भारत 2017 मानव अधिकार ररपोर्ट€¦ · भारत 2017...

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भारत 2017 मानव अधिकार ᳯरपोट काटकारी सारािश भारत धिसदनी धविाधका वाला एक बहदली, सिघी, सिसदी लोकति है। रापधत, जो ᳰक सिसद और रा धविानसभा से बने धनवाटचक मिडल िारा चुना जाता है , राा होता है , और िानमिी सरकार का अ। सिधविान के अितटत 29 रा और सात क शाधसत देश को उ-तरी वाा ा है , तथा क़ानून और वथा का मु दाधव उह का है। मतदाता ने जुलाई म 5 वट कᳱ अवधि के धलए रापधत रामनाथ कोᳲविद को चुना, और सन् 2014 के आम चुनाव म भारती जनता पाी के नेतृव वाले रालोकतािधक ठबिन कᳱ जीत के बाद नर मोदी िानमिी बने। ेक ने इन चुनाव को, धजनम 55 करो 10 लाख से अधिक भाीदार शाधमल थे, हिसा कᳱ इा-दुा घना के बावजूद, वति और धनप माना। असैधनक अधिकाᳯर ने सुरा बल पर कारर धनिण बनाए रखा। मानवाधिकार से सिबिधित सबसे महवपूणट मामल म पुधलस और सुरा बल के दुटवहार शाधमल थे, जैसे ᳰक ाेतर हाएि , लो का ाब हो जाना, उपीन, मनमाने ढि से धरतारी और धहरासत, बलाकार, कठोर और जीवन-जोधखम वाली बिदीृह पᳯरधथधताि , तथा मुक़दमे से पहले लिबी धहरासत। ापक ाचार; कुछ रा म राजनीधतक बिᳰद कᳱ ᳯरपो ; सिचार माम के , धजनम कुछ सरकार कᳱ आलोचना करने वाले भी शाधमल ह, उपीन और ससरधशप कᳱ घनाएि जारी रह। कुछ ग़ैर-सरकारी सिठन (एनजीओ) के धवदेशी धनिीन पर सरकारी पाबिᳰदाि लाू थ, धजनम ऐसे धवचार वाले एनजीओ शाधमल ह जो सरकार के कथनानुसार “राी धहत” म नह ह, धजससे इन एनजीओ के काम म कमी आई। आठ रा म िमट-पᳯरवतटन पर क़ानूनी पाबिᳰदाि ; बलाकार, घरेलू ᳲहिसा, दहेज सिबिी मौत, समान के नाम पर हा, ौन उपीन सिबिी मामल म अपराधिक तहक़ᳱकात अथवा उरदाधव का अभाव; तथा मधहला और लᳰक के धवर भेदभाव िभीर समाएि बने रहे। िाᳶमटक सबता, ौन अधभमुखता, तथा आᳰदवाधस सधहत कबीले अथवा जाधत के आिार पर ᳲहिसा तथा भेदभाव भी, उरदाधव के अभाव के कारण जारी रहा। सरकार के सभी तर पर दुराचार के धलए उरदाधव का अभाव जारी रहा, धजसने ापक दडाभाव म ोदान ᳰका। अल-अल मामल म तहक़ᳱकात ह और मुक़दमे चले, लेᳰकन ढुल-मुल वतटन, धशधत पुधलस अधिकाᳯर कᳱ कमी, तथा अधिक बोझ तले दबी और सिसािन कᳱ कमी से त अदालत णाली के कारण दो-धसध कᳱ सिा कम रही।

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  • भारत 2017 मानव अधिकार ररपोर्ट

    कार्टकारी साराांश

    भारत धिसदनीर् धविाधर्का वाला एक बहुदलीर्, सांघीर्, सांसदीर् लोकतांत्र ह।ै राष्ट्रपधत, जो कक सांसद और

    राज्र् धविानसभाओं स ेबने धनवाटचक मांडल िारा चनुा जाता ह,ै राष्ट्राध्र्क्ष होता ह,ै और प्रिानमांत्री सरकार का

    अध्र्क्ष। सांधविान के अांतर्टत 29 राज्र्ों और सात कें द्र शाधसत प्रदशेों को उच्च-स्तरीर् स्वार्त्ता प्राप्त ह,ै तथा

    क़ानून और व्यवस्था का मुख्र् दाधर्त्व उन्हीं का ह।ै मतदाताओं ने जुलाई में 5 वर्ट की अवधि के धलए राष्ट्रपधत

    रामनाथ कोववांद को चनुा, और सन ्2014 के आम चनुावों में भारतीर् जनता पार्ी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीर्

    लोकताांधत्रक र्ठबांिन की जीत के बाद नरेंद्र मोदी प्रिानमांत्री बने। पे्रक्षकों ने इन चुनावों को, धजनमें 55 करोड़

    10 लाख से अधिक भार्ीदार शाधमल थ,े वहांसा की इक्का-दकु्का घर्नाओं के बावजूद, स्वतांत्र और धनष्पक्ष माना।

    असैधनक अधिकाररर्ों न ेसुरक्षा बलों पर कारर्र धनर्ांत्रण बनाए रखा।

    मानवाधिकारों से सांबांधित सबसे महत्वपूणट मामलों में पुधलस और सुरक्षा बलों के दवु्यटवहार शाधमल थे, जसैे कक

    न्र्ार्ेतर हत्र्ाएां, लोर्ों का र्ार्ब हो जाना, उत्पीड़न, मनमाने ढांर् से धर्रफ़्तारी और धहरासत, बलात्कार,

    कठोर और जीवन-जोधखम वाली बांदीर्ृह पररधस्थधतर्ाां, तथा मुक़दमे से पहले लांबी धहरासत। व्यापक भ्रष्टाचार;

    कुछ राज्र्ों में राजनीधतक बांकदर्ों की ररपोर्ें; सांचार माध्र्मों के, धजनमें कुछ सरकार की आलोचना करने वाल े

    भी शाधमल हैं, उत्पीड़न और सेंसरधशप की घर्नाएां जारी रहीं। कुछ ग़ैर-सरकारी सांर्ठनों (एनजीओ) के धवदशेी

    धनिीर्न पर सरकारी पाबांकदर्ाां लार् ूथीं, धजनमें ऐसे धवचारों वाल ेएनजीओ शाधमल हैं जो सरकार के

    कथनानसुार “राष्ट्रीर् धहत” में नहीं हैं, धजससे इन एनजीओ के कामों में कमी आई। आठ राज्र्ों में िमट-पररवतटन

    पर क़ानूनी पाबांकदर्ाां; बलात्कार, घरेलू वहांसा, दहजे सांबांिी मौतों, सम्मान के नाम पर हत्र्ाओं, र्ौन उत्पीड़न

    सांबांिी मामलों में अपराधिक तहक़ीकातों अथवा उत्तरदाधर्त्व का अभाव; तथा मधहलाओं और लड़ककर्ों के

    धवरुद्ध भेदभाव र्ांभीर समस्र्ाएां बने रह।े िार्मटक सम्बद्धता, र्ौन अधभमुखता, तथा आकदवाधसर्ों सधहत कबीले

    अथवा जाधत के आिार पर वहांसा तथा भेदभाव भी, उत्तरदाधर्त्व के अभाव के कारण जारी रहा।

    सरकार के सभी स्तरों पर दरुाचार के धलए उत्तरदाधर्त्व का अभाव जारी रहा, धजसन ेव्यापक दण्डाभाव में

    र्ोर्दान ककर्ा। अलर्-अलर् मामलों में तहक़ीकातें हुईं और मुक़दमे चले, लेककन ढुल-मुल प्रवतटन, प्रधशधक्षत

    पुधलस अधिकाररर्ों की कमी, तथा अत्र्धिक बोझ तले दबी और सांसािनों की कमी स ेग्रस्त अदालत प्रणाली के

    कारण दोर्-धसधद्धर्ों की सांख्र्ा कम रही।

  • भारत 2

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    जम्मू-कश्मीर राज्र्, उत्तर पूवट, और माओवादी प्रभाधवत इलाकों में पृथकतावादी धवद्रोधहर्ों ने र्ांभीर दवु्यटवहार

