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EDITOR EDITOR EDITOR EDITOR - - - - PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER : : : : Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder VASUDHA VASUDHA VASUDHA VASUDHA A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI ON ON ON ON Year 15, Issue 57 Year 15, Issue 57 Year 15, Issue 57 Year 15, Issue 57 Jan. Jan. Jan. Jan.-March, 2018 March, 2018 March, 2018 March, 2018 kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka vsu2a vsu2a vsu2a vsu2a s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn MkW- Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3^ ^ ^ ^ pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka$ $ $ $ DR ho DR ho DR ho DR hoLDr LDr LDr LDr v8R ÉÍ - A.k ÍÏ, jnvrI - macR ÊÈÉÐ

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Page 1: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

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Year 15 Issue 57Year 15 Issue 57Year 15 Issue 57Year 15 Issue 57

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कल का सरज पदमशरी डॉ शयाम ससिह शशश

म कल फिर आऊगा उगगा बिजर खत म

फकसी आतमहतया करत फकसान क उजाला बाटगा अशियार घरो को

जहा आज भी बचचा लालटन की रोशनी म ककहरा याद करता ह

उषणता दगा उस शहम-परष को जो ठििरत काट रहा ह सदी

दादा-परदादा क िट हए कमबल म ििकगा जवाला बन

शोषण-अनयाय-ईषयाा-दवष और पवाागरहो क शवरदध तपगा फकसी सयापतर की तरह

अशिसागर का अशिसागर बन

मर शमतर मझ गलत मत समझना

म असताचल को बढ़त हए उदास अवशय था पर हारा नही ह

म आज भी लड़ रहा ह एक अनित यदध स

तमहार सख क शलए शवशव-शािशत और वसिव कटमबकम क शलए

म डबता सरज ह कल का यौवन ह

चढ़त सरज को परणाम करन वाल दोसत

म शनराशा को आशा म बदलता जन-जन का जीवन ह

15 57 2018 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

नव सवतसर आ गया मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo ३

िताबदी एकसपरस का टटकट पदमशरी डॉ नरनर कोिली ४

जब इराद िो अटल स छाया िकला छाया ६

मदन मिीपज को बालक बसत डॉ नामवर ससि ७

िोली ददनि कमार १०

अपत नी ममता काशलया ११

औरत पालन को कलजा चाशिय िल चतवदी १४

साशितय और समाज क टरशत परो शगरीशवर शमशर १७

भारत माता का मददर यि मशिली िरण गपत २०

िोली डॉ सनह ठाकर २२

एक िी गौरा अमरकात २३

गमम सलाख उपासना गौतम २४

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी परो शवनोद कमार शमशर २६

एक शवलकषण अनभशत डॉ दीशपत गपता २७

सभाशषतसािसतरी पदमभषण परो सतयवरत िासतरी २९

भारत की भाषायी गलामी डॉ वदपरताप वददक ३२ मा की याद आलोक कमार ससि ३३

साशितय क आकाि का धरवतारा -

शवषण परभाकर सपना मागशलक ३४

ग़ज़ल दयाननद पाणड ४३

कल का सरज पदमशरी डॉ शयाम ससि िशि १ अ

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार ४४ अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail Canada amp USA$3500 Other Countries$4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail drsnehthakoregmailcom

15 57 2018 2

ईशवर की अननत कपा एव अपन सभी लखको पाठको िभसचतको की िभािीषो स वसधा

अपन जीवन क पनरिव वषम म पदापमण कर रिी ि वसधा अपन सभी शितशषयो क अनतर अनतय

सियोग क परशत ति-ददल स आभारी ि और शरदधा-वनत परािमना-पणम-कामना करती ि दक परमशवर इन

समबनधो को अकषणण बनाए रख

वसधा क माधयम स ठाकर सािब व म परमातमा क परशत नतमसतक सभी क परशत हदय स

आभारी सवम मगल मागयल की अनभशत स अशभभत इस नव-वषम ित परसपर सनि-भाव स ससशचत

सवम-कलयाण की दआ मागत ि

भारतीय ससकशत का अनमोल पवम िोली सवय की मितता स मशिमामशणडत ि कयोदक िोली

जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि दक िर शवषम स शवषम पटरशसिशत म ईशवर अपन

भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसिा म उस सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व

शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसिा रखन वाल अपन भकत परहलाद का मन

सत शचत आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला कर शमतरता का िाि

िाम सवय की व दसर की काशलमा कलषता शमटाकर सौिारमपणम भाव स एक-दसर पर सशिदानद क

िभ रगो की वषाम करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलषता की काशलमा को तयाग भाईचार क

पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल

दसरो क जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क साि

िम िोली का सकलप ल और मानवता को आदिम-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का

उतकषट िभ सदि शवशव म सिाशपत कर

िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जटटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत म

शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतममान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि

भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना

ि सबकी परशतबदधता सरािनीय िोगी

नारी-ददवस पर शवशव की परतयक नारी को अनकानक मगल कामनाए जिा एक ओर यि सतय

ि दक नारी सशषट की धरी ि विी दसरी ओर यि भी उतना िी सतय ि दक परष का कलयाणकारी

यिोशचत सियोग सशषट को आनददायी बनान ित आवशयक ि नारी और परष एक-दसर क परक ि न

कोई छोटा न कोई बड़ा समान रप स एक-दसर क परक बन कर िी व एक इकाई म पटरवरतमत िो

शवशव म सतय शिव सदरम की धारणा सिाशपत करन म समिम िो सकत ि

परमातमा की असीम अनकमपा एव आप सबक अननय परोतसािन स मरी पसतक नाकडा अममा

आदरणीय एव शपरय अममा की अधयाशतमक जीवनी का चतिम ससकरण तिा भकत-वतसल शरीराम की

असीम कपा स मर उपनयास लोक-नायक राम का ततीय ससकरण परकाशित िो गया ि सभी

शितशषयो क परशत िारदमक आभार शवनयपवमक आिा ि दक आप सबका परोतसािन भशवषय म भी मरा

समबल बन यिोशचत उतसाि-वधमन कर मरी कशतयो म पराण-सचटरत करता रिगा

शिनदी क परचार-परसार-उननयन क परशत सभी शिनदी-परशमयो की शनषठा को नमन करत हए जोत

स जोत जलात चलो की भाव-भशम पर शसिर भशवषय म और भी उननशत क सोपान चढ़न की कामना

सजोए

ससनह सनह ठाकर

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नव सवतसर आ गया

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

नव सवतसर आ गया खशिया छाई दवार

गल शमल रि लोग सब द बधाई उपिार

बरहमा की इस सशषट की गणना हयी आरमभ

सवतसर की यि परिा सतयग स परारमभ

चतर िकल परशतपदा को आता ि नव वषम

धरा परकशत मौसम िवा मन को करता िषम

नवमी म जनम परभ अवध परी क राम

रामराजय स बन गय आदिो क धाम

राज शतलक उनका हआ नव राशतर िभ ददन

नगर अयोधया भी सजा िरशषत िर पल शछन

नव राशतर आराधना मात िशकत का धयान

टरदधी-शसदधी म सब जट माग जग कलयान

सयमवि क राजय म रोिन हआ जिान

चकरवती राजा बन शवकरमाददतय मिान

सवणम काल का यग रिा जन जन क सरताज

शवकरम समवत नाम स गणना का आगाज

बल बशदध चातयम म चरचमत ि समराट

िक हणो औ यवन स रशकषत िा यि राषटर

आज ददवस गशड़ पाड़वा चटी चड तयोिार

मा दवी की अचमना वदन औ फलािार

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िताबदी एकसपरस का टटकट

पदमशरी डॉ नरनर कोिली

लखनऊ िताबदी म लखनऊ तक क शलए एक टटकट मन शखड़की बाब स किा

फारम भरो उसन आदि ददया

फामम भर कर आपक सामन रखा ि मन किा अपना शसर उठाइए उसपर कपादशषट डाशलए

उसन वि फामम उठा कर मरी ओर फ क ददया अगरजी म भरो यि ऐडा बडा शलखा हआ कौन पढ़गा

यिा झमरीतलया समझ रखा ि यि ददलली ि कशपटल ऑफ इशनडया

यि ऐडा बडा निी ि मन किा यि शिनदी ि भारत की राषटर भाषा

तो इस राषटर भाषा शवभाग म ल जाओ वि बोला िम तो रलव क आदमी ि अगरजी म काम करत ि

जो सार ससार की मातभाषा ि

गाड़ी ददलली स चलगी मन पछा

शबलकल ददलली स चलगी िोनोलल स तो चलन स रिी वि बोला

तो ददलली शिनदी परदि ि मन अपना सवर ऊचा कर शलया

नकि म ि जरा बािर शनकल कर दखो बाज़ार म एक भी बोडम शिनदी म ि पखाना उठान की भी

शलखत-पढ़त अगरजी म िोती ि यिा वि बोला पयार भाई सपनो स जागो यिािम स आख शमलाओ

पता निी ददलली अगरजो क हदय म बसती ि या निी पर ददलली क हदय म अगरजी बसती ि बड़-बड़

स लकर दवार-दवार भटकन वाला साधारण सलसमन तक अगरजी िी बोलता ि कोई भला आदमी मि

खोलता ि तो उसम स अगरजी िी झराझर बरसती ि

मन चपचाप अगरजी म फामम भर ददया यि लो

उसन तब भी मझ टटकट निी ददया एक फामम और आग सरका ददया ज़रा इस पर भी अपन

ऑटोगराफ दीशजए

यि कया ि

पढ़-शलख िो पढ़ लो

निी म पढ़ा शलखा निी ह म बोला तम िी बताओ

वि तो म पिल िी समझ गया िा अनपढ़ िो तभी तो शिनदी-शिनदी कर रि िो वि बोला अब

जरा धयान स सनो इस गाड़ी म सारी घोषणाए अगरजी म िोगी इस कागज पर शलखा ि दक तब तम

कोई आपशतत निी करोग

शिनदी म कोई घोषणा निी िोगी

िोगी पर वि तमि समझ म निी आएगी

कयो मरी मातभाषा शिनदी ि म शिनदी पढ़ा शलखा ह और शिनदी म काम करता ह मन किा

इसशलए दक घोषणा करन वालो का साउड बॉकस शवदिी ि वि बोला तो निी करोग न आपशतत

निी करगा

करो साइन

15 57 2018 5

मन िसताकषर कर ददए

अखबार अगरजी का शमलगा वि बोला तम शिनदी का अखबार निी मागोग

िोना तो यि चाशिए दक सबको शिनदी का समाचार पतर ददया जाए मन किा कोई शविष आगरि

कर तो उस अगरजी का द ददया जाए सब पर अगरजी कयो िोप रि िो

टटकट लना ि या निी लखनऊ जाना ि या निी

लना ि लना ि मन घबराकर किा

तो साइन करो

दकया मन िसताकषर कर ददए

बरा अगरजी बोलगा उसन किा तमि बाबजी निी सर बोलगा राम-राम निी करगा गलत

उिारण म गड मारनिग किगा नाशत को बरकफासट किा जाएगा खान को लच पानी को वाटर

शबसतर को बड बोलो आपशतत तो निी करोग

पर ऐसा कयो िोगा

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो सवाल जवाब मत करो

दकया

सटिनो और दसरी चीजो क शवषय म जो सचनाओ की पटटी आएगी वि अगरजी म आएगी शिनदी की

पटटी की माग निी करोग

कयो निी करगा यि भारत िअमरीका निी

तो बलगाड़ी या टमटम स लखनऊ चल जाओ वि बोला िताबदी एकसपरस का टटकट निी शमलगा

मन िसताकषर कर ददए

यातरा क अत म एक छोटा सा फारम ददया जाएगा उस भरना िोगा और अगरजी म भरना िोगा तब

यि कि कर इकार निी कर सकोग दक तमि अगरजी निी आती शजतनी भी आती ि उसी म भरना िोगा

पर कयो

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो

मन िसताकषर कर ददए

अपनी ओर स दकसी स भी कोई परशन अगरजी म निी करोग

कयो

कयोदक उनम स दकसी को भी अगरजी निी आती

तो दफर यि सब

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो और शिनदी म निी अगरजी म मन िसताकषर कर ददय

15 57 2018 6

जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

15 57 2018 8

की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

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लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

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Page 2: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

कल का सरज पदमशरी डॉ शयाम ससिह शशश

म कल फिर आऊगा उगगा बिजर खत म

फकसी आतमहतया करत फकसान क उजाला बाटगा अशियार घरो को

जहा आज भी बचचा लालटन की रोशनी म ककहरा याद करता ह

उषणता दगा उस शहम-परष को जो ठििरत काट रहा ह सदी

दादा-परदादा क िट हए कमबल म ििकगा जवाला बन

शोषण-अनयाय-ईषयाा-दवष और पवाागरहो क शवरदध तपगा फकसी सयापतर की तरह

अशिसागर का अशिसागर बन

मर शमतर मझ गलत मत समझना

म असताचल को बढ़त हए उदास अवशय था पर हारा नही ह

म आज भी लड़ रहा ह एक अनित यदध स

तमहार सख क शलए शवशव-शािशत और वसिव कटमबकम क शलए

म डबता सरज ह कल का यौवन ह

चढ़त सरज को परणाम करन वाल दोसत

म शनराशा को आशा म बदलता जन-जन का जीवन ह

15 57 2018 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

नव सवतसर आ गया मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo ३

िताबदी एकसपरस का टटकट पदमशरी डॉ नरनर कोिली ४

जब इराद िो अटल स छाया िकला छाया ६

मदन मिीपज को बालक बसत डॉ नामवर ससि ७

िोली ददनि कमार १०

अपत नी ममता काशलया ११

औरत पालन को कलजा चाशिय िल चतवदी १४

साशितय और समाज क टरशत परो शगरीशवर शमशर १७

भारत माता का मददर यि मशिली िरण गपत २०

िोली डॉ सनह ठाकर २२

एक िी गौरा अमरकात २३

गमम सलाख उपासना गौतम २४

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी परो शवनोद कमार शमशर २६

एक शवलकषण अनभशत डॉ दीशपत गपता २७

सभाशषतसािसतरी पदमभषण परो सतयवरत िासतरी २९

भारत की भाषायी गलामी डॉ वदपरताप वददक ३२ मा की याद आलोक कमार ससि ३३

साशितय क आकाि का धरवतारा -

शवषण परभाकर सपना मागशलक ३४

ग़ज़ल दयाननद पाणड ४३

कल का सरज पदमशरी डॉ शयाम ससि िशि १ अ

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार ४४ अ

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15 57 2018 2

ईशवर की अननत कपा एव अपन सभी लखको पाठको िभसचतको की िभािीषो स वसधा

अपन जीवन क पनरिव वषम म पदापमण कर रिी ि वसधा अपन सभी शितशषयो क अनतर अनतय

सियोग क परशत ति-ददल स आभारी ि और शरदधा-वनत परािमना-पणम-कामना करती ि दक परमशवर इन

समबनधो को अकषणण बनाए रख

वसधा क माधयम स ठाकर सािब व म परमातमा क परशत नतमसतक सभी क परशत हदय स

आभारी सवम मगल मागयल की अनभशत स अशभभत इस नव-वषम ित परसपर सनि-भाव स ससशचत

सवम-कलयाण की दआ मागत ि

भारतीय ससकशत का अनमोल पवम िोली सवय की मितता स मशिमामशणडत ि कयोदक िोली

जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि दक िर शवषम स शवषम पटरशसिशत म ईशवर अपन

भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसिा म उस सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व

शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसिा रखन वाल अपन भकत परहलाद का मन

सत शचत आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला कर शमतरता का िाि

िाम सवय की व दसर की काशलमा कलषता शमटाकर सौिारमपणम भाव स एक-दसर पर सशिदानद क

िभ रगो की वषाम करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलषता की काशलमा को तयाग भाईचार क

पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल

दसरो क जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क साि

िम िोली का सकलप ल और मानवता को आदिम-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का

उतकषट िभ सदि शवशव म सिाशपत कर

िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जटटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत म

शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतममान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि

भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना

ि सबकी परशतबदधता सरािनीय िोगी

नारी-ददवस पर शवशव की परतयक नारी को अनकानक मगल कामनाए जिा एक ओर यि सतय

ि दक नारी सशषट की धरी ि विी दसरी ओर यि भी उतना िी सतय ि दक परष का कलयाणकारी

यिोशचत सियोग सशषट को आनददायी बनान ित आवशयक ि नारी और परष एक-दसर क परक ि न

कोई छोटा न कोई बड़ा समान रप स एक-दसर क परक बन कर िी व एक इकाई म पटरवरतमत िो

शवशव म सतय शिव सदरम की धारणा सिाशपत करन म समिम िो सकत ि

परमातमा की असीम अनकमपा एव आप सबक अननय परोतसािन स मरी पसतक नाकडा अममा

आदरणीय एव शपरय अममा की अधयाशतमक जीवनी का चतिम ससकरण तिा भकत-वतसल शरीराम की

असीम कपा स मर उपनयास लोक-नायक राम का ततीय ससकरण परकाशित िो गया ि सभी

शितशषयो क परशत िारदमक आभार शवनयपवमक आिा ि दक आप सबका परोतसािन भशवषय म भी मरा

समबल बन यिोशचत उतसाि-वधमन कर मरी कशतयो म पराण-सचटरत करता रिगा

शिनदी क परचार-परसार-उननयन क परशत सभी शिनदी-परशमयो की शनषठा को नमन करत हए जोत

स जोत जलात चलो की भाव-भशम पर शसिर भशवषय म और भी उननशत क सोपान चढ़न की कामना

सजोए

ससनह सनह ठाकर

15 57 2018 3

नव सवतसर आ गया

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

नव सवतसर आ गया खशिया छाई दवार

गल शमल रि लोग सब द बधाई उपिार

बरहमा की इस सशषट की गणना हयी आरमभ

सवतसर की यि परिा सतयग स परारमभ

चतर िकल परशतपदा को आता ि नव वषम

धरा परकशत मौसम िवा मन को करता िषम

नवमी म जनम परभ अवध परी क राम

रामराजय स बन गय आदिो क धाम

राज शतलक उनका हआ नव राशतर िभ ददन

नगर अयोधया भी सजा िरशषत िर पल शछन

नव राशतर आराधना मात िशकत का धयान

टरदधी-शसदधी म सब जट माग जग कलयान

सयमवि क राजय म रोिन हआ जिान

चकरवती राजा बन शवकरमाददतय मिान

सवणम काल का यग रिा जन जन क सरताज

शवकरम समवत नाम स गणना का आगाज

बल बशदध चातयम म चरचमत ि समराट

िक हणो औ यवन स रशकषत िा यि राषटर

आज ददवस गशड़ पाड़वा चटी चड तयोिार

मा दवी की अचमना वदन औ फलािार

15 57 2018 4

िताबदी एकसपरस का टटकट

पदमशरी डॉ नरनर कोिली

लखनऊ िताबदी म लखनऊ तक क शलए एक टटकट मन शखड़की बाब स किा

फारम भरो उसन आदि ददया

फामम भर कर आपक सामन रखा ि मन किा अपना शसर उठाइए उसपर कपादशषट डाशलए

उसन वि फामम उठा कर मरी ओर फ क ददया अगरजी म भरो यि ऐडा बडा शलखा हआ कौन पढ़गा

यिा झमरीतलया समझ रखा ि यि ददलली ि कशपटल ऑफ इशनडया

यि ऐडा बडा निी ि मन किा यि शिनदी ि भारत की राषटर भाषा

तो इस राषटर भाषा शवभाग म ल जाओ वि बोला िम तो रलव क आदमी ि अगरजी म काम करत ि

जो सार ससार की मातभाषा ि

गाड़ी ददलली स चलगी मन पछा

शबलकल ददलली स चलगी िोनोलल स तो चलन स रिी वि बोला

तो ददलली शिनदी परदि ि मन अपना सवर ऊचा कर शलया

नकि म ि जरा बािर शनकल कर दखो बाज़ार म एक भी बोडम शिनदी म ि पखाना उठान की भी

शलखत-पढ़त अगरजी म िोती ि यिा वि बोला पयार भाई सपनो स जागो यिािम स आख शमलाओ

पता निी ददलली अगरजो क हदय म बसती ि या निी पर ददलली क हदय म अगरजी बसती ि बड़-बड़

स लकर दवार-दवार भटकन वाला साधारण सलसमन तक अगरजी िी बोलता ि कोई भला आदमी मि

खोलता ि तो उसम स अगरजी िी झराझर बरसती ि

मन चपचाप अगरजी म फामम भर ददया यि लो

उसन तब भी मझ टटकट निी ददया एक फामम और आग सरका ददया ज़रा इस पर भी अपन

ऑटोगराफ दीशजए

यि कया ि

पढ़-शलख िो पढ़ लो

निी म पढ़ा शलखा निी ह म बोला तम िी बताओ

वि तो म पिल िी समझ गया िा अनपढ़ िो तभी तो शिनदी-शिनदी कर रि िो वि बोला अब

जरा धयान स सनो इस गाड़ी म सारी घोषणाए अगरजी म िोगी इस कागज पर शलखा ि दक तब तम

कोई आपशतत निी करोग

शिनदी म कोई घोषणा निी िोगी

िोगी पर वि तमि समझ म निी आएगी

कयो मरी मातभाषा शिनदी ि म शिनदी पढ़ा शलखा ह और शिनदी म काम करता ह मन किा

इसशलए दक घोषणा करन वालो का साउड बॉकस शवदिी ि वि बोला तो निी करोग न आपशतत

निी करगा

करो साइन

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मन िसताकषर कर ददए

अखबार अगरजी का शमलगा वि बोला तम शिनदी का अखबार निी मागोग

िोना तो यि चाशिए दक सबको शिनदी का समाचार पतर ददया जाए मन किा कोई शविष आगरि

कर तो उस अगरजी का द ददया जाए सब पर अगरजी कयो िोप रि िो

टटकट लना ि या निी लखनऊ जाना ि या निी

लना ि लना ि मन घबराकर किा

तो साइन करो

दकया मन िसताकषर कर ददए

बरा अगरजी बोलगा उसन किा तमि बाबजी निी सर बोलगा राम-राम निी करगा गलत

उिारण म गड मारनिग किगा नाशत को बरकफासट किा जाएगा खान को लच पानी को वाटर

शबसतर को बड बोलो आपशतत तो निी करोग

पर ऐसा कयो िोगा

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो सवाल जवाब मत करो

दकया

सटिनो और दसरी चीजो क शवषय म जो सचनाओ की पटटी आएगी वि अगरजी म आएगी शिनदी की

पटटी की माग निी करोग

कयो निी करगा यि भारत िअमरीका निी

तो बलगाड़ी या टमटम स लखनऊ चल जाओ वि बोला िताबदी एकसपरस का टटकट निी शमलगा

मन िसताकषर कर ददए

यातरा क अत म एक छोटा सा फारम ददया जाएगा उस भरना िोगा और अगरजी म भरना िोगा तब

यि कि कर इकार निी कर सकोग दक तमि अगरजी निी आती शजतनी भी आती ि उसी म भरना िोगा

पर कयो

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो

मन िसताकषर कर ददए

अपनी ओर स दकसी स भी कोई परशन अगरजी म निी करोग

कयो

कयोदक उनम स दकसी को भी अगरजी निी आती

तो दफर यि सब

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो और शिनदी म निी अगरजी म मन िसताकषर कर ददय

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जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

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मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

15 57 2018 8

की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 3: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

नव सवतसर आ गया मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo ३

िताबदी एकसपरस का टटकट पदमशरी डॉ नरनर कोिली ४

जब इराद िो अटल स छाया िकला छाया ६

मदन मिीपज को बालक बसत डॉ नामवर ससि ७

िोली ददनि कमार १०

अपत नी ममता काशलया ११

औरत पालन को कलजा चाशिय िल चतवदी १४

साशितय और समाज क टरशत परो शगरीशवर शमशर १७

भारत माता का मददर यि मशिली िरण गपत २०

िोली डॉ सनह ठाकर २२

एक िी गौरा अमरकात २३

गमम सलाख उपासना गौतम २४

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी परो शवनोद कमार शमशर २६

एक शवलकषण अनभशत डॉ दीशपत गपता २७

सभाशषतसािसतरी पदमभषण परो सतयवरत िासतरी २९

भारत की भाषायी गलामी डॉ वदपरताप वददक ३२ मा की याद आलोक कमार ससि ३३

साशितय क आकाि का धरवतारा -

शवषण परभाकर सपना मागशलक ३४

ग़ज़ल दयाननद पाणड ४३

कल का सरज पदमशरी डॉ शयाम ससि िशि १ अ

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार ४४ अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail Canada amp USA$3500 Other Countries$4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail drsnehthakoregmailcom

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ईशवर की अननत कपा एव अपन सभी लखको पाठको िभसचतको की िभािीषो स वसधा

अपन जीवन क पनरिव वषम म पदापमण कर रिी ि वसधा अपन सभी शितशषयो क अनतर अनतय

सियोग क परशत ति-ददल स आभारी ि और शरदधा-वनत परािमना-पणम-कामना करती ि दक परमशवर इन

समबनधो को अकषणण बनाए रख

वसधा क माधयम स ठाकर सािब व म परमातमा क परशत नतमसतक सभी क परशत हदय स

आभारी सवम मगल मागयल की अनभशत स अशभभत इस नव-वषम ित परसपर सनि-भाव स ससशचत

सवम-कलयाण की दआ मागत ि

भारतीय ससकशत का अनमोल पवम िोली सवय की मितता स मशिमामशणडत ि कयोदक िोली

जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि दक िर शवषम स शवषम पटरशसिशत म ईशवर अपन

भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसिा म उस सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व

शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसिा रखन वाल अपन भकत परहलाद का मन

सत शचत आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला कर शमतरता का िाि

िाम सवय की व दसर की काशलमा कलषता शमटाकर सौिारमपणम भाव स एक-दसर पर सशिदानद क

िभ रगो की वषाम करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलषता की काशलमा को तयाग भाईचार क

पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल

दसरो क जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क साि

िम िोली का सकलप ल और मानवता को आदिम-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का

उतकषट िभ सदि शवशव म सिाशपत कर

िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जटटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत म

शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतममान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि

भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना

ि सबकी परशतबदधता सरािनीय िोगी

नारी-ददवस पर शवशव की परतयक नारी को अनकानक मगल कामनाए जिा एक ओर यि सतय

ि दक नारी सशषट की धरी ि विी दसरी ओर यि भी उतना िी सतय ि दक परष का कलयाणकारी

यिोशचत सियोग सशषट को आनददायी बनान ित आवशयक ि नारी और परष एक-दसर क परक ि न

कोई छोटा न कोई बड़ा समान रप स एक-दसर क परक बन कर िी व एक इकाई म पटरवरतमत िो

शवशव म सतय शिव सदरम की धारणा सिाशपत करन म समिम िो सकत ि

परमातमा की असीम अनकमपा एव आप सबक अननय परोतसािन स मरी पसतक नाकडा अममा

आदरणीय एव शपरय अममा की अधयाशतमक जीवनी का चतिम ससकरण तिा भकत-वतसल शरीराम की

असीम कपा स मर उपनयास लोक-नायक राम का ततीय ससकरण परकाशित िो गया ि सभी

शितशषयो क परशत िारदमक आभार शवनयपवमक आिा ि दक आप सबका परोतसािन भशवषय म भी मरा

समबल बन यिोशचत उतसाि-वधमन कर मरी कशतयो म पराण-सचटरत करता रिगा

शिनदी क परचार-परसार-उननयन क परशत सभी शिनदी-परशमयो की शनषठा को नमन करत हए जोत

स जोत जलात चलो की भाव-भशम पर शसिर भशवषय म और भी उननशत क सोपान चढ़न की कामना

सजोए

ससनह सनह ठाकर

15 57 2018 3

नव सवतसर आ गया

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

नव सवतसर आ गया खशिया छाई दवार

गल शमल रि लोग सब द बधाई उपिार

बरहमा की इस सशषट की गणना हयी आरमभ

सवतसर की यि परिा सतयग स परारमभ

चतर िकल परशतपदा को आता ि नव वषम

धरा परकशत मौसम िवा मन को करता िषम

नवमी म जनम परभ अवध परी क राम

रामराजय स बन गय आदिो क धाम

राज शतलक उनका हआ नव राशतर िभ ददन

नगर अयोधया भी सजा िरशषत िर पल शछन

नव राशतर आराधना मात िशकत का धयान

टरदधी-शसदधी म सब जट माग जग कलयान

सयमवि क राजय म रोिन हआ जिान

चकरवती राजा बन शवकरमाददतय मिान

सवणम काल का यग रिा जन जन क सरताज

शवकरम समवत नाम स गणना का आगाज

बल बशदध चातयम म चरचमत ि समराट

िक हणो औ यवन स रशकषत िा यि राषटर

आज ददवस गशड़ पाड़वा चटी चड तयोिार

मा दवी की अचमना वदन औ फलािार

15 57 2018 4

िताबदी एकसपरस का टटकट

पदमशरी डॉ नरनर कोिली

लखनऊ िताबदी म लखनऊ तक क शलए एक टटकट मन शखड़की बाब स किा

फारम भरो उसन आदि ददया

फामम भर कर आपक सामन रखा ि मन किा अपना शसर उठाइए उसपर कपादशषट डाशलए

उसन वि फामम उठा कर मरी ओर फ क ददया अगरजी म भरो यि ऐडा बडा शलखा हआ कौन पढ़गा

यिा झमरीतलया समझ रखा ि यि ददलली ि कशपटल ऑफ इशनडया

यि ऐडा बडा निी ि मन किा यि शिनदी ि भारत की राषटर भाषा

तो इस राषटर भाषा शवभाग म ल जाओ वि बोला िम तो रलव क आदमी ि अगरजी म काम करत ि

जो सार ससार की मातभाषा ि

गाड़ी ददलली स चलगी मन पछा

शबलकल ददलली स चलगी िोनोलल स तो चलन स रिी वि बोला

तो ददलली शिनदी परदि ि मन अपना सवर ऊचा कर शलया

नकि म ि जरा बािर शनकल कर दखो बाज़ार म एक भी बोडम शिनदी म ि पखाना उठान की भी

शलखत-पढ़त अगरजी म िोती ि यिा वि बोला पयार भाई सपनो स जागो यिािम स आख शमलाओ

पता निी ददलली अगरजो क हदय म बसती ि या निी पर ददलली क हदय म अगरजी बसती ि बड़-बड़

स लकर दवार-दवार भटकन वाला साधारण सलसमन तक अगरजी िी बोलता ि कोई भला आदमी मि

खोलता ि तो उसम स अगरजी िी झराझर बरसती ि

मन चपचाप अगरजी म फामम भर ददया यि लो

उसन तब भी मझ टटकट निी ददया एक फामम और आग सरका ददया ज़रा इस पर भी अपन

ऑटोगराफ दीशजए

यि कया ि

पढ़-शलख िो पढ़ लो

निी म पढ़ा शलखा निी ह म बोला तम िी बताओ

वि तो म पिल िी समझ गया िा अनपढ़ िो तभी तो शिनदी-शिनदी कर रि िो वि बोला अब

जरा धयान स सनो इस गाड़ी म सारी घोषणाए अगरजी म िोगी इस कागज पर शलखा ि दक तब तम

कोई आपशतत निी करोग

शिनदी म कोई घोषणा निी िोगी

िोगी पर वि तमि समझ म निी आएगी

कयो मरी मातभाषा शिनदी ि म शिनदी पढ़ा शलखा ह और शिनदी म काम करता ह मन किा

इसशलए दक घोषणा करन वालो का साउड बॉकस शवदिी ि वि बोला तो निी करोग न आपशतत

निी करगा

करो साइन

15 57 2018 5

मन िसताकषर कर ददए

अखबार अगरजी का शमलगा वि बोला तम शिनदी का अखबार निी मागोग

िोना तो यि चाशिए दक सबको शिनदी का समाचार पतर ददया जाए मन किा कोई शविष आगरि

कर तो उस अगरजी का द ददया जाए सब पर अगरजी कयो िोप रि िो

टटकट लना ि या निी लखनऊ जाना ि या निी

लना ि लना ि मन घबराकर किा

तो साइन करो

दकया मन िसताकषर कर ददए

बरा अगरजी बोलगा उसन किा तमि बाबजी निी सर बोलगा राम-राम निी करगा गलत

उिारण म गड मारनिग किगा नाशत को बरकफासट किा जाएगा खान को लच पानी को वाटर

शबसतर को बड बोलो आपशतत तो निी करोग

पर ऐसा कयो िोगा

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो सवाल जवाब मत करो

दकया

सटिनो और दसरी चीजो क शवषय म जो सचनाओ की पटटी आएगी वि अगरजी म आएगी शिनदी की

पटटी की माग निी करोग

कयो निी करगा यि भारत िअमरीका निी

तो बलगाड़ी या टमटम स लखनऊ चल जाओ वि बोला िताबदी एकसपरस का टटकट निी शमलगा

मन िसताकषर कर ददए

यातरा क अत म एक छोटा सा फारम ददया जाएगा उस भरना िोगा और अगरजी म भरना िोगा तब

यि कि कर इकार निी कर सकोग दक तमि अगरजी निी आती शजतनी भी आती ि उसी म भरना िोगा

पर कयो

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो

मन िसताकषर कर ददए

अपनी ओर स दकसी स भी कोई परशन अगरजी म निी करोग

कयो

कयोदक उनम स दकसी को भी अगरजी निी आती

तो दफर यि सब

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो और शिनदी म निी अगरजी म मन िसताकषर कर ददय

15 57 2018 6

जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

15 57 2018 8

की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

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िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

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लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

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लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

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साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 4: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 2

ईशवर की अननत कपा एव अपन सभी लखको पाठको िभसचतको की िभािीषो स वसधा

अपन जीवन क पनरिव वषम म पदापमण कर रिी ि वसधा अपन सभी शितशषयो क अनतर अनतय

सियोग क परशत ति-ददल स आभारी ि और शरदधा-वनत परािमना-पणम-कामना करती ि दक परमशवर इन

समबनधो को अकषणण बनाए रख

वसधा क माधयम स ठाकर सािब व म परमातमा क परशत नतमसतक सभी क परशत हदय स

आभारी सवम मगल मागयल की अनभशत स अशभभत इस नव-वषम ित परसपर सनि-भाव स ससशचत

सवम-कलयाण की दआ मागत ि

भारतीय ससकशत का अनमोल पवम िोली सवय की मितता स मशिमामशणडत ि कयोदक िोली

जिा ईशवर की सतता सवीकार करन का तयोिार ि दक िर शवषम स शवषम पटरशसिशत म ईशवर अपन

भकत की रकषा करता ि शवकट स शवकट अवसिा म उस सरशकषत रखता ि िोशलका-दिन व

शिरणयकशिप-वध स बराई का अत कर भगवान म परम आसिा रखन वाल अपन भकत परहलाद का मन

सत शचत आनद स भर दता ि विी यि तयोिार अगली-शपछली वमनसयता भला कर शमतरता का िाि

िाम सवय की व दसर की काशलमा कलषता शमटाकर सौिारमपणम भाव स एक-दसर पर सशिदानद क

िभ रगो की वषाम करन की शिकषा भी दता ि जब आप कलषता की काशलमा को तयाग भाईचार क

पावन-पनीत िभ रगो स दसर को पलाशवत करत ि तो उसक छीट आप पर भी पड़त ि जो न कवल

दसरो क जीवन म वरन आपक जीवन म भी खशियो की बिार लात ि आइए इस भावावयशकत क साि

िम िोली का सकलप ल और मानवता को आदिम-परम क रग म रग कर सराबोर कर भारतीय िोली का

उतकषट िभ सदि शवशव म सिाशपत कर

िम दि म रि चाि शवदि म इतनी अमलय रतन-जटटत भारतीय ससकशत जो िम शवरासत म

शमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा वतममान व भावी पीढ़ी क शलए चाि वि

भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकशत की मिाल जलाय रखन क शलए िम परशतबदध िोना

