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भारत म खायान वार का महव एवं उपादन क उनत ौयोगक एस. के. जैन 1* और सुनल गोमाशे 2 1 वार संशोधन क , सरदार क ष नगर दांतीवाडा क ष व%वव&यालय डीसा, बनासकांटा, गुजरात-385535 2 भारतीय कद/न अनुसंधान सं1थान, राजे/नगर, हैदराबाद 500030 * संवाद लेखक का ईमेल: [email protected] %व म जहाँ खा&या/न फसलो म वार का 1थान पांचवा है वह: भारत म चावल एवं गेह के बाद यह तीसरे 1थान पर आता है | भारत म वार क> खेती 6.25 @म. हेAटेयर BेC म क> जाती है तथा 0.957 टन/ हेAटेयर औसत उHपादकता के साथ 5.98 @म. टन उHपादन होता है | देश का 80% से यादा वार का उHपादन मुJयKप से महाराLM (54%), कनाQटक (18%), राज1थान (8%), मRयSदेश (6%) तथा आ/TSदेश (4%) रायU म होता है | इसके अलावा त@मलनाडु, गुजरात, उतरSदेश, उतराखंड एवं हWरयाणा म भी वार क> खेती मुJयKप से चारे एवं दाने के @लए क> जाती है | सामा/यत: वार धा/य लाखU लोगU के @लए Sोट:न, वटा@मन, उजाQ तथा खनज का Sमुख Zोत है | वशेषकर शुLक एवं अ[Q- शुLक BेCो म यह व%व खा&य क> अथQ-\यव1था म महHवपूणQ भू@मका नभा रह: है | इसक> पोषण संरचना चावल जेसे धा/यU से अ]छ_ है जो‘क Sोट:न, खनज, रेशे, कै िbशयम, फो1फोरस, लोहा, ए@मनो अcल आdद क> अeधकता के कारण अeधकतर लोगU का Sमुख भोजन बनी ह ई है | वार म पयाQgत माCा म काबhहाइiेट (72%), Sोट:न (11.6%), 1टाचQ (1.9%) होने के अलावा रेशे एवं खनज भी अHयeधक माCा म पाए जाते है | वार का आटा jलूdटन मुAत होता है तथा jलूdटन संवेद: लोगU के @लए उपयोगी होने के साथ-साथ मधुमेह व मोटापे से k1त लोगU के @लए भी उपयोगी है | वशेषकर भारत वार एक महHवपूणQ खा&या/न फसल होने के साथ साथ शुLक एवं अ[Q शुLक BेC के ‘कसानो क> आय का एक महHवपूणQ Zोत भी है | इसक> पोषण संरचना चावल जेसे धा/यU से अ]छ_ होने के कारण अeधकतर लोगU का Sमुख भोजन बनी है | वार क> अHयeधक मांग होने के बावजूद यह देखा जा रहा है ‘क इसके पौिLटक गुणU के बारे शहर: लोगU जागKकता क> कमी, इसके उHपादU के dटकने क> कम अवeध, सरकार क> Sतक नीतयU के कारण इसका BेCफल एवं उHपादन लगातार कम होता जा रहा है | इसक> खेती बारानी एवं अ@संeचत BेCU होने के कारण उHपादकता बह कम @मलती है तथा उ/नत ‘क1मU तथा उHपादन क> नवन तकनीकU के वकास होने के बाद भी ‘कसान जानकार: के अभाव उनका पूर: तरह उपयोग नह:ं करते िजससे खचाQ करने के बाद भी ‘कसानो को पूरा मुनाफा नह:ं @मलता है अत: ‘कसान सं1तुत BेC के dहसाब से उeचत ‘क1म का चयन करते वैmानक तर:के से इसक> खेती करे वार क> उHपादकता Bमता बढ़ोतर: कर सकते है | fdlku [ksrh o"kZ&2] vad&1 ¼tuojh&ekpZ½] 2015 www.kisaankheti.com ij vkWuykbu miyC/k © 2015 kisaankheti.com bZ -vkbZ,l,l,u:2348-2265 fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 31

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  • भारत म� खाया�न वार का मह�व एवं उ�पादन क� उ�नत �ौयो�गक� एस. के. जैन1* और सु�नल गोमाशे2

    1�वार सशंोधन क� �, सरदार कृ ष नगर दांतीवाडा कृ ष व%व व&यालय डीसा, बनासकांटा, गजुरात-385535

    2भारतीय कद/न अनसुंधान स1ंथान, राजे/�नगर, हैदराबाद 500030 *संवाद� लखेक का ईमेल: [email protected]

