ahmadiyyamuslimjamaat.inahmadiyyamuslimjamaat.in/home/books/hindi/tohfa-goladviya/tohfa... ·...

338
तोहफ गोलवियः लेखक हज़रत मिज़ लि अहिद क़मदयनी िसीह िौऊद व िहदी िद अलैमहसलि I

Upload: others

Post on 18-Jan-2020

13 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • तोहफ़ा गोलड़वियः

    लेखकहज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी

    िसीह िौऊद व िहदी ि्हूद अलैमहससल्ि

    I

  • न्ि पुसतक : तोहफ् गोलड़मवयःलेखक : हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी िसीह िौऊद व िहदी ि्हूद अलैमहससल्िअनुव्दक : ड्क्टर अनस्र अहिद, एि.ए., एि.मिल, पी एच,डी पी.जी.डी.्टी., आनसज़ा इन अरमिक्ट्इप, सैम्टंग : न्मदय् परवेज़्संसकरण : प्रथि संसकरण (महनदी) अप्रैल 2019 ई०संखय् : 1000प्रक्शक : नज़्रत नश्र-व-इश्अत, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर (पंज्ि)िुद्रक : फज़ले उिर मप्रंम्टंग प्रेस, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर (पंज्ि)

    Name of book : Tohfa GolarwiyaAuthor : Hazrat Mirza Ghulam Ahmad Qadiani Masih Mou'ud W Mahdi Mahood AlaihissalamTranslator : Docter Ansar Ahmad, M.A., M.Phil, Ph.D P.G.D.T., Hons in ArabicType Setting : Nadiya PervezaEdition : 1st Edition (Hindi) April 2019Quantity : 1000Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

    II

  • प्रक़ाशक की ओर से हज़रत मिज़ ज़्ा ग़ुल्ि अहिद स्महि क़्मदय्नी िसीह िौऊद व िहदी ि्'हूद

    अलमैहससल्ि द््र् मलमखत पुसतक 'तोहफ् गोलड़मवयः' क् यह महनदी अनवु्द श्री डॉ० अनस्र अहिद ने मकय् है और ततपश््त िकुर्रि शख़े िजु्महद अहिद श्सत्ी (सदर ररवययू कि्ेटी), िकुर्रि फरहत अहिद आच्यज़ा (इंच्जज़ा महनदी डेसक), िकुर्रि अली हसन एि. ए. और िकुर्रि नसीरुल हक़ आच्यज़ा,िुकर्रि सैयद िमुहयदु्ीन फरीद,िकुर्रि इबनलु िहदी न ेइसकी प्रयूफ रीमडंग और ररवययू आमद मकय् है। अल््ह तआल् इन सि को उत्ति प्रमतिल प्रद्न करे।

    इस पसुतक को हज़रत ख़लीफतलु िसीह ख़्मिस अययदहुल््हु तआल् मिनमरिमहल अज़ीज़ (जि्अत अहिमदय् के वतज़ाि्न ख़लीफ्) की अनिुमत स ेमहनदी प्रथि ससंकरण के रूप िें प्रक्मशत मकय् ज् रह् है। मवनीत ह्मफज़ िख़दयूि शरीफ न्मज़र नश्र व इश्अत क़्मदय्न

    III

  • तोहफ़ा गोलड़वियः1896 ई. िें हज़रत िसीह िौऊद अलैमहससल्ि ने अपनी पुसतक अंज्ि-

    ए-आथि िें मजन गद्ी नशीनों को िुि्हले की द्वत दी थी उनिें पीर िेहर अली श्ह गोलड़वी क् न्ि भी थ्। ि्लयूि होत् है मक पीर स्महि पहले हज़रत िसीह िौऊद अलैमहससल्ि के ि्रे िें सुध्रण् रखते हैं। अतः सन् 1896-1897 की ि्त है मक उनके एक िुरीद ि्ियू फीरोज़ अली स्टेशन ि्स्टर गोलड़् ने (जो ि्द िें हज़रत िसीह िौऊद अलैमहससल्ि की िैअत करके मसलमसले िें सम्िमलत हो गए थे) जि पीर स्महि से हज़रत अक़दस के ि्रे िें र्य पयूछी तो उनहोंने अमवल्ि उत्तर मदय् –

    “इि्ि जल्लुद्ीन सुययूती रह. िरि्ते हैं मक स्धन् की िंमज़लों के कुछ सथ्न ऐसे हैं मक अमधकतर ख़ुद् के िनदे वह्ं पहुंचकर िसीह-व-िहदी िन ज्ते हैं। कुछ उनके सिवणज़ा हो ज्ते हैं। िैं यह नहीं कह सकत् मक यह वयमति स्धन् की िंमजलों (िन्मज़ले सुलयूक के पड़्वों) िें उस सथ्न पर है य् व्सतव िें वही िहदी है मजस क् व्द् जन्व सरवर-ए-क्यन्त अलैमहससल्तो वससल्ि ने इस उ्ित से मकय् है। झयूठे धिमों के मलए यह वयमति तेज़ तलव्र क् क्ि कर रह् है और मनससनदेह सिथज़ान प्र्प्त है।”

    (अलहकि 24, जयून 1904 पृष्ठ-5, क्लि 2,3)परनतु इसके कुछ सिय के पश््त् आप मवरोध के िैद्न िें आ गए

    और जनवरी 1900 ई. िें हज़रत िसीह िौऊद अलैमहससल्ि के मवरुद्ध उदयूज़ा िें ‘श्सुल महद्यः फी इसि्त हय्मतल िसीह’ न्िक पुसतक प्रक्मशत की जो व्सतव िें उनके एक िुरीद िौलवी िुह्िद ग्ज़ी की मलखी हुई थी मजसकी चच्ज़ा भी उनहोंने अपने एक पत् िन्ि हज़रत िौलवी हकीि नयूरुद्ीनरमज़॰ मदन्ंक 26 शव्ल 1317 महज्ी तदनुस्र 28 ि्चज़ा 1900 ई. िें कर दी थी। जि उस पत् की चच्ज़ा हुई तो पीर स्महि ने अपने एक िुरीद (मशषय) के प्रशन पर ऐस् वयति

    IV

  • मकय् मक जैसे उनहोंने यह पुसतक सवयं मलखी है। हज़रत िौलवी अबदुल करीि स्महिरमज़॰ पीर स्महि की दो रंगी पर चुप न रह सके और आप ने 24, अप्रैल 1900 ई. के अख़ि्र ‘अलहकि’ िें ये सभी पत् प्रक्मशत कर मदए। मजस पर उनके िुरीदों िें अ्टकलें लगने लगीं और इधर िौलवी िुह्िद अहसन स्महि अिरोहीरमज़॰ ने ‘श्सुल महद्य्’ क् उत्तर “श्से ि्मज़गः” के न्ि से प्रक्मशत कर मदय्। चयूंमक श्सुल महद्यः के अनत िें िुि्हसे की द्वत भी दी गई थी, इसमलए िौलवी स्महि ने मदन्ंक 9, जुल्ई 1900 ई. मवज््पन द््र् पीर स्महि को सयूचन् दे दी मक “िैं िुि्हसे के मलए तैय्र हूं।’’

    (अलहकि 9, जुल्ई 1900 ई.)पीर स्महि क् मवरोध और मिर दोनों सदसयों की ओर से तफसीर मलखने

    के िुक्िले से संिंमधत जो मवज््पन प्रक्मशत हुए आदणणीय िौलवी दोसत िुह्िद स्महि ने उनक् त्रीख़-ए-अहिमदयत िें वणज़ान मकय् है। हज़रत िसीह िौऊद अलैमहससल्ि ने 20 जुल्ई 1900 ई. को सच और झयूठ िें अनतर करने के मलए तफसीर मलखने िें ज््न की तुलन् करने के मलए मनिंत्ण मदय् और फरि्य्- ल्हौर जो पंज्ि की र्जध्नी है वह्ं एक जलस् करके और पचणी मनक्ल कर पमवत् क़ुआज़ान की कोई सयूरह मनक्ल कर दुआ करके च्लीस आयतों की व्सतमवकत्एं तथ् िआररफ सरस एवं सुिोध अरिी भ्ष् िें दोनों सदसय ठीक उसी जलसे िें स्त घं्टे के अनदर मलख कर तीन मवद््नों के सुपुदज़ा कर दें मजनकी उपमसथमत एवं चयन क् प्रिंध करन् पीर िेहर अली श्ह स्महि क् द्मयतव होग्।