ि सबकी परशतबदधता सरािनीय िोगी

नारी-ददवस पर शवशव की परतयक नारी को अनकानक मगल कामनाए जिा एक ओर यि सतय

ि दक नारी सशषट की धरी ि विी दसरी ओर यि भी उतना िी सतय ि दक परष का कलयाणकारी

यिोशचत सियोग सशषट को आनददायी बनान ित आवशयक ि नारी और परष एक-दसर क परक ि न

कोई छोटा न कोई बड़ा समान रप स एक-दसर क परक बन कर िी व एक इकाई म पटरवरतमत िो

शवशव म सतय शिव सदरम की धारणा सिाशपत करन म समिम िो सकत ि

परमातमा की असीम अनकमपा एव आप सबक अननय परोतसािन स मरी पसतक नाकडा अममा

आदरणीय एव शपरय अममा की अधयाशतमक जीवनी का चतिम ससकरण तिा भकत-वतसल शरीराम की

असीम कपा स मर उपनयास लोक-नायक राम का ततीय ससकरण परकाशित िो गया ि सभी

शितशषयो क परशत िारदमक आभार शवनयपवमक आिा ि दक आप सबका परोतसािन भशवषय म भी मरा

समबल बन यिोशचत उतसाि-वधमन कर मरी कशतयो म पराण-सचटरत करता रिगा

शिनदी क परचार-परसार-उननयन क परशत सभी शिनदी-परशमयो की शनषठा को नमन करत हए जोत

स जोत जलात चलो की भाव-भशम पर शसिर भशवषय म और भी उननशत क सोपान चढ़न की कामना

सजोए

ससनह सनह ठाकर

15 57 2018 3

नव सवतसर आ गया

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

नव सवतसर आ गया खशिया छाई दवार

गल शमल रि लोग सब द बधाई उपिार

बरहमा की इस सशषट की गणना हयी आरमभ

सवतसर की यि परिा सतयग स परारमभ

चतर िकल परशतपदा को आता ि नव वषम

धरा परकशत मौसम िवा मन को करता िषम

नवमी म जनम परभ अवध परी क राम

रामराजय स बन गय आदिो क धाम

राज शतलक उनका हआ नव राशतर िभ ददन

नगर अयोधया भी सजा िरशषत िर पल शछन

नव राशतर आराधना मात िशकत का धयान

टरदधी-शसदधी म सब जट माग जग कलयान

सयमवि क राजय म रोिन हआ जिान

चकरवती राजा बन शवकरमाददतय मिान

सवणम काल का यग रिा जन जन क सरताज

शवकरम समवत नाम स गणना का आगाज

बल बशदध चातयम म चरचमत ि समराट

िक हणो औ यवन स रशकषत िा यि राषटर

आज ददवस गशड़ पाड़वा चटी चड तयोिार

मा दवी की अचमना वदन औ फलािार

15 57 2018 4

िताबदी एकसपरस का टटकट

पदमशरी डॉ नरनर कोिली

लखनऊ िताबदी म लखनऊ तक क शलए एक टटकट मन शखड़की बाब स किा

फारम भरो उसन आदि ददया

फामम भर कर आपक सामन रखा ि मन किा अपना शसर उठाइए उसपर कपादशषट डाशलए

उसन वि फामम उठा कर मरी ओर फ क ददया अगरजी म भरो यि ऐडा बडा शलखा हआ कौन पढ़गा

यिा झमरीतलया समझ रखा ि यि ददलली ि कशपटल ऑफ इशनडया

यि ऐडा बडा निी ि मन किा यि शिनदी ि भारत की राषटर भाषा

तो इस राषटर भाषा शवभाग म ल जाओ वि बोला िम तो रलव क आदमी ि अगरजी म काम करत ि

जो सार ससार की मातभाषा ि

गाड़ी ददलली स चलगी मन पछा

शबलकल ददलली स चलगी िोनोलल स तो चलन स रिी वि बोला

तो ददलली शिनदी परदि ि मन अपना सवर ऊचा कर शलया

नकि म ि जरा बािर शनकल कर दखो बाज़ार म एक भी बोडम शिनदी म ि पखाना उठान की भी

शलखत-पढ़त अगरजी म िोती ि यिा वि बोला पयार भाई सपनो स जागो यिािम स आख शमलाओ

पता निी ददलली अगरजो क हदय म बसती ि या निी पर ददलली क हदय म अगरजी बसती ि बड़-बड़

स लकर दवार-दवार भटकन वाला साधारण सलसमन तक अगरजी िी बोलता ि कोई भला आदमी मि

खोलता ि तो उसम स अगरजी िी झराझर बरसती ि

मन चपचाप अगरजी म फामम भर ददया यि लो

उसन तब भी मझ टटकट निी ददया एक फामम और आग सरका ददया ज़रा इस पर भी अपन

ऑटोगराफ दीशजए

यि कया ि

पढ़-शलख िो पढ़ लो

निी म पढ़ा शलखा निी ह म बोला तम िी बताओ

वि तो म पिल िी समझ गया िा अनपढ़ िो तभी तो शिनदी-शिनदी कर रि िो वि बोला अब

जरा धयान स सनो इस गाड़ी म सारी घोषणाए अगरजी म िोगी इस कागज पर शलखा ि दक तब तम

कोई आपशतत निी करोग

शिनदी म कोई घोषणा निी िोगी

िोगी पर वि तमि समझ म निी आएगी

कयो मरी मातभाषा शिनदी ि म शिनदी पढ़ा शलखा ह और शिनदी म काम करता ह मन किा

इसशलए दक घोषणा करन वालो का साउड बॉकस शवदिी ि वि बोला तो निी करोग न आपशतत

निी करगा

करो साइन

15 57 2018 5

मन िसताकषर कर ददए

अखबार अगरजी का शमलगा वि बोला तम शिनदी का अखबार निी मागोग

िोना तो यि चाशिए दक सबको शिनदी का समाचार पतर ददया जाए मन किा कोई शविष आगरि

कर तो उस अगरजी का द ददया जाए सब पर अगरजी कयो िोप रि िो

टटकट लना ि या निी लखनऊ जाना ि या निी

लना ि लना ि मन घबराकर किा

तो साइन करो

दकया मन िसताकषर कर ददए

बरा अगरजी बोलगा उसन किा तमि बाबजी निी सर बोलगा राम-राम निी करगा गलत

उिारण म गड मारनिग किगा नाशत को बरकफासट किा जाएगा खान को लच पानी को वाटर

शबसतर को बड बोलो आपशतत तो निी करोग

पर ऐसा कयो िोगा

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो सवाल जवाब मत करो

दकया

सटिनो और दसरी चीजो क शवषय म जो सचनाओ की पटटी आएगी वि अगरजी म आएगी शिनदी की

पटटी की माग निी करोग

कयो निी करगा यि भारत िअमरीका निी

तो बलगाड़ी या टमटम स लखनऊ चल जाओ वि बोला िताबदी एकसपरस का टटकट निी शमलगा

मन िसताकषर कर ददए

यातरा क अत म एक छोटा सा फारम ददया जाएगा उस भरना िोगा और अगरजी म भरना िोगा तब

यि कि कर इकार निी कर सकोग दक तमि अगरजी निी आती शजतनी भी आती ि उसी म भरना िोगा

पर कयो

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो

मन िसताकषर कर ददए

अपनी ओर स दकसी स भी कोई परशन अगरजी म निी करोग

कयो

कयोदक उनम स दकसी को भी अगरजी निी आती

तो दफर यि सब

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो और शिनदी म निी अगरजी म मन िसताकषर कर ददय

15 57 2018 6

जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

15 57 2018 8

की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

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भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 5: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 3

नव सवतसर आ गया

मनोज कमार िकल lsquolsquoमनोजrsquorsquo

नव सवतसर आ गया खशिया छाई दवार

गल शमल रि लोग सब द बधाई उपिार

बरहमा की इस सशषट की गणना हयी आरमभ

सवतसर की यि परिा सतयग स परारमभ

चतर िकल परशतपदा को आता ि नव वषम

धरा परकशत मौसम िवा मन को करता िषम

नवमी म जनम परभ अवध परी क राम

रामराजय स बन गय आदिो क धाम

राज शतलक उनका हआ नव राशतर िभ ददन

नगर अयोधया भी सजा िरशषत िर पल शछन

नव राशतर आराधना मात िशकत का धयान

टरदधी-शसदधी म सब जट माग जग कलयान

सयमवि क राजय म रोिन हआ जिान

चकरवती राजा बन शवकरमाददतय मिान

सवणम काल का यग रिा जन जन क सरताज

शवकरम समवत नाम स गणना का आगाज

बल बशदध चातयम म चरचमत ि समराट

िक हणो औ यवन स रशकषत िा यि राषटर

आज ददवस गशड़ पाड़वा चटी चड तयोिार

मा दवी की अचमना वदन औ फलािार

15 57 2018 4

िताबदी एकसपरस का टटकट

पदमशरी डॉ नरनर कोिली

लखनऊ िताबदी म लखनऊ तक क शलए एक टटकट मन शखड़की बाब स किा

फारम भरो उसन आदि ददया

फामम भर कर आपक सामन रखा ि मन किा अपना शसर उठाइए उसपर कपादशषट डाशलए

उसन वि फामम उठा कर मरी ओर फ क ददया अगरजी म भरो यि ऐडा बडा शलखा हआ कौन पढ़गा

यिा झमरीतलया समझ रखा ि यि ददलली ि कशपटल ऑफ इशनडया

यि ऐडा बडा निी ि मन किा यि शिनदी ि भारत की राषटर भाषा

तो इस राषटर भाषा शवभाग म ल जाओ वि बोला िम तो रलव क आदमी ि अगरजी म काम करत ि

जो सार ससार की मातभाषा ि

गाड़ी ददलली स चलगी मन पछा

शबलकल ददलली स चलगी िोनोलल स तो चलन स रिी वि बोला

तो ददलली शिनदी परदि ि मन अपना सवर ऊचा कर शलया

नकि म ि जरा बािर शनकल कर दखो बाज़ार म एक भी बोडम शिनदी म ि पखाना उठान की भी

शलखत-पढ़त अगरजी म िोती ि यिा वि बोला पयार भाई सपनो स जागो यिािम स आख शमलाओ

पता निी ददलली अगरजो क हदय म बसती ि या निी पर ददलली क हदय म अगरजी बसती ि बड़-बड़

स लकर दवार-दवार भटकन वाला साधारण सलसमन तक अगरजी िी बोलता ि कोई भला आदमी मि

खोलता ि तो उसम स अगरजी िी झराझर बरसती ि

मन चपचाप अगरजी म फामम भर ददया यि लो

उसन तब भी मझ टटकट निी ददया एक फामम और आग सरका ददया ज़रा इस पर भी अपन

ऑटोगराफ दीशजए

यि कया ि

पढ़-शलख िो पढ़ लो

निी म पढ़ा शलखा निी ह म बोला तम िी बताओ

वि तो म पिल िी समझ गया िा अनपढ़ िो तभी तो शिनदी-शिनदी कर रि िो वि बोला अब

जरा धयान स सनो इस गाड़ी म सारी घोषणाए अगरजी म िोगी इस कागज पर शलखा ि दक तब तम

कोई आपशतत निी करोग

शिनदी म कोई घोषणा निी िोगी

िोगी पर वि तमि समझ म निी आएगी

कयो मरी मातभाषा शिनदी ि म शिनदी पढ़ा शलखा ह और शिनदी म काम करता ह मन किा

इसशलए दक घोषणा करन वालो का साउड बॉकस शवदिी ि वि बोला तो निी करोग न आपशतत

निी करगा

करो साइन

15 57 2018 5

मन िसताकषर कर ददए

अखबार अगरजी का शमलगा वि बोला तम शिनदी का अखबार निी मागोग

िोना तो यि चाशिए दक सबको शिनदी का समाचार पतर ददया जाए मन किा कोई शविष आगरि

कर तो उस अगरजी का द ददया जाए सब पर अगरजी कयो िोप रि िो

टटकट लना ि या निी लखनऊ जाना ि या निी

लना ि लना ि मन घबराकर किा

तो साइन करो

दकया मन िसताकषर कर ददए

बरा अगरजी बोलगा उसन किा तमि बाबजी निी सर बोलगा राम-राम निी करगा गलत

उिारण म गड मारनिग किगा नाशत को बरकफासट किा जाएगा खान को लच पानी को वाटर

शबसतर को बड बोलो आपशतत तो निी करोग

पर ऐसा कयो िोगा

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो सवाल जवाब मत करो

दकया

सटिनो और दसरी चीजो क शवषय म जो सचनाओ की पटटी आएगी वि अगरजी म आएगी शिनदी की

पटटी की माग निी करोग

कयो निी करगा यि भारत िअमरीका निी

तो बलगाड़ी या टमटम स लखनऊ चल जाओ वि बोला िताबदी एकसपरस का टटकट निी शमलगा

मन िसताकषर कर ददए

यातरा क अत म एक छोटा सा फारम ददया जाएगा उस भरना िोगा और अगरजी म भरना िोगा तब

यि कि कर इकार निी कर सकोग दक तमि अगरजी निी आती शजतनी भी आती ि उसी म भरना िोगा

पर कयो

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो

मन िसताकषर कर ददए

अपनी ओर स दकसी स भी कोई परशन अगरजी म निी करोग

कयो

कयोदक उनम स दकसी को भी अगरजी निी आती

तो दफर यि सब

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो और शिनदी म निी अगरजी म मन िसताकषर कर ददय

15 57 2018 6

जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

15 57 2018 8

की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

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शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

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िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

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लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

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लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 6: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 4

िताबदी एकसपरस का टटकट

पदमशरी डॉ नरनर कोिली

लखनऊ िताबदी म लखनऊ तक क शलए एक टटकट मन शखड़की बाब स किा

फारम भरो उसन आदि ददया

फामम भर कर आपक सामन रखा ि मन किा अपना शसर उठाइए उसपर कपादशषट डाशलए

उसन वि फामम उठा कर मरी ओर फ क ददया अगरजी म भरो यि ऐडा बडा शलखा हआ कौन पढ़गा

यिा झमरीतलया समझ रखा ि यि ददलली ि कशपटल ऑफ इशनडया

यि ऐडा बडा निी ि मन किा यि शिनदी ि भारत की राषटर भाषा

तो इस राषटर भाषा शवभाग म ल जाओ वि बोला िम तो रलव क आदमी ि अगरजी म काम करत ि

जो सार ससार की मातभाषा ि

गाड़ी ददलली स चलगी मन पछा

शबलकल ददलली स चलगी िोनोलल स तो चलन स रिी वि बोला

तो ददलली शिनदी परदि ि मन अपना सवर ऊचा कर शलया

नकि म ि जरा बािर शनकल कर दखो बाज़ार म एक भी बोडम शिनदी म ि पखाना उठान की भी

शलखत-पढ़त अगरजी म िोती ि यिा वि बोला पयार भाई सपनो स जागो यिािम स आख शमलाओ

पता निी ददलली अगरजो क हदय म बसती ि या निी पर ददलली क हदय म अगरजी बसती ि बड़-बड़

स लकर दवार-दवार भटकन वाला साधारण सलसमन तक अगरजी िी बोलता ि कोई भला आदमी मि

खोलता ि तो उसम स अगरजी िी झराझर बरसती ि

मन चपचाप अगरजी म फामम भर ददया यि लो

उसन तब भी मझ टटकट निी ददया एक फामम और आग सरका ददया ज़रा इस पर भी अपन

ऑटोगराफ दीशजए

यि कया ि

पढ़-शलख िो पढ़ लो

निी म पढ़ा शलखा निी ह म बोला तम िी बताओ

वि तो म पिल िी समझ गया िा अनपढ़ िो तभी तो शिनदी-शिनदी कर रि िो वि बोला अब

जरा धयान स सनो इस गाड़ी म सारी घोषणाए अगरजी म िोगी इस कागज पर शलखा ि दक तब तम

कोई आपशतत निी करोग

शिनदी म कोई घोषणा निी िोगी

िोगी पर वि तमि समझ म निी आएगी

कयो मरी मातभाषा शिनदी ि म शिनदी पढ़ा शलखा ह और शिनदी म काम करता ह मन किा

इसशलए दक घोषणा करन वालो का साउड बॉकस शवदिी ि वि बोला तो निी करोग न आपशतत

निी करगा

करो साइन

15 57 2018 5

मन िसताकषर कर ददए

अखबार अगरजी का शमलगा वि बोला तम शिनदी का अखबार निी मागोग

िोना तो यि चाशिए दक सबको शिनदी का समाचार पतर ददया जाए मन किा कोई शविष आगरि

कर तो उस अगरजी का द ददया जाए सब पर अगरजी कयो िोप रि िो

टटकट लना ि या निी लखनऊ जाना ि या निी

लना ि लना ि मन घबराकर किा

तो साइन करो

दकया मन िसताकषर कर ददए

बरा अगरजी बोलगा उसन किा तमि बाबजी निी सर बोलगा राम-राम निी करगा गलत

उिारण म गड मारनिग किगा नाशत को बरकफासट किा जाएगा खान को लच पानी को वाटर

शबसतर को बड बोलो आपशतत तो निी करोग

पर ऐसा कयो िोगा

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो सवाल जवाब मत करो

दकया

सटिनो और दसरी चीजो क शवषय म जो सचनाओ की पटटी आएगी वि अगरजी म आएगी शिनदी की

पटटी की माग निी करोग

कयो निी करगा यि भारत िअमरीका निी

तो बलगाड़ी या टमटम स लखनऊ चल जाओ वि बोला िताबदी एकसपरस का टटकट निी शमलगा

मन िसताकषर कर ददए

यातरा क अत म एक छोटा सा फारम ददया जाएगा उस भरना िोगा और अगरजी म भरना िोगा तब

यि कि कर इकार निी कर सकोग दक तमि अगरजी निी आती शजतनी भी आती ि उसी म भरना िोगा

पर कयो

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो

मन िसताकषर कर ददए

अपनी ओर स दकसी स भी कोई परशन अगरजी म निी करोग

कयो

कयोदक उनम स दकसी को भी अगरजी निी आती

तो दफर यि सब

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो और शिनदी म निी अगरजी म मन िसताकषर कर ददय

15 57 2018 6

जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

15 57 2018 8

की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 7: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 5

मन िसताकषर कर ददए

अखबार अगरजी का शमलगा वि बोला तम शिनदी का अखबार निी मागोग

िोना तो यि चाशिए दक सबको शिनदी का समाचार पतर ददया जाए मन किा कोई शविष आगरि

कर तो उस अगरजी का द ददया जाए सब पर अगरजी कयो िोप रि िो

टटकट लना ि या निी लखनऊ जाना ि या निी

लना ि लना ि मन घबराकर किा

तो साइन करो

दकया मन िसताकषर कर ददए

बरा अगरजी बोलगा उसन किा तमि बाबजी निी सर बोलगा राम-राम निी करगा गलत

उिारण म गड मारनिग किगा नाशत को बरकफासट किा जाएगा खान को लच पानी को वाटर

शबसतर को बड बोलो आपशतत तो निी करोग

पर ऐसा कयो िोगा

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो सवाल जवाब मत करो

दकया

सटिनो और दसरी चीजो क शवषय म जो सचनाओ की पटटी आएगी वि अगरजी म आएगी शिनदी की

पटटी की माग निी करोग

कयो निी करगा यि भारत िअमरीका निी

तो बलगाड़ी या टमटम स लखनऊ चल जाओ वि बोला िताबदी एकसपरस का टटकट निी शमलगा

मन िसताकषर कर ददए

यातरा क अत म एक छोटा सा फारम ददया जाएगा उस भरना िोगा और अगरजी म भरना िोगा तब

यि कि कर इकार निी कर सकोग दक तमि अगरजी निी आती शजतनी भी आती ि उसी म भरना िोगा

पर कयो

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो

मन िसताकषर कर ददए

अपनी ओर स दकसी स भी कोई परशन अगरजी म निी करोग

कयो

कयोदक उनम स दकसी को भी अगरजी निी आती

तो दफर यि सब

टटकट चाशिए या निी

चाशिए

तो साइन करो और शिनदी म निी अगरजी म मन िसताकषर कर ददय

15 57 2018 6

जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

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की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 8: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 6

जब इराद िो अटल स

छाया िकला छाया

िाम की िोगी शवदाई दखना

और तारो की सगाई दखना

जब इराद िो अटल स आपक

कद स िोगी टरिाई दखना

धप आधी और अधरी चादनी

शजनदगी दफर भी िसाई दखना

शखलशखलायग उसी म िम शपरय

तमस वादा ि भलाई दखना

उड़ गई शचशड़या िमार खत की

सि न पायग जदाई दखना

चाद तार भी शमल मझको बहत

कयो हई सबकी शवदाई दखना

िा अनोखा खल ldquoछायाrdquo क शलए

धप स जो की लड़ाई दखना

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

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की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

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शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

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परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

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अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

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िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

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लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

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लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 9: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 7

मदन मिीपज को बालक बसत

डॉ नामवर ससि

शलखन बठा दक दव क कशवतत की यि आशखरी कड़ी दफर सनाई पड़ी न जान क या िो गया ि

मर पड़ोसी शमतर को आज भोर की उनीदी शरशत म भी व यिी कशवतत उड़ल रि ि और ज यो िी व

कोदकल िलाव हलसाव करतारी द गा रि ि दक काकभिशडजी क मानस पाठ स मरी नीद खल गयी

उठकर दखता क या ह दक सामन नीम की काली करप नगी डाल पर स वर की साकषात श याममरतम बठी ि

- गोया उसी म स उगी िो उठकर िरीर सो गया लदकन ददल बठा िी रिा मन लाख समझाया दक

मिाराज म गरड़ निी लदकन उन ि तो परवचन शपलाना िा मन कभी-कभी अपन को िी छलन लगता

ि और कछ कट अनभशत क कषणो म तो पराय इन अधरो स कोई न कोई सरस गीत शनकल जाया करता

ि सो उस समय भी रतील अधरो स गीत की लिर उठी -

सरस बसन त समय भल पाओल दशखन पवन बि धीर

गीत मन स ऐस उठा गोया अपना िी िो - और िरीर भी कट यिािम को भलाकर व यिम दशखन

पवन क शलए अगड़ा उठा लदकन परकशत क मजाक को क या कह पवी शखड़की स दनादन धल-भर दो-

तीन झोक आ लग शसर उठाकर बािर दखा तो पगली परवया न अधर मचा रखी ि यिी निी गउओ

क ताज गोबर की भीनी-भीनी गध भी कछ कम परिान निी कर रिी ि परत यि बसन त तो ि िी

िोली अभी कल िी बीती ि और िमार एक वचन शमतर का जो बह वचन कठ फट या फट चला ि वि

कछ यो िी निी

कछ घट बाद इस बार दफर विी कशवतत सनाई पड़ा तो वि ददम उठा दक मस करा ददया ददम

इसशलए दक सामन जिा तक दशषट जाती ि बसन त की दो छशव ददखाई पड़ रिी ि एक िी चौखट म एक

ओर कछ और ि और दसरी ओर कछ और एक ओर तो मदन मिीपज क दलार बालक का शचतर ि और

दसरी ओर पता निी दकस नाम-िीन रप-िीन व यशकत का शििरप कानन चारी कशव लोग राजा क

लड़क की बलया ल रि ि और य सकोची आख टकर-टकर दख रिी ि रखा-रखा-सा रतीला परकाि

और उस परकाि म शिलती हई शबिारी की नाशयका को धीरज बधान वाली िरी-िरी अरिर वतो पर

बठ हए शततलीनमा सिसरो पील-पील फल शजन ि दखकर ऐसा लग रिा ि दक जरा-सी आिट पान पर

फरम स उड़ जायग उसक बगल म िी टठगन-टठगन चन शजनकी बद अशकषकोष सी ठोठी पकार-पकारकर

कि रिी ि - मो आशखयान को लोनी गयी लगी और उन िी क बीच-बीच म दबली-पतली इकिरी

छरिरी तीसी शजसकी अधखली आखो म फल दफरन वाल घनश याम अब िाशलगराम की बटटया बनन

जा रि ि इनस कछ िी दर पर बची-खची रसगाठी नागबशल की सरशभ-चवर सी कास झाशड़या गोया

धरती स बादल उग रि िो ऐसी िी रग-शबरगी शचशततयो का िाशिया बनान वाला - गह जौ का वि

आशकषशतज रोमाशचत पीलापन किा स उपमा लाऊ इन सबक शलए परान कशव तो इन ि कवल खान

की चीज समझत ि शलखन योग य तो कछ फल ि बरज माधरी म पग जीवो की रचनाओ को दखकर

लगता ि दक उस समय धरती पर चारो ओर गलाब चमली चम पा कमल आदद िी बोय जात ि -

अनाज किी-किी या निी िायद लोग सगशधत िवा पीकर जीत ि रि आज क बासन ती कशव - व

दाना खोजत ि पौध निी

खतो स उठकर आख अनायास िी उस गझोर बसवारी की ओर उड़ी जा रिी ि शजसकी

तोतापखी पशततया बहत कछ पीली िो चली ि और िवा की िल की-सी शिलोर उठत िी सदर शिमपात

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की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 10: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 8