    व%व म� जहाँ खा&या/न फसलो म� �वार का 1थान पांचवा है वह: भारत म� चावल एवं गेहंू के बाद यह तीसरे 1थान पर आता है | भारत म� �वार क> खेती 6.25 @म. हेAटेयर BCे म� क> जाती है तथा 0.957

    टन/ हेAटेयर औसत उHपादकता के साथ 5.98 @म. टन उHपादन होता है | देश का 80% से �यादा �वार

    का उHपादन मJुयKप से महाराLM (54%), कनाQटक (18%), राज1थान (8%), मRयSदेश (6%) तथा

    आ/TSदेश (4%) रा�यU म� होता है | इसके अलावा त@मलनाडु, गजुरात, उतरSदेश, उतराखंड एव ं

    हWरयाणा म� भी �वार क> खेती मुJयKप से चारे एव ंदाने के @लए क> जाती है | सामा/यत: �वार धा/य

    लाखU लोगU के @लए Sोट:न, वटा@मन, उजाQ तथा ख�नज का Sमुख Zोत है | वशेषकर शुLक एव ंअ[Q-

    शुLक BCेो म� यह व%व खा&य क> अथQ-\यव1था म� महHवपूणQ भू@मका �नभा रह: है | इसक> पोषण

    संरचना चावल जेसे धा/यU से अ]छ_ है जो`क Sोट:न, ख�नज, रेशे, कैिbशयम, फो1फोरस, लोहा, ए@मनो

    अcल आdद क> अeधकता के कारण अeधकतर लोगU का Sमखु भोजन बनी हुई है | �वार म� पयाQgत

    माCा म� काबhहाइiटे (72%), Sोट:न (11.6%), 1टाचQ (1.9%) होने के अलावा रेशे एव ं ख�नज भी

    अHयeधक माCा म� पाए जाते है | �वार का आटा jलूdटन मुAत होता है तथा jलूdटन संवेद: लोगU के

    @लए उपयोगी होने के साथ-साथ मधमेुह व मोटापे से k1त लोगU के @लए भी उपयोगी है | वशेषकर

    भारत म� �वार एक महHवपणूQ खा&या/न फसल होने के साथ साथ शुLक एव ंअ[Q शुLक BेC के `कसानो

    क> आय का एक महHवपूणQ Zोत भी है | इसक> पोषण सरंचना चावल जेसे धा/यU से अ]छ_ होने के

    कारण अeधकतर लोगU का Sमखु भोजन बनी हुई है | �वार क> अHयeधक मांग होने के बावजूद यह देखा

    जा रहा है `क इसके पौिLटक गणुU के बारे म� शहर: लोगU म� जागKकता क> कमी, इसके उHपादU के dटकने

    क> कम अवeध, सरकार क> S�तकूल नी�तयU के कारण इसका BेCफल एव ंउHपादन लगातार कम होता

    जा रहा है| इसक> खेती बारानी एव ंअ@सeंचत BेCU म� होने के कारण उHपादकता बहुत कम @मलती है

    तथा उ/नत `क1मU तथा उHपादन क> न वन तकनीकU के वकास होने के बाद भी `कसान जानकार: के

    अभाव म� उनका पूर: तरह उपयोग नह:ं करत ेिजससे खचाQ करने के बाद भी `कसानो को पूरा मनुाफा नह:ं

    @मलता है अत: `कसान सं1ततु BेC के dहसाब से उeचत `क1म का चयन करत ेहुए वैmा�नक तर:के से

    इसक> खेती करे �वार क> उHपादकता Bमता म� बढ़ोतर: कर सकते है |

    fdlku [ksrh o"kZ&2] vad&1 ¼tuojh&ekpZ½] 2015

    www.kisaankheti.com ij vkWuykbu miyC/k © 2015 kisaankheti.com

    bZ-vkbZ,l,l,u:2348-2265

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  • वक@सत देशU म� उदर:य रोगU से k1त तथा गेहंू सव�द: लोगU म� jलdूटन मAुत खा&य क> मांग बढ़ रह:

    है| हमारे देश म� खा&य सुरBा के साथ-साथ पोषण सरुBा क> ओर भी वशेष Rयान देने क> आव%यकता

    है | भोजन म� �वार के समावेश से जहां एक ओर शर:र के @लए आव%यक पोषक तHवU क> कमी पूर:

    होती है वह:p दसूर: और �वार को और अeधक आकषQक बनाने के @लए इसके आटे को गेहंू, सोयाबीन एव ं

    चना के साथ @मलाकर (मbट:kेन) बहु धा/य आटे के Kप म� भी उपयोग म� लाया जा सकता है | इसके

    अलावा �वार से �न@मQत तथा 1वा1qय के @लए अHयeधक लाभकार:, रवा, पोहा आdद भी सेवन `कया जा