    पीर स्महि ने इस चेलेनज को शतमों समहत सवीक्र तो न मकय्, ह्ं मतमथ और सिय मनध्ज़ाररत मकए मिन् चुपके से ल्हौर पहुंच कर एक मवज््पन प्रक्मशत मकय्, मजसिें मलख् मक प्रथि हि क़ुआज़ान और हदीस के सपष्ट आदेशों के अनुस्र िहस करेंगे, उसिें यमद तुि पर्मजत हो ज्ओ तो हि्री िैअत कर लो इसके ि्द हिें वह (तफसीरी) चितक्ररक िुक्िल् भी सवीक्र है।

    हज़रत अक़दस अलैमहससल्ि ने पीर स्महि की इस छल से भरी च्ल V

  • क् वणज़ान करते हुए फरि्य् मक भल् िैअत कर लेने के ि्द चितक्ररक िुक़्िल् करने के कय् ि्यने? और फरि्य् उनहोंने िौमखक िुि्हसे क् िह्न् िन् कर तफसीरी िुक्िले से पल्यन करने क् ि्गज़ा मनक्ल् है और लोगों को यह धोख् मदय् है मक जैसे वह िेरी द्वत को सवीक्र करत् है। ह्ल्ंमक िैं अंज्ि आथि िें यह दृढ़ कर चुक् हूं मक भमवषय िें हि (िौमखक) िुि्हसे नहीं करेंगे। परनतु उनहोंने इस मवच्र से िौमखक िहस क् मनिंत्ण मदय् मक “यमद वह िुि्हस् नहीं करेंगे तो हि जनत् िें मवजय क् डंक् िज् देंगे और यमद िुि्हस् करेंगे तो कह देंगे मक इस वयमति ने ख़ुद् तआल् के स्थ प्रमतज्् (अहद) करके तोड़ मदय्।’’

    (देखो रूह्नी ख़ज़्यन मजलद-17 के पृष्ठ 87 से 90 और पृष्ठ 454, 455 ह्मशय् पृष्ठ 448-450 उदयूज़ा एमडशन)

    व्सतव िें न पीर स्महि ज््न संिंधी इतनी योगयत् रखते थे मक वह ऐसी तफसीर मलखते और न ही उनहें मरिय्तिक तौर पर िुक्िले िें मनकलने क् स्हस हुआ।

    तोहफ़ा गोलड़वियः पुसतक की रचऩा इसी िीच िें आपने तोहफ् गोलड़मवय् पुसतक मलखी मजसिें आपने अपने

    द्वे की सच््ई के शमतिश्ली तक्क मदए और क़ुआज़ान एवं हदीस के सपष्ट आदेशों से मसद्ध मकय् मक आन व्ले िसीह िौऊद क् उ्ित-ए-िुह्िमदय् िें से प्रक्ट होन् आवशयक थ् और उसके प्रक्टन क् यही युग थ्, मजसिें अल््ह तआल् ने िुझे अवतररत मकय् है।

    तोहफ़ा गोलड़वियः वलखने क़ा उद्ेशयजैस् मक ्ट्य्टल पेज पर मलख् है पीर िेहर अली श्ह स्महि गोलड़वी

    और उनके िुरीदों तथ् सहपंमथयों पर सिझ्ने क् अमनति प्रय्स पयूणज़ा हो। जैस् मक “पच्स रुपए के इन्िी मवज््पन” िें मलख् है –

    “िुझे ख़य्ल आय् मक जन स्ि्नय मजन िें सव्भ्मवक तौर पर सोचने क् ततव कि होत् है वे यद्यमप यह ि्त तो सिझ लेंगे मक पीर स्महि सरस

    VI

  • अरिी भ्ष् िें तफसीर मलखने पर सिथज़ा नहीं थे इसी क्रण से तो ्ट्ल मदय्, परनतु स्थ ही उनको यह मवच्र भी आएग् मक वह पुसतकीय िुि्हसों पर अवशय सिथज़ा होंगे, तभी तो मनवेदन प्रसतुत कर मदय् और अपने मदलों िें सोचेंगे मक उनके प्स हज़रत िसीह के जीमवत रहने और िेरे तकमों के खणडन िें कुछ तक्क हैं और यह तो ि्लयूि नहीं होग् मक यह िौमखक िुि्हसे क् स्हस भी िेरी उस िहस के तय्ग पर दृढ़ प्रमतज्् ने उनको मदल्य् है जो अंज्िे आथि िें प्रक्मशत हो कर ल्खों लोगों िें प्रमसद्ध हो चुकी है। इसमलए िैं यह पुसतक मलख कर इस सिय शरई सही इक़र्र करत् हूं मक यमद वह इस के िुक्िले पर कोई पुसतक मलख कर िेरे उन सिसत तकमों को प्रथि से अनत तक तोड़ दे और मिर िौलवी अियू सईद िुह्िद हुसैन स्महि ि्ट्लवी ि्ट्ल् िें एक सभ् आयोमजत करके हि दोनों की उपमसथमत िें िेरे सिसत तकमों को दशज़ाकों के स्िने एक-एक करके वणज़ान करें और मिर प्रतयेक तक्क के िुक्िले पर मजसे वह मिन् मकसी किी िेशी तथ् पररवतज़ान के दशज़ाकों को सुन् दें तथ् ख़ुद् तआल् की क़सि ख्कर कहें मक उत्तर सही है और प्रसतुत मकए गए तक्क क् उनियूलन करते हैं तो िैं पच्स रुपए की र्मश पीर स्महि की मवजय पर उनको उसी सभ् िें दे दयूंग्। ................................ परनतु उनहोंने इन्िी पुसतक क् उत्तर न मदय् तो मनससनदेह लोग सिझ ज्एंगे मक वह सीधे ढंग से िुि्हसों पर सिथज़ा नहीं।”

    (तोहफ् गोलड़मवयः रूह्नी ख़ज़्इन मजलद 17, पृष्ठ-36, उदयूज़ा एमडशन) वलखने क़ा समय

    िेरे नज़दीक तोहफ् गोलड़मवयः सन् 19000 ई. िें मलखी गई। तोहफ् गोलड़मवयः क् प्र्रंमभक पररमशष्ट (ज़िीि्) जो व्सतव िें अरिईन न. 3 है वह मसत्िर से नव्िर 1900 ई. के िधयवतणी सिय की रचन् है। कयोंमक अरिईन न. 2 मजसके अनत िें 27 मसत्िर 1900 ई. की मतमथ मलखी है, उसके संिंध िें हज़रत अक़दस फरि्ते हैं –

    “अरिईन न. 2 के पृष्ठ 30 पर सभ् के आयोजन की जो मतमथ तय की VII

  • गई है अथ्ज़ात् 15 अक्टटूिर 1900 ई. वह उस सिय तय की गई थी जिमक हिने 7,अगसत1900 ई. को लेख मलखकर क्मति के सुपुदज़ा मकय् थ्, परनतु इसी िीच पीर िेहर अली श्ह स्महि गोलड़वी के स्थ मवज््पन ज्री हुए और पुसतक तोहफ् गोलड़मवयः के तैय्र करने के क्रण अरिईन न.2 क् छपन् सथमगत रह्। इसमलए हि्री र्य िें कमथत सिय सीि् अि अपय्ज़ाप्त है। अतः हि उमचत सिझते हैं मक 15, अक्टटूिर के सथ्न पर 25 मदस्िर 1900 ई. मनध्ज़ाररत कर दी ज्ए।” (यही मजलद पृष्ठ-478 ज़िीि् अरिईन न. 3 मतमथ 29 मसत्िर 1900 ई. के सनदभज़ा से)

    इस से ज््त हुआ पुसतक तोहफ् गोलड़मवयः अगसत 1900 ई. िें हज़रत अक़दस अलैमहससल्ि मलख रहे थे इसी प्रक्र हज़रत अक़दस अलैमहससल्ि ने मदन्ंक 15 मदस्िर 1900 ई. जि पीर िेहर अली श्ह स्महि गोलड़वी के सत्तर मदन िें सयूरह फ्मतह् की सरस-सुिोध अरिी भ्ष् िें तफसीर मलखने के मलए मनिंत्ण मदय् तो उस सिय फरि्य् –

    “15 मदस्िर 1900 ई. से इस क्यज़ा के मलए हि दोनों को सत्तर मदन की अवक्श है ........... िैं इस क्यज़ा को इनश् अल््ह तोहफ् गोलड़मवयः को पयूणज़ा करने के पश््त् आरंभ कर दयूंग्।”

    (तोहफ् गोलड़मवयः रूह्नी ख़ज़्इन मजलद 17, ह्मशय् पृष्ठ-450, उदयूज़ा एमडशन) अरिईन न. 4 के सनदभज़ा से)

    अतः इसके अनुस्र हज़रत अक़दस की ओर से 23, िरवरी 1901 ई. को 'एज्ज़ुल िसीह' के न्ि पर सरस-सुिोध अरिी िें सयूरह फ्मतह् की तफसीर छप कर प्रक्मशत हो गई.

