजस मन य क बर दन आत ह वह अनी त पण काय करन लगता ह अनी त पण

काय स वय ही उसका वनाश हो जाता ह 492

ीरा थनः क क र या ध क इ छा रखन वाल को ह थनी पालन क आव यकता नह होतीध ा त करन क लए कोई ह थनी को नह पालता अथात थ क कम याग

करन क यो य होत ह मन य को जस व त क आव यकता हो उसी क अन प कायकरना चा हए इसका अथ यह भी ह क मन य को कवल उपयोगी का ही सचय करनाचा हए थ क चीज बटोरन म अपनी श न नह करनी चा हए 493

न दानसम व यम दान जसा कोई वशीकरण म नह सदाचारी धनी लोग अपन धन का स पयोग समाज क क याण क लए करत ह

समाज क क याण क साथ-साथ उनक यश म भी व होती ह जन लोग को उनक दानस लाभ होता ह व सदव ही उनक नाम स भा वत रहत ह उनका दान वशीकरण म कसमान स होता ह 494

पराय ष क ठा न कयात पराई व त को ा त करन क इ छा नह करनी चा हएसाध-सत का कहना ह क सर क धन को मट ट क समान समझना चा हए

अथात जो पदाथ सर क पास ह उस पान क लए उतावला नह होना चा हए उस पान कलए अपनी श भी नह लगानी चा हए उतावलापन श क हीनता का ोतक ह सरक अ धकार म चली गई अपनी व त क ा त क लए भी धयपवक य न करना चा हए 495

अस सम रस ररव भ यत जन क सम का उपभोग जन लोग ही करत ह

लोग जो स प अथवा धन दौलत इकट ठा करत ह उसका उपयोग बर कामक लए होता ह 496

न बफल काकभ यत

नीम क फल को कौए ही खात हजस कार नीम का कड़वा फल कौए जस प य क काम ही आता ह इसी कार

अ श उपाय स इकट ठा कया आ धन च र हीन लोग क न दत काय क ही योग मआता ह इसी लए मन य का क ह क उ चत उपाय स धन का स ह कर जससउनक उ त हो 497

ना भो ध त णामपोह त सम क खार पानी स यास नह बझतीपाप क कमाई स कमाया आ धन कसी को सत नह कर सकता उसका अ छ

काम म उपयोग भी असभव ही होता ह नक उपाय स स ह कया आ धन अत ममन य क अपन वनाश का कारण बनता ह 498

बालका अ प वगणमा य त जस कार बाल या रत अपन ख और कठोर वभाव को नह छोड़ पाता इसी

कार मन य भी अपना वभाव नह छोड़तनीच अपन वभाव क कारण नीच उपाय स ही धन का स ह करता ह और उसका

उपयोग उसक अपन वभाव क कारण ही समाज-क याण क काय म नह होता उसकाउपयोग बर काय क लए ही होता ह 499

स तोऽस स न रम त स जन लोग जन म रहकर आनद (चन) अनभव नह करतमन य समाज म रहन वाला ाणी ह परत वह अपन जस वचार वाल लोग म ही

रहता ह अ जी क एक कहावत ह क एक जस प ी ही इकट ठ उड़त ह इसी कार भमन य भी भ लोग क साथ रहना चाहत ह

इसका कारण यह भी ह क मन य जस लोग म रहता ह उसका वभाव भी वसाबन जाता ह वपरीत वभाव क लोग आपस म म स मलकर न कोई समाज-क याण काकाय कर सकत ह और न उ त कर सकत ह 500

न हसाः तवन रम त हस नामक प ी मशान म रहना पसद नह करतजस कार हस मशान म नह रहत उसी कार यो य अयो य क

पास बठना पसद नह करत गणी एका त म अ ात जीवन बता दना तो वीकार करलत ह परत बरी सग त म रहना कभी वीकार नह करत 501

अथाथ वतत लोकः सारा ससार धन क पीछ दौड़ता ह अथात धन क पीछ नया पागल ह 502

आशया ब यत लोकः सभी सासा रक ाणी आशा क ब धन स बध ए हअ ववकशील मन य क क बधन म नह ब क आशा क ब धन म बधकर काम

करता ह कवल आशा क कारण काय करन स उसक इ छा पण नह होती और उसका धयन होन लगता ह वतमान का सही उपयोग न करक भ व य क आशा पर रहना मन कहा नकारक दशा ह भावाथ यह ह क मन य को कवल आशा पर ही नभर न रहकर कका पालन करना चा हए 503

न चाशापरः ीः सह त त कवल आशा म लग प ष को ल मी नह मलतीकवल आशा क उतार-चढ़ाव म रहन वाला ीहीन रहता ह जो क क

उप ा करक कवल आशा क बधन म बध रहत ह उ ह नराशा क अ त र कछ ा त नहहोता मन य को चा हए क वह सदव उ साह स स रहता आ क का पालन करइसी स धन क ा त होती ह 504

आशापर न धयम आशावान मन य धयशाली नह होताकवल आशा का दास बना मन य अपना धय खो बठता ह उसम थर ब नह

रहती 505

द या मरणम मम द र होकर जी वत रहन क अप ा मर जाना अ छा हजो मन य अपन को द नहीन नक मा और असहाय समझ लता ह वह जीत ए

भी मर क समान ह द नता र हत जीवन बताना मन य क साथकता ह अपन आपकोद नहीन समझकर उ साहहीन होना म य क समान ह 506

आशा ल जा पोह त आशा क दास नल ज होत हआशा अथात वषय-लोलपता क कारण मन य क ल जा न हो जाती ह इसक

कारण वह अन चत काय करन लगता ह और श ाचार को छोड़ दता ह अथात आशा मन यको नल ज बना दती ह 507

आ मा न तोत ः अपन मख स अपनी शसा नह करनी चा हएअपनी शसा क थान पर ऐस आचरण क आव यकता ह जसस क वय

शसा हो जो ोता क सामन अपनी शसा करता ह लोग उस सनकर य सम करात ह स जन आ म शसा स र रहत ह 508

न दवा व कयात दन म सोना नह चा हएदन म सोन स काय क हा न होती ह और शरीर म अपच वाय- वकार आ द दोष

उ प हो जात ह दन म कवल अ व य अथवा बालक को सोना चा हए 509

आयः यी दवा न ा दन म सोन स आय कम होती हइसका कारण यह ह क जब मन य सोता ह तो उसक सास तजी स चलन लगती ह

अथात जागत समय वह जतनी भी सास लता ह सोत समय उनक स या म व हो जातीह यक मन य क सास न त ह इसी लए दन म सोना आय-नाशक होता ह 510

न चास म प प य य या धः न शणोती म अपन धन क नश म अधा न तो अपन पास कसी व त को दखता ह और न

ही हतकारी बात सनता हमन य क पास धन होना और धन क कारण अ भमान होना दोन बात म अतर ह

जस को अपन धन का अ भमान ह उस अपन हत-अ हत का कोई यान नह रहता

वह अपन लए उ चत बात क भी उप ा करता ह बहारी न कहा ह क सोन का नशाधतर क नश स भी अ धक मन य का मान सक सतलन बगाड़न वाला ह 511

ीणा न भतः पर दवतम ी क लए प त स बढ़कर और कोई दवता नह ह 512

तदनवतनम भयसौ यम प त क इ छा क अनसार चलन वाली ी को इहलोक और परलोक दोन का सख

ा त होता ह 513

अ त थम यागत पजय था व धः अपन घर म आए अ त थ का व धपवक वागत करना चा हएगह थ का क ह क अक मात आन वाल अ त थ और समय न त करक

आन वाल अ यागत दोन का यथो चत वागत-स कार करना चा हए 514

न य स वभागी यात अपन उपा जत धन म स दान को भी द नक क मानना चा हएदान क म हमा का अनक थान पर वणन कया गया ह दान दन स धन नह

घटता इसी लए यक का क ह क वह जो कछ उपा जत करता ह उसम सकछ-न-कछ ऐस लोग को दना चा हए ज ह उसक आव यकता होती ह 515

ना त ह य ाघातः दवता को नय मत दया गया कभी भी न नह होता अथात यो य पा को

दया गया दान कभी भी थ नह जातासमाज क यो य य क सहायता करना भी समाज क सवा ह जो

समाज-क याण म अपना मन लगात ह व अ य प स अपना ही क याण करत ह 516

श र प माद लोभात लोभ दकर श को भी उसक ल य (श ता) स कया जा सकता ह

श को हरान का लोभ भी एक उपाय ह श को कसी भी कार क लोभ मडालकर उस अपन ल य म कया जा सकता ह य क लोभ मन य को नबल बनादता ह 517

श म वत तभा त ब श श भी कभी-कभी म क समान दखाई दता हश म क समान तभी दखाई दता ह जब लोभ क कारण उसक ब हो

जाती ह लोभ म पड़न पर वह अपन श को भी अपना हत करन वाला म तीत होनलगता ह 518

मगत णा जलवद भा त त णा क कारण मग चमकती ई बाल को जल समझ बठता हजसन अपनी इ य को वश म नह कया वही ठगा जाता ह मगत णा उस कहत

ह जसम चमकती ई रत भी जल क समान दखाई दती ह और हरण उधर भागता ह परतउस जल नह मलता

इसी कार धत लोग चकनी-चपड़ी बात बनाकर लोग को अपन लालच म फसालत ह ब म ा इसी म ह क मन य धत लोग क बहकाव म न आए 519

उपाल भो ना य णयष वनयर हत को उलाहना दन स कोई लाभ नह होताअथात उद दड मन य को कठोर दड ारा ही सही माग पर लाया जा सकता ह

520

मध सामस छा मोहय त ब हीन मन य को नक सा ह य बना दता ह अथात सा ह य उनक मन

को मोह लता ह और व माग पर चलना ारभ कर दत ह 521

स सगः वगवासः स सग ही वग म रहन क समान हक स भर इस ससार म सत का समागम एक शीतल झरन क पास बठन क

समान ह स सग स मन य को शा त ा त होती ह और वह धीर-धीर बराई का माग

छोड़कर भलाई क ओर चलता ह 522

आयः व मव पर म यत सबको अपन समान ही समझता ह

आय अथवा उदार वभाव क होत ह व सर क साथ उसी कार कावहार करत ह जसा व सर स अपन साथ बताव क आशा रखत ह 523

पानवत गणः प क अनसार ही मन य म गण होत ह

गण का मन य क दय स सबध होता ह उसक मन म जस वचार होत ह वउसक मख पर प झलकत रहत ह इसी लए कहा गया ह क मन य का जसा प होता हवसा ही गण होता ह

ायः मन य क प स ही उसक भीतर क शौय धय शा त सयम आ द गण हो जात ह प ष को भापन म पारगत लोग मन य को दखत ही उसक गण को भाप लतह 524

य सखन वतत तदव थानम जहा मन य सख स रह सक उसक लए वही उ म थान ह 525

व ासघा तनो न न क तः व ासघाती मन य का उ ार करन क लए कोई ाय त नह इस ससार म मन य एक- सर क व ास पर जीता ह जहा व ास समा त हो

जाता ह वहा जीवन भर हो जाता ह म ता का सबध भी व ास पर आधा रत ह जोमन य व ासघात करता ह उसको इस पाप स कसी ाय त ारा न नह कया जासकता 526

दवाय न शोचत जो बात दव क अधीन ह उसक सबध म चता अथवा सोच- वचार नह करना

चा हएमन य क साथ त दन ऐसी घटनाए होती ह जन पर उसका कोई वश नह होता

परत वह यह जानत ए भी उनक सबध म चता करता रहता ह अनक बार मन य कसी

काय को करन क लए स च मन स य न करता ह परत उसम सफलता ा त नह होतीऐसी थ त म मन य को दव क अधीन समझकर चता नह करनी चा हए 527

आ त ःखमा मन इव म यत साधः स जन आ त क ःख को अपना ःख समझत हस जन प ष अपन आ त पर आय कसी ःख को दखकर गत प स उस

ःख को र करन का य न करत ह आ त प ष क ःख को अपना ःख माननास जन प ष क स जनता अथवा महानता ह 528

द गतमा छा ा य द यनायः मन क वा त वक बात को छपाकर बनावट बात करन वाला अनाय अथात

होता हधोखा दन वाल लोग मन क ता को छपाए रखत ह और कवल वाणी स

मीठ -मीठ बात करत रहत ह कई बार उनक मीठ बात स स जन प ष धोख म पड़जात ह लोग क इस कार क वाणी पर व ास नह करना चा हए जो व ासकरता ह वह हा न उठाता ह 529

ब हीनः पशाचादन यः ब हीन अथात मख मन य पशाच क समान होता हब हीन घणा का पा होता ह उसी ब हीन आचरण क कारण उसक

नीचता का दशन होता रहता ह ब मान मन य अपन हत को यान म रखकर नीचय को याग दता ह परत ब हीन स यह सब कछ सभव नह इसी लए

ब हीन का समाज म कोई स मान नह होता 530

असहायः प थ न ग छत सारथी क बना या ा नह करनी चा हएमन य को कसी या ा म जात समय आ मर ा क साधन साथ म लकर चलना

चा हए उस अपनी सहायता क लए या तो अपन पास वध श रखन चा हए अथवा अपनसहायक क साथ या ा करनी चा हए 531

प ो न तोत ः

अपन प क शसा नह करनी चा हएजस कार अपनी शसा करना उ चत नह उसी कार गणी प क शसा करना

भी पता क लए उ चत नह पता का कत ह क अपन प को उ सा हत कर परत पक गण का उ लख समाज म नह करना चा हए यह काय भी आ म- शसा जसा ही ह जोउपहास का पा बना दता ह 532

वामी तोत ोऽनजी व भः सवक लोग को चा हए क व अपन वामी का गणगान करत रह 533

धमक य व प वा मन एव घोषयत रा य क अ धका रय का क ह क राजा क आ ा स लोग क हत क लए

कए गए काय को अपना न बताकर अपन वामी अथवा रा य-स था ारा कया गयाबताय उनका कत ह क रा य म कए गय अ छ काय क लए अपन आप कोअ धकारी न मान 534

राजा ा ना तलघयत राजा क आ ा का कभी उ लघन नह करना चा हए 535

वा यन ही धमक य भ यानाम अपन क पालन स वामी का अन ह ा त करना सवक का धम ह 536

यथाऽऽ त तथा कयात राजा अथवा वामी क जसी आ ा हो उसक अनसार ही काय करना चा हए

537

स वशष वा कयात वशष क को बना पछ तरत कर लना चा हएरा य क कमचा रय का कत ह क जनता क हत क काय म दरी न कर

दरी करन स जनता को तो हा न होती ही ह साथ ही रा क उ त भी कती ह ब मानराजकमचारी अपनी यो यता क अनसार शसनीय काय करक रा य का स मान ा त करसकत ह 538

वा मनो भी ः वोपय यत रा य सवा म डरपोक और अकम य लोग का कोई उपयोग नह होता 539

ना यनाय य कपा स कसी कार क भलाई क आशा नह रखनी चा हए 540

ना त ब मता श ः ब मान लोग क श नह होतब मान लोग यह बात समझत ह क मन य अपना ही सबस बड़ा श और अपना

ही सबस बड़ा म होता ह ऐसा उनक वचार क कारण ही माना जाता ह 541

श न न दत सभायाम सभा अथवा समाज म श क नदा नह करनी चा हएब मान लोग सभा गो ी आ द म श क नदा नह करत व गत प स

उनको अपमा नत होन पर ववश करत ह इस कार अपमा नत होन पर वह श ता रखनका वचार छोड़ दता ह

परत समाज म न दत होन पर वह उसका तकार करन क लए पहल स अ धकश ता रखन लगता ह 542

आ म छ न काशयत अपनी कसी कमजोरी को उजागर न होन द

ायः सभी जानत ह क यक मन य म कमजो रया होती ह परत उन कमजो रयको श पर कट नह होन दना चा हए उ ह र रखन का यास करना चा हए 543

श ौ मा ाघनीया अपनी श का दशन करन क थान पर मा का दशन करना शसनीय काय

हमा करना श वान को ही शोभा दता ह नबल को नह साम य होन पर भी जो

कसी पर दया दखाता ह उसक ही शसा होती ह 544

मावानव सव साधय त माशील मन य अपन सब काय स कर लता हमाशील मन य म इतनी श होती ह क वह अपमान करन वाल क अवहलना

कर सकता ह धन-जन क हा न करन वाल को भी सहन कर सकता ह इस कार वहअपन माग म आन वाली क ठनाइय क ओर यान न दकर अपन काय म लगा रहता हवह न त प स अपन सब काय पण कर लता ह 545

आपदथ धन र त आपातकाल क लए धन क र ा करनी चा हएमन य को कसी भी समय कोई आप अथवा क झलना पड़ सकता ह परत सब

क का नवारण धन स ही होता ह इसी लए मन य को चा हए क वह अपनी आय म सथोड़ धन क बचत कर 546

साहसवता य कत म साहसी प ष को अपना क य होता हसाहसी प ष कवल अपन क क ओर यान दत ह व अस य का सदव वरोध

करत ह अस य का सहारा लन वाला कभी व सनीय नह हो सकता अस य कोस य स ही परा त कया जा सकता ह 547

ः कायम कव त जो काय कल करना ह उस आज ही कर लना चा हएlsquoकाल कर सो आज कर आज कर सो अबrsquo वाली बात स सभी प र चत ह

इसी लए जो आव यक कत ह उनक त टालमटोल नह करनी चा हए 548

अपरा क पवाह णा एव कत म म या ो र का काम दन क थम भाग म ही कर लना चा हए

अपन क को अगल ण क लए भी न टालकर उसी समय करना चा हए 549

वहारानलोमो धमः

धम ावहा रक होना चा हए 550

सव ता लोक ता अपनी ब स लोक च र को समझना सव ता कहलाती हलोग क वभाव को समझ लना ही सव ता ह ब मान लोग अपन ब बल स

घर बठ ही ससार क सम या को समझ लत ह अपनी ब स स य और अस य म भदकरत ए अपना काम भली कार स कर लत ह 557

शा ोऽ यलोक ो मखत यः शा को जानन वाला होन पर भी जो मन य लोक- वहार को नह पहचान

सकता वह पढ़ा- लखा होन पर भी मख क समान हजो मन य लोक-च र को नह समझ सकता उसक सबध म यही कहा जा सकता

ह क वह शा को पण प स न जानन क कारण मख क समान ह शा - ान स मन यम चातय आता ह और वह मन य को समझन म सफल भी होता ह 552

शा योजन त वदशनम यथाथ ान क ा त ही शा - ान का योजन हत वदशन अथात लौ कक-अलौ कक पदाथ क यथाथ या रह य का पण प रचय

ा त हो जाना या करा दना ही शा क उपयो गता ह शा स मन य अ छ-बर का ाना त कर अपन जीवन म आन वाली क ठनाइय को स वधापवक हटा सकता ह 553

त व ान कायमव काशय त काय स ही यथाथ ान क ा त होती हअ छ वचार क श क पी काय को अपन ान क यो त स का शत

कर दती ह क को ढ़ बनान म त व ान सराहनीय सहयोग करता ह भावाथ यही हक त व ान ारा ही कए गय काय सफल होत ह 554

वहार प पातो न कायः याय- वहार म प पात नह करना चा हए 555

धमाद प वहारो गरीयान

वहार धम स भी बड़ा होता हवहार को धम का एक अग माना जाता ह वहार क बना धम का सार नह

हो सकता जस धम म वहार को मखता द जाती ह उसी धम क लोग ससार म म यमान जात ह 556

आ मा ह वहार य सा ी आ मा ही वहार क सा ी हय द मन य क मन म कोई पाप नह ह तो वह वहार-कशल माना जाता ह य द

मन य क मन म पाप ह तो वह वहार-कशल नह हो सकता समाज म उसस घणा कजाती ह प ह क आ मा ही वहार का सा ी होता ह इसी लए आ मा का व छ होनाअ त-आव यक ह 557

सवसा ी ा मा सम त ा णय म आ मा सा ी प म व मान रहती हस य व प आ मा इस सकल जगत क या इस मानव क जीवन ापी सम त च र

को या तो स य होन का माणप दकर साधवाद दन या अस य मा णत करक ध कारनक लए मानव- दय म सा ी अथात तट थ ा बनकर बठा ह 558

न यात कटसा ी मन य को कपट का समथक सा ी नह होना चा हएमन य को अपन जीवन का एक स ात यह बनाना चा हए क वह झठ का कभी

समथन नह करगा मन य को सदव स य पर ढ़ रहकर स य का ही समथन करना चा हए 559

कटसा णो नरक पत त झठ का समथन करन वाल लोग सा ी नरक म जात हअ ानी लोग ही झठ बात को सच बनान क लए गवाही दन का काम करत ह इस

कार झठ को सच बनान वाल लोग जो लाभ उठात ह वह उनक लए कलक क समानहोता ह और व सदव ख पी नरक म पड़ रहत ह 560

न ाशय त सम र त वा

कसी क व या उसक प म सा ी दन वाला कसी अ य का न तोउ ार करता ह और न नाश करता ह

कसी क प म अथवा उसक व गवाही दन वाला कसी भी कार स दोनप क लए लाभदायक या हा न द नह होता यह भ क कपा पर नभर रहता ह ककसका क याण होगा अथवा कसका वनाश 561

छ पापाना सा णो महाभता न छपकर कय गय पाप क सा ी पचमहाभत प वी जल तज वाय और आकाश

होत हछपकर कया गया पाप भी छपा नह रहता पाप क कट होन का कारण पापी

क आ मा होती ह जसक कारण उसका पाप उसक मख अथवा काय स कट हो जाताह अतः मन य को पापी क बजाय पाप स डरना चा हए 562

आ मनः पापमा मव काशय त पापी अपन पाप को अपन आप ही कट करता हपाप करनवाल क मन म सदव अशा त बनी रहती ह उसका मन उस बचन कए

रहता ह जसक कारण वह अपन पाप को कट करन क लए ववश हो जाता ह परत यहथ त तब होती ह जब मन य म य क ार पर खड़ा होता ह अतः मन य को चा हए क

वह पाप स बचता रह 563

वहारऽ तगतमाकारः सचय त क मन म या ह यह उसक चहर स कट होता ह 564

आकारसवरण दवानामश यम मन य क मन क भाव को कट करन वाली आक त को दवता भी छपान म

असमथ रहत हमन य क मन क भाव उसक चहर पर कट हो जात ह साधारण मन य तो या

दवता भी उ ह छपान म असमथ रहत ह मन य क आक त का सबध मन क भाव स इसकार जड़ा आ ह क उस कसी भी कार स छपाकर नह रखा जा सकता मन क भाव

मख पर अपन आप कट हो ही जात ह 565

चोरराजप ष यो व र त

राजा को चोर और रा य कमचा रय स रा क धन क र ा करनी चा हएराजा का क ह क वह ऐस नयम बनाय क जसस चोर और रा य क

अ धकारी जनता क धन का हरण न कर सक जा राजा पर व ास करती ह और उसअपना वामी समझती ह य द वह जा क सप क र ा नह कर सकता तो वह राजाको भी मान लती ह 566

दशना ह राजानः जा नाशय त जो राजा जा को दशन नह दता अथात उनक ःख-सख म शरीक नह होता ऐस

राजा को न करनवाल अनक उ प हो जात हराजा ारा जा को दशन दन का भाव उनक क को सनना और उनक थ त

जानन स ह जो राजा जा स मलता रहता ह और उसक उ त क लए काय करता हजा उसस म करती ह राजा का क यह ह क वह जा स मलता रह 567

सदशना ह राजानः जा रजय त जो राजा बराबर जा क सख- ःख को सनत ह उनस जा स रहती हराजा क लोक यता तभी बढ़ती ह जब वह अपन जाजन स मलकर उनक क

र करन का य न करता ह राजा को चा हए क जा स घ न सबध बनाए रखन क लएउसस मलता रह 568

यायय राजान मातर म य त जाः यायपरायण राजा को जा माता क समान मानती हजस कार माता अपनी सतान स एक जसा वहार करती ह उसी कार याय

करन वाल राजा को भी जा अपनी माता क समान मानती ह 569

ता शः स राजा इह सख ततः वगमा ो त जा- य राजा लौ कक और पारलौ कक वग को ा त करता हजा का पालन करना राजा का धम ह जा क साथ याय करनवाल तथा

धमपवक शासन करनवाल राजा को इस ससार म ही सख ा त होता ह और जा कआशीष क कारण वग-सख ा त करता ह 570

चोरा क टका सतत वनाशयत

राजा का क ह क वह चोर और राज काय म बाधा प चान वाल कोसमा त करता रह जा क र ा क लए राजा का क ह क वह लोग को लटनवालऔर रा य क काम म बाधा खड़ी करन वाल को न कर द 571

अ हसाल णो धमः

अ हसा ही धम का ल ण हधम का चार अ हसा स ही होता ह हसा स उसक माग म कावट पदा होती ह

अ हसा म का तीक ह अथात अ हसा को धम का तीक मानना चा हए 572

वशरीरम प परशरीर म यत साधः स जन प ष पराय शरीर को अपना ही मानत हजो मन य सर क ःख को अपना ःख मानता ह उसी को स जन प ष कहा जा

सकता ह सर क ःख म काम आना स प ष का ल ण ह 573

वशरीर मव परशरीर म यत साधः स जन प ष सर क शरीर को भी अपन शरीर जसा मानत हअथात व सर क क को भी अपना क समझकर उ ह र करन का य न करत

ह उ दोन स म समानता ह 574

सव मा य शय त बा लशः मख और नीच कसी सर को मह व दया जाना पसद नह करत 575

मास भ णमय सवषाम मास खाना उ चत आहार नह मन य क लए मास खाना इसी लए उ चत नह य क उसक शरीर क रचना

हसक पश क शरीर क रचना स भ ह वस मास खान का चलन स क ारभ सचला आ रहा ह परत ह अन चत 576

न ससारभय ानवताम ानी प ष को ससार म कसी कार का भय नह होता 577

व ानद पन ससारभय नवतत ान पी व ान क द पक स ससार क भय भाग जात ह

ान पी द पक क काश क कारण ानी मन य पाप पी अ ान म नह फसतान क काश स ानी भयम रहत ह 578

सवम न य भव त इस ससार क स पण भौ तक सख और उन सख को ा त करन क साधन सभी

अ न य ह व समय आन पर न हो जात ह कवल मन य क आ मा ही अमर रहती ह 579

वदह द हना म तमहती दहधा रय ारा अपन शरीर क त अ य धक आस होती हदह म आस मन य का अ ान ह य क दह न होनवाली व त ह अजर और

अमर तो आ मा ह इस लए पचभत स बन इस शरीर म असीम अ ान ह 580

क मशक म भाजन शरीर प यपापज महतः क म-क ट तथा मलम का घर यह शरीर प य और पाप का भी ज म थल हमन य का शरीर मलम और अनक रोग का घर होन क बावजद पाप-प य का

ज म थल भी यही हइसी क ारा मन य पाप भी कर सकता ह और प य भी इस लए दहधा रय का

क ह क व प य काय ारा अपन शरीर को उ वल बनाय 581

ज ममरणा दष ःखमव ज म-मरण का यह बधन ःख का कारण हमन य ज म-मरण स म होकर मो को ा त होता ह मो क ा त का साधन

यही ह क मन य अ छ कम कर अ छ काय स ही नवाण ा त होता ह 582

तपसा वगमा ो त तप स ही वग क ा त होती हजो मन य अपनी इ य को वश म करक अपन क पर करता ह उस इस लोक

और परलोक म सख ा त होता ह 583

माय य तपो ववधत माशील मन य का तप बढ़ता रहता ह

जस प ष क इ या अपन वश म ह वही मावान हो सकता ह 584

त मात सवषा काय स भव त तप या स सबक काय स होत हजत य मन य अपन वाथ को समाज-क याण क काय म वलीन करक जो कछ

भी करता ह उसक कारण सब काम स हो जात ह 585

चाण य समल पाठ

1 नमः श बह प त याम 2 प थ ा लाभ पालन च

याव यथशा ा ण पवाचायःथा पता न स यक मदमथशा कतम

3 सख य मल धमः 4 धम य मलमथः 5 अथ य मल रा यम 6 रा य यमल म यजयः 7 इ यजय य मल वनयः 8 वनय य मल व ोपसवा 9 व सवया व ानम 10 व ानना मान स पादयत 11 स पा दता मा जता मा भव त 12 जता मा सवाथः सय यत 13 अथस पत क तस पद करो त 14 क त स पदा नायकम प रा य नीयत 15 क त कोपः सवकोप यो गरीयान 16 अ वनीत वा मलाभाद वा मलाभः यान 17 स पा ा मानम व छत सहायवान 18 नासहाय य म न यः 19 नक च प र मय त 20 सहायः सम ःखसखः 21 मानी तमा ननमा म न तीय म म पादयत 22 अ वनीत नहमा ण न म कव त 23 तव तमपधाश म ण कयात 24 म मलाः सवार भाः 25 म र ण काय स भव त 26 म व ावी काय नाशय त 27 मादाद षता वशमपया य त 28 सव ार यो म ो र त ः 29 म स पदा ह रा य वधत 30 तमा म ग तमा ः

31 काया ध य द पो म ः 32 म च षा पर छ ा यवलोकय त 33 म काल न म सरः कत ः 34 याणामकवा य स ययः 35 कायाकायत वाथद शनो म णाः 36 षट कणाद भ त म ः 37 आप स नहसय म म 38 म स हण बल स प त 39 बलवान ल धलाभ यतत 40 अल धलाओ नालस य 41 अलस य ल धम प र त न श यत 42 न चालस य र त ववधत 43 न भ यान षय त 44 अल धलाभा द चत य रा यत म 45 रा यत ाय नी तशा म 46 रा यत वाय ौ त ावापौ 47 त व वषयक य वाय म 48 आवापो म डल न व ः 49 स ध व हयो नम डतः 50 नी तशा ानगो राजा 51 अन तर क तः श ः 52 एका त रत म म यत 53 हततः श म भ व यतः 54 हीयमानः स ध कव त 55 तजो ह स धानहत तदथानाम 56 नात तलोहो लोहन स धीयत 57 बलवान हीनन व यात 58 न यायसा समन वा 59 गजपाद व ह मव बलव हः 60 आमपा मामन सह वन य त 61 अ र य नम भसमी त 62 स धायकतो वा 63 अ र वरोधादा मर ामावसत 64 श हीनो बलव तमा यत 65 बला यो ःखमावह त

66 अ नव ाजानमा यत 67 रा ः तकल नाचरत 68 उ तवषधरो न भवत 69 न दवच रत चरत 70 योरपी यतोः धीभाव कव त 71 न सनपर य कायावा त 72 इ यवशवत चतरगवान प वन य त 73 ना त काय त व य 74 मगयापर य धमाथ वन यतः 75 अथषणा न सनष ग यत 76 न कामास य कायान ानम 77 अ न दाहाद प व श वा पा यम 78 द डपा यात सवजन यो भव त 79 अथतो षण ीः प र यज त 80 अ म ो द डनी यामाय ः 81 द डनी तम ध त न जाः सर त 82 दडः स पदा योजय त 83 द डाभाव म वगाभावः 84 न द डादकाया ण कव त 85 द डनी यामायतमा मर णम 86 आ म न र त सव र त भव त 87 आ माय ौ व वनाशौ 88 द डो ह व ान णीयत 89 बलोऽ प राजा नावम त ः 90 ना य नद ब यम 91 द ड तीयत व ः 92 व मलमथलाभः 93 अथमलौ धमकामौ 94 अथमल कायम 95 यद य य नात काय स भव त 96 उपायपव न कर यात 97 अनपायपव काय कतम प वन य त 98 काया थनामपाय एव सहायः 99 काय प षकारण ल य स प त100 प षकारमनवतत दवम

101 दव वना त य न करो त य फलम102 असमा हत य व न व त103 पव न य प ात कायमारभत104 काया तर द घस ता न क ा105 न चल च य कायावा तः106 ह तगतावमाननात काय त मो भव त107 दोषव जता न काया ण लभा न108 रनब ध काय नारभत109 काल वत काय साधयत110 काला त मात काल एव फल पब त111 ण त काल व प न कयात सवक यष112 दशफल वभागौ ा वा कायमारभत113 दवहीन काय ससा यम प ःसा य भव त114 नी त ो दशकालौ परी त115 परी यका र ण ी र त त116 सवा स पदः सव पायन प र हत117 भा यव तमपरी यका रण ीः प र यज त118 ाननानमान परी ा क ा119 यो य मन कम ण कशलः त त म व योजयत120 ःसा यम प ससा य करो त उपाय ः121 अ ा नना कतम प न ब म त म122 या छक वात क मर प पा तरा ण करो त123 स यव काय थ काशन क म124 ानवताम प दवमानषदोषात काया ण य त125 दव शा तकमणा तष म126 मानष काय वप कौशलन व नवारयत127 काय वप ौ दोषान वणय त बा लशाः128 काया थना दा य न क म129 ीराथ व सो मात धः तह त130 अ य नात काय वप भव त131 न दव माणाना काय स ः132 कायबा ो न पोषय या तान133 यः काय न प य त सोऽ धः134 य परो ानमानः काया ण परी त135 अपरी यका रण ीः प र यज त

136 परी य ताया वप ः137 वश ा वा कायमारभत138 वजन तप य वा यः शषभोजी सोऽमतभोजी139 सवान ानदायमखा न वध त140 ना त भीरोः काय च ता141 वा मनः शील ा वा कायाथ काय साधय त142 धनोः शील ः ीर भ 143 ग काशन आ मवा कव त (कयात)144 आ तर यवम यत म वभावः145 ती णद डः सव जनीयो भव त146 यथाहद डकारी यात147 अ पसार तव तम प न ब म यत लोकः148 अ तभारः प षमवसादय त149 यः सस द परदोष शस त स वदोषब व यापय त150 आ मानमव नाशय त अना मवता कोपः151 ना य ा य स यवताम152 साहसन न काय स भव त153 सनात व मर य वशन154 ना यन तरायः काल व प155 असशय वनाशात सशय वनाशः यान156 अपरधना न न तः कवल वाथम157 दान धमः158 नायागतोऽथव परीतोऽनथभावः159 यो धमाथ न ववधय त स कामः160 त परीतोऽनथसवी161 ऋज वभावो जनष लभः162 अवमाननागतम यमवम यत साधः163 ब न प गणानको दोषो सत164 महा मना परण साहस न क म165 कदा चद प च र न लघयत166 धात न तण चर त सहः167 ाणाद प ययो र त ः168 पशनः ोता प दारर प य यत169 बालाद यथजात शणयात170 स यम य य न वदत

171 ना मदोषाद ब गणा य य त172 वप व प सलभा दोषाः173 ना त र नमख डतम174 मयादातीत न कदा चद प व सत175 अ य कत यम प य भव त176 न म य प तलाको टः कपोदक य करो त177 सता मत ना त मत178 गणवदा या गणोऽ प गणी भव त179 ीरा त जल ीरमव भव त180 म प डोऽ प पाट लग धम पादय त181 रजत कनकसगात कनक भव त182 उपकतयपकत म छ यबधः183 न पापकमणामा ोशभयम184 उ साहवता श वोऽ प वशीभव त185 व मधना राजानः186 ना यलस य हकाम मकम187 न साहाद दव पत त188 मा याथ व (म या थवज) जलमपय याथ गह वणीयात189 अ व तष व ासो न क ः190 वष वषमव सवकालम191 अथसमादान व रणा सग एव न क ः192 अथ स ौ व रण न व सत193 अथाधीन एव नयतस ब धः194 श ोर पसत सखा र त ः195 याव छ ो छ प य त ताव तन वा क धन वा वा ः196 श छ प रहरत197 आ म छ न काशयत198 छ हा रण श वः199 ह तगतम प श न व सत200 वजन य व नवारयत201 वजनावमानोऽ प मन वना ःखमावह त202 एकागदोषः प षमवसादय त203 श जय त सव ता204 नक त या नीचाः205 नीच य म तन दात ा

206 तष व ासो न क ः207 सप जतोऽ प जनः पीडय यव208 च दनाद न प दावा नदह यव209 कदा प प ष नावम यत210 त म त प ष न बाधत211 भ ा धक रह य व म छ यब यः212 अनराग त फलन स यत213 अ ाफलम यम214 दात म पबा लशः लशन प रदा य त215 महद य ा या यध तमान वन य त216 ना यधतर हकाम मकम217 न जनः सह ससगः क ः218 शौ डह तगत पयोऽ यवम यत219 कायसकट वथ वसा यनी ब ः220 मतभोजन वा यम221 प यम यप याजीण ना ीयात222 जीणभो जन ा धन पसप त223 जीणशरीर वधमान ा धन प यत224 अजीण भोजन ःखम225 श ोर प व श यत ा धः226 दान नधानमनगा म227 पटतर त णापर सलभम तस धानम228 त णया म त छा त229 कायब व ब फलमाय तक कयात230 वयमवाव क काय नरी त231 मखष साहस नयतम232 मखष ववादो न क ः233 मखष मखवत कथयत234 आयसरायस छ म235 ना यध मतः सखा236 धमण धायत लोकः237 तम प धमाधमावनग छतः238 दया धम य ज मभ मः239 धममल स यदान240 धमण जय त लोकान

241 म यर प ध म र त242 धमा परीत पाप य स यत त धमावम तमहती स यत243 उप थत वनाशाना क याकारण ल यत244 आ म वनाश सचय यधमब ः245 पशनवा दनो रह यम246 पररह य नव ोत म247 व लभ य कारक वमधमय म248 वजन व त मो न क ः249 माता प ा या या250 वह तोऽ प वष द ध छ ः251 परोऽ प च हतो ब धः252 क ाद यौषध ग त253 ना त चौरष व ासः254 अ तीकार वनादरो न क ः255 सन मनाग प बाधत256 अमरवदथजातमजयत257 अथवान सवलोक य ब मतः258 मह म यथहीन न ब म यत लोकः259 दा र य खल प ष य जी वत मरणम260 व पोऽथवान स पः261 अदातारम यथव तम थनो न यज त262 अकलीनोऽ प कलीना श ः263 ना यमानभयमनाय य264 न चतनवता व भयम265 न जत याणा वषयभयम266 न कताथाना मरणभयम267 क य चदथ व मव म यत साधः268 पर वभव वादरो न क ः269 पर वभव वादरो प वनाशमलम270 पलालम प पर न हत म271 पर ापहरणमा म नाशहतः272 न चौयात पर म यपाशः273 यवागर प ाणधारण करो त लोक274 न मत यौषध योजनम275 समकाल वयम प भ व य योजन भव त

276 नीच य व ाः पापकम ण योजय त277 पयः पानम प वषवधन भजग य नामत यात278 न ह धा यसमो थः279 न धासमः श ः280 अकत नयता त281 ना यभ य धत य282 इ या ण जरावश कव त283 सान ोश भतारमाजीवत284 ल धसवी पावक छया ख ोत धम त285 वशष वा मनमा यत286 प ष य मथन जरा287 ीणाममथन जरा288 न नीचो मयो ववाहः289 अग यागमनादाययशः प या न ीय त290 ना यहकारसमः श ः291 सस द श न प र ोशत292 श सन वणसखम293 अधन य ब न व त294 हतम यधन यवा य न शणो त295 अधनः वभाययाऽ यवम यत296 प पहीन सहकारम प नोपासत मराः297 व ा धनमधनानाम298 व ा चौरर प न ा ा299 व या या पता या तः300 यशः शरीर न वन य त301 यः पराथमपसप त स स प षः302 इ याणा शम शा म303 अशा कायव ौ शा ाकश नवारय त304 नीच य व ा नोपत ा305 ल छभाषण न श त306 ल छानाम प सव ा म307 गण न म सरः क ः308 श ोर प सगणो ा ः309 वषाद यमत ा म310 अव थया प षः स मा यत

311 थान एव नराः प य त312 आयव मन त त313 कदा प मयादा ना त मत314 ना यघः प षर न य315 न ीर नसम र नम316 स लभ र नम317 अयशो भय भयष318 ना यलस य शा ा धगमः319 न ण य वगा तधमक य च320 योऽ प णमवम य त321 न प पाथ सच त श कत म322 अ य नो बालका वाथनादन यः323 न महाजनहासः क ः324 कायस पद न म ा न सचय त325 न ाद प न म ा न वशषय त326 न व रत य न परी ा327 प रचय दोषा न छा त328 वयमश ः परानाशकत329 वभावो र त मः330 अपराधान पो द डः331 कथान प तवचनम332 वभवान पमाभरणम333 कलान प व म334 कायान पः य नः335 पा ान प दानम336 वयोऽन पो वशः337 वा यनकलो भ यः338 भतवशव तनी भाया339 ग वशानवत श यः340 पतवशानवत प ः341 अ यपचारः श कत ः342 वा म न क पत वा मनमवानवतत343 मातता डतो व सो मातरमवानरो द त344 नहवतः व पो ह रोषः345 आ म छ न प य त पर छ मव प य त बा लशः

346 सोपचारः कतवः347 का य वशष पचरणमपचारः348 चरप र चतानाम यपचारः श कत ः349 गौ करा सह ादका कनी यसी350 ो मयराद कपोतो वरः351 अ त सगो दोषम पादय त352 सव जय य ोधः353 य पका र ण कोपः कोप कोप एव क ः354 म तम स मख- म -ग -व लभष ववादो न क ः355 ना य पशाचम यम356 ना त धनवता सकमस मः357 ना त ग त मो यानवताम358 अलोहमय नगड कल म359 यो य मन कशलः स त मन यो ः360 कल मन वना शरीरकशनम361 अ म ो दारान नरी त362 ीष क चद प न व सत363 न समा धः ीष लोक ता च364 ग णा माता गरीयसी365 सवाव थास माता भत ा366 व यमलकारणा छा त367 ीणा भषण ल जा368 व ाणा भषण वदः369 सवषा भषण धमः370 भषणाना भषण स वनया व ा371 अनप व दशमावसत372 साधजनब लो दशः373 रा ो भत सावकालम374 न रा ः पर दवतम375 स रम प दह त राजव ः376 र ह तो न राजानम भग छत377 ग च दव च378 कट बनो भत म379 ग त च सदा राजकलम380 राजप षः स ब ध कयात

381 राजदासी न स वत ा382 न च षा प राजधन नरी त383 प गणव त कट बनः वगः384 प ा व ाना पार गम यत ाः385 जनपदाथ ाम यजत386 ामाथ कट ब य यत387 अ तलाभः प लाभः388 ायण ह प ाः पतरमनवत त389 गतः पतरौ र त सप ः390 कल यापय त प ः391 यन त कल यात सः प षः392 नाऽनप य य वगः393 या सत (सा) भाया394 सतीथाऽ भगमनाद चय न य त395 प ाथा ह यः396 वदासीप र हो ह वदासभावः397 उप थत वनाशः प यवा य न शणो त398 ना त द हना सख ःखाभावः399 मातर मव व साः सख ःखा न कतारमवानग छ त400 तलमा म यपकार शलमा म यत साधः401 उपकारोऽनाय वक ः402 यपकारभयादनायः श भव त403 व पम यपकारकत यपकार कतमाय न व प त404 न कदा प दवताऽवम तका405 न च षः सम यो तर त406 च ह शरी रणा नता407 अपच षः क शरीरण408 ना स म कयात409 न न नो जल वशत410 यथा शरीर तथा ानम411 यथा ब तथा वभवः412 अ नाव न न न पत413 तप वनः पजनीयाः414 परदारान न ग छत415 अ दान णह याम प मा

416 न वदबा ो धमः417 न कदा चद प धम नषधयत418 वग नय त सनतम419 ना त स या पर तपः420 स य वग य साधनम421 स यन धायत लोकः422 स याद दवो वष त423 नानता पातक परम424 न मीमा या गरवः425 खल व नोपयात426 ना त खल य म म427 लोकया ा द र बाधत428 अ तशरो दानशरः429 ग दव ा णष भ भषणम430 सव य भषण वनयः431 अकलीनोऽ प वनीतः कलीना श ः432 आचारादायवधत क त433 यम य हत न व म434 ब जन व मक नानवतत435 न जनष भागधयः क ः436 न कताथष नीचष स ब धः437 ऋणश ा ध वशषः क ः438 भ यनवतन प ष य रसायनम439 ना थ वव ा काया440 स कर कम कार य वा कतारमवम यत नीचः441 नाकत य नरका वतनम442 जह ववाय ौ व वनाशौ443 वषामतयोराकरो जह वा444 यवा दनो न श ः445 तता अ प दवता त य त446 अनतम प वचन चर त त447 राज न च व म448 तसखा को कलालापा य त449 वधमहतः स य षः450 ना य थनो गौरवम

451 ीणा भषण सौभा यम452 श ोर प न पतनीया व ः453 अ य नादक म454 एर डमवल य कजर न कोपयत455 अ त व ा शा मली वारण त भो न भव त456 अ तद घऽ प क णकारो न मसली457 अ तद तोऽ प ख ोतो न पावकः458 न व व गणहतः459 सजीण ऽ प पचम दो न शकलायत460 यथा बीज तथा न प ः461 यथा त तथा ब ः462 यथाकल तथाऽऽचारः463 स कतः पचम दो न सहकारो भव त464 न चागत सख प र यजत465 वयमव ःखम धग छ त466 न रा चारण कयात467 न चाधरा वपयात468 त भः परी त469 परगहमकारणतो न वशत470 ा वा प दोषमव करो त लोकः471 शा धाना लोकव ः472 शा ाभाव श ाचारमनग छत473 नाच रता छा गरीयः474 र थम प चारच ः प य त राजा475 गतानग तको लोकः476 यमनजीव नापवदत477 तपःसार इ य न हः478 लभः ीब धना मो ः479 ीनाम सवाशभाना म480 अशभ षणः ीष न स ाः ( स ः)481 य फल ा वद वदः482 वग थान न शा तम (याव य यफलम)483 याव प यफल तावदव वगफलम484 न च वगपतनात पर ःखम485 दही दह य वा ऐ पद न वाछ त

486 ःखानामौषध नवाणम487 अनायसब धा मायश ता488 नह त वचन कलम489 न प स पशात पर सखम490 ववाद धममन मरत491 नशा त काय च तयत492 उप थत वनाशो नय म यत493 ीरा थनः क क र या494 न दानसम व यम495 पराय ष क ठा न कयात496 अस सम रस दभरव भ यत497 न बफल काकभ यत498 ना भो ध त णामपोह त499 बालका अ प वगणमा य त500 स तोऽस स न रम त501 न हसाः तवन रम त502 अथाथ वतत लोकः503 आशया ब यत लोकः504 न चाशापरः ीः सह त त505 आशापर न धयम506 द या मरणम मम507 आशा ल जा पोह त508 आ मा न तोत ः509 न दवा व कयात510 आयः यी दवा न ा511 न चास म प प य य या धः न शणोती म512 ीणा न भतः पर दवतम513 तदनवतनमभयसौ यम514 अ त थम यागत पजय था व धः515 न य स वभागी यात516 ना त ह य ाघातः517 श र प माद लोभात518 श म वत तभा त519 मगत णा जलवद भा त520 उपाल भो ना य णयष

521 मध सामस छा मोहय त522 स सगः वगवासः523 आयः व मव पर म यत524 पानवत गणः525 य सखन वतत तदव थानम526 व ासघा तनो न न क तः527 दवाय न शोचत528 आ त ःखमा मन इव म यत साधः529 द गतमा छा ा य द यनायः530 ब हीनः पशाचादन यः531 असहायः प थ न ग छत532 प ो न तोत ः533 वामी तोत ोऽनजी व भः534 धमक य व प वा मन एव घोषयत535 राजा ा ना तलघयत536 वा यन ही धमक य भ यानाम537 यथाऽऽ त तथा कयात538 स वशष वा कयात539 वा मनो भी ः वोपय यत540 ना यनाय य कपा541 ना त ब मता श ः542 श न न दत सभायाम543 आ म छ न काशयत544 श ौ मा ाघनीया545 मावानव सव साधय त546 आपदथ धन र त547 साहसवता य कत म548 ः कायम कव त549 अपराह णक पवाह णा एव कत म550 वहारानलोमो धमः551 सव ता लोक ता552 शा ोऽ यलोक ो मखत यः553 शा योजन त वदशनम554 त व ान कायमव काशय त555 वहार प पातो न कायः

556 धमाद प वहारो गरीयान557 आ मा ह वहार य सा ी558 सवसा ी ा मा559 न यात कटसा ी560 कटसा णो नरक पत त561 न ाशय त सम र त वा562 छ पापाना सा णो महाभता न563 आ मनः पापमा मव काशय त564 वहारऽ तगतमाकारः सचय त565 आकारसवरण दवानामश यम566 चोरराजप ष यो व र त567 दशना ह राजानः जा नाशय त568 सदशना ह राजानः जा रजय त569 यायय राजान मातर म य त जाः570 ता शः स राजा इह सख ततः वगमा ो त571 चोरा क टका सतत वनाशयत572 अ हसाल णो धमः573 वशरीरम प परशरीर म यत साधः574 वशरीर मव परशरीर म यत साधः575 सव मा य शय त बा लशः576 मास भ णमय सवषाम577 न ससारभय ानवताम578 व ानद पन ससारभय नवतत579 सवम न य भव त580 वदह द हना म तमहती581 क मशक म भाजन शरीर प यपापज महतः582 ज ममरणा दष ःखमव583 तपसा वगमा ो त584 माय य तपो ववधत585 त मात सवषा काय स भव त

चाण य जीवन गाथाजीवन क अनभव स ही स ात क प होती ह परपरा स माना आ जब वहार ककसौट पर खरा उतरता ह तो वह न ा बन जाता हmdashल य क ा त क लए इस कारक न ा का होना अ यत आव यक ह इस न ा को ही मोट भाषा म हठ भी कहत हmdashदोन म अतर इतना ह क न ा म ववक क भ मका होती ह जब क हठ सामा यतयाइसस र होता ह आचाय चाण य क जीवन म lsquoअखड भारतrsquo क त जो न ा थी उसनही उ ह उनक वभाव स र ल जाकर क टल अथात कौ ट य बना दया इस समची या ाको समझ बना चाण य नी त क रह य को समझ पाना सभव नह ह जीवन को समझनक बाद ही कही- लखी बात क सदभ का आकलन होता ह

नय त को पहचानना ब मान क पहचान ह ऐसा ववकवान नय त क वाह को मोड़न-तोड़न का थ यास नह करता वह तो उसम स उस लहर का चनाव कर लता ह जो उसउसक ल य तक ल जाएब मान अपनी श को सजोकर रखत ह वह तो श क ऊजा का ही योग करत ह उसन करन म ल कन ऐसी द ता क लए आव यक ह क योगकता क आख खली हऔर उसक ब थर हो ता क वह श क छोट-छोट याकलाप को दख सक और उसीक अनसार अपनी समरनी त को स न त कर सकनय त जतनी उदार होती ह उसस भी यादा र होती ह थोड़ी-सी चक ई नह कआकाश प वी स टकराया इ तहास क प ऐसी उथल-पथल स ही तो भर ए ह

चाण य जीवन गाथाचाण य न ईसा स 300 वष पव ऋ ष चणक क प क प म ज म लया वही

उनक आर भक काल क ग थ कछ इ तहासकार मानत ह क चणक कवल उनक ग थचणक क ही श य होन क नात उनका नाम चाण य पड़ा उस समय का कोई ामा णकइ तहास उपल ध नह ह इ तहासकार न ा त सचना क आधार पर अपनी-अपनीधारणाए बना

व ाथ चाण यपरत यह सवस मत ह क चाण य क आर भक श ा ग चणक ारा ही द गई

स कत ान तथा वद-पराण आ द धा मक थ का अ ययन चाण य न उ ह क नदशन मकया चाण य मधावी छा थ ग उनक श ा हण करन क ती मता स अ यतस थ

तब सभी सचनाए व वधाए धम थ क मा यम स ही ा त होती थ अतः धा मकप तक का अ ययन श ा ा त का एकमा साधन था चाण य न कशोराव था म हीउन थ का सारा ान हण कर लया था अब बारी उ च श ा क थी जो उनम मथन वशोध क यो यता पदा कर जसस व अब तक ा त ान को रचना मक प द सक वउसका व तार कर सक

उस काल म त शला एक व यात व - व ालय था जो सध नद क कनार बसनगर क प म था व व ालय म यात व ान तथा वशष ोफसर क प म छाको श ा दत थ त शला म श ा हण करन क लए र- र स राजकमार शाहीप रवार क प ा ण व ान धनी लोग तथा उ च कल क बट आत थ

त शला अब पा क तान म ह परात व खदाई म य नव सट का परा च उभरकरसामन आया ह त शला म दस हजार छा क आवास व पढ़ाई क स वधाए थ अ यापक क स या का सहज ही अनमान लगाया जा सकता ह व व ालय म आवासक पढ़ाई क लए लास म हॉल और प तकालय थ त शला क अवशष को दखनक लए आज तवष हजार ट र ट इ तहासकार तथा परात वव ा आत ह

व व ालय कई वषय क पाठ य म उपल ध करता था जस भाषाए ाकरणदशनशा च क सा श य च क सा क ष भ व ान यो तष खगोल शा ान-व ान समाज शा धम त शा मनो व ान तथा योग व ा आ द व भ वषय परशोध का भी ावधान था

कोस 8 वष तक क अव ध क होत थ वशष अ ययन क अ त र वद तीरदाजीघड़सवारी हाथी का सधान व एक दजन स अ धक कला क श ा द जाती थीत शला क नातक का हर थान पर बड़ा आदर होता था

यहा छा 15-16 वष क अव था म ार भक श ा हण करन आत थवाभा वक प स चाण य को उ च श ा क चाह त शला ल आई यहा भी चाण य न

पढ़ाई म वशष यो यता ा त क यह बात यान रखन यो य ह क चाण य क प थ वउनका रग भी काला था इस लए उ ह न अपना सारा यान पढ़ाई म क त कया उ ह पक कमी व ान बन कर परी करन क धन सवार थी फर एकाक छा और करता भी

या एक काल पहीन व नधन व ाथ को म बनान म कसी सर छा को च भीनह थी

पर सर छा को चाण य क व ा क माण तो मलत ही रहत थ यह बातऔर थी क वह राजा-महाराजा का काल था सर वती प क गण को आदर दन कउदारता राजप म नह थी

एकाक होकर एका ता स चाण य न अपन वषय क खब पढ़ाई क धा मकथ का फर स मथन करन क स अ ययन कया उ ह न राजनी त अथशा रा य

तथा सामा जक वषय पर उपल ध थ वा याय क लए पढ़यह प हो गया था क चाण य एक व ान बनन क राह पर थ जो त शला

व व ालय ारा पदा कया एक र न सा बत होन वाला था

व षक चाण यवह यग राजनी तक उथल-पथल का था चार ओर अराजकता फली थी लोग का

जीवन असर त था उन पर शोषण क मार पड़ती ही रहती थीशासक राजा नरकश थ जो धनी वग व जम दार क साथ मलकर जनता पर

अ याचार करत व उनका खन चसत थ अ धकतर राजा क रा य म न कोई व ध-

वधान था न शास नक व था अ धका रय व उनक का रद क मनमानी ही कानन थागरीब लोग त थ चाण य वय उसी नधन-असहाय वग स थ अतः राजनी तक वसामा जक दशा का व षण करना उनका वभाव हो गया चार ओर घटती घटना सभी वह श ा हण कर रह थ

यही काल था जब सोचत-सोचत उनक मन म एक आदश रा य सग ठत व थानाग रक स हता तथा अथत क प रक पनाए ज म लन लगी थ उनक म त क म लबसमय तक वह प रक पनाए पकती रह व प र कत होती रह ज ह बाद म उ ह न थ क

प म लखा व अमर हो गएइ तहास करवट ल रहा था यनान स एक यो ा व वजय का सपना लकर एक

वशाल सना क साथ पव क ओर कच कर चका था ए शया महा प क म य-पव दशउसक आ मण क चपट म आ गए थ य क गरम हवाए भारत क ओर प म स आरही थ कई रा य उजड़ रह थ

यनान का वह दात यो ा था सकदर जो महान कहलाया उसक सना वशाल थीऔर उस सना क य प त नवीन थी जो ढ़वाद भारतीय शासक क समझ स पर थीयनानी सना एक यो म तक आकार म आग बढ़ती थी उनक स नक चमचमात कवच ससर त घोड़ पर बठ आ मण करत थ पदल सना लब भाल स र स ही श को ब धकर गरा दती थी जसका भारतीय व सर दश क सना क पास कोई उ र न था

उजड़ लोग शरणाथ बनकर पव क ओर आ रह थ त शला म भी शरणा थय कभीड़ आ घसी व व ालय प रसर भी शरणा थय स भर गया जस नगर म कवलश ाथ आत थ अब वहा रोट -पानी व आ य मागन वाल आ रह थ

सम या स नपटन क लए राजा न अपन व श य क सभा बलाई वसम या का समाधान ढढ़ा पड़ोसी राजा भी वचार- वमश करन आए अत म नणय यहलया गया क शरणा थय को नगर क बाहर एक भ म म आ य दया जाए व नगर मकवल प रचय प दखाकर ही आ सकत थ परत व व ालय प रसर म उनका वशव जत था

इस कार चाण य न वय दखा क इस कार क आपात थ त उ प होन परकौन स कदम उठाए जान चा हए

नातक बनन तक चाण य न व ालय क श ा क साथ-साथ वय भी व षकक प म ब त कछ सीखा

ा यापक चाण यनातक बनन क बाद चाण य त शला व व ालय म ही ा यापक बन गए

एक ा यापक क प म वीकार कए जान म कोई अड़चन नह आईनातक बनन क अ तम वष आन तक चाण य क व ा सब पर जा हर हो गई

थी सभी अ यापक तथा छा उनका लोहा मानन लग गए थ अ यापक तो उ ह समकही मानन लग तथा छा अ ययन या शोध म न सकोच चाण य क सहायता लत थ

ा यापक क प म चाण य न शी ही अपनी जगह बना ली तथा सर ा यापक

को अपना शसक बना लया व व ालय म पढ़ाए जान वाल वषय पर तो उनकाअ धकार था ही वह व अ य सामा जक धा मक व राजनी तक वषय क भी अपनीवल ण तभा क बल पर अ छ खास वशष बन गए

छा तो उनक व ा पर म ध थ ही व उनक ऐस अनयायी बन गए क बाद मजब चाण य पव क ओर थान कर गए तो कई छा उनक अ य ता म काम करन वहाप च गए तथा चाण य क अ भयान म मह वपण रोल अदा कया भ भट ट व प षदउनम मख ह

त शला अब तजी स गरम हो रहा था प म क ओर स य क झलसान वालीगरम हवाए तफानी अदाज म आ रही थ यनानी यो ा सकदर क घोड़ क टाप सनाई दनलगी थ चाण य न त शला छोड़ पव क ओर कच करन का मन बना लया था उनकदमाग म बड़ी-बड़ी योजनाए थ एक आदश रा य था पत करन क उन योजना कोफलीभत होन क लए समय क दरकार थी पर त शला का तो अपना अ तम समय आगया था यम ार पर द तक द रहा था वहा स खसकन म ही भलाई थी

चाण य न स र पव क ओर का ख कया यहा मगध सा ा य था जसकराजधानी पाट लप (आज का पटना) थी वहा का मोह चाण य क लए इस लए था कपाट लप क नकट ही उस समय का महान व व ालय नालदा था जो त शला सकसी सरत कम नह था 399 वष ईसा पव एक चीनी घमत इ तहासकार फाहयान न वहाक या ा क थी व पाट लप क गण गाए थ

पाट लप गगा क कनार बसा था इ तहास क दौर म उसक कई नाम रहप पापर प पनगर पाट लप और अब पटना ह

वह चाण य न धरती क तर स काय करत-करत ऊपर उठन का मन बना लयाता क वह धरती स जड़ी स चाइय स भी गत प स प र चत हो जाए अपनीत शला क नातकता व ा यापकता का हवाला दन क बजाय एक श क क साधारणनौकरी वीकार कर ली

मगध म धनानद का रा य था राजा कवल कर लगाकर धन उगाना व अपनाखजाना भरना जानता था जनता खी थी पर उसका म ी समझदार था म ी अमा यशकटार न राजा को समझाया क कवल लट-खसोट स काम नह चलगा उ ह कछ धनलोक क याण तथा पर कार प म बाटकर जनता का आ ोश कम करना होगा बात राजाक समझ म आ गई उसन कलाकार व ान तथा लोक क याण काय क लए अनदानदन आरभ कए इस बीच चाण य अपनी यो यता स थानीय लोग क दल म घर कर चकथ सामा जक काय म भी उनक च थी व सामा जक व शास नक व था सधारनाचाहत थ उ ह न मख लोग को सझाया क राजा ारा दए अनदान का पयोग हो रहाह य क उपय व था नह ह इसक स पयोग क लए व ान व मख य कएक स म त होनी चा हए

बात सबको जच गई व ान न मलकर एक सघ बनाया चाण य को अ यबनान म कसी को भी आप नह ई कछ अ धका रय न अनदान क रा शया सघ कोद चाण य क नदशन म उनका अ यत रचना मक उपयोग आ जसक सबन शसाक

सघ क कछ सद य न सझाव दया क चाण य को वय राजा धनानद स मलनाचा हए ता क अ धक अनदान क व था हो सक उ ह यह भी आशा थी क राजाचाण य क यो यता को दखत ए उ ह उ चत दा य व सौपग चाण य तयार हो गए

ऐस समय म चाण य को आचाय शकटार स मलन का वचार आया व चाण य कसहपाठ व म रह चक थ दोन त शला म श ा हण कर चक थ श ा पण करन कप ात आचाय शकटार पहल नद सा ा य म म ी बन फर महाम ी इसी लए तो चाण यन पहल नचल तर स काय श कर अपनी यो यता स करन क को शश क थी वब त वा भमानी थ व पहल ही शकटार स मलत तो सभी को यह लगता क चाण यअपन म को सीढ़ बनाकर ऊपर चढ़ गए और शायद उनक यो यता का सही म याकन नहोता परत अब मलना आव यक था य क व वदशी आ मणकारी सकदर क चाल वखतर स मगध स ाट को सावधान करना चाहत थ

एक सदशवाहक क साथ चाण य न प भजकर आचाय शकटार स नजी प समलन क इ छा जताई शकटार को अपन परान सहपाठ क पाट लप म उप थ त सस ता ई वस सघ क काय का योरा पाकर उ ह कछ-कछ अनमान तो पहल ही हो गया

था क शायद उसका सचालन-अ य चाण य उनका त शला श ा ा त क दन काम ही हो सकता ह वह यह भी जानत थ क वा भमानवश वह म उनस सहायता नहलना चाहगा शकटार न सहष चाण य को अपन घर आन का नम ण द दया

चाण य आए तो शकटार उनस परानी आ मीयता स मल और भीतर ल जाकरआदरपवक बठाया कशल म क प ात चाण य न भारत क प मी भाग क रा य कदशा का वणन कया क कन प र थ तय म उ ह त शला छोड़कर पव क ओर आनापड़ा उ ह न यनानी आ मणकारी सकदर क अ भयान क खतर क चचा भी क

शकटार न पछा ldquoजरा व तार स बताइए क प मी भाग म या आ और यहसकदर या मसीबत हrdquo

चाण य न लबी सास लकर उ र दया ldquoअमा य वही परानी कहानी बार-बारदोहराई जा रही ह हमार शासक आपस क छोट-छोट कलह म उलझ रहत ह और वदशीआ मणका रय क लए अपन ार खोल दत ह इस बार यह वदशी आ मणकारी कोईसाधारण नह ह वह यनान दश का महायो ा स ाट ह जसन व वजय क ठानली ह और एक अ त वशाल सना लकर उसी अ भयान पर पव क ओर कच कर चका हउसक स नक नए कार क कवच व आयध स स जत ह उसक सना या म तकसरचनाब होकर वार करती ह और य क ऐसी प तय का योग करती ह जनका

हमारी सना को ान ही नह ह वह अपन सामन आन वाली सारी सना व रा य कोर दता आ हमारी सीमा तक आ प चा ह उसक श क सामन पारस क महान सा ा यभी टक नह पाए म का पतन हो चका शक तान कधार और बख या ढह गएह कश पवत पार कर उसन हमारी भ म पर अपना पर रखाrdquo

ldquoतो या सकदर न त शला पर वजय ा त कर लीrdquo शकटार न व मत औरच तत वर म पछा

ldquoआचाय आपको उस व ाथ क याद ह जसका नाम आ भक था जब हमत शला म व ा हण कर रह थrdquo

ldquoमझ कछ मरण नह हrdquo शकटार न याद करन का य न करत ए कहाldquoउसक कहानी का सकदर क सदभ म ब त मह व हrdquo ऐसा कहकर चाण य न

शकटार को आ भक क कहानी सनाई

आ भक क कथाldquoत शला गाधार रा य क राजधानी था गाधार रा य सध व झलम न दय क

बीच का दश था सध नद क प म क ओर का प मी गाधार कहलाता था जोपथक वत रा य था गाधार एक सखी रा य था और त शला व व ालय उसकागौरव था इसी कारण सर रा य म उसका नाम स मान स लया जाता था

झलम क पव क ओर प का ककय रा य था त शला क यश व स ककारण वह गाधार रा य स जलता था प एक मह वाका ी राजा था उसन अपन आस-पास क कई छोट रा य को साम-दाम व दड क नी त अथवा य म परा त कर ककय मजोड़ अपना व तार करन का अ भयान चला रखा था ल य ककय को सा ा य बनाकरराजा स स ाट बनना था प क पास चतर व धत म य का दल व यो य सनाप त था जोप क व तारवाद को साकार प द रह थ इस दल न यो य ग तचर का एक अ त

भावशाली त बना रखा था जो श दश म कह भी घसपठ करन म स म था म ी दलक मख योजनाकार म यम ी इ द थ

सभी जानत थ क राजा प क गाधार रा य पर ह परत गाधार छोटा-मोटाअश रा य नह था उस ह थयान क लए द घकालीन योजना चा हए थी इ द कग तचर न सचना द क गाधार क सनाप त सहनाद नीरस एकाक जीवन तीत कर रहह कछ वष पव उनक यसी-प नी का दहात हो चका था अब उनका वधर जीवन सनाथा चतर इ द को यहा अपना पच लगान का अवसर नजर आया

उनक ग तचर दल म एक अ त सदर यवती थी जो पहल भी कई षड य मसफलतापवक भाग ल चक थी इ द न उसी यवती को वधर सहनाद क जीवन मघसपठ करन का भार स पा

उस ग तचर यौवना को अपन काय म कोई क ठनाई पश नह आई कछ ही समयम सहनाद उसक म जाल म बरी तरह फस गए वह उस यौवना क इशार पर कछ भीकरन को तयार थ और अपन कत को भलाकर उसी क मरस म डब रहन लग आ खरवष बाद उनक जीवन म बहार जो आई थी वह यौवना धीर-धीर और ग तचर को ल आईव सर अ धका रय और म य को भी उ ह न फास लया

गाधार का अ धकतर उ च शासन त ककय क ग तच रय क साथ भोग वलास मडब गया ग तचर न पर शासन को अपग बना दया

ककय क महाम ी इ द को यह समय आ मण क लए उपय लगा उ ह नसनाप त को कायवाही करन का सकत द दया ककय क सना न गाधार पर धावा बोलागाधार ारा तरोध का ही नह था य क वहा का सारा त ककय क ग तचर कजाल म पहल ही फस कर न य हो चका था ककय सना न आसानी स गाधार पर क जाजमा लया गाधार नरश बद बना लए गए

ककय नरश प न राजनी तक रद शता का प रचय दत ए गाधार नरश को कवलककय सा ा य का आ धप य वीकार करन व ककय क त न ध क प म शासक बनरहन का ताव दया गाधार नरश न तरत ताव वीकार ही नह कया अ पत राजा पक उदारता स गद गद हो गए व उनक कायल बन गए यह एक म ता स ध थी जो वजता

ारा व जत स क थी जब प वय त शला पधार तो गाधार नरश न उनका भवागत कया प क म य का वामी क भा त आदर-स कार कया गया

परत गाधार क यवराज आ भक को यह सब अ छा नह लगा उस अपन पता काश क सामन गड़ गड़ाना ब त खला उस ोध भी आया क एक धोखबाज श को इस

कार स मान क स कस दखा जा रहा था उस तो प एक साप क तरह नजर आरहा था जसन गाधार को डस लया था आ भक का आ ोश इतना ती था क उसन मनही मन प स बदला लन का मन बना लया अपन पता को प का शसक बना दखउसका मन ोभ स भर गया था

गाधार क शासन त को कर उस र दन वाल का त शला म जय-जयकारहो रहा था आ भक का तन-मन तो प को दखत ही जलन लगता था

समय अपनी ग त स बढ़ता रहागाधार क पराजय व उसका पड़ोसी रा य पर आ त होना त शला व व ालय

पर कोई क भाव न डाल पाया व व ालय म पढ़ाई पववत चलती रही बाहरी प रवतनव हलचल स व ालय को जस कोई लना-दना न हो श क श ा दान करत रह व छाअपना-अपना पाठ य म पढ़त रह ता क नयत समय पर व नातक बन सक

सच तो यह था क त शला क जनता क जीवनचया म भी कोई अतर नह आयाशासन भी लगभग पहल जसा ही था कोई अतर था तो कवल यह क गाधार नरश अब

कसी सर क त न ध थ वयभ शासक नह और यह त य एक अह य व त थीmdashशासक क बीच का मनोव ा नक समीकरणmdashजो आम आदमी क जीवन को नह छता था

परत राजकमार आ भक तो आदमी नह था वह उस मनोव ा नक समीकरण काएक भाग था पराजय क याद भर स उस आ म ला न होन लगती थी राजकमार उस समयत शला व व ालय म श ा हण कर रहा था उसक म त क पटल स राजा प काअहकार स भरा चहरा मटाए न मटता था जो शायद तशोध परा होन पर ही मटगाराजकमार आ भक का मन अब पढ़ाई म नह लगता था

बस अपन क म बठा वह कढ़ता रहता प स बदला लन क नई-नई योजनाएबनाता और उसक सपन उन योजना को वकत प म साकार करत उसक हर सास म

तशोध क फफकार थी उसक लए श दकोष क सार प कोर हो चक थ कवल दो हीश द उसम बच रह गए थmdashभयानक तशोध कभी-कभी लगता क वह सचमच व तहो गया ह

यही वह काल था जब त शला म चाण य व शकटार अपन अ ययन क अ तमवष म थ शकटार न आ भक क ओर यान नह दया परत चाण य न गौर स आ भक कमान सक दशा का अ ययन कया य क वह राजनी तक तथा सामा जक थ तय काव षण कर रहा था और आ भक राजनी तक प र थ तय का एक उदाहरण था

आ भक कभी-कभी भगवान स बदला लन का अवसर दान करन क ाथनाकरता य क वही अब उसक तशोध योजना का सहारा था उसक पता गाधार नरश वउनक म ी तो राजा प क भ बन गए थ उनस आ भक को कोई आशा नह थी शायदभगवान न आ भक क ाथना सनन का नणय कर लया था तभी तो आ भक क इ छापरी करन सकदर यनान स सना लकर चल पड़ा था

राजकमार आ भक न भी सना क यनान का महायो ा सकदर व वजयअ भयान पर एक वशाल अपराजय सना लकर भारत दश क सीमा क नकट आ प चाह कोई सकदर का तशोध नह कर पाया था सकदर नामक तफान क आग बड़-बड़सा ा य खोखल पड़ क तरह उखड़-उखड़ कर गर रह थ उस रोक पाना कसी कसाम य क बात नह थी

उसन यह भी सना क जो राजा वय पराजय वीकार कर सकदर क शरण मजाता था उसस वह म वत वहार करता था व आदरपवक य दान करता था जोउसक सामन नह झका वह समल न कर दया जाता था सकदर क ोधा न म उसअ भमानी को भ म होना पड़ता था कवल शासक ही नह उसक जा को भी फलभगतना पड़ता था जस यनानी स नक गाजर-मली क तरह काट दत थ व यनानी स नकजो सदा चमचमात जरा ब तर म सस जत हो दमकत घोड़ पर सवार रहत

ऐस दश क अभागी जनता भयभीत होकर सर दश म आ य लन भाग जातीथी सकदरी सना क आगमन क अफवाह भर स क ब खाली हो जात थ ऐस ही शरणाथएक बड़ी स या म त शला म भी आ घस थ तब चाण य न वय दखा था क त शलाशासक न कस कार उनक रहन व भोजन क व था क थी शरणाथ सम या भारतीयरा य क लए एक नए कार क चनौती थी तब चाण य अ तम नातक वष म थ

जब भारतीय शासन व था क सचालक शरणाथ सम या का हल खोजन क लएवचार- वमश कर रह थ उसी समय सकदर क सना न ह कश पवत पार करक भारत कभ म पर अपना पर रख दया था अब उसक सामन भारतीय रा य क शखला थी जसउस तोड़ना था यह एक वडबना ही थी क गाधार नरश व उनक म ी जब सकदर क

आगमन को अ भशाप मानकर वचार- वमश कर रह थ तब उनका ही राजकमार आ भकसकदर को वरदान मानकर उसम अपनी सम या का समाधान खोज रहा था

एक- सर तर पर भी प र थ त बदल रही थी रा य क शासक पर राजकमारआ भक का भाव बढ़ता जा रहा था म ीगण तथा अ धकारी अब राजकमार का आदरकरन लग थ कारण प था राजा ब त बढ़ हो चल थ और ल ण साफ नजर आ रह थक व अ धक दन जीन वाल नह आ भक का सहासन पर बठना अ धक र क बात नहरह गई थी सभी को यह महसस हो गया था क राजकमार आ भक का व ास जीतन म हीउनका भ व य सर त ह राजकमार आ भक स कोई भी सबध नह बगाड़ना चाहता थाकई अ धकारी तो सीध राजकमार स आदश लन लग थ और उसका पालन भी करत य दवह वतमान व था क ब त तकल न हो तो

समय को भाप कर कई यवा राजकमार क चापलस मडली बना चक थ व नरतरयास करत थ क व आ भक को घर रख व राजकमार म शसा यो य नई-नई ख बया

ढढत रहत और गणगान करत चढ़त सय को सभी णाम करत ह आ भक अब पहलजसा असहाय नह महसस कर रहा था उसम नया आ म व ास भरता जा रहा था और उसअपनी योजना अब यादा साथक नजर आन लगी थी

चापलस बड़ काइया होत ह व अपन वामी क मन क बात र स ही सघ लत हव जान गए थ क उनक राजकमार सकदर क आ मण को सकारा मक स दखत हऔर राजा प स बदला लना उनका सव च ल य ह अतः व सकदर महान क गण गानलग सकदर को एक अपण यो ा सा बत करन लए र- र स कौ ड़या ढढ कर लात औरउसस म ी करन क लाभ पर हर कार क दलील दत

एक कहता ldquoराजकमार हमन अपनी त शला म आए शरणा थय को दखकरजान लया क सकदर स ट कर लन वाल का या प रणाम होता ह उसस उलझन वालकतन मख थ अपनी जा को बरबाद कर दया हम सकदर स म ी कर ल तो कम सकम हमारी जा को ऐस दन नह दखन पड़ग यह तो आपक रद शता ह क आपनपहल ही उ चत माग चन लया अब हमार गाधार रा य क उ ार होन म मझ जरा भी सशयनह ह ध य हो राजकमारrdquo

सरा लाल लोह पर चोट करता ldquoएक बार हमारी सकदर स म ी हो जाए तो हमअ त बलशाली हो जाएग जन राजा न हमारा अतीत म अपमान कया ह हम उनस

तशोध ल सकग और हम तशोध लए बना नह रहगrdquoआ भक सर हलाकर सहम त कट करता और कहता ldquoवह तो ठ क ह हम

जानत ह पर हम करना या ह और कस यह तो कोई अनभवी म ी ही बता सकता हयह म ी का वषय व ध- वधान स ही तो सभव होगाrdquo

ldquoउसका बध तो कया जा सकता ह कोई भी म ी हमारा मागदशन करगाआपक सवा कौन नह करना चाहगाrdquo चापलस न आ भक को आ त कया और जोड़ा

ldquoप न जो आपका अपमान कया ह उसका बदला तो लना ही होगाrdquoldquoल कन या मर लए सकदर ककय पर आ मण करगाrdquo आ भक न सदह

कयाldquoवह तो अपन वाथ क लए ककय पर आ मण करगा हमारी सना तो यना नय

क सहायता करगी सना समय पर प पर घातक वार करगी वामी यह तो हम जानत हीह क सकदर व वजय अ भयान पर नकला ह वह ह कश पवत पार कर हमार दशतक आ प चा ह और पव क ओर जान क लए उस ककय काठगण श म मालवा होत

ए हमार रा य स गजरना होगा इस कार ककय पर तो उस आ मण करना ही होगाम दश होन क कारण ककय पर आ मण म हम उसक सहायता करग हमारी सहायतावह स ता स वीकार करगा य क उसस उसक स नक क त कम होगी उस आग कय क लए अपनी सना बचाए रखनी ह इसम उसका अपना ही लाभ ह लग हाथ हमाराकाम हो जाएगा यनानी सना क सहायता स हम य म प को सहज ही परा त कर दगऐसा मरा पण व ास हrdquo

यह सनकर आ भक स आ उसन सर ऊपर-नीच छपकली क तरह हलाकरचापलस क कथनी क सराहना क न सदह वह चापलस कछ-कछ ब तो रखता हीथा बात सच भी नकली एक म ी न राजन यक परपरा का वणन कया उसी अनसारआ भक न अपना त सकदर क ओर पठाया जो उस समय प मी गाधार क सीमा परपड़ाव डाल था प मी गाधार क राजधानी प करावली था सध नद क उस पार उस दशपर राजा ह ती का रा य था

आ भक का त सकशल सकदर क छावनी म प च गया और उसन अपनाप रचय दकर स नक को अपन आन का उद द य बताया स नक क नायक न उस स ाटसकदर क खम म प चा दया सकदर आ भक का सदश पाकर स आ एक औररा य बना य लड़ उसक झोली म आ गरा था

उसन तरत अपन दो राजनी तक त आ भक क त क साथ त शला भज ता कस ध क ल खत परखा तयार क जा सक आ भक क त न राजकमार का प रचययनानी राजन यक स कराया आ भक न उसका उ साह क साथ वागत कया तथाअ त थगह म उनको आदरपवक ठहराया

रात को यनानी राज त तथा आ भक व उनक सलाहकार क साथ म णा क मस धवाता आरभ ई अब तक अ धकतर म ी राजकमार क खम म शा मल हो गए थ वभी वाता म स म लत ए कछ सनानायक भी उप थत थ स ध क परखा औपचा रक

प स तय होन लगीइस बीच कसी व त स नक न गाधार नरश को महल प रसर म यनानी स नक

क उप थ त क सचना द श स नक क महल म होन क बात स नरश च क काफसमय वह महल व दरबार म स द ध सी लगती ग त व धया दख रह थ जनस षड य क

शका होन लगी थी सचना क अनसार यवन स नक राजकमार क ओर क भाग क ओरजात दख गए थ नरश का माथा ठनका

वय जाच करन क उद द य स व महल क उसी भाग क ओर गए जधर राजकमारआ भक क क थ नरश तो यवन क व प सना क साथ मलकर ह रचना क बातसोच रह थ और इधर कोई यवन स साठ-गाठ कर रहा था कौन उ ह समझ नह आ रहाथा यह सब या हो रहा था उनका प आ भक उनस र- र रहता था म ीगण पहल कभा त उ सा हत नह थ नरश को ऐसा लगन लगा था क व अपनी बात खलकर कहन सहचकन लग थ या कछ ऐसा आभास मलता था जो वह कहत थ वह उनक मन क बातनह होती थी

राजकमार अपन शयनक म नह थ और क भी खाली थ हा म णा क मकछ सवाद हो रहा था नरश न म णा क का ार खोला तो भौच का रह गए भीतरराजकमार कछ सनानायक व उनक अ धकतर म ी बठ यवन त स म णा कर रह थप था क कोई षड य रचा जा रहा था

नरश न अपनी बढ़ थरथराती आवाज म कहा ldquoयहा या हो रहा ह यवन क साथयह कसी म णा चल रही ह मझ इसक बार म य नह बताया गयाrdquo

नरश क अचानक आ धमकन स म ीगण व सनानायक सकत म आ गए थ उ हसाप सघ गया था कोई कछ नह बोला राजकमार आ भक न थ त को सभाला वहखड़ा आ व अपन पता क पास जाकर बोला ldquo पताजी यह कोई अन चत काय नह होरहा ह आप चता न कर हम महान यनानी स ाट सकदर क साथ म ी स ध क प रखातयार कर रह ह ता क य क वभी षका क गाज हमार रा य पर न पड़ मन आपकोइसक बार म स चत इस लए नह कया य क आपका वा य ठ क नह ह और सभवतःनए यवा क नई प र थतय का ठ क स आकलन करन क लए यवा कोण कआव यकता हrdquo

गाधार नरश का शरीर आवश म काप उठा ldquoम अभी इतना व नह आ सारषड य समझ सकता हम यवन स कोई स ध नह चा हए इनको यहा स नकालदो कह दो क हमार रा य म सना लकर आए तथा हम तलवार क साथ वागत करन काअवसर दrdquo

यवन राज त भौच क रह गए और अपमा नत भी अनभव कर रह थ उ ह समझा-बझा कर मायाचना ारा शात कया गया उ ह महल स नकाला नह गया अ पतअ त थक म ही रखा गया बाद म राजकमार न अपन समथक क साथ ग त म णा क

इसक बाद कोई ठ क-ठ क नह जानता या आ सबह गाधार नरश अपनशयनक म मत पाए गए उनक शरीर पर कछ घाव थ कसी म घाव क कारण क बार म

पछन का साहस नह था नरश को मत घो षत कर उनका व धपवक दाह स कार करदया गया

आ भक राजगद द पर बठ यनानी राजन यक न स ाट सकदर क ओर सआ भक को पव गाधार क महाराजा क प म तरत मा यता द द आनन-फानन म म ीस ध को अ तम प द दया गया तथा सकदर क वीक त क लए भज दया गयाराजन यक म स एक सकदर क राज त क ह सयत स त शला म ही जमा रहा

जब यह सब घटना म चल रहा था तो चाण य त शला व व ालय म नातकबनन क बाद अ यापन काय कर रह थ राजनी तक घटना म पर उनक नजर रहती थीवशषकर सकदर क आन क बाद अ धक भा वत तथा चता त हो गए थ जो कछ चारओर घट रहा था उनक लए ख था थ त असहनीय हो गई थी व उ ह न त शला स पवक ओर थान करन का मन बना लया था आ भक व सकदर क बीच ई म ी स ध सउ ह ती आघात लगा था

जान स पहल उ ह न अपन म व व त छा स कहा ldquo सकदर एक यवनआ ाता ह वह वदशी जीवन धम व स क त का चारक ह वह अ त श शाली र

शासक व ब त चतर ह भारत दश क नरश व शासक को म बनाकर बना य लड़वजय ा त करता जा रहा ह हमार नरश इतन वाथ कपमडक ई याल तथा झगड़ाल हक एकजट होकर वदशी आ मणकारी का सामना करन क बजाय व या तो उसक चरणम सा ाग बछ रह ह अथवा अकल सामना कर धल चाट रह ह कह कोई आशा क करणनह ह

मर लए अपन व दक म य का वनाश कया जाना दखना सहनीय नह होगा मनत शला म आए शरणा थय स वाता क ह उ ह न मझ बताया क सकदर व जत दशम कस तरह अपन स नक स सबकछ न करवा दता ह मर पास इतना समय यहा नह हक नरश को अपनी बात समझा सक क सकदर स नपटन का एक ही माग ह वह हभारतीय नरश का एक होकर आ ाता को महतोड़ जवाब दना उनम इतनी ब नह हक व ठ क स समझ सक क सकदर हमार लए कतना भयकार अ भशाप ह उनम सआ भक जस कई ह जो उस म अपना हत खोज रह ह ता क आपसी तशोध परा करसक व एक- सर को नीचा दखा सक इन सबस मझ घोर मान सक लश होता ह म इसआशाहीन अधकार स नकलना चाहता मझ यहा स थान करना ही होगाrdquo

ldquoपरत आचाय आप जाएग कस दशा मrdquo एक म न पछाचाण य न उ र दया ldquoमन मगध क राजधानी पाट लप जान का न य कया ह

तथा प वहा का नरश धनानद लोभी और कामक बताया जाता ह म य नक गा क पव भारत क रा य अपनी श या मगध सा ा य क वशाल सना म मलाकरएक सग ठत श बन व सकदर का वनाश कर वहा तक प चन म सकदर को समयलगगा उसी अतराल का म उपयोग करना चाहता अगर परम र क दया रही तो मसफल हो जाऊगा और वदशी भाव न हो जाएगाrdquo

इस कार सकदर क त शला प चन स पहल ही चाण य वहा स रवाना हो गए

त शला स चाण य ककय दश गए जहा आचाय इ द न उनका वागत कया इ दभी त शला व व ालय म ही नातक थ चाण य न इ द को सचना द क कसगाधार अब उनक भाव म नह ह वह का नरश आ भक सकदर स जा मला हउ ह न ककय रा य पर सकदर क आ मण क बार म चताया उ ह न यह भी सझाव दयाक ककय को आस-पास क रा य क साथ मल कर सय सना ग ठत करनी चा हए ता कव यनानी सना का भावशाली तरोध कर सक व सकदर को पाठ सखाए

आचाय इ द न चाण य को आ ासन दया क वह उनक म यवान सझाव कोमहाराज प तक प चा दग व वय भी उसी मत का समथन करग हाला क इ द न कहाक समय ब त कम रह गया ह राजा को एक मच पर लान व आपसी मन-मटाव भलानपर राजी करन म वष का समय चा हए और स य यह भी था क दो दसी वरोधी राजाका मल करान क थान पर एक क और ब ली को म बनाना अ धक सरल था

चाण य पव क ओर व भ शासक को सकदर क आ मण क व चतावनीदत ए चलत गए

इस बीच राजा आ भक स स ध होन क बाद सकदर पव क ओर कच करन परउतावला हो गया उसन प मी गाधार क राजा ह ती को यनानी सा ा य का भाग बनन कानम ण दया ऐसा न करन पर यनानी सना का वार झलन क लए तयार हो जान कचतावनी भी द

प मी गाधार का राजा ह ती एक वा भमानी शासक था उसन झकन स इनकारकर दया और सकदर को य का योता द दया सकदर क सना क एक टकड़ी नप पावली पर आ मण कर दया यनानी वजय लगभग तय थी राजा ह ती क छोट -सीसना यनानी सना क सामन या टकती भारतीय स नक न पहली बार वदशी सना कोनए आयध क साथ या म तक ह रचना म आ मण करत दखा ह ती क स नकवीरतापवक लड़ परत शी ही यनानी उन पर भारी पड़न लग

यना नय न राजा ह ती को बद बनाना चाहा परत ह ती न लड़त-लड़त ाण दनाअ धक य कर समझा प पावली पर वजय का सकदर न शानदार उ सव मनाया उ सवम राजा आ भक को म य अ त थ बनाया गया यनानी सना न आ भक को प ब होकरसलामी थी सकदर न उस बराबर क राजा का थान दया व उसक साथ म वत वहारकया इस आदर-स कार स आ भक गद गद हो गया उस सपन म भी आशा नह थी कयनानी स ाट उस इतना स मान दगा वह सकदर का दय स कत हो गया यह सकदरक एक राजनी तक चाल थी वह सर राजा व नरश को सदश द रहा था क सकदर कसामन नतम तक होन म कतना बड़ा स मान ह जो उसक पास आएगा वह म ता पाएगाऔर य क थान पर आदर का लाभ पाएगा

सकदर न आ भक क चाचा को प मी गाधार का lsquoसटरापrsquo (गवनर) नय कयाऔर आ भक को एक और कपा स ध य कर दया सकदर क कपापा बनन क महानलाभ का एक और उदाहरण लोग न दखा इसका सर राजा पर अनकल भाव पड़ायह भी यनानी यो ा क त प चाल थी सकदर कटनी त का भी मजा आ खलाड़ी थाआ भक को तो यह भी आशा होन लगी क सकदर भारत स लौटत समय सार व जत का शायद उस स ाट ही घो षत कर द

आ भक सकदर और उसक सना को एक जलस बनाकर उ सव मनाता आत शला ल आया दरबार म सकदर का शाही वागत कया गया तथा उसक वीरता व

उदारता क गणगाथा गाई गई त शला क मधशालाए तथा मनोरजन गह यनानी स नकक लए खोल दए गए व यौन ड़ा शाला म जी भर कर मौज-म ती मना सकत थत शला यवन स नक का ड़ागन बन गया

स नक तो आमोद- मोद म त हो गए सकदर क साथ आय सा ह य कलातथा स क त क वशष व ान भी आए थ सकदर न उनस भारतीय स यता को यनानीस यता क भाव म लान क उपाय को सझान का आदश दया

सकदर व उसक व ान न त शला व व ालय क श ा प त तथा पाठ यप तक का भी अ ययन कया उ ह न त शला क आचाय चाण य स मलन क इ छा भी

कट क व चाण य क बार म ब त कछ सन चक थ उ ह यह जानकर काफ नराशा ईक आचाय चाण य त शला स थान कर चक ह वा तव म चाण य क थान करनका कारण ही सकदर का आगमन था यह बात यवन नह जानत थ आचाय चाण य सबाद म भ प र थ तय म उनका सामना तो होना ही था

प (पोरस) क साथ यी म ऋत का अत हो चका था आकाश म बादल क टक ड़या वषा ऋत का

सदश लकर आ रही थ ककय रा य पर यवन क आ मण का खतरा मडरा रहा थाएक शाम यवन सनानायक न यवन स नक को बताया क उ ह रात को झलम नद

पार करनी ह स ाट सकदर न ककय पर आ मण करन का आदश द दया था ककय कराजा प न सकदर का आ धप य वीकार करन स इनकार कर दया था रात को हजारयवन न घोड़ पर सवार होकर नद पार क और ककय दश म घस गए

प क सना कसी और ही थान पर यवन क नद पार करन क ती ा कर रहीथी वह यवन क छल नी त स अन भ थी यवन न ठ क उनक सामन सर तट पर ब तसी नाव एक कर रखी थ यह आभास दन क लए क सकदर क सना वह स नद पारकरगी परत यवन न उस थान स काफ र एक थल को नद पार करन क लए पहल हीचन रखा था वहा नद का पाट ब त चौड़ा था व पानी क गहराई कम रात क अधर म भीअ ारोही सरलता स नद पार कर सकत थ और यही आ भी

ककय सना को छल जान का पता भोर म ही लग गया था जब उस थान स रनद क घाट पर यवन स नक क प ब टक ड़य का भारी जमावड़ा उ ह नजर आयापर अब या हो सकता था बना य कए हार मानन का ही नह था ककय स नकमरन-मारन क ठान चक थ दोन सनाए एक सर पर टट पड़ प एक हाथी पर सवारहोकर अपनी सना का सचालन कर रह थ यवन अ ारोही स नक क पास लब बछ तथाजजीर स लटकत काटदार धात क गोल थ बछ और गोल क मार स प क सना परभारी मार पड़न लगी ककय स नक श क नकट भी नह प च पा रह थ र स ही बछउ ह ब ध डालत अथवा गोल कपाल या कर दत यवन इस तरह प ब थ जस अभ

मानव द वार खड़ी हो गई हो उनक शरीर कवच क पीछ सर त थककय सनाप त न अपन स नक क दशा दखकर हा थय को लान का आदश

दया इस बीच आ भक क सना न भी एक ओर स मोचा सभाल लया तथा ककय सना परवार करन लगी ककय स नक एक हजार हाथी ल आए और उ ह अपन सामन खड़ा करदया अब व हा थय क बगल व उनक टाग क पीछ स यवन तथा आ भक क सना परतीर वषा करन लग इसस यवन च तत हो गए यवन सना नायक न म णा क व नई यनी त को अपनाया गया आ भक क सना को र स हा थय पर बाण छोड़न क लए कहागया वय यवन न अपन बछ हा थय पर फक तीर व बछ क मार स आहत हाथीचघाड़कर पीछ मड़ व ककय स नक को कचलत ए पलायन कर गए

ककय सनाप त ह भ रह गया उस समझ ही नह आ रहा था क बच खचस नक का वह कस मनोबल बढ़ाए व प त हो चक थ यवन व आ भक क स नक न उ हआग आकर मारना-काटना आरभ कर दया

इस बीच प यवन-आ भक स नक स घर चक थ उनका हाथी मार गराया गयायवन स नक न उ ह बद बना लया ब ड़य म जकड़ प को दखकर आ भक क कलज मठडक प ची उसक होठ पर एक क टल म कराहट खल रही थी यह ण आ भक कजीवन क सवा धक सत करन वाल ण थ ऐस ण जनम जीवन क साध परी होन क

स ता लबालब भरी होती ह आ भक को आशा थी क सकदर प को मौत क घाटउतार दगा

नयत समय पर ब ड़य म जकड़ प को सकदर क स मख लाया गया सकदर कमख पर घणा क भाव नह थ वा तव म जस वीरता स प व उसक सना य साज-स जा व कला म यवन सना स लड़ थ उसस सकदर ब त भा वत था सकदरआ खर एक यो ा था तथा वीर श का आदर करना उसका वभाव था य न उस इतनासमदश तो बना ही दया था

सकदर बोला ldquoतम इस दश क राजा थ ल कन अब ब ड़य म जकड़ खड़ होrdquoप न कहा ldquoय द म य जीत गया होता तो तम मरी जगह ब ड़य म जकड़ खड़

होतrdquoसकदर न प को घरकर दखाफर उसन पछा ldquoबोलो त हार साथ या वहार कया जाएrdquoप न नभ क वर म उ र दया ldquoजसा एक स ाट सर स ाट क साथ करता

हrdquo इस नभ क तथा बलाग उ र स सकदर स हो गया उसन सर ऊपर-नीच हलाकरकहा ldquoब त अ छ त हार उ र स म स आ म त ह अपनी ओर स ककय उरसा तथाअ भसार का शासक नय करता अब स तम हमार म एrdquo

प न सर झका कर कहा ldquoम आपक उदारता तथा स ची यो ा व काअ भवादन करता आपक साथ सदा सहयोग करना मर जीवन का सौभा य होगाrdquo

यह नया अ या शत मोड़ आ भक को जरा भी उ चत नह लगा वह तो प क वधकए जान क ती ा कर रहा था उस सकदर एक सनक लगा परत सकदर क नणयपर उगली उठान का तो आ भक म साहस न था और न ही कोई अ धकारrdquo

आ भक क कथा सनान क बाद चाण य न शकटार को समझान का य न कयाक उसका स ाट धनानद स मलना कतना आव यक था व उ ह सकदर क सारी चालक बार म बताना चाहत थ क कस कार वह हमार धम व स क त क लए अ न कारीथा पव प मी रा य क पतन क नचल न कष को चाण य व तार स धनानद कोसमझाना चाहत थ आचाय शकटार भी चाण य स पणतया सहमत थ उ ह भी सकदर कअ भशाप का आभास हो गया था आचाय शकटार बोल ldquo म वर अब म जान गया कआपका स ाट को व त थ त क बार म सचना दना कतना आव यक ह स ाट धनानदजी स भट करवान म कोई अड़चन नह ह म तो ही आप कल दरबार म आ सकत ह मआपका प रचय स ाट स करवा गा फर आप न सकोच अपनी बात उनस कह सकत हम अपनी ओर स आपक कथन क प करता र गाrdquo

अपमा नत चाण यसर दन स ाट धनानद का दरबार सजा था स ाट वय अपन र नज ड़त

सहासन पर वराजमान थ दरबार म राजसी शान क बहार थी चार ओर आख च धयान

वाली सजावट थी स ाट क सर पर हीर-जवाहरात स म डत मकट था गल म ब म यहार तथा सर आभषण थ तन पर म यवान झल मलात व थ ज ह बनवाना कवलराजा क बस क ही बात थी

म ीगण अ धकारी सनानायक भ मप त सठ व दरबारी अपन व तथाआभषण स स जत अपन-अपन आसन पर बठ थ थान- थान पर वशष प रधान पहनसतरी पहरा द रह थ सर दरबारी कमचारी अपनी-अपनी जगह अपना कत नभा रहथ

अमा य शकटार स ाट क सहासन क बगल म अपन आसन पर बठ थस ाट धनानद य प बढ़ थ परत उनका व भ था अपनी यवाव था म वह

एक बाक सजील नवयवक थ उनक 40 वष य प म आज वही बाकापन था धनानद कातागण भी अ त आकषक व क वामी थ

नयत समय पर चाण य न दरबार म पदापण कया शकटार न दरबान को पहल हीचाण य क बार म बता दया था चाण य का आ टपकना कछ ऐसा ही था जस हीर-मो तय क ढर म कोयल का टकड़ा आ गरा हो शारी रक प स वह ठगन काल व क पथ कछ लोग का कथन ह क उनक मख पर चचक क दाग भी थ वषभषा भी उनकसाधारण य क थी

दरबार म उप थत लोग न चाण य को उप ा स घरा कछ दरबारी उपहास क स भी दख रह थ ऐस य क भी कमी नह थी जो दब वर म चाण य को

दखकर हस रह थ स ाट धनानद को उनका आना अना धकार च ा लगा उसक मखमडल पर ोध क भाव उभर भक टया तन ग

उस भद द का आगमन उस दरबार क शान म बट टा लगन जसा लगा फरचाण य क क पता को दख वह हस बना न रह सका वह अपनी वीभ स हसी ाराचाण य को दरबार म आन क भल करन का कठोर दड द रहा था

स ाट को हसता दख दरबारी भी खलकर हसन लग मगध दरबार एक अ ीलअट टहास स गज रहा था

घोर अपमा नत चाण य जड़ होकर रह गए थअमा य शकटार को यह दख बड़ी ल जा आई उ ह न अपन म को बचान क

य न म खड़ होकर सबको शात होन का सकत कर कहा ldquoआदरणीय सभासदो मआपका प रचय त शला व व ालय क महान आचाय व ान चाण य स कराना चाहता

जो अभी हमार दरबार म पधार ह य हम एक ब त मह वपण म णा दना चाहत ह जोहमार रा य क लए लाभदायक स होगीrdquo

धनानद न टढ़ स आचाय शकटार को दखा और ट पणी क ldquoयह क पा ण हम या म णा दगा मर इस सदर दरबार म इस भ का काम नह ह हम

तो इसक यहा उप थ त पर ही आप हrdquoदरबा रय न स ाट क बात क समथन म अपन सर हलाए उधर ोध क अ तरक

म आचाय चाण य का सारा शरीर काप रहा था ऐस तर कार तथा अपमान क उ ह नसपन म भी क पना नह क थी

मगध सा ा य क दरबार क फहड़पन स आचाय शकटार भी आहत थ उ ह यह तोपता था क धनानद वलासी ह लोभी तथा अहकारी ह परत आज उ ह पता लगा क स ाटम श ाचार क भी इतनी कमी ह उ ह समझ नह आ रहा था क या कर बात इतनीबगड़ चक थी क उस बनान का कोई उपाय नह सझ रहा था

फर भी उ ह न एक टटा फटा यास कया ldquoह स ाट इस दरबार मrdquoउनका वा य परा न हो पाया दरबा रय क ख लय क गज म उनका यास

छटपटा कर डब गयाचाण य भी अब चप नह रहन वाल थ उनका ोध श द म ढलकर उनक ज ा

स लढ़क कर बाहर आन क लए जोर मार रहा था उ ह न चीख कर कहा ldquoम इस दरबार मयह सोचकर आया था क कदा चत इस थान पर एक का म याकन उसक यो यताअथवा व ा पर कया जाता होगा पर यहा तो सब कछ वपरीत ह यहा इतनाछछलापन ह क एक मन य को उसक शारी रक रग- प स तौला जाता ह एक कब व श ा का यहा कोई मोल नह ह मख क सभा ह यह दरबारrdquo

अब तक हसत दरबारी मौन हो गए थ सबक नगाह स ाट धनानद क ओर उठई थ य क उ ह व ास था क व ऐसी ध ता कभी सहन नह करग

धनानद न ोध स चाण य को दखा और फफकारत ए बोल ldquoत छ ा ण मरदरबार को क प व ा क कोई आव यकता नह ह मगध स ाट स श ता स वाता करोअ यथा त ह कठोर दड दया जाएगा तम हो या वय को या समझ रह होrdquo

चाण य न घोषणा क ldquoम वय को या समझता यही उसका मह व नह हपरत सभी यह सन लो क म इसी दरबार म ण करता क अहकारी नद वश को ही समलन करक दखा गा एक ऐसा अहकारी शासक जसम व ान का आदर करन क भीसमझ नह ह वह सहासन पर बठन का अ धकारी नही ह ऐस शासक का अत होना हीसबक लए य कर होगा जब तक मरा ण परा नह होता म अपनी वणी नह बाधगाrdquo

ऐसा कहकर सबक सामन चाण य न अपनी वणी खोल द सारा दरबार ह भहोकर दखता रहा स ाट ोध क म त बन अपन सहासन पर बठ रह

आचाय शकटार पर तो कठाराघात ही हो गया थाअपना ण सनाकर आचाय चाण य वहा स पर पटकत ए चल गएघटना न इतनी गभीरता का प ल लया था क सब जड़ हो गए थ न तो चाण य

को तरत दड दया गया ना ही कसी न उ ह रोकन का यास कया दड तो दया जाना थापर कछ समय बाद जब सबक सामा य ब लौटती व चाण य क ण क द डनीयतासमझन क यो यता आती

तशोधक चाण यपासा फका जा चका थाअब चाण य क लए पाट लप म रहना खतर स खाली नह था उ ह धर दबोचन

और द ड दन क लए स ाट क स नक कसी भी समय आ धमक सकत थ अतः चाण यन साध का वष धरा और बना समय खोए नगर छोड़ दया सौभा यवश नगर क ारपालउ ह नह पहचान पाए वह बच नकलन म सफल हो गए चाण य नगर स र प च एकवीरान म चल जा रह थ उ ह अपन ल य का पता नह था उनक म त क म तो तशोधक आग धधक रही थी उस पर कई योजनाए पक रही थ कछ और सोचन क फरसतकहा थी बस पर बढ़ जा रह थ दशा व ल यहीन होकर

अचानक उनका एक पर कट ली झाड़ी म फस गया काट न पर को छद दया खनक धाराए बह नकल उस जहरील पौध क प य न पर म जलन पदा कर द चाण यन ो धत उस झाड़ी पर डाली उ ह उस झाड़ी म राजा महानद जसी ही ता नजरआई जस उस राजा क श द न उनका दय ब धा था व तन-मन म अपमान कतल मलाहट व जलन पदा क थी उस कट ली जहर बझी झाड़ी न वही हाल उनक पर का

कर दया थाअचानक चाण य उस पौध पर टट पड़ अपन डड स पीट-पीट कर उस पौध को

उ ह न तार-तार कर दया उन पर उस झाड़ी को न करन का उ माद-सा सवार हो गयाथा तार-तार करन भर स चाण य को सतोष नह आ उ ह न झाड़ी क थान को खोदनाश कया तब तक दम नह लया जब तक उस झाड़ी क जड़ तक उ ह न न उखाड़फक श को परी तरह न करन क बाद उ ह न झाड़ी क अवशष पर नगाह डाली वसतोष भरी सास ली ह ठ पर ह क म कराहट बखर गई

तभी उ ह कसी और क वहा उप थ त का आभास आ उ ह न पाया क एकयवक ब त कौतहल स उनक काय-कलाप को दख रहा ह उसक आख म कई चथ

चाण य न अपन ल लहान पर क ओर इशारा कर प ीकरण दया ldquoवह पौधाजहरीला व कट ला था उस जड़ स न करना ज री था ता क वह कसी और को हा न नप चा सक इसी म ब म ा हrdquo

टहीन स कत म कह गए श द न यवक को बता दया क काल रग का बावलासा दखता एक उ च को ट का व ान ह उसन पछा ldquoमहोदय आप कौन ह और

य इस वीरान म ठोकर खात फर रह ह यह तो प ह क आप व ान हrdquoचाण य न लबी सास भर कर कहा ldquoयवक म त शला का ा यापक यहा नए

अवसर क खोज म आया था मा सर वती क पजा रय क नय त ही ठोकर खाना औरनधनता स जझना ह परत तम कौन हो जो यवाव था म वीरान क खाक छान रह होलगता ह स ात कल क होrdquo

यवक न वीकार कया ldquoह व ान म एक क ठन दौर स गजर रहा पर मअपनी भा यपण कहानी का भार आप पर नह डालगाrdquo

चाण य न आ ह कया ldquo म म त हारी था सनना चाहता हो सकता ह मत हारी सम या का कोई हल सझा सक फर समझदारी इसी म ह क अपन ख मव त म को भागीदार बनन का अवसर द भार ह का कर व ास करो क म कोईग तचर नह rdquo

यवक आ त आ उसन बताया ldquoमरा नाम च ग त ह म इसी दश क भतपवराजा सरवथ स का पौ उनक दो रा नया थ mdashसनदा और मौरा सनदा न नौ पको ज म दया जो lsquoनवनदrsquo कहलाए मौरा क कवल एक प आ वही मर पता थकालातर म नवनद व मर पता म उ रा धकार को लकर श ता ठन गई राजगद द परनवनद का अ धकार हो गया मर पता क म य क बाद नद न मर ाता को मार डालाम कसी कार बच गया अब म अपनी माता क साथ एक ाम म ग त प स रहता मरजीवन का उद द य नद स तशोध लना ह पर कस यह समझ नह आता यही मरी

कहानी ह और यही ख मर जीवन को स रहा हrdquoचाण य म कराए उ ह न च ग त को स ाट धनानद ारा कए अपन अपमान क

कहानी सनाई उ ह न च ग त को उनक साथ मलन का सझाव दया य क दोन काउद द य एक ही थाmdashधनानद का वनाश करना चाण य न व ास दलाया क वह च ग तको मगध रा य क गद द पर बठान का चम कार कर सकत ह य द च ग त परी तरहउनका साथ द

दोन च ग त क मा क पास गए चाण य उनस च ग त को अपना अनयायीबनाकर ल जान क आ ा मागना चाहत थ मा न सहष अपनी वीक त द द वह वयमहानद स बदला लना चाहती थी य क उसी न च ग त क नाना अथात उनक पता कह या भी करवाई थी

चाण य को यह जानकर स ता ई क बचपन म खल म साथी बालक च ग तको राजा या सनाप त का रोल दत थ इसस यह मा णत होता था क च ग त म नत व काज मजात गण था जस को चाण य स ाट बना दखना चाहत थ उसम यह गणहोना आव यक था च ग त क माता न चाण य को नद क परी कहानी सनाई जसी उसबताई गई थी

नद क कहानीशशग त वश म मगध पर शासन करन वाल नदवधन अ तम शासक ए उ ह न

वला सतापण व नरकश शासन चलाया नदवधन न अपन नकट क छोट-छोट रा य तथाजम दा रय पर कवल इस लए चढ़ाई क ता क व उनक सदर म हलाए छ न सक व अपनजीवन को और रगीन बना सक ऐस शासक थ नदवधन

एक बार व अपन रा य का दौरा कर रह थ आ धका रक प स उनक या ा जाक ख-सख क खबर लना था पर असली उद द य उनका रा य क सद रय पर अपनीक डालना था एक ामीण म उ ह एक अ न सदरी नजर आई ऐसी यौवनाउ ह न अपन जीवन म पहल कभी नह दखी थी उनका कामक मन उस पर म ध हो गयाउनक इशार पर यौवना क प त को स नक न कसी बहान मार डाला और उस यौवना काअपहरण कर लया

वह यौवना कोई उ च कल क म हला नह थी वह तो एक चाडाल क प नी थीउसका नाम महामाया था महामाया को महल म लाया गया और वह नदवधन कअकशा यनी बन गई

महामाया अपन मत प त स ब त म करती थी उसक म य को वह कभी भला नपाई उसक मन म बदल क आग सदा सलगती रहती थी नदवधन क अकशा यनी बननक बावजद वह उसक मन ही मन श बनी रही महामाया साधारण ी नह थी सर कोअपन वश म करन क उसम ज मजात कला थी वह वाकपट भी थी उसक महल म आन

क बाद सब उसक मायावी भाव क अधीन हो गए महल क सार कमचारी उसक इशार परनाचन लग नदवधन क सरी रा नया उसक आग बबस थ और स ाट नदवधन तो उसकहाथ क कठपतली बन गए थ

महामाया नदवधन स इतना ग त ष रखती थी क उसन कई बार उसक ह याकरवान क य न कए परत वह षड य वफल रह

इसी बीच महामाया गभवती हो गई तथा उसन एक प को ज म दया अब उसकासारा यान अपन प क लालन-पालन पर क त हो गया उस अपना बटा नदवधन क

तशोध लन का सव म साधन लगन लगा अतः कसी दाई या आया क छाया उसनअपन प पर नह पड़न द उसक दख-रख का सारा दा य व राजम हला होन क बावजदउसन वय सभाला बचपन स ही बट म उसन नदवधन क व वष भरना आरभ कयाउसक म त क म यह बात बठा द गई क नदवधन वह पश ह जस जीन का कोई अ धकारनह ह

बटा नदवधन स घणा करता बढ़ता रहा उसन ण कर लया क जस ही उसअवसर मलगा वह नदवधन नामक अ भशाप को धरती पर स मटा डालगा वह अपनीमाता महामाया को स दखन क लए कछ भी कर सकता था य द नदवधन क म यमहामाया क स ता का कारण बन सकता था तो ऐसा ही सही वह उसक जीवन कापहला उ य बन गया

जब वह यवाव था को ा त आ तो एक दन स ाट नदवधन को अपन क मउसन रात को अकला पाया वह ऐसा अवसर कस खोता तलवार क एक वार स उसननदवधन का सर धड़ स अलग कर दया

अब चतर महामाया न अपना जाल फलाया अफवाह फला द गई क स ाट काव ो हय न वध कर दया ह फर उसन अपन प को सहासन का उ रा धकारी घो षतकरवा दया उसका बटा lsquoमहाप नदrsquo क शासक य उपा ध क नाम स मगध का स ाटबना

महाप नद न अपनी माता क परामश पर नदवधन क वफादार तथा सभी व तम य सनानायक तथा म य अ धका रय को स ाट क व व ोह क अपराध मकारागार म डलवा दया बाद म उ ह म यदड द दया गया

इस कार नद वश का आरभ आ महाप आरभ स अ छा शासक व यो ामा णत आ उसन अपनी कशलता तथा वजय स मगध को एक श शाली सा ा य

बना दया आर भक सफलता क बाद उसक ना ड़य म बहता एक का खन रगलान लगा वह धीर-धीर पथ हो गया वह वय रगर लय म डबा रहन लगा उसक म ीव अ धकारी छट पाकर रा य म लटपाट मचान लग जा त हो गई पर जा क कोईसनन वाला नह था शोषण तथा ाचार का सार मगध म नगा नाच होन लगा महापअपन पता क भा त जा क सध छोड़कर अपनी कामवासना सत करन म लगा रहता

मगध सा ा य म ही प प लवन नामक एक छोटा-सा रा य था सवथा ससयवन उस रा य का शासक था उसक रानी मौरा एक अ त सदर ी थी उसक सदरताक चच र- र तक फल थ महाप न भी उसक बार म सना और उस पान क लए उसकामन मचल उठा

महाप अपन पता क पद च पर चल रहा था जस अपन पता का इ तहासदोहराना उसका ल य बन गया हो वह भी अपन रा य क सदर यव तय को अपन स नकभजकर बलपवक उठवाता तथा अपन महल क शोभा बनाता उसका अतःपर सद रय सभरा पड़ा था परत उसक कामवासना थी क सत होन का नाम नह लती थी अब उस परमौरा को अपनी अकशा यनी बनान क धन सवार हो गई थी

एक दन उसन अपन एक व त सनानायक को प प लवन पर चढ़ाई कर मौराको लान का आदश दया सनानायक सना क एक टकड़ी लकर प प लवन क ओर स ाटक आदश का पालन करन चल पड़ा उस समय सयवन कछ स नक क साथ आखट परगया आ था मगध स नक न प प लवन क राजमहल क चार ओर घरा डाल दयासनानायक न महल क र क को अपन आन का उद द य बताया तथा रानी मौरा को उ हस पन क लए कहा ऐसा न करन पर रानी को बलपवक ल जान क धमक द

र क न इसक सचना भीतर जाकर प प लवन क सनानायक को द सनानायकन रानी को स पन स साफ इनकार कर दया तथा य क चनौती द य प प प लवन कसना ब त छोट थी छोट -सी ीय सना भला मगध सा ा य क सना क टकड़ी का कबतक सामना करती

जब राजा सयवन आखट स लौट रह थ तो उ ह र स एक स नक घोड़ पर उनकओर आता द खा नकट आन पर उ ह न पाया क स नक घायल था सयवन का माथाठनका

