vikas... · में ज्ञान तर्ा अनुभवों में...

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    “भाषा विकास का शिक्षा-िास्त्र”

    1. आप सस्वर पठन में अननवार्यतः किस साहित्यर्ि ववद्र्ा िा समर्यन िरेंगे?

    A. एिाांिी िा B. र्ात्रावतृान्त िा C. जीवनी िा D. आयमिर्ा िा

    2. व्र्ािरण िी शिक्षा स्वतन्त्र रूप से न देिर साहियर् िे प्रनतत्ठठत ववद्वानों िी रचनाएँ पढ़ाई जाएँ। र्ि किस ववधि िे अांतगयत आता िै?

    A. व्र्ािरण शिक्षण प्रकिर्ा B. खेल ववधि C. प्रर्ोग ववधि D. समवार् ववधि

    3. मैंने चाट खाई और किर मैंने िँसी िशमयला िा र्ि भाषा प्रर्ोग मुख्र्तः किस ओर सांिेत िरता िै?

    A. व्र्ािरणणि ननर्मों िी जानिारी न िोना। B. ननर्मों िा अनत सामान्र्ीिरण। C. भाषा प्रर्ोग में असाविानी। D. भाषा िी समझ न िोना।

    4. स्वाभाववि अशभव्र्त्तत, िल्पनािीलता, िौिल और सोच िो वविशसत िरना -

    A. भाषा शिक्षण िा एिमात्र उद्िेश्र् िै B. भाषा शिक्षण िा उद्िेश्र् निीां िै C. भाषा शिक्षण िा एि मित्त्वपूणय उद्िेश्र् िै D. भाषा शिक्षण में किसी प्रिार िी हदिा निीां िोता

    5. भाषा-िक्षा में ववशभन्न दृश्र्-श्रव्र् सािनों िे उपर्ोग िा उद्िेश्र् निीां िै-

    A. आिुननि तिनीि िो िक्षा में लाना। B. सभी प्रिार िे बच्चों िी आवश्र्िताओां िा ध्र्ान रखना।

    C. सीखने-शसखान े िी प्रनतिर्ा िो रूधचिर बनाना।

    D. ववद्र्ालर्-प्रमुख िे ननदेिों िा पालन िरना।

    6. भाषा-शिक्षा में िौन-सा बबन्द ु सबसे िम मित्त्वपूणय िै?

    A. भावषि पररवेि B. पाठ्र् सामग्री C. परीक्षाएँ D. भाषार्ी अभ्र्ास

    7. सतत ्और व्र्ापि मूल्र्ाांिन िी िुरूआत ने मूल्र्ाांिन व्र्वस्र्ा िो-

    A. बच्च ेिे सांपूणय व्र्त्ततयव िो ज्र्ादा प्रदशियत िरन ेवाला बनार्ा िै।

    B. बिुत अधिि वववरण िो िाशमल िरत ेिुए जहटल बनार्ा िै।

    C. अस्पठट बनार्ा िै तर्ोंकि ववद्र्ार्ी िे ननत्श्चत रैंि िो जाना निीां जा सिता।

    D. िेवल िैक्षणणि क्षेत्रों में ननठपादन िा ववश्लेषण िरने िे शलए ज्र्ादा व्र्ापि बनार्ा िै।

    8. प्रगनत-पत्र (ररपोटय िार्य) तैर्ार िरन ेसे शिक्षि िो अपने प्रयरे्ि ववद्र्ार्ी िे बारे में र्ि सोचने िा मौिा शमलता िै। कि वि

    A. उसने िौन-सी गलनतर्ाँ िी िैं एवां उसिे अशभभाविों िो इस सांबांि में िैसे शििार्त िी जाए?

    B. उसने अपने साधर्र्ों से कितना िम सीखा िै और तर्ों?

    C. उसने सत्र िे दौरान तर्ा सीखा और किस क्षेत्र में उसिो ज्र्ादा मेिनत िरन ेिी जरूरत िै?

    D. उसने सत्र िे दौरान जो सीखा िै वि अन्र् छात्रों से कितना िम िै?

    9. एि समावेिी िक्षा में भाषा-शिक्षण िी समस्र्ा िै?

    A. उपरु्तत भाषा-पररवेि िा ननमायण न िो पाना।

    B. उपरु्तत पाठ्र्-सामग्री िा अभाव। C. ववद्र्ाधर्यर्ों िी र्ोग्र्ताओां में शभन्नता

    िोना। D. ववद्र्ाधर्यर्ों में असमान रूधच िा िोना। 10. िशलिा हिन्दी भाषा में बोलत ेसमर् िई बार-

    अटिती िै। आप तर्ा िरेंगे?

