rlekr~ rkh;ke~ rsh;% - tafssp.com · ऩंचमी rlekr~ rkh;ke~ rsh;% षष्ठी...
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उत्तरमाऱा
कऺा- ८
विषय- संस्कृत
प्र० १ क)तत ्ऩलु्ऱंग 7
एकिचन द्वििचन बहुिचन
प्रथमा स् तौ त े
द्वितीया तम ् तौ तान ् ततृीया तेन ताभ्याम ् त ्चतुथी तस्म ताभ्याम ् तेभ्य: ऩंचमी rLekr~ rkH;ke~ rsH;%
षष्ठी तस्य तयो: तेषाम ् सप्तमी तलस्मन ् तयो: तेष ु
ख) ररक्त स्थान 3
i. सा , ता् ii. ते , ता्
iii. ताभ्याम,् ताभि:
प्र०२ धातुरूऩ 12
क) ऩठ् धातु ( ऱड्. ऱकार) एकिचन द्वििचन बहुिचन
प्र० ऩ०ु अऩठत ् अऩठताम ् अऩठन ् म० ऩ०ु अऩठ: अऩठतम ् अऩठत उ० ऩ०ु अऩठम ् अऩठाि अऩठाम
ख) भऱख ्धातु ( ऱोट ऱकार) एकिचन द्वििचन बहुिचन
प्र० ऩ०ु भऱखतु भऱखताम ् भऱखन्त ु
म० ऩ०ु भऱख ् भऱखतम ् भऱखत ् उ० ऩ०ु भऱखानन भऱखाि भऱखाम
ग) ऩठ् धातु( विधधभऱड.)
एकिचन द्वििचन बहुिचन
प्र० ऩ०ु ऩठेत ् ऩठेताम ् ऩठेय:ु म० ऩ०ु ऩठे् ऩठेतम ् ऩठेत
उ० ऩ०ु ऩठेयम ् ऩठेि ऩठेम
प्र०३ विभक्ति िचन 4
1. ततृीया एकिचन
2. चिुर्थी एकिचन
3. षष्ठी एकिचन
4. पंचमी एकिचन
प्र० ४ ऱकार ऩरुूष 4
1. ऱट् प्रथम
2. ऱटृ प्रथम
3. ऱोट् प्रथम
4. ऱट् प्रथम
प्र० ५ प्रश्नोत्तर 5
1. रािण: 2. सत्यमेि जयत े
3. खगभििनु ्[kknfr
4. अंगे्रजी िासनम ्
5. विद्या 6. जऱेन
7. एकबवुि
8. देिसेिा 9. िरत्काऱे अलश्िनमासे
10. महहषासरु
प्र० ६संधध o laf/k foPNsn 5
1. ऩर:+ ऩरम ्
2. अनत+ इि
3. तत्र+ आगतिान ्
4. नारीि
5. dwik”p
प्र० ७ सही अथिा ग़ऱत 5
1. ग़ऱत
2. सही 3. सही 4. ग़ऱत
5. ग़ऱत
प्र० ८ ररक्त स्थान 5
1. ऩहठतिान ्
2. गतिती 3. अऩश्य
4. भऱखखतिन्त: 5. खादनत
प्र०९िब्दाथथ 5
1. बोऱने में सऺम
2. सबके स्िामी 3. बहुत ऱम्बी 4. ऩिथतों के राजा 5. धोता ह ।
प्र० १० श्ऱोक 8
1. लजनकी कृऩा ग ूँगे को िी बोऱने में सऺम करती ह और ऱूँगड ेको ऊूँ चा ऩहाड ऩार कर देती ह , उन ऩरमानंद ऩरमेश्िर को मैं नमस्कार करता ह ूँ। अथाथत ऩरमेश्िर को ही सामर्थयथ और िलक्त के दाता ह । उनकी कृऩा से असम्िि िीसम्िि हो जाता ह ।
2. न चोर के चरुाने ऱायक ह , ना राजा के छीनने ऱायक , ना िाई के बाूँटने ऱायक और ना ही िार ढोने की ऩीडा देनेिाऱी ह । ख़चथ ककए जाने ऩर यह सदा c<+rh ह , विद्या रूऩी धन सब धनो से शे्रष्ठ ह ।
3. जो विद्या ऩसु्तक में ह और जो धन द सरों के ऩास ह , आिश्यकता ऩडने ऩर िह विद्या और िह धन काम नहीं आते।
4. ऩरमेश्िर हमारे वऩता ह । ऩनु् धरती हमारी माता ह । हम सिी उन डोनो के ऩतु्र ह । हमऱोग हमेिा उनको झकुकर प्रणाम करते ह । अथाथतईश्िर वऩता और ऩरृ्थिी माता होने के कारण धरती के सारे ऱोग हमारे िाई बंध ुह । विश्ि के नागररक के रूऩ में हम अऩने माता वऩता के चरणों में अऩना िीि झकुाते ह ।
प्र० ११ अनिुाद 12
1. सत्यमेि जयते िारत का आदिथ िाक्य ह । हमारा राष्रीय ध्िज नतरंगा ह । जन गण मन हमारा राष्रगान ि िन्दे मातरम ्राष्र गीत ह । िारत की राजधानी हद्ऱी ह ।
2. गरमी से तऩी हुई ऩरृ्थिी िषाथ के आने से िीतऱ और िांत हो जाती ह । आकाि काऱे बादऱों से िर जाता ह । बादऱ में बबजऱी कडकती ह । िषाथ के जऱ से नदी, ताऱाब और कुएूँ ऩ री तरह से िर जाते ह
3. हहदंओंु के मत के अनसुार दगुाथ आहदिलक्त और जगतजन्नी ह । उनके आिीिाथद से अधमथ का नाि होता ह और धमथ की जय होती ह । इनकी ऩ जा से धभमथकिािना , आत्मविश्िास , उत्साह, िाईचारा c<+rk ह । देिी दगुाथ विजय का प्रतीक ह ।
प्र० १२ ककसी एक विषयऩर छात्र अनिुाद हहदंी में भऱखेंगे। 5
मात्राओं की अिवुियों और अध रे कायथ के अंक काटे जाए।