    सकता है | �वार क> अHयeधक मांग होने के बावजूद भी पछले चार दशकU म� इसका BCे एव ंउHपादन

    1969-70 म� 18.59 @म. हेAटेयर तथा 9.86 @म. टन से eगरकर 2011-12 म� 6.25 @म. हेAटेयर तथा

    5.98 @म. टन रह गया है | ले`कन S�त हेAटर उHपादन जहां 1969-70 म� 554 `कलोkाम होता था, वह:

    आज 957 `कलोkाम होता है | इसका मJुय कारण अ]छ_ पदैावार देने वाल: `क1मो का वकास एव ं

    `कसानो &वारा वmैा�नक तर:के से खेती करना रहा है | पर/तु `फर भी अ/य देशU क> तुलना म� हमारे

    यहा `क औसत उHपादन Bमता काफ> कम है | लगातार जनसंJया का दबाव बदने से खेती योjय जमीन

    क> कमी होती जा रह: है इस@लए हम� हमार: उHपादन Bमता बढ़ानी होगी | अत: `कसान अगर स1ंततु

    BेC के dहसाब से उeचत `क1म का चयन करे तथा वैmा�नक तर:के से इसक> खेती करे तो वह अeधक

    उHपादन लेने के साथ-साथ अपनी आeथQक ि1थ�त भी सुधार सकते है |

    भू#म एव ंखेत क� तैयार� : �वार क> खेती वसेै तो सभी Sकार क> भ@ूम म� क> जा सकती है पर/तु अ]छे

    जल �नकास वाल: दोमट @मrी इसक> खेती के @लय उHतम है | गमs के मौसम म� एक 10-15 से.मी.

    गहर: जतुाई करने के बाद 2-3 जुताई कbट:वेटर से करके जमीन को भुरभुर: बनाये तथा इसके बाद

    जमीन को समतल करे अं�तम जतुाई से पहले खेत म� 8-10 टन गोबर क> सड़ी हुई खाद अ]छ_ तरह

    @मलाद� |

    बुआई : खर:फ �वार क> बुआई मानसनू आने के साथ कर� | जनू का आखर: सgताह अथवा जलुाई का

    पहला सgताह खर:फ �वार क> बआुई का सह: समय है | देर: से बुआई करने से �वार म� Sरोह मAखी

    का Sकोप बढ़ जाता है | रबी म� �वार क> बआुई जमीन म� नमी के आधार पर करे | जbद: बआुई करने

    से Sरोह मAखी का Sकोप बढ़ जाता है तथा देर: से बआुई करने पर जमीन म� नमी क> कमी से उHपादन

    म� कमी आती है! @सतcबर के दसूरा सgताह रबी �वार क> बुआई का सह: समय है! जमीन म� अगर

    पयाQgत माCा म� नमी होतो अAटूबर के पहले सgताह तक इसक> बआुई कर सकते है |

    बीज क� मा+ा एव ंपौधे क� दरू� : खा&या/न �वार क> बआुई करने एव ंअeधक उHपादन लेने के @लए

    S�त हेAटेयर पौधो क> सJंया 1.80 लाख से 2.0 लाख रख� | इसके @लए पौधे से पौधे क> दरू: 10 से 15

    से.मी., कतार से कतार क> दरू: 45 से.मी. एव ंबीज क> माCा 10 से 12 क>. kा. S�त हेAटेयर रख�|

    उ�नत -क.म�: `कसान अगर सं1ततु BेCो के dहसाब से अ]छ_ `क1मU का चयन करते हुए वmैा�नक

    तर:के से इसक> खेती करे तो S�त हेAटेयर अeधक उHपादन ले सकते है | भारत म� अ]छ_ पदैावार देने

    वाल: �वार क> उ/नत `क1मU का ववरण �नcन Sकार से है |

    1. सी. एस. वी. 15: यह `क1म एस. पी. वी. 475 x x एस. पी. वी. 462x के सकंरण से 1996 म�

    लोका पQत हुई तथा यह `क1म S�त हेAटेयर 3.6 टन दाना एव ं12.1 टन सखेू चारे का उHपादन

    देती है तथा संपूणQ भारत के खर:फ उHपादन BेC के @लए सं1तुत क> गई है | यह 110 से 112

    dदनो म� पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 232 सेमी ऊंचाई, दाना पीला, Sरोह मAखी एवं तना भेदक

    क>ट से S�तरोधी है |

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    TkSu vkSj xksek'ks ¼2015½] fdlku [ksrh] 2¼1½% 31-38