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    A. उसे प्रवािपूणय अशभव्र्त्तत िे नमूने सुनाएँगे और ििेंगे कि उसे भी िू-ब-िू ऐसे िी बोलना िै।

    B. िक्षा िे बािी बच्चों स ेििेंगे कि िशलिा िे समझ प्रवािपूणय अशभव्र्त्तत िे नमूने प्रस्तुत िरें।

    C. िक्षा में िेवल िशलिा िो िी बार-बार बोलने िे शलए ििेंगे।

    D. िैर्य रखत े िुए उसे सिज अशभव्र्त्तत िे शलए प्रोयसाहित िरेंगे।

    11. हिन्दी भाषा शिक्षण में उपचारायमि शिक्षण िी ववधि ननम्न में से िौन-सी निीां िै?

    A. अनतररतत िक्षाएँ B. व्र्ार्ाम C. गोत्ठठर्ाँ D. ववशिठट अभ्र्ास

    12. उपचारायमि शिक्षण िी सिलता मुख्र्तः ननभयर िरती िै-

    A. बच्चों िी सामात्जि-साांस्िृनति पठृठभूशम पर

    B. बच्चों िी भाषागत त्रुहटर्ों िी सूची बनाने पर

    C. समस्र्ाओां िी पिचान पर D. समस्र्ाओां िे िरणों िी सिी पिचान पर 13. भाषा िा वि िैक्षक्षि उद्िेश्र् त्जसे शिक्षि

    िक्षा में िी प्राप्त िर लेता िै, ििलाता िै? A. व्र्विारगत ्उद्िेश्र्।

    B. सामान्र् उद्िेश्र्। C. ववशिठट उद्िेश्र्। D. प्राप्त उद्िेश्र्।

    14. पाठ्र्िम ननमायण िा शसद्िान्त ननम्न में से िौन-सा िै?

    A. ववशभन्न ववषर्ों से सि-सम्बन्ि B. अग्रदिी

    C. अविाि िा सदपुर्ोग D. उपरोतत सभी

    15. उपचारायमि शिक्षण आवश्र्ि िै A. मन्द-बुद्धि िे शलए

    B. वपछड़ ेबच्चों िे शलए C. प्रनतभािाली बच्चों िे शलए D. उपरोतत सभी िे शलए

    16. ज्ञान, अनुभवों, भावनाओां, ववचारों, प्रववृिर्ों तर्ा मूल्र्ों िे सांचर् िा सािन िै।

    A. ववषर् प्रवेि B. उपसांिार C. पाठ्र्-पुस्ति D. उपरु्यतत सभी

    17. मौणखि अशभव्र्त्तत में ननम्नशलणखत में से िौन-सी वविेषता िोनी चाहिए?

    A. स्वाभावविता B. स्पठटता C. बोिगम्र्ता D. रे् सभी

    18. अर्य िी गिनता िो समझने में िौन-सी पद्िनत सवायधिि रूप में सिार्ि िै?

    A. द्रतु पठन B. िीमा पठन C. सल्वट पठन D. मौन पठन

    19. अनुदेिन िी अवस्र्ाओां िा सिी िम िै- A. पूवय व्र्विार- पारस्पररि किर्ा- उिर

    व्र्ाविाररि अनुदेिन। B. पारस्पररि किर्ा-पूवय व्र्विार- उिर

    व्र्ाविाररि अनुदेिन। C. उिर व्र्ाविाररि अनुदेिन- पूवय व्र्विार-

    पारस्पररि किर्ा। D. पूवय व्र्विार- उिर व्र्ाविाररि अनुदेिन-

    पारस्पररि किर्ा। 20. भाषा-शिक्षण में परम्परागत प्रिाशित सामग्री

    िे रुप में बिुत अधिि सिार्ि किसे समझा जाना चाहिए?