    ककए, धजनमें सशस्त्र सेना के लोर्ों, पुधलस, सरकारी अधिकाररर्ों और नार्ररकों की हत्र्ाएां और उन्हें र्ातनाएां

    दनेा, और बाल सैधनकों की भती और उनका इस्तेमाल शाधमल ह।ै

    खांड 1. व्यधि की अखांडता का सम्मान धजसमें धनम्ाांककत स ेस्वतांत्रता शाधमल ह:ै

    ए. मनमान ेढांर् स ेजीवन हरण तथा अन्र् ग़रैक़ाननूी अथवा राजनीधत प्ररेरत हत्र्ाएां

    ऐसी ररपोर्ें थीं कक सरकार और उसके एजेंर्ों ने मनमाने ढांर् से अथवा ग़ैर-क़ानूनी हत्र्ाएां कीं धजन में सांकदग्ि

    अपराधिर्ों और धवद्रोधहर्ों की न्र्ार्ेतर हत्र्ाएां शाधमल हैं।

    इस वर्ट के दौरान दधक्षण एधशर्ाई आतांकवाद पोर्टल ने, धजसका सांचालन सांघर्ट प्रबांि का अलाभकारी सांस्थान

    करता ह,ै 2 जून तक 111 नार्ररकों, सरुक्षा बलों के 15 सदस्र्ों, तथा 210 आतांकवाकदर्ों अथवा धवद्रोधहर्ों

    की मौत की ररपोर्ट दी। इस सांस्थान के आांकड़ ेर्ह भी दशाटते हैं कक जम्मू-कश्मीर राज्र् में सन् 2016 में 329 के

    मुक़ाबल ेइस वर्ट अर्स्त तक आतांकवादी वहांसा के कारण 317 मौतें दजट कीं र्ईं।

    रृ्ह मांत्रालर् के 2016-17 के आांकड़ों के अनसुार राष्ट्रीर् मानव अधिकार आर्ोर् (एनएचआरसी) के तहक़ीकात

    धवभार् के दशेव्यापी आकलन के अनुसार “मुठभेड़ मौतों” के -- धजस शब्दावली का इस्तेमाल सुरक्षा अथवा

    पुधलस बलों और कधथत अपराधिर्ों अथवा धवद्रोधहर्ों के बीच ऐसी ककसी भी मुठभेड़ को बर्ान करन ेके धलए

    ककर्ा जाता ह ैधजसके पररणाम स्वरुप ककसी की मौत हो जाए -- पररणाम स्वरुप 108 मौतों की ररपोर्ें सामने

    आईं।

    6 जून को, मध्र्प्रदशे में एक प्रधतवाद प्रदशटन के दौरान पुधलस ने 6 लोर्ों को मार डाला। मध्र् प्रदशे सरकार न े

    पुधलस की कार्टवाही की तहक़ीकात के धलए एक सदस्र् आर्ोर् धनर्ुि ककर्ा और हर पीधड़त के पररवार को

    एक करोड़ रुपए (160,000 डॉलर) प्रदान ककए। वर्ट के अांत तक तहक़ीकात पूरी नहीं हुई थी।

    धहरासत में मौत के मामलों की ररपोर्ट धमलना जारी रहा, धजनमें पुधलस की धहरासत में क़ैकदर्ों अथवा बांकदर्ों

    को र्ा तो मार डाला र्र्ा र्ा वे मर र्ए। कुछ मामलों में साक्ष्र्ों की ररपोर्ों के बावजदू, कें द्रीर् और राज्र्

    अधिकाररर्ों िारा पुधलस अथवा सुरक्षा अधिकाररर्ों पर मुक़दमे न चलाने के धनणटर् एक समस्र्ा बने रह।े

    राष्ट्रीर् अपराि ररकॉडट ब्र्रूो (एनसीआरबी) न ेसन ्2016 में राष्ट्र भर में धहरासत में मौत के 92 मामलों की

    ररपोर्ट दी धजसमें सबसे ज़्र्ादा, 16 मामलों, की ररपोर्ट महाराष्ट्र से आई। मध्र् प्रदशे और रु्जरात ने 11 मामलों

    और उत्तर प्रदशे ने 9 मामलों की ररपोर्ट दी। एक मीधडर्ा ररपोर्ट के अनुसार, “सूचना के अधिकार” (आरर्ीआई)

  • भारत 3

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    की र्ाधचका के प्रत्र्ुत्तर में एनएचआरसी ने बतार्ा कक 1 जनवरी से 2 अर्स्त के बीच 74 लोर् पुधलस की

    धहरासत में मर र्ए।

    24 जुलाई को सवोच्च न्र्ार्ालर् ने सरकार के कें द्रीर् जाांच ब्र्ूरो (सीबीआई) तथा मध्र् प्रदशे राज्र् सरकार से

    छात्रों के अवैि-घोधर्त भारत के इस्लामी आांदोलन के उन आठ सांकदग्ि सदस्र्ों की अक्रू्बर 2016 में हुई हत्र्ा

    की अदालती-धनर्रानी में चल रही तहक़ीकात के बारे में ताजा जानकारी माांर्ी, जो कधथत रूप स,े एक प्रहरी

    को मारकर एक उच्च सुरक्षा कारार्ार स ेभार् धनकलने के बाद, मारे र्ए थे। नवांबर 2016 में एनएचआरसी न े

    राज्र् सरकार, पुधलस, और कारार्ार अधिकाररर्ों के धिलाफ़ एक औपचाररक धशकार्त जारी की थी धजसमें

    इस पर सांदहे व्यि ककर्ा र्र्ा था कक वे लोर् भार्ने का प्रर्ास करते समर् मारे र्ए, बधकक इसे धहरासत में

    मौत की शे्रणी में रखा था। मारे र्ए एक व्यधि की मधहला ररश्तेदार न,े सवोच्च न्र्ार्ालर् में दाधखल अपनी

    र्ाधचका में, इस बात पर मध्र् प्रदशे सरकार की आलोचना की थी कक उसने केवल एक-व्यधि वाला जाांच

    आर्ोर् धनर्ुि ककर्ा।

    25 अक्रू्बर को, सीबीआई की एक धवशेर् अदालत न े16 क़ाननू प्रवतटन अधिकाररर्ों पर सोहराबुद्दीन शेख और

    तुलसीराम प्रजापधत की मुठभेड़-मौत में उनके कधथत उलझाव के धलए आरोप दार्र ककए। कधथत रूप से

    राजस्थान और रु्जरात के एक सांर्ुि आतांक धवरोिी दस्ते ने नवांबर 2005 को अहमदाबाद के धनकर् एक सड़क

    पर शेख को मार डाला; बाद में, पुधलस ने कधथत रूप से उसकी पत्नी कौसर बी, और मामल ेमें एक महत्वपूणट

    र्वाह तुलसीराम प्रजापधत को मार डाला। सीबीआई के कथनानसुार, अधभर्ुिों के धिलाफ़ आरोप दाधिल

    नहीं ककए र्ए धजनके आवेदन मुांबई उच्च अदालत अथवा सवोच्च अदालत में लांधबत थे।

    25 माचट को, मद्रास की उच्च अदालत ने तधमलनाडु सरकार को रमेश नाम के व्यधि के, जो “नम्बू” नाम से

    जाना जाता ह,ै पररवार को दस लाख रुपए (16,000 डॉलर) अदा करने का आदशे कदर्ा, जो सन् 2010 में

    उस समर् कधथत रूप से र्ातना कदए जान ेके बाद मर र्र्ा जब वह चोरी के सांदहे में पुधलस की धहरासत में था।

    अदालत ने तधमलनाडु सरकार के नर्र प्रशासन सधचव पर इस बात के धलए 50 हजार रुपर्े (800 डॉलर)

    जुमाटना भी लर्ार्ा कक वह पीधड़त के पररवार को मुआवजा दनेे में नाकाम रहा। पुधलस के अधतररि