  • 2. सी. एस. वी. 216 आर: यह `क1म भ-ूSजा�त से वरण कर के आं�Sदेश, गजुरात, कनाQटक,

    महाराLM तथा त@मलनाडू के रबी उHपादन BेC क> @लए वषQ 2000 म� लोका पQत क> गई है इसक>

    उHपादन Bमता S�त हेAटेयर 2.2-2.5 टन दाना एव ं5.9 टन चारा है तथा यह `क1म 120 से 125

    dदनो म� पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 240-270 सेमी ऊंचाई, दाना मोती जैसा सफ़ेद, Sण धzबा

    रोग तथा सखुा S�तरोधी है|

    3. सी. एस. वी. 17: यह `क1म 2005 म� एस. पी. वी. 946 x एस. पी. वी. 772 के सकंरण से खर:फ

    के कम वषाQ एव ंसूखा सभंा वत BेCो के @लय वषQ 2002 म� लोका पQत क> गई है | इस `क1म क>

    उHपादन Bमता S�त हेAटेयर 2.5 टन दाना एव ं6.8 टन चारा है तथा यह `क1म 97 dदनो म�

    पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 133-140 सेमी ऊंचाई, दाना पीला सफेद तथा र1ट,पHतीधzबा रोग,

    सगुर:रोग एवं चारकोलरॉट से S�तरोधी है |

    4. सी. एस. वी. 18: यह `क1म वषQ 2005 म� सी. आर.-4 x आईएस-18370 के सकंरण से आं�Sदेश,

    कनाQटक तथा महाराLM के खर:फ उHपादन BेC के @लए वक@सत क> गई है िजसक> उHपादन

    Bमता S�त हेAटेयर 3.5 से 3.8 टन दाना एव ं8.7 से 9 टन चारा है तथा यह `क1म 120 से 126

    dदनो म� पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 225 से 230 सेमी ऊंचाई, दाना पीला सफेद तथा ए`फड से

    S�तरोधी है |

    5. सी. एस. वी. 22 : यह `क1म एस. पी. वी. 1359 x आर. एस. पी. 2 के संकरण से संपणूQ भारत

    के खर:फ उHपादन BेCो के @लए वषQ 2007 म� लोका पQत हुई तथा इसक> उHपादन Bमता S�त

    हेAटेयर 2.3 से 3.8 टन दाना एव ं7.1 टन चारा है | यह `क1म 120 dदनो म� पकने वाल:, बाल:

    आधी ठोस, 180 से 200 सेमी ऊंचाई, दाना पीला सफेद तथा चारकोलरॉट एवं Sरोह मAखी से

    S�तरोधी है |

    6. सी. एस. वी. 23 : यह `क1म एस. पी. वी. 861 x एस. यू. 248 के संकरण से संपणूQ भारत के

    खर:फ उHपादन BCो के @लय वषQ 2007 म� लोका पQत हुई तथा इसक> उHपादन Bमता S�त हेAटेयर

    2.5 से 3.0 टन दाना एव ं15.5 टन चारा है | यह `क1म 110 से 115 dदनो म� पकने वाल:, बाल:

    आधी ठोस, 215 सेमी ऊंचाई, दाना पीला सफेद तथा Sरोह मAखी एवं तना भेदक क>ट से S�तरोधी

    है |

    7. सी. एस. वी. 26: यह `क1म वषQ 2012 म� एस. पी. वी. 665 x एस. पी. वी. 1538 के

    संकरण से रबी म� उथल: मदृा वाले BेCो के @लए वक@सत क> गई है तथा इसक> S�त हेAटेयर

    उHपादन Bमता 1.02 टन दाना एव ं4.2 टन चारा है | यह `क1म 110 से 115 dदनो म� पकने

    वाल:, आधी ठोस बाल:, 183 सेमी ऊंचाई, दाना मोती जैसा, रोट: के @लए सवhतम, सफेद तथा Sरोह

    मAखी एवं पणQ रोग से S�तरोधी एवं इसके पHते पWरपAवता तक हरे रहते है |

    8. सी. एस. वी. 27: यह `क1म वषQ 2012 म� जी. जे. 38 x इ/दोर 12-1-2-1 के संकरण से

    भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BCेो के @लए वक@सत क> गई है तथा इसक> उHपादन Bमता

    2.8 टन दाना एव ं19.3 टन चारा S�त हेAटेयर है | यह `क1म 115 dदनो म� पकने वाल:, बाल:

    आधी ठोस, 235 सेमी ऊंचाई, दाना भूरा पीला तथा kेनमोbड से S�तरोधी एव ंनमी क> कमी को

    सहन करने वाल: है |

    9. सी. एस. वी. 28: यह `क1म वषQ 2012 म� आई. ऐ. आर. ट:. 204 x एस. पी. वी. 11534 के

    संकरण से भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BेCो के @लए वक@सत क> गई है तथा इसक>

    fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 33

    TkSu vkSj xksek'ks ¼2015½] fdlku [ksrh] 2¼1½% 31-38

  • उHपादन Bमता 2.8 टन दाना एव ं17.3 टन चारा है | यह `क1म 120 dदनो म� पकने वाल:, बाल:

    आधी ठोस, 220 सेमी ऊंचाई वाल:, दाना मोती जैसा सफेद तथा kेनमोbड एव ंपणQ रोग से S�तरोधी

    है |

    10. सी. एस. वी. 29: यह `क1म (सी. एस. वी. 216 x डी. एस. वी. 5) x सी. एस. वी. 216 आर के

    संकरण से भारत म� आं�Sदेश, गुजरात, कनाQटक, महाराLM तथा त@मलनाडू के रबी उHपादन BेCो के

    @लए वषQ 2012 म� वक@सत क> गई है तथा इसक> उHपादन Bमता 2.5 टन दाना एव ं6.7 टन

    चारा S�त हेAटेयर है| यह `क1म 118 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी ठोस, 185 सेमी ऊंचाई

    वाल:, मोती जसैा सफेद तथा चारकोलरॉट एवं Sरोह मAखी से S�तरोधी है |

    संकर -क.मे

    1. सी. एस. एच. 14: यह सकंर `क1म वषQ 1992 म� एस. के. एम. एस. 14 ए. x x ए. के. आर.

    150 के सकंरण से संपणूQ भारत के खर:फ उHपादन कBेCो के @लय वषQ 1992 म� वक@सत

    क> गई है तथा इसक> उHपादन Bमता 3.7 से 4.0 टन दाना एव ं8.5 से 9.0 टन चारा S�त

    हेAटेयर है यह `क1म 105 से 120 dदनो म� पकने वाल:, 170 से 200 सेमी ऊंचाई, बाल: लcबी

    एव ंआधी ठोस, दाना मोती जैसा सफेद, kेनमोbड एव ंपणQ रोग से S�तरोधी है |

    2. सी. एस. एच. 15 आर : इस संकर `क1म का वकास 1995 म� 104 ए. x आर. एस. 585 के

    संकरण से आ�ंSदेश, गजुरात, कनाQटक, महाराLM तथा त@मलनाडू के रबी उHपादन BेC के @लय

    `कया गया है | इस `क1म क> उHपादन Bमता 2.2-2.5 टन दाना एव ं 5.9 टन चारा S�त

    हेAटेयर है तथा यह `क1म 120 से 125 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी ठोस, 240-270 सेमी

    ऊंचाई, दाना मोती जेसा सफ़ेद, Sण धzबा रोग तथा सखूा S�तरोधी है |

    3. सी. एस. एच. 16: यह संकर `क1म वषQ 1997 म� मRयSदेश, आं�Sदेश, उतरSदेश गजुरात,

    राज1थान, कनाQटक, महाराLM तथा त@मलनाडू के खर:फ उHपादन BेCx के @लय 27 ए. X सी.

    23 के संकरण से तैयार क> गई है | इसक> उHपादन Bमता 4.3 टन दाना एव ं9.7 टन चारा

    S�त हेAटेयर है | यह `क1म 110 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी ढ:ल:, 180 सेमी ऊंचाई,

    दाना पीला सफेद तथा र1ट, पHतीधzबा रोग एव ंkेनमोbड रोग से S�तरोधी है |

    4. सी. एस. एच. 17: यह संकर `क1म वषQ 1997 म� मRयSदेश, गुजरात, राज1थान तथा

    त@मलनाडू के खर:फ उHपादन BेCx के @लय वषQ 1998 म� ए. के. एम. एस. 14 ए. x आर. एस.

    673 के संकरण से तयैार क> गई है | इसक> उHपादन Bमता S�त हेAटेयर 4.2 टन दाना एव ं

    10.4 टन चारा है | यह `क1म 103 dदनो म� पकने वाल:, 203 सेमी ऊंचाई, बाल: आधी ढ:ल:,

    दाना पीला सफेद तथा Sरोह मAखी एव ंतना भेदक क>ट से S�तरोधी है |

    5. सी. एस. एच. 18: इस सकंर `क1म का वकास आई. एम.् एस. 9 ए. x इंदौर 12 के सकंरण से

    वषQ 1999 म� भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BेCो के @लय `कया गया है | इसक> उHपादन

    Bमता x S�त हेAटेयर 4.3 टन दाना एव ं13.1 टन चारा है तथा यह `क1म 115 से 120 dदनो

    म� पकने वाल:, 210 से 225 सेमी ऊंचाई, बाल: आधी ठोस, दाना मोती जैसा सफेद तथा

    kेनमोbड रोग से S�तरोधी है |

    6. सी. एस. एच. 19 आर.: इस संकर `क1म का वकास देश के सभी रबी उHपादन BेCो के @लए

    वषQ 2000 म� 104 ए. X ए. के. आर. 354 के सकंरण से `कया गया है | इसक> उHपादन Bमता

    fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 34

    TkSu vkSj xksek'ks ¼2015½] fdlku [ksrh] 2¼1½% 31-38

  • 3.0 टन दाना एव ं6.0 टन चारा है तथा यह `क1म 117 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी ठोस,