    (अलहकि 03, ि्चज़ा 1901 पृष्ठ-2, क्लि-3 और अल हकि 11 ि्चज़ा सन् 1901 पृष्ठ-5 क्लि-1)

    इस से सपष्ट है मक पुसतक तोहफ् गोलड़मवयः ‘एज्ज़ुल िसीह’ मलखने से पहले तैय्र हो चुकी थी। अतः मनमश्त तौर पर सवीक्र करन् पड़त् है मक तोहफ् गोलड़मवयः पुसतक मलखने क् सिय 1900 ई. है। यद्यमप उस के

    VIII

  • प्रक्मशत होने िें मवल्ि हो गय् हो और मजस प्रक्र मतरय्क़ुल क़ुलयूि छप कर पड़ी रही और अनततः एक-दो पृष्ठ 1902 ई. िें मलख कर वह प्रक्मशत कर दी गई। इसी प्रक्र तोहफ् गोलड़मवयः के संिंध िें हुआ। अतः ्ट्य्टल पेज पर उसके पृष्ठ 2 पर पच्स रुपए क् इन्िी मवज््पन 1902 ई. िें मलखकर 1902 िें प्रक्मशत मकय् गय्।

    ख़्कस्र जल्लुद्ीन श्स रबव्ह 11, अक्टटूिर 1965ई.

    IX

  • 1 तोहफ़ा गोलड़वियः

    पचास रुपए का इनामी विज्ापनमैं चूंकि अपनी पुस्ति अंजाम आथम िे अन्त में वादा िर चुिा हूं कि

    भकवष्य में किसी मौलवी इत्याकद िे साथ मौकिि बहस नहीं िरूंगा। इसकलए पीर मेहर अली साकहब िा मौकिि बहस कनवेदन जो मेरे पास पहूंचा मैं किसी प्रिार उसे सवीिार नहीं िर सि्ता। अफ़सोस कि उनहोंने िेवल धोिा देने िे कलए इस जानिारी िे बावजूद कि मैं ऐसी मौकिि बहसों से पृथि रहने िे कलए कजनिा पररणाम अच्ा नहीं कनिला, ख़ुदा ्तआला िे सामने वादा िर चुिा हूं कि मैं ऐसे मुबाहसों से दूर रहूंगा, किर भी मुझ से बहस िरने िा कनवेदन िर कद्या। मैं कनससनदेह जान्ता हूं कि उनिा ्यह कनवेदन िेवल उस शकममिनदगी से बचने िे कलए है जो वह उस चमतिाररि मुिाबले िे सम्य जो अरबी में ्तफसीर कलिने िा मुक़ाबला था अपने बारे में कवश्ास रि्ते थे कि मानो जन्ता िे कवचारों िो किसी अन्य ओर उल्ा िर सिल हो गए और पदामि बना रहा।

    प्रत्येि कदल ख़ुदा िे सामने है और हर एि सीना अपने गुनाह िो महसूस िर ले्ता है परन्तु मैं सच्ाई िी सहा्य्ता िे िारण हरकगज़ नहीं चाह्ता कि ्यह झूठी सिल्ता भी उनिे पास रह सिे। इसकलए मुझे ख़्याल आ्या कि जन्ता कजन में कवचार िरने िा ्तत्व सवाभाकवि ्तौर पर िम हो्ता है वे ्यद्यकप ्ये बा्त ्तो समझ लेंगे कि पीर साकहब सरस अरबी में ्तफसीर कलिने पर समथमि नहीं थे। इसी िारण से ्तो ्ाल कद्या परन्तु साथ ही उनिो ्यह कवचार भी आएगा कि उदाहृ्त प्रमाणों द्ारा मुबाहसों पर वह अवश्य समथमि होंगे ्तभी ्तो कनवेदन प्रस्तु्त िर कद्या और अपने कदलों में सोचेंगे कि उनिे पास हज़र्त मसीह िे जीकव्त रहने और मेरे ्तिकों िे िण्डन में िु् सबू्त हैं। और ्यह ्तो मालूम नहीं होगा कि ्यह मौकिि मुबाहसे िा साहस भी मेरे ही मौकिि बहस िे त्याग ने उनिो कदला्या है, जो अंजाम-ए-आथम में प्रिाकश्त हो िर लािों लोगों में प्रकसद्ध हो

  • 2तोहफ़ा गोलड़वियः

    चुिा है। इसकलए मैं ्यह पुस्ति कलि िर इस सम्य शरई सही इक़रार िर्ता हूं कि ्यकद वह इसिे मुिाबले पर िोई पुस्ति कलि िर मेरे उन समस्त ्तिकों िा प्रारूंभ से अन्त ्ति िण्डन िर दें और किर अबू सईद मुहममद हसैन साकहब ब्ालवी ब्ाला में एि सभा आ्योकज्त िरिे हम दोनों िी उपससथक्त में मेरे समस्त ्तिकों िो एि, एि िरिे दशमििों िे सामने वणमिन िर दें, किर प्रत्येि सबू्त िे मुिाबले पर कजसिो वह कबना किसी िमी बेशी और पररव्तमिन िे दशमििों िो सुना देंगे। पीर साकहब िे उत्तरों िो सुना दें और ख़ुदा ्तआला िी क़सम िा िर िहें कि ्ये उत्तर सही हैं और प्रस्तु्त ्ति्क िा उनमूलन िर्ते हैं ्तो मैं पीर साकहब िी कवज्य पर पचास रुपए ब्तौर इनाम उसी सभा में दे दूंगा, और ्यकद पीर साकहब कलि दें ्तो मैं ्यह पचास रुपए िी राकश अग्रकम ्तौर पर मौलवी मुहममद हसैन साकहब िे पास जमा िर दूंगा। परन्तु ्यह पीर साकहब िा दाक्यतव होगा कि वह मौलवी मुहममद हसैन साकहब िो कनददेश दें ्ताकि वह पचास रुपए अपने पास ब्तौर अमान्त रि िर कन्यमानुसार रसीद दे दें ्तथा उपरोक्त ्तथा िकथ्त पद्धक्त िी पाबंदी से क़सम िा िर उनिो अकधिार होगा कि वह मेरी अनुमक्त िे कबना पचास रुपए पीर साकहब िो दे दें। क़सम िाने िे बाद उन पर मेरी िोई कशिा्य्त नहीं होगी, िेवल ख़ुदा पर दृसटि होगी कजसिी वह क़सम िाएंगे। पीर साकहब िा ्यह अकधिार नहीं होगा कि ्यह बेिार बहाना प्रस्तु्त िरें कि मैंने पहले से िण्डन िरने िे कलए पुस्ति कलिी है। क्योंकि इनामी पुस्ति िा उनहोंने उत्तर न कद्या ्तो कनःसंदेह लोग समझ जाएंगे कि वह सीधे ढूंग से मुबाहसों पर भी समथमि नहीं है।

    विज्ापन – वमरा़ा ग़ुलाम अहमद, कावदयान1, वसतम्बर 1902 ई०

  • 3 तोहफ़ा गोलड़वियः

    पररविष्ट तोहफा गोलड़वियःव्बस्मल्ावहर्रहमावनर्रहीम

    नहमदुहू ि नुसल्ी अला रसूवलवहलकरीम

    َْ

    َفا ِتِحیْال َحّقِ َو اَنَْت َخْیُ

    َْ قَْوِمَنا ِبا ل

    َْتْح بَْیَنَنا َو بَی

    َْربََّنا اف

    (अल आराि-90)हे हमारे ख़ुदा हम में और हमारी क़ौम में सच्ा िैसला िर और ्तू उकच्त

    िैसला िरने वाला है।आमीन

    पांच सौ रुपए का इनामी विज्ापनहाकफ़ज़ मुहममद ्यूसुफ़ साकहब कज़लेदार नहर िे नाम ्तथा

    इसी प्रिार इस कवज्ापन में ्ये समस्त लोग भी समबोकध्त हैं कजन िे नाम कनमनकलकि्त हैं।

