कुलुस्स1 thessalonians - 1 थिस्सलुनीकियों web view4 पर...
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कुलुस्स1 Thessalonians - 1 थि�स्सलुनीकिकयों
अध्याय : 1 2 3 4 5
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अध्याय.१
1 पौलुस और चिसलवानुस और तीमुचि�युस की ओर से चि�स्सलुनिननिकयों की कलीचिसया के नाम जो परमेश्वर निपता और प्रभु यीशु मसीह में है॥ अनुग्रह और शान्ति/त तुम्हें मिमलती रहे॥
2 हम अपनी प्रा�2नाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के निवषय में परमेश्वर का ध/यवाद करते हैं।3 और अपने परमेश्वर और निपता के साम्हने तुम्हारे निवश्वास के काम, और पे्रम का परिरश्रम, और हमारे प्रभु यीशु
मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं।4 और हे भाइयो, परमेश्वर के निप्रय लोगों हम जानतें हैं, निक तुम �ुने हुए हो।5 क्योंनिक हमारा सुसमा�ार तुम्हारे पास न केवल व�न मात्र ही में वरन साम�2 और पनिवत्र आत्मा, और बडे़
निनश्चय के सा� पहुं�ा है; जैसा तुम जानते हो, निक हम तुम्हारे चिलये तुम में कैसे बन गए �े।6 और तुम बडे़ क्लेश में पनिवत्र आत्मा के आन/द के सा� व�न को मान कर हमारी और प्रभु की सी �ाल �लने लगे।7 यहां तक निक मनिकदुनिनया और अखया के सब निवश्वाचिसयों के चिलये तुम आदश2 बने।8 क्योंनिक तुम्हारे यहां से न केवल मनिकदुनिनया और अखया में प्रभु का व�न सुनाया गया, पर तुम्हारे निवश्वास की
जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी ��ा2 फैल गई है, निक हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं।9 क्योंनिक वे आप ही हमारे निवषय में बताते हैं निक तुम्हारे पास हमारा आना कैसा हुआ; और तुम कैसे मूरतों से
परमेश्वर की ओर निफरे तानिक जीवते और सचे्च परमेश्वर की सेवा करो।10 और उसके पुत्र के स्वग2 पर से आने की बाट जोहते रहो जिजसे उस ने मरे हुओं में से जिजलाया, अ�ा2त यीशुकी, जो हमें आने वाले प्रकोप से ब�ाता है॥
अध्याय.२
1 हे भाइयों, तुम आप ही जानते हो निक हमारा तुम्हारे पास आना व्य�2 न हुआ।2 वरन तुम आप ही जानते हो, निक पनिहले पनिहल निफचिलप्पी में दुख उठाने और उपद्रव सहने पर भी हमारे
परमेश्वर ने हमें ऐसा निहयाव दिदया, निक हम परमेश्वर का सुसमा�ार भारी निवरोधों के होते हुए भी तुम्हें सुनाए।ं3 क्योंनिक हमारा उपदेश न भ्रम से है और न अशुद्धता से, और न छल के सा� है।4 पर जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमा�ार सौंपा, हम वैसा ही वण2न करते हैं; और इस में मनुष्यों कोनहीं, पर/तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जां�ता है, प्रसन्न करते हैं।5 क्योंनिक तुम जानते हो, निक हम न तो कभी लल्लोपत्तो की बातें निकया करते �े, और न लोभ के चिलये बहाना