    A. पाठ्र्-पुस्ति B. श्र्ामपट्ट C. धचत्र D. रेखाधचत्र

    ANSWERS

    1. Ans. A.

    स्वर सहित पढ़त े िुए अर्य ग्रिण िरन े िो सस्वर पठन ििा जाता िै। र्ि पठन िी प्रारत्म्भि अवस्र्ता िै। वणयमाला िे वणों िी पिचान, िुद्ि उच्चारण िे सार् उधचत गनत से पढ़ने िा अभ्र्ास सस्वर पठन िे द्वारा िी

    िरार्ा जाता िै। इसमें साहित्यर्ि ववद्र्ा पढ़ाने िा एिाांिी सबसे उपरु्तत तरीिा िै। एिाांिी िा सािारण अर्य िै। एि अांि वाला नाटि लेकिन नाटि से एिाांिी िी िला और िैली शभन्न िोती िै। दोनों में अनुिरण तयव प्रमुखता िोती िै।

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    2. Ans. D.

    व्र्ािरण िी शिक्षा स्वतन्त्र रूप से न देिर साहियर् िे प्रनतत्ठठत ववद्वानों िी रचनाएँ पढ़ाई जाएँ। र्ि समवार् ववधि िे अांतगयत आता िै। इस ववधि िे प्रनतपादिों िा मत िै कि व्र्ािरण िी शिक्षा स्वतन्त्र रूप से न देिर साहियर् िे प्रनतत्ठठत ववद्वानों िी रचनाएँ पढाई जाएँ। इसिे अन्तगयत मौणखि एवां शलणखत िार्य िरात ेसमर्, गद्र् िी पुस्ति पढ़त े समर्, रचना िार्य िरत ेसमर् प्रासांधगि रूप से व्र्ािरण िे ननर्मों िा ज्ञान िरार्ा जाता िै।

    3. Ans. B.

    भाषा पररवतयनिील िै। वविासिील िै। व्र्ािरण उसिे इस वविास पर ननर्न्त्रण िा िार्य िरता िै। व्र्ािरण भाषा िो अव्र्वत्स्र्त िोने से बचाता िै। व्र्ािरण अनुिरण से सीखी जाती िै परन्तु भाषा िो प्रभाविाली बनाने िे शलए िमें उसिे सवयमान्र् रूप िो सीखना िोता िै। अतःिशमयला िा र्ि भाषा प्रर्ोग मुख्र्तःननर्मों िा अनत सामान्र्ीिरण िी ओर सांिेत िरता।

    4. Ans. C.

    स्वाभाववि अशभव्र्त्तत, िल्पनािीलता, िौिल और सोच िो वविशसत िरना भाषा शिक्षण िा एि मित्त्वपूणय उद्िेश्र् िै । भाषा शिक्षण िे बिुत मित्त्वपूणय उद्िेश्र् िै। उच्च प्रार्शमि स्तर पर भाषा-शिक्षण िा एि मियवपूणय उद्देश् र् शिक्षार्ी िो अपने भावषि व्र्विार िे प्रनत अधिि से अधिि सजग िरना िै ।

    5. Ans. D.

    दृश्र्-श्रव्र् सािन इन उपिरणों िा सम्बन्ि छात्रों िी आँखों एवां िानों से िै। इसमें दृश्रे्त्न्द्रर् एवां श्रवणेत्न्द्रर् दोनों िा एि सार् प्रर्ोग िरिे छात्र ज्ञान प्राप्त िरत े िैं। उदािरणस्वरूप टेलीववजन, चल-धचत्र, नाटि आहद।

    6. Ans. C.

    हदए गए वविल्पों िे अनुसार भाषा-शिक्षा में परीक्षाएँ बबन्द ुसबसे िम मित्त्वपूणय िै। भाषा-शिक्षा सबसे व्र्ापि मूल्र्ाांिन िै। इसे िेवल परीक्षाओां िे माध्र्म से मूल्र्ाांिन निीां किर्ा जा सिता िै। परीक्षाएँ िे अलावा और भी व्र्ापि पररवेि िोता िै त्जसिे माध्र्म से

    भाषा-शिक्षा िा मूल्र्ाांिन किर्ा जा सिता िै। भाषा-शिक्षा में भावषि पररविे,पाठ्र् सामग्री, भाषार्ी अभ्र्ास सबसे अधिि मित्त्वपूणय िै

    7. Ans. A.

    सतत ्और व्र्ापि मूल्र्ाांिन िी िुरूआत ने मूल्र्ाांिन व्र्वस्र्ा िो बच्च े िे सांपूणय व्र्त्ततयव िो ज्र्ादा प्रदशियत िरन ेवाला बनार्ा िै। र्ि मूल्र्ाांिन िे एि भाग िे रूप में सि-िैक्षक्षि पिलुओां पर बल देत े िुए र्ि अधिगमिताय िे सम्पूणय व्र्त्ततयव िे वविास में सिार्ि शसद्ि िो रिी िै। र्ि छात्रों िे पास अब उनिी रूधचर्ों, आदतों तर्ा व्र्त्ततयव िो वविशसत िरन ेिे शलए अधिि समर् उपलब्ि िै।