    महाधनदशेक िारा मामल ेकी जाांच स ेजुलाई में इस बात की पुधष्ट हुई कक नम्ब ूके साथ उसकी अवैि धहरासत के

    दौरान “दवु्यटवहार” ककर्ा र्र्ा और वह इस व्यवहार के पररणाम स्वरुप मर र्र्ा।

    तीन व्यधि अलर्-अलर् घर्नाओं में कधथत र्ातना के कारण उस समर् मर र्ए जब वे तेलांर्ाना राज्र् पुधलस

    की धहरासत में थे। 7 अपै्रल को, मोहन कृष्ण हदैराबाद में बेर्मपेर् पुधलस स्रे्शन से लौर्ने के बाद अस्पताल

    जाते हुए रास्ते में मर र्र्ा, जहाां वह एक नाबाधलर् के कधथत र्ौन उत्पीड़न के मामल ेमें धहरासत में था और

  • भारत 4

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    उससे पूछताछ की र्ई थी। 21 अपै्रल को, एक व्यधि, धजसकी “र्णेश” नाम से पहचान की र्ई, हदैराबाद के

    धनकर् हर्ातनर्र पुधलस स्रे्शन में सड़क पर “सांकदग्ि र्धतधवधि” के बारे में पूछताछ के बाद अस्पताल जाते हुए

    रास्ते में मर र्र्ा। 18 माचट को, भीम वसांह एक झर्ड़ ेके बाद पूछताछ के धलए हदैराबाद पुधलस स्रे्शन में रोके

    जाने के बाद मर र्र्ा। इस सब मामलों में पुधलस ने इस बात से इनकार ककर्ा कक धहरासत में धलए र्ए लोर्ों

    को र्ातनाएां दी र्ईं, और पुरानी बीमाररर्ों को उनकी मौत का कारण बतार्ा।

    सशस्त्र बल धवशेर्ाधिकार क़ानून (एएफएसपीए) नर्ालैंड, मधणपुर, असम, और धमजोरम के कुछ भार्ों में लार् ू

    रहा, तथा इस क़ाननू का एक रूपाांतर जम्मू और कश्मीर राज्र् में लार् ूथा। सरकार न ेअसम से लर्ने वाल े

    मेघालर् के सीमावती क्षेत्रों और अरुणाचल प्रदशे के 3 धजलों को भी अर्स्त से अक्रू्बर तक दो और महीनों के

    धलए “अशाांत” घोधर्त कर कदर्ा। जबकक नर्ालैंड सरकार ने राज्र् में एएफएसपीए उठा धलए जाने की माांर् की,

    कें द्र सरकार न ेइसे कदसांबर के अांत तक के धलए बढा कदर्ा।

    एएफएसपीए के अांतर्टत, कें द्रीर् सरकार िारा ककसी राज्र् अथवा कें द्र शाधसत प्रदशे को “अशाांत क्षेत्र” घोधर्त

    ककए जाने से सरुक्षा बलों को राज्र् में “क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने के धलए” घातक शधि का इस्तेमाल

    करने तथा ऐसे ककसी भी व्यधि को “धजसके धिलाफ़ तकटसांर्त सांदहे मौजूद हो” उसे धर्रफ़्तारी का आिार

    बताए धबना धर्रफ़्तार कर लनेे का अधिकार धमल जाता ह।ै र्ह क़ानून सुरक्षा बलों को उन क्षेत्रों में ककए र्ए

    कार्ों के धलए नार्ररक मुक़दमों से धनरापदता भी प्रदान करता ह ैजहाां एएफएसपीए लार् ूहो, हालाांकक सन्

    2016 में सवोच्च न्र्ार्ालर् ने र्ह धनष्कर्ट धनकाला था कक ककसी अशाांत क्षेत्र में सशस्त्र बलों के हाथों हुई हर

    मौत की, चाह ेवह आतांकवादी की हो र्ा आम आदमी की, पूरी तरह जाांच की जानी चाधहए, साथ ही र्ह भी

    कहा था कक क़ानून समान रूप से लार् ूहोना चाधहए।

    एएफएसपीए को हर्ार्े जान ेके धलए, िास तौर पर उन क्षेत्रों में जहाां धवद्रोही हमलों में उकलेखनीर् कमी

    महसूस की र्ई ह,ै काफ़ी जन समथटन दखेा र्र्ा। मानवाधिकार सांर्ठनों ने भी धपछले वर्ों के दौरान

    मानवाधिकारों के अनेकों उकलांघनों का हवाला दतेे हुए इस क़ाननू को रद्द ककए जाने की माांर् जारी रखी। 14

    जुलाई को सवोच्च न्र्ार्ालर् ने सीबीआई को धनदशे कदर्ा कक मधणपुर में 1979 और 2012 के बीच पुधलस,

    सेना, और अिटसैधनक बलों िारा कधथत 1,528 हत्र्ाओं में से कम से कम 87 की जाांच के धलए एक पााँच-

    सदस्र्ीर् दल स्थाधपत करे। र्ह आदशे पीधड़तों के पररवारों और एनजीओ िारा दाधखल एक र्ाधचका के जवाब

    में जारी ककर्ा र्र्ा। अधिकार सकिर् वाकदर्ों के अनुसार, मध्र् कदसांबर तक सीबीआई ने ककसी भी पीधड़त र्ा

    र्वाह को नहीं बुलार्ा था और वह अदालतों तथा मधणपुर सरकार से हत्र्ाओं से सांबांधित दस्तावेज ही जमा

  • भारत 5

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    कर रहा था। सवोच्च न्र्ार्ालर् के धनणटर् में कहा र्र्ा था कक सीबीआई को 31 कदसांबर तक औपचाररक आरोप

    अवश्र् दजट करने चाधहएां।

    राष्ट्रमांडल मानवाधिकार पहल नामक एनजीओ न ेअपनी 2016 की ररपोर्ट में ध्र्ान कदलार्ा कक सन् 2012

    और 2016 के बीच एएफएसपीए के अिीन राज्र् में सशस्त्र बलों के धवरुद्ध मानव अधिकार उकलांघनों की जो

    186 धशकार्तें दजट की र्ईं, उनमें 49.5 प्रधतशत जम्मू और कश्मीर राज्र् स ेथीं। लेककन आरर्ीआई क़ानून के

    तहत रृ्ह मांत्रालर् िारा कदए र्ए आांकड़ों से र्ह सांकेत नहीं धमलता कक क्र्ा इन धशकार्तों को र्ोग्र्तापूणट

    माना र्र्ा।

    27 जून को, रु्जरात उच्च न्र्ार्ालर् ने अतुल वदै्य को जमानत द ेदी, जो कक उन 24 लोर्ों में से एक था धजन्हें

    सन् 2002 में रु्लबर्ट सोसार्र्ी हत्र्ाओं का दोर्ी पार्ा र्र्ा था, जब एक साांप्रदाधर्क अशाांधत के दौरान उपद्रव

    कर रही भीड़ ने 69 लोर्ों को मार डाला था। रु्जरात सरकार न ेसवोच्च न्र्ार्ालर् िारा धनर्ुि धवशेर्

    तहक़ीकात को, दोर्ी पाए र्ए 24 लोर्ों में से कुछ को दी र्ई सजाओं को बढान ेअथवा अन्र् 14 अधभर्ुिों को

    बरी ककए जाने को चुनौती दनेे के धलए, सवोच्च न्र्ार्ालर् में अपील करने की इजाजत नहीं दी। 5 अक्रू्बर को

    रु्जरात हाईकोर्ट न ेजककर्ा जाफ़री की दलील रद्द कर दी और, र्ह कहते हुए कक सन् 2002 के दांर्ों में “एक

    बृहत्तर र्ड्यांत्र” के उनके आरोपों के धलए मुक़दमा चलाए जाने र्ोग्र् साक्ष्र्ों का अभाव ह,ै धनचली अदालत के

    रु्जरात सरकार के वररष्ठ अधिकाररर्ों को बरी कर दनेे के फ़ैसले को बरक़रार रखा। अदालत ने जाफ़री को