करते �े, परमेश्वर गवाह है।6 और यद्यनिप हम मसीह के पे्ररिरत होने के कारण तुम पर बोझ डाल सकते �े, तौभी हम मनुष्यों से आदर नहीं
�ाहते �े, और न तुम से, न और निकसी से।7 पर/तु जिजस तरह माता अपने बालकों का पालन- पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बी� में रह कर
कोमलता दिदखाई है।8 और वैसे ही हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर को सुसमा�ार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें
देने को तैयार �े, इसचिलये निक तुम हमारे प्यारे हो गए �े।9 क्योंनिक, हे भाइयों, तुम हमारे परिरश्रम और कष्ट को स्मरण रखते हो, निक हम ने इसचिलये रात दिदन काम धन्धा
करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमा�ार प्र�ार निकया, निक तुम में से निकसी पर भार न हों।10 तुम आप ही गवाह हो: और परमेश्वर भी, निक तुम्हारे बी� में जो निवश्वास रखते हो हम कैसी पनिवत्रता और
धामिमक2 ता और निनदcषता से रहे।11 जैसे तुम जानते हो, निक जैसा निपता अपने बालकों के सा� बता2व करता है, वैसे ही हम तुम में से हर एक
को भी उपदेश करते, और शान्ति/त देते, और समझाते �े।12 निक तुम्हारा �ाल �लन परमेश्वर के योग्य हो, जो तुम्हें अपने राज्य और मनिहमा में बुलाता है॥13 इसचिलये हम भी परमेश्वर का ध/यवाद निनर/तर करते हैं; निक जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमा�ार का व�न
तुम्हारे पास पहुं�ा, तो तुम ने उस मनुष्यों का नहीं, पर/तु परमेश्वर का व�न समझकर ( और स�मु� यह ऐसा ही है) ग्रहण निकया: और वह तुम में जो निवश्वास रखते हो, प्रभावशाली है।
14 इसचिलये निक तुम, हे भाइयो, परमेश्वर की उन कलीचिसयाओं की सी �ाल �लने लगे, जो यहूदिदया में मसीह यीशु में हैं, क्योंनिक तुम ने भी अपने लोगों से वैसा ही दुख पाया, जैसा उ/होंने यहूदिदयों से पाया �ा।
15 जिज/हों ने प्रभु यीशु को और भनिवष्यद्वक्ताओं को भी मार डाला और हम को सताया, और परमेश्वर उन से प्रसन्न नहीं; और वे सब मनुष्यों का निवरोध करते हैं।
16 और वे अ/यजानितयों से उन के उद्धार के चिलये बातें करने से हमें रोकते हैं, निक सदा अपने पापों का नपुआ भरते रहें; पर उन पर भयानक प्रकोप आ पहुं�ा है॥
17 हे भाइयों, जब हम �ोड़ी देर के चिलये मन में नहीं वरन प्रगट में तुम से अलग हो गए �े, तो हम ने बड़ी लालसा के सा� तुम्हारा मुंह देखने के चिलये और भी अमिधक यत्न निकया।
18 इसचिलये हम ने ( अ�ा2त मुझ पौलुस ने) एक बार नहीं, वरन दो बार तुम्हारे पास आना �ाहा, पर/तु शैतान हमें रोके रहा।
19 भला हमारी आशा, या आन/द या बड़ाई का मुकुट क्या है? क्या हमारे प्रभु यीशु के सम्मुख उसके आने के समय तुम ही न होगे?