स नक न प प लवन राजमहल पर मगध स नक ारा ए आ मण क बार बतायातथा उनका उद द य भी नह छपाया सयवन को अ यत ोध आया उसन अपन घोड़ कोऐड़ लगाकर महल क ओर दौड़ाया उसक साथ क स नक न भी उनका अनसरण कयाघोड़ सरपट दौड़ व शी ही आखट दल महल क म य ार पर प चा चार ओरप प लवन क स नक मर अथवा ज मी ए गर पड़ थ उनम कछ मगध क स नक भी थ

तभी उ ह न मगध सनानायक को स नक क साथ रानी मौरा को महल स बाहरलकर आत दखा सयवन न उनको ललकारा दोन दल म एक स त य आ सयवनक साथ कवल आठ-दस अगर क थ व कब तक टकत सयवन को बद बना लया गयामहाप नद न सयवन को एक अधकप म डलवा दया

राजा सयवन तथा रानी मौरा का एक रह य था जो कसी और क ान म नह थामौरा गभवती थी य प गभ क ल ण अभी कट नह ए थ परत सयवन और मौरा कोगभ क बार म सदह नह था कभी-कभी यह आभास प त-प नी को र त या क बाद हो

जाता ह सयवन न कए म डाल जान स पहल एक ग त सदश मौरा क पास भजवा दयाथा क रानी को अपन गभ म पल रही उनक सतान क र ा करनी ह और उसक हत कलए कोई भी समझौता करना पड़ वह कर

मौरा को अपन गभवती होन पर परा व ास था जब महाप न उस अतःपर कसद य बनन का नम ण दया तो वह बना कसी तरोध क मान गई

नयत समय पर मौरा न एक प को ज म दया मौरा न यही बताया क उसका पमहाराज महाप का ही प ह अतः उसक बट का लालन पालन एक राजकमार क भा तही आ वय मौरा को अतःपर म रानी का दरजा कभी नह मला उस एक दासी हीसमझा गया मौरा को इसस कोई ख नह था उसका सारा ल य कवल अपन बट कोराजकमार सा जीवन दान करना था ता क वह श त हो सक व सभव हो तो अपनवा त वक पता क दशा का तशोध ल सक

जब राजकमार बड़ हो गए तो उनम वरासत क लए झगड़ होन लग महाप कसर बट मौरा क बट को राजकमार मानन को कतई तयार नह थ व उस दासी का बटा ही

मानत थ नद राजकमार न मौरा तथा उसक बट पर अ याचार करन आरभ कर दएउनक अ याचार स बचन क लए मौरा न बट समत राजमहल छोड़ दया तब उसन

अपन बट को स चाई बता द क उसका वा त वक पता राजा सयवन था जो मगध कअधकप म कारावास भगत रहा था

दोन मा बट प प लवन चल गए परत अब प प लवन सयवन क सर बट कअ धकार म था यह सयवन क सरी रानी ( य ) स उ प थ उ ह न मौरा क बट कोसयवन क सतान मानन स इनकार कर दया उनका यही कहना था क मौरा का कथन झठह उसका बटा महाप नद क ही सतान ह मा बट को फर पाट लप लौटना पड़ा परत वराजमहल नह गए बाहर रह कर ही गजारा करत रह मौरा न बट का ववाह मरा जा त कएक सरदार क बट स कर दया

उनक कई बट पदा ए इस बीच नद राजकमार को मौरा क बट का पता लगाव फर उ ह न करन क योजना बनान लग नद मौरा क कई पोत क ह या करन

म सफल हो गए कवल एक बटा बचा जो बाद म च ग त नाम स चाण य को मला नदस अपनी जान बचान क लए च ग त और उसक मा एक गाव म ग त वश स साधारणकामगार क वश म रहन लग

मौरा का नधन हो गया था च ग त क माता मरा दवी क पता क भी नद न ह याकरवा द थी इसी लए व ग तवास ारा जी वत बच रहन म सफल हो गए थ इनप र थ तय म च ग त क सामा य श ा नह हो पाई थी च ग त न अपन नाम क साथमौय जोड़ना आरभ कर दया था जसका कारण शायद उसक दाद मौरा थी या मातामरादवी

च ग त क चाण य स मलाकात तब ई थी जब चाण य स ाट धनानद क दरबारम अपमा नत होन क प ात तशोध क भावना म जलत ए नजन वन म भटकत एएक कट ली झाड़ी म अपना पर ज मी कर बठ थ धनानद गद द का उ रा धकारी कसबना यह भी एक रोचक कहानी ह कहत ह क महाप क नौ बट ए धनानद उनम सबसय था और अम यानद उसस छोटा जस-जस महाप बढ़ होत गए उनक कामकता

बढ़ती गई वला सता क अ त र उ ह कछ और सझता नह था उनक महाम ी को भीसमझ नह आ रहा था क या उपाय कया जाए शासन व था न हो रही थी जनतापर अ याचार बढ़त जा रह थ स ाट कवल चापलस तथा दलाल क ही बात सनत थ

अब स ाट क पास कवल दलाल तथा दास ापा रय क ही पछ होती थी दलालापारी स र दश स ब ढ़या म दरा तथा दा सया लकर आत थ र दश स खरीद कर लाई

बाला का महाप को च का लग गया था ापा रय को स ाट महमाग दाम और ढरसार पर कार दत थ महल म वह ापारी दलाल बखटक आया जाया करत थ

एक ऐसा ही दास ापारी स ाट का खास चहता बन गया था वह पहल भी कईबार म दरा व बालाए ला चका था स ाट उसस अ त स थ ापारी को स ाट क पसदनापसद का अ छा ान हो गया था अतः वह उसी को यान म रखकर माल लाता था

इस बार भी वह वदश या ा स आया था और सीध स ाट स मलन चला आया थामहल क सतरी उस जानन लग थ वह उ ह भी उस ारा उपहार व इनाम दया करता थाअतः जब भी वह आता सीध स ाट क पास प चा दया जाता स ाट उसस अपन नजीक म अकल म ही मलत थ

वह ब त उ सा हत लग रहा था स ाट को णाम करन क बाद वह बोलाldquoमहास ाट इस बार म आपक सवा म वशष उपहार लाया स र पव म गया था वहाक सबस ब ढ़या म दरा खोज लाया म ा ब त लगी परत स ाट क लए तो म ाएकौ ड़य क समान हrdquo

ldquoऔर या लाए होrdquo स ाट न अधीरता स पछाldquoऔर भी ब त कछ लाया स ाट एक ऐसा जोड़ा जसा पहल यहा कभी नह

आया बालाए या ह क उनक सामन अ सराए भी फ क पड़ जाए जब म आपक सवाम उ ह तत क गा तो न त ही आप स हो जाएगrdquo

ldquoउ म तम भी हा न म नह रहोग ी त ह उ चत पर कार मलगा सदा कभा त तो कब ला रह होrdquo कामक स ाट क सास फल रही थ व लार टपक रही थी

ldquoस ाट आप रगशाला म अकल र हए म अधरा को आपक सवा म सब ततक गाrdquo ापारी धीम वर म षड य कारी क भा त बोला

स ाट न सहम त म सर हलाया ापारी अ भवादन करक स म ा म चलागया

रात को नयत समय पर स ाट अकल थ उनका ापारी दलाल अपन वाद कअनसार तत आ उसक साथ एक सवक था जो थाली म कछ उठाए था जस पर रशमीकपड़ा पड़ा था दो आक तया भी थ जो सर स पर तक रशमी आवरण म ढक थ स ाटन यान स उन आक तय को दख अनमान लगाया

दलाल ापारी न अपन सवक को सकत दया और सवक न थाल पर स कपड़ागरा दया थाल म तीन अ त आकषक सरा हया रखी थ और था एक चाद कान काशीदार गलास

ापारी बोला ldquoस ाट यह म दरा उस दश का उपहार ह जहा हस याम होत हऔर काग त यह व म सव मानी जाती ह र ाभ आकाश का सा रग ह इसकाrdquo

स ाट क तो रशमी आवरण म ढक उन आक तय पर जमी थी बताबी सबोला ldquoउस आवरण क पीछ या हrdquo ापारी न ताली बजाई आक तय न नाटक य ढगस अपन आवरण उतार फक

स ाट क स मख आभषण स सज दो कशोरवय क साच म ढली सी अ त मोहकबालाए थ उ ह न च त पारदश कपड़ पहन रख थ

उ ह दख स ाट का दय उछलन लगा वह पलक झपकना भी भल गया ापारीक आख चमक रही थ

एक बाला न अपनी लबी सडौल उग लय स गलास उठाया और सरी न एकसराही उठाकर बड़ी नजाकत स म दरा क पतली गलाबी रग क धार गलास म उड़लीपहली बाला नप-तल कदम स चलकर स ाट क पास आई और गलास उनक ह ठ स लगादया

स ाट न आख आनदम न हो बद कर ल म दरा सचमच उ क थी सरी बालासराही लकर पास ही खड़ी थी स ाट क भखी नगाह गलास वाली बाला क शरीर को घररही थ

उसक ह ठ गलाब क भोर क ओस म भीगी पख ड़य क तरह दहक रह थस ाट स रहा न गया उ ह न उस पास ख चा और अपन बढ़ ह ठ उन यवा ह ठ पर

रख दए समय जस ठहर गयाएकाएक स ाट को खासी आई उनका शरीर कापन लगा न र ाभ हो गए

चमड़ी का रग नीला पड़न लगा दखत ही दखत व आसन पर लढ़क गए एक वीभ सहचक लकर उनका शरीर न पद हो गया

वहा उप थत बाक चार स ाट का अत शात भाव स दख रह थ उनकचहर पर सतोष क भाव थ दलाल ापारी न बाला स कहा ldquoकाय सप हो गया इस

को जी वत रहन का कोई अ धकार नह था अब हम यहा स चलना चा हएrdquo

बाला न फर अपन आवरण ओढ़ लए व चार क स बाहर नकल गए बाहरम य ार पर ापारी न ारपाल स कहा ldquoस ाट व ाम कर रह ह व कबोज दश कम दरा पीकर न ाम न होना चाहत ह उ ह कोई बाधा न प चाए उ ह न आदश दया ह ककल ातः सय दय क समय उ ह जगाया जाएrdquo

फर चार अधकार म वलीन हो गएव चार वा तव म एक पड़ोसी रा य क ग तचर थ वह रा य जस एक य म वष

पहल महाप न न कर दया था जन चार न स ाट क ह या म भाग लया था उ ह नउस य म अपन नकट सबधी खो दए थ यह उनका तशोध था

सबह महाम ी को कसी आव यक काय स स ाट क पास जाना पड़ा उ ह एकआपात नदश लना था

स ाट क क का य दख व सकत म आ गए उनक अनभवी आख न क कानरी ण कया व यान स स ाट को दखा वचा का नीला पड़ा रग दखत ही व समझ गएक कसी वष क या न स ाट क ह या कर द ह

व कछ दर खड़ सोचत रहफर कसी नणय पर प चकर व क स बाहर नकल महाम ी न क का ार

बद कर दया उ ह न स नक को नदश दया क स ाट क क म कोई न जाए महाम ीसीध सबस य राजकमार धनानद क महल म गए

महाम ी को अनायास आत दख वह च का उसक मह स नकला ldquoमहाम ीजीrdquo

ldquoहा आपात थ त म महाम ी को स ाट क पास म णा करन आना पड़ता हrdquoधनानद कछ समझा नह वह बोला ldquoस ाट पर म तोrdquoldquoअब आपक बारी स ाट बनन क आ गई ह स ाट महाप नद का नधन हो

गया हrdquo महाम ी न सचना द ldquoककसrdquoमहाम ी न समझाया ldquoस ाट यह य और कस पर वचार करन का समय नह

ह व ोह न हो और अराजकता न फल इस लए हम तरत स ाट क ाक तक कारण सम य क घोषणा करनी ह साथ ही आपक रा या भषक क भी इसी म हम सबका भलाहrdquo

महाम ी न कछ दर तक फसफसाकर धनानद को समय क गभीरता तथा राजनी तक आव यकता क बार म समझाया

धनानद न यान स उनक बात सन फर दोन उठ खड़ ए और उस क क ओर चल पड़ जहा महाप नद का मत

शरीर पड़ा था रा त म भी महाम ी न ब त सी ऊच-नीच व राजनी तक आव यकता कबात बता

इस कार धनानद मगध का स ाट बन गया था आरभ म तो वह भी अ छ शासकका सा वहार करता रहा परत शी ही अपन पता क राह पर चल पड़ा बढ़ महामायाको यह सब दखकर ब त ख होता था

वह सोचती यह कसक खन का भाव था

योजनाकार चाण यचाण य च ग त को श चालन तथा य कला म पारगत करन क लए नग दना

चाहत थ परत सबस आव यक च ग त को व ालय क सामा य श ा दना था जससवह ब मान तथा कशल शासक बन सक

इसक लए व च ग त को त शला ल गए व वहा व व ालय म वश दलादया कछ इ तहासकार का मत भ ह व मानत ह क त शला को तब तक वदशीआ मणका रय न तहस-नहस कर दया था वहा क ा यापक बकार होकर व भ रा यम लावा रस क तरह भटक रह थ चाण य उनम स कछ को खोज नकालन म सफल होगए व उ ह च ग त क श ा का भार स प दया गया पर इसम कोई शक नह क च ग तन लगभग सात वष उ च श ा हण करन म लगा दए उसक साथ-साथ यो ा बनन कउनक नग भी चलती रही च ग त म य कौशल क वाभा वक तभा थी अतः नपणयो ा बनन म कोई सम या सामन नह आई

इस बीच यनान क सनाए भारत क रा य को र दती ई पव क ओर बढ़ रही थ च ग त और चाण य न उनक रणनी तय का गहरा अ ययन कया साथ ही यह भी दखतरह क व जत रा य म यनानी कस कार अपना शासन त था पत करत ह यह सबनकट स दखन व जानन क लए चाण य न च ग त व उनक कछ सा थय को यनानी सनाक टकड़ी म स नक क प म भरती भी करवाया वहा उ ह न ग तचरी क रह य को भीसीखा

यनानी व जत म शासन खड़ा करत थ व शासन चलान क लए एककमाडर नय करत थ ज ह व lsquo ॉपrsquo कहत थ यह ॉप यनानी सना म भरती भारतीयभी हो सकत थ

वष अपनी धरती स र रह कर वदश म लड़त-लड़त यनानी स नक थक चक थव घर लौटना चाहत थ इसी चाह म अ धकतर बीमार रहत थ भारत म एक राजा को हरानपर आग सरा श शाली राजा उनक माग म आ जाता था इसका कोई अत ही नह आरहा था मगध सा ा य तक प चत-प चत व बदम हो चक थ मगध क वशाल सना सभी उ ह नपटना बाक था

सकदर वय बीमार हो चला था उसन अपन दश लौटन का फसला कर लयाउसक लौट जात ही कई मख यनानी ॉप व ोह म मार गए कई भारतीय ॉप न वयको वत घो षत कर दया कई आपस म ही लड़न लग फर समाचार आया क बबीलोनम बीमार पड़ जान स सकदर क म य हो चक ह इसक साथ ही ॉप शासन का अत होगया

ॉप क इन लड़ाइय म च ग त व उनक सा थय न खब मारकाट मचाई इसीघटना म म उ ह न अपनी सना भी खड़ी कर ली च ग त न अपनी जोड़-तोड़ कराजनी त का भी इन य म भरपर उपयोग कया

कटनी त चाण यअब समय आ गया था जब च ग त व चाण य को अपना असली य मगध

सा ा य पर अ धकार करन व महानद को न करन क लए लड़ना था च ग त न मगध कयवा तथा असत त व को अपनी ओर मला लया था य म टट कर ब त स स नकजो लावा रस होकर घम रह थ व भी च ग त क सना म आ मल थ

च ग त क सना न मगध क म य भाग स अपना य आरभ कया परत उ ह बार-बार हार का मह दखना पड़ा मगध क सना वशाल थी सग ठत थी तथा उ ह अमा य जसयो य म ी का नत व ा त था ॉप य म अ जत अनभव व कौशल यहा मगध क सनाक व कछ काम नह आ रहा था चाण य तथा च ग त को फर स अपनी य नी तपर वचार करना पड़ा

न कष यह नकला क रा य क म य स य लड़ना उनक भारी भल थी वह शरको उसक माद म जाकर ललकारन जसी मखता थी पाट लप क सर ा ब त मजबतथी नगर ग क भीतर बसा था ग म वश क लए लगभग 64 ार थ ग क सबसबड़ी सर ा व था ग क चार ओर खद खाई थी जसम पानी भरा रहता था ऐसाबताया जाता ह क खाई लगभग 300 हाथ चौड़ी और चालीस हाथ गहरी थी ग तकप चन क लए अनक पल थ इन पल को चाहन पर ऊपर उठाकर हटाया जा सकता थाजस ही च ग त क सना न ग तक प चन का य न कया पल उठा लए गए थ उसक

सना क पास खाई पार करन का कोई और साधन नह था और स मगध क सना कटक ड़य न आकर उन पर पीछ स आ मण कया था ब त क ठनाई स च ग त तथाचाण य जान बचाकर भाग थ

अब उ ह यह समझ आ गई थी क उ ह आ मण सीमा स आरभ कर राजधानीक ओर बढ़ना चा हए था दोन न जान बचान व फर स सग ठत होन क लए व याचलपवत क साथ-साथ कच कया था व कौशाबी होत ए मायापरी प च फर वहा सशवा लक पवतमाला क साथ-साथ चलत ए हण रा य म आ नकल हण रा य मगधसा ा य क सीमा क साथ लगा दश था अब व मगध सना क पकड़ स बाहर आ गएथ

हण म बड़ी स या म व भ रा य क व स नक जाकर रह रह थ जो सकदर कआ मण म मार खा चक थ उनक मन म सकदर स बदला लन क ब त ती भावनाथी यनानी स नक क नाम स ही व भड़क उठत थ

यह चाण य व च ग त क लए वरदान सा बत ए उ ह न उन स नक को एककर सग ठत कया तथा अपनी नई सना खड़ी कर द सार स नक श त तो थ हीकवल उनक लए आयध जटान पड़ तथा उ ह मान सक प स एक नई सना म ढालना पड़ाता क व च ग त क ल य म ही अपनी उद द य स दख व उसक त तब हो जाए

चाण य व च ग त न अनभव कया क मगध क वशाल सना स लड़न क लएउ ह अभी और अनभव ा त करना होगा सम य नी त तयार करनी होगी नई सनाव नरश को म बनाकर उनका पण सहयोग ा त करना होगा इसक लए उ ह कई यलड़न ह ग व शासक को अपना आभारी बनाना होगा यह सार उ य उ ह यनानी ॉप कव य छड़कर ही ा त हो सकत थ इसस व और का व ास भी जीत सकत थ

भारत छोड़न स पहल सकदर एक और चाल चल गया था पाटन थ उस रा यक राजधानी था जहा सकदर न भारत म अपना अ तम य लड़ा था वजय समारोह मसकदर न अपन सार ॉप तथा आ त भारतीय नरश का स मलन भी बलाया थासमारोह तथा स मलन का सबस बड़ा उद द य यना नय क भारत अ भयान म ा त वजयको थायी बनाना था इसक लए सकदर न एक धत योजना बनाई थी स मलन म आनवाल भारतीय नरश स उसन अपन-अपन स अ धक स अ धक ववाह यो य यव तयालान का आदश दया था इस कार समारोह म लगभग 700-800 यव तया लाई ग औरउनका ववाह उन यनानी स नक स कर दया गया ज ह ॉप रा य क सर ा क लएभारत म ही रहना था

इस कार यनानी खन का भारतीय खन स मलन हो जाता और एक ऐसी पीढ़ पदाहोती जसम भारत-यनानी स क त का सगम होता इसी कार पी ढ़या समय क साथ-साथआग बढ़ती जात और यनानी भाव का भारत म व तार होता जाता

सकदर न अपन सबस यो य सनानी फ लप को वाहीर का ॉप नय कया

उस एक वशाल यनानी सना क साथ भारत म ही रहना था उसक अपनी राजधानी थतस नक छावनी म पचास हजार स नक थ सकदर न ग त प स फ लप को यह भी सकतदया था क उसस जतन अ धक हो सक उसको अ धक यनानी स नक का ववाह भारतीययव तय स करवाना ह

फ लप एक वीर यो ा थापरत वष क नरतर य स वह ऊब चका था और मन थक गया था सकदर क

थान करत ही वह सख ढढ़न लग गया थानीय राजा तो व वलासी थ ही उ ह नफ लप क मह को भी वलासी जीवन का खन चखा दया अब फ लप स नक कम औरभोगी अ धक बन गया उसक सनानायक न भी उसी का अनसरण कर लया खाना पीनाव भोग वलास उनक दनचया बन गया

ककय दश क राजधानी को ही फ लप न अपना क बना रखा था राजा प काराजमहल उसक लए खाली कर दया गया था उसी म फ लप का डरा था राजा प कोयह बात ब त चभती थी आरभ म सकदर न उस जो मान दया था वह धीर-धीर कम होतागया व सकदर क सनानायक व अ धकारी वा मय का सा वहार करन लग थ राजा पभी यना नय स अब चढ़न लगा था वह यना नय को अपन रा य स भगान का अवसरतलाश करन लगा था

महल क साथ ही एक हाट लगता था जहा थानीय लोग तथा ापारी वह सारासामान लात थ ज ह यनानी खरीदत थ हाट म कभी-कभी बकन क लए दास-दा सया भीआती थ एक दन एक दास-दा सय का ापारी आया वह हाट म ब त ही सदर दा सयऔर -प दास का समह लकर आया था

एक यनानी स नक न बढ़ ापारी का माल दखा उस ब त आ य आ उसनबकन क लए आई इतनी सदर यव तया तथा इतन व थ दास पहल कभी नह दख थउसका मन दा सय क प म बचन क लए आई यव तय पर आ गया

उसन बढ़ ापारी स उनक गण व म य पछ उसन एक दासी क ओर सकत कयाऔर बोला क उस वह ठ क दाम पर मल जाए तो ब त दास-दा सय को वह महल मबकवा सकता ह य क महल को कमचा रय क आव यकता ह

बढ़ ापारी न सर हलाकर कहा क पहल वह कछ दा सया महल म बकवा द तोफर उस उसक मनपसद क चीज उपहार म कम दाम पर मलगी

स नक ापारी को लकर महल क अ धका रय को दखान ल चला दा सय काझड व पाच-छह दास भी साथ गए यनानी अ धकारी व सनानायक ॉप फ लप क साथबठ कछ म णा कर रह थ

स नक न जाकर उनस दा सय क बार म बताया सबक नगाह दा सय क झड परपड़ उनक सदरता दख व म ध हो गए

यनानी भाषा म कई अथ ट प णया क ग बढ़ ापारी न वनती क ldquoयनानी स ाटगण य साधारण बालाए नह ह इ ह

गायन न य तथा राजसी प ष का मनोरजन करन क श ा द गई ह य द आ ा हो तोएक न य तत कर इसका माण दगी तब आप वय उसक उपयो गता समझग तथाम याकन करगrdquo

यना नय न एक- सर क ओर दखा फ लप न सर हलाकर अपनी सहम त द दा सय न एक साम हक न य तत कया न य एक वीर रस क गीत पर आधा रत

था दासी बालाए कटार और तलवार लकर न य कर रही थ यनानी म म ध होकर नाचदख रह थ न य क एक वशष ब पर आत ही अक मात कसी न कछ ग त सकत दयाउसक साथ ही न य करती बालाए यना नय पर कटार व तलवार लकर टट पड़ न यागना क ना यका कर भका न पलक झपकत फ लप क सीन म कटार भ ककरउसका काम तमाम कर दया सर अ धकारी भी मार डाल गए दल क साथ भीतर आएदास न महल क भीतर थत अगर क को मार डाला

जो दास बाहर हाट म रह गए थ उ ह न अपन ग त आयध नकाल कर महल कबाहर तनात यनानी स नक को मार डाला अथवा बद बना लया बाद म र योद घाटन

आ दा सया वा तव म श त स नक थ बकन वाल आए दास भी छ वशी स नकथ व सब चन ए लड़ाक थ बढ़ा ापारी और कोई नह छ वश म वय च ग त थ

प क स नक भी इस अ भयान म स म लत थयनानी सना क छावनी म अब तक जो कछ महल म घटा उसका समाचार नह

प चा था स नक घटना म स बखबर आराम कर रह थ अथवा ड़ा आ द काय कलापम त थ अक मात छावनी पर च ग त तथा प क सना न दो ओर स आ मण करदया यनानी बखबर पकड़ गए उ ह ठ क स सभलन का अवसर नह मला पचास हजारस नक म स हजार गाजर-मली क तरह काट डाल गए हजार न आ मसमपण कर दयाया बद बना लए गए अनक सना कमाडर च ग त या प क सना म सवा करन क लएतयार हो गए

ककय एक बार फर वत होकर प का दश बन गया राजा प क सहम त सच ग त तथा चाण य न उनक 40 वष य प पवतक को स ाट घो षत कर दया तथाव धवत सहासन पर बठाया इस उपकार क बदल पवतक न सदा च ग त का साथनभान का वचन दया ॉप फ लप क ह या करन वाली बाला कर भका कठ रा य कराजकमारी थी फ लप न एक य म उसक पता और भाई को मार डाला था उसी कावह तशोध ल रही थी

इस घटना क प ात च ग त तथा कर भका काफ नकट आ गए थ उनक म यम का अकर फटन लगा था

चाण य क नगाह स उनका म छपा न रहा परत उ ह इसम कोई आप नहथी

कर भका का सारा प रवार य क भट चढ़ चका था चाण य न उस अपनी प ीघो षत कर उस मान सक सबल दान कया था

ॉप फ लप स नपटन क बाद चाण य व च ग त न सर यनानी कमाडरय दथमस को चनौती दन का मन बनाया य दथमस सध नद क पार एक बड़ी सना लकरडरा डाल बठा था वह एक कशल यो ा था यह सभावना थी क फ लप क म य कासमाचार पाकर वह फर ककय पर अ धकार करन व यनानी वच व को था पत करनआएगा चाण य न परामश दया क उस सध तट पर ही रोकना होगा वह इस पार आगया तो यनानी समथक फर स सग ठत हो सकत थ और सम याए खड़ी कर सकत थ

कर भका न भी य दथमस क व य भ म म जान का मन बना लया वहच ग त क साथ ही बनी रहना चाहती थी च ग त हण व तक ककय कलट व क मीरक सना का एक वशाल सय दल लकर सध नद क तट पर प चा तट क सरी ओरय दथमस यनानी सना क साथ मोचा सभाल था यना नय क अधीन क प मी गाधारबख या और ह ली रा य क सनाए भी उसक साथ थ

इ तहास म यह प उ लख नह मलता क कस दल न सध नद पार कर सरदल पर आ मण कया आ मण आ और य भी तकसगत मत यही ह क यनानी सनान नद पार क होगी य क उनक पास न दया पार करन क मता थी साधन थ व चरअनभव था यना नय को उनक व वजय अ भयान क कारण यह सब लाभ ा त ए थ

य म च ग त क सना न यनानी सनानायक को मार गरान म सफलता ा तक यह काय सभवतः परी यनानी सना क इस पार आ पान स पहल कया गया होगाय दथमस क म य स यनानी सना का मनोबल चर-चर हो गया व प मी तट क ओर पीछहट गए उनक भारत मल क सना न च ग त क सामन आ मसमपण कर दयाफलहाल अब यनानी हमल का खतरा टल गया था य क समाचार आया क यनानीस नक अपन दश जान क लए लौट रह थ व अथहीन य म और जान नह गवाना चाहतथ

सकदर क पहल ही म य हो चक थीयना नय स नपटन क बाद अब च ग त व चाण य को अपना मल उद द य ा त

करना था और वह मल उद द य था मगध क राजधानी पाट लप पर अ धकार करक नएसा ा य क रचना करना

धनानद का अतइस बीच पाट लप म भी काफ कछ घट चका था परान स ाट का अत हो गया

था व अब वहा नया शासक थाजस क पहल वणन कया जा चका ह क महाप क नौ बट थ धनानद उन सबम

य था महाप क जब एक वषक या न षड य रचकर ह या कर द थी तब महाम ीक सहायता स धनानद मगध क ग पर बठा था

आचाय शकटार महाप क म मडल म म ी थ ब त स इ तहासकार उ ह हीमहाप का महाम ी मानत ह कछ इ तहासकार मानत ह क व कवल एक म ी थ औरमहाम ी धनानद क शासन काल म ही बन पर एक बात सवस मत ह क शकटार एक ब तमह वपण म ी थ जनका स ाट पर अ य धक भाव रहता था मगध सा ा य क कई म ीव दरबारी शकटार क भाव स स नह थ उ ह लोग म स एक थ आचाय व सार जोधनानद क क न ाता सम यानद क ग थ सम यानद को भी धनानद तथा आचायशकटार क जोड़ी पर आप थी वह समझता था क शकटार क कारण ही रा य क

व था खराब हो रही हव सार क प रा स सम यानद क सहपाठ व अतरग म थ व सार को

राजनी त का मजा आ खलाड़ी माना जाता था उनक दाव-पच क कई शसक थउनका प रा स उनस भी बढ़कर धत व यो य था कछ लोग तो यही मानत थ क

व सार क सारी नी तया वा तव म रा स क म त क क ही उपज थ पता-प चाहत थ क सम यानद स ाट बन ता क मगध म उ ह क तती बज पर

सम या थी क धनानद व शकटार का या कया जाए उ ह वस हटाना सभव नह था कछटढ़ चाल चलना आव यक था

र स न अपना दमाग लड़ाना श कया धनानद क कमजोरी उसक कामकताथी तथा उसी का उपयोग कया जा सकता था

महाप भी तो इसी कमजोरी का शकार बना थावसतो सव क अवसर पर राजमहल म वशष समारोह हो रह थ जसम एक अ त

सदर चचल यौवना इधर-उधर इठलाती फर रही थी धनानद क उस पर वाभा वक हीनगाह पड़ गई तथा उसक लार टपकन लगी उस नवयौवना का नाम सभा षणी था औरवह रा स ारा वहा इसी योजन स नय क गई थी क कामक स ाट को ललचाए

योजना सफल हो गई थीस ाट धनानद न ऐस ही काय क लए रख एक व त सवक स कहा क वह उस

नवयौवना स मल करान क जगत भड़ाए इस काय म कोई अड़चन नह थी रा स तोचाहता ही यही था

सभा षणी स मल करान का बध एक वशष क म कया गया उस क काअ छ तरह नरी ण कया गया ता क कोई षड य न रचा जा सक स ाट महाप कह या क बाद महाम ी क आ ा पर ब त सावधानी बरती जान लगी थी सभा षणी को उस

क म भज जान स पव उसक ह ठ क जाच क गई वष क कोई ल ण नह मलवह क म व ई स ाट पहल ही वहा आसन पर वराजमान थ यौवना बाल

ठ क करन क मोहक म ाए बनाती ई स ाट तक प ची उन म ा क दौरान उसन अपनबाल म छपा कर रखी वष बझी सलाइया नकाल ली थ उसन बजली क तजी ससलाइय स स ाट का शरीर कई थान स ब ध डाला

एक चीख क साथ स ाट धनानद ढर हो गए वष अ त घातक था उनक चीखसनत ही र क पहरदार भीतर दौड़ और सभा षणी को उ ह न खन सनी सलाइय क साथआ ामक म ा म मत स ाट क पास खड़ पाया

रा स उस पर टट पड़ और तलवार स उसक टकड़ कर दए गएरा स क योजना सफल हो गई थी उस धत न ऐसा कोई स नह छोड़ा था जो

उसका सबध ह या रनी सभा षणी स जोड़ सक उसका चयन ही इस कारण आ थासभा षणी का प रवार धनानद क अ याचार का शकार होकर न हो चका था

सभा षणी क जीवन का यय अब कवल धनानद स तशोध लना रह गया था और वहतशोध रा स क सहायता स परा आ पर उस कभी यह ात नह आ क रा स उस

अपनी कठपतली बनाकर अपना हत साध रहा था इसी का नाम तो कटनी त हधनानद क म य क प ात वाभा वक प स सम यानद स ाट क गद द पर बठ

उनक ग व सार को तो महाम ी बनना ही था आचाय शकटार को स ाट क सर ा मअसफल रहन क अपराध म कारागार म डाल दया गया

अब मगध म आचाय व सार क तती बोलन लगी पर परद क पीछ वा त वकशासक रा स ही था ग वही कछ करत जो उनका बटा रा स उ ह करन क लए कहता

रा स मलतः यो य ब मान व द योजनाकार था इस लए सम यानद कआर भक शासन काल म कई अ छ काय भी ए मगध क आ थक थ त सधरी जा भीसखी ई पर फर वलासी खन रग लाया सब बटाधार हो गया

सम यानद भी अपन भाई और पता क समान ही नकला कछ समय सीधीचाल चलन क बाद वह भी टड़ी चाल चलन लगा जीवन तथा वला सता म वह परीतरह डब गया शासन का एक बड़ा भाग उसक वला सत क माग परी करन म लग गयाशासन फर भावहीन हो गया अ याचार बढ़न लग

आचाय व सार भी वलासी सम यानद क हठ ब क आग लाचार हो गएरा स न हताशा म अपना माथा पीट लया

मगध का यइस बार चाण य तथा च ग त न अपनी य नी त बदल द थी उ ह न सीमा पर

आ मण कया तथा सीमावत को वत कया इसी तरह पर पर वजय ा तकरत ए व राजधानी तक प चना चाहत थ च ग त न य क कमान सभाली तो चाण यन कटनी तक दा य व सभाला चाण य न अपन त ारा जनता म वलासी व नदस ाट क व चार कराया तथा लोग क सहानभ त जीतन का य न कया इसकासकारा मक भाव भी पड़ा तथा यवावग का एक बड़ा भाग च ग त का समथक हो गया वउसक सना म स म लत भी हो गए कई सीमावत जल सरलता स जीत लए गए औरच ग त क सना आग कच कर गई

इस बार च ग त क सना वशाल थी प मी अ भयान म बन म व सहयोगीसना समत उनक साथ थ

उनम म य प क बट पवतक भी थरा स न च ग त ारा कए आ मण क बार म सना तो तरत तकार करन क

योजना म जट गया उसक ब ती थी व उसक पास आ ाकारी तथा व सनीयअनया यय का श शाली दल था उसन मगध सा ा य म यो य ग तचर का जाल भीबछा रखा था शी ही उसन च ग त क श स य रचना तथा सगठन का आकलनग तचर ारा द सचना क आधार पर कर लया

रा स न अपन वशष ग तचर द त को पवतक क स नक श वर म घसपठ करायाग तचर म काट साफ करन वाल भी थ व पवतक क ह या करन म सफल हो गए बाक

चारक ग तचर न ककय स नक श वर म यह अफवाह फला द क च ग त क मागदशकचाण य न ही पवतक क ह या करवाई ह य क वह अपन श य च ग त को मगधसा ा य अथात भारत का स ाट हर म य पर बनाना चाहत थ पवतक को हटाना उ हइस लए आव यक लगा य क वह स ाट पद का च ग त स अ धक वध दावदार था वहस ाट प अथवा पोरस का बटा था

दलील ब त श शाली थी उस आसानी स काटना सभव नह था चाण य को भीमानना पड़ा क उनका पाला एक चतर म त क स पड़ा ह

ककय स नक खम म रोष छा गया च ग त क व व ोह क बात होन लग चाण य न स नक को समझान व ठडा करन का हर सभव य न कया

पवतक क बट मलयकत को ककय का नया स ाट घो षत कर दया गया ककयस नक क सामन ही उसका राज तलक कया गया स नक का रोष कछ ठडा पड़ामलयकत श क चाल समझ चका था

उसन अपन स नक को श क चाल का खलासा कर व ोह समा त कर दयाइस बार च ग त एक और भल कर गया था व व उनक सनाए दश म करा कर

आग बढ़त जा रह थ और व जत दश खाली छोड़त जा रह थ उनक जान क बाद मगधसा ा य क वफादार त व फर सग ठत हो जात और च ग त क आग बढ़ती सना पर पीछ

स घातक हमला करत चाण य को पता लगा क नद सा ा य क त लोग का मोह अभीपरी तरह भग नह आ था रा स न शासन म भावी सधार कए थ तथा आ थकनी तया अपनाई थ जनस जा को काफ राहत मली थी जनता रा स क भावहीन होजान क बावजद उसका अब तक स मान करती थी

चाण य को यह जानकर स ता ही ई क मगध म कोई तो ह जो जा कसोचता ह और कछ करन का य न करता ह

चाण य न च ग त स वजय अ भयान का पन नयोजन करवाया अब व व जतदश को खाली नह छोड़त थ व अपनी स नक टक ड़या एक यो य सनानायक क अधीन

छोड़ जात थ सनानायक नाग रक शासन का जानकार भी होता था उसका दा य वशासन को अपन भाव म लाकर च ग त का वच व था पत करना होता था साथ ही

उस यह दखना था क मगध क नद सा ा य क हतषी त व सग ठत न होन पाए और मगधक टट स नक को अपनी सना म थान द उ ह लावा रस न छोड़

यह नई नी त ब त सफल रही व जत म च ग त का शासन जड़ जमान मसफल हो गया तथा पीछ स आ मण क कोई सभावना शष नह रही

अब च ग त क सना न त होकर पाट लप क ओर अ भयान जारी रख सकऔर वहा प चन म सफल हो गई इस अ भयान म थान- थान पर मगध सना को पराजयका सामना करना पड़ा वह त- व त होती जा रही थी इस बीच चाण य का नद शासनक व चार अ भयान भी जारी रहा इसस आम जनता क सहानभ त भी च ग त कप म होती जा रही थी

पाट लप क ग क चार ओर क सर ा खाई म पानी शोण नद स जाता थाचाण य क परामश व सर स य वशष क मतानसार च ग त न शोण नद पर प थर वमट ट स बाध बनवाकर नद क पानी का बहाव कवा दया व पानी सरी दशा म बहनलगा

खाई म पानी का तर घटता गया फर इतना कम हो गया क ग क ार क सामनक खाई को मट ट ारा पाटकर आन-जान क लए पट टय का नमाण सभव हो पायापट टया इतनी ठोस थ क उन पर स हाथी भी कल तक जा सकत थ खाई पार करच ग त क सना न ग क ार को तोड़ डाला व भीतर व हो गई

मगध क नद क बची-खची सना ग क भीतर अ तम र ा प क प म तनातथी पर वह च ग त क वजयी सना क वाह क सामन कतनी दर टकती

ग पर शी ही च ग त क पताका फहराई गईस ाट सम यानद को बद बना लया गया आचाय शकटार को कारागार स म

मली उ ह न आचाय च ग त का आभार कट कयाच ग त उस अधकप म गए जहा उनक पतामह सयवन क बद होन क बात वष

स कही जाती रही थी वहा उ ह कवल एक नरककाल मला च ग त न उस नरककाल कचरण भावनावश छए और उसक व धवत दाह-स कार क या पण करवाई

उधर चाण य न सम यानद तथा उसक बाक जी वत ाता को म यदड कघोषणा करवाई व श का समल नाश करवान म व ास रखत थ साप को अधमराछोड़ना कोई ब मानी का ल ण नह ह आचाय व सार तथा उनका प रा स हाथ नहआए

च ग त क सना क पाट लप प चन स पहल ही दोन पलायन कर भ मगत हो गएथ इसस चाण य कछ नराश ए

व एक बार रा स स भट करना चाहत थसार काय सप होन क प ात च ग त मौय क मगध सा ा य क स ाट क प म

राज तलक क तया रया आरभ राजकमारी कर भका मगध स ाट क महारानी बननक सपन दखन लगी

इसस पहल च ग त मौय का राज तलक हो पाता एक गभीर समाचार पाट लपवा सय को मला इसस च ग त व चाण य च तत हो उठ

राज तलक समारोह थ गत करना पड़ासमाचार यह था क यनान स एक और स ाट जो सकदर क भा त ही शरवीर था

एक वशाल सना लकर पनः भारत वजय क अ भयान पर नकल पड़ा था और वह सारसा ा य पर वजय ा त करता आ ह कश पवत पार कर रहा था

च ग त क लए स ाट क ग पर बठन स पहल इस नई सम या का समाधानकरना आव यक था

सकदर क म य क बाद यनान म उसक उ रा धका रय म कलह फट गई थीसकदर क सा ा य क पाच टकड़ हो गए थ परत उन पाच टकड़ म एक ब त श शालीथा वा तव म वही सकदर क महानता व परपरा का वा रस था वहा क स ाट का नाम थास यकस जो सकदर क भा त शरवीर और बलशाली था वह भी व वजय अ भयान परनकल पड़ा वह भारत भ म को अपन पवज सकदर क वरासत मानकर दोबारा उस परयनानी झडा फहराना चाहता था

च ग त तथा चाण य क लए चता का वषय यह था क वदशी आ ाता हर बारनए य आयध तथा नई य प तय लकर आत थ जसका भारतीय शासक क पासकोई उ र नह होता था

चाण य न कहा क उ ह हर अव था म पहल स यकस स नपटना होगा वरनाउनक अब तक क सफलताए अथहीन हो जाएगी

च ग त फर अपनी सारी सना लकर स यकस का सामना करन चल पड़ा यनानी

आ ाता को भारत भ म म पठ बनान दना खतर स खाली नह था योजना उस सीमा पर हीट कर दन क थी कई स ताह क या ा क बाद च ग त क सना सध तट क नकटप ची

स यकस सध नद क पव तट तक प च गया था उसक साथ एक वशाल सनाथी दोन सना म य छड़ गया य कई दन चला पलड़ा बार-बार बदलता रहा अतम च ग त क सना यनानी सना पर भारी पड़न लगी य प यनानी सना अ धक आध नकह थयार स लस थी उसक उ र म च ग त क पास सना क स या अ धक थी

अत म स यकस को बद बना लया गयाअब यह था क आग या कया जाए य क इस य क कई पहल थ

स यकस को परा जत करना सम या का अ तम हल नह था भारतीय नरश तथा व ानक एक सभा बलाई गई जसम चाण य न अपन वचार रख उनका कहना थाmdash

lsquoयनान व भारत क सम या ब त उलझ गई ह सकदर क आ मण यवन क वषभारत म रहन तथा दोन भभाग क स क तय क मलाप स नई थ त उ प हो गई हयनानी भावना मक प स भारत स जड़ गए ह और हमार भ-भाग को अपना अग समझनलग ह यह बात नी तगत प स कतनी भी अन चत व असगत हो पर एक ठोस त य बनगया ह सकदर क ॉप को हमन समा त कर दया तो अब स यकस आया ह

य द हम स यकस को बद बनाकर रखत ह अथवा म यदड दत ह तो स यकस काउ रा धकारी तशोध लन या भारत भ म को फर व जत करन क लए आएगा इसकाकोई अत नह होगा हमार दश क नरश क सर पर यवन आ मण का खतरा सदा तलवारक भा त लटकता रहगा

हमार दश म कोई सा ा य थर नह हो पाएगा उसका सारा अ त व यवन खतरस नपटन म ही चक जाएगा कस हम सचा शासन व था था पत कर पाएग व आ थकउ त कर पाएग य द हमारी सारी श यवन आ मण क तरोध म लगी रहगी

हम इस सम या का कोई थायी हल खोजना पड़गा ता क हम आ मण क भय सम हो जाएrsquo

चाण य का कथन सही था सभी नरश तथा राजनी तक व ान पणतः सहमत थपर वह थायी हल या हो सकता था

ब त वचार मथन क प ात न कष यह नकाला गया क म ी सबध था पत कएजाए म ी सबध कसी ऐस ठोस आधार पर ह जसस य क सभावना ही समा त होजाए

इसका पाठ यना नय स ही लया गयाकसी न सझाया क ववाह सबध म ी का सबस ठोस आधार होता ह स यकस

क बट हलना अपन पता क साथ अ भयान म आई थी वह यवा थी और सदर भी य द

उसका ववाह च ग त मौय स हो जाए तो भारत व यनान एक प व सबध म बध जाएगफर श ता का ही नह उठगा

चाण य को यह सझाव ब त उ चत व ब म ापण लगा चाण य न सझावच ग त मौय क सामन रखा परत वह उलझन म पड़ गया

वह कर भका को या उ र दगाचाण य न कहा क दश हत गत वाथ स ऊपर होना चा हए भावी स ाट

को इतना ब लदान दन म सकोच नह करना चा हएववाह का ताव स यकस क सामन रखा गया उसन यह सबध सहष वीकार

कर लयाचाण य न सारी प र थ त कर भका क सामन रखी कर भका वदश हत क लए

अपन म का ब लदान दन क लए तयार हो गईअब सारी बाधाए र हो गई थ च ग त मौय तथा हलना का ववाह धमधाम स सप हो गया ववाह क बाद

च ग त मौय का रा या भषक आ रा या भषक समारोह तक स यकस भारत म ही रहउनक प ी भारत क सवा धक वशाल सा ा य मगध क महारानी बन गई

दोन प क म य दशक स चला आ रहा सघष तथा टकराव का इ तहास समा तहो गया नरम मधर सबध का एक नया अ याय आरभ हो गया था दोन जा तय क लएयह एक सखद अनभव था

स ाट च ग त मौय न वाभा वक प स अपन ग चाण य को धानम ी का पदसभालन का अन ह कया उ ह अपन ग स अ धक व त व कशल राजनी तक औरकहा मलता

चाण य न धानम ी बनना वीकार कया अब व अपनी सारी स वधान सचा लतराजशाही तथा अथत व नाग रक नयमावली क प रक पनाए ावहा रक प म लागकर सकत थ

अपन सवागीण स वधान को लाग करन क अलावा चाण य न मगध सा ा य कव तार क लए अपनी कटनी त का खला योग कया पड़ोसी रा य को मगध कअधीनता वीकार करन क लए उ ह बा धत कया गया जो नह झक उ ह या तो स नकअ भयान म न कया गया या व ोह करवाकर हरा दया गया सभी रा य को मगधसा ा य का अग बनाया गया और एक वशाल सावभौम सा ा य उभरकर सामन आ गयाजसका व तार ईरान क याकमारी म य ए शया त बत व पव म आज क वयतनाम-थाईलड तक था और उसक एकछ स ाट थ च ग त मौय चाण य क श य

अब चाण य अपन स वधान व अथत को ल खत प म एक शा क प म

ढालना चाहत थ अब तक व प रक पना प म अ ल खत था शासन क समयकाल म जोअनभव ए तथा प रक पना म अ ावहा रक सदभ को सशो धत करना भी आव यकथा व सवागीण अथशा लखना चाहत थ जो और क लए एक नी त थ बन उसकलए समय चा हए था स ाट च ग त उ ह समय नह द सकत थ य क धानम ी क

प म उनका पणका लक शासक बन रहना सा ा य क लए आव यक थातो इसका हल या था

नी त चाण यचाण य भी जानत थ क स ाट च ग त क सर ा क लए भी उनका धानम ी

पद पर बन रहना आव यक था च ग त क जान लन क कई यास कए गए थ परतचाण य क कड़ी सर ा व था क कारण वह यास वफल रह

ह या क यास अ धकतर रा स ारा कए गए थ वह कह ग त थान पर जाकरथा पत हो गया था तथा कछ अपन परान स नक को सग ठत करन म सफल हो गया था

कह स वह आ मघाती द त भज कर चाण य क लए सम याए पदा कर रहा था वह यो यथा अ छा योजनाकार था तथा अपन भतपव वामी सम यानद का अब भी वफादार थातथा अपना कत नभा रहा था

एक दन ग तचर न चाण य को बताया क रा स अपनी प नी तथा ब च कोसाथ नह ल जा पाया था उसक प नी व ब च उसक एक व त साथी चदनदास कसर ण म छोड़ दए गए थ

व अब भी उसी म क पास थअब चाण य क हाथ म त प का प ा आ गया था उ ह न चदनदास को बद बना

लया तथा रा स क बीवी-ब च को अपन क ज म कर लयाचदनदास को म यदड क घोषणा क गई उस पर स ाट क व श क साथ-

साथ दश ोह करन का अ भयोग लगाया गया था म यदड क घोषणा का रा य भर म खबचार कया गया

रा स अपन स ात का ब त प का था उस यह कस गवारा होता क उसककारण उसक घ न म क जान जाए उस बचान क लए वह कछ भी कर सकता था

इस त य को चाण य जानत थम यदड दए जान क दन स काफ पहल ही रा स न आ मसमपण कर दया और

वनती क क उसक म चदनदास को छोड़ दया जाए य क वह नद ष था रा स नसार इ जाम अपन सर पर ल लए

रा स को चाण य क सामन लाया गया

चाण य न पछा ldquo या तम सचमच अपन म क जान बचाना चाहत होrdquoरा स न उ र दया ldquoहा उसक लए म कछ भी कर सकता उस दया गया म य

दड म भगतन क लए तयार वा तव म ही मर त म ता नभान क अ त र चदनदासन कोई अपराध नह कया हrdquo

चाण य म कराए ldquoरा स हम त हार म को तथा त हार प रवार को मादान दसकत ह य द तम मरी शत मान लोrdquo

ldquoशत म तो म यदड क लए भी तयार rdquoldquoम त हार ाण नह माग रहा rdquo चाण य बोलरा स न च ककर चाण य क ओर दखा या चाण य न म यदड स भी कठोर दड

सोच रखा था उसक लए यातनाए ldquo फरrdquo रा स न कयाldquoम तो चाहता क तम मगध सा ा य क धानम ी पद का काय-भार सभालो

हम त हारी यो यता तथा न ा क आव यकता ह जो वफादारी तमन राजा सम यानद कत दखाई अब वही त ह स ाट च ग त मौय क त दखानी होगीrdquo चाण य न अपनाताव रखा

चाण य क बात पर र स अवाक रह गया भला उस यह उ रदा य व वीकारकरन म या आप हो सकती थी

इसक प ात रा स न मगध सा ा य क धानम ी का कायभार सभाला चाण यवय एक म ी बन गए

वा तव म चाण य रा स क यो यता का ब त आदर करत थ और उसक न ा कत आ त थ क उ रदा य व सभालन क बाद वह च ग त मौय का स चा हतषी बन

जाएगाअब चाण य क पास अपन सार शा लखन का समय मल गया और इसी काल

म उ ह न अपन च चत थ लख डाल

सकट त चाण यउस काल म जहर दकर मारना ह या का सबस अ धक च लत साधन था राज

प रवार म एक- सर का प ा साफ करन क लए वष का ही योग कया जाता थाशासक को सबस अ धक खतरा वष दए जान का ही होता था य क राजा अथवा स ाट

ारा खाए जान वाल हर भोजन क जाच लगभग असभव होती थी चाण य को भी यहीडर लगा रहता था क कोई च ग त को वष न द द

उ ह न इसका एक उपाय सोच लया और शाही भोजनालय क म य बावच कोव ास म लकर स ाट को उ ह बताए बना त दन खान म वष क अ प मा ा दन का

बध कर दयातब यह व ास कया जाता था क रोज कसी को थोड़ा-थोड़ा वष दया

जाए तो उसक शरीर म वष नरोधक श पदा हो जाती ह और फर चाण य वय भीकछ जड़ी-बट व दवा क च क सा का ान रखत थ

इसी बीच एक बार स ाट च ग त क महारानी न स ाट क थाली म स कछ खानालकर खाया उन पर वष का भाव आ और वह मर गई उस समय वह गभवती थी और

स तकाल क काफ नकट थी

इस घटना स चाण य ह भ रह गएउ ह न मत महारानी का पट चीर कर उनक गभाशय स ब चा नकालन का राजव

को आदश दया य द सभव आ तो वह ब च को बचाना चाहत थ पट व गभाशय चीर करब चा नकाला गया चम कार यह आ क ब चा जी वत नकला चीर-फाड़ क दौरानब च क शरीर पर ब क आकार का एक गड ढा पड़ गया

उस दख चाण य न उसका नाम ही lsquo ब सारrsquo रख दयाब सार जब यवाव था म प च तो स ाट च ग त न वान थ आ म म जान का

मन बना लया रा स क म य हो चक थी च ग त न राजपाट अपन बट ब सार को स पदया व वय एक जन सत क साथ कनाटक म ावण बलागोला नामक थान पर रहन कलए चल गए कछ समय क बाद च ग त न जन परपरा का पालन करत ए भोजन पानीयाग दया व नवाण को ा त ए

इधर ब सार न शासन भार सभाला तथा कछ नए म ी नय कए चाण य एकम ी क पद पर बन रह

नए म ी चाण य स जलत थ उनका खयाल था क चाण य मगध सा ा य कावय को नमाता समझकर बड़ पतामह क तरह वहार करत ह तथा नए म य क

यो यता को सदा कम करक आकत हसबध नामक एक म ी तो चाण य स ब त चढ़त थ स ाट ब सार तो चाण य

का वाभा वक आदर करत ही थ य क व ही उनक पता क मागदशक रह थएक दन सबध न स ाट क कान म जहर घोल दया क चाण य न ही उनक माता

को वष दकर मारा था ब सार न अपनी माता क परानी प रचा रका को बलवाया औरपछताछ क उ ह सबध पहल ही खरीद चका था

प रचा रका न सबध क दाव का समथन कया इसस स ाट ब त ो धत एस ाट क ो धत होन का समाचार सनकर चाण य को अ यत ोभ आ मगध

सा ा य क नमाता को अपन जीवन क अ तम पड़ाव पर एक खनी होन का लाछन घोरअपमान लगा

उ ह सार ससार स वर होन लग गई चाण य न खी होकर अपनी सारी सपगरीब म बाट द या अनाथालय तथा धा मक स थान को दान कर द

इसक प ात उ ह न उपल और लक ड़या मगवाकर चता बनवाई और उस परआमरण अनशन पर बठ गए

इधर महल क एक परान सवक न स ाट ब सार को उनक माता क म य कास चा हाल सनाया और यह भी राज खोला क कस चाण य क आदश पर मत महारानी कापट चीर कर ब सार को बचाया था स चाई जानकर स ाट सकत म आ गए

उ ह सबध क ता पर ब त ोध आयासबध को बलाकर खब फटकारा गया और आदश दया गया क वह जाकर चाण य

स मा याचना कर व उनका अनशन तड़वाए वरना उस म यदड दया जाएगासबध दौड़ा-दौड़ा चाण य क पास प चा जो चता पर बठ थ उसन चाण य स

गड़ गड़ाकर मादान मागा ल कन चाण य नह पसीज उ ह न म ी को वहा स चलजान क लए कहा

म ी सबध लौटकर स ाट क पास गया और चाण य क हठ क बात सनाई स ाटन एक बार फर म ी को लताड़ा और कसी भी तरह चाण य को मनान का आदश दया

इस बार म ी न रो-रो कर मा मागी उसक दशा दखकर चाण य को दया आ गईऔर उ ह न मा दान दकर बात समा त क इस पर सबध न घोषणा क क चाण य कोसमारोहपवक चता पर स उतारा जाएगा

यह सब उसक चाल थी वा तव म उसका दल साफ नह था उस चाण य ककारण नीचा दखना पड़ा गड़ गड़ाना पड़ा

इस कारण वह चाण य स पहल स भी अ धक घणा करन लगा थासमारोह क या म उसन कछ ऐसा बध कया क चता म रख उपल सलग

गए लोग व चाण य यही समझत रह क धआ धप-अगरब ी का ह तभी हवा चली औरसारी चता एकदम भभक उठ चाण य लपट म घर गए और दखत ही दखत उनककाया राख क ढरी म बदल गई

इस कार भारतीय इ तहास का महान कटनी त तथा स वधान व अथशा ी घणाव ई या क आग क आ त बन गया

आदमी क ह या क जा सकती ह परत वचार क नह वचारधारा अमर हचाण य अपनी नी तय और शा ारा सदा भारतीय का मागदशन करत रहग

चाण य नी त क बढ़ती लोक यता इसका जीता-जागता माण ह

चाण य क शाच ग त को स ाट क प म था पत करन क बाद चाण य अपन राजनी त एव

अथ व था सबधी वचार को थ प म ढालना (रचना) चाहत थ जसस आन वालीपीढ़ लाभा वत हो सक ल कन धानम ी पद एव च ग त क सर ा का उ रदा य वउनक आड़ आ रहा था अनायास ही जब रा स ारा धानम ी पद का दा य व हण करलया गया तो व इस ओर स न त हो गए अब उनक पास पया त समय था और उ ह नअपनी वष क मह वाका ा को प तक ( थ) प म ढालना श कर दया

अथशाचाण य का अथशा 15 खड म लखा एक वहद थ ह जसम 180 अ याय

तथा 150 भाग ह इस अथशा म एक राजशाही का परा स वधान ह जसम राजा ककत म मडल शासन व था का परा च ण ह आ थक व था क परी परखा हअथ त क अ धका रय व कर वसली क वशद ा या ह इस भाग म खनन धात र न उपर न ख नज सपदा खनन व था तथा धात क उ ोग का भी वणन ह दखाजाए तो यह शायद व का थम राजनी तक स वधान तथा अथ व था का व ध- वधानह

चाण य नी तचाण य नी त उनक ारा लखी सवा धक लोक य व पढ़ जान वाली रचना ह

इसम उ ह न सभी शा का सार जीवन क म य स क प म स कत दोह व चौपाइयक शली म तत कए ह इस पढ़कर एक आम आदमी जीवन म सफलता उ चत व

अन चत न तक या अन तक धम या अधम ब मानी या मखता लाभदायक याहा नकारक अ छा या बरा उपयोगी या अनपयोगी क पहचान कर सकता ह इन स मचाण य न श ा पर ब त जोर दया ह व कहत ह क श ा म ही का असली उ ारह प तक म कछ पवा ह य बात भी ह जो शायद आध नक जगत क कसौट पर खरी नउतर पर आम तौर पर स ब त तकसगत ह

पचत कथाएब त स इ तहासकार का मत ह क व स पचत क कथाए आचाय

चाण य न ही व णग त नाम स लखी थ दत कथा ह क एक राजा क चार बट थ बड़शरारती व नक म श ा ा त करन म उ ह कोई च नह थी कई अ यापक न उ हपढ़ाना चाहा पर व वय राजकमार क कारनाम स आत कत होकर सर पर पर रख भागनकल

राजा न पर कार क घोषणा क क जो व ान उनक चार चकन घड़ पर अ लका पानी चढ़ा दगा उस व बड़ा पर कार दग

चनौती वीकार कर व णग त सामन आए पर उ ह न पहल ही साफ बता दया कवह धन क लोभी नह ह व यह काय कवल इस लए कर रह ह ता क राजकमार क कपालक अदर पड़ प थर स जनता ल लहान न हो जाए

उ ह न श ा का एक नया ही उपाय आजमाया राजकमार को व कहा नया सनातजनक पा पश-प ी पड़-पौध व क ट-पतग होत कहा नय म चतराई सझबझ नी ततथा न तक म य स भर सदश होत

उ ह कहा नय को सन-सन कर राजकमार ानवान व नी तवान बन गएइ ह चम कारी कहा नय को पचत शीषक स जाना जाता ह यह कहा नया

सबको इतनी भाय क व क सारी भाषा म इनका अनवाद हो गया और यह व बालसा ह य खजान क अनमोल मोती बन गए

य द सचमच व णग त चाण य ही थ तो मानना होगा क चाण य क प म भारतम एक ऐस ब आयामी पदा ए जनका हर आयाम अद भत था व उनक रचनाशअ तीय थी

  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराइट पषठ
  • परकाशकीय
  • अनकरम
  • चाणकय नीति
  • परसतावना
  • अथ परथमोऽधयायः
  • अथ दवितीयोऽधयायः
  • अथ ततीयोऽधयायः
  • अथ चतरथोऽधयायः
  • अथ पचमोऽधयायः
  • अथ षषठोऽधयायः
  • अथ सपतमोऽधयायः
  • अथ अषटमोऽधयायः
  • अथ नवमोऽधयायः
  • अथ दशमोऽधयायः
  • अथ एकादशोऽधयायः
  • अथ दवादशोऽधयायः
  • अथ तरयोदशोऽधयायः
  • अथ चतरदशोऽधयायः
  • अथ पचदशोऽधयायः
  • अथ षोडशोऽधयायः
  • अथ सपतदशोऽधयायः
  • चाणकय सतर
  • चाणकय जीवन गाथा
    • विदयारथी चाणकय
    • विशलषक चाणकय
    • पराधयापक चाणकय
    • आभिक की कथा
    • पर (पोरस) क साथ यदध
    • अपमानित चाणकय
    • परतिशोधक चाणकय
    • नदो की कहानी
    • योजनाकार चाणकय
    • कटनीतिजञ चाणकय
    • धनानद का अत
    • मगध का यदध
    • नीतिजञ चाणकय
    • सकटगरसत चाणकय
      • चाणकय क शासतर
        • अरथशासतर
        • चाणकय नीति
        • पचततर कथाए
Page 2: कह ± ¡का, न कह ± झुका। · 2020. 5. 2. · काशक eय नी 1त का शा 6Íदक अथµहै—जो आगेलेजाए। इस

कह का न कह झका

तदह स व या म लोकाना हतका ययायन व ानमा ण सव व प त

ldquoम लोग क भलाई क इ छा स (राजनी तक) उन गढ़ रह य का वणन कर रहा ज हजान लन मा स मन य सव हो जाता हअथात और कछ जानना उसक लए शष नहरह जाताrdquo

सपण चाण य नी त चाण य सऔर जीवन-गाथा

व स कटनी त अथशा ी तथा श क का नी त ान तथा जीवनव

ा याकारव म शमा

सपादनmdashसवधनकाका ह रओ३म

वदाताचाय (शाव) एमए (मनो व ान)

मनोज प लकश स

copy सवा धकार काशकाधीन

काशक मनोज प लकश स

761 मन रोड बराड़ीद ली-110084फोन 27611116 27611349 फ स 27611546मोबाइल 9868112194ईमल inhomanojpublicationscom(For online shopping please visit our website)वबसाइट wwwmanojpublicationscom

शो म मनोज प लकश स1583-84 दरीबा कला चादनी चौक द ली-110006फोन 23262174 23268216 मोबाइल 9818753569

भारतीय कॉपीराइट ए ट क अतगत इस प तक क साम ी तथा रखा च कअ धकार lsquoमनोज प लकश स 761 मन रोड बराड़ी द ली-84rsquo क पाससर त ह इस लए कोई भी स जन इस प तक का नाम टाइटल- डजाइनअदर का मटर व च आ द आ शक या पण प स तोड़-मरोड़कर एव कसीभी भाषा म छापन व का शत करन का साहस न कर अ यथा काननी तौर परहज-खच व हा न क ज मदार व वय ह गकसी भी कार क वाद- ववाद का याय द ली ही रहगा

ISBN 978-81-310-1774-6

थम स करण 2013सपण चाण य नी त चाण य स और जीवन-गाथा व म शमा

काशक यनी त का शा दक अथ हmdashजो आग ल जाए इस कार अपन ल य को ा त

करन क लए जो नयम या स ात नधा रत कए जात ह वह भी नी त श द म समा हतह lsquoस व थाrsquo भी नी त का अथ ह इसक सदभ गत सामा जक और राजनी तकअलग-अलग या कल मलाकर सब एक साथ भी हो सकत ह इस तरह lsquoनी तrsquo का इ तहासय द दख तो इसक अ त व को मानव स यता क वकास क साथ ही वीकार करनापड़गा अपन अपनी जा त और अपन अ त व को बनाए रखन और वक सत करनक प म इस समची क त और इसक सभी ा णय म भी दखा जा सकता ह

नी त शा क आचाय क वस तो ब त लबी परपरा ह ल कन श ाचाय आचायबह प त महा मा व र और आचाय चाण य इनम मख ह आचाय चाण य न ोकऔर स दोन प म नी त शा का ा यान कया ह अपन थ क ारभ म ही वअपन पववत आचाय को नमन करत ए प कर दत ह क वो कछ नया नह बता रह हव उ ह स ात का तपादन कर रह ह ज ह वरासत म उ ह न ा त कया ह और जोबदलत प रवश म भी अ यत ावहा रक ह आचाय य क राजनी त और अथशा कश क ह इस लए व जानत ह श ा क वा त वकता को वो जानत ह क प तक परअनभव हावी आ करता ह और यह भी क थ का नमाण अनभव का ही सकलन औरस ह ह इस लए इन रचना क त कतापन का अ भमान कसा

आचाय चाण य का जीवन पढ़न स प हो जाता ह क स य क समझ रखना हीपया त नह ह ज री ह क अ याय क व सघष भी कया जाए तट थ रहना साहसीऔर परा मी का वभाव नह होता लोग का मानना ह क स जन कावभाव क टलता क यो य नह होता उसक लए तो क टलता का नाटक कर पाना भी

सभव नह ह ल कन चाण य न स कर दया क अपन वभाव को बनाए रखत एअथात भीतर स स जन बन रहत ए भी को उ ह क भाषा म जवाब दया जा सकताह ीक ण और ीराम जस महान प ष इसका उदाहरण ह हा इसक लए मन को वशष

कार स श त करना पड़ता ह ीक ण न धम य म भी lsquoअधमrsquo का योग कयाधमराज य ध र को भी झठ बोलन क लए बा धत कया य इस लए क lsquoशठ सशठताrsquo का वहार करना चा हए ऐसा करत समय वचारणीय यह ह क वह वहार या

त या वाथ क लए क जा रही ह या क उसम जन हत क भावना समा हत ह का वनाश होना ही चा हए भल ही साधन कोई भी हो अनास भाव स कया गया कमपाप-प य क सीमा स पर होता हmdashऐसा दाश नक स ात ह भगवान ीक ण न गीता मअजन को यही उपदश दया ह

उपरो स य को समझन क लए मह ष व ा म क वो नदश अ यत मह वपणह जो उ ह न स ा म म वश करन स पहल राम को दए थ उ ह न कहा था ldquoरामसावधान हो जाओ अब घोर जगल ारभ हो चका ह यहा सतक रहना इस लए आव यकह क रा स कसी भी समय छपकर घात कर सकत ह और इनक वा मनी ताड़का बनाकसी श क हमार माग को रोक कर कभी भी खड़ी हो सकती ह तब तम ब हचकउसका सहार कर दना अनाय स य करत समय आय नयम का पालन करना वप मडाल सकता ह ब मान को चा हए क वप को आन ही न दrdquo व ा म क बात सहीथी रा स को धनष-बाणधारी य कमार क आन का समाचार मला और उ ह नअपनी वा मनी क साथ मलकर उन पर आ मण कर दया ीराम न मह ष कनदशानसार अपना काय कया उ ह न ताड़का को दखत ही बना यह सोच क वह ी हऔर नह थी ह एक ही बाण स ढर कर दया

चाण य का कौ ट य बनना जन हत क लए था उनका व था अखड भारतइसी क लए उ ह न श को उ ह क चाल स मात द आचाय ारा चलाया गयाअ भयान lsquoआ मर ाrsquo का एक अ तम यास था इसस चकन का अथ था भारत कअ त व को समा त कर दना जरा सोचकर दखो य द आचाय न त कालीन प र थ तयका वरोध न कया होता वक प क प म च ग त को था पत न कया होता तो आज कभारत का व प कसा होता नद क धान अमा य को च ग त क साथ जोड़ना और उसग रमाम डत करत ए धान अमा य क पद पर त त करना आचाय क अ तम सझ-बझ और दय क वशालता का ही तो उदाहरण ह गणी को गण का स मान करनाचा हए उसक लए गत मतभद मायन नह रखत मह वपण होता ह जन हत

आचाय ारा ल खत नी तशा क थ को पढ़कर लगता ह क व ब आयामीव क प धर थ इसी लए उ ह न वणा म क कत क चचा भी थान- थान पर

क ह lsquoनी तrsquo म धम और अ या म को आचाय न परा थान दया ह उनक मराजनी त य द धम स र चली जाए तो उसक भटक जान क सभावना सौ तशत होजाती ह धमनी त को सोच क ापकता दान करती ह

यहा एक बात प प स हम समझ लनी चा हए क आचाय क समय कमा यताए और सामा जक व था आज स कई मायन म बलकल भ ह जा त-वण

व था अब ब त कमजोर हो चक ह थ म लख गए कछ श द और मा यता कोलकर व थ त या करना अ छ बात ह ल कन उस सदभ म मल थ म घटान-बढ़ानका रा ह करना हमारी नासमझी को ही द शत करता ह इ तहास क कड़व-मीठ त यको उधड़ कर फका नह जा सकता बदलाव क लए समझ और धय क आव यकता हइसी लए आज क समय म आप जनक कह जान वाल अश को बना छड़ उस पर अलगस ट पणी द द गई ह उन पर आप ब पाठक क सझाव का हा दक वागत ह

ोक को याद रखना क ठन काय ह ल कन lsquoस rsquo इस मायन म मह वपण ह 585

स को कठा करन क लए य द रोज एक घट का समय दया जाए तो दो-चार महीन मउ ह आसानी स आ मसात कया जा सकता ह आ म चतन क समय य सगमता सम तपटल पर आ जात ह इसी बात को यान म रखत ए अलग स lsquoस rsquo को दया गया

ह इनका योग पर पर बातचीत या क भाषण आ द म करक आप अपन व कग रमा को भी लोग क बीच था पत कर सकत ह हम व ास ह क यह थ आपक

व को ससग ठत करन तथा नखारन म मह वपण भ मका नभाएगा

चाण य नी त

अथ थमोऽ यायः

अथ तीयोऽ यायः

अथ ततीयोऽ यायः

अथ चतथ ऽ यायः

अथ पचमोऽ यायः

अथ ष ोऽ यायः

अथ स तमोऽ यायः

अथ अ मोऽ यायः

अथ नवमोऽ यायः

अथ दशमोऽ यायः

अथ एकादशोऽ यायः

अथ ादशोऽ यायः

अथ योदशोऽ यायः

अथ चतदशोऽ यायः

अथ पचदशोऽ यायः

अथ षोडशोऽ यायः

अथ स तदशोऽ यायः

चाण य स

चाण य जीवन गाथा

व ाथ चाण य व षक चाण य ा यापक चाण य आ भक क कथा प

(पोरस) क साथ य अपमा नत चाण य तशोधक चाण य नद क कहानी योजनाकार चाण य कटनी त चाण य धनानद का अत मगध का य नी तचाण य सकट त चाण य

चाण य क शा

अथशा चाण य नी त पचत कथाए

चाण य नी तजस कार व ान म स न त स ात क खोज क जाती ह और उनक प

बार-बार कए गए योग स एकसमान ा त न कष स होती ह उसी कार नी तशा कभी एक स न त परपरा ह इसक न कष भी यक थ त-प र थ त म एकसमान हइसी लए आचाय चाण य न नी तशा को व ान कहा ह व इस ान क ारा lsquoसव rsquo होनक बात भी कहत ह यहा सव होन का अथ ह अतीत वतमान और भ व य का व षणकरन क मता ा त कर लना

मनसा च तत काय वाचा नव काशयतम ण र यद गढ काय चाऽ प नयोजयत

मन स सोच ए काय को वाणी ारा कट नह करना चा हए परतमननपवक भली कार सोचत ए उसक र ा करनी चा हए और चप रहत

ए उस सोची ई बात को काय प म बदलना चा हए

इ या ण च सय य बकवत प डतो नरःदशकालबल ा वा सवकाया ण साधयत

ब मान को अपनी इ य को वश म करक समय क अन पअपनी मता को तौलकर बगल क समान अपन काय को स करनाचा हए

पर पर य ममा ण य भाष त नराधमाःत एव वलय या त व मीकोदरसपवत

जो लोग एक- सर क भद को कट करत ह व उसी कार न होजात ह जस बाबी म फसकर साप न हो जाता ह

तावनाldquo या कर रह होrdquoldquoकश तो प व ह इन पर ोध करना अ छा नह rdquo

ldquoजो क प चाए उस जीन का हक नह उस न करना ही प य हrdquo

ldquoल कन कश तो न नह होत अवसर पाकर फर फल जात हrdquoldquoनह म ऐसा नह होन गा इसक दोबारा होन क सभी सभावना को

जलाकर राख कर गा श को नमल करन पर व ास करता मrdquoबालक क पर म कश नामक घास चभी थी अतः उसन कश को ही नमल

कर दया खोद-खोदकर उसक जड़ म मठा डालकर बची-खची छोट -छोट जड़को भी जला दया था उसन

यो य आचाय न बालक म छपी सभावना को पहचान लया था ऐसाआ म व ास और बल इ छाश ही व को ऊचाइय पर प चाती ह ऐस मय द जनसवदना का पट मल जाए तो इ तहास प ष ही बनता ह और ऐसा ही

आ भी लगभग दो हजार वष पव भारत क इ तहास को जस बालक न एक व णममोड़ दया वही बालक बड़ा होकर चाण य बना उसका असली नाम थाmdashव णग त उसक कटनी तक वल णता क वजह स लोग उस कौ ट य भी कहतथ

यह घटना तब क ह जब व क मान च पर कछ दश का कह कोई अता-पता नह था ल कन भारत क स यता और स क त अपन पण यौवन पर थी धमदशन और अ या म क ही नह राजनी त तथा अथशा जस वषय क श ा लनक लए भी वदश स व ाथ भारत भ म पर आया करत थ यहा त शला औरनालदा जस व व ालय थ आचाय चाण य त शला म राजनी त तथा अथशाक आचाय थ

भारत क सीमाए उस समय अफगा न तान स लकर बमा ( यामार) तक तथाक मीर स लकर क याकमारी तक फली ई थ उस समय भारत सोन क च ड़याथा वदशी आ ाता को भारत क सम खटक रही थी ल कन उनम ह मत नहथी क व ह तान क रणबाकर का सामना कर सक अततः उ ह न दान और भदक नी त का सहारा लकर मगध क शासक धमनद क क मय को पहचान लया औरउस अपन पाश म भी कस लया था वतमान क पटना तथा त कालीन पाट लप कआसपास फला पव-उ र क सीमा को छता आ एक वशाल और श शालीवभव सप रा य थाmdashमगध मगध क सहासन पर आसीन धमनद सरा-सदरी मइतना डब चका था क उस राजकाय को दखन क फरसत ही नह थी वह अपनी

मौजम ती क लए जा पर अ याचार करता जो भी आवाज उठाता उस कचल दयाजाता चणक को भी जन हत क लए उठाई गई आवाज क सजा मली थी उसमहान आचाय को मौत क घाट उतार दया गया था

एक-एक करक ई दय वदारक घटनाए चणक प चाण य क दय मफास क तरह धसी ई थ एक दन जब राजसभा म समच आयावत क थ त काववचन करत ए चाण य न मगधराज धमनद को उनका कत याद दलाया तो वहझझला उठा उसन चाण य को दरबार स ध क मारकर नकाल फकन का आदशदया स नक क चाण य को ध क मारकर दरबार स नकालन क को शश क बीचचाण य क शखा खल गई यह चाण य का ही नह दश क उस आवाज का भीअपमान था जो अपन राजा क सामन अधकार म वलीन होत अपन भ व य कोबचान क गहार कर रही थी उसी समय चाण य न त ा कर लीmdashlsquoअब यह शखातभी बधगी जब नदवश का समल नाश हो जाएगाrsquo

चाण य न अपन ल य को परा करन क लए च ग त को चना च ग त मछपी सभावना को चाण य न एक-एक करक तराशा सोच ए काय को म पदना चाण य क लए आसान नह था मक नया क छोट स दश स lsquo सकदरrsquoनामक आधी क गद भारत क सीमा पर छान लगी थी कधार क राजकमारआ भी न सकदर स ग त स ध कर ली थी पवत र (पोरस) न सकदर क सनाका डटकर सामना कया ल कन सकदर क रणनी त न पासा पलट दया सकदरक ओर स ई बाणवषा स घबराई पोरस क जझा गजसना न अपनी ही सना कोर दना श कर दया पोरस क हार ई और उस बद बना लया गया सकदर ारायह पछन पर क उसक साथ कसा वहार कया जाए पोरस न नभ क होकर कहाक जसा एक राजा सर राजा क साथ करता ह सकदर न पोरस को उसक वीरतास स होकर छोड़ भी दया इस पराजय क बाद आचाय चाण य क दखरख मच ग त अपनी सना को सग ठत करन उस तयार करन और य क रणनी त बनानम परी तरह स लग गया भारी-भरकम श शर ाण और कवच आ द क जगहह क परत मजबत ह थयार न ली शारी रक श क साथ ही ब -चातय का भी

योग कया गया चाण य क कटनी त न इस थ त म अमोघ ा का कामकया कौ ट य न साम दान दड एव भदmdashचार नी तय का योग कया और अपनल य को ा त कया नदवश का नाश आ च ग त न मगध क बागडोर सभालीसकदर क सनाप त स यकस क बट हलन का च ग त क साथ ववाह आ धमनदका धान अमा य lsquoरा सrsquo च ग त का महाअमा य बना एक बार फर स भारतबखरत- बखरत बच गया सकदर नाम क आधी शात होकर वापस अपन दश चलीगई भारत क ग रमा व क सामन फर स नखरकर सामन आई

और चाण य उसन नजन एकात म राजनी त क पव थ का अवगाहन कर

उसम अपन गत अनभव का पट दया और अथशा पर एक मह वपण थलखा lsquoकौ ट य अथशा rsquo नामक यह थ राजा राजक मय तथा जा क सबधऔर रा य- व था क सदभ म अनकरणीय व था दता ह कछ व ान न चाण यक तलना म कया वली स क ह ल कन भारत क थम धानम ी प जवाहरलालनह इस बात स सहमत नह थ उनक म चाण य क महानता क म कया वलीसामन काफ अदन ह चाण य एक महान अथशा ी राजनी त क व ा तथाकटनी त होत ए भी महा मा थ व सभी कार क भौ तक उपा धय स पर थइसी कारण lsquoकामदक य नी तसारrsquo म व णग त क लए य प या लखी ग mdash

नी तशा ामत धीमानथशा महोदधःसमद द नम त म व णग ताय वधस

lsquo जसन अथशा पी महासम स नी तशा पी अमत का दोहन कयाउस महा ब मान आचाय व णग त को मरा नमन हrsquo

जनक याण क लए जो भी जहा स मला उस चाण य न लया और उसकत कत ता कट क व अपन थ का शभारभ करत ए श ाचाय और बह प त

दोन को नमन करत ह दोन ग ह दोन क अपनी-अपनी व श धाराए ह अपनत ा वा य म व कहत हmdash

प थ ा लाभ पालन च याव ताथ शा ा ण पवाचायः था पता नस यक मदमथशा कतम

प वी क ा त और उसक र ा क लए परातन आचाय न जनअथशा वषयक थ का नमाण कया उन सभी का सार-सकलन कर इसअथशा क रचना क गई ह

lsquoचाण य नी तrsquo म नी तसार का नचोड़ ह इसका सकत आचाय न ार भकोक म ही कर दया ह

ऐसा नह ह क चाण य नी त पर इसस पहल काम न आ हो इसक अनकअनवाद का शत हो चक ह यह प तक उनस अलग इस मायन म ह क इसम मल

ोक क अथ को समझात ए उसम छप रह य क ओर भी सकत करन का यासकया गया ह ऐसा करन क पीछ उद द य ह क पाठक उन न द स को पकड़करक य क ग थया अपन ढग स खोल इसम इस बात का वशष यान रखा गया ह कभाषा-शली ऐसी हो ता क साधारण भी इस थ का लाभ उठा सक प तक कअत म द गई फल त सकत करती ह क ववकवान इस थ को अव य पढ़ यथाmdash

अधी यद यथाशा नरो जाना त स मःधम पदश व यात कायाकाय शभाशभम

इस शा को व धपवक अ ययन करन क बाद भलीभा त जान लताह क शा म कस करन यो य कहा जाता ह और कसका नषध ह या शभ हऔर या अशभ

यहा पाठक को एक बात वशष प स समझ लनी चा हए क इस थ मकछ ऐसी मा यता का भी ज कया गया ह जो बदलत प रवश क साथ या तोबदल रही ह या फर उ ह न अपना अ त व खो दया ह थ क ामा णकता कोबनाए रखन क लए उसक मल प म कसी भी तरह क छड़खानी करना न तक स ठ क नह ह मल को यथा प दन का अथ यह कतई नह ह क लखक या

काशक इन वचार या मा यता स सहम त रखत ह इस लए पाठक को सहीसदभ म ही इस थ क क य को समझन क को शश करनी चा हए

कत तकत कयाद हसन त हसनम त दोषो न पत त समाचरतजो जसा कर उसस वसा ही बरत कत क त कत ता भरा हसक सहसा य और ता का वहार करन पर कसी कार का पाप (पातक)नह होता

सकदर ारा पोरस को म करना उन राजा क गाल पर करारा तमाचा थाज ह न पवत र का साथ नह दया था

नी तशा म कही गई बात क ा या एकागी नह होनी चा हए इसक लएज री ह क ा याता को लोक और शा दोन का ान हो lsquoलोकrsquo मत कालीन समाज का व प आता ह जब क शा का अथ हmdash य श दाथअथात य पा रभा षक श दावली का अथ प होना

अथ थमोऽ यायः पहला अ याय

कसी क अथवा आप काल स बचाव क लए धन कर ा करनी चा हए धन खच करक भी य क र ाकरनी चा हए परत य और धन स भी आव यक ह क

वय क र ा कर

ण य शरसा व ण लो या धप त भमनानाशा ोद धत व य राजनी तसम चयम

म तीन लोक mdashप वी अ त र और पाताल क वामी सवश मान सव ापकपरम र व ण को सर झकाकर णाम करता भ को णाम करन क बाद म अनकशा स एक त कए गए राजनी त स सब धत ान का वणन क गा1

ाचीनकाल स हमारी यह परपरा रही ह क थ क न व न समा त क लएथकार अपन आरा य का मरण अव य करता ह इस lsquoमगलाचरणrsquo कहा जाता ह

आचाय चाण य न भी सवश मान भ व ण को नमन करक इस थ क रचना क हव दत हो क ी व ण पालनकता ह और lsquoनी त lsquoका योजन भी और

समाज क व था दना ह चाण य न अपन इस थ को राजनी त स सब धत ान काउ म स ह बताया ह इसी स ह को बाद म व ान और जन-सामा य न lsquoचाण य नी तrsquoका नाम दया

अधी यद यथाशा नरो जाना त स मःधम पदश व यात कायाकाय शभाशभम

lsquoस मःrsquo अथात प ष इस शा का व धपवक अ ययन करक यह बात भलीकार जान जाएग क वद आ द धमशा म कौन स काय करन यो य बताए गए ह और

कौन स काय ऐस ह ज ह नह करना चा हए या प य ह और या पाप ह तथा धम औरअधम या ह इसक जानकारी भी इस थ स हो जाएगी 2

मन य क लए यह आव यक ह क कछ भी करन स पव उस इस बात का ान होक वह काय करन यो य ह या नह उसका प रणाम या होगा प य काय और पाप कमया ह मन य ही वद आ द धमशा को पढ़कर भल-बर का ान ा त कर सकत

हयहा यह बात जान लना भी आव यक ह क धम और अधम या ह इसक नणय

म थम म धम क ा या क अनसारmdash कसी क ाण लना अपराध ह और अधमभी परत लोकाचार और नी तशा क अनसार वशष प र थ तय म ऐसा कया जाना धमक व नह माना जाता पापी का वध और अपराधी को दड दना इसी णी म आत ह

ीक ण न अजन को य क रणा द उस इसी वशष सदभ म धम कहा जाता ह

तदह स व या म लोकाना हतका ययायन व ानमा ण सव व प त

अब म मानवमा क क याण क कामना स राजनी त क उस ान का वणन क गाजस जानकर मन य सव हो जाता ह 3

चाण य कहत ह क इस थ को पढ़कर कोई भी नयादारी और राजनी तक बारी कया समझकर सव हो जाएगा यहा lsquoसव rsquo स चाण य का अ भ ाय ऐसी ब

ा त करना ह जसस म समय क अन प यक प र थ त म कोई भी नणय होनक मता आ आए जानकार होन पर भी य द समय पर नणय नह लया तो जानना-समझना सब थ ह अपन हत क र ा भी तो तभी स भव ह

मख श योपदशन ीभरणन चः खतः स योगण प डतोऽ यवसीद त

मख श य को उपदश दन - भचा रणी ी का पालन-पोषण करन धन कन होन तथा खी क साथ वहार रखन स ब मान को भी क उठानापड़ता ह 4

चाण य कहत ह क मख को ान दन स कोई लाभ नह होता अ पतस जन और ब मान लोग उसस हा न ही उठात ह उदाहरण क लए बया और बदर ककहानी पाठक को याद होगी मख बदर को घर बनान क सलाह दकर बया को अपनघ सल स ही हाथ धोना पड़ा था इसी कार और कलटा ी का पालन-पोषण करन सस जन और ब मान य को ख ही ा त होता ह

खी य स वहार रखन स चाण य का ता पय ह क जो अनक रोगस पी ड़त ह और जनका धन न हो चका ह ऐस य स कसी कार का सबध रखनाब मान मन य क लए हा नकारक हो सकता ह अनक रोग का ता पय स ामक रोग सह ब त स लोग स ामक रोग स त होत ह उनक सग त स वय रोगी होन का अदशारहता ह जन लोग का धन न हो चका हो अथात जो दवा लया हो गए ह उन परएकाएक व ास करना क ठन होता ह खी का अथ वषाद त स भी ह ऐस लोगका ख स उबरना ब त क ठन हो जाता ह और ायः असफलता ही हाथ लगती ह जोवा तव म खी ह और उसस उबरना चाहता ह उसका सहयोग करना चा हए य क खीस तो वाथ ही बचता ह

ा भाया शठ म भ य ो रदायकःससप च गह वासो म यरव न सशयः

वभाव वाली कठोर वचन बोलन वाली राचा रणी ी और धत वभाववाला म सामन बोलन वाला महफट नौकर और ऐस घर म नवास जहा साप क होन कसभावना हो य सब बात म य क समान ह 5

जस घर म या होती ह वहा गह वामी क थ त कसी मतक क समान हीहोती ह य क उसका कोई वश नह चलता और भीतर ही भीतर कढ़त ए वह म य कओर सरकता रहता ह इसी कार वभाव वाला म भी व ास क यो य नह होता नजान कब धोखा द द जो नौकर अथवा आपक अधीन काम करन वाला कमचारी उलटकरआपक सामन जवाब दता ह वह कभी भी आपको असहनीय हा न प चा सकता ह ऐससवक क साथ रहना अ व ास क घट पीन क समान ह इसी कार जहा साप का वास होवहा रहना भी खतरनाक ह न जान कब सपदश का शकार होना पड़ जाए

आपदथ धन र द दारान र नर पआ मान सतत र द दारर प धनर प

कसी क अथवा आप काल स बचाव क लए धन क र ा करनी चा हए औरधन खच करक भी य क र ा करनी चा हए परत य और धन स भी अ धकआव यक यह ह क अपनी र ा कर 6

ब मान को चा हए क वह आप अथवा बर दन क लए थोड़ा-थोड़ाधन बचाकर उसक र ा कर अथात धन का स ह कर समय पड़न पर स चत धन स भीअ धक अपनी प नी क र ा करना आव यक ह य क प नी जीवनस गनी ह ब त स ऐसअवसर होत ह जहा धन काम नह आता वहा जीवनसाथी काम आता ह इसी सदभ मव ाव था म प नी क अहम भ मका होती ह

चाण य का वचार यह भी ह क धन और ी स भी अ धक को अपनी र ाकरनी चा हए अथात का मह व इन दोन स अ धक ह य द का अपना ही नाश

हो गया तो धन और ी का योजन ही या रह जाएगा इस लए क लए धन-स हऔर ी र ा क अप ा समय आन पर अपनी र ा करना अ धक मह वपण ह

दखन म आया ह और उप नषद क ऋ ष भी कहत ह क कोई कसी स म नहकरता सब वय स ही म करत हmdashआ मन त कामाय सव य भव त

आपदथ धन र मता कत आपदःकदा च च लता ल मीः स चतोऽ प वन य त

आप काल क लए धन क र ा करनी चा हए ल कन स जन प ष क पासवप का या काम और फर ल मी तो चचला ह वह स चत करन पर भी न हो जातीह 7

चाण य का कहना ह मन य को चा हए क वह आप काल क लए धन का स हकर ल कन धनी ऐसा मानत ह क उनक लए आप य का कोई मह व नह ह

य क व अपन धन स सभी आप य स बच सकत ह परत व यह नह जानत क ल मीभी चचल ह कसी भी समय वह मन य को छोड़कर जा सकती ह ऐसी थ त म यहइकट ठा कया आ धन भी कसी समय न हो सकता ह

य मन दश न स मानो न व न च बा धवाःन च व ाऽऽगमः क त त दश प रवजयत

जस दश म आदर-स मान नह और न ही आजी वका का कोई साधन ह जहा कोईबध-बाधव र तदार भी नह तथा कसी कार क व ा और गण क ा त क सभावनाभी नह ऐस दश को छोड़ ही दना चा हए ऐस थान पर रहना उ चत नह 8

कसी अ य दश अथवा कसी अ य थान पर जान का एक योजन यह होता ह कवहा जाकर कोई नयी बात नयी व ा रोजगार और नया गण सीख सकग परत जहा इनमस कसी भी बात क सभावना न हो ऐस दश या थान को तरत छोड़ दना चा हए

ो यो ध नकः राजा नद व त प चमःप च य न व त न त दवस वसत

जहा ो य अथात वद को जानन वाला ा ण ध नक राजा नद और व यपाच चीज न ह उस थान पर मन य को एक दन भी नह रहना चा हए 9

धनवान लोग स ापार क व होती ह वद को जानन वाल ा ण धम क र ाकरत ह राजा याय और शासन- व था को थर रखता ह जल तथा सचाई क लए नदआव यक ह जब क रोग स छटकारा पान क लए व क आव यकता होती ह चाण यकहत ह क जहा पर य पाच चीज न ह उस थान को याग दना ही य कर ह

लोकया ा भय ल जा दा य यागशीलता

प च य न व त न कयात त स थ तमजहा लोकया ा अथात जीवन को चलान क लए आजी वका का कोई साधन न हो

ापार आ द वक सत न हो कसी कार क दड क मलन का भय न हो लोकलाज न होय म श ता उदारता न हो अथात उनम दान दन क व न हो जहा य पाच चीज

व मान न ह वहा को नवास नह करना चा हए 10

जानीयात षण भ यान बा धवान सनाऽऽगमम चाप कालष भाया च वभव य

काम लन पर नौकर-चाकर क ख आन पर बध-बाधव क क आन पर मक तथा धन नाश होन पर अपनी प नी क वा त वकता का ान होता ह 11

चाण य कहत ह क जब सवक (नौकर) को कसी काय पर नय कया जाएगातभी पता चलगा क वह कतना यो य ह इसी कार जब कसी मसीबत म फसजाता ह तो उस समय भाई-बध और र तदार क परी ा होती ह म क पहचान भीवप क समय ही होती ह इसी कार धनहीन होन पर प नी क वा त वकता का पताचलता ह क उसका म धन क कारण था या वा त वक

आतर सन ा त भ श -सकटराज ार मशान च य त त स बा धवः

कसी रोग स पी ड़त होन पर ख आन पर अकाल पड़न पर श क ओर ससकट आन पर राज सभा म मशान अथवा कसी क म य क समय जो साथ नहछोड़ता वा तव म वही स चा ब ध माना जाता ह 12

क रोग श या पर पड़ होन अथवा खी होन अकाल पड़न और श ाराकसी भी कार का सकट पदा होन कसी मकदम आ द म फस जान और मरन पर जो

मशान घाट तक साथ दता ह वही स चा ब ध (अपना) होता ह अथात य अवसरऐस होत ह जब सहायक क आव यकता होती ह ायः यह दखा जाता ह क जो कसीक सहायता करता ह उसको ही सहायता मलती ह जो समय पर कसी क काम नहआता उसका साथ कौन दगा

यो वा ण प र य य अ व प रसवतवा ण त य न य त अ व न मव ह

जो मन य न त को छोड़कर अ न त क पीछ भागता ह उसका काय या पदाथन हो जाता ह 13

चाण य कहत ह क लोभ स त होकर को हाथ-पाव नह मारन चा हएब क जो भी उपल ध हो गया ह उसी म स तोष करना चा हए जो आधी छोड़कर

परी क पीछ भागत ह उनक हाथ स आधी भी नकल जाती ह

वरयत कलजा ा ो व पाम प क यकामपवत न नीच य ववाहः स श कल

ब मान को चा हए क वह कल म उ प ई क प अथात स दयहीनक या स भी ववाह कर ल पर त नीच कल म उ प ई सदर क या स ववाह न कर वसववाह अपन समान कल म ही करना चा हए 14

आचाय चाण य न यह ब त सदर बात कही ह शाद - ववाह क लए सदर क यादखी जाती ह सदरता क कारण लोग न क या क गण को दखत ह न उसक कल को ऐसीक या स ववाह करना सदा ही खदायी होता ह य क नीच कल क क या क स कार भीनीच ही ह ग उसक सोचन बातचीत करन या उठन-बठन का तर भी न न होगा जब कउ च और कल क क या का आचरण अपन कल क अनसार होगा भल ही वह क याक प व स दयहीन हो वह जो भी काय करगी उसस अपन कल का मान ही बढ़गा औरनीच कल क क या तो अपन वहार स प रवार क त ा ही बगाड़गी वस भी ववाहसदा अपन समान कल म ही करना उ चत होता ह अपन स नीच कल म नह यहा lsquoकलrsquo सता पय धन-सपदा स नह प रवार क च र स ह

नखीना च नद ना च शगीणा श पा णनामव ासो नव कत ो ीष राजकलष च

lsquoनखीनामrsquo अथात बड़-बड़ नाखन वाल शर और चीत आ द ा णय वशालन दय lsquoशगीणामrsquo अथात बड़-बड़ स ग वाल साड़ आ द पश श धारण करन वाल

य तथा राजा स सब धत कल वाल य का व ास कभी नह करना चा हए 15

बड़-बड़ नाखन वाल हसक ाणी स बचकर रहना चा हए न जान व कब आपकऊपर हमला कर द जन न दय क प त अथवा तट प क नह उन पर इस लए व ासनह कया जा सकता क न जान उनका वग कब चड प धारण कर ल और कब उनकदशा बदल जाए न जान व और कधर को बहना ारभ कर द इस लए ायः न दय ककनार रहन वाल लोग सदव उजड़त रहत ह

बड़-बड़ स ग वाल साड़ आ द पश का भी भरोसा नह ह कौन जान उनकामजाज कब बगड़ जाए जसक पास तलवार आ द कोई ह थयार ह उसका भी भरोसानह कया जा सकता य क वह छोट -सी बात पर ोध म आकर कभी भी आ ामक होसकता ह चचल वभाव वाली य पर भी व ास नह करना चा हए वह अपनी चतरतास कभी भी आपक लए तकल प र थ तया पदा कर सकती ह इस तरह क कईउदाहरण ाचीन थ म मल जाएग राजा स सब धत राजसवक और राजकल क

य पर भी व ास करना उ चत नह व कभी भी राजा क कान भरकर अ हत करवा

सकत ह इसी क साथ व राज नयम क त सम पत और न ावान होत ह राज हतउनक लए मख होता हmdashसबध नह

वषाद यमत ा ममधयाद प का चनमनीचाद य मा व ा ीर न कलाद प

वष म भी य द अमत हो तो उस हण कर लना चा हए अप व और अशव त म भी य द सोना अथवा म यवान व त पड़ी हो तो वह भी उठा लन क यो य होतीह य द नीच मन य क पास कोई अ छ व ा कला अथवा गण ह तो उस सीखन म कोईहा न नह इसी कार कल म उ प अ छ गण स य ी पी र न को हण करलना चा हए 16

इस ोक म आचाय गण हण करन क बात कर रह ह य द कसी नीच कपास कोई उ म गण अथवा व ा ह तो वह व ा उसस सीख लनी चा हए अथात कोसदव इस बात का य न करना चा हए क जहा स उस कसी अ छ व त क ा त होअ छ गण और कला को सीखन का अवसर ा त हो तो उस हाथ स जान नह दना चा हए

वष म अमत और गदगी म सोन स ता पय नीच क पास गण स ह

ीणा गण आहारो ब तासा चतगणासाहस षड गण चव कामोऽ गण उ यत

प ष क अप ा य का आहार अथात भोजन दोगना होता ह ब चौगनीसाहस छह गना और कामवासना आठ गना होती ह 17

आचाय न इस ोक ारा ी क कई वशषता को उजागर कया ह ी क यऐस प ह जन पर सामा य प स लोग क नह जाती

भोजन क आव यकता ी को प ष क अप ा इस लए यादा ह य क उसप ष क तलना म शारी रक काय यादा करना पड़ता ह य द इस ाचीन सदभ म भी दखाजाए तो उस समय य को घर म कई ऐस छोट-मोट काम करन होत थ जनम ऊजा का

य होता था आज क प रवश म भी थ त लगभग वही ह शारी रक बनावट उसम होनवाल प रवतन और जनन आ द ऐस काय ह जसम य ई ऊजा को ा त करन क लए

ी को अ त र पौ कता क आव यकता होती हइस स य क जानकारी न होन क कारण ब क वहार म इसक वपरीत आचरण

होन क कारण बा लका और य को प ष क अप ा यादा कपोषण का शकारहोना पड़ता ह

ब का वकास सम या को सलझान स होता ह इस स भी य कोप रवार क सद य और उसक अलावा भी कई लोग स वहार करना पड़ता ह इससउनक ब अ धक पनी होती ह छोट -छोट बात को समझन क का वकास होता

तथा व वधता का वकास होता ह आज क सदभ म इस मता को प प स दखा जासकता ह

भावना धान होन क कारण ी म साहस क उ च मा ा का होना वाभा वक हपश-प य क मादा म भी दखा गया ह क अपनी सतान क र ा क लए व अपन सकई गना बलशाली क सामन लड़-मरन क लए डट जाती ह

काम का आठ गना होना पढ़न-सनन म अटपटा लगता ह ल कन यह सकत करताह क हमन काम क प- व प को सही कार स नह समझा ह काम पाप नह हसामा जक कानन क व भी नह ह इसका होना अन तक या च र हीन होन क प भीनह करता ह ीक ण न वय को lsquoधमानकल कामrsquo कहा ह काम पतऋण स म होनका सहज माग ह सतान उ प करक ही कोई इस ऋण स म हो सकता ह

ी क काम छा प ष स भ होती ह वहा शरीर नह भावदशा मह वपण ह ीम होन वाल प रवतन भी इस माग को सम लात हmdash वाभा वक प म ल कन ीउसका प र कार कर दती ह जस प वी मल को खाद बनाकर जीवन दती ह इस परी तरहस समझन क लए आव यक ह कामशा का अ ययन कया जाए

कल मलाकर इस ोक ारा चाण य न ी क वभाव का व षण कया ह

यह भारतीय परपरा रही ह क कसी भी शभ काय को ारभ करन स पहल दवी-दवता अथवा भ का मरण कया जाए ता क वह काय बना कसी वधान कसरलतापवक स प हो lsquoचाण य नी तrsquo का मख उद द य यह जानना ह क कौन-साकाम उ चत ह और कौन-सा अन चत आचाय चाण य न ाचीन भारतीय नी तशा मबताए गए नयम क अनसार ही इस लखा ह यह पव अनभव का सार ह उनका कहना हक लोग इस पढ़कर अपन कत और अकत का भली कार ान ा त कर सकगसम-साम यक राजनी त क ान म मन य अपनी ब का पट दकर समय क अनसारअ छाई और बराई म भद कर सकता ह

सबस पहल आचाय चाण य न सग क मह व पर काश डालत ए यह बताया हक लोग क ससग स ब मान मन य को ख उठाना पड़ता ह चाण य न मन य कजीवन म धन क मह व को बताया ह उनका कहना ह क को सकट क समय क लएधन का सचय करना चा हए उस धन स अपन बाल-ब च तथा य क र ा भी करनीचा हए इसक साथ उनका यह भी कहना ह क को अपनी र ा सव प र करनीचा हए जन लोग क पास धन ह व कसी भी आप का सामना धन क ारा कर सकतह परत उ ह यह बात भी भली कार समझ लनी चा हए क ल मी चचल ह वह तभी तक

टक कर रहती ह जब तक उसका स पयोग कया जाता ह पयोग आरभ करत हील मी चलती बनती ह

चाण य कहत ह क को उसी थान पर रहना चा हए जहा उसका स मान होजहा पर उसक भाई-बध ह आजी वका क साधन ह इसी सबध म वह आग कहत ह कजहा धनवान वद-शा को जानन वाल व ान ा ण राजा अथवा शासन- व था नदऔर व आ द न ह वहा भी नह रहना चा हए नौकर क कायकशलता का पता तभीचलता ह जब उ ह कोई काय करन क लए दया जाता ह अपन सब धय और म कपरी ा उस समय होती ह जब वय पर कोई आप आती ह गह थ का सबस बड़ा सहाराउसक ी होती ह परत ी क वा त वकता भी उसी समय समझ म आती ह जब परी तरह धनहीन हो जाता ह

मन य को चा हए क वह अ धक लालच म न पड़ उस वही काय करना चा हएजसक सबध म उस परा ान हो जस काय क सबध म उस ान न हो उस करन स हा नहो सकती ह जस काय का अनभव न हो उसस सब धत नणय लना क ठन होता हनणय य द ल लया जाए तो सशय क थ त मन को डगमगाती रहती ह ऐसा नणयकभी भी सही नह होताmdashlsquoसशया मा वन य तrsquo मन य द सशय म हो तो वह रा त सभटकाता ही नह गहर और अधर गड ढ म फकता ह य द आप ऐस वसा यय का जीवनदख ज ह न अपन म ऊचाइय को छआ ह तो आप पाएग क उ ह न अपन काम कोसमझन क लए कसी सर अनभवी क नीच काम कया ह कताबी और

ावहा रक जानकारी म जमीन-आसमान का अतर होता हववाह क सदभ म चाण य न कल क भदभाव क बात नह मानी ह उनका कहना

ह क नीच कल म उ प क या भी य द अ छ गण स य ह तो उसस ववाह करन म कोईहा न नह जन पर व ास नह करना चा हए उनक बार म आचाय का कथन ह क सहऔर बाघ आ द तज पज वाल जानवर स र रहना चा हए ऐसी न दय क आसपास भीनह रहना चा हए जनक कनार क च ह और जो बरसात आ द क दन म लब-चौड़मदान म फल जाती ह इसी कार लब सीग वाल साड़ आ द पश स अपना बचावरखना चा हए जसक पास कोई ह थयार ह उसका भी कभी व ास नह करना चा हए

अथ तीयोऽ यायः सरा अ याय

lsquoमनसा च तत कायrsquo अथात मन स सोच ए काय को वाणीारा कट नह करना चा हए परत मननपवक भली कार

सोचत ए उसक र ा करनी चा हए और वय चप रहत एउस सोची ई बात को काय प म बदलना चा हए

अनत साहस माया मख वम तल धताअशौच व नदय व ीणा दोषाः वभावजाः

झठ बोलना बना सोच-समझ कसी काय को ारभ कर दना साहस करनाछलकपट करना मखतापण काय करना लोभ करना अप व रहना और नदयताmdashय

य क वाभा वक दोष ह 1य म ायः य दोष पाए जात हmdashव सामा य बात पर भी झठ बोल सकती ह

अपनी श का वचार न करक अ धक साहस दखाती ह छल-कपट पण काय करती हमखता अ धक लोभ अप व ता तथा नदयी होना य ऐसी बात ह जो ायः य कवभाव म होती ह य य क वाभा वक दोष ह अथात अ धकाश य म य होत ह

अब तो या श त होती जा रही ह समय बदल रहा ह ल कन आज भी अ धकाशअ श त या इन दोष स य हो सकती ह इन दोष को ी क समाज म थ त औरउसक प रणाम व प बन उनक मनो व ान क सदभ म दखना चा हए

भो य भोजनश र तश वरागनावभवो दानश नाऽ प य तपसः फलम

भोजन क लए अ छ पदाथ का ा त होना उ ह खाकर पचान क श होनासदर ी का मलना उसक उपभोग क लए कामश होना धन क साथ-साथ दान दनक इ छा होनाmdashय बात मन य को कसी महान तप क कारण ा त होती ह 2

भोजन म अ छ व त क कामना सभी करत ह परत उनका ा त होना औरउ ह पचान क श होना भी आव यक ह यक चाहता ह क उसक प नी सदरहो परत उसक उपभोग क लए म कामश भी होनी चा हए यक चाहताह क उसक पास धन हो परत धन ा त क बाद कतन ऐस लोग ह जो उसका स पयोगकर पात ह धन का स पयोग दान म ही ह अ छ जीवन स गनी शारी रक श पौ षएव नरोगता धन तथा व mdash ज रत पर कसी क काम आन क व आ द पवज म मक ही शभ कम ारा ही ा त होत ह lsquoतपसः फलमrsquo का अथ ह कठोर म औरआ मसयम

य य प ो वशीभतो भाया छ दाऽनगा मनीवभव य स त त य वग इहव ह

जसका बटा वश म रहता ह प नी प त क इ छा क अन प काय करती ह औरजो धन क कारण परी तरह सत ह उसक लए प वी ही वग क समान ह 3

यक ससार म सखी रहना चाहता ह यही तो वग ह वग म भी सभीकार क सख को उपभोग करन क क पना क गई ह इस बार म चाण य कहत ह क

जसका प वश म ह ी जसक इ छा क अनसार काय करती ह जो अपन कमाए धनस सत ह जस लोभ-लालच और अ धक कमान क चाह नह ह ऐस मन य क लएकसी अ य कार क वग क क पना करना थ ह वग तो वह जाना चाहगा जो यहाखी हो

त प ा य पतभ ाः स पता य त पोषकःत म य य व ासः सा भाया य नव तः

प उ ह ही कहा जा सकता ह जो पता क भ होत ह पता भी वही ह जो पका पालन-पोषण करता ह इसी कार म भी वही ह जस पर व ास कया जा सकता हऔर भाया अथात प नी भी वही ह जसस सख क ा त होती ह 4

चाण य का मानना ह क वही गह थ सखी ह जसक सतान उसक वश म ह औरउसक आ ा का पालन करती ह य द सतान पता क आ ा का पालन नह करती तो घरम लश और ख पदा होता ह चाण य क अनसार पता का भी कत ह क वह अपनीसतान का पालन-पोषण भली कार स कर जसन अपन कत स मह मोड़ लया होउस प स भी भ क आशा नह करनी चा हए इसी कार म क वषय म चाण य कामत ह क ऐस को म कस कहा जा सकता ह जस पर व ास नह कया जासकता और ऐसी प नी कस काम क जसस कसी कार का सख ा त न हो तथा जो

सदव ही लश करक घर म अशा त फलाती हो

परो कायह तार य यवा दनमवजय ा श म वषक भ पयोमखम

जो पीठ पीछ काय को बगाड़ और सामन होन पर मीठ -मीठ बात बनाए ऐस मको उस घड़ क समान याग दना चा हए जसक मह पर तो ध भरा आ ह परत अदर वषहो 5

जो म सामन चकनी-चपड़ी बात बनाता हो और पीठ पीछ उसक बराई करककाय को बगाड़ दता हो ऐस म को याग दन म ही भलाई ह चाण य कहत ह क वहउस बतन क समान ह जसक ऊपर क ह स म ध भरा ह परत अदर वष भरा आ होऊपर स मीठ और अदर स को म नह कहा जा सकता यहा एक बात वशष

प स यान दन क ह क ऐसा म आपक गत और सामा जक वातावरण को भीआपक तकल बना दता ह

न व सत क म च म चाऽ प न व सतकदा चत क पत म सव ग काशयत

जो म खोटा ह उस पर व ास नह करना चा हए और जो म ह उस पर भीअ त व ास नह करना चा हए य क ऐसा हो सकता ह क वह म कभी नाराज होकरसारी ग त बात कट कर द 6

चाण य मानत ह क जो अ छा म नह ह उस पर तो व ास करन का ही नह उठता परत उनका यह भी कहना उ चत ह क अ छ म क सबध म भी परी तरहव ास नह करना चा हए य क कसी कारणवश य द वह नाराज हो गया तो सार भदखोल दगा

आज बड़-बड़ नगर म जो अपराध बढ़ रह ह जो ककम हो रह ह उनक पीछप र चत ही अ धक पाए जात ह lsquoघर का भद लका ढाएrsquomdashयह कहावत गलत नहह जो ब त अ छा म बन जाता ह वह घर क सद य जसा हो जाता ह भावकहोकर उस अपन सार भद बता दता ह फर जब कभी मन-मटाव उ प होत ह तो वहक थत म ही सबस यादा नकसान दन वाला स होता ह ऐसा म जानता ह आपकमम थल कौन स ह घर म काम करन वाल कमचारी क बार म भी इस कार क सावधानीरखना आव यक ह

मनसा च तत काय वाचा नव काशयतम ण र यद गढ काय चाऽ प नयोजयत

मन स सोच ए काय को वाणी ारा कट नह करना चा हए परत मननपवकभली कार सोचत ए उसक र ा करनी चा हए और चप रहत ए उस सोची ई बात को

काय प म बदलना चा हए 7आचाय का कहना ह क को कभी कसी को अपन मन का भद नह दना

चा हए जो भी काय करना ह उस अपन मन म रख और समय आन पर परा कर कछलोग कए जान वाल काय क बार म गात रहत ह इस कार उनक बात का मह व कम होजाता ह और य द कसी कारणवश वह उ काय को परा न कर सक तो उसक हसीहोती ह इसस का व ास भी कम होता ह फर कछ समय बाद ऐसा होता ह कलोग उसक बात पर यान नह दत उस ब- सर-पर क हाकन वाला समझ लया जाता हअतः ब मान को कहन स अ धक करन क त य नशील होना चा हए

क च खल मख व क च खल यौवनमक त क तर चव परगह नवासनम

मखता और जवानी न त प स खदायक होती ह सर क घर म नवास करनाअथात कसी पर आ त होना तो अ य त क दायक होता ह 8

मख होना क दायक ह य क वह वय को अपन को और सर को एक समानहा न प चाता ह मखता क समान यौवन भी खदायी इस लए माना गया ह य क उसम

काम ोध आ द वकार क आवग म उ जत होकर कोई भी मखतापण काय करसकता ह जसक कारण उस उसक अपन और सर लोग को अनक क उठान पड़सकत ह चाण य कहत ह क य बात तो क दायक ह ही परत इनस भी अ धक क दायकह सर क घर म रहना य क सर क घर म रहन स क वत ता समा त हो जातीह जसस व का पण प स वकास नह हो पाता

शल शल न मा ण य मौ क न गज गजसाधवो न ह सव च दन न वन वन

सभी पहाड़ पर र न और म णया नह मलत न ही यक हाथी क म तक मगजम ा नामक म ण होती ह यक वन म चदन भी उ प नह होता इसी कार स जनप ष सब थान पर नह मलत 9

आचाय चाण य क अनसार यक थान पर सब कछ उपल ध नह होता व शव तए वशष थान पर ही होती ह उ ह वह ढढ़ना चा हए और उसी क अनसार उनकाम याकन भी करना चा हए

मा ण य एक लाल रग का ब म य र न होता ह जो सभी पवत पर अथवा खान मा त नह हो सकता ऐसी मा यता ह क व श हा थय क माथ म एक ब म य मोती

होता ह सब जगल और वन म चदन क व जस कार नह मलत उसी कार स जन भी सभी थान पर दखाई नह दत अथात व तए मलनी लभ होती ह

प ा व वधः शील नयो याः सतत बधः

नी त ाः शीलस प ा भव त कलप जताःब मान लोग को चा हए क वह अपन प और प य को अनक कार क अ छ

गण स य कर उ ह अ छ काय म लगाए य क नी त जानन वाल और अ छ गण सय स जन वभाव वाल ही कल म पजनीय होत ह 10

चाण य कहत ह क बचपन म ब च को जसी श ा द जाएगी उनक जीवन कावकास उसी कार का होगा इस लए माता- पता का कत ह क व उ ह ऐस माग परचलाए जसस उनम चातय क साथ-साथ शील वभाव का भी वकास हो गणी य सही कल क शोभा होती ह

माता श पता वरी यन बालो न पा ठतःन शोभत सभाम य हसम य बको यथा

व माता- पता ब च क श ह ज ह न ब च को पढ़ाया- लखाया नह य कअनपढ़ बालक व ान क समह म शोभा नह पाता उसका सदव तर कार होता हव ान क समह म उसका अपमान उसी कार होता ह जस हस क झड म बगल कथ त होती ह 11

कवल मन य ज म लन स ही कोई ब मान नह हो जाता उसक लए श तहोना अ य त आव यक ह श ल-सरत आकार- कार तो सभी मन य का एक जसा होताह अतर कवल उनक व ा स ही कट होता ह जस कार सफद बगला सफद हस मबठकर हस नह बन सकता उसी कार अ श त श त य क बीच मबठकर शोभा नह पा सकता इस लए माता- पता का कत ह क व ब च को ऐसी श ाद जसस व समाज क शोभा बन सक

लालनाद बहवो दोषा ताडनाद बहवो गणाःत मा प च श य च ताडय त लालयत

लाड़- लार स प म ब त स दोष उ प हो जात ह उनक ताड़ना करन स अथातदड दन स उनम गण का वकास होता ह इस लए प और श य को अ धक लाड़- लारनह करना चा हए उनक ताड़ना करत रहनी चा हए 12