की तरि अतटरकष स बरस पड़ती ि उसी स सटी ि वि सखती गड़िी शजसका पदकल जल नील आकाि

स िोड़ ल रिा ि न उनम कलम न कमद रिी िोगी परान कशवयो क आगन-आगन म बावली

बावली-बावली म कमल कमल-कमल म भौर और भौर भौर म गजार यिा तो उस गड़िी म रक की

फटी चादर सी काई ि और भौरो क नाम पर आ गय ि कछ अध िडड शजनकी कपा स फल सरीख बच च

ददन म एक दो बार जरर रो दत ि अगर गड़िी खाली ि तो वि लखराव िी कौन सजा-सजाया ि

काव य कल पनाओ स भरा हआ मन िी उदास िो जाता ि उस दख कर पचवाण का तरकस िी खाली

सबस पिल अिोक िी नदारद अच छा ि अन यिा उस शखलान म भी फजीित उस पर पद परिार करन

क शलए इस गाव का कौन आदमी अपनी बह-बटी को पड़ पर चढ़न दता और इस मिगी म नपर

गढ़वाना पड़ता सो अलग करणमकार यदद अमलतास िी ि तो वि ि जरर लदकन शसर स पर तक नग-

धड़ग अपणम शरी िाल पता निी काशलदास न कस बसन त म िी इसक फल दख शलय ि अच छा ि

आजकल गरीष म म जो शखलता ि लदकन शबना दकसी सदरी का नाच दख िी करबक सािब का न िोना

बहत अच छा ि कौन काशमनी उनका आसलगन करक अपन पशत का कोपभाजन बनती सबस अच छा ि

बकल का न िोना मशशकल स शमली ठराम और उसका भी कल ला कर तो जनाब क िोठो पर िसी आय

और न जान कमबख त कौन-कौन फल ि जो परान कशवयो क सामन िाि जोड़ रित ि और तराम यि ि

दक उनम स नब ब फीसदी बसत म िी शखलत ि अब व सब किा रि िमार गाव िी म दकतना

पटरवतमन िो गया परशसया का टीला कल पना की आखो म साफ आ रिा ि शजसका अब कवल नाम

िी िष ि अभी िमार िोि म विा पलािो का वन िा - उन पलािो क आध सलग आध अनसलग

कोयल स फल बसाख म लिक उठत ि अब वि जमीदार का खत िो गया शजसम बीज तो पड़त ि

परत भीतर जमन वाली बरौशनयो की तरि िायद उसक पौध धरती म नीच की ओर उगत ि

नागफनी का वि जगल भी किा रिा शजसक पील फलो को बचपन म िम सनई म खोसकर नचात ि

तिा लाल फलो को फोड़कर गाफ खलत ि या स यािी क रप म परयोग कर मिी जी की छड़ी खात ि

तशि नो ददवसा गत

आज भी इस लखराव म बौराय आमो क घवर-घवर ददखाई पड़ रि ि कछ तो पील स झावर

िो चल ि और उनस सरसई भी लग रिी ि लदकन उनम दकलकारती हई िाखामगो की टोशलया

अभी अभी िवा शवरप िसी क साि गनगना कर चली गयी - शविरशत िटर टरि सरस बसन त महआ

अभी कचा ल रिा ि उसकी आखो क सावर कोनो म बड़-बड़ उजल आस की बद रकी ि या पता निी

सख गयी ि गोया परकशत क चिर पर बसन त का कोई शचहन निी

इतनी दरी तक उड़त रिन क बाद मन लौट कर आ गया ि टबल पर पड़ रगीन अखबार क

ऊपर अभी िोली स एक ददन पिल इन कागजी अश वो और अशशवनीकमारो स ििर की सड़क िी निी

गली-कच भी भर गय - जस दफा १४४ लगन पर ििर की सड़क शसपाशियो क मश की घोड़ो स रग

उठती ि दखत-दखत इन कागजी घोड़ो क खरो स ऐसी लाल गदम छा गयी दक आकाि ढक गया

आकाि बदल कर बना मिी दशनया न दखा दक खन क कई रग िोत ि या बना ददय जात ि य सभी

रग बदलकर ििर की रगो म दौड़ रि ि लदकन यिा तो -

रगो म दौड़न दफरन क िम निी कायल जो आख िी स न टपका वो दफर लह क या ि

ससार म िल ला मच गया दक बसत आ गया और जो धीर स दकसी पशतरका को रोक कर पशछए

दक ऋत बसत का आना रशगणी तन कस पिचाना तो िायद व यशतषजाशत पदािामनातर कोsशप ित

क शसवा उसक पास कोई दसरा उततर न शमल क योदक गला पकड़ जान पर बड़ लो ग दकसी

अशनवमचनीय आतटरक कारण का िी सिारा लत ि शजसम बिस की गजाइि न रि मालम िोता ि

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शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

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एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

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िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 11: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 9

शवश वस त सतर स इन िी को सब बात मालम िोती ि पिल दफर परकशत स इनका आतटरक सबध न रि

तो दकसका रि य जनमत क निी परकशतमत क भी तो वािन ि - मौसमी खबर जो छपती ि नोटो की

आखो न शकषशतज क पार ऋतराज का स वणमरि दख शलया तो क या आश चयम इसी धात की आखो स

मददरो की मरतमया भी आगमजानी बनी बठी ि

लदकन शजनक पास चादी की आख निी ि उन कशवयो को इस पतझर म भी बसत कस ददखाई

पड़ रिा ि सनता ह खरबज को दखकर खरबजा रग बदलता ि - यो उस आख निी िोती परत

आदमी क तो आख िोती ि और व भी कभी-कभी दो का पिाड़ा पढ़न लगती ि इसशलए दखा-दखी

मनष य बसत क परभाव स उन मतत िो उठा तो क या गनाि कशव गोशषठयो और सगीत सशमशतयो म तो

ऐसा रोज िी िोता ि दो-एक बड़-बड़ शसरो को शिलत दख कछ और भी शसर जो शिला करत ि तो

क या कोई किगा दक मिीन डोरा बधा ि डोर म किा ताकत जो सभाल वसी झकझोर दर स समझन

वालो क शसर दर तक और बहत जोर स शिलत ि - नय मल ल की बाग की तरि तो सभाओ म खासी

और ताली िी निी समझदारी और सहदयता भी सकरामक िोती ि मन समझा िा दक नीर-कषीर

शववक और कमल-कमद शवकास जसी अनक कशव-परशसशदधयो क सकरामक भक त कशव अब निी रि

लदकन अभी-अभी सामन आया बसन त िीषमक कशवता म शजन दख अनदख धराऊ फलो की फिटरस त

शगनायी गयी ि उन ि पढ़त हए बार-बार खटक रिा ि दक बसत क पिल दकसी भल पद का लोप तो

निी िो गया ि या सपादक जी न शिष टतावि सधार तो निी ददया ि

कशव-मडली िी निी दसर समाजो म भी यिी सकरामकता फली हई ि अभी-अभी िोली क

एक ददन पिल एक सात वषम क ििरी छोकर न मझ पर जो शपचकारी चला दी वि मरी समसत

नीरसता को चनौती िी उसकी उछल-कद की तो बात छोशड़ए - मादक कबीरा ऐसा गा रिा िा दक

सौ-सौ जवान मात उस कौन सा उददीपन ि शसवा इसक दक उसक मा-बाप या मास टर न कि ददया

िोगा दक कल िोली ि छोटा-सा छोकरा या तो क िी गडडी उड़ाता या खा-पीकर सोया िोता लदकन

िोली का नाम सनत िी परसो उछल पड़ा खर वि तो लड़का ि बड़-बड़ो को बताया न जाय तो

उन माद न आय पतरा न किा आज िोली ि और शबना निा का निा सादा िबमत शपला कर कि ददया

दक शवजया िी - जनाब झमन लग पड़-पतत उदास ि और लोग कपड़ो क फल लगा कर फल दफर रि

ि परकशत स दर-दर अब तो पतरा िी शतशि पाइय आि आददम बसन त की वि वन य परकशत आददम

यवक और यवती क हदयो म वि रगीन सगध सलग उठी िोगी न पतरा न कलडर और न ऋतओ का

भरवी चकर शरमशसक त रोमाशचत बािो का वि उददाम पािशवक आसलगन िम पतरा दखकर दिरा रि

ि पट म डड पलत चि जबा पर लफज प यारा पशडत जी को कान िी निी शसदधा भी दत ि

काि म भी इस िसी क साि दात शचआर पाता लदकन इस हदय की कछ गािा िी ऐसी रिी

ि बचपन म ओझाई सीखन गया साि म एक शमतर भी ि घट-भर अजशलबदध िाि फलान क बाद

कष ट स काप तो उठा परत दवागम का दसरा कोई अनभाव िरीर पर न ददखाई पड़ा शमतर ओझा बन

गय - यो व ससि ि जिा बठकर शलख रिा ह विा स एक रईस क उदयान क कचनार आदद कछ फल

ददख रि ि चाह तो उन ि शगना सकता ह लदकन लगता ि दक व अपन निी ि बसत पर शलखत समय

लोगो की आखो म फल तर रि ि और इन आखो म फल स मनष य क ऊपर लटकती हई नगी तलवार

की छाि अखबारो म िल ला िो गया दक बसन त आ गया उन िी म तो यि भी िल ला ि दक स वराज य िो

गया रोज अखबारो की िडलाइन चीख रिी ि म सन रिा ह दक दोनो स वर एक िी गल स शनकल रि

ि लदकन यिा न तन और हआ न मन और न बन यिा तो डार-डार डोलत अगारन क पज ि इन

आखो क सामन बसन त का मौशलक रप ि और लोग ददखा रि ि रगीन शचतर

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

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िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

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लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

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लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 12: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 10

परत यि भी दख रिा ह दक मदन मिीप क लाड़ल क पील-पील स वरणमम आभषण धल म झड़

रि ि और उसी धल स परत यगर पष प की लाली-सा बसत का अगरदत उठ रिा ि जो अब तक पाश वमछशव

समझा जाता िा

िोली

ददनि कमार

िोली तयौिार ि आनद का आनद मौज मनाओ तम

ख़िी शछपी ि रगो म भी खोज अगर उस पाओ तम

िोली तयौिार ि उतसाि का उतसाि जीवन म लाओ तम

रगो स रगीन िोकर गीत ख़िी क गाओ तम

िोली तयौिार ि परम का परम तो करक दखो तम

परम कप ि अमत का परम म शगरकर दखो तम

िोली तयौिार ि दोसती का कई दोसत नय बनाओ तम

ईषयाम दवष सब तयाग दशमन को भी गल लगाओ तम

िोली तयौिार ि नतमन का खशियो स तम नाच उठो

नफरत बहत ि फली परम शवसतार को आज उठो

िोली क रग अनोख िर रग म रग जाओ तम

खशिया शमल िोली म इतनी खशियो म रम जाओ तम

कलि म पड़कर ना खद पर ग़ाज शगराओ तम

आननद उतसाि और परम स िोली यार मनाओ तम

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अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

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िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

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लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 13: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 11

अपत नी

ममता काशलया

िम लोग अपन जत समर तट पर िी मल कर चक ि जिा ऊची-ऊची सखी रत िी उसम

चल ि और अब िरीि क जतो की पॉशलि व मर पजो पर लगी कयटकस धधली िो गयी िी मरी

साड़ी की परत भी इधर-उधर िो गयी िी मन िरीि स किा उन लोगो क घर दफर कभी चलग

िम कि चक ि लदकन

मन आज भी विी साड़ी पिनी हई ि मन बिाना बनाया वस बात सच िी ऐसा शसफम

लापरवािी स हआ िा और भी कई साशड़या कलफ लगी रखी िी पर म पता निी कस यिी साड़ी

पिन आई िी

तमिार किन स पिल म यि समझ गया िा िटर न किा उस िर बात का पिल स िी भान

िो जाता िा इसस बात आग बढ़ान का कोई मौका निी रिता दफर िम लोग चप-चप चलत रि

इधर-उधर क लोगो व समर को दखत हए जब िम घर म िोत बहत बात करत और बदफकरी स लट-

लट टाशजसटर सनत पर पता निी कयो बािर आत िी िम नवमस िो जात िटर बार-बार अपनी जब म

झाक कर दख लता दक पस अपनी जगि पर ि दक निी और म बार-बार याद करती रिती दक मन

आलमारी म ठीक स ताला लगाया दक निी

िवा िमस शवपरीत बि रिी िी िरीि न किा तमिारी चपपल दकतनी गनदी लग रिी ि तम

इनि धोती कयो निी

कोई बात निी म इनि साड़ी म शछपा लगी मन किा

िम उन लोगो क घर क सामन आ गय ि िमन शसर उठा कर दखा उनक घर म रोिनी िी

उनि िमारा आना याद ि

उनि दरवाजा खोलन म पाच शमनट लग िमिा की तरि दरवाजा परबोध न खोला लीला

लटी हई िी उसन उठन की कोई कोशिि न करत हए किा मझ िवा तीखी लग रिी िी उसन मझ

भी साि लटन क शलय आमशतरत दकया मन किा मरा मन निी ि उसन शबसतर स मरी ओर

दफलमफयर फ का मन लोक शलया

िटर आख घमा-घमा कर अपन परान कमर को दख रिा िा विा यिा बहत ददनो बाद आया

िा मन आन िी निी ददया िा जब भी उसन यिा आना चािा िा मन शबयर मगवा दी िी और शबयर

की ितम पर म उस दकसी भी बात स रोक सकती िी मझ लगता िा दक िटर इन लोगो स जयादा शमला

तो शबगड ज़ायगा िादी स पिल वि यिी रिता िा परबोध न िादी क बाद िमस किा िा दक िम सब

साि रि सकत ि एक पलग पर व और एक पर िम सो जाया करग पर म घबरा गई िी एक िी

कमर म ऐस रिना मझ मजर निी िा चाि उसस िमार खचम म काफी फकम पडता म तो दसरो की

उपशसिशत म पाव भी ऊपर समट कर निी बठ सकती िी म न िटर स किा िा म जलदी नौकरी ढढ

लगी वि अलग मकान की तलाि कर

परबोध न बताया उसन बािरम म गीज़र लगवाया ि िरीि न मरी तरफ उतसाि स दखा

चलो दख

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

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लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 14: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 12

िम लोग परबोध क पीछ पीछ बािरम म चल गय उसन खोलकर बताया दफर उसन वि पग

ददखाया जिा तौशलया शसफम खोस दन स िी लटक जाता िा िटर बिो की तरि खि िो गया

जब िम लौट कर आय लीला उठ चकी िी और बलाउज क बटन लगा रिी िी जलदी जलदी म हक

अनदर निी जा रि ि म न अपन पीछ आत िटर और परबोध को रोक ददया बटन लगा कर लीला न

किा आन दो साड़ी तो म उनक सामन भी पिन सकती ह

व अनदर आ गय

परबोध बता रिा िा उसन नए दो सट शसलवाय ि और मखमल का दिलट खरीदा ि जो लीला

न अभी शनकालन निी ददया ि लीला को िीि क सामन इतन इतमीनान स साड़ी बाधत दख कर मझ

बरा लग रिा िा और िटर िा दक परबोध की नई माशचस की शडशबया भी दखना चािता िा वि

दखता और खि िो जाता जस परबोध न यि सब उस भट म द ददया िो

लीला िमार सामन करसी पर बठ गई वि िमिा पर चौड़ करक बठती िी िालादक उसक

एक भी बिा निी हआ िा उसक चिर की बदफकरी मझ नापसद िी उस बदफकर िोन का कोई िक निी

िा अभी तो पिली पतनी स परबोध को तलाक भी निी शमला िा और दफर परबोध को दसरी िादी की

कोई जलदी भी निी िी मरी समझ म लड़की को शचशनतत िोन क शलय यि पयामपत कारण िा

उस घर म कोई ददलचसपी निी िी उसन कभी अपन यिा आन वालो स यि निी पछा दक व

लोग कया पीना चािग वि तो बस सोफ पर पाव चौड़ कर बठ जाती िी

िर बार परबोध िी रसोई म जाकर नौकर को शिदायत दता िा इसशलय बहत बार जब िम

चाय की आिा करत िोत ि िमार आग अचानक लमन सिि आ जाता िा नौकर सिि अचछा बनान

की गजम स कम पानी ज़यादा शसरप डाल लाता िा म इसशलय सिि खतम करत िी मि म शजनतान की

एक गोली डाल लती िी

परबोध न मझस पछा किी एपलाय कर रखा ि

निी मन किा

ऐस तमि कभी नौकरी निी शमलनी तम भवन वालो का शडपलोमा ल लो और लीला की तरि

काम िर करो

म चप रिी आग पढन का मरा कोई इरादा निी िा बशलक म न तो बीए भी रो-रोकर दकया

ि नौकरी करना मझ पसनद निी िा वि तो म िटर को खि करन क शलय कि दती िी दक उसक

दफतर जात िी म रोज आवशयकता ि कॉलम धयान स पढ़ती ह और नौकरी करना मझ शिसलग

लगगा

दफर जो काम लीला करती िी उसक बार म मझ िबिा िा उसन कभी अपन मि स निी

बताया दक वि कया करती िी िटर क अनसार ज़यादा बोलना उसकी आदत निी िी पर म न आज

तक दकसी वरकि ग गलम को इतना चप निी दखा िा

परबोध न मझ करद ददया िा मन भी करदन की गजम स किा सट कया िादी क शलय शसलवाय ि

परबोध शबना झप बोला िादी म जरीदार अचकन पिनगा और सन एणड सणड म दावत दगा

शजसम सभी दफलमी िशसतया और ििर क वयवसायी आयग लीला उस ददन इमपोटड शवग लगायगी

और रबीज़ पिनगी

लीला शवग लगा कर चौडी टाग करक बठगी - यि सोच कर मझ िसी आ गई मन किा

िादी तम लोग कया टरटायरमनट क बाद करोग कया

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 15: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 13