    उच्चतर अदालतों में अपील करने की इजाजत द ेदी।

    ग़ैर-सरकारी बलों न,े धजनमें सांर्रठत धवद्रोही और आतांकवादी शाधमल हैं, जम्मू और कश्मीर राज्र्, उत्तर पूवी

    राज्र्ों, और माओवादी प्रभाधवत क्षेत्रों (दखे ेखांड-1.जी) में बहुत सी हत्र्ाएां और बमबाररर्ाां कीं। झारखांड और

    धबहार में माओवाकदर्ों ने सरुक्षा बलों, और सड़कों, रेलव,े तथा सांचार र्ॉवरों जसैी मूल ढाांचार्त सुधविाओं,

    पर हमले जारी रख।े 25 अपै्रल को, माओवादी धवद्रोधहर्ों ने छत्तीसर्ढ में एक काकफ़ल ेपर हमला ककर्ा और

    कें द्रीर् ररजवट पुधलस बल के 25 कर्मटर्ों को मार डाला तथा 6 को बुरी तरह जख्मी कर कदर्ा।

    बी. र्ार्ब हो जाना

    ऐसे आरोप थे कक पुधलस धहरासत में धलए र्ए लोर्ों की धर्रफ़्तारी की आवश्र्क ररपोर्ट दजट करन ेमें नाकाम

    रही, धजसके पररणाम स्वरुप लापता हो जाने के सैकड़ों मामले अनसुलझ ेपड़ ेरह।े पुधलस और सरकारी

    अधिकाररर्ों न ेइन दावों का खांडन ककर्ा। कें द्रीर् सरकार ने ररपोर्ट दी कक राज्र् सरकार की जाांच सधमधतर्ों न े

    धहरासत में धलए र्ए लोर्ों की धस्थधत के बारे में पररवारों को सूधचत ककर्ा। लेककन ऐसी ररपोर्ें थीं कक

  • भारत 6

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    कारावास प्रहररर्ों न ेकई बार र्ह पुधष्ट करने के धलए पररवार वालों से ररश्वत माांर्ी कक उनके ररश्तेदार

    धहरासत में हैं।

    वर्ट के दौरान, सांघर्ट वाल ेक्षते्रों में र्ार्ब हो जाने की ऐसी घर्नाएां घरर्त हुईं धजनके धलए सरकारी बलों,

    अिटसैधनक बलों और धवद्रोधहर्ों को धजम्मेदार समझा र्र्ा (दखेें खांड-1.जी).

    सी. र्ातना तथा अन्र् िूर, अमानवीर्, अथवा अपमानजनक व्यवहार र्ा सजा

    क़ानून र्ातना की मनाही करता ह ैलेककन एनजीओ ने ररपोर्ट दी कक वर्ट के दौरान र्ातना की घर्नाएां घर्ीं।

    पुधलस िारा बांकदर्ों की धपर्ाई के पररणाम में धहरासत में मौतें हुईं (दखेें खांड-1.ए)

    क़ानून अधिकाररर्ों को जबरन स्वीकारोधि को साक्ष्र् में शाधमल करने की इजाजत नहीं दतेा, लेककन एनजीओ

    तथा नार्ररकों का आरोप था कक अधिकाररर्ों ने जबरन स्वीकारोधिर्ों के धलए र्ातना का इस्तेमाल ककर्ा।

    कुछ मामलों में अधिकाररर्ों ने मृत्र्ुदांड मुक़दमों में ऐसी स्वीकारोधिर्ों को साक्ष्र् के रूप में दाधखल ककर्ा।

    कधथत रूप से अधिकाररर्ों न ेिन ऐंठने के सािन अथवा सरसरी सजा के रूप में र्ातना का इस्तेमाल ककर्ा।

    मानवाधिकार धवशेर्ज्ञों के अनुसार, सरकार ने रद्द कर कदए र्ए आतांकवाद धनवारक क़ानून तथा आतांकवादी

    एवां धवघर्नकारी र्धतधवधि क़ानून के तहत धर्रफ़्तार ककए र्ए और अधभर्ोर् लर्ाए र्ए व्यधिर्ों पर मुक़दमा

    चलाना जारी रखा। रद्द ककए र्ए क़ानूनों के तहत, अधिकारी पुधलस अफ़सर के सम्मुख की र्ई स्वीकारोधि को

    अदालत में स्वीकार्ट साक्ष्र्ों की तरह इस्तेमाल करते थे।

    19 जनू को, पुरातन वस्तुओं का व्यापारी अभर् वसांह, कधथत रूप स ेसात कदनों की र्ातना के बाद, ओधडशा में

    धहरासत में मर र्र्ा। पुधलस ने एक मोबाइल फ़ोन की चोरी की तहक़ीकात करने के धलए 30 मई को वसांह को

    धहरासत में धलर्ा, बाद में उस पर नशीली दवा की तस्करी का आरोप लर्ार्ा, और 10 जून को उस ेएक

    अस्पताल में स्थानाांतररत ककर्ा, जहाां बतार्ा र्र्ा कक उसका स्वास््र् धबर्ड़ र्र्ा। एनएचआरसी तथा ओधडशा

    राज्र् के मानवाधिकार आर्ोर् (एसएचआरसी) ने पुधलस की राज्र् मानवाधिकार सांरक्षण कोधशका को

    तहक़ीकात करन ेऔर ररपोर्ट दाधिल करने का आदशे कदर्ा। वर्ट के अांत तक इस मामल ेमें कोई नई जानकारी

    सामने नहीं आई।

    18 जुलाई को, धनचली जाधत के एक 19 वर्ीर् आदमी न,े िबर ह ैकक केरल के धत्रशूर धजले में एांर्ाकदर्ुर में

    िुदकुशी कर ली, एक ही कदन पहले उसे मोर्र वाहन पांजीकरण के समुधचत दस्तावजे पास न होने के धलए

    पुधलस की धहरासत से ररहा ककर्ा र्र्ा था। उसके धपता और धमत्रों ने इसके स्थान पर र्ह आरोप लर्ार्ा कक

    वह धहरासत के दौरान पुधलस की पाशधवकता के कारण आई चोर्ों की वजह से मर र्र्ा, और शव-परीक्षा की

    ररपोर्ट न ेर्ह पुधष्ट की कक उसकी चोर्ें उत्पीड़न के समनरुूप थीं। पीधड़त के धपता की धशकार्त के आिार पर,

  • भारत 7

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    अपराधिक कार्टप्रणाली सांधहता तथा अनुसूधचत जाधत/अनुसूधचत कबीलों के प्रधत नृशांसता धनवारक क़ाननू के

    तहत, कई पुधलस अधिकाररर्ों के धिलाफ़ मुक़दमा दजट ककर्ा र्र्ा। उस मौत के धलए दो पुधलस अधिकाररर्ों

    को धनलांधबत कर कदर्ा र्र्ा, और वह मामला आरे् तहक़ीकात के धलए अपराि ब्र्ूरो को हस्ताांतररत कर कदर्ा

    र्र्ा।

    र्ह ररपोर्ें धमलती रहीं कक पुधलस मधहला और पुरुर् बांकदर्ों के साथ र्ौन बलात्कार करती ह।ै सरकार ने

    एनएचआरसी को बलात्कार के ऐसे मामलों की तहक़ीकात करने का अधिकार कदर्ा, धजनमें पुधलस अधिकाररर्ों

    का उलझाव हो। क़ानून के अनुसार एनएचआरसी ऐस ेमामलों के बारे में भी सूचना का अनुरोि कर सकता ह ै

    धजनमें सेना र्ा अिटसैधनक बलों का उलझाव हो, लेककन उन मामलों की तहक़ीकात करने का उसके पास कोई

    आदशे नहीं ह।ै एनजीओ का दावा था कक एनएचआरसी ने पुधलस धहरासत में ककए र्ए र्ौन बलात्कारों की

    सांख्र्ा को कम करके आांका। कुछ बलात्कार पीधड़त सामाधजक कलांक तथा प्रधतशोि की सांभावना के कारण इन