    मौलवी पीर मेहर अली शाह साकहब गोलड़वी, मौलवी नज़ीर हसैन साकहब देहलवी, मौलवी मुहममद बशीर साकहब भोपाली, मौलवी हाकफ़ज़ मुहममद ्यूसुफ़ साकहब भोपाली, मौलवी ्तलत्तुफ़ हसैन साकहब देहलवी, मौलवी अबदुल हक़ साकहब देहलवी लेिि ्तफसीर हक़क़ानी, मौलवी रशीद अहमद साकहब गंगोही, मौलवी मुहममद कसद्ीक़ साकहब देवबनदी व्तमिमान कशक्षि ब्रा्यूं, कज़ला मुरादाबाद, शैख़ िलीलुर्रहमान साकहब जमाली सरसावा, कज़ला-सहारनपुर, मौलवी अबदुल अज़ीज़ साकहब लुकध्याना, मौलवी मुहममद हसैन साकहब लुकध्याना, मौलवी अहमदुल्ाह साकहब अमृ्तसरी, मौलवी अबदुल जबबार साकहब ग़ज़नवी अमृ्तसरी, मौलवी

  • 4तोहफ़ा गोलड़वियः

    गुलाम रसूल साकहब उफ़्क रुसुल बाबा, मौलवी अबदुल्ाह साकहब ्ोंिी लाहौर, मौलवी अबदुल्ाह साकहब चिड़ालवी लाहौर, क्डप्ी फ़्तहअली शाह साकहब क्डप्ी िलक्र नहर लाहौरी, मुंशी इलाही बख़श साकहब एिाउन्ेन् लाहौर, मुंशी अबदुलहक़ साकहब एिाउन्ेन् पेनशनर, मौलवी मुहममद हसन साकहब अबुलफ़ैज़ कनवासी भैं, मौलवी सय्यद उमर साकहब वाइज़ हैदराबाद, उलेमा नुदर्तुल इसलाम माररफ़्त मौलवी मुहममद अली साकहब सेक्े्री नदव्तुल उलेमा, मौलवी सुल्तानुद्ीन साकहब ज्यपुर, मौलवी मसीहज़ज़मान साकहब उस्ताद कनज़ाम हैदराबाद दिन, मौलवी अबदुल वाकहद िान साकहब शाहजहांपुरी, मौलवी एजाज़ हसैन ख़ान साकहब शाहजहांपुर, मौलवी रर्यास्त अली ख़ान साकहब शाहजहांपुर, सय्यद सूफ़ी जानशाह साकहब मेरठ, मौलवी इसहाक़ साकहब पक््याला, समस्त उलेमा िलित्ता, बमबई ्तथा मद्ास, कहनदुस्तान िे समस्त सज्ादः नशीन-व-मशाइि, मुसलमानों िे समस्त बुकद्धजीवी न्या्यवान, सं्यमी ्तथा ईमानदार।

    सपटि हो कि हाकफ़ज़ मुहममद ्यूसुफ़ साकहब कजलेदार नहर ने अपने मो्ी बुकद्ध रिने ्तथा जानबूझ िर िाम िराब िरने वाले मौलकव्यों िी कशक्षा से लाहौर में एि मस्लस में कजसमें कमज़ामि ख़ुदा-बख़श साकहब नवाब मुहममद अली िान साकहब िे साथ और कम्यां मेराजुद्ीन साकहब लाहौरी, मुफ्ती मुहममद साकदक़ साकहब, सूफ़ी मुहममद अली साकहब क्लि्क, कम्यां चट्टू साकहब लाहौरी, ख़लीफ़ा रजबुद्ीन साकहब व्यापारी लाहौरी, शैख़ ्यािूब अली साकहब ए्डी्र अिबार अलहिम, हिीम मुहममद हसैन साकहब क़ुरैशी, हिीम मुहममद हसैन साकहब व्यापारी मरहम-ए-ईसा, कम्यां कचराग़दीन साकहब िलि्क ्तथा मौलवी ्यार मुहममद साकहब उपससथ्त थे। बड़े आग्रहपूवमिि ्यह वणमिन कि्या कि ्यकद िोई नबी, रसूल ्या िोई ख़ुदा िी ओर से मामूर होने िा झूठा दावा िरे और इस प्रिार से लोगों िो गुमराह िरना चाहे ्तो वह झूठ गढ़ने िे बाद ्तेईस वरमि ्ति ्या इस से अकधि जीकव्त रह सि्ता है अथामित् ख़ुदा पर झूठ बांधने िे पश्ात् इ्तनी आ्यु पाना उसिी सच्ाई िा ्ति्क नहीं हो सि्ता ्तथा वणमिन कि्या कि ऐसे िई लोगों िा नाम मैं उदाहरण िे ्तौर पर प्रस्तु्त िर सि्ता हूं कजनहोंने

  • 5 तोहफ़ा गोलड़वियः

    नबी, रसूल ्या ख़ुदा िी ओर से मामूर होने िा दावा कि्या और ्तेईस वरमि ्ति ्या इससे अकधि सम्य ्ति लोगों िो सुना्ते रहे कि हम पर ख़ुदा िा िलाम उ्तर्ता है, हालांकि वे झूठे थे। अ्तः हाकफ़ज़ साकहब ने मात्र अपने अवलोिन (देिने) िा हवाला देिर उपरोक्त दावे पर बल कद्या, कजस से अकनवा्यमि हो्ता था कि पकवत्र क़ुआमिन िा वह ्ति्क कनमनकलकि्त आ्य्त में आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िे ख़ुदा िी ओर से होने िे बारे में है सही नही है और जैसा ख़ुदा ्तआला ने सवमिथा वास्तकवि्ता िे कवरुद्ध उस ्ति्क िो ईसाइ्यों, ्यहकद्यों ्तथा मुकरििों (अनेिेश्रवाकद्यों) िे सामने प्रस्तु्त कि्या है ्तथा जैसा कि इमामों और व्याख्यािारों (मुफ़सससरीन) ने भी मात्र मूिमि्ता से इस ्ति्क िो कवरोकध्यों िे सामने प्रस्तु्त कि्या ्यहां ्ति कि ‘शरह अक़ा्यद नसफ़ी’ में भी जो अहले सुन्न्त िी आसथाओं िे बारे में एि पुस्ति है आसथा िे रप में इस ्ति्क िो कलिा है और उलेमा ने इस बा्त पर भी सहमक्त िी है कि क़ुआमिन िा क्तरसिार ्या क़ुआमिन िा ्ति्क िुफ़्र िी बा्त है। परन्तु न मालूम कि हाकफ़ज़ साकहब िो किस पक्षपा्त ने इस बा्त पर ्ततपर िर कद्या कि क़ुआमिन िे हाकफ़ज़ होने िे दावे िे बावजूद कनमनकलकि्त आ्य्तों िो भूल गए और वे ्ये हैंــا ّمَ َمــا ُہَوِبَقــْوِل َشــاِعٍر قَِلْیــًا ِانَّــٗہ لََقــْوُل َرُســْوٍل َکِریْــم ّوَ ِبّ ّرَ ــْن ِمّ

    ٌْوَن تَْنِزیْــل

    ُــر ــا تََذّکَ ّمَ ِبَقــْوِل َکاِہــٍن قَِلْیــًا تُْؤِمُنــْوَنۙ َوَل

    ِ ثـُـّمَ ْ

    َیِمــیْنـَـا ِمْنــُہ ِبال

    َْقَاِویْــِلۙ َلََخذ

    َْل َعلَْیَنــا بَْعــَض ال َ َولـَـْو تََقــّوَ

    ْٰعلَِمــی

    ْال

    ــْن اََحــٍد َعْنــُہ ٰحِجـــِزیَْن َ فََمــا ِمْنُکــْم ِمّْ

    َوِتــیْلََقَطْعَنــا ِمْنــُہ ال

    (अलहाक़क़ः - 41 से 48)इसिा अनुवाद ्यह है – कि ्यह क़ुआमिन रसूल िा िलाम है अथामित्

    वह्ी िे माध्यम से उसे पहूंचा है और ्यह शा्यर (िकव) िा िलाम नहीं परन्तु चूंकि ्तुमहें ईमान िी दक्ष्ता (कफ़रास्त) से िम कहससा है, इसकलए ्तुम उसिो पहचान्ते नहीं और ्यह ््योक्तरी िा िलाम नहीं है अथामित् उसिा िलाम नहीं जो कजन्नों से िु् संबंध रि्ता हो, किन्तु ्तुमहें सोचने और कवचार िरने िा बह्त