लीला अब तक ससत िो चकी िी मझ खिी हई जब िम लोग आय ि उस डनलप क शबसतर

म दबक दख मझ ईषयाम हई िी इतनी साधारण लडकी को परबोध न बाध रखा िा यि दख कर आशचयम

िोता िा उसकी साधारणता की बात म अकसर िटर स करती िी िटर किता िा दक लीला परबोध स

भी अचछा आदमी शडजवम करती िी दफर िमारी लड़ाई िो जाया करती िी मझ परबोध स कछ लना

दना निी िा िायद अपन शनतानत अकल और ऊब कषणो म भी म परबोध को ढील न दती पर दफर भी

मझ शचढ िोती िी दक उसकी पसनद इतनी सामानय ि

परबोध न मरी ओर धयान स दखा तम लोग सावधान रित िो न अब

मझ सवाल अखरा एक बार परबोध क डाकटर स मदद लन स िी उस यि िक मिसस िो म

यि निी चािती िी और िरीि िा दक उसकी बात का शवरोध करता िी निी िा

परबोध न किा आजकल उस डॉकटर न रट बढा ददय ि शपछल िफत िम डढ िजार दना पड़ा

लीला न सकचाकर एक शमनट क शलय घटन आपस म जोड़ शलय

कसी अजीब बात ि मिीनो सावधान रिो और एक ददन क आलस स डढ़ िज़ार रपय शनकल

जाय परबोध बोला

िटर मसकरा ददया उसन लीला स किा आप लटटय आपको कमजोरी मिसस िो रिी िोगी

निी लीला न शसर शिलाया

मरा मड खराब िो गया एक तो परबोध का ऐसी बात िर करना िी बदतमीजी िी ऊपर स

इस सनदभम म िटर का लीला स सिानभशत ददखाना तो शबलकल नागवार िा िमारी बात और िी

िमारी िादी िो चकी िी बशलक जब िम जररत पड़ी िी तो मझ सबस पिल लीला का धयान आया

िा म न िटर स किा िा चलो लीला स पछ उस ऐस टठकान का जरर पता िोगा

लीला मरी तरफ दख रिी िी मन भी उसकी ओर दखत हए किा तम तो किती िी तमन

मगलसतर बनान का आडमर ददया ि

िा वि कबका आ गया ददखाऊ लीला आलमारी की तरफ बढ ग़ई

परबोध न किा िमन एक नया और आसान तरीका ढढा ि लीला जरा इनि वि पकट ददखाना

मझ अब गससा आ रिा िा परबोध दकतना अकखड़ ि - यि मझ पता िा इसीशलय िटर को म

इन लोगो स बचा कर रखना चािती िी

िटर शजजञासावि उसी ओर दख रिा ि जिा लीला आलमारी म पकट ढढ रिी ि

मन किा रिन दो मन दखा ि

परबोध न किा बस धयान दन की बात यि ि दक एक भी ददन भलना निी ि निी तो सारा

कोसम शडसटबम म तो िाम को जब नौकर चाय लकर आता ि तभी एक गोली ट म रख दता ह

लीला आलमारी स मगलसतर लकर वापस आ गई िी बोली - कभी दकसी दोसत क घर इनक

साि जाती ह तब पिन लती ह

म न किा रोज तो तम पिन भी निी सकती ना कोई मशशकल खडी िो सकती ि कछ ठिर

कर म न सिानभशत स पछा अब तो वि परबोध को निी शमलती

लीला न किा निी शमलती

उसन मगलसतर मज पर रख ददया

परबोध की पिली पतनी इसी समर स लगी सड़क क दसर मोड़ पर अपन चाचा क यिा रिती

िी िटर न मझ बताया िर-िर म जब वि परबोध क साि समर पर घमन जाता िा उसकी पिली

पतनी अपन चाचा क घर की बालकनी म खड़ी रिती िी और परबोध को दखत िी िोठ दातो म दबा

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 16: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 14

लती िी दफर बालकनी म िी दीवार स लगकर बािो म शसर शछपा कर रोन लगती िी जलदी िी उन

लोगो न उस तरफ जाना छोड़ ददया िा

परबोध न बात का आशखरी टकड़ा िायद सना िो कयोदक उसन िमारी तरफ दखत हए किा

गोली मारो मनहसो को इस समय िम दशनया क सबस ददलचसप शवषय पर बात कर रि ि कयो िटर

तमि यि तरीका पसनद आया

िटर न किा पर यि तो बहत भलककड़ ि इस तो रात को दात साफ करना तक याद निी रिता

म कछ आशवसत हई िटर न बातो को ओवन स शनकाल ददया िा म न खि िोकर किा पता

निी मरी याददाशत को िादी क बाद कया िो गया ि अगर य न िो तो मझ तो चपपल पिनना भी

भल जाय

िटर न अचकचा कर मर परो की तरफ दखा वाद क बावजद म पाव शछपाना भल गई िी

उठत हए मन परबोध स किा िम लोग बरटोली जा रि ि आज सपिल सिन ि तम चलोग

परबोध न लीला की तरफ दखा और किा निी अभी इस नाचन म तकलीफ िोगी

औरत पालन को कलजा चाशिय

िल चतवदी

एक ददन बात की बात म

बात बढ़ गई

िमारी घरवाली

िमस िी अड़ गई

िमन कछ निी किा

चपचाप सिा

किन लगी - आदमी िो

तो आदमी की तरि रिो

आख ददखात िो

कोइ अिसान निी करत

जो कमाकर शखलात िो

सभी शखलात ि

तमन आदमी निी दख

झल म झलात ि

दखत किी िो

और चलत किी िो

कई बार किा

इधर-उधर मत ताको

बढ़ाप की शखड़की स

जवानी को मत झाको

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

15 57 2018 36

शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 17: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 15

कोई मझ जसी शमल गई

तो सब भल जाओग

वस िी फल िो

और फल जाओग

चनदन लगान की उमर म

पाउडर लगात िो

भगवान जान

य कदद सा चिरा दकसको ददखात िो

कोई पछता ि तो कित िो-

तीस का ह

उस ददन एक लड़की स कि रि ि-

तम सोलि की िो

तो म बीस का ह

वो तो लड़की अनधी िी

आख वाली रिती

तो छाती का बाल नोच कर किती

ऊपर शख़ज़ाब और नीच सफदी

वाि र बीस क िल चतवदी

िमार डडी भी िादी-िदा ि

मगर कया मज़ाल

कभी िमारी मममी स भी

आख शमलाई िो

मममी िज़ार कि लती िी

कभी ज़बान शिलाई िो

कमाकर पाच सौ लात िो

और अकड़

दो िज़ार की ददखात िो

िमार डडी दो-दो िज़ार

एक बठक म िार जात ि

मगर दसर िी ददन चार िज़ार

न जान किा स मार लात ि

माना दक म मा ह

तम भी तो बाप िो

बिो क शज़ममदार

तम भी िाफ़ िो

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 18: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 16

अर आठ-आठ िो गए

तो मरी कया ग़लती

गिसिी की गाड़ी

एक पशिय स निी चलती

बिा रोए तो म मनाऊ

भख लग तो म शखलाऊ

और तो और

दध भी म शपलाऊ

माना दक तम निी शपला सकत

मगर शखला तो सकत िो

अर बोतल स िी सिी

दध तो शपला सकत िो

मगर यिा तो खद िी

मि स बोतल लगाए दफरत ि

अगरज़ी िराब का बता निी

दिी चढ़ाए दफरत ि

िमार डडी की बात और िी

बड़-बड़ कलबो म जात ि

पीत ि तो माल भी खात ि

तम भी चन फाकत िो

न जान कौन-सी पीत िो

रात भर खासत िो

मर पर का घाव

धोन कया बठ

नाखन तोड़ ददया

अभी तक ददम िोता ि

तम-सा भी कोई मदम िोता ि

जब भी बािर जात िो

कोई ना कोई चीज़ भल आत िो

न जान दकतन पन टॉचम

और चशम गमा चक िो

अब वो ज़माना निी रिा

जो चार आन क साग म

कनबा खा ल

दो रपय का साग तो

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 19: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 17

अकल तम खा जात िो

उस वकत कया टोक

जब िक-माद दफतर स आत िो

कोई तीर निी मारत

जो दफतर जात िो

रोज़ एक न एक बटन तोड़ लात िो

म बटन टाकत-टाकत

काज़ हई जा रिी ह

म िी जानती ह

दक कस शनभा रिी ह

किती ह पट ढील बनवाओ

तग पतलन सट निी करती

दकसी स भी पछ लो

झठ निी किती

इलशसटक डलवात िो

अर बलट कय निी लगात िो

दफर पट का झझट िी कयो पालो

धोती पिनो ना

जब चािो खोल लो

और जब चािो लगा लो

म किती ह तो बरा लगता ि

बढ़ िो चल

मगर ससार िरा लगता ि

अब तो अकल स काम लो

राम का नाम लो िमम निी आती

रात-रात भर

बािर झक मारत िो

औरत पालन को कलजा चाशिय

गिसिी चलाना खल निी

भजा चशिय

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 20: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 18

साशितय और समाज क टरशत

परो शगरीशवर शमशर

(कलपशत - मिात मा गाधी अतरराष टीय शिनदी शवश वशवदयालय)

शिकषा की भाषा दनददन कायो म परयोग की भाषा सरकारी काम-काज की भाषा क रप म

सिदी को उसका जायज गौरव ददलान क शलए अनक परबदध सिदी सवी और शितषी सचशतत ि और कई

तरि क परयास कर रि ि जनमत तयार कर रि ि समकालीन साशितय की यग-चतना पर नजर दौडाए

तो यिी ददखता ि दक समाज म वयापत शवशभनन शवसगशतयो पर परिार करन और शवरपताओ को उघारन

क शलए साशितय ततपर ि इस काम को आग बढान क शलए सतरी-शवमिम दशलत-शवमिम आददवासी

शवमिम जस अनक शवमिो क माधयम स िसतकषप दकया जा रिा ि इन सबम सामशजक नयाय की गिार

लगाई जा रिी ि तादक अवसरो की समानता और समता समानता क मलयो को सिाशपत दकया जा

सक आज दि क कई राजनशतक दल भी परकट रप स इसी तरि क मसौद क साि काम कर रि ि

आजाद भारत म lsquoसवततरताrsquo की जाच-पड़ताल की जा रिी ि साशितय क कषतर म पटरवतमनकामी और

जीवत रचनाकार यिािम पीड़ा परशतरोध और सतरास को लकर अनभव और कलपना क सिार मखर िो

रि ि इन सब परयासो म सोचन का पटरपरकषय आज बदला हआ ि यि असवाभाशवक भी निी ि कयोदक

आज शजस दि और काल म िम जी रि ि विी बदला हआ ि अतरराषटरीय पटरदशय और राजनीशतक

समीकरण बदला हआ ि सचार की तकनीक और मीशडया क जाल न िमार ऐशनरक अनभव की दशनया

का शवराट फलाव ददया ि ऐस म जब lsquoदददाrsquo यानी राषटरकशव शरदधय मशिलीिरण गपत की एक सौ

इकतीसवी जनमशतशि पड़ी तो उनक अवदान का भी समरण आया इसशलए भी दक उनक सममख भी

एक साशितयकार क रप म अगरजो क उपशनवि बन हए परततर भारत की मशकत का परशन खड़ा हआ िा

उनि राजनशतक वयवसिा की गलामी और मानशसक गलामी दोनो की िी काट सोचनी िी और साशितय

की भशमका तय कर उसको इस काम म शनयोशजत भी करना िा

उललखनीय ि दक गपत जी का समय यानी बीसवी सदी क आरशभक वषम आज की परचशलत खड़ी

बोली सिदी क शलए भी आरशभक काल िा समिम भाषा की दशषट स सिदी क शलए यि एक सकरमण का

काल िा भारतनद यग म िरआत िो चकी िी पर सिदी का नया उभरता रप अभी भी ठीक स अपन

परो पर खड़ा निी िो सका िा सच कि तो आज की सिदी आकार ल रिी िी या कि रची जा रिी िी

भाषा का परयोग परी तरि स रवा निी िो पाया िा इस नई चाल की सिदी क मिनीय शिलपी

lsquoसरसवतीrsquo पशतरका क समपादक आचायम मिावीर परसाद शदववदी न गपत जी को बरज भाषा की जगि खड़ी

बोली सिदी म कावय-रचना की सलाि दी और इस ददिा म परोतसाशित दकया

गपत जी क मन-मशसतषक म दि और ससकशत क सरोकार गज रि ि तब तक की जो कशवता

िी उसम परायः परमपरागत शवषय िी शलए जा रि ि गपत जी न राषटर को कनर म लकर कावय क

माधयम स भारतीय समाज को सबोशधत करन का बीड़ा उठाया उनक इस परयास को तब और सवीकशत

शमली जब 1936 म हए कागरस क अशधविन म मिातमा गाधी स उनि lsquoराषटर-कशवrsquo की सजञा परापत हई

एक आशसतक वषणव पटरवार म जनम और शचरगाव की गरामीण पषठभशम म पल-बढ गपत जी का बौशदधक

आधार मखयतः सवाधयाय और शनजी अनभव िी िा औपचाटरक शिकषा कम िोन पर भी गपत जी न

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समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

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भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

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रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

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$

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एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 21: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 19

समाज ससकशत और भाषा क साि एक दाशयतवपणम टरशता शवकशसत दकया बीसवी सदी क आरमभ स

सदी क मधय तक लगभग आधी सदी तक चलती उनकी शवसतत कावय यातरा म उनकी लखनी न चालीस

स अशधक कावय कशतया सिदी जगत को दी इशतवततातमक और पौराशणक सतरो को लकर आग बढती

उनकी कावय-धारा सिज और सरल ि राषटरवादी और मानवता की पकार लगाती उनकी कशवताए छद

बदध िोन क कारण पठनीय और गय ि सरल िबद योजना और सिज परवाि क साि उनकी बहतरी

कशवताए लोगो की जबान पर चढ़ गई िी उनकी कशवता ससकशत क साि सवाद कराती-सी लगती ि

उनिोन उपशकषत चटरतरो को शलया यिोधरा काबा और कबमला जयरि वध शिशडमबा दकसान

पञचवटी नहष सरधरी अशजत िकतला िशकत वन वभव आदद खड कावय उनक वयापक शवषय

शवसतार को सपषट करत ि साकत और जय भारत गपत जी क दो मिाकावय ि

ससकशत और दि की सचता की परखर अशभवयशकत उनकी परशसदध कावय रचना भारत-भारती म

हई जो गाव ििर िर जगि लोकशपरय हई उसका पिला ससकरण 1014 म परकाशित हआ िा उसकी

परसतावना शजस शलख भी एक सौ पाच साल िो गए आज भी परासशगक ि गपत जी कित ि lsquoयि बात

मानी हई ि दक भारत की पवम और वततममान दिा म बड़ा भारी अतर ि अतर न कि कर इस वपरीतय

किना चाशिए एक वि समय िा दक यि दि शवदया कला-कौिल और सभयता म ससार का शिरोमशण

िा और एक यि समय ि दक इनिी बातो का इसम िोचनीय अभाव िो गया ि जो आयम जाशत कभी

सार ससार को शिकषा दती िी विी आज पद-पद पर पराया मि ताक रिी िrsquo

गपत जी का मन दि की दिा को दख कर वयशित िो उठता ि और समाधान ढढन चलता

ि दफर गपत जी सवय यि परशन उठात ि दक lsquoकया िमारा रोग ऐसा असाधय िो गया ि दक उसकी कोई

शचदकतसा िी निी ि इस परशन पर मनन करत हए गपत जी यि मत शसिर कर पाठक स साझा करत ि

lsquoससार म ऐसा काम निी जो सचमच उदयोग स शसदध न िो सक परनत उदयोग क शलए उतसाि की

आवशयकता ि शबना उतसाि क उदयोग निी िो सकता इसी उतसाि को उततशजत करन क शलए कशवता

एक उततम साधन िrsquo इस तरि क सकलप क साि गपत जी कावय-रचना म परवतत िोत ि

भारत-भारती कावय क तीन खड ि अतीत वतममान और भशवषयत बड़ शवशध शवधान स गपत

जी न भारत की वयापक सासकशतक परपरा की शवशभनन धाराओ का वभव अगरजो क समय हए उसक

पराभव क शवशभनन आयाम और जो भी भशवषय म सभव ि उसक शलए आहवान को रखादकत दकया ि

उनकी खड़ी बोली सिदी क परसार की दशषट स परसिान शवनद सरीखी तो ि िी उनकी परभावोतपाक िली

म उठाय गए सवाल आज भी मन को मि रि ि िम कौन ि कया िो गए और कया िोग अभी िम

आज दफर इन परशनो पर सोचना शवचारना िोगा और इसी बिान समाज को साशितय स जोड़ना िोगा

िायद य सवाल िर पीढ़ी को अपन-अपन दि-काल म सोचना चाशिए

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भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 22: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 20

भारत माता का मददर यि

मशिली िरण गपत

भारत माता का मददर यि

समता का सवाद जिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

जाशत-धमम या सपरदाय का

निी भद-वयवधान यिा

सबका सवागत सबका आदर

सबका सम सममान यिा

राम रिीम बदध ईसा का

सलभ एक सा धयान यिा

शभनन-शभनन भव ससकशतयो क

गण गौरव का जञान यिा

निी चाशिए बशदध बर की

भला परम का उनमाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

सब तीिो का एक तीिम यि

हदय पशवतर बना ल िम

आओ यिा अजातितर बन

सबको शमतर बना ल िम

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

15 57 2018 22

$

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 23: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 21

रखाए परसतत ि अपन

मन क शचतर बना ल िम

सौ-सौ आदिो को लकर

एक चटरतर बना ल िम

बठो माता क आगन म

नाता भाई-बिन का

समझ उसकी परसव वदना

विी लाल ि माई का

एक साि शमल-बाट लो

अपना िषम शवषाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

शमला सवय का िम पजारी

सकाल काम उस नयायी का

मशकत लाभ कतमवय यिा ि

एक एक अनयायी का

कोटट-कोटट कठो स शमलकर

उठ एक जयनाद यिा

सबका शिव कलयाण यिा ि

पाव सभी परसाद यिा

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एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

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िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

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एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 24: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 22

$

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एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

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िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

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सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 25: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 23

एक िी गौरा

अमरकात

लब कद और डबलग चिर वाल चाचा रामिरण क लाख शवरोध क बावजद आि का शववाि

विी हआ उनिोन तो बहत पिल िी ऐलान कर ददया िा दक लड़की बड़ी बिया ि

आि एक वयविार-किल आदिमवादी नौजवान ि शजस पर माकसम और गाधी दोनो का गिरा

परभाव ि वि सवभाव स िमीला या सकोची भी ि वि सकशचत शविष रप स इसशलए भी िा दक

सिागरात का वि ककष दफलमो म ददखाए जान वाल दशय क शवपरीत एक छोटी अधरी कोठरी म िा

शजसम एक मामली जगला िा और मचछरो की भन-भन क बीच मोट-मोट चि दौड़ लगा रि ि

लदकन आि की समसया इस तरि दर हई दक उसक अदर पहचत िी गौरा नाम की दलिन न

घघट उठा कर किा लीशजए म आ गई आप जिा रित म विी पहच जाती अगर आप कॉलज म पढ़त

िोत और म भी उसी कॉलज म पढ़ती िोती तो म जरर आपक परम बधन म बध गई िोती आप अगर

इगलड म पदा िोत तो म भी विा जरर दकसी-न-दकसी तरि पहच जाती मरा जनम तो आपक शलए िी

हआ ि

कोई चिा किी स कदा खड़-खड़ की अवाज हई और उसक किन म भी वयवधान पड़ा वि

दफर बोलन लगी मर बाबजी बड़ सीध-साद ि इतन सीध ि दक भख लगन पर भी दकसी स खाना न

माग इसशलए जब वि खान क पीढ़ पर बठत ि तो अममा किी भी िो दौड़ कर चली आती ि वि

शजद करक उनि ठस-ठस कर शखलाती ि उनकी कमर की धोती ढीली कर दती ि तादक वि परी खराक

ल सक िमार बाबजी न बहत सिा ि लदकन िमारी अममा भी बड़ी शिममती ि वि चप िो गई उस

सदि हआ िा दक आि उसकी बात धयान स निी सन रिा ि पर ऐसी बात निी िी वसततः आि को

समझ म निी आ रिा िा दक वि कया कि दफर उसकी बात भी ददलचसप िी

उसका किन जारी िा बाबजी अशससटट सटिन मासटर ि बड़ बाब ददन म डयटी करत ि

और िमार बाबजी रात म एक बार बाबजी को नीद आ गई पलटफामम पर गाड़ी आकर खड़ी िो गई

गाड़ी की लगातार सीटी स बाबजी की नीद खली गाडम अगरज िा बाबजी न बहत माफी मागी पर वि

निी माना बाब जी शडसशमस कर ददए गए नौकरी छट गई गाव म आ गए खती-बारी बहत कम

िोन स ददककत िोन लगी बाबजी न अपन छोट भाई क पास शलखा मदद क शलए तो उनिोन कछ फट

कपड़ बिो क शलए भज ददए यि वयविार दखकर बाबजी रोन लग

इतना किकर वि अधर म दखन लगी आि भी उस आख फाड़कर दख रिा िा यि कया कि

रिी ि और कयो कया यि दख-कषट बयान करन का मौका ि न िमम और सकोच लगातार बोल जा

रिी ि

उसन आग किना िर दकया लदकन मन बताया िा न मरी मा बड़ी शिममती िी एक ददन

वि भया लोगो को लकर सबस बड़ अफसर क यिा पहच गई भया लोग छोट ि वि उस समय गई

जब अफसर की अगरज औरत बािर बरामद म बठी िी अममा का शवशवास िा दक औरत िी औरत का

ददम समझ सकती ि अफसर की औरत मना करती रिी कतत भी दौड़ाए पर अममा निी मानी और

दखड़ा सनाया अगरज अफसर की पतनी न धयान स सब कछ सना दफर बोली जाओ िो जाएगा अममा

गाव चली आई कछ ददन बाद बाबजी को नौकरी पर बिाल िोन का तार भी शमल गय तार शमलत

15 57 2018 24

िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 26: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