यह ठ क ह क ब च को लाड़- यार करना चा हए कत अ धक लाड़- यार करन सब च म अनक दोष भी उ प हो सकत ह माता- पता का यान मवश उन दोष क ओरनह जाता इस लए ब च य द कोई गलत काम करत ह तो उ ह पहल ही समझा-बझाकरउस गलत काम स र रखन का य न करना चा हए ब च क ारा गलत काम करन परउस नजरअदाज करक लाड़- यार करना उ चत नह ब च को डाटना भी चा हए कए गएअपराध क लए द डत भी करना चा हए ता क उस सही-गलत क समझ आए

ोकन वा तदधन पादनका रण वा

अब य दवस कयाद दाना ययन कम भः को एक वदम का अ ययन चतन अथवा मनन करना चा हए य द वह पर

म का चतन-मनन नह कर सकता तो उसक आध अथवा उसक एक भाग का और य दएक भाग का भी नह तो एक अ र का ही त दन अ ययन कर ऐसा नी तशा काआदश ह अपन दन को थ न जान द अ ययन आ द अ छ काय को करत ए अपनदन को साथक बनान का य न कर 13

चाण य कहत ह क मन य ज म बड़ भा य स मलता ह इस लए उस थ नहजान दना चा हएmdash को चा हए क वह अपना समय अपना दन वदा द शा कअ ययन म ही बताए तथा उसक साथ-साथ दान आ द अ छ काय भी कर महान प षक वशषता का वणन करत ए कहा गया हmdashlsquo सन तौrsquo अथात थ काअ ययन करना उनका सन होता ह

का ता वयोगः वजनापमानः ऋण य शषःकनप य सवाद र भावो वषमा सभा च वना ननत दह तकायम

प नी का बछड़ना अपन बध-बाधव स अपमा नत होना कज चढ़ रहना अथवा बर मा लक क सवा म रहना नधन बन रहना लोग और वा थय क सभाअथवा समाज म रहना य सब ऐसी बात ह जो बना अ न क शरीर को हर समय जलातीरहती ह 14

स जन लोग अपनी प नी क वयोग को सहन नह कर सकत य द उनक अपनभाई-ब ध उनका अपमान अथवा नरादर करत ह तो वह उस भी नह भला सकत जो

कज स दबा ह उस हर समय कज न उतार पान का ख रहता ह राजा अथवामा लक क सवा म रहन वाला नौकर भी हर समय खी रहता ह नधनता तो ऐसाअ भशाप ह जस मन य सोत और उठत-बठत कभी नह भला पाता उस अपन वजनऔर समाज म बार-बार अपमा नत होना पड़ता ह

अपमान का क म य क समान ह य सब बात ऐसी ह जनस बना आग क ही अदर-ही-अदर जलता रहता ह जीत-जी चता का अनभव करन क थ त ह यह

नद तीर च य व ाः परगहष का मनीम हीना राजानः शी न य यसशयम

जो व बलकल नद क कनार पदा होत ह जो ी सर क घर म रहती ह औरजस राजा क म ी अ छ नह होत व ज द ही न हो जात ह इसम कोई सशय नह ह 15

नद क कनार क व का जीवन कतन दन का हो सकता ह यह कोई नह कहसकता य क बाढ़ तथा तफान क समय न दया अपन कनार क पड़ को ही या अपनआसपास क फसल और ब तय को भी उजाड़ दती ह इसी कार सर घर म रहनवाली ी कब तक अपन आपको बचा सकती ह जस राजा क पास अ छ सलाह दनवाल म ी नह होत वह कब तक अपन रा य क र ा कर सकता ह अथात य सबन यपवक ज द ही न हो जात ह

बल व ा च व ाणा रा ा स य बल तथाबल व च व याना श ाणा प रचयकम

ा ण का बल व ा ह राजा का बल उनक सना ापा रय का बल उनकाधन ह और श का बल सर क सवा करना ह 16

ा ण का कत ह क व ा हण कर राजा का कत यह ह क स नकारा व अपन बल को बढ़ात रह व य को चा हए क व पश-पालन और ापार ारा धन

बढ़ाए श का बल सवा हचाण य न इस ोक म चार वण क कत क ओर सकत कया ह उनक

अनसारmdashचार वण को अपन-अपन काय म नपण होना चा हए समाज म कसी कथ त कम नह ह समय क अनसार प र थ तया बदलती ह सभवतः कसी समय ज म

क अनसार चार वण मान जात रह ह परत त य यह ह क वण क मा यता काय परनभर करती ह

इस लए कसी भी कल म ज म लन वाला श ा क म ह तो उस ा णही माना जाएगा जो ापार करता ह क ष काय म लगा ह पश-पालन करता हउस व य माना जाएगा जो सना म भत ह अथवा सना स सब धत काय कर रहा ह उस

य कहा जाएगा शष श क णी म आत ह श भी श त हो सकता हपरत कसी भी वण म पदा आ जो लोग क सवा क काय म लगा ह उस श मानाजाएगाmdashश का अथ नीच नह ह आ ापालन क भावना श का वशष गण ह ायःइस णी क लोग मान सक प स सत होत ह

नधन प ष व या जा भ न नप यजतखगा वीतफल व भ वा चाऽ यागता गहम

व या नधन प ष को जा परा जत राजा को प ी फलहीन व को औरअचानक आया आ अ त थ भोजन करन क बाद घर को यागकर चल जात ह 17

आचाय न यहा सबध क साथकता क ओर सकत कया ह कोई तभी तक सबधरखता ह जब तक उसक वाथ क प त होती ह

व या का धधा परप ष स धन लटना होता ह धन क समा त होन पर वह मह मोड़

लती ह जा तापी राजा को ही स मान दती ह जब वह श हीन हो जाता ह तो जाराजा का साथ छोड़ दती ह इसी कार क त क सामा य नयम क अनसारmdashव पररहन वाल प ी तभी तक कसी व पर बसरा रखत ह जब तक वहा स उ ह छाया औरफल ा त होत रहत ह घर म अचानक आन वाल अ त थ का जब भोजन-पान आ द सवागत-स कार कर दया जाता ह तो वह भी सामा जक नयम क अनसार वदा लकर अपन

ल य क ओर चल पड़ता ह भाव यह ह क को अपन स मान क र ा का वययान रखना चा हए उस अप ा करत समय सबध क व प को सही कार स समझना

चा हए कसी थान या व त स आव यकता स अ धक लगाव नह रखना चा हए

गही वा द णा व ा यज त यजमानकमा त व ा ग श या द धाऽर य मगा तथा

ा ण द णा ा त करन क बाद यजमान का घर छोड़ दत ह व ा ा त करन कबाद श य ग क आ म स वदा ल लता ह वन म आग लग जान पर वहा रहन वाल हरणआ द पश उस जगल को छोड़कर कसी सर जगल क ओर चल दत ह 18

यह ोक भी उसी बात क प करता ह जस पहल कहा गया ह य द कोई कसी वशष काय क कारण कसी क पास जाता ह तो अपना काय स हो जान

पर उस वह थान छोड़ दना चा हए जस कार ा ण लोग यजमान क कसी काय कप त क बाद द णा ा त हो जान पर आशीवाद दकर वहा स चल जात ह श य भी व ाक ा त क बाद ग कल छोड़कर अपन-अपन घर चल जात ह जब कसी जगल म आगलग जाती ह तो वहा रहन वाल पश भी उस जगल को छोड़कर कसी सर जगल क खोजम चल पड़त ह अथात को अपना काय समा त हो जान पर कसी क यहा डरा डालनक मशा नह करनी चा हए

राचारी र राऽऽवासी च जनःय म ी यत प भनरः शी वन य त

बर च र वाल अकारण सर को हा न प चान वाल तथा गद थान पर रहन वाल क साथ जो प ष म ता करता ह वह ज द ही न हो जाता ह 19

सभी साध-सत ऋ ष-म नय का कहना ह क जन का सग नरक म वास करन कसमान होता ह इस लए मन य क भलाई इसी म ह क वह जतनी ज द हो सक

का साथ छोड़ दआचाय न यहा यह भी सकत कया ह क म ता करत समय यह भली कार स

जाच-परख लना चा हए क जसस म ता क जा रही ह उसम य दोष तो नह ह य द ऐसाह तो उसस होन वाली हा न स बच पाना सभव नह इस लए यादा अ छा ह क उसस रही रहा जाए

समान शोभत ी तः रा सवा च शोभतवा ण य वहारष द ा ी शोभत गह

म वहार बराबरी वाल य म ही ठ क रहता ह य द नौकरी करनी ही हो तोराजा क नौकरी करनी चा हए काय अथवा वसाय म सबस अ छा काम ापार करनाह इसी कार उ म गण वाली ी क शोभा घर म ही ह 20

अपनी बराबरी वाल स म-सबध शोभा दता ह असमानता सामन आएबना नह रहती तब म श ता म बदल जाता ह इस लए य न पहल ही यान रखा जाएइसी कार य द को नौकरी तथा कसी सवा काय म जाना ह तो उस य न करनाचा हए क सरकारी सवा ा त हो य क उसम एक बार वश करन पर अवकाश ा तहोन तक कसी वशष कार का झझट नह रहता

फर वह न द नयम स सचा लत होता ह न क कसी वशष क आदशस य द अ य काय करना पड़ तो अपना ही कोई च का ापार कर गणय ीस घर क शोभा ह और घर म अपनी मयादा और कत का पालन करत ए ी भीअपन सद गण क र ा कर सकती ह

इस अ याय क ारभ म ही य क ओर यान दलाया गया ह दखा जाए तो दोषतो सभी म होता ह कछ क पास अनक पदाथ होत ह परत व या तो उनका उपभोग नहजानत अथवा फर उनम उपभोग क श नह होती इस अ याय म यह भी बताया गया हक कौन-सा प रवार सखी रहता ह सख उसी प रवार को ा त होता ह जहा सब एक-सर का स मान करत ह एक- सर म ा रखत हmdashअथात प को पता और पता को

प का यान रखना चा हएयह ससार बड़ा व च ह कछ लोग ऐस भी होत ह जो सामन तो मीठ बात करत

ह परत पीठ पीछ बराइया करत ह ऐस लोग स बचना चा हए चाण य तो यहा तक कहतह क मन स सोची ई बात का वाणी स भी उ लख नह करना चा हए अथात अपना रह यअपन म को भी नह बताना चा हए मखता तो क दायक होती ही ह जवानी और सरक घर म आ त होकर रहना भी भारी ख दन वाला होता ह उसक साथ यह भी यान मरखना चा हए क और उ म व तए तथा स जन लोग सब थान पर ा त नह होत

चाण य न बार-बार इस बात पर जोर दया ह क माता- पता को चा हए क वअपनी सतान को गणवान बनाए उनका यान रख और उ ह बगड़न न द आचाय कहत हक को चा हए क वह अपना समय साथक बनाए अ छा काय कर इसक साथउनका कहना ह क सब लोग को अपना काय अथात कत परा करना चा हए

कौ ट य न मन य को बार-बार सचत कया ह क उस वा त वकता समझनी चा हएगफलत म नह रहना चा हए उस यह ात होना चा हए क व या का म एक धोखा हइस लए उस इस कार क य तथा प ष स बचना चा हए उस चा हए क वह मऔर म ता अपन बराबर वाल स ही रख

अथ ततीयोऽ यायः तीसरा अ याय

जहा मख क पजा नह होती जहा अ आ द काफ मा ाम इकट ठ रहत ह जहा प त-प नी म कसी कार काकलह लड़ाई-झगड़ा नह ऐस थान पर ल मी वय आकरनवास करन लगती ह

क य दोषः कल ना त ा धना को न पी डतःसन कन न स ा त क य सौ य नर तरम

ससार म ऐसा कौन-सा कल अथवा वश ह जसम कोई-न-कोई दोष अथवा अवगणन हो यक को कसी-न- कसी रोग का सामना करना ही पड़ता ह ऐसा मन यकौन-सा ह जो सन म न पड़ा हो और कौन ऐसा ह जो सदा ही सखी रहता हो य क

यक क जीवन म सकट तो आत ही ह 1आचाय चाण य न यह बात ठ क ही कही ह क कोई वरला ही वश अथवा कल

ऐसा हो जसम कसी कार का दोष न हो इसी तरह सभी कभी-न-कभी कसी रोगस पी ड़त होत ह जो मन य कसी बरी लत म पड़ जाता ह अथवा जस बर काम करन कआदत पड़ जाती ह उस भी ख उठान पड़त ह ससार म ऐसा कोई नह ह जससदा सख ही मलता रहा हो और सकट न उस कभी न घरा हो अथात कोई मन य पणनह कोई न कोई ख सभी को लगा ही आ ह

आचारः कलमा या त दशमा या त भाषणमस मः नहमा या त वपरा या त भोजनम

मन य क वहार स उसक कल का ान होता ह मन य क बोल-चाल स इस बातका पता चलता ह क वह कहा का रहन वाला ह वह जस कार का मान-स मान कसी कोदता ह उसस उसका म कट होता ह और उसक शरीर को दखकर उसक भोजन क मा ाका अनमान लगाया जा सकता ह 2

मन य जस कार का वहार करता ह उसस उसक कल का ान भली- कार होजाता ह इसी कार मन य क भाषा और बोलचाल स उसक दश- दश अथवा रहन कथान का पता चलता ह मन य जस कार का कसी क त आदर कट करता ह उसस

यह प हो जाता ह क उसका वभाव कसा ह इसी कार उसक शरीर क बनावटदखकर उसक खान क मा ा का अनमान होता ह

बनावट और उसका वहार कसी भी मन य क मन क थ त को परी तरह सबता दता ह ल कन इसक लए अनभव अप त ह

सकल योजय क या प व ास योजयतसन योजय छ म धम नयोजयत

समझदार का कत ह क वह अपनी क या का ववाह कसी अ छ कल मकर प को अ छ श ा द उस इस कार क श ा द जसस उसका मान-स मान बढ़श को कसी ऐस सन म डाल द जसस उसका बाहर नकलना क ठन हो जाए औरअपन म को धम क माग म लगाए 3

यक माता- पता का कत ह क अपनी प ी का ववाह कसी अ छ प रवार मही कर lsquoअ छा कलrsquo अथात जो स का रत हो और श त भी उ ह चा हए क वह अपनीसतान को व ान बनाए ता क उनका अपना कल भी गण-सप हो

श क सबध म सन क बात चाण य न जस कार स कही ह उसस कटहोता ह क व कतनी र क बात सोचत थ आज भी दखन म आता ह क ब त स पड़ोसीदश अपन वकास म लग ए दश को माग स भटकान क लए लोग म धन का लालच पदाकरक उ ह नशील पदाथ क ापार म लगान का य न करत ह आज पहल सीप र थ तया नह रह गई ह पर पर य क सभावना ब त कम हो गई ह इसी लए सरदश को कमजोर बनान क लए व भ कार क हथकड अपनाए जात ह नश क लत मएक बार फसन पर नकलना क ठन होता ह सनी मान सक प स कमजोर होजाता ह और ऐसा श य द जी वत भी रह तो कोई अतर नह पड़ता म को सदव काय क ओर रत करत रहना चा हए

जन य च सप य वर सप न जनःसप दश त कालन जन त पद पद

और साप इन दोन म स कसी एक को चनना हो तो क

अप ा साप को चनना ठ क होगा य क साप समय आन पर ही काटगा जब क हर समय हा न प चाता रहगा 4

चाण य न यहा प कया ह क साप स भी अ धक हा नकर होता हसाप तो आ मर ा क लए आ मण करता ह परत अपन वभाव क कारणसदव कसी-न- कसी कार का क प चाता ही रहता ह इस कार साप स भीअ धक घातक होता ह

एतदथ कलीनाना नपाः कव त स हमआ दम याऽवसानष न यज त च त नपम

राजा लोग कलीन य को अपन पास इस लए रखत ह क व राजा क उ तक समय उसका ऐ य समा त हो जान पर तथा वप क समय भी उस नह छोड़त 5

राजा लोग अथवा राजप ष रा य क मह वपण पद और थान पर उ म कल वालय को ही नय करत ह य क उनम उ च स कार तथा अ छ श ा क कारण

एक व श ता होती ह व राजा क हर काम म सहायक होत ह व उसक उ त क समयअथवा सामा य-म यम थ त म तथा सकट आन क समय भी साथ नह छोड़त कलीन

अवसरवाद नह आदशवाद होता हय द इस बात को आज क सदभ म भी दखा जाए तो वाथ और नीच कल क

ही अपना वाथ स होन पर दल-बदल कर लत ह और अपन दल का साथ छोड़दत ह परो प स चाण य लोग को सचत करना चाहत ह क सहयो गय का चनावकरत समय कल और स कार का वचार अव य करना चा हए

लय भ मयादा भव त कल सागराःसागरा भद म छ त लयऽ प न साधवः

सम भी लय क थ त म अपनी मयादा का उ लघन कर दत ह और कनार कोलाघकर सार दश म फल जात ह परत स जन लय क समान भयकर वप औरक आन पर भी अपनी सीमा म ही रहत ह अपनी मयादा नह छोड़त 6

वशाल सागर ब त गभीर रहता ह परत चाण य धयवान गभीर को सागरक अप ा मानत ह लय क समय सागर अपनी सारी मयादा भल जाता ह अपनीसभी सीमाए तोड़ दता ह और जल-थल एक हो जाता ह पर त अनक सकट कोसहन करता ह और अपनी मयादाए कभी पार नह करता

मख त प रहत ः य ो पदः पशःभन वा यश यन अ ः क टको यथा

मख स र ही रहना चा हए य क मन य दखता आ भी वह दो पर वाल

पश क समान ह वह स जन को उसी कार क प चाता रहता ह जस शरीर म चभाआ काटा शरीर को नरतर पीड़ा दता रहता ह 7

काटा छोटा होन क कारण अ य हो जाता ह और शरीर म धस जाता ह मख कभी यही थ त ह वह भी अनजान म ख और पीड़ा का कारण बनता ह अकसर लोगमख क ओर भी यान नह दत व उस साधारण मन य ही समझत ह

पयौवनस प ाः वशालकलस भवाःव ाहीना न शोभ त नग धा इव कशकाः

सदर प वाला यौवन स य ऊच कल म उ प होन पर भी व ा स हीन मन यसगधर हत ढाक अथवा टस क फल क भा त उप त रहता ह शसा को ा त नह होता8

य द कसी न अ छ कल म ज म लया ह और दखन म भी उसका शरीरसदर ह परत य द वह भी व ा स हीन ह तो उसक थ त भी ढाक क उसी फल क समानहोती ह जो गधर हत होता ह ढाक का फल दखन म सदर और बड़ा होता ह परत जबलोग यह दखत ह क उसम कसी कार क सगध नह ह तो व उसक उप ा कर दत ह नतो वह कसी दवता क पजन म चढ़ाया जाता ह न ही साज-शगार म उसका उपयोग कयाजाता ह

को कलाना वरो प ीणा प प त तमव ा प क पाणा मा प तप वनाम

कोयल का स दय उसक वर म ह उसक मीठ आवाज म ह य का स दयउनका प त ता होना ह क प लोग का स दय उनक व ावान होन म और तप वय कसदरता उनक मावान होन म ह 9

भाव यह ह क का स दय उसक गण म छपा रहता ह जस कार कोयलऔर कौआ दोन काल होत ह परत कोयल क मीठ कक सभी को पसद होती ह यहीमीठा वर उसका स दय ह इसी कार या व ही सदर मानी जाती ह जो प त ता होती हअथात ी का स दय उसका पा त त धम ह समाज म भी प त-परायणा ी को हीस मान ा त ह उसी क लोग ारा सराहना क जाती ह शरीर स क प भी व ाक कारण आदर का पा बन जाता ह जस स यवती प ास तप करन वाल कशोभा उसक माशीलता क कारण होती ह मह ष भग न lsquo माrsquo करन क वशषता ककारण ही ी व ण को दवता म घो षत कया था

यजदक कल याऽथ ाम याऽथ कल यजताम जनपद याऽथ आ माऽथ प थव यजत

य द एक का याग करन स कल क र ा होती ह उ त होती ह सख-शा त

मलती ह तो उस एक को छोड़ दना चा हए उसका याग कर दना चा हए ाम कहत क लए कल छोड़ दना चा हए य द एक गाव को छोड़न स पर जल का क याण होतो उस गाव को भी छोड़ दना चा हए इसी कार आ मा क उ त क लए सार भमडलका ही याग कर दना चा हए 10

छोट वाथ क याग क ओर सकत करता ह यह ोक इस स lsquo वrsquo हीसव ह अथात य द अपनी उ त म कसी चीज को बाधक समझता ह तो उसकायाग कर दन म दर नह करनी चा हएmdashवह कतनी भी म यवान य न हो

उ ोग ना त दा र य जपतो ना त पातकममौन च कलहो ना त ना त जाग रत भयम

उ ोग अथात प षाथ करन वाला द र नह हो सकता भ का नाम जपतरहन स मन य पाप म ल त नह होता मौन रहन पर लड़ाई-झगड़ नह होत तथा जो जागता रहता ह अथात सतक रहता ह उस कसी कार का भय नह रहता 11

जो नरतर प र म करत रहत ह उनक गरीबी वय र हो जाती ह प र मकरक भा य को भी अपन वश म कया जा सकता ह जो सदव भ का मरण करतारहता ह अपन दय म सदव उस व मान समझता ह वह पापकाय म व नह होता

ोक क सर भाग म कहा गया ह क मौन रहन स लड़ाई-झगड़ा नह होता अथात ववादका समाधान ह मौन यह बात जीवन क सभी प पर लाग होती ह जो सावधानरहता ह सतक रहकर अपन काय करता ह उस कसी भी कार क भय क आशका नहरहती जस को आल य असावधानी और गफलत म रहन क आदत ह उस हरथान पर हा न उठानी पड़ती ह उसका न तो आज ह न कल

अ त पण व सीता अ तगवण रावणःअ तदानात ब लब ो अ त सव वजयत

अ यत पवती होन क कारण ही सीता का अपहरण आ अ धक अ भमान होनक कारण रावण मारा गया अ य धक दान दन क कारण राजा ब ल को क उठाना पड़ाइस लए कसी भी काय म अ त नह करनी चा हए अ त का सव याग कर दना चा हए12

चाण य न यहा इ तहास स उदाहरण दकर यह समझान का य न कया ह कयक काय क एक सीमा होती ह जब उसका अ त मण हो जाता ह तो को क

उठाना पड़ता ह सीता अ यत पवती थ इसी कारण उनका अपहरण आ इसी काररावण य प अ यत बलवान और सम राजा था परत अ भमान क सभी सीमाए लाघगया प रणाम व प उस अपन वजन क साथ मौत क घाट उतरना पड़ा राजा ब ल कसबध म सभी जानत ह क वह अ यत दानी था उसक दान क कारण जब उसका यश सारससार म फलन लगा तो दवता लोग भी च तत हो उठ तब भगवान व ण न वामन का

अवतार लकर उसस तीन पग धरती दान म मागी ब ल क ग श ाचाय न उस सावधान भीकया परत ब ल न उनक बात न मानकर वामन बन व ण क बात मान ली और भगवान नतीन पग म धरती वग और पातालmdashतीन लोक को नापकर ब ल को भखारी बना दया

इन सब उदाहरण का भाव यही ह क अ छाई भी एक सीमा स आग बढ़ जाती हतो वह बराई अथात हा नकर बन जाती ह लोग उसका लाभ उठात ह इसी लए कहा गयाह क अ त न करो

को ह भारः समथाना क र वसा यनामको वदशः स व ाना कः परः यवा दनाम

समथ अथवा श शाली लोग क लए कोई भी काय क ठन नह होता ापा रयक लए भी कोई थान र नह पढ़- लख व ान य क लए कोई भी थान वदशनह इसी कार जो मधरभाषी ह उनक लए कोई पराया नह 13

जो लोग श शाली ह अथात जनम साम य ह उनक लए कोई भी काम परा करलना क ठन नह होता व यक काय को सरलतापवक कर लत ह ापारी अपन ापारक व क लए र- र क दश म जात ह उनक लए भी कोई थान र नह व ान

क लए भी कोई परदस नह वह जहा भी जाएगा व ा क कारण वह स मा नतहोगा इसी कार मधर भाषण करन वाला पराय लोग को भी अपना बना लता हउसक लए पराया कोई भी नह होता सब उसक अपन हो जात ह

एकनाऽ प सव ण प पतन सग धनावा सत त न सव सप ण कल तथा

जस कार सग धत फल स लदा आ एक ही व सार जगल को सगध स भरदता ह उसी कार सप स सार वश क शोभा बढ़ती ह शसा होती ह 14

ब त स लोग क ब त स प अथवा सतान होती ह परत उनक अ धकता ककारण प रवार का स मान नह बढ़ता कल का स मान बढ़ान क लए एक सद गणी प हीकाफ होता ह धतरा क सौ प म स एक भी ऐसा नह नकला जस स मान स मरणकया जाता हो ऐस सौ प स या लाभ सगर क तो साठ हजार प थ

एकन श कव ण द मानन वह ननाद त त न सव कप ण कल तथा

जस कार एक ही सख व म आग लगन स सारा जगल जलकर राख हो जाता हउसी कार एक मख और कप सार कल को न कर दता ह 15

जस जगल का एक सखा पड़ आग पकड़ ल तो सारा वन जल उठता ह उसी कारकल म एक कप पदा हो जाए तो वह सार कल को न कर दता ह कल क त ाआदर-स मान आ द सब धल म मल जात ह य धन का उदाहरण सभी जानत ह जसक

कारण कौरव का नाश आ लकाप त रावण भी इसी णी म आता ह

एकनाऽ प सप ण व ाय न साधनाआह ला दत कल सव यथा च ण शवरी

एक ही प य द व ान और अ छ वभाव वाला हो तो उसस प रवार को उसीकार खशी होती ह जस कार एक च मा क उ प होन पर काली रात चादनी स खल

उठती ह 16यह आव यक नह ह क प रवार म य द ब त-सी सतान ह तो वह प रवार सखी ही

हो अनक सतान क होन पर भी य द उनम स कोई व ान और सदाचारी नह तो प रवारक सखी होन का ही नह उठता इस लए चाण य कहत ह क ब त स मख प औरसतान क अप ा एक ही व ान और सदाचारी प स प रवार को उसी कार स तामलती ह जस चाद क नकलन पर उसक काश स काली रात जगमगा उठती ह

क जातब भः प ः शोकस तापकारकःवरमकः कलाऽऽल बी य व ा यत कलम

ख दन वाल दय को जलान वाल ब त स प क उ प होन स या लाभ कलको सहारा दन वाला एक ही प होता ह उसक आ य म परा कल सख भोगता ह 17

ऐस ब त स प स कोई लाभ नह जनक काय स प रवार को शोक का सामनाकरना पड़ दय को ख प च ऐस ब त स प क अप ा प रवार को सहारा दन वालाएक ही प अ धक उपयोगी होता ह जसक कारण प रवार को सख ा त होता ह

लालयत प च वषा ण दश वषा ण ताडयता त त षोडश वष प म वदाचरत

पाच वष क आय तक प स यार करना चा हए इसक बाद दस वष तक उसकताड़ना क जा सकती ह और उस दड दया जा सकता ह परत सोलह वष क आय मप चन पर उसस म क समान वहार करना चा हए 18

वकासा मक मनो व ान का स ह यह ोक पाच वष क आय तक क ब च कसाथ लाड़- लार करना चा हए य क इस समय वह सहज वकास स गजर रहा होता हअ धक लाड़- यार करन स ब चा बगड़ न जाए इस लए दस वष क आय तक उस दड दनक बात कही गई ह उस डराया-धमकाया जा सकता ह परत सोलह वष क आय तकप चन पर उसक साथ इस कार का वहार नह कया जा सकता

उस समय उसक साथ म जसा वहार करना चा हए य क तब उसकाव और सामा जक lsquoअहrsquo वक सत हो रहा होता ह म ता का अथ ह उस यह

महसस कराना क उसक प रवार म मह वपण भ मका ह म पर जस आप अपन वचार

को लादत नह ह वसा ही आप यहा अपनी सतान क साथ भी कर यहा भी समझान-बझान म तक और ावहा रकता हो न क अह क भावना

उपसगऽ यच च भ च भयावहअसाधजनस पक यः पलाय त स जीव त

ाक तक आप याmdashजस अ धक वषा होना और सखा पड़ना अथवा दग-फसादआ द होन पर महामारी क प म रोग फलन श क आ मण करन पर भयकर अकालपड़न पर और नीच लोग का साथ होन पर जो सब कछ छोड़-छाड़कर भाग जाता हवह मौत क मह म जान स बच जाता ह 19

भावाथ यह ह क जहा दग-फसाद ह उस जगह स को र रहना चा हएय द कसी श न हमला कर दया हो या फर अकाल पड़ गया हो और लोग अ धकसपक म आ रह ह तो को वह थान छोड़ दना चा हए जो ऐसा नह करता वहम य का ास बन जाता ह

धमाथकाममो ाणा य यकोऽ प न व तज म-ज म न म यष मरण त य कवलम

जस क पास धम अथ काम और मो आ द इन चार प षाथ म स कोईभी प षाथ नह ह वह बार-बार मन य यो न म ज म लकर कवल मरता ही रहता ह इसकअ त र उस कोई लाभ नह होता 20

चाण य का भाव यह ह क मन य ज म म आकर धम अथ और काम कलए प षाथ करता आ मो ा त करन का य न कर मानव दह धारण करन का यहीलाभ ह

मखा य न प य त धा य य सस चतमद प यः कलहो नाऽ त त ीः वयमागता

जहा मख क पजा नह होती जहा अ आ द काफ मा ा म इकट ठ रहत ह जहाप त-प नी म कसी कार क कलह लड़ाई-झगड़ा नह ऐस थान पर ल मी वय आकरनवास करन लगती ह 21

इस ोक का ता पय यह ह क जो लोगmdashदश अथवा दशवासी मख लोग कबजाय गणवान का आदर-स मान करत ह अपन गोदाम म भली कार अ का स हकरक रखत ह जहा क लोग म घर-गह थी म लड़ाई-झगड़ नह मतभद नह उन लोग कसप अपन-आप बढ़न लगती ह यहा एक बात वशष प स समझन क ह क ल मी को

ी भी कहत ह ल कन इन दोन म मलतः अतर ह आज जब क यक ल मी काउपासक हो गया ह और सोचता ह क सम त सख क साधन जटाए जा सकत ह तो उसइनम फक समझना होगा

ल मी का एक नाम चचला भी ह एक थान पर न कना इसका वभाव ह ल कनजस ी क बात आचाय चाण य न क ह वह ब क सखी ह ब क ी क साथगाढ़ म ता ह य दोन एक- सर क बना नह रह सकत मह ष ास न ी का माहा यभगवान क साथ जोड़कर कया ह उनका कहना ह क जहा ी ह वहा भगवान कोउप थत जानो इस ोक म जन गण को बताया गया ह उनका होना भगवान कउप थ त का सकत ह

ल मी चचला ह ल कन ी जसक मन या घर म व हो जाती ह उस अपनी इ छास नह छोड़ती ी का अथ सतोष स भी कया जाता ह सतोष को सव सप मानागया ह इस कार सतोषी को ल मी क पीछ-पीछ जान क आव यकता नह होतीवह वय उसक घर-प रवार म आकर नवास करती ह

आचाय न वशष प स मन य क आचार अथात च र क सबध म कछ बात कहीह उ ह न माना ह क अ छ-स-अ छ कल म कह -न-कह कसी कार का दोष मल हीजाता ह और ससार म ऐसा कौन-सा प ष ह जो कभी रोग का शकार न आ हो सभी मकोई-न-कोई सन भी होता ह इस ससार म लगातार कसको सख ा त होता ह अथातकोई सदा सखी नह रह सकता कभी-न-कभी वह क म पड़ता ही ह सख- ख का सबधदन-रात क तरह ह

महान य को और धमा मा को अनक क उठान पड़त ह ऐसा ससार कानयम ह चाण य का मानना ह क मन य क आचार- वहार स बोलचाल स सर क

त मान-स मान कट करन स उसक कल क व श ता का ान होता हआचाय का मानना ह क प ी का ववाह अ छ आचरणशील प रवार म करना

चा हए और प को ऐसी रणा दनी चा हए क व उ च श ा ा त कर श ा ही जीन ककला सखाती ह

श को सन म फसान क बात करत ए आचाय सकत करत ह क श कानाश बौ क चातय क साथ कया जाना चा हए इस लए सावधान रह और लाभ उठाएचाण य न श ा और ब म ा पर सब काय क अप ा अ धक जोर दया ह व कहत हक मख भी स जन और ब मान क तरह दो पर वाला होता ह परत वह चार पर वाल पशस भी नक और गया-गजरा माना जाता ह य क उसक काय सदव क प चान वालहोत ह चाण य कहत ह क य द कोई अ छ कल म उ प आ ह तथा प औरयौवन आ द स भी य ह परत उसन व ा हण नह क तो यह सब उसी कार नरथकह जस कार बना सगध क सदर फल उनका मानना ह क कसी का स मान उसक गण

क कारण होता ह न क प और यौवन क कारण आचरण स सब धत एक औरमह वपण बात चाण य न यह कही ह क य द कसी एक क ब लदान स पर कल काक याण हो तो उसका ब लदान कर दना चा हए परत उ ह न मन य को सव प र माना हऔर व कहत ह क य द अपन क याण क लए चाह तो यक व त का ब लदान करसकता ह

उनका मानना ह क को अपनी नधनता र करन क लए उ म और पाप सबचन क लए भ का मरण करत रहना चा हए उ ह न बार-बार मन य को सचत कया हक वह कस कार क स बच सकता ह उनका कहना ह क को सदव सतकरहना चा हए आचरण म आचाय कसी भी तरह क अ त क प म नह ह

आचाय क अनसार मधर भाषण करन वाला समच ससार को अपना बनासकता ह अनक कप होन क बजाय एक सप होना कह अ छा ह चाण य न बालमनो व ान पर भी काश डाला ह उनका कहना ह क पाच वष तक क आय क ब च सलाड़- लार करना चा हए इसक बाद क आय म अनशा सत करन क लए डाट-फटकारताड़ना करन क आव यकता हो तो वह भी करनी चा हए परत जब ब चा सोलह वष कआय तक प च जाता ह तब उस म क समान समझकर वहार करना चा हए ोक मlsquoप rsquo श द का योग सतान क अथ म कया गया ह ब टय क सदभ म भी यही नयम लागहोता ह

आचाय न बार-बार मन य को यह बतान-समझान का य न कया ह क यह मानवशरीर अ यत म यवान ह को अपना दा य व नभान क लए यथाश धमाचरणकरत रहना चा हए चाण य इस अ याय क अत म समच समाज को मख स बचन कापरामश दत ह अपन अ तथा अ य उ पाद को ठ क ढग स सभालकर रखना चा हए औरआपस म मपवक रहना चा हए झगड़-फसाद म अपना जीवन न नह करना चा हएऐसा करक हम वय को ख क गत म डालत ह

अथ चतथ ऽ यायः चौथा अ याय

को चा हए क वह ऐस धम का याग कर द जसमदया और ममता आ द का अभाव हो इसी कार व ा सहीन सदा ोध करन वाली ी और जन बध-बाधव म

म का अभाव हो उनका भी याग कर दना चा हए उनसभी र रहना चा हए

आयः कम च व च व ा नधनमव चप चता न ह स य त गभ थ यव द हनः

जीव जब मा क गभ म आता ह तभी उसक आय कम धन व ा और म यmdashयहपाच बात न त हो जाती ह 1

चाण य का व ास ह क मन य क जीवन क ायः सभी बात पहल स ही न तहो जाती ह जस क वह कतन वष तक जी वत रहगा कस कार क कम करगा उस धनआ द क ा त कस होगी तथा वह कतनी व ा ा त कर सकगा

साथ ही उ ह न कम अथात प षाथ को कह नकारा भी नह ह कारण प हmdashइन सबक मल म कम ही तो ह जस ार ध कहत ह माना जाता ह क उसी क अनसारजीव को शरीर क ा त होती ह वह भी हमार कम का ही प रणाम ह शा म कहा गयाह क का थम कत कम करना ह अतः वह अपनी व ा और ब क अन प

कम करता रह दखन म आता ह क सक पपवक कए गए कम स इन सबम भीप रवतन कया जा सकता ह

साध य त नवत त प ा म ा ण बा धवाःय च तः सह ग तार त मा सकत कलम

प म और ब ध-बा धव साध लोग स वमख हो जात ह य क उ ह ऐस लोगका आचरण मखतापण लगता ह परत जो लोग साध क अनसार अपना जीवन बतात हउनका सग करत ह उनक अनकल आचरण करत ह उनक इस काय स जो प य ा त होताह उसस सारा वश-प रवार कतक य हो जाता ह 2

दशन यानस पशम सी कम च प णीशश पालयत न य तथा स जनसग तः

जस मछली अपन ब च को दखकर मादा कछआ यान (दखभाल) स और मादाप ी पश स अपन ब च का लालन-पालन करत ह उसी कार स जन क सग त भीदशन यान और पश ारा ससग म आए का पालन करती ह3

आचाय न इस ोक ारा स जन क अ यत स म भाव क ओर सकत कया हमा यता ह क मछली अपनी स मादा कछआ यान स तथा प ी पश स अपनी सतानका लालन-पालन करत ह स जन भी दशन यान और पश स अपन आ त को सर ा

दान करत ह और वकास म सहयोगी होत ह स जन क दशन स आ मबल म व होतीह और सक प ढ़ होता ह य द उनका यान कया जाए और य द उनक चरण का पशकर उनका आशीवाद ा त कया जाए तो सफलता उ त और वकास सहज हो जाता ह

याव व थो य दहो याव म य रतःतावदा म हत कयात ाणा त क क र य त

जब तक यह शरीर व थ तथा नीरोग ह और जब तक म य नह आती तब तक को अपन क याण क लए धमय आचरणmdash अथात प य कम करन चा हए

य क करन-करान का सबध तो जीवन क साथ ही ह जब म य हो जाएगी उस समय वहकछ भी करन म असमथ हो जाएगा अथात कछ भी नह कर सकगा 4

कसी को इस बात का ान नह क मन य का शरीर कब रोग स घर जाएगा उसयह भी मालम नह क म य कब होन वाली ह इस लए मन य को चा हए क जब तक वहजी वत ह अ धक-स-अ धक प य कम कर य क करन-करान का सबध तो जीवन स हजब म य हो जाती ह तब सार व ध- नषध नरथक हो जात ह

कामधनगणा व ा काल फलदा यनीवास मातस शी व ा ग त धन मतम

व ा म कामधन क गण होत ह उसस असमय म ही फल क ा त होती हवदश म व ा ही माता क समान र ा और क याण करती ह इस लए व ा को ग तधन

कहा गया ह 5ग तधन वह होता ह जसस मन य सकट क समय लाभ उठा सक इस लए चाण य

न व ा को ग तधन बताया ह और उसक उपमा कामधन स क ह कामधन उस कहाजाता ह जसस मन य क सभी इ छाए पण होती ह उसस उस समय भी फल क ा तहोती ह जब दशकाल क अनसार फल ा त सभव न हो व ा क कारण ही वदश म

का स मान होता ह माता जस कार ब च क र ा करती ह उसी कार वदश मव ा स क हर कार स र ा होती ह और सख ा त होत ह नी त वा य भी हmdashव ान सव प यत

वरमको गणी प ो न ण शतर पएक तमो ह त न च ताराः सह शः

सकड़ गणर हत और मख प क बजाय एक गणवान और व ान प का होनाअ छा ह य क हजार तार क अप ा एक च मा स ही रा का शत होती ह 6

सकड़ मख प क अप ा एक व ान और गण स य प स ही पर प रवार काक याण होता ह रा क समय जस कार आकाश म हजार तारागण दखाई दत ह परतउनस रा का अधकार र होन म सहायता नह मलती उस तो च मा ही र कर पाता ह

आचाय क म स या नह गण मह वपण ह

मख रायजातोऽ प त मा जातमतो वरःमतः स चाऽ प ःखाय याव जीव जडो दहत

द घ आय वाल मख प क अप ा पदा होत ही मर जान वाला प अ धक होता ह य क पदा होत ही मर जान वाला प थोड़ समय क लए ही ख का कारण होताह जब क लबी आय वाला मख प म यपय त ख दता रहता ह 7

सतान स माता- पता क उ मीद जड़ी होती ह जब ज मत ही सतान क म य होजाती ह तो माता- पता नराशा क अधकार म डब जात ह भ व य म इस मत सतान कोलकर कोई सख- ख क उ मीद नह रहती ह जब क मख जी वत प न य- त अपनमाता- पता क आशा क टकड़-टकड़ करता रहता ह इस ख स पहला ख यादा ठ कह

क ामवासः कलहीनसवा कभोजन ोधमखी चभायाप मख वधवा च क या वनाऽ नना षट

दह त कायमअ श त तथा अनपय थान या ाम म रहना नीच क सवा अ चकर

और पौ कता स र हत भोजन करना झगड़ाल ी मख प और वधवा क या य छहबात ऐसी ह जो बना अ न क ही शरीर को जलाती रहती ह 8

कछ बात ऐसी होती ह जनस जीवनभर खी रहता ह उनम सबस मखवह थान ह जहा उस लगातार रहना होता ह य द वह थान ठ क न हो और वहा कनवा सय का आचार- वहार सही न हो तो सदव खी रहता ह इसी कार य दकसी को नीच क नौकरी करनी पड़ गदा बासी और पौ कता स र हत भोजनकरना पड़ तो वह भी खदायी ही ह य द ी झगड़ाल हो छोट -छोट बात पर झगड़ाकरती हो तो गह थ का सख कस ा त हो सकता ह प य द मख हो और लड़क वधवाहो तो यह आयभर का असहनीय लश हो जाता ह ऐसी थ तय स बच पाना य द सभवन हो तो मान सक प स इसस नपटन क लए तयार रहना चा हए

क तया यत ध वा या न दो ी न ग भणीकोऽथः प ण जातन यो न व ान भ मान

जस तरह ध न दन वाली और गभ न धारण करन वाली गाय स कोई लाभ नह उसी कार य द प भी व ान और माता- पता क सवा करन वाला न हो तो उसस कसी

कार का लाभ नह हो सकता 9कोई भी ऐसी गाय को पालना पसद नह करगा जो न तो ध दती हो और न

ही गभ-धारण करन क यो य हो इसी कार ऐस प स भी कोई लाभ नह जो न तो पढ़ा-लखा हो और न ही माता- पता क सवा करता हो

ससार तापद धाना यो व ा तहतवःअप य च कल च सता सग तरव च

इस ससार म खी लोग को तीन बात स ही शा त ा त हो सकती हmdashअ छसतान प त ता ी और स जन का सग 10

अपन काय अथवा ापार म लग ए य क लए घर म आन पर शा तमलनी चा हए ऐसा तभी हो सकता ह जब उसक प और प या गणी ह ी प त ताऔर न वभाव वाली हो तथा क म भल और स जन ह

सक ज प त राजानः सक ज प त प डताःसकत क याः द य त ी यता न सक सकत

राजा एक ही बार आ ा दत ह प डत लोग भी एक ही बार बोलत ह क या भीएक ही बार ववाह क समय दान म द जाती ह 11

सरकार एक ही बार आ ा दती ह उसका आदश कानन का प ल लता ह जाको उस पर चलना ही होता ह इसी कार प डत लोग भी कसी आयोजन म ोका दएक ही बार बोलत ह ठ क इसी कार क या का ववाह भी एक ही बार होता ह माता-

पता अथवा अ य सबध रखन वाल कोई वचन दत ह तो उस नभान का परा य न कयाजाता ह

चाण य का कहना ह क य काय ऐस ह जो कवल एक-एक बार ही होत ह इ हबार-बार नह दोहराया जाता इनक सबध म बार-बार न य बदलन स बात ह क पड़जाती ह और उसका भाव कम हो जाता ह हा न और समाज म अपयश दोन ा त होतह

एका कना तपो ा या पठन गायन भःचत भगमन प च भब भरणः

तप अथवा कसी कार क साधना का काय एक अकला ही अ छा करताह य द दो छा मलकर पढ़ तो अ ययन अ छा होता ह और गान क लए य द तीन मलकर अ यास करत ह तो अ छा रहता ह इसी कार य द या ा आ द पर जाना हो तोकम-स-कम चार को जाना चा हए खती आ द काय ठ क कार स चलान क लएपाच य क आव यकता होती ह जब क य म यह स या जतनी हो उतना अ छाह 12

चाण य कहत ह क तप अथवा साधना को अकल ही करनी चा हए एक सअ धक ह ग तो उसम व न पड़गा अ ययन दो य क बीच ठ क रहता ह य कदोन एक- सर को कोई बात समझा सकत ह गान क अ यास क लए तीन लोग का होनाइस लए आव यक ह य क उनम स एक जब अ यास करता ह तो दोन सनन वाल अपनी

त या जा हर कर सकत ह कह या ा पर जान क समय चार और खती आ द ककाय क लए पाच य क आव यकता होती ह य ऐसा काय ह जसम जतन भीअ धक लोग ह उनस सहायता मलती ह

सा भाया या श चद ा सा भाया या प त तासा भाया या प त ीता सा भाया स यवा दनी

प त क लए वही प नी उपय होती ह जो मन वचन और कम स एक जसी होऔर अपन काय म नपण हो इसक साथ ही वह अपन प त स म रखन वाली तथा स यबोलन वाली होनी चा हए ऐसी ी को ही प नी माना जा सकता ह 13

आचाय चाण य न आदश प नी क गण क चचा करत ए यह भी सकत कया हक प त को कसा होना चा हए हम यह तो चाहत ह क प नी प त स कछ न छपाएल कन प नी स रह य को छपाना अपना अ धकार मानत ह घर को सभालन का कायप नी कशलता स कर और प त प नी प त स म करती ह और प त आज बदलतप रवश म आचाय क कथन को ावहा रक प स दखन-परखन क आव यकता ह यबात दोन क लए एक समान ह

अप य गह श य दशः श या वबा धवाःमख य दय श य सवश या द र ता

जस घर म बटा नह होता वह घर श य माना जाता ह जसक कोई ब ध-बा धवनह होत उसक लए सारी दशाए सारा ससार ही श य होता ह मख का दय श यहोता ह और द र क लए तो सभी कछ श य ह 14

यक माता- पता यह चाहत ह क उनक एक सतान बटा हो बट क बना घर सनामालम होता ह य क आज सोच बदली ह कायद-कानन बदल ह जो इस ससारम अकला ह जसक कोई र तदार अथवा ब ध-बा धव नह उसक लए चार दशाएअथवा सारा ससार ही सना होता ह वह कसी स अपन मन का ख कट करन म असमथरहता ह मख क णा दया और ममता स र हत होता ह इस लए कहा गया ह कइसका दय सना होता ह द र अथवा नधन क लए तो सभी कछ सना ह य ककोई भी उसका साथ दन को तयार नह होता उसस सब क ी काटत ह

अन यास वष शा मजीण भोजन वषमद र य वष गो ी व य त णी वषम

अ यास क बना शा वष होता ह अजीण अथात भोजन क ठ क कार स पचबना फर भोजन करना वष क समान होता ह नधन और द र क लए समाज मरहना वष क समान होता ह और बढ़ प ष क लए यवती वष क समान होती ह 15

मन य को नरतर अ यास ारा शा का ान ा त करना चा हए य द वह शाान क लए नरतर अ यास नह करता तो वह अधकचरा ानी बनता ह ऐसा ान वष क

समान खदायी होता ह इसी कार पट म अपच क थ त म य द ब ढ़या-स-ब ढ़याभोजन कया जाएगा तो वह भी वष क समान क दगा द र य द कसी सभा सोसायटअथवा समाज म जाता ह तो वहा उसक पछ न होन क कारण उस वष का घट भी पीनापड़ता ह

बढ़ा आदमी य द त णी क साथ ववाह रचाता ह तो उसका जीवन अ य त क मयहो जाता ह य क वचार म आयगत असमानता सदव लश का कारण बनती ह औरशारी रक प स नबल होन क कारण वह नवयौवना को यौन सत भी दान नह करसकता ऐसी प नी पथ हो सकती ह जो क स मा नत क लए अ यत क दायी

थ त होती ह

यज म दयाहीन व ाहीन ग यजतयज ोधमख भाया नः नहान

बा धवा यजत को चा हए क वह ऐस धम का याग कर द जसम दया और ममता आ द का

अभाव हो इसी कार व ा स हीन ग का भी याग कर दना चा हए सदा ोध करनवाली ी का याग भी य कर ह और जन ब ध-बा धव म म अथवा नह का अभावहो उनका भी याग कर दना चा हए 16

यक धम स आशा क जा सकती ह क वह दया अ हसा और म का सदशदगा य द उसम य बात नह ह तो ऐस धम को छोड़ दना चा हए ग का कत ान दनाह य द वह अनपढ़ और मख ह तो उस ग बनान स कोई लाभ नह ी प त को सख दनवाली होती ह परत य द वह हर समय ग स म भरी रह और ोध करती रह तो ऐसी प नीका भी याग कर दना चा हए र तदार भाई-ब ध क ख म काम आत ह परत य दउनम नह और म का अभाव ह तो ऐस भाई-बध का कोई लाभ नह उ ह यागना हीहतकर ह

याग भी तभी सभव ह जब उसक सही दशा-दशा का ान हो

अधवा जरा मन याणा वा जना ब धन जराअमथन जरा ीणा व ाणामातपो जरा

जो मन य अ धक पदल चलता अथवा या ा म रहता ह वह ज द बढ़ा हो जाता हय द घोड़ को हर समय बाधकर रखा जाएगा तो व भी ज द बढ़ हो जात ह य स य दसभोग न कया जाए तो व ज द बढ़ हो जाती ह इसी कार मन य क कपड़ धप ककारण ज द फट जात ह अथात धप उ ह ज द बढ़ा कर दती ह 17

जो लोग हमशा या ा म रहत ह व नय मत न रहन क कारण ज द बढ़ाप काशकार हो जात ह या ा क थकान और खान-पान क गड़बड़ी का तन-मन पर वपरीतभाव पड़ता ह जस घोड़ को हर समय बाधकर रखा जाता ह वह भी ज द बढ़ा हो जाता

ह ऐसा करना उसक शारी रक क त क तकल हयह तो मन य न उस पालत बना लया असल म तो यह व छद वचरण करन

वाला ाणी ह य क बार म आचाय न यहा जो कहा वह पढ़न म अटपटा लगगाल कन ह स य शारी रक रचना क स दख तो lsquoसभोगrsquo ी क शरीर क ज वकआव यकता यादा ह मनोव ा नक कमmdashजब तक वह मा सक च म ह और फर ऐसाहोना उसक अपन प त स सबध क ठ क न होन क ओर भी सकत करत ह इस बात को

यक ब मान वीकार करता ह क य द मन क तर पर असतोष होगा तो बढ़ापाआएगा ही कपड़ यादा दर तक धप म पड़ रहन पर ज द फट जात ह य क मट ट औरसय क त पश कपड़ क बारीक तत को जला दती ह

कः कालः का न म ा ण को दशः कौयाऽऽगमौ

क ाऽह का च म श र त च य म म ः

समझदार को चा हए क इन बात क सबध म सदव सोचता रह जस क मरासमय कसा ह मर म कतन ह म जस थान पर रहता वह कसा ह मरी आय और

य कतना ह म कौन मरी श या ह अथात म या करन म समथ 18

ज नता चोपनता च य त व ा य छ तअ दाता भय ाता प चत पतरः मताः

ज म दन वाला य ोपवीत करान वाला ग व ा दान दन वाला अ यापक अदन वाला और भय स म रखन वाला यह पाच पतर मान गए ह 19

चाण य का मत ह क इन पाच को सदव सत रखना चा हए तथा इनका पता कतरह स मान करना चा हए

राजप नी गरोः प नी म प नी तथव चप नीमाता वमाता च प चता मातरः मताः

राजा क प नी ग क प नी म क प नी प नी क माता अथात सास औरज म दन वाली अपनी माता य पाच माताए मानी गई ह अथात इनका स मान माता कसमान करना चा हए याय करत समय भी इन सबध को lsquoमाrsquo क प रभाषा म ही वीकारकया जाता ह 20

अ नदवो जातीना मनीना द दवतमतमा व पब ना सव समद शनः

ा ण य और व य को जा त कहा गया ह इनका दवता य ह म नय कादवता उनक दय म नवास करता ह मद ब वाल क लए म त ही दवता होती ह जो

समदश ह जनक समान ह व परम र को सव व मान मानत ह 21ा ण य व य को जा त इस लए माना जाता ह क ज म क बाद ग

उनका उपनयन स कार करता ह उनक लए य ही उनका दवता ह म नय क दय मदवता का नवास होता ह य क वह सदव उनका मनन- चतन करत रहत ह म त पजाको यहा साधना क ार भक चरण क लए आव यक माना गया हmdashजस वणमाला कमा यम स फल-फल आ द का ान व ाथ को कराया जाता ह जो ससार का रह यजानत ह उनक लए ई र सव ापक ह व ससार क कण-कण म उस दखत ह

चाण य का कहना ह क जीव जब गभ म होता ह तभी उसक आय कम धनव ा और म य आ द बात न त हो जाती ह अथात मन य ज म क साथ ही न त कम

क ब धन म बध जाता ह इस ससार म आन क बाद स जन क ससग क फल व प सासा रक बधन स म होता ह अ छ लोग का साथ हर तरह स मन य क र ा क

लए ही होता हआचाय क अनसार मन य जब तक जी वत ह तब तक उस प य काय करन

चा हए य क इसी स उसका क याण होता ह और जब मन य दह याग दता ह तो वहकछ भी नह कर सकता

व ा को चाण य न कामधन क समान बताया ह जस तरह कामधन स सभीइ छाए परी हो जाती ह उसी कार व ा स मन य अपनी सभी मनोकामना को पण करसकता ह व ा को ब मान न ग त धन भी कहा ह

चाण य कहत ह क अनक मख प क अप ा एक गणी प अ धक हतकरहोता ह उनका कहना ह क मख प य द द घ आय वाला होता ह तो वह आयभर क दतारहता ह इसस तो अ छा ह क वह ज म क समय ही मर जाए य क ऐस प क म य सख थोड़ी दर क लए होगा

उनका कहना ह क इस ससार म खी लोग को अ छ प प त ता ी औरस जन स ही शा त ा त होती ह सासा रक नयम क अनसार चाण य बतात ह क राजाएक ही बात को बार-बार नह कहत प डत लोग भी (म को) बात बार-बार नह दोहरातऔर क या का भी एक ही बार दान कया जाता ह इस लए इन कम को करत एसावधानी बरतनी चा हए

को तप या अकल करनी चा हए व ाथ मलकर पढ़ तो उ ह लाभ होताह इसी कार सगीत खती आ द म भी सहायक क आव यकता होती ह य क लए तोजतन अ धक सहायक ह उतन ही अ छ रहत ह

चाण य कहत ह क उसी प नी का भरण-पोषण करना चा हए जो प तपरायणा होजस मन य क घर म कोई सतान नह वह घर सना होता ह जसक कोई र तदार औरब ध-बा धव नह उसक लए यह ससार ही सना ह द र अथवा नधन क लए तो सबकछ सना ह व ा क ा त क लए अ यास करना पड़ता ह बना अ यास क व ा वषक समान होती ह जस कार अपच क समय हण कया आ भोजन वषत य होता हऔर नधन क लए स जन क सभा म बठना म कल होता ह उसी कार बढ़

क लए ी ससग वष क समान होता हधम उस कहत ह जसम दया आ द गण ह ग उस कहत ह जो व ान हो प नी

वह होती ह जो मधरभा षणी हो ब ध-बा धव वह होत ह जो म कर परत य द इनम यहबात न ह अथात धम दया स हीन हो ग मख हो प नी ोधी वभाव क हो और र तदारबध- बाधव मर हत ह तो उ ह याग दना चा हए अ धक या ाए करन स मन य ज दबढ़ा होता ह य क कामत न हो तो व ज द बढ़ हो जाती ह और कपड़ य द अ धकदर तक धप म पड़ रह तो ज द फट जात ह

चाण य बतात ह क मन य को अपनी उ त क लए चतन करत रहना चा हए कसमय कस कार का चल रहा ह म कौन ह और कतन ह कतनी श ह बारबारकया गया ऐसा चतन मन य को उ त क माग पर ल जाता ह इस अ याय क अत मआचाय चाण य कहत ह क ा ण य व य आ द का दवता अ न अथात अ नहोह ऋ ष-म नय का दवता उनक दय म रहता ह अ पब लोग म त को अपना दवतामानत ह और जो सार ससार क ा णय को एक जसा मानत ह उनका दवता सव ापकऔर सव प ई र ह

अथ पचमोऽ यायः पाचवा अ याय

धन स धम क योग स व ा क मधरता स राजा क औरअ छ य स घर क र ा होती ह

ग र न जातीना वणाना ा णो ग ःप तरव ग ः ीणा सव वाऽ यागतो ग ः

ा ण य और व य आ द ज क लए अ नहो ग क समान आदरणीयह चार वण म ा ण सबस अ धक और आदरणीय ह य क लए प त ही ग हऔर घर म आया आ अ त थ सभी क आदर-स कार क यो य माना गया ह 1

ज का कत ह क व अ नहो आ द कम आदरपवक न य करत रहअ नहो स वायमडल श होता ह मन य क वा य और पयावरण क सधार क लएहवन य आ द करना आव यक माना गया ह ा ण को पजनीय इस लए माना गया ह

य क व सभी वण को व ा दत ह य क लए प त ही उसका आदरणीय ग होता हय क वही उसका भरण-पोषण करता ह और उस स माग पर ल जान म सहायता करता

ह घर म आए ए अ त थ का आदर-स कार सभी लोग को करना चा हए य क वह ब तथोड़ी दर क लए कसी क घर आता ह lsquoअ त थ दवो भवrsquo ऐसा शा वचन भी ह

यथा चत भः कनक परी यतनघषण छदनतापताडनः

तथा चत भः प षः परी यत यागन शीलन गणनकमणा

जस कार सोन क परी ा चार कार स क जाती हmdashउस कसौट पर घसाजाता ह काटकर दखा जाता ह तपाया जाता ह और कटकर उसक जाच क जाती ह उसी

कार मन य कतना ह इसक पहचान भी इन चार बात स होती हचाण य क अनसार इन चार कार स क गई परी ा म वय को सही स करन

वाला ही lsquoखराrsquo ह उसक स जनता उसका च र उसक गण और उसका आचार-वहार उसक खरपन क प करत ह 2

तावद भयष भत यावद भयमनागतमआगत त भय वा हत मशकया

सकट यक मन य पर आत ह परत ब मान य को सकट और आप यस तभी तक डरना चा हए जब तक व सर पर न आ जाए सकट और ख आन पर तो

को अपनी परी श स उ ह र करन का य न करना चा हए 3

एकोदरसमद भता एक न जातकाःन भव त समाः शील यथा बद रक टकाः

एक ही माता क पट और एक ही न म उ प ए बालक गण कम और वभावम एक समान नह होत जस बरmdashव क सभी फल और उनक काट एक जस नह होतउनम अतर होता ह 4

चाण य न बर और काट क उपमा एक वशष वचार स द ह एक ही बर क वपर लग ए सभी फल मीठ नह होत बर व पर काट भी होत ह परत वह काट भी एकजस कठोर नह होत

इसी कार यह आव यक नह क एक ही माता- पता क और एक ही न म पदाहोन वाल ब च क गण कम और वभाव एक जस ह उनका भा य तथा उनक चयाएक जसी नह होत माता- पता क एक होन पर भी ार ध और प र थ तय का अतर तोहोता ही ह

नः पहो नाऽ धकारी या ाकामी म डन यःनाऽ वद धः य यात फटव ा न व चकः

कोई भी अ धकारी लोभर हत नह होता शगार मी म कामवासना क अ धकताहोती ही ह जो चतर नह ह वह मधरभाषी भी नह हो सकता तथा साफ बात कहनवाला कभी भी धोखबाज नह होता 5

ायः दखा जाता ह क जस म बड़ा बनन क लालसा होती ह वही अ धकारा त करना चाहता ह जो अपन शरीर को अ छ व और खशब आ द स सजाता ह

उसम कामवासना क अ धकता होती ह मख और फहड़ मधरभाषी नह होता जो साफ बात कहता ह अथात प व ा होता ह वह कसी को धोखा नह दता नद ष

ही सच बोल सकता ह

मखाणा प डता या अधनाना महाधनाःवारागनाः कल ीणा सभगाना च भगाः

मख व ान स वर भाव रखत ह द र और नधन धनवान को अपना श समझतह व याए कलीन य स षभाव रखती ह और वधवा या सहा गन को अपना श मानती ह 6

यह ससार का नयम ह क वपरीत थ त वाल लोग एक- सर को अपना श समझत ह चा हए तो यह क मख प डत का आदर कर जसस उ ह भी कछ लाभ होपरत वह उनका स मान करन क बजाय उनस मनी रखत ह नधन और आलसी लोगमानत ह क धनी सर को लट-खसोटकर धनवान होता ह परत उ ह यह ान नहहोता क उन य न धन एक त करन म कतना प र म कया ह इतना ही नह उससभालकर रखन क लए भी एक वशष कार क धय क आव यकता होती ह व याए भीकलीन य स ष करती ह और वधवा या सहा गन को भावना क स दखतीह

सकत ह क अयो य और अभाव त ही ष करत ह

आल योपहता व ा परह तगताः यःअ पबीज हत हत स यमनायकम

आल य क कारण व ा न हो जाती ह सर क हाथ म गई ई या न होजाती ह कम बीज डालन स खत बकार हो जाता ह और सनाप त क मार जान पर सना नहो जाती ह 7

इसका भाव यह ह क व ा क ा त और उसक व क लए को आल यका याग कर दना चा हए आलसी कसी गण को ा त नह कर सकता सर क पास जानवाली ी का धम न हो जाता ह अथात कसी सर क अ धकार म जान पर ी कासती व कायम नह रह पाता य द खत म बीज बोत समय कजसी क जाएगी और बीजकम डाला जाएगा तो अ छ फसल नह हो सकगी सना का बल सनाप त स ही थर रहताह जब सनाप त मारा जाता ह तो सना का हार जाना वाभा वक ही ह

अ यासा ायत व ा कल शीलन धायतगणन ायत वायः कोपो न ण ग यत

व ा क ा त नरतर अ यास स होती ह अ यास स ही व ा फलवती होती हउ म गण और वभाव स ही कल का गौरव और यश थर रहता ह प ष क पहचानसद गण स होती ह मन य क आख दखकर ोध का ान हो जाता ह 8

जन य को उ म व ा ा त करनी ह व नरतर य न करत ह व य द बार-

बार अ यास न कर तो व ा क ा त असभव होती ह कसी कल का थर होना उसकायश फलना उसका स होना गौरव क स दखा जाना आ द उसक उ म गण कमऔर वभाव क कारण ही होता ह य द गण कम और वभाव नह ह ग तो कल कागौरव नह बढ़ सकता इसी कार क पहचान उसक अ छ गण क कारण होतीह कसी क ो धत होन का ान उसक आख दखकर हो जाता ह य क ोध ककारण क आख लाल हो जाती ह

व न र यत धम व ा योगन र यतम ना र यत भपः स या र यत गहम

धन स धम क र ा क जाती ह व ा को योग क ारा बचाया जा सकता हमधरता क कारण राजा को बचाया जा सकता ह और अ छ या घर क र क होती ह9

धम क र ा क लए भी धन क आव यकता होती ह धम कम भी धन क ारा हीसप हो सकता ह सर का उपकार करना दान दना म दर आ द का नमाण आ द कायधम मान जात ह व ा को थर रखन क लए चतरतापवक उसका अ यास करन कआव यकता होती ह इस लए कहा गया ह क lsquo व ा योगन र यतrsquo

राजा क र ा उसक मधर वहार क कारण ही होती ह य द शासक र हो जाएतो जा व ोह कर सकती ह इस लए राजा का कत ह क वह मधर और उदार- वहारस अपना रा य न होन स बचाता रह राजा को अपनी जा क त वहार दयालतापणहोना ही चा हए जब तक य को अपन सती व का यान रहता ह उनक मन म अपनप रवार क त ा सव प र रहती ह तब तक घर बचा रहता ह अथात प रवार न नहहोता परत जब व अपन शील और सती व का प र याग कर दती ह तो वह घर न होता ह

अ यथा वदपा ड य शा माचारम यथाअ यथा कवचः शा त लोकाः ल य त चा यथा

व ान क पा ड य क नदा करन वाल शा ारा कह गए आचरणको थ बतान वाल धीर गभीर और शात रहन वाल को ढ गी और पाखडी बतानवाल लोग हमशा ख उठात ह इस पर नदा प काय स कोई लाभ नह होता ह 10

ब त स लोग अपन वभाव क कारण व ान प डत क व ा को थ बतात हउनक नदा करत ह शा म बताए गए नयम क अनसार आचरण करन वाल कोभी व थ का आचरण करन वाला बतात ह व ान को ढ गी और शा को क पतबतात ह ऐसा करत ए व व ान या शा क साथकता को तो नकार नह पात अ पतलाभ स व चत हो जात ह जो उ ह मल सकता था

शात और चपचाप रहन वाल क च पी को मख क भाषा म कमजोरी ही माना

जाता ह व ान आचरण करन वाल धीर गभीर और श का नदा स कछ भीनह बगड़ता हा नदक सदव खी रहत ह य द कोई नद का जल नह पीता तो उससनद का या घटता ह

दा र यनाशन दान शील ग तनाशनमअ ानना शनी ा भावना भयना शनी

दान दन स द र ता न होती ह अ छ आचरण स क र होत ह मन य क ग तसमा त होती ह ब स अ ान न होता ह अथात मखता न होती ह और ई र क भस भय र होता ह 11

आचाय चाण य कहत ह क दान दन स द र ता न होती ह अनक शा औरसत न भी कहा ह क lsquoदान दए धन ना घटrsquo य द मन क साथ इस जोड़ा जाए तो यहकथन और भी प हो जाता ह य क धनी भी मन स द र हो सकता ह और नधन भी

ीमान अ छ गण न वहार और सशीलता क कारण अपन क र करता ह

य क सभी सद गणी और सशील को आग बढ़ान क इ छा रखत हभ सबक सहायता करन वाला ह जो न य नयम स ई र क ाथना

करत ह व सदव गण स बच रहत ह उ ह न तो कसी स डरन क आव यकताहोती ह और न ही व सकट क आन पर भयभीत होत ह

नाऽ त कामसमो ा धनाऽ त मोहसमो रपःनाऽ त कोपसमो वह ननाऽ त ानात परसखम

कामवासना क समान कोई रोग नह मोह स बड़ा कोई श नह ोध जसी कोईआग नह और ान स बढ़कर इस ससार म सख दन वाली कोई व त नह 12

अ धक कामवासना म ल त रहन वाला श हीन होकर अनक रोग काशकार हो जाता ह वह कामवासना क प त क लए रोगी स सबध बनाकर कसी रोग कगर त म भी आ सकता ह

का ोध उसक लए आग का काम करता ह उसका अपना ोध उस जलाडालता ह ान स बढ़कर ससार म सख दन वाली कोई भी व त नह ह जो बऔर ववक स काय करता ह वह सदा सखी रहता ह मोह को सबस बड़ा श बताया गयाह मोह का अथ ह म छा अथात अ ववक यह ब को न कर दता ह

ज मम य ह या यको भन यकः शभाऽशभमनरकष पत यक एको या त परा ग तम

जस कार मन य अकला ही ज म लता ह उसी कार अकल ही उस पाप औरप य का फल भी भोगना पड़ता ह अकल ही अनक कार क क भोगन पड़त ह अथातअकल ही उस नरक का ख उठाना पड़ता ह और अकला ही वह मो को ा त होता ह 13

मन य क ज म और म य क च म उसका कोई साथ नह दता वह जब ज म लताह तब भी अकला होता ह जब उसक म य होती ह तब भी वह अकला होता ह अतः बार-बार ज म लन और मरन क च म मन य को अकल ही भागीदारी करनी होती ह

चाण य न मन य क अकल ही नरक म जान क बात कही ह नरक और कछ नहह मन य ारा भोग जान वाल क का ही नाम ह अकला ही इस क को भोगन कलए मजबर होता ह उसक क म सहानभ त तो जताई जा सकती ह परत उसका कबाटा नह जा सकता य द वह अ छ काय करता ह तो इसी ज म म जीव म क थ तको ा त कर लता ह

आचाय चाण य न यहा सकत दया ह क सब अकल ही करना ह इस लएउ रदा य व को नभान क लए हमशा तयार रहना चा हए सर क ओर य दखनासर का सहारा लन क आदत स म ह यही य कर ह

तण वदः वग तण शर य जी वतमजताऽश य तण नारी नः पह य तण जगत

जस ान ह उसक लए वग तनक क समान अथात त छ ह शरवीर क लएजीवन तनक क समान होता ह जत य अथात सयमी क लए ी (भोग पदाथ)तनक क समान होती ह और इ छार हत मन य क लए सारा ससार ही तनक क समानह 14

जस ान ह उसक लए वग का कोई मह व नह य क वह जानता ह कवग क सख भी णक ह शरवीर जीवन क ब ल दन स नह डरता उसक लए

अपना जीवन एक तनक क समान ह उस अपन जीवन म कसी स भय नह होता जस न इ य को अपन वश म कया ह उस नारी अपन वश म नह कर सकती यहा

नारी श द का अथ ह सभी भोग पदाथ नारी तो उसका तीक मा ह इसी कारइ छार हत क लए सारा ससार तनक क समान होता ह य क उसक कसी व तम आस नह होती आस ही या व त को म य दान करती ह

व ा म वासष भाया म गहष चा धत यौषध म धम म मत य च

वदश म व ा ही मन य क स ची म होती ह घर म अ छ वभाव वाली औरगणवती प नी ही मन य क सबस अ छ म होती ह रोगी क म दवाई ह और

जो मन य मर चका ह उसका धम-कम ही उसका म होता ह 15म क प रभाषा करत ए कहा गया हmdashजो सदव अपन म का हत चतन कर

तथा वप म साथ न छोड़ वही स चा म होता ह इस सदभ म व ा गणी प नीऔष ध और धम को दखन क आव यकता ह य चार म क तरह हत करत ह धम क

ता क ओर भी आचाय न सकत कया ह य क जब सब साथ छोड़ जात ह उस समयधम ही मता मा को सद ग त दता ह उसक मो का कारण बनता ह

वथा व ः सम ष वथा त तष भोजनमवथा दान धनाढ यष वथा द पो दवाऽ प च

सम म बा रश होना भोजन स त त ए मन य को फर स भोजन कराना धनीलोग को दान दना और दन म द पक जलाना आ द बात थ और नरथक होती ह 16

नाऽ त मघसम तोय नाऽ त चा मसम बलमनाऽ त च ःसम तजो नाऽ त धा यसम यम

बादल क जल जसा सरा कोई जल श नह आ मबल क समान सरा कोई बलनह न यो त क समान सरी कोई यो त नह और अ क समान सरा कोई य पदाथनह होता 17

मघ क जल को सबस अ धक प व इस लए माना जाता ह क वह वा यवधकहोता ह जस म आ मा का बल ह अथात जो वय पर व ास करता ह उसम सभी

कार क बल का सहज प म समावश हो जाता ह आ मबल या शरीर और इ य कबल स बढ़कर नह ह चाण य न न क यो त को सबस अ धक उपयोगी माना ह य कन क यो त क बना मन य क लए सारा ससार अधकारमय होता ह अ को मन य कलए सबस अ धक य पदाथ कहा गया ह य क जब तक अ नह मलता तब तक शरीरमन आ द अपना-अपना काय नह कर सकत ा णय क अ मय कोष अथात शरीर कप तो अ स ही होती ह

अधना धन म छ त वाच चव चत पदाःमानवाः वग म छ त मो म छ त दवताः

धनहीन और अ धक धन पाना चाहता ह चौपाय अथात चार पर वाल पशचाहत ह क व बोल सक मन य वग चाहता ह और दवता मो क कामना करत ह 18

हर समय चाहता ह क उस धन क ा त हो परत उस यह पता ही नह होताक उसक लए लगातार म करना पड़ता ह पश वाणी चाहत ह ता क व अपन मन कबात कसी सर स कर सक मन य यह भी चाहता ह क उस वग मल दवता और व ान

इस जीवन स म होन क कामना करत इस लए वह जीवन म ऐस काय करत हजनस जीवन-मरण क बधन स म होकर मो क ा त होती ह ाणीमा का यहवभाव ह क जसक पास जो नह ह वह उसक कामना करता ह

स यन धायत प थवी स यन तपत र वःस यन वा त वाय सव स य त तम

स य क कारण प वी थर ह सय भी स य क बल स काश दता ह स य स हीवाय बहती ह सब स य म ही थर ह 19

स य का आधार ह प वी अथवा यह ससार स य क कारण ही टका आ हइसी स य और स सय का काश सार ससार म फलता ह स य अथवा भ क शस ही इस ससार म वाय का सचार होता ह इस कार सभी कछ स य अथवा म थतह

चला ल मी लाः ाणा ल जी वत-यौवनमचलाचल च ससार धम एको ह न लः

इस चराचर जगत म ल मी (धन) चलायमान ह अथात ल मी थर नह रहती नहो जाती ह ाण भी नाशवान ह जीवन और यौवन भी न होन वाल ह इस चराचर ससारम एकमा धम ही थर ह 20

धन-स प मन य क पास सदा नह रहती उसक कम क अनसार आती-जाती हजस मन य न जीवन धारण कया ह उसका मरना भी आव यक ह इसी लए ाण कोथर नह कहा जा सकता मन य का यौवन सदा थर रहन वाली व त नह बढ़ापा यौवन

का य ह परत धम ऐसा त व ह जसका नाश नह होता मन य क म य क बाद भी धमही उसका साथ दता ह शा क भी मा यता ह क आत भी हम अकल ह और जात भीअकल ही ह ल कन धम हमशा साथ रहता ह आचाय क अनसार जो हमशा साथ रहनवाला ह उसक ओर मन य को यान दना चा हए

नराणा ना पतो धतः प णा चव वायसःचत पदा शगाल त ीणा धता च मा लनी

मन य म नाई सबस अ धक चालाक और हो शयार होता ह प य म कौआ चारपर वाल जानवर म गीदड़ और य म मा लन अ य धक चतर होती ह 21

यहा जन जा तय क बात आचाय चाण य न क ह उस आप जनक माननाआचाय क कथन को सही सदभ म न समझन क भल करना ह जो जा त जतनी अ धकसामा जक होती ह उस इस बात का ावहा रक अनभव होता ह क कस स कस

कार काय करवाना हकछ बराद रय म जो परानी परपरा का नवाह कर रही ह आज भी lsquoना पतrsquo क

मह वपण भ मका होती ह पहल शाद - ववाह आ द म मह वपण नणय भी इनक ारालए जात थ य मी डएटर का काम करत थ और अपन यजमान क त वफादार होत थइनक सामन लोग अपन मन क बात खोलकर भी रख दत ह यही थ त फल का ापारकरन वाली जा त क य क भी ह उनका मल हर तरह क लोग क साथ होता थाअपनी बात रखन क बार म तथा कसी क सवाल का त काल जवाब दन म आज भी उनककोई बराबरी नह ह

यहा एक बात वशष प स समझन क ह क इस नया म कछ भी नकारा मकनह ह ब मान यक व त का यक थ त-प र थ त का और यक सवगका सही योग और उपयोग करना जानता ह यही उसक सफलता का मलम ह इसी लएवह lsquo वशषrsquo कहलाता ह और यह भी क श द का अथ ढ़ क जगह य द यौ गक प मकया जाए तो सवसाधारण उस ख चकर उसी ओर ल जाता जो जनसामा य म च लतह इस बार म तो सभी एकमत स सहमत ह क कछ श द का एक अथ नह होता उसकसही अथ को सदभ क अनसार लगाना पड़ता ह जब श द का अथ भाव क वपरीत हो तोल याथ को समझन का यास करना चा हए

ग क म हमा का वणन सव कया गया ह परत चाण य न यह भी प कया हक सामा य जीवन म कौन कसका ग होता ह उनका कहना ह क य का ग उसकाप त होता ह गह थ का ग अ त थ होता ह ा ण य और व य का ग अ न अथातअ नहो ह और चार वण का ग ा ण होता ह

जस कार सोन को कसौट पर घसकर आग म तपाकर उसक श ता क परखहोती ह उसी कार मन य अपन अ छ कम और गण स पहचाना जाता ह और तकलप र थ तय म य नखरत ह

चाण य कहत ह क मन य को जीवन म भयभीत होन क आव यकता नह उसनडर होकर काय करन चा हए य द कसी भय क आशका हो तो भी घबराना नह चा हएब क सकट आन पर उसका डटकर मकाबला करना चा हए

चाण य कहत ह क यह आव यक नह ह क एक ही माता स उ प होन वालीसतान एक ही कार क वभाव वाली हो सबम अलग-अलग गण होत ह यह वय कभ ता तो क त का वशष गण ह

चाण य का मानना ह क कोई भी वह व त ा त नह कर सकता जसा त करन क उसम इ छा न हो जस वषय-वासना स म नह वह शगार अथवा

सदरता बढ़ान वाली व त क माग नह करता जो बना कसी लाग-लपट क प

बात कहता ह वह कपट नह होता व ा अ यास स ा त होती ह और आल य स न होजाती ह सर क हाथ म दया आ धन वापस मलना क ठन होता ह और जस खत मबीज कम डाला जाता ह वह फसल न हो जाती ह चाण य कहत ह क दान दन स धनघटता नह वरन दानदाता क द र ता समा त होती ह सद ब ारा मखता न होती हऔर मन म सकारा मक वचार स भय समा त हो जात ह

मन य म अनक ऐस दोष होत ह जनस उस अनक क उठान पड़त ह चाण यकहत ह क कामवासना स बढ़कर कोई सरा रोग नह मोह और ोध क समान वय कोन करन वाला कोई श नह चाण य का कहना ह क ोध को हर समय जलातारहता ह मन य जो कम करता ह अ छा या बरा उसका फल उस अकल ही भोगना पड़ताह वह अकला ही इस ससार म ज म लता ह और अकला ही मरता भी ह वग अथवा नरकम भी वह अकला ही जाता ह कवल कम ही उसक साथ जात ह

मन य जब वदश म जाता ह तो उसका ान और ब ही साथ दती ह घर म प नीही स ची म होती ह औष ध रोगी क लए हतकर होन क कारण उसक म ह म य कबाद जब ससार क कोई व त या मन य का साथ नह दता उस समय धम ही का म होता ह

चाण य का कहना ह क वषा क जल स सरा जल नह और काआ मबल ही उसका सबस बड़ा बल ह मन य का तज उसक आख ह और उसक सबस

य व त ह अ ससार म कोई भी अपनी थ त स सत नह ह जो पास म नह ह उसीक चाह यक करता ह नधन धन चाहता ह पश वाणी चाहत ह मन य वग कऔर दव व को ा त जीव मो क कामना करत ह आचाय यहा सकत द रह ह क दवताभी असर त ह उ ह भी प य समा त क बाद म यलोक म आना पड़ता ह इसी लए वदवयो न स भी म होना चाहत ह

स य क मह ा बतात ए चाण य कहत ह क स य क कारण ही नया क सम तकाय- ापार चल रह ह ल मी मन य क ाण और यह ससार सभी न र ह कवल धम हीशा त ह अथात मन य को अपनी च धम म रखनी चा हए

अथ ष ोऽ यायः छठा अ याय

ब मान को अपनी इ य को वश म करक समय कअन प बगल क समान अपन काय को स करनाचा हए तब तक धय रखना चा हए जब तक ल य चलकरपास न आ जाए

वा धम वजाना त वा यज त म तम वा ानमवा ो त वा मो मवा यात

मन य वद आ द शा को सनकर धम क रह य को जान लता ह व ान क बातसनकर बर ढग स सोचना छोड़ दता ह ग स ान ा त कर मन य ससार कबधन स छट जाता ह 1

चाण य का व ास ह क वद-शा क अ ययन क अलावा उ ह सनकर भीलाभ उठा सकता ह उनका कहना ह क वद आ द शा क सनन स धम क रह यको समझ सकता ह और व ान क उपदश सनकर अपन बर वचार को याग सकता हसनन का अथ वद तपा दत ान को ग मख स वण करना भी ह इस कार ान क

ा त वण स ही होती ह जसस मन य ससार क बधन स म हो जाता हआचाय न इस ोक ारा वण क मह व पर काश डाला ह यह वण व ान

और अनभवी ग क मख स होन पर ही फल दता ह lsquoसनो मनन करो और उस आ मसातकरोrsquomdashयह तवा य ह

प णा काक ा डालः पशना चव क करः

मनीना कोपी चा डालः सवषा चव न दकःप य म कौआ पश म क ा म नय म ोध करन वाला और सामा यजन म

सर लोग क नदा करन वाला और चा डाल होता ह 2भाव यह ह क और चा डाल ाणी सभी थान पर होत ह परत ता क

सीमा कहा होती ह इसक ा या चाण य न क ह कौआ प य म इस लए सबसअ धक गदा और माना गया ह य क उस कसी कार क श ता का कोई भी ाननह होता वह सदव गदगी पर जाकर बठता ह पश म क का भी वही हाल ह आचायका कहना ह क ऋ ष-म नय म भी जो ोध करता ह उस और चाडाल माननाचा हए परत सामा य य म और चा डाल वह ह जो सर क नदा करता ह

भ मना श यत का य ता म लन श य तरजसा श यत नारी नद वगन श य त

कास का बतन राख स माजन पर ताबा खटाई स ी रज वला होन क बाद तथानद का जल ती वग स श होता ह 3

मन स प यत राजा मन स प यत जःमन स प यत योगी ी म ती वन य त

अपनी जा म घम- फरकर उसक थ त को जानन वाल राजा क जा उसकपजा करती ह जो ज अथात व ान ा ण दश- दश क भ म पर ान का चारकरता ह उसक पजा होती ह जो योगी सदा घमता रहता ह वह आदर-स कार का भागीहोता ह परत मण करन वाली ी हो जाती ह 4

राजा का कत यह ह क वह वय भी अपन रा य म घम- फरकर जा कवा त वक थ त ात करन क को शश कर वह अपन ान क अनसार उसक ख रकरन का य न कर सकता ह

ा ण का कत ह क वह घम- फरकर लोग को शा का ान द एक थानपर कन स उस थान और वहा सपक म आन वाल लोग स सबध था पत होन क कारणआस और मोह का दय म उठ खड़ा होना वाभा वक ह यह थ त योगी को बाधतीह इसक लए योगी का एक थान पर 24 घट स यादा नह कना चा हए इसक वपरीतइन लोग क समान इधर-उधर घमन वाली नारी अपन धम स वच लत हो जाती ह ी काइधर-उधर घमना प रवार क अपमान का कारण होता ह और वह समाज क नजर म गरजाता ह

ता शी जायत ब वसायोऽ प ता शःसहाया ता शा एव या शी भ वत ता

मन य जसा भा य लकर ज म लता ह उसक ब उसी क अनसार व होती हऔर वह वसाय अथवा काम-ध धा भी वसा ही चनता ह तथा उसक सहायक भी उसी

कार क होत ह 5आचाय का कहना ह क जो होना ह वह तो होकर ही रहता ह मन य काम-ध ध क

लए अपनी ब क अन प ही वसाय का चनाव करता ह और उसक काम-ध ध मसहायता करन वाल भी उसक वचार क अन प मल जात ह

कालः पच त भता न कालः सहरत जाःकालः स तष जाग त कालो ह र त मः

समय सब ा णय को अपन पट म पचा लता ह अथात सबको न कर दता हकाल ही सबक म य का कारण होता ह जब सब लोग सो जात ह तो काल ही जागतारहता ह इसम सदह नह क काल बड़ा बलवान ह काल स पार पाना अ यत क ठन ह 6

काल क भाव स नह बच सकता ह जीव स हत सभी व तए काल कभाव स न हो जाती ह सबक सो जान पर भी वह काल जागता रहता ह काल च स

क आरभ स लकर लय काल तक चलता रहता ह कभी नह कता जो उसक उप ाकरता ह काल (समय) उस पीछ छोड़कर आग नकल जाता ह काल हम सबक साथ ऐसखलता ह जस शकार बन चह क साथ ब ली ड़ा करती ह

न प य त च ज मा धः कामा धो नव प य तन प य त मदो म ो थ दोषान न प य त

ज म स अध को कामाध को और शराब आ द क नश म म त को कछदखाई नह दता वाथ क भी यही थ त ह य क वह उस क दोष कोदख नह पाता जसस उसक वाथ क प त होती हो 7

वय कम करो या मा वय त फलम तवय म त ससार वय त मा म यत

जीवा मा वय काय करता ह और उसका फल भी वय भोगता ह वह वय हीव भ यो नय म ज म लकर ससार म मण करता ह और वय ही अपन प षाथ सससार क बधन तथा आवागमन क च स छटकर म को ा त करता ह 8

आचाय क अनसार जस कम करता ह उसक अनसार ही उस कम का फलभोगना पड़ता ह कम क फल क अन प ही उस ख और सख मलता ह वह वय हीअपन कम क अनसार ससार म व भ यो नय म ज म लता ह और ज म-मरण क च मपड़ा रहता ह उस इस च स म भी वय उसक काय स ही मलती ह आचाय काकथन ह क बधन और म दोन त हार हाथ म ह lsquo वयrsquo श द पर जोर दया ह जो

उ रदा य व क ओर सकत करता ह

राजा रा कत भ रा ः पाप परो हतःभता च ीकत पाप श यपाप ग तथा

राजा को रा क पाप का फल भोगना पड़ता ह राजा क पाप परो हत भोगता हप नी क पाप उसक प त को भोगन पड़त ह और श य क पाप ग भोगत ह 9

राजा य द रा को ठ क ढग स नह चलाता अथात अपना कत पालन नह करतातो उसस होन वाली हा न राजा को ही क प चाती ह य द परो हत अथात राजा कोपरामश दन वाला राजा को ठ क तरह स म णा नह दता तो उसका पाप परो हत कोभोगना पड़ता ह ी य द कोई बरा काय करती ह तो उसका प त दोषी होता ह इसी कारश य ारा कए गए पाप का वहन ग को करना पड़ता ह lsquoअधीनrsquo ारा कए गए पाप काभागी वामी होता ह

ऋणकता पता श माता च भचा रणीभाया पवती श ः प श रप डतः

ऋणी पता अपनी सतान का श होता ह यही थ त बर आचरण वाली माता कभी ह स दर प नी अपन प त क और मख प अपन माता- पता का श होता ह 10

कसी भी कारण स अपनी सतान पर ऋण छोड़कर मरन वाला पता श कहा गयाह य क उसक ऋण क अदायगी सतान को करनी पड़ती ह भचा रणी माता भी श क समान मानी गई ह य क उसस प रवार कल कत होता ह इसी कार अ य धक सदर

ी प त क लए श क समान ह य क ब त स लोग उसक प स आक होकर उसपथ करन का य न करत ह मख प क काय क वजह स माता- पता को न यअपमान सहना पड़ता ह इसस प रवार को ख व हा न होती ह इसी लए वह प रवार काश ह

ल धमथन ग यात त धम लकमणामखः छ दोऽनव न यथाथ वन प डतम

लोभी को धन दकर अ भमानी को हाथ जोड़कर मख को उसक इ छा क अनसारकाय करक और व ान को स ची बात बताकर वश म करन का य न करना चा हए 11

लोभी अपन वाथ म इतना अधा होता ह क वह धन ा त क बना सतनह होता उस धन दकर वश म कया जा सकता ह जस को अ भमान ह अहकारह उस न तापवक वहार करक वश म कया जा सकता ह मख सदव हठ होताह इस लए उसक इ छा क अनसार काय करक उस अपन अनकल बनाया जा सकता हऔर व ान को वश म करन का सबस सही उपाय यह ह क उस वा त वकता स

प र चत करवाया जाए

वर न रा य न कराजरा य वर न म नक म म मवर न श यो न क श य श यो वर न दारा नकदारदाराः

बर रा य क अप ा कसी कार का रा य न होना अ छा ह म क बजायम न होना अ छा ह श य क जगह श य न होना अ धक अ छा ह और प नीका प त कहलान स अ छा ह क प नी न हो 12

चाण य मानत ह क शासन- व था स सप रा य म ही रहना चा हए और मभी सोच- वचारकर ही बनान चा हए

ग को भी चा हए क परखकर श य बनाए तथा ी को प नी बनान कअप ा अ छा ह क ववाह ही न कया जाए

कराजरा यन कतः जासख क म म णकतोऽ त नव तःकदारदार कतो गह र तः क श यम यापयतःकतो यशः

राजा क शासन म जा को सख नह मल सकता धोखबाज म स सख का त नह हो सकती ी को प नी बनान स घर म सख और शा त नह रह सकती

इसी कार खोट श य को व ा दान दन वाल ग को भी अपयश ही मलता ह 13सहादक बकादक श च वा र क कटात

वायसा प च श च षट शन ी ण गदभात को शर और बगल स एक-एक मग स चार कौए स पाच क स छह और

गध स तीन गण सीखन चा हए 14इस ससार क यक व त और यक ाणी हम कोई न कोई उपदश द रह ह इन

गण को सीखकर जीवन म सफलता उ त और वकास कया जा सकता ह आगामी चारोक म ऐस ही कछ गण का वणन कया गया ह

भत कायम प वा य रः कत म छ तसवार भण त काय सहादक च त

काय छोटा हो या बड़ा को श स ही उसम परी श लगा दनी चा हए यहश ा हम सह स ल सकत ह 15

इसका भाव यह ह क जो भी काय कर चाह वह छोटा हो अथवा बड़ा उसपरी श लगाकर करना चा हए तभी उसम सफलता ा त होती ह सह परी श सशकार पर झपटता हmdashवह बड़ा हो या छोटा बड़ को दखकर घबराता नह और छोट कउप ा नह करता सफलता पान क लए यास पर व ास आव यक ह

इ या ण च सय य बकवत प डतो नरःदशकालबल ा वा सवकाया ण साधयत

ब मान को अपनी इ य को वश म करक समय क अन प अपनी मताको तौलकर बगल क समान अपन काय को स करना चा हए 16

बगला जब मछली को पकड़न क लए एक टाग पर खड़ा होता ह तो उस मछली कशकार क अ त र अ य कसी बात का यान नह होता इसी कार ब मान जबकसी काय क स क लए य न कर तो उस अपनी इ या वश म रखनी चा हए मनको चचल नह होन दना चा हए तथा च एक ही दशा म एक ही काय क प त म लगारह ऐसा यास करना चा हए शकार करत समय बगला इस बात का परा अदाजा लगालता ह क कया गया यास न फल तो नह जाएगा

य थान च य च स वभाग च बधषवयमा य भ च श च वा र क कटात

समय पर उठना य क लए सदा तयार रहना अपन ब ध को उनका उ चतह सा दना और वय आ मण करक भोजन करना मन य को य चार बात मग स सीखनीचा हए 17

गढमथनच र व च काल काल च स हमअ म म व ास प च श च वायसात

छपकर मथन करना ढ ठ होना समय-समय पर कछ व तए इकट ठ करना नरतरसावधान रहना और कसी सर पर परी तरह व ास नह करना य पाच बात कौए ससीखन यो य ह 18

ब ाशी व पस त ः स न ो लघचतनःवा मभ शर षडत ानतो गणाः

ब त भोजन करना ल कन कम म भी सत रहना गहरी न द ल कन ज द स उठबठना वा मभ और बहा री य छह गण क स सीखन चा हए 19

स ा तोऽ प वहद भार शीतो ण न च प य तस त रत न य ी ण श च गदभात

को य तीन बात गध स सीख लनी चा हएmdashअपन मा लक क लए बोझढोना सद -गम क चता नह करना तथा सदा सतोष स अपना जीवन बताना 20

य एतान वश तगणानाच र य त मानवःकायाऽव थास सवास अजयः स भ व य त

जो इन बीस गण को सीख लता ह अथात इ ह अपन आचरण म ल आता हवह सब काय और अव था म वजयी होता ह अथात उस कसी भी अव था म पराजयका मख नह दखना पड़ता 21

आचाय का कथन ह क शा म जो ान दया गया ह वह स ा तक ह जसनभी सफलता और उ त क त व को वय म अपन आसपास या समची क त म दखाउस उ ह न ज ास क लए ल पब कर दया ल कन उस अपन जीवन म उतारन कलए सदह र हत होना ज री ह

य गण पश-प य म सहज प स दखन को मलत ह इ ह अपनाकर ही वअ त व क लड़ाई म वय को बचा पात ह कस उसी क बानगी द ह आचाय नभगवान द ा य ारा 24 ग स कछ-न-कछ सीखना

इसी तरह क अ य उदाहरण ह अपनी जाच-पड़ताल क लए आप यह दख कइनम स आपक पास कौन-स गण ह और कौन स नह

वण का जीवन म अ यत मह व ह ल कन उसक भी एक स न त व ध हग मख स ही शा का वण करना चा हए ग व ान और अनभवी होता ह इस लएउसक सन वचन को जीवन म धारण करन स भटकाव समा त होता ह न त दशामलती ह

चाण य का कहना ह क मन य जीवन बड़ सौभा य स ा त होता ह इस लएमन य को चा हए क वह अपन जीवन को शभ काय क ओर लगाए सर क नदा आ दकरना छोड़ द वद आ द शा क पढ़न और शभ काय करन स मन य इस ससार म यशको ा त होता ह चाण य कहत ह जस मन य क पास धन ह सभी उसक भाई-बध मबनन को तयार हो जात ह और उस ही प ष मान लया जाता ह व यह भी कहत ह कजसी होनी होती ह मन य क ब और उसक कम भी उसी कार क हो जात ह इसससार म समय ही ऐसी व त ह जस टाला नह जा सकता चाण य क अनसार जब मन यअपन वाथ म अधा हो जाता ह तो उस अ छ-बर म अतर दखाई नह दता मन य काबधन और म उसक ारा कए जान वाल कम पर ही आ त होत ह य क वह जसा

कम करता ह उस वसा ही फल भोगना पड़ता हआचाय क अनसार जा क काय का फल राजा को प नी क काय का फल प त

को तथा पता ारा छोड़ा गया ऋण प को चकाना पड़ता ह भचा रणी माता और मखप मन य क लए श क समान होत ह चाण य सामा य जीवन म आन वाली सम यापर काश डालत ए कहत ह क कसी का लोभी स पाला पड़ जाए तो उस धनदकर व ान को अपन मधर वहार स और मख तथा को उसक अनकल वहार सवश म कया जा सकता ह ऐस रा य म रहना उ चत नह जहा स व था न हो इसी

कार स म ता करन क बजाय म र हत रहकर जीवन गजार दना यादा हतकर हचाण य का कहना ह क सह स एक गण सीखना चा हएmdash कसी भी काय को

करत समय उसम अपनी परी श लगाना बगला मछली पकड़न क लए आख बद करकएक टाग पर खड़ा होता ह यह इ य को वश म करन का उदाहरण ह यह बगल स सीखनयो य गण ह यास करना मह वपण ह इस लए उस करन स पहल अपनी मता को परखल बगला यह न त हो जान क बाद ही क अब शकार बच नह सकता अपना यासकरता ह इसी कार मग स चार बात सीखनी चा हए मन य को म त म उठना झगड़का सकट उ प होन पर पीछ न हटना और जो कछ भी ा त हो उस अपन भाई-ब ध मबाटकर ही उपयोग म लाना इसी कार कौए म भी पाच गण होत ह छपकर मथन करनाहठ होना समय-समय पर व त को इकट ठा करना हमशा चौक ा रहना तथा कसी परव ास न करना क म ब त अ धक खान क श होती ह परत जब उस ब त कमभोजन मलता ह तब भी वह उसी म सतोष कर लता ह वह एकदम गहरी न द म सो जाताह परत अ यत सतक रहता ह और जरा-सी आहट होन पर ही जाग उठता ह उस अपनमा लक स म होता ह और समय पड़न पर वह वीरतापवक श स लड़ता भी ह इसी

कार गधा अ यत थका होन पर भी अपन काम म लगा रहता ह उस सद -गम आ द कसीबात का क नह होता और अपन जीवन स पण प स सत रहता ह

चाण य क अनसार जो इन गण को धारण कर लता ह उस जीवन मसफलता ा त होती ही ह सफलता क कामना करन वाल को चा हए क वह इन गण कोअपन जीवन म वशष थान द इनक आधार पर हम अपनी सभावना को भी आकसकत ह द खए कसौट पर घसकर अपन खरपन को

अथ स तमोऽ यायः सातवा अ याय

जस मन य न व ा को हण नह कया उसका जीवनक क उस पछ क समान ह जसस न तो वह अपन ग तभाग को ढक सकता ह न ही काटन वाल म छर आ दक ट को उड़ा सकता ह

अथनाश मन ताप गह रता न चव चन चाऽपमान च म तमा काशयत

एक ब मान को चा हए क वह अपन धन क न होन को मान सक खको घर क दोष को कसी ारा ठग जान और अपना अपमान होन क बात कसीपर भी कट न कर कसी को भी न बताए1

यक को कभी-न-कभी धन क हा न उठानी पड़ती ह उसक मन म कसीकार का ख या सताप भी हो सकता ह यक घर म कोई-न-कोई बराई भी होती ह कई

बार उस धोखा दकर ठगा जाता ह और कसी क ारा उस अपमा नत भी होना पड़ सकताह परत समझदार को चा हए इन सब बात को वह अपन मन म ही छपाकर रखइ ह कसी सर पर कट न कर जानकर लोग हसी ही उड़ात ह ऐसी थ त म वहवय उनका मकाबला कर और सही अवसर क तलाश करता रह

धन-धा य योगष व ास हणष चआहार वहार च य ल जः सखी भवत

जो धन-धा य क लन-दन म व ा अथवा कसी कला को सीखन म भोजन

क समय अथवा वहार म ल जाहीन होता ह अथात सकोच नह करता वह सखी रहताह 2

को लन-दन म कसी कार का सकोच नह करना चा हए अपनी बात पऔर साफ श द म कहनी चा हए व ा अथवा कसी गण को सीखत समय सकोच करनस भी हा न होती ह

इसी कार भोजन करत समय जो सकोच करता ह वह भखा रह जाता हइसी लए भोजन क समय लोकाचार और वहार क समय को सकोच न करकअपन वचार प प स करन चा हए लोग ोक क आ खरी वा य को उद धत करकहत ह क lsquo नल ज सखी होता हrsquo सदभ क अनसार इसका अथ करना चा हए ता कअथ का अनथ न हो

स तोषाऽमतत ताना य सख शा तचतसामन च तद धनल धाना मत त धावताम

जो सतोष पी अमत स त त ह मन स शात ह उस जो सख ा त होता हवह धन क लए इधर-उधर दौड़-धप करन वाल को कभी ा त नह होता 3

सतोष क बड़ी म हमा ह जो सतोष स अपना जीवन बतात ह और शातरहत ह उ ह जतना सख ा त होता ह वह धन क लालच क लए हर समय दौड़-धप करनवाल को ा त नह हो सकता सकत ह क लोभी स सतोषी ह और सतोषजीवनदाता ह

स तोष ष कत ः वदार भोजन धनष चव न कत ोऽ ययन तपदानयोः

अपनी प नी भोजन और धनmdashइन तीन क त मन य को सतोष रखना चा हएपरत व ा ययन तप और दान क त कभी सतोष नह करना चा हए 4

चाण य क अनसार को अपनी प नी स ही सत रहना चा हए अ य यस सबध बनाना अपमा नत करता ह को घर म जो भोजन ा त होता ह और उसकजतनी आय ह उसम ही सतोष करना चा हए ल कन व ा क अ ययन यम- नयम आ दक पालन और दान आ द काय स कभी भी सत नह होना चा हए अथात जतनाअ धक अ ययन करगा जतना अ धक अपन च र को ऊचा उठान क लए तप करगा तथादान आ द करता रहगा उसस मन य को लाभ होगा य तीन चीज ऐसी ह जनस मन य कोसतोष नह करना चा हए सत कहा हो और कहा नह जीवन म यह जानना भी ज रीह

व यो व वह यो द प योः वा मभ ययोःअ तरण न ग त हल य वषभ य च

दो ा ण क बीच स ा ण और अ न क बीच स प त-प नी क बीच स सवकऔर नौकर क बीच स तथा हलmdashबल क बीच स कभी नह नकलना चा हए 5

जहा दो ा ण खड़ ह या बात कर रह ह उनक बीच स नह नकलना चा हएइसस उनका अपमान होता ह इसी कार ा ण और अ न क बीच स नकलकर नहजाना चा हए हो सकता ह क ा ण हवन य आ द कर रहा हो

इसी कार प त-प नी जहा कह खड़ अथवा बठ ह उनक बीच स नकलना भीअन चत माना गया ह मा लक और नौकर हल और बलmdashइन दोन क बीच स भी नहनकलना चा हए हो सकता ह क मा लक और नौकर कसी वशष बात पर चचा कर रहह हल और बल क बीच म स नकलन का भाव बलकल प ह क ऐस म चोट लगसकती ह

पादा या न पशद न ग ा णमव चनव ग न कमार च न व न शश तथा

अ न ग ा ण गाय कवारी क या बढ़ा आदमी और छोट ब चmdashइन सबकोपर स कभी नह छना चा हए 6

कछ काय ऐस भी ह ज ह करन स हा न होती ह और कछ काय आचार- वहारक वपरीत होत ह उ ह करन स समाज म अपयश होता ह अ न को प व माना गया हइस लए उस पर स पश नह करना चा हए ग ा ण और गाय को भी प य होन ककारण पर स छना उ चत नह कवारी लड़क बढ़ आदमी और ब च भी स मान क पाहोत ह इस लए इ ह भी पर स नह छना चा हए प य को यथायो य स मान दन पर य दआय व ा यश और बल क ा त होती ह तो अनादर करन स इनक हा न भी तो होगीही इ तहास म ऐस कई उदाहरण ह जनस इस कथन क प होती ह

शकट प चह तन दशह तन वा जनमह ती शतह तन दश यागन जनम

बलगाड़ी स पाच हाथ घोड़ स दस हाथ और हाथी स सौ हाथ र रहन म ही मन यक भलाई ह ल कन स बचन क लए य द थान वशष का याग भी करना पड़ तोहचकना नह चा हए 7

को वय इस बात का य न करना चा हए क कसी कारणवश उस हा न नप च बलगाड़ी क बलकल नकट चलन स कोई घटना हो सकती ह घोड़ा कसी कारक हा न प चा सकता ह हाथी स भी कचल जान का भय रहता ह इस लए इनस र रहनाचा हए चाण य का मानना ह क इन सबस बरा होता ह इन सबस बचन काय द कोई और उपाय न हो तो को वय वह थान वशष याग दना चा हए

ह ती अकशमा ण वाजी ह तन ता त

शगी लगडह तन खड गह तन जनःहाथी को अकश स वश म कया जाता ह घोड़ को हाथ क थाप स सीध रा त पर

लगाया जाता ह स ग वाल पश को डडा मारकर सीध रा त पर लाया जा सकता ह परत को हाथ म पकड़ी ई तलवार स मारा जाना चा हए य क वह वश म नह

आता उस न ही करना होता ह 8

त य त भोजन व ा मयरा घनग जतसाधवः परस प ौ खलः पर वप ष

ा ण भोजन स त त हो जाता ह मोर बादल क गजन पर स जन सर को सपऔर सखी दखकर परत सर को वप म पड़ा दखकर स होत ह 9

आचाय चाण य न यहा वभाव क ओर सकत कया ह भोजन करक ा णसत होता ह य क इसस उस खलान वाल को प य क ा त होती ह बादल को जलस भरा और स ता क कारण गजना करता दखकर मयर न य करन लगता ह इसी तरहस जन सर को सखी दखकर हष का अनभव करत ह जब क सर क ख म सखीहोत ह

आचाय न और स जन क वभाव क अतर स यह बताना चाहा ह क यकको वय म झाककर दखना चा हए क वह सर क सख म सख का अनभव कर रहा ह याउस सर को ख प चान म या खी दखन म सख क अनभ त होती ह पहली थ तस जन क ह और सरी क

अनलोमन ब लन तलोमन जनमआ मत यबल श वनयन बलन वा

बलवान श को अनकल तथा जन श को तकल वहार ारा अपन वश मकर इसी कार अपन समान बल वाल श को वन ता या बल ारा जो भी उस समयउपय हो अपन वश म करन का य न करना चा हए 10

चाण य का कहना ह क समय और थ त क अनसार अपन श स वहार करनाचा हए य द श बलवान ह तो वनयपवक उस जीतन का य न करना चा हए अथवाअपन अनकल बनान का य न करना चा हए श क साथ तकल वहार करनाचा हए य क स जनतापवक कए गए वहार को वह कमजोरी समझगा इस लए उसकसाथ ऐसा वहार इस कार कया जाना चा हए ता क उसक ता पर अकश लग

बा वीय बल रा ो ा णो वद बलीपयौवनमाधय ीणा बलम मम

राजा का बल अथवा श उसक भजा का बल ह ा ण का बल उसका ान

ह और य का बल प और यौवन क साथ-साथ उनका समधर वहार ह 11राजा क भजबल स चाण य का भाव उसक सश सना स ह जस राजा क सना

सश होगी वह दश क र ा कर सकगा परत इसक साथ-साथ शारी रक प स राजा कोवय भी बलवान होना चा हए वह सना क रणा होता ह ा ण क श ई र सबधीान ह य का बल प और यौवन क साथ-साथ उनका मधर वहार ह इन दोन का

सम वय य द न हो तो ी उतनी भावशाली नह हो पाती जतनी क उसम सभावना ह

नाऽ य त सरलभा ग वा प य वन थलीमछ त सरला त क जा त त पादपाः

मन य को अ य त सरल और सीधा भी नह होना चा हए वन म जाकर दखो सीधव काट दए जात ह और टढ़-मढ़ गाठ वाल व खड़ रहत ह 12

आचाय चाण य क अनसार मन य को अ य त सरल और सीध- वभाव का भीनह होना चा हए इसस उस सब लोग बल और मख मानन लगत ह तथा हर समय कदन का य न करत ह सीधा- सादा यक क क लए सगम होता ह जब कटढ़ स सब बचन क को शश करत ह ऐस म पयोग तो होगा ही

य ोदक त वस त हसाः तथव श कप रवजय तन हसत यन नरण भा पन यज तपनरा य त

जहा जल रहता ह वहा हस रहत ह और जब जल सख जाता ह तो हस उस थानको छोड़ दत ह मन य को हस क समान वाथ नह होना चा हए य क व कभी यागकरत ह और कभी आ य लत ह 13

मन य ही नह दवता भी वाथ ह जब तक कोई त त करता ह सबध रखत हफर छोड़ दत ह ल कन चाण य इस ठ क नह मानत उनका मानना ह क सख म हीनह ख म भी साथ नह छोड़ना चा हए य द कसी न समय पर आपक लए कछ कया हतो ऐसा नी त क स भी आव यक ह सबध को तोड़ना ब मान का वभावया गण नह ह कभी भी कसी क ज रत पड़ सकती ह अगर सबध ही तोड़ दया तोआप उसक पास फर कस मह स जाएग

उपा जताना व ाना याग एव ह र णमतडागोदरस थाना परीवाह इवाऽ भसाम

अ जत अथवा कमाए ए धन का याग करना अथात उसका ठ क ढग स यकरना उसस साथक लाभ उठाना ही उसक र ा ह जस कार तालाब म भर ए जल कोनकालत रहन स ही उस तालाब का पानी श और प व रहता ह 14

मन य ारा कमाए गए धन का सही उपयोग यही ह क वह उस ठ क ढग स काम मलाए उसका दान कर उसका उ चत उपभोग करmdashसही अथ म यही धन क र ा ह य दधन कमान क बाद उसका सही उपयोग नह कया जाएगा तो धन कमान का लाभ ही याह यह बात उसी कार ठ क ह जस य द तालाब म भर ए पानी को नकाला नह जाएगातो वह सड़ जाएगा सड़न स बचान क लए उसका उपयोग आव यक ह इसी तरह तालाबक र ा हो सकती ह धन क र ा का भी उपाय यह ह क उसका स पयोग कया जाए

य याऽथा त य म ा ण य याऽथा त य बा धवाःय याऽथाः स पमा लोक य याऽथाः स च जीव त

ससार म जसक पास धन ह उसी क सब म होत ह उसी क सब भाई-ब ध औरवजन होत ह धनवान को ही माना जाता ह इस कार वह आदरपवक

अपना जीवन बताता ह 15आचाय न धन क मह व पर काश डालत ए यहा प कया ह क मन य क पास

जब तक धन रहता ह तब तक सब उसक म बन रहत ह जसक पास धन होता ह उसकर तदार भी ब त होत ह धनवान को ही ससार म माना जाता ह और धनवान

का ही जीवन ध य कहलान यो य ह नधन तो नज व क समान ह य क नतो उसक ओर कोई यान दता ह न ही कोई उसका अपना होता ह

धन म ऐसी श ह क यह जानत ए भी क यह आन-जान वाला ह सब लोगधनवान को ही अपना म और पा रवा रकजन बनाना उ चत समझत ह उस ही

माना जाता ह

वग थताना मह जीवलोक च वा र चह ना नवस त दहदान सगो मधरा च वाणी दवाऽचन ा णतपणच

वग स इस ससार म आन वाल जीव क शरीर म चार बात उसक च प म रहतीह अथात उसक चार मख गण होत ह उसम दान दन क व होती ह वह मधरभाषीहोता ह दवता क पजा-अचना करता ह उनका आदर-स कार करता ह और व ान-

ा ण को सदव त त अथात सत रखता ह 16आचाय चाण य क अनसार जन य म य चार गण होत ह व मानो प वी पर

उतर ए दवता ही ह वाणी म मठास मपवक बना अ भमान क बात करना दान दन कव दवता का आदर-स कार और उनक पजा-अचना करना तथा ा ण को पजा

तथा आदर-स मान ारा त त करन का य न करना ही तो दवता क ल ण ह इसधम थ म दवी सप कहत ह

अ य तकोपः कटका च वाणी द र ता च वजनषवरमनीच सगः कलहीनसवा चह ना न दहनरक थतानाम

(इसी कार) नरक म रहन वाल जब दह धारण कर इस ससार म आत ह तो उनमऊपर बताए गए च क सवथा वपरीत च होत ह व मधरभाषी होन क बजाय अ यत

ोधी वभाव क होत ह कड़वी बात कहत ह व नधन होत ह अपन प रवारजन तथाम स व ष-भाव रखत ह उनक सग त म नीच लोग रहत ह और व नीच कल वाल कसवा करत ह 17

यह ोक पव ोक क भाव स सब धत ह लोग अ य त ोधी वभाव कहोत ह मधर भाषण करन क बजाय कठोर और कड़वी बात बोलत ह व द र होत हअथात उनक पास धन नह होता जस कार क ा सर अप र चत क को दखकर उसपर भ कता ह उसी कार अपन स भी वर-भाव रखन लगता ह उसक सगी-साथीनीच होत ह और वह नीच लोग क ही सवा करता ह ऐस लोग नरक स आत ह और जहारहत ह वहा भी नरक ही बना दत ह

ग यत य द मग -म दर ल यतक रकपोलमौ कमज बकाऽऽलयगत च ा यत व स-प छ-खर-चम-ख डनम

य द कोई मन य सह क गफा म प च जाए तो वहा सभव ह क उस हाथी कम तक का मोती (गजम ा) ा त हो जाए ल कन य द कोई गीदड़ क गफा म जाएगा तोवहा उस कसी बछड़ क पछ का अथवा गध क खाल का टकड़ा ही ा त होगा 18

इस ोक स चाण य का भाव यह ह क साहसी और शरवीर क सग त मय प भय और खतरा ह फर भी वहा र न क ा त हो सकती ह परत कायर औरठग क पास तो कछ भी हाथ नह लगता कछ मलता भी ह तो वह त छ तथानक होता ह

शनः प छ मव थ जी वत व या वनान ग गोपन श न च दश नवारण

व ा क बना मन य का जीवन क क उस पछ क समान ह जसस न तो वहअपन शरीर क ग त भाग को ढक सकता ह और न ही काटन वाल म छर आ द को उड़ासकता ह 19

वाचः शौच च मनसः शौच म य न हःसवभत दया शौच एत छौ पराऽ थनाम

वाणी क प व ता मन क श इ य का सयम ा णमा पर दया धन कप व ता मो ा त करन वाल क ल ण होत ह 20

नी त थ म अ या म स सब धत ोक का आना कछ पाठक को खटक सकताह उ ह ऐसा लगगा मानो आचाय अपन ल य स भटक गए ह ल कन ऐसा समझनाआचाय चाण य क व को न समझ पाना ह अपनी कटनी तक चाल स श को मातदन वाल आचाय अपन ल य को ा त करन म इसी लए सफल ए य क व अपनअतरमन स उतन सरल और सहज थ महान उद द य को ा त करन क लए लघ वाथ कोछोड़न क उ ह न श ा ही नह द उ ह अपन आचरण म भी व श थान दया अ या मउनक जीवन का आधार था बधन तो लीला मा ह असल म तो उनक सार यास म कलए ही थ