  • 6तोहफ़ा गोलड़वियः

    िम कहससा कद्या ग्या है इसकलए ऐसा समझ्ते हो। ्तुम नहीं सोच्ते कि िाकहन (््योक्तरी) किस अधम और अपमाकन्त ससथक्त में हो्ते हैं अकप्तु ्यह समस्त लोिों िे प्रक्तपालि िा िलाम (वाणी) है जो मत्यमिलोि (संसार) और परलोि दोनों िा प्रक्तपालि है अथामित् जैसा कि वह ्तुमहारे शरीरों िो प्रकशक्षण दे्ता है इसी प्रिार वह ्तुमहारी रहों (आतमाओं) िो भी प्रकशकक्ष्त िरना चाह्ता है और इसी प्रक्तपालन िी मांग िे िारण उसने इस रसूल िो भेजा है और ्यकद ्यह रसूल िु् अपनी ओर से बना ले्ता और िह्ता कि अमुि बा्त ख़ुदा ने मुझ पर वह्ी िी है हालांकि वह िलाम उसिा हो्ता न ख़ुदा िा ्तो हम उसिा दा्यां हाथ पिड़ ले्ते और किर उसिी सब से बड़ी रक्त िी धमनी जो हृद्य िो जा्ती है िा् दे्ते और ्तुम में से िोई उसे बचा न सि्ता, अथामित् ्यकद वह हम पर झूठ बांध्ता ्तो उसिा दण्ड मृत्यु था क्यों कि वह इस ससथक्त में अपने झूठे दावे से झूठ बांधने ्तथा िुफ़्र िी ओर बुलािर गुमराही िी मृत्यु से मारना चाह्ता ्तो उसिा मरना उस दुरमि्ना से उत्तम है कि समस्त संसार उसिी झूठ बनाई हई कशक्षा से ्तबाह हो। इसकलए अनाकदिाल से हमारा ्यही कन्यम है कि हम उसी िो मार दे्ते हैं जो संसार िे कलए कवनाश िे मागमि प्रस्तु्त िर्ता है ्तथा झूठी कशक्षा और झूठी आसथाएं प्रस्तु्त िर िे ख़ुदा िी प्रजा िी रहानी मृत्यु (आध्यासतमि मृत्यु) चाह्ता है और ख़ुदा पर झूठ बांधिर रृटि्ता िर्ता है।

    अब इन आ्य्तों से कबलिुल सपटि है कि अल्ाह ्तआला आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िी सच्ाई पर ्यह ्ति्क प्रस्तु्त िर्ता है कि ्यकद वह हमारी ओर से न हो्ता ्तो हम उसे मार दे्ते और वह िदाकप जीकव्त न रह सि्ता ्यद्यकप ्तुम लोग उसिे बचाने िे कलए प्र्यास भी िर्ते। परन्तु हाकफ़ज़ साकहब इस ्ति्क िो नहीं मान्ते ्तथा िह्ते हैं कि आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िी वह्ी समपूणमि अवकध ्तेईस वरमि िी थी और मैं इस से अकधि अवकध ्ति िे लोग कदिा सि्ता हूं, कजनहोंने नबी और रसूल िे झूठे दावे किए थे और झूठ बोलने ्तथा ख़ुदा पर झूठ बांधने िे बावजूद ्तेईस वरमि से अकधि सम्य ्ति जीकव्त रहे। इसकलए हाकफ़ज़ साकहब िे कनि् पकवत्र क़ुआमिन िा ्यह

  • 7 तोहफ़ा गोलड़वियः

    ्ति्क असत्य और अधम है और इस से आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िी नुबुवव्त कसद्ध नहीं हो सि्ती, किन्तु आश््यमि जब कि मौलवी रहम्तुल्ाह साकहब (सवगगी्य) और सवगगी्य मौलवी सय्यद आले हसन साकहब ने अपनी पुस्ति ‘इज़ाला औहाम’ और ‘इसस्तफसार’ में पादरी िण्डल िे सामने ्यही ्ति्क प्रस्तु्त कि्या था ्तो पादरी िण्डल साकहब िो इस िा उत्तर नहीं आ्या था और इसिे बावजूद कि ्ये लोग इक्तहास िी ्ान-बीन िरने में बह्त महार्त रि्ते हैं परन्तु वह इस ्ति्क िा िण्डन िरने िे कलए िोई उदाहरण प्रस्तु्त न िर सिा1★ और कनरुत्तर रह ग्या। और आज हाकफ़ज़ मुहममद ्यूसुफ़ साकहब मुसलमानों िे सपू्त िहला िर इस क़ुआमिनी ्ति्क से इनिार िर्ते हैं और ्यह मामला िेवल मौकिि ही नहीं रहा अकप्तु इस बारे में एि ऐसी ्तहरीर हमारे पास मौजूद है कजस पर हाकफ़ज़ साकहब िे हस्ताक्षर हैं जो उनहोंने कबरादरम मुफ्ती मुहममद साकदक़ साकहब िो इस प्रक्तज्ा िा इक़रार िर्ते हए दी है कि हम ऐसे झूठ बनाने वालों िा प्रमाण देंगे कजनहोंने ख़ुदा िे नबी ्या रसूल होने िा दावा कि्या और किर वे दावे िे पश्ात् ्तेईस वरमि से अकधि जीकव्त रहे। समरण रहे कि ्यह साकहब मौलवी अबदुल्ाह साकहब ग़ज़नवी िे कगरोह में से हैं और बड़े एिेश्रवादी प्रकसद्ध हैं। इन लोगों िी आसथाओं िा ब्तौर नमूना ्यह हाल है कजसिा हमने उल्ेि कि्या। ्यह बा्त किसी से गुप्त नहीं कि क़ुआमिन िे प्रस्तु्त ्तिकों िो झूठा िहना क़ुआमिन िो झूठा िहना है। ्यकद पकवत्र क़ुआमिन िे एि ्ति्क िो असवीिार कि्या जाए ्तो शासन्त भंग हो जाएगी और इस से अकनवा्यमि हो जाएगा कि क़ुआमिन िे 1★हाविया :- पादरी िण्डल साकहब ने अपनी पुस्ति ‘मीजानुल हि’ में िेवल ्यह उत्तर कद्या था कि अवलोिन इस बा्त पर गवाह है कि संसार में िई िरोड़ मूक्तमिपूजि मौजूद हैं। परन्तु ्यह कन्तान्त बेिार उत्तर है क्यों कि मूक्तमि पूजि लोग मूक्तमि पूजा में अपने ख़ुदा िी ओर से वह्ी आने िा दावा नहीं िर्ते। ्यह नहीं िह्ते कि ख़ुदा ने हमें आदेश कद्या है कि मूक्तमि-पूजा िा संसार में प्र्यास िरो। वे लोग पथ-भृटि हैं न कि ख़ुदा पर झूठ बांधने वाले। ्यह बा्त कववाकद्त बा्त से िु् संबंध नहीं रि्ती अकप्तु एि चीज़ िा दूसरी चीज़ पर कबना किसी अनुिूल्ता और समान्ता िे अनुमान िरना है क्योंकि बहस ्तो नुबुवव्त िे दावे और ख़ुदा पर झूठ बांधने िे बारे में है न िेवल पथभ्रटि्ता में। इसी से ।

  • 8तोहफ़ा गोलड़वियः

    समस्त ्ति्क जो एिेश्रवाद (्तौहीद) और ररसाल्त िे प्रमाण में हैं सब िे सब असत्य और अधम हों और आज ्तो हाकफ़ज़ साकहब ने इस िण्डन िे कलए ्यह बीड़ा उठा्या कि मैं कसद्ध िर सि्ता हूं कि लोगों ने ्तेईस वरमि ्ति ्या इस से अकधि नबी ्या रसूल होने िे दावे किए और किर जीकव्त रहे और िल शा्यद हाकफ़ज़ साकहब ्यह भी िह दें कि क़ुआमिन िा ्यह ्ति्क भी कि