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िी बाबजी नौकरी जवाइन करन क शलए चल पड़ पानी पीट रिा िा पर वि निी मान बाटरि म

भीगत िी सटिन क शलए चल पड़

उनकी रिलखड रलव म शनयशकत िो गई बनबसा बरली िलदवानी काठगोदाम लालकआ

िम लोग कई बार पिाड़ो पर पदल िी चढ़कर गए ि भीमताल की चढ़ाई राजा झीद की कोठी उधर

क सटिन िाटमरो की ऊची-ऊची दीवार िर-बाघ जगली जानवरो का िमिा खतरा रिता ि एक बार

िम लोग जाड़ म आग ताप रि ि तो एक बाघ न िमला दकया लदकन आग की वजि स िम लोग

बाल-बाल बच गए वि इस पार स उस पार कद कर भाग गया

वि रक कर आि को दखन लगी दफर बोली म तभी स बोल जा रिी हआप भी कछ

कशिए

आि सकपका गया दफर धीम स सकोचपवमक बोला म मर पास किन को कछ खास निी ि

िा म लखक बनना चािता हम लोगो क दख-ददम की किानी शलखना चािता ह लदकन मर अदर

आतमशवशवास की कमी ि पता निी म शलख पाऊगा दक निी

कयो निी शलख पाएग जरर शलखग मरी वजि स आपक काम म कोई रकावट न िोगी

मझस जो भी मदद िोगी िो सकगी म जरर दगीआप शनसशचत रशिए मर भया न किा ि दक तमि

अपन पशत की िर मदद करनी िोगीशजसस वि अपन रासत पर आग बढ़ सक मझ अपन शलए

कछ निी चाशिएआप जो शखलाएग और जो पिनाएग वि मर शलए सवाददषट और मलयवान िोगा

आप बदफकर िोकर शलशखए पदढ़एआपको शनरतर मरा सियोग परापत िोगा

उसकी आख भारी िो रिी िी और अचानक वि नीद क आगोि म चली गई

आि कछ दर तक उसक मखमडल को दखता रिा वि सोचन लगा दक गौरा नाम की इस

लड़की क साि उसका जीवन कस बीतगालदकन लाख कोशिि करन पर भी वि सोच निी पाया

वि अधर म दखन लगा

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उपासना गौतम

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 27: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 25

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15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

15 57 2018 40

दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 28: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 26

शवलपत िोती भाषाए और शिनदी

परो शवनोद कमार शमशर (मिासशचव शवशव शिनदी सशचवालय)

धरती पर आज भी िज़ारो भाषाओ की जीवनत उपशसिशत एक ओर आिावादी सवर का सचार

करती ि तो दसरी ओर उनम स आध स अशधक भाषाओ की अकाल मतय की भशवषयवाणी सचता का

कारण ज़ाशिर ि आरोप भमडलीकरण या वशवीकरण क सर मढ़ दन क अशतटरकत कोई दसरा शवकलप

निी िमारी सभयता एव ससकशत पर भमडलीकरण क शसफ़म नकारातमक परभावो पर िी बिस कयो

उसक सकारातमक पिल पर भी चचाम लाज़मी ि बाज़ार और परशतसपधाम क पटरणाम सवरप मकत

अकीय तकनीकी (शडशजटल टकनालजी) क दवारा वशशवक सतर पर शवलपत िोती भाषाओ क सरकषण की

ददिा क परयास दकए जा सकत ि तिा अतयत अशवकशसत इलाको स भी भाषा समदायो क बीच

पहचकर उन भाषाओ की पजी को अकीय (शडशजटल) तकनीकी क ज़टरए ऑशडओ क रप म सरशकषत

दकया जा सकता ि यदयशप इस परयास क दवारा दकसी ससकशत एव सभयता को बचाए रखन का ित-

परशत-ित दावा भी निी दकया जा सकता दकनत उन भाषा समदायो क बीच जो कछ भी ि उस नषट िोन

स बचाया जा सकता ि तिा एक रचनातमक चनौती का सदि भी परसाटरत दकया जा सकता ि भाषा

शवलशपत को सोिल नटवरकि ग क ज़टरए आपसी सवाद क नए गवाकष खोलकर भी बचान की पररणा दी

जा सकती ि भाषा शवलशपत आकड़ो की भी वजञाशनक पड़ताल आवशयक ि शवषिरप स भारत म जिा

बहभाशषकता व शवशलषण की कारगर परदकरया क अभाव क चलत उपलबध आकड़ अशवशवसनीय लगत ि

यनसको क अनसार भारत की शवलपत भाषाओ व बोशलयो की सची सवामशधक ि यि सचता का शवषय ि

भारत म शिनदी क परयोकताओ क आकड़ भी बहभाशषकता क चलत सटीक एव परामाशणक निी ि दकनत

शपछल दिको क बदल हए पटरदशय म शिनदी शलखन-पढ़न एव बोलन वालो की सखया म गणातमक

वशदध दजम की गई ि जो सखद लकषण ि वशशवक सतर पर दकए जा रि आकलन भी शिनदी क पकष म जा

रि ि सखया बल क कारण शिनदी का बाज़ार ससार म वयापकता शलए हए ि तिा वयावसाशयकता की

परशतसपधाम म शिनदी एक बहत बड़ बाज़ार का शिससा बन चकी ि शिनदी न अपन पारमपटरक शनमोक

को उतार कर आज क अनकल सवय को सकषम शसदध दकया ि दकनत आन वाल ददनो म वयावसाशयक

मानदणडो पर खरी उतरन क शलए उस अपन सरचनातमक ढाच को और लचीला बनाना िोगा तभी वि

शवशव बाज़ार की चनौशतयो का रचनतमक मकाबला करत हए लबी यातरा तय कर सकगी बाज़ार म

कम स कम भाषाओ की उपशसिशत सखद मानी जाती ि इतना िी निी िबदो की वकशलपत वयवसिा

भी शजतनी कम िोगी बाज़ार का उतना िी भला िोगा इसका एक दषपटरणाम यि िोगा दक िबद

भणडार एव पयामयवाची िबद लपत िो जाएग िा बाज़ार क अनरप नए िबद जड़ग नई वयावसाशयक

िबदावशलयो का शनमामण तो िोगा दकनत बाज़ार क चलत भाषा को सामाशजक एव सासकशतक झझट स

जझना िोगा इस परकार शिनदी को बाज़ार की शनभमरता क साि कमपयटर की तकनीकी अनपरयोग स समदध

कर शवशव की अनय सकषम भाषाओ क समानातर लाना िोगा भाषा परौददोशगकी क इस असतर का

सासकशतक व सामाशजक भाषा रपो को सरशकषत करन की ददिा म सािमक उपयोग करना िोगा यदयशप

शिनदी सशित सभी भारतीय भाषाए कमपयटर अनपरयोग क रासत आन वाली लगभग समसत बाधाओ

को पार कर चकी ि

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उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

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भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 29: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 27

उि तकनीक स ससपनन सॉफटवयर जस यशनकोड मिीनी अनवाद फ़ॉनस गरादफ़कस पज़

इटरफ़स ओ सी आर ऑदफस सट टकसट ट सपीच सचम इशजन टासलटड सचम शलपयातरण वतमनी

िोधन बराउज़र व ऑपरटटग शससटम तिा सोिल नटवरकि ग म भाषा चनन की सहशलयत आसानी स

उपलबध ि दकनत दख इस बात का ि दक समसत ससाधनो की उपलबधता क बाद भी लोग शिनदी क

परयोग क परशत उदासीन ि ऐसी सवमसलभ सबोध सगराहय तकनीकी को उपयोग म लाया जाना शिनदी

क शित म ि वयवसाय एव बाज़ार की िशकतयो को चनौती दन क शलए शिनदी को वि सब कछ करना

िोगा शजसस शवशव सतर की सपधाम म अपनी मज़बत शसिशत की दावदारी पि कर सक तिा परी

किलता एव सािशसकता क साि बाज़ारवाद स उपजी शवसगशतयो को बाज़ार क िशियार स िी

परासत कर शवजता बनन का उपकरम कर सक सददयो स दबाव म जीन की आदी िो चकी शिनदी सबि

क सखद सवपन की तरि सच म तबदील िो सक

एक शवलकषण अनभशत

डॉ दीशपत गपता

सशषट नजर आ रिी अनोखी-अनठी

शनरभर सवचछ उजला आकाि

इशचछत आराशधत पशजत परारिमत

पणम जीवन की अशभलाष

सयम समाया नयनो म आज

पषप पललव झरता शनझमर

पलदकत करता मन को आज

मद-मद सगनध बयार किता

जीवन पटरवरतमत आज

सयम समाया नयनो म आज

कल-कल करता सटरता का जल

दकतना चचल दकतना िीतल

धवल कौमदी कर सममोशित

चह ददशि रचती एक इनरजाल

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

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अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

15 57 2018 36

शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 30: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 28

एक कामना मन म आती

िोए भशवषय वतममान का सािी

िाशवत मधर मददर आभास

पतझड़ बना बसनत बिार

सयम समाया नयनो म आज

तमापटरत मशलन अिशचतम

कण- कण लघ जीवन क कषण

सिसा बन नवल उललास

हआ इनरधनष सनदर साकार

सयम समाया नयनो म आज

शवशध न रचा सवगम धरती पर

दकतना सनदर दकतना अशभनव

दकतना सनदर दकतना अशभनव

सािमक ि - lsquoतत तवमशसrsquo आज

सयम समाया नयनो म आज

आख मद दखा मन

अनतरतम म मधर उजास

सतय शिव सनदर का बनधन

धोता कलष शमटा अवसाद

सयम समाया नयनो म आज

निी चदकत िोऊगी यदद

कि इस कोई सपना

सपना िी सिी लदकन

ि तो मरा अपना

वकषो स झड़त पहप लाज

सयम समाया नयनो म आज

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 31: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 29

सभाशषतसािसतरी

पदमभषण परो सतयवरत िासतरी

अकापमणय - सतोकादशप परदातवयमदीननानतरातमना

अिनयिशन यशतकशञचदकापमणय तदचयत - भशवषयपराण १२१६३

परशतददन दनयरशित मन स िोड़ स भी कछ-न-कछ दना चाशिए इस अकापमणय किा जाता ि

अकीरतम - नासतयकीरतमसमो मतय - बिननारदीयपराण ६५४

अपयि क समान और कोई मतय निी ि

अकला - क कसय परषो बनध दकमापय कसय कनशचत

यदको जायत जनतरक एव शवनशयशत - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०८३

कौन दकसका बनध ि दकस कया शमलता ि जीव अकला िी पदा िोता ि और अकला िी मर (नषट िो)

जाता ि

अगोचर - चामीकरसय सौरभयममलाशनमामलतीसतरजाम

शरोतरनमममतसरतव च शनमामणागोचर शवध - शरीकणठचटरत २५

सोन म सगनध मालती पषपो की मालाओ का न मझामना और शरोताओ का ईषयामल न िोना शवधाता क

शनमामण क पर ि

अगरणी - नागणसयागरतो गचछशतसदध काय सम फलम

यदद कायमशवपशतत सयानमखरसततर िनयत - शितोपदि १२९

जन-समदाय का अगआ बन कर न चल कायम शसदध हआ तो सब बराबर-बराबर क फल क शिससदार

िोग यदद काम शबगड़ गया तो मार अगआ पर पड़गी

अङगीकतपटरपालन - अदयाशप नोजझशत िर दकल कालकट

कमो शबभरतम धरणी खल चातमपषठ

अमभोशनशधवमिशत दसिवाडवाशि-

मङगीकत सकशतन पटरपालयशनत - िकसपतशत प४

आज भी शिव शवष को अपन स अलग निी करत ि शनसनदि आज भी कमम पशिवी को अपनी पीठ पर

धारण दकय हए ि समर असहय वाडवाशि को आज भी अपन म शलय हए ि पणयातमा शजस (एक बार)

अगीकार कर लत ि (अपना लत ि) उस शनभात ि

अशत - अशत दानाद बशलबमदधो नषटो मानातसयोधन

शवनषटो रावणो लौलयाद अशत सवमतर वजमयत - उदभट शलोक

पाठानतर - अशतरपादधता सीता

अतयशधक दान स बशल बनधन म पड़ा अशत दपम क कारण स (दर) योधन का शवनाि हआ अशत

चञचलता क कारण रावण मारा गया (पाठानतर-रपाशतिय क कारण सीता का िरण हआ) अत अशत

का सवमतर पटरिार कर

अशत सवमनािितिमतयोsतयनत शववजमयत - िकरनीशत ३२२०

अशत सवमनाि का कारण ि इसशलए (वयशकत) अशत का सवमिा पटरिार कर

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

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धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 32: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 30

अशतसनि पापिङकी - अशभजञानिाकनतल अङक ४ (१९व पदय स आग)

अशत सनि क कारण अशनषट की आिका िोन लगती ि

अशतसनिपटरषवङगादवरतमरारामशप दहयत - शरीमदवालमीकीय रामायण ४११११५

यदद सनि (= तल शचकनाई) अशधक िो तो उसम डबी गीली बतती भी जलन लगती ि

अधम - शधक तसय जनम य शपतरा लोक शवजञायत नर

यत पतरात खयाशतमभयशत तसय जनम सजनमन - माकम णडयपराण ९१०१

उस मनषय क जनम को शधककार ि जो ससार म शपता क कारण (नाम स) जाना जाता ि जनम तो उस

सजनमा का ि शजस पतर क कारण खयाशत शमलती ि

अनिम - यौवन धनसमपशतत परभतवमशववदकता

एककमपयनिामय दकम यतर चतषटयम - शितोपदि पर४

यौवन धन-समपशतत अशधकार और शववकिीनता - इनम स यदद एक भी िो तो अनिमकारी िोता ि

जिा चारो िो उस का तो किना िी कया

अनवसर - परतयपशसितकालसय सखसय पटरवजमनम

अनागतसखािा च नव बशदधमता नय - मिाभारत िाशतपवम १४०३६

उपशसित (= परापत) सख का पटरतयाग और भशवषय क सख की आिा बशदधमानो की नीशत निी ि

अनरपता - तपत तपतन योजयत - िटरविपराण १४११

एक गरम चीज़ दसरी गरम चीज़ क साि जोड़ी जाती ि

अनराग - कल वतत शरत िौयि सवममतनन गणयत

दवमतत वा सवतत वा जनो दातटर रजयत - कामनदकीय नीशतसार ५६१

कल चटरतर जञान िौयम - इन सब क बार म निी सोचा जाता जो दता ि लोग उसक परशत अनरकत िो

जात ि चाि वि सिटरतर िो या दशचटरतर

अनिासन - शपतरा पतरो वयसिोशप सतत वाचय एव त

यिा सयाद गणसयकत परापनयाि मिद यि

पतर चाि वयसक भी िो गया िो तो भी शपता को चाशिए दक वि किता (= समझाता) िी रि शजसस

वि गणी बन और अशधक यि परापत कर

अनत - उकतवानत भवदयतर पराशणना पराणरकषणम

अनत ततर सतय सयातसतयमपयनत भवत - पदमपराण (सशषट खणड) १८३९२

झठ बोलन स जिा पराशणयो की पराण-रकषा िो सकती िो विा झठ भी सच िोगा और सच भी झठ

अनौशचतय - अकरमणानपायन कमामरमभो न शसधयशत - तनतरोपाखयान प२६

शबना करम क और शबना यशकत क परारमभ दकया गया कमम सफल निी िोता

अनत - सव कषयानता शनचया पतनानता समचया

सयोगा शवपरयोगानता मरणानत च जीशवतम - शरीमदवालमीकीय रामायण २१०५१६

सभी सगरिो का अनत शवनाि म िोता ि उननशतयो का पतनो (= अवनशतयो) म सयोगो का शवयोग म

जीवन का अनत मतय ि

अपकार - यो य पराकरणाय सजतयपाय

तनव तसय शनयमन भवशदवनाि

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 33: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 31

धम परसौशत नयनानधयकर यमशि-

भमतवाsमबद स िमयत सशललसतमव - राजतरशङगणी ४१२५

जो दसरो का अपकार करन क शलए (= िाशन पहचान क शलए) उपाय करता (= चाल चलता) ि

शनशचय िी उसका उसी स शवनाि िोता ि आखो को अधा करन वाल शजस धए को अशि उतपनन करती

ि विी बादल बन जलधारा स उस िात करता ि

अपातर-दान - दानपातरमशतकरमय यदपातर परदीयत

तददतत गामशतकरमय गदमभसय गवाशहनकम - सकनदपराण (माकौ ५११)

दान क योगय वयशकत को छोड़ कर जो अयोगय को ददया जाता ि वि दान गाय को छोड़ कर गध को दन

क बराबर ि

अपजय-पजन - अपजया यतर पजयनत पजनीयो न पजयत

तरीशण ततर परवतमनत दरभमकष मरण भयम

शजनका आदर निी िोना चाशिए उनका जिा आदर िोता ि और शजसका आदर िोना चाशिए उसका

आदर िोता निी विा तीन चीज़ िोन लगती ि - अकाल मतय और भय

अशभमान - जरा रप िरशत शि धयममािा मतय पराणान धममचयाममसया

करोध शशरय िीलमनायमसवा शिय काम सवममवाशभमान -मिाभारत उदयोगपवम ३५५०

वदधावसिा रप का आिा धयम का मतय पराणो का ईषयाम धमामचरण का करोध लकषमी का अनायम (नीच)

लोगो की सवा िील का काम लजजा का तिा अशभमान सभी कछ का िरण कर लता ि

अशभमानी - य सतबधो गरणा साकमनयसय नमन कत

न छायाय न लाभाय मानी कनिरवननणाम - सिगलपरकरण ८३

जो गर क साि िी अिकारी ि वि दसरो क आग कस झक सकता ि मानी मनषय कनिर वकष की तरि

लोगो को न छाया द सकता ि और न उनि लाभ पहचा सकता ि

अिामशधकारी - यिा हयनासवादशयत न िकय

शजहवातलसि मध वा शवष वा

अिमसतिा हयिमचरण राजञ

सवलपोsपयनासवादशयत न िकय - अिमिासतर २१०३६

शजस परकार शजहवा पर रखा हआ मध अिवा शवष चखा न जाए यि समभव निी इसी परकार राजा का

शवततीय कायो म शनयकत अशधकारी उसका िोड़ा सा भी सवाद न ल यि समभव निी ि

अयाचक - मानय कलीन कलजातकलावान

शवदवान कलाजञाद शवदष सिील

धनी सिीलादधशननोsशप दाता

दातरजमता कीरतमरयाचकन - चतवमगमसङगरि १२६

कलीन वयशकत माननीय िोता ि कलाकार कलीन स भी अशधक माननीय िोता ि कलाकार स भी

शवदवान उसस भी अशधक सिील उसस भी अशधक धनी और उसस भी अशधक दानी पजनीय िोता ि

पर शजस वयशकत न कभी याचना निी की उसन दानी की कीरतम को भी जीत शलया ि

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

15 57 2018 36

शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

15 57 2018 37

करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 34: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 32

भारत की भाषायी गलामी

डॉ वदपरताप वददक

सवततर भारत म भारतीय भाषाओ की दकतनी ददमिा ि इस ददमिा को दखत हए कौन कि

सकता ि दक भारत वासतव म सवततर ि lsquoपीपलस सलशगवशसटक सव ऑफ इशडयाrsquo नामक ससिा न कई