उ ह न इन ोक ारा बताया क भगव ा और द ता कह अ य नह हयक म वह रची-बसी ह ज रत ह उसका अनभव करन क आचाय न उस अनभव क

लए श चता (प व ता) को सबस आव यक माना ह जो वाणी और मन स प व होगा औरजो सर को खी दखकर खी होता होगा वही ववकवान हो सकता ह परोपकार कभावना हो ल कन इ य पर सयम न हो तो भी अपन ल य को पाया नह जा सकता एक

थ त ा त करन क बाद माग स भटकन का भय बना रहता ह सयमी तो वहा वय कोसभाल लता ह जहा इ य लोलप उलझ जाता ह बना ववक क स य का ान नह होताऔर उसक बना बधनम भी नह आ जा सकता

प प ग ध तल तल का ऽ न पय स घतमइ ौ गड तथा दह प याऽऽ मान ववकतः

जस फल म सगध होती ह तल म तल होता ह सखी लकड़ी म अ न होती ह धम घी और ईख म गड़ तथा मठास होती ह वस ही शरीर म आ मा और परमा मा व मानह ब मान मन य को ववक का सहारा लकर आ मा और परमा मा को जानन का य नकरना चा हए 21

आचाय न साधन और सा य दोन का प कथन कया ह यहा

मन य को कई कारण स धन क हा न होती ह कई कारण स वह खी रहता हप रवार म कभी कछ दोष भी आ जात ह तथा कई बार उस धत लोग क हाथ स धोखा भी

उठाना पड़ता ह चाण य का कहना ह क मन य को ऐसी बात को कसी सर पर कटकरन क आव यकता नह य क ऐसा करन स जगहसाई क अ त र कछ हाथ नहआता इसस सामा जक त ा पर भी आच आती ह

जो मन य लन-दन क सबध म सकोच करता ह उस हा न उठानी पड़ती ह कसीव ा क ा त अथवा कोई गण सीखत समय भी मन य को सकोच नह करना चा हएयहा सकोच न करन का अथ यह नह ह क मन य अ यत लोभी हो जाए मन य को सतोषीहोना चा हए परत कछ बात ऐसी भी ह जनक सबध म सतोष करन स हा न होती ह जसmdash व ा भ मरण और दान आ द

यहा आचाय न सामा य आचरण क बात का भी उ लख कया ह य क इनसगत प स लाभ होता ह और सामा जक त ा भी ा त होती ह जहा दो मन य

बात कर रह ह उनक बीच म नह पड़ना चा हए इसी कार जब कोई ा ण हवन आ दकर रहा हो तो उसक बीच स गजरना ठ क नह हल और बल क बीच म जो अतर होता हउस बनाए रखना चा हए य द उस बीच म आन का कोई य न करगा तो हल क (फाल)अगल तीख भाग स घायल हो जाएगा अ न ग ा ण गौ क या व और बालक कोपर नह लगाना चा हए इ ह पर लगान का अथ ह उनका अपमान करना उ ह न यहा परयह भी बताया ह क ा ण को य द स मानपवक भोजन आ द करवा दया जाए तो वहसत हो जाता ह आकाश म उमड़त बादल को दखकर मोर स होता ह साध अथवास जन लोग सर का क याण होन स स होत ह परत आदमी सर क भलाई नहदख सकता उस इसस क होता ह

चाण य न जहा समय क अनकल आचरण करन क बात कही ह वह व यह भीकहत ह क अपन स बलवान श को चतरतापवक अनकल वहार करक स करनाचा हए और अपन स कमजोर दखाई दन वाल श को भय दखाकर वश म कर लनाचा हए इस कार राजा म चतरता वन ता और बल का स म ण होना चा हए ा णको अपनी श वद आ द शा क ान स बढ़ानी चा हए जब क य क श उनकमधर वाणी ह

चाण य कहत ह क को अ य त सरल और सीध वभाव का भी नह होनाचा हए सीध को सब अपन उपयोग म लाना चाहत ह जसस उस अकसर हा न हीहोती ह य क उसक हत क चता कसी को नह होती

आचाय क अनसार को सदव अपना प नह बदलत रहना चा हए और न हीअपना थान व कहत ह क कवल उसी धनी का स मान समाज म होता ह जो उसधन का स पयोग करता ह अथात अ छ धन को काम म लगाता ह य क जो अ छ लोगइस ससार म आत ह उनम दान दन क व होती ह जो कट-भाषण नह करत दवी-दवता तथा ई र क पजा करत ह और ा ण को भोजन आ द स सत रखत हmdashव ततःव ही प ष कहलात ह इसक वपरीत आचरण करन वाल क णी म आत ह

चाण य का कहना ह क मन य को सदव स जन और अपन स उ म प ष कही सग त करनी चा हए अथात मन य का ल य होना चा हए क वह अपन स यस सपक बनाए तभी वह ससार म सफल हो सकता ह नीच लोग क साथ रहन म सदवहा न होती ह

जस कार फल म सगध तल म तल लकड़ी म आग ध म घी ईख म गड़ होनपर भी दखाई नह दता अथात य चीज इन व त म व मान रहती ह परत उ ह आख सदखा नह जा सकता इसी कार मन य क शरीर म आ मा व मान रहती ह इस कटकरन क लए वशष और स व थत यास अथात वशष कार क नरतर साधनाआव यक ह

अथ अ मोऽ यायः आठवा अ याय

भ म क अदर स नकलन वाला पानी श माना जाता हप त ता नारी प व होती ह लोग का क याण करन वालाराजा प व माना जाता ह और सतोषी ा ण को भी प वमाना गया ह

अधमाः धन म छ त धन मान च म यमाःउ माः मान म छ त मानो ह महता धनम

जो लोग ससार म कवल धन क इ छा करत ह व अधम अथात नीच को ट क हम यम णी क लोग धन और स मान दोन क इ छा करत ह जब क उ म को ट क मन यको कवल आदर-स मान ही चा हए होता ह 1

ससार म धन क इ छा तो सभी को रहती ह परत धन क ा त क लए न न णीक लोग अ य सब बात भल जात ह सब कछ भलाकर धन क पीछ भागना ठ क नह म यम णी क लोग व ह जो धन क साथ मान-स मान क भी इ छा रखत ह व धन क

ा त क लए अपन मान-स मान को दाव पर नह लगात प ष अथात उ म को ट कमन य व ह जनक लए आदर-स कार ही सब कछ ह उ म को ट क लोग को महा माकहा जाता ह उनक लए धन का वशष मह व नह होता व धन का योग जीन क लएकरत ह धन क लए नह जीत ह

इ रापः पयो मल ता बल फलमौषधमभ य वाऽ प कत ाः नानदानाऽऽ दकाः

याःग ा पानी ध कदमल फल पान तथा दवाइय का सवन करन क बाद भी नान

आ द और धम काय कए जा सकत ह 2सामा य भारतीय म यह धारणा पाई जाती ह क नान- यान आ द करन क बाद ही

फल और औष ध आ द का सवन करना चा हए परत चाण य कहत ह क बीमारी कअव था म ध जल कदमल फल और दवाई आ द का सवन कया जा सकता ह इसमकोई पाप नह उसक बाद नान आ द करक पजा-पाठ और धा मक काय करना अन चतनह ह

द पो भ यत वा त क जल च सयतयद भ य य जायत ता शी जा

द पक अधकार को खाता ह और उसस काजल क उ प होती ह इसी कारमन य जसा अ खाता ह वसी ही उसक सतान उ प होती ह 3

ता पय बलकल प हmdashय द अ छ काय स अपनी आजी वका चलाएगातो उसक सतान भी सद गण स य होगी य द वह चोरी और म कारी स पदा कए एधन स अपनी सतान का पालन-पोषण करता ह तो सतान क वचार भी उसी कार कनक ह ग आचाय यहा सकत द रह ह क जसी सतान चाहत हो वसा ही अ सवन करोसतान य द फल ह तो अ उसका बीज ह

व द ह गणा वतष म तम ा य द ह व चता त वा र नधजल घनमख माधयय सदा

जीवा थावरजगमा सकलान सजीभम डलमभयः प य तदव को टग णत ग छ तम भो न धम

ब मान या अ छ गण स य मन य को ही धन दो गणहीन को धन मत दोसम का खारा पानी बादल क मीठ पानी स मलकर मीठा हो जाता ह और इस ससार मरहन वाल सभी जड़-चतन चर और अचर जीव को जीवन दकर फर सम म मल जाताह 4

चाण य न ब मान को धन दन क उपमा वषा क जल स क ह अथातजस कार वषा का जल जड़-चतन आ द को जीवन दन क बाद फर सम म जा मलताह और फर सम स करोड़ गना अ धक बादल को पनः ा त हो जाता ह उसी कार गणी

को दया आ धन अनक अ छ काय म य होता ह यह ोक यह भी सकतकरता ह क य प धन अनक गण स य ह फर भी गणी का साथ पाकर वह

नद ष हो जाता हmdashजनोपयोगी हो जाता ह

चा डालाना सह च स र भ त वद श भःएको ह यवनः ो ो न नीचो यवनात परः

त व को जानन वाल व ान न यह कहा ह क हजार चा डाल क समान एकयवन अथात ल छmdash धम वरोधी होता ह इसस बढ़कर कोई सरा नीच नह होता 5

यहा यवन श द का अथ कसी स दाय वशष स नह ह वरन अधम का आचरणकरन वाल स ह य द इस श द का अथ सम प म लया जाए तो वह ह तनऔर मन स अश तथा अप व रहन वाला नीच दया गया ोक इसी बात क प करताह

तलाऽ यग चताधम मथन ौरकम णतावद भव त चा डालो याव नान न चाऽऽचरत

तल क मा लश करन क बाद चता क धए क पश करन क बाद ी स सभोगकरन क बाद और हजामत आ द करवान क बाद मन य जब तक नान नह कर लता तबतक वह चा डाल अथात अश होता ह 6

अजीण भषज वा र जीण वा र बल दमभोजन चामत वा र भोजना त वष दम

अपच क थ त म जल पीना औष ध का काम दता ह और भोजन क पच जान परजल पीन स शरीर का बल बढ़ता ह भोजन क बीच म जल पीना अमत क समान ह परतभोजन क अत म जल का सवन वष क समान हा नकारक होता ह 7

हत ान याहीन हत ाऽ ानतो नरःहत ननायक स य यो न ा भतकाः

आचरण क बना ान थ ह अ ान स मन य न हो जाता ह सनाप त कअभाव म सना न हो जाती ह और प त स र हत या भी न हो जाती ह 8

य द को ान ह क कौन-सा काय उ चत ह और कौन-सा अन चत इसकबावजद वह अपन आचरण म इस बात को नह अपनाता तो ऐसा ान थ ह उसका कोईलाभ नह

मन य का जीवन बड़ी क ठनाई स ा त होता ह ई र न ाणी को ब इसी लएद ह क वह ानवान होकर शभाचरण कर कत कछ लोग अपनी अ ानता क कारणजीवन सकट म डालकर न हो जात ह अथात अ ान उ ह नगल जाता ह इसी कारसनाप त क बना सना थ होती ह और वह न हो जाती ह या भी प त क बना लोग ारा सताए जान क कारण न हो जाती ह प त उसका र क होता ह वही उसक

र ा करता ह प त क बना वह अपन माग स भटक सकती ह इस सदभ म आज यक थ त म ब त अतर आया ह श ा इसका मख कारण ह

व काल मता भाया बधह त गत धनमभोजन च पराधीन त ः पसा वड बना

व ाव था म प नी का दहा त हो जाना धन अथवा सप का भाई-ब ध क हाथम चल जाना और भोजन क लए सर पर आ त रहना यह तीन बात मन य क लएम य समान खदायी ह 9

ख जीवन का एक मह वपण ह सा ह ल कन व ाव था म य द कोई प षअपनी प नी को खो द तो वह दा ण थ त ह जीवन साथी क जीवन म दो भ मकाए हmdashभोग और सहयोग व ाव था म एक- सर क सहयोग क अप ा होती ह परपरा कअनसार प त अकसर प नी स 5-7 वष बड़ा होता था व ाव था म इस अतर का अ यतमह व ह जब पर प रवार क अपनी नया हो व एक तरह स नरथक हो चक ह बढ़दप त ही एक- सर क लए साथक ह ऐस म एक का वशषकर प नी का चल जाना प तक लए म य क समान ह आचाय न एक मह वपण सम या क ओर मानो इस ोकाश ससकत कया ह प ष क बना ी अपना समय काट लती ह सो चए पराधीन कौन ह

ना नहो वना वदा न च दान वना यान भावन वना स त माद भावो ह कारणम

अ नहो आ द कम क बना वद का अ ययन थ ह तथा दान-द णा क बनाय आ द कम न फल होत ह ा और भ क बना कसी भी काय म सफलता ा तनह होती अथात मन य क भावना ही उसक वचार उसक सब स य और सफलता काकारण मानी गई ह 10

का पाषाणधातना क वा भावन सवनमया च तया स त यः व णः सीद त

लकड़ी प थर अथवा धात क म त म भ क भावना और ा रखकर उसकपजा क जाएगी तो स अव य ा त होती ह भ इस भ पर अव य स होत ह 11

लकड़ी प थर अथवा धात क म तय स को स ा त नह होती सा त होती ह तप या और भावना स अथात मन य उनक त जसी भावना रखता ह और

ापवक सवा करता ह को वसी स ही ा त होती ह उसी भ पर व णतथा परम र स होत ह lsquoजाक रही भावना जसी भ मरत दखी तन तसीrsquo अथात पजाम भावना ही धान हmdashजसी भावना वसा फल

न दवो व त का न पाषाण न म मय

भाव ह व त दव त माद भावो ह कारणमदवता अथवा परम र काठ अथवा प थर क म त म नह ह परम र तो मन य क

भावना म व मान रहत ह अथात जहा मन य भावना ारा उसक पजा करता ह वह वकट होत ह 12

शा तत य तपो ना त न स तोषा पर सखमन त णायाः परो ा धन च धम दयापरः

शा त स बढ़कर कोई तप नह सतोष स बढ़कर कोई सख नह त णा अथवा चाहस बढ़कर कोई रोग नह दयालता स बढ़कर कोई धम नह 13

शात रहन क लए को अपनी कामना और इ य पर नय ण रखना होताह इसी लए यह तप ह जो हर समय भागता-दौड़ता रहता ह और और क कामनाकरता रहता ह उस सख नह मल सकता मन य क त णा उस रोग क तरह ह जसमभख कभी शात नह होती दया को आचाय न सव धम माना ह दया का अथ ह सवदनाका वकास इसम अ य का भाव समा त हो जाता ह

ोधो वव वतो राजा त णा वतरणी नद व ा काम धा धनः स तोषो न दन वनम

ोध यमराज क समान ह त णा वतरणी ह व ा कामधन ह और सतोष नदन वनअथात इ क उ ान क समान ह 14

ोध यमराज क समान म यदाता ह मन य क इ छाए वतरणी नद क समान हजनका पार नह पाया जा सकता

व ा को सब कामना को पण करन वाली कामधन बताया गया ह अतः व ानसरलतापवक धन और मान-स मान दोन को अ जत कर सकता ह मन य क जीवन मसतोष को इ क वा टका क समान अ य त सख दन वाला माना गया ह इस लए को चा हए क जीवन म सखी रहन क लए व ा का स ह कर और अपना समय सतोष कसाथ बताए

गणो भषयत प शील भषयत कलमस भषयत व ा भोगो भषयत धनम

गण स मन य क सौ दय क व होती ह शील स कल क शोभा होती ह कायम सफलता स व ा शो भत होती ह और धन क सही उपभोग स धन क शोभा बढ़ती ह 15

मन य क दह य द सदर ह ल कन उसम गण का अभाव ह तो वह स दय कसीकाम का नह अ छ आचरण क कारण ही कल क शोभा होती ह य द उ च कल म उ प

आ नीच आचरण करता ह तो उसका कल बदनाम होता ह और ऐसी व ा क भीकोई शोभा नह होती जसस मन य कसी काय को स न कर सक अथात मन य कोअपन काय म स व ा क कारण ही ा त होती ह ऐसी व ा का कोई लाभ नह जसस कोई भी काय न लया जाए धन क उपभोग का अथ ह क धन को अ छ काय मलगाया जाए धन क शोभा तभी ह जब उसका ठ क स उपयोग कया जाए उस अ छकाय म लगाया जाए

नगण य हत प ःशील य हत कलमअ स य हता व ा अभोगन हत धनम

गणहीन मन य का सदर अथवा पवान होना थ होता ह जस काआचरण शील स य नह उसक कल म नदा होती ह जस म कसी काय कोस करन क श नह ऐस ब हीन क व ा थ ह और जस धन का उपभोगनह कया जाता वह धन भी थ ह 16

श चभ मगत तोय श ा नारी प त ताश चः मकरो राजा स तोषी ा णः श चः

भ म क अदर स नकलन वाला पानी श माना जाता ह प त ता नारी प व होतीह लोग का क याण करन वाला राजा प व माना जाता ह और सतोषी ा ण को भीप व माना गया ह 17

चाण य का कथन ह क भ म क नीच स ा त होन वाला जल श माना जाता हप त क त सम पत नारी श और प व मानी जाती ह जो राजा अपनी जा क क याणम लगा रहता ह जो सरकार अपनी जनता का क याण करती ह ाचार म नह पड़तीउस श और प व माना जाता ह उसी कार जो ा ण सत रहता ह अथात जसमधन क लालसा नह ह वही प व ह

अस त ा जा न ाः स त ा महीभतःसल जा ग णका न ा नल जा कलागना

सतोषर हत ा ण सत होन वाला राजा शम करन वाली व या और ल जाहीनकलीन या न हो जाती ह 18

असत रहन वाला ा ण अपन कम स हो जाता ह वह अपना कत भलजाता ह समाज म उसक त ा ीण होती ह इसी कार जो राजा अपनी थोड़ी-सीसफलता स सतोष कर लता ह उसम मह वाका ाए कम हो जाती ह वह अपना रा य काव तार न करन क कारण श हीन होकर न हो जाता ह व या का काय लोग कोसत करना ह वह बाजार म बठकर भी य द सकोच और ल जा करती रहगी तो वह भखीमर जाएगी इसी कार य द अ छ घर क औरत ल जा को याग दती ह तो व भी न हो

जाती ह इस ोक स प होता ह कोई एक काय कसी क लए हतकर ह तो कसी कोहा न प चान वाला होता ह कत का नणय सदभ क अनसार होता ह उसक कोईन त गाइडलाइन नह ह

क कलन वशालन व ाहीनन द हनामकलीनोऽ प व ा दवर प सप यत

य द कल व ाहीन ह तो उसक वशाल और बड़ होन स कोई लाभ नह य द बरकल म उ प आ व ान ह तो दवता लोग भी उसक पजा करत ह 19

व ार हत बड़ कल म उ प होन स कोई लाभ नह य क का स मान बड़कल म उ प होन स नह होता ब क व ान होन और अ छ गण क कारण होता ह इस

कार चाण य कवल वश को मह व नह व क व ान होन को अ धक मह व दत हउनका कहना ह क य द नीच कल म उ प आ भी व ा आ द गण स य ह तोसभी लोग उसका स मान करत ह रावण उ चकल म उ प आ ल कन गण क कारण

यक वष जलाया जाता ह

व ान श यत लोक व ान ग छ त गौरवमव या लभत सव व ा सव प यत

इस ससार म व ान क शसा होती ह व ान को ही आदर- स मान और धन-धा य क ा त होती ह यक व त क ा त व ा ारा ही होती ह और व ा क सबजगह पजा होती ह 20

मासभ ः सरापानमख ा रव जतःपश भः प षाकारभाराऽऽ ा ता च म दनी

मास खान वाल शराब पीन वाल मख और नर र मन य पी पश क भार सयह प वी पी ड़त और खी रहती ह 21

मास खान वाल और शराब पीन वाल यह सोच भी नह पात क कौन-सीव त खान क यो य ह और कौन-सी नह इस कार मख और नर र प-रग म तोमन य क समान होत ह परत वह पश क समान इस प वी का भार ह अथात उनस इसससार का कोई उपकार नह होता ऐस लोग को पश कहना पश का अपमान ह

अ हीनो दहद रा म हीन ऋ वजःयजमान दानहीनो ना त य समो रपः

जो दश को अ हीन करता हो जसम म को न जानन वाल ऋ वज ह जसकयजमान दान भावना स र हत ह ऐसा य श समान ह 22

आचाय क अनसार य जहा मन य क लए अनक कार स लाभकारी ह वह

य द य ठ क कार स स प न कया जाए तो उसस ब त बड़ी हा न भी होती ह य सवषा होती ह और रा म अ और धन-धा य क व होती ह यह य का य फल हऋ वज अथात य करान वाल आचाय को म होना चा हए इसी कार य कताअथात यजमान का दय भी वशाल होना चा हए

उसक आचाय क त न ा और ा होगी तभी वह उ ह धन-धा य आ द दकरस करगा आचाय य क साथकता क लए ऋ वज और यजमान क यो य होन क

ओर सकत कर रह ह

चाण य न इस अ याय म शरीर क स एक समान दखन वाल मन य का गणऔर व क अनसार वभाजन कया ह वभाव और व ही को उ म म यमऔर न न बनाती ह न न णी क लोग जस-तस धन इकट ठा करना चाहत ह व ऐसउपाय स भी धन ा त करना चाहत ह जनस उनका अपमान होता ह उ ह मान-अपमानक कोई चता नह होती म यम णी क लोग मान-स मान क साथ-साथ धन इकट ठाकरना चाहत ह परत उ म णी क लोग कवल मान-स मान को ही मह व दत ह धन उनकलए गौण होता ह म य नह

चाण य कहत ह क जस कार का भोजन करता ह जसा अ खाता हउसक सतान भी वसी ही होती ह यह सकत ह क भोजन कवल वाद या पट भरन क

स ही मह वपण नह ह यह मानव-जा त क भ व य को भी नधा रत करता हचाण य न तीन बात म य क समान क दन वाली बताई हmdash व ाव था म मन य

क प नी क म य होना धन-सप का सर क हाथ म जाना और खान-पान क लएसर पर आ त रहना इनम स दो का अनभव तो कसी भी अव था क को हो

सकता ह ल कन एक का सबध वशष अव था स ह इस ओर सकत करक आचाय नजीवन क कट स य को उजागर कया ह इसस उस अव था म प ष क नरीहता भी कटहोती ह

चाण य न क वचार और उसक भावना को अ धक मह वपण बताया हउ ह न कहा ह क लकड़ी प थर और धात क म तय क य द श भावना और ा सपजा क जाए तो सब काय पण हो जात ह इन म तय म भगवान का वास उस प म नहहोता जसा क लोग मानत ह मन य क उ च भावनाए अथवा वचार ही म त को मा यमबनाकर पजक का क याण करत ह

अथ नवमोऽ यायः नौवा अ याय

जो ा ण धन क ा त क वचार स वद का अ ययनकरत ह और जो अथात नीच मन य का अ खात ह ववषहीन साप क समान कछ भी करन म असफल होत ह

म म छ स च ात वषयान वषवत यजमाऽऽजव दया शौच स य पीयषवद भज

य द त म चाहता ह तो बर सन और बरी आदत को वष क समान समझकरउनका याग कर द तथा मा सरलता दया प व ता और स य को अमत क समान हणकर 1

आचाय चाण य न म चाहन वाल को सलाह द ह क वषय को व वष कसमान छोड़ द य क जस तरह वष जीवन को समा त कर दता ह उसी तरह वषय भी

ाणी को lsquoभोगrsquo क प म न करत रहत ह यहा वषय श द का अथ व त नह ब कउसम आस का होना ह इस कार आचाय क म वषयास ही म य ह लोगजस अमत क तलाश वग म करत ह उस आचाय न इन पाच गण म बताया ह इस

ोक का उ लख lsquoअ ाव गीताrsquo म भी इसी प म जनक-अ ाव सवाद क प म आह यहा चत अथात य द श द अ यत मह वपण ह ऐसा कहन का ता पय ह क य द कोईम होन का सक प कर चका हmdashवस ायः हम बधन म आन दत होत रहत ह बधन मसर ा महसस करत ह

पर पर य ममा ण य भाष त नराधमाः

त एव वलय या त व मीकोदरसपवतजो लोग एक- सर क भद को कट करत ह व उसी कार न हो जात ह जस

बाबी म फसकर साप न हो जाता ह 2अपमा नत करन क वचार स अपन म क रह य को कट करन वाल उसी

कार न हो जात ह जस कार बाबी म घसा आ साप बाहर नह नकल पाता और बाबीक अदर ही दम घटन स मर जाता ह ऐस लोग न घर क रहत ह न घाट क

ग धः सवण फल म द डनाऽका र प प खल च दन यव ान धना नप रायः

धातः परा कोऽ प न ब दोऽभता न सोन म सगध और ईख क पौध म फल उ प नह कए और न य ही

चदन क व म फल भी पदा नह होत इसी तरह व ान को अ धक धनी और राजाको अ धक लबी आय वाला नह बनाया उसस ऐसा लगता ह क ाचीनकाल म भ कोब दन वाला कोई नह था 3

व त को यक चाहता ह यही चाह उस उस व त स र कराती हजस ा त करन क लए उसन कठोर म कया ह य क उसम भी उस कमी नजर आनलगती ह ऐस असमजस क थ त को ही आचाय न यहा तत करन का यास कयाय द सोन म सगध भी होती तो उसका म य और भी बढ़ जाता इस lsquoय दrsquo क सदभ म हीलोग क ओर स आचाय यहा स रच यता को उलाहना द रह ह उसक ब को कोस रहह ल कन य द ऐसा हो जाता जसी लोग क चाह ह तो वसा न होन क कामना लोग करत

या यह सच नह हसव षधीनाममता धाना सवष सौ य वशन

धानमसव याणा नयन धान सवष गा ष शरः

धानमसभी कार क औष धय म अमत सबस मख औष ध ह सख दन वाल सब

साधन म भोजन सबस मख ह मन य क सभी इ य म आख सबस धान और हतथा शरीर क सभी अग म मन य का सर सव ह 4

कछ य न इस ोक म आए ए अमता श द का अथ गलोय स भी कयाह गलोय का उपयोग अनक रोग क लए कया जाता ह परत मल अथ अमत ही उ चतह य क अमत भी एक कार क औष ध ह और अमत स सभी को जीवन ा त होता ह

मन य क पास धन आ द सभी सख क साधन ह परत जब तक वह भोजन नहकरता तब तक उस पण सख ा त नह होता इस लए भोजन को सब सख म धान मानागया ह मन य अनक इ य स य हmdashवह सनता ह पश करता ह चखता ह अनभ तकरता ह परत य द वह दख नह सकता तो उस इ य स पण सख ा त नह होता इस लएआख को सब इ य म धान बताया गया ह इसी कार शरीर क सभी अग म मन य कासर धान ह उसी को सभी अग म माना गया ह म त क का मह व सव व दत ह

तो न स चर त ख न चल च वातापव न ज पत मद न च सगमोऽ त

ो न थत र वश श हण श तजाना त यो जवरः स कथ न व ान

आकाश म कसी त का जाना सभव नह और वहा कसी स कसी कार कबातचीत भी नह हो सकती परत जस ा ण न आकाश म सय और च मा क हणक बात बताई ह उस व ान य न माना जाए 5

व ाथ सवकः पा थः धाऽऽत भयकातरःभा डारी तहारी च स त स तान बोधयत

व ाथ सवक माग म चलन वाला प थक या ी भख स पी ड़त डरा आ और भ डार क र ा करन वाला ारपाल य द अपन कायकाल म सो रह ह तो इ ह जगादना चा हए 6

य द व ाथ सोता रहगा तो व ा का अ यास कस करगा मा लक य द सवक कोसोता दख लगा तो उस नौकरी स पथक कर दगा य द या ी रा त म सो जाएगा तो या तोउसक चोरी हो जाएगी अथवा उसक ह या कर द जाएगी व म य द कोई यास या भखस ाकल ह तो उस जगाना ही उसक सम या का समाधान ह यही बात व म डर ए

पर भी लाग होती हभ डार क र क तथा ारपाल सो रह ह तो इ ह जगा दना ठ क रहता ह य क

इनक सोन स इनक ही नह अनक लोग क हा न होती ह आचाय क इस कथन को शाक उन आदश स जोड़कर दखना चा हए जनम यह कहा गया ह क सोत ए कोउठाना नह चा हए न ा शारी रक और मान सक व ाम क वह अव था ह जो ाणी कोसतलन क सम चत व था दती ह

इसी सदभ म पश और व को सोत ए स न जगान और रा क समय पश नकरन का नदश कया गया ह

अ ह नप च शा ल क ट च बालक तथा

पर ान च मख च स त स तान न बोधयतसाप राजा बाघ सअर बालक सर क क और मख को सोत म जगाना

नह चा हए 7य द सोए ए साप को जगाएग तो वह काट खाएगा इसी कार सोत ए राजा को

जगान पर वह ो धत होकर ह या का आदश द सकता ह बाघ आ द हसक पश कोजगान का या प रणाम हो सकता ह यह सब जानत ह सोत ए बालक को जगाएग तोवह भी मसीबत खड़ी कर दगा इसी कार सर क क और मख मन य को जगानानह चा हए उनक सोत रहन म ही भला ह

अथाऽधीता यवदा तथा श ा भो जनाःत जाः क क र य त न वषा इव प गाः

जो ा ण धन क ा त क वचार स वद का अ ययन करत ह और जो शअथात नीच मन य का अ खात ह व वषहीन साप क समान कछ भी करन म असमथहोत ह 8

जो ा ण वद का अ ययन कर उसस धन कमात ह अथात उस ान स पसाबटोरत ह और व ा ण भी जो अपना पट भरन क लए श क अधीन रहत ह अथात नीचलोग का अ खात ह व वषर हत सप क समान नरथक ह तजहीन हो जान क कारणऐस व ान ा ण को ससार म कसी कार का यश और स मान ा त नह होता

य मन भय ना त त नव धनाऽऽगमःन होऽन हो ना त स ः क क र य त

जसक नाराज होन पर कसी कार का डर नह होता और जसक स होन परधन ा त क आशा नह होती जो न द ड द सकता ह और न ही कसी कार क दया

कट कर सकता ह उसक नाराज होन पर कसी का कछ नह बगड़ता 9न वषणाऽ प सपण कत ा महती फणावषम त न चा य त घटाटोपो भयकरः

वषहीन साप को भी अपना फन फलाना चा हए उसम वष ह या नह इस बात कोकोई नह जानता हा उसक इस आडबर स अथवा दखाव स लोग भयभीत अव य होसकत ह 10

ात त सगन म याह न ी सगतःरा ौ चौय सगन कालो ग छ यधीमताम

मख लोग अपना ातःकाल का समय जआ खलन म दोपहर का समय ी सग मऔर रा का समय चोरी आ द म थ करत ह 11

चाण य ारा य मख और थ श द यहा मह वपण ह मख क बार म ऐसाकहकर आचाय न सकत कया ह क व ान अपना समय सद काय म तीत करत ह

वह त थता माला वह तघ च दनमवह त ल खत तो श या प य हरत

अपन ही हाथ स गथी ई माला अपन हाथ स घसा आ चदन और अपन ही हाथस लखी ई भगवान क त त करन स मन य इ क धन-स प को भी वश म करसकता ह 12

चाण य का भाव यह ह क धनवान को भगवान क त त करन क लए कएजान वाल उपाय को वय अपन हाथ स करना चा हए सर स करवान स कोई लाभ नहहोता

इ द डा तलाः ाः का ता हम च म दनीच दन द ध ता बल मदन गणवधनम

ईख तल मख छोट आदमी ी सोना भ म चदन और दही तथा पान इ हजतना मला जाएगा उतन ही इनक गण बढ़ग 13

ईख और तल आ द को जतना अ धक दबाएग उतना ही अ धक तल और रसनकलगा सोन को भी जतना तपाया अथवा श कया जाएगा उसम चमक और नखारआएगा भ म म जतना अ धक हल चलाया जाएगा उतना ही अ धक उसस अ क उ पहोगी इसी कार चदन और दही आ द को जतना रगड़ग और मथग उतना ही उनक गण मव होती ह इसी कार मख क म त क पर भी जब जोर पड़गा तभी वह कछ गण को

हण कर सकगा यह बात उन जा तय और रा पर भी लाग होती ह जो माद म डबी ईह तथा नक मी हो गई ह ज ह न सघष कया वो उ त और वक सत ह

द र ता धीरतया वराजत कव ता श तयावराजत

कद ता चो णतया वराजत क पता शीलतयावराजत

द र अव था म य द धय नह छोड़ता तो नधनता क नह दती साधारणव को य द साफ रखा जाए तो वह भी अ छा लगता ह य द सामा य भोजन जसप कारक न माना जाए भी ताजा और गम-गम खाया जाए तो अ छा लगता ह इसी कारसशीलता आ द गण क होन पर क पता बरी नह लगती 14

आचाय क अनसार म य द गण ह तो उसक दोष क ओर कोई यान नहदता व भल ही स ता हो ल कन व छ होना चा हए भोजन भल ही साधारण हो क तउ चत ढग स उस य द पकाया और परोसा जाए तो वह भी चकर लगता ह अथ यह ह क

म गण क धानता होनी चा हए दखाव क नह

चाण य न मन य को जीवन का ल य बतात ए कहा ह क जो ससार सम होना चाहत ह उ ह वषय-वासना का याग वष क समान कर दना चा हए अथातब हचक जो नीच मन य सर क त घणा क कारण कठोर बात बोलत ह व न हो जातह कोई भी उनका स मान नह करता

चाण य ससार क व च धारणा को करत ए बतात ह क सोन म सगधनह होती ईख पर फल नह लगता चदन क व पर फल नह लगत व ान क पासधन नह होता और राजा को ायः अ धक आय नह मलतीmdashय बात दखकर ऐसा लगता हक परम र न यह काम करत ए ब का सहारा नह लया अथात भल तो कसी स भीहो सकती ह काश परमा मा न ऐसा कया होता

चाण य कहत ह क अमत सबस उ म औष ध होती ह य क इसस म य रोग सम मल जाती ह सबस बड़ा सख भोजन क ा त ह ान य म सबस उ म आख हऔर शरीर क अग म सबस मन य का सर ह

ा ण क व ा बतात ए चाण य का कथन ह क आकाश म कोई गया नह सय च मा तक कोई प चा नह परत जस व ान ा ण न उनक ग त उनक हण ससब धत ान दया ह और भ व यवाणी क ह उस व ान मानन म सकोच नह करनाचा हए अथात प वी पर बठ-बठ जसन इन आकाशीय घटना का परी तरह स सहीआकलन कर लया वह अव य सराहना क यो य ह

चाण य न अनक थान पर कहा ह क को ससार म सतक होकर जीवनबताना चा हए व ाथ नौकर या ी और भख स खी डरा आ और ारर कmdashइ ह सदा जागत रहना चा हए य द इ ह सोता दख तो इ ह जगा द ल कन राजा सापबाघ जगली सअर और सर का क ा तथा मख य द सोए पड़ ह तो इ ह जगानानह चा हए य सोए ही हतकारी ह

इस अ याय म आचाय चाण य न ा ण क सबध म कहा ह क उ ह प तत लोगस कसी कार क सहायता नह लनी चा हए य क ऐस लोग क वाथ भी त छ ही होतह समय आन पर उनक प त म सहयोग करना और न करना दोन ही थ तया वधावालीह सहयोग करन पर न तकता क हा न होती ह तथा न करन पर कत न होन का आभासहोता ह आचाय का कहना ह क मन य को अपना वा त वक वभाव नह छोड़ना चा हएअथात य द साप वषर हत ह तो भी उस अपन पर आ मण करन वाल को डरान क लएफन फलात रहना चा हए इसका अथ यह ह क आड बर स भी सर य को भा वत

कया जा सकता ह कसी सत ारा सप को दया गया यह उपदश सभी न पढ़ा-सना होगाक फफकारना ज र चा हए भल ही डसन का मन न हो

मख को इस बात का ान नह होता क कस समय कौन-सा काय कया जाए वहातःकाल ही जआ आ द खलन लगत ह दोपहर का समय भोग- वलास और रा का

समय चोरी आ द बर काम म बतात ह य तीन काय धम और कानन दोन स न षह इनस धन और स मान क हा न होती ह सबस बढ़कर इनस आ मा का पतन होता हचाण य का कहना ह क भ क उपासना को वय करनी चा हए जस कार भख-यास तभी शात होती ह जब आप वय भोजन खात और पानी पीत ह उसी कार आपकारा कए गए शभ कमmdashई र उपासना आ द तभी परी तरह स फल दता ह जब आप उसवय कर को क म धय रखना चा हए धय स क उतन खदायी तीत नह होतजतन धय न होन पर अनभव म तो यह भी आया ह क धय ख को कम ही नह करताब क सख को भी साथ क साथ उजागर कर दता ह ऐस म ख ख रहता ही नह ह

ीक ण न गीता म धयशील को अमत व का अ धकारी माना हmdashयो धीरः सः अमत वायक पत इस कार मन य का सबस सवा धक मह वपण गण ह धय

अथ दशमोऽ यायः दसवा अ याय

भा य अथवा भ क म हमा अपर पार ह उसक कारण एकनधन भखारी पल म राजा बन सकता ह और राजा कोकगाल होना पड़ता ह

धनहीनो न हीन ध नकः स स न यःव ार नन यो हीनः स हीनः सवव तष

धन स हीन मन य द न-हीन नह होता य द वह व ा धन स य हो तो परत जसमन य क पास व ा पी र न नह ह वह सभी चीज स हीन माना जाता ह 1

पत यसत पाद व पत पब जलमशा पत वदत वा य मनः पत समाचरत

भली- कार आख स दखकर मन य को आग कदम रखना चा हए कपड़ सछानकर जल पीना चा हए शा क अनसार कोई बात कहनी चा हए और कोई भी कायमन स भली कार सोच-समझकर करना चा हए 2

आचाय क अनसार मन य को सोच-समझकर उ चत काय करना चा हए कसीकाय को करन स पहल यह भली कार जाच-परख ल क वह वहार और शा स वतो नह ह सदव सावधान और सचत रहकर यक काय को करन क सलाह यहा द गईह जल क त क गई असावधानी अनक रोग क उ प कर सकती ह

सखाथ वा यज ा व ाथ वा यजत सखम

सखा थनः कतो व ा व ा थनः कतो सखमय द सख क इ छा हो तो व ा अ ययन का वचार छोड़ दना चा हए और य द

व ाथ व ा सीखन क इ छा रखता ह तो उस सख और आराम का याग कर दनाचा हए य क सख चाहन वाल को व ा ा त नह हो सकती और जो व ा ा त करनाचाहता ह उस सख नह मल सकता 3

चाण य का व ास ह क व ा ा त क समय व ाथ को सख-स वधा कआशा नह करनी चा हए कठोर तप स ही व ा क ा त हो सकती ह य द व ाथ व ाम पारगत होना चाहता ह तो उस नरतर अ यास करना पड़ता ह जो सख स नह हो सकताह या क ठनता स मलन वाली कोई भी व त म यवान नह होती अतः व ाथ को सखक आशा ही छोड़ दनी चा हए अ यथा उस व ा ा त नह हो सकती भोग और ानपर पर वरोधी ह

कवयः क न प य त क न कव त यो षतःम पाः क न ज प त क न भ त वायसाः

क व अपनी क पना स या नह दख सकत अथात सभी कछ दख सकत ह औरया या नह कर सकत व सभी कार क मनमानी कर सकती ह नश म चर

या नह बोल सकता अथात कछ भी बोल सकता ह और कौआ या नह खाता 4आचाय न क व श द का योग यहा ऋ ष और क व दोन अथ म कया ह कहा

जाता हmdashlsquoजहा न प च र व वहा प च क वrsquo और ऋ ष उस कहत ह जो म कासा ा कार करता हmdashऋषयो म ारः

या अपन साहस क कारण ऐस काय कर सकती ह ज ह करन स पव प षकई बार सोचगा नश म चर क जो कछ भी मन म आता ह बक दता ह उस समयउस भल-बर का ान नह होता इसी कार कौआ भी अपन वभाव क कारण कह भी जाबठता ह

रक करो त राजान राजान रकमव चध नन नधन चव नधन ध नन व धः

भा य क म हमा अपर पार ह य क वह नधन अथात भखारी को पल म राजाबना सकता ह और राजा को कगाल इसी तरह भा य क ही कारण धनवान नधनबन जाता ह और नधन धनवान 5

ल धाना याचकः श मखाणा बोधकः रपःजार ीणा प तः श ोराणा च मा रपः

मागन वाला लोभी मन य का श होता ह मख का श उ ह स पदश दन वाला

होता ह भचा रणी य का श प त होता ह और चोर का श ह च मा 6लोभी अथवा लालची उसको अपना श मानता ह जो उसस कसी चीज को

लन क आशा रखता ह अथवा कछ मागता ह मख को स पदश दन वाला अथवा उ हस माग पर चलान वाला उनका सबस बड़ा श होता ह य क मख क यह वशषताहोती ह क कसी क अ छ बात को वह नह मानता और अपन काय को ही सही ठहराताह जो ी भचा रणी ह प त उस इस काम स रोकन का य न करता ह इस लए उसवह अपना श मानती ह चोर- उच क लोग रा क समय अधकार म अपना काय करत हचादनी रात म उनक लए चोरी करना असभव होता ह इस लए च मा उनका सबस बड़ाश होता ह इस कार जो कसी क काय म कावट डालता ह वही उसका श ह

यषा न व ा न तपो दान न ान न शील न गणो नधमःत म यलोक भ व भारभता मन य पणमगा र त

जन मन य क पास न व ा ह न ही ज ह न कसी कार का तप कया ह जनमन दान दन क व ह न ान ह दया और न ता आ द भी नह ह गण और धमाचरण कभावना नह ह ऐस मन य पश क प म इस ससार म वचरत ह 7

धम ही मन य को मन य बनाता ह

अ तःसार वहीनानामपदशो न जायतमलयाचलससगात न वण दनायत

जन य म कसी कार क भीतरी यो यता नह अथात जो अदर स खोखलह ब हीन ह ऐस य को कसी भी कार का उपदश दना उसी कार थ होता हजस कार मलयाचल पवत स आन वाल सग धत हवा क झ क का बास स पश 8

जस म कसी कार क भीतरी यो यता नह और जसका दय भी साफनह उसम बर वचार भर ह उस कसी भी कार का उपदश दना थ ह उस पर उपदशका कोई भाव नह पड़गा ऐसा होना उसी कार थ ह जस चदन वन स आन वालीसग धत वाय क पश स बास म न तो सगध ही आती ह और न ही वह चदन बन पाता ह

य य ना त वय ा शा त य करो त कमलोचना या वहीन य दपणः क क र य त

जस क पास अपनी ब नह शा उसका या कर सकगा आख सर हत को दपण का कोई लाभ नह हो सकता ह 9

आचाय का यह कथन सकत करता ह क कवल बाहरी साधन स कोई ानवान

नह हो सकता मन य क भीतर न हत स कार को ही बाहरी साधन स उभारा औरनखारा जा सकता ह

खत म बीज ही न हो तो खाद आ द दन स फसल नह उगती कभी-कभी तो उलटाही होता ह इ छत फसल को पान क लए कए गए उवरक क योग स ऐसी हा नकरफसल लहलहान लगती ह जसक कसी न कभी क पना ही नह क होती

जन स जन कतमपायो न ह भतलअपान शतधा धौत न म य भवत

इस ससार म ऐसा कोई उपाय नह जसस जन को स जन बनाया जासक बलकल उसी तरह जस कार गदा को चाह सकड़ कार स और सकड़ बार धोयाजाए फर भी वह अग नह बन सकती 10

आ म षात भव म यः पर षात धन यःराज षात भव ाशो षात कल यः

जो मन य अपनी ही आ मा स ष रखता ह वह वय को न कर लता ह सर सष रखन स अपना धन न होता ह राजा स वर-भाव रखन स मन य अपना नाश करता ह

और ा ण स ष रखन स कल का नाश हो जाता ह 11lsquoआ म षातrsquo क जगह कह lsquoआ त षातrsquo श द का भी योग कया गया ह इस

पाठभद कहत ह lsquoआ तrsquo का अथ ह व ान ऋ ष म न और स प षmdashlsquoआ त तयथाथव ाrsquo जो स य बोल वह आ त ह जो आ मा क नजद क ह वही आ त ह

इस स इस ोक क दोन प सही ह जो बना कसी लाग-लपट क न पभाव स बोल वह आ त ह आ मा क आवाज और आ तवा य एक ही बात तो ह य कशा म कहा गया ह क मन य अपना ही सबस बड़ा म ह और श भी इसी कारआ त अथात व ान और स प ष स ष रखन वाला भी न हो जाता ह

वर वन ा गज स वत मालयप फला बभोजनमतणष श या शतजीणव कल न बधम यधनहीनजीवनम

भल ही मन य सह और बाघ आ द हसक जानवर स य वन म नवास करकसी पड़ पर अपना घर बना ल व क प और फल खाकर तथा पानी पीकर गजारा करल तनक क श या पर सो ल फट-परान व क छाल क कपड़ पहन ल परत अपनभाई-बध म धन स र हत अथात द र बनकर जीवन न बताए 12

इस ोक स यह बात भली कार प होती ह क नधनता एक कार का

अ भशाप ह चाण य का मानना ह क अ य सभी कार क क सहन कर सकता हपरत नधनता क कारण अपन सग-सब धय ारा कए जान वाल अपमान को सहन नहकर सकता नधन को कौन अपना मानता ह

व ो व त य मल च स या वदाः शाखाधमकमा ण प मत मा मल य नतो र णीय छ मल नव शाखा नप म

ा ण एक व क समान ह और स या अथात भ क उपासना और आराधनाउसक जड़ ह वद उसक शाखाए ह और धम-कम उसक प ह इस लए य नपवक जड़क र ा करनी चा हए य क जड़ क न हो जान पर न शाखाए रहगी न ही प 13

ा ण एक व क समान ह ातः और साय दो काल क बीच म जो समय पड़ताह उस स धवला कहत ह उस समय ा ण भ क पजा व उपासना करता ह यह उसकाआव यक कम ह यह ा ण पी व क फलन-फलन क जड़ ह अथवा आधार ह वदका ान उस व क शाखाए ह उसक धमानकल अ छ काय उसक प क समान हइस लए य नपवक उस व क मल क र ा करनी चा हए मल क र ा स ही व फलता-फलता ह य द जड़ ही न हो जाएगी तो व कस बचगा आचाय यहा कहत ह क यक

ा ण को स या करनी ही चा हए इसी स वह बल को ा त करता ह

माता च कमलादवी पता दवो जनादनःबा धवाः व णभ ा वदशो भवन यम

कमला दवी अथात ल मी जसक माता ह और सव ापक ी व ण जसक पताह भ क भ जसक भाई-बध ह ऐस प ष क लए तीन लोक अपन ही दश क समान ह14

एकव समा ढा नाना वणा वहगमाःभात दशस द त का प रवदना

रा क समय अनक रग- प वाल प ी एक व पर आकर बठत ह ातःकाल कसमय व सभी दस दशा म उड़ जात ह ऐस म या शोक करना 15

इस ससार पी प रवार म अनक बध-बाधव और र तदार उसी तरह आकर मलतह जस कार सायकाल होत ही अनक तरह क प ी बसरा लन क लए एक पड़ पर आबठत ह और समय आन पर अथात सय उदय होन पर व व भ दशा म चल दत हइसी कार एक प रवार म इकट ठ ए ब ध-बा धव भी समय आन पर बछड़ जात हइस लए उनक सबध म कसी कार का शोक करना उ चत नह ह

ब य य बल त य नब त कतो बलमवन सहो मदो म ः शशकन नपा ततः

जसक पास ब अथात ान ह उसक पास ही बल होता ह ब हीन कपास बल कहा जगल म अपनी श क मद म म त सह को एक खरगोश न मार डाला(यह इसी का माण ह) 16

पचत म भी इस कथा का उ लख ह जसम छोट स खरगोश न अपनी ब कबल स बलवान सह को भी मरन को ववश कर दया ब मान अपन बल का तोसही उपयोग करता ही ह वह सर क बल को भी अपन अनसार योग करन म सफल होजाता ह

का च ता मम जीवन य द ह र व भरो गीयतनो चदभकजीवनाय जननी त य कथ नमयतइ यालो य म म य पत ल मीपत कवलव पादा बजसवनन सतत कालो मया नीयत

य द भगवान व ण को सार ससार का पालन-पोषण करन वाला कहा गया ह तोमझ इस जीवन म कसी बात क चता करन क आव यकता नह य द भगवान व ण नहोत तो गभ म थत बालक क जीवन क लए माता क तन म ध कहा स आता बार-बार इस तरह का वचार करक ह तीन लोक क वामी म आपक चरण- कमल क सवाकरत ए अपना जीवन तीत कर रहा 17

भाव यह ह क स कता परम र ही सबका भरण-पोषण करता ह ऐसी थ त ममन य को कसी बात क चता नह करनी चा हए य क जो बालक गभ म ह उसकपालन-पोषण क लए माता क तन म ध पहल ही उ प हो जाता ह य द ऐसा ह तोचता कस बात क हा परम र का मरण करत ए उसक त अपनी कत ता का भावअव य कट करना चा हए

गीवाणवाणीष व श ब तथा पभाषा तरलोलपोऽहमयथा सराणाममत थतऽ प वगागनानामधरासव

चःस कत क अ त र म सरी भाषा का भी लोभी जस वग म व मान

दवता को अमत क ा त क बाद भी वग क अ सरा क ह ठ क रस का पान करनम च रहती ह 18

चाण य न इस ोक म स कत भाषा का वशष आदर करत ए यह सकत दया ह

क अ य भाषा को भी सीखना चा हए उनका मानना ह क य प स कत म सम त रसका वाद ह ल कन अ य भाषा का वाद भी व ान को चखना चा हए य क उनकाभी अपना एक वाद ह उसम त सबधी स क त और चतन क झलक और खशब मलतीह

अ ाद दशगण प प ाद दशगण पयःपयसोऽ गण मास मासाद दशगण घतम

अ स दस गणा अ धक श उसक आट म ह आट स दस गणा अ धक शध म ह ध स आठ गणा अ धक श मास म ह और मास स दस गणा अ धक श घी

म ह 19

शाकन रोगा वध त पयसा वधत तनःघतन वधत वीय मासा मास वधत

साग खान स रोग बढ़त ह ध स शरीर मोटा होता ह घी स वीय क व होती हऔर मास स मास बढ़ता ह 20

साग स रोग बढ़ना सकत करता ह क अ धकाश लोग उस भली कार धोकर योगम नह लात इस लए नरतर उनका सवन करन स रोग क व होती ह ध स शरीरबढ़ता ह बालक और कशोर को ध का सवन करना चा हए घी का अ धक सवन करनस वीय क व होती हmdashकम मा ा स यादा ऊजा मास खान स शरीर का मास बढ़ताह मोटाप स पी ड़त को इसक सवन स बचना चा हए इस कार चाण य कअनसार घी इन सब व त म माना गया ह जसस बल और वीय दोन क व होतीह

चाण य न व ा पी धन को सब धन म माना ह उनका कहना ह क जसमन य क पास व ा पी धन नह वह सब कछ होत ए भी lsquoहीनrsquo ह lsquoपहल सोच फरकरrsquo चाण य ऐसा करन क सलाह दत ह करन क बाद सोचन का तो कोई अथ ही नहह व ाथ क कत क ओर यान दलात ए आचाय फर कहत ह क जो व ाथ व ा

ा त करना चाहता ह उस सख क अ भलाषा छोड़ दनी चा हएचाण य का मानना ह क प षाथ क बावजद भा य स ही नधन स धनी

होता ह इस कार जीवन म भा य क मह वपण भ मका ह नय त क ग त को समझनाही ब म ा ह

चाण य यहा फर कहत ह क मन य को व ा पी धन ा त करना चा हए

दानशील होना चा हए धम स य होना चा हए परत जस मन य म ऐसी कोई भी बात नह वह प वी पर पश क समान ह और भार प ह को अपनी भीतरी यो यता का ानहोना चा हए जसम भीतरी यो यता नह और जो ब हीन ह वद आ द शा स भीउसका क याण नह हो सकता चाण य कहत ह क सदा ही रहता ह वहअपना वभाव कभी नह छोड़ता

अपन ब ध-बा धव र तदार म मन य को नधन होकर अपना जीवन नह बतानाचा हए उस चा हए क वह अपनी नधनता र करन का य न कर चाण य न इस ससारक रग-ढग का वणन करत ए कहा ह क जस कार सायकाल क समय अनक प ी एकव पर आकर बसरा लत ह और ातःकाल अपनी दशा म उड़ जात ह उसी कारब ध-बा धव भी मन य को सयोग स ही मलत ह इस लए उनक बछड़न का मन य कोशोक नह करना चा हए यह तो क त का नयम ह चाण य मन य क ब को हीउसका सबस बड़ा सहायक मानत ह उनका मानना ह क जब परम र ही ससार का पालनकरन वाला ह तो जी वका क चता य

अथ एकादशोऽ यायःयारहवा अ याय

जो सर क काय को बगाड़ता ह ढ गी ह अपना ही वाथस करन म लगा रहता ह सर को धोखा दता ह सबसष करता ह दखन म अ य त न और अ दर स पनी छरी

क समान ह ऐस ा ण को बलाव समझना चा हए

दात व यव व धीर वम चत ताअ यासन न ल य त च वारः सहजा गणाः

दान दन क इ छा मधर भाषण धय और उ चत अथवा अन चत का ान य चारगण मन य म सहज- वभाव स ही होत ह अ यास स इ ह ा त नह कया जा सकता 1

सहज का अथ हmdashसाथ म उ प अथात ज म क साथ वहार म इस कहत हlsquoखन म होनाrsquo इन गण म वकास कया जा सकता ह ल कन इ ह अ यास ारा पदा नहकया जा सकता

आज क भाषा म य द कह तो य गण आनव शक हmdashज स म ह प रवश इ हवक सत कर सकता ह बस इ ह थोड़ा-ब त तराश सकता ह वातावरण सहज औरअ यास ारा ा त गण म अतर होता ह सहज गण न नह होत जब क अ यास ाराज ह ा त कया जाता ह अन यास ारा व समा त हो जात ह

हा ऐसा दखन म आया ह क कभी-कभी सहज गण उ चत वातावरण न मलन ककारण सामन नह आ पात

आ मवग प र य य परवग समा यतवयमव लय या त यथा राजाऽ यधमतः

जो मन य अपन समदाय क लोग को छोड़कर सर क समदाय का सहारा लता हवह उसी कार न हो जाता ह जस सर क धम का आ य लन वाला राजा 2

राजा का कत होता ह क वह अपनी जा क र ा कर यही उसका धम ह य दवह अपन इस धम को छोड़ दता ह तो वह वय ही न हो जाता ह जस कार अपन वगक लोग का प र याग करक सर वग क लोग का आ य लन स न हो जाता हइसी लए को चा हए वह अपन धम म थत रह यहा धम का अथ lsquo व+भावrsquo भीलया जा सकता ह ीक ण न भी lsquo वधम नधन यःrsquo कहकर इसी बात क ओर सकतकया ह

ह ती थलतनः स चाकशवशः क ह तमा ोकशोद प व लत ण य त तमः क द पमा तमःव णा प हताः पत त गरयः क व मा ो ग रमतजो य य वराजत स बलवान थलष कः

ययःहाथी लब-चौड़ शरीर वाला होता ह परत उस ब त छोट स अकश ारा वश म कया

जाता ह द पक जलन पर अधकार न हो जाता ह तो या अधकार द पक क आकार काहोता ह हथौड़ क चोट करन स बड़-बड़ पवत गर पड़त ह तो या पवत का आकार-

कार हथौड़ स छोटा होता ह यक व त अपन तज क कारण ही बलवान होती ह लबा-चौड़ा शरीर कोई मायन नह रखता ह 3

कलौ दशसह ष ह र यज त म दनीमतदध जाह नवीतोय तदध ामदवता

लोग ऐसा मानत ह क क लयग क दस हजार वष समा त होन क बाद परमा माप वी का याग कर दत ह उसस आध अथात पाच हजार वष समा त होन पर गगा का जलप वी को छोड़ दता ह और उसक आध वष समा त होन पर गाव का दवता गाव छोड़करचला जाता ह 4

कछ लोग न इसका अथ इस कार भी कया ह क जब क लयग क समा त मदस हजार वष रह जाएग तब भगवान इस ससार को छोड़कर चल जाएग पाच हजार वषशष रहन तक गगा का जल समा त हो जाएगा और ढाई हजार वष शष रहन तक गाव कादवता गाव छोड़कर चला जाएगा कछ लोग का ऐसा वचार ह क क लयग म अधम बढ़जान स इस कार क थ त पदा होती ह

कछ व ान का मानना ह क चाण य जसा ब मान इस कार क बातनह कह सकता इस लए यह ोक बाद म जोड़ा गया ह अथात त ह यह ोक

गहाऽऽस य नो व ा नो दया मासभो जनःल ध य नो स य ण य न प व ता

जस क घर म अ धक आस ह घर म अ धक मोह और लगाव ह उसव ा क ा त नह हो सकती जो लोग मास खात ह उनम दया नह जो धन क लोभीहोत ह उनम स य नह होता तथा राचारी भचारी और भोग वलास म लग रहन वालमन य म प व ता का अभाव रहता ह 5

न जनः साधदशामप त ब कारर पश यमाणः

आमल स ः पयसा घतन न न बव ोमधर वम त

जस कार नीम क व को ध और घी स स चन पर भी उसम मठास पदा नहहोती उसी कार जन अनक कार स समझान-बझान पर भी स जन नह होपाता 6

जस तरह कछ शारी रक याए मन य क नय ण स बाहर होती ह इसी कारलब अ यास क प रणाम व प पड़ स कार क कारण कछ मान सक याए भी मन य कवश स बाहर हो जाती ह जस सगमड ायड न lsquoअवचतन मनrsquo कहा ह स जनता और

ता का सबध इसी मनो तर पर बठ मन य क या को नय त करन वाल स कारस ह इसी लए जब तक वहा प रवतन न हो कसी क मल वभाव को बदलना अ यतक ठन होता ह

अ तगतमलो तीथ नानशतर पन श य त यथा भा ड सराया दा हत च यत

जस का अतःकरण कामवासना आ द मल स भरा आ ह ऐसा मन य य दसकड़ बार भी तीथ- नान कर तो भी प व नह हो सकता बलकल उसी तरह जस कारशराब रखन का बतन आग पर जलान स भी श नह हो सकता 7

जस क मन वचार और अ तःकरण प व नह य द वह सकड़ तीथ मभी नान य न कर ल वह प व और न पाप नह हो सकता lsquoपापrsquo का सबध शरीर सनह अतःकरण स ह

न व यो य य गण कष स त सदा न द त नाऽच म

यथा कराती क रक भजाता म ाः प र य यबभ त ग ाः

जस कसी क गण क ता का ान नह वह सदा उनक नदा करता रहता हउसक ऐसा करन स कसी को आ य नह होता जस भीलनी हाथी क म तक म उ प होनवाली गजम ा को छोड़कर घघ चय क माला ही धारण करती ह 8

जसम कसी क वशषता अथवा गण को परखन का ान ही नह वह उसकक कस कार करगा गण क मह व को न जानन वाला य द उनक उप ा करताह अथवा नदा करता ह तो उसस कसी को भी आ य नह करना चा हए वह तो जगल मरहन वाली उस भीलनी क तरह ह जो हाथी क म तक स उ प होन वाल मो तय कोछोड़कर घघ चय क ही माला धारण करती ह उस इस बात का ान ही नह होता कहाथी क म तक म उ प होन वाल (गजम ा) मोती कतन म यवान होत ह गण का म यगणी ही लगा पाता ह

य त सव सर पण न य मौनन भ तयगको टसह त वगलोक महीयत

जो पर वष तक मौन रहकर चपचाप भोजन करता ह वह एक करोड़ वषतक वग म आदर-स मान ा त करता ह 9

अथ यह ह क जो अपन धम का पालन करत ए सदाचारपवक म करताह और जो कछ भी अ जत करता ह उसस सत रहता ह उसस सभी दवी-दवता स रहतह अथात उस कसी कार क क का मख नह दखना पड़ता उसका सभी जगह स मानहोता ह यहा मौन का अथ ा त क सहज वीक त हmdashचप रहना नह

काम ोध तथा लोभ वाद शगारकौतकअ त न ाऽ तसव च व ाथ वजयत

व ाथ क लए आव यक ह क वह काम ोध लोभ वा द पदाथ क इ छाशगार खल-तमाश अ धक सोना और चापलसी करना आ द इन आठ बात का याग करद 10

अक फलमलन वनवासरतः सदाक तऽहरहः ा म ष व ः स उ चत

जो बना खती क ई भ म स उ प होन वाल फल और कदमल आ द को खाकरनवाह करता ह और सदा जगल म रहकर ही स रहता ह और जो त दन ा करताह ऐसा ा ण ऋ ष कहलाता ह 11

ऐस ा ण को ऋ ष इस लए कहा जाता ह य क उसका जीवन सवथा क त क

अनकल ह वह वन म बना कसी य न क उ प होन वाल फल और कदमल आ द कोखाकर अपना जीवन नवाह करता ह अ पदा करन स होन वाल दोष का भी उस पर

भाव नह होता मह ष कणाद क बार म च लत ह क व फसल क कट जान क कछ दनबाद प वी पर गर अ कण को एक त करक अपनी भख को शात कया करत थ फसलकटन क कछ दन बाद इस लए य क उस अ पर प य का अ धकार होता ह ऐसा

कभी स वगण म थत हो ही नह सकता जो सर क अ धकार को छ नन वाला होजस वन म रहना ही अ छा लगता ह त दन ा आ द व दक अन ान कर जो अपनपतर को त त करता ह ऐस ा ण को ही ऋ ष कहा गया ह ऐसा जीवन सा वककहलाता ह

एकाहारण स त ः षट कम नरतः सदाऋतकाला भगामी च स व ो ज उ यत

एक समय भोजन करन स जो सत ह जो न य अपन कत को परा करतारहता ह ी का सग ऋतकाल म कवल सतान क उ प करन क लए ही करता हउपभोग क लए नह ऐस ा ण को ही ज कहा जाता ह 12

चाण य न यहा यक वण क लोग का कत बतान का य न कया ह य दयक वण का अपन कत का भली कार पालन करता रह तो दश म शा त और

सख बना रह जब लोग अपना कत भलकर गलत आचरण करन लगत ह अन धकारच ा करत ह तो राचार क साथ-साथ समाज म अशा त भी फलती ह

लौ कक कम ण रतः पशना प रपालकःवा ण यक षकता यः स व ो व य उ यत

सदा सासा रक काय म सल न पश क पालक ापार और खती आ द करनवाल ा ण को व य कहा जाता ह 13

ला ा दतलनीलाना कस भमधस पषामव ता म मासाना स व ः श उ यत

जो ा ण व क लाख तल नील कपड़ आ द रगन का रग शहद घी शराबमास आ द चीज का ापार करता ह उस श कहत ह 14

यहा प ह क चाण य ज म स कसी को उ च कल का अथवा ा ण नहमानत व कम क अनसार ही वण क वभाजन म व ास रखत ह ऐसी थ त म कम कप रवतन स उसक वण-जा त क सभावना को खला रखा जा सकता ह ल कनसामा जक तर पर ऐसा हो पाना उतना आसान नह ह य क पव थ त म बनाए गएसबध को तोड़ पान या उ ह नभान म आन वाली क ठनाइय का ावहा रक हल ढढ़ पानम अ सर चक हो जाती ह इस कस आसान और सहज बनाया जाए यह अपन आप म

एक वचारणीय वषय ह

परकाय वह ता च दा भकः वाथसाधकःछली षी म ः रो व ो माजार उ यत

जो सर क काय को बगाड़ता ह ढ गी ह अपना ही वाथ स करन म लगारहता ह सर को धोखा दता ह सबस ष करता ह ऊपर स दखन म अ यत न औरअदर स पनी छरी क समान ह ऐस ा ण को बलाव कहा गया ह 15

जस का यान सदा सर क काय बगाड़न म लगा रहता ह जो सदा हीअपन वाथ क स म लगा रहता ह लोग को धोखा दता ह बना कारण क ही उनसश ता रखता ह जो ऊपर स कोमल और अ दर स र ह उस ा ण को बलाव क समाननक पश माना गया ह

वापी कप तडागानामाराम सर व मनामउ छदन नराऽऽशकः स व ो ल छ उ यत

जो ा ण पानी क थान बावड़ी कआ तालाब बाग-बगीच और म दर म तोड़-फोड़ करन म कसी कार का भय न अनभव करत ह उ ह ल छ कहा जाता ह 16

पीन क जल वाल थान उ ान और म दर आ द क नमाण का धम थ मअ य धक मह व ह ऐस काय करना बताता ह क उ ह करन वाला कवल अपन बार म हीनह और क बार म भी सोचता ह

जो अपन स सर को मान जन हत क चतन म लीन रह वही ा ण हपरोपकार क भावना ही ा ण क प रचा यका ह और जो इ ह न करन वाला होक णा वहीन और र हो वह ा ण कस हो सकता ह ऐस को तो त छ या ल छही कहना चा हए

दव ग परदाराऽ भमशनमनवाहः सवभतष व ा डाल उ यत

जो दवता और ग क धन को चरा लता ह सर क य क साथ सहवासकरता ह और जो सभी तरह क ा णय क साथ अपना जीवन गजार लता ह उस ा णको चा डाल कहा जाता ह 17

दय भो यधन सदा सक त भन स चत कदाीकण य बल व मपतर ा प क तः थता

अ माक मध दानभोगर हत न चरा स चतनवाणा द त पा णपादयगल घष यहो म काः

शहद का स ह करन म आदश मधम खय को भी प ा ाप करना पड़ता हय क शहद का दान न करन स शहद न हो जाता ह इसी कार कछ लोग धन का दान

नह करत और जब वह न होन लगता ह तो प ा ाप करत ह जब क कछ लोग अपन धनका दान क प म उ चत योग करत रहत ह राजा ब ल कण और व मा द य दान करनक कारण ही आज तक समाज म स मान क पा ह 18

आचाय चाण य न इस ोक म दान का माहा य बताया ह आम लोग क धारणाह क दान दकर व लोग पर उपकार करत ह यह थम म सही भी ह ल कन यथाथइसस हटकर ह य द दान न कया जाए तो या होगा आचाय क अनसार इसका उ र हधन का वनाश याग स द गई व त न नह होती ब क बढ़ती ह जब क सकोच स वहसड़-गल जाती ह न हो जाती ह इस नयम क अनसार दान ारा दानकता अपन धन कव का माग श त करता ह इतना ही नह ऐसा करन स उसक यश म भी व होती हइसस सौदा और या हो सकता ह

दान को अकसर लोग धन स जोड़कर दखत ह वा त वकता ऐसी नह ह अ कादान व ा का दान वा य का दान आ द अ य भी दान क प ह स जन य काधन सदा दान करन क लए ही होता ह व कभी उसका सचय नह करत य क दान करनक कारण ही दानवीर कण महाराज ब ल और व मा द य का यश आज भी ससार म फला

आ ह चाण य न वण क अनसार कम क ा या क ह और यह प कया ह क अपन कछ गण क कारण ही सदा याद कया जाता ह

चाण य कहत ह क कछ बात मन य म वाभा वक प स होती ह उ ह कवलअ यास स ा त नह कया जा सकता दान म च मधर भाषण क इ छा मधरता वीरताय गण मन य को वभाव स ही ा त होत ह अ यास स कवल इनम व क सकती हतराशा जा सकता ह बस चाण य कहत ह क मन य को अपना वभाव नह छोड़नाचा हए य क जो अपन वभाव और कम को छोड़कर सर क आ य म जाता ह वह नहो जाता ह

चाण य कहत ह क मोट शरीर को दखकर ऐसा नह मानना चा हए क वह ब तबलवान हो सकता ह लब-चौड़ शरीर वाला हाथी छोट स अकश स वश म कर लया जाताह इसी कार द पक क छोट -सी ली वष क अधकार को पलभर म न कर दती ह इतनाही नह अपन स कई गना लबाई-चौड़ाई म वह काश फलाती ह बड़- बड़ पहाड़ औरशला को हथौड़ क चोट स तोड़ा जा सकता ह जब क हथौड़ का आकार-भार पहाड़और शला स ब त कम होता ह इस लए लब-चौड़ शरीर को दखकर यह नह मान लनाचा हए क वह बलवान ह

चाण य क अनसार व ाथ को व ा क ा त क समय घर स मोह नह रखनाचा हए य द वह घर क मोह म फसा रहगा तो उस व ा ा त नह होगी उनका कहना हक को जतना भी समझाया जाए वह ही रहता ह उसका स जन बननाउसी कार असभव ह जस नीम क पड़ को ध घी चीनी आ द स स चन पर भी उसममठास पदा नह क जा सकती इसी सबध म व आग कहत ह क जस मन य काअतःकरण श नह य द वह अनक बार तीथया ा भी करता ह तो भी वह प व नह होसकता

आचाय का मानना ह क गण क ता को समझना यक क बस क बातनह ह जो उसक गण को नह समझता वह उसक नदा करन लगता ह व ाथ क लएकछ और हदायत दत ए चाण य कहत ह क व ाथ को काम ोध लोभ मोह खल-तमाश और शगार तथा अ धक सोन स बचना चा हए य क य गण ह और इनस उसकमन म व प पदा होता ह इनस उसक ऊजा का य होता ह जसस एका ता पर असरपड़ता ह ा ण य आ द वण क सबध म बतात ए चाण य कहत ह क जो कदमल फल खाकर अपना जीवन बताता ह जो त दन पतर का ा करता ह ऐस

ा ण को ऋ ष कहा जाता ह इस कार ऋ ष वह ह जो सयमी ह और अपन पवज कत जसक मन म स मान का भाव ह जो एक समय क भोजन स सत रहता ह

तथा अ ययन-अ यापन का काम करता ह उस ज कहत ह जो ा ण ससार क कामम लगा आ ह और पशपालन खती आ द करता ह उस व य कहा जाता ह जो ा णक सवा करता ह और शराब मास आ द बचकर अपनी जी वका चलाता ह उस श कहतह उनका कहना ह क ा ण का कत यह ह क वह अ य लोग क काय क स मउनक सहायता कर सर स छल-कपट न कर जो ा ण सावज नक थल जसmdashबावड़ी कआ तालाब म दर और पाक आ द को अप व करता ह वह ल छ ह

जो ा ण और व ान क धन को चरा लता ह सर क य का स मान नहकरता और सभी कार क लोग क साथ जीवन बता लता ह वह ा ण न होकर चा डालह

अत म चाण य कहत ह क स जन और महा मा धन को कभी इकट ठा नहकरत व उस दान दन क व त समझत ह व इसका योग धम ारा यश ा त क लएकरत ह जब क कजस धन का योग अपन पर और वय पर भी नह करत ऐसा धन नहो जाता ह तब कजस क पास पछतावा करन क अलावा कछ नह बचता क धन कग त भी वषय क भोग म होती ह वषय भोग णक होन क कारण अपना फल भी उसी

प म दत ह वह सख- ख दत ह

अथ ादशोऽ यायः बारहवा अ याय

ब मान मन य को भोजन ा त क सबध म चता नहकरनी चा हए उस कवल धम-कम क सबध म चतन करनाचा हए य क मन य क ज म क समय ही भोजन का बधहो जाता ह

सान द सदन सता स धयः का ता याला पनीइ छाप तधन वयो ष तर तः वाऽऽ ापराःसवकाःआ त य शवपजन त दन म ा पान गहसाधोः सगमपासत च सतत ध यो गह थाऽऽ मः

उसी का घर सखी हो सकता ह जसक प और प या अ छ ब स य ह जसक प नी म भा षणी हो जसक पास प र म हो ईमानदारी स पदा कया आ धनहो अ छ म ह अपनी प नी क त म और अनराग हो नौकर-चाकर आ ा का पालनकरन वाल ह जस घर म अ त थय का आदर-स मान होता ह क याणकारी परम र कउपासना होती ह घर म त दन अ छ मीठ भोजन और मधर पय क व था होती हसदा स जन प ष का सग अथवा सग त करन का अवसर मलता ह ऐसा गह थ आ मध य ह शसा क यो य ह 1

आदश गह थ का प- व प कसा होना चा हए इस ओर आचाय न इस ोक मप प स इशारा कया ह

आतष व ष दया वत यत या व पमप तदानमअन तपार समप त राजन यद द यत त लभद

ज यःदयाल और क णा स य मन य खी ा ण को ा स जो कछ भी दान दता

ह ह राजन वह दान दन वाल को उतना ही ा त नह होता ह भ क कपा स उसमकाफ व होती ह और वह दान दन वाल को भली- कार मलता जाता ह 2

कबीर आ द अनक सत न भी इस बात क प क ह क lsquoदान दए धन न घटrsquoअथात दान करन स दान दन वाल क धन म कमी नह आती ब क उसम प य क प मव ही होती ह

दा य वजन दया परजन शाठ य सदा जनी तः साधजन मयः खलजन व जन चाजवम

शौय श जन मा ग जन नारीजन ध ताइ थ य प षाः कलासकशला त ववलोक थ तः

अपन ब ध-बा धव क साथ वही सख स रह सकता ह जो उनक साथस जनता और न ता का वहार करता ह सर लोग पर दया और जन क त भीउनक अनकल वहार करता ह स जन लोग स जो म रखता ह क त जो कठोरहोता ह और व ान क साथ सरलता स पश आता ह जो श शाली लोग क साथशरवीरता और परा म स काम लता ह ग माता- पता और आचाय क त जोसहनशीलतापण वहार रखता ह तथा य क त अ धक व ास न करक जो उनक

त चतराईपण वहार करता ह वही कशलतापवक इस ससार म रह सकता ह 3

ह तौ दान वव जतौ तपटौ सार वत ो हणौन साध वलोकनन र हत पादौ न तीथ गतौअ याया जत व पणमदर गवण तग शरोर र ज बक म च म च सहसा न स न वपः

जसक दोन हाथ कभी दान आ द क काय म नह लग अथात जसन जीवन मकभी दान न दया हो कान स वद आ द शा का वण नह कया अथात उनस षकरता रहा हो अपन दोन न स स जन प ष क दशन नह कए पर स तीथया ा नहक माता- पता तथा आचाय क सवा क लए जो उनक पास कभी नह गया जसन

अ याय स धन इकट ठा करक अपनी आजी वका चलाई इतन पर भी जो आदमी अ भमानस सर ऊचा उठाकर चलता ह ऐस क लए चाण य कहत ह क ह गीदड़ क समाननीच मन य त तो नीच लोग स भी नीच ह त अ यत नदनीय ह इस लए जतनी ज द होसक इस नीच शरीर को याग द अथात तर इस कार क जीवन स तरा मर जाना अ तउ म ह 4

प नव यदा करीर वटप दोषो वस त य कनोलकोऽ यवलोकत य द दवा सय य क षणमवषा नव पत त चातकमख मघ य क षणय पव व धना ललाट ल खत त मा जत कः

मय द करील नामक पौध पर प नह नकलत तो इसम वसत ऋत का या दोष ह

य द उ ल को दन म दखाई नह दता तो इसम सय का या दोष ह य द चातक क च चम वषा का पानी नह टकता तो इसम बादल का या दोष ह ससार को बनान वाल ा नमन य क भा य म जो कछ लख दया ह उस कोई भी नह मटा सकता वह उस अव यभोगना पड़ता ह 5

चाण य यहा कहत ह क जसक भा य म जो कछ लखा ह उस कोई नह मटासकता ल कन आचाय भा यवाद भी नह ह

स सगाद भव त ह साधता खलाना साधना न हखलसगमा खल वमआमोद कसम-भव मदव ध मद ग ध न हकसमा न धारय त

स जन क स सग स जन मन य भी स जन हो सकता ह परत स जन प ष म क सग त स ता वस ही नह आती जस फल स उ प होन वाली सगध मट ट म तो

आ जाती ह परत मट ट क गध फल म नह आ पाती ह 6इसका अथ यह ह क जसका जो वा त वक वभाव ह उसम प रवतन नह होता

अथात ऐसा वभाव जो प रवतनशील नह ह माना जाता ह का स जन क सग सस जन बन जाना और क सग स स जन का स जन ही बन रहना इस बात क पकरता ह क स जनता मन य का स चा वभाव ह

साधना दशन प य तीथभता ह साधवःकालन फलत तीथ स ः साधसमागम

स जन प ष क दशन स प य ा त होता ह य क साध प ष अपन आपम

सा ात तीथ व प होत ह तीथ तो अपन समय क अनसार ही फल दता ह परत साधका सग करन स ज द ही मन क आशाए पण हो जाती ह 7

व ाऽ म गर महान कथय क ताल माणा गणःको दाता रजको ददा त वसन ातगही वा न शको द ः परदार व हरण सवऽ प द ो जनःक मा जीव स ह सख वषक म यायनजीवा यहम

कोई राही अथवा या ी कसी नगर म प चकर कसी ा ण स पछता ह क हा ण मझ बताओ क इस नगर म कौन सबस अ धक महान ह उस ा ण न उ र

दया ताड़ क व का झड या ी न फर कया क इस नगर म दाता कौन ह उसउ र मला धोबी ही यहा का सबस बड़ा दाता ह जो ातःकाल कपड़ धोन अथवा रगन कलए ल जाता ह और सायकाल क समय लौटा दता ह या ी न फर पछा क इस नगर मचतर कौन ह तो ा ण न उ र दया क इस नगर क सभी सर का धनऔर उनक ी का हरण करन म चतर ह या ी न फर पछा क ऐसी अव था म त हाराजीवन यहा कस बीतता ह ा ण न उ र दया क म वष म पदा होन वाल क ड़ कसमान जो उसी म उ प होता ह ल कन फर भी वष क भाव स म रहता ह वष काउस पर कोई असर नह होता म उसी कार इन लोग क साथ अपना जीवन बता रहा 8

तकल प र थ तय म जीन का स ह यह वष क म यायन व पादोदककदमा न नवदशा व नग जता नवाहा- वधाकार- वव जता न मशानत या न

गहा ण ता नजन घर म ा ण क पाव धोन वाल जल स क चड़ न आ हो जहा वद आ द

शा क पाठ न होत ह जसम वाहा और वधा इन श द का उ चारण न होता हो व घरमशान क समान ह 9

जन घर म ा ण का आदर-स कार नह होता जहा वद आ द शा क व ननह गजती जस घर म अ नहो अथात होम आ द शभकम नह होत ह उस मशान कसमान समझना चा हए वह घर मद का नवास थान ही माना जाएगा वहा जीवनी शनह होती

स य माता पता ान धम ाता दया वसा

शा तः प नी मा प ः षडत मम बा धवाःकसी सासा रक प ष न कसी सत-महा मा को अ यत आनद क थ त म दखकर

उनस उनक बध-बाधव क बार म पछा तो सत न उ र दया-स य ही मरी माता ह और ानमरा पता ह धम ही मरा भाई ह और दया मरी बहन ह शा त मरी प नी ह और मा औरसहनशीलता मर प ह यह छह ही मर प रवार क सद य ह मर ब ध-बा धव ह मरर तदार ह 10

अ न या न शरीरा ण वभवो नव शा तःन य स हतो म यः कत ो धमस हः

यह शरीर अ न य ह अथात नाशवान ह धन-स प भी सदा कसी क पास थरनह रहती म य सदव यक क पास रहती ह इस लए यक को धमाचरण करनाचा हए 11

मन य जानता ह क जसन इस ससार म ज म लया ह वह मरगा अव य धन भीकसी क पास सदा थर नह रहता सबको इस ससार स एक दन वदा लनी ह इस लएउसका कत ह क वह इस ससार म धमाचरण ारा धम का सचय कर य क धम हीमन य क म य क बाद उसका साथ दता ह अपन अ छ आचरण क कारण ससार म उसयाद कया जाता ह

आम णो सवा व ा गावो नवतणो सवाःप य साहयता नायः अह क णरसो सवः

कसी ा ण क लए भोजन का नम ण मलना ही उ सव ह गौ क लए ताजीनई घास ा त होना ही उ सव क समान ह प त म उ साह क व होत रहना ही य कलए उ सव क समान ह और मर लए मर लए तो ीक ण क चरण म अनराग ही उ सवक समान ह 12

मातवत परदारा पर ा ण लो वतआ मवत सवभता न यः प य त स प य त

जो सरी य को माता क समान दखता ह सर क धन को मट ट कढल क समान समझता ह और ससार क सभी ा णय को अपनी आ मा क समान दखताह वा तव म वही यथाथ को दखता ह 13

जो सर क य को अपनी माता क समान आदर दता ह सर क धनअथवा उनक ह स को हड़पन क इ छा नह करता और सभी ा णय क साथ वह उसी

कार का वहार करता ह जसा अपन साथ वहार कए जान क इ छा रखता ह ऐसा ही ब मान ह अथात उसका इस कार का आचरण ही उस बनाता ह आचाय

क अनसार कस कस दखना ह इस वह जानता ह

धम त परता मख मधरता दान सम साहताम ऽव चकता गरौ वनयता च ऽ त ग भीरता

आचार श चता गण र सकता शा ष व ानताप स दरता शव भजनता स वव स यत

धम म नरतर लग रहना मख स मीठ वचन बोलना दान दन म सदव उ सक रहनाम क त कोई भद-भाव न रखना ग क त न ता और अपन दय म गभीरता अपनआचरण म प व ता गण क हण करन म च शा का वशष ान प म स दय और

भ म भ आ द का होनाmdashय गण स जन प ष म ही दखाई दत ह 14

का क पत ः सम रचल ताम णः तरःसय ती करः शशी यकरः ारो ह वारा धःकामो न तनब ल द तसतो न य पशः कामगौ-नता त तलया म भो रघपत क योपमा द यत

सबक कामना क प त करन वाला क पव लकड़ी ह सम एक पवत हचता को र करन वाली म णmdash चताम ण एक प थर ह सय भयकर प स चडकरण वाला ह च मा क कलाए ीण होती रहती ह सम खारा ह कामदव का कोईशरीर नह दानशील ब ल द य ह कामधन अथात सबक इ छा पण करन वाली गाय एकपश ह म इन सबको आपक समान अथात आपक बराबर नह समझता ह भ रामआपक तलना कसक साथ क जाए अथात आप अतलनीय ह 15

वनय राजप यः प डत यः सभा षतमअनत तकार यः ी यः श त कतवम

सभी थान स कछ न कछ सीख सकता ह उस राजप स न ता औरसशीलता व ान स य वचन बोलना जआ रय स म या-भाषण अथात सही थ त कापता न लगन दना और य स छल करना सीखना चा हए 16

इस ससार म कछ भी ऐसा नह ह जो उपयोगी न हो बस उसका सही समय परसही तरह स उपयोग आना चा हए म या भाषण और छल भी जीवन म उपयोगी होत हइनका उपयोग उ ह क त कर जो आपको इनम उलझाए लोह को लोहा ही काटता ह

अनालो य य कता नाथः कलह यःआतरः सव ष नरः शी वन य त

जो बना वचार और बना दख श स अ धक खच करता ह नबल होनपर भी जो लड़ाई-झगड़ म च रखता ह सभी वण क य स जो सभोग क लए

उतावला रहता ह वह ज द ही न हो जाता ह 17

नाहार च तयत ा ो धममक ह च तयतआहारो ह मन याणा ज मना सह जायत

ब मान मन य को भोजन ा त क सबध म चता नह करनी चा हए उस कवलधम-कम क सबध म चतन करना चा हए य क मन य क ज म क समय ही भोजन का

बध हो जाता ह ार ध ारा कर दया जाता ह 18ब मान खानपान क चता कए बना धम-काय म लग रहत ह कत का

नवाह करन वाल क इ छाए क त परी करती हआचाय क इस कथन स उ ह भा यवाद मानन क भल नह करनी चा हए यहा

आचाय यह कहना चाह रह ह क को अपन कत का करना चा हए कत कदशा य द सही हो तो उसक कामना क प त सहज म होन लगती ह कई सत -महाप ष का जीवन इस कथन क प करता ह

जल ब नपातन मशः पयत घटःस हतः सव व ाना धम य च धन य च

जस बद-बद स घड़ा भर जाता ह उसी कार नरतर इकट ठा करत रहन स धनव ा और धम क ा त होती ह 19

वयसः प रणामऽ प यः खलः खल एव सःसप वम प माधय नोपयाती वा णम

जो ह वह प रप व अव था का हो जान पर भी ही बना रहता हजस इ ायण का फल पक जान पर भी मीठा नह होता कड़वा ही बना रहता ह 20

यह आव यक नह ह क आय क बढ़न क साथ-साथ अपन वभाव म भीप रवतन कर सक अ धकाश जो और जन होत ह अपन जीवन क अ तम

थ त तक ही बन रहत ह उनक जीवन म कोई वशष प रवतन नह आता जसकार इ ायण नामक फल परी तरह पक जान पर भी कड़वा ही रहता ह उसी कार मन य

अपन वभाव को छोड़न म असमथ रहता ह

अ याय क ारभ म चाण य उस गह थ को सखी बतात ह जसक घर म मगलकाय होत रहत ह जसक सतान ब मान हो प नी मधरभा षणी हो जसन स कम सधन क ा त क हो जसक म समय पर उसका साथ दन वाल ह नौकर आ द उसक

आ ा का पालन करन वाल ह जहा अ त थय का वागत-स कार होता हो जो गह थनत- नयम स भ क उपासना करता हो और जस घर म त दन वा द भोजनबनता हो ऐसी गह थी ही शसनीय होती ह अथात ऐसा गह थ सदव सखी रहता ह

दान का मह व बतात ए चाण य न अनक थान पर कहा ह क दान दन स धनक कमी नह होती हा यो य और व ान ा ण को ही दान दना चा हए य क ऐस

को दया आ दान कई गना होकर मलता ह असल म दखा जाए तो धन का दानकरना तो इस लए भी लाभ द ह य क ऐसा करक यश और प य क ा त करताह जो धन क अप ा ब त यादा समय तक रहन वाली ह

इस ससार म न य ऐस कम होत ह जनस कसी क न होन का भय-सा बनारहता ह जस न अपन हाथ स कभी दान नह दया कान स कभी शा वचन नहसन आख स कभी स जन य क दशन नह कए और जो कभी तीथ पर भी नहगया चाण य कहत ह क ऐसा जीवन थ ह

होनी बड़ी बल होती ह यह बात सभी जानत ह अपनी होनी अथवा भा य ककारण करील क व पर प नह होत तो इसक लए वसत को दोषी नह माना जा सकताय द उ ल को दन म दखाई नह दता तो उसम सय का या अपराध ह इस लए जो कछभा य म लखा ह उसक त कसी को दोष दना उ चत नह एक ब त ही उपयउदाहरण दकर आचाय चाण य न कहा ह क क पास रहन स भी स जन अपनी स जनता का याग नह करता जब क स जन क सग त म आकर स जन बनसकता ह स जन क सबध म आचाय का कहना ह क उनक दशनमा स प य फल क

ा त होती ह परत जहा कोई स जन प ष नह होता वहा का जीवन भी वष क उसक ड़ क समान होता ह जो वष म ही उ प होता ह और वष म ही मरता ह इस ोकका आशय यह भी हो सकता ह क जस कार वष का क ड़ा वष स अ भावी रहता हउसी कार म रहन पर भी स जन गण स कोस मील र रहता ह

चाण य न आदश घर उस माना ह जहा ा ण का स मान होता ह उनक सवाहोती ह जहा वद म और शा क व न गजती रहती ह और अ नहो स वातावरणसग धत रहता ह जहा यह सब नह होता ऐसा धम-कम र हत घर मशान क समान होताह ऐस घर म नकारा मक ऊजा का नवास हो जाता ह चाण य कहत ह क मन य कोचा हए अ य बात क ओर स यान हटाकर अपना मन धम क काय म लगाए

आचाय क अनसार जो सर क ी को माता क समान दखता ह सर कधन को त छ समझता ह और सब ा णय को अपन समान मानता ह सदव धम म लगारहता ह कट वचन नह बोलता जसम दान क व होती ह म स जो कसी कारका छल-कपट नह करता ग क त जो न रहता ह जसका अतःकरण सम क समानगभीर ह जो आचरण म प व शा को जानन वाला और हर समय भ को याद रखनवाला ह वही स जन ह

भगवान राम क सबध म चाण य कहत ह क व क पव स भी ह सम पवतस भी अ धक धनी ह उनका तज सय स भी अ धक ह व कामधन स भी अ धकमनोकामनाए परी करन वाल ह इस लए उनक उपासना करनी चा हए

इन ोक स लगता ह क आचाय चाण य भगवान ीराम क मयादा पण जीवनतथा नी तय स भा वत थ

अथ योदशोऽ यायः तरहवा अ याय

जस कार हजार गाय म बछड़ा कवल अपनी मा क हीपास आता ह उसी कार जो कम कया जाता ह वह कमकरन वाल क पीछ-पीछ चलता ह

म तम प जीव च नरः श लन कमणान क पम प क न लोक य वरो धना

मन य को य द एक म त अथात 48 मनट का जीवन भी मल तो उस उ म औरप य काय करत ए जी वत रहना चा हए य क ऐसा ही जीवन उ म ह परत इस लोकऔर परलोक म कम करत ए हजार वष जीना भी थ ह 1

चाण य का भाव यह ह क मन य का जीवन ब त भा य स मलता ह य द जीवनब त छोटा भी हो तो भी उस अ छ कम करत ए जी वत रहना चा हए बर काम करत एहजार साल का जीवन भी थ ह मन य का धम ह क अ छ कम करता आ अपनजीवन को बताए आय क साथकता शभ कम स ह

गत शोको न कत ो भ व य नव च तयतवतमानन कालन वत त वच णाः

जो बात बीत चक ह उन पर शोक नह करना चा हए और भ व य क भी चतानह करनी चा हए ब मान लोग वतमान समय क अनसार काय म लग रहत ह 2

को चा हए वह बीती ई बात पर शोक करन म थ समय न गवाए उस

इस बात क भी चता नह करनी चा हए क आग या होन वाला ह अतीत हाथ स नकलचका ह तो भ व य क कवल क पना क जा सकती ह इस लए ब मान कोवतमान थ तय क अन प अपन काम म लग रहना चा हए इसस बीत कल म ई भलको ठ क कया जा सकता ह और आन वाल कल को एक उ म आधार दया जा सकता ह

वभावन ह त य त दवाः स प षाः पताातयः नानपाना या वा यदानन प डताः

दवता स जन और पता वभाव स सत होत ह ब ध-बा धव अ छ खानपान सजब क प डत ( ववकशील) मधर भाषण स ही स हो जात ह 3

दवता स जन और पता कवल क वभाव को दखत ह पता अपनप क वभाव स ही स होता ह र तदार ब ध-बा धव अ छ खानपान स खश रहत हअथात य द उनक खानपान स अ छ आवभगत क जाए तो वह स रहत ह और व ानमीठ बात स ही स हो जात ह इसी बात को कछ इस तरह भी कहा जा सकता हदवता स जन और पता अपन पजक और सत त स सदा ही सत रहत ह

अहो बत व च ा ण च रता न महाऽऽ मनामल म तणाय म य त तद भारण नम त च

महा मा और स जन का च र बड़ा व च होता ह व धन को तनक क समानसमझत ह परत तब उसक भार स वह झक जात ह अथात वन बन जात ह जब वहआता ह 4

स जन धन को तनक क समान अथात अथहीन समझत ह परत य द इनक पासधन आ जाए तो व और भी न हो जात ह अथात धन क आन पर भी उ ह अ भमान नहहोता व उसी कार झक जात ह जस कार फल स लद ए व क टह नया नम होजाती ह

य य नहो भय त य नहो ःख य भाजनमनहमला न ःखा न ता न य वा वस सखम

जसका कसी क त नह अथवा म होता ह उसी स उसको भय भी होता हनह अथवा म ही ख का आधार ह नह ही सार ख का मल कारण ह इस लए उननह ब धन को यागकर सखपवक रहन का य न करना चा हए 5

अनागत वधाता च य प म त तथाावतौ सखमधत यद भ व यो वन य त

आन वाल क को र करन क लए जो पहल स ही तयार रहता ह और जो वपआन पर उस र करन का उपाय सोच लता ह य दोन कार क अपन सख क व

करत ह अथात सखी रहत ह तथा जो यह सोचता ह क जो भा य म लखा ह वही होगाऐसा न हो जाता ह 6

चाण य न कहा ह क सकट आन स पव जो बचाव का उपाय कर लता हऔर जो सकट आन पर त काल आ मर ा का उपाय कर लता हmdashय दोन सख स जीवनबतात ह परत जो भा य क लख क अनसार सोचता ह क दखा जाएगा वह न हो जाताह

रा ध म ण ध म ाः पाप पापाः सम समाःराजानमनवत त यथा राजा तथा जाः

राजा क धमा मा होन पर जा भी धा मक आचरण करती ह राजा क पापी होनपर जा भी पाप म लग जाती ह राजा उदासीन रहता ह तो जा भी उदासीन रहन लगतीह य क जा वसा ही आचरण करती ह जसा राजा करता ह 7

जीव त मतव म य द हन धमव जतममतो धमण सय ो द घजीवी न सशयः

चाण य कहत ह क म धम स र हत अधम को जी वत रहन पर भी मर एक समान समझता जब क धमय मन य म य क बाद भी जी वत रहता ह इस बात मकसी कार का स दह नह 8

म य क बाद धा मक क जीन का अथ यह ह क क क त उसकायश उसक अ छ काय क कारण अमर रहत ह अधा मक तो जी वत रहता आ भीमर क समान ह य क न तो उस कोई पछता ह और न ही उसका समाज म कोई स मानहोता ह

धमाथकाममो ाणा य यकोऽ प न व तअजागल तन यव त य ज म नरथकम

जस मन य क पास धम अथ काम और मो इन चार म स एक चीज भी नह हउसका ज म बकरी क गल म लटकत ए तन क समान नरथक होता ह 9

द मानाः सती ण नीचाः परयशोऽ ननाअश ा त पद ग त ततो न दा कवत

नीच मन य सर क यश को बढ़ता आ दखकर उसक यश पी क त सजलत ह और जब उस पद को ा त करन म असमथ रहत ह तब उस क नदा करनलगत ह 10

सर को तर क करता दखकर उसस जलन लगत ह उसक क त पीआग उ ह जलाती रहती ह जब व उस क त को ा त करन म असमथ रहत ह तब उस

क नदा करन लगत ह

ब धाय वषयाऽऽस म य न वषय मनःमन एव मन याणा कारण ब धमो योः

मन य अपन वचार क कारण ही अपन आपको ब धन म फसा आ मानता हऔर अपन वचार क कारण ही अपन आपको बधन स म समझता ह वषय-वासनाएही मन य क बधन क कारण ह और वषय-वासना स म होकर ही मन य को मो

ा त होता ह 11

दहा भमान ग लत व ात परमा म नय य मनो या त त त समाधयः

अपन शरीर क अ भमान स न हो जान पर अपन आपको परमा मा स य जानलन पर मन जहा-जहा जाता ह वहा-वहा ही उस समा ध स य समझना चा हए 12

मन य क आ मा और दह दोन अलग हmdashजब को इस बात का ान होजाता ह तब उसका शरीर सबधी अ भमान न हो जाता ह यही उसक समा ध अव था ह

ई सत मनसः सव क य स प त सखमदवाऽऽय यतः सव त मा स तोषमा यत

मन य क मन क सभी इ छाए कभी भी पण नह होत य क व सभी भा य कअधीन ह इस लए मन य को अपन जीवन म सतोष धारण करना चा हए 13

यथा धनसह ष व सो ग छ त मातरमतथा य च कत कम कतारमनग छ त

जस कार हजार गाय म बछड़ा कवल अपनी मा क ही पास जाता ह उसी कारजो कम कया जाता ह वह कम करन वाल क पीछ-पीछ चलता ह 14

अनव थतकाय य न जन न वन सखमजन दह त ससग वन सग ववजनम

बढग काम करन वाल को न समाज म सख मलता ह न ही जगल म ऐस को समाज म मन य का ससग खी करता ह जब क जगल म अकलापन 15

अ व थत जीवन वाला कभी भी सखी नह हो सकतायथा खा वा ख न ण भतल वा र व द ततथा ग गता व ा श षर धग छ त

जस फावड़ स खोदन पर प वी स जल ा त होता ह वस ही ग क सवा करन

वाला व ाथ व ा को ा त करता ह 16

कमाय फल पसा ब ः कमानसा रणीतथा प स धय ाऽऽयाः स वचायव कवत

मन य को कम क अनसार ही फल मलता ह और मन य क ब भी कम कअनसार ही काय करती ह इतन पर भी ब मान और स जन भली-भा त सोच- वचार करही काय करत ह 17

मन य जस कार का कम करता ह उसी क अनसार उस फल मलता ह गीता मभी कहा गया ह क मन य को कम करना चा हए उसक फल क चता छोड़ दनी चा हएइस लए यह और भी आव यक हो जाता ह क मन य सोच- वचार कर ही कम कर बनासोच- वचार काय करन स काय स नह होती और फल ा त क तो आशा ही नह कजा सकती

एका र दातार यो ग ना भव द तानयो नशत भ वा चा डाल व भजायत

एका र म दन वाल ग क जो वदना नह करता वह क क यो न म सौ बारज म लकर फर चा डाल क घर उ प होता ह 18

एक अ र का अथ यहा दो कार स हो सकता ह एक अ र का ान दन वाला भीइसका अथ कया जा सकता ह शा म ॐ को एका र कहा गया ह इ ह दानकरन वाला ही ग ह ग का जो आदर नह करता वह चा डाल क समान ह शा मकत नता को ऐसा पाप माना गया ह जसका कोई ाय नह होता

यगा त चलत म क पा त स त सागराःसाधवः तप ाथान न चल त कदाचन

एक यग क अत म सम पवत भी अपन थान पर थर नह रहता क प क अत मसम भी अपनी सीमाए लाघकर इस ससार को क म डाल दता ह परत प ष अपनहाथ म लए ए काय को परा करन क त ा स वच लत नह होत 19

इसका भाव यह ह क क त क नयम भल ही बदल जाए पवत और सम भल हीअपना थान छोड़ द परत स जन य न जस कसी काय क प त क लए वचनदया ह वह अव य उस परा करत ह व अपन दए गए वचन स टलत नह भल ही उ हइसक लए अपन ाण गवान पड़ राजा दशरथ न अपन वचन का नवाह करन क लए हीतो अपन ाण याग दए थ व जानत थ क राम क बना जी वत रहना सभव नह फर भीउ ह न राम को वन म भजा

चाण य न अनक बार lsquoमन यrsquo क ता को वीकार कया ह उनका कहना ह कय द मन य-जीवन एक ण क लए भी ा त होता ह तो उस काल म भी मन य को कम करन चा हए और य द उसका जीवन एक यग स भी अ धक हो तो भी उस बर कम मल त नह होना चा हए

चाण य कहत ह क मन य को चा हए क वह जो समय बीत चका ह या जो आगआन वाला ह इसक चता छोड़कर वतमान क ओर ही यान द सम या का समाधानउसी म न हत ह

मन य क सफलता उसक वभाव पर नभर करती ह वह वभाव स ही स जनप ष और अपन माता- पता को स कर सकता ह महा मा का वभाव ही ऐसा होताह क व धन को तनक क समान त छ समझत ह य द उनक पास अ धका धक धन होजाए तो भी व अ भमान नह करत व उसी कार न होकर झक जात ह जस कार फलस लद ई व क शाखा आचाय का कहना ह क अपन ब ध-बा धव क त कत परकरत ए उनस इतना अ धक लगाव नह बढ़ाना चा हए क उनक बछड़न स क अनभवहो

जो सदव सतक रहत ह और समय आन स पव ही आन वाल क को रोकनक उपाय कर लत ह ऐस अपना जीवन सख स बता दत ह परत जो भा य क भरोसरहता ह उस क उठाना पड़ता ह

जसा राजा वसी जा एक ब त परानी कहावत ह यह आचाय चाण य क समयस ही स ई दखाई दती ह चाण य कहत ह क जस मन य क जीवन म धम काअभाव ह म उसको मत क समान समझता और धमाचरण करन वाला मरनक बाद भी जी वत रहता ह

इसी सबध म आचाय कहत ह क जस न धम अथ काम और मो इनचार म स एक क लए भी प षाथ नह कया तो समझो क उसका जीवन थ ह शाधम अथ और काम को प षाथ मानत हmdashमो उनक म परमप षाथ ह यह सकतह क इन तीन क साथकता तभी ह जब सम त बधन स जीव म हो जाएगा

जब कसी क बढ़त ए यश को दखता ह तो वह उसक नदा करनलगता ह भगवान ीक ण न भी मन य क मन को ही मन य का सबस बड़ा म औरसबस बड़ा श बताया ह य क उसक वचार ही उस ससार क मोह-माया म फसाए रखतह जो उसक लए बधन क समान ह योगी मन को वश म करक उसक सभी बधन को काटफकत ह

मन य क कम क सबध म व कहत ह क जस कार ब त-सी गौ म भी बछड़ा

अपनी मा को पहचान लता ह और उसी क पीछ-पीछ चलता ह उसी कार मन य क कमही मन य का साथ दत ह अथात वह जसा काय करता ह उसक अनसार ही उसको फलभोगना पड़ता ह

कम क सबध म चाण य आग यह कहत ह क मन य को कम क अनसार ही फलमलता ह और उसक ब भी उसक ारा कए जान वाल कम क अनसार ही काय करतीह इतन पर भी व ान और स जन सोच- वचार कर काय करत ह य क व जानतह क कछ ऐसा भी ह जस ब ारा नई दशा द जा सकती ह

चाण य अत म मन य क वभाव का वणन करत ए कहत ह क स जन प षअपन कत अथवा अपन वचन स कभी भी वमख नह होत जब क सकट आन पर बड़ीस बड़ी ाक तक श या भी मन य का साथ छोड़ दती ह

अथ चतदशोऽ यायःचौदहवा अ याय

दखन वाल एक ही व त को तीन कार स दखत ह योगीउस अ त- न दत शव क प म दखत ह कामी लोग सदरनारी क प म दखत ह और क ा उस एक मास क लोथड़क प म दखता ह

प थ ा ी ण र ना न जलम सभा षतममढः पाषाणख डष र नस ा वधीयत

इस प वी पर तीन ही र न हmdashजल अ और हतकारी वचन परत मख लोगप थर क टकड़ को र न कहत ह 1

आ माऽपराधव य फला यता न द हनामदा र यरोग ःखा न ब धन सना न च

द र ता रोग ख बधन तथा आप याmdashय सब मन य क अधम पी व कफल ह 2

मन य जस कम करता ह उस वस ही फल क ा त होती ह मन य क द र ताखी होना रोग स य रहना सासा रक बधन म फस रहना और इसक साथ अनक कार

क आप या आ द आना य मन य क कम क ही फल ह इस लए मन य का कतयह ह क वह शभ कम कर ता क उसका जीवन सखपवक बीत

आचाय न यहा कम क स ात का ववचन करत ए शभ काय करन क रणा द

ह य क यही सख का साधन ह

पन व पन म पनभाया पनमहीएत सव पनल य न शरीर पनः पनः

धन भी पनः ा त हो सकता ह म भी मल सकत ह प नी भी फर स मलसकती ह य सब व तए मन य को बार-बार ा त हो सकती ह परत यह शरीर बार-बार

ा त नह हो सकता 3

ब ना चव स वाना समवायो रप यःवषाधाराधरो मघ तणर प नवायत

न त प स ब त स मन य मलकर श को जीत सकत ह मन य का समदायअथात उनका सगठन श को जीतन म उसी कार सफल रहता ह जस कार इकट ठकए ए तनक जल क धारा को रोक दत ह अथात घास-फस का छ पर वषा क पानी सर ा करता ह 4

यह बात दखन-सनन म ब त सामा य तीत होती ह परत यह ह अ यत मह वपणजस प रवार म मतभद होत ह आपस म एकता नह होती वह प रवार न हो जाता हइसी तरह जन प रवार म अथवा दश क लोग म एकता ह मलकर काम करन क इ छाह व भयकर-स-भयकर श को परा जत करन म समथ होत ह व क एक शाखा कोकोई एक ब चा भी तोड़ सकता ह परत जब पतली-पतली शाखाए इकट ठ हो जाती ह तोइ ह श शाली हाथी क लए तोड़ना भी क ठन हो जाता हmdashसघ श ः कलौ यग

जल तल खल ग पा दान मनाग पा शा वय या त व तार व तश तः

जल पर तल क पास ग त वाता सपा को दया गया दानब मान का शा ान य सभी बात ऐसी ह जो परी होन पर व त क श अथातवशषता स बना कसी यास क वय फल जाती ह इनका व तार हो जाता ह 5

पानी पर य द तल क बद डाली जाएगी तो वह बद क प म न रहकर उस पर फलजाएगी इसी कार क पास कोई रह य ग त नह रह सकता सपा कोदया आ दान और ब मान को दया गया शा ान य सब अपन आप अपनीवशषता क कारण चार ओर फल जात ह

धमाऽऽ यान मशान च रो गणा या म तभवतसा सवदव त चत को न म यत ब धनात

धा मक कथा आ द क सनन क समय मशान भ म म और रोगी होन पर मन य कमन म जो सद ब उ प होती ह य द वह सदव थर रह तो मन य ससार क बधन स छट

सकता ह 6जब मन य धम सबधी उपदश सनता ह तो उसक मन म अ छ वचार का उदय

होता ह इसी कार जब मन य कसी मत क साथ मशान भ म म जाता ह तो वहसमझता ह क यह शरीर न र ह उस समय उसक मन म पाप स म होन क सद भावनाउ प होती ह ऐस ही जब मन य रोग त होता ह तो वह भ को याद करता ह और उससमय सोचता ह क वह ऐसा कोई काय नह करगा जसस उस फर बीमार होना पड़चाण य कहत ह क य द सदव इसी कार सोचता रह तो वह ससार क ब धन सछट सकता ह परत होता यह ह क जब मन य धम सभा स उठ जाता ह मशान भ म सलौट आता ह और रोग स म हो जाता ह तो वह फर स ससार क उसी मोह-मायाजाल मफस जाता ह यही माया ह

उ प प ा ाप य ब भव त या शीता शी य द पव यात क य न या महोदयः

कम करन क बाद प ा ाप करन वाल मन य क ब जस कार क होती हवसी ब य द पाप करन स पहल भी हो जाए तो सभी को म ा त हो सकती ह 7

मन य बरा काय करन क बाद पछताता ह उस अपन कए ए काय पर पछतावाहोता ह वह जानता ह क उसन वह कया ह जो उस नह करना चा हए चाण य कहत हक य द कम करन स पहल ही मन य क वचार वस ही हो जाए जस प ा ाप क समयहोत ह तो कोई भी कम न हो

दान तप स शौय वा व ान वनय नयव मयो न ह कत ो ब र ना वस धरा

दान तप या वीरता व ान वन ता और नी तवान होन म मन य को सबस बड़ाहोन का अ भमान नह करना चा हए य क प वी अनक अम य र न स भरी ई ह 8

र थोऽ प न र थो यो य य मन स थतःयो य य दय ना त समीप थोऽ प रतः

जो जसक दय म बसा आ ह वह य द ब त र ह तो भी उस र नह कहा जासकता और जो जसक दय म समाया आ नह ह वह ब त नकट रहन पर भी र तीतहोता ह 9

जन लोग म स चा म ह व य द एक- सर स ब त र रहत ह तो भी उ ह रनह मानना चा हए परत जसन कसी क दल म घर नह कया वह पास रहन स भी ररहता ह आचाय क अनसार स च म म री का कोई मह व नह ह

य य चा य म छत त य यात सदा यमाधो मगवध कत गीत गाय त स वरम

जसका बरा करन क इ छा हो उसस सदा मीठ बात करनी चा हए जस शकारीहरण को पकड़न स पहल मीठ आवाज म गीत गाता ह 10

इस ोक म एक सामा य सासा रक बात कही गई ह जो मन अपन पाप क कारणकसी का अ हत चाहता ह वह पहल सदा मीठ -मीठ बात करता ह जस कार हरणआ द का शकार करन स पहल शकारी मधर आवाज म गीत गाता ह साप को पकड़नवाला म त होकर बीन बजाता ह इस कार य दोन मधर वर क आकषण म बधकरशकारी क पास खद आ जात ह तो शकारी उ ह पकड़ लता ह जब तक सर म असर ाक भावना ह उसक मम थल पर आघात नह कया जा सकता

चाण य कहत ह क अ हत करन क इ छा स मीठ -मीठ बात करत हऐसा करक व पहल रझात ह फर हा न प चात ह जआरी पहल लाभ होन का लालचदखाता ह जसस भोलाभाला उसक जाल म फसकर बड़ी-सी रकम दाव म लगादता ह और अपनी हा न कर बठता ह

अ यास ा वनाशाय र था न फल दाःस वत म यभागन राजा वह नग ः यः

राजा अ न ग और ी इनक पास हर समय नह रहना चा हए ऐसा करन समन य को हा न हो सकती ह परत इनस र रहन स भी मन य को कोई लाभ नह होताइस लए इनस वहार करत समय को ब त सोच-समझकर बीच का रा ता अपनानाचा हएmdashइसी को म यम माग कहत ह 11

म यम माग का अथ ह क को कसी व त अथवा वचार म न तो अ धकल त होना चा हए और न ही उसका सवथा प र याग करना चा हए म यम माग म दोनछोर का प र याग करना पड़ता ह और एक बीच का रा ता अपनाना पड़ता ह गौतम ब नइसी माग को अपनान पर बल दया था ीक ण इस lsquoसम वrsquo कहत ह इसम अ त व जतह

अ नरापः यो मखाः सपा राजकला न चन य य नन स ा न स ः ाणहरा ण षट

अ न जल या मख साप और राजप रवार का सवन करत समय मन य कोसदव सावधान रहना चा हए य क य छह कभी भी म य का कारण हो सकत ह 12

स जीव त गणा य य य य धमः स जीव तगणधम वहीन य जी वत न योजनम

ससार म वही जी वत रहता ह जसम गण और धम जी वत रहता ह गण और धमस र हत मन य का जीवन थ ह 13

इस ससार म गणी य क जीवन को माना गया ह इस कार धमा माय का जीवन ही जीवन ह परत जस म न तो कोई गण ह और न ही धम

उसका जीवन बलकल थ ह

यद छ स वशीकत जगदकन कमणापरापवादस य यो गा चर त नवारय

ह मन य य द त कसी एक ही कम ारा सार ससार को अपन वश म करना चाहताह तो त सर क नदा करन वाली अपनी वाणी को वश म कर ल अथात सर क नदाकरना छोड़ द 14

सर क नदा छोड़न का अथ ह अपनी आलोचना और सर क गण को हणकरना ऐसा करन वाला सहज प स व को जीत लगा

तावस श वा य भावस श यमआ मश सम कोप यो जाना त स प डतः

जो अवसर क अनकल बात करना जानता ह जो अपन यश और ग रमा क अनकलमधर-भाषण कर सकता ह और जो अपनी श क अनसार ोध करता ह उसी को वा तवम व ान कहा जाता ह 15

को अवसर क अनकल ही वा य का योग करना चा हए और उस समयइस बात का सदव यान रखना चा हए क इसस त ा बढ़गी अथवा घटगी जो समय क अनकल बात नह करता जस अपन मान-अपमान का कोई ान नह या जो यभाषण अथवा मधर-भाषण करना नह जानता वह मख ह जो समय क अन पबात करता ह अपनी श क अनसार ोध करता ह वही प डत अथवा सब कछ जाननवाला व ान ह

एक एव पदाथ त धा भव त वी तःकणपः का मनी मास यो ग भः का म भः भः

एक ही चीज को दखन वाल ाणी तीन कार स दखत ह योगी उस अ त- न दतशव क प म दखत ह कामी लोग सदर नारी क प म दखत ह और क ा उस एक मासक लोथड़ क प म दखता ह भद का ह व त तो एक ही ह 16

lsquoजसी वसी स rsquo यह एक ावहा रक और दाश नक स ात ह आचाय नसदर उदाहरण स इसक प क ह

स स मौषध धम गह छ च मथनम

कभ क त चव म तमा काशयतब मान को चा हए क स क ई औष ध अपन ारा कए जान वाल

धमाचरण घर क दोष ी क साथ सभोग कभोजन तथा सन ए न दत वचन कसी कसामन कट न कर 17

ताव मौनन नीय त को कल व वासराःयाव सवजनान ददा यनी वा वतत

जब तक सभी को आनद दन वाली बसत ऋत आरभ नह होती तब तक कोयलमौन रहकर अपन दन बता दती ह अथात बसत ऋत क आन पर ही कोयल क कक सनाईदती ह 18

इसका भावाथ ह क को बड़ धय स सही समय क ती ा करनी चा हएसही समय पर कही गई सही बात ही असरदार होती ह