    225 सेमी ऊंचाई, दाना मोती जैसा सफेद तथा चारकोलरॉट से S�तरोधी है |

    7. सी. एस. एच. 25: इस संकर `क1म का वकास मJुय Kप से महाराLM के खर:फ उHपादन

    BेCx के @लए वषQ 2008 म� पी. एम.् एस. 28 ए. X सी. 43 के सकंरण से `कया गया है |

    इसक> उHपादन Bमता 4.3 टन दाना एव ं12.7 टन चारा S�त हेAटेयर है तथा यह `क1म Sरोह

    मAखी से S�तरोधी है तथा 100 से 105 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी ठोस, 205 सेमी

    ऊंचाई, दाना मोती जैसा सफेद है |

    8. सी. एस. एच. 27: इस संकर `क1म का वकास वषQ 2011 म� 279 ए. X सी. बी. 11 के

    संकरण से मJुय Kप से आ�ंSदेश, त@मलनाडू उHतरSदेश, उHतर गुजरात एव ं राज1थान के

    खर:फ उHपादन BCेx के @लए `कया गया है तथा इसक> उHपादन Bमता 2.9 टन दाना एव ं13.6

    टन चारा S�त हेAटेयर है | यह `क1म 106 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी ठोस, 200 सेमी

    ऊंचाई वाल:, दाना सफेद तथा kेनमोbड से S�तरोधी है |

    9. सी. एस. एच. 30 : यह संकर `क1म वषQ 2012 म� 415 ए. X सी. बी. 33 के सकंरण से

    भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BेCो के @लए तयैार क> गई ह िजसक> उHपादन Bमता 2.5

    टन दाना एव ं7.5 टन चारा x S�त हेAटेयर है तथा यह `क1म 115 dदनो म� पकने वाल:, बाल:

    आधी ठोस, 235 सेमी ऊंचाई, kेनमोbड एव ंसखेू से S�तरोधी एवं इसका दाना भरूा पीला है |

    सी. एस. वी. 15 सी एस वी 17 सी एस वी 20

    सी एस वी 22 आर सी एस वी 23

    fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 35

    TkSu vkSj xksek'ks ¼2015½] fdlku [ksrh] 2¼1½% 31-38

  • सी एस एच 14

    सी एस एच 16 सी एस एच 25

    बीजोपचार : बीज का उपचार करके हा�नकारक बीमाWरयU एवं क>ड़ो का Sकोप कम कर सकते है तथा

    S�त हेAटेयर पौधो क> सJंया सह: रखते हुए �यादा उHपादन ले सकते है | इसके @लए बीज को

    इ@मडाAलोरो Sड 14 मी. ल:. तथा बाव1ट:न अथवा थायो@मथोकजाम 2 kाम S�त `कलो बीज क> दर से

    उपचाWरत करके बआुई कर� |

    खाद एव ंउव;रक: अं�तम जतुाई से पहले खेत म� 8-10 टन गोबर क> सड़ी हुई खाद अ]छ_ तरह @मलाद� |

    अeधक उHपादन लेने के @लए सह: माCा म� सह: समय पर रसाय�नक खाद का उपयोग कर� िजससे फसल

    को सह: माCा म� खाद @मल सके एवं उसक> बढवार हो सक� | �वार क> फसल को 80 क>. kा. नCजन

    एव ं40 क>. kा. S�त हेAटेयर फा1फोरस क> आव%यकता होती है | फसल को नCजन क> आधी माCा एवं

    फा1फोरस क> पूर: माCा बुआई के समय देव� तथा बची हुई नCजन फसल 30 से 40 dदवस क> होने पर

    यूWरया के Kप म� देव� तथा देत ेसमय Rयान रखे क> खेत म� नमी अव%य हो |

    #सचंाई: खर:फ क> फसल को पानी क> आव%यकता नह:ं होती पर/तु लcबे अ/तराल से बाWरश हो तो

    आव%यकता पड़ने पर फूल बनते समय एवं दाना बनत ेसमय फसल को पानी अव%य देना चाdहए | रबी

    क> फसल म� ां�तक अव1था म� @सचंाई अव%य कर�| अगर पानी क> \यव1था है तो फसल को 30-35

    dदवस पर (बढ़वार के समय), 60 से 65 dदन पर (फूल �नकलने से पहले), 70 से 75 dदन पर (फूल

