अयोयाय ? (एक द ू जे के लिए ?) - नमते / णाम – शाता शमाा कहते ह , स ू रज उगता तो ददन ननकिता है ! बताओ तो, या ददन ननकिने से स ू रज न उगता है ? कहते ह , रात आने पर अधेरा छाता है ! बताओ तो, या अधेरा छाने पर रात न होती है ? चर के घटने-नघसने से अमावाया पड़ती है ! बताओ तो, अमावाया के आने से चाद न ओझि होता है ? कहते ह , त ु ह स ु नाने ही म बोिा करती ह ू ! बताओ तो, या त ु म न स ु नते तो म न बोिती ? कहते ह , हम जीने के लिए ही खाते ह ! बताओ तो, या खाने के लिए िोग न जीते ह ? कहते ह , कि की आशा िेकर ही सब जीते ह ! बताओ तो, या ननराश िोग जीते नही ह ? कहते ह , ‘हा’ के अतव से ‘न’ का जम होता है ! बताओ तो, या ‘न’ की उपिनत से ‘हा’ की अन ु पिनत न होती है ? कहते ह , हवा चिती है तो पते दहिते ह ! बताओ तो, या पत के दहिने से हवा न चिती है ? कहते ह , कक अछाई है तभी ब ु राई भी जनमती है ! बताओ तो, या ब ु राई नही होती तो अछाई भी न होती ? कहते ह, अशात की मौज ू दगी म शात लमट जाती है ! बताओ तो, या शात की मौत पर अशात न पैदा होती है ?