    (अलअंकब्या - 23) ٰالَِہۃٌ ِاّلَ الّلُ لََفَسَدتَا ۤ لَۡو َکاَن ِفۡیِہَما

    असत्य है और दावा िरें कि मैं कदिा सि्ता हूं कि ख़ुदा िे अक्तररक्त और भी िु् ख़ुदा हैं जो सच्े हैं परन्तु पृथवी और आिाश किर भी अब ्ति मौजूद हैं। अ्तः ऐसे बहादुर हाकफ़ज़ साकहब से सब िु् प्रत्याकश्त (उममीद) है किन्तु एि ईमानदार व्यसक्त िे शरीर पर एि िपिपी आरूंभ हो जा्ती है जब िोई ्यह बा्त जीभ पर लाए कि अमुि बा्त जो क़ुआमिन में है वह वास्तकवि्ता िे कवरुद्ध है ्या क़ुआमिन िा अमुि ्ति्क असत्य है अकप्तु कजस बा्त में क़ुआमिन और रसूलुल्ाह सल्ल्ाह अलैकह व सल्म पर चो् पड़्ती हो ईमानदार िा िाम नहीं कि उस अपकवत्र पहलू िो अपनाए और हाकफ़ज़ साकहब िी नौब्त इस सीमा ्ति िेवल इसकलए पहूंच गई है कि उनहोंने अपने िु् पुराने साकथ्यों िे साथ िे िारण मेरे ख़ुदा िी ओर से होने िे दावे िा इनिार िरना उकच्त समझा और चूंकि झूठे िो ख़ुदा ्तआला इसी दुकन्या में अपराधी और लसज््त िर दे्ता है। इसकलए हाकफ़ज़ साकहब भी अन्य इनिारर्यों िी भांक्त ख़ुदा िे इलज़ाम िे नीचे आ गए ्तथा ऐसा सं्योग हआ कि एि मस्लस में कजसिी हम ऊपर चचामि िर आए हैं मेरी जमाअ्त िे िु् लोगों ने हाकफ़ज़ साकहब िे सामने ्यह ्ति्क प्रस्तु्त कि्या कि ख़ुदा ्तआला पकवत्र क़ुआमिन में एि नंगी ्तलवार िी भांक्त ्यह आदेश दे्ता है कि ्यह नबी ्यकद मुझ पर झूठ बोल्ता और किसी बा्त में झूठ बना्ता ्तो मैं उसिी हृद्य िो रक्त ले जाने वाली धमनी िा् दे्ता और वह इ्तने लमबे सम्य ्ति जीकव्त न रह सि्ता। अ्तः अब जब हम अपने इस मसीह मौऊद िो इस पैमाने से नाप्ते हैं ्तो बराहीन अहमकद्या िे देिने से कसद्ध हो्ता है कि ्यह दावा ख़ुदा िी ओर से होने ्तथा ख़ुदा से वा्तामिलाप िा

  • 9 तोहफ़ा गोलड़वियः

    दावा लगभग ्तीस वरमि से है और इकिीस वरमि से बराहीन अहमकद्या प्रिाकश्त है। किर ्यकद इस अवकध ्ति इस मसीह िा मृत्यु से अमन में रहना उसिे सच्े होने पर प्रमाण नहीं है ्तो इस से अकनवा्यमि हो्ता है कि नऊज़ुकबल्ाह नबी िरीम सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िा ्तेईस वरमि ्ति मृत्यु से सुरकक्ष्त रहना आप सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िे सच्ा होने पर भी प्रमाण नहीं है, क्योंकि जबकि ख़ुदा ्तआला ने ्यहां एि झूठे ्तौर पर नबी िा दावा िरने वाले िो ्तीस वरमि ्ति ढील दी और)अल हाक़क़ः - 45) َل َعلَۡیَنا لَۡو تََقّوَ

    िे वादे िा िु् ध्यान न रिा ्तो इसी प्रिार नऊज़ुकबल्ाह ्यह भी अनुमान िे कनि् है कि आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िो भी झूठा होने िे बावजूद ढील दे दी हो, किन्तु आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िा झूठा होना असंभव है। अ्तः जो बा्त असंभव िो अकनवा्यमि िरे वह भी असंभव है और सपटि है कि ्यह क़ुआमिन िा ्ति्क कन्तान्त सपटि ्तभी ठहर सि्ता है जब कि वह व्यापि कन्यम (क़ाइदः िुसल््यः) माना जाए कि ख़ुदा उस झूठ बनाने वाले िो जो प्रजा िो गुमराह िरने िे कलए ख़ुदा िी ओर से मामूर होने िा दावा िर्ता हो िभी ढील नहीं दे्ता। क्योंकि इस प्रिार से उसिी बादशाह्त में गड़बड़ी पड़ जा्ती है ्तथा सच्े और झूठे में अन्तर जा्ता रह्ता है। अ्तएव जब मेरे दावे िे समथमिन में ्यह ्ति्क प्रस्तु्त कि्या ग्या ्तो हाकफ़ज़ साकहब ने इस ्ति्क से बह्त इनिार िरिे इस बा्त पर बल कद्या कि झूठे िा ्तेईस वरमि ्ति ्या इस से अकधि जीकव्त रहना वैध (जा्यज़) है और िहा कि मैं वादा िर्ता हूं कि मैं ऐसे झूठों िा उदाहरण प्रस्तु्त िरूंगा जो रसूल होने िा झूठा दावा िरिे ्तेईस वरमि ्ति ्या इस से अकधि जीकव्त रहे हों। किन्तु अब ्ति िोई उदाहरण प्रस्तु्त नहीं कि्या ्तथा कजन लोगों िी इसलाम िी पुस्तिों पर दृसटि है वे भली भांक्त जान्ते हैं कि आज ्ति उमम्त िे उलेमा में से किसी ने ्यह आसथा प्रि् नहीं िी कि िोई ख़ुदा पर झूठ बांधने वाला व्यसक्त आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िी भांक्त ्तेईस वरमि ्ति जीकव्त रह सि्ता है

  • 10तोहफ़ा गोलड़वियः

    अकप्तु ्यह ्तो सपटि ्तौर पर आंहज़र्त सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िे सममान पर प्रहार और कन्तान्त कनरादर है ्तथा ख़ुदा ्तआला िे प्रस्तु्त ्ति्क िा क्तरसिार है। हां उन िा ्यह अकधिार था कि मुझ से इस िा प्रमाण मांग्ते कि मेरे ख़ुदा िा मामूर होने िी अवकध ्तेईस वरमि ्या अब ्ति उस से अकधि हो चुिी है ्या नहीं। किन्तु हाकफ़ज़ साकहब ने मुझ से ्यह प्रमाण (सबू्त) नहीं मांगा, क्योंकि हाकफ़ज़ साकहब अकप्तु समस्त उलेमा-ए-इसलाम ्तथा कहनदू और ईसाई इस बा्त िो जान्ते हैं कि बराहीन अहमकद्या कजसमें ्यह दावा है और कजस में बह्त से ख़ुदा से हए वा्तामिलाप कलिे हैं उसिे प्रिाकश्त होने पर इकिीस वरमि गुज़र चुिे हैं और उसी से सपटि हो्ता है कि ख़ुदा से वा्तामिलाप होने िा ्यह दावा लगभग ्तीस वरमि से प्रिाकश्त कि्या ग्या है ्तथा इलहाम ُِبــَکا ٍف َعْبــَدہ जो اَلَیْــَس اللُ मेरे कप्ता रिी िे कनधन पर एि अंगूठी पर िोदा ग्या था जो अमृ्तसर में एि मुहर बनाने वाले से िुदवा्या ग्या था वह अंगूठी अब ्ति मौजूद है ्तथा वे लोग मौजूद हैं कजनहोंने ्तै्यार िरवाई ्तथा बराहीन अहमकद्या मौजूद है कजसमें ्यह इलहाम ُِبــَکا ٍف َعْبــَدہ कलिा ग्या है और जैसा कि अंगूठी से اَلَیْــَس اللُ कसद्ध हो्ता है ्यह भी ्बबीस वरमि िा सम्य है। अ्तः चूंकि ्यह ्तीस वरमि ्ति िा सम्य बराहीन अहमकद्या से कसद्ध हो्ता है कजसमें किसी इनिार िी गुंजा्यश नहीं और इसी बराहीन िा मौलवी मुहममद हसैन ने रेव्यू (समीक्षा) भी कलिा था। इसकलए हाकफ़ज़ साकहब िो ्यह सामथ्यमि ्तो न हई कि इस बा्त िा इनिार िरें जो इकिीस वरमि से बराहीन अहमकद्या में प्रिाकश्त हो चुिी है, कववश होिर पकवत्र क़ुआमिन िे ्ति्क पर प्रहार िर कद्या कि िहाव्त प्रकसद्ध है कि मर्ता क्या न िर्ता। अ्तः हम इस कवज्ापन में हाकफ़ज़ मुहममद ्यूसुफ़ साकहब से वह उदाहरण मांग्ते हैं कजसे प्रस्तु्त िरने िा उनहोंने अपनी हस्ताक्षर िी हई ्तहरीर में वादा कि्या है। हम कनससनदेह जान्ते हैं कि क़ुआमिनी ्ति्क िा िभी िण्डन नहीं हो सि्ता। ्यह ख़ुदा िा प्रस्तु्त कि्या हआ ्ति्क है न कि किसी मनुष्य िा। संसार में िई दुभामिग्यशाली और अभागे आए और उनहोंने क़ुआमिन िे इस ्ति्क िा िण्डन िरना चाहा किन्तु सव्यं ही संसार से िूच िर गए परन्तु ्यह ्ति्क ्टू् न सिा।