20 हमारी बड़ाई और आन/द तुम ही हो॥
अध्याय.३
1 इसचिलये जब हम से और भी न रहा गया, तो हम ने यह ठहराया निक ए�े/स में अकेले रह जाए।ं2 और हम ने तीमुचि�युस को जो मसीह के सुसमा�ार में हमारा भाई, और परमेश्वर का सेवक है, इसचिलये भेजा,
निक वह तुम्हें स्थिjर करे; और तुम्हारे निवश्वास के निवषय में तुम्हें समझाए।3 निक कोई इन क्लेशों के कारण डगमगा न जाए; क्योंनिक तुम आप जानते हो, निक हम इन ही के चिलये ठहराए
गए हैं।4 क्योंनिक पनिहले भी, जब हम तुम्हारे यहां �े, तो तुम से कहा करते �े, निक हमें क्लेश उठाने पड़ेंगे, और ऐसा ही
हुआ है, और तुम जानते भी हो।5 इस कारण जब मुझ से और न रहा गया, तो तुम्हारे निवश्वास का हाल जानने के चिलये भेजा, निक कहीं ऐसा नहो, निक परीक्षा करने वाले ने तुम्हारी परीक्षा की हो, और हमारा परिरश्रम व्य�2 हो गया हो।6 परअभी तीमुचि�युस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहां आकर तुम्हारे निवश्वास और पे्रम का सुसमा�ार सुनाया
और इस बात को भी सुनाया, निक तुम सदा पे्रम के सा� हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की।
7 इसचिलये हे भाइयों, हम ने अपनी सारी सकेती और क्लेश में तुम्हारे निवश्वास से तुम्हारे निवषय में शान्ति/त पाई।8 क्योंनिक अब यदिद तुम प्रभु में स्थिjर रहो तो हम जीनिवत हैं।9 और जैसा आन/द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्वर के साम्हने है, उसके बदले तुम्हारे निवषय में हम निकस रीनित
से परमेश्वर का ध/यवाद करें?10 हम रात दिदन बहुत ही प्रा�2ना करते रहते हैं, निक तुम्हारा मुंह देखें, और तुम्हारे निवश्वास की घटी पूरी करें॥11 अब हमारा परमेश्वर और निपता आप ही और हमारा प्रभु यीशु, तुम्हारे यहां आने के चिलये हमारी अगुवाई करे।12 और प्रभु ऐसा करे, निक जैसा हम तुम से पे्रम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा पे्रम भी आपस में, और सब मनुष्यों
के सा� बढे़, और उन्ननित करता जाए।13 तानिक वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिjर करे, निक जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पनिवत्र लोगों के सा� आए,
तो वे हमारे परमेश्वर और निपता के साम्हने पनिवत्रता में निनदcष ठहरें॥
अध्याय.४
1 निनदान, हे भाइयों, हम तुम से निबनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, निक जैसे तुम ने हम से योग्य �ाल �लना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम �लते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।
2 क्योंनिक तुम जानते हो, निक हम ने प्रभु यीशु की ओर से तुम्हें कौन कौन सी आज्ञा पहंु�ाई।3 क्योंनिक परमेश्वर की इच्छा यह है, निक तुम पनिवत्र बनो: अ�ा2त व्यभिभ�ार से ब�े रहो।4 और तुम में से हर एक पनिवत्रता और आदर के सा� अपने पात्र को प्राप्त करना जाने।5 और यह काम अभिभलाषा से नहीं, और न उन जानितयों की नाईं, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं।6 निक इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव �लाए, क्योंनिक प्रभु इन सब बातों का पलटा
लेने वाला है; जैसा निक हम ने पनिहले तुम से कहा, और चि�ताया भी �ा।7 क्योंनिक परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के चिलये नहीं, पर/तु पनिवत्र होने के चिलये बुलाया है।8 इस कारण जो तुच्छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, पर/तु परमेश्वर को तुच्छ जानता है, जो अपना पनिवत्र
आत्मा तुम्हें देता है॥9 निक/तु भाई�ारे की प्रीनित के निवषय में यह अवश्य नहीं, निक मैं तुम्हारे पास कुछ चिलखंू; क्योंनिक आपस में पे्रम
रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।10 और सारे मनिकदुनिनया के सब भाइयों के सा� ऐसा करते भी हो, पर हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, निक
और भी बढ़ते जाओ।11 और जैसी हम ने तुम्हें आज्ञा दी, वैसे ही �ुप�ाप रहने और अपना अपना काम काज करने, और अपने