धम धन च धा य च गरोवचनमौषधमसगहीत च कत म यथा त न जीव त

जीवन को सही स बतान क लए धम का आचरण धन पदा करना अ कासचय ग क वचन का पालन अनक कार क औष धय का स ह व धपवक और य नस करना चा हए 19

मन य को चा हए क धन धम अ ग क कही ई बात और अनक कार कउपयोगी औष धया का स ह करता रह जो मन य ऐसा नह करता उस जीवन म तरह-तरह क क ठनाइय का सामना करना पड़ता ह

यज जनससग भज साधसमागममक प यमहोरा मर न यम न यताम

ह मन य क सग को याग द और स जन प ष का सग कर दन-रात अ छकाय कया कर सदव ससार को नाशवान समझकर परम र का यान कया कर 20

मन य को जीवन म या करना चा हए और या नह इसी का स ह मानो यहोक न तकता का सार-स प न हत ह इस ोक म

इस अ याय म सामा य लोग क लए चाण य न कछ मह वपण बात क ओरयान आक कया ह व कहत ह क इस प वी पर अ जल और नी तय बातmdashइन

तीन को ही मह वपण मानना चा हए उनक अनसार य तीन चीज ही मन य क लए र न कसमान ह अथात मन य का इस ससार म इनक बना काय- ापार करना क ठन ह धनी सधनी क लए और अ यत नधन क लए अ और जल एक जसा मह व रखत हइसक साथ नी तय मधरवाणी इस लए आव यक ह क इसस मन य का क याण होता हआचाय न आग कहा ह क य द द र ह रोगी ह खी ह और बधन तथा क मपड़ा ह तो यह सब उसक अधम पी काय का फल ह उनका कहना ह क इस ससार मजन व त को हम ब त उपयोगी मानत ह उनम स धन म ी भ म तथा मकानआ द मन य को बार-बार मल सकत ह परत मन य जीवन ऐसा ह जो बड़ी क ठनाइय स

ा त होता ह इस लए मन य को चा हए क वह अपन जीवन को सफल बनान का य नकर धमाचरण कर न क हर समय ससार क भोग म फसा रहकर अपन जीवन को थगवा द

ायः हर दश क नवा सय क लए सग ठत रहना ाचीनकाल स ही मह वपणआव यकता रही ह इस लए व कहत ह क य द नबल स नबल रा सग ठत रहग तोअ यत बलवान श को भी परा जत करना उनक लए सभव होगा इसी सदभ म व आगकहत ह क जीवन म कोई समय ऐसा भी आता ह जब मन य जीवन क वा त वकता कबार म सोचन लगता ह मन य जब कसी धम पदश को सनता ह तो उसक मन म धमाचरणक व जा त होती ह जब मन य कसी को अपन कध पर लादकर मशान भ म मजाता ह तो उस ऐसा तीत होता ह क यह जीवन न र ह और जब मन य कसी रोग सपी ड़त होता ह तो ायः हाय-हाय करता आ भ को याद करता ह चाण य कहत ह कय द मन य सदा इसी कार क वचार मन म रख तो वह ससार क बधन स छट सकता हइसी सदभ म व आग कहत ह क मन य जब कोई कम करता ह तो उसक बाद वहपछतान लगता ह अथात उसक ब म एक प रवतन होता ह य द कम करन स पवमन य क ब उस दशा म काय कर तो वह ससार क बधन स छट सकता ह

मो ा त म बाधक काय क ओर सकत करत ए आचाय का कहना ह कअ भमान मन य को ल डबता ह य द कोई यह समझता ह क उसक जसा तप वीदानी शरवीर और ानवान कोई सरा नह ह तो यह उसका म ह य क ससार इतनावशाल ह क उसम एक स बढ़कर एक गणी ह

यहा एक सामा य-सी बात क ओर इशारा करत ए आचाय न कहा ह क समीपताऔर री का सबध दय स ह न क थान स

चाण य न यहा ऐसी कटनी तपण बात कही ह जो कसी भी रा य क लए उपयहो सकती ह उनका कहना ह क जो रा य आपको हा न प चाता ह य द आपम श सउसका नवारण करन क यो यता नह ह तो उसस म ता गाठकर मधर वहार कादखावा करत ए ब पवक श हीन कर दना चा हए

व आग कहत ह क राजा अ न ग और ी आ द क न तो अ य त नकट जाना

चा हए और न ही इनस अ यत री रखनी चा हए उदाहरण क लए सामा य-सी बात ह कय द अ न क अ धक समीप जाएगा तो वह जलकर भ म हो जाएगा इसी लएउ ह न कहा ह क इन सब व त का उपयोग म यम री अथवा म यम अव था म करनाचा हए य क य द इनक सवन म सावधानी नह बरती जाएगी तो न होना न त ह वकहत ह क जो गणी ह उसी का जीवन सफल ह जसम कसी कार का गण नह कोई वशष ब नह उसका जीवन थ ह

इसी सदभ म व आग कहत ह क मन य य द ससार को अपन वश म करना चाहताह तो उस सर क नदा करना छोड़ दना चा हए समझदार वही ह जो समय कअनकल बात करता ह अपन मान-स मान क अन प मधर और य वचन बोलता ह और

ोध करत समय इस बात का अनमान कर लता ह क वह उसक श क अन प ह यानह इसी क साथ ही व कहत ह क ससार क यक व त को मन य व भ कोण सदखत ह ी का उदाहरण दत ए व कहत ह क योगी ी क व प को घणा क सएक लाश क समान दखता ह कामी उस हर कार स सदर समझता ह और क क

म वह एक मास क लोथड़ अलावा कछ नह ह सभी अपन भाव क अनसार उसकादशन करत ह इसी लए इस कार क पर पर व भ ता दखन म आती ह आग चलकरचाण य बतात ह क ब मान मन य को चा हए वह अ छ कम घर क दोष ी ससहवास और अपन सबध म सन ए न दत वचन को कभी कसी सर क सम

कट न करचाण य का कहना ह क मन य को क क समय मौन रहना चा हए चीखन-

च लान स कोई लाभ नह होता उस चा हए क वह सदव धा मक काय म लगा रहयथाश अ छ काय स धन का स ह करता रह धन का स ह भी समय क अनकलसमझा गया ह ग क क याणकारी वचन को सजोकर रखना अ यत आव यक ह य द

इन चीज का स ह नह करता तो उसका जीवन सकट म पड़ सकता हअत म व मन य को सखी जीवन बतान क लए मागदशन करत ए कहत ह क

मन य को क सग त छोड़ दनी चा हए उसको स जन क पास उठना-बठना चा हएदन-रात उस अ छ कम करत रहन चा हए और उस यह बात यान म रखनी चा हए क यहससार अ न य ह इस लए उस सदव अपना मन भ क चतन म लगाए रखना चा हए

अथ पचदशोऽ यायः प हवा अ याय

अ याय स कमाया आ धन अ धक स अ धक दस वष तककसी क पास ठहरता ह और यारहवा वष ारभहोत ही याज और मल स हत न हो जाता ह

य य च वीभत कपया सवज तषत य ानन मो ण क जटाभ मलपनः

जसका दय ा णमा पर दया स पघल जाता ह उस ान और मो ा त करनतथा जटाधारण और शरीर पर भ म लगान क या आव यकता ह 1

जस क मन म ा णय क क को दखकर दया क भाव आत ह उस ाना त करन और मो ा त करन क लए तप करन क आव यकता नह ह चाण य न

मन य क मन म दया क भाव को सभी धम स ऊचा थान दया ह

एकमवा र य त ग ः श य बोधयतप थ ा ना त तद यद द वा चाऽनणी भवत

जो ग अपन श य को एक अ र ॐ अथात परम र का ठ क स ान करवा दताह उस ग क ऋण स श य म नह हो पात ससार म ऐसा कोई पदाथ नह जस गको सम पत करक श य ग क ऋण स म हो सक 2

खलाना क टकाना च वधव त याउपान मखभगो वा रतो वा वसजनम

जन और काट इन दो चीज स बचन क दो ही उपाय ह या तो जत स इनका महकचल दया जाए उसक अ त व को ही समा त कर दया जाए अथवा उनको र स हीयाग दया जाए 3

चाण य काट और को एक ही णी म रखत ह इनस वहार करन कभी व दो माग बतात ह य द श ह तो उस कचल द अ यथा उसस बचकर नकल जाए

कच लन द तमलोपस बह वा शन न रभा षणचसय दय चा त मत शयान वम च त ीय दच पा णः

गद कपड़ पहनन वाल गद दात वाल अथात दात क सफाई न करन वाल अ धकभोजन करन वाल कठोर वचन बोलन वाल सय उदय होन तथा सया त क समय सोन वाल

को ल मीmdash वा य स दय और शोभा याग दती ह भल ही व ण य न हो 4

यज त म ा ण धन वहीन दारा भ यास जना त चाथव त पनरा य त अथ ह लोक प ष यबधः

जब मन य क पास धन नह रहता तो उसक म ी नौकर-चाकर और भाई-बधसब उस छोड़कर चल जात ह य द उसक पास फर स धन-सप आ जाए तो व फरउसका आ य ल लत ह ससार म धन ही मन य का ब ध ह 5

आचाय न धन क ावहा रक प को बतात ए कहा ह क इसी क इद- गद सारसबध का ताना-बाना आ करता ह इसम कोई आ य नह

अ यायोपा जत दश वषा ण त ता त चकादश वष समल तद वन य त

अ याय स कमाया आ धन अ धक स अ धक दस वष तक आदमी क पास ठहरताह और यारहवा वष ारभ होत ही याज और मल स हत न हो जाता ह 6

अय वा मनो य य नीच य षणम अमत राहव म य वष शकरभषणम

समथ और श वान प ष य द कोई अन चत काय भी करता ह तो उस उ चतसमझा जाता ह जब क नीच प ष ारा कया उ चत काय भी अन चत कहलाता हउदाहरण क लए रा नामक द य क लए अमत भी म य का कारण बन गया और शव कलए वष भी उनक कठ का आभषण माना गया वषपान क कारण उनक म य नह ई

ब क उ ह नीलकठ कहा जान लगा 7

तद भोजन यद जभ शष त सौ द य यतपर मनसा ा ता या न करो त पाप द भ वना यः यतस धमः

वा त वक भोजन वह ह जो ा ण आ द को खला दन क बाद बचता ह अथातगह थ को चा हए क वह वय भोजन करन स पहल ा ण को भोजन कराए इसी कार

म और नह उस ही कहा जा सकता ह जो पराय स कया जाता ह अपन ब ध-बा धव सतो सभी म करत ह ब म ा यह ह क मन य पाप कम करन स बचा रह धम वह हजसम छल-कपट न हो 8

अपन स कया जान वाला म पणतया ावहा रक होता ह इसी लए वह ढोयाजाता ह जब क पराय जसस अपन बन जाए और बन भी रह वही सही अथ म म ह

म णल ठ त पादा काचः शर स धायतय व यवलाया काचः काचो म णम णः

कसी वशष थ त म र न चाह पर म लढ़कता रह और काच को सर पर धारणकया जाए परत जब बचन अथवा लन का समय आता ह तो काच को काच और र न कोर न ही कहा जाता ह 9

इसका भाव यह ह क कसी अयो य व त अथवा को उ चत थान पर रखनअथवा नय करन स उसक म य म कसी कार का प रवतन नह होता परत जबम याकन का समय आता ह तो उनक वा त वक थ त का पता लग ही जाता ह

अन तशा ब ला व ाः अ प कालोब व नता चय सारभत त पासनीय हसो यथा

ीर मवा बम यातवद आ द शा अ यत वशाल ह व ान क सम ह व ाए भी ब त सी ह परत

मन य क आय सी मत ह और उसक माग म क ठनाइया भी ब त-सी आती ह इस लएउसक लए उ चत ह क वह शा स सारभत बात को उसी कार हण कर ल जस

कार हस पानी मल ध स ध हण कर लता ह 10

रागत प थ ा त वथा च गहमागतमअनच य वा यो भ स व चा डाल उ यत

र स चलकर आन वाला या ी थका आ होता ह बना कसी वाथ क घर म आए

ए अ त थ क पजा कए बना जो घर का वामी वय भोजन कर लता ह उस न य हीचा डाल कहा जाता ह 11

वद आ ा दत ह क अ त थ दवता हmdashअ त थ दवो भव गह थ को चा हए क रस चलकर आन वाल अ त थ का वह आदर-स कार कर अ त थ क उप ा करना पाप कमह शा म अ त थ क सवा का वधान ह अ त थ सवा ारा अनजान को भीस जन स मान और ा का पा बना लत ह

पठ त चतरो वदान धमशा ा यनकशःआ मान नव जान त दव पाकरस यथा

जो लोग वद आ द शा का अ ययन करन क बाद भी आ मा- परमा मा क सबधम कछ नह जानत व आ म ान स र हत उस कलछ क तरह ह जो वा द साग स जीम तो घमती ह परत उस उसक वाद का बलकल भी ान नह होता 12

शा क अ ययन क साथकता इसी बात म ह क जो कछ पढ़ा जाए उसका सारहण करक मन य उस अपन जीवन म उतार य द मन य ऐसा नह करता तो उसका जीवनथ ह शा उन उपाय को भी बतात ह जनस आदश को जीवन म उतारन का काय

आसान हो जाता ह

ध या जमयी नौका वपरीता भवाणवतर यधोगताः सव उप र थाः पत यधः

इस ससार-सागर म ा ण पी नौका ध य ह जो उ ट ग त स चलती ह यहउ ट ग त या ह जो इस नाव क नीच रहत ह व सब तो भवसागर स पार उतर जात हऔर जो नाव क ऊपर चढ़त ह उनका पतन हो होता ह 13

ता पय यह ह क जो अथवा गह थ लोग ा ण क साथ न रहकर उनकसवा करत रहत ह उनका तो उ ार हो जाता ह और जो अ भमान म चर रहकर उनकाअपमान करत ह उनक सदव अधोग त ही होती ह

अयममत नधान नायकोऽ यौषधीनाअमतमयशरीरः का तय ोऽ प च ःभव त वगतर मम डल ा य भानोःपरसदन न व ः को लघ व न या त

सर क घर म जान स का स मान घटता ह वह छोटा होता ह जस च माको अमत का भ डार कहा जाता ह यह गणकारी औष धय का वामी भी ह इसक छ वअथवा इसक करण को अमत क समान माना जाता ह इसम का त भी ह अथात यह

काश स य ह परत जब यही च मा सयम डल पर जाता ह तो तजर हत हो जाता ह

वहा उसक सारी चमक-दमक समा त हो जाती ह 14जो नजी वाथ क प त क उद द य स सर क घर म जाता ह उसका

बड़ पन थर नह रह पाता आचाय का यह कथन ह क को कभी भी अपन मागका प र याग नह करना चा हए

अ लरय न लनीदलम यगःकम लनीमकर दमदालसःव धवशा परदशमपागतः कटजप परस ब

म यतभ रा कम लनी क फल क पख ड़य म बठा रहता ह उसक पराग का रस चसता

रहता ह और उसक म य म म त बना रहता ह परत दवयोग स जब उस एक थान स कसीसर थान को जाना पड़ता ह तो वहा उस करील आ द व क फल स रस तो मल जाता

ह कत काट क कारण काफ क भी उठाना पड़ता ह 15इसका भाव यह ह क वदश म जान स अनक बार धन क ा त तो करता

ह परत उस अनक कार क क भी उठान पड़त ह इस लए उस चा हए क वह वय कोसमय क अनसार ढाल अथात क आन पर उस खी नह होना चा हए

पीतः न तात रणतलहतो व लभो यन रोषादआबा या वयः ववदन ववर धायत व रणी मगह म छदय त त दवसममाका तपजा न म त मा ख ा सदाह जकल नलय नाथ य यजा म

व ण ल मी स पछत ह क वह ा ण स नाराज य रहती ह तो उ र दती ईल मी कहती हmdashअग य ऋ ष न नाराज होकर मर पता सम को ही पी लया था ा णभग न ोध म आकर आपक छाती पर लात मारी थी और य ा ण लोग बचपन स ही मरीसौत सर वती को स करन का य न करत रहत ह त दन शव क पजा क लए मरनवास थान स कमल प प को उजाड़ दत ह ह वामी यही कारण ह जसस म ा णस सदा र रहती 16

इस ोक का सामा य भाव यह ह क ा ण अ धक लोभी नह होत और व ारभस ही धन कमान क व स र हत होकर व ा अ ययन म लग रहत ह धन-सप जटानपर उनका वशष यान नह होता इसी लए व व ान तो होत ह धनवान नह

ब धना न खल स त ब नमर ज ढब धनम यत

दा भद नपणोऽ प षड न यो भव तपकजकोश

इस ससार म ब त स बधन ह परत म पी र सी का बधन कछ व च होता हलकड़ी को छदन क श रखन वाला भ रा भी कमल क फल म बद होकर न य होजाता ह कमल क पख ड़य को काटन क उसम श होती ह परत उनक त अ तरक

म- भावना होन क कारण वह ऐसा नह करता 17ससार म मन य अनक कार क बधन म बधा आ ह परत सबस मजबत बधन

म का होता ह जस कार कमल क कोमल पख ड़य म बद हो जान पर भ रा मवशउ ह काट नह पाता इसी कार मन य म क पाश म बधा आ सब क उठान क लएतयार हो जाता ह अथात वह म क बधन स म नह हो पाता

छ ोऽ प च दनत न जहा त ग धव ोऽ प वारणप तन जहा त लीलामय ा पतो मधरता न जहा त च ः

ीणोऽ प न यज त शीलगणान कलीनःचदन का व कट जान पर भी अपनी सगध नह छोड़ता बढ़ा हो जान पर भी हाथी

अपनी ड़ाए नह छोड़ता को पर पर (पल) दए जान क बाद भी ईख अपनी मठासको नह छोड़ता इसी कार कलीन मन य नधन हो जान पर भी अपनी शालीनता को नहछोड़ता 18

वभाव कसी भी प र थ त म बदलता नह ह इसस पव भी कई थान परआचाय न क चचा क ह

वभाव पर जोर दन का आचाय का ता पय वहार क दशा को नधा रत करनाह इसी आधार पर व ास क सीमा का नधारण भी कया जा सकता ह वभाव म य दस जनता ह तो व ास क सभावना का तशत बढ़ जाता ह आचाय न अपन जीवन मभी इस मनो व ान का ावहा रक योग कया ह धमनद क व त और मगध कन ावान धान अमा य रा स को च ग त का अमा य बनाना इसी उपरो कथन कासश उदाहरण ह

lsquoकलीनrsquo श द का योग कर आचाय न वश-परपरा क ओर भी सकत कयापरपरा या ा त होन वाल स कार का जीवन म अ य धक मह व ह पा रवा रक प भ म

व का अ य धक सश प स नधारण करती ह

इस अ याय क ारभ म आचाय न दया क मह व को प कया ह उनका कहना हक जो इस ससार क ा णमा पर दया करता ह उस न तो मो ा त करन क लएजप-तप आ द साधन क आव यकता ह और न ही जटाजट धारण करक साध-स यासीबनन क दया सभी धम का सार ह

ग क मह व को बतात ए आचाय चाण य बतात ह क य द श य ग को अपनासव व सम पत कर द तो भी ग का ऋण श य स नह उतरता ग ही श य कोवा त वक ान दता ह जसस उऋण होना सभव ही नह ह

स बचन का उपाय बतात ए चाण य कहत ह क या तो उस मसलकरन कर दना चा हए अथवा ऐसा य न करना चा हए क वह आपक काय म कसी कारक कावट न डाल सक

चाण य का कहना ह क जो मल कपड़ पहन रहता ह जसक दात पर मलजमा आ दखाई दता ह जो हर समय कड़वी बात करता रहता ह तथा जो सय दय औरसया त क समय सोया रहता ह उस न तो ल मी ा त होती ह न ही उसका वा य ठ करहता ह इसी लए को अपन जीवन को सखी बनान क लए क त क नयम कअनसार चलना चा हए

आचाय क अनसार धन मन य का बध और सखा ह इस लए मन य को धन स हकरत रहना चा हए उनका यह भी कहना ह क धन को धमपवक ही कमाना चा हएअ याय स पदा कया आ धन दस वष स यादा नह ठहरता

अनक व ान का कहना ह क समथ जो कछ करता ह लोग उसक लएउस दोषी नह ठहरातmdashldquoसमरथ को न ह दोष गोसा rdquo असमथ ारा कया गया अ छाकाम भी दोषय माना जाता ह इसका कारण भय और वाथ ह न क स य

आचाय न दान क म हमा का बखान कया ह व कहत ह क ा ण को भोजनकरवान क बाद ही गह थ को भोजन करना चा हए उनक अनसार म और नह उस हीकहा जाता ह जो सर स कया जाए अपन सब धय तथा म आ द स तो सभी मकरत ह आचाय न ब मान उस कहा ह जो पाप कम क ओर आक न हो

चाण य मन य को यह बताना चाहत ह क ान का कोई अत नह ह जब कमन य का जीवन ब त छोटा ह उनका कहना ह क वद आ द शा क पढ़न पर भी जसउनम व णत आ मा और परमा मा का ान नह आ उसका जीवन थ ह उसका जीवनबलकल उसी कार ह जस धात क कलछ वा द भो य पदाथ म घमती ई भी उसकावाद नह ल पाती

चाण य कहत ह क जब सर क घर म जाता ह अथात अपना घर छोड़ताह तो उस छोटा माना जाता ह च मा को अमत का भ डार कहा जाता ह परत जब वह सयक सीध म आता ह तो एक कार स उसका अ त व समा त हो जाता ह य क उस समय

वह सय स ही काश हण करता हचाण य न यह बात प करन का य न कया ह क ा ण क पास धन य

नह होता उनका कहना ह क व सदव सर वती क उपासना म लग रहत ह इस लए धनइकट ठा करन क उनक व ही नह होती इस ससार म म का बधन ही सबस ढ़ होताह चाण य उदाहरण दत ए कहत ह क भ र म इतनी श होती ह क वह लक ड़य मभी छद कर सकता ह परत कमल क अनराग म बध जान क कारण उसक श थ होजाती ह इसी कार मन य क जो वाभा वक गण ह व कभी भी समा त नह होत जस

कार चदन का व छोट-छोट टकड़ म काट दए जान पर भी अपनी सगध नह छोड़ताउसी कार कलीन मन य नधन होन पर भी अपन गण का याग नह करता

अथ षोडशोऽ यायः सोलहवा अ याय

ससार एक कड़वा व ह ल कन आ य ह क इस पर अमतसरीख मीठ और जीवन दन वाल दो फल लगत ह एक मधरवाणी और सरी स जन क सग त

न यात पदमी र य व धव ससार व छ यवग ारकपाटपाटनपटधम ऽ प नोपा जतः

नारीपीनपयोधरो यगल व ऽ प ना ल गतमातः कवलमव यौवनवन छद कठारा वयम

जस मन य न ससार पी जाल को काटन क लए भ क व प का यान नहकया जसन वग क ार खोलन क लए धम पी धन का स ह नह कया जसन व मभी नारी क सदर तन और जघा का आ लगन नह कया वह माता क यौवन पी वको काटन वाल क हाड़ का काम करता ह 1

चाण य कहत ह क जस न न तो भ का यान कया न ही कोई धम-कमकया और न ही सहवास का सख ा त कया ऐस का जीवन एक कार स नरथकह इस ोक क ारा आचाय न उन तीन जीवन धारा को बतान का यास कया जनमजन-सामा य उलझा आ ह धम अथ कामmdashइन तीन प षाथ क लए ही तो यासकया जा रहा ह आचाय न ईश- मरण को थम थान दया ह

ज प त साधम यन प य य य स व माः

दय च तय य य न ीणामकतो र तःव या क कसी एक स ी त नह होती व बातचीत तो कसी अ य स

करती ह परत हाव-भाव पवक दखती कसी अ य को ह और अपन दय म चतनकसी अ य का करती ह इस कार व या का म कसी एक स नह होतायह उनका वभाव ह जो कोई यह समझता ह क कोई व या उसस म करती हवह उसक मखता ह 2

यो मोहा म यत मढो र य म य का मनीस त य वशगो भ वा न यत डा-शक तवत

जो मख यह समझता ह क कामक ी कवल उसी स म करती ह वह उसक वशम होकर कठपतली क समान उसक इशार पर नाचता रहता ह 3

वा त वकता यह ह क मन य कामक ी क छल-कपट को नह समझ पाता ीअपन चातय स क मन म यह व ास पदा कर दती ह क वह उसी स म करती हजो उस पर व ास कर लता ह वह मख ह वह उसक इशार पर कठपतली कसमान नाचता रहता ह उसका व और अ त व दोन ही समा त हो जात ह

कोऽथान ा य न ग वतो वष यणः क यापदोऽ तगताः

ी भः क य न ख डत भ व मनः को नाम रा ायः

कः काल य न गोचर वमगम कोऽथ गतो गौरवको वा जनवागरास प ततः मण यातः प थ

इस ससार म ऐसा कोई नह जस धन और ऐ य क ा त होन परअ भमान न आ हो कोई भी वषय भोग म ल त ऐसा नह आ जस क नभोगन पड़ ह ससार म ऐसा कौन-सा ह जो सदर य क वश म न आ होमागन वाल को कब स मान मला ह और कौन ऐसा ह जो लोग कच कर म फसकर कशलतापवक ससार म रह सकता हो 4

ससार म ऐस ब त कम होत ह जो धनवान होन पर भी अ भमानर हत औरन बन रहत ह ससार म ऐसा कोई नह ह जो वषय भोग म ल त होन क बादक म न फसा हो और ससार म ऐस य का भी अभाव ह जो य क मोह-जाल मन फस ह जो सदा याचना करता रहता ह उस स मान कस मल सकता ह

न न मतः कन न पवः न यत हममयः करगःतथाऽ प त णा रघन दन य वनाशकाल

वपरीतब ःआज तक न तो सोन क मग क रचना ई ह और न ही कसी न सोन का मग दखा

ह फर भी ीरामच वण मग को पकड़न क लए उतावल हो गए यह बात ठ क ही हक जब मन य क बर दन आत ह तो उसक ब उ ट बात सोचन लगती ह 5

गण मता या त नो चरासनस थताःासाद शखर थोऽ प काकः क ग डायत

मन य अपन अ छ गण क कारण ही ता को ा त होता ह ऊच आसन परबठन क कारण नह राजभवन क सबस ऊची चोट पर बठन पर भी कौआ कभी ग ड़नह बन सकता 6

गणाः सव प य त न मह योऽ प स पदःपण क तथा व ो न कलको यथा कशः

सभी थान पर मन य का आदर-स कार उसक गण क कारण ही होता ह गणहीनमन य क पास य द धन क भ डार भी ह तो भी उसका स मान नह होता ब त थोड़ स

काश वाला परत दाग-ध ब स र हत ज का चाद जस कार पजा जाता ह अथवा शभसमझा जाता ह प णमा क च मा को वसा स मान ा त नह होता 7

इसका भाव यह ह क मन य का आदर-स कार उसक गण क कारण होता हप णमा क चाद म अनक दाग-ध ब दखाई दत ह परत ज का चाद एक पतली-सी लक रक समान होता ह उसम कोई दाग-ध बा नह होता इस लए वह पर चाद क अप ा अ धकसदर दखाई दता ह भगवान शव न इसी लए तो उस अपन शरोभाग म थान दया ह

पर- ो गणो य त नगणोऽ प गणी भवतइ ोऽ प लघता या त वय या पतगणः

जस मन य क गण क तारीफ सर लोग करत ह वह गण स र हत होन पर भीगणी मान लया जाता ह परत य द इ भी अपन मख स अपनी शसा कर तो उ ह छोटा हीमाना जाएगा 8

गणी वह होता ह जो अपन स यादा गणवान क ओर दख इसी लए वह वय कोगणर हत मानता ह जब क गणहीन अपनी क मय को छपान क लए अपन महमया मट ठ बनता ह

वव कनमन ा ता गणा या त मनो तामसतरा र नमाभा त चामीकर नयो जतम

जस कार सोन क आभषण म जड़ा आ र न और भी सदर दखाई दता ह उसीकार को चा हए क ववकपवक अपन म गण का वकास करक अपन व

को और भी अ धक सदर बनाए तथा सदव गण को हण कर 9

गणः सव त योऽ प सीद यको नरा यःअन यम प मा ण य हमा यमप त

गण म सव -परमा मा क समान होन पर भी नरा त खी होता रहता हजस अ य त म यवान हीरा भी सोन म जड़ जान क आशा करता ह उसी कार गणीमन य को भी कसी सहार क अप ा रहती ह अथात गणी भी आ य क बनासमाज म वह स मान ा त नह कर पाता जसक उसको अप ा होती ह 10

अ त लशन य चाथा धम या त मण तश णा णपातन त था मा भव त म

जो धन सर को हा न और पीड़ा प चाकर धम व काय करक श क सामनगड़ गड़ा कर ा त होता हो वह धन मझ नह चा हए ऐसा धन मर पास न आए तो अ छाह 11

चाण य कहत ह क मन य को ऐस धन क कामना नह करनी चा हए जो सरको हा न प चाकर एक त कया जाए धम व काय करक और श क सामनगड़ गड़ान स ा त कया आ धन अक याणकारी और अपमान दन वाला होता ह मन यको ऐसा धन ा त करन क च ा नह करनी चा हए उस सदव प र म और अ छ उपायस ही धन का स ह करना चा हए शभ धन ही शभ व दता ह

क तया यत ल या या वध रव कवलाया त व यव सा मा या प थकर प भ यत

ऐस धन का भी कोई लाभ नह जो कलवध क समान कवल एक ही मन य क लएउपभोग क व त हो धन-सप तो वही ह जसका लाभ राह चलत लोग भी उठात हअथात धन-सप वही ह जो व या क समान अ य लोग क भी काम आती ह 12

इस ोक का भाव ह क उ म धन वही ह जो परोपकार क काम म लगाया जाताह जस धन को कोई एक समटकर बठ जाता ह न तो उस उपयोगी माना जाता हऔर न ही उसस कसी का लाभ होता ह समाज क याण क उपयोग म लाया गया धन ही

धन ह धन क ग त कनी नह चा हए

धनष जी वत ष ीष चाहारकमसअत ताः ा णन सव याता या य त या त च

इस ससार म कोई भी ाणी ऐसा नह ह जो धन का व भ कार स उपभोग करनपर त त आ हो इस धन का उपभोग इस जीवन क काय य क सवन और व भ

कार क भोजन आ द पर करन स भी मन य अत त रहगा और अत त रहत ए ही इसससार स चला जाएगा अथात धन को कसी भी कार स उपभोग म लाया जाए मन य त तनह होता 13

सामा य धारणा स वपरीत यह ोक स य क ओर सकत करता ह धन स सतमलगी ऐसा माना जाता ह ल कन आचाय चाण य का कथन ह क यह स य नह हmdashचाहो तो दख लो हा य द धन सत दगा तो कवल परोपकार म लगकर ऐसा धन मन यको सतोष और त त दोन दान करता ह

ीय त सवदाना न य होमब ल याःन ीयत पा दानमभय सवद हनाम

सभी कार क अ जल व भ मदान आ द सभी कार क य दव-यऔर ब ल य आ दmdashसभी कम न हो जात ह अथात यह सभी व तए न होन वाली हपरत सपा को दया आ दान और ा णमा को दया गया अभयदान कभी भी ननह होता 14

तण लघ तणा ल तलाद प च याचकःवायना क न नीतोऽसौ मामय याच य य त

ससार म एक तनका अ यत ह का होता ह तनक स भी अ धक ह क ई होतीह परत याचक को तो सबस अ धक ह का माना गया ह अथात जब कोई चीज कसीस माग बठता ह तो वह सभी चीज स ह का अथात त छ माना जाता ह 15

वर ाणप र यागो मानभगन जीवनाताण याग ण ःख मानभग दन दन

अपमा नत होकर जीन क बजाय मर जाना अ धक अ छा ह य क म य स तोणभर का ही क होता ह जब क अपमा नत होन पर दन- त दन मरता रहता ह

16भाव यह ह क को अपना जीवन स मानपवक बताना चा हए अपमा नत

होन क अप ा मर जाना इस लए माना गया ह य क मरत समय णभर का कहोता ह जब क अपमा नत पग-पग पर ख झलता रहता ह

यवा य दानन सव त य त ज तवःत मा दव व वचन का द र ता

मधर बोली वाल स सभी ाणी स रहत ह अतः को सदव य वचन हीबोलन चा हए उस चा हए क वह वाणी म अमत पी मधरता घोलकर बोल कोवाणी स द र नह होना चा हए 17

मधर-भाषण क लए कहा गया ह क जो मीठ बात बोलता ह मपवकवहार करता ह वह सबको अपना बना लता ह अथात मन य को मधर भाषण करन म

बलकल भी कजसी नह दखानी चा हए

ससार वषव य फल अमतोपमसभा षत च स वा सग तः सजन जन

ससार एक कड़वा व ह इसक दो फल ही अमत जस मीठ होत ह एक मधरवाणी और सरी स जन क सग त 18

जो मधर वाणी का योग करता ह वह श को भी जीत लता ह और सरीह मधर सग त स जन क सग त अथात मन य को मधर य वचन बोलन और स जनक सग त करन म कभी हच कचाना नह चा हए ससार म शष सब तो कड़वा ही ह

ज म-ज म य य त दानम ययन तपःतनवाऽ यासयोगन तदवा य यत पनः

अनक ज म म मन य न दान अ ययन और तप आ द जन बात का अ यासकया उसी अ यास क कारण वह बार-बार उ ह दोहराया करता ह 19

इस ोक का भाव यह ह क मन य को अपना भावी जीवन सधारन क लए इसज म म अ छ काय करन का अ यास करना चा हए पहल क अ यास का ही प रणाम हहमारा आज और भ व य म जो हम ह ग वह होगा आज क अ यास का तफल

प तकष च या व ा परह तष य नमउ प ष च कायष न सा व ा न त नम

जो व ा प तक तक ही सी मत ह और जो धन सर क पास पड़ा ह आव यकतापड़न पर न तो वह व ा काम आती ह और न ही वह धन उपयोगी हो पाता ह 20

आचाय कहना चाहत ह क व ा क ठा होनी चा हए तथा धन सदव अपन हाथ महोना चा हए तभी इनक साथकता ह

अ याय क आरभ म ही चाण य ऐस क ज म लन को नरथक बतात हजसन इस ससार म आकर न तो ससार क कसी सख का उपभोग कया ह और न भ का त क लए कोई य न कया ह

वशष प स व या क सबध म चाण य न अनक थान पर इस बात पर जोरदया ह क उनका कसी वशष स म नह होता उनका म कवल क धन स

होता ह परत जो हमशा यह समझत ह क व या उनस म करती ह व मख ही हऔर उसी बहकाव म व कठपतली क समान उसक इशार पर नाचत रहत ह

मन य क वभाव क सबध म आचाय का कहना ह क अ धकाश धन-सपऔर सासा रक सख ा त करन क बाद अ भमान करन लगत ह जो इ य भोग कत त म लगा रहता ह उसक क कभी समा त नह होत और य द या चाह तो बड़-स-बड़ तप वी क तप को ख डत कर सकती ह इसी कार जो सदव हाथ पसारकर मागता रहता ह उसका कभी स मान नह हो सकता और जो एक बार कसपक म आ जाता ह उसका जीवन भी सखी नह हो सकता

मयादा प षो म ीराम का उदाहरण दत ए चाण य कहत ह क जब कवनाश का समय आता ह तो उसक ब ठ क स काम नह करती वह मत हो जाता हजस कार ीराम सोन क मग को पकड़न क लए उसक पीछ भाग जब क सभी जानत हक सोन का मग नह होता ीराम भी इस स य को भलीभा त जानत थ फर भी वणमगक पीछ भाग

मन य क ता कसी ऊच पद पर बठन क कारण नह होती वरन उसक गण ककारण होती ह य द म कोई गण नह ह तो अ यत धनी होन पर भी उसका स माननह होता मन य क गण क सबध म आचाय न एक और मह वपण बात कही ह उनकाकहना ह क गणी व ततः उसी को समझना चा हए जसक गण क शसा सर लोग करतह अपनी वय शसा करन स मन य बड़ा नह बनता गण क सबध म यह बात और भीमह व रखती ह क य द ानवान गणी ह तो उसक गण उसी कार वक सत हो जातह जस सोन क आभषण म जड़ा आ र न परत उनका यह भी मानना ह क गणवान

सवदा अकला रहता ह उस ख भी उठान पड़ सकत हधन स ह करना आचाय क म बरा काम नह ह परत सर को खी करक

और अधमाचरण स अथवा अपनी द नता दखाकर धन इकट ठा करना उ चत नह धन कालाभ तभी ह जब उसका ठ क स उपयोग कया जाए धन एक ऐसी व त ह जसककामना हर समय करता रहता ह धन क सबध म उसक इ छा कभी पण नह होतीधन का सही उपयोग यही ह क उस परोपकार म लगाया जाए

धन क ही सबध म आग चलकर चाण य एक और मह वपण बात कहत ह कससार म तनका एक अ यत ह क व त ह परत तनक स भी ई अ धक ह क होती ह

ई स भी ह का सर स धन क याचना करन वाला होता ह वाय तनक और ईको उड़ाकर ल जाती ह परत याचक को य नह उड़ाती इसका कारण सभवतः यह ह कवाय को डर लगता ह क याचक उसस कछ माग न बठ इस कार उ ह न याचक को सबसअ धक अपमा नत माना ह कछ लोग हर समय हर थान पर अपन द र होन का

माण दत रहत ह इस कार क वभाव वाल कसी स दो मीठ बात करन स भीकतरात रहत ह जब क मीठ बात कहन म कसी कार का म य चकाना नह पड़ता इस

ससार म मन य को अनक कट अनभव होत ह य वचन और स जन क सग त ही दोऐसी बात ह जसस इस जीवन म कछ शा त ा त हो सकती ह

आचाय चाण य का कहना ह क व ा मन य क कठ म रहनी चा हए प तक मलखी व ा स काम नह चलता इस कार वह धन भी काम नह आता जो सर क पासहोता ह

अथ स तदशोऽ यायः स हवा अ याय

घर म सदर सती और प त ता प नी धन-सप वनयशील प और पौ -पौ ी आ द ह तो वगलोक म भीइसस अ धक सख नह मलता

प तक ययाधीत नाधीत ग स धौसभाम य न शोभ त जारगभा इव यः

जन य न ग क पास बठकर व ा का अ ययन नह कया वरन प तक सही ान ा त कया ह वह व ान लोग क सभा म उसी तरह स मान ा त नह करतजस कार कम स गभ धारण करन वाली ी का समाज म स मान नह होता 1

इस ोक का भाव यह ह क ग क पास बठकर ही सही अथ म व ा काअ ययन कया जा सकता ह ग स ही ान क ा त होती ह मन य अपन य न स जो

ान ा त करता ह वह कई कार स अधरा रहता ह इसी लए ऐसा व ान कसभा म उपहास का पा होता ह जसन ग मख स व ा ा त नह क ह

ग स व ा ा त करन का मह व इस लए ह क ग हण करन यो य सब बातश य पर कट कर दता ह ान क सब रह य उसक सम खल जात ह अपन य न सव ा ा त करन पर कछ न कछ अनजाना रह ही जाता ह ऐसी थ त म या करनाचा हए इसक जानकारी भी ग मख स ही ा त होती ह तभी तो यक थ त कासामना करन क लए वय को तयार कर पाता ह

इस ोक स चाण य का भाव ग क मह व को कट करना ह

कत तकत कयाद हसन त हसनमत दोषो न पत त समाचरत

जो जसा कर उसस वसा बरत कत क त कत ता भरा हसक ( ) क साथहसाय और स ताभरा वहार करन म कसी कार का पाप (पातक) नह ह 2

यद र यद रारा य य च र व थतमत सव तपसा सा य तपो ह र त मम

जो व त अ यत र ह जसक आराधना करना अ यत क ठन ह और जो अ यतऊच थान पर थत ह ऐसी चीज को तप ारा ही स कया जा सकता ह स का

योग यह ा त करना भी ह 3जो चीज जतनी र दखाई दती ह ऐसा तीत होता ह क उसको पाना असभव ह

उस भी य न पी तप या ारा ा त कया जा सकता ह तप अथवा प र म ाराअसभव काय को भी सभव बनाया जा सकता ह तप स ही मन य को अनक स या

ा त हो सकती ह

लोभ दगणन क पशनता य त क पातकःस य च पसा च क श च मनो य त तीथनकम

सौज य य द क गणः सम हमा य त क म डनःस ा य द क धनरपयशो य त क म यना

य द मन य म लोभ ह तो उस कसी अ य बराई क आव यकता नह य द चगलखोर ह तो इसस बढ़कर और या पाप हो सकता ह य द उसक जीवन मस यवा दता स याचरण आ द गण ह तो उस तप करन क या आव यकता ह य द मन यका मन प व ह तो व भ तीथ पर जाकर वहा नान करन स या लाभ य द मन य म

म ह तो उस अ य गण क या आव यकता ह य द ससार म उसका यश फल रहा ह तोउस अ य कसी आभषण क या आव यकता ह अथात उस अपन शरीर को सजान कलए आभषण क आव यकता नह ह य द उसक पास उ म व ा ह तो उस कसी अ यधन क या आव यकता ह और य द उसका अपयश फल रहा ह तो उस म य स या लना-दना वह जीत जी मत क समान ह 4

पता र नाकरो य य ल मीय य सहोदराशखो भ ाटन कया ाऽद मप त त

सम शख का पता ह ल मी का ज म भी सम म आ ह अथात वह शख क

बहन ह शख च मा क समान चमकता ह इतन पर भी य द कोई शख बजाकर भीखमागता ह तो यही समझना चा हए क दान दए बना मान-स मान नह होता 5

ब त स साध लोग शख बजात ए भ ा मागत फरत ह इसस यही तीत होता हक शख न दान दन जसा स कम नह कया अथात अ छ कल म उ प होन औरअनक गण स सप होन पर भी दान आ द अ छ कम य द नह करता तो उस भी यश औरसख क ा त नह होती इसी लए यक का कत ह क वह अ छ कल म उ पहोन पर भी दान आ द शभकम करता रह

अश त भव साध चारी च नधनःा ध ो दवभ व ा नारी प त ता

श हीन स जन नधन चारी रोगी दवाचन करन वाला और बढ़ ीप त ता बन जाती ह 6

चाण य का भाव यह ह क ववशता क कारण भी अपना व प बदल लताह व ततः वह वसा होता नह ह बलवान को स जनता का वहार करना चा हए

भ क भ तो मन य का वाभा वक कत ह परत जब कोई रोगी होन पर ही भ कानाम लता ह तो यह उसक ववशता ह इसी कार य द सदर पवती यौवन स भरपर ीप त ता धम का पालन करती ह तो यह उसक वशषता मानी जाएगी व ा ी प त ताहोन क अलावा कर भी या सकती ह यह उसक ववशता होती ह वशषता नह

नाऽ ोदकसम दान न त थ ादशी समान गाय याः परो म ो न मातः पर दवतम

अ और जल क समान कोई दान नह ादशी क समान कोई त थ नह गाय ी स बढ़कर कोई म नह और माता स बढ़कर कोई दवता नह 7

चाण य का कहना ह क भख को भोजन और यास को जल पलान कसमान दान कोई नह उनका वचार ह क ादशी को कया आ प य कम अ धकफल दन वाला होता ह गाय ी को सव म माना गया ह गाय ी को स कर लन पर

क सभी मनोरथ पण हो जात ह इसी कार सबस बढ़कर माता स मान क पा हउसका थान दवता स भी ऊचा ह य क वह मन य को ज म दन वाली ह माता हीसतान को य और परो प स स का रत करती ह स कार ही मन य क जीवन काआधार ह

त क य वष द त म काया त म तकव क य वष प छ सवाग जन वषम

साप का वष उसक दात म होता ह म खी का वष उसक सर म रहता ह ब छका वष उसक पछ म होता ह अथात इन सभी वषल ा णय क एक-एक अग म ही वष

होता ह ल कन जन मन य क सभी अग वष स भर ए होत ह 8आचाय का कथन ह क वषल ा णय को वष का योग करन क लए समय

चा हए व वशष प र थ तय म ही जस क शकार करन या अपन बचाव क लए हीअपन वष का योग करत ह जब क तो सदव वषदश करता रहता ह

प यरा ा वना नारी उपो य तचा रणीआय य हरत भतः सा नारी नरक जत

प त क आ ा क बना जो ी उपवास पी त करती ह वह अपन प त क आयको कम करन वाली होती ह वह ी नरक म जाती ह उस महान क भोगन पड़त ह 9

न दानः श यत नारी नोपवासशतर पन तीथसवया त द भतः पादोदकयथा

ी अनक कार क दान करन स श नह होती अथात मो ा त नह करसकती सकड़ उपवास करन स भी वह श नह होती अनक तीथ क या ा करन क बादभी वह श नह होती वह तो कवल प त चरण क सवा स ही श हो सकती ह अथातमो ा त कर सकती ह 10

आचाय क अनसार ी का सबस थम कत अपन प त क सवा ह जो ीअपन प त क सवा न करती हो तथा अ य धा मक काय म अपना समय बतान का य नकरती ह उस कोई वशष लाभ नह होता उसका सव थम कत प त क सवा करना हउसी स उस मो मलता ह परो प स सदश यह ह क ी पहल अपन पा रवा रककत का नवाह कर सवा ही उसक म का साधन ह

दानन पा णन त ककणन नानन श न तच दननमानन त तन त भोजनन ानन म न तम डनन

हाथ क शोभा कगन पहनन स नह वरन दान आ द दन स होती ह शरीर क शनान करन स होती ह चदन लगान स नह मन य क त त आदर-स मान स होती ह

भोजन स नह और मन य को मो ान स होता ह चदन आ द क तलक लगान स नह 11

आचाय न यहा पर बाहरी साधन क नरथकता बतलात ए आत रक ता औरसत पर जोर दया ह बा साधन को ही असल मान लना मन य क सबस बड़ी भल हयह भल अकसर लोग करत ही रहत ह

स ः ाहरा त डी स ः ाकरी वचास ः श हरा नारी स ः श कर पयः

कद खान स त काल मन य क ब न होती ह वच खान स त काल बबढ़ती ह नारी शी ही श का हरण करती ह और ध पीन स उसी ण बल ा त होताह 13

परोपकरण यषा जाग त दय सतामन य त वपद तषा स पदः यः पद पद

जन स जन लोग क दल म सर का उपकार करन क भावना जा त रहती हउनक वप या न हो जाती ह और पग-पग पर उ ह धन-सप क ा त होती ह 14

आहार न ाभयमथन च सामा यमततपश भनराणामधम ह तषाम धको वशषो धमण हीनाः पश भःसमानाः

भोजन करना न द लना भयभीत होना और मथन अथात सतान क उ प करनाय सब बात मन य और पश म एक जसी होती ह मन य म पश क अप ा धम ही ऐसीवशष व त ह जो उनस अ धक होती ह य द मन य म धम न हो तो वह पश क समान ह15

दाना थनो मधकरा य द कणतालर रीकताःक रवरण मदा धब ात यव ग डयगम डनहा नरषा भगाःपन वकचपद मवन वस त

य द मद म अधा हाथी अपनी मदब क कारण अपन म तक पर बठ ए मद पीनक इ छक भ र को अपन कान फड़फड़ाकर र भगा दता ह तो इसम भ र क कोई हा ननह होती व जाकर खल ए कमल पर जा बठत ह उ ह वहा स रस मल जाता ह परतऐसा करन स हाथी क ग ड थल क ही शोभा न होती ह 16

आचाय का अ भ ाय ह क कछ मागन आए ए याचक को लौटान स याचक कहा न नह होती अ पत दाता क हा न होती ह याचक को नराश नह लौटाना चा हएउसका स मान करक उसको दान-द णा द ता क वह लोग क सामन दाता क गण काबखान कर

राजा व या यमो न त करो बालयाचकौ

पर ःख न जान त अ मो ामक टकःराजा व या यमराज अ न चोर बालक याचक और ामीण को सतान वालmdashय

आठ बड़ ही कठोर होत ह य सर क क को नह समझत 17सकत ह क इनस बचकर रह

अधः प य स क व प तत तव क भ वर र मख न जाना स गत ता यमौ कम

कसी अ यत बढ़ ी को जसक कमर बढ़ाप क कारण झक गई थी दखकरकोई यवक य करत ए पछन लगाmdashह व नीच या ढढ़ रही हो या प वी परत हारी कोई चीज गरी पड़ी ह त हारा कछ खो तो नह गया उस य को सनकर बढ़औरत न कहा क अर मख त नह जानता क मरा यौवन पी मोती खो गया ह म उसी कोढढ़ रही 18

व ा का सकत ह क इस ससार म जसन ज म लया ह वह बचपन कशोर औरयवाव था क बाद व ाव था को ा त होता ह इसस कोई भी नह बच सकता त भी यहाप चगा इस लए मझ पर न हस जसका सामना करना हो उस पर य हसना

यह ोक व क उप ा क ओर भी यान दलाता ह हर पीढ़ अपनी पछलीपीढ़ का मजाक ही उड़ाती ह एक वचारक न सही कहा ह क व क शाखाए प औरफल यह भल जात ह क उ ह जीवन उन जड़ स मल रहा ह जो क प परो औरन य ह

ाला याऽ प वफला प सक टकाऽ पव ाऽ प प कल-भवाऽ प रासदाऽ पग धन बधर स कत क सवज तोरएको गणः खल नह त सम तदोषान

ह कतक तझस साप लपट रहत ह फल भी नह लगत काट भी ह और व ताभी ह इसक अ त र तरा ज म क चड़ म होता ह और त सरलता स ा त भी नह होतीइतना सब कछ होन पर भी तर म जो गध ह वह सब ा णय को मोह लती ह 19

आचाय क अनसार म य द एक भी गण हो तो उसम सार दोष सहज हीछप जात ह

आचाय चाण य का कहना ह क व ा ग स ही ा त करनी चा हए वय व ाका अ यास करन स वह लाभ नह होता जसा ग ारा ा त क गई व ा स

उनका कहना ह क जो आपस जसा वहार करता ह उसस उसी कार कावहार करना चा हए जसन आपक त हसा का वहार कया ह उसक त हसकवहार ही ठ क रहगा कछ महान प ष ऐस भी ए ह जनका यह कहना था क हसा

का उ र अ हसा स दया जा सकता ह वहार क स एक सामा य ारा ऐसाकर पाना सभव नह हो पाता ऐसी सत-महा मा क हो सकती ह चाण य न यहस ात कटनी त क स बताया ह दश क सदभ म तो lsquoजस को तसाrsquo क नी त यादाउपय ह

आचाय न इस अ याय म तप क मह व को भी प कया ह उनका कहना ह कय द मन य म तप का अभाव ह और वह लोभ म फसा आ ह तो उस और कसी बराई क

या आव यकता ह य द मन य का वभाव सर क नदा करना ह तो चाण य इस महानपाप क णी म रखत ह उ ह न स य को ही तप बताया ह अथात जो स याचरणकरता ह उस कसी अ य तप क आव यकता नह ह

चाण य न इस अ याय म दान का मह व बतात ए कहा ह क जो दान नहकरता उस धन क ा त नह हो सकती

चाण य कहत ह क मन य का जो वा त वक व प ह उसको ही थर रखनाचा हए उस ा त करन क लए कसी कार क ढ ग क आव यकता नह ह इसी कारउनका यह कहना पण प स ावहा रक ह क इस ससार म जो श हीन होता हवह ऐसा कट करन लगता ह क उसस बढ़कर कोई स जन नह परत इस कार क ढ गको आचाय चाण य नकारत ह ववशता म कया जा रहा काय वभाव क स यता को नहदशाता

आचाय चाण य कहत ह क अ और जल स बढ़कर कोई दान नह भख को सोन-चाद क अप ा भोजन क आव यकता होती ह उ ह न गाय ी को सबस

म बताया ह उनका यह भी कहना ह क सभी दवी-दवता म सबस थान माताका ह

क सबध म तो अनक थान पर उसक ता का वणन कया गया हजन अथात स जन को हर समय ख दता रहता ह उसक शरीर का कोईथान ऐसा नह जो जनता स र हत हो उसका सग कसी भी तरह स य न हो

हा नकारक ही ही क सबध म आचाय चाण य का मानना ह क उसका क याण प त क सवा स

ही होता ह य द वह प त क सवा न करक उपवास दान आ द ही करती रह तो भी उसकाक याण नह हो सकता उनक य वचार वहार क कसौट पर खर ह प त-प नी का यहसबध गह थ क उ त का आधार ह इसी स प रवार म शा त बनी रहती ह दोन क लए

प रवार ही हआचाय न जहा दान क मह व को बताया ह वहा उ ह न यह भी कहा ह क

क शोभा दान स ही होती ह साज-शगार करन स उसक शोभा नह बढ़ती स जन कसबध म उनका कहना ह क व आप य स इस लए र रहत ह य क उनक मन मसवसाधारण क त परोपकार करन क भावना रहती ह इसस उनक क अपन आप रहो जात ह और उ ह कसी भी कार क कमी भी नह रहती

सामा य गह थ क लए आचाय का कहना ह क य द उसक ी प त ता ह कट-भाषण नह करती और उसक घर म कसी कार क कोई कमी नह उसक सतान शालीनऔर वनय आ द गण स य ह तो उसका घर ही वग क समान ह

यह तो सभी जानत ह क ब त-सी बात पश और मन य म एक समान होती हभद उनम कवल धम क कारण ही होता ह मन य भी पश क समान खाता पीता सोताऔर सतान उ प करता ह य द उसम धम का अभाव ह तो उसका जीवन भी पश कसमान समझा जाना चा हए ब क पश स भी बदतर य क पश क त क कछ न तनयम म बधा आ ह

मन य का जीवन अनक प र थ तय स गजरता ह माता क गभ स ज म लन कबाद ब च क प म उसका वकास होता ह कशोराव था क बाद यवाव था आती ह औरदन ढलन क समान मन य का शरीर भी अ त होन लगता ह उसक कमर म बल पड़ जातह उस थ त को दखकर अ ानी प ष ही उसका उपहास कर सकता ह य क यवाव थाक बाद शरीर का बल होना अव यभावी ह जो यवा व का उपहास करत ह व मख हव भल जात ह क एक दन उ ह भी इस अव था को ा त होना ह

आचाय न इस अ याय क अत म एक ब त ही मह वपण बात कही ह उनकामानना ह क य द कसी चीज म कोई ऐसा गण ह जसस अ धकाश लोग को लाभ होता हतो उसक अवगण मह वहीन हो जात ह यक का कत ह क वह अपन म लोगका उपकार करन क गण का वकास कर य द उसम लोग क उपकार करन का गण ह तोउसक अ य दोष क ओर कसी का यान नह जाएगा इस वशष गण क सामन अ यअवगण गौण हो जाएग

राजा को चा हए क वह कसी भी थ त म वषयmdashभोग म न डब इसस उसक श काास होता ह भवरा रस चखन क लोभ म कमल क प प म रातभर बद रहता ह उसक

कोमल प को नह काटता जब क वह बास को काटन म स म ह यह थ त सदवआप य और वप य को नम ण दन वाली आ करती ह

चाण य स

दशन-सा ह य म अपनी बात को स म कहन क अ यत ाचीन परपरा ह इन स कोकठ थ करना सरल होता ह आ म चतन क लए य अ यत उपयोगी होत ह य उन बीजक तरह ह जो दखन म तो छोट होत ह ल कन जनक गभ म वशाल व क सभावनाछपी होती ह आचाय चाण य न नी त शा क सार को स प म इसी लए तत कयाह ता क उ ह समझकर वहार म उनस लाभ उठाया जा सक

अथतो षण ीः प र यज त जो राजा थोड़-स धन स सत हो जाता ह रा य ल मी उस याग दती ह

यो य मन कम ण कशलः त त म व योजयत जो जस काम को करन म कशल हो उस वही काय करन का भार स पना

चा हए

आ म छ न काशयत श को अपनी बलता का प रचय नह दना चा हए अथात ऐसा य न करना

चा हए क अपनी बलताए श पर कट न ह

गण न म सरः क ः सर क अ छ गण स ई या नह करनी चा हए

सवाव थास माता भत ा यक अव था म माता का भरण-पोषण करना चा हए

अथ चाण य स ार यत नमः श बह प त याम

श ाचाय और बह प त को नम कार ह 1

प थ ा लाभ पालन च याव यथशा णपवाचायः

था पता न स यक मदमथशा कतमप थवी क ा त और उसक र ा क लए परातन आचाय न जतन भी अथशा -

वषयक थ का नमाण कया उन सभी का सार-सकलन कर lsquoअथशा rsquo ( तत) करचना क गई ह चाण य क म lsquoअथrsquo का ता पय भ म स ह इस कार भ म कासर ण और सवधन नी त शा का उद द य ह lsquoकोषrsquo इस अथ का एक आयाम ह 2

सख य मल धमः सख धम स ा त होता ह अथात धम मानवो चत क का पालन ही सख का

मल हससार म यक मन य सख चाहता ह परत यक क सख क अवधारणा

पथक होती ह कोई सख कवल इसी बात म मानता ह क उसक पास धन हो जससवह अपनी इ छाए परी कर सक सख स रह सक अ छा मकान बना सक कार रख सकऔर ी का भोग कर सक आ द कसी को सख लखन-पढ़न म मलता ह कोई अपनीसतान को अ छा बनान म ही सख समझता ह

ब त कम लोग जानत ह क वा त वक सख या ह

इस सबध म भी मा यताए भ हकोई शराब-मास स बचता ह व या क पास नह जाता कोई अपना काम नयम स

करता रहता ह और इसी तरह जीवन बता दता ह कोई ब च क पोषण म लगा रहता हऔर कोई दश-सवा म सख समझता ह कछ लोग धा मक क य म ही सख का अनभवकरत ह वह धा मक काय म खब बढ़-चढ़कर ह सा लत ह

यह सब बात सख नह ह सख का आभास मा ह मानवो चत क का पालनकरन स ही मन य क धम का पालन होता ह और यही धम-पालन सख ह 3

धम य मलमथः धम का मल ह अथ धम अथात नी तपवक मानवो चत काय को करत रहन स ही

अथ क ा त होती ह अथ को सर त रखन क लए रा य- व था का मह वपणसहयोग होता ह

आचाय चाण य न अनक थान पर अथ क मह ा को प कया ह उनकाकहना ह क धन क बना धम का पालन भी असभव होता ह अथात धन क बना न तोमन य कसी कार क उ त कर सकता ह और न कसी कार क क याणकारी कायउ ह न नधन को ससार म सबस नरीह बताया ह नधन को कसी कार काभी सख ा त नह होता और न ही वह अपन क का पालन कर पाता ह इस लएमन य को चा हए क धम काय क लए धन का स ह कर

धन तो पापी क पास भी हो सकता ह परत उसक पास धन होन स न तो उसकोई लाभ हो सकता ह और न ही ससार का कसी कार का क याण जस धन का योगधम क र ा और मानव-क याण क लए होता ह वा तव म वही धन ह बाक मट ट ह 4

अथ य मल रा यम अथ का मल ह रा य अथात रा य क सहायता अथवा व था क बना धन स ह

करना क ठन ह धन स ह क लए रा य म थरता और शा त था पत होना अ यतआव यक होता ह जब तक रा य म अशा त रहती ह तब तक रा य सप नह हो सकता

जन दश अथवा रा य न अपन य न ारा दश को वक सत और स प बनायाह उसम वहा क सरकार क मख भ मका रही ह इसक अ त र यक रा य अथवासरकार ापा रय को अनक कार क स वधाए दान करती ह जसस रा य सप होताह आज क वक सत रा इस बात का माण ह क उ ह न अपन ापा रय अथवाउ ोगप तय को कस कार ो साहन दया अथात यह बात प ह क कसी दश क लोगका सप होना उस दश क शासन- व था पर नभर होता ह 5

रा यमल म यजयः रा य का मल इ य को अपन वश म रखना ह

यक रा जो उ त करता ह वहा क सव च पदा धका रय का क ह क वअपनी इ य को वश म रख उनक सयम क कारण ही रा य क सम थर रह सकतीह य द वहा क अ धकारी अथवा सव च नता कसी कार का सयम नह रख सकग तोजनता भी उनका अनसरण करती ई वसा ही आचरण करगी

इ य पर सयम रखन का अथ काफ ापक ह अ धकारी स ा क नश म नरकशहोकर काय करन लगग तो रा य म व ोह पदा हो जाएगा इसस रा य क हा न होगी

आज भी हमार सामन अनक दश क उदाहरण ह जहा क शासक न अपनीनरकशता क कारण रा को हा न प चायी ह अनक दश म वहा क सव च स ा प ष नजनता पर इतन अ याचार कए और वय तथा अपन सग-सब धय को रा य म मनमानाकाय करन क आजाद द जसस रा को त उठानी पड़ी ब त स राजनता भोग-वलास क कारण जना ोश का नशाना बन ब त स ाचार व वाथपरता क कारणअपमा नत ए

इ य पर वजय का अथ यही ह क अपनी इ छा को सी मत रख इसआ म नय ण भी कह सकत ह lsquoयथा राजा तथा जाrsquo वाली बात ह राजप ष असयमी

ाचारी व अकम य ह ग तो भला जा इन राचरण स अछती कहा रह सकती ह 6

इ यजय य मल वनयः इ य को जीतन का सबस म य कारण न ता हमन य वनयशील रहकर ही इ य को जीत सकता ह वनयशील रहन क लए

मन य को स जन लोग क सग त म रहना चा हए व ततः गणी मन य ही वनयशील होतह जस कार फल स लद ई व क शाखाए नीच क ओर झक जाती ह उसी कारगणवान न वभाव का होता ह

वनयशील ही श ाचार का तीक हो सकता ह 7

वनय य मल व ोपसवा ान-व क सवा वनय का मल ह

यहा व का अथ आय म बड़ा होना नह ह परत ान क अ धकता स ह जो लोगव ान ह ज ह ससार क मह वपण वषय का ान ह उन लोग को ान-व कहा जाताह यह आव यक नह क ान-व क आय ब त अ धक हो ब त स छोट आय म

ही अपन य न स अनक वषय और व ा का ान ा त कर लत ह जो लोग ऐसय क सवा म रहत ह व ही वनयशील हो सकत ह वनयशील व ान अपन

माता- पता आ द सभी का मान-स मान करता ह व ान क पास जो ान- पी धन ह उसा त करन क लए को न होकर कशलतापवक उस ा त करन का य न करना

चा हए राज अथवा रा य क अ धका रय को भी व ान लोग क त वनयशील रहत एउनक सवा करत ए उनस ान ा त करन का य न करना चा हए 8

व सवया व ानम मन य व क सवा स ही वहारकशल होता ह और उस अपन क क

पहचान होती हव क सवा स को इस बात का पता चलता ह क कौन-सा काय करन

यो य ह और कौन-सा न करन क यो य इसका भाव यह ह क व न अपनजीवनकाल म ब त कछ सीखा ह उसन ब त मामल म अनभव ा त कया होता ह य दकोई सासा रक काय- वहार म कशलता ा त करना चाहता ह तो उस बढ़ यक सवा करनी चा हए उनक अनभव स लाभ उठाना चा हए जो मन य ान-व लोगक पास नरतर उठता-बठता ह और उनम ा रखता ह वह ऐस गण सीख लता ह क उससमाज म अपन आचार- वहार स स मान ा त होता ह वह धोखबाज और पाखडी लोगक च ह म नह फसता

इस स म जो lsquo व ानमrsquo श द आया ह उसका अथ कवल वहारकशल होना हीनह वरन ससार क अनक ऐसी बात ह जनका ान व लोग क पास आन-जान उनकउपदश और उनक सग त करन स ा त होता ह व अपन अनभव स उनका जीवन सरलबनान म सहायक होत ह इस कार व ान का अथ एक ापक जानकारी स ह जसक

ा त कवल प तक स ही सभव नह य क उ ह पढ़न समझन और ान ा त करन मकाफ समय लगता ह व प ष क पास जीवन का नचोड़ होता ह इस लए व कसवा ा और भ पवक करन स मन य ससार क अनक मह वपण ान सरलतापवक

हण कर सकता ह 9

व ानना मान स पादयत रा या भलाषी लोग व ान वहार-कशलता या क का प रचय ा त करक

अपन आपको यो य शासक बनाए मन य को चा हए क वह अपन आपको उ त क मागम ल जान क लए ान- व ान स सबध बनाए उसक ा त का य न कर

चाण य स क ा या करन वाल अनक य न इस स का अथ यो यशासक बनान क दशा म कया ह परत यह स कवल शासक क लए ही नह

जनसामा य क लए भी ह य क यक ान- व ान ा त करन क बाद ही अपनको यो य बना सकता ह यहा ान- व ान का अथ वहार-कशलता स ह जो सभी कलए ह कसी भी म सव च शखर तक प चन क लए को वहार-कशलहोना चा हए 10

स पा दता मा जता मा भव त जो प ष ान- व ान स सप होता ह वह वय को भी जीत सकता ह अथात वही

ससार म सफल होता हइस स क भी आध नक सदभ म दो अथ होत हmdashअथात जो शासक स य क

अनसार आचरण करना सीख लता ह वह अपनी इ य को जीत सकता हसरा अथ यह ह क जो सामा यजन स य वहार स प र चत हो जाता ह जस

स य और अस य का ान हो जाता ह वह अपनी इ य को जीत सकता ह औरआ म वजयी हो सकता ह अ ानी मन य अपन आप पर वजयी नह हो सकत य कउसको स य और अस य का ान नह होता इस लए मन य का क यह ह क अपनआप पर वजयी होन का य न कर अपन आप पर वही नय ण रख सकता हजस सासा रक वा त वकता का ान हो जो वय को जीत लता ह वह ससार को जीतसकता ह स भवतः चाण य क कहन का यही ता पय ह 11

जता मा सवाथः सय यत अपन ऊपर काब पान वाला मन य स च अथ स सप होता ह अथात नी त जानन

वाल और अपन ऊपर नय ण रखन- वाल लोग अपन आप को सम त सप य स सपसमझ

जो अपन आप को जीत लता ह अथात अपन ऊपर नय ण कर लता हउसक यह वशषता होती ह क वह जो काय अपन हाथ म लता ह उस स पण करक हीछोड़ता ह ऐस ही धन-धा य और सप य क वामी होत ह ल मी और स याऐस क वश म रहती ह जो जत य होता ह अथात उसी क पास धन इकट ठाहोता ह वही सप शाली होता ह जो अपन पर वजय ा त कर लता ह जो अपन पर नय ण नह रखता वह सप य को ा त नह कर सकता अथात धनवान बननक लए को अपन पर नय ण रखना सीखना चा हए 12

अथस पत क तस पद करो त रा य क सपदा स वभाववश जा क सप य म भी व होती हराजा क सप होन स जा क धन-धा य म भी व होती ह ऐसा वाभा वक

ह य द राजा ही सप नह होगा तो जा कस सप हो सकती ह द र रा क जा भीद र ही होती ह

य द रा य म अ छ व था था पत होती ह तो राजा व जा दोन का ही सपहोना सरल हो जाता ह अ व था अथवा अशा त म कसी भी रा अथवा क सपहोन क सभावनाए समा त हो जाती ह अतः रा को सप बनान क लए वहा स व थाका होना ज री ह इस सब ध म राजा अथवा जा जा अथवा राजा दोन एक- सर परआ त होत ह य द जा द न- खी और द र ह तो रा भी सप नह कहला सकता 13

क त स पदा नायकम प रा य नीयत क त-सप स जाजन क गण-व क ारा नता-र हत रा य का भी सचालन

कया जा सकता हभाव यह ह क कसी कारणवश य द राजा का अभाव भी हो जाए तो ऐसी थ त म

य द जा नी तय काय करती ह तो रा य क काय अ छ ढग स चलत रहत हइस स का वा त वक अथ यह ह क नी तवान राजा क भाव स उस परामश दन

वाल म ी रा य कमचारी तथा ट स आ द दकर अपन क को परा करनवाली जा कमख नी तय रहकर काय-कौशल स सप हो जात ह अथात जब रा य कमचारी

और जा क लोग रा क सबध म अपन क को भली कार समझत ह तो रा य-शासनचलान म कोई क ठनाई नह होती य द जा और अ धका रय को अपन क का बोध हतो राजकाय स व थत ढग स चल सकता ह 14

क त कोपः सवकोप यो गरीयान रा य क व क त का ोध सब ोध स भयकर होता हएक राजा स सरा राजा ो धत हो जाए तो उसस नपटा जा सकता ह कोई रा य

कमचारी या म ी हो जाय तो उस समझा-बझाकर अपन प म कया जा सकता हजा हो जाए तो उस अ य धक सख-स वधा दान कर स कया जा सकता ह परत

य द क त क पत हो जायmdashकह भकप कह अ तव कह अनाव कह च वातऔर उपल व mdashतो राजा क लए यह अ नवारणीय हो जाता ह इसी लए कहा गया ह क

क त का कोप सभी कोप स बढ़कर होता ह 15

अ वनीत वा मलाभाद वा मलाभः यान अ वनीत वामी क ा त होन क अप ा वामी का न होना य कर ह इसका

भाव यह ह क अयो य को राजा बनान क अप ा राजा न बनाना ही रा य क लएक याण क बात हो सकती ह

कसी रा क बागडोर अयो य शासक क हाथ म होन स रा क हा न होना न तह अयो य राजा क हाथ म अ धकार दन स अ छा यह ह क वहा पचायती रा य था पतकया जाय अयो य राजा स जा का क याण नह हो सकता इस स का वा त वकभावाथ यह ह क रा क लए यह आव यक नह ह क कसी को अ नवाय प स राजाबनाया ही जाए इस कार चाण य गणत का समथन करत ह 16

स पा ा मानम व छत सहायवान राजा को रा यो चत गण स सप होना चा हए तथा अपन जस ही गणी सहायक

रखकर रा य का कायभार सभालना चा हएराजा का क ह क वय अपन आप को यो य बनान क बाद अपन वचार स

मल खान वाल गणवान य को ही अपना सहायक बनाए तभी वह भली काररा यभार को सभालन म समथ हो सकता ह उस अपनी श य व क का पण ानहोना चा हए उसक इ या वश म होनी चा हए उसक वचार नी तपण स य स य होनआव यक ह शासक का क यह ह क वह शासको चत गण स सप हो उसमगभीरता होना आव यक ह तभी वह अपन सहायक स उ चत काय लन म समथ हो सकताह जब राजा को वय ही राज स सब धत नी तय और काय का ान नह होगा तो उसकसहयोगी उसको स माग स वमख कर सकत ह 17

नासहाय य म न यः गणी सहायक स हीन राजा क वचार अ न त होत ह म प रषद क बौ क

सहायता स हीन अकला राजा अपन सी मत अनभव क बल स राज जस ज टल क कवषय म उ चत नणय नह कर सकता

म प रषद क उ चत सलाह क बना अकला राजा राजकाय को ठ क स नह नभासकता य क अ धकाश य का अनभव और उनक श या सी मत होती ह जब करा य स सब धत वचार और नणय का रगामी प रणाम होता ह इस लए राजा काक ह क जब भी कोई न य कर अथवा कसी नी त का नधारण कर उस अपनब मान सहायक स परामश अव य करना चा हए

इस कार यह कट ह क रा य-शासन चलान क लए ब मान म य कआव यकता रहती ह 18

नक च प र मय त

जस रथ को एक अकला प हया नह चला सकता उसी कार रा य को एक चलान म असमथ होता ह राजा क अ त र म प रषद रथ क सर प हय क समान कामकरती ह

य द अकला राजा ब मान म य क सहायता क बना काय करता ह तो वहएकत और तानाशाह रा य कहलाता ह इसस रा य क हा न होती ह इ तहास ऐसउदाहरण स भरा पड़ा ह जहा एक तानाशाह न जो भी काय कए अ ततः उनका प रणामरा क लए हा नकारक आ जस कार एक अकल च स गाड़ी नह चल सकती उसी

कार कोई राजा भी सहयोगी म प रषद क बना भली- कार काय-भार नह चला सकता 19

सहायः सम ःखसखः सख- ःख आ द दोन थ तय म जो म ी राजा स पण मल रखकर उसक

सहायता करता ह उस ही वा त वक सहायक कहत हसख और ःख जीवन क दो प र थ तया ह दोन थ तय म जो एक-सा वचार

रखता आ सहायता करता ह उस को ही वा त वक सहायक माना जाता ह सामा यप स ायः दखन म यह आता ह क सख म तो ब त स साथी हो जात ह परत ःख म

साथ दन वाल ब त कम होत ह तब उसक सग-सबधी और यहा तक क प नी भीउसका साथ छोड़ दती ह कत जो सख- ःख म समान भाव रखत ह को उ ह हीअपना स चा सहायक और हतषी मानना चा हए 20

मानी तमा ननमा म न तीय म म पादयत बध सबधी सम या क उ प होन पर वा भमानी राजा का क ह क वह

सम या क तकल वचार अपन मन म उ प कर फर दोन थ तय को अपनस मख रखकर वचार कर

यक सम या क दो पहल होत ह समाधान क प म सरा वक प हो सकता हऔर उस समाधान को नकारन वाला तक भी सभव ह सम या उ प होन पर राजा को उनदोन पहल पर वचार करना चा हए उसक बाद ही कोई नणय लना चा हए अथात उसइस बात का भली कार चतन-मनन करना चा हए क वह उन सम या का जो समाधानसोच रहा ह उसका प रणाम या होगा जो राजा अथवा रा य-स था इस कार कसीसम या क दोन पहल पर वचार करती ह वही उ चत नणय ल सकती ह उ चत नणयका अथ यह ह क राजा अथवा रा य क अ धका रय को अपन नणय क सबध म कसी

कार का सदह नह होना चा हए सशया मन वन य तmdashसशयमना ल य स हो जाताह 21

अ वनीत नहमा ण न म कव त स य और ववक स हीन को कवल नही होन क कारण ही अपना हत

करनवाला नह मानना चा हए उस अपन स सबध रखनवाली सम या पर वचार करन मभी स म लत नह करना चा हए

जो ववकहीन ह अथात जस समय क उपय काय करन का कोई ाननह ऐस स य द आप नह रखत ह तो भी उस अपन जीवन स सब धत रह य औरमह वपण लाभदायक बात क सबध म वचार- वमश म स म लत नह करना चा हए उसयह अ धकार भी नह दना चा हए क वह आपस सब धत काय क जाच-परख कर उनकआलोचना कर 22

तव तमपधाश म ण कयात तकशा द डनी त तथा म णा करन क श आ द वधा क पारगत तथा

ग त प स ली गई परी ा म खर उतर को ही म ी नय करना चा हएराजा का क ह क म ी नय करन स पव उसक परी ा ल क कह वह

वाथ और लोभी तो नह वाथ और लोभी ायः ऐस काय करत ह जसस हा नहोती ह 23

म मलाः सवार भाः भ व य म कए जान वाल सभी काय क लए पहल स ही भली- कार सोच-

समझकर काय म बनान स ही काय स होत हइस स म म का अथ भली कार सोच-समझकर बनाई गई काय-योजना ह यह

एक सामा य सझबझ क बात ह क कोई भी काय ारभ करन स पव उसक सबध म भली-कार सोचकर काय म क योजना नह बनाई जाएगी तो उस काय क स होन म सदह

हो सकता ह इसक लए आव यक ह क वशष क साथ काय स सब धत सभी बात परवचार- वमश कया जाए कसी भी काय को स करन क लए इस कार का वचारआधार शला का काम करता ह उसक सफल होन क सभावना बढ़ जाती ह 24

म र ण काय स भव त भ व य क सबध म बनाई गई काय-योजना को ग त रखन स ही काय स हो पाता

हभ व य क कसी भी योजना को ग त रखना चा हए इसका यह लाभ होता ह क

उस योजना स सब धत श उस काय म बाधा उ प नह कर पात अचानक अपना

काय सप कर लता ह और श मह ताकत रह जात ह 25

म व ावी काय नाशय त जो कसी काय क सबध म बनाई गई योजना को ग त नह रख सकत उनक

काय न - हो जात हकसी काय क लए बनाई गई योजना असावधानी बरतन स ऐस लोग पर कट हो

जाती ह जो उसक वरोधी होत ह कई बार ऐसा होता ह जब योजना बनाई जाती ह तो उससमय वहा कोई ऐस अवा छत हो सकत ह जो उसका भद श पर कट कर दइस लए यह बात यान म रखनी चा हए क सब काय क सफलता क लए म णा ग तहोनी चा हए और उस तब तक ग त रखा जाना चा हए जब तक काय पणतया सफल न होजाए 26

मादाद षता वशमपया य त य द राजा अथवा रा य क कमचारी अपनी म णा को ग त रखन म थोड़ा-सा भी

आलस अथवा लापरवाही बरतत ह तो योजना क गोपनीयता सर त न रह पाएगी औरउसका भद श क पास चला जाएगा जसस रा य क हा न होगी और श को लाभ होगा 27

सव ार यो म ो र त ः अपनी योजना क भद कट होन क सभी माग को रोककर उसक र ा करनी

चा हए अथात इस कार का य न करना चा हए क अपनी योजना कसी भी कार कटन होन पाए

म अथवा ग त रह य को कट होन स बचान क लए पण य न करना चा हएऐस सभी ार को बद कर दना चा हए जनस रह य क फटन क सभावना हो अथातचगलखोर जसक पट म बात न पचती हो ऐस क सामन म णा नह करनी चा हए 28

म स पदा ह रा य वधत म का रह य ग त रखन स ही रा य क धन धा य क व होती हरा य क काय स सब धत सभी म णा और योजना को सर त रखन क

कारण ही रा सम हो सकता ह इस लए आव यक ह क अपनी योजना को ग त रखनम पण सतकता बरती जाए 29

तमा म ग तमा ः म को ग त रखन क नी त सव नी त हराजधम क आचाय बह प त वशाला बा दतीप पशन भ त व ान लोग

म ग त रखन क नी त को अ य सब नी तय का सरमौर बता गए ह 30

काया ध य द पो म ः म अधकार म माग दखान वाल द पक क समान ह यह अपन काय क सबध म

अ न त नी त वाल को उसका क -माग दखान म सहायक होता हजस घर का मा लक काश क बना अपन ही घर म अध क समान वहार

करता ह उसी कार मन य स वचा रत म क बना अपना क -पालन करन म अधाबना रहता ह 31

म च षा पर छ ा यवलोकय त जन राजा को अपनी वजय क आशा रहती ह व अपन परामशदाता म य क

आख स अथवा उनक स अपन वरो धय क कमजो रय को जान लत हजो राजा सदव सतक रहता ह वही जीत क आशा कर सकता ह वह अपन म य

अथवा अ य परामशदाता क सहायता स अपन वरोधी रा क कमजो रय का पतालगा लता ह सर रा क कमजो रय अथवा बलता का ान होन पर राजा लाभ उठासकता ह और अपन रा य को स ढ़ बना सकता ह 32

म काल न म सरः कत ः म हण करत समय म दाता क छोट अथवा बड़पन पर यान न दकर उसक

अ ा पन पर ई या न करक ा क साथ म हण करना चा हएइसका भाव यह ह क जस समय कसी योजना क सबध म वचार कया जा रहा

हो उस समय कसी को छोटा अथवा नबल समझकर उसक बात को मह वहीन नहसमझना चा हए म णा म भाग लन वाल सभी सद य का क ह क व न प भाव ससबक वचार सन 33

याणामकवा य स ययः कसी वचारणीय क क वषय म जब कोई वचार कया जा रहा हो तो उसम

भाग लन वाल व भ कार क य का एकमत होना माना जाता ह एकमत होन

क कारण काय स स न त हो जाती ह 34

कायाकायत वाथद शनो म णाः काय अकाय क वा त वकता को ठ क-ठ क समझनवाल अपन वतन स अ धक न

चाहन वाल तथा म क रह य को समझनवाल म ी होन चा हएइस स म आचाय चाण य न इस बात क ओर सकत कया ह क राजा क म ी

कस कार क ह राजा को चा हए क व ऐस म ी नय कर ज ह इस बात का ान होक कौन-सा काय करन यो य ह और कौन-सा न करन यो य अथात ऐस को म ीबनाना चा हए जो वा त वकता को ठ क स समझनवाला हो इसक अ त र उसमकसी कार का लोभ और लालच न हो अथात उस जस वतन पर नय कया गया हउसक मन म उसस अ धक पान क इ छा न हो 35

षट कणाद भ त म ः चाण य न इस स म भी अपन रह य को ग त रखन क बात कही ह उनका

कहना ह क कोई वचा रत बात छह कान म प चन स रह य नह रह पातीम राजा तथा म यम ी क अ त र कसी भी तीसर क कान तक प चन

स ही असार हो जाता ह यही इस स का भाव ह इसक अनसार जब म णा को अ तमप दना हो तो उस समय कवल दो उ रदायी मन य ही उस न त अ तम प द 36

आप स नहसय म म वप क दन म जब सारा ससार वप म फस ए को अकला छोड़ दता

ह तो उस समय सहानभ त रखनवाला ही म कहलाता ह 37

म स हण बल स प त स चा म मल जान अथवा उनका स ह करन स मन य को बल ा त होता ह

अथात मन य स च म क कारण अपन को बलवान अनभव करता हमन य को स चा म मलन स जो बल ा त होता ह उस सात व भ प म

दखा जाता ह यह बल उस अपन वामी म ी दश ग खजाना सना और म आ द कप म ा त होता ह अथात इनम स कोई भी एक या एक स अ धक ोत उसक प म होत

ह तो अपन आप को श -सप मान सकता हइसस पहल स म भी यही बताया गया ह क आप म जो नह रखता ह

उस भी म कहा जा सकता ह और इस स का प अथ यह ह क मन य क स च म

ही उसका वा त वक बल होत ह 38

बलवान ल धलाभ यतत अथात स च म स जो बल ा त होता ह उसस राजा अ ा त रा य य को पान

का य न करता ह अथवा कर सकता हइसी कार सामा य मन य भी स च म क ा त होन स उन लाभ को ा त करन

का य न कर सकता ह जो उस जीवन म ा त नह ह इस कार म क स च बल सअपन आपको बलवान अनभव करनवाला उस बल स अपन जीवन को वक सत करसकता ह परत इसक लए उस उ म करन क आव यकता होती ह बल ा त होन पर भीउसक उपयोग और उसस लाभ उठान क मता म होनी चा हए 39

अल धलाभो नालस य आलसी अ ा त रा य य ा त नह कर सकता अथात आलसी

अथवा आलसी राजा न तो अपन रा य क सीमा को वक सत कर सकता ह और न अपनरा य को सम शाली बना सकता ह

व ततः स य म न ा न होना ही आल य ह जो स यहीन ह वह सदव ऐसकाय करता ह जो करन क लायक नह होत ह और उपय काय को करन म आल यदखाता ह आल य उस भी कह सकत ह जसस कसी कार का लाभ नह होता

आल य मन य का सबस बड़ा श ह lsquoआल य ह मन याणा शरीर थोमहान रपःrsquo अथात आल य ही मन य क शरीर म रहनवाला उसका सबस बड़ा श ह 40

अलस य ल धम प र त न श यत स यहीन आलसी जो कछ ा त ह उसक र ा करन म भी असमथ होता ह

अथात आलसी राजा अपन क स वमख होन क कारण ा त रा य य को भी सर तरखन म समथ नह होता

सामा य ससार म भी यह दखन म आता ह क आलसी अपन धन-ऐ यसप अथवा सख का व तार नह कर सकता इसक वपरीत उस इस ससार म जो कछ

ा त ह आल य क कारण वह उसस भी हाथ धो बठता ह 41

न चालस य र त ववधत आलसी स यहीन य नहीन का दववश स चत रा य य कछ काल तक

सर त दखन पर भी व को ा त नह होताराजा क ऐ य म व न होना वा तव म उसका वनाश ह जसा क पहल बताया

जा चका ह क मन य क शरीर म रहनवाला आल य ही उसका सबस बड़ा श होता हइस लए मन य का क ह क वह आल य पी दोष को सदव र करन का य न कर 42

न भ यान षय त आलसी स यहीन अकम य भोग वलास म फसा आ राजा अथवा रा य

अ धकारी रा य क कमचा रय को उनक उ चत काम पर लगान अथवा उनस अ धक कामकरवान म आल य स काम लता ह

जो लोग आलसी ह व अपन अधीन रहन वाल यो य कमचा रय स भी सही कारस काम लन म असमथ रहत ह आलस को न यागना नौकर-चाकर तथा अ यअ धका रय स उनक यो यता क अनसार काय न लना राजा का एक कार स अपराध हइसस रा य- व था म गड़बड़ पड़ जाती ह 43

अल धलाभा द चत य रा यत म अल ध का लाभ ल ध क र ा र त का वधन तथा राजकमचा रय क उ चत

नय ारा काय म व नयोग या य य रा य- व था क चार आधार ह य चार बातमलकर राजत कहलाती ह

अथात रा य-त क लए यह आव यक ह क रा को जो कछ ा त नह ह उसउपल ध करवान का य न कया जाय उस जो कछ ा त ह उसक र ा क जाए औरउसक व क जाए यह राजत क मख काय ह 44

रा यत ाय नी तशा म समाज म च लत वहार म आन वाली बात को ही नी तशा कहत ह रा य-

व था नी तशा क अनसार ही होती हय द रा य- व था एक व श नी त स सप हो तो समाज म एक वशष कार

क नी त ज म लती ह और इसी कार क समाज म उस फलन-फलन का अवसर मलताह 45

रा यत वाय ौ त ावापौ अपन रा स सब धत तथा सर रा स सबध रखन वाल क अपनी रा -

व था क आव यक अग होत हयक रा क अ य रा क सबध म एक वशष नी त होती ह यक सरकार म

एक वदश म ालय भी होता ह जसका काम अपन पड़ोसी रा य अथवा स र रा य कत नी त- नधारण करना होता ह इस नी त का वशष लाभ यह होता ह क इसस रा

स ढ़ होता ह वदश नी त इस कार क होनी चा हए जसस रा का अ हत न हो उसकसर ा म कसी कार क बाधा न पड़ यह वभाग कसी भी दश क क याण क लएअ य त आव यक होता ह 46

त व वषयक य वाय म वरा - व था त कहलाती ह और वह कवल वरा सबधी क स सब

रहती हअपन रा क सबध म अपन क पर करन स ही रा य म व था कायम रहती

ह रा य म अ व था होन का कारण यही ह क रा य क अ धकारी अपन दश स सब धतक क उप ा करत ह व अपन क का पालन नह करत इसस रा य मअ व था फलती ह और रा य को हा न प चती ह 47

आवापो म डल न व ः आवाप अथात सर रा स सब धत क म डल अथात पड़ोसी रा स सबध

रखता हजो रा सर रा पर वशष नजर रखता ह उनक ग त व धय क जानकारी ा त

करता ह वही सफलतापवक अपन रा य को थर रख सकता ह जो पड़ोसी रा य कग त व धय पर नह रखता उस हा न उठानी पड़ती ह 48

स ध व हयो नम डतः पड़ोसी रा य स अनक कार क स धया तथा उसक व काय- व था रा

नी त का मह वपण अग हस ध का अथ ह कसी पड़ोसी दश स ऐस समझौत करना जो दश क हत म हो

व ह का अथ ह पड़ोसी रा य क सबध म वरोधी कारण को अपनाना जहा स धय ारादोन दश को लाभ होता ह वहा कछ काय ऐस भी होत ह जनका सबध आपसी वरोध सभी होता ह अथात यक रा को पड़ोसी दश क वहार क अन प स ध और व हकरत रहना चा हए इसस दश म रा य- व था थर रहती ह 49

नी तशा ानगो राजा राजा को नी तशा क अनसार चलना चा हएराजा को द डनी त तकशा तथा अथशा आ द क बात का पण ान होना

चा हए इन बात का शासन- व था स सबध ह इस लए राजा अथवा रा य कअ धका रय को इन शा का स म ान ा त करना चा हए य द राजा अथवा रा य कअ धकारी इन बात स अप र चत ह तो उन पर कसी कार का सामा जक नय ण नह रहपाएगा इस कार व व छाचार स पण काय करन लगग इसस रा क भारी हा न होन कसभावना रहती ह और रा य म व ोह उठ खड़ होत ह इस लए राजा का क ह क वहनी तशा क नयम क अनसार ही जा का पालन कर 50

अन तर क तः श ः इस स का भावाथ यह ह क कसी रा क नकटवत रा य अथवा वहा क लोग

भी श बन जात हायः यह दखा जाता ह क जहा सीमा पर सघष अथवा लड़ाई-झगड़ होन क

सभावना बनी रहती ह व दश आपस म श बन जात ह ऐसा ाचीनकाल स रा य कइ तहास पर डालन स भी पता चलता ह आज क वातावरण म भी अनक दश मसीमा को लकर झगड़ होत रहत ह इस लए राजा रा य-अ धकारी और सीमा कसर ा करनवाली सना का क ह क व अपन पड़ोसी रा य स सतक रह पड़ोसीरा य क ग त व धय को दखत रह 51

एका त रत म म यत श रा क पड़ोसी जसक सीमाए श रा स मल रही ह उसक भी हमार श

रा स श ता रहनी वाभा वक ह अतः वह उस श क व हमारा म बन जाता हअनक रा य आपस म एक- सर स श ता रखत ह इस लए राजा को चा हए क

वह अपन पड़ोसी श रा स श ता रखन वाल रा को अपना म बना ल कटनी त कायह एक मह वपण अग ह इस नी त स लाभ उठाना राजा का क ह 52

हततः श म भ व यतः श और म बना कारण क नह होत श ता और म ता कसी कारणवश आ

करती हय द इस नी त स को आध नक सदभ म दखा जाए तो यह बात ब त ज द प

हो जाती ह जब अमरीका और स म शीत य चल रहा था तो अमरीका भारत का

वरोधी था उस समय स न भारत क ओर म ता का हाथ बढ़ाया यह एक सामा य-सानयम ह क कोई भी रा अपन प को बल करन क लए अ य रा का सहयोग मागताह 53

हीयमानः स ध कव त नबल राजा को अपन स श शाली रा य स स ध कर लनी चा हएनी त जाननवाला नबल राजा अपन पड़ोसी सश और अ यायी राजा क साथ

स ध करन स ही अपन रा य क र ा कर सकता ह उस नी तपवक स ध करक अपन दशपर आए सकट अथवा य क थ त को टाल दना चा हए जो राजा ऐसा नह करता उसभयकर हा न उठानी पड़ती ह स ध करन क प ात परो प स कमजोर राजा को अपनी

थ त को ढ़ बनान का य न करना चा हए 54

तजो ह स धानहत तदथानाम सामा य प स स ध करनवाल दोन दश म वा त वक और लाभदायक स ध तभी

हो सकती ह जब दोन रा तज वी और भावशाली ढग स आचरण करनवाल ह अथात दो रा म स ध का वा त वक लाभ तभी हो सकता ह जब दोन रा अपन

वा भमान को थर रख सक और भावशाली ढग स अपन रा का प उप थत करसक ऐसी स ध स दोन रा को लाभ हो सकगा 55

नात तलोहो लोहन स धीयत जस कार गम लोहा ही गम लोह स मल सकता ह उसी कार य द स ध

करनवाल दोन राजा तज वी ह ग तभी स ध सफल हो पाएगीजस कार गम लोह पर चोट मारन स ही उस अनकल प म ढाला जा सकता ह

इसी कार य द स ध करनवाल दोन रा तज वी नह ह ग तो स ध सफल नह हो सकगी 56

बलवान हीनन व यात बलवान राजा को चा हए क वह श को कमजोर दखकर ही उसस य करन क

ठानय द कोई बलवान राजा कसी पर आ मण करना चाहता ह तो उस सर रा क

श का पवानमान लगा लना चा हए य द सरा रा उसस श म उ ीस हो तभी उससय क ठाननी चा हए अ यथा नह 57

न यायसा समन वा अपन स अ धक सम तथा अपन समान बल वाल रा स श ता नह बाधनी

चा हए 58

गजपाद व ह मव बलव हः अपन स बलवान राजा स य करना बलकल वसा ही ह जस हा थय क झड ारा

पदल सना को कचलवा दनाइसका भाव यह ह क जो राजा जानबझकर अथवा अ ानवश कसी बलवान राजा

पर आ मण करता ह तो उसस आ मण करनवाल राजा का ही वनाश होता ह यहबलकल इसी कार का काय ह जस वशाल प थर क शला स अपना माथा टकराना 59

आमपा मामन सह वन य त जस कार दो क च पा य द आपस म टकरात ह तो दोन ही टट जात ह इसी

कार समान श वाल राजा म य दोन क वनाश का कारण होता ह 60

अ र य नम भसमी त राजा को चा हए क वह अपन श क य न अथवा उनक ारा कए जान वाल

काय पर सावधानीपवक नजर रखयक रा का क ह क वह अपन श रा पर हर समय सतकतापवक नजर

रख उस इस बात का ान भी होना चा हए क श रा कस बात का य न कर रहा हसर रा स स धय ारा उस कस कार का लाभ होन क सभावना ह राजा को चा हए

क वह यह सब बात अपन ग तचर ारा जान और अपनी तथा अपन रा य क र ा कपरी सावधानी बरत 61

स धायकतो वा अपनी वजय चाहनवाल राजा को चा हए क वह अपन पड़ोसी रा य स स ध

अथवा य आ द यक अव था म श क य न पर परी तरह रख 62

अ र वरोधादा मर ामावसत राजा का क ह क वह अपन रा को बाहर और भीतर क वरोध स बचाता

रहश रा पड़ोसी रा को कमजोर करन क लए अनक उपाय अपनात ह व

आतकवा दय ारा रा म भय फलान का य न करत ह अनक बार व सा दा यक दगकरवान का य न करत ह अनक थान पर बम- व फोट तथा लटमार करक भी रा कोअ थर करन का य न करत ह उस रा म कछ ऐस वरोधी त व पदा हो जात ह जोवाथवश रा को उ त क माग पर ल जान क य न का वरोध करत ह इसी लए रा क

शासक का क ह क व बाहरी और आ यात रक खतर स रा क र ा करन काय न कर 63

श हीनो बलव तमा यत नबल तथा श हीन राजा का क ह क वह कसी बलवान परत धा मक राजा

को अपना म बना ल और उसक सहायता स अपन रा य को सर त रखन का य नकर

नबल रा का क ह क वह कसी बलवान रा को स ध आ द उपाय सअपना म बना ल जसस वह अपनी वत ता क र ा कर सक जस कार कमजोरमन य को दखकर उस क दन का य न करता ह उसी कार श शालीपड़ोसी रा य श का भय दखाकर नबल रा को डरात-धमकात रहत ह इस लएकटनी त का सहारा लत ए अपन रा को थर और सर त रखन क लए कसीश शाली रा का आ य लना उ चत ह परत उस इस बात का व ास होना चा हए कजस रा का सहारा लया जा रहा ह वह कसी कार का अनी तपण काय नह करगा यहतभी सभव होता ह जब दोन रा एक- सर क वाथ क प त करत ए एक- सर को लाभप चान का य न करत ह 64

बला यो ःखमावह त बल का आ य लन स ःख उठाना पड़ता ह

य द कसी रा को अपनी श पर व ास न हो तो उस अपनी वत ता क र ाक लए कसी श शाली रा का ही आ य लना चा हए नबल और कमजोर रा काआ य लन स लाभ नह होगा य क बल रा स समय आन पर कसी कार कक याण क आशा नह क जा सकती इस कार यह प ह क बल रा का सहारा लनस आ य लन वाल रा को ःख उठान पड़त ह 65

अ नव ाजानमा यत कसी राजा स सबध तोड़ लन क बाद उसस उसी कार सावधान रहना चा हए जस

अ न स सावधान रहता ह 66

रा ः तकल नाचरत राजा क तकल आचरण नह करना चा हए राजा स ोह का अथ ह रा का

ोहरा स ोह करना एक भयकर पाप माना जाता ह उसक सजा म यद ड ह

इस लए रा अथवा जनता ारा चन गए त न ध अथवा रा य- व था स व ोह करनारा - ोह क णी म आता ह 67

उ तवषधरो न भवत मन य को ऐसा वष धारण नह करना चा हए जसस वषधारण करनवाल क

उद दडता कट होमन य जस समाज म रहता ह उस चा हए क वहा क सामा जक नयम क अन प

ही व धारण कर उस ऐस व धारण नह करन चा हए जस दखकर मन म तर कारअथवा घणा क भावना पदा हो का वष समाज क च क अन प होना चा हए 68

न दवच रत चरत मन य का क ह क वह उस कार क काम न कर जो राजा क यो य होत ह

अथात मन य को राजा क च र का अनकरण नह करना चा हएइसका भावाथ यह ह क मन य को धन क अ भमान म आकर राजा क समान

मकट और छ आ द धारण नह करन चा हए और उस उन च का योग भी नह करनाचा हए जनका योग कवल राजा क लए ही न त होता ह सामा य मन य को ऐसाकरना उ चत नह भाव यह ह क जन-सामा य को ऐसा कोई काय नह करना चा हएजसस उस राजा का त माना जाए 69

योरपी यतोः धीभाव कव त रा य य स ई या करनवाल दो य म वरोध पदा कर दना चा हएरा य का क ह क शासन- व था का वरोध करनवाल सगठन क त सतक

रह उसका य न होना चा हए क रा य ोही और व भ दल सग ठत न हो सकअथात उनम फट डालकर उ ह न कर दना चा हए

अनक रा म रा य का वरोध करनवाल अनक सगठन पदा हो जात ह शासन-व था का क ह क वह रा य का वरोध करनवाल सगठन को परी तरह सग ठत न

होन द उनक सबध म सतकता बरतनी चा हए उ ह कसी कार का ऐसा अवसर नह दनाचा हए क व आपस म इकट ठ होकर सय मोचा बना सक 70

न सनपर य कायावा तः जो सन अथवा कसी कार क बरी लत म फसा आ ह वह कसी भी

काय म सफल नह हो सकता अथात उसका कोई भी काय सफल होना क ठन हजो कसी कार क सन आ द म फसा आ ह उसका काय उसक लए

कभी भी फलदायक स नह होता कारण यह ह क उसक काय म न तो कोई उ साहहोता ह न ढ़ता कसी कार क भी सन म फसा आ आ म- व ास स र हतहोता ह आ म व ास स हीन क काय म कसी कार क तज वता नह होतीउसका मन हर समय वषय भोग म फस रहन क कारण क क ओर रत ही नहहोता 71

इ यवशवत चतरगवान प वन य त चतर गणी सना स य होन पर भी य द राजा अपनी इ य को वश म नह रख

सकता तो वह न हो जाता हइस स का भाव यह ह क मन य को अपनी इ या अपन वश म रखनी चा हए

जस मन य क इ या अपन वश म नह होत वह अपनी इ छा को पण करन क लएऐस काम करता ह जो उसक वनाश का कारण होत ह राजा क लए यह और भीआव यक ह य क उनक पास असी मत श या होती ह आचाय चाण य का कहना हक य द राजा क पास असी मत श या ह उसक पास सभी कार क सनाए ह सभीकार क अ -श ह तो भी उस चा हए क वह अपनी इ य को वश म रख इ य को

वश म न रखन स उसका सम रा य भी न हो सकता ह 72

ना त काय त व य जन लोग को जआ खलन क आदत होती ह व अपन क क त उदासीन

होत ह अथात उ ह अपन क का ान नह होताराजा क जए क त अ य त आस रा क लए घातक स हो सकती ह

जआ एक ऐसा सन ह जसम परा जत होता आ भी अत तक जीत क कामनाकरता रहता ह परत उस वा त वकता का तभी ान होता ह जब वह सब कछ खो बठताह इ तहास इसका उदाहरण ह य ध र न जआ खलन क लए य धन क नम ण को यह

कहकर वीकार कर लया क इस कार क नम ण को अ वीकार करना राजा क लएअ छा नह परत सभी जानत ह क उस नम ण को वीकार करन का फल या आ 73

मगयापर य धमाथ वन यतःशकार खलना राजा का मनोरजन हो सकता ह परत जो उसक त अ यत आस

हो आव यकता स अ धक इस काम म च लता हो चाण य क अनसार वह अपन धमऔर अथ दोन ही न कर लता ह 74

अथषणा न सनष ग यत जीवनयापन क आव यकता हत धन स ह करन क इ छा को सन म नह

गना जातायक को धन-स ह करन क इ छा रहती ह चाण य न अनक थल पर

नधन क जीवन को नरथक बताया ह नधन सभी जगह क उठात हउसक सग-सबधी भी क म उसका साथ छोड़ दत ह इस लए धन उपाजन क लए नरतर

य न करना बरा सन नह कहा जा सकता 75

न कामास य कायान ानम अ य धक कामास अथवा च र हीन कसी भी काम को ठ क स नह कर

सकताकसी भी रा क लए आव यक ह क वहा क रा य अ धकारी च र वान ह

य क य द व वय च र वान नह ह ग तो जा म भी पापाचार क त आस बढ़जाएगी और पापाचार बढ़न स अपराध म व होगी इस लए जहा तक य न हो ऐसकाम स बचा जाए जनस जा म वषय भोग क त च बढ़ 76

अ न दाहाद प व श वा पा यम कठोर वाणी आग स जलन स भी अ धक ःखदायी होती हकहा जाता ह क तलवार का घाव भर जाता ह परत कठोर वाणी का घाव दल पर

सदा क लए अ कत रहता ह कठोर बात बोलना एक कार का सन ह अ ववक मन यो धत होता ह तो उसक वाणी भी कठोर हो जाती ह तब वह बना सोच-समझ ऐसी बात

कहन लगता ह जो सर क दय म सदा क लए चभती रहती ह इसका अथ यह ह ककठोर वाणी भ व य म होन वाल ववाद का बीज ह इस लए सत-महा मा न कहा ह कमन य को कट वाणी स बचना चा हए मधर वाणी स अपन श को भी म बना

सकता ह 77

द डपा यात सवजन यो भव त गत ष मन म रखकर य द कोई दडदाता ( यायाधीश) कसी को कठोर दड

दता ह तो वह अपन प व आसन स प तत होकर जनता का कोपभाजन बन जाता हदड दन का अथ यह होता ह क म सधार हो वह अपन बर काम को छोड़

परत य द दड दनवाला गत ष क कारण अथवा ोध म आकर अपराध क मकाबलअ धक कठोर दड दता ह तो जनता क मन म दड दनवाल क त ष-भावना पदा हो जातीह व ततः यायाधीश का क ह क वह याय क प व आसन पर बठकर अपराधी कमन स अपराध-भावना न करन क लए दड द न क क त ष अथवा ोध मआकर कठोर दड दन क व था कर ऐसा करन स लोग क याय क त आ था कम होजाएगी जो जन हत म नह ह 78

अथतो षण ीः प र यज त जो राजा थोड़-स धन स सत हो जाता ह रा य ल मी उस याग दती हराजा को अपन राजकोष स कभी भी सत नह होना चा हए य द वह अपन

अपया त साधन स सत होकर बठ जाएगा तो रा य नधन और ीहीन होकर न होजाएगा 79

अ म ो द डनी यामाय ः त हारा श त ह कतनी हा न प चा सकता ह इसका भाव त हारी दडनी त पर

आधा रत हय द श क त त हारी दडनी त नबल होगी और त हारी तरफ स कसी कार क

सतकता नह बरती जाएगी तो श का दमन करना त हार लए क ठन हो जाएगा इस लएयक राजा का क ह क वह ऐसी दडनी त अपनाए जसस उसक श रा य क व

कसी कार का अपराध करन स घबरात रह 80

द डनी तम ध त न जाः सर त जो राजा दडनी त को अपन अ धकार म रखता ह वही जा क र ा करन म समथ

होता हदडनी त का नधारण करना रा यस ा का काय ह इस कार क दड क व था

करनी चा हए जसस श अथवा रा य- वरोधी लोग जा को क प चान म समथ न हो

सक दडनी त नधा रत करन क साथ राजा का क ह क वह समय-समय पर उसकसमी ा भी करता रह य द कसी रा य क नी त नबल होगी तो उसस जा क र ा नहहो पाएगी जा सकट म पड़ जाएगी इस लए ऐसी दडनी त का नधारण करना चा हएजसस जा अपन आपको सर त अनभव कर 81

दडः स पदा योजय त दड ारा ही राजा या रा य को सम त सप या ा त होती ह अथात वह सम त

सप य स सप बनता हदड याय का पयायवाची ह दड ही याय ह जा दड स ही वश म रहती ह रा य

म दड- व था न रहन स य- व य खान आयकर तटकर ऋणदान याय-अ यायहाट- व था आ द स आय क सम त ोत भा वत होत ह बड़ लोग छोट को लटकरखान लगत ह तब दश म उप व खड़ हो जात ह इसस रा यनाश या सप नाश क थ तबन जाती ह अतः दड-सबधी राजा क नयम इस कार क होन चा हए जसस कसी भी

को उनक व जान का साहस न हो 82

द डाभाव म वगाभावः रा य म दडनी त स उप त होन पर राजा यो य म य को छोड़कर अयो य म य

क वश म हो जाता हजब रा य म दडनी त क उप ा होन लगती ह तो राजा को उ चत परामश दन वाल

म य का अभाव बन जाता ह दश अथवा पड़ोसी श रा क सबध म दडनी त का सहीउपयोग करन क लए चतर परामशदाता म य क आव यकता होती ह जो राजा इस बातस इनकार करता ह अथवा इस बात क उप ा करता ह उस चापलस अ धकारी घर लत हऐसी थ त म राजा मनमान काय करन लगता ह इसस रा क हा न होती ह 83

न द डादकाया ण कव त अपराधी व क लोग दड अथवा जमान आ द क भय स रा क वधान- वरोधी

काय स र रहत हजस रा य म दड क भय स अपराध नह करत उस ही धम का शासन

कहा जाता ह उसी रा य म धम और अथ क र ा होती हधम और अथ क र ा का भाव यह ह क अपराधी व क लोग यह जानत ह क

रा - वरोधी काय करन स उ ह कठोर दड दया जाएगा इस लए वह रा य- वरोधी पाप-कम करन स अलग रहत ह ऐस ही रा य को धमय रा य कहा जाता ह 84

द डनी यामायतमा मर णम दड सबधी नी तय को ठ क रखन स आ मर ा हो सकती हप दडनी त क ारा ही रा सर त रह सकता ह रा य का क याण इसी बात

पर नभर करता ह क दडनी त सबधी नयम या ह और उनका या भाव होता ह उसकदडनी तया जा का क याण करन वाली ह जा का क याण ही उसका अपना क याणहोता ह और जा क र ा ही रा क र ा कहलाती ह अथात जा क अ त व स अ धकराजा का अ त व नह होता जा क सर ा क बना राजा क सर ा कस हो सकती ह85

आ म न र त सव र त भव त राजा क सर त रहन स ही पर रा को सर त कया जा सकता हचाण य क स को जन-सामा य और राजा सबधी दोन कोण स दखा जा

सकता ह चाण य न अ य थान पर भी कहा ह क मन य को अपनी र ा क लएसबकछ ब लदान करन क लए नह हचकना चा हए य द वह इस कार अपनी र ा करलता ह तो न ई धन-सप को फर स ा त करन का य न कर सकता ह इसी कारय द राजा अपनी आ मर ा करन म समथ ह तो इस पर रा को सर त समझा जा सकताह 86

आ माय ौ व वनाशौ मन य क व और वनाश उसक अपन हाथ म होत हभगवान ीक ण न गीता म लखा ह क मन य अपना ही सबस बड़ा म और

अपना ही सबस बड़ा श होता ह वह अपन ही काय स सबकछ बनाता ह और बगाड़ताभी ह इसी कार रा क व और उसका पतन राजा क हाथ म ह राजा क यो यता औरअयो यता भी कसी रा य क व और वनाश का कारण होती ह राजा य द यो य होगातो रा य का व तार होन क साथ धन-धा य स सम भी होगा य द वह नी तहीन शराबी

भचारी और सन म फसा आ ह तो रा का वनाश हो जाएगा अथात मन य कव और वनाश उसक अपन वहार पर नभर करता ह 87

द डो ह व ान णीयत दडनी त का योग सावधानीपवक सोच-समझकर कया जाना चा हएदडनी त क सबध म य द सही ढग स उस पर वचार कया जाए तो उसक

अ नवायता और वा त वकता कट होती ह इसी कार दड का योग करत समय भलीकार स वचार करना चा हए

इस स स ऐसा ात होता ह क उस काल म दड- वधान तो था परत उसका व पपणतः प नह था इस लए यक थ त म दड-सबधी नणय पर वशष प स वचारकरना आव यक ह इस लए चाण य न दड क सबध म यह कहा ह क इसका योग ब तसोच-समझकर करना चा हए य क दड क योग प रणाम रगामी होत ह उसका भावब त ापक होता ह इस लए दड दत समय भली कार वचार कया जाना चा हए 88

बलोऽ प राजा नावम त ः राजा को नबल और एक साधारण आदमी समझकर उसक आ ा क अवहलना

नह करनी चा हएजो लोग राजा अथवा रा य- शासन को कमजोर और साधारण मानत ह और

उसक आ ा अथवा वधान का उ लघन करत ह व रा ीय अपराध करत ह रा य कउप ा अथवा अपमान करन स सभी क हा न होती ह उसस रा का ापक अ हत होताह इस लए जो लोग राजा अथवा शासन- व था को कमजोर मानत ह व अधकार म रहतह राजा अथवा शासन का यह क ह क वह अपन आपको श शाली बनाए औरनयम का कठोरता स पालन कर 89

ना य नद ब यम अ न को कभी बल नह समझना चा हएएक छोट -सी चगारी भारी अ न-का ड का प धारण कर सकती ह और भयकर

वनाश हो सकता ह उसस वशाल जगल भ म हो जात ह इसी कार जन लोग मरा य ी कट होती ह उनक श ीण दखाई दन पर भी जनता को सग ठत करन कश क कारण बल प धारण कर लती ह इस लए उसक अवमानना नह करनीचा हए 90

द ड तीयत व ः राजा क सपण शासक य यो यता उसक दडनी त स कट होती ह 91

व मलमथलाभः धन-धा य क ा त अथवा रा य का सम होना राजा क च र पर नभर करता

हरा य का सम होना राजा क च र पर नभर करता ह रा य ी उसी राजा को

ा त होती ह जो अपनी इ य को सयम म रखता आ जा क क याण क लए नरतरकाय करता ह अतः राजा को च र वान होना चा हए 92

अथमलौ धमकामौ धम का अन ान तथा रा क कामना क प त रा य य क थरता पर ही

नभर रहा करता हसासा रक क का पालन करत ए मान सक उ कष धम का अन ान और

रा ीय कामना क प त तभी हो सकती ह जब रा य य थर रहता ह अथात धम कर ा करत ए धन-स ह अथवा रा य ी क व करनी चा हए रा य य क व तभीहोती ह जब राजा और जा क काय धम पर आधा रत ह अथात धम का पालन धन कबना नह हो सकता तथा धन स ही क याण भी कया जा सकता ह 93

अथमल कायम अथ अथवा धन काय का मल होता हकठोर कम स ही रा य ी क व होती ह धनाजन करन क लए को काय

करना पड़ता ह धन स ही सार काय सप होत ह धन क बना जस कार मन य नज वहोता ह उसी कार धनहीन रा अथवा राजा भी जनता क हत का कोई काय नह करसकता जस पवत स नकलकर बहती ई नद लोग को जीवन दान करती ह उसी कारधन क वाह स सम त काय सप होत ह 94

यद प य नात काय स भव त रा य ी ा त होन पर कोई भी काय थोड़ा-सा य न करन पर ही स हो जाता

हकसी रा क काय क स उसक सम होन पर ही नभर करती ह य द रा म

श ह और उसक राजकोष म धन क कमी नह ह तो ऐस रा क लए कोई भी कायकरना क ठन नह होता 95

उपायपव न कर यात य द कोई काय उपायपवक कया जाए तो उसक सप होन म कोई क ठनाई नह

होती

जसा क ऊपर बताया गया ह काय क सफलता क लए य न का उतना मह वनह जतना उपाय का होता ह दखना यह होता ह क मन य न कसी काय को स करनक लए कन उपाय का योग कया य द कसी काय को सही ढग स कया जाए तो वहब त थोड़ समय म भी सप हो जाता ह य द उपाय सही न हो तो काय क स होन म हीसदह बना रहता ह 96

अनपायपव काय कतम प वन य त पहल कोई उपाय स कए बना ारभ कया आ काय न हो जाता ह अथात

उपाय पवक काय न करन स काय स नह होतकाय स करन क लए आव यक ह क नधा रत योजना बनाई जाए उस योजना

पर चलन क लए उ चत उपाय न त कए जाए कोई भी काय ारभ करन स पव यक अथवा रा को यह दख लना चा हए क उस काय को करन क लए उसक श

कतनी ह वह कन उपाय ारा काय स करना चाहता ह य द उपाय सही ह ग तो कायज द स हो जाएगा अ यथा काय बगड़ जाएगा 97