िोधकतामओ को लगाकर भारत की भाषाओ की दिा का सकषम अधययन करवाया ि कल इसक ११

खड परकाशित हए ि इस अवसर पर वकताओ न दो मितवपणम बात किी एक तो यि दक शपछल ५०

वषो म भारत की २५० भाषाए लपत िो गई ि कयोदक इन भाषाओ को बोलन वाल आददवासी बिो

को शसफम दि की २२ सरकारी भाषाओ म िी पढ़ाया जाता ि उनकी भाषाए शसफम घरो म िी बोली

जाती ि जयो िी लोग अपन घरो स दर िोत ि या बजगो का साया उन पर स उठ जाता ि तो य

भाषाए शजनि िम बोशलया कित ि उनका नामो-शनिान तक शमट जाता ि इनक शमटन स उस

ससकशत क भी शमटन का डर पदा िो जाता ि शजसन इस भाषा को बनाया ि इस समय दि म ऐसी

७८० भाषाए बची हई ि इनकी रकषा जररी ि

अपनी भाषाओ की उपकषा का दसरा दषपटरणाम यि ि दक िम अपनी भाषाओ क माधयम स

अनसधान निी करत भारतीय भाषाओ म जञान-शवजञान का खजाना उपलबध ि लदकन िम लोग उसकी

तरफ स बखबर ि िम पलटो सातर और चोमसकी क बार म तो खब जानत ि लदकन िम पाशणनी

चरक कौटटलय भतमिटर और लीलावती क बार म कछ पता निी िमार जञानाजमन क तरीक अभी तक

विी ि जो गलामी क ददनो म ि इस गलामी को १९६५-६६ म सबस पिल मन चनौती दी िी ५०-

५२ साल पिल मन ददलली क lsquoइशडयन सकल ऑफ इटरनिनल सटडीज़rsquo म माग की िी दक मझ अपन

पीएचडी का िोधगरि शिनदी (मरी मातभाषा) म शलखन ददया जाए अगरजी तो म जानता िी िा मन

फारसी रसी और जममन भी सीखी ि परिम शरणी क छातर िोन क बावजद मझ सकल स शनकाल ददया

गया ससद म दजमनो बार िगामा हआ यि राषटरीय बिस का मददा बन गया आशखरकार सकल क

सशवधान म सिोधन हआ मरी शवजय हई भारतीय भाषाओ क माधयम स उि िोध क दरवाज खल

इन दरवाजो को खल ५० साल िो गए लदकन इनम स दजमन भर पीएचडी भी निी शनकल कयो

कयोदक अगरजी की गलामी सवमतर छाई हई ि जब तक िमार दि की सरकारी भरतमयो पढ़ाई क

माधयम सरकारी काम-काज और अदालातो स अगरजी की अशनवायमता और वचमसव निी िटगा

भारतीय भाषाए लगड़ाती रिगी

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मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

15 57 2018 40

दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 35: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 33

मा की याद

आलोक कमार ससि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

हई जो सबि तो मझ याद आया

मरी मा न खाना बनाया तो िोगा

मगर रो पड़ी िोगी वो याद करक

मर लाल न खाना खाया तो िोगा

लगी भख तो ददल न मा को िी डाटा

मा मझको जो खाना शखलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

हयी िाम रौनक ििर की तो सोचा

मरी मा न दीपक जलाया तो िोगा

मगर उसको भी दफकर िोगी िमारी

दक दफतर स बटा घर आया तो िोगा

म कस छपाऊ रिम िाल ददल का

य दशनया बरिमी ददखाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

जो रातो को लौटा कमा क तो सोचा

मरी मा न खायी दवाई तो िोगी

म जगता रिा रात भर सोच कर य

उस नीद शबन मर आयी तो िोगी

म िसता िा शजसप शसतम करक दखो

विी मा मझ अब रलाती बहत ि

म घर स चला ह कमान को पस

तनिाई मझ पर सताती बहत ि

ि पिली दफा तझस छटा जो आचल

मझ याद मा तरी आती बहत ि

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साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

15 57 2018 36

शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 36: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 34

साशितय क आकाि का धरवतारा - शवषण परभाकर

(शवषण जी की जनम शतशि पर शविष - सपादक)

सपना मागशलक

मर उस ओर आग ि

मर इस ओर आग ि

मर भीतर आग ि

मर बािर आग ि

इस आग का अिम जानत िो

शजस लखक क अतस म इतनी आग परजजवशलत िो विी िानदार िाशवत और ममामनतक साशितय

साशितय जगत को भट कर सकता ि समकालीन समाज पटरशसितया और लोग एक भावक हदय को

दकस कदर परभाशवत कर सकत ि यि शवषण परभाकर की इस कशवता स सपषट िो जाता ि और जो

दसरो क दःख को अपन म आतमसात कर ल सिी मायन म विी साशितयकार ि कयोदक साशितय समाज

और समकालीन वातावरण और मलयो का िी लखा-जोखा या आइना िोता ि

शवषण परभाकर का जीवन पटरचय - २९ जनवरी १९१२ को उपर क मज़फफरनगर शजल क एक छोट

स गाव मीरापर म जनम शवषण परभाकर क शपता दगाम परसाद एक धारममक वयशकत ि इनकी मा मिादवी

इनक पटरवार की पिली साकषर मशिला िी शजनिोन शिनदओ म पदाम परिा का शवरोध दकया १२ वषम क

बाद अपनी परािशमक शिकषा परी करन क बाद शवषण परभाकर आग की पढ़ाई करन क शलए अपन

मामा क पास शिसार चल गय जिा इनिोन मटटक की परीकषा पास की यि १९२९ की बात ि व आग

भी पढ़ना चाित ि लदकन आरिमक िालात इसकी इजाजत निी दत ि अतः इनिोन एक दफतर म

चतिम शरणी की एक नौकरी की और शिनदी म परभाकर शवभषण की शडगरी ससकत म परजञा और अगरजी

म बीए की शडगरी भी परापत की चदक पढ़ाई क साि-साि इनकी साशितय म भी रशच िी अतः इनिोन

शिसार की िी एक नाटक कमपनी जवाइन कर ली और १९३९ म अपना पिला नाटक शलखा ितया क

बाद कछ समय क शलए इनिोन लखन को अपना फलटाइम पिा भी बनाया २७ वषम की अवसिा तक

य अपन मामा क िी पटरवार क साि रित रि विी इनका शववाि १९३८ म सिीला परभाकर स हआ

शवषण क नाम म परभाकर कस जड़ा उसकी एक बिद रशचपणम किानी ि तब वि शवषण नाम स शलखा

करत ि एक बार जब एक सपादक न पछा दक आप किा तक शिशकषत ि तो उनिोन बताया दक उनिोन

परभाकर दकया ि और बस तब िी स उन सपादक मिोदय दवारा उनका नामकरण शवषण परभाकर क रप

म िो गया इस परकार शवषण दयाल क रप म िर हई उनकी परारशभक यातरा शवषण गपता पर तशनक

ठिर शवषण धममदतत को लाघत हय शवषण परभाकर बन कर परी हई

शवषण परभाकर और कशवता - शवषण परभाकर स पटरशचत साशितय-परमी सिसा शवशवास न कर सक ग दक

किा-उपनयास यातरा-ससमरण जीवनी आतमकिा रपक फीचर नाटक एकाकी समीकषा पतराचार

आदद गदय की सभी समभव शवधाओ क शलए शवखयात शवषणजी न कभी कशवताए भी शलखी िोगी

समभवतया यि भी सयोग िी रिा दक उनक लखन की िरआत (उनक कि अनसार) कशवता स हई और

उनकी अशतम रचना जो उनिोन अपन दिावसान स मातर पिीस ददन पवम शबसतर पर लट-लट

अधमचतनावसिा म बोली वि भी कशवता क रप म िी िी भावक िदय म जब भावनाओ का जवार-

भाटा आता ि तो वि कावय रप म असखय कीमती मोती मग और सीप शबखर क चला जाता ि जिा

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तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

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शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

15 57 2018 40

दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 37: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 35

तक िर बितरीन रचनाकार की जीवनी मन पढ़ी ि सबम यिी बात सामानय िी दक उनिोन कशवता स

साशितय का सफ़र िर दकया और दफर साशितय की गदय शवधा म अपन आपको सिाशपत दकया परभाकर

क पसदीदा लखक िरत और भारती भी इसका एक उदिारण ि सबक भावो की गागर सवमपरिम कावय

क सागर स िी भरी हई िी जब इस कावय सागर स उनिोन खद की वयाकलता को तपत कर शलया तो

शनकल पड़ साशितय शपपासको की कषधा िात करन शवषण परभाकर न अपनी कशवता अिसास क जटरय

किा ि -

शसशसफस

िनमान

या

अशवतिामा

सभी मनषय ि

चढ़ और शगर

लदकन म निी शगरगा

मन अपन अिसास को

कील ददया ि

शवषण परभाकर और आवारा मसीिा - शवषण परभाकर क सवय क अनदर भावकता की अशि शनरतर

जलती िी तभी तो उनिोन िोध क शलए ऐस लखक को चना शजस लोग आवारा बदचलन और न जान

कया कया कित ि मगर शवषण परभाकर न अपन हदय की सनी -

मन उसकी कशवता पढ़ी

िबद ि कवल उननीस

पर म डबा तो

डबता िी चला गया

अवि अबोल आकठ

और उस बदनाम लखक की बदनाम गशलयो तक भी जा आय और उसक अतस की जवाला का

इस तरि वतात खोजा जो आज तक जीवनी क कषतर म न कोई खोज पाया ि और न िी खोज जान की

उममीद ि चौदि वषो तक दकसी और साशितयकार की जीवनी क शलए जगि-जगि की ख़ाक छानना

यि शसफ़म शवषण परभाकर जस शवरल वयशकत िी कर सकत ि िरतचर क जीवन को समटकर उनका

शलखा आवारा मसीिा आज भी अपन गिर भावबोध और गणवान का लोिा मनवा रिा ि

िशकत निी ि

कर सक शनमामण सवगम का

बाधा बन कयो तब

उनकी

शजनकी मशज़ल ि नरक

कौन जान वि नरक िी ि

सवगम मरा

कयोदक अतत

ददए ि अिम

मन िी

िबद को

15 57 2018 36

शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

15 57 2018 37

करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

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जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

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शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 38: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 36

शवषण परभाकर जी का रझान िरत की तरफ िी कय हआ इस सनदभम म उनका िी यि किन

दक ldquoसामन-सामन िोय परणयर शवशनमय क अनसार िायद इसशलय हआ दक उनक साशितय म उस परम

और करणा का सपिम मन पाया शजसका मरा दकिोर मन उपासक िा अनक कारणो स मझ उन

पटरशसिशतयो स गज़रना पड़ा जिा दोनो ततवो का परायः अभाव िा उस अभाव की परतम शजस साधन

क दवारा हई उसक परशत मन का रझान िोना सिज िी ि इसशलय िीघर िी िरतचर मर शपरय लखक िो

गयrdquo आवारा मसीिा क सजन क शलए उनकी छटपटािट और परशतबदधता को सपषट करता ि परभाकर

जी िमिा मशिलाओ क भी पकषधर रि व अपन उपनयासो म नारी वाद का समिमन करत ि जब उनस

पछा जाता दक सतरी की सवदनाओ क बार म आप कस जानत ि तो वि कित दक मरी पतनी भी तो

एक सतरी िी िrdquo िरत क रिसयमय और उलझ हए जीवन की गतिी सलझान क साि िी शवषण परभाकर

न िरतचर क दकरदारो क सरोत और रचना परदकरया को टटोलन की दषकर चनौती को भी सवीकारा और

उसका परामाशणकता क साि शनवमिन भी दकया इसक शलए उनिोन बगाल शबिार और बमाम क बीच

फली किादि म न जान किा-किा क शबखर किा सतरो को जोड़न क शलए गिन यातराए की तब

जाकर १९ सालो क लब समय म उनि िाशसल हई आवारा मसीिा की उपलशबध यि परामाशणक

जीवनी शवषण परभाकर क धयम और लखकीय सािस का परतीक ि

शवषण परभाकर की किाशनया - शवभाजन क बाद शलखी उनकी किानी धरती अब भी घम रिी ि

अकली िी उनको गलरीजी की उसन किा िा क समककष रखन को पयामपत िी शजसम उनिोन एक

गरीब ठलवाल को मयशनशसपलटी क काटरदो दवारा शगरफतार िोत हए शचशतरत दकया िा मामल का

फसला करन वाल जज को बतौर टरशवत लड़दकया पसद ि यि जानकर ठलवाल का गयारि साल का

बटा नौ साल की अपनी मासम बशिन को लकर भरी मिदफल म पहच जाता ि चतना को किी बहत

भीतर तक अवसनन कर दन वाली इस किानी म शवषण परभाकर सवाल करत ि इस घटना क बाद िरत

ि धरती अब भी घम रिी ि उनकी रचनाओ म lsquoअधरी किानीrsquo भी ि समय ि बटवार स िोड़ पिल

का यानी बटवार क बन रि िालात का यि वि समय िा जब नफ़रत दोनो तरफ क ददलो म ठस-ठस

कर भरी जा रिी िी इस किानी म दो धमाि क दो यवक बटवार को सिी-गलत ठिरान म उलझ रि

ि अत म एक परशन उठता ि दक lsquoसच किना मिबबत की लकीर कया आज शबलकल िी शमट गयी ि यि

किानी का चरम निी ि उसका ममम ि बटवार क समय और उसक बाद मिबबत को शजलाय रखन की

सबस ज़यादा जररत िी

उनकी रचनाओ म शवषय की काफी शवशवधता दखी जाती ि घटनाओ का उनिोन भरपर

इसतमाल दकया ि उनकी रचनाओ म शववरण क बजाय मारममक ततव ज़यादा ि धरती अब भी घम

रिी िrsquo भरषटाचार को अनावत निी करती ि कयोदक वि तो खद िी नगा ि किानी उसस बािर

शनकलन क परयासो म उसक चकरवयि म फस जान की शवविता को उठाती ि दो बि यिा भावी पीढ़ी

का परतीक भी ि और शनरीि तिा ततर की चालादकयो स अनशभजञ सबको अपन जसा सिा मानन क

भोलापन का दयोतक भी किा जगत का वागमय उनकी सवा स शजतना समदध हआ ि उसस किी

ज़यादा शवशभनन साशिशतयक आदोलनो म उनिोन अिक योगदान ददया

शवषण परभाकर की लघकिाए - उनिोन साशितय की शववादसपद तिा अनक परशनो व सदिो क घर म

शघरी शवधा लघकिा को भी परारमभ स िी अपना शलया िा और १९३८-१९८७ तक अनक लघ

किाए शलखी जो समय-समय पर अनक पतर-पशतरकाओ म छपी और सरािी भी गयी लघ किाओ का

उनका पिला सगरि जीवन पराग १९६३ म परकाशित हआ जीवन क सभी उदातत पकषो को उजाकर

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करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

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परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

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यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 39: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 37

करती हई छोटी-छोटी य मारममक किाए जो सभी सतय पर आधाटरत िी लखक उनि लघ किाओ क

रप म रखादकत निी करना चाित कयोदक उनका मानना ि दक सतय मातर िोन क कारण िी कोई

रचना किानी निी बन जाती उसी दिक म शवषण परभाकर न रशडयो क शवदि शवभाग क शलए

पौराशणक साशितय स चन कर ऐसी किाए सीशमत िबदो म शलखी जो सनन और पढ़नवालो को

भारतीय ससकशत क शवशभनन रपो की पिचान करान वाली िी इनक चार सगरि उपलबध ि और उनि

भी लखक लघकिा क अतगमत िाशमल करना निी चाित ८० क दिक म लघकिा का पनममलयाकन

हआ तिा १९८२ म ददिा परकािन स शवषण परभाकर जी की लघ किाओ का दसरा सगरि आपकी कपा

ि परकाशित हआ इस सगरि म कल ४६ रचनाए सकशलत िी और व भी शवशभनन कारणो स

शववादसपद बनी दकनत परिशसत हई इस सकलन की किाओ की भाषा को लकर शवदवानो म अनक

मतभद ि शवषण परभाकर सवय भी इस शववाद म पड़ना निी चाित ि और इसी शलए उनिोन कभी

लघ किा शलखन का दावा भी निी दकया आपकी कपा ि क दो िबद म शवषण परभाकर जी न शलखा

ि लघ किा की शवधा को लकर आजकल बहत उिापोि मचा हआ ि उसकी एक सशनशशचत परपरा ि

या वि एक शनतात नयी शवधा ि अिवा उसकी कछ उपयोशगता ि या वि मातर चटकल बाज़ी ि या जो

दकसी अनय शवधा म सफलता निी पा सकत व िी लघ किा क कषतर म आकर चिकन लगत ि परारभ

म एकाकी तिा परयोगवाद नयी कशवता आदद को भी आलोचनाओ का शिकार िोना पड़ा शनराला जी

भी इस शववाद स बच न सक कछ लोग इस मत शवधा भी कि गए परमाण ि दक एकाकी आज

साशितय की एक लोकशपरय तिा सिकत शवधा क रप म परशतशषठत ि शवषण परभाकर न सन १९३९ म

लघकिा का लखन परारभ दकया िा उनकी पिली लघ किा सािमकता िीषमक स िस पशतरका क

जनवरी १९३९ क अक म परकाशित हई िी इसम एक फल की वयिा को बड़ मारममक ढग स अशभवयकत

दकया गया ि अब तक परभाकर जी की लघ किाओ क तीन सगरि परकाशित हए ि - जीवन पराग

(१९६३) आपकी कपा ि (१९८२) तिा कौन जीता कौन िारा (१९८९) म परकाशित हए उनकी

समपणम लोककिाओ का एक सगरि समपणम लघ किाए िीषमक स सन २००९ म परकाशित हआ ि

शजसम उनकी कल १०१ लघ किाए सकशलत ि जीवन पराग की भशमका म शवषण परभाकर जी न

शलखा ि दक य बोध किाओ का सगरि ि दसर सगरि आपकी कपा ि म पिल सगरि की कछ रचनाए

सशममशलत की गयी ि इसी परकार दसर लघकिा सगरि आपकी कपा ि म १५ और नयी

लघकिाए जोड़ कर शवषण जी का तीसरा सगरि कौन जीता कौन िारा परकाशित हआ शवषण परभाकर

की लघ किाए अपनी परवशत म मानव-मन की अतयामतराओ क रप म उभर कर समकष आती ि उनक

लखन म मानवीय मन क शवशवध शचतरो की अनक बहरगी झादकया ददखाई दती ि मानव मन म

अनक भाव और शवचार उठत ि जो उसक मन एव मशसतषक को शनरतर मित रित ि तदनसार उसक

कायो को परटरत और परभाशवत भी करत रित ि अपन आस-पास क वाहय ससार स परापत अनभवो क

अनक टढ़-मढ़ गशलयारो स िोकर गज़रता हआ शवशभनन अनभशतयो सवदनाओ को अपन अतर म

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समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

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किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

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दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 40: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 38