अपने हा�ों से कमाने का प्रयत्न करो।12 निक बाहर वालों के सा� सभ्यता से बता2व करो, और तुम्हें निकसी वस्तु की घटी न हो॥13 हे भाइयों, हम नहीं �ाहते, निक तुम उनके निवषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, निक तुम औरों की
नाईं शोक करो जिज/हें आशा नहीं।14 क्योंनिक यदिद हम प्रतीनित करते हैं, निक यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उ/हें भी जो यीशु में
सो गए हैं, उसी के सा� ले आएगा।15 क्योंनिक हम प्रभु के व�न के अनुसार तुम से यह कहते हैं, निक हम जो जीनिवत हैं, और प्रभु के आने तक ब�े
रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे।16 क्योंनिक प्रभु आप ही स्वग2 से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और
परमेश्वर की तुरही फंूकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पनिहले जी उठेंगे।17 तब हम जो जीनिवत और ब�े रहेंगे, उन के सा� बादलों पर उठा चिलए जाएगें, निक हवा में प्रभु से मिमलें, और
इस रीनित से हम सदा प्रभु के सा� रहेंगे।18 सो इन बातों से एक दूसरे को शान्ति/त दिदया करो॥
अध्याय.५
1 पर हे भाइयो, इसका प्रयोजन नहीं, निक समयों और कालों के निवषय में तुम्हारे पास कुछ चिलखा जाए।2 क्योंनिक तुम आप ठीक जानते हो निक जैसा रात को �ोर आता है, वैसा ही प्रभु का दिदन आने वाला है।3 जब लोग कहते होंगे, निक कुशल है, और कुछ भय नहीं, तो उन पर एकाएक निवनाश आ पडे़गा, जिजस प्रकार
गभ2वती पर पीड़ा; और वे निकसी रीनित से ब�ेंगे।4 पर हे भाइयों, तुम तो अन्धकार में नहीं हो, निक वह दिदन तुम पर �ोर की नाईं आ पडे़।5 क्योंनिक तुम सब ज्योनित की स/तान, और दिदन की स/तान हो, हम न रात के हैं, न अन्धकार के हैं।6 इसचिलये हम औरों की नाईं सोते न रहें, पर जागते और सावधान रहें।7 क्योंनिक जो सोते हैं, वे रात ही को सोते हैं, और जो मतवाले होते हैं, वे रात ही को मतवाले होते हैं।8 पर हम तो दिदन के हैं, निवश्वास और प्रेम की जिझलम पनिहनकर और उद्धार की आशा का टोप पनिहन कर
सावधान रहें।9 क्योंनिक परमेश्वर ने हमें क्रोध के चिलये नहीं, पर/तु इसचिलये ठहराया निक हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा
उद्धार प्राप्त करें।10 वह हमारे चिलये इस कारण मरा, निक हम �ाहे जागते हों, �ाहे सोते हों: सब मिमलकर उसी के सा� जीए।ं11 इस कारण एक दूसरे को शान्ति/त दो, और एक दूसरे की उन्ननित के कारण बनो, निनदान, तुम ऐसा करते भीहो॥12 और हे भाइयों, हम तुम से निबनती करते हैं, निक जो तुम में परिरश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं,
और तुम्हें चिशक्षा देते हैं, उ/हें मानो।13 और उन के काम के कारण प्रेम के सा� उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल- मिमलाप सेरहो।14 और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, निक जो ठीक �ाल नहीं �लते, उन को समझाओ, कायरों को ढाढ़सदो, निनब2लों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिदखाओ।15 सावधान! कोई निकसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्पर रहो आपस में और
सब से भी भलाई ही की �ेष्टा करो।16 सदा आनजि/दत रहो।17 निनर/तर प्रा�2ना मे लगे रहो।18 हर बात में ध/यवाद करो: क्योंनिक तुम्हारे चिलये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।19 आत्मा को न बुझाओ।20 भनिवष्यद्वाभिणयों को तुच्छ न जानो।21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकडे़ रहो।22 सब प्रकार की बुराई से ब�े रहो॥23 शान्ति/त का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीनित से पनिवत्र करे; और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु
यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और निनदcष सुरभिक्षत रहें।24 तुम्हारा बुलाने वाला सच्चा है, और वह ऐसा ही करेगा॥25 हे भाइयों, हमारे चिलये प्रा�2ना करो॥26 सब भाइयों को पनिवत्र �ुम्बन से नमस्कार करो।27 मैं तुम्हें प्रभु की शप� देता हूं, निक यह पत्री सब भाइयों को पढ़कर सुनाईं जाए॥28 हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे॥
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