काया थनामपाय एव सहायः इस स म भी चाण य का कहना ह क जीवन म उपाय का या मह व होता ह

अथात उपाय ही काय स करन वाल क लए स चा सहायक स होता ह 98

काय प षकारण ल य स प त काय अपना व प नधा रत करन क बाद ल य बन जाता हजब तक मन य अपन काय को क मानकर उस ल य क प म वीकार नह

कर लता तब तक उनका स होना क ठन होता ह मन य क लए उसक जीवन का ल यअपन क का पालन करना होता ह जो मन य ज म पाकर अपन क को परानह करता वह अपन जीवन क ल य को भी ा त नह कर सकता 99

प षकारमनवतत दवम भा य प षाथ क पीछ चलता हlsquoउ ो गन प ष सहमप त ल मी दवनदय म त काप षा वद तrsquo अथात जो

प षाथ करता ह उस ही ल मी ा त होती ह अथात उसक काय स होत ह भा य कासहारा तो कमजोर और कायर लत ह यहा भा य क रह य को भी समझनाआव यक ह भा य क मल म भी प षाथ ही तो होता ह भा य को ार ध भी कहत ह

अतीत का प षाथ ही वतमान म lsquoभा यrsquo बन जाता ह 100

दव वना त य न करो त य फलम भा य अनकल न हो तो सही ढग स कया आ काय भी भौ तक फल दान नह

करतापरत भा य क अनकलता को कसी काय क लए इतना मह व नह दया जाना

चा हए जतना य न को य द मन य ब म ापवक सही ढग स काय करता ह तो भा यभी उसक अनकल हो जाता ह वा तव म जो काय कवल वाथ स रत होकर कए जातह हो सकता ह उनक लए भा य क अनकलता आव यक हो परत जो काय जन हत कलए कए जात ह उनक त सपण भावना भा य को भी अनकल बना दती ह कवल भा यक भरोस बठ रहन स काय नह चलता 101

असमा हत य व न व त अ व थत च वाल क पास सद वहारपण सद भावना नह रहतीजस का च अथवा ब थर नह रहती उसक हा न होती ह जस

का मन थर नह होता उसस सद वहार क आशा करना थ ह उसकसद भावना समा त हो जाती ह उसक च व या ण- ण म बदलती रहन क कारणव ास क यो य नह रहत इसस न तो उसका कोई काय सप होता ह और न कोई लाभहोता ह 102

पव न य प ात कायमारभत काय आरभ करन स पहल उसक वषय म सभी पहल पर मन म वचार कर लना

चा हए काय को कन उपाय स पण कया जाएगा इस सबध म पणतः न त होन क बादही काय ारभ करना चा हए

काय क सबध म सभी बात पर वचार कए बना काय ारभ करन स अनक कारक क ठनाइया उ प हो सकती ह कहा भी हmdashlsquo बना वचार जो कर सो पाछ पछतायrsquoअथात ब मान प ष को काय ारभ करन स पव सभी बात पर वचार कर लना चा हएउस इस बात को स ात क प म वीकार कर लना चा हए 103

काया तर द घस ता न क ा काय आरभ करन क बाद अ त वलब अथवा आल य नह करना चा हए अ त

वलब तथा आल य क स होन का च ह

कोई भी काय ारभ करन क बाद उस परा करन म दरी अथवा आल य नह करनाचा हए उसक सबध म यह नह सोचना चा हए क उस परा करन क अभी या ज द हऐस वचार हा नकारक ह इसस मन य क मन म आलस क भावना पदा होती ह और थोड़समय म समा त होन वाला काय लब समय तक अपण रहता ह 104

न चल च य कायावा तः काय करत समय जनका च चचल रहता ह उनक काय कभी समा त नह होतअ थर च और थोड़ी-थोड़ी दर म जस क वचार बदलत ह उसका कोई

भी काय परा होन म सदह रहता ह चचल च वाला यक बात म सदह करतारहता ह सदह करन वाल क काम तो कभी पर नह होत पर त वह वय परा (समा त) होजाता ह 105

ह तगतावमाननात काय त मो भव त काय को स करन क लए मन य क हाथ म जो साधन ह उनका स पयोग

करना चा हए जो साधन का स पयोग नह कर सकता उसका काय न हो जाता हकाय स क लए मख लोग ऐस साधन क पीछ भटकत ह जो उ ह ा त नह

होत वा तव म उ ह काय को स करन क साधन का म याकन करना नह आतासाधन क सबध म य द मन य क वचार थर नह ह तो उस काय स करन म सफलता

ा त नह होती 106

दोषव जता न काया ण लभा न ससार म ऐस काय का मलना क ठन ह जनम कोई दोष न होमन य जो भी काय करता ह उस पणतया नद ष नह कहा जा सकता उसम कह -

न-कह कोई कमी अव य रह जाती ह मन य वय अपन आप म अपण ह इसी लए यहसमझना अ यत क ठन ह क वह जो भी काय करगा उसम कोई दोष नह रहगा

दोष व नद ष क सबध म भी व भ य क वचार भ हो सकत ह य कय द क त क ओर दखा जाए तो भी उसम अनक लोग क वचार स दोष दखाई दग 107

रनब ध काय नारभत मन य को ऐस काय म हाथ नह डालना चा हए जनक प रणाम न त प स शभ

न ह

अशभ काय करन स मन य को हा न होती ह इस लए मन य का क ह क वहजो भी काय ारभ कर उसक सबध म उस पण व ास होना चा हए क इसका प रणामअ छा होगा 108

काल वत काय साधयत अनकल समय को पहचानन वाला अपना काय बड़ी सरलता स स कर

दता हब मान का क ह क कोई काय ारभ करन स पव उस यह दखना

चा हए क समय उसक अनकल ह अथवा तकल समय क अनकलता क अ त र उसअपन सहायक और प र थ तय क वषय म भी वचार करना चा हए उस यह बात भीयान म रखनी चा हए क काय स करन म कतना य होगा

इस कार क बात पर वचार करन स मन य समय को अपन अनकल बना लताह जो इन बात पर वचार नह करता वह समय अनकल होन पर भी काय स करन मअसफल रहता ह

इसी लए को काय स क लए उ चत समय को पहचानन का य न करनाचा हए जस कार गम लोह पर चोट करन स ही उस अपनी इ छानसार ढाला जा सकताह इसी कार अनकल समय पर काय करन स काय ज द स हो जाता ह 109

काला त मात काल एव फल पब त क का समय टल जान स वय काल ही उसक सफलता को चाट जाता हजो काम कसी न त समय पर कया जाना आव यक होता ह य द वह समय

हाथ स नकल जाए तो उसका सफल होना असभव होता ह कारण प ह सफलता कलए तयार थ तया-प र थ तया बखर जाती ह 110

ण त काल व प न कयात सवक यष मन य कसी भी न त क म णमा का वलब न करमन य को चा हए क वह कसी भी न त क म एक ण भी वलब न कर

ठ क समय पर कय गय काम क सफलता मन य को दखा दती ह क यह काम जस णम कया गया ह वही उसका सव म काल था काय क उ चत समय को पहचानना हीमन य क सीखन क सव म कला मानी गयी ह 111

दशफल वभागौ ा वा कायमारभत

मन य का क ह क वह प र थ तय और काय क सफलता क सभावनादोन को पण प स समझकर काय ारभ कर

जो समय दश और प र थ तय को वचारकर काय नह करता उससफलता नह मलती काय ारभ करन स पव को इस बात पर भी वचार करनाचा हए क काय क सफलता क कतनी सभावना ह 112

दवहीन काय ससा यम प ःसा य भव त य द भा य तकल हो तो आसानी स स होन वाला काय भी क ठनता स स

होन वाला दखाई दता हप र थ तय क अनकल न होन पर आसानी स स होन वाला काय भी क ठन

दखाई दन लगता ह मन य का क यह ह क वह अपन प षाथ स उस काय को सकरन का य न कर य क उ मी प ष को ही ल मी ा त होती ह lsquoदवन दय म तकाप षा वद तrsquo तकल थ तय क बात तो कायर प ष करत ह उ मी प ष अपनप र म स प र थ तय को अपन अनकल बना लत ह प षाथ मन य न ससार म ऐसकाय कर दखाए ह जनक सबध म आज भी आ य होता ह मन य को चा हए क कायक क ठनता स न घबराकर प षाथ स उसका मकाबला कर 113

नी त ो दशकालौ परी त क को ववक स करना नी तवान मन य का थम क ह

वहार-कशल प र थ तय और सअवसर दोन बात का पण ान करन कबाद ही काय ारभ करता ह वह काय ारभ करन स पव भली कार उसक ववचनाकरता ह नी तवान वही ह जो काय को बना वचार ही आरभ नह कर दता 114

परी यका र ण ी र त त भली कार सोच- वचारकर तथा अवसर को पहचानन क बाद जो काय

करता ह उस ही सफलता ा त होती ह 115

सवा स पदः सव पायन प र हत राजा का क ह क वह सभी कार क उपाय स अथात अपनी ब -कौशल स

सभी कार क सप य का स ह करराजा का क ह क वह साम दान दड भद आ द उपाय स सप य का सचय

कर उसक लए सभी कार क साधन और सप य का सचय करना इस लए आव यकह क उ ह स वह जा का हत कर सकता ह जा क भलाई क लए राजा को सभीसाधन जटान चा हए सकत ह क राजा क ब मखी होनी चा हए 116

भा यव तमपरी यका रण ीः प र यज त सफलता का अवसर पहचान बना काय ारभ करनवाला ल मी र हत हो

जाता ह अथात ल मी उस छोड़ जाती ह भल ही अपन आपको भा यवान समझता हो परत य द वह समय को पहचान

बना भली कार जाच कए बना काय ारभ करता ह तो उस सफलता ा त नह होती 117

ाननानमान परी ा क ा इस स का भाव यह ह क मन य को अपन क क परी ा क साधन का कस

कार पता लगाना चा हए उसका क यह ह क वह अपन अनभव-श तथा वचार-श दोन क सहार प रणाम क कारण का ठ क-ठ क पता करक यह न य कर क यहकाम कस कार स होना ह 118

यो य मन कम ण कशलः त त म व योजयत जो जस काम को करन म कशल हो उस वही काय करन का भार स पना

चा हएरा य कमचा रय क नय करत समय उनक यो यता का यान रखना अ यत

आव यक ह जो जस कार क यो यता रखता हो उस वही काय स पना चा हएय द कोई ऐसा काय करता ह जसका उस अनभव नह तो उस काय क बगड़ जानस रा य को हा न होती ह रा य क हा न का अथ जा क क स आका जा सकता ह 119

ःसा यम प ससा य करो त उपाय ः जब कसी काय को करन का उपाय जानता ह तो वह क ठन-स-क ठन काय

को भी आसान बना दता हइसका भाव यह ह क यक काय को पणता तक प चान क लए व भ उपाय

क आव यकता होती ह जस उपाय का ान नह होता उसक लए सरल काय करना भीक ठन हो जाता ह परत जो उपाय को जानता ह अथवा समय क अन प साधन जटा लता

ह उसक लए क ठन-स-क ठन काय भी करना सरल हो जाता ह 120

अ ा नना कतम प न ब म त म चाण य कहत ह क य द कोई अ ानी कसी काय को सफल बना लता ह तो

उसक सफलता को आक मक घटना मानकर उस मह व नह दना चा हएव ततः इसका भाव यह ह क य द कोई अनाड़ी कसी काय को स कर

लता ह तो उस एक आक मक घटना मान लया जाता ह और उस उस काय को कर लनका मह व नह मलता य क आक मक प स कया आ वह काम उसक ान ककारण नह कया होता 121

या छक वात क मर प पा तरा ण करो त यह स भी पहल स क बात को प करता हइसका भाव यह ह क जस घन या क ड़ा कसी पदाथ क आक मक प को बना

कसी ान क बदल दता ह उसस उसक नमाणकशलता मा णत नह होती इस लए य दअ ानी अचानक कोई काय सप कर लता ह तो उस कवल सयोग ही मानना चा हएउसक कायकशलता नह जस कार लकड़ी म रहन वाला घन नामक क ड़ा लकड़ी कोखाता आ उसम व भ कार क आक तया बना दता ह भल ही वह आक तया दखन मसदर ह तो भी घन क क ड़ को उसका य नह मलता य क उसको कछ ान नहहोता वह तो उसका एक आक मक काय होता ह 122

स यव काय य काशन क म कसी काय क स हो जान पर ही उसक सबध म लोग को जानकारी दनी

चा हएभाव यह ह क जब कोई काय स करना चाहता ह तो उस ग त रखकर ही

स कया जा सकता ह य द उस काय क सबध म लोग को पहल ही ान हो जाएगा तोसभवतः कोई अ य यह काय कर डाल 123

ानवताम प दवमानषदोषात काया ण य त कभी-कभी ब त स काय तकल प र थ तय क कारण अथवा कसी मन य ारा

कोई ट रहन पर अधर रह जात ह अथात स नह हो पातअनक बार ऐसा हो जाता ह क तकल प र थ तय क कारण काय पर नह हो

पात कई बार इनक पर न होन का कारण मानवीय टय को माना जाता ह कई बार

प र थ तया भी मन य का साथ नह दत इस लए ब त स काम स नह हो पात अधररह जात ह इनको परा करन का एकमा उपाय यही ह क मन य सोच-समझकर य नकरता आ तकल प र थ तय को अपन अनकल बनान का य न कर 124

दव शा तकमणा तष म दवी वप य क सबध म को अपनी ब थर रखनी चा हए और शात

रहत ए दवी वप य स छटकार का य न करना चा हएदवी वप या अनक कार क होती ह भकप बाढ़ तफान रा म व ोह अथवा

आतकवा दय क आ मण आ द को इस णी म रखा जाता ह उस समय रोकरअथवा च लाकर तथा कसी सर क सर पर दोष मढ़कर वप य स छटकारा नह पासकता इस कार क वप य क समय को अपनी ब थर रखनी चा हए औरशात रहकर वप य स छटकारा पान का य न करना चा हए 125

मानष काय वप कौशलन व नवारयत दवी वप य क समान कछ वप या ऐसी भी होती ह जो मन य ारा पदा क

जाती ह ऐसा काय को बगाड़न क लए कया जाता ह मन य ारा पदा क जान वालीवप य को सतकता और ब -कौशल स ही परा त कया जा सकता ह 126

काय वप ौ दोषान वणय त बा लशाः मख लोग कसी काय म असफल रहन क बाद या तो अपनी भल पर पछतावा

करत ह या फर आपस म एक- सर पर दोष लगाकर अपन आप को नद ष सा बत करतह 127

काया थना दा य न क म रा य क जो अ धकारी काय को स करना चाहत ह उ ह श क त

भावकता उदारता सरलता और भोलपन म बहकर म या सहानभ त नह बरतनी चा हएरा य क अ धका रय का क ह क व श को सदव शका क स दख

उनक त उ ह कसी कार क उदारता आ द का वहार नह करना चा हए भावकता मबहकर उनक त ऐसा वहार नह करना चा हए जसस रा क हा न हो श क तरा य क अ धका रय को सदव सदहशील रहकर काय करना चा हए 128

ीराथ व सो मात धः तह त

बछड़ा ध पीन क इ छा स अपनी मा क तन पर अपन सर स चोट करता हभाव यह ह क मन य को कसी भी चीज क ा त क लए वय य न करना

पड़ता ह गाय भी अपन बछड़ को तब तक ध नह पलाती जब तक वह अपन माथ सउसक थन पर चोट नह करता इसी कार ब च क माता भी ब च क रोन पर ही उस धपलाती ह अथात अपन य न स ही इस ससार म कछ ा त कर सकता ह कोईउस कछ दन नह आता 129

अ य नात काय वप भव त काय क स क लए जतन य न क आव यकता होती ह उतना य न न

करन स काय न हो जाता हअनक बार काय क पण न होन का कारण यह होता ह क उस पण करन क लए

जतन य न क आव यकता होती ह व सब नह कय जात कोई काय करत समय समझता ह क उसन ब त य न कए ह परत फर भी काय स नह होता इसका

कारण यही ह क न उतना य न नह कया जतना उस काय को स करन कलए आव यक था 130

न दव माणाना काय स ः ज ह काय आरभ करन स पहल ही काय म असफल रहन का न य होता ह उनक

काय कभी पण नह होत जो यह समझत ह क उनका काय सफल नह होगा व कोई कायारभ ही नह करत

तीन कार क होत हmdashपहल कार क य को अधम णी म रखा गयाह व असफलता और क ठनाइय क भय स काय ारभ ही नह करत म यम णी क लोगजोश म आकर काय तो ारभ कर दत ह परत क ठनाइया आन पर काय को बीच म ही छोड़दत ह तीसर कार क व होत ह जो काय को एक बार आरभ करन पर अनक कारक सकट आन पर उस परा कए बना नह छोड़त उ ह उ म णी का माना जाताह 131

कायबा ो न पोषय या तान अपन क स बचन का य न करन वाल लोग अपन आ त का भरण-पोषण

नह कर पातजो अपन काय स अथवा दा य व स बचन का य न करता ह एक दन

उसक आ त लोग ही भख मरन लगत ह वह अपन आ त य का भी भरण-

पोषण नह कर पाता 132

यः काय न प य त सोऽ धः जो अपन क को नह पहचानता वह आख क रहत ए भी अधा हजो ववक स काम न लकर अपन ल य क त सचत नह रहता उस वा तव

म अधा कहा जाना चा हए अथात वह ऐसा अधा ह जो माग को दखत ए भी माग सभटक जाता ह इस लए को चा हए क वह अपन क को पहचानकर उस पराकरन का य न कर जो अपन क क त सजग नह रहता वह न तो इस ससारम स मान का पा होता ह और न ही सफल मानव 133

य परो ानमानः काया ण परी त को अपन क का न य करन स पव ा त और अ ा त साधन पर

वचार करना चा हए जब कोई काय करन लगता ह तो उसस पव उस अपनी श य का अनमान

होना चा हए उस इस बात का ान होना चा हए क उसक पास कौन स साधन ह जनसवह अपन काय को परा कर सकता ह

इसक अ त र उस उस बात पर वचार करना चा हए क ा त साधन कअ त र उस अ य कौन स साधन ा त हो सकत ह जो इन बात पर वचार करताह वह न य ही अपन क को पण करन म समथ होता ह और जस अपन साधन काअनमान नह होता ह उस असफलता ही हाथ लगती ह 134

अपरी यका रण ीः प र यज त जो बना वचार काय करता ह उस ल मी ा त नह होती ल मी उसका

याग कर दती हचाण य फर कहत ह क जो भली कार बना वचार काय ारभ कर दता

ह उस हा न उठानी पड़ सकती ह जो बना सोच- वचार काय करता ह उस पछतानापड़ता ह बना सोच-समझ काय ारभ करन स समय तो न होता ह परत उसक साथश या और साधन का भी अप य होता ह 135

परी य ताया वप ः कसी काय क सफलता क माग म आन वाली क ठनाइय को वचारपवक र करन

का य न करना चा हए

जब कोई काय ारभ करता ह तो उसक माग म क ठनाइय का आनावाभा वक ह य द क ठनाइय स घबराकर काय को छोड़ बठता ह तो वह कसी भी

काय को परा करन म सदव वय को असमथ पाता ह प ष वही होत ह जो वप य स घबरात नह और उ ह र करन का य न

करत ह जब क नज क त क लोग वप य क भय स काय को श ही नह करत ह 136

वश ा वा कायमारभत अपनी श को जाच-परखकर मन य को अपना काय करना चा हएब त स मन य इस ससार म ऐस ह ज ह मानव ज म तो ा त आ ह परत उ ह

अपन मन और शरीर म सोई ई श य का ान नह इस लए सबस पहल मन य काक यह ह क वह कोई भी काय ारभ करन स पव काय स सब धत अपन ान औरश य का अनमान लगाय मन य को कोई ऐसा काय अपन हाथ म नह लना चा हए जोवह करन म असमथ हो 137

वजन तप य वा यः शषभोजी सोऽमतभोजी जो अपन साधन अथवा धन स अपन बध-बाधव आ त तथा द न- खय

को सत करन क बाद शष धन स अपना गजारा चलाता ह वह अमतभोजी होता ह का क ह क वह जो कछ साधन अथवा धन-सम आ द ा त करता

ह उस सर क क याण क लए भी योग म लाय उसका क होता ह क वह सबसपहल अपन ब ध-बा धव र तदार अ त थय आ त लोग द न- खय क सहायताकरन क बाद जो कछ बच उसस अपना जीवन नवाह कर वह धन उसक लए अमत कसमान होता ह जो कवल वाथवश अपना ही यान रखता ह उस मानव क सउदासीन माना जाता ह 138

सवान ानदायमखा न वध त जस रा म भ म धन- ापार उ ोग-धध आ द रा हत क काय होत रहत ह उस

रा क आय क साधन भी बढ़त हजस दश म कोई भी काय ारभ करत समय रा क हत को सव प र रखा जाता ह

उस रा क आय क साधन म भी व होती ह उसक लए आय क अनक ार खल जातह अथात जो रा भ म धन ापार और श प आ द स सब धत काय को रा हत सजोड़ता ह वह रा धन-धा य स पण होन लगता ह वहा क जा खशहाल होती ह

139

ना त भीरोः काय च ता कायर प ष को अपना क परा करन क चता नह होतीव ततः अपना क परा करन क लए मन य म वीरो चत भावनाए होनी चा हए

य द वह छोट -छोट बात स डरता रहगा तो अपन क को परा नह कर सकगा जस क मन म भय बठा रहता ह उसक लए कसी भी काय को परा करना क ठन होता ह

काय को परा करन क लए म उ साह क साथ सघष करन क भावना भी होनीचा हए मन य क मन म बठा आ डर ही उस क हीन बना दता ह 140

वा मनः शील ा वा कायाथ काय साधय त अपन मा लक क वभाव को जानकर आ त लोग उसक अनसार काय करत हकसी क अधीन अथवा आ य म रहनवाल को चा हए क वह अपन

आ यदाता क वभाव स भली कार प र चत हो उसक वभाव स प रचय होन क बादवह उसक च क अनसार काय करगा तो कसी कार क क ठनाई नह होगी 141

धनोः शील ः ीर भ इस स म भी चाण य न इसस पहल क स म कही ई बात का समथन कया ह

व कहत ह क जस कार गाय स ध लन वाला उसक वभाव को जानकर ध लनम सफल होता ह उसी कार राजा क सवक तथा राजा क अ धकार को राजा क च कअनकल अपना काय करक रा क सवा का उद द य परा करना चा हए

व ततः रा य काय चलान क लए जो भी व था काम कर रही हो उसका एकवधान होता ह वधान वहा क व था का दपण कहा जा सकता ह इस लए राजा कअ धका रय का क ह क व वधान क अनसार काम कर 142

ग काशन आ मवा कव त (कयात) नीच और चचल ब वाल अपन सवक को अपनी ग त बात नह बतानी चा हएब मान अपन नीच व चचल ब सवक स अपनी कोई ग त बात कट

नह करत उ ह अपन सवक पर अ धक व ास नह होता य क उनक वचार नी तपणनह होत व लोग ायः मख होत ह उनक ब चचल होती ह इस लए समझदार मन यअपना कोई भी भद उन पर कट नह होन दता

आज क सदभ म भी यह बात ब त मह वपण ह अ धकाश अपराध म घर म काम

करनवाल नौकर का ही हाथ होता ह व थोड़ स लालच म आकर मा लक क ह या भी करबठत ह इसस उ ह लाभ क बजाय हा न होती ह 143

आ तर यवम यत म वभावः कोमल वभाव का अपन आ त स अपमा नत होता हजो अयो य और कपा लोग क त दयालता का वहार करता ह और

म-पा बनन क इ छा रखता ह वह उन ववकहीन य स आदर नह पाता उनकसाथ उनक थ त क अन प ही वहार करन स लाभ होता ह

भाव यह ह क मन य को नौकर स अ य त कोमल वभाव का नह होना चा हएउस प र थ त और यो यता क अनसार ही उसस वहार करना चा हए 144

ती णद डः सव जनीयो भव त छोट स अपराध पर अ यत कड़ा दड दन वाला शासक सबक घणा का पा बन

जाता ह उसक इस काय स उसक शासन म वरोध उ प होन का भय भी रहता हछोट स अपराध पर अ यत कठोर दड दनवाल शासक क त लोग घणा क नी त

अपना लत ह सभी उसको बरा समझन लगत ह उसक कठोर दड नी त क कारण उसक म व ोह होन क सभावना बढ़ जाती ह अतः दड दन स पहल अपराधी क व

और उसक अपराध क थ त क सबध म वचार करना अ यत आव यक ह 145

यथाहद डकारी यात उ चत यही ह क राजा यथा यो य दड दन वाला होना चा हएजो राजा अपरा धय को दड नह दता और नरपराध लोग को दड दता ह उसका

अपयश फलता ह राजा पहल तो अपराध क कारण तथा अपराध क प र थ त और कालको दख फर अपराधी क दड सहन क श और अपराध क व प तथा उसक रा परपड़न वाल भाव को समझकर दड द

शा म कहा ह क अधमपवक दया आ दड यश क त और सख तीन को नकरनवाला होता ह इस लए दड दत समय इस बात का यान रखना चा हए क अपराधकस कार का ह इसक अ त र इस बात का भी यान रखा जाए क कोई अपराधी दडक हाथ स बचन न पाए य क दड स ही रा य म धम-अथ और काम तीन का सर णहोता ह शा म यह भी कहा गया ह क दड क भय स ब त स लोग पाप करन स बचरहत ह 146

अ पसार तव तम प न ब म यत लोकः जो ग भीर नह ह उसक व ान होन पर भी लोग उस त ा क स नह

दखतइसका भाव यह ह क व ान और यो य य को कछ ग भीर भी रहना चा हए

य द वह गभीर नह रहता तो लोग उसका उतना स मान नह करत जतन स मान का वहअ धकारी होता ह कछ बात ऐसी होती ह जो को अपना स मान बनाए रखन क लएकरनी पड़ती ह भल ही उन बात का कोई वशष लाभ न हो पर त मन य हर समय गभीरभी नह बनना चाहता उस अपन म ब ध-बा धव स खलकर बात करनी पड़ती हइस लए व ान मन य का क ह क वह समय प र थ तय और जन-समदाय कोदखकर गभीरता अथवा सामा य थ त का ख अपनाय 147

अ तभारः प षमवसादय त श स अ धक कायभार उठान वाला उ साहहीन होकर ज द थक जाता

हमन य जो भी काय कर वह उसक श क अन प होना चा हए य द वह अपनी

श स अ धक काय-भार सभाल लगा तो उसस वह ज द ही थकावट अनभव करनलगगा अ धक थकावट स मन य क शरीर म तनाव पदा होता ह तनाव वय म एक रोग हइसी लए मन य को चा हए क वह उतना ही काय करन का दा य व ल जतना वहसरलतापवक नभा सक इसस काय भी ठ क होगा और काम करनवाल क मन म उ साहक भावना भी बनी रहगी 148

यः सस द परदोष शस त स वदोषब व यापय त जो ससद अथवा रा य क लए नयम नधा रत करनवाली स म त म कसी

गत वरोध क कारण कसी क दोष क आलोचना करन लगता ह वह वय अपनआप को अपराधी घो षत कर दता ह

यहा ससद श द आया ह ससद लोकसभा आ द को भी कहत ह कसी सभा यास म त को भी ससद कहा जाता ह रा य स सब धत कसी वषय पर वचार करत समयसभी व ा का क ह क उसी वषय पर ववाद को सी मत रख उसी वषय क गण-दोष आ द क सबध म वचार कर जो लोग उस समय गत ष क कारण कसीसद य क आलोचना करन लगत ह यह उ चत नह माना जाता गत आलोचनाकरनवाला वय अपराधी क णी म आ जाता ह

लोकसभा आ द म अथात व भ दश क वधान सभा म ब त-सा समय

गत आलोचना म समा त हो जाता ह इसस रा व दश का कोई लाभ नह होताअ छा सासद उसी को माना जाता ह जो वषय स बाहर न जाकर वषय क सभी प परअपन वचार तत करता ह 149

आ मानमव नाशय त अना मवता कोपः जन य का मन सस कत नह ऐस अ ववक लोग ोध करन स अपनी ही

हा न करत ह अथात ऐस अन तक लोग का ोध उनक लए ही हा न द होता हजन लोग म अपना हत और अ हत वचारन क ब नह होती ऐस मख लोग

वभाव स ही स य का वरोध करन वाल होत ह व अपनी वपरीत ब क कारणवा त वकता को नह समझ पात और उसस वपरीत काय करत ह जसस मन य अपनववक को खो बठता ह 150

ना य ा य स यवताम जन य क पास स य पी धन ह उनक लए कोई भी व त अ ा त नह रह

जातीजन लोग क पास स य का बल ह उ ह कसी अ य व त को ा त करन क इ छा

नह रहती अथात स य ही उनक लए सव सप होती ह स य क ा त क बाद सतोषक भावना का वकास होता ह उस समय नाशवान पदाथ क ओर स उसका मन हट जाताह अथात जन लोग न स य को ा त कर लया उ ह अ य कसी व त क इ छा नहरहती 151

साहसन न काय स भव त कवल भौ तक श पर नभर रहन स काय स नह होतासाहस एक भौ तक श ह कवल भौ तक श पर आ त रहन मा स काय

स नह होता उसक लए अ य बात क भी आव यकता ह जनम स य सझबझ औरभ पर व ास आ द अ य त आव यक होती ह इन सब बात स मन य म जो साहस पदा

होता ह उसी स काय स होत ह मा भौ तक श क प म कवल वही काय स होसकत ह जनका शारी रक श स सबध हो 152

सनात व मर य वशन सन म फसा आ कसी एक बात पर यान न टका पान क कारण

क वमख हो जाता ह

सन अथात बरी लत म पड़ा आ अपन क को भल जाता ह उस इसबात का यान नह रहता ह क उस या करना ह वह और सब बात भलकर अपन गलतकाम म ही अपना समय बता दता ह उसम इतनी श नह होती क वह अपन क कओर यान द अथवा उस पण करन का य न कर सन म फस ए य को इस बातका अहसास भी नह रहता क उ ह कस कार का वहार करना चा हए सन मन यका सबस बड़ा श ह एक बार य द कसी सन क चगल म फस जाता ह तो उसकच कर स नकलना उसक लए अ य त क ठन हो जाता ह 153

ना यन तरायः काल व प काल का पयोग करन वाला अपना जीवन न व न होकर नह गजार

सकता आलसी का जीवन क ठनाइय स घरा रहता हजब मन य समय का स पयोग नह करता तो उस जीवन म अनक बार हा न उठानी

पड़ती ह समय क सबध म व सब जानत ह क जो समय बीत जाता ह उस फर स वापसनह लौटाया जा सकता इस कार य द समय का स पयोग नह कया गया तो वह थजाता ह मन य क जीवन म एक-एक पल का मह व ह इसी लए उसका स पयोग मन यक लए अ य त आव यक ह 154

असशय वनाशात सशय वनाशः यान इस स का भावाथ यह ह क मन य क म य अव यभावी ह इसी लए मन य को

स ाम स वमख होकर जीना उतना लाभदायक नह जतना स ाम करत ए अ न तमौत को गल लगाना

स ाम स बचन स मौत स बचा नह जा सकता जस अ नवाय मौत स बचा ही नहजा सकता उस मौत का वजयी मन स आ ान करन स ही मानव-जीवन सफल होता हमौत को थ बना डालना म यजय बनना कहलाता ह वा त वक म य स कोई नहबच सकता यह ससार एक समर भ म ह का काय म लग रहना और काय करत एससार का क याण करना वा त वक जीवन का यय ह अथात मन य को अपना ककरन स कभी वमख नह होना चा हए 155

अपरधना न न तः कवल वाथम सर क धन को धरोहर प म रखनवाला य द धरोहर रखन क साथ वाथभद और

सर क त अपना कोई उ रदा य व नह समझता तो वह न त प म यक समयअपना ही वाथ खोजता रहगा

सर क धरोहर रखनवाल को अपना उ रदा य व समझना चा हए और

उसम अपन वाथ को परा करन क बात नह सोचनी चा हए 156

दान धमः दान अथात यो य पा क सहायता करना मन य का व हतकारी क हअनक धम अथवा स दाय म यह नयम ह क क जतनी आय हो उसका

कछ अश उस दान म अव य दना चा हए यही धम ह 157

नायागतोऽथव परीतोऽनथभावः अनाय अथात अ ानी लोग ारा समाज म थ क बात पर आचरण करन स

मन य का जीवन न हो जाता ह अथात अ ानी लोग ारा च लत क गई परपरा परआचरण करन स मानव जीवन का अनथ होता ह

ससार म ब त स ऐस आचरण च लत हो जात ह जनस मानव समाज क कोईभलाई नह होती वरन हा न होती ह समय न होन क अ त र इस कार क आचरण ससमाज म अनक ऐसी बात फलती ह ज ह कसी भी कारण स समाज क लए हतकारीनह कहा जा सकता 158

यो धमाथ न ववधय त स कामः जसस धम और अथ दोन क व न हो उस काम कहत हअनक थान पर धम और अथ काम और मो मन य क लए आव यक बताय

गए ह यहा काम क सबध म ा या करत ए चाण य कहत ह क जसस धम और अथदोन क व न होती हो उस काम कहत ह व ततः मानवो चत काम धम और अथ तथानी त कसी को भी वच लत नह करता ऐस काम को वीकार कया जा सकता ह अथातकाम वही ह जो धम और अथ दोन म स कसी को भी कसी कार क हा न न प चाय 159

त परीतोऽनथसवी धमाथ वरोधी काम स वपरीत कामना करनवाला मानव अपन जीवन को थ

करता ह समाज म अशा त उ प करता हजो धम और अथ क व म कावट डालन वाल काम का दास बन जाता

ह उसक हा न होती ह अथात काम को धम और अथ का वरोधी नह होना चा हए 160

ऋज वभावो जनष लभः समाज म न कपट सरल स य और बना वाथ क वहार करनवाल सरल

ब त कम होत हससार का काय- वहार अ धकाश वाथ स पण ह सामा य प स यक

अपन वाथ स अ धक काय करता ह ससार म ऐस लोग का मलना क ठन ह ज ह कसीकार का वाथ न हो सीध और सरल का मलना इसी लए भर हो जाता ह क

सीध सरल को लोग मख समझत ह इसक अ त र उस कमजोर भी माना जाता ह 161

अवमाननागतम यमवम यत साधः स जन प ष नक उपाय स आनवाली सप को वीकार नह करतस क ारभ स ही धन और ऐ य यक को अपनी ओर आक करता आ

रहा ह इसक लए नीच-स-नीच काय पर भी उतर आता ह लोग क ह याए चोरीडकती आ द नीच कम करता ह परत स जन धन क सबध म इस कार क वचारनह रखत व धन-स ह को प षाथ स सब धत मानत ह धम क अनसार चलनवाल नक काय स धन इकट ठा करना पाप समझत ह य क व जानत ह क इसस कवलअपमान क अ त र वा त वक सख ा त नह होगा वा त वक सख धम और प षाथ सउ प कए गय धन स ही ा त हो सकता ह 162

ब न प गणानको दोषो सत मन य म य द कोई एक ही बड़ा दोष हो तो वह ब त स गण को दोष म बदल दता

हअनक बार ऐसा दखा जाता ह क ब त स य म अनक गण होत ह व लोग

पर दया करत ह उनक सहायता करत ह परत य द उनम कोई वशष दोष होता ह तो लोगउसक गण क उप ा कर दत ह इसी लए जहा तक हो सक मन य का क ह क वहअपनी समी ा करता रह और अपनी कमी अथवा अपन दोष र करन का य न करता रह 163

महा मना परण साहस न क म स य म आ था रखनवाल महा मा को मह वपण काय सर क भरोस नह

छोड़ना चा हए उ ह व काय वय करन चा हएसर पर भरोसा करन वाला ायः हा न उठाता ह य क स य क र ा

करना बड़ा क ठन काय होता ह उसक र ा सर सा थय क भरोस नह क जा सकतीइस कार क काय को सर य पर नह छोड़ना चा हए इसी लए मह वपण काम

को वय ही करन चा हए 164

कदा चद प च र न लघयत क ठन-स-क ठन प र थ तया होन पर भी मन य को अपन वभाव का प र याग

नह करना चा हए इसक वपरीत जो कोई भी ऐसा करता ह उसक दय म काट क समानयह बात चभती रहती ह

मन य को काम ोध आ द क वश म होकर अपन मानवीय च र क अवहलनानह करनी चा हए वषम प र थ तय म भी अपन च र अथात मानवीय क का यागनह करना चा हए

चाण य न इस स म कहा ह क को अपन च र का उ लघन नह करनाचा हए च र क सबध म यहा प कर दना आव यक ह क मन य का वा त वक च रलोभ लालच आ द स र रहना ह मन य का च र अथात वभाव यह ह क वह कोई ऐसाकाय न कर जसस सर को हा न प चती हो य द वह ऐसा काय करता ह तो यह बातजीवन भर उसक दय म काट क तरह चभती रहगी 165

धात न तण चर त सहः सह भखा होन पर भी घास नह खातायह स भी ऊपर क स क बात क प करता ह अथात मन य को अपना

वभाव नह छोड़ना चा हए जस कार सह भख स अ य त ाकल होन पर भी मासखान क अपन वभाव को छोड़कर घास खान पर ववश नह होता उसी कार जो अपन च र क मह व को समझत ह व अ यत क ठन समय म भी स य का प र याग नहकरत सदव च र वान बन रहत ह

क त न ससार क सभी ा णय को व श वभाव दया ह अ धकाश ाणीजीवन भर अपन वभाव पर ढ़ रहत ह अथात घास खान वाल ाणी कभी मास क ओरदखना भी उ चत नह समझत परत मन य का वभाव ऐसा ह जस वह थोड़ स लालचभय क वशीभत हो उस छोड़न पर ववश हो जाता ह इस लए मन य का क ह क वहसदव स य न वा त वक वभाव पर ढ़ रह 166

ाणाद प ययो र त ः यय का अथ ह व ास अथात मन य को चा हए क वह अपन ाण को सकट म

डालकर भी स जन य क साथ स जनता पी अपनी व ासपा ता क र ा कर

चाण य कहत ह क भयकर सकट पड़न पर भी मन य को अपन म य काप र याग नह करना चा हए स प म मन य को स जन क साथ स जनता का वहारकरना चा हए स जन क त यह उसक व ास क बात ह 167

पशनः ोता प दारर प य यत पशन अथात व ासघाती को उसक प ी आ द प रवार क लोग भी

याग दत हसनी ई बात क आधार पर लोग म लड़ाई-झगड़ करानवाल को उसक

प रवारवाल भी याग दत ह य द उस न याग तो आपसी वपदा आन क आशका बनी हीरहती ह चगलखोरी एक कार का मान सक पाप होता ह व ासघाती का कभी व ासनह करना चा हए इ तहास म ऐस अनक उदाहरण दखन को मलत ह ज ह न रा कसाथ व ासघात कया सह वष क बाद भी उनका नाम घणा स लया जाता ह इस लएयह प ह क जो व ासघात करता ह वह सदा क लए बदनाम हो जाता ह 168

बालाद यथजात शणयात य द कोई ब चा भी उपयोगी बात कहता ह तो उस सनना चा हए अथात मन य को

कसी भी मह वपण बात क उप ा नह करनी चा हए भल ही उस बात को कहनवाला कतना ही सामा य और त छ य न हो

जस कार क चड़ म पड़ ए र न को भी उठा लना चा हए उसी कार य द कोईसाधारण कोई उपयोगी बात कहता ह तो उस हण कर लन म सकोच नह करनाचा हए ब त स दखन म बड़ सामा य और उप त-स दखाई दत ह परत वह कईबार ऐसी कोई बात कह दत ह जो बड़ी मह वपण होती ह उस बात को सनना और अमलकरना बरा नह ह इस कार क बात स कई बार मानव-जीवन म मह वपण प रवतन कउदाहरण दख गए ह इस लए कह स भी उपयोगी बात को हण करन म आनाकानी नहकरनी चा हए 169

स यम य य न वदत जस क स य म ा न हो उस को स य क सबध म कछ कहना

थ ह चाण य कहत ह क जस स य अ य लगता हो उसस स य कहकर स य काअपमान मत करवाओ

स य बात सनना काफ क ठन होता ह य द स य कठोर हो तो उस सनना औरसहन करना उसस भी क ठन काय ह परत इसक साथ ही स ची बात कहनवाल भी

लभ होत ह य क यक अपन वाथ स रत होकर कोई काय करता या बातकहता ह 170

ना पदोषाद ब गणा य य त कसी क साधारण दोष दखकर उसक मह वपण गण को अ वीकार नह करना

चा हएय द स च गणी मन य का कोई वहार षत लगता हो या न हो तो यह न त ह

क यह गण क च र को न समझन का दोष ह जब उस पर शात काल म नरप प सवचार होगा तो प प स समझ म आ जाएगा क वा तव म उसका दोष नह ह

स प म इस स का अथ यह ह क कसी क म य का आकलन उसकसपण आचरण को दखकर ही करना चा हए 171

वप व प सलभा दोषाः सामा य प स ानी य क वहार म भी दोष नकाल जा सकत ह अथात

य द दोष नकालन क स उनक वहार को दखा जाए तो दोष नकालना क ठन कामनह

अनक थान पर चाण य न यह बताया ह क यक और यक कल मकह -न-कह दोष ज र होता ह परत स जन व ान और ानी य क वहार मइस तरह क दोष को मह व नह दना चा हए उसक ओर यान दन स य को भलही स ता हो सकती ह पर त स जन को इसस कोई हा न नह होती इसी लए नदा करनवाल व ान लोग म भी दोष ढढ़त रहत ह 172

ना त र नमख डतम जस कार यक र न म कसी-न- कसी कार क ट नकाली जा सकती ह

जस म ण भी सवदा नद ष नह होती इसी कार व ान म भी इ य स सब धत भलअथवा दोष पकड़ जा सकत ह

इसका भावाथ यह ह क व ान क नदा करना नदक का एक कार सअपराध होता ह जस कार कसी भी र न म पहल दोष नकालन क बाद उसकोदोषर हत और वा त वक स कया जाता ह उसी कार व ान पर भी कसी-न- कसी

कार क दोष मढ़ जा सकत हपरत अत म वही दोष उ ह नद ष स करनवाल बन जात ह अथात व ान क

नदा करना अपन अ ान का प रचय दना ह जस कार पहल कसी र न को क म

बताया जाए और बाद म उस असली करार दया जाए 173

मयादातीत न कदा चद प व सत जो सामा जक नयम अथात मयादा का उ लघन करत ह उनका कभी भी

व ास नह करना चा हएयक समाज क कछ नयम होत ह समाज उन नयम क सहार जी वत रहता ह

यह एक कार क मयादाए होती ह ज ह समाज का कोई भग करन का य न नहकरता परत जो ऐसा करत ह व समाज क वपरीत चलन वाल होत ह

चाण य का कहना ह क ऐस य का कभी भी व ास नह करना चा हएऐस य पर व ास करन स समाज म वरोधी भावनाए पदा होती ह और सामा जकबधन क न होन का भय प हो जाता ह जो सामा जक मयादा को भग करताह उस पर व ास करना मखता ह 174

अ य कत यम प य भव त श ारा ऐसा वहार जो दखन म हतकारी तीत हो उस ध स भर बतन क

मख पर लग वष क समान ही मानना चा हएश कई बार वरोधी रा को बहकाव म डालन क लए इस कार का वहार

करन लगता ह जो दखन म ब त अ छा लगता ह परत इस वहार पर व ास नह करनाचा हए

भारतीय न इस कार क वहार का फल चखा ह चाऊ एन लाई क समय भारतम भाई-भाई का नारा लगाया गया था भारतीय अ धका रय न उस नार म छपी ई भावना को नह समझा वह भावना तभी प ई जब चीन न भारत पर आ मण कयाइसी लए चाण य कहत ह क ऐस क बात पर व ास नह करना चा हए जो व ासकरन यो य न हो 175

न म य प तलाको टः कपोदक य करो त जो कपटपण न ता का वहार करता ह उसका व ास उसी कार नह

करना चा हए जस कार ढकली नीच को सर झकाकर कए म घसती ह और उसका पानीनकाल लाती ह उसी कार वाथ लोग क दखावट न तापण वहार पर व ास नहकरना चा हए

चाण य न कए म स पानी नकालन वाली ढकली का ब त ही व च और उपयउदाहरण दया ह कसी कए म स जब ढकली ारा पानी नकाला जाता ह तो जस भाग म

ढकली बधी होती ह उस नीच झकाकर कए म डाला जाता हइस कार ढकली सर झकाकर कए म घसती ह परत धीर-धीर पानी नकालकर

उस खाली कर दती ह इसी कार मन य न तापण बात हा न प चान क लए ही करतह 176

सता मत ना त मत स जन प ष जो नणय लत ह उसक व काय करना उ चत नह अथात

स प ष क नणय क व चलना मन य का क नह मन य अपन ववक स अपन क का न य करता ह क और अक क

सबध म जब कोई सम या उ प होती ह तो उसक करन या न करन म उसका अपना ववकही सहायक होता ह परत जब मन य कोई न य न कर पाए तो उस यह दखना चा हए कस जन प ष अथवा व ान प ष न ऐसी थ त म या नणय लए तब उस नणय कअनसार काम करना चा हए

उस समय उसका क होता ह क वह स जन ारा उन सीमा म रह जोउ ह न न त क ह उनक ारा नधा रत सीमा स बाहर जाना और उनका उ लघनकरना उ चत नह 177

गणवदा या गणोऽ प गणी भव त गणवान मन य का आ य लन स अथवा उसक पास रहन स गणहीन भी

गणी हो जाता हयक को इस ससार म सभी बात का ान नह होता ान ा त करन क

लए ग का आ य लना होता ह परत ग हर समय कसी क साथ नह रह सकताउसका क उस ान दना ह परत सासा रक सम या क सबध म जो भी नणय लन होतह उनका आधार स सग होता ह अथात अनभवी प ष क साथ रहकर ववक-बअ जत कर लता ह और उनक अनसार सासा रक सम याए हल करन म स वधा होती हअनभवी प ष क स सग स मन य क ववक म व होती ह 178

ीरा त जल ीरमव भव त ध म मला आ जल भी ध ही बन जाता ह अथात ध म मल ए पानी को भी

लोग ध ही मानत ह इसी कार गणी क ससग म रहन वाला गणी बन जाताह

शराब बचन वाला शराब क बतन म ध भरकर रखन का य न करगा तो

लोग उस शराब ही समझग इसी कार जो और नगणी य का सग करताह उस गणी माना जाता ह जो स जन का स सग करता ह वह गणहीन होन परभी गणी मान लया जाता ह 179

म प डोऽ प पाट लग धम पादय त जस कार बना गध वाली मट ट म फल क ससग स उसम गध आ जाती ह इसी

कार वभाव स जो गण हण करन क इ छा रखता ह वह सद गण स सप क सपक म आकर उसस अ छ गण हण कर लता ह

मट ट म अपनी एक वशष गध होती ह परत जन या रय म वशष सग धत फलउगाए जात ह उन फल क ससग क कारण उस मट ट म भी एक वशष कार क गध पदाहो जाती ह वन म सग धत प प स लदा आ एक व सार वन को अपनी सगध स महकादन म समथ होता ह उसी कार सद गणी और व ान क सपक स ही मन यसद गणी बन सकता ह इसम त नक भी सदह नह 180

रजत कनकसगात कनक भव त जस चाद सोन क साथ मलन पर सोना बन जाती ह चाद नह रहती इसी कार

नगणी गणवान क पास रहकर गणी बन जाता हआभषण बनात समय सोन म चाद का म ण कया जाता ह चाद क म ण स

सोन म कछ कठोरता आ जाती ह परत सोन म मली ई चाद को सोना ही समझा जाता हचाद का अपना प समा त हो जाता ह इस स म भी चाण य न स जन प ष क साथस सग स होन वाल लाभ क सबध म लखा ह 181

उपकतयपकत म छ यबधः ब हीन र ववकहीनता क कारण अपना हत करनवाल को भी हा न

प चाकर अपनी वाथ स करन स पीछ नह हटता अपन नीच वभाव को नह छोड़ सकता वह अपना उपकार करनवाल

को भी हा न प चान स भय नह खाता जस कार जल का वभाव नीच को गरनाह उसी कार भी अपना वभाव नह छोड़ता उसका वभाव स जन काअ हत करना होता ह वह उनस लाभ उठान क बावजद उनका अ हत करन म हच कचाहटअनभव नह करता 182

न पापकमणामा ोशभयम

पापी य को अपन नक कम क कारण नदा स भी भय तीत नहहोता पाप करन वाला ल जार हत हो जाता ह उस इस बात का भय नह रहता कउसक

पाप कम क कारण समाज म उसक नदा होगी नदा स भय अनभव न करन ककारण वह पाप कम स छटकारा नह पा सकता और अपना सारा जीवन एक नल ज

क समान अपमान सहत ए बता दता ह 183

उ साहवता श वोऽ प वशीभव त जो उ साही होत ह व अपन अ त श को भी वश म कर सकत हउ साही क लए इस ससार म कोई भी काय ऐसा नह जो वह कर न सक

उ साही य न ससार म असभव काय को कर दखाया सकदर और चगज खा जसछोट-छोट उ साही राजा न ससार म ऐस वशाल भभाग पर क जा कया जसक सबध मवचार करन स आज भी आ य होता ह

इसक अ त र मन य क दय म रहनवाली पापवासनाए मन य क श होती हमन य अपन उ साह स उन पर भी वजय ा त कर सकता ह जस म कछ करकदखान क ह मत होती ह वही ससार म सफल होता ह 184

व मधना राजानः राजा का सबस बड़ा धन व म ही होता ह जो राजा व मी अथात वीर नह

उसक लए ससार म यश ा त करना क ठन हराजधम चलान क लए राजा क लए आव यक ह क वह व म और शर-वीर हो

शरवीरता उसका वशष गण माना जाता ह जो राजा आलसी और डरपोक होत ह व नहो जात ह उनक लए अपन रा य क र ा करना भी क ठन होता ह धन-धा य औरसम क साथ-साथ राजा का शरवीर बलवान और व मी होना आव यक ह उस इसबात का ान होना चा हए क डरपोक आदमी अपन जीवन म अनक बार मरता ह परतशरवीर जीवन म अपन यश क बाद कवल एक बार ही म य को ा त होता ह 185

ना यलस य हकाम मकम आल य क कारण का वनाश हो जाता हजस को अपन काय म कसी कार का उ साह नह होता वह मख तो होता

ही ह परत उस अपन आल य क कारण वतमान और भ व य स सब धत कसी काय म

सफलता भी नह ा त होती सफलता का अथ यह ह क जो वतमान म सफल हवह अपन उ साह क कारण भ व य म भी सफल होन क आशा कर सकता ह अथात जस

न अपन उ साह क कारण वतमान को सर त बना लया ह उसक भावी काय भीअव य सफल होन क सभावना स पण होत ह आलसी जीवन म पराजय का हीमख दखता ह 186

न साहाद दव पत त जन काय म न त प स सफल हो सकता ह य द वह उनम भी उ साह स

काम नह लगा तो उस सफलता ा त नह होगीभा य का सहारा तो कायर प ष लत ह उ साही अपन उ साह स उन काय को भी

स कर लत ह जनक सफलता म उ ह सदह होता ह परत आलसी उस काय मअसफल रह जात ह जनम भा य क कारण सफलता ा त होन क सभावना हो सकती थी 187

मा याथ व म या थवज) जलमपय याथ ग यात प षाथ को सकट स लड़ना होता ह जस कार मछली को पकड़न क

इ छा रखनवाल मछर को जल म घसन का सकट मोल लना ही पड़ता हजस कार मछरा जल म वश क सकट का सामना कर मछली पकड़ता ह उसी

कार प षाथ मन य भी सकट म कदकर सफलता पी अपन दव को व न स बचाकरसर त रखता ह अपना काम बनाता ह 188

अ व तष व ासो न क ः जन लोग क सबध म कसी कार का परी ण न कया गया हो उन लोग पर

व ास करना मखता ह अथात अपा य पर कभी भी व ास नह करना चा हएराजा क अ त र सामा य य को भी अपन जीवन म ब त सोच-समझकर

व ासपा य को चनना चा हए जो व ास क यो य न हो उ ह कभी भीअपना साथी नह बनाना चा हए अपा पर व ास करन स को हा न होतीह 189

वष वषमव सवकालम वष सदा वष ही रहता ह वह कभी अमत नह बन सकता अथात वष का वभाव

नह बदलता

ा णय क लए अपना वभाव छोड़ना क ठन होता ह जस कार वष सदव वषही रहता ह उसी कार अ व ासी भी अपन वभाव क अनसार कभी भी व ास कापा नह बन सकता वष को य द अमत-कलश म रख दया जाए तो भी वह अमत नहबन सकता इसी कार य क लए अपना वभाव बदलना क ठन होता ह मन यको अपन जीवन म सफलता पान क लए अ व ासी य स र रहना चा हए 190

अथसमादान व रणा सग एव न क ः अपन काय को स करन क लए को चा हए क वह अपन श स

कसी भी कार क सहायता न ल और न उनस कसी कार का सपक रखमन य को कसी काय को पण करन और उसस धन- ा त क इ छा रखत समय

अपन श स सतक रहना चा हए उनस अपन काय क सबध म न तो कसी कार कापरामश लना चा हए और न कसी कार का उनस सपक रखना चा हए य क ऊपरबताया गया ह क जस वष अपन वभाव को नह छोड़ता उसी कार श भी आपकोहा न प चान स अपन आप को नह रोक पाएगा 191

अथ स ौ व रण न व सत अपन उद द य क प त क सबध म श पर कसी कार का व ास नह करना

चा हएजब मन य अपन कसी काय को स करन म लगा रहता ह तो अनक उसम

क ठनाइया उ प करन का य न करत ह उनका उद द य को अपना काय सकरन स अलग करना होता ह वा तव म कछ लोग का वभाव होता ह क जब व कसी

को अपन ल य तक प चत दखत ह तो उस अपन माग स वच लत करन का य नकरत ह यह काय श का होता ह म का नह म तो उद द य क प त म सहायकही होत ह 192

अथाधीन एव नयतस ब धः लोग क सबध का आधार अपन उद द य क प त क आधार पर होता हदखन म आता ह क मन य अपन उ य क प त क लए ही कसी सर स

सबध था पत करता ह अथात सबध का आधार का अपन उदद य क प त होता हसामा य प स यह कहा जा सकता ह क सबध वाथ पर आधा रत होत ह नः वाथ सबधरखनवाल ब त कम होत ह अपन उद द य क त वाथपण कोण होना एकसासा रक वहार ह परत अपन उद द य क प त क लए कसी सर को हा न प चाना

अ य त नदनीय काय ह इस स का सरा अथ सामा य प स यह भी हो सकता ह क धन को ही म रखकर अपन सबध था पत करता ह दखन म आता ह क जब

तक मन य क पास धन रहता ह तो वह सग-सब धय और म स घरा रहता ह परत जबउसका धन न हो जाता ह तो म तो या उसक प और उसक ी भी उसका साथ छोड़जात ह 193

श ोर पसत सखा र त ः श का प भी य द म हो तो उसक र ा करना का क होता हब मान राजा का क ह क य द श का प म बन जाए तो उसक र ा का

हर समय यास करना चा हएइस ससार म मन य क स ब ध अथवा म ता उद द य क एकता क कारण होती

ह जनक ल य एक जस होत ह व आपस म एक- सर क म बन जात ह वा त वकश वही होता ह जो वभाव का होता ह और स य स ष करन वाला होता ह स य कआधार पर वजय ा त करना ही व ान य का यय होता ह जो स य कावरोध करत ह व अस य क दास होत ह उद द य म वरोध क कारण ही लोग म श ता पदाहोती ह ऐस म प अपन पता जसा स य का श न होकर अस य का श भी हो सकताह 194

याव छ ो छ प य त ताव तन वा क धन वा वा ः

श क जस कमजोरी पर हार करक उस न करन का वचार हो तो उससदखावट म ता रखनी चा हए अथात अपन श को म ता का दशन करक उस धोख मडालन का समय तलाश करत रहना चा हए

श क उस नबलता पर हार करन तथा न करन तक उस क म मान तथाक म म ता क दशन स सदा धोख म रखना चा हए श को म ता क धोख मडालकर परा त करना चा हए 195

श छ प रहरत श क बलता दखकर उस अपनी सहायता स व चत कर दो अथात श क

कमजोरी दखकर ही उस पर हार करना चा हएअपन श पर वजय चाहनवाल राजा का क ह क वह अपन श क बलता

का पता चलन पर उसक बलता स ही उस समा त करन का य न कर अथात य द कोई

राजा सनी हो जए अथवा म और वषयभोग म ल त होनवाला हो तो उस सन मफसाकर ही उस न कर दना चा हए 196

आ म छ न काशयत श को अपनी बलता का प रचय नह दना चा हए अथात ऐसा य न करना

चा हए क अपनी बलताए श पर कट न ह इस स का अथ यह ह क चतर राजा अपन श क सामन सदव अपन आपको

बलवान द शत करता रह अपनी बलता का पता न लगन द 197

छ हा रण श वः श क वभाव को पहचानकर उसक नबलता पर ही आ मण करना चा हएराजा अपन श क नबलता को पहचानकर ही उस पर आ मण करत ह व सदव

अपन आपको श क म बलवान स करत रहत ह य द श को अपन वरोधी कनबलता का पता चल जाता ह तो वह आ मण करता ह इस कार हार करनवाला राजाश को न कर दता ह ब मान राजा को चा हए क वह अपन वरोधी क बलता कोजानन का य न कर 198

ह तगतम प श न व सत वजय चाहनवाल राजा का क ह क अपन वश म आए ए श पर कभी

व ास न करहो सकता ह क अ धकार म आन पर श म ता का दशन कर परत राजा का

क ह क सदव सतक रह और श पर कभी व ास न कर य द श को कसी कारणस मा भी कर दया जाए तो भी कभी उस अपनान का य न नह करना चा हए जो राजाऐसा करत ह उ ह धोखा होता ह श उन पर आ मण कर दता ह और व वनाश स बचनह पात 199

वजन य व नवारयत सदव वजय चाहनवाल राजा का क ह क वह अपन प क लोग क पापाचार

पण आचरण को उपाय ारा र करन का य न करब मान राजा का क ह क वह अपन प क अ धका रय तथा सब

य म कसी कार क पापाचारपण काय को दख तो उस समा त करन का य नकर यह इस लए आव यक ह क श राजा इस कार क लोग को अपन प म फासकर

वाथ स कर सकत ह इसी लए वजय चाहनवाल राजा का क ह क वह अपन पक स य- न ा को थर रखन क लए अपन लोग क बलता को र करन का य नकर 200

वजनावमानोऽ प मन वना ःखमावह त य द अपन प क लोग र ह तो इसक कारण अपमान होता ह और

वचारशील य को इसस ःख होता हअपन प क लोग (भाई-बा धव या र तदार आ द या राजा हो तो म वत

रा या धकारी) य द र ह तो वह कभी-न-कभी और अकसर ऐस काय करत रहत हजनस को सर क सामन अपमा नत होना पड़ता ह अतः उनको समाग पर लाकरसधारन का य न स जन प ष को करना चा हए 201

एकागदोषः प षमवसादय त जस मन य क शरीर क कसी अग म कोई क हो तो पर शरीर को उसक पीड़ा

अनभव होती ह एक षत अग क कारण सारा शरीर रोगी दखाई दता ह इसी कारकसी रा य-स था या कसी दल क एक म य द राचार पी क दखाई दता ह तोइसस सार दल अथवा शासन- व था को हा न प चती ह 202

श जय त सव ता सदाचार ारा ही श पर वजय ा त क जा सकती हअ छ आचरण (सदाचार) स श पर वजयी होना सरल हो जाता ह यहा सदाचार

का अथ यह ह क अपना स मान थर रखत ए सर क स मान को थर रखरा य स सब धत यक वभाग क आचार स हता होती ह उसका पालन करना भीआव यक होता ह

इसस वदश का मान-स मान और वा भमान थर रहता ह इसक वपरीत आचारस हता क उ लघन स अपनी हा न होती ह श क नह इस लए आचार स हता का पालनकरना श पर वजय ा त करन का सबस बड़ा साधन ह 203

नक त या नीचाः नीच क त क लोग स जन क साथ कपटपण वहार करत हनीच का यह वभाव होता ह क वह सभी थान पर अपनी नीचता का

दशन करता ह उसस यह आशा नह क जा सकती क वह स जन य क साथ

स जनतापण वहार करगा क लए सभी एक समान होत ह व स जनऔर जन म भद नह कर पात

अपन वभाव क अनकल वह स जन य स भी धोख स भरा वहार करताह उसका वहार सदव कपटपण होता ह 204

नीच य म तन दात ा नीच क वभाव क सबध म चाण य कहत ह क उस स म त दान करना

उ चत नह य क उसक लए अपना वभाव छोड़ना क ठन होता ह को समझाना अथवा उस उपदश दकर धम क माग म लाना थ होता

ह जस कार पानी का वभाव नीच क ओर बहना ह उसी तरह नीच भी अपनावभाव नह छोड़ सकता अथवा नीच मन य को इस बात का ान नह होता क कस

काय स का मान सक वकास होता ह जब वह इस मल बात को ही नह समझता तोउस समझान क बात करना ही थ ह 205

तष व ासो न क ः का व ास भी नह करना चा हए

जो र ठग और नीच ह उसका व ास करन स हा न क अ त र और कछनह होता नीच लोग का क ही लोग को ठगना और उ ह स माग स वच लत करनाहोता ह इसी लए उनस सदव री बनाए रखना चा हए 206

सप जतोऽ प जनः पीडय यव स य द उदारतापण वहार कया जाए तो भी वह समय पात ही हा न

करन स नह चकता स य द सोच-समझकर अथवा अनजान म भी अ छा वहार कया जाए

और उदारता दखाई जाए तो भी वह अवसर पात ही सर का बरा करन स नह चकगा 207

च दनाद न प दावा नदह यव चदन क शीतलता और उसक सगध आ द गण का ान न करक वन म लगी ई

आग सर व क साथ उस भी जला डालती हजगल म जब आग लगती ह तो सभी व उसम जलकर राख हो जात ह वह चदन

हो या अ य व इसी कार मन य कसी को नह ब शता 208

कदा प प ष नावम यत कसी भी प ष का कभी अपमान नह करना चा हएजो कसी अ य का अपमान करता ह वा तव म वह अपनी ही हीनता

का दशन करता ह उसस यही तीत होता ह क वह कस णी का प ष ह स जन लोगयक को वसा ही समझत ह और उसस उसी कार का वहार करत ह जसा व

अपन साथ कया जाना उ चत मानत ह इस लए को सदव सर स वहार करतसमय यह बात यान म रखनी चा हए य द कोई आपका अपमान करता ह तोआपको कसा तीत होगा ऐसा सोचन वाल कभी कसी का अपमान नह करत 209

त म त प ष न बाधत मा करना मन य का धम ह इस बात को यान म रखकर जो मा क यो य

ह उ ह कभी क नह प चाना चा हए 210

भ ा धक रह य व म छ यब यः राजा ारा एकात म राजक य रह य पर कय गय वचार को ब हीन मन य कट

कर दना चाहत हइसका भाव यह ह क मख मन य को ऐसी सभा म नह बलाना चा हए जसम

राजक य काय स मह वपण मामल पर वचार कया जाता हो 211

अनराग त फलन स यत कसी स म अथवा अनराग का मौ खक सहानभ त स पता नह चलता इसक

वा त वकता उसक फल स कट होती हमौ खक सहानभ त दखान वाल लोग तो ब त स मल जाएग परत आपक कम स

सहानभ त रखनवाल य का म कमफल स जड़ा होता ह मन य का म इस बात सभी कट होता ह क वह मन य क कतनी सफलता चाहता ह ब त स य कावभाव होता ह क व कसी को अपन जीवन म सफल दख उसस ई या करन लगत

ह परत वा त वक म अथवा अनराग वही ह जो मन य क सफलता स सर य कोभी स ता अनभव हो 212

ाफलम यम ब का ही फल ए य ह ससार म ब मान मन य को ही सख क ा त होती ह

व ततः ब मान को ही ससार म और बलवान माना जाता ह शरीर स बलवानहोना ायः उतना लाभदायक नह होता जतना ब मान होना ससार क सभी ाणी खान-पान सोन उठन बठन म एक समान ह परत मन य क ब ही उस अ य ा णय स अलगकरती ह और उसक ता स करती ह ब मान क ही इस ससार म पजा होतीह उस आदर और स मान क स दखा जाता ह 213

दात म पबा लशः लशन प रदा य त मख सर को द जान वाली व त को दन म भी ःख अनभव करता हससार म अनक व तए ऐसी ह जो क त ारा मन य को बना कसी भद-भाव क

दान क गई ह ब मान तो दान क मह व को समझत ह और वह दान दना अपनाक मानत ह परत मख य को इस बात स लश अनभव होता ह

सद गह थ जहा दान दना अपना क मानता ह वहा मख छोट -स-छोट व त भी अपन स पथक करन म क अनभव करता ह य क वह दान क मह व कोनह समझता 214

महद य ा या यध तमान वन य त ववकर हत रा य य पाकर भी न हो जात हमहान ऐ य क ा त भ क कपा और अपन य न स होती ह ववकहीन

सख-साधन और महान ऐ य को ा त करन पर भी न हो जाता हसख-साधन और ऐ य क ा त क लए मन य को धयपवक य न करना पड़ता

ह य द वह अपन य न म धय स काम न लगा तो उस महान ऐ य और धन क ा तहोना क ठन होगा य क जन य म धय क कमी होती ह व अपन अ ववक ककारण महान ऐ य ा त करक भी न हो जात ह 215

ना यधतर हकाम मकम धयहीन प ष को न तो सासा रक (लौ कक) सख ा त होत ह और न ही

पारलौ ककजस म धय नह होता उसम काय करन क श न हो जाती ह जो

धयपवक काय करत ह उ ह ही फल क ा त होती ह सफलता पान क लए धयपवक

काय करना ब त आव यक होता ह अधीर अपन चचल वभाव क कारण कसीकाय म सफल नह होत 216

न जनः सह ससगः क ः ब मान य को लोग स र रहना चा हए लोग क ससग स बचन स

ही ब मान लोग को लाभ होता हमन य जस कार क समाज म रहता ह उसका भाव उसक जीवन पर अव य

पड़ता ह इसी लए को चा हए क वह अपन आपको क ससग स बचातारह य क ससग स मन य म अनक दोष उ प हो जात ह 217

शौ डह तगत पयोऽ यवम यत शराब बचनवाल क हाथ म य द ध भी होगा तो उस भी शराब ही समझा जाएगाइसका भाव यह ह क य द म कोई गण भी होता ह तो भी लोग उस पर

व ास नह करत व उस गण क त भी आश कत रहत हजस कार शराब बचन वाल क कान पर शराब क पा म य द ध भर

दया जाय तो भी लोग उस शराब ही मानग इसी तरह क गण पर भी सदह कयाजाता ह 218

कायसकट वथ वसा यनी ब ः कसी काय को करत समय जब कोई क ठनाई सामन आती ह तो मन य ब ारा

ही ऐसा काय करन का न य करता ह जसस सफलता ा त होयक काय आरभ करन क बाद मन य क काम म क ठनाइया अव य आती ह

परत ब मान उन क ठनाइय को र करन क लए धयपवक सोच-समझकर अपनक का माग खोज लता ह अथात ब ारा ही आन वाली क ठनाइय को र कया जासकता ह 219

मतभोजन वा यम जो भख स कम भोजन करत ह व व थ रहत हअथात मन य को जतनी भख हो उसस थोड़ा कम खाना चा हए इसस मन य का

वा य ठ क रहता ह उस कसी कार क रोग नह घरत आव यकता स अ धक भोजनकरन वाला सदव रोगी रहता ह 220

प यम यप याजीण ना ीयात अप य क कारण य द अजीण हो गया हो तो प य भोजन को भी याग दना चा हएजब मन य ऐसा भोजन करता ह जस पचान म क ठनाई आती ह तो उसका शरीर

अपच रोग का शकार हो जाता ह ऐसी थ त म भोजन याग दना अ धक अ छा ह कहागया ह क lsquoअजीण भोजनम वषमrsquo अथात अजीण होन पर भोजन करना वष क समानहोता ह इसी लए भोजन तभी करना चा हए जब पहल कया आ भोजन पच गया हो औरशरीर व थ अनभव कर रहा हो अजीण म भोजन करन स मन य जानबझकर अपन शरीरम अनक रोग को आम त करता ह 221

जीणभो जन ा धन पसप त भोजन क पच जान पर ही जो भोजन करता ह वह रोग स बचा रहता हमन य का शरीर रोग का घर ह परत रोग स बचन का उपाय यह ह क

अपनी मता स अ धक भोजन न कर जो आव यकता स अ धक भोजन करत हव सदव बीमार रहत ह एक-न-एक रोग उ ह घर रहता ह कहा भी गया हmdashlsquoशरीर ा धम दरमrsquo 222

जीणशरीर वधमान ा धन प यत व अव था म य द रोगी रहन लगता ह तो उस अ धक सावधान रहना

चा हए उस रोग क उप ा नह करनी चा हएव ाव था म मन य क इ या श थल पड़ जाती ह उनम इतनी श नह रहती

जसस व रोग का मकाबला कर सक व ाव था म शरीर क ब त स त व न हो जात हनय त व का नमाण क ठनाई स होता ह इसी लए व ाव था म शरीर को व य रखन कलए को सतक रहन क आव यकता रहती ह य द उस अव था म कोई रोग शरीर मघर कर ल तो उसक त मन य को उप त भाव नह अपनाना चा हए इस चा हए क वहयथाशी उस रोग स म पान का य न कर 223

अजीण भोजन ःखम जस समय अजीण हो उस समय भोजन करना प वाशय को अ नवाय प स रोग

को घर दन का कारण होता ह इसस मन य का जीवन ःखी हो जाता हअपच क थ त म भोजन करन स प वाशय पर अ त र भार पड़ता ह उसस

शरीर म रोग पदा हो जात ह दखा गया ह क अजीण क थ त म आव यकता स अ धकभोजन करन क कारण कछ य क भोजन- थल पर ही म य हो गई

भारत क ब त स लोग ऐसा व ास करत ह क भख क कारण दश म अ धक लोगमरत ह परत यह बात अ धक स य ह क मरन वाल लोग क अ धक स या ऐसी होती हजो पट क रोग स आ ात होत ह 224

श ोर प व श यत ा धः शरीर क रोग श स भी अ धक हा नकारक होत हरोग क कारण मन य क शरीर पर आठ हर आ मण क -सी थ त बनी रहती ह

मन य श क आ मण स भयभीत रहता ह परत ा ध तो शरीर क अदर रहनवाला श हजो जीवन पर हर समय आ मण करता रहता ह रोग क कारण मन य क ाण धन औरउसक शरीर का वनाश होता ह उसका शरीर कमजोर हो जाता ह दवाइय पर धन नहोता ह इस लए रोग श क अप ा अ धक हा नकारक होता ह 225

दान नधानमनगा म मन य को दान उतना ही करना चा हए जतनी उसम श हो अथात धन क श

को दखकर ही मन य को दान करना चा हए जो अपनी श स अ धक दान करत ह उ हहा न होती ह

इ तहास म ऐस अनक उदाहरण ह ज ह न दान करन क वभाव क कारणभखा रय का-सा जीवन बताया राजा ब ल अपनी साम य को दख बना दान करन कलए स ह परत जब व ण न वामन का अवतार धारण करक उसस कवल तीन पगभ म मागी तो वह इस बात को नह समझ सका और अपन वा भमान क कारण उसन तीनपग भ म दन का वचन द दया वामन न तीन पग म तीन लोक को नाप लया इस लए

को चा हए क दान तो अव य कर परत उस अपन धन क श का परा ान होनाचा हए 226

पटतर त णापर सलभम तस धानम अपन अन चत वाथ क प त क लए ब त स अन चत प स घ न ता

बढ़ान का य न करत ह इस लए को चा हए क अन चत प स अ धक म ी बढ़ानका य न करनवाल य स सावधान रह

अ धकाश लोग क मन म कवल एक ही बात रहती ह व चाहत ह क कसी तरहउनक वाथ क प त हो व अपना काम स करन क लए ऐस स अ धक घ न ताबढ़ात ह जो उनका वाथ पण करन म सहायक हो सकता ह ब मान को चा हएक इस कार अन चत घ न ता बढ़ान वाल स सतक रह 227

त णया म त छा त लोभ क कारण मन य क ब पर एक आवरण पड़ जाता ह और वह ठ क स सोच

नह पाताजो हर समय लोभ क वश म रहत ह उनक ब सही दशा म सोचन म

असमथ रहती ह उसक लए व त क ा त मह वपण होती ह प रणाम नह lsquoत णा न जीणा वयमव जीणाrsquo अथात मन य म लोभ-लालच क भावनाए कभी

समा त नह होती परत मन य का शरीर जीण-शीण होकर समा त हो जाता ह इस लए जहातक हो सक मन य को त णा अथवा लोभ-लालच क अ धक च कर म नह पड़ना चा हएइ य सयम स काम लत ए ब को थर रखना चा हए 228

कायब व ब फलमाय तक कयात जब मन य क सामन अनक काय करन क लए ह तो सबस अ धक मह वपण

थायी प रणामवाल काय को क क प म करना वीकार करना चा हए उस काम कोसमा त करन क प ात अ य छोट अथवा सामा य मह व क काय को अपन हाथ म लनाचा हए

अनक मन य क पास अनक काय को परा करन का उ रदा य व होता ह आजससार क व था ही ऐसी ह जसम मन य को अनक काय अपन हाथ म लन पड़त हऐसी थ त म मन य को चा हए क वह सबस पहल उस काय को हाथ म ल जो सबसअ धक मह वपण हो और जसका प रणाम थायी तथा समाज क लए क याणकारी हो 229

वयमवाव क काय नरी त काय करत समय जो काय बगड़ जाए उनको वय दखकर सधारन का य न

करना चा हएमन य क श या सी मत होती ह या जो कोई भी काय करता ह उसम अनक

टया रह जाती ह उस चा हए क वह वय उन टय को र करन का य न कर कसीसर ारा टया ठ क करवान स फर कसी-न- कसी ट क सभावना रह सकती

ह इस लए कसी भी बगड़ ए काय को वय सोच- वचारकर ठ क करन का य न करनाचा हए सर क भरोस रहकर काम स नह कया जा सकता 230

मखष साहस नयतम

साहस करना मख का वभाव होता हमख कोई ऐसा काय कर सकत ह ज ह साहस क णी म रखा जा

सकता ह कसी पर अचानक नदयतापण आ मण कसी स वहार और मखतापणकाय साहसपण काय कहलात ह स जन और व ान जो कोई काय करत अथवायोजना बनात ह उसम साहस क बात नह वरन ब त सोच- वचारकर काय करन कयोजना रहती ह कसी कार क साहसपण काय स मन य को लाभ होत नह दखा गयाह या चोरी डकती आ द भी साहसपण काय म आत ह मख ही ऐस काय करसकत ह ब मान सदव इस कार क काय स बचन का य न करत ह 231

मखष ववादो न क ः मख य स कसी कार का वाद- ववाद नह करना चा हएजन य को उ चत और अन चत काय क सबध म कसी कार का ान नह

उनस काम क सबध म वाद- ववाद करना थ होता ह 232

मखष मखवत कथयत मख स मख क समान ही वहार करना चा हएमख स स जनतापण वहार करन स कोई लाभ नह होता उसक समझ म

कवल डड क भाषा आती ह इस लए मख स समानता का वहार करन वाला सदा सकट म पड़ा रहता ह डड क भाषा स मतलब इस कार का कठोर वहार हजसका मख पर भाव पड़ 233

आयसरायस छ म लोह स लोह को काटा जाता ह

और प तत को अ छा उपदश दकर उसक हठ ल वभाव को प रव ततनह कया जा सकता इस कार उस अपन वचार क अनकल बनान क ा त स अलगरहना चा हए 234

ना यध मतः सखा मख क स च म नह होतयह कहावत स ह क एक जस वचार और वभाव वाल एक- सर क

साथ रहत ह इसस भी स ह क मख क म भी मख हो सकत ह 235

धमण धायत लोकः इस ससार को धम क ारा ही धारण कया जा सकता ह अथात इस ससार म

स य पी मानव ही धम का सर क ह कम करना तथा अ स बचना य दो धम क बड़ भद ह धा मक मन य को

क पर करन पड़त ह अक यागना उसका वभाव हो जाता ह मानव समाज कासर क स य पी मानव धम ही ह 236

तम प धमाधमावनग छतः मन य क म य हो जान तथा उसक दह याग करन पर भी उसक अ छ व बर कम

उसक अतकाल म भी उसक साथ जात हमन य जस कार क काय करता ह म य हो जान पर उन कम का फल भी मन य

क साथ जाता ह अथात मन य दह स जो धम अथवा अधम क काय करता ह उसकअनसार उस जीवन का फल भोगना पड़ता ह 237

दया धम य ज मभ मः दया ही धम क माता कही जा सकती ह अथात दया स ही धम न ा पदा होती हदया ही ऐ हक अ यदय और मानस उ कष पदा करनवाल धम क ज मभ म ह

म ी क णा स ता उप ा प या मा स म ी ः खय पर क णा ख शय कोदखकर हष व पा पय क त घणा स च नमल होता ह नमल च म ही दया उ पहोती ह 238

धममल स यदान धम ही स य तथा दान दोन का मल कारण ह 239

धमण जय त लोकान धम क र ा मानव को व वजता बना दती हसमाज म मन यता क सर क धा मक क जो न ा और क त ह वही तो उन

लोग क व वजय ह अस य का दमन या अस य का सर अवनत करन क साम य हीउनक वजय ह

धम स मन य क उ त और अधम स पतन होता ह 240

म यर प ध म र त म य भी धा मक मन य को इस ससार स परी तरह मटा नह पातीम य क बाद भी मन य धम स य अपन काय क कारण जी वत रहता ह उसका

नाम अमर होता ह य क धम को जीवन-मरण क च स भी न नह कया जा सकता 241

धमा परीत पाप य स यत त धमावम तमहतीस यत

धम का वरोधी पाप जब अ धक बल हो जाता ह तो धम का अपमान होन लगताह

भाव यह ह क जब ससार म पापपण काय क बलता होती ह तो धम स षकरनवाल असर लोग धम का अपमान करत ह अथात धमपरायण क उठात ह

जब भी ससार क इ तहास म इस तरह क घटनाए ारभ ई ह और जब उसककाय क अ त हो जाती ह तो ससार म कोई ऐसा यगप ष पदा होता ह जो धम क थापनाकरता हmdash

ldquoयदा यदा ह धम य ला नभव त भारत अ य थानमधम य तदा मानसजा यहमrdquo

ीक ण क य श द इसी बात क प करत ह 242

उप थत वनाशाना क याकारण ल यत वनाशो मख असर का स य षी आकार (आचरण) उनक वनाश क सचना दता

हपा पय का धम क व बल होता आचरण उनक वय क वनाश का सचक

होता ह इसस व न हो जात ह 243

आ म वनाश सचय यधमब ः जब मन य क मन म अधम ब उ प होती ह तो वह अधमा मा क वनाश क

सचक होती हजब मन य का वनाश अथवा कसी कार क हा न क सभावना होती ह तो उसक

मन म धम क वपरीत वचार उ प होत ह अधम-ब मन य स य काय स ष करन

लगत ह इस कार वह अपन आपको वनाश क अधकार म धकल दता ह अथात मन य कमन म आए ए धम वरोधी वचार ही उसक वनाश क सचना दनवाल होत ह 244

पशनवा दनो रह यम चगलखोर अथवा सर क दोष नकालन वाल य को कोई ग त बात नह

बतानी चा हए उ ह बताई गई ग त बात ग त नह रह सकतीजो लोग सर क दोष नकालत रहत ह अथवा जनका वभाव सर क नदा

करना ह उनस कोई भी बात ग त रखना असभव हो जाता ह सर क नदा करनवाल को कभी भी अपना सहयोगी नह बनाना चा हए 245

पररह य नव ोत म सर क ग त बात सनन क इ छा मन म पदा नह होनी चा हए अ य लोग क

ग त बात सनन का आ ह भी नह करना चा हएजस कार पराय धन को ा त करन का लोभ चोरी अथवा अपहरण व का

ोतक ह उसी कार सर क ग त बात सनन व जानन क इ छा होना भी एक दोष हसामा जक स भी यह बात अ छ नह मानी जाती 246

व लभ य कारक वमधमय म वामी का कठोर होना अधम माना जाता ह

राजा का क ह क वह अपन सवक का हर कार स यान रख हर समयउनस कठोर वहार करना उ चत नह जो वामी सदव अपन नौकर -चाकर स कठोरताबरतता ह समय आन पर उसक सवक वरोधी बन जात ह अनक बार इ ह य सउसक जीवन क लए सकट उप थत हो जात ह इस लए यक अथवा राजा काक ह क वह अपन आ त क त यान द और उनक त उदारता का बताव कर 247

वजन व त मो न क ः अपन हत षय क कभी उप ा नह करनी चा हए अथात स जन और अपना हत

चाहनवाल य का सदव स मान करना चा हएमन य एक सामा जक ाणी ह सर क सहायता क बना उसका जीवन- नवाह

क ठन हो जाता ह इस लए उस चा हए क वह अपना हत चाहनवाल य क कभीउप ा अथवा अनादर न कर उनक साथ सदव उनक थ त क अनसार अ छा वहार

कर इस बात का य न करना चा हए क उनक मन म आप क त अनादर क भावनापदा न हो 248

माता प ा या या होन पर माता का याग भी कर दना चा हए जो माता अपनी सतान स श ता

करती ह उसस र रहना चा हएइस स का मल भाव यह ह क य स सदव र रहना चा हए माता का

उदाहरण दकर कहा गया ह क य द ज म दन वाली माता भी वभाव क हो तो उस भीयाग दना चा हए 249

वह तोऽ प वष द ध छ ः य द अपन हाथ म भी वष फल जाए तो आ मर ा हत उस भी काट दना चा हए

इसी कार य द कोई अ य त य सबधी अ न करन पर उतर आए तो उसका याग करकअपनी र ा करनी चा हए

मन य क शरीर क कसी अग म जब वष फल जाता ह तो जीवन-र ा का उपाययही ह क उस अग को शरीर स अलग कर द य द ऐसा नह कया जाएगा तो उस अग कावष सार शरीर म फल जाएगा और मन य का जीवन समा त हो जाएगा जब वष ककारण मन य अपन शरीर क अग को कटवान क लए तयार हो जाता ह तो य द कोई य

भी वनाश करन क तयारी करता ह तो उसको भी याग दन म ही भलाई होती ह 250

परोऽ प च हतो ब धः कसी कार का सासा रक सबध न होन पर भी य द कोई आपक हत क

अनकल वहार करता ह तो उस अपना बध समझकर अपना लना चा हएयह आव यक नह क अपन सभी बध-बाधव हत चाहन वाल ह उनम ब त स

सबधी उदासीन होत ह इस लए य द कोई बाहर का आपक हत क र ा क लएआग आता ह तो उस अपना म मानन म या हा न ह 251

क ाद यौषध ग त सख वन स भी औष धया ा त क जा सकती हजस कार सख वन स भी औष धया ा त करन क लए उ सक रहता ह

उसी कार य द कोई सासा रक स हीन होकर भी आपका हत चाहन वाला ह

तो उस वीकार करना चा हए उसक अवहलना नह करनी चा हए 252

ना त चौरष व ासः चोर का कभी भी व ास नह करना चा हएचोर उस कहत ह जो कसी क इ छा क व कसी व त का अपहरण

कर सर क व त पर अपना अ धकार जमान क इ छा रखनवाल ससार कसभी वग म मलत ह अपन सग-सब धय म भी इस कार क हो सकत ह इस लएआव यक ह क चोर कोई भी हो उसका व ास नह करना चा हए 253

अ तीकार वनादरो न क ः बाधार हत काय क सबध म कभी उप ाव नह अपनानी चा हएइसका भाव यह ह क य द राजा यह समझ क इसका श अपन बचाव का उपाय

नह कर रहा तो भी उसक ओर स सदव सतक रहना चा हए उसक उप ा करना वय कोहा न प चाना ह य क राजनी त का यह परम म ह क राजा को कभी अपना भद कसीपर कट नह करना चा हए 254

सन मनाग प बाधत वप या सन को छोटा मानकर उप ा न करोकसी वप अथवा सन को ब त छोटा नह मानना चा हएय क वह छोटा-सा सन ही कसी समय सवनाश का कारण बन सकता ह

सन छोटा हो अथवा बड़ा मन य को हा न प चान वाला होता ह सनी अपन कको भल जाता ह 255

अमरवदथजातमजयत मन य का क ह क वह अपन आपको अमर मानता आ आय भर ऐसी

साम य का स ह करता रह जो जीवन क लए उपयोगी होती हमन य को चा हए क वह जीवनपयत धम और स याचरण पर आ त रहता आ

जीवन क लए उपयोगी व त और धन का स ह करता रह धन ऐसी व त ह जसकबना धम क काय करना भी असभव होता ह जस क पास धन नह होता वह अपनसग-सब धय म भी स मान का जीवन नह बता सकता इस लए आव यक ह क जीवन भर स याचरण ारा धन का स ह करता रह 256

अथवान सवलोक य ब मतः धनवान हर जगह स मा नत होता ह

आज क थ त को दखत ए चाण य क यह बात अ रशः स य ह 257

मह म यथहीन न ब म यत लोकः ससार म नधन राजा को भी स मान ा त नह होताइस स म मह श द आया ह इस श द का वा त वक अथ हmdash वग का स ाट

अथात य द वग क स ाट क पास भी धन नह ह तो उसका इस ससार म स मान नह होसकता 258

दा र य खल प ष य जी वत मरणम द र जी वत होत ए भी मत क समान समझा जाता हससार म द र ता एक ऐसा कलक ह जसक कारण जी वत को भी मर ए क

समान मान लया जाता ह य क उसम कसी भी काय को सप करन क श नहहोती इसी लए चाण य कहत ह क धनहीन मर ए क समान ह 259

व पोऽथवान स पः क प भी य द धनवान ह तो उस भी स दर मान लया जाता हभारत म ऐसी कहावत स ह क धनी प रवार क पागल को भी ब मान मान

लया जाता ह इसस स ह क धन का मन य क जीवन म ब त अ धक मह व हइस लए मन य का क ह क वह जीवन भर धन-स ह क लए य नशील रह 260

अदातारम यथव तम थनो न यज त धन-स ह करन क इ छक लोग कजस धनवान स भी धन ा त क इ छा रखत हजो लोग अपन जीवन म धन-स ह को अपना ल य बना लत ह व ऐस लोग स भी

धन ा त क इ छा रखत ह जो अ य त कजस होत ह कजस कसी को धन यादगा वह तो अपन पर धन खच करन म भी आना-कानी करता रहता ह परत कछ लोग ऐसलोग स भी धन लाभ ा त कर लत ह 261

अकलीनोऽ प कलीना श ः अ छ कल म न उ प होनवाला धनवान अपन धन का उपयोग य द समाज

सवा क लए करता ह तो समाज सवा स वमख रहनवाल कलीन स भी वह हयह बात आव यक नह क अ छ कल म उ प होनवाला ही समाज म

स मान ा त करता ह समाज म स मान उस का भी होता ह जो अ छ कल म नउ प होन पर भी अपना धन समाज सवा स जड़ काय म लगाता ह उस कलीन सभी माना जाता ह 262

ना यमानभयमनाय य नीच को समाज म अपमा नत अथवा तर कत होन का कोई डर नह रहतानीच पर अपमान व तर कार का कोई भाव नह पड़ता ऐस क

आ मा का परी तरह स पतन हो चका होता ह ऐस क लए मान-अपमान का कोईवशष मह व नह रहता 263

न चतनवता व भयम चतर को जीवन म आजी वका चलान का कोई भय नह होताससार क सख म क पास एक अ छ आजी वका का होना भी अ छा माना

गया ह वहार-कशल अथवा चतर अपनी आजी वका चलान क लए कसी कमोहताज नह होत न कसी क गलत बात बरदा त करत ह और न उ ह गलामी वीकार ह 264

न जत याणा वषयभयम जत य को वषय का भय नह होताजस न अपनी इ य को वश म कया आ ह य द वह वषयभोग क

नकट भी रहता ह तो भी उसक च र क प तत होन क सभावना नह रहती इस लएजसन अपनी इ य को वश म कया आ ह वह कसी भी थान पर रह सकता ह अथवाकह भी जा सकता ह कसी भी कार स उसक पाप काय म ल त होन क सभावना नहरहती 265

न कताथाना मरणभयम ससार क रह य को समझकर जो अपन क -पालन ारा जीवन को

साथक बनान का य न करता ह उस म य का भी भय नह होताजो ससार म अपन जीवन क साथकता को समझकर अपन क का

पालन करत ह उ ह म य स कसी कार का भय नह होता ससार का नयम ह क जसनज म लया ह उसक म य अव य होगी परत जन य न अपन जीवन क यय कोसमझकर अपन क पर कर लए उ ह ससार म म य भयभीत नह कर सकती 266

क य चदथ व मव म यत साधः स च वभाववाल प ष पराय धन को अपन पास रखी ई अपन धन क समान स य

क धरोहर मानत हइसका भाव यह ह क स जन जस कार अपन धन का सत काय म योग करत

ह उसी कार वह चाहत ह क अ य लोग का धन भी समाज क क याणकारी काय म लगजब क मढ़म त और लोग चाहत ह क अपना धन तो बचा रह और सर का धनबीमारी मकदम और सर सन म न हो जाए 267

पर वभव वादरो न क ः सर क धन क त लालच क भावना नह रखनी चा हए को चा हए क

सर क वभव क ल सा न करमन य को कभी भी सर क धन क त लोभ क भावना नह रखनी चा हए ऐसा

करना वय क लए घातक ह अपन प षाथ स जो सप अ जत करता हउसी पर सतोष करना चा हए 268

पर वभव वादरो प वनाशमलम सर क धन सप और वभव क ल सा करना नाश का कारण बन सकता हसर क धन को लालच क स दखना सामा जक बधन क लए हा नकारक ह

मन य धन क लोभ म अपना ववक खो बठता ह उस इस बात का ान नह रहता कउसका क समाज का क याण करना ह न क सर क धन का हरण करन क इ छारखना इस कार क व स उसका वय का ही नाश हो जाता ह 269

पलालम प पर न हत म सर क धन का तनक जतना अश भी अपहरण नह करना चा हए

तनक क समान अ य त अ प मा ा म भी कसी सर क धन को चरान क

इ छा नह रखनी चा हए अन धकारपवक कसी क छोट -स-छोट व त जसका मह वतनक क समान हो लन का य न करना भी चोरी ह चोरी क अपराध म चराई गई व त ककम अथवा अ धक होन का मह व नह चराई गई व त छोट हो अथवा बड़ी व चोरी क

णी म ही आती ह व ततः मन म चोरी क भावना होना ही अपराध ह इसस चोरी करनवाल क मनोव का प रचय मलता ह इस लए को अपन मन स चोरी क भावनाको समा त कर दना चा हए 270

पर ापहरणमा म नाशहतः सर क धन का अपहरण करना अपन धन क वनाश का कारण बन जाता ह

271

न चौयात पर म यपाशः चोरी स बढ़कर कोई भी अ धक क दनवाला बधन नह

चोरी का फदा म य क फद स अ धक ःखदायी होता ह 272

यवागर प ाणधारण करो त लोक जीवन क र ा क लए जौ का द लया ही काफ होता ह य द वह उ चत समय पर

ा त हो जाएय द को ाण-र ा क लए उ चत समय पर सबस स त अ का घोल खान

क लए मल जाए तो उसस भी उनक र ा हो जाती ह अथात जीवन क र ा क लए समयपर स ती-स-स ती व त का अ प मा ा म ा त होन का भी मह व ह 273

न मत यौषध योजनम म य क बाद औष धय का कोई योजन नह रह जाताइसका भाव यह ह क समय क अन प ही साधन का योग अथवा उपयोग करना

चा हए समय क बाद साधन का योग थ हो जाता ह जस कार म य स पव रोगी क लए औष ध क आव यकता होती ह इसी कार जब कोई कोई काय कर

रहा होता ह तो उस काय क अन प साधन का उपयोग करन स काय सरलतापवक सपहो जाता ह 274

समकाल वयम प भ व य योजन भव त

साधारण समय म अपना भ व बनाए रखना क का प धारण कर लता ह 275

नीच य व ाः पापकम ण योजय त नीच प ष का ान और उसक व ा उसको पापकम म व करती हनीच मन य अपन ान का उपयोग अपन पापकम क लए ही करता ह उसक

यो यता का दशन वह अपन नीच कम ारा ही करता ह अथात नीच क पास य दकसी कार का ान ह तो वह इसका उपयोग भलाई क लए नह वरन पापपण काय कलए ही करता ह उसक यो यता चोरी सर स कपट झठ बोलन तथा इसी कार कअ य कम म ही कट होती ह वह अपन ान का योग अ छ काय क लए नह करसकता 276

पयः पानम प वषवधन भजग य नामत यात साप को ध पलान स उसक वष म ही व होती ह वह अमत नह बनताजस कार साप को ध पलान स उसक वष म ही व होती ह उसी कार नीच

का व ा को ा त करना उसक नीच व य को ही बढ़ावा दना ह उसक ानस उसक नीच व या कई गना बढ़ जाती ह वह उस व ा का उपयोग अपनी नीचता कप म करता ह अपनी बरी आदत क प म शा क उ कहत आपको ब त स लोगआपक आसपास मल जाएग 277

न ह धा यसमो थः ससार म अ क समान सरा कोई जीवनोपयोगी पदाथ नह 278

न धासमः श ः भख स बढ़कर मन य का सरा कोई श नह 279

अकत नयता त नक म को अकसर भख का क भोगना पड़ता हआलसी और नक मा जीवनभर द र ता म फसा रहता ह वह वय तो भख

मरता ही ह अपन आ त को भी भख स मरन क लए ववश करता ह मन य का कह क वह अपन जीवन को नक मा और आलसी न बनाए 280

ना यभ य धत य भखा मन य कछ भी अथात अभ य को भी खान क लए ववश हो जाता हभख लोग घास व क प उनक छाल मट ट म मल ए अ क अश और

मन य क न खान यो य नरमास आ द को खान क लए भी ववश हो जात हभख ससार का सबस बड़ा क ह राजा अथवा सरकार का क ह क व अपनी

जा को कभी भी अकाल स पी ड़त न होन द भखा न चाहत ए भी रा य काअ हत कर सकता ह 281

इ या ण जरावश कव त इ य क मयादाहीन उपयोग स ही समय स पव मन य को बढ़ापा घर लता हजो इ य को वश म न रखकर उनका पयोग करता ह उसको इसका

प रणाम भगतना पड़ता ह वह समय स पव ही बढ़ाप का शकार हो जाता ह 282

सान ोश भतारमाजीवत ऐस वामी क ही सवा करक जी वका का उपाजन करना चा हए जो दयाल ह सवक को चा हए क वह ऐस क ही चाकरी कर जो मन यता का स मान

करता हो अथात जो सर मन य को अपन समान समझता हो 283

ल धसवी पावक छया ख ोत धम त लोभी और कजस वामी क सवक क वही दशा होती ह जो जगन को दखकर

उसस आग ा त करन क लए उस पर पख स हवा करता हजस कार जगन क चमक स अ न पदा नह हो सकती उसी कार

सहानभ तहीन वामी का सवक सदव क पाता ह उसक इ छाए कभी पण नह होत इस लए लोभी को कभी अपना वामी नह बनाना चा हए 284

वशष वा मनमा यत व ान अथवा वशष वामी का आ य ा त करना चा हएजो गणी को पहचानकर उसक गण का आदर करता ह ऐस को ही

अपना वामी मानकर उसक सवा करनी चा हए जो गणी को नह पहचानता उसकपास रहना अथवा उसक सवा करना थ ह 285

प ष य मथन जरा अ धक मथन करन स प ष समय स पव ही बढ़ा हो जाता हमथन क भी एक सीमा होती ह य द कोई सीमा और अपनी श स

अ धक ी का सवन करता ह तो वह समय स पव ही व ाव था का शकार हो जाता ह 286

ीणाममथन जरा उ चत मथन सख न मलन स ी ज द बढ़ हो जाती हमथन शरीर क एक आव यकता ह य म रज वला होन क बाद मथन क इ छा

होती ह य द उनस उ चत समय पर उ चत मथन न कया जाय तो व ज द बढ़ हो जातीह 287

न नीचो मयो ववाहः नीच और उ म कल क य म पर पर ववाह सबध नह होना चा हएमन य-समाज म यक कार क सबध तभी सफल हो सकत ह जब व समानता

पर आधा रत ह जहा सबध म असमानता होती ह वह क पदा हो जात ह ववाह आ दक सबध म तो कल क समानता दखना और भी आव यक हो जाता ह कल क समानताक अ त र वचार और सामा जक थ त म भी समानता का होना आव यक ह इन बातको यान म रख बना था पत कए गय सबध क कारण कटता पदा हो जाती ह 288

अग यागमनादाययशः प या न ीय त व या आ द य क साथ सहवास करन स आय यश और प य न हो जात ह

289

ना यहकारसमः श ः अहकार अथात म या भमान स बड़ा मन य का कोई श नह हवा भमान और अहकार म भारी अतर ह मन य म वा भमान तब आता ह जब

उसम यो यता होती ह और अहकार अयो य य म होता ह वा भमान जहा कोअपन आ मगौरव को ठस नह प चन दता वहा अहकार क कारण को भारी हा नउठानी पड़ती ह इसी लए अहकार मन य का सबस बड़ा श बताया गया ह 290

सस द श न प र ोशत सभा म श क नदा नह करनी चा हए उस कसी कार क कट वचन कहकर

सभा को लड़ाई-झगड़ का क नह बनन दना चा हएब मान का क ह क सभा म कोई ऐसी कट वाणी अपन वरो धय क

लए योग न कर जसस उनका ोध भड़क चतर सभा म अपनी बात इस तरहकहता ह क जसस उसक वचार भी प कट हो जाय और वरो धय को भी ोध नआय 291

श सन वणसखम श क वप अथवा उसक ःख क बात सनकर कान को आनद अनभव होता

श पर वप आन क बात सनकर ायः सभी य को स ता होती ह 292

अधन य ब न व त धनहीन क ब न हो जाती हससार म नधनता स बढ़कर कोई अ भशाप नह नधन का अपन ब ध-

बा धव प रवारवाल और म म भी अपमान होता ह इस कार अपमान स घबराकरवह ऐस अनथ काय कर बठता ह जसक मन य स आशा नह क जा सकती 293

हतम यधन यवा य न शणो त नधन क हतकारी बात को भी कोई नह सनतानधन य द कोई अ छ और उपयोगी बात भी कहता ह तो लोग उस मजाक

म लत ह और उसक हसी उड़ात ह नधन क भी बात को कसी यो य नह समझाजाता 294

अधनः वभाययाऽ यवम यत नधन क प नी भी उसका अपमान कर बठती हमन य क लए आव यक ह क वह घर क काय को चलान क लए आल य र हत

होकर वध उपाय ारा धन स ह कर अ यथा उस अपनी भाया तक स अपमा नत होना

पड़ता ह 295

प पहीन सहकारम प नोपासत मराः जस कार भ र बौर अथवा प पकाल बीत जान पर फल स र हत आम क व को

याग दत ह उसी कार धन का उपासक ससार नधन स अपनी इ छा क प त नहोत दख उस याग दता ह

व ततः य द ब मान नधन ह तो यह उस समाज अथवा रा का क हक उस उप त होन स बचाए ससार म सभी को धन क ज रत होती ह परत जब लोगनधन स कसी कार क आशा प त होत नह दखत तो उसका याग कर दत ह 296

व ा धनमधनानाम व ा ही नधन लोग का धन हनधन का स मान उसक ान क कारण होता ह नधन य द व ान ह

तो वह आव यकतानसार धन उपाजन भी कर सकता ह इस लए व ा को नधन का ऐसाधन माना जाता ह जसस उ ह स मान ा त होता ह 297

व ा चौरर प न ा ा व ा मन य का एक ऐसा ग त धन ह जस चोर भी नह चरा सकत इसी लए व ा

पी धन को सभी धन म माना गया ह 298

व या या पता या तः व ा स मन य क यश का व तार होता हव ान जहा भी जाता ह उसका स मान कया जाता ह जस कार द पक

का काश छपा नह रह सकता उसी कार व ान क यो यता भी अपन आपकट हो जाती ह जस कार ानी मन य सपा को दान करन स प य और यश

का भागी होता ह उसी कार व ान भी व ा का दान दकर नरतर अपन यश मव करता ह 299

यशः शरीर न वन य त मन य क भौ तक दह तो म य को ा त होती ह परत उसका यश पी शरीर सदव

अमर रहता हजस न इस ससार म ज म लया ह उसक म य भी न त ह परत जो

अपन काय स अपन सद गण स इस ससार म यश ा त करत ह व सदव अमर बनरहत ह उनक म य क बरस बाद भी लोग उनका नाम बड़ी ा और भ स लत ह 300

यः पराथमपसप त स स य षः जो मन य सर क परोपकार क लए आग बढ़ता ह वही स जन प ष माना जाता

हवाथ तो इस ससार म सभी परा करत ह परत स जन प ष वही कहलाता ह जो

सर क क को अपना समझकर उनका क याण करन क लए आग आता ह अथात जो सबक क याण म अपना क याण समझता ह वही स प ष कहलाता ह 301

इ याणा शम शा म शा क ान स ही इ य को शात अथवा उ ह अपन वश म रखा जा सकता ह

302

अशा कायव ौ शा ाकश नवारय त अवध काय क लए उ त को शा का अकश ही सयम म रखता हजब मन य क मन म समाज क व कोई काय करन क भावना पदा होती ह तो

शा का अकश ही उस रोकन म समथ होता ह अथात जो जत य होत ह ज ह नअपनी इ य को वश म कया आ ह व ही उस अवध काय स बच सकत ह शा मइ य न ह क बात कही गई ह ज ह शा का ान ह व पापाचरण स बच जात ह 303

नीच य व ा नोपत ा नीच प ष क व ा क अवहलना करनी चा हए 304

ल छभाषण न श त ल छ क भाषा का योग नह करना चा हएल छ भाषा स चाण य का भाव अ ील अथवा अ श भाषा स ह अथात मन य

को अपनी बातचीत अथवा अपन भाषण म अ श भाषा का योग नह करना चा हएअ श भाषा का योग करन वाल का समाज म अपमान ही होता ह 305

ल छानाम प सव ा म ल छ क अ छ बात को अपना लना चा हए

य द और अभ कोई अ छ बात कहता ह तो उसस लाभ उठान कव होनी चा हए य द ल छ लोग कसी कारण वश सग ठत होत ह तो उसस सीख लन

म कोई हा न नह 306

गण न म सरः क ः सर क अ छ गण स ई या नह करनी चा हएायः यह मन य का वभाव होता ह क वह अ य य क उ कष को दखकर

उनस ई या करन लगता ह परत ई या करन स कोई लाभ नह होता इसस कवल क अस ह ण व का ही बोध होता ह 307

श ोर प सगणो ा ः श म य द अ छ गण दखाई द तो उ ह हण कर लना चा हएइस स स चाण य का भाव श क रण-कौशल स ह रण-कौशल क सबध म य द

श म कोई वशष बात दखाई द तो हण कर लनी चा हए 308

वषाद यमत ा म वष म भी य द अमत हो तो उस हण कर लना चा हएजस समय वष अमत का काम करन लग तो उस वष न समझकर अमत क प म

वीकार कर लना चा हए वष वा तव म योग करन वाल क चातय स अमत बन जाता ह 309

अव थया प षः स मा यत प र थ तया पदा करन स ही स मान का अ धकारी बनता हराजा क स मान पान क एक अव था ह राजा अपनी शासन- व था म जा स

स मा नत होन यो य प र थ त पदा करक ही जा स राजभ या स मान पान क आशाकर सकता ह जब तक रा यस था अपन को जा हत क अनकल नह बना लती तब तक

उस स मान ा त नह होता 310

थान एव नराः प य त अपन थान पर बन रहन स ही को स मान मलता ह

क अपन भाव म ही पजा होती ह भाव यह ह क जस मकाम करता ह उस क लोग उसक यो यता स प र चत होत ह व उसक गण औरउसक वभाव स भी भली कार प र चत होन क कारण ही उसका स मान करत ह 311

आयव मन त त मन य को चा हए क वह सदा आय ( प ष ) क आचरण का अनसरण करमन य को चा हए क वह समाज म अपना स मान बनाए रखन क लए सदा न ता

और धम क अनसार ही आचरण कर प ष का आचरण इस कार का होता ह क वनी तपवक स य आचरण म ही व ास करत ह 312

कदा प मयादा ना त मतमयादा का कभी भी उ लघन नह करना चा हए

एक सामा जक ाणी ह यक समाज क कछ सीमाए और मयादाए होतीह को चा हए क वह उन सीमा म रहत ए ही आचरण कर 313

ना यघः प षर न य व ान और गणी कसी भी रा और समाज क लए अम य र न होत हकसी भी म क गई उनक सवा और काय का रा क लए ब त मह व

होता ह इस कार क प ष-र न समाज म ब त कम होत ह परत ऐस य क न तोकसी चीज स उपमा द जा सकती ह और न उनका म य ही आका जा सकता ह 314

न ीर नसम र नम ी-र न स बढ़कर कोई सरा अम य र न नह ह

स च र प त ता ी कसी प रवार क लए स मान का कारण होती ह य कास मान रा का स मान माना जाता ह ी को ल मी क प म ाचीन थ म सचा रत

कया गया ह प रवार क अ त र दश क नमाण म भी य का ब त बड़ा हाथ होता हअपन उ रदा य व को नभान वाली ी क उपमा र न स द गई ह 315

स लभ र नम ससार म र न क ा त ब त क ठन हसदभ क अनसार गणवान म हला और प ष का जस समाज म अभाव होता ह

उस भा य समझना चा हए र न उस कहा जाता ह जसम स दय हो तज हो च ाकषणहो इसी कार समाज को अलकत करनवाल अथवा समाज क शोभा बढ़ान वाल ी औरप ष को र न कहा जाता ह इसी कार क र न स समाज क शोभा बढ़ती ह 316

अयशो भय भयष सभी कार क भय स अपयश अथात बदनामी का भय सबस बड़ा होता हस य और स जन प ष सदा इस बात का यान रखत ह क उनस कोई ऐसा काय

न हो जाए जसस उनक नदा हो स जन य क लए उनक नदा अथवा लोग कमन म उनक आचरण क त सदह पदा होना उनक लए म य क समान होता ह 317

ना यलस य शा ा धगमः आलसी प ष को कभी भी शा का यथाथ ान नह हो सकताआलसी व ा ा त नह कर सकता भारतीय शा म अनक थान पर

कहा गया ह क शा का ान ा त करन वाल को सखभोग क इ छा याग दनी चा हएऔर उस आल य स र रहना चा हए आलसी अपन प रवार क लए भी ःख दन वालास होता ह 318

न ण य वगा तधमक य च ी म आस प ष को न तो वग मलता ह और न उसक ारा कोई धम काय हो

पाता हजो इ य को वश म नह रख सकता वह सदव ःखी रहता ह उसक लए

मानवो चत क पालन करना भी क ठन होता ह उस शारी रक मान सक तथासामा जक कसी भी कार का सख ा त नह हो सकता और वह समय स पव ही बढ़ा होजाता ह 319

योऽ प णमवम य त

या भी ण प ष का अपमान कर दती हमन य क अपनी प नी भी उसक इस वभाव क कारण उस उप ा क स

दखती ह 320

न प पाथ सच त श कत म फल का इ छक कभी सख पड़ को नह स चतामन य को अपन यय क अनसार ही काय करना चा हए जो अपन यय स

वच लत हो जाता ह वह कह का नह रहता न उसका जीवन सफल होता ह और नउसको समाज म स मान मलता ह

जस कार फल क ा त क इ छक सख पौध को नह स चत उसी कारयक को अपन यय क अनसार काय करना चा हए 321

अ य नो बालका वाथनादन यः बना कसी कारण स थ प र म करना और धन ा त क इ छा रखना बलकल

ऐसी ही बात ह जस बाल स तल नकालन का य न करनाधन क ा त क लए मन य को ा त धारणा म पड़कर ऐस उपाय नह करन

चा हए जनस धन क ा त न हो धन क ा त एक न त यय को सामन रखकरन ापवक काय करन स होती ह आल य म पड़ रहकर शख- च लय क तरह ातधारणा स धन क ा त नह हो सकती 322

न महाजनहासः क ः महान प ष का उपहास नह करना चा हएसीध-साद स य न य का मजाक उड़ान स उनक कोई हा न नह होती

ब क का अपना ही छोटापन जा हर होता ह उनका उपहास करना बलकल वसा हीह जस चाद पर थकन का य न करना 323

कायस पद न म ा न सचय त कसी काय क ल ण ही उसक स या अ स क सचना द दत ह

जब कोई काय ार भ करता ह उस समय कस कार क ल ण कट होतह इस बात स ही पता चलता ह क काय म सफलता ा त होगी या असफलता कोई काय

ारभ करत समय मन य क मन म एक कार का उ साह होता ह य द काय करत समय

वह उ साह बना रहता ह तो ल ण काय स क होत ह य द मन य क मन म उ साहउ प नह होता तो काय स होन म सदह रहता ह 324

न ाद प न म ा न वशषय त इसी कार न स भी कसी काय क स होन क सचना मल जाती ह

ायः कोई काय ारभ करत समय न क ग त व धय क आधार पर शभ मनकाला जाता ह अ छा समय दखकर काय ार भ करना ब म ा क बात हो सकती हपरत उस काय क सफलता तभी न त होती ह जब मन य क मन म इस काय क सक त कोई सदह न हो

इस लए को कत -पालन म वलब नह करना चा हए य क इसस शभम क न होन क सभावना रहती ह 325

न व रत य न परी ा अपन काय क स चाहनवाला न क गणना पर अपन भा य क

परी ा नह करताजो अपन काय को शी ही सफल होता दखना चाहता ह वह न क

च कर म नह पड़ता वह अपन आ म- व ास और काय स क लए कए जान वालउपाय पर रखता ह 326

प रचय दोषा न छा त कसी स प रचय हो जान क बाद उसक दोष छप नह रहतमन य जसस पणतया प र चत हो जाता ह उसक सभी गण और दोष पर

कट हो जात ह कसी क दोष का ान मन य को तभी होता ह जब वह उसकअ य त नकट आता ह 327

वयमश ः परानाशकत बर वचार वाला सर पर भी बरा होन का सदह करता हजो अपन आचरण स ह व ससार म कसी भी को श आचरण

वाला नह मानत व यक को सदह क स दखत ह 328

वभावो र त मः

वभाव को बदलना ब त क ठन काय होता हमन य का मन ान अथवा अ ान दोन म स कसी एक थ त को अपना लता ह

इस कार वह उसका वभाव बन जाता ह वभाव क अनसार वह आचरण करता ह जस क व शभ कम म ह उस एकदम बदलना क ठन होता ह परत अ धकाश

मन य अपन अ ान क कारण नक काय क ओर ज द व हो जात ह परत जब वएक ही कार क काय को बार-बार करत ह तो उनक वभाव को बदलना क ठन हो जाताह एक सामा य कहावत ह क चोर य द चोरी छोड़ भी दता ह तो हरा-फरी छोड़ना उसकलए क ठन होता ह 329

अपराधान पो द डः अपराध क अन प ही दड दना चा हएअपरा धय को उनक अपराध क अनसार ही दड दना शासन का क होता ह

इसस जनता म सर ा क भावना बढ़ती ह दड क भय क कारण ही कहा गया ह क वहसोत ए भी जागता ह अथात द ड अपन थान पर सदव थर रहता ह इसी स जा मशासन- व था थर रहती ह कहा भी हmdashद डः शा त जाः सवाः द ड एवा भर तद डः स तष जाग त द ड धम व बधाः अथात दड राजधम का आव यक अग ह 330

कथान प तवचनम क अन प ही उ र दना चा हए

जन लोग पर व ास न हो उनक का उ र दत समय इस बात को यान मरखना चा हए क जो कछ म पछा गया ह उसका उ र सी मत होना चा हए पछा कछजाए और इधर-उधर क हाकन लग ऐस लोग मख कहलात ह 331

वभवान पमाभरणम अपनी धन-सप क अन प ही को आभषण धारण करन चा हएमन य को अपन शरीर क सजावट अथवा वषभषा अपनी आ थक थ त क

अन प सी मत रखनी चा हए अपनी थ त स बाहर जाकर शरीर को सजान स मन य कस मान म व नह होती

मन य को अपनी वशभषा दशकाल क अनसार रखनी चा हए कहा भी गया ह कmdashlsquoतात पर पसा रए जाती ल बी सौरrsquo 332