    अपरािों की ररपोर्ट करने के अधनच्छुक थ,े धजसे इस बोि के कारण और बल धमलता ह ैकक धनरीक्षण और

    उत्तरदाधर्त्व का अभाव ह,ै िासतौर पर तब जबकक अपरािकताट पुधलस अफ़सर र्ा अन्र् अधिकारी हो। ऐसी

    ररपोर्ें थीं कक पुधलस अधिकाररर्ों ने र्ौन बलात्कार के मामल ेदजट करन ेसे इनकार ककर्ा।

    जलेों और धहरासत कें द्रों की पररधस्थधतर्ाां

    जेलों की पररधस्थधतर्ाां अक्सर जीवन जोधखम वाली थीं, सबसे बढकर सफ़ाई की धस्थधत तथा धचककत्सीर्

    दखेभाल पर्ाटप्त न होने और अत्र्धिक भीड़- भाड़ के कारण। कारार्ार अांतरराष्ट्रीर् मानकों पर खरे नहीं उतरे।

    भौधतक पररधस्थधतर्ाां: कारार्ारों में बहुिा बहुत ज़्र्ादा भीड़-भाड़ रहती थी और खाद्य, धचककत्सीर् सेवाएां,

    सफ़ाई तथा पर्ाटवरणीर् धस्थधतर्ाां अक्सर अपर्ाटप्त रहती थीं। पीने र्ोग्र् पानी अक्सर उपलब्ि नहीं होता था।

    जेलों और धहरासत कें द्रों का धनिीर्न और कार्मटकों की सांख्र्ा आवश्र्कता से कम बनी रही, और पर्ाटप्त

    ढाांचार्त सुधविाओं का अभाव रहा। कैकदर्ों के साथ शारीररक रूप से दवु्यटवहार ककर्ा र्र्ा।

    एनसीआरबी की भारत के कारार्ार आांकड़ों की सन् 2015 की ररपोर्ट के अनुसार, दशे में 1,401 कारार्ार थे

    धजनकी अधिकृत क्षमता 366,781 व्यधि थी। क़ैद में रख ेजा रह ेलोर्ों की वास्तधवक सांख्र्ा 419,623 थी।

    जेलों की आबादी का दो धतहाई स ेअधिक धहस्सा वे लोर् थे जो मुक़दमों का इांतजार कर रह ेथे। क़ानून की माांर्

    र्ह ह ैकक अवर्स्क लोर्ों को पुनवाटसीर् सुधविाओं में धहरासत में रखा जाए, हालाांकक अधिकाररर्ों ने कई बार

    उन्हें वर्स्क जेलों में क़ैद रखा, िासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में। उत्तर प्रदशे में सवोच्च न्र्ार्ालर् िारा धनर्ुि

    एक सलाहकार के अनुसार, अधिकाांश जेलों में क़ैद लोर्ों की सांख्र्ा अनुमत क्षमता से दरुु्नी और कई बार तीन

    रु्ना थी ।

  • भारत 8

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    नवांबर 2016 में राष्ट्रमांडल मानवाधिकार पहल ने जलेों में “भर्प्रद पररधस्थधतर्ों” के बारे में दो ररपोर्ों का

    प्रवतटन ककर्ा। उन ररपोर्ों के अनुसार, दशे की जेलों की कुल आबादी का 67 प्रधतशत भार् वे लोर् थे जो

    मुक़दमों का इांतजार कर रह ेथे, और स्वतांत्र धनरीक्षकों ने धनर्धमत रूप स े1 प्रधतशत से भी कम जेलों का

    धनरीक्षण ककर्ा।

    एनसीआरबी की भारत के कारार्ार आांकड़ों की सन् 2015 की ररपोर्ट के अनुसार, भीड़-भाड़ की सबसे तीव्र

    समस्र्ा दादरा नर्र हवेली में थी जहाां र्ह क्षमता का 277 प्रधतशत थी, जबकक छत्तीसर्ढ की जेलों में क्षमता

    का 234 प्रधतशत और कदकली की जेलों में क्षमता का 227 प्रधतशत थी। 8 अर्स्त को रृ्ह राज्र्मांत्री हांसराज

    र्ांर्ाराम अहीर ने एनसीआरबी के आांकड़ों का हवाला दते ेहुए सांसद के धनचले सदन को सूधचत ककर्ा कक वर्ट

    2015 की समाधप्त पर दशे की 1,401 जलेों में से 149 में भीड़-भाड़ की दर 200 प्रधतशत से अधिक थी।

    माचट में, रृ्ह राज्र्मांत्री अहीर ने सांसद के धनचले सदन को बतार्ा कक सन् 2015 तक मधहला क़ैकदर्ों की

    17,834 की जनसांख्र्ा के धलए 4,391 मधहला जेल कार्मटक थीं।

    26 धसतांबर को पुधलस न ेमुांबई में एक दोर्-धसद्ध मधहला अपरािी मांजुला शेत्र्े की मौत के धलए 6 जेल

    अधिकाररर्ों के धिलाफ़ स्थानीर् अदालत में आरोप दाधखल ककए। 8 जुलाई को मुांबई पुधलस ने 6 जेल

    अधिकाररर्ों को धर्रफ़्तार ककर्ा धजन्होंन ेअपर्ाटप्त भोजन की उसकी धशकार्त के बाद शेत्र्े पर कधथत रूप से

    प्रहार ककर्ा था। उसकी मौत के पररणाम में जेल के 200 क़ैकदर्ों िारा वहांसक प्रधतवाद प्रदशटन ककर्ा र्र्ा था,

    धजन पर बाद में दांर्ा करने का आरोप लर्ार्ा र्र्ा। 31 जुलाई को, मुांबई उच्च न्र्ार्ालर् ने शेत्र्े की मौत के

    कारण की जाांच का आदशे कदर्ा। उस सरकारी डॉक्र्र को धजसने मृत्र्ु प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर ककए थे

    धनलांधबत कर कदर्ा र्र्ा।

    प्रशासन: अधिकाररर्ों ने धमलने आने वालों को बांकदर्ों तक कुछ पहुांच की अनुमधत दी, हालाांकक कुछ

    पररवारजनों ने र्ह दावा ककर्ा कक अधिकाररर्ों ने ररश्तदेारों को पहुांच प्रदान नहीं की, िास तौर पर जम्मू और

    कश्मीर राज्र् सधहत सांघर्टरत क्षेत्रों में।

    4 अर्स्त को, धववाद धनपर्ाने की एक वैकधकपक प्रकिर्ा के माध्र्म स,े तधमलनाडु राज्र् के क़ानूनी सेवा

    प्राधिकरण न े570 मुक़दमा-पूवट बांकदर्ों को ररहा कर कदर्ा (नौ कें द्रीर् जेलों और तधमलनाडु में मधहलाओं के

    धलए पााँच धवशेर् कारार्हृों में) धजन्हें उनके कधथत अपरािों के धलए धनिाटररत न्र्ूनतम अवधि से अधिक समर्

    तक धहरासत में रखा र्र्ा था।

    स्वतांत्र अनुवीक्षण: पूरे वर्ट एनएचआरसी को बांकदर्ों के मानवाधिकार उकलांघनों की धशकार्तें धमलती रहीं

    धजनकी वह तहक़ीकात करता रहा, लेककन सभ्र् समाज प्रधतधनधिर्ों का मानना था कक जेल प्रहररर्ों अथवा

  • भारत 9

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    अधिकाररर्ों िारा बदल ेकी कारटवाई के डर से कुछ ही क़ैकदर्ों ने धशकार्तें दजट कीं। 26 मई को, एनएचआरसी

    न ेभोपाल की एक जेल में क़ैद उन 21 बांकदर्ों के र्ातना के आरोपों की तहक़ीकात का आदशे कदर्ा धजन पर

    मुक़दमा चल रहा था।

    अधिकाररर्ों न ेबांकदर्ों को राज्र् तथा राष्ट्रीर् मानवाधिकार आर्ोर् में धशकार्त दजट करने की अनुमधत दी,