    �नकलते समय) एव ं 90 से 95 dदन पर (दाने बनते समय) पानी अव%य दे | अगर दो @सचंाई क>

    \यव1था है तो फूल बनत ेसमय एवं दाना बनते समय @सचंाई करे | अगर एक @सचंाई क> \यव1था है

    तो फूल बनते समय @सचंाई अव%य करे |

    खरपतवार होने

    तक खरपतवार मुAत रख�! फसल को खरपतवार मAुत रखने के @लए बआुई के तुरंत बाद एवं अंकुरण से

    पहले एMाजीन 0.75 क>. kा. S�त हेAटेयर स`य तHव क> दर से �छडकाव कर� | अगर फसल म�

    अeगया का परकोप हो तो हाथ से उखाड़ कर उसका नाश कर� | फसल म� दो बार तीसरे एवं पांचव े

    सgताह म� बलैो क> सहायता से अ/Hतराश1य `या कर�! िजससे फसल खरपतवार मुAत रहेगी एवं उसक>

    बढवार अ]छ_ होगी |

    क�ट एवं रोग फसल म� मJुय Kप से Sरोह मAखी, तना भेदक, @सrे क> मAखी (मीज) एवं dटडा का

    Sकोप होता है! िजनका �नयंCण करके हम �वार का उHपादन बढ़ा सकते है |

    fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 36

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  • 1. �रोह मAखी: यह �वार का अHयतं घातक शC ु है जो फसल क> शुआती अव1था म� बहुत हा�न पहंुचाता है | जब फसल 30 dदन क> होती है तब तक इस क>ट से फसल को 80% तक हा�न हो जाती है | यह क>ट रबी एवं खर:फ दोनU मौसम म� हा�न पहंुचाता है | इस क>ट क> वय1क मAखी गहरे भूरे रंग क> होती है जो पिHतयU के �नचल: सतह एव ंकोमल तनU पर सफेद रंग के नल: के

    आकर के अंड ेदेती देती है| 2-3 dदनU म� अंडो से इbल: �नकलकर मRय Sरोह को हा�न पहंुचाती है िजससे Sरोह का अk शीषQ नLट होकर तृक� � का �नमाQण करता है | यह बादलU से आ]छाdदत मौसम म� तेजी से बढ़ती है तथा देर: से बोई गई फसल म� बहुत हा�न पहंुचाती है | इसके �नयंCण के @लए रोग S�तकारक `क1मU का Sयोग कर� तथा बीज को इ@मडाAलोरो Sड 14 मी. ल:. S�त `कलो बीज क> दर से उपचाWरत करके बआुई कर� | बीज क> माCा 10 से 12 S�तशत �यादा रखनी चाdहए तथा जर: होतो अंकुरण के 7 से 14 dदन म� सायSमेeन दवा 10 ई.सी. @ 0.02 S�तशत का घोल बना कर �छड़काव करना चाdहए | फसल काटने के बाद खेत म� गहर: जतुाई कर� तथा फसल के अवशेषU को एकCत करके जला देना चाdहए |

    2. तना भेदक क�ट: तना भेदक क>ट का Sकोप फसल म� 10 से 15 dदन से शुK होकर फसल के पकने तक रहता है! छोट: फसल म� पौधो क> गोभ सखू जाती है तथा बड़ ेपौधो म� इसक> सुंडयां तने म� सुराख़ बना कर फसल क> पैदावार तथा गणुवHता को कम करती है | इसका Sकोप फसल क> गोभ से शुK होता है तथा जसेै ह: उपर क> पिHतयां �नकलती है उसमे एक कतार म� 5 से 6 �छ� देखने को @मलते है | इसके �नएंCण के @लए फसल काटने के बाद खेत म� गहर: जतुाई करनी चाdहए तथा बचे हुए फसल के अवशेषU को एकCत करके जला देना चाdहए | खेत म� बआुई के समय रसाये�नक खाद के साथ 10 क>. kा. क> दर से फोरेट 10 जी अथवा काबhयुरUन दवा खेत म� अ]छ_ तरह @मला देव� तथा बआुई के 15 से 20 dदन बाद काबhयुरUन 3जी अथवा युराडॉन 3 जी 8-10 क>. kा. दवा S�त हेAटेयर क> दर से फसल क> गोभ म� डाल� अथवा इ@मडाAलोरो Sड (200 एस. एल.) 5 मी. ल:. S�त 10 ल:टर अथवा काबWरल 50 S�तशत घुलनशील पाउडर 2 kा./ल:. पानी म� घोल बना कर 10 dदन के अ/तराल पर दो �छड़काव करना चाdहए |

