bhukut

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योतिष के अन सार वर और कया की क डऱी मिऱायी जािी है। क डऱी मिऱान से पिा चऱिा है कवर कया की क डऱी िे ककिने ग ण मिऱिे ह , 36 ण ि से 18 से अधिक ग ण मिऱने पर यह आशा की जािी है कक वर वि का जीवन ख शहाऱ और ेिप ण रहेगा . बक ट का ताऩमय वय एवं वध की याशिम के अतय से है। मह 6 काय का होता है जो भि : इस काय है :- डरी भ ग ण शभरान के शरए अटक टसे ववचाय ककमा जाता है इन अटक ट भ एक है बक ट बक अटक टो भ 7 वां है ,बक ट ननन काय के होते ह . 1. थभ - सतक 2. वतीम - वादि 3. तीम - एकादि 4. चत थय - दिभ 5. ऩंचभ - नवभ 6. षडटक योतिष के अन सार तनन भक ट अश भ ह . वयवादि, नवऩंचक) एवं षडटक शेष तनन िीन भक ट श . इनके रहने पर भक ट दोष िाना जािा है . थभ- सतक तीम-एकादि चत थय - दिभ बक ट जानने के शरए वय की याशि से कमा की याशि तक तथा कमा की याशि से वय की याशि तक गणना कयनी चाहहए। महद दोन की याशि आऩस भ एक द सये से ववतीम एवं वादि बाव भ ऩती हो तो वयवादि बक ट होता है। वय कमा की याशि ऩयऩय ऩांचवी व नवी भ ऩती है तो नव- ऩंचभ बक ट होता है , इस भ भ अगय वय- कमा की याशिमां ऩयऩय छठे एवं आठव थान ऩय ऩती ह तो षडटक बक ट फनता है। न भेराऩक भ ववयवादि, नव-ऩंचक एवं षडटक मे तीन बक ट अि ब भाने गमे ह। ववयवादि को अि ब की इसशरए कहा गमा है मक सया थान ( 12th place) धन का होता है औय फायहवां थान मम का होता है , इस थनत के होने ऩय अगय िादी की जाती है तो ऩारयवारयक जीवन भ अधधक खचय होता है। नवऩंचक बक ट को अि ब कहने का कायण मह है क जफ याशिमां ऩयऩय ऩांचव तथा नवभ थान ऩय होती ह तो धाशभयक बावना, तऩ- माग, दाियननक ट तथा अहं की बावना जाग त होती है जो दाऩम जीवन भ वयत तथा संतान के सफध भ हान देती है। षडटक बक ट को भहादोष की ेणी भ यखा गमा है मकडरी भ 6ठां एवं आठवां थान का भाना जाता ह। इस थनत के होने ऩय अगय िादी की जाती है तफ दाऩम जीवन भ भतबेद, ववाद एवं करह ही थनत फनी यहती है जसके ऩरयणाभवऩ अरगाव, हमा एवं आभहमा की घटनाएं बी घहटत होती ह। भेराऩक के अन साय षडटक भ वैवाहहक सफध नहीं होना चाहहए।

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