    लेककन इन आर्ोर्ों को बस र्ह धसफ़ाररश करने का ही अधिकार ह ैकक अधिकारीर्ण इन धशकार्तों को दरू

    करें। िबर ह ैकक सरकारी अधिकारी सवोच्च न्र्ार्ालर् के उस आदशे का पालन करने में अक्सर नाकाम रह े

    धजसमें कें द्रीर् सरकार तथा स्थानीर् अधिकाररर्ों को धहरासत में वहांसा पर धनर्ाह रखने के धलए पुधलस स्रे्शनों

    की धनर्धमत जाांच करन ेकी धहदार्त दी र्ई ह।ै

    बहुत स ेराज्र्ों में एनएचआरसी न ेपहले से बताए धबना राज्र् बांदीरृ्हों की र्ात्राएां कीं, लेककन सैधनक धहरासत

    कें द्र एनएचआरसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। एनएचआरसी के एक धवशेर् प्रधतवेदक ने र्ह सत्र्ाधपत करने

    के धलए राज्र् बांदीरृ्हों का दौरा ककर्ा कक अधिकारीर्ण सभी बांकदर्ों को धचककत्सीर् सुधविा उपलब्ि करा रह े

    हैं। प्रधतवेदक ने पूरे साल धनर्धमत आिार पर बांदीर्ृहों का दौरा ककर्ा लेककन उसने सावटजधनक रूप से र्ा पे्रस

    के धलए कोई ररपोर्ट जारी नहीं की।

    डी. मनमान ेढांर् स ेधर्रफ्तारी र्ा धहरासत

    क़ानून मनमाने ढांर् स ेधर्रफ़्तारी र्ा धहरासत की मनाही करता ह,ै लेककन वर्ट के दौरान दोनों ही बातें हुईं।

    पुधलस ने धर्रफ़्ताररर्ों का न्र्ाधर्क पुनरावलोकन स्थधर्त करने के धलए धवशेर् सुरक्षा क़ाननूों का भी इस्तेमाल

    ककर्ा। मुक़दमे से पहले की धहरासत मनमानी और लांबी रही, कई बार तो दोर्ी पाए र्ए लोर्ों को सुनाई र्ई

    सजा की अवधि से भी लांबी।

    मानवाधिकार एनजीओ के कथनानसुार, कुछ पुधलसवालों ने जबरन र्ा झूठी स्वीकारोधि हाधसल करने के धलए

    र्ातना, दवु्यटवहार, और मनमानी धहरासत का इस्तेमाल ककर्ा। कुछ मामलों में िबर ह ैकक पुधलस ने सांकदग्िों

    को उनकी धर्रफ़्तारी को पांजीकृत ककए धबना ही धहरासत में रखा तथा बांकदर्ों को पर्ाटप्त भोजन और पानी से

    वांधचत रखा।

    पुधलस और सरुक्षा तांत्र की भधूमका

    क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने की मूल धजम्मेदारी 29 राज्र्ों और सात सांघ प्रशाधसत क्षेत्रों की ह,ै और कें द्रीर्

    सरकार नीधत सांबांिी धनरीक्षण प्रदान करती ह।ै पुधलस राज्र् के अधिकार क्षेत्र में आती ह।ै रृ्ह मांत्रालर्

    अधिकाांश अिटसैधनक बलों, आांतररक िुकफ़र्ा धवभार्ों, और राष्ट्रीर् क़ानून प्रवतटन एजेंधसर्ों पर धनर्ांत्रण रखता

    ह,ै और राज्र् पुधलस बलों के वररष्ठ अधिकाररर्ों को प्रधशक्षण प्रदान करता ह।ै ह्र्ूमन राइट्स वॉच

  • भारत 10

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    (एचआरडब्कर्ू) के अनुसार, मनमानी धर्रफ़्तारी, र्ातना, और सरुक्षाबलों िारा जबरन स्वीकारोधिर्ों के

    मामल ेआम रह।े पुधलस पर काम का अधिक बोझ, पर्ाटप्त से कम वेतन, और राजनीधतक दबाव डाला जाना

    जारी रहा, धजसन ेकुछ मामलों में भ्रष्टाचार में र्ोर्दान ककर्ा। एचआरडब्कर्ू की सन् 2017 की भारत सांबांिी

    दशे ररपोर्ट में पार्ा र्र्ा कक अधिकाररर्ों पर उनके िारा ककए र्ए अपरािों के धलए धवरले ही मुक़दमा चलार्ा

    र्र्ा क्र्ोंकक क़ाननू सावटजधनक अधिकाररर्ों पर मुक़दमा चलाना "अर्र असांभव नहीं तो करठन" अवश्र् बनाता

    ह।ै

    दशेभर में क़ानून प्रवतटन और सुरक्षा बलों की प्रभावकाररता में व्यापक अांतर मौजूद रहा। क़ाननू के अनुसार,

    अदालतें ककसी पुधलस अधिकारी के धवरुद्ध तब तक मुक़दमे की सुनवाई नहीं कर सकतीं जब तक कक कें द्रीर्

    अथवा राज्र् सरकार पहले मुक़दमा चलाने की इजाजत न द ेद।े कफर भी, एनजीओ ने ररपोर्ट दी कक बहुत से

    मामलों में पुधलस ने पीधड़त की ऐसी धशकार्तें दजट करने, धजसे “प्रथम सूचना ररपोर्ट” (एफ़आईआर) कहा जाता

    ह,ै से इांकार कर कदर्ा जो अधिकाररर्ों के धिलाफ़ कधथत अपरािों के बारे में थीं, और इस तरह पीधड़तों के

    धलए न्र्ार् प्राधप्त के प्रर्ास का रास्ता बांद कर कदर्ा। इसके अधतररि, एनजीओ ने बतार्ा कक कई बार पीधड़त,

    बदल ेकी कार्टवाही के डर स,े पुधलस िारा ककए र्ए अपरािों की ररपोर्ट करने से धहचककचाते हैं। ऐसे मामल े

    सामने आए जहाां हर स्तर के अधिकाररर्ों न ेदांड-मुधि के भाव से काम ककर्ा, लेककन ऐसे मामले भी थे जहाां

    सुरक्षा अधिकाररर्ों को ग़ैरक़ानूनी कामों के धलए उत्तरदार्ी ठहरार्ा र्र्ा। सैन्र् अदालतों ने सशस्त्र सेना और

    अिटसैधनक बलों िारा दवु्यटवहार के मामलों की जाांच-पड़ताल की। अधिकाररर्ों ने क़ानून प्रवतटन अफ़सरों के

    धवरुद्ध सावटजधनक अदालतों में मुक़दमे चलाए लेककन कभी-कभी र्थोधचत प्रकिर्ा का अनुपालन नहीं ककर्ा।

    अधिकाररर्ों न ेकभी-कभी अफ़सरों को अपराि का दोर्ी ठहराने के बाद स्थानाांतररत कर कदर्ा।

    एनएचआरसी ने धसफ़ाररश की कक धर्रफ़्तारी, भार्ने के प्रर्ास, र्ा पुधलस िारा पीछा ककए जाने के दौरान

    होने वाली सभी मौतों की राज्र् पुधलस के अपराधिक तहक़ीकात धवभार् िारा छानबीन की जाए। लेककन बहुत

    स ेराज्र्ों ने इस अबाध्र्कारी धसफ़ाररश का पालन नहीं ककर्ा और वररष्ठ अधिकाररर्ों के स्वधनणटर् के आिार

    पर आांतररक पुनरावलोकन करना जारी रखा।

    हालाांकक एनएचआरसी के कदशा धनदशेों में राज्र् सरकारों से र्ह माांर् की र्ई ह ैकक वे पुधलस कार्टवाही के

    कारण हुई सभी मौतों के मामलों की 48 घांरे् के भीतर एनएचआरसी को ररपोर्ट दें, लेककन राज्र् सरकारों ने इन

    कदशा धनदशेों का धनरांतर पालन नहीं ककर्ा। एनएचआरसी ने राज्र् सरकारों स ेर्ह भी माांर् की कक पीधड़तों के