समटता हआ मानव अततः अपनी यातरा मन पर िी आकर समापत करता ि मन िी मनषय स वि सब

कछ करवाता ि जो उस कभी तो उिता क सवोि शिखर पर आरढ़ कर दता ि तो कभी शनमनता क

गहवर म ल जा कर पटक दता ि या दफर तटसि मक दिमक बना दता ि अचछा या बरा पाप और

पणय धमम और अधमम य सब मानव-मन क िी रच हए परपच ि उसका मशसतषक मन को अपन तकम -

शवतकम क जाल म उलझाकर उस भरशमत कर दता ि दकनत मन िी चतर शखलाडी क समान सवय खल

शनधामटरत करता ि और खल क शनयम भी विी बनाता ि अपन खल म शखलाडी विी और खल का

परशतदवदवी भी वि सवय िी िोता ि अपन रच इस खल म शवजता भी विी बनता और िारन वाला भी

विी मन और मशसतषक क अलावा भी एक ततव ऐसा ि जो मानव ससार को मानव ससार बनाय

रखन म मिततवपणम भशमका शनभाता ि वि ि - मन क साि घशनषटता स जडी हई सवदनाए अतदवमनदव

क धधल रासतो स गज़रती हई मन क दकसी कोन म शछप कर बठी हई सवदनाए मशसतषक क तको-

कतको क घन जाल स सवय को मकत करती हई अपना रासता तलािती ि और अततः अपनी मशजल

पा जाती ि वि मशजल ि - मानवता की मानवीय सवदनाओ की जो नशतकता और जीवन मलयो क

सदढ़ सतभो पर आधाटरत ि

शवषण परभाकर की परतयक लघकिा म मानव मन की अतयामतरा क ऐस अनक मारममक शचतर

शबखर पड़ ि जो जीवन मलयो स अनपराशणत िोकर उसक अतरतम को दीपत िी निी करत वरन वाहय

जगत को भी आलोदकत करत ि य लघकिाए दशवधा स मकत करक सतकमम की राि पर चलना

शसखाती ि मानव को मानव बनना शसखाती ि अभी आती ह म सवा का वासतशवक अिम तब

उजागर िोता ि जब मिी जी पलग की शगलटी शनकल आय अपन नौकर को इसशलए छोड़कर जान को

तयार निी िोत कयोदक जनम भर राम न मरी सवा की अब जब उसक शसर पर मौत मडरा रिी ि

म उस छोड़ कर कस जा सकता हrdquo इसी परकार मक शिकषण लघ किा मन की गिराइयो तक मानवीय

सवदनाओ क तारो को झकत कर जाती ि फलना परसाद भयकर जाड़ो म भी इसशलए कोट निी

पिनना चाित कयोदक गरीबी और गदगी म रिन वाल मजदरो क िरीर पर वसतर निी ि और न पट म

अनन परभाकर जी की लघ किाओ म जीवन का िभ और सनदर पकष दवदव क माधयम स उभर कर सामन

आया ि वसततः कया िोना चाशिए स अशधक मितवपणम ि कस िोना चाशिए शवषण परभाकर की

लघकिाओ म सवमतर जीवन मलयो और आदिो क सि मोती शबखर पड़ ि इनम मनषय की भीतरी

िशकत और सदगणो का परकाि सवमतर फला ि

शवषण परभाकर क साशितय म मानवता - शिनद-मशसलम समसया भारत की एक ऐसी िाशवत समसया बन

गयी ि शजसका अत दि क बटवार क बाद भी निी िो सका ि फकम पानी की जात जात या जान

मोिबबत आदद अनक लघकिाए इस पटरदशय को एक नयी राि पर ल जान को उतपरटरत करती ि

जात या जान की ज़ददोज़िद म जात की िी िार िोती ि और िोनी भी चाशिए पयास स वयाकल एक

शिनद यवक मसलमान दकसान की कटटया म पहच कर पानी मागता ि - उसन िाफत-िाफत दकसी

तरि किा पानीrdquo उस यवक न उसकी ओर दखा और किा म मसलमान हrdquo तो कया हआrdquo उसन

15 57 2018 39

किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

15 57 2018 40

दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 41: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 39

किा िोता कया म तमिारी जात निी ल सकता तम शिनद िो अपन रासत जाओrdquo म जात निी

जान की बात कर रिा ह तम जान तो निी लोग मझ पानी दो म यिी पड़ा ह दखता ह तम जात लत

िो या जानrdquo अत म एक मानव पानी दकर दसर मानव की पयास बझाता ि

अपनी बहचरचमत लघकिा फकम म परभाकर जी न दखन म छोटी लग घाव कर गभीर

किावत को चटरतािम दकया ि यि आदमी िी ि शजसन दि जाशत धमम नसल और रग की दीवार

खड़ी की ि अनयिा य फ़कम जानवर करना निी जानत यिी वि सबद ि जिा आदमी सवय को जानवर

स भी बदतर जानवर पाता ि मोिबबत नामक लघकिा म भावनातमक सतर पर सापरदाशयक सदभाव

को दिामया गया ि ईद क ददन एक मसलमान दोसत अपन शिनद दोसत क घर स दध ल जाकर उसस

बनी हई सवइया बना कर जब शिनद दोसत क घर जाता ि तो उसकी मा सवइया लन स इकार कर

दती ि सयोग वि सशवयो का कटोरा विी दरवाज पर शगर जाता ि यिी किा की चरमावसिा आती

जो मन को शझझोड़ जाती ि और मानवता की राि तक ल जाती ि - व सवइया निी िी इनसान की

मोिबबत िी जो मर दरवाज पर परो स रौद जान क शलए पड़ी िीrdquo यि शनषकषम वाकय वमनसय

स जलत हए मन को मानो सशिषणता का िीतल जल शपला कर भीतर तक िात कर जाता ि

कया तपन कया दिन

कया जयोशत कया जलन

कया जठराशि-कामाशि

निी निी

य अिम ि कोष क कोषकारो क

जीवन की पाठिाला क निी

शवषण परभाकर का बाल साशितय - शवषण परभाकर की किा यातराओ का एक पड़ाव ि - बाल-मन की

यातरा बिो को पास स दखन और उनक मन का अधययन करन का शवषण जी को बहत अवसर शमला

ि यि बात उनिोन सवय भी सवीकार की ि उनकी सवदनिीलता और उनक शनरीकषण करन की

कषमता स परभाकर जी अतयत परभाशवत ि बि जो कछ भी कि या कर जात ि उन पर सिसा शवशवास

निी िोता बिो क भोल और शनशछल मन की सिजता स मागी गयी िर सिी पकार ईशवर क दरबार

म सवीकार की जाती ि दकनत जस-जस व बड़ िोत जात ि बालपन म आतमा की यि पशवतरता

धधलान लगती ि उस पर सवािम की अनक परत चढ़न लगती ि शनःसवािम मन स की गयी परािमना और

सवािम भरी परािमना क अतर को वि बिा िोड़ िी न िा नामक लघ किा म बड़ िी मारममकता क साि

दिामया गया ि एक लखक शबजली जान स परिान ि पाच घट गज़र जान क बाद भी शबजली निी

आयी लखक अपन ढाई वषम क शिि स कित ि बट शबजली रठ गयी ि ज़रा बलाओ तो उस शिि

न सिज भाव स शबजली को पकारा और सयोग स शबजली आ जाती ि दर रात तक पशत घर निी

लौटत तो पतनी अपनी छोटी बिी स बोली बटी तमिार पापा अभी तक निी आय बहत दर िो

गयी तम उनि पकारो तोrdquo सयोग वि बिी क पकारत िी दरवाज पर पापा खड़ मसकरा रि ि

15 57 2018 40

दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

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55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 42: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 40

दकनत अपनी शपरय पतनी की मतय क बाद एक पशत जब सि मन स पकारता ि शपरय तम लौट आओ

म तमिार शबना निी रि पा रिाrdquo तो वि निी आती ि बाल-मन की सिजता और शनममलता क

सामन वयसक मन को मानो उनिोन एक चनौती दी ि बालमन की यातरा क दौरान उनक मन क भीतर

की सवाभाशवक शजजञासा उतसकता परशनाकलता सनिाशसकत तरलता तिा बाल-बशदध की

परौढ़ता को शवषण जी न शजस सिजता स दिामया ि वि अनयतर दलमभ ि बिो क मन म चल रि दवदव का

बािर स आभास लगाना अतयत कटठन िोता ि सबस तज़ गशत मन की ििव की जयाशमशत वि

िरारत ििव का भोलापन ििव तो अचछा दो बिो का घर आदद लघ किाओ म इसी सतय को

दिामया गया ि ििव की जयाशमशत - तीन कोण नामक किा म चार वषीय बट टटक की िरारतो स

माता-शपता दोनो तरसत ि टटक अपन माता-शपता क साि िी अपनी दादी का भी बहत दलारा ि टटक

की िरारत जब सीमाए लाघ जाती ि तो खीज कर उसक शपता उसक गाल पर तड़ातड चाट जड़ दत

ि टटक तड़प कर कि उठता ि भगवान क पास जात हए अममा कि गयी िी बिो को डाटना मत

पयार स रखना और आप मझ इतनी जोर स मारत ि म अममा क पास चला जाऊगा शवषण जी

शजतन अचछ लखक ि उतन िी सिज उनिोन बाल साशितय का भी खब सजन दकया उनका मानना

िा दक बचपन जीवन का ऐसा आईना िोता ि जो आग की ददिा शनधामटरत करता ि परभाकर जी न

शजस लगन स बाल साशितय शलखा तनमयता स शलखा वि बजोड़ ि

मि-स-मि शमलाकर

बोल वि

बरम बरम बरम

कानाबाती करम करम करम

टीली-लीली झरम-झरम-झरम

अर र र

दरम दरम दरम

उनका मानना िा दक बिो को रोचकता क साि जञान सामगरी उपलबध करान की ज़ररत ि

उनकी मितवपणम बाल एकाकी और बाल किाशनया ि lsquoजाद की गायrsquo सगरि म उनकी बाल एकादकया

सकशलत ि उनका बालनाटक जो ककषा चार पाच क पाठयकरम म शलया गया वि बिो की चतराई स

जड़ा हआ ि बिो क सकषम मनोशवजञान को उनिोन सिजता सरलता स अदकत दकया ि

शवषण परभाकर क परशसदध नाटक - शवषण परभाकर को जीवनी क अलावा सबस जयादा खयाशत शजस शवधा

म शमली वो उनक दवारा शलखी एकाकी ि िर-िर म उनिोन एक िडम गरड नाटक कमपनी क शलए

ितया क बादrsquo जसा नाटक शलखा यि और बात ि दक यि नाटक भी चरचमत िो उठा उसक बाद वि

शिसार म एक नाटक मडली क साि भी कायमरत िो गय इसक पशचात परभाकर जी न लखन को िी

अपनी जीशवका बना शलया आज़ादी क बाद १९५५-५७ क बीच इनिोन आकािवाणी नई ददलली म

नाटय-शनदिक क तौर पर काम दकया परभाकर की रचनाओ म परारमभ स िी सवदि-परम राषटरीय

चतना और समाज सधार का सवर मखर रिा ि अत उनिोन सरकारी नौकरी स तयागपतर द

ददया और सवततर लखन को अपनी जीशवका का साधन बना शलया रग और शिलप की दशषट स

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 43: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 41

परभाकर क अशधकाि एकाकी रशडयो-रपक ि उनकी पिली किानी १९३१ म लािौर की पशतरका म

छपी िी और काफी पसद भी की गयी िी बस दफर कया इस किानी स उनकी लखनी क पखो म

िरकत हई जो बाद म जाकर इस पकषी को साशितय क दर शवसतत असीम अनत आसमान की सर करा

लायी गभीर स गभीर बात को आसानी स कि दना उनकी िली ि एक नाटककार क रप म शवषण

परभाकर न लोक साशितय तिा सटज की माग परी करत हए एक अलग पिचान बनाई

परभाकर का नाटक lsquoडाकटरrsquo जिा आज भी अपनी खयाशत की कसौटी पर खरा उपशसित ि विी

एकादकयो म परकाि और परछाई बारि एकाकी कया वि दोषी िा दस बज रात आदद इस शवधा म

मील क पतिर क रप म आज भी मौजद ि

शवषण परभाकर और गाधी - शवषण परभाकर को साशितय का गाधी किा जाए तो अशतशयोशकत निी िोगी

कयोदक उनपर मिातमा गाधी क दिमन और शसदधातो का गिरा परभाव िा परभाकर जी म आप व सार

गण-अचछाईया दख सकत ि जो गाधी आनदोलन क समय गाधी जी क मलय ि उनक लखन म गाधी

वादी धारममकता असिसकता उदारता आदद सभी कछ दखन को शमलता ि यिा तक दक उनकी

विभषा शजसम उनका झोला उनकी टोपी साकषात उनि गाधीवादी शसदध करता ि और इसक चलत

िी उनका रझान कागरस की तरफ हआ और सवततरता सगराम म उनिोन अपनी लखनी का भी एक

उददशय बना शलया जो आजादी क शलए सतत सघषमरत रिी म जझगा अकला िीrsquo जसी उनकी

कशवताए जीवन म कटठन सघषो स जझन की पररणाए दती ि अपनी मतय स पिल िी उनिोन अपन

िरीर को दान कर ददया िा इसका सीधा अिम िा दक व पनजमनम को निी मानत ि उनक पटरवार म

जाशत वाद निी िा उनिोन नई परमपराओ नए मलयो को समाज म सिाशपत दकया िमिा पजी वाद

सामराजयवाद का शवरोध दकया अपन दौर क लखको म व परमचद यिपाल जनर और अजञय जस

मिारशियो क सियातरी रि लदकन रचना क कषतर म उनकी एक अलग पिचान रिी दि व समाज क

शलय उनका सपषट शवज़न िा गाधीवाद का परजोर समिमन उनक िी िबदो म ldquoअनयाय और सिसा का

परशतकार िर िाल म िोना चाशिए झकना बहत बड़ी कमजोरी ि म झकन म यकीन निी करता

गाधी न दसरो क शलए जीवन जीन की सीख दी मर अतरतम का शवशवास ि दक लोग इस पर चल सक

तो समसयाए सलझ जायगी मनषय बितर नागटरक बन सक ग दफर भी गाधीवाद को सामाशजक

सगठन या िासन शवशध क रप म निी शलया गया सफलता या असफलता का पता तभी चलगा जब

लोग इस परयोग म लायग शवकासिील दिो म गराम सवराजय का तरीका अपनाया गया और जापान

न नयी तालीम को अपनायाrdquo

उनकी कशवता एक छलावा स इस सनदभम म उनक शवचार सपषट िोत ि -

बाप

तम मानव तो निी ि

एक छलावा ि

कर ददया िा तमन जाद

िम सब पर

सिावर-जगम जड़-चतन पर

तम गए

तमिारा जाद भी गया

और िो गया

एक बार दफर नगा

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 44: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 42

यि

बईमान

भारती इनसान

सवाशभमानी शवषण परभाकर - पदम भषण सममान लौटात वकत उनका यि किन दक वस भी इस तमग

की बाजार म कोई कीमत तो ि निी मझ कया शमलन वाला ि इसस जो शमलना िा बहत शमल

चका अब मझ दकसी भी चीज की सपिा निी ि ऐस अलकरण स किी जयादा सतोषदायी बात मर

शलए यि ि दक मरा लखन चलता रि जो अपन नाम क पीछ पदमशरी - पदमशवभषण लगान म गौरव

समझत ि व लोग िायद निी जानत दक ऐसा करना जमम ि यि तो मिज अलकरण ि नाम और

उपाशध का शिससा निी िrdquo

उनका मानना िा दक सवय क शलए निी वरन समाज क शलए चलो राषटर क शलए चलो

परभाकर जी आनदोलनो स कभी निी जड़ व ऐस रचनाकार ि जो न दकसी आलोचक स परभाशवत हए

उनिोन विी दकया जो उनकी भीतरी शवचारधारा किती िी

मर अधर बद मकान क

खल आगन म

ककटस निी उगत

मनीपलाट ख़ब फलता ि

लोग कित ि

पौधो म

चतना निी िोती

रचनाकार अपन िी कारणो स बड़ा िोता ि - आलोचना स बड़ा निी िोता परभाकर जी न

किा भी ि दक म सीधा-सादा आदमी ह और वसा िी शलखता भी ह जब िम उनकी किानी-उपनयास

दकसी भी शवधा पर बात कर तो यि बात धयान रखनी चाशिए जनता स जड़न सादगी आदद बातो म व

परमचनद की परमपरा क लखक ि सादगी-सरलता का अपना सौनदयम िासतर ि शजस तरि भगीरि गगा

को धरती पर लाए उसी तरि शवषण जी न भी इस धरती पर भी साशितय को रोपा व शिनदी जगत क

पिल ऐस रचनाकार ि शजनिोन शिनदी की सभी शवधाओ म काम दकया शजस तरि मिी परमचनद को

उपनयास समराट किा जाता ि उसी तरि व ससमरण समराट ि पतरो का जखीरा शवषण जी क अलावा

किी निी शमलता उनक साशितय क साि-साि उनक दवारा शलख गए परम पतर भी साशितय जगत की

धरोिर बन साशितय क धरवतार का खो जाना -

आदमी मर गया कभी का

पीदढ़या शज़नदा ि

सरज बझ जाएगा एक ददन

पर आकाि अमर ि

सरज क शबना

वि आकाि कसा िोगा

साशितय क इस मजबत स तम भ न २००९ क अपरल मिीन की ११ तारीख को इस लोक स शवदा

ल ली शवषण जी का जाना सिदी साशितय जगत को सना कर गया शिनदी साशितय न एक मिान

वयशकतततव खो ददया शनसदि व अपरशतम वयशकततव क धनी ि एव मिान साशितयकार ि सिदी साशितय

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 45: vsu2avsu2a - vasudha1.webs.comvasudha1.webs.com/pdf57.pdf · 15, 57 2018 1 डॉ. (पोस्ट-डॉक्टरल ेलोशिप अवाडी)भारत के राष्ट्रपशत

15 57 2018 43

जगत न एक मिान शवभशत खो दी ि आज शवषण परभाकर जीशवत निी ि लदकन उनका साशितय अमर

ि

मन बीत हए यग की

किा शलखी िी

वि सच निी हई

तम आनवाल कषण की

किानी शलख रि िो

वि भी सच निी िोगी

काल सबको गरस लगा

िष रि जायगा दभ

मरा तमिारा उसका

तम जानत िो दकसका

बोलो निी कयोदकhellip

जो भी तम बोलोग

झठ िोगा सब

ग़ज़ल

दयाननद पाणड

बटी का शपता िोना आदमी को राजा बना दता ि

िादी खोजन शनकशलए तो समाज बाजा बजा दता ि

राजा बहत हए दशनया म पर बटी का शपता वि घायल राजा ि

शजस क मकट पर िर कोई सवालो का पतिर उछाल दता ि

िल कोई निी दता सब सवाल करत ि जस परिार करत ि

बटी का बाप ि आशख़र िर दकसी को सारा शिसाब दता ि

लड़क का बाप तो पदाईिी ख़दा ि लड़की क शपता को

यि समाज सकमस की एक चलती दफरती लाि बना दता ि

लड़का चािता ि शवशव सदरी नयन नकि तीख नौकरी वाली

मा चािती ि घर की नौकरानी बट का बाप बाज़ार सजा दता ि

नीलाम घर सजा हआ ि दलिो का फरमाईिो की चादर ओढ़

कौन दकतनी ऊची बोली लगा सकता ि वि अदाज़ा लगा लता ि

15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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15 57 2018 44

शवकास समानता बराबरी कानन ढकोसला ि समाज दोगला ि

लड़दकया कम ि अनपात म पर दाम लड़को का बढ़ा दता ि

पढ़ी शलखी ि सदर ि नौकरी वाली भी हनर और सलीक स भरपर

जिालत का मारा सड़ा समाज उनि औरत िोन की सज़ा दता ि

उमर बढ़ाती हई बटटया ख़ामोि ि शपता शसर झकाए बठ ि

बरिम वकत उन क सलगत अरमानो का ताशजया उठा दता ि

बात करत हए वि आकाि दखता ि बोलता कम टटोलता ज़यादा ि

लड़क का बाप ि उस की ऐठ अकड़ और अिकार यि बता दता ि

मसाला खात िराब पीत भईया यिा विा मि मारन म टॉपर ि

बट का बाप उस हडी समझता ि िादी क बाज़ार म भजा दता ि

शसर क बाल भी ग़ायब चिर पर अययाशियो क भाव अटखशलया करत

आख स दार मिकती ि बाप का जलवा उस मिगा दलिा बना दता ि

शजतन ऐब ि ज़मान म सभी स ससशजजत ि िर कोई जानता समझता

लदकन बट का बाप अधा िोता ि उस सार गणो की खान बता दता ि

पशडत ि लि शलसट तमाम चोचल भी बता त किा-किा दफट िोता ि

आप को निी मालम कोई बात निी इवट मनजर यि सब बता दता ि

ससकार और टरशता निी अब तड़क-भड़क ि इवट का तमािा ि

िादी क टरशत को यिी इवट करोड़ो अरबो का वयापार बना दता ि

आदमी दकशतो म सास लता ि टटता शबखरता ि और मर जाता ि

यि िादी निी फासी की रसम ि जाशलम समाज िर कदम बता दता ि

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