कलान प व म अपन कल क मयादा क अनसार ही को काय करना चा हए

का आचरण इस कार का होना चा हए जसस कल क मयादा को ठस नप च कल क मयादा म क आचरण क साथ-साथ उसका वसाय भी आता हइस लए का क यह ह क वह कोई ऐसा वसाय न अपनाय अथवा कोई ऐसाआचरण न कर जसस उसक कल क मयादा को हा न प चती हो 333

कायान पः य नः जसा काय हो य न भी उसी क अनसार करना चा हएकाय ारभ करन स पव उ चत समय सहायक अनकल प र थ तया धन आ द

साधन और अपन उ साह क सबध म को प र चत होना चा हए 334

पा ान प दानम पा क अनसार ही दान दना चा हएदान दन स पहल इस बात पर वचार करना आव यक ह क जस दान दया जा रहा

ह वह उसक यो य भी ह अथवा नह उसक यो यता क अनसार ही दान क मा ा नधा रतकरनी चा हए 335

वयोऽन पो वशः को अपनी आय क अनसार ही वश धारण करना चा हए 336

वा यनकलो भ यः वामी क अनसार ही सवक को काय करना चा हए

सवक का क ह क वह वामी क इ छा क अनकल आचरण करनवाला होसवक को अपन वामी क वचार समाज म उसक थ त आ द को समझकर उसकअनसार ही आचरण करना चा हए उस कोई ऐसा काय नह करना चा हए जसस वामीका अनादर हो 337

भतवशव तनी भाया प त क वश म रहनवाली प नी ही भरण-पोषण क अ धका रणी होती ह

गह थ पी रथ को चलान क लए प त और प नी दो प हय क समान होत हदोन का पार प रक तालमल आव यक ह दोन क पार प रक एकता तभी सभव ह जबदोन क जीवन का ल य एक जसा हो दोन क वचार एक समान ह वचार म समानता नहोन क कारण कलह उ प होन लगता ह इस लए दोन म अनकलता होना गह थ कक याण क लए आव यक ह 338

ग वशानवत श यः श य को सदा ग क इ छा क अधीन रहकर काय करना चा हएजब ग श य को श त करन क लए अपन अधीन लता ह तो इस श य का

सरा ज म माना जाता ह य क ग ही श य को सब कार क व ा का ान दता हजसस श य क ान-च खलत ह और एक सामा जक परपरा बनी रहती ह ग क बना

का क याण नह हो सकता जीवन म अपन क को सही ढग स परा करन कलए ग स ही ान ा त होता ह इस लए श य का क ह क वह ग क इ छा कअनसार ही काय कर 339

पतवशानवत प ः प को पता क इ छा क अनसार चलनवाला होना चा हएप का क ह क पता क अनभव स लाभ उठाए पता क आ ा क अनसार

काय करन स ही वह पता क सप का अ धकारी हो जाता ह प रवार म सख और शा तबनाए रखन क लए भी आव यक ह क प पता क आ ा क अन प ही काय कर 340

अ यपचारः श कत ः अ य धक आदर स शका उ प होती हय द कोई आगतक क थ त स अ धक आदर स मान करता ह तो इसस

क मन म सदह उ प हो सकता हइसका कारण यह हो सकता ह क वागत-स कार करनवाला उस पर कसी

अन चत काय का दबाव डालना चाहता हो 341

वा म न क पत वा मनमवानवतत वामी क होन पर सवक को वामी क आ ा क अनसार ही काय करना

चा हए

य द वामी कसी कारण वश सवक स ह तो सवक को चा हए क वह अपनवामी क त ोध न कट करक अपनी भल को सधारन का य न कर सवक का वामी

क त ोध करना अन चत और हा न द होता ह 342

मातता डतो व सो मातरमवानरो द त माता क ारा ता ड़त कया गया ब चा माता क पास जाकर ही रोता हजब माता अपन ब च को उसक कसी भल क कारण द ड दती ह तो ब चा अपन

वभाव क अनसार माता क पास जाकर ही रोकर अपना ःख कट करता ह इसी कारमन य का क यह ह क उस अपन हत षय अपन सब धय तथा ग क क पत होजान पर भी उ ह यागना नह चा हए अपनी टय का सधार करक उ ह अपनी ओर स

स करन का य न करना चा हए 343

नहवतः व पो ह रोषः नह करन वाल य का ोध णक और अ न र हत होता ह

भला चाहन वाल कसी कारण स य द होत ह तो उसक पीछ अ नकरन क भावना नह होती माता- पता ग सबधी आ द लोग का ोध थोड़ी दर क लएहोता ह व थोड़ी-सी दर म स हो जात ह 344

आ म छ न प य त पर छ मव प य त बा लशः मख अपन दोष को न दखकर सर क दोष को दखता हमख मन य का यह वभाव होता ह क वह अपन अवगण को न दखकर सर

य म दोष ढढ़न का य न करता ह वह अपन को अपराधी न मानकर सर कअपराध और उनक दोष को ही खोजता रहता ह मख का यह वभाव होता ह उसअपनी आख का शहतीर दखाई नह दता जब क सर क आख का तनका वह बड़ीसरलता स दख लता ह 345

सोपचारः कतवः धत लोग सर क पर बल बना करत ह अथात आ म- दशन करत हधत लोग सर क कपट सवा स कोई भद जानना चाहत ह धत लोग जनका भद

जानना चाहत ह उ ह अपनी सवा ारा अपन वश म करन का य न करत ह 346

का य वशष पचरणमपचारः

कसी वशष इ छा क प त क लए जो सवा क जाती ह उस उपचार कहत हउपचार का अथ दवा-दा अथवा सवा करना भी होता ह इस सदभ म यहा अपनी

कसी वशष इ छा क कारण कसी सर क जो सवा क जाती ह उसको भीउपचार कहत ह ब त स लोग कसी का भद जानन क लए ग तचर क प म काय करतह 347

चरप र चतानाम यपचारः श कत ः अ य धक प र चत य क अन चत सवा स मन म सशय पदा होता हजस स काफ घ न प रचय हो य द कसी दन उसक सवा म अ य धक

च दखाई दती ह तो इस शका क स दखा जाता ह इसका अथ यह लगाया जाता हक इस कसी वशष कार क काय प त क इ छा ह अ य त प र चत स जो भीकाम लना हो उसस प बात करनी चा हए अपन आदर-स कार स उसक मन म सदहपदा करन का य न नह करना चा हए 348

गौ करा सह ादका कनी यसी एक साधारण गाय भी सौ क स अ धक होती हजस कार ध न दन वाली गाय भी सौ क स अ धक उपकार करन वाली मानी

जाती ह उसी कार उपकारी उपकार न करन वाल सह प र चत ठग स होताह 349

ो मयराद कपोतो वरः कल मलनवाल मोर क अप ा आज मलनवाला कबतर अ धक अ छा हवतमान क सामा य थ त क उप ा करक कल ा त होनवाली बड़ी आशा क

भरोस नह रहना चा हए आकाश म बादल को घरा दखकर अपन घर का घड़ा फोड़ दनामखता ह 350

अ त सगो दोषम पादय त अ य धक साहस अथवा अन तकता स बराई पदा होती हकछ स म lsquoअ त सग rsquo क थान पर lsquoअ तसगोrsquo भी दया ह lsquoअ त सग rsquo का

अथ अन तकता माना जाता ह और lsquoअ तसगोrsquo का अथ कसी स अ धक जान-पहचान होनाकया जाता ह

दोन य स यह बात उ चत ह य क जस स अ धक प रचय होगा उससकसी-न- कसी कार का दोष उ प होन का भय बना रहगा अन तकता तो अपन आप मबराई ह 351

सव जय य ोधः ोधहीन सबको अपना बना लता ह अथात वह अपन वभाव क कारण

व वजयी बन जाता ह 352

य पका र ण कोपः कोप कोप एव क ः य द बराई करनवाल पर ोध करना ही हो तो पहल अपन ोध पर ही ोध

करना चा हएभावाथ यह ह क अपनी उ त चाहनवाल य को ोध नह करना चा हए

य द ोध करना ही हो तो पहल उस अपन ोध पर ोध करना चा हए क वह इस कारक वचार म कस फसा ोध स मन य क वचार-श न हो जाती ह और वह अन चतकाय कर बठता ह 353

म तम स मख म ग व लभष ववादो न क ः ब मान मन य को मख म ग और अपन यजन क साथ थ का ववाद

नह करना चा हए 354

ना य पशाचम यम ऐ य पशा चकता स र हत नह होताजन लोग क पास ऐ य क साधन होत ह व बड़ी सरलता स पशा चकता क ओर

आक हो जात ह जन ऐ यशाली य म धम-कम का अभाव होता ह उनम बरीव या सरलतापवक घर कर जाती ह इस लए मन य का य न होना चा हए क वह

रा सी व य स बचता रह तथा धन-सप और ऐ य आ द को समाज क काय क लएयोग म लाए 355

ना त धनवता सकमस मः धनवान य को शभ काय को करन म वशष म नह करना पड़ताचाण य न अनक स म धम-कम क लए धन क आव यकता पर बल दया ह

इस लए धनी क लए कोई भी काय करना क ठन नह होता परत जो कवल धन कही उपासना करत ह अथात हर समय और अ धक धन जोड़न क इ छा रखत ह उनक

व अ छ काय को करन क ओर नह जाती 356

ना त ग त मो यानवताम वाहन पर या ा करन वाल को थकावट अनभव नह होतीजो यान अथवा कसी वाहन पर या ा करत ह उन पर या ा क म का

भाव नह पड़ता उ ह अ धक थकावट नह होतीचाण य न एक पव स म कहा क जो अ धक पदल या ा करत ह व ज द

बढ़ हो जात ह अ धक या ा वाहन ारा ही करनी चा हए 357

अलोहमय नगड कल म ी बना लोह क बड़ी ह

प नी प त क लए बना लोह क ऐसी बड़ी ह जस वह सहम त स वीकार करताह इसका अथ यह ह क ववाह था व छा स अपन पर लाग कया गया ऐसा धम-बधन हजसस वतः ही अन चत काय पर रोक लगती ह 358

यो य मन कशलः स त मन यो ः जो मन य जस काय म पणतः नपण हो उसको उसी काय म नय करना

चा हए कसी काय म नय क यो यता का मापदड यही होना चा हए क जोकाय भली

कार जानता हो उसक नय उसी काम क लए होनी चा हए अथात कोवही काम ारभ करना चा हए जस वह भली कार जानता हो य द वह अप र चत काय महाथ डालगा तो उस हा न उठानी पड़गी 359

कल मन वना शरीरकशनम ी अथवा प नी मन वी क शरीर को बल बना दती ह

अथात य द प नी अ छ वचार क न हो तो मन वी लोग ऐसी य को ःख काकारण मानत ह 360

अ म ो दारान नरी त

आल यर हत होकर सदा ी का नरी ण करना चा हएमन य को आल य का याग करक ऐसा य न करना चा हए क उसक प नी बर

माग पर न जा सक इस लए सदव उसक दख-रख करत रहना चा हए परत ऐसा काम वहप त ही कर सकता ह जो मादर हत हो 361

ीष क चद प न व सत य पर क चत मा भी व ास नह करना चा हए

ऐसा तीत होता ह क यह स ी मा क लए नह कहा गया ब क चाण य काभाव यह ह क ी जा त को श त करना आव यक ह इतन पर भी भल तो सभीशरीरधा रय स होती ह परत या कछ बात बना सोच- वचार कर बठती ह इ तहास मऐस अनक उदाहरण ह जहा सीता जसी म हला न ल मण रखा जसी मयादा का उ लघनकरक अनक कार क क उठाए परत गह थ धम आपसी व ास क बना नह चलसकता इस लए को चा हए क वह बड़ी सझबझ क साथ य क साथ वहारकर 362

न समा धः ीष लोक ता च य म ववक और लोक- वहार क कमी होती हय का वभाव चचल होता ह चचल वभाववाला कई बार प रवार क

लए भी हा न का कारण बन जाता ह इसक अ त र वाथ क कारण ब त स लोक- वहार स भी प र चत नह होत व ततः जो समाज पणतः श त न हो उसमम हला को समानता क अवसर ा त नह होत परत अब सभी दश म य कोश त करन का य न कया जा रहा ह और उ ह न एक स मानपण थान भी बना लयाह इस लए इस कार क बात कवल अ श त म हला क सबध म कही जा सकती ह 363

ग णा माता गरीयसी ग जन म माता का थान सव च होता हजो समाज मात-जा त को अ ान क अधकार म रखता ह उसस वह वय ही

रोग त हो जाता ह प ष जा त पर यह उ रदा य व ह क वह मात जा त को उ चतगौरवमय थान दकर वय उ त हो आचाय का पद उपा याय स दस गणा ऊचा ह पताका पद आचाय स सौ गणा ऊचा ह माता का पद तो गौरव क स पता स सह गणाऊचा ह अतः माता स मान क यो य ह 364

सवाव थास माता भत ा यक अव था म माता का भरण-पोषण करना चा हए

माता मन य को ज म दनवाली होती ह इस लए मन य का क ह क वह हरकार स यक थ त म माता का स मान कर और उसक भरण-पोषण का यान रख

365

व यमलकारणा छा त बनावट पन स पा ड य पर पदा पड़ जाता ह अथात बनावट पन स मन य क

पा ड य को हा न प चती हव ान लोग अपन शरीर को सजान क लए उतना यान नह दत जतना अपन

वचार को ऊचा बनान का य न करत ह अपन शरीर को सजान का एक घ टया कारबनावट पन ह इस व ा वरोधी आचरण भी कहा जा सकता ह परत इसका यह भाव नहक मन य अपन शरीर को सही थ त म रखन का य न न कर 366

ीणा भषण ल जा ल जा ही य का भषण (गहना) ह 367

व ाणा भषण वदः ान ही ा ण का आभषण ह 368

सवषा भषण धमः सभी य का आभषण धम हजो धम स र हत ह स य न ा स र ह और जस अपन क का ान

नह वह अपन शरीर को कतना भी सजाए सवार इसका कोई लाभ नह 369

भषणाना भषण स वनया व ा वनयसप व ा सम त आभषण का आभषण हव ान य द न ता स य हो तो उस सव माना जाता ह अ धकाश लोग

को अपन गण क कारण अहकार हो जाता ह और व वन नह रह पातइस लए मन य को ऐस ान क ा त का य न करना चा हए जसस व न

सशील और वहार-कशल बन सक न बनानवाली व ा ही मन य का सबस बड़ाआभषण ह 370

अनप व दशमावसत जस दश म उप व होत रहत ह वहा रहना उ चत नह 371

साधजनब लो दशः जस दश म स जन प ष का नवास हो वह बसना चा हएव ततः वही रा रहन क यो य होता ह जहा अ धकाश लोग का स य कानन और

लोक-मयादा म व ास हो अथात उसी दश म रहना चा हए जहा कानन और व था कापालन करनवाल लोग रहत ह 372

रा ो भत सावकालम राजा अथवा शासन स सदव डरकर रहना चा हएमन य को ऐसा य न करना चा हए क वह राजा अथवा शासन क ोध का पा

न बन ऐसा तभी हो सकता ह जब रा य क नयम का न ापवक पालन कया जाए 373

न रा ः पर दवतम राजा स बड़ा कोई दवता नह दवता उस कहा जाता ह जो धम का पालन करता और करवाता ह दश भर म धम

का पालन रा य क नयम क भय क कारण ही होता ह इस लए राजा को रा का दवताकहा जाता ह उसक पास श और अ धकार होन स उसक मह व म और भी व होतीह 374

स रम प दह त राजव हनः राजा क ोधा न रा य क स र कोन म प चकर भी दश ोही को द ध (भ म)

करन म समथ होती हराजा अथवा शासन क श अपन दश म ापक होती ह इस लए सदव रा य

क नयम का पालन करना चा हए अ यथा राजा अथवा रा य क नयम क अनसारराज ो हय का सफाया कर दया जाता ह 375

र ह तो न राजानम भग छत राजा दवता अथवा ग क पास खाली हाथ नह जाना चा हएराजा दव अथवा ग क पास जात समय को खाली हाथ नह जाना चा हए

समाज क ऐसी मयादा ह क जब कोई कसी महान प ष क पास जाता ह तो कछ-न-कछ भट करन क लए अव य अपन साथ ल जाता ह वतमान समाज क परपरा ह कदश क कसी बड़ नता अथवा स जन प ष क स मान क लए उसक पास प चकर प पभट कए जात ह 376

ग च दव च ग और दवता क पास भी खाली हाथ नह जाना चा हएग मन य को व ा दान दता ह और दवता क कारण धम म आ था पदा होती

ह इस लए इनक पास जात समय भी ा और भ सचक उपहार लकर ही जानाचा हए 377

कट बनो भत म राजा क प रवार स सबध रखनवाल य स डरकर ही रहना चा हएराजा क प रवार स सब लोग का स कार करना चा हए कभी ऐसा कोई काय

नह करना चा हए जसस व नाराज होकर ष रखन लग 378

ग त च सदा राजकलम राजदरबार म सदव जात रहना चा हएराजप रवार अथवा रा य दरबार म जात रहन अथवा रा यकल क य स

मलत रहन स जा क हत क लए कए जानवाल काय स प र चत रहता ह इसीकार वह उनस लाभ भी उठा सकता ह 379

राजप षः स ब ध कयात राजप ष स सबध बनाए रखना चा हएरा य- शासन स सबध रखन वाल अ धका रय अथवा राजप ष क साथ प रचय

रखना क लए लाभदायक होता ह इसस मन य क अपन अनक काय स होत हराजप ष स सबध रखन क कारण अ य लोग क काय भी करवाए जा सकत ह 380

राजदासी न स वत ा राजा क वशष दासी स कसी कार का सबध नह रखना चा हएराजा क सवा करनवाली दा सय स जा क लोग को गत सपक नह बनाना

चा हए इसस राजा क होन क स भावना रहती ह इस लए कोई ऐसा काय नह करनाचा हए जसस राजा अ स हो 381

न च षा प राजधन नरी त इसी स का सरा प इस कार ह lsquoन च षा प राजान नरी तrsquo

थम स का अथ ह क राजा क धन क ओर आख उठाकर भी नह दखनाचा हए तीय स का अथ ह क राजा क ओर कभी सीधी आख उठाकर नह दखनाचा हए

का क ह क रा य स सब धत धन क ओर कभी आख उठाकर भी नदख इसका अथ यह भी हो सकता ह क रा य क ओर स जो कर आ द लगाए जाएउनक न त अदायगी होती रहनी चा हए 382

प गणव त कट बनः वगः गणवान प स प रवार वग बन जाता हवग- ा त का अथ ह सख क ा त होना पता क लए सबस बड़ा सख प का

गणवान और सदाचारी होना ह इसस प रवार म सख और शा त क साथ-साथ समाज मस मान भी बढ़ता ह प का गणवान और सदाचारी होना पता क श ा पर ही नभरकरता ह इस लए पता को चा हए क वह अपन प को व ान गणवान और सदाचारीबनाए 383

प ा व ाना पार गम यत ाः प को सब व ा म पारगत बनाना चा हएपता का क ह क वह सतान को व ान और गणवान बनाय कहा गया ह क

जो पता अपनी सतान को श त नह बनाता वह सतान का श होता ह व ततः वहसतान का ही नह अपना भी श होता ह इसी लए पता का क ह क वह अपन पको व ा म पारगत बनाय 384

जनपदाथ ाम यजत

जल क हत क लए ाम क हत को याग दना चा हएय द ाम को याग दन स पर जल का क याण होता ह तो उसको छोड़ दन म कोई

हा न नह भावाथ यह ह क अ धकाश लोग क लाभ क लए मन य को अपन छोट वाथका प र याग कर दना चा हए 385

ामाथ कट ब य यत ाम क हत क लए प रवार क हत का ब लदान कर दना चा हए

य द प रवार क कसी याग स ाम का भला होता ह तो प रवार क वाथ काब लदान कर दना चा हए 386

अ तलाभः प लाभः प क ा त सव लाभ हपरत वही प पता और प रवार क लए लाभ और शसा का कारण होता ह जो

गणवान होता ह इसी लए गणवान प को ही पता क लए सव लाभ माना गया ह 387

ायण ह प ाः पतरमनवत त ायः प पता क जीवन क अन प बन जात ह

प पता क आचरण स ही ब त कछ सीखता ह इस लए पता का क ह कवह प क सामन आदश उप थत कर 388

गतः पतरौ र त सप ः प होन पर माता- पता क ग त नह होतीजब माता- पता बढ़ हो जात ह तो प ही उनक दखभाल करता ह व लोग

अनक रोग क शकार भी हो जात ह य द कोई उनक दख-रख करनवाला न हो तो उ हब त क उठाना पड़ता ह उस समय कवल सद गणी प ही माता- पता का सहारा होता ह 389

कल यापय त प ः सप स ही कल क या त होती हसद गणी प ही कल क स मान को बढ़ाता ह उसी क कारण वश का मख उ वल

होता ह इसी लए गणवान प को कल का द पक कहा गया ह 390

यन त कल यात सः प षः जस प ष क ारा कल का गौरव बढ़ उसी को स चा प ष कहा जाता हस च अथ म मन य वही ह जसस कल क शोभा बढ़ती ह कल क या त म चार

चाद लगत ह 391

नाऽनप य य वगः सप क बना वग क ा त नह होतीजस प रवार म गणवान और ब मान प नह होता वह प रवार सदव खी रहता

ह प रवार का सख सप होन स ही बढ़ता ह 392

या सत (सा) भाया सतान को ज म दनवाली ी ही भाया अथात प नी कहलाती हअ छ सतान को ज म दनवाली ी को ही स ची भाया अथात प नी माना जाता

ह अ छ सतान क उ प स ही भाया होन क सफलता ह जो अ छ प उ प नह करसकती उस स ची प नी नह कहा जा सकता 393

सतीथाऽ भगमनाद चय न य त एक ही ग कल म पढ़नवाल छा -छा ा का नकट सपक चय का वनाशक

ह 394

प ाथा ह यः प ा त क लए ही य का वरण कया जाता हप नी का स पयोग प ा त क लए कया जाना चा हए वषयभोग क त त क

लए नह परत जो लोग य को वषयभोग का साधन मान लत ह उनस अ छ सतानउ प होन क आशा नह क जा सकती 395

वदासीप र हो ह वदासभावः अपनी दासी क साथ प र ह करना अपन को दास बना लना ह

जो अपनी ही नौकरा नय को वषयभोग का साधन बना लता ह वह प ततहोन क साथ-साथ वय उनका दास बन जाता ह 396

उप थत वनाशः प यवा य न शणो त जसका वनाश नकट होता ह वह अपन हत क बात नह सनताजब मन य क दन आत ह तो वह अपना भला चाहनवाल क बात क ओर भी

यान नह दता कहा भी गया ह क मन य क वनाश स पव उसक ब हो जाती हlsquo वनाशकाल वपरीत ब ःrsquo 397

ना त द हना सख ःखाभावः यक दहधारी क जीवन क साथ ःख और सख लग रहत ह

जसन मन य जीवन धारण कया ह उस सख और ःख कसी-न- कसी प मा त होत रहत ह जस कार जीवन म मन य का बीमार रहना ःख ह और व थ रहना

सख उसी कार सफलता और असफलता भी मानव जीवन क दो पहल ह 398

मातर मव व साः सख ःखा न कतारमवानग छ त जस बछड़ा माता क पास जा प चता ह वस ही सख और ःख अपन कता क पास

जा प चत हसख और ःख मन य क जीवन क आव यक अग ह परत उनक उ प का कारण

वह वय होता ह जस कार गाय का बछड़ा गाय क अपनी उ प ह और वह उसकपीछ-पीछ चलता ह उसी कार मन य ारा उ प कए गए सख और ःख उसका पीछाकरत ह 399

तलमा म यपकार शलमा म यत साधः स जन प ष तल क समान छोट स उपकार को भी पहाड़ क समान बड़ा मानत हयह स जन प ष का वभाव होता ह क कोई जो उनका छोटा-सा उपकार

करता ह व उस बड़ा भारी उपकार मानत ह और उसक त कत बन रहत ह 400

उपकारोऽनाय वक ः प ष पर उपकार नह करना चा हए प ष अपनी ता नह छोड़ता और वह उपकार करनवाल क त कत ता भी

कट नह करता भाव यह ह क पा दखकर ही कसी पर उपकार करना चा हए अपाक त उपकार करन स कोई लाभ नह होता 401

यपकारभयादनायः श भव त उपकार का बदला चकान क भय स प ष श बन जाता ह

अपन त कय गए उपकार का बदला नह चकाना चाहता उसम ऐसीभावना नह होती इस लए वह उपकार करनवाल क त उप ा और ष क भावनारखन लगता ह 402

व पम यपकारकत यपकार कतमाय न व प त स जन प ष थोड़ स उपकार क बदल अ य त मह वपण उपकार करन क लए

तयार रहत हस जन प ष छोट स उपकार को ब त बड़ा मानत ह और वह इसका बदला चकान

क लए सदा तयार रहत ह उ ह तब तक चन नह पड़ता जब तक क व इस सबध मअपना क परा नह कर लत 403

न कदा प दवताऽवम तका दवता का कभी भी अपमान नह करना चा हएजन म तय च आ द को दवता समझकर पजा क यो य माना जाता ह उनका

अपमान करना उ चत नह इसी कार पजा थान और अ छ च र वाल य काभी अपमान करना नदाजनक काय ह 404

न च षः सम यो तर त आख क समान सरी कोई यो त नह हमन य क शरीर म न ही ऐसा अग ह जसक बना मन य-जीवन नरथक होता ह

कसी व त को य दखन का जो मह व ह उस कसी अ य कार स परा नह कया जासकता 405

च ह शरी रणा नता न ही दहधा रय का नता हआख को दहधा रय का नता इस लए कहा गया ह य क जब तक मन य क ान-

च नह खलत तब तक वह कसी भी स य अथवा अस य काय क सबध म नणय नहकरता इसी लए न को शरीरधारी का पथदशक माना गया ह 406

अपच षः क शरीरण न हीन का जीवन लश द होता हआख क बना मन य ससार म अपनी जीवन-या ा अ य त लश म रहकर ही परी

कर पाता ह न हीन य क क क कोई सीमा नह होती 407

ना स म कयात जल म म याग नह करना चा हएजल म म याग स वह उपयोग म लान क यो य नह रहता उस पीन नान करन

अथवा अ य कसी भी उपयोग म लान स भयकर प रणाम हो सकत ह 408

न न नो जल वशत परी तरह स न न होकर जल म नह उतरना चा हएजल म कछ जीव इस कार क होत ह जो शरीर स चपककर र चस लत ह

इसी लए जलाशय न दय आ द म भी परी तरह न न होकर नह घसना चा हए 409

यथा शरीर तथा ानम शरीर जसा होता ह वसा ही ान उसम रहता ह

यक क शरीर का आकार- कार व भ कार का होता ह ब त सय क शरीर को दखकर यह अनमान लगाया जा सकता ह क व कतन ब मान ह

परत उस मानदड क प म वीकार करना क ठन ह 410

यथा ब तथा वभवः जसी ब होती ह वसा ही वभव होता हयहा सत रज तम तीन गण क बात ह जो ाणी जसी ब का होता ह अपन

वभव क लए वह वस ही स मान एक त करता ह सत ब क वभव सा वक ह ग रजब क राजसी और तामस ब क वभव भी तामसी ही ह ग 411

अ नाव न न न पत

आग म आग नह डालनी चा हए ोध क बदल ोध नह करना चा हएइसका भावाथ यह ह क ोध का उ र ोध स नह दया जा सकता ोध क

उ र म ोध करन स अशा त पदा होती ह और दोन प क हा न भी हो सकती ह 412

तप वनः पजनीयाः तप वय क सदा पजा करनी चा हएतप वी व लोग होत ह जो इ य को वश म रखन का य न करत ह ऐस

समाज क लए मागदशक का काम करत ह व समाज क म यवान धन होत ह समाज कोचा हए क वह उनका आदर-स कार कर उनका अपमान न कर 413

परदारान न ग छत पराई ी क साथ समागम नह करना चा हएपरप नय स सपक था पत करन क बात भी मन म नह सोचनी चा हए

व य पर कठोर सयम रखन स ही मानव तथा सामा जक जीवन क शा त सभव ह जोमन य सर क ी स सभोग करत ह व समाज म ल जत होत ह 414

अ दान णह याम प मा अ दान स ण (गभ थ शश) ह या का भी पाप मट जाता ह 415

न वदबा ो धमः वद- वीकत धम ही वा त वक धम हधम वद स बाहर नह धम क ा याकार न इस सबध म जो कछ भी बताया ह

वह वद क अन प ह वद ान का भडार ह वद क व चलन स धम का पालन नह होसकता वद क अन प आचरण करना ही मन य का धम ह 416

न कदा चद प धम नषधयत धम का वरोध कभी नह करना चा हए और न ऐस धम क वरो धय क सगत करमन य को धमान ान करना चा हए धम का पालन करना ही मन य जीवन का

सबस बड़ा क होता ह ण भर क लए भी धम स वच लत नह होना चा हए धम कापालन न करन वाल समाज म अशा त पदा करत ह को सदव धम का

आचरण करना चा हए 417

वग नय त सनतम मीठ और स ची वाणी मन य को वग ल जाती हजो मधर वाणी बोलत ह व सबको अपना म बना लत ह उनका कोई श

नह होता व ससार म नभय होकर वग का सख भोगत ह मन य मपण मधरवाणी सश को भी अपना म बना लता ह 418

ना त स या पर तपः स य स बढ़कर कोई तप नह हस य का अवलबन ही इस ससार म सबस अ छ तप या ह स य का आचरण करन

स मन य पर अनक सकट भी आ सकत ह परत स याचरण स ही उनस वच लतनह हो सकता वह अनक क उठाकर भी स य का प र याग नह करता 419

स य वग य साधनम स य क ारा ही मन य वग को ा त होता हमन य क दय म रहनवाल स य का यय यह होता ह क मन य क वाथ य

व य पर अकश लगाय इस कार मन य कम म व नह होता मन य अपनीभोली व य का माजन स य क बल पर ही करता ह और उसक पजा वग क दवता कसमान होन लगती ह मन य को यान दना चा हए क वय स य ही साधन भी ह और सा यभी इसी लए मन य को स य का साथ नह छोड़ना चा हए 420

स यन धायत लोकः स य पर ही ससार टका आ हस य क कारण ही मानव-समाज म व था कायम रहती ह सावज नक क याण

और आ म-क याण स य क ारा ही हो सकता ह स यहीन समाज य कव छाचा रता क कारण छ - भ हो जाता ह जसस इसका सवनाश भी हो जाता ह

421

स याद दवो वष त स य स दव क कपा बरसती ह

जो समाज स य क अधीन रहता ह दवता क कपा क वहा ही वषा होती ह 422

नानता पातक परम झठ स बढ़कर इस ससार म कोई पाप नह झठ अथवा अस य आचरण करन स मन य को अनक सकट का सामना करना

पड़ता ह झठ क ारा मन य सर को ही नह वरन वय अपन आपको भी धोखा दता ह 423

न मीमा या गरवःग जन क आलोचना नह करनी चा हएमन य को चा हए क अपन ग क कभी आलोचना न कर ग श य का सदव

हत चाहत ह व कभी उसका अ हत नह करतइसी लए य द उनक दय क भावना को न समझ सक तो भी उनक

आलोचना नह करनी चा हए आलोचना का अथ क दोष को ढढ़ना ह अतः अपनग जन म दोष ढढ़ना मन य क मखता ह 424

खल व नोपयात मन य को चा हए क वह ता को वीकार न करमन य को नीचता का कभी आ य नह लना चा हए उसका क ह क वह

सदव नीच स र रह सर क नदा करना लड़ाई-झगड़ा करना अस याचरणकरना आ द नीच काय मानव को उसक उ च आदश स गरात ह इसी लए उस चा हए कवह इस कार क पाप काय स पथक रह 425

ना त खल य म म धत मन य का कोई म नह होताजो स जन लोग स वहार करता ह वह धीर-धीर वय अपन म म

कमी करता ह समय पाकर उसक ब ध-बा धव भी उस छोड़ जात ह स जन हीकसी को परखन क बाद म ता का हाथ बढ़ात ह धत वभाव स ही स जन लोगका श होता ह इसी लए समझदार को चा हए क नीच और धत य सकभी स पक था पत न कर 426

लोकया ा द र बाधत द र मन य का जीवन- नवाह क ठन होता हद र ता जीवन का अ भशाप ह द र और नधन य को अपन प रवार क

आ त क अ त र वय अपन जीवन को चलाना क ठन होता ह नधनता क कारणउसक सग-सबधी भी उस छोड़ दत ह इसी लए को चा हए क वह धयपवक य नकरता आ नधनता को समा त करन का य न कर 427

अ तशरो दानशरः दानवीर ही सबस बड़ा वीर ह 428

ग दव ा णष भ भषणम ग दवता और ा ण म भ रखना मानवता का आभषण हजो ग ा ण और स जन य आ द क सबध म समान भाव

रखता ह उनक भ करता ह वा तव म वह इस कार अपन जीवन क शोभा बढ़ाता हय काय उसक लए एक आभषण क समान होत ह उसक सव पजा होती ह 429

सव य भषण वनयः वनय सबका आभषण हवनय का अथ ह न वभाव परत न वभाव का वही हो सकता ह

जसक स य म न ा होती ह स य आचरण करन वाला अपन न वभाव का कभीयाग नह कर सकता मन य का न वभाव उस सबका य बना दता ह जस कार

आभषण सबको अ छ लगत ह उसी कार ाणी का आभषण वनयशीलता सबको अ छालगता ह 430

अकलीनोमऽ प वनीतः कलीना श ः जो कलीन न होता आ भी वनीत हो वह कलीन अहकारी क अप ा

बड़ा हजो अ छ कल म उ प न होन पर भी वनयशील बना रहता ह वह अहकार

य कलीन स अ छा माना जाता ह वन ता क कारण का समाज म आदरबढ़ता ह 431

आचारादायवधत क त सदाचार स मन य क आय और यश दोन क व होती हराचारी मन य अपन नक काय क कारण अनक रोग का शकार हो जाता ह

और ज द ही मौत क मह म चला जाता ह परत सदाचारी मन वचन और कम ाराअपनी इ य को वश म रखन क कारण द घाय होता ह ऐस का यश भी बढ़ता हसदाचारी का सभी स मान करत ह 432

यम य हत न व म मधर और य होन पर भी अ हतकर वाणी नह बोलनी चा हएऐसी मीठ बात करन का भी कोई योजन नह होता जनस सर को ठस प च

433

ब जन व मक नानवतत अनक लोग क वरोधी एक का अनगमन नह करना चा हएजस एक का ब त स वरोध करत ह उसका अनकरण करन स

मन य क हा न होती ह अथात इसका भाव यह ह क कसी व का अनसरण न करकस य का अनसरण करना चा हए 434

न जनष भागधयः क ः जन य क साथ कभी भी अपना भा य नह जोड़ना चा हए

जन य क नीयत साफ नह ह और जो वभाव स ह उनक साथमलकर कोई काय नह करना चा हए उनस मलकर काय करन स मन य को हा न उठानीपड़ती ह 435

न कताथष नीचष स ब धः कताथ अथात अपन वसाय म सफल नीच स भी सबध था पत नह

करना चा हएजो अपन वसाय म कसी कार सफलता ा त कर भा यशाली बन जाए

और वभाव म नीचता रह ऐस भा यशाली नीच य स भी कभी सबध था पत नहकरना चा हए 436

ऋणश ा ध वशषः क ः ऋण अथात कज श और रोग को सवथा समा त कर दना चा हए 437

भ यनवतन प ष य रसायनम क याण-माग पर चलना ही मन य क लए उ म साधन ह 438

ना थ वव ा काया याचक का अपमान नह करना चा हएयाचक का कोई मान-अपमान नह होता वह कन कारण स रत होकर भीख

मागन पर उता होता ह यह उसक ववशता समझत ए उसका अपमान करन स कोईलाभ नह 439

स कर कम कार य वा कतारमवम यत नीचः नीच मन य कम करवान क बाद वह काय करनवाल को अपमा नत करता हइस स का अथ यह ह क नीच मन य कसी स कोई ऐसा क ठन काय

करवा लता ह जो उसक लए सभव नह होता अपन वभाव क अनसार वह काम करनवाल का अपमान करता ह क ठन काय क सबध म नीच मन य कता को सफलता का यशन दन क भावना स ही ऐसा करता ह 440

नाकत य नरका वतनम कत न मन य क नरक क अ त र कोई ग त नह जो कसी क उपकार को नह मानता उसक कभी उ त नह हो सकती

ऐसा बारा कसी स सहायता न मलन क कारण सदव खी रहता ह कसी कउपकार को न मानना क अधःपतन क एक सीमा ह 441

ज ाय ौ व वनाशौ मन य क उ त और अवन त उसक अपनी वाणी क अधीन ह

जस कार क बात करता ह अथवा जस कार क वचन बोलता ह उ हक आधार पर ससार म उसक व और अवन त होती ह मधर उपयोगी और समय कअनकल बात करनवाल ब त कम होत ह जो वाणी का सही उपयोग जानत ह व

इस ससार म उ त करत ह और सखी भी रहत ह 442

वषामतयोराकरो ज ा मन य क वाणी ही वष तथा अमत क खान ह 443

यवा दनो न श ः जो य वचन बोलता ह उसका कोई श नह होता 444

तता अ प दवता त य त त त करन स दवता भी स हो जात हत त ारा दवता को भी अपना बना लना अपन आप म एक लोको ह म दर

म रखी ई म त दवता अ य होता ह परत भ मन स उसक त त करता ह उसकाथना करता ह उसस उसक मनोकामनाए परी हो जाती ह जब अ य दवता मधर वचन

स स होत ह तो त दन सपक म आन वाल हत करनवाली और मधरवाणी सय न स ह ग 445

अनतम प वचन चर त त अस य वचन लब समय तक मरण रहता हयही बात सर प म य कही गई ह क तलवार का घाव तो समय पाकर ठ क हो

जाता ह परत कट वाणी स उ प आ ष जीवन भर समा त नह होता वरन कई पी ढ़यतक चलता रहता ह इसी लए मन य को वचन का योग नह करना चा हए 446

राज न च व म राजा स ष उ प करन वाली बात कभी नह बोलनी चा हएऐसी बात अथवा भाषण कभी नह करना चा हए जसस राज ोह कट होता हो

राज ोह अपराध ह 447

तसखा को कलालापा य त काली कोयल क कक सबको अ छ लगती हक प होन पर भी कोयल क वाणी मधर होती ह इसी लए वह सबको अ छ

लगती ह काला तो कौआ भी होता ह परत उसक वाणी कठोर होती ह इसी लए उस कोई

पसद नह करता इस लए मन य का क ह क वह रा य क अ धका रय स ऐसी कठोरबात न कह जसस हा न प चती हो 448

वधमहतः स प षः अपन धम म थत होन क कारण ही प ष स प ष कहलाता हअपन धम का पालन करन स ही स प ष कहलाता ह ीक ण न गीता म

कहा कmdashlsquo वधम नधन यः परधम भयावहःrsquo 449

ना य थनो गौरवम याचक का समाज म कोई गौरव नह होतायाचना करनवाल और कजस धनी को ससार म स मान ा त नह होता

मागनवाला सर क म हीन माना जाता ह और कजस धनी दान न दन ककारण स मानहीन बन जाता ह 450

ीणा भषण सौभा यम य का आभषण उनका सौभा य होता ह

जो या अपन प त क त सम पत और प त ता होती ह उनका समाज मस मान होता ह इसस बढ़कर ी क लए न तो कोई आभषण ह और न कोई स दय प तही उसक लए सब कछ होता ह 451

श ोर प न पतनीया व ः श क भी आजी वका न नह करनी चा हएआजी वका एक ऐसा उपाय ह जसस अपना और अपन प रवार का भरण-

पोषण करता ह कसी को जी वका उपल ध कराना ब त ही मह व और प य का कायसमझा जाता ह चाण य कहत ह क श क जी वका को भी हा न नह प चानी चा हए 452

अ य नादक म जहा बना य न कय जल उपल ध हो वही क ष यो य भ म होती ह 453

एर डमवल य कजर न कोपयत

एरड व का आ य लकर हाथी को नह करना चा हएस का भाव यह ह क क भरोस बलवान श स ववाद नह करना

चा हए एरड का व ढ़ नह होता इसी लए उसका आ य लकर हाथी स बर नह करनाचा हए 454

अ त व ा शा मली वारण त भो न भव त ब त पराना होन पर भी समल क व स हाथी को नह बाधा जा सकताजस पराना वशाल शा मली असार होन स हाथी बाधन क यो य नह माना जाता

उसी कार नबल मन वाल लोग पया त सम और -प हो जान पर भी बलवान सट कर लन यो य नह हो सकत मन य म बल ब क लए अ तःसार होना चा हएहा दक बल ही स ाम क वशष यो यता ह भजबल नह दह क वशालता वजय कासाधन नह हो सकती 455

अ तद घऽ प क णकारो न मसली ब त बड़ा कनर का व भी मसल बनान क काम नह आताकनर का व अदर स खोखला होता ह इसी लए उसक लकड़ी स मसली बनान

का काम नह लया जा सकता इसी कार कमजोर बल मनवाल क पास जतनभी भौ तक साधन ह उनस कोई भी मह वपण काय नह कया जा सकता 456

अ तद तोऽ प ख ोतो न पावकः जगन कतना भी अ धक चमक ला य न हो वह आग का काम नह द सकता

को कोई भी मह वपण काय परा करन क लए मन का ढ़ होना आव यकह जस कार जगन क चमक स न काश होता ह और न आग का काम लया जा सकताह इसी कार नबल मन वाल कोई मह वपण काय नह कर सकत 457

न व व गणहतः सम शाली हो जान पर भी कोई आव यक प स गणवान नह हो पातायह आव यक नह क को कसी एक बात म व ा त हो जाए और वह

गणी भी हो इसी कार यह भी आव यक नह क सम शाली लोग म गण का नवासआव यक प स ही होता ह 458

सजीण ऽ प पचम दो न शङकलायत

ब त पराना होन पर भी नीम क व का सरौता नह बन सकताजस कार नीम क परान होन पर भी सरौता अथवा चाक बनान का काम नह

लया जा सकता इसी कार वभाव क लोग कतन भी परान अथवा व य न होजाए उनक सारहीनता न नह होती और उ ह सारवान नह बनाया जा सकता अथात

क त क लोग वशष मह वपण काय क उपयोगी नह होत 459

यथा बीज तथा न प ः जसा बीच होता ह वसा ही फल उ प होता हजसा बोओग वसा काटोग अथात मन य जस कार क कम करता ह उसको वसा

ही फल मलता ह सतान भी वसी ही होती ह जस माता- पता और उनक वचार होत ह 460

यथा त तथा ब ः श ा क अन प ही ब होती हमन य क श ा-द ा जसी होगी ब का वकास भी वसा ही होगा इसी लए

सदा ऐसा य न करना चा हए क सतान को अ छ श ा द जसस उनम अ छ ब कावकास हो 461

यथाकल तथाऽऽचारः जसा कल होता ह वसा ही आचरण होता ह

ायः दखा गया ह क कल क परपरा क अनसार ही लोग का आचार- वहारहोता ह जस वश क धमपरायण और गणी होत ह उस कल का लौ कक वहार भीउदारता स य होता ह ऐस कल म ज म और पालन-पोषण ा त बालक उदार ह ग 462

स कतः पचम दो न सहकारो भव त नीम को कतना भी श य न कया जाए वह आम नह बन सकतानीम क व को ध और गड़ आ द स कतना भी अ धक स चा जाए कत उसक

वाभा वकता समा त नह हो सकती और उस आम क फल जसा मधर नह बनाया जासकता इस कार नीच मन य को भी कतन ही उपदश दए जाय उसक लए नीचता कायाग करना अ य त क ठन होता ह 463

न चागत सख प र यजत ा त होन वाल सख को नह छोड़ना चा हए

न त और अनकल वतमान को यागकर अ न त भ व य क आशा म पड़ रहनाउ चत नह जो अवसर ा त हो उस खोना नह चा हए कसी बड़ सअवसर क आशा महाथ म आए छोट अनकल काय को छोड़ नह दना चा हए कहा भी गया ह lsquoयो वा णप र य य अ वा ण नशवत वा ण त य न य त अ व न मव ततrsquo

अथात जो हाथ म ह उसका लाभ उठाना ही ब मानी ह 464

वयमव ःखम धग छ त अपन कम क अनसार ही मन य को ःख मलता हमन य जस काय करता ह उसी क अनसार उस सख और ख क ा त होती ह

वा तव म ःख मन य ारा व छा स वीकत कया आ रोग ह उस समझना चा हए कयह उसक काय का ही फल ह 465

न रा चारण कयात रात क समय थ नह घमना चा हए

य को तो इसक त अ य धक सावधान रहना चा हए 466

न चाधरा वपयात आधी रात तक जागत नह रहना चा हएरा व ाम करन क लए बनाई गई ह च क सा- व ान क अनसार इस समय

शरीर म ऐसी रासाय नक या होती ह जो शरीर क व थ रहन क लए उपयोगी हइसी लए रात म समय पर सो जाना शारी रक और मान सक वा य क स लाभदायकह रा को कवल योगी जागत ह जो भ क ाथना म लीन रहत ह

सामा य जन को समय क अनसार वहार करना चा हए और ब त रात बताकरनह सोना चा हए 467

त दभः परी त मन य को कस समय या काय करना चा हए यह व ान और अनभवी कल क

व प ष स सीखना चा हए

प रवार क व प ष को अपन अनभव ारा ब त-सी बात ात होती ह इसी लएप रवार क लोग को जीवन म आचरण क लए उनस ब त कछ सीखना चा हए 468

परगहमकारणतो न वशत बना कसी कारण कसी सर क घर म नह जाना चा हएबना कारण कसी सर क घर जान स का अपमान होता ह इसका एक

अथ यह भी हो सकता ह क काननी अ धकार ा त होन पर ही कसी सर क घर म वशकया जा सकता ह वस नह 469

ा वा प दोषमव करो त लोकः मन य जानबझकर ही अपराध क ओर व होता हमन य अपनी वाभा वक ब क अन प कसी काय को बरा समझत ए भी उस

काय क ओर आक होता ह मन य असयम क कारण ऐसा करता ह जन य मसयम नह होता व ाचारी बन जात ह 470

शा धाना लोकव ः लोक वहार शा क अनकल होना चा हएमन य क वहार क सबध म ायः सभी शा म बताया गया ह इसी लए मन य

को अपन काय- ापार म अ य लोग क अप ा वहार आ द क रणा शा स ही लनीचा हए 471

शा ाभाव श ाचारमनग छत य द मन य को शा का ान न हो तो मन य को अपना आचरण प ष क

अनसार करना चा हएय द कसी को शा का ान नह तो उस जीवन म ब त-सी बात क लए

क ठनाई हो सकती ह इस क ठनाई को र करन का एक सरल उपाय यह ह क उस अपनाआचरण प ष क समान करना चा हए अथात जसा व करत ह उनका अनगमन करनाचा हए 472

नाच रता छा गरीयः कोई भी शा सदाचार स बढ़कर नह ह

अ छा आचरण शा स अ धक मा य ह सभी शा म सदाचरण क ही श ा दगई ह सदाचार शा स भी बड़ा ह 473

र थम प चारच ः प य त राजा राजा ग तचर ारा र क व त को भी दख लता हग तचर राजा क आख होत ह वह दश तथा वदश म अपन रा य स सब धत

अनक बात को ग तचर ारा जान लता ह 474

गतानग तको लोकः साधारण मन य परपरा का अनसरण करत हइस सर श द म भड़-चाल भी कहा जा सकता ह कवल ब मान मन य ही

सोच- वचार कर हतकर माग का अनसरण करत ह और अ हतकर माग याग दत ह वकसी सर को दखकर आचरण नह करत व अपनी ब स वचार कर काय करत ह 475

यमनजीव नापवदत जसक ारा जी वकोपाजन होता ह उसक नदा नह करनी चा हएमन य को आजी वका दन वाल वामी क नदा नह करनी चा हए ऐसा करन स

जी वका समा त हो सकती ह यह सम त ससार स म त प य काय धम जी वका आ दक कारण एक- सर स बध ए ह

इसी कारण यह ससार न व न चलता रहता ह अतः आजी वका दन वाल वामीक नदा न करक उसका स मान करना चा हए 476

तपःसार इ य न हः इ य को वश म रखना ही तप का सार हवषयभोग स सबध रखन वाल एकात वन म भी अपनी इ य को वश म

नह रख सकत जो अपन घर म रहता आ भी इ य को वश म रखता आ अपनाकाय करता ह वह तप पण जीवन ही बता रहा होता ह 477

लभः ीब धना मो ः ी क बधन स छटना बड़ा क ठन काय ह

ी स भोग वलास सबधी वचार आन पर मन य असाधारण मनोबल स ही बचसकता ह परत य द ी चाह तो उसक तप को भग भी कर सकती ह य द कोई तप वी भीइ य पर वजय ा त नह कर सकता तो उसक तप या थ होती ह को यक मोह म नह पड़ना चा हए 478

ीणा सवाशभाना म ी सभी सकट को ज म दन वाली होती ह

इ तहास म ऐसी अनक घटनाए इस बात का माण ह क य क कारण मन यसमाज को भारी हा न उठानी पड़ी रामायण महाभारत प वीराज और सयो गता ककहा नया इस बात का माण ह

इसी लए रा को चा हए क ी जा त क सबध म अपन कत क त पण सचतरह ी को कवल भोग वलास का साधन मानन स भी अनक हा नकारक प रणाम भगतनपड़त ह 479

अशभ षणः ीष न स ाः ( स ः) अशभ काय को न चाहन वाल लोग य म आस नह हो सकतसमाज क हत म अपना हत समझन वाल लोग य क अ धक सपक म नह

आत समाज का क याण चाहन वाल लोग को य म आस न होकर उनक साथकवल क का सबध रखना चा हए य म अ धक आस मन य को पतन क चरमसीमा तक प चा सकती ह 480

य फल ा वद वदः ऋक यज साम आ द तीन वद को जानन वाला ही य क फल को जानता हय फल स मन य भ क सबध म ान ा त करता ह अथवा उस अपन सबध म

पण ान क ा त होती ह अथात वह अपन वा त वक व प को य क कारण समझपाता ह 481

वग थान न शा तम (याव प यफलम) वग क ा त थायी नह होती उसक अव ध तब तक होती ह जब तक प य का

फल शष रहता हमन य वग म तभी तक वास करता ह जब तक उसक प य बच रहत ह इसस यह

कट ह क मन य क जीवन म सख अ थायी होत ह सख और ःख मन य को उसक

कम क अनसार ही ा त होत ह 482

याव प यफल तावदव वगफलम जब तक प य का फल शष रहता ह तब तक मन य वग पी फल अथात सख का

भोग करता ह 483

न च वगपतनात पर ःखम भौ तक सख क नाश स बढ़कर साधारण मानव क लए सरा कोई ःख नह जब मन य क भौ तक सख समा त हो जात ह तो उसक ख क सीमा नह रहती

परत यह सब उसक कम क कारण ही होता ह इसक साथ मन य को सामा य जीवनबतात ए अ धक सख क आशा म भी नह पड़ना चा हए जसस सख क समा त परउसका जीवन भर न हो जाए 484

दही दह य वा ऐ पद न वाछ त ाणी को दह स इतना लगाव होता ह क वह दह छोड़कर इ का पद भी नह

भोगना चाहताभावाथ यह ह क मन य अपन जीवन क वतमान काल म ही सख क इ छा करता

ह य क उसक आस अपनी दह म होती ह वह अपनी दह को छोड़कर इ -आसना त करन क इ छा नह रखता मरन क बाद सख क इ छा का प नक होती ह 485

ःखानामौषध नवाणम सम त ख क औष ध मो हमन य जब तक मन क इ छा क बधन म पड़ा रहता ह तब तक ःख का

अनभव होता ह मन क बधन स पणतः म होना ही ःख स छटकारा पाना ह अथातमन य जब मो ा त कर लता ह तब उसक ख वय समा त हो जात ह 486

अनायसब धा मायश ता मन य क म ता क अप ा स जन क श ता अ छ ह

आनाय अथात वचार वाल राचारी मायावी कपट क म ता कअप ा ववक-सप सदाचारी का श होना अ धक अ छा ह 487

नह त वचन कलम वचन स सार कल का नाश हो जाता ह

कठोर वचन बोलन वाला कल को कल कत कर दता ह जब क अ छमधरवाणी उ च कल क होन का माण दती ह मख स वाणी नकलत ही सबस पहलबोलनवाल क कल क मयादा का पता चलता ह क वह कस कल म पदा आ इसी लए

को अपन कल क गौरव क लए अ छ और मधर भाषा का योग करना चा हएअ छ कल का य द कवाणी बोलता ह तो यह उसक कल क पतन का कारण होता ह 488

न प स पशात पर सखम प सख स बढ़कर सरा कोई सख नह प -लाभ को सासा रक सख म सबस अ छा माना गया ह सभवतः वधाता न इस

स क परपरा को चलान क लए ही माता- पता क मन म प -मोह पदा कया य द माता-पता को प स इस कार का मोह न होता तो सभवतः स क परपरा का चलना असभवहो जाता 489

ववाद धममन मरत ववाद क समय धम क अनसार काय करना चा हएचाण य का कहना ह क आपसी लड़ाई-झगड़ अथवा कलह क समय धम का यान

रखना चा हए धम को भलना नह चा हए लड़ाई-झगड़ क समय भी जो धम कोयाद रखत ह व भयकर पाप करन स बच जात ह य क लड़ाई-झगड़ क समय मन य

ोध म आकर कछ भी कर सकता ह जसक कारण बाद म उस आय भर पछताना पड़ताह 490

नशा त काय च तयत मन य को न य ातःकाल दन क काय क सबध म वचार करना चा हए

ातःकाल जब मन य सोकर उठता ह तो उस इस बात पर वचार करना चा हए कदन भर का काय म या ह इस बात पर वचार करन स काय क सबध म वधा समा तहो जाती ह और उसका सारा दन न त काय म क अनसार चलता रहता ह 491

उप थत वनाशो नय म यत

जसका वनाशकाल नकट होता ह वह अनी त करन पर उता हो जाता हजस मन य क बर दन आत ह वह अनी त पण काय करन लगता ह अनी त पण

काय स वय ही उसका वनाश हो जाता ह 492

ीरा थनः क क र या ध क इ छा रखन वाल को ह थनी पालन क आव यकता नह होतीध ा त करन क लए कोई ह थनी को नह पालता अथात थ क कम याग

करन क यो य होत ह मन य को जस व त क आव यकता हो उसी क अन प कायकरना चा हए इसका अथ यह भी ह क मन य को कवल उपयोगी का ही सचय करनाचा हए थ क चीज बटोरन म अपनी श न नह करनी चा हए 493

न दानसम व यम दान जसा कोई वशीकरण म नह सदाचारी धनी लोग अपन धन का स पयोग समाज क क याण क लए करत ह

समाज क क याण क साथ-साथ उनक यश म भी व होती ह जन लोग को उनक दानस लाभ होता ह व सदव ही उनक नाम स भा वत रहत ह उनका दान वशीकरण म कसमान स होता ह 494

पराय ष क ठा न कयात पराई व त को ा त करन क इ छा नह करनी चा हएसाध-सत का कहना ह क सर क धन को मट ट क समान समझना चा हए

अथात जो पदाथ सर क पास ह उस पान क लए उतावला नह होना चा हए उस पान कलए अपनी श भी नह लगानी चा हए उतावलापन श क हीनता का ोतक ह सरक अ धकार म चली गई अपनी व त क ा त क लए भी धयपवक य न करना चा हए 495

अस सम रस ररव भ यत जन क सम का उपभोग जन लोग ही करत ह

लोग जो स प अथवा धन दौलत इकट ठा करत ह उसका उपयोग बर कामक लए होता ह 496

न बफल काकभ यत

नीम क फल को कौए ही खात हजस कार नीम का कड़वा फल कौए जस प य क काम ही आता ह इसी कार

अ श उपाय स इकट ठा कया आ धन च र हीन लोग क न दत काय क ही योग मआता ह इसी लए मन य का क ह क उ चत उपाय स धन का स ह कर जससउनक उ त हो 497

ना भो ध त णामपोह त सम क खार पानी स यास नह बझतीपाप क कमाई स कमाया आ धन कसी को सत नह कर सकता उसका अ छ

काम म उपयोग भी असभव ही होता ह नक उपाय स स ह कया आ धन अत ममन य क अपन वनाश का कारण बनता ह 498

बालका अ प वगणमा य त जस कार बाल या रत अपन ख और कठोर वभाव को नह छोड़ पाता इसी

कार मन य भी अपना वभाव नह छोड़तनीच अपन वभाव क कारण नीच उपाय स ही धन का स ह करता ह और उसका

उपयोग उसक अपन वभाव क कारण ही समाज-क याण क काय म नह होता उसकाउपयोग बर काय क लए ही होता ह 499

स तोऽस स न रम त स जन लोग जन म रहकर आनद (चन) अनभव नह करतमन य समाज म रहन वाला ाणी ह परत वह अपन जस वचार वाल लोग म ही

रहता ह अ जी क एक कहावत ह क एक जस प ी ही इकट ठ उड़त ह इसी कार भमन य भी भ लोग क साथ रहना चाहत ह

इसका कारण यह भी ह क मन य जस लोग म रहता ह उसका वभाव भी वसाबन जाता ह वपरीत वभाव क लोग आपस म म स मलकर न कोई समाज-क याण काकाय कर सकत ह और न उ त कर सकत ह 500

न हसाः तवन रम त हस नामक प ी मशान म रहना पसद नह करतजस कार हस मशान म नह रहत उसी कार यो य अयो य क

पास बठना पसद नह करत गणी एका त म अ ात जीवन बता दना तो वीकार करलत ह परत बरी सग त म रहना कभी वीकार नह करत 501

अथाथ वतत लोकः सारा ससार धन क पीछ दौड़ता ह अथात धन क पीछ नया पागल ह 502

आशया ब यत लोकः सभी सासा रक ाणी आशा क ब धन स बध ए हअ ववकशील मन य क क बधन म नह ब क आशा क ब धन म बधकर काम

करता ह कवल आशा क कारण काय करन स उसक इ छा पण नह होती और उसका धयन होन लगता ह वतमान का सही उपयोग न करक भ व य क आशा पर रहना मन कहा नकारक दशा ह भावाथ यह ह क मन य को कवल आशा पर ही नभर न रहकर कका पालन करना चा हए 503

न चाशापरः ीः सह त त कवल आशा म लग प ष को ल मी नह मलतीकवल आशा क उतार-चढ़ाव म रहन वाला ीहीन रहता ह जो क क

उप ा करक कवल आशा क बधन म बध रहत ह उ ह नराशा क अ त र कछ ा त नहहोता मन य को चा हए क वह सदव उ साह स स रहता आ क का पालन करइसी स धन क ा त होती ह 504

आशापर न धयम आशावान मन य धयशाली नह होताकवल आशा का दास बना मन य अपना धय खो बठता ह उसम थर ब नह

रहती 505

द या मरणम मम द र होकर जी वत रहन क अप ा मर जाना अ छा हजो मन य अपन को द नहीन नक मा और असहाय समझ लता ह वह जीत ए

भी मर क समान ह द नता र हत जीवन बताना मन य क साथकता ह अपन आपकोद नहीन समझकर उ साहहीन होना म य क समान ह 506

आशा ल जा पोह त आशा क दास नल ज होत हआशा अथात वषय-लोलपता क कारण मन य क ल जा न हो जाती ह इसक

कारण वह अन चत काय करन लगता ह और श ाचार को छोड़ दता ह अथात आशा मन यको नल ज बना दती ह 507

आ मा न तोत ः अपन मख स अपनी शसा नह करनी चा हएअपनी शसा क थान पर ऐस आचरण क आव यकता ह जसस क वय

शसा हो जो ोता क सामन अपनी शसा करता ह लोग उस सनकर य सम करात ह स जन आ म शसा स र रहत ह 508

न दवा व कयात दन म सोना नह चा हएदन म सोन स काय क हा न होती ह और शरीर म अपच वाय- वकार आ द दोष

उ प हो जात ह दन म कवल अ व य अथवा बालक को सोना चा हए 509

आयः यी दवा न ा दन म सोन स आय कम होती हइसका कारण यह ह क जब मन य सोता ह तो उसक सास तजी स चलन लगती ह

अथात जागत समय वह जतनी भी सास लता ह सोत समय उनक स या म व हो जातीह यक मन य क सास न त ह इसी लए दन म सोना आय-नाशक होता ह 510

न चास म प प य य या धः न शणोती म अपन धन क नश म अधा न तो अपन पास कसी व त को दखता ह और न

ही हतकारी बात सनता हमन य क पास धन होना और धन क कारण अ भमान होना दोन बात म अतर ह

जस को अपन धन का अ भमान ह उस अपन हत-अ हत का कोई यान नह रहता

वह अपन लए उ चत बात क भी उप ा करता ह बहारी न कहा ह क सोन का नशाधतर क नश स भी अ धक मन य का मान सक सतलन बगाड़न वाला ह 511

ीणा न भतः पर दवतम ी क लए प त स बढ़कर और कोई दवता नह ह 512

तदनवतनम भयसौ यम प त क इ छा क अनसार चलन वाली ी को इहलोक और परलोक दोन का सख

ा त होता ह 513

अ त थम यागत पजय था व धः अपन घर म आए अ त थ का व धपवक वागत करना चा हएगह थ का क ह क अक मात आन वाल अ त थ और समय न त करक

आन वाल अ यागत दोन का यथो चत वागत-स कार करना चा हए 514

न य स वभागी यात अपन उपा जत धन म स दान को भी द नक क मानना चा हएदान क म हमा का अनक थान पर वणन कया गया ह दान दन स धन नह

घटता इसी लए यक का क ह क वह जो कछ उपा जत करता ह उसम सकछ-न-कछ ऐस लोग को दना चा हए ज ह उसक आव यकता होती ह 515

ना त ह य ाघातः दवता को नय मत दया गया कभी भी न नह होता अथात यो य पा को

दया गया दान कभी भी थ नह जातासमाज क यो य य क सहायता करना भी समाज क सवा ह जो

समाज-क याण म अपना मन लगात ह व अ य प स अपना ही क याण करत ह 516

श र प माद लोभात लोभ दकर श को भी उसक ल य (श ता) स कया जा सकता ह

श को हरान का लोभ भी एक उपाय ह श को कसी भी कार क लोभ मडालकर उस अपन ल य म कया जा सकता ह य क लोभ मन य को नबल बनादता ह 517

श म वत तभा त ब श श भी कभी-कभी म क समान दखाई दता हश म क समान तभी दखाई दता ह जब लोभ क कारण उसक ब हो

जाती ह लोभ म पड़न पर वह अपन श को भी अपना हत करन वाला म तीत होनलगता ह 518

मगत णा जलवद भा त त णा क कारण मग चमकती ई बाल को जल समझ बठता हजसन अपनी इ य को वश म नह कया वही ठगा जाता ह मगत णा उस कहत

ह जसम चमकती ई रत भी जल क समान दखाई दती ह और हरण उधर भागता ह परतउस जल नह मलता

इसी कार धत लोग चकनी-चपड़ी बात बनाकर लोग को अपन लालच म फसालत ह ब म ा इसी म ह क मन य धत लोग क बहकाव म न आए 519

उपाल भो ना य णयष वनयर हत को उलाहना दन स कोई लाभ नह होताअथात उद दड मन य को कठोर दड ारा ही सही माग पर लाया जा सकता ह

520

मध सामस छा मोहय त ब हीन मन य को नक सा ह य बना दता ह अथात सा ह य उनक मन

को मोह लता ह और व माग पर चलना ारभ कर दत ह 521

स सगः वगवासः स सग ही वग म रहन क समान हक स भर इस ससार म सत का समागम एक शीतल झरन क पास बठन क

समान ह स सग स मन य को शा त ा त होती ह और वह धीर-धीर बराई का माग

छोड़कर भलाई क ओर चलता ह 522

आयः व मव पर म यत सबको अपन समान ही समझता ह

आय अथवा उदार वभाव क होत ह व सर क साथ उसी कार कावहार करत ह जसा व सर स अपन साथ बताव क आशा रखत ह 523

पानवत गणः प क अनसार ही मन य म गण होत ह

गण का मन य क दय स सबध होता ह उसक मन म जस वचार होत ह वउसक मख पर प झलकत रहत ह इसी लए कहा गया ह क मन य का जसा प होता हवसा ही गण होता ह

ायः मन य क प स ही उसक भीतर क शौय धय शा त सयम आ द गण हो जात ह प ष को भापन म पारगत लोग मन य को दखत ही उसक गण को भाप लतह 524

य सखन वतत तदव थानम जहा मन य सख स रह सक उसक लए वही उ म थान ह 525

व ासघा तनो न न क तः व ासघाती मन य का उ ार करन क लए कोई ाय त नह इस ससार म मन य एक- सर क व ास पर जीता ह जहा व ास समा त हो

जाता ह वहा जीवन भर हो जाता ह म ता का सबध भी व ास पर आधा रत ह जोमन य व ासघात करता ह उसको इस पाप स कसी ाय त ारा न नह कया जासकता 526

दवाय न शोचत जो बात दव क अधीन ह उसक सबध म चता अथवा सोच- वचार नह करना

चा हएमन य क साथ त दन ऐसी घटनाए होती ह जन पर उसका कोई वश नह होता

परत वह यह जानत ए भी उनक सबध म चता करता रहता ह अनक बार मन य कसी

काय को करन क लए स च मन स य न करता ह परत उसम सफलता ा त नह होतीऐसी थ त म मन य को दव क अधीन समझकर चता नह करनी चा हए 527

आ त ःखमा मन इव म यत साधः स जन आ त क ःख को अपना ःख समझत हस जन प ष अपन आ त पर आय कसी ःख को दखकर गत प स उस

ःख को र करन का य न करत ह आ त प ष क ःख को अपना ःख माननास जन प ष क स जनता अथवा महानता ह 528

द गतमा छा ा य द यनायः मन क वा त वक बात को छपाकर बनावट बात करन वाला अनाय अथात

होता हधोखा दन वाल लोग मन क ता को छपाए रखत ह और कवल वाणी स

मीठ -मीठ बात करत रहत ह कई बार उनक मीठ बात स स जन प ष धोख म पड़जात ह लोग क इस कार क वाणी पर व ास नह करना चा हए जो व ासकरता ह वह हा न उठाता ह 529

ब हीनः पशाचादन यः ब हीन अथात मख मन य पशाच क समान होता हब हीन घणा का पा होता ह उसी ब हीन आचरण क कारण उसक

नीचता का दशन होता रहता ह ब मान मन य अपन हत को यान म रखकर नीचय को याग दता ह परत ब हीन स यह सब कछ सभव नह इसी लए

ब हीन का समाज म कोई स मान नह होता 530

असहायः प थ न ग छत सारथी क बना या ा नह करनी चा हएमन य को कसी या ा म जात समय आ मर ा क साधन साथ म लकर चलना

चा हए उस अपनी सहायता क लए या तो अपन पास वध श रखन चा हए अथवा अपनसहायक क साथ या ा करनी चा हए 531

प ो न तोत ः

अपन प क शसा नह करनी चा हएजस कार अपनी शसा करना उ चत नह उसी कार गणी प क शसा करना

भी पता क लए उ चत नह पता का कत ह क अपन प को उ सा हत कर परत पक गण का उ लख समाज म नह करना चा हए यह काय भी आ म- शसा जसा ही ह जोउपहास का पा बना दता ह 532

वामी तोत ोऽनजी व भः सवक लोग को चा हए क व अपन वामी का गणगान करत रह 533

धमक य व प वा मन एव घोषयत रा य क अ धका रय का क ह क राजा क आ ा स लोग क हत क लए

कए गए काय को अपना न बताकर अपन वामी अथवा रा य-स था ारा कया गयाबताय उनका कत ह क रा य म कए गय अ छ काय क लए अपन आप कोअ धकारी न मान 534

राजा ा ना तलघयत राजा क आ ा का कभी उ लघन नह करना चा हए 535

वा यन ही धमक य भ यानाम अपन क पालन स वामी का अन ह ा त करना सवक का धम ह 536

यथाऽऽ त तथा कयात राजा अथवा वामी क जसी आ ा हो उसक अनसार ही काय करना चा हए

537

स वशष वा कयात वशष क को बना पछ तरत कर लना चा हएरा य क कमचा रय का कत ह क जनता क हत क काय म दरी न कर

दरी करन स जनता को तो हा न होती ही ह साथ ही रा क उ त भी कती ह ब मानराजकमचारी अपनी यो यता क अनसार शसनीय काय करक रा य का स मान ा त करसकत ह 538

वा मनो भी ः वोपय यत रा य सवा म डरपोक और अकम य लोग का कोई उपयोग नह होता 539

ना यनाय य कपा स कसी कार क भलाई क आशा नह रखनी चा हए 540

ना त ब मता श ः ब मान लोग क श नह होतब मान लोग यह बात समझत ह क मन य अपना ही सबस बड़ा श और अपना

ही सबस बड़ा म होता ह ऐसा उनक वचार क कारण ही माना जाता ह 541

श न न दत सभायाम सभा अथवा समाज म श क नदा नह करनी चा हएब मान लोग सभा गो ी आ द म श क नदा नह करत व गत प स

उनको अपमा नत होन पर ववश करत ह इस कार अपमा नत होन पर वह श ता रखनका वचार छोड़ दता ह

परत समाज म न दत होन पर वह उसका तकार करन क लए पहल स अ धकश ता रखन लगता ह 542

आ म छ न काशयत अपनी कसी कमजोरी को उजागर न होन द

ायः सभी जानत ह क यक मन य म कमजो रया होती ह परत उन कमजो रयको श पर कट नह होन दना चा हए उ ह र रखन का यास करना चा हए 543

श ौ मा ाघनीया अपनी श का दशन करन क थान पर मा का दशन करना शसनीय काय

हमा करना श वान को ही शोभा दता ह नबल को नह साम य होन पर भी जो

कसी पर दया दखाता ह उसक ही शसा होती ह 544

मावानव सव साधय त माशील मन य अपन सब काय स कर लता हमाशील मन य म इतनी श होती ह क वह अपमान करन वाल क अवहलना

कर सकता ह धन-जन क हा न करन वाल को भी सहन कर सकता ह इस कार वहअपन माग म आन वाली क ठनाइय क ओर यान न दकर अपन काय म लगा रहता हवह न त प स अपन सब काय पण कर लता ह 545

आपदथ धन र त आपातकाल क लए धन क र ा करनी चा हएमन य को कसी भी समय कोई आप अथवा क झलना पड़ सकता ह परत सब

क का नवारण धन स ही होता ह इसी लए मन य को चा हए क वह अपनी आय म सथोड़ धन क बचत कर 546

साहसवता य कत म साहसी प ष को अपना क य होता हसाहसी प ष कवल अपन क क ओर यान दत ह व अस य का सदव वरोध

करत ह अस य का सहारा लन वाला कभी व सनीय नह हो सकता अस य कोस य स ही परा त कया जा सकता ह 547

ः कायम कव त जो काय कल करना ह उस आज ही कर लना चा हएlsquoकाल कर सो आज कर आज कर सो अबrsquo वाली बात स सभी प र चत ह

इसी लए जो आव यक कत ह उनक त टालमटोल नह करनी चा हए 548

अपरा क पवाह णा एव कत म म या ो र का काम दन क थम भाग म ही कर लना चा हए

अपन क को अगल ण क लए भी न टालकर उसी समय करना चा हए 549

वहारानलोमो धमः

धम ावहा रक होना चा हए 550

सव ता लोक ता अपनी ब स लोक च र को समझना सव ता कहलाती हलोग क वभाव को समझ लना ही सव ता ह ब मान लोग अपन ब बल स

घर बठ ही ससार क सम या को समझ लत ह अपनी ब स स य और अस य म भदकरत ए अपना काम भली कार स कर लत ह 557

शा ोऽ यलोक ो मखत यः शा को जानन वाला होन पर भी जो मन य लोक- वहार को नह पहचान

सकता वह पढ़ा- लखा होन पर भी मख क समान हजो मन य लोक-च र को नह समझ सकता उसक सबध म यही कहा जा सकता

ह क वह शा को पण प स न जानन क कारण मख क समान ह शा - ान स मन यम चातय आता ह और वह मन य को समझन म सफल भी होता ह 552

शा योजन त वदशनम यथाथ ान क ा त ही शा - ान का योजन हत वदशन अथात लौ कक-अलौ कक पदाथ क यथाथ या रह य का पण प रचय

ा त हो जाना या करा दना ही शा क उपयो गता ह शा स मन य अ छ-बर का ाना त कर अपन जीवन म आन वाली क ठनाइय को स वधापवक हटा सकता ह 553

त व ान कायमव काशय त काय स ही यथाथ ान क ा त होती हअ छ वचार क श क पी काय को अपन ान क यो त स का शत

कर दती ह क को ढ़ बनान म त व ान सराहनीय सहयोग करता ह भावाथ यही हक त व ान ारा ही कए गय काय सफल होत ह 554

वहार प पातो न कायः याय- वहार म प पात नह करना चा हए 555

धमाद प वहारो गरीयान

वहार धम स भी बड़ा होता हवहार को धम का एक अग माना जाता ह वहार क बना धम का सार नह

हो सकता जस धम म वहार को मखता द जाती ह उसी धम क लोग ससार म म यमान जात ह 556

आ मा ह वहार य सा ी आ मा ही वहार क सा ी हय द मन य क मन म कोई पाप नह ह तो वह वहार-कशल माना जाता ह य द

मन य क मन म पाप ह तो वह वहार-कशल नह हो सकता समाज म उसस घणा कजाती ह प ह क आ मा ही वहार का सा ी होता ह इसी लए आ मा का व छ होनाअ त-आव यक ह 557

सवसा ी ा मा सम त ा णय म आ मा सा ी प म व मान रहती हस य व प आ मा इस सकल जगत क या इस मानव क जीवन ापी सम त च र

को या तो स य होन का माणप दकर साधवाद दन या अस य मा णत करक ध कारनक लए मानव- दय म सा ी अथात तट थ ा बनकर बठा ह 558

न यात कटसा ी मन य को कपट का समथक सा ी नह होना चा हएमन य को अपन जीवन का एक स ात यह बनाना चा हए क वह झठ का कभी

समथन नह करगा मन य को सदव स य पर ढ़ रहकर स य का ही समथन करना चा हए 559

कटसा णो नरक पत त झठ का समथन करन वाल लोग सा ी नरक म जात हअ ानी लोग ही झठ बात को सच बनान क लए गवाही दन का काम करत ह इस

कार झठ को सच बनान वाल लोग जो लाभ उठात ह वह उनक लए कलक क समानहोता ह और व सदव ख पी नरक म पड़ रहत ह 560

न ाशय त सम र त वा

कसी क व या उसक प म सा ी दन वाला कसी अ य का न तोउ ार करता ह और न नाश करता ह

कसी क प म अथवा उसक व गवाही दन वाला कसी भी कार स दोनप क लए लाभदायक या हा न द नह होता यह भ क कपा पर नभर रहता ह ककसका क याण होगा अथवा कसका वनाश 561

छ पापाना सा णो महाभता न छपकर कय गय पाप क सा ी पचमहाभत प वी जल तज वाय और आकाश

होत हछपकर कया गया पाप भी छपा नह रहता पाप क कट होन का कारण पापी

क आ मा होती ह जसक कारण उसका पाप उसक मख अथवा काय स कट हो जाताह अतः मन य को पापी क बजाय पाप स डरना चा हए 562

आ मनः पापमा मव काशय त पापी अपन पाप को अपन आप ही कट करता हपाप करनवाल क मन म सदव अशा त बनी रहती ह उसका मन उस बचन कए

रहता ह जसक कारण वह अपन पाप को कट करन क लए ववश हो जाता ह परत यहथ त तब होती ह जब मन य म य क ार पर खड़ा होता ह अतः मन य को चा हए क

वह पाप स बचता रह 563

वहारऽ तगतमाकारः सचय त क मन म या ह यह उसक चहर स कट होता ह 564

आकारसवरण दवानामश यम मन य क मन क भाव को कट करन वाली आक त को दवता भी छपान म

असमथ रहत हमन य क मन क भाव उसक चहर पर कट हो जात ह साधारण मन य तो या

दवता भी उ ह छपान म असमथ रहत ह मन य क आक त का सबध मन क भाव स इसकार जड़ा आ ह क उस कसी भी कार स छपाकर नह रखा जा सकता मन क भाव

मख पर अपन आप कट हो ही जात ह 565

चोरराजप ष यो व र त

राजा को चोर और रा य कमचा रय स रा क धन क र ा करनी चा हएराजा का क ह क वह ऐस नयम बनाय क जसस चोर और रा य क

अ धकारी जनता क धन का हरण न कर सक जा राजा पर व ास करती ह और उसअपना वामी समझती ह य द वह जा क सप क र ा नह कर सकता तो वह राजाको भी मान लती ह 566

दशना ह राजानः जा नाशय त जो राजा जा को दशन नह दता अथात उनक ःख-सख म शरीक नह होता ऐस

राजा को न करनवाल अनक उ प हो जात हराजा ारा जा को दशन दन का भाव उनक क को सनना और उनक थ त

जानन स ह जो राजा जा स मलता रहता ह और उसक उ त क लए काय करता हजा उसस म करती ह राजा का क यह ह क वह जा स मलता रह 567

सदशना ह राजानः जा रजय त जो राजा बराबर जा क सख- ःख को सनत ह उनस जा स रहती हराजा क लोक यता तभी बढ़ती ह जब वह अपन जाजन स मलकर उनक क

र करन का य न करता ह राजा को चा हए क जा स घ न सबध बनाए रखन क लएउसस मलता रह 568

यायय राजान मातर म य त जाः यायपरायण राजा को जा माता क समान मानती हजस कार माता अपनी सतान स एक जसा वहार करती ह उसी कार याय

करन वाल राजा को भी जा अपनी माता क समान मानती ह 569

ता शः स राजा इह सख ततः वगमा ो त जा- य राजा लौ कक और पारलौ कक वग को ा त करता हजा का पालन करना राजा का धम ह जा क साथ याय करनवाल तथा

धमपवक शासन करनवाल राजा को इस ससार म ही सख ा त होता ह और जा कआशीष क कारण वग-सख ा त करता ह 570

चोरा क टका सतत वनाशयत

राजा का क ह क वह चोर और राज काय म बाधा प चान वाल कोसमा त करता रह जा क र ा क लए राजा का क ह क वह लोग को लटनवालऔर रा य क काम म बाधा खड़ी करन वाल को न कर द 571

अ हसाल णो धमः

अ हसा ही धम का ल ण हधम का चार अ हसा स ही होता ह हसा स उसक माग म कावट पदा होती ह

अ हसा म का तीक ह अथात अ हसा को धम का तीक मानना चा हए 572

वशरीरम प परशरीर म यत साधः स जन प ष पराय शरीर को अपना ही मानत हजो मन य सर क ःख को अपना ःख मानता ह उसी को स जन प ष कहा जा

सकता ह सर क ःख म काम आना स प ष का ल ण ह 573

वशरीर मव परशरीर म यत साधः स जन प ष सर क शरीर को भी अपन शरीर जसा मानत हअथात व सर क क को भी अपना क समझकर उ ह र करन का य न करत

ह उ दोन स म समानता ह 574

सव मा य शय त बा लशः मख और नीच कसी सर को मह व दया जाना पसद नह करत 575

मास भ णमय सवषाम मास खाना उ चत आहार नह मन य क लए मास खाना इसी लए उ चत नह य क उसक शरीर क रचना

हसक पश क शरीर क रचना स भ ह वस मास खान का चलन स क ारभ सचला आ रहा ह परत ह अन चत 576

न ससारभय ानवताम ानी प ष को ससार म कसी कार का भय नह होता 577

व ानद पन ससारभय नवतत ान पी व ान क द पक स ससार क भय भाग जात ह

ान पी द पक क काश क कारण ानी मन य पाप पी अ ान म नह फसतान क काश स ानी भयम रहत ह 578

सवम न य भव त इस ससार क स पण भौ तक सख और उन सख को ा त करन क साधन सभी

अ न य ह व समय आन पर न हो जात ह कवल मन य क आ मा ही अमर रहती ह 579

वदह द हना म तमहती दहधा रय ारा अपन शरीर क त अ य धक आस होती हदह म आस मन य का अ ान ह य क दह न होनवाली व त ह अजर और

अमर तो आ मा ह इस लए पचभत स बन इस शरीर म असीम अ ान ह 580

क मशक म भाजन शरीर प यपापज महतः क म-क ट तथा मलम का घर यह शरीर प य और पाप का भी ज म थल हमन य का शरीर मलम और अनक रोग का घर होन क बावजद पाप-प य का

ज म थल भी यही हइसी क ारा मन य पाप भी कर सकता ह और प य भी इस लए दहधा रय का

क ह क व प य काय ारा अपन शरीर को उ वल बनाय 581

ज ममरणा दष ःखमव ज म-मरण का यह बधन ःख का कारण हमन य ज म-मरण स म होकर मो को ा त होता ह मो क ा त का साधन

यही ह क मन य अ छ कम कर अ छ काय स ही नवाण ा त होता ह 582

तपसा वगमा ो त तप स ही वग क ा त होती हजो मन य अपनी इ य को वश म करक अपन क पर करता ह उस इस लोक

और परलोक म सख ा त होता ह 583

माय य तपो ववधत माशील मन य का तप बढ़ता रहता ह

जस प ष क इ या अपन वश म ह वही मावान हो सकता ह 584

त मात सवषा काय स भव त तप या स सबक काय स होत हजत य मन य अपन वाथ को समाज-क याण क काय म वलीन करक जो कछ

भी करता ह उसक कारण सब काम स हो जात ह 585

चाण य समल पाठ

1 नमः श बह प त याम 2 प थ ा लाभ पालन च

याव यथशा ा ण पवाचायःथा पता न स यक मदमथशा कतम

3 सख य मल धमः 4 धम य मलमथः 5 अथ य मल रा यम 6 रा य यमल म यजयः 7 इ यजय य मल वनयः 8 वनय य मल व ोपसवा 9 व सवया व ानम 10 व ानना मान स पादयत 11 स पा दता मा जता मा भव त 12 जता मा सवाथः सय यत 13 अथस पत क तस पद करो त 14 क त स पदा नायकम प रा य नीयत 15 क त कोपः सवकोप यो गरीयान 16 अ वनीत वा मलाभाद वा मलाभः यान 17 स पा ा मानम व छत सहायवान 18 नासहाय य म न यः 19 नक च प र मय त 20 सहायः सम ःखसखः 21 मानी तमा ननमा म न तीय म म पादयत 22 अ वनीत नहमा ण न म कव त 23 तव तमपधाश म ण कयात 24 म मलाः सवार भाः 25 म र ण काय स भव त 26 म व ावी काय नाशय त 27 मादाद षता वशमपया य त 28 सव ार यो म ो र त ः 29 म स पदा ह रा य वधत 30 तमा म ग तमा ः

31 काया ध य द पो म ः 32 म च षा पर छ ा यवलोकय त 33 म काल न म सरः कत ः 34 याणामकवा य स ययः 35 कायाकायत वाथद शनो म णाः 36 षट कणाद भ त म ः 37 आप स नहसय म म 38 म स हण बल स प त 39 बलवान ल धलाभ यतत 40 अल धलाओ नालस य 41 अलस य ल धम प र त न श यत 42 न चालस य र त ववधत 43 न भ यान षय त 44 अल धलाभा द चत य रा यत म 45 रा यत ाय नी तशा म 46 रा यत वाय ौ त ावापौ 47 त व वषयक य वाय म 48 आवापो म डल न व ः 49 स ध व हयो नम डतः 50 नी तशा ानगो राजा 51 अन तर क तः श ः 52 एका त रत म म यत 53 हततः श म भ व यतः 54 हीयमानः स ध कव त 55 तजो ह स धानहत तदथानाम 56 नात तलोहो लोहन स धीयत 57 बलवान हीनन व यात 58 न यायसा समन वा 59 गजपाद व ह मव बलव हः 60 आमपा मामन सह वन य त 61 अ र य नम भसमी त 62 स धायकतो वा 63 अ र वरोधादा मर ामावसत 64 श हीनो बलव तमा यत 65 बला यो ःखमावह त

66 अ नव ाजानमा यत 67 रा ः तकल नाचरत 68 उ तवषधरो न भवत 69 न दवच रत चरत 70 योरपी यतोः धीभाव कव त 71 न सनपर य कायावा त 72 इ यवशवत चतरगवान प वन य त 73 ना त काय त व य 74 मगयापर य धमाथ वन यतः 75 अथषणा न सनष ग यत 76 न कामास य कायान ानम 77 अ न दाहाद प व श वा पा यम 78 द डपा यात सवजन यो भव त 79 अथतो षण ीः प र यज त 80 अ म ो द डनी यामाय ः 81 द डनी तम ध त न जाः सर त 82 दडः स पदा योजय त 83 द डाभाव म वगाभावः 84 न द डादकाया ण कव त 85 द डनी यामायतमा मर णम 86 आ म न र त सव र त भव त 87 आ माय ौ व वनाशौ 88 द डो ह व ान णीयत 89 बलोऽ प राजा नावम त ः 90 ना य नद ब यम 91 द ड तीयत व ः 92 व मलमथलाभः 93 अथमलौ धमकामौ 94 अथमल कायम 95 यद य य नात काय स भव त 96 उपायपव न कर यात 97 अनपायपव काय कतम प वन य त 98 काया थनामपाय एव सहायः 99 काय प षकारण ल य स प त100 प षकारमनवतत दवम

101 दव वना त य न करो त य फलम102 असमा हत य व न व त103 पव न य प ात कायमारभत104 काया तर द घस ता न क ा105 न चल च य कायावा तः106 ह तगतावमाननात काय त मो भव त107 दोषव जता न काया ण लभा न108 रनब ध काय नारभत109 काल वत काय साधयत110 काला त मात काल एव फल पब त111 ण त काल व प न कयात सवक यष112 दशफल वभागौ ा वा कायमारभत113 दवहीन काय ससा यम प ःसा य भव त114 नी त ो दशकालौ परी त115 परी यका र ण ी र त त116 सवा स पदः सव पायन प र हत117 भा यव तमपरी यका रण ीः प र यज त118 ाननानमान परी ा क ा119 यो य मन कम ण कशलः त त म व योजयत120 ःसा यम प ससा य करो त उपाय ः121 अ ा नना कतम प न ब म त म122 या छक वात क मर प पा तरा ण करो त123 स यव काय थ काशन क म124 ानवताम प दवमानषदोषात काया ण य त125 दव शा तकमणा तष म126 मानष काय वप कौशलन व नवारयत127 काय वप ौ दोषान वणय त बा लशाः128 काया थना दा य न क म129 ीराथ व सो मात धः तह त130 अ य नात काय वप भव त131 न दव माणाना काय स ः132 कायबा ो न पोषय या तान133 यः काय न प य त सोऽ धः134 य परो ानमानः काया ण परी त135 अपरी यका रण ीः प र यज त

136 परी य ताया वप ः137 वश ा वा कायमारभत138 वजन तप य वा यः शषभोजी सोऽमतभोजी139 सवान ानदायमखा न वध त140 ना त भीरोः काय च ता141 वा मनः शील ा वा कायाथ काय साधय त142 धनोः शील ः ीर भ 143 ग काशन आ मवा कव त (कयात)144 आ तर यवम यत म वभावः145 ती णद डः सव जनीयो भव त146 यथाहद डकारी यात147 अ पसार तव तम प न ब म यत लोकः148 अ तभारः प षमवसादय त149 यः सस द परदोष शस त स वदोषब व यापय त150 आ मानमव नाशय त अना मवता कोपः151 ना य ा य स यवताम152 साहसन न काय स भव त153 सनात व मर य वशन154 ना यन तरायः काल व प155 असशय वनाशात सशय वनाशः यान156 अपरधना न न तः कवल वाथम157 दान धमः158 नायागतोऽथव परीतोऽनथभावः159 यो धमाथ न ववधय त स कामः160 त परीतोऽनथसवी161 ऋज वभावो जनष लभः162 अवमाननागतम यमवम यत साधः163 ब न प गणानको दोषो सत164 महा मना परण साहस न क म165 कदा चद प च र न लघयत166 धात न तण चर त सहः167 ाणाद प ययो र त ः168 पशनः ोता प दारर प य यत169 बालाद यथजात शणयात170 स यम य य न वदत

171 ना मदोषाद ब गणा य य त172 वप व प सलभा दोषाः173 ना त र नमख डतम174 मयादातीत न कदा चद प व सत175 अ य कत यम प य भव त176 न म य प तलाको टः कपोदक य करो त177 सता मत ना त मत178 गणवदा या गणोऽ प गणी भव त179 ीरा त जल ीरमव भव त180 म प डोऽ प पाट लग धम पादय त181 रजत कनकसगात कनक भव त182 उपकतयपकत म छ यबधः183 न पापकमणामा ोशभयम184 उ साहवता श वोऽ प वशीभव त185 व मधना राजानः186 ना यलस य हकाम मकम187 न साहाद दव पत त188 मा याथ व (म या थवज) जलमपय याथ गह वणीयात189 अ व तष व ासो न क ः190 वष वषमव सवकालम191 अथसमादान व रणा सग एव न क ः192 अथ स ौ व रण न व सत193 अथाधीन एव नयतस ब धः194 श ोर पसत सखा र त ः195 याव छ ो छ प य त ताव तन वा क धन वा वा ः196 श छ प रहरत197 आ म छ न काशयत198 छ हा रण श वः199 ह तगतम प श न व सत200 वजन य व नवारयत201 वजनावमानोऽ प मन वना ःखमावह त202 एकागदोषः प षमवसादय त203 श जय त सव ता204 नक त या नीचाः205 नीच य म तन दात ा

206 तष व ासो न क ः207 सप जतोऽ प जनः पीडय यव208 च दनाद न प दावा नदह यव209 कदा प प ष नावम यत210 त म त प ष न बाधत211 भ ा धक रह य व म छ यब यः212 अनराग त फलन स यत213 अ ाफलम यम214 दात म पबा लशः लशन प रदा य त215 महद य ा या यध तमान वन य त216 ना यधतर हकाम मकम217 न जनः सह ससगः क ः218 शौ डह तगत पयोऽ यवम यत219 कायसकट वथ वसा यनी ब ः220 मतभोजन वा यम221 प यम यप याजीण ना ीयात222 जीणभो जन ा धन पसप त223 जीणशरीर वधमान ा धन प यत224 अजीण भोजन ःखम225 श ोर प व श यत ा धः226 दान नधानमनगा म227 पटतर त णापर सलभम तस धानम228 त णया म त छा त229 कायब व ब फलमाय तक कयात230 वयमवाव क काय नरी त231 मखष साहस नयतम232 मखष ववादो न क ः233 मखष मखवत कथयत234 आयसरायस छ म235 ना यध मतः सखा236 धमण धायत लोकः237 तम प धमाधमावनग छतः238 दया धम य ज मभ मः239 धममल स यदान240 धमण जय त लोकान

241 म यर प ध म र त242 धमा परीत पाप य स यत त धमावम तमहती स यत243 उप थत वनाशाना क याकारण ल यत244 आ म वनाश सचय यधमब ः245 पशनवा दनो रह यम246 पररह य नव ोत म247 व लभ य कारक वमधमय म248 वजन व त मो न क ः249 माता प ा या या250 वह तोऽ प वष द ध छ ः251 परोऽ प च हतो ब धः252 क ाद यौषध ग त253 ना त चौरष व ासः254 अ तीकार वनादरो न क ः255 सन मनाग प बाधत256 अमरवदथजातमजयत257 अथवान सवलोक य ब मतः258 मह म यथहीन न ब म यत लोकः259 दा र य खल प ष य जी वत मरणम260 व पोऽथवान स पः261 अदातारम यथव तम थनो न यज त262 अकलीनोऽ प कलीना श ः263 ना यमानभयमनाय य264 न चतनवता व भयम265 न जत याणा वषयभयम266 न कताथाना मरणभयम267 क य चदथ व मव म यत साधः268 पर वभव वादरो न क ः269 पर वभव वादरो प वनाशमलम270 पलालम प पर न हत म271 पर ापहरणमा म नाशहतः272 न चौयात पर म यपाशः273 यवागर प ाणधारण करो त लोक274 न मत यौषध योजनम275 समकाल वयम प भ व य योजन भव त

276 नीच य व ाः पापकम ण योजय त277 पयः पानम प वषवधन भजग य नामत यात278 न ह धा यसमो थः279 न धासमः श ः280 अकत नयता त281 ना यभ य धत य282 इ या ण जरावश कव त283 सान ोश भतारमाजीवत284 ल धसवी पावक छया ख ोत धम त285 वशष वा मनमा यत286 प ष य मथन जरा287 ीणाममथन जरा288 न नीचो मयो ववाहः289 अग यागमनादाययशः प या न ीय त290 ना यहकारसमः श ः291 सस द श न प र ोशत292 श सन वणसखम293 अधन य ब न व त294 हतम यधन यवा य न शणो त295 अधनः वभाययाऽ यवम यत296 प पहीन सहकारम प नोपासत मराः297 व ा धनमधनानाम298 व ा चौरर प न ा ा299 व या या पता या तः300 यशः शरीर न वन य त301 यः पराथमपसप त स स प षः302 इ याणा शम शा म303 अशा कायव ौ शा ाकश नवारय त304 नीच य व ा नोपत ा305 ल छभाषण न श त306 ल छानाम प सव ा म307 गण न म सरः क ः308 श ोर प सगणो ा ः309 वषाद यमत ा म310 अव थया प षः स मा यत

311 थान एव नराः प य त312 आयव मन त त313 कदा प मयादा ना त मत314 ना यघः प षर न य315 न ीर नसम र नम316 स लभ र नम317 अयशो भय भयष318 ना यलस य शा ा धगमः319 न ण य वगा तधमक य च320 योऽ प णमवम य त321 न प पाथ सच त श कत म322 अ य नो बालका वाथनादन यः323 न महाजनहासः क ः324 कायस पद न म ा न सचय त325 न ाद प न म ा न वशषय त326 न व रत य न परी ा327 प रचय दोषा न छा त328 वयमश ः परानाशकत329 वभावो र त मः330 अपराधान पो द डः331 कथान प तवचनम332 वभवान पमाभरणम333 कलान प व म334 कायान पः य नः335 पा ान प दानम336 वयोऽन पो वशः337 वा यनकलो भ यः338 भतवशव तनी भाया339 ग वशानवत श यः340 पतवशानवत प ः341 अ यपचारः श कत ः342 वा म न क पत वा मनमवानवतत343 मातता डतो व सो मातरमवानरो द त344 नहवतः व पो ह रोषः345 आ म छ न प य त पर छ मव प य त बा लशः

346 सोपचारः कतवः347 का य वशष पचरणमपचारः348 चरप र चतानाम यपचारः श कत ः349 गौ करा सह ादका कनी यसी350 ो मयराद कपोतो वरः351 अ त सगो दोषम पादय त352 सव जय य ोधः353 य पका र ण कोपः कोप कोप एव क ः354 म तम स मख- म -ग -व लभष ववादो न क ः355 ना य पशाचम यम356 ना त धनवता सकमस मः357 ना त ग त मो यानवताम358 अलोहमय नगड कल म359 यो य मन कशलः स त मन यो ः360 कल मन वना शरीरकशनम361 अ म ो दारान नरी त362 ीष क चद प न व सत363 न समा धः ीष लोक ता च364 ग णा माता गरीयसी365 सवाव थास माता भत ा366 व यमलकारणा छा त367 ीणा भषण ल जा368 व ाणा भषण वदः369 सवषा भषण धमः370 भषणाना भषण स वनया व ा371 अनप व दशमावसत372 साधजनब लो दशः373 रा ो भत सावकालम374 न रा ः पर दवतम375 स रम प दह त राजव ः376 र ह तो न राजानम भग छत377 ग च दव च378 कट बनो भत म379 ग त च सदा राजकलम380 राजप षः स ब ध कयात

381 राजदासी न स वत ा382 न च षा प राजधन नरी त383 प गणव त कट बनः वगः384 प ा व ाना पार गम यत ाः385 जनपदाथ ाम यजत386 ामाथ कट ब य यत387 अ तलाभः प लाभः388 ायण ह प ाः पतरमनवत त389 गतः पतरौ र त सप ः390 कल यापय त प ः391 यन त कल यात सः प षः392 नाऽनप य य वगः393 या सत (सा) भाया394 सतीथाऽ भगमनाद चय न य त395 प ाथा ह यः396 वदासीप र हो ह वदासभावः397 उप थत वनाशः प यवा य न शणो त398 ना त द हना सख ःखाभावः399 मातर मव व साः सख ःखा न कतारमवानग छ त400 तलमा म यपकार शलमा म यत साधः401 उपकारोऽनाय वक ः402 यपकारभयादनायः श भव त403 व पम यपकारकत यपकार कतमाय न व प त404 न कदा प दवताऽवम तका405 न च षः सम यो तर त406 च ह शरी रणा नता407 अपच षः क शरीरण408 ना स म कयात409 न न नो जल वशत410 यथा शरीर तथा ानम411 यथा ब तथा वभवः412 अ नाव न न न पत413 तप वनः पजनीयाः414 परदारान न ग छत415 अ दान णह याम प मा

416 न वदबा ो धमः417 न कदा चद प धम नषधयत418 वग नय त सनतम419 ना त स या पर तपः420 स य वग य साधनम421 स यन धायत लोकः422 स याद दवो वष त423 नानता पातक परम424 न मीमा या गरवः425 खल व नोपयात426 ना त खल य म म427 लोकया ा द र बाधत428 अ तशरो दानशरः429 ग दव ा णष भ भषणम430 सव य भषण वनयः431 अकलीनोऽ प वनीतः कलीना श ः432 आचारादायवधत क त433 यम य हत न व म434 ब जन व मक नानवतत435 न जनष भागधयः क ः436 न कताथष नीचष स ब धः437 ऋणश ा ध वशषः क ः438 भ यनवतन प ष य रसायनम439 ना थ वव ा काया440 स कर कम कार य वा कतारमवम यत नीचः441 नाकत य नरका वतनम442 जह ववाय ौ व वनाशौ443 वषामतयोराकरो जह वा444 यवा दनो न श ः445 तता अ प दवता त य त446 अनतम प वचन चर त त447 राज न च व म448 तसखा को कलालापा य त449 वधमहतः स य षः450 ना य थनो गौरवम

451 ीणा भषण सौभा यम452 श ोर प न पतनीया व ः453 अ य नादक म454 एर डमवल य कजर न कोपयत455 अ त व ा शा मली वारण त भो न भव त456 अ तद घऽ प क णकारो न मसली457 अ तद तोऽ प ख ोतो न पावकः458 न व व गणहतः459 सजीण ऽ प पचम दो न शकलायत460 यथा बीज तथा न प ः461 यथा त तथा ब ः462 यथाकल तथाऽऽचारः463 स कतः पचम दो न सहकारो भव त464 न चागत सख प र यजत465 वयमव ःखम धग छ त466 न रा चारण कयात467 न चाधरा वपयात468 त भः परी त469 परगहमकारणतो न वशत470 ा वा प दोषमव करो त लोकः471 शा धाना लोकव ः472 शा ाभाव श ाचारमनग छत473 नाच रता छा गरीयः474 र थम प चारच ः प य त राजा475 गतानग तको लोकः476 यमनजीव नापवदत477 तपःसार इ य न हः478 लभः ीब धना मो ः479 ीनाम सवाशभाना म480 अशभ षणः ीष न स ाः ( स ः)481 य फल ा वद वदः482 वग थान न शा तम (याव य यफलम)483 याव प यफल तावदव वगफलम484 न च वगपतनात पर ःखम485 दही दह य वा ऐ पद न वाछ त

486 ःखानामौषध नवाणम487 अनायसब धा मायश ता488 नह त वचन कलम489 न प स पशात पर सखम490 ववाद धममन मरत491 नशा त काय च तयत492 उप थत वनाशो नय म यत493 ीरा थनः क क र या494 न दानसम व यम495 पराय ष क ठा न कयात496 अस सम रस दभरव भ यत497 न बफल काकभ यत498 ना भो ध त णामपोह त499 बालका अ प वगणमा य त500 स तोऽस स न रम त501 न हसाः तवन रम त502 अथाथ वतत लोकः503 आशया ब यत लोकः504 न चाशापरः ीः सह त त505 आशापर न धयम506 द या मरणम मम507 आशा ल जा पोह त508 आ मा न तोत ः509 न दवा व कयात510 आयः यी दवा न ा511 न चास म प प य य या धः न शणोती म512 ीणा न भतः पर दवतम513 तदनवतनमभयसौ यम514 अ त थम यागत पजय था व धः515 न य स वभागी यात516 ना त ह य ाघातः517 श र प माद लोभात518 श म वत तभा त519 मगत णा जलवद भा त520 उपाल भो ना य णयष

521 मध सामस छा मोहय त522 स सगः वगवासः523 आयः व मव पर म यत524 पानवत गणः525 य सखन वतत तदव थानम526 व ासघा तनो न न क तः527 दवाय न शोचत528 आ त ःखमा मन इव म यत साधः529 द गतमा छा ा य द यनायः530 ब हीनः पशाचादन यः531 असहायः प थ न ग छत532 प ो न तोत ः533 वामी तोत ोऽनजी व भः534 धमक य व प वा मन एव घोषयत535 राजा ा ना तलघयत536 वा यन ही धमक य भ यानाम537 यथाऽऽ त तथा कयात538 स वशष वा कयात539 वा मनो भी ः वोपय यत540 ना यनाय य कपा541 ना त ब मता श ः542 श न न दत सभायाम543 आ म छ न काशयत544 श ौ मा ाघनीया545 मावानव सव साधय त546 आपदथ धन र त547 साहसवता य कत म548 ः कायम कव त549 अपराह णक पवाह णा एव कत म550 वहारानलोमो धमः551 सव ता लोक ता552 शा ोऽ यलोक ो मखत यः553 शा योजन त वदशनम554 त व ान कायमव काशय त555 वहार प पातो न कायः

556 धमाद प वहारो गरीयान557 आ मा ह वहार य सा ी558 सवसा ी ा मा559 न यात कटसा ी560 कटसा णो नरक पत त561 न ाशय त सम र त वा562 छ पापाना सा णो महाभता न563 आ मनः पापमा मव काशय त564 वहारऽ तगतमाकारः सचय त565 आकारसवरण दवानामश यम566 चोरराजप ष यो व र त567 दशना ह राजानः जा नाशय त568 सदशना ह राजानः जा रजय त569 यायय राजान मातर म य त जाः570 ता शः स राजा इह सख ततः वगमा ो त571 चोरा क टका सतत वनाशयत572 अ हसाल णो धमः573 वशरीरम प परशरीर म यत साधः574 वशरीर मव परशरीर म यत साधः575 सव मा य शय त बा लशः576 मास भ णमय सवषाम577 न ससारभय ानवताम578 व ानद पन ससारभय नवतत579 सवम न य भव त580 वदह द हना म तमहती581 क मशक म भाजन शरीर प यपापज महतः582 ज ममरणा दष ःखमव583 तपसा वगमा ो त584 माय य तपो ववधत585 त मात सवषा काय स भव त

चाण य जीवन गाथाजीवन क अनभव स ही स ात क प होती ह परपरा स माना आ जब वहार ककसौट पर खरा उतरता ह तो वह न ा बन जाता हmdashल य क ा त क लए इस कारक न ा का होना अ यत आव यक ह इस न ा को ही मोट भाषा म हठ भी कहत हmdashदोन म अतर इतना ह क न ा म ववक क भ मका होती ह जब क हठ सामा यतयाइसस र होता ह आचाय चाण य क जीवन म lsquoअखड भारतrsquo क त जो न ा थी उसनही उ ह उनक वभाव स र ल जाकर क टल अथात कौ ट य बना दया इस समची या ाको समझ बना चाण य नी त क रह य को समझ पाना सभव नह ह जीवन को समझनक बाद ही कही- लखी बात क सदभ का आकलन होता ह

नय त को पहचानना ब मान क पहचान ह ऐसा ववकवान नय त क वाह को मोड़न-तोड़न का थ यास नह करता वह तो उसम स उस लहर का चनाव कर लता ह जो उसउसक ल य तक ल जाएब मान अपनी श को सजोकर रखत ह वह तो श क ऊजा का ही योग करत ह उसन करन म ल कन ऐसी द ता क लए आव यक ह क योगकता क आख खली हऔर उसक ब थर हो ता क वह श क छोट-छोट याकलाप को दख सक और उसीक अनसार अपनी समरनी त को स न त कर सकनय त जतनी उदार होती ह उसस भी यादा र होती ह थोड़ी-सी चक ई नह कआकाश प वी स टकराया इ तहास क प ऐसी उथल-पथल स ही तो भर ए ह

चाण य जीवन गाथाचाण य न ईसा स 300 वष पव ऋ ष चणक क प क प म ज म लया वही

उनक आर भक काल क ग थ कछ इ तहासकार मानत ह क चणक कवल उनक ग थचणक क ही श य होन क नात उनका नाम चाण य पड़ा उस समय का कोई ामा णकइ तहास उपल ध नह ह इ तहासकार न ा त सचना क आधार पर अपनी-अपनीधारणाए बना

व ाथ चाण यपरत यह सवस मत ह क चाण य क आर भक श ा ग चणक ारा ही द गई

स कत ान तथा वद-पराण आ द धा मक थ का अ ययन चाण य न उ ह क नदशन मकया चाण य मधावी छा थ ग उनक श ा हण करन क ती मता स अ यतस थ

तब सभी सचनाए व वधाए धम थ क मा यम स ही ा त होती थ अतः धा मकप तक का अ ययन श ा ा त का एकमा साधन था चाण य न कशोराव था म हीउन थ का सारा ान हण कर लया था अब बारी उ च श ा क थी जो उनम मथन वशोध क यो यता पदा कर जसस व अब तक ा त ान को रचना मक प द सक वउसका व तार कर सक

उस काल म त शला एक व यात व - व ालय था जो सध नद क कनार बसनगर क प म था व व ालय म यात व ान तथा वशष ोफसर क प म छाको श ा दत थ त शला म श ा हण करन क लए र- र स राजकमार शाहीप रवार क प ा ण व ान धनी लोग तथा उ च कल क बट आत थ

त शला अब पा क तान म ह परात व खदाई म य नव सट का परा च उभरकरसामन आया ह त शला म दस हजार छा क आवास व पढ़ाई क स वधाए थ अ यापक क स या का सहज ही अनमान लगाया जा सकता ह व व ालय म आवासक पढ़ाई क लए लास म हॉल और प तकालय थ त शला क अवशष को दखनक लए आज तवष हजार ट र ट इ तहासकार तथा परात वव ा आत ह

व व ालय कई वषय क पाठ य म उपल ध करता था जस भाषाए ाकरणदशनशा च क सा श य च क सा क ष भ व ान यो तष खगोल शा ान-व ान समाज शा धम त शा मनो व ान तथा योग व ा आ द व भ वषय परशोध का भी ावधान था

कोस 8 वष तक क अव ध क होत थ वशष अ ययन क अ त र वद तीरदाजीघड़सवारी हाथी का सधान व एक दजन स अ धक कला क श ा द जाती थीत शला क नातक का हर थान पर बड़ा आदर होता था

यहा छा 15-16 वष क अव था म ार भक श ा हण करन आत थवाभा वक प स चाण य को उ च श ा क चाह त शला ल आई यहा भी चाण य न

पढ़ाई म वशष यो यता ा त क यह बात यान रखन यो य ह क चाण य क प थ वउनका रग भी काला था इस लए उ ह न अपना सारा यान पढ़ाई म क त कया उ ह पक कमी व ान बन कर परी करन क धन सवार थी फर एकाक छा और करता भी

या एक काल पहीन व नधन व ाथ को म बनान म कसी सर छा को च भीनह थी

पर सर छा को चाण य क व ा क माण तो मलत ही रहत थ यह बातऔर थी क वह राजा-महाराजा का काल था सर वती प क गण को आदर दन कउदारता राजप म नह थी

एकाक होकर एका ता स चाण य न अपन वषय क खब पढ़ाई क धा मकथ का फर स मथन करन क स अ ययन कया उ ह न राजनी त अथशा रा य

तथा सामा जक वषय पर उपल ध थ वा याय क लए पढ़यह प हो गया था क चाण य एक व ान बनन क राह पर थ जो त शला

व व ालय ारा पदा कया एक र न सा बत होन वाला था

व षक चाण यवह यग राजनी तक उथल-पथल का था चार ओर अराजकता फली थी लोग का

जीवन असर त था उन पर शोषण क मार पड़ती ही रहती थीशासक राजा नरकश थ जो धनी वग व जम दार क साथ मलकर जनता पर

अ याचार करत व उनका खन चसत थ अ धकतर राजा क रा य म न कोई व ध-

वधान था न शास नक व था अ धका रय व उनक का रद क मनमानी ही कानन थागरीब लोग त थ चाण य वय उसी नधन-असहाय वग स थ अतः राजनी तक वसामा जक दशा का व षण करना उनका वभाव हो गया चार ओर घटती घटना सभी वह श ा हण कर रह थ

यही काल था जब सोचत-सोचत उनक मन म एक आदश रा य सग ठत व थानाग रक स हता तथा अथत क प रक पनाए ज म लन लगी थ उनक म त क म लबसमय तक वह प रक पनाए पकती रह व प र कत होती रह ज ह बाद म उ ह न थ क

प म लखा व अमर हो गएइ तहास करवट ल रहा था यनान स एक यो ा व वजय का सपना लकर एक

वशाल सना क साथ पव क ओर कच कर चका था ए शया महा प क म य-पव दशउसक आ मण क चपट म आ गए थ य क गरम हवाए भारत क ओर प म स आरही थ कई रा य उजड़ रह थ

यनान का वह दात यो ा था सकदर जो महान कहलाया उसक सना वशाल थीऔर उस सना क य प त नवीन थी जो ढ़वाद भारतीय शासक क समझ स पर थीयनानी सना एक यो म तक आकार म आग बढ़ती थी उनक स नक चमचमात कवच ससर त घोड़ पर बठ आ मण करत थ पदल सना लब भाल स र स ही श को ब धकर गरा दती थी जसका भारतीय व सर दश क सना क पास कोई उ र न था

उजड़ लोग शरणाथ बनकर पव क ओर आ रह थ त शला म भी शरणा थय कभीड़ आ घसी व व ालय प रसर भी शरणा थय स भर गया जस नगर म कवलश ाथ आत थ अब वहा रोट -पानी व आ य मागन वाल आ रह थ

सम या स नपटन क लए राजा न अपन व श य क सभा बलाई वसम या का समाधान ढढ़ा पड़ोसी राजा भी वचार- वमश करन आए अत म नणय यहलया गया क शरणा थय को नगर क बाहर एक भ म म आ य दया जाए व नगर मकवल प रचय प दखाकर ही आ सकत थ परत व व ालय प रसर म उनका वशव जत था

इस कार चाण य न वय दखा क इस कार क आपात थ त उ प होन परकौन स कदम उठाए जान चा हए

नातक बनन तक चाण य न व ालय क श ा क साथ-साथ वय भी व षकक प म ब त कछ सीखा

ा यापक चाण यनातक बनन क बाद चाण य त शला व व ालय म ही ा यापक बन गए

एक ा यापक क प म वीकार कए जान म कोई अड़चन नह आईनातक बनन क अ तम वष आन तक चाण य क व ा सब पर जा हर हो गई

थी सभी अ यापक तथा छा उनका लोहा मानन लग गए थ अ यापक तो उ ह समकही मानन लग तथा छा अ ययन या शोध म न सकोच चाण य क सहायता लत थ

ा यापक क प म चाण य न शी ही अपनी जगह बना ली तथा सर ा यापक

को अपना शसक बना लया व व ालय म पढ़ाए जान वाल वषय पर तो उनकाअ धकार था ही वह व अ य सामा जक धा मक व राजनी तक वषय क भी अपनीवल ण तभा क बल पर अ छ खास वशष बन गए

छा तो उनक व ा पर म ध थ ही व उनक ऐस अनयायी बन गए क बाद मजब चाण य पव क ओर थान कर गए तो कई छा उनक अ य ता म काम करन वहाप च गए तथा चाण य क अ भयान म मह वपण रोल अदा कया भ भट ट व प षदउनम मख ह

त शला अब तजी स गरम हो रहा था प म क ओर स य क झलसान वालीगरम हवाए तफानी अदाज म आ रही थ यनानी यो ा सकदर क घोड़ क टाप सनाई दनलगी थ चाण य न त शला छोड़ पव क ओर कच करन का मन बना लया था उनकदमाग म बड़ी-बड़ी योजनाए थ एक आदश रा य था पत करन क उन योजना कोफलीभत होन क लए समय क दरकार थी पर त शला का तो अपना अ तम समय आगया था यम ार पर द तक द रहा था वहा स खसकन म ही भलाई थी