    पररवारों को आर्थटक मुआवजा कदर्ा जाए, लेककन राज्र् सरकारों ने इस व्यवस्था का धनरांतर पालन नहीं ककर्ा।

    अधिकाररर्ों न ेसशस्त्र बलों के धलए र्ह आवश्र्क नहीं बनार्ा कक वे धहरासत में हुई मौतों की एनएचआरसी

    को जानकारी दें।

  • भारत 11

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    27 जुलाई को, सशस्त्र बल रिब्र्ूनल ने जम्मू-कश्मीर राज्र् में सन् 2010 में 3 नार्ररकों की मौत में उलझाव

    रखने वाल ेपाांच सैन्र्कर्मटकों की आजीवन कारावास की सजाएां धनलांधबत कर दीं। ररपोर्ों के अनुसार वे

    नार्ररक एक कदखावर्ी मुठभेड़ में मारे र्ए थे और बाद में उन पर धवदशेी र्ुद्धकारी होने का आरोप लर्ार्ा

    र्र्ा था।

    धर्रफ़्तारी कार्टधवधिर्ाां तथा बांकदर्ों के साथ व्यवहार

    पुधलस ककसी व्यधि को धबना आरोप लर्ाए 30 कदन तक धहरासत में रख सकती ह,ै हालाांकक धर्रफ़्तार ककए

    र्ए व्यधि को धर्रफ़्तारी के 24 घांरे् के भीतर जज के सम्मुख पेश ककर्ा जाना अधनवार्ट ह।ै क़ानूनी रक्षोपार्ों के

    अभाव और भारी बोझ तले दबे तथा कम सांसािन प्राप्त न्र्ार्ालर् तांत्र के कारण लांब ेसमर् तक और मनमाने

    ढांर् स ेकी र्ई धहरासतें एक उकलेखनीर् समस्र्ा बनी रहीं।

    जब तक अधिकाररर्ों ने ककसी सांकदग्ि को धनवारक नजरबांदी क़ानून के तहत न रोक रखा हो, बांदी पर

    दोर्ारोपण 24 घांरे् के भीतर हो जाना चाधहए। राज्र् अधिकारी धनवारक नजरबांदी क़ानूनों की रु्हार लर्ाते

    रह,े सबसे अधिक बारांबार कदकली में, लेककन रु्जरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदशे, पांजाब, और जम्मू-कश्मीर राज्र्ों

    में भी।

    अधिकाररर्ों को अपराधिक आरोपों में पकड़ ेर्ए व्यधि को उसके धिलाफ़ आरोपों की तथा क़ानूनी सलाह लेन े

    के उसके अधिकार की अधवलांब जानकारी दनेी चाधहए। क़ानून के अनुसार एक मैधजस्िेर् ककसी आरोधपत व्यधि

    को अधभर्ोर् दजट कराए जान ेसे पूवट धहरासत में रखने का अधिकार द ेसकता ह ैलेककन र्ह अवधि 90 कदन से

    ज्र्ादा नहीं हो सकती। मानक आपराधिक प्रकिर्ा के अांतर्टत, र्कद अधभर्ोर् दजट नहीं ककए र्ए तो अधिकाररर्ों

    को 90 कदन के बाद आरोपी को जमानत पर ररहा करना होर्ा। काननू पुधलस को पूछताछ के धलए लोर्ों को

    बुलाने की अनुमधत भी दतेा ह,ै लेककन वह पुधलस को धर्रफ़्तारी से पहले तहक़ीक़ाती धहरासत का अधिकार

    नहीं दतेा। ऐसी घर्नाएां सामने आईं धजनमें अधिकाररर्ों ने क़ाननूी सीमाओं से परे सांकदग्िों को कधथत रूप से

    धहरासत में रखा।

    क़ानून धहरासत में धलए र्ए व्यधिर्ों को धबना अधभर्ोर् लर्ाए 180 कदन तक (पुधलस धहरासत में 30 कदन

    सधहत) न्र्ाधर्क धहरासत में रखने की भी अधिकाररर्ों को इजाजत दतेा ह।ै अवैि र्धतधवधि धनवारण काननू

    (र्ूएपीए) में, जो अधिकाररर्ों को धवद्रोह अथवा आतांकवाद से सांबद्ध मामलों में अधभर्ोर् लर्ाए धबना लोर्ों

    को धहरासत में लेने की क्षमता प्रदान करता ह,ै धवदशेी राधष्ट्रकों के धलए जमानत का कोई प्राविान नहीं ह ैऔर

    वह अदालतों को बांदी बनाए र्ए नार्ररकों के मामल ेमें जमानत से इनकार करने का अधिकार दतेा ह।ै र्ह उस

    सूरत में आरोधपत व्यधि को दोर्ी मान लेता ह ैजबकक अधभर्ोर् पक्ष उसके पास हधथर्ार र्ा धवस्फोर्क होने र्ा

    अपराि स्थल पर उांर्धलर्ों के धनशान होने का साक्ष्र् पेश कर सके, इससे कोई अांतर नहीं पड़ता कक अधिकारी

  • भारत 12

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    अपराधिक इरादा होना प्रदर्शटत करत ेहैं र्ा नहीं। र्ह भी ररपोर्ट ह ैकक राज्र् सरकारों ने र्ूएपीए के तहत

    औपचाररक अधभर्ोर् दजट करने स ेपहले लोर्ों को लांबी अवधि तक जमानत कदए धबना धहरासत में रखा।

    क़ानून कुछ िास मामलों में धनवारक नजरबांदी की इजाजत दतेा ह।ै राष्ट्रीर् सरुक्षा क़ानून, जम्मू और कश्मीर

    राज्र् को छोड़, दशे में कहीं भी पुधलस को ऐस ेलोर्ों को धबना अधभर्ोर् लर्ाए र्ा मुक़दमा चलाए 1 वर्ट तक

    धहरासत में रखने की अनुमधत दतेा ह ैधजन्हें सुरक्षा के धलए ितरा समझा जाए। क़ाननू पररवार के सदस्र्ों और

    वकीलों को राष्ट्रीर् सुरक्षा बांकदर्ों से धमलने की इजाजत दतेा ह ैऔर अधिकाररर्ों को आदशे दतेा ह ैकक वे 5

    कदन के भीतर, अथवा असािारण पररधस्थधतर्ों में 10 से 15 कदन के भीतर, बांदी को रोक कर रखने जाने का

    आिार बताएां।

    सावटजधनक सुरक्षा क़ानून, जो केवल जम्मू और कश्मीर राज्र् में ही लार् ूह,ै राज्र् अधिकाररर्ों को अधभर्ोर्

    लर्ाए धबना अथवा न्र्ाधर्क पुनरीक्षण के धबना लोर्ों को पररवार वालों से धमल ेधबना 2 वर्ट तक धहरासत में

    रखने की अनुमधत दतेा ह।ै अधिकाररर्ों ने पूछताछ के दौरान बांकदर्ों को वकील तक पहुांच की इजाजत दी,

    लेककन जम्मू-कश्मीर राज्र् में कधथत रूप से पुधलस ने धनत्र् ही मनमाने ढांर् स ेधहरासत में लेने का काम ककर्ा

    तथा बांकदर्ों को वकीलों और धचककत्सा सेवा तक पहुांच हाधसल नहीं होने दी।

    आरोधपत व्यधिर्ों को धर्रफ़्तारी के बाद अपनी पहली सनुवाई सधहत धन:शुकक क़ाननूी सहार्ता प्राप्त करने का

    अधिकार ह।ै सांधविान स्पष्ट करता ह ैकक र्ह तर् करने के धलए कक ककसी भी नार्ररक को आर्थटक र्ा अन्र्

    अक्षमताओं के कारण न्र्ार् प्राप्त करन ेके अवसर से वांधचत न रहना पड़,े राज्र् को क़ाननूी सहार्ता प्रस्तुत

    करनी चाधहए, लेककन अधिकाररर्ों ने इस आवश्र्कता का धनर्धमत रूप से मूकर्ाांकन नहीं ककर्ा।