    8. Ans. C.

    प्रगनत-पत्र (ररपोटय िार्य) तैर्ार िरन ेसे शिक्षि िो अपने प्रयरे्ि ववद्र्ार्ी िे बारे में र्ि सोचने िा मौिा शमलता िै। कि वि उसने सत्र िे दौरान तर्ा सीखा और किस क्षेत्र में उसिो ज्र्ादा मेिनत िरने िी जरूरत िै । तर्ा शिक्षि अगले सत्र िे शलए शिक्षण िी रणनीनत तैर्ार िर सिता िै। जैसे किस ववषर्-वस्तु पर अधिि ध्र्ान देना िै। िौन-सी सिी शिक्षण ववधि अपनानी िै।

    9. Ans. A.

    समावेिी िक्षा में भाषा-शिक्षण िी समस्र्ा अधिि उयपन्न िोती िै। इसमें समावेिी िा अर्य ववशभन्न अक्षमताओां वाले बच्चों िो ननर्शमत िक्षाओां में अन्र् बबना किसी अक्षमताओां वाले बच्चों िे सार् िाशमल िरन ेसे लगार्ा जाता रिा िै। इस िारण से भाषा-शिक्षण में समस्र्ा उयपन्न िोती िै।

    10. Ans. D.

    िशलिा हिांदी भाषा में बोलत ेसमर् िई बार अटिती िै तो शिक्षि िो िैर्य रखत ेिुए उसे सिज अशभव्र्त्तत िे शलए प्रोयसाहित िरेंगे। मानव प्रिानतः अपनी अनुभूनतर्ों तर्ा मनोवेगों िी अशभव्र्त्तत उच्चररत अर्वा मौणखि भाषा में िरता िै। इसशलए अशभव्र्त्तत िे शलए प्रोयसाहित िरना चाहिए।

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    11. Ans. B.

    उपचारायमि िार्ों िे द्वारा छात्रों िी िई िशमर्ों िो सुिारा जा सिता िै। त्जससे छात्रों िी हिांदी शिक्षण में रूधच वविशसत िोगी और छात्र हिांदी भाषा िे मानि स्वरूप िो भी बनाए रखने में अपना र्ोगदान दे सिें गे। हिन्दी भाषा शिक्षण में उपचारायमि शिक्षण िी ववधि ननम्न िै ।

    1) अनतररतत िक्षाएँ 2) गोत्ठठर्ाँ 3) ववशिठट अभ्र्ास 4) ननदान िे उपरान्त अिुद्धिर्ाां िा सामूहिि

    ननरािरण 5) अिुद्धिर्ों िा व्र्त्ततगत ननवारण। 6) व्र्त्ततगत भेदों िे आिार पर व्र्त्ततगत

    र्ा सामूहिि रूप से िहठनाइर्ों िा ननवारण। 12. Ans. D.

    उपचारायमि शिक्षण िी सिलता मुख्र्तः समस्र्ाओां िे िरणों िी सिी पिचान पर ननभयर िरती िै। उपचारी शिक्षण िे अनेि रूप िो सित ेिैं। बालिों िी िहठनाइर्ों िा सामूहिि रूप से ननवारण और उधचत अभ्र्ास, वैर्त्तति भेदों, िे आिार पर व्र्त्ततगत बालि िी अिुद्धिर्ों िा ननवारण, उपचार ग्रिों अर्वा भाषा प्रर्ोगिालाओां में बालिों िे उच्चारण एवां भाषा सांबांिी प्रशिक्षण और अभ्र्ास।

    13. Ans. C.

    भाषा िा वि िैक्षक्षि उद्िेश्र् त्जसे शिक्षि िक्षा में िी प्राप्त िर लेता िै। ववशिठट उद्िेश्र् ििलाता िै। भाषा िी मििा जानने से उनिे शिक्षण िी आवश्र्िता िा ज्ञान िो जाता िै, इसिे सार् िी शिक्षि िो उन सभी उद्िेश्र्ों से पूणय पररधचत िो जाना चाहिए, त्जनिे शलए वि भाषा पढ़ाना चािता िै।