चाण य न स र पव क ओर का ख कया यहा मगध सा ा य था जसकराजधानी पाट लप (आज का पटना) थी वहा का मोह चाण य क लए इस लए था कपाट लप क नकट ही उस समय का महान व व ालय नालदा था जो त शला सकसी सरत कम नह था 399 वष ईसा पव एक चीनी घमत इ तहासकार फाहयान न वहाक या ा क थी व पाट लप क गण गाए थ

पाट लप गगा क कनार बसा था इ तहास क दौर म उसक कई नाम रहप पापर प पनगर पाट लप और अब पटना ह

वह चाण य न धरती क तर स काय करत-करत ऊपर उठन का मन बना लयाता क वह धरती स जड़ी स चाइय स भी गत प स प र चत हो जाए अपनीत शला क नातकता व ा यापकता का हवाला दन क बजाय एक श क क साधारणनौकरी वीकार कर ली

मगध म धनानद का रा य था राजा कवल कर लगाकर धन उगाना व अपनाखजाना भरना जानता था जनता खी थी पर उसका म ी समझदार था म ी अमा यशकटार न राजा को समझाया क कवल लट-खसोट स काम नह चलगा उ ह कछ धनलोक क याण तथा पर कार प म बाटकर जनता का आ ोश कम करना होगा बात राजाक समझ म आ गई उसन कलाकार व ान तथा लोक क याण काय क लए अनदानदन आरभ कए इस बीच चाण य अपनी यो यता स थानीय लोग क दल म घर कर चकथ सामा जक काय म भी उनक च थी व सामा जक व शास नक व था सधारनाचाहत थ उ ह न मख लोग को सझाया क राजा ारा दए अनदान का पयोग हो रहाह य क उपय व था नह ह इसक स पयोग क लए व ान व मख य कएक स म त होनी चा हए

बात सबको जच गई व ान न मलकर एक सघ बनाया चाण य को अ यबनान म कसी को भी आप नह ई कछ अ धका रय न अनदान क रा शया सघ कोद चाण य क नदशन म उनका अ यत रचना मक उपयोग आ जसक सबन शसाक

सघ क कछ सद य न सझाव दया क चाण य को वय राजा धनानद स मलनाचा हए ता क अ धक अनदान क व था हो सक उ ह यह भी आशा थी क राजाचाण य क यो यता को दखत ए उ ह उ चत दा य व सौपग चाण य तयार हो गए

ऐस समय म चाण य को आचाय शकटार स मलन का वचार आया व चाण य कसहपाठ व म रह चक थ दोन त शला म श ा हण कर चक थ श ा पण करन कप ात आचाय शकटार पहल नद सा ा य म म ी बन फर महाम ी इसी लए तो चाण यन पहल नचल तर स काय श कर अपनी यो यता स करन क को शश क थी वब त वा भमानी थ व पहल ही शकटार स मलत तो सभी को यह लगता क चाण यअपन म को सीढ़ बनाकर ऊपर चढ़ गए और शायद उनक यो यता का सही म याकन नहोता परत अब मलना आव यक था य क व वदशी आ मणकारी सकदर क चाल वखतर स मगध स ाट को सावधान करना चाहत थ

एक सदशवाहक क साथ चाण य न प भजकर आचाय शकटार स नजी प समलन क इ छा जताई शकटार को अपन परान सहपाठ क पाट लप म उप थ त सस ता ई वस सघ क काय का योरा पाकर उ ह कछ-कछ अनमान तो पहल ही हो गया

था क शायद उसका सचालन-अ य चाण य उनका त शला श ा ा त क दन काम ही हो सकता ह वह यह भी जानत थ क वा भमानवश वह म उनस सहायता नहलना चाहगा शकटार न सहष चाण य को अपन घर आन का नम ण द दया

चाण य आए तो शकटार उनस परानी आ मीयता स मल और भीतर ल जाकरआदरपवक बठाया कशल म क प ात चाण य न भारत क प मी भाग क रा य कदशा का वणन कया क कन प र थ तय म उ ह त शला छोड़कर पव क ओर आनापड़ा उ ह न यनानी आ मणकारी सकदर क अ भयान क खतर क चचा भी क

शकटार न पछा ldquoजरा व तार स बताइए क प मी भाग म या आ और यहसकदर या मसीबत हrdquo

चाण य न लबी सास लकर उ र दया ldquoअमा य वही परानी कहानी बार-बारदोहराई जा रही ह हमार शासक आपस क छोट-छोट कलह म उलझ रहत ह और वदशीआ मणका रय क लए अपन ार खोल दत ह इस बार यह वदशी आ मणकारी कोईसाधारण नह ह वह यनान दश का महायो ा स ाट ह जसन व वजय क ठानली ह और एक अ त वशाल सना लकर उसी अ भयान पर पव क ओर कच कर चका हउसक स नक नए कार क कवच व आयध स स जत ह उसक सना या म तकसरचनाब होकर वार करती ह और य क ऐसी प तय का योग करती ह जनका

हमारी सना को ान ही नह ह वह अपन सामन आन वाली सारी सना व रा य कोर दता आ हमारी सीमा तक आ प चा ह उसक श क सामन पारस क महान सा ा यभी टक नह पाए म का पतन हो चका शक तान कधार और बख या ढह गएह कश पवत पार कर उसन हमारी भ म पर अपना पर रखाrdquo

ldquoतो या सकदर न त शला पर वजय ा त कर लीrdquo शकटार न व मत औरच तत वर म पछा

ldquoआचाय आपको उस व ाथ क याद ह जसका नाम आ भक था जब हमत शला म व ा हण कर रह थrdquo

ldquoमझ कछ मरण नह हrdquo शकटार न याद करन का य न करत ए कहाldquoउसक कहानी का सकदर क सदभ म ब त मह व हrdquo ऐसा कहकर चाण य न

शकटार को आ भक क कहानी सनाई

आ भक क कथाldquoत शला गाधार रा य क राजधानी था गाधार रा य सध व झलम न दय क

बीच का दश था सध नद क प म क ओर का प मी गाधार कहलाता था जोपथक वत रा य था गाधार एक सखी रा य था और त शला व व ालय उसकागौरव था इसी कारण सर रा य म उसका नाम स मान स लया जाता था

झलम क पव क ओर प का ककय रा य था त शला क यश व स ककारण वह गाधार रा य स जलता था प एक मह वाका ी राजा था उसन अपन आस-पास क कई छोट रा य को साम-दाम व दड क नी त अथवा य म परा त कर ककय मजोड़ अपना व तार करन का अ भयान चला रखा था ल य ककय को सा ा य बनाकरराजा स स ाट बनना था प क पास चतर व धत म य का दल व यो य सनाप त था जोप क व तारवाद को साकार प द रह थ इस दल न यो य ग तचर का एक अ त

भावशाली त बना रखा था जो श दश म कह भी घसपठ करन म स म था म ी दलक मख योजनाकार म यम ी इ द थ

सभी जानत थ क राजा प क गाधार रा य पर ह परत गाधार छोटा-मोटाअश रा य नह था उस ह थयान क लए द घकालीन योजना चा हए थी इ द कग तचर न सचना द क गाधार क सनाप त सहनाद नीरस एकाक जीवन तीत कर रहह कछ वष पव उनक यसी-प नी का दहात हो चका था अब उनका वधर जीवन सनाथा चतर इ द को यहा अपना पच लगान का अवसर नजर आया

उनक ग तचर दल म एक अ त सदर यवती थी जो पहल भी कई षड य मसफलतापवक भाग ल चक थी इ द न उसी यवती को वधर सहनाद क जीवन मघसपठ करन का भार स पा

उस ग तचर यौवना को अपन काय म कोई क ठनाई पश नह आई कछ ही समयम सहनाद उसक म जाल म बरी तरह फस गए वह उस यौवना क इशार पर कछ भीकरन को तयार थ और अपन कत को भलाकर उसी क मरस म डब रहन लग आ खरवष बाद उनक जीवन म बहार जो आई थी वह यौवना धीर-धीर और ग तचर को ल आईव सर अ धका रय और म य को भी उ ह न फास लया

गाधार का अ धकतर उ च शासन त ककय क ग तच रय क साथ भोग वलास मडब गया ग तचर न पर शासन को अपग बना दया

ककय क महाम ी इ द को यह समय आ मण क लए उपय लगा उ ह नसनाप त को कायवाही करन का सकत द दया ककय क सना न गाधार पर धावा बोलागाधार ारा तरोध का ही नह था य क वहा का सारा त ककय क ग तचर कजाल म पहल ही फस कर न य हो चका था ककय सना न आसानी स गाधार पर क जाजमा लया गाधार नरश बद बना लए गए

ककय नरश प न राजनी तक रद शता का प रचय दत ए गाधार नरश को कवलककय सा ा य का आ धप य वीकार करन व ककय क त न ध क प म शासक बनरहन का ताव दया गाधार नरश न तरत ताव वीकार ही नह कया अ पत राजा पक उदारता स गद गद हो गए व उनक कायल बन गए यह एक म ता स ध थी जो वजता

ारा व जत स क थी जब प वय त शला पधार तो गाधार नरश न उनका भवागत कया प क म य का वामी क भा त आदर-स कार कया गया

परत गाधार क यवराज आ भक को यह सब अ छा नह लगा उस अपन पता काश क सामन गड़ गड़ाना ब त खला उस ोध भी आया क एक धोखबाज श को इस

कार स मान क स कस दखा जा रहा था उस तो प एक साप क तरह नजर आरहा था जसन गाधार को डस लया था आ भक का आ ोश इतना ती था क उसन मनही मन प स बदला लन का मन बना लया अपन पता को प का शसक बना दखउसका मन ोभ स भर गया था

गाधार क शासन त को कर उस र दन वाल का त शला म जय-जयकारहो रहा था आ भक का तन-मन तो प को दखत ही जलन लगता था

समय अपनी ग त स बढ़ता रहागाधार क पराजय व उसका पड़ोसी रा य पर आ त होना त शला व व ालय

पर कोई क भाव न डाल पाया व व ालय म पढ़ाई पववत चलती रही बाहरी प रवतनव हलचल स व ालय को जस कोई लना-दना न हो श क श ा दान करत रह व छाअपना-अपना पाठ य म पढ़त रह ता क नयत समय पर व नातक बन सक

सच तो यह था क त शला क जनता क जीवनचया म भी कोई अतर नह आयाशासन भी लगभग पहल जसा ही था कोई अतर था तो कवल यह क गाधार नरश अब

कसी सर क त न ध थ वयभ शासक नह और यह त य एक अह य व त थीmdashशासक क बीच का मनोव ा नक समीकरणmdashजो आम आदमी क जीवन को नह छता था

परत राजकमार आ भक तो आदमी नह था वह उस मनोव ा नक समीकरण काएक भाग था पराजय क याद भर स उस आ म ला न होन लगती थी राजकमार उस समयत शला व व ालय म श ा हण कर रहा था उसक म त क पटल स राजा प काअहकार स भरा चहरा मटाए न मटता था जो शायद तशोध परा होन पर ही मटगाराजकमार आ भक का मन अब पढ़ाई म नह लगता था

बस अपन क म बठा वह कढ़ता रहता प स बदला लन क नई-नई योजनाएबनाता और उसक सपन उन योजना को वकत प म साकार करत उसक हर सास म

तशोध क फफकार थी उसक लए श दकोष क सार प कोर हो चक थ कवल दो हीश द उसम बच रह गए थmdashभयानक तशोध कभी-कभी लगता क वह सचमच व तहो गया ह

यही वह काल था जब त शला म चाण य व शकटार अपन अ ययन क अ तमवष म थ शकटार न आ भक क ओर यान नह दया परत चाण य न गौर स आ भक कमान सक दशा का अ ययन कया य क वह राजनी तक तथा सामा जक थ तय काव षण कर रहा था और आ भक राजनी तक प र थ तय का एक उदाहरण था

आ भक कभी-कभी भगवान स बदला लन का अवसर दान करन क ाथनाकरता य क वही अब उसक तशोध योजना का सहारा था उसक पता गाधार नरश वउनक म ी तो राजा प क भ बन गए थ उनस आ भक को कोई आशा नह थी शायदभगवान न आ भक क ाथना सनन का नणय कर लया था तभी तो आ भक क इ छापरी करन सकदर यनान स सना लकर चल पड़ा था

राजकमार आ भक न भी सना क यनान का महायो ा सकदर व वजयअ भयान पर एक वशाल अपराजय सना लकर भारत दश क सीमा क नकट आ प चाह कोई सकदर का तशोध नह कर पाया था सकदर नामक तफान क आग बड़-बड़सा ा य खोखल पड़ क तरह उखड़-उखड़ कर गर रह थ उस रोक पाना कसी कसाम य क बात नह थी

उसन यह भी सना क जो राजा वय पराजय वीकार कर सकदर क शरण मजाता था उसस वह म वत वहार करता था व आदरपवक य दान करता था जोउसक सामन नह झका वह समल न कर दया जाता था सकदर क ोधा न म उसअ भमानी को भ म होना पड़ता था कवल शासक ही नह उसक जा को भी फलभगतना पड़ता था जस यनानी स नक गाजर-मली क तरह काट दत थ व यनानी स नकजो सदा चमचमात जरा ब तर म सस जत हो दमकत घोड़ पर सवार रहत

ऐस दश क अभागी जनता भयभीत होकर सर दश म आ य लन भाग जातीथी सकदरी सना क आगमन क अफवाह भर स क ब खाली हो जात थ ऐस ही शरणाथएक बड़ी स या म त शला म भी आ घस थ तब चाण य न वय दखा था क त शलाशासक न कस कार उनक रहन व भोजन क व था क थी शरणाथ सम या भारतीयरा य क लए एक नए कार क चनौती थी तब चाण य अ तम नातक वष म थ

जब भारतीय शासन व था क सचालक शरणाथ सम या का हल खोजन क लएवचार- वमश कर रह थ उसी समय सकदर क सना न ह कश पवत पार करक भारत कभ म पर अपना पर रख दया था अब उसक सामन भारतीय रा य क शखला थी जसउस तोड़ना था यह एक वडबना ही थी क गाधार नरश व उनक म ी जब सकदर क

आगमन को अ भशाप मानकर वचार- वमश कर रह थ तब उनका ही राजकमार आ भकसकदर को वरदान मानकर उसम अपनी सम या का समाधान खोज रहा था

एक- सर तर पर भी प र थ त बदल रही थी रा य क शासक पर राजकमारआ भक का भाव बढ़ता जा रहा था म ीगण तथा अ धकारी अब राजकमार का आदरकरन लग थ कारण प था राजा ब त बढ़ हो चल थ और ल ण साफ नजर आ रह थक व अ धक दन जीन वाल नह आ भक का सहासन पर बठना अ धक र क बात नहरह गई थी सभी को यह महसस हो गया था क राजकमार आ भक का व ास जीतन म हीउनका भ व य सर त ह राजकमार आ भक स कोई भी सबध नह बगाड़ना चाहता थाकई अ धकारी तो सीध राजकमार स आदश लन लग थ और उसका पालन भी करत य दवह वतमान व था क ब त तकल न हो तो

समय को भाप कर कई यवा राजकमार क चापलस मडली बना चक थ व नरतरयास करत थ क व आ भक को घर रख व राजकमार म शसा यो य नई-नई ख बया

ढढत रहत और गणगान करत चढ़त सय को सभी णाम करत ह आ भक अब पहलजसा असहाय नह महसस कर रहा था उसम नया आ म व ास भरता जा रहा था और उसअपनी योजना अब यादा साथक नजर आन लगी थी

चापलस बड़ काइया होत ह व अपन वामी क मन क बात र स ही सघ लत हव जान गए थ क उनक राजकमार सकदर क आ मण को सकारा मक स दखत हऔर राजा प स बदला लना उनका सव च ल य ह अतः व सकदर महान क गण गानलग सकदर को एक अपण यो ा सा बत करन लए र- र स कौ ड़या ढढ कर लात औरउसस म ी करन क लाभ पर हर कार क दलील दत

एक कहता ldquoराजकमार हमन अपनी त शला म आए शरणा थय को दखकरजान लया क सकदर स ट कर लन वाल का या प रणाम होता ह उसस उलझन वालकतन मख थ अपनी जा को बरबाद कर दया हम सकदर स म ी कर ल तो कम सकम हमारी जा को ऐस दन नह दखन पड़ग यह तो आपक रद शता ह क आपनपहल ही उ चत माग चन लया अब हमार गाधार रा य क उ ार होन म मझ जरा भी सशयनह ह ध य हो राजकमारrdquo

सरा लाल लोह पर चोट करता ldquoएक बार हमारी सकदर स म ी हो जाए तो हमअ त बलशाली हो जाएग जन राजा न हमारा अतीत म अपमान कया ह हम उनस

तशोध ल सकग और हम तशोध लए बना नह रहगrdquoआ भक सर हलाकर सहम त कट करता और कहता ldquoवह तो ठ क ह हम

जानत ह पर हम करना या ह और कस यह तो कोई अनभवी म ी ही बता सकता हयह म ी का वषय व ध- वधान स ही तो सभव होगाrdquo

ldquoउसका बध तो कया जा सकता ह कोई भी म ी हमारा मागदशन करगाआपक सवा कौन नह करना चाहगाrdquo चापलस न आ भक को आ त कया और जोड़ा

ldquoप न जो आपका अपमान कया ह उसका बदला तो लना ही होगाrdquoldquoल कन या मर लए सकदर ककय पर आ मण करगाrdquo आ भक न सदह

कयाldquoवह तो अपन वाथ क लए ककय पर आ मण करगा हमारी सना तो यना नय

क सहायता करगी सना समय पर प पर घातक वार करगी वामी यह तो हम जानत हीह क सकदर व वजय अ भयान पर नकला ह वह ह कश पवत पार कर हमार दशतक आ प चा ह और पव क ओर जान क लए उस ककय काठगण श म मालवा होत

ए हमार रा य स गजरना होगा इस कार ककय पर तो उस आ मण करना ही होगाम दश होन क कारण ककय पर आ मण म हम उसक सहायता करग हमारी सहायतावह स ता स वीकार करगा य क उसस उसक स नक क त कम होगी उस आग कय क लए अपनी सना बचाए रखनी ह इसम उसका अपना ही लाभ ह लग हाथ हमाराकाम हो जाएगा यनानी सना क सहायता स हम य म प को सहज ही परा त कर दगऐसा मरा पण व ास हrdquo

यह सनकर आ भक स आ उसन सर ऊपर-नीच छपकली क तरह हलाकरचापलस क कथनी क सराहना क न सदह वह चापलस कछ-कछ ब तो रखता हीथा बात सच भी नकली एक म ी न राजन यक परपरा का वणन कया उसी अनसारआ भक न अपना त सकदर क ओर पठाया जो उस समय प मी गाधार क सीमा परपड़ाव डाल था प मी गाधार क राजधानी प करावली था सध नद क उस पार उस दशपर राजा ह ती का रा य था

आ भक का त सकशल सकदर क छावनी म प च गया और उसन अपनाप रचय दकर स नक को अपन आन का उद द य बताया स नक क नायक न उस स ाटसकदर क खम म प चा दया सकदर आ भक का सदश पाकर स आ एक औररा य बना य लड़ उसक झोली म आ गरा था

उसन तरत अपन दो राजनी तक त आ भक क त क साथ त शला भज ता कस ध क ल खत परखा तयार क जा सक आ भक क त न राजकमार का प रचययनानी राजन यक स कराया आ भक न उसका उ साह क साथ वागत कया तथाअ त थगह म उनको आदरपवक ठहराया

रात को यनानी राज त तथा आ भक व उनक सलाहकार क साथ म णा क मस धवाता आरभ ई अब तक अ धकतर म ी राजकमार क खम म शा मल हो गए थ वभी वाता म स म लत ए कछ सनानायक भी उप थत थ स ध क परखा औपचा रक

प स तय होन लगीइस बीच कसी व त स नक न गाधार नरश को महल प रसर म यनानी स नक

क उप थ त क सचना द श स नक क महल म होन क बात स नरश च क काफसमय वह महल व दरबार म स द ध सी लगती ग त व धया दख रह थ जनस षड य क

शका होन लगी थी सचना क अनसार यवन स नक राजकमार क ओर क भाग क ओरजात दख गए थ नरश का माथा ठनका

वय जाच करन क उद द य स व महल क उसी भाग क ओर गए जधर राजकमारआ भक क क थ नरश तो यवन क व प सना क साथ मलकर ह रचना क बातसोच रह थ और इधर कोई यवन स साठ-गाठ कर रहा था कौन उ ह समझ नह आ रहाथा यह सब या हो रहा था उनका प आ भक उनस र- र रहता था म ीगण पहल कभा त उ सा हत नह थ नरश को ऐसा लगन लगा था क व अपनी बात खलकर कहन सहचकन लग थ या कछ ऐसा आभास मलता था जो वह कहत थ वह उनक मन क बातनह होती थी

राजकमार अपन शयनक म नह थ और क भी खाली थ हा म णा क मकछ सवाद हो रहा था नरश न म णा क का ार खोला तो भौच का रह गए भीतरराजकमार कछ सनानायक व उनक अ धकतर म ी बठ यवन त स म णा कर रह थप था क कोई षड य रचा जा रहा था

नरश न अपनी बढ़ थरथराती आवाज म कहा ldquoयहा या हो रहा ह यवन क साथयह कसी म णा चल रही ह मझ इसक बार म य नह बताया गयाrdquo

नरश क अचानक आ धमकन स म ीगण व सनानायक सकत म आ गए थ उ हसाप सघ गया था कोई कछ नह बोला राजकमार आ भक न थ त को सभाला वहखड़ा आ व अपन पता क पास जाकर बोला ldquo पताजी यह कोई अन चत काय नह होरहा ह आप चता न कर हम महान यनानी स ाट सकदर क साथ म ी स ध क प रखातयार कर रह ह ता क य क वभी षका क गाज हमार रा य पर न पड़ मन आपकोइसक बार म स चत इस लए नह कया य क आपका वा य ठ क नह ह और सभवतःनए यवा क नई प र थतय का ठ क स आकलन करन क लए यवा कोण कआव यकता हrdquo

गाधार नरश का शरीर आवश म काप उठा ldquoम अभी इतना व नह आ सारषड य समझ सकता हम यवन स कोई स ध नह चा हए इनको यहा स नकालदो कह दो क हमार रा य म सना लकर आए तथा हम तलवार क साथ वागत करन काअवसर दrdquo

यवन राज त भौच क रह गए और अपमा नत भी अनभव कर रह थ उ ह समझा-बझा कर मायाचना ारा शात कया गया उ ह महल स नकाला नह गया अ पतअ त थक म ही रखा गया बाद म राजकमार न अपन समथक क साथ ग त म णा क

इसक बाद कोई ठ क-ठ क नह जानता या आ सबह गाधार नरश अपनशयनक म मत पाए गए उनक शरीर पर कछ घाव थ कसी म घाव क कारण क बार म

पछन का साहस नह था नरश को मत घो षत कर उनका व धपवक दाह स कार करदया गया

आ भक राजगद द पर बठ यनानी राजन यक न स ाट सकदर क ओर सआ भक को पव गाधार क महाराजा क प म तरत मा यता द द आनन-फानन म म ीस ध को अ तम प द दया गया तथा सकदर क वीक त क लए भज दया गयाराजन यक म स एक सकदर क राज त क ह सयत स त शला म ही जमा रहा

जब यह सब घटना म चल रहा था तो चाण य त शला व व ालय म नातकबनन क बाद अ यापन काय कर रह थ राजनी तक घटना म पर उनक नजर रहती थीवशषकर सकदर क आन क बाद अ धक भा वत तथा चता त हो गए थ जो कछ चारओर घट रहा था उनक लए ख था थ त असहनीय हो गई थी व उ ह न त शला स पवक ओर थान करन का मन बना लया था आ भक व सकदर क बीच ई म ी स ध सउ ह ती आघात लगा था

जान स पहल उ ह न अपन म व व त छा स कहा ldquo सकदर एक यवनआ ाता ह वह वदशी जीवन धम व स क त का चारक ह वह अ त श शाली र

शासक व ब त चतर ह भारत दश क नरश व शासक को म बनाकर बना य लड़वजय ा त करता जा रहा ह हमार नरश इतन वाथ कपमडक ई याल तथा झगड़ाल हक एकजट होकर वदशी आ मणकारी का सामना करन क बजाय व या तो उसक चरणम सा ाग बछ रह ह अथवा अकल सामना कर धल चाट रह ह कह कोई आशा क करणनह ह

मर लए अपन व दक म य का वनाश कया जाना दखना सहनीय नह होगा मनत शला म आए शरणा थय स वाता क ह उ ह न मझ बताया क सकदर व जत दशम कस तरह अपन स नक स सबकछ न करवा दता ह मर पास इतना समय यहा नह हक नरश को अपनी बात समझा सक क सकदर स नपटन का एक ही माग ह वह हभारतीय नरश का एक होकर आ ाता को महतोड़ जवाब दना उनम इतनी ब नह हक व ठ क स समझ सक क सकदर हमार लए कतना भयकार अ भशाप ह उनम सआ भक जस कई ह जो उस म अपना हत खोज रह ह ता क आपसी तशोध परा करसक व एक- सर को नीचा दखा सक इन सबस मझ घोर मान सक लश होता ह म इसआशाहीन अधकार स नकलना चाहता मझ यहा स थान करना ही होगाrdquo

ldquoपरत आचाय आप जाएग कस दशा मrdquo एक म न पछाचाण य न उ र दया ldquoमन मगध क राजधानी पाट लप जान का न य कया ह

तथा प वहा का नरश धनानद लोभी और कामक बताया जाता ह म य नक गा क पव भारत क रा य अपनी श या मगध सा ा य क वशाल सना म मलाकरएक सग ठत श बन व सकदर का वनाश कर वहा तक प चन म सकदर को समयलगगा उसी अतराल का म उपयोग करना चाहता अगर परम र क दया रही तो मसफल हो जाऊगा और वदशी भाव न हो जाएगाrdquo

इस कार सकदर क त शला प चन स पहल ही चाण य वहा स रवाना हो गए

त शला स चाण य ककय दश गए जहा आचाय इ द न उनका वागत कया इ दभी त शला व व ालय म ही नातक थ चाण य न इ द को सचना द क कसगाधार अब उनक भाव म नह ह वह का नरश आ भक सकदर स जा मला हउ ह न ककय रा य पर सकदर क आ मण क बार म चताया उ ह न यह भी सझाव दयाक ककय को आस-पास क रा य क साथ मल कर सय सना ग ठत करनी चा हए ता कव यनानी सना का भावशाली तरोध कर सक व सकदर को पाठ सखाए

आचाय इ द न चाण य को आ ासन दया क वह उनक म यवान सझाव कोमहाराज प तक प चा दग व वय भी उसी मत का समथन करग हाला क इ द न कहाक समय ब त कम रह गया ह राजा को एक मच पर लान व आपसी मन-मटाव भलानपर राजी करन म वष का समय चा हए और स य यह भी था क दो दसी वरोधी राजाका मल करान क थान पर एक क और ब ली को म बनाना अ धक सरल था

चाण य पव क ओर व भ शासक को सकदर क आ मण क व चतावनीदत ए चलत गए

इस बीच राजा आ भक स स ध होन क बाद सकदर पव क ओर कच करन परउतावला हो गया उसन प मी गाधार क राजा ह ती को यनानी सा ा य का भाग बनन कानम ण दया ऐसा न करन पर यनानी सना का वार झलन क लए तयार हो जान कचतावनी भी द

प मी गाधार का राजा ह ती एक वा भमानी शासक था उसन झकन स इनकारकर दया और सकदर को य का योता द दया सकदर क सना क एक टकड़ी नप पावली पर आ मण कर दया यनानी वजय लगभग तय थी राजा ह ती क छोट -सीसना यनानी सना क सामन या टकती भारतीय स नक न पहली बार वदशी सना कोनए आयध क साथ या म तक ह रचना म आ मण करत दखा ह ती क स नकवीरतापवक लड़ परत शी ही यनानी उन पर भारी पड़न लग

यना नय न राजा ह ती को बद बनाना चाहा परत ह ती न लड़त-लड़त ाण दनाअ धक य कर समझा प पावली पर वजय का सकदर न शानदार उ सव मनाया उ सवम राजा आ भक को म य अ त थ बनाया गया यनानी सना न आ भक को प ब होकरसलामी थी सकदर न उस बराबर क राजा का थान दया व उसक साथ म वत वहारकया इस आदर-स कार स आ भक गद गद हो गया उस सपन म भी आशा नह थी कयनानी स ाट उस इतना स मान दगा वह सकदर का दय स कत हो गया यह सकदरक एक राजनी तक चाल थी वह सर राजा व नरश को सदश द रहा था क सकदर कसामन नतम तक होन म कतना बड़ा स मान ह जो उसक पास आएगा वह म ता पाएगाऔर य क थान पर आदर का लाभ पाएगा

सकदर न आ भक क चाचा को प मी गाधार का lsquoसटरापrsquo (गवनर) नय कयाऔर आ भक को एक और कपा स ध य कर दया सकदर क कपापा बनन क महानलाभ का एक और उदाहरण लोग न दखा इसका सर राजा पर अनकल भाव पड़ायह भी यनानी यो ा क त प चाल थी सकदर कटनी त का भी मजा आ खलाड़ी थाआ भक को तो यह भी आशा होन लगी क सकदर भारत स लौटत समय सार व जत का शायद उस स ाट ही घो षत कर द

आ भक सकदर और उसक सना को एक जलस बनाकर उ सव मनाता आत शला ल आया दरबार म सकदर का शाही वागत कया गया तथा उसक वीरता व

उदारता क गणगाथा गाई गई त शला क मधशालाए तथा मनोरजन गह यनानी स नकक लए खोल दए गए व यौन ड़ा शाला म जी भर कर मौज-म ती मना सकत थत शला यवन स नक का ड़ागन बन गया

स नक तो आमोद- मोद म त हो गए सकदर क साथ आय सा ह य कलातथा स क त क वशष व ान भी आए थ सकदर न उनस भारतीय स यता को यनानीस यता क भाव म लान क उपाय को सझान का आदश दया

सकदर व उसक व ान न त शला व व ालय क श ा प त तथा पाठ यप तक का भी अ ययन कया उ ह न त शला क आचाय चाण य स मलन क इ छा भी

कट क व चाण य क बार म ब त कछ सन चक थ उ ह यह जानकर काफ नराशा ईक आचाय चाण य त शला स थान कर चक ह वा तव म चाण य क थान करनका कारण ही सकदर का आगमन था यह बात यवन नह जानत थ आचाय चाण य सबाद म भ प र थ तय म उनका सामना तो होना ही था

प (पोरस) क साथ यी म ऋत का अत हो चका था आकाश म बादल क टक ड़या वषा ऋत का

सदश लकर आ रही थ ककय रा य पर यवन क आ मण का खतरा मडरा रहा थाएक शाम यवन सनानायक न यवन स नक को बताया क उ ह रात को झलम नद

पार करनी ह स ाट सकदर न ककय पर आ मण करन का आदश द दया था ककय कराजा प न सकदर का आ धप य वीकार करन स इनकार कर दया था रात को हजारयवन न घोड़ पर सवार होकर नद पार क और ककय दश म घस गए

प क सना कसी और ही थान पर यवन क नद पार करन क ती ा कर रहीथी वह यवन क छल नी त स अन भ थी यवन न ठ क उनक सामन सर तट पर ब तसी नाव एक कर रखी थ यह आभास दन क लए क सकदर क सना वह स नद पारकरगी परत यवन न उस थान स काफ र एक थल को नद पार करन क लए पहल हीचन रखा था वहा नद का पाट ब त चौड़ा था व पानी क गहराई कम रात क अधर म भीअ ारोही सरलता स नद पार कर सकत थ और यही आ भी

ककय सना को छल जान का पता भोर म ही लग गया था जब उस थान स रनद क घाट पर यवन स नक क प ब टक ड़य का भारी जमावड़ा उ ह नजर आयापर अब या हो सकता था बना य कए हार मानन का ही नह था ककय स नकमरन-मारन क ठान चक थ दोन सनाए एक सर पर टट पड़ प एक हाथी पर सवारहोकर अपनी सना का सचालन कर रह थ यवन अ ारोही स नक क पास लब बछ तथाजजीर स लटकत काटदार धात क गोल थ बछ और गोल क मार स प क सना परभारी मार पड़न लगी ककय स नक श क नकट भी नह प च पा रह थ र स ही बछउ ह ब ध डालत अथवा गोल कपाल या कर दत यवन इस तरह प ब थ जस अभ

मानव द वार खड़ी हो गई हो उनक शरीर कवच क पीछ सर त थककय सनाप त न अपन स नक क दशा दखकर हा थय को लान का आदश

दया इस बीच आ भक क सना न भी एक ओर स मोचा सभाल लया तथा ककय सना परवार करन लगी ककय स नक एक हजार हाथी ल आए और उ ह अपन सामन खड़ा करदया अब व हा थय क बगल व उनक टाग क पीछ स यवन तथा आ भक क सना परतीर वषा करन लग इसस यवन च तत हो गए यवन सना नायक न म णा क व नई यनी त को अपनाया गया आ भक क सना को र स हा थय पर बाण छोड़न क लए कहागया वय यवन न अपन बछ हा थय पर फक तीर व बछ क मार स आहत हाथीचघाड़कर पीछ मड़ व ककय स नक को कचलत ए पलायन कर गए

ककय सनाप त ह भ रह गया उस समझ ही नह आ रहा था क बच खचस नक का वह कस मनोबल बढ़ाए व प त हो चक थ यवन व आ भक क स नक न उ हआग आकर मारना-काटना आरभ कर दया

इस बीच प यवन-आ भक स नक स घर चक थ उनका हाथी मार गराया गयायवन स नक न उ ह बद बना लया ब ड़य म जकड़ प को दखकर आ भक क कलज मठडक प ची उसक होठ पर एक क टल म कराहट खल रही थी यह ण आ भक कजीवन क सवा धक सत करन वाल ण थ ऐस ण जनम जीवन क साध परी होन क

स ता लबालब भरी होती ह आ भक को आशा थी क सकदर प को मौत क घाटउतार दगा

नयत समय पर ब ड़य म जकड़ प को सकदर क स मख लाया गया सकदर कमख पर घणा क भाव नह थ वा तव म जस वीरता स प व उसक सना य साज-स जा व कला म यवन सना स लड़ थ उसस सकदर ब त भा वत था सकदरआ खर एक यो ा था तथा वीर श का आदर करना उसका वभाव था य न उस इतनासमदश तो बना ही दया था

सकदर बोला ldquoतम इस दश क राजा थ ल कन अब ब ड़य म जकड़ खड़ होrdquoप न कहा ldquoय द म य जीत गया होता तो तम मरी जगह ब ड़य म जकड़ खड़

होतrdquoसकदर न प को घरकर दखाफर उसन पछा ldquoबोलो त हार साथ या वहार कया जाएrdquoप न नभ क वर म उ र दया ldquoजसा एक स ाट सर स ाट क साथ करता

हrdquo इस नभ क तथा बलाग उ र स सकदर स हो गया उसन सर ऊपर-नीच हलाकरकहा ldquoब त अ छ त हार उ र स म स आ म त ह अपनी ओर स ककय उरसा तथाअ भसार का शासक नय करता अब स तम हमार म एrdquo

प न सर झका कर कहा ldquoम आपक उदारता तथा स ची यो ा व काअ भवादन करता आपक साथ सदा सहयोग करना मर जीवन का सौभा य होगाrdquo

यह नया अ या शत मोड़ आ भक को जरा भी उ चत नह लगा वह तो प क वधकए जान क ती ा कर रहा था उस सकदर एक सनक लगा परत सकदर क नणयपर उगली उठान का तो आ भक म साहस न था और न ही कोई अ धकारrdquo

आ भक क कथा सनान क बाद चाण य न शकटार को समझान का य न कयाक उसका स ाट धनानद स मलना कतना आव यक था व उ ह सकदर क सारी चालक बार म बताना चाहत थ क कस कार वह हमार धम व स क त क लए अ न कारीथा पव प मी रा य क पतन क नचल न कष को चाण य व तार स धनानद कोसमझाना चाहत थ आचाय शकटार भी चाण य स पणतया सहमत थ उ ह भी सकदर कअ भशाप का आभास हो गया था आचाय शकटार बोल ldquo म वर अब म जान गया कआपका स ाट को व त थ त क बार म सचना दना कतना आव यक ह स ाट धनानदजी स भट करवान म कोई अड़चन नह ह म तो ही आप कल दरबार म आ सकत ह मआपका प रचय स ाट स करवा गा फर आप न सकोच अपनी बात उनस कह सकत हम अपनी ओर स आपक कथन क प करता र गाrdquo

अपमा नत चाण यसर दन स ाट धनानद का दरबार सजा था स ाट वय अपन र नज ड़त

सहासन पर वराजमान थ दरबार म राजसी शान क बहार थी चार ओर आख च धयान

वाली सजावट थी स ाट क सर पर हीर-जवाहरात स म डत मकट था गल म ब म यहार तथा सर आभषण थ तन पर म यवान झल मलात व थ ज ह बनवाना कवलराजा क बस क ही बात थी

म ीगण अ धकारी सनानायक भ मप त सठ व दरबारी अपन व तथाआभषण स स जत अपन-अपन आसन पर बठ थ थान- थान पर वशष प रधान पहनसतरी पहरा द रह थ सर दरबारी कमचारी अपनी-अपनी जगह अपना कत नभा रहथ

अमा य शकटार स ाट क सहासन क बगल म अपन आसन पर बठ थस ाट धनानद य प बढ़ थ परत उनका व भ था अपनी यवाव था म वह

एक बाक सजील नवयवक थ उनक 40 वष य प म आज वही बाकापन था धनानद कातागण भी अ त आकषक व क वामी थ

नयत समय पर चाण य न दरबार म पदापण कया शकटार न दरबान को पहल हीचाण य क बार म बता दया था चाण य का आ टपकना कछ ऐसा ही था जस हीर-मो तय क ढर म कोयल का टकड़ा आ गरा हो शारी रक प स वह ठगन काल व क पथ कछ लोग का कथन ह क उनक मख पर चचक क दाग भी थ वषभषा भी उनकसाधारण य क थी

दरबार म उप थत लोग न चाण य को उप ा स घरा कछ दरबारी उपहास क स भी दख रह थ ऐस य क भी कमी नह थी जो दब वर म चाण य को

दखकर हस रह थ स ाट धनानद को उनका आना अना धकार च ा लगा उसक मखमडल पर ोध क भाव उभर भक टया तन ग

उस भद द का आगमन उस दरबार क शान म बट टा लगन जसा लगा फरचाण य क क पता को दख वह हस बना न रह सका वह अपनी वीभ स हसी ाराचाण य को दरबार म आन क भल करन का कठोर दड द रहा था

स ाट को हसता दख दरबारी भी खलकर हसन लग मगध दरबार एक अ ीलअट टहास स गज रहा था

घोर अपमा नत चाण य जड़ होकर रह गए थअमा य शकटार को यह दख बड़ी ल जा आई उ ह न अपन म को बचान क

य न म खड़ होकर सबको शात होन का सकत कर कहा ldquoआदरणीय सभासदो मआपका प रचय त शला व व ालय क महान आचाय व ान चाण य स कराना चाहता

जो अभी हमार दरबार म पधार ह य हम एक ब त मह वपण म णा दना चाहत ह जोहमार रा य क लए लाभदायक स होगीrdquo

धनानद न टढ़ स आचाय शकटार को दखा और ट पणी क ldquoयह क पा ण हम या म णा दगा मर इस सदर दरबार म इस भ का काम नह ह हम

तो इसक यहा उप थ त पर ही आप हrdquoदरबा रय न स ाट क बात क समथन म अपन सर हलाए उधर ोध क अ तरक

म आचाय चाण य का सारा शरीर काप रहा था ऐस तर कार तथा अपमान क उ ह नसपन म भी क पना नह क थी

मगध सा ा य क दरबार क फहड़पन स आचाय शकटार भी आहत थ उ ह यह तोपता था क धनानद वलासी ह लोभी तथा अहकारी ह परत आज उ ह पता लगा क स ाटम श ाचार क भी इतनी कमी ह उ ह समझ नह आ रहा था क या कर बात इतनीबगड़ चक थी क उस बनान का कोई उपाय नह सझ रहा था

फर भी उ ह न एक टटा फटा यास कया ldquoह स ाट इस दरबार मrdquoउनका वा य परा न हो पाया दरबा रय क ख लय क गज म उनका यास

छटपटा कर डब गयाचाण य भी अब चप नह रहन वाल थ उनका ोध श द म ढलकर उनक ज ा

स लढ़क कर बाहर आन क लए जोर मार रहा था उ ह न चीख कर कहा ldquoम इस दरबार मयह सोचकर आया था क कदा चत इस थान पर एक का म याकन उसक यो यताअथवा व ा पर कया जाता होगा पर यहा तो सब कछ वपरीत ह यहा इतनाछछलापन ह क एक मन य को उसक शारी रक रग- प स तौला जाता ह एक कब व श ा का यहा कोई मोल नह ह मख क सभा ह यह दरबारrdquo

अब तक हसत दरबारी मौन हो गए थ सबक नगाह स ाट धनानद क ओर उठई थ य क उ ह व ास था क व ऐसी ध ता कभी सहन नह करग

धनानद न ोध स चाण य को दखा और फफकारत ए बोल ldquoत छ ा ण मरदरबार को क प व ा क कोई आव यकता नह ह मगध स ाट स श ता स वाता करोअ यथा त ह कठोर दड दया जाएगा तम हो या वय को या समझ रह होrdquo

चाण य न घोषणा क ldquoम वय को या समझता यही उसका मह व नह हपरत सभी यह सन लो क म इसी दरबार म ण करता क अहकारी नद वश को ही समलन करक दखा गा एक ऐसा अहकारी शासक जसम व ान का आदर करन क भीसमझ नह ह वह सहासन पर बठन का अ धकारी नही ह ऐस शासक का अत होना हीसबक लए य कर होगा जब तक मरा ण परा नह होता म अपनी वणी नह बाधगाrdquo

ऐसा कहकर सबक सामन चाण य न अपनी वणी खोल द सारा दरबार ह भहोकर दखता रहा स ाट ोध क म त बन अपन सहासन पर बठ रह

आचाय शकटार पर तो कठाराघात ही हो गया थाअपना ण सनाकर आचाय चाण य वहा स पर पटकत ए चल गएघटना न इतनी गभीरता का प ल लया था क सब जड़ हो गए थ न तो चाण य

को तरत दड दया गया ना ही कसी न उ ह रोकन का यास कया दड तो दया जाना थापर कछ समय बाद जब सबक सामा य ब लौटती व चाण य क ण क द डनीयतासमझन क यो यता आती

तशोधक चाण यपासा फका जा चका थाअब चाण य क लए पाट लप म रहना खतर स खाली नह था उ ह धर दबोचन

और द ड दन क लए स ाट क स नक कसी भी समय आ धमक सकत थ अतः चाण यन साध का वष धरा और बना समय खोए नगर छोड़ दया सौभा यवश नगर क ारपालउ ह नह पहचान पाए वह बच नकलन म सफल हो गए चाण य नगर स र प च एकवीरान म चल जा रह थ उ ह अपन ल य का पता नह था उनक म त क म तो तशोधक आग धधक रही थी उस पर कई योजनाए पक रही थ कछ और सोचन क फरसतकहा थी बस पर बढ़ जा रह थ दशा व ल यहीन होकर

अचानक उनका एक पर कट ली झाड़ी म फस गया काट न पर को छद दया खनक धाराए बह नकल उस जहरील पौध क प य न पर म जलन पदा कर द चाण यन ो धत उस झाड़ी पर डाली उ ह उस झाड़ी म राजा महानद जसी ही ता नजरआई जस उस राजा क श द न उनका दय ब धा था व तन-मन म अपमान कतल मलाहट व जलन पदा क थी उस कट ली जहर बझी झाड़ी न वही हाल उनक पर का

कर दया थाअचानक चाण य उस पौध पर टट पड़ अपन डड स पीट-पीट कर उस पौध को

उ ह न तार-तार कर दया उन पर उस झाड़ी को न करन का उ माद-सा सवार हो गयाथा तार-तार करन भर स चाण य को सतोष नह आ उ ह न झाड़ी क थान को खोदनाश कया तब तक दम नह लया जब तक उस झाड़ी क जड़ तक उ ह न न उखाड़फक श को परी तरह न करन क बाद उ ह न झाड़ी क अवशष पर नगाह डाली वसतोष भरी सास ली ह ठ पर ह क म कराहट बखर गई

तभी उ ह कसी और क वहा उप थ त का आभास आ उ ह न पाया क एकयवक ब त कौतहल स उनक काय-कलाप को दख रहा ह उसक आख म कई चथ

चाण य न अपन ल लहान पर क ओर इशारा कर प ीकरण दया ldquoवह पौधाजहरीला व कट ला था उस जड़ स न करना ज री था ता क वह कसी और को हा न नप चा सक इसी म ब म ा हrdquo

टहीन स कत म कह गए श द न यवक को बता दया क काल रग का बावलासा दखता एक उ च को ट का व ान ह उसन पछा ldquoमहोदय आप कौन ह और

य इस वीरान म ठोकर खात फर रह ह यह तो प ह क आप व ान हrdquoचाण य न लबी सास भर कर कहा ldquoयवक म त शला का ा यापक यहा नए

अवसर क खोज म आया था मा सर वती क पजा रय क नय त ही ठोकर खाना औरनधनता स जझना ह परत तम कौन हो जो यवाव था म वीरान क खाक छान रह होलगता ह स ात कल क होrdquo

यवक न वीकार कया ldquoह व ान म एक क ठन दौर स गजर रहा पर मअपनी भा यपण कहानी का भार आप पर नह डालगाrdquo

चाण य न आ ह कया ldquo म म त हारी था सनना चाहता हो सकता ह मत हारी सम या का कोई हल सझा सक फर समझदारी इसी म ह क अपन ख मव त म को भागीदार बनन का अवसर द भार ह का कर व ास करो क म कोईग तचर नह rdquo

यवक आ त आ उसन बताया ldquoमरा नाम च ग त ह म इसी दश क भतपवराजा सरवथ स का पौ उनक दो रा नया थ mdashसनदा और मौरा सनदा न नौ पको ज म दया जो lsquoनवनदrsquo कहलाए मौरा क कवल एक प आ वही मर पता थकालातर म नवनद व मर पता म उ रा धकार को लकर श ता ठन गई राजगद द परनवनद का अ धकार हो गया मर पता क म य क बाद नद न मर ाता को मार डालाम कसी कार बच गया अब म अपनी माता क साथ एक ाम म ग त प स रहता मरजीवन का उद द य नद स तशोध लना ह पर कस यह समझ नह आता यही मरी

कहानी ह और यही ख मर जीवन को स रहा हrdquoचाण य म कराए उ ह न च ग त को स ाट धनानद ारा कए अपन अपमान क

कहानी सनाई उ ह न च ग त को उनक साथ मलन का सझाव दया य क दोन काउद द य एक ही थाmdashधनानद का वनाश करना चाण य न व ास दलाया क वह च ग तको मगध रा य क गद द पर बठान का चम कार कर सकत ह य द च ग त परी तरहउनका साथ द

दोन च ग त क मा क पास गए चाण य उनस च ग त को अपना अनयायीबनाकर ल जान क आ ा मागना चाहत थ मा न सहष अपनी वीक त द द वह वयमहानद स बदला लना चाहती थी य क उसी न च ग त क नाना अथात उनक पता कह या भी करवाई थी

चाण य को यह जानकर स ता ई क बचपन म खल म साथी बालक च ग तको राजा या सनाप त का रोल दत थ इसस यह मा णत होता था क च ग त म नत व काज मजात गण था जस को चाण य स ाट बना दखना चाहत थ उसम यह गणहोना आव यक था च ग त क माता न चाण य को नद क परी कहानी सनाई जसी उसबताई गई थी

नद क कहानीशशग त वश म मगध पर शासन करन वाल नदवधन अ तम शासक ए उ ह न

वला सतापण व नरकश शासन चलाया नदवधन न अपन नकट क छोट-छोट रा य तथाजम दा रय पर कवल इस लए चढ़ाई क ता क व उनक सदर म हलाए छ न सक व अपनजीवन को और रगीन बना सक ऐस शासक थ नदवधन

एक बार व अपन रा य का दौरा कर रह थ आ धका रक प स उनक या ा जाक ख-सख क खबर लना था पर असली उद द य उनका रा य क सद रय पर अपनीक डालना था एक ामीण म उ ह एक अ न सदरी नजर आई ऐसी यौवनाउ ह न अपन जीवन म पहल कभी नह दखी थी उनका कामक मन उस पर म ध हो गयाउनक इशार पर यौवना क प त को स नक न कसी बहान मार डाला और उस यौवना काअपहरण कर लया

वह यौवना कोई उ च कल क म हला नह थी वह तो एक चाडाल क प नी थीउसका नाम महामाया था महामाया को महल म लाया गया और वह नदवधन कअकशा यनी बन गई

महामाया अपन मत प त स ब त म करती थी उसक म य को वह कभी भला नपाई उसक मन म बदल क आग सदा सलगती रहती थी नदवधन क अकशा यनी बननक बावजद वह उसक मन ही मन श बनी रही महामाया साधारण ी नह थी सर कोअपन वश म करन क उसम ज मजात कला थी वह वाकपट भी थी उसक महल म आन

क बाद सब उसक मायावी भाव क अधीन हो गए महल क सार कमचारी उसक इशार परनाचन लग नदवधन क सरी रा नया उसक आग बबस थ और स ाट नदवधन तो उसकहाथ क कठपतली बन गए थ

महामाया नदवधन स इतना ग त ष रखती थी क उसन कई बार उसक ह याकरवान क य न कए परत वह षड य वफल रह

इसी बीच महामाया गभवती हो गई तथा उसन एक प को ज म दया अब उसकासारा यान अपन प क लालन-पालन पर क त हो गया उस अपना बटा नदवधन क

तशोध लन का सव म साधन लगन लगा अतः कसी दाई या आया क छाया उसनअपन प पर नह पड़न द उसक दख-रख का सारा दा य व राजम हला होन क बावजदउसन वय सभाला बचपन स ही बट म उसन नदवधन क व वष भरना आरभ कयाउसक म त क म यह बात बठा द गई क नदवधन वह पश ह जस जीन का कोई अ धकारनह ह

बटा नदवधन स घणा करता बढ़ता रहा उसन ण कर लया क जस ही उसअवसर मलगा वह नदवधन नामक अ भशाप को धरती पर स मटा डालगा वह अपनीमाता महामाया को स दखन क लए कछ भी कर सकता था य द नदवधन क म यमहामाया क स ता का कारण बन सकता था तो ऐसा ही सही वह उसक जीवन कापहला उ य बन गया

जब वह यवाव था को ा त आ तो एक दन स ाट नदवधन को अपन क मउसन रात को अकला पाया वह ऐसा अवसर कस खोता तलवार क एक वार स उसननदवधन का सर धड़ स अलग कर दया

अब चतर महामाया न अपना जाल फलाया अफवाह फला द गई क स ाट काव ो हय न वध कर दया ह फर उसन अपन प को सहासन का उ रा धकारी घो षतकरवा दया उसका बटा lsquoमहाप नदrsquo क शासक य उपा ध क नाम स मगध का स ाटबना

महाप नद न अपनी माता क परामश पर नदवधन क वफादार तथा सभी व तम य सनानायक तथा म य अ धका रय को स ाट क व व ोह क अपराध मकारागार म डलवा दया बाद म उ ह म यदड द दया गया

इस कार नद वश का आरभ आ महाप आरभ स अ छा शासक व यो ामा णत आ उसन अपनी कशलता तथा वजय स मगध को एक श शाली सा ा य

बना दया आर भक सफलता क बाद उसक ना ड़य म बहता एक का खन रगलान लगा वह धीर-धीर पथ हो गया वह वय रगर लय म डबा रहन लगा उसक म ीव अ धकारी छट पाकर रा य म लटपाट मचान लग जा त हो गई पर जा क कोईसनन वाला नह था शोषण तथा ाचार का सार मगध म नगा नाच होन लगा महापअपन पता क भा त जा क सध छोड़कर अपनी कामवासना सत करन म लगा रहता

मगध सा ा य म ही प प लवन नामक एक छोटा-सा रा य था सवथा ससयवन उस रा य का शासक था उसक रानी मौरा एक अ त सदर ी थी उसक सदरताक चच र- र तक फल थ महाप न भी उसक बार म सना और उस पान क लए उसकामन मचल उठा

महाप अपन पता क पद च पर चल रहा था जस अपन पता का इ तहासदोहराना उसका ल य बन गया हो वह भी अपन रा य क सदर यव तय को अपन स नकभजकर बलपवक उठवाता तथा अपन महल क शोभा बनाता उसका अतःपर सद रय सभरा पड़ा था परत उसक कामवासना थी क सत होन का नाम नह लती थी अब उस परमौरा को अपनी अकशा यनी बनान क धन सवार हो गई थी

एक दन उसन अपन एक व त सनानायक को प प लवन पर चढ़ाई कर मौराको लान का आदश दया सनानायक सना क एक टकड़ी लकर प प लवन क ओर स ाटक आदश का पालन करन चल पड़ा उस समय सयवन कछ स नक क साथ आखट परगया आ था मगध स नक न प प लवन क राजमहल क चार ओर घरा डाल दयासनानायक न महल क र क को अपन आन का उद द य बताया तथा रानी मौरा को उ हस पन क लए कहा ऐसा न करन पर रानी को बलपवक ल जान क धमक द

र क न इसक सचना भीतर जाकर प प लवन क सनानायक को द सनानायकन रानी को स पन स साफ इनकार कर दया तथा य क चनौती द य प प प लवन कसना ब त छोट थी छोट -सी ीय सना भला मगध सा ा य क सना क टकड़ी का कबतक सामना करती

जब राजा सयवन आखट स लौट रह थ तो उ ह र स एक स नक घोड़ पर उनकओर आता द खा नकट आन पर उ ह न पाया क स नक घायल था सयवन का माथाठनका

स नक न प प लवन राजमहल पर मगध स नक ारा ए आ मण क बार बतायातथा उनका उद द य भी नह छपाया सयवन को अ यत ोध आया उसन अपन घोड़ कोऐड़ लगाकर महल क ओर दौड़ाया उसक साथ क स नक न भी उनका अनसरण कयाघोड़ सरपट दौड़ व शी ही आखट दल महल क म य ार पर प चा चार ओरप प लवन क स नक मर अथवा ज मी ए गर पड़ थ उनम कछ मगध क स नक भी थ

तभी उ ह न मगध सनानायक को स नक क साथ रानी मौरा को महल स बाहरलकर आत दखा सयवन न उनको ललकारा दोन दल म एक स त य आ सयवनक साथ कवल आठ-दस अगर क थ व कब तक टकत सयवन को बद बना लया गयामहाप नद न सयवन को एक अधकप म डलवा दया

राजा सयवन तथा रानी मौरा का एक रह य था जो कसी और क ान म नह थामौरा गभवती थी य प गभ क ल ण अभी कट नह ए थ परत सयवन और मौरा कोगभ क बार म सदह नह था कभी-कभी यह आभास प त-प नी को र त या क बाद हो

जाता ह सयवन न कए म डाल जान स पहल एक ग त सदश मौरा क पास भजवा दयाथा क रानी को अपन गभ म पल रही उनक सतान क र ा करनी ह और उसक हत कलए कोई भी समझौता करना पड़ वह कर

मौरा को अपन गभवती होन पर परा व ास था जब महाप न उस अतःपर कसद य बनन का नम ण दया तो वह बना कसी तरोध क मान गई

नयत समय पर मौरा न एक प को ज म दया मौरा न यही बताया क उसका पमहाराज महाप का ही प ह अतः उसक बट का लालन पालन एक राजकमार क भा तही आ वय मौरा को अतःपर म रानी का दरजा कभी नह मला उस एक दासी हीसमझा गया मौरा को इसस कोई ख नह था उसका सारा ल य कवल अपन बट कोराजकमार सा जीवन दान करना था ता क वह श त हो सक व सभव हो तो अपनवा त वक पता क दशा का तशोध ल सक

जब राजकमार बड़ हो गए तो उनम वरासत क लए झगड़ होन लग महाप कसर बट मौरा क बट को राजकमार मानन को कतई तयार नह थ व उस दासी का बटा ही

मानत थ नद राजकमार न मौरा तथा उसक बट पर अ याचार करन आरभ कर दएउनक अ याचार स बचन क लए मौरा न बट समत राजमहल छोड़ दया तब उसन

अपन बट को स चाई बता द क उसका वा त वक पता राजा सयवन था जो मगध कअधकप म कारावास भगत रहा था

दोन मा बट प प लवन चल गए परत अब प प लवन सयवन क सर बट कअ धकार म था यह सयवन क सरी रानी ( य ) स उ प थ उ ह न मौरा क बट कोसयवन क सतान मानन स इनकार कर दया उनका यही कहना था क मौरा का कथन झठह उसका बटा महाप नद क ही सतान ह मा बट को फर पाट लप लौटना पड़ा परत वराजमहल नह गए बाहर रह कर ही गजारा करत रह मौरा न बट का ववाह मरा जा त कएक सरदार क बट स कर दया

उनक कई बट पदा ए इस बीच नद राजकमार को मौरा क बट का पता लगाव फर उ ह न करन क योजना बनान लग नद मौरा क कई पोत क ह या करन

म सफल हो गए कवल एक बटा बचा जो बाद म च ग त नाम स चाण य को मला नदस अपनी जान बचान क लए च ग त और उसक मा एक गाव म ग त वश स साधारणकामगार क वश म रहन लग

मौरा का नधन हो गया था च ग त क माता मरा दवी क पता क भी नद न ह याकरवा द थी इसी लए व ग तवास ारा जी वत बच रहन म सफल हो गए थ इनप र थ तय म च ग त क सामा य श ा नह हो पाई थी च ग त न अपन नाम क साथमौय जोड़ना आरभ कर दया था जसका कारण शायद उसक दाद मौरा थी या मातामरादवी

च ग त क चाण य स मलाकात तब ई थी जब चाण य स ाट धनानद क दरबारम अपमा नत होन क प ात तशोध क भावना म जलत ए नजन वन म भटकत एएक कट ली झाड़ी म अपना पर ज मी कर बठ थ धनानद गद द का उ रा धकारी कसबना यह भी एक रोचक कहानी ह कहत ह क महाप क नौ बट ए धनानद उनम सबसय था और अम यानद उसस छोटा जस-जस महाप बढ़ होत गए उनक कामकता

बढ़ती गई वला सता क अ त र उ ह कछ और सझता नह था उनक महाम ी को भीसमझ नह आ रहा था क या उपाय कया जाए शासन व था न हो रही थी जनतापर अ याचार बढ़त जा रह थ स ाट कवल चापलस तथा दलाल क ही बात सनत थ

अब स ाट क पास कवल दलाल तथा दास ापा रय क ही पछ होती थी दलालापारी स र दश स ब ढ़या म दरा तथा दा सया लकर आत थ र दश स खरीद कर लाई

बाला का महाप को च का लग गया था ापा रय को स ाट महमाग दाम और ढरसार पर कार दत थ महल म वह ापारी दलाल बखटक आया जाया करत थ

एक ऐसा ही दास ापारी स ाट का खास चहता बन गया था वह पहल भी कईबार म दरा व बालाए ला चका था स ाट उसस अ त स थ ापारी को स ाट क पसदनापसद का अ छा ान हो गया था अतः वह उसी को यान म रखकर माल लाता था

इस बार भी वह वदश या ा स आया था और सीध स ाट स मलन चला आया थामहल क सतरी उस जानन लग थ वह उ ह भी उस ारा उपहार व इनाम दया करता थाअतः जब भी वह आता सीध स ाट क पास प चा दया जाता स ाट उसस अपन नजीक म अकल म ही मलत थ

वह ब त उ सा हत लग रहा था स ाट को णाम करन क बाद वह बोलाldquoमहास ाट इस बार म आपक सवा म वशष उपहार लाया स र पव म गया था वहाक सबस ब ढ़या म दरा खोज लाया म ा ब त लगी परत स ाट क लए तो म ाएकौ ड़य क समान हrdquo

ldquoऔर या लाए होrdquo स ाट न अधीरता स पछाldquoऔर भी ब त कछ लाया स ाट एक ऐसा जोड़ा जसा पहल यहा कभी नह

आया बालाए या ह क उनक सामन अ सराए भी फ क पड़ जाए जब म आपक सवाम उ ह तत क गा तो न त ही आप स हो जाएगrdquo

ldquoउ म तम भी हा न म नह रहोग ी त ह उ चत पर कार मलगा सदा कभा त तो कब ला रह होrdquo कामक स ाट क सास फल रही थ व लार टपक रही थी

ldquoस ाट आप रगशाला म अकल र हए म अधरा को आपक सवा म सब ततक गाrdquo ापारी धीम वर म षड य कारी क भा त बोला

स ाट न सहम त म सर हलाया ापारी अ भवादन करक स म ा म चलागया

रात को नयत समय पर स ाट अकल थ उनका ापारी दलाल अपन वाद कअनसार तत आ उसक साथ एक सवक था जो थाली म कछ उठाए था जस पर रशमीकपड़ा पड़ा था दो आक तया भी थ जो सर स पर तक रशमी आवरण म ढक थ स ाटन यान स उन आक तय को दख अनमान लगाया

दलाल ापारी न अपन सवक को सकत दया और सवक न थाल पर स कपड़ागरा दया थाल म तीन अ त आकषक सरा हया रखी थ और था एक चाद कान काशीदार गलास

ापारी बोला ldquoस ाट यह म दरा उस दश का उपहार ह जहा हस याम होत हऔर काग त यह व म सव मानी जाती ह र ाभ आकाश का सा रग ह इसकाrdquo

स ाट क तो रशमी आवरण म ढक उन आक तय पर जमी थी बताबी सबोला ldquoउस आवरण क पीछ या हrdquo ापारी न ताली बजाई आक तय न नाटक य ढगस अपन आवरण उतार फक

स ाट क स मख आभषण स सज दो कशोरवय क साच म ढली सी अ त मोहकबालाए थ उ ह न च त पारदश कपड़ पहन रख थ

उ ह दख स ाट का दय उछलन लगा वह पलक झपकना भी भल गया ापारीक आख चमक रही थ

एक बाला न अपनी लबी सडौल उग लय स गलास उठाया और सरी न एकसराही उठाकर बड़ी नजाकत स म दरा क पतली गलाबी रग क धार गलास म उड़लीपहली बाला नप-तल कदम स चलकर स ाट क पास आई और गलास उनक ह ठ स लगादया

स ाट न आख आनदम न हो बद कर ल म दरा सचमच उ क थी सरी बालासराही लकर पास ही खड़ी थी स ाट क भखी नगाह गलास वाली बाला क शरीर को घररही थ

उसक ह ठ गलाब क भोर क ओस म भीगी पख ड़य क तरह दहक रह थस ाट स रहा न गया उ ह न उस पास ख चा और अपन बढ़ ह ठ उन यवा ह ठ पर

रख दए समय जस ठहर गयाएकाएक स ाट को खासी आई उनका शरीर कापन लगा न र ाभ हो गए

चमड़ी का रग नीला पड़न लगा दखत ही दखत व आसन पर लढ़क गए एक वीभ सहचक लकर उनका शरीर न पद हो गया

वहा उप थत बाक चार स ाट का अत शात भाव स दख रह थ उनकचहर पर सतोष क भाव थ दलाल ापारी न बाला स कहा ldquoकाय सप हो गया इस

को जी वत रहन का कोई अ धकार नह था अब हम यहा स चलना चा हएrdquo

बाला न फर अपन आवरण ओढ़ लए व चार क स बाहर नकल गए बाहरम य ार पर ापारी न ारपाल स कहा ldquoस ाट व ाम कर रह ह व कबोज दश कम दरा पीकर न ाम न होना चाहत ह उ ह कोई बाधा न प चाए उ ह न आदश दया ह ककल ातः सय दय क समय उ ह जगाया जाएrdquo

फर चार अधकार म वलीन हो गएव चार वा तव म एक पड़ोसी रा य क ग तचर थ वह रा य जस एक य म वष

पहल महाप न न कर दया था जन चार न स ाट क ह या म भाग लया था उ ह नउस य म अपन नकट सबधी खो दए थ यह उनका तशोध था

सबह महाम ी को कसी आव यक काय स स ाट क पास जाना पड़ा उ ह एकआपात नदश लना था

स ाट क क का य दख व सकत म आ गए उनक अनभवी आख न क कानरी ण कया व यान स स ाट को दखा वचा का नीला पड़ा रग दखत ही व समझ गएक कसी वष क या न स ाट क ह या कर द ह

व कछ दर खड़ सोचत रहफर कसी नणय पर प चकर व क स बाहर नकल महाम ी न क का ार

बद कर दया उ ह न स नक को नदश दया क स ाट क क म कोई न जाए महाम ीसीध सबस य राजकमार धनानद क महल म गए

महाम ी को अनायास आत दख वह च का उसक मह स नकला ldquoमहाम ीजीrdquo

ldquoहा आपात थ त म महाम ी को स ाट क पास म णा करन आना पड़ता हrdquoधनानद कछ समझा नह वह बोला ldquoस ाट पर म तोrdquoldquoअब आपक बारी स ाट बनन क आ गई ह स ाट महाप नद का नधन हो

गया हrdquo महाम ी न सचना द ldquoककसrdquoमहाम ी न समझाया ldquoस ाट यह य और कस पर वचार करन का समय नह

ह व ोह न हो और अराजकता न फल इस लए हम तरत स ाट क ाक तक कारण सम य क घोषणा करनी ह साथ ही आपक रा या भषक क भी इसी म हम सबका भलाहrdquo

महाम ी न कछ दर तक फसफसाकर धनानद को समय क गभीरता तथा राजनी तक आव यकता क बार म समझाया

धनानद न यान स उनक बात सन फर दोन उठ खड़ ए और उस क क ओर चल पड़ जहा महाप नद का मत

शरीर पड़ा था रा त म भी महाम ी न ब त सी ऊच-नीच व राजनी तक आव यकता कबात बता

इस कार धनानद मगध का स ाट बन गया था आरभ म तो वह भी अ छ शासकका सा वहार करता रहा परत शी ही अपन पता क राह पर चल पड़ा बढ़ महामायाको यह सब दखकर ब त ख होता था

वह सोचती यह कसक खन का भाव था

योजनाकार चाण यचाण य च ग त को श चालन तथा य कला म पारगत करन क लए नग दना

चाहत थ परत सबस आव यक च ग त को व ालय क सामा य श ा दना था जससवह ब मान तथा कशल शासक बन सक

इसक लए व च ग त को त शला ल गए व वहा व व ालय म वश दलादया कछ इ तहासकार का मत भ ह व मानत ह क त शला को तब तक वदशीआ मणका रय न तहस-नहस कर दया था वहा क ा यापक बकार होकर व भ रा यम लावा रस क तरह भटक रह थ चाण य उनम स कछ को खोज नकालन म सफल होगए व उ ह च ग त क श ा का भार स प दया गया पर इसम कोई शक नह क च ग तन लगभग सात वष उ च श ा हण करन म लगा दए उसक साथ-साथ यो ा बनन कउनक नग भी चलती रही च ग त म य कौशल क वाभा वक तभा थी अतः नपणयो ा बनन म कोई सम या सामन नह आई

इस बीच यनान क सनाए भारत क रा य को र दती ई पव क ओर बढ़ रही थ च ग त और चाण य न उनक रणनी तय का गहरा अ ययन कया साथ ही यह भी दखतरह क व जत रा य म यनानी कस कार अपना शासन त था पत करत ह यह सबनकट स दखन व जानन क लए चाण य न च ग त व उनक कछ सा थय को यनानी सनाक टकड़ी म स नक क प म भरती भी करवाया वहा उ ह न ग तचरी क रह य को भीसीखा

यनानी व जत म शासन खड़ा करत थ व शासन चलान क लए एककमाडर नय करत थ ज ह व lsquo ॉपrsquo कहत थ यह ॉप यनानी सना म भरती भारतीयभी हो सकत थ

वष अपनी धरती स र रह कर वदश म लड़त-लड़त यनानी स नक थक चक थव घर लौटना चाहत थ इसी चाह म अ धकतर बीमार रहत थ भारत म एक राजा को हरानपर आग सरा श शाली राजा उनक माग म आ जाता था इसका कोई अत ही नह आरहा था मगध सा ा य तक प चत-प चत व बदम हो चक थ मगध क वशाल सना सभी उ ह नपटना बाक था

सकदर वय बीमार हो चला था उसन अपन दश लौटन का फसला कर लयाउसक लौट जात ही कई मख यनानी ॉप व ोह म मार गए कई भारतीय ॉप न वयको वत घो षत कर दया कई आपस म ही लड़न लग फर समाचार आया क बबीलोनम बीमार पड़ जान स सकदर क म य हो चक ह इसक साथ ही ॉप शासन का अत होगया

ॉप क इन लड़ाइय म च ग त व उनक सा थय न खब मारकाट मचाई इसीघटना म म उ ह न अपनी सना भी खड़ी कर ली च ग त न अपनी जोड़-तोड़ कराजनी त का भी इन य म भरपर उपयोग कया

कटनी त चाण यअब समय आ गया था जब च ग त व चाण य को अपना असली य मगध

सा ा य पर अ धकार करन व महानद को न करन क लए लड़ना था च ग त न मगध कयवा तथा असत त व को अपनी ओर मला लया था य म टट कर ब त स स नकजो लावा रस होकर घम रह थ व भी च ग त क सना म आ मल थ

च ग त क सना न मगध क म य भाग स अपना य आरभ कया परत उ ह बार-बार हार का मह दखना पड़ा मगध क सना वशाल थी सग ठत थी तथा उ ह अमा य जसयो य म ी का नत व ा त था ॉप य म अ जत अनभव व कौशल यहा मगध क सनाक व कछ काम नह आ रहा था चाण य तथा च ग त को फर स अपनी य नी तपर वचार करना पड़ा

न कष यह नकला क रा य क म य स य लड़ना उनक भारी भल थी वह शरको उसक माद म जाकर ललकारन जसी मखता थी पाट लप क सर ा ब त मजबतथी नगर ग क भीतर बसा था ग म वश क लए लगभग 64 ार थ ग क सबसबड़ी सर ा व था ग क चार ओर खद खाई थी जसम पानी भरा रहता था ऐसाबताया जाता ह क खाई लगभग 300 हाथ चौड़ी और चालीस हाथ गहरी थी ग तकप चन क लए अनक पल थ इन पल को चाहन पर ऊपर उठाकर हटाया जा सकता थाजस ही च ग त क सना न ग तक प चन का य न कया पल उठा लए गए थ उसक

सना क पास खाई पार करन का कोई और साधन नह था और स मगध क सना कटक ड़य न आकर उन पर पीछ स आ मण कया था ब त क ठनाई स च ग त तथाचाण य जान बचाकर भाग थ

अब उ ह यह समझ आ गई थी क उ ह आ मण सीमा स आरभ कर राजधानीक ओर बढ़ना चा हए था दोन न जान बचान व फर स सग ठत होन क लए व याचलपवत क साथ-साथ कच कया था व कौशाबी होत ए मायापरी प च फर वहा सशवा लक पवतमाला क साथ-साथ चलत ए हण रा य म आ नकल हण रा य मगधसा ा य क सीमा क साथ लगा दश था अब व मगध सना क पकड़ स बाहर आ गएथ

हण म बड़ी स या म व भ रा य क व स नक जाकर रह रह थ जो सकदर कआ मण म मार खा चक थ उनक मन म सकदर स बदला लन क ब त ती भावनाथी यनानी स नक क नाम स ही व भड़क उठत थ

यह चाण य व च ग त क लए वरदान सा बत ए उ ह न उन स नक को एककर सग ठत कया तथा अपनी नई सना खड़ी कर द सार स नक श त तो थ हीकवल उनक लए आयध जटान पड़ तथा उ ह मान सक प स एक नई सना म ढालना पड़ाता क व च ग त क ल य म ही अपनी उद द य स दख व उसक त तब हो जाए

चाण य व च ग त न अनभव कया क मगध क वशाल सना स लड़न क लएउ ह अभी और अनभव ा त करना होगा सम य नी त तयार करनी होगी नई सनाव नरश को म बनाकर उनका पण सहयोग ा त करना होगा इसक लए उ ह कई यलड़न ह ग व शासक को अपना आभारी बनाना होगा यह सार उ य उ ह यनानी ॉप कव य छड़कर ही ा त हो सकत थ इसस व और का व ास भी जीत सकत थ

भारत छोड़न स पहल सकदर एक और चाल चल गया था पाटन थ उस रा यक राजधानी था जहा सकदर न भारत म अपना अ तम य लड़ा था वजय समारोह मसकदर न अपन सार ॉप तथा आ त भारतीय नरश का स मलन भी बलाया थासमारोह तथा स मलन का सबस बड़ा उद द य यना नय क भारत अ भयान म ा त वजयको थायी बनाना था इसक लए सकदर न एक धत योजना बनाई थी स मलन म आनवाल भारतीय नरश स उसन अपन-अपन स अ धक स अ धक ववाह यो य यव तयालान का आदश दया था इस कार समारोह म लगभग 700-800 यव तया लाई ग औरउनका ववाह उन यनानी स नक स कर दया गया ज ह ॉप रा य क सर ा क लएभारत म ही रहना था

इस कार यनानी खन का भारतीय खन स मलन हो जाता और एक ऐसी पीढ़ पदाहोती जसम भारत-यनानी स क त का सगम होता इसी कार पी ढ़या समय क साथ-साथआग बढ़ती जात और यनानी भाव का भारत म व तार होता जाता

सकदर न अपन सबस यो य सनानी फ लप को वाहीर का ॉप नय कया

उस एक वशाल यनानी सना क साथ भारत म ही रहना था उसक अपनी राजधानी थतस नक छावनी म पचास हजार स नक थ सकदर न ग त प स फ लप को यह भी सकतदया था क उसस जतन अ धक हो सक उसको अ धक यनानी स नक का ववाह भारतीययव तय स करवाना ह

फ लप एक वीर यो ा थापरत वष क नरतर य स वह ऊब चका था और मन थक गया था सकदर क

थान करत ही वह सख ढढ़न लग गया थानीय राजा तो व वलासी थ ही उ ह नफ लप क मह को भी वलासी जीवन का खन चखा दया अब फ लप स नक कम औरभोगी अ धक बन गया उसक सनानायक न भी उसी का अनसरण कर लया खाना पीनाव भोग वलास उनक दनचया बन गया

ककय दश क राजधानी को ही फ लप न अपना क बना रखा था राजा प काराजमहल उसक लए खाली कर दया गया था उसी म फ लप का डरा था राजा प कोयह बात ब त चभती थी आरभ म सकदर न उस जो मान दया था वह धीर-धीर कम होतागया व सकदर क सनानायक व अ धकारी वा मय का सा वहार करन लग थ राजा पभी यना नय स अब चढ़न लगा था वह यना नय को अपन रा य स भगान का अवसरतलाश करन लगा था

महल क साथ ही एक हाट लगता था जहा थानीय लोग तथा ापारी वह सारासामान लात थ ज ह यनानी खरीदत थ हाट म कभी-कभी बकन क लए दास-दा सया भीआती थ एक दन एक दास-दा सय का ापारी आया वह हाट म ब त ही सदर दा सयऔर -प दास का समह लकर आया था

एक यनानी स नक न बढ़ ापारी का माल दखा उस ब त आ य आ उसनबकन क लए आई इतनी सदर यव तया तथा इतन व थ दास पहल कभी नह दख थउसका मन दा सय क प म बचन क लए आई यव तय पर आ गया

उसन बढ़ ापारी स उनक गण व म य पछ उसन एक दासी क ओर सकत कयाऔर बोला क उस वह ठ क दाम पर मल जाए तो ब त दास-दा सय को वह महल मबकवा सकता ह य क महल को कमचा रय क आव यकता ह

बढ़ ापारी न सर हलाकर कहा क पहल वह कछ दा सया महल म बकवा द तोफर उस उसक मनपसद क चीज उपहार म कम दाम पर मलगी

स नक ापारी को लकर महल क अ धका रय को दखान ल चला दा सय काझड व पाच-छह दास भी साथ गए यनानी अ धकारी व सनानायक ॉप फ लप क साथबठ कछ म णा कर रह थ

स नक न जाकर उनस दा सय क बार म बताया सबक नगाह दा सय क झड परपड़ उनक सदरता दख व म ध हो गए

यनानी भाषा म कई अथ ट प णया क ग बढ़ ापारी न वनती क ldquoयनानी स ाटगण य साधारण बालाए नह ह इ ह

गायन न य तथा राजसी प ष का मनोरजन करन क श ा द गई ह य द आ ा हो तोएक न य तत कर इसका माण दगी तब आप वय उसक उपयो गता समझग तथाम याकन करगrdquo

यना नय न एक- सर क ओर दखा फ लप न सर हलाकर अपनी सहम त द दा सय न एक साम हक न य तत कया न य एक वीर रस क गीत पर आधा रत

था दासी बालाए कटार और तलवार लकर न य कर रही थ यनानी म म ध होकर नाचदख रह थ न य क एक वशष ब पर आत ही अक मात कसी न कछ ग त सकत दयाउसक साथ ही न य करती बालाए यना नय पर कटार व तलवार लकर टट पड़ न यागना क ना यका कर भका न पलक झपकत फ लप क सीन म कटार भ ककरउसका काम तमाम कर दया सर अ धकारी भी मार डाल गए दल क साथ भीतर आएदास न महल क भीतर थत अगर क को मार डाला

जो दास बाहर हाट म रह गए थ उ ह न अपन ग त आयध नकाल कर महल कबाहर तनात यनानी स नक को मार डाला अथवा बद बना लया बाद म र योद घाटन

आ दा सया वा तव म श त स नक थ बकन वाल आए दास भी छ वशी स नकथ व सब चन ए लड़ाक थ बढ़ा ापारी और कोई नह छ वश म वय च ग त थ

प क स नक भी इस अ भयान म स म लत थयनानी सना क छावनी म अब तक जो कछ महल म घटा उसका समाचार नह

प चा था स नक घटना म स बखबर आराम कर रह थ अथवा ड़ा आ द काय कलापम त थ अक मात छावनी पर च ग त तथा प क सना न दो ओर स आ मण करदया यनानी बखबर पकड़ गए उ ह ठ क स सभलन का अवसर नह मला पचास हजारस नक म स हजार गाजर-मली क तरह काट डाल गए हजार न आ मसमपण कर दयाया बद बना लए गए अनक सना कमाडर च ग त या प क सना म सवा करन क लएतयार हो गए

ककय एक बार फर वत होकर प का दश बन गया राजा प क सहम त सच ग त तथा चाण य न उनक 40 वष य प पवतक को स ाट घो षत कर दया तथाव धवत सहासन पर बठाया इस उपकार क बदल पवतक न सदा च ग त का साथनभान का वचन दया ॉप फ लप क ह या करन वाली बाला कर भका कठ रा य कराजकमारी थी फ लप न एक य म उसक पता और भाई को मार डाला था उसी कावह तशोध ल रही थी

इस घटना क प ात च ग त तथा कर भका काफ नकट आ गए थ उनक म यम का अकर फटन लगा था

चाण य क नगाह स उनका म छपा न रहा परत उ ह इसम कोई आप नहथी

कर भका का सारा प रवार य क भट चढ़ चका था चाण य न उस अपनी प ीघो षत कर उस मान सक सबल दान कया था

ॉप फ लप स नपटन क बाद चाण य व च ग त न सर यनानी कमाडरय दथमस को चनौती दन का मन बनाया य दथमस सध नद क पार एक बड़ी सना लकरडरा डाल बठा था वह एक कशल यो ा था यह सभावना थी क फ लप क म य कासमाचार पाकर वह फर ककय पर अ धकार करन व यनानी वच व को था पत करनआएगा चाण य न परामश दया क उस सध तट पर ही रोकना होगा वह इस पार आगया तो यनानी समथक फर स सग ठत हो सकत थ और सम याए खड़ी कर सकत थ

कर भका न भी य दथमस क व य भ म म जान का मन बना लया वहच ग त क साथ ही बनी रहना चाहती थी च ग त हण व तक ककय कलट व क मीरक सना का एक वशाल सय दल लकर सध नद क तट पर प चा तट क सरी ओरय दथमस यनानी सना क साथ मोचा सभाल था यना नय क अधीन क प मी गाधारबख या और ह ली रा य क सनाए भी उसक साथ थ

इ तहास म यह प उ लख नह मलता क कस दल न सध नद पार कर सरदल पर आ मण कया आ मण आ और य भी तकसगत मत यही ह क यनानी सनान नद पार क होगी य क उनक पास न दया पार करन क मता थी साधन थ व चरअनभव था यना नय को उनक व वजय अ भयान क कारण यह सब लाभ ा त ए थ

य म च ग त क सना न यनानी सनानायक को मार गरान म सफलता ा तक यह काय सभवतः परी यनानी सना क इस पार आ पान स पहल कया गया होगाय दथमस क म य स यनानी सना का मनोबल चर-चर हो गया व प मी तट क ओर पीछहट गए उनक भारत मल क सना न च ग त क सामन आ मसमपण कर दयाफलहाल अब यनानी हमल का खतरा टल गया था य क समाचार आया क यनानीस नक अपन दश जान क लए लौट रह थ व अथहीन य म और जान नह गवाना चाहतथ

सकदर क पहल ही म य हो चक थीयना नय स नपटन क बाद अब च ग त व चाण य को अपना मल उद द य ा त

करना था और वह मल उद द य था मगध क राजधानी पाट लप पर अ धकार करक नएसा ा य क रचना करना

धनानद का अतइस बीच पाट लप म भी काफ कछ घट चका था परान स ाट का अत हो गया

था व अब वहा नया शासक थाजस क पहल वणन कया जा चका ह क महाप क नौ बट थ धनानद उन सबम

य था महाप क जब एक वषक या न षड य रचकर ह या कर द थी तब महाम ीक सहायता स धनानद मगध क ग पर बठा था

आचाय शकटार महाप क म मडल म म ी थ ब त स इ तहासकार उ ह हीमहाप का महाम ी मानत ह कछ इ तहासकार मानत ह क व कवल एक म ी थ औरमहाम ी धनानद क शासन काल म ही बन पर एक बात सवस मत ह क शकटार एक ब तमह वपण म ी थ जनका स ाट पर अ य धक भाव रहता था मगध सा ा य क कई म ीव दरबारी शकटार क भाव स स नह थ उ ह लोग म स एक थ आचाय व सार जोधनानद क क न ाता सम यानद क ग थ सम यानद को भी धनानद तथा आचायशकटार क जोड़ी पर आप थी वह समझता था क शकटार क कारण ही रा य क

व था खराब हो रही हव सार क प रा स सम यानद क सहपाठ व अतरग म थ व सार को

राजनी त का मजा आ खलाड़ी माना जाता था उनक दाव-पच क कई शसक थउनका प रा स उनस भी बढ़कर धत व यो य था कछ लोग तो यही मानत थ क

व सार क सारी नी तया वा तव म रा स क म त क क ही उपज थ पता-प चाहत थ क सम यानद स ाट बन ता क मगध म उ ह क तती बज पर

सम या थी क धनानद व शकटार का या कया जाए उ ह वस हटाना सभव नह था कछटढ़ चाल चलना आव यक था

र स न अपना दमाग लड़ाना श कया धनानद क कमजोरी उसक कामकताथी तथा उसी का उपयोग कया जा सकता था

महाप भी तो इसी कमजोरी का शकार बना थावसतो सव क अवसर पर राजमहल म वशष समारोह हो रह थ जसम एक अ त

सदर चचल यौवना इधर-उधर इठलाती फर रही थी धनानद क उस पर वाभा वक हीनगाह पड़ गई तथा उसक लार टपकन लगी उस नवयौवना का नाम सभा षणी था औरवह रा स ारा वहा इसी योजन स नय क गई थी क कामक स ाट को ललचाए

योजना सफल हो गई थीस ाट धनानद न ऐस ही काय क लए रख एक व त सवक स कहा क वह उस

नवयौवना स मल करान क जगत भड़ाए इस काय म कोई अड़चन नह थी रा स तोचाहता ही यही था

सभा षणी स मल करान का बध एक वशष क म कया गया उस क काअ छ तरह नरी ण कया गया ता क कोई षड य न रचा जा सक स ाट महाप कह या क बाद महाम ी क आ ा पर ब त सावधानी बरती जान लगी थी सभा षणी को उस

क म भज जान स पव उसक ह ठ क जाच क गई वष क कोई ल ण नह मलवह क म व ई स ाट पहल ही वहा आसन पर वराजमान थ यौवना बाल

ठ क करन क मोहक म ाए बनाती ई स ाट तक प ची उन म ा क दौरान उसन अपनबाल म छपा कर रखी वष बझी सलाइया नकाल ली थ उसन बजली क तजी ससलाइय स स ाट का शरीर कई थान स ब ध डाला

एक चीख क साथ स ाट धनानद ढर हो गए वष अ त घातक था उनक चीखसनत ही र क पहरदार भीतर दौड़ और सभा षणी को उ ह न खन सनी सलाइय क साथआ ामक म ा म मत स ाट क पास खड़ पाया

रा स उस पर टट पड़ और तलवार स उसक टकड़ कर दए गएरा स क योजना सफल हो गई थी उस धत न ऐसा कोई स नह छोड़ा था जो

उसका सबध ह या रनी सभा षणी स जोड़ सक उसका चयन ही इस कारण आ थासभा षणी का प रवार धनानद क अ याचार का शकार होकर न हो चका था

सभा षणी क जीवन का यय अब कवल धनानद स तशोध लना रह गया था और वहतशोध रा स क सहायता स परा आ पर उस कभी यह ात नह आ क रा स उस

अपनी कठपतली बनाकर अपना हत साध रहा था इसी का नाम तो कटनी त हधनानद क म य क प ात वाभा वक प स सम यानद स ाट क गद द पर बठ

उनक ग व सार को तो महाम ी बनना ही था आचाय शकटार को स ाट क सर ा मअसफल रहन क अपराध म कारागार म डाल दया गया

अब मगध म आचाय व सार क तती बोलन लगी पर परद क पीछ वा त वकशासक रा स ही था ग वही कछ करत जो उनका बटा रा स उ ह करन क लए कहता

रा स मलतः यो य ब मान व द योजनाकार था इस लए सम यानद कआर भक शासन काल म कई अ छ काय भी ए मगध क आ थक थ त सधरी जा भीसखी ई पर फर वलासी खन रग लाया सब बटाधार हो गया

सम यानद भी अपन भाई और पता क समान ही नकला कछ समय सीधीचाल चलन क बाद वह भी टड़ी चाल चलन लगा जीवन तथा वला सता म वह परीतरह डब गया शासन का एक बड़ा भाग उसक वला सत क माग परी करन म लग गयाशासन फर भावहीन हो गया अ याचार बढ़न लग

आचाय व सार भी वलासी सम यानद क हठ ब क आग लाचार हो गएरा स न हताशा म अपना माथा पीट लया

मगध का यइस बार चाण य तथा च ग त न अपनी य नी त बदल द थी उ ह न सीमा पर

आ मण कया तथा सीमावत को वत कया इसी तरह पर पर वजय ा तकरत ए व राजधानी तक प चना चाहत थ च ग त न य क कमान सभाली तो चाण यन कटनी तक दा य व सभाला चाण य न अपन त ारा जनता म वलासी व नदस ाट क व चार कराया तथा लोग क सहानभ त जीतन का य न कया इसकासकारा मक भाव भी पड़ा तथा यवावग का एक बड़ा भाग च ग त का समथक हो गया वउसक सना म स म लत भी हो गए कई सीमावत जल सरलता स जीत लए गए औरच ग त क सना आग कच कर गई

इस बार च ग त क सना वशाल थी प मी अ भयान म बन म व सहयोगीसना समत उनक साथ थ

उनम म य प क बट पवतक भी थरा स न च ग त ारा कए आ मण क बार म सना तो तरत तकार करन क

योजना म जट गया उसक ब ती थी व उसक पास आ ाकारी तथा व सनीयअनया यय का श शाली दल था उसन मगध सा ा य म यो य ग तचर का जाल भीबछा रखा था शी ही उसन च ग त क श स य रचना तथा सगठन का आकलनग तचर ारा द सचना क आधार पर कर लया

रा स न अपन वशष ग तचर द त को पवतक क स नक श वर म घसपठ करायाग तचर म काट साफ करन वाल भी थ व पवतक क ह या करन म सफल हो गए बाक

चारक ग तचर न ककय स नक श वर म यह अफवाह फला द क च ग त क मागदशकचाण य न ही पवतक क ह या करवाई ह य क वह अपन श य च ग त को मगधसा ा य अथात भारत का स ाट हर म य पर बनाना चाहत थ पवतक को हटाना उ हइस लए आव यक लगा य क वह स ाट पद का च ग त स अ धक वध दावदार था वहस ाट प अथवा पोरस का बटा था

दलील ब त श शाली थी उस आसानी स काटना सभव नह था चाण य को भीमानना पड़ा क उनका पाला एक चतर म त क स पड़ा ह

ककय स नक खम म रोष छा गया च ग त क व व ोह क बात होन लग चाण य न स नक को समझान व ठडा करन का हर सभव य न कया

पवतक क बट मलयकत को ककय का नया स ाट घो षत कर दया गया ककयस नक क सामन ही उसका राज तलक कया गया स नक का रोष कछ ठडा पड़ामलयकत श क चाल समझ चका था

उसन अपन स नक को श क चाल का खलासा कर व ोह समा त कर दयाइस बार च ग त एक और भल कर गया था व व उनक सनाए दश म करा कर

आग बढ़त जा रह थ और व जत दश खाली छोड़त जा रह थ उनक जान क बाद मगधसा ा य क वफादार त व फर सग ठत हो जात और च ग त क आग बढ़ती सना पर पीछ

स घातक हमला करत चाण य को पता लगा क नद सा ा य क त लोग का मोह अभीपरी तरह भग नह आ था रा स न शासन म भावी सधार कए थ तथा आ थकनी तया अपनाई थ जनस जा को काफ राहत मली थी जनता रा स क भावहीन होजान क बावजद उसका अब तक स मान करती थी

चाण य को यह जानकर स ता ही ई क मगध म कोई तो ह जो जा कसोचता ह और कछ करन का य न करता ह

चाण य न च ग त स वजय अ भयान का पन नयोजन करवाया अब व व जतदश को खाली नह छोड़त थ व अपनी स नक टक ड़या एक यो य सनानायक क अधीन

छोड़ जात थ सनानायक नाग रक शासन का जानकार भी होता था उसका दा य वशासन को अपन भाव म लाकर च ग त का वच व था पत करना होता था साथ ही

उस यह दखना था क मगध क नद सा ा य क हतषी त व सग ठत न होन पाए और मगधक टट स नक को अपनी सना म थान द उ ह लावा रस न छोड़

यह नई नी त ब त सफल रही व जत म च ग त का शासन जड़ जमान मसफल हो गया तथा पीछ स आ मण क कोई सभावना शष नह रही

अब च ग त क सना न त होकर पाट लप क ओर अ भयान जारी रख सकऔर वहा प चन म सफल हो गई इस अ भयान म थान- थान पर मगध सना को पराजयका सामना करना पड़ा वह त- व त होती जा रही थी इस बीच चाण य का नद शासनक व चार अ भयान भी जारी रहा इसस आम जनता क सहानभ त भी च ग त कप म होती जा रही थी

पाट लप क ग क चार ओर क सर ा खाई म पानी शोण नद स जाता थाचाण य क परामश व सर स य वशष क मतानसार च ग त न शोण नद पर प थर वमट ट स बाध बनवाकर नद क पानी का बहाव कवा दया व पानी सरी दशा म बहनलगा

खाई म पानी का तर घटता गया फर इतना कम हो गया क ग क ार क सामनक खाई को मट ट ारा पाटकर आन-जान क लए पट टय का नमाण सभव हो पायापट टया इतनी ठोस थ क उन पर स हाथी भी कल तक जा सकत थ खाई पार करच ग त क सना न ग क ार को तोड़ डाला व भीतर व हो गई

मगध क नद क बची-खची सना ग क भीतर अ तम र ा प क प म तनातथी पर वह च ग त क वजयी सना क वाह क सामन कतनी दर टकती

ग पर शी ही च ग त क पताका फहराई गईस ाट सम यानद को बद बना लया गया आचाय शकटार को कारागार स म

मली उ ह न आचाय च ग त का आभार कट कयाच ग त उस अधकप म गए जहा उनक पतामह सयवन क बद होन क बात वष

स कही जाती रही थी वहा उ ह कवल एक नरककाल मला च ग त न उस नरककाल कचरण भावनावश छए और उसक व धवत दाह-स कार क या पण करवाई

उधर चाण य न सम यानद तथा उसक बाक जी वत ाता को म यदड कघोषणा करवाई व श का समल नाश करवान म व ास रखत थ साप को अधमराछोड़ना कोई ब मानी का ल ण नह ह आचाय व सार तथा उनका प रा स हाथ नहआए

च ग त क सना क पाट लप प चन स पहल ही दोन पलायन कर भ मगत हो गएथ इसस चाण य कछ नराश ए

व एक बार रा स स भट करना चाहत थसार काय सप होन क प ात च ग त मौय क मगध सा ा य क स ाट क प म

राज तलक क तया रया आरभ राजकमारी कर भका मगध स ाट क महारानी बननक सपन दखन लगी

इसस पहल च ग त मौय का राज तलक हो पाता एक गभीर समाचार पाट लपवा सय को मला इसस च ग त व चाण य च तत हो उठ

राज तलक समारोह थ गत करना पड़ासमाचार यह था क यनान स एक और स ाट जो सकदर क भा त ही शरवीर था

एक वशाल सना लकर पनः भारत वजय क अ भयान पर नकल पड़ा था और वह सारसा ा य पर वजय ा त करता आ ह कश पवत पार कर रहा था

च ग त क लए स ाट क ग पर बठन स पहल इस नई सम या का समाधानकरना आव यक था

सकदर क म य क बाद यनान म उसक उ रा धका रय म कलह फट गई थीसकदर क सा ा य क पाच टकड़ हो गए थ परत उन पाच टकड़ म एक ब त श शालीथा वा तव म वही सकदर क महानता व परपरा का वा रस था वहा क स ाट का नाम थास यकस जो सकदर क भा त शरवीर और बलशाली था वह भी व वजय अ भयान परनकल पड़ा वह भारत भ म को अपन पवज सकदर क वरासत मानकर दोबारा उस परयनानी झडा फहराना चाहता था

च ग त तथा चाण य क लए चता का वषय यह था क वदशी आ ाता हर बारनए य आयध तथा नई य प तय लकर आत थ जसका भारतीय शासक क पासकोई उ र नह होता था

चाण य न कहा क उ ह हर अव था म पहल स यकस स नपटना होगा वरनाउनक अब तक क सफलताए अथहीन हो जाएगी

च ग त फर अपनी सारी सना लकर स यकस का सामना करन चल पड़ा यनानी

आ ाता को भारत भ म म पठ बनान दना खतर स खाली नह था योजना उस सीमा पर हीट कर दन क थी कई स ताह क या ा क बाद च ग त क सना सध तट क नकटप ची

स यकस सध नद क पव तट तक प च गया था उसक साथ एक वशाल सनाथी दोन सना म य छड़ गया य कई दन चला पलड़ा बार-बार बदलता रहा अतम च ग त क सना यनानी सना पर भारी पड़न लगी य प यनानी सना अ धक आध नकह थयार स लस थी उसक उ र म च ग त क पास सना क स या अ धक थी

अत म स यकस को बद बना लया गयाअब यह था क आग या कया जाए य क इस य क कई पहल थ

स यकस को परा जत करना सम या का अ तम हल नह था भारतीय नरश तथा व ानक एक सभा बलाई गई जसम चाण य न अपन वचार रख उनका कहना थाmdash

lsquoयनान व भारत क सम या ब त उलझ गई ह सकदर क आ मण यवन क वषभारत म रहन तथा दोन भभाग क स क तय क मलाप स नई थ त उ प हो गई हयनानी भावना मक प स भारत स जड़ गए ह और हमार भ-भाग को अपना अग समझनलग ह यह बात नी तगत प स कतनी भी अन चत व असगत हो पर एक ठोस त य बनगया ह सकदर क ॉप को हमन समा त कर दया तो अब स यकस आया ह

य द हम स यकस को बद बनाकर रखत ह अथवा म यदड दत ह तो स यकस काउ रा धकारी तशोध लन या भारत भ म को फर व जत करन क लए आएगा इसकाकोई अत नह होगा हमार दश क नरश क सर पर यवन आ मण का खतरा सदा तलवारक भा त लटकता रहगा

हमार दश म कोई सा ा य थर नह हो पाएगा उसका सारा अ त व यवन खतरस नपटन म ही चक जाएगा कस हम सचा शासन व था था पत कर पाएग व आ थकउ त कर पाएग य द हमारी सारी श यवन आ मण क तरोध म लगी रहगी

हम इस सम या का कोई थायी हल खोजना पड़गा ता क हम आ मण क भय सम हो जाएrsquo

चाण य का कथन सही था सभी नरश तथा राजनी तक व ान पणतः सहमत थपर वह थायी हल या हो सकता था

ब त वचार मथन क प ात न कष यह नकाला गया क म ी सबध था पत कएजाए म ी सबध कसी ऐस ठोस आधार पर ह जसस य क सभावना ही समा त होजाए

इसका पाठ यना नय स ही लया गयाकसी न सझाया क ववाह सबध म ी का सबस ठोस आधार होता ह स यकस

क बट हलना अपन पता क साथ अ भयान म आई थी वह यवा थी और सदर भी य द

उसका ववाह च ग त मौय स हो जाए तो भारत व यनान एक प व सबध म बध जाएगफर श ता का ही नह उठगा

चाण य को यह सझाव ब त उ चत व ब म ापण लगा चाण य न सझावच ग त मौय क सामन रखा परत वह उलझन म पड़ गया

वह कर भका को या उ र दगाचाण य न कहा क दश हत गत वाथ स ऊपर होना चा हए भावी स ाट

को इतना ब लदान दन म सकोच नह करना चा हएववाह का ताव स यकस क सामन रखा गया उसन यह सबध सहष वीकार

कर लयाचाण य न सारी प र थ त कर भका क सामन रखी कर भका वदश हत क लए

अपन म का ब लदान दन क लए तयार हो गईअब सारी बाधाए र हो गई थ च ग त मौय तथा हलना का ववाह धमधाम स सप हो गया ववाह क बाद

च ग त मौय का रा या भषक आ रा या भषक समारोह तक स यकस भारत म ही रहउनक प ी भारत क सवा धक वशाल सा ा य मगध क महारानी बन गई

दोन प क म य दशक स चला आ रहा सघष तथा टकराव का इ तहास समा तहो गया नरम मधर सबध का एक नया अ याय आरभ हो गया था दोन जा तय क लएयह एक सखद अनभव था

स ाट च ग त मौय न वाभा वक प स अपन ग चाण य को धानम ी का पदसभालन का अन ह कया उ ह अपन ग स अ धक व त व कशल राजनी तक औरकहा मलता

चाण य न धानम ी बनना वीकार कया अब व अपनी सारी स वधान सचा लतराजशाही तथा अथत व नाग रक नयमावली क प रक पनाए ावहा रक प म लागकर सकत थ

अपन सवागीण स वधान को लाग करन क अलावा चाण य न मगध सा ा य कव तार क लए अपनी कटनी त का खला योग कया पड़ोसी रा य को मगध कअधीनता वीकार करन क लए उ ह बा धत कया गया जो नह झक उ ह या तो स नकअ भयान म न कया गया या व ोह करवाकर हरा दया गया सभी रा य को मगधसा ा य का अग बनाया गया और एक वशाल सावभौम सा ा य उभरकर सामन आ गयाजसका व तार ईरान क याकमारी म य ए शया त बत व पव म आज क वयतनाम-थाईलड तक था और उसक एकछ स ाट थ च ग त मौय चाण य क श य

अब चाण य अपन स वधान व अथत को ल खत प म एक शा क प म

ढालना चाहत थ अब तक व प रक पना प म अ ल खत था शासन क समयकाल म जोअनभव ए तथा प रक पना म अ ावहा रक सदभ को सशो धत करना भी आव यकथा व सवागीण अथशा लखना चाहत थ जो और क लए एक नी त थ बन उसकलए समय चा हए था स ाट च ग त उ ह समय नह द सकत थ य क धानम ी क

प म उनका पणका लक शासक बन रहना सा ा य क लए आव यक थातो इसका हल या था

नी त चाण यचाण य भी जानत थ क स ाट च ग त क सर ा क लए भी उनका धानम ी

पद पर बन रहना आव यक था च ग त क जान लन क कई यास कए गए थ परतचाण य क कड़ी सर ा व था क कारण वह यास वफल रह

ह या क यास अ धकतर रा स ारा कए गए थ वह कह ग त थान पर जाकरथा पत हो गया था तथा कछ अपन परान स नक को सग ठत करन म सफल हो गया था

कह स वह आ मघाती द त भज कर चाण य क लए सम याए पदा कर रहा था वह यो यथा अ छा योजनाकार था तथा अपन भतपव वामी सम यानद का अब भी वफादार थातथा अपना कत नभा रहा था

एक दन ग तचर न चाण य को बताया क रा स अपनी प नी तथा ब च कोसाथ नह ल जा पाया था उसक प नी व ब च उसक एक व त साथी चदनदास कसर ण म छोड़ दए गए थ

व अब भी उसी म क पास थअब चाण य क हाथ म त प का प ा आ गया था उ ह न चदनदास को बद बना

लया तथा रा स क बीवी-ब च को अपन क ज म कर लयाचदनदास को म यदड क घोषणा क गई उस पर स ाट क व श क साथ-

साथ दश ोह करन का अ भयोग लगाया गया था म यदड क घोषणा का रा य भर म खबचार कया गया

रा स अपन स ात का ब त प का था उस यह कस गवारा होता क उसककारण उसक घ न म क जान जाए उस बचान क लए वह कछ भी कर सकता था

इस त य को चाण य जानत थम यदड दए जान क दन स काफ पहल ही रा स न आ मसमपण कर दया और

वनती क क उसक म चदनदास को छोड़ दया जाए य क वह नद ष था रा स नसार इ जाम अपन सर पर ल लए

रा स को चाण य क सामन लाया गया

चाण य न पछा ldquo या तम सचमच अपन म क जान बचाना चाहत होrdquoरा स न उ र दया ldquoहा उसक लए म कछ भी कर सकता उस दया गया म य

दड म भगतन क लए तयार वा तव म ही मर त म ता नभान क अ त र चदनदासन कोई अपराध नह कया हrdquo

चाण य म कराए ldquoरा स हम त हार म को तथा त हार प रवार को मादान दसकत ह य द तम मरी शत मान लोrdquo

ldquoशत म तो म यदड क लए भी तयार rdquoldquoम त हार ाण नह माग रहा rdquo चाण य बोलरा स न च ककर चाण य क ओर दखा या चाण य न म यदड स भी कठोर दड

सोच रखा था उसक लए यातनाए ldquo फरrdquo रा स न कयाldquoम तो चाहता क तम मगध सा ा य क धानम ी पद का काय-भार सभालो

हम त हारी यो यता तथा न ा क आव यकता ह जो वफादारी तमन राजा सम यानद कत दखाई अब वही त ह स ाट च ग त मौय क त दखानी होगीrdquo चाण य न अपनाताव रखा

चाण य क बात पर र स अवाक रह गया भला उस यह उ रदा य व वीकारकरन म या आप हो सकती थी

इसक प ात रा स न मगध सा ा य क धानम ी का कायभार सभाला चाण यवय एक म ी बन गए

वा तव म चाण य रा स क यो यता का ब त आदर करत थ और उसक न ा कत आ त थ क उ रदा य व सभालन क बाद वह च ग त मौय का स चा हतषी बन

जाएगाअब चाण य क पास अपन सार शा लखन का समय मल गया और इसी काल

म उ ह न अपन च चत थ लख डाल

सकट त चाण यउस काल म जहर दकर मारना ह या का सबस अ धक च लत साधन था राज

प रवार म एक- सर का प ा साफ करन क लए वष का ही योग कया जाता थाशासक को सबस अ धक खतरा वष दए जान का ही होता था य क राजा अथवा स ाट

ारा खाए जान वाल हर भोजन क जाच लगभग असभव होती थी चाण य को भी यहीडर लगा रहता था क कोई च ग त को वष न द द

उ ह न इसका एक उपाय सोच लया और शाही भोजनालय क म य बावच कोव ास म लकर स ाट को उ ह बताए बना त दन खान म वष क अ प मा ा दन का

बध कर दयातब यह व ास कया जाता था क रोज कसी को थोड़ा-थोड़ा वष दया

जाए तो उसक शरीर म वष नरोधक श पदा हो जाती ह और फर चाण य वय भीकछ जड़ी-बट व दवा क च क सा का ान रखत थ

इसी बीच एक बार स ाट च ग त क महारानी न स ाट क थाली म स कछ खानालकर खाया उन पर वष का भाव आ और वह मर गई उस समय वह गभवती थी और

स तकाल क काफ नकट थी

इस घटना स चाण य ह भ रह गएउ ह न मत महारानी का पट चीर कर उनक गभाशय स ब चा नकालन का राजव

को आदश दया य द सभव आ तो वह ब च को बचाना चाहत थ पट व गभाशय चीर करब चा नकाला गया चम कार यह आ क ब चा जी वत नकला चीर-फाड़ क दौरानब च क शरीर पर ब क आकार का एक गड ढा पड़ गया

उस दख चाण य न उसका नाम ही lsquo ब सारrsquo रख दयाब सार जब यवाव था म प च तो स ाट च ग त न वान थ आ म म जान का

मन बना लया रा स क म य हो चक थी च ग त न राजपाट अपन बट ब सार को स पदया व वय एक जन सत क साथ कनाटक म ावण बलागोला नामक थान पर रहन कलए चल गए कछ समय क बाद च ग त न जन परपरा का पालन करत ए भोजन पानीयाग दया व नवाण को ा त ए

इधर ब सार न शासन भार सभाला तथा कछ नए म ी नय कए चाण य एकम ी क पद पर बन रह

नए म ी चाण य स जलत थ उनका खयाल था क चाण य मगध सा ा य कावय को नमाता समझकर बड़ पतामह क तरह वहार करत ह तथा नए म य क

यो यता को सदा कम करक आकत हसबध नामक एक म ी तो चाण य स ब त चढ़त थ स ाट ब सार तो चाण य

का वाभा वक आदर करत ही थ य क व ही उनक पता क मागदशक रह थएक दन सबध न स ाट क कान म जहर घोल दया क चाण य न ही उनक माता

को वष दकर मारा था ब सार न अपनी माता क परानी प रचा रका को बलवाया औरपछताछ क उ ह सबध पहल ही खरीद चका था

प रचा रका न सबध क दाव का समथन कया इसस स ाट ब त ो धत एस ाट क ो धत होन का समाचार सनकर चाण य को अ यत ोभ आ मगध

सा ा य क नमाता को अपन जीवन क अ तम पड़ाव पर एक खनी होन का लाछन घोरअपमान लगा

उ ह सार ससार स वर होन लग गई चाण य न खी होकर अपनी सारी सपगरीब म बाट द या अनाथालय तथा धा मक स थान को दान कर द

इसक प ात उ ह न उपल और लक ड़या मगवाकर चता बनवाई और उस परआमरण अनशन पर बठ गए

इधर महल क एक परान सवक न स ाट ब सार को उनक माता क म य कास चा हाल सनाया और यह भी राज खोला क कस चाण य क आदश पर मत महारानी कापट चीर कर ब सार को बचाया था स चाई जानकर स ाट सकत म आ गए

उ ह सबध क ता पर ब त ोध आयासबध को बलाकर खब फटकारा गया और आदश दया गया क वह जाकर चाण य

स मा याचना कर व उनका अनशन तड़वाए वरना उस म यदड दया जाएगासबध दौड़ा-दौड़ा चाण य क पास प चा जो चता पर बठ थ उसन चाण य स

गड़ गड़ाकर मादान मागा ल कन चाण य नह पसीज उ ह न म ी को वहा स चलजान क लए कहा

म ी सबध लौटकर स ाट क पास गया और चाण य क हठ क बात सनाई स ाटन एक बार फर म ी को लताड़ा और कसी भी तरह चाण य को मनान का आदश दया

इस बार म ी न रो-रो कर मा मागी उसक दशा दखकर चाण य को दया आ गईऔर उ ह न मा दान दकर बात समा त क इस पर सबध न घोषणा क क चाण य कोसमारोहपवक चता पर स उतारा जाएगा

यह सब उसक चाल थी वा तव म उसका दल साफ नह था उस चाण य ककारण नीचा दखना पड़ा गड़ गड़ाना पड़ा

इस कारण वह चाण य स पहल स भी अ धक घणा करन लगा थासमारोह क या म उसन कछ ऐसा बध कया क चता म रख उपल सलग

गए लोग व चाण य यही समझत रह क धआ धप-अगरब ी का ह तभी हवा चली औरसारी चता एकदम भभक उठ चाण य लपट म घर गए और दखत ही दखत उनककाया राख क ढरी म बदल गई

इस कार भारतीय इ तहास का महान कटनी त तथा स वधान व अथशा ी घणाव ई या क आग क आ त बन गया

आदमी क ह या क जा सकती ह परत वचार क नह वचारधारा अमर हचाण य अपनी नी तय और शा ारा सदा भारतीय का मागदशन करत रहग

चाण य नी त क बढ़ती लोक यता इसका जीता-जागता माण ह

चाण य क शाच ग त को स ाट क प म था पत करन क बाद चाण य अपन राजनी त एव

अथ व था सबधी वचार को थ प म ढालना (रचना) चाहत थ जसस आन वालीपीढ़ लाभा वत हो सक ल कन धानम ी पद एव च ग त क सर ा का उ रदा य वउनक आड़ आ रहा था अनायास ही जब रा स ारा धानम ी पद का दा य व हण करलया गया तो व इस ओर स न त हो गए अब उनक पास पया त समय था और उ ह नअपनी वष क मह वाका ा को प तक ( थ) प म ढालना श कर दया

अथशाचाण य का अथशा 15 खड म लखा एक वहद थ ह जसम 180 अ याय

तथा 150 भाग ह इस अथशा म एक राजशाही का परा स वधान ह जसम राजा ककत म मडल शासन व था का परा च ण ह आ थक व था क परी परखा हअथ त क अ धका रय व कर वसली क वशद ा या ह इस भाग म खनन धात र न उपर न ख नज सपदा खनन व था तथा धात क उ ोग का भी वणन ह दखाजाए तो यह शायद व का थम राजनी तक स वधान तथा अथ व था का व ध- वधानह

चाण य नी तचाण य नी त उनक ारा लखी सवा धक लोक य व पढ़ जान वाली रचना ह

इसम उ ह न सभी शा का सार जीवन क म य स क प म स कत दोह व चौपाइयक शली म तत कए ह इस पढ़कर एक आम आदमी जीवन म सफलता उ चत व

अन चत न तक या अन तक धम या अधम ब मानी या मखता लाभदायक याहा नकारक अ छा या बरा उपयोगी या अनपयोगी क पहचान कर सकता ह इन स मचाण य न श ा पर ब त जोर दया ह व कहत ह क श ा म ही का असली उ ारह प तक म कछ पवा ह य बात भी ह जो शायद आध नक जगत क कसौट पर खरी नउतर पर आम तौर पर स ब त तकसगत ह

पचत कथाएब त स इ तहासकार का मत ह क व स पचत क कथाए आचाय

चाण य न ही व णग त नाम स लखी थ दत कथा ह क एक राजा क चार बट थ बड़शरारती व नक म श ा ा त करन म उ ह कोई च नह थी कई अ यापक न उ हपढ़ाना चाहा पर व वय राजकमार क कारनाम स आत कत होकर सर पर पर रख भागनकल

राजा न पर कार क घोषणा क क जो व ान उनक चार चकन घड़ पर अ लका पानी चढ़ा दगा उस व बड़ा पर कार दग

चनौती वीकार कर व णग त सामन आए पर उ ह न पहल ही साफ बता दया कवह धन क लोभी नह ह व यह काय कवल इस लए कर रह ह ता क राजकमार क कपालक अदर पड़ प थर स जनता ल लहान न हो जाए

उ ह न श ा का एक नया ही उपाय आजमाया राजकमार को व कहा नया सनातजनक पा पश-प ी पड़-पौध व क ट-पतग होत कहा नय म चतराई सझबझ नी ततथा न तक म य स भर सदश होत

उ ह कहा नय को सन-सन कर राजकमार ानवान व नी तवान बन गएइ ह चम कारी कहा नय को पचत शीषक स जाना जाता ह यह कहा नया

सबको इतनी भाय क व क सारी भाषा म इनका अनवाद हो गया और यह व बालसा ह य खजान क अनमोल मोती बन गए

य द सचमच व णग त चाण य ही थ तो मानना होगा क चाण य क प म भारतम एक ऐस ब आयामी पदा ए जनका हर आयाम अद भत था व उनक रचनाशअ तीय थी

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