    ऐसे मामलों की ररपोर्ट सामने आईं धजनमें पुधलस ने सांकदग्िों के अपने क़ानूनी सलाहकार स ेधमलने के अधिकार

    को नकारा और साथ ही ऐसे मामले सामने आए धजनमें पुधलस ने ग़ैरक़ाननूी तरीके से सांकदग्िों की बातचीत का

    अनुश्रवण ककर्ा और र्ोपनीर्ता के अधिकारों का उकलांघन ककर्ा। र्ह क़ानून ह ैकक अधिकाररर्ों को बांकदर्ों के

    पररवार के सदस्र्ों को उन तक पहुांच की अनुमधत दनेी ही चाधहए, लेककन इसका सदवै ही पालन नहीं ककर्ा

    र्र्ा।

    मनमानी धर्रफ़्तारी: क़ानून मनमानी धर्रफ़्तारी अथवा धहरासत की मनाही करता ह,ै लेककन कुछ मामलों में

    ररपोर्ट ह ैकक पुधलस ने नार्ररकों को मनमाने ढांर् से धर्रफ़्तार करना जारी रखा। ऐसी ररपोर्ें थीं कक पुधलस ने

    अपनी धशनाख़्त बताए धबना अथवा धर्रफ़्तारी वारांर् पेश ककए धबना लोर्ों को धहरासती पूछ्ताछ के धलए बांदी

    बनार्ा।

    मुक़दमा-पूवट धहरासत: केरल में, कोधच्च धस्थत सांविैाधनक अधिकार, अनुसांिान एवां समथटन कें द्र

    (सीसीआरआरए) ने ररपोर्ट दी कक केरल की कें द्रीर् जेल में मानधसक असमथटता वाल ेकुछ ऐसे क़ैदी थे धजन्हें

  • भारत 13

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    “मुक़दमे के धलए र्ोग्र् नहीं” माना र्र्ा, लेककन वह 10 स े26 वर्ट तक मुक़दमों का इांतजार करते रह।े इस

    एनजीओ के अनुसार, कुछ मामलों में क़ैकदर्ों को उनकी सांभाव्य सजाओं से कहीं अधिक लांबी अवधिर्ों तक

    धहरासत में रखा र्र्ा। सन् 2013 में सीसीआरआरए के सांस्थापक ने उन बांकदर्ों को ररहा ककए जान ेके धलए

    केरल उच्च अदालत में र्ाधचका दाधखल की। इसके जवाब में अदालत ने राज्र् सरकार के धलए र्ह आदशे जारी

    ककर्ा कक वह अधभर्ुिों को पर्ाटप्त धचककत्सीर् इलाज उपलब्ि कराएां ताकक वह मुक़दमों के र्ोग्र् हो जाएां। वर्ट

    के अांत तक र्ह मामला केरल उच्च अदालत में लांधबत था।

    सरकार ने ऐसी “तीव्र पथ” अदालतों का इस्तेमाल करके लांबी धहरासतों को घर्ाने और जेलों में भीड़-भाड़ को

    कम करन ेके प्रर्ास जारी रख,े धजन्होंने मुक़दमों की समर् सीमा तर् की, मामलों के प्रबांिन के धलए

    कदशाधनदशे उपलब्ि कराए, तथा जमानत के उपर्ोर् को बढावा कदर्ा। कुछ एनजीओ ने र्थोधचत प्रकिर्ा का

    सम्मान करन ेमें असफल रहने तथा जो बांदी जमानत दनेे में समथट नहीं हैं उन्हें धहरासत में ही रहने पर मजबूर

    करने के धलए इन अदालतों की आलोचना की।

    सन् 2015 के एनसीआरबी आांकड़ ेदशाटते हैं कक मुक़दमे का इांतजार कर रह ेअधिकाांश व्यधिर्ों ने जमानत

    हाधसल कर पाने से पहले 3 महीने से अधिक का समर् जले में धबतार्ा, और लर्भर् 65 प्रधतशत न ेजमानत पर

    ररहा होने से पहले 3 महीने स े5 वर्ट तक का समर् जेल में धबतार्ा। एनसीआरबी की 2016 की ररपोर्ट में नए

    आांकड़ ेशाधमल नहीं थे।

    ई. न्र्ार्ोधचत सावटजधनक मक़ुद्दम ेस ेवांचन

    क़ानून में एक स्वतांत्र न्र्ार्पाधलका की व्यवस्था ह,ै ककां तु न्र्ाधर्क-भ्रष्टाचार व्यापक रूप से फैला हुआ था।

    उदाहरण के धलए, मई में, समाचार पत्र “वहांद”ू ने उन पाांच न्र्ार्ािीशों के मामल ेकी ररपोर्ट दी जो भ्रष्टाचार के

    आरोपों सधहत, अनेक अपरािों के धलए महाधभर्ोर् प्रकिर्ा का सामना कर रह ेथे।

    न्र्ाधर्क प्रणाली अत्र्धिक बोझ तले र्ांभीर रूप से दबी रही तथा मुक़दमों के प्रबांि की आिुधनक प्रणाधलर्ों का

    अभाव रहा, धजससे र्ा तो न्र्ार् नहीं धमला र्ा उसमें धवलांब हुआ। सवोच्च न्र्ार्ालर् िारा जारी ककए र्ए

    2015-16 के आांकड़ों के अनसुार, दशे के 24 उच्च न्र्ार्ालर्ों में जजों के 43 प्रधतशत स्थान खाली थे।

    आरर्ीआई के एक सकिर्वादी अधमत जेठवा की 2010 में हुई हत्र्ा के सांबांि में नई घर्नाएां सामने आईं। जून में

    रु्जरात उच्च न्र्ार्ालर् ने इस नतीजे पर पहुांचने के बाद मुक़दमा कफर से चलाए जाने का आदशे कदर्ा कक दीनू

    सोलांकी न,े जो उस समर् सांसद सदस्र् था जब उस पर जेठवा की हत्र्ा का आदशे दनेे का आरोप ह,ै तब र्वाहों

    के साथ साांठर्ाांठ की थी जब 195 में स े105 र्वाह मुक़दमे के दौरान प्रधतकूल हो र्ए थे। 30 अक्रू्बर को

    सवोच्च न्र्ार्ालर् ने सोलांकी की जमानत रद्द कर दी और उसे पुधलस के आरे् आत्मसमपटण का आदशे कदर्ा।

  • भारत 14

    2017 के लिए मानवाधिकार आचरणों के बारे में देश ररपोर्टें संयुक्त राज्य अमेररका का ववदेश ववभाग* िोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो

    अदालत ने र्ह भी आदशे कदर्ा कक मुक़दमा कदन-प्रधतकदन के आिार पर चलार्ा जाए और सोलांकी को आदशे

    कदर्ा जब तक मुक़दमे के धलए जरूरी न हो वह रु्जरात में न रह।े

    मक़ुदमा प्रकिर्ाएां

    क़ानून में र्ह व्यवस्था ह ैकक राज्र्-सुरक्षा अथवा सरकारी र्ोपनीर् बातों के उलझाव वाल ेमुक़दमों को छोड़,

    सभी मुक़दमे सावटजधनक रूप से चलाए जाएां। र्ूएपीए पररधस्थधतर्ों के तहत वर्णटत को छोड़, प्रधतवाकदर्ों को

    धनदोर् मान कर चलने का सखु प्राप्त ह,ै और वे अपना परामशटदाता चुन सकते हैं। राज्र् उन प्रधतवाकदर्ों को

    मुफ्त क़ाननूी सलाहकार उपलब्ि कराता ह ैजो स्वर्ां उसका खचट नहीं उठा सकत,े लेककन पररधस्थधतर्ों ने

    अक्सर र्ोग्र् परामशटदाता तक पहुांच सीधमत कर दी, और भारी बोझ तले दबी न्र्ार् प्रणाली के पररणाम

    स्वरूप अदालतों में चल रह ेमुक़दमों में लांबी दरेी हुई, और कभी-कभी मामला धनपर्ाने में एक दशक से अधिक

    का समर् लर्ा।

    हालाांकक प्रधतवाकद