  • 11 तोहफ़ा गोलड़वियः

    हाकफ़ज़ साकहब इलम (ज्ान) से अनकभज् हैं, उनिो ज्ा्त नहीं कि हज़ारों प्रकसकद्ध उलेमा और औकल्या हमेशा इसी ्ति्क िो िाकफ़रों िे सामने प्रस्तु्त िर्ते रहे और किसी ईसाई ्या ्यहदी िो सामथ्यमि नहीं हई कि किसी ऐसे व्यसक्त िा प्ता दे कजसने झूठे ्तौर पर ख़ुदा िी ओर से मामूर होने िा दावा िरिे जीवन िे ्तेईस वरमि पूरे किए हों। किर हाकफ़ज़ साकहब िी क्या वास्तकवि्ता और क्या पूंजी है कि इस ्ति्क िा िण्डन िर सिें। कवकद्त हो्ता है कि इसी िारण िु् मूिमि और नासमझ मौलवी मेरे मारने िे कलए भांक्त-भांक्त िे ्ल सोच्ते रहे हैं ्ताकि ्यह अवकध पूरी न होने पाए। जैसा कि ्यहकद्यों ने नऊज़ुकबल्ाह हज़र्त मसीह िो रफ़ा से वंकच्त ठहराने िे कलए सलीब िा ्ल सोचा था ्ताकि उस से ्ति्क ग्रहण िरें कि इसा कबन मर्यम उन सच्ों में से नहीं है कजन िा ख़ुदा िी ओर रफ़ा हो्ता रहा है। परन्तु ख़ुदा ने मसीह िो वादा कद्या कि मैं ्तुझे सलीब से बचाऊँगा और अपनी ओर ्तेरा रफ़ा िरँगा जैसा कि इब्ाहीम और दूसरे पकवत्र नकब्यों िा रफ़ा ह। अ्तः इस प्रिार उन लोगों िे मंसूबों िे कवरुद्ध ख़ुदा ने मुझे वादा कद्या कि मैं ्तेरी आ्यु अससी वरमि ्या दो-्तीन वरमि िम ्या अकधि िरूंगा ्ताकि लोग आ्यु िी िमी से झूठे होने िा पररणाम कनिाल सिें। जैसा कि ्यहदी सलीब से रफ़ा न होने िा पररणाम कनिालना चाह्ते थे, और ख़ुदा ने मुझे वादा कद्या कि मैं समस्त भ्यंिर रोगों से भी ्तुझे बचाऊूंगा। जैसे कि अंधा होना, ्ताकि इस से भी िोई बुरा पररणाम न कनिालें।2★ ख़ुदा ने मुझे सूचना दी कि उनमें से िु् लोग ्तेरे कलए बद-दुआएं भी िर्ते रहेंगे किन्तु उनिी बद-दुआएं मैं उन पर ही ्डालूंगा। वास्तव में लोगों ने इस कवचार से कि किसी प्रिार मुझे َل تََقــّوَ िे अन्तगमि्त ले आएं ्योजनाएं बनाने में िु् िमी नहीं िी। िु् لَــْو

    2★हाविया :- आंि िे बारे में ख़ुदा िा इलहाम ्यह है –یِْن

    َٰ ِخر

    ُْ َوَعَل ال

    َْعی

    ْ تنزل الرحمۃ َعٰل ثلٰث اَل

    अथामित् ्तेरे ्तीन अंगों पर ख़ुदा िी रहम्त उ्तरेगी। प्रथम आंि ्तथा शेर दो और। इसी से।

  • 12तोहफ़ा गोलड़वियः

    मौलकव्यों ने क़तल िे फ़तवे कदए, िु् मौकलव्यों ने क़तल िे झूठे मुक़द्में बनाने िे कलए मेरे कवरुद्ध गवाकह्यां दीं। िु् मौलवी मेरी मृत्यु िी झूठी भकवष्यवाकण्यां िर्ते रहे। िु् मससजदों में मेरे मरने िे कलए नाि रगड़्ते रहे, िु् ने जैसा कि मौलवी ग़ुलाम दस्तगीर क़सूरी ने अपनी पुस्ति में और मौलवी इसमाईल अलीगढ़ी ने मेरे बारे में अ्ल आदेश लगा्या कि ्यकद वह झूठा है ्तो हम से पहले मरेगा और अवश्य ही हम से पहले मरेगा क्योंकि झूठा है। किन्तु जब इन पुस्तिों िो संसार में प्रिाकश्त िर चुिे ्तो किर अक्त शीघ्र सव्यं ही मर गए और इस प्रिार उनिी मृत्यु ने फ़ैसला िर कद्या कि झूठा िौन था, परन्तु किर भी ्यह लोग नसीह्त ग्रहण नहीं िर्ते। अ्तः क्या ्यह बह्त बड़ा चमतिार नहीं है कि मुकह्युद्ीन लिूिे वाले ने मेरे बारे में मृत्यु िा इलहाम प्रिाकश्त कि्या वह सव्यं मर ग्या। मौलवी इसमाईल ने प्रिाकश्त कि्या, वह मर ग्या, मौलवी ग़ुलाम दस्तगीर ने एि पुस्ति कलि िर अपनी मृत्यु से पहले मेरी मृत्यु हो जाने िो बड़ी धूम धाम से प्रिाकश्त कि्या वह मर ग्या, पादरी हमीदुल्ाह पेशावरी ने मेरी मृत्यु िे बारे में दस महीने िा सम्य रि िर भकवष्यवाणी प्रिाकश्त िी वह मर ग्या, लेिराम ने मेरी मृत्यु िे बारे में ्तीन साल िी अवकध िी भकवष्यवाणी प्रिाकश्त िी वह मर ग्या। ्यह इसकलए हआ ्ताकि ख़ुदा ्तआला हर प्रिार से अपने कनशानों िो पूणमि िरे।

    मेरे बारे में जो िु् हमददगी क़ौम ने िी है वह सपटि है ्तथा ग़ैर क़ौमों िा द्ेर एि सवाभाकवि बा्त है। इन लोगों ने मुझे ्तबाह िरने िा िौन सा पहलू प्र्योग नहीं कि्या, िटि पहूंचाने िी िौन सी ्योजना है जो असन्तम सीमा ्ति नहीं पहूंचाई। क्या बद-दुआओं में िोई िमी रही ्या क़तल िे फ़तवे अपूणमि रहे, अथवा िटि और अपमान िी ्योजनाएं ्यथा इच्ा प्रि्न में नहीं आईं। किर वह िौन सा हाथ है जो मुझे बचा्ता है। ्यकद मैं झूठा हो्ता ्तो होना ्तो ्यह चाकहए था कि ख़ुदा सव्यं मुझे मारने िे कलए सामान पैदा िर्ता न ्यह कि सम्य-सम्य पर लोग साधन पैदा िरे और ख़ुदा उन साधनों िो समाप्त िर्ता