    3. #सBे क� मAखी: यह @सrे �नकलते समय फसल को हा�न पहंुचाती है | इसक> रोकथाम के @लए जब 50 S�तशत @सrे �नकल आएं तब Sोपेनोफास 40 ई.सी. दवा 25 मी. ल:. S�त 10 ल:टर पानी म� घोल बना कर 10 से 15 dदन के अ/तराल पर दो �छड़काव करना चाdहए |

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  • 4. माहू : इस क>ट म� @शशु एवं वय1क पौधU का रस चूसते रहत ेह िजससे पौधे क> पिHतयU के `कनारे पर पल: धाWरयां dदखाई पड़ती है इस क>ट के Sकोप से तरल �व बनने लगता है िजससे फसल पर फफंूद का आमण होने लगता है और फसल क> उHपादन Bमता कम

    हो जाती है | इसक> रोकथाम के @लए इ@मडाAलोरो Sड (200 एस. एल.) 5 मी. ल:. S�त 10 ल:टर ल:. पानी म� घोल बना कर 10 dदन के अ/तराल पर दो �छड़काव करना चाdहए |

    रोग: �वार म� मJुय Kप से दाने क> फफंूद (kेनमोbड) एव ंचारकोलरोट का Sकोप होता है अत: इन रोगU क> रोकथाम के @लए Sमाणत बीजU का Sयोग कर� तथा 2 kाम S�त `कलोkाम बीज क> दर से एkोसन जी. एन. या @सरेसन से उपचाWरत करके बआुई कर� तथा उeचत तर:के से इनका �नयCंण करके हम �वार का उHपादन बड़ा सकते है - 1. दाने क� फफंूद (EेनमोFड): फूल आते समय तथा दाना बनते समय अगर

    बाWरश होती है तो इस रोग का Sकोप होता है तथा दाने काले एव ंसफेद-गलुाबी रंग के हो जाते है तथा उसक> गणुवHता कम हो जाती है | अत: अगर फसल म� @सrे आने के बाद आसमान म� बादल छाए तथा वातावरण म� नमी �यादा हो तो मे/कोजेब 75% 2 kाम अथवा काब/डािजम दवा 0.5 kाम. S�त ल:टर पानी म� घोल बना कर 10 dदन के अ/तराल पर 2 �छडकाव करे |

    2. चारकोल रॉट: इस रोग का Sकोप मुJय Kप से महाराLM एव ंकनाQटक के रबी �वार के सखेू BेCो म� �छछल: मदृा म� होता है | इसका फैलाव जमीन &वारा होता है | जमीन म� नमी क> कमी एव ंवातावरण म� अeधक गमs इस रोग के फैलाव के मुJय कारण है | फसल के शुवाती अव1था म� पौधे मर जाते है | फसल का तना आसानी से टूट जाता है तथा अगर तने को चीर कर देख� तो अ/दर काले रंग का फफंूद dदखाई देता है | इस रोग क> रोकथाम के @लए S�तरोधी `क1मU क> बुआई करनी चाdहए तथा नाइMोजन खाद का Sयोग आव%येकता अनसुार कम से कम करना चाdहए एवं S�त हेAटेयर पौधो क> सJंया कम रखनी चाdहए | जमीन को बआुई के समय थाईरम क> 4.5 `कलोkाम S�त हेAटेयर क> दर से उपचाWरत करना चाdहए |

    पJKयL से बचाव : �वार पBयU का मुJय भोजन है अत: फसल म� जब दाने बनने लगते है तो सुबह एव ंशाम के समय इसमे पBयU से बहुत नुकसान होता है अत: पBयU से बचाव करना बहुत आव%यक है अत: सुबह-शाम पBयU से रखवाल: आव%यक है | फसल क� कटाई : जब फसल सुख कर पील:-भूर: होने लगे तथा दाने म� 20 से 25 S�तशत नमी हो तो हं@सये क> सहायता से कटाई कर लेनी चाdहए तथा 5-7 dदन धूप म� सुखाने के बाद @सrो को हं@सये क> सहायता काट कर ेसर क> मदद से दाना अलग कर ल� तथा चारे को सूखने के बाद पलेू बना कर एकCत कर लेना चाdहए |

    इस तरह `कसान उeचत `क1म का चयन करत ेहुए वैmा�नक तर:के से इसक> खेती करे तो वह अeधक उHपादन लेने के साथ-साथ अपनी आeथQक ि1थ�त सुधार सकते है तथा साथ ह: साथ इसका उपयोग पौिLटक भोजन एव ंचारे के Kप म� करके मनुLयU एव ंपशुओं म� कुपोषण क> सम1या को कम कर सकते ह |

    fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 38

    TkSu vkSj xksek'ks ¼2015½] fdlku [ksrh] 2¼1½% 31-38