अन्योन्याश्रय

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अयोयाय ? (एक जे के लिए ?) - नमते / णाम शाता शमाकहते ह , रज उगता तो ददन नकिता है ! बताओ तो, या ददन नकिने से स रज न उगता है ? कहते ह , रात आने पर अधेरा छाता है ! बताओ तो, या अधेरा छाने पर रात न होती है ? चर के घटने-नघसने से अमावाया पड़ती है ! बताओ तो, अमावाया के आने से चाद न ओझि होता है ? कहते ह , ह स नाने ही म बोिा करती ह ! बताओ तो, या त म न स नते तो म न बोिती ? कहते ह , हम जीने के लिए ही खाते ह ! बताओ तो, या खाने के लिए िोग न जीते ह ? कहते ह , कि की आशा िेकर ही सब जीते ह ! बताओ तो, या ननराश िोग जीते नही ह ? कहते ह , ‘हा’ के अतव से ‘न’ का जम होता है ! बताओ तो, या ‘न’ की उपिनत से ‘हा’ की अपिनत न होती है ? कहते ह , हवा चिती है तो पते दहिते ह ! बताओ तो, या पत के दहिने से हवा न चिती है ? कहते ह , क अछाई है तभी ब राई भी जनमती है ! बताओ तो, या ब राई नही होती तो अछाई भी न होती ? कहते ह, अशात की मौज दगी म शात लमट जाती है ! बताओ तो, या शात की मौत पर अशात न पैदा होती है ?

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Post on 21-Jul-2015

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