  • 13 तोहफ़ा गोलड़वियः

    रहे।3★ क्या झूठे िी ्यही कनशाकन्यां हआ िर्ती हैं कि क़ुआमिन भी उसिी गवाही दे और आिाशी्य कनशान भी उसिे समथमिन में उ्तरें और बुकद्ध भी उसिी समथमिि हो। जो उसिी मृत्यु चाह्ते हों वे ही मर्ते जाएं। मैं िदाकप कवश्ास नहीं िर्ता कि नबी िरीम सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िे ्युग िे पश्ात् किसी ख़ुदा रसीदा ्या सत्यकनष्ठ (अहलुल्ाह और अहले हक़) व्यसक्त िे मुिाबले पर किसी कवरोधी िो ऐसी साफ़ और सपटि पराज्य ्तथा अपमान हआ हो जैसा कि मेरे शत्रुओं िो मेरे मुिाबले पर पहूंचा है। ्यकद उनहोंने मेरी इज़ज़्त पर प्रहार कि्या ्तो अन्त्तः सव्यं ही अपामाकन्त हए और ्यकद मेरे प्राण पर आक्मण िरिे ्यह िहा कि इस व्यसक्त िे सत्य और झूठ िी िसौ्ी ्यह है कि वह हम से पहले मरेगा और किर सव्यं ही मर गए। मौलवी ग़ुलाम दस्तगीर िी पुस्ति ्तो दूर नहीं, प्यामिप्त सम्य से ्प िर प्रसारर्त हो चुिी है। देिो वह किस कनभगीि्ता से कलि्ता है कि हम दोनों मे से जो झूठा है वह पहले मरेगा और सव्यं ही मर 3★हाविया :- देिो मौलवी अबू सईद मुहममद हसैन ब्ालवी ने मुझे कम्ाने िे कलए क्या िु् हाथ-पैर न मारे और िेवल व्यथमि बा्तें बना िर ख़ुदा से लड़ा और दावा कि्या कि मैंने ही ऊूंचा कि्या और मैं ही कगराऊूंगा, परन्तु वह सव्यं जान्ता है कि इन व्यथमि बा्तों िा अंजाम क्या हआ। िेद कि उसने अपने उस वाक्य में सपटि झूठ ्तो भू्तिाल िे बारे में बोला और एि भकवष्य िे बारे में झूठी भकवष्यवाणी िी। वह िौन था और क्या वस्तु था जो मुझे ऊूंचा िर्ता। ्यह मुझ पर ख़ुदा िा उपिार है और उसिे बाद किसी िा भी उपिार नहीं। प्रथम उसने मुझे एि बड़े िुलीन (शरीफ़) िानदान में पैदा कि्या और मा्ता-कप्ता िी वंशावली िे क्म िे प्रत्येि दाग़ से बचा्या। ्ततपश्ात् मेरे समथमिन में सव्यं िड़ा हआ। िेद इन लोगों िी हाल्त िहां ्ति जा पहूंची है कि ऐसी वास्तकवि्ता िे कवरुद्ध बा्तें मुि पर ला्ते हैं कजन िी िु् भी वास्तकवि्ता नहीं। सच ्तो ्यह है कि इस दुभामिग्यशाली ने हर प्रिार से मुझ पर प्रहार किए और असिल एवं कनराश रहा। लोगों िो बैअ्त िरने से रोिा। पररणाम ्यह हआ कि हज़ारों लोग मेरी बैअ्त में ससममकल्त हो गए। मार ्डालने िे कलए अग्रसर होना (इक़दामे क़तल) िे झूठे मुिद्में में पादरर्यों िा गवाह बन िर मेरे सममान पर प्रहार कि्या,किन्तु उसी सम्य िुसगी मांगने से अपनी नी्य्त िा िल पा कल्या। मेरे व्यसक्तग्त मामले में गनदे कवज्ापन कदए। उनिा उत्तर ख़ुदा ने पहले से दे रिा है, मेरे वणमिन िी आवश्यि्ता नहीं। इसी से

  • 14तोहफ़ा गोलड़वियः

    ग्या इस से सपटि है कि जो लोग मेरी मृत्यु िे अकभलारी थे और उनहोंने ख़ुदा से दुआएं िीं हम दोनों में से जो झूठा है वह पहले मरे। अन्त्तः वे मर गए। न एि न दो अकप्तु पांच व्यसक्त्यों ने ऐसा ही िहा और इस संसार िो ्ोड़ गए। इसिा पररणाम व्तमिमान मौलकव्यों िे कलए जो मुहममद हसैन ब्ालवी और मौलवी अबदुल जबबार ग़ज़नवी किर अमृ्तसरी और अबदुल हक़ ग़ज़नवी किर अमृ्तसरी और मौलवी पीर महर अली शाह गोलड़वी और रशीद अहमद गंगोही और नज़ीर हसैन देहलवी, रुसुल बाबा अमृ्तसरी, मुंशी इलाही बख़श साकहब एिाउन्ेण्, हाकफ़ज़ मुहममद ्यूसुफ़ कज़लेदार नहर इत्याकद िे कलए ्यह ्तो न हआ कि इस सपटि चमतिार से ्ये लोग िा्यदा उठा्ते और ख़ुदा से ्डर्ते और ्तौबः िर्ते। हां इन लोगों िी इन िु् नमूनों िे बाद िमरें ्टू् गईं और इस प्रिार िे कलिने से भ्यभी्त हो गए।

    َ ْمَثا ُل ْ

    ُتُبْوا ِبِمْثَل ٰہذا ِبَما تََقّدَ َمِت الْ فَلَْن یَّک

    ्यह चमतिार िु् िम न था कि कजन लोगों ने फ़ैसला िा आधार झूठे िी मृत्यु रिी था वे मेरे मरने से पहले क़ब्ों में जा सोए। मैंने क्डप्ी आथम िे मुबाहसे (शासत्राथमि) में लगभग साठ लोगों िे समक्ष ्यह िहा था कि हम दोनों मे से जो झूठा है वह पहले मरेगा। अ्तः आथम भी अपनी मौ्त से मेरी सच्ाई िी गवाही दे ग्या। मुझे उन लोगों िी पररससथक्त्यों पर द्या आ्ती है कि सत्य िो क्पाने िे िारण इन लोगों िी नौब्त िहां ्ति पहूंच गई है। ्यकद िोई कनशान भी मांगे ्तो िह्ते हैं कि ्यह दुआ िरो कि हम सा्त कदन में मर जाएं। जान्ते नहीं कि ख़ुदा लोगों िे सव्यं कनकममि्त मापदण्डों िा अनुिरण नहीं िर्ता। उसने िह कद्या है कि)बनी इस्ाईल-37 ) ؕ ٌم

    َۡل تَۡقُف َما لَیَۡس لََک ِبٖہ ِعل

    और उसने नबी सल्ल्ाह अलैकह व सल्म िो फ़रमा्या कि)अल-िहफ़ -24) ٰذلَِک َغًدا

    ٌۡ فَاِعل َو َل تَُقۡولَّنَ لَِشاۡیٍء ِاّنِ

    अ्तः जब कि ससय्यकदना मुहममद मुस्तफ़ा सल्ल्ाह अलैकह वसल्म एि कदन िी अवकध अपनी ओर से प्रस्तु्त नहीं िर सि्ते ्तो मैं सा्त कदन िा दावा

  • 15 तोहफ़ा गोलड़वियः

    िैसे िरूं। इन मूिमि अत्याचारर्यों से मौलवी ग़ुलाम दस्तगीर अच्ा रहा कि उसन अपनी पुस्ति में िोई सम्य सीमा नहीं लगाई। ्यही दुआ िी कि हे मेरे ख़ुदा ्यकद मैं कमज़ामि ग़ुलाम अहमद क़ाकद्यानी िो झूठा िहने में सत्य पर नहीं हूं ्तो मुझे पहले मौ्त दे और ्यकद कमज़ामि ग़ुलाम अहमद क़ाकद्यानी अपने दावे में सत्य पर नहीं ्तो उसे मुझ से पहले मौ्त दे। ्ततपश्ात् ख़ुदा ने उसे बह्त शीघ्र मृत्यु दे दी, देिो िैसा सिाई से िैसला हो ग्या। ्यकद किसी िो इस िैसले िे मानने में संिोच हो ्तो उसे अकधिार है कि सव्यं ख़ुदा िे िैसले िो आज़माए। परन्तु ऐसी शरार्तें त्याग दे जो आ्य्त -)अलिहफ़ - 24) فَاِعلٌ ٰذلَِک َغًدا ۡ َو َل تَُقۡولَّنَ لَِشاۡیٍء ِاّنِिे कवरुद्ध हैं। शरार्त िे ्तौर पर वाद-कववाद िरने से बेईमानी िी गंध आ्ती है। इसी प्रिार मौलवी मुहममद इसमाईल ने सफ़ाई से ख़ुदा ्तआला िे आगे ्यह कवन्ती िी कि हम दोनों सदस्यों में से जो झूठा है वह मर जाए। अ्तः ख़ुदा ने उसे भी शीघ्र ही इस संसार से रुख़स्त िर कद्या और इन मृत्यु प्राप्त मौलकव्यों िा ऐसी दुआओं िे बाद मर जाना एि ख़ुदा से ्डरने वाले मुसलमान िे कलए ्तो प्यामिप्त है परन्तु एि अपकवत्र एवं बेरहम हृद्य रिने वाले भौक्तिवादी (दुकन्या परस्त) व्यसक्त िे कलए िदाकप प्यामिप्त नहीं। भला अलीगढ़ ्तो बह्त दूर है और शा्यद पंजाब िे �