    14. Ans. D.

    पाठ्र्िम ननमायण िे शसद्िाांत िे अनुसार पाठ्र्िम में ववशभन्न ववषर्ों में सि-सम्बन्ि िोना चाहिए ताकि शिक्षि िर ववषर्ों िो एि-दसूरे से शलांि िरिे अध्र्र्न िो पूणय िर सिे। इसमें अविाि िा सदपुर्ोग तर्ा अग्रदिी िोना चाहिए।

    15. Ans. D.

    उपचारायमि शिक्षण आवश्र्ि िै। मन्द-बुद्धि बच्चों िे शलए, वपछड़ े बच्चों िे शलए, प्रनतभािाली बच्चों िे शलए सभी िे शलए आवश्र्ि िै। उपचार ववधि िी र्ि वविेषता िोनी चाहिए कि उससे ववद्र्ार्ी िो अपनी सिलता िे सम्बन्ि में िीघ्र पररणाम शमल सिें तर्ा प्रकिर्ा िे दौरान ववद्र्ार्ी िो अधिि-से-अधिि सकिर् रखा जाए।

    16. Ans. C.

    पाठ्र्-पुस्ति में ज्ञान, अनुभव, भावनाओां, ववचारों प्रववृिर्ों तर्ा मूल्र्ों िे सांचर् िा सािन िै। पाठ्र् पुस्तिों में इन सभी िो िाशमल िरन ेमें ज्ञान तर्ा अनुभवों में ननरन्तर वदृ्धि िोती िै। छात्र पाठ्र् पुस्ति िे माध्र्म से अपने भावी जीवन िो जीने िी िला सीखाता िै।

    17. Ans. D.

    मौणखि भाषा िी अशभव्र्त्तत िा सिज व सरलतम माध्र्म िै। भाषा िी शिक्षा मौणखि भाषा से प्रारम्भ िोती िै। मौणखि भाषा िे प्रर्ोग में िुिल व्र्त्तत, अपनी वाणी से जाद ू जगा सिता िै। मौणखि अशभव्र्त्तत मेंअनुिरण और अभ्र्ास िे अवसर बराबर शमलत ेरित ेिैं। मौणखि अशभव्र्त्तत में स्वाशभिता, स्पठटता, िुद्िता बोिगम्र्ता, शिठटता, मिुरता, प्रवािमर्ता, अवसरानुिूल श्रोताओां िे अनुिूल भाषा।

    18. Ans. D.

    शलणखत भाषा िो बबना आवाज किए मन िी मन में िात्न्तपूवयि पढ़िर अर्यग्रिण िरने िी प्रकिर्ा िो मौन पठन ििा जाता िै। इससे आँखें पठन सामग्री िो जल्दी-जल्दी पढ़ती िैं और मत्स्तठि उस सामग्री िे अर्य िो ग्रिण िरता िै।

    19. Ans. A.

    अनुदेिन िी अवस्र्ा िा सिी पूवय व्र्विार- पारस्पररि किर्ा- उिर व्र्ाविाररि अनुदेिन िै। अनुदेिन सूचना ज्ञान (परामिय) देना िोता िै, जो शिक्षि द्वारा सम्पन्न िोने वाली प्रकिर्ा िै। अनुदेिन की अिस्त्थायें-

    (i) पूवय व्र्विार (तैर्ारी र्ा पूवय किर्ा), (ii) पारस्पररि किर्ा (प्रोग्राम िा शलखना र्ा अांत:

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    किर्ा), (iii) उिर व्र्ाविाररि अनुदेिन (जाँच एवां मूल्र्ाङ्िन र्ा उिर किर्ा)

    20. Ans. A.

    एि ननत्श्चत पाठ्र्िम िे अिर्र्न िे प्रमुख सािन िे रुप में एि ननत्श्चत िैक्षक्षि स्तर प्ररु्तत िरने िे शलए एि ननत्श्चत ववषर् पर

    व्र्वत्स्र्त ढांग से शलखी िुई पुस्ति पाठ्र्-पुस्ति ििलाती िै। पाठ्र्-पुस्तिें अनुभवजन्र् ज्ञान िी इस अपार िरोिर िो सुरक्षक्षत रखती िैं। अतः भाषा-शिक्षण में पाठ्र्-पुस्ति िो परम्परागत प्रिाशित सामग्री िे रुप में सिार्ि समझा जाना चाहिए।

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